UP Board Solutions for Practical Home Science प्रयोगात्मक गृह विज्ञान सम्बन्धी मौखिक प्रश्नोत्तर

UP Board Solutions for Practical  Home Science प्रयोगात्मक गृह विज्ञान सम्बन्धी मौखिक प्रश्नोत्तर (Viva Voce Regarding Practical Home Science)

UP Board Solutions for Practical Home Science प्रयोगात्मक गृह विज्ञान सम्बन्धी मौखिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
गृहिणी को पाक-कला का ज्ञान होना क्यों आवश्यक है?
उत्तरः
गृहिणी के ज्ञान व कार्य कुशलता का प्रभाव परिवार के सदस्यों पर पड़ता है। प्रत्येक खाद्य पदार्थ में मनुष्य के शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले तत्त्व उपस्थित रहते हैं परन्तु यह गृहिणी के ही ज्ञान पर निर्भर करता है कि वह उनका अधिक-से-अधिक लाभ, परिवार के सदस्यों को पहुँचा सके। यह उसके खाद्य पदार्थों के चुनाव व भोजन पकाने के ऊपर निर्भर करता है। उसको यह देखना चाहिए कि परिवार के किस सदस्य को किस प्रकार का भोजन देना है जिससे प्रत्येक व्यक्ति को उसकी शारीरिक आवश्यकता एवं रुचि के अनुसार पोषक तत्त्व मिल सकेंगे और कोई तत्त्व पकाने पर व्यर्थ नहीं जा सकेगा। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि गृहिणी को पाक-कला का ज्ञान होना अनिवार्य है।

प्रश्न 2.
भोजन पकाने की कौन-कौन सी विधियाँ हैं?
उत्तरः
1. उबालना (Boiling) – चावल व पत्ते वाली हरी तरकारियों को उबालकर पकाया जाता है। इन खाद्य सामग्रियों को पानी में उबालकर उनका पानी फेंक देने से उनके पोषक तत्त्व निकल जाते हैं। ऐसे पदार्थों में पानी की मात्रा कम रखनी चाहिए। आलू, अरवी, रतालू को छिलके सहित साबुत उबालना चाहिए।
2. भाप से पकाना (Steaming) – यह विधि सर्वोत्तम है। भाप से पकाया गया भोजन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक, सुपाच्य व स्वादिष्ट होता है।
3. तलना (Frying) – कुछ खाद्य पदार्थों को तलकर बनाया जाता है। तलना दो प्रकार का होता है –

  • उथली चिकनाई – थोड़ी-सी चिकनाई को कड़ाही, तवे या फ्राइपैन में डालकर पदार्थों को बनाया जाता है, जैसे-आलू की टिकिया, डोसे, पराँठे, ऑमलेट, चीले आदि।
  • गहरी चिकनाई – कढ़ाई में अधिक चिकनाई डालकर पदार्थों को पकाया या तला जाता है, जैसे-पूड़ी, कचौड़ी, समोसे, मठरी, पकौड़ी, पापड़, जिमीकन्द, पनीर आदि।

4. भूनना तथा सेंकना (Roasting and Baking) – कुछ खाद्य पदार्थों को गर्म बालू के माध्यम से भूनकर पकाया जाता है; जैसे – आलू, बैंगन, शकरकन्दी, चना, मक्का, मुरमुरे, मटर, ज्वार, खीलें, मूंगफली आदि। कुछ अन्य पदार्थों को गर्म वायु के ताप पर सेंका जाता है; जैसे – तन्दूर की रोटी, कोयले पर डालकर सेंका गया फुलका, नानखताई, कबाब, बिस्कुट, डबलरोटी आदि। इस विधि द्वारा पदार्थों को बनाने से पोषक तत्त्व कम नष्ट होते हैं तथा भोजन स्वादिष्ट और सुपाच्य होता है।

प्रश्न 3.
भोजन पकाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तरः

  • भोजन बनाने का स्थान मक्खीरहित तथा हर प्रकार से स्वच्छ होना चाहिए।
  • गृहिणी के वस्त्र साफ होने चाहिए। केश बँधे हुए रहने चाहिए।
  • बर्तन व जल साफ होना चाहिए।
  • सब्जियाँ ताजी व दागरहित होनी चाहिए।
  • सब्जियों को काटने से पहले साफ जल से धोना चाहिए, काटने के बाद धोने से खनिज लवण व विटामिन का कुछ अंश पानी के साथ निकल जाता है।
  • सब्जियों को पकाते या उबालते समय उनमें उतना ही पानी डालिए जितना कि सब्जी के लिए पर्याप्त हो। उबली या पकी हुई सब्जी में पानी अधिक होने पर उसका पानी निकाल देने से उसके विटामिन ‘C’ व ‘B’ और खनिज लवण पानी के साथ घुलकर निकल जाते हैं।
  • दाल के अनुमान से उसमें उतना ही पानी प्रारम्भ में रखना चाहिए जितने में वह पककर तैयार हो जाए। बीच-बीच में पानी डाल देने से दाल स्वादिष्ट नहीं बनती है तथा देर से गलती है।
  • प्रेशर कुकर में पतीली की अपेक्षा पानी की मात्रा कम रखिए।
  • चावलों को पकाने के लिए उतना ही पानी डालिए जितना कि उसमें चावल गलकर पक जाए। चावलों का माँड निकाल देने से विटामिन ‘B’ व स्टार्च का अंश निकल जाता है।
  • सब्जियों व दालों को पकाते समय बेकिंग पाउडर (खाने वाला सोडा) नहीं डालना चाहिए। इससे विटामिन ‘B’ नष्ट हो जाता है।
  • अधिक मसाले व घी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इनकी अधिकता भोजन को गरिष्ठ बनाती है तथा पाचन-संस्थान में जलन हो सकती है।
  • सूखी सब्जियों को बनाते समय आग धीमी होनी चाहिए।
  • दाल, चावल, सब्जी, सूप आदि को ढककर पकाना व उबालना चाहिए।
  • आटे को छानकर भूसी नहीं निकालनी चाहिए।
  • घर में सदस्यों की संख्या व आवश्यक मात्रा के अनुसार भोजन पकाना चाहिए। अधिक बना लेने से भोजन व्यर्थ जाता है या बासी भोजन खाना पड़ता है। इससे फिजूलखर्च होता है या स्वास्थ्य की हानि होती है। अत: अनुमान से उचित मात्रा में भोजन बनाना चाहिए।

प्रश्न 4.
भोजन पकाने से क्या लाभ हैं?
उत्तरः

  • भोजन सुपाच्य हो जाता है; जैसे-चावल, दाल आदि मुलायम हो जाते हैं जो सरलता से पच जाते हैं। स्टार्च वाले पदार्थों के कण फूलकर मुलायम हो जाते हैं; जैसे-आलू, अरवी, चावल आदि चबाने योग्य हो जाते हैं तथा सरलतापूर्वक पचाए जा सकते हैं। .
  • भोजन स्वादिष्ट बन जाता है। कुछ ही सब्जियों जैसे-मूली, गाजर, टमाटर आदि का प्रयोग कच्चे रूप में किया जा सकता है; शेष सभी को पकाकर बनाने से वे स्वादिष्ट बन जाती हैं। इसी प्रकार दाल, चावल, रोटी सभी खाद्य पदार्थ पकाकर बनाए जाने से स्वादिष्ट होते हैं।
  • भोजन देखने में आकर्षक लगता है। तैयार किया हुआ भोजन देखने में सुन्दर व सुगन्ध युक्त होता है। इससे भूख उद्दीप्त होती है तथा भोजन भी ठीक प्रकार से पचता है।
  • भोजन सुरक्षित रहता है, जैसे खोया, दूध, मांस, मुरब्बा, जैम आदि को अच्छी तरह से पका लिया जाए तो ये शीघ्र खराब नहीं होते हैं।
  • खाद्य पदार्थों को ताप मिलने से उनमें विद्यमान कीटाणु नष्ट हो जाते हैं जिससे रोग होने की आशंका नहीं रहती है। दूध को कभी भी कच्चा नहीं पीना चाहिए।

प्रश्न 5.
आधुनिक युग में रसोई के श्रम व समय के बचाव के लिए कौन-कौन से यन्त्र हैं?
उत्तरः
गैस, प्रेशर कुकर, ग्राइण्डर, मिक्सी, टोस्टर, हीटर, बिजली की केतली, स्टोव, विभिन्न प्रकार के कटर; जैसे-प्याज, सलाद, तरकारी काटने हेतु एवं पूरी व फुलका बेलने की मशीन, रेफ्रिजरेटर आदि।

प्रश्न 6.
प्रेशर कुकर से तरकारी व दाल बनाने से क्या लाभ हैं?
उत्तरः

  • तरकारी या दाल शीघ्र तैयार हो जाती है जिससे समय व ईंधन की बचत होती है।
  • इनके पोषक तत्त्व नष्ट नहीं होते हैं।
  • ये स्वादिष्ट बनती हैं।

प्रश्न 7.
प्रेशर कुकर के प्रयोग में क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तरः

  • तरकारी व सब्जी में पानी की आवश्यक मात्रा रखनी चाहिए। पानी कम होने से वस्तु जल जाएगी।
  • बन्द करते समय ढक्कन के ऐरो के निशान को प्रेशर कुकर पर बने ऐरो के निशान से मिलाकर ढक्कन को अन्दर कीजिए और बन्द कर दीजिए।
  • पदार्थ के बन जाने पर नीचे उतारकर रख दीजिए, जब वह पूर्ण रूप से ठण्डा हो जाए अर्थात् भाप का दबाव न रहे तब उसको खोलिए।
  • यदि शीघ्रता में कोई काम करना है तो किसी चमचे आदि से उसका ‘वेट’ उठाकर उसकी भाप धीरे-धीरे निकाल दीजिए। गर्म खोलने का प्रयत्न करने से दुर्घटना की आशंका रहती है।
  • ढक्कन बाहर निकालने के लिए प्रेशर कुकर पर बने ‘→’ से ‘,’ चिह्नों को मिलाकर तब निकालना चाहिए।
  • कार्य समाप्त होने पर रबड़ निकालकर साफ कर लेनी चाहिए।
  • प्रेशर कुकर को विम से साफ करना चाहिए।

प्रश्न 8.
शाकाहारी व मांसाहारी भोजन में क्या अन्तर है?
उत्तरः
जो खाद्य पदार्थ वनस्पति जगत अर्थात् पेड़, पौधों आदि से प्राप्त होते हैं वे शाकाहारी आहार की श्रेणी में आते हैं और जो खाद्य पदार्थ जीव-जन्तुओं के शरीर से प्राप्त किए जाते हैं वे मांसाहारी आहार की श्रेणी में आते हैं। सामान्य रूप से मांस, मछली तथा अण्डा मांसाहार हैं। दूध भले ही पशु जगत से प्राप्त होता है, परन्तु इसे व्यवहार में मांसाहार नहीं माना जाता है।

प्रश्न 9.
भोजन के पोषक तत्त्व हमको किस प्रकार के भोजन से अधिक मिलते हैं?
उत्तरः

  • ताजे फल व तरकारियों से।
  • बासी भोजन की अपेक्षा ताजे भोजन से।
  • सावधानीपूर्वक बनाए गए भोजन से।
  • प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट्स की अपेक्षा वसा से हमें अधिक कैलोरी मिलती है।

प्रश्न 10.
सब्जियों को किन-किन रूपों में बना सकती हैं?
उत्तरः

  • सूखी
  • शोरबेदार
  • तली व कुरकुरी चिप्स
  • उबालकर, कुचली हुई
  • भुरता आदि।

प्रश्न 11.
कार्बोहाइड्रेट्स (स्टार्च और शक्कर) किन-किन सब्जियों से प्राप्त हो सकता है?
उत्तरः
जड़ों और गाँठ वाली सब्जियों में स्टार्च रहता है। आलू, शकरकन्द, अरवी, गाजर, चुकन्दर, मटर, सेम के बीज, रतालू, काशीफल आदि में कार्बोज विद्यमान रहता है।

प्रश्न 12.
शरीर में विटामिन्स की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए कौन-कौन सी सब्जियों का सेवन करना चाहिए?
उत्तरः
पीले रंग की सब्जियों जैसे गाजर में कैरोटीन तत्त्व से विटामिन ‘A’ बनता है। अंकुरित मटर से विटामिन ‘B’ की प्राप्ति की जा सकती है। टमाटर, हरी मिर्च, नीबू, पत्ते वाली गोभी आदि में विटामिन ‘C’ तथा ऐस्कॉर्बिक एसिड की पर्याप्त मात्रा रहती है। मूंगफली में विटामिन ‘D’ व पत्ते वाली सब्जियों में ‘E’ और अल्फाफा नामक घास से विटामिन ‘K’ तत्त्व की प्राप्ति की जा सकती है।

प्रश्न 13.
हरी सब्जियों में जल का भाग कितना प्रतिशत होता है?
उत्तरः
ताजी सब्जियों में 80% जल का अंश होता है। सूखी सब्जियों जैसे मटर, चने का सूखा हुआ साग आदि में जल की मात्रा कम होती है इसलिए इनको बनाने से पहले पानी में भिगोना आवश्यक होता है।

प्रश्न 14.
मनुष्य के लिए सेलुलोस की क्या आवश्यकता है?
उत्तरः

जो कार्य औषधि के क्षेत्र में विरेचक चूर्ण करता है, वही कार्य भोजन के क्षेत्र में सेलुलोस करता है। यह कब्ज को दूर करता है, मल को शरीर से बाहर निकलने में सहायता करता है। हरे साग, भूसी, पत्ते वाली गोभी आदि से सेलुलोस प्राप्त होता है।

प्रश्न 15.
एक साधारण कार्य करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन कितनी कैलोरी की आवश्यकता होती है?
उत्तरः
2300 से 3000 तक प्रतिदिन कैलोरी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 16.
एक बोझा ढोने वाले व्यक्ति को कितनी कैलोरी की आवश्यकता होती है?
उत्तरः
3500 से 4000 कैलोरी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 17.
एक गर्भवती स्त्री की प्रतिदिन कैलोरी की माँग क्या है?
उत्तरः
3600 से 4000 तक प्रतिदिन कैलोरी की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 18.
एक मानसिक कार्य करने वाले व्यक्ति के भोजन में कौन-कौन से तत्त्व होने चाहिए?
उत्तरः
मानसिक कार्य करने वाले व्यक्ति को मुख्य रूप से प्रोटीन, वसा, खनिज लवण तथा विटामिन्सयुक्त भोजन की आवश्यकता होती है। इसीलिए उसे दूध, मक्खन, अण्डा, फल, दालें आदि भोज्य पदार्थ देने चाहिए।

प्रश्न 19.
ऊर्जा उत्पादक पदार्थ कौन-कौन से होते हैं?
उत्तरः

  • कार्बोहाइड्रेट (स्टार्च तथा शर्करा)-गेहूँ, मक्का, चना, बाजरा, जौ, आलू, अरवी, कच्चा केला, शकरकन्द आदि।
  • शर्करा-चीनी, खाँड, गुड़, गन्ना, शहद, विभिन्न मिठाइयाँ, जैम तथा मुरब्बा, अंगूर, अंजीर आदि।
  • वसा-सूखे मेवे, मछली का तेल, मूंगफली, मक्खन, घी, गोला, तेल आदि।

प्रश्न 20.
शरीर निर्माणक पदार्थों के नाम बताइए।
उत्तरः

  • प्रोटीन-समस्त प्रकार की दालें, अण्डा, मांस, सोयाबीन, दूध, दही, पनीर, मक्खन आदि।
  • खनिज लवण-कैल्सियम, फॉस्फोरस, लोहा, दूध, केला, अंजीर, पनीर, आइसक्रीम, हरी सब्जियाँ, पालक, दालें, सूखे मेवे आदि।

प्रश्न 21.
गाँठ वाली सब्जी कौन-कौन सी होती हैं?
उत्तर
अरवी, आलू, जिमीकन्द, शकरकन्द, मूंगफली आदि।

प्रश्न 22
पर्त वाली सब्जियों के नाम बताइए।
उत्तरः
लहसुन, प्याज आदि।

प्रश्न 23.
जड़ों वाली कौन-कौन सी सब्जियाँ होती हैं?
उत्तरः
शकरकन्दी, शलजम, मूली, चुकन्दर, गाजर आदि।

प्रश्न 24.
फल वाली कौन-कौन सी सब्जियाँ होती हैं?
उत्तरः
बैंगन, लौकी, तोरई, भिण्डी, परमल, टमाटर, मिर्च, कच्चा केला, खीरा, नीबू आदि।

प्रश्न 25.
अचार को किस प्रकार सुरक्षित रखा जा सकता है?
उत्तरः
अचार का मसाला तैयार कर लेने के पश्चात् उसमें थोड़ा सोडियम बेंजोएट डाल देने से या अधिक समय तक धूप में रखा रहने से अचार सुरक्षित रहता है। नमक व तेल की मात्रा ठीक होने से अचार खराब नहीं होता है। थोड़ा सिरके (एसिटिक एसिड) की मात्रा डालने से भी ठीक रहता है।

प्रश्न 26.
अचार को धूप में क्यों रखा जाता है?
उत्तरः
जो बैक्टीरिया व फफूंदी अचार को खराब करते हैं वे धूप की गर्मी से नष्ट हो जाते हैं जिससे पदार्थ सुरक्षित रहता है।

प्रश्न 27.
अचार के प्रति क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
उत्तरः

  • सीलन से बचाना चाहिए।
  • अन्न के हाथ अचार के मर्तबान में नहीं डालने चाहिए।
  • ढक्कन बन्द रखना चाहिए।
  • कभी-कभी धूप में रख देना चाहिए।

प्रश्न 28.
मर्तबान का निःसंक्रमण करना क्यों आवश्यक है?
उत्तरः
पदार्थों को खराब करने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करना आवश्यक है।

प्रश्न 29.
कौन-कौन से हानिकारक पदार्थ हैं जो अचार,मुरब्बावस्क्वेशकोखराबकरते हैं?
उत्तरः
पदार्थों को सड़ाने वाले बैक्टीरिया और फफूंदी हैं।

प्रश्न 30.
अचार के लिए कैसे नीब लेंगी?
उत्तरः
दागरहित पीले रंग वाले, दबाने पर कुछ नर्म व बड़े होने चाहिए।

प्रश्न 31.
अचार बनाते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तरः

  • नमक व तेल की मात्रा कम नहीं होनी चाहिए।
  • फल का चुनाव सही होना चाहिए।
  • बर्तन का नि:संक्रमण अवश्य कर लेना चाहिए।
  • मसाले घर पर तैयार किए हुए होने चाहिए।
  • फल व बर्तन में नमी नहीं होनी चाहिए।
  • अन्न के हाथ मसाले व फल में नहीं लगने चाहिए।
  • मसाले सही अनुपात में डालने चाहिए।
  • मीठा अचार बनाने के लिए चीनी की मात्रा 40% से कम नहीं होनी चाहिए।
  • तेल बढ़िया किस्म का होना चाहिए।

प्रश्न 32.
Eye test किसे कहते हैं?
उत्तरः
जैली में बड़े-बड़े बबूले पड़ने लगें तथा उनका रंग सफेद दिखाई दे तो समझिए कि जैली तैयार हो गई है। इसे ही Eye test कहते हैं।

प्रश्न 33.
Sheet test किस प्रकार तैयार करते हैं?
उत्तरः
कलछी में जैली लेकर उसकी डण्डी की ओर लाइए और उसको थोड़ी देर हवा में रखकर देखना चाहिए कि वह जमकर एक पतली चादर के रूप में बन जाएगी। यदि बूंद-बूंद करके गिरे और जरा भी जमे नहीं तो समझना चाहिए कि जैली अभी तैयार नहीं हुई है। इसे ही Sheet test कहते हैं।

प्रश्न 34.
अच्छी जैली की क्या पहचान है?
उत्तरः

  • जैली का रंग सुर्ख लाल-भूरा सा होना चाहिए।
  • जैली पारदर्शक होनी चाहिए।
  • जिस पात्र में जमा दी जाए उसी का आकार ग्रहण करे।
  • फल की मौलिक सुगन्ध होनी चाहिए।
  • छूने पर उँगली पर नहीं चिपकनी चाहिए।
  • चाकू से काटने पर चाकू में चिपके नहीं व उसके किनारे साफ करें।
  • बोतल को उलटने पर जैली गिरे नहीं।

प्रश्न 35.
जैली को कब बर्तन में भरना चाहिए?
उत्तरः
जैली के तैयार हो जाने के पश्चात् गर्म-गर्म बोतल में भरते हैं। बोतल में डालते समय उसे किसी लकड़ी के टुकड़े या कपड़े की गद्दी पर रख लेना चाहिए। ऐसा न करने पर बोतल टूट जाएगी।

प्रश्न 36.
गर्म पदार्थ भरने पर बोतल क्यों टूट जाती है?
उत्तरः
गर्म पदार्थ भरने पर अन्दर का तापक्रम अधिक होगा और बाहर का कम व नीचे ठण्डक होने के कारण उसमें असमान प्रसार होने के कारण वह चटक जाती है।

प्रश्न 37.
खोया व छेने में क्या अन्तर है?
उत्तरः
खोया दूध को गाढ़ा करके तथा दूध के जलांश को लगभग समाप्त करके बनाया जाता है और छेना दूध को फाड़कर दूध का प्रोटीन अलग करके बनाया जाता है।

प्रश्न 38.
लौकी व गाजर कसने के पश्चात् जो पानी निकलता है उसका आप क्या करेंगी?
उत्तरः
सब्जी में डाल लेंगे या आटा गूंधने में पानी के स्थान पर प्रयोग करेंगे।

प्रश्न 39.
खीर स्वास्थ्य के लिए कैसी रहती है?
उत्तरः
खीर स्वास्थ्यवर्द्धक तथा स्वादिष्ट व्यंजन है। यह sweet dish के रूप में प्रयुक्त की जा सकती है। जिन बच्चों को दूध से अरुचि हो जाती है उनके लिए दूध की मात्रा शरीर में पहुँचाने का अच्छा साधन है।

प्रश्न 40.
मशीन में कोई खराबी हो जाएगी तो आप किस प्रकार दूर करेंगी?
उत्तरः
सर्वप्रथम हम देखेंगे कि मशीन के पुर्जे में किस प्रकार की खराबी है। साधारण घुमाव-फिराव देकर ठीक करने का स्वयं प्रयास करेंगे। जहाँ तक सम्भव हो सकेगा उसे दूर करने की भरसक चेष्टा करेंगे।

प्रश्न 41.
सुई में यदि धागा ठीक नहीं डाला जाएगा तो क्या होगा?
उत्तरः
थोड़ी-सी मशीन चलाने पर ही उसका धागा बार-बार टूटता रहेगा।

प्रश्न 42.
बॉबिन में धागा डालते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तरः

  • बॉबिन अधिक ऊपर तक नहीं भरना चाहिए।
  • धागे के तनाव को ठीक रखने के लिए धागे को बॉबिन बाइण्डर टेंशन ऐंगिल के बीच से होकर निकालना चाहिए।

प्रश्न 43.
बॉबिन केस में लगे पेंच का क्या काम है?
उत्तरः
यह बॉबिन में भरे हुए धागे के तनाव को ठीक रखता है। जब नीचे की बखिया कसी या ढीली आती है तब इस पेंच को कसा व ढीला किया जाता है।

प्रश्न 44.
बॉबिन ठीक न लगने की क्या पहचान है?
उत्तरः

  • मशीन चलाने पर वह अपने स्थान से हटकर नीचे गिर जाता है।
  • ऊपर धागा नहीं आता है।

प्रश्न 45.
पतले वस्त्र सिलने के लिए कितने नम्बर का धागा व सुई का प्रयोग किया जाता है?
उत्तरः
100 से 150 नम्बर का सूती धागा और 9 नम्बर की सुई का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 46.
सिल्क, लिलन, जार्जट आदि सिलने के लिए कितने नम्बर का धागा व सुई प्रयुक्त की जाती है?
उत्तरः
24 से 30 नम्बर का रेशमी धागा और 80 से 100 नम्बर का सूती धागा तथा 12, 13, 14 नम्बर की सुई प्रयोग में लानी चाहिए।

प्रश्न 47.
साधारण सूती वस्त्र सिलने के लिए कितने नम्बर का धागा व सुई की आवश्यकता है?
उत्तरः
60 से 80 नम्बर का सूती धागा तथा 14 नम्बर की सुई की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 48.
मशीन की बखिया या सिलाई खराब आ रही है तो आप क्या करेंगी?
उत्तरः
सर्वप्रथम ध्यान से देखेंगे कि किधर के धागे पर तनाव अधिक है। यदि ऊपर की ओर तनाव अधिक है तो थ्रेड टेंशन डिवाइडर को ढीला करेंगे। यदि नीचे की ओर वाले धागे का तनाव अधिक है तो बॉबिन केस में एक बारीक पेंच होता है उसे ढीला कर देंगे। फिर एक रफ कपड़े पर बखिया की परीक्षा करेंगे।

प्रश्न 49.
किन कारणों से मशीन की सुई टूट जाया करती है?
उत्तरः

  • यदि सुई कपड़े के अनुकूल नहीं है।
  • नीडिल बार स्क्रू ठीक से कसा न होने पर सुई निकलकर टूट जाती है।
  • कपड़ा निकालते समय नीडिल बार ऊँचा न किया गया हो।
  • नीचे का पुर्जा खोलकर सफाई आदि करने के पश्चात् यदि वह दोबारा ठीक से नहीं लगता है तब भी सुई टूटने का कारण बन जाता है।

प्रश्न 50.
ऊपर का धागा किस कारण से टूटता है?
उत्तरः

  • यदि ऊपर का धागा ठीक से न डाला गया हो।
  • स्पूल पिन में अटक जाने पर धागा टूट जाता है।
  • शटल केस में कपड़े के रेशे इकट्ठे हो जाने पर।
  • सुई टेढ़ी होने पर।
  • रफ क्वालिटी का धागा प्रयोग करने पर।
  • सुई ठीक से फिट न होने पर।
  • ऊपर के धागे का तनाव अधिक होने पर।

प्रश्न 51.
यदि सिलाई करते समय कपड़ा इकट्ठा हो रहा हो तो किस प्रकार ठीक करेंगी?
उत्तरः

  • कपड़े के समान महीन बखिया करेंगे।
  • धागे के तनाव को ठीक करने के लिए थ्रेड टेंशन डिवाइडर में लगे स्क्रू को ढीला कर देंगे।
  • शटल केस में मैल या कपड़े के धागे जमा होने पर निकालकर सफाई कर देंगे।
  • फीड डाग (feed dog) की अच्छी तरह से सफाई कर देंगे।

प्रश्न 52.
सिलाई करते समय धागे का गुच्छा क्यों बनता है?
उत्तरः

  • धागे का तनाव ढीला होने से।
  • ऊपर का धागा ठीक से न डाला गया हो।
  • बॉबिन केस का पेंच ढीला हो गया हो।
  • बॉबिन केस में लगी हुई पत्ती अपने स्थान से अधिक ऊँचाई पर उठ जाने पर।

प्रश्न 53.
मशीन भारी कब चलती है?
उत्तरः

  • तेल न डालने पर।
  • फीड डाग में कपड़े या धागे के रेशे अटक जाने पर।
  • बॉबिन केस में धागा अटक जाने पर।
  • बॉबिन वाइण्डर के फ्लाई व्हील से लग जाने पर।
  • सफाई न करने पर।

प्रश्न 54.
मशीन का प्रयोग करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तरः
मशीन का प्रयोग करने के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए –

  • मशीन में नियमित रूप से समय-समय पर तेल डालते रहना चाहिए।
  • रबड़ और रिंगों पर तेल नहीं पड़ना चाहिए।
  • मशीन के प्रयोग के अतिरिक्त उसे ढककर रखना चाहिए।
  • सुई को लगाते समय स्क्रू को अच्छी तरह से कस देना चाहिए।
  • बॉबिन को अधिक ऊपर तक मत भरिए।
  • ऊपर और नीचे वाले धागे को ठीक प्रकार से डालना चाहिए।
  • सिलाई प्रारम्भ करने से पहले किसी कपड़े पर जाँच कर लीजिए।
  • बहुत मोटे कपड़े को महीन सुई से मत सिलिए वरना सुई टूट जाएगी।
  • सिलाई करते समय कपड़े को मत खींचिए।
  • मशीन के पहिये को उल्टी तरफ मत चलाइए।
  • सिलाई करने के पश्चात् प्रेशर फुट को ऊँचा करके रखिए।
  • कपड़े को बाएँ हाथ की तरफ रखिए।

प्रश्न 55.
मशीन में तेल डालने से क्या लाभ हैं?
उत्तरः
मशीन में तेल डालने से निम्नलिखित लाभ हैं –

  • मशीन हल्की चलती है।
  • पुर्जे कम घिसते हैं।

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