UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi विज्ञान आधारित निबन्ध

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Board UP Board
Textbook SCERT, UP
Class Class 12
Subject Sahityik Hindi
Chapter Chapter 10
Chapter Name विज्ञान आधारित निबन्ध
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi विज्ञान आधारित निबन्ध

1. विज्ञान के बढ़ते कदम (2018, 16, 15)
अन्य शीर्षक विज्ञान और मानव जीवन (2018), विज्ञान : वरदान या अभिशाप (2017), विज्ञान की प्रगति और विश्वशान्ति (2015), जीवन में विज्ञान का महत्त्व (2014), विज्ञान की उपलब्धियाँ (2010)
संकेत बिन्दु वरदान के रूप में विज्ञान, विज्ञान के विषय में भ्रान्ति, मानवीय व्यस्तता, विज्ञान का दुरुपयोग, उपसंहार।

वरदान के रूप में विज्ञान हम अपने आस-पास मानव निर्मित जिन चीज़ों को देखते हैं, उनमें से अधिकाधिक चीजें विज्ञान के बल पर ही आकार पाने में सफल हो पाई हैं। विज्ञान ने मानव जीवन को सुखद व सुगम बना दिया है। पहले लम्बी दूरी की। यात्रा करना मनुष्य के लिए अत्यन्त कष्टदायी होता था। अब विज्ञान ने मनुष्य की हर प्रकार की यात्रा को सुखमय बना दिया है। सड़कों पर दौड़ती मोटरगाड़ियाँ एवं रेलवे स्टेशनों व एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ इसके प्रमाण हैं। पहले मनुष्य के पास मनोरंजन के लिए विशेष साधन उपलब्ध नहीं थे। अब उसके पास मनोरंजन के हर प्रकार के साधन उपलब्ध हैं। रेडियो, टेपरिकॉर्डर से आगे बढ़कर अब एल सी डी, वी सी डी, डी वी डी एवं डी टी एच का जमाना आ गया है। यही नहीं मनुष्य विज्ञान की सहायता से शारीरिक कमजोरियों एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से पार पाने में अब पहले से कहीं अधिक सक्षम हो गया है और यह सब सम्भव हुआ चिकित्सा क्षेत्र में आई वैज्ञानिक प्रगति से। अब ऐसी असाध्य बीमारियों का इलाज भी सम्भव है, जिन्हें पहले लाइलाज समझा जाता था। अब टीबी सहित कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को प्रारम्भिक स्तर पर ही खत्म करना सम्भव हुआ है। आज हर हाथ में मोबाइल का दिखना भी विज्ञान के वरदान का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।

विज्ञान के विषय में भ्रान्ति कुछ लोग कहते हैं कि विज्ञान ने आदमी को मशीन बना दिया है, किन्तु यह कहना उचित नहीं है। मशीनों का आविष्कार मनुष्य ने अपनी सुख-सुविधा के लिए किया है। यदि मशीनें नहीं होतीं, तो मनुष्य इतनी तेजी से प्रगति नहीं कर पाता एवं उसका जीवन तमाम तरह के झंझावातों के बीच ही गुम होकर रह जाता। मशीनों से मनुष्य को लाभ हुआ है।

यदि उसे भौतिक सुख-सुविधाएँ प्राप्त हो रही हैं, तो उसमें मशीनों का योगदान प्रमुख है। मशीनों को कार्यान्वित करने के लिए मनुष्य को उन्हें परिचालित करना पड़ता है। इस कार्य में उसे अधिक नहीं परिश्रम करना पड़ता। यदि कोई व्यक्ति मशीन के बिना कार्य करे तो उसे अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता पड़ेगी।

इस दृष्टि से देखा जाए तो मशीनों के कारण मनुष्य का जीवन यन्त्रवत् नहीं हुआ | है, बल्कि उसके लिए हर प्रकार का कार्य करना सरल हो गया है। यह विज्ञान का ही | वरदान है कि अब डेबिट-क्रेडिट कार्ड के रूप में लोगों के पर्स में प्लास्टिक मनी आ गई है एवं वह जब भी चाहे, जहाँ भी चाहे रुपये निकाल सकता है। रुपये निकालने के लिए अब बैंकों में घण्टों लाइन में लगने की जरूरत ही नहीं!

मानवीय व्यस्तता यद्यपि, मशीन का आविष्कार मनुष्य ने अपने कार्यों को आसान करने के लिए किया था, किन्तु कोई भी मशीन मनुष्य के बिना अधूरी है। जैसे-जैसे मनुष्य वैज्ञानिक प्रगति करता जा रहा है, उसकी मशीनों पर निर्भरता भी बढ़ती जा रही हैं। फलतः मशीनों को चलाने के लिए उसे यन्त्रवत् उसके साथ व्यस्त राहना पड़ता है। आधुनिक मनुष्य भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राथमिकता देता है, इसके लिए वह दिन रात परिश्रम करता है। वह चाहता है कि उसके पास गाड़ी, बंगला, ऐशोआराम की सभी चीजें हों। इसके लिए वह अपने सुख चैन को भी त्यागकर काम में व्यस्त रहता। इस काम के चक्कर में उसने अपनी जीवनशैली अत्यन्त व्यस्त बना ली है। खासकर शहर के लोगों में यह प्रवृत्ति सामान्यतः दिखाई देती है। मनुष्य ने अपने लिए रोबोट का भी आविष्कार कर लिया, फिर भी उसकी आवश्यकता कम नहीं हुई है। वह दिन-रात अन्तरिक्ष के रहस्यों को जानने के लिए परिश्रम कर रहा है।

विज्ञान का दुरुपयोग कहते हैं दुनिया की किसी भी चीज़ का दुरुपयोग बुरा ‘ होता है। विज्ञान के मामलों में भी ऐसा ही है। विज्ञान का यदि दुरुपयोग किया जाए, तो इसका परिणाम भी बुरा ही होगा। इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो विज्ञान का सहयोग मनुष्य के लिए एक अभिशाप के रूप में सामने आया है। विज्ञान की सहायता से मानव ने घातक हथियारों का आविष्कार किया। ये हथियार पूरी मानव सभ्यता का विनाश करने में सक्षम हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय परमाणु बमों के प्रयोग से मानव को जो क्षति हुई, उसकी पूर्ति असम्भव है। विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने मशीनों का आविष्कार अपने सुख-चैन के लिए किया, किन्तु अफसोस की बात यह है कि मशीनों के साथ-साथ वह भी मशीन होता जा रहा है एवं उसकी जीवन-शैली भी अत्यन्त व्यस्त हो गई है। विज्ञान की सहायता से मशीनों के आविष्कार के बाद छोटे-छोटे एवं सामान्य कार्यों के लिए भी मशीनों पर निर्भरता बढ़ी है।

परिणामस्वरूप जो कार्य पहले मानव द्वारा किया जाते थे, वे अब मशीनों से पूर्ण किए जाते हैं। यही कारण है कि बेरोजगारी में वृद्धि हुई है। मशीनों के प्रयोग एवं पर्यावरण के दोहन के कारण पर्यावरण सन्तुलन बिगड़ गया है तथा प्रदूषण के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। यही नहीं, विज्ञान की सहायता से प्रगति के लिए मनुष्य ने पृथ्वी पर मौजूद संसाधनों का व्यापक रूप से दोहन किया है, जिसके कारण उसके लिए ऊर्जा-संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

उपसंहार विज्ञान के दुरुपयोग के कारण यह मनुष्य के लिए विध्वंसक अवश्य लगा है, किन्तु इसमें कोई सन्देह नहीं कि इसके कारण ही मनुष्य का जीवन सुखमय हो सका है और आज हम जो प्रगति एवं विकास की बहार देख रहे हैं, वह विज्ञान के बल पर ही सम्भव हुआ है। इस तरह विज्ञान मानव के लिए सृजनात्मक ही साबित हुआ है। | विज्ञान के दुरुपयोग के लिए विज्ञान को नहीं, बल्कि मनुष्य को दोषी ठहराया जाना चाहिए।

विज्ञान कभी नहीं कहता कि उसका दुरुपयोग किया जाए। इस तरह आज तक विज्ञान की सहायता से तैयार हथियारों के दुरुपयोग के लिए विज्ञान को विध्वंसात्मक कहना विज्ञान के साथ अन्याय करने के बराबर है। विज्ञान को अभिशाप बनाने के लिए मनुष्य दोषी है। अन्ततः देखा जाए तो विज्ञान मनुष्य के लिए वरदान है।

2. मनोरंजन के आधुनिक साधन (2017, 14)
अन्य शीर्षक मनोरंजन के हाई-टेक साधन, मनोरंजन के अत्याधुनिक स्वरूप।।
संकेत बिन्दु भूमिका, टेलीविजन, रेडियो, कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट, सिनेमा, उपसंहार।।

भूमिका एक समय था, जब मनोरंजन के लिए लोग शिकार खेला करते थे। सभ्यता में विकास के बाद अन्य खेल लोगों के मनोरंजन के साधन बने। आज भी खेल मनोरंजन के प्रमुख साधन हैं, किन्तु आजकल खेलों को प्रत्यक्ष रूप से देखने के बजाय किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से इन्हें देखने वालों की संख्या बढ़ी है। इस समय टेलीविजन, रेडियो तथा इण्टरनेट एवं कम्प्यूटर मनोरंजन के प्रमुख एवं हाई-टेक साधन हैं।

टेलीविजन टेलीविजन आजकल लोगों के मनोरंजन का एक प्रमुख साधन बन चुका है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि टेलीविजन पर हर आयु वर्ग के लोगों के लिए कार्यक्रम मौजूद हैं।

गृहिणियाँ भोजन बनाने वाले कार्यक्रमों सहित सास बहुओं पर आधारित टी.वी. शो देख सकती हैं। बच्चे कार्टून कार्यक्रम सहित तमाम तरह के गीत-संगीत पर आधारित रियलिटी शो देख सकते हैं। पुरुष न्यूज चैनलों के साथ-साथ क्रिकेट मैचों का प्रसारण देख सकते हैं। बुजुर्ग लोग समाचारों, धारावाहिकों के अलावा धार्मिक चैनलों पर सत्संग एवं प्रवचन आदि का आनन्द ले सकते हैं।

रेडियो आधुनिक काल में रेडियो मनोरंजन का एक प्रमुख साधन बनकर उभरा है। रेडियो पर गीत-संगीत के अलावा सजीव क्रिकेट कमेटरी श्रोताओं को आनन्दित तो करती ही है, जब से एफ.एम. चैनलों का पदार्पण भारत में हुआ है, रेडियो की उपयोगिता और बढ़ गई है।

आजकल हम लोगों को मोबाइल फोन के माध्यम से विभिन्न एफ.एम, स्टेशनों को सुनते देखते हैं। रेडियो मिर्ची, रेड एफ.एम., रेडियो सिटी, रेडियो म्याऊ इत्यादि चर्चित एफ.एम. स्टेशन हैं। ये श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन कर रहे हैं। आज एफ.एम. प्रसारण दुनियाभर में रेडियो प्रसारण का पसन्दीदा माध्यम बन चुका है।

इसका एक कारण इससे उच्च गुणवत्ता युक्त स्टीरियोफोनिक आवाज की प्राप्ति भी है। शुरुआत में इस प्रसारण की देशभर में कवरेज केवल 30% थी, किन्तु अब इसकी कवरेज बढ़कर 60% से अधिक तक जा पहुंची है।

कम्प्युटर एवं इण्टरनेट आधुनिक मनोरंजन के साधनों में कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट का स्थान अग्रणी है। भारतीय युवाओं में इनका प्रयोग तेजी से बढ़ी है। इण्टरनेट को तो कोई जादू, कोई विज्ञान का चमत्कार, तो कोई ज्ञान का सागर कहता हैं।

आप इसे जो भी कहिए, किन्तु इस बात में कोई सन्देह नहीं कि सूचना क्रान्ति की देन यह इण्टरनेट न केवल मानव के लिए अति उपयोगी साबित हुआ है, बल्कि संचार में गति एवं विविधता के माध्यम से इसने दुनिया को बिल्कुल बदल कर रख दिया है।

इण्टरनेट ने सरकार, व्यापार और शिक्षा को नए अवसर दिए हैं। सरकारें अपने प्रशासनिक कार्यों के संचालन, विभिन्न कर प्रणाली, प्रबन्धन और सूचनाओं के प्रसारण जैसे अनेकानेक कार्यों के लिए इण्टरनेट का उपयोग करती हैं। कुछ वर्ष पहले तक इण्टरनेट व्यापार और वाणिज्य में प्रभावी नहीं था, लेकिन आज सभी तरह के विपणन और व्यापारिक लेन-देन इसके माध्यम से सम्भव हैं।

इण्टरनेट पर आज पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं, रेडियो के चैनल उपलब्ध हैं और टेलीविज़न के लगभग सभी चैनल भी मौजूद हैं। इण्टरनेट के माध्यम से मीडिया हाउस ध्वनि और दृश्य दोनों माध्यम के द्वारा ताजातरीन खबरें और मौसम सम्बन्धी जानकारियाँ हम तक आसानी से पहुंचा रहे हैं।
नेता हो या अभिनेता, विद्यार्थी हो या शिक्षक, पाठक हो या लेखक, वैज्ञानिक हो या चिन्तक सबके लिए इण्टरनेट उपयोगी साबित हो रहा है।

सिनेमा बात मनोरंजन के आधुनिक साधनों की हो या पूर्व साधनों की, यह सिनेमा के बिना अधूरी है। सिनेमा पहले भी लोगों के मनोरंजन का एक शक्तिशाली माध्यम था, आज भी है।

आज पारिवारिक एवं हास्य से भरपूर फिल्में दर्शकों का स्वस्थ मनोरंजन कर रही हैं। एक व्यक्ति तनावपूर्ण वातावरण से निकलने एवं मनोरंजन के लिए सिनेमा का रुख करता है, हालाँकि वर्तमान समय में बहुत सी फिल्में हिंसा एवं अश्लीलता का भौण्डा प्रदर्शन भी करती हैं, किन्तु इन जैसी खामियों को दरकिनार कर दें, तो सिनेमा दर्शकों का स्वस्थ मनोरंजन ही करते हैं।

उपसंहार इस प्रकार देखा जाए तो मनोरंजन के इन सभी हाई-टेक साधनों से न सिर्फ हमारा मनोरंजन होता है, बल्कि ये हमारे ज्ञान का विस्तार करने में भी सहायक हैं। इनकी सहायता से हम कठिन से कठिन विषयों को भी बड़ी सुगमता के साथ कम समय में ही ठीक प्रकार से समझ लेते हैं।

अतः हमें जीवन की एकरसता दूर करने व मानसिक स्फूर्ति प्रदान करने हेतु | मनोरंजन के तौर पर सीमित प्रयोग के साथ-साथ इन साधनों का प्रयोग अपने ज्ञान-विज्ञान को परिष्कृत किए जाने में करना चाहिए, तभी हम इनका अधिकाधिक लाभ लेकर अपने समाज तथा देश को उन्नत बना सकेंगे।

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UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi संमास

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Board UP Board
Textbook SCERT, UP
Class Class 12
Subject Sahityik Hindi
Chapter Chapter 6
Chapter Name संमास
Number of Questions Solved 10
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi संमास

परिभाषा
जब दो या दो से अधिक शब्द अपने बीच की विभक्ति को छोड़कर आपस में मिल जाएँ तो उसे समास कहते हैं, जैसे- सूर्यस्य उदयः (सूर्य का उदय) से नया शब्द ‘सूर्योदयः’ बनता है, जिसमें षष्ठी विभक्ति लुप्त हो जाती है। शब्दों के ऐसे मेल से जो एक स्वतन्त्र शब्द बनता है उसे सामासिक पद अथवा समस्त पद कहते हैं। सामासिक पद को अनुसार विभक्तियों सहित तोड़ना समास-विग्रह कहलाता है। जैसे–सामासिक पद श्वेताम्बरम् का विग्रह होगा श्वेतम् अम्बरम्। यहाँ ‘श्वेतम्’ पूर्व पद एवं ‘अम्बरम्’ उत्तर पद हैं।

समास के भेद
समास के छ: भेद हैं।

  1. तत्पुरुष
  2. कर्मधारय
  3. अव्ययीभाव
  4. द्विगु
  5. बहुव्रीहि
  6. द्वन्द्व

आइए, पाठ्यक्र में सम्मिलित तीन समास कर्मधारय, अव्ययीभाव एवं बहुप्रीहि के वारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।

1. कर्मधारय समास
विशेषण विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय वाले समास को कर्मधारय समास कहते हैं। इसमें दोनों शब्द (पूर्व पद एवं उत्तर पद) प्रथमा विभक्ति में होते हैं तथा दोनों ही पदों की प्रधानता होती है; जैसे—’कृष्णाश्वः’ में प्रथम पद ‘कृ’:’ अर्थात् काला विशेषण, जबकि अन्तिम पद ‘अश्वः’ अर्थात् घोड़ा विशेष्य है। इसका विग्रह होगा ‘कृष्णः अश्वः’ अर्थात् काला घोड़ा। उदाहरण-
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2. अव्ययीभाव समास
जिस समास में प्रथम पद अव्यय तथा अन्तिम पद संज्ञा हो तथा प्रथम पद अर्थात् अव्यय के ही अर्थ की प्रधानता हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इस समास के | शब्द हमेशा नपुंसकलिंग एकवचन में ही रहते हैं। इस समास को अपने पदों में विग्रह नहीं होता; जैसे–’निर्धनः’ का विग्रह होगा ‘धनानां अभावः
उदाहरण-
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3. बहुव्रीहि समास
जिस समास में दोनों पद (पूर्व पद एवं उत्तर पद) को छोड़कर कोई अन्य पद प्रधान हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। इस प्रकार इसमें सामासिक अर्थ दोनों पदों से भिन्न होता है; जैसे–’त्रीनेत्र’ का विग्रह ‘त्रीणि नेत्राणि यस्य सः’ (तीन हैं नेत्र जिसके) है, जिससे ‘शंकर’ का बोध होता है।
उदाहरण
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बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रामस्य पुत्रः का समस्तपद होगा
(क) रामपुत्रः
(ख) रामेपुत्रः
(ग) रामायपुत्रः
(घ) राममपुत्रः

प्रश्न 2.
‘नीलोत्पलम’ में विग्रह है।
(क) नीलम् उत्पलम्
(ख) निलमुत्पलम्
(ग) नलमोत्पलम्
(घ) नलस्योत्पलम्

प्रश्न 3.
‘यथाशक्ति’ में समास है।
(क) कर्मधारय
(ख) तत्पुरुष
(ग) अव्ययीभाव
(घ) द्विगु

प्रश्न 4.
एकं
एकं प्रति का सामासिक पद होगा
(क) प्रत्येक
(ख) हरेक
(ग) द्विरेकं
(घ) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 5.
‘त्रिलोकी में समास है।
(क) द्वन्ट्स
(ख) द्विगु
(ग) तत्पुरुष
(घ) बहुव्रीहि

प्रश्न 6.
‘प्राप्तोदकः’ में समास है।
(क) तत्पुरुष
(ख) बहुव्रीहि
(ग) कर्मधारय
(घ) द्विगु

प्रश्न 7.
‘घनश्यामः’ में समास है।
(क) द्विगु
(ख) अव्ययीभाव
(ग) कर्मधारय
(घ) बहुव्रीहि

प्रश्न 8.
‘रामस्य समीपे’ का सामासिक पद होगा।
(क) उपरामम्
(ख) उपारामम्
(ग) उपेरामम्
(घ) उपोरामम्

प्रश्न 9.
‘चन्द्रशेखरः’ में समास है।
(क) अव्ययीभाव
(ख) कर्मधारय
(ग) बहुव्रीहि
(घ) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 10.
‘महान् च असौ देवः’ का सामासिक पद होगा।
(क) महादेव
(ख) महादेवी
(ग) शिवः
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर

1. (क, 2. (क), 3. (ग), 4. (क), 5. (ख), 6. (ख), 7. (ग), 8. (क), 9. (ग), 10. (क)

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UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi विभक्ति

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Board UP Board
Textbook SCERT, UP
Class Class 12
Subject Sahityik Hindi
Chapter Chapter 5
Chapter Name विभक्ति
Number of Questions Solved 20
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi विभक्ति

परिभाषा
हिन्दी भाषा में कारकों में लगने वाले चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। संस्कृत भाषा में इसके स्थान पर विभक्तियों का प्रयोग किया जाता है। विभक्तियों की कुल संख्या सात है।

विभिक्त के भेद
विभक्ति दो प्रकार की होती है

1. कारक विभक्ति जो विभक्ति हिन्दी के वाक्य में प्रयोग किए गए कारकों के चिह्नों के अनुसार लगती हैं, उसे कारक विभवित कहते हैं, जैसे-सा लतां पश्यति/वह लता को देखती हैं। इस वाक्य में ‘वह’ देखने वाली है। अतः ‘वह’ का प्रयोग कर्ता कारक एकवचन में ‘सा’ हुआ। इस वाक्य का दूसरा शब्द ‘लता को’ है। यहाँ कारक का चिह्न को ।। ‘को’ यह चिह्न कर्म कारक का है। इसमें द्वितीया विभक्ति है। अतः ‘लता’ शब्द का द्वितीया विभक्ति एकवचन में लताशब्द प्रयोग किया गया है। यही कारक विभक्ति होती हैं।

2. उपपद विभक्ति ‘उपपद’ यह शब्द दो शब्दों उप + पद के मेल से बना है। ‘उप’ का अर्थ ‘योग’ अथवा ‘पास’ होता है और पद का अर्थ शब्द होता है। इस प्रकार जो विभक्ति कारक के चिह्न के अनुसार न लगकर किसी शब्द या धातु के योग में प्रयोग होती है, उसे ‘उपपद’ विभक्ति कहते हैं; जैसे-पुत्र माता के साथ जाता है। पुत्रः मात्रा सह गच्छति।

इस वाक्य में कारक के चिह्न को देखा जाए तो का, के, की षष्ठी विभक्ति के चिह्न हैं। इस आधार पर इस वाक्य के ‘माता’ शब्द में षष्ठी विभक्ति लगक ‘मातः’ रूप होना चाहिए, परन्तु ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि संस्कृत में ‘के साथ ‘सह’ शब्द का प्रयोग किया जाता है और ‘उपपद’ विभक्ति के नियम के अनुसार ‘सह’ शब्द के योग में जिसके साथ कोई क्रिया की जाती है (जाने की, पढ्ने आदि की) उसमें तृतीया विभक्ति होती है। अतः ‘माता’ में ‘सह’ शब्द के साथ तृतीया विभक्ति होकर ‘मात्रा’ रूप बना। यही ‘उपपद’ विभक्ति है।

1. प्रथमा विभक्ति
(सूत्र-प्रातिपदिकार्थ-लिङ्ग-परिमाण-वचनमात्रे प्रथमा) प्रातिपदिकार्थमात्र में, लिंगमात्र की अधिकता में, परिमाणमात्र (मापमात्र) में तथा वचनमात्र (संख्यामात्र) में प्रथमा विभूति होती है। प्रातिपदिकार्थ से सम्बोधन अर्थ की अधिकता में भी प्रथमा विभयित होती हैं।

उदाहरण
प्रातिपदिकार्थमात्र उच्चैः (ऊँचा), नीचैः (नीचा), कृष्णः (कृष्ण), श्री (लक्ष्मी), ज्ञानम् (ज्ञान, जानना।।
लिंगमात्र तटः, तटी, तटम्।।
परिमाणमात्र द्रोणो व्रीहिः (द्रोण परिमाण से मापा हुआ धन)।
संख्यामात्र एक, द्वौ बहवः।
सम्बोधन में हे राम! हे अर्जुन!

2. द्वितीय विभक्ति
(सूत्र-अमितः परितः समय निकषा-हा-प्रतियोगेऽपि) अभितः (चारों ओर), परितः | (सब और), निकषा (समीप), हा, प्रति (और, तरफ) के साथ द्वितीया विभक्ति होती है।। उदाहरण
मंजरी विद्यालयं प्रति याति। (2018)
विद्यालयं परितः क्षेत्राणि सन्ति। (2018)
गृहं परितः उद्यानम् अस्ति। (2018)
मम ग्रामम् निकषा नदी वहति (2017)
बिलग्रामं निकषा गंगा प्रवहति (2016)
विद्यालयम् परितः (2016)
ग्रामम् परितः क्षेत्राणि सन्ति (2016)
कार्यालयम् अभितः भवनानि सन्ति (2016)
ग्रामम् अमितः वृक्षा सन्ति (2016)
विद्यालयं निकषा जलाशयः अस्ति। (2017, 16, 13, 12, 10)
ग्रामम् समया नदी अस्ति।   (2013, 10)
गुरु शिष्यान् प्रति कृपालु अस्ति।   (2014, 10)
ग्रामं परितः उपवनानि सन्ति।   (2014, 10)
नदी अभितः क्षेत्राणि सन्ति।   (2014)
विद्यालयं उभयतः हरिताः वृक्षाः सन्ति।   (2011, 10)
ग्रामं अभितः वृक्षाः सन्ति।   (2014, 12, 11)
हा ! कृष्णाभक्तम्।
ग्रामं निकषा नदी वहति।   (2018, 10)
ग्रामं निकषा वाटिका अस्ति।   (2010)
पुष्पं परितः भ्रमराः सन्ति।
वणिक धनं प्रति आसक्तः अस्ति।
माधवी विद्यालयं प्रति याति।
कूपं परितः जनाः तिष्ठन्ति।   (2012)
बुभुक्षितं न प्रति भाति किञ्चित्।
नदीं समया पशवः सन्ति।
विद्यालयं परितः वनम् अस्ति।   (2011)
विद्यालयं परितः उद्यान्नमस्ति।   (2018, 13, 10)
आश्रमम् अभितः वनम् अस्ति।   (2011)
लंकाम् निकषा।
हा! दुष्टम्।   (2012)
तडागम् परितः वृक्षाः सन्ति।
राधा नगरं प्रति गछति।   (2011)
सीता भवनं प्रति गच्छति।
कृष्णं परितः गावः सन्ति।   (2013)
मन्दिरम् निकषा वाटिका अस्ति।
साण्डी दुर्गम् अमितः परिखा अस्ति।
हा! शठम्।। हा! हा! गताः किल वनम्।
शिक्षकः कक्षाम् प्रति गच्छति।   (2015)

3. तृतीया विभक्ति
(सूत्र 1 येनाङ्गविकारः) शरीर के अंगों में विकृति दिखाई पड़ने पर विकृत अंग के वाचक शब्द में तृतीया विभक्ति होती है।
उदाहरण
इयं बालिका पार्दन खजः अस्ति।   (2018)
सः कर्णेन बधिरः अस्ति।   (2018)
सुशीलाः कर्णाभ्याम् बधिशः अस्ति।   (2018)
भिक्षुकः कर्णेन बधिरः अस्ति।   (2018)
उपाध्यायः छात्रैः समं स्नाति।   (2018)
मोहनः कर्णाश्याम बधिरः अस्ति   (2017)
सः पार्दन खः   (2016)
दिलीपः शिरसा खल्वाटः   (2016)
अक्ष्णा काणः   (2016)
नेत्रेण काण:   (2016)
सः पादेन खञ्जः अस्ति।   (2018, 16, 15)
भिक्षुकः पादेन खजः अस्ति।   (2017, 16, 15)
भिक्षुकः नेत्रेण काणः अस्ति।   (2014)
सः शिरसा खल्वाटः अस्ति।   (2018, 14, 13, 12, 10)
सुरेशः शिरसा खल्वार्टः अस्ति।   (2015)
मन्थरा कट्या कुब्ज़ा आसीत्।   (2013)
दिनेशः पादेन खजः अस्ति।   (2013, 12, 11, 10)
देवदतः अक्ष्णाः काणः।     (204, 13, 10)
राजकुमारः कर्णेन वधिरः। (2012, 11, 10)
मोहनः शिरसा खल्वाटोऽस्ति।   (2012)
गिरिधरः कर्णेन वधिरः अस्ति।   (2012)
अयं छात्र पादेन खञ्जः अस्ति।
सुरेशः पृष्ठेन कुब्जः अस्ति।
सा वृद्धा कर्णाभ्याम् बघिरा अस्ति।
रमेशः नेत्रेण काणः।।   (2013, 12, 11, 10)
कट्या वक्रः   (2016)

(सूत्र 2 सहयुक्तेऽप्रधाने) सह, साकम्, सार्धम्, समम् के साथ वाले शब्दों में तृतीया विभक्ति होती हैं।
उदाहरण
छात्रा; अध्यापकैन सह क्रीडन्ति   (2016)
अहमपि त्वया साधं यास्यामि   (2016)
रामेण सह सीता वनं अगच्छत्।   (2015)
माता पुत्रेण साकं श्वः आगमिष्यति।   (2014, 12, 11)
सः बालिकाभिः सह कन्दुकं क्रीडति।   (2010)
गुरुणा सह शिष्यः अपि आगच्छति।   (2013, 12)
सः पुत्रेण सह आगतः।   (2011)
रामेण सह मोहनः गच्छति।   (2014)
रामः लक्ष्मणेन सह वनम् अगच्छत्।   (2012)
पित्रा सह पुत्रः गच्छति।   (2014)
पुत्रेण सह पिता गच्छति।   (2013, 12, 11)
बालिकाभिः सह जननी गृहं गच्छति।   (2010)
सः मया सह कदापि न गच्छति।
पुत्री मात्रा सह आपणं गच्छति।   (2010)
हरिणा सह राधा नृत्यति।   (2013)
शिक्षकैः समम्।
लक्ष्मणोऽपि रामेण सह वनम् गतवान्।

(सूत्र 3 प्रकृत्यादिभ्य उपसंख्यानम्) प्रकृति (स्वभाव) आदि क्रिया-विशेषण शब्दों में तृतीया वि-भक्ति होती है। उदाहरण-
अस्माकं प्रधानाचार्यः प्रकृत्या सज्जनः अस्ति।   (2011)
देवदत्तः जलैन मुखं प्रक्षालयति।   (2011)
प्रकृत्या साधुः।

4. चतुर्थी विभक्ति
(सूत्र-नमः स्वरितस्वाहास्वधाऽलंवषयोगाच्य) नमः, स्वस्ति, स्वाहा, स्वधा, अलम्, वषट् शब्दों के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है।
उदाहरण
खलाः सदा सज्जनेभ्यः असूयन्ति।   (2018)
विष्णवे नमः।   (2018)
प्रजाभ्य स्वस्ति।   (2018)
हनुमते नमः सीतायै नमः   (2017, 16)
श्री गुरवे नमः कृष्णाय नमः   (2016)
दानार्थे चतुर्थी   (2016)
माता पुत्राय फलानि यच्छन्ति   (2016)
श्री गणेशाय नमः।   (2018, 15, 14, 13, 11, 10)
इन्द्राय वषट्।   (2013, 10)
आग्नये स्वाहा।   (2014, 12, 10)
रामाय नमः।   (2014, 12, 11, 10)
कृष्णाय नमः।   (2016, 14, 12, 11, 10)
गुरुवे नमः।   (2017, 16, 12)
पितृभ्यः स्वधा।   (2013, 11)
प्रजाभ्यः स्वस्ति।   (2013, 12, 11)
दैत्येभ्यः हरिः अलम्।
स्वस्ति तुम्यम्।   (2012)
नमो भगवते वासुदेवाय।   (2013, 12, 10)
इन्द्राय स्वाहा।   (2013, 12, 11)
तस्मै श्रीगुरुवे नमः।   (2012)
देवेभ्यः स्वाहा।
राधावल्लभाय नमः।   (2011)
पुत्राय स्वस्ति।   (2013)
अलं मल्लो मल्लाया
सूर्याय स्वाहा।
स्वस्ति भवते।
गुरुभ्यः नमः।   (2011)
हनुमते नमः।   (2014)
दुर्गादेव्यै नमः।
नमः शिवाय।
वाह्मणाय नमः।
नाः व्यासाय।
गणपतये स्वाहा।   (2012, 11)
दुग्धं बालकाय अस्ति।
तस्मै स्वधा।
हरये नमः।

5. पञ्चमी विभक्ति
(सूत्र ध्रुवमपायेऽपादानम्) किसी वस्तु का ध्रुव (निश्चित) वस्तु से स्थायी अलगाव अपादान कहलाता है। ‘अपादाने पञ्चमी’ सूत्रानुसार अपादान में पञ्चमी विभक्ति होती है।
उदाहरण
सः कूपात जलम आनयति।   (2018)
सः अद्य सौपानात् अपतत्।   (2018)
वृक्षात् फलानि पतन्ति।   (2014)
वृक्षात् फलं पतति।।   (2014)
वृक्षात् पतितं फलं आनेय।
दिनेशः विद्यालयात् आगच्छति।

6. षष्ठी विभक्ति
(सूत्र षष्ठी शेषे) कारक एवं प्रातिपदिकार्थ से भिन्न स्वस्यामिभाव आदि सम्बन्ध ‘शेष’ होने पर धष्ठी विभक्ति होती हैं।
उदाहरण
कवीनां कालिदासः श्रेष्ठ   (2018)
सुग्रीवः रामस्य सखा आसीत्।   (2016)
रामायणस्य कथा   (2016)
रामस्य गृहं अस्ति।   (2015)
कृष्णस्य पिता वासुदेवः।   (2014, 11)
सुदामा कृष्णस्य मित्रं आसीत्।   (2013)
छात्रस्य पुस्तकम् अस्ति।।   (2014)
सुवर्णस्य आभूषणम् बहुमूल्यम् अस्ति।   (2015)
सुग्रीवस्य भ्राता बालिः आसीत्।   (2010)
गङ्गायाः उदकम् ।।   (2013)
राज्ञः पुत्रः।।

7. सप्तमी विभक्ति/घष्ठी विभक्ति
(सूत्र 1 यतश्च निर्धारणम्) किसी वस्तु की अपने समुदाय से किसी विशेषण द्वारा कोई विशिष्टता दिखाई जाने पर समुदायवाचक शब्द में घष्ठी अथवा सप्तमी विभक्ति होती है।
उदाहरण
छत्रेषु रामः श्रेष्ठः।।   (2018)
छात्रासु मंजरी श्रेष्ठा   (2016)
नगरेषु प्रयागः श्रेष्ठ अस्ति।  (2016)
छात्रेषु रामः श्रेष्ठतम्ः अस्ति।
छात्रेषु आशीष श्रेष्ठः।
बालकेषु अरविन्दः श्रेष्ठः।।   (2014, 13, 12, 11, 10)
छात्रासु रत्ना श्रेष्ठा।   (2010)
पुस्तकेषु गीता श्रेष्ठा।   (2017)
कविषु कालिदासः श्रेष्ठः।
काव्येषु नाटकं रम्यम्।   (2014, 12)
गवां वा कृष्णा बहुक्षीरा।   (2014, 12)
रित्सु गङ्गा श्रेष्ठा।   (2011)
बालिकासु लता श्रेष्ठा।   (2014)
छात्रेषु मोहनः बुद्धिमान् अस्ति।   (2011)
ललिताः बालिकानां श्रेष्ठा अस्ति।   (2012)
गवां कपिला श्रेष्ठा।   (2011)
छात्राणां कृष्णः पटुः।
छात्रेषु अनिलः श्रेष्ठः।
छात्रेषु अरविन्दः श्रेष्ठः।   (2017)
छात्राणां वा मैत्रः पटुः।   (2010)
रामः सर्वेषां श्रेष्ठः।
दिलीपः नरेषु श्रेष्ठः आसीत्।
अश्वेषु श्वेतः श्रेष्ठः।

(सूत्र 2 सप्तम्यधिकरणे च) अधिकरण (कारक) में सप्तमी विभक्ति होती है।
उदाहरण
पात्रे जलम् अस्ति। (2014)

बहविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित में रेखांकित पदों में विभक्ति चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
अहं गृहं गच्छामि।।
(क) प्रथमा
(ख) तृतीया
(ग) चतुर्थी
(घ) द्वितीया

प्रश्न2.
वृक्षात पत्राणि पतन्ति।
(क) तृतीया
(ख) पञ्चमी
(ग) द्वितीया
(घ) चतुर्थी

प्रश्न 3.
व्याधः मृगं शरेण अघ्नत्।।
(क) द्वितीया
(ख) सप्तमी
(ग) चतुर्थी
(घ) तृतीया

प्रश्न 4.
बालकाय मोदकं देहि।।
(क) तृतीया
(ख) चतुर्थी
(ग) पञ्चमी
(घ) षष्ठी

प्रश्न 5.
सः हस्तेन पत्रं लिखति।।
(क) तृतीया
(ख) द्वितीया
(ग) चतुर्थी।
(घ) पञ्चमी

प्रश्न 6.
बालिका उद्यानात पुष्पाणि आनयति।
(क) षष्ठी
(ख) सप्तमी
(ग) चतुर्थी
(घ) पञ्चमी

प्रश्न 7.
रामः पुस्तकं पठति।
(क) प्रथमा
(ख) तृतीया
(ग) षष्ठी
(घ) सप्तमी

प्रश्न 8.
इयं रामस्य पुस्तकम् अस्ति।
(क) पञ्चमी
(ख) षष्ठी
(ग) सप्तमी
(घ) पञ्चमी

प्रश्न 9.
अयोध्यायाः नृप दशरथः आसीत्।
(क) तृतीया
(ख) पञ्चमी
(ग) षष्ठीं
(घ) सप्तमी

प्रश्न 10.
पुस्तकं काष्ठपटले अस्ति।
(क) द्वितीया
(ख) तृतीया
(ग) सप्तमी
(घ) षष्ठी

प्रश्न 11.
रमायाः भ्राता विनयः तत्र अस्ति।
(क) पञ्चमी
(ख) षष्ठी
(ग) सप्तमी
(घ) चतुर्थी

प्रश्न 12.
शिशवे मोदकं रोचते।।
(क) चतुर्थी
(ख) द्वितीया
(ग) तृतीया
(घ) पञ्चमी

प्रश्न 13.
वृक्षे चटकाः सन्ति
(क) षष्ठी
(ख) पञ्चमी
(ग) चतुर्थी
(घ) सप्तमी

प्रश्न 14.
मोहनः आपणात् फलानि आनयति।
(क) द्वितीया
(ख) तृतीया
(ग) पञ्चमी
(घ) षष्ठी

प्रश्न 15.
विद्यालयं परितः वृक्षाः सन्ति।
(क) द्वितीया
(ख) तृतीया
(ग) पञ्चमी
(घ) षष्ठी

प्रश्न 16.
बालकाः कन्दुकेन क्रीडन्ति।
(क) प्रथमा
(ख) तृतीया
(ग) द्वितीया
(घ) षष्ठी

प्रश्न 17.
मनोहरः अक्ष्णा काणः अस्ति।
(क) तृतीया
(ख) पञ्चमी
(ग) द्वितीया
(घ) चतुर्थी

प्रश्न 18.
रजकः गदर्भ दण्डेन ताडयति।
(क) द्वितीया
(ख) पञ्चमी
(ग) तृतीया
(घ) षष्ठी

प्रश्न 19.
त्वं कस्मिन् विद्यालये पठसि?
(क) सप्तमी
(ख) पञ्चमी
(ग) षष्ठी
(घ) चतुर्थी

प्रश्न 20.
महिला कूपात जलम् आनयति।
(क) तृतीया
(ख) द्वितीया
(ग) पञ्चमी
(घ) षष्ठी

उत्तर

1. (घ), 2. (ख), 3. (घ), 4. (ख), 5. (क), 6. (घ), 7. (क), 8. (ख), 9. (ग), 10. (ग) , 11. (ख), 12. (क), 13. (घ), 14. (ग), 15. (क), 16. (ख), 17. (क), 18, (ग), 19. (क), 20. (ग)

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UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 पेशी तन्त्र

UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 पेशी तन्त्र (Muscular System)

UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 पेशी तन्त्र

UP Board Class 11 Home Science Chapter 3 विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मांसपेशियों तथा पेशी तन्त्र (Muscles and muscular system) से क्या आशय है? मानव शरीर में पायी जाने वाली पेशियों के प्रकारों का सामान्य परिचय दीजिए। अथवा ऐच्छिक, अनैच्छिक तथा हृद-पेशियों का चित्र सहित सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए। अथवा शरीर में पेशियों के प्रकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मांसपेशियाँ तथा पेशी तन्त्र (Muscles and Muscular System):
कंकाल तन्त्र शरीर को आकार देता है तो मांसपेशियाँ उस आकार को पूर्ण स्वरूप प्रदान करती हैं एवं सुडौल तथा सुन्दर बनाती हैं। ये कंकाल तन्त्र पर फैली रहती हैं तथा बाहर की ओर त्वचा से ढकी रहती हैं अर्थात् हमारे शरीर में सामान्य रूप से त्वचा तथा अस्थियों के मध्य में विद्यमान भाग को मांसपेशियों के रूप में जाना जाता है। पेशियाँ ही कंकाल के साथ मिलकर सभी प्रकार की गतियों के लिए उत्तरदायी हैं। इसी प्रकार विभिन्न आन्तरांगों को बनाने, उनके अन्दर फैलने-सिकुड़ने आदि की शक्ति उत्पन्न करने के लिए भी मांसपेशियों की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। वास्तव में, शरीर के लगभग सभी कार्यों में मांसपेशियों की संकुचन-क्षमता सहायक होती है क्योंकि मांसपेशियाँ लचीली होती हैं तथा इनमें संकुचन की विशिष्ट शक्ति होती है।
UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 1 26
शरीर में लगभग सभी स्थानों पर इनकी उपस्थिति के कारण इनका भार सम्पूर्ण शरीर के भार का आधे से कुछ अधिक ही होता है। इस प्रकार, सम्पूर्ण शरीर में फैली हुई ये पेशियाँ एक पेशी तन्त्र (muscular system) की तरह कार्य करती हैं तथा शरीर में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं। मानव शरीर में कुल मिलाकर लगभग 600 पेशियाँ पायी जाती हैं।

मांसपेशियों के प्रकार (Types of Muscles):
रचना तथा कार्य की दृष्टि से मानव शरीर में तीन प्रकार की मांसपेशियाँ पायी जाती हैं। मांसपेशियों के तीनों प्रकारों का संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है

1. ऐच्छिक मांसपेशियाँ (Voluntary muscles):
इनमें पेशी कोशिकाएँ सूत्र के आकार की होती हैं, जो पेशी सूत्र कहलाती हैं। बहुत-से सूत्र बन्धक तन्तुओं द्वारा बँधे रहते हैं। इनमें आड़ी धारियाँ-सी बनी रहती हैं, जिनके कारण इनको रेखित पेशी (striped muscles) भी कहते हैं। ऐच्छिक पेशियाँ निरन्तर कार्य करके थक जाती हैं, तब इन्हें विश्राम की आवश्यकता होती है। ऐच्छिक पेशियों की गति एवं कार्य हमारी इच्छा पर निर्भर करता है तथा इनकी गति पर हम नियन्त्रण कर सकते हैं। इस प्रकार की पेशियाँ मुख्य रूप से हाथ-पैर, गर्दन, आँख तथा अन्य ऐसे ही अंगों में होती हैं, जो हमारी इच्छा के अधीन कार्य करते हैं। चलना, दौड़ना, आँखें खोलना या बन्द करना, हाथ बढ़ाकर भोजन का कौर पकड़ना और उसे मुँह में चबाकर निगल जाना इत्यादि कार्य ऐच्छिक पेशियों के ही द्वारा किए जाते हैं। हड्डियों से जुड़े होने के कारण इन्हें कंकाल पेशी (skeleton muscles) भी कहते हैं। इनका नियन्त्रण एवं परिचालन मस्तिष्क तथा सुषुम्ना द्वारा होता है।

2. अनैच्छिक पेशियाँ (Involuntary muscles):
इन पेशियों में लम्बी-लम्बी पेशीय कोशिकाएँ होती हैं, जो ऐच्छिक पेशियों के पेशी सूत्रों से भिन्न होती हैं। इनमें ऐच्छिक पेशियों की तरह आड़ी धारियाँ नहीं होती हैं, इसीलिए इन्हें अरेखित पेशियाँ (unstriped muscles) कहते हैं। हमारे शरीर में अनैच्छिक पेशियाँ मुख्य रूप से आमाशय, आँतों, ग्रास-नलिका, पित्ताशय, फेफड़ों, धमनियों एवं शिराओं तथा आँखों की पुतलियों में पायी जाती हैं। इन पेशियों की गति पर हमारा नियन्त्रण नहीं होता, वरन् इन पेशियों में गति स्वत: ही होती है। आहार नाल में भोजन का खिसकना, रुधिर नलिकाओं में रुधिर का प्रवाहित होना, मूत्राशय से मूत्र बाहर निकलना, आँखों की पुतलियों का प्रकाश की तीव्रता के अनुसार फैलना या सिकुड़ना इत्यादि कार्य इन्हीं पेशियों की सहायता से स्वयं ही चलते रहते हैं। अनैच्छिक पेशियाँ कभी थकती नहीं; अतः इन्हें विश्राम की आवश्यकता नहीं होती है।

3. हृद-पेशियाँ (Cardiac muscles):
ये केवल हृदय की दीवारों में पायी जाती हैं। इनकी संरचना विशिष्ट प्रकार की होती है तथा इनमें ऐच्छिक पेशियों के समान आड़ी धारियाँ होती हैं। इस प्रकार संरचना में ऐच्छिक पेशियों से मिलती-जुलती होने पर भी, कार्य की दृष्टि से ये अनैच्छिक होती हैं। ये जीवनपर्यन्त कार्य करती रहती हैं और कभी थकती नहीं, इसीलिए इन्हें किसी विश्राम की आवश्यकता नहीं होती है।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 3 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मानव शरीर में पायी जाने वाली सामान्य मांसपेशियों की रचना अथवा बनावट को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मांसपेशियों की रचना अथवा बनावट
बाहरी रूप से विभिन्न पेशियों का आकार या स्वरूप भिन्न-भिन्न होता है, परन्तु शरीर की सभी पेशियों की आन्तरिक रचना या बनावट समान ही होती है। शरीर की समस्त पेशियाँ पेशी ऊतकों से निर्मित होती हैं। पेशी ऊतकों का निर्माण मूल रूप से पेशी कोशिकाओं से होता है। ये कोशिकाएँ बाल के समान पतली होती हैं। मांसपेशियों की रचना या बनावट को स्पष्ट करते हुए कहा जा सकता है कि इनके मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं, जिनका संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है-

  • मूल स्थान या मूल बन्ध-किसी भी पेशी का जो भाग सम्बन्धित हड्डी से जुड़ा रहता है, उस भाग को मूल स्थान या मूल बन्ध (origin) कहते हैं। पेशी का यह भाग स्थिर रहता है; अर्थात् यह भाग किसी भी स्थिति में घूमता नहीं है।
  • तुन्द-प्रत्येक पेशी का मध्य भाग अपेक्षाकृत रूप से कुछ मोटा होता है। पेशी के इस मोटे भाग को तुन्द (belly) कहते हैं।
  • निवेश-पेशियों का तीसरा भाग श्वेत तन्तुओं से निर्मित होता है तथा इसका आकार डोरी के समान होता है। पेशी के इस भाग को निवेश (tendon or insertion) कहते हैं। वास्तव में पेशी का यही भाग पेशी तथा अस्थि को परस्पर जोड़ता है।

प्रश्न 2.
मांसपेशियों के कार्यों एवं महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
अथवा मांसपेशियों की मानव शरीर में उपयोगिता लिखिए।
अथवा शरीर में मांसपेशियों का होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मांसपेशियों का कार्य तथा महत्त्व मांसपेशियों द्वारा किए जाने वाले कार्य ही उनके महत्त्व को दर्शाते हैं। मांसपेशियों के कार्य तथा महत्त्व को निम्नवत् समझा जा सकता है-

  • शरीर के विभिन्न आन्तरिक अंग केवल मांसपेशियों से ही निर्मित हैं तथा इन अंगों की क्रियाएँ मांसपेशियों द्वारा ही संचालित होती हैं। जैसे कि आहार नाल, फेफड़े, हृदय तथा मस्तिष्क पेशियों से ही निर्मित हैं।
  • अनैच्छिक पेशियों के द्वारा शरीर के आवश्यक और महत्त्वपूर्ण कार्य संचालित होते हैं; जैसे—हृदय का धड़कना, साँस लेना आदि।
  • मांसपेशियों को आराम मिलने पर थके मनुष्य को भी आराम मिलता है।
  • मांसपेशियों के संकुचन और फैलने के. गुण के कारण आँख वस्तुओं को देखती है। दूर तथा पास की वस्तुओं को देखने आदि में पेशियाँ ही दृष्टि संयोजन करती हैं।
  • बालों के आधार पर पायी जाने वाली सूक्ष्म पेशियाँ संकुचित होकर रोंगटे खड़े करती हैं। यह हमारी शरीर की सुरक्षा प्रतिक्रिया का एक हिस्सा है।
  • ऐच्छिक मांसपेशियों के द्वारा प्रत्येक मनुष्य या अन्य कोई जन्तु अपनी इच्छानुसार कोई भी कार्य कर सकता है; जैसे-खेलना, दौड़ना, खाना आदि।
  • मांसपेशियों से शरीर को एक आकार मिलता है। मांसपेशियों के कारण ही शरीर सधा हुआ तथा सन्तुलित रहता है। पेशियाँ ही शरीर को सुन्दर एवं सुडौल बनाती हैं।
  • मांसपेशियों से हमारी हड्डियों की सुरक्षा होती है। मांसपेशियाँ अस्थियों को बाहरी आघात से बचाती हैं।

प्रश्न 3.
पेशियों का हमारे शरीर के अंगों की गति से क्या सम्बन्ध है? समझाइए।
उत्तर:
आंगिक गति और पेशियाँ .
शरीर में प्रत्येक प्रकार की गति पेशियों द्वारा ही होती है। पेशियाँ चाहे ऐच्छिक हों या अनैच्छिक, ये अपने-अपने प्रकार के अनुरूप गतियाँ करने में संलग्न रहती हैं। उदाहरण के लिए शरीर के अन्दर अनेक अनैच्छिक पेशियाँ; जैसे आहार नाल, अनेक अन्य नलिकाएँ तथा वाहिनियाँ आदि; जिनमें कोई पदार्थ एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचता है, सिकुड़कर तथा शिथिल होकर गति उत्पन्न करती हैं। हृदय की गति पूर्णत: उसकी भित्ति में उपस्थित हृद पेशियों के द्वारा सम्भव है, जो जीवनपर्यन्त नहीं थकतीं और निश्चित समय के अनुसार सिकुड़ती तथा शिथिल होती रहती हैं। इसी प्रकार चलने-फिरने, विभिन्न कार्य करने, साँस लेने आदि में अस्थियों के साथ जुड़ी हुई पेशियाँ गति करने में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं।

अस्थियों की प्रत्येक गतिशील सन्धि के साथ दो पेशियाँ बँधी रहती हैं। प्रत्येक पेशी का एक सिरा अर्थात मल उस अस्थि के साथ जुड़ा होता है, जो कम गतिशील होती है। इसका दूसरा सिरा अस्थि जो अधिक गतिशील होती है के साथ, जुड़ा रहता है। ये पेशियाँ अपनी कण्डराओं के सहारे अस्थियों से बँधी रहती हैं। प्रायः इन सिरों पर एक से अधिक कण्डराएँ (tandons) होती हैं।

जब एक पेशी सिकुड़ती है तो यह गतिशील भाग को अपनी तरफ खींचती है जिससे उसका मध्य भाग फूल जाता है और पीछे का भाग शिथिल हो जाता है। इसके विपरीत, जब दूसरी पेशी सिकुड़ती है तो यह दूसरी दिशा में शिथिल हो जाती है। उदाहरण के लिए कोहनी के जोड़ में होने वाली यह सम्पूर्ण क्रिया हाथ को ऊपर-नीचे करने आदि के लिए गति उत्पन्न करती है (चित्र 3. 2)।

प्रश्न 4.
ऐच्छिक तथा अनैच्छिक पेशियों में भिन्नता सविस्तार समझाइए।
उत्तर:
ऐच्छिक तथा अनैच्छिक पेशियों में भिन्नता
UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 1 27

प्रश्न 5.
टिप्पणी लिखिए-पेशीय थकान (Muscular Fatigue)।
उत्तर:
पेशीय थकान
हमारे शरीर की ऐच्छिक पेशियाँ हमारी इच्छा एवं आवश्यकता के अनुसार अनेक कार्य करती हैं। शरीर की इन पेशियों की यह विशेषता है कि यदि इन्हें निरन्तर या अधिक कार्य करना पड़ जाए तो ये थक जाती हैं। पेशियों की थकान की स्थिति में इनकी आकुंचन क्षमता क्षीण हो जाती है। इसी स्थिति को पेशीय थकान कहते हैं। ऐच्छिक पेशियों में रक्त का संचार कम होता है।

अत: निरन्तर कार्य करने पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है तथा किण्वन के फलस्वरूप लैक्टिक अम्ल या दुग्धाम्ल बनता है। इसी लैक्टिक अम्ल के एकत्रित हो जाने से आकुंचन क्षमता प्रभावित होती है। कुछ समय विश्राम कर लेने के पश्चात् लैक्टिक अम्ल का पूर्ण ऑक्सीकरण हो जाता है और पेशीय थकान प्रायः समाप्त हो जाती है। इसीलिए थकान-निवारण का सर्वोत्तम उपाय विश्राम करना माना जाता है।

प्रश्न 6.
टिप्पणी लिखिए-‘शरीर की मांसपेशियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना।
उत्तर:
शरीर की मांसपेशियों की देखभाल
समस्त जीवित प्राणियों के शरीर में मांसपेशियों का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। शारीरिक गतिविधियों, स्वास्थ्य तथा बाहरी सौन्दर्य में शरीर की मांसपेशियों द्वारा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है। इसीलिए हमें मांसपेशियों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मांसपेशियों की स्वस्थता के लिए पेशियों की सक्रियता, विश्राम तथा पर्याप्त आहार की आवश्यकता होती है। वास्तव में शरीर की सभी मांसपेशियों का सामान्य रूप से सक्रिय रहना आवश्यक है। यदि इन्हें निष्क्रिय रखा जाता है तो इनकी शक्ति तथा कार्यक्षमता घटने लगती है; अतः शरीर के सभी अंगों से सम्बन्धित कार्य करते रहना चाहिए। जो लोग शारीरिक श्रम के कार्य नहीं करते, उनके लिए नियमित रूप से व्यायाम करना आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त यह भी सत्य है कि मांसपेशियाँ निरन्तर कार्य करने पर थक जाती हैं।

यह थकावट मांसपेशियों में कुछ व्यर्थ पदार्थों के एकत्र हो जाने के कारण आती है। इस थकावट को समाप्त करने के लिए इन व्यर्थ पदार्थों का शरीर से विसर्जन आवश्यक होता है। शरीर की प्राकृतिक व्यवस्था के अनुसार विश्राम की अवस्था में शरीर से व्यर्थ पदार्थों का विसर्जन सुचारु रूप से होता है; अत: मांसपेशियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए विश्राम को भी आवश्यक माना जाता है। स्पष्ट है कि मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए शरीर की सक्रियता तथा विश्राम में सन्तुलन आवश्यक होता है। इन उपायों के अतिरिक्त मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है कि पौष्टिक एवं सन्तुलित आहार ग्रहण किया जाए। पेशियों के विकास, उन्हें पुष्ट बनाने तथा उनमें होने वाली टूट-फूट की मरम्मत के लिए प्रोटीन.सर्वाधिक उपयोगी होती है; अत: हमारे आहार में प्रोटीन की आवश्यक मात्रा अवश्य होनी चाहिए। प्रोटीन के अतिरिक्त हमारे आहार में खनिज लवणों की भी समुचित मात्रा होनी चाहिए। मांसपेशियों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मात्रा में जल भी ग्रहण करना चाहिए।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 3 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कंकाल तन्त्र एवं पेशी तन्त्र का क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
कंकाल तन्त्र शरीर को आकार देता है तथा पेशी तन्त्र उसे सुडौलता एवं सुन्दरता प्रदान करता है। कंकाल तन्त्र तथा पेशी तन्त्र परस्पर सहयोग से शरीर को गति प्रदान करते हैं।

प्रश्न 2.
हमारे शरीर में कुल कितनी पेशियाँ पायी जाती हैं? उत्तर–हमारे शरीर में कुल मिलाकर लगभग 600 पेशियाँ पायी जाती हैं। प्रश्न 3-हमारे शरीर में कितने प्रकार की पेशियाँ पायी जाती हैं?
उत्तर:
हमारे शरीर में तीन प्रकार की पेशियाँ पायी जाती हैं-

  • ऐच्छिक पेशियाँ,
  • अनैच्छिक पेशियाँ तथा
  • हृद-पेशियाँ।

प्रश्न 4.
पेशी ऊतक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
पेशी ऊतक तीन प्रकार के होते हैं

  • रेखित या ऐच्छिक पेशी ऊतक,
  • अरेखित या अनैच्छिक पेशी ऊतक तथा
  • हृद-पेशी ऊतक।

प्रश्न 5.
ऐच्छिक पेशियों को अन्य किन-किन नामों से जाना जाता है? और क्यों?
उत्तर:
ऐच्छिक पेशियों में कुछ आड़ी धारियाँ होती हैं, इस कारण से इन्हें रेखित पेशी कहा जाता है। ये हड्डियों से जुड़ी रहती हैं, इस कारण से इन्हें कंकाल पेशी भी कहा जाता है।

प्रश्न 6.
अनैच्छिक पेशियाँ किस प्रकार से कार्य करती हैं?
उत्तर:
अनैच्छिक पेशियाँ अपने आप कार्य करती हैं। इनकी क्रिया व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर नहीं करती है।

प्रश्न 7.
अनैच्छिक पेशियाँ शरीर के किन अंगों में पायी जाती हैं?
उत्तर:
अनैच्छिक पेशियाँ मुख्य रूप से आमाशय, आँतों, ग्रास-नलिका, पित्ताशय, फेफड़ों, धमनियों एवं शिराओं तथा आँखों की पुतलियों में पायी जाती हैं। .

प्रश्न 8.
अनैच्छिक पेशियों को अन्य किन-किन नामों से भी जाना जाता है?
उत्तर:
अनैच्छिक पेशियों को ‘अरेखित पेशियाँ’ तथा ‘चिकनी पेशियाँ’ भी कहा जाता है।

प्रश्न 9.
हृद-पेशियाँ कब तक कार्य करती हैं?
उत्तर:
हृद-पेशियाँ निरन्तर आजीवन कार्य करती रहती हैं।

प्रश्न 10.
मांसपेशियों की रचना में कौन-कौन से भाग होते हैं?
उत्तर:
मांसपेशियों की रचना तीन भागों से होती है-

  • मूल स्थान या मूल बन्ध,
  • तुन्द तथा
  • निवेश।

प्रश्न 11.
किसी अंग की गति के लिए मांसपेशियाँ किसके सहयोग से कार्य करती हैं?
उत्तर:
किसी अंग की गति के लिए मांसपेशियाँ सम्बन्धित अंग की हड्डी के सहयोग से कार्य करती हैं।

प्रश्न 12.
ऐच्छिक पेशियों तथा अनैच्छिक पेशियों की कार्य-प्रणाली में मुख्य अन्तर क्या है?
उत्तर:
ऐच्छिक पेशियाँ व्यक्ति की इच्छा के अनुसार कार्य करती हैं, जबकि अनैच्छिक पेशियाँ व्यक्ति की इच्छा से मुक्त होकर निरन्तर रूप से कार्य करती रहती हैं।

प्रश्न 13.
मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर:
मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए पेशियों की सक्रियता, समुचित विश्राम तथा सन्तुलित आहार आवश्यक है।

प्रश्न 14.
मांसपेशियों की टूट-फूट की मरम्मत के लिए आहार में किस तत्त्व का अतिरिक्त समावेश होना चाहिए?
उत्तर:
मांसपेशियों की टूट-फूट की मरम्मत के लिए व्यक्ति के आहार में प्रोटीन की अतिरिक्त मात्रा का समावेश होना चाहिए।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 3 बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

निर्देश : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर में दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-

प्रश्न 1.
कंकाल तन्त्र को सुडौलता एवं सौन्दर्य प्रदान करने वाला तन्त्र है
(क) तन्त्रिका तन्त्र
(ख) पेशी तन्त्र
(ग) परिसंचरण तन्त्र
(घ) पाचन तन्त्र।
उत्तर:
(ख) पेशी तन्त्र।

प्रश्न 2.
एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में कुल पेशियाँ होती हैं
(क) असंख्य
(ख) 206
(ग) लगभग 600
(घ) 450.
उत्तर:
(ग) लगभग 600.

प्रश्न 3.
मांसपेशियाँ शरीर भार का कितने प्रतिशत भाग बनाती हैं-
(क) 30%
(ख) 40% (लगभग)
(ग) लगभग 50%
(घ) अनिश्चित।
उत्तर:
(ग) लगभग 50%.

प्रश्न 4.
शरीर की उन मांसपेशियों को क्या कहा जाता है, जो व्यक्ति की इच्छा के अनुसार कार्य करती हैं
(क) अनैच्छिक पेशियाँ
(ख) ऐच्छिक पेशियाँ
(ग) हृद पेशियाँ
(घ) ये सभी।
उत्तर:
(ख) ऐच्छिक पेशियाँ।

प्रश्न 5.
ऐच्छिक पेशियों की विशेषता है
(क) ये व्यक्ति की इच्छा के अनुसार कार्य करती हैं
(ख) निरन्तर कार्य करने पर ये थक जाती हैं तथा इन्हें विश्राम की आवश्यकता होती है
(ग) ये किसी-न-किसी हड्डी से सम्बद्ध होती हैं
(घ) उपर्युक्त सभी विशेषताएँ।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी विशेषताएँ।

प्रश्न 6.
हृद पेशियों की विशेषता नहीं है
(क) ये हृदय में पायी जाती हैं
(ख) इनमें आड़ी धारियाँ पायी जाती हैं
(ग) कुछ समय तक निरन्तर कार्य करने पर ये थक जाती हैं
(घ) ये व्यक्ति की इच्छा से मुक्त होकर कार्य करती हैं।
उत्तर:
(ग) कुछ समय तक निरन्तर कार्य करने पर ये थक जाती हैं।

प्रश्न 7.
हृदय बना है
(क) ऐच्छिक पेशियों द्वारा
(ख) अनैच्छिक पेशियों द्वारा
(ग) हृद पेशी द्वारा
(घ) कार्टिलेज द्वारा।
उत्तर:
(ग) हृद पेशी द्वारा।

प्रश्न 8.
मांसपेशियों के स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है
(क) पर्याप्त सक्रियता
(ख) समुचित विश्राम
(ग) सन्तुलित आहार ।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 9.
मांसपेशियों के निर्माण एवं वृद्धि के लिए निम्नलिखित में से क्या आवश्यक है
(क) विटामिन और खनिज
(ख) हॉर्मोन तथा कार्बोहाइड्रेट
(ग) वसा तथा कार्बोहाइड्रेट्स
(घ) खनिज तथा प्रोटीन्स।
उत्तर:
(घ) खनिज तथा प्रोटीन्स।

प्रश्न 10.
व्यायाम करने से मांसपेशियाँ
(क) दुर्बल होती हैं
(ख) स्वस्थ एवं सक्रिय बनती हैं
(ग) क्षमता घटती है तथा संकुचित होती हैं
(घ) कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
उत्तर:
(ख) स्वस्थ एवं सक्रिय बनती हैं।

प्रश्न 11.
मांसपेशीय ऊतक जो बिना थके हुए जीवनपर्यन्त क्रियाशील होता है, वह है
(क) कंकाल मांसपेशी
(ख) हृदय मांसपेशी
(ग) ऐच्छिक मांसपेशी
(घ) चिकनी मांसपेशी।
उत्तर:
(ख) हृदय मांसपेशी।

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UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi प्रत्यय

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Board UP Board
Textbook SCERT, UP
Class Class 12
Subject Sahityik Hindi
Chapter Chapter 4
Chapter Name प्रत्यय
Number of Questions Solved 11
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi प्रत्यय

परिभाषा
जो अक्षर या अक्षरसमूह संस्कृत में ‘शब्द’ अथवा ‘धातु के अन्त में जुड़कर नवीन शब्दों की रचना करते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। प्रत्यय के दो भेद होते हैं।

कृदन्त प्रत्यय
कृदन्त प्रत्यय ‘धातु’ में जुड़कर नए शब्दों की रचना करते हैं। का (त), क्त्वा (त्वा), तव्यत् (तथ्य) एवं अनीयर् (अनीय) कृदन्त प्रत्यय के उदाहरण हैं।

तद्धित प्रत्यय
तद्धित प्रत्यय ‘शब्द’ में जुड़कर नए शब्दों की रचना करते हैं। त्व, तल्, मतुप् एवं चतुप तद्धित प्रत्यय के उदाहरण हैं।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो शब्दों में बताइए कि वे किस धातु अथवा शब्द में किस प्रत्यय के योग से बने हैं?
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बहविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
श्रीमती में प्रत्यय हैं।
(क) मतुप्
(ख) वतुप
(ग) ठक
(घ) इक

प्रश्न 2.
‘दर्शनीय’ में प्रत्यय है।
(क) दर्शनीय
(ख) अनीयर्
(ग) अनीय
(घ) नीय

प्रश्न 3.
‘गुरुत्व’ में प्रत्यय है।
(क) तो
(ख) तल
(ग) त्व
(घ) शत्

प्रश्न 4.
‘गतः’ में प्रत्यय है
(क) शत्
(ख) दत्त
(ग) शानच
(घ) क्त्वा

प्रश्न 5.
‘धा + क्त्वा’ का सिद्ध रूप होगा।
(क) धात्वा
(ख) धारित्वा
(ग) धावित्वा
(घ) धृत्वा

प्रश्न 6.
‘धन् + वतुप्’ का सिद्ध रूप होगा
(क) धनवती
(ख) धनवान्
(ग) धनी
(घ) धनवत

प्रश्न 7.
‘गम + क्त्वा’ का सिद्ध रूप होगा।
(क) गतः
(ख) गमित्वा
(ग) गत्वा
(घ) गावा

प्रश्न 8.
‘कर्तव्य’ में प्रत्यय हैं।
(क) यत्
(ख) ण्यत्
(ग) वतुम्
(घ) तव्यत्

प्रश्न 9.
‘लघुता’ में प्रत्यय है।
(क) तृच
(ख) तल्
(ग) ता
(घ) तव्यत्

प्रश्न 10.
‘गुरु + तल्’ सिद्ध रूप होगा
(क) गुरुत्वम्
(ख) गुरुता
(ग) गुरुः
(घ) गुरुत्

उत्तर

1. (क), 2. (ख), 3. (ग), 4. (ख), 5. (क), 6. (ख), 7. (ग), 8. (घ), 9. (ख), 10. (ख)

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