UP Board Solutions for Class 12 English Poetry Short Stories Chapter 2 An Astrologer’s Day

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Board CBSE
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject English Poetry Short Stories
Chapter Chapter 2
Chapter Name An Astrologer’s Day
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 English Poetry Short Stories Chapter 2 An Astrologer’s Day

STORY at a Glance

Once in a town on a busy crossing an astrologer used to sit under a tamarind tree from morning till evening. He was so dressed and with all his equipments spread before him that the people were attracted towards him in a large number. He also answered their questions in such a way that most of them were satisfied. One evening when the astrologer was ready to go home, a man came to him and pressured him to answer his questions. Under the pressure of his client he had to answer his questions. As soon as the man lit his cigar, the astrologer caught a glimpse of his face by the matchlight. The astrologer felt uncomfortable yet he gathered courage.

The man said, “Shall I succeed in my present search ?” The astrologer said, “You were left for dead. Am I right ?” “Ah, tell me more.” “A knife has passed through you.once ?” said the astrologer. “Good fellow !” He bared his chest to show the scar. “What else ?” “And then you were pushed into a well near by in the field. You were left for dead.” “I should have been dead if some passer-by had not chanced to peep into the well.” exclaimed the other overwhelmed by enthusiasm. “When shall I get at him ?” he asked, clenching his fist. “In the next world,” answered the astrologer. “He died four months ago irrä far off town. You will never see any more of him.” The other groaned on hearing it. The astrologer proceeded.” “Guru Nayak….”5.30g! WET “You know my name also ! the other said in a surprise.”

“I know everything, Guru Nayak. Listen to me carefully. Your village is two days journey in the north. Take the next train and go away. There is a danger to your life if you go away from home. Take this sacred ash and rub it on your forehead and go home. Never travel southward again.” The astrologer also told him that his enemy was crushed under a lorry and died. Hearing this the man was delighted. He gave the astrologer a handful of coins and went away. Now it was too late. The astrologer picked up his articles and reached home. His wife was waiting for him anxiously. After dinner he told her the whole story how he misguided his enemy and assured him that his enemy was not alive. So, he left his search. In this way from that day he was the most carefree man.

कहानी पर एक दृष्टि

एक बार एक नगर में एक ज्योतिषी इमली के पेड़ के नीचे एक व्यस्त चौराहे पर सवेरे से शाम तक बैठा करता था। वह ऐसे वस्त्र पहनता था और अपना सारा सामान अपने सामने इस प्रकार फैला लेता था कि बड़ी :संख्या में लोग उसकी ओर आकर्षित होते थे। वह उनके अधिकांश प्रश्नों के उत्तर भी इस प्रकार देता था कि उनमें से अधिकांश सन्तुष्ट हो जाते थे। एक दिन शाम को जब ज्योतिषी घर जाने को तैयार था, तब एक आदमी उसके पास आया और अपने प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उस पर दबाव डाला। अपने ग्राहक के दबाव में उसके प्रश्नों के उत्तर उसे देने पड़े। ज्योंही उस व्यक्ति ने अपना सिगार जलाया, माचिस की रोशनी में ज्योतिषी ने उस व्यक्ति के चेहरे की झलक देखी। ज्योतिषी परेशान हो गया किन्तु उसने साहस बटोरी। उस व्यक्ति ने कहा, “क्या मैं अपनी वर्तमान तलाश में सफल होऊँगा या नहीं ?” ज्योतिषी ने कहा, “तुम मृतप्रायः छोड़ दिए गए थे। क्या मैं ठीक हूँ?.

अरे, मुझे कुछ और बताओ।” एक बार तुम्हारे ऊपर चाकू से वार हुआ।” ज्योतिषी ने कहा। अच्छे व्यक्ति,” उसने अपने घाव दिखाने के लिए छाती खोली। और भी कुछ ?” और फिर तुम्हें खेत में पास के कुएँ में धकेल दिया गया। तुम्हें मृतप्रायः छोड़ा गया।” यदि कुछ व्यक्ति जो उस रास्ते से जा रहे थे कुएँ में न झाँकते तो मैं मर गया होता।’ दूसरा व्यक्ति चिल्लाया। वह आदमी जोश में भर गया। अपनी मुट्ठी मारते हुए उसने पूछा, “मैं उसे कब पकड़ पाऊँगा ?”अगले संसार में,” ज्योतिषी ने उत्तर दिया, “वह चार महीने पूर्व एक दूर के नगर में मर गया। तुम उसे अब कभी नहीं देख पाओगे।’ यह सुनकर दूसरा व्यक्ति गुर्राया। ज्योतिषी ने आगे कहा— गुरु नायक !”

आप मेरा नाम भी जानते हो।’ दूसरे व्यक्ति ने आश्चर्य से कहा।। “ऐ गुरु नायक, मैं सभी कुछ जानता हूँ। मेरी बात ध्यान से सुनो। तुम्हारा गाँव उत्तर की ओर है। यात्रा में दो दिन लगते हैं। अगली गाड़ी पकड़ो और यहाँ से चले जाओ। यदि तुम घर से बाहर जाओगे तब तुम्हारे जीवन को खतरा है। यह पवित्र राख लो और इसे अपने माथे पर मलो और घर जाओ। दक्षिण की ओर पुनः यात्रा मत करना।” ज्योतिषी ने यह भी बताया कि उसका शत्रु एक लॉरी के नीचे कुचल गया और मर गया। यह सुनकर वह व्यक्ति बहुत प्रसन्न हुआ। उसने ज्योतिषी को एक मुट्ठी भर सिक्के दे दिए और चला गया। अब बहुत देर हो गई थी। ज्योतिषी ने अपना सामान उठाया और घर पहुँच गया। उसकी पत्नी उत्सुकता से उसकी प्रतीक्षा कर रही थी। रात्रि भोजन के बाद उसने उसे पूरी कहानी सुना दी कि किस प्रकार उसने अपने दुश्मन को बहकाया और उसे विश्वास दिला दिया कि उसका दुश्मन जीवित नहीं है। इसलिए उसने अपनी तलाश छोड़ दी। इस प्रकार उस दिन से वह अत्यन्त निश्चिन्त व्यक्ति था।

Understanding the Text

Short Answer Type Questions

Answer two of the following questions in not more than 30 words each:
Question 1.
Who was this astrologer ? Why did he leave his house ? . [2013, 15, 18]
(ज्योतिषी कौन था ? उसने अपना घर क्यों छोड़ा ?)
Answer.
This astrologer was the son of a farmer. He had murdered a man. He was a convict. So he left his home without telling anybody.
(यह ज्योतिषी एक किसान का बेटा था। उसने एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। अतः वह एक अपराधी था। इसलिए उसने बिना किसी को बताए हुए अपना घर छोड़ दिया।)

Question 2.
Why did he choose this profession ?
(उसने यह व्यवसाय क्यों चुना ?)
Answer.
He chose this profession so that he might not be traced out by his enemy.
(उसने यह व्यवसाय इसलिए चुना ताकि उसका दुश्मन उसका पता न लगा सके।)

Question 3.
What place did he choose for it ? How was it a suitable place ?
(उसने इसके लिए कौन-सा स्थान चुना ? क्या यह एक उपयुक्त स्थान था ?)
Answer.
He chose a place near a busy crossing under a tamarind tree. It was a suitable place because the people of all trades passed by that way.
(उसने एक व्यस्त चौराहे के पास इमली के पेड़ के नीचे एक स्थान चुना। यह उपयुक्त स्थान था क्योंकि सभी व्यवसायों के व्यक्ति उस रास्ते से गुजरते थे।)

Question 4.
What are the equipments of an astrologer which he took with him ?
(ज्योतिषी का क्या सामान था जिसे उसने अपने साथ रखा ?)
Answer.
He took with him a dozen cowrie shells, a square of cloth with obscure mystic charts on it, a note book and a bundle of palmyra writings.
(उसने अपने पास एक दर्जन कौड़ी, एक चौकोर कपड़े का टुकड़ा जिस पर अस्पष्ट गहन चार्ट बने हुए थे, एक नोट बुक तथा खजूर की पत्तियों पर लिखे हुए कुछ लेख रखे।)

Question 5.
How did he look like an astrologer ?
(वह एक ज्योतिषी की भाँति कैसे दिखाई पड़ता था?)
Answer.
He looked like an astrologer because he had rubbed pious dust and vermilion on his forehead, a saffron coloured turban on his head, dark and long whiskers with all the equipments of an astrologer spread before him.
(वह एक ज्योतिषी की भाँति मालूम पड़ता था क्योंकि उसने अपने माथे पर पवित्र राख और सिन्दूर लगा रखा था, एक गेरुआ रंग का साफा सिर पर बाँध लिया था, काली और लम्बी मूंछे थीं तथा एक ज्योतिषी का सारा सामान अपने सामने फैला रखा था।)

Question 6.
What did his clients find in his eyes ? How did they feel ?
(उसके ग्राहक उसकी आँखों में क्या पाते थे ? वे कैसा अनुभव करते थे ?)
Answer.
His clients found a prophetic light in his eyes. They felt comforted.
(उसके ग्राहक उसकी आँखों में एक भविष्यवक्ता का प्रकाश पाते थे। उन्हें आराम मिलता था।)

Question 7.
Could he satisfy his customers ? How ?
(क्या वह अपने ग्राहकों को सन्तुष्ट कर देता था ? कैसे ?)
Answer.
He satisfied his customers because he had studied about the general problems of the people. He had much experience. He had a good common sense. He gave such answers as satisfied all.
(वह अपने ग्राहकों को सन्तुष्ट कर देता था क्योंकि उसने लोगों की सामान्य समस्याओं का अध्ययन किया था। उसे काफी अनुभव था। उसे सामान्य ज्ञान भी था। वह ऐसे उत्तर देता था जो सभी को सन्तुष्ट कर देते थे।),

Question 8.
What trick did he use in making a guess of the problems of his client ?
(अपने ग्राहकों की समस्याओं का अनुमान लगाने में वह किस युक्ति का प्रयोग करता था?)
Answer.
In making a guess of the problems of his clients, he let them speak first as much as they could. He listened to them patiently and guessed about their problems.
(अपने ग्राहकों की समस्याओं का अनुमान लगाने में वह पहले उन्हीं को बोलने देता था जितनां वे ब्रोल सकें। वह उन्हें ध्यान से सुनता था और उनकी समस्याओं का अनुमान लगाता था।)

Question 9.
What fee did he charge from his clients ?
(अपने ग्राहकों से वह कितनी फीस लेता था ?)
Answer.
He charged three pies per question from his clients.
(अपने ग्राहकों से वह तीन पैसे प्रति प्रश्न लेता था।)

Question 10.
What was the usual time which he devoted to his profession?
(वह अपने व्यवसाय में साधारणतः कितना समय लगाता था ?)
Answer.
Usually he started his profession at mid-day and continued till late in the evening
(साधारणतः वह अपना व्यवसाय दोपहर के समय आरम्भ करता था और देर शाम तक जारी रखता था।

Question 11.
Who happened to come to him one day when he was ready to go home ?
(जब एक दिन वह घर जाने के लिए तैयार था तब कौन आया ?)

Or

What happened one evening when the astrologer was preparing to go home? [2013]
(एक दिन शाम को जब ज्योतिषी घर जाने की तैयारी कर रहा था तब क्या हुआ ?)

Or

Why did the astrologer feel very uncomfortable in the presence of the stranger ? [2011]
(आगन्तुक की उपस्थिति में ज्योतिषी ने बेचैनी का अनुभव क्यों किया ?)

Or

What made the astrologer feel uncomfortable? [2017]
(किस बात ने ज्योतिषी को बेचैन कर दिया?)
Answer.
One day when he was ready to go home, a man named Guru Nayak came to him in the dark. He was the astrologer’s enemy and he was in search of him. So he felt very uncomfortable in his presence.
(एक दिन जब वह घर जाने को तैयार था तब अँधेरे में उसके पास एक गुरु नायक नामक व्यक्ति आया। वह ज्योतिषी का दुश्मन था और वह उसकी तलाश में था। अतः वह उसकी उपस्थिति में बड़ा बेचैन रहा।)

Question 12.
Who recognised whom and who did not recognise ?
(किसने किसको पहचाना और किसने नहीं पहचाना ?) ।
Answer.
The astrologer recognised the man but the man did not recognise the astrologer.
(ज्योतिषी ने उस व्यक्ति को पहचान लिया किन्तु वह व्यक्ति ज्योतिषी को नहीं पहचान पाया।)

Question 13.
How did the astrologer behave with him ?
(ज्योतिषी ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया ?)
Answer.
The astrologer behaved with him like a client. He did not let him know about himself.
(ज्योतिषी ने उसके साथ एक ग्राहक जैसा व्यवहार किया। उसे अपने विषय में कुछ नहीं जानने दिया।)

Question 14.
Did the astrologer answer his questions willingly? How?
(क्या ज्योतिषी ने उसके प्रश्नों के उत्तर राजी से दिए ? कैसे ?)
Answer.
The astrologer did not answer his questions willingly. First of all, he refused him. At this the man held his wrist and threatened him that he would not let him go home until he answered his questions. Then, the astrologer agreed to answer his questions..

(ज्योतिषी ने उसके प्रश्नों के उत्तर राजी से नहीं दिए। पहले उसने उसे मना कर दिया। इस पर उस व्यक्ति ने उसकी कलाई पकड़ ली और उसे धमकाया कि जब तक वह उसके प्रश्नों के उत्तर नहीं दे देता वह उसे घर नहीं जाने देगा। तब ज्योतिषी उत्तर देने को राजी हुआ।) ।

Question 15.
What was the load that the astrologer had been keeping in his mind and , how did he get rid of it?
(वह कौन-सा बोझ था जो ज्योतिषी अपने मस्तिष्क में रखे हुए था और उसने इससे कैसे छुटकारा पाया ?)

Or

How did the astrologer in the story ‘An Astrologer’s Day. get freedom from fear of revenge and punishment ? [2010, 12]
(ज्योतिषी ने AnAstrologer’s Day’ कहानी में बदले के भय और दण्ड से कैसे मुक्ति पाई ?)


Or

What was the advice astrologer gave the stranger ? [2014]
(ज्योतिषी ने उस आगन्तुक को क्या नसीहत दी ?)

Or

How could the astrologer get rid of the stranger ? . [2015, 18]
(ज्योतिषी, आगन्तुक से कैसे छुटकारा पा सका ?)
Answer.
The astrologer had murdered a man. So, he was always in fear of being caught. One day his enemy came before him in the dark of evening as his customer. The astrologer recognised him. So by his clever trick he made him assure that his enemy had died long before. So, he should leave his search and return home. Thus, he got rid of the load which he had been keeping in his mind.

(ज्योतिषी ने एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। इसलिए वह सदा पकड़े जाने के भय में रहता था। एक दिन शाम के अँधेरे में उसका दुश्मन उसके सामने ग्राहक के रूप में आ गया। ज्योतिषी उसे पहचान गया। अतः उसने चालाकी से उसे यह यकीन दिला दिया कि उसका दुश्मन काफी पहले मर गया है। अतः उसे उसकी खोज छोड़ देनी चाहिए और घर लौट जाना चाहिए। इस प्रकार उसने उस बोझ से छुटकारा पा लिया जिसे वह अपने मस्तिष्क में रखे हुआ था।)

Question 16.
How much amount did the man give to the astrologer ? :
(उस व्यक्ति ने ज्योतिषी को कितना धन दिया ?)
Answer.
The man gave the astrologer all the money that he had.
(उस व्यक्ति ने ज्योतिषी को वह सारा धन दे दिया जो उसके पास था।)।

Question 17.
When did the astrologer reach home? Whom did he see at the door ?
(ज्योतिषी घर कब पहुँचा? उसने दरवाजे पर किसको देखा ?)
Answer.
The astrologer reached home at mid-night. He saw his wife at the door waiting for him anxiously
(ज्योतिषी घर अर्द्धरात्रि के समय पहुँचा। उसने दरवाजे पर अपनी स्त्री को व्याकुलता से उसकी प्रतीक्षा करते हुए देखा।)

Question 18.
What did the astrologer do when his wife asked him the explanation of being late ?
(ज्योतिषी ने उस समय क्या किया जब उसकी पत्नी ने उससे देर होने का कारण पूछा ?)
Answer.
When his wife asked him the explanation of being late, he piled a lot of money before her.
(जब उसकी पत्नी ने उससे देर होने का कारण पूछा तब उसने उसके सामने ढेर सारे धन का ढेर लगा दिया।)

Question 19.
What was its reaction on his wife ?
(उसकी पत्नी पर इसकी क्या प्रतिक्रिया हुई ?) ।
Answer.
Seeing so much money his wife was overjoyed.
(इतना सारा धन देखकर उसकी पत्नी अत्यन्त प्रसन्न हो गई।)।

Question 20.
What plan did his wife make to spend the money ?
(धन को खर्च करने के विषय में उसकी पत्नी ने क्या योजना बनाई ?)
Answer.
His wife decided to buy some jaggery and coconut to prepare some sweets for her child.
(उसकी पत्नी ने एक प्रकार की चीनी और नारियल खरीदने का निश्चय किया कि वह अपने बच्चे के लिए कुछ मिठाई बना सके।)

Question 21.
When did the astrologer tell his wife the reason of his being late ?
(ज्योतिषी ने अपनी पत्नी को देरी होने का कारण कब बताया ?)

Or

What did the astrologer tell her wife after dinner ? [2017, 18]
(रात्रि के भोजन के बाद ज्योतिषी ने अपनी पत्नी से क्या कहा ?)
Answer.
After taking dinner, the astrologer told his wife the reason of his being late.
(रात्रि का भोजन करने के बाद ज्योतिषी ने अपनी पत्नी को देरी होने का कारण बताया।)

Question 22.
What reason did he tell her ?
(उसने उसे क्या कारण बताया ?)
Answer.
He told her that a client came to him when he was ready to come home.
(उसने उसे बताया कि जब वह घर आने को तैयार थी तभी एक ग्राहक आ गया।)

Question 23.
Where is the climax of the story ? How does the story end ?
(कहानी की चरम सीमा कहाँ है ? कहानी का अन्त कैसे होता है ?)
Answer.
The climax of the story is when the client returns fully satisfied. The story ends in a happy mood.
(कहानी की चरम सीमा वहीं पर होती है जहाँ ग्राहक पूर्ण सन्तुष्ट होकर लौट जाता है। कहानी का आनन्द के वातावरण में अन्त होता है।)

Question 24.
What did the astrologer tell Guru Nayak about his enemy’s death ?
(ज्योतिषी ने गुरु नायक को उसके दुश्मन की मृत्यु के विषय में क्या बताया ?)

Or

What advice did the astrologer give the stranger ? [2012, 17, 18]
(ज्योतिषी ने उस अनजान व्यक्ति को क्या शिक्षा दी ?)
Answer.
The astrologer told Guru Nayak that his enemy had died long before. So he should leave his search and return home.
(ज्योतिषी ने गुरु नायक को बताया कि उसका शत्रु काफी समय पहले मर गया है। अत: उसे तलाश छोड़ देनी चाहिए और घर लौट जाना चाहिए।)।

Question 25.
How did the astrologer earn his living ? Why was he forced to hide his identity? [2009, 18]
(ज्योतिषी अपनी जीविका कैसे कमाता था ? वह अपनी पहचान क्यों छिपाता था ?)
Answer. .
The astrologer had a saffron turban on his head. He applied sandal paste on his forehead. Thus he hide his identity and began to sit under a tamarind tree. He answered the questions satisfactorily of the customers and charged three pies as fees from them. He earned a lot of money daily.

(ज्योतिषी ने अपने सिर पर नारंगी रंग की पगड़ी बाँधी और मस्तिष्क पर चन्दन का लेप लगाया। इस प्रकार उसने अपनी पहचान को छिपाया और एक इमली के पेड़ के नीचे बैठने लगा। वह अपने ग्राहकों के प्रश्नों के उत्तर सन्तोषजनक रूप से देता था और उनसे अपनी फीस के रूप में तीन पैसे वसूलता था। वह रोजाना बहुत धन कमाता था।)

Question 26.
Why did the astrologer advise the stranger never to travel southward ? [2009,12]
(ज्योतिषी ने अजनबी को दक्षिण दिशा में यात्रा न करने की क्यों सलाह दी ?)
Answer.
The astrologer advised stranger never to travel southward because he lived in this direction himself. And he was his enemy.
(ज्योतिष में अजनी को दक्षिण दिशं की यात्रा न करने की सलाह दी क्योंकि वह स्वयं उस दिशा में रहता था और क्ह उसका शत्रु था।

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UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi अनेकार्थी शब्द

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 3
Chapter Name अनेकार्थी शब्द
Number of Questions 16
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi अनेकार्थी शब्द

अनेकार्थी शब्द

नवीनतम पाठ्यक्रम में अनेकार्थी शब्दों को भी सम्मिलित किया गया है, जिसके लिए 2 अंक निर्धारित हैं। प्रत्येक भाषा में ऐसे बहुत-से शब्द होते हैं, जो एकाधिक अर्थों का बोध कराते हैं। प्रसंग के अनुसार भिन्न-भिन्न स्थलों पर इनके भिन्न-भिन्न अर्थ प्रतीत होते हैं। भाषा को समझने और समझाने में इस प्रकार के शब्दों को ज्ञान बहुत उपयोगी होता है। इस प्रकार के शब्दों को ‘अनेकार्थी’ शब्द कहते हैं। हिन्दी भाषा में भी इस प्रकार के अनेकानेक शब्द हैं। अध्ययन में सुगमता की दृष्टि से हिन्दी भाषा के ऐसे कुछ एक शब्द और उनके एकाधिक अर्थ दिये जा रहे हैं। छात्रों को इन्हें याद कर लेने का प्रयास करना चाहिए।

बहुविकल्पीय प्रश्न

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बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न (क) निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए-

(1) ‘गो’ शब्द का अर्थ नहीं है-
(क) गाय,
(ख) किरण
(ग) पृथ्वी
(घ) हाथी

(2) ‘वर्ण’ शब्द का अर्थ नहीं है–
(क) अक्षर
(ख) रंग
(ग) काला

(3) ‘कर’ शब्द के अन्य अर्थ हैं-
(क) सोना
(ख) हाथ
(ग) घोड़ा
(घ) किरण
(ङ) चन्द्रमा
(च) सँड़

(4) ‘अंक’ शब्द का अर्थ नहीं है-
(क) गोद
(ख) संख्या
(ग) नाटक का एक अंश
(घ) अन्य

(5) ‘हार’ शब्द के सही अर्थों को चुनकर लिखिए
(क) गले का आभूषण
(ख) पराजय
(ग) घबराना
(घ) दु:ख

(6) द्विज का अर्थ है
(क) ब्राह्मण
(ख) पशु
(ग) सिंह
(घ) क्षत्रिय

(7) ‘अम्बर’ शब्द का कौन-सा अर्थ नहीं है ?
(क) आकाश
(ख) वस्त्र
(ग) आम
(घ) केसर

(8) ‘अकाल’ शब्द का अर्थ नहीं है
(क) दुर्भिक्ष
(ख) मृत्यु
(ग) कमी
(घ) असमय

(9) ‘तारा’ शब्द का अर्थ है–
(क) नक्षत्र
(ख) चन्द्र
(ग) लेखनी
(घ) रश्मि

(10) ‘उदधि’ शब्द का कौन-सा अर्थ सही नहीं है?
(क) उत्तम दधि
(ख) समुद्र
(ग) सागर
(घ) जलधि

(11) ‘करि’ शब्द के सही अर्थों को चुनकर लिखिए
(क) हाथी
(ख) सँड़ वाला
(ग) करने वाला
(घ) चोर

(12) ‘अमृत’ शब्द का अर्थ नहीं है
(क) अमर होना
(ख) जल
(ग) दूध; अन्न
(घ) स्वर्ग

(13) ‘ईश्वर’ का अर्थ है|
(क) राजा
(ख) प्रेम
(ग) ईर्ष्या
(घ) जलन

(14) ‘बाण’ शब्द का अर्थ नहीं है-
(क) तीर
(ख) आदत
(ग) महाकवि बाण
(घ) चतुर

उत्तर-1. (घ), 2. (ग), 3. (ख), (घ), (च), 4. (घ), 5. (क), (ख), 6. (क), 7. (ग), 8. (ग), 9. (क), 10. (क), 11. (ख), 12. (ख), 13. (ख), 14, (ख)

प्रश्न (ख)
निम्नलिखित में से किन्हीं दो के दो-दो अर्थ लिखिए-
(क) अक्षत
(ख) हार
(ग) द्विज
(घ) काल
उत्तर-
(क) अक्षत                  अखण्डित, क्षतहीन।
(ख) हार                     गले का आभूषण, पराजय।
(ग) द्विज                     ब्राह्मण, दाँत।।
(घ) काल                    समय, मृत्यु।

प्रश्न (ग)
निम्नलिखित शब्दों में से कोई एक शब्द चुनिए और उसके एकाधिक अर्थ लिखिए-
(क) अम्बर
(ख) पत्र
(ग) वर
उत्तर
(क) अम्बर                    आकाश, वस्त्र, केसर।
(ख) पत्र पत्ता,                 चिट्ठी, पंख।।
(ग) वर                           दूल्हा, श्रेष्ठ, वरदान।

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UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Resources

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Resources (संसाधन) are part of UP Board Solutions for Class 12 Geography. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Resources (संसाधन).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Geography
Chapter Chapter 10
Chapter Name Resources (संसाधन)
Number of Questions Solved 27
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Resources (संसाधन)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
संसाधन से आपका क्या अभिप्राय है? संसाधनों का वर्गीकरण कीजिए। [2009]
या
विभिन्न प्रकार के संसाधनों का वर्णन कीजिए।
या
टिप्पणी लिखिए–संसाधनों के प्रकार। [2010]
या
संसाधनों के वर्गीकरण के आधारों को बताइए। [2012]
उत्तर

संसाधन का अर्थ
Meaning of Resources

संसाधनों का अध्ययन आर्थिक भूगोल की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है। किसी देश या प्रदेश में स्थित संसाधन आर्थिक विकास को आधार एवं गति प्रदान करते हैं। संसाधन आधुनिक धात्विक सभ्यता में। आधार-स्तम्भ माने जाते हैं। मानव अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोगी संसाधनों का शोषण कर अपना जीवन-यापन करता है तथा उनसे अधिकाधिक उपयोगिता प्राप्त करने का भरसक प्रयास करता है। ‘संसाधन’ शब्द के अर्थ को निम्नलिखित रूपों में प्रस्तुत किया जा सकता है –

  1. जिस पर कोई सहायता, पोषण तथा आपूर्ति के लिए आश्रित हो;
  2. दिये गये साधनों के प्राप्त करने के ढंग एवं
  3. अनुकूल परिस्थितियों से लाभ उठाने की क्षमता।

स्पष्ट है कि कोई भी वह वस्तु जो मानव की कठिनाइयों को दूर करने में समर्थ हो अथवा वह उसे आवश्यकताओं की पूर्ति करके सन्तुष्ट करती हो अथवा किसी प्रकार की उपयोगिता प्रदान करती हो, संसाधन कहलाती है। यह वस्तु प्राकृतिक अथवा सांस्कृतिक या मानवीय किसी भी प्रकार की हो सकती है, परन्तु यहाँ संसाधनों से आशय प्राकृतिक संसाधनों से ही लगाया जाता है। भूगोलवेत्ताओं की कथन है। कि संसाधनों से अभिप्राय, उन सभी भौतिक तत्त्वों तथा मानवीय क्रियाओं से सम्बन्धित पर्यावरण से समझा जाता है जो भूतल से लगभग 20 किमी ऊपर तथा 7 किमी धरातल के नीचे तक पाये जाते हैं। स्थलाकृति, मिट्टी, जलवायु, वनस्पति, वन्य प्राणी, जलराशियाँ, खनिज पदार्थ आदि सभी को प्राकृतिक संसाधनों के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है, परन्तु ये सभी अवयव तब तक संसाधन नहीं बन सकते जब तक मानव अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर इन्हें अपने लिए उपयोगी नहीं बना लेता। अत: कोई भी वह पदार्थ जो मानव के लिए उपयोगी हो अथवा प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से मानव की कुछ उपयोगिता करता हो, संसाधन कहलाता है।

कोई भी पदार्थ संसाधन तभी कहा जा सकता है जब वह मानव को किसी भी प्रकार की उपयोगिता प्रदान करता हो। इस तथ्य को दृष्टिगत करते हुए प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता ई०डब्ल्यू० जिम्मरमैन (E.W. zimmermann) ने कहा है, “मानव के विभिन्न उद्देश्यों एवं आवश्यकताओं की पूर्ति अथवा किसी कठिनाई का निवारण करने वाले या निवारण में योग देने वाले स्रोत को संसाधन कहा जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि संसाधन होते नहीं, बल्कि उन्हें बनाया जाता है। जिस देश या समाज में जितना अधिक तकनीकी एवं वैज्ञानिक विकास होगा, वहाँ संसाधनों का विकास भी उतना ही अधिक होगा। अतः संसाधन मानव से सम्बन्धित क्रियाओं में उपयोगी होते हैं।

संसाधनों का वर्गीकरण
Classification of Resources
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Resources 1
मानवीय संसाधन – मानवीय शक्ति किसी भी देश के लिए बहुत ही आवश्यक साधन है। उसके द्वारा ही प्राकृतिक सम्पदा का दोहन करके आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास सम्भव होता है; अत: मानव संसाधन के विकास में मानव ही सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। मानवीय संसाधनों के तीन मुख्य पक्ष निम्नवत् हैं –

  1. जनसंख्या – इसमें न केवल मानवं की संख्या वरन् उसकी शारीरिक शक्ति, मानसिक क्षमता, स्वास्थ्य, वितरण, जनघनत्व, वृद्धि दर, स्त्री-पुरुष अनुपात, आयु-वर्ग, शिक्षा आदि भी सम्मिलित किये जाते हैं।
  2. जनता का सामाजिक संगठन – इस पक्ष के द्वारा संसाधन उपयोग प्रभावित होता है तथा समाज के सब वर्गों को उसकी उपलब्धता एवं उपयोग की सीमा निर्धारित होती है। ये प्रादेशिक आर्थिक उन्नति के लिए बनाये गये सामाजिक राजनीतिक संगठन होते हैं; जैसे- पूँजीवादी व्यवस्था, समाजवादी व्यवस्था और साम्यवादी व्यवस्था।
  3. संस्कृति की अवस्था – किसी प्रदेश में तकनीकी एवं विज्ञान का जो स्तर होता है उससे उस प्रदेश की संस्कृति की अवस्था निर्धारित होती है। आज संसार के विकसित और विकासशील राष्ट्रों में यही अन्तर चल रहा है।

प्राकृतिक संसाधनों को मुख्यत: निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
(1) भौतिक संसाधन (Physical Resources) – भौतिक संसाधनों के अन्तर्गत चट्टानें, धरातल, मिट्टी, खनिज सम्पदा व जलीय तत्त्वों आदि को सम्मिलित किया जाता है। ये सभी पदार्थ मानव को प्रकृति की ओर से नि:शुल्क उपहार के रूप में प्राप्त हुए हैं। इन पर सभी व्यक्तियों का समान अधिकार है, परन्तु विश्व के उन भागों में जहाँ मानव ने अत्यधिक तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर लिया है, वहाँ इन संसाधनों का अधिक उपयोग किया जा सका है। इसके विपरीत जिन प्रदेशों से प्रकृति के साथ किसी भी प्रकार का सामंजस्य स्थापित नहीं किया गया है, वहाँ पर इनका उपयोग नहीं किया जा सका है। उदाहरण के लिए, अफ्रीका महाद्वीप में प्राकृतिक संसाधनों के पर्याप्त भण्डार भरे पड़े हैं, परन्तु तकनीकी ज्ञान के अभाव के कारण इनका उपयोग एवं उपभोग नहीं किया जा सका है।

इन संसाधनों के अन्तर्गत खनिज पदार्थ, जल, भूमि, वन, वायु, मिट्टी, धरातल आदि का स्थान मुख्य है। इनमें से कुछ संसाधन तो ऐसे हैं जो प्रत्येक स्थान पर उपलब्ध होते हैं, जिन्हें सर्वत्र सुलभ संसाधन कहते हैं; जैसे-वायु एवं धरातल। कुछ संसाधन ऐसे होते हैं जो कम ही स्थानों पर उपलब्ध होते हैं, अर्थात् धरातल पर समान रूप से विकसित नहीं हैं; जैसे-लौह-अयस्क, ताँबा, अभ्रक, मैंगनीज
आदि खनिज तथा कोयला एवं पेट्रोलियम आदि शक्ति संसाधन। इस प्रकार धरातल पर संसाधनों का वितरण समान नहीं है।

(2) जैविक संसाधन (Biotic Resources) – जैविक संसाधन मानव की आर्थिक क्रियाओं को लम्बे समय तक प्रभावित करते हैं। इन संसाधनों में कमी अथवा वृद्धि हो सकती है। वनस्पति की उत्पत्ति तथा पशुपालन जैविक संसाधनों के अन्तर्गत आते हैं। इन संसाधनों पर मानवीय क्रियाकलापों का प्रभाव तो पड़ता है, परन्तु इनके स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं होता। वनों के शोषण पर वर्षा तथा तापमान के प्रभाव के कारण प्राकृतिक वनस्पति स्वत: ही उग आती है। जैविक संसाधन गतिशील होते हैं। इन संसाधनों का उपयोग करने पर इनका कुछ भाग शेष रह जाता है, जिससे वे पुन: अपना रूप धारण कर लेते हैं। मत्स्य उत्पादक क्षेत्रों से सभी मछलियों को पकड़ने के उपरान्त भी वहाँ मछलियों की उत्पत्ति धीरे-धीरे होती रहती है। विश्व में जैविक संसाधनों के वितरण में भी भिन्नता पायी जाती है। शीत कटिबन्धीय प्रदेशों में पायी जाने वाली प्राकृतिक वनस्पति तथा मरुस्थलीय वनस्पति में अन्तर पाया जाता है। इन संसाधनों में कठोरता कम होती है। कभी-कभी जैविक संसाधनों का पूर्णतः उपयोग कर लेने पर इनकी मात्रा समाप्त हो जाती है।

उपयोगिता के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण
Classification of Resources on the Basis of Utility

उपयोगिता के आधार पर संसाधनों को निम्नलिखित दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
(1) क्षयी संसाधन – वे संसाधन जिनका उपयोग मानव की इच्छा-शक्ति पर निर्भर रहता है, क्षयी संसाधन होते हैं। कभी-कभी अधिकतम उपयोग करने से यह संसाधन समाप्त भी हो जाते हैं। इन्हें निम्नलिखित दो भागों में विभाजित किया जा सकता है –

  1. नव्यकरणीय संसाधन – ग्लोब पर कुछ संसाधन ऐसी प्रकृति के पाये जाते हैं कि उनका अधिकतम उपयोग किया जा सकता है। ऐसा मानव के तकनीकी ज्ञान पर निर्भर करता है। ये संसाधन पुनः विकसित हो जाते हैं अथवा उनका नवीनीकरण करने के उपरान्त उन्हें उपयोग में लाया जा सकता है। जलवायु, सौर ऊर्जा, जल विद्युत शक्ति आदि इसी प्रकार के संसाधंन हैं।
  2. अनव्यकरणीय संसाधन – इस प्रकार के संसाधन एक बार उपयोग करने के उपरान्त सदैव के लिए समाप्त हो जाते हैं अथवा वे नष्ट हो जाते हैं। कोयला, खनिज तेल, अनेक प्रकार के धात्विक खनिज आदि इन संसाधनों के प्रमुख उदाहरण हैं।

(2) अक्षयी संसाधन – ये कभी समाप्त न होने वाले संसाधन हैं। इन्हें बार-बार उपयोग किया जाता रहता है। एक बार उपयोग करने के बाद वे स्वयं विकसित हो जाते हैं तथा उनका पुन: उपयोग कर लिया जाता है। यह प्रक्रिया निरन्तर जारी रहती है, परन्तु इनका पुनः उत्पादन रासायनिक एवं भौतिक उपकरणों की सहायता से किया जा सकता है। वनस्पति, मिट्टी, जल, वायु, सौर ऊर्जा, वन्य प्राणी, मानवआदि कभी न समाप्त होने वाले संसाधनों की श्रेणी में आते हैं। इस प्रकार ये संसाधन मानव उपभोग के लिए असीम एवं चिरस्थायी संसाधन हैं।

प्रश्न 2
संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
या
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
या
‘संसाधन संरक्षण से आप क्या समझते हैं?’ इसके लिए उपयुक्त उपाय समझाइए। (2011)
उत्तर

संसाधनों के संरक्षण का अर्थ एवं आवश्यकता
Meaning and Need of Conservation of Resources

धरातल पर संसाधन सीमित ही उपलब्ध हैं; अतः उनका अधिकतम एवं सुरक्षित उपयोग ही ‘संसाधन संरक्षण’ कहलाता है। दूसरे शब्दों में, “प्राकृतिक संसाधनों का कम-से-कम मात्रा में अधिकतम उपयोग ही संसाधन संरक्षण कहलाता है।” संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता 20वीं शताब्दी की देन है, क्योंकि इस सदी में संसाधनों का बड़ी निर्ममता से उपयोग किया गया है। विज्ञान एवं तकनीकी विकास के साथ-साथ संसाधनों का दोहन तीव्र गति से किया गया है जिस कारण उनमें से कुछ संसाधन समाप्ति की,ओर अग्रसर हुए हैं। अत: संसाधनों को सुरक्षित बनाये रखने के लिए संसाधनों के संरक्षण की भावना बलवती हुई है। पिछली दो शताब्दियों से विश्व पटल पर आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं, जिसके अग्रलिखित कारण उत्तरदायी रहे हैं –

  1. कुछ देशों में तीव्र जनसंख्या-वृद्धि का होना।
  2. तकनीकी एवं औद्योगिक क्रान्ति के कारण औद्योगिक उत्पादों में तीव्र वृद्धि का होना।
  3. मानव का जीवन के प्रति भौतिकवादी दृष्टिकोण पनपना।

उपर्युक्त कारणों के फलस्वरूप संसाधनों का बड़े ही अविवेकपूर्ण ढंग से दोहन किया गया है। इसी कारण बहुत से जैविक एवं अजैविक संसाधनों को तीव्र गति से ह्रास होता जा रहा है अथवा वे पूर्ण । रूप से विनष्ट हो गये हैं। इसके फलस्वरूप इस तथ्य को बल मिलने लगा है कि संसाधनों का अधिकतम उपयोग मानवहित में नहीं हो सकेगा। अत: संसाधनों का मितव्ययिता के साथ सदुपयोग किया जाए तथा जो संसाधन अल्पमात्रा में शेष रह गये हैं, उनका संरक्षण अवश्य ही किया जाए जिससे भावी जनसंख्या को भी ये संसाधन मिल सकें। इस सम्बन्ध में सिरीयसी वाण्ट्रप ने कहा है कि “संसाधनों का उपयोग कब, किस प्रकार होगा, इसका विश्लेषण करते हुए उपयोग को समय के अनुसार निर्धारित किया जाना चाहिए।’

वर्तमान समय में विश्व की जनसंख्या में द्रुत गति से वृद्धि होती जा रही है जिससे उसकी संसाधनों की आवश्यकता में भी वृद्धि हुई है तथा संसाधनों का अविवेकपूर्ण ढंग से विनाश किया जाने लगा है। इस पर तत्काल रोक लगाना आवश्यक है, अन्यथा ये संसाधन किसी भी समय समाप्त हो सकते हैं। इस प्रकार जनसंख्या की अपरिमित वृद्धि, उत्पादन प्रक्रिया में तकनीकी विकास से क्रान्ति आने तथा मानव का जीवन-स्तर उच्च होने से संसाधनों में कमी आयी है। इससे मानवीय क्रियाकलापों एवं प्रकृति में असन्तुलन होने लगा है। अतः मानवीय क्रियाकलापों एवं उपभोग के मध्य अनुकूलन एवं सामंजस्य स्थापित किया जाना चाहिए जो संसाधनों के संरक्षण का मूल उद्देश्य है।

संसाधन संरक्षण के उपाय
Remedies of Conservation of Resources

  1. किसी भी राष्ट्र के कुल संसाधनों की संख्या, मात्रा, प्रकार, गुण एवं उपलब्धि के विषय में पूर्ण जानकारी होना अति आवश्यक है, जिससे आवश्यकतानुसार उनका व्यावहारिक उपयोग किया जा सके।
  2. संसाधनों का अविवेकपूर्ण उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि सम्भाव्यता के आधार पर ही उनका उपयोग निर्धारित किया जाना चाहिए।
  3. जो संसाधन शीघ्र समाप्त होने वाले हैं, उनका उपयोग अधिकतम उपयोगिता प्रदान करने वाले कार्यों में ही किया जाना चाहिए।
  4. संसाधनों की वृद्धि एवं गुणवत्ता बनाये रखने के लिए उनकी विशेषताओं को वैज्ञानिक-तकनीकी ज्ञान के सहारे विकसित किया जाना चाहिए।
  5. जो संसाधन अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं, उनका उपयोग अधिकतम मात्रा में करना चाहिए।
  6. संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए उनके सही विकल्पों को खोज लिया जाना चाहिए, जिससे अधिक समय तक उनकी उपलब्धता बनी रह सके।
  7. संसाधनों के उपयोग की ऐसी पद्धतियाँ एवं प्रणालियाँ विकसित की जानी चाहिए कि राष्ट्र सदैव के लिए आत्मनिर्भर बना रह सके।
  8. राष्ट्र के संसाधनों का सर्वेक्षण करा लिया जाना चाहिए जिससे उनके उपभोग की मात्रा सुनिश्चित की जा सके।

इस प्रकार उपर्युक्त विवरण से निष्कर्ष निकलता है कि देश के प्रत्येक नागरिक को वहाँ उपलब्ध संसाधनों को अमूल्य निधि समझना चाहिए। इन संसाधनों का भविष्य के लिए संरक्षण करना अति
आवश्यक है, जिससे कि वर्तमान एवं भावी सन्तति उनसे लाभान्वित हो सके तथा धीरे-धीरे अधिकतम उपयोगिता प्राप्त होती रहे।

प्रश्न 3
विश्व में लकड़ी काटने का उद्योग (Lumbering) किन भौगोलिक परिस्थितियों पर आधारित है? लकड़ी काटने एवं चीरने वाले प्रमुख देशों का वर्णन कीजिए।
उत्तर

लकड़ी काटने Lumbering

वन- व्यवसाय का महत्त्वपूर्ण उपयोग लकड़ी काटने एवं चीरने का है। लकड़ी काटना एवं उनकी चिराई एक प्राथमिक व्यवसाय है। वनों से कठोर एवं कोमल दोनों प्रकार की लकड़ी काटी जाती है, जिसका उपयोग निम्नवत् किया जाता है –

  1. ईंधन में 40 प्रतिशत।
  2. इमारती कार्यों में- भवन-निर्माण, पुल निर्माण, नावें, रेल के डिब्बे एवं स्लीपर, मोटर, टूक, फर्नीचर तथा पैकिंग आदि कार्यों में 40 प्रतिशत।
  3. निर्माण उद्योगों में- कागज की लुग्दी, दियासलाई, कृत्रिम रेशम आदि में-10 प्रतिशत।
  4. अन्य फुटकर कार्य- बल्लियों, सीढ़ियों, खानों आदि में-10 प्रतिशत।
    जेड० एस० हॉक ने विश्व में प्राप्त लकड़ी को निम्नलिखित तीन भागों में बाँटा है –

    • शीत कटिबन्धीय वनों (कोणधारी) से (कोमल लकड़ी)-35 प्रतिशत;
    • शीतोष्ण कटिबन्धीय वनों से (मिश्रित लकड़ी)-49 प्रतिशत एवं
    • उष्ण कटिबन्धीय वनों से (कठोर लकड़ी)-16 प्रतिशत।

लकड़ी काटने के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियाँ
Necessary Geographical Conditions for Lumbering

  1. उत्तम लकड़ी की प्राप्ति – लकड़ी काटने एवं चीरने के लिए काफी मात्रा में कठोर एवं कोमल लकड़ी के वन होने चाहिए। कठोर लकड़ी में महोगनी, सीडार एवं टीक तथा कोमल लकड़ी में देवदार, कैल, फर, चीड़ एवं यूकेलिप्टस प्रमुख हैं।
  2. सस्ते एवं कुशल श्रमिक – वृक्षों को सघन वनों से काटने के लिए काफी संख्या में सस्ते एवं कुशल श्रमिकों की उपलब्धता अति आवश्यक है। साइबेरिया एवं कनाडा में टैगा वनों की कटाई के लिए सस्ते एवं पर्याप्त श्रमिक मिल जाते हैं जो ग्रीष्म ऋतु में कृषि-कार्य करते हैं एवं शीत ऋतु में हिम अधिक पड़ने के कारण वनों को काटने का कार्य करते हैं।
  3. यातायात एवं परिवहन साधनों की सुलभता – लकड़ी के बड़े-बड़े लट्ठों को बहाकर ले जाने के लिए जल-परिवहन सबसे सस्ता साधन है तथा अन्य साधनों में रेल, मोटर आदि का होना अति आवश्यक है। म्यांमार एवं थाईलैण्ड में यह कार्य हाथियों द्वारा किया जाता है।
  4. जल-विद्युत शक्ति का विकास – कारखानों को चलाने के लिए जल-विद्युत शक्ति सबसे सस्ती पड़ती है। इस शक्ति को प्राप्त करने के लिए नदियों के मार्ग में कृत्रिम जल-प्रपात या बाँध बनाये जा सकते हैं।
  5. बाजार की समीपता-वनों के समीपवर्ती प्रदेशों में लकड़ी का उपभोग करने के लिए कागज़ मिल, दियासलाई, पैकिंग, कृत्रिम रेशम आदि उद्योगों की स्थापना की जानी अति आवश्यक है।
  6. सघन वनों का न होना- वने सघन नहीं होने चाहिए, अन्यथा लकड़ी काटना बड़ा ही कठिन हो जाता है। विरल वनों से लकड़ी सावधानीपूर्वक काटी जा सकती है।

सम्पूर्ण विश्व में 425 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रफल पर वन फैले हैं, जिसमें से लगभग आधे भाग पर उष्ण कटिबन्धीय कठोर, मिश्रित एवं अवर्गीकृत वनों का विस्तार है। शंकुधारी या टैगो वनस्पति का विस्तार 136 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर है, जब कि शीतोष्ण कटिबन्धीय कठोर लकड़ी के वनों का विस्तार केवल 66 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर है। विश्व में लकड़ी का उत्पादन करने वाले देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका औद्योगिक लकड़ी का 76% भाग पूरा करता है।

लकड़ी का उत्पादन करने वाले प्रमुख देश
Main Wood Producing Countries

समशीतोष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में लकड़ी काटने एवं चीरने का व्यवसाय प्रमुख है। इन देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, अलास्का, रूस, नार्वे, स्वीडन, फिनलैण्ड, जापान, चीन, म्यांमार एवं भारत आदि देश मुख्य हैं।
(1) संयुक्त राज्य अमेरिका – इस देश का लकड़ी काटने एवं चीरने में महत्त्वपूर्ण स्थान है। यहाँ पर लगभग एक-तिहाई भूमि पर वन-सम्पदा फैली है जिनमें से दो-तिहाई क्षेत्रफल व्यापारिक लकड़ियों का है। इस देश में कोमल लकड़ी के वनों का विस्तार अधिक है। पाइन, डगलस, फर, येलोपाइन, स्पूस आदि वृक्ष महत्त्वपूर्ण हैं जिनसे लुग्दी, कागज, गत्ता, बिरोजा, तारपीन का तेल एवं अखबारी कागज बनाये जाते हैं। अमेरिका में उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र, महान् झील क्षेत्र, अप्लेशियन पर्वतीय क्षेत्र, मध्यवर्ती क्षेत्र, रॉकी पर्वतीय क्षेत्र एवं पश्चिमी तटीय क्षेत्र लकड़ी काटने एवं चीरने में मुख्य स्थान रखते हैं।

(2) कनाडा – इस देश के 45% भाग पर वन-सम्पदा फैली है। यहाँ कोमल लकड़ी के वनों का विस्तार अधिक है। ब्रिटिश कोलम्बिया, उत्तरी प्रेयरी प्रान्त, ओण्टेरियो, क्यूबेक एवं न्यू ब्रिन्सविक मुख्य लकड़ी उत्पादक क्षेत्र हैं। कुल वन क्षेत्रों का 51% भाग व्यापारिक है। यहाँ 65% कोमल, 24% मिश्रित एवं 11% कठोर लकड़ी के वन हैं। इस देश में 150 से भी अधिक किस्मों की लकड़ी पायी जाती है जिनमें नुकीली पत्ती वाले वृक्ष 47 प्रकार के हैं। स्यूस, बालसम, पाइन, डगलस, फर, हेमलॉक, सीडार, मैपिल, बीच, रेड पाइन आदि मुख्य वृक्ष हैं। इनसे लकड़ी चीरने, कागज एवं लुग्दी बनाने, फर्नीचर, वस्त्रों के कृत्रिम धागे एवं प्लास्टिक बनायी जाती है। वन उत्पादन का 95% भाग लट्ठों, लुग्दी एवं ईंधन का होता है। कुल उत्पादन का 10% भाग निर्यात कर दिया जाता है। लकड़ी का कुल उत्पादन 402 लाख घन मीटर है। जिसमें 9 लाख घन मीटर कठोर एवं 393 लाख घन मीटर कोमल लकड़ी है।।

(3) रूस – रूस में 91 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर वन-सम्पदा का विस्तार है। यहाँ पर शंकुल वृक्षों की अधिकता है जिनमें स्पूस, एल्डर, विलो, लिंडन, हार्डब्रीम, फर, लार्च, सीडार एवं पाइन मुख्य हैं। इनकी लकड़ी कागज एवं लुग्दी बनाने के काम आती है। शंकुल वनों का विस्तार 60° उत्तरी अक्षांश से टुण्ड्रा प्रदेश तक है। यह वन क्षेत्र बाल्टिक सागर से पूर्व में ओखोटस्क सागर तक विस्तृत है। ओनेगा, लेनिनग्राड, मरमास्क, मेजेनई, गरका एवं आरकेंजल लकड़ी की चिराई के प्रमुख केन्द्र हैं। रूस के समस्त वन भाग का 80% एशियाई रूस में है। साइबेरिया के इस वन प्रदेश की सबसे बड़ी सुविधा ट्रांस-साइबेरियन रेलवे है। विश्व लकड़ी भण्डार का 21% भाग साइबेरिया से प्राप्त होता है।

(4) यूरोपीय देश – यूरोप महाद्वीप का एक-तिहाई भाग वनों से आच्छादित है, जहाँ विश्व की 10% लकड़ी प्राप्त होती है। इनमें कोमल लकड़ी की अधिकता है। इसका विस्तार 50° से 70° उत्तरी अक्षांशों तक है, जो नार्वे, स्वीडन, फिनलैण्ड होती हुई उत्तरी रूस तक चली गयी है। लकड़ी में निम्नलिखित देश प्रमुख उत्पादक हैं –

  1. नार्वे – इस देश के 25% भाग पर वन फैले हैं। उत्तरी एवं दक्षिणी तट को छोड़कर शेष पर्वतीय ढालों एवं नदी घाटियों में वनों का विस्तार पाया जाता है। यहाँ पर पाये जाने वाले प्रमुख वृक्षों में फर 50%, चीड़ 34% तथा शेष पर बीच एवं ओक आदि के वृक्ष हैं। यहाँ अखबारी कागज, सैलूलोज, गत्ता, दियासलाई तथा उत्तम किस्म का कागज बनाया जाता है।
  2. स्वीडन – यहाँ 60% भाग पर वन-सम्पदा फैली है। उत्तर एवं मध्य में कोमल तथा दक्षिण में कठोर लकड़ी के वनों की अधिकता है। यहाँ पर पाइन, स्पूस, फर आदि वृक्षों की प्रधानता है। इस देश में कागज, लुग्दी, प्लाईवुड एवं दियासलाई बनायी जाती है। निर्यात व्यापार में भी इन्हीं वृक्षों की लकड़ियों की अधिकता है।
  3. फिनलैण्ड – फिनलैण्ड के 70% भाग पर वन-सम्पदा का विस्तार है। यहाँ स्पूस, पाइन एवं फर वृक्षों की अधिकता है। यहाँ के निर्यात में 88% भाग वन वस्तुओं का है। चीरी हुई लकड़ी की वस्तुएँ, प्लाईवुड, अखबारी कागज तथा लकड़ी का रेशा यहाँ भी मुख्य उत्पादक वस्तुएँ हैं। तटीय भाग में लकड़ी चीरने के केन्द्र स्थापित हुए हैं।

मध्य यूरोपीय देशों में फ्रांस–22%, जर्मनी-21%, स्विट्जरलैण्ड-25% तथा जर्मनी में 27% भाग पर वन फैले हैं, परन्तु सभी देशों में लकड़ी का अभाव पाया जाता है। इन देशों में केवल अपने उपभोग के लिए ही लकड़ी का उत्पादन किया जाता है।

(5) एशियाई देश – एशिया महाद्वीप में जापान, चीन, म्यांमार एवं भारत प्रमुख लकड़ी उत्पादक देश हैं, जिनका विवरण निम्नवत् है –

  1. जापान – इस देश के लगभग 50% भाग पर वन फैले हैं। मध्य होकेड़ो एवं हाँशू के भीतरी पर्वतीय क्षेत्रों में इनका विस्तार है। फर, स्पूस, हिकोरी, सुगी-नुकीली पत्ती वाले; मैपिल, बूना, पॉपलर, ओक-चौड़ी पत्ती के वृक्ष महत्त्वपूर्ण हैं। शंकुल वनों का विस्तार 60,000 वर्ग किमी क्षेत्र पर है। इन वृक्षों को चीरकर विभिन्न वस्तुएँ तथा कागज उद्योग के लिए लुग्दी बनायी जाती है।
  2. चीन – चीन में केवल 40% भाग पर ही वन छाये हुए हैं। जनसंख्या में भारी वृद्धि के कारण कृषि के विकास के लिए भारी पैमाने पर वनों का विनाश किया गया है। केवल पश्चिमी एवं दक्षिणी पहाड़ी भागों पर ही वन मिलते हैं। फर, स्थूस, हेमलॉक, ओक, चेस्टनट आदि मुख्य वृक्ष हैं।
  3. म्यांमार – यहाँ 200 सेमी से अधिक वर्षा वाले भागों में सदापर्णी एवं 100 से 200 सेमी वर्षा वाले भागों में पर्णपाती मानसूनी वन मिलते हैं। इरावदी नदी के बेसिन में विश्वविख्यात सागौन के वृक्ष पाये जाते हैं। यहाँ से लकड़ी काटकर हाथियों द्वारा ढोयी जाती है। रंगून नगर से सागौन की लकड़ी विदेशों को निर्यात की जाती है।
  4. भारत – भारत में 200 सेमी से अधिक वर्षा वाले भागों में, प्रमुख रूप से असम के पहाड़ी ढालों एवं पश्चिमी घाट पर, सदापर्णी वन मिलते हैं। 100 से 200 सेमी वर्षा वाले भागों में मानसूनी वन मिलते हैं जिनकी लकड़ी फर्नीचर एवं इमारती कार्यों में प्रयुक्त की जाती है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं छोटा-नागपुर का पठार इन लकड़ियों के लिए प्रसिद्ध हैं। रेल विभाग द्वारा यहीं से लकड़ी डिब्बों एवं स्लीपरों के लिए मँगायी जाती है। पर्वतीय क्षेत्रों से ईंधन की लकड़ी प्राप्त होती है। यहीं से कुछ कोमल प्रकार की लकड़ी कागज एवं दियासलाई बनाने में प्रयुक्त की जाती है।

(6) ऑस्ट्रेलिया – इस महाद्वीप के केवल 4% भाग पर वन मिलते हैं। वनों का 50% भाग शीतोष्ण कटिबन्धीय है। कॉरीगम वृक्ष मुख्य है जो 50 मीटर से 90 मीटर तक ऊँचा होता है। दक्षिणी-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया एवं तस्मानिया द्वीप में वन अधिक मिलते हैं। आर्द्र भागों में यूकेलिप्टस के वृक्ष बहुतायत में मिलते हैं।

न्यूजीलैण्ड द्वीप का 20% भाग वनों से आच्छादित है। यहाँ के प्रमुख वृक्ष कॉरीगम, पाइन, टोटोरा, तवा एवं बीच हैं।
उपर्युक्त आधार पर विश्व में लकड़ी की कटाई एवं चिराई का कार्य निम्नलिखित प्रदेशों में उल्लेखनीय है –

  1. मानसूनी प्रदेशों के पतझड़ वाले वनों में साल, सागौन, शीशम, साखू आदि सुन्दर एवं टिकाऊ लकड़ी के वृक्ष भारी संख्या में पाये जाते हैं।
  2. सामान्य गर्मी वाले समशीतोष्ण प्रदेशों में यूकेलिप्टस, ओक आदि दीमकों से नष्ट न होने वाले वृक्ष मिलते हैं।
  3. सामान्य शीत वाले समशीतोष्ण प्रदेशों में टिकाऊ लकड़ी के वृक्ष-मैपिल, बर्च, बीच, बलूत, पोपलर आदि वृक्षों की अधिकता होती है।
  4. शंकुल वनों में कागज की लुग्दी, कागज, दियासलाई, तारपीन का तेल आदि के लिए उपयुक्त चीड़, देवदार, स्पूस, फर आदि कोमल लकड़ी के वृक्ष बहुतायत में पाये जाते हैं।
  5. भूमध्यरेखीय वनों में जहाँ सघनता कम है एवं नदियाँ उपलब्ध हैं, वहाँ महोगनी, एबोनी, रोजवुड, ग्रीनवुड, हार्डवुड, रबड़ आदि की मजबूत एवं टिकाऊ लकड़ियों के वृक्ष मिलते हैं।

यह बात विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है कि दक्षिणी गोलार्द्ध में वन क्षेत्रफल उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा न केवल कम है, बल्कि ये क्षेत्र विश्व के औद्योगिक क्षेत्रों एवं बाजारों से दूर पड़ते हैं। अत: इन प्रदेशों की लकड़ियाँ बिना काटे ही रह जाती हैं। इसीलिए आर्थिक दृष्टिकोण से इन वनों की लकड़ी महत्त्व नहीं रखती।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
क्षयी और अक्षयी संसाधन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर
पृथ्वी से प्राप्त विभिन्न प्रकार की धातुएँ खनिज क्षयी संसाधनों की श्रेणी में आती हैं। वास्तव में खनिज भण्डार इतनी तेजी से घट रहे हैं कि भविष्य में उनके अभाव से एक विकट समस्या उत्पन्न हो जाएगी। अतः ऐसे खनिज पदार्थ जो धीरे-धीरे कम हो रहे हैं, उन्हें क्षयी संसाधन कहा जाता है। इसके विपरीत वे पदार्थ जो बहुत अधिक समय तक रहेंगे; जैसे-सौर ऊर्जा, वायु, जल, वनस्पति, जीव-जन्तु तथा मानव आदि को अक्षयी संसाधन कहा जाता है।

प्रश्न 2
नव्यकरणीय एवं अनव्यकरणीय संसाधनों के बारे में आप क्या जानते हैं?
या
नव्यकरणीय एवं अनव्यकरणीय संसाधनों के बीच विभेद कीजिए। [2011, 13, 16]
उत्तर
ऐसे संसाधन जो एक बार प्रयोग करने के पश्चात् फिर प्रयोग किये जा सकें, नव्यकरणीय संसाधन कहे जाते हैं; जैसे-जल, पवन, सूर्य-ऊर्जा आदि ऐसे संसाधन हैं जो सतत उपयोग करने पर फिर उत्पन्न होते रहते हैं; परन्तु कुछ संसाधन ऐसे होते हैं जिसका एक बार उपयोग करने पर फिर उन्हें प्रयोग में नहीं लाया जा सकता; जैसे-कोयला। ऐसे संसाधनों को अनव्यकरणीय संसाधन कहा जाता है।

प्रश्न 3
संसाधनों के ‘संरक्षण’ पर टिप्पणी लिखिए। [2010]
उत्तर
संसाधनों के संरक्षण से अभिप्राय यह है कि जिन पदार्थों व वस्तुओं के प्रयोग के विषय में मानव को ज्ञान है, उनसे वह अधिकाधिक उपयोगिता हासिल करे। इस दिशा में संसाधनों का ऐसा प्रबन्ध किया जाए, जिससे वे अधिक लम्बे समय तक अधिकाधिक मनुष्यों की अधिकतम आवश्यकता की पूर्ति कर सकें। एली के अनुसार, “संरक्षण वर्तमान पीढ़ी या भावी पीढ़ी के लिए त्याग है।” डॉ० मैकनाल के अनुसार, “संरक्षण का आशय किसी संसाधन का ऐसा उपयोग है जिससे मनुष्य जाति की आवश्यकताओं की पूर्ति सर्वोत्तम रीति से हो सके।” संरक्षण का महत्त्व निम्नलिखित रूप से स्पष्ट होता है –

  1. बचत की भावना का विकास होता है।
  2. संरक्षण से बरबादी या दुरुपयोग को रोका जा सकता है।
  3. विवेकपूर्ण उपयोग भविष्य के लिए संसाधनों में बचत को प्रोत्साहित करता है।
  4. भविष्य में संसाधनों के नष्ट होने पर गहरा संकट केवल संरक्षण द्वारा ही दूर किया जा सकता है।
  5. पारिस्थितिक सन्तुलन को बनाये रखने के लिए भी संरक्षण आवश्यक है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
संसाधन से क्या तात्पर्य है? (2007)
या
संसाधन को परिभाषित कीजिए। [2012, 16]
उत्तर
कोई भी वह पदार्थ जो मानव के लिए उपयोगी हो अथवा प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से मानव की कुछ उपयोगिता करता हो, संसाधन कहलाता है।

प्रश्न 2
प्राकृतिक संसाधन किन्हें कहते हैं? [2007, 08, 10, 11, 16]
या
प्राकृतिक संसाधन को उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए। [2014, 16]
उत्तर
वे संसाधन जो प्रकृति द्वारा मनुष्य को नि:शुल्क प्रदान किये जाते हैं और जो मानव के लिए उपयोगी होते हैं, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं; जैसे-वायु, जल, सौर ऊर्जा, खनिज, जीव-जन्तु आदि।

प्रश्न 3
क्या मानव स्वयं भी एक संसाधन है?
उत्तर
वास्तव में मानव स्वयं में एक बहुत बड़ा संसाधन है, जो प्रकृति की विभिन्न वस्तुओं को अपने ज्ञान और क्षमता के द्वारा उपयोगी बनाता है।

प्रश्न 4
विश्व के कुछ प्रमुख संसाधनों के नाम बताइए।
उत्तर
विश्व के कुछ प्रमुख संसाधन हैं- मानव, कोयला, खनिज तेल, जल, खनिज, पशु-सम्पदा, मत्स्य आदि।

प्रश्न 5
वर्तमान काल में ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत क्या है?
उत्तर
वर्तमान काल में ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत ‘खनिज तेल है, क्योंकि ऊर्जा के अतिरिक्त खनिज तेल से 8,000 अन्य प्रकार की उपवस्तुएँ भी प्राप्त की जाती हैं।

प्रश्न 6
संसार के चार प्रमुख मछली उत्पादक देशों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. चीन,
  2. जापान,
  3. भारत तथा
  4. संयुक्त राज्य अमेरिका।

प्रश्न 7
दो नव्यकरणीय संसाधनों का उल्लेख कीजिए। [2008]
उत्तर

  1. जल तथा
  2. पवन-दो नव्यकरणीय संसाधन हैं। ये संसाधन निरन्तर बने रहते हैं। अथवी चक्रीय स्वरूप में प्राप्त हो जाते हैं।

प्रश्न 8
लकड़ी उत्पादन के चार प्रमुख देशों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
लकड़ी उत्पादन के चार प्रमुख देश हैं-संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, रूस व नावें।

प्रश्न 9
एशिया में लकड़ी उत्पादन वाले चार देशों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
एशिया में लकड़ी उत्पादन वाले चार देश हैं-जापान, चीन, म्यांमार तथा भारत।

प्रश्न 10
मानव संसाधन किसी भी देश के लिए आवश्यक साधन क्यों है?
उत्तर
मानवीय शक्ति द्वारा ही प्राकृतिक सम्पदा का दोहन करके आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास सम्भव होता है; अत: मानव संसाधन किसी भी देश के लिए एक आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण साधन है।

प्रश्न 11
मुख्य भौतिक संसाधनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
मुख्य भौतिक संसाधन हैं-खनिज पदार्थ, जल, भूमि, वन, वायु, मिट्टी, धरातल आदि।

प्रश्न 12
चार अक्षयी संसाधनों का नामोल्लेख कीजिए। [2007, 08]
उत्तर
चार अक्षयी संसाधन हैं-मिट्टी, जल, वायु तथा सौर ऊर्जा।

प्रश्न 13
विश्व में लकड़ी का उत्पादन करने वाले उस देश के नाम का उल्लेख कीजिए जो औद्योगिक लकड़ी का 76% भाग पूरा करता है।
उत्तर
संयुक्त राज्य अमेरिका।

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1
“मनुष्य का ज्ञान ही सबसे बड़ा संसाधन है।” यह कथन है –
(क) मैकनाल का
(ख) जिम्मरमैन का
(ग) कु० सैम्पुल का
(घ) डॉ० डेविस का
उत्तर
(ख) जिम्मरमैन का।

प्रश्न 2
निम्न में से कौन जैविक संसाधन है? [2011, 12, 15, 16]
(क) मिट्टी
(ख) जस्ता
(ग) वनस्पति
(घ) वायु
उत्तर
(ग) वनस्पति।

प्रश्न 3
वायु, जल, सौर ऊर्जा, भूमि व धरातल, मिट्टी, प्राकृतिक वनस्पति, खनिज पदार्थ एवं जीव-जन्तु हैं –
(क) मानवीय संसाधन
(ख) प्राकृतिक संसाधन
(ग) (क) व (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(ख) प्राकृतिक संसाधन।

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प्रश्न 4
विश्व के कुल मछली उत्पादन का सागरों से प्राप्त होने वाला भाग है –
(क) 70 प्रतिशत
(ख) 90 प्रतिशत
(ग) 88 प्रतिशत
(घ) 84 प्रतिशत
उत्तर
(ग) 88 प्रतिशत।

प्रश्न 5
ऊर्जा के निम्नलिखित स्रोतों में से कौन-सा स्रोत नवीकरणीय नहीं है?
(क) ज्वार ऊर्जा
(ख) सौर ऊर्जा
(ग) जल-विद्युत
(घ) ताप-विद्युत
उत्तर
(घ) ताप-विद्युत।

प्रश्न 6
निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा का नव्यकरणीय स्रोत नहीं है ? (2009)
(क) भू-ताप
(ख) वायु
(ग) जल
(घ) खनिज तेल
उत्तर
(घ) खनिज तेल।

प्रश्न 7
निम्नलिखित में से कौन अक्षय संसाधन है? (2014)
(क) कोयला
(ख) लौह-अयस्क
(ग) सौर ऊर्जा
(घ) मैंगनीज
उत्तर
(क) सौर ऊर्जा।

प्रश्न 8
निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है? (2014)
(क) ज्वारीय ऊर्जा
(ख) सौर ऊर्जा
(ग) ताप विद्युत
(घ) जल-विद्युत
उत्तर
(क) तापविद्युत।

प्रश्न 9
निम्नलिखित में से कौन-सा नव्यकरणीय संसाधन है? (2015)
(क) पेट्रोलियम
(ख) लौह-अयस्क
(ग) जल
(घ) कोयला
उत्तर
(ग) जल

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UP Board Solutions for Class 12 English Poetry Short Stories Chapter 1 The Gold Watch

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Board CBSE
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject English Poetry Short Stories
Chapter Chapter 1
Chapter Name The Gold Watch
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 English Poetry Short Stories Chapter 1 The Gold Watch

STORY at a Glance

AS Sanku was a low-paid worker at a factory. He was very poor. His mother had died. He had a wife and two children. A third child was expected to come soon. He had to take loan from his fund to attend the death anniversary of his mother. So he was to pay the loan with interest. He owed some money to the store-keeper and tea- vendor. He owed some money to the fish woman also. There were also some other urgent needs of the family.

Thus Sanku was surrounded by many domestic problems. He was so much worried that he could not sleep in the night also. He was very much confused and disturbed. He tried to find out the way to end his misery. But he could not get any solution. Sanku had seen a gold watch on the table of the engineer. The engineer was his boss. He had seen that the watch remained lying on the table when the engineer went on lunch. So Sanku was tempted to steal it. He had no other alternative to solve his problems. He thought he would get a considerable amount of money by selling it. One day at 1 o’clock the bell rang for interval. Everybody was in a hurry to go out. The engineer also went home. His watch was still lying on the table. There was nobody in the office. So Sanku thought it was the best time to steal the watch. He went into the office. But he was very nervous. He was afraid of being caught red-handed. His heart throbbed. But his urgent needs prompted him not to go back. So he gathered courage and put the watch into his pocket with trembling hands. Then he came out.

Now he was again trembling with fear. He doubted that somebody had seen him. He thought he would be checked by the watchman at the gate. He would be dismissed from his service. So he was again much confused. He could not control his feelings. So he again went to the office, saw in all directions and put the watch back at its place. Thus his problems and miseries remained unsolved.

कहानी पर एक दृष्टि

संकू एके कारखाने में कम वेतन वाला मजदूर था। वह बहुत गरीब था। उसकी माता का देहान्त हो गया था। उसकी एक पत्नी और दो बच्चे थे। एक तीसरे बच्चे के आने की शीघ्र आशा थी। उसे अपनी माँ की बरसी में जाने के लिए अपने फण्ड में से कर्जा लेना पड़ा था। इसलिए उसे वह कर्जा ब्याज सहित चुकाना था। कुछ धन उसे दुकानदार को तथा कुछ धन चाय वाले को देना था। मछली वाली औरत का भी धन उधार था। परिवार की और बहुत-सी जरूरी आवश्यकताएँ थीं।।

इस प्रकार संकू अनेक घरेलू समस्याओं से घिरा हुआ था। वह इतना परेशान था कि रात को सों भी नहीं सकता था। वह बड़ा घबराया हुआ और चिन्तित था। वह अपने इन दुःखों को समाप्त करने का तरीका ढूंढ़ने की कोशिश करता था। किन्तु कोई हल नहीं ढूंढ़ सका। संकू ने इन्जीनियर की मेज पर एक सोने की घड़ी देखी। इन्जीनियर उसका अफसर था। उसने देखा कि जब इन्जीनियर दोपहर का भोजन करने जाता था तब भी घड़ी वहीं पड़ी रहती थी। इसलिए संकू को लालच आ गया कि वह उसे चुरा ले। अपनी समस्याओं को हल करने का उसके पास कोई और विकल्प था भी नहीं। उसने सोचा कि इसे बेचकर उसे काफी धन मिल जाएगा। एक दिन दोपहर को एक बजे मध्यान्तर की घण्टी बजी। प्रत्येक व्यक्ति बाहर जाने के लिए जल्दी में था। इन्जीनियर साहब भी घर चले गए। उनकी घड़ी अब भी मेज पर पड़ी थी। दफ्तर में कोई व्यक्ति नहीं था। इसलिए संकू ने सोचा कि घड़ी चुराने का यह सबसे अच्छा समय है। वह दफ्तर में गया। किन्तु वह बहुत घबराया हुआ था। उसे रंगे हाथों पकड़े जाने का भय था। उसका हृदय धड़क रहा था। किन्तु उसकी जरूरी

आवश्यकताएँ उसे पीछे न हटने के लिए प्रेरित कर रही थीं। इसलिए उसने साहस बटोरा और काँपते हुए हाथों से घड़ी को अपनी जेब में रख लिया। फिर वह बाहर आया। अब वह पुन: भय से काँप रहा था। उसे सन्देह हुआ कि किसी ने उसे देख लिया है। उसने सोचा कि गेट पर चौकीदार उसे रोक लेगा। उसे नौकरी से हटा दिया जाएगा। वह पुनः घबरा गया। वह अपनी भावनाओं पर नियन्त्रण न कर सका। इसलिए वह दफ्तर में पुनः गया। चारों ओर देखा और घड़ी को वापस उसी स्थान पर रख दिया। इस प्रकार उसकी समस्याएँ और दुःख बिना हल किए ही रहे।

Understanding the Text

Short Answer Type Questions

Answer two of the following questions in not more than 30 words each :
Question 1.
Where did Sanku work? 
[2012]
(संकू कहाँ कार्य करता था ?)
Answer.
Sanku worked in a factory.
(संकू एक कारखाने में काम करता था।).

Question 2.
What were Sanku’s problems and how did he plan to solve them ? [2009, 12, 17, 18]
(संकू की क्या समस्याएँ थीं और उन्हें हल करने के लिए उसने क्या योजना बनाई ?)
Answer.
There were mainly two problems before Sanku :
(1) to meet the expenses of his family in his small income, and
(2) to repay the loan which he owed to different people. Sanku had only one way to solve these problems, to pick up the gold watch from the office table of his officer and to get money by selling it.

(संकू के सामने दो मुख्य समस्याएँ थीं

(1) अपनी छोटी आमदनी में परिवार के खर्चे को पूरा करना, और
(2) वह कर्जा चुकाना जो उसने भिन्न-भिन्न लोगों से ले रखा था। संकू के सामने इन समस्याओं को हल करने का एक ही रास्ता था कि वह अपने अफसर के दफ्तर की मेज से घड़ी उठाए और उसे बेचकर धन प्राप्त करे।)

Question 3.
What time of the day did Sanku think was the most suitable for stealing the gold watch and why?[2014]
(सोने की घड़ी चुराने के लिए संकू ने सबसे उपयुक्त समय कौन-सा सोचा और क्यों ?)
Answer.
Sanku thought that interval was the most suitable time for stealing the gold watch because at this time everyone went out for lunch.
(संकू ने सोचा कि मध्यान्तर का समय सोने की घड़ी चुराने के लिए सबसे उपयुक्त समय है, क्योंकि इस समय सभी लोग दोपहर के भोजन के लिए बाहर जाते हैं।)।

Question 4. 
What did Sanku’s wife ask him to bring from the market ? [2016]
(संकू की पत्नी ने उससे बाजार से क्या लाने को कहा ?)
Answer.
Sanku’s wife asked him to bring from the market ointment for the sores on her child’s body and two bananas also.
(संकू की पत्नी ने उससे बाजार से अपने बच्चे के शरीर पर हो रहे घावों के लिए मरहम और दो केले लाने को कहा।)

Question 5.
What stopped Sanku from stealing the watch in the beginning ?
(आरम्भ में संकू को कौन-सी बात ने घड़ी चुराने से रोका ?) [2018]
Answer.
Sanku was afraid of being caught. So this thing stopped Sanku from stealing the watch.
(संकू को पकड़े जाने का भय था। इस बात ने उसे घड़ी चुराने से रोका।)

Question 6.
Why could he no longer postpone the act of stealing ?
(चोरी करने के कार्य को वह और अधिक क्यों नहीं टाल सका ?)
Answer.
Sanku had many urgent needs. He needed money very soon. So he could no longer postpone the act of stealing.
(संकू की बहुत-सी जरूरी आवश्यकताएँ थीं। उसे बहुत शीघ्र धन की आवश्यकता थी। इसलिए वह चोरी करने के काम को और अधिक नहीं टाल सका।)

Question 7.
What made Sanku decide that he had no other choice but to steal ? [2009]
(कौन-सी बात ने संकू को यह निश्चय करने के लिए बाध्य किया कि चोरी करने के अतिरिक्त उसके पास और कोई विकल्प नहीं है ?)

Or 

Why did Sanku steal the watch ? [2010, 15, 16, 18]
(संकू ने घड़ी क्यों चुराई ?)
Answer.
Sanku’s urgent needs and pressure of the people to pay loan made him decide that he had no other choice but to steal.
(संकू की आवश्यकताओं ने तथा लोगों के दबाव ने कि वह कर्जा चुकाए, यह निश्चय करने के लिए बाध्य कर दिया कि चोरी करने के अतिरिक्त उसके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है।)

Question 8.
Describe how Sanku steals the gold watch ?
(वर्णन कीजिए कि संकू सोने की घड़ी कैसे चुराता है ?)

Or

At what time did Sanku decide to steal the watch and why? [2014]
(संकू ने घड़ी को किस समय और क्यों चुराने का निश्चय किया?)
Answer.
One day Sanku saw that his engineer had gone to lunch and his watch was lying on his table. So he went into the office, looked all around him and put the watch into his pocket with trembling hands.
(एक दिन संकू ने देखा कि उसका इन्जीनियर दोपहर के भोजन पर गया हुआ है और उसकी घड़ी उसकी मेज पर पड़ी हुई है। अत: वह दफ्तर में गया, अपने चारों ओर देखा और काँपते हुए हाथों से घड़ी को जेब में रख लिया।)

Question 9.
Why did Sanku curse himself ? [2011, 18] 
(संकू ने स्वयं को क्यों कोसा ?)
Answer.
When Sanku knew that his wife was pregnant, he thought that it would be another burden on him. So he cursed himself.
(जब संकू को पता लगा कि उसकी पत्नी गर्भवती है, तब उसने सोचा कि यह उस पर एक दूसरा बोझ होगा। अत: उसने स्वयं को कोसा।)

Question 10.
What were Sanku’s feelings before stealing the watch? .
(घड़ी चुराने से पहले संकू की क्या भावनाएँ थीं ?)

Or

Why did Sanku hesitate and was afraid of stealing the watch in the beginning? [2014]
(आरम्भ में संकू घड़ी चुराने से क्यों भयभीत था और क्यों संकोच कर रहा था?)
Answer.
Sanku was much afraid before stealing the watch. He feared that someone might see him. He was nervous. His heart throbbed.
(संकू घड़ी को चुराने से पहले भयभीत था। उसे भय था कि कोई उसे देख न ले। वह घबराया हुआ था। उसका हृदय धड़क रहा था।)

Question 11.
What thoughts troubled Sanku after committing the theft ? [2015, 17, 18]
(चोरी करने के बाद कौन-से विचार संकू को परेशान कर रहे थे ?)

Or

Describe the behaviour of Sanku after he had committed the theft.
(चोरी करने के बाद संकू के व्यवहार को वर्णन कीजिए।)

Or

Why did Sanku feel suffocated?[2017] |
(संकू ने घुटन महसूस क्यों की?)
Answer.
After committing the theft Sanku feared that somebody had seen him stealing the watch. He would be caught as a thief. He would be dismissed. These thoughts troubled Sanku very much.

(चोरी करने के बाद संकू को यह भय हुआ कि किसी ने उसे घड़ी चुराते हुए देख लिया होगा। वह चोर मानकर पकड़ा जाएगा। उसे नौकरी से हटा दिया जाएगा। इन विचारों ने संकू को बहुत परेशान किया।)

Question 12.
‘Sanku was essentially an honest man.’Do you agree with the statement? Give reasons in support of your
[2010,1]
(‘संकू निश्चित रूप से एक ईमानदार व्यक्ति था। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? अपने उत्तर की 
पुष्टि में कारण दीजिए।) Answer.
I fully agree with the statement that Sanku was essentially an honest man. He stole the watch under compulsion of his poverty. But he could not keep it with him and put back on the table of his officer. So it also shows that he was honest.

(मैं इस कथन से पूर्ण रूप से सहमत हूँ कि संकू निश्चित रूप से एक ईमानदार व्यक्ति था। उसने गरीबी की विवशता में घड़ी चुराई। किन्तु वह इसे अपने पास नहीं रख सका और उसने उसे वापस अपने ऑफीसर की मेज पर रख दिया। अत: यह बात प्रदर्शित करती है कि वह एक ईमानदार व्यक्ति था।)

Question 13.
What made Sanku put the watch back on the table ?[2011]
(कौन-सी बात ने संकू को घड़ी वापस मेज पर रखने को बाध्य किया ?)
Answer.
Sanku put the watch back on the table because he was afraid of being caught and punished.
(संकू ने घड़ी को वापस मेज पर रख दिया, क्योंकि उसे पकड़े जाने तथा दण्डित होने का भय था।). .

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UP Board Solutions for Class 12 English Poetry Short Poems Chapter 10 The Song of the Free

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject English Poetry short Poems
Chapter Chapter 10
Chapter Name The Song of the Free
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 English Poetry Short Poems Chapter 10 The Song of the Free

About the Poet : Swami Vivekanand was not only a saint and philosopher but also a poet. He lived only for a brief span of forty years, he gave his lofty ideas on religion and philosophy to the people and became immortal in the whole world. Under the influence of Ramakrishna Paramhansa, he became a reformer and religious teacher. Now his followers and disciples are found all over the world.

About the Poem : Swami Vivekanand’s poem ‘The Song of the Free’ is a famous poem in which he expresses his views on the philosophy of ‘Advaitvad’. The stanzas of the present poem have been extracted from his long poem with the same title. The poet uman life is surrounded with so many sufferings and difficulties. But we should not be disheartened. We have a definite aim of our life and we should know it. Then in spite of all odd situations, we should march on to achieve it.

Central Idea                                                                                                                       [2010, 12, 14, 17, 18]
In this poem the poet teaches us the philosophy of ‘Advaitvad. He says that the world is full of pain, misery, troubles and difficulties. Sometimes our fate and nature also do not favour us. Our friends betray us. Yet we should remember that every black cloud has a silver lining. We have a divine soul which always prompts us to follow the right path. The ups and downs of life give us an opportunity to show our best powers. So we should have faith in God and in our power and should march on the right path to achieve the goal of life.

(इस कविता में कवि हमें अद्वैतवाद की विचारधारा की शिक्षा देता है। वह कहता है कि यह संसार दु:ख, कष्ट और कठिनाइयों से भरा हुआ है। कभी-कभी हमारा भाग्य और प्रकृति भी साथ नहीं देती। हमारे मित्र हमारे साथ विश्वासघात करते हैं। फिर भी हमें याद रखना चाहिए कि प्रत्येक काले बादल में सफेद रेखा होती है। हमारे पास एक दिव्य आत्मा है जो हमें सदा सही मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करती है। जीवन के उतार-चढ़ाव हमें अपनी सर्वोत्तम शक्तियों का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करते हैं। इसलिए हमें भगवान् और अपनी शक्ति में विश्वास रखना चाहिए और जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सही मार्ग पर आगे बढ़ते रहना चाहिए।).

EXPLANATIONS (With Meanings & Hindi Translation) LIZE
(1)
The wounded snake its hood unfurls,
The flame stirred up doth blaze,
The desert air resounds the calls of heart-struck Lion’s rage : [2018]
The cloud puts forth its deluge strength
When lightening cleaves its breast,
When the soul is stirred to its inmost depth
Great ones unfold their best ! [2009, 11, 12, 13, 17]

इस पद्यांश में कवि का तात्पर्य है कि यदि तुम चारों ओर से विपत्तियों से घिरे हुए हो-न तुम्हारा भाग्य साथ दे रहा हो और न प्रकृति-ऐसी स्थिति में भी तुम्हारे अन्दर एक दिव्य शक्ति है। इसलिए अपने जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निरन्तर आगे बढ़ते रहो और समार्ग का त्याग मत करो। निश्चित रूप से तुम्हें सफलता मिलेगी।)

Reference : This stanza has been taken from the poem The Song of the Free composed by Swami Vivekanand, a saint, philosopher and a poet.

Context : This poem reveals the message of Swami Vivekanand to every human being. He gives some examples to show that there are so many difficulties in the life of everyone. It is our duty to face them boldly and then we shall become great.

Explanation : In this concluding stanza the poet says that life of man is full of so many difficulties, troubles, miseries, etc. Fate and nature also seem not to favour him. Friends also betray him. There may be many ups and downs in the life. Yet he should not leave the right path and should not lose heart. He should remember that he has a divine power with him. So he should march on boldly to achieve the real aim of life. Success must come.

(इस अन्तिम पद्यांश में कवि कहता है कि मनुष्य का जीवन बहुत-सी परेशानियों, कठिनाइयों और दुःखों से भरा हुआ है। भाग्य और प्रकृति भी उसका साथ देती हुई दिखाई नहीं देतीं। मित्र भी उसके साथ विश्वासघात कर जाते हैं। जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव भी आ सकते हैं। फिर भी उसे सद्मार्ग को नहीं छोड़ना चाहिए। और साहस भी नहीं छोड़ना चाहिए। उसे याद रखना चाहिए कि उसके पास दिव्य शक्ति है। अत: उसे जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए बहादुरी से आगे बढ़ना चाहिए। सफलता अवश्य मिलेगी।)

[Word-meanings : wounded= घायल injured; ho०d=सर head; unfurls = खोलना, फैलाना unfold; stirred up = उत्तेजित करना, तेज करना; blaze = चमकना, तेजी से जलना to bum with flame; resounds = पूँज होती है echoes; desert = रेगिस्तान; rage = क्रोध anger; deluge = मूसलाधार बारिश heavy rainfall; cleaves = चीर देती है splits; stirred = झकझोरना agitated; unfold = प्रकट करते हैं reveal.]

(साँप के ऊपर जब वार किया जाता है और वह जख्मी हो जाता है तभी अपना सिर उठाता है। जब शिकारी का तीर या गोली शेर को लगती है तभी आक्रामक गुस्से से भरी उसकी गरज पूरे जंगल में गूंजती है। जब आकाश की बिजली बादल का सीना चीर देती है अर्थात् पूरे जोर से चमकती है तभी बादल जोर की वर्षा करते हैं। इसी प्रकार जब आत्मा की गहराई में हलचल होती है अर्थात् अन्तरात्मा में भाव उत्पन्न होते हैं। तभी महान् व्यक्ति अपने सर्वोत्तम विचार प्रकट करते हैं।)

Reference : This stanza has been taken from the poem The Song of the Free composed by Swami Vivekanand, a saint, philosopher and a poet.

Context : This poem reveals the message of Swami Vivekanand to every human being. He gives some examples to show that there are so many difficulties in the life of everyone. It is our duty to face them boldly and then we shall become great.

Explanation : In this opening stanza the poet says that the snake shows its head when it is hurt. When the flame is excited, it burns brightly. When the lion is struck by the hunter’s arrow or bullet, its angry roars can be heard in the whole forest. When violent lightening is seen in the sky, it rains heavily. In the same way when the inner soul is stirred up, great ideas come out from within because the character of inner soul is divine.

(इस प्रथम पद्यांश में कवि कहता है कि साँप उस समय अपना सिर उठाता है जब इसे चोट पहुँचायी जाए। जब ज्वाला को उत्तेजित किया जाता है तब यह और तेजी से जलती है। जब शेर पर शिकारी का तीर या गोली लगती है तब इसकी क्रोध भरी गरज पूरे जंगल में सुनी जा सकती है। जब बहुत तेज चमकती हुई बिजली आकाश में दिखायी देती है तब भारी वर्षा होती है। इसी प्रकार जब अन्तरात्मा को उद्वेलित किया जाता है तब अन्दर से महान् विचार उत्पन्न होते हैं, क्योंकि अन्तरात्मा का लक्षण ईश्वरीय है।)

(2)
Let eyes grow dim and heart grow faint
And friendship fail and love betray.
Let fate its hundred horrors send
And clotted darkness block the way [2018]

And nature wore one angry frown
To crush you out—still know my soul;
You are divine, March on and on
Nor right nor left, but to the goal ! [2017, 18]

[Word-meanings : faint = कमजोर weak; fail=छोड़ जाते हैं abandon; betray=विश्वासघात करना to be disloyal; clotted darkness=पूर्ण अन्धकार complete darkness; block=रोकना hinder; frown =त्यौरी gloomy look; divine = ईश्वरीय Godly; nor right nor left =सही मार्ग पर अडिग unshaken not leaving the right path.]

(चाहे आँखों का प्रकाश धुंधला हो जाए, हृदये कमजोर हो जाए, सभी मित्र छोड़कर चले जाएँ, प्रेम विश्वासघात कर जाए, भाग्य भी चाहे सैकड़ों विपत्तियाँ भेज दे और पूर्ण अन्धकार तुम्हारे मार्ग में बाधा उत्पन्न कर दे अर्थात् कुछ भी दिखाई न दे और प्रकृति भी तुमसे नाराज होकर तुम्हें कुचल डाले। तब भी ऐ मेरे प्रिय ! याद रखो कि फिर भी तुम दिव्य हो। आगे बढ़ते रहो और न अपने दाएँ देखो न बाएँ बल्कि अपने जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आगे बढ़ते रहो। इस पद्यांश में कवि का तात्पर्य है कि यदि तुम चारों ओर से विपत्तियों से घिरे हुए हो-न तुम्हारा भाग्य साथ दे रहा हो और न प्रकृति-ऐसी स्थिति में भी तुम्हारे अन्दर एक दिव्य शक्ति है। इसलिए अपने जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निरन्तर आगे बढ़ते रहो और समार्ग का त्याग मत करो। निश्चित रूप से तुम्हें सफलता मिलेगी।)

Reference : This stanza has been taken from the poem The Song of the Free composed by Swami Vivekanand, a saint, philosopher and a poet.

Context : This poem reveals the message of Swami Vivekanand to every human being. He gives some examples to show that there are so many difficulties in the life of everyone. It is our duty to face them boldly and then we shall become great.

Explanation : In this concluding stanza the poet says that life of man is full of so many difficulties, troubles, miseries, etc. Fate and nature also seem not to favour him. Friends also betray him. There may be many ups and downs in the life. Yet he should not leave the right path and should not lose heart. He should remember that he has a divine power with him. So he should march on boldly to achieve the real aim of life. Success must come.

(इस अन्तिम पद्यांश में कवि कहता है कि मनुष्य का जीवन बहुत-सी परेशानियों, कठिनाइयों और दुःखों से भरा हुआ है। भाग्य और प्रकृति भी उसका साथ देती हुई दिखाई नहीं देतीं। मित्र भी उसके साथ विश्वासघात कर जाते हैं। जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव भी आ सकते हैं। फिर भी उसे सद्मार्ग को नहीं छोड़ना चाहिए। और साहस भी नहीं छोड़ना चाहिए। उसे याद रखना चाहिए कि उसके पास दिव्य शक्ति है। अत: उसे जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए बहादुरी से आगे बढ़ना चाहिए। सफलता अवश्य मिलेगी।)

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