UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 8 बाग

UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 8 बाग

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अभ्यास

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर के सामने सही (✓) का निशान लगाइए –

(i) फलदार वृक्ष होते हैं –

(क) अल्प आयु
(ख) दीर्घायु
(ग) एक वर्षीय
(घ) द्विवर्षीय

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(ii) बाग के लिए सबसे उपयुक्त मृदा है –

(क) दोमट 
(ख) बलुई
(ग) काली
(घ) लाल

(iii) नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं –

(क) बीज से
(ख) तने से
(ग) जड़ से
(घ) उपर्युक्त सभी से 

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

(क) शहर के पास की भूमि में षट्भुजाकार विधि से पौधे लगाए जाते हैं।
(ख) बाग की सुरक्षा के लिए चारों तरफ बाड़ लगाई जाती है।
(ग) बाग लगाने की सबसे प्रचलित वर्गाकार विधि है।

प्रश्न 3.
दिए गए प्रश्नों में सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत के सामने गलत (✗) का निशान लगाइए –

(क) बाग लगाने की कंटूर विधि मैदानी क्षेत्रों में अफ्नाई जाती है। (✗)
(ख) बाग लगाने की वर्गाकार विधि सबसे प्रचलित विधि है। (✓)
(ग) बाग लगाने की पंचकोणीय विधि को पूरक विधि के नाम से जाना जाता है। (✓)

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों में सत्य व असत्य कथन छाँटिए –

(क) पौधशाला में मातृ वृक्ष पूर्णतः स्वस्थ होना चाहिए। (सत्य)
(ख) नर्सरी हेतु क्यारियाँ जमीन से नीची होनी चाहिए। (असत्य)
(ग) नर्सरी के लिए मृदा बलुई या बलुई दोमट होनी चाहिए। (सत्य)
(घ) संवेष्टन क्षेत्र में खादों का रख-रखाव होता है। (असत्य।)

प्रश्न 5.
बाग लगाने की किस विधि में 15 प्रतिशत पौधे अधिक लगाए जाते हैं?
उत्तर :
षट्भुजाकार विधि में

प्रश्न 6.
कंटूर विधि द्वारा पौधे किन क्षेत्रों में लगाए जाते हैं?
उत्तर :
पहाड़ी क्षेत्रों में।

प्रश्न 7.
बाग क्यों लगाते हैं?
उत्तर :
बाग आहार उपलब्ध कराने, पर्यावरण सन्तुलन बनाने तथा (UPBoardSolutions.com) प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ाने वाले होते हैं। इन्हीं कारणों से लोग बाग लगाते हैं।

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प्रश्न 8.
बाग लगाने की कौन-कौन सी विधियाँ हैं?
उत्तर :
बाग लगाने की निम्न विधियाँ हैं –

  1. वर्गाकार विधि
  2. आयताकार विधि
  3. त्रिभुजाकार विधि
  4. पंचकोणीय विधि
  5. षट्भुजाकार विधि
  6. कंटूर विधि

प्रश्न 9.
बाग लगाने के पहले किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
उत्तर :
बाग लगाने से पहले निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए –

  1. बाग का स्थान चुनते समय सड़क एवं यातायात सुविधा देखनी चाहिए।
  2. उस स्थान की मिट्टी बलुई दोमट, दोमट या चिकनी हो।
  3. सिंचाई और जल निकास सुविधा हो।
  4. जानवरों से नुकसान की सम्भावना कम हो।
  5. चयनित स्थान की जलवायु फलवृक्षों के अनुकूल हो।
  6. फल विपणन की सुविधा हो।

प्रश्न 10.
पौंधघर (नर्सरी) से आप क्या समझते हैं? इसकी आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर :
पौधे बीज, जड और तना आदि से तैयार किए जाते हैं। पौधे जिस स्थान पर तैयार किए जाते हैं, उसे हम पौधघर या नर्सरी के नाम से पुकारते हैं। अच्छी किस्म के पौधे प्राप्त करने (UPBoardSolutions.com) के लिए पौधघर की आवश्यकता होती हैं। उद्यान की सफलता के लिए अच्छी नर्सरी जरूरी होती है।

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प्रश्न 11.
एक व्यावसायिक पौथशाला में मुख्यतः कौन-कौन से भाग होने चाहिए? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
एक व्यावसायिक पौधशाला में मातृ पौधों का क्षेत्र अलग होने के साथ-साथ निम्नलिखित भाग शामिल होने चाहिए –

  1. बीज की क्यारियाँ (सीड बेड)
  2. रोपण क्यारियाँ गमला क्षेत्र
  3. संवेष्टन क्षेत्र (Packing Yard)
  4. कार्यालय
  5. भण्डार
  6. मालीगृह
  7. खाद के गड्ढे आदि।

प्रश्न 12.
बाग लगाने की वर्गाकार विधि एवं त्रिभुजाकार विधि का चित्र की सहायता से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 13.
पौध रोपण करते समय किन-किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर :
पौध रोपण करते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ –

  1. पौधों के रोपण से पहले, रोपण विधि के अनुसार स्थान चिन्हित कर लेना चाहिये।
  2. औसतनं आधा मीटर लम्बाई, चौड़ाई एवं गहरायी के गंडूढे खोदकर तथा इन गड्ढों को गोबर की खाद, बालू, तालाब की मिट्टी आदि मिलाकर भर देना चाहिये, तत्पश्चात् इन गड्ढों में ही पौध रोपन करना चाहिये।
  3. पौधों को गड्ढे के केन्द्र में रोपित करना ५४चाहिये।
  4. रोपण करते समय पौधे की पिण्डी फूटने न पाये परन्तु पिण्डी में लगी पालिथीन को ब्लेड आदि से काटकर सावधनीपूर्वक हटा (UPBoardSolutions.com) देनी चाहिए।
  5. पौध को मिट्टी में पिण्डी तक ही दबाना चाहिये। पौधा किसी भी दशा में रोपण के समय तिरछा न होने पाये। यदि तना किसी तरफ झुक रहा हो तो बाँस आदि की छड़ी की सहायता से बाँध कर सहारा देना चाहिये।
  6. रोपण के बाद तुरन्त हल्की सिंचाई कर देनी चाहिये।
  7. रोपण वर्षा ऋतु में या फरवरी मार्च में करना चाहिये।

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प्रश्न 14.
पौध खरीदते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर :
पौध खरीदते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ –

1. प्रजाति के अनुसार चुनाव – पौध विक्रेता एवं नर्सरी मालिक कई प्रकार की प्रजातियों के पौधों को एक में मिलाकर बेच देते हैं। जब यह पौधे दस बारह साल बाद फलते हैं तब उनकी प्रजाति का पता चलता है और पूरा बाग खराब हो जाता है। अतः पौधे खरीदते समय वांछित प्रजाति की पहचान करके ही खरीदें।

2. कलमी पौधों की जगह देशी पौधों का रोपण – पौध विक्रेता देशी पौधे सस्ते होने के कारण कलमी पौधे के साथ देशी पौधों को बेच देते हैं। पौध खरीदते समय तनां पर (UPBoardSolutions.com) कलिकायने अथवा ग्राफ्टिंग का चीरा देखकर कलमी पौधे पहचाने जा सकते हैं तथा धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।

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UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 7 मुख्य फसलों की खेती

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अभ्यास

प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही (✓) का निशान लगायें

(1) धान की खेती होती है –

(क) खरीफ ✓
(ख) रबी
(ग) जायद
(घ) इनमें से कोई नहीं

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(2) धान की नर्सरी लगायी जाती है –

(क) मई के अंतिम सप्ताह में ✓
(ख) जून के अंतिम सप्ताह में
(ग) जुलाई के प्रथम सप्ताह में
(घ) इनमें से कोई नहीं

(3) खरीफ की प्रमुख फसल है –

(क) धान ✓
(ख) गेहूँ
(ग) चना
(घ) मटर

(4) धान की सीधी बुवाई में प्रजाति का प्रयोग करते हैं –

(क) साकेत – 4 ✓
(ख) सरजू-52
(ग) आई आर – 8
(घ) उपर्युक्त सभी

(5) सुगंधित धान की प्रजाति है –

(क) टा-3
(ख) बासमती-370
(ग) पूसा बासमती – 1
(घ) उपर्युक्त सभी ✓

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(6) मक्का की खेती की जाती है –

(क) खरीफ
(ख) रबी
(ग) जायद
(घ) उपर्युक्त सभी में ✓

(7) मक्का की खेती के लिए उपयुक्त भूमि होती है –

(क) दोमट ✓
(ख) चिकनी मिट्टी
(ग) भावर मिट्टी
(घ) इसमें से कोई नहीं

(8) संकर मक्का की प्रजाति है –

(क) गंगा – 2
(ख) गंगा – 11
(ग) डेकन – 107
(घ) उपर्युक्त सभी ✓

(9) संकुल मक्का की प्रजाति है –

(क) नवीन
(ख) कंचन
(ग) श्वेता
(घ) उपर्युक्त सभी ✓

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(10) उड़द फसल है –

(क) दलहनी ✓
(ख) तिलहनी
(ग) दलहनी एवं तिलहनी दोनों
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं

(11) कुफरी चन्द्रमुखी प्रजाति है –

(क) मक्का
(ख) आलू
(ग) मूंग
(घ) अरहर ✓

(12) सरसो में तेल पाया जाता है –

(क) 30 – 40% ✓
(ख) 20 – 22%
(ग) 10 – 12%
(घ) इसमें से कोई नहीं

(13) अरहर की उपज होती है –

(क) 20-25 कुन्तल प्रति हेक्टेयर ✓
(ख) 34-66 कुन्तल प्रति हेक्टेयर
(ग) 35-40 कुन्तल प्रति हेक्टेयर
(घ) उपर्युक्त सभी ठीक है।

(14) आलू की फसल तैयार होती है

(क) 120-125 दिन में ✓
(ख) 230-235 दिन में
(ग) 215-220 दिन में
(घ) उपर्युक्त सभी ठीक है।

(15) गेहूं के अच्छे उत्पादन हेतु भूमि की आवश्यकता होती है –

(क) दोमट मिट्टी ✓
(ख) बलुई दोमट मिट्टी
(ग) चिकनी मिट्टी
(घ) इसमें से कोई नहीं

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. धान खरीफ की फसल है।
  2. रोपाई के लिए धान की उपयुक्त प्रजाति नरेन्द्र-97 अच्छी है।
  3. सुगंधित धान की उपयुक्त प्रजाति टा-3 है।
  4. एक हेक्टेयर नर्सरी में जिंक सल्फेट 5 किग्रा प्रयोग किया जाता है।
  5. धान की रोपाई 3, 4 सेमी गहराई पर करते हैं।
  6. देशी मक्का की बीज दर 18 से 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर है।
  7. सोयाबीन में 40 से 42 % प्रोटीन पाई जाती है।
  8. गेहूं की फसल में 5-6 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  9. मटर की बुवाई 3-4 सेमी गहराई पर की जाती है।
  10. अरहर की बुवाई 7.5 सेमी गहराई पर की जाती है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में सही के सामने सही (✓) तथा गलत के सामने गलत (✗) का निशान लगाइए –

  1. धान की खेती केवल रोपाई विधि द्वारा की जाती है। (✗)
  2. धान की नर्सरी में खैरा रोग से बचाव हेतु जिंक का प्रयोग आवश्यक है। (✓)
  3. एक हेक्टेयर धान की नर्सरी से 15 हेक्टेयर क्षेत्र में रोपाई की जा सकती है। (✓)
  4. देशी मक्का का बीज दर संकुल मक्का से कम होता है। (✓)
  5. मक्का की खेती के लिए उपयुक्त भूमि दोमट होती है। (✓)
  6. मक्का तीनों ऋतुओं में उगायी जाती है। (✓)
  7. संकर एवं संकुल मक्का के लिए 80 किग्रा नाइट्रोजन का प्रयोग किया जाता है। (✗)
  8. मक्का की फसल को गिरने से बचाने के लिए मिट्टी चढ़ाना आवश्यक है। (✓)
  9. अलंकार उड़द की प्रजाति है। (✗)
  10. सरसों से तेल निकाला जाता है। (✓)
  11. उड़द की फसल में राइजोबियम कल्चर का प्रयोग करना चाहिए। (✓)
  12. गेहूं में प्रोटीन नहीं पाया जाता है। (✗)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ को स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए – (सुमेल करके)
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 7 मुख्य फसलों की खेती 1

प्रश्न 5.
(1) सिंचित दशा में धान की फसल में नाइट्रोजन की मात्रा बताइए।
उत्तर :
120 किग्रा०

(2) सुगन्धित थान की दो प्रजातियों के नाम लिखिए।
उत्तर :
टा-3, बासमती-370

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(3) धान की रोपाई के समय नाइट्रोजन की कितनी मात्रा प्रयोग करनी चाहिए।
उत्तर :
60 किग्रा० प्रति हेक्टेयर

(4) धान की उन्नतशील फसल के लिए फॉस्फोरस की मात्रा बताइए।
उत्तर :
60 किग्रा० प्रति हेक्टेयर

(5) महीन थान की नर्सरी के लिए बीज की प्रति हेक्टेयर मात्रा बताइए।
उत्तर :
30 किग्रा०

(6) एक हेक्टेयर धान की नर्सरी से कितने हेक्टेयर क्षेत्रफल की रोपाई की जाती है?
उत्तर :
15 हेक्टेयर

(7) नर्सरी में खैरा रोग से नियन्त्रण हेतु कितनी जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर प्रयोग की जाती है?
उत्तर :
5 किग्रा०

(8) धान की रोपाई के समय एक स्थान पर कितने पौधे लगाए जाते हैं?
उत्तर :
2-3 पौधे

(9) संकर मक्का की दो प्रजातियों का माम बताइए।
उत्तर :
गंगा-2, गंगा-11

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(10) देशी मक्का की बुवाई के लिए बीज की प्रति हेक्टेयर मात्रा बताइए।
उत्तर :
18-20 किग्रा०

(11) संकर एवं संकुल प्रजातियों के लिए बीज की प्रति हेक्टेयर कितनी मात्रा प्रयोग की जाती है।
उत्तर :
20-25 किग्रा०

(12) मक्के की बुवाई कितनी गहराई पर करते हैं?
उत्तर :
5 सेमी०

(13) मक्के के खेत में दीमक के नियन्त्रण हेतु किस कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
20 से 25 किग्रा० रेत के साथ 2% मिथाइल पैराथियान छिड़काव प्रति हेक्टेयर करना चाहिए।

(14) गेहूं की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए नाइट्रोजन की कितनी मात्रा प्रयोग करनी चाहिए?
उत्तर :
120 किग्रा० प्रति हेक्टेयर

(15) गेहूं की फसल के लिए नाइट्रोजन फॉस्फोरस एवं पोटाश की मात्रा प्रति हेक्टेयर बताइए।
उत्तर :
120 किग्रा० नाइट्रोजन, 60 किग्रा० फास्फोरस, 40 किग्रा० पोटाश।

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(16) उड़द को बुवाई से पूर्व किस रसायन से उपचारित करते हैं?
उत्तर :
उड़द को बुवाई से पूर्व अच्छी पैदावार व सही बढ़ोतरी के लिए राइजोबियम जैसे रसायन से उपचारित करते हैं।

(17) मूंग की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर कितने किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है?
उत्तर :
मूंग की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 15-20 किग्रा0 बीज की आवश्यकता होती है।

(18) सरसो की बुवाई का उपयुक्त समय बताइये।
उत्तर :
सरसो की बुवाई सितम्बर से अक्टूबर के महीने में करनी चाहिए।

प्रश्न 6.
धान की नर्सरी तैयार करने की विधि बताइए।
उत्तर :
नर्सरी –  एक हेक्टेयर क्षेत्रफल की रोपाई के लिए महीन धान का 30 किग्रा०, मध्यम धान का 35 किग्रा० और मोटे धान का 40 किग्रा बीज पौधा तैयार करने के लिए पर्याप्त होता है एक हेक्टेयर नर्सरी में। 15 हेक्टेयर की रोपाई होती है। नर्सरी में पौधों की उचित बढ़वार के लिए 100 किग्रा० नाइट्रोजन, 50 किग्रा० । फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। नर्सरी में खैरा रोग नियन्त्रण हेतु 5 किग्रा० (UPBoardSolutions.com) जिंक सल्फेट का 2% यूरिया के साथ घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए। नर्सरी में कीड़ों के बचाव हेतु क्लोरोपाइरीफारस 20 ईसी (Emultion Concentrate) को 1.5 लीटर को 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

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प्रश्न 7.
धान की रोपित फसल में फसल सुरक्षा के क्या उपाय किए जाते हैं?
उत्तर :
फसल सुरक्षा – धान के खेत में रोपाई से कटाई तक अनेक कीड़े व रोग लगते हैं। ये कीड़े दीमक, गंधी बग, सैनिक कीट, हरा फुदका, पत्ती लपेट कीट तथा तना छेदक आदि हैं।

5% मैलाथियान धूल का 20 से 25 किग्रा० प्रति हेक्टेयर फसलों पर छिड़काव करें। सैनिक कीट नियन्त्रण इंडोसल्फान 35 ई०सी० का छिड़काव किया जाता है। जिंक की कमी से खैरा रोग होता है। 5 किग्रा० जिंक सल्फेट तथा 2.5 किग्रा बुझा हुआ चूना अथवा 20 किग्रा यूरिया 1000 ली० पानी में (UPBoardSolutions.com) घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़कावं करना चाहिए। झुलसा रोग के उपचार के लिए 15 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन व कॉपर ऑक्सीक्लोराइड की 500 ग्राम मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर 2 से 3 बार छिड़काव करना चाहिए।

प्रश्न 8.
धान की फसल में खाद एवं उर्वरक की मात्रा प्रति हेक्टेयर बताइए तथा देने की विधि भी लिखिए।
उत्तर :
धान की फसल में उर्वरकों का प्रयोग मृदा परिरक्षण के आधार पर किया जाता है। सिंचित दशा में नाइट्रोजन 120 किग्रा०, फॉस्फोरस 60 किग्रा० एवं पोटाश 60 किग्रा० प्रति हेक्टेयर देना चाहिए। नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फॉस्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा रोपाई के एक या दो दिन बाद खेत में देनी चहिए। नाइट्रोजन की शेष मात्रा कल्ले निकलते समय एवं बालियाँ निकलने से पूर्व छिड़क देनी चाहिए।

धान की सीधी बुवाई मैं – नाइट्रोजन 100 किग्रा०, फॉस्फोरस 50 तथा पोटाश 50 किग्रा० प्रति हेक्टेयर दिया जाता है। नाइट्रोजन की एक चौथाई मात्रा तथा फॉस्फोरस व पोटाश की (UPBoardSolutions.com) पूरी मात्रा कैंडों में बीज के नीचे डालना चाहिए। नाइट्रोजन का दो चौथाई भाग कल्ले फटते समय तथा शेष बाली बनने से पूर्व प्रयोग करना चाहिए।

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प्रश्न 9.
मक्का में लगने वाले रोग एवं उनसे बचाव के उपाय लिखिए।
उत्तर :
मक्का में झुलसा रोग लगता है। इसके उपचार हेतु 2 से ढाई किग्रा० इंडोफिल एम-45 को 800-1000 ली० पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर 2-3 छिड़काव करने चाहिए। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में तना सड़न रोग होता है। जिसके उपचार के लिए 15 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन को 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से रोग नियंत्रित हो जाता है।

प्रश्न 10.
मक्का की फसल में खाद एवं उर्वरक की मात्रा प्रति हेक्टेयर एवं प्रयोग की विधि लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी प्रश्न 9. का उत्तर देखें।

प्रश्न 11.
सोयाबीन से कौन-कौन से व्यंजन तैयार किए जाते हैं?
उत्तर :
सोयाबीन से दूध, दही, मगौड़ी, बड़ियाँ इत्यादि पौष्टिक पेय एवं खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं।

प्रश्न 12.
सोयाबीन की फसल में खाद एवं उर्वरक की आवश्यकता एवं प्रयोग करने की विधि लिखिए।?
उत्तर :
सोयाबीन की अच्छी पैदावार हेतु 15-20 किंग्रा० नाइट्रोजन, 40-60 किग्रा० फॉस्फोरस तथा 30-40 किग्रा० पोटाश प्रति हेक्टेयर प्रयोग करते हैं। उर्वरक की पूरी मात्रा अंतिम जुताई (UPBoardSolutions.com) पर हल के पीछे कूड़ों में 6-7 सेमी गहराई पर डालनी चाहिए।

प्रश्न 13.
गेहूं की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक की मात्रा तथा प्रयोग करने की विधि बताइए।
उत्तर :
गेहूँ के लिए खाद एवं उर्वरक का प्रयोग- गेहूँ फसल के लिए 120 किग्रा० नाइट्रोजन, 60 किग्रा० फॉस्फोरस तथा 40 किग्रा० पोटाश प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए। नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा बाकी दो की पूरी मात्रा बीज के साथ कैंड़ में 5 सेमी० गहराई पर देनी चाहिए तथा शेष (UPBoardSolutions.com) नाइट्रोजन दो भागों में कल्ले निकलते समय तथा बालियाँ बनते समय देनी चाहिए। नाइट्रोजन शाम को खड़ी फसल में दी जाती है। सिंचाई के बाद जब पैर का हलका निशान बने तब यूरिया लगाना चाहिए।

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प्रश्न 14.
मटर की सिंचित असिंचित क्षेत्र में खेती हेतु उर्वरक की मात्रा एवं प्रयोग विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मटर की खेती में कम्पोस्ट खाद लगाने के बाद 25-30 किग्रा० नाइट्रोजन, 50-60 किग्रा० फॉस्फोरस तथा 40-50 किग्रा० पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से लगाना चाहिए।

प्रश्न 15.
मटर की फसल में लगने वाले महत्त्वपूर्ण कीड़ों एवं बचाव के उपाय बताइए।
उत्तर :
मटर में चूँड़ियों से नियन्त्रण हेतु दो किलो मैलाथियान, 50% घुलनशील चूर्ण 800-1000 ली० पानी में घोलकर छिड़कना चाहिए अथवा मैलाथियान 50 ई०सी० की 1 ली० पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़कना चाहिए।

फली छेदक कीटक के अलावा पत्ती में सुरंग बनाने वाले कीट भी लगते हैं। इनके नियन्त्रण हेतु मेटासिस्टक्स 25 ई०सी० 1 लीटर दवा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर दर से छिड़काव करना चाहिए।

प्रश्न 16.
गेहूं की फसल में सिंचाई प्रबन्धन का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
सामान्यतः गेहूँ में 5-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बोने के 20-25 दिन बाद की जाती है, जो महत्त्वपूर्ण होती है। इसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करते (UPBoardSolutions.com) रहना चाहिए। अंतिम सिंचाई से पहले वाली सिंचाई दूधिया अवस्था में करनी चाहिए। अन्त में हलकी सिंचाई दाना पकते समय करनी चाहिए।

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प्रोजेक्ट कार्य
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 6 बीज

UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 6 बीज

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अभ्यास

प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही (✓) का चिह्न लगाइए –

(i) साधारण बीज को कहते हैं –

(क) जनक बीज
(ख) आधार बीज
(ग) कृषक बीज ✓
(घ) प्रमाणित बीज

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(ii) आधार बीज है –

(क) जनक बीज की सन्तति ✓  
(ख) प्रमाणित बीज की सन्तति
(ग) साधारण बीज की सन्तति
(घ) संकर बीज की सन्तति

(iii) जनक बीज का उत्पादन किया जाता है –

(क) विशेषज्ञों द्वारा ✓
(ख) किसानों द्वारा
(ग) कारखानों द्वारा
(घ) शिक्षकों द्वारा

(iv) संकर बीज का प्रयोग किया जाता है –

(क) केवल एक बार ✓
(ख) दो बार
(ग) तीन बार
(घ) बार-बार

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ का स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए – (सुमेल करके)
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 6 बीज 1

प्रश्न 3.

  1. साधारण बीज की परिभाषा लिखिए।
  2. उन्नतिशील बीज को स्पष्ट कीजिए।
  3. गेहूँ की तीन उन्नतशील किस्में लिखिए।
  4. बीज और दाने में क्या अन्तर है?
  5. उन्नतशील बीज कहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं?

उत्तर :

  1. जो बीज किसान स्वयं बनाता है, उसे साधारण बीज कहते हैं।
  2. उन्नतिशील बीज वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों द्वारा बनाए जाते हैं।
  3. गेहूँ की तीन उन्नतिशील किस्में एच डी- 2285, पी0बी0डबलू- 343, मालवीय- 234।
  4. बीज बोने के काम आता है, जबकि दाना अनाज के रूप में खाने के काम आता है।
  5. उन्नतिशील बीज सरकारी गोदामों या लाइसेंसशुदा बीज की दुकानों से प्राप्त किए जाते हैं।

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प्रश्न 4.

  1. अनाज से क्या समझते हैं?
  2. बीज को कहाँ से प्राप्त करना चाहिए?
  3. अच्छे बीजों की क्या पहचान हैं?

उत्तर :

  1. जो कृषि उत्पाद खाने के काम आते हैं, उन्हें अनाज कहा जाता है; जैसे – गेहूँ, जौ, चना, मक्का। इनका खाने के लिए भंडारण किया जाता है और आटा बनाकर (UPBoardSolutions.com) (पिसाकर) खाया जाता है।
  2. बीज को सरकारी गोदाम या लाइसेंसशुदा बीज की दुकान से लेना चाहिए।
  3. अच्छे बीज पूर्ण पके व चमकीले होते हैं। ये परिस्थितियों के अनुकूल होते हैं। इनमें खरपतवार के बीज नहीं होते।

प्रश्न 5.
उन्नतिशील बीज कैसे बनाया जाता है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
इस तरह के बीज वैज्ञानिक विधि से बनाए जाते हैं। इनको बनाने में चार पाँच साल का समय लगता है।

प्रश्न 6.
बीज कितने प्रकार के होते हैं? साधारण बीज व उन्नतशील बीज की तुलना कीजिए।
उत्तर :
बीज दो प्रकार के होते है – साधारण बीज व उन्नतशील बीज।

साधारण बीज –

  1. रंग व आकार में सामान्य होते हैं।
  2. अंकुरण कम होता है।
  3. बीमारी लगने की संभावना होती है।
  4. पैदावार कम होती है।
  5. खरपतवार बहुत होते हैं।
  6. साधारण बीज सस्ते मिलते हैं।

उन्नतिशील बीज –

  1. चमकदार व आकार में कुछ बड़े।
  2. अंकुरण शत-प्रतिशत होता है।
  3. बीमारी लगने की संभावना नहीं होती है।
  4. पैदावार अधिक होती है।
  5. नहीं होते।
  6. महँगे मिलते हैं।

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प्रोजेक्ट कार्य
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 5 फसलों की सुरक्षा

UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 5 फसलों की सुरक्षा

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अभ्यास

प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही (✓) का चिह्न लगाइए –

(i) पक्की बाड़ बनाई जाती है –

(क) ईंटों एवं पत्थरों को चुनकर ✓
(ख) कँटीली झाड़ी लगाकर
(ग) तार लगाकर
(घ) खाई बनाकर

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(ii) पौधों की बाड़ लगाने में प्रयोग किए जाते हैं –

(क) सरपत, करौंदा आदिः ✓
(ख) गेहूँ
(ग) बाजरा
(घ) खखड़ी

(iii) कैंटीली झाड़ी विधि में प्रयोग किया जाता है –

(क) बबूल, जंगल, जलेबी ✓
(ख) ज्वार
(ग) बाजरा
(घ) अरहर

(iv) जालीदार तार की बाड़ लगायी जाती है –

(क) छोटे भूखण्ड के किनारे ✓
(ख) मध्यम भूखण्ड के किनारे
(ग) नदी किनारे
(घ) बड़े भूखण्ड के किनारे

(v) खखड़ी की बाड़ में प्रयोग किया जाता है –

(क) ईंट
(ख) पत्थर ✓ 
(ग) लकड़ी
(घ) तार

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

(क) पौधों की बाड़ में सरपत तथा मेहंदी के पौधों का प्रयोग होता है।
(ख) पशुओं से फसल सुरक्षा बाड लगाकर की जाती है।
(ग) खखड़ी को प्रयोग पहाड़ी क्षेत्रों में होता है।
(घ) कँटीली झाड़ी की बाड़ में बबूल तथा जंगली जलेबी पौधों का प्रयोग होता है।
(ङ) कॅटीले तार की बाड़ में खम्भों का प्रयोग होता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में सही के सामने सही (✓) तथा गलत के सामने गलत (✗) का निशान लगाइए –

(क) खखड़ी विधि में ईंट का प्रयोग होता है। (✗)
(ख) पत्थरों का प्रयोग खखड़ी विधि में किया जाता है। (✓)
(ग) जालीदार तार की बाड़ बड़े भूखण्डों के किनारे होती है। (✗)
(घ) कॅटीले तार की बाड़ का प्रयोग छोटे भूखण्डों के किनारे होता है। (✗)
(ङ) कँटीली झाड़ी की बाड़ लगाने में करौंदा का प्रयोग होता है। (✓)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ का स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए – (सुमेल करके)
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 5 फसलों की सुरक्षा 1

प्रश्न 5.
पौधों की बाड़ लगाने से क्या लाभ होता है?
उत्तर :
इस विधि में जानवरों से फसलों की सुरक्षा मेड़ों के किनारे झाड़दार पौधे लगाकर की जाती है। बाड़ लगाने हेतु सरपत, मेंहदी आदि पौधों का चुनाव किया जाता है।

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प्रश्न 6.
फसलों में बाड़ का क्या महत्त्व है?
उत्तर :
फसलों में बाड़ का बहुत महत्त्व है। बाड़ लगाने से जंगली एवं पालतू जानवरों से फसल की सुरक्षा होती है।

प्रश्न 7.
खखड़ी द्वारा बाड़ कैसे बनायी जाती है?
उत्तर :
इस विधि में पहाड़ी क्षेत्रों में पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़ों को दीवार (UPBoardSolutions.com) की तरह खेत के चारों तरफ रखकर बाड़ बनाते हैं। इसमें सीमेन्ट या मिट्टी का प्रयोग दीवार बनाने हेतु नहीं किया जाता है।

प्रश्न 8.
कैंटीले तार द्वारा बाड़ में क्या-क्या प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
कॅटीले तार की बाड़ में बड़े क्षेत्रों में खम्भों के सहारे कॅटीले तार लगाए जाते हैं।

प्रश्न 9.
बाड़ लगाते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर :
बाड़ लगाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  1. जहाँ जैसी, बाड़ की जरूरत हो, वैसी बाड़ लगानी चाहिए।
  2. बाड़ वस्तुओं की उपलब्धता के अनुसार लगानी चाहिए।
  3. क्षेत्रों के कोनों पर दो अतिरिक्त खम्भों को लगाकर उन्हें गिरने से बचाना चाहिए।

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प्रश्न 10.
पत्थर के टुकड़ों की बिना मिट्टी या सीमेन्ट द्वारा चुनाई कर बाड़ लगाने की विधि को क्या कहते हैं?
उत्तर :
खखड़ी बाड़ बनाना।

प्रश्न 11.
बाड़ लगाना किसे कहते हैं? बाड़ लगाने की सभी विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
फसलों की जानवरों से सुरक्षा हेतु जो भी उपाय किए जाते हैं, उन्हें बाड़ लगाना कहते है। फसलों की सुरक्षा निम्न प्रकार से की जाती है –

  1. पौधों की बाड़ लगाना
  2. कँटीली झाड़ी की बाड़ लगाना
  3. खाई बनाकर सुरक्षा
  4. कॅटीले तार की बाड़ बनाना।
  5. जालीदार तार की बाड़
  6. खखड़ी बाड़ बनाना।
  7. पक्की बाड़ बनाना।

प्रश्न 12.
बाड़ कितने प्रकार की होती है? पहाड़ी क्षेत्र के लिए बाड़ लगाने की कौन-सी विधि उपयुक्त है?
उत्तर :
बाड़ के प्रकार के लिए प्रश्न 11 का उत्तर देखिए। पहाड़ी क्षेत्र में खखड़ी बाड़ बनाना उपयुक्त होता है। यह पत्थर से दीवार की तरह लगाकर बनाई जाती है।

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प्रश्न 13.
कँटीली झाड़ी द्वारा बाड़ लगाने में किन-किन पौधों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
कँटीली झाड़ी द्वारा बाड़ लगाने हेतु झरबेरी, करौंदा, बबूल, (UPBoardSolutions.com) जंगली जलेबी इत्यादि पौधों का प्रयोग किया जाता है।

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UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र

UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र

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अभ्यास

प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही का (✓) निशान लगाइए-

(i) सिंचाई कब करनी चाहिए?

(क) जब पौधे हरे भरे दिखाई पड़े।
(ख) जब फसल को कीड़ों से बचानी हो।
(ग) जब पौधों की पत्तियाँ तेज धूप में मुरझाने लगे। ✓ 
(घ) जब पानी बरसने की सम्भावना हो।

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(ii) फसलों को सिंचाई की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

(क) पौधों की बढ़वार के लिए ✓
(ख) पौधे की पत्तियों की बढ़वार रोकने के लिए
(ग) मृदा में वायु के संचार को बढ़ाने के लिए।
(घ) मृदा की जल धारण क्षमता की वृद्धि के लिए

(iii) किसी फसल में सिंचाई की आवश्यकता को कम करने में निम्नांकित में से कौन-सा कारक महत्त्वपूर्ण है?

(क) मृदा में उपलब्ध जैव पदार्थ की प्रचुर मात्रा ✓ 
(ख) बलुई मृदा
(ग) फसल में खरपतवार की अधिकता।
(घ) रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत के सामने गलत (✗) का निशान लगाएँ –

(क) पौधों की जड़े जलीय घोल के रूप में अपना भोजन लेती हैं। (✓)
(ख) पौधों का भोजन पत्तियों द्वारा अँधेरे में बनाया जाता है। (✗)
(ग) धान की फसल में गेहूं की अपेक्षा कम सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। (✗)
(घ) जैव पदार्थ मृदा की जल धारण क्षमता को प्रभावित करता है। (✓)
(ङ) पाताल तोड़ कुएँ से जल उठाने में बिजली द्वारा संचालित पम्प की आवश्यकता पड़ती है। (✗)
(च) चेन पम्प 10 मीटर की गहराई तक सुगमतापूर्वक पानी उठाता है। (✗)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ को स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए –
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र 1

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित के कारण बताइए –

(क) बलुई व बलुई दोमट मृदा में पानी शीघ्रता से रिसता है।
(ख) गर्मी में मृदा जल का वाष्पीकरण अधिक होता है।
(ग) ऊसर भूमि को सिंचाई द्वारा फसल उगाने योग्य बनाया जा सकता है।

उत्तर :

(क) बलुई व बलुई दोमट में जल धारण क्षमता नहीं के बराबर या कम होने के कारण पानी शीघ्रता से रिसता है।
(ख) गर्मी में पानी भाप बनकर (UPBoardSolutions.com) उड़ता है।
(ग) ऊसर में पानी खड़ा करने (सिंचाई) से उसकी ऊपरी पर्त का खारापन नीचे चला जाता है और धान, वरषम बरसी बोते रहने से जैविक खाद के प्रयोग से वह धीरे-धीरे उपजाऊ होने लगती है।

प्रश्न 5.
फसलों में सिंचाई की जरूरत क्यों पड़ती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
उपयुक्त समय पर वर्षा न होने से पौधों के उपयुक्त विकास और वृद्धि के लिए कृत्रिम रूप से जल देने की प्रक्रिया की जरूरत होती है, जिसे सिंचाई कहते हैं।

प्रश्न 6.
फसलों के लिए जल की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
जल की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं –

  1. गर्मी में मृदा-जल का वाष्पीकरण अधिक होने से फसलों को अधिक जल चाहिए।
  2. बलुई व बलुई दोमट में जल रिसता है, इसलिए फसलों को अधिक जल चाहिए।
  3. धान, गन्ना जैसी फसलों को अधिक जल की जरूरत होती है।
  4. वर्षा की मात्रा व वितरण सिंचाई (UPBoardSolutions.com) को प्रभावित करते हैं।
  5. अधिक जैविक खाद से जल धारण क्षमता बढ़ने से सिंचाई की जरूरत घटती है।
  6. रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से सिंचाई की अधिक जरूरत होती है।

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प्रश्न 7.
बैड़ी तथा रहट का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर :
बेड़ी – यह एक मीटर की गहराई से पानी उठाने का साधन है। इसमें बाँस की दोहरी तथा धनी बुनाई वाली टोकरी का प्रयोग किया जाता है। टोकरी का 7 व्यास 75 सेमी होता है। टोकरी का मध्य 10 सेमी गहरा तथा किनारे पर छिछली हो जाती है। टोकरी के किनारे पर दो मीटर लम्बी चार रस्सियाँ बाँध दी जाती हैं। पानी उठाने के लिए इसमें दो व्यक्तियों की जरूरत होती है।
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र 2

रहट यह यंत्र भी कुओं से पानी निकालने के काम आता है। इसमें बहुत-सी लोहे की बाल्टियाँ माला के रूप में एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं, जो लोहे के पहिए पर घूमती हैं। बाल्टियों (UPBoardSolutions.com) की संख्या कुएँ की गहराई पर निर्भर करती है। रहट चलाने के लिए एक ऊँट या दो बैलों की जरूरत होती है।
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र 3

प्रश्न 8.
सिंचाई की दोन और पेच (इजिप्शियन स्कू) साधनों का तुलनात्मक वर्णन कीजिए।
उत्तर :
दोन – 1 मीटर से कम गहराई से पानी निकालते हैं। दोन 3 मी0 लम्बे टिन से निर्मित नाव जैसी । होती है। एक सिरा चौड़ा तथा मुँह बन्द होता है जबकि दूसरा सिरा सकरा और मुँह खुला होता है। इससे पानी उठाने का काम एक आदमी करता है। पानी स्रोत के समीप दो बल्लियों के बीच लगी घूरी के सहारे 4 मीटर लम्बी बल्ली के एक किनारे पर दोन को बाँधा जाता है दूसरे किनारे पर पत्थर या बोरे में मिट्टी बाँध दी जाती है।

पेच (इजिप्शियन स्क्रू) – यह लकड़ी के ढोल के समान होता है। लम्बाई लगभग 1.5 मीटर तथा व्यास लगभग 40 सेमी० होता है। यह यंत्र 40° से 45° का कोण बनाते हुए लगाया (UPBoardSolutions.com) जाता है। एक सिरा पानी में लकड़ी के कुंदे पर रखा जाता है। यंत्र को घुमाने पर पानी पेच के सहारे ऊपरी सिरे से बाहर आता है। इसे चलाने के लिए दो व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 9.
सिंचाई के साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
किसान जल स्रोतों से अपने खेतों तक जल पहुँचाने हेतु अनेक साधनों का प्रयोग करता है जैसे बेड़ी, ढेकली, दोन, चरसा, रहट, चेन पम्प आदि। इसकी विस्तृत जानकारी निम्नवत है –

1. बेड़ी (दौरी या दोगला) – यह एक मीटर की गहराई से पानी उठाने के लिए प्रचलित साधन है। इसमें बाँस की दोहरी तथा घनी बुनाई द्वारा तैयारी टोकरी प्रयोग में लाई जाती है।

2. ढेकली – इसे 3 से 4 मीटर गहराई से पानी उठाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। ढेकली को चलाने के लिए एक व्यक्ति की आवश्यता होती है। इसमें लकड़ी की थूनी पर धुरी के सहारे 5-6 मीटर लम्बी बल्ली इस तरह लगाते हैं कि पानी के स्रोत की तरफ बल्ली का दो तिहाई से कुछ ज्यादा भाग रहे। बल्ली के दूसरे किनारे पर लोहे या पत्थर का 20-25 किग्रा का वजन बांध दिया जाता है।

3. दोन – इससे लगभग 60 से 90 सेमी की गइराई से पानी निकाला जाती है। यह लगभग 3 मीटर लम्बा टिन द्वारा निर्मित्त नाव के आकार का होता है। इसका एक सिरा थोड़ा चौड़ा तथा मुँह बन्द होता है। दूसरा सिरा सकरा तथा मुँह खुला होता है।

4. चरसा – आपने अपने गाँव या आस-पास देखा होगा कि कुँए से सिंचाई करने के लिए चरसा का प्रयोग होता है। कुँए के ऊपरी भाग पर बल्लियों के सहारे लकड़ी की बड़ी गड़ारी रखी जाती है। इस गड़ारी पर मोटी रस्सी के सहारे चमड़े का बड़ा थैला (मोट) बाँधते हैं जो कुँए से पानी भर कर ऊपर (UPBoardSolutions.com) लाता है। एक जोड़ी बैल ऊँचाई से नीचे की ओर ढालू जमीन पर पानी भरा थैला खींचते हैं। ज्यों ही पानी भरा थैला कुँए पर आता है, एक व्यक्ति जो वहाँ खड़ा रहता है, इसे अपनी ओर खींच कर पानी गिराने के बाद चरसे को वापस कुँए में डाल देता है।

5. चेन पम्प – इसके द्वारा 1.5 मीटर से 3 मीटर की गहराई से पानी उठाया जाता है। इस यन्त्र में लोहे की एक जंजीर में छोटे छोटे गट्टों की माला लोहे के बड़े पहिए पर चढ़ी रहती है। गट्टेदार माला को घुमाने पर लोहे के पाइप के सहारे पानी ऊपर आता है।

6. बल्देव बाल्टी – यह यन्त्र एक मीटर तक की गहराई से पानी निकालने के लिए सर्वोत्तम पाया गया है। इसमें दोन की भाँति दो बल्टॅिया होती है जो गड़ारी पर पड़ी हुई रस्सियों के सहारे बारी-बारी से पानी में जाती है। और पानी भर कर ऊपर आती हैं। इसे चलाने के लिए एक जोडी बैल की आवश्यकता पड़ती है।

7. पेंच (इजिप्शियन स्कू) – इस यन्त्र को पेंच भी कहा जाता है। यह लकड़ी के ढोल के समान होता है। और भीतर से स्क्रू (पेंच) के समान बनावट होती है। इसका एक सिरा पानी के अनदर लकड़ी के कुन्दे पर रखा होता है। यन्त्र को घुमाने पर पानी पेंच के सहारे ऊपरी सिरे से बाहर आता है।

8. यन्त्र चालिक पम्प – अधिक गहराई से भूमिगत जल को (UPBoardSolutions.com) उठाने के लिए इस प्रकार के पम्पों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें बिजली की मोटर या डीजल इंजन द्वारा चलाते हैं।

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