UP Board Class 6 Agricultural Science Model Paper कृषि विज्ञान

UP Board Class 6 Agricultural Science Model Paper are part of UP Board Class 6 Model Papers. Here we have given UP Board Class 6 Agricultural Science  Model Paper.

Board UP Board
Class Class 6
Subject Agricultural Science
Model Paper Paper 1
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 6 Agricultural Science Model Paper कृषि विज्ञान

सत्र परीक्षा प्रश्न पत्र
कक्षा-6
विषय-कृषि विज्ञान

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मृदा में पाए जाने वाले घटक व उनकी प्रतिशत मात्रा लिखिए।
उत्तर:
मृदा में खनिज 45 प्रतिशत, जैविक पदार्थ 5 प्रतिशत, मृदा जल 25 प्रतिशत, मृदा वायु 25 प्रतिशत हैं।

प्रश्न 2.
प्रारम्भिक भू-परिष्करण किसे कहते हैं?
उत्तर:
खेत की तैयारी से बीज बोने तक जितने भी कृषि कार्य किए जाते हैं, उन्हें प्रारम्भिक भू-परिष्करण कहते हैं।

प्रश्न 3.
जैविक खाद का प्रयोग कब किया जाता है?
उत्तर:
जैविक खाद का प्रयोग बुआई से पूर्व किया जाता है?

प्रश्न 4.
खाद के रूप में प्रयोग की जाने वाली तीन खलियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
खाद के रूप में प्रयुक्त होने वाली तीन खलियों के नाम हैं – नीम, महुआ’ और अलसी।

प्रश्न 5.
उत्तर प्रदेश की प्रमुख मृदाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
मृदा पृथ्वी का सबसे ऊपरी भाग है, जो चट्टानों एवं खनिजों के टूटने-फूटने व स्थानांतरित होकर एकत्रित होने से बनी है।

प्रश्न 6.
खाद किसे कहते हैं?
उत्तर:
जीव-जन्तुओं एवं पेड़-पौधों के अवशेषों के विघटित अंश को ‘खाद’ कहते हैं। गोबर और घर का कचरा सड़ने के बाद खाद बन जाता है।

प्रश्न 7.
नालों की निचली सतह में क्या जमा हो जाता है?
उत्तर :
सिल्ट

प्रश्न 8.
खेत में खरपतवार नष्ट करने के लिए क्या-क्या कार्य करेंगे?
उत्तर:
खरपतवार नष्ट करने के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए जिससे खरपतवारों की जड़े एवं कंद मृदा सतह पर आकर धूप एवं वायु से नष्ट हो सकें।

प्रश्न 9.
कार्बनिक पदार्थ का मृदा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
कार्बनिक पदार्थ का मृदा पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इससे मृदा का उपजाऊपन बढ़ जाता है।

प्रश्न 10.
चट्टानों एवं खनिजों के टूटने से क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:
बालू

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 11.
पौधों में नाइट्रोजन के महत्त्व को लिखिए।
उत्तर:
नाइट्रोजन को पोषक तत्वों का राजा कहते हैं। यह एक संरचनात्मक तत्त्व है। नाइट्रोजन पौधों में हरा रंग क्लारोफिल उत्पन्न करता है। यह पौधों की तीव्र वृद्धि में सहायक होता है।

प्रश्न 12.
गर्मी की जुताई का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गर्मी की जुताई खरीफ की फसलों की बुवाई से पहले की जाती है। भीषण गर्मी के बाद गर्म आई मौसम आता है। इस समय वर्षा रुक-रुककर होती रहती है जो घास जमने को प्रोत्साहित करती है, यद्यपि फसलों को उगने के लिए उचित दशाएँ उपलब्ध नहीं होती।

प्रश्न 13.
खादर या कछारीय मृदा किसे कहते हैं?
उत्तर:
ये नवीन जलोढ़ मृदाएँ हैं ये हल्के भूरे रंग की छिद्रयुक्त महीन कणों वाली होती हैं। चूना, पोटाश व मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।

प्रश्न 14.
गोबर गैस संयंत्र से होने वाले लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गोबर गैस संयंत्र से लाभ –

  1. भोजन पकाने के लिए ईंधन के रूप में गैस प्राप्त होती है।
  2. गैस का उपयोग गैस लैंप में प्रकाश के लिए भी किया जाता है।
  3. संयंत्र से गोबर की खाद (गाद) प्राप्त होती है।
  4. इस खाद (गाद) में सामान्य गोबर की खाद से कई गुना अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 15.
काली मृदा के गुण-दोष लिखिए।
उत्तर:
काली मृदा के गुण व दोष

  1. यह मृदा गहरे भूरे, काले रंग की होती हैं।
  2. इस मृदा में लोहा, चूना, कैल्सियम, मैग्नीशियम तथा मृत्तिका की प्रचुरता होती है।
  3. इस मृदा में नवजन, फॉस्फोरस तथा कार्बनिक पदार्थ की न्यूनता पाई जाती है।
  4. यह मृदा स्वभाव में चिपचिपी एवं सुघट्य होती है।
  5. इस मृदा में सिकुड़ने एवं फूलने का गुण पाया जाता है तथा सूखने पर दरारें पड़ जाती हैं।
  6. यह मृदा काली, कपासी मृदा एवं रेगुर के नाम से भी प्रचलित है।

प्रश्न 16.
खाद को वर्गीकृत करते हुए हरी खाद बनाने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
खाद के प्रकार – यह मुख्यतः दो प्रकार की होती है
(i) जैविक खाद

  • (क) गोबर की खाद
  • (ख) कम्पोस्ट की खाद
  • (ग) हरी खाद
  • (घ) खली की खाद
  • (ङ) मल-मूत्र की खाद

(ii) उर्वरक या रासायनिक खाद

  • (क) नाइट्रोजन उर्वरक
  • (ख) फॉस्फेटिक उर्वरक
  • (ग) पोटाश उर्वरक
  • (घ) उर्वरक मिश्रण

हरी खाद बनाने की विधि – इस विधि से जिस खेत में खाद देनी होती है, उसी में हरी खाद की फसल को लगभग एक माह पश्चात् खेत में ही पाटा लगाकर गिरा देते हैं। इसके बाद मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई कर देते हैं। जिससे सभी हरे पौथे मिट्टी में दब जाते हैं। कुछ दिन में पौधे सड़-गलकर खाद बन जाते हैं।

 

अर्द्धवार्षिक परीक्षा प्रश्न पत्र
कक्षा-6
विषय-कृषि विज्ञान

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फसलों में बाड़ लगाने का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
फसलों में बाड़ लगाने से जंगली एवं पालतू जानवरों से फसल की सुरक्षा होती है।

प्रश्न 2.
साधारण बीज किसे कहते हैं?
उत्तर:
कृषक बीज को साधारण बीज कहते हैं।

प्रश्न 3.
संकर बीज का प्रयोग कितनी बार किया जाता है?
उत्तर:
संकर बीज का प्रयोग केवल एक बार किया जाता है।

प्रश्न 4.
कैंटीली झाड़ी द्वारा बाड़ लगाने में किन-किन पौधों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
कैंटीली झाड़ी लगाने हेतु करौंदा, झरबेरी, बबूल इत्यादि पौधों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 5.
उन्नतिशील बीज को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उन्नतिशील बीज वैज्ञानिकों द्वारा प्रयोग कर बनाए जाते हैं।

प्रश्न 6.
गेहूँ की तीन उन्नतशील किस्में लिखिए।
उत्तर:
गेहूँ की तीन उन्नतशील किस्में-एच.डी. 2285, मालवीय-234 तथा पी.बी. डब्लू-343 है।

प्रश्न 7.
गेहूं की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए नाइट्रोजन की कितनी मात्रा प्रयोग करनी चाहिए?
उत्तर:
120 किग्रा० प्रति हेक्टेयर |

प्रश्न 8.
उड़द को बुवाई से पूर्व किस रसायन से उपचारित करते हैं?
उत्तर:
उड़द को बुवाई से पूर्व अच्छी पैदावार व सही बढ़ोतरी के लिए राइजोबियम जैसे रसायन से उपचारित करते हैं।

प्रश्न 9.
सुगन्धित धान की दो प्रजातियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
टी-3, बासमती-370

प्रश्न 10.
फसलों को सिचाई की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
पौधों को बढ़वार के लिए

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 11.
पौधों की बाड़ लगाने से क्या लाभ होता है?
उत्तर:
इस विधि में जानवरों से फसलों की सुरक्षा मेड़ों के किनारे झाड़दार पौधे लगाकर की जाती है। बाड़ लगाने हेतु सरपत, मेंहदी आदि पौधों का चुनाव किया जाता है।

प्रश्न 12.
उन्नतिशील बीज कैसे बनाया जाता है?
उत्तर:
इस तरह के बीज वैज्ञानिक विधि से बनाए जाते हैं। इनको बनाने में चार पाँच साल का समय लगता है।

प्रश्न 13.
मटर की सिंचित असिंचित क्षेत्र में खेती हेतु उर्वरक की मात्रा बताइए।
उत्तर:
मटर की खेती में कम्पोस्ट खाद लगाने के बाद 25-30 किग्रा० नाइट्रोजन, 50-60 किग्रा० फॉस्फोरस तथा 40-50 किग्रा० पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से लगाना चाहिए।

प्रश्न 14.
खखड़ी द्वारा बाड़ कैसे बनायी जाती है?
उत्तर:
इस विधि में पहाड़ी क्षेत्रों में पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़ों को दीवार की तरह खेत के चारों तरफ रखकर बाड़ बनाते हैं। इसमें सीमेन्ट या मिट्टी का प्रयोग दीवार बनाने हेतु नहीं किया जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 15.
फसलों के लिए जल की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं

  1. गर्मी में मृदा-जल का वाष्पीकरण अधिक होने से फसलों को अधिक जल चाहिए।
  2. बलुई व बलुई दोमट में जल रिसता है, इसलिए फसलों को अधिक जल चाहिए।
  3. धान, गन्ना जैसी फसलों को अधिक जल की जरूरत होती है।
  4. वर्षा की मात्रा व वितरण सिंचाई को प्रभावित करते हैं।
  5. अधिक जैविक खाद से जल धारण क्षमता बढ़ने से सिंचाई की जरूरत घटती है।
  6. रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से सिंचाई की अधिक जरूरत होती है।

प्रश्न 16.
गेहूं की फसल में सिंचाई प्रबन्धन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सामान्यत: गेहूँ में 5-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बोने के 20-25 दिन बाद की जाती है, जो महत्त्वपूर्ण होती है। इसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। अंतिम सिंचाई से पहले वाली सिंचाई दूधिया अवस्था में करनी चाहिए। अन्त में हलकी सिंचाई दाना पकते समय करनी चाहिए।

 

वार्षिक परीक्षा प्रश्न पत्र
कक्षा-6
विषय-कृषि विज्ञान

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लू किस मौसम में चलती है?
उत्तर:
लू गर्मी के मौसम में चलती है।

प्रश्न 2.
पाला किस मौसम में पड़ता है?
उत्तर:
पाला सर्दी के मौसम में पड़ता है।

प्रश्न 3.
नींबू में …………… प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। वाक्य पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
नींबू में विटामिन C प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।

प्रश्न 4.
परिरक्षण में 10 से 15% नमक ………. के लिए विष का काम करता है। वाक्य पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
परिरक्षण में 10 से 15% नमक जीवाणुओं के लिए विष का काम करता है।

प्रश्न 5.
ओला वृष्टि का क्या अर्थ है?
उत्तर:
ओला वृष्टि में, बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े आसमान से गिरते हैं।

प्रश्न 6.
बाग लगाने की किस विधि में 15 प्रतिशत पौधे अधिक लगाए जाते हैं?
उत्तर:
षट्भुजाकार विधि में।

प्रश्न 7.
ऊष्मा द्वारा परिरक्षण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
खाद्य पदार्थों के जीवाणुओं को सामान्यतः 65 डिग्री सेल्सियस ऊष्मा पर गर्म करके नष्ट किया जाता

प्रश्न 8.
बाग के लिए सबसे उपयुक्त मृदा कौन-सी होती है?
उत्तर:
दोमट

प्रश्न 9.
अमरूब की खेती किस जलवायु में अच्छी होती हैं?
उत्तर:
शुष्क जलवायु में।

प्रश्न 10.
तरल तथा पेय पदार्थों को परिरक्षित करने के लिए कौन-सा रसायन प्रयोग किया जाता है।
उत्तर:
पोटाशियम मेटाबाई सल्फेट तथा सोडियम बेन्जोएट।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 11.
पाला पड़ने से पूर्व वातावरण में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:
पाला पड़ने से पूर्व आकाश का स्वच्छ होना, रात का तापमान कम होना, भूमि के निकट तापमान शून्य °C से भी कम होना, दिन में ठंडी हवा चले और रात में शांत हो जाए। जलवायु में वायु की मात्रा कम होना।

प्रश्न 12.
परिरक्षण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
फलों एवं सब्जियों को खराब होने से बचाने हेतु अथवा उनकी गुणवत्ता अधिक समय तक बनाए रखने के लिए की जाने वाली क्रियाओं को फल परिरक्षण कहते हैं।

प्रश्न 13.
अमरूद में तना छेदक कीट की रोकथाम कैसे की जाती है?
उत्तर:
अमरूद में तना छेदक कीट नियन्त्रण के लिए रुई को मिट्टी के तेल में भिगोकर कीट द्वारा बनाए छिद्रों में डालकर गीली मिट्टी से बन्द कर देते हैं।

प्रश्न 14.
नींबू के पौधे किस प्रकार तैयार किए जाते हैं?
उत्तर:
नींबू के पौधे को बीज द्वारा तथा वानस्पतिक प्रसारण की कई विधियाँ- कलिकायन, कर्तन, गूटी द्वारा तैयार की जाती है। कलिकायन विधि पौध तैयार करने की व्यावसायिक विधि हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 15.
पौध खरीदते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
पौधा खरीदते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ

1.प्रजाति के अनुसार चुनाव- पौधा विक्रेता एवं नर्सरी मालिक कई प्रकार की प्रजातियों के पौधों को एक में मिलाकर बेच देते हैं। जब यह पौधे दस बारह साल बाद फलते हैं तब उनकी प्रजाति का पता चलता है और पूरा बाग खराब हो जाता है। अतः पौधे खरीदते समय वांछित प्रजाति की पहचान करके ही खरीदें।

2. कलमी पौधों की जगह वेशी पौधों का रोपण- पौधा विक्रेता देशी पौधे सस्ते होने के कारण कलमी पौधे के साथ देशी पौधों को बेच देते हैं। पौधा खरीदते समय तना पर कलिकायन अथवा ग्राफ्टिंग का चीरा देखकर कलमी पौधे पहचाने जा सकते हैं तथा धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।

प्रश्न 16.
आम का मीठा अचार कैसे तैयार किया जाता है?
उत्तर:
आम का मीठा अचार
आवश्यक सामग्री- आम की फाँके – 1 किलोग्राम, नमक – 200 ग्रा, चीनी – 600 ग्रा, पीसी लाल मिर्च – 20 ग्रा, गर्म मसाला – 20 ग्रा, सोंठ – 15 ग्रा, सौंफ – 20 ग्रा, हींग – थोड़ा-सा।
बनाने की विधि- आमों को ठंडे पानी से धोते हैं। छिलका उतारकर लम्बाई में बड़े सरोते से काटकर फाँकों को स्टील के काँटों से छेदते हैं। चाशनी अचार को सुरक्षित रखती है। आम के फाँके चीनी की चाशनी को अच्छी तरह सोखते हैं। काँच के बर्तन में रखकर मसाले और चीनी को अच्छी तरह मिलाते रहें। 4-5 दिन धूप में रखते हैं।

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UP Board Solutions for Class 6 Computer Education (कम्प्यूटर शिक्षा)

UP Board Solutions for Class 6 Computer Education (कम्प्यूटर शिक्षा)

कम्प्यूटर का इतिहास

बच्चो, अभी तक आप कम्प्यूटर की उपयोगिता, प्रयोग क्षेत्र और उसके प्रमुख भागों के साथ-साथ यह तो जान ही गए हैं कि कम्प्यूटर की कक्षा में क्या-क्या सावधानियाँ रखनी (UPBoardSolutions.com) चाहिए। अब आप इस अध्याय में कम्प्यूटर के विकास तथा इसमें किन प्रमुख लोगों का योगदान रहा है, इसके बारे में जानेंगे। 

पहला कम्प्यूटर : अबाकस:

बच्चो, प्राचीन काल में लोग गणना करने के लिए कंकड़ों और पत्थरों का प्रयोग करते थे। जब इस तरह से गणना का कार्य कठिन लगने लगा तो उन्होंने अबाकस नामक एक उपकरण का आविष्कार किया। इस उपकरण को आज से लगभग दो हज़ार वर्ष पहले चीन में बनाया गया था। चित्र में आप इसे देख सकते हैं। यह उपकरण एक लकड़ी के फ्रेम का बना था, जिसमें कई छड़ें थीं। ये छड़ें एक समानान्तर छड़ से दो असमान भागों में बँटी होती थीं।
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लम्बवत छड़ों के ऊपरी भाग में दो गोलियाँ और निचले भाग में पाँच गोलियाँ होती थीं। ऊपर की एक गोली को पाँच इकाइयों के बराबर माना जाता था और नीचे की एक गोली को एक इकाई के। इन गोलियों को कुछ निश्चित नियमों के साथ प्रयोग करके गणना का कार्य किया जाता था, जिससे गणितीय समस्याओं का समाधान आसानी से हो जाता था।

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कम्प्यूटर के जनक : चार्ल्स बैवेज़:
चार्ल्स बैवेज़ एक अंग्रेज गणितज्ञ थे। सबसे पहले इन्होंने कम्प्यूटर जैसी किसी मशीन की परिकल्पना की थी। इसी वजह से इन्हें कम्प्यूटर का जनक कहा जाता है। सन् 1823 में इन्होंने (UPBoardSolutions.com) एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया जो तेजी से गणना करने में सक्षम थी। इस मशीन को डिफरेन्स इंजिन का नाम दिया गया। यह मशीन वर्तमान समय के कम्प्यूटर से काफी मिलती-जुलती थी।
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कम्प्यूटर पारचया

कम्प्यूटर परिचय बच्चो, पिछले अध्याय में आपने पढ़ा कि प्राचीन काल में मनुष्य गिनने के लिए और हिसाब-किताब रखने के लिए कंकड़ों और पत्थरों का प्रयोग करता था। इसके बाद उसने अबाकस नामक एक उपकरण बनाया जो चीन में दो हजार साल पहले बना था।

सन् 1823 में एक अंग्रेज गणितज्ञ, जिनका नाम चार्ल्स बैवेज़ था, उन्होंने डिफरेन्श इंजिन नामक एक मशीन बनायी, जो हमारे आज के कम्प्यूटर से काफी मिलती-जुलती थी। इसलिए चार्ल्स बैवेज़ को कम्प्यूटर का जनक कहा गया। आइए इस अध्याय में कम्प्यूटर के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करें।

कम्प्यूटर क्या है?

कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। इसके द्वारा सभी तरह की गणितीय और तार्किक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

हम कम्प्यूटर से गणित के सवाल हल कर सकते हैं, चित्र बना (UPBoardSolutions.com) सकते हैं, गेम खेल सकते हैं, पत्र लिखकर उन्हें प्रिंट कर सकते हैं, कार्ड बना सकते हैं और इसी तरह से अनेक कार्य कर सकते हैं।
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कम्प्यूटर बहुत ही तेजी व शुद्धता से कार्य करने वाली मशीन है। कम्प्यूटर की कार्य करने की गति हमसे बहुत तेज होती है। यदि हम किसी सवाल को एक मिनट में हल करते हैं तो कम्प्यूटर इस कार्य को एक सेकंड के हजारवें हिस्से में कर देगा। कम्प्यूटर की एक विशेषता यह भी है कि यह हमेशा सही उत्तर देता है।

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कम्प्यूटर और हम:
कम्प्यूटर एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जिसका निर्माण मनुष्य ने किया है। इसलिए हम यह कह सकते हैं कि मनुष्य का दिमाग ही कम्प्यूटर का मालिक है। कम्प्यूटर मनुष्य के द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार कार्य करता है और इसमें खुद की सोचने व समझने की शक्ति नहीं होती है।
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कम्प्यूटर का प्रयोग क्यों?

कम्प्यूटर हमारे ऊपर पूरी तरह से निर्भर होते हैं, फिर भी हम इनका प्रयोग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में करते हैं। इसके निम्न कारण हैं –

  • कम्प्यूटर की मेमोरी बहुत बड़ी होती है।
  • कम्प्यूटर कभी भी थकते नहीं हैं।
  • कम्प्यूटर बहुत तेजी से कार्य कर सकते हैं।
  • कम्प्यूटर हमेशा सही परिणाम देते हैं।
  • कम्प्यूटर बहुत बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर कर सकते हैं।

कम्प्यूटर की सीमाएँ:

जहाँ एक ओर कम्प्यूटर के बहुत से फायदे हैं, वहीं दूसरी (UPBoardSolutions.com) ओर इसकी कार्य संबंधी कुछ सीमाएँ भी हैं। आइए जानें कि ये सीमाएँ क्या हैं –

  • कम्प्यूटर खुद कोई कार्य नहीं कर सकता है।
  • कम्प्यूटर में मेमोरी तो होती है, लेकिन सोचने वाला दिमाग नहीं होता है।
  • ‘कम्प्यूटर बुद्धिमान नहीं होता है।
  • कम्प्यूटर कारणों की व्याख्या नहीं कर सकता है।
  • कम्प्यूटर हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों का ही पालन कर सकता है।

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कम्प्यूटर के मुख्य भाग

बच्चो, पिछले अध्याय में आपने कम्प्यूटर की विशेषताओं और सीमाओं के बारे में पढ़ा। इस अध्याय में आइए अब यह जानकारी प्राप्त करते हैं कि कम्प्यूटर के मुख्य भाग कौन-कौन से होते हैं।

कम्प्यूटर में क्या-क्या?

बच्चो, जिस तरह से हमारे शरीर में अलग-अलग कार्यों को करने के लिए अलग-अलग भाग होते हैं, ठीक उसी तरह से कम्प्यूटर में भी अलग-अलग कार्यों को करने के लिए अलग-अलग भाग होते हैं।

इन भागों को हम दो वर्गों में बाँट सकते हैं। पहले वर्ग में इसके अनिवार्य भाग होते हैं।

कम्प्यूटर के अनिवार्य भाग:-
बच्चो, कम्प्यूटर के तीन अनिवार्य भाग होते हैं। ये भाग निम्न हैं –
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ये तीनों भाग जुड़कर एक कम्प्यूटर का निर्माण करते हैं।

कम्प्यूटर का की-बोर्ड
की-बोर्ड कम्प्यूटर का पहला अनिवार्य भाग है। देखने में यह टाइपराइटर की तरह ही होता है। इसके द्वारा टाइप करके डेटा और निर्देशों को कम्प्यूटर के सीपीयू में भेजते हैं, इसीलिए (UPBoardSolutions.com) इसे इनपुट डिवाइस भी कहते हैं। टाइप करने के लिए जिन बटनों को दबाया जाता है, उन्हें कीज़ कहते हैं।
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की-बोर्ड को कम्प्यूटर के सीपीयू से जोड़ा जाता है। आजकल जिस तरह के की-बोर्ड प्रयोग किए जा रहे हैं, उनमें 104 से लेकर 124 तक कीज़ हो सकते हैं।

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कम्प्यूटर का सीपीयू:
यह कम्प्यूटर का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग होता है। इसका पूरा नाम सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट है। इसे आप कम्प्यूटर का दिमाग भी कह सकते हैं। सभी तरह की गणनाओं और तार्किक कार्यों को पूरा करने का काम सीपीयू द्वारा ही सम्पन्न होता है। वर्तमान समय में इसके दो रूप हैं। इन्हें आप निम्न चित्र में देख सकते हैं –
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कम्प्यूटर का मॉनीटर:

यह एक मॉनीटर है। मॉनीटर देखने में टेलीविजन की तरह ही दिखाई देता है। मॉनीटर के जिस भाग पर हमें चित्र या अक्षर दिखाई देते हैं, उसे स्क्रीन कहते हैं। तकनीकी भाषा में इसे सीआरटी कहा जाता है। इसका पूरा नाम है केथोड रे ट्यूब। की-बोर्ड के द्वारा जो भी टाइप किया जाता है, वह (UPBoardSolutions.com) मॉनीटर पर ही दिखाई देता है। काम पूरा होने पर हमें परिणाम भी मॉनीटर पर ही दिखाई देते हैं, इसलिए इसे आउट पुट डिवाइस कहा जाता है।।
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कम्प्यूटर का माउस:
माउस भी कम्प्यूटर की इनपुट डिवाइस है। इसके ऊपर दो या तीन बटनें होती हैं और यह एक तार के द्वारा सीपीयू से जुड़ा रहता है। (आजकल बिना तार के माउस भी आ गए हैं।)
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माउस को एक चौकोर पैड पर रखा जाता है, इसे माउस पैड कहते हैं। जब आप माउस पैड पर माउस को घुमाएँगे तो एक तीर के निशान की तरह का संकेतक (प्वाइन्टर) मॉनीटर पर हिलता हुआ दिखाई देगा।

इसे आम बोलचाल की भाषा में माउस प्वाइन्टर कहा जाता है। माउस के द्वारा कम्प्यूटर को निर्देश देने का काम भी किया जाता है, इसीलिए यह भी एक इनपुट डिवाइस है।

की-बोर्ड, मॉनीटर, सीपीयू और माउस को जोड़कर सम्पूर्ण पीसी अर्थात् पर्सनल कम्प्यूटर बनता है। वर्तमान समय में माउस भी एक महत्त्वपूर्ण इनपुट डिवाइस है। विंडोज (UPBoardSolutions.com) ऑपरेटिंग सिस्टम में इसके बिना काम करना बहुत ही मुश्किल है। तो यह तो थे आज के कम्प्यूटर के अनिवार्य भाग। आइए अब एक नजर कम्प्यूटर के सहायक उपकरणों पर डालें।

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प्रिंटर:
प्रिंटर कम्प्यूटर का एक प्रमुख उपकरण है। इसके द्वारा आप कम्प्यूटर में स्टोर सूचनाओं (डेटा) को कागज पर प्रिंट कर सकते हैं। इस समय कई तरह के प्रिंटर प्रयोग किए जा रहे हैं। इनमें डॉट मैट्रिक्स, इंकजेट और लेज़र प्रिंटर प्रमुख हैं। सामान्य प्रिंटर देखने में इस तरह से दिखाई देता है –
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चित्र में जो प्रिंटर दिखाई दे रहा है, वह डॉट मैट्रिक्स है। चूंकि प्रिंटर कम्प्यूटर में स्टोर सूचनाओं को कागज पर प्रिंट करता है, इसलिए इसे आउटपुट डिवाइस या आउटपुट उपकरण भी कहते हैं।

फ्लॉपी डिस्क:
फ्लॉपी डिस्क कम्प्यूटर में डेटा स्टोर करने का माध्यम है। कम्प्यूटर में स्टोर या उपलब्ध सूचनाओं को फ्लॉपी में भी कॉपी कर सकते हैं। इस समय सामान्य तौर पर जिस फ्लॉपी का प्रयोग किया जा रहा है, वह आकार में 3.5 इंच की होती है और यह वर्गाकार होती है। चित्र में आप इसे देख सकते हैं –
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आप फ्लॉपी में कम्प्यूटर का डेटा स्टोर कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर फ्लॉपी में स्टोर डेटा वापस कम्प्यूटर में ले जा सकते हैं। डेटा स्टोर करने की वजह से इसे स्टोरेज़ डिवाइस कहा जाता है।

सीडी अर्थात् कॉम्पैक्ट डिस्क:
सीडी का प्रयोग वर्तमान समय में प्रमुख स्टोरेज डिवाइस (UPBoardSolutions.com) के तौर पर किया जा रहा है। चित्र में आप इसे देख सकते हैं।
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सीडी का डेटा स्टोर करने की क्षमता फ्लापी से कई सौ गुना ज्यादा होती है। इसमें आप संगीत, फिल्म और फोटो जैसा डेटा भी स्टोर कर सकते हैं।

कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली

अभी आपने कम्प्यूटर के अनिवार्य और सहायक उपकरणों के बारे में जानकारी प्राप्त की। कम्प्यूटर के अनिवार्य अंग आपस में जुड़कर एक सम्पूर्ण पीसी अर्थात् पर्सनल कम्प्यूटर का निर्माण करते हैं। जबकि सहायक उपकरण प्रिंटिंग करने और डेटा स्टोर करने जैसे कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। आइए, अब आगे यह समझते हैं कि कम्प्यूटर काम कैसे करता है।

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कैसे काम करता है कम्प्यूटर?
कम्प्यूटर के तीन प्रमुख अंगों को इनपुट डिवाइस (की-बोर्ड), प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) और आउटपुट डिवाइस (मॉनीटर) के नाम से जाना जाता है। अर्थात् इनपुट (UPBoardSolutions.com) डिवाइस सूचनाओं को कम्प्यूटर के अन्दर भेजती है। प्रोसेसिंग यूनिट इन्हें प्रोसेस करती है जबकि आउटपुट यूनिट हमें परिणाम दर्शाती है। आइए इसे एक और उदाहरण के द्वारा समझें।
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यदि आप सन्तरे का रस (जूस) निकालना चाहते हैं तो आपको जूसर नामक उपकरण में सन्तरे डालने होंगे। इस क्रिया में सन्तरे जूसर में इनपुट हो रहे हैं।

इसके पश्चात यह जूसर-मिक्सर प्रोसेसिंग करके इनका रस निकालेगा। इसे आप ग्लास या किसी तरह के किसी दूसरे बर्तन में इकट्ठा करेंगे। यहाँ पर आउटपुट को हमने ग्लास में एकत्रित किया। अर्थात इस क्रिया में इनपुट, प्रोसेसिंग और आउटपुट जैसे तीनों कार्य सम्पन्न हुए। इस कार्य प्रणाली को आप नीचे बने रेखा चित्र से समझ सकते हैं –
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इसी तरह से जब आपको अपने घर के फ्रिज का प्रयोग करके बर्फ जमानी होती है तो आप ट्रे में पानी लेकर फ्रीज़र प्रोसेसिंग करके बर्फ जमा लेते हैं, जिसे हम ट्रे से निकालकर एक बड़ी ट्रे में स्टोर कर देते हैं। यहाँ पर भी इनपुट, प्रोसेसिंग और आउटपुट जैसे तीनों कार्य होते हैं।

इस तरह आप समझ गए होंगे कि मशीनों की कार्यप्रणाली किस तरह से इन तीन प्रक्रियाओं से संचालित होती हैं और ये तीन चरण हैं –

  • इनपुट
  • प्रोसेसिंग
  • आउटपुट

बच्चो, कम्प्यूटर इसी तरह से अपना कार्य करता है। कम्प्यूटर पर जब आप उसे किन्हीं दो संख्याओं को जोड़ने के लिए कहते हैं, उसमें सबसे पहले ये दो संख्याएँ की-बोर्ड के द्वारा टाइप करके इनपुट की जाती हैं। इनपुट होते ही ये सीपीयू में पहुँचती हैं।

सीपीयू में प्रोसेसिंग यूनिट के द्वारा गणना करने का कार्य पूरा होता है और इस प्रक्रिया में ये दोनों संख्याएँ आपस में जुड़ जाती हैं। इन्हें जोड़ने के लिए हम कम्प्यूटर को कुछ निर्देश देते हैं। इसी निर्देश के परिणामस्वरूप प्रोसेसिंग यूनिट अपना कार्य करती है।

निर्देश का पालन करते हुए प्रोसेसिंग यूनिट संख्याओं को आपस में जोड़कर उनका परिणाम आउटपुट यूनिट पर भेजती है और हमें मॉनीटर के स्क्रीन पर यह रिजल्ट दिखाई (UPBoardSolutions.com) देता है। जोड़ने की तरह ही दूसरे कार्य भी इन्हीं चरणों का पालन करते हुए सम्पन्न होते हैं। निम्न रेखा चित्र में आप इन तीनों चरणों को समझ सकते हैं –
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इनपुट उपकरण

अभी तक आप यह तो समझ ही गए हैं कि कम्प्यूटर में डेटा और निर्देशों को इनपुट किया जाता है। डेटा इनपुट करने के बाद निर्देश देकर उसे प्रोसेस करते हैं और परिणाम प्राप्त करते हैं। कम्प्यूटर डेटा और निर्देशों के बगैर कोई भी कार्य नहीं कर सकता है। जिन उपकरणों को इसके लिए प्रयोग किया जाता है, उन्हें इनपुट उपकरण कहते हैं। निम्न रेखाचित्र में आप इस प्रक्रिया को समझ सकते हैं –
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कम्प्यूटर में इनपुट करने के लिए वैसे तो आजकल कई उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। लेकिन सबसे ज्यादा की-बोर्ड और माउस को इसके लिए इस्तेमाल करते हैं। की-बोर्ड को प्राइमरी इनपुट डिवाइस भी कहा जाता है। इस अध्याय में आइए की-बोर्ड और माउस के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

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की-बोर्ड:
कम्प्यूटर का की-बोर्ड टाइपराइटर के की-बोर्ड जैसा होता है। इसके बटन टाइपराइटर के बटनों की अपेक्षा आसानी से दबते हैं। इससे कार्य करने में आसानी होती है। इसकी एक (UPBoardSolutions.com) खासियत यह है कि यदि एक बटन को लम्बे समय तक दबाए रखें तो अक्षर स्वयं को दोहराने लगता है।
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की-बोर्ड एक केबल (तार) के जरिए कंप्यूटर से जुड़ा होता है। इस तार के दूसरे सिरे पर लगा प्लग कम्प्यूटर के पीछे के बने एक सॉकेट में लग जाता है। यह केबल ही दोनों के बीच संपर्क का काम करता है।

की-बोर्ड की कीज़:
की-बोर्ड में कुछ अतिरिक्त कीज़ होती हैं, जो टाइपराइटर में नहीं होती हैं। जैसे – तीर (एरो कीज) तथा दूसरे संचालन करने वाली विशेष कीज़। आइए, इन्हें क्रम में समझें –

फंक्शन कीज़:
फंक्शन कीज़ का प्रयोग कम्प्यूटर को विशेष कमांड देने के लिए किया जाता है। वर्तमान समय में जो की-बोर्ड प्रयोग किए जाते हैं, उनमें इनकी संख्या बारह होती है। चित्र में आप इन्हें देख सकते हैं-
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बैकस्पेस की:
इस की का प्रयोग टाइप किए हुए अक्षरों को दाएँ से बाईं ओर मिटाने के लिए किया जाता है। की-बोर्ड में यह अपनी तरह की एक ही की होती है। चित्र में आप इसे देख सकते हैं-
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स्पेसबार की :
यह की-बोर्ड की सबसे लम्बी की होती है। इसका प्रयोग अक्षरों और शब्दों के बीच स्पेस देने के लिए किया जाता है। चित्र में आप इसे देख सकते हैं –
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एंटर या रिटर्न की :
इस की का प्रयोग सीपीयू में डेटा और कमांड्स को भेजने (UPBoardSolutions.com) के लिए किया कुछ की-बोर्ड में इस पर रिटर्न भी लिखा होता है। देखने में यह इस तरह से है
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कैप्स लॉक की:

इस की का प्रयोग की-बोर्ड में कैपिटल लेटर्स (बड़े अक्षर) को स्मॉल लेटर्स (छोटे अक्षर) में या फिर स्मॉल लेटर्स को कैपिटल लेटर्स में बदलने के लिए किया जाता है।
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एरो कीज़ :
इन कीज़ के द्वारा आप कर्सर को स्क्रीन पर चारों दिशाओं में ले जा सकते हैं। यह संख्या में चार होती हैं। चित्र में आप देख सकते हैं –
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कर्सर कंट्रोल कीज :
इन पर अलग-अलग दिशा के तीर के निशान बने होते हैं। कर्सर कंट्रोल की इन कीज़ को लेफ्ट, राइट, अप एंड डाउन कीज़ कहा जाता है। यह कीज़ कर्सर को ऊपर-नीचे, दाएँ, बाएँ ले जाने का काम करती हैं। कर्सर नियंत्रक चार दूसरी कीज़ होम, एंड, पेजअप, पेज डाउन हैं। इन पर (Home. End, PgUp, PgDn) लिखा होता है।

पेजअप का मतलब इस की को दबाकर पहले वाले पेज को स्क्रीन पर देखना और काम करना है। पेज डाउन से पेज के नीचले हिस्से को सामने लाकर वहाँ काम करना है। होम (UPBoardSolutions.com) कीज़ को दबाने से स्क्रीन पर लगे दस्तावेज की शुरुआत में पहुँचा या लाइन के शुरू में जाया जा सकता है। एंड वाली कीज़ को दबाने से लाइन के आखिर में जाया जा सकता है।

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न्यूमेरिक कीज़ :
ये की-बोर्ड के दायीं तरफ होती हैं। इनमें से कुछ के दोहरे काम होते हैं। जब नम लॉक ऑन होता है तो (मतलब ऊपर की हरी लाइट चालू होना) ये सभी नंबर की तरह काम करती हैं और लॉक बन्द या लाइट बन्द होने पर ये कीज कर्सर की तरह काम करती हैं। यह ० से लेकर ६ तक होती है –
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शिफ्ट कीज़ :
यदि किसी की पर दो संकेत या कैरक्टर हैं तो उसके ऊपर के अक्षर को टाइप करने के लिए शिफ्ट कीज़ को अक्षर कीज़ के साथ दबाना होता है।

एस्केप की :
इसे दबाने का मतलब, पहले दी कमांड या प्रविष्टि को रद्द करना है। देखने में यह Esed इस तरह से दिखाई देती है –
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पॉज या ब्रेक की :
यदि डॉस मोड में काम कर रहे हैं और किसी कमांड के प्रयोग से स्क्रीन पर एक के बाद एक लगातार मैटर आता जाए तो इस कीज़ को दबाने पर वह रुक जाएगा।
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टैब की:
यह ऐज में पैराग्राफ, टेक्स्ट, संख्या आदि पहले तय करने यानी कर्सर को एक लाइन के साथ नि-सेट जगह पर ले जाने वाली की है।

डिलीट को :
स्क्रीन पर जहाँ कर्सर है और उस शब्द को मिटाना है तो इसे दबाने से वह मिट जाएगा।
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टाइपिंग कीज़ :
ज्यादातर यह सफेद रंग की कीज़ होती है। इन पर अक्षर (A-Z) संख्या और विराम के संकेत होते हैं। यह टाइपराइटर के कीज़ जैसी होती है।।

माउस
यह बहुत छोटा उपकरण है, जिसे हाथ से मेज की सतह पर इधर-उधर सरकाया जाता है। इसमें दो-तीन बटन होते हैं, जिन्हें अंगुलियों से क्लिक किया जाता है अथवा दबाया जाता (UPBoardSolutions.com) यह एक इनपुट उपकरण है जो पीसी से एक केबल द्वारा जुड़ा हो है। इसके कई तार होते हैं। केबल के दूसरे सिरे पर लगा प्लग पीसी पीछे लगे सीरियल पोर्ट वाले सॉकेट में लगा दिया जाता है।
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माउस को मेज की सतह पर जब इधर-उधर सरकाया जाता है मॉनीटर के पटल पर एक तीर की आकृति का चिह्न इधर-उधर चल दिखाई पड़ता है। इस तीर के निशान को माउस का प्वाइंट कहते हैं।

माउस बहुपयोगी है। इससे अनेक कार्य सम्पन्न किए जा सकते। विशेष रूप से ग्राफिक्स के लिए तो इसका बहुत अधिक उपयोग है। जब आपका मन ग्राफिक्स के प्रोग्राम में रेखा खींचने का हो तो यह माउस प्वाइन्टर तीर की बजाए एक पेंसिल की शक्ल अख्तियार कर लेता है। यदि किसी रेखा या चित्र को मिटाना चाहें तो रबड़ और यदि रंग भरने का विचार रखेंगे तो रंग के डिब्बे की आकृति ग्रहण कर लेगा।

वैसे सामान्य स्थिति में यह अपने पूर्ववत रूप में यानी प्वाइन्टर रूप में चला आएगा। माउस के नीचे एक छोटी गेंद लगी होती है, जिससे माउस को सतह पर इधर-उधर सरकाने में आसानी होती है। इसे एक पैड पर घुमाते हैं, जिसे माउस पैड के नाम से जाना जाता है। आजकल ऐसे माउस भी (UPBoardSolutions.com) चलन में हैं, जिनमें प्रकाश परावर्तन तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। इन्हें ऑप्टिकल माउस कहते हैं। इसके अलावा बिना तार वाले वायरलेस माउस भी अब खूब इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

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माउस से जुड़ी शब्दावली:
जब आप माउस से कम्प्यूटर पर कार्य करेंगे तो कई शब्द आपको इस तरह के पता चलेंगे, जिन्हें आप अभी तक जानते ही नहीं हैं। माउस को सरलता से प्रयोग किया जा सके, इसलिए पहले इन शब्दों के अर्थ जानते हैं

क्लिक करना:
जब माउस के प्वाइन्टर अर्थात संकेतक को मॉनीटर की स्क्रीन पर किसी आइकन (चित्र) पर ले जाकर उसकी बाईं बटन को दबाते हैं तो यह क्रिया क्लिक करना कहलाती है। क्लिक करने से आप मॉनीटर के ऑब्जेक्ट को सिलेक्ट कर सकते हैं।

डबल क्लिक करना :
जब आप किसी ऑब्जेट पर एक बार क्लिक करके उसे सिलेक्ट करते हैं तो वह केवल सिलेक्ट होता है। उस ऑब्जेक्ट या उससे जुड़े प्रोग्राम को खोलने के लिए ऑब्जेक्ट पर तेजी से दो बार लगातार क्लिक करते हैं तो इससे प्रोग्राम क्रियान्वित हो जाता है। यह क्रिया डबल क्लिकिंग कहलाती है।

ड्रैग एंड ड्रॉप करना :
मॉनीटर की स्क्रीन पर दिखाई दे रहे ऑब्जेक्ट पर माउस प्वांइटर ले जाकर जब एक बार क्लिक करके उसे सिलेक्ट करते हैं तथा आप इस बाएँ बटन को यदि दबाए रखें और माउस को पैड पर घुमाएँ तो ऑब्जेक्ट भी स्क्रीन पर स्थान बदलेगा। इस क्रिया को ड्रैग करना कहते हैं।

ड्रैग करके ऑब्जेक्ट को नए स्थान पर लाकर छोड़ना (अर्थात् नए स्थान पर आने के बाद बाएँ बटन को छोड़ देना) ड्राप करना कहलाता है।

प्रोसेसिंग उपकरण

जैसा कि आप अभी तक यह जान गए होंगे कि सभी कम्प्यूटर तीन अनिवार्य भागों में विभाजित होते है। ये भाग हैं – इनपूट यूनिट, प्रोसेसिंग यूनिट और आउटपुट यूनिट। पिछले अध्याय में आपने इनपुट यूनिट के बारे में पढ़ा। इस अध्याय में आप प्रोसेसिंग यूनिट के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट:
कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग यूनिट को सीपीयू अर्थात सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट कहते हैं। इसमें कम्प्यूटर के बहुत ही जरूरी उपकरण होते हैं जो प्रोसेसिंग का कार्य सम्पन्न करते हैं। सभी तरह की गणनाएँ यहीं पूरी होती हैं, इसलिए इसे कम्प्यूटर का दिमाग भी कहते हैं।
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आजकल जिस तरह के सीपीयू का सर्वाधिक प्रयोग किया जा रहा है, उसे चित्र में दर्शाया गया है।
सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट तीन मुख्य भागों में विभाजित होती हैं-

  • अर्थमेटिक एंड लॉजिक यूनिट
  • मेमोरी यूनिट क
  • कंट्रोल यूनिट

ये तीनों भाग मिलकर सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण करते हैं।
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अर्थमेटिक एंड लॉजिक यूनिट:
सीपीयू के इस भाग में ही सभी तरह की गणनाओं के कार्य सम्पन्न होते हैं। इसके अलावा कम्प्यूटर तार्किक कार्य भी इसी के द्वारा पूरा करता है। इस तरह के कार्यों में एक (UPBoardSolutions.com) कम्प्यूटर की तुलना दूसरे से कर सकते है।

उदाहरण के लिए यदि यह पता लगाना है कि १० और ४० में छोटा कौन है तो यह तुलना करने वाला काम भी अर्थमेटिक एंड लॉजिक यूनिट ही करेगा।

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मेसोरी यूनिट:
कम्प्यूटर की मेमोरी यूनिट डेटा को स्टोर करती है। इसके अलावा कम्प्यूटर को दिए जाने वाले निर्देश भी इसी में जमा रहते हैं। प्रोसेसिंग के पहले और बाद दोनों स्थितियों में डेटा और परिणाम मेमोरी यूनिट में ही रहते हैं।

कंट्रोल यूनिट:
कम्प्यूटर की यह यूनिट इसके सभी भागों पर नियन्त्रण बनाए रखती है। इसके द्वारा इनपुट डिवाइस, आउटपुट डिवाइस और अर्थमेटिक एंड लॉजिक यूनिट से प्रोसेसिंग के पश्चात परिणाम प्राप्त करने की प्रक्रिया भी नियंत्रित होती है अर्थात् कम्प्यूटर का पूरा कंट्रोल यहीं से होता है।

आउटपुट उपकरण

जैसा कि आप अभी तक यह जान गए होंगे कि सभी कम्प्यूटर तीन अनिवार्य भागों में विभाजित होते हैं। ये भाग हैं – इनपुट यूनिट, प्रोसेसिंग यूनिट और आउटपूट यूनिट। पिछले अध्याय में आपने सीपीयू के बारे में पढ़ा। इस अध्याय में आप आउटपुट यूनिट के बारे में पढ़ेंगे।

प्राइमरी तौर पर मॉनीटर मुख्य आउटपुट डिवाइस है और प्रिंटर सहायक आउटपुट डिवाइस की श्रेणी में आता है।

मॉनीटर:
मॉनीटर देखने में टेलीविज़न की तरह ही होता है। इनपुट होते समय सूचना और निर्देश तथा प्रोसेसिंग के बाद सभी परिणाम इस पर ही दिखाई देते हैं।
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हमारे देश में दो तरह के मॉनीटर प्रयोग किए जा रहे हैं। मॉनीटरों का यह वर्गीकरण रंगों के आधार पर है और ये हैं –

  • मोनोक्रोम मॉनीटर
  • कलर मॉनीटर

मोनोक्रोम मॉनीटर :
इस श्रेणी में आने वाले सभी मॉनीटर केवल एक रंग में ही सूचनाओं को दर्शाते हैं, इसीलिए इनके संदर्भ में मोनो शब्द का प्रयोग किया जाता है। अब इनका चलन लगातार कम होता जा रहा है।

कलर मॉनीटर:
इस श्रेणी में आने वाले मॉनीटर सभी रंगों में सूचनाओं को दर्शाते हैं, इसीलिए इनके संदर्भ में कलर शब्द का प्रयोग किया जाता है। हमारे देश में कीमतें कम होने से इनका चलन लगातार बढ़ रहा है।

प्रिंटर:
प्रिंटर कम्प्यूटर का एक प्रमुख सहायक उपकरण है। इसके द्वारा आप कम्प्यूटर में स्टोर सूचनाओं (डेटा) को कागज पर प्रिंट कर सकते हैं। इस समय कई तरह के प्रिंटर प्रयोग किए जा रहे हैं। इनमें प्रमुख है

  • डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर
  • इंकजेट प्रिंटर
  • लेज़र प्रिंटर

निम्न चित्रों में आप इन तीनों तरह के प्रिंटर देख सकते हैं –
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लेज़र प्रिंटर डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर :
इस तकनीक से काम करने वाले सभी प्रिंटर पिनों की सहायता से प्रिंटिंग करते हैं। ये पिनें एक रिबन पर दबाव बनाती हैं, जिससे कागज पर अक्षर छप जाता है। ये बहुत ही (UPBoardSolutions.com) साधारण क्वालिटी की प्रिंटिंग करते हैं। इन्हें बैंकों और इसी तरह के बड़े-बड़े संस्थानों में बहुत बड़ी मात्रा में डेटा प्रिंट करने के लिए प्रयोग करते हैं। इनकी छपाई की लागत भी बहुत कम होती है।

इंक जेट प्रिंटर:
इस तकनीक से काम करने वाले सभी प्रिंटर एक जेट से फुहार छोड़कर प्रिंटिंग करते हैं। यह भी कीमत में सस्ते होते हैं और ये काली तथा रंगीन दोनों तरह की प्रिंटिंग करने की क्षमता रखते हैं। इनके द्वारा आप फोटो क्वालिटी की प्रिंटिंग भी कर सकते हैं। लेकिन इनके द्वारा होने वाली छपाई बहुत महँगी होती है और ये धीमी गति से कार्य करते हैं।

लेज़र प्रिंटर :
इस तकनीक से काम करने वाले सभी प्रिंटर लेज़र किरण की सहायता से प्रिंटिंग करते हैं। इसमें लेज़र किरण टोनर नामक पाउडर जैसी स्याही को पिघलाकर कागज पर अक्षरों को प्रिंट करती है। ये कीमत में बहुत महँगे होते हैं और इनके द्वारा तीव्र गति से बेहतरीन प्रिंटिंग की जा सकती है।

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कम्प्यूटर ऑन/ऑफ करना
अभी तक आप कम्प्यूटर के प्रमुख भागों और सहायक उपकरणों के साथ-साथ उसकी कार्य-प्रणाली के बारे में जान गए होंगे। आइए अब यह सीखते हैं कि कम्प्यूटर पर काम की शुरुआत कैसे करते हैं।

कम्प्यूटर ऑन करना:

  • सबसे पहले अपनी कम्प्यूटर किताब लें।
  • कम्प्यूटर प्रयोगशाला में हमेशा टीचर के साथ जाएँ।।
  • मुख्य पॉवर स्विच को ऑन करें।
  • सीवीटी या यूपीएस को ऑन करने के बाद कम्प्यूटर को ऑन करें।
  • यदि मॉनीटर सीपीयू के विद्युत् प्रवाह से नहीं जुड़ा है तो मॉनीटर का स्विच ऑन करें।
  • इसके पश्चात् सीपीयू का स्विच ऑन करें।
  • विंडोज़ डेस्कटॉप आने का इंतजार करें।

विंडोज़ के डेस्कटॉप में आपको जो छोटे-छोटे चित्र दिखाई देते हैं, उन्हें आइकन कहते हैं। इसमें सबसे नीचे टास्क बार होता है। टास्कबार के बाएँ कोने पर स्टार्ट बटन होती है, जिस पर क्लिक करके आप अपने काम की शुरुआत कर सकते हैं।

आपको विंडोज़ के डेस्कटॉप पर माउस प्वाइन्टर भी दिखाई देगा। जब आप माउस को पैड पर घुमाएँगे तो यह भी घूमेगा।

यदि आप विंडोज़ में कोई काम करना चाहते हैं तो आपको वह प्रोग्राम शुरू करना होगा। इस कक्षा में आप पेंट जैसे प्रोग्रामों में काम कर सकते हैं। इसमें आप तरह-तरह की पिक्चर बना सकते हैं। इस सम्बन्ध में आप अपने अध्यापक से कहें।

कम्प्यूटर ऑफ करना:

काम समाप्त होने के पश्चात् कम्प्यूटर को निम्न क्रम में बन्द करें –

  • सबसे पहले विंडोज़ के स्टार्ट बटन पर क्लिक करें। आपके सामने यह इस तरह से खुलकर आ जायेगा-
  • इसमें दिए शटडाउन या टर्न ऑफ विकल्प पर क्लिक करें। आपके सामने यह विकल्प बॉक्स आ जाएगा
  • इसमें शटडाउन या टर्न ऑफ विकल्प पर क्लिक करके ओके बटन पर क्लिक करें। आपके सामने यह संदेश आएगा

It’s now safe to turn off your computer

  • इस संदेश को पढ़ने के बाद सीपीयू का स्विच बन्द करें।
  • मॉनीटर का स्विच बन्द करें।
  • सीवीटी या यूपीएस को बन्द करें।
    • मुख्य विद्युत् आपूर्ति स्विच बन्द करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 2 पुनरावलोकनम्-2

UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 2 पुनरावलोकनम्-2

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit. Here we have given UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 2 (पुनरावलोकनम्-2)

(क) सर्वनाक- प्रयोगः (किम्, इदम्, एतत्)

शब्दार्थाः –
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पुल्लिङ्गम् (पुल्लिग)
शब्दार्थाः –
अयम् = यह,
इमौ = ये दोनों,
इमे = ये सब,
एषः = यह,
एतौ = ये दोनों,
एते = ये सब
UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 2 पुनरावलोकनम्-2 2

स्त्रीलिङ्गम् (स्त्रीलिंग)।

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शब्दार्थाः –
इयम् = यह,
इमे = ये दोनों,
इमाः = ये सब,
एषा = यह,
एते = ये दोनों,
एताः = ये सब
UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 2 पुनरावलोकनम्-2 3

नपुंसकलिङ्गम् (नपुंसकलिंग)
शब्दार्थाः –
इमे = ये दोनों,
इमानि = ये सब,
एतत्= यह,
एते = ये दोनों,
एतानि = ये सब
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(ख) ‘युष्मद् ‘अस्मद् शब्दः (मध्यमपुरुषः उत्तमपुरुषः च )

शब्दार्थाः –
त्वम = तुम,
युवाम् = तुम दोनों,
यूयम् = तुम सब
अहम् = मैं,
आवाम् = हम दोनों,
वयम् = हम सब

हिन्दी अनुवाद ।

अध्यापकः – हे बालक! त्वं किं पठसि ?
हे बालक! तुम क्या पढ़ते हो ?

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बालकः – श्रीमन्! अहम् इतिहासं पठामि।
श्रीमान! मैं इतिहास पढ़ता हूँ।

अध्यापकः – हे बालकौ! युवां किं पठथः ?
हे बालकों! तुम दोनों क्या पढ़ते हो?

बालकौ – आवां संस्कृतभाषां पठावः।
हम दोनों संस्कृत भाषा पढ़ते हैं।

इयं भाषा सरला मधुरा च अस्ति।
यह भाषा सरल (UPBoardSolutions.com) और मधुर है।

अध्यापकः – हे बालकाः! यूयं किं पठथ ? |
हे बालकों! तुम सब क्या पढ़ते हो?

बालकाः – श्रीमन्! वयं विज्ञानं पठामः।।
श्रीमान! हम सब विज्ञान पढ़ते हैं।

विज्ञानं जीवने आवश्यकं भवति।
विज्ञान जीवन में आवश्यक होता है।

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अध्यापकः – पठनेन ज्ञानं भवति क्रीडनेन च शरीरं स्वस्थं भवति।।
पढ़ने से ज्ञान होता है और खेलने से शरीर स्वस्थ होता है।

बालकाः – आमू श्रीमन्! वयं मनोयोगेन पठामः,
हाँ श्रीमान! हम सब मनोयोग से पढ़ते हैं,

स्नेहेन खेलामः, सदा प्रसन्नाः च भवामः।
स्नेह से खेलते हैं और सदा प्रसन्न रहते हैं।

अभ्यासः

प्रश्न 1. सर्वनामशब्दानां प्रयोगं पश्यत
(क) छात्रः पठति।।
कः पठति?

(ख) अश्वाः धावन्ति ।।
ते धावन्ति।

(ग) छात्रा वदति।
इयं वदति।

(घ) बालकः नमति।।
एषः नमति।

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(ङ) पत्रं पतति।।
तत् पतति।।

(च) बालकौः गच्छतः ।। ।
इमौ गच्छतः।।

नोट – विद्यार्थी रेखांकित शब्दों पर ध्यान दें। ऊपर वाले संज्ञा और नीचे वाले सर्वनाम हैं।
सर्वनामपदैः सह उचितक्रियापदानां प्रयोगं कुरुत (प्रयोग करके)
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प्रश्न 2. चित्रानुसारं संस्कृते उत्तरत (उत्तर करके) –
UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 2 पुनरावलोकनम्-2 7

प्रश्न 3. मध्यमपुरुषस्य क्रियायाः प्रयोगं कुरुत (प्रयोग करके)
(क) त्वम् लिखसि। (लिख्)
(ख) युवाम् पठथः। (पट्)
(ग) यूयम् धावथ। (धाव्)

प्रश्न 4. उत्तमपुरुषस्य कर्तुः प्रयोगं कुरुत (प्रयोग करके)
(क) अहं शिक्षकं नमामि।
(ख) आवाम् पुस्तकं पठावः।
(ग) वयं भोजनं कुर्मः।

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प्रश्न 5. हिन्दीभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)
(क) सा हसति।
अनुवाद – वह हँसती है।

(ख) तत् फलं पतति। ।
अनुवाद – वह फल गिरता है।

(ग) यूयं पुस्तकं पठथ।
अनुवाद – तुम सब पुस्तक पढ़ते हो।

(घ) वयं हंसामः। ।
अनुवाद – हम सब हँसते हैं।

प्रश्न 6. संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत
(क) मैं खेलता हूँ।
अनुवाद – अहं क्रीडामि।

(ख) हम सब खाते हैं।
अनुवाद – वयं खादामः ।

(ग) वह हँसती है।
अनुवाद – सा हसति।।

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(घ) तुम दोनों लिखते हो।
अनुवाद – युवां लिखथः।

(ङ) वे बालिकाएँ हैं।
अनुवाद – ताः बालिकाः सन्ति।

(च) यह फल गिरता है।
अनुवाद – इदं फलं पतति।

प्रश्न 7. (क) कतृपदेन राह क्रियापदस्य मेलनं कुरुत –
UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 2 पुनरावलोकनम्-2 8
उत्तर– विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से समझें ।

(ख) मंजूषासहाय्येन वाक्यानि रचयतपुल्लिङ्ग
UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 2 पुनरावलोकनम्-2 9
उत्तर – विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से समझें।
शिक्षण – सङ्केत – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 पुनरावलोकनम्-1

UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 पुनरावलोकनम्-1

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शब्दार्थाः – 
कः = कौन,
का = कौन,
किम् = कौन,
कौ = कौने दोनों,
के = कौन दोनों,
के = कौन दोनो,
के = कौन सब,
काः = कौन सब,
कानि = कौन सब।

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UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 पुनरावलोकनम्-1 1
UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 पुनरावलोकनम्-1 2

अभ्यासः

प्रश्न 1. चित्रानुसारं संस्कृत वाक्यानि रचयत –
UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 पुनरावलोकनम्-1 3

प्रश्न 2. चित्रानुसारं संस्कृते उत्तरत (उत्तर देकर)
UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 पुनरावलोकनम्-1 4
UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 पुनरावलोकनम्-1 5
UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 पुनरावलोकनम्-1 6

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 8 हार की जीत (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 8 हार की जीत (मंजरी)

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महत्वपूर्ण गद्यांश की व्याख्या

माँ को अपने …………………… प्रसन्न होते थे।

संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘हार की जीत’ नामक पाठ से लिया गया है। इस कहानी के लेखक सुदर्शन जी हैं।

प्रसंग इसमें बाबा भारती के सुल्तान के प्रति प्रेम की भावना का वर्णन किया गया है।

व्याख्या – बाबा भारती अपने घोड़े सुल्तान को देखकर उसी प्रकार प्रसन्न हुआ करते थे, जिस प्रकार कोई माँ अपने बढ़ते हुए पुत्र, किसान अपने हरे-भरे खेत तथा साहूकार अपने देनदार को देखकरे प्रसन्न हुआ करते। हैं। यद्यपि बाबा भारती भगवान का भजन करते थे, परन्तु भजन से बचे हुए समय में वे अपने घोड़े की देखभाल करते थे। वे उसके दाने-पानी, हाथ से खरहरा करने एवं अन्य प्रत्येक सुख-सुविधा का ध्यान रखते थे।

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पाठ का सार (सारंश)

इस पाठ में सुदर्शन जी ने बहुत ही प्रभावशाली ढंग से बताया है कि परोपकारियों और सज्जनों की सदा जीत होती है।

बाबा भारती नाम के एक साधु थे। उनके पास सुल्तान नाम का एक घोड़ा था, जो बहुत ही सुन्दर और ताकतवर था। बाबा उस घोड़े से बहुत प्यार करते थे और उसकी सेवा करते थे एक दिन सुल्तान के बारे में सुनकर उस इलाके का डाकू खड्गसिंह बाबा भारती के पास आया और उसने सुल्तान को देखने की इच्छा जताई। बाबा भारती ने गर्व के साथ खड्गसिंह को अपना घोड़ा दिखाया और उसके गुणों का बखान किया। खड्गसिंह घोड़े को देखकर आश्चर्य करने लगा, क्योंकि उसने इतना सुन्दर (UPBoardSolutions.com) और ताकतवर घोड़ा अब से पहले कभी नहीं देखा था। उसे बाबा के भाग्य से ईर्ष्या हुई और वह सोचने लगा कि ऐसा घोड़ा तो मेरे पास होना चाहिए।

उसने बाबा भारती से घोड़ी छीन ले जाने की बात कही। खड्गसिंह की इस बात से बाबा डर गए। वे रातभर बैठकर घोड़े की रखवाली करने लगे। उन्हें हर समय खड्गसिंह के आने का डर सताने लगा। एक दिन शाम के समय वे घोड़े पर बैठकर कहीं घूमने जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें एक गरीब अपाहिज पेड़ के नीचे बैठा मिला। बाबा के पूछने पर उसने कहा कि मुझे तीन मील दूर एक गाँव में जाना है, लेकिन मैं चलने में लाचार हूँ; आप मुझे अपने घोड़े पर बैठाकर वहाँ पहुँचा दें। बाबा ने उस अपाहिज को घोड़े पर बैठा लिया और वे स्वयं घोड़े की लगाम पकड़कर पैदल चलने लगे। अचानक बाबा को एक झटका देकर वह अपाहिज, घोड़े को दौड़ाने लगा।

बाबा ने देखा, तो वे चीख उठे; क्योंकि वह अपाहिज़ डाकू खड्गसिंह था। बाबा ने उसे रोकना चाहा, लेकिन वह न रुका। बाबा ने उससे फिर कहा कि घोड़ा नहीं चाहिए, परन्तु यह प्रार्थना है कि तुम किसी को इस घटना के बारे में मत बताना; क्योंकि इस घटना के बारे में सुनने के बाद लोग किसी गरीब पर भरोसा नहीं करेंगे। बाबा की यह बात सुनकर (UPBoardSolutions.com) खड्गसिंह के मन पर उनकी सज्जनता और महानता का इतना प्रभाव पड़ा कि उसे अपनी भूल पर पश्चात्ताप हुआ और रात के अँधेरे में वह घोड़े को बाबा के मन्दिर में उसी जगह बाँधकर चला गया, जहाँ वह बँधा रहता था।

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प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को –
नोट –
विद्यार्थी स्वयं करें।

विचार और कल्पना

प्रश्न 1.
बताइये आपको कहानी का कौन सा पात्र सबसे अच्छा लगा, और क्यों?
उत्तर :
मुझे बाबा भारती का किरदार बहुत अच्छा लगा। उनका सुल्तान के प्रति प्रेम, गरीबों के प्रति दया, उनकी सज्जनता सभी कुछ अनुकरण करने योग्य है।

प्रश्न 2.
यदि बाबा भारती और खड्गसिंह की मुलाकात अगली बार होगी तो उनके बीच क्या-क्या बातें होंगी? लिखिए।
उत्तर :
यदि बाबा भारती और खड्गसिंह की मुलाकात अगली बार होगी तो सबसे पहले खड्गसिंह बाबा भारती से माफी माँगेगा। क्योंकि उसने बाबा भारती को बहुत दुखी किया था। साथ ही बाबा भारती खड्गसिंह से यह पूछेगे कि उसने उनसे छल क्यों किया।

प्रश्न 3.
विद्यार्थी स्वयं करें।

कहानी से

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प्रश्न 1.
बाबा भारती ने खडूगसिंह से उस घटना को किसी के सामने प्रकट न करने के लिए क्यों कहा?
उत्तर :
खड्गसिंह ने अपाहिज और असहाय का वेश बनाकर बाबा भारती से उनका घोड़ा छीना था। यदि इस घटना का जिक्र किसी से भी किया जाता, तो लोग अपाहिजों, गरीबों और असहायों की सच्ची (UPBoardSolutions.com) बातों पर भी विश्वास= नहीं करते, जिससे परोपकार या सेवा भाव के मिट जाने का भयं था।

प्रश्न 2.
बाबा भारती द्वारा की गई प्रार्थना का डाकू खड्गसिंह पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
बाबा भारती द्वारा की गई प्रार्थना से डाकू खड्गसिंह का कठोर हृदय पिघल गया और उसकी मानवता मानवता जाग उठी। उसने घोड़ा लौटा दिया।

प्रश्न 3.
कहानी के आधार पर नीचे दी गई घटनाओं को सही क्रम दीजिए (क्रम देकर) –
उत्तरं :

  1. माँ को अपने बेटे और किसान को लहलहाते खेत को देखकर जो आनन्द आता है, वही बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था।
  2. बाबा भारती और खंड्गसिंह अस्तबल में पहुँचे।
  3. घोड़े की चाल देखकर खड्गसिंह के हृदय पर साँप लोट गया।
  4. खड्गसिंह जाते-जाते कह गया- “बाबा जी यह घोड़ा मैं आपके पास न रहने दूंगा।”
  5. बाबा भारती की सारी रात अस्तबल की रखवाली में कटने लगी।
  6. अपाहिज वेश में खड्गसिंह घोड़े को दौड़ाकर जाने लगा।
  7. खड्गसिंह ने बाबा भारती की आवाज सुनकर घोड़ा रोक लिया और कहा- “बाबा जी यह घोड़ा अब न दूंगा।’
  8. बाबा ने कहा- “इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना, नहीं तो वे किसी गरीब पर विश्वास न करेंगे।”
  9. खड्गसिंह ने सुल्तान को उसके स्थान पर बाँध दिया।
  10. बाबा भारती घोड़े के गले से लिपटकर रोने लगे।

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प्रश्न 4.
इस कहानी के अन्त में किसकी जीत और किसकी हार हुई?
उत्तर :
बाबा भारती अपना घोड़ा छिन जाने के कारण हार गए थे, किंतु उनके शब्दों का खड्गसिंह पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि वह उनके घोड़े को चुपचाप उनके घर लौटा गया और अन्त में बाबा भारती हारकर भी जीत गए तथा खड्गसिंह जीतकर भी हार गया।

प्रश्न 5.
इस कहानी द्वारा लेखक हमें क्या बताना चाहता है?
उत्तर :
इस कहानी द्वारा लेखक हमें बताना चाहता है कि व्यक्ति जन्म से बुरा नहीं होता; परिस्थितियाँ उसे बुरा बना देती हैं। यदि ऐसे व्यक्तियों को अनुकूल परिवेश मिले, तो सुधरते देर नहीं लगती।

प्रश्न 6.
इस कहानी में तीन मुख्य पात्र हैं- बाबा भारती, सुल्तान और खड्गसिंह। कहानी के आधार पर इन ती पात्रों की विशेषताओं को स्पष्ट करने वाली तीन-तीन बातें लिखिए।
उत्तर :

(क) बाबा भारती –

  1. वे अपने घोड़े सुल्तान को बेटे से भी ज्यादा प्यार करते थे।
  2. उनके मन मे गरीबों और लाचारों के लिए बहुत दया थी।
  3. वे अपने घोड़े की सेवा तन-मन करते थे।

(ख) सुल्तान –

  1. सुल्तान बहुत सुंदर था।
  2. इसके जोड़ का जोड़ा सारे इलाके में न था।
  3. सुल्तान बहुत बलवान था।

(ग) खड्गसिंह –

  1. खड्गसिंह इलाके का मशहूर डाकू था।
  2. लोग उसका नाम सुनकर काँपते थे।
  3. खड्गसिंह डाकू होते हुए भी एक अच्छा इंसान था।

प्रश्न 7.
उस संवाद को छाँट कर लिखिए जिसने डाकू खड्गसिंह का हृदय परिवर्तन कर दिया।
उत्तर :
यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका मैं तुमसे वापस करने के लिए न कहूँगा। परंतु खड्गसिंह, केवल एक प्रार्थना करता हूँ। उसे अस्वीकार न करना नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा। मेरी प्रार्थना केवल यह है कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना। ‘लोगों को यदि इस घटना का पता चल गया तो वे गरीब पर विश्वास न करेंगे।

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प्रश्न 8.
कहानी के किस पात्र ने आपको सबसे ज्यादा प्रभावित किया और क्यों?
उत्तर :
‘मुझे बाबा भारती के किरदार ने बहुत प्रभावित किया। बाबा भारती अपने जिस घोड़े को अपने प्राणों से भी अधिक प्यार करते थे उसको डाकू खडुर्गासह द्वारा धोखे से चुरा लेने के बाद भी बाबा भारती को अपने (UPBoardSolutions.com) प्यारे घोड़े से अधिक चिंता गरीबों एवं असहायों की है। उनकी बातों से उनकी महानता और सज्जनता का पता चलता है। उनका चरित्र मुझे बहुत प्रभावित करता है।

प्रश्न 9.
कहानी का शीर्षक है- ‘हार की जीत’ आपके अनुसार इस काहनी के और क्या-क्या शीर्षक हो सकते हैं? लिखिए।
उत्तर :
मेरे विचार से इस कहानी का शीर्षक होना चाहिए – ‘सच्चे संत बाबा भारती’ या सबका प्यारा सुल्तान।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे लिखे मुहावरों का प्रयोग करके वाक्य बनाइए (वाक्य बनाकर) –
वायु तेग से उड़ना (बहुत तेज चलना) : वाक्य प्रयोग – बाबा भारती का घोड़ा वायु वेग से उड़ता था।
आँखों में चमक होना (बहुत खुशी होगा) : वाक्य प्रयोग – अपनों को देखकर आँखों में चमक होना स्वाभाविक है।
दिल टूट जाना (दुखी होना) : वाक्य प्रयोग – इच्छा पूरी न होने से दिल टूट जाता है।
मुँह न मोड़ना (साथ निबाहना) : वाक्य प्रयोग – मुसीबत में मुँह न मोड़ना ही मित्रता है।
सिर मारना (समझाने की कोशिश करना) : वाक्य प्रयोग – मूर्ख के सामने सिर मारना बेकार होता है।
लट्टू होना (मोहित होना) : वाक्य प्रयोग – गोपियाँ श्री कृष्ण पर लट्टू हो जाती थीं।
मन भारी होना (उदास हो जाना) : वाक्य प्रयोग – अनावश्यक डाँट-डपट से किसी का भी मन भारी हो जाता है।

प्रश्न 2.
नीचे बाईं ओर कुछ विशेषण दिए गए हैं और दाईं ओर कुछ विशेष्य। प्रत्येक विशेषण के साथ उपयुक्त विशेष्य मिलाकर लिखिए –
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 8 हार की जीत (मंजरी) 1

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए अनुच्छेद में उपयुक्त स्थान पर उद्धरण चिह्न तथा अन्य विराम-चिह्न लगाइए (विराम-चिह्न लगाकर) –
अपाहिज ने हाथ जोड़ कर कहा, “बाबा मैं दुखिया हूँ। मुझ पर दया करो। रामावाला यहाँ से तीन मील दूर है, मुझे वहाँ जाना है। घोड़े पर चढ़ा लो, परमात्मा भला करेगा। वहाँ तुम्हारा कौन है? दुर्गादत्त वैद्य का नाम सुना होगा। उनका सौतेला भाई हूँ।

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प्रश्न 4.
‘अ’ उपसर्ग लगाने से कुछ शब्दों के अर्थ विपरीत हो जाते हैं; जैसे-थीर से अधीर, स्वीकार से अस्वीकार । अ उपसर्ग लगाकर इसी तरह से अन्य पाँच शब्द लिखिए (लिखकर) –
अ – असीमित, अशिक्षित, अयोग्य, अकारण, असमर्थ
अवधारणा चित्र-किसी पात्र अथवा विषयवस्तु के बारे में उसकी विशेषता, गुण, लाभ, अथवा घटना के क्रमों के प्रमुख बिन्दुओं का चित्रण करना।
उत्तर :
संत, सच्चा मानवतावादी, गरीबों के मसीहा, निश्चल स्वभाव, परोपकारी।

इसे भी जानें –
नोट – विद्यार्थी स्वयं पढ़े।

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