UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 29 ईश्वर चन्द्र विद्यासागर (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 29 ईश्वर चन्द्र विद्यासागर (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म 16 सितम्बर, 1820 ई० को बंगाल के वीर सिंह नामक ग्राम में हुआ। इनकी माता का नाम भगवती देवी तथा पिता का नाम ठाकुरदास बंद्योपाध्याय था। सभी का सम्मान करना, अपना कार्य स्वयं करना, यह शिक्षा इन्हें अपनी माँ से मिली। गाँव में प्रारम्भिक शिक्षा के बाद ये उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता संस्कृत (UPBoardSolutions.com) विद्यालय गए। 1839 ई० में लॉ कमेटी की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर इन्हें विद्यासागर की उपाधि मिली। गुरुदेव टैगोर : इन्हें बंगाल काव्य का जनक मानते थे।

जब विद्यासागर स्कूलों के सहायक निरीक्षक नियुक्त हुए; तब इन्होंने शिक्षा में अनेक सुधार कार्य किए। इन्होंने बंगाल में विशुद्ध भारतीय शिक्षा के लिए बीस आदर्श स्कूल खोले। इन्होंने पैंतीस ऐसे स्कूल खोले, जिनमें बालिकाओं की शिक्षा का प्रबन्ध था। ये मेधावी छात्राओं को पुरस्कार भी दिया करते थे। स्त्री शिक्षा के साथ-साथ इन्होंने विधवा विवाह और विधवाओं की स्थिति सुधारने का भी यत्न किया। बाद में विधवा विवाह को कानूनी स्वीकृति मिली। एक बार एक नवयुवक (UPBoardSolutions.com) विद्यासागर के दर्शन करने गया। स्टेशन पर कुली न होने से ईश्वर चन्द्र ने कुली बनकर उसका सामान अपने घर पहुँचाया। युवक के क्षमा माँगने पर ईश्वर चन्द्र ने उसे समझाया, “अपना कार्य स्वयं करो।” ईश्वर चन्द्र विद्यासागर 19 वीं सदी की महान विभूति थे।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने बालिकाओं की शिक्षा को जरूरी क्यों बताया?
उत्तर :
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने देश को समृद्ध एवं योग्य नागरिक प्रदान करने के लिए बालिकाओं की शिक्षा को जरूरी बताया।

प्रश्न 2.
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने अपने समय में कौन-कौन-से सुधार किए?
उत्तर :
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने अपने समय में निम्न सुधार कार्य किए- शैक्षिक सुधार, सामाजिक सुधार, महिलाओं की स्थिति में सुधार, विधवा विवाह को प्रोत्साहन व कानूनी स्वीकृति, अशिक्षा, रूढ़िवादिता और अन्धविश्वास दूर करना, पुरुषार्थ और स्वयं अपना कार्य करना।

प्रश्न 3.
व्यक्ति के बड़प्पन के विषय में ईश्वर चंद्र के क्या विचार थे?
उत्तर :
व्यक्ति के बड़प्पन के संबंध में ईश्वर चंद्र विद्यासागर (UPBoardSolutions.com) का कहना था कि कोई भी व्यक्ति अच्छे कपड़े पहनने, अच्छे मकान में रहने तथा अच्छा खाना खाने से बड़ा नहीं होता, बल्कि अच्छे काम करने से बड़ा होता है।

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प्रश्न 4.
यदि आप किसी व्यक्ति या महिला के कार्यों से खुश हुए तो उनके बारे में लिखें और कक्षा में सुनाएँ।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 महाभारत काल के महर्षि (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

महर्षि वेदव्यास – ‘महाभारत’ के रचयिता महर्षि वेदव्यास बहुत विद्वान और तपस्वी थे। इनके पिता का नाम पराशर और माता का नाम सत्यवती था।

इनका प्रमुख ग्रंथ ‘महाभारत’ है, जिसमें अट्ठारह पर्व हैं। इसकी रचना इन्होंने लोककल्याण की भावना से की थी। महाभारत को लिखने का कार्य गणेश जी ने किया। इस ग्रंथ के माध्यम से मनुष्य को सदाचार, धर्माचरण, त्याग, तपस्या तथा भगवान की भक्ति का संदेश दिया गया है। महाभारत के वन पर्व में सुख-दुख का चक्र और शांति पर्व में भीष्म (UPBoardSolutions.com) द्वारा युधिष्ठिर को उपदेश दिया गया है, जिसमें पुरुषार्थ की महिमा, राजा के कर्तव्य, स्वार्थ-त्याग, परोपकार व जन-कल्याण करने का प्रतिपादन हुआ है। वेदव्यास जी ने पुराणों का संकलन किया। इनकी प्रमुख रचनाएँ महाभारत, अठारह पुराण और वेदांत दर्शन हैं।

महर्षि सुपंच सुदर्शन – महर्षि वेदव्यास के समकालीन, महर्षि सुपंच सुदर्शन का जन्म दलित परिवार में लगभग 3290 ईसा पूर्व वाराणसी में हुआ। बचपन से ही भजन, पूजन और भक्ति-भाव प्रदर्शित करने से इनके गुरु करुणामय ने इन्हें ज्ञान, नीति और अध्यात्म की विशेष दीक्षा दी।

इनके आराध्य देव श्रीकृष्ण थे। परोपकार, दीन-दलितों को शरण देना, साधु सेवा, भक्ति और सत्य की खोज करना इनके जीवन का परम उद्देश्य था। ईश्वर से डरना, परोपकार करना, धन, बल, बुधि व (UPBoardSolutions.com) शरीर का गर्व न करना, भौतिक सुख के साथ आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति का भी यत्ल करना आदि इनके उपदेश थे, जो आज भी मान्य हैं।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
महर्षि व्यास का नाम वेदव्यास क्यों पड़ा?
उत्तर :
व्यास जी ने वेदों को नया स्वरूप दिया, इसलिए उनका नाम वेदव्यास पड़ा।

प्रश्न 2.
व्यास जी ने पुराणों में कौन-सी महत्त्वपूर्ण बातें बताई हैं ?
उत्तर :
व्यास जी ने पुराणों में दो महत्वपूर्ण बातें बताई हैं

  1. परोपकार से पुन्य की प्राप्ति होती है तथा
  2. दूसरों को पीड़ित करने से पाप की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 3.
वेदव्यास ने किन ग्रंथों की रचना की?
उत्तर :
वेदव्यास ने महाभारत, अठारह पुराणों और वेदांत दर्शन की रचना की।

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प्रश्न 4.
महाभारत की रचना किसने की और लिखा किसने?
उत्तर :
महाभारत की रचना व्यास जी ने की और लिखने का कार्य गणेश जी ने किया।

प्रश्न 5.
महर्षि व्यास ने महाभारत की रचना किस उद्देश्य से की थी?
उत्तर :
महर्षि व्यास जी ने महाभारत की रचना लोक कल्याण की भावना से की थी।

प्रश्न 6.
महर्षि सुपंच सुदर्शन ने लोगों को क्या शिक्षा दी?
उत्तर :
महर्षि सुपंच सुदर्शन ने लोगों को शिक्षा दी कि ईश्वर से डरो, (UPBoardSolutions.com) मनुष्य से नहीं। धन, बल, बुद्धि, रूप, सौंदर्य का घमण्ड मत करो; परोपकार करो; स्वाभिमान की रक्षा करो; भौतिक सुख के साथ आध्यात्मिक सुख का प्रयास भी करो आदि।

प्रश्न 7.
सही (✓) अथवा गलत (×) का निशान लगाइए (निशान लगाकर) –

  • महर्षि वेदव्यास ने पुराणों का संकलन किया। (✓)
  • महर्षि वेदव्यास का प्रसिद्ध ग्रंथ गीता है। (×)
  • श्री कृष्ण के उपदेश पुराणों में वर्णित हैं। (×)
  • महर्षि सुपंच सुदर्शन भक्तिभाव व शांति की खोज में लग गए। (✓)

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प्रश्न 8.
नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर चुनकर लिखिए –
गुरु करुणामय ने सुपंच सुदर्शन को ज्ञान और नीति की शिक्षा दी, क्योंकि –

(क) वे संत थे।
(ख) वे गुरु का आदर करते थे।
(ग) वे भजन पूजा में लगे रहते थे।
(घ) वे विद्वान थे।
उत्तर :
(ग) वे भजन-पूजन में लगे रहते थे।

योग्यता विस्तार –
नोट – विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 4 सत्यवादी हरिश्चन्द्र (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 4 सत्यवादी हरिश्चन्द्र (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

महाराज हरिश्चन्द्र सत्यवादी थे। इनको जन्म सतयुग में हुआ था। इनकी पत्नी का नाम तारामती और पुत्र का नाम रोहिताश्व था। एक बार राजा ने स्वप्न में अपना सारा राज्य महर्षि विश्वामित्र को दान में दे दिया। दूसरे दिन महर्षि विश्वामित्र इनके दरबार में आए। उन्होंने महाराज को स्वप्न में दान की बात याद दिलाई। महाराज ने (UPBoardSolutions.com) प्रसन्नता से सारा राज्य विश्वामित्र को दान कर दिया। दान करने के बाद दक्षिणा दी जाती है। सारा राज्य तो वे दान कर ही चुके थे। अब दक्षिणा के लिए धन कहाँ से आए! हरिश्चन्द्र ने विश्वामित्र को दक्षिणा देने के लिए अपने को बेचने का निश्चय किया। ये काशी की ओर चल पड़े। वहाँ जाकर इन्होंने अपने-आप को बेचने की पूरी-पूरी कोशिश की। शाम को रानी तथा पुत्र को एक व्यक्ति ने मोल ले लिया तथा हरिश्चन्द्र को श्मशान के स्वामी ने मोल ले दिया।

महाराज हरिश्चन्द्र को श्मशान की रखवाली का काम मिला और तारामती को घर का चौका-बर्तन करने का। एक दिन रोहिताश्व को एक सर्प ने डस लिया। तारामती उसे लेकर रोते हुए श्मशान जा पहुँची। उसे पता नहीं था कि पति श्मशान में ही हैं। हरिश्चन्द्र ने तारामती से श्मशान का कर माँगा। तारामती के पास उस समय कुछ न था। हरिश्चन्द्र ने कहा- “मैं बिना कर लिए तुम्हें यह मुर्दा नहीं जलाने दूंगा, ऐसा करना अपने मालिक के प्रति विश्वासघात होगा।” लाचार होकर तारामती ने श्मशान का कर चुकाने के लिए अपनी साड़ी फाड़ना शुरू कर दिया।

उसी समय आकाश में घोर गर्जन हुआ, विश्वामित्र प्रकट हो गए, रोहिताश्व भी जीवित हो उठा। विश्वामित्र ने कहा- “हे राजा! तुम धन्य हो। यह सब तुम्हारी परीक्षा हो रही थी। तुम श्रेष्ठ, सत्यवादी और धार्मिक हो।” वास्तव में, (UPBoardSolutions.com) हरिश्चन्द्र हमारे ऐसे पूर्वज हैं, जिन पर प्रत्येक भारतवासी को गर्व है।

शिक्षा- सत्य बोलने, धर्मपालन और कर्तव्यनिष्ठा से सभी कठिन कार्य सरल हो जाते हैं।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
राजा हरिश्चन्द्र ने स्वप्न में अपना राज्य किसे दान में दिया?
उत्तर :
राजा हरिश्चन्द्र ने स्वप्न में अपना राज्य महर्षि विश्वामित्र को दान में दिया।

प्रश्न 2.
राजा हरिश्चन्द्र ने स्वयं को क्यों बेचा?
उत्तर :
महर्षि विश्वामित्र को दक्षिणा देने के लिए राजा हरिश्चन्द्र ने स्वयं को बेचा।

प्रश्न 3.
राजा हरिश्चन्द्र अपने पुत्र के शव का बिना ‘कर’ लिए अंतिम संस्कार क्यों नहीं करने दे रहे थे?
उत्तर :
क्योंकि राजा हरिश्चन्द्र अपने मालिक के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहते थे।

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प्रश्न 4.
विश्वामित्र ने हरिश्चन्द्र को उनका राज्य क्यों लौटा दिया?
उत्तर :
राजा हरिश्चन्द्र ने सत्य और धर्म का पालन सीमा से भी बढ़कर किया और महर्षि विश्वामित्र की परीक्षा में पूर्णतः खरे उतरे। इस कारण उन्होंने उनका राज्य लौटा दिया।

प्रश्न 5.
हरिश्चंद्र का नाम अमर क्यों है ?
उत्तर :
क्योंकि हरिश्चंद्र जैसा दूसरा सत्यवादी आज तक जन्म नहीं लिया। अत: हरिश्चन्द्र का नाम अमर है।

प्रश्न 6.
बातचीत को आगे बढ़ाइए –
शिवानी : कल मेरे स्कूल में ‘सत्यवादी हरिश्चंद्र’ नाटक खेला गया।
पंकज : अरे! हमारे स्कूल में तो नहीं हुआ। तुमने पहले क्यों नहीं बताया? अच्छा, यह बताओ यह नाटक खेला किसने?
शिवानी : यही तो मजेदार बात है। मेरी कक्षा के बच्चों ने यह नाटक खेला।
पंकज : किसका अभिनय सबसे अच्छा था? (UPBoardSolutions.com)
शिवानी : क्या बताऊँ? सभी एक से बढ़ कर एक थे।
पंकज : फिर भी सबसे अच्छा अभिनय किसका था?
शिवानी : सबसे अच्छा अभिनय नमन का था।

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UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 2 Sharing and Caring

UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 2 Sharing and Caring

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Sharing and Caring

TRANSLATION OF THE LESSON (पाठ का हिन्दी अनुवाद)

There were two ………………………………………….. felt happy.
हिन्दी अनुवाद – एक जंगल में दो दोस्त थे, एक आम का पेड़ और एक बरगद का पेड़। वे एक दूसरे से बातें करते और पूरे दिन मजा करते थे।

हर रात बाघ और शेर उनके नीचे सोते थे। आम का पेड़ जानवरों से नफरत करता था। उसने कहा, “मैं उन्हें भगा दूंगा, वे तेज़ दहाड़ते हैं और उनसे दुर्गन्ध आती है। बरगद के पेड़ ने कहा, “इतने अशिष्ट न बनो। हम पेड़ों और जानवरों को एक दूसरे की आवश्यकता है। हमें तालमेल से रहना चाहिए और एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। (UPBoardSolutions.com)

आम का पेड़ अड़ियल था। वह उसकी सुनने को तैयार न था। उस रात जब जानवर उसके नीचे सो रहे थे, आम के पेड़ ने अपनी शाखाओं को ज़ोर से हिलाया और तेज़ आवाजें निकालीं । जानवरों ने सोचा कि वो एक राक्षस था और भाग गए। आम का पेड़ हँसा और प्रसन्न हुआ।

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The next evening ………………………………………….. banyan tree.
हिन्दी अनुवाद – अगली शाम दो लकड़हारे जंगल में आए। उनके हाथों में कुल्हाड़ियाँ थीं। उन्होंने बड़ा आम का पेड़ देखा और बहुत खुश हुए। एक लकड़हारे ने कहा, “दोस्त, देखो कितना बड़ा पेड़ है ये!” दूसरे ने कहा, “हाँ, और यहाँ कोई नहीं है, न इंसान न कोई जंगली जानवर। इसलिए चलो इस पेड़ को काटते हैं। उन्होंने पेड़ काटना शुरू किया। आम का पेड़ दर्द से चिल्लाने लगा। अपने मित्र की दशा देखकर बरगद का पेड़ मदद के लिए चिल्लाया, “मदद करो! मदद करो!” (UPBoardSolutions.com) उसकी आवाज़ जंगली जानवरों ने सुन ली। वे बरगद के पेड़ की ओर भागे। जब लकड़हारों ने जंगली जानवरों को देखा, वे अपनी कुल्हाड़ियाँ छोड़कर तेज़ी से भाग गए।

आम के पेड़ की आँखों से आँसू निकलने लगे। उसने कहा, “तुम सही थे प्रिय मित्र। हमें खुश और सुरक्षित रहने के .. लिए एक दूसरे की आवश्यकता है।” • जंगली जानवर आम के पेड़ के पास गए और बोले, “देखभाल करने और साझा करने से ही दोस्ती पैदा होती है।”

“मैंने कहा था, हमें जानवरों की आवश्यकता है और उन्हें हमारी। अगर हम एक-दूसरे की मदद नहीं करेंगे, हम परेशानी में आ सकते हैं,” बरगद के पेड़ ने कहा।

EXERCISE (अभ्यास)

Comprehension Questions

Question 1.
Answer the following questions:
Answer:
Question a.
What did the mango tree and the banyan tree do all day long?
Answer:
The mango tree and the banyan tree talked to each other and enjoyed all day long.

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Question b.
Why did the mango tree want to drive the animals away?
Answer:
The mango tree wanted to drive away the animals because he hated tham. He said that the animals roared loudly and smelled bad.

Question c.
What advice did the banyan tree give to the mango tree?
Answer:
The banyan tree advised that the mango tree should’t be that rude because trees and animals must live in harmony and help each other.

Question d.
What happened when the banyan tree cried loudly?
Answer:
When the banyan tree cried loudly, his voice was heard by the wild animals and they rushed towards it.

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Question e.
What lesson do you learn from this story?
Answer:
This story teaches us that we must not dislike others because we may need anyone in times of trouble. All the species of living beings are inter-dependent on each other and must live in harmony.

Question 2.
Hark tick(✓) for the correct and cross (✗) for the incorrect statements:
Answer:
UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 2 Sharing and Caring img-1
UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 2 Sharing and Caring img-2

Word Power

Question 1.
Choose the words from the box which mean the same, one is done for you:
UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 2 Sharing and Caring img-3
Answer:
UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 2 Sharing and Caring img-4

Language Practice

Question 1.
Frame questions and their answers with the help of the table given below :
Answer:
UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 2 Sharing and Caring img-5

Let’s Read
Do it yourself.

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UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 12 चन्द्रशेखर आजादः

UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 12 चन्द्रशेखर आजादः

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शब्दार्थाः –

अयच्छतु = दिया,
तदानीम् = उस समय,
एकादश वर्षदेशीयः = लगभग ग्यारह वर्ष का,
नृशंसताम् = क्रूरता को (निर्दयता को),
उन्मूलनीयम् = जड़ से उखाड़ देना चाहिए,
समचालयत् = संचालित किया,
अल्पवयस्कः = कम उम्र के,
कारागारे = जेल में,
वेत्रदण्डेन = बेंत के डंडे से,
तथाविथ = उस प्रकार के,
वेत्रप्रहारकः = बेंत से प्रहार करने वाला,
प्रहृतवान् = पीटा गया,
उच्दिन्नम् = उखड़ना,
घटिको = घंटा,
तावत् = तब तक,
पत्रचत्वम् = मृत्यु को,
गौराङ्गः = अंग्रेज,
सप्तविंशे दिनाङ्के = सत्ताइसवीं तारीख में,
भुशुण्डीगुटिका = बन्दूक की गोली।

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“तव किं……………उन्मूलनीयम्” इति।
हिन्दी अनुवाद – ‘तुम्हारा नाम क्या है ?
आजाद
तुम्हारा पिता कौन है ?
‘स्वाभिमान ।’
‘घर कहाँ है ?’
‘जेलखाना’

गुलामी के दिनों में न्यायाधीश (जज) के प्रश्नों के इस प्रकार उत्तर जिन्होंने दिए थे, वे चन्द्रशेखर ‘आजाद’ थे।
चन्द्रशेखर नाम का एक छात्र उन दिनों बनारस में पढ़ता था। (UPBoardSolutions.com) ग्यारह वर्ष की उम्र में जब इसने जलियाँवाला काण्ड में हुए अत्याचार की बात सुनी, तब यह पक्का इरादा कर लिया कि किसी भी तरह से इस क्रूर (अत्याचारी) शासन को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए।

शीघ्रमेव………………………..निष्कासयति इति
हिन्दी अनुवाद – वह समय भी शीघ्र ही आ गया। भारत में इंग्लैंड का राजकुमार आया। शासन की ओर से उसके स्वागत के लिए जो प्रबन्ध किया गया, देशवासियों ने उसका विरोध करने का निश्चय किया। बनारस के प्रसिद्ध क्वींस नाम के संस्कृतं कॉलेज के मैदान में आयोजित कार्यक्रम में विरोध करते हुए, छोटी उम्र होने पर भी आजाद को पकड़ लिया गया। कुछ दिनों के बाद उसे अदालत में लाया गया। (UPBoardSolutions.com) न्यायाधीश (जज) ने पन्द्रह बेंतों की सजा देकर कहा कि इसे बन्दीगृह से निकाल दो।

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वेत्रप्रहारकः……….अमारयन् । 
हिन्दी अनुवाद – बेत लगाने वाले ने आजाद को नंगा कंरके इसकी पीठ पर इस निर्दयता से मारा कि पीठ की खाल उधड़ गई। | वह बेंत की हर चोट पर ‘भारत माता की जय’ का नारा तब तक कहता रहा, जब तक बेहोश नहीं हो गया। | साइमन कमीशन का विरोध करते हुए बूढ़े लाला लाजपतराय को अँग्रेजों ने इतना पीटा कि कुछ दिन बाद ही उनकी मृत्यु हो गई। इसका बदला लेने में लगे हुए आजाद, भगतसिंह, शिवराम, राजगुरु और जयगोपाल ने लाला लाजपतराय की मृत्यु के मुख्य रूप से उत्तरदायी अंग्रेज स्कॉट को मार दिया।

आजादः 1931…………………..प्राप्नोत।
हिन्दी अनुवाद – 27 फरवरी, 1931 को दस बजे से पहले प्रयाग के अल्फ्रेड नाम के बाग में आजाद, सुखदेव और राज के साथ बैठे थे कि नॉटबाबर द्वारा अन्य पुलिस साथियों के साथ, इन्हें अचानक चारों ओर से घेर लिया गया। नॉटबाबर की बन्दूक की गोली आजाद की जाँघ में घुस गई और आजाद द्वारा चलाई गई गोली बाबर की कलाई को छेदकर बाहर निकल गई एक घंटे तक दोनों ओर से गोलियों की बौछार (UPBoardSolutions.com) होती रही। एक ओर अकेले आजाद और दूसरी ओर अनेक शत्रु। जब गोलियाँ लगभग समाप्त हो गईं, तब आजाद ने अंतिम गोली से अपने आपको मारकर ‘आजाद’ नाम सार्थक करते हुए स्वाधीनता के यज्ञ में अपनी आहुति दे दी और वीरगति को प्राप्त किया।

अभ्यासः

प्रश्न 1. उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
नोट – विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

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प्रश्न 2. एकपदेन उत्तरत
(क) आजादस्य पूर्ण नाम किम्?
उत्तर – चन्द्रशेखरः आजादः।
(ख) कस्य स्वागतस्य बहिष्कारायः जनाःनिश्चयम् अकुर्वन्?
उत्तर – साइमनस्य।
(ग) वेत्रप्रहारकाले आजादः किम् उद्घोषयतृ?
उत्तर – चन्द्रशेखर आजादः ।
(घ) अल्फ्रेड वाटिका कस्मिन् नगरे अस्ति?
उत्तर – प्रयागनगरे।

प्रश्न 3. एकवाक्येन उत्तरत-.
(क) कदा वयोवृद्धं लाला लाजपतरायं गौराङ्गाः अताडयन्?
उत्तर– साइमनसमितेः बहिष्कारकाले वयो वृद्धं लाला लाजपतरायं गौराङ्गा अताडयन् ।
(ख) कस्य प्राङ्गणे आजादः बहिष्कारान्दोलनं समचालयत?
उत्तर– वाराणस्यां क्वींसकालेज इति नाम्ना संस्कृत विद्यालयस्य प्राङ्गण आजादः बहिष्कारान्दोलनं समचालयत् ।
(ग) लाला लाजपतरायस्य मृत्योः मुख्यंः कारणं सैन्डर्स नामानम् गौरा के अमीरयन्।।
उत्तर– आजादः, भगतसिंहः, शिवरामः राजगुरुः, जयगोपालश्य-इमे सर्वे लाला लाजपतरायस्य मृत्यो मुख्यं कारणं गौराडूगं सैन्डर्स-नामानम् अमारयन्।। |
(घ) “कस्तव पिता?” इति प्रश्नस्य उत्तरं किम् अयच्छत्?
उत्तर– “कस्तव पिता?” इति प्रश्नस्य उत्तरं अयच्छत् “स्वाभिमानः!”

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प्रश्न 4. अधोलिखित-क्रियापदानां लिखत (लिखकर)-.
 क्रियापदम्             लकारः
पठन्ति                       लर्ट
आसीत्                       लड्
गच्छेत ।                  विधिलिङ्
अभवत् ।                   लङ्

प्रश्न 5. उदाहरणानुसारं लकारपरिवर्तनं कुरुत (परिवर्तन करके) –
उत्तर-
ललकारः     लट्लकारः
अयच्छतु।      यच्छति
अशृणोत्        शृणोत्
आगच्छत् ।    आगच्छति
अमारयन्।      मारयन्ति

प्रश्न 6. संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत
(क) स्वतंत्रता दिवस पन्द्रह अगस्त को मनाया जाता है।
अनुवाद – स्वतंत्रता दिवसं पचदश अगस्ते आयोजयति।।
(ख) स्वतंत्रता संग्राम में अनेक राष्ट्रभक्तों ने प्राणों की आहुति दी।
अनुवाद – स्वतंत्रता संग्रामे अनेके राष्ट्रभक्ताः प्राणोत्सर्ग कृतवान् ।
(ग) चन्द्रशेखर आजाद संस्कृत विषय के छात्र थे।
अनुवाद – चन्द्रशेखर आजादः संस्कृत विषयस्य छात्रः आसीत्।।
(घ) हमारा देश पन्द्रह अगस्त, सन् 1947 ई० को स्वतंत्र हुआ।
अनुवाद – अस्माकं देशः 15 (पञ्चदश) अगस्त, 1947 ईसवी वर्षे स्वतन्त्रः अभवत् ।
(ङ) देश में संविधान 26 जनवरी, सन् 1950 ई० को लागू किया गया।
अनुवाद – देशे 26 जनवरी, 1950 इसवीये वर्षे संविधानम् आरब्धयत् ।

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प्रश्न 7. सुमेलनं कुरुत (सुमेलित करके)
(क) गणतन्त्र दिवसः जनवरी मासस्य षडूविंशदिनाङ्के
(ख) स्वतंत्रता दिवसः अगस्त मासस्य पञ्चदशदिनाङ्के
(ग) महात्मागान्धी जन्मदिवसः अक्टूबर मासस्य द्वितीयदिनाङ्के
(घ) झण्डा दिवसः दिसम्बर मासस्य सप्तदिनाङ्के

नोट – ‘शिक्षण-सङ्केतः विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से करें।

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