UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 16 सूफी सन्त (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 16 सूफी सन्त : निजामुद्दीन और अमीर खुसरो (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

शेख निजामुद्दीन औलिया – शेख निजामुद्दीन औलिया का जन्म 1236 ई० में बदायूँ में हुआ। पिता के मरने पर माता जुलेखा ने इनका पालन-पोषण किया। इन्होंने बदायूँ : के बाद आगे की शिक्षा दिल्ली में ग्रहण की और शीघ्र ही ये एक प्रसिद्ध विद्वान बन गए। प्रसिद्ध सूफी सन्त हजरत ख्वाजा फरीदुद्दीन ने शेख निजामुद्दीन को अपन, शिष्य बनाकर आध्यात्मिक चिंतन और साधना का रहस्य बताया। इन्होंने अजोधन से दिल्ली आकर गयासपुर में एक मठ की स्थापना की। 1265 ई० में बाबा फरीद की मृत्यु के बाद ये इनके उत्तराधिकारी बने। शेख का नाम दिल्ली एवं आसपास के क्षेत्रों में प्रसिद्ध हो गया। इनकी खानकाह (मठ) में अच्छे कव्वाल आते। रहते थे। इनमें गरीबों के प्रति करुणा थी। खानकाहे में इनका भंडारा सभी के लिए खुला रहता था। इनकी शिष्य-मण्डली में (UPBoardSolutions.com) सभी वर्गों और क्षेत्रों के लोग थे। इन्होंने जीवनभर मानव प्रेम का प्रचार किया। निजामुद्दीन औलिया अपने शिष्यों का ध्यान सदैव सामाजिक उत्तरदायित्व की ओर आकृष्ट कराते रहे। 1325 ई० में इनका निधन हो गया।

मानवता के प्रति प्रेम और सेवा भावना जैसे गुणों के कारण निजामुद्दीन औलिया कों महबूब-ए-इलाही का दर्जा मिला। आज भी इनकी मजार पर लाखों लोग मन्नत माँगते और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

अमीर खुसरो – शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य अमीर खुसरो को जन्म 1253 ई० में एटा के पटियाली कस्बे में हुआ। इनके पिता अमीर सैफुद्दीन महमूद प्रकृति, कला और काव्य के प्रेमी थे। अमीर खुसरो को खिलजी सुल्तानों ने अपने दरबार में कवि, साहित्यकार और संगीतज्ञ के रूप में सम्मान दिया। अमीर खुसरो को फारसी, हिन्दी, संस्कृत, (UPBoardSolutions.com) अरबी आदि भाषाओं का ज्ञान था। इनकी रचनाओं में भारत की जलवायु, फल-फूल और पशु-पक्षी की प्रशंसा मिलती है। खुसरो ने दिल्ली को बगदाद से अच्छा माना। भारतीय दर्शन को यूनान और रोम से श्रेष्ठ बताया।

खुसरो की मुकरियाँ और पहेलियाँ भारतीय जनता में रची-बसी हैं। हिन्दी कृतियों के कारण इन्हें जनसाधारण में विशेष लोकप्रियता प्राप्त हुई। इनकी हिन्दी रचनाओं में गीत, दोहे, पहेलियाँ और मुकरियाँ विशेष उल्लेखनीय हैं। अमीर खुसरो को भारतीय होने का गर्व था। अमीर खुसरो उच्चकोटि के संगीतज्ञ थे। इन्होंने कई रागों की रचना की। गायन में ‘खयाल’ अमीर खुसरो की देन है। इन्होंने सितार का आविष्कार किया, मृदंग को सुधारकर तबले का रूप दिया। इन पर सूफी सन्तों की मान्यता का प्रभाव था। विदेशों के फारसी कवियों में भी इनका उपयुक्त स्थान है। 1325 ई० में इनका निधन हो गया। खुसरो धर्मनिष्ठ (UPBoardSolutions.com) व्यक्ति थे। धार्मिक सहिष्णुता और लोगों से मेलजोल रखने के कारण ये जनता में लोकप्रिय थे। इनका व्यक्तित्व समकालीन लोगों के मध्य अतुलनीय एवं अद्वितीय था।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
शेख निजामुद्दीन औलिया अजोधन क्यों गए?
उत्तर :
शेख निजामुद्दीन औलिया बाबा फरीद के दर्शन करने के लिए अजोधन गए।

प्रश्न 2.
बाबा फरीद के निधन के बाद शेख निजामुद्दीन औलिया को उनका उत्तराधिकारी क्यों घोषित किया गया?
उत्तर :
शेख निजामुद्दीन बाबा फरीद के प्रमुख शिष्य थे, इसलिए उन्हें बाबा फरीद का उत्तराधिकारी घोषित किया गया।

प्रश्न 3.
शेख निजामुद्दीन अपने शिष्यों का ध्यान किस ओर और क्यों आकृष्ट कराते रहे?
उत्तर :
शेख निजामुद्दीन अपने शिष्यों का ध्यान सदैव सामाजिक उत्तरदायित्व की ओर आकृष्ट कराते रहे, क्योंकि वे सामाजिक समन्वय और मेल-जोल की भावना का विकास चाहते थे।

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प्रश्न 4.
अमीर खुसरो को किन-किन भाषाओं का ज्ञान था?
उत्तर :
अमीर खुसरो को फारसी, अरबी, हिन्दी और संस्कृत भाषाओं का ज्ञान था।

प्रश्न 5.
अमीर खुसरो का संगीत के क्षेत्र में क्या योगदान रहा है?
उत्तर :
गायन में ‘खयाल’, सितार का आविष्कार और मृदंग को तबले का रूप देकर अमीर खुसरो ने संगीत के क्षेत्र में अमूल्य योगदान किया है।

प्रश्न 6.
अमीर खुसरो जनसाधारण में क्यों प्रसिद्ध थे?
उत्तर :
धार्मिक सहिष्णुता और लोगों से मेल-जोल के कारण अमीर खुसरो जनसाधारण में प्रसिद्ध थे। उनका व्यक्तित्व अतुलनीय और अद्वितीय था।

प्रश्न 7.
सही वाक्य पर सही (✓) और गलत वाक्य पर (✗) का चिह्न लगाइए(चिह्न लगाकर) –

(क) अमीर खुसरो ने हिन्दू-मुस्लिम समाज और संस्कृति के बीच समन्वय को मार्ग प्रशस्त किया। (✓)
(ख) अमीर खुसरो ने गयासपुर नामक स्थान पर एक मठ की स्थापना की। (✗)
(ग) शेख निजामुद्दीन औलिया को बाबा फरीद के निधन के बाद उनका उत्तराधिकारी घोषित किया गया। (✓)
(घ) बदायूं में शिक्षा प्राप्त करने के बाद अमीर खुसरो दिल्ली चले गए। (✗)
(ङ) शेख निजामुद्दीन ने अपनी कविताओं में भारत की सराहना की है। (✗)
(च) अमीर खुसरो ने वीणा और तम्बूरा के संयोग से सितार का आविष्कार किया। (✓)

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प्रश्न 8.
भाव स्पष्ट कीजिए (भाव स्पष्ट करके) –
गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस। चल खुसरो घर आपने, रैन भई चहँ देस।
उत्तर :
यह संसार क्षण भंगुर है। जो प्रिय होता है, वह भी रूठ (मर) जाता है। यहाँ चारों ओर मोह-माया के अँधेरे के सिवाय और कुछ नहीं। ऐ खुसरो! ईश्वर के घर चल।।

प्रश्न 9.
एवं 10. नोट – विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें। योग्यता विस्तार –

  • पता करके लिखिए कि अमीर खुसरो हज़रत निजामुद्दीन औलिया के सबसे प्रिय शिष्य कैसे बने?
  • अमीर खुसरो को अपने भारतीय होने पर क्यों गर्व था?

नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 9 नील-शृगालः

UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 9 नील-शृगालः

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शब्दार्थाः –

कस्मिंश्चिदृ = किसी,
अरण्ये = जंगल में,
भ्राम्यन् = घूमता हुआ,
भीतः = डरा हुआ,
रजेकस्य = कपड़ा धोने वाले कें,
नीलभाण्डे = नील के हौज (नाद) में,
नगरोपान्ते = शहर के समीप,
आत्मानम् = अपने शरीर को,
उत्तमवर्णः = अच्छे रंग का,
स्वकीयोत्कर्षम् = अपनी उन्नति (लाभ) को,
साथयामि = सिद्ध करूँ,
आलोच्य = विचार करके,
आहूय = बुलाकर,
अभिषिक्तवती = अभिषेक किया है,
आधिपत्यम् = अधीनता,
शनैः – शनैः = धीरे,
केनचिद् = किसी के द्वारा,
यतः = क्योंकि,
विप्रलष्टा = ठगे गए (वंचित),
सम्मिल्य = मिलकर,
एकदैव = एक साथ,
महारावम् = ऊँची आवाज,
शब्दम् = आवाज,
दुरतिक्रमः = दुर्निवार, जिसका निवारण कठिन हो।

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कस्मिंश्चिद्……………………….स्वीकृतवन्तः ।
हिन्दी अनुवाद – किसी वन में एक सियार रहता था। वह एक बार अपनी इच्छा से शहर के समीप घूमते हुए, कुत्तों से डरकर किसी धोबी के नील के हौज (नाद) में गिर पड़ा। इसके बाद इसने वन में जाकर अपने नीले रंग को देखकर सोचा, मैं अब उत्तमवर्ण (वाला) हैं, तब मैं अपनी उन्नति के लिए क्यों न उपाय करूं? ऐसा विचारने के बाद सियारों को बुलाकर उसने कहा, “माँ भगवती और वनदेवता ने अपने हाथ से (UPBoardSolutions.com) जंगल के राजा के रूप में मेरा अभिषेक किया है, इसलिए अब से जंगल में मेरी आज्ञा से व्यवहार होना चाहिए। सियार उसका विशिष्ट वर्ण देखकर उसे प्रणाम करके बोले, “देवी की जैसी आज्ञा। इसी क्रम से जंगल के सब वासियों ने उसका आधिपत्य स्वीकार किया।

शनैः शनैः…………….यतः। |
हिन्दी अनुवाद – धीरे-धीरे व्याघ्र, सिंह आदि उत्तम प्राणियों को पाकर उसने अपनी जाति वालों (सियारों) । को दूर कर दिया। इसके बाद दुखी सियारों को देखकर किसी बूढ़े सियार ने यह प्रतिज्ञा की कि इसका एक ऐसा । उपाय करना होगा जिससे इसकी पोल खुल जाए क्योंकि व्याघ्र आदि सब इसके रंग से ठगे गए हैं और इसे सियार न जानकर राजा मानने लगे हैं। इसके बाद सायंकाल में सभी सियारों ने मिलकर वहाँ एक साथ ऊँची आवाज़ की। वह आवाज शब्द सुनकर उस नीले सियार ने भी अपनी जाति के स्वभाव के अनुसार उनके (UPBoardSolutions.com) साथ ऊँची आवाज़ में बोलना शुरू कर दिया। ऐसा करने के कारण वह सिंह आदि द्वारा पहचान लिया गया और मारा गया।

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यः………………………………नाश्नात्युपानहम्।।
हिन्दी अनुवाद – जिसका जो स्वभाव होता है, उसका निवारण कठिन है। यदि कुत्ते को राजा बना दिया जाए, तो क्या वह जूते नहीं चाटेगा? अर्थात् जरूर चाटेगा।

अभ्यासः ।

प्रश्न 1. उच्चारणं कुरुत
नोट – विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2. एकपदेन उत्तरत
(क) शृगालः कुत्र वसति स्म?
उत्तर – कस्मिचिद् अरण्ये।
(ख) तस्य आधिपत्यं के स्वीकृतवन्तः?
उत्तर – अरण्यवासिनः।।
(ग) सर्वे शृगालाः सायंकाले किम् अकुर्वन्? ।
उत्तर – महारावम् । ।
(घ) सिंहः कं हतवान्?
उत्तर – नीलशृगालम् ।

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प्रश्न 3. एकवाक्येन उत्तरत
(क) नीलवर्णः शृगालः किम् अचिन्तयत?
उत्तर– नीलवर्णः शृगालः अचिन्तयत्- अहमूइदानीम् उत्तमवर्णः, तदाहं स्वकीयोत्कर्ष किं न साधयामि।
(ख) वृद्ध शृगालेन किं प्रतिज्ञातमृ?
उत्तर
– वृद्ध शृगालेन प्रतिज्ञातम्- यथा अयं व्याघ्रादिभिः परिचितो भवति तथा उपायं करिष्यामः।
(ग) नीलवर्णः शृगालः किम् उक्तवान्?
उत्तर– नीलवर्णः शृगालः उक्तवान्- माँ भगवती वन देवता स्वहस्तेन अरण्यराज्ये अभिषिक्तवती । तद्यारभ्य अरण्ये अस्मदाज्ञया व्यवहारः कार्यः ।।

प्रश्न 4. मजूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयेत (पूर्ति करके) –
UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 9 नील-शृगाल 1
(क) कस्मिंश्चिद् अरण्ये एकः शृगालः वसति स्म।
(ख) सं रजकस्य नीलभाण्डे पतितः।।
(ग) भगवती वनदेवता स्वहस्तेन अरण्यराज्ये अभिषिक्तवती।
(घ) य स्वभावोहि यस्यस्ति स नित्यं दुरतिक्रमः।।

प्रश्न 5. वाक्यानि रचयत
उत्तर 
प्रतिवसति स्म
– एकः शृगालः प्रतिवसतिस्म।
महारावम् – सायंकाले सर्वे तत्र सम्मिल्य एकदैव महारावम् अकुर्वन् ।
शनैःशनैः – शनैः शनैः नीलशृगालः स्वजातीयान् दूरीकृतवान् ।
नीलभाण्डे – एकः शृगालः स्वजातीयान् दूरीकृतवान् ।

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प्रश्न 6. संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत (करके)
(क) एक बार वह नील के पात्र में गिर गया। |
एकदा सः नीलभाण्डे पतितः।
(ख) सभी वनवासियों ने उसका आधित्य स्वीकार कर लिया।
सर्वे अरण्यवासिनः तस्य आधिपत्यं स्वीकृतवन्तः।
(ग) सभी ऊँची आवाज करन लगे।
सर्वे महारावम् अकुर्वन् ।।

प्रश्न 7. हिन्दीभाषायाम् अस्याः कथायाः अनुवादं कृत्वा पुस्तिकायां लिखत।।
नोट – छात्र स्वयं करें।
नोट – विद्यार्थी शिक्षण-सङ्केतः शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 17 कबीर और उनके गरु रामानन्द (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 17 कबीर और उनके गरु रामानन्द (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

कबीर – कबीर ने मानव मात्र को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। इन्होंने अपने उपदेशों से समाज में व्याप्त बुराइयों का विरोध किया और आदर्श समाज की स्थापना पर बल दिया। .. कबीर का जन्म 1398 ई० में काशी में हुआ। नीरू और नीमा नामक जुलाहे दम्पति ने इनका पालन किया। इनकी पत्नी का नाम लोई और पुत्र व पुत्री के नाम क्रमशः कमाल और कमाली थे। कबीर कपड़ा बुनते थे और रामानन्द के शिष्य थे। कबीर अनपढ़ थे। इनका ज्ञान अनुभव और साधना पर आधारित था।

कबीर बाह्य आडम्बर से चिढ़ते थे। मौलवियों व पंडितों के कर्मकाण्ड, नमाज पढ़ना, मन्दिर में माला जपना, मूर्ति-पूजा करना, रोजे और उपवास आदि को कबीर आडम्बर समझते थे। कबीर की भाषा में (UPBoardSolutions.com) अनेक बोलियों के शब्द आ जाने के कारण वह सधुक्कड़ी कही जाती है। कबीर की वाणी को साखी, सबद और रमैनी रूपों में लिखा गया, जो ‘बीजक’ नाम से प्रसिद्ध है। कबीर गुरु को भगवान से बढ़कर मानते थे और निंदक को अपना हितैषी समझते थे।

मगहर में मरने से नरक मिलता है, कबीर ने इस धारणा को तोड़ा और मगहर जाकर सन् 1518 ई० में 120 वर्ष की आयु पाकर शरीर त्याग दिया। कबीर की वाणी मानवीय एकता का रास्ता दिखाने में सक्षम है।

रामानन्द – रामानन्द क्रान्तिकारी महापुरुष थे। इन्होंने रामानुजाचार्य की भक्ति परम्परा को उत्तर भारत में लोकप्रिय बनाया तथा ‘रामावत’ सम्प्रदाय का गठन कर राममंत्र का प्रचार किया।

रामानन्द का जन्म प्रयाग में हुआ। इनकी माता का नाम सुशीला और पिता का नाम पुण्यदमन था। इनके धार्मिक संस्कारों के कारण रामानन्द बचपन से पूजा-पाठ में रुचि लेने लगे। ये मेधावी बालक थे। प्रयाग में आरम्भिक शिक्षा के बाद इन्होंने काशी जाकर धर्मशास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया। वैष्णव सम्प्रदाय पर विश्वास रखने वाले गुरु राघवानन्द से शिक्षा-दीक्षा लेकर रामानन्द देश भ्रमण को निकल पड़े। इन्होंने समाज में फैली ऊँच-नीच, छुआछूत और जाति-पाँति की भावना को तोड़ने का प्रयास किया।

रामानन्द ने नए मार्ग और नए दर्शन (भक्ति मार्ग) की शुरुआत की। उसे अधिक उदार और समतामूलक बनाया। भक्ति के द्वार धनी, निर्धन, नारी-पुरुष, अछूत-ब्राह्मण, सभी के लिए खोल दिए। रामानन्द के (UPBoardSolutions.com) बारह प्रमुख शिष्य थे, जिनमें अनन्तानन्द, कबीर, रैदास, धन्ना, नरहरि, पीपा, भावानन्द, पदमावती और सुरसुर के नाम शामिल हैं।

रामानन्द के विचार और उपदेशों ने दो धार्मिक मतों को जन्म दिया- रूढ़िवादी और प्रगतिवादी। प्रगतिवादी सिद्धांत हिन्दू-मुसलमान सभी को मान्य थे।

रामानन्द सिद्ध सन्त थे। इन्होंने ईश्वरभक्ति को सुखमय जीवनयापन का सबसे अच्छा मार्ग बताया। ये राम के अनन्य भक्त और भक्ति आन्दोलन के जनक थे।

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अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

प्रश्न 1.
कबीर वाह्य आडम्बर किसे कहते थे?
उत्तर :
कबीर मसजिदों में नमाज पढ़ने, मन्दिरों में माला जपने, मूर्ति पूजा करने, रोजे और उपवास रखने को बाह्य आडम्बर कहते थे।

प्रश्न 2.
कबीर ने अपने उपदेशों में किन बातों पर बल दिया?
उत्तर :
कबीर ने अपने उपदेशों में समाज में फैली (UPBoardSolutions.com) बुराइयों का कड़ा विरोध किया और आदर्श समाज की स्थापना पर बल दिया।

प्रश्न 3.
सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत कथन के सामने गलत (✗) के निशान लगाइए (निशान लगाकर) –
उत्तर :

(क) कबीर की शिक्षा-दीक्षा काशी में हुई। (✗)
(ख) निन्दा करने वाले लोगों को कबीर अपना हितैषी समझते थे। (✓)
(ग) कबीर की वाणी को साखी, सबद, रमैनी तीन रूपों में लिखा गया है। (✓)
(घ) रामानन्द ने संस्कृत में अनेक ग्रन्थों की रचना की। (✓)

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प्रश्न 4.
सही विकल्प चुनकर लिखिएकबीर की दृष्टि में गुरु का स्थान –

(क) माता-पिता के समान है।
(ख) भगवान के समान है।
(ग) भगवान से बढ़कर है।

उत्तर :
कबीर की दृष्टि में गुरु का स्थान – (ग) भगवान से बढ़कर है।

प्रश्न 5.
रामानंद के व्यक्तित्व की विशेषताओं के बारे में लिखिए।
उत्तर :
रामानंद का जन्म प्रयाग में हुआ था। बचपन से ही इनकी रुचि पूजा-पाठ में थी। रामानंद की प्रारंभिक शिक्षा प्रयाग में हुई थी। रामानंद प्रखर बुद्धि के बालक थे। रामानंद को जाति-पाँति का भेद-भाव पसंद नहीं था। उन्होंने धर्म शास्त्रों का ज्ञान काशी में प्राप्त किया। उन्होंने काशी प्रवास के दौरान गुरु राघवानंद से दीक्षा ली। रामानंद ने समाज में फैली ऊँच-नीच, छुआ छूत, जाति-पाँति के भेदभाव को दूर करने का भरसक प्रयास किया। उन्होंने एक नए मार्ग की शुरुआत की जिसे भक्ति मार्ग (UPBoardSolutions.com) की संज्ञा दी गई। रामनंद संस्कृत के विद्वान थे और संस्कृत में उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की। वे हिंदी भाषा के प्रबल समर्थक थे। उनका मानना था कि हिंदी भाषा के माध्यम से सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। ये कबीर के गुरु थे। लगभग 112 वर्ष की आयु में 1412 ई. में रामानंद का निधन हो गया।

प्रश्न 6.
रामानंद जी का दर्शन किस नाम से जाना जाता है और उसकी विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर :
रामानंद जी का दर्शन भक्ति मार्ग के नाम से जाना जाता है। इस मार्ग की विशेषता यह है कि इस मार्ग द्वारा भक्ति के द्वार धनी, निर्धन, पुरुष, नारी सबके लिए खोल दिए। धीरे-धीरे भक्ति मार्ग का प्रचार-प्रसार (UPBoardSolutions.com) इतना बढ़ गया कि इसे बौद्ध धर्म के आंदोलन से बढ़कर बताया गया।

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योग्यता विस्तार –

गुरु की महिमा तथा वाह्य आडंबर के विषय में कहे गए कबीर के एक-एक दोहे को याद कर सुनाइए।
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 1 क्रीडा – महोत्सवः (अनिवार्य संस्कृत)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 1 क्रीडा – महोत्सवः (अकारान्ताः पुंल्लिङ्गशब्दाः वर्तमानकालः च) (अनिवार्य संस्कृत)

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अद्य विद्यालयस्य ………………………. क्रीडा भवति। 

हिन्दी अनुवाद – आज विद्यालय का वार्षिक क्रीड़ा महोत्सव है। क्रीड़ाक्षेत्र विद्यालय परिसर में ही है। अवनीश, उमेश, गोकुल, साधना, गीता इत्यादि लड़के-लड़कियाँ वॉलीबॉल में मॅजे हुए हैं। इस समय छठी और सातवीं कक्षाओं के छात्रों में खेल प्रतियोगिता हो रही है।

हमारे क्रीड़ा शिक्षक निर्णायक बने हैं। अवनीश के नेतृत्व में छात्र आते हैं। प्रतियोगिता देखने के लिए विद्यालय के सभी छात्र उपस्थित हैं। वे तालियों और शोर से खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ा रहे हैं। (UPBoardSolutions.com) खेल समाप्त होने के पश्चात प्रधानाध्यापक महोदय पुरस्कार स्वरूप गेंद प्रदान करते हैं। अध्यापक छात्रों में मिठाइयाँ बाँटते हैं। खेल से स्वास्थ्य लाभ होता है।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
उच्चारण करें –
नोट – विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं उच्चारण करें।

प्रश्न 2.
एक पद में उत्तर दें

(क) विद्यालये अद्य किम् अस्ति?
(ख) उमेशः कस्मिन् खेले निपुणः अस्ति?
(ग) कस्य नेतृत्वे छात्राः आगच्छन्ति?
(घ) छात्राः किं कुर्वन्ति?
(ङ) अध्यापकोः किं वितरन्ति?

उत्तर :

(क) वार्षिक क्रीडा महोत्सवः।
(ख) हस्तकन्दुके।
(ग) अवनीशस्य।
(घ) आगच्छन्ति।
(ङ) मिष्टान्नम्।

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प्रश्न 3.
मजूषा से उचित पदों का चयनकर रिक्त स्थानों को भरें (भरकर) –

(क) विद्यालयस्य परिसरे एव क्रीडा क्षेत्रम् अस्ति।
(ख) अस्माकं क्रीडाध्यापकाः निर्णायकाः भवन्ति।
(ग) अवनीशस्य नेतृत्वे छात्राः आगच्छन्ति।
(घ) प्रधानाध्यापकः पुरस्कारखपेण कन्दुकम् वितरति।
(ङ) अध्यापकाः छात्रेभ्यः मिष्टान्नं वितरन्ति

प्रश्न 4.
रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न निर्माण करें –

(क) अद्य विधयालस्य वार्षिक-क्रीडामहोत्सवः अस्ति।
उत्तर :
अद्य कस्य वार्षिक-क्रीडामहोत्सवः अस्ति?

(ख) प्रधानाध्यापकः पुरस्काररूपेण कन्दुकं वितरति।
उत्तर :
प्रधानाध्यापकः पुरस्काररूपेण किम् वितरन्ति?

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(ग) अध्यापकाः छात्रेभ्यः मिष्टान्नं वितरन्ति।
उत्तर :
के छात्रेभ्यः मिष्टान्नं वितरन्ति?

प्रश्न 5.
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 1 क्रीडा - महोत्सवः (अनिवार्य संस्कृत) 1

प्रश्न 6.
नीचे कर्ता, कर्म और थातु दिये गये हैं, उनसे उचित विभक्तियों को जोड़कर वाक्य रचना करें (वाक्य रचना करके) –

  • करीमः ओदनं खादति।
  • रमेशः ग्रामं गच्छति।
  • पीटरः पत्रं लिखति।
  • रमा कन्दुकं नीयते।

विशेष –
नोट –
विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 31 सुभाषचंद्र बोस (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, सन् 1897 ई. में उड़ीसा के कटक में हुआ था। इनके पिता का नाम जानकी नाथ बोस एवं माता का नाम प्रभावती देवी था। मात्र 15 वर्ष की आयु में इन्हों विवेकानंद साहित्य का पूर्ण अध्ययन कर लिया था। बी.ए. की परीक्षा सन् 1919 में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। पिता की इच्छा थी कि सुभाष आई. सी. एस. बने। पिता (UPBoardSolutions.com) की इच्छा पूर्ण करने इंग्लैंड चले गए। तथा सन् 1920 में आई. सी. एस. (भारतीय सिविल सेवा) परीक्षा उत्तीर्ण कर वरीयता सूची में चौथा स्थान प्राप्त किया। कुछ दिनों बाद नौकरी छोड़कर उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित कर दिया।

सुभाषचंद्र बोस की क्रांतिकारी गतिविधियों से आतंकित अंग्रेजी सरकार ने सन् 1925 में उन्हें गिरफ्तार कर म्यांमार के मांडले जेल भेज दिया। सन् 1930 में जेल में रहते हुए उन्हें कोलकाता का महापौर चुना गया। 3 मई, सन 1939 को इन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक नामक दल का गठन किया। 4 जुलाई सन 1943 को सुभाषचंद्र बोस, ने जापान में ‘आजाद हिंद फौज’ का गठन किया। ‘आजाद हिंद फौज के सिपाही उन्हें नेता जी’ कहते थे। ‘जय हिंद’, ‘दिल्ली चलो’, ‘लाल किला हमारा है’, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ आदि उनके जीवंत नारे थे।

21 अक्टूबर, सन 1943 को आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से उन्होंने सिंगापुर में भारत की अस्थायी सरकार की स्थापना की। इस सरकार को कुल नौ देशों ने मान्यता दी। उन्होंने (UPBoardSolutions.com) आजाद हिंद फौज का मुख्यालय सिंगापुर एवं रंगून में बनाया। उन्होंने रानी झाँसी रेजीमेंट के नाम से स्त्री सैनिकों का भी एक दल बनाया।

जापानी सेना के सहयोग से आजाद हिंद फौज ने अंडमान और निकोबार द्वीप पर विजय प्राप्त की। इसी क्रम में दोनों फौजों ने मिलकर इंफाल और कोहिमा पर आक्रमण किया। इन क्षेत्रों पर जीत प्राप्त कर सुभाषचंद्र बोस ने 22 सितंबर 1944 को शहीदी दिवस मनाया। माना जाता है कि 18 अगस्त, सन 1945 को हवाई जहाज से यात्रा करते समय वे लापता हो गए। 23 अगस्त को टोकियो रेडियों ने बताया कि ताइहोक हवाई अड्डे के पास उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें उनकी मृत्यु हो गई। 18 अगस्त 1945 की वह घटना आज भी भारतीय इतिहास का अनुत्तरित रहस्य है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस लेखक, सैनिक, (UPBoardSolutions.com) दार्शनिक, राजनीतिज्ञ, कुशल प्रशासक, सेना नायक तथा वक्ता के रूप में बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। भारत माता का यह वीर सपूत अपने अटूट मातृभूमि . प्रेम के कारण इतिहास में अपना नाम सदा के लिए अमर कर गया।

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अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
सुभाषचंद्र बोस ने सिविल सेवा से त्यागपत्र क्यों दिया?
उत्तर :
भारत माता को गुलामी की दासता से मुक्त कराने के लिए सुभाषचंद्र बोस ने सिविल सेवा से त्याग पत्र दिया।

प्रश्न 2.
भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रति सुभाषचंद्र बोस का क्या विचारे था?
उत्तर :
भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रति सुभाषचंद्र बोस का विचार था कि ब्रिटिश सत्ता के सामने विनम्रता और गिड़गिड़ाने के बजाय बुलंद आवाज में अपना पक्ष रखा जाए।

प्रश्न 3.
सुभाष सहित ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ के प्रमुख नेताओं को किस कारण बंदी बना लिया गया?
उत्तर :
सुभाष और उनके संगठन फॉरवर्ड ब्लॉक ने स्वाधीनता आंदोलन को और अधिक तीव्र करने के लिए जन-जागरण का अभियान प्रारंभ कर दिया। उनकी यूथ ब्रिगेड ने कोलकाता स्थित ‘हालवेट स्तंभ’ (UPBoardSolutions.com) को रातोंरात मिट्टी में मिला दिया। इसके फलस्वरूप अंग्रेज सरकार ने सुभाष सहित फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रमुख नेताओं को बंदी बना लिया।

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प्रश्न 4.
बंदी रहते हुए नेताजी ने ब्रिटिश सरकार को भेजे गए चेतावनी पत्र में क्या लिखा था?
उत्तर :
बंदी रहते हुए उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए पत्र में लिखा कि “मुझे मुक्त कर दीजिए अन्यथा मैं जीवित रहने से इंकार कर दूंगा। इस बात का निश्चय करना मेरे वश में है कि मैं जीवित रहूँ या मर जाऊँ। अपने देशवाशियों को मुझे यही कहना है कि “भूलना मत की दासता मनुष्य के लिए सबसे पहला पाप है।”

प्रश्न 5.
सुभाषचंद्र बोस द्वारा दिए गए प्रसिद्ध नारों को लिखिए।
उत्तर :
‘जय हिंद’, ‘दिल्ली चलो’, ‘लाल किला हमारा है’, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ सुभाषचंद्र बोस द्वारा दिए गए प्रसिद्ध नारे हैं।

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