UP Board Solutions for Class 8 Environment Chapter 1 पर्यावरण को जानें

UP Board Solutions for Class 8 Environment Chapter 1 पर्यावरण को जानें

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अभ्यास

Question 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) पर्यावरण से आप क्या समझते हैं?
(ख) प्राकृतिक और सामाजिक पर्यावरण में क्या अन्तर है ?
(ग) अपने पर्यावरण के दस अजैविक घटकों के नाम लिखिए।
(घ) अपने विद्यालय परिसर में पाए जाने वाले जैविक घटकों की सूची बनाइए।
Answer:
(क)- जल, वायु, प्रकाश, मिट्टी, पेड़-पौधे आदि जिनसे हम चारों ओर से घिरे हैं, ये सभी एक साथ मिलकर हमारा पर्यावरण कहलाते हैं।

(ख)- वह पर्यावरण जो प्रकृति हमें प्रदान करती है। प्राकृतिक पर्यावरण कहलाता है। हवा, जल, मिट्टी, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु, सूर्य, नदी, पहाड़ आदि प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं क्योंकि इनको हम (UPBoardSolutions.com) स्वयं नहीं बना सकते। मानव समाज द्वारा निर्मित पर्यावरण को सामाजिक पर्यावरण कहते हैं। जैसे मकान, सड़क, बाजार, गाँव, शहर, रेल, मोटर, वायुयान आदि सामाजिक पर्यावरण के अंग हैं। सामाजिक पर्यावरण का निर्माण प्राकृतिक पर्यावरण की सहायता से किया जाता है।

(ग)- नदी, झील, सागर, महासागर, पहाड़, पठारे, रेगिस्तान मैदान, हवा, धूप आदि अजैविक घटक हैं।

(घ) – पौधे, पेड़, लताएँ, गिलहरी, चिड़ियाँ, बच्चे, शिक्षक, आदि।

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Question 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) प्रकृति, जल, स्थल, वायु, पेड़-पौधों एवं ___ से मिलकर बनी है।
(ख) पृथ्वी के जल वाले भाग को __ कहते हैं।
(ग) जैविक एवं अजैविक घटक एक दूसरे के ___ हैं।
(घ) टिड्डा एक ___ जीव है।
(ङ) विद्यालय ___ पर्यावरण का हिस्सा है।
Answer:
(क) प्रकृति, जल, स्थल, वायु, पेड़-पौधों एवं जीव-जंतुओं से मिलकर बनी है।
(ख) पृथ्वी के जल वाले भाग को जलमण्डल कहते हैं।
(ग) जैविक एवं (UPBoardSolutions.com) अजैविक घटक एक दूसरे के पूरक हैं।
(घ) टिड्डा एक शाकाहारी जीव है।
(ङ) विद्यालय सामाजिक पर्यावरण का हिस्सा है।

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UP Board Solutions for Class 8 Civics Chapter 2 देश की सुरक्षा एवं विदेश नीति

UP Board Solutions for Class 8 Civics Chapter 2 देश की सुरक्षा एवं विदेश नीति

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देश की सुरक्षा एवं विदेश नीति

अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- .
(क) देश की सुरक्षा में सहायक संगठनों के बारे में लिखिए।
उत्तर
सेनाओं के तीन अंगों के अतिरिक्त कुछ अन्य संगठन हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए कार्य करते हैं। देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर स्थायी रूप से चौकसी का कार्य सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) नामक संगठन करता है। समुद्रतट की सीमाओं की सुरक्षा में तटरक्षक (Coast Guards) संगठन कार्य (UPBoardSolutions.com) करता है। इसके कार्यों में रक्षा प्रतिष्ठानों की रक्षा करना, तस्करी रोकना तथा खोज-बचाव के दलों का * गठन करना मुख्य हैं। तीसरा महत्त्वपूर्ण संगठन प्रादेशिक सेना (TerritorialArrmy) है। यह नागरिकों का एक संगठन है। इसमें देश की सुरक्षा कार्य में भाग लेने के इच्छुक नागरिक अपने खाली समय में सैन्य प्रशिक्षण ले सकते हैं। चौथा संगठन नेशनल कैडेट कोर (N.C.C) है। इसमें बालकों के साथ-साथ बालिकाओं का भी डिवीज़न है। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में स्काउट्स एवं गाइड्स के प्रशिक्षण की व्यवस्था है।

केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) एक अर्द्धसैनिक बल है जिसका मुख्य कार्य सरकारी कारखानों एवं अन्य सरकारी उपक्रमों को सुरक्षा प्रदान करना है। इसके अतिरक्ति देश की आंतरिक सुरक्षा, विशिष्ट लोगों की सुरक्षा, परमाणु संस्थान, ऐतिहासिक धारोहरों आदि की भी सुरक्षा करता है। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) भारत के केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सबसे बड़ा है। यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के तहत काम करता है। सीआरपीफ की प्राथमिक भूमिका पुलिस कारवाई में राज्य/संघ शासित प्रदेशों की सहायता, कानून व्यवस्था और आतंकवाद विरोध में निहित है। रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) केन्द्रीय रिजर्व पुलिस (UPBoardSolutions.com) बल की एक शाखा है, जो दंगों एवं भीड़ को नियंत्रित करती है। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) गृह मंत्रालय के निरीक्षण में काम करती है और इनका मुख्य कार्य विशिष्ट व्यक्तियों की रक्षा, बंधकों का बचाव महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को आतंकवादी खतरों से सुरक्षित करना है।

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(ख) विश्व में शांति स्थापित करने के लिए भारत ने किस नीति का समर्थन किया?
उत्तर
विश्व में शांति स्थापित करने के लिए भारत ने गुट निरपेक्षता की नीति का समर्थन किया।

(ग) पंचशीले क्या है एवं इसके सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
उत्तर
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं० जवाहर लाल नेहरू युद्ध के स्थान पर शान्ति को महत्त्व देते रहे। वह सभी राष्ट्रों की स्वतंत्रता एवम् समानता के समर्थक थे इसलिए किसी भी राष्ट्र के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने के भी विरुद्ध थे। उनके इन्हीं विचारों से 1954 में पाँच सिद्धान्त बनाए गए जिन्हें पंचशील के नाम से जाना जाता है। ये हमारी विदेशनीति के आधार हैं। ये सिद्धान्त इस प्रकार हैं

  • एक दूसरे की राज्य की सीमा एवम् उनकी प्रभुसत्ता का सम्मान किया जाए।
  • एक दूसरे के भू-भाग पर आक्रमण न किया जाए।
  • एक दूसरे के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप न किया जाए।
  • समानता और पारस्परिक लाभ को ध्यान में रखा जाए।
  • शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना का पालन किया जाए।

(घ) कोरिया और कांगो के संकट के समय भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ की क्या सहायता की?
उत्तर
भारत जब से संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बना है, वह लगातार उसे अपना सहयोग प्रदान कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशों के पालन में ही कोरिया के संकट के समय भारत ने एक डाक्टरी दल भेजा एवं कांगों में (UPBoardSolutions.com) संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ अपनी सैनिक टुकड़ियाँ भेजीं।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर
(क) सेना में भर्ती होने के लिए पहले चयन परीक्षा होती है।
(ख) समुद्री मार्ग से तस्करी रोकने के लिए तटरक्षक संगठन कार्य करता है।
(ग) भारतीय सेनाओं का सर्वोच्च कमाण्डर राष्ट्रपति होता है।
(घ) शस्त्रों की होड़ से युद्ध की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में जो सही हों उनके आगे (✓) का चिह्न लगाइए|-
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Civics Chapter 2 देश की सुरक्षा एवं विदेश नीति img-1

प्रश्न 4.
सोचिए और लिखिए-
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रोजेक्ट वर्क-
विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 महादानम् (अनिवार्य संस्कृत)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 महादानम् (अनिवार्य संस्कृत)

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सुधा- दीपकः …………………………………………………………. मया ज्ञातम्।

हिन्दी अनुवाद – सुधा-दीपक! यहाँ क्या होता है?
दीपक – सुधा! यहाँ लोग रक्तदान और नेत्रदान करते है।

सुधा – दीपक, रक्तनिर्माण तो बहुत परिश्रम से होता है, फिर भी लोग कैसे रक्तदान करते हैं? क्या रक्तदान से शरीर में खून की कमी नहीं होती है?
दीपक – सुधा, खून की कमी का कारण तो अन्य होता है। अस्वस्थ लोग रक्तदान नहीं करते। जब कोई स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान करता है तब उसके शरीर में शीघ्र ही रक्त निर्माण होता है।

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सुधा – एक अन्य शंका भी है जैसे जब रक्तदान में चिकित्सक लोग रक्तदान को उत्सुक लोगों में से केवल सामान्य रक्तवर्ग परीक्षण करके शीघ्र ही सूई-यन्त्र से रक्त निकालते हैं, तब क्या उसी तरह नेत्रदान में भी नेत्र निकालते हैं? (UPBoardSolutions.com)
दीपक – नहीं, नहीं, नेत्रदान में तो नेत्रदान के लिए उत्सुक लोगों को शिविर में पंजीकरण होता है। जब नेत्रदान के लिए उत्सुक लोगों का मरण होता है तो परिवार के लोग संस्थान में सूचना देते हैं। बहुत आदर और सम्मानपूर्वक नेत्रों का निस्सारण करते हैं।

सुधा – क्या मरने के बाद भी नेत्र जीवित रहते हैं?
दीपक – हाँ! कुछ काल तो जीवित रहते हैं। चिकित्सक लोग सूचना पाकर नेत्र निकालते हैं।

सुधा – आज मैं बहुत प्रसन्न हूँ। जीवन के संदर्भ में अध्यापक लोग बहुत उपदेश देते हैं किन्तु मृत्यु के बाद भी कई लोग अपने अंग से समाज का उपकार करने में सक्षम होते है, ऐसा मैंने अब जाना है।

अभ्यास

प्रश्न 1.
उच्चारण करेंनोट-विद्यार्थी स्वयं उच्चारण करें।

प्रश्न 2.
एक पद में उत्तर दें
उत्तर :
(क)
किम् अस्वस्थाः जनाः रक्तदानं कुर्वन्ति?
उत्तर :
न कुर्वन्ति।

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(ख) केन यन्त्रेण रक्तं निस्सारयन्ति?
उत्तर :
सूचिकायन्त्रेण।

(ग)
नेत्रदानशिविरे सर्वप्रथमं किं भवति?
उत्तर :
पञ्जीकरणं।

(घ)
किं मारणानन्तरम् अपि नेत्रं जीवति?
उत्तर :
आम्।

(ङ)
चिकित्सकाः सूचनाम् अवाप्य सद्य किं निस्सारयन्ति?
उत्तर :
नेत्रे।

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प्रश्न 3.
पाठ से रिक्त स्थानों की पूर्ति करें (पूर्ति करके)
(क) रक्तनिर्माणं तु बहु परिश्रमेण भवति।
(ख) तस्य शरीरे क्षिप्रमेव रक्तनिर्माणं भवति।
(ग) संस्थाने नियुक्ताः चिकित्सकाः तत्र गच्छति।
(घ) जीवनसन्दर्भ तु अध्यापकाः बहु उपदिशन्ति।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में विभक्ति एवं वचन बताएँ ( बताकर )
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 महादानम् (अनिवार्य संस्कृत) 1
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में लकार, पुरुष एवं वचन स्पष्ट करें (स्पष्ट करके)
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 महादानम् (अनिवार्य संस्कृत) 2
प्रश्न 6.
संस्कृत में अनुवाद करें
(क) यहाँ लोग रक्तदान और नेत्रदान करते हैं।
अनुवाद : अत्र जनाः रक्तदानं नेत्रदानं च कुर्वन्ति।

(ख) रक्तनिर्माण बहुत परिश्रम से होता है।
अनुवाद : रक्तनिर्माणं बहुपरिश्रमेण भवति।

(ग) आज मैं बहुत प्रसन्न हूँ।
अनुवाद : अद्य अति प्रसन्ना अस्मि।।

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(घ) रक्ताल्पता का कारण दूसरा होता है।
अनुवाद : रक्ताल्पतायाः कारणं अन्यत् भवति।

प्रश्न 7.
किसने किससे कहा अपनी पुस्तिका पर लिखिए
(क) कि मरणानन्तरम् अपि नेत्रं जीवति?
उत्तर : सुधा ने – दीपक से

(ख)
अद्य अहं अतिप्रसन्ना अस्मि।
उत्तर : सुधा ने – दीपक से

(ग)
कि रक्तदानेन शरीरे रक्ताल्पता न भवति?
उत्तर : सुधा ने – दीपक से

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 22 खान-पान की बदलती तस्वीर (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 22 खान-पान की बदलती तस्वीर (मंजरी)

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पाठ का सर (सारांश)

दस पंद्रह वर्षों से खानपान की संस्कृति में काफी बदलाव आया है। दक्षिण भारत का इडली-डोसा, बड़ा-साँभर-रसम दक्षिण भारत में ही नहीं उत्तर भारत में भी पूर्णतया उपलब्ध हैं और उत्तर भारत के ढाबे व उनमें उपलब्ध रोटी-दाल साग पूरे देश में मिलेंगे। फास्ट फूड का चलन भी कम नहीं। बर्गर व नूडल्स सभी स्थानों पर खाए-परोसे जाते हैं। आलू चिप्स, गुजराती ढोकला, गुझिया तथा बंगाली मिठाइयाँ सब जगह पर समान रूप से मिलने लगी हैं। सभी प्रदेशों के व्यंजन सभी स्थानों पर मिलने लगे हैं, जबकि पहले यही प्रांत की विशेषता होते थे। ब्रेड जो पहले केवल अमीरों के घरों में ही आती थी, नाश्ते के रूप में लाखों-करोड़ों भारतीय घरों में सेंकी-तली जाती है। नई पीढ़ी पहले ही स्थानीय व्यंजनों के बारे में कम जानती थी लेकिन अब यह वर्ग नए व्यंजनों के बारे में अधिक जानता है। स्थानीय व्यंजन तो दिन-प्रतिदिन घटते जा रहे हैं।

शहरी जीवन की भागमभाग व महँगाई के कारण आज उन्हीं देशी-विदेशी व्यंजनों को अपनाया जा रहा है, जिन्हें बनाने पकाने की सुविधा हो। देश-विदेश के व्यंजनों का चलन होने से खानपान की एक मिश्रित संस्कृति बनी है। खानपान की दृष्टि से सभी प्रांत एक-दूसरे के पास-पास आए हैं। इससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिला है। कई व्यंजन जो सामान्य (UPBoardSolutions.com) रूप में मिला करते थे, वे आज पाँच सितारा होटलों में भी मिलने लगे हैं। उत्तर भारत की पूड़ियाँ, कचौड़ियाँ, जलेबियाँ व सब्जियों से बने समोसे अब बाजारों से गायब होते जा रहे हैं।

स्थानीय व्यंजनों को हम छोड़ते जा रहे हैं और पश्चिम के जो पदार्थ स्वाद, स्वास्थ्य और सरसता के लिए हैं, उन्हें अपनाते जा रहे हैं। स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार अति आवश्यक है। खानपान की मिश्रित संस्कृति से हम कई बार चीजों का वास्तविक स्वाद नहीं ले पाते। आज आधुनिकता के दौर में खानपान की मिश्रित संस्कृति बढ़ती जा रही है। हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम समयानुसार उसकी जाँच करते रहें।

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प्रश्न-अभ्यास।

कुछ करने को
प्रश्न 1.
आपको जो व्यंजन अत्यधिक स्वादिष्ट लगता हो उसकी निर्माण विधि लिखिए तथा चित्र बनाइए?
उत्तर-विद्यार्थी स्वयं करें। उदाहरण के लिए नीचे एक व्यंजन (खीर) की निर्माण-विधि दी जा रही है, क्योंकि यह लगभग सभी बच्चों का पसंदीदा व्यंजन होता है।।

‘खास और प्रसिद्ध

आवश्यक सामग्री – चावल-100 ग्राम, शक्कर – 150 ग्राम, फुल क्रीम दूध-1 लीटर, काजू-1 बड़ा चम्मच (कटे हुए), किशमिश-1 बड़ा चम्मच, मखाने-1/2 कप (कटे हुए), इलायची-5 (पिसी हुई)।।

खीर बनाने की विधि – सबसे पहले चावल को पानी में एक घंटे के लिए भिगो दें। भीगने के बाद चावलों को एक बार धो ले। फिर उसे मिक्सर में दरदरा पीस लें। अब एक बड़े भगोने में दूध लेकर मीडियम आँच पर चढ़ाएँ। जब दूध उबलने लगे, तब उसकी आँच कम कर दें और उसमें पिसे हुए चावल डाल दें। दूध को थोड़ी-थोड़ी देर पर चलाते रहें। (UPBoardSolutions.com) 10 मिनट तक पकने के बाद दूध में चीनी, मेवा और इलायची डाल दें और धीमी आँच पर पकाएँ। जब चावल अच्छी तरह से पक जाए और मेवे मुलायम हो जाएँ, तब गैस बंद कर दें। अब आपकी खीर बनकर तैयार है। बस इसमें इलायची पाउडर मिलाएँ और थोड़ी ठंडी होने पर परोसें।

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प्रश्न 2.
नोट – 
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
नोट – 
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 4.
फास्टफूड अब शहरों के अलावा गाँव के गली-मुहल्लों में भी मिलने लगा है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है अथवा लाभदायक। इस विषय पर कक्षा में वाद-विवाद कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी निम्न बिंदुओं पर फास्ट फूड पर कक्षा में विचार-विमर्श कर सकते हैं
फास्ट-फूड के फायदे – मिलने में सुविधाजनक, और समय की बचत।
फास्ट-फूड के नुकसान – मोटापे की समस्या, हृदय की बीमारी बढ़ने का खतरा, कैंसर का खतरा, डायबिटीज, तनाव, थकान, आदि बीमारियों का खतरा।

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विचार और कल्पना

प्रश्न 1.
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
खानपान के निर्माण से लेकर भोजन ग्रहण करने तक की प्रक्रिया में स्वच्छता तथा सफाई की जो-जो बातें ध्यान देने योग्य हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर :
खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोना चाहिए। रसोई की साफ-सफाई विशेष तौर पर करनी चाहिए। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए। खाने की किसी भी वस्तु को खुला नहीं छोड़ना चाहिए। कच्चे
और पके हुए खाने को अलग-अलग रखना चाहिए। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखना चाहिए। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखना चाहिए, न ही बिना सूखाए डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखना चाहिए। ताजी सब्जियों-फलों । का प्रयोग करना चाहिए। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करना चाहिए तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख अवश्य देखनी चाहिए।

बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, भोजन का उपयोग नहीं करना चाहिए। खाने को सही तापमान पर पकाना चाहिए और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट नहीं करने चाहिए। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखना चाहिए। खाद्य पदार्थों को हमेशा ढककर रखना चाहिए और ताजा भोजन ही (UPBoardSolutions.com) खाना चाहिए। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करना चाहिए। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाना चाहिए।

खाना पकाने के लिए सोयाबीन, सनफ्लावर, मक्का या ऑलिव ऑइल के प्रयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए। खाने में शक्कर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करना चाहिए। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शक्कर से बने जूस आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए। रात का खाना जितनी जल्दी हो, खा लेना चाहिए।

निबन्ध से

प्रश्न 1.
स्थानीय व्यंजनों को बनाने में कमी क्यों आई है ?
उत्तर :
एक प्रांत का व्यंजन दूसरे प्रांत में आसानी से मिल जाता है। ये विविध व्यंजन लोगों को आकर्षित करते हैं। इसलिए स्थानीय व्यंजनों की माँग कम होने लगी है। फलस्वरूप इन्हें बनाने में कमी आई है।

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प्रश्न 2.
आजादी के बाद से नौकरियों-तबादलों का नया विस्तार हम किस रूप में देखते हैं ?
उत्तर :
आजादी के बाद उद्योग-धंधों, नौकरियों, तबादलों का जो एक नया विस्तार हुआ है, उसे हम इस रूप में देखते हैं कि उसके कारण खानपान की चीजें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची । हैं। बड़े शहरों के मध्यमवर्गीय स्कूलों में जब दोपहर के वक्त बच्चों के टिफिन-डिब्बे खुलते हैं तो उनसे विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों की खुशबू उठती है।

प्रश्न 3.
खानपाने के द्वारा राष्ट्रीय एकता का बीज किस प्रकार अंकुरित होगा।
उत्तर :
हम विभिन्न प्रांतों के निवासी खान-पान के माध्यम से भी एक-दूसरे के निकट आते हैं। और एक-दूसरे को जानते हैं। इस दृष्टि से देखें तो खान-पान की नई संस्कृति में हमें राष्ट्रीय एकता के लिए नए बीज मिल सकते हैं।

प्रश्न 4.
स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर :
विभिन्न प्रांतों के विविध व्यंजन आसानी से उपलब्ध हो जाने के कारण स्थानीय व्यंजनों को बनाने में कमी आती जा रही है। स्थानीय व्यंजन प्रांत विशेष की पहचान होंते हैं, वहाँ की संस्कृति के परिचायक होते हैं। उनका लुप्त होना दुर्भाग्यपूर्ण है। अतः प्रांतीय व्यंजन का पुनरुद्धार जरूरी है।

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प्रश्न 5.
हम खानपान की मिश्रित संस्कृति का भरपूर आनन्द क्यों नही ले पा रहे हैं ?
उत्तर :
खान-पान की मिश्रित या विविध संस्कृति यूँ तो हमें कुछ चुनने का अवसर देती है, परंतु हम उसको लाभ प्रायः नहीं उठा रहे हैं। अक्सर प्रीतिभोजों और पार्टियों में एक साथ ढेरों चीजें रख दी जाती हैं (UPBoardSolutions.com) और हमें एक ही प्लेट में कई तरह के और कई बार तो बिलकुल विपरीत प्रकृति वाले व्यंजन परोस लेते हैं, जिसके कारण उनका स्वाद गड्डमड्ड हो जाता है और हम कई बार असली चीजों का असली और अलग स्वाद नहीं ले पाते।

प्रश्न 6.
खानपान की मिश्रित संस्कृति के लाभ तथा हानि लिखिए ?
उत्तर :
खान-पान की मिश्रित संस्कृति के लाभ – खानपान की मिश्रित संस्कृति के करण हम विविध प्रांतों के विविध व्यंजनों को खाने का आनंद ले पाते हैं। हमारे पास अब खाने की अनेक वेराइटी हैं और हम अपनी पसंदीदा वस्तुएँ आसानी से बाजार से प्राप्त कर सकते हैं या घर में भी बना सकते हैं। इससे हम एक ही खाद्य-पदार्थ को बार-बार खाने की बोरियत से बचे रहते हैं और भोजन के प्रति हमारी रुचि बनी रहती है। खान-पान की मिश्रित संस्कृति राष्ट्रीय एकता में भी सहायक है। जब विभिन्न प्रांतों के व्यक्ति एक-दूसरे के प्रांत का भोजन पसंद करने लगते हैं तो उनके बीच आत्मीयता उत्पन्न होती है। वे एक दूसरे की संस्कृति, रहन-सहन, भाषा-बोली आदि के तौर-तरीकों के प्रति भी आकर्षित होते हैं।

खान-पान की मिश्रित संस्कृति से हानियाँ-खान – 
पान की मिश्रित संस्कृति के कारण स्थानीय व्यंजनों को बनाने में कमी आई है। स्थानीय व्यंजन जो प्रांत विशेष की संस्कृति के परिचायक होते हैं, वे कहीं लुप्त हो रहे हैं। साथ ही उनकी गुणवत्ता में भी कमी आ रही है। खान-पान की मिश्रित संस्कृति के कारण कई बार हम व्यंजनों का सही स्वाद महीं ले पाते (UPBoardSolutions.com) क्योंकि खान-पान की मिश्रित संस्कृति के कारण अक्सर पार्टियों में एक साथ ढेरों व्यंजन रख दिए जाते हैं और लोग एक ही प्लेट में सारे व्यंजन परोस लेते हैं। जिससे उन सबका स्वाद गड्ड मेड्ड हो जाता है और हम किसी भी व्यंजन का स्वाद ठीक से नहीं ले पाते।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
सु, वि तथा प्र उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए।
उत्तर :
सु – सुविचार, सुव्यवस्थित
वि – विचार, विशेष
प्र – प्रकृति, प्रसार

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प्रश्न 2.
जब किसी शब्द के अर्थ में विशेषता लाने के लिए उसी के समान दूसरा शब्द लगाया जाता है, तो उसे शब्द युग्म कहते हैं। युग्म का अर्थ होता है-जोड़ा। शब्द-युग्म कई प्रकार से बनाए जाते हैं (जैसे एक ही शब्द का दो बार प्रयोग करके, विलोम शब्दों, समानार्थी शब्दों से, सार्थक के निर्रथक शब्दों से। शब्द-युग्म बनाते समय दोनों शब्दों के बीच योजक चिन्ह () लगाया जाता है। जैसे-बार-बार, देशी-विदेशी। दिए गए शब्दों से उचित शब्द-युग्म बनाइएः
उत्तर :
वेश      –    वेश – भूषा,
हँसते    –   हँसते – हँसते,
स्वाद    –   स्वाद – स्वाद,
शहरी   –   शहरी – गंवई
अपना   –  अपना – पराया
नई       –   नई – नई
खान     –   खान – पान
लाल     –   लाल – पीला
घर       –   घर – घर

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UP Board Solutions for Class 8 Civics Chapter 1 हमारा लोकतन्त्र

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हमारा लोकतन्त्र

अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) लोकतन्त्र को सफल बनाने के लिए स्वतंत्र निर्वाचन क्यों आवश्यक है?
उत्तर
लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनकर संसद भेजती है, यह स्वतन्त्र निर्वाचन व्यवस्था द्वारा ही सम्भव है। यदि निर्वाचन पर किसी व्यक्ति, संस्था या पार्टी का दवाब हो तो सही प्रतिनिधि का चुनाव सम्भव नहीं हो पाएगा।

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(ख) संचार माध्यम या मीडिया से क्या अभिप्राय है? इससे जनता को क्या लाभ होता है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
मीडिया अँग्रेजी के ‘मीडियम’ शब्द का बहुवचन है जिसका अर्थ है ‘माध्यम’। जब कोई सूचना देशविदेश के जन समूह तक संचार माध्यमों द्वारा पहुँचती है तो उसे जन संचार माध्यम या मास मीडिया कहते हैं| इनसे जनता को निम्नलिखित लाभ हैं

  1. इसके द्वारा जनता को केन्द्र, राज्य सरकार एवं स्थानीय सरकार के निर्णय एवं नीतियों की जानकारी प्राप्त होती है।
  2. सरकार एवं उससे सम्बन्धित संस्थाओं के कार्यों की जानकारी प्राप्त होती है।
  3. अपनी बातें सरकार तक पहुँचाने का (UPBoardSolutions.com) सशक्त साधन है।
  4. सरकार को अपने शासन तन्त्र की कमजोरियों तथा देश की स्थितियों से अवगत कराता है।
  5. देश-विदेश में होने वाली हर एक घटना से अवगत कराता है।

(ग) संसद, विधानसभा अथवा ग्राम पंचायत के लिए प्रतिनिधि चुनते समय आप किन बातों का ध्यान रखोगे?
उत्तर
प्रतिनिधि शिक्षित, योग्य एवं अनुभवी हों।

(घ) राजनैतिक और सामाजिक अधिकारों के अन्तर्गत किस प्रकार के अधिकार नागरिकों को दिए गए हैं?
उत्तर
इन मौलिक अधिकारों के अन्तर्गत निम्नलिखित अधिकार दिए गए हैं-
राजनैतिक अधिकार-

  1. भारत का कोई भी नागरिक संविधानानुसार चुनाव लड़ सकता है।
  2. नागरिक किसी भी राजनीतिज्ञ को उसकी सेवा अवधि समाप्त होने पर चुनाव में पराजित करके बदल सकते हैं।
  3. वे सरकार के किसी अनुचित कार्य की भाषण या लेख द्वारा निन्दा कर सकते हैं।
  4. 18 वर्ष या इससे अधिक आयु के पुरुषों और स्त्रियों को मत देने का अधिकार है।
  5. प्रत्येक मतदाता गुप्त मतदान करता है।

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सामाजिक अधिकार-

  1. 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को ऐसे कामों पर लगाने से रोकना जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
  2. शोषण के विरुद्ध अधिकार द्वारा कमजोर वर्गों के स्त्रियों तथा बच्चों को सुरक्षा प्रदान की गई है।
  3. लोकतन्त्रीय शासन में नागरिक सरकारी नीतियों का विरोध वैधानिक और शान्तिपूर्ण उपाय अपनाकर कर सकते हैं।
  4. आवश्यकता पड़ने पर वे संगठित रूप से जुलूस निकालकर या प्रदर्शन करके भी सरकारी नीतियों का विरोध कर सकते हैं।
  5. सार्वजनिक स्थानों पर प्रत्येक व्यक्ति जा सकता है।

(ङ) लोकतंत्र में स्वतंत्र न्यायपालिका का क्या महत्व है?
उत्तर
लोकतंत्र में नागरिकों की स्वतंत्रता, समानता एवं उनके अधिकारों की सुरक्षा का दायित्व न्यायपालिका पर होता है। जनता को समान न्याय दिलाने हेतु न्यायपालिका को सरकार के दबाव और नियंत्रण से मुक्त होना (UPBoardSolutions.com) चाहिए। इस प्रकार लोकतंत्र में न्यायपालिका की स्वतंत्रता का बहुत महत्व है।

(च) राजनैतिक दलों के लिए चुनाव चिह्न होना क्यों जरूरी है? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
राजनैतिक दलों के लिए चुनाव चिह्न होना जरूरी है क्योंकि चिह्न न होने से उनकी जनता में पहचान, प्रचार कार्य, चुनाव का कार्य समुचित रूप से नहीं हो सकता है। जैसे- कमल का फूल भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिह्न है और हाथ का पंजा कांग्रेस का चुनाव चिह्न है।

(छ) चुनाव की प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर
निर्वाचन आयोग चुनाव से पहले प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक मतदाता सूची बनवाता है। भारत का प्रत्येक नागरिक जिसकी आयु 18 वर्ष पूर्ण हो गई हो, मतदाता सूची में पंजीकृत होने का हकदार है। किसी नागरिक को केवल धर्म, जाति, वंश या लिंग के आधार पर मतदाता सूची में सम्मिलित होने से वंचित नहीं किया जा सकता। चुनाव की प्रक्रिया का प्रारम्भ राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना से होता है। निर्वाचन आयोग चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करता है। उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने को पर्याप्त समय दिया जाता है। निर्वाचन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच कर उम्मीदवारों की अन्तिम सूची जारी करता है तथा उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न आवंटित करता है। उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार के लिए समय दिया जाता है। चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवारों को आदर्श आचार संहिता का पालन करना होता है।

चुनाव प्रचार मतदान की तिथि से 48 घण्टे पहले बन्द हो जाता है। मतदाताओं को चाहिए कि मतदान वाले दिन अपना मतदाता पहचान पत्र (EPIC) लेकर मतदान केन्द्र पर जाएँ और (UPBoardSolutions.com) अपना मत (वोट) अवश्य डालें। मतदान हेतु मतपत्र या ईवीएम का प्रयोग किया जाता है। मतदान के बाद पहले से निर्धारित तिथि एवं स्थान पर मतगणना होती है। सर्वाधिक मत पाने वाला उम्मीदवार विजयी घोषित किया जाता है।

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(ज) सभी वयस्क नागरिकों को मतदान करने का अधिकार है किन्तु कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपना वोट देने नहीं जाते हैं। सोचिए, ऐसा होता है तो उसका क्या परिणाम होगा?
उत्तर
कम वोट मिलने के कारण सही प्रतिनिधि का चुनाव नहीं होगा।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर

  1. मतदान करने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष है।
  2. यदि कोई व्यक्ति कानून तोड़ता है तो उसे कानून के अनुसार सजा मिलती है।
  3. संविधान में भारत को लोकतांत्रिक देश घोषित किया गया है।
  4. मतदान करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग होता है।
  5. भारतीय संविधान में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग की व्यवस्था है।

प्रोजेक्ट वर्क-
विद्यार्थी स्वयं करें।

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