UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 4 वर्धमानः महावीर

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वर्धमानः महावीर

शब्दार्थाः– अन्यतमः = बहुतों से एक/सर्वश्रेष्ठ, शैशवात् = बचपने से, सदाचारसम्पन्नः = सदाचार से युक्त, अजायते = उत्पन्न हुई (जन् धातु, लङ्लकार, प्रथम पुरुष, एक वचन), वर्गभेदः = ऊँच-नीच का भाव, विकलतायाः = व्याकुलता के, दिवङ्गते = मरने पर, शोकोद्विग्नम् = शोक से सन्तप्त, बेचैन, तदानीम् = उस समय, प्रवृत्तः = लग गए, संनियम्य = नियन्त्रित करके, त्रयोविंशतिः = तेईस, चतुर्विशः = चौबीसवें, कैवल्यम् = मोक्ष, प्राणवन्तः = सजीव, प्रस्तरादिषु = पत्थर आदि में, त्रिरत्नोपासनया = त्रिरत्नों के पालन से, अस्तेयम् (न + स्तेयम्) = चोरी न करना, अपरिग्रहः = अपने पास कुछ न रखना, द्विसप्ततिवर्षवयसि = बहत्तर वर्ष की उम्र में, रुग्णः = रोगी।

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भारतवर्षे प्रचलितेषु ………………………………………………………. आसीत् ।।1।।
हिन्दी अनुवाद-भारत में प्रचलित धर्म सम्प्रदायों में जैनधर्म का महत्त्व बहुत है। वर्धमान महावीर जैन धर्म के अन्यतम श्रेष्ठ महापुरुष थे। इनका जन्म ईसा पूर्व 599 को वैशाली नगर के कुण्डग्राम में हुआ था। बाल्यकाल में इनका नाम वर्धमान था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था। ये जन्म से ही बुद्धिमान, सदाचारसम्पन्न और विचारशील थे। इनका विवाह यशोदा नामक राजकुमारी के साथ हुआ। इनके एक पुत्री प्रियदर्शिनी उत्पन्न हुई। वर्धमान बाल्यकाल से ही विरक्त थे। समाज में प्रचलित आडम्बर, वर्णभेद और जीवहिंसा इनके हृदय में परेशानी के कारण थे। पिता के मरने पर इनका मन शोक से उद्विग्न हो (UPBoardSolutions.com) गया। मोह और माया को छोड़ इन्होंने अपने भाई से आज्ञा लेकर संन्यास ग्रहण कर लिया। उस समय इनकी अवस्था तीस वर्ष की थी। कठिन तपस्या से ये सत्य और शान्ति की खोज में लग गए। बारह वर्ष तक तप करके इन्होंने ज्ञान प्राप्त किया। तप से ये इन्द्रियों को जीतकर महावीर या जिन हो गए। जैन मत के अनुसार वर्धमान महावीर से पहले तेईस तीर्थंकर थे। महावीर जैनधर्म के चौबीसवें एवं आखिरी तीर्थंकर थे।

ज्ञानप्राप्तेः ……………………………………. प्राप्तः ॥2॥
हिन्दी अनुवाद-ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् महावीर ने तीस वर्ष तक जैनधर्म को बहुत उत्साह से प्रचार किया। धीरे-धीरे भारत के प्रायः सब राज्यों में जैन धर्म का अच्छी तरह प्रचार हुआ। इनके द्वारा दिखाई गए मार्ग पर चलने से लोग मोक्ष प्राप्त करने में समर्थ होते हैं। इनके मत के अनुसार न केवल मनुष्य, पशु, पक्षी व प्राणी; बल्कि वृक्ष और पत्थर आदि में प्राण होते हैं। महावीर के उपदेश के अनुसार सम्यक् दर्शन सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चरित्र ऐसे त्रिरत्न की उपासना से लोग मोक्ष प्राप्त (UPBoardSolutions.com) करते हैं। शुद्ध आचरण के लिए पाँच महाव्रतों- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह विधान किया गया। साधारण लोगों के अलावा बिम्बमार, अजातशत्रु आदि राजा भी इनके उपदेशों से प्रभावित हुए। इनके द्वारा उपदेशित मार्ग के आधारभूत सिद्धांत थे-सत्य और अहिंसा।।

बहत्तर वर्ष की अवस्था में महावीर पाटलिपुत्र के समीप पावापुरी स्थान पर रोगग्रस्त हुए और मोक्ष को प्राप्त हो गए।

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अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारण कुरुते पुस्तिकायां च लिखत
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) वर्धमानमहावीरस्य पितुः नाम किम् आसीतु?
उत्तर
सिद्धार्थः।

(ख) वर्धमानमहावीरस्य मातुः नाम किम् आसीत्?
उत्तर
त्रिशला।।

(ग) जैनधर्मानुसारेण त्रिरत्नोपासनया जनाः किं लभन्ते?
उत्तर
मोक्षं।।

(घ) जैनधर्मस्य अन्तिमः तीर्थङ्करः कः आसीत्?
उत्तर
वर्धमानः महावीरः।

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प्रश्न 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) महावीरः कति वर्षाणि यावत् जैनधर्मस्य प्रचारम् अकरोत्?
उत्तर
महावीरः त्रिंशत् वर्षाणि यावत् जैनधर्मस्य प्रचारम् अकरोत्।

(ख) महावीरस्य जन्म कत्र अभवन?
उत्तर
महावीरस्य जन्म वैशाली नगग्य कुण्डग्रामे अभवत्।

(ग) महावीरस्य पुत्र्याः नाम किम् आसीत्?
उत्तर
महावीरस्य पुत्र्याः नाम प्रियदर्शिनी आसीत्।

(घ) जैनमतानुसारेण महावीरात् पूर्व कति तीर्थङ्कराः अभवन्?
उत्तर
जैनमतानुसारेण महावीरात् पूर्व त्रयोविंशति तीर्थङ्कराः अभवन्।

प्रश्न 4.
प्रश्नानामुलराणि लिखत
(क) कानि पञ्चमहाव्रतानि सन्ति?
उत्तर
सत्य-अहिंसा-अस्तेय-ब्रह्मचर्य-अपरिग्रह।

(ख) त्रिरत्नानि कानि सन्ति?
उत्तर
सम्यक्-दर्शनम्, सम्यक्-ज्ञानम्, सम्यक्-चरित्रम्।

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(ग) महावीरस्य उपदेशैः के के प्रभाविताः अभवन्?
उत्तर
साधारणजनैः सह बिम्बसार-अजातशत्रुप्रभृतयो राजानः अपि महावीरस्य उपदेशैः प्रभावितः अभवन्।

(घ) महावीरस्य मनसः विकलतायाः कानि कारणानि आसन्?
उत्तर
समाज प्रचलितः आडम्बर:, वगभद:. जीवहिंसा च तस्य मनस: विकलतायाः कारणानि आसन्।

प्रश्न 5.
मजूषातः क्रियापदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत (पूरा करके)-
उत्तर
(क) महावीरः जैनधर्मस्य श्रेष्ठः महापुरुषः आसीत्।
(ख) महावीरस्य जन्म वैशालीनगरस्य कुण्डग्रामे अभवत्।।
(ग) जैनधर्मस्य प्रचारं (UPBoardSolutions.com) महावीरः उत्साहेन अकरोत्।।
(घ) त्रिंशद्वर्षवयसि मोहमायां परित्यज्य महावीरः संन्यासं गृहीतवान्।।

प्रश्न 6.
अधोलिखित-पदेषु सन्धि-विच्छेदं कुरुत (सन्धि-विच्छेद करके)–
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 4 वर्धमानः महावीर img-1

प्रश्न 7.
हिन्दीभाषायाम् अनुवादं कुरुत ( अनुवाद करके)
(क) महावीरः जैनधर्मस्य अन्यतमः श्रेष्ठो महापुरुषः आसीत्।
उत्तर
अनुवाद-महावीर जैन धर्म के अन्यतम श्रेष्ठ महापुरुष थे।

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(ख) बाल्यकाले तस्य नाम वर्धमान इत्यासीत्।
उत्तर
अनुवाद-बचपन में उनका नाम वर्धमान था।

(ग) वर्धमानः बाल्यकालादेव विरक्त आसीत्।
उत्तर
अनुवाद-वर्धमान बचपन से ही विरक्त थे।

(घ) स इन्द्रियाणि सन्नियम्य जिनोऽभवत्।
उत्तर
अनुवाद-वे इन्द्रियाँ वश में करके ‘जिन’ बन गए।

प्रश्न 8.
संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)
(क) वर्धमान महावीर जैनधर्म के चौबीसवें तीर्थंकर थे।
उत्तर
अनुवाद-वर्धमानः महावीरः जैन धर्मस्य चतुर्विंशः तीर्थङ्करः आसीत्।

(ख) महावीर की माता का नाम त्रिशला था।
उत्तर
अनुवाद-महावीरस्य मातुः नाम त्रिशला आसीत्।

(ग) पत्थर में भी प्राण है।
उत्तर
अनुवाद-प्रस्तरेषु अपि प्राणाः सन्ति।।

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(घ) उस समय वे तीस वर्ष के थे।
उत्तर
अनुवादे-तस्मिन् समये सः त्रिंशद्वर्षवयस्क आसीत्।

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UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 3 अस्माकम् पर्वाणि

UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 3 अस्माकम् पर्वाणि

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अस्माकम् पर्वाणि

शब्दार्थाः-संघटते = पड़ता है, अमुष्मिन् दिने = इस दिन, चतुर्दशवर्षमितम् = चौदह वर्ष पर्यंत, प्रत्यागच्छत् = वापस आए, तदा प्रभृति इदम् = तभी से यह, याचामहे = माँगते हैं, वीथीषु = मार्गों में, आपणेषु = दुकानों में, चाकचिक्यम् = चकाचौंध, नयन्ति = ले जाते हैं, नत्वा = झुका करे,

परमकारुणिकः = अत्यन्त दयावान्, अजायत् = जन्म लिये। नामधेयेषु = नामक, उपहारान् = भेंट सामग्रियों को, प्रयच्छति = देता है, उपवासं कुर्वन्ति = उपवास करते हैं (रोजा), सुपरिचितेभ्यः = परिचित लोगों के द्वारा, वर्धापयन्ति = बधाई देते है, मनोहराणि नवानि = सुन्दर और नये।

दीपावली …………………………………………… इत्यादयः॥
हिन्दी अनुवाद-दीपावली प्रकाश का महोत्सव है। यह महोत्सव कार्तिक की अमावस्या को होता है। इस दिन भगवान रामचन्द्र चौदह वर्ष के वनवास को पूरा करके रावण-वध के बाद अयोध्या लौटे थे। यह उत्सव तभी से प्रचलित है। इस महोत्सव में रात्रि में लक्ष्मीपूजन होता है। उसमें देवी से हम सब धन-धान्य आदि की याचना करते हैं। सब लोग (UPBoardSolutions.com) अपने-अपने घर को दीपमालाओं से सजाते हैं। शाम को हम मार्गों, दुकानों और घरों में सर्वत्र दीपकों का प्रकाश देखते हैं। अहा! प्रत्येक भवन में बिजली के बल्बों की कैसी चकाचौंध है!

उत्सवों में दीपावली प्रमुख उत्सव होता है। हमारे देश में दूसरे उत्सव भी हैं। रक्षाबन्धन, विजयादशमी (दशहरा), होलिकोत्सव इत्यादि।

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कार्तिकमासस्यैव …………………………………………. अप्यायोजयन्ति। 2।
हिन्दी अनुवाद-कार्तिक मास की पूर्णिमा को ही गुरुनानक देव की जयन्ती होती है। इस तिथि को ही गुरुनानक देव का जन्म हुआ था। सिख धर्मावलम्बी लोग इस दिन विशेष रूप में उत्सव का आयोजन करते हैं। उनके साथ उनके इष्ट मित्र भी इस पर्व को मनाते हैं। वे सब गुरुद्वारे में परिवार के लोगों को ले जाते हैं। वहाँ सिर झुकाकर नमस्कार करके वे ‘गुरु ग्रन्थ साहब’ नाम के अपने धर्मग्रन्थ को सुनते हैं और मित्र के साथ आपस में बातचीत करते हैं तथा आनन्द लेते हैं। इस पर्व में सिख महानुभाव आए हुए लोगों को प्रसाद रूप में हलवा बाँटते हैं। भजन-कीर्तन आदि कार्यक्रम के साथ वे शोभायात्रा का भी आयोजन करते हैं।

ईसाईजनानां …………………………………….. आरोहति ॥3॥
हिन्दी अनुवाद-ईसाई लोगों का रमणीय पर्व क्रिसमस (बड़ा दिन) होता है। यह पर्व दिसम्बर मास की पच्चीस तारीख को होता है। इस दिन परम करुणामय ईसामसीह ने अपने जन्म से पृथ्वी को अलंकृत (UPBoardSolutions.com) किया था। लोग गिरजाघर नाम के ईसाई उपासना मन्दिर में प्रार्थना करते हैं और ईश्वर की कृपा प्राप्त करते हैं। घर-घर में क्रिसमस पेड़ का निर्माण होता है। सांताक्लॉज बच्चों को उपहार देता है। रात्रि में इस महोत्सव का अत्यन्त उन्नत स्वरूप होता है।

ईद-उल-फितर नामधेयं ……………………………………… कुर्वन्ति ।
हिन्दी अनुवाद-मुस्लिम समाज में ‘ईद-उल-फितर’ नाम का कल्याण करने वाला पर्व है। इसका आयोजन रमजान महीने की समाप्ति पर होता है। रमजान मास में मुसलमान लोग एक महीने तक दिन का उपवास करते हैं। केवल रात्रि में मिलकर खाते हैं। सम्बन्धियों और मित्रों के घर जाते हैं। आपस में प्रगति विषयक कामना करते हैं, परिचितों में अच्छी तरह मिठाइयाँ आदि बाँटते हैं, मनोहर नए वस्त्र धारण करते हैं। ईद उत्सव में वे अपने मित्रों और सम्बन्धियों से गले मिलते हैं।

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अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत –
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) दीपावली कस्य महोत्सवः अस्ति?
उत्तर
प्रकाशस्य।

(ख) कार्तिकमासस्य पूर्णिमायां तिथौ कस्य जयन्ती भवति?
उत्तर
गुरुनानक देवस्य।

(ग) सिक्खमहानुभावाः समागतेभ्यः जनेभ्यः प्रसादरूपेण किं वितरन्ति?
उत्तर
संयावं।

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(घ) ईसाईजनानां रमणीयं प्रमुख पर्व किमस्ति?
उत्तर
क्रिसमसः

(ङ) मुस्लिमसमाजस्य कः पर्व अस्ति?
उत्तर
ईद-उल फितर’।

प्रश्न 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) रामः अयोध्यां कदा प्रत्यागच्छत्?
उत्तर
रामः अयोध्या कार्तिक्याम् अमावस्याम् तिथौ प्रत्यागच्छत्।

(ख) गुरुनानकदेवस्य जन्म कदा अभवत्?
उत्तर
गुरुनानकदेवस्य जन्म कार्तिकमासस्यैव पूर्णिमायां तिथौ अभवत्।

(ग) जनाः ‘गिरिजाघर’ इति मन्दिरेषु किं कुर्वन्ति?
उत्तर
जनाः ‘गिरिजाघर’ इति मन्दिरेषु प्रार्थनां कुर्वन्ति।

(घ) रमजानमासे मुस्लिमजनाः किं कुर्वन्ति?
उत्तर
रमजान मासे मुस्लिम जनाः एकमासं दिवा उपसन्ति।

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प्रश्न 4.
रेखांकित-पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत (करके)
(क) दीपावली प्रकाशस्य उत्सवः अस्ति।
उत्तर
को प्रकाशस्य उत्सवः अस्ति।

(ख) दीपावली-महोत्सवे रात्री लक्ष्मीपूजनं भवति।
उत्तर
दीपावली-महोत्सवे रात्रौ किं भवति?

(ग) सिक्खधर्मावलम्बिनः गुरुग्रन्थसाहेब इति धर्मग्रन्थं शृण्वन्ति।
उत्तर
के गुरुग्रन्थसाहेब इति धर्मग्रन्थं शृण्वन्ति।

(घ) ईसाईजनानां रमणीयं पर्व क्रिसमसनामकम् अस्ति?
उत्तर
ईसाईजनानां रमणीयं पर्व किं नामकम् अस्ति?

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प्रश्न 5.
समासविग्रहं कुरुत (करके)
उत्तर
लक्षमीपूजनम्। = लक्ष्म्याः पूजनम्।
सिक्खधर्मः = सिक्खस्य धर्मः
ख्रीष्टोपासना = ख्रीष्ट उपासना
पीताम्बरम्। = पीत अम्बरम्।
चोरभयम् = चोरस्य भयम्

प्रश्न 6.
मजूषातः पदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत (पूरा करके)-
उत्तर
(क) सिक्खधर्मावलम्बिनः परिवारजनान् गुरुद्वारम नयन्ति।
(ख) सान्ताक्लॉजः शिशुभ्यः उपहारान् प्रयच्छति।।
(ग) निशीथे असौ महोत्सवः पराकाष्ठाम् आरोहति।
(घ) रमजानमासे मुस्लिमजना: एकमासम् दिवा उपवसन्ति।

प्रश्न 7.
संस्कृते अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)-
उत्तर
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अनुवाद-ईसाई जनाः क्रिसमस दिवसे गिरजाघर’ नाम धेयेषु ख्रीष्टोपासनामन्दिरेषु प्रार्थनां कुर्वन्ति।

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प्रश्न 8.
विचिन्त्य लिखत
(क) अस्माकं समाजे अन्ये के के उत्सवाः भवन्ति, तैः उत्सवैः समाजस्य कः लाभ? इति लिखत।
उत्तर
नोट-विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें। चतुर्थः पाठः

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 7 जूलिया (मंजरी)

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पाठ का सर (सारांश)

प्रस्तुत एकांकी में एक भोली-भाली सेविका जूलिया की मार्मिक पीड़ा और विवशता का चित्रण किया गया है। इसके साथ ही साथ शोषण से मुक्ति पाने का संदेश भी नाटक के अन्त में प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। गृहस्वामी (मालिक) जूलिया को बच्चों को पढ़ाने और देखभाल करने के कार्य के लिए उसकी मासिक तनख्वाह नियत करता है। (UPBoardSolutions.com) दो मास की तीस रूबल प्रति मासिक की दर से साठ रूबल तय करके मालिक जूलिया की गैरहाजिरी, रविवार और कार्य के प्रति लापरवाही के कारण कटौती करके उसे सिर्फ ग्यारह रूबल ही देता है।

जूलिया काँपते हाथों से धन्यवाद कहकर मालिक से वेतन लेती है। मालिक के पूछने पर कि उसने धन्यवाद क्यों कहा तो वह कहती है कि उसने धन्यवाद इसलिए कहा कि उसे मालिक ने कुछ तो दिया जबकि उसे पहले किसी ने काम के बदले कभी कुछ नहीं दिया। मालिक ने छोटे से क्रूर मजाक के लिए जूलिया से माफी माँगते हुए उसे पूरे अस्सी रूबल दो मास का वेतन दिया। साथ ही उसने जूलिया को समझाया कि इंसान को भला बनने के लिए दब्बू, भीरु और कमजोर बनने की। (UPBoardSolutions.com) आवश्यकता नहीं है बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए संसार की ज्यादतियों से पूरी शक्ति के साथ लड़ना चाहिए।

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प्रश्न-अभ्यास 

कुछ करने को
नोट- प्रश्न 1 से प्रश्न 3 तक विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 4.
रूस की मुद्रा रूबल है। बांग्लादेश, चीन, अमेरिका, जापान और पाकिस्तान की मुद्रा के बारे में पता कीजिए।
उत्तर-
देश                              मुद्रा
बांग्लादेश                     टका
चीन                             
युआन
अमेरिका                      डॉलर
जापान                          येन
पाकिस्तान                    
पाकिस्तानी रुपया


नोट-  
प्रश्न 5 तथा 6 विद्यार्थी स्वयं करें।

विचार और कल्पना-

प्रश्न 1.
“इससे पहले मैंने जहाँ-जहाँ काम किया, उन लोगों ने तो मुझे एक पैसा तक नहीं दिया, आप कुछ तो दे रहे हैं। इस वाक्य के भाव के आधार पर बताइए कि जूलिया ने किस-किस तरह के लोगों के बीच गवर्नेश का काम किया होगा?
उत्तर-
जूलिया की बातों से यह पता चलता है कि उसने पहले जिन-जिन लोगों के घर गवर्नेश का काम किया था, वे अच्छे लोग नहीं थे। क्योंकि काम कराकर किसी को भी पारिश्रमिक (वेतन) न देना बहुत बुरी बात है और बहुत बड़ी बेईमानी है। 

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प्रश्न 2.
यदि इन लोगों कि जगह आप होते तो जूलिया को पैसे देते अथवा नहीं? क्यों?
उत्तर-
यदि कुछ लोगों की जगह में होता तो जूलिया को उसका वेतन समय पर दे देता क्योंकि किसी से काम कराकर उसे वेतन न देना बेइमानी और पाप होता है।

प्रश्न, 3.
यदि आप जूलिया के स्थान पर होते तो ऐसे लोगों से कैसा व्यवहार करते?
उत्तर-
यदि मैं जूलिया की जगह होता तो ऐसे लोगों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट लिखवाता तथा उनके पड़ोसियों को बताता और अपना वेतन जरूर लेता।। 

एकांकी से-
प्रश्न 1.
गृहस्वामी ने उन्नीस नागे’ किस प्रकार गिनाए और इसके लिए कितने रूक्ल की कटौती की?
उत्तर-
नौ इतवार और तीन छुट्टियों, चार दिन लड़का बीमार और तीन दिन दाँतों में दर्द- इस प्रकार बारह और सात उन्नीस नागे के लिए गृहस्वामी ने उन्नीस रूबल की कटौती की।

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प्रश्न 2.
गृहस्वामी के अनुसार जूलिया के कारण क्या-क्या नुकसान हुआ था?
उत्तर-
गृहस्वामी के अनुसार जूलिया ने चाय की प्लेट और प्याली तोड़ी थी। जूलिया की लापरवाही से लड़के की जैकेट फट गई। नौकरानी नए जूते चुराकर ले गई।

प्रश्न 3.
गृहस्वामी ने अन्त में सत्ताइस रूबल किस आधार पर काट लिए थे?
उत्तर-
दस जनवरी को मालिक ने दस रूबल दिए थे। जूलिया के कथनानुसार मालकिन ने तीन रूबल दिए थे। इस प्रकार तेरह रूबल की कटौती हुई।

प्रश्न 4.
गृहस्वामी को अंत में जूलिया पर गुस्सा क्यों आया और उसने जूलिया को क्या समझाया? ।
उत्तर-
गृहस्वामी को जूलिया पर गुस्सा इसलिए आया कि ग्यारह रूबल की तनख्वाह लेकर जूलिया ने ‘धन्यवाद’ कहा, जो ठीक नहीं था। मालिक ने जूलिया को समझाया कि अन्याय का विरोध करना चाहिए। दुनिया की ज्यादतियों का पूरी शक्ति से विरोध करना चाहिए। संसार में कमजोरों के लिए कोई स्थान नहीं है।

प्रश्न 5.
‘इस संसार में दब्बू और रीढ़रहित लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है’ इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
दुनिया में कमजोर, डरपोक और सीधे-साधे व्यक्तियों को परेशान किया जाता है और उनका । शोषण किया जाता है।

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 प्रश्न 6.
एकांकी के कौन से संवाद आपको सबसे अच्छे लगे, क्यों?
उत्तर-
जिन संवादों में मालिक द्वारा जूलिया को यह समझाया गया कि अन्याय का विरोध करना चाहिए, वह संवाद मुझे सबसे अच्छा लगा।

भाषा की बात-

प्रश्न 1.
पाठ में अनेक जगहों पर अंग्रेजी तथा (UPBoardSolutions.com) अरबी-फारसी के शब्द आए हैं, जैसेगवर्नेस, तनख्वाह। इसी प्रकार के अन्य शब्दों को पाठ से छाँटकर उनका वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर-
अंग्रेजी-गवर्नेस, सोफा, नोट, जनवरी, प्लेट, डायरी।’
अरबी-फारसी-खुद, तनख्वाह, ख्याल, जरूरत, इतवार, मगर, खैर, मुश्किल, बावजूद, साफ, मजाक, जेब, खामोश, कीमती, नुकसान, नजर, लापरवाही, यकीन, ज्यादतियाँ।

प्रश्न 2.
रीढ़रहित का अर्थ है ‘रीढ़ से हीन’ इसका विपरीतार्थक अर्थ होगा- ‘रीढ़युक्त। इसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों में ‘रहित’ और ‘युक्त’ लगाकर शब्द बनाइए
उत्तर-
शब्द                      ‘रहित’ लगाकर                   ‘युक्त’ लगाकर
प्राण             –          प्राणरहित                               प्राणयुक्त
धन              –           धनरहित                                धनयुक्त
बल              –           बलरहित                               बलयुक्त
यश              –           यशरहित                               यशयुक्त

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए
उत्तर-
अन्याय – न्याय, क्रूर – दयालु, मूर्ख – बुद्धिमान, दुर्बल – बलवाने, करुण – कठोर

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UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 2 मातृदेवो भव

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मातृदेवो भव

शब्दार्था:-ज्वरेण = बुखार से, वैद्यम् = वैद्य को, उक्त्वा = कहकर, तत्र प्राप्तः = वहाँ पहुँचा, क्रीडितुम = खेलने के लिए, क्रीडाक्षेत्रात् = खेल के मैदान से, अनयत् = लाया, उपनिषदुपदिशति = उपनिषद सीख देती है, अन्यद् अपि उक्तम् = और भी कहा गया है, चत्वारि = चार, सत्वरम् = शीघ्र, प्रमुदिता = प्रसन्न।।

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मुकुलः एकः ……………………………………. अगच्छ त्।
हिन्दी अनुवाद-मुकुल एक छात्र है। उसका एक मित्र है। उसका नाम सतीश है। एक दिन सतीश की माँ बुखार से पीड़ित हो गईं। वह बोली, “अरे सतीश! जाओ वैद्य को बुला लाओ।” सतीश ने कहा, “यह मेरे खेलने (UPBoardSolutions.com) का समय है। मेरे मित्र आते हैं। मैं खेलने जाता हूँ।” ऐसा कहकर वह बाहर चला गया।

तस्मिन् एव ……………………………….. अगच्छत्।
हिन्दी अनुवाद-उसी समय सतीश का मित्र मुकुल वहाँ आया। उसने सतीश की माँ को बुखार से पीड़ित देखा। उसने उससे पूछा, “सतीश कहाँ गया?” वह बोली, “मित्रों के साथ खेलने गया।” मुकुल दुखी हुआ। वह बाहर गया।

सः सतीशं ………………………………… प्रमुदिताऽभवत्।
हिन्दी अनुवाद-वह सतीश को खेल के मैदान से घर लाया और बोला, “हे मित्र! तुम्हारी माता बुखार से पीड़ित है। तुम्हें उनकी सेवा करनी चाहिए।” क्या तुम नहीं जानते कि उपनिषद में भी यह उपदेश दिया गया है- ‘माता देवतुल्य होती है। और यह भी कहा गया है

‘अभिवादनशील और नित्य बड़ों की सेवा करने वालों की आयु, विद्या, यश और बल- ये चार बढ़ते हैं।’

“अब जल्दी जाओ और शीघ्र ही चिकित्सक को लाओ।” ऐसा सुनकर सतीश वैद्य को ले आया। उसकी माता प्रसन्न हुई।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) सतीशस्य जननी केन पीडिता आसीत्?
उत्तर
ज्वरेण

(ख) मुकुलः कस्य मित्रम् अस्ति?
उत्तर
सतीश्स्य

(ग) कः दु:खितोऽभवत्?
उत्तर
मुकुल:

(घ) कः वैद्यम् आनयत्?
उत्तर
सतीश:

प्रश्न 3.
कः/का; उक्तवान्/ उक्तवती इति लिखत (लिखकर)
(क) भोः सतीश! गच्छ वैद्यम् आनये।
उत्तर
माता

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(ख) अहं क्रीडनार्थं गच्छामि।
उत्तर
सतीश

(ग) मित्रैः सह क्रीडितुं गतः।।
उत्तर
माता

(घ) हे मित्र! एषा तव जननी ज्वरपीडिता अस्ति।
उत्तर
मुकुलः

प्रश्न 4.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) मुकुलः सतीशस्य मातरम् किम् अपृच्छत्?
उत्तर
कुत्र सतीशः गत:।।

(ख) सतीशः किम् उक्त्वा बहिः अगच्छत्?
उत्तर
‘अयं मे क्रीडनस्य कालः। मम मित्राणि आगच्छन्ति। अहं क्रीडनार्थं गच्छामि।’ इति उक्त्वा सः बहिः आगच्छत्।।

(ग) उपनिषद् किम् उपदिशति?
उत्तर
‘मातृदेवो भव’।।

(घ) सः सतीशं कुतः आनयत्?
उत्तर
सः सतीशं क्रीडाक्षेत्रात् गृहम् आनयत।

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प्रश्न 5.
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) सतीशस्य जननी कदा प्रमुदिता अभवत्।
उत्तर
सतीशः वैद्यम् आनयत् तर्हि तस्य जननी प्रमुदिता अभव्त।

(ख) आयुर्विद्या यशोबलं कस्य वर्धन्ते?
उत्तर
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते, आयुर्विद्या यशो बलम्।।

(ग) किं श्रुत्वा सतीशः वैद्यम् आनयत्?
उत्तर
मित्रस्य उपदेशं श्रुत्वा सतीश: वैद्यम् आनयत।

(घ) सतीशः कुत्र अगच्छत्?
उत्तर
सतीशः क्रीडनार्थं बहिः अगच्छत्।

प्रश्न 6.
अधोलिखितानि-पदानि वाक्य रचनां कुरुत (करके)
उत्तर
यथा- ज्वरेण – महेशः ज्वरेण पीडितः।
मित्राणि – रमेशस्य मित्राणि कृष्णः, सुरेशः, महेशः च सन्ति।
ताम् – मुकुल: सतीशस्य जननीं ज्वरेण पीड़िताम् अपश्चत्।
क्रीडाक्षेत्रात् – मुकुल: सतीशं क्रीडाखेत्रात् गृहम् आनयत्।

  • गच्छ
  • लोट्
  • मध्यम पुरुषः
  • एकवचनम्

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प्रश्न 7.
विचिन्त्य लिखतयदि भवतः सहपाठी रुग्ण: स्यात् तदा भवान् किं करिष्यति? इति लिखत।।
उत्तर
यदि मम सहपाठी रुग्णः स्यात्, तदा अहं (UPBoardSolutions.com) तस्य चिकित्सां-सेवा शुश्रूषां च करिष्यामि।

• नोट – विद्यार्थी शिक्षण-सङ्केतः’ और ‘क्न्धुबान्धवानां नामानि’ स्वयं करें ।

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UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 आश्रम:

UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 आश्रम:

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संस्कृत पीयूषम्

आश्रमः

शब्दार्थाः– पुराकले = प्राचीन काल में, अतीव = अत्यन्त, अश्वत्थः = पीपल, परिव्याप्ती = चारों ओर से ढंका, आमलकः = आँवला, पनसः = कटहल, पेरु = अमरूद, वलीवर्दः = बैल, कुर्दनम् = कूदना, चटकानाम् = चिड़ियों का, विहाय = छोड़कर, सम्प्रत्यपि = इस समय भी ।

अस्माकं प्रदेशस्य ………………………………….. वर्षति स्म ।
हिन्दी अनुवाद-हमारे प्रदेश की राजधानी लखनऊ नगर है। उस नगर के समीप नैमिषारण्य प्राचीन तीर्थस्थल अत्यन्त प्रसिद्ध है। वहाँ पहले एक आश्रम में ऋषि, मुनि, गुरु, कवि और छात्र निवास करते थे। आश्रम के विशाल परिसर में पीपल, बरगद, नींबू और अशोक वृक्षों की गहन छाया व्याप्त रहती थी। वहाँ फले वाले आम, आँवले, कटहल और अमरूद (UPBoardSolutions.com) के वृक्ष भी बहुत अधिक थे। इन वृक्षों से वहाँ पर्यावरण अत्यन्त शुद्ध था, जिनसे वहाँ शीतल वायु मन्द-मन्द लगातर बहती थी, समय-समय पर बादल बरसते थे।

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इदानीमपि तस्मिन् ………………………….. खादन्ति स्म च ।
हिन्दी अनुवाद-अभी भी उस आश्रम में गायें, बैल, घोड़े और अन्य पशु स्वतन्त्रता से चरते हैं। पेड़ों पर बन्दरों का कूदना, चिड़ियों का चहकना, मोरों का नाचना और मुर्गी की तालध्वनियाँ दर्शकों को आनन्द देती हैं।

उस आश्रम के निकट गोमती नदी बहती है । उसको निर्मल जेल सब आश्रमवासी लोग पीते हैं । पहले पशु और पक्षी विरोध छोड़कर एक ही घाट पर पानी पीते थे, एक जगह रहते थे और वहीं खाते थे।

तत्र छात्राणां …………………………………. आसन्
हिन्दी अनुवाद-वहाँ छात्रों के लिए ये नियम थे- प्रातः सूर्योदय से पहले उठना चाहिए, नदी में स्नान करना चाहिए, संध्या वन्दना करनी चाहिए, ईश्वर का नमन करना चाहिए, एक साथ खाना चाहिए। इसके बाद (UPBoardSolutions.com) पढ़ने के लिए कक्षाओं में जाना चाहिए । आश्रम के इन नियमों को सब छात्र अच्छी तरह से पालन करते थे।

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संप्रत्यपि आश्रमोऽयं ………………………….. भवेत् ।
हिन्दी अनुवाद-आज-कल भी यह आश्रम छात्रों को अच्छे संस्कार देता है । वहाँ जातिगत भेदभाव बिना सब निवास करते हैं। स्वास्थ्य के संवर्धन के लिए वहाँ व्यायाम, योग की प्राकृतिक चिकित्सा और शिक्षण प्रचलित है और वह आश्रम त्याग, तपस्या, परोपकार, उदारता की शिक्षा देता है। इस प्रकार के आश्रम आजकल सब जगह होने चाहिए।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत-
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत-
(क) आश्रमस्य समीपे का नदी प्रवहति?
उत्तर
गोमती नदी

(ख) काले काले कः वर्षति स्मः ?
उत्तर
मेघः

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(ग) वृक्षेषु कस्य कूर्दनम् आनन्दं ददाति?
उत्तर
वानरस्य

(घ) आश्रमे भेदभावं विना के निवसन्ति?
उत्तर
छात्राः

प्रश्न 3.
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) आश्रमे स्वच्छन्द के के विचरन्ति?
उत्तर
धेनवः, बलिवर्दाः, अश्वाः , अन्ये च।

(ख) स्वास्थ्यसंवर्धनाय आश्रमे किं किं भवति ?
उत्तर
नाना विधानाः व्यायामाः।

(ग) छात्राणां कृते आश्रमे के के नियमाः आसन् ?
उत्तर
छात्राणां कृते एते नियमाः आसन्- प्रातः सूर्योदयात् पूर्वम् उत्थातव्यम्, नद्यां स्नानं कर्तव्यम्, सन्ध्या वन्दनं करणीयम्, ईश्वरः नमनीयः सहैव खादनीयं ततः पठनाय कक्षायां गन्तव्यम् । एतान् आश्रमनियमान् सर्वे छात्रीः सम्यक् प्रत्यापालयन।

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(घ) आश्रमः किं किं शिक्षयति?
उत्तर
आश्रमः त्याग, तपस्या, परोपकार, उदारतां च शिक्षयति ।

प्रश्न 4.
उचित मेलनं कृत्वा लिखत ( मिलान करके)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 आश्रम img-1

प्रश्न 5.
अधोलिखित पदानां सन्धि-विच्छेदं कुरुत (करके)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 आश्रम img-2
प्रश्न 6.
उदाहरणानुसारं पदरचनां कुरुत (रचना करके)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 आश्रम img-3
प्रश्न 7.
विचिन्त्य उत्तराणि लिखत-
(क) फलदायकानां पञ्चवृक्षाणां नामानि लिखत।
उत्तर
आम्रम्, पनसः, पेरुवृक्षाः, कदली, नारिकेलः।

(ख) अनुस्वारसन्धियुक्तानि पञ्चवाक्यानि लिखत।।
उत्तर

  1. अस्माकं प्रदेशस्य सीतापुरजनपदे नैमिषारण्यं प्राचीनं तीर्थस्थलम् अतीव प्रसिद्धम् अस्ति। तत्र पुरा काले एकस्मिन् आश्रमे ऋषयः मुनयः गुरवः कवयः छात्राश्च निवसन्ति स्म।
  2. आश्रमस्य विशाले परिसरे अश्वत्थ-वट-निम्बाशोक-वृक्षाणां गहना छाया परिव्याप्तासीत्। तत्र फलशालिनः आम्राऽऽमलक-पनस-पेरुवृक्षाः अपि विपुलाः आसन्।।
  3. एभिः वृक्षैः तत्र पर्यावरणम् अत्यन्तं शुद्धमासीत्, येन शीतलाः वायवः मन्द-मन्दं निरन्तरं वहन्ति स्म, काले-काले च मेघः वर्षति स्म। इदानीमपि तस्मिन् आश्रमे धेनवः बलीवर्दाः अश्वाः (UPBoardSolutions.com) अन्ये च पशवः स्वच्छन्दं चरन्ति।
  4. वृक्षेषु कपीनां कूर्दनम्, चटकानां कूजनम् मयूराणां नर्तनम् दर्शकेभ्यः आनन्दं ददति। तस्याश्रमस्य सपीपे गोमती नदी प्रवहति। तस्याः निर्मलं जलं सर्वे आश्रमवासिनः पिबन्ति स्म। आश्रमे पशवः पक्षिणश्च विरोधं विहाय एकस्मिन् घट्टे पानीयम् पिबन्ति स्म, एकत्र वसन्ति स्म, तत्रैव खादन्ति स्म च।
  5. तस्मिन् आश्रमे पाठशालायां बालकाः बालिकाश्च सहैवापठन्।

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(ग) जीवने वृक्षाणाम् उपयोगं लिखत।
उत्तर
जीवने वृक्षाणां बहु उपयोगं अस्ति। एभिः विना जीवनः असम्भवः। वृक्षैः पर्यावरणं रक्षितम्। पर्यावरणेन सृष्टिं रक्षितम्। सृष्ट्याः पृथिवी रक्षिता।।

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