UP Board Solutions for Class 8 Environment Chapter 6 मिट्टी और वायु

UP Board Solutions for Class 8 Environment Chapter 6 मिट्टी और वायु

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अभ्यास ।

Question 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) मिट्टी किसे कहते हैं ?
(ख) मिट्टी कितने प्रकार की होती है ?
(ग) मृदा प्रदूषण किन कारणों से होता है ?
(घ) वायुमण्डल क्या है? हमारे वायुमण्डल का संतुलन कैसे बिगड़ रहा है? |
(ङ) ऑक्सीजन का जीवन में क्या महत्त्व है?
(च) गैसीय अपशिष्ट क्या है? इसका सुरक्षित निष्कासन किस प्रकार से किया जा सकता है?
Solution:
(क)- भूमि की सबसे ऊपरी परत मिट्टी (UPBoardSolutions.com) कहलाती है।

(ख)- मिट्टी मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है- काली मिट्टी, लाल मिट्टी तथा लैटराइट मिट्टी।

(ग)- मृदा प्रदूषण रासायनिक खादों तथा कीटनाशक दवाओं के अत्यधिक प्रयोग, परमाणु कचरे, पेड़-पौधों की अन्धाधुंध कटाई आदि के कारण होता है।

(घ)- पृथ्वी के चारों ओर स्थित वायु की मोटी परत ही वायुमण्डल कहलाती है। हमारे वायुमण्डेल का सन्तुलन निम्नलिखित कारणों से बिगड़ रहा है-

  1. कल-कारखानों से निकलने वाले धुएँ तथा विषैली गैसों से।
  2. ईंधन जलाने पर निकलने वाले धुएँ (UPBoardSolutions.com) एवं गैसों से।
  3. अन्तरिक्ष से कृत्रिम उपग्रह में प्रयुक्त प्रक्षेपण यानों से निकलने वाले धुएँ से।
  4. कूड़े-करकट तथा मरे हुए जीव-जन्तुओं के शवों, कृषि अपशिष्ट आदि के सड़ने से उत्पन्न गैसों से।
  5. वायुयान, स्वचालित वाहनों जैसे- बस, कार, रेलगाड़ी आदि के साधनों से निकलने वाले धुएँ एवं गैसों से।
  6. प्रशीतकों में शीतलन के लिए प्रयुक्त गैसों के रिसने से।

(ङ)- ऑक्सीजन का जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। किसी भी प्राणी को जीवित रखने के लिए, ऑक्सीजन अनिवार्य है इसलिए इसे प्राण वायु भी कहा जाता है। यह आग जलाने के लिए भी आवश्यक है।

(च)- वह गैसीय पदार्थ जो वायु में मिलकर इसे दूषित करता है, गैसीय अपशिष्ट कहलाता है। कार्बन मोनोक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, मिथेन तथा क्लोरो-फ्लोरो कार्बन आदि गैसें गैसीय अपशिष्ट हैं। गैसीय अपशिष्टों को निष्कासन निम्नलिखित विधियों द्वारा किया जा सकता है-

  1. कारखानों तथा भट्ठों आदि की चिमनियों को ऊँचा बनाकर।
  2. चिमनियों में धूम्र अवक्षेपक लगाकर।
  3. कारखानों को आबादी वाले क्षेत्रों से बहुत दूर लगाकर।
  4. कारखानों तथा बस्तियों के आस-पास अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाकर

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Question 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) भूमि की ऊपरी परत को ___ कहते हैं।
(ख) मिट्टी पेड़-पौधों को ___ प्रदान करती है जो उनकी वृद्धि में सहायक हैं।
(ग) पेड़-पौधों को स्वस्थ रखने के लिए रासायनिक उर्वरक की जगह ___ खाद का प्रयोग | करना चाहिए।
(घ) गैसों के अलावा वायुमण्डल में ___ एवं ___ आदि पाए जाते हैं।
(ङ) मानव के हस्तक्षेप से वायुमण्डल का ___ बिगड़ रहा है।
(च) पेड़-पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ___ गैस को लेकर अपना भोजन बनाते हैं।
(छ) कारखानों की चिमनियों में ___ लगाकर प्रदूषण रोका जा सकता है।
Solution:
(क) भूमि की ऊपरी परत को मिट्टी कहते हैं।
(ख) मिट्टी पेड़-पौधों को पोषक तत्व प्रदान करती है जो उनकी वृद्धि में सहायक हैं।
(ग) पेड़-पौधों को स्वस्थ रखने के लिए रासायनिक उर्वरक की जगह प्राकृतिक खाद का प्रयोग | करना चाहिए।
(घ) गैसों के अलावा वायुमण्डल में जलवाष्प एवं धूलकण आदि पाए जाते हैं।
(ङ) मानव के हस्तक्षेप से वायुमण्डल का सन्तुलन बिगड़ रहा है।
(च) पेड़-पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड गैस को लेकर अपना भोजन बनाते हैं।
(छ) कारखानों की चिमनियों में धूम्र अवक्षेप लगाकर प्रदूषण रोका जा सकता है।

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प्रोजेक्ट वर्क– विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 16 सोना (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 16 सोना (मंजरी)

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समस्त गद्याथों की व्याख्या

पर हिरन यह …………………………………………….. चेष्टाएँ हैं।

संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘सोना’ नामक पाठ से लिया गया है। इसकी लेखिका ‘महादेवी वर्मा’ हैं।

प्रसंग – लेखिका का कथन है कि कुत्ता, स्वामी और सेवक का अन्तर जानता है। वह प्यार से बुलाने पर पूँछ हिलाता है और डाँटने पर दयनीय बनकर दुबकता है।

व्याख्या – हिरन कुत्ते के मालिक या पालने वाले के क्रोध को नहीं पहचानता। उसका पालने वाले से डरना मुश्किल होता है। वह अपनी चकित आँखों से पालने वाले से दृष्टि मिलाए रहता है, मानो वह नाराजगी (UPBoardSolutions.com) का कारण पूछता हो। हिरन केवल मालिक या पालनकर्ता को अपने प्रति प्रेम ही पहचानता है। जिसकी। अभिव्यक्ति वह अपनी विशेष चेष्टाओं, जैसे-सटकर खड़ा होना, सिर के ऊपर उछल-कूद आदि से करता है।

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पाठ का सर (राशि)

लेखिका ने हिरन न पालने का निश्चय किया था। परन्तु एक परिचित से प्राप्त अनाथ हिरन-शावक को पालना पड़ा। उसने इसका नाम सोना रखा। सोना लेखिका के पलंग के पाए से सटकर बैठना सीखे। गई थी। दूध पीकर और चने खाकर वह छात्रावास में जाकर उछलकूद भी करती थी। लेखिका के खाना खाने के समय वह सटकर खड़ी रहती थी। उसे छोटे बच्चे अधिक प्रिय थे। लेखिका के प्रति स्नेह-प्रदर्शन में वह उसके सिर के ऊपर से छलाँग लगा देती थी। सोना हिलमिल गई थी। एक वर्ष बाद हिरनी बन जाने पर, सोना की आँखों में विशेष आकर्षण उत्पन्न हो गया। एक दिन सोना ने फ्लोरा को अपने चार पिल्लों के साथ विस्मय से देखा।

फ्लोरा सोना के संरक्षण में पिल्लों को छोड़कर आश्वस्त भाव से इधर-उधर चली जाती थी। आँखें खुलने पर पिल्ले भी सोना के पीछे चौकड़ी भरने लगे थे। गर्मी के दिनों में लेखिका बद्रीनाथ की यात्रा पर गई। पालतू जीवों में केवल फ्लोरा ही साथ गई। छात्रावास के सन्नाटे और फ्लोरा के अभाव में सोना अस्थिर हो गई थी। कोई उसका शिकार न कर ले, (UPBoardSolutions.com) इस आशंका से माली ने उसे रस्सियों से बाँध दिया। एक दिन सोना जोर से उछली और रस्सी में बँधे होने के कारण मुँह के बल गिरकर मर गई।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को
प्रश्न 1.
अपने आस-पास के पालतू पशुओं के स्वभाव की जानकारी प्राप्त कीजिए। यह भी बताइए कि किन-किन जंगली जानवरों को पालतू बनाया जा सकता है।
उत्तर :
अपने आस-पास के पालतू जानवरों के विषय में विद्यार्थी स्वयं लिखें। जंगली जानवरों में हाथी को पालतू बनाया जा सकता है।

प्रश्न 2.
आपके घर में कोई पालतू जानवर होगा। उसकी बहुत सी आदतें आप को बहुत अच्छी लगती होंगी, जबकि कुछ आदतों पर आप नाराज हो जाते होंगे। उन आदतों को लिखिए और अपने साथियों को बताइए।
उत्तर :
हाँ मेरा एक पालतू कुत्ता है-लियो। जब मैं विद्यालय से लौटकर आता हैं तो वह दौड़कर मेरे पास आ जाता है, मुझसे लिपट जाता है। अगर कोई बाहर का व्यक्ति मुझसे डाँट कर बात करे तो वह उस पर भौंकने लगता है। उसका यह स्नेहपूर्ण व्यवहार मुझे बहुत अच्छा लगता है। उसकी एक ही आदत बुरी है। वह है-रात को सोफे पर आकर (UPBoardSolutions.com) सो जाना जबकि उसके लिए एक अलग कमरा और बिस्तर है लेकिन वह वहाँ कभी नहीं सोता।

विचार और कल्पना

प्रश्न 1.
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उन अन्तरों को बताइए जो मनुष्य को अन्य जीवों से अलग करते हैं।
उत्तर :
मनुष्य तथा अन्य जीवों में खास अन्तर यह होता है कि मनुष्य के पास सोचने-समझने की शक्ति होती है, जबकि अन्य जीवों के पास यह नहीं होती है। मनुष्य वस्तुओं का आदान-प्रदान करते हैं, जबकि अन्य जीव नहीं। मनुष्य खेती करके जीवन-यापन कर सकता है, जबकि अन्य जीव खेती नहीं कर सकते।

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रेखाचित्र से

प्रश्न 1.
सोना जंगल के परिवेश से गाँव में कैसे आ गई?
उत्तर :
सोना को जंगल के परिवेश से शिकारी लोग उठा लाए थे।

प्रश्न 2.
सोनी को छोटे बच्चे क्यों अधिक प्रिय थे?
उत्तर :
सोना को छोटे बच्चे अधिक प्रिय इसलिए थे क्योंकि उनके साथ खेलने का अधिक अवकाश रहता था।

प्रश्न 3.
लेखिका के अन्य पालतू पशु कौन-कौन थे? वे सोना के प्रति क्या भाव रखते थे?
उत्तर :
लेखिका के अन्य पालतू पशु थे-एक बिल्ली गोधूली, कुतिया फ्लोरा, दो कुत्ते- हेमन्त, और बसन्त। बाद में इस पालतू परिवार में फ्लोरा के चार पिल्ले भी शामिल हो गए। वे सब सोना के प्रति प्रेमभाव रखते थे। ।

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प्रश्न 4.
“मैंने निश्चय किया था कि अब हिरन नहीं पालुंगी पर संयोग से फिर हिरन पालना पड़ रहा है।” वे कौन-सी परिस्थितियाँ थी, जिनके कारण महादेवी जी को अपना निश्चय बदलना पड़ा?
उत्तर :
लेखिका ने हिरन न पालने का निश्चय किया था लेकिन एक परिचित महिला सुस्मिता के आग्रह पर उसे हिरन पालना पड़ा। सुस्मिता ऐसे व्यक्ति को ही अपना हिरन देना चाहती थी जो उसकी भली-भौति देखभाल कर सके। लेखिका इस कार्य में अनुभवी थी।

प्रश्न 5.
फ्लोरा, सोना के संरक्षण में अपने बच्चों को सुरक्षित क्यों मानती थी?
उत्तर :
फ्लोरा सोना के संरक्षण में पिल्लों को सुरक्षित मानती थी क्योंकि वह सोना को अपने जैसा जानकर शायद उस पर विश्वास रखती थी।

भाषा की बात
प्रश्न 1.
ग्रीष्मावकाश शब्द ग्रीष्म + अवकाश की सन्धि से बना है। इसमें अ + अ = आ होया है। नीचे लिखे गए शब्दों का सन्धि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 16 सोना (मंजरी) 1

प्रश्न 2.

‘भीतर-बाहर’ और …………………………………………….. = तत्पुरुष समास।

निम्नलिखित शब्दों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए।
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 16 सोना (मंजरी) 2

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प्रश्न 3.
‘कौतुक’ में प्रियं’ शब्द जोड़कर ‘कौतुकप्रिय’ शब्द बनता है। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों में ‘प्रिय’ शब्द जोड़कर अन्य शब्द बनाइए और उनके अर्थ भी लिखिए।
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 16 सोना (मंजरी) 3

प्रश्न 4.
‘प्रत्यावर्तन’ शब्द प्रति + आवर्तन की सन्धि से बना है। इ+आ= या हो गया है। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों में सन्धि करके नया शब्द बनाइए।
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 16 सोना (मंजरी) 4

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UP Board Solutions for Class 8 Environment Chapter 5 जल संचयन एवं पुनर्भरण

UP Board Solutions for Class 8 Environment Chapter 5 जल संचयन एवं पुनर्भरण

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अभ्यास ।

Question 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए’
(क) वर्षा जल पुनर्भरण के लाभ बताइए ?।
(ख) भू-जल का स्तर नीचे क्यों गिरता जा रहा है ?
(ग) भू-जले में वृद्धि कैसे की जा सकती है ?
(घ) जनसंख्या वृद्धि का भू-जल पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
(ङ) वर्षा जल संचयन का अभिप्राय बताइए?
(च) जल को आपके जीवन में क्या महत्त्व है ?
(छ) वर्षा जल का संचयन एवं पुनर्भरण क्यों आवश्यक है ? |
(ज) अपने घर की छत के वर्षा जल का संचयन कैसे करेंगे?
Solution:
(क)- वर्षा जल पुनर्भरण से निम्न लाभ हैं- आवश्यकतानुसार जल की प्राप्ति, जमीन के अन्दर जल मात्रा बढ़ना, नगर जल समस्या दूर होना, जल स्तर नीचे न गिरना, मिट्टी का कटाव कम होना व कृषि फसलों को हरा-भरा बनाया जा सकना आदि।।

(ख)- वर्षा की कमी व जल की अधिक माँग होने के कारण (UPBoardSolutions.com) भू-जल का स्तर नीचे गिरता जा रहा है।

(ग)- वर्षा जल संचयन एवं पुनर्भरण से भू-जैल में वृद्धि की जा सकती है।

(घ) – जनसंख्या वृद्धि से भू-जल की माँग बढ़ती है, जिससे जल स्तर नीचे गिरता जाता है।

(ङ) – वर्षा जल संचयन का अभिप्राय है वर्षा के जल को एकत्र करके कुओं, तालाबों और गड्ढों । आदि को फिर से भरकर पानी की समस्या दूर करना।

(च) – जल का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। जल पीने के लिए, सिंचाई के लिए. सफाई के लिए वे उद्योग धंधों आदि कार्यों के लिए आवश्यक है।

(छ)-वर्षा जल का संचयन एवं पुनर्भरण भू-जल आपूर्ति और भू-सतही जल द्वारा सभी कार्यों के लिए जल उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक है।

(ज)-घर से थोड़ी दूर पर २ से ३ मीटर गहरा गड्ढा खोदकर, गड्ढे को ईट, कंकड़ और बजरी से भर देते हैं। फिर उसके ऊपर मोटी रेत डालते हैं। इस गड्ढे में छत पर गिरने वाले वर्षा के स्वच्छ जल को इकट्ठा करते हैं।

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Question 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए|
(क) समुद्र का जल ___ होने के कारण पीने योग्य __ होता है।
(ख) भू-जल एवं भू-सतही जल प्रकृति द्वारा __ मात्रा में प्राप्त है।
(ग) तालाब, पोखर आदि जल ___ के प्राचीन साधन रहे हैं।
(घ) भू-जल में वृद्धि ___ करके कर सकते हैं।
(ङ) शहरों में __  के कारण वर्षा जल भूमि के अन्दर ___ प्रवेश होता है।
(च) उन्नत किस्म के धान एवं गेहूं की फसल उगाने के लिए ___ सिंचाई की आवश्यकता होती है।
(छ) भारत की जलनीति वर्ष ___ में बनाई गई थी।
(ज) राष्ट्रीय जलनीति में जल को ___ एवं ____ संसाधन के रूप में माना गया है।
Solution:
(क) समुद्र का जल खारा होने के कारण पीने योग्य नहीं होता है।
(ख) भू-जल एवं भू-सतही जल प्रकृति द्वारा कम मात्रा में प्राप्त है।
(ग) तालाब, पोखर आदि जल संचयन के प्राचीन साधन रहे हैं।
(घ) भू-जल में वृद्धि जल संचयन करके (UPBoardSolutions.com) कर सकते हैं।
(ङ) शहरों में पक्के मकानों के कारण वर्षा जल भूमि के अन्दर कम प्रवेश होता है।
(च) उन्नत किस्म के धान एवं गेहूं की फसल उगाने के लिए अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है।
(छ) भारत की जलनीति वर्ष 1987 में बनाई गई थी।
(ज) राष्ट्रीय जलनीति में जल को दुर्लभ एवं बहुमूल्य राष्ट्रीय संसाधन के रूप में माना गया है।

Question 3.
सही जोड़े बनाएँ
UP Board Solutions for Class 8 Environment Chapter 5 जल संचयन एवं पुनर्भरण 1
Solution:
UP Board Solutions for Class 8 Environment Chapter 5 जल संचयन एवं पुनर्भरण 2

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 2 बाल-प्रतिज्ञा (अनिवार्य संस्कृत)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 2 बाल-प्रतिज्ञा (भविष्यत्काल विधिलिङ) (अनिवार्य संस्कृत)

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करिष्यामि …………………………………………. कुमार्गे ॥

हिन्दी अनुवाद – बुरे लोगों की संगति नहीं करूंगा। अच्छे लोगों की सत्संगति करूंगा। हमेशा सच्चे रास्ते पर पैर रखूगा। कभी बुरे रास्ते पर मैं नहीं चलूंगा।

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हरिष्यामि …………………………………………. कदाचित

हिन्दी अनुवाद – मैं किसी का धन हरण नहीं करूंगा और मैं सबके चित्तों को हर लँगा सबका प्यारा बन जाऊँगा। मैं सत्य बोलूंगा, कभी भी झूठ नहीं बोलूंगा। मैं मीठा बोलूंगा, कड़वा कभी नहीं बोलूंगा।

भविष्यामि …………………………………………. वाहम् ॥

हिन्दी अनुवाद – मैं धैर्यवान होऊँगा, मैं वीर होऊँगा। मैं दानी होऊँगा, अपने देश का अभिमानी होऊँगा, मैं हमेशा उत्साहयुक्त होऊँगा और मैं कभी भी आलस्ययुक्त नहीं होऊँगा। सदा

ब्रह्मचर्य …………………………………………. करिष्ये।

हिन्दी अनुवाद – मैं सदा ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करूंगा। मैं सदा देशसेवा का व्रत धारण करूंगा। मैं सत्य, शिव और सुन्दर कार्य में अपने पैरों को पीछे नहीं करूंगा।

सदाऽहं …………………………………………. भवेयम् ॥

हिन्दी अनुवाद – मैं सदा अपने धर्म का अनुरागी बनूं। मैं सदा अपने कार्य का अनुरागी बनूं। मैं सदा स्वदेशानुरागी बनूं। मैं सदा स्ववेषानुरागी बनें।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
उच्चारण करेंनोट-विद्यार्थी स्वयं उच्चारण करें।

प्रश्न 2.
एक पद में उत्तर दें
उत्तर :
(क) कस्य सङ्गतिं न करिष्यामि?
उत्तर : दुर्जनानाम्।

(ख)
अहं सदा कुत्र पादौ धरिष्यामि?
उत्तर : सत्यमार्गे।

(ग)
अहं किं न वदिष्यामि?
उत्तर : मिथ्या।

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(घ)
अहं कस्य चित्तानि हरिष्यामि?
उत्तर : सर्वस्य।

(ङ)
अहं किं व्रदिष्यामि?
उत्तर : सत्य।

प्रश्न 3.
कोष्ठक से उचित क्रिया-पदों को चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें (पूर्ति करके)
(क) अहं सज्जनानां सत्सङ्गतिम् करिष्यामि।
(ख) अहं कस्यापि वित्तं न हरिष्यामि।
(ग) अहं सदा उत्साहयुक्तः भविष्यामि।
(घ) अहं सदा स्वधर्मानुरागी भवेयम्।

प्रश्न 4.
रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न-निर्माण करें
(क) लता कदाचित् कुमार्गे न चलिष्यति।                 प्रश्न – का कदाचित् कुमार्गे न चलिष्यति।
(ख) अहं कस्यापि वित्तानि न हरिष्यामि।                  प्रश्न – अहम् कस्यापि वित्तानि किम् न करिष्यामि?
(ग) वयं स्वदेशानुरागी भवेम।                                  प्रश्न – के स्वदेशानुरागी।

प्रश्न 5.
वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद करें अनुवाद
(क) मैं सदा सत्य बोलूंगा।
अनुवाद : अहं सदा सत्यं वदिष्यामि।

(ख)
हम सब कड़वी बात नहीं बोलेंगे।
अनुवाद : वयं तिक्तं न वदिष्यामि।

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(ग)
मैं सदा देश-सेवा करूंगा।
अनुवाद : अहं सदा देशसेवाम् भवेयम्।

(घ)
मैं सदा स्वदेशानुरागी होऊँगा।
अनुवाद : अहं सदा स्वदेशानुरागी भवेयम्।

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए चक्र को ध्यान से देखिए, बीच के गोले में कुछ क्रियापद दिए गए हैं। उचित क्रिया पदों को लेकर उसमें ऊपर दिए गए अधूरे वाक्यों को पूर्ण कीजिए (चक्र पाठ्यपुस्तक से देखकर )
(क) अहं सदा सत्यं वदिष्यामि।                     (क) अहं सदा स्वदेशानुरागी भवेयम्।
(ख) अहं सर्वदा उत्साहयुक्तः भविष्यामि।      (ख) अहं वीरः भविष्यामि।
(ग) अहम् आलस्ययुक्तः न भविष्यामि।         (ग) अहम् स्वदेशाभिमानी भवेयम्।
(घ) अहं सदा स्वकर्मानुरागी भवेयम्।            (घ) अहं सदा मधुरम् वदिष्यामि।
(ङ) अहं कस्यापि चित्तानि न हरिष्यामि।       (ङ) अहं सज्जनानाम् सत्संगति करिष्यामि।
(च) अहं मिथ्या न वदिष्यामि।                        (च) अहं सदा स्ववेशानुरागी भवेयम्।

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प्रश्न 7 .
नोट –
विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Environment Chapter 8 पारिस्थितिकी तन्त्र

UP Board Solutions for Class 8 Environment Chapter 8 पारिस्थितिकी तन्त्र

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अभ्यास

Question 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए|
(क) पारिस्थितिकी तंत्र किसे कहते हैं ? इसकी क्या उपयोगिता है?
(ख) पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना किन-किन घटकों से मिलकर होती है ?
(ग) आहार जाले किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए।
(घ) अनुकूलन से आप क्या समझते हैं ? मरुस्थलीय पौधे अपने वातावरण में किस प्रकार अनुकूलित रहते हैं ? |
(ङ) प्रवासी पक्षी किसे कहते हैं?
Solution:
(क)- किसी स्थान पर पाए जाने वाले जीव-जन्तु, पेड़-पौधे तथा वहाँ के वातावरण में पाई जाने वाली विभिन्न वस्तुओं के तंत्र को पारिस्थितिकी तंत्र कहते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र पर्यावरणीय सन्तुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

(ख)- पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना सजीव तथा निर्जीव घटकों से मिलकर होती है।

(ग)- किसी पारिस्थितिकी तंत्र में उपस्थित विभिन्न आहार श्रृंखलाएँ (UPBoardSolutions.com) एक-दूसरे से सम्बद्ध होकर एक जाल रूपी संरचना का निर्माण करती हैं, जिसे आहार-जाल कहते हैं।

(घ)- किसी विशेष वातावरण में सुगमतापूर्वक जीवन व्यतीत करने एवं वंश वृधि के लिए जीवों के शरीर में रचनात्मक एवं क्रियात्मक स्थायी परिर्वतन उत्पन्न होने की प्रक्रिया अनुकूलन कहलाती है। मरुस्थलीय क्षेत्र के पौधे अपने वातावरण में अनुकूलित रहने के लिए वाष्पोत्सर्जन द्वारा प्रानी की कमी को रोकने के लिए काँटों के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। जड़ें पानी की तलाश में गहराई तक चली जाती हैं। और तना चपटा व गूदेदार हो जाता है।

(ङ)- मौसम से अनुकूलन बनाए रखने के लिए पक्षी हिमालय (UPBoardSolutions.com) के बर्फीले क्षेत्रों साइबेरिया, ऑस्ट्रेलिया से हजारों किलोमीटर की यात्रा करके हमारे देश में आते हैं। इन पक्षियों को प्रवासी पक्षी कहते हैं।

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Question 2.
सही कथन के सामने (✓) तथा गलत कथन के सामने (✗) का चिह्न लगाइए
(क) सजीव और निर्जीव घटक एक दूसरे पर निर्भर नहीं होते हैं।
(ख) सभी प्राणी, पेड़-पौधे, जलवायु और पर्यावरण मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र बनाते हैं।
(ग) प्रथम चरण उपभोक्ता शेर, चीतां, भेड़िया आदि हैं।
(घ) मृत जीवधारियों से भोजन प्राप्त करने वाले जीव मृतोपजीवी कहलाते हैं।
(ङ) हमें पारिस्थितिकी सन्तुलन को बनाए रखना चाहिए।
(च) हमारी पृथ्वी के चारों ओर वायुमण्डल है।
(छ) मनुष्य पर्यावरण का अंग नहीं है।
Solution:
(क) सजीव और निर्जीव घटक एक दूसरे पर निर्भर नहीं होते हैं। (✗)
(ख) सभी प्राणी, पेड़-पौधे, जलवायु और पर्यावरण मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र बनाते हैं। (✓)
(ग) प्रथम चरण उपभोक्ता शेर, चीतां, भेड़िया आदि हैं। (✗)
(घ) मृत जीवधारियों से भोजन प्राप्त करने वाले जीव मृतोपजीवी कहलाते हैं। (✓)
(ङ) हमें पारिस्थितिकी सन्तुलन को बनाए रखना चाहिए। (✓)
(च) हमारी पृथ्वी के चारों (UPBoardSolutions.com) ओर वायुमण्डल है। (✓)
(छ) मनुष्य पर्यावरण का अंग नहीं है। (✗)

Question 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) जल, वायु, पोषक तत्व, सौर-ऊर्जा आदि ___ घटक कहलाते हैं।
(ख) भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर रहने वाले जीव ___ कहलाते हैं।
(ग) उत्पादक व उपभोक्ता के बीच प्रत्येक भोजन स्तर को ___ कहते हैं।
(घ) आहार-श्रृंखला के एक सिरे पर उत्पादक तथा दूसरे सिरे पर ____ होता है।
(ङ) प्रकृति में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत ___ है।
(च) प्रकृति जल, स्थल, वायु, पेड़-पौधों एवं ___ से मिलकर बनी है।
(छ) पृथ्वी के जल वाले भाग को ____ कहते हैं।
(ज) जैविक एवं अजैविक घटक एक दूसरे से परस्पर ___ हैं।
Solution:
(क) जल, वायु, पोषक तत्व, सौर-ऊर्जा आदि निर्जीव घटक कहलाते हैं।
(ख) भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर रहने वाले जीव परपोषी कहलाते हैं।
(ग) उत्पादक व उपभोक्ता के बीच प्रत्येक भोजन स्तर को पोषक तल कहते हैं।
(घ) आहार-श्रृंखला के एक सिरे पर उत्पादक तथा दूसरे सिरे पर सर्वोच्च उपभोक्ता होता है।
(ङ) प्रकृति में ऊर्जा का प्रमुख (UPBoardSolutions.com) स्रोत सूर्य है।
(च) प्रकृति जल, स्थल, वायु, पेड़-पौधों एवं जीव-जन्तुओं से मिलकर बनी है।
(छ) पृथ्वी के जल वाले भाग को जल-मण्डल कहते हैं।
(ज) जैविक एवं अजैविक घटक एक दूसरे से परस्पर सम्बन्धित हैं।

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Question 4.
सही विकल्प चुनें
(क) किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सबसे आवश्यक है

  • निरन्तर ऊर्जा प्रवाह होना।
  • जल प्रवाह होना।
  • वायु प्रवाह होना।
  • पर्वत।

(ख) सूर्य से प्राप्त होने वाली अधिकांश ऊर्जा पृथ्वी पर पहुँचने से पूर्व ही नष्ट हो रही है–

  • मरुस्थलों के कारण।
  • समुद्रों के कारण।
  • पर्वतों के कारण।
  • अत्यधिक प्रदूषण के कारण।

(ग) आहार-जाल में

  • आहार-श्रृंखलाएँ एक सीध में चलती हैं।
  • आहार-श्रृंखलाएँ नहीं होती हैं।
  • कई आहार-श्रृंखलाएँ आपस में उलझ जाती हैं।
  • ऊर्जा का प्रवाह नहीं होता है। ।

(घ) पृथ्वी पर किसी निर्जीव घटक के संतुलित मात्रा से कम या ज्यादा होने पर

  • पारिस्थितिकी तंत्र बनता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित होता है।
  • मानव सुखी जीवन व्यतीत करता है।
  • उपरोक्त में से कोई नहीं।

Solution:
(क) किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सबसे आवश्यक है

  • निरन्तर ऊर्जा प्रवाह होना। ✓
  • जल प्रवाह होना।
  • वायु प्रवाह होना।
  • पर्वत।

(ख) सूर्य से प्राप्त होने वाली अधिकांश ऊर्जा पृथ्वी पर पहुँचने से पूर्व ही नष्ट हो रही है–

  • मरुस्थलों के कारण।
  • समुद्रों के कारण।
  • पर्वतों के कारण।
  • अत्यधिक प्रदूषण के कारण। ✓

(ग) आहार-जाल में

  • आहार-श्रृंखलाएँ एक सीध में चलती हैं।
  • आहार-श्रृंखलाएँ नहीं होती हैं।
  • कई आहार-श्रृंखलाएँ आपस में उलझ जाती हैं। ✓
  • ऊर्जा का प्रवाह नहीं होता है। ।

(घ) पृथ्वी पर किसी निर्जीव घटक के संतुलित मात्रा से कम या ज्यादा होने पर

  • पारिस्थितिकी तंत्र बनता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित होता है। ✓
  • मानव सुखी जीवन व्यतीत करता है।
  • उपरोक्त में से कोई नहीं।

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Question 5.
आपने आस-पास देखे और लिखिए –
(अ) पौधों को उचित मात्रा में धूप न मिलने से क्या होगा?
(ब) अपने आस-पास के जीव-जन्तुओं एवं पेड़-पौधों को देखकर एक खाद्य श्रृंखला का रेखांकित चित्र बनाइए।
(स) पशुओं के मृत शरीर को कौन-कौन से जीव खाते हैं?
Solution:
(अ)- पौधे सूख जाएँगे।
(ब)- विद्यार्थी स्वयं करें।
(स)- कुत्ता, बिल्ली, गिद्ध, बाज, कौआ, चील, लोमड़ी आदि।

प्रोजेक्ट वर्क– विद्यार्थी स्वयं करें।

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