UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 14 Natural Resources

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 14 Natural Resources (प्राकृतिक संपदा)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 14 Natural Resources (प्राकृतिक संपदा).

पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 217)

प्रश्न 1.
शुक्र और मंगल ग्रहों के वायुमण्डल से हमारा वायुमण्डल कैसे भिन्न है?
उत्तर-
हमारे वायुमण्डल (पृथ्वी के) में वायु कई गैसों का मिश्रण है, जैसे-नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कॉर्बन डाई ऑक्साइड व जलवाष्प आदि। पृथ्वी पर इन सभी गैसों की उपस्थिति (UPBoardSolutions.com) ही जीवन-यापन करने के लिए आवश्यक है।
शुक्र व मंगल के वायुमण्डल में 95 से 97% तक कार्बनडाइआक्साइड ही पाई जाती है। अतः इन ग्रहों पर कोई जीवन नहीं पाया जाता है।

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प्रश्न 2.
वायुमण्डले एक कम्बल की तरह कैसे कार्य करता है?
उत्तर-
वायु ऊष्मा की कुचालक है। वायुमण्डल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय और यहाँ तक कि पूरे वर्ष-भर नियत रखता है। वायुमण्डल ही दिन में अचानक तापमान को बढ़ने से रोकता है, और रात के समय पृथ्वी के बाहरी आन्तरिक्ष में ताप की दर को कम करता है। अतः हम कह सकते हैं कि वायुमण्डल एक कम्बल की तरह कार्य करता है।

प्रश्न 3.
वायु प्रवाह (पवन) के क्या कारण हैं?
उत्तर-
स्थल तथा जल के ऊपर की वायु सौर ऊर्जा के कारण गर्म होती है। जल की अपेक्षा स्थल के ऊपर की वायु शीघ्र गर्म होकर ऊपर उठना प्रारंभ कर देती है। इससे वहाँ कम वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है और समुद्र के ऊपर की वायु कम वायुदाब वाले क्षेत्र में प्रवाहित होने लगती है। इस प्रकार एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में वायु प्रवाह पवनों का निर्माण करती है। दिन के समय वायु की दिशा समुद्र से स्थल की (UPBoardSolutions.com) ओर होती है। रात्रि में स्थल के ऊपर की वायु समुद्र के ऊपर की वायु की तुलना में जल्दी ठंडी हो जाती है। अतः रात्रि में वायु प्रवाह स्थल से समुद्र की ओर होता है।

प्रश्न 4.
बादलों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर-
बादलों का निर्माण-दिन में वायुमण्डल में जलवाष्प पहुँचती है क्योंकि गर्म होने पर जल जलाशयों से उड़ता है तथा जलवाष्प बनकर वायुमण्डल में आ जाता है। गर्म वायु जलवाष्प को अपने साथ लेकर ऊपर की ओर उठती है। फैलने पर यह ठंडी हो जाती है तथा संघनित होकर बादल बनाती है।

प्रश्न 5.
मनुष्य के तीन क्रिया-कलापों का उल्लेख करें जो वायु प्रदूषण में सहायक हैं।
उत्तर-
मानव निर्मित स्रोत जो विभिन्न मानव क्रिया-कलापों द्वारा उत्पन्न होते हैं, जैसे-
(i) जनसंख्या वृद्धि,
(ii) वनों का काटना,
(iii) शहरीकरण,
(iv) औद्योगीकरण

  • मानव अपने कार्यों द्वारा विभिन्न प्रदूषण जैसे- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), हाइड्रोकार्बन, आर्सेनिक तथा रेडियोधर्मी पदार्थ वायु में छोड़ता है।
  • कोयला तथा पेट्रोलियम आदि जीवाश्म ईंधनों के जलने से भी प्रदूषक वायु में पहुँचते हैं।
  • कृषि में अत्यधिक उर्वरकों तथा पीड़कनाशियों के प्रयोग से भी वायु में प्रदूषक पहुँचते हैं।
  • ओजोन परत में छेद होने से भी पराबैंगनी किरणें पृथ्वी तक पहुँचती हैं।

पाठ्गत अॅश्न'(पृष्ठ संख्या – 219)

प्रश्न 1.
जीवों को जल की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर-

  • सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जल माध्यम में होती हैं।
  • पदार्थों का संवहन घुली अवस्था में होता है।
  • प्राणी को जीवित रहने हेतु जल आवश्यक है।
  • जल प्राणियों का आवास भी है।
  • स्थलीय जीवों को मीठे जल की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 2.
जिस गाँव/शहर/नगर में आप रहते हैं वहाँ पर उपलब्ध शुद्ध जल का मुख्य स्रोत क्या है?
उत्तर-
शहर में- नगर निगम द्वारा निर्मित जल के टैंक।
गाँवों में- तालाब, कुएँ, नल तथा नदियाँ एवं नहर आदि।

प्रश्न 3.
क्या आप किसी क्रिया-कलाप के बारे में जानते हैं जो इस जल के स्रोत को प्रदूषित कर रहा है?
उत्तर-
(i) कृषि में उपयोगी कीटनाशक तथा उर्वरक
(ii) उद्योगों से निकला कचरा नदियों तथा झीलों में जमा हो जाता है।
(iii) जलाशयों में अनैच्छिक पदार्थों का मिलाना।
(iv) इच्छित पदार्थों को जल से हटाना।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 222)

प्रश्न 1.
मृदा (मिट्टी) का निर्माण किस प्रकार होता है?
उत्तर-
मिट्टी बनाने में निम्नलिखित कारक काम करते हैं

  1. सूर्य – सूर्य पत्थरों को गर्म करता है जिससे वे प्रसारित हो जाते हैं। रात के समय पत्थर सिकुड़ जाते हैं। इससे उसमें दरार पड़ जाती है और वह टूट जाता है।
  2. जल – जले मिट्टी के निर्माण में दो तरीके से सहायता करता है-
    • सूर्य के ताप से बनी दरार में पानी भर जाता है जो यदि जम जाता है तो वह दरार को चौड़ा कर देता है लेकिन यदि पानी बाद में जमता है तो (UPBoardSolutions.com) यह दरार को और भी चौड़ा करेगा क्योंकि बहता हुआ व जमा हुआ पानी पत्थर को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है।
    • तेज गति से बहता पानी पत्थर के टुकड़ों को बहा ले जाता है जिससे वे आपस में टकराकर टूटकर और छोटे हो जाते हैं। इस प्रकार मिट्टी अपने मूल पत्थर के स्थान से काफी दूर पायी जाती है।
  3. हवा – हवा से पत्थर के टुकड़े आपस में टकराकर और भी छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट जाते हैं।
  4. जीव – जीव भी मिट्टी के बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। लाइकेन पत्थरों की सतह पर उगते हैं जो पत्थर को चूर्ण के रूप में बदल देते हैं और मिट्टी की परत का निर्माण करते हैं। इसी प्रकार मॉस भी मिट्टी को बारीक करने का काम करते हैं।

प्रश्न 2.
मृदा अपरदन क्या है?
उत्तर-
उपरिमृदा (Top soil) का वायु/जल द्वारा उड़ना अथवा दूसरे स्थान पर पहुँचना ही मृदा का अपरदन है। मृदा के महीन कण बहते हुए जल के साथ चले जाते हैं। तेज वायु भी मृदा कणों को उड़ाकर ले जाती है।

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प्रश्न 3.
अपरदन को रोकने और कम करने के कौन-कौन से तरीके हैं?
उत्तर-
अपरदन रोकने के निम्नलिखित तरीके हैं|
1. भूमि को उपजाऊ बनाना – अपरदन प्रायः बंजर भूमि में ही होता है। अतः भूमि की अम्लीयता या क्षारीयता को दूर करके उसे कृषि-योग्य बनाकर मृदा अपरदन को रोका जा सकता है। भूमि को उर्वर बनाने के लिए कम्पोस्ट खाद, हरी खाद, उर्वरक आदि का प्रयोग किया जाता है।
2. पशुओं के चरने पर नियंत्रण – इसके लिए नियंत्रित चरागाहों की व्यवस्था की जानी चाहिए। अतिचारण के कारण पौधे कुचलकर नष्ट हो जाते हैं। मृदा कणों के परस्पर उखड़ जाने पर अपरदन सुगमता से हो जाता है।
3. वनरोपण – वृक्षारोपण, वनरोपण, फसल उगाना आदि क्रियाओं के फलस्वरूप जड़े मृदा कणों को परस्पर बाँधे रखती हैं।
4. वायुरोधक पौधे लगाना – रेगिस्तानी क्षेत्रों में वायु अपरदन को रोकने या कम करने के लिए वृक्षों को पंक्तियों में एक-दूसरे के पास-पास उगाना चाहिए। इससे वायु की तीव्रता कम होने से मृदा अपरदन को कम किया जा सकता है। समोच्च जुताई-पहाड़ी ढलानों पर शिखर से नीचे की ओर (UPBoardSolutions.com) समकोण पर गोलाई में जुताई-गुड़ाई करने से अपरदन कम होता है। इस प्रकार की खेती को कंटूर कृषि कहते हैं।
5. वेदिका निर्माण – पहाड़ी ढलानों को सीढ़ीनुमा खेतों में बाँटकरे अर्थात् वेदिका निर्माण करके खेती की जाती है। इससे जल अपरदन को रोका जा सकता है।
6. बाँध निर्माण – तेज बहाव वाले अधिक जल को रोकने के लिए बाँध बनाए जाते हैं। बाँध से रुके हुए जल का उपयोग विद्युत निर्माण और सिंचाई के लिए किया जाता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 226)

प्रश्न 1.
जल-चक्र के क्रम में जल की कौन-कौन सी अवस्थाएँ पायी जाती हैं?
उत्तर-
जल-चक्र में पानी की मुख्यतया दो अवस्थाएँ पायी जाती हैं-एक तरल (द्रव) व दूसरी वाष्प। पहले पानी का वाष्पीकरण होता है फिर संघनन व फिर द्रव रूप में जल वर्षा के रूप में पृथ्वी में लौट आता है जो नदियों द्वारा समुद्रों में और कुछ भूजल के साफ पानी को हिस्सा बन जाता है।

प्रश्न 2.
जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण दो यौगिकों के नाम दीजिए जिनमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दोनों पाए जाते हों?
उत्तर-
जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण यौगिक जिनमें नाइट्रोजन व ऑक्सीजन दोनों पाए जाते हैं, वे हैं-प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल (डी.एन.ए. व आर.एन.ए.) व विटामिन हैं।

प्रश्न 3.
मनुष्य की किन्हीं तीन गतिविधियों को पहचानें जिनसे वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है।
उत्तर-
निम्नलिखित क्रिया-कलापों द्वारा वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है-

  1. श्वसन – जीवों द्वारा श्वसन की प्रक्रिया में ग्लूकोस का ऑक्सीकरण होने से वह कार्बन डाइऑक्साइड में बदल जाता है और वह वायुमण्डल में एकत्रित हो जाती है तथा जीवों को ऊर्जा प्राप्त होती है।
  2. दहन – इस क्रिया में ईंधन को जलाया जाता है। जिससे विभिन्न कार्यों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पूर्ति होती है। जैसे-खाना पकाना, गर्म करना, यातायात व उद्योग-धन्धों में किया जाता है। दहन क्रिया से भी। वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है जो वायुमण्डल में एकत्रित हो जाती है।
  3. औद्योगिक क्रान्ति – इसमें भी कारखानों में जीवाश्म ईंधन जलाया जाता है जिससे अत्यधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है और वायुमण्डल में एकत्रित हो जाती है।

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प्रश्न 4.
ग्रीन-हाउस प्रभाव क्या है?
उत्तर-
वायुमण्डल में उपस्थित कुछ गैसें (कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन व जलवाष्प) पृथ्वी की ऊष्मा को बाहर जाने से रोकती हैं। वायुमण्डल में इस प्रकार की गैसों के प्रतिशत में वृद्धि पूरे विश्व के तापमान में वृद्धि कर पूरे विश्व के औसत तापमान को बढ़ा देगी, इसी प्रभाव को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल में पाए जाने वाले ऑक्सीजन के दो रूप कौन-कौन से हैं?
उत्तर-

  1. वायुमण्डल में तत्त्व के रूप में ऑक्सीजन की प्रतिशत मात्रा 21% है।
  2. यह पृथ्वी पर यौगिक के रूप में पाई जाती है। पृथ्वी पटल पर यह धातुओं व सिलिकॉन तथा कार्बन के आक्साइडों के रूप में और कार्बोनेट, सल्फेट, नाइट्रेट व अन्य खनिजों के रूप में भी पाई जाती है।
  3. यह जैविक अणु, जैसे कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल और वसा का भी एक आवश्यक घटक है।
  4. अधिक ऊँचाई पर यह त्रिपरमाण्विक (O3) ओजोन के रूप में भी पाई जाती है।

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ – 227)

प्रश्न 1.
जीवन के लिए वायुमण्डल क्यों आवश्यक
उत्तर-
वायुमण्डल हमारे जीवन के लिए निम्नलिखित कारणों से आवश्यक है-

  1. वायुमण्डल पृथ्वी को एक कम्बल की तरह चारों ओर से ढके हुए है।
  2. वायुमण्डल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय यहाँ तक कि पूरे साल भर स्थिर (नियत) रखता है।
  3. वायुमण्डल दिन में अचानक तापमान को बढ़ने से रोकता है।
  4. रात के समय ताप को पृथ्वी के बाहरी अन्तरिक्ष में जाने की दर को कम करता है।
  5. वायुमण्डल में उपस्थित ओजोन परत हानिकारक विकिरणों (पराबैंगनी किरणों) के प्रभाव से हमारी रक्षा करती है।
  6. श्वसन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन भी वायुमण्डल से मिलती है।

प्रश्न 2.
जीवन के लिए जल क्यों अनिवार्य है?
उत्तर-
जीवन के लिए जल की उपयोगिता निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट है-

  1. पानी पीने के लिए अनिवार्य है जिससे हम जीवित रहते हैं।
  2. सभी कोशिकीय क्रियाएँ जलीय माध्यम में ही होती हैं।
  3. शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में ही होता है।
  4. जलीय जीवों को वास स्थान प्रदान करता है।
  5. पौधों को प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में भी जल की आवश्यकता होती है।
  6. पानी एक सार्वत्रिक विलायक है।
  7. बीजों के अंकुरण के लिए भी जल आवश्यक है।
  8. पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए आसानी से उपलब्ध पानी एक आवश्यक स्रोत है।

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प्रश्न 3.
जीवित प्राणी मृदा पर कैसे निर्भर हैं? क्या जल में रहने वाले जीव संपदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र हैं?
उत्तर-
पृथ्वी की सबसे बाहरी परत को भूपृष्ठ कहते हैं। इस परत में पाए जाने वाले खनिज जीवों को विभिन्न प्रकार के पालन-पोषण करने वाले तत्त्व प्रदान करते हैं। कुछ जीव, जैसे-राइजोबियम फलीदार पौधों की जड़ों में ग्रन्थियाँ (गाठे) बनाते हैं और वायुमण्डल की स्वतंत्र नाइट्रोजन को यौगिकों (नाइट्राइट व नाइट्रेट) में बदलकर पौधों के लिए उपयोगी बना देते हैं। कुछ ऐसे भी जीवाणु हैं जो इन यौगिकों व गले-सड़े पदार्थों को पुनः तत्त्वों में बदल देते हैं। केचुएँ भी मिट्टी में ही रहकर उसे उपजाऊ बनाते हैं। अन्य सभी प्राणी भी मिट्टी में उगने वाले पौधे से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि जीवित प्राणी मिट्टी पर निर्भर करते हैं।

जल में रहने वाले जीव संपदा मिट्टी से पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हैं, क्योंकि जल में अत्यधिक पदार्थ घुल जाते हैं। जब जल चट्टानों पर से बहता है तो उसमें कुछ खनिज धुल (UPBoardSolutions.com) जाते हैं। नदियाँ बहुत-से पोषक तत्त्व समुद्र में इन्हीं चट्टानों से पहुँचाती हैं जिन्हें समुद्री जीव प्रयोग करते हैं। अतः वे पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हैं।

प्रश्न 4.
आपने टेलीविजन पर और समाचारपत्र में मौसम सम्बन्धी रिपोर्ट को देखा होगा। आप क्या सोचते हैं कि हमें मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं?
उत्तर-
मौसम का पूर्वानुमान पवन की चाल व दिशा के अध्ययन द्वारा किया जा सकता है जो वर्षा आदि के विषय में अनुमान लगाने में सहायता करता है। इसके द्वारा कम व अधिक वायुदाब के क्षेत्रों का पता लगाया जा सकता है। भारत में अधिकतर वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी या उत्तरी-पश्चिमी मानसून द्वारा होती है।

प्रश्न 5.
हम जानते हैं कि बहुत-सी यानवीय गतिविधियाँ, वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषण-स्तर को बढ़ा रहे हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में सहायता मिलेगी?
उत्तर-
वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषण-स्तर को बढ़ाने वाली गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण का स्तर घटाने में विशेष सहायता नहीं मिलेगी। जल व मृदा के प्रदूषण को कुछ सीमा तक कम किया जा सकता है, लेकिन वायु प्रदूषण के लिए यह प्रभावशाली नहीं होगा। प्रदूषण (UPBoardSolutions.com) को कम करने के लिए अच्छा हो कि हम प्राकृतिक संपदा का विवेकपूर्ण एवं सीमित उपयोग करें और प्रदूषकों को जल, मृदा व वायु में एक सीमित मात्रा में छोड़े ताकि प्राकृतिक सूक्ष्म जीव उनको आसानी से विघटित कर सकें।

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प्रश्न 6.
जंगल वायु, मृदा तथा जलीय स्रोत की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करते हैं?
उत्तर-
जंगल वायु, मृदा तथा जलीय स्रोतों की गुणवत्ता को निम्न प्रकार प्रभावित करते हैं-
वायु की गुणवत्ता नियन्त्रित करने में पौधों का योगदान – पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में वायु से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं तो ऑक्सीजन गैस उत्पन्न करते हैं जिससे वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा नियन्त्रित रहती है तथा श्वसन में सहायक ऑक्सीजन बढ़ती है।

मृदा की गुणवत्ता नियन्त्रित करने में पौधों का योगदान
(i) पौधों की जड़े भूमि में काफी गहराई तक जाकर मृदा को बाँधे रखती हैं जिसके कारण भूमि अपरदन नहीं होता।
(ii) भूमि अपरदन होने से मिट्टी नदियों की सतह में बैठने लगती है और नदियाँ उथली हो जाती हैं। जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
(iii) पौधे वाष्पोत्सर्जन द्वारा वायु में जलवाष्प छोड़ते रहते हैं, जिससे वायुमण्डल में नमी की उचित मात्रा बनी रहती है जो वर्षा को नियन्त्रित करती है और (UPBoardSolutions.com) तेज वर्षा नहीं होती।
(iv) तेज वर्षा की बूंदों द्वारा भूमि कटाव व मृदा अपरदन होता है। पौधों के पत्ते तेज बूंदों को सीधे पृथ्वी पर नहीं पड़ने देते जिससे भूमि कटाव व मृदा अपरदन नहीं होता जो नदियों को उथला कर, बाढ़ की स्थिति उत्पन्न करता है।

सुखद पर्यावरण – पौधे वातावरण को सुखद बनाते हैं। ये वातावरण की कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीजन की मात्रा तथा वाष्पोत्सर्जन द्वारा नमी की मात्रा बढ़ाते हैं।
पौधे जीवों को सूर्य की तेज किरणों से बचाव कर वातावरण को सुखद बनाते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वायु प्रदूषण के दो प्राकृतिक स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-
वायु प्रदूषण के दो प्राकृतिक स्रोत हैं-

  • दावानल (Forest fire)
  • वायु में उड़ते पराग कण (Pollen grains)।

प्रश्न 2.
ऐसे दो पदार्थों के नाम लिखिए जिनको पुनःचक्रण किया जाता है।
उत्तर-
(i) मवेशी गृह का कचरा तथा गोबर आदि।
(ii) कपड़ा एवं कागज आदि।

प्रश्न 3.
वायुमण्डल में CO2 गैस की मात्रा बढ़ने का पृथ्वी के औसत ताप पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-
पृथ्वी का औसत ताप बढ़ जायेगा (Global Warming)।

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प्रश्न 4.
पर्यावरण में हानिकारक प्रभावों से ओजोन परत किस प्रकार हमें सुरक्षा प्रदान करती है?
उत्तर-
यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरणों को अवशोषित करती है, जो मनुष्य के लिए हानिकारक हैं।

प्रश्न 5.
भूमि की उर्वरता कम होने का एक कारण लिखिए।
उत्तर-
मृदा अपरदन भूमि की उर्वरता कम होने का एक कारण है।

प्रश्न 6.
भारतवर्ष में वर्षा के पैटर्न में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी कारक का नाम बताइए।
उत्तर-
वर्षा का पैटर्न, पवनों के पैटर्न पर निर्भर करता है।

प्रश्न 7.
जल अपरदन की दर किन क्षेत्रों में अधिक होती है?
उत्तर-
पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक होती है।

प्रश्न 8.
प्रदूषित वायु में नियमित साँस लेने से उत्पन्न दो रोगों के नाम बताइए।
उत्तर-
कैंसर, हृदय रोग या एलर्जी।

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प्रश्न 9.
दो जीवविज्ञानी महत्त्वपूर्ण यौगिकों के नाम बताइए जिनमें नाइट्रोजन उपस्थित है।
उत्तर-
ऐल्केलॉइड तथा यूरिया।

प्रश्न 10.
वायुमण्डल में CO2 की सांद्रता की वृद्धि के दो कारण बताइये।
उत्तर-
(i) वनोन्मूलन।
(ii) बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधनों को जलाना।

प्रश्न 11.
ओजोन क्या है?
उत्तर-
ओजोन ऑक्सीजन का एक अपररूप है जिसमें ऑक्सीजन के तीन परमाणु पाये जाते हैं (O3)।

प्रश्न 12.
वायुमण्डल में ऑक्सीजन किन रूपों में पायी जाती है?
उत्तर-
ऑक्सीजन गैस (O2) और ओजोन गैस (O3)।

प्रश्न 13.
ओजोन परत किस ऊँचाई पर उपस्थित है?
उत्तर-
ओजोन पर्त वायुमण्डल में 16 km से 60 km की ऊँचाई पर उपस्थित है।

प्रश्न 14.
कौन जैवीय घटक हैं? वायु, पेड़, कीड़े।
उत्तर-
पेड़ व कीड़े।

प्रश्न 15.
वायुमण्डल का विस्तार क्या है?
उत्तर-
वायुमण्डल पृथ्वीतल से 60 किमी तक पाया जाता है।

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प्रश्न 16.
ओजोन स्तर का क्या महत्त्व है?
अथवा
सूर्य विकिरण का कौन-सा भाग ओजोन परत द्वारा अवशोषित किया जाता है?
उत्तर-
यह सूर्य से आने वाले पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित कर, उसे पृथ्वी के धरातल तक नहीं पहुँचने देती।

प्रश्न 17.
जैवमंडल के गैसीय घटक का नाम लिखिए।
उत्तर-
वायु (कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन आदि)।

प्रश्न 18.
पृथ्वी के वायुमण्डल में कार्बन डाइ-ऑक्साइड की प्रतिशतता क्या है?
उत्तर-
0.03%.

प्रश्न 19.
दो क्रियाओं के नाम लिखिए जो वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करती हैं।
उत्तर-
(i) श्वसन – जिसमें ग्लूकोज आदि का ऑक्सीकरण होता है।
(ii) दहन।

प्रश्न 20.
वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड़की मात्रा में वृद्धि के दो दुष्प्रभाव लिखिए।
उत्तर-
(i) कार्बन डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा ग्रीन हाउस प्रभाव के द्वारा वायुमण्डल का ताप बढ़ा देती है।
(ii) ताप में वृद्धि होने पर जीवों की दक्षता कम हो जाती है।

प्रश्न 21.
वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड शोषित करने वाली क्रिया का नाम लिखिए।
उत्तर-
पौधों द्वारा होने वाली प्रकाश संश्लेषण की क्रिया।

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प्रश्न 22.
मृदा निर्माण करने वाले दो कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
अजैविक घटक-ताप, जल और हवा जैविक घटक-सभी सजीव।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है?
उत्तर-
वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प आदि पृथ्वी से परावर्तित होने वाले अवरक्त विकिरण को अवशोषित कर लेते हैं जिससे वायुमण्डल का ताप बढ़ जाता है, इस प्रतिभास को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 2.
वायुमण्डल में क्लोरो-फ्लोरो कार्बन क्या हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं?
उत्तर-
क्लोरोफ्लोरो कार्बन वायुमण्डल की ओजोन परत से क्रिया कर उसको क्षति पहुँचाते हैं।

प्रश्न 3.
प्रदूषक किसे कहते हैं?
उत्तर-
वे पदार्थ अथवा कारक जिनके द्वारा वायु, जल, भूमि के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक लक्षणों में अवांछित परिवर्तन उत्पन्न होता है, प्रदूषक (Pollutants) कहलाते हैं।

प्रश्न 4.
मृदा क्या है?
उत्तर-
मृदा जैविक तथा अजैविक घटकों का जटिल मिश्रण है और यह पौधों को जकड़े रखती है तथा जीविका प्रदान करती है।

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प्रश्न 5.
नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले दो जीवों के नाम लिखिए।
उत्तर-
(i) जीवाणु राइजोबियम,
(ii) नील-हरित शैवाल।

प्रश्न 6.
दो प्रक्रियाओं के नाम लिखिए जो वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ाने के लिए उत्तरदायी हैं।
उत्तर-
(i) जीवाश्म ईंधनों का दहन,
(ii) ज्वालामुखी का फटना।

प्रश्न 7.
मृदा कटाव रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
अत्यधिक मात्रा में पेड़-पौधों को उगाना चाहिए। सघन खेती अपनानी चाहिए।

प्रश्न 8.
वायुमण्डल के मुख्य संघटक लिखिए।
उत्तर-
पृथ्वी के चारों तरफ पाया जाने वाला गैस का आवरण, वायुमण्डल (atmosphere) कहलाता है। यह 40 किमी तक पाया जाता है। पृथ्वी के धरातल पर वायुमण्डल में (UPBoardSolutions.com) नाइट्रोजन लगभग 78%, ऑक्सीजन 21% व शेष 1% में अन्य गैसें जैसे- कार्बन डाइऑक्साइड, आर्गन, हीलियम, मीथेन आदि पायी जाती हैं।
धरातल पर वायुमण्डल में उपस्थित विभिन्न अवयव निम्न प्रकार हैं-
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अन्य गैसें सूक्ष्म मात्रा में पायी जाती हैं। जलवाष्प भी वायुमण्डल में विद्यमान रहती है।

प्रश्न 9.
शुक्र तथा मंगल ग्रहों के वायुमण्डल को मुख्य संघटक क्या है? इसके प्रभाव लिखिए।
उत्तर-
शुक्र तथा मंगल ग्रहों के वायुमण्डल का मुख्य संघटक कार्बन डाइऑक्साइड है जो इनके वायुमण्डल में 95-97% तक है। इसका प्रभाव यह है कि वहाँ पर न कोई जीवन है और न जीवन को आधार देने वाले घटक।

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प्रश्न 10.
अम्लीय वर्षा (acid rain) से आप क्या समझते हैं? इसने ताजमहल को कैसे प्रभावित किया है?
अथवा
औद्योगिक क्षेत्र में स्थित संगमरमर से बने भवन हानि क्यों प्रदर्शित करते हैं? सम्बद्ध समीकरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
कोयले में उपस्थित सल्फर जलने पर ऑक्सीकृत होकर सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) गैस बनाता है। यह गैस वायुमण्डल में मिल जाती है। वर्षा के समय यह गैस पानी में घुलकर सल्फ्यूरस अम्ल (H2SO3) बनाती है जो वर्षा के साथ पृथ्वी पर आता है जिसे अम्लीय वृष्टि कहते हैं। इस अम्लीय वृष्टि से ताजमहल के संगमरमर का संक्षारण हो रहा है। संगमरमर कैल्सियम कार्बोनेट है जो वर्षा के साथ आये सल्फ्यूरस अम्ल से क्रिया करता है। और संक्षारित हो जाता है।
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दूसरे, जीवाश्म ईंधनों के अपूर्ण दहन से उत्पन्न कार्बन के कण वायुमण्डल में विसरित होते हैं जो भवन के ऊपर जमा होकर, संगमरमर की चमक को कम कर देते हैं व धीरे-धीरे भवन काला होता जाता है।

प्रश्न 11.
वायु प्रदूषण की मुख्य हानियाँ लिखिए।
उत्तर-
वायु प्रदूषण की मुख्य हानियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. वायु प्रदूषण श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। इससे श्वास, दमा, फेफड़ों का कैंसर व न्यूमोनिया जैसे विकार हो सकते हैं।
  2. मोटर वाहनों एवं धूम्रपान से छोड़े गये धुएँ में कार्बन मोनोक्साइड पायी जाती है जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। CO में हीमोग्लोबिन से ऑक्सीजन की अपेक्षा संयोग करने की 200 गुना अधिक क्षमता होती है। यह COHb (कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन) बनाती है जो विषैला है और दम घुटने जैसे लक्षण उत्पन्न करता है। यह अवस्था प्राणघातक भी हो सकती है।
  3. ओजोन परत के ह्यस होने से पराबैंगनी विकिरण पृथ्वी की सतह तक पहुँच सकता है जो त्वचा कैंसर, प्रतिरक्षा संस्थान तथा आँखों को हानि पहुँचाता है।
  4. अम्ल वर्षा ऐतिहासिक स्मारकों को हानि पहुँचाती है।
  5. कार्बन डाइऑक्साइड व मीथेन ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए उत्तरदायी हैं। ये पृथ्वी का ताप बढ़ देते हैं।

प्रश्न 12.
ओजोन परत क्या है? यह कैसे बनती है? तथा इसका क्या महत्व है?
उत्तर-
ओजोन (O3) तीन ऑक्सीजन परमाणुओं वाला ऑक्सीजन का अपररूप है। यह पृथ्वी से 16 km की ऊँचाई पर सूर्य किरणों के प्रभाव से ऑक्सीजन से उत्पन्न होती है। ओजोन (O3) का अनुपात इस ऊँचाई से 23 किमी की ऊँचाई तक बढ़ता जाता है। इस भाग में ओजोन परत अधिक सघन आवरण बनाती है। ओजोन अणुओं की यह विशेषता है कि वे सूर्य से आने वाले हानिकारक पराबैंगनी (Ultra-violet) विकिरण को अवशोषित कर लेते हैं। इस प्रकार पृथ्वी पर जीवों के लिए ओजोन परत एक सुरक्षात्मक आवरण के रूप में कार्य करती है।

प्रश्न 13.
ओजोन छिद क्या है? ये कहाँ पर स्थित हैं?
अथवा
ओजोन परत के नष्ट होने के क्या मुख्य कारण हैं?
उत्तर-
किन्हीं रसायनों के प्रयोग से ओजोन के आवरण में छेद हो जाते हैं। ये रसायन हैं- मुख्यतः क्लोरो फ्लोरो कार्बन व अन्य उनसे सम्बन्धित उत्पाद। इन छिद्रों से सूर्य (UPBoardSolutions.com) से आने वाला पराबैंगनी प्रकाश (विकिरण) वायुमण्डल की निचली सतहों तक आ जाता है, जो त्वचा कैंसर के लिए जिम्मेदार माना जाता है। 1980 के आस-पास वैज्ञानिकों ने अण्टार्कटिक भाग के पास ओजोन छिद्र की उपस्थिति ज्ञात की।

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प्रश्न 14.
ओजोन परत कौन-से विकिरण को अवशोषित करती है? ओजोन परत के ह्रास होने के क्या-क्या कारण हैं? यदि ओजोन परत पतली हो जाये तो कौन-कौन से रोग होने की सम्भावना हो सकती है?
उत्तर-
ओजोन परत द्वारा अवशोषित विकिरण पराबैंगनी विकिरण।
ओजोन परत के ह्रास होने के कारण – ऐरोसॉल या क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन (CFC) की क्रिया के कारण। सुपरसोनिक विमानों में ईंधन के दहन से उत्पन्न पदार्थ व नाभिकीय विस्फोट भी ओजोन परत के ह्रास होने के कारण हैं। ओजोन परत के पतली होने पर सम्भावित रोग-त्वचा कैंसर।

प्रश्न 15.
वायु प्रदूषण क्या है? इसके मुख्य स्रोत क्या हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वायु प्रदूषण – जब वायु के विभिन्न अवयवों में किसी प्रकार का आनुपातिक असंतुलन होता है तो यह वायु प्रदूषण कहलाता है।
वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत दो प्रकार के हैं :
(i) प्राकृतिक स्रोत (Natural Source)
(ii) मानवनिर्मित स्रोत (Man-made Source)

(i) प्राकृतिक स्रोत – इनमें वनों में लगी आग, ज्वालामुखी, आँधी और तूफान, कार्बनिक पदार्थों का अपघटन आदि सम्मिलित हैं।
(ii) मानवनिर्मित स्रोत – इनमें जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि, वनों की कटाई, शहरीकरण एवं औद्योगिकीकरण सम्मिलित हैं। मानव भी अपने क्रिया-कलापों द्वारा अन्य वायु प्रदूषकों को वायुमण्डल में छोड़ता रहता है जैसे-कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, लैड, आर्सेनिक, एस्बेस्टस तथा रेडियोधर्मी पदार्थों का वायुमण्डल में मिलना।

प्रश्न 16.
जीवों से नाइट्रोजन वायुमण्डल में कैसे वापस पहुँचती है?
उत्तर-
जन्तुओं से नाइट्रोजन पुनः वायुमण्डल में निम्नलिखित चरणों में लौटा दी जाती है-

  1. शाकाहारी जन्तुओं में उत्सर्जी पदार्थों (मल-मूत्र आदि) के साथ नाइट्रोजन पुनः मृदा में पहुँच जाती है।
  2. पौधों तथा जन्तुओं के मृत शरीरों का विघटन जीवाणुओं तथा कवकों द्वारा होता है, जिससे नाइट्रोजन मृदा में पहुँचती है।
  3. मृदा में उपस्थित प्यूट्रिफाइंग बैक्टीरिया (Putre fying bacteria) उत्सर्जी पदार्थों एवं प्रोटीनों का विघटन करके उन्हें अमोनिया यौगिकों में बदल देते हैं। इस क्रिया को अमोनीकरण (Ammoni fication) कहते हैं।
  4. मृदा में उपस्थित नाइट्रीकारी जीवाणु (Nitrifying bacteria) अमोनिया को दो चरणों में नाइट्रेट में बदल देते हैं।
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  5. विनाइट्रीकरण बैक्टीरिया, जैसे-ल्यूडोमोनास, मृदा में उपस्थित नाइट्रेटों को नाइट्रोजन गैस में परिवर्तित कर देते हैं जो पुनः वायुमण्डल में मुक्त हो जाती है।

प्रश्न 17.
ADP तथा ATP के पूरे नाम लिखिए। जीवों में इनका कार्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
ADP एडिनोसीन डाईफॉस्फेट (Adinocine Diphosphate),
ATP एडिनो सीन ट्राईफॉस्फेट (Adinocine Triphosphate)
जीवों की कोशिकाओं में श्वसन क्रिया द्वारा ऊर्जा को, ADP अवशोषित करके ATP में बदल जाता है-अर्थात् ऊर्जा का अतिरिक्त फॉस्फेट बंध में संचय करता है। शरीर द्वारा कार्य करने के लिए आवश्यक होने पर ATP पुनः ADP में बदल जाता है तथा संचित ऊर्जा को मुक्त करके, शरीर की पेशियों को उपलब्ध कराता है।

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प्रश्न 18.
श्वसन (Respiration) एवं साँस लेने (Breathing) में क्या अन्तर है?
उत्तर-
जीवों की कोशिकाओं में ग्लूकोज के ऑक्सीजन से संयोग करके कार्बन डाई-ऑक्साइड एवं जल में बदलने तथा ऊर्जा मुक्त होने की क्रिया को श्वसन कहते हैं। जन्तुओं (UPBoardSolutions.com) के शरीर में वायुमण्डल से ऑक्सीजन खचने तथा कार्बन डाई-ऑक्साइड बाहर निकालने की क्रिया को ‘साँस लेना’ कहते हैं।
श्वसन एक रासायनिक अभिक्रिया है जबकि ‘साँस-लेना’ एक यान्त्रिक क्रिया है।

प्रश्न 19.
आवश्यक समीकरण देकर बताए कि ‘श्वसन’ तथा ‘प्रकाश-संश्लेषण’ क्या अन्तर है?
उत्तर-
‘श्वसन’ तथा ‘प्रकाश-संश्लेषण’ परस्पर विपरीत अभिक्रियाएँ हैं। श्वसन में ग्लूकोज ऑक्सीजन से संयोग होकर कार्बन डाइऑक्सइड तथा जल बनाता है।
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एवं ऊर्जा मुक्त होती है, जबकि प्रकाश-संश्लेषण में कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल के संयोजन से ग्लूकोज बनता है तथा ऊर्जा अवशोषित होती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नप्रश्न

प्रश्न 1.
जल-चक्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जल चक्र (Water Cycle) – जल जीवधारियों के लिए अनिवार्य पदार्थ है। जीवधारियों के शरीर का सबसे बड़ा अंश लगभग 80-90 प्रतिशत जल होता है। जीवधारी जल को वायुमण्डल (वर्षा द्वारा) या भूमि से प्राप्त करते हैं। सौर ऊष्मा के, कारण झीलों, तालाबों, नदियों, समुद्र आदि का जल जलवाष्प बनकर वायुमण्डल में एकत्र हो जाता है और बादल बनते हैं-उनसे वर्षा, ओलावृष्टि के रूप में जल पुनः पृथ्वी पर वापस आ जाता है। मृदा जल को अवशोषित कर पौधे प्रकाश-संश्लेषण क्रिया करते हैं तथा शेष जल पत्तियों (UPBoardSolutions.com) और खुले भागों द्वारा वाष्पोत्सर्जित होकर पुनः वातावरण में पहुँच जाता है। जन्तु जल का उपयोग भोजन में तथा पीने में करते हैं तथा मूत्र के रूप में उत्सर्जित करके वापस वातावरण को पहुँचाते हैं। जीवधारियों के श्वसन से भी जल वातावरण में लौटता है।

जीवधारियों की मृत्यु के पश्चात् अपघटकों द्वारा जल वापस वातावरण में पहुँच जाती है। इस प्रकार जीवधारी जितना जल वातावरण से प्राप्त करते हैं, किसी-न-किसी क्रिया द्वारा वापस वातावरण में पहुँचा देते हैं।
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प्रश्न 2.
नाइट्रोजन चक्र का वर्णन कीजिए।
अथवा
नाइट्रोजन स्थिरीकरण से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए कि वायुमण्डल से मृदा को नाइट्रोजन किस प्रकार प्राप्त होती है?
उत्तर-
नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle) – वायुमण्डल का लगभग 78% भाग नाइट्रोजन गैस है। परन्तु सभी जीव (जीवाणु-एजोबैक्टर आदि को छोड़कर) इसका सीधा उपयोग नहीं कर सकते। इसके लिए नाइट्रोजन का नाइट्रेट लवणों के रूप में परिवर्तन आवश्यक होता है। वायुमण्डल की मुक्त नाइट्रोजन को जीवनोपयोगी नाइट्रोजन यौगिकों में परिवर्तन की क्रिया को नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation) कहते हैं।
प्रकृति में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण तीन प्रकार से होता है-

1. विद्युत तड़ित से नाइट्रोजन स्थिरीकरण – आकाश में बिजली चमकने के समय वातावरणीय नाइट्रोजन वायु की ऑक्सीजन के साथ नाइट्रोजन डाइऑक्साइड बनाती है। यह वर्षा के जल के साथ मिलकर नाइट्रिक अम्ल बनाता है और जल द्वारा जीवों के शरीर व मृदा में पहुँच जाता है। मृदा के क्षारीय तत्त्वों (लाइमस्टोन) से क्रिया करके नाइट्रेट बनता है और भूमि में स्थिर हो जाता है।
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2. जीवाणुओं द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण – लेग्यूमिनस पौधों (जैसे-मटर, सेम, चना और दलहनी पौधे) की जड़ों की गाँठों में राइजोबियम जीवाणुओं (Rhizobium bacteria) का वास होता है जो नाइट्रोजन को उसके यौगिकों में परिवर्तित करके पौधों के लिए उपयोगी बना देते हैं। कुछ अदलहनी पौधे जैसे गिन्कगो (Ginkgo) और एल्नस (Alnus) भी नाइट्रोजन स्थिरीकरण करते हैं।

3. नीली-हरी शैवाल द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण – नीली-हरी शैवाल धान के खेतों में पायी जाती है। ये शैवाल नाइट्रोजन को उसके उपयोगी यौगिकों में परिवर्तित कर देती है।

4. नाइट्रोजन का औद्योगिक स्थिरीकरण – औद्योगिक क्षेत्र में नाइट्रोजन स्थिरीकरण को कृत्रिम स्थिरीकरण कहते हैं। कारखानों में वायुमण्डलीय N2 व H2 गैसें अमोनिया (NH3) बनाती हैं, NH3 ऑक्सीकृत होकर नाइट्रेट का निर्माण करती है। यह अम्लों से क्रिया करके अमोनिया लवण का निर्माण करता है। ये कृत्रिम उर्वरक (Fertilizers) के रूप में उपयुक्त होते हैं। इस विधि को हैबर की विधि (Haber’s Process) कहते हैं, जैसे- अमोनियम सल्फेट [(NH4)2SO4], अमोनियम फॉस्फेट [(NH4)3PO4], अमोनियम नाइट्रेट NH4NO3 आदि।
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उपर्युक्त विधियों से वायुमण्डलीय नाइट्रोजन मृदा में नाइट्रेटों के रूप में पहुँच जाती है। पौधे अपनी जड़ों के द्वारा अवशोषित करके इन्हें ऐमीनो अम्लों में परिवर्तित करते हैं। तथा ऐमीनो अम्ल बहुलीकरण (Polymerisation) की क्रिया से प्रोटीनों में परिवर्तित हो जाते हैं। इस प्रकार नाइट्रोजन
आहार श्रृंखला में प्रवेश करती है तथा शाकाहारी उपभोक्ताओं एवं अन्ततः मांसाहारी उपभोक्ताओं में पहुँचती है।

नाइट्रोजन का वायुमण्डल में पुनः प्रवेश – इन उपभोक्ताओं (पौधों एवं जन्तुओं) से नाइट्रोजन पुनः वायुमण्डल में निम्नलिखित चरणों में लौटा दी जाती है

  • शाकाहारी जन्तुओं में उत्सर्जी पदार्थों (मल-मूत्र आदि) के साथ नाइट्रोजन पुनः मृदा में पहुँच जाती है।
  • पौधों तथा जन्तुओं के मृत शरीरों का विघटन जीवाणुओं तथा कवकों द्वारा होता है, जिससे नाइट्रोजन मृदा में पहुँचती है।
  • मृदा में उपस्थित प्यूट्रिफाइंग बैक्टीरिया (Putrifying bacteria) उत्सर्जी पदार्थों एवं प्रोटीनों का विघटन करके उन्हें अमोनिया यौगिकों में बदल देते है। इस क्रिया को अमोनीकरण (Ammonification) कहते हैं।
  • मृदा में उपस्थित नाइट्रीकारी जीवाणु (Nitrifying bacteria) अमोनया को दो चरणों में नाइट्रेट में बदल देते हैं।
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  • विनाइट्रीफाइंग बैक्टीरिया, जैसे-स्यूडोमोनास, मृदा में उपस्थित नाइट्रेटों को नाइट्रोजन गैस में परिवर्तित कर देते हैं जो पुन: वायुमण्डल में मुक्त हो जाती है।

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प्रश्न 3.
कार्बन चक्र का वर्णन कीजिए।
अथवा
कार्बन-चक्र का रेखाचित्र बनाइए। इसमें असन्तुलन का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर-
कार्बन चक्र (Carbon Cycle) – जीवधारियों में पाये जाने वाले सभी कार्बनिक यौगिकों में कार्बन उपस्थित होता है। कार्बन के प्रमुख स्रोत हैं-वायुमण्डल, समुद्र तथा कार्बोनेट चट्टानें (जैसे चूना-पत्थर), कोयला और पेट्रोलियम्। कार्बन वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में लगभग 0.03% से 0.04% (2.3 x 1012 टन) होती है। समुद्र में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लगभग 1.3 x 1013 टन है। इन दोनों स्थानों में पायी जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड एक-दूसरे से सन्तुलन बनाये रखती है। वायुमण्डल तथा समुद्र में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड, जीवनमण्डल और स्थलमण्डल की कार्बन डाइऑक्साइड के साथ निरन्तर आदान-प्रदान करती रहती है।
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जीवमण्डल के उत्पादक (क्लोरोफिलयुक्त पौधे) प्रकाश-संश्लेषण के लिए वायुमण्डल से कार्बन डाइ-ऑक्साइड लेते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड की अत्यन्त सूक्ष्म मात्रा का उपयोग रसायन संश्लेषी जीव भी करते हैं। इसके अतिरिक्त समुद्र में पाये जाने वाले पौधे भी कार्बन डाइऑक्साइड की कुछ मात्रा का सीधा उपयोग करते हैं।
कार्बन डाइऑक्साइड के जीवमण्डल में पहुँचने के बाद कार्बन आहार श्रृंखला द्वारा उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक और इन दोनों से अपघटकों (UPBoardSolutions.com) तक पहुँचता है।
जीवमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड की लगभग समान मात्रा निम्नलिखित दो प्रक्रियाओं द्वारा प्रतिवर्ष वायुमण्डल में वापस लौटती है|
1. उत्पादक, उपभोक्ता और अपघटकों के श्वसन द्वारा, और
2. ईंधन (लकड़ी, कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि) को जलाने पर।
इन स्रोतों के अतिरिक्त समुद्र में स्थित कैल्शियम कार्बोनेट की चट्टानें (चूना-पत्थर), चट्टानों का अपक्षय (weathering), गरम झरने, ज्वालामुखी, इत्यादि भी वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड विमोचित करते है।

वायुमण्डल में CO2 की अधिकता जीवाश्मीय ईंधन का अधिक उपयोग करने से तथा वनों के विनष्टीकरण के फलस्वरूप होती है। वायुमण्डल में CO2 की अधिकता के फलस्वरूप एक आवरण-सा बन जाता है जो सौर विकिरण के लिए पारदर्शी होता है। यह दृश्य प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने देता है किन्तु पुनः विकिरण के रूप में लौटी ऊष्मीय तरंगों को रोक लेता है। ऊष्मा वापस पृथ्वी पर लौटा दी जाती है, इसके फलस्वरूप ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न होता है। सामान्य स्थिति में इसके फलस्वरूप पौधों के उत्पादन में वृद्धि होती है, लेकिन वायुमण्डलीय ताप बढ़ जाने का दुष्प्रभाव जीवधारियों को परोक्ष रूप से प्रभावित करता है।

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प्रश्न 4.
ऑक्सीजन-चक्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
ऑक्सीजन-चक्र (Oxygen Cycle) – वायुमण्डल में लगभग 21% ऑक्सीजन स्वतन्त्र रूप में है। स्वच्छ एवं समुद्री जल में भी जल तथा कार्बन-डाई-ऑक्साइड के रूप में ऑक्सीजन होती है। मृदा में कार्बोनेट्स ([latex]{ CO }_{ 3 }^{ – }[/latex]) नाइट्रेट्स ([latex]{ NO }_{ 3 }^{ – }[/latex]) सल्फेट्स ([latex]{ SO }_{ 4 }^{ – }[/latex]) तथा फॉस्फेट्स ([latex]{ PO }_{ 4 }^{ — }[/latex]) आदि के रूप में ऑक्सीजन होती है।

ऑक्सीजन-चक्र के चरण निम्नवत हैं-

  • श्वसन क्रिया में सभी जीव (जन्तु तथा पौधे) वायु से ऑक्सीजन लेते हैं। जलीय जीव जल में घुली हुई ऑक्सीजन का श्वसन हेतु उपयोग करते हैं।
  • श्वसन क्रिया से कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल बनता है जो वायुमण्डल में अथवा जलमण्डल में छोड़ दिया जाता है।
  • मानव के क्रिया-कलापों में ईंधनों के दहन में भी वायुमण्डल की ऑक्सीजन व्यय होती है तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड बनती है।
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    प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा पौधे वायुमण्डल में छोड़ी गयी कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल का उपयोग करके जटिल कार्बनिक पदार्थ (ग्लूकोज, C6H12O6) बनाते हैं तथा वायुमण्डल में ऑक्सीजन को मुक्त करते हैं।

इस प्रकार जन्तुओं के श्वसन, ईंधनों के दहन तथा पौधों के प्रकाश-संश्लेषण की अभिक्रियाओं के द्वारा प्रकृति में ऑक्सीजन का चक्रण होता है।

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प्रश्न 5.
जल प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? जले किस प्रकार प्रदूषित होता है। इसे कैसे नियंत्रित किया जाता है?
उत्तर-
जल प्रदूषण (Water Pollution) – स्वच्छ जल में घुलित खनिज तत्त्व तथा लवण आदि संतुलित मात्रा में पाए जाते हैं। जल में विषाक्त पदार्थ जैसे-कारखानों के अपशिष्ट उत्पाद, रासायनिक पदार्थ, वाहित मल, कूड़ा-करकट आदि के मिलने से जल दूषित हो जाता है। इसे जल प्रदूषण कहते हैं। वह जल जो मनुष्य के उपयोग योग्य नहीं होता और जिससे रोग हो सकते हैं, प्रदूषित जल कहलाता है। इसमें हानिकारक कीटाणु, जीवाणु तथा पीड़कनाशक आदि हो सकते हैं। प्रदूषण के कारण जल पीने योग्य नहीं रहता है।

जल प्रदूषण का मुख्य स्रोत कार्बनिक पदार्थ, अपमार्जक आदि हैं। कार्बनिक पदार्थों के सड़ने से पानी में गंध आने लगती है और वह प्रदूषित हो जाता है अर्थात् जल में भौतिक (Physical), रासायनिक (Chemical) व जैविक (Biological) परिवर्तन होने पर वह प्रदूषित हो जाता है।
जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय-

  • वाहित मल, घर से निकले हुए अपमार्जक तथा गंदे जल को शहर के निकट नदियों या तालाबों में न गिराकर नालियों द्वारा बाहर ले जाकर आबादी से दूर गिराना चाहिए।
  • कारखानों से निकलने वाले विषैले अपशिष्ट पदार्थों एवं गर्म जल को जलाशयों, नदियों या समुद्रों में नहीं गिराना चाहिए।
  • कारखानों के अपशिष्ट पदार्थों को उपचारित करके ही नदियों आदि में गिराया जाना चाहिए।
  • कीटनाशकों का प्रयोग करते समय ध्यान रखना चाहिए कि उस खेत का जल पीने वाले जलाशयों में बहकर न जाए।
  • कूड़ा-करकट को जलाशयों में न डालकर शहर से बाहर किसी गड्ढे में डालकर मिट्टी से ढक देना चाहिए।

अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. ऑक्सीजन किन स्रोतों से प्राप्त होती है?
(a) वायुमण्डल से
(b) जलमण्डल से
(c) उपर्युक्त दोनों से
(d) स्थलमण्डल से।

2. सौर-ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन होता है
(a) प्रकाश-संश्लेषण द्वारा
(b) श्वसन द्वारा
(c) उत्सर्जन द्वारा
(d) वाष्पोत्सर्जन द्वारा।

3. वायुमण्डल कहलाता है
(a) पृथ्वी का वह ठोस भाग जिसमें जीव हों
(b) पृथ्वी का जल से आच्छादित भाग
(c) पृथ्वी के ऊपर गैसीय भाग
(d) उपर्युक्त सभी।

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4. भू-मण्डल कहलाता है
(a) पृथ्वी का वह ठोस भाग जिसमें जीव हों
(b) पृथ्वी का जल से आच्छादित भाग
(c) पृथ्वी के ऊपर गैसीय भाग
(d) उपर्युक्त सभी।

5. जल-चक्र का संचालन मुख्य रूप से होता है
(a) प्रकाश-संश्लेषण द्वारा
(b) वाष्पन द्वारा
(c) वर्षा द्वारा
(d) उपर्युक्त सभी से।

6. जैवमण्डल में पोषक तत्वों एवं पदार्थों का प्रवाह है
(a) उत्क्रमणीय
(b) एक ही दिशा में
(c) पहले एक दिशा में व बाद में उत्क्रमणीय
(d) चक्रीय

7. निम्न में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाला जीव है
(a) सूडोमोनाज
(b) नाइट्रोसोमोनाज
(c) राइजोबियम
(d) नाइट्रोबैक्टर।

8. निम्न में विनाइट्रीकरण वाला जीव है
(a) सूडोमोनाज
(b) नाइट्रोसोमोनाज
(c) राइजोबियम
(d) नाइट्रोबैक्टर।

9. अमोनीकरण करने वाला जीव है
(a) सूडोमोनाज
(b) नाइट्रोसोमोनाज
(c) राइजोबियम
(d) नाइट्रोबैक्टर।

10. नाइट्राइट को नाइट्रेट में बदलने की प्रक्रिया कहलाती है-
(a) नाइट्रोजन स्थिरीकरण
(b) नाइट्रीकरण
(c) अमोनीकरण
(d) विनाइट्रीकरण

11. कारक जो मृदा के निर्माण में सहायक है-
(a) सूर्य
(b) जल
(c) वायु
(d) उपर्युक्त सभी।

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12. हानिकारक पराबैंगनी विकिरण रोक लिया जाता है-
(a) ऑक्सीजन परत द्वारा
(b) ओजोन परत द्वारा
(c) नाइट्रोजन परत द्वारा
(d) उपर्युक्त सभी से।

13. वातावरण में CO2 की कमी होती है-
(a) ईंधनों के दहन से
(b) प्रकाश संश्लेषण से
(c) श्वसन से
(d) दहन व श्वसन दोनों से।

14. पर्यावरण को स्वच्छ एवं स्वास्थ्यवर्द्धक रखने के लिए-
(a) प्राकृतिक सम्पदा का बिल्कुल उपयोग न करें।
(b) प्राकृतिक सम्पदा का अति उपयोग करें
(c) प्राकृतिक सम्पदा का समुचित व आनुपातिक उपयोग करें।
(d) प्राकृतिक सम्पदा व पर्यावरण का कोई सम्बन्ध नहीं है।

15. सामान्य मनुष्य को चाहिए प्रतिदिन
(a) 100 – 110 किग्रा वायु
(b) 200 – 210 किग्रा वायु
(c) 250 – 265 किग्रा वायु
(d) 350 – 365 किग्रा वायु

16. मृदा एक प्राकृतिक संसाधन है जो
(a) जीवित रहने के विकास के लिए आवश्यक है।
(b) खाद्य-पदार्थ, कपड़े व आश्रय प्रदान करता है।
(c) पौधों को आवश्यक पोषक तत्त्व प्रदान करता है।
(d) उपर्युक्त सभी।

उत्तरमाला

  1. (c)
  2. (a)
  3. (c)
  4. (a)
  5. (b)
  6. (d)
  7. (c)
  8. (a)
  9. (b)
  10. (b)
  11. (d)
  12. (b)
  13. (b)
  14. (c)
  15. (c)
  16. (d)

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UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 11 Work, Power and Energy

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 11 Work, Power and Energy (कार्य, शक्ति और ऊर्जा)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 11 Work, Power and Energy (कार्य, शक्ति और ऊर्जा).

पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 164)

प्रश्न 1.
किसी वस्तु पर 7 N को बल लगता है। मान लीजिए बल की दिशा में विस्थापन 8 m है। (चित्र)। मान लीजिए वस्तु के विस्थापन के समय लगातार वस्तु पर बल लगता रहता है। इस स्थिति में किया गया कार्य कितना होगा?
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हल-
बल = 7N, विस्थापन = 8 m
किया गया गया = बल x विस्थापन = 7N x 8m = 56 Nm or J

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 165)

प्रश्न 1.
हम कब कहते हैं कि कार्य किया गया है?
उत्तर-
जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है और वस्तु विस्थापित हो जाती है तो कहा जाता है कि कार्य किया गया है।

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प्रश्न 2.
जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल इसके विस्थापन की दिशा में हो तो किए गए कार्य को व्यंजक लिखिए।
उत्तर-
जब बल विस्थापन की दिशा में ही लगता है तो
कार्य = बल x विस्थापन

प्रश्न 3.
1J कार्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
जब किसी वस्तु पर एक न्यूटन का बल लगाने पर वस्तु में बल की दिशा में 1 मीटर का विस्थापन हो जाता है तो किया गया कार्य 1 J कहलाता है।
1 J= 1 N x 1 m

प्रश्न 4.
बैलों की एक जोड़ी खेत जोतते समय किसी हल पर 140 N बल लगाती है। जोता गया खेत 15 m लंबा है। खेत की लंबाई को जोतने में कितना कार्य किया गया?
उत्तर-
बैलों द्वारा लगाया गया बल = 140N
जोता गया खेत = 15 m किया गया कार्य = बल x विस्थापन
= 140 N x 15 m = 2100 Nm या 2100 जूल

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 169)

प्रश्न 1.
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर-
गतिज ऊर्जा – किसी वस्तु में उसकी गति के कारण संचित ऊर्जा उसकी गतिज ऊर्जा कहलाती है। गतिज ऊर्जा उस वस्तु की चाल बढ़ने पर बढ़ती है।
अथवा
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा उस कार्य के बराबर होती है जो उस वस्तु का वेग प्राप्त करने के लिए वस्तु पर किया जाता है।
उदाहरण- चलती हुई कार, दौड़ते हुए खिलाड़ी, (UPBoardSolutions.com) बहते हुए जल, गति करते हुए अणु इन सभी में गतिज ऊर्जा होती है।

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प्रश्न 2.
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर-
वस्तु की गतिज ऊर्जा = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv²
जहाँ, m = वस्तु का द्रव्यमान, v = वस्तु की चाल

प्रश्न 3.
5 ms-1 के वेग से गतिशील किसी m द्रव्यमान की वस्तु की गतिज ऊर्जा 25 J है। यदि इसके वेग को दोगुना कर दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जायेगी? यदि इसके वेग को तीन गुना कर दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जायेगी?
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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 174)

प्रश्न 1.
शक्ति क्या है?
उत्तर-
शक्ति, प्रति इकाई समय में किया गया कार्य है।

प्रश्न 2.
एक वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
यदि किसी स्रोत द्वारा एक सेकण्ड में एक जूल ऊर्जा की आपूर्ति की जाए तो उस स्रोत की शक्ति एक वाट होगी।

प्रश्न 3.
एक लैम्प 1000 J विद्युत ऊर्जा 10 सेकण्ड में व्यय करता है। इसकी शक्ति कितनी है?
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प्रश्न 4.
औसत शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
ऊर्जा आपूर्ति को कुल लिए गए समय से विभाजित करने पर औसत ऊर्जा प्राप्त होती है। यदि कोई एजेन्ट t समय में ‘W’ यूनिट कार्य करता है, तब औसत शक्ति ‘P’
P = [latex]\frac { W }{ t }[/latex]

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 176-178)

प्रश्न 1.
निम्न सूचीबद्ध क्रिया-कलापों को ध्यान से देखिए। अपनी कार्य शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।

  1. सूमा एक तालाब में तैर रही है।
  2. एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझ को उठा रखा है।
  3. एक पवन-चक्की (पिण्ड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
  4. एक हरे पौधे में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया हो रही है।
  5. एक इंजन रेल को खींच रहा है।
  6. अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
  7. एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।

उत्तर-

  1. सूमा एक तालाब में तैर रही है-तैरते समय सूमो अपने हाथों से पानी पीछे फेंकती है तथा प्रतिक्रिया के कारण सूमा पर आगे की ओर बल लगता है। जिसके कारण वह पानी पर तैरती हुई ‘आगे बढ़ती है। अतः कार्य हुआ है।
  2. एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझ उठा रखा है- इस स्थिति में कोई कार्य नहीं हुआ क्योंकि गुरुत्व बल नीचे की ओर ऊर्ध्वाधर दिशा में कार्य कर रहा है परन्तु कोई विस्थापन नहीं हो रहा है।
  3. एक पवन चक्की कुएँ से पानी उठा रही है- इस स्थिति में पवन चक्की द्वारा कार्य किया जा रहा है क्योंकि पानी कुएँ से ऊपर की ओर उठाया जा रहा है जिससे बल लगाने पर विस्थापन हुआ है।
  4. एक हरे पौधे में प्रकाश संश्लेषण (UPBoardSolutions.com) की क्रिया हो रही है- यहाँ कोई कार्य नहीं हो रहा है क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से विस्थापन नहीं हो रहा है।
  5. अनाज के दाने सूर्य की गर्मी में सूख रहे हैं- यहाँ भी कोई कार्य नहीं हो रहा है क्योंकि अनाज अपने स्थान पर स्थिर है। उसमें कोई विस्थापन नहीं होता।
  6. एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है- इंजन द्वारा ट्रेन को खींचकर ले जाने में कार्य हो रहा है क्योंकि वस्तु का विस्थापन बल लगाने पर बल की दिशा में हो रहा है।
  7. एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है- यहाँ पवन गतिज ऊर्जा के कारण पाल-नाव पर बल लगाती है जिससे पाल-नाव की स्थिति में विस्थापन होता है। अत: यहाँ कार्य होता है।

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प्रश्न 2.
एक पिण्ड को धरती से किसी कोण पर फेंका गया है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस पृथ्वी पर आ गिरता है। पिण्ड के पथ के प्रारंभिक तथा अन्तिम बिन्दु एक ही क्षैतिज रेखा पर स्थित हैं। पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया?
उत्तर-
गुरुत्व बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य शून्य होगा क्योंकि गुरुत्व बल नीचे की ओर ऊर्ध्वाधर दिशा में कार्य कर रहा है परन्तु वस्तु का विस्थापन क्षैतिज दिशा में है जो कि बल की दिशा के साथ 90° का कोण बनाती है। अतः गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।

प्रश्न 3.
एक बैट्री बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बैट्री में उपयोग किए जाने वाले रासायनिक पदार्थों की रासायनिक ऊर्जा का सबसे पहले विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरण होता है। बल्ब जलने पर विद्युत ऊर्जा का प्रकाश ऊर्जा में रूपान्तरण होता है।

प्रश्न 4.
20 kg द्रव्यमान पर लगने वाला कोई बल इसके वेग को 5 ms-1 से 2 ms-1 में परिवर्तित कर देता है। बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
हल-
बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य = वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन
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ऋणात्मक चिन्ह दर्शाता है कि बल वस्तु की गति के विपरीत दिशा में लग रहा है।

प्रश्न 5.
10 kg द्रव्यमान का एक पिण्ड मेज पर A बिन्दु पर रखा है। इसे B बिन्दु तक लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
वस्तु पर लगा गुरुत्व बल ऊध्र्वाधर नीचे की। ओर कार्य कर रहा है तथा वस्तु का विस्थापन गुरुत्व बल के साथ 90° कोण पर क्षैतिज दिशा में है।अतः गुरुत्व बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य शून्य होगा।

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प्रश्न 6.
मुक्त रूप से गिरते एक पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है? कारण बताइए।
उत्तर-
स्वतंत्र रूप से गिरते एक हुए पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा धीरे-धीरे घटती जाती है। यह ऊर्जा संरक्षण नियम के विरुद्ध नहीं है क्योंकि जब वस्तु स्वतंत्र रूप से नीचे गिरती है तो (UPBoardSolutions.com) उसकी स्थितिज ऊर्जा का रूपान्तरण गतिज ऊर्जा में होता जाता है। किसी भी बिन्दु पर गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग हमेशा समान रहता है। जो कि ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार ही है।

प्रश्न 7.
जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपांतरण होते हैं?
उत्तर-
साइकिल चलाते समय शरीर की पेशीय ऊर्जा साइकिल की गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। साइकिल की गतिज ऊर्जा घर्षण बल के विरुद्ध कार्य करने में व्यय हो जाती है।

प्रश्न 8.
जब आप अपनी सारी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानांतरण होता है? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती है?
उत्तर-
नहीं, जब हम अपनी पूरी शक्ति से विशाल चट्टान को धकेलने पर नहीं खिसका पाते हैं, तो ऊर्जा का हस्तांतरण नहीं होता है। जब हम चट्टान को धकेलते हैं, तो हमारी पेशियाँ तन जाती हैं तथा इन पेशियों की ओर रक्त बहुत तेजी से विस्थापित होता है। इन परिवर्तनों में ऊर्जा खपत होती है तथा हम थका हुआ महसूस करते हैं।

प्रश्न 9.
किसी घर में एक महीने में ऊर्जा की 250 यूनिटें’ व्यय हुईं। यह ऊर्जा जूल में कितनी होगी?
हल-
पूरे महीने के दौरान कुल ऊर्जा खपत = 250 न्यूनिट
1 यूनिट = 1 kWh
250 न्यूनिट = 250 kWh
पुनः 1 kWh = 36,00,000 J
250 kWh = 250 x 36,00,000 J = 90,00,00,000 J = 9 x 108 J

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प्रश्न 10.
40 kg द्रव्यमान का एक पिण्ड धरती से 5 m की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा कितनी है? यदि पिण्ड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाए तो जब पिण्ड ठीक आधे रास्ते पर है उस समय इसकी गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (g = 10 ms-2)
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प्रश्न 11.
पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए एक उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर-
पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगा रहे उपग्रह द्वारा गुरुत्व बल के कारण किया गया कार्य शून्य होगा क्योंकि गुरुत्व बल की क्रिया-रेखा की दिशा उपग्रह की गति की दिशा के लम्बवत् है
अतः किया गया कार्य = F x Cosθ = F x Cos 0 = F x 0 = 0.

प्रश्न 12.
क्या किसी पिण्ड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में, इसका विस्थापन हो सकता है? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर-
हाँ, बल की अनुपस्थिति में वस्तु में विस्थापन हो सकता है। यदि वस्तु एकसमान गति से चल रही है। तो उस वस्तु पर कोई बाह्य बल कार्य नहीं करता परन्तु वस्तु में विस्थापन होता है। जब वस्तु को किसी आनत-तल से मुक्त अवस्था में छोड़ा जाता है तो वह गुरुत्व बल के कारण नीचे आती है (UPBoardSolutions.com) परन्तु पृथ्वी तल पर पहुँचने पर क्षैतिज दिशा में उस पर कोई बल कार्य नहीं करता परन्तु वह वस्तु’ क्षैतिज दिशा में एकसमान गति से चलती है तथा उसमें विस्थापन होता रहता है।

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प्रश्न 13.
कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कोई कार्य किया या नहीं? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर-
भूसे के गट्ठे पर व्यक्ति द्वारा कोई कार्य नहीं किया गया क्योंकि गट्ठे की स्थिति में कोई विस्थापन नहीं हुआ।

प्रश्न 14.
एक विद्युत हीटर (ऊष्मक) की घोषित शक्ति 1500 w है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा?
हल-
विद्युत हीटर की शक्ति (P) = 1500 w
लिया गया समय है = 10 घंटे = 10 x 3600 सेकण्ड
हीटर द्वारा खर्च की गई ऊर्जा = P x t = 1500 x 36000 = 54000000 J
ऊर्जा (kWh में) = [latex]\frac { 54000000 }{ 3600000 }[/latex] = 1.5 kWh.

प्रश्न 15.
जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम की व्याख्या कीजिए। गोलक कुछ समय पश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है? अंततः इसकी ऊर्जा को क्या होता है? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है ?
उत्तर-
एक सरल लोलक में एक धातु का गोलाकार गोलक किसी धागे द्वारा किसी दृढ़ आधार से लटकाया जाता है। जब किसी लोलक के गोले को एक ओर विस्थापित किया जाता है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा में कुछ वृद्धि हो जाती है। जब इस लोलक को विराम अवस्था से छोड़ा जाता है तो उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ती है तथा स्थितिज ऊर्जा घटती जाती है। मध्य स्थिति में पहुँचने तक गतिज ऊर्जा अधिकतम हो जाती है जैसा चित्रे (b) में दिखाया गया है। जब गोलक मध्य स्थिति से दूसरी ओर गति करता है तो उसकी गतिज ऊर्जा कम होती जाती है (UPBoardSolutions.com) तथा स्थितिज ऊर्जा बढ़ती जाती है। कुल ऊर्जा, गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग होती है। यह कुल ऊर्जा गोलक की चरम सीमा पर स्थितिज ऊर्जा अथवा गोलक की मध्य अवस्था में गतिज ऊर्जा के बराबर होती है। इस प्रकार किसी भी स्थिति में कुल ऊर्जा हमेशा बराबर रहती है अर्थात् ऊर्जा संरक्षित रहती है। अतः हम कह सकते हैं कि जब लोलक दोलन करता है तो किसी भी स्थिति में उसकी ऊर्जा हमेशा संरक्षित रहती है।
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गोलक धीरे-धीरे विराम अवस्था में आ जाता है इसका कारण यह है कि लोलक के आधार बिन्दु पर घर्षण तथा वायु के प्रतिरोध के कारण ऊर्जा का क्षय होता रहता है। इस प्रकार गतिशील लोलक की आरंभिक यांत्रिक ऊर्जा का घर्षण के कारण ऊष्मा में क्षय होता रहता है अंततः लोलक विराम अवस्था में आ जाता है।

प्रश्न 16.
m द्रव्यमान का एक पिण्ड एक नियत वेग v से गतिशील है। पिण्ड पर कितना कार्य करना चाहिए कि यह विराम अवस्था में आ जाये?
हल-
वस्तु का द्रव्यमान = m
वस्तु का प्रारंभिक वेग = v,
वस्तु का अन्तिम वेग = 0
वस्तु पर किया गया कार्य = वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन = अन्तिम गतिज ऊर्जा – प्रारंभिक गतिज ऊर्जा
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] m x (0)² – [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv²
= 0 – [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv² = [latex]\frac { -1 }{ 2 }[/latex] mv²
ऋणात्मक चिन्ह यह प्रदर्शित करता है कि किया गया कार्य वस्तु की गति की दिशा के विपरीत है।

प्रश्न 17.
1500 kg द्रव्यमान की कार को जो 60 km/h के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
हल-
द्रव्यमान m = 1500 kg
वेग v = 60 km/h = [latex]\frac { 60 x 1000 m }{ 3600 s }[/latex] = 16.67 m/s
गतिज ऊर्जा = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv²
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x 1500 kg x (16.67 m/s)² = 208416.67 J

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प्रश्न 18.
निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिण्ड पर एक बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लंबे तीर से प्रदर्शित की गई है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है। या शून्य है।
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उत्तर-
चित्र के (a) स्थिति में किए गए कार्य की मात्रा शून्य है, क्योंकि बल विस्थापन के लंबवत् कार्य करता है।
θ कोण पर किया गया कार्य = F x s x cos θ
W = F x s x cos 90°
W = F x s x 0 = 0 J
चित्र के (b) स्थिति में किया गया कार्य धनात्मक है, क्योंकि वस्तु का विस्थापन आरोपित बल की दिशा में होता है।
चित्र के (c) स्थिति में किया गया कार्य ऋणात्मक है, क्योंकि आरोपित बल की विपरीत दिशा में वस्तु का विस्थापन होता है।

प्रश्न 19.
सोनी कहती है कि किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है, चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप सहमत हैं? बताइए क्यों?
उत्तर-
हाँ, हम उससे सहमत हैं। चाहे वस्तु पर कई बल लगे रहें, परंतु यदि वे बल परस्पर संतुलित हैं तो वस्तु पर परिणामी बल शून्य होगा।
तब समीकरण F = ma के अनुसार वस्तु का त्वरण = [latex]\frac { F }{ m }[/latex] (चूँकि F = 0) भी शून्य होगा।)

प्रश्न 20.
चार युक्तियाँ जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500 w है 10 घंटे तक उपयोग में लाई जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा kWh में परिकलित कीजिए।
हल-
प्रत्येक युक्ति की शक्ति P = 500 वाट = [latex]\frac { 500 }{ 1000 }[/latex] किलोवाट = 0.5 किलोवाट,
t = 10 घंटे
P = [latex]\frac { W }{ t }[/latex]
प्रत्येक युक्ति द्वारा व्यय ऊर्जा
(W) = P x t = 0.5 किलोवाट घंटे x 10 घंटे = 0.5 x 10 किलोवाट-घंटे
चार युक्तियों द्वारा उपयोग की गई कुल ऊर्जा = 4 x 5 = 20 किलोवाट-घंटा।

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प्रश्न 21.
मुक्त रूप से गिरता एक पिण्ड अंततः धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है?
उत्तर-
जब कोई वस्तु स्वतंत्र रूप से नीचे गिरती है। तो उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदलती जाती है। जब वह भूतल से टकराती है तो संचित गतिज ऊर्जा का रूपातंरण, ऊष्मा, ध्वनि या अन्य रूप में हो जाता है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
(क) किसी पिण्ड पर F बल लगाकर उसे बल की दिशा से 8 कोण बनाते हुए d दूरी तक विस्थापित किया गया है। बल द्वारा किये गये कार्य का व्यंजक लिखिए।
(ख) यदि विस्थापन की दिशा बल के लम्बवत् हो तो कार्य कितना होगा?
उत्तर-
(क) कार्य w = F.d. cos θ
(ख) कार्य (W) = F.d.cos 90° = 0 (cos 90° = 0)

प्रश्न 2.
S.I. पद्धति में सामर्थ्य तथा स्थितिज ऊर्जा। के मात्रक लिखिए।
उत्तर-
सामर्थ्य का मात्रक-वाट (watt); स्थितिज ऊर्जा का मात्रक-जूल (Joule)।

प्रश्न 3.
अश्व शक्ति (H.P.) किस राशि का मात्रक है? एक अश्व शक्ति में कितने वाट होते हैं?
उत्तर-
अश्व शक्ति मशीन की सामर्थ्य का मात्रक है।
1 अश्व-शक्ति (Horse-Power) = 746 वाट।

प्रश्न 4.
50 किलोग्राम भार के पिण्ड को उठाये एक व्यक्ति पृथ्वी पर क्षैतिज दिशा में चल रहा है। एक किलोमीटर तक जाने में उसके द्वारा पिण्ड पर किये गये। कार्य की गणना कीजिए।
उत्तर-
शून्य (मजदूर का विस्थापन गुरुत्व बल के लंबवत् है।)

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प्रश्न 5.
घड़ी में चाबी भरने पर स्प्रिंग में ऊर्जा किस रूप में एकत्रित हो जाती है?
उत्तर-
स्प्रिंग की प्रत्यास्थ-स्थितिज ऊर्जा

प्रश्न 6.
अधिकतम तथा न्यूनतम कार्य के लिए बल तथा विस्थापन की दिशाओं के बीच कितना कोण होना चाहिए?
उत्तर-
W = Fd cos θ (जहाँ θ बल एवं विस्थापन के बीच कोण है।)
W (अधिकतम) = F.d cos 0° = F.d (cos 0° = 1)
W (न्यूनतम) = F.d. cos 90° = 0 (cos 90° = 0)
अतः अधिकतम कार्य के लिए बल एवं विस्थापन के बीच कोण शून्य एवं न्यूनतम विस्थापन के लिए कोण 90° होना चाहिए।

प्रश्न 7.
यदि पिण्ड का वेग तीन गुना कर दिया जाय, तो पिण्ड की गतिज ऊर्जा कितनी गुनी हो जायगी?
हल-
K = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv² यदि v = 3v
K = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] m (3v)² = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] m 9v² = 9.K
अर्थात् गतिज ऊर्जा 9 गुनी हो जायेगी।

प्रश्न 8.
यान्त्रिक कार्य अथवा कार्य से आप क्या समझते हो? इसका मात्रक लिखिए।
अथवा
कार्य को परिभाषित कीजिए। इसको मात्रक भी लिखिए।
उत्तर-
यान्त्रिक कार्य अथवा कार्य (Mechanical work) – किसी पिण्छ पर लगे बल एवं बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल को यान्त्रिक कार्य या कार्य कहते है।
अर्थात् यान्त्रिक कार्य = बल x बल की दिशा में विस्थापन
कार्य का मात्रक – इसका मात्रक न्यूटन-मीटर अथवा जूल है।

प्रश्न 9.
यदि बल (F) एवं विस्थापन (S) के बीच कोण (θ) हो तो कार्य (W) के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर-
कार्य (W) = बल (F) x विस्थापन (S) cosθ

प्रश्न 10.
एक जूल कार्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
एक जूल कार्य-किसी वस्तु पर एक न्यूटन का बल लगाकर, उसे बल की दिशा में एक मीटर विस्थापित करने में किया गया कार्य एक जूल कार्य कहलाता है।

प्रश्न 11.
कार्य अदिश राशि है या सदिश?
उत्तर-
कार्य एक अदिश राशि है।

प्रश्न 12.
किसी वस्तु पर बल लगाने से बल की दिशा में वस्तु दूरी तय करती है तब बल और दूरी के गुणनफल को किस नाम से पुकारते हैं?
उत्तर-
अभीष्ट गुणनफल को यान्त्रिक कार्य या कार्य के नाम से पुकारते हैं।

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प्रश्न 13.
ऊर्जा क्या है? ऊर्जा का मात्रक लिखिए।
अथवा
ऊर्जा से क्या समझते हो ? ऊर्जा का मात्रक लिखिए।
उत्तर-
ऊर्जा (Energy) – किसी वस्तु द्वारा कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।
ऊर्जा का मात्रक – इसका मात्रक जूल’ या न्यूटन-मीटर’ है।

प्रश्न 14.
एक जूल ऊर्जा से क्या समझते हो?
अथवा
एक जूल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
एक जूल (Joule) – किसी वस्तु पर एक न्यूटन का बल लगाकर उसे बल की दिशा में एक मीटर विस्थापित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा एक जूल। कहलाती है।

प्रश्न 15.
यान्त्रिक ऊर्जा से क्या समझते हो?
अथवा
यान्त्रिक ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर-
यान्त्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy) – किसी निकाय की सम्पूर्ण ऊर्जाओं के योग को उस निकाय की यान्त्रिक ऊर्जा कहते हैं।

The kinetic energy (KE) of an object is the energy that it possesses due to its motion. Use our online kinetic energy calculator to calculate KE in Joules.

प्रश्न 16.
यान्त्रिक ऊर्जा कितने प्रकार की होती है? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
यान्त्रिक ऊर्जा के प्रकार-यान्त्रिक ऊर्जा निम्नलिखित दो प्रकार की होती है

  1. गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)
  2. स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)

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प्रश्न 17.
किलोवाट घण्टा और जूल में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर-
1 किलोवाट घण्टा = 3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 18.
ऊर्जा अदिश राशि है या सदिश?
उत्तर-
ऊर्जा एक अदिश राशि है।

प्रश्न 19.
स्थितिज ऊर्जा को परिभाषित कीजिए।
अथवा
वस्तु की स्थितिज ऊर्जा से क्या तात्पर्य है?
अथवा
स्थितिज ऊर्जा से क्या समझते हो? इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर-
स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy) – किसी वस्तु में उसकी विशेष स्थिति अथवा आकार के कारण जो कार्य करने की क्षमता होती है, उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
स्थितिज ऊर्जा का मात्रक – इसका मात्रक जूल’ है।

प्रश्न 20.
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के लिए सूत्र (व्यंजक) लिखिए।
अथवा
h ऊँचाई पर स्थित m द्रव्यमान की वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कितनी होगी?
उत्तर-
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा = mgh.

प्रश्न 21.
गतिज ऊर्जा को परिभाषित कीजिए।
अथवा
वस्तु की गतिज ऊर्जा से क्या तात्पर्य है?
अथवा
गतिज ऊर्जा से क्या समझते हो? इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर-
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)- किसी वस्तु में उसकी गति के कारण कार्य करने की क्षमता को गतिज ऊर्जा कहते हैं।
गतिज ऊर्जा का मात्रक – इसका मात्रक जूल’ या न्यूटन-मीटर है।

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प्रश्न 22.
गतिज ऊर्जा के लिए सूत्र (व्यंजक) लिखिए।
अथवा
v वेग से गतिमान m द्रव्यमान की वस्तु में कितनी गतिज ऊर्जा होगी?
उत्तर-
गतिज ऊर्जा = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv².

प्रश्न 23.
किसी वस्तु की संहति दोगुनी करने पर या उसका वेग दोगुना करने पर उसकी गतिज ऊर्जा किस स्थिति में अधिक प्रभावित होगी और क्यों?
उत्तर-
उसका वेग दोगुना करने पर। संहति दोगुनी करने पर गतिज ऊर्जा दोगुनी होगी जबकि वेग दोगुना करने पर गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जायेगी।

प्रश्न 24.
यदि किसी पिण्ड का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाये तो उसकी गतिज ऊर्जा किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर-
यदि किसी पिण्ड का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाये तो उसकी गतिज ऊर्जा पहले की दोगुनी हो जायेगी, क्योंकि गतिज ऊर्जा द्रव्यमान के समानुपाती होती है।

प्रश्न 25.
यदि किसी पिण्ड का वेग आधा कर दिया जाये तो उसकी गतिज ऊर्जा किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर-
यदि किसी पिण्ड का वेग आधा कर दिया जाये तो उसकी गतिज ऊर्जा पहले की [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] (चौथाई) रह जायेगी, क्योंकि गतिज ऊर्जा वेग के वर्ग के समानुपाती होती है।

प्रश्न 26.
ऊर्जा संरक्षण का नियम लिखिए।
उत्तर-
ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Energy) – किसी निकाय की ‘ सम्पूर्ण ऊर्जाओं का योग सदैव नियत रहता है।

प्रश्न 27.
समान द्रव्यमान की वस्तुएँ A तथा B पृथ्वी से क्रमशः 5 मीटर तथा 7 मीटर ऊँचाई पर हैं। बताइए किस वस्तु में स्थितिज ऊर्जा का मान अधिक होगा?
उत्तर-
A की अपेक्षा अधिक ऊँचाई पर स्थित होने के कारण B की स्थितिज ऊर्जा अधिक होगी (स्थितिज ऊर्जा = mgh)

प्रश्न 28.
सामर्थ्य का मात्रक क्या होता है? एक सामान्य व्यक्ति की सामर्थ्य कितनी होती है?
उत्तर-
सामर्थ्य को मात्रक – M.K.S. पद्धति में जूल. सेकण्ड या वाट होता है।
अन्य मात्रक हॉर्स पावर (H.P) है।
1 हार्स पॉवर = 746 वाटं
एक सामान्य व्यक्ति की सामर्थ्य 0.05 से 0.10 अश्व सामर्थ्य तक होती है।

प्रश्न 29.
m किग्रा का पिण्ड v मीटर-सेकण्ड 1 की चाल से गतिमान है। पिण्ड की गतिज ऊर्जा क्या होगी?
उत्तर-
गतिज ऊर्जा Ek = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv² जूल।

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प्रश्न 30.
E = mc² में c किस भौतिक राशि का प्रतीक है?
उत्तर-
निर्वात में विद्युत-चुम्बकीय तरंगों (जैसे प्रकाश) की चाल का c = 3 x 108 मी से-1

प्रश्न 31.
यदि 1 जूल कार्य 1 सेकण्ड में किया जाय तो कर्ता की सामर्थ्य क्या होगी?
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प्रश्न 32.
1 वाट की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
यदि कोई वस्तु 1 सेकण्ड में 1 जूल कार्य करती है तो
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प्रश्न 33.
किलोवाट-घंटा’ किस भौतिक राशि का मात्रक है?
उत्तर-
किलोवाट घंटा’ ऊर्जा अथवा कार्य का मात्रक है।

प्रश्न 34.
1 किलोवाट घण्टा का अर्थ समझाइए। 1 किलोवाट घंटा’ का मान जूल में लिखिए।
उत्तर-
1 किलोवाट घंटा = 1000 x 1 वाट x 1 घंटा = 1000 x 1 वाट x 3600 सेकण्ड = 3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 35.
निम्नलिखित में से अदिश तथा सदिश राशियाँ चुनिए-
कार्य, संवेग, गतिज ऊर्जा, सामर्थ्य, बल
उत्तर-
अदिश- कार्य, सामर्थ्य, गतिज ऊर्जा
सदिश- संवेग, बल।

प्रश्न 36.
निम्नलिखित में किस प्रकार का ऊर्जा रूपान्तरण होता है
(i) विद्युत बल्ब,
(ii) मोमबत्ती,
(iii) पेट्रोल इंजन,
(iv) टार्च में प्रयुक्त सेल।
उत्तर-
(i) विद्युत बल्ब – विद्युत ऊर्जा → प्रकाश, ऊष्मीय ऊर्जा।
(ii) मोमबत्ती – रासायनिक ऊर्जा → प्रकाश, ऊष्मीय ऊर्जा।
(iii) पेट्रोल इंजन – पेट्रोल की रासायनिक ऊर्जा → ऊष्मा → यांत्रिक ऊर्जा।
(iv) टार्च में प्रयुक्त सेल – रासायनिक ऊर्जा → विद्युत ऊर्जा → प्रकाश, ऊष्मा।

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प्रश्न 37.
जैव पदार्थ से ऊर्जा प्राप्त करने का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
गोबर → गोबर गैस की रासायनिक ऊर्जा (मेथेन) → ऊष्मा, प्रकाश।

प्रश्न 38.
एक टुक तथा एक कार दोनों 50 किमी-घण्टा की समान चाल से गतिशील हैं। किसकी गतिज ऊर्जा अधिक होगी?
उत्तर-
ट्रक की गतिज ऊर्जा अधिक होगी।

प्रश्न 39.
यांत्रिक ऊर्जा के दो स्वरूप लिखिए तथा यांत्रिक संरक्षण के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
यांत्रिक ऊर्जा के स्वरूप-
(i) स्थितिज ऊर्जा,
(ii) गतिज ऊर्जा।
उदाहरण-
(i) सरल लोलक द्वारा आवर्त गति करना।
(ii) किसी ऊँचाई से गिरती हुई वस्तु में स्थितिज ऊर्जा

प्रश्न 40.
1 जूल कार्य से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
जब 1 न्यूटन का बल लगाकर वस्तु को बल की दिशा में 1 मीटर विस्थापित किया जाय तो किया गया कार्य 1 जूल होगा।

प्रश्न 41.
जब माइक्रोफोन के सामने बोला जाता है तो कौन-सी ऊर्जा किस रूप में परिवर्तित होती है?
उत्तर-
ध्वनि ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा।

प्रश्न 42.
वृत्ताकार मार्ग पर घूमता पिण्ड एक चक्कर पूरा करने में कितना कार्य करेगा?
उत्तर-
वृत्ताकार मार्ग पर एक चक्कर पूरा करने में विस्थापन शून्य होगा। अत: किया गया कार्य भी शून्य होगा।

प्रश्न 43.
यदि किसी वस्तु का विस्थापन उस पर लगे बल से 90° का कोण बनाता है तो बल द्वारा कितना कार्य किया गया?
उत्तर-
शून्य।

प्रश्न 44.
कार्य की परिभाषा एवं मात्रक लिखिए।
उत्तर-
बल लगाकर किसी वस्तु को बल की दिशा में विस्थापित करने की क्रिया को कार्य कहते हैं। कार्य का मात्रक न्यूटन मीटर या जूल होता है।

प्रश्न 45.
एक अश्व-शक्ति में कितने वाट होते हैं?
उत्तर-
एक अश्व शक्ति = 746 वाट।

प्रश्न 46.
एक कार तथा एक बस दोनों 70 किमी घण्टा-1 की चाल से गतिमान हैं। किसकी गतिज ऊर्जा अधिक होगी?
उत्तर-
बस की गतिज ऊर्जा अधिक होगी।

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प्रश्न 47.
प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
प्रत्यास्थ बलों के कारण वस्तुओं में निहित ऊर्जा को प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्य’ को व्यापक सूत्र लिखिए तथा स्पष्ट कीजिए कि वृत्ताकार पथ पर समान चाल से गतिमान पिण्ड द्वारा किया गया कार्य शून्य क्यों होता है?
उत्तर-
कार्य का व्यापक सूत्र-यदि बल एवं विस्थापन की दिशायें समान न हों अर्थात् बल एवं विस्थापन एक-दूसरे से किसी कोण पर कार्य कर रहे हों, जैसा कि चित्र में प्रदर्शित है, तो कार्य की गणना करने के लिए विस्थापन का वह घटक लेना होगा जो बल की दिशा में हो।
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वस्तु का विस्थापन A से B तक हुआ परन्तु विस्थापन L की दिशा तथा बल F की दिशा एक-दूसरे से θ कोण बनाती हैं, अतः बल (F) की दिशा में L का घटक AC होगा जिसका मान L cos θ है। अतः बल F द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य w = FL cosθ
उपर्युक्त सूत्र के अनुसार यदि बल (F) एवं विस्थापन (L) परस्पर लम्बवत् हों अर्थात् θ = 90° हो तो कार्य W = F.L. cos 90° = F.L. x 0 = 0.
वृत्ताकार मार्ग पर घूमते हुए किसी पिण्ड का विस्थापन तो होता है परन्तु घूमने के लिए लग रहे अभिकेन्द्र बल की दिशा केन्द्र की ओर है, जो विस्थापन के लम्बवत् है।
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अतः वृत्ताकार गति में किया गया कार्य शून्य होता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित राशियों के S.I. मात्रक निगमित कीजिए। इन राशियों में क्या अन्तर है?
(i) कार्य,
(ii) सामर्थ्य।
उत्तर-
(i) कार्य = बल x बल की दिशा में विस्थापन
कार्य का मात्रक = बल का मात्रक x विस्थापन का मात्रक
S.I. पद्धति में कार्य का मात्रक = न्यूटन x मीटर = किग्रा मी/से2 x मी = किग्रा.मी से-2
S.I. पद्धति में कार्य को मात्रक न्यूटन-मीटर, जिसे जूल (Joule) कहते हैं।
यह उस कार्य के बराबर होगा जो 1 न्यूटन बल लगाने पर वस्तु को बल की दिशा में 1 मीटर विस्थापित करता है।
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किसी कर्ता द्वारा किये गये प्रति एकांक समय कार्य को सामर्थ्य कहते हैं। परिभाषा से यह अन्तर स्पष्ट है।

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प्रश्न 3.
सामर्थ्य किसे कहते हैं? कार्य तथा सामर्थ्य में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
सामर्थ्य (Power) – कार्य किये जाने की समय दर को सामर्थ्य अथवा शक्ति कहते हैं।
कार्य तथा सामर्थ्य में सम्बन्ध (Relation between Work and Power) – यदि किसी मशीन द्वारा W कार्य के समय में संपादित किया जाय, तो
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प्रश्न 4.
(a) किसी गतिमान पिण्ड की गतिज ऊर्जा किन कारकों पर किस प्रकार निर्भर करती है? आवश्यक सूत्र देकर बताइए।
उत्तर-
द्रव्यमान m के पिण्ड का वेग यदि v हो, तो पिण्ड की गतिज ऊर्जा Ek = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv² होती है।
अतः पिण्ड की गतिज ऊर्जा
(i) पिण्ड के द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती (Ek ∝ m),
तथा
(ii) पिण्ड के वेग के अनुक्रमानुपाती (Ek ∝ v²) होती है।

प्रश्न 4.
(b) यांत्रिक ऊर्जा से आप क्या समझते हैं? यह कितने प्रकार की होती है?
उत्तर-
यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy)- किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा के योग को उस वस्तु की यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं। यह दो प्रकार की होती है-

  1. गतिज ऊर्जा
  2.  स्थितिज ऊर्जा।

प्रश्न 5.
एक पिण्ड को किसी वेग से ऊपर की ओर फेंकने पर वह कुछ समय बाद वापस पृथ्वी पर लौट आता है। इस पूरी प्रक्रिया में पिण्ड की ऊर्जा में होने वाले रूपान्तरण को स्पष्ट कीजिए। (गणितीय विवेचना आवश्यक नहीं)।
उत्तर-
पृथ्वी तल पर पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा शून्य मान लेने पर पिण्ड को फेंकते समय उसकी गतिज ऊर्जा [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv² तथा स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है। जैसे-जैसे पिण्ड ऊपर उठता है उसका वेग (v) घटता जाता है तथा पृथ्वी तल से ऊँचाई (h) बढ़ती जाती है- अतः पिण्ड की गतिज ऊर्जा ([latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv²) में कमी तथा स्थितिज ऊर्जा (mgh) में वृद्धि होती जाती है अर्थात् गतिज ऊर्जा का रूपांतरण गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा में होता जाता है।

अधिकतम ऊँचाई H पर पिण्ड एक क्षण के लिए रुक जाता है (v = 0), अतः इस स्थिति में पिण्ड की समस्त गतिज ऊर्जा का स्थितिज ऊर्जा में (UPBoardSolutions.com) रूपांतरण हो जाता है।
अब नीचे गिरते समय ऊँचाई (h) के घटने तथा वेग (v) के बढ़ने के कारण स्थितिज ऊर्जा घटती तथा गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है-अर्थात् गुरुत्वीय-स्थितिज ऊर्जा का रूपांतरण गतिज ऊर्जा में होता जाता है।
पृथ्वी पर वापस पहुँचने पर स्थितिज ऊर्जा पुनः शून्य तथा गतिज ऊर्जा है [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv² हो जाती है।
इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में पिण्ड की संपूर्ण यांत्रिक ऊर्जा (गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा) अचर रहती है।

प्रश्न 6.
ऊर्जा-रूपान्तरण से क्या तात्पर्य है? इसके तीन उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
किसी प्रक्रिया में ऊर्जा के एक स्वरूप से दूसरे स्वरूप में परिवर्तन को ऊर्जा-रूपान्तरण कहते हैं। इसके कुछ उदाहरण निम्नवत् हैं-
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प्रश्न 7.
आइन्सटीन का द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण लिखिए तथा इसका अर्थ समझाइए।
उत्तर-
आइन्सटीन के समीकरण के अनुसार, E = mc²
जबकि m किसी कण या पिण्ड का द्रव्यमान तथा E वह ऊर्जा है जो पिण्ड के द्रव्यमान का ऊर्जा में रूपान्तरण होने से प्राप्त होती है।
c = निर्वात में प्रकाश की चाल (3 x 108 मीटर सेकण्ड-1) है।
उदाहरणतः यदि 1 किलोग्राम द्रव्यमान का ऊर्जा में परिवर्तन हो तो उससे प्राप्त ऊर्जा
E = 1 किग्रा. x (3 x 108 मी. से-1)2 = 9 x 1016 जूल होगी।

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प्रश्न 8.
जल-विद्युत उत्पादन गृह में किसी बाँध में एकत्र जल से विद्युत ऊर्जा उत्पादन के विभिन्न चरणों में होने वाले ऊर्जा-रूपान्तरण बताइए।
उत्तर-
(i) बाँध में एकत्र जल नीचे गिरने में गति प्राप्त करता है। इसमें जल में गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का रूपान्तरण जल की गतिज ऊर्जा में होता है।
(ii) गतिमान जल टरबाइन के ब्लेडों से टकराकर उन्हें चलाती है तथा ब्लेड टरबाइन से जुड़े विद्युत-जेनरेटर में लगे आर्मेचर–कुंडली के घूमने से कुंडी को गतिमान करते (घुमाते) हैं। इस चरण में जल की गतिज ऊर्जा, टरबाइन की तथा अन्ततः जेनरेटर के आर्मेचर की (UPBoardSolutions.com) गतिज ऊर्जा में बदलती है।
(iii) आर्मेचर-कुंडली के घूमने से कुंडली के सिरों पर विद्युत-वाहक बल उत्पन्न होता है। इस चरण में आर्मेचर की गतिज ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत-स्थितिज ऊर्जा में होता है।
(iv) जेनरेटर बाह्य परिपथ में धारा प्रवाहित करता है। इस चरण में जेनरेटर की विद्युत-स्थितिज ऊर्जा का रूपान्तरण इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा में होता है-जो विद्युत ऊर्जा का उपयोगी स्वरूप है।

प्रश्न 9.
यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लेख कीजिए। सिद्ध कीजिए कि किसी निश्चित ऊँचाई से गुरुत्व बल के अन्तर्गत गिरते हुए पिण्ड के लिए पथ के प्रत्येक बिन्दु पर गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा का योग नियत रहता है।
अथवा
ऊर्जा संरक्षण का नियम लिखिए तथा व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
यान्त्रिक ऊर्जा संरक्षण नियम (Mechanical Energy Conservation of Law) – यदि किसी वस्तु से ऊष्मा अथवा विकिरणों के रूप में ऊर्जा की हानि न हो, तो वस्तु की यान्त्रिक ऊर्जा (गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा) अचर बनी रहती है।
शेष प्रश्न के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 5 का अवलोकन करें।

प्रश्न 10.
ऊर्जा के मात्रक किलोवाट-घण्टा’ का मान जूल में निगमित कीजिए।
उत्तर-
परिभाषानुसार,
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 11 Work, Power and Energy image -1
अथवा कार्य = सामर्थ्य x समय
यदि सामर्थ्य का मात्रक वाट तथा समय का मात्रक घंटा’ लिया जाय तो
कार्य का मात्रक = 1 वाट x 1 घंटा = 1 वाट-घंटा
अब 1 किलोवाट घंटा = 1 x 108 वाट-घंटा = 1 वाट x 1 घंटा x 103 = 1 वाट x 3600 सेकण्ड x 103 = 3600 x 103 वाट x सेकण्ड
परन्तु 1 वाट x सेकण्ड = 1 जूल
1 किलोवाट घंटा = 3600 x 103 जूल
1 किलोवाट घंटा = 3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 11.
एक कार समतल क्षैतिज सड़क पर एक-समान वेग से गति कर रही है। क्या कार द्वारा कोई कार्य किया जा रहा है? यदि हाँ, तो किन बलों के कारण?
उत्तर-
समान वेग बनाये रखने के लिए कार को घर्षण बल के विरुद्ध, सड़क पर बल लगाना पड़ता है। कार का विस्थापन उस पर लगे क्षैतिज बाह्य-बल (घर्षण) की विपरीत दिशा में होता है। अतः कार द्वारा सड़क पर, कार्य किया जा रहा है।
(कार के कार्य की गणना कार द्वारा सड़क पर लगाये बल के अनुसार होगी, न कि कार पर लगे बलों से)

प्रश्न 12.
एक व्यक्ति 20 किग्रा का बोझ लेकर जीने से चढ़ता हुआ 20 सेकण्ड में छत पर पहुँच जाता है। दूसरा व्यक्ति उतने ही बोझ को लेकर उसी छत पर 30 सेकण्ड में पहुँच पाता है। दोनों व्यक्तियों के अपने भार बराबर हैं। कारण देते हुए बताइए
(i) क्या दोनों व्यक्तियों ने बराबर कार्य किया?
(ii) क्या दोनों की सामर्थ्य बराबर है?
उत्तर-
(i) हाँ, चूँकि व्यक्तियों के बोझ के द्रव्यमान एवं विस्थापन समान हैं। अतः उनके द्वारा सम्पादित कार्य भी समान होंगे।
(ii) पहले व्यक्ति ने कार्य करने में 20 सेकण्ड लिए। परन्तु दूसरे व्यक्ति ने वही कार्य करने में 30 सेकण्ड लिए।
अत: P ∝ [latex]\frac { 1 }{ t }[/latex] से पहले व्यक्ति की सामर्थ्य अधिक है।

प्रश्न 13.
कहा जाता है कि कार्य केवल गतिज ऊर्जा द्वारा किया जाता है, स्थितिज ऊर्जा द्वारा नहीं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कार्य सम्पन्न होने के लिए वस्तु का विस्थापन आवश्यक है तथा विस्थापन तभी होता है जब वस्तु में गति हो। अतः वही वस्तु कार्य कर सकती है जिसमें गतिज ऊर्जा हो। जिस वस्तु में स्थितिज ऊर्जा है, उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तन आवश्यक है।
उदाहरणतः ऊँचाई पर स्थित हथौड़े में गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा है, परन्तु यह किसी वस्तु को तोड़ने का कार्य तभी कर सकता है जब यह गतिमान होकर वस्तु पर गिरे अर्थात् स्थितिज ऊर्जा का परिवर्तन हथौड़े की गतिज ऊर्जा में हो जाय।

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प्रश्न 14.
दो प्रोटॉन एक-दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित हैं। यदि उन्हें परस्पर समीप लाया जाय तो उनकी स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि होगी या कमी, कारण देते हुए बताइए।
उत्तर-
प्रोटॉन धन आवेशित होते हैं। अतः एक-दूसरे के निकट रखे दो प्रोटॉन एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। उन्हें एक-दूसरे के पास लाने में उनका विस्थापन उन पर लगे बलों के विपरीत होता है। अतः इस क्रिया में प्रोटॉनों पर कार्य किया जाता है। यह कार्य प्रोटॉनों में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित होता है। अतः प्रोटॉनों की विद्युत-स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि होती है।
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(टिप्पणी-यदि प्रोटॉन एक-दूसरे से दूर हटें तो बल एवं विस्थापन एक ही दिशा में होने के कारण प्रोटॉन कार्य करेंगे। इसमें उनमें संचित ऊर्जा व्यय होगी तथा स्थितिज ऊर्जा घट जायेगी।)

प्रश्न 15.
यदि किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा 16 गुनी बढ़ा दी जाय तो ज्ञात कीजिए कि उसका संवेग कितने गुना बढ़ेगा या घटेगा?
उत्तर-
यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m तथा वेग v हो तो उसका संवेग p = mv तथा गतिज ऊर्जा
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प्रश्न 16.
यांत्रिक ऊर्जा के संरक्षण के आधार पर सिद्ध कीजिए कि भूमि से ऊँचाई h से स्वतन्त्रतापूर्वक गिरने वाले पिण्ड का भूमि से टकराने का वेगः √2gh होता है।
उत्तर-
माना m द्रव्यमान की वस्तु h मीटर ऊँचाई पर स्थित है और विरामावस्था में है ऐसी दशा में उसकी स्थितिज ऊर्जा U = mgh
तथा गतिज ऊर्जा = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mu² = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] m x 0 चूँकि u = 0
संपूर्ण यांत्रिक ऊर्जा E = K + U = 0 + mgh
यदि वायु के घर्षण द्वारा ऊर्जा का क्षय शून्य हो, तो पृथ्वी पर पहुँचते समय पृथ्वी से ऊँचाई = 0
U = mg x 0 = 0
और वेग यदि v मान लें तो वस्तु की गतिज ऊर्जा
K = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv²
सम्पूर्ण यांत्रिक ऊर्जा, E = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv² + 0
यांत्रिक ऊर्जा के संरक्षण के नियमानुसार, वस्तु की सम्पूर्ण यांत्रिक ऊर्जा प्रारम्भिक अवस्था से गिरते समय = वस्तु की सम्पूर्ण यांत्रिक ऊर्जा पृथ्वी पर पहुँचते समय
mgh = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv²
v² = 2gh
v = √2gh [दोनों पक्षों को वर्गमूल लेने पर]

प्रश्न 17.
दो पिण्डों के द्रव्यमान m1 तथा m2 हैं तथा उनके संवेग समान हैं। यदि उनकी गतिज ऊर्जा क्रमशः E1 एवं E2 हो तो E1 : E2 कितना होगा?
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UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 11 Work, Power and Energy image -3
प्रश्न 18.
एक पिण्ड पर बल लगाकर उसे विस्थापित किया जाता है। समझाइए
(i) पिण्ड पर किस दिशा में बल लगाने पर अधिकतम कार्य होगा?
(ii) पिण्ड पर किस दिशा में बल लगाने पर कार्य शून्ये होगा?
उत्तर-
(i) पिण्ड पर बल विस्थापन की दिशा में लगे तो कार्य अधिकतम होगा।
(ii) पिण्ड पर बल विस्थापन के लम्बवत् लगे तो कार्य शून्य होगा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्य’ से क्या तात्पर्य है? इसे किस प्रकार नापा जाता है? आवश्यक सूत्र का निगमन कीजिए तथा कार्य का S.I. मात्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
कार्य की परिभाषा (Definition of work) – सामान्य भाषा में कार्य का अर्थ किसी क्रिया के सम्पादन से होता है। जब कोई व्यक्ति खेत में हल चलाता है, चक्की से आटा पीसता है, लकड़ी चीरता है या ढेकली से खेत में पानी देता है, पुस्तक पढ़ता है या उसका मनन करता है, तो सामान्य भाषा में यह कहा जाता है कि व्यक्ति कार्य कर रहा है, परन्तु भौतिकी में कार्य का विशेष अर्थ है जो निम्नवत् है-
बल लगाकर किसी वस्तु को बल की (UPBoardSolutions.com) दिशा में । विस्थापित करने की क्रिया को ही कार्य कहते हैं। अर्थात् कार्य होने के लिए (i) बल तथा (ii) बल की दिशा । में विस्थापन दोनों आवश्यक हैं। यदि बल लगाने से वस्तु में विस्थापन उत्पन्न न हो या विस्थापन तो उत्पन्न हो परन्तु बल की दिशा में विस्थापन न हो, तो भौतिकी में यही कहा जायेगा कि कार्य नहीं हो रहा है।

कार्य की माप (Measurement of work) – स्पष्ट है कि यदि विभिन्न द्रव्यमान की वस्तुयें मेज पर पड़ी हों और उनमें से प्रत्येक को एक निश्चित ऊँचाई तक उठाना हो तो इस निश्चित विस्थापन को उत्पन्न करने के लिए उन पर लगाये गये बल का मान वस्तुओं के द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती होगा तथा जिस वस्तु को विस्थापित करने में अधिक बल लगाना पड़ेगा उस वस्तु पर किया गया कार्य भी उसी अनुपात में अधिक होगा।
अतः किसी वस्तु को एक निश्चित दूरी तक विस्थापित करने में किया गया कार्य वस्तु पर लगाये गये बल के अनुक्रमानुपाती होता है।
कार्य (W) ∝ बल (F) …(i)

अब यदि एक ही वस्तु को बल लगाकर विस्थापित किया जाता हो तो जितना अधिक विस्थापन होगा उसी अनुपात में किया गया कार्य भी अधिक होगा। पानी से भरी एक बाल्टी को जितनी अधिक ऊँचाई पर ऊपर ले जाना होगा उतना ही अधिक कार्य बाल्टी पर करना होगा।
अत: समान बल लगाकर किसी वस्तु को विस्थापित करने में किया गया कार्य विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होगा।
कार्य (W) ∝ विस्थापन (d) …(ii)
अतः समीकरण (i) एवं (ii) से
कार्य (W) ∝ F (बल) x d (विस्थापन) …(iii)
W = K.F.d (जहाँ K एक समानुपाती स्थिरांक है।)
यदि कार्य का मात्रक इस प्रकार चुना जाय कि एकांक बल लगाने पर एकांक विस्थापन होने से कार्य भी एकांक हो अर्थात्
जब F = 1 तथा d = 1 तो W = 1
तब उपर्युक्त समीकरण (iii) से,
W = K.F.d या,
1 = K.1.1.
या, K = 1
अतः W = F x d.
अर्थात् कार्य = बल x बल की दिशा में विस्थापन
कार्य का मात्रक (Unit of Work) :
कार्य = बले x विस्थापन
कार्य को मात्रक = बल को मात्रक x विस्थापन का मात्रक
S.I. पद्धति में बल का मात्रक न्यूटन तथा विस्थापन का मात्रक मीटर है।
अतः कार्य का मात्रक = 1 न्यूटन x मीटर = 1 न्यूटन-मीटर।
S.I. पद्धति में कार्य के मात्रक न्यूटन-मीटर को जूल (joule) कहते हैं। जूल को संकेताक्षर J से प्रदर्शित करते है।
अतः 1 जूल का कार्य उस समय होगा जब एक न्यूटन का बल लगाकर वस्तु को बल की दिशा में 1 मीटर विस्थापित किया जाता है।

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प्रश्न 2.
ऊर्जा’ का क्या अर्थ है? ऊर्जा तथा कार्य में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
ऊर्जा – प्रतिदिन की बोलचाल की भाषा में हम सभी लोग ऊर्जा शब्द का प्रयोग करते हैं और उसके अर्थ को समझते हैं। दिनभर एक मजदूर शारीरिक कार्य करता है और शाम को थक जाने पर उसकी ऊर्जा कम हो जाती है। जिसको वह आराम करके तथा भोजन करके पुनः प्राप्त कर लेता है। अक्सर हम कहते हैं कि एक गिलास सन्तरे या गन्ने के रस में बड़ी ऊर्जा है। बीमार पड़ जाने पर टॉनिकों का प्रयोग करके ऊर्जा प्राप्त की जाती है। इस प्रकार भोजन करने, फलों के रस या टॉनिकों को लेने से हमें ऊर्जा प्राप्त होती है, जिससे हमें पुनः काम करने की क्षमता प्राप्त हो जाती है। इसी प्रकार कोयला, पेट्रोल, लकड़ी आदि अनेक इस प्रकार के ईंधन हैं। जिनसे मशीनों को कार्य करने की क्षमता प्राप्त होती है। अत: ऊर्जा एक ऐसा कारक (factor) है जो कार्य करने के लिए आवश्यक है।

जब किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता होती है। तो कहा जाता है कि वस्तु में ऊर्जा है।
ऊर्जा की कोई मौलिक परिभाषा नहीं दी (UPBoardSolutions.com) जा सकती। केवल यही कहा जा सकता है कि जिस कारण से किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता रहती है उसे ऊर्जा कहते हैं।

उदाहरणतः गिरते हुए हथौड़े, चलती हुई बन्दूक की गोली, उच्च दाब पर अथवा तेज बहती हुई वायु, ऊँचाई पर रखा अथवा तेज गति से बहते झरने का जल, ऊष्मा इंजन में जलवाष्प, विद्युत सेल आदि ऐसी वस्तुयें हैं जो कार्य कर सकती हैं अर्थात् वस्तुओं पर बल लगाकर उनका विस्थापन कर सकती हैं। अतः इनमें ऊर्जा है। स्पष्ट है कि ऊर्जा का मात्रक वही होगा जो कार्य का मात्रक है तथा कार्य की भाँति यह भी एक अदिश (Scalar) राशि है।

कार्य तथा ऊर्जा स्थानान्तरण (Work and Energy Transformation)-
हम जानते हैं कि बल लगाने में सदा दो वस्तुयें भाग लेती हैं- एक, जो बल लगा रही है तथा दूसरी, जिस पर बल लग रहा है जब किसी पत्थर के टुकड़े को हाथ से पकड़कर ऊपर उठाते हैं तो पत्थर पर बल हाथ द्वारा लगाया जा रहा है। पत्थर को उठाने का कार्य हाथ द्वारा किया गया है इस क्रिया में कार्य करने वाली वस्तु (हाथ) की ऊर्जा व्यय हुई और पत्थर, जिस पर कार्य किया गया उसको ऊर्जा प्राप्त हुई और उसकी ऊर्जा में वृद्धि हुई।

इसी प्रकार हॉकी का खिलाड़ी जब रुकी बाल (UPBoardSolutions.com) को स्टिक से हिट लगाकर आगे फेंकता है तो स्टिक द्वारा गेंद पर बल लगाया जाता है और स्टिक द्वारा गेंद पर कार्य किया जाता है जिससे गेंद की ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है। तथा हिट लगाने वाले की ऊर्जा का व्यय होता है। इस प्रकार ऊर्जा स्टिक से गेंद में स्थानान्तरित हो गयी। स्पष्ट है कि कार्य होने की क्रिया में ऊर्जा स्थानान्तरण होता है।

कार्य तथा ऊर्जा में सम्बन्ध – जब एक वस्तु दूसरी पर कार्य करती है तो कार्य करने वाली वस्तु की ऊर्जा को व्यय होता है तथा जिस पर कार्य किया जाता है उसकी ऊर्जा बढ़ जाती है। निकाय की सम्पूर्ण ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता। एक की जितनी ऊर्जा व्यय होती है। उतनी ही ऊर्जा की वृद्धि दूसरे की हो जाती है। ऊर्जा-स्थानान्तरण की माप किये गये कार्य से की जा सकती है।
स्थानान्तरित ऊर्जा = किया गया कार्य

प्रश्न 3.
गतिज ऊर्जा की परिभाषा लिखिए तथा किसी गतिमानवस्तुकी गतिज ऊर्जा का सूत्रनिगमित कीजिए।
अथवा
किसी पिण्ड का द्रव्यमान m एवं इसका वेग v है। सिद्ध कीजिए कि उसकी गतिज ऊर्जा [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv² होगी।
उत्तर-
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) – किसी वस्तु में उसकी गति के कारण कार्य करने की जो क्षमता होती है उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते है।
उदाहरणार्थ – पैडल चलाना बंद करने पर भी साइकिल, उस पर लगने वाले घर्षण बल के विरुद्ध कुछ दूरी तय कर सकती है। इस क्रिया में साइकिल घर्षण बल के विरुद्ध कार्य करती है। उसकी यह गतिज ऊर्जा उसके द्वारा किये गये इस कार्य के बराबर होगी।

गतिज ऊर्जा का सूत्र (Formula of Kinetic Energy) – माना कि m द्रव्यमान की कोई वस्तु v वेग से गतिशील है और एक मंदक बल F लगाने पर वह s दूरी चलकर विरामावस्था में आ जाती है। इन क्रिया में वस्तु द्वारा जितना कार्य किया जायगा वही उसकी गतिज ऊर्जा होगी। चूँकि F बल के विरुद्ध s दूरी चलने में किया गया कार्य F.s होता है अतः उसकी गतिज (UPBoardSolutions.com) ऊर्जा का मान F.s होगा।
यदि मंदक बल F के कारण वस्तु में उत्पन्न मंदन a हो तो गति के तृतीय समीकरण के लिए वस्तु का प्रारंभिक वेग v, अंतिम वेग शून्य, त्वरण -q तथा चली गयी दूरी s है।
अतः
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Potential Energy Calculator is online tool that finds the gravitational potential energy of an object using the potential energy formula.

प्रश्न 4.
स्थितिज ऊर्जा से क्या अर्थ है? स्थितिज ऊर्जा के विभिन्न स्वरूपों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर-
स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy) – किसी वस्तु में उसकी विशेष अवस्था अथवा स्थिति के करण, वस्तु में कार्य करने की जो क्षमता होती है उसे वस्तु की स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। इस ऊर्जा की माप उस कार्य से की जायगी जो वह वस्तु अपनी अवस्था विशेष से प्रारम्भिक सामान्य अवस्था में आने में कर सकती है।

स्थितिज ऊर्जा सापेक्ष रूप से ही नापी जाती है। वस्तु की प्रारम्भिक अवस्था कुछ भी मानी जा सकती है और स्थितिज ऊर्जा की माप उस अवस्था के सापेक्ष नापी जायेगी। यह आवश्यक नहीं है कि तनावरहित स्थिति को ही प्रारम्भिक स्थिति माना जाय। संपीडित अथवा तनी हुई अवस्था (UPBoardSolutions.com) को भी प्रारम्भिक स्थिति मानकर अन्य अवस्थाओं में पूर्व अवस्था के सापेक्ष स्थितिज ऊर्जा की माप की जा सकती है। भिन्न-भिन्न प्रारम्भिक अवस्थाओं के लिए एक विशेष अवस्था की स्थितिज ऊर्जा भिन्न-भिन्न होगी।

स्थितिज ऊर्जा के विभिन्न स्वरूप (Different Forms of Potential Energy)-
(i) प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा (Elastic Potential Energy) – किसी संपीडित अथवा तनी हुई स्प्रिंग, तनी हुई कमान, खिंची हुई रबर की पट्टी, मुड़ी हुई धातु की छड़, संपीडित गैस आदि में उनकी प्रत्यास्थता (Elasticity) के गुण के कारण ऐसे बल उत्पन्न हो जाते हैं जो उन्हें सामान्य प्रारम्भिक अवस्था में लाने का प्रयास करते हैं। इन बलों को अन्य वस्तुओं पर आरोपित कराके कार्य किया जा सकता है।
अतः प्रत्यास्थ बलों के कारण वस्तुओं में निहित ऊर्जा को प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।

(ii) गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा (Gravitational Potential Energy) – जैसे ही किसी m द्रव्यमान का पिण्ड पृथ्वी की सतह से v वेग से ऊपर उठता है, गुरुत्वाकर्षण बल mg पिण्ड पर नीचे की ओर गति की दिशा के विरुद्ध, कार्य करने लगता है और इस बल के विरुद्ध वस्तु जब ऊपर उठती है तो उसका वेग घटने लगता है। जब इसका वेग v से घटकर v1 हो जाता है तो गतिज ऊर्जा [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv² से घटकर [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv1² हो जाती है। इस गतिज ऊर्जा का परिवर्तन स्थितिज ऊर्जा के रूप में होता है जो पिण्ड में एकत्र हो जाती है।h ऊँचाई पर पहुँचकर जब वस्तु का वेग शून्य हो जाता है और गतिज ऊर्जा शून्य हो जाती है तो इस क्रिया में सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा को रूपान्तरण पिण्ड में स्थितिज ऊर्जा के रूप में (UPBoardSolutions.com) हो जाता है। इस क्रिया में पिण्ड में स्थितिज ऊर्जा उस पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करने के कारण उत्पन्न हुई अत: इस ऊर्जा को गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
किसी स्थिति में वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा उस कार्य से मापी जाती है जो उस वस्तु को किसी प्रारम्भिक स्थिति से उस स्थिति विशेष में गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध लाने में करना पड़ता है।
यदि पृथ्वी के तल को प्रारम्भिक स्थिति मान लिया। जाय (अर्थात् इस स्थिति में स्थितिज ऊर्जा शुन्य है) तो m द्रव्यमान के पिण्ड को x ऊँचाई तक गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध विस्थापित करने में पिण्ड पर किया गया कार्य = गुरुत्वीय बल x विस्थापन = (mg) x (x) = mgx
अब जब पिण्ड x ऊँचाई पर पहुँच जाता है तो पृथ्वी तल के सापेक्ष पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा mgx होगी तथा h ऊँचाई पर पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा mgh होगी।
गुरुत्वीय क्षेत्र में कोई वस्तु पृथ्वी तल से जितनी अधिक ऊँचाई पर स्थित होगी उतनी ही अधिक उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा होगी, क्योंकि अधिक ऊँचाई से गिरने वाली वस्तुओं द्वारा अधिक कार्य किया जा सकता है।

(iii) वैद्युत स्थितिज ऊर्जा (Electrical Potential Energy) – जिस प्रकार पृथ्वी के गृरुत्वीय क्षेत्र में रखे किसी पिण्ड पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के। कारण उसमें गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का समावेश हो जाता है, उसी प्रकार विद्युत क्षेत्र में यदि कोई आवेशित वस्तु रखी हो तो उस पर लगने वाले वैद्युत बलों के कारण वस्तुयें विस्थापित हो सकती हैं और उनमें कार्य करने की क्षमता का समावेश हो जाता है।
यह ऊर्जा वस्तु में विशेष अवस्था (वैद्युत क्षेत्र में स्थित होने) के कारण है
अतः इस ऊर्जा को वैद्युत स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।

(iv) चुम्बकीय स्थितिज ऊर्जा (Magnetic Potential Energy) – चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित किसी गतिशील आवेश या धारावाही चालक पर चुम्बकीय बलों के कारण कार्य करने की जो क्षमता उत्पन्न होती है उसे चुम्बकीय स्थितिज ऊर्जा कहा जाता है।

(v) रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy) – पदार्थ में उसकी विशेष परमाणविक संरचना के कारण जो स्थितिज ऊर्जा निहित होती है उसे रासायनिक ऊर्जा कहते हैं। रासायनिक क्रियाओं में इस ऊर्जा का रूपान्तरण अन्य स्वरूप (ऊष्मा, प्रकाश, वैद्युत-ऊर्जा आदि) में होता है।

(vi) नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy) – पदार्थ के मूल कणों (प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन) के परमाणुओं के नाभिक में रहने की विशेष अवस्था के कारण नाभिक (UPBoardSolutions.com) में जो स्थितिज ऊर्जा निहित रहती है उसे नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं। परमाणु-बम, हाइड्रोजन बम, सूर्य तथा अन्य नक्षत्रों (stars) में नाभिकीय ऊर्जा का रूपान्तरण ऊष्मा, प्रकाश, यांत्रिक ऊर्जा आदि में होता है।

(vii) द्रव्यमान ऊर्जा (Mass Energy) – विभिन्न प्रकार की नाभिकीय प्रक्रियाओं में पदार्थ के द्रव्यमान का कुछ अंश ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है अर्थात् द्रव्यमान भी ऊर्जा का ही एक स्वरूप है। इसे दव्यमान ऊर्जा (Mass Energy) कहते हैं।

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प्रश्न 5.
ऊर्जा-संरक्षण’ का क्या अर्थ है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर-
ऊर्जा का संरक्षण (Conservation of Energy) – विज्ञान के अध्ययन के फलस्वरूप ऊर्जा सम्बन्धी एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण तथा व्यापक सिद्धान्त का पता चलता है। वह सिद्धान्त यह है कि ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में केवल परिवर्तन ही किया जा सकता है, ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है न ही नष्ट। इसे ऊर्जा के संरक्षण का सिद्धान्त (Principle of Conservation of Energy) कहते हैं। इसके परिणामस्वरूप विश्व की समस्त प्रकार की ऊर्जा का कुल परिमाण स्थिर (constant) रहता है। इसका (UPBoardSolutions.com) तात्पर्य यह है कि यदि किसी क्रिया में किसी प्रकार की कुछ ऊर्जा लुप्त हो जाती है तो उतनी ही ऊर्जा किसी दूसरे रूप में उत्पन्न हो जाती है।
ऊर्जा – संरक्षण के उदाहरण (Examples of Conservation of Energy)
उदाहरण-
1. जब कोई पिण्ड किसी ऊँचाई से गिर रहा होता है तो उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा (U = mgh) का मान h के निरन्तर घटते जाने से कम होता जाता है जबकि पिण्ड का वेग v बढ़ता जाता है।
अतः पिण्ड की गतिज ऊर्जा [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv² बढ़ती जाती है। इस प्रकार पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का रूपान्तरण गतिज ऊर्जा में होता रहता है परन्तु गणितीय विवेचना द्वारा निम्न प्रकार यह सिद्ध किया जा सकता है कि पिण्ड की प्रत्येक स्थिति में उसकी गतिज एवं स्थितिज ऊर्जा का योग अर्थात् उसकी सम्पूर्ण ऊर्जा नियत रहती है।
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मान लीजिए m द्रव्यमान की एक वस्तु पृथ्वी तल से h ऊँचाई पर स्थित बिन्दु A पर विरामावस्था में है। क्योंकि A पर वस्तु का वेग शून्य है, इसलिए यहाँ इसकी गतिज ऊर्जा का मान शून्य होगा। अतः इस अवस्था में वस्तु की।
कुल ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा = 0 + mgh = mgh … (i)
अब मान लें वस्तु को उसकी प्रारम्भिक स्थिति से x दूरी नीचे बिन्दु B तक गिराया जाता है। गति के तीसरे समीकरण से B पर वस्तु में उत्पन्न वेग ७ निम्न समीकरण से दिया जायेगा-
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उपर्युक्त समीकरण (i), (ii) व (iii) से स्पष्ट है कि तीनों स्थितियों में वस्तु की कुल ऊर्जा सदैव स्थिर mgh रहती है। जब वस्तु पृथ्वी से टकरा जाती है तो उसकी कुल ऊर्जा ऊष्मा, ध्वनि तथा प्रकाश में बदल जाती है।
इसी प्रकार ऊपर की ओर फेंके गये पिण्ड में भी गतिज ऊर्जा का रूपान्तरण स्थितिज ऊर्जा में होता जाता है तथा प्रत्येक स्थिति में दोनों का योग नियत रहता है।

2. सरल लोलक की दोलन क्रिया में भी गोलक की विभिन्न स्थितियों में इसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में तथा गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा में रूपान्तरित होती रहती है। यदि घर्षण का प्रभाव नगण्य माना जाय तो प्रत्येक स्थिति में दोनों प्रकार की ऊर्जाओं का योग नियत रहता है। ऊर्जा संरक्षण के कारण आदर्श स्थिति (घर्षण की अनुपस्थिति) में यह निरन्तर गति करता रहेगा परन्तु व्यवहार में इसकी ऊर्जा निलम्बन आधार तथा गोलक व वायु के बीच घर्षण के विरुद्ध कार्य करने में धीरे-धीरे व्यय होती रहती है। यह व्यय हुई ऊर्जा ऊष्मा में रूपान्तरित होती रहती है जिससे दोलनों का आयाम धीरे-धीरे कम होता जाता है। यदि इस दशा में ऊष्मीय ऊर्जा को भी । गणना में ले लिया जाय तो गोलक की प्रत्येक स्थिति में स्थितिज, गतिज एवं ऊष्मीय ऊर्जा का योग नियत रहता है। यही ऊर्जा संरक्षण का नियम है।

3. स्प्रिंग (Spring) – चित्र के अनुसार एक स्प्रिंग से एक भार लटकाइए। जब भार चित्र
(क) की तरह उच्चतम बिन्दु पर होता है, तो उसमें केवल स्थितिज ऊर्जा होती है और स्प्रिंग में कोई ऊर्जा नहीं होती।
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जब भार नीचे को लगता है, तो उसमें गति उत्पन्न होने के कारण गतिज ऊर्जा संचित होती है, किन्तु स्थितिज ऊर्जा में कमी होती है। इसके अतिरिक्त स्प्रिंग को खींचने के कारण उसमें स्थितिज ऊर्जा का संचय होता है। जब भार अपनी गतिशील अवस्था में होता है, तो उसकी प्रारम्भिक पूर्ण स्थितिज ऊर्जा, इसकी अपनी गतिज ऊर्जा एवं स्प्रिंग की स्थितिज ऊर्जा में परिणत हो जाती है। जब भार चित्र
(ख) की तरह निम्नतम बिन्दु पर होता है तो उसकी सम्पूर्ण ऊर्जा स्प्रिंग की स्थितिज ऊर्जा के रूप में परिवर्तित हो जाती है। परिकलन से ज्ञात होता है कि प्रत्येक स्थिति में कुल ऊर्जा का परिमाण नियत रहता है। स्पष्ट है कि इसमें ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन होता है।

प्रश्न 6.
ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों का विवरण दीजिए।
उतर-
ऊर्जा के स्रोत (Sources of Energy) – ऊर्जा के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं-
1. ईंधन (Fuels) – लकड़ी, कोयला, किरोसीन, पेट्रोल, डीजल आदि को जलाकर ऊष्मा प्राप्त की जाती है, जिसका सीधे अथवा विद्युत-ऊर्जा में परिवर्तन करके उपयोग किया जाता है। वर्तमान समय में यह ऊर्जा का प्रयुक्त होने वाला स्रोत है।
2. जल से ऊर्जा (To Water Energy) – भाखड़ा-नांगल जैसे बाँधों (Dams) में पहले जल को ऊँचाई पर इकट्ठा किया जाता है। इस जल में स्थितिज ऊर्जा होती है। जब जल टरबाइन के पंखे की पंखुड़ियों पर गिरकर टकराता है तो टरबाइन का पहिया घूमने लगता है। इस क्रिया में जल की स्थितिज ऊर्जा पहिये की गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। इस पहिये द्वारा एक डायनामो के आर्मेचर को घुमाते हैं जिससे विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती है। आजकल विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने का यह महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
3. वायु से ऊर्जा (To Air Energy) – वायु की गतिज ऊर्जा से अनेक यांत्रिक कार्य किये जाते हैं, जैसे अनाज से भूसा अलग करना, समुद्र में पाल द्वारा नाव चलाना, पवन-चक्की द्वारा विद्युत उत्पादन आदि।
4. ईंधन, कोयला, पेट्रोल (Fuel, coal, Petrolium) – विभिन्न प्रकार के ईंधनों, जैसे कोयला, मिट्टी का तेल, गैस, पेट्रोल आदि में रासायनिक ऊर्जा होती है। विभिन्न युक्तियों का प्रयोग करके ऐसे इंजन तैयार किये गये हैं। जिनमें इन ईंधनों की रासायनिक ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा में बदली जाती है। इसी से मोटरकार, वायुयान आदि के इंजन चलाये जाते हैं।
5. नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy) – सन् 1939 में दो जर्मन वैज्ञानिकों हॉन तथा स्ट्रॉसमैन (Hahn and Strassman) ने यूरेनियम पर तीव्रगामी न्यूट्रॉनों की बमबारी की। इस बमबारी से यूरेनियम का नाभिक दो लगभग बराबर नाभिकों में टूट जाता है तथा कुछ द्रव्यमान की क्षति हो जाती है। यह द्रव्यमान क्षति आइन्सटीन के द्रव्यमाने-ऊर्जा सिद्धान्त के अनुसार ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है तथा अत्यधिक ऊर्जा मुक्त होती है।
उपर्युक्त अभिक्रिया में जो ऊर्जा मुक्त होती है (UPBoardSolutions.com) उसे नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं तथा यह क्रिया नाभिकीय विखण्डन कहलाती है। उस ऊर्जा को उत्पन्न करने के लिए नाभिकीय रिएक्टर (Nuclear Reactors) बनाये। गये हैं। मुम्बई के निकट ट्राम्बे में भाषा अनुसंधान केन्द्र में कई रिएक्टर-अप्सरा, साइरस और जरलीना कार्य कर रहे हैं। इनमें से अप्सरा सन् अगस्त 1956 से तथा जरलीना सन् 1961 से कार्य कर रहा है। इन रिएक्टरों से वैद्युत-ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है।
हमारे देश में विभिन्न स्थानों जैसे तारापुर (महाराष्ट्र), कोटा (राजस्थान), कलपक्कम (तमिलनाडु) तथा नरोरा (उत्तर प्रदेश) में ऐसे वैद्युत उत्पादक गृह हैं जिनमें नाभिकीय रिएक्टरों से प्राप्त नाभिकीय ऊर्जा से वैद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है।
6. अवशिष्ट जैव पदार्थ – हम दैनिक जीवन में बहुत-से कार्बनिक पदार्थों को बेकार समझकर फेंक देते हैं। अब ऐसे पदार्थ ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्रयोग में लाये जा रहे हैं। उदाहरणार्थ : सड़ी-गली वनस्पतियाँ, गोबर आदि। इनको इकट्ठा करके किसी बन्द गड्डे में सड़ने दिया जाता है। इनसे एक प्रकार की गैस निकलती है जिसे मेथेन (CH4) कहते हैं। यह एक ज्वलनशील गैस है। जिसका प्रयोग आजकल ईंधन की जगह किया जा रहा है। गोबर गैस भी इसी प्रकार का उदाहरण है।

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प्रश्न 7.
सूर्य को ऊर्जा का मूल स्रोत क्यों कहते हैं? सूर्य की प्राप्त ऊष्मा तथा प्रकाश, किस प्रकार के ऊर्जा रूपान्तरण से प्राप्त होते हैं?
उत्तर-
ऊर्जा का मूल स्रोत : सूर्य-वास्तव में सभी प्रकार की ऊर्जाओं का मूल स्रोत सूर्य ही है। मनुष्य ने पृथ्वी पर जो भी ऊर्जा का स्रोत बनाया है अथवा खोजा है। उन सब में सूर्य की ऊर्जा का ही रूपान्तरण होता है। सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर नये पेड़-पौधे बढ़ते हैं जिससे लकड़ी प्राप्त होती है। प्राचीन काल में पेड़-पौधों के पृथ्वी के अन्दर दब जाने से पृथ्वी के अन्दर अत्यधिक दाब के कारण ये पत्थर के कोयले, पेट्रोल आदि में परिवर्तित हो जाते हैं। इनसे हम ऊर्जा प्राप्त करते हैं। समुद्र का जल सूर्य से ऊष्मा लेकर वाष्प में परिवर्तित हो (UPBoardSolutions.com) वायुमण्डल में चला जाता है तथा वर्षा होती है। वर्षा के जल से, बड़े-बड़े बाँध बनाकर वैद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। अतः हमारी पृथ्वी पर समस्त ऊर्जा स्रोतों का मूल स्रोत सूर्य से प्राप्त ऊर्जा ही है जो सौर ऊर्जा कहलाती है।

सूर्य में ऊर्जा की उत्पत्ति पदार्थ के द्रव्यमान अथवा द्रव्यमान-ऊर्जा के रूपान्तरण से होती है। सूर्य में हाइड्रोजन का विशाल भण्डार है। सूर्य में ऊर्जा-रूपान्तरण की क्रिया में चार-चार हाइड्रोजन नाभिक परस्पर संयोग करके एक-एक हीलियम नाभिक बनाते रहते हैं। इस क्रिया में पदार्थ (नाभिकों) का कुछ द्रव्यमान, ऊष्मा, प्रकाश तथा अन्य स्वरूपों में रूपान्तरित हो जाता है। यही ऊर्जा सूर्य में प्रसारित होती है। द्रव्यमान से ऊर्जा में रूपान्तरण की इस प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) कहते हैं।

द्रव्यमान एवं ऊर्जा के पारस्परिक रूपान्तरण की परिकल्पना सर्वप्रथम वैज्ञानिक आइन्सटीन ने सन् 1905 में की थी। सापेक्षता सिद्धान्त (Theory of Relativity) के अनुसार उन्होंने गणितीय विवेचना द्वारा, द्रव्यमान तथा ऊर्जा के पारस्परिक सम्बन्ध को निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त किया। इसके अनुसार द्रव्यमान m के रूपान्तरण से प्राप्त ऊर्जा
E = mc²
जबकि c = 3 x 108 मीटर-सेकण्ड-1, निर्वात में प्रकाश की चाल है।
उदाहरण : 1 किलोग्राम से प्राप्त ऊर्जा का मान E = 1 किग्रा (3 x 108 मीटर-सेकण्ड-1)2 = 9 x 1016 जूल।

प्रश्न 8.
यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण का नियम लिखिए। सिद्ध कीजिए कि स्वतन्त्रतापूर्वक गिरते हुए किसी भी पिण्ड में गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग सदैव नियत रहता है।
उत्तर-
यांत्रिक ऊर्जा का संरक्षण नियम – यदि किसी वस्तु से ऊष्मा अथवा विकिरणों के रूप में ऊर्जा की हानि न हो, तो वस्तु की यांत्रिक ऊर्जा (गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा) अचर बनी रहती है।
नोट – शेष उत्तर हेतु दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 5 के उत्तर में ऊर्जा संरक्षण का नियम में दिये गये उदाहरण (1) को देखिए।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
2 किग्रा की एक पुस्तक 1 मीटर ऊँची मेज पर रखी है। पुस्तक की स्थितिज ऊर्जा की गणना कीजिए। (g = 9.8 मी.से-2)
हल :
द्रव्यमान m = 2 किग्रा
ऊँचाई (h) = 1 मी
स्थितिज ऊर्जा (P.E.) = mgh = 2 x 9.8 x 1 = 19.6 जूल।

प्रश्न 2.
एक पिण्ड पर 20 न्यूटन का बल लगता है। यदि बल की क्रिया-रेखा विस्थापन की दिशा में 45° का कोण बनाता है। तो पिण्ड को 4 मीटर विस्थापित करने में किये गये कार्य का मान ज्ञात कीजिए।
हल :
कार्य (W) = F x d.cosθ [cos45° = [latex]\frac { 1 }{ \surd 2 }[/latex]]
= 20 x 4 x cos45°
= 80 x [latex]\frac { 1 }{ \surd 2 }[/latex]
= 40√2 जूल
= 40 x 1.4142 [√2 = 1.4142]
= 56.57 जूल।

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प्रश्न 3.
एक कुली 40 किग्रा का बोझ लेकर क्षैतिज प्लेटफॉर्म पर 20 मीटर की दूरी चलता है। उसके द्वारा गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध कितना कार्य किया गया?
हल :
शून्य, क्योंकि W = Fd.cos θ, F व d लम्बवत् हैं।
= mgd cos 90° = 40 x 9.8 x 20 x cos 90° [cos 90°= 0]
= 40 x 9.8 x 20 x 0 = 0

प्रश्न 4.
एक मशीन 20 सेकण्ड में 150 जूल कार्य करती है। मशीन की सामर्थ्य क्या है?
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 11 Work, Power and Energy image -4
प्रश्न 5.
एक पम्प की सामर्थ्य 7.5 किलोवाट है। वह प्रति मिनट अधिक से अधिक कितना पानी 25 मीटर ऊपर उठा सकता है? (g = 10 मी.सेकण्ड-2)
हल :
दिया हैसामर्थ्य 7.5 किलोवाट = 7500 वाट
कार्य = सामर्थ्य x समय
बल x विस्थापन = सामर्थ्य x समय
द्रव्यमान x त्वरण x विस्थापन = सामर्थ्य x समय
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 11 Work, Power and Energy

प्रश्न 6.
10 अश्व-सामर्थ्य की मोटर द्वारा 7.46 मीटर गहरे कुएँ से प्रति सेकण्ड कितने किलोग्राम पानी खींचा जा सकता है? (g = 10 मी.सेकण्ड-2)
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 11 Work, Power and Energy image -6
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 11 Work, Power and Energy

प्रश्न 7.
एक इंजन की सामर्थ्य 20 किलोवाट है। इसके द्वारा 100 किग्रा. के पिण्ड को 50 मीटर ऊँचाई तक उठाने में कितना समय लगेगा? ( g = 10 मी-सेकण्ड-2)
हल :
सामर्थ्य = 20 किलोवाट = 20 x 103 वाट;
द्रव्यमान = 100 किग्रा; विस्थापन = 50 मीटर।
सामर्थ्य = कार्य/समय
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प्रश्न 8.
5 किग्रा-भार के एक पत्थर के टुकड़े को 10 मीटर ऊँचाई से गिराया जाता है। पृथ्वी से टकराते समय उसकी गतिज ऊर्जा की गणना कीजिए। पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण 10 मी.से है।
हल :
पत्थर का द्रव्यमान (m) = 5 किग्रा
ऊँचाई (h) = 10 मीटर
g = 10 मी.से-2 (दिया है)
स्थितिज ऊर्जा = mgh = 5 x 10 x 10 = 500 जूल।
स्थितिज ऊर्जा ही गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाएगी।

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प्रश्न 9.
10 किलोवाट सामर्थ्य वाले एक इंजन द्वारा 80 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक पानी की टंकी जिसकी क्षमता 50 किलोलीटर है, को भरने में लगने वाले समय की गणना कीजिए। पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण 10 मीटर-सेकण्ड-2 है।
हल :
टंकी को भरने में किया गया कार्य = mgh = 50 x 1000 x 10 x 80 जूल
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प्रश्न 10.
2 किग्रा द्रव्यमान का एक पिण्ड पृथ्वी से 10000 सेमी की ऊँचाई से गुरुत्वीय त्वरण (g) के अन्तर्गत स्वतंत्रतापूर्वक नीचे गिरता है। पृथ्वी पर पहुँचने पर इसका वेग तथा कुल ऊर्जा ज्ञात कीजिए। (g = 10 मीटर.से-2)
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प्रश्न 11.
10 किग्रा की एक ट्रॉली को एक स्प्रिंग से इतना सटाकर रखते हैं कि स्प्रिंग दबी रहे। ट्रॉली को छोड़ने पर स्प्रिंग के धक्के से ट्रॉली 4 मीटर-सेकण्ड-1 के वेग से चलना प्रारम्भ कर देती है। दबी अवस्था में स्प्रिंग की स्थितिज ऊर्जा कितनी थी?
हल :
स्प्रिंग खुलने पर ट्रॉली को गतिज ऊर्जा प्रदान करता है जो उसकी स्थितिज ऊर्जा के बराबर होती है।
ट्रॉली की गतिज ऊर्जा = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv²
[latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x 10 किग्रा x (4 मीटर.सेकण्ड-1)2
= 80 किग्रा मीटर .सेकण्ड-2 = 80 जूल
अत: स्प्रिंग की स्थितिज ऊर्जा = 80 जूल।

प्रश्न 12.
1 ग्राम द्रव्यमान को ऊर्जा में बदल देने पर कितनी ऊर्जा प्राप्त होगी?
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प्रश्न 13.
18 मीटर ऊँची तथा 10 किलोलीटर क्षमता की पानी की टंकी को आधे घण्टे में भरने के लिए किस सामर्थ्य की मोटर लगानी पड़ेगी?
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प्रश्न 14.
एक पम्प प्रति सेकण्ड 100 किग्रा जल 5 मीटर की ऊँचाई तक उठाता है। पम्प की सामर्थ्य की गणना कीजिए। (g = 10 मीटर-सेकण्ड-2)
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प्रश्न 15.
एक खिलाड़ी पोल वाल्ट के खेल में 5.0 मीटर ऊँचा कूदना चाहता है। यदि ऊपर उठने के लिए आवश्यक ऊर्जा उसकी गति से प्राप्त हो तो उसे किस वेग से दौड़ना चाहिए?(g = 10 मीटर-सेकण्ड-2)
हल :
खिलाड़ी को इतने वेग से दौड़ना चाहिए कि कूदने से पूर्व उसकी गतिज ऊर्जा उसकी उच्चतम बिन्दु पर स्थितिज ऊर्जा के बराबर हो|
गतिज ऊर्जा = स्थितिज ऊर्जा
[latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv² = mgh
अथवा v² = 2gh = 2 x 10 x 5 = 10 x 10
v = 10 मीटर-सेकण्ड-1

प्रश्न 16.
10 किग्रा दव्यमान के एक पत्थर को ऊर्ध्वाधर फेंका जाता है एवं वह पृथ्वी की सतह से 10 मीटर ऊँचाई तक पहुँचती है। फेंके जाते समय उसकी प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा की गणना कीजिए। पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण 10 मीटर-से-1 है।
हल :
द्रव्यमाने m = 5 किग्रा
पृथ्वी की सतह से ऊँचाई h = 10 मीटर
गुरुत्वीय त्वरण g = 10 मी.से
स्थितिज ऊर्जा = mgh = 10 x 10 x 10 = 1000 जूल
यही ऊर्जा प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा थी।

प्रश्न 17.
500 किग्रा द्रव्यमान की मोटर कार की चाल 20 मी.से-1 से बढ़ाकर 40 मी.से-1 करने में इंजन को कितना कार्य करना पड़ेगा? यदि यह कार्य 15 सेकण्ड में हो जाय तो इंजन की क्षमता का मान अश्व-शक्ति में कितना होगा?
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प्रश्न 18.
एकं पम्प की सामर्थ्य 5 किलोवाट है। यह 100 मीटर ऊँचाई पर स्थित टंकी में प्रति मिनट कितना जल चढ़ा सकता है? (g = 10 मी-से-2)
हल :
पम्प की सामर्थ्य = 5 किलोवाट = 5000 वाट
माना पम्प W किग्रा पानी टंकी में प्रति मिनट चढ़ा सकता है,
W किग्रा पानी 100 मी ऊपर चढ़ाने में किया गया
कार्य = Wgh = W x 10 x 100
पम्प की सामर्थ्य के अनुसार प्रति मिनट उसके द्वारा किया गया कार्य = 5000 x 60 जूल।
W x 10 x 100 = 5000 x 60
W = [latex]\frac { 5000 x 60 }{ 10×100 }[/latex] = 300 किग्रा।

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प्रश्न 19.
2 किग्रा द्रव्यमान का पिण्ड 20 मीटर की ऊँचाई से विरामावस्था से भूमि पर गिरने में 20 मीटर-सेकण्ड-1 की चाल से भूमि पर पहुँचता है। गणना द्वारा सिद्ध कीजिए कि यह आँकड़े यान्त्रिक ऊर्जा के संरक्षण की पुष्टि करते हैं। (g = 10 मी.से-2)
हल :
20 मीटर की ऊँचाई पर पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा = mgh = 2 x 10 x 20 = 400 जूल।
तथा गतिज ऊर्जा = शून्य अतः कुल ऊर्जा = 400 जूल + 0 जूल = 400 जूल
पृथ्वी तल पर पहुँचने से स्थितिज ऊर्जा = शून्य तथा गतिज ऊर्जा = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv²
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x 2 x (20)² = 400 जूल
कुल ऊर्जा = 0 + 400 जूल = 400 जूल।
अतः पिण्ड की जितनी ऊर्जा ऊपर थी उतनी ही पृथ्वी तल पर पहुँचकर है।
अत: ये आँकड़े ऊर्जा के संरक्षण की पुष्टि करते हैं।

प्रश्न 20.
4 किग्रा दव्यमान के एक पिण्ड की गतिज ऊर्जा 200 जूल है। पिण्ड का संवेग ज्ञात कीजिए।
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प्रश्न 21.
एक गेंद को 10 मीटर की ऊँचाई से छोड़ा जाता है। यदि फर्श पर टकराने के बाद गेंद की ऊर्जा में 40% की कमी हो जाती है, तो गेंद फर्श से वापस लौटने पर कितनी ऊँचाई तक जायेगी?
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प्रश्न 22.
मान लो 50 न्यूटन का एक बल किसी वस्तु में 15 मी.से-1 का औसत वेग उत्पन्न कर देता है। उस बल की सामर्थ्य क्या होगी?
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प्रश्न 23.
क्षैतिज तल से 45° पर झुके घर्षण रहित एक ढाले पर 30 किग्रा-भार का एक पिण्ड ऊपर खींचा जाता है। यदि ढाल की लम्बाई 28 मीटर से, तो पिण्ड को खींचने में उस पर किये गये कार्य की गणना कीजिए। [पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण 10 मी.से-2 है।]
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UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 11 Work, Power and Energy image -7
प्रश्न 24.
100 ग्राम भार को एक पत्थर का टुकड़ा 100 मीटर की ऊँचाई से नीचे गिराया जाता है। इसकी महत्तम गतिज ऊर्जा तथा पृथ्वी से टकराते समय इसके वेग की गणना कीजिए। पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण 10 मी.से-2 है।
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प्रश्न 25.
एक व्यक्ति किसी भवन की पाँचवीं मंजिल पर चढ़ने में 5000 जूल कार्य करता है और 5 मिनट का समय लेता है। उसके सामर्थ्य की गणना कीजिए।
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प्रश्न 26.
क्षैतिज तल से 30° पर झुकी घर्षण रहित एक ढाल पर 50 किग्रा-भार का एक पिण्ड ऊपर खींचा जाता है। यदि ढाल की लम्बाई 20 मीटर हो, तो इसमें किये गये कार्य की गणना कीजिए। पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण 10 मीटर-सेकण्ड है।
हल :
प्रश्न 23 की तरह हल करें।
[उत्तर – 5000 जूल]

प्रश्न 27.
5 ग्राम द्रव्यमान को ऊर्जा में बदल देने पर कितनी ऊर्जा प्राप्त होगी? (प्रकाश की चाल c = 3 x 108 मी.से)
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प्रश्न 28.
एक साइकिल सवार पर 100 न्यूटन घर्षण बल कार्य करता है। वह 2 मी-से-1 की चाल से जा रहा है तो उसकी सामर्थ्य बताइए।
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प्रश्न 29.
किसी पिण्ड पर 3 न्यूटन व 4 न्यूटन के दो बल एक साथ कार्यरत हैं। यदि इनका परिणामी बल 5 न्यूटन हो तो दोनों बल एक-दूसरे से कितने कोण पर झुके होंगे?
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प्रश्न 30.
एक मशीन की औसत सामर्थ्य 2 किलोवाट है। इसके द्वारा 10 मिनट में किये गये कार्य की गणना कीजिए।
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प्रश्न 31.
15 ग्राम द्रव्यमान की एक गोली 100 मीटर-सेकण्ड के वेग से लक्ष्य को बेधती है। लक्ष्य बेधन के बाद उसका वेग 40 मीटर-सेकण्ड रह जाता है। गणना करके बताइए कि गोली की ऊर्जा में कितना ह्रास हुआ?
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प्रश्न 32.
एक 100 किलोवाट सामर्थ्य वाले इंजन द्वारा 500 किलोग्राम के दव्यमान को 50 मीटर की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसमें लगे समय का परिकलन कीजिए। (गुरुत्वीय त्वरण g = 10 मी.से-2)
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प्रश्न 33.
एक 100 किलोवाट सामर्थ्य वाले इंजन द्वारा 1000 किलोग्राम भार के द्रव्यमान को 20 मीटर की ऊँचाई तक उठाने में लगने वाले समय की गणना कीजिए। (गुरुत्वीय त्वरण g = 10 मी.से-2)
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प्रश्न 34.
1 किग्रा द्रव्यमान का एक पिण्ड पृथ्वी तल जूल से 20 मीटर की ऊँचाई पर विरामावस्था में स्थित है तथा स्वतन्त्रतापूर्वक गिरने पर 20 मीटर-सेकण्ड-1 की चाल से पृथ्वी पर पहुँचता है। गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 मीटर-सेकण्ड-है। गणना द्वारी सिद्ध कीजिए कि ये आँकड़े यांत्रिक ऊर्जा के संरक्षण की पुष्टि करते हैं।
हल :
प्रारम्भ में पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा = mgh = 1 x 10 x 20 जूल = 200 जूल
पिण्ड विरामावस्था में है।
पिण्ड की गतिज ऊर्जा = 0
प्रारम्भ में पिण्ड की कुल ऊर्जा = 200 + 0 जूल = 200 जूल …(i)
पृथ्वी पर पहुँचने पर पिण्ड की पृथ्वी तेल से ऊँचाई 0 होगी।
पृथ्वी तल पर पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा = 0
पृथ्वी तल पर पिण्ड की गतिज ऊर्जा = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv²
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x 1 x 20 x 20 जूल = 200 जूल
पृथ्वी तल पर पिण्ड की कुल ऊर्जा = (0 + 200) जूल = 200 जूल … (ii)
समीकरण (i) व (ii) से स्पष्ट है कि दिये गये आँकड़े यांत्रिक ऊर्जा के संरक्षण की पुष्टि करते हैं।

अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश : प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए-
1. कार्य का S.I. मात्रक होता है
(a) जूले या न्यूटन मीटर
(b) न्यूटन
(c) वाट या जूल सेकण्ड
(d) किलोवाट

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2. निम्न में से कौन-सी राशि अदिश है?
(a) आवेग
(b) संवेग
(c) आवेश
(d) बल

3. सामर्थ्य का S.I. मात्रक होता है
(a) वाट या जूल सेकण्ड-1
(b) न्यूटन मीटर या जूल-सेकण्ड-1
(c) किलोवाट-घण्टा
(d) जूल

4. किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता कहलाती है
(a) सामर्थ्य
(b) ऊर्जा
(c) अश्व शक्ति
(d) बल

5. [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv² सूत्र है-
(a) गतिज ऊर्जा का
(b) स्थितिज ऊर्जा का
(c) सामर्थ्य का
(d) नाभिकीय ऊर्जा का

6. घड़ी को चाबी देने में संग्रह करते हैं
(a) स्थितिज ऊर्जा
(b) गतिज ऊर्जा
(c) गुरुत्वीय त्वरण
(d) सामर्थ्य

7. एक वस्तु पृथ्वी की ओर गिर रही है उसकी स्थितिज ऊर्जा
(a) बढ़ेगी
(c) घटेगी
(c) वही रहेगी।
(d) इनमें से कोई नहीं

8. अपने सिर पर ईंट रखकर एक मजदूर क्षैतिज सड़क (horizontal road) पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में
(a) अधिकतम कार्य करता है।
(b) कोई कार्य नहीं करता है।
(c) ऋणात्मक कार्य करता है।
(d) न्यूनतम कार्य करता है।

9. ऊर्जा कैसी राशि है?
(a) सदिश
(b) अदिश
(c) दोनों प्रकार की
(d) इनमें से कोई नहीं

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10. किसी पिण्ड का द्रव्यमान दुगुना तथा वेग आधा करने पर उसकी गतिज ऊर्जा हो जायेगी
(a) आधी
(b) चौथाई
(c) दुगुनी
(d) अपरिवर्तित

11. गतिज ऊर्जा को मात्रक होता है
(a) जूल
(b) वाट
(c) किलोवाट
(d) न्यूटन

12. यदि कोई पिण्ड पृथ्वी से ठीक ऊपर की ओर फेंका जाय तो ऊपर की ओर जाते हुए उसकी सम्पूर्ण ऊर्जा
(a) बढ़ेगी
(b) कम होती जाती है।
(c) नियत रहती है।
(d) कभी कम होगी कभी बढ़ेगी

13. सामर्थ्य किस प्रकार की भौतिक राशि है
(a) सदिश
(b) अदिश
(c) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं

14. एक पिण्ड का वेग उसके प्रारंभिक वेग का तीन गुना करने पर उसकी गतिज ऊर्जा हो जायगी
(a) तीन गुनी
(b) दोगुनी
(c) अपरिवर्तित
(d) नौगुनी

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15. किसी पिण्ड को बल लगाकर विस्थापित किया जाता है। कुल कार्य न्यूनतम होगा जबकि तल व विस्थापन के बीच कोण
(a) 0°
(b) 30°
(c) 60°
(d) 90°

16. मात्रक जूले के स्थान पर लिख सकते हैं।
(a) वाट
(b) न्यूटन मीटर
(c) किलोवाट
(d) न्यूटन/मीटर

17. वाट-सेकण्ड मात्रक है।
(a) बल का
(b) ऊर्जा का
(c) सामर्थ्य का
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

18. निम्नलिखित में कौन-सा कार्य का मात्रक नहीं है
(a) जूल
(b) न्यूटन-मीटर
(c) वाट
(d) किलोवाट-घंटा

19. 2 किग्रा द्रव्यमान का पिण्ड कुछ बल लगाकर ऊपर की ओर ऊर्ध्वाधरतः फेंका जाता है तथा 5 मीटर की ऊँचाई तक जाकर पृथ्वी पर वापस आ जाता है। इस सम्पूर्ण क्रिया में पिण्ड पर किया । गया सम्पूर्ण कार्य होगा- (g = 10 मी.से-2)
(a) 100 जूल
(b) 200 जूल
(c) 10 जूल
(d) शून्य

20. एक मशीन 200 जूल कार्य 8 सेकण्ड में करती है।
मशीन की सामर्थ्य होगी
(a) 25 वाट
(b) 25 जूल.
(c) 1600 जूल-से
(d) 25 जूल-से

21. जब किसी वस्तु का वेग दुगुना कर दिया जाता है
(a) उसकी गतिज ऊर्जा दुगुनी हो जाती है।
(b) उसकी स्थितिज ऊर्जा दुगुनी हो जाती है।
(c) उसकी गतिज ऊर्जा चार गुना हो जाती है।
(d) उसकी गतिज ऊर्जा आधी रह जाती है।

22. 1 किग्रा के एक पिण्ड की गतिज ऊर्जा 200 जूल है। उसका वेग है
(a) 20 मी.सेकण्ड-1
(b) √20 मी.सेकण्ड-1
(c) 100 मी.सेकण्ड-1
(d) 400 मी.सेकण्ड-1

23. किसी पिण्ड का द्रव्यमान आधा तथा वेग दुगुना करने पर उसकी गतिज ऊर्जा हो जायगी
(a) चौथाई।
(b) आधी
(c) दुगुनी
(d) अपरिवर्तित

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24. 1 किलोवाट बराबर होता है
(a) 1.34 अश्व सामर्थ्य
(b) 746 अश्व सामर्थ्य
(c) 16 अश्व सामर्थ्य
(d) इनमें से कोई नहीं

25. शक्ति की इकाई है
(a) न्यूटन
(b) न्यूटन-मीटर
(c) जूल-सेकण्ड
(d) जूल-मीटर-1

26. निम्न में कौन सामर्थ्य का मात्रक नहीं है
(a) जूल-सेकण्ड-1
(b) जूल x सेकण्ड
(c) वाट
(d) अश्व शक्ति

27. बल तथा विस्थापन के बीच कोण 8 के जिस मान के लिए कार्य शून्य होगा, वह है-
(a) 0°
(b) 45°
(c) 60°
(d) 90°

उत्तरमाला

  1. (a)
  2. (c)
  3. (a)
  4. (b)
  5. (a)
  6. (a)
  7. (b)
  8. (b)
  9. (b)
  10. (a)
  11. (a)
  12. (c)
  13. (b)
  14. (d)
  15. (d)
  16. (b)
  17. (b)
  18. (c)
  19. (d)
  20. (a)
  21. (c)
  22. (a)
  23. (c)
  24. (d)
  25. (c)
  26. (b)
  27. (d)

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UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 9 Force and Laws of Motion

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 9 Force and Laws of Motion (बल तथा गति के नियम)

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पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 131)

प्रश्न 1.
निम्न में किसका जड़त्व अधिक है?
(a) एक रबर की गेंद एवं उसी आकार को पत्थर
(b) एक साइकिल एवं एक रेलगाड़ी
(c) पाँच रुपये का एक सिक्का एवं एक रुपये का सिक्का।
उत्तर-
(a) समान आकार का पत्थर,
(b) रेलगाड़ी,
(c) पाँच रुपये का सिक्का।

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प्रश्न 2.
नीचे दिए गए उदाहरण में, गेंद का वेग कितनी बार बदलता है, जानने का प्रयास करें|
“फुटबाल का एक खिलाड़ी गेंद पर किक लगाकर गेंद को अपनी टीम के दूसरे खिलाड़ी के पास पहुँचाता है। दूसरा खिलाड़ी उस गेंद को किक लगाकर गोल की ओर (UPBoardSolutions.com) पहुँचाने का प्रयास करता है। विपक्षी टीम का गोलकीपर गेंद को पकड़ता है और अपनी टीम के खिलाड़ी की ओर किक लगाता है।”
इसके साथ ही उस कारक की भी पहचान करें जो प्रत्येक अवस्था में बल प्रदान करता है।
उत्तर-

  1. प्रथम खिलाड़ी गेंद पर बल आरोपित करता है और बल के कारण गेंद का वेग बढ़ता है।
  2. दूसरा खिलाड़ी पहले बल आरोपित करके गेंद को रोकता है जिससे गेंद का वेग घटता है।
    पुनः वह खिलाड़ी गेंद पर बल आरोपित करता है और उसे गोल की ओर त्वरित करता है।
  3. गोल रक्षक गेंद पर बल आरोपित करता है और उसे अपने साथी की तरफ बढ़ाता है।

प्रश्न 3.
किसी पेड़ की शाखा को तीव्रता से हिलाने पर कुछ पत्तियाँ झड़ जाती हैं। क्यों?
उत्तर-
पेड़ की शाखा तथा पत्तियाँ विराम में रहती हैं। जब शाखा को हिलाते हैं तो शाखा गतिमान हो जाती हैं तथा पत्तियाँ स्थिर जड़त्व के कारण विराम में रहने की कोशिश करती हैं।
अतः पत्तियों पर एक बल लगता है। जिसके कारण पत्तियाँ टूटकर गिर जाती हैं।

प्रश्न 4.
जब कोई गतिशील बस अचानक रुकती है तो आप आगे की ओर झुक जाते हैं और जब विरामावस्था से गतिशील होती है तो पीछे की ओर हो जाते हैं, क्यों?
उत्तर-
गतिशील बस में बैठा हुआ यात्री भी समान गति से बस की दिशा में गति करता है। जब बस अचानक रुक जाती है तो यात्री का निचला हिस्सा बल के कारण विरामावस्था में आ (UPBoardSolutions.com) जाता है जबकि ऊपरी हिस्सा गति में रहता है। परिणामस्वरूप हम आगे की ओर झुक जाते हैं। ऐसा ही जब विरामावस्था से बसे गतिशील होती है तो हम बल के कारण पीछे की ओर हो जाते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 140)

प्रश्न 1.
यदि क्रिया सदैव प्रतिक्रिया के बराबर है तो स्पष्ट कीजिए कि घोड़ा गाड़ी को कैसे खींच पाता है?
उत्तर-
यह सत्य है कि प्रत्येक क्रिया सदैव प्रतिक्रिया के बराबर होती है। जब घोड़ा गाड़ी को खींचता है तो वह अपने नीचे की पृथ्वी की सतह को पेशीय बल लगाकर अपने पैरों से पीछे की ओर धकेलता है। इस बल की प्रतिक्रिया जो कि लगाए गए बल के बराबर तथा विपरीत दिशा में होती है, के फलस्वरूप घोड़ा गाड़ी आगे की ओर चलती है।

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प्रश्न 2.
एक अग्निशमन कर्मचारी को तीव्र गति से बहुतायत मात्रा में पानी फेंकने वाली रबड़ की नली को पकड़ने में कठिनाई क्यों होती है? स्पष्ट करें।
उत्तर-
जब फायर ब्रिगेड के किसी हौज-पाइप से तीव्र गति से अत्यधिक मात्रा व उच्च वेग से पानी बाहर निकलता है तो गति के तीसरे नियम के अनुसार बाहर निकलता हुआ (UPBoardSolutions.com) पानी हौज-पाइप को प्रतिक्रिया स्वरूप पीछे की ओर धकेलता है जिसके कारण अग्निशमन कर्मचारियों को पाइप सँभालना कठिन हो जाता है।

प्रश्न 3.
एक 50 g द्रव्यमान की गोली 4 kg द्रव्यमान की राइफल से 35 ms-1 के प्रारंभिक वेग से छोड़ी जाती है। राइफल के प्रारंभिक प्रतिक्षेपित वेग की गणना कीजिए।
हल-
गोली का द्रव्यमान m1 = 50 g = 0.05 kg
गोली का प्रारंभिक वेग u1 = 35 m/s
गोली का संवेग = m1u1 = 0.05 x 35 = 1.75 kg ms-1
राइफल का द्रव्यमान m2 = 4 kg
राइफल का प्रतिक्षेप का वेग = u2
राइफल का संवेग = m2u2 = 4 x u2
परन्तु राइफल का संवेग = – गोली का संवेग
4 x u2 = -1.75
u2 = -0.4375 m/s
ऋणात्मक चिन्ह प्रदर्शित करता है राइफल 0.4375 = 0.44 ms-1 के वेग से गोली की दिशा के विपरीत दिशा में गति करेगी।
अतः राइफल का प्रतिक्षेप का वेग = 0.44 ms-1.

प्रश्न 4.
100 g और 200 g द्रव्यमान की दो वस्तुएँ एक ही रेखा के अनुदिश एक ही दिशा में क्रमशः 2 ms-1 और 1 ms-1 के वेग से गति कर रही हैं। दोनों वस्तुएँ टकरा जाती हैं। टक्कर के पश्चात् प्रथम वस्तु का वेग 1.87 ms-1 हो जाता है, तो दूसरी वस्तु का वेग ज्ञात करें।
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अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ 141-143)

प्रश्न 1.
कोई वस्तु शून्य बाह्य असंतुलित बल अनुभव करती है। क्या किसी भी वस्तु के लिए अशून्य वेग से गति करना संभव है? यदि हाँ, तो वस्तु के वेग के परिमाण एवं दिशा पर लगने वाली शर्तों का उल्लेख करें। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें।
उत्तर-
हाँ, कोई वस्तु अशून्य वेग से चल सकती है। यदि उस पर लगा बाह्य असंतुलित बल शून्य हो। इस स्थिति में वस्तु एकसमान परिमाण के वेग से चलेगी तथा उसकी दिशा एक सरल रेखीय है अर्थात् वस्तु एकसमान वेग से एक सरल रेखा में चलती रहेगी जब तक उस पर संतुलित बल कार्य करते रहेंगे।

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प्रश्न 2.
जब किसी छड़ी से एक दरी (कार्पेट) को पीटा जाता है, तो धूल के कण बाहर आ जाते हैं। स्पष्ट करें।
उत्तर-
जब दरी (कार्पेट) को डंडे से पीटा जाता है। तो दरी (कार्पेट) के कण गति अवस्था में आ जाते हैं। परन्तु धूल के कण अपने जड़त्व के कारण स्थिर अवस्था में रहने का (UPBoardSolutions.com) प्रयत्न करते हैं जिसके कारण धूल के कण दरी से अलग होकर बाहर निकल जाते हैं।

प्रश्न 3.
बस की छत पर रखे सामान को रस्सी से क्यों बाँधा जाता है?
उत्तर-
किसी बस की छत पर रखे सामान को रस्सी से बाँधने की सलाह इसलिए दी जाती है ताकि बस की छत पर रखा सामान, बस के अचानक चलने, रुकने या दिशा बदलने पर या असमतल सड़क पर चलने से जड़त्व के कारण सामान आगे-पीछे खिसककर या झटके लग कर नीचे न गिरे।

प्रश्न 4.
किसी बल्लेबाज द्वारा क्रिकेट की गेंद को मारने पर गेंद जमीन पर लुढ़कती है। कुछ दूरी चलने के पश्चात् गेंद रुक जाती है। गेंद रुकने के लिए धीमी होती है, क्योंकि-
(a) बल्लेबाज ने गेंद को पर्याप्त प्रयास से हिट नहीं किया है।
(b) वेग गेंद पर लगाए गए बल के समानुपाती है।
(c) गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।
(d) गेंद पर कोई असंतुलित बल कार्यरत नहीं है, अतः गेंद विरामावस्था में आने के लिए प्रयासरत है।
(सही विकल्प का चयन करें)
हल-
(c) गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।

प्रश्न 5.
एक टुक विरामावस्था से किसी पहाड़ी से नीचे की ओर नियत त्वरण से लुढ़कना शुरू करता है। यह 20 s में 400 m की दूरी तय करता है। इसका त्वरण ज्ञात करें। अगर इसका द्रव्यमान 7 टन हो तो इस पर लगने वाले बल की गणना करें। (1 टन = 1000 kg)
हल-
ट्रक का आरंभिक वेग (u) = 0
तय की गई दूरी (S) = 400 m
लिया गया समय (t) = 20 s
त्वरण (a) = ?

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प्रश्न 6.
1 kg द्रव्यमान के एक पत्थर को 20 ms-1 के वेग से झील की जमी हुई सतह पर फेंका जाता है। पत्थर 50 m की दूरी तय करने के बाद रुक जाता है। पत्थर और बर्फ (UPBoardSolutions.com) के बीच लगने वाले घर्षण बल की गणना करें।
हल-
द्रव्यमान, m = 1 किग्रा
प्रारम्भिक वेग, u = 20 m/s
अन्तिम वेग, v = 0
दूरी = 50 m
गति के तीसरे समीकरण से,
v2 = u2 + 2as
0 = 202 + 2 x a x 50
a = – 4 ms-2
बर्फ व पत्थर के बीच लगा घर्षण बल,
F = ma
F = 1 x (-4)
F = – 4 N
ऋणात्मक चिन्ह दर्शाता है कि बल गति के विपरीत दिशा में कार्य कर रहा है।

प्रश्न 7.
एक 8000 kg द्रव्यमान का रेल इंजन प्रति 2000 kg द्रव्यमान वाले पाँच डिब्बों को सीधी पटरी पर खींचता है। यदि इंजन 40000N का बल आरोपित करता है तथा यदि पटरी 5000 N का घर्षण बल लगाती है, तो ज्ञात करें
(a) नेट त्वरण बल
(b) रेल का त्वरण तथा
(c) डिब्बे 1 द्वारा डिब्बे 2 पर लगाया गया बल।
हल-
इंजन द्वारा लगाया गया बल = 40,000 N
डिब्बों द्वारा लगाया गया घर्षण बल = 5000 N
(a) इंजन द्वारा लगाया गया त्वरक बल = 40,000 – 5000 = 35,000 N
(b) इंजन द्वारा लगाया गया त्वरक बल = 35000 N
रेलगाड़ी के डिब्बों का कुल द्रव्यमान = 5 x 2000 = 10000 kg
हम जानते हैं कि F = m x a
a = [latex]\frac { F }{ m }[/latex] = [latex]\frac { 35000 }{ 10000 }[/latex] = 3.5 m/s2
अतः रेलगाड़ी 3.5 m/s2 के त्वरण से गति करती है।
(c) चार डिब्बों को कुल द्रव्यमान = 4 x 2000 = 8000 kg
त्वरण = 3.5 m/s2
पहले डिब्बे द्वारा लगाया गया बल = 8000 x 3.5 = 28000 N.

प्रश्न 8.
एक गाड़ी का द्रव्यमान 1500 kg है। यदि गाड़ी को 1.7 ms-2 के ऋणात्मक त्वरण (अवमंदन) के साथ विरामावस्था में लाना है, तो गाड़ी तथा सड़क के बीच लगने वाला बल कितना होगा?
हल-
गाड़ी का द्रव्यमान (m) = 1500 kg
त्वरण (a) = – 1.7 m/s2
गाड़ी तथा सड़क के बीच लगने वाला बल = m x a = 1500 x (-1.7) = – 2550 N.

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प्रश्न 9.
किसी m द्रव्यमान की वस्तु जिसका वेग v है का संवेग क्या होगा?
(a) (mv)2
(b) mv²
(c) [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mv²
(d) mv
(उपरोक्त में सही विकल्प चुनें)।
उत्तर-
(d) mv

प्रश्न 10.
हम एक लकड़ी के बक्से को 200 N बल लगाकर उसे नियत वेग से फर्श पर धकेलते हैं। बक्से पर लगने वाला घर्षण बल क्या होगा?
उत्तर-
क्षैतिज दिशा में बक्से पर लगाया गया बल = 200 N.
घर्षण बल बक्से पर क्षैतिज दिशा में लगाए गए बल के बराबर तथा विपरीत दिशा में होगा।
अतः घर्षण बल = -200 N
ऋणात्मक चिन्ह दर्शाता है कि घर्षण बल लगाए गए बल के विपरीत दिशा में लग रहा है।

प्रश्न 11.
दो वस्तुएँ, प्रत्येक का द्रव्यमान 1.5 किग्रा है, एक ही सीधी रेखा में एक-दूसरे के विपरीत दिशा में गति कर रही हैं। टकराने के पहले प्रत्येक का वेग 2.5 ms-1 है। टकराने के बाद यदि दोनों एक-दूसरे से जुड़ जाती हैं, तब उनका सम्मिलित वेग क्या होगा?
उत्तर-
दिया है : वस्तुओं के द्रव्यमान।
m1 = m2 = 1.5 किग्रा
टकराने से पहले इनके वेग ।
u1 = 2.5 मीटर/सेकण्ड
u2 = -2.5 मीटर/सेकण्ड
(ऋण चिह्न विपरीत दिशा के कारण लिया है।)
माना टकराने के बाद दोनों का सम्मिलित वेग v हो जाता है।
दोनों के जुड़ जाने से बनी नई वस्तु का द्रव्यमान (m1 + m2) होगा।
तब टक्कर के पहले दोनों का कुल संवेग = m1u1 + m2u2
= 1.5 x 2.5 + 1.5 x (-2.5) = 3.75 – 3.75 = 0.
तथा टक्कर के बाद दोनों का कुल संवेग = (m1 + m2) v = (1.5 + 1.5) v = 3v
संवेग संरक्षण के नियम से,
टक्कर के बाद कुल संवेग = टक्कर के पहले कुल संवेग
अर्थात् 3v = 0 ⇒ v = 0
अतः टक्कर के बाद दोनों वस्तुओं का सम्मिलित वेग शून्य होगा अर्थात् वे विरामावस्था में आ जाएँगी।

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प्रश्न 12.
गति के तृतीय नियम के अनुसार जब हम किसी वस्तु को धक्का देते हैं, तो वस्तु उतने ही बल के साथ हमें भी विपरीत दिशा में धक्का देती है। यदि वह वस्तु एक टुक है जो सड़क के किनारे खड़ा है; संभवतः हमारे द्वारा बल आरोपित करने पर भी गतिशील नहीं हो पाएगा। एक विद्यार्थी इसे सही साबित करते हुए कहता है कि दोनों बल विपरीत एवं बराबर हैं जो एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं। इस तर्क पर अपने विचार दें और बताएँ कि दुक गतिशील क्यों नहीं हो पाता?
उत्तर-
विद्यार्थी का तर्क गलत है, यह सही है कि क्रिया तथा प्रतिक्रिया के बल विपरीत एवं बराबर होते हैं, परंतु ये बल कभी भी एक ही वस्तु पर कार्य नहीं करते। जैसे कि उपर्युक्त उदाहरण में, हमारे द्वारा आरोपित बल ट्रक पर लगेगा, जबकि ट्रक का प्रतिक्रिया बल हम पर लगेगा। ट्रक के (UPBoardSolutions.com) गतिमान होने का संबंध केवल ट्रैक पर लगने वाले बल से है न कि हमारे द्वारा लगे प्रतिक्रिया बल से। अतः क्रिया-प्रतिक्रिया के बलों के निरस्त होने का यहाँ कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
हमारे द्वारा ट्रक पर बल आरोपित किए जाने पर भी ट्रक गतिशील नहीं हो पाता, इसका कारण यह है कि ट्रक पर इस बल के अतिरिक्त पृथ्वी द्वारा आरोपित घर्षण बल भी लगा है जो कि हमारे द्वारा आरोपित बल को संतुलित कर देता है।

प्रश्न 13.
200 g द्रव्यमान की एक हॉकी की गेंद 10 ms-1 की वेग से सीधी रेखा में चलती हुई 5 kg द्रव्यमान के लकड़ी के गुटके से संघट्ट करती है तथा उससे जुड़ जाती है। उसके बाद दोनों एक साथ उसी रेखा में गति करते हैं। संघट्ट से पहले तथा संघट्ट के बाद कुल संवेगों की गणना करें। दोनों वस्तुओं की जुड़ी हुई अवस्था में वेग की गणना करें।
हल-
गेंद का द्रव्यमान, m = 200, g = 0.2 kg
गेंद का वेग, v = 10 ms-1
गेंद का संघट्ट से पहले संवेग = m.v = 0.2 x 10 = 2.0 kg ms-1
5 kg द्रव्यमान के लकड़ी के टुकड़े का संघट्ट से पहले वेग, v = 0
लकड़ी के टुकड़े का संघट्ट से पहले संवेग = 5 x 0 = 0
(i) संघट्ट से पहले कुल संवेग = 2 + 0 = 2 kg ms-1
(ii) संघट्ट से पहले संवेग = संघट्ट के बाद संवेग = 2.0 kg ms-1
अतः दोनों वस्तुओं का संघट्ट के बाद संवेग = 2.0 kg ms-1
(iii) मान लिया दोनों वस्तुओं का जुड़ी हुई अवस्था में वेग = 0
दोनों वस्तुओं का जुड़ी हुई अवस्था में द्रव्यमान, m = 0.2 + 5 = 5.2 kg
दोनों वस्तुओं का संघट्ट के पश्चात जुड़ी हुई अवस्था में संवेग = m.v = 5.2 x v
परन्तु संघट्ट के बाद दोनों वस्तुओं का संवेग v = 2.0 kg ms-1
अतः
5.2 v = 2.0
v = 0.39 ms-1
अतः जुड़ी हुई अवस्था में दोनों वस्तुओं का वेग = 0.39 ms-1

प्रश्न 14.
10 द्रव्यमान की एक गोली सीधी रेखा में 150 ms-1 के वेग से चलकर एक लकड़ी के गुटके से टकराती है और 0.03 s के बाद रुक जाती है। गोली लकड़ी को कितनी दूरी तक भेदेगी? लकड़ी के गुटके द्वारा गोली पर लगाए गए बल के परिमाण की गणना कीजिए।
उत्तर-
बन्दूक की गोली का द्रव्यमान (m) = 10 g = [latex]\frac { 10 }{ 1000 }[/latex] = 0.01 kg

प्रश्न 15.
एक वस्तु जिसका द्रव्यमान 1 kg है, 10 ms-1 के वेग से एक सीधी रेखा में चलते हुए एक विरामावस्था में रखे 5 kg द्रव्यमान के एक लकड़ी के गुटके से टकराती है। उसके बाद दोनों साथ-साथ उसी सीधी रेखा में गति करते हैं। संघट के पहले तथा बाद के कुल संवेगों की गणना करें। आपस में जुड़े हुए संयोजन के वेग की भी गणना करें।
हल-
पिंड की संहति (m1) = 1 kg
गुटके की संहति (m2) = 5 kg
पिंड का आरंभिक वेग (v1) = 10 m/s
गुटके का आरंभिक वेग (v2) = 0
गोली व गुटके का टकराने के तुरन्त पहले संवेग = m1v1 + m2 x 0 = 1 x 10 + 5 x 0 = 10 kg m/s
टकराने के तुरन्त पश्चात् संवेग = टकराने के तुरन्त
पहले संवेग = 10 kg m/s
पिंडों की संयुक्त (कुल) संहति = m1 + m2 = 1 + 5 = 6 kg
मान लिया आपस में जुड़े संयोजन का वेग = v
आपस में जुड़े संयोजन का संवेग = mv = 6 x v = 6v
लेकिन संवेग = 10 kg m/s
अतः
6v = 10
v = [latex]\frac { 10 }{ 6 }[/latex] = [latex]\frac { 5 }{ 3 }[/latex] m/s.

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प्रश्न 16.
100 kg द्रव्यमान की एक वस्तु का वेग समान त्वरण से चलते हुए 6s में 5 ms-1 से 8 ms-1 हो जाता है। वस्तु के पहले और बाद के संवेगों की गणना करें। उस बल के परिमाण की भी गणना करें जो उस वस्तु पर आरोपित है।

प्रश्न 17.
अख्तर, किरण और राहुल किसी राजमार्ग पर बहुत तीव्र गति से चलती हुई कार में सवार हैं, अचानक उड़ता हुआ कोई कीड़ा गाड़ी के सामने के शीशे से आ टकराया और वह शीशे से चिपक गया। अख्तर और किरण इस स्थिति पर विवाद करते हैं। किरण का मानना है कि कीड़े के संवेग परिवर्तन का परिमाण कार के संवेग परिवर्तन के परिमाण की अपेक्षा बहुत अधिक है। (क्योंकि कीड़े के वेग में परिवर्तन का मान कार के वेग में परिवर्तन के मान से बहुत अधिक है।) अख्तर ने कहा कि चूंकि कार का वेग बहुत अधिक था अतः कार ने कीड़े पर बहुत अधिक बल लगाया जिसके कारण कीड़े की मौत हो गई। राहुल ने एक नया तर्क देते हुए कहा कि कार तथा कीड़ा दोनों पर समान बल लगा और दोनों के संवेग में बराबर परिर्वतन हुआ। इन विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया दें।
उत्तर-
राहुल का उत्तर सही था क्योंकि-
संवेग संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार, टक्कर के समय तंत्र की कुल संवेग संरक्षित रहता है, इसलिए दोनों ही में एकसमान संवेग परिर्वतन होगा। किंतु कीड़ा का द्रव्यमान (UPBoardSolutions.com) कम है, इसलिए उसके वेग में अधिक परिवर्तन होगा एवं कार का द्रव्यमान अधिक होने के कारण, उसके वेग में अपेक्षाकृत कम परिवर्तन होगा।

प्रश्न 18.
एक 10 किग्रा द्रव्यमान की घंटी 80 सेमी की ऊँचाई से फर्श पर गिरी। इस अवस्था में घंटी द्वारा फर्श पर स्थानांतरित संवेग के मान की गणना करें। परिकलन में सरलता हेतु नीचे की ओर दिष्ट त्वरण का मान 10 ms-1 लें।
हल-
दिया है। घंटी का द्रव्यमान, m = 10 किग्रा
प्रारंभिक ऊँचाई s = 80 सेमी = 0.8 मीटर,
घंटी का त्वरण a = 10 मीटर/सेकण्ड,
गिरते समय प्रारंभिक वेग u = 0
माना फर्श पर पहुँचकर घंटी v वेग से फर्श से टकराती है। तब समीकरण
v2 = u2 + 2as से, .
v2 = 02 + 2 x 10 x 0.8 = 16 मीटर/सेकण्ड
घंटी का वेग v = √16 = 4 मीटर/सेकण्ड।
माना कि फर्श से टकराने के बाद घंटी विरामावस्था में आ जाती है।
फर्श से टकराते समय घंटी का वेग v1 = 4 मीटर/सेकण्ड
तथा फर्श से टकराने के बाद घंटी का वेग v2 = 0
घंटी के संवेग में परिवर्तन = m (v2 – v1) = 10 (0 – 4) = – 40 किग्रा-मीटर/सेकण्ड।
क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम से फर्श को स्थानान्तरित संवेग = – घंटी का संवेग-परिवर्तन = – (-40) = 40 किग्रा-मीटर/सेकण्ड

अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 144)

प्रश्न A1.
एक वस्तु की गति की अवस्था में दूरी-समय सारणी निम्नवत् है-

(a) त्वरण के बारे में आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं,? क्या यह नियत है? बढ़ रहा है? घट रहा है? या शून्य है?
(b) आप वस्तु पर लगने वाले बल के बारे में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
हल-

(a) उपर्युक्त टेबल दर्शाता है कि वेग परिवर्तन की दर बढ़ रही है अतः वस्तु का त्वरण लगातार बढ़ रहा है।
(b) चूँकि बल, वस्तु में उत्पन्न त्वरण के समानुपाती होता है, इसलिए वस्तु पर लगने वाला बल भी लगातार बढ़ रहा है।

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प्रश्न A2.
1200 kg द्रव्यमान की कार को एक समतल सड़क पर दो व्यक्ति समान वेग से धक्का देते हैं। उसी कार को तीन व्यक्तियों द्वारा धक्का देकर 0.2 ms-1 का त्वरण उत्पन्न किया जाता है। कितने बल के साथ प्रत्येक व्यक्ति कार को धकेल पाते हैं। (मान लें कि सभी व्यक्ति समान पेशीय बल के साथ कार को धक्का देते हैं।)
हल-
स्थिति I :
द्रव्यमान, m = 1200 kg
u = v (समान वेग)
a = 0
बल = m x a = 1200 x 0 = 0 N
स्थिति II :
द्रव्यमान, m = 1200 kg
त्वंरण, a = 0.2 m/s2
बल = m x a = 1200 x 0.2 = 240 N

प्रश्न A3.
500 g द्रव्यमान के एक हथौड़े द्वारा 50 ms-1 वेग से एक कील पर प्रहार किया जाता है। कील द्वारा हथौड़े को बहुत कम समय 0.01s में ही रोक दिया जाता है। कील के द्वारा हथौड़े पर लगाए गये बल की गणना करें।

प्रश्न A4.
एक 1200 kg द्रव्यमान की मोटरकार 90 km/h की वेग से एक सीधी रेखा के अनुदिश चल रही है। उसका वेग बाहरी असंतुलित बल लगने के कारण 4s में घटकर 18 km/h हो जाता है। त्वरण और परिवर्तन का परिकलन करें। लगने वाले बल के परिमाण की भी परिकलन करें।
हल-
द्रव्यमान, m = 1200 kg

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

The normal force formula must cancel the perpendicular component of gravity.

प्रश्न 1.
बल’ से क्या समझते हो ? बल के मात्रक लिखिए।
उत्तर-
बल (Force) – वह बाह्य कारक जो किसी पिण्ड की विराम अवस्था अथवा गति अवस्था में परिवर्तन करे अथवा परिवर्तन की प्रवृत्ति उत्पन्न करे, बल कहलाता है।
बल के मात्रक

  • C.G.S. पद्धति में- डाइन’
  • M.K.S. पद्धति में- न्यूटन’

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प्रश्न 2.
बल का S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर-
बल का S.I. मात्रक न्यूटन है।

प्रश्न 3.
‘एक न्यूटन बल’ से क्या समझते हो?
उत्तर-
एक न्यूटन बल-बल की वह मात्रा जो एक किलोग्राम द्रव्यमान की वस्तु पर आरोपित करने से उस वस्तु में 1 मीटर/सेकण्ड का त्वरण पैदा कर सके एक न्यूटन बल कहलाती है।

प्रश्न 4.
बल सदिश राशि क्यों है? समझाइये।
उत्तर-
बल एक सदिश राशि है, क्योंकि इसे पूर्णरूप से व्यक्त करने के लिए उसका परिमाण और दिशा दोनों को उल्लेख करना आवश्यक है।

प्रश्न 5.
मांसपेशीय बल किसे कहते हैं?
उत्तर-
मांसपेशीय बल (Muscular Force)- किसी वस्तु को खींचने, ठेलने या हटाने के लिए व्यक्ति या पशुओं की मांसपेशियों द्वारा लगाया गया बल, मांसपेशीय बल कहलाता है।

प्रश्न 6.
‘गुरुत्वीय बल’ या भार’ से क्या समझते हे?
उत्तर-
गुरुत्वीय बल या भार (Gravitational Force or weight)- किसी वस्तु को पृथ्वी जितने बल से अपने केन्द्र की ओर खींचती है उस बल को उस वस्तु का गुरुत्वीय बल या भार कहते हैं।

प्रश्न 7.
प्रत्यानयन बल’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
प्रत्यानयन बल (Restoring Force)- यदि किसी वस्तु को उसकी मध्यमान स्थिति से विस्थापित किया जाये तो उस पर एक ऐसा बल लगता है जो उसे मध् यमान स्थिति में लाने (UPBoardSolutions.com) का प्रयास करता है। इस बल को प्रत्यानयन बल कहते हैं।

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प्रश्न 8.
‘गुरुत्वाकर्षण बल’ से क्या समझते हो?
उत्तर-
गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force)- ब्रह्माण्ड में आकाशीय पिण्डों के मध्य लगने वाले आकर्षण बल को, गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं।

प्रश्न 9.
‘तनाव बल’ से क्या समझते हो?
उत्तर-
तनाव बल’ (Tension) किसी वस्तु को डोरी या जंजीर द्वारा बाँधकर लटकाने, खींचने या घुमाने पर डोरी या जंजीर में उत्पन्न हुआ बल, तनाव, बल कहलाता है।

प्रश्न 10.
‘प्रतिक्रिया बल’ से क्या समझते हो?
उत्तर-
प्रतिक्रिया बल (Reaction Force)- किसी वस्तु पर बल लगने पर लगाये गये बल की विपरीत दिशा में वस्तु द्वारा कारक वस्तु पर लगाया गया बल, प्रतिक्रिया बल कहलाता है।

प्रश्न 11.
‘चुम्बकीय बल’ से क्या समझते हो?
उत्तर-
चुम्बकीय बल (Magnetic Force)- चुम्बकीय ध्रुव द्वारा अन्य चुम्बकीय ध्रुव या चुम्बकीय वस्तु पर लगने वाला बल, चुम्बकीय बल कहलाता है।

प्रश्न 12.
‘विद्युत बल’ से क्या समझते हो?
उत्तर-
विद्युत बल (Electric Force)- विद्युत आवेश द्वारा अन्य आवेश या वस्तुओं पर लगने वाला बल, विद्युत बल कहलाता है।

प्रश्न 13.
‘विद्युत चुम्बकीय बल’ से क्या समझते हो?
उत्तर-
विद्युत चुम्बकीय बल (Electromagnetic Force)- धारावाही चालकों द्वारा चुम्बक पर अथवा चुम्बक द्वारा धारावाही चालकों पर लगने वाला बल, विद्युत चुम्बकीय बल कहलाता है।

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प्रश्न 14.
नाभिकीय बल’ से क्या समझते हो?
उत्तर-
नाभिकीय बल (Nuclear Force)परमाणु के नाभिक में नाभिक के घटकों के मध्य लगने वाला बल, नाभिकीय बल कहलाता है।

प्रश्न 15.
असन्तुलित बल’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
असन्तुलित बल (Unbalanced Force)- वे बल जो किसी वस्तु पर लगाने से उस वस्तु की गति में परिवर्तन कर दें, असन्तुलित बल कहलाते हैं।

प्रश्न 16.
बल (F), द्रव्यमान (m) तथा त्वरण (a) में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर-
बल (F) = द्रव्यमान (m) x त्वरण (a)

प्रश्न 17.
सन्तुलित बल’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
सन्तुलित बल (Balanced Force)- वे बल जो (UPBoardSolutions.com) किसी वस्तु पर लगाने से उस वस्तु की गति में कोई परिवर्तन नहीं करते, सन्तुलित बल कहलाते हैं।

प्रश्न 18.
जड़त्व’ किसे कहते हैं? अथवा जड़त्व क्या है?
उत्तर-
जड़त्व (Inertia)- वस्तुओं का वह गुण जिसके द्वारा वह उसकी गति या विराम अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता है, जड़त्व कहलाता है।

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प्रश्न 19.
जड़त्व कितने प्रकार का होता है? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
जड़त्व दो प्रकार का होता है

  • गति अवस्था का जड़त्व (Inertia of motion)
  • विराम अवस्था का जड़त्व (Inertia of rest)

प्रश्न 20.
गति के जड़त्व’ से क्या समझते हो?
उत्तर-
गति अवस्था का जड़त्व (Inertia of Motion)- वस्तुओं का वह गुण जिसके द्वारा वह उसकी गति अवस्था में परिवर्तन को रोकता है, गति अवस्था का जड़त्व कहलाता है।

प्रश्न 21.
गति के जड़त्व का उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
गति के जड़त्व का उदाहरण-मैदान में लुढ़कती गेंद को जब तक कोई रोक नहीं, वह दूर तक लुढ़कती चली जायेगी।

प्रश्न 22.
विराम (स्थिर) अवस्था का जड़त्व’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
विराम अवस्था का जड़त्व (Inertia of Rest)- वस्तुओं का वह गुण जिसके द्वारा वह उसकी विराम अवस्था में परिवर्तन को रोकता है, विराम अवस्था का जड़त्व कहलाता है।

प्रश्न 23.
विराम (स्थिर) अवस्था के जड़त्व का उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
विराम (स्थिर) अवस्था के जड़त्व का उदाहरण-कमरे में रखी मेज पर जब तक कोई बल नहीं लगाया जायेगा तब तक वह खिसकेगी नहीं।

प्रश्न 24.
जड़त्व एवं द्रव्यमान में क्या सम्बन्ध है?
अथवा
जड़त्व द्रव्यमान पर किस प्रकार निर्भर करता है?
उत्तर-
जड़त्व की द्रव्यमान पर निर्भरता-जड़त्व द्रव्यमान के समानुपाती होता है अर्थात् जड़त्व (Inertia) द्रव्यमान (m) दूसरे शब्दों में, जितना अधिक द्रव्यमान होगा उतना ही अधिक जड़त्व होगा।

प्रश्न 25.
न्यूटन के गति-विषयक तृतीय नियम अथवा क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
न्यूटन का गति-विषयक तृतीय नियम अथवा (UPBoardSolutions.com) क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम-प्रत्येक क्रिया के बराबर एवं विपरीत प्रतिक्रिया होती है। ये दो विभिन्न वस्तुओं पर कार्य करती हैं।

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प्रश्न 26.
किसी वस्तु के जड़त्व’ एवं उसकी संहति’ में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
किसी वस्तु की संहति जितनी अधिक होती है उसका जड़त्व भी उतना ही अधिक होगा।

प्रश्न 27.
‘अन्योन्य क्रिया’ से क्या समझते हो?
उत्तर-
अन्योन्य क्रिया (Mutual Action) जब कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु पर बल लगाकर उसे प्रभावित करती है तो पहली तथा दूसरी वस्तु के बीच होने वाली क्रिया, अन्योन्य क्रिया कहलाती है।

प्रश्न 28.
अन्योन्य क्रिया के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
अन्योन्य क्रिया के उदाहरण-
(i) चुम्बक द्वारा लोहे के टुकड़े को अपनी ओर आकर्षित करना।
(ii) कंचों का आपस में टकराना।

प्रश्न 29.
घर्षण से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
घर्षण (Friction)- खुरदरी सतह पर गतिमान वस्तु पर लगने वाले गति विरोधी बल को घर्षण बल या घर्षण कहते हैं।

प्रश्न 30.
रॉकेट किस सिद्धान्त पर कार्य करता है?
उत्तर-
रॉकेट न्यूटन के गति के तीसरे नियम पर कार्य करता है।

प्रश्न 31.
एक टुक और एक कार ॥ वेग से गतिशील हैं, दोनों एक-दूसरे से आमने-सामने संघट्ट करते हैं तथा कुछ समय बाद दोनों रुक जाते हैं। अगर संघट्ट समयांतराल 1s है, तो
(a) कौन-सी गाड़ी पर बल का सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा?
(b) किस गाड़ी के संवेग में सबसे अधिक परिवर्तन होगा?
(c) किस गाड़ी का त्वरण सबसे अधिक होगा?
(d) ट्रक की अपेक्षा कार को अधिक नुकसान क्यों होगा?
उत्तर-
(a) कार पर टक्कर का (UPBoardSolutions.com) अधिक प्रभाव पड़ेगा।
(b) दोनों ही सवारियों में संवेग परिवर्तन एकसमान रहेगा।
(c) कार की गति में उत्पन्न त्वरण का मान अधिक होगा।
(d) कार में अधिक क्षति होगी, क्योंकि उसमें उत्पन्न त्वरण का मान अधिक होगा।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक-से दो टूक सड़क पर समान वेग से चल रहे हैं। उनमें से एक खाली है और दूसरा बोझ से लदा हुआ है। किस ट्रक को रोकने के लिए अधिक बल की आवश्यकता होगी?
उत्तर-
भरे ट्रक का द्रव्यमान अधिक होने के कारण इसका संवेग अधिक होगा। अतः भरे ट्रक को रोकने के लिए अधिक बल की आवश्यकता होगी।

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प्रश्न 2.
चलती हुई रेलगाड़ी में बैठे व्यक्ति द्वारा ऊध्र्वाधर दिशा में फेंकी गेंद लौटकर उसके हाथ में वापस क्यों आ जाती है?
उत्तर-
जड़त्व के कारण व्यक्ति एवं गेंद बराबर गाड़ी के साथ उसी वेग से क्षैतिज दिशा में चलते रहते हैं इसलिए यदि गेंद उछालने के पश्चात् व्यक्ति का हाथ गेंद के नीचे ही रहता है तो गेंद उसके हाथ में आ जाती है।

प्रश्न 3.
घर्षण कितने प्रकार का होता है? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
घर्षण के प्रकार-घर्षण निम्न तीन प्रकार का होता है-

  1. स्थैतिक घर्षण (Static Friction),
  2. सीमान्त घर्षण (Limiting Friction),
  3. गतिक घर्षण (Kinetic Friction)

प्रश्न 4.
गतिक घर्षण कितने प्रकार का होता है? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
गतिक घर्षण के प्रकार-गतिक घर्षण निम्न दो प्रकार का होता है

  1. सर्वी घर्षण (Sliding Friction),
  2. बेलन घर्षण (Rolling Friction)

प्रश्न 5.
स्थैतिक घर्षण से क्या समझते हो?
उत्तर-
स्थैतिक घर्षण (Static Friction)- जब किसी वस्तु पर अन्य किसी वस्तु अथवा सतह पर गति करने के लिए बल आरोपित किया जाये किन्तु वह वस्तु स्थिर ही रहे तब ऐसी स्थिति में लगने वाले घर्षण बल को स्थैतिक घर्षण कहते हैं।

प्रश्न 6.
सीमान्त घर्षण किसे कहते हैं?
उत्तर-
सीमान्त घर्षण (Limiting Friction)स्थैतिक घर्षण का वह चरम मान जो उस समय उत्पन्न हो जब वस्तु चलने वाली हो, सीमान्त घर्षण कहलाता है।

प्रश्न 7.
गतिक घर्षण किसे कहते हैं?
उत्तर-
गतिक घर्षण (Kinetic Friction)- जब वस्तु एवं सतह के मध्य आपेक्षिक गति होती है तब उनके स्पर्श तल पर कार्य करने वाले गति विरोधी घर्षण बल को, गतिक घर्षण कहते हैं।

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प्रश्न 8.
सर्षी घर्षण से क्या समझते हो?
उत्तर-
सप घर्षण (SIiding Friction)- जब किसी वस्तु को किसी सतह पर सरकाया जाता है या सरकाने का प्रयास किया जाता है, तब वस्तु और सतह के स्पर्श तल पर कार्य करने वाले गतिविरोधी घर्षण बल को सप घर्षण कहते हैं।

प्रश्न 9.
बेलन घर्षण किसे कहते हैं?
उत्तर-
बेलन घर्षण (Rolling Friction)- जब किसी वस्तु को किसी सतह पर लुढ़काया जाता है तो उनके सम्पर्क पृष्ठ के मध्य लगने वाले घर्षण बल को बेलन घर्षण कहते हैं।

प्रश्न 10.
किसी चिकनी या पॉलिश की हुई फर्श अथवा बर्फ पर चलना कठिन प्रतीत क्यों होता है?
उत्तर-
किसी चिकनी या पॉलिश की हुई फर्श अथवा बर्फ की सतह पर घर्षण बहुत कम होता है और आसानी से चलने के लिए घर्षण चाहिए। इसलिए इन पर चलना कठिन प्रतीत होता है।

प्रश्न 11.
एक यात्री बस तीव्र वेग से सरल रेखा में गतिमान है। बस के एकाएक रुकने पर यात्री को सिर किस ओर झुकेगा? ।
उत्तर-
यात्री का सिर आगे की ओर अर्थात् बस के चलने की दिशा में गति के जड़त्व के कारण झुकेगा।

प्रश्न 12.
यदि एक दीवार पर समान वेग एवं समान आकार की लोहे और लकड़ी की गेंदें टकरायें तो किस गेंद के द्वारा दीवार पर अधिक बल लगेगा?
उत्तर-
यदि एक दीवार पर समान वेग एवं समान आकार की लोहे और लकड़ी की गेंदें टकरायें तो लोहे की गेंद द्वारा दीवार पर अधिक बल लगेगा, क्योंकि लोहे की गेंद का (UPBoardSolutions.com) द्रव्यमान अधिक होने के कारण उसका संवेग अधिक होगा।

प्रश्न 13.
बन्दूक और गोली का कुल संवेग बन्दूक चलाने के पश्चात् क्या होगा? यदि प्रारम्भ में बन्दूक विराम में हो? ।
उत्तर-
चूँकि प्रारम्भ में बन्दूक विराम में है इसलिए उसका कुल संवेग शून्य है
अतः संवेग संरक्षण के नियमानुसार, बन्दूक को चलाने के पश्चात् बन्दूक और गोली का कुल संवेग शून्य ही रहेगा।

प्रश्न 14.
कुएँ से पानी खींचते समय यदि रस्सी टूट जाती है तो हम पीछे की ओर गिर जाते हैं। क्यों?
उत्तर-
जब कुएँ से पानी खींचते हैं तो हमारे द्वारा लगाये गये बल के विपरीत रस्सी पर प्रतिक्रिया बल लगता है।
जब रस्सी टूट जाती है तो प्रतिक्रिया बल समाप्त होने से हम अपने बल से पीछे की ओर गिर जाते हैं।

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प्रश्न 15.
तोप, बन्दूक या पिस्तौल से गोली छोड़ते समय पीछे की ओर झटका लगता है। क्यों?
अथवा
गोली चलने पर बन्दूक प्रक्षेपित क्यों होती है?
उत्तर-
तोप, बन्दूक से जिस संवेग से गोली निकलती है उसी संवेग से तोप या बन्दूक पीछे की ओर झटका देती है। इसलिए पीछे की ओर झटका लगता है।

प्रश्न 16.
आवर्त गति’ से क्या समझते हो? उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
आवर्त गति (Periodic Motion)- जब कोई पिण्ड या कण गति करते हुए एक निश्चित समयान्तराल में अपनी मध्यमान स्थिति को प्राप्त करता है तो उस पिण्ड की गति, आवर्त गति कहलाती है।
आवर्त गति के उदाहरण-

  • सरल लोलक की गति।
  • आकाशीय पिण्डों की गति।

प्रश्न 17.
सरल आवर्त गति’ से क्या समझते हो?
उत्तर-
सरल आवर्त गति (Simple Harmonic Motion)- जब कोई पिण्ड एक सरल रेखा में अपनी मध्यमान स्थिति के इधर-उधर आवर्त गति करता है तो उस गति को सरल आवर्त गति कहते हैं।

प्रश्न 18.
प्रणोद किसे कहते हैं? इसको मात्रक लिखिए।
उत्तर-
प्रणोद (Thrust) – किसी वस्तु की सतह पर लम्बवत् लगने वाले बल को प्रणोद कहते हैं।
प्रणोद को मात्रक – न्यूटन।

प्रश्न 19.
दाब से क्या समझते हो? इसको मात्रक लिखिए।
अथवा
दाब को परिभाषित कीजिए एवं इसका S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर-
दाब (Pressure)- एकांक क्षेत्रफल पर आरोपित प्रणोद को दाब कहते हैं। दूसरे शब्दों में, एकांक क्षेत्रफल पर आरोपित लम्बवत् बल को दाब कहते हैं। इसे P से निरूपित करते हैं। अर्थात्
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 9 Force and Laws of Motion image -1दाब का मात्रक- न्यूटन/मीटर या पास्कल।।

प्रश्न 20.
दाब एवं क्षेत्रफल में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
दाब एवं क्षेत्रफल में सम्बन्ध-दाब क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात्
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 9 Force and Laws of Motion image -2
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प्रश्न 21.
भारी सामान ढोने वाले वाहन में अतिरिक्त पहिए क्यों लगाए जाते हैं?
उत्तर-
भारी सामान ढोने वाले वाहन में अतिरिक्त पहिए। लगाने से वाहन का पृथ्वी तल में सम्पर्क क्षेत्रफल बढ़ जाता है इससे उसके द्वारा पृथ्वी पर आरोपित दाब कम हो जाता है। इसलिए उसमें अतिरिक्त पहिए लगाए जाते हैं।

प्रश्न 22.
चाकू या कुल्हाड़ी धारदार क्यों बनाये जाते हैं?
अथवा
पिन या कील नुकीली क्यों बनाई जाती है?
उत्तर-
चाकू या कुल्हाड़ी धारदार एवं पिन या कील नुकीली इसलिए बनाई जाती है जिससे सम्पर्क क्षेत्र कम हो जाता है। इससे दाब बढ़ जाता है जिसके कारण चाकू या कुल्हाड़ी द्वारा वस्तुओं को काटने एवं पिन या कील को गाड़ने में आसानी होती है।

प्रश्न 23.
सरल आवर्त (हार्मोनिक) गति की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
सरल आवर्त गति की विशेषताएँ

  1. यह गति आवर्त गति होती है।
  2. यह गति एक सरल रेखा में मध्यमान स्थिति के इधर-उधर होती है।
  3. त्वरण विस्थापन के समानुपाती होता है।
  4. त्वरण की दिशा सदैव मध्यमान स्थिति की ओर होती है।

प्रश्न 24.
जब कोई बस या रेलगाड़ी अचानक चल पड़ती है तो उसमें सवार यात्री पीछे की ओर गिर पड़ते हैं। क्यों?
अथवा
क्या कारण है कि बस के अचानक चलने पर सवार यात्रियों को पीछे की ओर धक्का लगता है?
उत्तर-
बस या रेलगाड़ी में सवार यात्री गाड़ी के समान स्थिर अवस्था में होते हैं। जब बस या रेलगाड़ी अचानक चल पड़ती है तो यात्री के शरीर का निचला भाग तो गाड़ी की दिशा में गाड़ी की चाल से गतिमान हो जाता है लेकिन उसके शरीर का शेष ऊपरी भाग अपनी विराम अवस्था के जड़त्व के कारण स्थिर बनी रहने का प्रयत्न करता है। अतः शरीर का निचला भाग तो आगे निकल जाता है। लेकिन ऊपरी भाग पीछे रह जाता है और यात्री पीछे की ओर गिर पड़ता है।

प्रश्न 25.
क्या कारण है कि यात्रा के दौरान हम काँच के सामान को थर्मोकोल या अखबारी कागज में ही रखते हैं? आवेग की अवधारणा के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर-
यात्रा के दौरान हम काँच के सामान को थर्मोकोल या अखबारी कागज में लपेटकर रखते हैं जिससे झटका लगने पर उत्पन्न हुए आवेग का समयान्तराल अधिक हो (UPBoardSolutions.com) जाता है? क्योंकि थर्मोकोल एवं कागज मुलायम होते हैं। समयान्तराल अधिक होने से आवेग बल का मान कम हो जाता है जिससे काँच के सामान को झटका बहुत कम लगता है इससे काँच का सामान टूटने से बच जाता है।

प्रश्न 26.
घर्षण से क्या हानियाँ हैं?
उत्तर-
घर्षण से हानियाँ-घर्षण से निम्न हानियाँ हैं

  1. घर्षण के कारण ऊष्मा उत्पन्न होती है जिससे मशीनों के पुर्जे अत्यधिक गर्म होने के कारणं जल्दी खराब हो जाते हैं।
  2. घर्षण के कारण मशीन के पुर्षों में टूट-फूट बहुत होती है तथा वे घिसते रहते हैं। इससे मशीन के पुर्जे जल्दी-जल्दी बदलने पड़ते हैं।
  3. घर्षण से मशीन की दक्षता कम हो जाती है।

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प्रश्न 27.
घर्षण से क्या-क्या लाभ होते हैं?
उत्तर-
घर्षण के लाभ-घर्षण के निम्नलिखित लाभ

  1. घर्षण से आग उत्पन्न होती है इसी आधार पर दियासलाई एवं लाइटर कार्य करते हैं।
  2. घर्षण के कारण ही रेलगाड़ी एवं अन्य वाहन चल पाते हैं।
  3. वाहनों को ब्रेक लगाकर घर्षण के द्वारा ही रोका जा सकता है।
  4. घर्षण के कारण ही हम पृथ्वी पर आसानी से चल पाते हैं।

प्रश्न 28.
घर्षण को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर-
घर्षण को कम करने के उपाय-घर्षण को निम्नलिखित उपायों से कम किया जा सकता है

  1. स्नेहक का उपयोग करके – घर्षण कम करने के लिए सम्पर्क पृष्ठों के बीच स्नेहक जैसे-ग्रीस, तेल आदि का उपयोग किया जाता है।
  2. पॉलिश करके – सम्पर्क पृष्ठों को चिकना कर देने से घर्षण कम हो जाता है।
  3. बॉल-बियरिंग का उपयोग करके – बॉलबियरिंग के (UPBoardSolutions.com) उपयोग करने से सम्पर्क क्षेत्रफल कम हो जाता है इससे घर्षण कम हो जाता है।
  4. धारारेखीय आकृति – नाव, जलयान, वायुयान एवं कारों की आकृति विशेष प्रकार की अर्थात् मछली के आकार की बनाई जाती है जिससे पिण्डों के सम्पर्क के तरल (जल एवं वायु) की परतों का प्रवाह धारारेखीय हो जाने से घर्षण कम हो जाता है।

प्रश्न 29.
घर्षण बढ़ाने के उपाय बताइए।
उत्तर-
घर्षण बढ़ाने के उपाय-धर्षण को निम्न प्रकार से बढ़ाया जा सकता है।

  1. घरों के ढाले पर लाइनें डालकर घर्षण बढ़ाया जा सकता है।
  2. चिकनी सतह जैसे-बर्फ, तेल पर सूखी मिट्टी या बालू डालकर घर्षण बढ़ाया जा सकता है।
  3. जूतों के तले खुरदरे या खाँचेदार बनाकर।
  4. वाहनों के टायरों में खाँचे बनाकर।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
(i) द्रव्यमान तथा जड़त्व में क्या सम्बन्ध है?
(ii) द्रव्यमान तथा जड़त्व का S.I. मात्रक क्या है?
(iii) न्यूटन के पहले नियम को जड़त्व का नियम भी क्यों कहते हैं?
उत्तर-
(i) किसी भी वस्तु का जड़त्व उसका वह
प्राकृतिक गुण है जो उसकी विराम या गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता है। इस प्रकार किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप है।
(ii) द्रव्यमान तथा जड़त्व का S.I. मात्रक किलोग्राम (kg) है।
(iii) सभी वस्तुएँ अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती हैं। गुणात्मक रूप में किसी वस्तु के विरामावस्था में रहने या एकसमान वेग में गतिशील रहने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं। यही कारण है कि गति के पहले नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं।

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प्रश्न 2.
कारण बताइए, क्यों?
(a) पेड़ की शाखा को हिलाने से फल नीचे गिर जाते हैं।
(b) केले के छिलके पर पैर पड़ने से हम अपना संतुलन खो देते हैं।
(c) टायरों को लहरदार तथा खुरदरा बनाया जाता है।
उत्तर-
(a) पेड़ की शाखा को हिलाने से फलों का नीचे गिर जाना इस तथ्य पर आधारित है कि शाखा को हिलाने पर शाखा गति में आ जाती है। जबकि फल विराम के जड़त्व के कारण विराम में रहने का प्रयत्न करते हैं और नीचे गिर जाते है।
(b) केले का छिलका पैर एवं पृथ्वी के बीच का घर्षण बल कम कर देता है जिसके फलस्वरूप चलने के लिए आवश्यक घर्षण बल उपयुक्त मात्रा में उत्पन्न नहीं होता है। (UPBoardSolutions.com) तथा हमारा संतुलन बिगड़ जाता है।
(c) सड़क की सतह तथा टायर के मध्य घर्षण बल बढ़ाने के लिए वाहनों के टायरों की ऊपरी सतह को लहरदार तथा खुरदरा बनाया जाता है जिससे कि तीव्र गति पर वाहन अनियंत्रित होकर अथवा ब्रेक लगाने पर फिसले नहीं।

प्रश्न 3.
कारण दीजिए :
(a) बन्दूक की गोली शरीर में क्यों घुस जाती है?
(b) यदि कोई व्यक्ति नाव से किनारे पर कूदे तो | नाव विपरीत दिशा में चली जाती है, क्यों?
(c) जूते के तले क्यों घिस जाते हैं?
उत्तर-
(a) इसका कारण यह है कि बन्दूक से निकली गोली का वेग बहुत अधिक होता है तथा शरीर से टकराने पर यह बहुत कम समय में शून्य हो जाता है। अतः गोली में वेग परिवर्तन की दर (अर्थात् मदन) a एवं बल (F = ma) बहुत अधिक होता है। परिणामस्वरूप गोली शरीर में घुस जाती है।
(b) जब कोई व्यक्ति नाव से कूदता है तो वह अपने पैरों से बल लगाकर नाव को पीछे की ओर धकेलता है। इस क्रिया बल के कारण नाव पीछे की ओर हट जाती है। नाव द्वारा बराबर व विपरीत बल (प्रतिक्रिया बल) मनुष्य पर आगे की ओर लगता है जिससे वह किनारे पर कूद जाता है।
(c) जब हम सड़क पर चलते हैं तो जूतों के तलों तथा सड़क के बीच घर्षण बल कार्य करता है जिससे जूतों के तले घिस जाते हैं।

प्रश्न 4.
न्यूटन के गति के द्वितीय नियम को लिखिए। न्यूटन की गति के द्वितीय नियम के लिए गणितीय सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर-
न्यूटन का गति का द्वितीय नियम- यदि किसी वस्तु पर कोई असंतुलित बल कार्य करे तो वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर बल के समानुपाती एवं लगाए गए। बल की दिशा में होती है।
माना कि m द्रव्यमान की कोई वस्तु (UPBoardSolutions.com) एक सीधी रेखा में u प्रारंभिक वेग तथा समान त्वरण ‘a’ के साथ गति करते हुए t समय में v अंतिम वेग प्राप्त करती है।
प्रारंभिक संवेग = mu
अंतिम संवेग = mv
संवेग में परिवर्तन = mv – mu
गति के नियम से, बल ∝ संवेग में परिवर्तन की दर
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 9 Force and Laws of Motion image -3
प्रश्न 5.
बताइये क्यों एक क्रिकेट खिलाड़ी तेजी से आती हुई गेंद को पकड़ते समय अपने हाथ पीछे की ओर खींचता है।
उत्तर-
मान लीजिए कि तेजी से आती हुई गेंद को रोकने के लिए खिलाड़ी हाथ सीधे रखकर यकायक रोकता है, इस प्रकार बहुत कम समय में उसे गेंद के तेज वेग को स्थिर (शून्य) करना पड़ेगा और जैसा कि हम जानते हैं कि F ∝ m ([latex]\frac { v – u }{ t }[/latex])
अत: t कम होने पर, संवेग परिवर्तन की दर अधिक होगी और खिलाड़ी को अधिक चोट लगेगी। अतः खिलाड़ी गेंद के साथ-साथ अपने हाथों को पीछे की ओर ले जाकर समय है को बढ़ाता है ताकि संवेग परिवर्तन की दर कम हो और तेज गति से आ रही गेंद का प्रभाव हाथ पर कम पड़े।

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प्रश्न 6.
न्यूटन के गति के तीसरे नियम का वर्णन कीजिए। उचित उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर-
न्यूटन के गति के तीसरे नियम को समझने के लिए हमें पहले अन्योन्य क्रिया को समझना होगा। जब कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु पर बल लगाकर प्रभावित करती है तो हम कहते हैं कि वस्तुओं के बीच अन्योन्य (Interaction) क्रिया हुई। उदाहरण के लिए, जब कोई चुम्बक लोहे के टुकड़े के पास लायी जाती है तो चुम्बक उसे अपनी ओर आकर्षित करती है। अतः चुम्बक व लोहे के टुकड़े के मध्य अन्योन्य क्रिया हुई। इसी प्रकार जब हम फुटबाल को ठोकर मारते हैं तो हमारे पैर व फुटबाल के मध्य अन्योन्य क्रिया होती है।
न्यूटन का गति का तीसरा नियम हमें अन्योन्य क्रिया के समय उत्पन्न बलों के विषय में बताता है। एक वस्तु | द्वारा लगाये गये बल को क्रिया और दूसरी वस्तु द्वारा लगाये गये बल को प्रतिक्रिया कहा जाता है।
न्यूटन के अनुसार, जब दो वस्तुएँ आपस में (UPBoardSolutions.com) अन्योन्य क्रिया करती हैं तो प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। इसको इस प्रकार समझा जा सकती है-वस्तु A जब वस्तु B पर बल लगाती है तो वस्तु B भी उस पर परिमाण में बराबर किन्तु विपरीत दिशा में बल लगाती है। इसे निम्न उदाहरणों से और अधिक स्पष्ट किया जा सकता है

  1. यह सामान्य अनुभव की बात है कि जब बन्दूक से गोली छोड़ी जाती है तो गोली आगे की तरफ जाती है और बन्दूक पीछे की तरफ। क्यों ? क्योंकि गोली को आगे की तरफ ले जाने में बल लगता है जिसकी प्रतिक्रिया के फलस्वरूप बन्दूक पर पीछे की ओर बल लगता है।
  2. तैरते समय मनुष्य पानी को पीछे की ओर धकेलता है। (क्रिया)। परिमणामस्वरूप जल मनुष्य को आगे की तरफ धकेलता है (प्रतिक्रिया)।
  3. यदि हम मेज पर पैंसा मारते हैं (क्रिया), तो मेज भी उतना ही बल विपरीत दिशा में लगाती है। (प्रतिक्रिया)।

प्रश्न 7.
घर्षण क्या है? इसके क्या कारण हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
घर्षण- जब हम मेज पर रखी किसी वस्तु को धीरे से धक्का देते हैं तो वह आगे नहीं बढ़ती। इसका अर्थ यह है कि सम्पर्क में रखी दो वस्तुओं के मध्ये एक प्रकार का बल कार्य करता है जो वस्तु के गति करने में उसका विरोध करता है। यह बल घर्षण बल या घर्षण कहलाता है।
इसी प्रकार कैरम के बोर्ड पर बिना पाउडर डाले गोट आसानी से नहीं बढ़ती।
घर्षण का कारण – यदि हम ध्यान से सड़क, मेज या कैरम-बोर्ड की सतह को देखें तो ज्ञात होगा कि इनकी सतह पूर्णतः चिकनी और सपाट नहीं होती, बल्कि उसमें (UPBoardSolutions.com) छोटे-छोटे गड्ढे एवं उभार होते हैं जिससे दो सतहों के गड्ढे एवं उभार आपस में फंस जाते हैं और वस्तु आसानी से गति नहीं करती। अतः घर्षण का मुख्य कारण वस्तुओं की सतह का खुरदरा या विषम होना है।

प्रश्न 8.
कारण दीजिए :

  1. यदि हथौड़ा हत्थे में ढीला हो, तो हत्थे को पृथ्वी पर ऊर्ध्वाधर पटकने से हथौड़ा हत्थे में कस जाता है।
  2. कंबल को जमीन पर जोर से पटकने से उस पर लगी धूल के कण अलग हो जाते हैं।
  3. चलती गाड़ी से उतरने के लिए मनुष्य को बाद में गाड़ी की दिशा में कुछ दूर दौड़ना पड़ता
  4. जैवलीन थ्रो (भाला फेंकने) में यदि खिलाड़ी किसी निश्चित रेखा को पार कर लेता है तो यह फाउल माना जाता है, किंतु खिलाड़ी इसे रेखा पर रुकने में प्रायः असफल रहते हैं।
  5. नाव से किनारे पर कूदने पर नाव पीछे की ओर गति करती है।

उत्तर-

  1. हथौड़े का हत्था ऊपर से कुछ पतला तथा नीचे की ओर मोटा होता है। हथौड़े के र्वाधर पटकने से पहले हथौड़ा और हत्था दोनों ही नीचे की ओर गतिमान होते हैं। पृथ्वी पर लगते ही हत्थे का वेग शून्य हो जाता है, परंतु न्यूटन के प्रथम नियम के अनुसार हथौड़ा अपने जड़त्व के कारण गतिमान रहता है और हत्थे में कस जाता है।
  2. पृथ्वी पर पटकने से पहले तो कंबल और पूल के कण गतिमान रहते हैं, परंतु पटकते ही कंबल का वेग शून्य हो जाता है, जबकि धूल के कण गतिमान रहते हैं और कंबल में। अलग हो जाते हैं।
  3. गाड़ी के भीतर मनुष्य का सम्पूर्ण शरीर गाड़ी की चाल से गति कर रहा होता है। जैसे ही वह चलती गाड़ी से कूदता है, तुरंत ही उसके शरीर का निचला भाग रुक जाता है, जबकि ऊपरी भाग जड़त्व के कारण उसी चाल से चलने का प्रयत्न करता है। इसलिए चलती गाड़ी से उतरने पर हमें कुछ दूरी तक गाड़ी के साथ उसी दिशा में दौड़ना पड़ता है, अन्यथा हम आगे की ओर गिर पड़ते हैं।
  4. एथलीट अपनी गति के जड़त्व के कारण अपने आपको जल्दी नहीं रोक पाता और वह दौड़ता रह जाता है। फलस्वरूप वह सीमा रेखा के बाहर पैर रख देता है। गति का जड़त्व उसे विराम अवस्था में आने से
    रोकता है।
  5. नाव से कूदने हेतु व्यक्ति को कुछ संवेग की आवश्यकता होती है। इस संवेग को प्राप्त करने हेतु व्यक्ति आगे की ओर बल लगाता है। इसी बल के प्रतिक्रिया के रूप में नाव पीछे की ओर चलती है। अतः आगे की ओर गति करने के लिए आवश्यक संवेग प्राप्त करने हेतु व्यक्ति जो बल आरोपित करता है उसके विपरीत दिशा में प्रतिक्रियात्मक बल के कार्य करने के कारण नाव पीछे की ओर चलती है।

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आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
70 g द्रव्यमान की क्रिकेट की कोई गेंद 0.5 m/s के वेग से गतिमान है। क्रिकेट का कोई खिलाड़ी इसे 0.5s में रोक लेता है। खिलाड़ी द्वारा बॉल को रोकने के लिए लगाए गये बल की गणना कीजिए।

प्रश्न 2.
45 km/h के वेग से चलती हुई 1000 kg द्रव्यमान की कोई कार एक पेड़ से टकराकर 5s में रुक जाती है। कार द्वारा पेड़ पर कितना बल लगाया गया?

प्रश्न 3.
4 किग्रा वजन की एक राइफल से 20 ग्राम वजन की एक गोली चलायी जाती है। यदि गोली 400 m/s के वेग से राइफल की नली को छोड़ती है तो राइफल कितने वेग से पीछे हटेगी?

प्रश्न 4.
एक कार का द्रव्यमान 1200 kg है। यह 108 km/h की चाल से चल रही है। ब्रेक लगाने पर उसकी चाल 36 km/h हो गयी। कार के संवेग परिवर्तन की गणना कीजिए।

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 9 Force and Laws of Motion image -4
प्रश्न 5.
यदि 10 kg द्रव्यमान का लोहे का कोई गोला 0.8 m की ऊँचाई से फर्श पर गिरे तो वह फर्श को कितना संवेग स्थानांतरित करेगा? गोले का नीचे की ओर त्वरण 10 m/s लीजिए।

प्रश्न 6.
किसी 1200 N भार वाला ब्लॉक 4 m2 के क्षेत्रफल पर स्थित है, उसके द्वारा आरोपित दाब की गणना कीजिए।

अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्न में कौन संवेग का सही सूत्र है?
(a) P = mv
(b) m = Pv
(c) v = Pm
(d) P = mv²

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2. घर्षण हमारे लिए है
(a) लाभदायक
(b) हानिकारक
(c) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।

3. कार्य करने की क्षमता आती है
(a) भोजन से
(b) ऊर्जा से
(c) शक्ति से
(d) ये सभी।

4. घर्षण कम किया जा सकता है
(a) स्नेहक के उपयोग से
(b) पॉलिश करके
(c) बॉल-बियरिंग का उपयोग करके
(d) इन सभी से।

5. किसी वस्तु पर बले आरोपित होने पर
(a) उसकी गति बदल सकती है।
(b) उसकी गति की दिशा बदल सकती है।
(c) उसका आकार बदल सकता है।
(d) उपर्युक्त में से कोई भी।

6. बल का मात्रक है
(a) जूल
(b) किग्रा मी/से2
(c) मी/से2
(d) मी/से।

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7. किग्रा द्रव्यमान की वस्तु का भार होगा
(a) 1 न्यूटन
(b) 9.08 न्यूटन
(c) 9.8 न्यूटन
(d) 8.9 न्यूटन।

8. यदि वस्तु का द्रव्यमान m, वेग v व त्वरण a और लगने वाला बल F है तो
(a) a = [latex]\frac { F }{ m }[/latex]
(b) F = m x v
(c) a x F = m
(d) F x m = a

9. यदि वस्तु का द्रव्यमान m, वेग v व त्वरण a है। तो संवेग P होगा
(a) P = m x a
(b) P = m x v
(c) P = [latex]\frac { m }{ v }[/latex]
(d) P = [latex]\frac { v }{ m }[/latex]

10. कोई वस्तु अपनी स्थिर या गति की अवस्था में परिवर्तन नहीं कर सकती
(a) अपने द्रव्यमान के कारण
(b) अपने भार के कारण
(c) अपने त्वरण के कारण
(d) अपने जड़त्व के कारण।

11. बल के परिमाण का परिकलन ………….. कर सकते हैं।
(a) न्यूटन के गति के प्रथम नियम द्वारा
(b) न्यूटन के गति के द्वितीय नियम द्वारा
(c) न्यूटन के गति के तृतीय नियम द्वारा
(d) उपर्युक्त तीनों के द्वारा।

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12. चलती बस में से उतरने पर आगे की ओर गिरने की व्याख्या ……………… की जा सकती है।
(a) न्यूटन के गति के प्रथम नियम द्वारा
(b) न्यूटन के गति के द्वितीय नियम द्वारा
(c) न्यूटन के गति के तृतीय नियम द्वारा
(d) उपर्युक्त तीनों के द्वारा।

13. रॉकेट छोड़ने का सिद्धान्त ………………… आधारित है।
(a) न्यूटन के गति के प्रथम नियम पर
(b) न्यूटन के गति के द्वितीय नियम पर
(c) न्यूटने के गति के तृतीय नियम पर
(d) उपर्युक्त तीनों पर।

14. 2 किग्रा की वस्तु में 3 मी/से का त्वरण उत्पन्न करने के लिए बल चाहिए
(a) 2 न्यूटन
(b) 3 न्यूटन
(c) 6 न्यूटन
(d) 1.5 न्यूटन।

15. किसी वस्तु में संवेग परिवर्तन की दर बराबर होती है
(a) ऊर्जा के
(b) बल के
(c) त्वरण के
(d) आवेग के।

16. यदि पिंड A का द्रव्यमान पिंड B के द्रव्यमान से दुगुना हो और दोनों पर समान बल लगाया जाये तो
(a) दोनों में समान त्वरण उत्पन्न होगा
(b) पिंड A में पिंड B से दुगुना त्वरण होगा।
(c) पिंड B में पिंड A से दुगुना त्वरण उत्पन्न होगा
(d) उपर्युक्त सभी कथन गलत है।

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17. किसी वस्तु पर लगाया गया बल
(a) वस्तु के द्रव्यमान व त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है।
(b) वस्तु के द्रव्यमान व त्वरण के योगफल के बराबर होता है।
(c) वस्तु के द्रव्यमान व त्वरण के भागफल के बराबर | होता है।
(d) उपर्युक्त सभी कथन गलत है।

18. समान आकार की फुटबाल और पत्थर में, जड़त्व अधिक होगा
(a) फुटबाल का
(b) पत्थर का
(c) दोनों का समान
(d) फुटबाल व पत्थर में कोई समानता नहीं है।

19. एक खिलाड़ी लम्बी कूद लगाने से पहले दौड़ता है
(a) आवेग बढ़ाने के लिए
(b) जड़त्व बढ़ाने के लिए
(c) संवेग बढ़ाने के लिए
(d) यह कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है।

20. संवेग का मात्रक है
(a) kg ms-1
(b) kg ms-2
(c) kg ms
(d) ये सभी।

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21. पिंड A का द्रव्यमान 5 kg व पिंड B का द्रव्यमान 2 kg है, विरामावस्था में
(a) पिण्ड A का संवेग पिंड B के संवेग से अधिक है।
(b) पिण्ड B का संवेग पिंड A के संवेग से अधिक है।
(c) दोनों का संवेग बराबर है।
(d) यह कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है।

उत्तरमाला

  1. (a)
  2. (c)
  3. (b)
  4. (d)
  5. (d)
  6. (b)
  7. (c)
  8. (a)
  9. (b)
  10. (d)
  11. (b)
  12. (a)
  13. (c)
  14. (c)
  15. (b)
  16. (c)
  17. (a)
  18. (b)
  19. (c)
  20. (a)
  21. (c)

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UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 1 Matter in Our Surroundings

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 1 Matter in Our Surroundings (हमारे आस-पास के पदार्थ)

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-4)

प्रश्न 1.
निम्न में से पदार्थ छाँटो-कुर्सी, वायु, स्नेह, गन्ध, घृणा, बादाम, विचार, शीत, शीतल पेय, इत्र की सुगन्ध।
उत्तर-
पदार्थ निम्न हैं-कुर्सी, वायु, बादाम तथा शीतल पेय पदार्थ, यह सभी स्थान घेरते हैं तथा इन सभी का द्रव्यमान होता है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रेक्षण के कारण बताइए : गरमा-गरम खाने की गंध कई मीटर दूर से ही आपके पास पहुँच जाती है, लेकिन ठंडे खाने की महक लेने के लिए आपको उसके पास जाना पड़ता है।
उत्तर-
किसी पदार्थ की गंध या महक हमें तब अनुभव होती है जब गंध के कण वायु में मिश्रित होकर हमारी नाक तक पहुँचते हैं। यह भी जानते हैं कि कणों का विसरण किसी माध्यम में (UPBoardSolutions.com) उच्च ताप पर अधिक तथा निम्न ताप पर कम होता है। इसलिए गरमा-गरम खाने की गंध तेजी के साथ कई मीटर दूर तक पहुँच जाती है। लेकिन ठंडे खाने की गंध लेने के लिए हमें उसके पास जाना पड़ता है।

प्रश्न 3.
स्वीमिंग पूल में गोताखोर पानी काट पाता है। इससे पदार्थ का कौन-सा गुण प्रेक्षण होता है?
उत्तर-
स्वीमिंग पूल में गोताखोर पानी काट पाता है। क्योंकि जल के कणों के मध्य आकर्षण बल होता है जो कणों को साथ-साथ रखता है।

प्रश्न 4.
पदार्थ के कणों की क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर-
पदार्थ के कणों की विशेषताएँ

  1. पदार्थ के कणों के मध्य एक आकर्षण बल उपस्थित होता है।
  2. पदार्थ के कणों के मध्य (UPBoardSolutions.com) पर्याप्त रिक्त स्थान होता है।
  3. पदार्थ के कण निरन्तर गतिशील होते रहते हैं।
  4. पदार्थ के तीन रूप ठोस, द्रव और गैस हैं। पदार्थ की ये अवस्थाएँ उसके कणों की विभिन्न विशेषताओं के कारण होती हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 6)

प्रश्न 1.
किसी तत्त्व के द्रव्यमान प्रति इकाई आयतन को घनत्व कहते हैं। (घनत्व = द्रव्यमान/ आयतन) घनत्व बढ़ने के साथ निम्नलिखित को आरोही क्रम में लिखो -वायु, चिमनी का , शहद, पानी, चॉक, रूई और लोहा।
उत्तर-
घनत्व के बढ़ते क्रम में पदार्थ :
वायु < चिमनी का धुआँ < रुई < पानी < शहद < चॉक < लोहा।

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प्रश्न 2.
(a) पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं के गुणों में होने वाले अंतर को तालिकाबद्ध कीजिये।
उत्तर-
(a) पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं में निम्नलिखित अन्तर पाये जाते हैं-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 1 Matter in Our Surroundings image - 1
(b) निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए-दृढ़ता, संपीड्यता, तरलता, बर्तन में गैस का भरना, आकार, गतिज ऊर्जा एवं घनत्व।
उत्तर-
(i) दृढ़ता : दृढ़ता पदार्थों का वह गुण है। जिसके कारण बाह्य बल लगाने पर भी पदार्थ अपना आकार नहीं बदलते परन्तु बल लगाने पर वे टूट जाते हैं, जैसे ठोस पदार्थ दृढ़ होते हैं।

(ii) संपीड्यता : संपीड्यता का अर्थ है कि पदार्थ पर बल लगाने पर उसके कण एक-दूसरे के समीप आ जाएँ जिससे उसका आयतन कम हो जाये। ठोस पदार्थों को तथा द्रवों का संपीडन नहीं किया जा सकता। गैसों को आसानी से संपीडित किया जा सकता है।

(iii) तरलता : तरलता का अर्थ है बहाव। ऐसे पदार्थ जो बह सकते हैं तरल या द्रव पदार्थ कहलाते हैं। कुछ पदार्थ आसानी से बहते हैं जैसे जल, दूध आदि परन्तु कुछ पदार्थ धीरे बहते हैं जैसे शहद, ग्लिसरीन।।

(iv) बर्तन में गैस का भरना : गैसों को आसानी से संपीडित किया जा सकता है इसलिए गैसों के अत्यधिक आयतन को एक कम आयतन वाले सिलेण्डर में संपीडित करके (UPBoardSolutions.com) भरा जा सकता है जैसे द्रवित पैट्रोलियम गैस (L.P.G.), अस्पतालों में दिये जाने वाले ऑक्सीजन सिलेण्डरों में भी सपीडित करके गैस को भरा जाता है। इसी प्रकार संपीडित प्राकृतिक गैस (C.N.G.) को भी अधिक ताप पर गैस सिलेण्डरों में भरा जाता है।

(v) आकार : यदि पदार्थ के कणों के बीच आकर्षण बल बहुत अधिक हो तो उनका आकार निश्चित होता है, जैसे ठोस पदार्थों का आकार निश्चित होता है। परन्तु तरल पदार्थ के कणों के मध्य आकर्षण बल कम होने के कारण आकार निश्चित नहीं होता। वे उसी बर्तन का आकार ग्रहण कर लेते हैं जिसमें उन्हें रखा जाता है। इसी प्रकार गैसीय पदार्थों का आकार भी निश्चित नहीं होता है।

(vi) गतिज ऊर्जा एवं घनत्व : पदार्थ के कण सदैव गतिशील रहते हैं जिनके कारण उनमें गतिज ऊर्जा होती है। ठोस पदार्थों के कणों की गतिज ऊर्जा बहुत कम होती है तरल पदार्थों में ठोस पदार्थों से अधिक तथा गैसीय पदार्थ की गतिज ऊर्जा सबसे अधिक होती है।
घनत्व किसी पदार्थ के एक इकाई आयतन का द्रव्यमान होता है। सामान्यतः येस पदार्थों का घनत्व अधिक होता है। गैसीय पदार्थों के कणों के मध्य खाली स्थान बहुत अधिक होता (UPBoardSolutions.com) है इनकी गतिज ऊर्जा भी बहुत अधिक होती है परन्तु इनका घनत्व ठोस तथा द्रवों की अपेक्षा बहुत कम होता है।

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प्रश्न 3.
कारण बताएँ
(a) गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर देती है, जिसमें इसे रखते हैं।
(b) गैस बर्तन की दीवारों पर दबाव डालती है।
(c) लकड़ी की मेज ठोस कहलाती है।
(d) हवा में हमें आसानी से अपना हाथ चला सकते हैं, लेकिन एक ठोस लकड़ी के टुकड़े में हाथ चलाने के लिए हमें कराटे में दक्ष होना पड़ेगा।
उत्तर-
(a) गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर देती है। जिसमें उसे हम रखते हैं क्योंकि उच्च गतिज ऊर्जा तथा नगण्य आकर्षण बलों के कारण, गैस के अणु उच्च वेग से सभी दिशाओं में गतिशील होते रहते हैं।
(b) तेजी से गति करते हुए, जब गैस के अणु बर्तन की दीवारों से टकराते हैं, वे दाब डालते रहते हैं। गैस द्वारा डाला गया दाब तेजी से गति करने वाले गैस-अणुओं की बर्तन की दीवारों से टक्करों के कारण होता है।
(c) लकड़ी की मेज ठोस कहलाती है, क्योंकि इसका (UPBoardSolutions.com) आकार तथा आयतन निश्चित होता है।
(d) हवा में हाथ आसानी से चला सकते हैं क्योंकि हवा के अणु आसानी से काटे जा सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कणों के बीच बहुत कम बल लगी होता है। जबकि लकड़ी के कणों के बीच बहुत कम स्थान होता है,
अत: उनके बीच अत्यधिक बल लगा होता है। उसमें हाथ चलाने के लिए हमें कराटे में दक्ष होना पड़ेगा।

प्रश्न 4.
सामान्यतया ठोस पदार्थों की अपेक्षा द्रवों का घनत्व कम होता है। लेकिन आपने बर्फ के टुकड़े को पानी पर तैरते देखा होगा। पता लगाइए ऐसा क्यों होता है?
उत्तर-
बर्फ का टुकड़ा पानी पर तैरता है क्योंकि यह अपने अधिक आयतन के कारण अपने द्रव्यमान से अधिक पानी हटा सकता है। इसीलिए बर्फ का टुकड़ा तैरता रहता है। बर्फ का आयतन अपने उस जल से जिससे वह बना होता है अधिक होता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 9)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तापमान को सेल्सियस में बदलें-
(a) 300 K
(b) 573 K
उत्तर-
(a) K = °C + 273
°C = K – 273 = 300 – 273 = 27°C
(b) K = °C + 273
°C = K – 273 = 573 – 273 = 200°C

प्रश्न 2.
निम्नलिखित ताप पर जल की भौतिक अवस्था क्या होगी ?
(a) 250°C
(b) 100°C
उत्तर-
(a) 250°C ताप पर जल गैसीय अवस्था में बदल जायेगा।
(b) 100°C ताप पर जल द्रव तथा गैसीय अवस्था में बदल जायेगा।

प्रश्न 3.
किसी भी पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के दौरान तापमान स्थिर क्यों रहता है?
उत्तर-
किसी पदार्थ का ताप बढ़ाने पर वह एक निश्चित ताप पर अवस्था में परिवर्तन करके दूसरी भौतिक अवस्था प्राप्त कर लेता है। अब इसका ताप स्थिर रहता है क्योंकि अब समस्त (UPBoardSolutions.com) ऊष्मा अवस्था परिवर्तन में काम आती है तथा यह तब तक रहता है जब तक पदार्थ एक अवस्था से दूसरी अवस्था में पूर्ण रूप से न बदल जाए, ऐसी ऊष्मा को पदार्थ की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।

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प्रश्न 4.
वायुमंडलीय गैसों को द्रव में परिवर्तन करने के लिए कोई विधि सुझाइए।
उत्तर-
हम जानते हैं कि पदार्थ की अवस्थाएँ दाब व तापमान के द्वारा तय होती हैं। ताप कम करके व दाब बढ़ाकर पदार्थ की अवस्था परिवर्तन किया जा सकता है। वायुमण्डलीय गैस की ऊपर ऊँचाई पर ताप कम होने के कारण गैस संघनित होकर बादलों में बदल जाती है जो द्रव की छोटी-छोटी बूंदों से मिलकर बना होता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 11)

प्रश्न 1.
गर्म, शुष्क दिन में कूलर अधिक ठंडा क्यों करता है ?
उत्तर-
कूलर के आधार में एक पानी भरने का बर्तन होता है। घनाकार बर्तन के एक फलक पर पंखा लगाया जाता है व अन्य तीन फलकों पर घास की चटाई। उन पर एक युक्ति का प्रयोग कर पानी गिराया जाता है, पंखा बाहरी हवा को अंदर खींचता है और पानी का वाष्पन होता है जिसके लिए वह (UPBoardSolutions.com) ऊष्मा अन्दर आने वाली हवा से ग्रहण करता है और हवा ठंडी हो जाती है।

प्रश्न 2.
गर्मियों में घड़े का जल ठंडा क्यों होता है?
उत्तर-
मिट्टी से बने घड़े में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। जिनसे घड़े में भरा पानी रिसकर बाहर आ जाता है तथा वायुमंडल की गर्म वायु के संपर्क में आकर वाष्पीकृत हो जाता है। जल के वाष्प में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक ऊष्मीय ऊर्जा घड़े के भीतर वाले जल से प्राप्त होती है। इससे घड़े के भीतर उपस्थित जल ठंडा हो जाता है।

प्रश्न 3.
ऐसीटोन/पेट्रोल या इत्र डालने पर हमारी हथेली ठंडी क्यों हो जाती है ?
उत्तर-
ऐसीटोन/पेट्रोल या इत्र शीघ्रता से वाष्पीकृत हो जाते हैं। जब इन पदार्थों को हथेली पर डाला जाता है | तो यह हथेली से ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं तथा वाष्पीकृत
हो जाते हैं। ऊर्जा (ताप) के रूस से हमारी हथेली ठंडी | हो जाती है।

प्रश्न 4.
कप की अपेक्षा प्लेट से हम गर्म दूध या चाय जल्दी क्यों पी लेते हैं ?
उत्तर-
वाष्पीकरण या वाष्पन एक सतही प्रक्रिया है। प्लेट की खुली सतह का क्षेत्रफल कप के क्षेत्रफल से | अधिक होता है, अतः प्लेट में दूध या चाय का वाष्पीकरण कप की अपेक्षा तेजी से होता है, व वे जल्दी ठंडे हो जाते हैं।

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प्रश्न 5.
गर्मियों में हमें किस प्रकार के कपड़े पहनने चाहिए ?
उत्तर-
गर्मियों में हमें सूती कपड़े पहनने चाहिए। पसीने के वाष्पीकरण के दौरान पसीना हमारे शरीर या आसपास से ऊर्जा प्राप्त करके वाष्प में बदल जाता है। वाष्पीकरण की (UPBoardSolutions.com) गुप्त ऊष्मा के बराबर ऊष्मीय ऊर्जा हमारे शरीर से अवशोषित हो जाती है जिससे शरीर ठंडा हो जाता है। चूंकि सूती कपड़ों में पसीने का अवशोषण अधिक होता है, इसलिए हमारा पसीना इसमें अवशोषित होकर वायुमंडल में आसानी से वाष्पीकृत हो जाता है।

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या-13-14)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तापमानों को सेल्सियस इकाई में परिवर्तित करें :
(a) 293 K
(b) 470 K
उत्तर-
(a) °C = K – 273 = 293 – 273 = 20°C
(b) °C = K – 273 = 470 – 273 = 197°C

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तापमानों को केल्विन इकाई में परिवर्तित करें :
(a) 25°C
(b) 373°C
उत्तर-
(a) K = °C + 273 = 25 + 273 = 298 K
(b) K= °C + 273 = 373 + 273 = 646 K

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अवलोकनों हेतु कारण लिखें-
(a) नैफ्थलीन को रखा रहने देने पर यह समय के साथ कुछ भी ठोस पदार्थ छोड़े बिना अदृश्य हो जाती है।
उत्तर-
नैफ्थलीन एक ऊर्ध्वपातन पदार्थ है और वह ठोस अवस्था से सीधे गैस में (बिना द्रव बने) परिवर्तित हो जाता है।
अतः कोई अवशेष नहीं बचता।

(b) हमें इत्र की गन्ध बहुत दूर बैठे हुए भी पहुँच जाती है।
उत्तर-
इत्र के कण वायु के कणों के साथ शीघ्रता से विसरित होकर वायुमण्डल में फैल जाते हैं। इसी प्रकार चारों ओर फैलने के कारण हमें कई मीटर दूर बैठे भी गन्ध पहुँच जाती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पदार्थों को उनके कणों के बीच बढ़ते हुए आकर्षण के अनुसार व्यवस्थित करें –
(a) जल
(b) चीनी
(c) ऑक्सीजन
उत्तर-
ऑक्सीजन < जल < चीनी।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित तापमानों पर जल की भौतिक अवस्थाएँ क्या हैं ?
(a) 25°C
(b) 0°C
(c) 100°C
उत्तर-
(a) 25°C पर पानी द्रव अवस्था में होगा।
(b) 0°C पर पानी ठोस अवस्था में होगा क्योंकि पानी 0°C पर जम जाता है।
(c) 100°C पर पानी गैसीय अवस्था में होगा क्योंकि 100°C पर पानी वाष्प अवस्था में बदल जाता है।

प्रश्न 6.
पुष्टि हेतु कारण दें
(a) जल कमरे के ताप पर द्रव है
(b) लोहे की अलमारी कमरे के ताप पर ठोस होती है।
उत्तर-
(a) पानी कक्ष-ताप पर द्रव होता है क्योंकि इसका कोई निश्चित आकार नहीं होता, इसे जिस बर्तन में डाला जाता है उसी की आकृति जैसा बन जाता है। इसका निश्चित आयतन होता है, इसे फर्श पर डालने से ढलान की ओर रहता है|
अतः हम कह सकते हैं कि कक्ष -ताप (UPBoardSolutions.com) पर पानी द्रव है।
(b) लोहे की अलमारी कठोर व असंपीड्य है, इसका आकार निश्चित है इसीलिए यह ठोस है।

प्रश्न 7.
273 K पर बर्फ को ठंडा करने पर तथा जल को इसी तापमान पर ठंडा करने पर शीतलता का प्रभाव अधिक क्यों होता है ?
उत्तर-
273 K पर पानी के कणों की अपेक्षा बर्फ के कणों की ऊर्जा कम होती है। फलतः, बर्फ वातावरण से अधिक ऊष्मा अवशोषित कर सकता है। यही कारण है कि समान ताप पर होते हुए भी बर्फ पानी की अपेक्षा अधिक ठंडक पहुँचाता है।

प्रश्न 8.
उबलते हुए जल अथवा भाप में से जलने की तीव्रता किसमें अधिक महसूस होती है ?
उत्तर-
373 K पर वाष्प के कणों की ऊर्जा समान ताप पर पानी के कणों की ऊर्जा से अधिक होती है। ऐसा वाष्प के कणों द्वारा वाष्पन की गुप्त ऊष्मा के रूप में अतिरिक्त ऊर्जा अवशोषित किए जाने के कारण होता है। अतः जब वाष्प त्वचा के संपर्क में आता है तो समान ताप पर उबलते पानी की अपेक्षा अधिक ऊर्जा मुक्त करता है। फलतः 373 K पर वाष्प द्वारा समान ताप पर उबलते पानी की अपेक्षा अधिक जलन पैदा होती है।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित चित्र के लिए A, B, C, D, E तथा F की अवस्था परिवर्तन को नामांकित करें-
उत्तर-
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अति महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पदार्थ के कणों के आकार के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
पदार्थ के कणों के आकार अत्यन्त सूक्ष्म हैं।

प्रश्न 2.
दो पदार्थों के नाम लिखिए जो ऊर्ध्वपातन करते हैं।
उत्तर-
अमोनियम क्लोराइड, कपुर।

प्रश्न 3.
दो गैसों के नाम बताइए जिन्हें घरों तथा अस्पतालों में संपीडित रूप में आपूर्ति की जाती है।
उत्तर-
LPG तथा ऑक्सीजन।

प्रश्न 4.
केल्विन पैमाने पर जल का क्वथनांक तथा हिमांक लिखिए।
उत्तर-
क्वथनांक = 373K, हिमांक = 273K

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-से पदार्थों का निश्चित आयतन है लेकिन निश्चित आकार नहीं ?
ऑक्सीजन, शर्करा, क्रिस्टल, लकड़ी, जल, वायु।
उत्तर-
जल

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प्रश्न 6.
निम्न में से कौन-से पदार्थों को आकार व आयतन निश्चित नहीं है ?
ऑक्सीजन, शर्करा क्रिस्टल, लकड़ी, जल, वायु
उत्तर-
ऑक्सीजन तथा वायु।

प्रश्न 7.
प्राचीन भारतीय दार्शनिकों के अनुसार ‘पंचतत्त्व’ कौन-से हैं ?
उत्तर-
प्राचीन भारतीय दार्शनिकों के अनुसार ‘पंचतत्त्व’ हैं, पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल और आकाश।

प्रश्न 8.
तरल क्या है? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
कोई भी पदार्थ जो बह सकता है और अपना आकार बदल सकता है, तरल कहलाता है, जैसे-द्रव तथा गैस।

प्रश्न 9.
जल में घुली ऑक्सीजन का एक उपयोग लिखिए।
उत्तर-
जलीय जीव जल में घुली ऑक्सीजन का उपयोग श्वसन के लिए करते हैं।

प्रश्न 10.
ठोस, द्रव एवं गैसों में किसकी संपीड्यता सबसे अधिक और किसकी सबसे कम है?
उत्तर-
गैसों की संपीड्यता सबसे अधिक और ठोसों की सबसे कम है।

प्रश्न 11.
ठोस, द्रव और गैस की दृढ़ता के घटते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर-
ठोस > द्रव > गैस

प्रश्न 12.
ठोस, द्रव व गैस में से किसको खुरची | जा सकता है ?
उत्तर-
ठोस को खुरचा जा सकता है।

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प्रश्न 13.
पदार्थ के कणों में गतिज ऊर्जा क्यों होती | है ?
उत्तर-
पदार्थ के कण निरन्तर गतिशील होते हैं. इसीलिए उनमें गतिज ऊर्जा उत्पन्न होती रहती है।

प्रश्न 14.
आप जल की धार को क्यों नहीं काट | पाते?
उत्तर-
जल के कणों के मध्य एक बल कार्य करता है जो उन्हें एक साथ बाँधे रखता है।

प्रश्न 15.
दो गैसों के उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पसीना आने पर हमें पंखे के पास बैठने पर ठंडक क्यों अनुभव होती है ?
उत्तर-
पसीने के वाष्पन के लिए ऊष्मा शरीर से ली जाती है। पंखे में बैठने से वाष्पन की दर बढ़ जाती है और हमें ठंडक अनुभव होती है।

प्रश्न 2.
आर्द्रता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
वायु के प्रति घन मीटर में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा आर्द्रता कहलाती है।

प्रश्न 3.
ऊर्ध्वपातन की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
किसी पदार्थ का ठोस अवस्था से सीधा गैसीय अवस्था में बदलना ऊर्ध्वपातन कहलाता है।

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प्रश्न 4.
किन्हीं दो ऊर्ध्वपातन पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर-
कपूर, अमोनियम क्लोराइड, नैफ्थलीन एवं शुष्क बर्फ।

प्रश्न 5.
उन कारकों को लिखिएँ जो किसी गैस को द्रवित करने में सहायक हैं।
उत्तर-
उच्च दाब व निम्न ताप दो ऐसे कारक हैं। जो किसी गैस को द्रवित करने में सहायक हैं।

प्रश्न 6.
फैला देने पर गीले कपड़े क्यों जल्दी सूखते हैं ?
उत्तर-
फैला देने पर गीले कपड़े जल्दी सूखते हैं। क्योंकि फैलाने से उनकी सतह का क्षेत्रफल बढ़ जाता है। और जल के वाष्पन की दर बढ़ जाती है।

प्रश्न 7.
गलन की गुप्त ऊष्मा क्या है ?
उत्तर-
किसी पदार्थ के 1 किग्रा को उसके गलनांक पर ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा, गलन की गुप्त ऊष्मा कहलाती है।

प्रश्न 8.
वाष्पन की गुप्त ऊष्मा क्या है ?
उत्तर-
किसी पदार्थ के 1 किग्रा को उसके क्वथनांक पर द्रव अवस्था से गैसीय अवस्था में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा, वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहलाती है।

प्रश्न 9.
गुप्त ऊष्मा का मात्रक क्या है ?
उत्तर-
गुप्त ऊष्मा का मात्रक है कैलोरी प्रति ग्राम या जूल प्रति किग्रा।

प्रश्न 10.
बर्फ के गलन की गुप्त ऊष्मा क्या है?
उत्तर-
बर्फ के गलन की गुप्त ऊष्मा 80 कैलोरी/ग्राम या 335 जूल/ग्राम या 335 x 103 जूल/किग्रा है।

प्रश्न 11.
जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मी क्या है?
उत्तर-
जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 2260 जूल/ग्राम या 2260 x 103 जूल/किग्रा है।

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प्रश्न 12.
अन्तराणुक बलों के आधार पर ठोस, दुव तथा गैसों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
ठोसों में अन्तराणुक बल अत्यधिक प्रबल होते हैं ताकि इसे बनाने वाले अवयव कण इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं कि उनके मध्य स्थान नगण्य होता है। इसी कारण ठोसों को संपीडित नहीं किया जा सकता तथा इनका घनत्व अधिक होता है।
द्रवों में अन्तराणुक बल इतने प्रबल होते हैं कि वे (UPBoardSolutions.com) अवयव कणों को एक साथ बाँधे रख सकें, लेकिन उतने प्रबल नहीं होते कि अवयव कणों की स्थिति निश्चित रख सकें। इसी कारण द्रवों का आकार निश्चित नहीं होता तथा द्रव बहते हैं। गैसों में अन्तराणुक बल नगण्य (अत्यधिक निर्बल) होते हैं। इसलिए गैसों के अवयव कण स्वतंत्र रूप से गतिशील होते हैं तथा उपलब्ध स्थान को घेर लेते हैं।

प्रश्न 13.
भौतिक अवस्था के आधार पर पदार्थ की विभिन्न अवस्थाएँ क्या हैं ? उनमें अन्तर कीजिए।
उत्तर-
भौतिक अवस्था के आधार पर पदार्थ की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ हैं-
(i) ठोस अवस्था
(ii) द्रव अवस्था
(iii) गैसीय अवस्था।
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प्रश्न 14.
वायुमण्डलीय गैसों का विसरण जलीय जीवों के लिए किस प्रकार उपयोगी है?
उत्तर-
वायुमण्डलीय गैसें, विशेषकर, ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड, विसरण द्वारा जल में घुल जाती हैं। घुलीं हुई ऑक्सीजन का उपयोग जलीय जन्तु श्वसन के लिए करते हैं। जलीय पादप जल में घुली हुई कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग प्रकाश संश्लेषण द्वारा खाद्य निर्माण में करते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या होता है जब एक ठोस पदार्थ को गर्म किया जाता है ?
उत्तर-
जब एक ठोस पदार्थ को गर्म किया जाता है, तब उसका तापमान बढ़ता जाता है या उसके कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है जिसके कारण पदार्थ के कण अधिक तेजी से कम्पन करने लगते हैं और कणों के मध्य की दूरी बढ़ती जाती है और एक स्थिति ऐसी आती है जब ऊष्मा (UPBoardSolutions.com) द्वारा प्रदत्त ऊर्जा कणों के आकर्षण बल के बराबर हो जाती है और ठोस पिघलकर द्रव में परिवर्तित हो जाता है। यह तापमान पदार्थ का गलनांक कहलाता है।
अतः ‘‘किसी पदार्थ का गलनांक वह तापमान है। जिस पर कोई पदार्थ पिघलकर सामान्य वायुमंडलीय दाब पर द्रव में परिवर्तित हो जाता है।”
उदाहरण के लिए, बर्फ का गलनांक 273.16 K है। (सुविधा के लिए इसे हम 273 K लेते हैं।) K को ‘केल्विन’ कहते हैं।

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प्रश्न 2.
वाष्पीकरण या वाष्पन क्या है ? उन कारकों का उल्लेख कीजिए जिन पर वाष्पीकरण की दर निर्भर करती है।
उत्तर-
वाष्पीकरण या वाष्पन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई द्रव अपने क्वथनांक से भी कम ताप पर वाष्प में परिवर्तित हो जाता है।
वायुमण्डल से ऊष्मा लेकर द्रव की खुली सतह के कण वाष्प में बदल जाते हैं। वाष्पीकरण की दर निम्न कारकों पर निर्भर करती है :
(i) द्रव की खुली सतह : द्रव को छोटे या कम खुली सतह वाले बर्तन में रखने पर वाष्पन की दर कम और चौड़े या अधिक खुली सतह वाले बर्तन में अधिक होती है।
(ii) वायु का ताप : वायुमण्डल का ताप अधिक होने पर वाष्पीकरण की दर अधिक होती है।
(iii) वायुमण्डल में उपस्थित आर्द्रता : वायुमण्डल में उपस्थित आर्द्रता या नमी कम होने पर वाष्पीकरण की दर अधिक और अधिक होने पर कम होती है।
(iv) वायु की गति में वृद्धि : जब वायु की गति बढ़ जाती है तो जलवाष्प तेजी से दूर ले जायी जाती है जिससे आस-पास के स्थान में जलवाष्प की मात्रा कम हो जाती है और वाष्पन की दर बढ़ जाती है। यह सामान्य अनुभव की बात है कि तेज वायु में कपड़े जल्दी सूखते हैं।

प्रश्न 3.
कुछ मापने योग्य राशियों के S.I. मात्रक व प्रतीक लिखिए।
उत्तर-
कुछ मापने योग्य राशियाँ, उनके S.I. मात्रक एवं प्रतीक-
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प्रश्न 4.
गैसें बर्तन की दीवारों पर दाब क्यों डालती हैं ? संपीडित गैसों के सामान्य उदाहरण दीजिए व उनके उपयोग लिखिए।
उत्तर-
गैसीय अवस्था में, कण सभी दिशाओं में गतिशील रहते हैं और बर्तन की दीवारों से टकराते रहते हैं। और बर्तन की दीवारों पर दाब आरोपित करते हैं। सिलिंडर में गैस उच्च दाब (Pressure) पर भरी जाती है और वह अत्यधिक संपीडित होती है। वह गैस संपीडित गैस (Compressed gas) कहलाती है। अत्यन्त उच्च दाब पर संपीडित गैस द्रवित हो जाती है, इसे द्रवीकृत गैस (Liquefied gas) (UPBoardSolutions.com) कहते हैं। उदाहरणार्थ,
(i) घरों में खाना बनाने के लिए उपयोग किये जाने वाले सिलिंडर में उच्च दाब पर पेट्रोलियम गैस भरी जाती है जिसे द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस (Liquefied Petroleum Gas : LPG) कहते हैं।
(ii) संपीडित ऑक्सीजन (Compressed oxygen) अस्पतालों में प्रयोग की जाती है और मरीजों को दी जाती है जो सामान्य रूप से श्वसन नहीं कर पाते हैं।
(iii) संपीडित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas : CNG) का उपयोग आजकल एक स्वच्छ ईंधन (Clean fuel) के रूप में वाहन चलाने में किया जाता है।

प्रश्न 5.
विसरण क्या है ? जल में मिलाने पर किसका विसरण तेजी से होगा ठोस का या द्रव का ?
उत्तर-
विसरण : जब एक क्रिस्टल या द्रव की बूंद को जल में मिलाया जाता है, तो उसके कण धीरे-धीरे , समान रूप में जल में फैल जाते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जब दो अलग प्रकार के कणों वाले पदार्थ : सम्पर्क में होते हैं, तो उन पदार्थों के कणों का स्वत: मिश्रित । (intermixing) होना विसरण कहलाता है।
अतः ‘‘सम्पर्क में होने पर दो या अधिक प्रकार के कणों का स्वतः मिश्रित होना, विसरण कहलाता है।”
एक ठोस का दूसरे ठोस में विसरण संभव नहीं है या अत्यन्त कम है। एक ठोस का या एक द्रव का किसी द्रव में विसरण सामान्य प्रक्रिया है और किसी द्रव का अन्य द्रव में विसरण की दर ठोस की अपेक्षा अधिक होती है। ताप के साथ भी विसरण की दर बढ़ जाती है।

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प्रश्न 6.
बताइये क्यों गरमा-गरम खाने की गंध कई मीटर दूर से ही आपके पास पहुँच जाती है लेकिन ठंडे खाने की महक लेने के लिए आपको उसके पास जाना पड़ता है?
उत्तर-
किसी पदार्थ की गंध या महक हमें तभी अनुभव होती है जब महक के कण वायु में मिश्रित होकर हमारी नाक तक पहुँचते हैं। हम यह भी जानते हैं कि कणों को विसरण किसी माध्यम में उच्च ताप पर अधिक व निम्न ताप पर कम होता है। इसीलिए गरमा-गरम (उच्च ताप वाले) खाने की गंध तेजी के साथ कई मीटर दूर तक पहुँच जाती है लेकिन ठंडे (कम ताप वाले) खाने की गंध लेने के लिए हमें उसके पास जाना पड़ता है।

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प्रश्न 7.
निम्न की परिभाषा दीजिए :
गुप्त ऊष्मा (Latent Heat), गलन की गुप्त ऊष्मा, वाष्पन की गुप्त ऊष्मा।
उत्तर-
गुप्त-ऊष्मा : किसी निश्चित ताप पर दी गयी ऊष्मा की वह मात्रा जो पदार्थ की भौतिक अवस्था में परिवर्तन करने के लिए दी जाती है, गुप्त ऊष्मा कहलाती है।

गलन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Fusion or Melting) : ऊष्मा की वह मात्रा जो किसी पदार्थ के 1 किग्रा को उसके गलनांक पर ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में बदलने के लिए दी जाती है, गलन की गुप्त ऊष्मा कहलाती है। बर्फ के गलन की गुप्त ऊष्मा 80 कैलोरी/ग्राम या 335 जूल/ग्राम है।

वाष्पन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporisation) : ऊष्मा की वह मात्रा जो किसी पदार्थ के 1 किग्रा को उसके क्वथनांक पर द्रव अवस्था से गैसीय| अवस्था में बदलने के लिये दी जाती है, वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहलाती है। भाप या वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 540 कैलोरी/ग्राम या 2260 जूल/ग्राम है।

प्रश्न 8.
पदार्थ की अवस्था पर ताप और दाब का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
ताप और दाब का पदार्थ की अवस्था पर प्रभाव पड़ता है। जब किसी ठोस को गर्म किया जाता है तो उसके कगों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। वे तेजी से कंपन करते हैं और अधिक स्थान ग्रहण करते हैं और वे फैलने लगते हैं। एक निश्चित तापमान पर वे आकर्षण के बंधन से मुक्त हो स्वतंत्रतापूर्वक घूमने लगते हैं। तब उसके अणुओं की गति नहीं बढ़ती और उनकी व्यवस्था और क्रम में परिवर्तन होने लगता है तब वे तरल अवस्था में बदल जाते हैं। तरल को गर्म करने से अणुओं का वेग बढ़ जाता है। उनकी गतिज ऊर्जा बढ़ (UPBoardSolutions.com) जाती है। तेज गति वाले अणुओं का संवेग जब उन पर भीतर की तरफ लग रहे बल से अधिक बढ़ जाता है तो वे वाष्प अवस्था में बदल जाते हैं और तरल की सतह से बाहर निकल आते हैं।

अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. कणों के बीच सबसे कम आकर्षण बल है
(a) ठोसों में
(b) द्रवों में
(c) गैसों में
(d) इनमें से कोई नहीं

2. किसी ठोस का सीधे ही गैसीय अवस्था में बदलना कहलाता है
(a) वाष्पन।
(b) ऊर्ध्वपातन
(c) संघनन
(d) संगलन।

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3. ऊर्ध्वपातन पदार्थ हैं
(a) अमोनियम क्लोराइड
(b) नैफ्थेलीन
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं

4. किसी गैस को दृवित करने के लिए चाहिए
(a) उच्च ताप व दाब
(b) निम्न ताप व उच्च दाब
(c) निम्न ताप व दाब
(d) उच्च ताप व निम्न दाब

5. वाष्पीकरण वह प्रक्रम है जिसमें जल वाष्प में बदलता है
(a) 100°C पर
(b) अपने क्वथनांक पर
(c) अपने क्वथनांक से कम ताप पर
(d) कमरे के ताप परे

6. शुष्क बर्फ है
(a) बिना पानी वाली बर्फ
(b) ठोस कार्बन डाइऑक्साइड
(c) ठोस कार्बन मोनोक्साइड
(d) इनमें से कोई नहीं

7. कणों के मध्य सबसे कम स्थान होता है
(a) गैसों में
(b) द्रवों में
(c) ठोसों में ।
(d) इनमें से कोई भी नहीं

8. पदार्थ के कणों।
(a) के मध्य स्थान होता है।
(b) के मध्य आकर्षण बल होता हैं।
(c) में गतिज ऊर्जा होती है।
(d) उपर्युक्त सभी

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9. निम्न में पदार्थ नहीं है
(a) हवा
(b) गंध
(c) सर्दी
(d) शीतल पेय।

10. …….. तरल कहलाते हैं।
(a) स व द्रव
(b) द्रव व गैस
(c) ठोस व गैस
(d) ठोस, द्रव व गैस।

11. हम खुरच सकते हैं
(a) ठोस को
(b) द्रव को
(c) गैस को
(d) इनमें से कोई नहीं।

12. हम बहुत अधिक संपीडित कर सकते हैं
(a) ठोस को
(b) द्रव को
(c) गैस को
(d) इनमें से कोई नहीं।

13. ……. का आयतन निश्चित होता है, आकार नहीं।
(a) ठोस
(b) द्रव
(c) गैस
(d) इनमें से कोई नहीं।

14. बर्फ का गलनांक 0° लिया गया है
(a) फारेनहाइट पैमाने में
(b) केल्विन पैमाने में
(c) सेल्सियस पैमाने में
(d) गैलीलियो पैमाने में।

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15. आकार व आयतन निश्चित नहीं होता
(a) ठोसों में।
(b) द्रव में
(c) गैसों में
(d) इन सभी में

16. रसोईघर में प्रयोग करते हैं
(a) LPG
(b) MIC
(c) CNG
(d) ये सभी।

17. वाहनों में प्रयोग की जाती है
(a) LPG
(b) MIC
(c) CNG
(d) ये सभी।

18. बर्फ का गलनांक है
(a) 100°C
(b) 273 K
(c) 273°C
(d) 373 K

19. जल का क्वथनांक है
(a) 0°C
(b) 273 K
(c) 273°C
(d) 373 K

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20. गर्मियों में घड़े का जल निम्नलिखित प्रक्रमों में से किसके कारण ठंडा हो सकता है
(a) परासरण
(b) विसरण
(c) वाष्पोत्सर्जन
(d) वाष्पन ।

उत्तरमाला

  1. (c)
  2. (b)
  3. (c)
  4. (b)
  5. (c)
  6. (b)
  7. (c)
  8. (d)
  9. (c)
  10. (b)
  11. (a)
  12. (c)
  13. (b)
  14. (c)
  15. (c)
  16. (a)
  17. (c)
  18. (b)
  19. (d)
  20. (d)

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UP Board Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 4 भारत में खाद्य सुरक्षा

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1
भारत में खाद्य सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है?
उत्तर:
(क) प्रत्येक व्यक्ति के लिए खाद्य उपलब्ध रहे।
(ख) लोगों के पास अपनी भोजन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त और पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए धन उपलब्ध हो।
(ग) प्रत्येक व्यक्ति की पहुँच में खाद्य रहे।

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प्रश्न 2.
कौन लोग खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते हैं?
उत्तर:
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के अन्य क्षेत्र जो या तो भूमि के आधार पर गरीब हैं या जिनके पास बहुत कम भूमि है, क्रमशः खाद्य असुरक्षा के शिकार हैं। प्राकृतिक प्रकोपों से प्रभावित लोग जो शहरों में पलायन करते हैं, वह भी खाद्य असुरक्षा के शिकार होते हैं। गर्भवती महिलाएँ एवं नर्सिंग माँ भी कुपोषण एवं खाद्य असुरक्षा स्तर का शिकार (UPBoardSolutions.com) होती है। उक्त के अलावा भूमिहीन अर्थात् थोड़ी या नाम मात्र की भूमि पर निर्भर लोगों को खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त लोगों की श्रेणी में हम शामिल कर सकते हैं जिनका विवरण इस प्रकार हैं

  1.  शहरी कामकाजी मजदूर ।
  2. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों के कुछ वर्गों के लोग
  3.  प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोग
  4.  गर्भवती तथा दूध पिला रही महिलाएँ तथा पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे
  5.  पारम्परिक दस्तकार
  6. पारम्परिक सेवाएँ प्रदान करने वाले लोग
  7.  अपना छोटा-मोटा काम करने वाले कामगार
  8.  भिखारी

प्रश्न 3.
भारत में कौन-से राज्य खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हैं?
उत्तर:
भारत में ओडिशा, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र आदि राज्य खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त हैं।

प्रश्न 4.
क्या आप मानते हैं कि हरित क्रान्ति ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया है? कैसे?
उत्तर:
भारत में सरकार ने स्वतन्त्रता के पश्चात् खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बनने का यथासम्भव प्रयास किया है। भारत में कृषि क्षेत्र में एक नयी रणनीति अपनायी गयी, जैसे-हरित क्रान्ति के कारण गेहूँ उत्पादन में वृद्धि हुई। गेहूँ की सफलता के बाद चावल के क्षेत्र में इस सफलता की (UPBoardSolutions.com) पुनरावृत्ति हुई। पंजाब और हरियाणा में सर्वाधिक वृद्धि दर दर्ज की गयी, जहाँ अनाजों का उत्पादन 1964-65 के 72.3 लाख टन की तुलना में बढ़कर 1995-96 में 3.03 करोड़ टन पर पहुँच गया, जो अब तक का सर्वाधिक ऊँचा रिकार्ड था। दूसरी तरफ, तमिलनाडु और आन्ध्र प्रदेश में चावल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। अतः हरित क्रान्ति ने भारत को काफी हद तक खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया है।

प्रश्न 5.
भारत में लोगों का एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यह सत्य है कि भारत में लोगों का एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित है। आज भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर देश बन चुका है। ऐसे में देश का कोई नागरिक खाद्य से वंचित नहीं होना चाहिए। वास्तविक अभ्यास एवं वास्तविक जीवन में ऐसा नहीं है। लोगों को एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनके पास खाद्य खरीदने के लिए आवश्यक राशि नहीं है। यह लोग दीर्घकालिक गरीब हैं जो कोई क्रय शक्ति नहीं रखते। इस वर्ग में भूमिहीन एवं बेरोज़गार लोग शामिल हैं।
खाद्य से वंचित सर्वाधिक प्रभावित वर्गों में है-ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन परिवार जो थोड़ी बहुत अथवा नगण्य भूमि पर निर्भर हैं, कम वेतन पाने वाले लोग, शहरों में मौसमी रोजगार पाने वाले लोग। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों के कुछ वर्गों (इनमें से निचली जातियाँ) को या तो भूमि का आधार कमजोर होता है। वे लोग भी खाद्य की दृष्टि से सर्वाधिक असुरक्षित होते हैं, जो प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हैं और जिन्हें काम की तलाश में दूसरी जगह जाना पड़ता है। खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त आबादी का बड़ा भाग गर्भवती तथा दूध पिला रही महिलाओं तथा पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों का है।

प्रश्न 6.
जब कोई आपदा आती है तो खाद्य पूर्ति पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
किसी प्राकृतिक आपदा जैसे—सूखा, बाढ़ आदि के कारण खाद्यान्न की कुल उपज में गिरावट दर्ज की जाती है जिससे क्षेत्र विशेष में खाद्यान्न की कमी हो जाती है जिसकी वजह से खाद्यान्नों की कीमतें बढ़ जाती हैं। समाज के निर्धन वर्ग के लोग ऊँची कीमतों पर खाद्यान्न नहीं खरीद पाते हैं। (UPBoardSolutions.com) यदि यह आपदा अधिक लंबे समय तक बनी रहती है तो भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। जो अकाल की स्थिति बन सकती है।

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प्रश्न 7.
मौसमी भुखमरी और दीर्घकालिक भुखमरी में भेद कीजिए।
उत्तर:
दीर्घकालिक भुखमरी यह मात्रा एवं/या गुणवत्ता के आधार पर अपर्याप्त आहार ग्रहण करने के कारण होती है। गरीब लोग अपनी अत्यन्त निम्न आय और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थ खरीदने में अक्षमता के कारण दीर्घकालिक भुखमरी से ग्रस्त होते (UPBoardSolutions.com) हैं। मौसमी भुखमरी-यह फसल उपजाने और काटने के चक्र से सम्बन्धित हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि क्रियाओं की मौसमी प्रकृति के कारण तथा नगरीय क्षेत्रों में अनियमित श्रम के कारण होती है। जैसे—बरसात के मौसम में अनियमित निर्माण के कारण श्रमिक को कम काम रहता है।

प्रश्न 8.
गरीबों को खाद्य सुरक्षा देने के लिए सरकार ने क्या किया? सरकार की ओर से शुरू की गई किन्हीं दो योजनाओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
भारत सरकार ने लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर खाद्य सुरक्षा प्रणाली अपनायी है। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्त्योदय अन्न योजना के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है।

(क) सार्वजनिक वितरण प्रणाली–केन्द्र सरकार, भारतीय खाद्य निगम के द्वारा किसानों से अधिप्राप्त अनाज को विनियमित कर राशन की दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित करती है। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली कहते हैं। वर्तमान में देश के ज्यादातर क्षेत्रों, गाँवों, कस्बों और शहरों में राशन की दुकानें हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली खाद्य सुरक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा उठाया गया महत्त्वपूर्ण कदम है। राशन की दुकानों को उचित मूल्य की दुकानें कहते हैं। यहाँ चीनी, खाद्यान्न और खाना पकाने के (UPBoardSolutions.com) लिए मिट्टी के तेल का भण्डारण और वितरण किया जाता है।

संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (आर.पी.डी.एस.) को 1992 में देश के 1700 ब्लॉकों में संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली शुरू की गई। इसका लक्ष्य दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली से लाभ पहुँचाना था। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टी.पी.डी.एस.) को जून 1997 से सभी क्षेत्रों में गरीबों को लक्षित करने के सिद्धान्त को अपनाने के लिए प्रारम्भ की गई। यह पहला मौका था जब निर्धनों और गैर-निर्धनों के लिए विभेदक कीमत नीति अपनाई गई।

(ख) अन्त्योदय अन्न योजना (ए.ए.वाई.) और अन्नपूर्णा योजना (ए.ए.एस.)-ये योजनाएँ क्रमशः ‘गरीबों में भी सर्वाधिक गरीब’ और ‘दीन वरिष्ठ नागरिक समूहों पर लक्षित हैं। इस योजना का क्रियान्वयन पी.डी.एस. के पहले से ही मौजूद नेटवर्क के साथ जोड़ा गया।

प्रश्न 9.
सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है?
उत्तर:
सरकार बफर स्टॉक को कुछ निश्चित कृषि फसलों जैसे–गेहूँ, गन्ना आदि के लिए नियमित करता है। बफर स्टॉक भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूँ और चावल को भण्डार है। भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में किसानों (UPBoardSolutions.com) से गेहूँ और चावल खरीदता है। किसानों को उनकी फसल के लिए पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थित मूल्य कहा जाता है। इन फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से बुआई के मौसम से पहले सरकार न्यूनतम समर्थित मूल्य की घोषणा करती है। खरीदे हुए अनाज खाद्य भंडारों में रखे जाते हैं। ऐसा कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के गरीब वर्गों में बाजार कीमत से कम कीमत पर अनाज के वितरण के लिए किया जाता है। इस कीमत को निर्गम कीमत भी कहते हैं।

प्रश्न 10.
टिप्पणी लिखें
(क) न्यूनतम समर्थित कीमत
(ख) बफर स्टॉक
(ग) निर्गम कीमत
(घ) उचित दर की दुकान
उत्तर:
(क) न्यूनतम समर्थित कीमत-भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में किसानों से गेहूँ और चावल खरीदता है। किसानों को उनकी फसल के लिए पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थित मूल्य कहा जाता है। सरकार फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से बुआई के मौसम से पहले न्यूनतम समर्थित मूल्य की घोषणा करती है। खरीदे हुए अनाज खाद्य भंडारों में रखे जाते हैं।

(ख) बफर स्टॉक-अतिरिक्त भंडार गेहूँ एवं चावल जैसे अनाजों का स्टॉक है जो सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम से प्राप्त किया जाता है। इसका वितरण घाटे के क्षेत्रों एवं आवश्यक लोगों को किया जाता है।

(ग) निर्गमित कीमत-निर्गमित मूल्य पर सरकार द्वारा घाटे के क्षेत्रों में अनाज का वितरण किया जाता है, निर्गमित मूल्य कहलाती है। यह कीमत बाजार मूल्य की तुलना में कम होती है।

(घ) उचित दर वाली दुकानें भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित करती हैं।
राशन कि दुकानों में, जिन्हें उचित दर वाली दुकानें कहा जाता है, पर चीनी, खाद्यान्न और खाना पकाने के लिए मिट्टी के तेल का भंडार होता है। ये लोगों को सामान बाजार कीमत से कम कीमत पर देती है। अब अधिकांश क्षेत्रों, गाँवों, कस्बों और शहरों में राशन की दुकानें हैं।

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प्रश्न 11.
राशन की दुकानों के संचालन में क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर:
राशन की दुकानों के संचालन में आने वाली प्रमुख समस्यायें इस प्रकार हैं

  1. राशन की दुकान खोलने के लिए पर्याप्त मात्रा में उच्च कोटि की सीमित वस्तुओं का सरकार द्वारा उपलब्ध न किया जाना।
  2.  सभी सदस्यों का राशन न लेना।।
  3. घटिया वस्तुओं का न खरीदा जाना।
  4.  कुछ दुकानदारों द्वारा छल-कपट, धोखा-धड़ी, चोर बाजारी और काला बाजारी करना।
  5.  पर्याप्त मात्रा में राशन की दुकान का उपलब्ध न होना।
  6.  राशन की दुकानों का देहातों में दूर स्थित होना।

प्रश्न 12.
खाद्य और सम्बन्धित वस्तुओं को उपलब्ध कराने में समितियों की भूमिका पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
देश के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में सहकारी समितियाँ भी खाद्य सुरक्षा में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सहकारी समितियाँ निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती हैं। उदाहरणार्थ, तमिलनाडु में जितनी राशन की दुकानें हैं, उनमें से करीब 94 प्रतिशत सहकारी समितियों के माध्यम से चलाई जा रही हैं। दिल्ली में मदर डेयरी उपभोक्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित नियंत्रित दरों पर अन्य वस्तुएँ जैसे-दूध और सब्जियाँ उपलब्ध कराने में तेजी से (UPBoardSolutions.com) प्रगति कर रही है। गुजरात में दूध तथा दुग्ध उत्पादों में अमूल एक और सफल सरकारी समिति का उदाहरण है। देश के विभिन्न भागों में कार्यरत सरकारी समितियों के और अनेक उदाहरण हैं, जिन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के लिए खाद्य और सम्बन्धित वस्तुएँ उपलब्ध कराई हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
महाराष्ट्र के ‘एकेडमी ऑफ डेवलपमेंट साइंस’ की खाद्य सुरक्षा में भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इस संस्था ने महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में अनाज बैंकों की स्थापना के लिए गैर-सरकारी संगठनों के नेटवर्क की सहायता की। यह संस्था गैर-सरकारी संगठनों के लिए खाद्य सुरक्षा के विषय में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम का संचालन करती है।

प्रश्न 2.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की विफलता के मुख्य कारण बताइए।
उत्तर:
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की विफलता का मुख्य कारण अखिल भारतीय स्तर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खाद्यान्नों की औसत उपभोग मात्रा 1 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिमाह है। बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति उपभोग को आँकड़ा 300 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिमाह से भी कम हैं।

प्रश्न 3.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को किन आधारों पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है?
उत्तर:
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अनेक आधारों पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। अनाजों से साढ़स भरे अन्न भंडारों के बावजूद भुखमरी की घटनाएँ हो रही है। भारतीय खाद्य निगम के भंडार अनाज से भी हैं। कहीं अनाज सड़ रहा है तो कुछ स्थानों पर चूहे अनाज खा रहे हैं।

प्रश्न 4.
सहायिकी (सब्सिडी) क्या है?
उत्तर:
सहायिकी (सब्सिडी) वह भुगतान है जो सरकार द्वारा किसी उत्पादक को बाजार कीमत की अनुपूर्ति के लिए किया जाता है। सहायिकी से घरेलू उत्पादकों के लिए ऊँची आय कायम रखते हुए, उपभोक्ता कीमतों को कम किया जा सकता है।

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प्रश्न 5.
न्यूनतम समर्थित कीमत में वृद्धि से किसानों तथा फसलों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
न्यूनतम समर्थित कीमत में वृद्धि से विशेषतया खाद्यान्नों के अधिशेष वाले राज्यों के किसानों को अपनी भूमि पर मोटे अनाजों की खेती समाप्त कर धान और गेहूं उपजाने के लिए प्रेरित किया जाता है जबकि मोटे अनाज गरीबों का प्रमुख भोजन है। धान की खेती के लिए सघन सिंचाई से पर्यावरण और जल स्तर में गिरावट आई है।

प्रश्न 6.
भारत में राशन व्यवस्था की शुरुआत कब हुई?
उत्तर:
भारत में राशन व्यवस्था की शुरुआत बंगाल के अकाल की पृष्ठभूमि में 1940 ई. के दशक में हुई। इस अकाल में 30 लाख से अधिक लोग मारे गए थे। हरित क्रान्ति से पहले खाद्य संकट से उबरने के लिए 1960 ई. के दशक के दौरान राशन प्रणाली पुनः जीवित की गयी।

प्रश्न 7.
अकाल से आप क्या समझते है?
उत्तर:
अकाल फसलों के उत्पादन कम होने से लोगों में भुखमरी उत्पन्न हो जाती है जिससे बड़े पैमाने पर मौतें होती हैं। जो लोग भुखमरी तथा विवश होकर होकर दूषित जल या सड़े भोजन के प्रयोग से फैलने वाली महामारियों तथा भुखमरी से उत्पन्न कमजोरी से रोगी के प्रति शरीर की प्रतिरोधी क्षमता में कमी उत्पन्न होती है।

प्रश्न 8.
उचित दर वाली दुकानों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
राशन की दुकानों में जिन्हें उचित दर वाली दुकानें कहा जाता है, जहाँ चीनी, खाद्यान्न और खाना पकाने के लिए मिट्टी के तेल का भंडार होता है, ये सामान लोगों को बाजार कीमत से कम कीमत पर वितरण किया जाता है।

प्रश्न 9.
राशन कार्ड रखने वाले परिवार को लगभग कितना सामान प्रतिमाह मिलता है?
उत्तर:
राशन कार्ड रखने वाले कोई भी परिवार प्रतिमाह इनकी एक अनुबंधित मात्रा (जैसे 35 किलोग्राम अनाज, 5 लीटर मिट्टी का तेल, 5 किलोग्राम चीनी आदि) निकटवर्ती राशन की दुकान से खरीद सकता है।

प्रश्न 10.
सोमालिया में अकाल का क्या कारण है?
उत्तर:
सोमालिया (अफ्रीकी देश) में अकाल-नागरिक अशान्ति का परिणाम है। देश में खाद्य वितरण प्रणाली पूरी तरह टूट गयी है।

प्रश्न 11.
राशन कार्ड के प्रकार बताइए।
उत्तर:
राशन कार्ड के निम्नलिखित तीन प्रकार होते हैं

  1.  गरीबों में सबसे गरीब के लिए (अंत्योदय) कार्ड।
  2.  गरीबी रेखा से नीचे बी. पी. एल. कार्ड उनके लिए हैं जो गरीबी रेखा से नीचे हैं।
  3. गरीबी रेखा से ऊपर ए. पी. एल. कार्ड सभी अन्य लोगों के लिए।

प्रश्न 12.
अकाल के विपक्ष में तीन आधुनिक हथियारों को बताइए।
उत्तर:
अकाल के विरुद्ध आधुनिक हथियार

  • नाइट्रोजन उर्वरकों का उपयोग
  •  रेगिस्तानी कृषि
  • आधुनिक कृषि तकनीक का उपयोग।

प्रश्न 13.
अकाल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अकाल उस परिस्थिति को कहते हैं जिसमें किसी क्षेत्र या देश की जनसंख्या का बड़ा भाग अल्प भोजन और कुपोषण से ग्रस्त होता है, जिसके कारण भुखमरी, जीवन का साधारण अंग बन जाती है।

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प्रश्न 14.
स्वतन्त्रता से पूर्व अकाल के पड़ने के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
अकाल के लिए उत्तरदायी कारण निम्नलिखित हैं

  1.  खाद्य की अधिक कमी,
  2. विनाश, चाहे प्राकृतिक हो या मानव निर्मित,
  3. ब्रिटिश सरकार की दमन नीतियाँ।

प्रश्न 15.
राशनिंग क्या है? इसका उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
राशनिंग उस मात्रा पर प्रतिबंध को दर्शाती है जो उपभोक्ताओं द्वारा क्रय एवं उपभोग की जा सकती है। राशनिंग उन गरीब उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं की उपलब्धि को सुनिश्चित करती है जो कि स्वतन्त्र बाजार में वस्तुएँ प्राप्त नहीं कर पाते। सीमित वस्तुएँ जैसे—मिट्टी का तेल, सीमेंट, वनस्पति घी आदि वस्तुएँ भी राशन कार्ड द्वारा बेची जाती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
खाद्य सुरक्षा में किसे शामिल किया जा सकता है?
उत्तर:
खाद्य सुरक्षा में निम्नलिखित शामिल हैं

  1.  खाद्य की उपलब्धता यहाँ पर सभी के लिए भोजन उपलब्ध होना चाहिए।
  2. खाद्य की अधिकता-सभी व्यक्तियों के पास खाद्य (भोजन) होना चाहिए। यह सभी तक पहुँचना चाहिए।
  3.  खाद्य की प्राप्ति-सभी व्यक्तियों के पास पर्याप्त, सुरक्षित एवं पोषण खाद्य खरीदने के लिए पर्याप्त क्रय शक्ति होनी चाहिए।

A buffer Capacity system is a solution that resists a change in pH when acids or bases are added.

प्रश्न 2.
खाद्यान्न के गोदामों में आवश्यकता से अधिक अनाज का होना फिर भी लोगों के पास खाने के लिए भोजन नहीं है। इस विडम्बना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अतिरिक्त भंडार (Buffer Stock) की पर्याप्तता के बावजूद हमारे देश की 26% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे रह रही है। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रतिदिन उनके पास भोजन खरीदने के साधन भी नहीं हैं। हालांकि यह प्रतिशत 19992000 में कम हुआ जो 1993-94 में 36% था; इन गरीबों (UPBoardSolutions.com) की सम्पूर्ण संख्या 26 करोड़ है। यह प्रदर्शित करता है कि यहाँ पर कुछ लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है, जबकि सरकार के गोदामों में खाद्यान्न रखने की जगह नहीं है। उपरोक्त परिस्थितियों में हमारे कृषि वैज्ञानिकों को उत्पादन में वृद्धि के लिए कई अन्य उपाय खोजने पड़ेंगे जिससे हमारी जनसंख्या के कई लाख लोगों को भोजन प्रदान किया जा सके।

प्रश्न 3.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सरकार द्वारा विनियमित बिन्दु पर आवश्यक वस्तुओं के वितरण को सार्वजनिक वितरण प्रणाली कहते हैं। हमारे देश में लगभग 4,60,000 राशन एवं उचित कीमत की दुकानें हैं जो सम्पूर्ण देश में फैली हुई हैं। मिट्टी का तेल, गन्ना, कोयला आदि भी सरकारी उचित कीमत की दुकानों के द्वारा बेची जाती है। उपभोक्ता सहकारी समितियाँ (co-operatives) भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के ऐजेंट के रूप में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन सहकारी समितियों द्वारा विनियमित कपड़े एवं अन्य वस्तुएँ बेची जाती हैं।

कभी-कभी व्यापारिक एजेंसी द्वारा राशन कार्ड के आधार पर वनस्पति तेल भी बेचा जाता है।
सुपर बाज़ार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की एजेंसी के रूप में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दिल्ली में विभिन्न गतिशील मोटर वाहन (vans) को भी दिल्ली प्रशासन एवं सुपर बाजार द्वारा प्रारम्भ किया गया है। जिससे शहर के प्रत्येक हिस्से में आवश्यक वस्तुओं का प्रवाह किया जा सके। (UPBoardSolutions.com) दिल्ली दृध योजना एवं मदर डेयरी भी दूध की आपूर्ति उचित दर (fair price) पर करती है। जनजातियों के क्षेत्रों (tribal areas) में भी विशेष सहायता योजना (special subsidied scheme) के अन्तर्गत अनाज को रियायती दरों पर उपलब्ध कराया जाता है।

प्रश्न 4.
सहकारी समितियाँ किस प्रकार खाद्य सुरक्षा में सहायक होती हैं?
उत्तर:
सहकारी समितियाँ भारत में खाद्य सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सहकारी समितियों ने गरीब लोगों को कम मूल्य पर वस्तुएँ बेचने के लिए दुकानों का निर्माण किया है। उदाहरण के लिए तमिलनाडु में चलाई जाने वाली सभी उचित कीमत की दुकानों में से 94 प्रतिशत दुकानें सहायक समितियों द्वारा चलाई जाती हैं। दिल्ली में, मदर डेयरी ने दिल्ली सरकार द्वारा निश्चित नियंत्रित कीमत पर उपभोक्ताओं के लिए दूध एवं सब्जियों के संचय का प्रयास किया है। अमूल भी सहकारी समितियों की सफलता की एक कहानी है। यह देश में श्वेत क्रान्ति लाया था। यहाँ सहकारी समितियों के कई और अन्य उदाहरण है जो खाद्य सुरक्षा को भारत के (UPBoardSolutions.com) विभिन्न भागों के विभिन्न वर्गों में सुनिश्चित करता है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में Academy of Development Science ने गैर-सरकारी संगठनों द्वारा अनाज बैंक बनाने की सुविधा उपलब्ध की। ADS प्रशिक्षण की व्यवस्था करता है। यह भोजन सुरक्षा के उद्देश्य से संगठित गैर-सरकारी संगठनों के लिये भवन की व्यवस्था करता है। महराष्ट्र के विभिन्न भागों में अनाज बैंकों का धीरे-धीरे विकास हो रहा है।

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प्रश्न 5.
अन्त्योदय अन्न योजना एवं अन्नपूर्णा योजना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अन्त्योदय अन्न योजना (AAY) दिसम्बर 2000 ई. में प्रारम्भ हुई। इस योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे पाए जाने वाले परिवारों की पहचान की गयी। गरीब परिवारों की प्रदेश सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने गरीबी रेखा के आधार पर पता लगाया। प्रत्येक पहचान किए गए परिवार को 25 किलोग्राम (UPBoardSolutions.com) अनाज अत्यधिक रियायती मूल्य पर प्रदान किया गया। गेहूं का मूल्य 2 रुपये प्रति किलो और चावल 3 रुपये प्रति किलो दर पर प्रदान किए गए। अप्रैल 2002 ई. से खाद्यान्न की मात्रा 25 किलो से बढ़ाकर 35 किलो कर दी गई।

इसके पश्चात् इस योजना का प्रसार गरीबी रेखा के नीचे दिए जाने वाले 50 लाख अन्य परिवारों में किया गया! यह वृद्धि जून 2003 ई. एवं अप्रैल 2004 ई. में की गई। इस वृद्धि से दो करोड़ परिवारों की सहायता प्रदान की जाती है।
अन्नपूर्णा योजना (APS)–यह वर्ष 2000 में सीनियर नागरिकों को 10 किलोग्राम मुफ्त अनाज प्रदान करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के रूप में आरम्भ की गई।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम को लागू करने के उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
14 नवम्बर, 2004 ई. को यह कार्यक्रम पूरक श्रम रोजगार के सृजन को तीव्र करने के उद्देश्य से देश के 150 पिछड़े जिलों में शुरू किया गया। यह कार्यक्रम उन समस्त ग्रामीण गरीबों के लिए है, जिन्हें वेतन रोजगार की आवश्यकता है।
और जो अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हैं। इसे शत-प्रतिशत केन्द्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के रूप में लागू किया गया और राज्यों को निःशुल्क अनाज मुहैया कराया जाता रहा है। जिला स्तर पर कलेक्टर शीर्ष अधिकारी है और उन पर इस कार्यक्रम की योजना बनाने, कार्यान्वयन, समन्वयन और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी है। वर्ष 2004-05 में इस कार्यक्रम के लिए 20 लाख टन अनाज के अतिरिक्त 2,020 करोड़ रुपये नियत किए गए हैं।

प्रश्न 7
अन्त्योदय अन्न योजना से आप क्या समझते हैं? टिप्पणी करें।
उत्तर:
अन्त्योदय अन्न योजना दिसम्बर, 2000 में शुरू की गई थी। इस योजना के अन्तर्गत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आने वाले निर्धनता रेखा से नीचे के परिवारों में से एक करोड़ लोगों की पहचान की गई। सम्बन्धित राज्य के ग्रामीण विकास विभागों ने गरीबी रेखा से नीचे के गरीब परिवारों को सर्वेक्षण के द्वारा चुना। 2 रुपये प्रति किलोग्राम गेहूँ और 3 रुपये प्रति किलोग्राम की अत्यधिक आर्थिक सहायता (UPBoardSolutions.com) प्राप्त दर पर प्रत्येक परिवार को 25 किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया गया। अनाज की यह मात्रा अप्रैल 2002 में 25 किलोग्राम से बढ़ा कर 35 किलोग्राम कर दी गई। जून 2003 और अगस्त 2004 में इसमें 50-50 लाख अतिरिक्त बी.पी.एल. परिवार दो बार जोड़े गए। इससे इस योजना में आने वाले परिवारों की संख्या 2 करोड़ हो गई।

प्रश्न 8.
भुखमरी से आप क्या समझते हैं? भारत में भुखमरी के कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
भुखमरी खाद्य की दृष्टि से असुरक्षा को इंगित करने वाला एक दूसरा पहलू है। भुखमरी गरीबी की एक अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, यह गरीबी लाती है। इस तरह खाद्य की दृष्टि से सुरक्षित होने से वर्तमान में भुखमरी समाप्त हो जाती है और भविष्य में भुखमरी का खतरा कम हो जाता है।
भुखमरी के प्रकार

(क) दीर्घकालिक भुखमरी–यह मात्रा या गुणवत्ता के आधार पर अपर्याप्त आहार ग्रहण करने के कारण होती है। गरीब लोग अपनी अत्यन्त निम्न आय और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थ खरीदने में अक्षमता के कारण दीर्घकालिक भुखमरी से ग्रस्त होते हैं।
(ख) मौसमी भुखमरी-यह फसल उपजाने और काटने के चक्र से सम्बन्धित हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि क्रियाओं की मौसमी प्रकृति के कारण ना नारी क्षेत्रों में अनियमित श्रम के कारण होती है। जैसे-बरसात के मौसम में अनियत निर्माण श्रमिक को कम काम रहता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
खाद्य और खाद्य से सम्बन्धित वस्तुओं को उपलब्ध कराने में सहकारी समितियों और गैर सरकारी संगठनों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1.  गुजरात में दूध तथा दुग्ध उत्पादों में अमूल एक और सफल सहकारी समिति का उदाहरण है। इसने देश में श्वेत क्रान्ति ला दी है।
  2. भारत में सहकारी समितियों के कई उदाहरण हैं जो समाज के विभिन्न वर्गों की खाद्य सुरक्षा के लिए अच्छा काम कर रहे हैं।
  3.  भारत में गैर-सरकारी संगठन की खाद्य सुरक्षा के लिए अच्छा काम कर रहे हैं।
  4. इसी तरह, महाराष्ट्र में एकेडमी ऑफ डेवलपमेंट साइंस (ए.डी.एस.) ने विभिन्न क्षेत्रों में अनाज बैंकों की स्थापना के लिए गैर-सरकारी संगठनों के नेटवर्क में सहायता की है।
  5. ए.डी.एस. गैर-सरकारी संगठनों के लिए खाद्य सुरक्षा के विषय में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम संचालित करती है।
  6. अनाज बैंक अब धीरे-धीरे महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में खुलते जा रहे हैं।
  7. अनाज बैंकों की स्थापना, गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से उन्हें फैलाने और खाद्य सुरक्षा पर सरकार की नीति को प्रभावित करने में ए.डी.एस. की कोशिश रंग ला रही है।
  8.  ए.डी.एस. अनाज बैंक कार्यक्रम को एक सफल और नए प्रकार के खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के रूप में स्वीकृति मिली। हैं।
  9. भारत में विशेषकर देश के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में सहकारी समितियाँ भी खाद्य सुरक्षा में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
  10.  सहकारी समितियाँ निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती हैं।
  11. दिल्ली में मदर डेयरी उपभोक्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित नियंत्रित दरों पर दूध और सब्जियाँ उपलब्ध कराने में तेजी से प्रगति कर रही है।

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प्रश्न 2.
कुछ पोषक भोजन कार्यक्रमों को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:

  1. दोपहर के भोजन की योजना-यह वर्ष 1962-63 में शुरू किया गया था। इसका लक्ष्य 6 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रोटीन युक्त पौष्टिक भोजन प्रदान करना है। वर्ष 1983 तक इसने 18 लाख बच्चों को इस कार्यक्रम में शामिल किया।
  2.  विशेष पोषण योजना-यह वर्ष 1970-71 में प्रारम्भ किया गया। इसका लक्ष्य 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रोटीन युक्त 300 कैलोरी प्रदान करना है और गर्भवती को वर्ष में 300 दिन 500 कैलोरी प्रोटीन के साथ प्रदान करना है। वर्ष 1983 तक इस कार्यक्रम में 9 लाख लोग शामिल थे। इस कार्यक्रम में पौष्टिक एवं शक्तिवर्धक खाद्य का उत्पादन भी शामिल है।
  3. विशेष पौष्टिक भोजन कार्यक्रम-वर्ष 1960 में विशेष पौष्टिकता की कमी को दूर करने के लिए निम्न विशेष पौष्टिक भोजन कार्यक्रम जारी किए गए।
  4. व्यवहारिक संतुलित पौष्टिक आहार योजना-यह वर्ष 1960 में दो राज्यों में प्रारम्भ हुआ। वर्ष 1973 तक यह सभी राज्यों में फैल गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य संतुलित आहार, सुरक्षित खाद्य का उपभोग एवं पकाने की उचित तकनीकी के विचार को फैलाना था।

प्रश्न 3.
अनाज प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
द्वितीय (II) विश्व युद्ध के दौरान अनाज की कमी को पूरा करने के लिए इसे प्रारम्भ किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध से अनाज प्रबंध निरंतर उसी एवं अन्य रूप में चल रहा है। अनाज प्रबंध के आवश्यक तत्त्व निम्नलिखित हैं-

(क) सार्वजनिक वितरण प्रणाली का रख-रखाव।
(ख) अनाज के अतिरिक्त भंडार का रख-रखाव।
(ग) सरकारी एजेंसी द्वारा बाजार में उपलब्ध अतिरिक्त खाद्यान्नों की सार्वजनिक वितरण के रूप में प्राप्ति करना एवं उसका भंडार बनाना।
(घ) अनाज के प्रबंध में आवश्यक एवं न्यायोचित प्रतिबन्ध लगाना।
(ङ) निजी व्यापार का नियमन जिससे खाद्यान्नों की जमाखोरी एवं उनमें सट्टेबाज़ी रोकी जा सकें।
(च) जब कभी आवश्यक हो, तो घरेलू उत्पादन की सहायता के लिए विदेशों से खाद्यान्न का आयात करना।

प्रश्न 4.
अकाल के लिए उत्तरदायी कारणों को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
अकाल के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं-

  1. युद्ध एवं जान बूझकर राजनीतिक हस्तक्षेप भी अकाल को कारण हो सकता है-इन दिनों क्षेत्रों में विनाशकारी युद्ध एवं कुछ राजनैतिक मतभेद अकाल की स्थिति पैदा करते हैं।
  2. नागरिक उथल-पुथल (अशान्ति) और भोजन वितरण प्रणाली की दुर्व्यवस्था-समूहों के मध्य टकराव एवं मुठभेड़ कभी-कभी खाद्य वितरण प्रणाली को तोड़ देते हैं और अकाल को बढ़ावा देते हैं।
  3. अधिक खाद्य कमी-अकाल की प्रधान विशेषता खाद्य की अधिक कमी होना है। खाद्य (भोजन) अनुपलब्ध है। चाहे यह उपलब्ध हो लेकिन इसके मूल्य के अधिक होने के कारण यह सामान्य लोगों की पहुँच तक नहीं होता।
  4.  फसल की असफलता या स्थिति में परिवर्तन जैसे सूखा-हार्वेस्ट के बाढ़, सूखा एवं प्राकृतिक आपदाओं के कारण निरन्तर असफल होने के परिणामस्वरूप खाद्य स्तर में कमी होती है और यह आकाल की स्थिति लाता है।
  5.  विनाश चाहे प्राकृतिक या मानव निर्मित किसी भी प्रकार का विनाश चाहे प्राकृतिक हो या मानव द्वारा निर्मित आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचाता है और अकाल को पैदा करता है।

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