UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 10 कपड़े के तन्तु : प्रकार एवं दैनिक जीवन में इनका प्रयोग

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
‘तन्तु’ (Fibers) से आप क्या समझती हैं? वस्त्रोपयोगी तन्तुओं का एक वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
या
विभिन्न प्रकार के वस्त्रोपयोगी तन्तुओं का सामान्य परिचय प्रस्तुत कीजिए।
या
वनस्पतियों से प्राप्त होने वाले वस्त्रोपयोगी तन्तुओं का सामान्य परिचय प्रस्तुत कीजिए।
या
जन्तुओं से प्राप्त होने वाले वस्त्रोपयोगी तन्तुओं का सामान्य परिचय प्रस्तुत कीजिए।
या
कृत्रिम अथवा मानव-निर्मित वस्त्रोपयोगी तन्तुओं का सामान्य परिचय दीजिए।
उत्तर:
तन्तु का अर्थ

तैयार वस्त्र की साज-सज्जा तथा प्रयोग आदि से प्रत्येक व्यक्ति परिचित है, परन्तु इस बात का ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति को नहीं है कि वस्त्र कैसे तथा किससे-तैयार किए जाते हैं। वस्त्रों का निर्माण अनेक प्रकार के तन्तुओं से होता है। अब प्रश्न उठता है कि तन्तु किसे कहते हैं? वस्त्र-विज्ञान की भाषा में वस्त्र-निर्माण की सबसे छोटी इकाई को तन्तु या रेशा कहते हैं। तन्तुओं से धागा तैयार किया जाता है तथा धागों से वस्त्र का निर्माण किया (UPBoardSolutions.com) जाता है। इस प्रकार वस्त्र-निर्माण के लिए अपनाए जाने वाले विभिन्न तन्तुओं के आकार, शक्ल, गुण, लम्बाई तथा स्रोत भिन्न-भिन्न होते हैं। प्रारम्भ में व्यक्ति केवल प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होने वाले तन्तुओं से ही वस्त्र तैयार करता था, परन्तु आधुनिक युग में मनुष्य ने कृत्रिम रूप से भी वस्त्रोपयोगी तन्तु तैयार कर लिए हैं।

वस्त्रोपयोगी तन्तुओं का वर्गीकरण

तन्तुओं के विभिन्न स्रोत निम्नलिखित हैं
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उपर्युक्त वर्णित तालिका के आधार पर कहा जा सकता है कि वस्त्रोपयोगी तन्तु मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-प्राकृतिक तन्तु तथा कृत्रिम तन्तु। प्राकृतिक तन्तु उन तन्तुओं को कहा जाता है जिन्हें प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त किया जाता है। इन तन्तुओं को पुनः तीन उपवर्गों में बाँटा जा सकता है-वनस्पति-जगत् से प्राप्त होने वाले तन्तु, प्राणी या जन्तु-जगत् से प्राप्त होने वाले तन्तु तथा खनिज स्रोतों से प्राप्त होने वाले तन्तु। वस्त्रोपयोगी कृत्रिम तन्तु मानव-निर्मित हैं। इन्हें यान्त्रिक तथा रासायनिक विधियों द्वारा बनाया जाता है। विभिन्न प्रकार के वस्त्रोपयोगी तन्तुओं का सामान्य परिचय निम्नवर्णित है

(1) वनस्पति-जगत् से प्राप्त होने वाले तन्तु:
पेड़-पौधों के विभिन्न भागों से अनेक प्रकार के महत्त्वपूर्ण वस्त्रोपयोगी तन्तु प्राप्त होते हैं। इनमें से मुख्य कपास, जूट, लिनेन तथा हैम्प के तन्तु हैं। वनस्पति-जगत् से प्राप्त (UPBoardSolutions.com) होने वाले तन्तुओं में सेल्यूलोस की सर्वाधिक मात्रा पाई जाती है। अतः इन तन्तुओं को ‘सेल्यूलोस तन्तु’ भी कहा जाता है। इन तन्तुओं का संक्षिप्त विवरण निम्नवर्णित है

(क) कपास अथवा रूई ( कॉटन):
कपास के पौधे के बीजों की सतह पर पाए जाने वाले रेशों से वस्त्रोपयोगी तन्तु प्राप्त किए जाते हैं। इन तन्तुओं को ही कपास के तन्तु कहा जाता है। इन तन्तुओं से सूती वस्त्रों (जैसे-खद्दर, हथकरघा वस्त्र व मिल-निर्मित वस्त्र आदि) का निर्माण किया जाता है। कपास के तन्तु की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. एक पाउण्ड कपास में लगभग 9,00,00,000 (नौ करोड़) तन्तु होते हैं।
  2. कपास के तन्तु आधार पर चौड़े तथा नुकीले सिरों के होते हैं।
  3.  प्रत्येक तन्तु में लगभग 90% सेल्यूलोस, 2-3% प्रोटीन, 0.6% जल व 0.3% शर्करा होती है।
  4.  ये अत्यधिक मजबूत व टिकाऊ होते हैं।
  5.  ये अत्यधिक ताप सह सकते हैं।
  6. इनमें जल सोखने की क्षमता होती है। अतः इनसे बने वस्त्र ग्रीष्म ऋतु में (पसीना सोख पाने के कारण) अत्यन्त उपयोगी होते हैं।
  7. सूती वस्त्रों को धोना सरल होता है। इन्हें किसी भी साबुन से सरलता से धो सकते हैं।
  8.  सूती वस्त्रों में प्रत्यास्थता तथा प्रतिस्कन्दता का गुण नहीं पाया जाता; अतः इनमें सामान्य लचक नहीं होती तथा शीघ्र ही सलवटें पड़ जाती हैं।
  9.  सूती वस्त्रों पर कोई भी रंग आसानी से चढ़ाया जा सकता है।
  10.  सूती वस्त्रों पर क्षार का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता, परन्तु सान्द्र अम्लों के सम्पर्क से ये नष्ट हो जाते हैं।
  11. सूती वस्त्रों को यदि नम अवस्था में कुछ समय तक रख लिया जाए, तो इनमें फफूदी लग जाती है।

(ख) अन्य वानस्पतिक तन्तु:
ये प्रायः पौधों के स्तम्भ अथवा तने से प्राप्त किए जाते हैं। इनके उदाहरण निम्नलिखित हैं

  1. फ्लैक्स: लाइनम नामक पौधों से प्राप्त ये तन्तु लाइनिन-वस्त्र, कालीन व कागज आदि के निर्माण में प्रयुक्त होते हैं।
  2. हैम्प: एक विशेष पौधे से प्राप्त ये तन्तु निम्न श्रेणी के वस्त्र, रस्सियों व थैलों के निर्माण में प्रयुक्त होते हैं।
  3.  जूट: कोरकोरस नामक पौधे से प्राप्त इस तन्तु का उपयोग रस्सियाँ, कालीन, परदे व कागज आदि बनाने में होता है।
  4.  कौइर: नारियल के मध्य भाग से कौइर अथवा जटा प्राप्त होती है। इसका उपयोग रस्सियाँ, दरवाजों के पायदान, फर्श की चटाई इत्यादि बनाने में होता है।

(2) जन्तुओं से प्राप्त तन्तु

रेशम एवं ऊन दो महत्त्वपूर्ण तन्तु हैं जो हमें जन्तुओं से प्राप्त होते हैं। प्राणी-जगत् से प्राप्त होने वाले इन तन्तुओं में प्रोटीन की अधिकता होती है; अतः इन तन्तुओं को प्रोटीन तन्तु’, भी कहा जाता है।

(क) रेशम:
रेशम का कीट प्रायः शहतूत के पौधे की पत्तियों पर अपना जीवन व्यतीत करता है। इसके लारवा शहतूत की पत्तियों पर एक लसदार पदार्थ अपने चारों ओर निर्मित कर (UPBoardSolutions.com) एक संरचना बनाते हैं, जिसे कोया या ‘कोकून’ कहते हैं। इन संरचनाओं को गर्म पानी में डालने पर इनके अन्दर के कीट मर जाते हैं तथा बाह्य खोलों से रेशम के लम्बे तथा महीन तन्तु प्राप्त किए जाते हैं।

रेशम के तन्तु की विशेषताएँ

  1. यह एक लम्बा, समान मोटाई का तथा चिकना एवं चमकदार तन्तु होता है।
  2. ये सफेद अथवा क्रीम रंग के होते हैं।
  3.  इनकी जल-अवशोषण क्षमता लगभग शून्य होती है।
  4. हल्के अम्ल के प्रयोग से रेशम के तन्तु अधिक चमकदार हो जाते हैं।
  5.  कास्टिक सोडे के हल्के घोल में डालने पर इनकी चमक नष्ट हो जाती है तथा इनके गलने की सम्भावना रहती है।
  6.  रगड़ने व मलने से रेशम के तन्तुओं की कोमलता के नष्ट होने की सम्भावना रहती है।
  7.  अधिक गर्म वायु अथवा धूप में रखने से रेशम की गुणवत्ता कम हो जाती है।
  8.  रेशम के तन्तु जलाने पर बालों के जलने के समान गन्ध देते हैं।
  9.  जलाने पर रेशम के तन्तुओं की काली गोली बन जाती है।
  10.  रेशम का तन्तु पानी में गीला करने पर न तो फैलता है और न ही सिकुड़ता है।

(ख) ऊन:
यह मुख्यतः भेड़ों के बालों से निर्मित की जाती है। भारतवर्ष में पाई जाने वाली मैरीनो जाति की भेड़ों से सर्वोत्तम प्रकार की ऊन प्राप्त होती है। भेड़ के मेमनों से प्राप्त ऊन (UPBoardSolutions.com) अति कोमल व उच्च गुणवत्ता की होती है। भेड़ों के अतिरिक्त ऊँट, बकरी व खरगोश आदि प्राणियों के बालों से भी ऊन प्राप्त की जाती है। काश्मीर में पाई जाने वाली बकरियों से प्राप्त ऊन भी सर्वोच्च श्रेणी की होती है।

ऊन के तन्तु की विशेषताएँ:

  1.  उत्तम ऊनी तन्तु लम्बाई में 5-15 सेमी तक होता है।
  2.  यह लगभग गोलाकार तथा लहरियापन लिए होता है।
  3. रेशम के तन्तु के समान इसमें चमक पाई जाती है।
  4. धुलाई व रँगाई में प्रयुक्त होने वाले सामान्य व हल्के अम्लीय घोलों को ऊन पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है।
  5. कपड़े धोने के सोडे (कास्टिक सोडे) के प्रयोग से ऊन के तन्तु परस्पर चिपक जाते हैं तथा उनकी कोमलता नष्ट हो जाती है, परन्तु सुहागा व अमोनिया अथवा उत्तम साबुन के प्रयोग से ऊन की गुणवत्ता नष्ट नहीं होती है।
  6. उच्च ताप अथवा तीव्र धूप में ऊन का रंग हल्का पड़ जाता है तथा इसकी गुणवत्ता भी कुप्रभावित होती है।
  7. भीगे हुए तन्तुओं को मलने से वे नरम पड़ जाते हैं।
  8. ऊन वायु से सहज ही नमी को सोख लेती है।
  9.  अनुपयुक्त ताप व असावधानीपूर्वक धोने से ऊन के तन्तु सिकुड़ जाते हैं।
  10.  जलाने पर ऊन चिड़िया के पंखों के जलने जैसी गन्ध देती है तथा सज्जी के घोल में 5-6 मिनट तक उबालने पर ऊन पूर्ण रूप से घुलकर अदृश्य हो जाती है।
  11.  ऊन ऊष्मा की कुचालक होती है; अत: शारीरिक ऊष्मा को बाहर नहीं जाने देती। इसलिए शरद ऋतु में ऊनी वस्त्रों का उपयोग लाभकारी होता है।

(3) खनिज पदार्थों से निर्मित तन्तु

(क) सोने-चाँदी से निर्मित तन्तु:
इनका निर्माण मशीनों द्वारा किया जाता है। इन तन्तुओं (महीन तारों) को रेशमी अथवा सूती तन्तुओं के साथ मिश्रित कर वस्त्रों का निर्माण किया जाता है। इन वस्त्रों का जरीदार अथवा किमखाब कहा जाता है। ये बहुमूल्य होते हैं। आजकल इनके स्थान पर ऐलुमिनियम के तन्तुओं का प्रयोग कर कृत्रिम जरीदार एवं सस्ते मूल्य के वस्त्रों का निर्माण किया जाने
लगा है।

(ख) ऐस्बेस्टॉस से निर्मित तन्तु:
इन पर अग्नि का कोई प्रभाव नहीं होता है; अतः इनसे अग्नि शमकों के वस्त्र व अन्य प्रकार के अग्नि से सुरक्षित रखने वाले वस्त्र निर्मित किए जाते हैं।

(4) कृत्रिम अथवा मानव-निर्मित तन्तु
मनुष्य ने अनेक यान्त्रिक एवं रासायनिक विधियों द्वारा कई प्रकार के तन्तुओं का आविष्कार किया है। ये कृत्रिम अथवा मानव-निर्मित तन्तु कहलाते हैं। सामान्यत: आधुनिक समय में निम्न प्रकार के कृत्रिम तन्तु प्रचलित हैं

(क) रेयॉन:
सामान्यतः लकड़ी, बॉस अथवा रूई की लुग्दी बनाकर उसे द्रव में परिवर्तित किया जाता है। इस द्रव को मशीन के महीन छिद्रों में से निकालकर व शुष्क करके लम्बे व चमकदार तन्तु प्राप्त किए जाते हैं। रेयॉन के तन्तु समान व्यास के तथा सेलुलोस के बने होते हैं। अधिक गर्म जल में धोने से अथवा अधिक ताप पर ये कमजोर पड़ जाते हैं। अम्लों व क्षारों का इन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

(ख) नायलॉन:
यह तन्तु कोयला, जल व वायु के संयोग से रासायनिक विधियों द्वारा निर्मित किया जाता है। नायलॉन ताप को सुचालक है। अत्यधिक ताप पर यह पिघलकर नष्ट हो जाता है; अतः नायलॉन के वस्त्रों पर अत्यधिक गर्म इस्तरी (प्रेस) का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसको जलाने पर प्लास्टिक के जलने (UPBoardSolutions.com) जैसी गन्ध आती है। हल्के अम्लों का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। क्षारों से अप्रभावित रहने के कारण इसे अनेक बार धोया जा सकता है।

(ग) पोलिएस्टर तन्तु:
डैकरॉन एवं टेरीलीन मुख्य पोलिएस्टर तन्तु हैं। हल्के अम्लों को इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। क्षारों से ये अप्रभावित रहते हैं। अत्यधिक ताप पर ये नष्ट हो जाते हैं। ज्वलनशील होने के कारण इनसे निर्मित वस्त्रों को अग्नि से दूर रखना चाहिए।

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प्रश्न 2:
वस्त्रों का हमारे जीवन में क्या उपयोग तथा महत्त्व है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वस्त्रों का जीवन में उपयोग तथा महत्त्व

सभ्य मानव का वस्त्रों से घनिष्ठ सम्बन्ध है। वस्त्रविहीन मनुष्य को मानव समाज में कदापि सम्मिलित नहीं किया जा सकता। वस्त्रों से मनुष्य अपने शरीर को प्राकृतिक कारकों से बचाता है। वस्त्रों से ही वह अपने शरीर को सजाता-सँवारता है। वेशभूषा के अतिरिक्त व्यक्ति के दैनिक जीवन में वस्त्रों के अन्य अनेक उपयोग भी हैं। मनुष्य के लिए वस्त्रों के उपयोग एवं महत्त्व का संक्षिप्त विवरण निम्नवर्णित है

(1) शरीर को सुरक्षा प्रदान करना:
वस्त्र हमें विभिन्न प्राकृतिक कारकों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। सर्दी-गर्मी तथा बरसात आदि कारकों से बचने के लिए वस्त्र धारण किए जाते हैं। गर्मी में लू से बचने में वस्त्र (UPBoardSolutions.com) सहायक होते हैं। वस्त्रविहीन शरीर सूर्य की तेज किरणों से झुलस सकता है। सर्दी से बचने के लिए ऊनी वस्त्र धारण किए जाते हैं। बरसात से बचने के लिए जल अवरोधक वस्त्र तथा छाते आदि इस्तेमाल किए जाते हैं।

(2) शरीर को छिपाने में सहायक:
सभ्य समाज में मनुष्य द्वारा शरीर की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए वस्त्र धारण किए जाते हैं। वस्त्रविहीन अर्थात् नग्न व्यक्ति को असभ्य अथवा पागल ही माना जाता है।

(3) वस्त्र शरीर को सजाने सँवारने में सहायक होते हैं:
मनुष्य के लिए वस्त्रों का एक विशिष्ट महत्त्व है–शरीर को सजाना तथा सँवारना। विभिन्न प्रकार की आकर्षक एवं उत्तम वेशभूषा धारण करके स्त्री-पुरुष अपने शरीर को अधिक-से-अधिक सजाते-सँवारते हैं। उत्तम वेशभूषा से व्यक्तित्व में अतिरिक्त निखार आ जाता है।

(4) वस्त्र सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि करते हैं:
वस्त्र व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि करने वाले कारक भी हैं। धनवान् लोग अधिक-से-अधिक कीमती तथा उत्तम वस्त्र धारण करके समाज में प्रतिष्ठा (UPBoardSolutions.com) अर्जित करते हैं। कीमती वस्त्रों के अतिरिक्त उचित ढंग से वस्त्र धारण करना, सौम्य वस्त्र धारण करना आदि भी प्रतिष्ठा के चिह्न माने जाते हैं। इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति भद्दे ढंग से वस्त्र धारण करता है तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा घट भी सकती है।

(5) वस्त्र व्यक्ति को विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं:
वस्त्रों को देखकर अनेक व्यक्तियों को सरलता से पहचान लिया जाता है। सामान्य रूप से स्कूल के बच्चों, सेना, पुलिस, डाक-तार विभाग, रेलवे तथा अस्पताल के कर्मचारियों आदि की वेशभूषा निर्धारित होती है। ऐसे व्यक्ति की वेशभूषा को देखकर ही उसकी पहचान की जा सकती है।

(6) वस्त्रों के कुछ अन्य उपयोग:
वेशभूषा के अतिरिक्त वस्त्रों के कुछ अन्य उपयोग भी हैं। घर को सजाने-सँवारने तथा उपयोग की अनेक वस्तुओं के निर्माण में वस्त्रों की मुख्यतम भूमिका होती है। परदे, कालीन, बिस्तर, दरियाँ आदि इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं। वस्त्रों से ही तम्बू तथा शामियाने बनाए जाते हैं। विभिन्न उद्योगों (UPBoardSolutions.com) में भी वस्त्रों का अत्यधिक उपयोग होता है। दैनिक जीवन में विभिन्न वस्तुओं को लाने-ले जाने के लिए कपड़ों से निर्मित थैले, बोरियाँ तथा रस्सियाँ आदि इस्तेमाल होते हैं। इसके अतिरिक्त चिकित्सा के क्षेत्र में भी कपड़े का भरपूर इस्तेमाल होता है। घाव हो जाने पर, शल्य चिकित्सा होने पर, हड्डी टूट जाने अथवा मोच आ जाने पर उपचार के लिए कपड़ों से निर्मित पट्टियाँ ही सर्वाधिक उपयोगी सिद्ध होती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
कपड़ा बनाने के लिए किन स्रोतों से तन्तु प्राप्त किए जाते हैं?
उत्तर:
कपड़ा बनाने के लिए दो प्रमुख स्रोतों से तन्तु प्राप्त किए जाते हैं

(1) प्राकृतिक स्रोत तथा
(2) कृत्रिम अथवा मानव-निर्मित स्रोत। प्राकृतिक स्रोत के अन्तर्गत

तन्तु:
(क) वनस्पतियों,
(ख) जन्तुओं तथा
(ग) खनिज पदार्थों से प्राप्त किए जाते हैं। कृत्रिम तन्तुओं
में: (क) रेयॉन,
(ख) नायलॉन तथा
(ग) पोलिएस्टर आते हैं।

 

प्रश्न 2:
तन्तुओं के आधार पर वस्त्र कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
विभिन्न स्रोतों से प्राप्त तन्तुओं से निम्न प्रकार के वस्त्र निर्मित किए जाते हैं

(क) वानस्पतिक तन्तुओं से निर्मित वस्त्र

  1.  सूती वस्त्र-कपास के तन्तुओं से धागे (सूत) तैयार कर इन वस्त्रों का निर्माण किया जाता है।
  2.  लिनेन वस्त्र–फ्लैक्स के पौधों से प्राप्त तन्तुओं से धागा तैयार कर इन्हें निर्मित किया जाता है।

(ख) जन्तुओं से प्राप्त अथवा जान्तव तन्तुओं से निर्मित वस्त्र

  1.  रेशमी वस्त्र:
    रेशम के कीड़ों द्वारा निर्मित तन्तुओं से इन वस्त्रों को तैयार किया जाता है।
  2. ऊनी वस्त्र:
    ये ऊन से तैयार किए जाते हैं तथा ऊन के तन्तु प्रायः ऊँट, खरगोश, भेड़ों व बकरियों के शरीर में उगने वाले बालों से प्राप्त होते हैं।

(ग) खनिज पदार्थों से प्राप्त तन्तुओं से निर्मित वस्त्र

  1. जरीदार वस्त्र:
    ये मूल्यवान् वस्त्र चाँदी-सोने अथवा ऐलुमिनियम के महीन तारों को रेशमी अथवा सूती तन्तुओं के साथ मिश्रित करे तैयार किए जाते हैं।
  2.  अग्निप्रतिरोधक वस्त्र:
    ऐस्बेस्टॉस से निर्मित तन्तुओं से इस प्रकार के वस्त्र तैयार किए जाते हैं।

(घ) कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित वस्त्र

मनुष्य द्वारा रासायनिक विधियों के प्रयोग से निर्मित तन्तुओं से तैयार किए जाने वाले वस्त्र हैं

  1.  रेयॉन,
  2.  नायलॉन एवं
  3.  पोलिएस्टर वस्त्र इत्यादि।

प्रश्न 3:
प्राकृतिक तन्तु तथा कृत्रिम तन्तु में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वस्त्रोपयोगी तन्तु मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं—प्राकृतिक तन्तु तथा कृत्रिम तन्तु। इन दोनों प्रकार के तन्तुओं में विद्यमान अन्तर को निम्नलिखित तालिका के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है ।
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प्रश्न 4:
ऊन की शुद्धता आप किस प्रकार निश्चित करेंगी?
उत्तर:
ऊन की शुद्धता के लिए ऊन की निम्नलिखित विशेषताओं का निरीक्षण आवश्

  1.  ऊन का धागा लगभग गोलाकार तथा लहरियापन लिए होता है।
  2.  कास्टिक सोडे के प्रयोग से ऊन के तन्तु परस्पर चिपक जाते हैं।
  3.  जलाने पर ऊन चिड़िया के पंखों के जलने के समान गन्ध देती है।
  4.  सज्जी या क्षार घोल में 5-6 मिनट तक उबालने पर ऊन इसमें पूर्णरूप से घुलकर अदृश्य हो जाती है।

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प्रश्न 5:
सूती वस्त्रों की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
सूती वस्त्रों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

  1.  अपेक्षाकृत कम मूल्य के होते हैं।
  2.  हल्के अम्लों व क्षारों से अप्रभावित रहने के कारण इन्हें सहज ही व अनेक बार साबुन से धोया जा सकता है।
  3.  इनमें पसीना सोखने की क्षमता अधिक होती है।
  4.  ये शीघ्र सूख जाते हैं।
  5.  अधिक ताप सहन-शक्ति के कारण इन पर सरलतापूर्वक इस्तरी की जा सकती है।
  6.  जल शोषण करने की अधिक क्षमता के कारण तौलिये व झाड़न आदि के लिए सूती वस्त्र सर्वोत्तम होते हैं।
  7.  सूती वस्त्रे शरीर की गर्मी को सहज ही बाहर निकलने देते हैं; अत: ग्रीष्म ऋतु के लिए ये सर्वोत्तम वस्त्र होते हैं। ।
  8.  सूती वस्त्र प्रायः प्रथम बार धोने पर अधिक सिकुड़ते हैं; अतः वस्त्र-विशेष को निर्मित कराने से पूर्व इन्हें धोकर सुखा लेना चाहिए।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
तन्तु से क्या आशय है?
उत्तर:
वस्त्र-निर्माण की सबसे छोटी इकाई को तन्तु कहते हैं।

प्रश्न 2:
वस्त्रोपयोगी तन्तुओं के दो प्रमुख वर्ग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
वस्त्रोंपयोगी तन्तुओं के दो प्रमुख वर्ग हैं
(क) वस्त्रोपयोगी प्राकृतिक तन्तु तथा
(ख) वस्त्रोंपयोगी कृत्रिम तन्तु।

प्रश्न 3:
तन्तु तथा धागे में क्या अन्तर है?
उत्तर:
तन्तु वस्त्र निर्माण की सबसे छोटी एवं स्वतन्त्र इकाई है। अनेक तन्तुओं को निश्चित विधि द्वारा परस्पर सम्बद्ध करके धागे का निर्माण होता है। तन्तु सामान्य रूप से प्रकृतिजन्य होते हैं जबकि धागे विधिवत् तैयार किए जाते हैं।

प्रैश्न 4:
वस्त्रोपयोगी प्राकृतिक तन्तुओं की प्राप्ति के स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वस्त्रोपयोगी प्राकृतिक तन्तुओं की प्राप्ति के स्रोत हैं-वनस्पति-जगत्, प्राणी-जगत् तथा खनिज स्रोत।।

प्रश्न 5:
वनस्पतिजन्य तन्तुओं को अन्य किस नाम से जाना जाता है? कारण भी बताइए।
उत्तर:
वनस्पतिजन्य तन्तुओं में अधिकांश भाग सेलुलोस का होता है। अत: इन तन्तुओं को सेलुलोस तन्तु भी कहा जाता है।

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प्रश्न 6:
सूती रेशे की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
कपास के बीज रोमों से प्राप्त सूती रेशे अधिक मजबूत व टिकाऊ होते हैं। इनमें अधिक ताप सहने व जल सोखने की क्षमता होती है।

प्रश्न 7:
प्राणिजन्य तन्तुओं को अन्य किस नाम से जाना जाता है? कारण भी बताइए।
उत्तर:
प्राणिजन्य तन्तुओं में अधिकांश भाग प्रोटीन का पाया जाता है; अत: इन तन्तुओं को ‘प्रोटीन तन्तु’ भी कहा जाता है।

प्रश्न 8:
कृत्रिम तन्तुओं से प्रायः कौन-कौन से वस्त्र बनते हैं?
उत्तर:
कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित होने वाले प्रमुख प्रकार के वस्त्र हैं

  1.  रेयॉन,
  2.  नायलॉन,
  3.  डैकरॉन,
  4. टेरीलीन।

प्रश्न 9:
रेयॉन किस प्रकार को तन्तु है?
उत्तर:
रेयॉन यान्त्रिक विधि से निर्मित कृत्रिम तन्तु है।

प्रश्न 10:
ऊनी तन्तु किस वर्ग के तन्तु हैं?
उत्तर:
ऊनी तन्तु प्राणिजन्य प्राकृतिक तन्तु हैं।

प्रश्न 11:
जरीदार वस्त्र किस प्रकार निर्मित किए जाते हैं?
उत्तर:
सोने, चाँदी अथवा ऐलुमिनियम के महीन तारों को सूती अथवा रेशमी धागों के साथ मिश्रित करे जरीदार वस्त्र निर्मित किए जाते हैं।

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प्रश्न 12:
शुद्ध रेशम की क्या पहचान है?
उत्तर:

  1.  रेशम के तन्तु जलाने पर बालों के जलने के समान गन्ध देते हैं तथा इनकी काली-सी गोली बन जाती है।
  2.  पानी में धोने पर रेशम न तो फैलता है और न ही सिकुड़ता है।

प्रश्न 13:
बर्तन पोंछने के तौलिए (डस्टर)प्रायः सूती ही क्यों प्रयोग किए जाते हैं?
उत्तर:
क्योंकि सूती डस्टर अधिक गर्मी सहन कर लेते हैं तथा बर्तनों की नमी सोख लेते हैं। ये शीघ्र ही आग को नहीं पकड़ते।

प्रश्न 14:
गर्म जलवायु में सूती वस्त्र अधिक सुविधाजनक क्यों प्रतीत होते हैं?
उत्तर:
गर्म जलवायु में शरीर से अधिक पसीना निकलता है। सूती वस्त्रे इस पसीने को शीघ्र ही सोख लेते हैं तथा चिपचिपाहट नहीं होती। अतः ये अधिक सुविधाजनक प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 15:
उत्तम ऊन किस प्रकार की भेड़ों से प्राप्त होती है?
उत्तर:
उत्तम ऊन प्रायः मैरीनो जाति की जीवित भेड़ों से प्राप्त होती है।

प्रश्न 16:
ऊनी वस्त्र गर्म क्यों माने जाते हैं? या ऊनी कपड़ों की विशेषता लिखिए।
उत्तर:
ऊनी तन्तुओं के ऊष्मा के कुचालक होने के कारण ऊनी वस्त्र शरीर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देते, जिससे ये शीत ऋतु में ठण्डे स्थानों के लिए गर्म व उपयुक्त वस्त्र माने जाते हैं।

प्रश्न 17:
जान्तव तन्तु कौन-से होते हैं? किसी एक के बारे में बताइए।
उत्तर:
जन्तुओं से प्राप्त होने वाले तन्तु को जान्तव तन्तु या प्राणिजन्य तन्तु कहते हैं। रेशम एवं ऊन इसके प्रमुख उदाहरण हैं।।

प्रश्न 18:
नायलॉन, डैकरॉन, आरलॉन तथा एक्रीलॉन नामक वस्त्रोपयोगी तन्तु किस वर्ग के तन्तु हैं? इन्हें किस विधि द्वारा तैयार किया जाता है?
उत्तर:
नायलॉन, डैकरॉन, आरलॉन तथा एक्रीलॉन नामक वस्त्रोपयोगी तन्तु कृत्रिम वर्ग के तन्तु हैं? इन्हें रासायनिक विधि द्वारा तैयार किया जाता है।

प्रश्न 19:
क्षार का नायलॉन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
त्तर:
क्षार का नायलॉन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 20:
गन्धक के तेजाब के गाढ़े घोल का ऊनी वस्त्रों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
गन्धक के तेजाब (सल्फ्यूरिक अम्ल) के गाढ़े घोल से ऊनी तन्तु नष्ट हो जाते हैं।

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प्रश्न 21:
दैनिक उपयोग के लिए किस प्रकार के वस्त्र सुविधाजनक हैं?
उत्तर:
दैनिक उपयोग के लिए सूती वस्त्र उपयोगी हैं और इसमें भी खादी के वस्त्र सर्वश्रेष्ठ ।

प्रश्न 22:
वस्त्रों का व्यक्ति के जीवन में उपयोग एवं महत्त्व बताइए।
उत्तर:

  1.  वस्त्र शरीर को प्राकृतिक कारकों से सुरक्षा प्रदान करते हैं,
  2.  वस्त्र शरीर को गोपनीयता प्रदान करते हैं,
  3. वस्त्र शरीर को सजाने एवं सँवारने में सहायक होते हैं,
  4. वस्त्र व्यक्ति को सामाजिक प्रतिष्ठा एवं विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं तथा
  5. वस्त्र दैनिक जीवन के अनेक कार्यों में उपयोगी हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) वस्त्र विज्ञान के अनुसार वस्त्र-निर्माण की सबसे छोटी इकाई है
(क) कपास,
(ख) ऊन,
(ग) तन्तु,
(घ) धागा।

(2) सूती वस्त्र के लिए तन्तु प्राप्त किए जाते हैं
(क) रासायनिक पदार्थों से,
(ख) प्राणी-जगत् से,
(ग) व्यर्थ पदार्थों से,
(घ) वनस्पति-जगत् से।

(3) भारतवर्ष में प्रायः सूती वस्त्र अधिक पहने जाते हैं, क्योंकि ये
(क) बहुमूल्य होते हैं,
(ख) सहज ही उपलब्ध हैं,
(ग) वातावरण के अनुरूप हैं,
(घ) ऊष्मा के कुचालक हैं।

(4) नायलॉन के तन्तु हैं
(क) प्राकृतिक तन्तु,
(ख) प्राणिजन्य तन्तु,
(ग) यान्त्रिक विधि से निर्मित तन्तु ,
(घ) रासायनिक विधि द्वारा निर्मित कृत्रिम तन्तु।

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(5) ऊन प्राप्त की जा सकती है
(क) भेड़ों से,
(ख) बकरियों से,
(ग) ऊँटों से,
(घ) इन सभी से।

(6) उच्च गुणवत्ता की ऊन प्राप्त की जाती है
(क) बकरियों से,
(ख) भेड़ों से,
(ग) मेमनों से,
(घ) ऊँट से।

(7) निम्नलिखित में मानव-निर्मित तन्तु नहीं है।
(क) रेयॉन,
(ख) रेशम,
(ग) पोलिएस्टर,
(घ) नायलॉन।

(8) निम्नलिखित में पौधों से न प्राप्त होने वाली तन्तु है
(क) टेरीलीन,
(ख) सूत,
(ग) लिनन,
(घ) जूट।

(9) निम्नलिखित में से किस तन्तु पर आग का प्रभाव नहीं पड़ता है
(क) खनिज ( धातुमय) तन्तु ,
(ख) वनस्पति तन्तु,
(ग) जान्तव तन्तु,
(घ) कृत्रिम तन्तु।

(10) निम्नलिखित में से प्राकृतिक स्रोत से प्राप्त तन्तु निर्मित वस्त्र है
(क) नायलॉन,
(ख) पोलिएस्टर,
(ग) खद्दर,
(घ) डैकरॉन।

(11) रेयॉन नामक कृत्रिम तन्तु बनाया जाता है
(क) नितान्त सरल विधि द्वारा,
(ख) रासायनिक विधि द्वारा,
(ग) जटिल विधि द्वारा,
(घ) यान्त्रिक विधि द्वारा।

(12) ग्रीष्म ऋतु के लिए वस्त्र होता है
(क) सूती,
(ख) लिनन,
(ग) रेशमी,
(घ) टेरीलीन।

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(13) हमारे लिए वस्त्रों की उपयोगिता है
(क) प्राकृतिक कारकों से सुरक्षा प्रदान करना,
(ख) शरीर को सजाना-सँवारना,
(ग) सामाजिक प्रतिष्ठा प्रदान करना,
(घ) ये सभी।

उत्तर:
(1) (ग) तन्तु,
(2) (घ) वनस्पति-जगत् से,
(3) (ग) वातावरण के अनुरूप हैं,
(4) (घ) रासायनिक विधि द्वारा निर्मित कृत्रिम तन्तु,
(5) (घ) इन सभी से,
(6) (ग) मेमनों से,
(7) (ख) रेशम,
(8) (क) टेरीलीन,
(9) (क) खनिज (धातुमय) तन्तु,
(10) (ग) खद्दर,
(11) (घ) यान्त्रिक विधि द्वारा,
(12) (क) सूती,
(13) (घ) ये सभी।

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UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 17 सामान्य घरेलू देशज औषधियाँ तथा सामान्य विषों के प्रतिकारक पदार्थ

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 17 सामान्य घरेलू देशज औषधियाँ तथा सामान्य विषों के प्रतिकारक पदार्थ

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
सामान्य घरेलू देशज औषधियों से क्या आशय है? कुछ मुख्य घरेलू औषधियों का सामान्य परिचय दीजिए।
या
कुछ घरेलू देशज औषधियों के नाम एवं उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
सामान्य देशज औषधियाँ
रोग एवं दुर्घटनाएँ घरेलू अथवा पारिवारिक जीवन की सामान्य घटनाएँ हैं जो कि प्रायः पीड़ित व्यक्ति के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी अनेक प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक कठिनाइयों में डाल देती हैं। प्राथमिक चिकित्सा तथा घरेलू औषधियों के ज्ञान का धैर्यपूर्वक उपयोग कर इन कठिनाइयों की गम्भीरता को न केवल कम किया जा सकता है, वरन् कई बार इनका सहज ही निवारण भी किया जा सकता है। सामान्यतः घरों में प्रयुक्त होने वाले मसालों, तरकारियों एवं फलों तथा सहज ही उपलब्ध सामान्य औषधियों का देशज घरेलू औषधियों के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि घर पर उपलब्ध होने वाले सामान्य पदार्थों को घरेलू देशज औषधियाँ कहा जाता है। ये पदार्थ विभिन्न शारीरिक विकारों में कष्ट-निवारक के रूप में इस्तेमाल किए (UPBoardSolutions.com) जाते हैं। इन घरेलू देशज औषधियों की जानकारी मनुष्य ने अपने दीर्घकालिक अनुभवों द्वारा प्राप्त की है तथा यह जानकारी पीढ़ी दर-पीढ़ी इसी रूप में हस्तान्तरित होती रहती है; उदाहरण के लिए–प्रायः सभी परिवारों के पेट दर्द में अजवाइन का प्रयोग किया जाता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अजवाइन को घरेलू देशज औषधि की श्रेणी में रखा जाता है। वैसे सामान्य रूप से अजवाइन एक मसाले के रूप में इस्तेमाल होती है। मुख्य सामान्य घरेलू देशज औषधियों तथा उनकी उपयोगिता का सामान्य परिचय निम्नर्णित है

(क) कुछ मसाले घरेलू औषधियों के रूप में
मसालों के रूप में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न पदार्थ, कई छोटे-छोटे रोगों और कष्टों के लिए लाभप्रद गुण रखते हैं। उदाहरण के लिए निम्नलिखित सूची देखिए

  1. अजवाइन: यह पेट के दर्द को कम करती है। अफारा और गैस में भी लाभदायक है।
  2. सोंठ: यह वायु के रोगों के लिए अत्यन्त उपयोगी है।
  3.  हींग: यह पेट के रोगों के लिए अत्यधिक लाभप्रद है। गैस, अफारा आदि में इसे पानी में घोलकर पेट पर लगाने से भी आराम मिलता है। अन्य पदार्थ; जैसे-अजवाइन, सोंठ, नमक आदि के साथ मिलाकर देने से पेट का दर्द, गैस, अफारे की शिकायत दूर हो जाती है।
  4.  काली मिर्च: यह गले को साफ करती है और कफ को हटाती है।
  5.  जीरा: यह पाचन क्रिया के लिए बहुत अच्छां पदार्थ है। भूख को बढ़ाता है।
  6.  मेथी: यह भूख को बढ़ाती है। इसके बने लड्डू वायु के दर्द में लाभप्रद हैं।
  7.  हल्दी: यह रक्त को शुद्ध करती है। इसका प्रयोग त्वचा को साफ करने में किया जाता है। यह कीटाणुनाशक है। छोटे-मोटे पेट के कीड़े इससे नष्ट हो जाते हैं।
  8.  लोंग: यह दाँत के दर्द के लिए एक अच्छी औषधि है। इसे पीसकर लगाने से दर्द बन्द हो जाता है। गले की खराश में भी लोग चूसी जाती है।
  9.  राई: मिरगी के रोगी को बारीक पिसी हुई राई सुंघाने से मूच्र्छा दूर हो जाती है।
  10.  अदरक: यह पाचन-क्रिया में सहायक है तथा वायु के रोगों को ठीक करता है।
  11.  नमक: यह घाव को साफ करने के लिए एक अच्छा पदार्थ है। गरम पानी में मिलाकर सिकाई करने से सूजन ठीक हो जाती है। गरम पानी में घोलकर गरारे करने से गला साफ होता है, कफ हटता है और सूजन कम हो जाती है।
  12.  सौंफ: यह खुनी पेचिश के लिए अत्यधिक लाभप्रद दवा है। पानी में उबालकर अर्क देने से यह बीमारी ठीक हो जाती है। इसका पानी अधिक प्यास को कम करता है तथा गर्मी के कारण होने वाले सिर दर्द को ठीक करता है।।
  13.  दाल: चीनी-दस्त और मरोड़ों में कत्था के साथ प्रयोग की जाती है।
  14.  पोदीना: सूखा हुआ पोदीना तथा उसका अर्क उल्टियों को बन्द करता है। पोदीना पाचन क्रिया में भी सहायक है।

(ख) कुछ सामान्य घरेलू उपयोग के पदार्थ

  1. आमाहल्दी: पिसी हुई अवस्था में चोट या मोच के रोगी को दी जाती है जो कि काफी आरामदायक है।
  2.  चूना: चोट, मोच इत्यादि पर आमाहल्दी चूने के साथ लगाने से दर्द में कमी होती है तथा मोच ठीक हो जाती है। बरौं के डंक मारने पर भी चूना लगाया जा सकता है।
  3. फिटकरी: रक्त-स्राव को रोकती है। गुलाब जल में मिलाकर आँख में डालने से दुखती हुई आँखें ठीक हो जाती हैं।
  4. कत्था: इसका चूरा मुँह के छालों को ठीक करता है।
  5.  तुलसी: तुलसी की पत्तियाँ जुकाम, बुखार आदि के लिए आराम देने वाली हैं। शहद के साथ प्रयोग करने से खाँसी ठीक हो जाती है।
  6. गोले का तेल: जले हुए स्थान पर लगाने से जलन कम होती है। घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है।
  7.  गुलाब जल: अनेक नेत्र रोगों के लिए शान्तिदायक है।
  8.  मुलहटी: खाँसी को ठीक करती है। मुँह में डालने से खाँसी बन्द हो जाती है।
  9.  ईसबगोल: इसकी भूसी कब्जनाशक है। पानी या दूध के साथ लेने पर कब्ज-निवारक होती है तथा दही में अच्छी तरह से मिला कर लेने पर दस्त को रोकती है।
  10.  नीम की पत्तियाँ: कीटाणुनाशक हैं, चर्म रोगों के लिए अति गुणकारी हैं। इनके पानी से नहाने से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। सर्पदंश में इसको खिलाने से विष का प्रभाव कम हो जाता है। पानी में उबाल कर बालों को धोने से जुएँ नष्ट हो जाती हैं।

(ग) कुछ औषधियाँ तथा रासायनिक पदार्थ

  1.  पोटैशियम परमैंगनेट या लाल दवा:
    अनेक कीट पतंगों के काटने, बिच्छू के डंक मारने तथा सर्पदंश के घाव में भरने से विष को नष्ट कर देती है। संक्रामक रोगों के फैलने के समय इसे पानी में मिलाकर पीना चाहिए।
  2. स्प्रिट: घाव साफ करने तथा अन्य कामों के लिए उपयोगी है।
  3. बोरिक एसिड: घाव धोने के काम आता है। यह कीटाणुनाशक है। इसका हल्का घोल आँख । धोने के काम में लाया जाता है।
  4.  मरक्यूरोक्रोम: जल के साथ इसका घोल घाव पर लगाने से घाव शीघ्र भर जाता है तथा इस
    पर अन्य विषों का प्रभाव नहीं होता है।
  5.  अमोनिया: इसे सुंधाने से मूच्र्छा दूर हो जाती है। इसे विषैले कीट द्वारा काटने पर अथवा डंक मारने पर प्रयोग में लाया जाता है।
  6.  अमृत धारा: जी मिचलाना, दस्त, उल्टी (वमन) आदि में महत्त्वपूर्ण घरेलू औषधि है।
  7. डिटॉल: यह कीटाणुनाशक है। घाव धोने के काम आता है।
  8.  बरनॉल:  जले स्थान पर लगाने के लिए एक अच्छी क्रीम है।
  9. आयोडेक्स: यह एक सूजन कम करने वाली औषधि है, जो मोच एवं दर्द में आराम देती है।
  10.  कुनैन: यह शुद्ध अथवा रासायनिक पदार्थों के साथ मिश्रित रूप में प्रायः गोलियों के आकार में सहज ही उपलब्ध हो जाती है। मलेरिया ज्वर के लिए यह एक उत्तम औषधि है।

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प्रश्न 2:
विष कितने प्रकार के होते हैं? विषपान किए व्यक्ति का सामान्य उपचार आप किस प्रकार करेंगी?
या
यदि किसी बच्चे ने कोई विषैला पदार्थ खा लिया है, तो उसे किस प्रकार का प्रतिकारक पदार्थ दिया जाएगा? उदाहरण दीजिए। क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
या
टिप्पणी लिखिए-विष कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
विष के प्रकार

सामान्यतः शरीर को हानि पहुँचाने वाले पदार्थ विष कहलाते हैं। ये पदार्थ प्रायः मुँह के द्वारा अथवा विषैले जीव-जन्तुओं के काटने पर शरीर में अन्दर प्रवेश करते हैं। विषपान करने पर शरीर में प्रवेश करने वाले विषैले पदार्थों को निम्नलिखित चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

(1) जलन उत्पन्न करने वाले विष:
ये विष शरीर के जिस भाग में प्रवेश करते हैं उसे या तो जला देते हैं अथवा उसमें जलन उत्पन्न करते हैं। कास्टिक सोडा, अमोनिया, कार्बोलिक एसिड तथा खनिज अम्ल आदि इस वर्ग के प्रमुख विष हैं। इस प्रकार के विष से प्रायः जीभ, गले तथा मुखगुहा में भयंकर जलन होती है तथा श्वास लेने में कठिनाई का अनुभव होता है।

(2) उदर अथवा आहारनाल को हानि पहुँचाने वाले विष:
इस प्रकार के विष उदर में पहुंचकर भयंकर उथल-पुथल पैदा करते हैं। ये कण्ठ, ग्रासनली, आमाशय एवं आँतों में जलन एवं दर्द उत्पन्न करते हैं। इनके शिकार व्यक्ति उदरशूल अनुभव करते हैं तथा उन्हें मतली आने लगती है। इस वर्ग के अन्तर्गत आने वाले प्रमुख विष हैं संखिया, पारा, पिसा हुआ शीशा तथा विषैले एवं सड़े-गले खाद्य पदार्थ।

(3) निद्रा उत्पन्न करने वाले विष:
इस प्रकार के विष को खाने पर नींद आने लगती है जो कि विष की अधिकता होने पर प्रगाढ़ निद्रा अथवा संज्ञा-शून्यता में परिवर्तित हो जाती है। इस प्रकार के विष का अत्यधिक सेवन करने से कई बार रोगियों की मृत्यु भी हो जाती है। अफीम, मॉर्फिन तथा डाइजीपाम (कम्पोज, वैलियम आदि) इत्यादि इस वर्ग के प्रमुख विष हैं।

(4) तन्त्रिका-तन्त्र को हानि पहुँचाने वाले विष:
इनका प्रभाव प्रायः स्नायुमण्डल अथवा विभिन्न नाड़ियों पर होता है; जिसके फलस्वरूप नेत्रों की पुतलियाँ फैल जाती हैं, मस्तिष्क चेतना शून्य हो सकता है अथवा शरीर के विभिन्न अंगों में पक्षाघात हो सकता है। भाँग, धतूरा, क्लोरोफॉर्म तथा मदिरा इसी प्रकार के प्रमुख विष हैं।

विषपान करने पर उपचार

विषपाने एक गम्भीर दुर्घटना है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिदिन अनेक व्यक्ति अनेक प्रकार के कष्ट भोगते हुए अकाल ही मृत्यु की गोद में चले जाते हैं। इस समस्या का समाधान करना सम्भव है, यदि पीड़ित व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध हो जाए तथा कुछ सुरक्षात्मक उपायों का (UPBoardSolutions.com) कठोरतापूर्वक पालन किया जाए। चिकित्सा सहायता सदैव समय पर उपलब्ध होनी सम्भव नहीं है; अतः विषपान करने वाले व्यक्तियों के सामान्य उपचार के उपायों की जानकारी प्राप्त करना अति आवश्यक

(क) सुरक्षात्मक उपाय:
कई बार अनेक व्यक्ति (विशेष रूप से बच्चे) अज्ञानतावश अथवा नादानी में विषपान का शिकार हो जाते हैं। इस प्रकार की दुर्घटनाओं को निम्नलिखित उपायों का कठोरतापूर्वक पालन कर सहज ही टाला जा सकता है

  1.  घर में प्रयुक्त होने वाले सभी क्षारों एवं अम्लों को नामांकित कर यथास्थान रखें। ध्यान रहे कि ये स्थान बच्चों की पहुँच से सदैव दूर हों।
  2.  पुरानी तथा प्रयोग में न आने वाली औषधियों को घर में न रखें।
  3.  सभी औषधियों को उनकी मूल शीशी अथवा डिब्बी में रखें।
  4. कभी भी अन्धकार में कोई औषधि प्रयोग न करें।
  5.  चिकित्सक के पूर्व परामर्श के बिना कोई जटिल औषधि न प्रयोग करे।
  6.  पेण्ट वाले पदार्थ प्रायः विषैले होते हैं; अत: इनका प्रयोग सावधानीपूर्वक करें।
  7.  कीटाणुनाशक (स्प्रिट व डिटॉल, फिनाइल) आदि तथा कीटनाशक (फ्लिट व बेगौन स्प्रे आदि) पदार्थ विषैले होते हैं। इन्हें सावधानीपूर्वक प्रयोग करें तथा प्रयोग करते समय कम-से-कम श्वालें।
  8. खाना पकाने से पूर्व दाल, शाक-सब्जियों एवं फलों को अच्छी प्रकार से धोएँ ताकि ये पूर्णरूपसे कीटनाशक रासायनिक पदार्थों के प्रभाव से मुक्त हो जायें।
  9.  बच्चों को समय-समय पर प्रेमपूर्वक उपर्युक्त बातों की जानकारी दें।

(ख) प्राथमिक चिकित्सा सहायता:
योग्य चिकित्सक अथवा अस्पताल से चिकित्सा सहायता प्रायः विलम्ब से प्राप्त होती है, जबकि विषपान किए व्यक्ति का उपचार तत्काल होना आवश्यक है। अतः विषपान सम्बन्धी प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान होना अति आवश्यक है। इसके लिए कुछ महत्त्वपूर्ण बातों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए

  1. रोगी के आस-पास विष की शीशी अथवा पुड़िया की खोज करें जिससे कि विष का प्रकार ज्ञात हो सके तथा उसके अनुसार उपयुक्त उपचार प्रारम्भ किया जा सके।
  2.  विष का प्रभाव कम करने के लिए रोगी को वमन कराकर उसके उदर से विष दूर करने का प्रयास करें।
  3.  यदि रोगी क्षारक अथवा अम्लीय विष से पीड़ित है, तो वमन न कराएँ। इस प्रकार के रोगियों को विष-प्रतिरोधक देना ही उचित रहता है।
  4.  क्षारीय विष से पीड़ित व्यक्ति को नींबू का रस अथवा सिरका पिलाना लाभप्रद रहता है। अम्लीय विष से पीड़ित व्यक्तियों को चूने का पानी, खड़िया, मिट्टी अथवा मैग्नीशियम का घोल देना उत्तम रहता है।
  5. आस्फोटक विष के उपचार के लिए रोगी को गरम पानी में नमक मिलाकर वमन कराना चाहिए। कई बार वमन कराने के बाद उसे अरण्डी का तेल पिलाना चाहिए।
  6. निद्रा उत्पन्न करने वाले विष के उपचार में रोगी को जगाए रखने का प्रयास करें। वमन कराने के उपरान्त उसे तेज चाय अथवा कॉफी पीने के लिए देना लाभप्रद रहता है।
  7. रोगी के हाथ व पैर सेंकते रहना चाहिए। रोगी को गुदा द्वारा नमक का पानी चढ़ाना लाभप्रद रहता है।
  8. आवश्यकता पड़ने पर रोगी को कृत्रिम उपायों से श्वास दिलाने का प्रयास करना चाहिए।
  9.  रोगी को अस्पताल भिजवाने का तुरन्त प्रबन्ध करें। रोगी के साथ उसके वमन अथवा लिए गए विष का नमूना अवश्य ले जाएँ। इससे विष के सम्बन्ध में शीघ्र जानकारी प्राप्त होने से उपयुक्त चिकित्सा तत्काल आरम्भ हो सकती है।

(ग) सामान्य विषों के प्रतिकारक पदार्थों का उपयोग:
विषपान किए व्यक्ति द्वारा प्रयुक्त विष एवं उसके प्रतिरोधक पदार्थ की जानकारी होने से विषपान के रोगी का उपचार सहज ही सम्भव है। सामान्य विषों के प्रतिकारक पदार्थ प्रायः निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

(1) जलन पैदा करने वाले विषों के प्रतिकारक पदार्थ

(अ) क्षारीय विष:
क्षारीय विषों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए अम्लों का प्रयोग करना चाहिए। उदाहरण-नींबू का रस एवं सिरका।
(ब) अम्लीय विष:
इनके प्रतिकारक पदार्थ क्षारीय होते हैं। गन्धक, शोरे व नमक के अम्लों को प्रभावहीन करने के लिए

  1.  चूना या खड़िया मिट्टी पानी में मिलाकर दें।
  2. जैतून का तेल पानी में मिलाकर दें।
  3. पर्याप्त मात्रा में दूध दें।

(2) आहार नाल को हानि पहुँचाने वाले विषों के प्रतिकारक पदार्थ

  1. संखिया: यह एक भयानक विष है। टैनिक अम्ल के प्रयोग द्वारा इस विष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  2. गन्धक: कार्बोनेट एवं मैग्नीशिया गन्धक के विष को प्रभावहीन करने के लिए उत्तम रासायनिक पदार्थ हैं।

(3) निद्रा उत्पन्न करने वाले विषों के प्रतिकारक पदार्थ

  1. अफीम: इस विष से पीड़ित व्यक्ति को गरम पानी में नमक मिलाकर वमन कराना चाहिए।
  2. निद्रा की गोलियाँ: इनसे प्रभावित व्यक्ति का उपचार अफीम के समान ही किया जाता है। रोगी को नमक के गरम पानी द्वारा वमन कराया जाता है तथा उसके उदर की सफाई की जाती है।

(4) तन्त्रिका-तन्त्र को हानि पहुँचाने वाले विषों के प्रतिकारक पदार्थ

  1. तम्बाकू: इसमें निकोटीन नामक विष होता है। गरम पानी में नमक डालकर रोगी को वमन करायें तथा तेज चाय व कॉफी पीने के लिए दें।
  2.  मदिरा: मदिरा के प्रभाव को नष्ट करने के लिए रोगी को वमन कराएँ तथा उसके उदर की पानी द्वारा सफाई करें। नींबू व नमक मिला गरम पानी पिलाने से लाभ होता है।
  3. भाँग एवं गाँजा: पीड़ित व्यक्ति को वमन कराकर खट्टी वस्तुएँ खिलानी चाहिए। यदि रोगी होश में है, तो उसे गरम दूध पिलाया जा सकता है।
  4. क्लोरोफॉर्म: इस विष का प्रतिकारक है एमाइल नाइट्राइट जो कि इसके प्रभाव को कम करता है।
  5. धतूरा: धतूरे के बीजों में घातक विष होता है। इस विष से पीड़ित व्यक्ति को होश में लाकर वमने कराना चाहिए। इसके बाद उसे गर्म दूध में एक चम्मच ब्राण्डी मिलाकर दी जा सकती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
घरेलू औषधियों का महत्त्व बताइए।
या
गृहिणी के लिए घरेलू औषधियों का ज्ञान क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
घरेलू देशज औषधियों का महत्त्व

प्रत्येक घर-परिवार में रोगों एवं दुर्घटनाओं का होना सामान्य बातें हैं। परन्तु ये सामान्य बातें ही कई बार गम्भीर समस्याओं को जन्म दे सकती हैं। उदाहरण के लिए-रोग की प्रारम्भिक अवस्था में चिकित्सक के पास न जाने पर रोग गम्भीर रूप धारण कर लेता है। अथवा किसी रोग एवं दुर्घटना में (UPBoardSolutions.com) तत्काल चिकित्सा सहायता न उपलब्ध हो पाने पर रोगी की हालत गम्भीर हो सकती है। उपर्युक्त दोनों ही प्रकार की समस्याओं के निदान के लिए घरेलू देशजे औषधियों का व्यावहारिक ज्ञान होना आवश्यक है। इससे प्रत्येक गृहिणी निम्नलिखित प्रकार से लाभान्वित हो सकती है—

(1) तत्काल उपचार:
घरेलू देशज औषधियों का व्यावहारिक ज्ञान होने पर गृहिणी किसी भी सामान्य रोग का तत्काल उपचार कर सकती है, जिसके फलस्वरूप रोग एवं दुर्घटनाएँ गम्भीर रूप नहीं ले पाते।

(2) समय एवं धन की बचत:
घरेलू देशज औषधियों से परिचित होने पर गृहिणी को घर-परिवार में होने वाले छोटे-छोटे रोगों के लिए चिकित्सक तक दौड़ने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे (UPBoardSolutions.com) उसके समय की पर्याप्त बचत होती है। घरेलू औषधियाँ प्रायः अपेक्षाकृत संस्ती एवं सहज ही उपलब्ध होती हैं। इनका समय-समय पर उपयोग करने से अपेक्षाकृत कम व्यय होता है अर्थात् धन की. पर्याप्त बचत होती है।

(3) साहस एवं आत्मविश्वास में वृद्ध:
घरेलू औषधियों से भली प्रकार परिचित गृहिणी परिवार के किसी सदस्य के रोग अथवा दुर्घटनाग्रस्त होने पर अपना धैर्य नहीं खोती तथा उत्पन्न समस्या का साहसपूर्वक एवं आत्मविश्वास से सामना करती है।

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प्रश्न 2:
तीन घरेलू दवाइयों के नाम एवं उपयोग बताइए।
या
दो घरेलू दवाइयों के नाम एवं उपयोग बताइए।
उत्तर:
कुछ महत्त्वपूर्ण घरेलू दवाइयों के नाम एवं उपयोग अग्रलिखित हैं

(1) हींग:
यह पेट के रोगों में बहुत लाभ पहुँचाती है। गैस व अफारा आदि में पानी में घोलकर पेट | पर लगाने से रोगी को पर्याप्त लाभ होता है। अजवाइन, सौंठ वे नमक के साथ मिलाकर देने से यह
अधिक प्रभावी हो जाती है।

(2) नमक:
सामान्य नमक (सोडियम क्लोराइड) घावों को साफ करने के लिए एक अच्छी औषधि का कार्य करता है। गरम पानी में मिलाकर सिकाई करने पर यह पर्याप्त आराम पहुँचाता है। जल-अल्पता या निर्जलीकरण होने पर इसे उबाल कर ठण्डा किए हुए पानी में चीनी के साथ मिलाकर बार-बार (UPBoardSolutions.com) पिलाने पर रोगी को अत्यधिक लाभ होता है। गरम पानी में नमक डालकर गरारे करने से गले के रोगों में विशेष लाभ होता है।

(3) सौंफ:
खुनी पेचिश के लिए सौंफ एक उत्तम औषधि है। इस रोग में सौंफ को पानी में उबालकर उसका अर्क दिया जाता है। यह प्यास को कम करती है तथा गर्मी के कारण होने वाले सिर दर्द में आराम पहुँचाती है।

प्रश्न 3:
कृमि रोग का उपचार आप कैसे करेंगी?
उत्तर:
इस रोग में पेट में विभिन्न प्रकार के बड़े-बड़े कीड़े हो जाते हैं, जिनके कारण रोगी के पेट में दर्द रहता है, उसके मुँह से लार टपकती है तथा वह सोते समय दाँत किटकिटाता है। इस प्रकार के रोगी को पपीते के बीज (ताजे अथवा सूखे) पीसकर खिलाने से उसके पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं। एक से दो माशे तक अजवाइन का चूर्ण गुड़ के साथ दिन में दो या तीन बार देने से कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 4:
हैजा रोग का उपचार आप किस प्रकार करेंगी?
उत्तर:
हैजा रोग में दस्त एवं वमन के कारण पीड़ित व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी हो जाती है; अत: उसे एक लीटर उबले हुए पानी में आधा चम्मच नमक, आधा चम्मच खाने का सोडा तथा एक चम्मच चीनी अथवा गुड़ मिलाकर बार-बार पिलाना चाहिए। अब रोगी को अमृतधारा की 10-15 बूंदें पानी में (UPBoardSolutions.com) डालकर देनी चाहिए जिससे कि रोगी की वमन रुक सकें। अब हरा धनिया, पुदीना और सौंफ को समान मात्रा में लेकर तथा इसमें सेंधा नमक मिलाकर चटनी की तरह पीस लें। इसके सेवन से रोगी को पर्याप्त आराम मिलता है। समय मिलते ही रोगी को किसी योग्य चिकित्सक को दिखाएँ।

प्रश्न 5:
निमोनिया रोग का उपयक्तु उपचार लिखिए।
उत्तर:
इस रोग में सामान्यतः ज्वर के साथ रोगी शीत का अनुभव करता है। उसके सीने में कफ एकत्रित हो जाता है, खाँसी रहती है तथा पसलियों में दर्द रहता है। पीड़ित व्यक्ति को गर्म स्थान में रखकर उसकी पसलियों के दोनों ओर पिसी हुई अलसी लगी रुई के पैड लगाने चाहिए। फूला हुआ सुहागा, फूली हुई फिटकरी, तुलसी की पत्तियाँ, अदरक पीसकर पान के रस एवं शहद में मिलाकर रोगी को दिन में चार या पाँच बार देना चाहिए।

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प्रश्न 6:
जुकाम अथवा नजले का घरेलू उपचार बताइए।
उत्तर:
जुकाम एवं नजला सामान्य रोग हैं जो कि प्रायः ऋतु परिवर्तन के समय अथवा शीत ऋतु में अधिक होते हैं। छींक आना, आँखों एवं नाक से पानी जाना, कान बन्द हो जाना तथा खाँसी व कफ निकलना आदि रोग के सामान्य लक्षण हैं।
शीत ऋतु में हुई खाँसी एवं श्वास रोग में सहजन की जड़ की छाल को घी या तेल में मिलाकर धूम्रपान करने से लाभ होता है। जुकाम के प्रारम्भ में दूध में हल्दी डालकर (UPBoardSolutions.com) उबालकर पीने से लाभ होता हैं। अधिक सिर दर्द व नाक से पानी बहने पर लौंग का दो बूंद तेल शक्कर अथवा बताशे के साथ खाने से अत्यधिक लाभ होता है। नए जुकाम में पीपल का चूर्ण शहद में अथवा चाय में मिलाकर सेवन करने से शीघ्र आराम होता है। चाय में काली मिर्च का चूर्ण डालकर पीने से भी जुकाम में पर्याप्त लाभ होता है?

प्रश्न 7:
बिच्छू एवं शहद की मक्खी के काटने पर आप क्या उपचार करेंगी?
उत्तर:
बिच्छू के काटने पर उपचार-बिच्छू द्वारा काटने पर निम्नलिखित उपचार करने चाहिए

  1. काटने के स्थान के थोड़ा ऊपर टूर्नीकेट बाँधना चाहिए।
  2.  काटे हुए स्थान पर बर्फ रखने पर तथा नोवोकेन का इन्जेक्शन लगाने पर पीड़ा में कमी आती है।
  3.  रोग नियन्त्रित न होने पर योग्य चिकित्सक से परामर्श लें।

शहद की मक्खी के काटने पर उपचार:
पीड़ित व्यक्ति को काटने के स्थान पर सूजन आ जाती है। तथा भयंकर जलन होती है। इसके लिए निम्नलिखित उपचार करने चाहिए

  1.  काटे स्थान को दबाकर डंक निकालना चाहिए।
  2.  घाव पर अमोनिया अथवा नौसादर एवं चूने की सम मात्रा मिलाकर लगानी चाहिए।
  3. काटे हुए स्थान पर स्प्रिट लगानी चाहिए।
  4. एण्टी-एलर्जी की गोलियाँ (एविल आदि) लेने से लाभ होता है।

प्रश्न 8:
विष कितने प्रकार से शरीर में पहुँचता है?
उत्तर:
प्राय: निम्नलिखित चार प्रकार से विष हमारे शरीर में प्रवेश करता है

  1. मुँह द्वारा-खाने-पीने की वस्तुओं में मिलाकर खाने अथवा खिलाने से विष शरीर में प्रवेश कर सकता है।
  2.  सँघने से कुछ विशेष प्रकार के विष पूँघने पर श्वास क्रिया के साथ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। उदाहरण-पेन्ट्स, फिनिट आदि।
  3.  विषैले जीव-जन्तुओं के काटने पर-अनेक जीव-जन्तु (बिच्छू, साँप, मधुमक्खी आदि) विषैले होते हैं। ये काटने अथवा डंक मारने पर अपने विष को हमारे शरीर में प्रवेश करा देते हैं।
  4. सामान्य घाव या इन्जेक्शन के घाव द्वारा इस विधि द्वारा अनेक विषैले कीटाणु एवं विष – हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
घरेलू देशज औषधियों से क्या आशय है?
उत्तर:
जब किसी रोग या कष्ट के निवारण के लिए घर पर सामान्य इस्तेमाल की वस्तुओं को उपयोग में लाया जाता है तो उन सामान्य वस्तुओं को घरेलू देशज औषधि कहा जाता है। जैसे कि पेट-दर्द के निवारण के लिए अजवाइन एक घरेलू औषधि है।

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प्रश्न 2:
गुलाब जल का क्या प्रयोग है? .
उत्तर:
यह नेत्रों की अत्यन्त उपयोगी औषधि है। यह नेत्र रोगों को ठीक करता है तथा नेत्रों को ठण्डक व शान्ति देने वाला होता है।

प्रश्न 3:
जल जाने पर कोई दो घरेलु औषधियों के नाम बताए।
उत्तर:
गोले का तेल या बरनॉल।

प्रश्न 4:
साँप के काटने पर अंग में बन्ध क्यों लगाया जाता है?
उत्तर:
अंग में बन्ध लगाने से उस स्थान से रुधिर का तेजी से इधर-उधर बहना बन्द हो जाता है। और विष पूरे शरीर में नहीं फैलता।

प्रश्न 5:
तुलसी के पत्ते का औषधि उपयोग बताइए।
उत्तर:
तुलसी के पत्ते ज्वर तथा जुकाम को शान्त करते हैं। शहद के साथ खाँसी में लाभदायक हैं।

प्रश्न 6:
आमाहल्दी का उपयोग बताइए।
उत्तर:
पिसी हुई आमाहल्दी दूध के साथ देने से चोट तथा मोच में आराम मिलता है।

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प्रश्न 7:
किन्हीं दो घरेलू औषधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अजवाइन, हींग, काला नमक आदि।

प्रश्न 8:
नकसीर छूटने पर आप कौन-सी घरेलू औषधिय प्रयोग करेंगी?
उत्तर:
नाक में देशी घी डालने तथा गीली-पीली मिट्टी सुंघाने से नाक द्वारा होने वाले रक्तस्राव में कमी आती है।

प्रश्न 9:
विष की शीशियों को लेबल करने से क्या लाभ है?
उत्तर:
विष की शीशियों को नामांकित (लेबल) कर रखने से भूलवश विषपान का भय नहीं रहता।

प्रश्न 10:
औषधियों का सेवन सदैव पर्याप्त प्रकाश में करना चाहिए। क्यों?
उत्तर:
क्योंकि अन्धकार में गलत औषधियाँ खा लेने की सम्भावना रहती है।

प्रश्न 11:
भाँग पिए व्यक्ति का आप क्या उपचार करेंगी?
उत्तर:
ऐसे व्यक्ति को खटाई (जैसे कि इमली का पानी) पिलाने से भाँग के विषैले प्रभाव को कम किया जा सकता है।

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प्रश्न 12:
जी मिचलाने अथवा उल्टी आने पर प्रयुक्त होने वाली किन्हीं दो घरेलू औषधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जी मिचलाने अथवा वमन रोकने के लिए

  1.  अमृतधारा की 5-6 बूंदें पानी में डालकर पिलायें तथा
  2. पोदीना व प्याज पीसकर तथा उसमें नीबू का रस डालकर रोगी को पिलायें।

प्रश्न 13:
लू लगने पर रोगी को पीने के लिए क्या देना चाहिए?
उत्तर:
लू लगने पर रोगी को पीने के लिए आम का पन्ना देना चाहिए।

प्रश्न 14:
बेल का शर्बत क्यों उपयोगी माना जाता है ?
उत्तर:
बेल का शर्बत पेट सम्बन्धी विकार दूर करता है तथा पेचिश में विशेष लाभदायक होता है।

प्रश्न 15:
दाँतों में दर्द होने पर आप क्या औषधि प्रयोग करेंगी?
उत्तर:
पिसी हुई लौंग अथवा लौंग का तेल प्रभावित दाँत के निचले भाग पर लगाने से दर्द में पर्याप्त लाभ होता है।

प्रश्न 16:
मुँह एवं जीभ पर छाले होने पर आप क्या उपचार करेंगी?
उत्तर:
प्रभावित भाग पर ग्लिसरीन अथवा कत्थे का चूरा लगाने से पर्याप्त लाभ होता है।

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प्रश्न 17:
मलेरिया ज्वर में रोगी को कौन-सी घरेलू औषधि देनी चाहिए?
उत्तर:
तुलसी के पत्ते में काली मिर्च को सम मात्रा में पीसकर दिन में तीन या चार बार देने से मलेरिया के रोगी को लाभ होगा।

प्रश्न 18:
अफीम खा लेने पर चेहरे का रंग कैसा हो जाता है?
उत्तर:
अफीम खा लेने पर चेहरा पीला पड़ जाता है तथा नेत्रों की पुतलियाँ सिकुड़कर छोटी हो जाती हैं।

प्रश्न 19:
विभिन्न दवाएँ घर पर रखते समय आप क्या सावधानियाँ रखेंगी?
उत्तर:

  1.  घर में दवाएँ उनकी मूल शीशियों, डिब्बों अथवा रैपर में रखनी चाहिए।
  2.  दवाइयों को उनके निर्देशानुसार ठण्डे अथवा गरम तथा प्रकाश अथवा अन्धकार आदि निर्दिष्ट स्थान में रखना चाहिए।
  3.  दवाइयाँ सदैव सुरक्षित स्थान पर बच्चों की पहुँच से दूर रखी जानी चाहिए।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) घरेलू देशज औषधियों के प्रयोग को उपयोगी माना जाता है
(क) आकस्मिक रोगों या दुर्घटनाओं के तुरन्त उपचार के लिए,
(ख) इनके प्रयोग से धन एवं समय की बचत होती है,
(ग) दुर्घटना घटित होने पर गृहिणी का मनोबल बना रहता है,
(घ) उपर्युक्त सभी उपयोग एवं लाभ।

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(2) सौंफ का प्रयोग किस रोग में किया जाता है?
(क) खूनी पेचिश,
(ख) निमोनिया,
(ग) कृमि रोग,
(घ) जुकाम।

(3) कृमि रोग में दिए जाते हैं
(क) धतूरे के बीज,
(ख) पपीते के बीज,
(ग) टमाटर के बीज,
(घ) खरबूजे के बीज।

(4) अमृतधारा का प्रयोग किया जाता है
(क) मलेरिया में,
(ख) कृमि रोग में,
(ग) खुनी पेचिश में,
(घ) वमन रोकने में।

(5) ईसबगोल की भूसी दी जाती है
(क) श्वास सम्बन्धी रोगों में,
(ख) हृदय रोग में,
(ग) पेचिश में,
(घ) काली खाँसी में।

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(6) जले हुए स्थान पर जलन कम करने के लिए आप क्या लगाएँगी?
(क) लौंग का तेल,
(ख) गोले का तेल,
(ग) सरसों का तेल,
(घ) अमृतधारा।

(7) नींद लाने वाला विष कौन-सा है?
(क) अफीम,
(ख) कास्टिक सोडा,
(ग) धतूरा,
(घ) संखिया।

(8) सबसे अधिक खतरनाक एवं हानिकारक विष कौन-से होता है?
(क) आहारनाल में जल उत्पन्न करने वाले विष
(ख) नींद लाने वाले विष,
(ग) मस्तिष्क तथा तन्त्रिकाओं पर बुरा प्रभाव डालने वाले विष,
(घ) मांसपेशियों में ऐंठन लाने वाले विष।

(9) निमोनिया के रोगी को आप कौन-सा पेय पदार्थ देंगी?
(क) लस्सी,
(ख) शर्बत,
(ग) चाय,
(घ) कोका कोला।

(10) साँप के काटे घाव पर कौन-सी वस्तु लगानी चाहिए?
(क) सल्फर,
(ख) बरनॉल,
(ग) पोटैशियम परमैंगनेट,
(घ) नमक।

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(11) बिच्छू के काटने पर तुरन्त दिया जाता है
(क) गर्म चाय,
(ख) गर्म दूध,
(ग) कहवा,
(घ) ब्राण्डी।

(12) कीटाणुनाशक पदार्थ है
(क) टाटरी,
(ख) अमृतधारा,
(ग) डिटॉल,
(घ) गोले का तेल।

(13) मुलहठी दी जाती है
(क) विष फैलने पर,
(ख) दस्तों के लिए,
(ग) खाँसी होने पर,
(घ) मलेरिया ज्वर में।

(14) पोटैशियम परमैंगनेट काम आता है
(क) चोट पर लगाने के लिए,
(ख) घाव को साफ करने के लिए,
(ग) घाव को भरने के लिए,
(घ) कीड़े-मकोड़ों को मारने के लिए।

(15) मलेरिया ज्वर के लिए एकमात्र दवा है
(क) सौंठ, अजवाइन तथा हींग,
(ख) कुनैन की गोलियाँ,
(ग) लौंग का पान,
(घ) पोदीने का पानी।

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(16) अम्ल तथा क्षार मुख्य रूप से उत्पन्न करते हैं
(क) जलन,
(ख) पीड़ा,
(ग) बेचैनी,
(घ) नींद।

उत्तर:
(1) (घ) उपर्युक्त सभी उपयोग एवं लाभ,
(2) (क) खूनी पेचिश,
(3) (ख) पपीते के बीज,
(4) (घ) वमन रोकने में,
(5) (ग) पेचिश में,
(6) (ख) गोले का तेल,
(7) (क) अफीम,
(8) (ग) मस्तिष्क तथा तन्त्रिकाओं पर बुरा प्रभाव डालने वाले विष,
(9) (ग) चाय,
(10) (ग) पोटैशियम परमैंगनेट,
(11) (क) गर्म चाय,
(12) (ग) डिटॉल,
(13) (ग) खाँसी होने पर,
(14) (ख) घाव को साफ करने के लिए,
(15) (ख) कुनैन की गोलियाँ,
(16) (क) जलन ।

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UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles (त्रिभुज)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles (त्रिभुज).

प्रश्नावली 7.1

प्रश्न 1.
चतुर्भुज ACBD में, AC = AD है और रेखाखण्ड AB, ∠A को समद्विभाजित करता है। दर्शाइए कि ∆ABC = ∆ABD है। BC और BD के बारे में आप क्या कह सकते हैं?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-1
हल :
दिया है : ACBD एक चतुर्भुज है जिसमें भुजा AC = AD है और रेखाखण्ड AB, ∠A को समद्विभाजित करता है।
सिद्ध करना है : ∆ABC = ∆ABD; और
ज्ञात करना है : BC और BD में सम्बन्ध।
उपपत्ति: ∆ABC और ∆ABD की तुलना करने पर,
AC = AD (दिया है)
∠CAB = ∠DAB (दिया है)।
AB = AB (उभयनिष्ठ है)
∆ABC = ∆ABD (S.A.S. से)
Proved.
BC = BD

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प्रश्न 2.
ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें AD = BC और ∠DAB = ∠ CBA है। सिद्ध कीजिए कि
(i) ∆ABD = ∆BAC
(ii) BD = AC
(iii) ∠ABD = ∠BAC
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-2
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD में AD = BC और ∠DAB = ∠CBA
सिद्ध करना है :
(i) ∆ABD = ∆BAC
(ii) BD = AC
(iii) ∠ ABD = ∠BAC
उपपत्ति (i) ∆ABD और ∆BAC में,
AD = BC (दिया है)
∠DAB = ∠CBA (दिया है)
AB = AB (उभयनिष्ठ है)
∆ABD = ∆BAC (S.A.S. से)
(ii) सर्वांगसम त्रिभुजों में संगत मापें बराबर होती हैं और ∆ABD और ∆BAC सर्वांगसम हैं।
संगत भुजाएँ BD = AC
(iii) ∆ABD = ∆BAC
∠ABD = ∠BAC (C.P.C.T.) Proved.

प्रश्न 3.
एक रेखाखण्ड AB पर AD और BC दो बराबर लम्ब रेखाखण्ड हैं। दर्शाइए कि CD, रेखाखण्ड AB को समद्विभाजित करता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-3
हल :
दिया है : AB एक रेखाखण्ड है जिसके सिरों A तथा B पर क्रमश: AD और BC लम्ब इस प्रकार हैं कि AD = BC
सिद्ध करना है : CD, रेखाखण्ड AB को समद्विभाजित करता है।
उपपत्ति: प्रश्नानुसार, ∠DAB = 90° ⇒ ∠ DAO = 90°
तथा ∠CBA = 90° ⇒ ∠CBO = 90°
∠DAO = ∠CBO …(1)
∠AOD = ∠COB …(2) (शीर्षाभिमुख कोण)
(1) और (2) को जोड़ने पर,
∠DAO + ∠AOD = ∠CBO + ∠COB
⇒ 180° – ∠ADO = 180° – ∠BCO (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
⇒ ∠ODA = ∠OCB …(3)
अब ∆AOD व ∆BOC में,
∠DAO = ∠CBO [समीकरण (1) से]
AD = BC (दिया है)
∠ODA = ∠OCB [ समीकण (3) से]
∆AOD = ∆BOC (S.A.S. से)
AO = BO (C.P.C.T.)
रेखाखण्ड AB बिन्दु O पर समद्विभाजित होता है।
अत: CD, रेखाखण्ड AB को बिन्दु0 पर समद्विभाजित करता है।
Proved.

प्रश्न 4.
l और m दो समान्तर रेखाएँ हैं जिन्हें समान्तर रेखाओं pऔर qका एक अन्य युग्म प्रतिच्छेदित करता है। दर्शाइए कि ∆ABC = ∆CDA
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-4
हल:
दिया है। l और m दो समान्तर रेखाएँ हैं जिनको एक अन्य दो समान्तर रेखाओं p और q का युग्म बिन्दुओं A, B, C और D पर प्रतिच्छेदित करता है। रेखाखण्डे AC खींचा गया है।
सिद्ध करना है : ∆ABC = ∆CDA
उपपत्ति : l || m और AC एक तिर्यक रेखाखण्ड इन्हें प्रतिच्छेदित करता है।
∠DAC = ∠ BCA (एकान्तर कोण युग्म)
इसी प्रकार, p || q है और AC एक तिर्यक रेखाखण्ड इन्हें प्रतिच्छेदित करता है।
∠DCA = ∠BAC (एकान्तर कोण युग्म)
अब ∆ABC और ∆CDA में, ∠BCA = ∠DAC (ऊमर सिद्ध किया है)
AC = AC (उभयनिष्ठ है)
∠BAC = ∠DCA (ऊपर सिद्ध किया है)
∆BC = ∆CDA (A.S.A से)
Proved.

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प्रश्न 5.
रेखा l कोण A को समद्विभाजित करती है और B रेखा पर स्थित कोई बिन्दु है। BP और BQ कोण A की भुजाओं पर B से डाले गए लम्ब हैं। दर्शाइए कि
(i) ∆APB = ∆AQB
(ii) BP = BQ अर्थात बिन्दु B कोण A की भुजाओं से समदूरस्थ है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-5
हल :
दिया है। एक रेखा है जो ∠A को समद्विभाजित करती है। रेखा l पर कोई बिन्दु B स्थित है। बिन्दु B से ∠ A की भुजाओं AP और AQ पर क्रमशः BP और BQ लम्ब खींचे गए हैं।
सिद्ध करना है : (i) ∆APB = ∆AQB,
(ii) BP = BQ अर्थात् बिन्दु B कोण ∆की भुजाओं से समदूरस्थ है।
उपपत्ति : (i) BP ⊥ AP और BQ ⊥ AQ
∠P = 90° और ∠Q = 90° …(1)
A रेखा l, ∠A को समद्विभाजित करती है।
∠QAB = ∠PAB
∠QAB= ∠PAB = x° …(2)
तब ∆APB और ∆AQB के अन्त:कोणों के योग की समानता से,
∠ABP + ∠PAB + ∠P = ∠ABQ + ∠QAB + ∠Q
∠ABP + x + 90° = ∠ABQ + x° + 90° [समीकरण (1) तथा (2) से]
∠ABP =∠ABQ
Proved.
अब ∆APB और ∆AQB में, ∠PAB = ∠QAB (दिया है)
AB = AB (उभयनिष्ठ है)
∠ABP = ∠ABQ (अभी सिद्ध किया है)
∆APB = ∆AQB (A.S.A से)
(ii) : ∆APB = ∆AQB
BP= BQ (C.P.C.T.)
अर्थात बिन्दु B, ∠A की भुजाओं से समदूरस्थ है।
Proved.

प्रश्न 6.
दी गई आकृति में, AC = AE, AB = AD और ∠BAD = ∠EAC है, दर्शाइए कि BC = DE है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-6
हल :
दिया है : दी गई आकृति के ∆ABD में AB = AD तथा ∆ACE में AC = AE है और ∠BAD = ∠EAC। रेखाखण्ड DE खींचा। गया है।
सिद्ध करना है : BC = DE
उपपत्ति : ∠ BAD = ∠ EAC दोनों ओर ∠DAC जोड़ने पर,
∠BAD + ∠DAC = ∠EAC + ∠DAC
∠BAC = ∠DAE
अब ∆ABC तथा ∆ADE में,
AB = AD (दिया है)
∠BAC = ∠DAE [समीकरण (1) से]
AC = AE (दिया है)
∆ABC = ∆DE (S.A.S. से)
अतः BC = DE (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्न 7.
AB एक रेखाखण्ड है और Pइसका मध्य बिन्दु है। D और E रेखाखण्ड AB के एक ही ओर स्थित दो बिन्दु इस प्रकार हैं कि ∠BAD = ∠ABE और ∠EPA = ∠DPB है। दर्शाइए कि
(i) ∆DAP = ∆EBP
(ii) AD = BE
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-7
हल :
दिया है : AB एक रेखाखण्ड है जिसका मध्य-बिन्दु P है। AB के एक ही ओर दो बिन्दु D और E हैं। D से रेखाखण्ड DA और DP खींचे गए हैं और E से रेखाखण्ड EB और EP खींचे गए हैं जिससे ∠BAD = ∠ABE तथा ∠EPA = ∠DPB है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆DAP = ∆EBP
(ii) AD = BE
उपपत्ति (i) P, AB का मध्य बिन्दु है जिससे AP= BP
और ∠BAD = ∠ABE (दिया है)
∠PAD = ∠PBE
हमें ज्ञात है कि ∠EPA = ∠DPB
दोनों पक्षों में ∠EPD जोड़ने पर,
∠EPA + ∠ EPD = ∠DPB + ∠EPD
∠DPA = ∠EPB (चित्र से)
अब ∆DAP तथा ∆EBP में, ∠DPA = ∠ EPB (अभी सिद्ध किया है)
AP = BP (P, AB का मध्य-बिन्दु है)
∠PAD = ∠PBE (सिद्ध कर चुके हैं)
∆DAP = ∆EBP (A.S.A. से)
(ii) ∆DAP = ∆EBP
AD = BE (C.P.C.T.)
Proved.

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प्रश्न 8.
एक समकोण त्रिभुज ABC में, जिसमें ∠C समकोण है, M कर्ण AB का मध्य बिन्दु है। C को M से मिलाकर D तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि DM = CM है। बिन्दु D को बिन्दु B से मिला दिया जाता है। दर्शाइए कि :
(i) ∆AMC = ∆BMD
(ii) ∠DBC एक समकोण है।
(iii) ∆DBC = ∆ACB
(iv) CM = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-8
हल :
दिया है: ABC एक समकोण त्रिभुज है जिसमें ∠C = 90° है तथा कर्ण AB को मध्य-बिन्दु M है। रेखाखण्ड CM खींचकर इसे बिन्दु D तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि CM = DM है। बिन्दु D को बिन्दु B से मिलाकर रेखा BD खींची गई है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆AMC = ∆BMD
(ii) ∠DBC एक समकोण है।
(iii) ∆DBC = ∆ACB
(iv) CM = AB
उपपत्ति : (i) ∆AMC और ∆BMD में,
AM = BM (M, AB का मध्य-बिन्दु है)
∠AMC = ∠BMD (शीर्षाभिमुख कोण)
CM = DM (दिया है)
∆AMC = ∆BMD (S.A.S. से)
(ii) ∆AMC = ∆BMD
∠MAC = ∠ MBD
AC || BD
∠DBC + ∠ACB = 180°
∠DBC + 90° = 180°
(iii) ∆DBC और ∆ACB में,
DB = AC (C.P.C.T.) [∆AMC = ∆BMD]
∠DBC = ∠ACB [ भाग (ii) से ]
BC = BC (उभयनिष्ठ)
∆DBC = ∆ACB (S.A.S. से)
(iv) DC = AB (C.P.C.T.)
2CM = AB (DM = CM)
CM = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
Proved.

प्रश्नावली 7.2

प्रश्न 1.
एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC में जिसमें AB = AC है, ∠B और ∠C के समद्विभाजक परस्पर बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करते हैं। A और O को जोड़िए और दर्शाइए कि
(i) OB = OC
(ii) AO, ∠A को समद्विभाजित करता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-9
हल :
दिया है : समद्विबाहु ∆ABC में, AB = AC है।
∠B और ∠C के समद्विभाजक BO तथा CO बिन्दु O पर मिलते हैं। रेखाखण्ड AO को जोड़ा गया है।
सिद्ध करना है :
(i) OB = OC
(ii) AO, ∠A को समद्विभाजित करता है।
उपपत्ति :
(i) ∆ABC में, AC = AB (दिया है)
∠ABC = ∠ACB
(त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं)
[latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠ABC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠ACB
∠OBC = ∠OCB …(1) (BO, CO क्रमशः ∠B और ∠C के समद्विभाजक हैं) :
∆OBC में,
∠OBC = ∠OCB
अतः OB = OC (त्रिभुज में समान कोणों की सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं।)
(ii) ∆ABO तथा ∆ACO में,
AB = AC (दिया है)
OB = OC (ऊपर सिद्ध किया है)
AO = AO (उभयनिष्ठ भुजा है)
∆ABO = ∆ACO (S.S.S. से)
∠BAO = ∠CAO (C.P.C.T.)
अर्थात, AO, ∠A को समद्विभाजित करता है।
Proved.

प्रश्न 2.
∆ABC में AD भुजा BC का लम्ब समद्विभाजक है दर्शाइए कि ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसमें AB = AC है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-10
हल :
दिया है : ABC एक त्रिभुज है जिसमें भुजा BC का लम्ब समद्विभाजक AD है।
सिद्ध करना है : ∆ABC समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AB = AC है।
उपपत्ति : AD, BC का लम्ब समद्विभाजक है।
BD = CD तथा ∠ADB = ∠ADC = 90°
अब ∆ABD और ∆ACD में,
BD = CD (ऊपर सिद्ध किया है)
∠ADB = ∠ADC (ऊपर सिद्ध किया है)
AD = AD (उभयनिष्ठ भुजा है)
∆ABD = ∆ACD (S.A.S.से)
AB = AC (C.P.C.T.)
अर्थात् ∆ABC समद्विबाहु है।
Proved.

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प्रश्न 3.
ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसमें बराबर भुजाओं AC और AB पर क्रमशः शीर्षलम्ब BE तथा CF खींचे गए हैं। दर्शाइए कि ये शीर्ष लम्ब बराबर हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-11
हल :
दिया है : एक समद्विबाहु ∆ABC में AB = AC तथा शीर्ष B से भुजा AC पर BE लम्ब डाला गया है और शीर्ष C से भुजा AB पर CF लम्ब डाला। गया है।
सिद्ध करना है : BE = CF
उपपत्ति: ∆ABC में,
AC = AB (दिया है)
∠ABC = ∠ACB … (1) (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं)
अब ∆BCF और ∆CBE में,
∠ BFC = ∠CEB (BE ⊥ AC तथा CF ⊥ AB)
BC = BC (उभयनिष्ठ भुजा)
∠FBC = ∠ ECB (∠ABC = ∠FBC तथा ∠ACB = ∠ECB)
∆BCF = ∆CBE (A.S.A. से)
BE = CF (C.P.C.T.)
Proved.
अर्थात दोनों शीर्षलम्ब बराबर हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-12

प्रश्न 4.
ABC एक त्रिभुज है जिसमें AC और AB पर खींचे गए शीर्षलम्ब BE तथा CF बराबर हैं। दर्शाइए कि
(i) ∆ABE = ∆ACF
(ii) AB = AC अर्थात ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-13
हल :
दिया है : ∆ABC में शीर्ष B से शीर्षलम्ब BE तथा शीर्ष C से शीर्षलम्ब CF, क्रमशः AC और AB पर इस प्रकार खींचे गए हैं कि BE = CF है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆ABE = ∆ACF
(ii) AB = AC अर्थात ∆ABC समद्विबाहु है।
उपपत्ति : (i) BE शीर्षलम्ब है AC पर ∠AEB = 90°
∠ABE = 90° – A (त्रिभुज के अन्त:कोणों को योग 180° होता है)
इसी प्रकार, CF शीर्षलम्ब है AB पर
∠AFC = 90°
∠ACF = 90° – A ( त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है)
∠ABE = ∠ACF …….(1)
अब ∆ABE और ∆ACF में,
∠ABE = ∠ACF [समीकरण (1) से]
BE = CF (दिया है)
∠AEB= ∠AFC (प्रत्येक 90°)
∆ABE = ∆ACF (A.S.A.से)
(ii) ∆ABE = ∆ACF
AB = AC (C.P.C.T.)
अत: ∆ABC समद्विबाहु है।
Proved.
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-14

प्रश्न 5.
ABC और DBC समान (एक ही) आधार पर स्थित दो समद्विबाहु त्रिभुज हैं। दर्शाइए कि ∠ABD = ∠ACD
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-15
हल :
दिया है। दो समद्विबाहु ∆ABC और ∆DBC एक ही आधार BC पर स्थित हैं और AB = AC तथा DB = DC
सिद्ध करना है : ∠ABD = ∠ACD
उपपत्ति : ∆ABC में,
AB = AC (दिया है)
∠ACB = ∠ABC (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं) …(1)
पुनः ∆DBC में, DB = DC (दिया है)
∠BCD = ∠CBD (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं) …(2)
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर,
∠ ACB + ∠BCD = ∠ABC + ∠CBD
∠ACD = ∠ABD
अतः ∠ABD = ∠ACD
Proved.

प्रश्न 6.
ABC एक समद्विभाहु त्रिभुज है, जिसमें AB = AC है। भुजा BA बिन्दु D तक इस प्रकार बढ़ाई गई है कि AD = AB है। दर्शाइए कि ∠BCD एक समकोण है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-16
हल :
दिया है : ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें भुजा AB = AC है और भुजा BA को , बिन्दु D तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि AD = AB है।
सिद्ध करना है : ∠BCD एक समकोण है।
उपपत्ति : ∆ABC में,
AC = AB (दिया है)
∠ABC = ∠ACB (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं) …(1)
भुजा BA को बिन्दु D तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि
AB = AD
परन्तु दिया है कि AB = AC भी हैं।
AC = AD
∆ACD में,
∠ADC = ∠ACD (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं) …(2)
समीकरण (1) व समीकरण (2) को जोड़ने पर,
∠ABC + ∠ADC = ∠ACB + ∠ACD
∠ABC + ∠ADC = ∠ BCD (चित्र से)
∠DBC +∠BDC = ∠BCD (∠ ABC = ∠ DBC तथा ∠ ADC = ∠BDC) …(3)
अब : ∆BCD में,
∠DBC + ∠BDC + ∠BCD = 180° (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है)
∠BCD + ∠BCD = 180° [ समीकरण (3) से]
2 ∠BCD = 180°
∠BCD = 90°
अतः ∠BCD एक समकोण है।
Proved.

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प्रश्न 7.
ABC एक समकोण त्रिभुज है, जिसमें ∠A = 90° और AB = AC है। ∠B और ∠C ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-17
हल :
दिया है : ABC एक समकोण त्रिभुज है जिसमें A = 90° और बराबर भुजाओं में AB = AC है।
ज्ञात करना है : ∠B तथा ∠C
गणना : ∆ABC समद्विबाहु है जिसमें AB = AC है।
∠C = ∠B (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं) …(1)
त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।
∠A + ∠B + ∠C = 180°
90° +∠B + ∠B = 180° [समीकरण (1) से]
2 ∠B = 180° – 90° = 90°
∠B = 45° …(1)
∠C = ∠ B
∠C = 45°
अतः ∠B = 45° तथा ∠C = 45°

प्रश्न 8.
दर्शाइए कि किसी समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60° होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-18
हल :
दिया है : ABC एक समबाहु त्रिभुज है जिसमें भुजाएँ AB, BC और CA परस्पर समान लम्बाई की हैं।
∠A, ∠B और ∠C समबाहु त्रिभुज के अन्त: कोण हैं।
सिद्ध करना है : त्रिभुज का प्रत्येक अन्त:कोण = 60°
उपपत्ति: ∆ABC समबाहु है जिसमें AB = BC = AC
यदि AB = AC तो ∠C = ∠B …..(1)
यदि AB = BC तो ∠C = ∠A …(2) (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं)
समीकरण (1) व समीकरण (2) से
∠A = ∠B = ∠C …(3)
परन्तु त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग = 180°
∠A + ∠B + ∠C = 180°
⇒ ∠A + ∠A + ∠A = 180°
⇒ 3 ∠A = 180°
⇒ ∠A = 60°
तब समीकरण (3) से
∠A = ∠B = ∠C = 60°
अतः समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक अन्त: कोण = 60°
Proved.

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प्रश्नावली 7.3

प्रश्न 1.
∆BC और ∆DBC एक ही आधार BC पर बने दो समद्विबाहु त्रिभुज इस प्रकार हैं कि A और D, भुजा BC के एक ही ओर स्थित हैं। यदि AD बढ़ाने पर BC को P पर प्रतिच्छेद करे तो दर्शाइए कि :
(i) ∆ABD = ∆ACD
(ii) ∆ABP = ∆ACP
(iii) AP, ∠A और ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
(iv) AP, रेखाखण्ड BC का लम्ब समद्विभाजक है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-19
हल :
दिया है। एक ही आधार BC पर दो समद्विबाहु त्रिभुज, ∆ABC और ∆DBC ऐसे स्थित हैं कि A और D, BC के एक ही ओर हैं।
AD को बढ़ाने पर यह BC को P पर काटती है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆ABD = ∆ACD
(ii) ∆ABP = ∆ACP
(iii) AP, ∠A और ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
(iv) AP, रेखाखण्ड BC का लम्ब समद्विभाजक है।
उपपत्ति : ∆ABC समद्विबाहु है जिसको आधार BC है।
AB = AC
और ∆DBC समद्विबाहु है जिसका आधार BC है।
BD = CD
(i) ∆ABD और ∆ACD में,
AB = AC [समीकरण (1) से]
BD = CD [समीकरण (2) से ]
AD = AD (उभयनिष्ठ भुजा से)
∆ABD = ∆ACD (S.S.S. से)
(ii) ∆ABD = ∆ACD
∠BAD = ∠CAD
अर्थात् AD, ∠A का समद्विभाजक है। (C.P.C.T.)
तबे AD को आगे बढ़ाने पर AP भी ∠A का समद्विभाजक होगा।
अब ∆ABP और ∆ACP में,
AB = AC [समीकरण (1) से]
∠BAP = ∠CAP ( AP, ∠A का समद्विभाजक है।)
AP = AP (उभयनिष्ठ भुजा)
∆ABP = ∆ACP (S.A.S. से)
(iii) ∆ABP = ∆ACP के ∠BDP = ∠CDP (C.P.C.T.)
DP, ∠D का समद्विभाजक है।
AP, ∠D का समद्विभाजक है। और हम अभी सिद्ध कर चुके हैं कि AP, ∠A का समद्विभाजक है।
तब, AP, ∠A और ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
(iv) अभी हमने सिद्ध किया है कि ∆ABP = ∆CP
∠APB = ∠APC
तथा BP = CP (C.P.C.T.)
अब BP = CP
AP, भुजा BC का समद्विभाजक है।
∠ APB + ∠ APC = 180° और ∠APB = ∠APC (रेखीय युग्म)
तब हल करने पर,
∠APB = ∠APC = 90°
AP, BC पर लम्ब है।
AP, BC पर लम्ब भी है और AP, BC का समद्विभाजक भी है।
अतः AP रेखाखण्ड BC का लम्ब समद्विभाजक है।
Proved.

प्रश्न 2.
AD एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC का शीर्षलम्ब है, जिसमें AB = AC है। दर्शाइए कि
(i) AD, रेखाखण्ड BC को समद्विभाजित करता है।
(ii) AD, ∠A को समद्विभाजित करता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-20
हल :
दिया है : ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AB = AC है।
त्रिभुज के शीर्ष A से BC पर AD लम्ब डाला गया है जिससे AD शीर्षलम्ब है।
सिद्ध करना है :
(i) AD, रेखाखण्ड BC को समद्विभाजित करता है।
(ii) AD, ∠A को समद्विभाजित करता है।
उपपत्ति : AD, ∆ABC का शीर्षलम्ब है।
AD ⊥ BC के ∠ADB = 90°
और ∠ADC = 90°
AB, ∆ABD को और AC, ∆ACD का कर्ण है।
तब समकोण त्रिभुज ABD और समकोण त्रिभुज ACD में, ∠ADB = ∠ADC (प्रत्येक 90°)
AB = AC (दिया है)
AD = AD (उभयनिष्ठ भुजा)
∆ABD = ∆ACD (R.H.S.)
(i) ∆BD = ∆ACD
BD = CD (C.P.C.T.)
D, BC का मध्य-बिन्दु है।
अत: AD, रेखाखण्ड BC को समद्विभाजित करता है।
(ii) ∆ABD = ∆ACD
∠BAD = ∠CAD (C.P.C.T.)
अत: AD, ∠A को समद्विभाजित करता है।
Proved.

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प्रश्न 3.
एक ∆BC की दो भुजाएँ AB तथा BC और माध्यिका AM क्रमशः एक-दूसरे ∆PQR की भुजाओं PQ तथा QR और माध्यिका PN के बराबर है। दर्शाइए कि
(i) ∆ABM = ∆PQN
(ii) ∆ABC = ∆PQR
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-21
हल :
दिया है: ∆ABC और ∆PQR दो त्रिभुज हैं जिनमें AB = PQ, BC = QR तथा माध्यिका AM = PN
सिद्ध करना है :
(i) ∆ABM = ∆PQN
(ii) ∆ABC = ∆PQR
उपपत्ति : BC = QR (दिया है)
[latex]\frac { BC }{ 2 }[/latex] = [latex]\frac { QR }{ 2 }[/latex]
BM = QN (AM व PN माध्यिकाएँ हैं)
(i) ∆ABM और ∆PQN में,
AB = PQ (दिया है)
AM = PN (दिया है)
BM = QN (ऊपर सिद्ध किया है)
∆ABM = ∆PQN (S.S.S. से)
(ii) ∆ABM = ∆PQN ⇒ ∠B = ∠Q (C.P.C.T.) …(1)
अब ∆BC तथा ∆PVR में,
AB = PQ (दिया है)
BC = QR (दिया है)
∠B = ∠Q [समीकरण (1) से]
अतः ∆BC = APQR (S.A.S. परीक्षण से)
Proved.

प्रश्न 4.
BE और CF एक ∆ABC के दो बराबर शीर्षलम्ब हैं। R.H.S. सर्वांगसमता नियम का प्रयोग करके सिद्ध कीजिए कि ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-22
हल :
दिया है : ABC एक त्रिभुज है जिसमें शीर्ष B से भुजा AC पर BE शीर्ष लम्ब खींचा गया है और शीर्ष C से भुजा AB पर CF शीर्षलम्ब इस प्रकार है कि BE = CF
सिद्ध करना है: ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
उपपत्ति : ∆ABC में BE, शीर्ष B से AC पर शीर्षलम्ब है।
∠BEC = 90°
∆BEC एक समकोण त्रिभुज है जिसमें कर्ण BC है।
पुनः ∆ABC में CF, शीर्ष C से AB पर शीर्षलम्ब है।
∠ BFC = 90°
∆BFC एक समकोण त्रिभुज है जिसमें कर्ण BC है।
समकोण त्रिभुज ∆BEC और ∆BFC में,
∠ BEC = ∠CFB (प्रत्येक 90°)
BE = CF (दिया है)
BC = BC (उभयनिष्ठ भुजा)
∆BEC = ∆BFC (R.H.S.)
∠ECB = ∠ FBC
⇒ ∠ACB =∠ ABC (C.P.C.T.)
अब ∆ABC में,
∠ACB = ∠ABC
AB = AC (त्रिभुज में समाने कोणों की सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं)
अतः ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
Proved.

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प्रश्न 5.
ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AB = AC है। AP ⊥ BC खींचकर दर्शाइए कि ∠B = ∠C
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-23
हल :
दिया है: ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AB = AC है।
शीर्ष A से BC पर AP लम्ब खींचा गया है। सिद्ध करना है : ∠B = ∠C
उपपत्ति: AP⊥ BC
∆APB में, ∠APB = 90° जिससे कर्ण AB है।
और ∆APC में, ∠APC = 90° जिससे कर्ण AC है।
अब ∆APB और ∆APC में,
∠APB = ∠ APC (प्रत्येक 90°)
AB = AC (दिया है)
AP = AP (उभयनिष्ठ भुजा)
∆APB = ∆APC (R.H.S. से)
अतः ∠B = ∠C (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्नावली 7.4

प्रश्न 1.
दर्शाइए कि समकोण त्रिभुज में कर्ण सबसे लम्बी (या सबसे बड़ी) भुजा होती है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-24
हल :
दिया है : ∆ABC में, ∠C = 90° तथा भुजा AB कर्ण है।
सिद्ध करना है : कर्ण AB, सबसे बड़ी भुजा है।
उपपत्ति: ∆ABC में, ∠C = 90° (दिया है)
∠A + ∠B = 180° – ∠C = 180° – 90° = 90° (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है)
∠A तथा ∠B, 90° से छोटे हैं।
∠C > ∠A तथा ∠C >∠B
∆ABC में,
∠C > ∠A
AB > BC (प्रमेय-4 से)
∠C > ∠B
AB > CA (प्रमेय-4 से)
AB > BC और AB > CA
AB, दोनों (BC व CA) से बड़ी है।
अतः कर्ण AB सबसे बड़ी भुजा है।
Proved.

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प्रश्न 2.
सम्मुख आकृति में, ∆ABC की भुजाओं AB और AC को क्रमशः बिन्दुओं P और Q तक बढ़ाया गया है साथ ही ∠PBC < ∠QCB है। दर्शाइए कि AC > AB
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-25
हल :
दिया है : ∆ABC में भुजाओं AB और AC को आगे बढ़ाया गया है। बढ़ी हुई AB पर बिन्दु P और बढ़ी हुई AC पर बिन्दु Q लिया गया है।
इस प्रकार बने बहिष्कोणों में ∠PBC < ∠QCB सिद्ध करना है : AC > AB
उपपत्ति : PBC, ∆ABC का बहिष्कोण है।
∠PBC = ∠ACB +∠A …..(1)
और ∠QCB भी ∆ABC का बहिष्कोण है।
∠QCB = ∠ABC + ∠A …(2)
∠PBC < ∠QCB
∠ACB + ∠A < ∠ABC + ∠A
[समीकरण (1) तथा (2) से
∠ACB < ∠ABC
अब ∆ABC में,
∠ACB < ∠ABC ∠ABC > ∠ACB
AC > AB (बड़े कोण की सम्मुख,भुजा बड़ी होती है)
Proved.

प्रश्न 3.
सम्मुख आकृति में ∠B < ∠A और ∠C < ∠D है। दर्शाइए कि AD < BC
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-26
हल :
दिया है : दी गई आकृति में ∆ABO में ∠B < ∠A
और ∆CDO में ∠C < ∠D.
सिद्ध करना है : ऋजु रेखा AD < BC
उपपत्ति: ∆ABO में,
∠B < ∠A
AO < BO (प्रमेय-4 से) …(1)
इसी प्रकार ∆CDO में, ∠C < ∠D
OD < OC (प्रमेय-4 से) …(2) (
1) व (2) को जोड़ने पर,
AO + OD < BO + OC
AD < BC
AD < BC Proved.

प्रश्न 4.
सम्मुख आकृति में, AB और CD क्रमशः एक चतुर्भुज ABCD की सबसे छोटी और सबसे बड़ी भुजाएँ हैं। दर्शाइए कि ∠A > ∠C और ∠B > ∠D
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-27
हल :
दिया है : ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें AB सबसे छोटी और CD सबसे बड़ी भुजा है।
सिद्ध करना है : ∠A > ∠C और ∠B > ∠D
रचना : रेखाखण्ड AC तथा BD खींचिए।
उपपत्ति : AB सबसे छोटी भुजा है। तब ∆ABC में,
BC > AB
∠BAC > ∠ACB (प्रमेय-3 से) …(1)
पुनः CD सबसे बड़ी भुजा है।
∆ACD में,
CD > AD
∠DAC > ∠DCA (प्रमेय-3 से) …(2)
(1) व (2) को जोड़ने पर,
∠ BAC + ∠DAC > ∠ACB + ∠DCA
∠BAD > ∠BCD
∠A > ∠C
AB सबसे छोटी भुजा है।
तब ∆ABD में,
AD > AB
∠ABD >∠ADB (प्रमेय-3 से) …(3)
इसी प्रकार, CD सबसे बड़ी भुजा है।
तब ∆BCD में,
CD > BC
∠CBD > ∠BDC (प्रमेय-3 से) …(4)
(3) व (4) को जोड़ने पर,
∠ABD + ∠CBD > ∠ADB + ∠BDC
∠ABC > ∠ADC
∠B > ∠D
Proved.
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-28

प्रश्न 5.
सम्मुख आकृति में, PR > PQ है और PS, ∠QPR को समद्विभजित करता है। सिद्ध कीजिए कि ∠PSR > ∠PSQ है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-29
हल :
दिया है: ∆PQR में, PR > PQ और ∠QPR को समद्विभाजक, QR से बिन्दु S पर मिलता है।
माना ∠PSR = x° तथा ∠PSQ = y°
सिद्ध करना है : ∠PSR > ∠PSQ
उपपत्ति: ∆PQR में,
PR > PQ
∠Q > ∠R (प्रमेय-3 से)
PS, ∠P को समद्विभाजक है।
∠QPS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠P
तथा ∠RPS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠P
∠x°, ∆PQS का भुजा QS के बिन्दु S पर बहिष्कोण है।
x°=∠Q + ∠QPS
⇒ ∠Q = x°- ∠QPS
∠Q = x° – [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠P …..(1)
∠y°, ∆PRS का भुजा RS के बिन्दु S पर बहिष्कोण है।
y° = ∠R + ∠RPS
⇒ ∠R = y° – [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠RPS
⇒ ∠R = y° – [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠P
∠Q > ∠R …..(2)
x° – [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠P > y°- [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠P
[समीकरण (1) व (2) से ]
x° > y°
∠PSR > ∠PSQ
Proved.
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-30

प्रश्न 6.
दर्शाइए कि एक रेखा पर एक दिए हुए बिन्दु से, जो उस रेखा पर स्थित नहीं है, जितने रेखाखण्ड खींचे जा सकते हैं उनमें लम्ब रेखाखण्ड सबसे छोटा होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-31
हल :
दिया है: AB एक सरल रेखा है और P उसके बाहर दिया हुआ एक बिन्दु है। P से रेखा AB पर PM और PN रेखाखण्ड खींचे गए हैं, जिनमें PM ⊥ AB
सिद्ध करना है : PM < PN
उपपत्ति : ∆MPN में, ∠M = 90°, PM ⊥ AB शेष कोण ∠MPN +∠PNM = 90° (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है)
∠PMN सबसे बड़ा कोण है। ∠M > ∠N
PN > PM (प्रमेय-4 से)
अत: P से खींचे रेखाखण्डों में PM सबसे छोटा है।
Proved.

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प्रश्नावली 7.5

प्रश्न 1.
ABC एक त्रिभुज है। इसके अभ्यन्तर में एक ऐसा बिन्दु ज्ञात कीजिए जो ∆ABC के तीनों शीर्षों से समदूरस्थ है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-32
हल :
एक ∆ABC के अभ्यन्तर में एक ऐसा बिन्दु P ज्ञात करना है जो त्रिभुज के तीनों शीर्षों A, B व C से समान दूरी पर हो।
रचना विधि :
(1) सर्वप्रथम दिया हुआ त्रिभुज ABC बनाइए।
(2) AB तथा BC के लम्ब समद्विभाजक खींचिए जो परस्पर बिन्दु P पर काटें।
(3) रेखाखण्ड PA, PB और PC खींचिए।
P अभीष्ट बिन्दु है जो तीनों शीर्षों से समदूरस्थ है।

प्रश्न 2.
किसी त्रिभुज के अभ्यन्तर में एक ऐसा बिन्दु ज्ञात कीजिए जो त्रिभुज की सभी भुजाओं से समदूरस्थ है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-33
हल :
माना ABC एक त्रिभुज है जिसके अभ्यन्तर में एक ऐसा बिन्दु P ज्ञात करना है जो त्रिभुज की तीनों भुजाओं AB, BC और CA से समदूरस्थ हो।
रचना विधि :
(1) सर्वप्रथम दिया हुआ ∆ABC बनाइए।
(2) ∠B और ∠C के समद्विभाजक खींचिए जो परस्पर बिन्दु P पर काटें।
P अभीष्ट बिन्दु है जो तीनों भुजाओं से समदूरस्थ है।

प्रश्न 3.
एक बड़े पार्क में, लोग तीन बिन्दुओं (स्थानों ) पर केन्द्रित हैं :
A : जहाँ बच्चों के लिए फिसलपट्टी और झूले हैं।
B : जिसके पास मानव निर्मित एक झील है।
C : जो एक बड़े पार्किंग स्थल और बाहर निकलने के रास्ते के निकट है।
एक आइसक्रीम का स्टॉल कहाँ लगाना चाहिए ताकि वहाँ लोगों की अधिकतम संख्या पहुँच सके?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-34
हल :
A, B और C तीन बिन्दु स्थान हैं। आइसक्रीम का स्टॉल लगाने के लिए लोगों की उस पर अधिकतम पहुँच होने के लिए यह आवश्यक है कि स्टॉल तीनों स्थानों से B’ समदूरस्थ हो।
अत: आइसक्रीम स्टॉल लगाने के लिए हमें एक ऐसे स्थान (बिन्दु) P का चयन करना है जो पार्क के तीनों स्थानों से समान दूरी पर हो।
ज्ञात करने की विधिः
(1) बिन्दु ∆से बिन्दु B को, बिन्दु B से बिन्दु C को और बिन्दु C से बिन्दु A को ऋजु रेखाओं द्वारा मिलाकर ∆ABC बनाइए।
(2) किन्हीं दो भुजाओं (AB व BC) के लम्ब समद्विभाजक खींचिए जो परस्पर बिन्दु P पर काटें।
आइसक्रीम स्टॉल के चयन के लिए उपयुक्त स्थान बिन्दु P होगा जो तीनों है स्थानों से समदूरस्थ है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-35

प्रश्न 4.
घड्भुजीय और तारे के आकार की रंगोलियों को 1 सेमी भुजा वाले समबाहु त्रिभुजों से भरकर पूरा कीजिए। प्रत्येक स्थिति में त्रिभुजों की संख्या गिनिए। किसमें अधिक त्रिभुज हैं?
हल :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-36
चित्रों से स्पष्ट है कि विकर्गों को मिलाने पर षड्भुजीय आकृति को 6 समबाहु त्रिभुजों में और तारे के आकार की आकृति को 1∠समबाहु त्रिभुजों में विभाजित किया जा सकता है जबकि समबाहु त्रिभुजों में प्रत्येक भुजा, 5 सेमी है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-37
पुनः षड्भुजीय आकृति के एक समबाहु त्रिभुज जिसकी भुजा 5 सेमी है, को 1 सेमी भुजा वाले समबाहु त्रिभुजों में विभाजित कर स्पष्ट किया गया है कि 5 सेमी भुजा वाले एक समबाहु त्रिभुज को 1 सेमी भुजा वाले 25 त्रिभुजों में विभाजित किया जा सकता है।
तब स्थिति 1 : षड्भुजीय रंगोली
इसको 1 सेमी भुजा वाले 6 x 25 = 150 समबाहु त्रिभुजों में बाँटा जा सकता है।
स्थिति 2 : तारे के आकार की रंगोली
5 सेमी भुजा वाले समबाहु त्रिभुजों की संख्या = 12
आकृति में 1 सेमी भुजा वाले समबाहु त्रिभुजों की संख्या = 12 x 25 = 300
स्पष्ट है कि तारे के आकार वाली आकृति में त्रिभुजों की संख्या अधिक है।

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles (त्रिभुज) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles (त्रिभुज), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 5 Introduction to Euclid’s Geometry

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 5 Introduction to Euclid’s Geometry (युक्लिड के ज्यामिति का परिचय)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 5 Introduction to Euclid’s Geometry (युक्लिड के ज्यामिति का परिचय).

प्रश्नावली 5.1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथनों में से कौन-से कथन सत्य हैं और कौन-से कथन असत्य हैं? अपने उत्तरों के लिए। कारण दीजिए।
(i) एक बिन्दु से होकर केवल एक ही रेखा खींची जा सकती है।
(ii) दो भिन्न बिन्दुओं से होकर जाने वाली असंख्य रेखाएँ हैं।
(iii) एक सांत रेखा दोनों ओर अनिश्चित रूप से बढ़ाई जा सकती है।
(iv) यदि दो वृत्त बराबर हैं तो उनकी त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।
(v) दी गई आकृति में, यदि AB = PQ और PQ = XY है तो AB = XY होगा :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 5 Introduction to Euclid’s Geometry img-1
हल :
(i) क्योंकि प्रतिच्छेदी रेखाएँ, संगामी रेखाएँ इत्यादि ज्यामिति तथ्य दिए कथन को खण्डित करते हैं।
साथ-ही-साथ एक बिन्दु से होकर अपरिमित रूप से अनेक रेखाएँ खींची जा सकती हैं।
अत: कथन असत्य है।
(ii) क्योंकि दो भिन्न बिन्दुओं से होकर केवल एक रेखा खींची जा सकती है।
अतः कथन असत्य है।
(iii) एक सांत रेखा दोनों ओर अनिश्चित रूप से बढ़ाई जा सकती है।
अत: कथन सत्य है।
(iv) क्योंकि दो वृत्तों की त्रिज्याएँ समान होने पर ही वृत्त समान होते हैं।
अत: कथन सत्य है।
(v) यदि AB= PQ और PQ= XY ।
तो AB = XY (यूक्लिड के प्रथम अभिगृहीत से)
अत: कथन सत्य है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों में से प्रत्येक की परिभाषा दीजिए। क्या इनके लिए कुछ ऐसे पद हैं जिन्हें परिभाषित करने की आवश्यकता है? वे क्या हैं और आप इन्हें कैसे परिभाषित कर पाएँगे? ।
(i) समान्तर रेखाएँ
(ii) लम्ब रेखाएँ
(iii) रेखाखण्डे
(iv) वृत्त की त्रिज्या
(v) वर्ग।
हल :
(i) समान्तर रेखाएँ : दो सरल रेखाएँ जिनमें कोई भी उभयनिष्ठ बिन्दु नहीं होता है एक-दूसरे के समान्तर कहलाती हैं।
‘बिन्दु’ तथा ‘सरल रेखा कुछ ऐसे पद हैं जिन्हें परिभाषित करने की आवश्यकता है। ‘बिन्दु’ तथा ‘सरल रेखा’ को यूक्लिड के शब्दों में परिभाषित कर सकते हैं :
एक बिन्दु वह है जिसका कोई भाग नहीं होता है।
एक रेखा चौड़ाई रहित लम्बाई होती है तथा एक सीधी रेखा ऐसी रेखा है जो स्वयं पर बिन्दुओं के साथ सपाट रूप से स्थित होती है।

(ii) लम्बरेखाएँ : यदि दो समान्तर रेखाओं में से कोई एक 90° के कोण पर घूमती है तब दोनों रेखाएँ एक-दूसरे के
लम्बवत् होती हैं। ‘90° के कोण का घुमाव’ ऐसा पद है जिसे परिभाषित करने की आवश्यकता है।
घुमाव को अन्तर्ज्ञानात्मक रूप मान लिया जाता है, अतः इसका प्रयोग नहीं कर सकते हैं।

(iii) रेखाखण्ड : दो अन्त बिन्दुओं (end points) के साथ किसी रेखा को रेखाखण्ड कहते है|
‘बिन्दु’ तथा ‘रेखा’ कुछ ऐसे पद हैं जिन्हें परिभाषित करने की आवश्यकता है। परन्तु इन्हें भाग (i) में परिभाषित कर चुके हैं।

(iv) वृत्त की त्रिज्या : किसी वृत्त के केन्द्र से वृत्त की परिधि के किसी बिन्दु तक खींचे रेखाखण्ड को वृत्त की त्रिज्या कहते हैं।
केन्द्र ऐसा पद है जिसे परिभाषित करने की आवश्यकता है।
केन्द्र’ को वृत्त के अन्दर एक बिन्दु के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसकी वृत्त पर स्थित सभी बिन्दुओं से दूरी समान होती है।

(v) वर्ग : वर्ग वह क्षेत्र या प्रदेश है जो समान लम्बाई के चार रेखाखण्डों से घिरा होता है तथा प्रत्येक दो किनारों के बीच 90° का कोण होता है।
क्षेत्र या प्रदेश, किनारे तथा कोण को अन्तर्ज्ञानात्मक रूप मान लिया जाता है।

प्रश्न 3.
नीचे दी हुई दो अभिधारणाओं पर विचार कीजिए :
(i) दो भिन्न बिन्दु A और B दिए रहने पर, एक तीसरा बिन्दु C ऐसा विद्यमान है जो A और B के बीच स्थित होता है।
(ii) यहाँ कम-से-कम ऐसे तीन बिन्दु विद्यमान हैं कि वे एक रेखा पर स्थित नहीं हैं।
क्या इन अभिधारणाओं में कोई अपरिभाषित शब्द हैं? क्या ये अभिधारणाएँ अविरोधी हैं? क्या ये यूक्लिड की अभिधारणाओं से प्राप्त होती हैं? स्पष्ट कीजिए।
हल :
दोनों अभिधारणाओं में निम्न दो शब्द अपरिभाषित हैं : बिन्दु और रेखा।
दोनों अभिधारणाएँ परस्पर अविरोधी नहीं हैं।
ये अभिधारणाएँ यूक्लिड की अभिधारणाओं का अनुसरण नहीं करतीं परन्तु ये निम्न अभिगृहीत के अनुरूप हैं।
दिए गए दो भिन्न बिन्दुओं से होकर एक अद्वितीय रेखा खींची जा सकती है।
(i) माना AB एक सरल रेखा है।
अपरिमित रूप से ऐसे अनेक बिन्दु हैं जो इस रेखा पर स्थित हैं। दो अन्त बिन्दुओं A तथा B को छोड़कर इनमें से किसी का भी चयन करते हैं। यह बिन्दु A तथा B के मध्य स्थित होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 5 Introduction to Euclid’s Geometry img-2
(ii) कम-से-कम ऐसे तीन बिन्दुओं का होना आवश्यक है जिनमें से एक बिन्दु को अन्य दोनों बिन्दुओं को जोड़ने वाली सरल रेखा पर नहीं होना चाहिए।

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प्रश्न 4.
यदि दो बिन्दुओं A और B के बीच एक बिन्दु C ऐसा स्थित है कि AC = BC है, तो सिद्ध कीजिए कि AC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB है। एक आकृति खींचकर इसे स्पष्ट कीजिए।
हल :
बिन्दु C दो बिन्दुओं A और B के बीच स्थित है,
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 5 Introduction to Euclid’s Geometry img-3
AC + BC = AB
परन्तु दिया है। AC = BC
AC + AC = AB
2AC = AB
[latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] . 2AC = AB (बराबरों के आधे भी परस्पर बराबर होते हैं)
AC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
Proved.

प्रश्न 5.
प्रश्न 4 में, C रेखाखण्ड AB को मध्य-बिन्दु कहलाता है। सिद्ध कीजिए कि रेखाखण्ड का एक और केवल एक ही मध्य-बिन्दु होता है।
हल :
माना यदि सम्भव है तो C और C” रेखाखण्ड AB के दो मध्य-बिन्दु हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 5 Introduction to Euclid’s Geometry img-4
C, रेखाखण्ड AB का मध्य-बिन्दु है।
AC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
पुनः C”, रेखाखण्ड AB का मध्य-बिन्दु है।
AC” = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
यूक्लिड के अभिगृहीत से,
AC = AC”
AC – AC” = AC” – AC”
CC” = 0
C और C” समान बिन्दु हैं।
अतः रेखाखण्ड का एक और केवल एक ही मध्य-बिन्दु होता है।
Proved.

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प्रश्न 6.
दी गई आकृति में, यदि AC = BD है, तो सिद्ध कीजिए कि AB = CD है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 5 Introduction to Euclid’s Geometry img-5
हल :
बिन्दु B, बिन्दुओं A तथा C के मध्य स्थित है।
AB + BC = AC
पुनः बिन्दु C, बिन्दुओं B तथा D के मध्य स्थित है। .
BC + CD = BD परन्तु दिया है।
AC = BD
AB + BC = BC + CD
बराबरों से बराबर (BC) घटाने पर,
AB + BC – BC = BC + CD – BC
AB = CD
Proved.

प्रश्न 7.
यूक्लिड की अभिगृहीतों की सूची में दिया हुआ अभिगृहीत 5 एक सर्वव्यापी सत्य क्यों माना जाता है?
हल :
यूक्लिड का 5वाँ अभिगृहीत निम्नलिखित है :
पूर्ण अपने भाग से बड़ा होता है?
यह सर्वव्यापी सत्य है क्योंकि पूर्ण का कोई भी भाग क्यों न हो, वह अस्तित्व में पूर्ण से ही आया होगा तब इसके लिए प्रमाण देने की आवश्यकता ही नहीं है।

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प्रश्नावली 5.2

प्रश्न 1.
आप यूक्लिड की पाँचवीं अभिधारणा को किस प्रकार लिखेंगे ताकि वह सरलता से समझी जा सके।
हल :
यदि दो रेखाओं l और m को तीसरी रेखा n काटती है और रेखा n के एक ही ओर बने दोनों अन्तः कोणों का योग दो समकोण से कम हो तो l और m रेखाएँ बढ़ाने पर उसी ओर मिलेंगी जिस ओर के कोणों का योग 2 समकोण से कम होगा।
अथवा
दो भिन्न प्रतिच्छेदी रेखाएँ एक ही रेखा के समान्तर नहीं हो सकतीं।
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प्रश्न 2.
क्या यूक्लिड की पाँचवीं अभिधारणा से समान्तर रेखाओं के अस्तित्व का औचित्य निर्धारित होता है? स्पष्ट कीजिए।
हल :
यदि दो रेखाओं l और m को तीसरी रेखा n काटती है और n के एक ही ओर बने अन्त: कोणों ∠1 और ∠2 का योग 2 समकोण हो तो रेखाएँ l और m, बढ़ाने पर रेखा n को इस ओर प्रतिच्छेद नहीं करेंगी। इसी प्रकार यदि ∠3 + ∠4 = 2 समकोण तो रेखाएँ l और m, बढ़ाने पर रेखा n के इस ओर भी प्रतिच्छेद नहीं करेंगी। अत: रेखाएँ l और m कभी प्रतिच्छेद नहीं करती। हैं। इस प्रकार रेखाएँ l और m समान्तर होंगी।
अत: यह कथन सत्य है।
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UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 4 चुनावी राजनीति

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
चुनाव क्यों होते हैं, इस बारे में इनमें से कौन-सा वाक्य ठीक नहीं है?
(क) चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फैसला करने का अवसर देते हैं।
(ख) लोग चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं।
(ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।
(घ) लोग चुनाव से अपनी पसंद की नीतियाँ बना सकते हैं।
उत्तर:
(ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।

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प्रश्न 2.
भारत के चुनाव लोकतांत्रिक हैं, यह बताने के लिए इनमें कौन-सा वाक्य सही कारण नहीं देता?
(क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं।
(ख) भारत में चुनाव आयोग काफी शक्तिशाली है।
(ग) भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र का हर व्यक्ति मतदाता है।
(घ) भारत में चुनाव हारने वाली पार्टियाँ जनादेश स्वीकार कर लेती हैं।
उत्तर:
(क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में मेल हूँढ़ें|
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उत्तर:
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प्रश्न 4.
इस अध्याय में वर्णित चुनाव सम्बन्धी सभी गतिविधियों की सूची बनाएँ और इन्हें चुनाव में सबसे पहले किए जाने वाले काम से लेकर आखिर तक के क्रम में सजाएँ। इनमें (UPBoardSolutions.com) से कुछ मामले हैं- . चुनावी घोषणा-पत्र जारी करना, वोटों की गिनती, मतदाता सूची बनाना, चुनाव अभियान, चुनाव नतीजों की घोषणा, मतदान, पुनर्मतदान के आदेश, चुनाव प्रक्रिया की घोषणा, नामांकन दाखिल करना।
उत्तर:

  1. मतदाता सूची बनाना
  2.  चुनाव प्रक्रिया की घोषणा
  3.  नामांकन दाखिल करन
  4. चुनाव घोषणा-पत्र जारी करना
  5. चुनाव-अभियान
  6.  मतदान
  7.  पुनर्मतदान के आदेश
  8. वोटों की गिनती
  9.  चुनाव नतीजों की घोषणा।

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प्रश्न 5.
सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है। चुनाव के इन चरणों में उसे किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
(क) चुनाव प्रचार
(ख) मतदान के दिन
(ग) मतगणना के दिन
उत्तर:
(क) चुनाव प्रचार : इसके लिए सुरेखा को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उम्मीदवार निम्नलिखित कार्य न करें

  1. चुनाव प्रचार हेतु पूजा स्थलों का प्रयोग करना।
  2.  मंत्रीगणों द्वारा सरकारी वाहनों, हवाई जहाजों एवं कर्मचारियों का चुनाव हेतु प्रयोग।
  3.  मतदाताओं को रिश्वत/घूस अथवा धमकी देना।
  4.  जाति अथवा धर्म के नाम पर वोट देने की अपील करना।
  5. चुनाव अभियान के लिए सरकारी संसाधनों का प्रयोग करना।
  6.  लोकसभा चुनाव हेतु चुनाव क्षेत्र में 25 लाख तथा विधानसभा चुनाव में 10 लाख से अधिक खर्च करना।

(ख) मतदान के दिन : इस दिन सुरेखा को यह सुनिश्चित करना होगा कि चुनावी गड़बड़ी, मतदान केन्द्रों पर कब्जा न हो।

(ग)। वोटों की गिनती का दिन : इस दिन सुरेखा को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी उम्मीदवारों के एजेन्ट वोटों की सुचारु रूप से गणना सुनिश्चित करने के लिए वहाँ मौजूद हैं।

प्रश्न 6.
नीचे दी गई तालिका बताती है कि अमेरिकी कांग्रेस के चुनावों के विजयी उम्मीदवारों में अमेरिकी समाज के विभिन्न समुदाय के सदस्यों का क्या अनुपात था। ये किस अनुपात में जीते। इसकी तुलना अमेरिकी समाज में इन समुदायों की आबादी के अनुपात से कीजिए। इसके आधार पर क्या आप अमेरिकी संसद के चुनाव में भी आरक्षण का सुझाव देंगे? अगर हाँ, तो क्यों और किस समुदाय के लिए? अगर नहीं तो क्यों?
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उत्तर:
उपर्युक्त तालिका के आधार पर हिस्पैनिक समुदाय के लिए आरक्षण एक अच्छा विचार है। हिस्पैनिक समुदाय की जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए ऐसा करना आवश्यक है।

प्रश्न 7.
क्या हम इस दी गई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं? इनमें सभी पर अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य प्रस्तुत कीजिए।
(क) भारत के चुनाव आयोग को देश में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकने लायक पर्याप्त अधिकार नहीं हैं।
(ख) हमारे देश के चुनाव में लोगों की जबर्दस्त भागीदारी होती है। (ग) सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनाव जीतना बहुत आसान होता है।
(घ) अपने चुनावों को पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतन्त्र बनाने के लिए कई कदम उठाने जरूरी हैं।
उत्तर:
(क) ऐसा नहीं है। यथार्थ में निर्वाचन आयोग को देश में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है।
यह चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता (UPBoardSolutions.com) लागू करता है तथा इसका उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दलों या प्रत्याशियों को दण्डित करता है। चुनाव ड्यूटी के दौरान नियुक्त कर्मचारी चुनाव आयोग के अधीन कार्य करते हैं न कि सरकार के।

(ख) यह सत्य है। चुनावों में लोगों की भागीदारी प्रायः मतदान करने वाले लोगों के आँकड़ों से मानी जाती है। मतदान
प्रतिशत योग्य मतदाताओं में से वास्तव में मतदान करने वाले लोगों के प्रतिशन को प्रदर्शित करता है। मतदाता चुनावों द्वारा राजनीतिक दलों पर अपने अनुकूल नीति एवं कार्यक्रमों के लिए दबाव डाल सकते हैं। मतदाताओं को ऐसा लगता है कि देश के शासन-संचालन के, तरी में उनके मन का विशेष महत्त्व है।

(ग) यह सत्य नहीं है। सत्ताधारी भी चुनाव में पराजित हुए हैं। कई बार ऐसे प्रत्याशी जो चुनावों में अधिक धन खर्च करते हैं, चुनाव हार जाते हैं।

(घ) यह सत्य है। चुनाव सुधार के द्वारा धन बल और अपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को राजनीति से दूर करने की आवश्यकता है। क्योंकि कई बार धन-बल और अपराधिक छवि वाले लोग राजनीतिक दलों से टिकट
पाने और चुनाव जीतने में सफल हो जाते हैं। ऐसे लोग जनकल्याण नहीं कर सकते बल्कि ये अपनी स्वार्थ सिद्ध में ही लगे रहते हैं।

प्रश्न 8.
चिनप्पा को दहेज के लिए अपनी पत्नी को परेशान करने के जुर्म में सजा मिली थी। सतबीर को छुआछूत मानने को दोषी माना गया था। दोनों को अदालत ने चुनाव लड़ने की (UPBoardSolutions.com) इजाजत नहीं दी। क्या यह फैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धान्तों के खिलाफ जाता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
यह निर्णय लोकतांत्रिक चुनावों के आधारभूत सिद्धान्तों के विरुद्ध नहीं है क्योंकि चिनप्पा और सतबीर दोनों ही अपराधी हैं। दोनों को कानून का पालन न करने पर न्यायालय द्वारा दण्डित किया जा चुका है अर्थात् ये दोनों देश के लिए । ‘ अच्छे व आदर्श नागरिक सिद्ध नहीं हुए हैं। इसलिए उन्हें केन्द्र अथवा राज्य सरकार में कोई पद धारण नहीं करने देना चाहिए क्योंकि उनमें परिवार और समाज के प्रति सम्मान का अभाव है और उनसे देश व समाज के प्रति सम्मान प्रदर्शन की आशा नहीं है।

प्रश्न 9.
यहाँ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चुनावी गड़बड़ियों की कुछ रिपोटें दी गई हैं। क्या ये देश अपने यहाँ के चुनावों के सुधार के लिए भारत से कुछ बातें सीख सकते हैं? प्रत्येक मामले में आप क्या सुझाव देंगे?
(क) नाइजीरिया के एक चुनाव में मतगणना अधिकारी ने जान-बूझकर एक उम्मीदवार को मिले वोटों की संख्या बढ़ा दी और उसे विजयी घोषित कर दिया। बाद में अदालत ने पाया कि दूसरे उम्मीदवार को मिले पाँच लाख वोटों को उस उम्मीदवार के पक्ष में दर्ज कर लिया गया था।

(ख)फिजी में चुनाव से ठीक पहले एक परचा बाँटा गया जिसमें धमकी दी गयी थी कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री महेंद्र चौधरी के पक्ष में वोट दिया गया तो खून-खराबा हो जाएगा। यह धमकी भारतीय मूल के मतदाताओं को दी गई थी।

(ग) अमेरिका के हर प्रान्त में मतदान, मतगणना और चुनाव संचालन की अपनी-अपनी प्रणालियाँ हैं। सन् 2000 ई. के चुनाव में फ्लोरिडा प्रान्त के अधिकारियों ने जॉर्ज (UPBoardSolutions.com) बुश के पक्ष में अनेक विवादास्पद फैसले लिए पर उनके फैसले को कोई भी नहीं बदल सका।
उत्तर:
(क) यदि चुनाव अधिकारी द्वारा की गयी गड़बड़ी न्यायालय में प्रमाणित हो जाती है तो उस चुनाव को अवैध घोषित कर दिया जाना चाहिए और उस चुनाव को दोबारा कराया जाना चाहिए। भारत में मतगणना के दौरान धाँधली सम्भव नहीं है क्योंकि मतगणना के दौरान उम्मीदवार अथवा उनके प्रतिनिधि मतगणना केन्द्र पर उपस्थित रहते हैं और मतगणना उनके सामने होती है।

(ख) चुनाव से पूर्व किसी प्रत्याशी के विरोध हेतु धमकी भरा परचा निकालना और एक समुदाय को भयभीत करना निश्चित रूप से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। इस परचे को जारी करने वाले व्यक्ति अथवा राजनीतिक दल का पता लगा करके उसे दण्डित किया जाना चाहिए। क्योंकि चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के लिए धमकी देना लोकतांत्रिक सिद्धान्तों के विरुद्ध है।

(ग) चूँकि, संयुक्त-राज्य अमेरिका के प्रत्येक राज्य को अपने चुनाव-संबंधी कानून बनाने का अधिकार है, फ्लोरिडा राज्य द्वारा लिया गया निर्णय उस राज्य के चुनाव के कानूनों के अनुकूल होगा। यदि ऐसा है तो किसी को भी ऐसे निर्णय को चुनौती देने का अधिकार नहीं होता। भारत में चूंकि (UPBoardSolutions.com) राज्यों को अपने अलग चुनाव-सम्बन्धी कानून बनाने का अधिकार नहीं है, यहाँ पर ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो सकती।

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प्रश्न 10.
भारत में चुनावी गड़बड़ियों से सम्बन्धित कुछ रिपोर्टों यहाँ दी गयी हैं। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है?
(क) चुनाव की घोषणा होते ही मंत्री महोदय ने बन्द पड़ी चीनी मिल को दोबारा खोलने के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की।
(ख) विपक्षी दलों का आरोप था कि दूरदर्शन और आकाशवाणी पर उनके बयानों और चुनाव अभियान को उचित जगह नहीं मिली।
(ग) चुनाव आयोग की जाँच से एक राज्य की मतदाता सूची में 20 लाख फर्जी मतदाताओं के नाम मिले।
(घ) एक राजनैतिक दल के गुण्डे बन्दूकों के साथ घूम रहे थे, दूसरी पार्टियों के लोगों को मतदान में भाग लेने से रोक रहे थे और दूसरी पार्टी की चुनावी सभाओं पर हमले कर रहे थे।
उत्तर:
(क) चुनावी की तिथि घोषित हो जाने के बाद सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लेना उचित नहीं है। मंत्री महोदय ने चीनी मिल को आर्थिक सहायता देने का वायदा करके एक नीतिगत निर्णय की घोषणा की है। जो कि अनुचित है। क्योंकि इससे चुनाव को प्रभावित करने की मंशा साफ झलकती है। (UPBoardSolutions.com) अतः मंत्री महोदय को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। मंत्री महोदय का कृत्य आदर्श चुनाव आचार-संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।

(ख) सभी राजनैतिक दलों को रेडियो तथा दूरदर्शन अपने विचार प्रस्तुत करने की स्वतन्त्रता एवं समय दिया जाना चाहिए। भारत में सभी राजनैतिक दलों को निर्वाचन आयोग द्वारा समय दिया जाता है। विपक्षी दल के बयानों । एवं चुनाव अभियान को दूरदर्शन तथा आकाशवाणी पर उचित स्थान न देकर सरकार ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया है। इसके प्रत्युत्तर में विपक्ष को राष्ट्रीय मीडिया में पर्याप्त समय मिलना चाहिए।

(ग) फर्जी मतदाताओं की मौजूदगी का अर्थ है कि मतदाता सूची तैयार करने वाले अधिकारियों ने चुनावी गड़बड़ी की तैयारी की थी। चुनाव आयोग को मतदाता सूची की तैयारी की देखभाल करनी चाहिए।

(घ) गुण्डों एवं आपराधिक तत्त्वों का प्रयोग करके राजनैतिक दलों द्वारा अपने प्रतिद्वन्द्वियों द्वारा धमकाना और भयभीत करना राजनैतिक दुराचार है। बन्दूक तथा अन्य घातक हथियारों के साथ चुनाव के दौरान लोगों का घूमना फिरना बन्द किया जाना चाहिए। जिनके पास लाइसेंसी हथियार हैं (UPBoardSolutions.com) उनके हथियार चुनावी प्रक्रिया शुरू होते ही जमा करा लिए जाने चाहिए तथा अवैध हथियार लेकर घूमने वालों को दण्डित किया जाना चाहिए। सभी उम्मीदवारों को सरकार की ओर से सुरक्षा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इस बात के पुख्ता इंतजाम किए जाने चाहिए कि असामाजिक तत्त्व चुनाव के दौरान गड़बड़ी न कर सकें।

प्रश्न 11.
जब यह अध्याय पढ़ाया जा रहा था तो रमेश कक्षा में नहीं आ पाया था। अगले दिन कक्षा में आने के बाद उसने अपने पिताजी से सुनी बातों को दोहराया। क्या आप रमेश को बता सकते हैं कि उसके इन बयानों में क्या गड़बड़ी है?
(क) औरतें उसी तरह वोट देती हैं जैसा पुरुष उनसे कहते हैं इसलिए उनके मताधिकार का कोई मतलब नहीं है।
(ख) पार्टी-पॉलिटिक्स से समाज में तनाव पैदा होता है। चुनाव में सबकी सहमति वाला फैसला होना चाहिए, प्रतिद्वंद्विता नहीं होनी चाहिए।
(ग) सिर्फ स्नातकों को ही चुनाव लड़ने की इजाजत होनी चाहिए।
उत्तर:
(क) यह बात सही नहीं है। वर्तमान भारत में आज ऐसी महिलाएँ बहुत बड़ी संख्या में विद्यमान हैं जो स्वेच्छा से मतदान करती हैं। महिलाओं को मताधिकार से वंचित करना अथवा उन्हें जबरन किसी प्रत्याशी विशेष के लिए मतदान करने के लिए प्रेरित करना लोकतांत्रिक रूप से अनुचित है। (UPBoardSolutions.com) इसीलिए विश्व के सभी लोकतांत्रिक देशों में महिलाओं को मतदान और चुनाव लड़ने का अधिकार दिया गया है।

(ख) यह सत्य है कि दलगत राजनीति समाज में तनाव उत्पन्न करती है किन्तु इसके लिए कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। वर्तमान में राज्यों की जनसंख्या करोड़ों में है और इतने लोगों से किसी सहमति पर पहुँचना बहुत कठिन होगा।

(ग) केवल स्नातकों को चुनाव लड़ने का अधिकार देना अलोकतांत्रिक होगा। इसका आशय यह होगा कि उन लोगों को चुनाव न लड़ने दिया जाए जो स्नातक नहीं हैं। प्रत्याशियों का शिक्षित होना अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए सरकार को दायित्व है कि वह लोगों को शिक्षित करने का प्रयास करे।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चुनाव का अर्थ बताइए।
उत्तर:
लोकतन्त्र में शासन जनता द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के माध्यम से चलाया जाता है। चुनाव वह प्रक्रिया है। जिसके माध्यम से नागरिक अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं।

प्रश्न 2.
मतदाता किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक राज्य में निवास करने वाले ऐसे व्यक्ति जिन्हें प्रतिनिधियों के चुनाव में भाग लेने एवं मतदान करने का अधिकार होता है उन्हें मतदाता कहा जाता है।

प्रश्न 3.
चुनावी धाँधली से क्या आशय है?
उत्तर:
चुनाव में अपने वोट बढ़ाने के लिए उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों द्वारा की जाने वाली गड़बड़ी को चुनावी धाँधली कहते हैं। एक ही व्यक्ति द्वारा अलग-अलग लोगों के नाम पर वोट डालना और मतदान अधिकारी को डरा धमका कर या घूस देकर अपने उम्मीदवार के पक्ष में काम करवाने जैसी बातें चुनावी धाँधली में शामिल हैं।

प्रश्न 4.
मतदान केन्द्र पर कब्जा से क्या आशय है?
उत्तर:
मतदान के दौरान किसी उम्मीदवार अथवा दल के समर्थकों अथवा भाड़े के अपराधियों द्वारा मतदान केन्द्रों पर नियंत्रण करना, असली मतदाताओं को मतदान केन्द्रों पर आने से रोकना तथा स्वयं ज्यादातर वोट डाल देना, मतदान केन्द्रों पर कब्जा कहलाता है।

प्रश्न 5.
चुनाव में उम्मीदवार बनने की योग्यता बताइए।
उत्तर:
चुनाव में उम्मीदवार के लिए निम्न योग्यताएँ होनी चाहिए

  1. वह देश का नागरिक हो।
  2. उस पर किसी तरह का अपराध करने का आरोप सिद्ध नहीं हुआ हो।
  3.  25 वर्ष की न्यूनतम आयु वाला कोई भी मतदाता।
  4.  वह पागल व दिवालिया न हो।।

प्रश्न 6.
लोकतन्त्र में चुनाव का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
आधुनिक राज्यों में प्रायः अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र को स्थापित किया गया है। इस प्रणाली में मतदाता एक निश्चित काल के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं, जो सरकार को चलाते हैं। प्रतिनिधियों को चुनने के लिए चुनाव आवश्यक होते हैं। चुनाव प्रायः दलीय आधार पर लड़े जाते हैं, परन्तु (UPBoardSolutions.com) कई उम्मीदवार स्वतन्त्र (Independent) उम्मीदवार भी चुनाव लड़ते हैं। चुनावों में जिस राजनैतिक दल को पूर्ण बहुमत प्राप्त हो जाता है, वह सरकार का गठन करता है और शासन की बागडोर अपने हाथों में सँभालता है।

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प्रश्न 7.
आधुनिक लोकतन्त्र को अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र क्यों कहते हैं?
उत्तर:
आधुनिक राज्य जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से बहुत बड़े हैं। इसमें सभी मतदाताओं के लिए राज्य के कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेना सम्भव नहीं है। इसमें नागरिक एक निश्चित अवधि के लिए अपने जनप्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो उसे निर्धारित अवधि तक शासन का संचालन करते हैं। प्रतिनिधियों के माध्यम से संचालित होने के कारण ही इसे अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र कहते हैं।

प्रश्न 8.
उप-चुनाव से आप क्या समझते हैं? |
उत्तर:
संसद या राज्य विधानमण्डल के किसी सदस्य की मृत्यु होने अथवा सदस्य द्वारा किसी कारण से त्यागपत्र देने
या उसे पदच्युत किए जाने की स्थिति में रिक्त हुई लोकसभा या विधानसभा सीट के लिए कराए जाने वाले चुनाव को उपचुनाव कहते हैं। इस चुनाव में निर्वाचित सदस्य केवल उस सदन के शेष कार्यकाल के लिए ही चुने जाते हैं। .

प्रश्न 9.
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति और पदमुक्त करने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत के राष्ट्रपति द्वारा देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति की जाती है। एक बार नियुक्त हो जाने के बाद चुनाव आयुक्त राष्ट्रपति या सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं होता है। यदि शासक दल या सरकार को चुनाव आयुक्त पसन्द न हो तब भी मुख्य चुनाव आयुक्त को उसके पद से मुक्त कर पाना सम्भव नहीं होता है।

प्रश्न 10.
चुनाव में किस तरह की गड़बड़ियों की आशंका होती है?
उत्तर:
चुनाव में निम्न गड़बड़ियों की आशंका बनी रहती है

  1. अमीर उम्मीदवारों और बड़ी पार्टियों द्वारा बड़े पैमाने पर धन खर्च करने की।
  2. मतदान के दिन मतदाताओं को डराना और फर्जी मतदान करना।
  3. मतदाता सूची में फर्जी नाम डालने और असली नामों को गायब करने की।
  4. शासक दल द्वारा सरकारी सुविधाओं और अधिकारियों के दुरुपयोग की।

प्रश्न 11.
भारत में किसे मताधिकार प्राप्त है? किसे मताधिकार से वंचित किया जा सकता है?
उत्तर:
भारत में वयस्कता की आयु 18 वर्ष निर्धारित की गयी है। 18 वर्ष या इससे अधिक उम्र का कोई व्यक्ति चुनाव में मतदान कर सकता है। उसे जाति, धर्म, लिंग के आधार पर मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। लेकिन अपराधियों एवं मानसिक रूप से असंतुलित लोगों को मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है।

प्रश्न 12.
“मतदाता सूची’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
लोकतांत्रिक निर्वाचन व्यवस्था में निर्वाचन से पहले मतदान की योग्यता रखने वालों की सूची तैयार की जाती है।
इस सूची को अधिकारिक रूप से मतदाता सूची कहते हैं।

प्रश्न 13.
1987 ई. में हुए हरियाणा राज्य विधानसभा के बाद अस्तित्व में आयी सरकार ने क्या महत्त्वपूर्णघोषणा की?
उत्तर:
हरियाणा में चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद चौधरी देवीलाल राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री पद ग्रहण करने के बाद चौधरी देवीलाल ने सर्वप्रथम छोटे किसान, खेतिहर मजदूर और छोटे व्यापारियों के बकाया ऋण को माफ करने का निर्णय किया।

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प्रश्न 14.
न्याय युद्ध आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
हरियाणा में 1982 ई. में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार अस्तित्व में थी। तत्कालीन नेता विपक्ष चौधरी देवीलाल ने कांग्रेस शासन के विरुद्ध न्याय युद्ध आन्दोलन का नेतृत्व किया (UPBoardSolutions.com) और लोकदल नामक नए राजनीतिक दल का गठन किया। चौधरी देवीलाल ने कांग्रेस के विरुद्ध चुनाव लड़ने के लिए अन्य विपक्षी दलों को मिलाकर एक मोर्चे का गठन किया।

प्रश्न 15.
1971 ई. में इन्दिरा गाँधी ने, 1977 ई. में जनता पार्टी ने और 1977 ई. में ही बंगाल में वामपंथियों ने चुनाव में क्या नारा दिया था?
उत्तर:
1971 ई. के लोकसभा के चुनावों में इन्दिरा गाँधी की नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया। था। 1977 ई. में हुए लोकसभा चुनावों में जनता पार्टी ने लोकतन्त्र बचाओ का नारा दिया था। वामपंथी दलों ने 1977 ई. में हुए पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में जमीन जोतने वाले को जमीन का नारा दिया था।

प्रश्न 16.
मध्यावधि चुनाव किसे कहते हैं?
उत्तर :
भारत में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव प्रायः पाँच वर्ष के लिए करवाया जाता है किन्तु यदि लोकसभा या विधानसभा को उसके निश्चित कार्यकाल से पहले भंग कर दिया जाता है तो उसके लिए नए चुनाव करवाए जाते हैं, तो ऐसे चुनाव को

प्रश्न 17.
भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त (2018) कौन हैं?
उत्तर:
भारत के वर्तमान (2018) मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत हैं। इनकी नियुक्ति अचल कुमार ज्योति के स्थान पर 23 जनवरी, 2018 ई. को की गयी। वे भारत के 22वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं। चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की अवधि तक होता है।

प्रश्न 18.
चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने के दो आधार बताइए।
उत्तर:
(i) प्रत्येक मतदाता को समान रूप से चुनाव लड़ने का अधिकार हो और राजनैतिक दलों तथा उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की आजादी हो और वे मतदाताओं के (UPBoardSolutions.com) सम्मुख विकल्प प्रस्तुत कर सकें।
(ii) देश के प्रत्येक नागरिक को बिना किसी प्रकार के भेदभाव के मतदान का अधिकार प्राप्त हो और प्रत्येक मतदाता के मत का मूल्य समान हो।

प्रश्न 19.
राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
चुनाव का वास्तविक अर्थ राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता है। इसके कई रूप हो सकते हैं जिनमें से सबसे स्पष्ट रूप है।
राजनैतिक दलों के बीच प्रतिद्वन्द्विता। निर्वाचन-क्षेत्र में इसका रूप उम्मीदवारों के बीच प्रतिद्वन्द्विता का हो जाता है।
यदि प्रतिद्वन्द्विता न रहे तो चुनाव बेमानी हो जाएँगे।

प्रश्न 20.
चुनाव आयोग के दो प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर:
चुनाव आयोग के दो प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं

  1. यह चुनावों का प्रबन्ध, निर्देशन नथा नियंत्रण करता है तथा चुनावों से सम्बन्धित समस्याओं का समाधान करता है।
  2.  चुनाव आयोग चुनावों से पूर्व चुनाव-क्षेत्र के आधार पर मतदाताओं की सूचियाँ तैयार करवाता है।

प्रश्न 21.
भारत की चुनाव-व्यवस्था के कोई दो दोष (त्रुटियाँ) लिखें।
उत्तर:
(i) चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका।
(ii) जाति तथा धर्म के आधार पर मतदान।

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प्रश्न 22.
गुप्त मतदान का क्या अर्थ है?
उत्तर:
गुप्त मतदान का अर्थ है कि चुनाव अधिकारियों द्वारा चुनाव के लिए ऐसी प्रबन्ध किया जाता है कि स्वयं मतदाता के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को यह मालूम न हो कि मतदाता ने किस उम्मीदवार को अपना मत दिया है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में राजनैतिक दलों को चुनाव में चुनाव चिह्न दिए जाने का कारण है?
उत्तर:
चुनाव आयोग द्वारा भारत में विभिन्न राजनीतिक दलों को विभिन्न चुनाव चिह्न आबंटित किये गये। उदाहरण के लिए कांग्रेस (इ) का चुनाव चिह्न ‘हाथ का पंजा’ तथा भाजपा का चुनाव चिह्न ‘कमल का फूल’ है।
राजनैतिक दलों को चुनाव चिह्न प्रदान करने का प्रमुख कारण यह है

  1.  यदि एक ही नाम के दो अथवा अधिक उम्मीदवार हों, तो चुनाव चिह्नों की सहायता से उनकी पहचान करना। आसीन हो जाता है।
  2. चिह्न के द्वारा एक साधारण तथा अशिक्षित व्यक्ति भी चिह्न से सम्बन्धित राजनैतिक दल के उम्मीदवार की पहचान कर सकता है। |
  3.  चुनाव चिह्न की सहायता से सभी चुनाव क्षेत्रों में राजनैतिक दल बड़ी आसानी से अपना चुनाव-प्रचार कर सकते। हैं। चुनाव चिह्नों से उन्हें जलूस तथा जलसे आदि संगठित करने में आसानी होती है।

प्रश्न 2.
चुनाव घोषणा-पत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
राजनैतिक दलों द्वारा चुनाव के समय अपने कार्यक्रम, नीतियों तथा उद्देश्यों को बताने के लिए जो प्रपत्र जारी किया जाता है, उसी प्रपत्र को चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं। चुनाव के कुछ दिन पहले प्रत्येक राजनैतिक दल अपना घोषणापत्र जारीं करते हैं। इस प्रपत्र के माध्यम से राजनीतिक (UPBoardSolutions.com) दल लोगों को यह बताते हैं कि देश की आन्तरिक तथा विदेश नीति के बारे में उनके क्या विचार हैं और उसे यदि सरकार बनाने का अवसर मिला, तो वह कौन-कौन से कार्य करेंगे।
चुनाव घोषणा-पत्र के निम्नलिखित उपयोग (लाभ) हैं

  1. इससे विभिन्न राजनैतिक दलों की आन्तरिक तथा बाहरी नीति के बारे में लोगों को जानकारी मिल सकती है।
  2. विभिन्न राजनैतिक दलों के चुनाव घोषणा-पत्रों को देखने के पश्चात् मतदाताओं के लिए मत का निर्णय लेना आसान होता है।
  3.  चुनाव जीतने वाले दल के लिए घोषणा-पत्र पथ-प्रदर्शन का कार्य करता है, क्योंकि उन्हें अपना कार्य उसी के । अनुसार करना होता है।
  4. चुनाव के पश्चात् घोषणा-पत्र के अनुसार कार्य करने के लिए जनता सरकार पर दबाव डाल सकती है।
  5. यदि सरकार उन वायदों को पूरा नहीं करती जो घोषणा-पत्र में दिए गए थे, तो जनता सरकार की आलोचना कर सकती है।

प्रश्न 3.
लोकतन्त्र में चुनाव क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
भग्त जैसे लोकतांत्रिक देश में चुनाव के समय लोग आपस में विचार-विमर्श करके मतदान का निर्णय करते हैं। किन्तु लोगों के लिए व्यावहारिक रूप से यह संभव नहीं है कि सभी मुद्दों पर सभी नागरिक बैठकर आपस में निर्णय लें क्योंकि इसके लिए सभी व्यक्तियों के पास इसके (UPBoardSolutions.com) लिए आवश्यक समय तथा ज्ञान नहीं होता है। इसलिए अधिकतर लोकने देशों में लोग अपने प्रतिनिधियों द्वारा शासन करते हैं। लोकतंत्र चुनाव के माध्यम से लोगों को एक ऐसा तरीका उपलब्ध करा है जिसके द्वारा लोग नियमित अन्तरलों पर अपने प्रतिनिधियों को चुन सकते हैं तथा यदि वे चाहें तो उन्हें बदल भी सकते हैं। अतः किसी भी लोकतन्त्र के लिए चुनाव आवश्यक है।

प्रश्न 4.
भारत में चुनावी प्रतिद्वन्द्विता के दोषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में चुनाव प्रतिद्वन्द्विता के कुछ दोष इस प्रकार हैं

  1.  चुनाव जीतने का दबाव सही किस्म की दीर्घकालिक राजनीति को पनपने नहीं देता।
  2.  समाज तथा देश की सेवा करने की इच्छा रखने वाले अच्छे लोग भी इन्हीं कारणों से चुनावी मुकाबले में नहीं उतरते।
  3.  यह प्रत्येक समुदाय में ‘अलगाव तथा ‘भिन्नता’ की भावना पैदा करता है।
  4. विभिन्न राजनैतिक दल तथा नेतागण एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं।
  5. दल तथा उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए तरह-तरह के हथकण्डे अपनाते हैं।

प्रश्न 5.
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र के प्रसार से पहले मताधिकार सम्पत्ति, शिक्षा, नस्ल, लिंग आदि पर आधारित होता था, परन्तु आधुनिक समय में इस समस्त पूर्ववर्ती मान्यताओं को अस्वीकार कर दिया गया है। अब वयस्कता को ही मतदान का एकमात्र आधार माना जाने लगा है। इसमें प्रत्येक नागरिक को, जो वयस्क हो गया है, मतदान का अधिकार दे दिया जाता है। केवल अल्पवयस्क, पागल, दिवालिया, अपराधी तथा विदेशी लोगों को ही मताधिकार से वंचित नहीं किया जाता है।
किसी भी व्यक्ति को उसके धर्म, जाति, वंश, लिंग तथा (UPBoardSolutions.com) जन्म-स्थान के आधार पर मताधिकार से वंचित किया जाता। वयस्क होने की आयु भिन्नभिन्न देशों में भिन्न-भिन्न रखी गयी है। स्विट्जरलैण्ड में यह आयु 20 वर्ष है। भारत में व्यक्ति के वयस्क होने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष और जापान में 25 वर्ष निश्चित की गई है। वर्तमान युग में विश्व के लगभग सभी देशों में वयस्क मताधिकार को लागू किया गया है।

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प्रश्न 6.
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के विपक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:

  1. प्रशासन तथा देश की समस्याएँ जटिल- आधुनिक युग में शासन सम्बन्धी प्रश्न तथा समस्याएँ दिन-प्रतिदिन जटिल होती जा रही हैं, जिन्हें समझ पाना साधारण व्यक्ति के बस की बात नहीं है। प्रायः साधारण मतदाता अयोग्य व्यक्ति को चुन लेते हैं क्योंकि उनके पास देश की (UPBoardSolutions.com) समस्याओं पर विचार करने तथा उन्हें समझने के लिए समय ही नहीं होता। इस कारण से भी मतदान का अधिकार केवल शिक्षित व्यक्तियों को ही देना चाहिए।
  2. साधारण जनता रूढ़िवादी होती है- साधारण जनता द्वारा आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र में प्रगतिशील नीतियों का विरोध किया जाता है। अतः मताधिकार ऐसे व्यक्तियों को दिया जाना चाहिए जो इसका उचित प्रयोग करने की योग्यता रखता हो।
  3. अज्ञानी व्यक्तियों को मताधिकार देना अनुचित है– प्रत्येक देश में अधिकतर जनता अशिक्षित तथा अज्ञानी होती है। वे उम्मीदवार के गुणों को न देखकर जाति, धर्म तथा मित्रता आदि के आधार पर अपने मत का प्रयोग करते हैं। ऐसे व्यक्ति राजनीतिक नेताओं के जोशीले भाषणों से भी शीघ्र प्रभावित हो जाते हैं। अतः अशिक्षित व्यक्तियों को मताधिकार देना उचित नहीं है। |
  4.  भ्रष्टाचार को बढ़ावा– वयस्क मताधिकार प्रणाली में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। धनी उम्मीदवारों द्वारा निर्धन व्यक्तियों के मतों को खरीद लिया जाता है। निर्धन व्यक्ति थोड़े-से लालच में पड़कर अपना मत स्वार्थी तथा भ्रष्टाचारी उम्मीदवारों के हाथों में बेच देते हैं।

प्रश्न 7.
चुनाव अभियान को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
भारत में चुनाव अभियान प्रत्याशियों की अन्तिम सूची की घोषणा से मतदान की तिथि (लगभग 2 सप्ताह तक चलता है। इस अवधि के दौरान प्रत्याशी अपने मतदाताओं से संपर्क करता है, राजनैतिक नेता चुनावी सभाओं ‘ को सम्बोधित करते हैं तथा राजनैतिक दल अपने समर्थकों (UPBoardSolutions.com) को सक्रिय करते हैं।
अखबारों, दूरदर्शन चैनलों, चुनाव सभाओं, पोस्टरों, होर्डिंग इत्यादि के द्वारा भी प्रचार किया जाता है। चुनाव अभियान के दौरान राजनैतिक दल बड़े मुद्दों की ओर जनसाधारण का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करते हैं जिसके लिए सामान्यतः लुभावने नारे तैयार किए जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके।

प्रश्न 8.
उन तत्त्वों का उल्लेख कीजिए जो चुनाव को लोकतांत्रिक बनाती हैं?
उत्तर:
प्रायः सभी लोकतांत्रिक देशों में चुनाव प्रक्रिया अपनायी जाती है। निम्नलिखित तत्त्व चुनाव को लोकतांत्रिक बनाते हैं

  1. कुछ वर्षों के अंतराल पर नियमित रूप से चुनाव होने चाहिए।
  2. चुनाव स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष होने चाहिए ताकि लोग अपनी इच्छानुसार उम्मीदवार चुन सकें। |
  3.  प्रत्येक व्यक्ति को वोट को अधिकार होना चाहिए तथा प्रत्येक वोट का समान मूल्य होना चाहिए।
  4.  दलों तथा उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता होनी चाहिए तथा उन्हें मतदाता को वास्तविक चुनाव हेतु न।’ विकल्प उपलब्ध कराना चाहिए। |

प्रश्न 9.
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बारे में बताइए।
उत्तर:
पहले मतदान के लिए बैलेट पेपर का प्रयोग किया जाता था जिस पर मतदाता अपनी पसन्द के उम्मीदवार के नाम के आगे अंकित चुनाव चिह्न पर मुहर लगाकर मतदान करते थे किन्तु अब मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया जाता है। मशीन प्रत्याशियों के नाम तथा दलों के चुनाव चिह्न दर्शाती है। आजाद उम्मीदवारों को भी चुनाव आयोग द्वारा चुनाव चिह्न प्रदान किए जाते हैं। मतदाता को केवल उस उम्मीदवार के सामने का बटन दबाना होता है जिसे वह वोट (UPBoardSolutions.com) देना चाहता/चाहती है। एक बार मतदान समाप्त हो जाने के बाद सभी ई.वी.एम. सील की जाती हैं तथा किसी सुरक्षित । स्थान पर ले जाई जाती हैं। उसके बाद निर्धारित तिथि को प्रत्येक उम्मीदवार को मिले वोटों की गणना की जाती है तथा जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट मिलते हैं उसे निर्वाचित घोषित किया जाता है।

प्रश्न 10.
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष चुनाव में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वह चुनाव प्रणाली जिसमें साधारण मतदाता अपने जनप्रतिनिधियों को स्वयं चुनते हैं, उसे प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली कहते हैं। इसमें प्रत्येक मतदाता विभिन्न उम्मीदवारों में से एक उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करता है और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में से जो उम्मीदवार शेष सभी उम्मीदवारों से अधिक मत प्राप्त कर लेता है, वह निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। भारत में लोकसभा के सदस्यों के चुनाव के (UPBoardSolutions.com) लिए वही चुनाव प्रणाली लागू की गई है। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के अन्तर्गत मतदाता स्वयं अपने प्रतिनिधियों का चुनाव नहीं करते। मतदाता अपने मत डालकर कुछ निर्वाचकों अथवा प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं और इस प्रकार एक निर्वाचक मण्डल का निर्माण होता है। इस निर्वाचक मण्डल के सदस्य विशेष अधिकारी का चुनाव करते हैं। भारत में राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति के चुनाव के लिए इस चुनाव-प्रणाली को अपनाया गया है।

प्रश्न 11.
चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार किस अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं?
उत्तर:
लोकतन्त्र में चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार कई बार अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है..

  1. मतदाताओं को भयभीत करना और मतदान के दिन चुनावी धाँधली करना।
  2.  कुछ प्रभावशाली उम्मीदवारों द्वारा चुनाव जीतने हेतु मतदान केन्द्रों पर कब्जा भी किया जाता है।
  3.  मतदाता सूची में झूठे नाम शामिल करना तथा वास्तविक नामों को हटाना।
  4.  सत्ताधारी दल द्वारा सरकारी सुविधाओं व कर्मचारियों का दुरुपयोग।
  5. बड़े दल एवं धनी उम्मीदवारों द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक धनराशि का प्रयोग।

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प्रश्न 12.
भारतीय चुनावों की चुनौतियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय चुनावों की प्रमुख चुनौतियाँ इस प्रकार हैं

  1. अक्सर आम आदमी के लिए चुनाव में कोई ढंग का विकल्प होता ही नहीं क्योंकि दोनों प्रमुख पार्टियों की नीतियाँ 319 एवं व्यवहार लगभग एक जैसे ही होते हैं।
  2.  बड़ी पार्टियों की अपेक्षा छोटे दलों तथा निर्दलीय उम्मीदवारों को कई प्रकार की परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं।
  3.  आर्थिक रूप से सम्पन्न उम्मीदवार एवं दल चाहे चुनाव में अपनी विजय के प्रति आश्वस्त न हों लेकिन छोटे दलों एवं निर्दलीय उम्मीदवारों पर बड़ा तथा अनुचित लाभ पाते हैं।
  4. देश के कुछ भागों में आपराधिक छवि वाले लोग अन्य लोगों को चुनावी दौड़ में पछाड़ कर मुख्य दलों से चुनाव | का टिकट पाने में सफल हो जाते हैं।
  5. लग-अलग दलों पर कुछेक परिवारों का जोर है तथा उनके रिश्तेदार आसानी से टिकट पा जाते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए भारत में क्या प्रयास किए गए हैं?
उत्तर:
भारत में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए किये गये प्रयासों का विवरण इस प्रकार है

  1.  चुनाव आयोग की स्थापना- भारत में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए संविधान द्वारा एक चुनाव आयोग की स्थापना की गयी है। इसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त तथा दो अन्य आयुक्त होते हैं।
  2.  चुनाव से पहले मतदाता सूचियों को ठीक करना- चुनावों के कुछ समय पहले राज्य विधानसभा तथा संसद के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूचियों को दोहराया जाता है और इस बात की तसल्ली की जाती है कि कोई मतदाता ऐसा न रह जाए जिसका नाम उस सूची में शामिल न हो।
  3. सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग पर नियंत्रण- चुनाव आयोग द्वारा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि सत्तारूढ़ दल सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग न करें।
  4.  मतदाताओं के लिए पहचान-पत्र- फर्जी मतदान को रोकने के लिए मतदाताओं को फोटो सहित पहचान-पत्र जारी किए जाते हैं।
  5. चुनाव याचिका को शीघ्र निपटारा- यदि चुनावों के पश्चात् कोई उम्मीदवार चुनाव याचिका पेश करता है तो ,उसे जल्द से जल्द निपटा देना चाहिए।
  6.  चुनावों में धन का प्रयोग- चुनावों में धन की भूमिका को कम-से-कम करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा किए गए खर्च की जाँच की जाए। यदि किसी उम्मीदवार ने निश्चित की गई सीमा से अधिक धन खर्च किया है। तो उसके चुनाव को अवैध घोषित किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
निर्वाचन को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनावों के महत्त्व को देखते हुए इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संविधान निर्माताओं द्वारा संविधान में एक निर्वाचन आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया है। चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त तथा कुछ अन्य सदस्य होते हैं।
वर्तमान समय में चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के अतिरिक्त दो अन्य सदस्य नियुक्त किए गए हैं। उनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष निश्चित किया गया है।
चुनाव आयोग के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं

  1. देश में सभी चुनाव सम्बन्धी मामलों पर निरीक्षण तथा नियंत्रण रखना।।
  2. राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं व विधानपरिषदों के चुनाव करवाना तथा परिणाम घोषित करना।
  3. मतदाताओं की सूचियाँ तैयार करवाना।
  4.  राजनैतिक दलों को मान्यता प्रदान करना तथा उन्हें चुनाव चिह्न देना।
  5. विभिन्न चुनाव करवाने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर तथा सहायक रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त करना।
  6. नाव के लिए नामांकन पत्रों को जमा कराने, नाम वापस लेने तथा मतदान की तिथियाँ निश्चित करना।
  7.  राजनैतिक दलों के लिए आचार-संहिता तैयार करना।
  8. विभिन्न राजनैतिक दलों को रेडियो तथा टेलीविजन आदि पर चुनाव प्रचार करने की सुविधाएँ दिलाना।

प्रश्न 3.
भारतीय चुनाव प्रणाली की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारत में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली अस्तित्व में है अतः एक निश्चित समयान्तराल पर चुनाव होते रहते हैं। भारत में अपनायी गयी निर्वाचन प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं

  1.  प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष चुनाव- भारत में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के चुनाव कराए जाते हैं। लोकसभा,
    विधानसभाओं, नगरपालिकाओं तथा पंचायतों आदि के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से चुने जाते हैं। इसके विपरीत राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।
  2. चुनाव याचिका- यदि कोई उम्मीदवार या मतदाता किसी चुनाव से संतुष्ट नहीं है, तो वह उच्च न्यायालय में उस चुनाव के विरुद्ध अपनी याचिका भेज सकता है।
  3. अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए स्थान सुरक्षित करना– भारतीय संविधान के अनुसार संसद, राज्यों के विधानमण्डलों तथा स्थानीय स्वशासन की इकाइयों में पिछड़ी जातियों तथा हरिजनों के लिए स्थान सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गयी है।
  4. वयस्क मताधिकार– भारत में चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होते हैं। इनका अर्थ यह है कि प्रत्येक उस नागरिक को जिसकी आयु 18 वर्ष अथवा इससे अधिक है, बिना जाति, धर्म, लिंग तथा रंग आदि के भेदभाव के मतदान का अधिकार दिया गया है।
  5. संयुक्त-निर्वाचन- ब्रिटिश सरकार ने भारत में रहने वाली विभिन्न जातियों के सदस्यों में फूट डालने के लिए साम्प्रदायिक चुनाव-प्रणाली को लागू किया था, परन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् इसे समाप्त कर दिया गया है। अब एक चुनाव-क्षेत्र में रहने वाले सभी मतदाता, चाहे वह किसी भी जाति अथवा धर्म से सम्बन्ध रखते हों, अपना एक ही प्रतिनिधि चुनते हैं।
  6. एक सदस्य निर्वाचन क्षेत्र- इसका अर्थ यह है कि चुनाव के समय समस्त देश को या उस राज्य को जिसमें चुनाव होना है लगभग बराबर जनसंख्या वाले चुनाव-क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है और प्रत्येक चुनाव-क्षेत्र में एक ही सदस्य निर्वाचित किया जाता है।
  7.  गुप्त मतदान- चुनाव गुप्त मतदान रीति से होता है। स्वयं मतदाता के अतिरिक्त अन्य किसी व्यक्ति को इस बात
    का पता नहीं चल सकता कि मतदाता ने किस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया है।

प्रश्न 4.
भारत में चुनाव के विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में चुनाव के प्रमुख सोपान इस प्रकार हैं

  1. प्रत्याशी द्वारा नामांकन- कोई भी व्यक्ति जो मतदान कर सकता है वह चुनाव में प्रत्याशी भी बन सकता है।
    किन्तु मतदान हेतु न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष है जबकि प्रत्याशी बनने हेतु न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष है। राजनैतिक दल अपने प्रत्याशी नामित करते हैं (UPBoardSolutions.com) जिन्हें उस दल का चुनाव निशान तथा नामांकन उपलब्ध होता है। दल द्वारा नामांकन को दल को ‘टिकट’ भी कहा जाता है। चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति को एक नामांकन पत्र भरना होता है तथा उसे जमानत के रूप में कुछ पैसा जमा करना होता है।
  2. चुनाव अभियान- चुनाव अभियान की पूरी प्रक्रिया प्रत्याशियों की अन्तिम सूची की घोषणा से मतदान की तिथि
    (लगभग 2 सप्ताह की अवधि) तक क्रियाशील रहता है। चुनाव अभियान के दौरान प्रत्याशी अपने मतदाताओं से | सम्पर्क करता है, चुनावी सभाओं को सम्बोधित करता है। इस प्रकार राजनैतिक दल अपने समर्थकों को जागरुक करते हैं। समाचार-पत्रों, दूरदर्शन चैनलों, चुनाव सभाओं, पोस्टरों, होर्डिंग इत्यादि के द्वारा प्रचार किया जाता है। चुनाव अभियान के दौरान राजनैतिक दल (UPBoardSolutions.com) बड़े मुद्दों की ओर जनसाधारण का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करते हैं जिसके लिए सामान्यतः लुभावने नारे तैयार किए जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके।
  3. मतदान व मतगणना- मतदान के दिन मतदाता अपना वोट देते हैं। जिन लोगों को मतदान का अधिकार है वे निकटतम ‘मतदान केन्द्र पर जाकर मतदान करते हैं। मतदान करने वाले व्यक्ति की अंगुली पर एक पहचान चिह्न लगाया जाता है जिससे कोई भी मतदाता एक बार से अधिक मतदान न कर सके। मतदान की अविध समाप्त हो जाने के बाद ई.वी.एम. मशीनों को सील कर (UPBoardSolutions.com) दिया जाता है तथा इसे सुरक्षित स्थलों पर पहुँचा दिया जाता है। मतगणना के लिए पूर्व निर्धारित तिथि को मतों की गणना की जाती है तथा सर्वाधिक मत पाने वाले प्रत्याशी को निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।

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प्रश्न 5.
आरक्षित चुनाव क्षेत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान में प्रदत्त अधिकार के माध्यम से प्रत्येक नागरिक अपना जनप्रतिनिधि स्वेच्छा से चुन सकता है और स्वयं एक प्रतिनिधि के रूप में चुना जा सकता है। हमारे संविधान निर्माताओं ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित चुनाव क्षेत्रों की एक विशेष प्रणाली अपनायी है। ऐसा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए किया गया है ताकि वे लोकसभा तथा विधानसभा के लिए निर्वाचित हो सकें जो कि अन्य संसाधनों तथा शिक्षा आदि की कमी के कारण अन्यथा उनके लिए (UPBoardSolutions.com) संभव नहीं हो पाता। कुछ चुनावी क्षेत्र अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों से सम्बन्ध रखने वाले लोगों के लिए आरक्षित किए गए हैं। फिलहाल, लोकसभा में अनुसूचित जातियों के लिए 79 तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए 41 सीटें आरक्षित हैं। कुछ राज्यों में अब अन्य पिछड़े वर्गों के लिए भी ग्रामीण पंचायत तथा शहरी नगरपालिका एवं नगर निगम, स्थानीय निकायों में आरक्षण देना प्रारम्भ किया है। इसी प्रकार ग्रामीण तथा शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए भी एक तिहाई सीटें आरक्षित हैं।

प्रश्न 6.
चुनाव-अभियान के दौरान प्रयोग में लाए जाने वाले साधनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
चुनाव अभियान निर्वाचन की एक प्रमुख प्रक्रिया है। इसके माध्यम से उम्मीदवार मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने हेतु प्रेरित करने का प्रयास करता है। उम्मीदवारों द्वारा चुनाव अभियान के दौरान निम्न साधनों का प्रयोग किया जाता है

  1.  प्रेस व समाचार-पत्र- पढ़े-लिखे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं का भी प्रयोग किया जाता है। विभिन्न नेता उनमें अपने विचार व्यक्त करते हैं तथा जनता को अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करते हैं।
  2.  रेडियो तथा टेलीविजन- रेडियो तथा टेलीविजन में भी प्रायः सभी दलों को कुछ निश्चित समय प्रदान किया जाता है जिससे वे अपनी नीतियों तथा कार्यक्रम का प्रचार करते हैं।
  3. घर-घर जाकर मुलाकात करना- चुनाव के दिनों में प्रत्येक उम्मीदवार अपने कार्यकर्ताओं को साथ लेकर घर| घर जाकर मतदाताओं से वोट माँगता है। मतदाताओं को उम्मीदवार तथा उसके दल के बारे में जानकारी दी जाती है और उनकी शंकाएँ दूर की जाती हैं। लोगों में पोस्टर तथा घोषणा-पत्र भी बाँटे जाते हैं और उनका समर्थन प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है।
  4.  पोस्टर लगाना- पोस्टर के माध्यम से (UPBoardSolutions.com) राजनीतिक दल तथा उम्मीदवार पढ़े-लिखे मतदाताओं को लुभाने का प्रयत्न करते हैं। पोस्टरों द्वारा आकर्षक नारे, प्रभावशाली आक्षेप, कार्टून तथा चुनाव सम्बन्धी विभिन्न सूचनाएँ दी जाती हैं।
  5.  सभाएँ करना वे भाषण देना– विभिन्न राजनैतिक दल तथा उम्मीदकर आम सभाएँ करके अपने विचार जन साधारण तक पहुँचाते हैं, वे अपनी अथवा अपने दल की अच्छाइयों तथा विरोधी दल की बुराइयों से जनता को अवगत कराते रहते हैं।
  6. जलूस निकालना- मतदाताओं को प्रभावित करने तथा अपने पक्ष में करने के लिए विभिन्न दल जलूस निकालते हैं जिनमें लाउडस्पीकरों से जोर-जोर से नारे लगाए जाते हैं। मतदाताओं से यह अपील की जाती है कि वह उस दल अथवा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करें।

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प्रश्न 7.
भारत में चुनाव-प्रणाली की चुनौतियों का उल्लेख कीजिए। इन चुनौतियों के समाधान हेतु सुझाव भी प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतन्त्र है। भारत में 62 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। भारत में अब तक लोकसभा के 16 चुनाव हो चुके हैं। किन्तु इस दौरान भारतीय चुनाव प्रणाली के कुछ दोष भी दिखलायी पड़े जिनका विवरण इस प्रकार है

(i) चुनाव में बाहुबल और हिंसा- भारतीय चुनाव में एक और गम्भीर त्रुटि और समस्या है चुनाव में बाहुबल का प्रयोग। चुनने में हिंसा बढ़ती जा रही है। चुनाव में बाहुबल और हिंसा का प्रयोग विशेषकर हरियाणा, पश्चिमी बंगाल, जम्मू-कश्मीर तथा बिहार आदि राज्यों में हो रहा है। विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में बम विस्फोट, छुरेबाजी औं गोली का प्रयोग होता है। मतदाताओं को डराया-धमकाया जाता है और उन्हें एक विशेष दल के पक्ष में वोट डालने के लिए कहा जाता है। मतदान केंद्रों पर कब्जा किया जाता है। चुनाव के दिनों में आम आदमी सुरक्षित महसूस नहीं करता। मतदान केन्द्रों पर कब्जा बड़े नियोजित ढंग से किया जाता है।

(ii) चुनाव याचिका के निपटारे में देरी– साधारणतः यह देखा गया है कि चुनाव याचिका के निपटारे में बहुत अधिक समय लग जाता है। कई बार तो उम्मीदवार का कार्यकाल समाप्त होने को आता है और चुनाव याचिका का निर्णय ही नहीं होता।

(iii) सरकारी तंत्र का दुरुपयोग- भारतीय चुनाव व्यवस्था की एक और गम्भीर त्रुटि सामने आयी है। मंत्रियों द्वारा
दलीय लाभ के लिए सरकारी तंत्र का प्रयोग किया जाता है। वोट बटोरने के लिए मंत्रियों द्वारा लोगों को तरह-तरह के आश्वासन दिए जाते हैं। विभिन्न वर्गों के लिए अनेकानेक रियायतों और सुविधाओं की घोषणा की जाती है। अनेक प्रकार की विकास योजनाओं की घोषणा की जाती है; जैसे–कारखानों, स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों व पुलों के शिलान्यास आदि की घोषणा करना। सरकारी कर्मचारी के वेतन-भत्ते आदि में वृद्धि की जाती है। कर्जे माफ किए जाते हैं।

(iv) मतदाताओं की अनुपस्थिति- चुनावों में बहुत से मतदाता भाग लेते ही नहीं। मतदाता चुनावों में रुचि लेते ही नहीं।
उनके लिए वोट डालना एक समस्या बन गई है। वह मतपत्र का प्रयोग करते ही नहीं। मतपत्र का प्रयोग न करना एक प्रकार से लोकतंत्र को धोखा देना ही है। अक्सर देखने में आता है कि 60 प्रतिशत मतदाता ही वोट डालते हैं। मतदान का प्रतिशत कई चुनावों में तो 60% अथवा इससे भी कम रहता है।

(v) राजनीति का अपराधीकरण- पिछले कुछ वर्षों में भारतीय चुनाव-प्रणाली में एक और दोषपूर्ण मोड़ आया है।
प्रायः सभी राजनीतिक दलों ने ऐसे बहुत-से उम्मीदवार चुनाव में खड़े किए, जिनका अपराधों की दुनिया में नाम था। ऐसे व्यक्तियों ने राजनीति में अपराधीकरण को बढ़ावा देने का काम किया और लोगों को भय दिखाकर वोट माँगे तथा गोली के बल पर विरोधियों को न चुनाव लड़ने दिया और न ही वोट डालने दिया। जब अपराधी, तस्कर और लुटेरे पहले किसी दल के सक्रिय सदस्य तथा बाद में विधायक बन जाएँ तो उस देश के भविष्य के उज्ज्वल होने की आशा नहीं की जा सकती।

(vi) चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका- भारतीय चुनाव-प्रणाली का सबसे बड़ा दोष चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका है। भारतीय चुनावों में धन का अंधाधुंध प्रयोग और दुरुपयोग ने भारत की राजनीति को काफी भ्रष्ट किया है। भारत में काले धन का बड़ा बोलबाला है और उसका चुनावों में दिल खोलकर प्रयोग किया जाता है। मतदाताओं के लिए शराब के दौर चलाए जाते हैं, मत खरीदे जाते हैं, उम्मीदवारों (UPBoardSolutions.com) को धनी लोगों द्वारा खड़ा किया जाता है। और पैसे के बल पर बिठाया जाता है तथा मतदाताओं को लाने व ले जाने के लिए गाड़ियों का प्रयोग किया जाता है। आज का चुनाव पैसे के बल पर ही जीता जा सकता है और इस धन ने मतदाताओं, राजनीतिक दलों तथा प्रतिनिधियों सबको भ्रष्ट बना दिया है।

(vii) जाति और धर्म के नाम पर वोट- भारत में सांप्रदायिकता का बड़ा प्रभाव है और इसने हमारी प्रगति में सदैव बाधा उत्पन्न की है। जाति और धर्म के नाम पर खुले रूप से मत माँगे और डाले जाते हैं। राजनीतिक दल भी अपने उम्मीदवार खड़े करते समय इस बात को ध्यान में रखते हैं और उसी जाति और धर्म का उम्मीदवार खड़ा करने का प्रयत्न करते हैं, जिस जाति का उस निर्वाचन-क्षेत्र में बहुमत हो। भारत में अब तक जो चुनाव हुए हैं, उनके आँकड़े भी इस बात का समर्थन करते हैं।

(viii) मतदाता सूचियों के बनाने में लापरवाही- यह भी देखा गया है कि भारत में मतदाता सूचियों के बनाने में बड़ी लापरवाही से काम लिया जाता है और कई बार जान-बूझकर तथा कई बार अनजाने में पूरे-के-पूरे मोहल्ले सूचियों से गायब हो जाते हैं। मतदाता सूचियाँ अधिकतर राज्य सरकार के (UPBoardSolutions.com) कर्मचारियों द्वारा बनायी जाती हैं और वे इसे फिजूल का काम समझते हैं। पटवारी तथा स्कूल के अध्यापकों से ये काम करवाया जाता है। एक मतदाता का नाम अनेकों बार तथा जाली मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़ दिए जाते हैं।

चुनाव प्रणाली के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों के सुधार हेतु निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं

  1. फर्जी मतदान तथा चुनाव-केन्द्रों पर कब्जा करने की घटनाओं को सख्ती के साथ निपटोना चाहिए।
  2. सभी उम्मीदवारों तथा राजनैतिक दलों को प्रचार करने के लिए रेडियो तथा मीडिया का प्रयोग करने दिया जाए। चुनावी राजनीति
  3. मतदान अनिवार्य कर देना चाहिए।
  4. चुनाव-याचिका थोड़े समय में ही निपटा देनी चाहिए।
  5. चुनावों में धन की भूमिका को कम करने के लिए चुनाव खर्च राज्य द्वारा किया जाना चाहिए।
  6. चुनावों में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग पर सख्त पाबंदी लगाई जाए।
  7.  उन उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए जो चुनाव में धर्म तथा जाति का प्रयोग करते हैं।

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