UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 9 Area of ​​Parallelograms and Triangles

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 9 Area of ​​Parallelograms and Triangles (समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल)

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प्रश्नावली 9.1

प्रश्न 1.
निम्नांकित आकृतियों में से कौन-सी आकृतियाँ एक ही आधार और एक ही समान्तर रेखाओं के बीच स्थित हैं? ऐसी स्थिति में, उभयनिष्ठ आधार और दोनों समान्तर रेखाएँ लिखिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 9 Area of ​​Parallelograms and Triangles img-1
हल :
(i) इस आकृति में त्रिभुज PDC और चतुर्भुज ABCD का उभयनिष्ठ आधार DC है और DC की समान्तर रेखा पर त्रिभुज का शीर्ष P और चतुर्भुज के शीर्ष A व B स्थित हैं।
अत: ये आकृतियाँ (त्रिभुज और चतुर्भुज) एक ही आधार DC और एक ही समान्तर रेखाओं DC और AB के बीच स्थित हैं।
(ii) इस आकृति में दोनों चतुर्भुजों का आधार SR तो उभयनिष्ठ है परन्तु उनके शीर्ष P, Q व M, N आधार के समान्तर एक ही रेखा में नहीं हैं। अत: ये एक ही आधार और एक समान्तर रेखाओं के बीच स्थित नहीं हैं।
(iii) दी गई आकृति में ΔQRT और चतुर्भुज PQRS का आधार QR उभंयनिष्ठ है जबकि आधार QR के समान्तर एक ही रेखा पर ΔQRT का शीर्ष T और चतुर्भुज PQRS के शीर्ष P व S स्थित हैं। तब ΔQRT और चतुर्भुज PQRS एक ही आधार और एक ही समान्तर रेखाओं के बीच स्थित हैं। उभयनिष्ठ आधार QR तथा समान्तर रेखाएँ QR व PS हैं।
(iv) दी गई आकृति में एक समान्तर चतुर्भुज व एक त्रिभुज है जिनका कोई उभयनिष्ठ आधार नहीं है। अत: ये एक ही आधार व एक ही समान्तर रेखाओं के बीच स्थित नहीं हैं।
(v) इस आकृति में दो चतुर्भुज ABCD तथा APQD हैं जो एक ही आधार AD व एक ही समान्तर रेखाओं AD और PQ के बीच स्थित हैं।
(vi) दी गई आकृति में PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है जिसके अन्तर्गत चतुर्भुज PADS, चतुर्भुज ABCD व चतुर्भुज BQRC तीन समान्तर चतुर्भुज समाहित हैं परन्तु इनका कोई उभयनिष्ठ आधार नहीं है।
अत: ये आकृतियाँ एक ही आधार और एक ही समान्तर रेखाओं के बीच स्थित नहीं हैं।

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प्रश्नावली 9.2

प्रश्न 1.
दी गई आकृति में ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है और AE ⊥ DC तथा CF ⊥ AD है। यदि AB = 16 सेमी, AE = 8 सेमी और CF = 10 सेमी है तो AD ज्ञात कीजिए।
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हल :
ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जिसमें AB = CD और इन समान्तर भुजाओं के बीच की लाम्बिक दूरी = AE
समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = CD x AE [CD = AB = 16 सेमी] = 16 x 8 = 128 वर्ग सेमी
पुनः समान्तर चतुर्भुज ABCD में, AD = BC और AD || BC के बीच की लाम्बिक दूरी = CF
समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = AD x CF
AD x CF = 128 वर्ग सेमी
AD x 10 = 128
AD = 128 = 12.8 सेमी [CF = 10 सेमी]
अत: AD= 12.8 सेमी।

प्रश्न 2.
यदि E, F, G और H क्रमशः समान्तर चतुर्भुज ABCD की भुजाओं के मध्य-बिन्दु हैं तो दर्शाइए कि ar (EFGH) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (ABCD) है।
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हल :
दिया है : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जिसमें बिन्दु E, F, G और H क्रमशः समान्तर चतुर्भुज की भुजाओं AB, BC, CD व DA के मध्य-बिन्दु हैं।
सिद्ध करना है : ar (EFFG) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (ABCD)
रचना : EG को मिलाइए।
उपपत्ति : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB = CD और AB || CD
E, AB को मध्य-बिन्दु है और G, CD कां मध्य-बिन्दु है।
AE = EB = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
DG = GC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] CD
तब, AE = DG और AE || DG [AB = CD]
AEGD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AEGD और ∆EGH उभयनिष्ठ आधार EG पर स्थित हैं। इनके शीर्ष A, D व में एक ही रेखा पर हैं जो EG के समान्तर है।
∆EGH का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x समान्तर चतुर्भुज AEGD का क्षेत्रफल …(1)
इसी प्रकार,
∆EGF का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x समान्तर चतुर्भुज EBCG का क्षेत्रफल …(2)
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर,
∆EGH का क्षेत्रफल + ∆EGF का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x समान्तर चतुर्भुज AEGD का क्षेत्रफल [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x समान्तर चतुर्भुज EBCG का क्षेत्रफल
EFGH का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] [समान्तर चतुर्भुज AEGD का क्षेत्रफल + समान्तर चतुर्भुज EBCG का क्षेत्रफल]
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल
अतः ar (EFGH = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (ABCD)
Proved.

प्रश्न 3.
P और Q क्रमशः समान्तर चतुर्भुज ABCD की भुजाओं DC और AD पर स्थित बिन्दु हैं दर्शाइए कि ar (APB)= ar (BQC) है।
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हल :
दिया है : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है, जिसमें भुजाओं DC और AD पर स्थित बिन्दु क्रमश: P और Q हैं।
रेखाखण्ड AP व BP और BQ व CQ खींचकर दो त्रिभुज APB और BQC प्राप्त किए गए हैं।
सिद्ध करना है : ar (∆APB) = ar (∆BQC)
अर्थात ∆APB का क्षेत्रफल = ∆BQC का क्षेत्रफल।
रचना : P से AB पर लम्ब PR और Q से BC पर लम्ब QS खींचे।
उपपत्ति : समान्तर चतुर्भुज ABCD में,
AB || DC और इनके बीच की लम्ब दूरी PR है।
समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = एक भुजा x उस भुजा की सम्मुख भुजा से लम्ब दूरी
समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = AB x PR …(1)
और ∆APB का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x आधार x ऊँचाई = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x AB x PR ….(2)
तब, समीकरण (1) व (2) से,
∆APB का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल
पुनः समान्तर चतुर्भुज ABCD में, BC || AD और इनके बीच की दूरी QS है।
समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = एक भुजा x उस भुजा की सम्मुख भुजा से लम्ब दूरी = BC x QS
समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = BC x QS
परन्तु ∆BQC का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x आधार x ऊँचाई = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x BC x QS …(5)
तब, समीकरण (4) व (5) से,
∆BRC का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल …(6)
अब, समीकरण (3) व (6) से,
∆APB का क्षेत्रफल = ∆BQC का क्षेत्रफल
या ar(APB) = ar(BQC)
Proved.

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प्रश्न 4.
संलग्न आकृति में, P समान्तर चतुर्भुज ABCD के अभ्यन्तर में स्थित कोई बिन्दु है। दर्शाइए कि
(i) ar (APB) + ar (PCD) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (ABCD)
(ii) ar (APD) + ar (PBC) = ar(APB) + ar(PCD)
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हल :
दिया है : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जिसके अभ्यन्तर में स्थित एक बिन्दु P है।
रेखाखण्ड PA, PB, PC और PD खींचे गए हैं।
जिससे चार त्रिभुज ∆APB, ∆PBC, ∆PCD और ∆APD प्राप्त होते हैं।
सिद्ध करना है :
(i) ar (APB) + ar (PCD) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (ABCD)
(ii) ar (APD) + ar (PBC) = ar (∆APB) + ar (∆PCD)
रचना : P से AB पर लम्ब PQ तथा CD पर लम्ब PR खींचिए।
उपपत्ति :
(i) समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = भुजा x सम्मुख भुजा की लाम्बिक दूरी
समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = AB x (PQ + PR) ……(1)
∆APB का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x आधार x ऊँचाई = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x AB x PA
∆PCD का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x आधार x ऊँचाई = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x DC x PR
जोड़ने पर,
∆APB का क्षेत्रफल + ∆PCD का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] (AB x PQ + DC x PR) का क्षेत्रफल
= (AB x PQ + AB x PR) (समान्तर चतुर्भुज ABCD में DC = AB)
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB (PQ + PR)
समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफले (समीकरण (1) से)
अत: ∆APB का क्षेत्रफल + ∆PCD का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल
ar (APB) + ar (PCD) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (ABCD)
Proved.
(ii) ar (APB) + ar (PCD) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (ABCD)
2 [ar(APB) + ar (PCD)] = ar (ABCD)
2 ar (APB) + 2 ar (PCD) = ar (APB) + ar (PBC)+ ar (PCD) + ar (APD)
2ar (APB) + 2 ar (PCD) – ar (APB) – ar (PCD) = ar (PBC) + ar (APD)
ar (APB) + ar (PCD) = ar (APD) + ar (PBC)
अत: ar (APD) + ar (PBC) = ar (APB) + ar (PCD)
Proved.

प्रश्न 5.
दी गई आकृति में, PQRS और ABRS दो समान्तर चतुर्भुज हैं तथा X भुजा BR पर स्थित कोई बिन्दु है। दर्शाइए कि
(i) ar (PQRS) = ar(ABRS)
(ii) ar (AXS) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (PQRS)
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हल :
दिया है : PQRS तथा ABRS दो समान्तर चतुर्भुज है जिनका PA उभयनिष्ठ आधार RS है।
भुजा BR पर कोई बिन्दु X है। रेखाखण्ड AX तथा SX खींचे गए हैं जिससे ∆AXS प्राप्त होता है।
सिद्ध करना है :
(i) ar(PQRS) = ar (ABRS)
(ii) ar (AXS) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (PQRS)
रचना : बिन्दु A से आधार SR पर लम्ब AE खींचिए और बिन्दु X से AS पर लम्ब XF खींचिए।
उपपत्ति :
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(i) समान्तर चतुर्भुज PQRS में, PQ || RS और इनके बीच की लम्ब दूरी = AE है।
समान्तर चतुर्भुज PQRS का क्षेत्रफल = एक भुजा x उस भुजा की सम्मुख भुजा से लम्ब दूरी = SR x AE …..(1)
ar (PQRS) = SR x AE
समान्तर चतुर्भुज ABRS में,
AB || RS और इसके बीच की दूरी = AE है।
समान्तर चतुर्भुज ABRS का क्षेत्रफल = एक भुजा x उस भुजा की सम्मुख भुजा से लम्ब-दूरी = SR x AE ……(2)
ar (ABRS) = SR x AE
तब समीकरण (1) व (2) से,
ar (PQRS) = ar (ABRS)
Proved.
(ii) ABRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
BR || AS और इनके बीच की लम्ब दूरी = XF
समान्तर चतुर्भुज ABRS का क्षेत्रफल = एक भुजा x उस भुजा से सम्मुख भुजा की लम्ब-दूरी = AS x FX …..(3)
ar (ABRS) = AS x (FX)
∆ AXS का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x आधार x ऊँचाई = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x AS x FX
तब, समीकरण (3) से,
∆AXS का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x समान्तर चतुर्भुज ABRS का क्षेत्रफल
ar (AXS) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (ABRS)
परन्तु हम सिद्ध कर चुके हैं कि ar (ABRS) = ar (PQRS)
अत: ar (AXS) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (PQRS)
Proved.

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प्रश्न 6.
एक किसान के पास समान्तर चतुर्भुज PQRS के रूप का एक खेत था। उसने RS पर स्थित कोई बिन्दु A लिया और उसे Pऔर से मिला दिया। खेत कितने भागों में विभाजित हो गया है? इन भागों के आकार क्या हैं? वह किसान खेत में गेहूँ। और दालें बराबर-बराबर भागों में अलग-अलग बोना चाहता है। वह ऐसा कैसे करे?
हल :
माना किसान के पास चित्रानुसार PQRS समान्तर चतुर्भुज के आकार का एक खेत है। किसान ने भुजा RS पर एक बिन्दु A चुनकर उसे P तथा Q से मिला दिया।
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खेत तीन त्रिभुजाकार भागों में विभाजित हो गया है। ये भाग ∆PSA, ∆PAQ तथा ∆QAR हैं।
किसान को गेहूँ और दालें बराबर क्षेत्रफलों में बोनी हैं इसलिए P से सम्मुख भुजा SR पर PN लम्ब डाला गया है।
∆PAQ का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x आधार x क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x PQ x PN
PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है। PQ = RS
तब, ∆PAQ का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x RS x PN (PQ = RS)
∆PAQ का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] (SA + AR) x PN (RS = SA + AR)
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x SA x PN + [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x AR x PN
= ∆PSA का क्षेत्रफल + ∆QAR का क्षेत्रफल
अत: किसान को ∆PAQ क्षेत्रफल में गेहूँ और ∆PSA तथा ∆QAR के क्षेत्रफल में दालें बोना चाहिए।

प्रश्नावली 9.3

प्रश्न 1.
दी गई आकृति में, ∆ABC की एक माध्यिका AD पर स्थित E कोई बिन्दु है। दर्शाइए कि ar (ABE) = ar (ACE) है।
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हल :
दिया है : ∆ABC में BC का मध्य-बिन्दु D है जिससे AD त्रिभुज की एक माध्यिका है। माध्यिका AD पर एक बिन्दु E है।
सिद्ध करना है : ∆ABE का क्षेत्रफल = ∆ACE का क्षेत्रफल
अथवा  ar (ABE) = ar (ACE)
∆ABC में,
D, BC का मध्य-बिन्दु है अर्थात AD माध्यिका है।
हम जानते हैं कि त्रिभुज की एक माध्यिका उसे बराबर क्षेत्रफल के दो त्रिभुजों में विभाजित करती है।
∆ABD का क्षेत्रफल = ∆ACD का क्षेत्रफल …..(1)
पुनः ∆BEC की माध्यिका ED है।
∆BED का क्षेत्रफल = ∆CDE का क्षेत्रफल …(2)
समीकरण (1) से (2) को घटाने पर,
∆ABD का क्षेत्रफल – ∆BED का क्षेत्रफल = ∆ACD का क्षेत्रफल – ∆CDE का क्षेत्रफल
∆ABE का क्षेत्रफल = ∆ACE का क्षेत्रफल
ar (ABE) = ar (ACE)
Proved.

प्रश्न 2.
∆ABC में, E माध्यिका AD का मध्य-बिन्दु है। दर्शाइए कि ar (BED) = ar (ABC) है।
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हल :
दिया है : ∆ABC में AD त्रिभुज की माध्यिका है और AD का मध्य-बिन्दु E है।
∆ABD में, AD माध्यिका है।
∆ABD का क्षेत्रफल = ∆ACD का क्षेत्रफल
∆ABD का क्षेत्रफल + ∆ABD का क्षेत्रफल = ∆ABD का क्षेत्रफल + ∆ACD का क्षेत्रफल
2 ∆ABD का क्षेत्रफल = ∆ABC का क्षेत्रफल
∆ABD का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x ∆ABC का क्षेत्रफल …(1)
पुनः ∆ABD में, E, AD का मध्य-बिन्दु है।
BE, ∆ABD की माध्यिका है।
∆BED का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x ∆ABD का क्षेत्रफल [समीकरण (1) से]
= [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] x ∆ABC का क्षेत्रफल
ar (BED) = [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] ar (ABC)
Proved.

प्रश्न 3.
दर्शाइए कि समान्तर चतुर्भुज के दोनों विकर्ण उसे बराबर क्षेत्रफलों वाले चार त्रिभुजों में बाँटते हैं।
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हल :
दिया है: ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। जिसके विकर्ण AC और BD एक-दूसरे को बिन्दु 0 पर काटते हैं।
सिद्ध करना है : ∆ADO का क्षेत्रफल = ∆ABO का क्षेत्रफल = ∆BCO का क्षेत्रफल = ∆CDO का क्षेत्रफल
रचना : शीर्ष A से BD पर लम्ब AN खींचा।
उपपत्ति : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है और इसके विकर्ण AC व BD परस्पर बिन्दु O पर काटते हैं।
AB = CD तथा BC = AD
AO = CO तथा BO = DO
अब ∆BCO तथा ∆DAO में,
BC = DA (ऊपर सिद्ध किया है)
CO = AO (ऊपर सिद्ध किया है)
BO = DO (ऊपर सिद्ध किया है)
∆BCO = ∆ADO (S.S.S. से)
∆BCO का क्षेत्रफल = ∆ADO का क्षेत्रफल …(1)
इसी प्रकार, ∆ABO तथा ∆CDO भी सर्वांगसम होंगे।
∆ABO का क्षेत्रफल = ∆CDO का क्षेत्रफल …(2)
AN, BD पर लम्ब है।
∆ADO का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x आधार x ऊँचाई
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x DO x AN = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x ([latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]BD) x AN
= [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] x BD x AN
और ∆ABO का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x आधार x ऊँचाई
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x BO x AN = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x ([latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]BD) x AN [∴ BO = DO – [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] BD]
= [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] x BD x AN …(3)
∆ABO का क्षेत्रफल = ∆ADO का क्षेत्रफल
तब समीकरण (1), (2) व (3) से,
∆ABO का क्षेत्रफल = ∆BCO का क्षेत्रफल = ∆CDO का क्षेत्रफल = ∆ADO का क्षेत्रफल
अतः स्पष्ट है कि समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण उसे समान क्षेत्रफल वाले चार त्रिभुजों में बाँटते हैं।
Proved.

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प्रश्न 4.
दी गई आकृति में, ABC और ABD एक ही आधार AB पर बने दो त्रिभुज हैं। यदि रेखाखण्ड CD रेखाखण्ड AB से बिन्दु O पर समद्विभाजित होता है तो दर्शाइए कि ar (ABC) = ar (ABD) है।
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हल :
दिया है। दो ∆ABC व ∆ABD एक ही आधार AB पर स्थित हैं।
AB रेखाखण्ड CD को O पर समद्विभाजित करता है।
सिद्ध करना है : त्रिभुज ABC का क्षेत्रफल = त्रिभुज ABD का क्षेत्रफल
अथवा
ar (ABC) = ar (ABD)
रचना : शीर्षों C तथा D से AB पर क्रमशः CE तथा DF लम्ब खींचे।
उपपत्ति : CE ⊥ AB और DF ⊥ AB (रचना से)
CE || DF; और CD एक तिर्यक रेखा है।
∠ECD = ∠FDC (एकान्तर कोण)
∠ECO = ∠FDO …(1)
अब ∆ECO और ∆FDO में,
∠ECO = ∠FDO [समीकरण (1) से]
CO = DO (O पर CD समद्विभाजित होता है)
∠COE = ∠DOF (शीर्षाभिमुख कोण हैं)
∆ECO = ∆FDO (A.S.A. से)
CE = DF (C.P.C.T.) …(2)
तब, ∆ABC का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x आधार x ऊँचाई
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x AB x CE
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x AB x DF [समीकरण (2) से]
= ∆ABD का क्षेत्रफल
अतः ∆ABC का क्षेत्रफल = ∆ABD का क्षेत्रफल
या
ar (ABC) = ar (ABC)
Proved.

प्रश्न 5.
D, E और F क्रमशः त्रिभुज ABC की भुजाओं BC, CA और AB के मध्य-बिन्दु हैं। दर्शाइए कि
(i) BDEF एक समान्तर चतुर्भुज है।
(ii) ar (DEF) = [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] ar (ABC)
(iii) ar (BDEF) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (ABC)
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 9 Area of ​​Parallelograms and Triangles img-12
हल :
दिया है: ∆ABC में भुजाओं BC, CA और AB के मध्य-बिन्दु क्रमशः D, E और F हैं।
सिद्ध करना है:
(i) BDEF एक समान्तर चतुर्भुज है।
(ii) ar (DEF) = [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] ar (ABC)
(iii) ar (BDEF) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (ABC)
उपपत्ति :
(i) ∆ABC में E, AC का मध्य-बिन्दु है और F, AB का मध्य-बिन्दु है।
EF = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] BC और EF || BC (मध्य-बिन्दु प्रमेय से)
D, BC का मध्य-बिन्दु है।
BD = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] BC
EF = BD और EF || BD
अत: BDEF एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.
(ii) E और F क्रमश: AC और AB के मध्य-बिन्दु हैं।
EF = BC और EF || BC (मध्य-बिन्दु प्रमेय से)
परन्तु D, BC को मध्य-बिन्दु है।
CD = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] BC
EF = CD और EF || DC
DCEF एक समान्तर चतुर्भुज है।
FD = CE और FD || EC या FD || AC या FD || AE
BDEF एक समान्तर चतुर्भुज है।
DE = BF और DE || BF और DE || AB DE || AF
DE || AF और FD || AE
AEDF एक समान्तर चतुर्भुज है।
BDEF समान्तर चतुर्भुज है और FD उसका एक विकर्ण है।
∆DEF का क्षेत्रफल = ∆BDF का क्षेत्रफल ……(1)
DCEF समान्तर चतुर्भुज है और DE उसका एक विकर्ण है।
∆DEF का क्षेत्रफल = ∆DCE का क्षेत्रफल ……(2)
AEDF समान्तर चतुर्भुज है और EF उसका एक विकर्ण है।
∆DEF का क्षेत्रफल = ∆AEF का क्षेत्रफल ………(3)
समीकरण (1), (2) व (3) को जोड़ने पर,
3 ∆DEF’ का क्षेत्रफल = ∆BDF का क्षेत्रफल + ∆DCE का क्षेत्रफल + ∆AEF का क्षेत्रफल दोनों पक्षों में ∆DEF जोड़ने पर,
4 ∆DEF का क्षेत्रफल = (∆BDF + ∆DEC + ∆AEF + ∆DEF) का क्षेत्रफल
4 ∆DEF का क्षेत्रफल = ∆ABC का क्षेत्रफल
अतः ∆DEF का क्षेत्रफल = ∆ABC का क्षेत्रफल
अथवा ar (DEF) = ar (ABC)
Proved.
(iii) चतुर्भुज BDEF का क्षेत्रफल = ∆BDF का क्षेत्रफल + ∆DEF का क्षेत्रफल = ∆DEF का क्षेत्रफल + ∆DEF का क्षेत्रफल [समीकरण (1) से
= 2 ∆DEF का क्षेत्रफल = 2 x [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] ∆ABC का क्षेत्रफल
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x ∆ABC का क्षेत्रफल
अत: चतुर्भुज BDEF’ का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x ∆ABC का क्षेत्रफल
अथवा
ar (BDEF) = ar (ABC)
Proved.

प्रश्न 6.
दी गई आकृति में, चतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC और BD परस्पर बिन्दु O पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करते हैं कि OB = OD है। यदि AB = CD है तो दर्शाइए कि
(i) ar(DOC) = ar (AOB)
(ii) ar(DCB) = ar(ACB)
(iii) DA || CB या ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
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हल :
दिया है : ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें विकर्ण AC, दूसरे विकर्ण BD को बिन्दु O पर इस प्रकार काटता है कि OB = OD भुजा AB, भुजा CD के बराबर है। सिद्ध करना है :
(i) ar (DOC) = ar (AOB)
(ii) ar (DCB) = ar (ACB)
(iii) DA || CB या ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
रचना : शीर्ष B से AC पर लम्ब BF तथा शीर्ष D से AC पर लम्ब DG खींचे।
उपपत्ति:
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(i) BF ⊥ AC और DG ⊥ AC
∠DGF = ∠BFG = 90° ये एकान्तर कोण हैं।
BF || DG
BF || DG और BD तिर्यक रेखा है।
∠BDG = ∠DBF (एकान्तर कोण)
∠ODG = ∠OBF
अब ∆DOG और ∆BOF’ में,
∠ODG = ∠OBF (ऊपर सिद्ध किया है)
OD = OB (दिया है)
∠DOG = ∠ BOF (शीर्षाभिमुख कोण युग्म)
∆DOG = ∆BOF (A.S.A. से)
ar (DOG) = ar (BOF) …(1)
∆CDG और ∆ABF में,
∠G = ∠F (DG ⊥ AC, BF ⊥ AC)
CD = AB (दिया है)
DG = BF (∆DOG = ∆BOF)
∆CDG = ∆ABF (R.H.S. से)
ar (CDG) = ar (ABF) …(2)
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर,
ar (DOG) + ar (CDG) = ar (BOF) + ar (ABF)
अतः ar (DOC) = ar (AOB)
Proved.
(ii) ar (DOC) = ar (AOB) दोनों ओर ar (BOC) जोड़ने पर,
ar (DOC) + ar (BOC) = ar (AOB) + ar (BOC)
अतः ar (DCB) = ar (ACB)
Proved.
(iii) ∆DCB और ∆ACB के क्षेत्रफल समान हैं जैसा कि अभी सिद्ध किया है और दोनों त्रिभुज उभयनिष्ठ आधार BC पर स्थित हैं।
दोनों त्रिभुज एक ही समान्तर रेखाओं के बीच स्थित हैं।
तब, DA || CB
समीकरण (2) से,
∆CDG = ∆ABF
CG = AF …(3)
और समीकरण (1) से,
∆DOG = ∆BOF
GO = OF ……(4)
समीकरण (3) व (4) को जोड़ने पर,
CG + GO = OF + AF
OC = OA
O, विकर्ण CA का भी मध्य-बिन्दु है अर्थात विकर्ण परस्पर समद्विभाजित करते हैं।
अत: ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.

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प्रश्न 7.
बिन्दु D और E क्रमशः AABC की भुजाओं AB और AC पर इस प्रकार स्थित हैं कि ar (DBC) = ar (EBC) है। दर्शाइए कि DE || BC है।
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हल :
दिया है: ∆ABC की दो भुजाओं AB तथा AC पर दो बिन्दु D और E इस प्रकार हैं। कि
∆DBC का क्षेत्रफल = ∆EBC का क्षेत्रफल।
सिद्ध करना है।
DE || BC
उपपत्ति :
ar (DBC) = ar (EBC)
∆DBC का क्षेत्रफल = ∆EBC का क्षेत्रफल
और दोनों उभयनिष्ठ आधार BC पर एक ही ओर स्थित हैं।
दोनों त्रिभुजों के शीर्ष BC के समान्तर एक ही रेखा पर स्थित होंगे।
अतः DE || BC
Proved.

प्रश्न 8.
XY त्रिभुज ABC की भुजा BC के समान्तर एक रेखा है। यदि BE || AC और CF || AB रेखा XY से क्रमशः E और F पर मिलती हैं तो दर्शाइए कि ar (ABE) = ar (ACF)
हल:
दिया है: ∆ABC की भुजा BC के समान्तर एक रेखा XY खींची गई है। बिन्दु B से AC के समान्तर रेखा BE खींची गई है जो XY से E पर मिलती है और इसी प्रकार बिन्दु C से AB के समान्तर एक रेखा CF खींची गई है जो XY से बिन्दु F पर मिलती है।
सिद्ध करना है : ar (ABE) = ar (ACF)
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उपपत्ति : XY || BC और BE || AC
यहाँ समान्तर रेखा युग्म (XY, BC)को अन्य समान्तर रेखा युग्म (EB, AC) द्वारा काटने पर समान्तर चतुर्भुज AEBC प्राप्त होता है।
AB, समान्तर चतुर्भुज AEBC का विकर्ण है।
∆ABE का क्षेत्रफल = ∆ABC का क्षेत्रफल …(1)
XY || BC और CF || AB
अर्थात एक समान्तर रेखा युग्म (XY, BC) को दूसरे समान्तर रेखा युग्म (CF, AB) द्वारा काटने पर समान्तर चतुर्भुज ABCF प्राप्त होता है।
AC, समान्तर चतुर्भुज ABCF’ का विकर्ण है।
∆ABC का क्षेत्रफल = ∆ACF का क्षेत्रफल …(2)
समीकरण (1) व (2) से,
∆ABE का क्षेत्रफल = ∆ACF का क्षेत्रफल
या ar (ABE) = ar (ACF)
Proved.

प्रश्न 9.
समान्तर चतुर्भुज ABCD की एक भुजा AB को एक बिन्दु P तक बढ़ाया गया है। A से होकर CP के समान्तर खींची गई रेखा बढ़ाई गई CB को Qपर मिलती है और फिर समान्तर चतुर्भुज PBQR को पूरा किया गया है। दर्शाइए कि ar (ABCD) = ar (PBQR) है।
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हल :
दिया है : समान्तर चतुर्भुज ABCD की भुजा AB को किसी बिन्दु P तक बढ़ाया गया है। बिन्दु A से CP के समान्तर रेखा AQ है जो बढ़ी हुई CB से Q पर मिलती है। समान्तर चतुर्भुज PBQR को पूरा किया गया है।
सिद्ध करना है :
क्षेत्रफल (समान्तर चतुर्भुज ABCD) = क्षेत्रफल (समान्तर चतुर्भुज PBQR)
ar (ABCD) = ar (PBQR)
रचना : चतुर्भुज ABCD का विकर्ण AC तथा चतुर्भुज PBQR का विकर्ण PR खींचिए।
उपपत्ति : AQ || CP और ∆ACQ तथा ∆APQ का आधार AQ है और ये इन्हीं समान्तर रेखाओं के बीच स्थित हैं।
क्षेत्रफल (∆ACQ) = क्षेत्रफल (∆APQ)
क्षेत्रफल (∆ACB) + क्षेत्रफल (∆ABQ) = क्षेत्रफल (∆ABQ) + क्षेत्रफल (∆BPQ)
क्षेत्रफल (∆ACB) = क्षेत्रफल(∆BPQ) …(1)
∆ACB की भुजा AC, समान्तर चतुर्भुज ABCD का विकर्ण है और ∆BPQ की भुजा PQ, समान्तर चतुर्भुज PBQR का विकर्ण है।
क्षेत्रफल (∆ACB) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] क्षेत्रफल (समान्तर चतुर्भुज ABCD) ….(2)
क्षेत्रफल (∆BPQ) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] क्षेत्रफल (समान्तर चतुर्भुज PBQR) …(3)
समीकरण (1), (2) तथा (3) से,
[latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] क्षेत्रफल (समान्तर चतुर्भुज ABCD) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] क्षेत्रफल (समान्तर चतुर्भुज PBQR)
क्षेत्रफल (समान्तर चतुर्भुज ABCD) = क्षेत्रफल ( समान्तर चतुर्भुज PBQR)
अथवा ar (ABCD) = ar (PBQR)
Proved.

प्रश्न 10.
एक समलम्ब ABCD, जिसमें AB || DC है, के विकर्ण AC और BD परस्पर O पर प्रतिच्छेद करते हैं। दर्शाइए कि ar (AOD) = ar (BOC) है।
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हल :
दिया है : ABCD एक समलम्ब है जिसमें AB || DC है और समलम्ब के विकर्ण : AC और BD परस्पर O पर प्रतिच्छेद करते हैं।
सिद्ध करना है : ∆AOD का क्षेत्रफल = ∆BOC का क्षेत्रफल
ar (∆AOD) = ar (A BOC)
उपपत्ति : समलम्ब ABCD में AB || DC है और ∆ADC तथा ∆BDC दोनों का उभयनिष्ठ आधार DC है।
और दोनों के शीर्ष A तथा B, DC के समान्तर भुजा AB पर स्थित हैं।
∆ADC और ∆BDC एक ही आधार और एक ही समान्तर रेखाओं के बीच स्थित हैं।
∆ADC का क्षेत्रफल = ∆BDC को क्षेत्रफल
दोनों पक्षों से ∆DOC का क्षेत्रफल घटाने पर,
∆ADC का क्षेत्रफल – ∆DOC का क्षेत्रफल = ∆BDC का क्षेत्रफल – ∆DOC का क्षेत्रफल
∆AOD का क्षेत्रफल = ∆BOC का क्षेत्रफल
अथवा ar (AOD) = ar (BOC)
Proved.

प्रश्न 11.
दी गई आकृति में, ABCDE एक पंचभुज है। B से होकर AC के A समान्तर खींची गई रेखा बढ़ाई गई DC को F पर मिलती है। दर्शाइए कि
(i) ar (ACB) = ar (ACF)
(ii) ar(AEDF) = ar (ABCDE)
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हल :
दिया है : दी गई आकृति में ABCDE एक पंचभुज है। रेखाखण्ड AC खींचा गया है और बिन्दु B से इसके समान्तर एक रेखा खींची गई है जो DC को बढ़ाने पर उससे बिन्दु F पर मिलती है।
सिद्ध करना है :
(i) ar (ACB) = ar (ACF)
(ii) ar (AEDF) = ar (ABCDE)
उपपत्ति :
(i) दिया है BF || AC
∆ACB और ∆ACF समान्तर रेखाओं BF और AC के बीच स्थित हैं और दोनों त्रिभुजों का उभयनिष्ठ आधार AC है।
त्रिभुज ACB का क्षेत्रफल = त्रिभुज ACF का क्षेत्रफल
ar (ACB) = ar (ACF)
Proved.
(ii) ar (ACB) = ar (ACF)
दोनों पक्षों में ar (ACDE) जोड़ने पर,
ar (ACDE) + ar (ACB) = ar (ACDE) + ar (ACF)
ar (ABCDE) = ar (AEDF)
अतः ar (ABCDE) = ar (AEDF)
Proved.

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प्रश्न 12.
गाँव के एक निवासी इतवारी के पास एक चतुर्भुजाकार भूखण्ड था। उस गाँव की ग्राम पंचायत ने उसके भूखण्ड के एक कोने से उसका कुछ भाग लेने का निर्णय लिया ताकि वहाँ एक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण कराया जा सके। इतवारी इस प्रस्ताव को इस प्रतिबन्ध के साथ स्वीकार कर लेता है कि उसे इस भाग के बदले उसी भूखण्ड के संलग्न एक भाग ऐसा दे दिया जाए कि उसका भूखण्ड त्रिभुजाकार हो जाए। स्पष्ट कीजिए कि इस प्रस्ताव को किस प्रकार कार्यान्वित किया जा सकता है।
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हल :
माना ABCD एक चतुर्भुजाकार भूखण्ड है जिसके एक कोने से कुछ भाग लेकर समान क्षेत्रफल का दूसरा भाग देना है जो खेत से संलग्न भी हो और बचे खेत के साथ मिलकर पूर्ण भूखण्ड का अधिगृहीत भूखण्ड त्रिभुजाकार बना सके।
चतुर्भुजाकार खेत का विकर्ण AC खींचिए।
बिन्दु D से DE || AC खींचिए जो बढ़ी हुई BC को E पर काटे। रेखाखण्ड AE खींचिए जो CD रेखा O पर काटे।
देखिए ∆ACD और ∆ACE एक ही आधार AC पर एक ही समान्तर रेखाओं AC व DE के बीच स्थित हैं।
ar (ACD) = ar (ACE)
ar (∆AOD) + ar (∆AOC) = ar (∆AOC) + ar (∆COE)
ar (AOD) = ar (COE)
अत: ∆AOD क्षेत्र लेकर उसके बचे भूखण्ड के क्षेत्र में क्षेत्र (∆COE) जोड़कर दे देना चाहिए।

प्रश्न 13.
ABCD एक समलम्ब है, जिसमें AB || DC है। AC के समान्तर एक रेखा AB को X पर और BC को Y पर प्रतिच्छेद करती है। सिद्ध कीजिए कि ar (ADX) = ar (ACY) है।
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हल :
दिया है : ABCD एक समलम्ब है जिसमें AB || DC है। विकर्ण AC खींचा गया है। AC के समान्तर एक रेखा खींची गई जो AB को X पर और BC को Y पर प्रतिच्छेद करती है। रेखाखण्ड DX और AY खींचे गए हैं जिनसे ∆ADX और ∆ACY बने हैं।
सिद्ध करना है : ar (ADX) = ar (ACY)
रचना : रेखाखण्ड CX खींचा।
उपपत्ति : AB पर एक बिन्दु X है और AB || DC है।
AX || DC तब ∆ADX और ∆ACX एक ही आधार AX पर एक ही समान्तर रेखाओं AX व DC के मध्य स्थित हैं।
ar (ADX) = ar (ACX) …(1)
पुनः XY || AC
तब ∆ACX और ∆ACY समान (उभयनिष्ठ) आधार AC पर समान्तर रेखाओं XY और AC के बीच स्थित है।
ar (ACX) = ar (ACY) …(2)
तब, समीकरण (1) व (2) से,
ar (ADX) = ar (ACY)
Proved.

प्रश्न 14.
दी गई आकृति में AP || BQ || CR है। सिद्ध कीजिए कि ar (AQC) = ar (PBR) है।
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हल :
दिया है : दी गई आकृति में AP || BQ है और BQ || CR है। रेखाखण्ड AQ, CQ, BP और BR खींचे गए हैं।
सिद्ध करना है : ar (AQC) = ar (PBR)
उपपत्ति : AP || BQ;
∆ABQ और ∆PBQ का आधार BQ उभयनिष्ठ है और ये दोनों समान्तर रेखाओं AP व B के बीच स्थित हैं।
ar (ABQ) = ar (PBQ) …(1)
इसी प्रकार,
∆BCQ और ∆BQR का उभयनिष्ठ आधार BQ है तथा ये दोनों समान्तर रेखाओं BQ व CR के बीच स्थित हैं।
ar (BCQ) = ar (BQR) …..(2)
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर,
ar (ABQ) + ar (BCQ) = ar (PBQ) + ar (BQR)
या ar (AQC)= ar (PBR)
Proved.

प्रश्न 15.
चतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC और BD परस्पर बिन्दु O पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करते हैं कि ar (AOD) = ar (BOC) है। सिद्ध कीजिए कि ABCD एक समलम्ब है।
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हल :
दिया है : ABCD में विकर्ण AC और BD परस्पर बिन्दु 0 पर एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करते हैं और ∆AOD का क्षेत्रफल = ∆BOC का क्षेत्रफल।
सिद्ध करना है : ABCD एक समलम्ब है।
उत्पत्ति: ∆AOD का क्षेत्रफल = ∆BOC का क्षेत्रफल (दिया है)
दोनों ओर समान क्षेत्रफल ∆DOC जोड़ने पर,
∆AOD का क्षेत्रफल + ∆DOC को क्षेत्रफल = ∆DOC का क्षेत्रफल + ∆BOC का क्षेत्रफल
(∆AOD + ∆DOC) का क्षेत्रफल = (∆DOC + ∆BOC) का क्षेत्रफल
∆ADC का क्षेत्रफल = ∆BDC का क्षेत्रफल
उक्त दोनों त्रिभुजों का उभयनिष्ठ आधार DC है और दोनों का क्षेत्रफल समान है।
तबे, दोनों एक ही समान्तर रेखाओं के बीच स्थित होंगे।
AB || DC
अतः ABCD एक समलम्ब है।
Proved.

प्रश्न 16.
दी गई आकृति में, ar (DRC) = ar (DPC) है और ar (BDP) = ar (ARC) है। दर्शाइए कि दोनों चतुर्भुज ABCD और DCPR समलम्ब हैं।
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हल :
दिया है : दी गई आकृति में ∆DRC, ∆DPC, ∆BPD और ∆ARC इस प्रकार हैं कि
ar (DRC) = ar (DPC) और ar (BDP) = ar (ARC)
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD और चतुर्भुज DCPR समलम्ब हैं।
उपपत्ति : ∆DRC और ∆DPC में ज्ञात है कि ar (DRC) = ar (DPC) और दोनों त्रिभुजों का उभयनिष्ठ आधार DC है।
∆DRC और ∆DPC एक ही समान्तर रेखाओं के बीच स्थित हैं।
DC || RP …(1)
अतः चतुर्भुज DCPR एक समलम्ब है।
ar (BDP) = ar (ARC)
ar (BDC) + ar (DPC) = ar (DRC) + ar (ADC)
परन्तु ar (DPC) = ar (DRC) (दिया है)
घटाने पर, ar (BDC) = ar (ADC)
∆BDC और ∆ADC के क्षेत्रफल बराबर हैं और उनका उभयनिष्ठ आधार DC है।
तब ∆BDC और ∆ADC एक ही समान्तर रेखाओं के बीच स्थित हैं।
AB || DC …(2)
अतः चतुर्भुज ABCD का एक समलम्ब है। तब चतुर्भुज ABCD और चतुर्भुज DCPR दोनों ही समलम्ब हैं।
Proved.

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प्रश्नावली 9.4 (ऐच्दिक)

प्रश्न 1.
समान्तर चतुर्भुज ABCD और आयत ABEF एक ही आधार पर स्थित हैं और उनके क्षेत्रफल बराबर हैं। दर्शाइए कि समान्तर चतुर्भुज का परिमाप आयत के परिमाप से अधिक है।
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हल :
दिया है : समान्तर चतुर्भुज ABCD का आधार AB तथा इसी आधार AB पर ही समान क्षेत्रफल का आयत ABEF स्थित है।
सिद्ध करना है : समान्तर चतुर्भुज ABCD का परिमाप > आयत ABEF’ का परिमाप
उपपत्ति: ∆ADF में,
∠F = 90° (आयत का अन्त:कोण)
AF ⊥ EF
AF < AD (AD कर्ण है) …(1)
इसी प्रकार A BCE में,
∠E = 90° (आयत का बहिष्कोण = 90°)
BE ⊥ CD
BE < BC ( BC कर्ण है) …(2)
(AF + BE) < (AD + BC).
समीकरण (1) व (2) से
AB = EF (ABEF आयत है।)
AB = DC (ABCD समान्तर चतुर्भुज है।)
AB = EF = DC
दोनों ओर क्रमश: (AB + EF) और (AB + CD) जोड़ने पर,
AB + BE + EF + AF < AB + BC + CD + DA अतः समान्तर चतुर्भुज का परिमाप > आयत का परिमाप
Proved.

प्रश्न 2.
दी गई आकृति में, भुजा BC पर दो बिन्दु D और E इस प्रकार स्थित हैं। कि BD = DE = EC है। दर्शाइए कि ar (ABD) = ar (ADE) = ar (AEC) है।
क्या आप अब उस प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं, जो आपने इस अध्याय की ‘भूमिका’ में छोड़ दिया था कि क्या बुधिया का खेत वास्तव में बराबर क्षेत्रफलों वाले तीन भागों में विभाजित हो गया है?
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हल :
दिया है : भुजा BC पर D और E दो बिन्दु इस प्रकार स्थित हैं कि BD = DE = EC है।
सिद्ध करना है : ar (ABD) = ar (ADE) = ar (AEC)
रचना : शीर्ष से BC पर शीर्षलम्ब AP खींचा।
उपपत्ति : BD = DE = EC
तीनों त्रिभुजों के आधार समान हैं। यह भी स्पष्ट है कि तीनों त्रिभुजों की एक ही ऊँचाई AP है। तब तीनों त्रिभुजों के क्षेत्रफल भी समान होंगे।
अतः ar (ABD) = ar (ADE) = ar (AEC)
किसी त्रिभुज के आधार को n समान भागों में विभक्त कर सम्मुख शीर्ष से मिलाने पर त्रिभुज समान n भागों में विभक्त हो जाता है।
अत: किसान बुधिया द्वारा विभाजित किया गया क्षेत्र (खेत) वास्तव में बराबर क्षेत्रफलों वाले तीन भागों में विभाजित हो गया था।
Proved.

प्रश्न 3.
दी गई आकृति में, ABCD, DCFE और ABFE समान्तर चतुर्भुज हैं। दर्शाइए कि ar (ADE) = ar (BCF) है।
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हल :
दिया है : दी गई आकृति में चतुर्भुज ABCD, चतुर्भुज DCFE और चतुर्भुज ABFE समान्तर चतुर्भुज हैं।
सिद्ध करना है : ar (ADE) = ar (BCF)
उपपत्ति: ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AD = BC
DCFE एक समान्तर चतुर्भुज है। DE = CF
ABFE एक समान्तर चतुर्भुज है। AE = BF
अब ∆ADE तथा ∆BCF में,
AD = BC (ऊपर सिद्ध किया है)
DE = CF (ऊपर सिद्ध किया है)
AE = BF (ऊपर सिद्ध किया है)
तब त्रिभुजों की सर्वांगसमता के परीक्षण (S.S.S.) से,
∆ADE = ∆BCF
ar (∆ADE) = ar (∆BCF)
Proved.

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प्रश्न 4.
दी गई आकृति में, ABCD, एक समान्तर चतुर्भुज है। BC को बिन्दु २ तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि AD = CQ है। यदि AQ भुजा DC को P पर प्रतिच्छेद करती है। तो दर्शाइए कि
ar (BPC) = ar (DPQ) है।
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हल :
दिया है: ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। BC को बिन्दु 9 तक इस प्रकार बढ़ाया D८ गया है कि AD = CQ। रेखाखण्ड AQ को मिलाया गया है जो DC को बिन्दु P पर प्रतिच्छेद करता है।
सिद्ध करना है : ar (BPC) = ar (DPQ)
उपपत्ति : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AD = BC और दिया है कि AD = CQ
BC = CQ अर्थात C, BQ का मध्य-बिन्दु है।
PC, ∆PBQ की माध्यिका है।
ar (∆BPC) = ar (∆PCQ)
AD = CQ और AD || CQ (AD || BC)
ADQC एक समान्तर चतुर्भुज है जिसके विकर्ण AQ तथा CD हैं।
P, CD का मध्य-बिन्दु है या PQ, ∆DQC की माध्यिका है।
ar (DPR) = ar (PCQ)
तब समीकरण (1) व (2) से,
ar (BPC) = ar (DPQ)
Proved.

प्रश्न 5.
दी गई आकृति में, ABC और BDE दो समबाहु त्रिभुज इस प्रकार हैं कि D भुजा BC का मध्य-बिन्दु है। यदि AE भुजा BC को F पर प्रतिच्छेद करती है तो दर्शाइए कि
(i) ar (BDE) = [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] ar (ABC)
(ii) ar (BDE) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (BAE)
(iii) ar (ABC) = 2 ar (BEC)
(iv) ar (BFE) = ar (AFD)
(v) ar (BFE) = 2 ar (FED)
(vi) ar (FED) = [latex]\frac { 1 }{ 8 }[/latex] ar (AFC)
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हल :
दिया है : दी गई आकृति ∆ABC और ∆BDE दो समबाहु त्रिभुज इस प्रकार हैं कि D भुजा BC का मध्य-बिन्दु है। रेखाखण्ड AE, खींचा गया है जो BC को F पर प्रतिच्छेद करता है। सिद्ध करना है :
(i) ar (BDE) = [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] ar (ABC)
(ii) ar (BDE) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (BAE)
(iii) ar (ABC) = 2 ar (BEC)
(iv) ar (BFE) = ar (AFD)
(v) ar (BFE) = 2 ar (FED)
(vi) ar (FED) = [latex]\frac { 1 }{ 8 }[/latex] ar (AFC)
रचना : रेखाखण्ड EC और AD खींचे।
उपपत्ति (i) D, BC का मध्य-बिन्दु है।
BD = DC
BD = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] BC
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प्रश्न 6.
चतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC और BD परस्पर बिन्दु P पर प्रतिच्छेद करते हैं। दर्शाइए कि ar (APB) x ar (CPD) = ar (APD) x ar (BPC) है।
हल :
दिया है : ABCD के विकर्ण AC और BD हैं जो परस्पर बिन्दु P पर प्रतिच्छेद करते हैं।
सिद्ध करना है: ar (APB) x ar (CPD) = ar (APD) x ar (BPC)
रचना : A तथा C से BD पर क्रमशः AM व CN लम्ब खींचे।
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प्रश्न 7.
P और Q क्रमशः त्रिभुज ABC की भुजाओं AB और BC के मध्य-बिन्दु हैं तथा रेखाखण्ड AP का मध्य-बिन्दु है। दर्शाइए कि :
(i) ar (PRQ) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ar (ARC)
(ii) ar (RQC) = [latex]\frac { 3 }{ 8 }[/latex] ar (ABC)
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प्रश्न 8.
दी गई आकृति में, ABC एक समकोण त्रिभुज है जिसका कोण A समकोण है। BCED, ACFG और ABMN क्रमशः भुजाओं BC, CA और AB पर बने वर्ग हैं। रेखाखण्ड AX ⊥ DE भुजा BC को बिन्दु Y पर मिलता है। दर्शाइए कि :
(i) ∆MBC = ∆ABD
(ii) ar (BYXD) = 2 ar (MBC)
(iii) ar (BYXD) = ar (ABMN)
(iv) ∆FCB = ∆ACE
(v) ar (CYXE) = 2 ar (FCB)
(vi) ar (CYXE) = ar (ACFG)
(vii) ar (BCED) = ar (ABMN) + ar (ACFG)
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हल :
दिया है : ∆ABC में ∠A समकोण है। त्रिभुज की भुजाओं AB, AC तथा BC पर क्रमश: ABMN, ACFG और BCED वर्ग बने हैं। रेखाखण्ड AX वर्ग BCED की भुजा DE पर लम्ब है, जो BC से Y पर मिलता है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆MBC = ∆ABD
(ii) ar (BYXD) = 2 ar (MBC)
(iii) ar (BYXD) = ar (ABMN)
(iv) ∆FCB = ∆ACE
(v) ar (CYXE) = 2 ar (FCB)
(vi) ar (CYXE) = ar (ACFG)
(vii) ar (BCED) = ar (ABMN) + ar (ACFG)
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We hope the UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 9 Area of ​​Parallelograms and Triangles (समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 9 Area of ​​Parallelograms and Triangles (समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 14 सन्तुलित आहार

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 14 सन्तुलित आहार

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
सन्तुलित आहार (balanced food) से आप क्या समझती हैं? विस्तृत स्पष्टीकरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
प्राणीमात्र के जीवित रहने के लिए वायु के बाद सर्वाधिक आवश्यक वस्तु भोजन या आहार है। आहार का हमारे जीवन में बहुपक्षीय महत्त्व है। आहार की आवश्यकता एक नैसर्गिक आवश्यकता है; जिसको आभास भूख लगने से होता है। सामान्य रूप से समझा जाता है कि आहार का केवल यही एक कार्य है। वास्तव में इसके अतिरिक्त भी अन्य विभिन्न कार्य आहार द्वारा सम्पन्न होते हैं। स्वास्थ्य विज्ञान एवं आहार-शास्त्र के (UPBoardSolutions.com) विस्तृत अध्ययनों के परिणामस्वरूप निष्कर्ष प्राप्त हुआ है कि आहार के सभी कार्यों को पूरा करने के लिए तथा शरीर की आहार सम्बन्धी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु आहार को सन्तुलित (balanced) होना चाहिए।

सन्तुलित आहार का अर्थ
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि जिस आहार द्वारा शरीर की आहार सम्बन्धी समस्त आवश्यकताएँ पूर्ण हो जाएँ, वह आहार सन्तुलित आहार है।” अब प्रश्न उठता है कि शरीर को आहार की आवश्यकता क्यों और किसलिए होती है? वास्तव में शरीर की वृद्धि, तन्तुओं के निर्माण तथा टूट-फूट की मरम्मत आदि शारीरिक कार्यों हेतु आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करने तथा रोगों से बचने के लिए हमें आहार की आवश्यकता होती है। अतः जो आहार इन सब आवश्यकताओं को सन्तुलित रूप से पूरा करता है, वह आहार सन्तुलित आहार (balanced food) कहलाता है। शरीर-विज्ञान के अनुसार हमारे आहार में कार्बोज़, वसा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण तथा जल की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। इन्हें आहार का अनिवार्य तत्त्व कहा जाता है। सन्तुलित आहार में आहार के ये अनिवार्य तत्त्व पर्याप्त मात्रा एवं सही अनुपात में होते हैं।

सन्तुलित आहार सम्बन्धी स्पष्टीकरण

सन्तुलित आहार का अर्थ जानने के उपरान्त इसके विषय में कुछ प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जैसे कि-क्या भरपेट आहार ही सन्तुलित आहार है? क्या सन्तुलित आहार काफी महँगा होता है? क्या स्वादिष्ट आहार सन्तुलित होता है? क्या ऊर्जादायक एवं वृद्धिकारक आहार ही सन्तुलित होता है? इन प्रश्नों का समुचित स्पष्टीकरण निम्नवर्णित है ।

(1) क्या भरपेट आहार सन्तुलित आहार है?
सामान्य रूप से गरीब देशों में लोगों के सामने भरपेट आहार प्राप्त करने की विकट समस्या रहा करती है। ऐसी स्थिति में यदि व्यक्ति को भरपेट आहार मिल जाए, तो वह सन्तुष्ट हो जाएगा तथा भ्रमवश अपने आहार को सन्तुलित आहार समझने लगेगा, परन्तु वास्तव में यह अनिवार्य नहीं है कि भरपेट या मात्रा में अधिक आहार सन्तुलित भी हो। यदि आहार में अनिवार्य तत्त्व, उचित मात्रा तथा उचित अनुपात में नहीं होते, (UPBoardSolutions.com) तो कितनी भी अधिक मात्रा में आहार ग्रहण कर लेने से आहार सन्तुलित आहार नहीं कहला सकता; ऐसा आहार पेट भर सकता है अर्थात् भूख को शान्त कर सकता है, परन्तु अनिवार्य रूप से स्वास्थ्यवर्द्धक एवं शक्तिदायक नहीं हो सकता; उदाहरण के लिए–पर्याप्त मात्रा में चावल तथा मीट खा लेने से पेट तो भर जाएगा, परन्तु शरीर की अन्य आवश्यकताएँ जैसे कि विटामिन, लवण आदि का तो अभाव बना ही रहेगा। साथ ही यह भी सम्भव है कि शरीर में विभिन्न रोग पैदा हो जाए। सन्तुलित आहार सदैव स्वास्थ्यवर्द्धक तथा शरीर को नीरोग रखने में सहायक होता है।

(2) क्या महँगा आहार सन्तुलित आहार है?
भ्रमवश अनेक लोग महँगे एवं दुर्लभ आहार को अच्छा, सन्तुलित एवं उपयोगी आहार मान लेते हैं। परन्तु वास्तव में आहार की कीमत तथा उसके गुणों और उपयोगिता में कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं है। महँगे से महँगा आहार भी असन्तुलित आहार हो सकता है, यदि उसमें आहार के अनिवार्य तत्त्व सही मात्रा एवं अनुपात में न हों। इसके विपरीत सस्ते से सस्ता आहार भी सन्तुलित आहार हो सकता है, यदि उसमें सभी आवश्यक तत्त्व अभीष्ट मात्रा में उपस्थित हों; उदाहरण के लिए—हमारे देश में मेवे एवं मीट महँगे खाद्य-पदार्थ हैं, परन्तु यदि हमारे आहार में केवल इन्हीं पदार्थों को ही ग्रहण किया जाए और शाक-सब्जियों, ताजे फलों, अनाज, दूध आदि की (UPBoardSolutions.com) अवहेलना की जाए, तो हमारा आहार अधिक महँगा होने पर भी सन्तुलित आहार की श्रेणी में नहीं आ सकता। इस तथ्य को जान लेने के उपरान्त यह समझ लेना चाहिए कि कम आय एवं सीमित आर्थिक साधनों वाले व्यक्ति भी सन्तुलित आहार ग्रहण कर सकते हैं। सन्तुलित आहार प्राप्त करने के लिए सन्तुलित आहार के अनिवार्य तत्त्वों एवं उसके संगठन को जानना आवश्यक है, न कि अधिक धन व्यय करने की आवश्यकता है। गरीब व्यक्ति भी सन्तुलित आहार ग्रहण कर सकता है।

(3) क्या स्वादिष्ट आहार सन्तुलित आहार है?
आहार का एक उद्देश्य विभिन्न वस्तुओं का स्वाद ग्रहण करके आनन्द प्राप्त करना भी है। कुछ खाद्य-पदार्थ अपने आप में काफी स्वादिष्ट एवं रुचिकर होते हैं। कुछ व्यक्ति इन स्वादिष्ट पदार्थों को अधिक-से-अधिक मात्रा में खाना चाहते हैं। ऐसे व्यक्ति भ्रमवश स्वादिष्ट आहार को ही सन्तुलित आहार मान सकते हैं, परन्तु यह धारणा बिल्कुल गलत है। यह उचित है कि हमारे आहार को स्वादिष्ट भी होना चाहिए, परन्तु स्वादिष्ट (UPBoardSolutions.com) आहार तथा सन्तुलित आहार में कोई प्रत्यक्ष एवं अनिवार्य सम्बन्ध नहीं है। स्वादिष्ट आहार के लिए अनिवार्य रूप से सन्तुलित होना आवश्यक नहीं तथा इसके विपरीत यह भी आवश्यक नहीं है कि सन्तुलित आहार अस्वादिष्ट ही हो; उदाहरण के लिए—कुछ लड़कियों को चटपटे तथा मसालेदार व्यंजन बहुत रुचिकर प्रतीत होते हैं, परन्तु इन व्यंजनों को सन्तुलित आहार की श्रेणी में नहीं गिना जा सकता।

(4) क्या वृद्धिकारक आहार सन्तुलित आहार है?
शारीरिक वृद्धि के लिए भी आहार ग्रहण किया जाता है। हमारे आहार में कुछ तत्त्व ऐसे होते हैं। जो शरीर की वृद्धि में सहायक होते हैं, परन्तु शरीर की वृद्धि करने वाले आहार को हम सन्तुलित आहार नहीं कह सकते, यदि उसमें अन्य आवश्यक तत्त्वों की कमी या अभाव हो। ऐसे आहार को ग्रहण करने से व्यक्ति के शरीर की तो वृद्धि हो जाती है, परन्तु शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति तथा चुस्ती एवं (UPBoardSolutions.com) मानसिक-शक्ति का पर्याप्त विकास नहीं हो पाता तथा व्यक्ति विभिन्न रोगों का शिकार हो जाता है; उदाहरण के लिए केवल प्रोटीनयुक्त खाद्य-सामग्री को ही ग्रहण करने से हमारा शरीर सुचारु रूप से न तो विकसित हो सकता है और न ही कार्य कर सकता है; अतः हम कह सकते हैं कि शारीरिक वृद्धिकारक आहार अपने आप में सन्तुलित आहार नहीं होता। सन्तुलित आहार शरीर की वृद्धि के साथ-साथं अन्य सभी आवश्यकताओं को भी पूरा करने में सहायक होता है।

(5) क्या ऊर्जादायक आहार सन्तुलित आहार है?
हम ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अर्थात् शारीरिक परिश्रम करने के लिए आवश्यक शक्ति प्राप्त करने हेतु भी आहार ग्रहण करते हैं। कुछ खाद्य-पदार्थ शरीर को भरपूर ऊर्जा प्रदान करते हैं, परन्तु इन ऊर्जा प्रदान करने वाले भोज्य पदार्थों को हम सन्तुलित आहार नहीं कह सकते। वास्तव में ऊर्जा प्रदान करने के अतिरिक्त अन्य उद्देश्य भी आहार द्वारा पूरे किए जाते हैं, जैसे कि रोगों से लड़ने की क्षमता, शरीर की वृद्धि तथा चुस्ती आदि प्राप्त करना। ये सब बातें ऊर्जादायक आहार से पूरी नहीं हो सकतीं।

स्पष्टीकरण पर आधारित निष्कर्ष
उपर्युक्त विवरण द्वारा स्पष्ट हो जाता है कि सन्तुलित आहार की धारणा वास्तव में बहुपक्षीय धारणा है। सन्तुलित आहार से विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति होती है। वास्तव में उसी आहार को सन्तुलित आहार कहा जाएगा, जिससे व्यक्ति की आहार या आहार सम्बन्धी समस्त आवश्यकताएँ पूरी हो जाएँ। सन्तुलित आहार की मात्रा पर्याप्त होती है, जिससे कि हमारी भूख शान्त हो जाती है। सन्तुलित आहार ऊर्जादायक होती है, (UPBoardSolutions.com) ताकि हम पर्याप्त शारीरिक परिश्रम कर सकें तथा हमें थकान या कमजोरी महसूस न हो। सन्तुलित आहार शारीरिक वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है तथा इससे शरीर की कोशिकाओं में होने नरन्तर टूट-फूट की मरम्मत होती रहती है। सन्तुलित आहार हमारे शरीर को सम्भावित रोगों से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करता है तथा व्यक्ति में समुचित उत्साह एवं उल्लास बनाए रखता है। इन सबके अतिरिक्त सन्तुलित आहार शरीर में कुछ अतिरिक्त शक्ति . भी संचित करता है जो कि आपातकाल में काम आती है। सन्तुलित आहार ग्रहण करने वाला व्यक्ति सदैव स्वस्थ एवं नीरोग रहता

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प्रश्न 2:
सन्तुलित आहार के निर्धारक कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि सन्तुलित आहार सापेक्ष होता है अर्थात् भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के लिए भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न प्रकार एवं मात्रा वाला आहार सन्तुलित आहार कहलाता है। सन्तुलित आहार के निर्धारक कारक निम्नवर्णित हैं

(1) आयु:
भिन्न-भिन्न आयु वाले व्यक्तियों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार का आहार सन्तुलित आहार माना जाता है। बच्चों के लिए निर्धारित सन्तुलित आहार में वृद्धिकारक पोषक तत्वों का अनुपात अधिक होता है। प्रौढ़ व्यक्तियों के आहार में ऊर्जादायक तथा रख-रखाव में सहायक पोषक तत्वों की अधिकता होनी चाहिए। वृद्ध व्यक्तियों के आहार में सुपाच्य तत्त्वों को प्राथमिकता दी जाती है।

(2) लिंग भेद:
स्त्री तथा पुरुष के आहार में भी अन्तर होता है। पुरुषों को सामान्य रूप से शारीरिक श्रम अधिक करना पड़ता है; अतः इनके आहार में ऊर्जादायक तत्त्वों की मात्रा अधिक होती है। इसी प्रकार गर्भावस्था तथा स्तनपान के काल में स्त्रियों के लिए निर्धारित सन्तुलित आहार सामान्य से भिन्न होता है।

(3) शारीरिक आकार:
सन्तुलित आहार का निर्धारण करते समय व्यक्ति के शारीरिक आकार को भी ध्यान में रखना आवश्यक होता है। बड़े आकार वाले व्यक्ति को अधिक मात्रा में आहार की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार सामान्य से कम वजन वाले व्यक्ति को वृद्धिकारक पोषक तत्वों की अधिक आवश्यकता होती है।

(4) जलवायु:
सन्तुलित आहार के निर्धारण में जलवायु का ध्यान रखना भी आवश्यक होता है। ठण्डी जलवायु में गर्म जलवायु की तुलना में अधिक मात्रा में आहार की आवश्यकता होती है। ठण्डी जलवायु में ऊर्जा एवं ऊष्मादायक तत्त्वों की आवश्यकता होती है। इससे भिन्न गर्म जलवायु में पसीना अधिक आने के कारण आहार में खनिज लवणों एवं जल की मात्रा सामान्य से अधिक होनी चाहिए, क्योंकि पसीने के माध्यम से खनिज लवणों तथा जल का अधिक विसर्जन हो जाता है।

(5) शारीरिक श्रम:
सन्तुलित आहार का एक निर्धारक कारक शारीरिक श्रम भी है। अधिक शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्तियों के आहार में ऊर्जा एवं ऊष्मादायक तत्त्वों की अधिक मात्रा का समावेश होना चाहिए। इस वर्ग के व्यक्तियों के आहार में कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रा का समावेश होना चाहिए। इससे भिन्न कम शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्तियों के आहार में ऊर्जादायक तत्त्वों की कम मात्रा का ही समावेश होना चाहिए।

प्रश्न 3:
कुपोषण से आप क्या समझती हैं? इससे बचने के उपाय बताइए। या कुपोषण का क्या अर्थ है? कुपोषण का क्या कारण है एवं स्वास्थ्य पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुपोषण-आहार में सभी अनिवार्य तत्त्व सम्मिलित होने पर भी यदि स्वास्थ्य में निरन्तर गिरावट हो रही हो तो इसे दोषपूर्ण पोषण अथवा कुपोषण कहते हैं। अतः कुपोषण का अर्थ है आहार का (UPBoardSolutions.com) दोषपूर्ण उपभोग। उदाहरण के लिए-अरुचिपूर्ण आहार चाहे जितना भी पौष्टिक हो, पर्याप्त लाभकारी नहीं होता। इसी प्रकार अनिच्छापूर्वक व अनियमित रूप से आहार का उपयोग करना लाभप्रद न होकर अस्वस्थता को जन्म दे सकती है। कुपोषण को ठीक प्रकार से समझने के लिए सम्बन्धित कारणों को जानना आवश्यक है।

कुपोषण के कारण

कुपोषण की पृष्ठभूमि में अज्ञानता एवं लापरवाही से आहार के उपभोग करने का महत्त्वपूर्ण योगदान है, जिसे निम्नलिखित कारणों का अध्ययन कर भली प्रकार समझा जा सकता है

(1) कार्य की अधिकता:
अनेक बार हम कार्य अधिक करते हैं, परन्तु आहार कम मात्रा में लेते हैं। जिसके फलस्वरूप आहार के पर्याप्त पौष्टिक होने पर भी शरीर में धीरे-धीरे दुर्बलता आने लगती है।

(2) निद्रा में कमी:
उपयुक्त समय तक न सो पाने पर मानसिक व शारीरिक दोनों प्रकार की थकान रहती है। इस प्रकार के व्यक्ति प्रायः कुपोषण से प्रभावित रहते हैं।

(3) अस्वस्थता:
पाचन-क्रिया ठीक न रहने पर अथवा क्षयरोग से ग्रस्त व्यक्ति कुपोषण का शिकार रहते हैं। इसी प्रकार शारीरिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों पर सन्तुलित आहार का स्वास्थ्यवर्द्धक, प्रभाव नहीं पड़ती। पेट में कीड़े होने की दशा में भी व्यक्ति कुपोषण का शिकार हो जाता है।

(4) घर एवं कार्यस्थल पर उपेक्षा:
घर अथवा कार्य करने के स्थान पर उपेक्षित व्यक्ति मानसिक . हीनता का शिकार रहता है। इस स्थिति में भी कुपोषण के लक्षण विकसित हो सकते हैं।

(5) अनुपयुक्त एवं अनियमित आहार:
आयु, लिंग एवं व्यवसाय की दृष्टि से उपयुक्त आहार उपलब्ध न होने से तथा निश्चित समय पर आहार न करने से पोषण दोषपूर्ण हो जाता है।

(6) गरिष्ठ आहार:
अधिक तला हुआ अथवा कब्ज़ उत्पन्न करने वाला आहार शरीर को वांछित शक्ति प्रदान नहीं करती।

कुपोषण के लक्षण (प्रभाव)
कुपोषण के फलस्वरूप शरीर में निम्नलिखित लक्षण (प्रभाव) दिखाई पड़ सकते हैं

  1.  आहार से अरुचि उत्पन्न हो जाती है।
  2.  शारीरिक भार घट जाता है।
  3.  स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है तथा निद्रा कम आती है।
  4.  हर समय थकान अनुभव होती है।
  5.  चेहरा पीला हो जाता है तथा रक्त की कमी हो जाती है।
  6. शरीर पर चर्बी के अभाव में त्वचा में झुर्रियाँ पड़ जाती हैं।
  7.  पाचन-क्रिया में विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
  8.  मनुष्य हीनता से ग्रसित हो जाता है।

कुपोषण से बचने के उपाय

कुपोषण से बचने के लिए पोषण के दोषपूर्ण तरीकों को दूर करने के उपायों पर विचार करना आवश्यक है। कुपोषण का विलोम शब्द है ‘सुपोषण’ अर्थात् अच्छा पोषण आहार के विभिन्न पोषक तत्त्वों, का उपयुक्त मात्रा में शरीर को उपलब्ध होना तथा उनका सही पाचन सुपोषण कहलाता है। सुपोषण के सामान्य नियमों का पालन करना ही कुपोषण से बचने का एकमात्र विकल्प है। सुपोषण के सामान्य नियमों का विवरण निम्नलिखित है

(1) ताजा एवं सुपाच्य आहार:
सदैव ताजा आहार ही उपयोग में लाना चाहिए, क्योंकि रखे हुए आहार में प्रायः जीवाणुओं एवं फफूद के पनपने की सम्भावना रहती है। आहार पौष्टिक तत्त्वों से युक्त होने के साथ-साथ सुपाच्य भी होना चाहिए। सुपाच्य आहार सरलता से शोषित होकर शरीर को
आवश्यक शक्ति एवं ऊर्जा प्रदान करता है।

(2) परोसने की कला:
आहार उपयुक्त स्थान पर स्वच्छ बर्तनों में परोसना चाहिए; इससे आहार ग्रहण करने वालों में आहार के प्रति आकर्षण एवं रुचि उत्पन्न होती है।

(3) पदार्थों एवं रंगों में परिवर्तन:
विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों (मांस, मछली, दाल, तरकारी आदि) को बदल-बदल कर उपयोग करने से शरीर को आहार के सभी तत्त्व वांछित अनुपात में उपलब्ध होते रहते हैं। रंग-बिरंगे भोज्य पदार्थ अच्छे लगने के साथ-साथ पौष्टिक भी होते हैं। जैसे–सफेद भोज्य पदार्थों में प्राय: कार्बोहाइड्रेट्स, भूरे रंग के पदार्थों में प्रोटीन तथा पीले, नारंगी, लाल व हरे पदार्थो । में विटामिन व खनिज लवण पाए जाते हैं।

(4) आहार को नियमित समय:
प्रात:कालीन नाश्ता, दोपहर का आहार तथा रात्रि का आहार इत्यादि यथासम्भव नियमित रूप से निर्धारित समय पर करना चाहिए। ऐसा करने से आहार स्वादिष्ट लगता है तथा पाचन-क्रिया ठीक रहती है।

(5) जल की मात्रा:
आहार के साथ अधिक जल नहीं पीना चाहिए, क्योंकि इसमें आहार अधिक पतला हो जाने के कारण पाचन क्रिया कुप्रभावित होती है।

(6) आहार पकाने की विधि:
आहार पकाते समय सही विधियों का प्रयोग करना चाहिए। अधिक पकाने अथवा ठीक प्रकार से न पकाने से आहार के पौष्टिक तत्त्वों के नष्ट होने की सम्भावना रहती है।
आवश्यकता से अधिक मसालों का प्रयोग पाचन क्रिया को क्षीण करता है।

(7) यथायोग्य आहार:
आहार देते समय लेने वालों की आयु, लिंग व व्यवसाय का ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए अधिक परिश्रम करने वाले व्यक्ति को अधिक पौष्टिक आहार मिलना चाहिए।

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प्रश्न 4:
मानसिक कार्य करने वाले तथा शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्ति के लिए सन्तुलित आहार में क्या अन्तर होगा? स्पष्ट कीजिए।
या
एक विद्यार्थी, मजदूर तथा एक छोटे बच्चे के आहार में आप किन बातों का विशेष ध्यान रखेंगी?
उत्तर:

बच्चों का आहार:
बाल्यावस्था में शारीरिक वृद्धि तीव्र गति से होती है; अत: बच्चों को सदैव अधिक प्रोटीनयुक्त आहार देना चाहिए। बच्चों के आहार में दूध की मात्रा अधिक होनी चाहिए।

विद्यार्थियों एवं मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों का आहार:
इस वर्ग के व्यक्तियों को अपेक्षाकृत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है; अत: इनके आहार में कार्बोहाइड्रेट्स व वसा की मात्रा कम होनी चाहिए। प्रोटीन, विटामिन एवं लवणयुक्त आहार इनके लिए सर्वोत्तम रहता है।

परिश्रमी एवं मजदूर वर्ग के व्यक्तियों का आहार:
इस वर्ग के व्यक्तियों को अधिक श्रम करने के कारण अपेक्षाकृत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है तथा भूख भी अधिक लगती है। इन्हें अधिक आहार मिलना चाहिए तथा इनके आहार में कार्बोहाइड्रेट्स (विशेषतः शक्कर) तथा वसा की मात्रा अधिक होनी चाहिए।
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प्रश्न 5:
दोपहर के आहार की योजना बनाते समय गृहिणी को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? एक वयस्क पुरुष के दोपहर के आहार की तालिका बनाइए जिसमें पोषण की दृष्टि से सभी तत्त्व उपस्थित हों।
या
एक वयस्क व्यक्ति की आहार तालिका बनाइए।
उत्तर:
दोपहर के आहार हेतु ध्यान देने योग्य बातें

हमारे देश में दोपहर का आहार मुख्य आहार होता है; अत: दोपहर का आहार तैयार करते समय प्रत्येक गृहिणी को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

(1) पौष्टिक तत्त्व युक्त आहार:
आहार में सभी आवश्यक तत्त्वों का समावेश होना चाहिए। उदाहरण के लिए—कार्बोहाइड्रेट्स के लिए कोई अनाज, प्रोटीन के लिए कोई एक दाल या अण्डा-मीट खनिज व विटामिन के लिए हरी सब्जी तथा वसा के लिए दही अथवा मक्खन इत्यादि।

(2) रुचिपूर्ण आहार:
आहार खाने वाले की रुचि के अनुसार होना चाहिए, जैसे कि चपाती खाने वाले के लिए चपातियाँ तथा चावल खाने वाले के लिए दाल-भात इत्यादि।

(3) आयु एवं व्यवसाय:
दोपहर के आहार में ऊर्जा प्रदान करने वाले पदार्थों की इतनी मात्रा होनी चाहिए कि व्यक्ति दिनभर बिना दुर्बलता अनुभव किए कार्य कर सके। इसके लिए सम्बन्धित व्यक्ति की आयु एवं उसके व्यवसाय का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए-वयस्कों को अधेड़ पुरुषों की अपेक्षा (UPBoardSolutions.com) अधिक आहार की आवश्यकता होती है तथा श्रमिक वर्ग के मनुष्यों को सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक आहार मिलना चाहिए।

(4) भोज्य पदार्थों का परिवर्तन:
दालों व सब्जियों में परिवर्तन करे, चपातियों के स्थान पर चावल तथा दही के स्थान पर रायता प्रयोग कर दोपहर के आहार को रुचिकर बनाना चाहिए। इस प्रकार के परिवर्तन से आहार के पोषक तत्त्व कम नहीं होते तथा सम्बन्धित व्यक्ति को खाने में मन लगता है।

(5) आर्थिक दृष्टिकोण:
यह आवश्यक नहीं है कि महँगा आहार ही पौष्टिक होता है। गृहिणी को चाहिए कि अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार ही आहार की तैयारी करे। उदाहरण के लिए-वसा में घी, दूध के स्थान पर वनस्पति तेल व घी तथा विटामिन के लिए छाछ व हरी पत्तेदार सब्जियाँ प्रयोग में लाई जा सकती हैं।
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प्रश्न 6:
दैनिक आहार को पौष्टिक एवं सस्ता बनाने का प्रबन्ध करने में एक कुशल गृहिणी का क्या योगदान है? इस पर विस्तारपूर्वक उत्तर लिखिए।
या
आहार को सन्तुलित बनाने के लिए गृहिणी को किन-किन खाद्य सामग्री का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर:
सन्तुलित आहार के लिए आवश्यक खाद्य सामग्री–सन्तुलित आहार में आहार के सभी आवश्यक तत्त्व उपयुक्त मात्रा में सम्मिलित होते हैं; अत: प्रत्येक गृहिणी को निम्नलिखित बातों की जानकारी होना अत्यन्त आवश्यक है

  1.  आहार के आवश्यक तत्त्व एवं उनके स्रोत।
  2. यदि किसी और किन्हीं तत्त्वों के स्रोत मौसम, अधिक मूल्य अथवा किसी स्थान विशेष के ” कारणं सहज ही उपलब्ध नहीं हैं, तो उन तत्त्वों के वैकल्पिक स्रोतों की जानकारी होना।

आहार के आवश्यक तत्त्व एवं उनके स्रोत

(1) कार्बोहाइड्रेट्स:
अनाज (गेहूँ, चावल आदि), आलू, शकरकन्द, दालें, गुड़, चीनी, मीठे फल, मेवे इत्यादि में विभिन्न प्रकार के कार्बोहाइड्रेट्स पाए जाते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स का प्रमुख कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है।

(2) प्रोटीन:
प्रोटीन प्रायः प्राणियों (प्राणिजन्य प्रोटीन) से तथा वनस्पतियों (वनस्पतिजन्य प्रोटीन) से प्राप्त होती है। इसके प्रमुख स्रोत हैं-अण्डा, मांस, मछली, दूध, दही, पनीर तथा दालें। सोयाबीन में सर्वाधिक (43%) प्रोटीन पाई जाती है।

(3) वसा:
इसके सामान्य स्रोत हैं—घी, दूध, मक्खन, मलाई, अण्डा, मांस, मछली, वनस्पति तेल व घी आदि।

(4) विटामिन:
ये हमें दूध, दही, अण्डा, मांस, मछली, अनाज, फलों व हरी सब्जियों से प्राप्त होते हैं।

(5) खनिज लवण:
इन्हें हम अण्डा, मछली, मेवे, दूध, सब्जी व फलों से प्राप्त कर सकते हैं।

सन्तुलित आहार तैयार करना

उपर्युक्त वर्णित खाद्य सामग्रियों को उपयोग कर एवं निम्नलिखित सामान्य नियमों का पालन कर सन्तुलित आहार तैयार किया जा सकता है|

  1. भिन्न आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए भिन्न प्रकार का सन्तुलित आहार होता है। उदाहरण के लिए–बच्चों में वृद्धि एवं विकास अधिक होता है; अतः इनके आहार में प्रोटीन व विटामिनयुक्त खाद्य सामग्री अधिक होनी चाहिए। इसी प्रकार वयस्क पुरुषों के आहार में परिश्रम अधिक करने के कारण ऊर्जायुक्त खाद्य सामग्री का आधिक्य होना चाहिए।
  2.  लम्बे व शक्तिशाली व्यक्ति को अधिक तथा पतले व छोटे व्यक्ति को कम आहार की आवश्यकता होती है।
  3.  स्त्रियों को पुरुषों की अपेक्षा कम आहार की आवश्यकता होती है।
  4. कार्य एवं व्यवसाय का सन्तुलित आहार पर विशेष प्रभाव पड़ता है। मजदूर वर्ग के पुरुषों को अधिक ऊर्जायुक्त तथा विद्यार्थियों एवं मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों को प्रोटीन, खनिज लवण एवं विटामिनयुक्त आहार चाहिए।
  5.  शाकाहारी व्यक्तियों को दालें, दूध व दूध से बने पदार्थों की अधिक आवश्यकता होती है, जबकि मांसाहारी व्यक्ति प्रोटीन की आवश्यकता की पूर्ति मांस, मछली व अण्डों से कर सकते हैं।
    इस प्रकार उपर्युक्त नियमों का पालन कर एक सुगृहिणी विभिन्न खाद्य सामग्रियों द्वारा सहज ही सन्तुलित आहार तैयार कर सकती है।

पौष्टिक एवं सस्ता दैनिक सन्तुलित आहार: आहार के आवश्यक तत्त्वों के स्रोत कई बार बड़े महँगे होते हैं। निम्नांकित सारणी का अध्ययन कर आहार को सस्ता एवं पौष्टिक बनाया जा सकता है
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प्रश्न 7:
‘आहार की तालिका’या’ मीनू’ बनाने का क्या महत्त्व है? मीनू बनाते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए? सविस्तार समझाइए।
या
सन्तुलित आहार-तालिका बनाते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:
आहार की तालिका बनाने के लाभ-एक समझदार गृहिणी प्रायः आहार की दैनिक, साप्ताहिक एवं मासिक तालिकाएँ बनाती है; क्योंकि

  1.  उसे पारिवारिक आय के अनुसार उपयुक्त आहार योजना बनाने में सुविधा रहती है।
  2.  महँगी भोज्य सामग्री की पूरक सस्ती भोज्य सामग्री की जानकारी रहती है।
  3.  आहार संरक्षण के ज्ञान का उपयोग कर वह फसल के समय सस्ते भोज्य पदार्थों; जैसे अनाज व दालें आदि को लम्बी अवधि तक सुरक्षित रख पाती है।
  4. वह सभी सदस्यों की रुचि एवं आवश्यकता के अनुसार आहार उपलब्ध करा पाती है।
  5. वह सहज ही लगभग सभी पौष्टिक तत्त्वों से युक्त आहार कम-से-कम मूल्य में तैयार करने में सफल रहती है।

मीनू बनाते समय ध्यान देने योग्य बातें–प्रश्न 5 का उत्तर देखें।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
सन्तुलित आहार तथा पर्याप्त आहार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘सन्तुलित आहार’ तथा ‘पर्याप्त आहार’ दो भिन्न-भिन्न धारणाएँ हैं। इनमें स्पष्ट अन्तर है। पर्याप्त आहार से आशय है आहार का मात्रा में पर्याप्त होना अर्थात् इतना आहार उपलब्ध होना, जिससे व्यक्ति का पेट भर जाए तथा भूख मिट जाए। यहाँ यह स्पष्ट कर देना अनिवार्य है कि ‘पर्याप्त आहार (UPBoardSolutions.com) अनिवार्य रूप से ‘सन्तुलित आहार नहीं होता। इससे भिन्न ‘सन्तुलित आहार’ की धारणा में इसके गुणात्मक पक्ष की प्रधानता होती है। सन्तुलित आहार मात्रा में पर्याप्त होने के साथ-साथ आहार सम्बन्धी सभी उद्देश्यों की पूर्ति करने वाला भी होता है; उसमें आहार के सभी पोषक तत्त्व उचित मात्रा एवं अनुपात में विद्यमान होते हैं।

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प्रश्न 2:
स्पष्ट कीजिए कि सन्तुलित आहार सापेक्ष होता है।
उत्तर:
आहार एवं पोषण विज्ञान की मान्यता है कि प्रत्येक व्यक्ति को ‘सन्तुलित आहार ग्रहण करना चाहिए। ‘सन्तुलित आहार’ की अवधारणा का विश्लेषण करने पर स्पष्ट होता है कि सन्तुलित आहार अपने आप में सापेक्ष होता है अर्थात् भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार का एवं भिन्न-भिन्न मात्रा का आहार सन्तुलित आहार होता है। भिन्न-भिन्न प्रकार एवं मात्रा वाला कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए भिन्न-भिन्न मात्रा एवं अनुपात में आहार ही सन्तुलित आहार कहलाती है। जो आहार एक बच्चे के लिए सन्तुलित होता है, वह एक युवक (UPBoardSolutions.com) के लिए सन्तुलित आहार नहीं कहला सकता। इसी प्रकार खेत अथवा कोयले की खान में दिन भर शारीरिक श्रम करने वाले श्रमिक तथा मेज-कुर्सी पर बैठकर पुस्तक लिखने वाले बुद्धिजीवी लेखक का सन्तुलित आहार एकसमान नहीं हो सकता। स्पष्ट है कि सन्तुलित आहार सापेक्ष होता है तथा इसका निर्धारण व्यक्ति के सन्दर्भ में विभिन्न कारकों को ध्यान में रखकर ही किया जाता है।

प्रश्न 3:
बहुप्रयोजन आहार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
शरीर को स्वस्थ, क्रियाशील, निरोग एवं चुस्त रखने के लिए पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। पौष्टिक आहार सभी प्रकार के पोषक तत्वों से युक्त होता है। इस प्रकार के आहार के लिए अनेक शोध कार्य किए गए, जिनके परिणामस्वरूप सभी प्रकार के पोषक तत्त्वों से युक्त तथा सस्ता आहार तैयार किया जा सका। इस आहार को बहुप्रयोजन आहार कहते हैं।
बहुप्रयोजन आहार बनाने की विधि-तिलहनों का तेल निकाल लेने के बाद बचा पदार्थ खली कहलाता है। इसमें अनेक पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। हमारे देश में बहुप्रयोजन आहार बनाने के लिए मुख्य रूप से सोयाबीन व मूंगफली की खली प्रयोग में लाई जाती है। इसमें चने का आटा तथा कुछ खनिज लवण व विटामिन मिलाए जाते हैं।
बहुप्रयोजन आहार का महत्त्व-यह बच्चों के लिए, गर्भवती तथा शिशु को दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी होता है। इसमें आहार के सामान्य रूप से अनिवार्य सभी तत्त्व समुचित मात्रा में पाए जाते हैं। बच्चों के लिए इसकी दैनिक आवश्यकता लगभग 30 ग्राम तथा बड़ों के लिए 60 ग्राम होती है।

प्रश्न 4:
आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं?
उत्तर:
आहार योजना बनाते समय परिवार की आय को ध्यान में रखा जाता है। इसके अन्तर्गत सभी पौष्टिक तत्त्वों से युक्त आहार कम-से-कम मूल्य में तैयार करने का प्रयास किया जाता है। सभी सदस्यों की रुचि एवं आवश्यकता के अनुसार गृहिणी दैनिक एवं साप्ताहिक मीनू बनाती है। आहार योजना बनाने के लिए गृहिणी को निम्नलिखित बातों की जानकारी होनी चाहिए

  1.  बाजार में उपलब्ध खाद्य पदार्थों का मूल्य।
  2. उत्तम भोज्यं सामग्री उचित मूल्य पर मिलने का स्थान।
  3.  महँगी भोज्य सामग्री के गुणों की पूरक सस्ती भोज्य सामग्री।
  4. भोज्य पदार्थों को पकाने की उचित विधि।
  5. आहार संरक्षण का ज्ञान जिससे कि भोज्य सामग्री को नष्ट होने से बचाया जा सके।

प्रश्न 5:
18 वर्ष केशाकाहारी लड़के अथवा लड़की के लिए रात्रि आहार की तालिका बनाइए।
उत्तर:
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प्रश्न 6:
प्रमुख भोज्य पदार्थों से हमें कितनी ऊर्जा मिलती है?
उत्तर:
प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा प्रमुख भोज्य पदार्थ हैं जो कि हमें ऊर्जा प्रदान करते हैं। इनकी एक ग्राम मात्रा शरीर में जाने के पश्चात् निम्न प्रकार से ऊर्जा उत्पन्न करती है

प्रोटीन                             4.1 कैलोरी
कार्बोहाइड्रेट                   4.1 कैलोरी
वसा                                9.0 कैलोरी

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प्रश्न 7:
आयु एवं कार्य के अनुसार कैलोरी सम्बन्धी आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आयु एवं कार्य के अनुसार कैलोरी की आवश्यकता
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 14 सन्तुलित आहार
कार्य के अनुसार कैलोरी की आवश्यकता
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 14 सन्तुलित आहार image - 1

प्रश्न 8:
बड़ों की अपेक्षा बच्चों को अधिक आहार की क्यों आवश्यकता होती है?
उत्तर:
बढ़ते हुए बच्चों को प्रति किलोभार के अनुसार सभी तत्त्वों की आवश्यकता होती है। 5 वर्ष की आयु के पश्चात् कैलोरी की आवश्यकता घट जाती है। अत: बच्चों को बड़ों की अपेक्षा अधिक कैलोरी वाला आहार देना आवश्यक है। इसका प्रमुख कारण उनके शरीर को होने वाला विकास है। (UPBoardSolutions.com) बाद में एक निश्चित समय के बाद शरीर की इस प्रकार की वृद्धि समाप्त हो जाती है। इसलिए बड़ों को केवल टूट-फूट व कार्य शक्ति प्राप्त करने के लिए आहार की आवश्यकता होती है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
सन्तुलित आहार से क्या आशय है?
उत्तर:
व्यक्ति की आहार सम्बन्धी समस्त आवश्यकताओं को पूरा करने वाला आहार सन्तुलित आहार कहलाता है।

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प्रश्न 2:
व्यक्ति के सन्दर्भ में सन्तुलित आहार के निर्धारक कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
व्यक्ति के सन्दर्भ में सन्तुलित आहार के निर्धारक कारक हैं—आयु, लिंग-भेद, शरीर का आकार, शारीरिक श्रम तथा जलवायु।।

प्रश्न 3:
क्या सभी व्यक्तियों के लिए सन्तुलित आहार बिल्कुल समान होता है ?
उत्तर:
सभी व्यक्तियों के लिए सन्तुलित आहार समान नहीं होता। यह सापेक्ष होता है। अर्थात् भिन्न-भिन्न श्रम एवं प्रकृति वाले व्यक्तियों का सन्तुलित आहार भिन्न-भिन्न होता है।

प्रश्न 4:
बाल्यावस्था में सन्तुलित आहर में किन पोषक तत्वों की प्राथमिकता दी जानी चाहिए?
उत्तर:
बाल्यावस्था में सन्तुलित आहर वृद्धिकारक तथा ऊर्जादायक तत्त्वों की प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

प्रश्न 5:
आहार से प्राप्त होने वाली ऊर्जा की इकाई क्या है?
उत्तर:
आहार से प्राप्त ऊर्जा की इकाई कैलोरी है।

प्रश्न 6:
सामान्य स्थिति में स्त्रियों को पुरुषों की अपेक्षा कम आहार की आवश्यकता होती है। क्यों?
उत्तर:
इसके प्रमुख कारण हैं

  1.  अपेक्षाकृत कम लम्बाई,
  2.  कम शारीरिक भार,
  3. हल्का कार्य।

प्रश्न 7:
एक सामान्य व्यक्ति के दैनिक आहार में कैल्सियम, फॉस्फोरस व लोहे की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
उत्तर:
एक सामान्य व्यक्ति के दैनिक आहार में कैल्सियम 2.02 ग्राम, फॉस्फोरस 1.47 ग्राम तथा लोहा 30 से 40 मिलीग्राम तक होना चाहिए।

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प्रश्न 8:
कुपोषण के कोई दो कारक बताइए।
उत्तर:
(1) कार्य की अधिकता,
(2) अनियमित आहार।

प्रश्न 9:
शाकाहारी व्यक्तियों के लिए प्रोटीन प्राप्ति के कोई तीन स्रोत बताइए।
उत्तर:
(1) दूध,
(2) दालें,
(3) सोयाबीन।

प्रश्न 10:
विटामिन ‘ए’ एवंडी’ के लिए सरलता से उपलब्ध होने वाला स्रोत कौन-सा है?
उत्तर:
दूध में विटामिन ‘ए’ व ‘डी’ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं।

प्रश्न 11:
हरी पत्तेदार सब्जियों की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
हरी पत्तेदार सब्जियाँ रोगों से बचाने में सहायता करती हैं।

प्रश्न 12:
प्रौढ़ावस्था में आहार ग्रहण करने का प्रमुख उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर:
प्रौढ़ावस्था में मुख्य रूप से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए तथा शरीर के रख-रखाव के लिए आहार ग्रहण किया जाता है।

प्रश्न 13:
एक वृद्ध व्यक्ति की अपेक्षा एक युवक के आहार में क्या अन्तर होना चाहिए?
उत्तर:
एक युवक को एक वृद्ध की अपेक्षा अधिक कैलोरी वाले आहार की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 14:
गर्मियों की अपेक्षा सर्दियों में अधिक आहार की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
सर्दियों में शरीर को उचित ताप पर बनाए रखने के लिए अधिक आहार की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 15:
हरी सब्जियाँ क्यों आहार का मुख्य अंग मानी जाती हैं?
उत्तर:
हरी सब्जियाँ रक्षात्मक खाद्य पदार्थों की श्रेणी में आती हैं; क्योंकि इनमें आवश्यक खनिज लवण एवं विटामिन पाए जाते हैं।

प्रश्न 16:
कॉफी के प्रयोग से क्या हानियाँ हैं?
उत्तर:
यह कार्बोज के पाचन में बाधा उत्पन्न करती है, हृदय की धड़कनें बढ़ाना, नींद में कमी तथा स्नायु-तन्त्र में विकार इनकी अन्य हानियाँ हैं।

प्रश्न 17:
अंकुरित मूंग में कौन-सा विटामिन पाया जाता है?
उत्तर:
अंकुरित मूंग में विटामिन ‘सी’ पाया जाता है।

प्रश्न 18:
प्रोटीन प्राप्त करने के लिए कुछ प्रमुख स्रोत बताइए।
उत्तर:
प्रोटीन, दूध, दही, मांस, मछली, अण्डा, दालें व सोयाबीन आदि से प्राप्त किया जा सकता

प्रश्न 19:
मक्खन में आहार का कौन-सा तत्त्व होता है?
उत्तर:
मक्खन में प्रमुखतः वसा, विटामिन ‘ए’ व ‘डी’ होते हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। सही उत्तर का चयन कीजिए

(1) भोज्य पदार्थों को परिवर्तन कर प्रयोग करने से आहार में
(क) पौष्टिक तत्त्वों की कमी हो जाती है,
(ख) रुचि उत्पन्न होती है,
(ग) कोई लाभ नहीं होता है,
(घ) व्यवस्था में कठिनाई होती है।

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(2) सन्तुलित आहार में उपयुक्त मात्रा में होते हैं
(क) विटामिन वे खनिज लवण,
(ख) प्रोटीन,
(ग) कार्बोज व वसा,
(घ) ये सभी।

(3) आहार की उपयोगिता अधिक निर्भर करती है उसके
(क) पौष्टिकता के गुण पर ,
(ख) स्वादिष्ट होने पर,
(ग) पचने पर,
(घ) इनमें से कोई नहीं।

(4) शाकाहारी स्त्री के आहार में मात्रा बढ़ा देनी चाहिए
(क) मांस की,
(ख) अण्डों की,
(ग) अनाज की,
(घ) दूध की।

(5) कुपोषण से बचने का उपाय है
(क) सन्तुलित आहार,
(ख) पर्याप्त आहार,
(ग) मांसाहारी आहार,
(घ) शाकाहारी आहार।

(6) 9-12 माह के शिशु को ऊर्जा चाहिए
(क) 1000 कैलोरी,
(ख) 1400 कैलोरी,
(ग) 1500 कैलोरी,
(घ) 1600 कैलोरी।.

(7) हल्का काम करने वाले व्यक्ति को कितनी कैलोरी की आवश्यकता है?
(क) 3000,
(ख) 2500,
(ग) 3500,
(घ) 2200।

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(8) किसी भी भोज्य पदार्थ से प्राप्त ऊर्जा को नापने की इकाई है
(क) ग्राम,
(ख) औंस,
(ग) डिग्री,
(घ) कैलोरी।

(9) विटामिन ‘डी’ की प्राप्ति का स्रोत है
(क) फल एवं सब्जियाँ,
(ख) हवा एवं पानी,
(ग) सूर्य का प्रकाश,
(घ) ये सभी।

(10) दूध में प्रोटीन किस रूप में होती है?
(क) केसिन,
(ख) ब्लूटिन,
(ग) मायोसिन,
(घ) एल्ब्यूमिन।

(11) शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स का प्रमुख कार्य है
(क) विटामिन को निर्माण,
(ख) जीवद्रव्य का संगठन,
(ग) ऊर्जा का उत्पादन,
(घ) इनमें से कोई नहीं।

(12) दालों में सबसे अधिक मिलता है
(क) खनिज लवण,
(ख) प्रोटीन,
(ग) ग्लूकोस,
(घ) इनमें से कोई नहीं।.

(13) सलाद में पाया जाता है
(क) कार्बोहाइड्रेट्स,
(ख) खनिज लवण,
(ग) वसा,
(घ) प्रोटीन।

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(14) श्रमिक के आहार में अधिक मात्रा होनी चाहिए
(क) फल एवं सब्जियों की,
(ख) दूध एवं दूध से बने भोज्य पदार्थों की,
(ग) ऊर्जादायक भोज्य पदार्थों की,
(घ) मादक पदार्थों की।

उत्तर:
(1) (ख) रुचि उत्पन्न होती है,
(2) (घ) ये सभी,
(3) (ग) पचने पर,
(4) (घ) दूध की,
(5) (क) सन्तुलित आहार,
(6) (क) 1000 कैलोरी,
(7) (ख) 2500,
(8) (घ) कैलोरी,
(9) (ग) सूर्य का प्रकाश,
(10) (क) केसिन,
(11) (ग) ऊर्जा का उत्पादन,
(12) (ख) प्रोटीन,
(13) (ख) खनिज लवण,
(14) (ग) ऊर्जादायक भोज्य पदार्थों की।

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UP Board Solutions for Class 9 Home Science प्रैक्टिस सेटस

UP Board Solutions for Class 9 Home Science प्रैक्टिस सेटस

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science प्रैक्टिस सेटस.

प्रोजेक्ट-1

समस्या कथन:
गृह विज्ञान में समावेश होने वाले विषयों की सूची बनाइए।

प्रस्तावना:
गृह विज्ञान वास्तव में कोई स्वतन्त्र विषय नहीं है, वरन् यह विभिन्न सामाजिक एवं वैज्ञानिक विषयों के ऐसे अंशों का समन्वित रूप है, जिनका ज्ञान घर एवं सामाजिक परिवेश के सामान्य क्रियाकलापों में भाग लेने एवं गृहस्थ-जीवन की दैनिक समस्याओं को हल करने हेतु आवश्यक है। इस प्रकार यह स्पष्ट है। कि गृह विज्ञान का अध्ययन क्षेत्र पर्याप्त विस्तृत है।

उद्देश्य, लक्ष्य एवं कार्य-प्रणाली:
प्रस्तुत परियोजना कार्य का उद्देश्य गृह विज्ञान के अन्तर्गत आने वाले अन्य विषयों को सूचीबद्ध करना है। इसका मुख्य लक्ष्य गृह विज्ञान विषय की विभिन्नताओं को एकरूप में दृष्टिगत (UPBoardSolutions.com) करते हुए संक्षेप में अध्ययन करना है। परियोजना कार्य के उद्देश्य एवं लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु आगमन विधि (Induction Method) का प्रयोग किया गया है।

गृह विज्ञान का अध्ययन क्षेत्र
UP Board Solutions for Class 9 Home Science प्रैक्टिस सेटस
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प्रोजेक्ट सम्बन्धी मौखिक प्रश्न

प्रश्न 1:
गृह विज्ञान किस प्रकार का अध्ययन है?
उत्तर:
गृह विज्ञान वह व्यवस्थित अध्ययन है जिसके अन्तर्गत उन सभी विषयों का अध्ययन किया जाता है जो सुखी एवं आदर्श परिवार के निर्माण में सहायक होते हैं।

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प्रश्न 2:
गृह विज्ञान की प्रकृति क्या है?
उत्तर:
गृह विज्ञान न तो शुद्ध विज्ञान है और न ही शुद्ध कला। यह विज्ञान भी है तथा कला भी।

प्रोजेक्ट-2

विषय:
स्वास्थ्य कार्यों में विभिन्न समाज-सेवी संस्थाओं की भूमिका।

परिचय:
जन-स्वास्थ्य को उन्नत बनाना एक अति आवश्यक कार्य है। इसका मुख्य दायित्व राज्य एवं स्थानीय संस्थाओं का है परन्तु विभिन्न समाज-सेवी संस्थाएँ भी इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हमारे देश में विभिन्न प्रकार की समाज-सेवी संस्थाएँ सक्रिय हैं जिनमें से कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ हैं। तथा कुछ राष्ट्रीय। विभिन्न क्लब; जैसे-लायन्स क्लब, रोटरी क्लब, रेडक्रॉस सोसाइटी आदि स्वास्थ्य कार्यों में विशेष योगदान देते हैं। इनके अतिरिक्त विभिन्न धार्मिक एवं जातीय संगठन; जैसे-जैन मिलन, वैश्य समाज, ब्राह्मण सभा, शिरोमणि एकेडमी, पंजाबी संगठन आदि। इनके अतिरिक्त अनेक चैरिटेबल ट्रस्ट भी स्वास्थ्य कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

समाज-सेवी संस्थाओं द्वारा किये जाने वाले स्वास्थ्य कार्य

(1) स्वास्थ्य जाँच कार्य:
प्रायः सभी समाज-सेवी संस्थाएँ समय-समय पर आम नागरिकों के स्वास्थ्य के विभिन्न पक्षों की जाँच का कार्य करती हैं। इसके लिए कैम्प या शिविर आयोजित किये जाते हैं। ये शिविर–मधुमेह जाँच, रक्त चाप जाँच, नेत्र-रोग जाँच, दंत-जाँच, हड्डी-जाँच आदि के रूप में आयोजित होते हैं।

(2) टीकाकरण:
विभिन्न समाज-सेवी संस्थाएँ जन-स्वास्थ्य के लिए सामान्य नियमित टीकाकरण तथा किसी संक्रामक रोग के फैलने पर आकस्मिक टीकाकरण का आयोजन करती हैं।

(3) डिस्पेन्सरी स्थापित करना:
अनेक समाज-सेवी संस्थाएँ जन-स्वास्थ्य के लिए तथा रोगियों के उपचार के लिए डिस्पेन्सरी या औषधालय स्थापित करती हैं, जहाँ रोगियों का नि:शुल्क अथवा बहुत कम शुल्क पर अच्छा उपचार किया जाता है।

(4) स्वास्थ्य-नियमों की जानकारी प्रदान करना:
प्रायः सभी समाज-सेवी संस्थाएँ ग्रामीण-क्षेत्रों में तथा मलीन बस्तियों में व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य-नियमों की जानकारी प्रदान करने का कार्य करती हैं। इनमें नशाखोरी उन्मूलन, सन्तुलित आहार तथा हर प्रकार की सफाई पर अधिक बल दिया जाता है।

(5) पौष्टिक-आहार वितरण:
बहुत-सी समाज-सेवी संस्थाएँ जन-स्वास्थ्य के स्तर को उन्नत बनाने के लिए ग्रामीण एवं मलीन बस्तियों के क्षेत्र में पौष्टिक आहार के वितरण का कार्य भी करती हैं। इस (UPBoardSolutions.com) कार्य के अन्तर्गत गर्भवती एवं धात्री महिलाओं तथा शिशुओं के लिए पौष्टिक-आहार की व्यवस्था पर अधिक बल दिया जाता है।

(6) रोगों से बचाव सम्बन्धी जानकारी:
बहुत से रोग केवल अज्ञानता के कारण फैलते हैं। अतः समाज-सेवी संस्थाएँ जन-साधारण को रोगों से बचाव सम्बन्धी जानकारी प्रदान करने का कार्य भी करती हैं। इस प्रकार के मुख्य रोग हैं-संक्रामक रोग तथा अभाव जनित रोग।

(7) पर्यावरण-संरक्षण सम्बन्धी जानकारी:
जन-स्वास्थ्य के स्तर को उन्नत बनाने के लिए पर्यावरण-संरक्षण भी अति आवश्यक है। अत: समाज-सेवी संस्थाएँ जन-साधारण को पर्यावरण-संरक्षण सम्बन्धी उपयोगी एवं व्यावहारिक जानकारी प्रदान करने का भी कार्य करती हैं।

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प्रोजेक्ट सम्बन्धी मौखिक प्रश्न

प्रश्न 1:
किन्हीं दो अन्तर्राष्ट्रीय समाज-सेवी संस्थाओं के नाम बताइए।
उत्तर:
लायन्स क्लब तथा रोटरी इण्टरनेशनल दो मुख्य अन्तर्राष्ट्रीय समाज-सेवी संस्थाएँ हैं।

प्रश्न 2:
क्या समाज-सेवी संस्थाएँ निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं?
उत्तर:
हाँसमाज-सेवी संस्थाएँ नि:शुल्क अथवा अतिन्यून शुल्क लेकर उत्तम स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं।

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प्रश्न 3:
समाज-सेवी संस्थाओं की स्वास्थ्य-कार्यों में प्रमुख भूमिका या योगदान क्या है?
उत्तर:
समाज-सेवी संस्थाएँ जन-साधारण में जन-स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरूकता विकसित करने का कार्य करती हैं।

प्रोजेक्ट-3

विषय:
वायु-प्रदूषण-कारण, प्रभाव तथा रोकथाम।

प्रस्तावना:
वायु में अशुद्धियों एवं हानिकारक तत्त्वों का व्याप्त हो जाना वायु प्रदूषण कहलाता है। वायु-प्रदूषण की स्थिति के लिए विभिन्न कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। हर प्रकार के वायु-प्रदूषण को जन-जीवन पर कुछ न कुछ प्रतिकूल प्रभाव अवश्य पड़ता है। वर्तमान औद्योगिक एवं नगरीय (UPBoardSolutions.com) परिस्थितियों में वायु प्रदूषण को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता, परन्तु इसकी रोकथाम एवं नियन्त्रण के उपाय अवश्य किये जा सकते हैं।

उद्देश्य, लक्ष्य एवं कार्य-प्रणाली:
प्रस्तुत परियोजना कार्य का उद्देश्य वायु प्रदूषण के कारणों, प्रभावों एवं रोकथाम के उपायों का अध्ययन करना है। इसका मुख्य लक्ष्य प्रदूषण की रोकथाम में व्यक्तिगत भूमिका का आकलन करना है, क्योंकि वायु प्रदूषण का मुख्य कारण मानवीय गतिविधियाँ ही हैं, इसलिए इसका संरक्षण करना एवं प्रदूषित होने से बचाने की जिम्मेदारी भी मानव मात्र की ही है। परियोजना कार्य के उद्देश्य एवं लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु वर्णनात्मक विधि (Descriptive Method) का प्रयोग किया गया है।

वायु-प्रदूषण-कारण, प्रभाव तथा रोकथाम
UP Board Solutions for Class 9 Home Science प्रैक्टिस सेटस
UP Board Solutions for Class 9 Home Science प्रैक्टिस सेटस 1a

प्रोजेक्ट सम्बन्धी मौखिक प्रश्न

प्रश्न 1:
वायु-प्रदूषण से क्या आशय है?
उत्तर:
वायु में हानिकारक तत्त्वों का व्याप्त हो जाना वायु प्रदूषण कहलाता है।

प्रश्न 2:
कारखानों की चिमनी से निकलने वाला धुआँ किस प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि करता है?
उत्तर:
कारखानों की चिमनी से निकलने वाले धुएँ से वायु-प्रदूषण में वृद्धि होती है।

प्रश्न 3:
वस्तुओं के जलने से कौन-सी गैस बनती है?
उत्तर:
वस्तुओं के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनती है।

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प्रश्न 4:
वायु-प्रदूषण को नियन्त्रित करने का मुख्य उपाय क्या है?
उत्तर:
वायु-प्रदूषण को नियन्त्रित करने का मुख्य उपाय है – अधिक से अधिक पेड़ लगाना।

प्रोजेक्ट-4

समस्या कथन:
किशोरावस्था (13 से 18 वर्ष) के लिए एक दिन का सन्तुलित आहार का चार्ट तैयार करना।

प्रस्तावना:
किशोरावस्था में तीव्र शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। इस अवस्था में पर्याप्त मात्रा में सन्तुलित आहार ग्रहण करना आवश्यक होता है। इस अवस्था में लड़के-लड़की के आहार में भी कुछ अन्तर हो जाता है। किशोरावस्था में आहार में मिर्च-मसालों को अधिक प्रयोग नहीं होना (UPBoardSolutions.com) चाहिए तथा खाद्य-सामग्री को अधिक तलना-भूनना भी नहीं चाहिए। इस अवस्था में फास्ट फूड से बचना चाहिए तथा स्वास्थ्यवर्द्धक मध्ये आहार ग्रहण करना चाहिए।

उद्देश्य, लक्ष्य एवं कार्य-प्रणाली:
प्रस्तुत परियोजना कार्य का मुख्य उद्देश्य किशोरावस्था के लिए सन्तुलित आहार का अध्ययन करना है। इसका मुख्य लक्ष्य यह ज्ञात करना है कि किशोरावस्था में सन्तुलित आहार के अन्तर्गत कौन-कौन से भोज्य पदार्थ आते हैं एवं उनका उपयोग समयानुसार कैसे किया जाए। परियोजना कार्य के उद्देश्य एवं लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सारणी के माध्यम से सन्तुलित आहार का अध्ययन करना है।
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प्रैक्टिस सेट-1

निर्देश:
प्रश्न संख्या 1 और 2 बहुविकल्पीय हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों में प्रत्येक के चार-चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। उनमें से सही विकल्प चुनकर उन्हें क्रमवार अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए।

1. (क) गृह विज्ञान है 
(i) शुद्ध विज्ञान
(ii) शुद्ध कला
(iii) विज्ञान एवं कला दोनों
(iv) इनमें से कोई नहीं

(ख) गृह-व्यवस्था का वास्तविक उद्देश्य है 
(i) कार्यों को कुशलतापूर्वक करना
(ii) भविष्य के लिए बचत करना
(iii) भोजन एवं पोषण का ध्यान रखना
(iv) परिवार के सदस्यों को सुखी एवं सन्तुष्ट रखना।

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(ग) बिना पूर्व सूचना के कुछ मेहमान आ जाने पर किए जाने वाले अतिरिक्त कार्यों को कहा जाता है 
(i) अनावश्यक कार्य
(ii) थकाने वाली कार्य
(iii) आकस्मिक कार्य
(iv) वार्षिक कार्य

(घ) किसी परिवार द्वारा अपनी आय-व्यय तथा धन-सम्पत्ति के लिए की जाने वाली व्यवस्था को कहते हैं 
(i) अनिवार्य व्यवस्था
(ii) पारिवारिक व्यवस्था
(iii) गृह-अर्थव्यवस्था
(iv) अनावश्यक व्यवस्था

2. (क) दैनिक कार्यों से हुई थकान को दूर करने के लिए 
(i) कार्य करना चाहिए
(ii) विश्राम करना चाहिए।
(iii) व्यायाम करना चाहिए।
(iv) भोजन करना चाहिए।

(ख) बच्चों को क्षय रोग से बचाने के लिए टीका लगाया जाता है 
(i) ट्रिपिल एण्टीजन का
(ii) बी०सी०जी० का
(iii) टिटेनस का
(iv) इन सभी को

(ग) पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि करने वाले कारक हैं 1
(i) औद्योगीकरण
(ii) नगरीकरण
(iii) यातायात के शक्ति-चालित साधन
(iv) ये सभी

(घ) प्रकृति में ऑक्सीजन को सन्तुलन बनाए रखते हैं 
(i) मनुष्य
(ii) कीट-पतंगे
(iii) वन्य जीव-जन्तु
(iv) पेड़-पौधे

निर्देश:
प्रश्न संख्या 3 एवं 4 अतिलघु उत्तरीय हैं। प्रत्येक खण्ड का उत्तर अधिकतम 25 शब्दों में लिखिए।

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3. (क) गृह विज्ञान की एक व्यवस्थित परिभाषा लिखिए। 
(ख) किस गृहिणी को कुशल गृहिणी कहेंगे?
(ग) गृह-कार्य व्यवस्था के प्रमुख उद्देश्य बताइए।
(घ) जीवनरक्षक आवश्यकता से आप क्या समझते हैं?
(ङ) चाय का प्रयोग क्यों हानिकारक है?

4. (क) चलती-फिरती डिस्पेन्सरी का क्या महत्त्व है? 
(ख) पर्यावरण से क्या आशय है?
(ग) संवातनं क्या है?
(घ) कुकुर खाँसी के लक्षण लिखिए।
(ङ) शुद्ध रेशम की क्या पहचान है?

निर्देश:
प्रश्न संख्या 5 से 7 तक लघु उत्तरीय हैं। प्रत्येक खण्ड का उत्तर लगभग 50 शब्दों में लिखिए।

5. (क) स्पष्ट कीजिए कि गृह विज्ञान परिवार के सभी सदस्यों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
अथवा
गृह-व्यवस्था को मनुष्य के जीवन में क्या महत्त्व है?

(ख) टिप्पणी लिखिए–गृह-कार्य व्यवस्था में सहायक उपकरण।
अथवा
परिवार के सदस्यों की अभिरुचि का गृह-कार्य व्यवस्था से क्या सम्बन्ध है? स्पष्ट कीजिए।

6. (क) आवश्यकताएँ कितने प्रकार की होती हैं?
अथवा
शारीरिक एवं मानसिक थकान को दूर करने के उपाय बताइए।

(ख) रेडक्रॉस सोसाइटी का क्या महत्त्व है?
अथवा
रेडियोधर्मी प्रदूषण परे संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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7. (क) वायु के कौन-कौन से चार प्रमुख कार्य हैं?
अथवा
अशुद्ध एवं विषैली वायु से हमें क्या-क्या हानियाँ हैं?

(ख) कपड़ा बनाने के लिए किन स्रोतों से तन्तु प्राप्त किए जाते हैं?
अथवा
स्पष्ट कीजिए कि उचित वेशभूषा से व्यक्तित्व में निखार आता है।

निर्देश:
प्रश्न संख्या 8 से 10 तक दीर्घ उत्तरीय हैं। प्रश्न संख्या 8 व 9 में विकल्प दिए गए हैं। प्रत्येक प्रश्न के एक ही विकल्प का उत्तर लिखना है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 100 शब्दों के अन्तर्गत लिखिए।

8. ‘गृह विज्ञान’ से आप क्या समझती हैं? गृह विज्ञान के तत्त्वों का भी उल्लेख कीजिए।
अथवा
गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले गृह-सम्बन्धी कारकों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।

9. गृह की सुव्यवस्था के लिए गृहिणी में किन गुणों का होना आवश्यक है? लिखिए।
अथवा
परिवार की मूलभूत आवश्यताओं पर प्रभाव डालने वाले कारक कौन-कौन से हैं? विस्तारपूर्वक समझाइए।

10.स्वास्थ्य से आप क्या समझती हैं? स्वास्थ्य के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लक्षणों का वर्णन कीजिए।

प्रैक्टिस सेट-2

निर्देश:
प्रश्न संख्या 1 और 2 बहुविकल्पीय हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों में प्रत्येक के चार-चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। उनमें से सही विकल्प चुनकर उन्हें क्रमवार अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए।

1. (क) ग्रसनी के बाद भोजन कहाँ जाता है?
(i) आमाशय में
(ii) क्षुद्रान्त्र में
(iii) गृहणी में
(iv) बड़ी आँत में

(ख) विटामिन ‘सी’ की कमी से कौन-सा रोग होता है?
(i) जुकाम
(ii) स्कर्वी
(iii) रिकेट्स
(iv) बेरी-बेरी

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(ग) कुपोषण से बचने का उपाय है
(i) सन्तुलित आहार
(ii) पर्याप्त आहार
(iii) मांसाहारी आहार
(iv) शाकाहारी आहार

(घ) दुर्घटनास्थल पर दी जाने वाली: तुरन्त सहायता को कहते हैं
(i) औपचारिक चिकित्सा
(ii) अनावश्यक चिकित्सा
(iii) प्राथमिक चिकित्सा
(iv) कृत्रिम चिकित्सा

2. (क) सामान्य दुर्घटनाएँ घटित होती हैं
(i) दैवी कृपा से
(ii) भाग्यवश
(iii) लापरवाही तथा अज्ञानतावश
(iv) अज्ञात कारणों से

(ख) घरेलू देशज औषधियों के प्रयोग को उपयोगी माना जाता है
(i) आकस्मिक रोगों या दुर्घटनाओं के तुरन्त उपचार के लिए
(ii) इनके प्रयोग से धन एवं समय की बचत होती है।
(iii) दुर्घटना घटित होने पर गृहिणी का मनोबल बना रहता है।
(iv) उपर्युक्त सभी उपयोग एवं लाभ

(ग) हँसली की हड्डी टूट जाने पर बाँधी जाती है
(i) बड़ी झोली
(ii) सेन्ट जॉन झोली
(iii) कॉलर-कफ झोली
(iv) सँकरी झोली।

(घ) परिचारिका को नहीं होना चाहिए
(i) स्वस्थ
(ii) हँसमुख
(iii) दूरदर्शी
(iv) चिड़चिड़ा

निर्देश:
प्रश्न संख्या 3 एवं 4 अतिलघु उत्तरीय हैं। प्रत्येक खण्ड का उत्तर अधिकतम 25 शब्दों में लिखिए।

3. (क) पाचन तन्त्र से क्या आशय है?
(ख) सोयाबीन स्वास्थ्य के लिए क्यों उपयोगी है?
(ग) कॉफी के प्रयोग से क्या हानियाँ हैं?
(घ) कृत्रिम श्वसन कब दिया जाता है?
(ङ) साँप के काटने पर बन्ध क्यों लगाया जाता है?

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4. (क) घरेलु देशज औषधियों से क्या आशय है?
(ख) रीफ गाँठ बाँधने से क्या लाभ हैं?
(ग) गृह-परिचारिका किसे कहते हैं?
(घ) आपके विचार से रोगी का कमरा कैसा होना चाहिए?
(ङ) रोगी के लिए बिस्तर का क्या महत्त्व है?

निर्देश:
प्रश्न संख्या 5 से 7 तक लघु उत्तरीय हैं। प्रत्येक खण्ड का उत्तर लगभग 50 शब्दों में लिखिए।

5. (क) जीभ में पायी जाने वाली स्वाद ग्रन्थियाँ कितने प्रकार की होती हैं और उनके क्या कार्य हैं?
अथवा
हरी सब्जियों को खाने के चार लाभ बताइए।

(ख) बहुप्रयोजन आहार से क्या तात्पर्य है?
अथवा
प्राथमिक चिकित्सा की दो विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

6. (क) नाक के रक्तस्राव को रोकने के लिए आप क्या उपाय करेंगी?
अथवा
दो घरेलू दवाइयों के नाम एवं उपयोग बताइए।

(ख) हैजा रोग का उपचार आप किस प्रकार करेंगी?
अथवा
पट्टियाँ बाँधने के सामान्य नियम कौन-से हैं?

7. (क) गृह-परिचारिका का रोगी के लिए क्या महत्त्व है?
अथवा
रोगी के कमरे में प्रकाश-व्यवस्था कैसी होनी चाहिए?

(ख) शय्या घाव के बचाव एवं उपचार के उपायों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
रोगी के बिस्तर की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

निर्देश:
प्रश्न संख्या 8 से 10 तक दीर्घ उत्तरीय हैं। प्रश्न संख्या 8 व 9 में विकल्प दिए गए हैं। प्रत्येक प्रश्न के एक ही विकल्प को उत्तर लिखना है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 100 शब्दों के अन्तर्गत लिखिए।

8. हमारे लिए खनिज-लवण व उनके प्राप्ति स्रोत कौन-कौन से हैं? शरीर में इनकी कमी से क्या हानि होती है?
अथवा
कुपोषण से आप क्या समझती हैं? इससे बचाव के उपाय बताइए।

9. प्राथमिक चिकित्सा का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा उसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
जलने व झुलसने में क्या अन्तर है? जलने के विभिन्न प्रकार एवं उनके उपचार बताइए

10. विष कितने प्रकार के होते हैं? विषपान किए व्यक्ति का सामान्य उपचार आप किस प्रकार करेंगी?

प्रैक्टिस सेट-3

निर्देश:
प्रश्न संख्या 1 और 2 बहुविकल्पीय हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों में प्रत्येक के चार-चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। उनमें से सही विकल्प चुनकर उन्हें क्रमवार अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए।

1. (क) एक कुशल गृहिणी के लिए आवश्यक है
(i) पाक विज्ञान का उचित ज्ञान
(ii) बच्चों के पालन-पोषण का ज्ञान
(iii) समस्त गृह-कार्यों का ज्ञान
(iv) प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान

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(ख) उत्तम कार्य-व्यवस्था के लिए गृहिणी को मिलना चाहिए
(i) पुरस्कार
(ii) प्रोत्साहन
(iii) धन
(iv) कुछ नहीं

(ग) सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर का तापक्रम होता है
(i) 97°F
(ii) 96°F
(iii) 98.4°F
(iv) 90°F

(घ) औद्योगीकरण तथा नगरीकरण ने बढ़ावा दिया है
(i) पर्यावरण की स्वच्छता को
(ii) पर्यावरण-प्रदूषण को
(iii) पर्यावरण के रख-रखाव को
(iv) इनमें से कोई नहीं

2. (क) क्षय रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु का नाम है
(i) कोरीनीबैक्टीरियम
(ii) माइक्रो बैसिलस ट्यूबरकुलोसिस
(iii) बोडैटेला
(iv) स्ट्रैप्टोकोकस

(ख) भारतवर्ष में प्रायः सूती वस्त्र अधिक पहने जाते हैं, क्योंकि ये
(i) बहुमूल्य होते हैं।
(ii) सहज ही उपलब्ध हैं।
(iii) वातावरण के अनुरूप हैं।
(iv) ऊष्मा के कुचालक हैं।

(ग) ड्रॉ-शीट होती है
(i) एक छोटी सूती चादर
(ii) मोमजामे का टुकड़ा
(iii) रैक्सीन का टुकड़ा
(iv) एक छोटा कम्बल

(घ) सेन्ट जॉन झोली का काम करता है
(i) एक हाथ के सिरे को दूसरे हाथ के सिरे पर रखना
(ii) एक हाथ को सहारा देना।
(iii) दोनों हाथों को सहारा देना
(iv) उपर्युक्त सभी

निर्देश:
प्रश्न संख्या 3 एवं 4 अतिलघु उत्तरीय हैं। प्रत्येक खण्ड का उत्तर अधिकतम 25 शब्दों में लिखिए।

3. (क) गृह-कार्य व्यवस्था के लक्ष्यों का उल्लेख कीजिए।
(ख) सिगरेट या शराब पीना कैसी आदत है?
(ग) फर्श पर थूकना क्यों हानिकारक है?
(घ) ध्वनि या शोर की इकाई क्या है?
(ङ) वायु अपने आप में क्या है?

4. (क) शुद्ध रेशम की क्या पहचान है?
(ख) यकृत के कोई दो महत्त्वपूर्ण कार्य बताइए। 1+1
(ग) स्कर्वी रोग किस विटामिन की कमी से होता है?
(घ) धमनी एवं शिरा में क्या अन्तर है? समझाइए। 2
(ङ) गृह-परिचारिका का चिकित्सक के प्रति क्या कर्तव्य है? 2

निर्देश:
प्रश्न संख्या 5 से 7 तक लघु उत्तरीय हैं। प्रत्येक खण्ड का उत्तर लगभग 50 शब्दों में लिखिए।

5. (क) गृह-व्यवस्था का मनुष्य के जीवन में क्या महत्त्व है?
अथवा
आरामदायक तथा विलासात्मक आवश्यकताओं में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

(ख) नाक की सफाई का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
अथवा
विश्व स्वास्थ्य संगठन क्या है?

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6. (क) जंगलों का जनजीवन में क्या महत्त्व है?
अथवा
वर्षा ऋतु की नमी से हमें क्या हानियाँ हैं?

(ख) उद्भवन अथवा सम्प्राप्ति काल से क्या तात्पर्य है?
अथवा
सूती वस्त्रों की क्या विशेषताएँ हैं?

7. (क) रात्रि-भोज के अवसर पर पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए।
अथवा
टिप्पणी लिखिए-प्लीहा या तिल्ली।

(ख) सब्जियों को रक्षात्मक पदार्थ क्यों कहा जाता है?
अथवा
जबड़े की पट्टी किस प्रकार बाँधी जाती है?

निर्देश:
प्रश्न संख्या 8 से 10 तक दीर्घ उत्तरीय हैं। प्रश्न संख्या 8 व 9 में विकल्प दिए गए हैं। प्रत्येक प्रश्न के एक ही विकल्प का उत्तर लिखना है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 100 शब्दों के अन्तर्गत लिखिए।

9. रोगी का बिस्तर कितने प्रकार का हो सकता है? बिस्तर लगाने की विधि का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए
अथवा
मरहम-पट्टी (ट्रेसिंग) से क्या अभिप्राय है? प्राथमिक चिकित्सा में पट्टियाँ बाँधने के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

9. प्राथमिक चिकित्सक में होने वाले आवश्यक गुणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
दूध को सम्पूर्ण आहार क्यों माना जाता है? इसके प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।

10. आमाशय की रचना का वर्णन कीजिए। आमाशय में भोजन का पाचन किस प्रकार होता है? समझाइए।

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UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals (चतुर्भुज)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals (चतुर्भुज).

प्रश्नावली 8.1

प्रश्न 1.
एक चतुर्भुज के कोण 3 : 5 : 9 : 13 के अनुपात में हैं। इस चतुर्भुज के सभी कोण ज्ञात कीजिए।
हल :
चतुर्भुज के कोणों का अनुपात 3 : 5 : 9 : 13 है।
अतः माना कि चतुर्भुज के कोण क्रमशः 3x, 6x, 9x और 13x हैं।
चतुर्भुज के (अन्तः) कोणों का योग = 360°
3x + 5x + 9x + 13x = 360°
⇒ 30x = 360°
⇒ x = 12°
पहला कोण = 3x = 3 x 12 = 36°
दूसरा कोण = 5x = 5 x 12 = 60°
तीसरा कोण = 9x = 9 x 12 = 108°
तथा चौथा कोण = 13x = 13 x 12 = 156°
अतः चतुर्भुज के कोण क्रमशः 36°, 60°, 108° व 156° हैं।

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प्रश्न 2.
यदि एक समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों तो दर्शाइए कि वह एक आयत है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-1
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। जिसमें विकर्ण AC = BD है। विकर्णो का प्रतिच्छेद बिन्दु O है।
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक आयत है।
उपपत्ति : समान्तर चतुर्भुज ABCD के बिकर्ण AC और BD हैं जो O पर प्रतिच्छेद करते हैं।
तथा AC = BD
AO + OC = BO + OD (चित्र से) …(1)
AC और BD समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण हैं और बिन्दु O पर काटते हैं।
AO = OC और BO = OD ……(2)
तब समीकरण (1) व (2) से,
AO + AO = BO + BO
⇒ AO = BO
AO = BO = CO = OD
तब ∆OAD में,
AO = OD
⇒ ∠ADO = ∠DAO (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
∠AOB, ∆OAD का बहिष्कोण है।
∠AOB = ∠DAO + ∠ADO
⇒ ∠AOB = DAO + ∠DAO (∠ADO = ∠DAO)
⇒ ∠AOB = 2 ∠DAO …(3)
और ∆OAB में भी, AO = OB ⇒ ∠ABO = ∠BAO (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
∠AOD, ∆OAB का बहिष्कोण है,
∠AOD = ∠BAO + ∠ABO
∠AOD = ∠ BAO + ∠BAO (∠ABO = ∠BAO)
∠AOD = 2 ∠BAO …(4)
समीकरण (3) व (4) को जोड़ने पर,
∠AOB + ∠AOD = 2 ∠DAO + 2 ∠BAO
⇒ ∠BOD = 2 (∠DAO + ∠BAO) = 2 ∠BAD (चित्र से)
2 ∠BAD = 180° (क्योंकि BOD एक ऋजु रेखा है।)
∠BAD = 90°
चतुर्भुज ABCD में ∠A = 90°
चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है
तथा ∠A + ∠D = 180° (अन्त:कोणों का योग)
∠D = ∠A = ∠D = 90° (∠A = 90°)
तब ∠B और ∠C में से भी प्रत्येक 90° होगा।
समान्तर चतुर्भुज ABCD में, AB = CD और BC = DA
और ∠A = ∠B = ∠C = ∠D = 90°
अतः समान्तर चतुर्भुज ABCD एक आयत है।
Proved.

प्रश्न 3.
दर्शाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करें, तो वह एक समचतुर्भुज होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-2
हल :
ज्ञात है : एक चतुर्भुज ABCD जिसके विकर्ण AC और BD एक-दूसरे को बिन्दु D 0 पर परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
अर्थात् ∠AOD = ∠COD = 90°
तथा OA = OC तथा OB = OD
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।
उपपत्ति: ∆AOD
तथा ∆COB में, OA = OC (दिया है।)
∠AOD = ∠ COB (शीर्षाभिमुख कोण हैं।)
OD = OB (दिया है।)
∆AOD = ∆COB (S.A.S. से)
∠OAD = ∠OCB (C.P.C.T.)
परन्तु ∠OAD = ∠CAD
तथा ∠OCB = ∠ACB
∠CAD = ∠ACB
इससे प्रदर्शित होता है कि AD और BC को तिर्यक रेखा AC द्वारा काटने पर बने एकान्तर अन्त: कोण CAD तथा ACB बराबर हैं जो केवल तभी सम्भव है जबकि AD एवं BC एक-दूसरे के समान्तर हों।
AD एवं BC एक-दूसरे के समान्तर हैं। …(1)
इसी प्रकार सिद्ध किया जा सकता है कि AB एवं DC एक-दूसरे के समान्तर हैं।
इस प्रकार सिद्ध हुआ कि ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
अब हम दिखाएँगे कि AB = BC = CD = DA
∆AOD तथा ∆COD में,
OA = OC (दिया है।)
∠AOD = ∠COD = 90° (दिया है।)
OD = OD (उभयनिष्ठ है।)
∆AOD = ∆COD (S.A.S. से)
AD = CD (C.P.C.T.)
इससे प्रदर्शित होता है कि ABCD एक ऐसा समान्तर चतुर्भुज है जिसकी क्रमागत भुजाओं का एक युग्म AD, CD बराबर है।
अतः समान्तर चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।
Proved.

प्रश्न 4.
दर्शाइए कि एक वर्ग के विकर्ण बराबर होते हैं और परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-3
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है जिसके विकर्ण AC और BD परस्पर बिन्दु O पर काटते हैं। सिद्ध करना है:
AC = BD और ∠AOB एक समकोण या 90° उपपत्ति: चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
AB = BC = CD = DA
∠A = ∠B= ∠C = ∠D = 90°
तब ∆ABC और ∆BCD समकोण त्रिभुज हैं।
अब ∆ABC और ∆DCB में,
AB = DC (वर्ग की भुजाएँ हैं।)
∠B= ∠C (प्रत्येक 90°)
BC = BC (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆ABC = ∆DCB (S.A.S. से)
AC = BD (C.P.C.T.)
चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
AB = BC = CD = DA
AB = CD और BC = DA
चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज भी है।
इसके विकर्ण AC तथा BD परस्पर (बिन्दु O पर) समद्विभाजित करेंगे।
AO = BO = CO = DO
अब ∆AOB और ∆COB में,
AO = CO (ऊपर सिद्ध किया है।)
AB = CB (वर्ग की भुजाएँ हैं।)
BO = BO (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆AOB = ∆COB (S.S.S. से)
∠AOB = ∠COB (C.P.C.T.) …(1)
परन्तु AOC (विकर्ण) एक ऋजु रेखा है,
∠AOB + ∠BOC = 180°
समीकरण (1) व (2) के हल से,
∠AOB = ∠COB = 90°
अतः वर्ग के विकर्ण बराबर होते हैं और परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
Proved.

प्रश्न 5.
दर्शाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों और वे परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करें तो वह एक वर्ग होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-4
हल :
दिया है: ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें विकर्ण AC और BD बराबर हैं तथा एक-दूसरे को बिन्दु O पर इस प्रकार काटते हैं कि AO = OC तथा BO = OD तथा AC ⊥ BD
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
उपपत्ति : चतुर्भुज ABCD के विकर्ण परस्पर बिन्दु O पर समद्विभाजित करते हैं।
चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB = CD …(1)
तथा AB || CD …(2)
अब ∆ABC और ∆DCB में,
AB = DC (ऊपर सिद्ध किया है।)
AC = DB (दिया है।)
BC = BC (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆ABC = ∆DCB (S.S.S. से)
∠B = ∠C (C.P.C.T.) …(3)
AB || CD समीकरण (2) से, और BC एक तिर्यक प्रतिच्छेदी रेखा है।
∠B + ∠C = 180° (अन्त:कोणों का योग) …(4)
समीकरण (3) व (4) से,
∠B = 90° और ∠C = 90°
इस प्रकार चतुर्भुज ABCD एक ऐसा समान्तर चतुर्भुज है जिसका प्रत्येक कोण 90° है।
AC = BD और ये बिन्दु O पर परस्पर समद्विभाजित होते हैं।
AO = BO = CO = DO
AC ⊥ BD ⇒ ∠AOB = 90° तथा ∠ BOC = 90°
तब ∆AOB तथा ∆COB में,
AO = CO (विकर्ण परस्पर समद्विभाजित करते हैं।)
∠AOB= ∠COB (प्रत्येक समकोण है।)
BO = BO (दोनों त्रिभुजों की उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆AOB = ∆COB (S.A.S. से)
AB = BC (C.P.C.T.)
तब चतुर्भुज ABCD में,
AB = BC, AB = CD और BC = DA
AB = BC = CD = DA और ∠B = 90°
अर्थात् चारों भुजाएँ बराबर हैं और अन्त:कोण समकोण हैं।
अतः चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
Proved.

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प्रश्न 6.
समान्तर चतुर्भुज ABCD का विकर्ण AC, ∠A को समद्विभाजित करता है। दर्शाइए कि
(i) यह ∠C को भी समद्विभाजित करता है।
(ii) ABCD एक समचतुर्भुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-5
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जिसमें विकर्ण AC, ∠A को समद्विभाजित करता है
अर्थात् ∠ BAC = ∠DAC
सिद्ध करना है :
(i) विकर्ण AC, ∠C को भी समद्विभाजित करता है।
(ii) ABCD एक समचतुर्भुज है।
उपपत्ति : (i) चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB || CD तथा BC || DA
AB || CD और AC एक तिर्यक रेखा है।
∠ BAC = ∠ACD (एकान्तर कोण) …(1)
इसी प्रकार, BC || DA और AC एक तिर्यक रेखा है।
∠DAC = ∠ACB (एकान्तर कोण) …(2)
AC, ∠A को समद्विभाजित करता है।
∠BAC = ∠DAC
समीकरण (1) व (2) से,
∠ACB = ∠ACD
अर्थात् AC, ∠C को भी समद्विभाजित करती है।
(ii) ∠BAC = ∠DAC और ∠DAC = ∠ACB
∠BAC = ∠ACB
तब ∆ABC में,
∠BAC = ∠ACB
BC = AB (त्रिभुज में समान कोणों की सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं।)
परन्तु ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB = CD तथा BC = DA
AB = BC = CD = DA
चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज होगा।
Proved.

प्रश्न 7.
ABCD एक समचतुर्भुज है। दर्शाइए विकर्ण AC कोणों A और C दोनों को समद्विभाजित करता है तथा विकर्ण BD, कोणों B और D दोनों को समद्विभाजित करता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-6
हल :
दिया है : ABCD एक समचतुर्भुज है।।
सिद्ध करना है : विकर्ण AC, ∠A और ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है
तथा विकर्ण BD, ∠B तथा ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
उपपत्ति : चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।
AB = BC = CD = DA
∆ABC में,
AB = BC के ∠ACB = ∠BAC …(1) (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
समचतुर्भुज एक समान्तर चतुर्भुज भी होता है।
AB || CD और AC तिर्यक रेखा है।
∠BAC = ∠ACD (एकान्तर कोण) …(2)
समीकरण (1) व (2) से,
∠ACB = ∠ACD (एकान्तर कोण) …(3)
अर्थात् AC, ∠C का समद्विभाजक है।
BC || DA तथा AC तिर्यक रेखा है के
∠ACB= ∠DAC (एकान्तर कोण) …(4)
तब समीकरण (1) व (4) से,
∠DAC = ∠BAC
अर्थात् AC, ∠A का समद्विभाजक है।
अतः AC, ∠A व ∠C दोनों का समद्विभाजक है।
BC || DA और BD तिर्यक रेखा है।
∠ADB = ∠CBD (एकान्तर कोण) …(5)
इसी प्रकार ∠ABD = ∠ BDC (एकान्तर कोण) …(6)
और : ∆BCD में,
BC = CD ⇒ ∠BDC = ∠CBD …(7)
(त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
तब समीकरण (5) व (7) से,
∠ADB = ∠BDC
अर्थात् BD, ∠D का समद्विभाजक है।
समीकरण (6) व (7) से,
∠ABD = ∠CBD
अर्थात् BD, ∠B का समद्विभाजक है।
BD, ∠B व ∠D दोनों का समद्विभाजक है।
अत: विकर्ण AC, ∠A व ∠C को समद्विभाजित करता है और BD, ∠B व ∠D को समद्विभाजित करता है।
Proved.

प्रश्न 8.
ABCD एक आयत है जिसमें विकर्ण AC दोनों कोणों A व C को समद्विभाजित करता है। दर्शाइए कि
(i) ABCD एक वर्ग है।
(ii) BD, दोनों कोणों B और D को समद्विभाजित करता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-7
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक आयत है जिसमें विकर्ण AC, ∠A व ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है।
BD आयत का दूसरा विकर्ण है।
सिद्ध करना है :
(i) चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
(ii) BD, ∠B और ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
उपपत्ति : (i) चतुर्भुज ABCD एक आयत है।
AB = CD तथा ∠A = 90°
विकर्ण AC, ∠A तथा ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है।
∠BAC = ∠DAC और ∠BCA = ∠DCA
∆ABC तथा ∆ADC में,
∠BAC =∠DAC (दिया है।)
AC = AC (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∠BCA = ∠DCA (दिया है।)
∆ABC = ∆ADC (A.S.A. से)
AB = DA (C.P.C.T.) …(1)
चतुर्भुज ABCD में,
AB = CD; BC = DA;
AB = BC = CD = DA
तथा ∠A = 90° [समीकरण (1) से ]
अतः चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
Proved.
(ii) ∆BCD में,
BC = CD ⇒ BDC = ∠CBD (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
अब वर्ग की सम्मुख भुजाएँ समान्तर होती हैं।
अर्थात AB || CD और BD तिर्यक रेखा है।
∠BDC = ∠ABD (एकान्तर कोण) …(2)
समीकरण (1) व (2) से,
∠ABD = ∠CBD
अर्थात् BD, ∠B का समद्विभाजक है।
इसी प्रकार, BC || DA और BD तिर्यक रेखा है।
∠CBD = ∠ADB (एकान्तर कोण) …(3)
समीकरण (1) व (3) से,
∠BDC = ∠ADB
अर्थात् BD, ∠D का समद्विभाजक है।
अत: BD, ∠B तथा ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
Proved.

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प्रश्न 9.
समान्तर चतुर्भुज ABCD के विकर्ण BD पर दो बिन्दु P और Q इस प्रकार स्थित हैं कि DP = BQ है। दर्शाइए कि
(i) ∆APD = ∆CQB
(ii) AP = CQ
(iii) ∆AQB = ∆CPD
(iv) AQ = CP
(v) APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-8
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है और BD उसका एक विकर्ण है।
BD पर P और Q दो बिन्दु इस प्रकार स्थित हैं कि DP = BQ है।
AP, AQ, CP वे C रेखाखण्ड खींचे गए हैं जिनसे चतुर्भुज APCQ बनता है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆APD = ∆CQB
(ii) AP = CQ
(iii) ∆AQB = ∆CPD
(iv) AQ = CP
(v) APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।
उपपत्ति : चतुर्भुज ABCD समान्तर चतुर्भुज है ।
AB = CD तथा और
AB || CD तथा BC|| DA
(i) BC || DA और BD एक तिर्यक रेखा है।
∠ADB = ∠CBD ⇒ ∠ADP = ∠CBQ (एकान्तर कोण)
अब, ∆APD और ∆CQB में,
DA = BC (दिया है।)
∠ADP = ∠CBQ (ऊपर सिद्ध किया है।)
DP = BQ (दिया है।)
∆APD = ∆CQB (S.A.S. से)
Proved.
(ii) ∆APD = ∆CQB
AP = CQ (C.P.C.T.)
Proved.
(iii) AB || CD और BD तिर्यक रेखा है।
∠ABD = ∠BDC के ∠ABQ = ∠PDC (एकान्तर कोण)
अब ∆AQB और ∆CPD में, AB = CD (दिया है।)
∠ABQ = ∠PDC (ऊपर सिद्ध किया है।)
BQ = DP (दिया है।)
∆AQB = ∆CPD (S.A.S. से)
Proved.
(iv) ∆AQB = ∆CPD
AQ = CP (C.P.C.T.)
Proved.
(v) चतुर्भुज APCR में सम्मुख भुजाएँ AP = CQ और AQ = CP [भाग (i) तथा (iv) से]
अत: चतुर्भुज APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.

प्रश्न 10.
ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है तथा AP और CQ शीर्षों A और C से विकर्ण BD पर क्रमशः लम्ब हैं। दर्शाइए कि
(i) ∆APB = ∆CQD
(ii) AP = CQ
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-9
हल :
दिया है: चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जिसका एक विकर्ण BD है।
BD पर शीर्ष A से AP और शीर्ष C से CQ लम्ब खींचा गया है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆APB = ∆CQD
(ii) AP = CQ
उपपत्ति:
(i) चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB = CD तथा AB || CD
AB || CD और विकर्ण BD एक तिर्यक रेखा है।
∠ABD = ∠BDC (एकान्तर कोण)
∠1 = ∠2
AP ⊥ BD ⇒ ∠APB= 90°
∆APB में, ∠PAB = 180° – (∠APB + ∠ABP) (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
∠PAB = 180° – (90° + ∠1) = 90° – ∠1
∠3 = 90° – ∠1
इसी प्रकार, CQ ⊥ BD ⇒ ∠CQD = 90°
∆CQD में,
∠QCD = 180° – (∠CQD + ∠CDQ)
= 180° – 90° – ∠2 = 90° – ∠2
∠4 = 90° – 21 (∠1 = ∠2)
∠3 = 90° – ∠1 और ∠4 = 90° – ∠1
∠3 = ∠4 …(2)
तब ∆APB और ∆CQD की तुलना करने पर,
∠1 = ∠2 [समीकरण (1) से]
AB = CD (दिया है।)
∠3 = ∠4 [समीकरण (2) से]
∆APB = ∆CQD (A.S.A. से)
Proved.
(ii) ∆APB = ∆CQD
AP = CQ (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्न 11.
∆ABC और ∆DEF में, AB = DE, AB || DE, BC = EF और BC || EF है। शीर्षों A, B और C को क्रमशः शीर्षों D, E और F से जोड़ा जाता है। दर्शाइए कि
(i) चतुर्भुज ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।
(ii) चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
(iii) AD || CF और AD = CF है।
(iv) चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
(v) AC = DF है।
(vi) ∆ABC = ∆DEF है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-10
हल :
दिया है : ∆ABC और ∆DEF दो त्रिभुज हैं जिनमें AB = DE और AB || DE तथा BC = EF और BC || EF हैं। शीर्षों A, B व C को क्रमशः शीर्षों D, E व F से ऋजु रेखाखण्डों द्वारा जोड़ा गया है।
सिद्ध करना है :
(i) चतुर्भुज ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।
(ii) चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
(iii) AD || CF और AD = CF है।
(iv) चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
(v) AC = DF है।
(vi) ∆ABC = ∆DEF है।
उपपत्ति :
(i) चतुर्भुज ABED में,
AB = DE और AB || DE
चतुर्भुज ABED की सम्मुख भुजाओं AB वे DE का एक युग्म बराबर और समान्तर है।
अत: चतुर्भुज ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.
(ii) चतुर्भुज BEFC में, BC = EF और BC || EF
चतुर्भुज BEFC की सम्मुख भुजाओं BC और EF का एक युग्म बराबर और समान्तर है।
अतः चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.
(iii) चतुर्भुज ABED समान्तर चतुर्भुज है।
AD = BE और AD || BE चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
BE = CF
BE || CF दोनों को मिलाकर,
AD = BE = CF और AD || BE || CF
अतः AD = CF और AD || CF
Proved.
(iv) चतुर्भुज ACFD में,
AD = CF और AD || CF
अर्थात् सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और समान्तर है।
अतः चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.
(v) चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
सम्मुख भुजाओं के युग्म बराबर होंगे।
अत: AC = DF
Proved.
(vi) ∆ABC और ∆DEF की तुलना करने पर,
AB = DE (दिया है।)
AC = DF (अभी सिद्ध किया है।)
BC = EF (दिया है।)
∆ABC = ∆DEF (S.S.S. से)
Proved.

प्रश्न 12.
ABCD एक समलम्ब है, जिसमें AB || DC और AD = BC है। दर्शाइए कि
(i) ∠A = ∠B
(ii) ∠C = ∠D
(iii) ∆ABC = ∆BAD
(iv) विकर्ण AC = विकर्ण BD
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-11
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समलम्ब है, जिसमें AB || DC और AD = BC है।
सिद्ध करना है :
(i) ∠A = ∠B
(ii) ∠C = ∠D
(iii) ∆ABC = ∆BAD
(iv) विकर्ण AC = विकर्ण BD
रचना : विकर्ण AC तथा BD खींचे।
AB को आगे बढ़ाया और बिन्दु C से DA के समान्तर रेखा खींची जो बढ़ी हुई ABP को बिन्दु E पर काटे।
उपपत्ति : (i) : समलम्ब चतुर्भुज ABCD में AB|| DC और AB को बढ़ाया गया है।
AE || DC और AD || CE (रचना से) …(2)
चतुर्भुज ADCE एक समान्तर चतुर्भुज है।
∠DAE = ∠DCE (सम्मुख कोण) …(3)
∠ADC = ∠AEC (सम्मुख कोण) …(4)
AB || DC और BC एक तिर्यक रेखा है
∠BCD = ∠CBE (एकान्तर कोण) …(5)
चतुर्भुज ADCEएक समान्तर चतुर्भुज है।
AD = CE परन्तु दिया है कि
AD = BC
BC = CE
∠BEC = ∠CBE (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।) …(6)
अब समान्तर चतुर्भुज ADCE में,
∠A = ∠DCE (समीकरण (3) से)
= ∠ BCD +∠BCE (चित्र से)
=∠CBE +∠BCE (समीकरण (5) से)
= ∠ BEC+∠BCE (समीकरण (6) से)
= ∠CBA (∠CBA, ∆BCE का बहिष्कोण है।)
∠A = ∠B (समलम्ब ABCD में)
Proved.
(ii) AB || CD और AD तिर्यक रेखा है।
∠A + ∠D = 180° (अन्त:कोणों का योग)
∠D = 180° – ∠A
∠D = 180° – ∠B [∠A= ∠B भाग (i) से)]
इसी प्रकार, AB || CD और BC तिर्यक रेखा है।
∠ABC + ∠BCD = 180° (अन्त:कोणों का योग)
∠ BCD = 180° – ∠ABC
∠C = 180° – ∠B
तब ∠C व ∠D की तुलना करने पर,
∠C = ∠D
Proved.
(iii) ∆ABC और ∆BAD में,
BC = AD (दिया है।)
∠A = ∠B [भाग (1) से)]
AB = AB (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆ABC = ∆BAD (S.A.S. से)
(iv) ∆ABC = ∆BAD
AC = BD (C.P.C.T.)
अतः समलम्ब का विकर्ण AC = विकर्ण BD
Proved.

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प्रश्नावली 8.2

प्रश्न 1.
ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें P, Q, R और S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु हैं। AC उसका एक विकर्ण है। दर्शाइए कि
(i) SR || AC और SR = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC है।
(ii) PQ = SR है।
(iii) PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-12
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD में P, Q, R व S क्रमश: भुजाओं AB, BC, CD व DA के मध्ये-बिन्दु हैं।
P, Q, R व S को ऋजु रेखाखण्ड PQ, QR, RS व SP द्वारा जोड़कर चतुर्भुज PQRS प्राप्त किया गया है।
सिद्ध करना है :
(i) SR || AC और SR = AC
(ii) PQ = SR
(iii) PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
उपपत्ति : (i) ∆ACD में,
CD का मध्य-बिन्दु R तथा AD का मध्य-बिन्दु S है।
किसी त्रिभुज की दो भुजाओं के मध्य-बिन्दुओं को मिलाने वाला रेखाखण्ड तीसरी भुजा के समान्तर और तीसरी भुजा का आधा होता है।
अतः रेखाखण्ड SR || AC और SR = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC होगा। …(1)
Proved.
(ii) ∆ABC में, AB का मध्य-बिन्दु P है और BC का मध्यबिन्दु Q है।
रेखाखण्ड PQ || AC और PQ = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC
अब (1) और (2) से
PQ || SR और PQ = SR
अतः PQ = SR
Proved.
(iii) ऊपर सिद्ध हुआ है कि PQ || SR और PQ = SR
चतुर्भुजं PQRS में P और RS सम्मुख भुजाओं का युग्म है जो परस्पर बराबर भी है और समान्तर भी।
अत: चतुर्भुज PQRS एक समान्तर चतुर्भुज होगी।
Proved.

प्रश्न 2.
ABCD एक समचतुर्भुज है और P, Q, R, S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु हैं। दर्शाइए कि चतुर्भुज PQRS एक आयत है।
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हल :
दिया है: ABCD एक समचतुर्भुज है। जिसकी भुजाओं AB, BC, CD, DA के मध्य-बिन्दु क्रमशः P, Q, R, S हैं।
सिद्ध करना है : PQRS एक आयत है।
रचना : रेखाखण्ड QS को मिलाया।
उपपत्ति : ABCD एक समचतुर्भुज है,
AB = BC = CD = DA
तथा ∠A = ∠C और ∠B = ∠D
P, Q, R, S क्रमश: AB, BC, CD, DA के मध्य-बिन्दु हैं।
AP = BP = BQ = CQ = CR = RD = DS = AS
∆APS और ∆QCR में,
AP = CR (दिया है।)
∠A = ∠C (दिया है।)
AS = CQ (दिया है।)
∆APS = ∆CRQ (S.A.S. से)
PS = QR (C.P.C.T.) …(1)
∆PBQ तथा ∆RDS में,
BP = DR (दिया है।)
∠B = ∠D (दिया है।)
BQ = DS (दिया है।)
∆PBQ = ∆RDS (S.A.S. से)
PQ = RS (C.P.C.T.) …(2)
AB || CD और बिन्दु Q तथा S क्रमश: BC और DA के मध्य-बिन्दु हैं।
QS || AB तथा QS = CD
QS || AB और PS तिर्यक रेखा है।
∠PSQ= ∠ APS (एकान्तर कोण)
परन्तु ∠ APS = ∠ASP (AS = AP)
∠ PSQ = ∠ ASP …(3)
इसी प्रकार, ∠RSQ = ∠DSR …(4)
∠ ASP +∠PSQ + ∠RSQ +∠DSR = 180° (एक रेखा पर बने कोण)
∠PSQ + ∠ PSQ + ∠RSQ + ∠RSQ = 180° [समीकरण (3) व (4) से]
2 (∠PSQ + ∠RSQ) = 180°
2 ∠S = 180° या ∠S = 90°
(∠S = ∠PSQ + ∠RSQ)…(5)
समीकरण (1) और (2) से,
PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है और समीकरण (5) से उसका एक अन्त:कोण समकोण है।
अतः PQRS एक आयत है।
Proved.

प्रश्न 3.
ABCD एक आयत है जिसमें P, Q, R और S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु हैं। दर्शाइए कि चतुर्भुज PQRS एक समचतुर्भुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-14
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक आयत है जिसकी भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु क्रमशः P, Q, R और S हैं।
रेखाखण्ड PG, QR, RS और SP एक चतुर्भुज PQRS बनाते हैं।
सिद्ध करना है : चतुर्भुज PQRS एक समचतुर्भुज है।
उपपत्ति: ΔAPS और ΔDRS में,
AS = DS (S, AD का मध्य-बिन्दु है)।
∠A = ∠D (आयत के अन्त:कोण)
AP = DR (P, AB का तथा R, CD का मध्य बिन्दु है तथा AB = CD)
ΔAPS = ΔDRS (S.A.S. से)
SP = SR (C.P.C.T.) …(1)
ΔAPS और ΔBPQ में,
AP = BP (P, AB का मध्य-बिन्दु है)
∠A = ∠B (आयत के अन्त:कोण)
AS = BQ (AD = BC और S तथा Q इनके क्रमश: मध्य-बिन्दु हैं)
ΔAPS = ΔBPQ (S.A.S. से)
SP = QP (C.P.C.T.) …(2)
ΔAPS और ΔCRQ में,
AP = CR (AP = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] CD = RC) (प्रत्येक समकोण)
∠A = ∠C
AS = CQ ( AS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AD = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] BC = QC)
ΔAPS = ΔCRQ (S.A.S. से)
SP = QR (C.P.C.T.) …(3)
समीकरण (1), (2) और (3) से,
SP = RS = PQ = QR
PQRS एक समचतुर्भुज है।
Proved.

प्रश्न 4.
ABCD एक समलम्ब है, जिसमें AB || CD है। साथ ही BD एक विकर्ण है और E भुजा AD का मध्य-बिन्दु है। E से होकर एक रेखा AB के समान्तर खींची गई है जो BC को F पर प्रतिच्छेद करती है। दर्शाइए कि F भुजा BC का मध्य-बिन्दु है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-15
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समलम्ब है जिसमें AB || CD है। BD. समलम्ब ABCD का एक विकर्ण है।
भुजा AD का मध्य-बिन्दु E है।
E से AB के समान्तर एक रेखा EF खींची गई है जो BC को बिन्दु F पर तथा BD को बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करती है।
सिद्ध करना है : F, BC का मध्य-बिन्दु है।
उपपत्ति : ΔABD में, बिन्दु E भुजा AD का मध्य-बिन्दु है और चूँकि EF, AB के समान्तर है।
बिन्दु O, BD को समद्विभाजित करेगा अर्थात् O, भुजा BD का मध्य-बिन्दु है।
AB || CD और EF || AB
EF || CD या OF || CD
अब ΔBCD में,
O, BD को मध्य-बिन्दु है
और OF || CD, जो BC को F पर प्रतिच्छेद करती है।
अत: F, BC का मध्य-बिन्दु है।
Proved.

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
एक समान्तर चतुर्भुज ABCD में E और F क्रमशः भुजाओं AB और CD के मध्य-बिन्दु हैं। दर्शाइए कि रेखाखण्ड AF और CE विकर्ण BD को समत्रिभाजित करते हैं।
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हल :
दिया है : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। बिन्दु E और F क्रमश: उसकी भुजाओं AB तथा CD के मध्य-बिन्दु हैं।
उसका विकर्ण BD, रेखाखण्डों AF तथा CE से क्रमशः बिन्दुओं P और Q पर विभक्त होता है।
सिद्ध करना है : BD को AF और CE तीन बराबर भागों में बाँटते हैं
अर्थात् DP = PQ = QB
उपपत्ति : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB || CD तथा AB = CD
और E तथा F क्रमश: AB और CD के मध्य-बिन्दु हैं।
AE || CF और AE = CF
AECF एक समान्तर चतुर्भुज है।
AF || CE ……(1)
AP|| EQ …(2)
PF || CQ …(3)
ΔDQC में, बिन्दु F, भुजा CD का मध्य-बिन्दु है। (ज्ञात है।)
और PF || CQ (समीकरण (3) से)
P, DQ का मध्य-बिन्दु है।
DP = PQ …(4)
पुनः ΔABP में, बिन्दु E भुजा AB का मध्य-बिन्दु है
और EQ || AP (समीकरण (2) से)
Q, BP का मध्य-बिन्दु है। QB = PQ …(5)
समीकरण (4) और (5) से, DP = PQ = QB
अतः रेखाखण्ड AF और CE, विकर्ण BD को तीन बराबर भागों में विभक्त करते हैं।
Proved.

प्रश्न 6.
दर्शाइए कि चतुर्भुज की सम्मुख भुजाओं के मध्य बिन्दुओं को मिलाने वाले रेखाखण्ड परस्पर समद्विभाजित करते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-17
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD की भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु क्रमशः P, Q, R, S हैं।
सम्मुख भुजाओं AB और CD के मध्य-बिन्दुओं P और R को मिलाकर रेखाखण्ड PR बनता है
तथा BC और DA के मध्य-बिन्दुओं Q और S को मिलाकर रेखाखण्ड QS बनता है।
सिद्ध करना है : PR और QS परस्पर समद्विभाजित करते हैं।
रचना : रेखाखण्ड PQ, QR, RS और SP को मिलाइए
तथा विकर्ण AC और BD खींचिए।
उपपत्ति: ΔABC में,
P, AB का तथा Q, BC का मध्य-बिन्दु है।
PQ = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC और PQ || AC …(1)
पुनः ΔACD में, R, CD का ओर S, DA का मध्य-बिन्दु है।
RS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC और RS || AC
PQ = RS और PQ || RS [समीकरण (1) व (2) से]
PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
समान्तर चतुर्भुज PQRS के विकर्ण PR तथा SQ हैं।
अत: PR तथा SQ परस्पर समद्विभाजित करते हैं।
Proved.

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प्रश्न 7.
ABC एक त्रिभुज है जिसका कोण C समकोण है। कर्ण AB के मध्य-बिन्दु M से होकर BC के समान्तर खींची गई रेखा AC को D पर प्रतिच्छेद करती है। दर्शाइए कि :
(i) D भुजा AC का मध्य-बिन्दु है।
(ii) MD ⊥ AC है।
(iii) CM = MA = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB है। .
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-18
हल:
दिया है: ΔABC में ∠C समकोण है और AB कर्ण है जिसका मध्य-बिन्दु M है।
बिन्दु M से एक रेखा BC के समान्तर खींची गई है जो AC को बिन्दु D पर प्रतिच्छेद करती है।
सिद्ध करना है :
(i) D भुजा AC का मध्य-बिन्दु है।
(ii) MD ⊥ AC
(iii) CM = MA = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
रचना : रेखाखण्ड CM खींचा।
उपपत्ति : (i) ΔABC में,
M कर्ण AB का मध्य-बिन्दु है और M से BC के समान्तर खींची गई Aरेखा AC को बिन्दु D पर प्रतिच्छेद करती है जिससे MD || BC है।
अतः बिन्दु D, AC का मध्य-बिन्दु होगा।
Proved.
(ii) MD || BC और तिर्यक रेखा AC इन्हें प्रतिच्छेद करती है।
∠MDA = ∠C
∠MDA = 90°
MD ⊥ AD या MD ⊥ AC
अतः (iii) ΔMDA तथा ΔMDC में,
AD = CD (D, AC का मध्य-बिन्दु है।)
∠MDA = ∠MDC (MD ⊥ AC)
MD = MD (उभयनिष्ठ भुजा है।)
ΔMDA = ΔMDC (S.A.S. से)
MA = CM (C.P.C.T.)
परन्तु M, AB का मध्य-बिन्दु है जिससे
MA = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
अतः CM = MA = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
Proved.

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals (चतुर्भुज) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals (चतुर्भुज), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 11 व्यक्तिगत सज्जा : उचित वेशभूषा

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 11 व्यक्तिगत सज्जा : उचित वेशभूषा

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 11 व्यक्तिगत सज्जा : उचित वेशभूषा.

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
व्यक्तिगत सज्जा से क्या तात्पर्य है? व्यक्तिगत सज्जा हेतु वस्त्रों का चयन करते समय आप किन-किन मुख्य बातों का ध्यान रखेंगी?
या
व्यक्तिगत सज्जा और वेशभूषा में वस्त्रों का क्या स्थान है? किसी व्यक्ति के लिए वस्त्रों के चयन में कौन-सी सावधानियाँ अपेक्षित हैं?
उत्तर:
उपयुक्त वेशभूषा व्यक्तिगत सज्जा का मूल आधार है। सुन्दर एवं उपयुक्त वस्त्रों से मनुष्य का बाहरी व्यक्तित्व आकर्षक हो जाता है, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है एवं इससे मनुष्य को मानसिक प्रसन्नता होती है। उपयुक्त वस्त्र आयु, लिंग, व्यवसाय, अवसर एवं ऋतुओं के अनुकूल होते हैं। ये मनुष्य को शारीरिक सुख एवं आराम प्रदान करने के साथ-साथ उसके रहन-सहन के स्तर के भी परिचायक होते हैं। अतः (UPBoardSolutions.com) संक्षेप में हम कह सकते हैं कि व्यक्तिगत सज्जा व्यक्ति-विशेष के मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, अवसर के अनुकूल एवं रहन-सहन के अपेक्षित स्तर को बनाए रखने व प्रदर्शित करने की प्रभावशाली विधि है।

व्यक्तिगत सज्जा का अर्थ
उपर्युक्त सामान्य परिचय के आधार पर व्यक्तिगत सज्जा का अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है। वास्तव में, व्यक्ति के बाहरी व्यक्तित्व को निखारने एवं आकर्षक बनाने के लिए व्यक्ति द्वारा अपनाए जाने वाले समस्त उपायों एवं साधनों को ही सम्मिलित रूप से व्यक्तिगत सज्जा कहा जाता है। व्यक्तिगत सज्जा के माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर अर्थात् व्यक्तित्व के प्रकट रूप को अधिक-से-अधिक आकर्षक, निखरा हुआ तथा प्रभावशाली बनाने का प्रयास करते हैं। व्यक्तिगत सज्जा का मुख्यतम साधन वेशभूषा है। उत्तम वेशभूषा द्वारा (UPBoardSolutions.com) व्यक्तिगत सज्जा में विशेष योगदान प्राप्त होता है। वेशभूषा के अतिरिक्त व्यक्ति द्वारा किया जाने वाला श्रृंगार, बाल सँवारने का ढंग, बातचीत करने का ढंग, उठने-बैठने का ढंग तथा व्यक्ति के हाव-भाव व्यक्तिगत सज्जा के महत्त्वपूर्ण कारक हैं। इन सभी कारकों के प्रति जागरूक व्यक्ति निश्चित रूप से उत्तम व्यक्तिगत सज्जा को प्रदर्शित कर सकता है तथा समाज में आकर्षण का केन्द्र बन सकता है।

वस्त्रों का चयन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें वस्त्र केवल तन ढकने का ही कार्य नहीं करते वरन् व्यक्ति-विशेष के बाहरी व्यक्तित्व को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। अत: उपयुक्त वस्त्रों का चयन करते समय उनकी निम्नवर्णित विशेषताओं को दृष्टिगत रखना चाहिए

(1) आकर्षक एवं आरामदायक वस्त्र-वस्त्रों का चयन करते समय देखें कि

  • (क) वस्त्र सही फिटिंग अथवा शारीरिक माप वाले एवं सुन्दर होने चाहिए,
  • (ख) वस्त्र न तो बहुत पुराने और न ही आधुनिकतम चलन के हों,
  • (ग) रंगों का चयन अवसर, व्यवसाय एवं आयु के अनुरूप हो,
  • (घ) चयन का आधार किसी की नकल के अनुसार न होकर अपने कद-काठी व रुचि के अनुसार होना चाहिए।

उपर्युक्त नियमों के अनुरूप चयनित वस्त्र देखने में अच्छे लगते हैं, आरामदायक होते हैं एवं व्यक्ति-विशेष की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि करते हैं।

(2) ऋतुओं के अनुकूल वस्त्र:
विभिन्न ऋतुओं में प्रायः उनके अनुकूल ही वस्त्र पहनने चाहिए; जैसे कि ग्रीष्म ऋतु में सूती एवं शरद ऋतु में ऊनी वस्त्र ही आरामदायक रहते हैं। सूती वस्त्र शरीर से निकलने वाले पसीने को सोखकर ठण्डेपन का आभास कराते हैं, जबकि ऊनी वस्त्र शीत ऋतु में शारीरिक ऊष्मा को अन्दर ही रोककर शरीर को गर्म रखते हैं।

(3) अवसरानुकूल वस्त्र:
घर में सामान्यतः सूती वस्त्र पहनने में हर प्रकार की सुविधा रहती है, परन्तु विशिष्ट अवसरों (विवाह, जन्मदिन व अन्य महत्त्वपूर्ण उत्सव आदि) पर मूल्यवान् व सुन्दर वस्त्र पहनना सामाजिक प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए आवश्यक है; जैसे कि विवाह अथवा जन्मदिन के अवसर पर जरीदार (UPBoardSolutions.com) बनारसी साड़ियाँ, रेशमी व कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित सुन्दर व आधुनिक फैशन के वस्त्र पहनने से एकत्रित जनसमूह के मध्य सम्मान एवं प्रशंसा प्राप्त होती है।

(4) मजबूत व टिकाऊ वस्त्र:
प्रायः पक्के रंगों के मजबूत व टिकाऊ वस्त्र खरीदने राहिए। उदाहरण के लिए टेरीकॉट, नायलॉन, टेरीलीन आदि वस्त्र सूती व रेशमी वस्त्रों से अधिक मजबूत व टिकाऊ होते हैं। अतः इनका यथासम्भव अधिक उपयोग आर्थिक दृष्टि से लाभदायक रहता है।

(5) सरलता से धुलने वाले वस्त्र:
सामान्यतः कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित वस्त्रों को धोना सरल होता है, क्योंकि ये न तो सिकुड़ते हैं और न ही सूखने में अधिक समय लेते हैं। मोटे सूती वस्त्रों को धोने में अधिक श्रम की आवश्यकता होती है तथा इन पर लगे दाग व धब्बे भी सहज ही दूर नहीं होते। मूल्यवान ऊनी, रेशमी व जरीदार वस्त्रों की धुलाई कठिन व महँगी होने के कारण इन्हें सावधानीपूर्वक विशिष्ट अवसरों पर ही उपयोग में लाना चाहिए।

(6) सिकुड़न व सिलवट मुक्त वस्त्र:
वस्त्र खरीदते समय यह अवश्य ध्यान रखें कि धुलाई का उस पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। एक उपयोगी वस्त्र न तो धोने पर सिकुड़ना चाहिए और न ही उसमें अनावश्यक सिलवटें पड़नी चाहिए। उदाहरणार्थ टेरीकॉट, टेरीलीन, रेयॉन इत्यादि वस्त्र। इन वस्त्रों पर इस्तरी (प्रेस) करने के श्रम की भी पर्याप्त बचत होती है।

(7) आर्थिक क्षमता के अनुरूप वस्त्र:
वस्त्र खरीदते समय पारिवारिक बजट का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि ऐसा न करने पर प्रायः मानसिक क्लेश उत्पन्न होता है तथा पारिवारिक अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है। अतः सामान्यतः अपनी आर्थिक क्षमता के अनुरूप वस्त्रों को खरीदना ही विवेकपूर्ण रहता है।

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प्रश्न 2:
वस्त्रों के चयन के मुख्य आधार कौन-कौन से हैं? समझाइए।
या
शारीरिक विशेषताओं, आयु एवं लिंग के अनुसार वस्त्रों का चयन आप किस प्रकार करेंगी?
उत्तर:
मनुष्य के दैनिक जीवन के लिए उपयुक्त वस्त्रों का अत्यधिक महत्त्व है। उपयुक्त वस्त्रों को चयन कोई सरल कार्य नहीं है। इसके लिए व्यक्ति विशेष की आर्थिक, सामाजिक, मानसिक, आयु वर्ग एवं व्यवसाय सम्बन्धी परिस्थितियों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
उपर्युक्त सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए उचित वस्त्रों के चयन के निम्नलिखित आधार माने जा सकते हैं

  1.  शारीरिक विशेषताएँ,
  2.  लिंग एवं आयु,
  3. व्यवसाय एवं पद,
  4. मौसम एवं भौगोलिक परिस्थिति।

(1) शारीरिक विशेषताएँ:
वस्त्रों का चयन करते समय शारीरिक विशेषताओं को ध्यान में रखना अत्यधिक आवश्यक है। उदाहरणस्वरूप–औसत कद वाले व्यक्तियों पर प्रायः सभी प्रकार के वस्त्र अच्छे लगते हैं। लम्बे कद की स्त्रियों को साड़ी और ब्लाउज के विभिन्न रंग, बड़े डिजाइन व हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए। (UPBoardSolutions.com) नाड़े कद की स्त्रियों को लम्बी दिखाई पड़ने के लिए एक ही रंग की साड़ी व ब्लाउज, जो कि ऊपर से नीचे की ओर धारियों वाले, छोटे डिजाइन के व हल्के रंग के हों, पहनने चाहिए।
विभिन्न कद एवं आकार वाले व्यक्तियों को अपनी लम्बाई व चौड़ाई के अनुसार वस्त्रों का चयन करना चाहिए।

(2) लिंग एवं आयु:
विभिन्न व्यक्तियों के लिए वेशभूषा के चयन हेतु अलग-अलग नियम होते हैं, जिन्हें निम्नांकित विवरण से समझा जा सकता है

(i) पुरुषों के लिए:
सही शारीरिक माप वाले कपड़े पहनने से बाहरी व्यक्तित्व आकर्षक दिखाई पड़ता है। वस्त्र चाहे संख्या में कम हों परन्तु उनकी अच्छी सिलाई आवश्यक है। पुरुषों को अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार उपयुक्त वस्त्र खरीदने चाहिए। महँगे होने के कारण सूट का कपड़ा सदैव टिकाऊ, आकर्षक व गहरे रंग का लेना चाहिए जिससे इसे बार-बार ड्राइक्लीन न कराना पड़े। नवयुवक पर प्रायः चमकीले अथवा गहरे रंग के वस्त्र आकर्षक लगते हैं, जबकि अधेड़ावस्था में हल्के व सौम्य रंग के वस्त्र ही ठीक रहते हैं।

(ii) स्त्रियों के लिए:
महिलाओं के लिए प्रायः साड़ी व ब्लाउज ही अधिक महत्त्वपूर्ण वस्त्र होते हैं। दैनिक उपयोग के लिए सूती साड़ियाँ सर्वोत्तम रहती हैं। विशेष अवसरों के लिए जरीदार बनारसी साड़ियाँ, काँचीवरम की साड़ियाँ तथा गुजराती बंधेज की साड़ियाँ उपयोग में लाई जाती हैं। सामान्य अवसरों के लिए हैण्डलूम की साड़ियाँ, आरगेण्डी व चिकन की साड़ियाँ तथा कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित साड़ियाँ अधिक उपयुक्त रहती हैं। (UPBoardSolutions.com) साड़ियों के साथ अधिकतर अनुरूप (मैचिंग) रंग के ब्लाउज उपयुक्त रहते हैं। इसके लिए 2×2 रूबिया, पॉपलीन व रेशमी वस्त्रों का चयन उचित रहता है। मूल्यवान साड़ियों के साथ प्रायः ब्लाउज के लिए अतिरिक्त कपड़ा साड़ी के साथ ही जुड़ा मिलता है। कम आयु की महिलाओं के लिए प्रायः चटकीले रंग उपयुक्त रहते हैं, जो कि सहज ही हैण्डलूम व कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित साड़ियों में उपलब्ध हो जाते हैं।

(iii) बच्चों के लिए:
बच्चे अधिक खेलते-कूदते हैं; अतः उनके वस्त्र मजबूत कपड़े के होने चाहिए। बाल्यावस्था में शारीरिक वृद्धि होने के कारण बच्चों के कपड़े थोड़े ढीले व संख्या में कम होने चाहिए। वस्त्रों की सिलाई कराते समय सींवनों में अतिरिक्त कपड़ा छोड़ने से इन्हें आवश्यकतानुसार ढीला किया जा सकता है। बच्चों के वस्त्रों के बटन मजबूती से लगे होने चाहिए। विशेष अवसरों के लिए बच्चों को महँगे वस्त्र दिलाए जा सकते हैं।

(iv) शिशुओं के लिए:
शिशुओं की त्वचा कोमल होती है; अतः इनके वस्त्र मुलायम कपड़ों (रेशमी, सूती व ऊनी आदि) के बनवाने चाहिए। शिशुओं को प्रायः हल्के गुलाबी, नीले, नारंगी आदि रंगों के झबले, रोम्पर, फ्रॉक, टी-शर्ट व लैंगिंग्स पहनाए जाते हैं।

(3) व्यवसाय एवं पद:
व्यवसाय एवं पद का सीधा सम्बन्ध मनुष्य की आर्थिक क्षमता एवं सामाजिक स्थिति में होता है। छोटे व्यवसाई अथवा छोटी नौकरी करने वाले व्यक्ति आय कम होने के कारण वस्त्रों पर अधिक व्यय नहीं कर सकते। इनके लिए प्रायः सूती व टेरीकॉट के वस्त्र ही अधिक उपयुक्त रहते हैं। अधिक आय वर्ग के व्यक्ति अधिक मूल्य के रेडीमेड अथवा अन्य प्रकार के अनेक वस्त्र प्रयोग कर सकते हैं। (UPBoardSolutions.com) कुछ विशिष्ट व्यवसायों एवं सेवाओं में वस्त्रों की निर्धारित सीमाएँ होती हैं; जैसे कि सेवा के समय में चिकित्सक, सेना व पुलिस कर्मचारी व वकील इत्यादि एक निश्चित पोशाक पहनने के लिए बाध्य होते हैं। व्यापारियों एवं दुकानदारों को कुर्ता-धोती अथवा कुर्ता-पाजामा पहनने में सुविधा रहती है। उच्च अधिकारियों, अध्यापक एवं अध्यापिकाओं को सौम्य रंग एवं फैशन के वस्त्र पहनने उपयुक्त रहते

(4) मौसम एवं भौगोलिक परिस्थिति:
वस्त्रों के चयन के लिए मौसम व स्थान-विशेष की भौगोलिक परिस्थितियों का एक अलग ही महत्त्व है। ग्रीष्म ऋतु में हल्के रंग के सूती वस्त्र तथा शीत ऋतु में विभिन्न प्रकार के गहरे रंग के ऊनी वस्त्र अधिक उपयुक्त रहते हैं। इसी प्रकार ठण्डे प्रदेशों में शीत ऋतु के वस्त्र तथा गर्म प्रदेशों में ग्रीष्म ऋतु के वस्त्र उपयोग करना आवश्यक होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
स्पष्ट कीजिए कि उचित वेशभूषा से व्यक्तित्व में निखार आता है।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने में उसकी वेशभूषा का विशेष योगदान एवं महत्त्व होता है। यदि व्यक्ति अपनी आयु, व्यवसाय, अवसर, ऋतु एवं लिंग के अनुसार वेशभूषा धारण करता है। तो उस व्यक्ति का व्यक्तित्व सामान्य रूप से आकर्षक एवं प्रभावशाली प्रतीत होता है। जो व्यक्ति उचित वेशभूषा धारण करता है, उसके प्रति अन्य व्यक्तियों का व्यवहार भी सौम्य होता है। यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य (UPBoardSolutions.com) है कि उचित वेशभूषा धारण करने वाले व्यक्ति में एक प्रकार का अतिरिक्त आत्म-विश्वास भी जाग्रत होता है, इससे भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में क्रमश: निखार आता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि व्यक्ति-व्यक्तित्व को निखारने वाले कारकों में उचित वेशभूषा का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

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प्रश्न 2:
अवसर के अनुकूल व्यक्तिगत वेशभूषा कैसी होनी चाहिए? कम-से-कम पाँच |.. बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति को अपने दैनिक एवं सामाजिक जीवन में विभिन्न अंवसरों एवं परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। यदि उसको सामान्य जीवन घरेलू परिस्थितियों में व्यतीत होता है, तो उसे कभी-कभी यात्रा पर भी जाना होता है और अनेक बार विवाह, जन्म-दिन आदि अनेक महत्त्वपूर्ण (UPBoardSolutions.com) सामाजिक उत्सवों में भी भाग लेना पड़ता है। प्रत्येक अवसर के लिए अनुकूल व्यक्तिगत वेशभूषा को चयन व्यक्तिगत सज्जा के नियमानुसार करने से उसके आत्मविश्वास एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। आइए इस सम्बन्ध में कुछ उपयोगी नियमों का अवलोकन करें

(1) मौसम सम्बन्धी नियम:
मौसम के अनुसार सूती व रेशमी (ग्रीष्म ऋतु) अथवा ऊनी (शीत ऋतु) वस्त्र उपयोग में लाने चाहिए।

(2) मजबूती व टिकाऊपन सम्बन्धी नियम:
सामान्य घरेलू जीवन में मजबूत व टिकाऊ वस्त्र पहनना लाभदायक रहता है। रसोई-गृह में सूती वस्त्रों व शेष समय में हैण्डलूम व कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित वस्त्रों का उपयोग सर्वोत्तम रहता है।

(3) आरामदायक व उपयुक्त फिटिंग सम्बन्धी नियम:
सदैव ऐसे वस्त्रों का चयन करना चाहिए जो कि शारीरिक आराम में बाधा न डालें। सही शारीरिक माप अथवा फिटिंग वाले वस्त्र पहनने से बाहरी व्यक्तित्व के आकर्षण में वृद्धि होती है।

(4) रंगों के संयोग का नियम:
रंग प्रायः परस्पर या तो समन्वित होते हैं अथवा विरोधाभासी। लाल एवं गुलाबी, गहरा व हल्का नीला, सफेद व काला इत्यादि रंगों के अद्भुत संयोग के उदाहरण हैं। इनका विवेकपूर्ण उपयोग सदैव लाभदायक रहता है।

(5) विशिष्ट अवसर सम्बन्धी नियम:
विवाह, जन्मोत्सव आदि उत्सवों में व्यक्तिगत वेशभूषा का चुनाव इस प्रकार करना चाहिए कि शरीर के असुन्दर भाग ढके रहें तथा सुन्दर अंगों का आवश्यक प्रदर्शन हो सके। इन अवसरों पर मूल्यवान वस्त्रों, जैसे जरीदार व रेशमी साड़ियों का उपयोग प्रतिष्ठा एवं सौन्दर्य में वृद्धि करता है।

प्रश्न 3:
व्यक्तिगत सज्जा हेतु वस्त्रों के विवेकपूर्ण चयन से आप क्या समझती हैं?
उत्तर:
व्यक्तिगत सज्जा के सारे नियमों का पालन करने पर भी यदि कोई व्यक्ति वस्त्रों को क्रय करते समय अपने विवेक का प्रयोग नहीं करता है, तो सब कुछ व्यर्थ हो सकता है। वस्त्रों के सुन्दर एवं उपयुक्त चुनाव के साथ निम्नलिखित सिद्धान्तों का पालन अवश्य किया जाना चाहिए

(1) बजट के अनुसार खरीदारी:
आप अपने बजट के अनुसार ही वस्त्रों का चयन करें। फिजूलखर्ची आप व आपके परिवार में असन्तोष उत्पन्न कर सकती है।

(2) सोच-समझकर खरीदारी:
वस्त्रों की उद्देश्यहीन खरीदारी न करें। अवसरों एवं आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखकर की गई खरीदारी सदैव सुख एवं सन्तोष प्रदान करती है।

(3) मूल्य देखकर खरीदारी:
अधिक मूल्य के वस्त्र केवल आवश्यकता पड़ने पर ही खरीदें। सदैव अच्छी जगह से वस्त्र खरीदें। यदि वस्त्र सिलवाने हों, तो सोच-समझकर आवश्यक कपड़ा ही खरीदें। इससे कपड़ा व्यर्थ नहीं होगा और धन की बचत होगी।

(4) वस्त्रों की उचित देखभाल:
आपके पास वस्त्रं कर्म हों अथवा अधिक, उनकी उचित देखभाल करना अति आवश्यक है। इससे वस्त्रों को लम्बे समय तक प्रयोग में लाया जा सकता है।

प्रश्न 4:
बाजार से वस्त्रों को खरीदते समय आप किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखेंगी?
उत्तर:
उपयुक्त वस्त्रों के चयन के अनेक नियम हैं, जिनमें कुछ इतने आवश्यक हैं जिनकी अवहेलना नहीं की जानी चाहिए। वस्त्रों के लिए कपड़ा खरीदते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है

  1. बाजार जाने से पूर्व ही यह निश्चित कर लेना आवश्यक है कि कपड़ा दैनिक उपयोग के लिए खरीदना है अथवा किसी विशिष्ट अवसर के लिए।
  2. कपड़ा मजबूत व टिकाऊ होना चाहिए।
  3. कपड़े का रंग पक्का होना चाहिए।
  4.  कपड़ा सिकुड़न मुक्त है अथवा नहीं, इसकी जाँच कर लेनी चाहिए।
  5.  सूती कपड़ों पर सनफोराइज्ड व कलैण्डर्ड की मोहर व ऊनी कपड़ों पर वूलमार्क व आई० एस० आई० मार्क अवश्य देख लेना चाहिए।
  6. कई अच्छी दुकानों पर जाकर कपड़े के सही मूल्य का अनुमान लगाकर ही उसे खरीदना चाहिए।

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प्रश्न 5:
स्कूल जाने वाले बालक-बालिकाओं की वेशभूषा का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
सामान्य रूप से सभी स्कूलों द्वारा छात्र-छात्राओं की वेशभूषा निर्धारित तथा निश्चित होती है इसलिए स्कूल जाने वाले बालक-बालिकाओं को स्कूल द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म ही धारण करनी चाहिए। यूनिफॉर्म धारण करने से स्कूल के सभी छात्र-छात्राओं में एकरूपता बनी रहती है तथा किसी प्रकार के भेदभाव या ऊँच-नीच के अन्तर के विकसित होने की आशंका नहीं रहती। स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं की (UPBoardSolutions.com) वेशभूषा को तैयार करवाते समय ध्यान रखना चाहिए कि उनकी वेशभूषा चुस्त तथा अच्छी फिटिंग वाली ही होनी चाहिए। सामान्य रूप से ऐसा कपड़ा चुनना चाहिए जिसमें शीघ्र सिलवटें तथा शिकन न पड़े। स्कूल जाने वाले बच्चों की यूनिफॉर्म के लिए पक्के रंग वाला कपड़ा ही लेना चाहिए तथा उसकी धुलाई भी सरल होनी चाहिए। कपड़ों के अतिरिक्त बच्चों की वेशभूषा में जूतों, मोजों, बेल्ट तथा बैज आदि भी ठीक दशा में होने चाहिए।

प्रश्न 6:
तीज-त्योहार के अवसर पर पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तीज-त्योहार के अवसर अपने आप में कुछ विशिष्ट अवसर होते हैं। इन विशिष्ट अवसरों पर वेशभूषा धारण करने में भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। इन अवसरों की प्रकृति तथा उत्साह के वातावरण को ध्यान में रखते हुए रंग-बिरंगे आकर्षक तथा भड़कीले वस्त्र भी पहने जा सकते हैं। व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार आधुनिक अथवा पारम्परिक किसी भी प्रकार के वस्त्र पहन सकता है। अनेक महिलाएँ इन अवसरों पर लहँगा-चुनरी, गरारा अथवा भारी साड़ियाँ पहना करती हैं। कुछ किशोरावस्था की लड़कियाँ इन अवसरों पर जीन्स अथवा (UPBoardSolutions.com) स्कर्ट आदि पहनना अधिक पसन्द करती हैं। जहाँ तक बनाव श्रृंगार का प्रश्न है, इन अवसरों पर पर्याप्त छूट होती है। अपनी रुचि एवं आयु के अनुसार पर्याप्त श्रृंगार किया जा सकता है। सुविधा के अनुसार आभूषण भी पहने जा सकते हैं। यदि इस अवसर पर मेले में अथवा भीड़-भाड़ वाले स्थान पर जाना हो, तो सुरक्षा के पहलू को अवश्य ही ध्यान में रखना चाहिए।

प्रश्न 7:
खेल के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा का विवरण दीजिए।
उत्तर:
खेल के समय व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की शारीरिक क्रियाएँ करनी पड़ती हैं तथा सभी क्रियाएँ प्रायः तीव्र गति से करनी पड़ती हैं। इस स्थिति में शरीर से अधिक पसीना निकलता है। अतः इन तथ्यों को ध्यान में रखकर ही खेल के समय की वेशभूषा का निर्धारण करना चाहिए तथा उसका निर्माण ऐसे कपड़े से किया जाना चाहिए जिसमें अवशोषकता का गुण विद्यमान हो ताकि खेल के समय वो शरीर से निकलने (UPBoardSolutions.com) वाले पसीने को सोख सके। इसके अतिरिक्त खेल के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा ऐसे कपड़े की होनी चाहिए जिससे धोना सरल हो। खेल के समय जूतों तथा मोजों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। हल्के तथा आरामदायक जूते पहनना ही अच्छा रहती है।

प्रश्न 8:
रात्रि-भोज के अवसर पर पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रात्रि-भोज के अवसर सामान्य रूप से हर्ष, उल्लास एवं प्रसन्नता के अवसर होते हैं। रात्रि-भोज के अवसर पर अधिक औपचारिकता नहीं होती तथा प्रत्येक व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार आकर्षक एवं सुन्दर वेशभूषा पहन सकता है। इस अवसर पर यदि चाहें तो सीमित रूप से भड़कीली तथा आत्म-प्रदर्शन में सहायक वेशभूषा भी पहनी जा सकती है। महिलाएँ यदि चाहें तो रात्रि-भोज के अवसर पर चमकीले, भड़कीले तथा जरी-गोटे वाले बहुमूल्य वस्त्र भी पहन सकती हैं। आधुनिक फैशन के अनुसार इन अवसरों पर साटन तथा वेलवेट के वस्त्र पहनने का भी प्रचलन है। रात्रि-भोज के अवसर पर वेशभूषा के साथ-साथ अपनी रुचि के अनुसार कम या (UPBoardSolutions.com) अधिक श्रृंगार भी किया जा सकता है। बालों को सजाने के लिए ताजे फूलों का गजरा भी लगाया जा सकता है। यदि चाहें तो परफ्यूम भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस अवसर पर एक निश्चित सीमा के अन्तर्गत रहते हुए शारीरिक सौष्ठव का प्रदर्शन भी किया जा सकता है। रात्रि-भोज के अवसर पर यदि चाहें तो गहने भी पहने जो सकते हैं, परन्तु सुरक्षा का समुचित ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न 9:
यात्रा के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कभी-न-कभी छोटी अथवा लम्बी यात्री पर जाना ही। पड़ता है। कुछ व्यक्तियों को तो नियमित रूप से ही यात्रा पर जाना पड़ता है। यात्रा के समय भी व्यक्ति को अपनी वेशभूषा का चुनाव सूझ-बूझपूर्वक करना चाहिए। यात्रा के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा का अनिवार्य गुण उसका सुविधादायक होना है। यात्रा के समय वही वेशभूषा धारण की जानी चाहिए, जो लम्बे समय तक सीट पर बैठने अथवा लेटने में सुविधाजनक हो। इस अवसर पर ऐसे वस्त्र धारण करना उत्तम माना जाता है जो (UPBoardSolutions.com) शीघ्र ही क्रश न होते हों अर्थात् शीघ्र ही सिलवटें पड़ने वाले वस्त्र यात्रा के समय धारण नहीं करने चाहिए। सामान्य रूप से यात्रा के समय किसी प्रकार का विशेष बनाव-श्रृंगार नहीं किया जाना चाहिए। जहाँ तक कीमती आभूषणों का प्रश्न है, यात्रा के समय इन्हें बिल्कुल भी धारण नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा किसी अनहोनी के घटित होने की निरन्तर आशंका बनी रहती है।

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प्रश्न 10:
कामकाजी महिलाओं के लिए कार्य के समय पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कामकाजी महिलाओं को अपने कार्य के समय वेशभूषा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस अवसर पर प्रत्येक स्थिति में वेशभूषा की सौम्यता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। कार्यस्थल की औपचारिकता को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए तथा किसी भी स्थिति में महिलाओं को अधिक चटकदार तथा दिखावटी वेशभूषा नहीं पहननी चाहिए। इस समय अधिक श्रृंगार भी नहीं करना चाहिए, केवल हल्का-सा अति आवश्यक श्रृंगार ही करना चाहिए। बिन्दी, हल्की लिपस्टिक तथा माँग भरना (यदि विवाहित हों तो) ही पर्याप्त होता है। (UPBoardSolutions.com) कार्य-स्थल पर खनखनाहट वाले गहने भी नहीं पहनने चाहिए। इससे कार्य-स्थल के वातावरण में व्यवधान उत्पन्न होता है तथा अशोभनीय प्रतीत होता है। सामान्य रूप से कोई तेज सुगन्ध वाला परफ्यूम या तेल भी नहीं लगाना चाहिए। संक्षेप में कहा जा सकता है कि महिलाओं द्वारा कार्य-स्थल पर पहनी जाने वाली वेशभूषा में अनावश्यक आकर्षण तथा भड़कीलेपन का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके माध्यम से सौम्यता, गरिमा तथा सादगी का ही प्रदर्शन होना चाहिए।

प्रश्न 11:
शोक के अवसर पर धारण की जाने वाली वेशभूषा का विवरण दीजिए।
उत्तर:
शोक के अवसर पर उल्लास एवं उमंग का नितान्त अभाव होता है। इस अवसर पर परस्पर संवेदना तथा सहानुभूति प्रकट की जाती है। शोक के अवसर पर जहाँ तक हो सके बिल्कुल सादी वेशभूषा ही धारण की जानी चाहिए। हमारे समाज में पारम्परिक रूप से इस अवसर पर सफेद अथवा हल्के (UPBoardSolutions.com) रंगों की वेशभूषा ही धारण की जाती है। कुछ समाजों में शोक के अवसर पर काले रंग की वेशभूषा धारण की जाती है। शोक के अवसर पर सादी वेशभूषा धारण करने के साथ ही साथ किसी प्रकार का बनाव-श्रृंगार भी नहीं किया जाता। संक्षेप में कहा जा सकता है कि शोक के अवसर पर व्यक्ति की वेशभूषा से सादगी का प्रदर्शन होना चाहिए, न कि दिखावे तथा आकर्षण का।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
व्यक्तिगत सज्जा क्या है?
उत्तर:
व्यक्तिगत सज्जा से तात्पर्य उस महत्त्वपूर्ण कारक से है जो व्यक्ति के बाहरी व्यक्तित्व को निखारने में उल्लेखनीय भूमिका निभाता है। इस कारक के अन्तर्गत सामान्य रूप से उचित वेशभूषा, श्रृंगार के ढंग, बालों को सँवारने के ढंग, बातचीत करने के ढंग, उठने-बैठने के ढंग तथा व्यक्ति के हाव-भावों को सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 2:
व्यक्तिगत सज्जा क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
व्यक्तिगत सज्जा मनुष्य की रुचि एवं रहन-सहन के स्तर की परिचायक होती है। उपयुक्त सज्जा मनुष्य को आत्मविश्वास, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं मानसिक प्रसन्नता प्रदान करती है तथा उसके बाहरी व्यक्तित्व को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाती है।

प्रश्न 3:
व्यक्तिगत सज्जा का मूल आधार क्या है?
उत्तर:
उपयुक्त वेशभूषा व्यक्तिगत सज्जा का मूल आधार है।

प्रश्न 4:
वेशभूषा के लिए कपड़े का चुनाव करते समय ध्यान रखने योग्य मुख्य गुण क्या हैं?
उत्तर:
वेशभूषा के लिए कपड़ा

  1.  आकर्षक एवं आरामदायक होना चाहिए,
  2. मजबूत एवं टिकाऊ होना चाहिए,
  3. सरलता से धुलने वाला होना चाहिए तथा
  4.  आर्थिक बजट के अनुरूप होना चाहिए।

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प्रश्न 5:
ग्रीष्म ऋतु में कौन-से वस्त्र उपयुक्त रहते हैं?
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु में सूती वस्त्र अधिक उपयुक्त रहते हैं।

प्रश्न 6:
ग्रीष्म ऋतु के वस्त्रों में कौन-कौन सी मुख्य विशेषताएँ होनी चाहिए?
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु के वस्त्र पसीना सोखने वाले, महीन, सफेद अथवा हल्के रंगों के होने चाहिए।

प्रश्न 7:
रसोई गृह में नायलॉन व टेरीलीन के वस्त्र पहनने से क्या हानि हो सकती है?
उत्तर:
ये वस्त्र आग शीघ्र पकड़ते हैं; अतः इन्हें भोजन बनाते समय नहीं पहनना चाहिए।

प्रश्न 8:
छोटे बच्चों के वस्त्र किस प्रकार के होने चाहिए?
उत्तर:
बच्चों के लिए सदैव चमकीले एवं भड़कीले वस्त्र लेने चाहिए। इसके साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के वस्त्रों का कपड़ा नर्म तथा मुलायम होना चाहिए।

प्रश्न 9:
वृद्ध व्यक्तियों को किस रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए ?
उत्तर:
वृद्ध व्यक्तियों को सफेद या हल्के रंगों के वस्त्र ही धारण करने चाहिए।

प्रश्न 10:
अिंक पूफ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
कुछ रासायनिक पदार्थों का प्रयोग कर कपड़ा सिकुड़ने से मुक्त बनाया जाता है, इसी को श्रिंक पूफ कहते हैं।

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प्रश्न 11:
मौसम के अनुसार वस्त्र पहनना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मौसम के अनुसार वस्त्र पहनना इसलिए आवश्यक है जिससे कि मौसम के प्रभाव से बचा जा सके।

प्रश्न 12:
वर्षा ऋतु में कौन-से वस्त्रों से अधिक आराम मिलता है?
उत्तर:
वर्षा ऋतु में सूती व महीन वस्त्रों से अधिक आराम मिलता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) व्यक्तिगत सज्जा के लिए आवश्यक है
(क) उचित वेशभूषा,
(ख) श्रृंगार एवं उचित केश विन्यास,
(ग) बात करने तथा उठने-बैठने का उचित ढंग,
(घ) उपर्युक्त सभी।

(2) वस्त्रों का चुनाव करते समय ध्यान में रखना चाहिए
(क) कपड़े का गुण,
(ख) कपड़े की सुन्दरता तथा आकर्षण,
(ग) कपड़े का मूल्य,
(घ) ये सभी।

(3) खेल के समय वस्त्र धारण करने चाहिए ।
(क) मोटे तथा मजबूत,
(ख) कृत्रिम तन्तुओं से बने,
(ग) पसीना सोखने की क्षमता वाले,
(घ) पुराने तथा घटिया।

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(4) घरेलू जीवन में उपयोग के लिए सर्वोत्तम वस्त्र हैं
(क) सूती,
(ख) रेशमी,
(ग) जरीदार,
(घ) आधुनिक फैशन के।

(5) सफेद अथवा हल्के रंगों के वस्त्र पहनने चाहिए
(क) शीत ऋतु में,
(ख) ग्रीष्म ऋतु में,
(ग) वर्षा ऋतु में,
(घ) इन सभी में।।

(6) व्यक्तिगत सज्जा से वृद्धि होती है
(क) सामाजिक प्रतिष्ठा में,
(ख) व्यक्तित्व के आकर्षण में,
(ग) मानसिक सन्तोष में,
(घ) इन सभी में।

(7) काले रंग के व्यक्ति को वस्त्र पहनने चाहिए
(क) सफेद रंग के,
(ख) हल्के रंग के,
(ग) गहरे रंग के,
(घ) किसी भी रंग के।

(8) लम्बे कद की महिलाओं को साड़ी व ब्लाउज पहनने चाहिए
(क) समान रंग के,
(ख) भिन्न रंग के
(ग) सफेद रंग के,
(घ) काले रंग के।

(9) शिशु के वस्त्र बने होने चाहिए
(क) सूती तन्तु से,
(ख) टेरीलीन के तन्तु से,
(ग) नायलॉन के तन्तु से,
(घ) किसी भी तन्तु से।।

(10) स्कूल जाने वाले बालक-बालिकाओं को धारण करनी चाहिए
(क) रंग-बिरंगी वेशभूषा,
(ख) मजबूत वेशभूषा,
(ग) सस्ती वेशभूषा,
(घ) स्कूल द्वारा निर्धारित वेशभूषा।

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(11) पसीना सोखने की क्षमता वाले वस्त्र हैं
(क) ऊनी वस्त्र,
(ख) टेरीलीन के वस्त्र,
(ग) रेशमी वस्त्र,
(घ) सूती वस्त्र।

उत्तर:
(1) (घ) उपर्युक्त सभी,
(2) (घ) इन सभी,
(3) (ग) पसीना सोखने की क्षमता वाले,
(4) (क) सूती,
(5) (ख) ग्रीष्म ऋतु में,
(6) (घ) ये सभी में,
(7) (ख) हल्के रंग के,
(8) (ख) भिन्न रंग के,
(9) (क) सूती तन्तु से,
(10) (घ) स्कूल द्वारा निर्धारित वेशभूषा,
(11) (घ) सूती वस्त्र।

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