UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 2 लोकतंत्र लोकतन्त्र क्या? लोकतंत्र क्यों?

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 2 लोकतंत्र लोकतन्त्र क्या? लोकतंत्र क्यों?

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
यहाँ चार देशों के बारे में कुछ सूचनाएँ हैं। इन सूचनाओं के आधार पर आप इन देशों का वर्गीकरण किस तरह करेंगे? इनके सामने ‘लोकतांत्रिक’, ‘अलोकतांत्रिक’ और ‘पक्का नहीं लिखें।
(क) देश क : जो लोग देश के आधिकारिक धर्म को नहीं मानते उन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं है।
(ख) देश ख : एक ही पार्टी बीते वर्षों से चुनाव जीतती आ रही है।
(ग) देश ग : पिछले तीन चुनावों में शासक दल को पराजय को मुँह देखना पड़ा।
(घ) देश घ : यहाँ स्वतन्त्र चुनाव आयोग नहीं है।
उत्तर:
(क) अलोकतांत्रिक
(ख) पक्का नहीं
(ग) लोकतांत्रिक
(घ) अलोकतांत्रिक

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प्रश्न 2.
यहाँ चार अन्य देशों के बारे में कुछ सूचनाएँ दी गई हैं। इन सूचनाओं के आधार पर इन देशों का वर्गीकरण आप किस तरह करेंगे? इनके आगे ‘लोकतांत्रिक’, ‘अलोकतांत्रिक’ और ‘पक्का नहीं लिखें।
(क) देश च : संसद सेना प्रमुख की मंजूरी के बिना सेना के बारे में कोई कानून नहीं बना सकती।
(ख) देश छ : संसद न्यायपालिका के अधिकारों में कटौती का कानून नहीं बना सकती।
(ग) देश जे : देश के नेता बिना पड़ोसी देश की अनुमति के किसी और देश से संधि नहीं कर सकते।
(घ) देश झ : देश के अधिकांश फैसले केन्द्रीय बैंक के अधिकारी करते हैं जिसे मंत्री भी नहीं बदल सकते।
उत्तर:
(क) अलोकतांत्रिक
(ख) लोकतांत्रिक
(ग) अलोकतांत्रिक
(घ) अलोकतांत्रिक

प्रश्न 3.
इनमें से कौन-सा तर्क लोकतंत्र के पक्ष में अच्छा नहीं है और क्यों?
(क) लोकतन्त्र में लोग खुद को स्वतंत्र और समान मानते हैं।
(ख) लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ दूसरों की तुलना में टकरावों को ज्यादा अच्छी तरह सुलझाती हैं।
(ग) लोकतांत्रिक सरकारें लोगों के प्रति ज्यादा उत्तरदायी होती हैं।
(घ) लोकतांत्रिक देश दूसरों की तुलना में ज्यादा समृद्ध होते हैं।

उत्तर:
(क) एक लोकतंत्रीय राज्य अन्य राज्यों की तुलना में अधिक समृद्ध हो, ऐसा होना आवश्यक नहीं है। देश विदेश के लोगों की समृद्धि और खुशहाली देश के आर्थिक विकास पर निर्भर करती है न कि सरकार के स्वरूप पर। हमें ऐसे अनेक उदाहरण सरलता से प्राप्त हो जाएँगे कि देश में लोकतांत्रिक सरकार विद्यमान होते हुए भी वहाँ के लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश आज भी आर्थिक रूप से
विकसित हो रहे हैं। जबकि संयुक्त अरब अमीरात जैसे राजतंत्र वाले देश आर्थिक रूप से समृद्ध हैं।

प्रश्न 4.
इन सभी कथनों में कुछ चीजें लोकतांत्रिक हैं तो कुछ अलोकतांत्रिक। हर कथन में इन चीजों को अलग अलग करके लिखें।
(क)
एक मंत्री ने कहा कि संसद को कुछ कानून पास करने होंगे जिससे विश्व व्यापार संगठनों द्वारा तय नियमों की पुष्टि हो सके।
(ख) चुनाव आयोग ने एक चुनाव क्षेत्र के सभी मतदान केन्द्रों पर दोबारा मतदान का आदेश दिया जहाँ बड़े पैमाने पर मतदान में गड़बड़ की गई थी।
(ग) संसद में औरतों का प्रतिनिधित्व कभी भी 1 प्रतिशत तक नहीं पहुँचा है। इसी कारण महिला संगठनों ने संसद में एक-तिहाई आरक्षण की माँग की है।
उत्तर:
(क) लोकतांत्रिक चीज : “संसद को कुछ कानून पास करने होंगे।’
अलोकतांत्रिक चीज : “विश्व व्यापार संगठन द्वारा तय नियमों की पुष्टि हो सके।
(ख) लोकतांत्रिक चीज : “चुनाव आयोग ने किसी चुनाव क्षेत्र में दोबारा मतदान का आदेश दिया।”
अलोकतांत्रिक चीज : “बड़े पैमाने पर मतदान में गड़बड़ हुई थी।
(ग) लोकतांत्रिक चीज : “इसी के कारण महिला संगठनों ने एक तिहाई आरक्षण की माँग की है।”
अलोकतांत्रिक चीज : “संसद में औरतों का प्रतिनिधित्व कभी भी 10 प्रतिशत तक नहीं पहुँचा है।”

प्रश्न 5.
लोकतन्त्र में अकाल और भुखमरी की संभावना कम होती है। यह तर्क देने का इनमें से कौन-सा कारण सही नहीं है?
(क) विपक्षी दल भूख और भुखमरी की ओर सरकार को ध्यान दिला सकते हैं।
(ख) स्वतंत्र अखबार देश के विभिन्न हिस्सों में अकाल की स्थिति के बारे में खबरें दे सकते हैं।
(ग) सरकार को अगले चुनाव में अपनी पराजय का डर होता है।
(घ) लोगों को कोई भी तर्क मानने और उस पर आचरण करने की स्वतंत्रता है।

उत्तर:
(घ) लोगों को कोई भी तर्क मानने और उस पर आचरण करने की स्वतंत्रता है।

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प्रश्न 6.
किसी जिले में 40 ऐसे गाँव हैं जहाँ सरकार ने पेयजल उपलब्ध कराने का कोई इंतजाम नहीं किया है। इन गाँवों के लोगों ने एक बैठक की और अपनी जरूरतों की ओर सरकार का ध्यान दिलाने के लिए कई तरीकों पर विचार किया। इनमें से कौन-सा तरीका लोकतांत्रिक नहीं है।
(क) अदालत में पानी को अपने जीवन के अधिकार का हिस्सा बताते हुए मुकदमा दायर करना।
(ख) अगले चुनाव का बहिष्कार करके सभी पार्टियों को संदेश देना।
(ग) सरकारी नीतियों के खिलाफ जन-सभाएँ करना।
(घ) सरकारी अधिकारियों को पानी के लिए रिश्वत देना।
उत्तर:
(घ) यह एक अलोकतांत्रिक तरीका है।

प्रश्न 7.
लोकतन्त्र के खिलाफ दिए जाने वाले इन तर्को का जवाब दीजिए
(क) सेना देश का सबसे अनुशासित और भ्रष्टाचार मुक्त संगठन है। इसलिए सेना को देश का शासन करना चाहिए।
(ख) बहुमत के शासन का मतलब है मूख और अशिक्षितों का राज। हमें तो होशियारों की जरूरत है, भले ही उनकी संख्या कम क्यों न हो।
(ग) अगर आध्यात्मिक मामलों में मार्गदर्शन के लिए हमें धर्म-गुरुओं की जरूरत होती है तो उन्हीं को राजनैतिक मामलों में मार्गदर्शन का काम क्यों नहीं सौंपा जाए। देश पर धर्म गुरुओं का शासन होना चाहिए।
उत्तर:
(क) किसी देश की सेना रक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण है लेकिन यह लोगों द्वारा निर्वाचित नहीं है। इसलिए एक लोकतांत्रिक
सरकार का गठन नहीं कर सकती है। निश्चय ही सेना सर्वाधिक अनुशासित एवं भ्रष्टाचार मुक्त संगठन है फिर भी कोई व्यक्ति इस बात की गारण्टी नहीं दे सकता है कि सेना तानाशाह नहीं बनेगी। सैन्य शासन के अधीन नागरिकों के सभी मौलिक अधिकार छीन लिए जाएँगे। उदाहरण के (UPBoardSolutions.com) लिए, जनरल ऑगस्तों पिनोशे के शासन के अधीन चिली के लोगों को अनेक कष्ट भोगने पड़े थे।

(ख) किसी भी देश के सभी लोग कुछ सीमा तक समझदार होते हैं। सार्वभौम वयस्क मताधिकार सिद्धान्त के अनुसार भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को मताधिकार प्रदान किया गया है। समाज के कुछ वर्गों की उपेक्षा करना उचित नहीं है।

(ग) तीसरा कथन उपयुक्त नहीं है। राजनीति में धर्म को शामिल करने से खतरनाक विवाद उत्पन्न हो सकता है क्योंकि भारत में अनेक धर्मों के लोग साथ-साथ रहते हैं ऐसे में किसी एक धर्म के धर्मगुरुओं को राज्य के संचालन का कार्य सौंप देने से देश में साम्प्रदायिक संघर्ष उत्पन्न हो सकते हैं। वैश्विक स्तर पर अभी तक किसी धार्मिक नेता द्वारा सफल शासन संचालन का उदाहरण प्राप्त नहीं हुआ है।
ऐसे में धर्म को राजनीति से पृथक् रखना ही उचित है। राजनीति में धर्म का हस्तक्षेप विनाशकारी होता है। अतः सत्ता को धर्म-निरपेक्ष होना चाहिए और धार्मिक विश्वास के मामले को व्यक्ति की उसकी रुचि पर छोड़ देना चाहिए।

प्रश्न 8.
इनमें से किन कथनों को आप लोकतांत्रिक समझते हैं? क्यों?
(क) बेटी से बाप : मैं शादी के बारे में तुम्हारी राय सुनना नहीं चाहता। हमारे परिवार में बच्चे वहीं शादी करते हैं जहाँ माँ-बाप तय कर देते हैं।
(ख)  छात्र से शिक्षक : कक्षा में सवाल पूछकर ध्यान मत बँटाओ।
(ग) अधिकारियों से कर्मचारी : हमारे काम करने के घंटे कानून के अनुसार कम किए जाने चाहिए।
उत्तर:
(क) पहला कथन लोकतांत्रिक नहीं है क्योंकि बेटी को उसकी शादी के बारे में अपना मत प्रकट करने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। बेटी को दूसरे लोगों द्वारा उसकी इच्छा के विरुद्ध शादी करने के लिए विवश नहीं किया जाना चाहिए। विवाह के पश्चात् बेटी को ही अपने पति के साथ जीवन-निर्वाह करना होता है। इसलिए बेटी के विवाह में पति का चयन करते समय बेटी के विचार को महत्त्व दिया जाना चाहिए।

(ख) दूसरी कथन लोकतांत्रिक नहीं है क्योंकि छात्र को प्रश्न पूछ कर अपने मन में उत्पन्न संशय का समाधान करने का पूरा अधिकार है। अध्यापक द्वारा छात्र को प्रश्न पूछने से रोकना अलोकतांत्रिक है। उपयुक्त तो यह होता है कि शिक्षक छात्रों से कहें कि कक्षा समाप्त होने के पश्चात् छात्र अपने मन में उठे विषय से सम्बन्धित प्रश्नों का समाधान करें। शिक्षक को छात्रों के प्रश्नों का निश्चय ही समाधान करना चाहिए।

(ग) यह कथन लोकतांत्रिक है क्योंकि वह ऐसे नियम या कानून की माँग करता है जो कर्मचारियों के लिए लाभप्रद है। कर्मचारी कानूनी मानकों के अनुरूप अपने अधिकारी (UPBoardSolutions.com) से किसी चीज की माँग कर सकते हैं। अतः यह कथन
लोकतांत्रिक मूल्यों के सापेक्ष है।

प्रश्न 9.
एक देश के बारे में निम्नलिखित तथ्यों पर गौर करें और फैसला करें कि आप इसे लोकतंत्र कहेंगे या नहीं। अपने फैसले के पीछे के तर्क भी बताएँ।।
(क) देश के सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार है और चुनाव नियमित रूप से होते हैं।
(ख) देश ने अन्तर्राष्ट्रीय एजेंसियों से ऋण लिया। ऋण के साथ यह एक शर्त जुड़ी थी कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य पर अपने खर्चे में कमी करेगी।
(ग)  लोग सात से ज्यादा भाषाएँ बोलते हैं पर शिक्षा का माध्यम सिर्फ एक भाषा है, जिसे देश के 52 फीसदी लोग बोलते हैं।
(घ) सरकारी नीतियों का विरोध करने के लिए अनेक संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रदर्शन करने और देश भर में हड़ताल करने का आह्वान किया है। सरकार ने उनके नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है।
(ङ) देश के रेडियो और टेलीविजन चैनल सरकारी हैं। सरकारी नीतियों और विरोध के बारे में खबर छापने के लिए अखबारों को सरकार से अनुमति लेनी होती है।
उत्तर:
(क) सभी नागरिकों को समानता के सिद्धान्त पर मताधिकार देना और नियमित चुनाव लोकतांत्रिक प्रणाली के अनुरूप है परन्तु चुनाव स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष होना चाहिए।
(ख)वह देश लोकतांत्रिक हो सकता है यदि ऋण लेने वाली सरकार जनता द्वारा निर्वाचित है।
(ग)  वह राज्य लोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता क्योंकि नागरिकों को अपनी भाषा में शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नहीं है।
(घ) सभी लोकतांत्रिक राज्य अपने नागरिकों को हड़ताल करने का अधिकार देते हैं, इससे राज्य अलोकतांत्रिक नहीं बन जाता।
(ङ) यह अलोकतांत्रिक है। रेडियो तथा टेलीविजन सरकारी नहीं होना चाहिए। लोगों को समाचार-पत्रों, रेडियो तथा टेलीविजन द्वारा अपने विचार प्रकट करने तथा सरकार की जन-विरोधी नीतियों की आलोचना करने का पूरा अवसर मिलना चाहिए।

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प्रश्न 10.
अमेरिका के बारे में 2004 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार वहाँ के समाज में असमानता बढ़ती जा रही है।
आमदनी की असमानता लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विभिन्न वर्गों की भागीदारी घटने-बढ़ने के रूप में भी सामने आई। इन समूहों की सरकार के फैसलों पर असर (UPBoardSolutions.com) डालने की क्षमता भी इससे प्रभावित हुई है। इस रिपोर्ट की मुख्य बातें थीं
(क) सन् 2004 में एक औसत अश्वेत परिवार की आमदनी 100 डालर थी जबकि गोरे परिवार की आमदनी 162 डालर/औसत गोरे परिवार के पास अश्वेत परिवार से 12 गुना ज्यादा सम्पत्ति थी।

(ख) राष्ट्रपति चुनाव में 75,000 डालर से ज्यादा आमदनी वाले परिवारों के प्रत्येक 10 में से 9 लोगों ने वोट डाले थे। यही लोग आमदनी के हिसाब से समाज के ऊपरी 20 फीसदी में आते हैं। दूसरी ओर 15,000 डालर से कम आमदनी वाले परिवारों के प्रत्येक 10 में से सिर्फ 5 लोगों ने ही वोट डाले। आमदनी के हिसाब से ये लोग सबसे निचले 20 फीसदी हिस्से में आते हैं।

(ग) राजनैतिक दलों का करीब 95 फीसदी चंदा अमीर परिवारों से ही आता है। इससे उन्हें अपनी राय और चिंताओं से नेताओं को अवगत कराने का अवसर मिलता है। यह सुविधा देश के अधिकांश नागरिकों को उपलब्ध नहीं है।

(घ) जब गरीब लोग राजनीति में कम भागीदारी करते हैं तो सरकार भी उनकी चिंताओं पर कम ध्यान देती हैगरीबी दूर करना, रोजगार देना, उनके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास की व्यवस्था करने पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना दिया जाना चाहिए। राजनेता अक्सर अमीरों और व्यापारियों की चिंताओं पर ही नियमित रूप से गौर करते हैं।

इस रिपोर्ट की सूचनाओं को आधार बनाकर और भारत के उदाहरण देते हुए ‘लोकतंत्र और गरीबी’ पर एक लेख लिखें।
उत्तर:
भारत में आर्थिक आधार पर अत्यधिक असमानता पायी जाती है। समाज में एक वैभवशाली, साधन सम्पन्न विलासी वर्ग है तो वहीं ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिल पाती है। इससे स्पष्ट है कि लोगों की आय में अत्यधिक असमानता पायी जाती है। मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार भारत में 26 प्रतिशत लोग गरीबी की श्रेणी में आते हैं। निर्धनता अनेक सामाजिक (UPBoardSolutions.com) और आर्थिक बुराइयों को जन्म देती है।
निर्धन व्यक्ति को हमेशा अपने भरणपोषण की चिन्ता सताती रहती है। ऐसे में उसके पास समाज और देश की समस्याओं के बारे में विचार करने का न तो समय होता है और न ही इच्छा।
गरीब व्यक्ति चुनाव लड़ना तो दूर उसके बारे में मुश्किल से सोच पाता है क्योंकि उसके सामने आर्थिक समस्याओं का पहाड़ खड़ा रहता है। राजनीतिक दल पूँजीपतियों से पार्टी फण्ड में चन्दा लेते हैं, इसलिए यह आम धारणा है कि सरकार पर पूँजीपतियों का नियंत्रण है। प्रत्येक राजनीतिक दल गरीबों की गरीबी का राजनीतिक लाभ उठाना चाहता है।
चुनाव के समय सभी राजनीतिक दल गरीबी उन्मूलन की बात तो करते हैं किन्तु सत्ता में आने के बाद वे अपने इस वायदे को भूल जाते हैं। निर्धनता ने अनेक हिंसात्मक आन्दोलनों को जन्म दिया है। निश्चय ही निर्धनता भारतीय लोकतन्त्र की सफलता में बहुत बड़ी बाधा है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सार्वभौम वयस्क मताधिकार से क्या आशय है?
उत्तर
भारत में 18 वर्ष से अधिक की आयु का कोई भी नागरिक चाहे वह किसी भी जाति, रंग, सम्प्रदाय या सामाजिक स्थिति का हो उसे मतदान का अधिकार है।

प्रश्न 2.
डेमोक्रेसी शब्द की उत्पत्ति किस भाषा के शब्द से हुई है?
उत्तर
डेमोक्रेसी शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द डीमोस (Demos) तथा क्रेशिया (Cratia) से हुई है, ‘डीमोस’ का अर्थ है जनता (लोग) तथा ‘क्रेशिया’ का अर्थ है शासन। अतः लोकतंत्र वह शासन प्रणाली है जिसमें देश का शासन जनता के हाथों में होता है।

प्रश्न 3
अधिनायकवाद ( तानाशाही ) का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
तानाशाही शासन का वह रूप है जिसमें शासन की सत्ता एक ही व्यक्ति अथवा एक ही राजनैतिक दल के हाथों में होती है। तानाशाह (अधिनायक) अपनी शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छानुसार करता है और वह किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं होता। नागरिकों को तानाशाह अथवा (UPBoardSolutions.com) उसकी नीतियों की आलोचना करने का अधिकार नहीं होता। उसका कार्यकाल निश्चित नहीं होता और वह तब तक अपने पद पर बना रहता है जब तक शासन की शक्ति उसके हाथों में रहती है।

प्रश्न 4.
लोकतांत्रिक सरकार की सीमाएँ बताइए।
उत्तर:
एक लोकतांत्रिक सरकार संवैधानिक कानूनों एवं नागरिक अधिकारों के दायरे में रहते हुए शासन करती है। इसमें कानून का शासन होता है जिससे सरकार संवैधानिक कानूनों एवं नागरिक अधिकारों के दायरे में रहते हुए शासन करती है।

प्रश्न 5.
लोकतन्त्र लोगों की गरिमा में वृद्धि करता है। व्याख्या करें।
उत्तर:
राजनीतिक समानता पर आधारित होने के कारण लोकतन्त्र यह स्वीकार करता है कि सबसे निर्धन एवं सबसे कम पढ़े लिखे लोगों की समाज में वही स्थिति है जो अमीर व शिक्षित लोगों की है। लोकतंत्र में लोग शासक की प्रजा नहीं बल्कि स्वयं शासक हैं।

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प्रश्न 6.
लोकतांत्रिक व्यवस्था दूसरों से बेहतर है क्योंकि लोकतंत्र मतभेदों और टकरावों को संभालने का तरीका उपलब्ध कराता है। व्याख्या करें।
उत्तर:
किसी भी समाज में लोगों के हितों और विचारों में अन्तर होता है। भारत की तरह भारी सामाजिक विविधता वाले देश में इस तरह का अन्तर और भी ज्यादा होता है। भारत में विभिन्न भाषा, क्षेत्र, जाति, धर्म के लोग रहते हैं। इनके रहन-सहन में भी अन्तर है। एक समूह की पसंद और दूसरे (UPBoardSolutions.com) समूह की पसंद में टकराव भी होता है। लोकतन्त्र इस समस्या का एकमात्र शांतिपूर्ण समाधान उपलब्ध कराता है। लोकतांत्रिक सरकार विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सामंजस्य कराता है।

प्रश्न 7.
बेहतर सरकार और सामाजिक जीवन पर प्रभाव की दृष्टि से तीन तर्क दीजिए जो लोकतन्त्र को सुदृढ़ सिद्ध करते हैं।
उत्तर:
(क) लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिक अधिकार और सम्मान में वृद्धि होती है।
(ख) लोकतन्त्र में अन्य शासकीय व्यवस्थाओं की तुलना में नागरिक की स्थिति अच्छी होती है।
(ग) लोकतन्त्र राजनीतिक समानता के सिद्धान्त पर आधारित है, यहाँ सबसे गरीब और अनपढ़ को भी वही दर्जा प्राप्त है जो अमीर और पढ़े लिखे लोगों को है। लोग किसी शासक की प्रजा न होकर खुद अपने शासक हैं।

प्रश्न 8.
लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी गलती सुधारने का अवसर मिलता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ऐसा कोई शासन तन्त्र नहीं जिसमें शासन तन्त्र से कोई गलती न हो चाहे वह लोकतन्त्र ही क्यों न हो। लेकिन लोकतन्त्र में गलतियों पर विचार-विमर्श करने और उसे सुधारने की संभावना अन्तर्निहित होती है। इसका आशय यह है कि या तो शासक समूह अपना निर्णय बदले या फिर शासक समूह को ही बदला जा सकता है। गैरलोकतांत्रिक सरकारों में ऐसा नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 9.
जिम्बाब्वे की लोकतांत्रिक व्यवस्था ने किस तरह का उदाहरण प्रस्तुत किया है?
उत्तर:
जिम्बाब्वे लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए यह उदाहरण प्रस्तुत करता है कि शासकों द्वारा जनता का विश्वास पाने के लिए बार-बार जनादेश पाना लोकतन्त्र की एक आवश्यकता है पर इतना ही पर्याप्त नहीं है। लोकप्रिय नेता भी अलोकतांत्रिक हो सकते हैं। लोकप्रिय नेता भी तानाशाह हो सकते हैं। जिम्बाब्वे के नेता रॉबर्ट मुगाबे अत्यधिक लोकप्रिय नेता हैं। स्वतन्त्रता के बाद से ही शासन कर रहे हैं। चुनाव नियमित रूप से होते हैं और सदा जानु पी. एफ. दल ही चुनावों में जीतता आया है। चुनाव जीतने के लिए गलत तरीके भी अपनाए जाते हैं। अतः यह उदाहरण लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अच्छा संदेश नहीं है।

प्रश्न 10.
मैक्सिको में पी. आर. आई. पार्टी निरन्तर 2000 ई. से किस तरह से सत्ता में बनी हुई है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मैक्सिको का यह राजनीतिक दल चुनाव में हर तरह के हथकण्डे अपनाकर किसी न किसी तरह चुनाव जीतने का प्रयास करती रही है और इसमें सफल भी रही थी। सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले सभी लोगों के लिए पार्टी की बैठकों में जाना (UPBoardSolutions.com) अनिवार्य था। सरकारी स्कूलों के अध्यापक अपने विद्यार्थियों के माता-पिता से पी.आर.आई. को वोट देने को कहते थे। कई बार अन्तिम क्षणों में मतदान केन्द्रों को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह कर दिया जाता था जिससे अनेक लोग वोट नहीं डाल पाते थे। पी.आर.आई. राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के चुनाव अभियान में काफी धन खर्च करती थी।

प्रश्न 11.
चीन में सांसद का चुनाव किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
चीन की संसद ‘राष्ट्रीय जन संसद’ कहलाती है। चीन की संसद हेतु प्रत्येक पाँचवें वर्ष नियमित रूप से चुनाव होता है। इस संसद को देश का राष्ट्रपति नियुक्त करने का अधिकार है। इसमें पूरे देश से लगभग 3,000 सदस्य आते हैं। कुछ सदस्यों का चुनाव सेना (UPBoardSolutions.com) भी करती है। चुनाव लड़ने से पहले सभी उम्मीदवारों को चीनी कम्युनिष्ट पार्टी से मंजूरी लेनी होती है। 2002-03 ई. में हुए चुनावों में सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी और उससे सम्बद्ध कुछ छोटी पार्टियों के सदस्यों को ही चुनाव लड़ने की अनुमति मिली। सरकार सदा कम्युनिष्ट पार्टी की ही बनती है।

प्रश्न 12.
ऐसे दो देशों का उदाहरण दीजिए जहाँ नागरिकों को मतदान के समान अधिकार नहीं हैं?
उत्तर:
एस्टोनिया ने अपने यहाँ नागरिकता के नियम कुछ इस तरह बनाए हैं कि रूसी अल्पसंख्यक समाज के

  1. लोगों को मतदान का अधिकार हासिल करने में मुश्किल होती है।
  2. फिजी की चुनाव प्रणाली में वहाँ के मूल निवासियों के वोट का महत्त्व भारतीय मूल के फिजी नागरिक के वोट से ज्यादा है।

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प्रश्न 13.
अर्थशास्त्रियों के अनुसार चीन में पड़े भयंकर अकाल के कारण तीन करोड़ से अधिक लोगों के मरने का प्रमुख कारण क्या था?
उत्तर:
अर्थशास्त्रियों के अनुसार चीन में पड़े भयंकर अकाल के कारण तीन करोड़ से अधिक लोगों के मरने का मुख्य कारण वहाँ पर साम्यवादी शासन व्यवस्था को माना गया है।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
लोकतन्त्र की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
लोकतन्त्र की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं–

  1.  एक लोकतांत्रिक देश में प्रत्येक वयस्क नागरिक को एक वोट देने का अधिकार है और प्रत्येक वोट का समान | महत्त्व है। कोई भी नागरिक किसी भी जाति, धर्म, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि का हो वह किसी भी पद के लिए चुनाव लड़ सकता है जिसका अर्थ यह है कि सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार प्राप्त है।
  2. एक लोकतांत्रिक सरकार संवैधानिक कानूनों एवं नागरिक अधिकारों के दायरे में रहते हुए शासन करती है।
  3. लोकतांत्रिक देशों में शासकों का चयन जनता करती है जो सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं।
  4.  इसमें स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव होते हैं। चुनाव लोगों के सामने वर्तमान शासकों को बदलने का एक विकल्प एवं अच्छा अवसर (UPBoardSolutions.com) प्रदान करते हैं।
  5. चुनाव के पहले और बाद में भी विपक्षी दलों को स्वतन्त्र रूप से काम करते रहने की अनुमति है।
  6.  इसमें अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता होती है और लोग मौलिक अधिकारों का प्रयोग करते हैं।
  7. ऐसी सरकारें राजनैतिक समानता के मौलिक सिद्धान्त पर आधारित होते हैं।

प्रश्न 2.
लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रमुख दोषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रमुख दोष इस प्रकार हैं

  1. लोकतंत्र भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है क्योंकि यह चुनावी प्रतिस्पर्धा पर आधारित है।
  2. निर्वाचित नेता लोगों के सर्वश्रेष्ठ हितों से परिचित नहीं होते हैं। ऐसे में वे अनेक गलत निर्णय करते हैं जिससे जन
    सामान्य को कष्ट होता है।
  3.  लोकतन्त्र में नेता बदलते रहते हैं। यह अस्थिरता का कारण बनता है।
  4. लोकतन्त्र राजनैतिक प्रतिद्वन्दिता एवं शक्ति का खेल है। इसमें नैतिकता के लिए कोई स्थान नहीं है।
  5.  जनसाधारण को यह पता नहीं होता है कि उनके लिए क्या करना अच्छा है, उन्हें कोई निर्णय नहीं लेने दिया जाता है।

प्रश्न 3.
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र में राज्य की इच्छा जनता द्वारा आम सभाओं के माध्यम से प्रकट की जाती है। इसमें जनता अपने प्रतिनिधियों को निर्वाचित करके नहीं भेजती, वरन् स्वयं एकत्रित होकर अधिकारियों को नियुक्त करती है, कर निर्धारित करती है तथा (UPBoardSolutions.com) कानून बनाती है।
ऐसा प्रजातन्त्र छोटे-छोटे राज्यों में ही स्थापित किया जा सकता है। प्राचीन यूनान तथा रोम के नगर-राज्यों में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र प्रणाली प्रचलित थी। आधुनिक राष्ट्र राज्यों में इसे लागू नहीं किया जा सकता फिर भी स्विट्जरलैण्ड के कुछ कैंटनों, अमेरिका तथा रूस के कुछ राज्यों तथा गणतन्त्रों में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र की व्यवस्था है।
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के आधुनिक साधनों में जनमत संग्रह, प्रस्तावाधिकार तथा प्रत्यावर्तन के साधन हैं। इन साधनों द्वारा मतदाता कानून के निर्माण में प्रत्यक्ष रूप से भाग ले सकते हैं। जनमत संग्रह का थोड़ा-बहुत प्रयोग अन्य देशों में भी किया जाता है।

प्रश्न 4.
अप्रत्यक्ष लोकतंत्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अप्रत्यक्ष (प्रतिनिधि) लोकतन्त्र वर्तमान समय में ऐसे राज्यों में पाया जाता है जहाँ का क्षेत्रफल तथा जनसंख्या अधिक होती है। जनसंख्या व क्षेत्रफल की विशालता के कारण ही अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र का विकास हुआ, जिसमें मतदाता अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं, जो देश का शासन चलाते हैं।
ये प्रतिनिधि एक निश्चित समय के लिए चुने जाते हैं। यदि ये प्रतिनिधि जनता की इच्छानुसार या जनमत के अनुसार कार्य नहीं करते तो अगले चुनाव में जनता उन्हें वोट नहीं करेगी और वे चुनाव हार कर सत्ता से बाहर हो जायेंगे। इस तरह जनता के प्रतिनिधि जनता के प्रति उत्तरदायी बने रहते हैं। वर्तमान समय में जहाँ भी प्रजातंत्रात्मक शासन प्रणाली अपनायी गयी है वहाँ प्रतिनिधि प्रजातन्त्र प्रणाली ही पायी जाती है।

प्रश्न 5.
भारत में लोकतन्त्र का भविष्य बताइए।
उत्तर:
यद्यपि भारत के लोकतांत्रिक विकास के मार्ग में अनेक बाधाएँ हैं लेकिन भारत में अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत में लोकतन्त्र का भविष्य उज्ज्वल है। ये सभी चुनाव प्रायः स्वतन्त्र और निष्पक्ष रूप से कराए गए हैं।
न केवल भारतीय जनता बल्कि राजनीतिक दलों को भी लोकतन्त्र में दृढ़ विश्वास है। भारतीय मतदाता अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए आंदोलन करने तथा बड़ी-से-बड़ी कुरबानी देने के लिए तैयार रहते हैं। चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग की स्थापना की गई है जो पूर्ण रूप से निष्पक्ष होकर कार्य करता है। भारत में न्यायपालिका भी स्वतन्त्र है जो (UPBoardSolutions.com) लोकतन्त्र पर होने वाले किसी भी आघात को रोकती है। यद्यपि भारत के अधिकांश लोग अशिक्षित हैं, परन्तु वे राजनीतिक दृष्टि से जागरुक हैं। ऐसी स्थिति में भारतीय लोकतन्त्र के सफल भविष्य के बारे में चिंता की कोई बात नहीं है।

प्रश्न 6.
लोकतन्त्र की त्रुटियों को कैसे सुधारा जा सकता है?
उत्तर:
लोकतन्त्र स्वयं की गलतियों को सुधारने की अनुमति देता है। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि लोकतन्त्र में कोई गलती नहीं हो सकती। सरकार का कोई भी स्वरूप इसकी गारण्टी नहीं दे सकता। लोकतन्त्र का गुण यह है कि ऐसी गलतियाँ लम्बे समय तक छिपी नहीं रहतीं। इन गलतियों पर सार्वजनिक चर्चा की जा सकती है और गलती सुधारने का अवसर भी उपलब्ध रहता है या तो शासकों को अपने निर्णय बदलने पड़ते हैं अन्यथा शासकों को बदल दिया जाता है।

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प्रश्न 7.
“लोकतन्त्र मतभेदों एवं विवादों से निपटने का तरीका उपलब्ध कराता है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी भी समाज के लोगों में मत एवं हितों में विवाद हो सकता है। भारत में ये मतभेद और भी गहरे हैं। लोग विभिन्न क्षेत्रों से सम्बन्ध रखते हैं, वे अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं, अलग-अलग धर्म का पालन करते हैं और वे विभिन्न जातियों से सम्बन्ध रखते हैं।
एक समूह की प्राथमिकता दूसरे समूह के साथ टकराव का कारण बन सकती है। इस विवाद को बल प्रयोग से भी हल किया जा सकता है। जो भी समूह अधिक शक्तिशाली होगा वह अपनी शर्ते मनवा लेगा और दूसरे लोगों को इसे स्वीकार करना होगा। किन्तु यह आक्रोश का कारण बनेगा। (UPBoardSolutions.com) लोकतन्त्र इस समस्या का एकमात्र शांतिपूर्ण हल उपलब्ध कराता है। लोकतन्त्र में कोई भी स्थायी विजेता नहीं होता। विभिन्न समूह परस्पर शांतिपूर्वक रह सकते हैं। भारत जैसे विविधता । भरे देश में लोकतन्त्र विभिन्न प्रकार के लोगों को एक साथ रहने में मदद करता है।

प्रश्न 8.
“1958-1961 ई. के बीच का चीन का अकाले सरकारी नीतियों का परिणाम था।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चीन में 1958 से 1961 ई. के बीच भीषण अकाल पड़ा। इस अकाल में लगभग 3 करोड़ लोग मारे गये। उस समय चीन की अर्थव्यवस्था भारत की अर्थव्यवस्था से अच्छी नहीं थी। चीन में लोकतांत्रिक व्यवस्था न होने के कारण सरकार लोगों की अधिक फिक्र नहीं करती थी। यदि चीन में बहुदलीय चुनावी व्यवस्था होती, विपक्षी दल होता और सरकार की आलोचना कर सकने वाली स्वतन्त्र मीडिया होती तो इतने सारे लोग भूख से नहीं मरे होते।

प्रश्न 9.
लोकतन्त्र को सरकार के अन्य स्वरूपों की अपेक्षा बेहतर क्यों माना जाता है?
उत्तर:
लोकतन्त्र को सरकार के अन्य स्वरूपों से बेहतर इसलिए माना जाता है क्योंकि यह लोगों की आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करता है। लोकतन्त्र शासक या (UPBoardSolutions.com) तानाशाह की सनक पर निर्भर नहीं है। लोकतन्त्र लोगों के लिए है तथा एक लोकतांत्रिक सरकार सदैव लोगों के प्रति उत्तरदायी है जिसका विवरण इस प्रकार है

  1. यह राजनैतिक समानता के सिद्धान्त पर आधारित है जो यह स्वीकार करता है कि सबसे निर्धन एवं सबसे कम पढ़े-लिखे लोगों की भी समाज में वही स्थिति है जो अमीर व शिक्षित लोगों की है। इस प्रकार लोकतंत्र नागरिकों की गरिमा में वृद्धि करता है।
  2.  लोकतन्त्र सरकार के अन्य स्वरूपों की अपेक्षा बेहतर है क्योंकि यह हमें इसकी गलती सुधारने का अवसर प्रदान करती है।
  3.  लोकतन्त्र मतभेदों एवं विवादों से निपटने का तरीका उपलब्ध कराता है।
  4.  लोकतन्त्र निर्णय लेने की गुणवत्ता में सुधार करता है क्योंकि यह मंत्रणा एवं परिचर्चा पर आधारित होता है।
  5. लोकतन्त्र प्रत्येक समस्या का शान्तिपूर्ण समाधान उपलब्ध कराता है। यह भारत जैसे देश के लिए उपयुक्त है जिसमें भाषा, धर्म एवं संस्कृति आधारित भिन्नताएँ पायी जाती हैं। भारतीय लोकतन्त्र ने भिन्नता में एकता बनाए रखते हुए एक शांतिपूर्ण समाज उपलब्ध कराया है।

प्रश्न 10.
किन्हीं दो देशों के नाम बताएँ जहाँ नियमित रूप से चुनाव कराए जाते हैं किन्तु उन्हें लोकतांत्रिक देश नहीं कहा जा सकता? इसके कारण भी बताएँ।
उत्तर:
चीन और मैक्सिको लोकतांत्रिक देश नहीं हैं क्योंकि चीन में चुनाव लोगों को कोई गम्भीर विकल्प उपलब्ध नहीं कराते। उन्हें शासन कर रहे दल (कम्युनिस्ट पार्टी) और उसके द्वारा अनुमोदित उम्मीदवारों को ही चुनना पड़ता है। मैक्सिको में 1930 (इसकी आजादी के दिन से) से सन् 2000 तक प्रत्येक चुनाव में पी. आर. आई. (इंस्टीट्यूशनल रिवोल्यूशनरी पार्टी) ही विजयी होती आई थी क्योंकि विपक्षी दल कभी भी जीत ही नहीं पाए। पी.आर.आई. चुनाव में गन्दे हथकण्डे अपनाकर जीतने के लिए कुख्यात थी। किसी प्रकार (UPBoardSolutions.com) के चुनाव कराना ही पर्याप्त नहीं है। अपितु चुनाव में उपलब्ध विकल्पों में से किसी एक को चुनने की स्थिति भी होनी चाहिए। किन्तु मैक्सिको में शासक दल को पराजित नहीं किया जा सकता था, चाहे लोग उसके विरुद्ध ही क्यों न हों। इसलिए लोकतन्त्र एक स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव पर आधारित होना चाहिए जिसमें सत्ताधारी दल के हार जाने के भी पूर्ण अवसर हों। लेकिन चीन और मैक्सिको में ऐसा नहीं है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतांत्रिक एवं अलोकतांत्रिक सरकारों के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लोकतांत्रिक एवं अलोकतांत्रिक सरकारों के मध्य अन्तर लोकतांत्रिक सरकार
UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 2 लोकतंत्र लोकतन्त्र क्या? लोकतंत्र क्यों?

प्रश्न 2.
भारतीय लोकतन्त्र की प्रमुख समस्याएँ बताइए तथा उन समस्याओं को दूर करने के उपाय बताइए।
उत्तर:
भारतीय लोकतन्त्र की प्रमुख समस्याएँ इस प्रकार हैं

  1. असामाजिक तत्वों की भूमिका- चुनावों में असामाजिक तत्वों की भूमिका बहुत बढ़ गयी है। चुनावों के दौरान मतदाताओं पर किसी व्यक्ति विशेष के पक्ष में मतदान करने के लिए दबाव डाला जाता है। चुनाव के दौरान मत खरीदे और बेचे जाते हैं और मतदान केन्द्रों पर कब्जा किया जाता है।
  2. जातिवाद और सम्प्रदायवाद- जातिवाद एवं सम्प्रदायवाद भारतीय लोकतन्त्र के सम्मुख उपस्थित एक गम्भीर समस्या है। चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन करते समय सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरण को महत्त्व देते हैं। मतदाता भी मतदान करते समय जातिवाद तथा सम्प्रदायवाद से प्रभावित होकर मतदान करते हैं। कई राजनीतिक दलों का गठन भी सम्प्रदाय तथा जातिवाद के आधार पर किया गया है। जातिवाद के आधार पर लोगों में आपसी झगड़े होते रहते हैं जो लोकतन्त्र की बड़ी समस्या का कारण बनते हैं।
  3. सामाजिक तथा आर्थिक असमानता- किसी भी देश में लोकतन्त्र की सफलता के लिए सामाजिक एवं आर्थिक समानता का होना अनिवार्य होता है। भारत में इसका अभाव है। समाज में सभी नागरिकों को समान नहीं समझा जाता। जाति, धर्म तथा वंश आदि के आधार पर नागरिकों में भेदभाव किया जाता है। आर्थिक दृष्टि से अमीर तथा गरीब की खाई बहुत बड़ी है।
  4. निरक्षरता- भारत में बहुत बड़ी संख्या में लोग अनपढ़ हैं। उन्हें अपने अधिकारों तथा कर्तव्यों के बारे में पूरा ज्ञान नहीं है। अनपढ़ व्यक्ति देश की समस्याओं को ठीक प्रकार से नहीं समझ सकते। उनका दृष्टिकोण संकुचित होता है और वे जातिवाद, भाषावाद तथा (UPBoardSolutions.com) सम्प्रदायवाद की भावनाओं में पड़े रहते हैं। अनपढ़ता के कारण देश में राजनीतिक समस्याओं के बारे में स्वस्थ जनमत का निर्माण नहीं हो सकता। अतः निरक्षरता लोकतन्त्र की सफलता में बाधक बनती है।

लोकतंत्र की समस्याओं को दूर करने के उपाय

  1. सरकार द्वारा लोकतन्त्र में व्याप्त समस्याओं के निराकरण के लिए निम्न उपाय अपनाये जा सकते हैं|
  2.  चुनावों में धर्म तथा जाति के प्रयोग में कड़ी पाबन्दी लगा देनी चाहिए, धर्म अथवा जाति के आधार पर राजनैतिक । दलों के गठन को रोका जाए और चुनावों के दौरान धर्म अथवा जाति के आधार पर वोट माँगने वाले उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर देना चाहिए।
  3. नागरिकों में सामाजिक व आर्थिक असमानता को दूर करने के उपाय करने चाहिए।
  4. नागरिकों को शिक्षित करने का प्रबन्ध करना चाहिए। शिक्षित तथा राजनीतिक दृष्टि से जागरूक नागरिक ही कुशल ईमानदार तथा निःस्वार्थी प्रतिनिधियों का चुनाव कर सकते हैं।
  5. समाज में लोकतंत्रीय मूल्यों का विकास करना चाहिए, प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि वह अन्य नागरिकों के अधिकारों तथा स्वतंत्रताओं का आदर करें।

प्रश्न 3.
लोकतन्त्र किसे कहते हैं? लोकतन्त्र के गुण-दोषों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र से आशय-वह शासन पद्धति जिसमें शासक लोगों द्वारा निर्वाचित किए जाते हैं, को लोकतन्त्र कहते हैं। इस प्रकार लोकतन्त्र का अर्थ है लोगों द्वारा शासन। लोकतंत्र के गुण :

  1.  लोकतन्त्र में किसी की भी जय या पराजय स्थायी नहीं होती।
  2. लोकतन्त्र मतभेदों एवं विवादों से निपटने का तरीका उपलब्ध कराती है।
  3.  लोकतन्त्र नागरिकों की गरिमा में वृद्धि करता है क्योकि यह राजनैतिक समानता के सिद्धान्त पर आधारित है जो
    यह स्वीकार करता है कि सबसे निर्धन एवं सबसे कम पढ़े-लिखे लोगों की भी समाज में वही स्थिति है जो अमीर | व शिक्षित लोगों की है। लोग किसी शासक की प्रजा नहीं हैं अपितु वे स्वयं शासक हैं।
  4.  लोकतन्त्र लोगों की जरूरतों को प्रत्युत्तर देती है। एक लोकतांत्रिक सरकार सदैव लोगों के प्रति जवाबदेह है।
  5. लोकतन्त्र निर्णय करने की गुणवत्ता में सुधार लाती है क्योंकि ये संविधान एवं परिचर्चा पर आधारित होते हैं।
  6. लोकतन्त्र प्रत्येक समस्या का शांतिपूर्ण समाधान उपलब्ध कराता है। यह भारत जैसे देश के लिए उपयुक्त है जिसमें भाषा, धर्म एवं संस्कृति आधारित भिन्नताएँ पायी जाती हैं।

भारतीय लोकतन्त्र ने भिन्नता में एकता बनाए रखते हुए एक शांतिपूर्ण समाज उपलब्ध कराया है।

  1.  लोकतन्त्र भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है क्योंकि यह चुनावी प्रतिस्पर्द्ध पर आधारित है।
  2. जनसाधारण को पता नहीं होता कि उनके लिए क्या अच्छा है; न ही उन्हें कोई निर्णय लेने का समय होता है।
  3. लोकतन्त्र में नेता बदलते रहते हैं। यह अस्थिरता का कारण बनता है।
  4.  लोकतन्त्र राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता एवं शक्ति का खेल है। इसमें नैतिकता के लिए कोई स्थान नहीं है।
  5. निर्वाचित नेता लोगों के सर्वश्रेष्ठ हितों से परिचित नहीं होते। यह गलत निर्णयों का कारण बनता है।

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प्रश्न 4.
‘लोकप्रिय सरकारें अलोकतांत्रिक हो सकती हैं और लोकप्रिय नेता स्वेच्छाचारी हो सकते हैं।’ जिम्बाब्वे के सन्दर्भ में इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जिम्बाब्वे ने सन् 1980 में स्वतन्त्रता प्राप्त की। इस देश में तभी से जानु पी. एफ. दल का शासन है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से इस देश पर रॉबर्ट मुगाबे का शासन है। जिम्बाब्वे में नियमित रूप से चुनाव कराए जा रहे हैं और हर बार रॉबर्ट मुगाबे का दल चुनाव में विजयी हो रहा है।
रॉबर्ट मुगाबे यद्यपि अपने देश में लोकप्रिय है किन्तु वह चुनाव में अनुचित साधनों का प्रयोग करता है। राष्ट्रपति की शक्तियाँ बढ़ाने और उसे कम जवाबदेह बनाने के लिए संविधान में कई बार संशोधन किए जा चुके हैं। विपक्षी दल के कार्यकर्ताओं को सताया जाता है और उनकी सभाओं को तितर-बितर किया जाता है। सरकार विरोधी प्रदर्शनों एवं आन्दोलनों को गैर कानूनी घोषित (UPBoardSolutions.com) कर दिया गया है। राष्ट्रपति की आलोचना का अधिकार सीमित है।
मीडिया पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में है और केवल सत्ताधारी दल की विचारधारा का प्रसार करते हैं। स्वतन्त्र अखबारों को सत्ताधारी दल के विरुद्ध कुछ भी लिखने पर सताया जाता है। सरकार न्यायालय के ऐसे फैसलों की परवाह नहीं करती जो उसके विरुद्ध जा रहे हों और जजों पर दबाव डाला जाता है।
उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि लोकतन्त्र में शासकों का लोकप्रिय अनुमोदन किया जाए, यही पर्याप्त नहीं है। लोकप्रिय सरकारें आलोकतांत्रिक हो सकती हैं और लोकप्रिय नेता स्वेच्छाचारी हो सकता है।

प्रश्न 5.
क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था सभी राज्यों के लिए उपयुक्त है?
उत्तर:
अनेक लोगों का विचार है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था केवल उन्हीं देशों के लिए उपयुक्त है जो आर्थिक तथा औद्योगिक दृष्टि से विकसित हैं। उनके विचार में यह प्रणाली भारत एवं पाकिस्तान जैसे विकासशील देशों के लिए उपयुक्त नहीं है। उन विचारकों का कहना है कि देश का ठीक तथा शीघ्र (UPBoardSolutions.com) विकास तानाशाही शासन में ही संभव है क्योंकि उसमें अनुशासन रहता है और निर्णय शीघ्र किया जा सकता है। वाद-विवाद में समय नष्ट नहीं करना पड़ता और निर्णय लेते समय सरकार को अगले चुनावों को ध्यान में रखना पड़ता है। किन्तु यह विचार उपयुक्त नहीं है।

यदि हम संयुक्त-राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड तथा भारत जैसे लोकतंत्रीय देशों की ओर ध्यान करें तो हमें यह बात स्पष्ट दिखाई देगी कि इन देशों की सरकारें देश के विकास के लिए बहुत अच्छा कार्य कर रही हैं। सरकार द्वारा नागरिकों की भलाई के लिए अनेक योजनाएँ लागू की गई हैं और लोगों को समान रूप से शिक्षा तथा रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं।
इसके दूसरी ओर तानाशाही शासन में तानाशाह द्वारा नागरिकों की भलाई की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता और लोगों को भी सरकार की आलोचना करने का अधिकार नहीं होती। देश के विकास की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता और थोड़ा-बहुत विकास का लाभ तानाशाह तथा शासक दल के अन्य सदस्यों द्वारा हथिया लिया जाता है। वे गैर-कानूनी तथा भ्रष्ट उपायों से धन इकट्ठा करने में लगे रहते हैं।

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UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables (दो चरों में रैखिक समीकरण)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables (दो चरों में रैखिक समीकरण).

प्रश्नावली 4.1

प्रश्न 1.
एक नोटबुक की कीमत एक कलम की कीमत से दो गुनी है। इस कथन को निरूपित करने के लिए दो चरों वाला रैखिक समीकरण लिखिए।
हल :
माना एक नोटबुक की कीमत = x
एक कलम की कीमत = y
प्रश्नानुसार,
एक नोटबुक की कीमत = 2 x एक कलम की कीमत
x = 2y
⇒ x – 2y = 0

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित रैखिक समीकरणों को ax + by + c = 0 के रूप में व्यक्त कीजिए और प्रत्येक स्थिति में a, b और c के मान बताइए:
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-1
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-2

प्रश्नावली 4.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विकल्पों में से कौन-सा विकल्प सत्य है और क्यों?
y = 3x + 5 का
(i) एक अद्वितीय हल है।
(ii) केवल दो हल हैं।
(iii) अपरिमित रूप से अनेक हल हैं।
हल :
दिया समीकरण y = 3x + 5 ⇒ 3x – y + 5 = 0
जो दो चर राशियों में रैखिक समीकरण है।
क्योंकि x के प्रत्येक मान के लिए 9 का एक संगत मान होता है और विलोमत: भी।
इसलिए इसके अपरिमित रूप से अनेक हल हैं।
विकल्प (iii) सत्य है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित समीकरणों में से प्रत्येक समीकरण के चार हल लिखिए :
(i) 2x + y = 7
(ii) πx + y = 9
(iii) x = 4y
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-3
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-4

प्रश्न 3.
बताइए कि निम्नलिखित हलों में से कौन-कौन समीकरण x – 2y = 4 के हल हैं और कौन-कौन हल नहीं है :
(i) (0, 2)
(ii) (2, 0)
(iii) (4, 0)
(iv) (√2, 4√2)
(v) (1, 1)
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-5
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-6

प्रश्नावली 4.3

प्रश्न 1.
दो चरों वाले निम्नलिखित रैखिक समीकरणों में से प्रत्येक का आलेख खींचिए।
(i) x + y = 4
(ii) x – y = 2
(iii) y = 3x
(iv) 3 = 2x + y
हल :
(i) दिया हुआ समीकरण : x + y = 4
माना x = 1, तब
3 + y = 4 या y = 4 – 1 या y = 3.
तब, समीकरण x + y = 4 के आलेख पर एक बिन्दु A (1, 3) स्थित है।
पुनः माना x = 3, तब
3 + y = 4 या y = 4 – 3 या y = 1
तब समीकरण x + y = 4 के आलेख पर एक बिन्दु B (3, 1) स्थित है।
बिन्दुओं A (1, 3) तथा B(3, 1) को ग्राफ पेपर पर अंकित किया। अब ऋजु, रेखा AB खींची।
ऋजु रेखा AB दिए हुए रैखिक समीकरण x + y = 4 का आलेख है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-7
(ii) दिया हुआ समीकरण x – y = 2
माना x = 1, तब
1 – y = 2 या -y = 2 – 1 या y = -1
तब, समीकरण x – y = 2 के आलेख पर एक बिन्दु A(1, -1) स्थित है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-8
पुनः माना x = 4, तब
4 – y = 2 या -y = 2 – 4 या -y = – 2 या y = 2
तब समीकरण x – y = 2 के आलेख पर एक अन्य बिन्दु B (4, 2) स्थित है।
प्राप्त बिन्दुओं A (1, -1) वे B(4 , 2) को ग्राफ पेपर पर अंकित किया और उन्हें मिलाकर ऋजु रेखा AB खींची।
ऋजु रेखा AB दिए गए रैखिक समीकरण x – y = 2 का आलेख है।
(iii) दिया हुआ समीकरण y = 3x
माना x = – 1, तो y = 3 x -1 = -3
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-9
अत: समीकरण y = 3x के आलेख पर एक बिन्दु A (-1, -3) स्थित है।
पुनः माना x = 1, तो y = 3 x 1 = 3
अतः समीकरण y = 3x के आलेख पर एक अन्य बिन्दु B (1, 3) स्थित है।
प्राप्त बिन्दुओं A(-1, -3)तथा B (1, 3) को ग्राफ पेपर पर अंकित किया और उन्हें मिलाकर ऋजु रेखा AB खींची।
ऋजु रेखा AB दिए गए रैखिक समीकरण y = 3 का आलेख है।
(iv) दिया हुआ समीकरण : 3 = 2x + y या 2x + y = 3
माना x = -1 तो 2 x -1 + y = 3 या -2 + y = 3 ⇒ y = 3 + 2 = 5
अत: समीकरण 3 = 2x + y के आलेख पर एक बिन्दु A(-1, 5) स्थित है।
पुनः माना x = 2 तो 2 x 2 + y = 3 या 4 + y = 3 या y = 3 – 4 = – 1
अत: समीकरण 3 = 2x + y के आलेख पर एक अन्य बिन्दु B (2, -1) स्थित है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-10
बिन्दुओं A(-1, 5) व B (2, -1) को ग्राफ पेपर पर अंकित किया और ऋजु रेखा AB खींची।
ऋजु रेखा AB दिए गए रैखिक समीकरण 3 = 2x + y या 2x + y = 3 का आलेख है।

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प्रश्न 2.
बिन्दु (2, 14) से होकर जाने वाली दो रेखाओं के समीकरण लिखिए। इस प्रकार की और कितनी रेखाएँ हो सकती हैं और क्यों?
हल :
माना (2, 14) से होकर जाने वाली रेखा ax + by + c= 0 है।
x = 2, y = 14 रखने पर,
2a + 14b + c = 0
यदि q = 1, b = 1 तो।
2 x 1 + 14 x 1 + c = 0
c = – 16
(2, 14) से होकर जाने वाली एक रेखा का समीकरण x + y – 16 = 0 अथवा x + y = 16.
पुनः a = 7, b = -1 तो
2 x 7 + 14 x -1 + c = 0 ⇒ 14 – 14 + c= 0 ⇒ c = 0
(2, 14) से होकर जाने वाली एक अन्य रेखा का समीकरण 7x – y = 0
इस प्रकार, किसी बिन्दु (2, 14) से जाने वाली ऋजु रेखाओं की संख्या अपरिमित रूप से अनेक होगी, क्योंकि एक बिन्दु किसी सरल रेखा की स्थिति निर्धारित नहीं कर सकता। किसी सरल रेखा की स्थिति को निर्धारित करने के लिए कम-से-कम दो बिन्दुओं की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
यदि बिन्दु (3, 4) समीकरण 3y = ax + 7 के आलेख पर स्थित है, तो a का मान ज्ञात कीजिए।
हल :
बिन्दु (3, 4), समीकरण 3y = ax +7 के आलेख पर स्थित है।
समीकरण 3y = ax +7 में x = 3, y = 4 रखने पर,
3 x 4= (a x 3) + 7
⇒ 12 = 3a + 7 या
⇒ 3a = 12 – 7 = 5
⇒ a = [latex]\frac { 5 }{ 3 }[/latex]
अत: a का अभीष्ट मान = [latex]\frac { 5 }{ 3 }[/latex]

प्रश्न 4.
एक नगर में टैक्सी का किराया निम्नलिखित है :
पहले किमी का किराया 8 है और उसके बाद की दूरी के लिए प्रति किमी का किराया है 5 है। यदि तय की गई दूरी x किमी हो और कुल किराया y हो, तो इसका एक रैखिक समीकरण लिखिए और उसका आलेख खींचिए।
हल :
पहले 1 किमी यात्रा का किराया = 8
और शेष यात्रा का प्रति किमी किराया = 5
तय की गई यात्रा = x किमी
तबे, x किमी यात्रा का किराया = पहले 1 किमी यात्रा का किराया + शेष (3 – 1) किमी यात्रा का किराया
y = 1 x 8 + (x – 1) x 5
y = 8 + 5x – 5
y = 5x + 3
अर्थात तय की गई x किमी यात्रा का किराया y प्रदर्शित करने वाला रैखिक समीकरण y = 5x + 3 अथवा 5x – y + 3 = 0 है।
(i) माना x = – 1 तो
y = (5 x – 1) + 3 = -5 + 3 = – 2 या y = – 2
समीकरण y = 5x + 3 के आलेख पर एक बिन्दु A(-1, -2) स्थित है।
(ii) पुनः माना x = 2 तो
y = (5 x 2) + 3 = 10 + 3 = 13 या y = 13
समीकरण y = 5 + 3 के आलेख पर एक बिन्दु B (2, 13) स्थित है।
(iii) बिन्दुओं A(-1, -2) और B (2, 13) को ग्राफ पेपर पर अंकित किया।
चित्र में समीकरण y = 5x + 3 द्वारा यात्रा-किराया आलेख प्रदर्शित किया गया है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-11

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आलेखों में से प्रत्येक आलेख के लिए दिए गए विकल्पों से सही समीकरण का चयन कीजिए :
(i) y = x
(ii) x + y = 0
(iii) y = 2x
(iv) 2 + 3y = 7x
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-12
(i) y = x + 2
(ii) y = x – 2
(iii) y = -x + 2
(iv) x + 2y = 6
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-13
हल :
पहले आलेख के लिए पहले आलेख पर स्थित बिन्दु हैं : (-1, 1) व (1, -1)
(i) दिया समीकरण y = x
इस समीकरण से स्पष्ट है कि x व y के निर्देशांक जिन बिन्दुओं में बराबर और समान चिह्न के होंगे, वही बिन्दु इस समीकरण को सन्तुष्ट करेंगे।
अतः विकल्प (i) सही नहीं है।
(ii) दिया हुआ समीकरण x + y = 0
बिन्दु (-1, 1) के लिए समीकरण x + y = 0 में x = -1 तथा y = +1 प्रतिस्थापित करने पर, बायाँ पक्ष = (-1) + (1) = 0 = दायाँ पक्ष
और बिन्दु (1, -1) के लिए समीकरण x + y = 0 में x = 1 तथा y = – 1 प्रतिस्थापित करने पर,
बायाँ पक्ष = (1) + (- 1) = 0= दायाँ पक्
बिन्दु (-1, 1) व (1,- 1), समीकरण x + y = 0 के आलेख पर स्थित हैं।
अत: विकल्प (ii) सही है।
दूसरे आलेख के लिए
इस आलेख पर स्थित बिन्दु (-1, 3), (0, 2) व (2, 0) हैं। तब आलेख के समीकरण को उक्त बिन्दुओं में से कम-से-कम दो बिन्दुओं द्वारा सन्तुष्ट होना चाहिए।
(i) दिया हुआ समीकरण y = x + 2 तब समीकरण y = x + 2 में x = -1, y = 3 रखने पर,
3 = -1 + 2 जो कि असंगत है।
अतः बिन्दु (-1, 3) समीकरण y = x + 2 के आलेख पर स्थित नहीं है।
अत: विकल्प (i) सही नहीं है।
(ii) दिया हुआ समीकरण y = x – 2
तब समीकरण y = x – 2 में x = -1, y = 3 रखने पर,
3 = -1 – 2 जो कि असंगत है।
अतः बिन्दु (-1, 3) समीकरण y = x – 2 के आलेख पर स्थित नहीं है।
अतः विकल्प (ii) सही नहीं है।
(iii) दिया हुआ समीकरण y = – x + 2
तब समीकरण y = – x + 2 में x = – 1 व y = 3 रखने पर,
3 = – (-1) + 2 = 1 + 2 = 3
अर्थात, बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष
बिन्दु (-1, 3) समीकरण y = -x + 2 के आलेख पर स्थित है।
तब बिन्दु (0, 2) के लिए : समीकरण में x = 0, y = 2 प्रतिस्थापित करने पर,
बायाँ पक्ष = 2 और दायाँ पक्ष = – 0 + 2 = 2
बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष
बिन्दु (0, 2) समीकरण y = -x + 2 के आलेख पर स्थित है।
और बिन्दु (2, 0) के लिए : समीकरण में x = 2 तथा y = 0 प्रतिस्थापित करने पर,
दायाँ पक्ष = – x + 2= – 2 + 2 = 0 = बायाँ पक्ष
बिन्दु (2, 0) समीकरण y = – x + 2 के आलेख पर स्थित है।
सभी बिन्दु (-1, 3), (0, 2), (2, 0) समीकरण y = -x + 2 के आलेख पर स्थित हैं।
अतः विकल्प (iii) सही है।

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प्रश्न 6.
एक अचर बल लगाने पर पिण्ड द्वारा किया गया कार्य पिण्ड द्वारा तय की गई दूरी के अनुक्रमानुपाती होता है। इस कथन को दो चरों वाले एक समीकरण के रूप में व्यक्त कीजिए और अचर बल 5 मात्रक लेकर इसका आलेख खींचिए।
यदि पिण्ड द्वारा तय की गई दूरी
(i) 2 मात्रक
(ii) 0 मात्रक
हो तो आलेख से किया हुआ कार्य ज्ञात कीजिए।
हल :
माना किसी पिण्ड द्वारा तय की गई दूरी के लिए चर 5 तथा पिण्ड द्वारा किए गए कार्य के लिए चर W है।
पिण्ड द्वारा किया गया कार्य ∝ पिण्ड द्वारा तय की गई दूरी (प्रश्नानुसार)
W ∝ s
यदि समानुपात का नियतांक (बल F) हो तो
W = F.s …(1)
दिया है, अचर बल F = 5 मात्रक है।
W = 5s
X-अक्ष (X’OX) पर पिण्ड द्वारा चली दूरी 8 तथा Y-अक्ष पर पिण्ड द्वारा किए गए कार्य W को प्रदर्शित किया।
माना s = 1 मात्रक, तो । समीकरण W = 5s में s = 1 रखने पर,
W = 5 x 1 = 5 मात्रक तब, बिन्दु A(1, 5), समीकरण W = 5s के आलेख पर स्थित है।
पुनः माना s = 3 मात्रक, तो समीकरण W = 5s में s = 3 रखने पर,
W = 5 x 3= 15 मात्रंक …(2)
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-14
तब बिन्दु B (3, 15), समीकरण W = 5s के आलेख पर स्थित है।
बिन्दुओं A(1, 5) व B (3, 15) को ग्राफ पेपर पर अंकित किया और ऋजु रेखा AB खींची।
ऋजु रेखा AB अभीष्ट दूरी-कार्य का आलेख है।
(i) 2 मात्रक दूरी के लिए पिण्ड द्वारा किया गया कार्य :
(a) X-अक्ष पर 2 मात्रक चलकर Y-अक्ष के समान्तर चलाने पर आलेख पर बिन्दु P प्राप्त होता है।
(b) P से X-अक्ष के समान्तर चलकर Y-अक्ष पर पहुँचते हैं।
(c) पैमाने की सहायता से Y-अक्ष पर स्थिति 2 के सापेक्ष 10 मात्रक है अर्थात P (2, 10)
स्पष्ट है कि 2 मात्रक दूरी चलने पर पिण्ड द्वारा किया गया कार्य 10 मात्रक होगा।
(ii) 0 मात्रक दूरी के लिए :
ग्राफ के आलेख पर एक बिन्दु (0, 0) है।
0 मात्रक दूरी चलने पर किया गया कार्य = 0(शून्य) मात्रक।

प्रश्न 7.
एक विद्यालय की कक्षा IX की छात्राएँ यामिनी और फातिमा ने मिलकर भूकम्प पीड़ित व्यक्तियों की सहायता के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष में 100 अंशदान दिया।एक रैखिक समीकरण लिखिए जो इन आँकड़ों को सन्तुष्ट करता हो।(आप उनका अंशदान x और y मान सकते हैं)। इस समीकरण का आलेख खींचिए।
हल :
माना यामिनी ने x तथा फातिमा ने y दिए।
दोनों ने मिलकर (x + 3) का अंशदान दिया,
परन्तु प्रश्नानुसार दोनों ने 100 अंशदान दिया
तब, x + y = 100
जो कि अभीष्ट रैखिक समीकरण है।
यामिनी-फातिमा के प्रधानमंत्री राहत कोष में दिए अंशदान का ग्राफीय आलेख
(i) प्राप्त रैखिक समीकरण x + y = 100
(ii) माना x = 10, तो 10 + y = 100 या y = 90
अतः बिन्दु A(10, 90), समीकरण x + y = 100 के आलेख पर स्थित है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-15
(iii) माना x = 80, तो
80 + y = 100 या y = 20
अतः बिन्दु B (80, 20) समीकरण x + y = 100 के आलेख पर स्थित है।
(iv) बिन्दुओं A (10, 90) तथा B (80, 20) को ग्राफ पेपर पर अंकित किया तथा इन्हें मिलाते हुए एक ऋजु रेखा AB . खींची।
ऋजु रेखा AB दोनों छात्राओं द्वारा प्रधानमंत्री राहत कोष में दिए गए अंशदान का आलेख प्रदर्शित करती है।

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प्रश्न 8.
अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में तापमान फारेनहाइट में मापा जाता है, जबकि भारत जैसे देशों में तापमान सेल्सियस में मापा जाता है। यहाँ फारेनहाइट को सेल्सियस में रूपान्तरित करने वाला एक रैखिक समीकरण दिया गया है।
F = ([latex]\frac { 9 }{ 5 }[/latex]) C + 32
(i) सेल्सियस को X-अक्ष और फारेनहाइट को Y-अक्ष मानकर ऊपर दिए गए रैखिक समीकरण का आलेख खींचिए।
(ii) यदि तापमान 30°c है, तो फारेनहाइट में तापमान क्या होगा?
(iii) यदि तापमान 95° F है, तो सेल्सियस में तापमान क्या होगा?
(iv) यदि तापमान 0° c है, तो फारेनहाइट में तापमान क्या होगा? और यदि तापमान 0° F है, तो सेल्सियस में तापमान क्या होगा?
(v) क्या ऐसा भी कोई तापमान है जो फारेनहाइट और सेल्सियस दोनों के लिए संख्यात्मकतः समान है? यदि हाँ, तो उसे ज्ञात कीजिए।
हल :
फारेनहाइट-सेल्सियस तापमान रूपान्तरण समीकरण
F= ([latex]\frac { 9 }{ 5 }[/latex]) C + 32
(i) (1) X-अक्ष पर सेल्सियस पैमाना अंकित किया।
(2) Y-अक्ष पर फारेनहाइट पैमाना अंकित किया।
(3) दिया हुआ समीकरण F= ([latex]\frac { 9 }{ 5 }[/latex]) C + 32
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प्रश्नावली 4.4

प्रश्न 1.
(i) एक चर वाले
(ii) दो चर वाले समीकरण के रूप में y = 3 का ज्यामितीय निरूपण कीजिए।
हल :
(i) एक चर वाले समीकरण के रूप में y = 3 का ज्यामितीय निरूपण :
संख्या रेखा खींचिए और उस पर 0 के दायीं ओर तीसरा चिह्न चिह्नित कीजिए। y = 3 की संख्या-रेखा पर यही ज्यामितीय स्थिति है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-20
(ii) दो चर वाले समीकरण के रूप में y = 3 का ज्यामितीय निरूपण :
(1) वर्ग पत्रक (ग्राफ पेपर) पर X-अक्ष तथा Y-अक्ष खींचकर उन पर मापन चिह्न अंकित कीजिए।
(2) Y-अक्ष पर +3 चिह्न से X-अक्ष के समान्तर रेखा AB खींचिए जो X-अक्ष के ऊपर X-अक्ष से 3 इकाई की दूरी पर स्थित हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-21
इस रेखा पर x (भुज) के भिन्न-भिन्न मान वाले बिन्दुओं के लिए भी y (कोटि) का मान 3 स्थिर है।
अतः ऋजु रेखा AB अभीष्ट आलेख है।

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प्रश्न 2.
(i) एक चर वाले
(ii) दो चर वाले
समीकरण के रूप में 2x + 9 = 0 का ज्यामितीय निरूपण कीजिए।
हल :
(i) एक चर वाले समीकरण के रूप में 2x + 9 = 0 की ज्यामितीय निरूपण :
दिया हुआ समीकरण 2x + 9 = 0 या 2x = – 9 या x = -4[latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] संख्या-रेखा खींचिए। 0 के बायीं ओर -4[latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] पर चिह्न लगाइए संख्या-रेखा पर 2x + 9 = 0 की यही स्थिति है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-22
(ii) दो चर वाले समीकरण के रूप में 2x + 9 = 0 का ज्यामितीय निरूपण :
(1) ग्राफ पेपर पर X-अक्ष तथा Y-अक्ष खींचकर उन पर मापक चिह्न अंकित कीजिए।
(2) X-अक्ष पर [latex]\frac { -9 }{ 2 }[/latex] या -4.5 चिह्नित (अंकित) कीजिए और इससे Y-अक्ष के समान्तर रेखा AB खींचिए जो Y-अक्ष के बायीं ओर Y-अक्ष से 4.5 इकाई दूरी पर स्थित है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 4 Linear Equations in Two Variables img-23
इस रेखा पर स्थित सभी बिन्दुओं के लिए x = -4[latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] चाहे 3 को मान कुछ भी हो।
अतः ऋजु रेखा AB अभीष्ट आलेख है।

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UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 5 अन्योक्तिमौक्तिकानि (पद्य-पीयूषम्)

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 9
Subject Sanskrit
Chapter Chapter 5
Chapter Name अन्योक्तिमौक्तिकानि (पद्य-पीयूषम्)
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 5 अन्योक्तिमौक्तिकानि (पद्य-पीयूषम्)

परिचय–प्रस्तुत को कुछ कहने के लिए जब किसी अप्रस्तुत को माध्यम बनाया जाता है, तब उसे अन्योक्ति कहते हैं। संस्कृत-साहित्य में इसे अप्रस्तुत-प्रशंसा अलंकार भी कहा जाता है। इस कथन में जिस पर बात सार्थक होती है उसे प्रस्तुत’ और जिस किसी पर बात रखकर कही जाती है, वह अप्रस्तुत कहलाता है। इसकी आवश्यकता इसलिए होती है कि कभी किसी को सीधे कोई बात कह देने से उसे अपने विषय में कही गयी बात बुरी लग सकती है या अच्छी लगने पर उसे अपने पर अहंकार भी हो सकता है; अतः किसी की बुराई और (UPBoardSolutions.com) प्रशंसा करने का अच्छा एवं प्रभावशाली माध्यम ‘अन्योक्ति’ ही होता है। अन्योक्तियों का प्रयोग साहित्यिक दृष्टि से बहुत प्रभावकारी होता है। अन्योक्तियों में प्रस्तुत की कल्पना अपने अनुभव के आधार पर भी की जा सकती है। प्रस्तुत पाठ में संकलित अन्योक्तियाँ ‘अन्योक्तिमाला’ से ली गयी हैं। इन अन्योक्तियों में प्रस्तुत की कल्पना छात्र स्वयं सरलता से कर सकते हैं।

पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या 

(1)
आपो विमुक्ताः क्वचिदाप एव क्वचिन्न किञ्चिद् गरलं क्वचिच्च।
यस्मिन् विमुक्ताः प्रभवन्ति मुक्ताः पयोद! तस्मिन् विमुखः कुतस्त्वम्॥

शब्दार्थ
आपः = जल।
विमुक्ताः = छोड़े गये, बरसाये गये।
क्वचित् = कहीं परे।
किञ्चित् = कहीं भी।
गरलम् = विष।
प्रभवन्ति = हो जाते हैं।
मुक्ताः = मोती।
पयोद = हे बादल!।
विमुखः = उदासीन।
कुतः = किस कारण से।

सन्दर्थ
प्रस्तुत अन्योक्ति श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत पद्य-पीयूषम्’ के ‘अन्योक्तिमौक्तिकानि’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है।

[संकेत-इस पाठ के शेष सभी श्लोकों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा। |

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में बादल के माध्यम से ऐसे धनी व्यक्ति की ओर संकेत किया गया है, जो सत्पात्र को दान न देकर अयोग्य व्यक्ति को दान देता है।

अन्वय
पयोद! (त्वया) विमुक्ता: आपः क्वचित् आपः एव (भवति)। क्वचित् किञ्चित् न (भवति) क्वचित् च गरलं (भवति) यस्मिन् विमुक्ताः (आप) मुक्ताः प्रभवन्ति तस्मिन् त्वं कुतः विमुखः (असि)?

व्याख्या
हे बादल! तुम्हारे द्वारा बरसाया गया जल कहीं (जल में) जल ही रहता है, कहीं (गर्म तवे आदि पर) कुछ भी नहीं रहता है और कहीं पर (सर्प आदि के मुख में) विष हो जाता है। जिसमें (सीपी में) बरसाये गये वे (जल), मोती बन जाते हैं, उस सीपी में अपना जल बरसाने से तुम किस कारण से उदासीन हो। तात्पर्य यह है कि हे दानी व्यक्तियो! तुम्हें सत्पात्र को ही दान देना चाहिए।

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(2)
जलनिधौ जननं धवलं वपुर्मुररिपोरपि पाणितले स्थितिः ।।
इति समस्त-गुणान्वित शङ्ख भोः! कुटिलता हृदयान्न निवारिता ॥

शब्दार्थ
जलनिधौ = समुद्र में।
जननं = उत्पत्ति।
धवलं = श्वेत।
वपुः = शरीर।
मुररिपोः = मुर नामक दैत्य के शत्रु अर्थात् विष्णु के।
पाणितले = हथेली अर्थात् हाथ में।
समस्तगुणान्वितः = सभी गुणों से युक्त।
कुटिलता = टेढ़ापन।
न निवारिता = दूर नहीं की गयी।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में शंख के माध्यम से ऐसे व्यक्ति के प्रति उक्ति है, जो उच्च कुल में जन्म लेकर और अच्छी संगति पाकर भी दुष्टता नहीं छोड़ता है।

अन्वय
भो शङ्ख! (तव) जननं जलनिधौ (अभवत्), वपुः धवलं (अस्ति), स्थितिः अपि मुररिपोः पाणितले (अस्ति), इति समस्त गुणान्वित (भो शङ्ख तव) हृदयात् कुटिलता ने निवारिता।

व्याख्या
हे शंख! तुम्हारा जन्म समुद्र में हुआ है, तुम्हारा शरीर श्वेत वर्ण का है, तुम्हारा निवास भी मुर के शत्रु अर्थात् विष्णु की हथेली में है। इस प्रकार सभी गुणों से युक्त हे शंख! तुम्हारे हृदय से कुटिलता (टेढ़ापन) दूर नहीं हुआ है। तात्पर्य यह है कि दुष्ट मनुष्य में चाहे कितनी ही अच्छाइयाँ क्यों न हों, वह अपनी दुष्टता को नहीं छोड़ता है।

(3)
अलिरयं नलिनी-दल-मध्यगः कमलिनी-मकरन्द-मदालसः ।
विधिवशात् परदेशमुपागतः कुटजपुष्प-रसं बहु मन्यते ॥

शब्दार्थ
अलिः = भौंरा।
नलिनीदलमध्यगः = कमलिनी की पंखुड़ियों के मध्य में स्थित।
मकरन्दमदालसः = कमल के रस के पान करने में अलसाया हुआ।
विधिवशात् = दैवयोग से।
परदेशमुपागतः = पराये देश में आया हुआ।
कुटजपुष्प-रसं = कुटज के फूल के रस को।
बहु मन्यते = बहुत सम्मान देता है, सम्मान के साथ पान करता है।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में भ्रमर के माध्यम से ऐसे व्यक्ति के प्रति उक्ति है, जो सभी प्रकार की सुविधाओं में पला-बढ़ा है। वह विदेश में विषम परिस्थिति को पाकर तुच्छ वस्तु से भी सन्तुष्ट रहता है। |

अन्वय
‘नलिनीदलमध्यगः’ कमलिनी मकरन्द मदालसः अयम् अलिः विधिवशात् परदेशम्। उपागतः (सन्) कुटजपुष्परसं बहु मन्यते।।

व्याख्या
कमलिनी की पंखुड़ियों के मध्य में विचरण करने वाला, कमलिनी के रस को पीकर नशे में अलसाया हुआ यह भौंरा भाग्य से परदेश में आकर कुटज के फूल के रस को ही (UPBoardSolutions.com) बहुत सम्मान दे रहा है। तात्पर्य यह है कि सम्भ्रान्त व्यक्ति चाहे जितनी सुख-सुविधाओं के बीच रहा हो, विपरीत समय आने पर वह तुच्छ वस्तु को भी अत्यधिक महत्त्व देता है।

(4)
उरसि फणिपतिः शिखी ललाटे शिरसि विधुः सुरवाहिनी जटायाम्।।
प्रियसखि! कथयामि किं रहस्यं पुरमथनस्य रहोऽपि संसदेव ॥

शब्दार्थ
उरसि = वक्षःस्थल पर।
फणिपतिः = सर्यों का राजा वासुकि।
शिखी = अग्नि।
ललाटे = मस्तक पर।
शिरसि = सिर पर।
विधुः = चन्द्रमा।
सुरवाहिनी = गंगा।
जटायाम् = जटाओं में।
पुरमथनस्य = त्रिपुर दैत्य को मारने वाले अर्थात् शंकर का।
रहोऽपि = एकान्त भी।
संसदेव = सभा।।

प्रसंग
यह श्लोक ऐसे व्यक्ति को लक्ष्य करके कहा गया है, जो सदा अन्य व्यक्तियों से घिरा रहता है और उसे पत्नी से गोपनीय बात करने के लिए भी एकान्त नहीं मिलता।

अन्वय
प्रिय सखि! उरसि फणिपतिः, ललाटे शिखी, शिरसि विधुः, जटायां सुरवाहिनी (अस्ति), यस्य पुरमथनस्य, रहः अपि संसद् एव, तस्य रहस्यं किं कथयामि?

व्याख्या
(पार्वती जी अपनी प्रिय सखी से कह रही हैं)—हे प्रिय सखि! (मेरे पति के) वक्षःस्थल पर सर्पो का राजा वासुकि, मस्तक पर तीसरा नेत्ररूपी अग्नि, सिर पर चन्द्रमा, जटा में गंगा है, जिस शंकर का एकान्त भी संभा ही है, मैं उनसे अपनी गोपनीय बात कैसे कह सकती हूँ? तात्पर्य यह है कि उन्हें कभी एकान्त मिलता ही नहीं, जिससे कि उनसे अपनी गोपनीय बात कही जा सके।

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(5)
एकेन राजहंसेन या शोभा सरसो भवेत् ।
न सा वक-सहस्त्रेण परितस्तीरवासिनी॥

शब्दार्थ
एकेन = एक द्वारा, अकेले।
राजहंसेन = राजहंस के द्वारा।
या = जो।
सरसः = तालाब की।
वक-सहस्रेण = हजारों बगुलों से।
परितः = चारों ओर।
तीरवासिना = तट पर निवास करने वाले से।।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में यह बताया गया है कि एक गुणवान् व्यक्ति से जो शोभा होती है, वह हजारों गुणहीन व्यक्तियों से भी नहीं होती।

अन्वय
एकेन राजहंसेन सरस: या शोभा भवेत् सा परितः तीरवासिना वर्क-सहस्रेण न भवति)।

व्याख्या
अकेले राजहंस के द्वारा तालाब की जो शोभा होती है, वह तालाब के चारों ओर किनारे पर रहने वाले हजारों बगुलों से भी नहीं होती। तात्पर्य यह है कि एक अत्यन्त विद्वान् व्यक्ति से सभा की जो शोभा हो जाती है, वह हजारों भूख से भी नहीं हो पाती है। |

(6)
अहमस्मि नीलकण्ठस्तव खलु तुष्यामि शब्दमात्रेण।
नाहं जलधर! भवतश्चातक इव जीवनं याचे ॥

शब्दार्थ
नीलकण्ठः = मोर।
तव = तुम्हारे।
खलु = निश्चय ही।
तुष्यामि = सन्तुष्ट होता हैं।
शब्दमात्रेण = शब्दमात्र से।
जलधर = हे बादल।
भवतः = आपके।
इव = समान।
जीवनम् = जल, जीवन।
न याचे = नहीं माँगता हूँ।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में नि:स्वार्थ प्रेम की श्रेष्ठता का वर्णन किया गया है।

अन्वय
जलधर! अहं नीलकण्ठः अस्मि। तव शब्दमात्रेण खलु तुष्यामि। अहं चातकः इव भवतः जीवनं न याचे।

व्याख्या
(मोर बादल से कहता है कि) हे बादल! मैं मोर हूँ। मैं निश्चय ही तुम्हारे शब्दमात्र (गर्जन) से सन्तुष्ट हो जाता हूँ। मैं आपके प्रिय चातक की तरह आपके जीवन (प्राण, जल) को नहीं माँगता हूँ। तात्पर्य यह है कि एक श्रेष्ठ मित्र को अपने किसी सामर्थ्यवान् मित्र से भी अत्यन्त बहुमूल्य वस्तु की मॉग नहीं करनी चाहिए।

(7)
अग्निदाहे न मे दुःखं छेदे न निकषे न वा। 
यत्तदेव महददुःखं गुञ्जया सह तोलनम् ॥

शब्दार्थ
अग्निदाहे = अग्नि में जलाने पर।
छेदे = काटने पर।
निकषे = कसौटी पर कसे जाने पर।
वा = अथवा।
महुद्दुःखं = बड़ा दुःख।
गुञ्जया सह = गुंजा (रत्ती) के साथ।
गुंजा (घंघची) जंगल में पायी जाती है। इसका वजन 1 रत्ती के बराबर माना जाता है। सोना तोलने में पहले इसी के दानों का प्रयोग होता था।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में उस मनस्वी व्यक्ति की मनोव्यथा व्यक्त की गयी है, जिसकी तुलना नीच व्यक्ति से की जाती है।

अन्वय
अग्निदाहे, छेदे निकषे वा मे दु:खं न (अस्ति), यत् गुञ्जया सह तोलनं तद् एव महद् । दुःखम् (अस्ति)।

व्याख्या
सुवर्ण कहता है कि आग में जलाने में,काटने में अथवा कसौटी पर कसे जाने में मुझे दुःख ‘ नहीं है, जो गुंजा (घंघची) के साथ मुझे तोलना है, वही मेरा सबसे बड़ा दुःख है। तात्पर्य यह है कि एक 
मनस्वी व्यक्ति कठिन-से-कठिन परीक्षा देने को सदैव तत्पर रहता है। वह कितने भी कष्टं में रहे, (UPBoardSolutions.com) उसे कोई चिन्ता नहीं होती; लेकिन अपना अवमूल्यन अर्थात् नीचों के साथ तुलना उसे किसी भी स्थिति में सह्य नहीं है।

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(8)
सुमुखोऽपि सुवृत्तोऽपि सन्मार्गपतितोऽपि सन्।
सतां वै पादलग्नोऽपि व्यथयत्येव कण्टकः ॥

शब्दार्थ
सुमुखः = सुन्दर मुख वाला (सुन्दर नोक वाला)।
अपि = भी।
सुवृत्तः = अच्छे आचरण वाला, अच्छा गोलाकार।
सन्मार्गपतितः = अच्छे रास्ते अर्थात् साफ-सुथरे मार्ग पर पड़ा हुआ।
सन् = होते हुए।
सतां = सज्जनों के।
पादलग्नः = पैर में लगा हुआ।
व्यथयति = कष्ट देता है।
एव = ही।
कण्टकः = काँटा।।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक उस दुष्ट व्यक्ति को लक्ष्य करके कहा गया है, जो सुन्दर मुख वाला, अच्छे आचरण वाला, सज्जनों के मार्ग पर लगा हुआ तथा सज्जनों के आश्रय में पड़ा हुआ होने पर भी उन्हें कष्ट देता है।

अन्वय
सुमुखः अपि, सुवृत्त: अपि, सन्मार्गपतितः अपि, (सन्) सतां पादलग्नः अपि कण्टकः वै व्यथयति एव। | व्याख्या-सुन्दर नोक वाला, अच्छी गोल आकृति वाला, साफ-सुथरे मार्ग में पड़ा हुआ तथा सज्जनों के पैर में गड़ा हुआ होते हुए भी कॉटा सज्जनों को केवल दु:ख ही देता है। तात्पर्य यह है कि दुष्ट चाहे जितने भी भले लोगों के बीच में रहे, वह अपने दुष्ट स्वभाव को नहीं छोड़ता।

(9)
अयि त्यक्तासि कस्तूरि! पामरैः पङ्क-शङ्कया।
अलं खेदेन भूपालाः किं न सन्ति महीतले ।।

शाख्दार्थ
अयि = अरी।
त्यक्तासि = त्यागी गयी।
पामरैः = मूर्खा ने।
पङ्कशङ्कया = कीचड़ की शंका से।
अलं खेदेन = खेद मत करो।
भूपालाः = राजा।
महीतले = पृथ्वी पर।

प्रसंग
इस श्लोक में बताया गया है कि गुणवान् व्यक्ति को अज्ञानियों के द्वारा सम्मान न मिलने पर दु:खी नहीं होना चाहिए, क्योंकि संसार में गुणज्ञों की कमी नहीं है, जो उनके गुणों का आदर करेंगे।

अन्वय
अयि कस्तूरि! पामरैः पङ्कशङ्कया त्यक्ता असि, खेदेन अलम्। किं महीतले भूपालाः न 
सन्ति ।

व्याख्या
हे कस्तूरी! मूर्खा ने तुझे कीचड़ समझकर त्याग दिया है, इसका तुम खेद मत करो। क्या पृथ्वी पर (संसार में) तुम्हारा मूल्य समझने वाले राजी नहीं हैं? तात्पर्य यह है कि हे गुणवान् पुरुष! यदि तुम्हारा दुष्टों के मध्य सम्मान नहीं है तो इसके लिए तुम्हें दु:ख नहीं करना चाहिए। तुम्हारे चाहने वाले अन्यत्र अवश्य हैं।

सूक्तिपरक वाक्य की व्याख्या

(1) सतां वै पादलग्नोऽपि व्यथयत्येव कण्टकः।
सन्दर्य
प्रस्तुत सूक्ति हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत पद्य-पीयूषम्’ के अन्योक्तिमौक्तिकानि’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है।।

प्रसंग
इस सूक्ति में अन्योक्ति के माध्यम से सुन्दर, किन्तु दुष्ट व्यक्ति के दुष्टता करते रहने के स्वभाव को बताया गया है।

अर्थ
सज्जनों के पैर में चुभा हुआ काँटा भी पीड़ा ही देता है।

व्याख्या
जिस प्रकार से काँटा सज्जन के पैर में चुभने पर भी उसे कष्ट ही देता है, वह उसके गुणों या सज्जनता से तनिक भी प्रभावित नहीं होता है, उसी प्रकार दुर्जन सज्जनों की संगति में रहने पर भी उनके साथ दुर्जनता ही करता है। चाहे दुर्जन कितना भी सुन्दर, सच्चरित्र और सज्जनों के मार्ग का अनुसरण करता हो, वह अपनी दुर्जनता; अर्थात् दूसरों को हानि पहुँचाने का कार्य नहीं छोड़ सकता।।

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श्लोक का संस्कृत-अर्थ

(1) आपो विमुक्ताः ••••• ••••••••••••••• कुतस्त्व म् ॥ (श्लोक 1)
संस्कृता
वारिदं संलक्ष्य कश्चिद् विज्ञः कथयति–हे वारिद! त्ववियुक्तानि जलानि । क्वचित् जलानि एव तिष्ठन्ति, क्वचिच्च तान्येव जुलानि क्वचित् महत्त्वहीनान्येव भवन्ति क्वचिच्च 
तान्येव जलानि विषरूपेण प्राणहारकानि भवन्ति, परन्तु त्वं स्वजलानि तत्र कथं न पातयसि यंत्र पदं . लब्ध्वा जलानि मुक्तारूपेण महानिधयो भवन्ति।

(2) अलिरयं नलिनी •••••••••••••••••••••••••••••बह मन्यते ॥ (श्लोक 3 )
संस्कृतार्थः-
अस्यां अन्योक्तौ भ्रमरस्य माध्यमेन एतादृशं जनं प्रति उक्तिः अस्ति, यः सर्वविधासु सुविधासु पालितः अभवत् , पुरं विदेशेऽपि सः विषमायां परिस्थितौ सत्यां सन्तुष्टः भवति। यथा भ्रमर: नलिनीनां दलानां मध्ये स्थित्वा पुष्परसं पीत्वा अलसित: भूत्वा अपि विधिवशात् परदेशगमने कुटजस्य पुष्पाणां रसं पीत्वा तथैव तुष्यति।।

(3) एकेन राजहंसेन •••••••••••••••••••••••••••••परितस्तीरवासिना॥ (श्लोक 5)
संस्कृतार्थः-
कविः कथयति यत् कस्यापि सरोवरस्य या शोभा तस्य तीरे वासिना मरालेन भवति, सा शोभा सरोवरं परित: वसतां वकानां सहस्रेण न भवति। एवमेव एकेन सुपुत्रेण एव कुलस्य या शोभा भवति, सा मूर्खशतैः पुत्रैः न भवति।।

(4) अग्निदाहे न मे •••••••••••••••••••••••सह तोलनम् ॥ (श्लोक 7)
संस्कृतार्थः-
सुवर्णः स्वमनोव्यथां प्रकटयन् कथमपि यत् स्वर्णकारः माम् अग्नौ क्षिपति, तस्य मां दु:खं न अस्ति, स: मां छेदयति तस्य अपि दुःखम् अहं न मन्ये, सः मां निकषे घर्षति, सा पीडा अपि मां न व्यथयति। अहं तदा महद् दुःखम् अनुभवामि, यदा सः मम मूल्यं महत्त्वम् अगण्यन् मां गुञ्जया। सह तोलयति। एवम् एव विद्वान् पुरुषः अनेकानि कष्टानि सोढ्वा तथा दुःखं न अनुभवन्ति यथा कोऽपि निपुणः जनन तस्य मूर्खः सह तुलनां करोति।

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UP Board Solutions for Class 9 Hindi प्रमुख रचनाएँ एवं पत्रिकाएँ

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UP Board Solutions for Class 9 Hindi प्रमुख रचनाएँ एवं पत्रिकाएँ
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UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 4 दीनबन्धुर्गन्धी (पद्य-पीयूषम्)

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 4 दीनबन्धुर्गन्धी (पद्य-पीयूषम्) are the part of UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 4 दीनबन्धुर्गन्धी (पद्य-पीयूषम्).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 9
Subject Sanskrit
Chapter Chapter 4
Chapter Name दीनबन्धुर्गन्धी (पद्य-पीयूषम्)
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 4 दीनबन्धुर्गन्धी (पद्य-पीयूषम्)

परिचय–प्रस्तुत पाठ पण्डिता क्षमाराव द्वारा रचित ‘सत्याग्रहगीता’ से उद्धृत है। इस पुस्तके में इन्होंने सरस, सरल और रोचक पद्यों में राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम का तथा महात्मा गाँधी के आदर्श चरित्र, का सुचारु रूप से वर्णन किया है। इस ग्रन्थ में गाँधी जी द्वारा संचालित सत्याग्रह का विशद् वर्णन है। प्रस्तुत पाठ में महात्मा गाँधी के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए दोनों के प्रति उनकी उदारता व उनके उद्धार के लिए खादी-वस्त्रों के उत्पादन की शिक्षा का वर्णन किया गया है। पाठ की समाप्ति पर गाँधी जी को प्रणाम निवेदित कर कवयित्री ने उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है।

पाठ-सारांश

दीनों और कृषकों के मित्र –गाँधी जी ने सदैव समाज के दुर्बल वर्ग की उन्नति करने के लिए उनकी सहायता की है। उन्होंने कृषकों की दीन-हीन दशा को सुधारने के लिए मित्र की भाँति जीवनपर्यन्त महान् प्रयास किये।।

सम्मान-गाँधी जी अपने अपूर्व गुणों के कारण सम्पूर्ण भारत में पूजे जाते थे। विदेशों में भी उनका अत्यधिक सम्मान हुआ। इसीलिए उन्हें विश्ववन्द्य कहा जाता है। | गुणवान्–गाँधी जी महात्मा कहलाते थे। उनमें महात्मा के समान वीतरागिता, अक्रोध, सत्य, अहिंसा, स्थिर-बुद्धि, स्थितप्रज्ञता आदि सभी गुण विद्यमान थे। वे अनेकानेक गुणों की खान थे।

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परम कारुणिक-गाँधी जी ग्रामीणों के भूखे-प्यासे और नग्न रहने के कारण अल्पभोजन और अल्पवस्त्र से शरीर का निर्वाह करते थे। वे भूखे-प्यासे ग्रामीणों के अस्थिपञ्जर मात्र शरीर को देखकर दु:खी हो जाते थे। वे उच्च वर्ग के लोगों द्वारा अपमानित हरिजनों की दीन दशी को देखकर भी द्रवित हो जाते थे।

कृषकों के बन्धु–गाँधी जी ने किसानों की दयनीय स्थिति और उनके कष्ट के कारणों को जानने के लिए भारत के गाँव-गाँव में भ्रमण किया। उन्होंने देखा कि किसान वर्ष में छः महीने बिना काम किये रहते हैं। उन्होंने उनके खाली समयं के उपयोग के लिए सूत कातने और बुनने को सर्वश्रेष्ठ बताया और इस कार्य के माध्यम से धनोपार्जन की शिक्षा दी। ” | जन-जागरण कर्ता-गाँधी जी ने पराधीन भारत में, न केवल ग्रामीण क्षेत्र में जन-जागरण का कार्य किया, अपितु नागरिकों को भी अपने धर्म के पालन के प्रति जाग्रत किया।

खादी के प्रचारक-गाँधी जी ने स्वदेश में स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार पर बल दिया और खादी ग्रामोद्योग की स्थापना की। उन्होंने देश की प्रगति के लिए सूत कातने में श्रम करने की प्रेरणा दी, जिससे वस्त्र बनाने वाले कारीगर लाभ प्राप्त कर सकें और सभी । लोग खादी के वस्त्र प्राप्त कर सकें।

प्रणाम- भारत के रत्न और अपने वंश के दीपकस्वरूप महात्मा गाँधी सदैव प्रणाम किये जाने योग्य हैं।

पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या

(1)
बहुवर्षाणि देशार्थं दीनपक्षावलम्बिना।।
कृषकाणां सुमित्रेण कृतो येन महोद्यमः ॥

शब्दार्थ
बहुवर्षाणि = अनेक वर्षों तक।
देशार्थं = देश के उद्धार के लिए।
दीनपक्षावलम्बिना = दीनों का पक्ष लेने वाले।
कृषकाणां = किसानों के।
सुमित्रेण = अच्छे मित्र।
महोद्यमः = महान् प्रयत्न।।

सन्दर्य
प्रस्तुत श्लोक संस्कृत की परम विदुषी पण्डिता क्षमाराव की प्रसिद्ध कृति ‘सत्याग्रहगीता’ से संगृहीत हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत पद्य-पीयूषम्’ के ‘दीनबन्धुर्गान्धी’ पाठ से उद्धृत है।

[संकेतु-इस पाठ के शेष सभी श्लोकों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा। अन्वय-दीनपक्षावलम्बिना कृषकाणां सुमित्रेण ये देशार्थं बहुवर्षाणि महोद्यमः कृतः। प्रसंग-प्रस्तुत श्लोक में गाँधी जी के गुणों का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-दीन-दुःखियों का पक्ष लेने वाले, कृषकों के सच्चे मित्र जिन (महात्मा गाँधी) ने देश के उद्धार के लिए बहुत वर्षों तक महान् प्रयत्न किया। तात्पर्य यह है कि महात्मा गाँधी जो दीन-दु:खियों को पक्ष लेने वाले और किसानों के अच्छे मित्र थे, ने देश के उद्धार अर्थात् स्वतन्त्रता के लिए बहुत वर्षों तक लगातार प्रयत्न किया।

(2)
यश्चापूर्वगुणैर्युक्तः पूज्यतेऽखिलभारते।
सतां बहुमतो देशे विदेशेष्वपि मानितः ॥

शब्दार्थ

अपूर्वगुणैः = अद्भुत गुणों से।
पूज्यते = पूजे गये।
अखिल भारते = सम्पूर्ण भारतवर्ष में।
सताम् = सज्जन पुरुषों का।
बहुमतः = सम्मानित।
मानितः = सम्मान को प्राप्त हुए।

अन्वय
अपूर्वगुणैः युक्तः यः अखिलभारते पूज्यते। देशे सतां बहुमतः यः विदेशेषु अपि मानितः अस्ति।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में गाँधी जी के गुणों का वर्णन किया गया है।

व्याख्या
अपने अद्भुत गुणों से युक्त जो (गाँधी जी) सम्पूर्ण भारतवर्ष में पूजे जाते हैं, देश के सज्जनों द्वारा सम्मानित वे विदेशों में भी सम्मान को प्राप्त हुए। तात्पर्य यह है कि अपने अद्भुत गुणे के. द्वारा गाँधी जी केवल अपने देश में ही नहीं, वरन् विदेशों में भी अत्यधिक सम्मानित हुए।

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(3)
वीतरागो जितक्रोधः सत्याऽहिंसाव्रती मुनिः।। 
स्थितधीर्नित्यसत्त्वस्थो महात्मा सोऽभिधीयते ॥

शब्दार्थ-
वीतरागः = राग-द्वेष से रहित।
जितक्रोधः = क्रोध को जीतने वाले।
सत्यहिंसाव्रती = सत्य और अहिंसा व्रत वाले।
स्थितधीः = स्थिर बुद्धि वाले।
नित्य सत्त्वस्थः = सदैव आत्मबल में स्थित रहने वाले।
अभिधीयते = कहलाता है।

अन्वय
सः वीतरागः, जितक्रोधः, सत्याहिंसाव्रती, मुनिः, स्थितधीः, नित्यसत्त्वस्थः महात्मा अभिधीयते।।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में गाँधी जी के गुणों का वर्णन किया गया है।

व्याख्या
वे (गाँधी जी) राग-द्वेष से रहित, क्रोध को जीतने वाले, सत्य और अहिंसा का नियमपूर्वक पालन करने वाले, मुनिस्वरूप, स्थिर बुद्धि वाले, अपने आत्मबल में स्थित रहने वाले महात्मा कहलाते हैं। तात्पर्य यह है कि इन (ऊपर उल्लिखित) गुणों से युक्त व्यक्ति महात्मा कहलाते हैं; क्योंकि गाँधी जी भी इन गुणों से युक्त थे, इसलिए वे भी महात्मा कहलाए।

(4)
क्षुत्पिपासाऽभिभूतासु ग्रामीण-जन-कोटिषु ।
अल्पान्नेन निजं देहमस्थिशेषं निनाय सः॥

शब्दार्थ
क्षुत्पिपासाऽभिभूतासु = भूख और प्यास से पीड़ित होने पर।
ग्रामीणजन कोटिषु = करोड़ों ग्रामीण लोगों के।
अल्पान्नेन = थोड़े अन्न से।
अस्थिशेषं निनाय = हड्डीमात्र रूप शेष वाला बना लिया।

अन्वय
स: ग्रामीणजनकोटिषु क्षुत्पिपासाऽभिभूतासु (सतीषु) अल्पान्नेन निज़ देहम् अस्थिशेषं निनाय।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक से गाँधी जी के चरित्र-व्यक्तित्व का ज्ञान होता है।

व्याख्या
वे (महात्मा गाँधी) थोड़े-से अन्न पर ही निर्वाह करते थे; क्योंकि करोड़ों भारतीय ग्रामीण बिना अन्न के ही भूखे-प्यासे रहते थे। इसलिए उनका शरीर हड्डियों का ढाँचामात्र ही रह गया था। तात्पर्य यह है कि अधिकांश भारतीयों को भूखे-प्यासे जीवन व्यतीत करते देखकर गाँधी जी भी बहुत कम अन्न ग्रहण करते थे। इससे उनका शरीर अस्थि-पंजर मात्र रह गया था। |

(5)
ग्रामीणानां क्षुधाऽऽर्तानां क्षेत्रे क्षेत्रेऽपि निर्जले ।।
दृष्ट्वाऽस्थिपञ्जरान् भीमान् विषण्णोऽभू दयाकुलः ॥

शब्दार्थ
ग्रामीणानां = ग्रामवासियों को।
क्षुधाऽऽर्तानां = भूख से पीड़ित।
क्षेत्रे = क्षेत्र में।
निर्जले = जल से रहित।
दृष्ट्वा = देखकर।
अस्थिपञ्जरान् = हड़ियों के ढाँचे रूप शरीर को।
भीमान् = भयंकर रूप से।
विषण्णः = दु:खी।
अभूत = हुए।
दयाकुलः = दया से व्याकुल।

अन्वय
दयाकुलः (स:) निर्जले क्षेत्रे क्षेत्रेऽपि क्षुधार्तानां ग्रामीणानां भीमान् अस्थिपञ्जरान् दृष्ट्वा विषण्णः अभूत्।।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक से गाँधी जी के चरित्र-व्यक्तित्व का ज्ञान होता है।

व्याख्या
वे महात्मा गाँधी अत्यन्त दयालु थे। स्थान-स्थान पर भूखे और प्यासे ग्रामीणों के भयंकर अस्थि-पंजर को देखकर वे अत्यन्त दु:खी हो गये। तात्पर्य यह है कि गाँधी जी ने अनेकानेक स्थानों पर भूख और प्यास से व्याकुल जर्जर शरीर वाले ग्रामीणों को देखा। इससे वे दयालु पुरुष अत्यधिक दु:खी हुए।

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(6)
इतरैरवधूतानामन्त्यजानामवस्थया

द्रवीभूतो महात्माऽसौ दीनानां गौतमो यथा ॥

शब्दार्थ
इतरैः = दूसरों के द्वारा।
अवधूतानां = अपमानित किये हुए।
अन्त्यजानाम् = शूद्रों की।
अवस्थया = स्थिति के द्वारा।
द्रवीभूतः = दयापूर्ण हो गये।
गौतमः = गौतम बुद्ध।

अन्वय
असौ महात्मा इतरैः अवधूतानाम् अन्त्यजानाम् अवस्थया दीनानां (अवस्थया) यथा गौतमः (दीनानाम् अवस्थया) द्रवीभूतः।

प्रसंग
प्रस्तुत पद्यांश में उपेक्षितों और अपमानितों के प्रति गाँधी जी के दयाभाव को दर्शाया गया है।

व्याख्या
वह महात्मा दूसरे (उच्च वर्ग के) लोगों के द्वारा अपमानित किये गये शूद्रों की अवस्था से उसी प्रकार दयापूर्ण हो गये, जैसे महात्मा बुद्ध दीनों की अवस्था से द्रवित हो गये थे। विशेष प्रस्तुत श्लोक में महात्मा गाँधी को महात्मा गौतम बुद्ध के समतुल्य सिद्ध किया गया है।

(7)
स्वबान्धवानसौ पौरान मोहसुप्तानबोधयत् ।
स्वधर्मः परमो धर्मो न त्याज्योऽयं विपद्यपि ॥

शब्दार्थ
स्वबान्धवान् = अपने बन्धु-बान्धवों को।
असौ = उन्होंने।
पौरान् = पुरवासियों को।
मोहसुप्तान् = मोह या अज्ञान में पड़े हुए।
अबोधयत् = जगाया, समझाया।
स्वधर्मः = अपना धर्म।
परमः = श्रेष्ठ।
न त्याज्यः = नहीं त्यागना चाहिए।
विपद्यपि (विपदि + अपि) = विपत्ति में भी।

अन्वय
असौ मोहसुप्तान् स्वबान्धवान् पौरान् अबोधयंत्। स्वधर्मः परम: धर्मः (अस्ति), अयं विपदि अपि न त्याज्य:।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में गाँधी जी द्वारा नगरवासियों को प्रोत्साहित किये जाने का वर्णन है।

व्याख्या
उस महात्मा ने मोह (अज्ञान) में सोये हुए अपने नगरवासी बन्धुओं को समझाया कि अपना धर्म उत्तम धर्म है, इसे विपत्ति में भी नहीं त्यागना चाहिए। तात्पर्य यह है कि गाँधी जी ने अज्ञानावस्था में सुप्त जनों को अपने धर्म की महत्ता बैतलायी। अन्यत्र कहा भी गया है-‘स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।।

(8)
कर्षकाणां स्थितिं तेषां कष्ट-मूलं च वेदितुम् ।
त्यक्तभोगो विपद्बन्धुग्रमे ग्रामे चचार सः॥

शब्दार्थ
कर्षकाणाम् = किसानों की।
कष्ट-मूलम् = कष्टों के मूल कारण को।
वेदितुम् = जानने के लिए।
त्यक्त भोगः = सुख-भोगों का त्याग किया हुआ।
विपद्बन्धुः = विपत्ति में बन्धु के समान सहायता करने वाले।
ग्रामे-ग्रामे = गाँव-गाँव में।
चचार = विचरण किया।

अन्वय
विपद्बन्धुः सः कर्षकाणां स्थितिं तेषां कष्टमूलं च वेदितुं त्यक्तभोगः (सन्) ग्रामे-ग्रामे चचार।।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में कृषकों के उत्थान के लिए गाँधी जी द्वारा किये गये प्रयास का वर्णन किया गया है।

व्याख्या
विपत्ति के समय में बन्धु के समान सहायता करने वाले उसे महात्मा ने किसानों की दशा को और उनके कष्टों के मूल कारणों को जानने के लिए अपने सुखभोगों का त्याग करते हुए गाँव-गाँव में भ्रमण किया।

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(9)
मासषकं निरुद्योगा निवसन्ति कृषीवलाः।
अतएव हि, संवृद्धिर्दारिद्र्यस्य पदे पदे ॥

शब्दार्थ
मासषट्कम् = छः महीने तक।
निरुद्योगाः = बिना काम किये (निठल्ले)।
निवसन्ति = रहते हैं।
कृषीवलाः = कृषि वाले अर्थात् किसान।
संवृद्धिः = बढ़ोत्तरी।
दारिद्र्यस्य = गरीबी की।
पदे-पदे = पग-पग पर।

अन्वय
कृषीवला: मासषट्कं निरुद्योगाः निवसन्ति। अतएव पदे-पदे (तेषां) दारिद्र्यस्य हि संवृद्धिः (भवति)। | प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में गाँधी जी द्वारा कृषकों की निर्धनता के मूल कारण के ज्ञान का वर्णन किया गया है।

व्याख्या
किसान लोग छः महीने तक बिना काम किये निठल्ले रहते हैं। इसी कारण पग-पग पर उनकी दरिद्रता की निश्चय ही बढ़ोत्तरी होती है; क्योंकि बिना कर्म किये धनागम असम्भव है। |

(10)
विधेयं तान्तवं तस्मादल्पलाभमपि ध्रुवम्।।
येन सुषुपयोगः स्यात्कालस्येति जगाद सः ।।

शब्दार्थ
विधेयम् = करना चाहिए।
तान्तवम् = सूत की कताई व बुनाई।
तस्मात् = उससे।
अल्पलाभम् अपि = थोड़े लाभ वाला भी।
धुवं = अवश्य।
सुष्टु = अच्छा, सही।
सत्यात् = होगा।
कालस्य = समय का।
जगाद = कहा।

अन्वय
तस्मात् अल्पलाभम् अपि तान्तवं ध्रुवं विधेयम्। येन कालस्य सुष्ष्ठ उपयोगः । स्यात् इति सः जगाद।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में गाँधी जी ने किसानों को सूत कातने के लिए प्रेरित किया है।

व्याख्या
उन्होंने ग्रामीण कृषकों को समझाया कि थोड़े लाभ वाला होते हुए भी सूत की कताई-बुनाई का कार्य अवश्य करना चाहिए, जिससे उनके समय का उत्तम उपयोग हो सके। तात्पर्य यह है कि गाँधी जी ने किसानों को उनके खाली समय के सदुपयोग हेतु उन्हें कताई-बुनाई की ओर प्रेरित किया।

(11)
उत्तिष्ठत ततः शीघ्रं तान्तवे कुरुतोद्यमम्।
पट-कर्मा जनो येन प्रतिपद्येत तत्फलम् ॥

शाख्दार्थ
उत्तिष्ठत = उठो।
ततः = तब।
शीघ्रम् = शीघ्र।
तान्तवे = सूत कताई-बुनाई के कार्य में।
कुरुत = करो।
उद्यमम् = श्रम।
पटकर्मा = वस्त्र बनाने वाला जुलाहा।
प्रतिपद्येत = प्राप्त करे।

अन्वय
ततः शीघ्रम् उत्तिष्ठत। तान्तवे उद्यमं कुरुत। येन पटकर्मा जनः तत्फलं प्रतिपद्येत।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में गाँधी जी ने किसानों को सूत कातने के लिए प्रेरित किया है।

व्याख्या
इसलिए शीघ्र उठो और सूत की कताई-बुनाई के कार्य में परिश्रम करो, जिससे वस्त्र बनाने वाला कारीगर उसका लाभ प्राप्त कर सके।

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(12)
हस्तनिर्मितवासांसि प्राप्स्यत्येवं जनोऽखिलः।।
ततो देशोदय-प्राप्तिरिति भूयो न्यवेदयत् ॥

शब्दार्थ
हस्तनिर्मितवासांसि = हाथ से बने हुँए कपड़े।
प्राप्स्यति = प्राप्त करेगा।
अखिलः = समस्त।
ततः = तब।
देशोदय प्राप्तिः = देश की उन्नति की प्राप्ति।
भूयः = बार-बार।
न्यवेदयत् = निवेदन किया।

अन्वय
एवम् अखिलः जनः हस्तनिर्मित वासांसि प्राप्स्यति। ततः देशोदय प्राप्तिः (भविष्यति) इति सः भय: न्यवेदयत्।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में गाँधी जी ने स्वदेशी वस्त्रों के उपयोग के प्रति लोगों को जाग्रत किया है।

व्याख्या
इस प्रकार सभी मनुष्य हाथ से बने कपड़े प्राप्त कर लेंगे। इसके पश्चात् देश को उन्नति की प्राप्ति होगी। ऐसा उन्होंने बार-बार निवेदन किया। तात्पर्य यह है कि स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने से ही देश की उन्नति होगी, ऐसा गाँधी जी का मानना था।

(13)
भारतावनि-रत्नाय सिद्ध-तुल्य-महात्मने ।
गान्धि-वंश-प्रदीपाय प्रणामोऽस्तु महात्मने ।।

शब्दार्थ
भारतावनि-रत्नाय = भारतभूमि के रत्नस्वरूप के लिए।
सिद्धतुल्यमहात्मने = सिद्ध योगी के समान महान् आत्मा वाले।
गान्धिवंशप्रदीपाय = गाँधी वंश को प्रकाशित करने वाले दीपक के समान।
प्रणामः अस्तु = नमस्कार हो।
महात्मने = महात्मा के लिए।

अन्वय
भारतावनि-रत्नाय, सिद्धतुल्यमहात्मने, गान्धिवंशप्रदीपाय महात्मने (अस्माकं) प्रणामः अस्तु।

प्रसंग
प्रस्तुत श्लोक में कवयित्री ने गाँधी जी को अपना प्रणाम निवेदित किया है।

व्याख्या
भारतभूमि के रत्नस्वरूप, सिद्ध योगी के समान महान् आत्मा वाले, गाँधी कुल को : प्रकाशित करने वाले दीपक के समान उस महात्मा को प्रणाम हो।

सूक्तिपरक वयवस्या

(1)
स्थितधीर्नित्यसत्त्वस्थो महात्मा सोऽभिधीयते।
सन्दर्य
प्रस्तुत सूक्ति हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत-पद्य-पीयूषम्’ के ‘दीनबन्धुर्गान्धी’ नामक पाठ से ली गयी है।

[संकेत-इस शीर्षक के अन्तर्गत आयी हुई समस्त सूक्तियों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]

प्रसंग
प्रस्तुत सूक्ति में महात्माओं के गुणों पर प्रकाश डाला गया है।

अर्थ
स्थिर बुद्धि वाले और अपने आत्मबल में स्थित रहने वाले महात्मा कहलाते हैं।

व्याख्या
महापुरुषों के लक्षण बताती हुई सुप्रसिद्ध कवयित्री पण्डिता क्षमाराव कहती हैं कि महात्मा पुरुष स्थितप्रज्ञ होते हैं। वे महान् संकट आने पर भी विचलित नहीं होते। महात्मा पुरुष सदैव अपने स्वाभाविक रूप में स्थित रहते हैं। उनके ऊपर सुख और दुःख का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। गाँधी जी में भी उपर्युक्त सभी गुण विद्यमान् थे; इसीलिए वे महात्मा कहे जाते थे।

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(2)
द्रवीभूतो महात्माऽसौ दीनानां गौतमो यथा। |

प्रसंग
प्रस्तुत सूक्ति में महात्मा गाँधी के कोमल हृदय की तुलना गौतम बुद्ध से की गयी है।

अर्थ
यह महात्मा (गाँधी) इसी प्रकार दयापूर्ण हो गये जैसे दोनों को देखकर गौतम (द्रवित हो गये 
थे)।

व्याख्या
जिस प्रकार महात्मा गौतम बुद्ध दीन-दुःखियों के दुःखों को देखकर द्रवीभूत हो जाते थे, उसी प्रकार उच्चवर्ग के लोगों से अपमानित शूद्रजनों की अत्यन्त हीन दशा को देखकर उस परम कारुणिक महात्मा गाँधी का हृदय भी दया से भर जाता था। तात्पर्य यह है कि गाँधी जी का हृदय दीन-दुखियों के प्रति अत्यधिक दया से युक्त था।

(3)
स्वधर्मः परमो धर्मो, न त्याज्योऽयं विपद्यपि।

प्रसंग

प्रस्तुत सूक्ति में महात्मा गाँधी द्वारा अपने धर्म को न त्यागने की बात कही गयी है।

अर्थ
अपना धर्म ही श्रेष्ठ धर्म है, उसे विपत्ति में भी नहीं छोड़ना चाहिए।

व्याख्या
जो धारण करने योग्य है, वही धर्म है। धर्म का अर्थ होता है-कर्त्तव्य। व्यक्ति के द्वारा किये जाने वाले सभी कर्तव्यों को धर्म के अन्तर्गत रखा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति के कुछ कर्तव्य होते हैं। अपना कर्तव्य करना ही श्रेष्ठ है, उन्हें विपत्ति आने पर भी नहीं त्यागना चाहिए। गाँधी जी ने अज्ञान में पड़े हुए अपने बन्धुओं को विपत्ति में भी स्वधर्म का पालन करने के लिए समझाया। गीता में भी कहा गया है-‘स्वधर्मे निधनं श्रेयः, परधर्मो भयावहः।’ अर्थात् अपने धर्म-पालन करने में यदि मृत्यु भी हो जाती है तो श्रेष्ठ है। दूसरे के धर्म का अवलम्ब नहीं लेना चाहिए।

श्लोक का संस्कृतअर्थ

(1) इतरैरवधूतानां  •••••••••• गौतमो यथा ॥ (श्लोक 6)
संस्कृतार्थः-
सवर्णाः जनाः शूद्रान् जनान् तिरस्कुर्वन्ति, तेषाम् अवस्थां दृष्ट्वा असौ महात्मागान्धी तथा परमकारुणिकः अभवत् यथा गौतम बुद्धः दीनानां दशां दृष्ट्वा परम: दयालुः अभवत्।।

(2) विधेयं तान्तवं.•••••••••••••••• जगांद सः ।। (श्लोक 10 )
संस्कृतार्थः–
कृषीवलाः षट्मासान् निरुद्योगा एव यापयन्ति इयमेव तेषां दरिद्रतायाः कारणं महात्मागान्धी अमन्यत। तेषां समयस्य सदुपयोगाय सः तन्तु निष्कासन रूपं कार्यं युक्तम् अमन्यत, अनेन कार्येण अल्पलाभ एव वरम्। अनेन कार्येण तेषां समयस्य सदुपयोगस्तु भविष्यति इति महात्मागान्धिः अकथयत्।

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(3) भारतावनि रत्नाय••••••••••••••••••••••••••••प्रणामोऽस्तु महात्मने ॥ (श्लोक 13 )
संस्कृतार्थः–
भारतदेशस्य रत्नस्वरूपाय, गौतमतुल्यस्वभावाय, गान्धीवंशस्य यशोविस्तारकाय महात्मने पूज्य महात्मागान्धीमहाभागाय भारतीयानां भूयो भूयः प्रणामाः समर्पिताः सन्ति।

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