UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 23 प्रसवकालीन तैयारियाँ 

UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 23 प्रसवकालीन तैयारियाँ (Preparations Regarding Confinement)

UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 23 प्रसवकालीन तैयारियाँ

UP Board Class 11 Home Science Chapter 23 विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
यदि घर पर ही प्रसव कराना हो तो मुख्य रूप से क्या-क्या तैयारियाँ करनी अनिवार्य होती हैं?
अथवा
प्रसव यदि घर पर कराना हो तो इसके लिए नर्स या दाई के चुनाव, स्थान, आवश्यक सामग्री तथा अन्य व्यवस्थाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः
घर पर प्रसव –
(Confinement in House)
घर पर प्रसव कराने में बहुत-सी कठिनाइयाँ उत्पन्न हो जाती हैं जिससे स्त्री और शिशु दोनों को ही कष्ट होता है और कभी-कभी उनका जीवन भी संकट में पड़ जाता है। इस समय डॉक्टरी सहायता बहुत आवश्यक होती है। घर पर यह सुविधा कठिन हो जाती है। फिर भी, यदि घर पर ही प्रसव कराना हो तो निम्नवर्णित तथ्यों एवं तैयारियों को ध्यान में रखना आवश्यक है –

1. नर्स या दाई का चुनाव-प्रसव के लिए योग्य दाई या नर्स का होना आवश्यक है। यदि प्रसव अस्पताल में हो तो नर्स या दाई का नियुक्त होना आवश्यक नहीं है। जब यह स्पष्ट हो जाए कि गर्भिणी को प्रसव-पीड़ा प्रारम्भ हो गई है, उसी समय ऐसी दाई को बुलाना चाहिए जो कि अपने काम में अनुभवी, चतुर और दक्ष हो, प्रसूता से स्नेह और मधुर वचन बोले, उसे धैर्य बँधाए। दाई व नर्स बहरी व गूंगी न हो।

2. प्रसव कक्ष का चुनाव-सर्वप्रथम प्रसूता के लिए चुना गया कमरा अच्छा, हवादार तथा साफ-सुथरा होना चाहिए, जिसमें दुर्गन्ध न आती हो। उसमें सीलन भी न हो और धूप भी आती हो। यह कक्ष किसी शौचालय के पास न हो। प्रसव कक्ष शोरगुल से दूर रहना चाहिए ताकि प्रसूता को पूर्ण विश्राम मिल सके। प्रसूता के लिए समुचित विश्राम अनिवार्य है।
यदि जाड़े हों तो घर में कोयलों की धुआँरहित आग दहकती रखें (क्योंकि धुआँ बालक और प्रसूता दोनों के लिए हानिकारक होता है। जिससे कि ठण्डक उस घर में न आने पाए और वायु भी शुद्ध होती रहे। उस घर की जमीन और दीवार लिपी-पुती और सूखी होनी चाहिए। दरवाजों और खिड़कियों पर परदे लगवा देने चाहिए।

3. प्रसव के लिए आवश्यक सामग्री-घर पर प्रसव कराने की दशा में निम्नलिखित सामग्री की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए
(i) खूब कसा हुआ पलंग, जिस पर गुदगुदा बिछौना हो और मोमजामा बिछा हो। प्रसव के समय इस पलंग का सिरहाना पैताने से एक फुट ऊँचा रहना चाहिए। (ii) पेट पर लपेटने का गाढ़े का कपड़ा। (iii) रेशम। (iv) ब्लेड। (v) गुनगुना पानी। (vi) आग। (vii) तेल। (viii) बेसन या साबुन। (ix) पुराने कपड़े।

प्रसूता के लिए निम्नलिखित वस्तुओं का होना आवश्यक है –
(i) एक पौण्ड उत्तम स्वच्छ रुई। (ii) एक बड़ा रबड़ का टुकड़ा लगभग दो मीटर लम्बा। (iii) तीन … दर्जन सेनेटरी पैड्स। (iv) एक सेनेटरी पेटी। (v) एक डिब्बा सेफ्टी पिन। (vi) एक डिटॉल की शीशी। (vii) हाथ धोने के बर्तन। (viii) एनैमिल का तसला तथा बाल्टी। (ix) नाखून साफ करने का ब्रुश। (x) मछली का तेल लगभग दो औंस। (xi) रबड़ की थैली गर्म पानी के लिए। (xii) दो या तीन साफ तौलिए।

4. शिशु के लिए आवश्यक सामग्री-(i) पाउडर लगभग दो औंस। (ii) उत्तम प्रकार की वैसलीन। (iii) एक बोतल जैतून का तेल। (iv) एक टिकिया उत्तम साबुन। (v) बोरिक पाउडर। (vi) गर्म पानी की बोतल। (vii) एक पैकिट छोटे सेफ्टी पिन। (viii) कुछ अच्छी पट्टियाँ। (ix) कुछ धुले हुए साफ पुराने कपड़े।

5. प्रसूता के लिए वस्त्र आदि – (i) 6 धोती। (ii) 6 ब्लाउज । (iii) 6 पेटीकोट। (iv) 6 चोली।
जाड़ों के दिनों में ऊनी स्वेटर, ऊनी शाल भी होना आवश्यक है। सफेद चादरें पलंग पर बिछाने के लिए, कम-से-कम 4 सफेद धुली चादरें ओढ़ने के लिए, एक दरी, जाड़ों में गद्दा, तकिये, कम्बल या लिहाफ।

6.शिशु के लिए वस्त्र-गर्म शाल शिशु को लपेटने के लिए, गर्म मौजे, फ्रॉक, कुर्ते, दो ढीले कोट रेशमी, 2 ढीले बास्केट। इसके अतिरिक्त डेढ़-दो दर्जन नेपकिन भी अवश्य तैयार रखने चाहिए। पहनने वाले कपड़ों का चुनाव मौसम को ध्यान में रखकर ही किया जाना चाहिए।

घर पर प्रसव कराने की दशा में सर्वाधिक आवश्यक सावधानी है – हर प्रकार की स्वच्छता एवं शुद्धता की व्यवस्था करना। इसके अभाव में संक्रमण की आशंका रहती है। इसके अतिरिक्त प्रसव के लिए अनुभवी महिला चिकित्सक अथवा प्रशिक्षित दाई की व्यवस्था भी आवश्यक होती है। अप्रशिक्षित दाई अथवा किसी घरेलू स्त्री द्वारा प्रसव कराने पर माँ एवं शिशु के जीवन को खतरा हो सकता है।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 23 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रसव से क्या आशय है? प्रसव के लिए आवश्यक तैयारियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः
प्रसव तथा उसके लिए आवश्यक तैयारियाँ –
प्रसव – प्रसव वह प्राकृतिक क्रिया है, जिसके द्वारा गर्भस्थ शिशु गर्भ से बाहर आता है। शिशु का गर्भ से बाहर आना ही प्रसव कहलाता है। इसी को शिशु का जन्म लेना भी कहते हैं। यह अवसर बड़ा महत्त्वपूर्ण होता है। इस अवसर पर स्त्री एवं बच्चे के जीवन की सुरक्षा के लिए बहुत सावधानी से काम लेना पड़ता है। इस अवसर के लिए पहले से कुछ-न-कुछ तैयारी करना आवश्यक होता है।

प्रसव की तैयारियाँ एवं उनका महत्त्व – प्रसव की तैयारी लगभग दो या तीन मास पूर्व कर लेनी चाहिए। इन तैयारियों पर न केवल माता व शिशु की तत्कालीन सुरक्षा अपितु शिशु का सम्पूर्ण भावी जीवन निर्भर रहता है। प्रसव के समय की तैयारी निम्न प्रकार से करनी चाहिए –

  • प्रसव के स्थान का निर्धारण।
  • प्रसव के लिए योग्य नर्स अथवा दाई का चुनाव।
  • प्रसव क्रिया के लिए आवश्यक वस्तुएँ।
  • शिशु के वस्त्र तथा आवश्यक वस्तुएँ।
  • माता के वस्त्र तथा आवश्यक वस्तुएँ। .
  • उचित डॉक्टर का चुनाव।
  • अनुमानित व्यय की व्यवस्था करना।

प्रसव सम्बन्धी तैयारियाँ आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण होती हैं। वास्तव में इन सभी तैयारियों के आधार पर प्रसव को सामान्य बनाया जा सकता है तथा किसी भी परेशानी का सफलतापूर्वक सामना किया जा सकता है। यदि इस प्रकार की तैयारियां पूरी नहीं की जातीं तो प्रसव के समय विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

प्रश्न 2.
अस्पताल में प्रसव कराने के मुख्य लाभों का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः
अस्पताल में प्रसव कराने के लाभ –
अस्पताल में प्रसव कराने के मुख्य लाभ निम्नलिखित होते हैं –

  • निर्धन स्त्रियों को सरकारी अस्पताल या प्रसव केन्द्रों में नि:शुल्क प्रसव सुविधा मिल जाती है।
  • गर्भवती को अस्पतालों में आवश्यकतानुसार सब प्रकार की डॉक्टरी सहायता तुरन्त प्राप्त हो जाती है। यदि दुर्भाग्यवश प्रसव के समय कोई गम्भीर समस्या उत्पन्न हो जाए तो अस्पताल में विशिष्ट चिकित्सा सहायता मिल जाती है। अस्पताल में ऑक्सीजन, रक्त तथा शल्य क्रिया सम्बन्धी सुविधाएँ सरलता से प्राप्त हो सकती हैं।
  • अस्पताल में प्रसव कराने पर बहुत-सी मानसिक व शारीरिक चिन्ताओं तथा दौड़-धूप से छुटकारा मिल जाता है।
  • अस्पताल में गर्भवती को हवा तथा प्रकाशयुक्त कमरा व सफाई मिल जाती है।

प्रश्न 3.
अस्पताल में प्रसव कराने से होने वाली हानियों या कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः
अस्पताल में प्रसव कराने से हानियाँ –
अस्पताल में प्रसव कराने पर मुख्य रूप से निम्नलिखित हानियाँ या कठिनाइयाँ होती हैं –

  • परिवार की एक स्त्री को प्रसूता के पास अस्पताल में ही रहना पड़ता है। घर पर प्रसूता की देखभाल सुविधापूर्वक की जा सकती है।
  • साधारणतया अस्पतालों में प्रसव कराने पर व्यय भी अधिक करना पड़ता है।
  • आजकल सरकारी अस्पतालों में बहुत अधिक भीड़ होने लगी है। अनेक बार एक-एक बिस्तर पर दो-दो महिलाओं को लेटना पड़ता है अथवा फर्श पर ही लेटना पड़ता है। ऐसी स्थिति में प्रसूता को आवश्यक आराम एवं सुविधा प्राप्त नहीं हो पाती।
  • जहाँ तक प्राइवेट नर्सिंग होम का प्रश्न है, उनमें व्यय बहुत अधिक होता है; अत: साधारण आर्थिक स्थिति वाले परिवारों के लिए इस व्यय को वहन करना कठिन होता है।

प्रश्न 4.
प्रसूता की तात्कालिक परिचर्या का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः
प्रसूता की तात्कालिक परिचर्या –
प्रसव के पश्चात् प्रसूता का शक्तिहीन एवं निढाल होना स्वाभाविक है। इस समय उसे पूर्ण आराम की आवश्यकता होती है; अतः प्रसूता की शुद्धता के उपरान्त उसे आराम से सोते रहने देना चाहिए। उसकी इच्छा यदि पीने की हो तो गर्म दूध दे देना चाहिए अन्यथा जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।

प्रसव के पश्चात् प्रसूता के गर्भ सम्बन्धी अंगों में परिवर्तन हो जाता है, परन्तु उन्हें स्वाभाविक स्थिति में आने के लिए समय चाहिए; अतः प्रसूता को अधिक-से-अधिक विश्राम की अवस्था में रहने देना चाहिए। गर्भाशय का भार इस समय 2 पौण्ड के लगभग हो जाता है, सामान्य अवस्था में उसे 2 औंस रहना चाहिए। इसे पूर्व-स्थिति में आने के लिए लगभग 40 दिन का समय चाहिए। यदि इस समय प्रसूता की परिचर्या नहीं की जाएगी तो गर्भाशय के स्थानान्तरित होने की सम्भावना रहती है; अतः प्रसव के 7वें दिन से प्रसूता को प्रतिदिन कुछ समय विशेष के लिए उल्टा लेटना चाहिए। प्रसव के पश्चात् लगभग 30-35 दिन तक रक्तस्राव होता रहता है, जो सामान्य बात है।

यदि इसके उपरान्त भी रक्तस्राव होता रहे तो डॉक्टर या नर्स से परामर्श लेना चाहिए। आँवलनाल के बाहर निकालने से गर्भाशय में जख्म हो जाते हैं; अत: उसकी पूर्ण स्वच्छता परमावश्यक है, अन्यथा संक्रमण की आशंका रहेगी। गर्भाशय के बार-बार सिकुड़ने से प्रसव के बाद तीन-चार दिन तक पेट में पीड़ा रहती है। इसकी चिन्ता नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस सिकुड़न से ही गर्भाशय अपनी पूर्व-स्थिति में आ पाता है।

प्रसूता के आहार की ओर विशेष रूप से सजग होना चाहिए। उसे बहुत हल्का भोजन, दूध, बादाम, अजवायन, खिचड़ी, दलिया आदि देना चाहिए। छिलके वाली दाल दी जानी चाहिए। प्रसूता के लिए गोंद बहुत लाभदायक है। इससे शरीर की पीड़ा व जख्म को लाभ पहुँचता है। प्रसूता को सवा महीने तक पूर्ण विश्राम करना चाहिए। हाँ, वह शिशु के छोटे-छोटे कार्य कर सकती है।
प्रसूता को स्वयं भी अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए। यदि किसी प्रकार के कष्ट का अनुभव होता हो तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

प्रश्न 5.
प्रसूता के द्वारा किए जाने वाले व्यायाम का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः
प्रसूता के लिए व्यायाम की विधियाँ –
शिशु के जन्म के पश्चात् प्रसूता का शरीर कुछ ढीला-ढाला या बेडौल-सा हो जाता है; अत: उसे सामान्य स्थिति में लाने के लिए, प्रसूता को प्रसव-निवृत्ति के प्रथम दिन से ही व्यायाम का अभ्यास करना चाहिए ताकि उसका शरीर स्वस्थ, लचीला और सुडौल बना रहे। प्रसूता को शिशु के जन्म के पश्चात् प्रतिदिन इस प्रकार से व्यायाम करना उचित रहता है –

  • पहला दिन – प्रसूता को सबसे पहले दिन आराम की अवस्था में कम-से-कम आठ बार गहरी साँस लेनी चाहिए।
  • दूसरा दिन – दूसरे दिन लेटने की अवस्था में घुटनों को मोड़ना और फैलाना चाहिए। यह विधि कई बार, विश्राम करने के बाद करनी चाहिए।
  • तीसरा दिन – गर्भाशय को ठीक अवस्था में लाने के लिए प्रसूता को लेटे-लेटे ही नितम्ब की मांसपेशियों को शौच जाने की भाँति सिकोड़ना और फैलाना चाहिए।
  • चौथा दिन – प्रसूता को बैठकर 4 या 5 बार अपनी बाँहों को मोड़ना तथा फैलाना चाहिए।
  • पाँचवाँ दिन – पाँचवें दिन चित्त लेटकर घुटने व पेट को सिकोड़कर पीठ ऊपर उठानी चाहिए।
  • छठा दिन – चित्त लेटकर घुटनों को एक-साथ मिलाकर उन पर दबाव डालते हुए पेट के भाग को ऊपर उठाना चाहिए। यह क्रिया 4-5 बार करनी चाहिए।
  • सातवाँ दिन – बैठकर, कूल्हों पर हाथ रखकर, ऊपर के धड़ को बारी-बारी से मोड़ना चाहिए।
  • आठवाँ दिन – सिर सीधा रखकर, प्रसूता को बैठकर कूल्हों पर हाथ रखकर, धड़ को गोल चक्कर से घुमाना चाहिए।
  • नवाँ दिन – लेटी हुई अवस्था में पैरों को भीतर की तरफ मोड़कर फैलाना तथा बिस्तर पर ले जाना चाहिए।
  • दसवाँ दिन – सीधे लेटकर, सिर पलंग के ऊपर उठाकर, ठोड़ी से छाती को छूने का प्रयास करना चाहिए।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 23 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रसव से क्या आशय है?
उत्तरः
प्रसव वह प्राकृतिक क्रिया है, जिसके द्वारा शिशु गर्भ से बाहर आता है। शिशु का गर्भ से बाहर आना ही प्रसव कहलाता है।

प्रश्न 2.
पारम्परिक रूप से प्रसव कहाँ कराया जाता था?
उत्तरः
पारम्परिक रूप से घर पर ही प्रसव कराया जाता था।

प्रश्न 3.
वर्तमान नगरीय समाज में स्त्रियाँ कहाँ प्रसव कराना पसन्द करती हैं?
उत्तरः
वर्तमान नगरीय समाज में स्त्रियाँ अस्पताल में ही प्रसव कराना पसन्द करती हैं।

प्रश्न 4.
घर पर प्रसव कराने पर किस बात का ध्यान रखना आवश्यक है?
उत्तरः
घर पर प्रसव कराने पर सफाई एवं प्रशिक्षित दाई की व्यवस्था को ध्यान में रखना . आवश्यक है।

प्रश्न 5.
गाँव में प्रसव सम्बन्धी क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तरः
गाँव में प्रसव के समय यदि कुशल नर्स/दाई उपस्थित न हो तो प्रसव कराना कठिन होता है। साथ ही प्रसव के लिए आवश्यक दशाएँ भी गाँवों में उपलब्ध नहीं होती हैं।

प्रश्न 6.
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कहाँ बनाए गए हैं?
उत्तरः
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ग्रामों में बनाए गए हैं।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 23 बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

निर्देश : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर में दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए –

1. अस्पताल में प्रसव कराना क्यों लाभकारी है –
(क) माँ और शिशु की उचित देखभाल के लिए
(ख) विशिष्ट चिकित्सा के लाभ के लिए
(ग) अस्पताल के कमरे स्वच्छ, हवादार तथा प्रकाशयुक्त होते हैं
(घ) इनमें से सभी। .
उत्तरः
(घ) इनमें से सभी।

2. सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने से हानि है –
(क) कोई डॉक्टरी सहायता उपलब्ध नहीं होती
(ख) स्थान की कमी के कारण अनेक असुविधाएँ होती हैं
(ग) अपमान सहना पड़ता है
(घ) कोई हानि नहीं होती।
उत्तरः
(ख) स्थान की कमी के कारण अनेक असुविधाएँ होती हैं।

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