UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi संस्कृत Chapter 9 महामना मालवीय:

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Board UP Board
Textbook SCERT, UP
Class Class 12
Subject Sahityik Hindi
Chapter Chapter 9
Chapter Name महामना मालवीय:
Number of Questions Solved 7
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi संस्कृत Chapter 9 महामना मालवीय:

गद्यांशों का सन्दर्भ-सहित हिन्दी अनुवाद

गंद्यांश 1
महामनस्विनः मदनमोहनमालवीयस्य जन्म प्रयागे प्रतिष्ठित-परिवारेऽभवत्। अस्य पिता पण्डितवजनाथमालवीयः संस्कृतस्य सम्मान्यः विद्वान् आसीत्। अयं प्रयागे एव संस्कृतपाठशालायां राजकीयविद्यालये म्योर-सेण्ट्रल महाविद्यालये च शिक्षा प्राप्य अत्रैव राजकीय विद्यालये अध्यापनम् आरब्धवान्। युवक: मालवीयः स्वकीयेन प्रभावपूर्णभाषणेन जनानां मनांसि अमोहयत्। अतः अस्य सुहदः तं । प्राविधाकपदवी प्राप्य देशस्य श्रेष्ठतरां सेवां कर्तुं प्रेरितवन्तः। तद्नुसारम् अयं विधिपरीक्षामुत्तीर्य प्रसागस्थे उच्चन्यायालये प्राविवाककर्म कर्तुमारभत्। विधेः । प्रकृष्टज्ञानेन, मधुरालापेन, उदारव्यवहारेण चायं शीघ्रमेव मित्राणां न्यायाधीशांनाञ्च सम्मानभाजनमभवत्। (2014, 13)
सन्दर्भ प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत दिग्दर्शिका’ के ‘महामना मालवीयः’ नामक पाठ से उद्धृत है।
अनुवाद महामना मदनमोहन मालवीय का जन्म प्रयाग (इलाहाबाद) के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। इनके पिता पण्डित व्रजनाथ मालवीय संस्कृत के माननीय विद्वान् थे। इन्होंने प्रयाग में ही संस्कृत पाठशाला, राजकीय विद्यालय तथा म्योर-सेण्ट्रल महाविद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर यहीं राजकीय विद्यालय में अध्यापन प्रारम्भ किया। युवा मालवीय ने अपने प्रभावपूर्ण (ओजस्वी) भाषण से लोगों का मन मोह लिया। अतः इनके शुभचिन्तकों ने इन्हें अधिवक्ता (वकील) की पदवी प्राप्त कर राष्ट्र की श्रेष्ठतम (उच्चतम) सेवा करने के लिए प्रेरित किया।

उसी के अनुसार इन्होंने विधि (कानून) की परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रयाग रिथत उच्च न्यायालय में वकालत प्रारम्भ कर दी। विधि के उकृष्ट ज्ञान, मृदु वार्तालाप तथा अपने उदार व्यवहार से शीघ्र ही ये मित्रों एवं न्यायाधीशों के सम्मान के पात्र बन गए।

गद्यांश 2
महापुरुषाः लौकिक-प्रलोभनेषु बद्धाः नियतलक्ष्यान्न कदापि अश्यन्ति। देशसेवानुरक्तोऽयं युवा उच्चन्यायालयस्य परिधौ स्थातुं नाशक्नोत्। पण्डितमोतीलाल नेहरू-लालालाजपतरायप्रभृतिभिः अन्यैः राष्ट्रनायकैः सह सोऽपि देशस्य स्वतन्त्रतासङ्ग्रामेऽवतीर्णः। देहल्यां त्रयोविंशतितमे काङ्ग्रेसस्याधिवेशनेऽयम् अध्यक्षपदमलङ्कृतवान्। ‘रॉलेट एक्ट’ इत्याख्यस्य विरोधेऽस्य ओजस्विभाषणं श्रुत्वा आङ्ग्लशासकाः भीताः जाताः। बहुवार कारागारे निक्षिप्तोऽपि अयं वीरः देशसेवाव्रतं नात्यजत्। (2018, 16, 14, 12, 10)
सन्दर्भ पूर्ववत्।
अनुवाद महापुरुष सांसारिक प्रलोभनों में फंसकर निश्चित लक्ष्य से कदापि विचलित नहीं होते। राष्ट्रसेवा में लीन यह युवक उच्च न्यायालय की सीमा में नहीं बैंध सका। पण्डित मोतीलाल नेहरू, लाला लाजपतराय जैसे अन्य राष्ट्रनायकों सहित ये भी देश के स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े। दिल्ली में कांग्रेस के 23वें अधिवेशन में इन्होंने अध्यक्ष पद को सुशोभित किया। ‘रौलेट एक्ट’ के विरोध में इनके ओजस्वी भाषण को सुनकर अंग्रेज शासक भयभीत हो उठे। कई बार जेल जाने के पश्चात् भी इस वीर ने राष्ट्रसेवा-व्रत का त्याग नहीं किया।

गद्यांश 3
हिन्दी-संस्कृताङ्ग्लभाषासु अस्य समानः अधिकारः आसीत्। हिन्दी-हिन्दुहिन्दुस्थानानामुत्थानाय अयं निरन्तर प्रयत्नामकरोत्। शिक्षयैव देशे समाजे च नवीनः प्रकाशः उदेति अतः श्रीमालवीयः वाराणस्यां काशीविश्वविद्यालयस्य संस्थापनमकरोत्। अस्य निर्माणाय अयं जनान् धनम् अयाचर जनाश्च महत्यस्मिन् शान्यज्ञे प्रभूतं धनमस्मै प्रायच्छन्, तेन निर्मितोऽयं विशालः विश्वविद्यालयः भारतीयानां दानशीलतायाः श्रीमालवीयस्य यशसः च प्रतिमूर्तिरित विभाति। साधारणस्थितिकोऽपि जुनः महतोत्साहेन, मनस्वित्या, पौरुषेण च असाधारणमपि कार्यं कर्तुं क्षमः इत्यदर्शयत् मनीषिमूर्धन्यः मालवीयः। एतदर्थमेव जनास्तं महामनी इत्युपाधिना अभिधातुमारब्धवन्तः। (2017, 14, 13, 11, 10)
सन्दर्भ पूर्ववत्।
अनुवाद इनका हिन्दी, संस्कृत एवं अंग्रेजी भाषाओं पर समान अधिकार था। इन्होंने हिन्दी, हिन्दू एवं हिन्दुस्तान के उत्थान के लिए निरन्तर प्रयन किया। शिक्षा से ही राष्ट्र तथा समाज में नव-प्रकाश का उदय होता है, इसलिए भी मालवीय जी ने वाराणसी (बनारस) में ‘काशी विश्वविद्यालय की स्थापना की। इसके निर्माण के लिए इन्होंने लोगों से धन माँगा। इस महाज्ञान-यज्ञ में लोगों ने इन्हें पर्याप्त धन दिया।

उससे निर्मित यह विशाल विश्वविद्यालय भारतीयों की दानशीलता तथा श्री मालवीय जी के यश (ख्याति) की प्रतिमूर्ति के रूप में शोभायमान है।

विद्वानों में श्रेष्ठ मालवीय जी ने यह दिखा दिया कि साधारण स्थिति वाला भी महान् उत्साह, विचारशीलता तथा पुरुषार्थ से असाधारण कार्य करने में सक्षम होता है, इसलिए लोगों ने इन्हें ‘महामना’ उपाधि से सम्बोधित करना आरम्भ कर दिया।

गद्यांश 4
महामना विद्वान् वक्ता, धार्मिको नेता, पटुः पत्रकारश्चासीत्। परमस्य सर्वोच्चगुणः जनसेवैव आसीत्। यत्र कुत्रापि अयं जनान् दु:खितान् पीड्यमानांश्चापश्यत् तत्रैव सः शीघ्रमेव उपस्थितः, सर्वविधं साहाय्यञ्च अकरोत्। प्राणिसेवा अस्य स्वभाव एवासीत्।।
अद्यास्माकं मध्येऽनुपस्थितोऽपि महामना मालवीयः स्वयशसोऽमूर्तरूपेण प्रकाश वितरन् अन्धे तमसि निमग्नान् जनान् सन्मार्ग दर्शयन् स्थाने-स्थाने, जने-जने उपस्थित एव।। (2018, 11)
सन्दर्भ पूर्ववत्
अनुवाद महामना विद्वान् वक्ता, धार्मिक नेता एवं कुशल पत्रकार थे, किन्तु जनसेवा ही इनका सर्वोच्च गुण था। ये जहाँ कहीं भी लोगों को दुःखी और पीड़ित देखते, वहाँ शीघ्र उपस्थित होकर सब प्रकार की सहायता करते थे। प्राणियों की सेवा ही इनका स्वभाव था। आज हमारे बीच अनुपस्थित होकर भी महामना मालवीय अमूर्त रूप से अपने यश का प्रकाश बाँटते हुए गहन अन्धकार में पूर्व हुए लोगों को सन्मार्ग दिखाते हुए स्थान-स्थान पर जन-जन में उपस्थित हैं।

श्लोकों का सन्दर्भ-सहित हिन्दी अनुवाद

श्लोक 1
जयन्ति ते महाभागा जुन-सेवा-परायणाः।
जरामृत्युभयं नास्ति येषां कीर्तितनोः क्वचित् ।। (2014, 13, 12, 10)
सन्दर्भ प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत दिग्दर्शिका’ के ‘महामना मालवीयः’ नामक पाठ से उद्धृत हैं।
अनुवाद जन सेवा में परायण (तत्पर) वे व्यक्ति जयशील होते हैं, जिनके यशरूपी शरीर को कहीं भी बुढ़ापे तथा मृत्यु का भय नहीं है।

यहाँ कहने का तात्पर्य यह है कि जो लोग अपना जीवन जनकल्याण के लिए समर्पित कर देते हैं, उनकी कीर्ति मृत्यु के बाद भी जीवित रहती हैं।

प्रश्न – उत्तर

प्रश्न-पत्र में संस्कृत दिग्दर्शिका के पाठों (गद्य व पद्य) में से चार अतिलघु उत्तरीय प्रश्न दिए जाएंगे, जिनमें से किन्हीं दो के उत्तर संस्कृत में लिखने होंगे, प्रत्येक प्रश्न के लिए 4 अंक निर्धारित हैं।

प्रश्न 1.
महामनस्विनः मदनमोहनमालवीयस्य जन्म कुत्र अभवत् ? (2016, 14)
अथवा
मदनमोहनमालवीयस्य जन्म कुत्र अभवत्? (2016)
उत्तर:
मदनमोहनमालवीयस्य जन्म प्रयागनगरे अभवत्।।

प्रश्न 2.
श्रीमालवीयस्य पितुः किं नाम आसीत्? (2013)
अथवा
महामना मालवीयः कस्य पुत्रः आसीत्? (2015)
उत्तर:
श्रीमालवीयस्य पितुः नाम पण्डितव्रजनाथमालवीयः इति आसीत्।।

प्रश्न 3.
मालवीयः कुत्र प्राविवाककर्म कर्तुमारभत्?
उत्तर:
मालवीयः प्रयागस्थे उच्चन्यायालये प्राविवाककर्म कर्तुमार भत्।।

प्रश्न 4.
कासु भाषासु मालवीयमहोदयस्य समानः अधिकारः आसीत् (2017)
उत्तर:
हिन्दी-संस्कृत-आङ्ग्ल-भाषासु मालवीय महोदयस्य समानः अधिकारः आसीत्।

प्रश्न 5.
महामना मालवीयः वाराणसी-नगरे कस्य विश्वविद्यालयस्य संस्थापनमकरोत्? (2018)
अथवा
काशी हिन्दू विश्वविद्यालयस्य संस्थापकः कः आसीत? (2014, 13, 12)
अथवा
श्रीमालवीयः कस्य विश्वविद्यालयस्य स्थापनम् अकरोत्? (2016, 14)
उत्तर:
महामना मालवीयः वाराणसी-नगरे काशी विश्वविद्यालयस्य संस्थापनमकरोत्।।

प्रश्न 6.
शिक्षायाः क्षेत्रे श्रीमालवीयः किमकरोत्? (2014)
उत्तर:
शिक्षायाः कृते श्रीमालवीयः काशीहिन्दूविश्वविद्यालयस्य संस्थापनमकरोत्।

प्रश्न 7.
श्रीमालवीयस्य चरित्रे कः सर्वोच्चगुणः आसीत्? (2011)
उत्तर:
श्रीमालवीयस्य चरित्रे सर्वोच्चगुण: जन-सेवा आसीत्।

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