UP Board Solutions for Class 12 Sociology Chapter 19 Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA)

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Sociology
Chapter Chapter 19
Chapter Name Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA) (महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम)
Number of Questions Solved 28
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Sociology Chapter 19 Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA) (महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (6 अंक)

प्रश्न 1
मनरेगा कार्यक्रम क्या है? भारत के पुनर्निर्माण में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय गारण्टी योजना की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (नरेगा) का क्रियान्वयन ग्रामीण विकास मन्त्रालय द्वारा किया जाता है जो सरकार के सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों में से एक है। इस योजना के तहत सरकार की गरीबों तक सीधे पहुँच रहेगी और विकास के लिए विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा। इस अधिनियम के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन का गारण्टीशुदा अकुशल मजदूरी/रोजगार वित्तीय वर्ष में प्रदान किया जाएगा।
यह अधिनियम 2 फरवरी, 2006 को लागू किया गया। पहले चरण में वर्ष 2006-07 में देश के 27 राज्यों के 200 जिलों में इस योजना का कार्यान्वयन किया गया। इसमें चयनित 200 जिलों में 150 जिले ऐसे थे जहाँ काम के बदले अनाज’ कार्यक्रम पहले से चल रहा था। ‘काम के बदले अनाज’ योजना व सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना का विलय अब इस नई योजना में कर दिया गया है। अप्रैल, 2008 से इस योजना को सम्पूर्ण देश में लागू कर दिया गया है।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहला कानून है। इसमें रोजगार गारण्टी किसी अनुमानित स्तर पर नहीं है, बल्कि इस अधिनियम को लक्ष्य मजदूरी रोजगार को बढ़ाना है। इसका सीधा लक्ष्य है कि प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन द्वारा सही उपयोग और गरीबी के कारण – सूखा, जंगल काटना एवं मिट्टी के कटाव को सही तरीके से विकास में लगाना है।

ज्ञातव्य है कि ‘नरेगा’ का नामकरण महात्मा गाँधी के नाम पर करने की घोषणा 2 अक्टूबर, 2009 को गाँधी जयन्ती के अवसर पर की गई थी। परिणामस्वरूप वर्ष 2005 में बने ‘राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम’ का नाम औपचारिक रूप से ‘महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (मनरेगा) करने का प्रावधान किया गया।

भारत के पुनर्निर्माण में मनरेगा की भूमिका

भारतीय ग्रामीण क्षेत्र की छिन्न-भिन्न अर्थव्यवस्था को सुधारने तथा सामाजिक, व्यावसायिक तथा राजनीतिक अभ्युदय में समन्वित ग्रामीण कार्यक्रम ने बहुत महत्त्वपूर्ण सहयोग दिया है। यह कार्यक्रम ग्रामीण उत्थान तथा निर्धनता उन्मूलन के क्षेत्र में नये आयाम उत्पन्न करने में सफल सिद्ध हो रहा है। इस चमत्कारी कार्यक्रम ने सदियों से निर्धनता की रेखा के नीचे जीवन व्यतीत करने वाले ग्रामीण लोगों के लिए सुख और सुविधा का नया धरातल प्रस्तुत किया है जिससे यह देश की निर्धन जनसंख्या को गरीबी की रेखा से ऊपर उठाने में सफल होगा। इस कार्यक्रम ने सदियों से गरीबी, भुखमरी, रूढ़िवादी और सड़ी-गली अर्थव्यवस्था से दबी ग्रामीण जनसंख्या को रोजगार की गारण्टी का नया आयाम प्रदान किया है। वास्तव में, जीर्ण-शीर्ण ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सँभालने में तथा ग्रामीण क्षेत्रों का पुनर्निर्माण करने में मनरेगा ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ग्रामीण पुनर्निर्माण के सन्दर्भ में इसके महत्त्व का मूल्यांकन निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है

1. निर्धन ग्रामवासियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना – मनरेगी गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के युवकों को स्वरोजगार का अवसर प्रदान करता है। इससे गाँवों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है और अप्रशिक्षित युवकों को रोजगार भी मिल जाते हैं।

2. निर्धनता कम करने में सहायक – मनरेगा का उद्देश्य ही गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को उस रेखा से ऊपर लाना है अर्थात् उनका सामाजिक, आर्थिक स्तर ऊँचा करना है; अतः निर्धनता को कम करने की दृष्टि से भी मनरेगा अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष में 100 दिनों का रोजगार दिलाने का लक्ष्य रखा गया है।

3. अनुसूचित जातियों, जनजातियों व महिलाओं के कल्याण में सहायक
मनरेगा कार्यक्रम का लाभ सभी निर्धनों को तो पहुँचा ही है, परन्तु समाज के कमजोर वर्गों, विशेषत: अनुसूचित जातियों/जनजातियों व महिलाओं का कल्याण तथा उन्हें गरीबी की रेखा से ऊपर लाना इसका विशेष उद्देश्य है। इसमें अनुसूचित जातियों व जनजातियों के परिवारों को 150 दिनों तक रोजगार प्रदान किए जाने का प्रावधान तथा 33 प्रतिशत महिलाओं को लाभान्वित करने का प्रावधान है।

4. ग्रामीण क्षेत्रों का विकास
मनरेगा कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है। यह रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने, निर्धनता कम करने, सूखे के लिए राहत देने, मरुस्थल विकास कार्यक्रमों तथा अनेक अन्य दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है तथा ग्रामवासियों को विकास सेवाएँ उपलब्ध कराता है। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास से जुड़ा है।

5. क्षेत्रीय असन्तुलन कम करने में सहायक
यह कार्यक्रम क्षेत्रीय असन्तुलन, विशेष रूप से आर्थिक असमानता कम करने में भी सहायक है। क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

6. सामाजिक न्याय की दृष्टि से महत्त्व
मनरेगा विकास कार्यक्रम का उद्देश्य निर्धनता को दूर कर रोजगार की गारण्टी प्रदान करना है; अत: सामाजिक न्याय की दृष्टि से यह कार्यक्रम अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है तथा इसका लाभ केवल निम्न वर्ग को ही प्रदान किया जाता है।

7. उत्पादन-वृद्धि में सहायक
यह कार्यक्रम स्थानीय संसाधनों तथा मानवीय संसाधनों के समुचित दोहन द्वारा सभी क्षेत्रों में श्रम अवसरों को बढ़ाने पर बल देता है। श्रम के अवसर बढ़ने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण होगा। इसके परिणामस्वरूप प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो जाएगी।

8. अनुदान तथा आर्थिक क्षेत्र में सहायता
यह कार्यक्रम निर्धन परिवारों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने के लक्ष्य हेतु कटिबद्ध है। कार्य के लिए सरकार ने प्रत्येक निर्धन परिवार को सौ दिनों के रोजगार उपलब्ध कराने का प्रावधान रखा है। सरकार ऐसे परिवारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर उन्हें नवजीवन प्रदान करेगी। इस प्रकार, ग्रामीण पुनर्निर्माण में इस कार्यक्रम की भूमिका बड़ी महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगी।

9. ग्रामीण जनसंख्या की सहभागिता सुनिश्चित करना
मनरेगा कार्यक्रम ग्रामीण जनता को निश्चित रोजगार के अवसर प्रदान कर नई ग्रामीण अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकेगी। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों की ध्वस्त अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण में भी नींव का पत्थर सिद्ध होगा।

10. राष्ट्रीय विकास का आधार
मनरेगा कार्यक्रम राष्ट्र की निर्धनतम जनशक्ति को रोजगार के द्वारा उनके जीवन का पुनर्निर्माण करने में राष्ट्रीय समृद्धि और विकास को एक सुदृढ़ आधार प्रदान करेगा। यह कार्यक्रम निर्धनतारूपी अभिशाप को समाप्त कर निर्धन नागरिकों के जीवनयापन में गुणात्मक सुधार लाएगा तथा सम्पूर्ण राष्ट्र की समृद्धि में आशातीत वृद्धि करने में सफल बन सकेगा।

इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि भारत के गाँवों की अस्त-व्यस्त अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण में मनरेगा कार्यक्रम की भूमिका बड़ी महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगी। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास की बाधाओं को दूर करके उन्हें सामाजिक और आर्थिक समानताएँ प्रदान कर उनके लिए। सुखी तथा उज्ज्वल भविष्य की नींव रखेगा। इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता, बेरोजगारी, भुखमरी, कुरीतियाँ तथा रूढ़िवादिता पलायन कर जाएँगी।

प्रश्न 2
मनरेगा के मार्गदर्शी सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए। या मनरेगा के मार्गदर्शी सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए तथा इस कार्यक्रम के उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
मनरेगा के मार्गदर्शी सिद्धान्त
मनरेगा की माँग प्रेरित विशेषणों को सुदृढ़ करने के लिए मार्गदर्शी सिद्धान्त, जिन्हें बारहवीं योजना के लिए तैयार किया गया है, मिहिर शाह समिति की अनुशंसाओं पर आधारित है। ये इस प्रकार हैं

  1.  ग्राम पंचायत अथवा कार्यक्रम अधिकारी, यथास्थिति, वैध आवेदनों को स्वीकार करने तथा आवेदकों को दिनांकित प्राप्तियाँ जारी करने के लिए बाध्य होंगे।
  2.  आवेदनों को अस्वीकृत करना तथा दिनांकित प्राप्तियों को न देने की प्रक्रिया को मनरेगा की धारा 25 के अधीन उल्लंघन माना जाएगा।
  3.  कार्य हेतु आवेदन प्रस्तुत करने के लिए, प्रावधान को कार्य हेतु आवेदन प्राप्त करने और उनकी ओर से दिनांकित प्राप्तियाँ जारी करने के लिए वार्ड सदस्यों, ऑगनवाड़ी कामगारों, स्कूल अध्यापकों, स्व-सहायता दलों, गाँव स्तर के राजस्व पदाधिकारियों, सामान्य सेवाकेन्द्रों और महात्मा गाँधी नरेगा श्रम दलों को शक्ति प्रदान करने वाली ग्राम पंचायतों द्वारा इस प्रकार पुन:नामित बहुविध चैनलों के जरिए सतत आधार पर उपलब्ध कराया जाएगा।
  4. मनरेगा वेबसाइट के अतिरिक्त मोबाइल फोनों के जरिए कार्य हेतु आवेदन पंजीकृत करने के लिए कामगारों हेतु प्रावधान (व्यवहार्य होने पर) भी किया जाएगा और उसे सीधे ही प्रबन्धन सूचना प्रणाली में भरा जाएगा। मोबाइल फोनों की स्थिति में, इस प्रणाली को निरक्षर कामगारों के लिए सुविधाजनक बनाया जाएगा और उसमें अंत:सक्रिय वॉइस प्रत्युत्तर प्रणाली (आईवीआरएस) तथा वॉइस समर्थित आन्तरिक कार्यों को शामिल किया जाएगा। यह विकल्प स्वतः ही दिनांकित प्राप्तियों को जारी करेगा।
  5.  राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करेंगी कि मनरेगा प्रबन्धन सूचना प्रणाली कार्य-माँग को रिकॉर्ड करती है। यह कार्य शुरू होने की तारीख तथा कार्य आवेदन की तारीख के बीच होने वाले अन्तर (प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए) का पता लगाएँगी।
  6.  मनरेगा सॉफ्टवेयर ऐसे मजदूरी प्राप्तिकर्ता, जिनकी कार्य-माँग को माँग के 15 दिनों के भीतर पूरा नहीं किया जाता है, को बेरोजगारी भत्ते का भुगतान करने हेतु स्वतः ही अदायगी आदेश सृजित करेगा। इसके आधार पर तैयार की गई रिपोर्टे राज्य स्तर पर पता लगाए जाने वाली रिपोर्टों के अनिवार्य सेट का भाग होंगी।

मनरेगा कार्यक्रम का उद्देश्य

मनरेगा एक ऐसा कार्यक्रम है जो कि गरीबों को 100 दिन का गारण्टीशुदा रोजगार प्रदान करने हेतु अधिक विस्तृत एवं क्रमबद्ध, तरीकों को अपनाने पर जोर देता है। साथ ही यह प्रत्येक व्यक्ति को समाजोपयोगी तथा सरकारी कार्यों में इस प्रकार लगाने योग्य बनाना चाहता है कि वह अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु पर्याप्त आय अर्जित कर सके। इस प्रकार, इस कार्यक्रम के अन्तर्गत परम्परागत सिद्धान्तों, व्यवहारों तथा प्राथमिकताओं को बहुत कुछ बदला गया है। मनरेगा अधिनियम रोजगार की कानूनी गारण्टी प्रदान करने वाला एक व्यापक कार्यक्रम है।

स्वतन्त्र भारत में पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत ग्रामीण विकास के अनेक कार्यक्रम प्रारम्भ किए गए। ऐसे कार्यक्रमों में सामुदायिक विकास कार्यक्रम प्रमुख हैं। इन विकास कार्यक्रमों के परिणामों के अध्ययन के बाद ज्ञात हुआ कि विभिन्न कार्यक्रमों का लाभ अधिकांशतः उन लोगों को मिला है। जो पहले से ही साधन-सम्पन्न हैं तथा जिनके पास भूमि व उत्पादन के अन्य साधन प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं। अनुभव के आधार पर पाया गया कि विभिन्न-विकास कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामों को समन्वित विकास नहीं हो रहा है। भूमिहीन श्रमिकों तथा दस्तकारों की आर्थिक-सामाजिक स्थिति में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है, उन्हें निर्धनता से छुटकारा नहीं दिलाया जा सका है, उनमें व्याप्त बेकारी व अर्द्ध-बेकारी को समाप्त नहीं किया जा सका है।

साथ ही यह भी पाया गया कि विभिन्न विकास एजेन्सियों के कार्यक्रमों में समन्वय का अभाव है जिसके फलस्वरूप साधनों का दुरुपयोग होता है। इसके अलावा ग्रामीणों के सम्मुख यह समस्या भी बनी रहती है कि किस सरकारी विभाग के किस कार्यक्रम को अपनाया जाए और किसे नहीं। ऐसी स्थिति में वर्ष 2006-07 में एक नवीन कार्यक्रम जिसे मनरेगा कार्यक्रम कहते हैं, की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी।

उपर्युक्त कार्यक्रम का एक उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के निर्धनतर्म परिवारों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाना एवं उन्हें आय के साधन प्रदान करना है। ग्रामीण विकास की दृष्टि से अपनाए गए अब तक के सभी कार्यक्रमों की तुलना में यह सबसे बड़ा एवं व्यावहारिक कार्यक्रम है। 2 फरवरी, 2006 से देश के सभी सामुदायिक विकास-खण्डों में मनरेगा कार्यक्रम प्रारम्भ किया जा चुका है। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में बेकारी एवं गरीबी को दूर करने का प्रयत्न करता है।

प्रश्न 3
वन क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के परिवारों के लिए मनरेगा के अन्तर्गत विशेष लाभ योजनाओं पर प्रकाश डालिए। इनर
उत्तर:
मनरेगा की विशेष लाभ योजनाएँ

ग्रामीण विकास मन्त्रालय ने वन क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के परिवारों के लिए मनरेगा के अन्तर्गत 150 दिनों का रोजगार प्रदान करने के लिए एक निर्देश जारी किया है। इस कदम से झारखण्ड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और आन्ध्र प्रदेश जैसे राज्यों में लगभग आठ लाख लोगों को फायदा होगा। महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (मनरेगा) के अन्तर्गत निर्धारित 100 दिनों के रोजगार के अतिरिक्त 50 दिनों का रोजगार उन व्यक्तियों के लिए लागू होगा जिन्हें वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) 2006 के अन्तर्गत सम्बन्धित अधिकार-पत्र दिए गए हैं। इनमें से लगभग 8 लाख व्यक्तिगत अधिकार पत्र आन्ध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड और ओडिशा में दिए गए हैं।

सरकार के अनुसार भूमि को और अधिक उत्पादक बनाने के लिए जमीनों का प्रयोग समतल और बागान और अन्य गतिविधियों के लिए किए जाने की आवश्यकता है। 50 अतिरिक्त दिनों के माध्यम से मनरेगा में परिवारों को अपनी ही जमीन पर अतिरिक्त काम करने की योजना को मंजूरी प्रदान की गई है। उस कार्य की मजदूरी का भुगतान उनको मनरेगा के मद से ही किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, एफआरए लाभार्थियों को पहले ही इन्दिरा आवास योजना के अन्तर्गत सहायता के लिए शामिल किया गया है।

12 नक्सल प्रभावित जिलों में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से त्वरित आजीविका सहायता परियोजना (एएलएसपी) को शुरू किया गया है। परियोजना में इन जिलों में 500 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के माध्यम से आजीविका सृजन पर ध्यान दिया जाएगा। इन 12 जिलों में; लातेहार, पलामू, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम (झारखण्ड); मलकानगिरी, कोरापुट नुआपाड़ा और कालाहांडी (ओडिशा); सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, बलरामपुर (छत्तीसगढ़) शामिल हैं।

विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में मनरेगा और ग्रामीण आजीविका के बीच तालमेल मजबूत करने पर ध्यान देने के साथ ही मनरेगा के अन्तर्गत हो रहे कार्यों को मौजूदा सूची में जोड़ा गया है। मनरेगा में काम करने से हाशिए पर खड़े समाज के एक वर्ग की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होने की सम्भावना है। इसके अन्तर्गत अनुसूचित जाति/जनजाति, लघु एवं सीमान्त किसानों, इन्दिरा आवास योजना निर्दिष्ट लाभार्थियों, वन अधिकारियों को भू-अधिकार से सम्पन्न किया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1
मनरेगा कार्यक्रम के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इस योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं।

  1. प्रत्येक ग्रामीण परिवार के एक वयस्क सदस्य को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिन गारण्टीशुदा अकुशल मजदूरी/रोजगार माँग के अनुसार उपलब्ध कराना, परिणामस्वरूप । निर्धारित गुणवत्ता और स्थायित्व वाली रचनात्मक परिसम्पत्तियों का निर्माण,
  2. गरीबों को आजीविका का संसाधन आधार सशक्त करना;
  3. असक्रिय रूप से सामाजिक समावेश सुनिश्चित करना और;
  4. पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत बनाना।

प्रश्न 2
मनरेगा कार्यक्रम का सामाजिक महत्त्व बताइए।
उत्तर:
मनरेगा का सामाजिक महत्त्व मनरेगा के अन्तर्गत एक वित्तीय वर्ष के दौरान ऐसे सभी ग्रामीण परिवारों को जिनके वयस्क सदस्य अकुशल श्रम करने को तैयार हों। कम-से-कम 100 दिनों का गारण्टी मजदूरी देने का प्रयास किंया जाता है। इस रूप में मनरेगा अन्य श्रमिक रोजगार कार्यक्रमों से अलग किस्म का है क्योंकि इसके द्वारा ग्रामीण लोगों को एक संसदीय अधिनियम के द्वारा रोजगार पाने का वैधानिक अधिकार और गारण्टी प्राप्त है। यह अन्य श्रम रोजगार योजनाओं जैसा नहीं है। अपने अधिकार आधारित ढाँचे तथा माँग-आधारित तरीके द्वारा मनरेगा पिछली रोजगार योजनाओं की तुलना में एक भिन्न परिवर्तन का अग्रदूत है। इस योजना की विशेषताओं में शामिल हैं।

समयबद्ध रोजगार गांरटी और 15 दिनों के अन्दर मजूदरी का भुगतान तथा मजदूर संकेद्रित कार्य पर जोर जिसमें कॉन्टेक्टरों और मशीनरी के प्रयोग का निषेध किया गया है। योजना की कम-से-कम 33 प्रतिशत हितग्राही महिलाएँ होंगी। इस दृष्टि से समाज में महिलाएँ आर्थिक दृष्टि से भी सुदृढ़ होंगी। मनरेगा के अन्तर्गत मजदूरी का भुगतान बैंक एवं डाकघर खाते के माध्यम से किया जाना जरूरी है। इस योजना से गरीबों के आर्थिक समावेश में सहायता मिल रही है।

मनरेगा का मुख्य ध्यान जल संरक्षण, सूखा निवारण (वन संवर्द्धन/वृक्षारोपण सहित), भूमि विकास, बाढ़ नियन्त्रण/सुरक्षा (जल-जमाव वाले क्षेत्रों में नालियों के विकास सहित) तथा सभी मौसमों में गाँवों को सड़क से जोड़ने इत्यादि से सम्बन्धित कार्यों पर है। इन कार्यों से निश्चित रूप से समाज को बड़ा लाभ मिलेगा। भविष्य की योजनाएँ बनाने, प्रोजेक्ट शेल्फ के अनुमोदन तथा लागत के कम-से-कम 50 प्रतिशत तक के अनुपात में कार्यों को लागू किए जाने के माध्यम से मनरेगा के नियोजन, कार्यान्वयन और उनकी निगरानी की दृष्टि से पंचायतों की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इससे यह पता चलता है कि यह अधिनियम विकेन्द्रीकरण को मजबूत बनाने तथा निम्नतम स्तर पर लोकतान्त्रिक संरचना को दृढ़ करने के लिए भी एक महत्त्वपूर्ण साधन है।

प्रश्न 3
मनरेगा अधिनियम के मुख्य प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मनरेगा अधिनियम के मुख्य प्रावधान मनरेगा अधिनियम के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं

  1. मनरेगा अधिनियम रोजगार की कानूनी (2008-09) गारण्टी प्रदान करता है।
  2. प्रत्येक विकास खण्ड पर इस कार्यक्रम की गतिविधियों का चयन पंचायत समितियों द्वारा करने का प्रावधान किया गया है।
  3.  पंचायत समितियों द्वारा लोगों को, कार्यक्रम की पारदर्शिता, सामाजिक उत्तरदायित्व तथा सामाजिक सहभागिता का पूर्ण आश्वासन दिया जाएगा।
  4.  कष्ट निवारण समितियाँ हर जगह उपलब्ध होंगी।
  5. 33 प्रतिशत लाभ महिलाओं को होगा तथा उन्हें पुरुषों के बराबर पारिश्रमिक की व्यवस्था की गई है।
  6. रोजगार का इच्छुक कोई भी व्यक्ति, ग्राम पंचायत समिति में पंजीकरण करा सकता है। पंजीकृत होने वाले व्यक्तियों को ग्राम पंचायत द्वारा ‘जॉब गारण्टी कार्ड जारी किया जाएगा। इस कार्ड के अन्तर्गत वैधानिक मान्यता है कि 15 दिनों के अन्दर व्यक्ति को रोजगार मिले।
  7. पंजीकरण कार्यालय वर्ष भर खुला रहेगा।
  8. व्यक्ति को रोजगार उसके घर से 5 किमी के दायरे में मिलेगा तथा साथ में मजदूरी भत्ता भी उपलब्ध कराया जाएगा।

प्रश्न 4
मनरेगा के विषय में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम सितम्बर 2005 में बनाया गया और 2 फरवरी, 2006, से इसे क्रमिक रूप से लागू किया गया। प्रथम चरण में इसे देश के अत्यधिक पिछड़े 200 जिलों में लागू किया गया। वहीं दूसरे चरण के दौरान, 2007-08 में, इसे 130 अतिरिक्त जिलों में लागू किया गया। आरम्भिक लक्ष्य के रूप में, मनरेगा को पाँच वर्षों के अन्दर पूरे देश में विस्तारित किया जाना था। किन्तु पूरे देश को इसके सुरक्षात्मक दायरे में लाने और भारी माँग को देखते हुए, चरण 3 के अन्तर्गत, 1 अप्रैल, 2008 से इस योजना को भारत के बाकी 274 जिलों में भी लागू कर दिया गया। इस तरह, अब यह राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (नरेगा) देश के समस्त ग्रामीण क्षेत्र को आच्छादित करता है। 2 अक्टूबर, 2009 को इसका नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (मनरेगा) रख दिया गया।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1
‘मनरेगा राष्ट्रीय विकास का आधार है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मनरेगा अधिनियम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार का पहला कानून है। इसमें रोजगार गारण्टी किसी अनुमानित स्तर पर नहीं है, बल्कि इस अधिनियम का लक्ष्य मजदूरी रोजगार को बढ़ाना है। इसका सीधा लक्ष्य है कि प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन द्वारा सही उपयोग और गरीबी के कारण-सूखा, जंगल काटना एवं मिट्टी के कटाव को सही तरीके से विकास में लाना है। अतः कहा जा सकता है कि मनरेगा राष्ट्रीय विकास का आधार है।

प्रश्न 2
मनरेगा क्या है?
उत्तर:
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) देश के ग्रामीण इलाकों में लागू किया गया अधिकारों पर आधारित रोजगार कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार के एक वयस्क सदस्य को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिन का गारंटीशुदा अकुशल मजदूरी-रोजगार उपलब्ध कराते हुए आजीविका सुरक्षा बढ़ाना है।

प्रश्न 3
मनरेगा को किस प्रकार लागू किया गया?
उत्तर:
पहले चरण में 2 फरवरी, 2006 से देश के सबसे पिछड़े 200 जिलों में मनरेगा को लागू किया गया, उसके बाद 1 अप्रैल, 2007 और 15 मई, 2007 को क्रमशः 113 और 17 अतिरिक्त जिलों को भी इसके दायरे में लाया गया। बचे हुए अन्य जिलों को 1 अप्रैल, 2008 से इस अधिनियम के दायरे में लाया गया। इस प्रकार, इस समय देश के सभी ग्रामीण जिले (644) इस अधिनियम के दायरे में हैं।

प्रश्न 4
मनरेगा की प्रमुख उपलब्धियाँ लिखिए।
उत्तर:
इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के पिछले आठ वर्षों के दौरान इसकी प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं

  1.  वर्ष 2006 में लागू होने के बाद से करीब ₹ 1,63,754.41 करोड़ की राशि सीधे तौर पर ग्रामीण कामगार घरों को दिहाड़ी के भुगतान के रूप में प्रदान की गई।
  2. 1,657.45 करोड़ कार्यदिवसों को रोजगार सृजित किया गया।
  3. 2008 से लेकर अब तक औसतन 5 करोड़ ग्रामीण घरों को हर साल रोजगार मुहैया कराया गया है।
  4. 31 मार्च, 2014 तक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की भागीदारी 48 प्रतिशत रही।

निश्चित उत्तीय प्रश्न ( 1 अंक)

प्रश्न 1
मनरेगा योजना का पूरा नाम बताइए।
उत्तर:
मनरेगा योजना का पूरा नाम है-महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार ग्रामीण गारण्टी अधिनियम (मनरेगा) पहले इसका नाम राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी अधिनियम (नरेगा) था।

प्रश्न 2
मनरेगा कार्यक्रम कब से प्रारम्भ किया गया है?
उत्तर:
मनरेगा कार्यक्रम 2 फरवरी, 2006 से (नरेगा के रूप में) प्रारम्भ किया।

प्रश्न 3
नरेगा कार्यक्रम को कब मनरेगा कार्यक्रम के रूप में परिवर्तित किया गया?
उत्तर:
नरेगा कार्यक्रम को 2 अक्टूबर, 2009 को गाँधी जयन्ती के अवसर पर मनरेगा कार्यक्रम के रूप में परिवर्तित किया गया।

प्रश्न 4
मनरेगा कार्यक्रम में महिलाओं को कितने प्रतिशत लाभ प्रदान किया गया है?
उत्तर:
मनरेगा कार्यक्रम में महिलाओं को 33% लाभ प्रदान किया है।

प्रश्न 5
मनरेगा का क्रियान्वयन किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा।।

प्रश्न 6
मनरेगा के अन्तर्गत कितने दिनों का रोजगार देने का प्रावधान है?
उत्तर:
100 दिन तक।

प्रश्न 7
मनरेगा की किस धारा के अन्तर्गत आवेदनों को अस्वीकृत करना इसका उल्लंघन माना गया है?
उत्तर:
धारा 25

प्रश्न 8
जवाहर रोजगार योजना में महिलाओं को क्या विशेष लाभ दिया गया है ?
उत्तर:
जवाहर रोजगार योजना के अन्तर्गत लाभ प्राप्तकर्ताओं में 30 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण किया गया है।

प्रश्न 9
मनरेगा का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम।

प्रश्न10
मनरेगा का पूर्व नाम क्या था?
उत्तर:
नरेगा।

प्रश्न 11
मनरेगा में बेरोजगार भत्ते की राशि कौन तय करता है?
उत्तर:
राज्य सरकार।

प्रश्न 12
मनरेगा कहाँ-कहाँ लागू है?
उत्तर:
देश के सभी जिलों में।

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
वर्ष 2006-07 में देश के कितने जिलों में मनरेगा का कार्यान्वयन हुआ?
(क) 500
(ख) 200
(ग) 300
(घ) 400

प्रश्न 2
जॉब गारंटी कार्ड जारी होने के कितने दिन के अन्तर्गत व्यक्ति को रोजगार मिल जाना चाहिए?
(क) 25 दिन
(ख) 50 दिन
(ग) 100 दिन
(घ) 15 दिन

प्रश्न 3
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनयम कब लागू किया गया?
(क) 2 फरवरी, 2006
(ख) 1 अप्रैल, 2005
(ग) 31 मार्च, 2007
(घ) 2 अक्टूबर, 2011

प्रश्न 4
निम्न में से रोजगार गारण्टी योजना है।
(क) मनरेगा
(ख) अपर्णा योजना
(ग) अन्नपूर्णा योजना
(घ) ये सभी

प्रश्न 5
नरेगा’ को ‘मनरेगा’ किस वर्ष किया गया
(क) 2009 में
(ख) 2006 में
(ग) 2008 में
(घ) 2010 में

उत्तर:
1. (ख) 200,
2. (घ) 15 दिन,
3. (क) 2 फरवरी, 2006,
4. (क) मनरेगा,
5. (क) 2009 में।

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