UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 7 बाललीला (मंजरी)
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समस्त गद्याशों की व्याख्या
‘बाललीला’ सूरदास (1)
मैया मोहिं …………………. तू पूत।
संदर्भ:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी-7′ के ‘बाललीला और भक्तिपद’ नामक पाठ से ली गई हैं। इसके रचयिता महाकवि सूरदास हैं। कृष्णभक्ति शाखा के प्रमुख कवि सूरदास जी वात्सल्य और श्रृंगार के क्षेत्र में हिंदी साहित्य में सर्वोच्च (UPBoardSolutions.com) स्थान रखते हैं।
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियों में बालकृष्ण की लीलाओं का वर्णन है।
व्याख्या:
हे माता (यशोदा), मुझे बलराम भैया बहुत चिढ़ाते हैं। मुझे वह मोल खरीदा हुआ बताते हैं, और कहते हैं कि मुझे तुमने जन्म नहीं दिया है। इस बात को सुनकर मैं क्रोध के मारे खेलने भी नहीं जाता। वह बार-बार पूछते हैं कि मेरे माता-पिता कौन हैं। ये नन्द जी और यशोदा दोनों गोरे वर्ण के हैं। तुम काले शरीर वाले कहाँ से आ गए। सब ग्वाले चुटकी देकर नाचते, हँसते और मुस्कराते हैं। तुम हमेशा मुझे ही पीटना जानती हो, बलराम भैया को कभी नहीं डाँटती हो। बालक श्रीकृष्ण के मुख से क्रोधपूर्ण बातें सुनकर यशोदा मन-ही-मन में खुश होती हैं। वह कहती हैं। कि कृष्ण सुनो, बलराम तो चुगली करने वाला, जन्म से ही धूर्त है। (UPBoardSolutions.com) सूरदास जी कहते हैं कि यशोदा कृष्ण से कहती हैं कि मुझे गायों के धन की सौगन्ध है कि मैं ही तुम्हारी माता हूँ और तुम मेरे ही पुत्र हो।
‘बाललीला’ सूरदास (2)
जसोदा हरि पालनै ………………… नंदभामिनी पावै।
संदर्भ: पूर्ववत्।
प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश में सूरदास जी ने माँ यशोदा द्वारी बालक श्री (UPBoardSolutions.com) कृष्ण को पालने में सुलाने का वर्णन किया है।
व्याख्या:
यशोदा जी श्याम को पालने में झुला रही हैं। कभी वे पालना झुलाती हैं, कभी प्यार करके बाल कृष्ण को पुचकारती हैं और चाहे जो कुछ गाती जा रही हैं। (वे गाते हुए कहती हैं)-निद्रा! तू मेरे लाल के पास आ! तू क्यों आकर इसे सुलाती नहीं है। तू झटपट क्यों नहीं आती? तुझे कान्हा बुला रहा है। श्यामसुन्दर कभी पलकें बंद कर लेते हैं, कभी अधर फड़काने लगते हैं। उन्हें सोते समझकर माता चुप हो जाती हैं और दूसरी गोपियों को भी संकेत करके समझाती हैं कि यह सो रहा है, तुम सब भी चुप रहो। इसी बीच में श्याम आकुल होकर जग जाते हैं, यशोदा फिर मधुर स्वर में गाने लगती हैं। सूरदास जी कहते हैं कि (UPBoardSolutions.com) जो सुख देवताओं तथा मुनियों के लिये भी दुर्लभ है, वही श्याम को बालरूप में पाकरे लालन-पालन तथा प्यार करने का सुख श्रीनन्द की पत्नी प्राप्त कर रही हैं।
तुलसीदस (1)
तन की दुति स्याम …………………………….. मन-मंदिर में बिहरैं।
संदर्भ:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी पाठ्य-पुस्तक मंजरी-7′ से उद्धृत है। (UPBoardSolutions.com) इसके रचयिता कवि शिरोमणि तुलसीदास जी हैं। तुलसीदास जी रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि हैं और हिंदी साहित्य के प्राचीन कवियों में इनका सर्वोच्च स्थान है।
प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश में तुलसीदास ने श्रीराम के और महाराजा दशरथ के (UPBoardSolutions.com) अन्य पुत्रों के बाल-रूप का मनोहरी वर्णन किया है।
व्याख्या:
उनके शरीर की आभा नील कमल के समान है तथा नेत्र कमल की शोभा को हरते हैं। धूलि से भरे होने पर भी वे बड़े सुन्दर जान पड़ते हैं और कामदेव की महती छवि को भी दूर कर देते हैं। उनके नन्हें-नन्हें दाँत बिजली की चमक के समान चमकते हैं (UPBoardSolutions.com) और वे किलक-किलककर मनोहर बाललीलाएँ करते हैं। अयोध्यापति महाराज दशरथ के वे चारों बालक तुलसीदास के मनमन्दिर में सदैव बिहार करें।
तुलसीदस (2)
कबहुँ ससि …………………………… मन-मन्दिर में बिहरैं।
संदर्भ:
पूर्ववत्।
प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश में तुलसीदास ने श्रीराम के और महाराजा दशरथ के अन्य पुत्रों के बाल-रूप का मनोहरी वर्णन किया है।
व्याख्या:
कभी चन्द्रमा को माँगने की हठ करते हैं, कभी अपनी परछाहीं देखकर डरते हैं, कभी हाथ से ताली बजा-बजाकर नाचते हैं, जिससे सब माताओं के हृदय आनन्द से भर जाते हैं। कभी हठपूर्वक कुछ कहते हैं (माँगते हैं) और जिस वस्तु के लिए अड़ते हैं, (UPBoardSolutions.com) उसे लेकर ही मानते हैं। अयोध्यापति महाराज दशरथ के वे चारों बालक तुलसीदास के मन मंदिर में सदैव विहार करें।
प्रश्न-अभ्यास
कुछ करने को
प्रश्न 1:
बचपन में आपने भी माँ या दादी से कई लोरियाँ सुनी होंगी। याद करके एक लोरी लिखिए।
उत्तर:
धीरे से आजा री अँखियन में
निंदिया आजा री आजा,
धीरे से आजा….
यह लोरी उदाहरण के तौर पर दी गई है, बच्चे अपना अनुभव स्वयं लिखें।
प्रश्न 2:
नीचे बच्चों के बढ़ने की कुछ अवस्थायें दी गयी हैं, उन्हें क्रम से लगाइये-
दौड़ कर चलना। – घुटनों के बल चलना। – पालने में लेटना – स्कूल जाना। (UPBoardSolutions.com) – गिरते पड़ते चलाना। – चारपाई/चौकी पकड़ कर चलना।
उत्तर:
पालने में लेटना – घुटनों के बल चलना। – चारपाई/ चौकी पकड़ कर चलना।
गिरते पड़ते चलाना। – दौड़ कर चलना। – स्कूल जाना।
विचार और कल्पना
प्रश्न 1:
अपने छोटे भाई बहन या छोटे बच्चों के क्रियाकलापों को देखकर आपके हृदय में जो भावों के चित्र उभरते हैं, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्त:
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2:
तुलसी दास ने राम का रूप वर्णन करते हुए उनके किन अंगों की उपमा कमल से दी है और क्यों ?
उत्तर:
तुलसीदास ने राम का रूप वर्णन करते हुए उनके (UPBoardSolutions.com) शरीर के आभा और उनकी आँखों की तुलना कमल से की है।
प्रश्न 3:
बालक राम चन्द्रमा को देखकर उसे खिलौना समझकर पाने का हठ करते हैं। चन्द्रमा को देखकर आपके मन में क्या विचार आता है ? लिखिए।
उत्तर:
चंद्रमा को देखकर मेरे मन में यह विचार आता है कि मैं भी अंतरिक्ष यात्री बनें और चंद्रमा की सैर कर जाऊँ।
कविता से
प्रश्न 1:
यशोदा बालक श्रीकृष्ण को किस प्रकार सुला रही हैं ?
उत्तर:
यशोदा जी बालक कृष्ण को पालने में झुलाती हैं और दुलराते-पुचकारते और सुलाने का प्रयास करती हैं।
प्रश्न 2:
वह कौन सा सुख है जो देवताओं को भी दुर्लभ है ?
उत्तर:
भगवान को बाल रूप में पाकर लालन-पालन तथा प्यार करने का जो सुख नंद की पत्नी यशोदा जी को प्राप्त है वह सुख देवताओं को भी दुर्लभ है।
प्रश्न 3:
दाऊ क्या कहकर श्रीकृष्ण को चिढ़ाते हैं और यशोदा उन्हें क्या कहकर समझाती हैं ?
उत्तर:
दाऊ यानी बलराम कृष्ण से कहते हैं कि नन्द और यशोदा, (UPBoardSolutions.com) दोनों गोरे रंग के, तुम काले रंग के कहाँ से आ गए। माँ बलराम को चुगली करने वाला और जन्म से ही धूर्त बताकर कृष्ण को सांत्वना देती हैं।
प्रश्न 4:
माँ यशोदा श्रीकृष्ण के मुख से कौन-कौन सी बातें सुनकर प्रसन्न हो रही हैं ?
उत्तर:
बालक कृष्ण बलराम द्वारा चिढ़ाए जाने की शिकायत माँ यशोदा से करते हैं और कहते हैं कि तुम तो हमेशा मुझे ही डाँटती-पीटती हो, दाऊ को कभी कुछ नहीं कहतीं। बालक कृष्ण के मुख से इस तरह की क्रोधपूर्ण बातें सुनकर यशोदा प्रसन्न हो रही है।
प्रश्न 5:
निम्नलिखित पंक्तियों को आशय स्पष्ट कीजिए
(क) कबहुँ पलक हरि मुँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में बालक कृष्ण के सोने का वर्णन है। माँ यशोदा दुवारा दुलराए जाने और पालंना झुलाए जाने, लोरी गाने और ऐसे ही कई प्रयास श्रीकृष्ण को सुलाने के लिए किए जा रहे हैं। ऐसे में बालक कृष्ण अपनी आँखें मूंद लेते हैं तो यशोदा उन्हें (UPBoardSolutions.com) सोया जानकर लोरी गाना बंद कर देती हैं। लेकिन नटखट कृष्ण वापस अधर फडुकाते हुए रोने लगते हैं।
(ख) सूर श्याम मोहि गोधन की सौं, हौं माता तू पूत।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में उस समय का वर्णन है जब बालक कृष्ण माँ यशोदा से बलराम द्वारा चिढाए जाने की शिकायत करते हैं और कहते हैं कि बलराम दाऊ कहते हैं कि मैं आपका ! हैं क्योंकि बाबा नंद भी गोरे हैं और आप भी गोरी हैं लेकिन मैं काले शरीर वाला न जाने कहाँ से आ गया। उनकी इस बात को सुनकर सभी ग्वाले मेरा मजाक उड़ाते हैं। माँ से ये सारी बातें कहते हुए कृष्ण जब आँसे हो जाते हैं कि मुझे गौधन (गायों) की सौगंध है कि मैं ही तुम्हारी माता हूँ और तुम मेरे ही पुत्र हो।
(ग) अवधेस के बालक चारि, सदा तुलसी मन मन्दिर में बिहरैं।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में तुलसीदास बालक राम और उनके अन्य तीन भाइयों के बालरूप और बाल लीला का वर्णन करते हुए भावविभोर होकर कहते हैं कि अवधेश (दशरथ) के ये चारों पुत्र (राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न) मेरे मन-मंदिर में सदा यूँ ही विहार करें। (UPBoardSolutions.com) अर्थात वे उनकी इस सुंदर छवि को अपने मन में सदा के लिए बसा लेना चाहते हैं।
(घ) कबहूँ रिसिआइ कहैं हठि कै, पुनि लेत सोई जेहि लागि अरें।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में कवि तुलसीदास ने राजा दशरथ के चारों पुत्रों की बाल-लीला का वर्णन करते हुए उनकी हठी स्वभाव का चित्रण किया है। वे लिखते हैं कि चारों बालक एक पल कुछ और तो दूसरे पल कछ और माँगने लगते हैं। वे जिस वस्तु के लिए अड़ जाते हैं, उसे लेकर ही मानते हैं। (UPBoardSolutions.com)
भाषा की बात
प्रश्न :
पद में आये निम्नलिखित शब्दों का (UPBoardSolutions.com) तत्सम् रूप लिखिए।
कान्ह, स्याम, दुरलभ, दुति, अवधेस, ससि।
उत्तर:
कान्ह – कृष्ण
स्याम – श्याम
दुरलभ – दुर्लभ
दुति – युति
अवधेस – अवधेश
ससि – शशि
प्रश्न 2:
‘मंजुल’ शब्द में ‘ता’ प्रत्यय लगाकर भाववाचक संज्ञा ‘मंजुलता’ बना है। इसी प्रकार कुछ विशेषण शब्दों को खोज कर उन्हे भाववाचक संज्ञा में बदलिए।
उत्तर:
स्वाभाविक + ता = स्वाभविकता
प्रखर + ता = प्रखरता
कोमल + ता = कोमलता
स्वच्छ + ता = स्वच्छता
कठोर + ता = कठोरता
वास्तविक + ता = वास्तविकता
प्रश्न 3:
बिम्ब शब्द में ‘प्रति’ उपसर्ग लगाकर ‘प्रतिबिम्ब’ शब्द बना है। (UPBoardSolutions.com) इसी प्रकार प्रति उपसर्ग लगाकर नये शब्द बनाइए।
उत्तर:
प्रति + क्रिया = प्रतिक्रिया
प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
प्रति + मान = प्रतिमान
प्रति + एक = प्रत्येक
प्रति + उत्पन्न = प्रत्युत्पन्न
प्रति + हार = प्रतिहार
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