UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 25 सर्वपल्ली डॉ० राधाकृष्णन (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 25 सर्वपल्ली डॉ० राधाकृष्णन (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर, 1888 ई० को तमिलनाडु के तिरुतानी गाँव में हुआ था। यह दिन प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी और माता का नाम सीतम्मा था। इन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कालेज से एम०ए० किया। 17 वर्ष की आयु में इनका विवाह शिवकमुअम्मा से हुआ। सन् 1909 ई० में मद्रास प्रेसीडेंसी कालेज में उन्होंने शिक्षक जीवन की शुरुआत की। इसके बाद अध्यापन कार्य करते हुए ये कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, रूस में भारत के राजदूत, 10 वर्ष तक भारत के उपराष्ट्रपति और अन्त में 1962 से 1967 तक भारत के राष्ट्रपति रहे। इस प्रकार इन्होंने देश की अनेक सेवाएँ की परन्तु सर्वोपरि वे एक शिक्षक के रूप में रहे। इनके द्वारा लिखी गई प्रमुख पुस्तकें हैं- द एथिक्स ऑफ वेदान्त, द फिलॉसफी ऑफ रबीन्द्र नाथ टैगोर, माई सर्च फॉर टूथ, दे रेन ऑफ कंटम्परेरी फिलॉसफी, रिलीजन एण्ड सोसाइटी, इण्डियन फिलॉसफी, द एसेंसियल ऑफ सायकॉलजी आदि।

काशी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लेने से गवर्नर ने इसे अस्पताल बना देने की धमकी दी थी। राधाकृष्णन ने दिल्ली जाकर वायसराय को प्रभावित कर समस्या हल की। गवर्नर द्वारा (UPBoardSolutions.com) आर्थिक सहायता रोकने पर उन्होंने धन जुटाकर विश्वविद्यालय चलाया। शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए 1954 ई० में इन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। सन् 1949 ई० में इन्हें मास्को में भारत का राजदूत चुना गया। मास्को में भारत की प्रतिष्ठा इन्हीं की देन है।

1955 ई० में भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में सदन की कार्यवाही का इन्होंने नया आयाम प्रस्तुत किया। सन् 1962 ई० में भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में सेवा की। इन्होंने मतभेदों के बीच समन्वय का (UPBoardSolutions.com) रास्ता ढूँढ़ने की बात सिखाई। सर्वांगीण प्रगति के लिए इन्होंने बताया कि आज हमें अमेरिकी या रूसी तरीके की नहीं वरन मानववादी तरीके की जरूरत है। 1969 ई० में राष्ट्रपति पद से मुक्त होने पर देशवासियों को सुझाव दिया कि हिंसापूर्ण अव्यवस्था के बिना भी परिवर्तन लाया जा सकता है।

डॉ० राधाकृष्णन पटुवक्ता थे। इनके व्याख्यानों से पूर्ण दुनिया के लोग प्रभावित थे। ये राष्ट्रपति पद से मुक्त होकर मई 1967 ई० में चेन्नई (मद्रास) स्थित घर के माहौल में चले गए और अन्तिम आठ वर्ष अच्छी तरह व्यतीत किए। डॉ० राधाकृष्णन 27 अप्रैल, 1975 ई० को स्वर्गवासी हो गए।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
शिक्षक दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
उत्तर :
5 सितम्बर को शिक्षक दिवस डॉ० राधाकृष्णन के जन्म दिवस होने के कारण मनाया जाता है।

प्रश्न 2.
डॉ० राधाकृष्णन ने किन-किन पदों पर कार्य किया?
उत्तर :
डॉ. राधाकृष्णन ने निम्न पदों पर कार्य किया

  • मद्रास (चेन्नई) के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से शिक्षक जीवन की शुरुआत की।
  • मैसूर विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक के रूप में कार्य किए।
  • कोलकाता विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया।
  • ऑक्सफड विश्व विद्यालय में अध्यापन कार्य किया।
  • आंध्र विश्वविद्यालय में कुलपति रहे। (UPBoardSolutions.com)
  • काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति रहे।
  • दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति रहे।
  • फिर भारत के उपराष्ट्रपति बने तथा अंत में भारत के राष्ट्रपति बने।

प्रश्न 3.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के लिए डॉ० राधाकृष्णन ने कौन-सा उल्लेखनीय कार्य किया?
उत्तर :
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के लिए डॉ० राधाकृष्णन ने विशेष कार्य किया। काशी के विद्यार्थियों द्वारा ‘भारत-छोड़ो आन्दोलन’ में विशेष सक्रिय भागीदारी से रुष्ट होकर गवर्नर ने विश्वविद्यालय को अस्पताल बना देने की धमकी दी। राधाकृष्णन ने दिल्ली जाकर वायसराय लार्ड लिनालियगो को प्रभावित कर समस्या हल की। गवर्नर द्वारा आर्थिक सहायता रोकने पर इन्होंने जैसे-तैसे धन की व्यवस्था करके विश्वविद्यालय चलाया।

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प्रश्न 4.
डॉ० राधाकृष्णन के व्यक्तित्व की विशेषताओं के बारे में पाँच वाक्य लिखिए।।
उत्तर :
डॉ० राधाकृष्णन महान शिक्षाशास्त्री, उत्कृष्ट दार्शनिक, कुशल राजनीतिज्ञ, मानवतावादी और समन्वयवादी थे।

प्रश्न 5.
डॉ० राधाकृष्णन ने अपने आपको शिक्षक से शुरू करके राष्ट्रपति के पद तक पहुँचाया। क्या आपके आस-पास कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने जीवन में सामान्य स्तर से शुरू करके बहुत तरक्की की है? उनके बारे में पता कीजिए और दस वाक्य लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें। (UPBoardSolutions.com)

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