UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 कुम्भमेला (अनिवार्य संस्कृत)
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अस्माकं …………………………………………………………………. कुम्भमेला लगति।
हिन्दी अनुवाद – हमारे प्रदेश के मध्य-दक्षिण भाग में अति प्राचीन प्रयाग नगर स्थित है। इसके उत्तर में गंगा और दक्षिण में यमुना नदियाँ बहती हैं। वहाँ सरस्वती नदी की भी कोई अदृश्य धारा बहती है, ऐसा पुराणों में वर्णित है। उस नगर की पूर्व दिशा में तीनों नदियों का कोई संगम शोभित है। इसलिए ” वह स्थान त्रिवेणी या तीन नदियों का (UPBoardSolutions.com) संगम शोभित है। इसलिए वह स्थानं त्रिवेणी या तीन नदियों का संगम, इस नाम से सर्वत्र प्रसिद्ध है। यहाँ पर तीनों नदियों की धारा आपस में मिलकर एक हो जाती है। उनकी ही त्रिवेणी संगम तट पर प्रत्येक बारह वर्ष में कुम्भ मेला लगता है।
अस्ति श्रीमद्भागवतादि …………………………………………………………………. चेति सन्ति।
हिन्दी अनुवाद – श्रीमद्भागवत आदि महापुराणों में समुद्रमन्थन की प्रसिद्ध कथा का वर्णन है। पहले सतयुग में देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मन्थन किया। इससे चौदह रत्न निकले। इनमें स्वर्ण कुम्भ हाथ में लेकर उत्पन्न हुए धन्वतंरि एक रत्न थे। उस स्वर्ण कुम्भ में अमृत था। श्री विष्णु की आज्ञा से उनका वाहन गरुड़ उस स्वर्णकुम्भ को हर ले चला। इसके बाद दानव उस अमृत को प्राप्त करने के लिए उसके पीछे दौड़े। पीछा करते हुए उन दानवों को लौटाने के लिए गरुड़ का उनके साथ चार स्थानों पर युद्ध हुआ। उस युद्ध में हाथ से गिरा उस अमृत के घड़े से कुछ अमृत चार स्थानों में गिर पड़ा। इसलिए उन चार स्थानों में अमृत प्राप्त करने के लिए लोग कुम्भ मेले का आयोजन करते हैं। वे चार स्थान-हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन हैं।
प्रयागे त्रिवेणीतटे …………………………………………………………………. भविष्यति।
हिन्दी अनुवाद – प्रयाग में लोग माघ महीने में मकर राशि पर सूर्य स्थित होने पर यद्यपि एक मास का कल्पवास (संगम क्षेत्र में ही नियमपूर्वक रहने का संकल्प लेकर आवास करना) करने के लिए आते हैं, तब भी बारहवें वर्ष में कुम्भ पर्व और छठे वर्ष में अर्द्ध कुम्भ मेले प्रचलित हैं। संवत् दो हजार सत्तावन के माघ मास में और उसके अनुसार सन् 2001 ई० के जनवरी मास में यह कुम्भ मेला सम्पन्न हुआ क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जनवरी मास की चौदह तारीख से सूर्य मकर राशि में और बृहस्पति वृष राशि में प्रवेश करते हैं। यह ज्योतिष योग दुबारा बारह वर्ष के बाद आएगा। तब फिर कुम्भ मेला होगा।
अस्यां मेलायां …………………………………………………………………. आगन्तव्यम्।
हिन्दी अनुवाद – इस मेले के पर्व में लाख से अधिक लोग आएँगे। उनमें श्रद्धालु, गृहस्थ वाले, साधु, यति और हजारों से ज्यादा संन्यासी एक मास तक निवास करेंगे। इन सब लोगों के आवास के लिए शासन सब प्रकार की सार्वजनिक सुविधा प्रदान करेगा। मेले की व्यवस्था के लिए शासन में एक पृथक् विभाग भी स्थापित हो चुका है। इसलिए (UPBoardSolutions.com) यहाँ मनुष्यों की भीड़ के लिए कोई असुविधा और असुरक्षा नहीं होती। इससे इस विश्व के प्रमुख कुम्भ मेले को देखने के लिए सभी लोगों को आना चाहिए।
अभ्यास
प्रश्न 1.
उच्चारण करें
नोट – विद्यार्थी स्वयं उच्चारण करें।
प्रश्न 2.
एकपद में उत्तर दें
(क) सङगमतटे प्रतिद्वादशवर्ष का लगति?
उत्तर : कुम्भमेला।
(ख) सुवर्णकुम्भं हस्तयोः धृत्वा कः उत्पन्नः?
उत्तर : धन्वन्तरि।
(ग) कनककुम्भे किम् आसीत्?
उत्तर : अमृतं।
(घ) कल्पवासं कर्तुं जनाः कस्मिन् मासे जनाः आगच्छति?
उत्तर : माघमासे।
प्रश्न 3.
एक वाक्य में उत्तर दें
(क) समुद्रमन्थनस्य प्रसिद्ध कथा कुत्र वर्णिता?
उत्तर :
समुद्रमन्थनस्य प्रसिद्धा कथा श्रीमदभागवतादि महापुराणेषु वर्णिता अस्ति।
(ख) सत्ययुगे के मिलित्वा समुद्रम् अमथ्नन्?
उत्तर :
सत्ययुगे देवा दानवाश्च मिलित्वा समुद्रम् अमथ्नन्।
(ग) त्रिवेणीतटे जनाः कदा कल्पवासं कर्तुम् आगच्छन्ति?
उत्तर :
त्रिवेणीतटे जनाः माघमासे कल्पवासं कर्तुम् आगच्छन्ति।
(घ) को द्रष्ट सर्वैः जनैः प्रयागे आगन्तव्यम्?
उत्तर :
विश्वस्य प्रमुखां कुम्भमेला द्रष्टुं सर्वेः जनैः प्रयागे आगन्तव्यम्।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पदों का सन्धि-विच्छेद करें
पद सन्धि-विच्छेद
यस्योत्तरतः यस्या + उत्तरतः
अप्येकम् अपि + एकम्
नाम्नापि नाम्ना + अपि
काप्यसुविधा का + असुविधा
प्रश्न 5.
रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न निर्माण करें प्रश्न
(क) कनककुम्भे अमृतम् आसीत्।
प्रश्न : अमृतम् कुत्र आसीत?
(ख) अमृतं प्राप्तुं जानाः कुम्भमेलाम् आयोजयन्ति।
प्रश्न : अमृतम् प्राप्तुं जनाः का आयोजयन्ति?
(ग) अमृतकुम्भात् किञ्चिद् अमृतं चतुषु स्थानेषु अपतत्।
प्रश्न : कस्मात् कुम्भात् अमृतं चतुषु स्थानेषु अपतत्?
(घ) गरुडः अमृतकुम्भम् अहरत्।
प्रश्न : अमृतकुम्भम् कः अहरत्?
प्रश्न 6.
संस्कृत में अनुवाद करें
(क) नगर की पूर्व दिशा में नदियों का संगम है।
संस्कृत अनुवाद – नगरस्य प्राच्यां दिशि नदीनां संगमः अस्ति।
(ख) देवों और दानवों ने मिलकर समुद्र मथा।
संस्कृत अनुवाद – देवा दानवाश्च मिलित्वा समुद्रं अमथ्नन्।
(ग) भारत के चार स्थानों पर अमृत की बूंदें पड़ीं।
संस्कृत अनुवाद – भारतस्य चतुषु स्थानेषु अमृतं कणानि अपतत्।
(घ) प्रत्येक बारह वर्ष पर कुम्भ मेला लगता है।
संस्कृत अनुवाद – प्रतिद्वादशवर्ष कुम्भमेलाम् आयोजयन्ति।
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