UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion (कणों के निकाय तथा घूर्णी गति)

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अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
एकसमान द्रव्यमान घनत्व के निम्नलिखित पिण्डों में प्रत्येक के द्रव्यमान केन्द्र की अवस्थिति लिखिए –

(a) गोला
(b) सिलिण्डर
(c) छल्ला तथा
(d) घन।

क्या किसी पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र आवश्यक रूप से उस पिण्ड के भीतर स्थित होता है?

उत्तर :
गोला, सिलिण्डर, वलय तथा घन का द्रव्यमान केन्द्र उनको ज्यामितीय केन्द्र होता है। नहीं, द्रव्यमान केन्द्र आवश्यक रूप से पिण्ड के भीतर स्थित नहीं होता है, अनेक पिण्डों; जैसे-वलय में, खोखले गोले में, खोखले सिलिण्डर में द्रव्यमान केन्द्र पिण्ड के बाहर होता है, जहाँ कोई पदार्थ नहीं होता है।

प्रश्न 2.
HCl अणु में दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच पृथकन लगभग 1.27 A (1Å = 10-10 m) है। इस अणु के द्रव्यमान केन्द्र की लगभग अवस्थिति ज्ञात कीजिए। यह ज्ञात है कि क्लोरीन का परमाणु हाइड्रोजन के परमाणु की तुलना में 35.5 गुना भारी होता है तथा किसी परमाणु का समस्त द्रव्यमान उसके नाभिक पर केन्द्रित होता है।
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प्रश्न 3.
कोई बच्चा किसी चिकने क्षैतिज फर्श पर एकसमान चाल υ से गतिमान किसी लम्बी ट्रॉली के एक सिरे पर बैठा है। यदि बच्चा खड़ा होकर ट्रॉली पर किसी भी प्रकार से दौड़ने लगता है, तब निकाय (ट्रॉली + बच्चा) के द्रव्यमान केन्द्र की चाल क्या है?
उत्तर :
चूंकि ट्रॉली एक चिकने क्षैतिज फर्श पर गति कर रही है; अतः फर्श के चिकना होने के कारण निकाय पर क्षैतिज दिशा में कोई बाह्य बल कार्य नहीं करता है। जब बच्चा ट्रॉली पर दौड़ता है तो बच्चे द्वारा ट्रॉली पर
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प्रश्न 4.
दर्शाइए कि [latex]\xrightarrow { a } [/latex] एवं [latex]\xrightarrow { b } [/latex] के बीच बने त्रिभुज का क्षेत्रफल [latex]\xrightarrow { a } [/latex] x [latex]\xrightarrow { b } [/latex] के परिमाण का आधा है।

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प्रश्न 5.
दर्शाइए कि [latex]\xrightarrow { a } [/latex].([latex]\xrightarrow { b } [/latex] x [latex]\xrightarrow { c } [/latex]) का परिमाण तीन सदिशों [latex]\xrightarrow { a } [/latex], [latex]\xrightarrow { b } [/latex] तथा [latex]\xrightarrow { c } [/latex] से बने समान्तर षट्फलक के आयतन के बराबर है।

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अत: ज्यामितीय दृष्टिकोण से [latex]\xrightarrow { a } [/latex] •([latex]\xrightarrow { b } [/latex] x [latex]\xrightarrow { c } [/latex]) उस समान्तर षट्फलक का आयतन है, जिसकी तीन संलग्न भुजाएँ सदिशों [latex]\xrightarrow { a } [/latex], [latex]\xrightarrow { b } [/latex] व [latex]\xrightarrow { c } [/latex] से निरूपित होती हैं।

प्रश्न 6.
एक कण, जिसके स्थिति सदिश [latex]\xrightarrow { r } [/latex] के x, y, z – अक्षों के अनुदिश अवयव क्रमशः x,y,s हैं और रेखीय संवेग सदिश [latex]\xrightarrow { p } [/latex] के अवयव px, py, ps हैं, कोणीय संवेग [latex]\xrightarrow { 1 } [/latex] के अक्षों के अनुदिश अवयव ज्ञात कीजिए। दर्शाइए कि यदि कण केवल x-y तल में ही गतिमान हो तो। कोणीय संवेग का केवल z – अवयव ही होता है।

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प्रश्न 7.
दो कण जिनमें से प्रत्येक का द्रव्यमान m एवं चाल υ है, d दूरी पर समान्तर रेखाओं के अनुदिश, विपरीत दिशाओं में चल रहे हैं। दर्शाइए कि इस द्विकण निकाय का सदिश कोणीय संवेग समान रहता है, चाहे हम जिस बिन्दु के परितः कोणीय संवेग लें।
उत्तर :
माना दो कण समान्तर रेखाओं AB तथा CD के अनुदिश परस्पर विपरीत दिशाओं में चाल से गति कर रहे हैं।

माना किसी क्षण इनकी स्थितियाँ क्रमश: बिन्दु P तथा Q हैं। हम एक बिन्दु O (UPBoardSolutions.com) के परितः इस निकाय का कोणीय संवेग ज्ञात करना चाहते हैं।
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इस प्रकारं द्विकर्ण निकाय का बिन्दु O के परितः कोणीय संवेग केवल m, υ तथा रेखाओं के बीच की दूरी d पर निर्भर करता है अर्थात् यह कोणीय संवेग बिन्दु O की स्थिति पर निर्भर नहीं करता है।

अतः इस द्विकण निकाय का सभी बिन्दुओं के परितः कोणीय संवेग नियत है।

प्रश्न 8.
w भार की एक असंमांग छड़ को, उपेक्षणीय 3 भार वाली दो डोरियों से चित्र 7.4 में दर्शाए अनुसार लटकांकर विरामावस्था में रखा गया है। डोरियों द्वारा ऊध्र्वाधर से बने कोण क्रमशः 36.9° एवं 53.1° हैं। छड़ 2 m लम्बाई की है। छड़ के बाएँ सिरे से इसके गुरुत्व केन्द्र की दूरी d ज्ञात कीजिए।
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हल : माना छड़ AB का गुरुत्व केन्द्र G, उसके एक सिरे A से ‘d दूरी पर स्थित है। (UPBoardSolutions.com) छड़ तीन बलों के अधीन सन्तुलन में है।
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डोरियों में तनाव T1 तथा T2 डोरियों के अनुदिश ऊपर 3 की ओर कार्य करते हैं।

छड़ का भार W उसके गुरुत्व केन्द्र G पर ऊर्ध्वाधरत: नीचे की ओर कार्य करता है।

सन्तुलन की स्थिति में तीनों बलों की क्रिया-रेखाएँ एक ही बिन्दु O पर काटती हैं।
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प्रश्न 9.
एक कार का भार 1800 kg है। इसकी अगली और पिछली धुरियों के बीच की दूरी 1.8 m है। इसका गुरुत्व केन्द्र, अगली धुरी से 1.05 m पीछे है। समतल धरती द्वारा। इसके प्रत्येक अगले और पिछले पहियों पर लगने वाले बल की गणना कीजिए।
हल : माना भूमि द्वारा प्रत्येक अगले पहिए पर आरोपित प्रतिक्रिया बल R1 व प्रत्येक पिछले पहिए पर आरोपित प्रतिक्रिया बले R2 है तब निकाय के ऊर्ध्वाधर सन्तुलन के लिए,
2R1 + 2R2 = W ……(1)
जहाँ W कार का भार है जो उसके (UPBoardSolutions.com) गुरुत्व केन्द्र G पर कार्यरत है।
G के सापेक्ष आघूर्ण लेने पर
2R1 × 1.05 = 2R2 × (1.8 – 1.05)
या
R1 × 1.05 = R2 × 0.75

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प्रश्न 10.
(a) किसी गोले को, इसके किसी व्यास के परितः जड़त्व – आघूर्ण 2MR2/5 है, जहाँ M गोले का द्रव्यमान एवं R इसकी त्रिज्या है। गोले पर खींची गई स्पर्श रेखा के परितः इसका जड़त्व-आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
(b) M द्रव्यमान एवं R त्रिज्या वाली किसी डिस्क का इसके किसी व्यास के परित; “जड़त्व-आघूर्ण MR2 /4 है। डिस्क के लम्बवत् इसकी कोर से गुजरने वाली अक्ष के परितः
इस डिस्क (चकती) का जड़त्व-आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
(a) दिया है : गोले का द्रव्यमान = M, त्रिज्या = R
रेखा AB गोले की एक स्पर्श रेखा है जिसके परितः गोले का जड़त्व-आघूर्ण ज्ञात करना है। स्पर्श रेखा AB के समान्तर, गोले का एक व्यास PQ खींचा।
प्रश्नानुसार, व्यास PQ (जो कि गोले के केन्द्र से जाता है) के परितः गोले का जड़त्व-आघूर्ण।
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प्रश्न 11.
समान द्रव्यमान और त्रिज्या के एक खोखले बेलन और एक ठोस गोले पर समान परिमाण के बल-आघूर्ण लगाए गए हैं। बेलन अपनी सामान्य सममित अक्ष के परितः घूम सकता है और गोला अपने केन्द्र से गुजरने वाली किसी अक्ष के परितः। एक दिए गए समय के बाद दोनों में कौन अधिक कोणीय चाल प्राप्त कर लेगा?
उत्तर :
खोखले बेलन का अपनी सामान्य सममित अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण
Ic = MR2 …..(1)
ठोस गोले का अपने केन्द्र से गुजरने वाली अक्ष के परित: जड़त्व आघूर्ण
Is = [latex]\frac { 2 }{ 5 } [/latex] MR2 …..(2)
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प्रश्न 12.
20 kg द्रव्यमान का कोई ठोस सिलिण्डर अपने अक्ष के परितः 100 rad s-1 की कोणीय चाल से घूर्णन कर रहा है। सिलिण्डर की त्रिज्या 0.25 m है। सिलिण्डर के घूर्णन से सम्बद्ध गतिज ऊर्जा क्या है? सिलिण्डर का अपने अक्ष के परितः कोणीय संवेग का परिमाण क्या है?
हल : ठोस सिलिण्डर का द्रव्यमान M = 20 किग्रा, सिलिण्डर की त्रिज्या R = 0.25 मी
∴ ठोस सिलिण्डर का अपनी अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण,
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प्रश्न 13.
(a) कोई बच्चा किसी घूर्णिका (घूर्णीमंच) पर अपनी दोनों भुजाओं को बाहर की ओर फैलाकर खड़ा है। घूर्णिका को 40 rev/min की कोणीय चाल से घूर्णन कराया जाता है। यदि बच्चा अपने हाथों को वापस सिकोड़कर अपना जड़त्व-आघूर्ण अपने आरम्भिक जड़त्व-आघूर्ण [latex]\frac { 2 }{ 5 } [/latex] गुना कर लेता है तो इस स्थिति में उसकी कोणीय चाल क्या होगी? यह मानिए कि घूर्णिका की घूर्णन गति घर्षणरहित है।

(b) यह दर्शाइए कि बच्चे की घूर्णन की नयी गतिज ऊर्जा उसकी आरम्भिक घूर्णन की गतिज ऊर्जा से अधिक है। आप गतिज ऊर्जा में हुई इस वृद्धि की व्याख्या किस प्रकार करेंगे?

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अब चूँकि अन्तिम जड़त्व आघूर्ण प्रारम्भिक जड़त्व आघूर्ण का 2/5 है, अत: अन्तिम घूर्णन गतिज ऊर्जा प्रारम्भिक मान की 5/2 गुनी हो जायेगी अर्थात् घूर्णन की नयी गतिज ऊर्जा प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा से अधिक है।

इसका कारण यह है कि बच्चे द्वारा हाथों को वापस सिकोड़ने में व्यय रासायनिक ऊर्जा घूर्णन गतिज ऊर्जा में बदल जाती है।

प्रश्न 14.
3 kg द्रव्यमान तथा 40 cm त्रिज्या के किसी खोखले सिलिण्डर पर कोई नगण्य द्रव्यमान की रस्सी लपेटी गई है। यदि रस्सी को 30 N बल से खींचा जाए तो सिलिण्डर का कोणीय त्वरण क्या होगा। रस्सी का रैखिक त्वरण क्या है? यह मानिए कि इस प्रकरण में कोई फिसलन नहीं है?
हल : यदि बेलन का द्रव्यमान M तथा त्रिज्या R हो तो यहाँ M = 3.0 किग्रा तथा R = 40 सेमी = 0.40 मीटर
अत: खोखले बेलन का अपनी अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण –
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प्रश्न 15.
किसी घूर्णक (रोटर) की 200 rads-1 की एकसमान कोणीय चालक्नाए रखने के लिए एक इंजन द्वारा 180 N- m का बल-आघूर्ण प्रेषित करना आवश्यक होता है। इंजन के लिए आवश्यक शक्ति ज्ञात कीजिए। (नोट : घर्षण की अनुपस्थिति में एकसमान कोणीय वेग होने में यह समाविष्ट है कि बल-आघूर्ण शून्य है। व्यवहार में लगाए गए बल-आघूर्ण की। आवश्यकता घर्षणी बल-आघूर्ण को निरस्त करने के लिए होती है।) यह मानिए कि इंजन की दक्षता 100% है।
हल : दिया है ω = 200 rad s-1 (नियत है), बल-आघूर्ण τ = 180 Nm
इंजन के लिए आवश्यक शक्ति
P = इंजन द्वारा घूर्णक को दी गई शक्ति [∵ η = 100%]
= τ ω = 180 N m × 200rad s-1
= 36 × 10 w = 36 kW

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प्रश्न 16.
R त्रिज्या वाली समांग डिस्क से [latex]\frac { R }{ 2 }[/latex] त्रिज्या का एक वृत्ताकार भाग काट कर निकाल दिया गया है। इस प्रकार बने वृत्ताकार सुराख का केन्द्र मूल डिस्क के केन्द्र से [latex]\frac { R }{ 2 }[/latex] दूरी पर है। अवशिष्ट डिस्क के गुरुत्व केन्द्र की स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
माना दिए हुए वृत्ताकार पटल का केन्द्र O और व्यास AB है।
OA = OB = R = त्रिज्या
इस पटल से, व्यास OB को एक वृत्त काट कर निकाल दिया जाता है।
स्पष्टत: दिए हुए पटल का गुरुत्व केन्द्र O पर तथा काटे गए वृत्त का गुरुत्व केन्द्र उसके केन्द्र G1 पर होगा, जबकि
OG1 = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]. OB = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] R
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∵ वृत्तों के क्षेत्रफल उनकी त्रिज्याओं के वर्गों के अनुपात में होते हैं।
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प्रश्न 17.
एक मीटर छड़ के केन्द्र के नीचे क्षुर-धार रखने पर वह इस पर सन्तुलित हो जाती है जब दो सिक्के, जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 5 g है, 12.0 cm के चिह्न पर एक के ऊपर एक रखे जाते हैं तो छड़ 45.0 cm चिह्न पर सन्तुलित हो जाती है। मीटर छड़ का द्रव्यमान क्या है?
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हल : माना मीटर छड़ का द्रव्यमान m g है।
प्रश्नानुसार, प्रथम स्थिति में छड़ अपने मध्य बिन्दु पर सन्तुलित होती है। इसका अर्थ यह है कि छड़ का गुरुत्व केन्द्र उसके मध्य बिन्दु पर है। दूसरी दशा में, छड़ पर दो बल लगे हैं,
(1) सिक्कों का भार W1 = 10g, बिन्दु C पर जहाँ AC = 12 cm
(2) छड़ का भार W2 = mg, मध्य बिन्दु G पर
छड़ D बिन्दु पर सन्तुलित होती है, जहाँ AD = 45 cm
यहाँ D आलम्ब है।
अतः आघूर्गों के सिद्धान्त से,
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प्रश्न 18.
एक ठोस गोला, भिन्न नति के दो आनत तलों पर एक ही ऊँचाई से लुढ़कने दिया जाता है।

(a) क्या वह दोनों बार समान चाल से तली में पहुँचेगा?
(b) क्या उसको एक तल पर लुढ़कने में दूसरे से अधिक समय लगेगा?
(c) यदि हाँ, तो किस पर और क्यों?

उत्तर :
(a) θ झुकाव कोण तथा h ऊँचाई के आनत तल पर लुढ़कने वाले सममित पिण्ड का पृथ्वी तल पर पहुँचने पर वेग υ हो तो –
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यहाँ पर स्पष्ट है कि गोले को तली पर पहुँचने का वेग आनत तल के झुकाव कोण 8 पर निर्भर नहीं करता, अतः गोला दोनों आनत तलों की तली पर समान चाल से पहुँचेगा।

(b) यदि आनत तल की लम्बाई s हो तथा गोले द्वारा तली तक पहुँचने में लिया गया समय t हो तो –
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चूँकि लिया गया समय आनत तल के झुकाव कोण पर निर्भर करता है, अतः दोनों तलों पर लुढ़कने का समय भिन्न-भिन्न होगा।

(c) चूंकि t α 1/sin θ तथा 8 का मान बढ़ने से sin θ का मान बढ़ता है।
अतः θ के कम मान के लिए sin θ का मान कम होने के कारण t का मान अधिक होगा अर्थात् कम ढाल वाले तल पर लुढ़कने में लिया गया समय अधिक होगा।

प्रश्न 19.
2 m त्रिज्या के एक वलय (छल्ले) का भार 100 kg है। यह एक क्षैतिज फर्श पर इस प्रकार लोटनिक गति करता है कि इसके द्रव्यमान केन्द्र की चाल 20 cm/s हो। इसको रोकने के लिए कितना कार्य करना होगा ?
हल : छल्ले की त्रिज्या R =2 मी, इसका द्रव्यमान M = 100 किग्रा, द्रव्यमान केन्द्र की चाल υ = 2 सेमी/से = 0.20 मी/से।
चूँकि छल्ला लोटनिक गति करता आगे बढ़ रही है,
अतः इसकी कुल गतिज ऊर्जा K = स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा + घूर्णी गतिज ऊर्जा
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प्रश्न 20.
ऑक्सीजन अणु का द्रव्यमान 5.30 × 10-26 kg है तथा इसके केन्द्र से होकर गुजरने वाली और इसके दोनों परमाणुओं को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण 1.94 × 10-46 kg-m2 है। मान लीजिए कि गैस के ऐसे अणु की औसत चाल 500 m/s है और इसके घूर्णन की गतिज ऊर्जा, स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा की दो-तिहाई है। अणु का औसत कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
हल : ऑक्सीजन अणु का द्रव्यमान M = 5.30 × 10-26 किग्रा
इसका जड़त्व आघूर्ण I = 1.94 × 10-46 किग्रा-मी2
अणु की औसत चाल υ = 500 मी/से
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प्रश्न 21.
एक बेलन 30° कोण बनाते आनत तल पर लुढ़कता हुआ ऊपर चढ़ता है। आनत तल की तली में बेलन के द्रव्यमान केन्द्र की चाल 5 m/s है।
(a) आनत तल पर बेलन कितना ऊपर जाएगा?
(b) वापस तली तक लौट आने में इसे कितना समय लगेगा?
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 22.
जैसा चित्र-7.14 में दिखाया गया है, एक खड़ी होने वाली सीढी के दो पक्षों BA और CA की लम्बाई 1.6m है और इनको A पर कब्जा लगाकर जोड़ा गया है। इन्हें ठीक बीच में 0.5m लम्बी रस्सी DE द्वारा बाँधा गया है। सीढ़ी BA के अनुदिश B से 1.2 m की दूरी पर स्थित बिन्दु F से 40 kg का एक भार लटकाया गया है। यह मानते हुए कि फर्श घर्षणरहित है और सीढी का भार उपेक्षणीय है, रस्सी में तनाव और सीदी पर फर्श द्वारा लगाया गया बल ज्ञात कीजिए।(g =9.8 m/s2 लीजिए)
[संकेत : सीढ़ी के दोनों ओर के सन्तुलन पर अलग-अलग विचार कीजिए]
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हल : माना सीढ़ी के निचले सिरों पर फर्श की प्रतिक्रिया R1 तथा R2 है तथा डोरी का तनाव T है। माना सीढ़ी की दोनों भुजाएँ ऊध्र्वाधर से कोण से बनाती हैं [चित्र 7.15]।
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प्रश्न 23.
कोई व्यक्ति एक घूमते हुए प्लेटफॉर्म पर खड़ा है। उसने अपनी दोनों बाहें फैला रखी हैं और उनमें से प्रत्येक में 5 kg भार पकड़ रखा है। प्लेटफॉर्म की कोणीय चाल 30 rev/min है। फिर वह व्यक्ति बाहों को अपने शरीर के पास ले आता है जिससे घूर्णन अक्ष से प्रत्येक भार की दूरी 90 cm से बदलकर 20 cm हो जाती है। प्लेटफॉर्म सहित व्यक्ति के जड़त्व आघूर्ण का मान 7.6 kg-m2 ले सकते हैं।
(a) उसका नया कोणीय वेग क्या है? (घर्षण की उपेक्षा कीजिए)
(b) क्या इस प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा संरक्षित होती है? यदि नहीं, तो इसमें परिवर्तन का स्रोत क्या है?
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अत: इस प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं रहती बल्कि बढ़ती है तथा इस परिवर्तन (वृद्धि) का स्रोत व्यक्ति की मांसपेशीय रासायनिक ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होना है।

प्रश्न 24.
10 g द्रव्यमान और 500 m/s चाल वाली बन्दूक की गोली एक दरवाजे के ठीक केन्द्र में टकराकर उसमें अंतः स्थापित हो जाती है। दरवाजा 1.0m चौड़ा है और इसका द्रव्यमान 12 kg है। इसके एक सिरे पर कब्जे लगे हैं और यह इनसे गुजरती एक ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः लगभग बिना घर्षण के घूम सकता है; गोली के दरवाजे में अन्तःस्थापना के ठीक बाद इसका कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
[संकेत : एक सिरे से गुजरती ऊध्र्वाधर अक्ष के परितः दरवाजे का जड़त्व-आघूर्ण ML2/3 है]
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प्रश्न 25.
दो चक्रिकाएँ जिनके अपने-अपने अक्षों (चक्रिका के अभिलम्बवत् तथा चक्रिका के केन्द्र से गुजरने वाले) के परितः जड़त्व-आघूर्ण I1 तथा I2 हैं और जो ω1 तथा ω2 कोणीय चालों से घूर्णन कर रही हैं, को उनके घूर्णन अक्ष सम्पाती करके आमने-सामने (सम्पर्क में) लाया जाता है।
(a) इस दो चक्रिका निकाय की कोणीय चाल क्या है?
(b) यह दर्शाइए कि इस संयोजित निकाय की गतिज ऊर्जा दोनों चक्रिकाओं की आरम्भिक गतिज ऊर्जाओं के योग से कम है। ऊर्जा में हुई इस हानि की आप कैसे व्याख्या करेंगे? ω1 ≠ ω2 लीजिए।
उत्तर :
(a) माना सम्पर्क में आने के पश्चात् दोनों चक्रिकाएँ उभयनिष्ठ कोणीय वेग ω से घूर्णन करती हैं।
∵ निकाय पर बाह्य बल आघूर्ण शून्य है, अतः निकाय का कोणीय संवेग संरक्षित रहेगा।
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अर्थात् संयोजित निकाय की गतिज ऊर्जा चक्रिकाओं की आरम्भिक गतिज ऊर्जाओं के योग से कम है।

गतिज ऊर्जा में हानि, चक्रिकाओं की सम्पर्कित सतहों के बीच घर्षण बल के कारण हुई है।

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प्रश्न 26.
(a) लम्बवत् अक्षों के प्रमेय की उपपत्ति करें। [संकेत:(x, y) तल के लम्बवत् मूलबिन्दु से गुजरती अक्ष से किसी बिन्दु x – y की दूरी का वर्ग (x2 + y2) है।
(b) समान्तर अक्षों के प्रमेय की उपपत्ति करें। [संकेत : यदि द्रव्यमान केन्द्र को मूलबिन्दु ले लिया जाए ∑ [latex]\overrightarrow { m }[/latex] i [latex]\overrightarrow { r }[/latex] i = [latex]\overrightarrow { 0 }[/latex]
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उत्तर :
(a) लम्बवत् अक्षों की प्रमेय (Theorem of Perpendicular Axes) – इस प्रमेय के अनुसार, “किसी समपटल का उसके तल के लम्बवत् तथा द्रव्यमान केन्द्र से जाने वाली अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण (Is), समपटल के तल में स्थित तथा द्रव्यमान केन्द्र से जाने वाली दो परस्पर लम्बवत् अक्षों के परितः समपटल के जड़त्व-आघूर्णी (Ix तथा Iy) के योग के बराबर होता है।”
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(b) समान्तर अक्षों की प्रमेय (Theorem of Parallel Axes) – इस प्रमेय के अनुसार, “किसी पिण्ड का किसी अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण I, उस पिण्ड के द्रव्यमान केन्द्र से होकर जाने वाली समान्तर अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण Icm तथा पिण्ड के द्रव्यमान M व दोनों समान्तर अक्षों के बीच की लम्बे दूरी d के वर्ग के गुणनफल के योग के बराबर होता है।”
अर्थात् I = Icm + Md2

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उपपत्ति – माना पिण्ड के भीतर स्थित m द्रव्यमान के किसी कण की दी गई अक्ष AB से दूरी r है तथा द्रव्यमान केन्द्र C से गुजरने वाली AB के समान्तर अक्ष EF से कण की दूरी a है। माना दोनों अक्षों AB व EF के बीच की लम्बवत् दूरी 4 है। तब चित्र-7.17 से, r = a + d

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प्रश्न 27.
सूत्र υ2 = 2gh / (1 + k2/R2) को गतिकीय दृष्टि (अर्थात् बलों तथा बल-आघूर्गों विचार) से व्युत्पन्न कीजिए। जहाँ लोटनिक गति करते पिण्ड (वलय, डिस्क, बेलन या गोला) का आनत तल की तली में वेग है। आनत तल पर hवह ऊँचाई है जहाँ से पिण्ड गति प्रारम्भ करता है। K सममित अक्ष के परितः पिण्ड की घूर्णन त्रिज्या है और R पिण्ड की त्रिज्या है।
उत्तर :
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माना M द्रव्यमान तथा R त्रिज्या का कोई गोलीय पिण्ड, जिसका द्रव्यमान केन्द्र C है, ऐसे आनत तल पर लुढ़कता है, जो क्षैतिज से θ कोण पर झुका है। इस स्थिति में पिण्ड पर निम्नलिखित बल कार्य करते हैं –

  1. पिण्ड का भार Mg, ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर
  2. आनत तल की प्रतिक्रिया N, तल के लम्बवत् ऊपर की ओर
  3. आनत तल द्वारा पिण्ड पर आरोपित स्पर्शरेखीय चित्र-7.18 स्थैतिक घर्षण-बल fs आनत तल के समान्तर ऊपर की ओर।

घर्षण-बल fs ही पिण्ड को फिसलने से रोकता है। माना पिण्ड के द्रव्यमान केन्द्र का आनत तल के अनुदिश नीचे की ओर रेखीय त्वरण a है। इन बलों को आनत तल के समान्तर तथा लम्बवत् घटकों में वियोजित करने पर,
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प्रश्न 28.
अपने अक्ष पर ω0 कोणीय चाल से घूर्णन करने वाली किसी चक्रिका को धीरे से (स्थानान्तरीय धक्का दिए बिना किसी पूर्णतः घर्षणरहित मेज पर रखा जाता है। चक्रिका की त्रिज्या R , है। चित्र-7.19 में दर्शाई चक्रिका के बिन्दुओं A, B तथा पर रैखिक वेग क्या हैं? क्या यहं चक्रिका चित्र में दर्शाई दिशा में लोटनिक गति करेगी?
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उत्तर :
चूँकि चक्रिका तथा मेज के बीच कोई घर्षण बल नहीं है; अत: चक्रिका लोटनिक गति नहीं कर पाएगी तथा मेज के एक ही बिन्दु B के संम्पर्क में रहते हुए अपनी अक्ष के परितः शुद्ध घूर्णी गति करती रहेगी।
बिन्दु A की अक्ष से दूरी = R
∴बिन्दु A पर रैखिक वेग υA = R ω0 तीर की दिशा में होगा।
इसी प्रकार बिन्दु B पर रैखिक वेग υB = R ω0
बिन्दु B पर दिखाए गए तीर के विपरीत दिशा में होगा।
∵ बिन्दु C की अक्ष से दूरी = [latex]\frac { R }{ 2 } [/latex]
∴ बिन्दु C पर रैखिक वेग υc = [latex]\frac { R }{ 2 } [/latex] ω0 क्षैतिजत: बाएँ से दाएँ को होगा।
यह पहले ही स्पष्ट है कि चक्रिका लोटनिक गति नहीं करेगी।

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प्रश्न 29.
स्पष्ट कीजिए कि चित्र-7.19 में अंकित दिशा में चक्रिका की लोटनिक गति के लिए घर्षण होना आवश्यक क्यों है?
(a) B पर घर्षण बल की दिशा तथा परिशुद्ध लुढ़कन आरम्भ होने से पूर्व घर्षणी बल-आघूर्ण की दिशा क्या है?
(b) परिशुद्ध लोटनिक गति आरम्भ होने के पश्चात् घर्षण बल क्या है?
उत्तर :
चक्रिका मूलतः शुद्ध घूर्णी गति कर रही है जबकि लोटनिक गति प्रारम्भ होने का अर्थ घूर्णी गति के साथ-साथ स्थानान्तरीय गति का भी होना है, परन्तु स्थानान्तरीय गति प्रारम्भ होने के लिए बाह्य बल आवश्यक है। अत: चक्रिका की लोटनिक गति होने के लिए घर्षण बल (वर्णित परिस्थिति में एकमात्र बाह्य बले घर्षण बल ही हो सकता है) आवश्यक है।

(a) बिन्दु B पर घर्षण बल की दिशा तीर द्वारा प्रदर्शित दिशा में (बिन्दु B की अपनी गति की दिशा के विपरीत) है जबकि घर्षण बल के कारण उत्पन्न बल-आघूर्ण की दिशा कागज के तल के लम्बवत् बाहर की ओर है।

(b) घर्षण बल बिन्दु B को मेज के सम्पर्क बिन्दु के सापेक्ष विराम में लाना चाहता है, जब ऐसा हो जाता है तो परिशुद्ध लोटनिक गति प्रारम्भ हो जाती है।

अब चूँकि सम्पर्क बिन्दु पर कोई सरकन नहीं है; अतः घर्षण बल शून्य हो जाता है।

प्रश्न 30.
10 cm त्रिज्या की कोई ठोस चक्रिका तथा इतनी ही त्रिज्या का कोई छल्ला किसी क्षतिज मेज पर एक ही क्षण 10 π rad s-1 की कोणीय चाल से रखे जाते हैं। इनमें से कौन पहले लोटनिक गति आरम्भ कर देगा। गतिज घर्षण गुणांक µk =0.2।
हल : माना मेज पर रखे जाने के t s पश्चात् कोई पिण्ड लोटनिक गति प्रारम्भ करता है। द्रव्यमान केन्द्र की स्थानान्तरीय गति प्रारम्भ कराने के लिए आवश्यक बल घर्षण बल से मिलता है। यदि इस दौरान द्रव्यमान केन्द्र का त्वरण a है तो
F = ma से, µk mg = ma
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चक्रिका तथा छल्ले को लोटनिक गति’ प्रारम्भ करने में क्रमश: 0.17s तथा 0.25s लगेंगे। स्पष्ट है कि चक्रिको पहले लोटनिक गति प्रारम्भ करेगी।

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प्रश्न 31.
10 kg द्रव्यमान तथा 15 cm त्रिज्या का कोई सिलिण्डर किसी 30° झुकाव के समतल पर परिशुद्धतः लोटनिक गति कर रहा है। स्थैतिक घर्षण गुणांक µs = 0.25 है।

(a) सिलिण्डर पर कितना घर्षण बल कार्यरत है?
(b) लोटन की अवधि में घर्षण के विरुद्ध कितना कार्य किया जाता है?
(c) यदि समतल के झुकाव θ में वृद्धि कर दी जाए तो के किस मान पर सिलिण्डर परिशुद्धतः लोटनिक गति करने की बजाय फिसलना आरम्भ कर देगा?

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अतः जब नत समतल को झुकाव कोण 37° हो जायेगा तो सिलिण्डर फिसलने लगेगा।

प्रश्न 32.
नीचे दिए गए प्रत्येक प्रकथन को ध्यानपूर्वक पढिए तथा कारण सहित उत्तर दीजिए कि इनमें से कौन-सा सत्य है और कौन-सा असत्य?

(a) लोटनिक गति करते समय घर्षण बल उसी दिशा में कार्यरत होता है जिस दिशा में पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र गति करता है।
(b) लोटनिक गति करते समय सम्पर्क बिन्दु की तात्क्षणिक चाल शून्य होती है।
(c) लोटनिक गति करते समय सम्पर्क बिन्दु का तात्क्षणिक त्वरण शून्य होता है।
(d) परिशुद्ध लोटनिक गति के लिए घर्षण के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।
(e) किसी पूर्णतः घर्षणरहित आनत समतल पर नीचे की ओर गति करते पहिये की गति फिसलन गति (लोटनिक गति नहीं) होगी।

उत्तर :

(a) सत्य, क्योंकि घर्षण बल ही पिण्ड में स्थानान्तरीय गति उत्पन्न करता है और इसी बल के कारण पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र आगे की ओर बढ़ता है।
(b) सत्य, जब सम्पर्क बिन्दु की सप गति समाप्त हो जाती है तभी लोटनिक गति प्रारम्भ होती है; अतः परिशुद्ध लोटनिक गति में सम्पर्क बिन्दु की तात्क्षणिक चाल शून्य होती है।
(e) असत्य, चूँकि वस्तु घूर्णन गति कर रही है; अतः सम्पर्क बिन्दु की गति में अभिकेन्द्र त्वरण अवश्य ही विद्यमान रहता है।
(d) सत्य, परिशुद्ध लोटनिक गति में सम्पर्क बिन्दु पर कोई सरकन नहीं होता; अतः घर्षण बल के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।
(e) सत्य, घर्षण के अभाव में, आनत तल पर छोड़े गए पहिये का आनत तल के साथ सम्पर्क बिन्दु विराम में नहीं रहेगा अपितु पहिया भार के अधीन आनत तल के अनुदिश फिसलता जाएगा। अतः यह गति विशुद्ध सरकन गति होगी, लोटनिक नहीं।

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प्रश्न 33.
कणों के किसी निकाय की गति को इसके द्रव्यमान केन्द्र की गति और द्रव्यमान केन्द्र के परितः गति में अलग-अलग करके विचार करना। दर्शाइए कि –
(a) [latex]\overrightarrow { P } [/latex] = [latex]\overrightarrow { P } [/latex] I = mi [latex]\overrightarrow { V } [/latex]
जहाँ है [latex]\overrightarrow { P } [/latex] i (mi द्रव्यमान वाले) i-वे कण का संवेग है और [latex]\overrightarrow { P } [/latex] i = mi [latex]\overrightarrow { v’ } [/latex] i ध्यान दें कि [latex]\overrightarrow { v’ } [/latex] i, द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष i – वे कण का वेग है।
द्रव्यमान केन्द्र की परिभाषा का उपयोग करके यह भी सिद्ध कीजिए कि ∑ [latex]\overrightarrow { P’ } [/latex] i = 0

(b) K = K’ +[latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] MV2
K कणों के निकाय की कुल गतिज ऊर्जा, K’ = निकाय की कुल गतिज ऊर्जा जबकि कणों की गतिज ऊर्जा द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष ली जाए। MV2/2 सम्पूर्ण निकाय के (अर्थात् निकाय के द्रव्यमान केन्द्र के) स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा है।

(c) [latex]\overrightarrow { L } [/latex] = [latex]\overrightarrow { L’ } [/latex] + [latex]\overrightarrow { R } [/latex] X M [latex]\overrightarrow { V } [/latex]
जहाँ L’ = ∑ [latex]\overrightarrow { L } [/latex] i x [latex]\overrightarrow { P’ } [/latex] i , द्रव्यमान के परितः निकाय का कोणीय संवेग है जिसकी गणना में वेग द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष मापे गए हैं। याद कीजिए [latex]\overrightarrow { r } [/latex] i = [latex]\overrightarrow { r } [/latex] i – [latex]\overrightarrow { R } [/latex] शेष सभी चिह्न अध्याय में प्रयुक्त विभिन्न राशियों के मानक चिह्न हैं। ध्यान दें कि [latex]\overrightarrow { L’ } [/latex] द्रव्यमान केन्द्र के परितः निकाय का कोणीय संवेग एवं M [latex]\overrightarrow { R } [/latex] x [latex]\overrightarrow { V } [/latex] इसके द्रव्यमान केन्द्र का कोणीय संवेग है।

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(जहाँ [latex]\xrightarrow { \tau \prime } [/latex] ext द्रव्यमान केन्द्र के परितः निकाय पर लगने वाले सभी बाह्य बल आघूर्ण हैं।)
[संकेत – दव्यमान केन्द की परिभाषा एवं न्यूटन के गति के तृतीय नियम का उपयोग कीजिए। यह मान लीजिए कि किन्ही दो कणों के बीच के आन्तरिक बल उनको मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करते हैं।]

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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वह बिन्दु जहाँ पर किसी निकाय या पिण्ड का सम्पूर्ण द्रव्यमान केन्द्रित माना जा सकता है, कहलाता है।
(i) ज्यामितीय केन्द्र
(ii) मध्य बिन्दु
(iii) द्रव्यमान केन्द्र
(iv) गुरुत्व केन्द्र
उत्तर :
(iii) द्रव्यमान केन्द्र

प्रश्न 2.
द्रव्यमान m तथा त्रिज्या वाली किसी वृत्ताकार डिस्क का इसके व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण होता है।
(i) mr2
(ii) mr2 / 2
(iii) mr2 / 4
(iv) 3/4 mr2
उत्तर :
(iii) mr2 / 4

प्रश्न 3.
गोलीय कोश का जड़त्व आघूर्ण होगा
(i) MR2
(ii) MR2 / 2
(iii) 2/5 MR2
(iv) 2/3 MR2
उत्तर :
(iv) 2/3 MR2

प्रश्न 4.
किसी अक्ष के परितः कोणीय वेग से घूमते हुए किसी पिण्ड के जड़त्व आघूर्ण I तथा कोणीय संवेग J में सम्बन्ध है।
(i) J= Iω2
(ii) J= Iω
(iii) I = Jω
(iv) I = Jω2
उत्तर :
(ii) J= Iω

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प्रश्न 5.
किसी पिण्ड के जड़त्व आघूर्ण तथा कोणीय त्वरण के गुणनफल को कहते हैं।
(i) कोणीय संवेग
(ii) बल-आघूर्ण
(iii) बल
(iv) कार्य
उत्तर :
(ii) बल-आघूर्ण

प्रश्न 6.
यदि एक वस्तु के कोणीय संवेग में 50% की कमी हो जाए तो उसकी घूर्णन गतिज ऊर्जा में परिवर्तन होगा
(i) 125% की वृद्धि
(ii) 100% की कमी
(iii) 75% की वृद्धि
(iv) 75% की कमी
उत्तर :
(iv) 75% की कमी।

प्रश्न 7.
किसी अक्ष के परितः कोणीय वेग से घूमते किसी पिण्ड के जड़त्व आघूर्ण कोणीय त्वरण तथा बल आघूर्ण क्रमशःI, α तथा τ हैं, तब
(i) τ = Iα
(ii) τ = Iω
(iii) I = τω
(iv) α = τ I
उत्तर :
(i) τ = Iα

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दृढ पिण्ड से क्या तात्पर्य है।
उत्तर :
यदि किसी पिण्ड पर बाह्य बल लगाने पर उसके कणों में एक-दूसरे के सापेक्ष कोई विस्थापन न हो तो ऐसे पिण्ड को दृढ़ पिण्ड कहते हैं।

प्रश्न 2.
किसी निकाय के द्रव्यमान केन्द्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
किसी निकाय का द्रव्यमान केन्द्र वह बिन्दु है जो पिण्ड के साथ इस प्रकार गति करता है, जैसे पिण्ड का समस्त द्रव्यमान उसी बिन्दु पर केन्द्रित हो तथा पिण्ड पर कार्यरत् सभी बल भी उसी पर कार्य कर रहे हों।

प्रश्न 3.
समान द्रव्यमान के वो कणों के द्रव्यमान केन्द्र की स्थिति क्या होती है?
उत्तर :
समान द्रव्यमान के दो कणों का द्रव्यमान केन्द्र (CM) उनको मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर होता है। होता है।

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प्रश्न 4.
यदि दो कणों के निकाय में एक कण दूसरे की अपेक्षा भारी है तो इसका द्रव्यमान केन्द्र किस कण के निकट होगा?
उत्तर :
भारी कण के निकट।

प्रश्न 5.
समान द्रव्यमान के दो कणों के निकाय के द्रव्यमान केन्द्र को स्थिति सदिश क्या होगा?
उत्तर :
दोनों कणों के स्थिति सदिशों का औसत
अर्थात् [latex]\xrightarrow { r } [/latex] = ([latex]\xrightarrow { r1 } [/latex] + [latex]\xrightarrow { r2 } [/latex]) / 2

प्रश्न 6.
2.0 किग्रा तथा 1.0 किग्रा के दो पिण्ड क्रमशः (0, 0) मी तथा (3,0) मी पर स्थित हैं। इस निकाय के द्रव्यमान केन्द्र की स्थिति ज्ञात कीजिए।
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प्रश्न 7.
यदि m द्रव्यमान वाले कण का स्थिति सदिश [latex]\xrightarrow { r1 } [/latex] तथा 2m द्रव्यमान वाले कण का स्थिति सदिश [latex]\xrightarrow { r2 } [/latex] हो, तो उस निकाय के द्रव्यमान केन्द्र का स्थिति सदिश क्या होगा?
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प्रश्न 8.
रेखीय त्वरण तथा कोणीय त्वरण में सम्बन्ध का सूत्र लिखिए।
उत्तर :
a = rα

प्रश्न 9.
बल-आघूर्ण की परिभाषा दीजिए तथा इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर :
जब किसी पिण्ड पर लगा हुआ कोई बाह्य बल, उस पिण्ड को किसी अक्ष के (UPBoardSolutions.com) परितः घुमाने की प्रवृत्ति रखता है, तो इस प्रवृत्ति को बल-आघूर्ण कहते हैं। इसका S.I. मात्रक न्यूटन-मीटर होता है।

प्रश्न 10.
किसी कण को बल में एक बिन्दु की ओर आरोपित किया जाता है। उस बिन्दु के परितः बल का आधूर्ण क्या होगा तथा क्यों?
उत्तर :
शून्य (क्योंकि बिन्दु से बेल की क्रिया की लम्बवत् दूरी शून्य होगी)।

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प्रश्न 11.
किसी वस्तु का जड़त्व आघूर्ण किस बिन्द कण के लिए शून्य होता है?
उत्तर :
घूर्णन अक्ष पर स्थित बिन्दु कण के लिए।

प्रश्न 12.
किसी पिण्ड को जड़त्वं आघूर्ण किस अक्ष के परितः न्यूनतम होता है?
उत्तर :
उसके द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाली अक्ष के परितः न्यूनतम होता है।

प्रश्न 13.
बल आघूर्ण, जड़त्व आघूर्ण तथा कोणीय त्वरण के बीच सम्बन्ध का सूत्र लिखिए।
या
घूर्णन गति हेतु बल आघूर्ण तथा जड़त्व आघूर्ण में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर :
τ = Ia

प्रश्न 14.
विभिन्न धातुओं से बने समान द्रव्यमान तथा समान त्रिज्या के दो गोलों में से एक ठोस तथा दूसरा खोखला है। यदि इन्हें एक साथ नत तल पर लुढ़काया जाता है तो कौन-सा गोला पहले नीचे पहुँचेगा? कारण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
ठोस गोला पहले नीचे पहुँचेगा, क्योकि खोखले गोले की अपेक्षा ठोस गोले का जड़त्व आघूर्ण कम होगा। अत: ठोस गोले की घूर्णन गति में खोखले गोले की अपेक्षा कम विरोध उत्पन्न होगा।

प्रश्न 15.
किसी छड़ का उसके एक सिरे से गुजरने वाली लम्बवत् अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण ज्ञात करने के लिए जड़त्व आघूर्ण का कौन-सा प्रमेय प्रयोग में लाया जाता है, जबकि इसका जड़त्व आघूर्ण इसके द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाली ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः दिया हो?
उत्तर :
समान्तर अक्षों की प्रमेय।

प्रश्न 16.
एक ठोस बेलन की त्रिज्या R, द्रव्यमान M तथा लम्बाई है। इसका अपनी अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण का सूत्र क्या होगा? यदि बेलन खोखला हो तब सूत्र क्या होगा?
उत्तर :
I = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] MR2 ; I = MR2

प्रश्न 17.
एक ठोस गोले का द्रव्यमान M तथा त्रिज्या R है। इसके व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण का सूत्र लिखिए। यदि इसी द्रव्यमान तथा त्रिज्या का खोखला गोला हो तब सूत्र क्या होगा?
उत्तर :
I = [latex]\frac { 2 }{ 5 }[/latex] MR2.

प्रश्न 18.
एक पतली छड़ का द्रव्यमान M तथा इसकी लम्बाई L है। इसके एक सिरे से गुजरने वाली लम्बवत् अक्ष के परितः छड़ को जड़त्व आघूर्ण क्या होगा?
उत्तर :
जड़त्व आघूर्ण I = ML2 /12

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प्रश्न 19.
धूर्णन गति में किए गए कार्य के लिए सूत्र लिखिए।
उत्तर :
घूर्णन गति में किया गया कार्य घूर्णन गतिज ऊर्जा के बराबर होता है।
अतः कार्य w = [latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] Iω2 जहाँ I = जड़त्व आघूर्ण तथा ω = कोणीय वेग

प्रश्न 20.
घूर्णन गति के तीनों समीकरणों को लिखिए तथा प्रयुक्त संकेतों के अर्थ बताइए।
उत्तर :
घूर्णन गति के समीकरण हैं –
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प्रश्न 21.
किसी पिण्ड की घूर्णन गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखिए। क्या यह घूर्णन अक्ष पर निर्भर करता है?
उत्तर :
Krot = [latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] Iω2 हाँ।

प्रश्न 22.
22.2[latex]\sqrt { 2 } [/latex] मीटर त्रिज्या की एक चकती अपनी अक्ष के परितः घूर्णन कर रही है। उसकी घूर्णन (परिभ्रमण) त्रिज्या की गणना कीजिए।
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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विलगित निकाय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
विलगित निकाय (Isolated system) – विलगित निकाय वह होता है जिस पर कार्यरत् समस्त बाह्य बलों का सदिश योग शून्य हो।

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इस प्रकार, जब किसी निकाय पर लगने वाले सभी बाह्य बलों का सदिश योग शून्य होता है, तो द्रव्यमान केन्द्र का वेग नियत रहता है। रेडियोऐक्टिव क्षय में विभिन्न कण भिन्न-भिन्न वेगों से भिन्न-भिन्न दिशाओं में पलायन करते हैं, परन्तु उनके द्रव्यमान-केन्द्र का वेग नियत रहता है।

प्रश्न 2.
1 ग्राम, 2 ग्राम तथा 3 ग्राम के तीन बिन्दु द्रव्यमान XY- तल में क्रमशः (1,2), (0, -1) तथा (2,-3) बिन्दुओं पर स्थित हैं। निकाय के द्रव्यमान केन्द्र की स्थिति ज्ञात कीजिए।
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प्रश्न 3.
कोणीय संवेग की परिभाषा दीजिए तथा दिखाइए कि किसी पिण्ड के कोणीय संवेग के परिवर्तन की दर उस पिण्ड पर लगाए गए बल-आघूर्ण के बराबर होती है।
उत्तर :
कोणीय संवेग की परिभाषा – घूर्णन गति में पिण्ड के विभिन्न अवयवी कणों के रेखीय (UPBoardSolutions.com) संवेगों के घूर्णन-अक्ष के परितः आघूर्गों का योग उस अक्ष के परितः पिण्ड का कोणीय संवेग कहलाता है। यह निम्नलिखित सूत्र से व्यक्त किया जाता है –
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प्रश्न 4.
कोणीय संवेग संरक्षण का नियम लिखिए।
हल : इस नियम के अनुसार, यदि किसी घूर्णन के परित: घूमते हुए पिण्ड पर बाह्य बल आघूर्ण न लगाया जाए, तो उस पिण्ड का कोणीय संवेग नियत रहता है।
अर्थात् J = Iω = नियतांक

प्रश्न 5.
बल-युग्म से क्या तात्पर्य है? बल-युग्म के आघूर्ण का सूत्र लिखिए।
उत्तर :

बल-युग्म – जब किसी दृढ़ पिण्ड पर कोई ऐसे दो बल जो परिमाण में समान, दिशा में विपरीत व जिनकी क्रिया रेखाएँ भिन्न-भिन्न हों, साथ-साथ लगाये जाते हैं तो यह पिण्ड में बिना स्थानान्तरण के 40 घूर्णन उत्पन्न कर देते हैं (चित्र 7.22)। ऐसे बलों के युग्म को बल-युग्म कहते हैं।

बल-युग्म का आघूर्ण – बल-युग्म के बल के परिमाण वे उसकी भुजा की लम्बाई के गुणनफल को बल-युग्म को आघूर्ण कहते हैं। माना F परिमाण के दो बल एक दृढ़ छड़ AB जो बिन्दु O के परितः घूमने को स्वतन्त्र है, पर लगे हैं (चित्र 7.22)। तब छड़ AB पर कार्यरत् बल-युग्म का आघूर्ण,
τ = बिन्दु A पर कार्यरत् बल F का आधूर्ण + बिन्दु B पर कार्यरत् बल F का आघूर्ण
= F × AO + F × OB
= F × (AO + OB) = F × AB
परन्तु  AB = l,
∴ τ = F × l

प्रश्न 6.
एक पिण्ड जिसका जड़त्व आघूर्ण 3 किग्रा-मी2 है, विरामावस्था में है। इसे 6 न्यूटन-मीटर के बल आघूर्ण द्वारा 20 सेकण्ड तक घुमाया जाता है। पिण्ड का कोणीय विस्थापन ज्ञात कीजिए। पिण्ड पर किये गये कार्य की गणना भी कीजिए।
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प्रश्न 7.
किसी छड़ की लम्बाई के लम्बवत् द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाली अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण 2.0 ग्राम-सेमी2 है। इस छड़ की लम्बाई के लम्बवत छड़ के सिरे से गुजरने वाली अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण कितना होगा?
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प्रश्न 8.
वृत्ताकार छल्ले का व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण 4.0 ग्राम-सेमी है। छल्ले के केन्द्र से गुजरने वाली तथा तल के लम्बवत अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
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प्रश्न 9.
m1 तथा m2 द्रव्यमान के दो कण l लम्बाई की भारहीन छड़ के सिरों पर रखे हैं। सिद्ध कीजिए कि छड़ के लम्बवत द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाली अक्ष के परितः निकाय का जड़त्व आघूर्ण I = m1 m2/(m1 + m2) है।
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प्रश्न 10.
कोणीय संवेग और घूर्णन गतिज ऊर्जा में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर :
कोणीय संवेग और घूर्णन गतिज ऊर्जा में सम्बन्ध – यदि किसी घूर्णन अक्ष के परित: किसी पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण I तथा कोणीय वेग ω हो तो उस पिण्ड को उसी घूर्णन अक्ष के परित: कोणीय संवेग
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यही कोणीय संवेग और घूर्णन गतिज ऊर्जा में अभीष्ट सम्बन्ध है।

प्रश्न 11.
घूर्णन करते हुए दो पिण्डों A तथा B के कोणीय संवेग के मान बराबर हैं। A का जड़त्व आघूर्ण B के जड़त्व आघूर्ण का दोगुना है। Aतथा B की घूर्णन गतिज ऊर्जाओं का अनुपात निकालिए।
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प्रश्न 12.
क्षैतिज समतल पर लुढ़कती हुई गेंद की घूर्णन गतिज ऊर्जा उसकी सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा का कौन-सा भाग होगी?
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प्रश्न 13.
10 किग्रा द्रव्यमान एवं 0.2 मीटर त्रिज्या की एक रिंग अपनी ज्यामितीय अक्ष के परितः 35 चक्कर/सेकण्ड की दर से घूम रही है। उसके जड़त्व आघूर्ण एवं घूर्णन गतिज ऊर्जा की गणना कीजिए।
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प्रश्न 14.
5 किग्रा द्रव्यमान एवं 0.4 मी व्यास की एक रिंग अपनी ज्यामितीय अक्ष के परितः 840 चक्कर/मिनट की दर से घूम रही है। इसके कोणीय संवेग एवं घूर्णन गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए।
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प्रश्न 15.
15 किग्रा द्रव्यमान एवं 0.5 मीटर त्रिज्या की रिंग अपनी ज्यामितीय अक्ष के परितः 35 चक्कर/सेकण्ड की दर से घूम रही है। इसकी घूर्णन गतिज ऊर्जा की गणना कीजिए।
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एकसमान छड़ के द्रव्यमान केन्द्र के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
एकसमान छड़ का द्रव्यमान (अथवा संहति) केन्द्र – माना l लम्बाई की कोई समांग छड़ AB (चित्र 7.24) जिसका कुल द्रव्यमान m इसकी पूरी लम्बाई । पर एकसमान रूप से वितरित है। यह छड़ इस प्रकार से रखी है कि इसकी लम्बाई AB X-अक्ष के अनुदिश तथा उसका सिरा A समकोणिक निर्देशाक्षों XY के मूल-बिन्दु 0 पर स्थित है। अब चूंकि एक सर्वत्रसम छड़ ऐसे बिन्दु द्रव्यमानों (point masses) के समुच्चय का (UPBoardSolutions.com) निकाय होती है जो सतत् रूप से किसी रेखा के अनुदिश वितरित होते हैं। अतः ऐसे निकाय के द्रव्यमान-केन्द्र की स्थिति का निर्धारण समाकलन विधि द्वारा सर्वाधिक सुगमता से किया जा सकता है।

यहाँ यह मान लिया गया है कि छड़ की अनुप्रस्थ विमाएँ यथा चौड़ाई (आयताकारछड़ की दशा में) या व्यास (बेलनाकार छड़ की दशा में) अनुदैर्ध्य विमाओं (यथा लम्बाई या ऊँचाई) की तुलना में नगण्य है।

छड़ के एक छोटे से खण्ड CD जिसकी लम्बाई dx (जहाँ dx → 0) है तथा जो मूल-बिन्दु O से X दूरी पर स्थित है (चित्र 7.24) पर विचार कीजिए।
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अर्थात् सर्वत्रसम छड़ का द्रव्यमाने-केन्द्र उसके मध्य-बिन्दु अर्थात् ज्यामितीय-केन्द्र पर स्थित होगा। सममिति का यही तर्क, समांग वलयों, चकतियो, गोलों और यहाँ तक कि वृत्ताकार या आयताकार अनुप्रस्थ काटे वाली मोटी छड़ों के लिए भी लागू होता है अर्थात् इनके ज्यामितीय-केन्द्र ही इनके द्रव्यमान-केन्द्र भी होते हैं।

प्रश्न 2.
किसी पिण्ड के कोणीय संवेग तथा जड़त्व आघूर्ण के बीच सम्बन्ध स्थापित कीजिए। इसके आधार पर जड़त्व आघूर्ण की परिभाषा दीजिए।
उतर :
कोणीय संवेग तथा जड़त्व आघूर्ण में सम्बन्ध – रेखीय गति में पिण्ड के द्रव्यमान m तथा उसके रेखीय वेग υ का गुणनफल पिण्ड का रेखीय संवेग कहलाता है। इसको p से प्रदर्शित करते हैं। अतः p = m × υ घूर्णन गति में पिण्ड के विभिन्न अवयवी कणों के रेखीय संवेगों के घूर्णन-अक्ष के परितः आघूर्णो का योग उस अक्ष के परितः पिण्ड का कोणीय संवेग कहलाता है। इसको Jसे प्रदर्शित करते हैं।
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अत: “किसी पिण्ड के जड़त्व-आघूर्ण का मान घूर्णन-अक्ष के परितः पिण्ड के कोणीय संवेग के परिमाण के बराबर होता है, जबकि पिण्ड एक रेडियन/सेकण्ड के कोणीय वेग से घूर्णन गति कर रहा है।”

प्रश्न 3.
जड़त्व-आघूर्ण सम्बन्धी समकोणिक अक्षों के प्रमेय का उल्लेख कीजिए तथा उसको सिद्ध कीजिए।
उत्तर :
जड़त्व-आघूर्ण सम्बन्धी समकोणिक अक्षों की प्रमेय कथन-किसी समतल पंटल का उसके तल में ली गई दो परस्पर लम्बवत् अक्षों ox OY के परितः जड़त्व-आघूर्णो का योग, इन अक्षों के कटान-बिन्दु O में को जाने वाली तथा पटल के तल के लम्बवत् अक्ष Oz के परितः जड़त्व-अधूर्ण के बराबर होता है। अतः पटल का’ अक्ष Oz के परितः जड़त्व-आघूर्ण
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प्रश्न 4.
घूर्णन गति में बल-आधूर्ण एवं जड़त्व-आघूर्ण में सम्बन्ध स्थापित कीजिए तथा इस आधार पर जड़त्व-आघूर्ण की परिभाषा दीजिए।
उत्तर :
माना कोई पिण्ड किसी घूर्णन-अक्ष के परितः अचर कोणीय त्वरण α  (UPBoardSolutions.com)से घूर्णन गति कर रहा है। पिण्ड के सभी कणों का कोणीय त्वरण α ही होगा परन्तु रेखीय त्वरण अलग-अलग होंगे। माना कि पिण्ड के एक कण का द्रव्यमान m1 है तथा इसकी घूर्णन-अक्ष से दूरी r1 है। तब
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अत: किसी वस्तु का किसी दी हुई अक्ष के सापेक्ष जड़त्व-आघूर्ण उस बल-आघूर्ण के बराबर होता है। जो वस्तु में एकांक कोणीय त्वरण उत्पन्न कर दे।

प्रश्न 5.
घूर्णन गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक का निगमन कीजिए।
उत्तर :
घूर्णन गतिज ऊर्जा – माना कोई पिण्ड किसी अक्ष के परित: एकसमान कोणीय वेग ω से घूर्णन गति कर रहा है। इस पिण्ड के सभी अवयवी कणों का कोणीय वेग ω ही होगा जबकि उनके रेखीय वेग भिन्न-भिन्न होंगे। माना घूर्णन अक्ष से r1, r2, r3…. दूरियों (UPBoardSolutions.com) पर स्थित पिण्ड के अवयवी कणों के द्रव्यमान क्रमशः m1, m2, m3…. तथा इनके रेखीय वेग क्रमश: v1, v2, v3…. हैं।

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UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements (मात्रक एवं मापन)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Physics. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements (मात्रक एवं मापन).

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1:
रिक्त स्थान भरिए

(a) किसी 1 cm भुजा वाले घन का आयतन…..m3 के बराबर है।
(b) किसी 2 cm त्रिज्या व 10 cm ऊँचाई वाले सिलिण्डर का पृष्ठ क्षेत्रफल…..(mm)बराबर है।
(c) कोई गाड़ी 18 kmem/h की चाल से चल रही है तो यह 1s में….m चलती है।
(d) सीसे का आपेक्षिक घनत्व 11.3 है। इसका घनत्व…….g cm-3 या …. kg m-3 है।
हल:
(a) ∵ घन का आयतन = ( भुजा)3 =(1 cm)3
= ([latex]\frac { 1 }{ 100 }[/latex] m) = (UPBoardSolutions.com) (10-2 m)3 [ 1cm=[latex]\frac { 1 }{ 100 }[/latex] = 10-2 m)
=10-6 m3

(b) सिलिण्डर का पृष्ठ क्षेत्रफल = वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल + दोनों वृत्तीय सिरों का क्षेत्रफल
=2πrh + 2πr2
= 2π (h +r)= 2x 3.14 x 2 cm (10 cm + 2 cm)
= 4 x 3:4 x 12cm2 = 150.72 cm2
= 150.72 x (10mm)2 (∵1 cm = 10 mm)
= 150.72 x 100(mm)2 =1.5x 104 (mm)2

(c) गाड़ी की चाल = 18km/h
= 18x [latex]\frac { 5 }{ 18 }[/latex]m/s = 5 m s-1
∴ 1s में तय दूरी = चाल x समय = 5ms-1 x1 s=5 m

(d) सीसे का घनत्व = सीसे का आपेक्षिक-घनत्व x जल का घनत्व
= 11.3 x 1 g cm-3 = 11.3 g cm-3
[∵जल का घनत्व = 1 g cm-3 या 10 kg m-3]
या   सीसे का घनत्व = 11.3 x 103 kg m-3
= 1.13 x 104 kg m-3

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प्रश्न 2:
रिक्त स्थानों को मात्रकों के उचित परिवर्तन द्वारा भरिए
(a) 1 kg m2 s-2= ……g cm2 s-2
(b) 1 m = …. 1y
(c) 3.0 m s-2 = …. km h-2
(d) G= 6.67x 10-11 Nm (kg)-2 =……… (cm)3 s-2 g-1
हल:
(a) 1 kg m2s-2 = 1 kg x 1m2s-2
= (1000 g)x (100 cm)2x 1s-2
= 1000 x 10000 g (cm)2 s-2
= 107g (cm)2 s-2
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प्रश्न 3:
ऊष्मा या ऊर्जा का मात्रक कैलोरी है और यह लगभग 4.2J के बराबर है, जहाँ 1J =1 kg m2 s-2 मान लीजिए कि हम मात्रकों की कोई ऐसी प्रणाली प्रयोग करते हैं जिसमें द्रव्यमान का मात्रक α kg के बराबर है, लम्बाई का मात्रक β m के बराबर है, समय का मात्रक γs के बराबर है तो यह प्रदर्शित कीजिए कि नए मात्रकों के पदों में कैलोरी का परिमाण 4.2 α-1 β-2 γ2 है।
हल:
1 कैलोरी = 4.2.J = 4.2 kg-m2S-2
ऊर्जा का विमीय सूत्र = [ML2F-2]
माना दी गई दो मापन पद्धतियों में द्रव्यमान, लम्बाई (UPBoardSolutions.com) तथा समय के मात्रक क्रमशः M1,L1, T1, तथा M2,L2, T2, हैं।
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प्रश्न 4:
इस कथन की स्पष्ट व्याख्या कीजिए : तुलना के मानक का विशेष उल्लेख किए बिना “किसी विमीय राशि को ‘बड़ा या छोटा कहना अर्थहीन है।” इसे ध्यान में रखते हुए नीचे दिए गए कथनों को जहाँ कहीं भी आवश्यक हो, दूसरे शब्दों में व्यक्त कीजिए
(a) परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
(b) जेट वायुयान अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान बहुत ही अधिक है।
(d) इस कमरे के अन्दर वायु में अणुओं की संख्या बहुत अधिक है।
(e) इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन से बहुत भारी होता है।
(f) ध्वनि की गति प्रकाश की गति से बहुत ही कम होती है।
उत्तर:
सामान्यतया कहा जाता है कि परमाणु बहुत छोटा गोलीय पिण्ड है, परन्तु हम जानते हैं कि इलेक्ट्रॉन परमाणु से भी छोटा कण है, तब यह कहा जा सकता है कि इलेक्ट्रॉन की तुलना में परमाणु एक बड़ा पिण्ड है। इसके विपरीत क्रिकेट की गेंद की तुलना में परमाणु एक बहुत छोटा पिण्ड है। इस प्रकार हम देखते हैं कि परमाणु को किसी एक वस्तु की तुलना में बहुत छोटा कहा जा सकता है जबकि किसी अन्य वस्तु की तुलना में उसे बड़ा (UPBoardSolutions.com) कहा जा सकता है। यही बात किसी विमीय राशि के विषय में भी लागू होती है। कोई विमीय राशि, किसी दूसरी समान विमीय राशि की तुलना में बड़ी हो सकती है जबकि किसी अन्य, समान विमीय राशि से छोटी हो सकती है। अत: किसी विमीय राशि को छोटा या बंड़ा कहना तब तक अर्थहीन है जब तक कि तुलना के मानक को स्पष्ट उल्लेख ने किया गया हो।
(a) चीनी के एक दाने की तुलना में परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
(b) जेट वायुयान, रेलगाड़ी की तुलना में अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान की तुलना में बहुत ही अधिक है।
(d) इस कमरे के अन्दर वायु में अणुओं की संख्या, एक ग्राम-अणु गैस में उपस्थित अणुओं की संख्या ‘ से बहुत अधिक है। कथनों
(e) तथा
(f) को बदलने की आवश्यकता नहीं है।

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प्रश्न 5:
लम्बाई का कोई ऐसा नया मात्रक चुना गया है जिसके अनुसार निर्वात में प्रकाश की चाल 1 है। लम्बाई के नए मात्रक के पदों में सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है, प्रकाश इस दूरी को तय करने में 8 min और 20 s लगाता है।
हल:
प्रकाश की चाल = 1 मात्रक S-1
जबकि प्रकाश द्वारा लिया गया समय है t = 8 min 20 s
= (8x 60 + 20) s = 500s
∴ सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी = प्रकाश की चाल x लगा समय
=1 मात्रक s-1 x 500 s
= 500 मात्रक

प्रश्न 6:
लम्बाई मापने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे परिशुद्ध यन्त्र है
(a) एक वर्नियर कैलीपर्स जिसके वर्नियर पैमाने पर 20 विभाजन हैं।
(b) एक स्क्रूगेज जिसका चूड़ी अन्तराल 1 mm और वृत्तीय पैमाने पर 100 विभाजन हैं।
(c) कोई प्रकाशिक यन्त्र जो प्रकाश की तरंगदैर्घ्य की सीमा के अन्दर लम्बाई माप सकता है।
हल:
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प्रश्न 7:
कोई छात्र 100 आवर्धन के एक सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखकर मनुष्य के बाल की मोटाई मापता है। वह 20 बार प्रेक्षण करता है और उसे ज्ञात होता है कि सूक्ष्मदर्शी के दृश्य क्षेत्र में बाल की औसत मोटाई 3.5 mm है। बाल की मोटाई का अनुमान क्या है?
हल:
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प्रश्न 8.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए
(a) आपको एक धागा और मीटर पैमाना दिया जाता है। आप धागे के व्यास का अनुमान किस प्रकार लगाएँगे?
(b) एक स्क्रूगेज का चूड़ी अन्तराल 1.0 mm है और उसके वृत्तीय पैमाने पर 200 विभाजन हैं। क्या आप यह सोचते हैं कि वृत्तीय पैमाने पर विभाजनों की संख्या स्वेच्छा से बढ़ा देने पर स्क्रूगेज की यथार्थता में वृद्धि करना संभव है?
(c) वर्नियर कैलीपर्स द्वारा पीतल की किसी पतली छड़ का माध्य व्यास मापा जाना है। केवल 5 मापनों के समुच्चय की तुलना में व्यास के 100 मापनों के समुच्चय के द्वारा अधिक विश्वसनीय अनुमान प्राप्त होने की सम्भावना क्यों है?
उत्तर:
(a) इसके लिए हम एक बेलनाकार छड के ऊपर धागे को इस (UPBoardSolutions.com) प्रकार लपेटेंगे कि धागे के फेरे एक-दूसरे से सटे रहें। धागे के फेरों द्वारा घेरी गई छड़ की लम्बाई l को मीटर पैमाने की सहायता से नाप लेंगे। अब लपेटे गए फेरों की संख्या n को गिन लिया जाएगा।
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प्रश्न 9:
किसी मकान का फोटोग्राफ 35 mm स्लाइड पर 1.75 cm क्षेत्र घेरता है। स्लाइड को | किसी स्क्रीन पर प्रक्षेपित किया जाता है और स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल 1.55 m2 है। प्रक्षेपित्र-परदा व्यवस्था का रेखीय आवर्धन क्या है?
हल:
स्लाइड पर मकान का क्षेत्रफल = 1.75 cm2
स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल = 1.55 m2 = 1.55 (100 cm)
= 1.55x 10000 cm2
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प्रश्न 10:
निम्नलिखित में सार्थक अंकों की संख्या लिखिए
(a) 0.007 m2
(b) 2.64 x 1024 kg
(c) 0.2370 cm-3
(d) 6.320 J
(e) 6.032 Nm-2
(f) 0.0006032 m2
उत्तर:
(a) 1, (b) 3, (e) 4, (d) 4, (e) 4, (f) 4.

प्रश्न 11:
धातु की किसी आयताकार शीट की लम्बाई, चौड़ाई व मोटाई क्रमशः 4,234 m, 1.005 m व 2.01 cm है। उचित सार्थक अंकों तक इस शीट का पृष्ठीय क्षेत्रफल व आयतन ज्ञात कीजिए।
हल:
यहाँ लम्बाई 4 = 4.234 m, चौड़ाई b =1.005 m
तथा मोटाई c = 2.01 cm = 0.0201 m
स्पष्ट है कि लम्बाई व चौड़ाई में 4-4 सार्थक अंक हैं जबकि मोटाई में 3 सार्थक अंक हैं।
∴ पृष्ठीय क्षेत्रफल तथा आयतन दोनों का (UPBoardSolutions.com) अधिकतम 3 सार्थक अंकों में पूर्णांकन करना होगा।
अब शीट का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2x (ab + bc + ca)
= 2x [4.234 x 1.005 + 1.005 x 0.0201 + 0.0201 x 4234] m2
= 2x [4.25517 + 0.0202005 + 0.0851034] m2
= 2 x 4.3604739 m = 8.7209478 m = 8.72 m2
जबकि शीट का आयतन = ल० x चौ० x ऊँ०
= 4.234 m x 1.005 m x 0.0201 m
= 0.085528917 m3
= 0.0855 m3

प्रश्न 12:
पंसारी की तुला द्वारा मापे गए डिब्बे का द्रव्यमान 2.300 kg है। सोने के दो टुकड़े जिनका द्रव्यमान क्रमशः 20.15 g व 20.17 g है, डिब्बे में रखे जाते हैं
(a) डिब्बे का कुल द्रव्यमान कितना है,
(b) उचित सार्थक अंकों तक टुकड़ों के द्रव्यमानों में कितना अन्तर है?
हल:
(a) दिया है : डिब्बे का द्रव्यमान = 2300 kg
पहले टुकड़े का द्रव्यमान = 20.15 g = 0.02015 kg
दूसरे टुकड़े का द्रव्यमान = 2017 g= 0.02017 kg
∴ टुकड़े रखने के बाद डिब्बे का कुल द्रव्यमान
= 2.300 kg + 0.02015 kg + 0.02017kg
= 2.34032 kg
∵ तीनों मांपों में डिब्बे के द्रव्यमान में सबसे कम सार्थक अंक (4 अंक) हैं; अतः डिब्बे के कुल द्रव्यमान का अधिकतम चार सार्थक अंकों में पूर्णांकन करना होगा।
∴ डिब्बे का कुल द्रव्यमान = 2.340 kg

(b)∵ सोने के टुकड़ों के द्रव्यमानों में प्रत्येक में 4 सार्थक अंक हैं; अतः इनके अन्तर का अधिकतम
दशमलव के दूसरे स्थान तक पूर्णांकन करना होगा।
टुकड़ों के द्रव्यमानों का अन्तर = 20.17 g – 20.16 g= 0.02 g

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प्रश्न 13:
कोई भौतिक राशि P, चार प्रेक्षण-योग्य राशियों a, b,c तथा d से इस प्रकार
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a, b, c तथा d के मापने में प्रतिशत त्रुटियाँ क्रमशः 1%, 3%, 4% तथा 2% हैं। राशि P में प्रतिशत त्रुटि कितनी है? यदि उपर्युक्त सम्बन्ध का उपयोग करके P का परिकलित मान 3. 763 आता है तो आप परिणाम का किस मान तक निकटन करेंगे?
हल:
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P के मान में त्रुटि 0.489 से स्पष्ट है कि P के मान में दशमलव (UPBoardSolutions.com) के पहले स्थान पर स्थित अंक ही संदिग्ध है; अत: P के मान को दशमलव के दूसरे स्थान तक लिखना व्यर्थ है। अतः P के मान का. दशमलव के पहले स्थान तक पूर्णांकन करना होगा।
अतः P का निकटतम मान = 3.763 = 3.8

प्रश्न 14:
किसी पुस्तक में, जिसमें छपाई की अनेक त्रुटियाँ हैं, आवर्त गति कर रहे किसी कण के विस्थापन के चार भिन्न सूत्र दिए गए हैं
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(a = कण का अधिकतम विस्थापन, ν = कण की चाल, T = गति का आवर्तकाल)।
विमीय आधारों पर गलत सूत्रों को निकाल दीजिए।
उत्तर:
किसी त्रिकोणमितीय फलन का कोण एक विमाहीन राशि होती है।
सूत्र (b) तथा (c) में कोण vt तथा ! विमाहीन नहीं हैं; अत: उपर्युक्त दोनों सूत्र सही नहीं हैं। शेष दोनों सूत्र (a) तथा (d) सही हैं।

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प्रश्न 15:
भौतिकी का एक प्रसिद्ध सम्बन्ध किसी कण के चल द्रव्यमान (moving mass) m, [latex]\frac { t }{ a }[/latex] विराम द्रव्यमान (rest mass) m0, इसकी चाल ν और प्रकाश c की चाल  के बीच है। (यह सम्बन्ध सबसे पहले अल्बर्ट आइन्स्टाइन के विशेष आपेक्षिकता के सिद्धान्त के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ था।) कोई छात्र इस सम्बन्ध को लगभग सही याद करता है। लेकिन स्थिरांक c को लगाना भूल जाता है। वह लिखता है
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अनुमान लगाइए कि c कहाँ लगेगा?
उत्तर:
दिया गया सम्बन्ध है।
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प्रश्न 16:
परमाण्विक पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक ऍग्स्ट्रॉम है और इसे [latex]\mathring { A }[/latex](1 [latex]\mathring { A }[/latex] = 10-10m) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। हाइड्रोजन के परमाणु का आमाप लगभग 0.5 A है। हाइड्रोजन परमाणुओं के एक मोल का m’ में कुल आण्विक आयतन कितना होगा?
हल:
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प्रश्न 17:
किसी आदर्श गैस का एक मोल (ग्राम अणुक) मानक ताप व दाब पर 22.4L आयतन (ग्राम अणुक आयतन) घेरता है। हाइड्रोजन के ग्राम अणुक आयतन तथा उसके एक मोल के परमाण्विक आयतन का अनुपात क्या है? (हाइड्रोजन के (की आमाप लगभग 1[latex]\mathring { A }[/latex] मानिए)। यह अनुपात इतनी अधिक क्यों है?
हल:
एक मोल हाइड्रोजन गैस का (UPBoardSolutions.com) आयतन = 22.4
L =22.4 x 10-3 m3
जबकि 1 मोल हाइड्रोजन गैस का परमाण्विक आयतन =3.15 x 10-7 m3 (प्रश्न 16 के परिणाम से)
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इसे अनुपात का मान इतना अधिक होने का अर्थ है कि गैस का आयतन उसमें उपस्थित अणुओं के वास्तविक आयतन की तुलना में बहुत अधिक होता है। इसका अन्य अर्थ यह है कि गैस के अणुओं के बीच बहुत अधिक खाली स्थान होता है।

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प्रश्न 18:
इस सामान्य प्रेक्षण की स्पष्ट व्याख्या कीजिए : यदि आप तीव्र गति से गतिमान किसी रेलगाड़ी की खिड़की से बाहर देखें तो समीप के पेड़, मकान आदि रेलगाड़ी की गति की विपरीत दिशा में तेजी से गति करते प्रतीत होते हैं, परन्तु दूरस्थ पिण्ड (पहाड़ियाँ, चन्द्रमा, तारे आदि) स्थिर प्रतीत होते हैं। (वास्तव में क्योंकि आपको ज्ञात है कि आप चल रहे हैं, इसलिए ये दूरस्थ वस्तुएँ आपको अपने साथ चलती हुई प्रतीत होती हैं।)
उत्तर:
किसी वस्तु का हमारे सापेक्ष गति करते हुए प्रतीत होना, हमारे सापेक्ष वस्तु के कोणीय वेग पर निर्भर करता है न कि उसके रेखीय वेग पर। यद्यपि गाड़ी से यात्रा करते समय सभी वस्तुएँ समान वेग से हमारे पीछे की ओर गति करती हैं, परन्तु समीप स्थित वस्तुओं का हमारे सापेक्ष कोणीय वेग अधिक होता है; अतः वे तेजी से पीछे जाती प्रतीत होती हैं जबकि दूर स्थित वस्तुओं का हमारे सापेक्ष कोणीय वेग बहुत ही कम होता है; अतः वे हमें लगभग स्थिर प्रतीत होती हैं।

प्रश्न 19:
समीपी तारों की दूरियाँ ज्ञात करने के लिए लम्बन के सिद्धान्त का प्रयोग किया जाता है। सूर्य के परितः अपनी कक्षा में छः महीनों के अन्तराल पर पृथ्वी की अपनी, दो स्थानों को मिलाने वाली, आधार रेखा AB है। अर्थात आधार रेखा पृथ्वी की कक्षा के व्यास≈ 3x 1011 m के लगभग बराबर है। लेकिन चूंकि निकटतम तारे भी इतने अधिक दूर हैं। कि इतनी लम्बी आधार रेखा होने पर भी वे चाप के केवल 1″ (सेकण्ड, चाप का) की कोटि का लम्बन प्रदर्शित करते हैं। खगोलीय पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक पारसेक है। यह किसी पिण्ड की वह दूरी है जो पृथ्वी से सूर्य तक की दूरी के बराबर आधार रेखा के दो विपरीत किनारों से चाप के 1′ का लम्बन प्रदर्शित करती है। मीटरों में एक पारसेक
कितना होता है?
हल:
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प्रश्न 20:
हमारे सौर परिवार से निकटतम तारा 4.29 प्रकाश वर्ष दूर है। पारसेक में यह दूरी कितनी है? यह तारा (ऐल्फा सेटौरी नामक) तब कितना लम्बन प्रदर्शित करेगा जब इसे सूर्य के परितः अपनी कक्षा में पृथ्वी के दो स्थानों से जो छः महीने के अन्तराल पर हैं, देखा, जाएगा?
हल:
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प्रश्न 21:
भौतिक राशियों का परिशुद्ध मापन विज्ञान की आवश्यकताएँ हैं। उदाहरण के लिए, किसी शत्रु के लड़ाकू जहाज की चाल सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही छोटे समयान्तरालों पर इसकी स्थिति का पता लगाने की कोई यथार्थ विधि होनी चाहिए। द्वितीय विश्वयुद्ध में रेडार की खोज के पीछे वास्तविक प्रयोजन यही था। आधुनिक विज्ञानं के उन भिन्न उदाहरणों को सोचिए जिनमें लम्बाई, समय, द्रव्यमान आदि के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है। अन्य जिस किसी विषय में भी आप बता सकते हैं, परिशुद्धता की मात्रात्मक धारणा दीजिए।
उत्तर:
लम्बाई का मापन: विभिन्न यौगिकों के क्रिस्टलों में परमाणुओं के बीच की दूरी का मापन करते समय लम्बाई के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।।

समय का मापन: फोको की विधि द्वारा किसी (UPBoardSolutions.com) माध्यम में प्रकाश की चाल ज्ञात करने के प्रयोग में समय के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।

द्रव्यमान का मापन: द्रव्यमान स्पेक्ट्रमलेखी में परमाणुओं के द्रव्यमान का परिशुद्ध मापन किया जाता है।

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प्रश्न 22:
जिस प्रकार विज्ञान में परिशुद्ध मापन आवश्यक है, उसी प्रकार अल्पविकसित विचारों तथा सामान्य प्रेक्षणों को उपयोग करने वाली राशियों के स्थूल आकलन कर सकना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। उन उपायों को सोचिए जिनके द्वारा आप निम्नलिखित का अनुमान लगा सकते हैं-(जहाँ अनुमान लगाना कठिन है वहाँ राशि की उपरिसीमा पता लगाने का प्रयास कीजिए)
(a) मानसून की अवधि में भारत के ऊपर वर्षाधारी मेघों का कुल द्रव्यमान।
(b) किसी हाथी का द्रव्यमान।।
(c) किसी तूफान की अवधि में वायु की चाल।
(d) आपके सिर के बालों की संख्या।
(e) आपकी कक्षा के कमरे में वायु के अणुओं की संख्या।
उत्तर:
(a) सर्वप्रथम मौसम विभाग से पूरे भारत में हुई कुल वर्षा की माप की जानकारी लेंगे और वर्षा जल के आयतन को जल के घनत्व से गुणा करके वर्षा जल के द्रव्यमान की गणना कर लेंगे। इससे मेघों का द्रव्यमान ज्ञात हो जाएगा।
(b) ट्रक आदि का द्रव्यमान मापने वाले काँटे पर खड़ा करके हाथी को द्रव्यमान ज्ञात किया जा सकता है।
(c) किसी तूफान की अवधि में वायु द्वारा उत्पन्न दाब को मापकर, वायु की चाल का आकलन किया जा सकता है।
(d) सिर के 1cm2 क्षेत्रफल में स्थित बालों को गिन लिया जाएगा। तत्पश्चात् सिर के क्षेत्रफल का आकलन करके इस क्षेत्रफल से 1cm2 क्षेत्रफल में स्थित बालों की संख्या को गुणा करके सिर के बालों की संख्या का आकलन किया जा सकता है।
(e) कक्षा के कमरे में उपस्थित वायु का घनत्व नापकर 1cm3 आयतन में उपस्थित अणुओं की संख्या की गणना की जा सकती है। तत्पश्चात् कमरे के आयतन से गुणा करके कक्षा के कमरे में उपस्थित वायु के अणुओं की गणना की जा सकती है।

प्रश्न 23:
सूर्य एक ऊष्म प्लैज्मा (आयनीकृत पदार्थ) है जिसके आन्तरिक क्रोड का ताप 107K से अधिक और बाह्य पृष्ठ का ताप लगभग 6000 K है। इतने अधिक ताप पर कोई भी पदार्थ ठोस या तरल प्रावस्था में नहीं रह सकता। आपको सूर्य का द्रव्यमान घनत्व किस परिसर में होने की आशा है? क्या यह ठोसों, तरलों या गैसों के घनत्वों के परिसर में है? क्या आपका अनुमान सही है, इसकी जाँच आप निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर कर सकते हैं- सूर्य का द्रव्यमान = 2.0×1030 kg सूर्य की त्रिज्या = 7.0 x 108 m.
हल:
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प्रश्न 24:
जब बृहस्पति ग्रह पृथ्वी से 8247 लाख किलोमीटर दूर होता है तो इसके व्यास की कोणीय माप 35.72′ का चाप है। बृहस्पति का व्यास परिकलित कीजिए।
हल:
दिया है, बृहस्पति ग्रह की पृथ्वी से दूरी
s= 8247 लाख किलोमीटर = 8247 x 105 किमी
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 25:
वर्षा के समय में कोई व्यक्ति चाल) के साथ तेजी से चला जा रहा है। उसे अपने छाते को टेढ़ा करके ऊर्ध्व के साथ 8 कोण बनाना पड़ता है। कोई विद्यार्थी कोण 8 व 9 के बीच निम्नलिखित सम्बन्ध व्युत्पन्न करता है-tan θ = ν
और वह इस सम्बन्ध के औचित्य की सीमा पता लगाता है: जैसी कि आशा की जाती है। यदि v→0 तो θ →0(हम यह मान रहे हैं कि तेज हवा नहीं चल रही है और किसी खड़े व्यक्ति के लिए वर्षा ऊध्वधरतः पड़ रही है)। क्या आप सोचते हैं कि यह सम्बन्ध सही हो सकता है? यदि ऐसा नहीं है तो सही सम्बन्ध का अनुमान लगाइए।
उत्तर:
दिए गए सम्बन्ध में,
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∵ दोनों पक्षों की विमाएँ परस्पर समान नहीं हैं; अत: यह सम्बन्ध सही नहीं हो सकता। स्पष्ट है कि सही सम्बन्ध में दाएँ पक्ष की विमाएँ भी [L0] होनी चाहिए। माना वर्षा की बूंदें u वेग से ऊर्ध्वाधरत: नीचे गिर रही हैं, तब दाएँ पक्ष को विमाहीन करने के लिए ν को (UPBoardSolutions.com) u से भाग देना चाहिए।
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प्रश्न 26:
यह दावा किया जाता है कि यदि बिना किसी बाधा के 100 वर्षों तक दो सीजियम घड़ियों को चलने दिया जाए तो उनके समयों में केवल 0.02 s का अन्तर हो सकता है। मानक सीजियम घड़ी द्वारा 1s के समय अन्तराल को मापने में यथार्थता के लिए इसका क्या अभिप्राय है?
हल:
कुल समय = 100 वर्ष, T = 100 x 365 x 24 x 60 x 60 s
100 वर्ष के अन्तराल में त्रुटि ∆T = 0.02s
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प्रश्न 27:
एक सोडियम परमाणु का आमाप लगभग 2.5 [latex]\mathring { A }[/latex] मानते हुए उसके माध्य द्रव्यमान घनत्व का अनुमान लगाइए। (सोडियम के परमाणवीय द्रव्यमान तथा आवोगाद्रो संख्या के ज्ञात मान का प्रयोग कीजिए)। इस घनत्व की क्रिस्टलीय प्रावस्था में सोडियम के घनत्व 970 kg m-3 के साथ तुलना कीजिए। क्या इन दोनों घनत्वों के परिमाण की कोटि समान है? यदि हाँ, तो क्यों?
हल:
सोडियम परमाणु का आमाप (त्रिज्या) = 2.5 [latex]\mathring { A }[/latex]= 2.5 x 10-10 m
सोडियम का ग्राम परमाणु भार = 23 g= 23 x 10-3 kg
एक ग्राम परमाणु में परमाणुओं की संख्या 6.023 x 1023 होती है।
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स्पष्ट है कि परमाणु का द्रव्यमान घनत्व तथा ठोस प्रावस्था में सोडियम का (UPBoardSolutions.com) घनत्व दोनों 103 की कोटि के हैं। इसका अर्थ यह है कि ठोस प्रावस्था में परमाणुओं के बीच खाली स्थान नगण्य होता है, अर्थात् ठोस प्रावस्था में परमाणु दृढ़तापूर्वक संकुलित होते हैं।

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प्रश्न 28:
नाभिकीय पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक फर्मी है-(1f=10-15 m)। नाभिकीय आमाप लगभग निम्नलिखित आनुभविक सम्बन्ध का पालन करते हैं r =r0 A1/3 जहाँ नाभिक की त्रिज्या,A इसकी द्रव्यमान संख्या और r0, कोई स्थिरांक है जो लगभग 1.2 f के बराबर है। यह प्रदर्शित कीजिए कि इस नियम का अर्थ है कि विभिन्न नाभिकों के लिए नाभिकीय द्रव्यमान घनत्व लगभग स्थिर है। सोडियम नाभिक के द्रव्यमान घनत्व का आकलन कीजिए। प्रश्न 27 में ज्ञात किए गए सोडियम परमाणु के माध्य द्रव्यमान घनत्व के साथ इसकी तुलना कीजिए।
हल:
माना किसी नाभिक की द्रव्यमान संख्या A है तथा प्रत्येक न्यूक्लिऑन (न्यूट्रॉन तथा प्रोटॉन) का द्रव्यमान m0 (नियतांक) है।
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अर्थात् सोडियम नाभिक का घनत्व उसके परमाणु के घनत्व से लगभग 1015 गुना अधिक है। इसका अर्थ यह है कि परमाणु का अधिकांश भाग खोखला है तथा उसका अधिकांश द्रव्यमान उसके नाभिक में निहित है।

प्रश्न 29:
लेसर (LASER), प्रकाश के अत्यधिक तीव्र, एकवर्णी तथा एकदिश किरण-पुंज का स्रोत है। लेसर के इन गुणों का लम्बी दूरियाँ मापने में उपयोग किया जाता है। लेसर को प्रकाश के स्रोत के रूप में उपयोग करते हुए पहले ही चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी परिशुद्धता के साथ ज्ञात की जा चुकी है। कोई लेसर प्रकाश किरण-पुंज चन्द्रमा के पृष्ठ से परावर्तित होकर 2.56 s में वापस आ जाता है। पृथ्वी के परितः चन्द्रमा की कक्षा की त्रिज्या कितनी है?
हल:
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प्रश्न 30:
जल के नीचे वस्तुओं को ढूंढने व उनके स्थान का पता लगाने के लिए सोनार (SONAR) में पराश्रव्य तरंगों का प्रयोग होता है। कोई पनडुब्बी सोनार से सुसज्जित है। इसके द्वारा जनित अन्वेषी तरंग और शत्रु की पनडुब्बी से परावर्तित इसकी प्रतिध्वनि की प्राप्ति के बीच काल विलम्ब 77.0 s है। शत्रु की पनडुब्बी कितनी दूर है? (जल में ध्वनि की चाल = 1450 m s-1)
हल:
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प्रश्न 31:
हमारे विश्व में आधुनिक खगोलविदों द्वारा खोजे गए सर्वाधिक दूरस्थ पिण्ड इतनी दूर हैं। कि उनके द्वारा उत्सर्जित प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में अरबों वर्ष लगते हैं। इन पिण्डों (जिन्हें क्वासर Quasar’ कहा जाता है) के कई रहस्यमय लक्षण हैं जिनकी अभी तक सन्तोषजनक व्याख्या नहीं की जा सकी है। किसी ऐसे क्वासर की km में दूरी ज्ञात कीजिए जिससे उत्सर्जित प्रकाश को हम तक पहुँचने में 300 करोड़ वर्ष लगते हों।
हल:
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प्रश्न 32:
यह एक विख्यात तथ्य है कि पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि में चन्द्रमा की चक्रिका सूर्य की चक्रिका को पूरी तरह ढक लेती है। चन्द्रमा का लगभग व्यास ज्ञात कीजिए।
(पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी = 3.84 x 108 m सूर्य का कोणीय व्यास = 1920′ )
हल:
माना कि चन्द्रमा का कोणीय व्यास = d
जबकि चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी = 3.84 x 108 m
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प्रश्न 33:
इस शताब्दी के एक महान भौतिकविद् (पी०ए०एम० डिरैक) प्रकृति के मूल स्थिरांकों (नियतांकों) के आंकिक मानों के साथ क्रीड़ा में आनन्द लेते थे। इससे उन्होंने एक बहुत ही रोचक प्रेक्षण किया। परमाणवीय भौतिकी के मूल नियतांकों (जैसे इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, प्रोटॉन का द्रव्यमान तथा गुरुत्वीय नियतांक G) से उन्हें पता लगा कि वे एक ऐसी संख्या पर पहुँच गए हैं जिसकी विमा समय की विमा है। साथ ही, यह एक बहुत ही बड़ी संख्या थी और इसका परिमाण विश्व की वर्तमान आकलित आयु (~1500 करोड़ वर्ष) के करीब है। इस पुस्तक में दी गई मूल नियतांकों की सारणी के आधार पर यह देखने का प्रयास कीजिए कि क्या आप भी यह संख्या (या और कोई अन्य रोचक संख्या जिसे आप सोच सकते हैं) बना, सकते हैं? यदि विश्व की आयु तथा इस संख्या में समानता महत्त्वपूर्ण है तो मूल नियतांकों की स्थिरता किस प्रकार प्रभावित होगी?
हल:
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1:
निम्नलिखित में से कौन-सा S.I. मात्रक नहीं है?
(i) ऐम्पियर
(ii) केण्डिला
(iii) न्यूटन
(iv) केल्विन
उत्तर:
(iii) न्यूटन

प्रश्न 2:
निम्नलिखित में से कौन दूरी का मात्रक नहीं है?
(i) ऐंग्स्ट्रॉम
(ii) फर्मी
(iii) बार्न
(iv) पारसेक
उत्तर:
(iii) बार्न

प्रश्न 3.
पारसेक मात्रक है।
(i) समय का
(ii) दूरी को
(iii) आवृत्ति का
(iv) कोणीय संवेग का
उत्तर:
(ii) दूरी का

प्रश्न 4.
प्रकाश वर्ष मात्रक है।
(i) समय का
(ii) दूरी का
(iii) वेग का
(iv) प्रकाश की तीव्रता का
उत्तर:
(ii) दूरी का

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प्रश्न 5:
नाभिकीय त्रिज्या 10-15 मीटर कोटि की है। इसे व्यक्त करने के लिए उपयुक्त मात्रक है
(i) माइक्रोन
(ii) मिमी
(iii) ऐंग्स्ट्राम
(iv) फर्मी
उत्तर:
(iv) फर्मी

प्रश्न 6:
निम्नलिखित में से व्युत्पन्न मात्रक है।
(i) केण्डिला
(ii) किग्रा
(iii) न्यूटन
(iv) मीटर
उत्तर:
(iii) न्यूटन

प्रश्न 7:
1 मीटर तुल्य है।
(i) 1010 [latex]\mathring { A }[/latex]
(ii) 108 [latex]\mathring { A }[/latex]
(iii) 106 [latex]\mathring { A }[/latex]
(iv) 105 [latex]\mathring { A }[/latex]
उत्तर:
(i) 1010 [latex]\mathring { A }[/latex]

प्रश्न 8.
एक माइक्रोन (μ) होता है।
(i) 10-9 मी
(ii) 10-12 मी
(iii) 10-6 मी
(iv) 10-15 मी
उत्तर:
(iv) 10-15 मी

प्रश्न 9:
एक नैनोमीटर तुल्य है ।
(i) 10-9 मिमी
(ii) 10-6 सेमी
(iii) 10-7 सेमी
(iv) 10-9 सेमी
उत्तर:
(iii) 10-7 सेमी

प्रश्न 10:
1 सेकण्ड तुल्य है।
(i) क्रिप्टॉन घड़ी के 1650763.73 आवर्गों के
(ii) क्रिप्टॉन घड़ी के 652189.63 आवर्ती के
(iii) सीजियम घड़ी के 1650763.73 आवर्ती के
(iv) सीजियम घड़ी के 91926317770 आवर्ती के
उत्तर:
(iv) सीजियम घड़ी के 91926317770 आवर्ती के

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प्रश्न 11:
1 मीटर में Kr86 की कितनी तरंगदैर्ध्य होती है?
(i) 1553164.13
(ii) 1650763.73
(iii) 2348123.73
(iv) 652189.63
उत्तर:
(ii) 1650763.73

प्रश्न 12:
एक प्रकाश वर्ष दूरी बराबर है।
(i) 9.46 x 1010 किमी
(ii) 9.46 x 1012 किमी
(iii) 9.46 x 1012 मीटर
(iv) 9.46 x 1015 सेमी
उत्तर:
(ii) 9.46 x 1012 किमी

प्रश्न 13:
106 डाइन/सेमी2 का दाब किसके बराबर है?
(i) 107 न्यूटन/मीटर2
(ii) 106 न्यूटन/मीटर2
(iii) 10न्यूटन/मीटर2
(iv) 104 न्यूटन/मीटर2
उत्तर:
(iii) 10°न्यूटन/मीटर2,

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
किसी भौतिक राशि के मापन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी भौतिक राशि की इसके मात्रक से तुलना करना ही मापन कहलाता है।

प्रश्न 2:
किसी राशि की माप को पूर्णतया व्यक्त करने के लिए किन-किन बातों का ज्ञान होना आवश्यक है?
उत्तर:
किसी राशि की माप को पूर्णतया व्यक्त करने के लिए निम्नलिखित बातों का ज्ञान होना आवश्यक है

  1.  मात्रक: जिसमें वह भौतिक राशि मापी जाती है।
  2.  आंकिक मान: यह उस राशि के परिमाण को प्रदर्शित करता है अर्थात् यह बताता है कि उस राशि की माप में उसका मात्रक कितनी बार सम्मिलित है।

प्रश्न 3:
मात्रक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
मात्रक दो प्रकार के होते हैं-
(i) मूल मात्रक,
(ii) व्युत्पन्न मात्रक।

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प्रश्न 4:
S.I. प्रणाली क्या है?
उत्तर:
सात मूल मात्रकों तथा दो पूरक मूल मात्रकों पर आधारित माप की प्रणाली S.I. प्रणाली कहलाती है।।

प्रश्न 5:
MKS प्रणाली के मूल मात्रकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
MKS प्रणाली के मूल मात्रक मीटर, किग्रा, सेकण्डे, ऐम्पियर, केण्डिला तथा केल्विन होते हैं।

प्रश्न 6:
शेक किस भौतिक राशि का मात्रक है?
उत्तर:
यह समय का मात्रक है तथा 1 शेक = 10-8 सेकण्ड।

प्रश्न 7:
नाभिक के आकार को व्यक्त करने के लिए कौन-सा मात्रक प्रयुक्त किया जाता है? इसका मीटर से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
फर्मी, जहाँ 1 फर्मी (F) = 10-15 मीटर।

प्रश्न 8:
चन्द्रशेखर सीमा किस यौगिक राशि का मात्रक है?
उत्तर:
यह द्रव्यमान का मात्रक है तथा 1 CS.L.= 1.4 x सूर्य का द्रव्यमान।।

प्रश्न 9:
AU तथा [latex]\mathring { A }[/latex] क्या हैं? इनमें पारस्परिक सम्बन्ध क्या हैं?
उत्तर:
AU तथा [latex]\mathring { A }[/latex] लम्बाई के ही भिन्न-भिन्न मात्रक हैं। AU लम्बाई का खगोलीय मात्रक है तथा A लम्बाई की छोटा मात्रक है।।
1 AU =1.496 x 1021 [latex]\mathring { A }[/latex]

प्रश्न 10:
स्लग (Slug) क्या है? 1 स्लग में मीट्रिक टनों की संख्या कितनी होगी?
हल:
स्लग (Slug) बड़े द्रव्यमान मापने का एक मात्रक है।
तथा 1 स्लग = 14.59 किग्रा
∵ 1 मीट्रिक टन = 1000 किग्रा
∴ 1 स्लग =[latex]\frac { 14.59 }{ 1000 }[/latex]14.32 मीट्रिक टन
= 1459 x 10-3  मीट्रिक टन

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प्रश्न 11:
क्या प्रकाश वर्ष समय का मात्रक है?
उत्तर:
नहीं, प्रकाश वर्ष दूरी का मात्रक है।

प्रश्न 12:
माइक्रोसेकण्ड तथा शेक में क्या सम्बन्ध है?
हल:
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प्रश्न 13:
प्रकाश वर्ष को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
1 प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश निर्वात् में 1 वर्ष में तय करता है।
∴ 1 प्रकाश वर्ष = 9.46 x 1015 मीटर
या निर्वात् में 1 प्रकाश वर्ष = 9.46 x 1013 मीटर

प्रश्न 14:
1 सेकण्ड माध्य-सौर-दिवस का कौन-सा भाग होता है?
उत्तर:
1 सेकण्ड माध्य-सौर-दिवस का 86,400वाँ भाग होता है।

प्रश्न 15:
एक मीटर में कितने प्रकाश-वर्ष होते हैं?
उत्तर:
हम जानते हैं कि,
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प्रश्न 16:
पृथ्वी से प्रेषित एक लेसर पुंज चन्द्रमा से परावर्तन के पश्चात पृथ्वी पर 2.6 सेकण्ड बाद वापस लौटता है। पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
यहाँ, समय t = 2.6 सेकण्ड,
लेसर पुंज का वेग c = 3x 108 मी/से
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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
मूल मात्रक क्या हैं? इनके चार गुण लिखिए।
उत्तर:
मूल राशियों के वे मात्रक जो एक-दूसरे से पूर्णतया स्वतन्त्र होते हैं तथा इनमें से किसी एक मात्रक को किसी अन्य मात्रक से बदला अथवा उससे सम्बन्धित नहीं किया जा सकता है, मूल मात्रक कहलाते हैं। लम्बाई, द्रव्यमान, समय, वैद्युतधारा, ऊष्मागतिक ताप, ज्योति तीव्रता तथा पदार्थ की मात्रा मूल मात्रक हैं। मूल. मात्रकों के गुण निम्नलिखित हैं

  1.  यह बाह्य कारकों से अप्रभावित रहना चाहिए।
  2.  यह सुपरिभाषित होना चाहिए।
  3.  इसे सरलतापूर्वक निर्मित किया जाना चाहिए।
  4.  इसका उपयोग सरल होना चाहिए।

प्रश्न 2:
व्युत्पन्न मात्रक किसे कहते हैं? किसी एक भौतिक राशि का व्युत्पन्नमात्रक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
मूल राशियों के अतिरिक्त अन्य सभी भौतिक राशियों के मात्रक एक अथवा अधिक मूल मात्रकों पर उपयुक्त घातें लगाकर प्राप्त किये जा सकते हैं। ऐसे मात्रकों को व्युत्पन्न मात्रक (derived units) कहते हैं। बल का व्युत्पन्न मात्रक (UPBoardSolutions.com) निम्न प्रकार से प्राप्त कर सकते हैं
बलु = द्रव्यमान x त्वरण
बल का मात्रक = किग्रा x मीटर/सेकण्ड-2
= किग्रा-मीटर सेकण्ड-2
परन्तु S.I. प्रणाली में बल का व्यावहारिक मात्रक न्यूटन होता है।
∴ 1 न्यूटन = 1 किग्रा-मीटर सेकण्ड-2

प्रश्न 3:
गुरुत्वीय द्रव्यमान और जड़त्वीय द्रव्यमान में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी वस्तु पर कार्यरतु पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल तथा पृथ्वी की ओर मुक्त रूप से गिरती वस्तु के गुरुत्वीय जनित त्वरण का अनुपात, वस्तु का गुरुत्वीय द्रव्यमान कहलाता हैं, जबकि किसी वस्तु पर लगाए गए कुल बाह्य बल तथा उसके कारण वस्तु में उत्फन त्वरण का अनुपात वस्तु का जड़त्वीय द्रव्यमान कहलाता है।

प्रश्न 4:
मापन की यथार्थता तथा परिशुद्धता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1.  किसी मापन की यथार्थता वह मान है जो हमें यह बताती है कि किसी राशि का मापित मान उसके वास्तविक मान के कितना निकट है, जबकि किसी मापन की परिशुद्धता यह बताती है कि वह राशि किस सीमा या विभेदन तक मापी गई है।
  2. किसी भी मापक यन्त्र की यथार्थती उस यन्त्र में विद्यमान उसकी क्रमबद्ध त्रुटि पर निर्भर करती है, जबकि किसी भी मापक यन्त्र की परिशुद्धता यादृच्छिक त्रुटियों पर निर्भर करती है।

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प्रश्न 5:
किसी राशि के परिमाण की कोटि से क्या तात्पर्य है? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
यदि किसी राशि के परिमाण को उसके निकटतम 10 की पूर्णाक घात के रूप में लिखा जाए, तो प्राप्त परिमाण को इस राशि को कोटिमान (कोटि) कहते हैं।
उदाहरण:
किसी राशि 0.0025 = 2.5 x 10-3 में 2.5, 3.16 से छोटा है, तो इस राशि का कोटिमान 10-3 होगा, जबकि एक अन्य राशि 0.0035 = 3.5 x 10-3 में 3.5, 3.16 से बड़ा है, तो इस राशि का कोटिमान 10-3+1 = 10-2 होगा।

प्रश्न 6:
पृथ्वी के व्यास के दो विपरीत छोरों से किसी आकाशीय पिण्ड का विस्थापनाभास (parallax) 60 सेकण्ड है। यदि पृथ्वी की त्रिज्या 64 x 106 मीटर हो, तो पृथ्वी के केन्द्र से आकाशीय पिण्ड की दूरी ज्ञात कीजिए। इस दूरी को खगोलीय मात्रक में परिवर्तित कीजिए। (1 A.U.= 1.5 x 1011 मीटर)
हल:
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
लम्बन तथा लम्बनकोण से क्या तात्पर्य है? पृथ्वी के निकट स्थित तारे की दूरी ज्ञात करने के लिए लम्बन विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लम्बन तथा लम्बनकोण-जब हम किसी दीवार पर अंकित किसी चिह्न P को पहले अपनी बायीं आँख A(दायीं आँख B बन्द रखते हुए) देखते हैं और फिर उसी बिन्दु को अपनी दायीं आँख B से (बायीं आँख A बन्द रखते हुए) देखते हैं तो दीवार के सापेक्ष (UPBoardSolutions.com) चिह्न की स्थिति में आभासी विस्थापन दिखायी देता है। इस आभासी विस्थापन को ही लम्बन कहते हैं दूरी AB को आधार दूरी कहते हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements 37
AP तथा BP के बीच का कोण θ लम्बनकोण कहलाता है।

पृथ्वी के निकट स्थित तारे की दूरी ज्ञात करना—दिए गए चित्र 2.3 में सूर्य S के परितः पृथ्वी की परिक्रमण कक्षा का व्यास AB है। N एक तारा है जो पृथ्वी के निकट स्थित है तथा इस तारे N की ही पृथ्वी से दूरी ज्ञात करनी है। चित्र 2.3 में F एक अन्य तारा है जो पृथ्वी से काफी दूरी पर स्थित है। माना किसी क्षण पृथ्वी की अपनी कक्षा में स्थिति A है। खगोलीय दूरदर्शी द्वारा ∠FAN = θ, ज्ञात कर । लिया जाता है। में ∠ANS =∠ FAN = θ.6 माह के समयान्तराल पर पृथ्वी अपनी कक्षा में स्थिति A के ठीक सामने स्थिति B में होगी। अब खगोलीय दूरदर्शी द्वारा ∠NBF = 8ज्ञात कर लिया जाता है।

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∠BNS =∠ NBF = θ,
तथा ∠ANB=∠ANS + ∠BNS
= θ1 + θ2.
यह कोण तारे N द्वारा पृथ्वी के व्यास AB पर शीर्षाभिमुख बनने वाला कोण है।
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प्रश्न 2:
आवोगाने विधि द्वारा परमाणु के आकार का आकलन किस प्रकार किया जा सकता है? समझाइए।
उत्तर:
आवोगाद्रो के अनुसार, पदार्थ के एक ग्राम-परमाणु में 6023 x 1023 परमाणु होते हैं, जो पदार्थ का लगभग दो-तिहाई आयतेन घेरते हैं। माना पदार्थ का द्रव्यमान m, पदार्थ का परमाणु भार M, पदार्थ द्वारा घेरा गया आयतन V, परमाणु की त्रिज्या तथा आवोगाद्रो संख्या N है। तब,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements 39
चूंकि आयतन V, परमाणु भार M, आवोगाद्रो संख्या N तथा पदार्थ का द्रव्यमान m ज्ञात हैं, अतः परमाणु की त्रिज्या । नापी जा सकती है, जिसका मान लगभग 10-10 मीटर की कोटि का होता है।

We hope the UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements (मात्रक एवं मापन) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements (मात्रक एवं मापन) drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power (कार्य, ऊर्जा और शक्ति)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Physics. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power (कार्य, ऊर्जा और शक्ति).

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1.
किसी वस्तु पर किसी बल द्वारा किए गए कार्य का चिह्न समझना महत्त्वपूर्ण है। सावधानीपूर्वक बताइए कि निम्नलिखित राशियाँ धनात्मक हैं या ऋणात्मक –

(a) किसी व्यक्ति द्वारा किसी कुएँ में से रस्सी से बँधी बाल्टी को रस्सी द्वारा बाहर निकालने में किया गया कार्य।
(b) उपर्युक्त स्थिति में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य।
(c) किसी आनत तल पर फिसलती हुई किसी वस्तु पर घर्षण द्वारा किया गया कार्य।
(d) किसी खुरदरे क्षैतिज तल पर एकसमान वेग से गतिमान किसी वस्तु पर लगाए गए बल द्वारा किया गया कार्य।
(e) किसी दोलायमान लोलक को विरामावस्था में लाने के लिए वायु के प्रतिरोधी बल द्वारा किया गया कार्य।

उत्तर :

(a) चूँकि मनुष्य द्वारा लगाया गया बल तथा बाल्टी का विस्थापन दोनों ऊपर की ओर दिष्ट हैं; अत: कार्य धनात्मक होगा।
(b) चूँकि गुरुत्वीय बल नीचे की ओर दिष्ट है तथा बाल्टी का विस्थापन ऊपर की ओर है; अतः गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होगा।
(c) चूँकि घर्षण बेल सदैव वस्तु के विस्थापन की (UPBoardSolutions.com) दिशा के विपरीत दिष्ट होता है; अत: घर्षण बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होगा।
(d) वस्तु पर लगाया गया बल घर्षण के विपरीत अर्थात् वस्तु की गति की दिशा में है; अत: इस बल द्वारा कृत कार्य धनात्मक होगा।
(e) वायु का प्रतिरोधी बल सदैव गति के विपरीत दिष्ट होता है; अतः कार्य ऋणात्मक होगा।

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प्रश्न 2.
2kg द्रव्यमान की कोई वस्तु जो आरम्भ में विरामावस्था में है, 7N के किसी क्षैतिज बल के प्रभाव से एक मेज पर गति करती है। मेज का गतिज-घर्षण गुणांक 0:1 है। निम्नलिखित का परिकलन कीजिए और अपने परिणामों की व्याख्या कीजिए –

(a) लगाए गए बल द्वारा 10 s में किया गया कार्य।
(b) घर्षण द्वारा 10 s में किया गया कार्य।
(c) वस्तु पर कुल बल द्वारा 10 s में किया गया कार्य।
(d) वस्तु की गतिज ऊर्जा में 10 s में परिवर्तन।

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power 1

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power 2

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व्याख्या – गतिज ऊर्जा में कुल-परिवर्तन (625 J) बाह्य बल द्वारा किए गए कार्य (875 J) से कम है। इसका कारण यह है कि बाह्य बल के द्वारा किए गए कार्य का कुछ भाग घर्षण के प्रभाव को समाप्त करने में व्यय होता है।

प्रश्न 3.
चित्र – 6.1 में कुछ एकविमीय स्थितिज ऊर्जा-फलनों के उदाहरण दिए गए हैं। कण की कुल ऊर्जा कोटि-अक्ष पर क्रॉस द्वारा निर्देशित की गई है। प्रत्येक स्थिति में, कोई ऐसे क्षेत्र बंताइए, यदि कोई हैं तो जिनमें दी गई ऊर्जा के लिए, कण को नहीं पाया जा सकता। इसके अतिरिक्त, कण की कुल न्यूनतम ऊर्जा भी निर्देशित कीजिए। कुछ ऐसे भौतिक सन्दर्भो के विषय में सोचिए जिनके लिए ये स्थितिज ऊर्जा आकृतियाँ प्रासंगिक हों।
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उत्तर :
K.E. + P.E. = E (constant)
∴ K.E. = E – P.E.

(a) इस ग्राफ में x < a के लिए स्थितिज ऊर्जा वक्र, दूरी अक्ष के साथ (UPBoardSolutions.com) सम्पाती है (P.E. = O) जबकि x > a के लिए स्थितिज ऊर्जा कुल ऊर्जा से अधिक है; अतः गतिज ऊर्जा ऋणात्मक हो जाएगी जो कि असम्भव है।

अतः कण x > a क्षेत्र में नहीं पाया जा सकता।
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प्रश्न 4.
रेखीय सरल आवर्त गति कर रहे किसी कण का (d) स्थितिज ऊर्जा फलन v (x) = 1/2 kx2 / 2 है, जहाँ k दोलक का बल नियतांक है। k= 0.5 N m-1 के लिए v (x) व x के मध्य ग्राफ चित्र-6.2 में दिखाया गया है। यह दिखाइए कि इस विभव के अन्तर्गत गतिमान कुल 1J ऊर्जा वाले कण को अवश्य ही ‘वापस आना चाहिए जब यह x = ± 2 m पर पहुँचता है।
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प्रश्न 5.
निम्नलिखित का उत्तर दीजिए –

(a) किसी रॉकटे का बाह्य आवरण उड़ान के दौरान घर्षण के कारण जल जाता है। जलने के लिए आवश्यक ऊष्मीय ऊर्जा किसके व्यय पर प्राप्त की गई रॉकेट या वातावरण?

(b) धूमकेतु सूर्य के चारों ओर बहुत ही दीर्घवृत्तीय कक्षाओं में घूमते हैं। साधारणतया धूमकेतु पर सूर्य का गुरुत्वीय बल धूमकेतु के लम्बवत नहीं होता है। फिर भी धूमकेतु की सम्पूर्ण कक्षा में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है। क्यों?

(c) पृथ्वी के चारों ओर बहुत ही क्षीण वायुमण्डल में घूमते हुए किसी कृत्रिम उपग्रह की ऊर्जा धीरे-धीरे वायुमण्डलीय प्रतिरोध (चाहे यह कितना ही कम क्यों न हो) के विरुद्ध क्षय के कारण कम होती जाती है फिर भी जैसे-जैसे कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी के (UPBoardSolutions.com) समीप आता है तो उसकी चाल में लगातार वृद्धि क्यों होती है?

(d) चित्र-6.3 (i) में एक व्यक्ति अपने हाथों में 15 kg का कोई द्रव्यमान लेकर 2 m चलता है। चित्र-6.3 (ii) में वह उतनी ही दूरी अपने पीछे रस्सी को खींचते हुए चलता है। रस्सी घिरनी पर चढ़ी हुई है और उसके दूसरे सिरे पर 15 kg का द्रव्यमान लटका हुआ है। परिकलन कीजिए कि किस स्थिति में किया गया कार्य अधिक है?
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उत्तर :

(a) बाह्य आवरण के जलने के लिए आवश्यक ऊष्मीय ऊर्जा रॉकेट की यान्त्रिक ऊर्जा (K.E. + P.E.) से प्राप्त की गई।

(b) धूमकेतु पर सूर्य द्वारा आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल एक संरक्षी बल है। संरक्षी बल के द्वारा बन्द पथ में गति करने वाले पिण्ड पर किया गया नेट कार्य शून्य होता है; अत: धूमकेतु की सम्पूर्ण कक्षा में सूर्य ‘क गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा कृत कार्य शून्य होगा।

(c) जैसे-जैसे उपग्रह पृथ्वी के समीप आता है वैसे-वैसे उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा घटती है, ऊर्जा संरक्षण के अनुसार गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है; अत: उसकी चाल बढ़ती जाती है। कुल ऊर्जा का कुछ भाग घर्षण बल के विरुद्ध कार्य करने में खर्च हो जाती है।

(d) (i) इस दशा में व्यक्तिद्रव्यमान को उठाए रखने के लिए भार के विरुद्ध ऊपर की ओर बल लगाता है जबकि उसका विस्थापन क्षैतिज दिशा में है (θ = 90°)

∴ मनुष्य द्वारा कृत कार्य W = F d cos 90° = 0

(ii) इस दशा में पुली मनुष्य द्वारा लगाए गए क्षैतिज बल की दिशा को ऊर्ध्वाधर कर देती है तथा द्रव्यमान का विस्थापन भी ऊपर की ओर है (θ = 0° )

∴ मनुष्य द्वारा कृत कार्य W = m g h cos 0° = 15 kg × 10 m s-2 × 2 m = 300 J

अतः दशा (ii) में अधिक कार्य किया जाएगा।

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प्रश्न 6.
सही विकल्प को रेखांकित कीजिए –

(a) जब कोई संरक्षी बल किसी वस्तु पर धनात्मक कार्य करता है तो वस्तु की स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है/घटती है/अपरिवर्ती रहती है।
(b) किसी वस्तु द्वारा घर्षण के विरुद्ध किए गए कार्यका परिणाम हमेशा इसकी गतिज/स्थितिज ऊर्जा में क्षय होता है।
(c) किसी बहुकण निकाय के कुल संवेग-परिवर्तन की दर निकाय के बाह्य बल/ आन्तरिक बलों के जोड़ के अनुक्रमानुपाती होती है।
(d) किन्हीं दो पिण्डों के अप्रत्यास्थ संघट्ट में वे राशियाँ, जो संघट्ट के बाद नहीं बदलती हैं; निकाय की कुल गतिज ऊर्जा/कुल रेखीय संवेग/कुल ऊर्जा हैं।

उत्तर :

(a) घटती है, क्योंकि संरक्षी बल के विरुद्ध किया गया कार्य (बाह्य बल द्वारा धनात्मक कार्य) ही स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित होता है।
(b) गतिज ऊर्जा, क्योंकि घर्षण के विरुद्ध कार्य तभी होता है जबकि गति हो रही हो।
(c) बाह्य बल, क्योंकि बहुकण निकाय में आन्तरिक बलों (UPBoardSolutions.com) का परिणामी शून्य होता है तथा आन्तरिक बल संवेग परिवर्तन के लिए उत्तरदायी नहीं होते।
(d) कुल रेखीय संवेग

प्रश्न 7.
बताइए कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य। अपने उत्तर के लिए कारण भी दीजिए –

(a) किन्हीं दो पिण्डों के प्रत्यास्थ संघट्ट में, प्रत्येक पिण्ड का संवेग व ऊर्जा संरक्षित रहती है।
(b) किसी पिण्ड पर चाहे कोई भी आन्तरिक व बाह्य बल क्यों न लग रहा हो, निकाय की कुल ऊर्जा सर्वदा संरक्षित रहती है।
(c) प्रकृति में प्रत्येक बल के लिए किसी बन्द लूप में, किसी पिण्ड की गति में किया गया कार्य शून्य होता है।
(d) किसी अप्रत्यास्थ संघट्ट में, किसी निकाय की अन्तिम गतिज ऊर्जा, आरम्भिक गतिज ऊर्जा से हमेशा कम होती है।

उत्तर :

(a) असत्य, पूर्ण निकाय का संवेग व गतिज ऊर्जा संरक्षित रहते हैं।
(b) सत्य, निकाय की कुल ऊर्जा सदैव संरक्षित रहती है।
(c) असत्य, केवल संरक्षी बलों के लिए, बन्द लूप में गति के दौरान पिण्ड पर किया गया कार्य शून्य होता है।
(d) सत्य, क्योंकि अप्रत्यास्थ संघट्ट में गतिज ऊर्जा की सदैव हानि होती है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित का उत्तर ध्यानपूर्वक, कारण सहित दीजिए –

(a) किन्हीं दो बिलियर्ड-गेंदों के प्रत्यास्थ संघट्ट में, क्या गेंदों के संघट्ट की अल्पावधि में (जब वे सम्पर्क में होती हैं) कुल गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है?
(b) दो गेंदों के किसी प्रत्यास्थ संघट्ट की लघु अवधि में क्या कुल रेखीय संवेग संरक्षित रहता
(c) किसी अप्रत्यास्थ संघट्ट के लिए प्रश्न (a) व (b) के लिए आपके उत्तर क्या हैं?
(d) यदि दो बिलियर्ड-गेंदों की स्थितिज ऊर्जा केवल उनके केन्द्रों के मध्य, पृथक्करण-दूरी पर निर्भर करती है तो संघट्ट प्रत्यास्थ होगा या अप्रत्यास्थ? (ध्यान दीजिए कि यहाँ हम संघट्ट के दौरान बल के संगत स्थितिज ऊर्जा की बात कर रहे हैं, न कि गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा की)

उत्तर :

(a) नहीं, संघट्ट काल के दौरान गेंदें संपीडित हो जाती हैं; अत: गतिज ऊर्जा, गेंदों की स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है।
(b) हाँ, संवेग संरक्षित रहता है।
(c) उत्तर उपर्युक्त ही रहेंगे।
(d) चूंकि स्थितिज ऊर्जा केन्द्रों की पृथक्करण दूरी पर निर्भर (UPBoardSolutions.com) करती है, इसका यह अर्थ हुआ कि संघट्ट काल में पिण्डों के बीच लगने वाला संरक्षी बल है; अत: ऊर्जा संरक्षित रहेगी। इसलिए संघट्ट प्रत्यास्थ होगा।

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प्रश्न 9.
कोई पिण्ड जो विरामावस्था में है, अचर त्वरण से एकविमीय गति करता है। इसको किसी। समय पर दी गई शक्ति अनुक्रमानुपाती है –

  1. t1/2
  2. t
  3. t3/2
  4. t2

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प्रश्न 10.
एक,पिण्ड अचर शक्ति के स्रोत के प्रभाव में एक ही दिशा में गतिमान है। इसकाt समय में विस्थापन, अनुक्रमानुपाती है –

  1. t1/2
  2. t
  3. t3/2
  4. t2

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प्रश्न 11.
किसी पिण्ड पर नियत बल लगाकर उसे किसी निर्देशांक प्रणाली के अनुसार z – अक्ष के अनुदिश गति करने के लिए बाध्य किया गया है, जो इस प्रकार है –
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जहाँ  [latex]\hat { i }[/latex] , [latex]\hat { j }[/latex] तथा [latex]\hat { k }[/latex] क्रमशः x , y एवं z – अक्षों के अनुदिश एकांक सदिश हैं। इस वस्तु को 2-अक्ष के अनुदिश 4 मी की दूरी तक गति कराने के लिए आरोपित बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
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प्रश्न 12.
किसी अन्तरिक्ष किरण प्रयोग में एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन का संसूचन होता है जिसमें पहले कण की गतिज ऊर्जा 10 kev है और दूसरे कण की गतिज ऊर्जा 100 kev है। इनमें कौन-सा तीव्रगामी है, इलेक्ट्रॉन या प्रोटॉन? इनकी चालों को अनुपात ज्ञात कीजिए।
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प्रश्न 13.
2 मिमी त्रिज्या की वर्षा की कोई बूंद 500 मी की ऊँचाई से पृथ्वी पर गिरती है। यह अपनी आरम्भिक ऊँचाई के आधे हिस्से तक (वायु के श्यान प्रतिरोध के कारण) घटते त्वरण के साथ गिरती है और अपनी अधिकतम (सीमान्त) चाल प्राप्त कर लेती है, और उसके बाद एकसमान चाल से गति करती है। वर्षा की बूंद पर उसकी यात्रा के पहले व दूसरे अर्द्ध भागों में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? यदि बूंद की चाल पृथ्वी तक पहुँचने पर 10 मी / से-1 हो तो सम्पूर्ण यात्रा में प्रतिरोधी बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
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प्रश्न 14.
किसी गैस-पात्र में कोई अणु200 m s-1 की चाल से अभिलम्ब के साथ 30° का कोण बनाता हुआ क्षैतिज दीवार से टकराकर पुनः उसी चाल से वापस लौट जाता है। क्या इस संघट्ट में संवेग संरक्षित है? यह संघट्ट प्रत्यास्थ है या अप्रत्यास्थ?
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प्रश्न 15.
किसी भवन के भूतल पर लगा कोई पम्प 30 m3 आयतन की पानी की टंकी को 15 मिनट में भर देता है। यदि टंकी पृथ्वी तल से 40 m ऊपर हो और पम्प की दक्षता 30% हो तो पम्प द्वारा कितनी विद्युत शक्ति का उपयोग किया गया?

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प्रश्न 16.
दो समरूपी बॉल-बियरिंग एक-दूसरे के सम्पर्क में हैं और किसी घर्षणरहित मेज। पर विरामावस्था में हैं। इनके साथ समान द्रव्यमान का कोई दूसरा बॉल-बियरिंग, जो आरम्भ में y चाल से गतिमान है. सम्मुख संघट्ट करता है। यदि संघट्ट प्रत्यास्थ है तो संघट्ट के पश्चात् निम्नलिखित (चित्र-6.4) में से कौन-सा परिणाम सम्भव है?
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∴ केवल दशा (ii) में ही गतिज ऊर्जा संरक्षित रही है; अतः केवल यही परिणाम सम्भव है।

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प्रश्न 17.
किसी लोलक के गोलक A को, जो ऊधर से 30° का कोण बनाता है, छोड़े जाने पर मेज पर, विरामावस्था में रखे दूसरे गोलक B से टकराता है जैसा कि चित्र-6.5 में प्रदर्शित है। ज्ञात कीजिए कि संघट्ट के पश्चात् गोलक A कितना ऊँचा उठता है? गोलकों के आकारों की उपेक्षा कीजिए और मान लीजिए कि संघट्ट प्रत्यास्थ है।
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उत्तर :
दोनों गोलक समरूप हैं तथा संघट्ट प्रत्यास्थ है; अतः संघट्ट के दौरान लटका हुआ गोलक अपना सम्पूर्ण संवेग नीचे रखे गोलक को दे देता है और जरा भी ऊपर नहीं उठता।

प्रश्न 18.
किसी लोलक के गोलक को क्षैतिज अवस्था से छोड़ा गया है। यदि लोलक की लम्बाई 1.5 m है तो निम्नतम बिन्दु पर आने पर गोलक की चाल क्या होगी? यह दिया गया है कि इसकी प्रारम्भिक ऊर्जा का 5% अंश वायु प्रतिरोध के विरुद्ध क्षय हो जाता है।
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प्रश्न 19.
300 kg द्रव्यमान की कोई ट्रॉली, 25 kg रेत का बोरा लिए हुए किसी घर्षणरहित पथ पर 27 km h-1 की एकसमान चाल से गतिमान है। कुछ समय पश्चात बोरे में किसी छिद्र से रेत 0.05 kg s-1 की दर से निकलकर ट्रॉली के फर्श पर रिसने लगती है। रेत का बोरा खाली होने के पश्चात् ट्रॉली की चाल क्या होगी?
उत्तर :
ट्रॉली तथा रेत का बोरा एक ही निकाय के अंग हैं जिस पर कोई बाह्य बल नहीं लगा है (एकसमान वेग के कारण); अत: निकाय का रैखिक संवेग नियत रहेगा भले ही निकाय में किसी भी प्रकार का आन्तरिक परिवर्तन (रेत ट्रॉली में ही गिर रहा है, बाहर नहीं) (UPBoardSolutions.com) क्यों न हो जाए। अतः ट्रॉली की चाल 27 km h-1 ही बनी रहेगी।

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प्रश्न 20.
0.5 kg द्रव्यमान का एक कण = a x 3/2 वेग से सरल रेखीय मति करता है, जहाँ a = 5 m-1/2 s-1 है। x = 0 से x= 2m तक इसके विस्थापन में कुल बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
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प्रश्न 21.
किसी पवनचक्की के ब्लेड, क्षेत्रफल A के वृत्त जितना क्षेत्रफल प्रसर्प करते हैं।
(a) यदि हवा υ वेग से वृत्त के लम्बवत दिशा में बहती है तो t समय में इससे गुजरने वाली वायु का द्रव्यमाने क्या होगा?
(b) वायु की गतिज ऊर्जा क्या होगी?
(c) मान लीजिए कि पवनचक्की हवा की 25% ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित कर देती है। यदि A = 30 मी2 और υ = 36 किमी/घण्टा-1 और वायु का घनत्व 1 : 2 किग्रा – मी-3  है। तो उत्पन्न विद्युत शक्ति का परिकलन कीजिए।
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प्रश्न 22.
कोई व्यक्ति वजन कम करने के लिए 10 किग्रा द्रव्यमान को 0.5 मी की ऊँचाई तक 1000 बार उठाता है। मान लीजिए कि प्रत्येक बार द्रव्यमान को नीचे लाने में खोई हुई ऊर्जा क्षयित हो जाती है।
(a) वह गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध कितना कार्य करता है?
(b) यदि वसा 3.8 × 107 J ऊर्जा प्रति किलोग्राम आपूर्ति करता हो जो कि 20% दक्षता की दर से यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है तो वह कितनी वसा खर्च कर डालेगा
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प्रश्न 23.
कोई परिवार 8 kw विद्युत-शक्ति का उपभोग करता है।
(a) किसी क्षैतिज सतह पर सीधे आपतित होने वाली सौर ऊर्जा की औसत दर 200 w m-2 है। यदि इस ऊर्जा का 20% भाग लाभदायक विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित किया जा सकता है तो 8kw की विद्युत आपूर्ति के लिए कितने क्षेत्रफल की आवश्यकता होगी?
(b) इस क्षेत्रफल की तुलना किसी विशिष्ट भवन की छत के क्षेत्रफल से कीजिए।
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 24.
0.012 kg द्रव्यमान की कोई गोली 70 ms-1  की क्षैतिज चाल से चलते हुए 0.4 kg द्रव्यमान के लकड़ी के गुटके से टकराकर गुटके के सापेक्ष तुरन्त ही विरामावस्था में आ जाती है। गुटके को छत से पतली तारों द्वारा लटकाया गया है। परिकलन कीजिए कि गुटका किस ऊँचाई तक ऊपर उठता है? गुटके में पैदा हुई ऊष्मा की मात्रा का भी अनुमान लगाइए।
हल : गोली का द्रव्यमान, m= 0.012 किग्रा
गोली की प्रारम्भिक चाल µ = 70 मी से-1 तथा गुटके का द्रव्यमान M = 0.4 किग्रा
जब गोली गुटके से टकराकर गुटके के सापेक्ष विरामावस्था में (UPBoardSolutions.com) आ जाती है तो इसका अर्थ है कि गोली गुटके में घुसकर रुक जाती है तथा (गोली + गुटका) निकाय (माना) एक साथ υ वेग से गति करके (माना) h ऊँचाई ऊपर उठ जाता है।
संवेग संरक्षण के सिद्धान्त से,
mu + M × 0 = (M + m) υ
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प्रश्न 25.
दो घर्षणरहित आनत पथ, जिनमें से एक की ढाल अधिक है। और दूसरे की ढाल कम है, बिन्दु A पर मिलते हैं। बिन्दु A से प्रत्येक पथ पर एक-एक पत्थर को विरामावस्था से नीचे सरकाया जाता है (चित्र-6.7) क्या ये पत्थर एक ही समय 40 पर नीचे पहुँचेंगे? क्या वे वहाँ एक ही चाल से पहुँचेंगे? व्याख्या कीजिए। यदि θ1 = 30°, θ2, = 60° और h= 10 m दिया है तो दोनों पत्थरों की चाल एवं उनके द्वारा नीचे पहुँचने में लिए गए समय क्या हैं?
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प्रश्न 26.
किसी रूक्ष आनत तल पर रखा हुआ 1 kg द्रव्यमान का गुटका किसी 100 N m-1 स्प्रिंग नियतांक वाले स्प्रिंग से दिए गए चित्र 6.8 के अनुसार जुड़ा है। गुटके को सिंप्रग की बिना खिंची। स्थिति में, विरामावस्था से छोड़ा जाता है। गुटका विरामावस्था में आने से पहले आनत तल पर 10 cm नीचे खिसक जाता है। गुटके और आनत तल चित्र 6.8 के मध्य घर्षण गुणांक ज्ञात कीजिए। मान लीजिए कि स्प्रिंग का द्रव्यमान उप्रेक्षणीय है और घिरनी घर्षणरहित है।
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हल : यहाँ दिये गये गुटके पर कार्य करने वाले विभिन्न बल चित्र 6.9 में (UPBoardSolutions.com) प्रदर्शित किये गये हैं। नत समतल के लम्बवत् पिण्ड की साम्यावस्था के लिए तल की गुटके पर अभिलम्ब प्रतिक्रिया
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प्रश्न 27.
0.3 kg द्रव्यमान का कोई बोल्ट 7 m s-1 की एकसमान चाल से नीचे आ रही किसी लिफ्ट की छत से गिरता है। यह लिफ्ट के फर्श से टकराता है (लिफ्ट की लम्बाई = 3m) और वापस नहीं लौटता है। टक्कर द्वारा कितनी ऊष्मा उत्पन्न हुई? यदि लिफ्ट स्थिर होती तो क्या आपको उत्तर इससे भिन्न होता?
हल : जड़त्व के कारण बोल्ट की प्रारम्भिक चाल, लिफ्ट की चाल के बराबर है। अत: लिफ्ट के सापेक्ष बोल्ट की प्रारम्भिक चाल शून्य है। जब बोल्ट नीचे गिरता है, इसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदलती है, जो अन्त में ऊष्मा में बदल जाती है।

∴ उत्पन्न ऊष्मा = mgh = 3 × 9.8 × 3 जूल = 8.82 जूल।

यदि लिफ्ट स्थिर होती तो भी बोल्ट की लिफ्ट के सापेक्ष चाल शून्य (UPBoardSolutions.com) होती; इसलिए उत्तर अब भी वही रहेगा अर्थात् अब भी इस दशा में उत्पन्न ऊष्मा = 8.82 जूल।

प्रश्न 28.
200 kg द्रव्यमान की कोई ट्रॉली किसी घर्षणरहित पथ पर 36 km h-1 की एकसमान चल से गतिमान है। 20 kg द्रव्यमान का कोई बच्चा ट्रॉली के एक सिरे से दूसरे सिरे तक (10 m दूर) ट्रॉली के सापेक्ष 4 m s-1 की चाल से ट्रॉली की गति की विपरीत दिशा में दौड़ता है। और ट्रॉली से बाहर कूद जाता है। ट्रॉली की अन्तिम चाल क्या है? बच्चे के दौड़ना आरम्भ करने के समय से ट्रॉली ने कितनी दूरी तय की ?
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प्रश्न 29.
चित्र-6.10 में दिए गए स्थितिज ऊर्जा वक़ों में से कौन-सा वक्र सम्भवतः दो बिलियर्ड-गेंदों के प्रत्यास्थ संघट्ट का वर्णन नहीं करेगा? यहाँr गेंदों के केन्द्रों के मध्य की दूरी है और प्रत्येक गेंद का अर्धव्यास R है।
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उत्तर :
जब गेंदें संघट्ट करेंगी और एक-दूसरे को संपीडित करेंगी तो उनके केन्द्रों के बीच की दूरी r, 2R से घटती जाएगी और इनकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ती जाएगी।

प्रत्यानयन काल में गेंदें अपने आकार को वापस पाने की क्रिया में एक-दूसरे से दूर हटेंगी तो उनकी स्थितिज ऊर्जा घटेगी और प्रारम्भिक आकार पूर्णतः प्राप्त कर लेने पर (r = 2R) स्थितिज ऊर्जा शून्य हो जाएगी।

केवल ग्राफ (V) की ही उपर्युक्त व्याख्या हो सकती है; अतः अन्य ग्राफों में से कोई भी बिलियर्ड गेंदों के प्रत्यास्थ संघट्ट को प्रदर्शित नहीं करता है।

प्रश्न 30.
विरामावस्था में किसी मुक्त न्यूट्रॉन के क्षय पर विचार कीजिए n → p + e

प्रदर्शित कीजिए कि इस प्रकार के द्विपिण्ड क्षय से नियत ऊर्जा (UPBoardSolutions.com) का कोई इलेक्ट्रॉन अवश्य उत्सर्जित होना चाहिए, और इसलिए यह किसी न्यूट्रॉन या किसी नाभिक के β – क्ष्य में प्रेक्षित सतत ऊर्जा वितरण का स्पष्टीकरण नहीं दे सकता। (चित्र-6.11)

[नोट – इस अभ्यास का हल उन कई तर्कों में से एक है जिसे डब्ल्यु पॉली द्वारा β – क्षय के क्षय उत्पादों में किसी तीसरे कण के अस्तित्व का पूर्वानुमान करने के लिए दिया गया था। यह कण न्यूट्रिनो के नाम से जाना जाता है। अब हम जानते हैं कि यह निजी प्रचक्रण 1/2 (जैसे e, p या n) का कोई कण है। लेकिन यह उदासीन है या द्रव्यमानरहित या इसका द्रव्यमान (इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान की तुलना में) अत्यधिक कम है और जो द्रव्य के साथ दुर्बलता से परस्पर क्रिया करता है। न्यूट्रॉन की उचित क्षय – प्रक्रिया इस प्रकार है : n → p + e + v]
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उत्तर :
चूँकि न्यूट्रॉन विरामावस्था में है; अत: उक्त अभिक्रिया के अनुसार न्यूट्रॉन क्षय में एक नियत ऊर्जा मुक्त होनी चाहिए और β – कण को उस नियत ऊर्जा के साथ नाभिक से उत्सर्जित होना चाहिए। इस प्रकार नाभिक से उत्सर्जित β – कण की ऊर्जा नियत होनी चाहिए, जबकि दिया गया ग्राफ यह प्रदर्शित करता है कि उत्सर्जित β – कण शून्य से लेकर एक महत्तम मान के बीच कोई भी ऊर्जा लेकर बाहर आ सकता है; अतः न्यूट्रॉन क्षय की उक्त अभिक्रिया ग्राफ द्वारा प्रदर्शित हु-कणों के सतत ऊर्जा वितरण की व्याख्या नहीं कर सकता।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्य ऊर्जा प्रमेय है।
(i) न्यूटन के गति के प्रथम नियम का समाकल रूप
(ii) न्यूटन के द्वितीय नियम का समाकल रूप
(iii) न्यूटन के तृतीय नियम का समाकल रूप
(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर :
(i) न्यूटन के गति के प्रथम नियम का समाकल रूप

प्रश्न 2.
कार्य का S.I. मात्रक है।
(i) जूल
(ii) अर्ग
(iii) किग्रा-भार x मीटर
(iv) किलोवाट
उत्तर :
(i) जूल

प्रश्न 3.
यदि किसी पिण्ड का संवेग दोगुना कर दिया जाए, तो उसकी गतिज ऊर्जा हो जायेगी
(i) दोगुनी
(ii) आधी
(iii) चार गुनी
(iv) चौथाई
उतर :
(ii) चार गुनी

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प्रश्न 4.
किसी पिण्ड का द्रव्यमान दोगुना तथा वेग आधा करने पर उसकी गतिज ऊर्जा हो जायेगी
(i) आधी
(ii) दोगुनी
(iii) अपरिवर्तित
(iv) चौथाई
उत्तर :
(i) आधी

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन गतिज ऊर्जा का उदाहरण है।
(i) पृथ्वी-तल से 2 मीटर ऊँचाई पर उठा हुआ 5 किग्रा-भार का एक पिण्ड
(ii) चाबी भरी हुई घड़ी का स्प्रिंग
(iii) भूमि पर लुढ़कती क्रिकेट की गेंद
(iv) बन्द बेलन में पिस्टन द्वारा सम्पीडित गैस
उत्तर :
(iii) भूमि पर लुढ़कती क्रिकेट की गेंद

प्रश्न 6.
संरक्षी बल [latex]\overrightarrow { (F) } [/latex] तथा स्थितिज ऊर्जा (U) में सम्बन्ध होता है।
(i) [latex]\overrightarrow { F } [/latex] = ∆U
(ii) U = ∆ . [latex]\overrightarrow { F } [/latex]
(iii) [latex]\overrightarrow { F } [/latex] = ∆U
(iv) U = – ∆ . [latex]\overrightarrow { F } [/latex]
उत्तर :
(iii) [latex]\overrightarrow { F } [/latex] = ∆U

प्रश्न 7.
ऊर्जा संरक्षण के नियम का अभिप्राय है।
(i) कुल यान्त्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है।
(ii) कुल गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है।
(iii) कुल स्थितिज ऊर्जा संरक्षित रहती है।
(iv) सभी प्रकार की ऊर्जाओं का योग संरक्षित रहता है।
उत्तर :
(iv) सभी प्रकार की ऊर्जाओं का योग संरक्षित रहता है।

प्रश्न 8.
शक्तिका S.I. मात्रक है।
(i) जूल
(ii) अश्वशक्ति
(iii) वाट
(iv) किलोवाट
उत्तर :
(iii) वाट

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प्रश्न 9.
किलोवाट-घण्टा मात्रक है।
(i) शक्ति का
(ii) ऊर्जा का
(iii) दोनों का
(iv) किसी का भी नहीं
उत्तर :
(ii) ऊर्जा का

प्रश्न 10.
एक किलोवाट बराबर होता है।
(i) 1.34 अश्व-सामर्थ्य
(ii) 10 अश्व-सामर्थ्य
(iii) 746 अश्व-सामर्थ्य
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) 1.34 अश्व-सामर्थ्य

प्रश्न 11.
कार्य एवं सामर्थ्य में सम्बन्ध होता है।
(i) कार्य = सामर्थ्य x समय
(ii) कार्य = सामर्थ्य + समय
(iii) कार्य = समय/सामर्थ्य
(iv) कार्य = सामर्थ्य/समय
उत्तर :
(i) कार्य = सामर्थ्य x समय

प्रश्न 12.
एक मशीन 200 जूल कार्य 8 सेकण्ड में करती है। मशीन की सामर्थ्य होगी
(i) 25 वाट
(ii) 25 जूल
(iii) 1600 जूले-सेकण्ड
(iv) 25 जूल-सेकण्ड
उत्तर :
(i) 25 वाट

प्रश्न 13.
दो पिण्डों की प्रत्यास्थ टक्कर में
(i) निकाय की केवल गंतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है।
(ii) निकाय का केवल संवेग संरक्षित रहता है।
(iii) निकाय की गतिज ऊर्जा व संवेग दोनों संरक्षित रहते हैं।
(iv) निकाय की न तो गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है और न ही संवेग
उत्तर :
(iii) निकाय की गतिज ऊर्जा व संवेग दोनों संरक्षित रहते हैं।

प्रश्न 14.
पूर्णतः अप्रत्यास्थ संघट्ट में होते हैं।
(i) संवेग एवं गतिज ऊर्जा दोनों संरक्षित
(ii) संवेग एवं गतिज ऊर्जा दोनों असंरक्षित
(iii) संवेग संरक्षित एवं गतिज ऊर्जा असंरक्षित
(iv) संवेग असंरक्षित एवं गतिज ऊर्जा संरक्षित
उत्तर :
(iii) संवेग संरक्षित एवं गतिज ऊर्जा असंरक्षित

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1 जूल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
यदि किसी वस्तु पर 1 न्यूटन का बल कार्य करता है और वस्तु को अपनी ही दिशा में 1 मीटर विस्थापित कर देता है तो बल द्वारा किया गया कार्य 1 जूल कहलाता है।
1 जूल = 1 न्यूटन × 1 मीटर अर्थात्
= 1 न्यूटन मीटर

प्रश्न 2.
एक क्षैतिज प्लेटफॉर्म पर अपने सिर पर बॉक्स रखकर कुली घूम रहा है। क्या वह गुरुत्व बल के विरुद्ध कोई कार्य कर रहा है? वह किस बल के विरुद्ध कार्य कर रहा है?
उत्तर :
उसकी गति क्षैतिज है और गुरुत्व बल ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर होता है, (UPBoardSolutions.com) अत: वह कोई कार्य नहीं कर रहा है। परन्तु चलते समय वह घर्षण बल के विरुद्ध कार्य कर रहा है।

प्रश्न 3.
5.0 ग्राम द्रव्यमान की एक गेंद 1.0 किमी की ऊँचाई से गिर रही है। यह 50.0 मी/से के वेग से पृथ्वी से टकराती है। किये गये कार्य की गणना कीजिए। (g = 10 मी/से2)
हल : गुरुत्वीय बल f = mg = 5.0 × 10 = 50 न्यूटन
∴ कृत कार्य, W = बल × विस्थापन = 50 × 1000= 50,000 जूल

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प्रश्न 4.
एक हल्की और एक भारी वस्तु के संवेग समान हैं तो किसकी गतिज ऊर्जा अधिक होगी?
उत्तर :
हल्की वस्तु की। (∵ K = p2/2m)

प्रश्न 5.
स्थितिज ऊर्जा किन कारणों से उत्पन्न होती है?
उत्तर :
वस्तु की विकृत अवस्था एवं स्थिति के कारण।

प्रश्न 6.
स्थितिज ऊर्जा का मान धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों ही हो सकते हैं। व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
ऊर्जा संरक्षण नियम से, कुल ऊर्जा E = K + U = नियतांक। अब क्योंकि गतिज ऊर्जा K = 1/2 mυ2, सदैव धनात्मक है, अत: U का मान धनात्मक या ऋणात्मक दोनों ही सम्भव हैं।

प्रश्न 7.
द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध लिखिए। यह किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर :
E = mc2 (आइन्स्टीन की द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध)।

प्रश्न 8.
किलोवाट-घण्टा तथा जूल में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर :
1 किलोवाट-घण्टा =3.6 × 106 जूल।

प्रश्न 9.
72 किमी प्रति घण्टाकी चाल से क्षैतिज सड़क पर चलने वाली कोई कार 180 न्यूटन बल का सामना कर रही है। उसके इंजन की शक्ति ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power 38

प्रश्न 10.
अप्रत्यास्थ संघट्ट में ऊर्जा-हानि का क्या होता है?
उत्तर :
टकराने वाले पिण्डों की आन्तरिक उत्तेजन ऊर्जा ऊष्मीय तथा ध्वनि ऊर्जा में बदल जाती है।

प्रश्न 11.
प्रत्यास्थ टक्कर में ऊर्जा का आदान-प्रदान अधिकतम कब होता है?
उत्तर :
जब टकराने वाली वस्तुओं के द्रव्यमान बराबर होते हैं।

प्रश्न 12.
दर्शाइए कि समान द्रव्यमान की दो गतिशील वस्तुओं के प्रत्यास्थ संघटन के बाद उनके वेग आपस में बदल जाते हैं।
उत्तर :
माना संघट्टन के बाद उनके वेग क्रमशः υ1 तथा υ2 हैं (UPBoardSolutions.com) तो संवेग संरक्षण के नियम से,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power 39

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्य क्या है? इसका S.I. मात्रक तथा विमीय सूत्र लिखिए।
उत्तर :
कार्य – बल लगाकर किसी वस्तु को बल की दिशा में विस्थापित करने की क्रिया को कार्य कहते
कार्य = बल × बल की दिशा में वस्तु का विस्थापन
W = F. s. कार्य एक अदिश राशि हैं।
कार्य का S.I. पद्धति में मात्रक जूल तथा विमा [ML2-T-2] है।

प्रश्न 2.
एक पिण्ड पर बल लगाकर उसे विस्थापित किया जाता है, बताइए

  1. पिण्ड पर किस दिशा में बल लगाने पर अधिकतम कार्य होगा?
  2. पिण्ड पर किस दिशा में बल लगाने पर कार्य शून्य होगा?

या
अधिकतम एवं न्यूनतम कार्य के लिए बल तथा विस्थापन के बीच कितना कोण होना चाहिए?
उत्तर :
पिण्ड पर किए गए कार्य का सूत्र w = F × s cos θ से,

(i) यदि 8 = 0° तो cos θ = 1 जो कि Cose का अधिकतम मान है। Wmax= F × s

अतः जब पिण्ड का विस्थापन लगाए गए बल की दिशा में होता है, अर्थात् θ = 0° तो किया गया कार्य अधिकतम होगा।

(ii) यदि θ = 90° तो cos 90° = 0 जो कि cos θ का न्यूनतम मान है। Wmin (न्यूनतम) = 0

अतः जब पिण्ड का विस्थापन लगाए गए बल के लम्बवत् होता है, अर्थात् θ = 90° तो किया गया कार्य शून्य (न्यूनतम) होगा।

प्रश्न 3.
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं? किसी पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का व्यजंक प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
किसी वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के बराबर है जो (UPBoardSolutions.com) गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध वस्तु को पृथ्वी के तल से उच्च स्थिति में रखने में किया जाता है।

किसी पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के लिए व्यंजक – माना m द्रव्यमान का एक पिण्ड पृथ्वी तल से उठाकर h ऊँचाई पर रखा जाता है।

तब पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा = पिण्ड को गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध h ऊँचाई तक रखने में कृत कार्य = बाह्य बल (F) × दूरी (h)
परन्तु बाह्य बल = पिण्ड का भार = mg

∴ स्थितिज ऊर्जा = भार × ऊँचाई = (mg) × h = mgh

स्थितिज ऊर्जा (mgh) गुरुत्वीय के विरुद्ध कार्य करने के कारण है, इसलिए इसे गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 4.
द्रव्यमान-ऊर्जा समलुल्यता का अर्थ स्पष्ट कीजिए। आइन्स्टाइन का द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर :
द्रव्यमान-ऊर्जा समतुल्यता – सन् 1905 में अल्बर्ट आइंस्टाइन ने प्रदर्शित किया कि द्रव्यमान तथा ऊर्जा एक-दूसरे के तुल्य हैं। द्रव्य को ऊर्जा एवं ऊर्जा को द्रव्य में परिवर्तित किया जा सकता है। उन्होंने द्रव्य को ऊर्जा में बदलने के लिए एक सरल समीकरण का प्रतिपादन किया जिसे द्रव्यमान-ऊर्जा समतुल्यता कहते हैं।
द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध E = mc2
(जहाँ m = द्रव्यमान तथा c = प्रकाश की निर्वात् में चाल 3 × 108 मी/से) इसे ही द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध कहते हैं।
1 किग्रा द्रव्यमान के तुल्य ऊर्जा E = 1 × (3 × 108) जूल = 9 × 1016 जूल

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प्रश्न 5.
ऊर्जा संरक्षण का सिद्धान्त उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर :
ऊर्जा संरक्षण का सिद्धान्त – ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त के अनुसार, “ऊर्जा न तो नष्ट की जा सकती है और न ही इसे उत्पन्न किया जा सकता है इसका एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरण ही सम्भव है। दूसरे शब्दों में, जब ऊर्जा का एक रूप विलुप्त होता है तो वही ऊर्जा इतने ही परिमाण में किसी और रूप में प्रकट हो जाती है।

यह व्यापक सिद्धान्त संरक्षी एवं असंरक्षी दोनों प्रकार के बलों के लिए समान उपयोगी है।

उदाहरण – बाँधों में संचित जल की स्थितिज ऊर्जा, टरबाइन की गतिज ऊर्जा में बदलती है जो अन्ततः जेनरेटर द्वारा विद्युत ऊर्जा में बदल दी जाती है।

प्रश्न 6.
प्रत्यास्थ तथा अप्रत्यास्थ संघट्ट से आप क्या समझते हैं?
या
प्रत्यास्थ संघट्ट की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :

  1. प्रत्यास्थ संघट्ट – यदि संघट्ट के दौरान निकाय की कुले गतिज ऊर्जा एवं संवेग नियत रहते हैं, तो संघट्ट प्रत्यास्थ संघट्ट कहलाता है। अपरमाणविक कणों (sub atomic particles) में संघट्ट प्रायः प्रत्यास्थ होता है। ऐसे संघट्टों में यांत्रिक ऊर्जा की हानि नहीं होती। दो स्टील की गेंदों का संघट्ट लगभग प्रत्यास्थ होता है।
  2. अप्रत्यास्थ संघट्ट – यदि संघट्ट के दौरान निकाय की कुल गतिज ऊर्जा (UPBoardSolutions.com) नियत न रहे, तो संघट्ट अप्रत्यास्थ कहलाता है। दैनिक जीवन में होने वाले संघट्ट सामान्यत: अप्रत्यास्थ ही होते हैं। बन्दूक की गोली का लक्ष्य से संघट्ट अप्रत्यास्थ है। यदि दो वस्तुएँ संघट्ट के पश्चात् परस्पर चिपक जाती हैं, तो संघट्ट पूर्णत: अप्रत्यास्थ कहलाता है। दीवार के साथ कीचड़ का संघट्ट पूर्णतः अप्रत्यास्थ है।

प्रश्न 7.
10 किग्रा के द्रव्यमान की, जिसका वेग 5 मीटर/सेकण्ड है, एक अन्य 10 किग्रा के द्रव्यमान से, जो विरामावस्था में है, सम्मुख प्रत्यास्थ टक्कर होती है। टक्कर के बाद दोनों द्रव्यमानों के वेग ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power 40

चूँकि टक्कर पूर्ण प्रत्यास्थ है तथा दोनों द्रव्यमान बराबर हैं, अतः टक्कर के पश्चात् दूसरा द्रव्यमान 5 मी/से के वेग से गति करेगा तथा पहला विरामावस्था में आ जायेगा। अतः टक्कर के बाद υ1 = 0 तथा υ2 =5 मी/से।

प्रश्न 8.
4.0 मी/से वेग से गतिमान एक 10 किग्रा द्रव्यमान की वस्तु एक घर्षणहीन मेज से जुड़े हुए स्प्रिंग से टकराती है और स्थिर हो जाती है। यदि स्प्रिंग का बल नियतांक 4 × 105 न्यूटन/मी हो तो स्प्रिंग की लम्बाई में कितना परिवर्तन होगा?
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्य-ऊर्जा प्रमेयः बताइए तथा उसको सिद्ध कीजिए। इस प्रमेय की उपयोगिता समझाइए।
या
कार्य-ऊर्जा प्रमेय का कथन लिखिए।
या
कार्य-ऊर्जा प्रमेय का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
कार्य-ऊर्जा प्रमेय –“जब किसी बाह्य बल द्वारा किसी वस्तु पर कुछ कार्य किया जाता है तो वस्तु की गतिज ऊर्जा में इस कार्य के बराबर वृद्धि हो जाती है। इसके विपरीत यदि कोई वस्तु किसी अवरोधी बल के विरुद्ध कुछ कार्य करती है.तो उसकी गतिज ऊर्जा में इस कार्य के बराबर कमी हो जाती है।”

अतः कार्य-ऊर्जा प्रमेय के अनुसार, “कार्य तथा गतिज ऊर्जा एक-दूसरे (UPBoardSolutions.com) के समतुल्य हैं तथा गतिज ऊर्जा में परिवर्तन किये गये कार्य के बराबर होता है।”

उपपत्ति Proof – स्थिति 1 : जब वस्तु पर अचर (constant) बल लगा हो – माना एक अचर या नियत बल [latex]\xrightarrow { F } [/latex] , m द्रव्यमान की वस्तु पर कार्य करता है। यदि इस बल के कारण, बल की दिशा में, विस्थापन [latex]\xrightarrow { S } [/latex] हो तो किया गया कार्य

W = [latex]\xrightarrow { F } [/latex] . [latex]\xrightarrow { S } [/latex] = Fs

यदि बल द्वारा वस्तु में त्वरण a उत्पन्न होता है, तो F = ma (न्यूटन के गति विषयक द्वितीय नियम से)
∴ w = (ma) s = m (as) ……(1)
वस्तु के प्रारम्भिक और अन्तिम वेगों के परिमाण क्रमशः µ तथा υ हैं तब गति की तृतीय समीकरण υ2 = u2 +2as से,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power 42
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power 43

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अत: किसी नियत बल द्वारा किसी वस्तु पर किया गया कार्य उसकी गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है। (यही कार्य-ऊर्जा प्रमेय का कथन है।)
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power 44

स्थिति 2 : जब वस्तु पर परिवर्ती (variable) बल लगा हो – माना m द्रव्यमान का एक कण बिन्दु A से B तक। एक वक्र के अनुदिश (चित्र 6.12) एक परिवर्ती बल के आधीन गति करता है। अब यदि कण के बिन्दु A से B तक की यात्रा के मध्य कृत कार्य की गणना करनी हो तो ऐसी दशा में बिन्दु A व B के बीच के पथ को ∆x लम्बाई के छोटे-छोटे खण्डों में इस प्रकार विभाजित किया जाना चाहिए कि इन खण्डों में बल F लगभग नियत रहे। (UPBoardSolutions.com) यदि प्रथम अन्तराल के मध्य औसत बल F1 हो तथा यह लघुखण्ड ∆X1, से θ1, कोण बनाता हो। इसी प्रकार द्वितीय लघु खण्ड ∆x2 पर लग रहा औसत बल F2 हो और यह खण्ड ∆X2 से θ2 कोण बनाता हो तब,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power 45
अत: यह स्पष्ट है कि परिवर्ती बल द्वारा किया गया कार्य वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है (यही कार्य ऊर्जा-प्रमेय का कथन है)। इस प्रकार कार्य-ऊर्जा प्रमेय, चाहे बल नियत हो या परिवर्ती, दोनों ही स्थितियों में सत्य होती है।

कार्य-ऊर्जा प्रमेय की उपयोगिता – अनेक समस्याओं में बल और उसके विस्थापन का सम्पूर्ण ज्ञान नहीं होता है, अत: बल द्वारा किये गये कार्य की गणना सीधे ही नहीं की जा सकती। ऐसी समस्याओं में प्रायः वस्तु की या निकाय की गतिज ऊर्जा में वृद्धि या कमी को आसानी से ज्ञात किया जा सकता है।

गतिज ऊर्जा में यह परिवर्तन ही बल द्वारा किये गये कार्य के बराबर होता है।

प्रश्न 2.
किसी पिण्ड की यान्त्रिक-ऊर्जा से क्या तात्पर्य है? मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड के लिए यान्त्रिक ऊर्जा के संरक्षण सिद्धान्त की पुष्टि कीजिए।
या
सिद्ध कीजिए कि मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड में प्रत्येक बिन्दु पर स्थितिज ऊर्जा तथा गतिज ऊर्जा का योग सदैव स्थिर रहता है।
उत्तर :
यान्त्रिक-ऊर्जा के संरक्षण का नियम-यदि बल संरक्षी है, तो कण की यान्त्रिक ऊर्जा नियत रहती है। अर्थात्
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power 46

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मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड का उदाहरण

मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड की यान्त्रिक ऊर्जा (अर्थात् गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा) नियत रहती है। इसे गणनों द्वारा निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है
माना m द्रव्यमान की कोई वस्तु पृथ्वी तंल से h ऊँचाई पर स्थित बिन्दु A से गिरती है। प्रारम्भ में बिन्दु A पर गतिज ऊर्जा शून्य है और केवल स्थितिज ऊर्जा है।
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∴A बिन्दु पर वस्तु में कुल ऊर्जा
= गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा
= 0 + mgh = mgh …(1)
माना गिरते समय किसी क्षण वस्तु बिन्दु B पर है, जो अपनी प्रारम्भिक स्थिति से x दूरी गिर चुकी है। यदि बिन्दु B पर वस्तु का वेग υ हो, तो सूत्र
υ2 = u2 + 2as
υ2 = 0 + 2gx = 2gx

∴ बिन्दु B पर वस्तु की गतिज ऊर्जा =[latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] mυ2
= [latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] m x 2gx = mgx
बिन्दु B पर वस्तु की स्थितिज ऊर्जा = mg (h – x)

∴ बिन्दु B पर वस्तु की कुल ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा
= mgx + mg (h – x) = mgh …(2)

अब माना वस्तु पृथ्वी तल पर स्थित बिन्दु c के ठीक ऊपर है तथा वस्तु पृथ्वी से ठीक टकराने ही वाली है। अब उसकी स्थितिज ऊर्जा शून्य है। वस्तु द्वारा गिरी ऊँचाई = h
सूत्र = υ2 +u2 + 2as से, C पर वस्तु का वेग (a = g तथा s = h),
υ2 = 0 + 2gh = 2gh

C पर वस्तु की गतिज ऊर्जा = [latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] m (υ’)2 = [latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] m × 2gh = mgh
C पर वस्तु की कुल ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा
= mgh + 0 = mgh

इस प्रकार हम देखते हैं कि गिरती वस्तु के प्रत्येक बिन्दु पर गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग नियत बना रहता है। अतः गुरुत्वीय बल के अन्तर्गत वस्तु की कुल यान्त्रिक ऊर्जा नियत रहती है।

प्रश्न 3.
प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा से आप क्या समझते हैं। किसी स्प्रिंग की प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा के लिए व्यंजक का निगमन कीजिए।
उत्तर :
प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा – किसी वस्तु में उसके सामान्य आकार अथवा विन्यास में परिवर्तन के कारण जो कार्य करने की क्षमता होती है, वस्तु की प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा कहलाती है।

जब किसी प्रत्यास्थ वस्तु को उसकी सामान्य अवस्था से विकृत किया जाता है, तो वस्तु पर एक प्रत्यानंयन बल (restoring force) कार्य करता है जो वस्तु को उसकी सामान्य अवस्था में लाने का प्रयत्न करता है। इस प्रत्यानयन बल के कारण ही विकृत वस्तु में कार्य करने की क्षमता निहित रहती है।
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सिंप्रग की प्रत्यास्थ ऊर्जा के लिए व्यंजक – जब किसी स्प्रिंग को संपीडित या प्रसारित किया जाता है, तो स्प्रिंग में एक प्रत्यानयन बल (restoring force) कार्य करता है, जो स्प्रिंग में होने वाले परिवर्तन का विरोध करता है। अतः लगाए गए बाह्य बल को प्रत्यानयन बल के विरूद्ध कार्य करना पड़ता है जो स्प्रिंग में प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।

अतः संपीडित अथवा प्रसारित स्प्रिंग में जो कार्य करने की क्षमता निहित रहती है, स्प्रिंग की प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा कहलाती है।

माना एक भारहीन एवं पूर्ण प्रत्यास्थ स्प्रिंग का एक सिरा एक दृढ़ आधार (UPBoardSolutions.com) (rigid support) से जुड़ा है तथा इसके दूसरे सिरे से m द्रव्यमान का एक गुटका सम्बन्धित है जो एक घर्षणरहित क्षैतिज समतल मेज पर गति के लिए स्वतन्त्र है।

स्प्रिंग की सामान्य स्थिति में गुटके की माध्य स्थिति बिन्दू o पर है। [चित्र-6.14 (a)] स्प्रिंग पर बाह्य बल लगाकर उसकी लम्बाई में ऋणात्मक वृद्धि करने पर स्प्रिंग पर एक प्रत्यानयन बल कार्य करता है जो स्प्रिंग की लम्बाई में वृद्धि के अनुक्रमानुपाती होता है।

यदि स्प्रिंग की लम्बाई में वृद्धि x हो, तब उस पर कार्यरत् है प्रत्यानयन बल F α – x अथवा F = – kx

जहाँ k एक नियतांक है जिसे स्प्रिंग का बल नियतांक या स्प्रिंग नियतांक कहते हैं।

सिंप्रग की लम्बाई में वृद्धि के लिए प्रत्यानयन बल के विपरीत दिशा में बराबर बाह्य बल लगाना पड़ता है। [चित्र – 6.14(b)]। अतः स्प्रिंग पर लगाया गया बाह्य बल
Fext = – F = – (- kx) = kx

बाह्य बल द्वारा स्प्रिंग की लम्बाई में अत्यन्त सूक्ष्म वृद्धि dx करने में किया गया कार्य
dw = Fext × dx = kx dx

बाह्य बल द्वारा स्प्रिंग की लम्बाई में x1 = 0 से x2 = x तक वृद्धि करने में किया गया कार्य
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प्रश्न 4.
X – अक्ष में 0.1 किग्रा द्रव्यमान की एक गेंद 4.0 मी/से के वेग से गति करती हुई, उसी दिशा में 3.0 मी/से के वेग से गतिशील 0.2 किग्रा की दूसरी गेंद से टकराती है। टक्कर के बाद प्रथम गेंद 0.2 मी/से के वेग से वापस लौटने लगती है। दूसरी गेंद की टक्कर के बाद गतिज ऊर्जा की गणना कीजिए।
हल : दिया है, पहली गेंद का द्रव्यमान, m1 = 0.1 किग्रा,
पहली गेंद का वेग u1 = 4.0 मी/से,
दूसरी गेंद का द्रव्यमान m2 = 0.2 किग्रा
तथा दूसरी गेंद का वेग u2 = 3.0 मी/से
टक्कर के पश्चात् पहली गेंद का विपरीत दिशा में वेग υ1 = – 0.2 मी/से
(ऋणात्मक चिह्न इसलिए लिया गया है, क्योंकि गेंद टक्कर के बाद वापस लौटने लगती है।) संवेग संरक्षण के नियमानुसार,
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प्रश्न 5.
0.5 किग्रा द्रव्यमान का एक पिण्ड 4.0 मी/से के वेग से एक चिकने तल पर गति कर रहा है। यह एक-दूसरे से 1.0 किग्रा के स्थिर पिण्ड से टकराता है और वे एक पिण्ड के रूप में एक साथ गति करते हैं। संघट्ट के समय ऊर्जा हास की गणना कीजिए।
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We hope the UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power (कार्य, ऊर्जा और शक्ति) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 6 Work Energy and power (कार्य, ऊर्जा और शक्ति) drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane (समतल में गति)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Physics. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane ( समतल में गति).

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1:
निम्नलिखित भौतिक राशियों में से बताइए कि कौन-सी सदिश हैं और कौन-सी अदिश-आयतन, द्रव्यमान, चाल, त्वरण, घनत्व, मोल संख्या, वेग, कोणीय आवृत्ति, विस्थापन, कोणीय वेग।
उत्तर:
सदिश राशियाँ: त्वरण, वेग, विस्थापन तथा कोणीय वेग।
अदिश राशियाँ: आयतन, द्रव्यमान, चाल, (UPBoardSolutions.com) घनत्व, मोल-संख्या तथा कोणीय आवृत्ति।

प्रश्न 2:
निम्नांकित सूची में से दो अदिश राशियों को छाँटिए
बल, कोणीय संवेग, कार्य, धारा, रैखिक संवेग, विद्युत क्षेत्र, औसत वेग, चुम्बकीय आघूर्ण, आपेक्षिक वेग।
उत्तर:
दो अदिश राशियाँ कार्य तथा धारा हैं।

प्रश्न 3:
निम्नलिखित सूची में से एकमात्र सदिश राशि को छाँटिए
ताप, दाब, आवेग, समय, शक्ति, पूरी पथ-लम्बाई, ऊर्जा, गुरुत्वीय विभव, घर्षण गुणांक, आवेश।
उत्तर:
दी गई राशियों में एकमात्र सदिश राशि आवेग है।

प्रश्न 4:
कारण सहित बताइए कि अदिश तथा सदिश राशियों के साथ क्या निम्नलिखित बीजगणितीय संक्रियाएँ अर्थपूर्ण हैं
(a) दो अदिशों को जोड़ना,
(b) एक ही विमाओं के एक सदिश व एक अदिश को जोड़ना,
(c) एक सदिश को एक अदिश से गुणा करना,
(d) दो अदिशों का गुणन,
(e) दो सदिशों को जोड़ना,
(f) एक सदिश के घटक को उसी सदिश से जोड़ना?
उत्तर:
(a) नहीं, दो अदिशों को जोड़ना केवल तभी अर्थपूर्ण हो सकता है, जबकि दोनों एक ही भौतिक राशि को प्रदर्शित करते हों।
(b) नहीं, सदिश को केवल सदिश के साथ तैथा अदिश को केवल अदिश के साथ ही जोड़ा जा सकता है।,
(c) अर्थपूर्ण है, एक सदिश को एक अदिश से गुणा करने पर एक नया सदिश प्राप्त होता है, जिसका परिमाण सदिश व अदिश के परिमाण के गुणन के बराबर होता है तथा दिशा अपरिवर्तित रहती है।
(d) अर्थपूर्ण है, दो अदिशों के गुणन से प्राप्त नए अदिश का परिमाण दिए गए अदिशों के परिमाण के । गुणन के बराबर होता है।
(e) नहीं, केवल तभी अर्थपूर्ण होगा जबकि दोनों एक ही (UPBoardSolutions.com) भौतिक राशि को प्रदर्शित करते हों।
(f) चूँकि किसी सदिश का घटक एक सदिश होता है जो मूल सदिश के समान भौतिक राशि को निरूपित करता है (जैसे-बल का घटक भी एक बल ही होता है); अत: दोनों को जोड़ना अर्थपूर्ण है।

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प्रश्न 5:
निम्नलिखित में से प्रत्येक कथन को ध्यानपूर्वक पढिए और कारण सहित बताइए कि यह सत्य है या असत्य
(a) किसी सदिश का परिमाण सदैव एक अदिश होता है।
(b) किसी सदिश का प्रत्येक घटक सदैव अदिश होता है।
(c) किसी कण द्वारा चली गई पथ की कुल लम्बाई सदैव विस्थापन सदिश के परिमाण के बराबर होती है।
(d) किसी कण की औसत चाल (पथ तय करने में लगे समय द्वारा विभाजित कुल पथ-लम्बाई) समय के समान-अन्तराल में कण के औसत वेग के परिमाण से अधिक या उसके बराबर होती है।
(e) उन तीन सदिशों का योग जो एक समतल में नहीं हैं, कभी भी शून्य सदिश नहीं होता।
उत्तर:
(a) सत्य, किसी भी भौतिक राशि का परिमाण एक धनात्मक संख्या है, जिसमें दिशा नहीं होती; अतः यह एक अदिश राशि है।
(b) असत्य, किसी सदिश का प्रत्येक घटक एक सदिश राशि होता है।
(c) असत्य, उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति R त्रिज्या के वृत्त की परिधि पर चलते हुए एक चक्कर पूर्ण करता है तो उसके द्वारा तय किए गए पथ की लम्बाई 2π R होगी जबकि विस्थापन का परिमाण शून्य होगा।
(d) सत्य, क्योंकि औसत चाल पूर्ण पथ की लम्बाई पर तथा औसत वेग कुल विस्थापन पर निर्भर करता है। जबकि पूर्ण पथ की लम्बाई सदैव ही विस्थापन के परिमाण से अधिक अथवा बराबर
होती है।
(e) सत्य, शून्य सदिश प्राप्त करने के लिए तीसरा सदिश पहले दो सदिशों के परिणामी के विपरीत दिशा में तथा परिमाण में उसके बराबर होना चाहिए। यह इस दशा में सम्भव नहीं है, चूँकि तीनों सदिश एक समतल में नहीं हैं।

प्रश्न 6:
निम्नलिखित असमिकाओं की ज्यामिति या किसी अन्य विधि द्वारा स्थापना कीजिए
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 1
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 2
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 3

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प्रश्न 7:
दिया है [latex]\xrightarrow { a }[/latex] + [latex]\xrightarrow { b }[/latex] +[latex]\xrightarrow { c }[/latex] + [latex]\xrightarrow { d }[/latex]= 0 नीचे दिए गए कथनों में से कौन-सा सही है
(a) [latex]\xrightarrow { a }[/latex], [latex]\xrightarrow { b }[/latex],[latex]\xrightarrow { c }[/latex] तथा [latex]\xrightarrow { d }[/latex] में से प्रत्येक शून्य सदिश है।
(b) ([latex]\xrightarrow { a }[/latex] + [latex]\xrightarrow { c }[/latex]) का परिमाण ([latex]\xrightarrow { d}[/latex]+[latex]\xrightarrow { d }[/latex]) के परिमाण के बराबर है।
(c) [latex]\xrightarrow { a }[/latex] का परिमाण [latex]\xrightarrow { b }[/latex],[latex]\xrightarrow { c }[/latex] तथा[latex]\xrightarrow { d}[/latex] के परिमाणों के योग से कभी-भी अधिक नहीं हो सकता।
(d) यदि [latex]\xrightarrow { a }[/latex] तथा[latex]\xrightarrow { d }[/latex] संरेखीय नहीं हैं तो [latex]\xrightarrow { b }[/latex]+ [latex]\xrightarrow { c }[/latex]अवश्य ही [latex]\xrightarrow { a }[/latex] तथा [latex]\xrightarrow { d }[/latex] के समतल में होगा और । यह [latex]\xrightarrow { a }[/latex] तथा [latex]\xrightarrow { d }[/latex] के अनुदिश होगा यदि वे संरेखीय हैं।
उत्तर:
(a) यह कथन सही नहीं है क्योंकि सदिश [latex]\xrightarrow { a }[/latex], [latex]\xrightarrow { b }[/latex],[latex]\xrightarrow { c }[/latex] तथा [latex]\xrightarrow { d }[/latex] का योग शून्य है, (UPBoardSolutions.com) जिससे यह परिणाम
प्राप्त नहीं होता है कि प्रत्येक शून्य सदिश है। अत: कथन (a) सत्य नहीं है।
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प्रश्न 8:
तीन लड़कियाँ 200 in त्रिज्या वाली वृत्तीय बर्फीली सतह पर स्केटिंग कर रही हैं। वे सतह के किनारे के बिन्दु P से स्केटिंग शुरू करती हैं तथा P के व्यासीय विपरीत बिन्दु Qपर विभिन्न पथों से होकर पहुँचती हैं, जैसा कि संलग्न चित्र 4.2 में दिखाया गया है। प्रत्येक लड़की के विस्थापन सदिश का परिमाण कितना है? किस लड़की के लिए यह वास्तव में स्केट किए गए पथ की लम्बाई के बराबर है?
हल:
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दिया है : वृत्तीय पथ की त्रिज्या (R) = 200 m
∵ प्रत्येक लड़की का विस्थापन सदिश = [latex]\xrightarrow { PQ }[/latex]
∴ विस्थापन सदिश का परिमाण = व्यास PQ की लम्बाई
= 2R = 2x200m
= 400 m
∵ लड़की B द्वारा तय पथ (PQ) की लम्बाई = 2R = 400m
∴ लड़की B के लिए विस्थापन संदिश का (UPBoardSolutions.com) परिमाण वास्तव में स्केट चित्र 4.2 किए गए पथ की लम्बाई के बराबर है।

प्रश्न 9:
कोई साइकिल सवार किसी वृत्तीय पार्क के केन्द्र से चलना शुरू करता है तथा पार्क के किनारे P पर पहुँचता है। पुनः वह पार्क की परिधि के अनुदिश साइकिल चलाता हुआ Qo के रास्ते (जैसा कि चित्र 4.3 में दिखाया गया है) केन्द्र पर वापस आ जाता है। पार्क की त्रिज्या 1 km है। यदि पूरे चक्कर में 10 मिनट लगते हों तो साइकिल सवार का (a) कुल विस्थापन, (b) औसत वेग तथा (c) औसत चाल क्या होगी?
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हल:
(a) दिया है : वृत्तीय पार्क की त्रिज्या = 1km
चूंकि साइकिल सवार केन्द्र० से चलकर पुनः केन्द्र0 पर ही पहुँच जाता है, अतः कुल विस्थापन = 0
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प्रश्न 10:
किसी खुले मैदान में कोई मोटर चालक एक ऐसा रास्ता अपनाता है जो प्रत्येक 500m के बाद उसके बाईं ओर 60° के कोण पर मुड़ जाता है। किसी दिए मोड़ से शुरू होकर मोटर चालक का तीसरे, छठे व आठवें मोड़ पर विस्थापन बताइए। प्रत्येक स्थिति में मोटर चालक द्वारा इन मोड़ों पर तय की गई कुल पध-लम्बाई के साथ विस्थापन के परिमाण की तुलना कीजिए।
हल:
मोटर चालक द्वारा अपनाया गया मार्ग एक समषट्भुज ABCDEF आकार का होगा।
(a) माना कि मोटर चालक शीर्ष A से चलना प्रारम्भ करता है।
तो वह शीर्ष D पर तीसरा मोड़ लेगा। प्रश्नानुसार,
AB = BC = CD = DE = EF = FA = 500 m
∴ तीसरे मोड़ पर विस्थापन ,
= AD = 2x AB (समषट्भुज के गुण से)
= 2x 500 m = 1000 m = 1km
जबकि कुल पथ की लम्बाई
= AB+ BC + CD
= (500 + 500 + 500) m
= 1500 m = 1.5 km
∴ विस्थापन : पथ-लम्बाई = 1 km : 1.5 km = 2:3
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(b) मोटर चालक छठा मोड़ शीर्ष A पर लेगा अर्थात् इस क्षण मोटर चालक अपने प्रारम्भिक बिन्दु पर पहुँच चुका होगा।
∴ विस्थापन = शून्य।
जबकि कुल पथ-लम्बाई = AB+ BC + CD+DE. + EF + FA
= 6 x AB = 6 x 500m
= 3000 m = 3 km
विस्थापन : पथ-लम्बाई = 0:3km = 0
(c) मोटर चालक आठवाँ मोड़ शीर्ष C पर लेगा।
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प्रश्न 11:
कोई यात्री किसी नए शहर में आया है और वह स्टेशन से किसी सीधी सड़क पर स्थित किसी होटल तक जो 10 km दूर है, जाना चाहता है। कोई बेईमान टैक्सी चालक 23 km के चक्करदार रास्ते से उसे ले जाता है और 28 min में होटल में पहुँचता है।
(a) टैक्सी की औसत चाल, और
(b) औसत वेग का परिमाण क्या होगा? क्या वे बराबर हैं।
हल:
दिया है : टैक्सी द्वारा तय कुल दूरी = 23 km,
लगा समय = 28 min
टैक्सी का विस्थापन = स्टेशन से होटल तक सरल रेखीय दूरी
= 10km
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प्रश्न 12:
वर्षा का पानी 30 ms-1 की चाल से ऊर्ध्वाधर नीचे गिर रहा है। कोई महिला उत्तर सेदक्षिण की ओर 10 ms-1 की चाल से साइकिल चला रही है। उसे अपना छाता किस दिशा में रखना चाहिए?
हल:
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प्रश्न 13:
कोई व्यक्ति स्थिर जल में 4.0 km/h की चाल से तैर सकता है। उसे 1.0 km चौड़ी नदी को पार करने में कितना समय लगेगा? यदि नदी 3.0 km/h की स्थिर चाल से बह रही हो और वह नदी के बहाव के लम्ब तैर रहा हो। जब वह नदी के दूसरे किनारे पहुँचता है तो वह नदी के बहाव की ओर कितनी दूर पहुँचेगा?
हल:
∵ तैराक नदी के लम्ब दिशा में तैर रहा है; अतः तैराक का अपना वेग नदी के लम्ब दिशा में कार्य करेगा जब इस दिशा में नदी के अपने वेग का कोई प्रभाव नहीं होगा।
अतः नदी के लम्ब दिशा में नेट वेग = तैराक का अपना वेग
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प्रश्न 14:
किसी बन्दरगाह में 72 km/h की चाल से हवा चल रही है और बन्दरगाह में खड़ी किसी नौका के ऊपर लगा झण्डा N-E दिशा में लहरा रहा है। यदि वह नौका उत्तर की ओर 51 km/h की चाल से गति करना प्रारम्भ कर दे तो नौको पर लगा झण्डा किस दिशा में लहराएगा?
हल:
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प्रश्न 15:
किसी लम्बे हॉल की छत 25 m ऊँची है। वह अधिकतम क्षैतिज दूरी कितनी होगी जिसमें 40 ms-1 की चाल से फेंकी गई कोई गेंद छत से टकराए बिना गुजर जाए?
हल:
यहाँ प्रक्षेप्य वेग u = 40 मी/से, महत्तम ऊँचाई HM = 25 मी
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प्रश्न 16:
क्रिकेट का कोई खिलाड़ी किसी गेंद को 100 m की अधिकतम क्षैतिज दूरी तक फेंक सकता है। वह खिलाड़ी उसी गेंद को जमीन से ऊपर कितनी ऊँचाई तक फेंक सकता है?
हल:
यहाँ अधिकतम क्षैतिज परास Rmax = 100 मी
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प्रश्न 17:
80 cm लम्बे धागे के एक सिरे पर एक पत्थर बाँधा गया है और इसे किसी एकसमान चाल के साथ किसी क्षैतिज वृत्त में घुमाया जाता है। यदि पत्थर 25 s में 14 चक्कर लगाता है तो पत्थर के त्वरण का परिमाण और उसकी दिशा क्या होगी?
हल:
पत्थर द्वारा अपनाए गए वृत्तीय मार्ग की त्रिज्या R = 80 cm = 0.8 m
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प्रश्न 18:
कोई वायुयान 900 kmh-1 की एकसमान चाल से उड़ रहा है और 1.00 km त्रिज्या का कोई क्षैतिज लूप बनाता है। इसके अभिकेन्द्र त्वरण की गुरुत्वीय त्वरण के साथ तुलना कीजिए।
हल:
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प्रश्न 19:
नीचे दिए गए कथनों को ध्यानपूर्वक पढिए और कारण सहित बताइए कि वे सत्य हैं या असत्य
(a) वृत्तीय गति में किसी कण का नेट त्वरण हमेशा वृत्त की त्रिज्या के अनुदिश केन्द्र की ओर होता है।
(b) किसी बिन्दु पर किसी कण का वेग सदिश सदैव उस बिन्दु पर कण के पथ की स्पर्श रेखा के अनुदिश होता है।
(c) किसी कण को एकसमान वृत्तीय गति में एक चक्र में लिया गया औसत त्वरण सदिश एक शून्य सदिश होता है।
उतर:
(a) असत्य है क्योंकि यह कथन केवल एकसमान वृत्तीय गति के लिए सत्य है।
(b) सत्य है क्योंकि यदि कण की गति में त्वरण, वेग के अनुदिश (UPBoardSolutions.com) है तो कण सरल रेखीय पथ पर गति करता है और यदि गति में त्वरण किसी अन्य दिशा में है तो कण वक्र पथ पर गति करता है तथा वेग
की दिशा पथ के स्पर्श रेखीय रहती है।
(c) सत्य है क्योंकि एक अर्द्धचक्र में त्वरण; दूसरे अर्द्धचक्र में त्वरण के ठीक बराबर व विपरीत होता है।

प्रश्न 20:
किसी कण की स्थिति सदिश निम्नलिखित है
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समय t सेकण्ड में है तथा सभी गुणकों के मात्रक इस प्रकार से हैं [latex]\xrightarrow { r }[/latex] कि मीटर में व्यक्त हो जाए।
(a) कण का [latex]\xrightarrow { v }[/latex] तथा [latex]\xrightarrow { a }[/latex] निकालिए,
(b) t = 2.0s पर कण के वेग का परिमाण तथा दिशा कितनी होगी?
हल:
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प्रश्न 21:
कोई कण t = 0 क्षण पर मूलबिन्दु से 10 [latex]\hat { j }[/latex] ms-1 के वेग से चलना प्रारम्भ करता है।
तथा x-y समतल में एकसमान त्वरण (8.0[latex]\hat { i }[/latex]+20[latex]\hat { j }[/latex]) ms-2 से गति करता है।
(a) किस क्षण कण का x-निर्देशांक 16 m होगा? इसी समय इसका y-निर्देशांक कितना होगा?
(b) इसी क्षण किसी कण की चाल कितनी होगी?
हल:
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प्रश्न 22:
[latex]\hat { i }[/latex] तथा [latex]\hat { j }[/latex] क्रमशः x-व y-अक्षों के अनुदिशएकांक सदिश हैं। सदिशों [latex]\hat { i }[/latex]+[latex]\hat { j }[/latex]तथा – [latex]\hat { j }[/latex]का परिमाण तथा दिशाएँ क्या होंगी? सदिशों A = 2[latex]\hat { i }[/latex] + 3[latex]\hat { j }[/latex] के [latex]\hat { i }[/latex]+[latex]\hat { j }[/latex]व – [latex]\hat { j }[/latex]की दिशाओं के अनुदिश घटक निकालिए (आप ग्राफी विधि का उपयोग कर सकते हैं)।
हल:
[latex]\hat { i }[/latex] तथा [latex]\hat { j }[/latex] परस्पर लम्ब एकांक सदिश हैं; अर्थात् इनके बीच का कोण θ = 90° है।
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प्रश्न 23:
किसी दिकस्थान पर एक स्वेच्छ गति के लिए निम्नलिखित सम्बन्धों में से कौन-सा सत्य है?
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यहाँ औसत की आशय समयान्तराल t2 व t1 से सम्बन्धित भौतिक राशि के औसत मेन से है।
उत्तर:
(a) असत्य,
(b) सत्य,
(c) असत्य,
(d) असत्य,
(e) सत्य।

प्रश्न 24:
निम्नलिखित में से प्रत्येक कथन को ध्यानपूर्वक पढिए तथा कारण एवं उदाहरण सहित बताइए कि क्या यह सत्य है या असत्य अदिश वह राशि है जो
(a) किसी प्रक्रिया में संरक्षित रहती है,
(b) कभी ऋणात्मक नहीं होती,
(c) विमाहीन होती है,
(d) किसी स्थान पर एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु के बीच नहीं बदलती,
(e) उन सभी दर्शकों के लिए एक ही मान रखती है चाहे अक्षों से उनके अभिविन्यास भिन्न-भिन्न क्यों न हों?
उत्तर:
(a) असत्य है, क्योंकि किसी अदिश का किसी प्रक्रिया में संरक्षित रहना आवश्यक नहीं है। उदाहरण के लिए, ऊपर की ओर फेंके गए पिण्ड की गतिज ऊर्जा (अदिश राशि) पूरी यात्रा में बदलती रहती है।
(b) असत्य है, क्योंकि अदिश राशि ऋणात्मक, शून्य या धनात्मक कुछ भी मान ग्रहण कर सकती है; जैसे किसी वस्तु का ताप एक अदिश राशि है, जो धनात्मक, शून्य या ऋणात्मक कुछ भी हो सकता है।
(c) असत्य है, उदाहरण के लिए, किसी वस्तु का द्रव्यमान अदिश राशि है परन्तु इसकी विमा (M1) है।
(d) असत्य है, उदाहरण के लिए ताप एक अदिश राशि है, किसी छड़ में ऊष्मा के एकविमीय प्रवाह में, प्रवाह की दिशा में ताप बदलता जाता है।
(e) सत्य है, क्योंकि अदिश राशि में दिशा नहीं होती; अतः यह प्रत्येक विन्यास में स्थित (UPBoardSolutions.com) दर्शक के लिए समान मान रखती है। उदाहरण के लिए, किसी वस्तु के द्रव्यमान का मान प्रत्येक दर्शक के लिए समान होगा।

प्रश्न 25:
कोई वायुयान पृथ्वी से 3400 m की ऊँचाई पर उड़ रहा है। यदि पृथ्वी पर किसी अवलोकन बिन्दु पर वायुयान की 10.0 s की दूरी की स्थितियाँ 30° का कोण बनाती हैं तो वायुयान की चाल क्या होगी?
हल:
माना 10s के अन्तराल पर वायुयान की दो स्थितियाँ क्रमशः P तथा Q हैं जबकि 0 प्रेक्षण बिन्दु है।
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 26:
किसी सदिश में परिमाण व दिशा दोनों होते हैं। क्या दिक़स्थान में इसकी कोई स्थिति होती है? क्या यह समय के साथ परिवर्तित हो सकता है? क्या दिकस्थान में भिन्न स्थानों पर दो बराबर सदिशों [latex]\xrightarrow { a }[/latex] व  [latex]\xrightarrow { b }[/latex]  का समान भौतिक प्रभाव अवश्य पड़ेगा? अपने उत्तर के समर्थन में उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सभी सदिशों की स्थिति नहीं होती। किसी बिन्दु के स्थिति सदिश के समान कुछ सदिशों की स्थिति होती है जबकि वेग सदिश के समान कुछ सदिशों की कोई स्थिति नहीं होती। हाँ, कोई सदिश समय के साथ परिवर्तित हो सकता है, जैसे- गतिमान कण की स्थिति सदिश । आवश्यक नहीं है, उदाहरण के लिए दो अलग-अलग बिन्दुओं पर लगे बराबर बल अलग-अलग आघूर्ण उत्पन्न करेंगे।

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प्रश्न 27:
किसी सदिश में परिमाण व दिशा दोनों होते हैं। क्या इसका यह अर्थ है कि कोई राशि जिसका परिमाण व दिशा हो, वह अवश्य ही सदिश होगी? किसी वस्तु के घूर्णन की व्याख्या घूर्णन-अक्ष की दिशा और अक्ष के परितः घूर्णन-कोण द्वारा की जा सकती है। क्या इसका यह अर्थ है कि कोई भी घूर्णन एक सदिश है?
उत्तर:
किसी राशि में परिमाण तथा दिशी होने पर उसका सदिश होना आवश्यक नहीं है। सदिश होने के लिए किसी राशि में परिमाण तथा दिशा के साथ-साथ उसे सदिश नियमों का पालन भी करना चाहिए। उदाहरण के लिए प्रत्येक घूर्णन कोण एक सदिश राशि नहीं हो सकता। (UPBoardSolutions.com) केवल सूक्ष्म घूर्णन को ही सदिश राशि माना जा सकता है।

प्रश्न 28:
क्या आप निम्नलिखित्व के साथ कोई संदिश सम्बद्ध कर सकते हैं-
(a) किसी लूप में मोड़ी गई तार की लम्बाई,
(b) किसी समतल क्षेत्र,
(c) किसी गोले के साथ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(a) नहीं, क्योंकि वृत्तीय लूप में मोड़े गए तार की कोई निश्चित दिशा नहीं होती।
(b) हाँ, दिए गए समतल पर एक निश्चित अभिलम्ब खींचा जा सकता है; अत: समतल क्षेत्र के साथ एक सदिश सम्बद्ध किया जा सकता है जिसकी दिशा समतल पर अभिलम्ब के अनुदिश हो सकती
(c) नहीं, क्योंकि किसी गोले का आयतन किसी विशेष दिशा के साथ सम्बद्ध नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 29:
कोई गोली क्षैतिज से 30° के कोण पर दागी गई है और वह धरातल पर 3:0km दूर गिरती है। इसके प्रक्षेप्य के कोण का समायोजन करके क्या 5.0 km दूर स्थित किसी लक्ष्य का भेद किया जा सकता है? गोली की नालमुखी चाल को नियत तथा वायु के प्रतिरोध को नगण्य मानिए।
हल:
यहाँ प्रक्षेप्य  कोण θ0 = 30°
तथा क्षैतिज परास R = 3.0 किमी
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प्रश्न 30:
कोई लड़ाकू जहाज 1.5 km की ऊँचाई पर 720 km/h की चाल से क्षैतिज दिशा में उड़ रहा है और किसी वायुयान भेदी तोप के ठीक ऊपर से गुजरता है। ऊध्र्वाधर से तोप की नाल का क्या कोण हो जिससे 600 ms-1 की चाल से दागा गया गोला वायुयान पर वार कर सके। वायुयान के चालक को किस न्यूनतम ऊँचाई पर जहाज को उड़ाना चाहिए जिससे गोली लगने से बच सके। (g = 10 ms-2)
हल:
लड़ाकू जहाज की ऊँचाई,
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प्रश्न 31:
एक साइकिल सवार 27 km/h की चाल से साइकिल चला रहा है। जैसे ही सड़क पर वह 80 m त्रिज्या के वृत्तीय मोड़ पर पहुँचता है, वह ब्रेक लगाता है और अपनी चाल को 0.5 m/s की एकसमान दर से कम कर लेता है। वृत्तीय मोड़ पर साइकिल सवार के नेट त्वरण का परिमाण और उसकी दिशा निकालिए।
हल:
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प्रश्न 32:
(a) सिद्ध कीजिए कि किसी प्रक्षेप्य के -अक्ष तथा उसके वेग के बीच के कोण को समय के फलन के रूप में निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं
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उत्तर:
(a) माना कोई प्रक्षेप्य मूलबिन्दु से इस प्रकार फेंका जाता है कि उसके वेग के x-अक्ष तथा y-अक्षों की दिशाओं में वियोजित घटक क्रमश: Vox तथा v0y हैं।
माना t समय पश्चात् प्रक्षेप्य बिन्दु P पर पहुँचता है, जहाँ उसको स्थिति सदिश [latex]\xrightarrow { r }[/latex] (t) है।
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1:
मीनार की छत से एक गेंद को किक किया जाता है तो गेंद पर लगने वाले क्षैतिज एवं ऊध्र्वाधर त्वरण का मान होगा
(i) 0 एवं 9.8 मी/से2
(ii) 9.8 मी/से एवं 9.8 मी/से-2
(iii) 9.8 मी/से-2  एवं 0
(iv) 9.8 मी/से-2 एवं 4.9 मी/से -2
उत्तर:
(i) 0 एवं 9.8 मी/से2

प्रश्न 2:
प्रक्षेप्य गति के दौरान निम्नलिखित में से कौन-सी राशि संरक्षित रहती है?
(i) यान्त्रिक ऊर्जा
(ii) स्थितिज ऊर्जा
(iii) संवेग
(iv) गतिज ऊर्जा
उत्तर:
(i) यान्त्रिक ऊर्जा

प्रश्न 3:
जब एक वस्तु दो विभिन्न प्रक्षेप्य कोणों पर प्रक्षेपित की जाती है तो उसकी क्षैतिज परास | समान है। यदि h1 तथा h2 उसकी संगत महत्तम ऊँचाइयाँ हैं, तो उसकी क्षैतिज परास R तथा hव h2 में सही सम्बन्ध होगा।
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उत्तर:
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प्रश्न 4:
क्षैतिजत: कुछ ऊँचाई पर जाते हुए एक बम वर्षक विमान को पृथ्वी पर किसी लक्ष्य पर बम मारने के लिए बम तब गिराना चाहिए जब वह
(i) लक्ष्य के ठीक ऊपर है।
(ii) लक्ष्य से आगे निकल जाता है।
(iii) लक्ष्य के पीछे है।
(iv) उपर्युक्त तीनों सही हैं।
उत्तर:
(iii) लक्ष्य के पीछे है।

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प्रश्न 5:
प्रक्षेप्य पथ के उच्चतम बिन्दु पर त्वरण का मान होता है।
(i) अधिक
(ii) न्यूनतम
(iii) शून्य
(iv) g के बराबर
उत्तर:
(iv) g के बराबर

प्रश्न 6:
प्रक्षेप्य गति में उच्चतम बिन्दु पर वेग है।
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उत्तर:
(ii) u cosθ

प्रश्न 7:
एक प्रक्षेप्य गतिज ऊर्जा K से प्रक्षेपित किया जाता है। यदि यह अधिकतम परास तक जाए तो इसकी अधिकतम ऊँचाई पर गतिज ऊर्जा होगी
(i) 0.25K
(ii) 0.5K
(iii) 0.75K
(iv) 1.0K
उत्तर:
(ii) 0.5K

प्रश्न 8:
एक प्रक्षेप्य का प्रारम्भिक वेग v = (3[latex]\hat { i }[/latex] +4[latex]\hat { j }[/latex]) मी/से है। महत्तम ऊँचाई पर इसका वेग होगा।
(i) 3 मी/से
(ii) 4 मी/से
(iii) 5 मी/से
(iv) शून्य
उत्तर:
(iii) 5 मी/से

प्रश्न 9:
जब किसी वस्तु को महत्तम परास (maximum range) वाले कोण से फेंका जाता है। तब उसकी गतिज ऊर्जा है। अपने पथ की महत्तम ऊँचाई वाले बिन्दु पर उसकी क्षैतिज गतिज ऊर्जा है।
(i) E
(ii) E/2
(iii) E/3
(iv) शून्य
उत्तर:
(ii) E/2

प्रश्न 10:
30° कोण पर झुके नत समतल के निचले सिरे पर एक कण प्रक्षेपित किया जाता है। क्षैतिज . से किस कोण 80 पर कण प्रक्षेपित किया जाये ताकि वह नत समतल पर अधिकतम परास में किया , प्राप्त कर सके?
(i) 45°
(ii) 53°
(iii) 75°
(iv) 60°
उत्तर:
(iii) 75°

प्रश्न 11:
क्रिकेट का कोई खिलाड़ी किसी गेंद को पृथ्वी पर अधिकतम 100 मीटर क्षैतिज दूरी तक फेंक सकता है। वह खिलाड़ी उसी गेंद को पृथ्वी से ऊपर जिस अधिकतम ऊँचाई तक फेंक सकता है, है।
(i) 100 मीटर
(ii) 50 मीटर
(iii) 25 मीटर
(iv) 15 मीटर
उत्तर:
(ii) 50 मीटर है

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प्रश्न 12:
एक प्रक्षेप्य को क्षैतिज परास, उसकी अधिकतम प्राप्त ऊँचाई का चार गुना है। क्षैतिज से इसका प्रक्षेप्य कोण होगा
(i) 30°
(ii) 60°
(iii) 45°
(iv) 90°
उत्तर:
(iii) 45°

प्रश्न 13:
अधिकतम परास के लिए किसी कण का प्रक्षेपण कोण होना चाहिए
(i) क्षैतिज से 0° के कोण पर
(ii) क्षैतिज से 60° के कोण पर
(iii) क्षैतिज से 30°के कोण पर
(iv) क्षैतिज से 450 के कोण पर
उत्तर:
(iv) क्षैतिज से 450 के कोण पर

प्रश्न 14:
एक गेंद किसी मीनार की चोटी से 60° कोण पर (ऊध्र्वाधर से) प्रक्षेपित की जाती है।इसके वेग का ऊर्ध्व घटक
(i) लगातार बढ़ता जायेगा
(ii) लगातार घटता जायेगा
(iii) अपरिवर्तित रहेगा
(iv) पहले घटता है तथा फिर बढ़ता है।
उत्तर:
(iv) पहले घटता है तथा फिर बढ़ता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
प्रक्षेप्य गति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जब किसी पिण्डे को एक प्रारम्भिक वेग से ऊध्र्वाधर दिशा से भिन्न किसी दिशा में फेंका जाता है। तो उस पर गुरुत्वीय त्वरण सदैव ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर लगता है तथा पिण्ड ऊध्र्वाधर तल में एक वक्र पथ पर गति करता है। इस गति को प्रक्षेप्य गति कहते हैं।

प्रश्न 2:
प्रक्षेप्य गति किस प्रकार की गति है-एकविमीय अथवा द्विविमीय?
उत्तर:
प्रक्षेप्य गति द्विविमीय गति है।

प्रश्न 3:
क्षैतिज से किसी कोण पर ऊर्ध्वाधर तल में प्रक्षेपित पिण्ड का पथ कैसा होता है?
उत्तर:
परवलयाकार।

प्रश्न 4:
प्रक्षेप्य-पथ किस प्रकार का होता है? क्या यह पथ ऋजुरेखीय हो सकता है?
उत्तर:
प्रक्षेप्य-पथ परवलयाकार होता है। प्रक्षेप्य-पथ ऋजुरेखीय नहीं हो सकता।

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प्रश्न 5:
“पृथ्वी से छोड़े गये प्रक्षेप्य का पथ परवलयाकार होता है। प्रक्षेप्य की चाल पथ के उच्चतम बिन्दु पर न्यूनतम होगी।” समझाइए कि यह कथन सत्य है या असत्य।
उत्तर:
यह कथन सत्य है, क्योंकि उच्चतम बिन्दु पर प्रक्षेपण वेग का ऊर्ध्व घटक शून्य हो जाता है तथा क्षैतिज घटक अपरिवर्तित रहता है।

प्रश्न 6:
प्रक्षेपण पथ के किस बिन्दु पर चाल निम्नतम होती है तथा किस बिन्दु पर अधिकतम?
उत्तर:
उच्चतम बिन्दु पर चाल निम्नतम तथा प्रक्षेपण बिन्दु पर चाल अधिकतम होती है।

प्रश्न 7:
प्रक्षेपण पथ के उच्चतम बिन्दु पर प्रक्षेप्य की गति की दिशा क्षैतिज क्यों हो जाती है?
उत्तर:
क्योंकि उच्चतम बिन्दु पर प्रक्षेप्य के वेग का ऊर्ध्व घटक शून्य हो जाता है। इसमें केवल क्षैतिज घटक ही रह जाने के कारण प्रक्षेप्य की गति की दिशा प्रक्षेपण पथ के उच्चतम बिन्दु पर क्षैतिज हो जाती है।

प्रश्न 8:
प्रक्षेप्य-पथ के उच्चतम बिन्दु पर वेग व त्वरण की दिशाओं के बीच कितना कोण होता है?
उत्तर:
90°

प्रश्न 9:
किसी प्रक्षेप्य द्वारा महत्तम ऊँचाई के लिए सूत्र लिखिए।
उत्तर:
HM = u sin² θ0/2g, जहाँ u0 = प्रक्षेपण वेग,
θ0= प्रक्षेपण कोण तथा g = गुरुत्वीय त्वरण

प्रश्न 10:
प्रक्षेप्य के क्षैतिज परास का व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 42

प्रश्न 11:
प्रक्षेप्य के उड्डयनकाल (T) की परिभाषा एवं सूत्र लिखिए।
उत्तर:
जितने समय में पिण्ड प्रक्षेपण बिन्दु से उच्चतम बिन्दु तक पहुँचकर अपने परवलय पथ द्वारा प्रक्षेपण-बिन्दु की सीध में नीचे आता है, उसे पिण्ड का उड्डयनकाल कहते हैं।
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प्रश्न 12:
वायु के प्रतिरोध का प्रक्षेप्य के उड्डयन काल तुथा परास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
वायु के प्रतिरोध से उड्डयन काल बढ़ जाता है तथा परास घट जाता हैं।

प्रश्न 13:
एक वस्तु को क्षैतिज से θ कोण पर [latex]\xrightarrow { U }[/latex] वेग से प्रक्षेपित किया जाता है। उन दो राशियों के नाम बताइए जो नियत रहती हैं।
उत्तर:
वेग का क्षैतिज घटक = u cos θ तथा ऊर्ध्व दिशा में त्वरण [latex]\xrightarrow { g }[/latex] के नीचे की ओर।

प्रश्न 14:
एक खिलाड़ी गेंद को क्षैतिज से किस झुकाव पर फेंके कि गेंद अधिकतम दूरी तक जाए?
उत्तर:
45°.

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
एक प्रक्षेप्य (गेंद) पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र में क्षैतिज से θ कोण पर u वेग से फेंका जाता है। प्रक्षेप्य का उड्डयनकाल तथा क्षैतिज परास ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रक्षेप्यका उडड्यनकाल:
पिण्ड को प्रक्षेपण बिन्दु O से अधिकतम ऊँचाई के बिन्दु तक जाकर पुनः क्षैतिज के अन्य बिन्दु C तक आने लगे समय को उड्डयन काल कहते हैं। इसे प्राय: T से व्यक्त करते हैं।
माना पिण्ड अपने पथ के उच्चतम बिन्दु P तक पहुँचने में t समय लेता है। (UPBoardSolutions.com) P पर पिण्ड का अन्तिम ऊर्ध्वाधर वेग शून्य है। अतः νy = 0; गति के प्रथम समीकरण) ν = u+ at में ν= νy = 0, u= uy = = u sin θ0 तथा 4 के स्थान पर (- g) रखकर ‘t’ के मान की गणना कर सकते हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 44
पिण्ड उच्चतम बिन्दु P परे, पहुँचकर अपने परवलयाकार गमन पथ द्वारा नीचे आने लगता है, जितने समय में पिण्ड बिन्दु ० से उच्चतम बिन्दु P तक जाता है उतने ही समय में वह बिन्दु P से C तक लौटता है जो कि बिन्दु 0 की ठीक सीध में है। अतः पिण्ड को उड्डयन काल
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प्रक्षेप्य का क्षैतिज परास:
प्रक्षेप्य अपने उड्डयन काल में जितनी क्षैतिज दूरी तय करता है उसे प्रक्षेप्य की परास कहते हैं। इसे प्राय: R से व्यक्त करते हैं।
चित्र 4.11 से क्षैतिज परास OC=( क्षैतिज वेग) x (उड्डयन काल)
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 46
समीकरण (1) से स्पष्ट है कि अधिकतम क्षैतिज परास के लिए, sin 2θ0 =1 अर्थात् 2θ0 = 90° अथवा θ0 = 45°, अतः पिण्डे का अधिकतम परास प्राप्त करने के लिए पिण्ड को 45° पर प्रक्षेपित किया जाना चाहिए। इस दशा में
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 47
यही कारण है कि पृथ्वी पर लम्बी कूद (long jump) करने वाला खिलाड़ी पृथ्वी से 45° के कोण पर उछलता है।
सूत्र (2) में यदि θ0 के स्थान पर (90°-θ0) रखें, तब
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 48
इससे स्पष्ट है कि पिण्ड को चाहे θ0 कोण पर प्रक्षेपित करें अथवा (90° – θ0) कोण पर, दोनों दशाओं में क्षैतिज परास R वही रहती है।

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प्रश्न 2:
एक पत्थर पृथ्वी तल से क्षैतिज से 30° कोण पर 49 मी/से के वेग से फेंका जाता है। इसका उड्डयन काल तथा क्षेतिज परास ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है, प्रक्षेप्य कोण θ0= 30°
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 49

प्रश्न 3:
एक प्रक्षेप्य का प्रारम्भिक वेग (3[latex]\hat { i }[/latex] +4[latex]\hat { j }[/latex]) मी/से है। इसकी महत्तम ऊँचाई तथा क्षैतिज परांस ज्ञात कीजिए। (g=10 मी/से²)
हल:
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 50

प्रश्न 4:
एक व्यक्ति 2 किग्रा एवं 3 किग्रा के दो गोले समान वेग से क्षैतिज से समान झुकाव कोण पर फेंकता है। बताइए कौन-सा गोला पृथ्वी पर पहले पहुँचेगा? यदि गोले भिन्न-भिन्न वेगों से फेंके जाएँ तब कौन-सा पहले पहुँचेगा?
उत्तर:
प्रक्षेप्य का उड्डयन काल
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सूत्र से स्पष्ट है कि उड्डयन काल प्रक्षेपित पिण्ड के द्रव्यमान पर (UPBoardSolutions.com) निर्भर नहीं करता। अतः दोनों गोले पृथ्वी पर एक साथ पहुंचेंगे। उड्डयन काल प्रक्षेपण वेग u0 पर निर्भर करता है तथा T α uo। अत: जिस गोले का प्रक्षेपण वेग कम है, वह पहले पृथ्वी पर पहुँचेगा।

प्रश्न 5:
पृथ्वी के गुरुत्व के अन्तर्गत गति करते हुए किसी प्रक्षेप की महत्तऊँचाई यदि h हो, तो सिद्ध कीजिए कि उसका प्रक्षेपण वेग [latex]\frac{\sqrt{2 g h}}{\sin \theta}[/latex] होगा, जबकि θ प्रक्षेपण कोण है।
उत्तर:
गति के तृतीय समीकरण से, प्रक्षेप्य की ऊर्ध्वाधर गति के लिए।
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प्रश्न 6:
एक पुल से एक पत्थर क्षैतिज से नीचे की ओर 30° के कोण पर 25 मी/से के वेग से फेंका जाता है। यदि पत्थर 2.5 सेकण्ड में जल से टकराता है तो जल के पृष्ठ से पुल की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। पत्थर का क्षैतिज परास भी ज्ञात कीजिए। (g = 98 मी/से²)
हल:
∵ प्रक्षेपण बिन्दु पर प्रक्षेपण के क्षण नीचे की ओर पत्थर का वेग
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प्रश्न 7:
एक पत्थर 10 मी/से के वेग से क्षैतिज के साथ 30° के कोण पर एक मीनार की चोटी से ऊपर की ओर फेंका जाता है। 5-सेकण्ड के उपरान्त वह जमीन से टकराता है। जमीन से मीनार की ऊँचाई और पत्थर के क्षैतिज परास की गणना कीजिए। (g = 10 मी/से²)
हल:
प्रक्षेपण बिन्दु पर प्रक्षेपण के समय पत्थर का वेग = u sinθ
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प्रश्न 8:
एक मीनार की चोटी से एक गेंद क्षैतिज से ऊपर 10 मीटर/सेकण्ड के प्रारम्भिक वेग से ऊध्र्वाधर से 60° का कोण बनाते हुए फेंकी जाती है। वह मीनार के आधार से 10√3 मीटर की दूरी पर पृथ्वी पर टकराती है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। (मान लीजिए g = 10 मीटर/सेकण्ड²)।
हल:
गेंद को प्रक्षेप्य कोण θ0 = 90° – 60° = 30° तथा प्रक्षेप्य वेग u= 10 मीटर/सेकण्ड। प्रक्षेप्य वेग को क्षैतिज तथा ऊर्ध्व घटकों में वियोजित करने पर,
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प्रश्न 9:
एक मीनार की चोटी से एक गेंद को 15 मीटर/सेकण्डनियत क्षैतिज वेग से प्रक्षेपित किया जाता है। 4 सेकण्ड पश्चात गेंद का विस्थापन ज्ञात कीजिए तथा सदिश आरेख भी खींचिए। (g = 10 मीटर/सेकण्ड²)
हल:
दिया है, ux = 15 मीटर/सेकण्ड, t = 4 सेकण्ड
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प्रश्न 10:
प्रक्षेप्य,पथ के परवलयाकार होने के प्रतिबन्ध बताइए।
उत्तर:
प्रक्षेप्य का पथ परवलयाकार होने के प्रतिबन्ध-प्रक्षेप्य का पथ परवलयाकार तभी हो सकता है, जबकि उक्त प्रतिबन्ध सन्तुष्ट हो। इसके लिए निम्नलिखित प्रतिबन्ध आवश्यक हैं
1. प्रक्षेप्य द्वारा प्राप्त ऊँचाई बहुत अधिक नहीं होनी चाहिए अन्यथा ४ को परिमाण बदल जाएगा।
2. प्रक्षेप्य का परास बहुत अधिक नहीं होना चाहिए अन्यथा ४ की दिशा परिवर्तित हो जाएगी।
3. प्रक्षेप्य का प्रारम्भिक वेग कम होना चाहिए जिससे कि वायु का प्रतिरोध नगण्य रहे। उपर्युक्त प्रतिबन्धों के सन्तुष्ट होने पर ही प्रक्षेप्य पथ एक परवलय रहेगा अन्यथा बदल जाएगा।

Projectile Motion Calculator · Initial velocity in meter per second · Angle of the initial velocity from horizontal plane.

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
प्रक्षेप्य गति से क्या तात्पर्य है? दर्शाइए कि प्रक्षेप्य गति में पथ के उच्चतम बिन्दु पर पिण्ड के वेग तथा त्वरण एक-दूसरे के लम्बवत होते हैं।
उत्तर:
प्रक्षेप्य गति- “जब किसी पिण्ड को पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र में, किसी प्रारम्भिक वेग से ऊध्र्वाधर दिशा से भिन्न दिशा में फेंका जाता है तो पिण्ड गुरुत्वीय त्वरण के अन्तर्गत ऊर्ध्वाधर तल में एक वक्र पथ पर गति करता है। पिण्ड़ की इस गति को प्रक्षेप्य गति (Projectile motion) कहते हैं तथा पिण्ड द्वारा तय किए गए पथ को प्रक्षेप्य पथ (trajectory) तथा फेंके गए पिण्ड को प्रक्षेप्य (Projectile) कहते हैं।”

उदाहरण:
छत से फेंकी गई गेंद की गति, हवाई जहाज से गिराए गए बम की गति, तोप से छूटे गोले की गति, भाला फेंक (javelin throw) में भाले की गति, बल्ले से मारने पर गेंद की गति तथा एकसमान ‘ विद्युत क्षेत्र में उसके लम्बवत् प्रवेश करने वाले किसी आवेशित कण की गति आदि प्रक्षेप्य गति के ही उदाहरण हैं।

प्रक्षेप्य का कोणीय प्रक्षेपण:
माना किसी प्रक्षेप्य को प्रारम्भिक वेग u से क्षैतिज से θ कोण पर प्रक्षेपित किया गया है।
प्रक्षेप्य के प्रारम्भिक वेग का घटक (ux) = u cos θ
तथा ऊध्र्वाधर घटक (uy) = u sin θ
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 59
यदि वायु के प्रतिरोध को नगण्य मान लिया जाए, तो पिण्ड पर क्षैतिज दिशा में कोई बल नहीं लगेगा। अतः, क्षैतिज दिशा में पिण्ड का त्वरण भी शून्य होगा और इसलिए क्षैतिज दिशा में पिण्ड का वेग अपरिवर्तित रहेगा। इसके विपरीत पिण्ड पर गुरुत्वीय त्वरण ऊध्र्वाधरतः नीचे की ओर क्रिया करेगा।
क्षैतिज दिशा में, ax = 0 तथा ऊध्र्वाधर दिशा में, ay =-g
t समय बाद क्षैतिज गति के लिए समीकरण s = ut + [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] at² का प्रयोग करने पर तय की गई दूरी,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 60
इस प्रकार, प्रक्षेप्य गति में वेग का क्षैतिज घटक (ux = u cos θ) सम्पूर्ण गति में अपरिवर्तित रहता है, जबकि वेग को ऊर्ध्वाधर घटक (uy = u sin θ) निरन्तर परिवर्तित होता रहता है तथा पथ के उच्चतम बिन्दु पर इसका मान शून्य हो जाता है। अत: उच्चतम बिन्दु पर वेग का मान न्यूनतम ucosθ हो जाता है, जिसकी दिशा, क्षैतिज होती है तथा त्वरण g की दिशा ऊध्र्वाधर दिशा में नीचे की ओर होती है। इस प्रकार पथ के उच्चतम बिन्दु पर वेग तथा त्वरण के बीच का कोण 90° होता है।

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प्रश्न 2:
यदि कोई प्रक्षेप्य गुरुत्वीय क्षेत्र में क्षैतिज से θ कोण पर u वेग से प्रक्षेपित किया जाता है, तो सिद्ध कीजिए कि प्रक्षेप्य-पथ एक परवलय होगा।
या
सिद्ध कीजिए कि प्रक्षेप्य-पथ परवलयाकार होता है।
उत्तर:
प्रक्षेप्य का पथ:
माना पृथ्वी तल के किसी बिन्दू O से एक पिण्ड को क्षैतिज से θ कोण पर प्रक्षेप्य वेग u से ऊध्र्वाधर तल में प्रक्षेपित किया जाता है (चित्र 4.15)। माना बिन्दु O मूलबिन्दु है तथा प्रक्षेप्य के ऊर्ध्वाधर समतल में बिन्दु0 से गुजरने वाली क्षैतिज तथा ऊध्र्वाधर रेखाएँ क्रमश: X तथा Y-अक्ष हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 61
प्रारम्भिक प्रक्षेप्य वेग u को क्षैतिज (Ox के अनुदिश) तथा ऊध्र्वाधर (OY के अनुदिश) घटकों में वियोजित करने पर,
क्षैतिज घटक ux = u cos θ
तथा , ऊध्र्वाधर, घटक uy = u sinθ
प्रक्षेपित पिण्ड गुरुत्वीय त्वरण g के अन्तर्गत गति करता है। चूंकि g का मान स्थिर है तथा यह सदैव ऊध्र्वाधर दिशा में नीचे की ओर कार्य करता है; अतः पिण्ड के क्षैतिज वेग ॥ पर गुरुत्वीय त्वरण ‘g’ का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। माना पिण्ड पर वायु का अवरोध नगण्य है तो पिण्ड का क्षैतिज वेग ux(= u cos θ) पूरी गति के दौरान अपरिवर्तित रहेगा, परन्तु पिण्ड के वेग का ऊर्ध्व घटक uy(= u sin θ) का मान गुरुत्वीय त्वरण g के कारण लगातार बदलता रहेगा। इस प्रकार, क्षैतिज दिशा में, प्रारम्भिक वेग ux = u cos तथा त्वरण ax = 0
तथा ऊर्ध्वाधर दिशा में, प्रारम्भिक वेग uy = u sin θ तथा त्वरण ay= – g
माना t समय में पिण्ड बिन्दु (x, y) पर पहुँच जाता है, तब
t समय में पिण्ड का क्षैतिज विस्थापन = x
तथा ऊध्र्वाधर विस्थापन = y
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यह समीकरण y = bx-cx² के स्वरूप को है जो एक परवलय को प्रदर्शित करता है; अतः पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र में प्रक्षेपित पिण्ड का प्रक्षेप्य-पथ परवलयाकार होता है। इस कथन को सर्वप्रथम गैलीलियो ने सिद्ध किया था।

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प्रश्न 3:
सिद्ध कीजिए कि एक ही वेगu से क्षैतिज से θ तथा (90° -θ ) कोणों पर किसी प्रक्षेप्य को फेंकने पर प्रक्षेप्य समान परास प्राप्त करता है। यदि इन दो दिशाओं में प्रक्षेप्य के उड्डयन  काल क्रमश:TतथाT’ हों तथा प्राप्त महत्तम ऊँचाइयाँ क्रमशः h वh’ हों, तो सिद्ध कीजिए कि
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उत्तर:
एक ही पास के लिए दो प्रक्षेपण कोण–माना कि प्रक्षेप्य θ व (90° – θ) कोणों पर फेंके जाने पर क्रमशः R व R’ परास प्राप्त करता है तब
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 65
इससे स्पष्ट है कि गेंद को चाहे से कोण पर प्रक्षेपित करें अथवा (90° – θ) कोण पर, दोनों दशाओं में क्षैतिज परास R का मान वही रहता है।
उदाहरण:
एक खिलाड़ी फुटबॉल को चाहे क्षैतिज से 30° के कोण पर ‘किक’ करे अथवा 90° – 30° = 60° के कोण पर फुटबॉल पृथ्वी पर दोनों स्थितियों में एक ही स्थान पर गिरेगी।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 66
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प्रश्न 4:
“किसी ऊँचाई से पृथ्वी के समान्तर प्रक्षेपित पिण्ड का पथ भी परवलयाकार होता है।” सिद्ध कीजिए। पिण्ड के उड्डयन काल तथा क्षैतिज परास का व्यजंक स्थापित कीजिए।
उत्तर:
किसी ऊँचाई से पृथ्वी के समान्तर प्रक्षेपित । पिण्ड का पथ- चित्र 4.16 में पृथ्वी तल से H ऊँचाई पर स्थित कोई बिन्दु O है, जहाँ से कोई पिण्ड (प्रक्षेप्य) क्षैतिज दिशा OX में अर्थात् पृथ्वी के समान्तर प्रारम्भिक वेग 06 से प्रक्षेपित किया गया है। YOY’ बिन्दु O से गुजरती पृथ्वी के लम्बवत् रेखा है। अतः O को मूलबिन्दु मानते हुए प्रारम्भ में अर्थात् किसी क्षण t पर X0 = 0 तथा y0 = 0. क्षैतिज दिशा में पिण्ड पर कोई त्वरण कार्य नहीं करता है अर्थात् aX = 0, इसलिए इस दिशा में प्रक्षेप्य का वेग ν0 नियत रहता है। ऊध्र्वाधरत: नीचे की ओर पिण्ड का त्वरण aY = – g.
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माना प्रक्षेपित किए जाने के समय पश्चात् अर्थात् क्षण ।
पर पिण्ड प्रक्षेप्य पथ के बिन्दु P पर है जिसके निर्देशांक (x, -y) हैं अर्थात् पिण्ड ने नियत ν0 वेग से T समय में क्षैतिज दूरी X तय की है तथा गुरुत्व के अन्तर्गत aY = – g त्वरण से स्वतन्त्रतापूर्वक नीचे की ओर t समय में -y दूरी तय की है। चूंकि (ν0 )y = 0 पर पिण्ड का सम्पूर्ण वेग क्षैतिज दिशा में था; इसलिए इस क्षण ऊध्वधरतः नीचे की ओर प्रारम्भिक वेग (ν0 )y= 0 तथा (ν0 )x = ν0 .
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इस समीकरण में (g/2v02)= नियतांक अर्थात् समीकरण (3) y = kx2 (जहाँ k= g/2ν02) एक परवलय की प्रदर्शित करती है। अतः सिद्ध होता है कि पृथ्वी से किसी ऊँचाई से क्षैतिज दिशा में प्रक्षेपित पिण्ड का पथ भी परवलयाकार होता है।

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उड्डयन काल तथा क्षैतिज परास:
पिण्ड द्वारा O से Q तक पहुँचने में लिया गया समय उड्डयन काल T; होगा तथा इस समय में पिण्ड द्वारा तय की गयी क्षैतिज दूरी OQ= R क्षैतिज परास होगी। इस समय में पिण्ड स्वतन्त्रतापूर्वक [अर्थात् (v0)Y = 0] ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर y = – H दूरी पर गिरता है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 70
प्रश्न 5:
एक पत्थर मीनार की चोटी से क्षैतिज से 30° का कोण बनाता हुआ 16 मी/से के वेग से ऊपर की ओर फेंका जाता है। उड़ान के 4 सेकण्ड पश्चात् यह पृथ्वी तल पर टकराता है। पृथ्वी से मीनार की ऊँचाई तथा पत्थर का क्षैतिज परास ज्ञात कीजिए। (g = 9.8 मी/से²)।
हल:
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UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane 72

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प्रश्न 6:
10 मी ऊँची मीनार की चोटी से एक गेंद क्षैतिज से 30° के कोण पर ऊपर की ओर किस | वेग से फेंकी जाए कि गेंद मीनार के आधार से 17.3 मी की दूरी पर जाकर पृथ्वी तल से टकराए? (g= 10 मी/से²)
हल:
दिया है, h = 10 मी, 8 = 30°, R = 17.3 मी
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We hope the UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane ( समतल में गति) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 4 Motion in a plane ( समतल में गति) drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 Physical World

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 Physical World (भौतिक जगत)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Physics. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 Physical World (भौतिक जगत).

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1:
विज्ञान की प्रकृति से सम्बन्धित कुछ अत्यन्त पारंगत प्रकथन आज तक के महानतम वैज्ञानिकों में से एक अल्बर्ट आइन्स्टाइन द्वारा प्रदान किए गए हैं। आपके विचार से आइन्स्टाइन को उस समय क्या तात्पर्य था, जब उन्होंने कहा था-“संसार के बारे में सबसे अधिक अबोधगम्य विषय यह है कि यह बोधगम्य है?”
उत्तर:
हमारे चारों ओर, उपस्थित ब्रह्माण्ड अत्यन्त जटिल है तथा इसमें होने वाली परिघटनाएँ भी अत्यन्त जटिल हैं, परन्तु विज्ञान के अनेक नियम ऐसे हैं जो इन सभी परिघटनाओं की व्याख्या करने में पूर्णतः समर्थ हैं। अतः जब कोई घटना हम पहली बार देखते या सुनते हैं, वह अबोधगम्य होती है, परन्तु जब हम उस घटना से सम्बन्धित सिद्धान्त, नियम, तथ्य आदि का गहन विश्लेषण करते हैं तो वह घटना हमारे लिए बोधगम्य हो जाती है। अत: (UPBoardSolutions.com) भौतिक जगत से सम्बद्ध प्रत्येक तथ्य की सुस्पष्ट व्याख्या विज्ञान विषय में उपलब्ध है। जब हमारी जिज्ञासु प्रवृत्ति किसी तथ्य से सम्बद्ध वैज्ञानिक दृष्टिकोण जानना चाहती है तो हम उसे जान लेते हैं जिससे जटिल से जटिल परिघटना भी हमारे लिए आश्चर्य का कारण नहीं बनती; अतः आइन्स्टाइन का यह कथन तर्कसंगत है।

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प्रश्न 2:
“प्रत्येक महान भौतिक सिद्धान्त अपसिद्धान्त से आरम्भ होकर धर्मसिद्धान्त के रूप में  समाप्त होता है।” इस तीक्ष्ण टिप्पणी की वैधता के लिए विज्ञान के इतिहास से कुछ उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
पारम्परिक रूढ़िवादी विचारधारा के विरोध में प्रगट किया गया मत मात्र किवदन्ती माना जाता है। और सर्वमान्य र्निविरोध माना जाने वाला तथ्य नियम होता है। कोपरनिकसे का जिओसैन्ट्रिक सिद्धान्त प्रारम्भ में एक किवदन्ती के रूप में चर्चा का विषय बना, किन्तु टाइकोब्राहं तथा जॉन्स कैपलर द्वारा प्रतिपादित और समर्पित पाये जाने के उपरान्त उसको सर्वमान्य रूप से मान लिया गया। अत: यह नियम बन गया।

प्रश्न 3:
“सम्भव की कला ही राजनीति है।” इसी प्रकार “समाधान की कला ही विज्ञान है।” विज्ञान की प्रकृति तथा व्यवहार पर इस सुन्दर सूक्ति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राजनीति में सब कुछ सम्भव होता है। राजनीतिज्ञ अवसरवादी होते हैं। उनकी न कोई आचार संहिता होती है, न कोई नियम और न कोई उसूल। उनका एकमात्र लक्ष्य सत्ता में बना रहना होता है, साधन चाहे उचित हो अथवा अनुचित। किन्तु वैज्ञानिक घटनाओं का सावधानीपूर्वक निरीक्षण करता है। समंक व । संकलित करता है तथा उनका विश्लेषण करता है और प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर नियमों का प्रतिपादन करता है। इस प्रकार यह प्रकृति के रहस्यों का उद्घाटन करता है। उसका एकमात्र ध्येय नियमों का पालन तथा प्रतिपादन करना होता है।

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प्रश्न 4:
यद्यपि अब भारत में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का विस्तृत आधार है तथा यह तीव्रता से फैल भी रहा है, परन्तु फिर भी इसे विज्ञान के क्षेत्र में विश्व नेता बनने की अपनी क्षमता को कार्यान्वित करने में काफी दूरी तय करनी है। ऐसे कुछ महत्त्वपूर्ण कारक लिखिए जो आपके विचार से भारत में विज्ञान के विकास में बाधक रहे हैं?
उत्तर:
आज भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विश्व में अपना स्थान बना चुका है और उसके पास अपना एक विस्तृत आधार है। चाहे वह मानव संसाधन, सूचना प्रौद्योगिकी, रॉके , आयुर्विज्ञान, परिवहन, रक्षायन्त्र, नाभिकीय विज्ञान, अनुसन्धान और बायोटेक्नोलॉजी तथा (UPBoardSolutions.com) इंजीनियरिंग कोई भी क्षेत्र क्यों न हो लेकिन फिर भी कुछ कारण ऐसे हैं जिनसे यह विश्व में आज भी एकमान्य वैज्ञानिक शक्ति नहीं है, जिसके निम्नलिखित कारण हैं

  1.  विज्ञान प्रबन्धन पर नौकरशाही का कब्जा है।
  2.  अनुसन्धान तथा प्रौद्योगिकी में सामंजस्य का अभाव होता है।
  3.  भारत में कुछ मूलभूत सुविधाओं की कमी।
  4. वैज्ञानिकों के लिए रोजगार के सीमित अवसरों की उपलब्धि।
  5. इस देश में प्रारम्भिक अनुसन्धान के लिए प्रचुर धन की आवश्यकता।

प्रश्न 5:
किसी भी भौतिक विज्ञानी ने इलेक्ट्रॉन के कभी भी दर्शन नहीं किए हैं, परन्तु फिर भी सभी भौतिक विज्ञानियों का इलेक्ट्रॉन के अस्तित्व में विश्वास है। कोई बुद्धिमान, परन्तु अन्धविश्वासी व्यक्ति इसी तुल्यरूपता को इस तर्क के साथ आगे बढ़ाता है कि यद्यपि किसी ने देखा नहीं है, परन्तु भूतों का अस्तित्व है। आप इस तर्क का खण्डन किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति की मान्यता के आधार पर अनेक घटनाएँ घटित होती देखी गयी हैं और घटित भी की जा रही हैं। इसके सम्बन्ध में कुछ सिद्धान्त प्रतिपादित किये गये तथा उनको प्रायोगिक रूप में सिद्ध पाया गया किन्तु भूत की उपस्थिति सिद्ध करने के लिए न तो कोई प्रायोगिक प्रमाण मिला है और न ही तत्सम्बन्धी कोई घटना भी अवलोकित हुई है जिससे इसकी उपस्थिति सिद्ध हो सके। यह एक केवल कल्पना : मात्र तथा अंधविश्वास है।

प्रश्न 6:
जापान के एक विशेष समुद्र तटीय क्षेत्र में पाए जाने वाले केकड़े के कवचों (खोल) में से अधिकांश समुरई के अनुश्रुत चेहरे से मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं। नीचे इस प्रेक्षित तथ्य की दो व्याख्याएँ दी गई हैं। इनमें से आपको कौन-सा वैज्ञानिक स्पष्टीकरण लगता है?
(i) कई शताब्दियों पूर्व किसी भयानक समुद्री दुर्घटना में एक युवा समुरई डूब गया। उसकी बहादुरी के लिए श्रद्धांजलि के रूप में प्रकृति ने अबोधगम्य ढंगों द्वारा उसके चेहरे को केकड़े के कवचों पर अंकित करके उसे उस क्षेत्र में अमर बना दिया।
(ii) समुद्री दुर्घटना के पश्चात उस क्षेत्र के मछुआरे अपने मृत नेता के सम्मान में सद्भावना प्रदर्शन के लिए, उस हर केकड़े के कवच को जिसकी आकृति संयोगवश समुरई से मिलती-जुलती प्रतीत होती थी, उसे वापस समुद्र में फेंक देते थे। परिणामस्वरूप केकड़े के कवचों की इस प्रकार की विशेष आकृतियाँ अधिक समय तक विद्यमान रहीं और इसीलिए कालान्तर में इसी आकृति का आनुवंशतः जनन हुआ। यह कृत्रिम वरण द्वारा विकास का एक उदाहरण है।
(नोट : यह रोचक उदाहरण कार्ल सागन की पुस्तक “दि कॉस्मॉस’ से लिया गया है। यह इस (UPBoardSolutions.com) तथ्य पर प्रकाश डालता है कि प्रायः विलक्षण तथा अबोधगम्य तथ्य जो प्रथम दृष्टि में अलौकिक प्रतीत होते हैं वास्तव में साधारण वैज्ञानिक व्याख्याओं द्वारा स्पष्ट होने योग्य बन जाते हैं। इसी प्रकार के अन्य उदाहरणों पर विचार कीजिए।)
उत्तर:
प्रश्न में दिए गए दोनों कथनों

  1.  तथा
  2.  में से कथन
  3. प्रेक्षित तथ्य का वैज्ञानिक स्पष्टीकरण देने में पर्याप्त रूप से समर्थ है।

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प्रश्न 7:
दो शताब्दियों से भी अधिक समय पूर्व इंग्लैण्ड तथा पश्चिमी यूरोप में जो औद्योगिक क्रान्ति हुई थी उसकी चिंगारी का कारण कुछ प्रमुख वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक उपलब्धियाँ थीं। ये उपलब्धियाँ क्या थीं?
उत्तर:
जिन मुख्य उपलब्धियों के कारण औद्योगिक क्रान्ति का जन्म हुआ है वह निम्न प्रकार से हैं

  1.  विद्युत की खोज से ऊर्जा प्राप्ति डाइनमो तथा मोटर की रूपरेखा।
  2.  ऊष्मा और ऊष्मागतिकी पर आधारित इंजन का आविष्कार।
  3.  हाथ की अपेक्षा कपास से 300 गुना गति से बिनौले अलग करने वाली सूती मशीन।
  4.  विस्फोटकों की खोज से न केवल सैन्य बलों, अपितु खनिज दोहन में भी आशातीत सफलता प्राप्त हुई है।
  5.  लोहे को उच्च श्रेणी के स्टील में बदलने (UPBoardSolutions.com) वाली ब्लास्ट भट्टी।
  6.  गुरुत्व के अध्ययन से गोलों/तोपों/बन्दूकों से गोली की गति के अध्ययन की खोज।

प्रमुख वैज्ञानिकों के नाम की सूची निम्नवत् है

  1.  क्रिश्चन हाइगेन,
  2. गैलिलियो गैलिली,
  3.  माइकल फैराडे तथा
  4.  आइजक न्यूटन।

प्रश्न 8:
प्रायः यह कहा जाता है कि संसार अब दूसरी औद्योगिक क्रान्ति के दौर से गुजर रहा है, जो समाज में पहली क्रान्ति की भाँति आमूलचूल परिवर्तन ला देगी। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के उन प्रमुख समकालीन क्षेत्रों की सूची बनाइए जो इस क्रान्ति के लिए उत्तरदायी हैं।
उत्तर:
विज्ञान और तकनीक की उपलब्धियाँ जो औद्योगिक क्रान्ति लाने में सक्षम हैं, उनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं

  1. लेजर तकनीक जिसके द्वारा रक्तस्राव के बिना शल्य क्रिया सम्भव हो सकी है तथा जिसके द्वारा रॉकेट तथा उपग्रहों को नियन्त्रित किया जा सकता है।
  2.  सुपरकण्डक्टरों का निर्माण जिसके द्वारा कमरे के ताप पर विद्युत शक्ति बिना हानि के प्रेषित की जा सकती है।
  3.  कम्प्यूटर का बढ़ता हुआ प्रभाव और प्रयोग जिसने मानव की कार्यकुशलता कई गुनी बढ़ा दी है।
  4.  बायोटेक्नोलॉजी का अद्भुत विकास।

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प्रश्न 9:
बाईसवीं शताब्दी के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर अपनी निराधार कल्पनाओं को आधार मानकर लगभग 1000 शब्दों में कोई कथा लिखिए।
उत्तर:
आज हम सदर देशों की यात्रा वाययान, रेलमार्ग अथवा मोटरकार द्वारा करते हैं जो पेटोल अथवा डीजल से चलते हैं। बाईसवीं शताब्दी तक पहुँचते-पहुँचते हम दूर आकाश में स्थित ग्रहों तथा उपग्रहों की यात्रा कर सकेंगे जिनकी अनुमानित दूरी हजारों प्रकाश वर्ष से भी अधिक है। अनुमान है कि वे यान ईंधन रहित होंगे।
आज उपग्रह को स्थापित करने के लिए रॉकेट का प्रयोग आवश्यक है (UPBoardSolutions.com) और उसके लिए उपयुक्त प्लेटफॉर्म का होना भी आवश्यक है, किन्तु बाईसवीं शताब्दी के आते-आते विज्ञान की प्रगति उस अवस्था तक पहुँच जाएगी कि पृथ्वी से प्रेषित यानों को रिमोट कंट्रोल द्वारा संचालित किया जा सकेगा। यही नहीं आकाश में भ्रमण करती हुई कार्यशाला भी होगी जो किसी यान में त्रुटि आने पर उसकी आवश्यक देखभाल और मरम्मत भी कर सकेगी।

प्रश्न 10:
विज्ञान के व्यवहार पर अपने ‘नैतिक दृष्टिकोणों को रचने का प्रयास कीजिए। कल्पना कीजिए कि आप स्वयं किसी संयोगवश ऐसी खोज में लगे हैं जो शैक्षिक दृष्टि से रोचक है। परन्तु उसके परिणाम निश्चित रूप से मानव समाज के लिए भयंकर होने के अतिरिक्त कुछ नहीं होंगे। फिर भी यदि ऐसा है तो आप इस दविधा के हल के लिए क्या करेंगे?
उत्तर:
वैज्ञानिक का कार्य प्रकृति के सत्य की खोज करना और उसे फिर प्रकाशन माध्यम से संसार के सामने प्रस्तुत करना है। इसमें कोई भी सन्देह नहीं है कि एक ही खोज का प्रभाव मानव पर उत्थान और विनाश दोनों के लिये उपयोगी किया जा सकता है। यह बात वैज्ञानिक खोज के व्यावहारिक उपयोग करने वाले पर निर्भर है। यहाँ पर यह बात भी सम्भव हो सकती है कि जो खोज आज विनाशकारी है, वह आगे चलकर लाभकारी भी सिद्ध हो सकती है। यदि मैं एक वैज्ञानिक अन्वेषक हूँ और माना कि मैं स्टेम सेल पर कार्य कर रहा हूँ तो वैज्ञानिक आविष्कारक के रूप में मेरा दायित्व है कि उसके परिणाम समाज के सामने प्रस्तुत करू। राजनेता इसका उपयोग एक विशेष मानव जाति के विकास के लिए करते हैं या फिर डॉक्टर इसका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार के लिए करते हैं, इस बात का ध्यान रखना मेरा कार्य नहीं है। आइस्टाइन ने E = mc² का सूत्र संसार को दिया लेकिन इसका उपयोग हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम गिराने में होगा ऐसा उसने कभी भी नहीं सोचा था। आज यह समीकरण संसार में ऊर्जा उत्पादन के कार्य में लाई जा रही है, जो कि मानव कल्याण का कार्य ही है।

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प्रश्न 11:
किसी भी ज्ञान की भाँति विज्ञान का उपयोग भी, उपयोग करने वाले पर निर्भर करते हुए, अच्छा अथवा बुरा हो सकता है। नीचे विज्ञान के कुछ अनुप्रयोग दिए गए हैं। विशेषकर कौन-सा अनुप्रयोग अच्छा है, बुरा है अथवा ऐसा है कि जिसे स्पष्ट रूप से वर्गबद्ध नहीं किया जा सकता? इसके बारे में अपने दृष्टिकोणों को सूचीबद्ध कीजिए

  1.  आम जनता को चेचक के टीके लगाकर इस रोग को दबाना और अन्ततः इस रोग से जनता को मुक्ति दिलाना। (भारत में इसे पहले ही प्रतिपादित किया जा चुका है।)
  2.  निरक्षरता का विनाश करने तथा समाचारों एवं धारणाओं के जनसंचार के लिए टेलीविजन।
  3.  जन्म से पूर्व लिंग-निर्धारण।
  4. कार्यदक्षता में वृद्धि के लिए कम्प्यूटर।
  5. पृथ्वी के परितः कक्षाओं में मानव-निर्मित उपग्रहों की स्थापना।
  6. नाभिकीय शस्त्रों का विकास।
  7.  रासायनिक तथा जैव-युद्ध की नवीन तथा शक्तिशाली तकनीकों का विकास।
  8.  पीने के लिए जल का शोधन।
  9. प्लास्टिक शल्य क्रिया।
  10. क्लोनिंग।

उत्तर:

  1.  उत्तम-भारत देश इस संक्रामक रोग से पूर्णतया मुक्त हो चुका है।
  2. उत्तम-इसके द्वारा शिक्षा का प्रसार होता है एवं साथ ही मनोरंजन और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  3.  इस ज्ञान का दुरुपयोग सम्भव है। बहुधा भ्रूण के कन्या होने पर (UPBoardSolutions.com) गर्भपात करा दिया जाता है जो भ्रूण हत्या है और सर्वथा अनुचित भी।।
  4. उत्तम-कार्यकुशलता बढ़ती है।
  5.  उत्तम-उपग्रह की स्थापना ने संचार व्यवस्था में क्रान्ति ला दी है।
  6.  अवांछित-ये सामूहिक विनाश का कारण होते हैं तथा इनके प्रयोग से जो विनाश का तांडव होता है उसका न तो अनुमान लगाया जा सकता है न
  7. इस पर कोई प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है।
  8.  इनका प्रयोग मानवता के विपरीत है या कहिए अमानवीय है।
  9. श्रेष्ठ – शुद्ध पेयजल मिलने से अनेक रोगों की सम्भावना समाप्त हो जाती है।
  10.  उत्तम-विकृति दूर की जा सकती है।
  11. उत्तम-निस्संतान दंपत्ति लाभान्वित हो सकते हैं।

प्रश्न 12:
भारत में गणित, खगोलिकी, भाषा विज्ञान, तर्क तथा नैतिकता में महान विद्वत्ता की एक लम्बी एवं अटूट परम्परा रही है। फिर भी इसके साथ एवं समान्तर, हमारे समाज में बहुत से अन्धविश्वासी तथा रूढ़िवादी दृष्टिकोण व परम्पराएँ फली-फूली हैं और दुर्भाग्यवश ऐसा अभी भी हो रहा है और बहुत-से शिक्षित लोगों में व्याप्त है। इन दृष्टिकोणों का विरोध करने के लिए अपनी रणनीति बनाने में आप अपने विज्ञान के ज्ञान का उपयोग किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
भारत में रूढ़िवादिताएँ और अतार्किक कर्मकाण्ड काफी प्रचलित हैं। इनको समाज से हटाना कोई छोटा-सा सुगम मार्ग नहीं है। इन व्यवहारों को जन्म देने वाले कुछ कारण निम्नलिखित हैं

  1. समाज के बड़े भाग को शिक्षा से वंचित रखना।
  2.  लोगों में विज्ञान के प्रति ज्ञान का अभाव रहना।
  3. शासक तथा भूमि मालिकों का स्वार्थ।
  4.  जाति प्रथाः ।
  5.  दूसरों को अज्ञानी रखकर उन पर शासन करने की लालसा रखना।

ज्यादा-से-ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम, जैसे- रेडियो, टी०वी०, समाचार-पत्र, विज्ञान प्रदर्शनियाँ आदि के द्वारा विज्ञान एवं तकनीकी के विकास में लोगों की रुचि को जाग्रत करके व्यवहार को बदलने से अपने ध्येय की प्राप्ति हो सकती है। इससे लोग शिक्षित हो सकते हैं। (UPBoardSolutions.com) अभिभावकों को अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिये उन्हें स्कूल भेजने के लिये प्रेरित किया जाना चाहिए। भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियन्त्रण पाने के लिये हमें वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाना अतिआवश्यक है। यह एक विस्फोटक स्थिति है। इससे लोगों में विज्ञान के प्रति विश्वास उत्पन्न होगा और विज्ञान के ज्ञान का सदुपयोग होगा।

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प्रश्न 13:
यद्यपि भारत में स्त्री तथा पुरुषों को समान अधिकार प्राप्त हैं, फिर भी बहुत से लोग महिलाओं की स्वाभाविक प्रकृति, क्षमता, बुद्धिमत्ता के बारे में अवैज्ञानिक विचार रखते हैं। तथा व्यवहार में उन्हें गौण महत्त्व तथा भूमिका देते हैं। वैज्ञानिक तक तथा विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में महान महिलाओं का उदाहरण देकर इन विचारों को धाराशायी कीजिए तथा अपने को स्वयं तथा दूसरों को भी समझाइए कि समान अवसर दिए जाने पर महिलाएँ पुरुषों के समकक्ष होती हैं।
उत्तर:
जन्म से पूर्व तथा जन्म के पश्चात् आहार के पोषक तत्वों का एक बड़ा भाग मानव-मस्तिष्क के विकास में योगदान करता है। यह मानव-मस्तिष्क स्त्री अथवा पुरुष किसी का भी हो सकता है। यदि हम स्त्रियों के प्राचीन इतिहास तथा वर्तमान स्थिति पर ध्यान केन्द्रित करें तो हम देखते हैं कि स्त्रियों की स्थिति सदैव सम्मानजनक रही है तथा उन्होंने अनेक उत्कृष्ट कार्य किए हैं। वे प्रत्येक कार्य में सक्षम हैं तथा किसी भी दशा में पुरुषों से कम नहीं हैं। जब्र कभी भी स्त्रियों को अवसर प्राप्त हुआ है, आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए हैं। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, सती अनुसूया (महर्षि अत्रि की पत्नी), रानी कर्मावती, नूरजहाँ, श्रीमती सरोजिनी नायडू, मैडम क्युरी, कल्पना चावला, मार्गेट थेचर, श्रीमती भण्डारनाइके, इन्दिरा गांधी, बछेन्द्री पॉल, श्रीमती संतोष यादव आदि अनेक नाम स्त्रियों के स्वर्णिम इतिहास का वर्णन करते हैं। (UPBoardSolutions.com) आज के समय में सानिया मिर्जा का नाम भी स्त्री-जगत में शीर्षस्थ स्थान पर है। इन स्त्रियों को अवसर प्राप्त हुआ तथा इन्होंने अपनी अपूर्व-क्षमता का परिचय दिया। आज भारत सरकार ने रक्षा-सेवाओं के द्वार भी स्त्रियों के लिए खोल दिए हैं तथा वहाँ भी स्त्रियों ने अपनी कार्यदक्षता सिद्ध कर दी है।
अतः यह सत्य है कि समान अवसर दिए जाने पर महिलाएँ पुरुषों के समकक्ष होती हैं।

प्रश्न 14:
“भौतिकी के समीकरणों में सुन्दरता होना उनका प्रयोगों के साथ सहमत होने की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण है।” यह मत महान ब्रिटिश वैज्ञानिक पी०ए०एम० डिरैक का था। इस दृष्टिकोण की समीक्षा कीजिए। इस पुस्तक में ऐसे सम्बन्धों तथा समीकरणों को खोजिए जो आपको सुन्दर लगते हैं।
उत्तर:
यह कथन असत्य नहीं है। भौतिकी के समीकरण प्रयोगों से मिलने चाहिए और साथ ही सरल और सुन्दर भी होने चाहिए। आइन्स्टाइन का समीकरण (E = mc²) एक ऐसा ही समीकरण है जो बहुत सुन्दर और याद करने में सरल है। लेकिन इस समीकरण ने बीसवीं शताब्दी में विज्ञान एवं समाज का चेहरा ही बदल दिया है। दूसरा समीकरण F = G है जो कि सामान्य एवं सुन्दर है। एक दी गई स्थिति में इस समीकरण ने खगोल विज्ञान की समझ में ही आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है। भौतिकी में कुछ अन्य ऐसे ही समीकरण निम्नवत् हैं
F = mg, E= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mν², P = mν, E= hν तथा स्थितिज ऊर्जा U = mgh

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प्रश्न 15:
यद्यपि उपर्युक्त प्रक्कथन विवादास्पद हो सकता है परन्तु अधिकांश भौतिक विज्ञानियों का यह मत है कि भौतिकी के महान नियम एक ही साथ सरल एवं सुन्दर होते हैं। डिरैक के अतिरिक्त जिन सुप्रसिद्ध भौतिक विज्ञानियों ने ऐसा अनुभव किया उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं-आइन्स्टाइन, बोर, हाइजेनबर्ग, चन्द्रशेखर तथा फाइनमैन। आपसे अनुरोध है कि आप भौतिकी के इन विद्वानों तथा अन्य महानायकों द्वारा रचित सामान्य पुस्तकों एवं लेखों तक पहुँचने के लिए विशेष प्रयास अवश्य करें। (इस पुस्तक के अन्त में दी गई ग्रन्थ-सूची देखिए)। इनके लेख सचमुच प्रेरक हैं।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 Physical World
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 भौतिक जगत 2

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प्रश्न 16:
विज्ञान की पाठ्य-पुस्तकें आपके मन में यह गलत धारणा उत्पन्न कर सकती हैं कि विज्ञान पढ़ना शुष्क तथा पूर्णतः अत्यन्त गम्भीर है एवं वैज्ञानिक भुलक्कड़, अन्तर्मुखी, कभी न हँसने वाले अथवा खीसे निकालने वाले व्यक्ति होते हैं। विज्ञान तथा वैज्ञानिकों का यह चित्रण पूर्णतः आधारहीन है। अन्य समुदाय के मनुष्यों की भाँति वैज्ञानिक भी विनोदी होते हैं। तथा बहुत से वैज्ञानिकों ने तो अपने वैज्ञानिक कार्यों को गम्भीरता से पूरा करते हुए अत्यन्त विनोदी प्रकृति के साथ साहसिक कार्य करके अपना जीवन व्यतीत किया है। गैमो तथा फाइनमैन इसी शैली के दो भौतिक विज्ञानी हैं। ग्रन्थ सूची में उनके द्वारा रचित पुस्तकों को पढ़ने में आपको आनन्द प्राप्त होगा।
उत्तर:
फाइनमैन तथा गैमो द्वारा रचित इन पुस्तकों के नाम निम्नलिखित हैं

  1. आर० पी० फाइनमैन द्वारा रचित ‘Surely you are joking, Mr. Feynman’, बेन्टन बुक्स (1986)।
  2.  जी गैमो द्वारा रचित ‘Mr. Tompkins in paperback’, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (UPBoardSolutions.com) प्रेस (1987)। उपर्युक्त पुस्तकों को पढ़ने पर ज्ञात होता है कि वैज्ञानिक भी अन्य समुदाय के मनुष्यों की भाँति ही विनोदी होते हैं। विज्ञान विषय पढ़ना शुष्क तथा पूर्णतः गम्भीर नहीं हैं यदि इसका अध्ययन हम रुचिपूर्वक, तथ्यों को भली-भाँति समझकर करें।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1:
भौतिक शास्त्र है।
(i) भौतिक विषयों का अध्ययन
(ii) भौतिक वस्तुओं का अध्ययन
(iii) प्रकृति के विभिन्न घटनाक्रमों का अध्ययन
(iv) विकल्प (ii) एवं (iii) दोनों
उत्तर:
(iv) विकल्प (ii) एवं (iii) दोनों

प्रश्न 2:
नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय वैज्ञानिक थे
(i) श्री जे०सी० बोस
(ii) एचजे० भाभा
(iii) एम० एन० शाह
(iv) सर सी०वी० रमन
उत्तर:
(iv) सर सी०वी० रमन

प्रश्न 3:
गुरुत्वाकर्षण की खोज की
(i) बेथे ने
(ii) आइन्सटाइन ने
(iii) न्यूटन ने
(iv) रदरफोर्ड ने
उत्तर:
(iii) न्यूटन ने

प्रश्न 4:
रेडियोधर्मिता की खोज किसके द्वारा की गयी?
(i) चैडविक
(ii) रदरफोर्ड
(iii) बेकुरल
(iv) रॉञ्जन
उत्तर:
(iii) बेकुरल

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प्रश्न 5:
प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर का आविष्कार हुआ
(i) 1942 में
(ii) 1946 में
(iii) 1947 में
(iv) 1948 में
उत्तर:
(ii) 1946 में

प्रश्न 6:
अब्दुस सलाम को निम्न में से किस क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ?
(i) अणुओं द्वारा प्रकाश का अप्रत्यास्थ प्रकीर्णन
(ii) दुर्बल तथा विद्युत चुम्बकीय बलों का एकीकरण
(iii) अति चालकता
(iv) लेसर तकनीक
उत्तर:
(ii) दुर्बल तथा विद्युत चुम्बकीय बलों का एकीकरण

प्रश्न 7:
टेलीविजन का आविष्कार किया
(i) राइट ब्रदर्स ने
(ii) मूलर ने
(iii) बेयर्ड ने
(iv) गोडार्ड ने
उत्तर:
(iii) बेयर्ड ने

प्रश्न 8:
डी-ब्रॉगली सम्बन्धित है।
(i) जर्मनी से
(ii) इंग्लैण्ड से
(iii) फ्रांस से
(iv) अमेरिका से
उत्तर:
(iii) फ्रांस से

प्रश्न 9:
परमाणु के नाभिक की खोज की थी
(i) न्यूटन
(ii) थॉमसन
(ii) रदरफोर्ड
(iv) मैक्सवेल
उत्तर:
(iii) रदरफोर्ड

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प्रश्न 10:
द्रव्यमान-ऊर्जा की तुल्यता किस वैज्ञानिक ने स्थापित की?
(i) जूल
(i) न्यूटन
(iii) आइन्सटाइन
(iv) फैराडे
उत्तर:
(iii) आइन्सटाइन

प्रश्न 11:
प्रकृति में पाया जाने वाला सबसे अधिक निर्बल बल है।
(i) गुरुत्वाकर्षण बल ,
(ii) वैद्युत चुम्बकीय बल ,
(iii) दुर्बल नाभिकीय बल
(iv) प्रबल नाभिकीय बल
उत्तर:
(i) गुरुत्वाकर्षण बल

प्रश्न 12:
प्रबल नाभिकीय बल विद्युत चुम्बकीय बलों की अपेक्षा होता है।
(i) 100 गुना क्षीण
(ii) 100 गुना प्रबल
(iii) 106 गुना क्षीण
(iv) 106 गुना प्रबल
उत्तर:
(ii) 100 गुना प्रबल

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
भौतिकी क्या है?
उत्तर:
भौतिकी विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत प्रकृति एवं प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 2:
उस वैज्ञानिक का नाम लिखिए जिसने x-किरणों की खोज की।
उत्तर:
डब्ल्यू० के० रॉञ्जन।

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प्रश्न 3:
उस वैज्ञानिक का नाम बताइये जिसे विज्ञान की दो पृथक-पृथक शाखाओं में नोबेल पुरस्कार मिला।
उत्तर:
मैडम मेरी स्कलेडोवेक क्यूरी (Skladowak Curie) को भौतिकी में वर्ष 1903 में तथा रसायन विज्ञान में वर्ष 1911 में नोबेल पुरस्कार मिला।

प्रश्न 4:
बेतार सन्देश के आविष्कारक का नाम क्या है?
उत्तर:
बेतार सन्देश के आविष्कारक जी० मार्कोनी थे।

प्रश्न 5:
मैक्सवेल का नाम किस वैज्ञानिक सिद्धान्त से सम्बद्ध है?
उत्तर:
वैद्युत चुम्बकीय सिद्धान्त

प्रश्न 6:
भौतिकी में तीन संरक्षण नियमों के नाम बताइए।
उत्तर:
ऊर्जा संरक्षण का नियम, रेखीय संवेग संरक्षण का नियम तथा वैद्युत आवेश संरक्षण का नियम।

प्रश्न 7:
रेखीय संवेग संरक्षण का नियम लिखिए।
उत्तर:
रेखीय संवेग संरक्षण का नियम–यदि कणों के किसी निकाय पर कार्य करने वाला बाह्य बल शून्य है, तो उस निकाय का संवेग संरक्षित रहता है।

प्रश्न 8:
द्रव्यमान तथा ऊर्जा का तुल्यता का नियम बताइए तथा इसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
आइन्सटाइन के अनुसार, द्रव्यमान तथा ऊर्जा पृथक्-पृथक् अस्तित्व वाली भौतिक राशियाँ नहीं हैं, बल्कि एक ही राशि के दो रूप हैं। द्रव्यमान को ऊर्जा में तथा ऊर्जा को द्रव्यमान में बदला जा सकता है। द्रव्यमान तथा ऊर्जा के बीच तुल्य सम्बन्ध, E = mc2, जहाँ E ऊर्जा तथा (UPBoardSolutions.com) m द्रव्यमान हैं। इसके अनुसार यदि ऊर्जा E विलुप्त हो जाए, तो द्रव्यमान m बढ़ जाता है और यदि द्रव्यमान m नष्ट हो जाए तो इसके समतुल्य ऊर्जा E उत्पन्न होती है।
उदाहरण–सूर्य पर चल रही नाभिकीय संलयन की क्रियाओं में सूर्य का द्रव्यमान निरन्तर ऊर्जा में परिवर्तित हो रहा है।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
वैज्ञानिक विधि क्या है? वैज्ञानिक विधि के विभिन्न चरणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भौतिक जगत की प्राकृतिक घटनाओं का क्रमबद्ध एवं सुव्यवस्थित ज्ञान प्राप्त करने के लिए जो । विधि अपनायी जाती है, उसे वैज्ञानिक विधि कहते हैं। वैज्ञानिक विधि निम्नलिखित चार चरणों में पूर्ण की जाती है।

1. क्रमबद्ध प्रेक्षण Systematic observations:
प्राकृतिक घटना अथवा अध्ययन के लिए चुनी गई समस्या से सम्बन्धित भौतिक राशियों के पर्याप्त संख्या में प्रेक्षण लिए जाते हैं और उन्हें सुव्यवस्थित करके उनका विश्लेषण किया जाता है।

2. परिकल्पना की रचना Construction of hypothesis:
प्राप्त प्रेक्षणों का विश्लेषण करने के लिए एक कार्यकारी मॉडल (working model) तैयार किया जाता है, जिसे परिकल्पना कहते हैं। इसमें समस्या को गणितीय रूप में अभिव्यक्त किया जाता हैं।

3. परिकल्पना का परीक्षण Testing of the hypothesis:
बनाई गई परिकल्पना का परीक्षण करने के लिए, उस परिकल्पना के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले जाते हैं एवं उनका सत्यापन करने के लिए नए प्रयोग भी किए जाते हैं।

4. सिद्धान्त की स्थापना Establishment of theory:
यदि परिकल्पना सत्यापित हो जाती है, तो उसे अन्तिम सिद्धान्त मान लिया जाता है। यदि परिकल्पना सत्यापित नहीं हो पाती है तो उसमें संशोधन किए जाते हैं अथवा नई परिकल्पना तैयार की जाती है और उसके परीक्षण के लिए पुनः नये प्रयोग किए जाते हैं। इसी क्रम को तब तक जारी रखते हैं जब तक प्रयोगों द्वारा पूर्णत: सत्यापित अन्तिम सिद्धान्त प्राप्त न हो जाये।

प्रश्न 2:
आवेश-संरक्षण का नियम लिखिए। उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जब दो वस्तुओं को परस्पर रगड़ा जाता है, तो दोनों वस्तुओं पर एक साथ विपरीत प्रकृति परन्तु समान परिमाण के आवेश उत्पन्न हो जाते हैं। अर्थात् दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेश की कुल मात्रा शून्य ही रहती है। इस बात को हम इस प्रकार भी कह सकते (UPBoardSolutions.com) हैं कि “न तो आवेश उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है।” यह कथन ही “आवेश-संरक्षण का नियम”(Law of conservation of charge) कहलाता है। प्रत्येक प्राकृतिक घटना में, जहाँ वैद्युत आवेश का आदान-प्रदान होता है, इस नियम को सत्य पाया गया है।

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उदाहरणार्थ:
इलेक्ट्रॉन तथा पॉजिट्रॉन का संयोग आवेश-संरक्षण को प्रदर्शित करता है। इलेक्ट्रॉन पर ऋणावेश होता है तथा पॉजिट्रॉन पर ठीक इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर परिमाण का धनावेश होता है।
अतः दोनों के आवेश का कुल योग शून्य होता है। ये दोनों परस्पर संयोग करके दो γ-प्रोटॉन उत्पन्न करते हैं जिसमें प्रत्येक पर आवेश शून्य ही होता है।
अतः संयोग से पूर्व कुल आवेश = संयोग के पश्चात् कुल आवेश।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
भौतिकी का प्रौद्योगिकी से सम्बन्ध उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भौतिकी तथा प्रौद्योगिकी के बीच सम्बन्ध–भौतिकी तथा प्रौद्योगिकी के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है। भौतिकी के सिद्धान्तों पर प्रौद्योगिकी को प्रयुक्त कर अनेक मशीनें तथा उपकरण बनाए गए हैं जो समाज के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध हुए हैं। इसके उदाहरण निम्नलिखित हैं

  1.  टेलीफोन, टेलीग्राफ और टेलेक्स के विकास से हम दूर तक बात कर सकते हैं । समाचार भेज सकते हैं।
  2.  रेडियो, टेलीविजन और सैटेलाइट (satellite) के विकास से संचार साधन (communication) में क्रान्ति (revolution) ओ गयी।
  3. इलेक्ट्रॉनिक (electronic), कम्प्यूटर, लेसर (laser) के विकास से समाज (society) को अत्यधिक लाभ हुआ है।
  4.  विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण (electro-magnetic induction) (UPBoardSolutions.com) के सिद्धान्त पर विद्युत का उत्पादन आधारित है।
  5. ऊष्मागतिकी (thermodynamics) के नियम पर आधारित ऊष्मा इंजन, पेट्रोल इंजन, डीजल इंजन आदि से सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना।
  6.  न्यूक्लीयर चेन प्रतिक्रिया (nuclear chain reaction) को नियन्त्रित करके न्यूक्लीयर रिएक्टर से शक्ति (power) का उत्पादन करना।
  7.  रॉकेट की उड़ान न्यूटन के गति के तीसरे नियम पर आधारित है।
  8.  बर्नोली के सिद्धान्त पर हवाई जहाज का उड़ना।
  9. भौतिकी के अध्ययन से ही लेसर (laser) का आविष्कार हुआ है जिससे समाज को अधिक लाभ पहुँचा है।
  10. X-किरणों का व्यवहार औषधि विज्ञान (medical science) में किया जाता है। कुछ प्रौद्योगिक उपलब्धियाँ एवं उनसे सम्बन्धित भौतिकी के सिद्धान्तों को नीचे सारणी में दिया गया है

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UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 Physical World
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 भौतिक जगत 4

प्रश्न 2:
प्रकृति के मूल बल कौन-कौन से हैं? प्रत्येक के प्रमुख गुण लिखिए। उदाहरण सहित बलों के एकीकरण को समझाइए।
या
प्रकृति के चार मूल बल कौन-कौन से हैं। उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रकृति केमल बल: प्रकृति में चार प्रकार के मूल बल हैं जो निम्नलिखित हैं-

  1.  गुरुत्वाकर्षण बल,
  2. विद्युत चुम्बकीय बल,
  3.  प्रबल नाभिकीय बल तथा
  4. दुर्बल नाभिकीय बल।

1. गुरुत्वाकर्षण बल:
न्यूटन के अनुसार, ब्रह्माण्ड में प्रत्येक द्रव्य-कण दूसरे द्रव्य-कण को अपनी ओर आकर्षित करता है तो इन कणों के बीच एक आकर्षण बल लगता है। यही आकर्षण बल गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 भौतिक जगत 5
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण बल के नियमानुसार, किन्हीं दो पिण्डों के बीच कार्यरत् गुरुत्वाकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह एक सार्वत्रिक बल है।
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जहाँ m1 व m2 = पिण्डों के द्रव्यमान तथा r = द्रव्यमानों के बीच की दूरी गुरुत्वाकर्षण बलों के गुण निम्नलिखित हैं

  1. ये बल सदैव आकर्षणात्मक होते हैं तथा कभी भी प्रतिकर्षणात्मक नहीं होते हैं।
  2. ये प्रकृति में सबसे दुर्बल बंल होते हैं।
  3. ये विस्तृत दूरियों पर भी कार्यरत् रहते हैं।
  4.  ये दूरी सम्बन्धी व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करते हैं।
  5.  ये केन्द्रीय बल होते हैं अर्थात् दोनों वस्तुओं के केन्द्रों को जोड़ने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करते हैं।
  6. ये बल संरक्षी बल होते हैं।

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2. विद्युत चुम्बकीय बल:
आवेशित कणों के बीच कार्यरत् बल को विद्युत चुम्बकीय बल कहते हैं। स्थिर आवेशित कणों के बीच कार्यरत् बल को कूलॉम के नियम द्वारा व्यक्त किया जाता है, इसीलिए इसे कूलॉम का नियम भी कहते हैं।
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कूलॉम के अनुसार, किन्हीं दो स्थिर बिन्दु आवेशों के बीच कार्यरत् स्थिर वैद्युत बल, आवेशों के परिमाणों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनकी बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
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जहाँ, q1 q2= कार्यरत् आवेश तथा r = कार्यरत् आवेशों के बीच की दूरी है। समान आवेशों के बीच कार्यरत् बल प्रतिकर्षण तथा असमान आवेशों के बीच कार्यरत् वैद्युत बल आकर्षण प्रकृति का होता है।

विद्युत चुम्बकीय बलों के गुण निम्नलिखित हैं

  1. ये बल आकर्षणात्मक अथवा प्रतिकर्षणात्मक हो सकते हैं।
  2.  ये बल कूलॉम के नियम का पालन करते हैं।
  3. ये दूरी सम्बन्धी व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करते हैं।
  4.  दो प्रोटॉनों के बीच स्थिर वैद्युत बल किसी भी स्थिर दूरी के लिए गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में 1036 गुना प्रबल होते हैं।
  5. ये अधिक दूरी तक प्रभावी नहीं होते हैं।
  6. ये केन्द्रीयै बल होते हैं।
  7.  ये संरक्षी बल होते हैं।

3. प्रबल नाभिकीय बल:
वे बल जो एक नाभिक में न्यूट्रॉनों तथा प्रोटॉनों को परस्पर साथ-साथ बाँधे रखते हैं, प्रबल नाभिकीय बल कहलाते हैं। अतः ये बल दो प्रोटॉनों अथवा दो न्यूट्रॉनों अथवा एक
टॉन व एक न्यूट्रॉन के बीच कार्यरत रहते हैं, जबकि ये कण परस्पर एक-दूसरे के काफी निकट होते हैं। जब दो न्यूक्लिऑन परस्पर 10-15 मीटर दूरी पर होते हैं तो उनके बीच प्रबल नाभिकीय आकर्षण बल इतनी ही दूरी पर स्थित दो प्रोटॉनों के बीच लगने वाले प्रतिकर्षणात्मक वैद्युत बल की तुलना में 10 गुना प्रबल होता है।

प्रबल नाभिकीय बलों के गुण निम्नलिखित हैं

  1. नाभिकीय बल आकर्षण बल हैं।
  2. ये बल अत्यन्त प्रबल हैं। मानव जानकारी में अब तक जितने भी बल ज्ञात हैं उनमें सबसे अधिक तीव्र नाभिकीय बल ही हैं।
  3.  ये वैद्युत बल नहीं हैं। यदि ये वैद्युत बल होते तो इनके कारण प्रोटॉनों के बीच प्रतिकर्षण होता और नाभिक की संरचना सम्भव न हो पाती।
  4.  ये गुरुत्वीय बल भी नहीं हैं। दो न्यूक्लिऑनों के बीच गुरुत्वीय (UPBoardSolutions.com) बल बहुत क्षीण होते हैं, जबकि नाभिकीय बल अत्यन्त तीव्र हैं। अत: नाभिकीय बल मूलत: गुरुत्वीय बल नहीं हो सकते।
  5. ये बल आवेश पर किसी प्रकार भी निर्भर नहीं करते अर्थात् विभिन्न न्यूक्लिऑनों के बीच
    (जैसे-प्रोटॉन-प्रोटॉन के बीच, न्यूट्रॉन-न्यूट्रॉन के बीच, प्रोटॉन-न्यूट्रॉन के बीच) बल एकसमान (uniform) होते हैं।
  6.  ये बल अत्यन्त लघु परिसर (short range) के हैं। अत: ये बहुत कम दूरी (केवल नाभिकीय व्यास, 10-15 मीटर के अन्दर) तक ही प्रभावी होते हैं।

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4. दुर्बल नाभिकीय बल:
इन बलों की उत्पत्ति की खोज रेडियोधर्मिता में β-रूप की घटना के दौरान हुई। ये बल अल्प जीवन काल वाले कणों के बीच अन्योन्य प्रक्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न बल हैं। दुर्बल नाभिकीय बलों के गुण निम्नलिखित हैं|

  1.  ये बल आकर्षणात्मक अथवा प्रतिकर्षणात्मक हो सकते हैं।
  2.  ये बल कूलॉम के नियम का पालन करते हैं।
  3. ये दूरी सम्बन्धी व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करते हैं।
  4.  दो प्रोटॉनों के बीच स्थिर वैद्युत बल किसी भी स्थिर दूरी के लिए गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में 1036 गुना प्रबल होते हैं।
  5.  ये अधिक दरी तक प्रभावी नहीं होते हैं।
  6. ये केन्द्रीय बल होते हैं।
  7.  ये संरक्षी बल होते हैं।
  8. विद्युत चुम्बकीय बलों का क्षेत्र कण फोटॉन होता है जिस पर कोई आवेश नहीं होता है तथा जिसका विराम द्रव्यमान शून्य होता है।

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बलों का एकीकरण:
एकीकरण भौतिकी की मूलभूत खोज है। भौतिकी की महत्त्वपूर्ण उन्नति प्राय: विभिन्न सिद्धान्तों तथा प्रभाव क्षेत्रों के एकीकरण की ओर ले जाती है। न्यूटन ने पार्थिव तथा खगोलीय प्रभाव क्षेत्रों को अपने गुरुत्वाकर्षण के सर्वमान्य नियम के अधीन एकीकृत किया। ऑस्टेंड तथा फैराडे ने प्रायोगिक खोजों द्वारा दर्शाया कि व्यापक रूप में वैद्युत तथा चुम्बकीय परिघटनाएँ अविच्छेद्य हैं। मैक्सवेल की इस खोज ने, कि प्रकाश विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, (UPBoardSolutions.com) विद्युत चुम्बकत्व तथा प्रकाशिकी को एकीकृत किया। आइंस्टाइन ने गुरुत्व तथा विद्युत चुम्बकत्व को एकीकृत करने का प्रयास किया परन्तु अपने इस साहसिक कार्य में सफल न हो सके। परन्तु इससे भौतिक विज्ञानियों की, बलों के एकीकरण के उद्देश्य के लिए, उत्साहपूर्वक आगे बढ़ने की प्रक्रिया रुकी नहीं।

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