UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 10 संस्कृत-पदों का स्वरचित वाक्यों में प्रयोग (रचना)

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 10
Subject Sanskrit
Chapter Chapter 10
Chapter Name संस्कृत-पदों का स्वरचित वाक्यों में प्रयोग (रचना)
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 10 संस्कृत-पदों का स्वरचित वाक्यों में प्रयोग (रचना)

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UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 2 ऑपरेटिंग सिस्टम

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 2 ऑपरेटिंग सिस्टम are part of UP Board Solutions for Class 12 Computer. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 2 ऑपरेटिंग सिस्टम.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Computer
Chapter Chapter 2
Chapter Name ऑपरेटिंग सिस्टम
Number of Questions Solved 21
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 2 ऑपरेटिंग सिस्टम

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
निम्न में से ऑपरेटिंग सिस्टम का कौन-सा प्रकार सर्वाधिक धीमी गति से कार्य करता है? [2014]
(a) मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम
(b) बैच ऑपरेटिंग सिस्टम
(c) टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम
(d) नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम
उत्तर:
(b) बैच ऑपरेटिंग सिस्टम

प्रश्न 2
निम्न में से कौन-सा ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है? [2018]
(a) Sun
(b) Linux
(c) Windows
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 3
वी एम एस (VMS) किस ऑपरेटिंग सिस्टम का उदाहरण है?
(a) मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम
(b) बैच ऑपरेटिंग सिस्टम
(c) सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम
(d) रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम
उत्तर:
(a) मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम

प्रश्न 4
सिंगल टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम है।
(a) विण्डोज
(b) Mac OS
(c) पॉम
(d) MS-Windows 3X
उत्तर:
(c) पॉम

प्रश्न 5
यूनिक्स पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम कौन-सा है?
(a) यूनिक्स
(b) लाइनक्स
(c) एम एस विण्डोज
(d) सोलेरिस
उत्तर:
(b) लाइनक्स

प्रश्न 6
पर्सनल कम्प्यूटर के लिए आजकल सर्वाधिक लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम कौन-सा है? [2013]
(a) OS/2
(b) SUN
(c) MS-DOS
(d) MS-Windows
उत्तर:
(d) MS-Windows

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1:
ऑपरेटिंग सिस्टम को परिभाषित कीजिए। [2007]
उत्तर:
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System, OS) एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो यूजर (कम्प्यूटर पर कार्य करने वाला व्यक्ति), एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और कम्प्यूटर हार्डवेयर के बीच संवाद (Communication) स्थापित करता है।

प्रश्न 2
ऑपरेटिंग सिस्टम के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर:
आपरेटिंग सिस्टम के निम्न दो कार्य इस प्रकार हैं

  1. प्रोसेसिंग प्रबन्धन
  2. फाइल प्रबन्धन

प्रश्न 3
मेमोरी प्रबन्धन में ऑपरेटिंग सिस्टम का क्या कार्य है?
उत्तर:
प्रोग्राम के सफल निष्पादन के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम मैमोरी प्रबन्धन का कार्य करता है।

प्रश्न 4
मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम को परिभाषित कीजिए। [2015, 09]
उत्तर:
मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम एक समय में एक से अधिक उपयोगकर्ता को कार्य करने की अनुमति देता है।

प्रश्न 5
किन्हीं दो ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(i) लाइनक्स
(ii) एम एस डॉस

प्रश्न 6
PC में प्रयोग होने वाले OS का उदाहरण दीजिए। [2015]
उत्तर:
एम एस विण्डोज

लघु उत्तरीय प्रश्न I (1 अंक)

प्रश्न 1
ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर के लिए क्यों आवश्यक है? इसके प्रमुख कार्य लिखिए। [2011]
अथवा
ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य उद्देश्य बताइए। [2017]
उत्तर:
ऑपरेटिंग सिस्टम, एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो यूजर, कम्प्यूटर के हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर के मध्य संवाद स्थापित करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर को मैनेज करने, प्रोसेस करने, संरक्षण (Protection) आदि में मुख्य भूमिका निभाता है, इसलिए कम्प्यूटर के लिए यह अति आवश्यक है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य निम्न हैं।

  1. प्रोसेसिंग प्रबन्धन
  2. मेमोरी प्रबन्धन
  3. फाइल प्रबन्धन
  4. इनपुट-आउटपुट युक्ति प्रबन्धन
  5. सुरक्षा प्रबन्धन
  6. कम्यूनिकेशन

प्रश्न 2
ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकताएँ लिखिए।
उत्तर:
ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. यह उपयोगकर्ता के कार्यों व फाइलों को सुरक्षा प्रदान करता है।
  2. यह प्रोग्राम के क्रियान्वयन पर नियन्त्रण रखता है।
  3. इसके द्वारा यूजर्स कम्प्यूटर के विभिन्न भागों का उचित रूप से प्रयोग कर सकते हैं।
  4. यह यूजर व कम्प्यूटर के मध्य सम्बन्ध स्थापित करता है।

प्रश्न 3
प्रचालन तन्त्र (ऑपरेटिंग सिस्टम) के प्रकार की व्याख्या कीजिए। [2016]
उत्तर:
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार निम्न हैं।

  1. बैच ऑपरेटिंग सिस्टम
  2. सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम
  3. मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम
  4. सिंगल टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम
  5. मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम
  6. टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम
  7. रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम
  8. डिस्ट्रीब्यूटीड ऑपरेटिंग सिस्टम

प्रश्न 4
मल्टीप्रोग्राम ऑपरेटिंग सिस्टम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2017]
उत्तर:
मल्टीप्रोग्राम ऑपरेटिंग सिस्टम में, मुख्य मेमोरी में एक या अधिक प्रोग्राम लोड होते है, जो एक्जीक्यूशन के लिए तैयार होते हैं। एक समय में, केवल एक प्रोगाम सीपीयू को अपने निर्देशों को एक्जीक्युट करने में सक्षम होता है, जबकि अन्य सभी अपनी बारी का इन्तजार कर रहे होते हैं। मल्टीप्रोग्रामिंग का मुख्य उद्देश्य (CPU) समय के उपयोग को अधिकतम करना है।

लघु उत्तरीय प्रश्न II (3 अंक)

प्रश्न 1
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? उदाहरण सहित टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम को समझाइए। [2006]
उत्तर:
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System, OS) एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो यूजर (कम्प्यूटर पर कार्य करने वाला व्यक्ति) एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और कम्प्यूटर हार्डवेयर के बीच संवाद (Communication) स्थापित करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम, कम्प्यूटर तथा यूजर के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने का भी कार्य करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर के विभिन्न क्रियाकलापों (Activities); जैसे-मेमोरी, प्रोसेसर, फाइल सिस्टम तथा अन्य इनपुट-आउटपुट डिवाइसों का संचालन (0peration) करता है।
टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक साथ एक से अधिक उपयोगकर्ता या प्रोग्राम कम्प्यूटर के संसाधनों का प्रयोग करते हैं। इस कार्य में, कम्प्यूटर अपने संसाधनों के प्रयोग हेतु प्रत्येक उपयोगकर्ता को समय का एक भाग आवण्टित करते हैं। सीपीयू सभी यूजर्स के कार्य को उनके आवण्टित समय में क्रमानुसार सम्पन्न करता है।
उदाहरण: Mac OS

प्रश्न 2
रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसमें रियल टाइम एप्लीकेशन्स का क्रियान्वयन (Execution) किया जाता। है। इसमें एक प्रोग्राम के आउटपुट को दूसरे प्रोग्राम के आउटपुट की तरह प्रयोग किया जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं।

  • हार्ड रियल टाइम सिस्टम ये सिस्टम किसी महत्त्वपूर्ण कार्य को करने की गारण्टी देते हैं और समय पर कार्य पूरा न होने की स्थिति में प्रोग्राम का क्रियान्वयन (Execution) फेल कर दिया जाता है।
  • सॉफ्ट रियल टाइम सिस्टम इसमें किसी कार्य को करने की डेडलाइन दी जाती है, परन्तु कार्य का निष्पादन डेडलाइन से पहले और बाद में भी पूरा हो। सकता है और इस स्थिति में कार्य का निष्पादन फेल नहीं होता।

प्रश्न 3
निम्न पर टिप्पणी लिखिए।
(i) यूनिक्स
(ii) एम एस डॉस
(iii) लाइनक्स
उत्तर:
(i) यूनिक्स यह एक मल्टीटास्किंग व मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे AT & T Bell लैब में रिची एवं थॉमसन नामक इंजीनियरों ने विकसित किया था। यह स्थिर, मल्टीयूजर, मल्टीटास्किंग सिस्टम में प्रयोग किया जाता है।
(ii) लाइनक्स यह यूनिक्स पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसको सन्1991 में लीनस टोरवॉल्ड्स ने विकसित किया था। यह एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है तथा सभी प्रकार के कम्प्यूटर पर चल सकता है। इसका प्रयोग मुख्यतः सर्वर के लिए होता हैं।
(iii) एम एस डॉस यह एक सिंगल यूजर जुलाई, 1981 में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह एक नॉन-ग्राफिकल, कमाण्ड लाइन बेस्ड सिस्टम है। यह यूजर फ्रेंडली नहीं है, क्योंकि इसमें कमाण्ड याद रखनी पड़ती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

प्रश्न 1
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? इसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों का वर्णन कीजिए। [2005]
अथवा
प्रचालन तन्त्र (ऑपरेटिंग सिस्टम) का अर्थ समझाइए [2008]
उत्तर:
ऑपरेटिंग सिस्टम या प्रचालन तन्त्र एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो मानव, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और कम्प्यूटर हार्डवेयर के बीच संवाद स्थापित करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम, सिस्टम सॉफ्टवेयर का एक महत्त्वपूर्ण प्रकार है। इसके बिना कम्प्यूटर से कार्य नहीं किया जा सकता। यह सीपीयू से मिलने वाले सिग्नल्स को कम्प्यूटर के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है तथा उन्हें नियन्त्रित करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर तथा यूजर के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने का भी कार्य करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम को कण्ट्रोल प्रोग्राम भी कहा जाता है, क्योंकि ये कम्प्यूटर सिस्टम तथा उसकी गतिविधियों को नियन्त्रित करता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किए जाने वाले कार्य
यह कम्प्यूटर के सफल संचालन की प्रक्रिया में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसके द्वारा किए जाने वाले कार्य निम्न प्रकार हैं।

(i) प्रोसेसिंग प्रबन्धन कम्प्यूटर के सीपीयू के प्रबन्धन का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम ही करता है।
(ii) मेमोरी प्रबन्धन प्रोग्राम के सफल निष्पादन के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम मेमोरी प्रबन्धन का अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण कार्य करता है, जिसके अन्तर्गत मेमोरी में कुछ स्थान सुरक्षित रखे जाते हैं, जिनका विभाजन प्रोग्रामों के मध्य किया जाता है तथा साथ ही यह भी ध्यान में रखा जाता है कि प्रोग्रामों को मेमोरी के अलग-अलग स्थान प्राप्त हो सकें।
(iii) इनपुट-आउटपुट युक्ति प्रबन्धन डाटा को इनपुट युक्ति से पढ़कर मेमोरी में उचित स्थान पर संग्रहीत करने एवं प्राप्त परिणाम को मेमोरी में आउटपुट यूनिट तक पहुँचाने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम का ही होता है। प्रोग्राम लिखते समय कम्प्यूटर केवल यह बताता है कि हमें क्या इनपुट करना है और क्या आउटपुट लेना है, बाकि का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम ही करता है।
(iv) फाइल प्रबन्धन ऑपरेटिंग सिस्टम फाइलों को एक सुव्यवस्थित ढंग से किसी डायरेक्टरी में स्टोर करने की सुविधा प्रदान करता है। किसी प्रोग्राम के निष्पादन के समय इसे सेकेण्डरी मेमोरी से पढ़कर प्राइमरी मेमोरी में भेजने का कार्य भी ऑपरेटिंग सिस्टम ही करता है।
(v) सुरक्षा प्रबन्धन जब मल्टी यूजर तथा मल्टीप्रोग्रामिंग सिस्टम प्रयोग में होते हैं, उस समय सैकड़ों की संख्या में प्रोग्राम क्रिया में होते हैं, ऐसे में उन प्रोग्रामों और उनके डाटा की सुरक्षा व्यवस्था एक जटिल कार्य है। ऑपरेटिंग सिस्टम इस बात को सुनिश्चित करता है कि एक गलत तरीके से रन हुआ प्रोग्राम किसी अन्य प्रोग्राम को प्रभावित न करे।
(vi) कम्युनिकेशन ऑपरेटिंग सिस्टम का महत्त्वपूर्ण कार्य नेटवर्किंग के माध्यम से एक यूजर सिस्टम का दूसरे यूजर सिस्टम से कम्यूनिकेशन की सुविधा प्रदान करना है।

प्रश्न 2
कुछ सर्वाधिक प्रचलित पर्सनल कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम की संक्षिप्त जानकारी दीजिए। [2012]
उत्तर:
सर्वाधिक प्रचलित पर्सनल कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम इस प्रकार है।

  1. यूनिक्स यह एक मल्टीटास्किंग व मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे AT & T Bell लैब में वर्ष 1969 में रिची एवं थॉमसन नामक इंजीनियरों द्वारा विकसित किया गया था। इस ऑपरेटिंग सिस्टम को सर्वर तथा वर्क स्टेशन दोनों में प्रयोग किया जा सकता है। इसमें डाटा प्रबन्धन का कार्य कर्नेल द्वारा होता है।
  2. लाइनक्स यह यूनिक्स का अधिक विकसित संस्करण (Edition) है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम सन् 1991 में लीनस टोरवॉल्ड्स द्वारा विकसित किया गया था। लाइनक्स मूल रूप से इण्टेल X86 पर आधारित है।
  3. सोलेरिस इस ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास सन माइक्रोसिस्टम्स द्वारा सन् 1992 में किया गया था। ये ऑपरेटिंग सिस्टम, सिस्टम मैनेजमेण्ट तथा नेटवर्क के कार्यों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है।
  4. एम एस डॉस यह एक सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे माइक्रोसॉफ्ट द्वारा सन् 1981 में विकसित किया गया था। यह एक नॉन-ग्राफिकल, कमाण्ड लाइन बेस्ड ऑपरेटिंग सिस्टम है। एम एस डॉस यूजर फ्रेंडली नहीं है, क्योंकि इसमें कमाण्ड याद रखनी पड़ती है।
  5. एम एस विण्डोज यह माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित ग्राफिकल यूजर इण्टरफेस है। यह सर्वाधिक लोकप्रिय पर्सनल कम्प्यूटर में प्रयुक्त ऑपरेटिंग सिस्टम है।
  6. OS/2 इस ऑपरेटिंग सिस्टम को IBM ने सन् 1987 में लॉन्च किया था। यह ऑपरेटिंग सिस्टम मल्टीटास्किंग तथा GUI बेस्ड होता है।

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UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 1 कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 1 कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर are part of UP Board Solutions for Class 12 Computer. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 1 कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर.

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Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Computer
Chapter Chapter 1
Chapter Name कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर
Number of Questions Solved 22
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 1 कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1:
निम्न में से कौन-सा सिस्टम सॉफ्टवेयर नहीं है? [2014]
(a) वर्ड प्रोसेसर
(b) ऑपरेटिंग सिस्टम
(c) कम्पाइलर
(d) लिंकर
उत्तर:
(a) वर्ड प्रोसेसर एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है।

प्रश्न 2
निम्न में से कौन-सा प्रोग्राम एक प्रोग्राम के अनेक भागों को कम्पाइलेशन के बाद आपस में जोड़ता है? [2013]
(a) लिंकर
(b) लोडर
(C) इण्टरप्रेटर
(d) लाइब्रेरियन
उत्तर:
(a) लिंकर

प्रश्न 3
वर्ड प्रोसेसर क्या है? [2016]
(a) सिस्टम सॉफ्टवेयर
(b) एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर
(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

प्रश्न 4
टेक्स्ट एडिटर का उदाहरण है।
(a) नोटपैड
(b) प्रिण्टर ड्राइवर
(c) टैली
(d) पेजमेकर
उत्तर:
(a) विण्डोज ऑपरेटिंग सिस्टम में नोटपैड टेक्स्ट एडिटर का उदाहरण है।

प्रश्न 5
कम्प्यूटर के वायरस को डिलीट करने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?
(a) एण्टीवायरस प्रोग्राम
(b) बैकअप यूटिलिटी
(c) डिस्क डिफ़ेग्मेण्टर
(d) डिस्क कम्प्रेशन
उत्तर:
(a) एण्टीवायरस प्रोग्राम

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंकः)

प्रश्न 1
एक से अधिक लाइनों, विवरण, कमेण्टों या निर्देशों के समूह को क्या कहते हैं?
उत्तर:
एक से अधिक लाइनों, विवरण, कमेण्टों या निर्देशों के समूह को प्रोग्राम कहते हैं।

प्रश्न 2
सॉफ्टवेयर की व्याख्या एक वाक्य में कीजिए। [2016]
उत्तर:
कम्प्यूटर के क्षेत्र में निर्देशों के समूह को प्रोगाम कहा जाता है और प्रोग्रामों के समूह को सॉफ्टवेयर कहा जाता है।

प्रश्न 3
लोडर से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यह ऑपरेटिंग सिस्टम को एक भाग होता है, जो प्रोग्राम तथा लाइब्रेरी को, लोड करने के लिए उत्तरदायी होता है।

प्रश्न 4
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को परिभाषित कीजिए। [2017, 11]
उत्तर:
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर उन प्रोग्रामों को कहा जाता है, जो उपयोगकर्ता के वास्तविक कार्य कराने के लिए लिखे जाते हैं।

प्रश्न 5
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्लीकेशन सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं।

  • सामान्य उद्देश्य के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर
  • विशिष्ट उद्देश्य के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

प्रश्न 6
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर के दो उदाहरण निम्नलिखित हैं।

  • टेक्स्ट एडिटर
  • फाइल सॉर्टिग प्रोग्राम

लघु उत्तरीय प्रश्न I (1 अंक)

प्रश्न 1
सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर में अन्तर बताइए। [2012]
उत्तर:
सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर में निम्न अन्तर है
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 1 कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर img-1

प्रश्न 2
सिस्टम सॉफ्टवेयर व एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में अन्तर बताइए। [2006, 05]
उत्तर:
सिस्टम सॉफ्टवेयर व एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में निम्न अन्तर है।
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 1 कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर img-2

प्रश्न 3
कम्प्यूटर ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2017]
उत्तर:
कम्प्यूटर ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है, जो कम्प्यूटर पर सेव इमेजिस में बदलाव करने और उन्हें सुन्दर बनाने की अनुमति देते हैं। इन सॉफ्टवेयर्स के द्वारा इमेजिस को रीटच, कलर एडजस्ट, एनहेन्स, शैडो व ग्लो जैसे विशेष इफेक्ट्स दिए जा सकते हैं; जैसे-एडोब फोटोशॉप, पेजमेकर आदि।

प्रश्न 4
सामान्य व विशिष्ट उद्देश्य के सॉफ्टवेयरों का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग लिखिए।
उत्तर:
सामान्य उद्देश्य के सॉफ्टवेयर का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग निम्नवत् है

  1. कम्प्यूटर आधारित डिजाइन।
  2. सूचना संचार।
  3. डाटाबेस प्रबन्धन प्रणाली

विशिष्ट उद्देश्य के सॉफ्टवेयर की विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग निम्नवत् है।

  1. रेलवे, वायुयान आदि के आरक्षण हेतु
  2. होटल प्रबन्धन में
  3. अस्पतालों में
  4. स्कूलों व लाइब्रेरी में

प्रश्न 5
निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए [2009]
(i) यूटिलिटी सॉफ्टवेयर
(ii) ड्राइवर
उत्तर:
(i) यूटिलिटी सॉफ्टवेयर यह कम्प्युटर के रख-रखाव से सम्बन्धित कार्य करता है। यह कई ऐसे कार्य करता है, जो कम्प्यूटर का उपयोग करते समय हमें कराने पड़ते हैं।
(ii) डाइवर यह एक विशेष प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है, जो किसी डिवाइस के प्रचालन (Operation) को समझाता है। यह हार्डवेयर डिवाइस और उपयोगकर्ता के मध्य सॉफ्टवेयर इण्टरफेस प्रदान करता है।

प्रश्न 6
निम्न को परिभाषित कीजिए [2010]
(i) डिस्क डिफ़ेग्मेण्टर
(ii) वायरस स्कैनर
उत्तर:
(i) डिस्क डिफ़ेग्मेण्टर यह कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क पर विभिन्न जगहों पर रखी हुई फाइलों को खोजकर उन्हें एक स्थान पर लाता है।
(ii) वायरस स्कैनर यह एक यूटिलिटी प्रोग्राम है, जिसका प्रयोग कम्प्यूटर के वायरस ढूंढने में किया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न II (3 अंक)

प्रश्न 1
निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए। [2013]
(i) लोडर
(ii) सब-प्रोग्राम अथवा मॉड्यूल
उत्तर:
(i) लोडर यह ऑपरेटिंग सिस्टम का एक भाग होता है, जो किसी एक्जीक्यूटेबल फाइल को मुख्य मेमोरी में लोड करने का कार्य करता है। यह लिंकर द्वारा कम्पाइल किए गए प्रोग्राम को एक साथ जोड़कर कार्य करने योग्य बनाता है।
(ii) सब-प्रोग्राम या मॉड्यूल सब-प्रोग्राम या मॉड्यूल ऐसा प्रोग्राम है, जो किसी निर्धारित टास्क या फंक्शन को चलाने के लिए एक अन्य प्रोग्राम द्वारा कॉल किया जाता है।

प्रश्न 2
कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर कितने प्रकार के होते हैं? उदाहरण सहित समझाइए। [2002]
उत्तर:
कम्प्यूटर के क्षेत्र में निर्देशों के समूह को प्रोग्राम कहा जाता है और प्रोग्रामों के समूह को सॉफ्टवेयर कहा जाता है।
कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर तीन प्रकार के होते हैं।

  1. सिस्टम सॉफ्टवेयर इस प्रकार के सॉफ्टवेयर्स कम्प्युटर को चलाने, उसको नियन्त्रित करने, उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सभी । क्षमताओं का सही प्रकार से उपयोग करने के लिए बनाए जाते हैं।
    उदाहरण ऑपरेटिंग सिस्टम, लिंकर, लोडर आदि।
  2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर इस प्रकार के सॉफ्टवेयर्स उपयोगकर्ता के वास्तविक कार्य कराने के लिए बनाए जाते हैं। ये कार्य हर कम्पनी या उपयोगकर्ता के लिए अलग-अलग होते हैं, इसलिए उपयोगकर्ता की आवश्यकतानुसार इसके प्रोग्राम प्रोग्रामर द्वारा लिखे जाते हैं। उदाहरण एमएस-वर्ड, एमएस-एक्सेल, टैली आदि।
  3. यूटिलिटी सॉफ्टवेयर ये सॉफ्टवेयर्स कम्प्यूटर के कार्यों को सरल बनाने, उसे अशुद्धियों से दूर रखने तथा सिस्टम के विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए बनाए जाते हैं। ये कम्प्यूटर के निर्माता द्वारा ही उपलब्ध कराए जाते हैं। उदाहरण टेक्स्ट एडिटर, डिस्क क्लीनर्स आदि।

प्रश्न 3
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को विस्तार में समझाइए।
उत्तर:
यह उन प्रोग्रामों का समूह होता है, जो उपयोगकर्ता के वास्तविक कार्य कराने के लिए बनाए जाते हैं; जैसे-स्टॉक की स्थिति का विवरण देना, लेन-देन व खातों का हिसाब रखना आदि। मुख्य रूप से प्रयोग होने वाले एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर: जैसे-एमएस वर्ड, एमएस-एक्सेल, टैली, पेजमेकर, फोटोशॉप आदि हैं।
सामान्यतः एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर्स दो प्रकार के होते हैं, जो निम्न हैं ।

  • सामान्य उद्देश्य के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों का वह समूह, जिसे यूजर्स अपनी आवश्यकतानुसार अपने सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग करता है, सामान्य उद्देश्य का सॉफ्टवेयर कहलाता हैं। जैसे-ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर, स्प्रेडशीट, डाटाबेस प्रबन्धन आदि।
  • विशिष्ट उद्देश्य के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों का वह समूह, जो एक विशेष प्रकार के कार्य को निष्पादित करने के लिए प्रयोग किया जाता है, विशिष्ट उद्देश्य का सॉफ्टवेयर कहलाता है; जैसे-होटल प्रबन्धन सम्बन्धी सॉफ्टवेयर का प्रयोग बुकिंग विवरण, बिलिंग विवरण आदि को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

प्रश्न 1
सिस्टम सॉफ्टवेयर से आपका क्या तात्पर्य है? इनके प्रमुख कार्यों को लिखिए। [2009]
अथवा
सिस्टम सॉफ्टवेयर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। [2010]
उत्तर:
ऐसे प्रोग्राम जो कम्प्यूटर को चलाने, नियन्त्रित करने, उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सभी क्षमताओं का सही प्रकार से उपयोग करने के लिए बनाए जाते हैं, उनको सम्मिलित रूप से ‘सिस्टम सॉफ्टवेयर’ कहा जाता है। कम्प्यूटर से हमारा सम्पर्क या संवाद सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही हो पाता है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर्स निम्न प्रकार के होते हैं।

  • ऑपरेटिंग सिस्टम इसमें वे प्रोग्राम्स शामिल होते हैं, जो कम्प्यूटर के विभिन्न अवयवों के कार्यों को नियन्त्रित करते हैं, उनमें समन्वय स्थापित करते हैं। तथा उन्हें प्रबन्धित करते हैं। इनका प्रमुख कार्य उपयोगकर्ता तथा हार्डवेयर के मध्य एक समन्वय स्थापित करना है।
  • लिंकर यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है, जो पहले से कम्पाइल की गई एक या एक से अधिक ऑब्जेक्ट फाइलों को एक साथ जोड़कर उन्हें क्रियान्वयन के लिए तैयार कर बड़े प्रोग्राम का रूप प्रदान करता है।
  • लोडर यह ऑपरेटिंग सिस्टम का एक भाग होता है, जो प्रोग्राम तथा लाइब्रेरी को लोड करने के लिए उत्तरदायी होता है। लोडर निर्देशों की एक श्रृंखला होती है, जो किसी एक्जीक्यूटेबल प्रोग्राम को मुख्य मेमोरी में लोड करने का कार्य करता है, ताकि सीपीयू उसे एक्सेस कर सके।
  • डिवाइस ड्राइवर यह एक विशेष प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है, जो किसी डिवाइस के प्रचालन को समझाता है। एक ड्राइवर हार्डवेयर डिवाइस और उपयोगकर्ता के मध्य सॉफ्टवेयर इण्टरफेस प्रदान करता है। किसी भी डिवाइस को सुचारु रूप से चलाने के लिए उसके साथ एक ड्राइवर प्रोग्राम जुडा होता हैं।

प्रश्न 2
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर क्या होता है? उदाहरण सहित समझाइए।
अथवा
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर का अर्थ तथा कार्य समझाइए। ऐसे किन्हीं दो सॉफ्टवेयर्स का वर्णन भी कीजिए।[2009]
उत्तर:
ये प्रोग्राम्स कम्प्यूटर के रख-रखाव से सम्बन्धित कार्य करते हैं। प्रोग्राम्स कम्प्यूटर के कार्यों को सरल बनाने, उसे अशुद्धियों से दूर करने तथा सिस्टम के विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए बनाए जाते हैं। यूटिलिटी सॉफ्टवेयर, कई
ऐसे कार्य करता है, जो कम्प्यूटर का उपयोग करते समय हमें कराने पड़ते हैं।
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर के प्रमुख उदाहरण निम्न है।

  1. टेक्स्ट एडिटर यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है, जो टेक्स्ट फाइलों के निर्माण और उनके सम्पादन की सुविधा देता है। इसका उपयोग केवल टेक्स्ट टाइप करने में किया जाता है। विण्डोज ऑपरेटिंग सिस्टम में नोटपैड एक ऐसा ही प्रोग्राम है।
  2. फाइल सॉटिंग प्रोग्राम ये ऐसे प्रोग्राम होते हैं, जो किसी डाटा फाइल के रिकॉर्डो को यूजर के किसी इच्छित क्रम (Order) में लगा सकते हैं। फाइल सॉर्टिग किसी विशेष सूचना को ढूंढने के लिए उपयोगी होती है।
  3. डिस्क डिफ़ेग्मेण्टर यह कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क पर विभिन्न जगहों पर रखी हुई फाइलों को खोजकर उन्हें एक स्थान पर लाता है।
  4. बैकअप यूटिलिटी यह कम्प्यूटर की डिस्क पर उपस्थित सारी सूचनाओं की एक कॉपी रखता है तथा जरूरत पड़ने पर कुछ जरूरी फाइलें या पूरी हार्ड डिस्क के कण्टेण्ट को वापस रिस्टोर कर देता है।
  5. एण्टीवायरस प्रोग्राम ये ऐसे यूटिलिटी प्रोग्राम्स होते हैं, जिनका प्रयोग कम्प्यूटर के वायरस ढूंढने और उन्हें डिलीट (Delete) करने में किया जाता है।
  6. डिस्क क्लीनर्स यह उन फाइलों को ढूंढकर डिलीट करता है, जिनका बहुत समय से उपयोग नहीं हुआ है। इस प्रकार यह कम्प्यूटर की गति को भी तेज करता है।

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UP Board Class 12 Hindi Model Papers Paper 4

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Hindi
Model Paper Paper 4
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 12 Hindi Model Papers Paper 4

समय 3 घण्टे 15 मिनट
पूर्णांक 100

खण्ड ‘क’

निर्देश
(i) प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
(ii) सभी प्रश्नों के उत्तर देने अनिवार्य हैं।
(iii) सभी प्रश्नों हेतु निर्धारित अंक उनके सम्मुख अंकित हैं

प्रश्न 1.
(क) आदिकाल का नाम ‘वीरगाथा काल’ किस इतिहासकार ने रखा है? (1)
(a) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(b) महावीर प्रसाद द्विवेदी
(c) शान्तिप्रिय द्विवेदी |
(d) रामचन्द्र शुक्ल

(ख) “खलिक बारी’ के रचयिता हैं। (1)
(a) अमीर खुसरों
(b) अबुल फजल
(c) ख्वाजा अहमद
(d) अब्दुर्रहमान

(ग) निम्नलिखित में से कौन अपनी व्यंग्य-रचनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं? (1)
(a) श्यामसुन्दर दास
(b) गुलाब राय
(c) हरिशंकर परसाई :
(d) रामचन्द्र शुक्ल

(घ) ‘रूपक रहस्य’ रचना है ।(1)
(a) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की
(b) श्यामसुन्दर दास की
(c) वासुदेवशरण अग्रवाल की
(d) जैनेन्द्र कुमार की

(ङ) ‘तन्त्रालोक से यन्त्रालोक तक रचना की विधा है। (1)
(a) भेट वार्ता
(b) संस्मरण
(c) रिपोर्ताज
(d) यात्रा-वृत्त

प्रश्न 2.
(क) “श्रृंगार शिरोमणि’ के रचनाकार हैं। (1)
(a) जसवन्त सिंह द्वितीय
(b) द्विजदेव
(c) ग्वाल
(d) बेनीबन्दीजन

(ख) सोमनाथ’ की स्चना है। (1)
(a) अंगदर्पण
(b) रस प्रबोध
(c) रसपीयूषनिधि
(d) पदावली ।

(ग) हरी घास पर क्षण भर’ के रचयिता हैं। (1)
(a) त्रिलोचन
(b) अज्ञेय
(c) केदारनाथ अग्रवाल
(d) प्रभाकर माचवे

(घ) सही सुमेलित है। (1)
(a) भारत-भारती/महाकाव्य
(b) प्रणभंग/चरितकाव्य
(c) गीतिका/वीरकाव्य
(d) रश्मिरथी/खण्डकाव्य

(ङ) निम्नलिखित में से कौन-सी पन्त जी की प्रगतिवादी रचना मानी जाती हैं? (1)
(a) पल्लव
(b) युगान्त
(c) गुंजन
(d) वीणा

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अवतरणों को पढ़कर उनपर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।(5 x 2 = 10)
इच्छाएँ नाना हैं और नानाविधि हैं और उसे प्रवृत्त रखती हैं। उस प्रवृत्ति से वह रह-रहकर थक जाता है और निवृत्ति चाहता है। यह प्रवृत्ति और निवृत्ति का चक्र उसको द्वन्द्व से थका मारता है। इस संसार को अभी राग-भाव से वह चाहता है कि अगले क्षण उतने ही विराग भाव से वह उसका विनाश चाहता है। पर राग-द्वेष की वासनाओं से अन्त में झुंझलाहट और छटपटाहट 
ही उसे हाथ आती है। ऐसी अवस्था में उसका सच्चा भाग्योदय कहलाएगा | अगर वह नत-नम्र होकर भाग्य को सिर आँखों लेगा और प्राप्त कर्त्तव्य में ही अपने पुरुषार्थ की इति मानेगा।

उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(i) प्रवृत्ति-निवृत्ति के चक्र में फैसा मनुष्य क्यों थक जाता है?
(ii) प्रेम और ईष्र्या की वासनाओं में पड़कर व्यक्ति की स्थिति कैसी हो । 
जाती है?
(iii) लेखक के अनुसार मनुष्य का सच्चा भाग्योदय कब सम्भव है?
(iv) प्रवृत्ति, राग’ शब्दों के क्रमश: विलोम शब्द लिखिए।
(v) ‘राग-द्वेष का समास विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए।

अथवा
आज के अनेक आर्थिक और सामाजिक विधानों की हम जाँच करें, तो पता चलेगा कि वे हमारी सांस्कृतिक चेतना के क्षीण होने के कारण युगानुकूल परिवर्तन और परिवर्द्धन की कमी से बनी हुई रूदियों, परकीयों के साथ संघर्ष की परिस्थिति से उत्पन्न माँग को पूरा करने के लिए अपनाए गए उपाय अथवा परकीयों द्वारा थोपी गई या उनका अनुकरण कर स्वीकार की गई व्यवस्थाएँ मात्र हैं। भारतीय संस्कृति के नाम पर उन्हें जिन्दा रखा जा सकता। उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(i) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है तथा इसके लेखक कौन हैं?
(ii) लेखक के अनुसार भारतीय सांस्कृतिक चेतना के कमजोर होने का मुख्य 
कारण क्या हैं?
(iii) युगानुरूप परिवर्तन एवं विकास नहीं होने का मुख्य कारण क्या है?
(iv) भारतीय नीतियाँ एवं सिद्धान्त किस प्रकार विदेशियों की नकल मात्र 
बनकर रह गए हैं?
(v) ‘परिस्थिति’, व सांस्कृतिक’ शब्दों में क्रमश: उपसर्ग एवं प्रत्यय छाँटकर 
लिखिए।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उनपर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (5 x 2 = 10)
भई थकित छबि चकित हेरि हर-रूप मनोहर। है आनहि के प्रान रहे तन घरे धरोहर।। भयो कोप कौ लोप चोप औरै उमगाई। चित चिकनाई चढ़ी कढ़ी सब रोष, रुखाई।। कृपानिधान सुजान सम्भु हिय की गति जानी। दियौ सौस पर ठाम बाम करि कै मनमानी।। सकुचति ऐचति अंग गंग सुख संग लजानी। जटाजूट हिम कूट सघन बन सिमटि समानी।। उपर्युक्त पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(i) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने किसका वर्णन किया हैं?
(ii) गंगा का क्रोध किस प्रकार शान्त हुआ?
(iii) “सकुचति ऐचति अंग गंग सुख संग लजानी।” पंक्ति का आशय स्पष्ट 
कीजिए।
(iv) शिवजी की जटाओं में स्थान पाकर गंगा की स्थिति में क्या परिवर्तन हुआ?
(v) प्रस्तुत पद्यांश में कौन-सा रस निहित है?

अथवा

झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन घोर!
राग–अमर! अम्बर में भर निज रोर!
झर झर झर निर्झर-गिरि-सर में,
घर, मरु तरु-मर्मर, सागर में,
सरित-तड़ित-गति–चकित पवन में मन में,
विजन-गहंन-कानन में,
आनन-आनन में,
रव घोर कठोरराग–अमर!
अम्बर में भर निज रोर!
अरे वर्ष के हर्ष!
बरस तू बरस बरस रसधार!
पार ले चल तू मुझको बहा,
दिखा मुझको भी निज ।
गर्जन-भैरव-संसार!

उपर्युक्त पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(i) प्रस्तुत पशि किस कविता से अवतरित है तथा इसके कवि कौन हैं?
(ii) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बादल के किस रूप का वर्णन किया है?
(iii) “पार ले चल तू मुझको, बहा दिखा मुझको भी निज’–पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(iv) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बादलों से क्या आह्वान किया है?
(v) ‘निर्भर’ और ‘संसार’ शब्द में से उपसर्ग शब्दांश छाँटकर लिखिए।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित लेखकों में से किसी एक लेखक का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए (4)
(क) मोहन राकेश ।
(ख) वासुदेवशरण अग्रवाल ।
(ग) जैनेन्द्र कुमार |
(घ) सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

प्रश्न 6.
निम्नलिखित कवियों में से किसी एक का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए। (4)
(क) महादेवी वर्मा ।
(ख) मैथिलीशरण गुप्त
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) सुमित्रानन्दन पन्त

प्रश्न 7.
(क) ‘खून का रिश्ता’ अथवा ‘पंचलाइट’ कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए। (4)
अथवा
‘कर्मनाशा की हार’ अथवा ‘बहादुर’ कहानी का कथानक संक्षेप में निम्तिए।

(ख) स्वपठित नाटक के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न | का उत्तर दीजिए।
(i) ‘कुहासा और किरण’ एक समस्या मूलक नाटक है। सिद्ध कीजिए। अधा ‘कुहासा और किरण’ नाटक के शीर्षक की सार्थकता पर अपने विचार 
व्यक्त कीजिए।
(ii) ‘आन का मान’ नाटक की समीक्षा नाटकीय तत्वों की दृष्टि से कीजिए। अथवा ‘आन का मान’ नाटक के आधार पर औरंगजेब का चरित्र-चित्रण 
कीजिए।
(iii) ‘गरुड़ध्वज’ नाटक के तृतीय अंक की कथा अपने शब्दों में लिखिए। अथवा ‘गरुड़ध्वज’ नाटक में किस समस्या को उठाया गया है? स्पष्ट 
कीजिए।
(iv) ‘सूत-पुत्र’ नाटक के नायक कर्ण के अन्तर्द्वन्द्व पर अपने शब्दों में 
| प्रकाश डालिए। अयना ‘सूतपुत्र’ नाटक के तृतीय अंक में वर्णित कुन्ती एवं कर्ण के संवाद को अपने शब्दों में लिखिए।
(v) राजमुकुट’ नाटक के कथानक को अपने शब्दों में लिखिए। अधना ‘राजमुकुट’ नाटक के आधार पर शक्तिसिंह का चरित्र-चित्रण 
कीजिए।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित खण्डकाव्यों में से स्वपठित खण्डकाव्य के आधार पर किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए। (4)
(क) “श्रवण कुमार खण्डकाव्य में करुणा एवं प्रेम की विह्वल मन्दाकिनी 
प्रवाहित होती है।”—इस कथन की विवेचना कीजिए। अथवा
‘दशरथ का अन्तर्दन्द्र श्रवण कुमार’ खण्डकाव्य की अनुपम निधि है।” | इस उक्ति के आलोक में दशरथ का चरित्र-चित्रण कीजिए।

(ख) ‘मुक्तियज्ञ’ नाटक के कथानक की विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
‘मुक्तियज्ञ’ नाटक के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।

(ग) “त्यागपथी खण्डकाव्य में सम्राट हर्षवर्द्धन का चरित्र ही केन्द्र में है और उसी के चारों ओर कथानक का चक्र घूमता है।”
इस कथन को 
स्पष्ट कीजिए।
अथवा
खण्डकाव्य की विशेषताओं के आधार पर ‘त्यागपथी’ का मूल्यांकन 
कीजिए। |

(घ) रश्मिरथी’ खण्डकाव्य के प्रथम सर्ग का कथासार अपने शब्दों में । लिखिए।
अथवा
जैसा कर्ण के चरित्र में ऐसे कौन-से गुण हैं, जो उसे महामानव की कोटि तक 
उठा देते हैं? ‘रश्मिरथी’ खण्डकाव्य के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

(ङ) ‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य की कथा की मुख्य घटनाओं को अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के आधार पर द्रौपदी का चरित्र चित्रण  कीजिए। |

(च) ‘आलोक-वृत्त’ खण्डकाव्य का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा
आलोक-वृत्त खण्डकाव्य पीड़ित मानवता को सत्य एवं अहिंसा का सन्देश देता है। इस कथन की विवेचना कीजिए।

खण्ड ‘ख’

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अवतरणों का सन्दर्भ-सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए। 
(5 + 5 = 10)
(क)
याज्ञवल्क्यो मैत्रेयीमुवाच-मैत्रेयी! उद्यास्यन् अहम् अस्मात् स्थानादस्मि। 
ततस्तेऽनया कात्यायन्या विच्छेदं करवाणि इति। मैत्रेयी उवाचयदीयं सर्वा पृथ्वी विनेन पूर्णा स्यात् तत् किं तेनाहममृता स्यामिति। याज्ञवल्क्य उवाच-नेति। यर्थापकरणवतां जीवनं तथैव ते जीवन स्यात्। अमृतत्वस्य तु नाशास्ति वित्तेन इति। सा मैत्रेयी उवाच-येनाहं नामृता स्याम् किमहं तेन कुर्याम् यदेव भगवान् केवलममृतत्वसाधन जानाति, तदेव में ब्रूहि। याज्ञवल्क्य उवाच-प्रिया नः सती त्वं प्रियं भाषसे। एहि, उपविश, व्याख्यास्यामि ते अमृतत्वसाधनम्।
अथवा
हिन्दी-संस्कृताङ्ग्लभाषासु अस्य समान अधिकारः आसीत् ।। हिन्दी-हिन्दू-हिन्दुस्थानानामुत्थानायअयं निरन्तर प्रयत्नमकरोत् शिक्षयैव देशे समाजे च नवीन: प्रकाशः उदेति अतः श्रीमालवीयः वाराणस्यां काशीविश्वविद्यालयस्य संस्थापनमकरोत्। अस्य निर्माणाय अयं जनान् । धनम् अयाचत जनाश्च महत्यस्मिन् ज्ञानयज्ञे प्रभूतं धनमस्मै प्रायच्छन्, तेन निर्मितोऽयं विशाल: विश्वविद्यालयः भारतीयानां दानशीलतायाः श्रीमालवीयस्य यशसः च प्रतिमूर्तिरिव विभाति। साधारणस्थितिकोऽपि जनः महतोत्साहेन, मनस्वितया, पौरुषेण च असाधारणमपि कार्य कर्तुं क्षमः इत्यदर्शयत् मनीषिमूर्धन्यः मालवीयः। एतदर्थमेव जनास्तं महामना 
इत्युपाधिना अमिधातुमारब्धवन्तः।

(ख)
स्वनैर्धनानां प्लवगा: प्रबुद्ध विहाय निद्रा चिरसन्निरुहाम्।
अनेकरूपाकृतिवर्णनादा: नवाम्बुधाराभिहता नदन्ति।
मत्ता गजेन्द्रा मुदिता गवेन्द्रः वनेषु विक्रान्ततर मृगेन्द्राः ।
रम्या नगेन्द्रा निभृता नरेन्द्राः प्रक्रीडितो वारिधरैः सुरेन्द्रः।
अथवा
राज्यं नाम नृपात्मजैसहृदयैर्जित्वा रिपून् भुज्यते।।
तल्लोके न तु याच्यते न च पुनर्दीनाग्न वा दीयते।।
काङ्क्षा चेन्नृपतित्वमाप्तुमचिरात् कुर्वन्तु ते साहसम्।
स्वैरं वा प्रविशन्तु शान्तमतिभिर्जुष्टं शमायाश्रमम्॥

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर संस्कृत में दीजिए। (4+4=8)
(क) अन्यदा भोजः कुत्र अगच्छत्?
(ख) राजहंसः पषिन्मथे कस्मै दुहितरम् अददात् ?
(ग) मालवीयमहोदयस्य प्रारम्भिक शिक्षा कुत्र अभवत्?
(घ) वासुदेव कस्य दौत्येन कुत्र गत:?

प्रश्न 3.
(क) ‘वीभत्स’ अथवा ‘वियोग श्रृंगार रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। (2)
(ख) ‘उपमा’,अथवा यमक अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। (2)
(ग) ‘वसन्ततिलका’ अथवा ‘सोरठा’ का लक्षण एवं उदाहरण लिखिए। (2)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर अपनी भाषा-शैली में निबन्ध 
लिखिए। (9) 
(क) वर्तमान शिक्षा प्रणाली के गुण-दोष
(ख) दूरदर्शन की उपयोगिता
(ग) मेरे जीवन की अविस्मरणीय घटना
(घ) स्वदेश प्रेम ।
(इ) वर्तमान समय में समाचार-पत्रों का महत्व

5.
(क)
(i) ‘सत् + चयन’ अथवा हुरिः + चन्द्र की संन्धि कीजिए। (1)
(ii) उल्लासः अथवा सन्चयनम में से किसी एक का सन्धि-विच्छेद | कीजिए। (1)
(iii) मोऽनुस्वारः अथवा प्रभुत्वा में से कौन-सी सन्धि है? (2)

(ख)
(i) ‘एषु’ रूप है ‘इदम्’ (पुल्लिग) शब्द का  (1/2)
(a) चतुर्थी एकवचन
(b) पञ्चमी बहुवचन
(c) चतुर्थी बहुवचन
(d) सप्तमी बहुवचन

(ii) ‘जगत् तृतीया बहुवचन को रूप होगा (1/2)
(a) जगद्भिः
(b) जगद्भ्यः
(c) जगभ्याम्
(d) जगताम्।

(ग)
(i) ‘कृ’ धातु के लुट् लकार, उत्तम पुरुष, एकवचन का रूप लिखिए। (1)
(ii) ‘पोयथ’ रूप किस धातु, किस लकार, किस पुरुष तथा किस वचन का (1)

(घ)
(i) निम्नलिखित में से किसी एक शब्द में धातु एवं प्रत्यय का योग स्पष्ट 
कीजिए। दृष्टम्, शयित्वा, स्थातव्यम् (1)
(ii) निम्नलिखित में से किसी एक शब्द में प्रत्यय बताइए।
गतिमती, ब्राह्मणता, कटुत्व (1)

(ङ)
निम्नलिखित रेखांकित पदों में से किन्हीं दो में प्रयुक्त विभक्ति तथा उससे सम्बन्धित नियम का उल्लेख कीजिए। (2)
(i) मातुः दय कन्या प्रति स्निग्धं भवति।
(ii) छात्रासु लता श्रेष्ठा।
(iii) अहमपि त्वया साधं यास्यामि।

(च)
निम्नलिखित में से किसी एक का विग्रह करके समास का नाम लिखिए।
(i) दीर्घकशी
(ii) उपराजम्
(iii) रक्तवर्णः (2)

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए।  (4)
(क) हमें राष्ट्रभाषा का आदर करना चाहिए।
(ख) मैं कल वाराणसी नगर जाऊँगा।
(ग) कश्मीर की शोभा पर्यटकों का मन मोह लेती है।
(घ) दरिंद्र को भिक्षा देना पुण्यकार्य है।
(ङ) मेरे विद्यालय के पास एक फुलवारी हैं।

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UP Board Solutions for Class 12 Pedagogy Chapter 24 Achievement and Achievement Tests

UP Board Solutions for Class 12 Pedagogy Chapter 24 Achievement and Achievement Tests (उपलब्धि तथा उपलब्धि परीक्षण) are part of UP Board Solutions for Class 12 Pedagogy. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Pedagogy Chapter 24 Achievement and Achievement Tests (उपलब्धि तथा उपलब्धि परीक्षण).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Pedagogy
Chapter Chapter 24
Chapter Name Achievement and Achievement Tests
(उपलब्धि तथा उपलब्धि परीक्षण)
Number of Questions Solved 30
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Pedagogy Chapter 24 Achievement and Achievement Tests (उपलब्धि तथा उपलब्धि परीक्षण)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
उपलब्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं ? निबन्धात्मक परीक्षण के गुण-दोषों का उल्लेख कीजिए। [2014, 15]
या
निबन्धात्मक परीक्षण के गुण और दोषों की विवेचना कीजिए। [2013]
या
निबन्धात्मक परीक्षणों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? इनके गुण-दोषों पर प्रकाश डालिए। [2014]
या
निबन्धात्मक परीक्षण के दोषों को बताइए। [2008, 12]
उत्तर :
उपलब्धि परीक्षण
प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने के लिए जाते हैं। एक निश्चित समय में विद्यार्थियों ने कितना ज्ञान अर्जित किया तथा जीवन की परिस्थितियों में उसे कहाँ तक हस्तान्तरित किया आदि की जाँच उपलब्धि परीक्षण द्वारा की जाती है। अध्यापक उपलब्धि परीक्षाओं द्वारा समय-समय पर यह जानने का प्रयास करता है कि कक्षा में प्रदान किया जाने वाला ज्ञान विद्यार्थियों ने किस सीमा तक ग्रहण कर लिया है।

विभिन्न विद्वानों ने उपलब्धि परीक्षणों की परिभाषाएँ निम्नलिखित शब्दों में दी हैं

  1. हेनरी चौनसी (Henry Chauncy) के अनुसार, “प्रत्येक उपलब्धि परीक्षा में छात्रों को किसी-न-किसी रूप में अपने प्राप्त ज्ञान का इस प्रकार प्रदर्शन करना पड़ता है, जिससे उसका अवलोकन और मूल्यांकन किया जा सके।”
  2.  गैरीसन (Garrison) के अनुसार, “उपलब्धि परीक्षा बालक की वर्तमान योग्यता या किसी विशिष्ट विषय के क्षेत्र में उसके ज्ञानार्जन की सीमा का मापन करती है।”
  3. फ्रीमैन (Freeman) के अनुसार, “एक उपलब्धि परीक्षा वह है जिसका निर्माण ज्ञान समूह में कौशल के मापन के लिए किया जाता है।”

निबन्धात्मक परीक्षण
आजकल हमारे देश में निबन्धात्मक परीक्षाओं का अधिक प्रचलन है। ये परीक्षाएँ एक प्रकार से राष्ट्रीय शिक्षा का अंग हो गयी हैं। इनमें छात्रों को कुछ प्रश्न दिये जाते हैं और छात्र उनके उत्तर लिखित रूप में देते हैं। उत्तर देने का समय निर्धारित होता है। यह परीक्षा की परम्परागत प्रणाली है।

गुण :
निबन्धात्मक परीक्षाओं के निम्नलिखित गुण हैं।

  1. इन परीक्षाओं का आयोजन सरलतापूर्वक किया जा सकता है।
  2. इन परीक्षाओं के प्रश्नों को सुगमता से तैयार किया जा सकता है।
  3. यह विधि समस्त विषयों के लिए उपयोगी है।
  4. इसमें बालक को पूर्ण अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता रहती है।
  5. यह प्रणाली बालकों के लिए भी सुगम होती है, क्योंकि प्रश्न-पत्र समझने में उन्हें विशेष प्रयास की आवश्यकता नहीं पड़ती।
  6. छात्रों की तर्क, विचार संगठन तथा चिजन शक्ति का ज्ञान कराने में ये परीक्षाएँ विशेष सहायक होती हैं।
  7. यह प्रणाली छात्रों को परिश्रम करने के लिए प्रेरित करती है।
  8. यह प्रणाली बालकों के अर्जित ज्ञान का वास्तविक मूल्यांकन करती है।

दोष :
निबन्धात्मक परीक्षाओं में निम्नांकित दोष भी हैं

  1. निबन्धात्मक परीक्षाएँ केवल पुस्तकीय ज्ञान का मूल्यांकन करती हैं। इनके द्वारा छात्र की विभिन्न क्षमताओं का मूल्यांकन नहीं हो पाता।।
  2. इस परीक्षा में सम्पूर्ण पाठ्यक्रम के समस्त भागों में प्रश्न नहीं पूछे जाते हैं। जो भाग शेष रहता है, उसका मूल्यांकन नहीं हो पाता।
  3. इस परीक्षा का प्रमुख दोष यह है कि छात्र अनुमान के आधार पर ही परीक्षा की तैयारी करते हैं। इस प्रकार कम परिश्रम करके उन्हें सफलता मिल जाती है।
  4. निबन्धात्मक परीक्षा में मूल्यांकन कठिनता से होता है। मूल्यांकन के लिए प्रत्येक प्रश्न के उत्तर को। पढ़ना आवश्यक है, परन्तु यह एक कठिन कार्य है।
  5. इनमें आत्मनिष्ठता का प्रभाव रहता है। छात्रों द्वारा दिये गये प्रश्नों के उत्तरों का मूल्यांकन करते समय परीक्षक के विचारों, अभिवृत्ति तथा मानसिक स्तर का भी प्रभाव पड़ता है। एक उत्तर-पुस्तिका की। यदि विभिन्न परीक्षकों से जाँच कराई जाए, तो विभिन्न परिणाम देखने में आएँगे। एक उत्तर में यदि एक । अध्यापक आठ अंक देता है, तो उसी उत्तर में दूसरा अध्यापक तीन अंक भी प्रदान कर सकता है।
  6. निबन्धात्मक परीक्षाएँ विश्वसनीय नहीं होतीं। यदि एक ही उत्तर-पुस्तिका को एक ही अध्यापक जाँचने के कुछ काला पश्चात् पुनः जाँचे तो दोनों बार के अंकों में पर्याप्त अन्तर मिलती है।
  7. इस परीक्षा के परिणामों के आधार पर छात्र के विषय में निश्चित रूप से कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। इस परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाला छात्र आवश्यक नहीं कि व्यावहारिक जीवन में भी सफलता प्राप्त करे, क्योंकि इस परीक्षा में अंक प्राप्ति रटने की शक्ति, लेखी शक्ति तथा संयोग पर बहुत कुछ निर्भर करती है।
  8. यह परीक्षा प्रणाली छात्रों के स्वास्थ्य पर बुरे प्रभाव डालती है। छात्र वर्ष-भर तो कुछ पढ़ते-लिखते नहीं हैं, परन्तु परीक्षा के निकट आने पर दिन-रात पढ़कर परीक्षा पास करने का प्रयास करते हैं। फलतः उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 2
वस्तुनिष्ठ परीक्षण से आप क्या समझते हैं ? वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रकारों एवं गुण-दोषों का उल्लेख कीजिए। [2007, 12]
या
वस्तुनिष्ठ परीक्षण से आप क्या समझते हैं ? इस परीक्षण के गुणों का उल्लेख कीजिए। [2007, 13]
या
वस्तुनिष्ठ परीक्षा-प्रणाली के दोषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
वस्तुनिष्ठ परीक्षण
निबन्धात्मक परीक्षण के दोषों को दूर करने के लिए शिक्षाशास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों ने वस्तुनिष्ठ परीक्षणों का प्रतिपादन किया। सर्वप्रथम 1854 ई० में होरेसमेन (Horaceman) ने वस्तुनिष्ठ परीक्षण का निर्माण किया। वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में प्रश्नों का स्वरूप ऐसा होता है कि उनका उत्तर पूर्ण रूप से निश्चित होता है। इन प्रश्नों के उत्तर में सम्बन्धित व्यक्ति की रुचि, पसन्द या दृष्टिकोण का कोई महत्त्व नहीं होता। वस्तुनिष्ठ प्रश्न का उत्तर प्रत्येक उत्तरदाता के लिए एक ही होता है।

गुड (Good) ने वस्तुनिष्ठ परीक्षण को स्पष्ट करते हुए कहा :
“वस्तुनिष्ठ परीक्षा प्रायः सत्य-असत्य उत्तर, बहुसंख्यक चुनाव, मिलान या पूरक प्रश्नों पर आधारित होती है, जिनको शुद्ध उत्तरों की सहायता से अंकन किया जाता है। यदि कोई उत्तर तालिका के विपरीत होता है, तो उसे अशुद्ध माना जाता है।” वर्तमान परीक्षा में वस्तुनिष्ठ परीक्षणों को अत्यधिक महत्त्व दिया जा रहा है।

वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रकार
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं

1. सत्य-असत्य परीक्षण :
इन परीक्षणों में ‘सत्य’ या ‘असत्य में छात्र उत्तर देते हैं।
निर्देश :
निम्नलिखित कथन यदि शुद्ध हों तो सत्य’ और अशुद्ध हों तो ‘असत्य’ को रेखांकित कीजिए-

  1. बाबर का जन्म 1525 में हुआ था। सत्य/असत्य
  2. कार्बन डाइऑक्साइड जलने में सहायक नहीं है। सत्य/असत्य
  3. ऑक्सीजन जीवधारियों के लिए अनिवार्य है। सत्य/असत्य
  4. रामचरितमानस की रचना तुलसीदास ने की थी। सत्य/असत्य

2. सरल पुनः स्मरण परीक्षण :
इन प्रश्नों का उत्तर छात्र स्वयं स्मरण करके लिखता है।
निर्देश :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उनके समक्ष कोष्ठकों में लिखो

  1. प्लासी का युद्ध कब हुआ था ? ( )
  2. सविनय अवज्ञा आन्दोलन किसने चलाया था? ( )
  3. महाभारत ग्रन्थ की रचना किसने की थी ? ( )
  4. उत्तर प्रदेश का वर्तमान राज्यपाल कौन है ? ( )

3. पूरक परीक्षण :
इस परीक्षण में छात्र वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति करते हैं।
निर्देश :
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. भारत के प्रधानमन्त्री की नियुक्ति ………….. करता है।
  2. मुख्यमन्त्री विधानसभा के ………….. का नेता होता है।
  3. मूल अधिकारों की रक्षा …………..करता है।
  4. राज्य व्यवस्थापिका के उच्च सदन को …………..कहते हैं।
  5. ‘कामायनी’ की रचना ………….. ने की थी।

4. बहुसंख्यक चुनाव या बहुविकल्पीय परीक्षण :
इस परीक्षण में छात्रों को दिये हुए अनेक उत्तरों में से ठीक उत्तर का चुनाव करना पड़ता है।
निर्देश :
सही कथन के सामने कोष्ठक में सही का चिह्न लगाओराज्य के प्रशासन का वास्तविक प्रधान

  1. राष्ट्रपति होता है।
  2. प्रधानमन्त्री होता है।
  3. राज्यपाल होता है।
  4. मुख्यमन्त्री होता है।

5. मिलान परीक्षण :
इस परीक्षण में छात्रों को दो पदों में मिलान करके कोष्ठक में सही पद लिखना पड़ता है।
निर्देश :
नीचे कुछ घटनाओं का उल्लेख किया जा रहा है। उनके सामने अव्यवस्थित रूप में उनसे सम्बन्धित तिथियाँ दी हुई हैं। प्रत्येक कोष्ठक में सम्बन्धित सही तिथि लिखो
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वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के गुण
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं|

1. विश्वसनीयता :
वस्तुनिष्ठ परीक्षण का सबसे बड़ा गुण उसकी विश्वसनीयता (Reliability) है। इसमें ही परीक्षण में विभिन्न समय में प्राप्त अंकों की समानता रहती है, अर्थात् एक उत्तर को कितनी ही बार जाँचा जाए, उसमें  अन्तर की सम्भावना नहीं रहती।

2. वस्तुनिष्ठता :
यह परीक्षण वस्तुनिष्ठ होता है। इसमें परीक्षण के मूल्यांकन पर परीक्षक की मानसिक स्थिति, रुचि, अभिवृत्ति तथा छात्रों के सुलेख का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसका मूल कारण। प्रश्नों के उत्तरों का निश्चित तथा छोटा होना है।

3. वैधता :
वस्तुनिष्ठ परीक्षण का अन्य गुण है-उसकी वैधता (Validity)। ये परीक्षण उसी निर्धारित योग्यता का मापन करते हैं, जिसके लिए इनका निर्माण किया जाता है।

4. उपयोगिता :
इन परीक्षणों के परिणामों के आधार पर छात्रों को शैक्षणिक तथा व्यावसायिक निर्देशन दिया जा सकता है।

5. विभेदीकरण :
ये परीक्षण प्रतिभाशाली और मन्दबुद्धि बालकों के मध्य भेद को स्पष्ट कर देते हैं।

6. व्यापकता :
इन परीक्षणों में पाठ्यक्रम के अन्तर्गत पढ़ाये जाने वाले समस्त प्रकरणों को शामिल किया जा सकता है। इस प्रकार बालकों द्वारा किये गए सम्पूर्ण अर्जित ज्ञान का मापन सम्भव हो जाता है।

7. मूल्यांकन में सुविधा :
वस्तुनिष्ठ परीक्षण का मूल्यांकन बहुत सुविधाजनक ढंग से हो जाता है, क्योंकि उत्तर निश्चित और छोटे होते हैं। दूसरे, इस प्रणाली में अंकन, उत्तर की तालिका की सहायता से किया जा सकता है।

8. ज्ञान की यथार्थता का परीक्षण :
निबन्धात्मक परीक्षण में छात्र प्रभावशाली भाषा का प्रयोग करके अपने ज्ञान की कमी को भी छिपा जाता है, परन्तु वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में ऐसा सम्भव नहीं है, क्योंकि छात्रों को अति संक्षिप्त उत्तर देने पड़ते हैं। अतः वे अपनी अज्ञानता को भाषा के आडम्बर में नहीं छिपा सकते। इस प्रकार इन परीक्षणों में छात्रों के ज्ञान की यथार्थ जाँच की जाती है।

9. धन की बचत :
इन परीक्षणों में छात्रों को कम लिखना पड़ता है। प्रायः दो या तीन पृष्ठों की पुस्तिकाएँ पर्याप्त होती हैं। इस प्रकार धन की काफी बचत हो जाती है।

10. समय की बचत :
इस प्रणाली में छात्रों व अध्यापक दोनों के समय की बचत होती है, क्योंकि छात्रों को कम लिखना पड़ता है और अध्यापक को कम जाँचना पड़ता है।

11. रटने की प्रवृत्ति का अन्त :
इस प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह रटने की प्रवृत्ति का अन्त कर देती है। इसमें प्रश्नों के उत्तरों को रटने से काम नहीं चलता। विषय-वस्तु को ध्यान से पढ़ना आवश्यक हो जाता है।

12. छात्रों का सन्तोष :
निबन्धात्मक परीक्षण से छात्रों को सन्तोष नहीं मिलती, क्योंकि छात्रों का मूल्यांकन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता और उन्हें ठीक प्रकार से अंक नहीं मिलते। परन्तु वस्तुनिष्ठ परीक्षण में छात्रों को ठीक अंक मिलते हैं, जिनसे उनको पूर्ण सन्तोष मिलता है।

वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के दोष
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में कुछ दोष भी पाये जाते हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित है

1.निर्माण में कठिनाई :
वस्तुनिष्ठ परीक्षण का निर्माण निबन्धात्मक परीक्षण की तुलना में अधिक कठिनाई से होता है। छोटे-छोटे प्रश्नों के निर्माण में अनेक कठिनाइयाँ आती हैं।

2. अपूर्ण सूचना :
इन परीक्षणों से छात्रों के ज्ञान की अपूर्ण सूचना प्राप्त होती है, क्योंकि छोटे-छोटे उत्तरों द्वारा पूर्ण ज्ञान की जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती।

3. आलोचनात्मक तथ्यों व समस्याओं की उपेक्षा :
इन परीक्षणों का सबसे बड़ा दोष यह है। कि इनमें आलोचनात्मक तथ्यों तथा विभिन्न समस्याओं की पूर्ण उपेक्षा की जाती है। वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रश्नों के उत्तर पूर्णतया निश्चित होते हैं। अत: उनमें आलोचना तथा समस्या समाधान का कोई स्थान नहीं होता, परन्तु राजनीति, इतिहास, साहित्य आदि का अध्ययन बिना आलोचना तथा समस्या विवेचन के पूर्ण नहीं हो सकता।

4. उच्च मानसिक योग्यताओं को मापन असम्भव :
इन परीक्षणों के द्वारा छात्रों की चिन्तन, मनन तथा तर्क शक्ति की जाँच सम्भव नहीं है। इस प्रकार उनकी उच्च मानसिक योग्यताओं का मापन सम्भव नहीं हो पाता।

5. केवल तथ्यात्मक ज्ञान की जाँच :
इन परीक्षणों द्वारा केवल तथ्यात्मक ज्ञान का पता चलता है। शेष क्षमताओं का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता।

6. भाव प्रकाशन की अवरुद्धता :
इन परीक्षणों में छात्रों की भाव प्रकाशन की शक्ति को विकसित होने का अवसर नहीं मिलता, क्योंकि वे अति संक्षिप्त उत्तर देते हैं।

7. अनुमान को प्रोत्साहन :
इस प्रकार के परीक्षणों से छात्रों में अनुमान लगाने की प्रवृत्ति का विकास होता है। वे विचार तथा बुद्धि का प्रयोग न करके केवल अनुमान से ही ‘सत्य’ या ‘अंसत्य’ पर चिह्न लगा देते हैं।

8. भाषा व शैली की उपेक्षा :
इन परीक्षणों में भाषा व शैली की पूर्ण उपेक्षा की जाती है। अत: छात्रों की भाषा व शैली का उचित दिशा में विकास नहीं हो पाता।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
उपलब्धि परीक्षणों के मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए। [2012, 13]
उत्तर :
उपलब्धि परीक्षण के निम्नांकित उद्देश्य हैं।

  1. छात्रों की क्षमताओं तथा योग्यताओं का ज्ञान कराना।
  2. यह पता लगाना कि बालकों ने अर्जित ज्ञान को किस सीमा तक आत्मसात् किया है।
  3. बालकों को अर्जित ज्ञान को उचित ढंग से अभिव्यक्त करने के लिए प्रेरित करना।।
  4. बालकों की उपलब्धि के सामान्य स्तर का निर्धारण करना।
  5. ज्ञानार्जन के क्षेत्र में बालकों की वास्तविक स्थिति का पता लगाना।
  6. बालकों के ज्ञान की सीमा का मापन करना।
  7. यह ज्ञात करना कि बालक पाठ्यक्रम के लक्ष्यों या उद्देश्यों की ओर अग्रसर हो रहे हैं या नहीं।
  8. यह पता लगाना कि अध्यापक का शिक्षण किस सीमा तक सफल रहा है।
  9. प्रशिक्षण के परिणामों का मूल्यांकन करना।

प्रश्न 2
बुद्धि परीक्षण तथा उपलब्धि परीक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए। [2007, 10, 13, 15]
उत्तर :
बुद्धि परीक्षण तथा उपलब्धि परीक्षण में निम्नलिखित अन्तर हैं
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प्रश्न 3
वस्तुनिष्ठ परीक्षण और निबन्धात्मक परीक्षण में अन्तर बताइए। [2014, 15]
उत्तर :
वस्तुनिष्ठ परीक्षण में तथ्यों पर आधारित उत्तर दिये जाते हैं। इसमें उत्तरदाता की रुचि, पसन्द या दृष्टिकोण का कोई स्थान नहीं होता। इससे भिन्न निबन्धात्मक के परीक्षण में उत्तरदाता के दृष्टिकोण, पसन्द, रुचि एवं शैली आदि को समुचित महत्त्व दिया जाता है। वस्तुनिष्ठ परीक्षण में अति संक्षिप्त तथा निश्चित उत्तर देना होता है, जबकि निबन्धात्मक परीक्षण में विस्तृत उत्तर देने को प्रावधान होता है। वस्तुनिष्ठ परीक्षण में मूल्यांकन सरल तथा निष्पक्ष होता है, जबकि निबन्धात्मक परीक्षण में मूल्यांकन कठिन होता है तथा इसमें पक्षपात की पर्याप्त सम्भावना होती है। इसमें परीक्षणकर्ता के व्यक्तिगत दृष्टिकोण का भी महत्त्व होता है।

प्रश्न 4
निबन्धात्मक परीक्षण से क्या आशय है?
उत्तर :
वर्तमान औपचारिक शिक्षा :
प्रणाली के अन्तर्गत ज्ञानार्जन के लिए मुख्य रूप से निबन्धात्मक परीक्षणों को अपनाया जाता है। निबन्धात्मक परीक्षण निश्चित रूप से लिखित परीक्षा के रूप में आयोजित किये जाते हैं। इस प्रणाली के अन्तर्गत किसी भी विषय के निर्धारित पाठ्यक्रम से सम्बन्धित कुछ प्रश्नों को एक प्रश्न-पत्र के रूप में एकत्र कर लिया जाता है तथा उनमें से कुछ प्रश्नों का विस्तृत उत्तर लिखित रूप में एक निर्धारित समयावधि में देना होता है।

परीक्षणकर्ता उत्तर :
पुस्तिका को पढ़कर छात्र/छात्रा के ज्ञानार्जन स्तर का मूल्यांकन कर लेता है तथा अंक प्रदान कर देता है। इस परीक्षण के भी कुछ गुण-दोष हैं। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि यह परीक्षण-प्रणाली एक व्यक्तिनिष्ठ परीक्षण प्रणाली है तथा इसके माध्यम से छात्र/छात्रा के सम्पूर्ण ज्ञानार्जन का सही तथा तटस्थ मूल्यांकन नहीं हो पाता।

प्रश्न 5
निबन्धात्मक परीक्षण प्रणाली में सुधार के लिए कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर :
निबन्धात्मक परीक्षा के दोषों को दूर करने के लिए निम्नलिखित सुझावों को अपनाया जा सकता है

  1. प्रश्नों का निर्माण सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर किया जाए।
  2. परीक्षा प्रश्न-पत्र में पहले सरल और बाद में कठिन प्रश्न रखे जाएँ।
  3. समस्त प्रश्न अनिवार्य हों।
  4. परीक्षण को शिक्षण प्रक्रिया का साधन माना जाए, साध्य नहीं।
  5. निबन्धात्मक प्रश्नों के साथ वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को भी रखा जाए।
  6. मौखिक परीक्षा को भी स्थान दिया जाए।
  7. परीक्षाओं द्वारा यह जानने का प्रयास न किया जाए कि छात्र कितना नहीं जानता, वरन् यह जानने का प्रयास किया जाए कि छात्र कितना जानता है।
  8. परीक्षकों का यह स्पष्ट उद्देश्य होना चाहिए कि वे किस बात की परीक्षा लेना चाहते हैं।
  9. अंक प्रदान करने के स्थान पर श्रेणियों का प्रयोग किया जाए।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
उपलब्धि-लब्धि से क्या आशय है?
उत्तर :
बौद्धिक परीक्षणों के आधार पर बौद्धिक योग्यता की गणना करने के लिए बुद्धि-लब्धि की अवधारणा विकसित की गयी थी तथा इसी अवधारणा के समानान्तर एक अन्य अवधारणा निर्धारित की गई, जिसे ज्ञान-लब्धि या उपलब्धि-लब्धि के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 2
विद्यालयों में उपलब्धि परीक्षण का क्या उपयोग है?
उत्तर :
विद्यालय शिक्षा के औपचारिक अभिकरण हैं। विद्यालयों में योजनाबद्ध ढंग से नियमित रूप से शिक्षण-कार्य होता है। छात्रों द्वारा ग्रहण की गयी शिक्षा के मूल्यांकन के लिए निर्धारित परीक्षणों को ही उपलब्धि परीक्षण कहते हैं। उपलब्धि परीक्षण से छात्रों द्वारा अर्जित ज्ञान एवं योग्यता का तटस्थ मूल्यांकन किया जाता है। छात्रों को अगली कक्षा में भेजने के लिए तथा शैक्षिक योग्यता का प्रमाण-पत्र प्रदान करने के लिए उपलब्धि परीक्षण ही सर्वाधिक आवश्यक एवं उपयोगी होता है।

प्रश्न 3
उपलब्धि परीक्षणों के मुख्य प्रकारों का उल्लेख कीजिए। [2014, 15]
उत्तर :
डगलस (Douglas) तथा हालैंड (Holland) ने उपलब्धि परीक्षाओं का विभाजन निम्नवत् किया है

    1. प्रामाणिक परीक्षण (Standardized Tests)।
    2. शिक्षक निर्मित परीक्षण (Teacher Made Tests)।
      • आत्मनिष्ठ परीक्षण (Subjective Tests)।
      • वस्तुनिष्ठ परीक्षण (Objective Tests)।
        • सौखिक परीक्षण (Objective Tests)।
        • र्निबन्धात्मक परीक्षण (Essay Type Tests)।

प्रश्न 4
मौखिक परीक्षण से क्या आशय है?
उत्तर :
उपलब्धि या ज्ञानार्जन परीक्षण का प्राचीनतम तथा सर्वाधिक लोकप्रिय स्वरूप मौखिक परीक्षण रही है। इस प्रकार के परीक्षण के अन्तर्गत परीक्षणकर्ता अर्थात् शिक्षक या अध्यापक द्वारा छात्र/छात्रा से विषय से सम्बन्धित कुछ प्रश्न आमने-सामने बैठकर पूछे जाते हैं। छात्र/छात्रा द्वारा दिए । गए उत्तरों की शुद्धता/अशुद्धता या ठीक/गलत के आधार पर उसके ज्ञान का समुचित मूल्यांकन कर लिया जाता है।

यह सत्य है कि यह एक प्रत्यक्ष परीक्षण है तथा इस परीक्षण के अन्तर्गत परीक्षणकर्ता से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के साथ-ही-साथ कुछ अन्य उपायों द्वारा भी परीक्षादाता के ज्ञान का अनुमान लगा सकता है। परन्तु इस परीक्षण के कुछ दोष भी हैं; यथा-छात्र/छात्रा का घबरा जाना या भयभीत हो जाना, वाणी-दोष या आत्म-विश्वास की कमी के कारण सही उत्तर न दे पानी।

प्रश्न 5
क्रियात्मक परीक्षण से क्या आशय है? [2014, 15]
उत्तर :
छात्र-छात्राओं के उपलब्धि परीक्षण के लिए क्रियात्मक परीक्षणों को भी अपनाया जाता है। इन परीक्षणों के अन्तर्गत विषय से सम्बन्धित कुछ कार्यों को यथार्थ रूप से करवाया जाता है तथा परीक्षमादाता द्वारा किए गए कार्यों को देखकर उनके ज्ञानार्जन का समुचित मूल्यांकन कर लिया जाता है। सामान्य रूप से क्रियात्मक परीक्षणों के अन्तर्गत विषय से सम्बन्धित कुछ प्रश्न मौखिक रूप से भी पूछे जाते हैं। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि सभी विषयों में क्रियात्मक परीक्षणों को सफलतापूर्वक आयोजन नहीं किया जा सकता। केवल प्रयोगात्मक विषयों का परीक्षण ही क्रियात्मक परीक्षण के माध्यम से किया जा सकता है। शुद्ध सैद्धान्तिक विषयों का परीक्षण इस आधार पर नहीं किया जा सकता।

प्रग 6
वस्तुनिष्ठ परीक्षण से क्या आशय है?
उत्तर :
निबन्धात्मक परीक्षण-प्रणाली के दोषों के निवारण के लिए वस्तुनिष्ठ परीक्षण को प्रारम्भ किया गया है। इस परीक्षण के अन्तर्गत ज्ञानार्जन के मूल्यांकन के लिए विषय से सम्बन्धित अनेक ऐसे प्रश्नों को संकलित किया जाता है जिनका एक ही शुद्ध उत्तर होता है। इन प्रश्नों में उत्तरदाता की रुचि, पसन्द, इच्छा या दृष्टिकोण का कोई महत्त्व नहीं होता। वस्तुनिष्ठ परीक्षण एक तटस्थ परीक्षण-प्रणाली है। इसमें पक्षपात या पूर्वाग्रह के लिए कोई गुंजाइश नहीं होती। लेकिन इस परीक्षण के भी कुछ दोष एवं सीमाएँ हैं जैसे कि भाषा-शैली तथा लेखन-क्षमता का मूल्यांकन करना सम्भव नहीं है।

प्रश्न 7
निबन्धात्मक परीक्षण (परीक्षाओं) के कोई पाँच गुण लिखिए। या निबन्धात्मक परीक्षण के क्या लाभ हैं। [2011]
उत्तर :
निबन्धात्मक परीक्षाओं के पाँच गुण निम्नलिखित हैं

  1. इन परीक्षाओं का आयोजन सरलतापूर्वक किया जा सकता है।
  2. इन परीक्षाओं के प्रश्नों को सुगमता से तैयार किया जा सकता है।
  3. यह विधि समस्त विषयों के लिए उपयोगी है।
  4. इसमें बालक को पूर्ण अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता रहती है।
  5. यह प्रणाली बालकों के लिए भी सुगम होती है, क्योंकि प्रश्न-पत्र समझने में उन्हें विशेष प्रयास की आवश्यकता नहीं पड़ती।

निश्चित उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
उपलब्धि परीक्षण से क्या आशय है? (2015)
उत्तर :
छात्रों द्वारा किए गए ज्ञानार्जन के मूल्यांकन के लिए निर्धारित किए गए परीक्षणों को उपलब्धि परीक्षण कही जाती है।

प्रश्न 2
विद्यालय में उपलब्धि परीक्षण का प्रमुख उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर :
विद्यालय में उपलब्धि परीक्षण का प्रमुख उद्देश्य छात्र को अगली कक्षा में भेजने का निर्णय लेना होता है।

प्रश्न 3
उपलब्धि परीक्षण के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर :
उपलब्धि परीक्षण के मुख्य प्रकार हैं-मौखिक परीक्षण, क्रियात्मक परीक्षण, निबन्धात्मक परीक्षण तथा वस्तुनिष्ठ परीक्षण।

इन 4
कौन-सा परीक्षण उपलब्धि-परीक्षण का प्राचीनतम प्रकार है?
उत्तर :
मौखिक परीक्षण उपलब्धि-परीक्षण का प्राचीनतम प्रकार है।

प्रश्न 5
किस परीक्षा-प्रणाली में विद्यार्थी प्रश्नों का उत्तर निबन्ध के रूप में देते हैं?
उत्तर :
निबन्धात्मक परीक्षण के अन्तर्गत विद्यार्थी प्रश्नों के उत्तर निबन्ध के रूप में देते हैं।

प्रथम 6
निम्न सूत्र से क्या निकालते हैं। [2009]
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उत्तर :
इस सूत्र से शिक्षा-लब्धि ज्ञात करते हैं।

प्रश्न 7
विश्वसनीयता और वैधता किस प्रकार के परीक्षण की मुख्य विशेषताएँ हैं ?
उत्तर :
विश्वसनीयता और वैधता वस्तुनिष्ठ परीक्षणों की मुख्य विशेषताएँ हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में दिये गए विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव कीजिए

प्रश्न 1
कक्षा-शिक्षण के परिणामस्वरूप किए गए ज्ञानार्जन का मूल्यांकन किया जाता है
(क) बुद्धि परीक्षण द्वारा
(ख) अभिरुचि परीक्षण द्वारा
(ग) उपलब्धि परीक्षण द्वारा
(घ) बिना किसी परीक्षण द्वारा
उत्तर :
(ग) उपलब्धि परीक्षण द्वारा

प्रश्न 2
ज्ञान आयु (A.A.)
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उत्तर :
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प्रश्न 3
निबन्धात्मक परीक्षण का गुण है।
(क) विचारों को प्रस्तुत करने की छूट
(ख) प्रश्न-पत्र का सरलता से निर्माण सम्भव
(ग) समग्र विधि को अपनाया जाता है।
(घ) ये सभी
उत्तर :
(घ) ये सभी

प्रश्न 4
निबन्धात्मक परीक्षण का दोष है।
(क) यान्त्रिक प्रणाली
(ख) संयोग पर निर्भरता
(ग) दोषपूर्ण मूल्यांकन पद्धति
(घ) ये सभी
उत्तर :
(घ) ये सभी

प्रश्न 5
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों का गुण है।
(क) छात्र सन्तुष्ट रहते हैं
(ख) विश्वसनीयता
(ग) समय की बचत
(घ) रटने को प्राथमिकता
उत्तर :
(ख) विश्वसनीयता

प्रश्न 6
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों का गुण नहीं है।
(क) कम लिखना-पढ़ना
(ख) विषय को सम्पूर्ण ज्ञान आवश्यकता है।
(ग) अपनी रुचि एवं दृष्टिकोण से उत्तर देना।
(घ) सुलेख का कोई महत्त्व नहीं
उत्तर :
(ग) अपनी रुचि एवं दृष्टिकोण से उत्तर देना

प्रश्न 7
वस्तुनिष्ठ परीक्षण से हम माप कर सकते हैं। [2015]
(क) उपलब्धि की
(ख) विचार करने की प्रक्रिया की
(ग) तर्कशक्ति की
(घ) लेखन कौशल की
उत्तर :
(ग) तर्कशक्ति की

प्रश्न 8
“उपलब्धि-परीक्षा, बालक की वर्तमान योग्यता अथवा किसी विशिष्ट विषय के क्षेत्र में उसके ज्ञान की सीमा को मापन करती है। यह परिभाषा है
(क) थॉर्नडाइक की
(ख) टरमन की
(ग) गैरीसन की
(घ) बिने की
उत्तर :
(ग) गैरीसन की।

प्रश्न 9
जिस परीक्षा में छात्रों को उत्तर विस्तृत रूप से लिखकर देने पड़ते हैं, उस परीक्षा को कहते हैं
(क) वस्तुनिष्ठ परीक्षा
(ख) मौखिक परीक्षा
(ग) निबन्धात्मक परीक्षा
(घ) प्रयोगात्मक परीक्षा
उत्तर :
(ग) निबन्धात्मक परीक्षा

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