UP Board Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 4 भारत में खाद्य सुरक्षा

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 4 भारत में खाद्य सुरक्षा

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1
भारत में खाद्य सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है?
उत्तर:
(क) प्रत्येक व्यक्ति के लिए खाद्य उपलब्ध रहे।
(ख) लोगों के पास अपनी भोजन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त और पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए धन उपलब्ध हो।
(ग) प्रत्येक व्यक्ति की पहुँच में खाद्य रहे।

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प्रश्न 2.
कौन लोग खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते हैं?
उत्तर:
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के अन्य क्षेत्र जो या तो भूमि के आधार पर गरीब हैं या जिनके पास बहुत कम भूमि है, क्रमशः खाद्य असुरक्षा के शिकार हैं। प्राकृतिक प्रकोपों से प्रभावित लोग जो शहरों में पलायन करते हैं, वह भी खाद्य असुरक्षा के शिकार होते हैं। गर्भवती महिलाएँ एवं नर्सिंग माँ भी कुपोषण एवं खाद्य असुरक्षा स्तर का शिकार (UPBoardSolutions.com) होती है। उक्त के अलावा भूमिहीन अर्थात् थोड़ी या नाम मात्र की भूमि पर निर्भर लोगों को खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त लोगों की श्रेणी में हम शामिल कर सकते हैं जिनका विवरण इस प्रकार हैं

  1.  शहरी कामकाजी मजदूर ।
  2. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों के कुछ वर्गों के लोग
  3.  प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोग
  4.  गर्भवती तथा दूध पिला रही महिलाएँ तथा पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे
  5.  पारम्परिक दस्तकार
  6. पारम्परिक सेवाएँ प्रदान करने वाले लोग
  7.  अपना छोटा-मोटा काम करने वाले कामगार
  8.  भिखारी

प्रश्न 3.
भारत में कौन-से राज्य खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हैं?
उत्तर:
भारत में ओडिशा, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र आदि राज्य खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त हैं।

प्रश्न 4.
क्या आप मानते हैं कि हरित क्रान्ति ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया है? कैसे?
उत्तर:
भारत में सरकार ने स्वतन्त्रता के पश्चात् खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बनने का यथासम्भव प्रयास किया है। भारत में कृषि क्षेत्र में एक नयी रणनीति अपनायी गयी, जैसे-हरित क्रान्ति के कारण गेहूँ उत्पादन में वृद्धि हुई। गेहूँ की सफलता के बाद चावल के क्षेत्र में इस सफलता की (UPBoardSolutions.com) पुनरावृत्ति हुई। पंजाब और हरियाणा में सर्वाधिक वृद्धि दर दर्ज की गयी, जहाँ अनाजों का उत्पादन 1964-65 के 72.3 लाख टन की तुलना में बढ़कर 1995-96 में 3.03 करोड़ टन पर पहुँच गया, जो अब तक का सर्वाधिक ऊँचा रिकार्ड था। दूसरी तरफ, तमिलनाडु और आन्ध्र प्रदेश में चावल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। अतः हरित क्रान्ति ने भारत को काफी हद तक खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया है।

प्रश्न 5.
भारत में लोगों का एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यह सत्य है कि भारत में लोगों का एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित है। आज भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर देश बन चुका है। ऐसे में देश का कोई नागरिक खाद्य से वंचित नहीं होना चाहिए। वास्तविक अभ्यास एवं वास्तविक जीवन में ऐसा नहीं है। लोगों को एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनके पास खाद्य खरीदने के लिए आवश्यक राशि नहीं है। यह लोग दीर्घकालिक गरीब हैं जो कोई क्रय शक्ति नहीं रखते। इस वर्ग में भूमिहीन एवं बेरोज़गार लोग शामिल हैं।
खाद्य से वंचित सर्वाधिक प्रभावित वर्गों में है-ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन परिवार जो थोड़ी बहुत अथवा नगण्य भूमि पर निर्भर हैं, कम वेतन पाने वाले लोग, शहरों में मौसमी रोजगार पाने वाले लोग। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों के कुछ वर्गों (इनमें से निचली जातियाँ) को या तो भूमि का आधार कमजोर होता है। वे लोग भी खाद्य की दृष्टि से सर्वाधिक असुरक्षित होते हैं, जो प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हैं और जिन्हें काम की तलाश में दूसरी जगह जाना पड़ता है। खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त आबादी का बड़ा भाग गर्भवती तथा दूध पिला रही महिलाओं तथा पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों का है।

प्रश्न 6.
जब कोई आपदा आती है तो खाद्य पूर्ति पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
किसी प्राकृतिक आपदा जैसे—सूखा, बाढ़ आदि के कारण खाद्यान्न की कुल उपज में गिरावट दर्ज की जाती है जिससे क्षेत्र विशेष में खाद्यान्न की कमी हो जाती है जिसकी वजह से खाद्यान्नों की कीमतें बढ़ जाती हैं। समाज के निर्धन वर्ग के लोग ऊँची कीमतों पर खाद्यान्न नहीं खरीद पाते हैं। (UPBoardSolutions.com) यदि यह आपदा अधिक लंबे समय तक बनी रहती है तो भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। जो अकाल की स्थिति बन सकती है।

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प्रश्न 7.
मौसमी भुखमरी और दीर्घकालिक भुखमरी में भेद कीजिए।
उत्तर:
दीर्घकालिक भुखमरी यह मात्रा एवं/या गुणवत्ता के आधार पर अपर्याप्त आहार ग्रहण करने के कारण होती है। गरीब लोग अपनी अत्यन्त निम्न आय और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थ खरीदने में अक्षमता के कारण दीर्घकालिक भुखमरी से ग्रस्त होते (UPBoardSolutions.com) हैं। मौसमी भुखमरी-यह फसल उपजाने और काटने के चक्र से सम्बन्धित हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि क्रियाओं की मौसमी प्रकृति के कारण तथा नगरीय क्षेत्रों में अनियमित श्रम के कारण होती है। जैसे—बरसात के मौसम में अनियमित निर्माण के कारण श्रमिक को कम काम रहता है।

प्रश्न 8.
गरीबों को खाद्य सुरक्षा देने के लिए सरकार ने क्या किया? सरकार की ओर से शुरू की गई किन्हीं दो योजनाओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
भारत सरकार ने लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर खाद्य सुरक्षा प्रणाली अपनायी है। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्त्योदय अन्न योजना के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है।

(क) सार्वजनिक वितरण प्रणाली–केन्द्र सरकार, भारतीय खाद्य निगम के द्वारा किसानों से अधिप्राप्त अनाज को विनियमित कर राशन की दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित करती है। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली कहते हैं। वर्तमान में देश के ज्यादातर क्षेत्रों, गाँवों, कस्बों और शहरों में राशन की दुकानें हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली खाद्य सुरक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा उठाया गया महत्त्वपूर्ण कदम है। राशन की दुकानों को उचित मूल्य की दुकानें कहते हैं। यहाँ चीनी, खाद्यान्न और खाना पकाने के (UPBoardSolutions.com) लिए मिट्टी के तेल का भण्डारण और वितरण किया जाता है।

संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (आर.पी.डी.एस.) को 1992 में देश के 1700 ब्लॉकों में संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली शुरू की गई। इसका लक्ष्य दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली से लाभ पहुँचाना था। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टी.पी.डी.एस.) को जून 1997 से सभी क्षेत्रों में गरीबों को लक्षित करने के सिद्धान्त को अपनाने के लिए प्रारम्भ की गई। यह पहला मौका था जब निर्धनों और गैर-निर्धनों के लिए विभेदक कीमत नीति अपनाई गई।

(ख) अन्त्योदय अन्न योजना (ए.ए.वाई.) और अन्नपूर्णा योजना (ए.ए.एस.)-ये योजनाएँ क्रमशः ‘गरीबों में भी सर्वाधिक गरीब’ और ‘दीन वरिष्ठ नागरिक समूहों पर लक्षित हैं। इस योजना का क्रियान्वयन पी.डी.एस. के पहले से ही मौजूद नेटवर्क के साथ जोड़ा गया।

प्रश्न 9.
सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है?
उत्तर:
सरकार बफर स्टॉक को कुछ निश्चित कृषि फसलों जैसे–गेहूँ, गन्ना आदि के लिए नियमित करता है। बफर स्टॉक भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूँ और चावल को भण्डार है। भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में किसानों (UPBoardSolutions.com) से गेहूँ और चावल खरीदता है। किसानों को उनकी फसल के लिए पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थित मूल्य कहा जाता है। इन फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से बुआई के मौसम से पहले सरकार न्यूनतम समर्थित मूल्य की घोषणा करती है। खरीदे हुए अनाज खाद्य भंडारों में रखे जाते हैं। ऐसा कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के गरीब वर्गों में बाजार कीमत से कम कीमत पर अनाज के वितरण के लिए किया जाता है। इस कीमत को निर्गम कीमत भी कहते हैं।

प्रश्न 10.
टिप्पणी लिखें
(क) न्यूनतम समर्थित कीमत
(ख) बफर स्टॉक
(ग) निर्गम कीमत
(घ) उचित दर की दुकान
उत्तर:
(क) न्यूनतम समर्थित कीमत-भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में किसानों से गेहूँ और चावल खरीदता है। किसानों को उनकी फसल के लिए पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थित मूल्य कहा जाता है। सरकार फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से बुआई के मौसम से पहले न्यूनतम समर्थित मूल्य की घोषणा करती है। खरीदे हुए अनाज खाद्य भंडारों में रखे जाते हैं।

(ख) बफर स्टॉक-अतिरिक्त भंडार गेहूँ एवं चावल जैसे अनाजों का स्टॉक है जो सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम से प्राप्त किया जाता है। इसका वितरण घाटे के क्षेत्रों एवं आवश्यक लोगों को किया जाता है।

(ग) निर्गमित कीमत-निर्गमित मूल्य पर सरकार द्वारा घाटे के क्षेत्रों में अनाज का वितरण किया जाता है, निर्गमित मूल्य कहलाती है। यह कीमत बाजार मूल्य की तुलना में कम होती है।

(घ) उचित दर वाली दुकानें भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित करती हैं।
राशन कि दुकानों में, जिन्हें उचित दर वाली दुकानें कहा जाता है, पर चीनी, खाद्यान्न और खाना पकाने के लिए मिट्टी के तेल का भंडार होता है। ये लोगों को सामान बाजार कीमत से कम कीमत पर देती है। अब अधिकांश क्षेत्रों, गाँवों, कस्बों और शहरों में राशन की दुकानें हैं।

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प्रश्न 11.
राशन की दुकानों के संचालन में क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर:
राशन की दुकानों के संचालन में आने वाली प्रमुख समस्यायें इस प्रकार हैं

  1. राशन की दुकान खोलने के लिए पर्याप्त मात्रा में उच्च कोटि की सीमित वस्तुओं का सरकार द्वारा उपलब्ध न किया जाना।
  2.  सभी सदस्यों का राशन न लेना।।
  3. घटिया वस्तुओं का न खरीदा जाना।
  4.  कुछ दुकानदारों द्वारा छल-कपट, धोखा-धड़ी, चोर बाजारी और काला बाजारी करना।
  5.  पर्याप्त मात्रा में राशन की दुकान का उपलब्ध न होना।
  6.  राशन की दुकानों का देहातों में दूर स्थित होना।

प्रश्न 12.
खाद्य और सम्बन्धित वस्तुओं को उपलब्ध कराने में समितियों की भूमिका पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
देश के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में सहकारी समितियाँ भी खाद्य सुरक्षा में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सहकारी समितियाँ निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती हैं। उदाहरणार्थ, तमिलनाडु में जितनी राशन की दुकानें हैं, उनमें से करीब 94 प्रतिशत सहकारी समितियों के माध्यम से चलाई जा रही हैं। दिल्ली में मदर डेयरी उपभोक्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित नियंत्रित दरों पर अन्य वस्तुएँ जैसे-दूध और सब्जियाँ उपलब्ध कराने में तेजी से (UPBoardSolutions.com) प्रगति कर रही है। गुजरात में दूध तथा दुग्ध उत्पादों में अमूल एक और सफल सरकारी समिति का उदाहरण है। देश के विभिन्न भागों में कार्यरत सरकारी समितियों के और अनेक उदाहरण हैं, जिन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के लिए खाद्य और सम्बन्धित वस्तुएँ उपलब्ध कराई हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
महाराष्ट्र के ‘एकेडमी ऑफ डेवलपमेंट साइंस’ की खाद्य सुरक्षा में भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इस संस्था ने महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में अनाज बैंकों की स्थापना के लिए गैर-सरकारी संगठनों के नेटवर्क की सहायता की। यह संस्था गैर-सरकारी संगठनों के लिए खाद्य सुरक्षा के विषय में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम का संचालन करती है।

प्रश्न 2.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की विफलता के मुख्य कारण बताइए।
उत्तर:
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की विफलता का मुख्य कारण अखिल भारतीय स्तर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खाद्यान्नों की औसत उपभोग मात्रा 1 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिमाह है। बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति उपभोग को आँकड़ा 300 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिमाह से भी कम हैं।

प्रश्न 3.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को किन आधारों पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है?
उत्तर:
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अनेक आधारों पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। अनाजों से साढ़स भरे अन्न भंडारों के बावजूद भुखमरी की घटनाएँ हो रही है। भारतीय खाद्य निगम के भंडार अनाज से भी हैं। कहीं अनाज सड़ रहा है तो कुछ स्थानों पर चूहे अनाज खा रहे हैं।

प्रश्न 4.
सहायिकी (सब्सिडी) क्या है?
उत्तर:
सहायिकी (सब्सिडी) वह भुगतान है जो सरकार द्वारा किसी उत्पादक को बाजार कीमत की अनुपूर्ति के लिए किया जाता है। सहायिकी से घरेलू उत्पादकों के लिए ऊँची आय कायम रखते हुए, उपभोक्ता कीमतों को कम किया जा सकता है।

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प्रश्न 5.
न्यूनतम समर्थित कीमत में वृद्धि से किसानों तथा फसलों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
न्यूनतम समर्थित कीमत में वृद्धि से विशेषतया खाद्यान्नों के अधिशेष वाले राज्यों के किसानों को अपनी भूमि पर मोटे अनाजों की खेती समाप्त कर धान और गेहूं उपजाने के लिए प्रेरित किया जाता है जबकि मोटे अनाज गरीबों का प्रमुख भोजन है। धान की खेती के लिए सघन सिंचाई से पर्यावरण और जल स्तर में गिरावट आई है।

प्रश्न 6.
भारत में राशन व्यवस्था की शुरुआत कब हुई?
उत्तर:
भारत में राशन व्यवस्था की शुरुआत बंगाल के अकाल की पृष्ठभूमि में 1940 ई. के दशक में हुई। इस अकाल में 30 लाख से अधिक लोग मारे गए थे। हरित क्रान्ति से पहले खाद्य संकट से उबरने के लिए 1960 ई. के दशक के दौरान राशन प्रणाली पुनः जीवित की गयी।

प्रश्न 7.
अकाल से आप क्या समझते है?
उत्तर:
अकाल फसलों के उत्पादन कम होने से लोगों में भुखमरी उत्पन्न हो जाती है जिससे बड़े पैमाने पर मौतें होती हैं। जो लोग भुखमरी तथा विवश होकर होकर दूषित जल या सड़े भोजन के प्रयोग से फैलने वाली महामारियों तथा भुखमरी से उत्पन्न कमजोरी से रोगी के प्रति शरीर की प्रतिरोधी क्षमता में कमी उत्पन्न होती है।

प्रश्न 8.
उचित दर वाली दुकानों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
राशन की दुकानों में जिन्हें उचित दर वाली दुकानें कहा जाता है, जहाँ चीनी, खाद्यान्न और खाना पकाने के लिए मिट्टी के तेल का भंडार होता है, ये सामान लोगों को बाजार कीमत से कम कीमत पर वितरण किया जाता है।

प्रश्न 9.
राशन कार्ड रखने वाले परिवार को लगभग कितना सामान प्रतिमाह मिलता है?
उत्तर:
राशन कार्ड रखने वाले कोई भी परिवार प्रतिमाह इनकी एक अनुबंधित मात्रा (जैसे 35 किलोग्राम अनाज, 5 लीटर मिट्टी का तेल, 5 किलोग्राम चीनी आदि) निकटवर्ती राशन की दुकान से खरीद सकता है।

प्रश्न 10.
सोमालिया में अकाल का क्या कारण है?
उत्तर:
सोमालिया (अफ्रीकी देश) में अकाल-नागरिक अशान्ति का परिणाम है। देश में खाद्य वितरण प्रणाली पूरी तरह टूट गयी है।

प्रश्न 11.
राशन कार्ड के प्रकार बताइए।
उत्तर:
राशन कार्ड के निम्नलिखित तीन प्रकार होते हैं

  1.  गरीबों में सबसे गरीब के लिए (अंत्योदय) कार्ड।
  2.  गरीबी रेखा से नीचे बी. पी. एल. कार्ड उनके लिए हैं जो गरीबी रेखा से नीचे हैं।
  3. गरीबी रेखा से ऊपर ए. पी. एल. कार्ड सभी अन्य लोगों के लिए।

प्रश्न 12.
अकाल के विपक्ष में तीन आधुनिक हथियारों को बताइए।
उत्तर:
अकाल के विरुद्ध आधुनिक हथियार

  • नाइट्रोजन उर्वरकों का उपयोग
  •  रेगिस्तानी कृषि
  • आधुनिक कृषि तकनीक का उपयोग।

प्रश्न 13.
अकाल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अकाल उस परिस्थिति को कहते हैं जिसमें किसी क्षेत्र या देश की जनसंख्या का बड़ा भाग अल्प भोजन और कुपोषण से ग्रस्त होता है, जिसके कारण भुखमरी, जीवन का साधारण अंग बन जाती है।

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प्रश्न 14.
स्वतन्त्रता से पूर्व अकाल के पड़ने के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
अकाल के लिए उत्तरदायी कारण निम्नलिखित हैं

  1.  खाद्य की अधिक कमी,
  2. विनाश, चाहे प्राकृतिक हो या मानव निर्मित,
  3. ब्रिटिश सरकार की दमन नीतियाँ।

प्रश्न 15.
राशनिंग क्या है? इसका उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
राशनिंग उस मात्रा पर प्रतिबंध को दर्शाती है जो उपभोक्ताओं द्वारा क्रय एवं उपभोग की जा सकती है। राशनिंग उन गरीब उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं की उपलब्धि को सुनिश्चित करती है जो कि स्वतन्त्र बाजार में वस्तुएँ प्राप्त नहीं कर पाते। सीमित वस्तुएँ जैसे—मिट्टी का तेल, सीमेंट, वनस्पति घी आदि वस्तुएँ भी राशन कार्ड द्वारा बेची जाती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
खाद्य सुरक्षा में किसे शामिल किया जा सकता है?
उत्तर:
खाद्य सुरक्षा में निम्नलिखित शामिल हैं

  1.  खाद्य की उपलब्धता यहाँ पर सभी के लिए भोजन उपलब्ध होना चाहिए।
  2. खाद्य की अधिकता-सभी व्यक्तियों के पास खाद्य (भोजन) होना चाहिए। यह सभी तक पहुँचना चाहिए।
  3.  खाद्य की प्राप्ति-सभी व्यक्तियों के पास पर्याप्त, सुरक्षित एवं पोषण खाद्य खरीदने के लिए पर्याप्त क्रय शक्ति होनी चाहिए।

A buffer Capacity system is a solution that resists a change in pH when acids or bases are added.

प्रश्न 2.
खाद्यान्न के गोदामों में आवश्यकता से अधिक अनाज का होना फिर भी लोगों के पास खाने के लिए भोजन नहीं है। इस विडम्बना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अतिरिक्त भंडार (Buffer Stock) की पर्याप्तता के बावजूद हमारे देश की 26% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे रह रही है। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रतिदिन उनके पास भोजन खरीदने के साधन भी नहीं हैं। हालांकि यह प्रतिशत 19992000 में कम हुआ जो 1993-94 में 36% था; इन गरीबों (UPBoardSolutions.com) की सम्पूर्ण संख्या 26 करोड़ है। यह प्रदर्शित करता है कि यहाँ पर कुछ लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है, जबकि सरकार के गोदामों में खाद्यान्न रखने की जगह नहीं है। उपरोक्त परिस्थितियों में हमारे कृषि वैज्ञानिकों को उत्पादन में वृद्धि के लिए कई अन्य उपाय खोजने पड़ेंगे जिससे हमारी जनसंख्या के कई लाख लोगों को भोजन प्रदान किया जा सके।

प्रश्न 3.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सरकार द्वारा विनियमित बिन्दु पर आवश्यक वस्तुओं के वितरण को सार्वजनिक वितरण प्रणाली कहते हैं। हमारे देश में लगभग 4,60,000 राशन एवं उचित कीमत की दुकानें हैं जो सम्पूर्ण देश में फैली हुई हैं। मिट्टी का तेल, गन्ना, कोयला आदि भी सरकारी उचित कीमत की दुकानों के द्वारा बेची जाती है। उपभोक्ता सहकारी समितियाँ (co-operatives) भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के ऐजेंट के रूप में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन सहकारी समितियों द्वारा विनियमित कपड़े एवं अन्य वस्तुएँ बेची जाती हैं।

कभी-कभी व्यापारिक एजेंसी द्वारा राशन कार्ड के आधार पर वनस्पति तेल भी बेचा जाता है।
सुपर बाज़ार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की एजेंसी के रूप में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दिल्ली में विभिन्न गतिशील मोटर वाहन (vans) को भी दिल्ली प्रशासन एवं सुपर बाजार द्वारा प्रारम्भ किया गया है। जिससे शहर के प्रत्येक हिस्से में आवश्यक वस्तुओं का प्रवाह किया जा सके। (UPBoardSolutions.com) दिल्ली दृध योजना एवं मदर डेयरी भी दूध की आपूर्ति उचित दर (fair price) पर करती है। जनजातियों के क्षेत्रों (tribal areas) में भी विशेष सहायता योजना (special subsidied scheme) के अन्तर्गत अनाज को रियायती दरों पर उपलब्ध कराया जाता है।

प्रश्न 4.
सहकारी समितियाँ किस प्रकार खाद्य सुरक्षा में सहायक होती हैं?
उत्तर:
सहकारी समितियाँ भारत में खाद्य सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सहकारी समितियों ने गरीब लोगों को कम मूल्य पर वस्तुएँ बेचने के लिए दुकानों का निर्माण किया है। उदाहरण के लिए तमिलनाडु में चलाई जाने वाली सभी उचित कीमत की दुकानों में से 94 प्रतिशत दुकानें सहायक समितियों द्वारा चलाई जाती हैं। दिल्ली में, मदर डेयरी ने दिल्ली सरकार द्वारा निश्चित नियंत्रित कीमत पर उपभोक्ताओं के लिए दूध एवं सब्जियों के संचय का प्रयास किया है। अमूल भी सहकारी समितियों की सफलता की एक कहानी है। यह देश में श्वेत क्रान्ति लाया था। यहाँ सहकारी समितियों के कई और अन्य उदाहरण है जो खाद्य सुरक्षा को भारत के (UPBoardSolutions.com) विभिन्न भागों के विभिन्न वर्गों में सुनिश्चित करता है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में Academy of Development Science ने गैर-सरकारी संगठनों द्वारा अनाज बैंक बनाने की सुविधा उपलब्ध की। ADS प्रशिक्षण की व्यवस्था करता है। यह भोजन सुरक्षा के उद्देश्य से संगठित गैर-सरकारी संगठनों के लिये भवन की व्यवस्था करता है। महराष्ट्र के विभिन्न भागों में अनाज बैंकों का धीरे-धीरे विकास हो रहा है।

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प्रश्न 5.
अन्त्योदय अन्न योजना एवं अन्नपूर्णा योजना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अन्त्योदय अन्न योजना (AAY) दिसम्बर 2000 ई. में प्रारम्भ हुई। इस योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे पाए जाने वाले परिवारों की पहचान की गयी। गरीब परिवारों की प्रदेश सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने गरीबी रेखा के आधार पर पता लगाया। प्रत्येक पहचान किए गए परिवार को 25 किलोग्राम (UPBoardSolutions.com) अनाज अत्यधिक रियायती मूल्य पर प्रदान किया गया। गेहूं का मूल्य 2 रुपये प्रति किलो और चावल 3 रुपये प्रति किलो दर पर प्रदान किए गए। अप्रैल 2002 ई. से खाद्यान्न की मात्रा 25 किलो से बढ़ाकर 35 किलो कर दी गई।

इसके पश्चात् इस योजना का प्रसार गरीबी रेखा के नीचे दिए जाने वाले 50 लाख अन्य परिवारों में किया गया! यह वृद्धि जून 2003 ई. एवं अप्रैल 2004 ई. में की गई। इस वृद्धि से दो करोड़ परिवारों की सहायता प्रदान की जाती है।
अन्नपूर्णा योजना (APS)–यह वर्ष 2000 में सीनियर नागरिकों को 10 किलोग्राम मुफ्त अनाज प्रदान करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के रूप में आरम्भ की गई।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम को लागू करने के उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
14 नवम्बर, 2004 ई. को यह कार्यक्रम पूरक श्रम रोजगार के सृजन को तीव्र करने के उद्देश्य से देश के 150 पिछड़े जिलों में शुरू किया गया। यह कार्यक्रम उन समस्त ग्रामीण गरीबों के लिए है, जिन्हें वेतन रोजगार की आवश्यकता है।
और जो अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हैं। इसे शत-प्रतिशत केन्द्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के रूप में लागू किया गया और राज्यों को निःशुल्क अनाज मुहैया कराया जाता रहा है। जिला स्तर पर कलेक्टर शीर्ष अधिकारी है और उन पर इस कार्यक्रम की योजना बनाने, कार्यान्वयन, समन्वयन और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी है। वर्ष 2004-05 में इस कार्यक्रम के लिए 20 लाख टन अनाज के अतिरिक्त 2,020 करोड़ रुपये नियत किए गए हैं।

प्रश्न 7
अन्त्योदय अन्न योजना से आप क्या समझते हैं? टिप्पणी करें।
उत्तर:
अन्त्योदय अन्न योजना दिसम्बर, 2000 में शुरू की गई थी। इस योजना के अन्तर्गत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आने वाले निर्धनता रेखा से नीचे के परिवारों में से एक करोड़ लोगों की पहचान की गई। सम्बन्धित राज्य के ग्रामीण विकास विभागों ने गरीबी रेखा से नीचे के गरीब परिवारों को सर्वेक्षण के द्वारा चुना। 2 रुपये प्रति किलोग्राम गेहूँ और 3 रुपये प्रति किलोग्राम की अत्यधिक आर्थिक सहायता (UPBoardSolutions.com) प्राप्त दर पर प्रत्येक परिवार को 25 किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया गया। अनाज की यह मात्रा अप्रैल 2002 में 25 किलोग्राम से बढ़ा कर 35 किलोग्राम कर दी गई। जून 2003 और अगस्त 2004 में इसमें 50-50 लाख अतिरिक्त बी.पी.एल. परिवार दो बार जोड़े गए। इससे इस योजना में आने वाले परिवारों की संख्या 2 करोड़ हो गई।

प्रश्न 8.
भुखमरी से आप क्या समझते हैं? भारत में भुखमरी के कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
भुखमरी खाद्य की दृष्टि से असुरक्षा को इंगित करने वाला एक दूसरा पहलू है। भुखमरी गरीबी की एक अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, यह गरीबी लाती है। इस तरह खाद्य की दृष्टि से सुरक्षित होने से वर्तमान में भुखमरी समाप्त हो जाती है और भविष्य में भुखमरी का खतरा कम हो जाता है।
भुखमरी के प्रकार

(क) दीर्घकालिक भुखमरी–यह मात्रा या गुणवत्ता के आधार पर अपर्याप्त आहार ग्रहण करने के कारण होती है। गरीब लोग अपनी अत्यन्त निम्न आय और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थ खरीदने में अक्षमता के कारण दीर्घकालिक भुखमरी से ग्रस्त होते हैं।
(ख) मौसमी भुखमरी-यह फसल उपजाने और काटने के चक्र से सम्बन्धित हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि क्रियाओं की मौसमी प्रकृति के कारण ना नारी क्षेत्रों में अनियमित श्रम के कारण होती है। जैसे-बरसात के मौसम में अनियत निर्माण श्रमिक को कम काम रहता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
खाद्य और खाद्य से सम्बन्धित वस्तुओं को उपलब्ध कराने में सहकारी समितियों और गैर सरकारी संगठनों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1.  गुजरात में दूध तथा दुग्ध उत्पादों में अमूल एक और सफल सहकारी समिति का उदाहरण है। इसने देश में श्वेत क्रान्ति ला दी है।
  2. भारत में सहकारी समितियों के कई उदाहरण हैं जो समाज के विभिन्न वर्गों की खाद्य सुरक्षा के लिए अच्छा काम कर रहे हैं।
  3.  भारत में गैर-सरकारी संगठन की खाद्य सुरक्षा के लिए अच्छा काम कर रहे हैं।
  4. इसी तरह, महाराष्ट्र में एकेडमी ऑफ डेवलपमेंट साइंस (ए.डी.एस.) ने विभिन्न क्षेत्रों में अनाज बैंकों की स्थापना के लिए गैर-सरकारी संगठनों के नेटवर्क में सहायता की है।
  5. ए.डी.एस. गैर-सरकारी संगठनों के लिए खाद्य सुरक्षा के विषय में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम संचालित करती है।
  6. अनाज बैंक अब धीरे-धीरे महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में खुलते जा रहे हैं।
  7. अनाज बैंकों की स्थापना, गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से उन्हें फैलाने और खाद्य सुरक्षा पर सरकार की नीति को प्रभावित करने में ए.डी.एस. की कोशिश रंग ला रही है।
  8.  ए.डी.एस. अनाज बैंक कार्यक्रम को एक सफल और नए प्रकार के खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के रूप में स्वीकृति मिली। हैं।
  9. भारत में विशेषकर देश के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में सहकारी समितियाँ भी खाद्य सुरक्षा में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
  10.  सहकारी समितियाँ निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती हैं।
  11. दिल्ली में मदर डेयरी उपभोक्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित नियंत्रित दरों पर दूध और सब्जियाँ उपलब्ध कराने में तेजी से प्रगति कर रही है।

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प्रश्न 2.
कुछ पोषक भोजन कार्यक्रमों को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:

  1. दोपहर के भोजन की योजना-यह वर्ष 1962-63 में शुरू किया गया था। इसका लक्ष्य 6 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रोटीन युक्त पौष्टिक भोजन प्रदान करना है। वर्ष 1983 तक इसने 18 लाख बच्चों को इस कार्यक्रम में शामिल किया।
  2.  विशेष पोषण योजना-यह वर्ष 1970-71 में प्रारम्भ किया गया। इसका लक्ष्य 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रोटीन युक्त 300 कैलोरी प्रदान करना है और गर्भवती को वर्ष में 300 दिन 500 कैलोरी प्रोटीन के साथ प्रदान करना है। वर्ष 1983 तक इस कार्यक्रम में 9 लाख लोग शामिल थे। इस कार्यक्रम में पौष्टिक एवं शक्तिवर्धक खाद्य का उत्पादन भी शामिल है।
  3. विशेष पौष्टिक भोजन कार्यक्रम-वर्ष 1960 में विशेष पौष्टिकता की कमी को दूर करने के लिए निम्न विशेष पौष्टिक भोजन कार्यक्रम जारी किए गए।
  4. व्यवहारिक संतुलित पौष्टिक आहार योजना-यह वर्ष 1960 में दो राज्यों में प्रारम्भ हुआ। वर्ष 1973 तक यह सभी राज्यों में फैल गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य संतुलित आहार, सुरक्षित खाद्य का उपभोग एवं पकाने की उचित तकनीकी के विचार को फैलाना था।

प्रश्न 3.
अनाज प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
द्वितीय (II) विश्व युद्ध के दौरान अनाज की कमी को पूरा करने के लिए इसे प्रारम्भ किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध से अनाज प्रबंध निरंतर उसी एवं अन्य रूप में चल रहा है। अनाज प्रबंध के आवश्यक तत्त्व निम्नलिखित हैं-

(क) सार्वजनिक वितरण प्रणाली का रख-रखाव।
(ख) अनाज के अतिरिक्त भंडार का रख-रखाव।
(ग) सरकारी एजेंसी द्वारा बाजार में उपलब्ध अतिरिक्त खाद्यान्नों की सार्वजनिक वितरण के रूप में प्राप्ति करना एवं उसका भंडार बनाना।
(घ) अनाज के प्रबंध में आवश्यक एवं न्यायोचित प्रतिबन्ध लगाना।
(ङ) निजी व्यापार का नियमन जिससे खाद्यान्नों की जमाखोरी एवं उनमें सट्टेबाज़ी रोकी जा सकें।
(च) जब कभी आवश्यक हो, तो घरेलू उत्पादन की सहायता के लिए विदेशों से खाद्यान्न का आयात करना।

प्रश्न 4.
अकाल के लिए उत्तरदायी कारणों को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
अकाल के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं-

  1. युद्ध एवं जान बूझकर राजनीतिक हस्तक्षेप भी अकाल को कारण हो सकता है-इन दिनों क्षेत्रों में विनाशकारी युद्ध एवं कुछ राजनैतिक मतभेद अकाल की स्थिति पैदा करते हैं।
  2. नागरिक उथल-पुथल (अशान्ति) और भोजन वितरण प्रणाली की दुर्व्यवस्था-समूहों के मध्य टकराव एवं मुठभेड़ कभी-कभी खाद्य वितरण प्रणाली को तोड़ देते हैं और अकाल को बढ़ावा देते हैं।
  3. अधिक खाद्य कमी-अकाल की प्रधान विशेषता खाद्य की अधिक कमी होना है। खाद्य (भोजन) अनुपलब्ध है। चाहे यह उपलब्ध हो लेकिन इसके मूल्य के अधिक होने के कारण यह सामान्य लोगों की पहुँच तक नहीं होता।
  4.  फसल की असफलता या स्थिति में परिवर्तन जैसे सूखा-हार्वेस्ट के बाढ़, सूखा एवं प्राकृतिक आपदाओं के कारण निरन्तर असफल होने के परिणामस्वरूप खाद्य स्तर में कमी होती है और यह आकाल की स्थिति लाता है।
  5.  विनाश चाहे प्राकृतिक या मानव निर्मित किसी भी प्रकार का विनाश चाहे प्राकृतिक हो या मानव द्वारा निर्मित आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचाता है और अकाल को पैदा करता है।

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UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 17 Breathing and Exchange of Gases

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 17 Breathing and Exchange of Gases (श्वसन और गैसों का विनिमय)

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अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जैव क्षमता की परिभाषा दीजिए और इसका महत्त्व बताइए।
उत्तर :
जैव क्षमता। अन्त:श्वास आरक्षित वायु (Inspiratory Reserve Air Volume, IRV), प्रवाही वायु (Tidal Air Volume, TV) तथा उच्छ्वास आरक्षित वायु (Expiratory Reserve Air Volume, ERV) का योग (IRV + TV + ERV- 3000 + 500 + 1100 = 4600 मिली) फेफड़ों की जैव क्षमता होती है। यह वायु की वह कुल मात्रा होती है जिसे हम पहले पूरी चेष्टा द्वारा फेफड़ों में भरकर पूरी चेष्टा द्वारा शरीर से बाहर निकाल सकते हैं। जिस व्यक्ति की जैव क्षमता जितनी अधिक होती है, (UPBoardSolutions.com) उसे शरीर की जैविक क्रियाओं के लिए उतनी ही अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है। खिलाड़ियों, पर्वतारोही, तैराक आदि की जैव क्षमता अधिक होती है। युवक की जैव क्षमता प्रौढ़ की अपेक्षा अधिक होती है। पुरुषों की जैव क्षमता स्त्रियों की अपेक्षा अधिक होती है। यह उनकी कार्य क्षमता को प्रभावित करती है।

प्रश्न 2.
सामान्य निःश्वसन के उपरान्त फेफड़ों में शेष वायु के आयतन को बताएँ।
उत्तर :
वायु की वह मात्रा जो सामान्य नि:श्वसन (उच्छ्वास) के उपरान्त फेफड़ों में शेष रहती है, कार्यात्मक अवशेष सामर्थ्य (Functional Residual Capacity, FRC) कहलाती है। यह उच्छ्वास आरक्षित वायु (Expiratory Reserve Air Volume, ERV) तथा अवशेष वायु (Residual Air Volume, RV) के योग के बराबर होती है। इसकी सामान्यतया मात्रा 2300 मिली होती है।

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FRC = ERV + RV
= 1100 + 1200 मिली
= 2300 मिली।

प्रश्न 3
गैसों का विसरण केवल कूपकीय क्षेत्र में होता है, श्वसन तन्त्र के किसी अन्य भाग में नहीं, क्यों?
उत्तर :
गैसीय विनिमय मनुष्य के फेफड़ों में लगभग 30 करोड़ वायु कोष्ठक या कूपिकाएँ (alveoli) होते हैं। इनकी पतली भित्ति में रक्त केशिकाओं को घना जाल फैला होता है। श्वासनाल (trachea), श्वसनी (bronchus), श्वसनिका (bronchiole), कूपिका नलिकाओं (alveolar duct) आदि में रक्त केशिकाओं का जाल फैला हुआ नहीं होता। इनकी भित्ति मोटी होती है। अत: कूपिकाओं (alveoli) को छोड़कर अन्य श्वसन भागों में गैसीय विनिमय नहीं होता। सामान्यतया ग्रहण की गई 500 मिली प्रवाही वायु में से लगभग 350 मिली कूपिकाओं में पहुँचती है, शेष श्वास मार्ग में ही रह जाती है। वायु कोष्ठकों की भित्ति तथा रक्त केशिकाओं की भित्ति (UPBoardSolutions.com) मिलकर श्वसन कला (respiratory membrane) बनाती हैं। इससे O2 तथा C का विनिमय सुगमता से हो जाता है। गैसीय विनिमय सामान्य विसरण द्वारा होता है। इसमें गैसें उच्च आंशिक दबाव से कम आंशिक दबाव की ओर विसरित होती हैं। वायुकोष्ठकों में O2 का आंशिक दबाव 100 -104 mm Hg और CO2) को आंशिक दबाव 40 mm Hg होता है। फेफड़ों में रक्त केशिकाओं में आए अशुद्ध रुधिर में 0 का आंशिक दबाव 40 mm Hg और CO2) का आंशिक दबाव 45-46 mm Hg होता है।
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ऑक्सीजन वायुकोष्ठकों की वायु से विसरित होकर रक्त में जाती है और रक्त से CO2 विसरित होकर वायुकोष्ठकों की वायु में जाती है। इस प्रकार वायुकोष्ठकों से रक्त ले जाने वाली रक्त केशिकाओं में रक्त ऑक्सीजनयुक्त (Oxygenated) होता है। फेफड़ों से निष्कासित वायु में O2 लगभग 15.7% और CO2 लगभग 3.6% होती है।

प्रश्न 4.
CO2 के परिवहन (ट्रांसपोर्ट) की मुख्य क्रियाविधि क्या है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
कार्बन डाइऑक्साइड का रुधिर द्वारा परिवहन ऊतकों में संचित खाद्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड विसरण द्वारा रुधिर केशिकाओं में चली जाती है। रुधिर केशिकाओं द्वारा इसकापरिवहन श्वसनांगों तक निम्नलिखित तीन प्रकार से होता है
(1) प्लाज्मा में घुलकर (Dissolved in Plasma) :
लगभग 7% कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन प्लाज्मा में घुलकर कार्बोनिक अम्ल के रूप में होता है।

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(2) बाइकार्बोनेट्स के रूप में (In the form of Bicarbonates) :
लगभग 70% कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन बाइकार्बोनेट्स के रूप में होता है। प्लाज्मा के अन्दर कार्बोनिक अम्ल का निर्माण धीमी गति से होता है। अत: कार्बन डाइऑक्साइड का अधिकांश भाग (93%) लाल रुधिराणुओं में विसरित हो जाता है। इसमें से 70% कार्बन डाइऑक्साइड से (UPBoardSolutions.com) कार्बोनिक अम्ल व अन्त में बाइकार्बोनेट्स का निर्माण हो जाता है। लाल रुधिराणुओं में कार्बोनिक एनहाइड्रेज एन्जाइम की उपस्थिति में कार्बोनिक अम्ल का निर्माण होता है।
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प्लाज्मा में, कार्बोनिक एनहाइड्रेज एन्जाइम अनुपस्थित होता है; अत: प्लाज्मा में बाइकार्बोनेट कम मात्रा में बनता है। बाइकार्बोनेट आयन UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 17 Breathing and Exchange of Gases image 3 लाल रुधिराणुओं के पोटैशियम आयन (K+) तथा प्लाज्मा के सोडियम आयन (Na+) से क्रिया करके क्रमशः पोटैशियम तथा सोडियम बाइकार्बोनेट बनाता है।
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क्लोराइड शिफ्ट या हैम्बर्गर परिघटना (Chloride Shift or Hambergur Phenomenon) सामान्य pH तथा विद्युत तटस्थता (electric neutrality) बनाए रखने के लिए जितने बाइकार्बोनेट आयन रुधिर कणिकाओं से प्लाज्मा में आते हैं, उतने ही क्लोराइड आयन (Cl) रुधिर कणिकाओं में जाकर उसकी पूर्ति करते हैं। इस क्रिया के फलस्वरूप प्लाज्मा में बाइकार्बोनेट तथा लाल रुधिरे कणिकाओं में क्लोराइड आयनों का जमाव हो जाता है। इस क्रिया को क्लोराइड शिफ्ट (chloride shift) कहते हैं। श्वसन तल पर प्रक्रियाएँ विपरीत दिशा में होती हैं जिससे CO2 मुक्त होकर वायुमण्डल में चली जाती है।

(3) कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन के रूप में (In the form of Carboxyhaemoglobin) :
कार्बन डाइऑक्साइड का लगभग 23% भाग लाल रुधिर कणिकाओं के हीमोग्लोबिन से मिलकर अस्थायी यौगिक बनाता है
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सोडियम तथा पोटैशियम के बाइकार्बोनेट्स तथा कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन आदि पदार्थों से युक्त रुधिर अशुद्ध होता है। यह रुधिर ऊतकों और अंगों से शिराओं द्वारा हृदय में पहुँचता है। हृदय से यह रुधिर फुफ्फुस धमनियों द्वारा फेफड़ों में शुद्ध होने के लिए जाता है। फेफड़ों में ऑक्सीजन की अधिक मात्रा होने के कारण रुधिर की हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन से मिलकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाती है। ऑक्सीहीमोग्लोबिन, हीमोग्लोबिन की अपेक्षा अधिक अम्लीय होता है। (UPBoardSolutions.com) ऑक्सीहीमोग्लोबिन के अम्लीय होने के कारण श्वसन सतह पर कार्बोनेट्स तथा कार्बोनिक अम्ल का विखण्डन (decomposition) होता है
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कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन तथा प्लाज्मा प्रोटीन के रूप में बने अस्थायी यौगिक भी ऑक्सीजन से संयोजित होकर कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त कर देते है
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उपर्युक्त प्रकार से मुक्त हुई कार्बन डाइऑक्साइड रुधिर केशिकाओं तथा फेफड़ों की पतली दीवारों से विसरित होकर फेफड़ों में पहुँचती है जहाँ से यह उच्छ्वास द्वारा बाहर निकाल दी जाती है।

प्रश्न 5.
कूपिका वायु की तुलना में वायुमण्डलीय वायु में pO2 तथा pCO2 कितनी होगी? मिलान कीजिए।
(i) pO2 न्यून, pCO2 उच्च
(ii) pO2 उच्च, pCO2 न्यून
(iii) pO2 उच्च, pCO2 उच्च
(iv) pO2 न्यून, pCO2 न्यून
उत्तर :
(ii) pO2 उच्च, pCO2 न्यून। (वायुमण्डलीय वायु में O2 का आंशिक दाब 159 तथा CO2 का आंशिक दाब 0.3 होता है, जबकि कूपिका वायु में O2 का आंशिक दाब 104 तथा CO2 का आंशिक दाब 40 होता है।)

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प्रश्न 6.
सामान्य स्थिति में अन्तःश्वसन प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
सामान्य श्वासोच्छ्वास (breathing) या श्वासन अनैच्छिक होता है। इसमें पसलियों की गति की भूमिका 25% और डायफ्राम की भूमिका 75% होती है।

अन्तःश्वास या प्रश्वसन (Inspiration) :
सामान्य स्थिति में अन्त:श्वास में गुम्बदनुमा डायफ्राम पेशियों में संकुचन के कारण चपटा सा हो जाता है। डायफ्राम की गति के साथ बाह्य अन्तरापर्शक पेशियों (external intercostal muscles) में संकुचने से पसलियाँ सीधी होकर ग्रीवा की तथा बाहर की तरफ खिंचती है। इससे उरोस्थि (sternum) ऊपर और आगे की ओर उठ जाती है। इन गतियों के कारण वक्षगुहा का आयतन बढ़ जाता है और फेफड़े फूल जाते हैं। वक्ष गुहा और फेफड़ों में वृद्धि के कारण वायुकोष्ठकों या कूपिकाओं (alveoli) में वायुदाब लगभग 1 से 3mm Hg कम हो जाता है। इसकी पूर्ति के लिए वायुमण्डलीय वायु श्वास मार्ग से कूपिकाओं में पहुँच जाती है। इस क्रिया को (UPBoardSolutions.com) अन्तःश्वास कहते हैं। इसके द्वारा मनुष्य (अन्य स्तनी) वायु ग्रहण करते हैं।

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प्रश्न 7.
श्वसन का नियमन कैसे होता है?
उत्तर :
श्वसन का नियमन मस्तिष्क के मेड्यूला (medulla) एवं पोन्स वैरोलाइ (Pons varolii) में स्थित श्वास केन्द्र (respiratory centre) पसलियों तथा डायफ्राम से सम्बन्धित पेशियों की क्रिया का नियमन करके श्वासोच्छ्वास (breathing) या श्वसन (respiration) का नियमन करता है। श्वास क्रिया तन्त्रिकीय नियन्त्रण में होती है। यही कारण है कि हम अधिक देर तक श्वास नहीं रोक पाते हैं। फेफड़ों की भित्ति में ‘स्ट्रेच संवेदांग’ (stretch receptors) होते हैं। फेफड़ों के आवश्यकता से अधिक फूल जाने पर ये संवेदांग पुनर्निवेशन नियन्त्रण (feedback control) के अन्तर्गत नि:श्वसन को तुरन्त रोकने के लिए हेरिंग बुएर रिफ्लेक्स चाप (Hering-Bruer Reflex Arch) की स्थापना करके श्वास केन्द्र को उद्दीपित करते हैं, जिससे श्वास दर बढ़ जाती है। यह नियन्त्रण प्रतिवर्ती क्रिया के अन्तर्गत होता है।

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शरीर के अन्त:वातावरण में CO2 की सान्द्रता के कम या अधिक हो जाने से श्वास केन्द्र स्वतः उद्दीपित होकर श्वास दर को बढ़ाता या घटाता है। O2 की अधिकता कैरोटिको सिस्टैमिक चाप (Carotico systemic arch) में उपस्थित सूक्ष्म रासायनिक संवेदांगों को प्रभावित करती है। ये संवेदांग श्वास केन्द्र को प्रेरित करके श्वास दर को घटा या बढ़ा देते हैं।

प्रश्न 8.
pCO2 का ऑक्सीजन के परिवहन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
कूपिकाओं में जहाँ pO2 उच्च तथा pCO2 न्यून होता है H+ सांद्रता कम तथा ताप कम होने पर ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनता है। ऊतकों में जहाँ pO2 न्यून तथा pCO2 उच्च होता है H+ सांद्रता अधिक तथा ताप अधिक होता है। ऑक्सीहीमोग्लोबिन का विघटन होता है तथा 0, मुक्त हो जाती है। (UPBoardSolutions.com) इसका अर्थ है O2 फेफड़े की सतह पर हीमोग्लोबिन के साथ मिलती है तथा ऊतकों में अलग हो जाती है। सामान्य परिस्थिति में 5 मिली O2 ऊतकों को प्रति 100 मिली ऑक्सीजनित रक्त से मिलता है।

प्रश्न 9.
पहाड़ पर चढ़ने वाले व्यक्ति की श्वसन प्रक्रिया में क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
पहाड़ पर ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ वायु में O2 का आंशिक दाब कम हो जाता है; अत: मैदान की अपेक्षा ऊँचाई पर श्वासोच्छ्वास क्रिया अधिक तीव्र गति से होगी। इसके निम्नलिखित कारण होते हैं

  1.  रुधिर में घुली हुई ऑक्सीजन का आंशिक दाब कम हो जाता है। O2 रक्त में सुगमता से विसरित होती है। अतः शरीर में ऑक्सीजन परिसंचरण कम हो जाता है। इसके फलस्वरूप सिरदर्द तथा उल्टी (वमन) का आभास होता है।
  2. अधिक ऊँचाई पर वायु में ऑक्सीजन की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है; अत: वायु से अधिक O2 प्राप्त करने के लिए श्वासोच्छ्वास क्रिया तीव्र हो जाती है।
  3. कुछ दिनों तक ऊँचाई पर रहने से रुधिर में लाल रुधिराणुओं की संख्या बढ़ जाती है और श्वास क्रिया सामान्य हो जाती है।

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प्रश्न 10.
कीटों में श्वास क्रियाविधि कैसे होती है?
उत्तर :

कीटों में श्वास क्रियाविधि

कीटों में श्वसन हेतु ट्रैकिंया (trachea) पाए जाते हैं। कीटों के शरीर में ट्रैकिया का जाल फैला होता है। ट्रैकियो पारदर्शी, शाखामय, चमकीली नलिकाएँ होती हैं। ये श्वास रन्ध्रों (spiracles) द्वारा वायुमण्डल से सम्बन्धित रहती हैं। श्वास रन्ध्र छोटे वेश्म (atrium) में खुलते हैं। (UPBoardSolutions.com) श्वास रन्ध्रों पर रोमाभ सदृश शूक तथा कपाट पाए जाते हैं। कुछ श्वास रन्ध्र सदैव खुले रहते हैं। शेष अन्तःश्वसन (inspiration) के समय खुलते हैं और उच्छ्व सन (expiration) के समय बन्द रहते हैं।
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ट्रैकियल वेश्म (atrium) से शाखाएँ निकलकर एक पृष्ठ तथा अधर तल पर ‘ट्रैकिया का जाल बना लेती हैं। ट्रैकिया से निकलने वाली ट्रैकिओल्स (tracheoles) ऊतक या कोशिकाओं तक पहुँचती हैं। कीटों में गैसों का विनिमय बहुत ही प्रभावशाली होता है और O2 सीधे कोशिकाओं तक पहुँचती है। इसी कारण कीट सर्वाधिक क्रियाशील होते हैं।

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The partial pressure formula of one gas in a mixture of gases is equal to the amount of pressure that would of the other gases were removed.

प्रश्न 11.
ऑक्सीजन वियोजन वक्र की परिभाषा दीजिए। क्या आप इसकी सिग्माभ आकृति का कोई कारण बता सकते हैं?
उत्तर :

ऑक्सीजन वियोजन वक्र

हीमोग्लोबिन द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमला ऑक्सीजन के आंशिक दबाव (partial pressure) अर्थात् pO2 पर निर्भर करती है। हीमोग्लोबिन-क़ी वह प्रतिशत मात्रा जो ऑक्सीजन ग्रहण करती है, इसकी प्रतिशत संतृप्ति (percentage saturation of haemoglobin) कहलाती है; जैसेफेफड़ों में रक्त के ऑक्सीजनीकृत होने पर O2 का आंशिक दबाव pO2) लगभग 97 mm Hg होता है। इस pO2 पर हीमोग्लोबिन की प्रतिशत संतृप्ति लगभग 98% होती है।

ऊतकों से वापस आने वाले रक्त में O2 का आंशिक दबाव pO2 लगभग 40 mm Hg होता है, इस pOपर हीमोग्लोबिन की प्रतिशत संतृप्ति लगभग 75% होती है। pO2 तथा हीमोग्लोबिन की प्रतिशत संतृप्ति के सम्बन्ध को ग्राफ पर अंकित करने पर एक सिग्माभ वक्र (sigmoid curve) प्राप्त होता है।  इसे ऑक्सीजन वियोजन वक्र कहते हैं। ऑक्सीजन हीमोग्लोबिन वियोजन वक्र पर शरीर ताप एवं रक्त के pH का प्रभाव पड़ता है। ताप के बढ़ने या pH के कम होने (UPBoardSolutions.com) पर यह वक्र दाहिनी ओर खिसकता है। इसके विपरीत ताप के कम होने या pH के अधिक होने से ऑक्सीजन हीमोग्लोबिन वक्र बाईं ओर खिसकता है। रक्त में CO2 की मात्रा बढ़ने या इसका pH घटने (H’ आयन की संख्या बढ़ने से) पर O2 के प्रति हीमोग्लोबिन की आकर्षण शक्ति कम हो जाती है। इसी को बोहर प्रभाव (Bohr effect) कहते हैं। यह क्रिया ऊतकों में होती है। इस प्रकार बोहर प्रभाव का योगदान हीमोग्लोबिन को फेफड़ों से ऊतकों तक ऑक्सीजन के परिवहन को प्रोत्साहित करता है।
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फेफड़ों में हीमोग्लोबिन को O2 मिलते ही CO2 के प्रति इसका आकर्षण कम हो जाता है और कार्बोमिनोहीमोग्लोबिन COत्यागकर सामान्य हीमोग्लोबिन बन जाता है। अम्लीय हीमोग्लोबिन H+ आयन मुक्त करता है जो बाइकार्बोनेट (HCO3) से मिलकर कार्बोनिक अम्ल बनाते हैं। यह शीघ्र ही CO2) तथा H2Oमें टूटकर CO2 को मुक्त कर देता है। इसे हैल्डेन प्रभाव (Haldane effect) कहते हैं। हैल्डेन प्रभाव फेफड़ों में CO2 के बहिष्कार को और ऊतकों में O2 के बहिष्कार को प्रेरित करता है।

प्रश्न 12.
क्या आपने अव-ऑक्सीयता (हाइपोक्सिया) (न्यून ऑक्सीजन) के बारे में सुना है। इस सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश कीजिए व साथियों के बीच चर्चा कीजिए।
उत्तर :
अव-ऑक्सीयता (Hypoxia) :
इस स्थिति का सम्बन्ध शरीर की कोशिकाओं/ऊतकों में ऑक्सीजन के आंशिक दबाव में कमी से होता है। यह ऑक्सीजन की कम आपूर्ति के कारण होता है। वायुमण्डल में पहाड़ों पर 8000 फुट से अधिक ऊँचाई पर वायु में O2 का दबाव कम हो जाता है। इससे सिरदर्द, वमन, चक्कर आना, मानसिक थकान, श्वास लेने में कठिनाई आदि लक्षण प्रदर्शित होते हैं। इसे कृत्रिम हाइपोक्सिया (artificial hypoxia) कहते हैं। यह रोग प्रायः पर्वतारोहियों को हो। जाता है। शरीर में (UPBoardSolutions.com) हीमोग्लोबिन की कमी के कारण रक्त की ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसे एनीमिया हाइपोक्सिया (anaemia hypoxia) कहते हैं।

प्रश्न 13.
निम्न के बीच अन्तर करें
(क) IRV, ERV
(ख) अन्तः श्वसन क्षमता और निःश्वसन क्षमता
(ग) जैव क्षमता तथा फेफड़ों की कुल धारिता
उत्तर :

(क)
IRV व ERV में अन्तर

1. IRV :
अन्त:श्वसन सुरक्षित आयतन (inspiratory reserve volume) वायु आयतन की वह अतिरिक्त मात्रा है जो एक व्यक्ति बलपूर्वक अन्त:श्वासित कर सकता है। यह औसतन 2500 मिली से 3000 मिली होती है।

2. ERV :
नि:श्वसन सुरक्षित आयतन (expiratory reserve volume) वायु आयतन की वह अतिरिक्त मात्रा है जो एक व्यक्ति बलपूर्वक नि:श्वासित कर सकता है। यह औसतन 1000 मिली से 1100 मिली होता है।

(ख)
अन्तःश्वसन क्षमता व निःश्वसन क्षमता में अन्तर

1. अन्तःश्वसन क्षमता (Inspiratory Capacity, IC) :
सामान्यतः नि:श्वसन उपरान्त वायु की कुल मात्रा (आयतन) जिसे एक व्यक्ति अन्त:श्वासित कर सकता है। इसमें ज्वारीय आयतन तथा अन्तः श्वसन सुरक्षित आयतन सम्मिलत होते हैं (TV + IRV)।

2. निःश्वसन क्षमता (Expiratory Capacity, EC) :
सामान्यतः अन्तः श्वसन उपरान्त वायु की कुल मात्रा (आयतन) जिसे एक व्यक्ति नि:श्वासित कर सकता है। इसमें ज्वारीय आयतन और नि:श्वसन सुरक्षित आयतन सम्मिलित होते हैं (TV + ERV)।

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(ग)
जैव क्षमता तथा फेफड़ों की कुल धारिता में अन्तर

1. जैव क्षमता (Vital Capacity) :
बलपूर्वक नि:श्वसन के बाद वायु की वह अधिकतम मात्रा जो एक व्यक्ति अन्त:श्वासित कर सकता है अथवा वायु की वह अधिकतम मात्रा जो एक व्यक्ति बलपूर्वक अन्त:श्वसन के पश्चात् नि:श्वासित कर सकता है।

2. फेफड़ों की कुल धारिता (Total Lung Capacity) :
बलपूर्वक नि:श्वसन के पश्चात् । फेफड़ों में समायोजित (उपस्थित) वायु की कुल मात्रा। इसमें RV, ERV, TV  तथा IRV सम्मिलित हैं। यानि जैव क्षमता + अवशिष्ट आयतन (VC + RV)।

प्रश्न 14.
ज्वारीय आयतन क्या है? एक स्वस्थ मनुष्य के लिए एक घण्टे के ज्वारीय आयतन (लगभग मात्रा) को आकलित करें।
उत्तर :

1. ज्वारीय आयतन (Tidal Volume, TV) :
सामान्य श्वसन क्रिया के समय प्रति अन्त:श्वासित या नि:श्वासित वायु का आयतन ज्वारीय आयतन कहलाता है। (UPBoardSolutions.com) यह लगभग 500 मिली होता है अर्थात् स्वस्थ मनुष्य लगभग 6000 से 8000 मिली वायु प्रति मिनट की दर से अन्त:श्वासित/ नि:श्वासित कर सकता है।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
श्वसन भागफल का अर्थ है।
(क) ऑक्सीजन की प्रति मिनट ग्रहण (व्यय) मात्रा
(ख) कार्बन डाइऑक्साइड के उत्पादन एवं ऑक्सीजन के ग्रहण का अनुपात
(ग) प्रति मिनट कार्बन डाइऑक्साइड का ग्रहणे
(घ) ताप एवं ऑक्सीजन ग्रहण का अनुपात
उत्तर :
(ख) कार्बन डाइऑक्साइड के उत्पादन एवं ऑक्सीजन के ग्रहण का अनुपात

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ब्रोंकाई को एक वाक्य में परिभाषित कीजिए।
उत्तर :
ब्रोंकाई (bronchi) श्वसन नली (trachea) की वक्ष गुहा में पाई जाने वाली दो शाखाएँ हैं।

प्रश्न 2.
एपिग्लॉटिस का क्या कार्य है?
उत्तर :
एपिग्लॉटिस कण्ठद्वार को ढक्कन की भाँति बन्द करने का कार्य करता है।

प्रश्न 3.
“आणविक ऑक्सीजन जीवन हेतु नितान्त आवश्यक है।” कैसे? अति संक्षेप में समझाइए।
उत्तर :
आणविक ऑक्सीजन के द्वारा ही कोशिकाओं में आवश्यक ऊर्जा उत्पादन के लिए (UPBoardSolutions.com) ऑक्सी श्वसन होता है जो बिना ऑक्सीजन के नहीं हो सकता। अतः जीवन को चलाये रखने के लिए आणविक ऑक्सीजन अत्यन्त आवश्यक है।

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प्रश्न 4.
ग्लाइकोलाइसिस क्रिया के अन्त में ग्लूकोज के प्रत्येक अणु से पाइरुविक अम्ल के कितने अणु बनते हैं? इस क्रिया में O2 की क्या उपयोगिता है?
उत्तर :
ग्लाइकोलाइसिस क्रिया के अन्त में ग्लूकोज के प्रत्येक अणु से दो पाइरुविक अम्ल (pyruvic acid) अणु बनते हैं। इस क्रिया में O2 की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

प्रश्न 5.
ATP तथा NADP का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर :

  1. ATP–एडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट।
  2. NADP-निकोटिनामाइड ऐडीनीन डाइन्यूक्लियोटाइड फॉस्फेट।

प्रश्न 6.
श्वसन क्रिया में हीमोग्लोबिन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए। या मानव रुधिर में पाये जाने वाले श्वसन रंजक (वर्णक) का नाम तथा रासायनिक संघटन बताइए। या हीमोग्लोबिन के महत्त्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
मनुष्य सहित सभी कशेरुकियों (vertebrates) के तरल संयोजी ऊतक रुधिर (blood) की विशेष कोशिकाओं, जिन्हें लाल रुधिर कणिकाएँ (red blood corpuscles = RBCs) कहते हैं, में एक लोहयुक्त रंगा पदार्थ (pigment) पाया जाता है। यह हीमोग्लोबिन (haemoglobin) कहलाता है। हीमोग्लोबिन में लगभग 5% लोहा (Fe++) तथा शेष ग्लोबिन नामक प्रोटीन (protein) होती है।

हीमोग्लोबिन नामक इस पदार्थ में ऑक्सीजन (O2) तथा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के संयोजन की अत्यधिक क्षमता होती है। इसीलिए श्वसन की क्रिया में यह इन गैसों के परिवहन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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प्रश्न 7.
प्राणियों में पाये जाने वाले दो श्वसनी वर्णकों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  1. हीमोग्लोबिन
  2. हीमोसायनिन

प्रश्न 8.
वयस्क मनुष्य सामान्यतः एक मिनट में कितनी बार श्वसन करता है? वायु संचालन कौन-सी क्रिया है?
उत्तर :
सामान्य वयस्क मनुष्य एक मिनट में लगभग 12-20 बार श्वसन करता है। श्वसन एक भौतिक क्रिया है।

प्रश्न 9.
श्वास रोध और श्वास क्षिप्रता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
(i) श्वास रोध :
इस रोग के अन्तर्गत श्वसन क्रिया में मांसपेशियाँ सुचारु रूप से कार्य नहीं कर पाती हैं तथा फेफड़ों का आयतन भी लगभग अपरिवर्तित रहता है।

(ii) श्वास क्षिप्रता :
इस रोग में श्वास दर तीव्र हो जाती है। एक सामान्य वयस्क मनुष्य की आराम की अवस्था में श्वास दर लगभग 12-20 है, परन्तु श्वास क्षिप्रता से ग्रस्त व्यक्ति की श्वास दर 20 से ऊपर होती है।

प्रश्न 10.
श्वसन तन्त्र के निम्नलिखित विकारों के कारण लिखिए
(i) एम्फिसीमा
(ii) अस्थमा
उत्तर :

(i) एम्फिसीमा :
इस रोग में कूपिका भित्ति क्षतिग्रस्त हो जाती है जिससे गैस विनिमय की सतह घट जाती है। वायु प्रदूषण, धूम्रपान आदि इसके प्रमुख कारण हैं।

(ii) अस्थमा :
इस रोग में श्वसनी और श्वसनिकाओं की शोथ के कारण श्वसन के समय घरघराहट होती (UPBoardSolutions.com) है तथा श्वास लेने में कठिनाई होती है। वायु प्रदूषण, धूलयुक्त वायु, धूम्रपान आदि इसके प्रमुख कारण हैं।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ATP का पूरा नाम लिखिए तथा इसके कार्य बताइए। या कोशिकीय श्वसन में माइटोकॉण्डूिया की क्या भूमिका है?
उत्तर :
कोशिकीय श्वसन के अन्तर्गत क्रेब्स चक्र माइटोकॉण्ड्रिया में सम्पन्न होता है। इसके फलस्वरूप हाइड्रोजन परमाणु (2H) मुक्त होते हैं। इन्हें हाइड्रोजनग्राही NAD, NADP या FAD ग्रहण करके अपचयित हो जाते हैं। इन्हें पुनः ऑक्सीकृत स्थिति में लाने का कार्य इलेक्ट्रॉन परिवहन तन्त्र करता है। (UPBoardSolutions.com) इसमें उच्च ऊर्जा इलेक्ट्रॉन मुक्त होता है। मुक्त इलेक्ट्रॉन जब एक इलेक्ट्रॉनग्राही से दूसरे इलेक्ट्रॉनग्राही पर ट्रान्सफर होता है तो ऊर्जा मुक्त होती है। मुक्त ऊर्जा की कुछ मात्रा ATP के रुप में संचित हो जाती है। यह क्रिया माइटोकॉण्ड्रिया के क्रिस्टी पर स्थित ऑक्सीसोम्स या F, कण पर होती है।

ATP (एडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट) में संचित ऊर्जा पेशीय गति, अपेशीय क्रियाओं, सक्रिय गमन, ऊष्मा। उत्पादन, जैव-संश्लेषण, जैव-विद्युत, जैव-प्रकाश उत्पादन आदि क्रियाओं में प्रयुक्त होती है। माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का विद्युत गृह तथा ATP को उपापचय जगत का सिक्का कहते हैं।

प्रश्न 2.
ए०टी०पी० क्या है? यह ए०डी०पी० से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर :
ए०टी०पी० (ATP) :
कोशिकीय श्वसन के फलस्वरूप मुक्त गतिज ऊर्जा ATP में संचित हो जाती है। यह ट्राइफॉस्फेट न्यूक्लिओटाइड (एडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट) है।
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प्रश्न 3.
निःश्वसन तथा उच्छ्वसन में अन्तर लिखिए।
उत्तर :
निःश्वसन तथा उच्छ्वसन में अन्तर
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प्रश्न 4.
रुधिर में ऑक्सीजन गैस के संवहन का वर्णन कीजिए।
उत्तर :

ऑक्सीजन का परिवहन

हीमोग्लोबिन लाल रक्त कणिकाओं में स्थित एक लाल रंग को लौहयुक्त वर्णक है। हीमोग्लोबिन के साथ उत्क्रमणीय (reversible) ढंग से बँधकर ऑक्सीजन ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) का गठन कर सकता है। प्रत्येक हीमोग्लोबिन अणु अधिकतम चार O2 अणुओं को वहन कर सकते हैं। हीमोग्लोबिन के साथ ऑक्सीजन का बँधना प्राथमिक तौर पर O2 के आंशिक दाब से सम्बन्धित है। CO2 का आंशिक दाब, हाइड्रोजन आयन सांद्रता और तापक्रम कुछ अन्य कारक हैं जो इस बन्धन को बाधित कर सकते हैं। हीमोग्लोबिन की ऑक्सीजन से प्रतिशत संतृप्ति को pO2 के सापेक्ष आलेखित ।

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करने पर सिग्माभ वक्र (sigmoid curve) प्राप्त होता है। इस वक्र को वियोजन वक्र (dissociation curve) कहते हैं जो हीमोग्लोबिन से 0, बंधन को प्रभावित करने वाले pCO2; H+ आयन सांद्रता आदि घटकों के अध्ययन में अत्यधिक सहायक होता है। कूपिकाओं में जहाँ उच्च pO2, निम्न pCO2; कम H+सांद्रता और निम्न तापक्रम होता है, वहाँ ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाने के लिए ये सभी घटक अनुकूल साबित होते हैं जबकि ऊतकों में निम्न pO2 उच्च pCO2 उच्च H+ सांद्रता और उच्च तापक्रम की स्थितियाँ ऑक्सीहीमोग्लोबिन से ऑक्सीजन के वियोजन के लिए अनुकूल होती हैं। इससे स्पष्ट है कि O2 हीमोग्लोबिन से फेफड़ों की सतह पर बँधती है और ऊतकों में वियोजित हो जाती है। प्रत्येक 100 मिली ऑक्सीजनित रक्त सामान्य शरीर की क्रियात्मक स्थितियों में ऊतकों को लगभग 5 मिली O2 प्रदान करता है।

प्रश्न 5.
ऑर्निथीन चक्र को रेखाचित्र की सहायता से समझाइए। या ऑर्निथीन-आर्जिनीन चक्र को रेखीय चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर :

यूरिया का निर्माण या ऑर्निथीन चक्र

विभिन्न जैव-रासायनिक (bio-chemical) क्रियाओं के अन्तर्गत यकृत कोशिकाओं में अमोनिया को कार्बन डाइऑक्साइड के साथ मिलाकर यूरिया (urea) का निर्माण किया जाता है। ये क्रियाएँ एक चक्र के रूप में होती हैं जिसे ऑर्निथीन चक्र (ormithine cycle) अथवा क्रेब-हेन्सलीट चक्र (Kreb-Henseleit cycle) कहते हैं। इस चक्र में डीएमीनेशन से प्राप्त अमोनिया का एक अणु कार्बन डाइऑक्साइड के एक अणु से मिलकर कार्बमोइल फॉस्फेट (UPBoardSolutions.com) (carbamoyl phosphate) बनाता है। इसमें दो ATP अणुओं का भी उपयोग होता है। काबेंमोइल फॉस्फेट उपलब्ध ऑर्निथीन के साथ ट्रान्सकाबेंमिलेज एन्जाइम की उपस्थिति में संयोग कर लेता है, इससे साइट्रलिन (citrulline) बनता है। साइट्रलिन ए०टी०पी० (ATP) की उपस्थिति में एस्पार्टिक अम्ल (aspartic acid) के साथ संयोग कर आर्जिनोसक्सीनिक अम्ल (arginosuccinic acid) बनाता है। आर्जिनोसक्सीनिक अम्ल का एन्जाइम की उपस्थिति में आर्जिनीन (arginine) तथा फ्यूमैरिक अम्ल (fumaric acid) में विघटन हो जाता है। अब एन्जाइम आर्जिनेज (arginase) की उपस्थिति में आर्जिनीन का विघटन होता है और यूरिया (urea) तथा ऑर्निथीन (ornithine) का निर्माण होता है। इस प्रकार ऑर्निथीन अगले चक्र के लिए वापस मिल जाती है। ऑर्निथीन की इस प्रकार की उपस्थिति के कारण ही इसको ऑर्निथीन चक्र (ornithine cycle) कहते हैं।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कोशिकीय श्वसन से आप क्या समझते हैं? इससे सम्बन्धित विभिन्न पदों (steps) का उल्लेख कीजिए। या निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए
(क) ग्लाइकोलिसिस (glycolysis)
(ख) कोशिकीय श्वसन (cellular respiration) या कोशिकीय श्वसन क्या है? ग्लाइकोलिसिस को अनॉक्सी श्वसन क्यों कहा जाता है? ग्लाइकोलिसिस प्रक्रम का वर्णन कीजिए।
उत्तर :

कोशिकीय श्वसन

भोज्य पदार्थों को विखण्डित कर उनसे रासायनिक ऊर्जा को, उपयोग के लिए, विमुक्त करने वाली अपंचयिक (catabolic) व पूर्णतः नियन्त्रित (controlled) क्रिया श्वसन (respiration) कहलाती है।”

सामान्यत: सभी जन्तुओं में भोज्य पदार्थों में उपस्थित, रासायनिक ऊर्जा धीरे-धीरे एक श्रृंखला में होने वाली अभिक्रियाओं (reactions) के द्वारा स्वतन्त्र की जाती है। अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पदार्थ, ऐडीनोसीन डाइफॉस्फेट या ए०डी०पी० (adenosine diphosphate or ADP) स्वतन्त्र की गयी इस ऊर्जा को अपने साथ जोड़कर एक अस्थायी यौगिक ऐडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट या ए०टी०पी० (adenosine triphosphate or ATP) का निर्माण कर लेता है। ए०टी०पी० (UPBoardSolutions.com) को किसी भी स्थान या उसी या अन्य किसी कोशिका में ऊर्जा के लिए उपयोग में लाया जा सकता है और फिर से ए०डी०पी० प्राप्त हो जाता है। जीवित कोशिका (living cell) में इस प्रकार की क्रिया अत्यन्त नियन्त्रित विधियों से विशेष व्यवस्था के अन्तर्गत, अनेक एन्जाइम, सहएन्जाइम एवं अन्य पदार्थों एवं तन्त्रों (systems) के अन्तर्गत की जाती है। यही नहीं, क्रियाओं के फलस्वरूप जो गतिज ऊर्जा (kinetic energy) निष्कासित होती है उसके अधिकांश भाग को विशेष पदार्थ ए०टी०पी० (ATP) में इस प्रकार संचित किया जाता है

कि उपयोग की आवश्यकता के समय यह तुरन्त अपघटित होकर ऊर्जा को उपलब्ध करा देता है और स्वयं ऊर्जा उत्पादन के स्थान पर ए०डी०पी० (ADP) के रूप में पहुँचकर नयी ऊर्जा ग्रहण करता है अर्थात् उसका कुछ बिगड़ता भी नहीं। बस, यही समस्त क्रियाएँ अर्थात् खाद्य पदार्थ के ऑक्सीकरण से लेकर उपभोग के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराने की नियन्त्रित क्रियाओं को हम श्वसन (respiration) कहते हैं।

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कोशिकीय श्वसन से सम्बन्धित दो प्रमुख पद

(i) ग्लाइकोलिसिस (Glycolysis) :
श्वसन की यह सामान्य क्रिया प्रारम्भ में कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में होती है और इसमें ऑक्सीजन के बिना ही, केवल आन्तरिक परिवर्तनों के द्वारा, कार्बोहाइड्रेट को अपूर्ण रूप से ऑक्सीकृत करके थोड़ी-सी ऊर्जा निकाल ली जाती है। इस प्रकार के श्वसन को
जिसमें ऑक्सीजन अनुपस्थित होती है, अनॉक्सी या अवायवीय (anaerobic) श्वसन कहते हैं।

(ii) क्रेब्स चक्र (Kreb’s Cycle) :
अधिक दक्षश्वसन की यह क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में सामान्य कोशिका में माइटोकॉण्ड्रिया (mitochondria) पर होती है और ऑक्सीश्वसन या वायवीय श्वसन (aerobic respiration) कहलाती है।

ग्लाइकोलिसिस या ई०एम०पी० पथ

ग्लाइकोलिसिस की अभिक्रियाएँ कोशिका के कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में होती हैं जिसमें 6 C वाला ग्लूकोज का एक अणु विघटित होकर 3 C वाले दो पाइरुविक अम्ल (pyruvic acid) अणु बनाता है। क्रम से एन्जाइम (enzymes) तथा सह-एन्जाइम्स (co-enzymes) की सहायता से शृंखलाबद्ध रूप में, ये क्रियाएँ इस प्रकार घटित होती हैं

पद I :
ग्लूकोज के अणु का फॉस्फोराइलेशन
इस क्रिया के अन्त में फ्रक्टोज 1, 6-डाइफॉस्फेट (fructose 1, 6-diphosphate) का निर्माण होता है। इस क्रिया में पहले ग्लूकोज अणु एक ATP अणु से ऊर्जा तथा एक फॉस्फेट गुट्ट (PO4 ) प्राप्त करता है तथा ग्लूकोज 6-फॉस्फेट (glucose 6-phosphate) बनाता है। ग्लूकोज 6-फॉस्फेट समावयवीकरण (isomerization) के द्वारा फ्रक्टोज 6-फॉस्फेट (fructose 6-phosphate) में बदल जाता है। फ्रक्टोज 6-फॉस्फेट का अणु अब एक ATP अणु से एक फॉस्फेट गुट्ट ऊर्जा की उपस्थिति में प्राप्त करता है और इससे फ्रक्टोज 1, 6-डाइफॉस्फेट बनता है।

पद II :
फॉस्फोराइलेटेड शर्करा का विदलन
इस पद में फ्रक्टोज 1, 6-डाइफॉस्फेट का विदलन (splitting) होता है जिससे दो ट्रायोज (trioses) बनते हैं-एक, 3-फॉस्फोग्लिसरैल्डिहाइड (3-phosphoglyceraldehyde) तथा दूसरा डाइहाइड्रॉक्सी-एसीटोन फॉस्फेट (dihydroxyacetone phosphate)। बाद में, दूसरा ट्रायोज भी एक आइसोमेरेज (isomerase) एन्जाइम की उपस्थिति में 3-फॉस्फोग्लिसरैल्डिहाइड में ही बदल जाता है। इस प्रकार, इस परिवर्तन के बाद, दो अणु (UPBoardSolutions.com) 3-फॉस्फोग्लिसरैल्डिहाइड के उपलब्ध होते हैं। 3- फॉस्फोग्लिसरैल्डिहाइड, अकार्बनिक फॉस्फेट (H3PO4 से) प्राप्त करके 1, 3-डाइफॉस्फोग्लिसरैल्डिहाइड का निर्माण करता है जो दो H+ आयन तथा इलेक्ट्रॉन देकर ऑक्सीकृत हो जाता है। यह क्रिया डिहाइड्रोजिनेज (dehydrogenase) एन्जाइम तथा NAD सह-एन्जाइम की उपस्थिति में होती है तथा 1, 3-डाइफॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (1, 3-diphosphoglyceric acid) का निर्माण होता है।

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1, 3-डाइफॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (1, 3-diphosphoglyceric acid) का डीफॉस्फोराइलेशन (dephosphorylation) होता है तथा एक फॉस्फेट गुंट्ट अलग होकर उपस्थित ADP के साथ संयुक्त होकर ATP का निर्माण करता है। इस प्रकार दो अणुओं से दो ATP अणु और दो अणु 3-फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (3-phosphoglyceric acid) बनते हैं। जिसमें एन्जाइम, फॉस्फोग्लिसरोम्यूटेज की सहायता से फॉस्फेट गुट्ट का फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल में स्थान परिवर्तन हो जाने से फॉस्फेट अब 2 स्थिति में आ जाता है। अब,प्रत्येक अणु से एक अणु जल निकल जाने से 2-फॉस्फोइनॉल पाइरुविक अम्ल (2-phosphoenol pyruvic acid) का निर्माण होता है। 2-फॉस्फोइनॉल पाइरुविक अम्ल के डीफॉस्फोराइलेशन (dephosphorylation) के द्वारा पाइरुविक अम्ल (pyruvic acid) को निर्माण होता है। इस प्रकार प्राप्त फॉस्फेट गुट्ट 2ADP अणुओं के साथ मिलकर 2ATP अणुओं का निर्माण करते हैं।
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ग्लाइकोलिसिस की सम्पूर्ण क्रियाओं में जहाँ अम्ल बनते हैं; जैसे- फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल, पाइरुविक अम्ल इत्यादि, ये सब लवणों के रूप में हो सकते हैं। अतः इन्हें फॉस्फोग्लिसरेट, पाइरुवेट (phosphoglycerate, pyruvate) इत्यादि भी लिखा जाता है। ग्लाइकोलिसिस (glycolysis) में ATP के कुल चार अणुओं का निर्माण होता है, किन्तु प्रारम्भिक अभिक्रियाओं में दो ATP अणु काम में आ जाते हैं। अतः शुद्ध लाभ केवल दो अणुओं का ही होता है

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(net gain) = 4 ATP – 2 ATP = 2 ATP
दो स्वतन्त्र H+ आयन (ions) भी प्राप्त होते हैं जो प्राय: NAD या NADP पर चले जाते हैं।

क्रेब्स चक्र या ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र

पाइरुविक अम्ल का ऑक्सीकरण ऑक्सीजन की उपस्थिति में क्रमबद्ध तथा चक्र में होने वाली अभिक्रियाओं द्वारा होता है। यह चक्र ही क्रेब्स चक्र (Krebs cycle) कहलाता है। इसकी सम्पूर्ण अभिक्रियाएँ माइटोकॉण्ड्रिया (mitochondria) में होती हैं जहाँ सभी प्रकार के आवश्यक एन्जाइम्स (enzymes) व सह-एन्जाइम्स (co-enzymes) मिलते हैं। पाइरुविक अम्ल, एसीटिल को एन्जाइम-‘ए’ (acetyl co-enzyme-A) बनाने के बाद क्रेब्स चक्र में साइट्रिक अम्ल (UPBoardSolutions.com) (citric acid) के रूप में दिखायी पड़ता है; अत: इस चक्र को ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र या साइट्रिक अम्ल चक्र (tricarboxylic acid cycle or citric acid cycle) कहते हैं। क्रेब्स चक्र में प्रवेश से पूर्व पाइरुविक अम्ल एक जटिल प्रक्रिया से निकलता है। इस क्रिया में कम-से-कम पाँच को-फैक्टर (co-factor) तथा एक एन्जाइम-समूह (enzyme-complex) की आवश्यकता होती है। क्रेब्स चक्र में तो एसीटिल को-एन्जाइम-‘ए’ (acetyl co-enzyme-A) ही प्रवेश करता है। ये क्रियाएँ निम्नलिखित पदों में सम्पन्न होती हैं

      1. ऑक्सीजन के सन्तोषप्रद मात्रा में उपलब्ध होने पर ही उपर्युक्त प्रक्रिया होती है और एसीटिल को-एन्जाइम-‘ए’ (acetyl co-enzyme-A) को निर्माण होता है। इस जटिल प्रक्रिया में पाइरुविक अम्ल के तीन कार्बन में से दो कार्बन परमाणु रह जाते हैं जो एसीटिल (acetyl) समूह के रूप में co-A (co-enzyme-A) के साथ जुड़े हुए हैं।
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        pyruvic acid + co – A + NAD → CH3CO.co – A + CO2) + NAD. H2

        उपर्युक्त प्रक्रिया में H+ आयन प्राप्त होते हैं (NAD.H2 के रूप में)। NAD.H2 इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण तन्त्र (electron transport system = ETS) में पहुंचकर मुक्त ऊर्जा से तीन ATP अणुओं का निर्माण करते हैं। इस प्रकार, दो अणु पाइरुविक अम्ल से 6ATP अणु प्राप्त होते हैं।
      2. एसीटिल को-एन्जाइम-‘ए’ (acetyl co-A) क्रेब्स चक्र के अन्तिम उत्पाद, चार कार्बन यौगिक (C4), ऑक्सैलोएसीटिक अम्ल (oxaloacetic acid) के साथ मिलकर (condensation) साइट्रिक अम्ल (citric acid) बनाता है। साथ ही को-एन्जाइम-‘ए’ (co-A) स्वतन्त्र हो जाता है। यह क्रिया जल तथा एक कण्डेन्सिंग ऐन्जाइम की उपस्थिति में होती है
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  1. इसके बाद की क्रियाएँ चार ऑक्सीकरण (Oxidation) पदों (steps) में सम्पन्न होती हैं जिनमें होकर साइट्रिक अम्ल (citric acid) से ऑक्सैलोएसीटिक अम्ल (Oxaloacetic acid) फिर से प्राप्त किया जाता है। इन क्रियाओं में चार जोड़ा H-आयन और चार जोड़ा इलेक्ट्रॉन्स (electrons) निकाले जाते हैं। इन पदों की अभिक्रियाएँ जटिल, श्रृंखलाबद्ध व चक्रिक (cyclic) होती हैं तथा विभिन्न एन्जाइम्स, सहएन्जाइम्स, को-फैक्टर्स (co-factors) के (UPBoardSolutions.com) सहयोग से सम्पन्न होती हैं इस प्रकार पाइरुविक अम्ल के दो अणुओं (ग्लूकोज के एक अणु से प्राप्त) से कार्बन डाइऑक्साइड के छह अणु (तीन + तीन) निकलते हैं। इस क्रिया में कुल 30 (तीस) ATP अणु भी बनते हैं। 6 (छह) ATP अणु ग्लाइकोलिसिस तथा क्रेब्स चक्र के मध्य बनते हैं। इस प्रकार सम्पूर्ण अणु से सम्पूर्ण वायवीय श्वसन के बाद एक ग्लूकोज अणु से 38 ATP अणु प्राप्त होते हैं।

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UP Board Solutions for Class 12 English Composition Chapter 2 Unseen Passage

UP Board Solutions for Class 12 English Composition Chapter 2 Unseen Passage are part of UP Board Solutions for Class 12 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 English Composition Chapter 2 Unseen Passage.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject English Composition
Chapter Name Unseen Passage
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 English Composition Chapter 2 Unseen Passage

From U.P. Board Examination Papers
Exercise 1

(a) Summary : Permanent success can by attained only by self help. Generally people blame others for their failure while a man of self help never blames others. he analyses his own actions and tries to overcome his own short comings. He does not rest till he succeeds in his aim. Thus not only his friends but also his enemies congratulate him.
(b) A suitable title to the given passage may be ‘Self Help’.
(c)
(i) Many people regard others responsible for their own failures.
(ii) We should never rest till we achieve success.
(d) We should never rest till we achieve success.
(e) A man of self help never blames others for his failures but analyses his own actions to overcome his shortcomings. (2012)

Exercise 2

(a) (i)
(b) The sick man will refuse to touch the most delicious food. He would imagine him to be happy if he is as healthy as even his lowest servant who is not sick. The reason is the healthy servant enjoys whatever coarse cheap or little food he gets.
(c) Health is Wealth
(d)
(i) Cannot out weigh the suffering of the sick. All the joys that life can give cannot be more in importance than the suffering of the sick. In other words the suffering of the sick exceed many times the joys.
(ii) The miserable beggars with health sleep sweetly. The beggars lead a miserable life. The reason is they are devoid of every comfort. Yet they possess one thing that surpasses all the scarcities and that is their being healthy. They have a sound sleep while lying on hard stony floor without any mattress to lie on and quilt to cover themselves and protect against cold.
(e) Summary : Loss of health is the greatest misfortune. Silken bed, tasty and choicest foods and all the wealth will be useless for him. He will not be able to enjoy sound sleep. While the poorest man who eats a piece of dry bread and has no comfort except good health, will enjoy a sound sleep and will be full of happiness. Thus, health is the greatest boon for everybody. (2012)

Exercise 3

(a) Sir Waltered Raleigh smoked tobacco.
(b) The servant rushed up to his master with water because seeing his master smoking, he thought that his clothes must have caught fire.
(c) When the servant saw the clouds of smoke he rushed to his master and poured water on him.
(d) Summary : Sir Walter Raleigh was fond of smoking tobacco. He was the first man to indulge in the habit of smoking tobacoo in England. One day his servant saw him smoking. He thought his master’s clothes had caught fire. So he threw a bucket full of water over his master and ran to bring more.
(e) A suitable title to the given passage may be ‘A Faithful Servant’. (2012)

Exercise 4

(a) Summary : In this passage the writer describes that Napoleon never lost heart in difficulties and discouragements of life but he faced them and marched forward. This is the golden rule of successes and victories for all heroes. The writer prescribes this rule for all kinds of people of the world. We should never be discouraged in any type of odds of life. The man who is always marching forward will win over all misfortunes and losses. So remember that continuous efforts to recover the loss by new energy and new action will brighten your life.
(b) A suitable title to the above passage may be ‘The Golden Rule of Life.’
(c)
(i) however stormy …………. dark the way even in the odds of life and in uncertainty.
(ii) be up and ………….. new action. We should always work hard with new energy to recover the loss.
(d) Our motto should be ‘Press on!’.
(e) ‘To press on’ solves the problem of all the heroes. (2012)

Exercise 5

(a) Summary : In this passage the writer tells us that to enter the kingdom of God exemplary human conduct, ethical values and God-fearning conduct are necessary. Wealth has nothing to do with it. Wealth, in reality, is a great obstacle because a wealthy man commits moral crimes without which he cannot gather wealth. These crimes may remain hidden temporarily. But when they come to light, all the secrets are revealed and he is bound to live behind bars instead of reaching the kingdom of God.
(b) A suitable title to the given passage may be ‘The Way to the Kingdom of God.’
(c)
(i) A rich man is deprived of the wisdom and sensibility to accept a fundamental truth about human life.
(ii) When the secrets of a wealthy man are revealed.
(d) A real and good life is a life which has examplary human conduct, ethical values and God fearing demeanour.
(e) Money alone cannot bring happiness, to human life because a rich man commits moral crimes to gather more and more money and ignores other qualities of human life which bring real happiness.(2012)

Exercise 6

(a) Summary : Physical pollution has adversely affected not only our body but mind also. The nobility of character has become a thing of the past. We have become purely materialistic due to scientific and technological development and increase in wealth. We have gone very far from spiritualism and are completely engrossed in earning, spending and increasing money.(b) A suitable title for the passage may be ‘Materialism Versus Spiritualism’.
(c)
(i) Materialism…us = Now a days we have become completely money minded and are busy in earning and spending money.
(ii) accumulation…end all = Our main aim is to gather and increase money.
(d) The pollution of physical environment has contaminated our minds.
(e) Materialism is sounding the final death knell of humanism. (2013)

Exercise 7

(a) The greatest misfortune that can befall a man is the loss of health.
(b) The given phrase means that a sick person will dream to enjoy the health even of his poorest servant.
(c)
(i) Cannot out weigh the suffering of the sick. All the joys that life can give cannot be more in importance than the suffering of the sick. In other words the suffering of the sick exceed many times the joys.
(ii) The rich man when sick would not accept the delicious dishes and out of apathy withdraw his hand.
(d) Gist : Loss of health is the greatest misfortune. Silken bed, tasty and choicest foods and all the wealth will be useless for him. He will not be able to enjoy sound sleep. While the poorest man who eats a piece of dry bread and has no comfort except good health, will enjoy a sound sleep and will be full of happiness. Thus, health is the greatest boon for everybody.
(e) A suitable title to the given passage may be ‘Health—The Greatest Boon.’ (2013)

Exercise 8

(a) Marco Polo first discovered a route across Asia to China.
(b) Marco Polo told Europeans about the court of Peking.
(c) Two animals of the Arctic countries are white bear and reindeers.
(d) Summary : First of all Marco Polo discovered a route across Asia to China. He described Burma, Tibet and India and the customs and manners of the people. He described the cold Arctic countries also. Marco’s discoveries and descriptions stirred men up to find out more about this outside world.
(e) A suitable title to the passage may be ‘Marco Polo A Great Discoverer’. (2013)

Exercise 9

(a) Summary : In this passage the writer advises us that we should not read books for amusement only. We should read great literature with deeper qualities. Books which give intellectual food and make an appeal to the higher emotions and to the intellect are included in great literature.
(b) A suitable title to passage may be ‘Books Worth Reading’.
(c) Explanation : Wine-drinking and opium-smoking give temporary happiness till there is their effect. In the same way the amusement obtained from cheap books is temporary till we are reading the book.
(d) A young man with university education should read a book with the aim of obtaining intellectual food and an appeal to the higher emotions.
(e) The books which give only amusement and have no deeper qualities should not be read. (2013)

Exercise 10

(a) The money-minded men and women believe that it is foolishness to exert themselves for such study and brain work as cannot be converted into cash.
(b) Their rule of life is ‘Hard work only for money and then plenty of play and pleasure’.
(c) The old working woman complained to the author that her son was habitual of wasting money on buying books. He was a carpenter, not a school master.
(d) The psychology of material prosperity is deep rooted in the majority of people in society.
(e) Main idea : Generally the people are money-minded and they want to work hard only when they get money. They apply their intellect in getting material prosperity and give no importance to personal mental development. This psychology is deep rooted in all classes of society. (2014)

Exercise 11

(a) We can live a better life by adjusting ourselves properly well with other people. (b) The herd instinct brings animals closer together.
(c) Explanation :
(i) Herd instincts means to behave and think like the majority.
(ii) All animals crowd together in a small space under the same tree to protect them from wind or rain.
(d) Summary : We should live together in the society as companions of one another. We should not be centred up to our own resources. We should learn a lesson from animals how they adjust themselves like companions and enjoy security, warmth and comfort. Group instinct will always be more useful for us.
(e) A suitable heading to the given passage may be ‘Togetherness’. (2014)

Exercise 12

(a) A suitable heading to the given passage may be ‘Be Charitable’.
(b) Explanation :
(i) Fully satisfied.
(ii) If you are generous to give your any thing to a needy freely and lovingly.
(c) Summary : The thirsty horses go to a beautiful stream and pacify their thirst by drinking water. Then they make the water of the stream dirty by turning their back upon it or by stamping in it. Then the horses go out. But the stream at once floats away the mud and allows other creatures to pacify their thirst. This is the generosity of the stream. So we should learn a lesson from the stream and be charitable without expecting any reward or gratitude.
(d) The horses pollute the water after satisfying their thirst. This is the price they pay.
(e) This life is meant for sowing and scattering seed, not for reaping the produce. (2014)

Exercise 13

(a) The main function of a newspaper is to supply us with all sorts of news, local and foreign.
(b) In a country without newspaper, the people of that country will remain totally ignorant of the affairs of the world. (c) The newspapers can be given a name ‘Contemporary History’ in modern times.
(d) Explanation :
(i) Without newspapers we will be totally ignorant of the world affairs.
(ii) We remain aware of the latest news.
(e) Summary : Newspapers are really a part and parcel of modern life. They supply us local and foreign news of every part of the world. They bring us into close touch with one another and promote friendly feelings. They create a link between the rulers and the ruled. Newspapers are the best source of expressing the grievances and views of people and vice versa.
(f) A suitable title to the passage may be ‘Benefits of Newspapers’. (2014)

Exercise 14

(a) The wish of the author is to have ‘smile’ if he were to be born into this world again.
(b) The author admires the right kind of smile because there is nothing so irresistible as the right sort of smile.
(c) A pleasant smile is better than riches because it can carry us anywhere and can win us anything including riches.
(d) A good smile disarms our enemies and makes them forget that they have a grudge against us.
(e) The author illustrates the effect of a pleasing smile by narrating a short story of a public man who forgot the reasons of disliking the author’s friend whenever he was with him. (2014)

Exercise 15

(a) Some people want students to do nothing but add to their knowledge as they think that the aim of education is merely to give knowledge.
(b) Real function of education is to make all-round development of men. Education should be such that not only the person gets benifit but the society and country as a whole should be benefitted.
(c) The three aims of education are to give men knowledge, make them self-reliant and they should be able to serve others.
(d) Education should not produce citizens who love their own freedom and take away the freedom of others. It should not make men who want to harm other countries.
(e) A suitable title is “Role of Education”. (2015)

Exercise 16

(a) In this passage it is discussed how speaker should interact with his audience in order to have positive impact on them.
(b) Sometimes speakers suffer from superiority complex and deliver the talk like great teachers and wise preachers.
(c) Humility is a virtue that is universally appreciated and reciprocated.
(d) The audience should feel wiser and uplifted after listening the speech. They should have positive impact of the speech on them.
(e) ‘Assume air’ means to have particular feeling. ‘Superiority Complex’ means feeling that makes you feel better than others ‘Doling out means to give something to others. (2015)

Exercise 17

(a) Suitable title is ‘Meaning of Liberty’
(b)
(i) While enjoying our liberty, we should take care of others, liberty as well. For this we should adjust ourselves for others. We should sometimes give away our enjoyment and take tough condition in order to enjoy liberty in real sense.
(ii) Liberty means enjoying our freedom with appropriate checks and balances.
(c) Summary : Liberty means freedom to do our work as we wish but we should not harm others while doing so. This means we should take care of limits of liberty. Man is born free but everywhere he is in chains. Liberty means we should put restriction on us if others’ liberty is harmed. We should respect others’ point of view and should not show our supremacy in all decisions taken in public.
(d) Man should not be allowed to commit crimes in the name of liberty so that others’ safety is maintained. Others should not be harmed in the name of liberty.
(e) Liberty means enjoying our freedom with appropriate checks and balances. (2015)

Exercise 18

(a) Indian muslins were found wrapped around mummies in Egyptian Pyramids dating back to 3,000 B.C.
(b) Indian iron and steel industry is too old as Damascus steel for swords and armour used in the crusades came from India.
(c) During the eighteenth century, many of the finest British warships were built in India.’
(d) Crusade means a long and determined effort to achieve something in order to start or stop some activity.
(e) Indian industrial advancement and excellence in art and craft ebb out due to political disintegration and foreign conquest. (2015)

Exercise 19

(a) Early rising gives us good start in our day work.
(b) In the early morning the mind is fresh and there are few sounds or other distractions. So the work done in the early morning is well done.
(c) The early riser by beginning early is left with plenty of time to do all his work thoroughly. Therefore he is not tempted to hurry over his day’s work.
(d) The early riser finishes his work in good time and has long interval of rest in the evening. This enables him to go to bed at the proper time.
(e) A suitable title is “Benefits of Rising Early.” (2015)

Exercise 20

(a) Suitable heading is “Drawbacks of rising and sleeping late”.
(b)
(i) In the morning fresh air and cool environment give you a feeling of less tiredness or less hotness. It is pleasent when felt and gives you a fresh feeling.
(ii) Doing work in midnight.
(c) Summary : Rising early in the morning and avoiding midnight working habit is good for one’s health. When we get up early we have enough time to complete our work. We can have proper exercise which is good for our health. One who is habitual of working midnight cannot produce good results. Few persons say that they work with clear brain at midnight but they are not aware of the concequences of working late when body needs rest. They soon loose their good health.
(d) Early rising is better than rising late because man who rises late, can have little rest in the course of the day and devoid of evening exercise which is so important. He cannot take advantage of refreshing hours of the morning.
(e) Those who work into midnight soon loose their health and bad health has a bad effect on the quality of their work. (2015)

Exercise 21

(a) Gautam Buddha left home at the age of twenty-nine.
(b) Buddha fasted in order to seek true path.
(c) The meaning of ‘nirvana’ is the state of peace and happiness that a person gets after giving up his all desires. ‘Englightened one’ means to attain true knowledge.
(d) Summary : Gautam Buddha was the son of the ruler of a small state in northern India. He was married and had a son. He left his home at the age of twenty-nine to attain true knowledge. He wandered on and finally while sitting under a tree he became ‘the Buddha’ or ‘the Enlightened one’. He entered ‘nirvana’ and came out of the process of rebirth.
(e) Suitable title is ‘Enlightenment of Buddha. (2015)

Exercise 22

(a) Now there is hardly any sphere of human life where computers have not been pressed into service of man. Computers will become part of man’s daily life.
(b) Automation helps human beings in every sphere by doing work very accurately and at a high speed.
(c) In future small computers will be carried in pocket. They will inform weather condition, traffic routes, and the nature of patient’s illness. They will relieve the people of their tedious work. Thus they will be called the most efficient servants of man.
(d) In future small computers will be developed easy to be carried in pocket anywhere.
(e) A suitable title to the given passage may be ‘Bright Future of Computers.’ (2016)

Exercise 23

(a) A suitable title to the given passage may be ‘Miseries of Riches’.
(b) Explanation:
(i) fearing ………….. the lambs.: The night of a rich man is full of various miseries. He fears that people who are own may revolt against us and may kill also.
(ii) No sooner ……….. new care. A rich man can’t sleep peacefully. His night is full of cares. One care ends and another follows.
(c) Husband and wife had so many cares e.g care of new guests, care of people in power, care of thieves, care of future amenities etc.
(d) Writer’s idea is that riches keep a man restless all the twenty four hours. He sleeps on the pillow of cares.
(e) There was no happiness in their life UMBRARY because due to riches they had various types of cares. They were always restless and had no time even to hear of their soul or pray to God. (2016)

Exercise 24

(a) A suitable title to the given passage may be ‘Poverty is a Blessing’.
(b)
(i) moan about poverty: become sad in poverty.
(ii) governesses : a woman employed to teach young children in their home.
(c) Summary : Most of the people do not like poverty. When they compare themselves to the rich people, they conclude that money is necessary to buy happiness. But in reality the rich people, even though they have a lot of money to buy anything and many servants to serve them, miss the true happiness. A poor man is free from all those cares, envies, jealousies etc. . from which a rich man can’t get rid of. History tells us that the majority of great, eminent and strong men have come from poor class.
(d) The sons and daughters of the rich should be pitied because they have missed something real and most important but they are not aware of it.
(e) Great men are mostly born in poor families because they live in a very sweet, poor and happy home of honest poverty and use their precious time in working hard to make their life great. (2016)

Exercise 25

(a) The life of Shivaji’s was full of action and achievement.
(b) Shivaji’s treatment towards Islam was unique. He loved every Musalman like a Brahmin. He respected all followers of Islam and their holy buildings.
(c) He behaved women in a gentle way.
(d) The role of his guru Ramdas was very great. His guru strengthened the teachings of his mother.
(e) Shivaji built a large and brave army and laid the foundations of an organised state. He shaped the Marathas into a nation. (2016)

Exercise 26

(a) A suitable title to the given passage may be ‘An Intelligent Thief”.
(b)
(i) a tree …………….. honest person = only an honest man can plant a tree which would have golden fruits.
(ii) so the king pardoned the thief = when the king came to know that he was also not an honest man, he forgive the thief and let him go.
(c) The pre-condition was that the person who would plant the tree should be honest.
(d) The king pardoned him because he came to know that he also was dishonest.
(e) From the story we learn a lesson that before blaming others, we should first see ourselves whether we are free from that evil. (2016)

Exercise 27

(a) Summary : In this passage, the writer advises the students to be diligent. This quality of being diligent includes all qualities which a student should have. He also tells them that the young age is the golden period of life. So they should develop good qualities in this period so that their future life i.e. adult hood and old age also should be joyful.
(b) A suitable title to the given passage may be ‘Be Diligent.
(c) Explanations :
(i) not what ………… today ………… the explanation which modern people give.
(ii) seed time of life …………. starting period of life when we can grow primary virtues to make future life good.
(d) In our life time we should sow the seed which may give good reap. This is the seed of diligence.
(e) I can say that life depends on my being diligent because it includes all virtues that a student should have. (2016)

Exercise 28

(a) A man who possesses a strong will and a firm determination can steer clear of all dangers and difficulties.
(b) The man who labours hard with a strong resolution and an unshaken will, could achieve success and thus, he is a builder of his own fortune.
(c) Summary : A man who possesses a strong will and firm determination could accomplish success in his life. Man must be persevering and must exert himself to shape out his destiny. Man who does not work hard and labour could bring misery and suffering to himself. Thus, to gain wealth, fame and power he must labour with a strong resolution and unshaken will, and thereby could make his own fortune.
(d) Resolution here means strong determination. A man who works hard with a strong resolution and powerful will accomplish success. Industrious means laborious or hard working. By being industrious and persevering one can make his fortune.
(e) A suitable title to the given passage may be A Man of Strong Will. (2017)

Exercise 29

(a) Summary : It is undeniably true that in the ultimate measure the deeds done by man in his life time sums up the quality of his life. The span of life is meaningless when measured in years alone. Noble deeds, splendid ideas and fine sentiments, not the number of years, carved a niche for the real man in history.
(b) A suitable title to the given passage may be Live in Deeds not in Years.
(c) A man is memorable by his noble deeds and conscientious efforts.
(d) Noble deeds, splendid ideas and fine sentiments constitute the real glory of the character.
(e) Noble endeavours is an earnest and conscientious effort that a man wants to accomplish his goal. For them, just to eat, sleep and exist is no life at all. They suffer for mitigating the miseries of others and for the good of humanity. Trivial pursuits is an activity that one engages in, which is of no real importance.
(2017)

Exercise 30

(a) The real ornamentation for the women lies not in loading the body with metal and stone but in purifying the heart and developing the beauty of soul.
(b) Author’s advice to the women of India is to get rid of their jewellery.
(c) He/She who does not offer sacrifice of his or her wealth has been termed as a thief according to the Bhagvad Gita.
(d) Some women feel more happy in sacrificing their possessions to help the poor and needy person.
(e) Summary : The real beauty of a woman is her character, her purity not a jewellery. Woman like Sati, Savitri and Damayanti have become sacred to us for their unsullied virtue not for their ornaments. Bhagavad Gita has termed those people as a thief who do not sacrifice their wealth to the poor and needy persons. It is a social and religious obligation for every men and women. There can be no sacrifice higher than to clear out the distinctions of high and low and to maintain the equality of men and women. The women of India should realize the value of ornamentation which lies not in wearing the jewellery but in purifying the heart and developing the beauty of soul. (2017)

Exercise 31

(a) A polling station is a suitable building away from the town, situated in some lonely spot.
(b) The after-effects of the elections that we gather from the above are that as soon as the people cast their vote, nobody cares for them. All their importance
vanished. The seed of dissension is sown which is accompanied by the division of the community.
(c) The portions italisized in the passage means that he or she becomes a worthless trifles and nobody cares for them.
(d) Summary : Although elections have an important place in democracy, yet few of them have made it as a funny affair. There is an activity and bustle, hue and cry with a compliments of each and every voter to get a sure success by the candidate. The poll takes place on a certain day at the polling station. Everybody is welcomed like princess but as soon as they cast their vote their importance vanished. Nobody cares for them. The after-effects of the election could also be seen by the arguments, dissension and partisan which is finally accompanied by the division of the community.
(e) A suitable title to the given passage may be ‘An Election Scene’. (2017)

Exercise 32

(a) A suitable title to the given passage may be “The Prevention from Food Adulteration’.
(b) Summary : Adulteration of food-stuffs was so rampant and widespread that a drastic remedy in the form of or amendment of a comprehensive legislation became the need of the hour. Adulteration can be seen in most of the essential food items like milk, bottled water, tea, coffee and spices etc. Thus, to check ‘this kind of anti-social evil Supreme Court has asked the centre to amend the Indian Penal Code and the Food Safety Standards Act to make this punishable with life imprisonment. It is a much needed hope and relief for the consumers at large.
(c) ‘You are what you eat is the dictum about body and health.
(d) Many Indians have a lot to worry about their health and future generations because of the serious issue like food adulteration.
(e) Food Safety and Standards Authority of India. (2017)

Exercise 33

(a) A suitable title to the given passage may be “The Migration of Birds’.
(b) Summery : Migratory birds travel from one region to another depending on the availability of foods, habitat and climatic conditions of a place. These birds usually take their shelter in the country like India to escape from the severe winter of Northern and Central Asia. Migratory birds like small ducks, barheaded geese, Siberian crane and spotted eagle coming here has reduced considerably. So, this has become a great concern for the bird watcher and ornithologist.
(c) Migratory means moving from one place to another at particular times of the year especially by animals like birds of fishes. They travel to countries where they find optimal conditions of food and climate for their survival. Ornithologist is the zoologist who studies birds.
(d) The availability of food, habitat and climatic conditions of a place are the factors which decidei which way the migratory birds will go.
(e) Optimal conditions of food and suitable climate for the survival attracts the migratory birds in India that they choose it as their preferred destination. (2017)

Exercise 34

(a) Summary : Speech is a great blessing but it can also be a great curse. Speech, as a blessing helps us to make our intentions and desires, known to fellows, make our attitude completely understood as well as helped to win a friend. But it becomes curse when it is used without any thought. A slip of tongue, the use of unusual word or an ambiguous word may create an enemy. Different classes of people use different vocabularies. So one should be very careful in handling the speech and should express according to the kinds and conditions of men.
(b) A suitable title to the given passage may be ‘Speech, Blessings as well as Curse’.
(c) These types of words are used either without thought or sometimes it may be understood in two or more possible senses respectively.
(d) Speech can be great blessing if it has been used with thought and careful handling. (2017)

Exercise 35

(a) Sardar Patel was called the ‘Iron man of India’ because he was a strict and efficient administrator.
(b) In private life, Sardar Patel was kind and considerate. Sometimes, he became emotional even.
(c)
(i) Any person could be sure of his being a strict and efficient administrator.
(ii) He was a philanthropist. He profoundly loved all wihout any distiction. Thus he had firm faith in universal love.
(d) Summary : Generally the people opined that Sardar Patel was a man of rough temperament. He was called an Iron man because he was a strict and efficient administrator. But in personal life he was kind and considerate and even emotional. He was a great organiser. He selected proper man and got every work done by him.
(e) ‘Sardar Patel, the Iron man’. (2018)

The half-life formula of a reaction is the time required for the reactant concentration to decrease to one-half its initial value.

Exercise 36

(a) The children.believe in challenges and possibilities.
(b) When we grow up our inspiration is dampened by the skepticism and realism of society. Our self-doubt also grows up.
(c) We merely exist means we pull on our lives in a half-hearted manner.
(d) Life becomes full of inspiration, involvement and intensity when we do what we love and love what we do.
(e) The law of nature, according to the passage is that everything which loses its purpose ceases to exist becomes extinct. (2018)

Exercise 37

(a) We call ourselves civilized because we have the advantages of the inventions of science which our ancestors had never known.
(b) We can become truly civilized by learning to live in peace.
(c)
(i) Science has made us full of more worries.
(ii) Adopt the principle of universal fraternity i.e., all the human beings are brothers.
(d) Summary : We do not claim to be civilized because we live and dress better than our ancestors. Science has equipped us with inventions. However science has increased our worries. We fight more fatal wars killing more men than earlier. To be really civilized we must believe in universal brotherhood.
(e) The suitable title is ‘true civilization’. (2018)

We hope the UP Board Solutions for Class 12 English Composition Chapter 2 Unseen Passage help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 12 English Composition Chapter 2 Unseen Passage, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles (रेखाएँ और कोण)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles (रेखाएँ और कोण).

प्रश्नावलीं 6.1

प्रश्न 1.
दी गई आकृति में रेखाएँ AB और CD बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करती हैं। यदि ∠AOC + ∠BOE = 70° है और ∠BOD = 40° है तो ∠BOE और प्रतिवर्ती ∠COE ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-1
हल :
रेखाएँ AB तथा CD बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करती हैं।
∠AOC = ∠BOD (शीर्षाभिमुख कोण)
दिया है :
∠BOD = 40°
∠AOC = 40° …(1)
यह भी ज्ञात है कि ∠AOC + ∠BOE = 70°
∠BOE = 70° – ∠AOC
∠BOE = 70° – 40°
∠BOE = 30°
AB एक ऋजु रेखा है और उस पर स्थित बिन्दु O से OC तथा OE मिलती हैं।
∠AOC + ∠COE + ∠BOE = 180°
40° + ∠COE + 30° = 180°
∠COE = 180° – 40° – 30°
∠COE = 110°
तब प्रतिवर्ती ∠COE = 360° – 110° = 250°
अतः ∠BOE = 30° तथा प्रतिवर्ती ∠COE = 250°

Reference Angle Calculator is a free online tool that displays the reference angle for the given angle and its position.

प्रश्न 2.
दी गई आकृति में रेखाएँ XY और MN बिन्दु0 पर प्रतिच्छेद करती हैं। यदि ∠POY = 90° और d : b = 2 : 3 हो तो c ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-2
हल :
XY एक ऋजु रेखा है और ∠POY = 90°
∠POX + ∠POY = 180° (रेखीय युग्म)
परन्तु ∠POY = 90°
घटाने पर, ∠POX = 90°
∠POM + ∠MOX = a + b = 90° …(1)
दिया है :
a : b = 2 : 3
⇒ [latex]\frac { a }{ b }[/latex] = [latex]\frac { 2 }{ 3 }[/latex]
⇒ 2b = 3a
⇒ b = [latex]\frac { 3 }{ 2 }[/latex] a
समीकरण (1) से,
a + b = 90°
⇒ a + [latex]\frac { 3 }{ 2 }[/latex] a = 90° (b = [latex]\frac { 3 }{ 2 }[/latex] a)
⇒ [latex]\frac { 2a + 3a }{ 2 }[/latex] = 90°
⇒ 5a = 180°
⇒ a = 36° ……(2)
ऋजु रेखाएँ XY और MN बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करती हैं।
∠XON = ∠YOM (शीर्षाभिमुख कोण)
∠XON = ∠MOP + ∠POY (आकृति से)
c = 2 + 90°
c = 36° + 90° = 126°
अतः c = 126°

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
दी गई आकृति में, यदि ∠PQR = ∠PRQ है तो सिद्ध कीजिए कि ∠PQS = ∠PRT है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-3
हल :
दी गई आकृति में SR एक ऋजु रेखा है और उसके बिन्दु Q पर रेखा PQ मिलती है।
∠PQS तथा ∠PQR एक रैखिक युग्म के कोण हैं।
∠PQS + ∠PQR = 180° …..(1)
पुनः QT एक ऋजु रेखा है जिसके बिन्दु R पर रेखा PR मिलती है।
अतः ∠PRT और ∠PRQ भी एक रैखिक युग्म के कोण हैं।
∠PRQ + ∠PRT = 180° ………(2)
समीकरण (1) व समीकरण (2) से,
∠PQS + ∠PQR = ∠PRQ + ∠PRT ……(3)
परन्तु दिया है कि ∠PQR = ∠PRQ ………(4)
तब समीकरण (3) में से समीकरण (4) को घटाने पर,
∠PQS = ∠PRT
Proved.

प्रश्न 4.
दी गई आकृति में यदि x + y = w + z है तो सिद्ध कीजिए कि AOB एक ऋजु रेखा है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-4
हल :
∠x, ∠y, ∠w व ∠z एक ही बिन्दु O पर बने हैं।
x + y + w + z = 360° …….(1)
परन्तु दिया है कि x + y = w + z
x + y – w – z = 0 ……..(2)
समीकरण (1) व समीकरण (2) को जोड़ने पर,
2x + 2y = 360°
⇒ x + y = 180° …(3)
समीकरण (3) से ∠x व ∠y दो आसन्न कोण हैं जिनका योग 180° है तथा रेखा OC दोनों कोणों की उभयनिष्ठ रेखा है, तब इन कोणों की शेष भुजाएँ AO तथा OB एक सरल रेखा बनाएँगी।
अत: AOB एक ऋजु रेखा है।
Proved.

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
दी गई आकृति में, POQ एक रेखा है। किरण OR रेखा PQ पर लम्ब है। किरणों OP और OR के बीच में Os एक अन्य किरण है। सिद्ध कीजिए :
∠ROS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] (∠QOS – ∠POS)
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-5
हल :
POQ एक ऋजु रेखा है और किरण OR, रेखा PQ पर लम्ब है।
∠QOR = 90° और ∠POR = 90°
∠POR = 90°
∠POS + ∠ROS = 90° (आकृति से)
∠POS = 90° – ∠ROS …(1)
∠QOS = ∠ROS + ∠QOR (आकृति से)
∠QOS = ∠ROS + 90° …..(2)
समीकरण (2) में से समीकरण (1) को घटाने पर,
∠QOS – ∠POS = (∠ROS + 90°) – (90° – ∠ROS)
∠QOS – ∠POS = ∠ROS + 90° – 90° + ∠ROS
(∠QOS – ∠POS) = 2 ∠ROS
[latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] (∠QOS – ∠POS) = ∠ROS
अतः ∠ROS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] (∠QOS – ∠POS)
Proved.

प्रश्न 6.
यह दिया है कि ∠XYZ = 64° है और XY को बिन्दु P तक बढ़ाया गया है। दी। हुई सूचना से एक आकृति खींचिए। यदि किरण YQ, ∠ZYP को समद्विभाजित करती है तो ∠XYQ और प्रतिवर्ती ∠QYP के मान ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-6
हल :
दी गई सूचना से आकृति खींचना :
(i) एक किरण YZ खींची।
(ii) किरण YZ के बिन्दु Y पर ∠XYZ = 64° खींचा।
(iii) XY को बिन्दु P तक बढ़ाकर रेखा XYP खींची।
तत्पश्चात् दूसरी आकृति बनाकर बिन्दु Y से किरण YQ इस प्रकार खींची कि किरण YQ, ∠ZYP को समद्विभाजित करे।
निर्दिष्ट कोणों की माप की गणना :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-7
(i) ∠XYQ
∠XYZ की कोण-रेखा XY को बिन्दु P तक बढ़ाया गया है।
XYP एक ऋजु रेखा है।
तब, ∠XYZ और ∠ZYP कोणों का युग्म एक रैखिक युग्म है।
∠XYZ + ∠ZYP = 180°
64° + ∠ZYP = 180° (दिया है ∠XYZ = 64°)
∠ZYP = 180° – 64° = 116°
किरण YQ, ∠ZYP को समद्विभाजित करती है।
∠ZYQ = ∠QYP और ∠ZYQ + ∠QYP = 116°
हल करने पर, ∠ZYQ = 58° और ∠QYP = 58° …(1)
अब चूँकि ∠XYQ = ∠XYZ + ∠ZYQ (आकृति से)
= 64° + 58° = 122°
अतः ∠XYQ = 122°
(ii) प्रतिवर्ती ∠QYP समीकरण (1) से,
∠QYP = 58° प्रतिवर्ती ∠QYP = 360° – 58° = 302°
अत: प्रतिवर्ती ∠QYP = 302°

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प्रश्नावली 6.2

प्रश्न 1.
दी गई आकृति में, और y के मान ज्ञात कीजिए और फिर दर्शाइए कि AB || CD है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-8
हल :
दी गई आकृति में ऋजु रेखा AB पर एक तिर्यक (तिरछी) रेखा 50° के कोण पर झुकी है। तब, यह 50° का कोण और ∠x एक रैखिक (कोण) युग्म बनाते हैं।
50° + ∠x = 180°
∠x = 180° – 50° = 130°
पुनः ऋजु रेखा CD को एक अन्य तिर्यक ऋजु रेखा काटती है।
∠y और चित्र में बना 130° के कोण शीर्षाभिमुख कोण युग्म के कोण हैं जिससे
∠y = 130°
∠x और ∠y एकान्तर अन्त:कोण हैं और परस्पर बराबर भी हैं।
यह समान्तर रेखाओं को तिर्यक रेखा के काटने से बनेंगे
अत: ऋजु रेखा AB || CD

प्रश्न 2.
दी गई आकृति में, यदि AB || CD; CD || EF और y : 2 = 3: 7 है। तो x का मान ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-9
हल :
दी गई आकृति में AB || CD और CD || EF
AB || EF
अब चूँकि AB || EF को एक तिर्यक ऋजु रेखा l काटती है जिससे एकान्तर कोण ∠x और ∠y बनते हैं।
∠x = ∠y ……(1)
AB || CD और एक तिर्यक रेखा l इन्हें काटती है जिससे ∠x और ∠y, तिर्यक रेखा l के एक ही ओर बने अन्त:कोण हैं।
∠x + ∠y = 180° …(2)
तब समीकरण (1) व समीकरण (2) से,
∠y + ∠z = 180° ……..(3)
y : 2 = 3 : 7 तब माना y = 3k तथा z = 7k
y और z के ये मान समीकरण (3) में रखने पर,
3k + 7k = 180°
⇒ 10k = 180°
⇒ k = 18°
z = 7k = 7 x 18° = 126°
समीकरण (1) से,
∠x = ∠z और z = 126° .
∠x = 126°
अतः x = 126°

प्रश्न 3.
दी गई आकृति में, यदि AB || CD, EF ⊥ CD और ∠GED = 126° हो तो ∠AGE, ∠GEF और ∠FGE ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-10
हल :
AB || CD और GE एक तिर्यक रेखा है।
∠AGE = ∠GED (एकान्तर कोण)
⇒ ∠AGE = 126° (∠GED = 126°)
⇒ ∠GED = 126°
⇒ ∠GEF + ∠FED = 126°
⇒ ∠GEF + 90° = 126° (∠ZFED = 90°)
⇒ ∠GEF = 126° – 90° = 36°
⇒ ∠GEF = 36°
पुनः AB एक ऋजु रेखा है और GE, उससे बिन्दु G पर मिलती है।
∠AGE और ∠FGE एक रैखिक कोण-युग्म बनाते हैं।
∠AGE + ∠FGE = 180°
⇒ 126° + ∠FGE = 180° (∠AGE = 126° अभी ऊपर ज्ञात किया है।)
⇒ ∠FGE = 180° – 126°
⇒ ∠FGE = 54°
अतः ∠AGE = 126°, ∠GEF = 36° और ∠FGE = 54°

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प्रश्न 4.
दी गई आकृति में, यदि PQ || ST, ∠PQR = 110° और ∠RST = 130° हो तो ∠QRS ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-11
हल :
दिया है : दी गई आकृति में PQ || ST , ∠PQR = 110° तथा ∠RST = 130°
ज्ञात करना है : ∠QRS की माप।
रचना : बिन्दु R से PQ के समान्तर एक ऋजु रेखा XY खींची।
विश्लेषण : PQ || XY (रचना से) और QR तिर्यक रेखा है जो इन्हें Q तथा R पर काटती है।
∠PQR और ∠QRX, QR के एक ही ओर बने अन्त: कोण हैं।
∠PQR + ∠QRX = 180°
⇒ ∠QRX = 180° – ∠PQR = 180° – 110° (ZPQR = 110°)
⇒ ∠QRX = 70°
अब :: PQ || XY रचना से और PQ || ST दिया है।
ST || XY
ST || XY और RS तिर्यक रेखा है।
∠SRY और ∠RST तिर्यक रेखा के एक ही ओर बने अन्त: कोण हैं।
∠SRY + ∠RST = 180°
⇒ ∠SRY + 130° = 180° (∠RST = 130°)
⇒ ∠SRY = 180° – 130°
⇒ ∠SRY = 50°
पुनः ∠QRX, ∠QRS और ∠SRY एक ही ऋजु रेखा के बिन्दु R पर रेखा XY के एक ही ओर बने हैं।
∠QRX + ∠QRS + ∠SRY = 180° (आकृति से)
⇒ 70° + ∠QRS + 50° = 180°
⇒ ∠QRS = 180° – 70° – 50° = 60°
अतः ∠QRS = 60°

प्रश्न 5.
दी गई आकृति में, यदि AB || CD, ∠APQ = 50° और ∠PRD = 127° है तो x और y ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-12
हल :
दिया है : ऋजु रेखा AB || CD, ∠APQ = 50° और ∠PRD = 127°
ज्ञात करना है : x तथा y
विश्लेषण : AB|| CD और PQ एक तिर्यक रेखा है।
∠APQ = ∠PQR (एकान्तर कोण युग्म)
50° = x
x = 50°
पुनः AB || CD और PR एक तिर्यक रेखा है।
∠APR = ∠PRD (एकान्तर कोण युग्म)
∠APQ + ∠QPR = ∠PRD (∠APR = ∠APQ + ∠QPR, चित्र से)
50° + y = 127°
y = 127° – 50° = 77°
अतः x = 50° और y = 77°

प्रश्न 6.
दी गई आकृति में P और RS दो दर्पण हैं जो एक-दूसरे के समान्तर रखे गए हैं। एक आपतन किरण (Incident Ray) AB, दर्पण PQ से B पर टकराती है और परावर्तित किरण (Reflected Ray) पथ BC पर चलकर दर्पण RS से C पर टकराती है तथा पुनः CD के अनुदिश परावर्तित हो जाती है। सिद्ध कीजिए कि AB || CD है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-13
हल :
दिया है : दर्पण PQ || दर्पण RS तथा AB और BC दर्पण PQ के लिए क्रमश: आपतित और परावर्तित किरणें हैं। दर्पण RS के लिए आपतित किरण BC तथा परावर्तित किरण CD है।
BP’ दर्पण PQ के बिन्दु B पर तथा CQ’ दर्पण RS के बिन्दु C पर अभिलम्ब हैं।
सिद्ध करना है : AB || CD
उपपत्ति : BP’, बिन्दु B पर अभिलम्ब है;
अतः BP’ ⊥ PQ
और CQ’, बिन्दु C पर अभिलम्ब है;
अतः CQ ⊥ RS
PQ || RS
उक्त तीनों तथ्यों से BP’ || CQ’ और BC तिर्यक रेखा है।
∠P’BC = ∠Q’CB (एकान्तर कोण)
∠r1 = ∠i2 …..(1)
परावर्तन के नियमों से,
∠i1 = ∠r1 …..(2)
∠i2 = ∠r2 ……(3)
समीकरण (1), (2) व (3) से,
∠i1 = ∠r2
समीकरण (1) व समीकरण (4) को जोड़ने पर,
∠(i1 + r1) = ∠(i2 + r2)
∠ABC = ∠BCD
परन्तु ये AB तथा CD को BC द्वारा प्रतिच्छेद करने से निर्मित समान एकान्तर कोण हैं।
अत: AB || CD
Proved.

प्रश्नावली 6.3

प्रश्न 1.
दी गई आकृति में ΔPQR की भुजाओं QP और RQ को क्रमशः बिन्दुओं S और T तक बढ़ाया गया है। यदि ∠SPR = 135° है और ∠PQT = 110° है तो ∠PRQ ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-14
हल :
ΔPQR की भुजा QP को बिन्दु S तक बढ़ाया गया है जिससे
बहिष्कोण ∠SPR = ∠PQR + ∠PRQ . (किसी त्रिभुज का एक बहिष्कोण उसके अन्तः अभिमुख कोणों के योगफल के बराबर होता है।)
परन्तु दिया है :
∠SPR = 135°
∠SPR = 135°
∠PQR + ∠PRQ = 135° …….(1)
पुनः ΔPQR की भुजा RQ को बिन्दु T तक बढ़ाया गया है जिससे
बहिष्कोण ∠PQT = ∠QPR + ∠PRQ
(किसी त्रिभुज का एक बहिष्कोण उसके अन्तः अभिमुख कोणों के योगफल के बराबर होता है।)
परन्तु ज्ञात है कि
∠PQT = 110°
∠QPR + ∠PRQ = 110° …….(2)
समीकरण (1) व समीकरण (2) को जोड़ने पर,
∠PQR + ∠QPR + ∠PRQ + ∠PRQ = 245° …(3)
परन्तु ΔPQR में,
∠PQR + ∠QPR +∠PRQ = 180° (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
समीकरण (3) से (4) को घटाने पर,
∠PRQ = 65°
अतः ∠PRQ = 65°

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प्रश्न 2.
दी गई आकृति में, ∠X = 62° और ∠XYZ = 54° है। यदि YO और ZO क्रमशः ΔXYZ के ∠XYZ और ∠XZY के समद्विभाजक हैं तो ∠OZY और ∠YOZ ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-15
हल :
ΔXYZ में,
∠X + ∠XYZ + ∠XZY = 180° ( त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है)
62° + 54° + ∠XZY = 180°
⇒ ∠XZY = 180° – (62° + 54°) = 180° – 116°
⇒ ∠XZY = 64°
YO, ∠XYZ का और ZO, ∠XZY का समद्विभाजक है।
∠OYZ = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠XYZ और ∠OZY = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠XZY
⇒ ∠OYZ = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x 54° और ∠OZY = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x 64°
⇒ ∠OYZ = 27° और ∠OZY = 32°
तब, ΔOYZ में, ∠OYZ + ∠OZY + ∠YOZ = 180°
(त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
27° + 32° + ∠YOZ = 180°
⇒ ∠YOZ = 180° – (27° + 32°) = 180° – 59°
⇒ ∠YOZ = 121°
अतः ∠OZY = 32°
तथा ∠YOZ = 121°

प्रश्न 3.
दी गई आकृति में, यदि AB || DE, ∠BAC = 35° और ∠CDE = 53° है तो ∠DCE ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-16
हल :
AB || DE और ऋजु रेखा AE इन्हें काटती है।
तब, ∠BAE = ∠AED (एकान्तर कोण)
परन्तु ∠BAE = ∠BAC और ∠AED = ∠CED
∠BAC = ∠CED
⇒ 35° = ∠CED
⇒ ∠CED = 35°
तब, ΔCDE में,
∠CDE + ∠CED + ∠DCE = 180° (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
⇒ 53° + 35° + ∠DCE = 180°
⇒ ∠DCE = 180° – (53° + 35°) = 180° – 88° = 92°
अतः ∠DCE = 92°

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प्रश्न 4.
दी गई आकृति में यदि रेखाएँ PQ और RS बिन्दु T पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करती हैं कि ∠PRT = 40°, ∠RPT = 95° और ∠TSQ = 75° है तो ∠SQT ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-17
हल :
ΔPRT में,
∠PRT + ∠RPT + ∠PTR = 180° (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
⇒ 40° + 95° + ∠PTR = 180°
⇒ ∠PTR = 180° – (95° + 40°) = 180° – 135°
⇒ ∠PTR = 45°
ऋजु रेखाएँ PQ और RS परस्पर बिन्दु T पर प्रतिच्छेद करती हैं।
∠QTS = ∠PTR (शीर्षाभिमुख कोण)
∠QTS = 45°
∠PTR = 45°
अब, ΔQTS में, ∠QTS + ∠TSQ + ∠SQT = 180°
(त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
45° + 75° + ∠SQT = 180°
⇒ ∠SQT = 180° – (45° + 75°) = 180° – 120° = 60°
अतः
∠SQT = 60°

प्रश्न 5.
दी गई आकृति में, यदि PQ ⊥ PS, PQ || SR, ∠SQR = 28° और ∠QRT = 65° है तो x और y का मान ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-18
हल :
ΔQRS में ∠QRT बहिष्कोण है।
∠SQR + ∠QSR = ∠QRT (किसी त्रिभुज का एक बहिष्कोण उसके अन्तः अभिमुख कोणों के योगफल के बराबर होता है।)
28° + ∠QSR = 65°
⇒ ∠QSR = 65° – 28° = 37°
अब, PQ || SR और QS एक तिर्यक प्रतिच्छेदी रेखा है,
∠PQS = ∠QSR (एकान्तर कोण)
x = 37°
PQ ⊥ PS
∠P = 90°
ΔPQS में ∠P + ∠PQS + ∠PSQ = 180° (त्रिभुज के अन्त: कोणों का योग 180° होता है।)
90° + x + y = 180°
⇒ x + y = 90°
⇒ 37° + y = 90°
⇒ y = 90° – 37° = 53°
x = 37° तथा y = 53°

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प्रश्न 6.
दी गई आकृति में ΔPQR की भुजा QR को बिन्दु S तक बढ़ाया P गया है। यदि ∠PQR और ∠PRS के समद्विभाजक बिन्दु T पर मिलते हैं तो सिद्ध कीजिए कि ∠QTR = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠QPR
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles img-19
हल :
ΔPQR में,
∠PQR + ∠PRQ + ∠QPR = 180°
तथा ΔTQR में,
∠TQR + ∠QRT + ∠QTR = 180° (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
∠TQR + ∠QRT + ∠QTR = ∠PQR + ∠PRQ + ∠QPR
∠TQR + (∠PRQ + ∠PRT) + ∠QTR = ∠PQR + ∠PRQ + ∠QPR [∴ ∠QRT = ∠PRQ + ∠PRT]
∠TQR + ∠PRQ + ∠PRT + ∠QTR = ∠PQR + ∠PRQ + ∠QPR
∠TQR + ∠PRT + ∠QTR = ∠PQR + ∠QPR …….(1)
QT, ∠PQR का समद्विभाजक है।
∠TQR = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠PQR ⇒ ∠PQR = 2 ∠TQR ……..(2)
समीकरण (1) वे समीकरण (2) से,
∠TQR + ∠PRT + ∠QTR = 2 ∠TQR + ∠QPR
∠PRT + ∠QTR = ∠TQR + ∠QPR
RT, ∠PRS का समद्विभाजक है।
∠PRT = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠PRS
और ∠PRS, ΔPQR का बहिष्कोण है।
∠PRS = ∠PQR + ∠QPR (किसी त्रिभुज का एक बहिष्कोण उसके अन्तः अभिमुख कोणों के योगफल के बराबर होता है।)
∠PRS = 2 ∠TQR + ∠QPR [समीकरण (2) से] …(4)
∠PRT = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠PRS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] (2 ∠TQR + ∠QPR) [समीकरण (4) से
∠PRT = ∠TQR + [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠QPR …(5)
समीकरण (3) में से समीकरण (5) को घटाने पर,
∠QTR = ∠QPR – [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠QPR
∠QTR = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠QPR
Proved.

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles (रेखाएँ और कोण) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 6 Lines and Angles (रेखाएँ और कोण), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

UP Board Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थीं?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के अंत में साम्राज्यवादी जर्मनी की हार के बाद सम्राट केजर विलियम द्वितीय अपनी जान बचाने के लिए हॉलैण्ड भाग गया। इस अवसर का लाभ उठाते हुए संसदीय दल वाइमर में मिले और नवम्बर, 1918 ई. में वाइमर गणराज्य नाम से प्रसिद्ध एक गणराज्य की स्थापना की। इस गणराज्य को जर्मनों द्वारा अच्छी तरह से स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनों की हार के बाद मित्र (UPBoardSolutions.com) सेनाओं ने इसे जर्मनों पर थोपा था।
वाइमर गणराज्य की प्रमुख समस्याएँ इस प्रकार थीं प्रथम विश्वयुद्ध के उपरान्त जर्मनी पर थोपी गई वर्साय की कठोर एवं अपमानजनक संधि को वाइमर गणराज्य ने स्वीकार किया था इसलिए बहुत सारे जर्मन न केवल प्रथम विश्वयुद्ध में हार के लिए अपितु वर्साय में हुए अपमान के लिए भी वाइमर गणराज्य को ही जिम्मेदार मानते थे। वर्साय की संधि द्वारा जर्मनी पर लगाए गए 6 अरब पौंड के जुर्माने को चुकाने में वाइमर गणराज्य असमर्थ था।

जर्मनी के सार्वजनिक जीवन में आक्रामक फौजी प्रचार और राष्ट्रीय सम्मान व प्रतिष्ठा की चाह के सामने वाइमरे गणराज्य का लोकतांत्रिक विचार गौण हो गया था। इसलिए वाइमर गणराज्य के समक्ष अस्तित्व को बचाए रखने का संकट उपस्थित हो गया था। रूसी क्रान्ति की सफलता से प्रोत्साहित होकर जर्मनी के कुछ भागों में साम्यवादी प्रभाव तेजी से बढ़ रहा था। वाइमर गणराज्य द्वारा 1923 ई. में हर्जाना चुकाने (UPBoardSolutions.com) से इनकार करने पर फ्रांस ने जर्मनी के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र ‘रूर’ पर कब्जा कर लिया जिसके कारण वाइमर गणराज्य की प्रतिष्ठा को बहुत ठेस पहुँची। 1929 ई. की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के कारण जर्मनी में महँगाई बहुत अधिक बढ़ गई। वाइमर सरकार मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण करने में असफल रही। कारोबार ठप्प हो जाने से समाज में बेरोजगारी की समस्या अपने चरम पर पहुँच गई थी।

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प्रश्न 2.
इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 ई. तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने लगी?
उत्तर:
जर्मनी में नाजीवाद की लोकप्रियता के मुख्य कारण इस प्रकार थे-
(i) आर्थिक संकट- प्रथम विश्वयुद्ध चार वर्षों तक चलता रहा। इसे लम्बे युद्ध में जर्मनी को अपार धन की हानि उठानी पड़ी। युद्ध के बाद देश में वस्तुओं के भाव बहुत बढ़ गए। जर्मन सरकार ने बड़े पैमाने पर मुद्रा को छापना शुरू कर दिया जिसके कारण उसकी मुद्रा मार्क को मूल्य तेजी से गिरने लगा। अप्रैल में एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 24,000 मार्क के बराबर थी जो जुलाई में 3,53,000 मार्क, अगस्त में 46,21,000 मार्क तथा दिसम्बर में 9,88,60,000 मार्क हो गई। इस तरह एक डॉलर में खरबों मार्क मिलने लगे। जैसे-जैसे मार्क की कीमत गिरती गई, जरूरी चीजों की कीमतें आसमान छूने लगीं। 1929 में अमेरिका तथा सम्पूर्ण विश्व में आए आर्थिक संकट ने जर्मनी की स्थिति को और भी भयावह बना दिया।

(ii) वर्साय की सन्धि- जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध में पराजय के बाद वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए विवश किया गया। इस कठोर व अपमानजनक संधि को जर्मन कभी मन से स्वीकार न सके। इसी अपमान का प्रतिफल था कि जर्मनी में हिटलर के नाजीवाद का जन्म हुआ। जर्मन लोग हिटलर में अपने जर्मनी की खोई हुई प्रतिष्ठा के पुनरुद्धारक का प्रतिबिम्ब देखते थे।

(iii) हिटलर का व्यक्तित्व- वास्तव में हिटलर का व्यक्तित्व आकर्षक एवं प्रभावशाली था। हिटलर एक उत्कृष्ट वक्ता था। इसके जोशवर्द्धक भाषण लोगों पर जादू, जैसा प्रभाव डालते थे। लोग उसके भाषणों को सुनने के लिए दूर-दूर से आया करते थे। उसने अपने भाषणों में वादा किया कि “वह बेरोजगारों को रोजगार और नात्सीवाद और हिटलर का उदय नौजवानों को एक सुरक्षित भविष्य देगा और तमाम (UPBoardSolutions.com) विदेशी साजिशों का मुंहतोड़ जवाब देगा। लोगों ने उसके समर्थन में बड़ी-बड़ी रैलियाँ और जनसभाएँ आयोजित कीं। नासियों ने अपने प्रचार में हिटलर को एक ऐसे मसीहा के रूप में पेश किया जैसे उसका जन्म ही जर्मनों के उत्थान के लिए हुआ हो।

(iv) वाइमर गणराज्य की विफलता- वाइमर संविधान में कुछ ऐसी कमियाँ थीं जिनकी वजह से गणराज्य कभी भी अस्थिरता और तानाशाही का शिकार बन सकता था। इनमें से एक कमी आनुपातिक प्रतिनिधित्व से संबंधित थी। इस प्रावधान की वजह से किसी एक पार्टी को बहुमत मिलना लगभग नामुमकिन बन गया था। हर बार गठबंधन सरकार सत्ता में आ रही थी। दूसरी समस्या अनुच्छेद 48 की वजह से थी जिसमें राष्ट्रपति को आपातकाल लागू करने, नागरिक अधिकार रद्द करने और अध्यादेशों के जरिए शासन चलाने का अधिकार दिया गया था। अपने छोटे से जीवन काल में वाइमर गणराज्य का शासन 20 मंत्रिमण्डलों के हाथों में रहा और उनकी औसत अवधि 239 दिन से ज्यादा नहीं रही। इस दौरान अनुच्छेद 48 का भी जमकर इस्तेमाल किया गया। पर इन सारे नुस्खों के बावजूद संकट दूर नहीं हो पाया। लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था में लोगों को विश्वास खत्म होने लगा क्योंकि वह उनके लिए कोई समाधान नहीं खोज पा रही थी।

(v) राजनैतिक उथल-पुथल- यद्यपि जर्मनी में अनेक राजनैतिक दल थे जैसे राष्ट्रवादी, राजभक्त, कम्युनिस्ट, सामाजिक, लोकतंत्रवादी आदि। यद्यपि लोकतंत्रात्मक सरकार (UPBoardSolutions.com) में इनमें से कोई भी बहुमत में नहीं था। दलों में मतभेद अपने चरम पर थे। इसने सरकार को कमजोर कर दिया और अंततः नाजियों को सत्ता हथियाने का अवसर दे दिया।

(vi) जर्मनों की लोकतंत्र में आस्था नहीं थी- प्रथम विश्व युद्ध के अन्त में जर्मनी की हार के बाद जर्मनों का संसदीय संस्थाओं में कोई विश्वास नहीं था। उस समय जर्मनी में लोकतंत्र एक नया व भंगुर विचार था। लोग स्वाधीनता व आजादी की अपेक्षा प्रतिष्ठा और यश को प्राथमिकता देते थे। उन्होंने खुले दिल से हिटलर का साथ दिया क्योंकि उसमें उनके सपने पूरे करने की योग्यता थी।

प्रश्न 3.
नात्सी सोच के खास पहलू कौन-से थे?
उत्तर:
नात्सी सोच के खास पहलू इस प्रकार थे-

  1. नाजी दल जर्मनी को अन्य सभी देशों से श्रेष्ठ मानता था और पूरे विश्व पर जर्मनी का प्रभाव जमाना चाहता था।
  2. इसने युद्ध की सराहना की तथा बल प्रयोग को यशोगान किया।
  3. इसने जर्मनी के साम्राज्य विस्तार और उन सभी उपनिवेशों को जीतने पर ध्यान केन्द्रित किया जो उससे छीन लिए गए थे।
  4. ये लोग ‘शुद्ध जर्मनों एवं स्वस्थ नॉर्डिक आर्यों के नस्लवादी राष्ट्र का सपना देखते थे और उन सभी का खात्मा चाहते थे जिन्हें वे अवांछित मानते थे।
  5. नाजियों की दृष्टि में देश सर्वोपरि है। सभी शक्तियाँ देश में निहित होनी चाहिए। लोग देश के लिए हैं न कि देश लोगों के (UPBoardSolutions.com) लिए।
  6. नाजी सोच सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त करने के पक्ष में थी और एक महान नेता के शासन में विश्वास रखती थी।
  7. यह सभी प्रकार के दल निर्माण व विपक्ष के दमन और उदारवाद, समाजवाद एवं कम्युनिस्ट विचारधाराओं के उन्मूलन की पक्षधर थी।
  8. इसने यहूदियों के प्रति घृणा का प्रचार किया क्योंकि इनका मानना था कि जर्मनों की आर्थिक विपदा के लिए यही लोग जिम्मेदार थे।

प्रश्न 4.
नासियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफ़रत पैदा करने में इतना असरदार कैसे रहा?
उत्तर:
हिटलर ने 1933 ई. में तानाशाह बनने के बाद सभी शक्तियों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। हिटलर ने जर्मनी में एक शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार का गठन किया। उसने लोकतांत्रिक व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। एक दल, एक नेता और पूरी तरह अनुशासन उसके शासन का (UPBoardSolutions.com) आधार था। हिटलर ने यहूदियों के विरुद्ध विद्वेषपूर्ण प्रचार शुरू किया जो यहूदियों के प्रति जर्मनों में नफरत फैलाने में सहायक सिद्ध हुआ। यहूदियों के खिलाफ नाजियों के प्रोपेगैंडा के सफल होने के प्रमुख कारण इस प्रकार थे-

  1. हिटलर ने जर्मन लोगों के दिलो-दिमाग में पहले ही अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बना लिया था। जर्मन लोग हिटलर द्वारा कही गयी बातों पर आँख मूंदकर विश्वास करते थे। हिटलर के चमत्कारी व्यक्तित्व के कारण यहूदियों के विरुद्ध नाजी दुष्प्रचार सफल सिद्ध हुआ।
  2. नाजियों ने भाषा और मीडिया का बहुत सावधानी से प्रयोग किया। नाजियों ने एक नस्लवादी विचारधारा को जन्म दिया कि यहूदी निचले स्तर की नस्ल से संबंधित थे और इस प्रकार वे अवांछित थे।
  3. नाजियों ने प्रारम्भ से उनके स्कूल के दिनों में ही बच्चों के दिमागों में भी यहूदियों के प्रति नफरत भर दी। जो अध्यापक यहूदी थे उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और यहूदी बच्चों को स्कूलों से निकाल दिया गया। इस प्रकार के तरीकों एवं नई विचारधारा के प्रशिक्षण ने नई पीढ़ी के बच्चों में यहूदियों के प्रति नफरत फैलाने और नाजी प्रोपेगैन्डा को सफल बनाने में पूर्णतः सफलता प्राप्त की।
  4. यहूदियों के प्रति नफरत फैलाने के लिए प्रोपेगैन्डा फिल्मों का निर्माण किया गया। रूढ़िवादी यहूदियों की पहचान की गई एवं उन्हें चिन्हित किया गया। उन्हें उड़ती हुई दाढ़ी और कफ्तान पहने दिखाया जाता था।
  5. उन्हें केंचुआ, चूहा और कीड़ा कह कर (UPBoardSolutions.com) संबोधित किया जाता था। उनकी चाल की तुलना कुतरने वाले छछंदरी जीवों से की जाती थी।
  6. ईसा की हत्या के अभियुक्त होने के कारण ईसाइयों की यहूदियों के प्रति पारम्परिक घृणा का नाजियों ने पूरा लाभ उठाया जिससे जर्मन यहूदियों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो गए।

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प्रश्न 5.
नात्सी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी? फ्रांसीसी क्रांति और नात्सी शासन में औरतों की भूमिका के बीच क्या फर्क था? एक पैराग्राफ में बताएँ।
उत्तर:
नात्सी समाज में औरतों की भूमिका निम्न थी-

  1. घरेलू दायित्वों की पूर्ति करना।
  2. बच्चों को नात्सी मूल्यों एवं मान्यताओं की शिक्षा देना।
  3. शुद्ध आर्य नस्ल के बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को अनेक सुविधाएँ प्रदान की जाती थीं।
  4. नात्सी मान्यता के अनुसार औरत-मर्द के लिए समान अधिकारों का संघर्ष गलत है।
  5. लड़कियों का फर्ज था अच्छी माँ बनना और शुद्ध आर्य रक्त वाले बच्चों को जन्म देना।
  6. आर्य नस्ल की शुद्धता को बनाए रखने के लिए यहूदियों से दूर रहना।

फ्रांसीसी क्रान्ति और नात्सी शासन में औरतों की भूमिका के बीच अन्तर-

  1. फ्रांसीसी क्रांति में महिलाओं की भूमिका- फ्रांसीसी समाज में महिलाएं अपने हितों के प्रति जागरुक थीं। फ्रांस के विभिन्न राज्यों में 60 महिला राजनीतिक क्लब अस्तित्व में थे। वह पुरुषों के समान अधिकारों के लिए माँग कर रही थीं। लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा अनिवार्य थी। वह अपनी मर्जी से शादी करने के लिए स्वतंत्र थीं। महिलाओं को तलाक लेने का अधिकार प्रदान किया गया। महिलाएँ व्यावसायिक प्रशिक्षण ले सकती थीं, कलाकार बन सकती थीं और व्यवसाय कर (UPBoardSolutions.com) सकती थीं।
  2. नासी शासन में औरतों की भूमिका- फ्रांस के विपरीत जर्मनी में महिलाओं को अपनी इच्छा से विवाह करने की अनुमति नहीं थी। महिलाओं के लिए नात्सी सरकार द्वारा निर्धारित आचार संहिता का उल्लंघन करने वाली महिलाओं को सार्वजनिक रूप से दण्डित किया जाता था। उन्हें न केवल कारागार में डाल दिया जाता था बल्कि उनके नागरिक अधिकार, पति और परिवार से भी उन्हें वंचित कर दिया जाता था।

प्रश्न 6.
नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण स्थापित करने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए?
उत्तर:
हिटलर ने 1933 ई. में जर्मनी का तानाशाह बनने के बाद शासन की समस्त शक्तियों पर अधिकार कर लिया। उसने एक शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार का गठन किया। उसने लोकतांत्रिक विचारों को हासिए पर डाल दिया। उसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दिया।
नात्सियों ने जनता पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए निम्न तरीके अपनाए-

(i) जनसंचार माध्यमों का उपयोग- शासन के लिए समर्थन हासिल करने और नात्सी विश्व दृष्टिकोण को फैलाने के लिए मीडिया का बहुत सोच-समझ कर इस्तेमाल किया गया। नात्सी विचारों को फैलाने के लिए तस्वीरों, फिल्मों, रेडियो, पोस्टरों, आकर्षक नारों और इश्तहारी पर्यों का खूब सहारा लिया जाता था। नात्सीवाद ने लोगों के दिलोदिमाग पर गहरा असर डाला, उनकी भावनाओं को भड़का कर उनके गुस्से और
नफरत को ‘अवांछितों पर केन्द्रित कर दिया। इसी अभियान से नासीवाद को सामाजिक आधार पैदा हुआ।

(ii) युंगफोक- युंगफोक 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का नात्सी युवा संगठन था। 10 साल की उम्र के बच्चों का युंगफोक में दाखिला करा दिया जाता था। 14 साल की उम्र में सभी लड़कों को नात्सियों के युवा संगठन हिटलर यूथ की सदस्यता लेनी पड़ती थी। इस संगठन में वे युद्ध की उपासना, आक्रामकता व हिंसा, लोकतंत्र की निंदा और यहूदियों, कम्युनिस्टों, जिप्सियों व अन्य ‘अवांछितों से घृणा को (UPBoardSolutions.com) सबक सीखते थे। गहन विचारधारात्मक और शारीरिक प्रशिक्षण के बाद लगभग 18 साल की उम्र में वे लेबर सर्विस (श्रम सेवा) में शामिल हो जाते थे। इसके
बाद उन्हें सेना में काम करना पड़ता था और किसी नासी संगठन की सदस्यता लेनी पड़ती थी।

(iii) विशेष निगरानी एवं सुरक्षा दस्तों का गठन- पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब से नियंत्रित और व्यवस्थित करने के लिए विशेष निगरानी और सुरक्षा दस्ते गठित किए गए। पहले से मौजूद हरी वर्दीधारी पुलिस और स्टॉर्म टूपर्स (एस.ए.) के अलावा गेस्टापो (गुप्तचर राज्य पुलिस), एस.एस. (अपराध नियंत्रण पुलिस) और सुरक्षा सेवा (एस.डी.) का भी गठन किया गया। इन नवगठित दस्तों को बेहिसाब असंवैधानिक अधिकार दिए गए और इन्हीं की वजह से नात्सी राज्य को एक बूंखार आपराधिक राज्य की छवि प्राप्त हुई। (UPBoardSolutions.com) गेस्टापो के यंत्रणा गृहों में किसी को भी बंद किया जा सकता था। ये नए दस्ते किसी को भी यातना गृहों में भेज सकते थे, किसी को भी बिना कानूनी कार्रवाई के देश निकाला दिया जा सकता था या गिरफ्तार किया जा सकता था। दण्ड की आशंका से मुक्त पुलिस बलों ने निरंकुश और निरपेक्ष शासन का अधिकार प्राप्त ।
कर लिया था।

(iv) कम्युनिस्टों का दमन- अधिकांश कम्युनिस्टों को रातों-रात कंसन्ट्रेशन कैम्पों में बन्द कर दिया गया।
(v) तानाशाही की स्थापना- 3 मार्च, 1933 ई. को प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम की सहायता से जर्मनी में तानाशाही की स्थापना की गई।
(vi) राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध- नात्सी दल के अतिरिक्त अन्य सभी राजनीतिक दलों और ट्रेड यूनियनों को प्रतिबंधित कर दिया गया।
(vii) रैलियाँ और जनसभाएँ- नासियों ने जनसमर्थन प्राप्त करने के लिए तथा जनता को मनोवैज्ञानिक रूप से नियंत्रित करने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियाँ और जनसभाएँ आयोजित कीं।
(vii) अग्नि अध्यादेश- सत्ता प्राप्ति के पश्चात् अग्नि अध्यादेश के जरिए अभिव्यक्ति, प्रेस एवं सभा करने की आजादी जैसे नागरिक अधिकारों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। हिटलर के जर्मन साम्राज्य की वजह से नात्सी राज्य को इतिहास में सबसे खूखार आपराधिक राज्य की छवि (UPBoardSolutions.com) प्राप्त हुई। नाजियों ने जर्मनी की युद्ध में हार के लिए यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया। यहूदी गतिविधियों पर कानूनी रूप से रोक लगा दी गई और उनमें से अधिकांश को या तो मार दिया गया या जर्मनी छोड़ने के लिए बाध्य किया गया।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जर्मनी की नात्सी सरकार ने सर्वाधिक अत्याचार किस समुदाय पर किया?
उत्तर:
यहूदियों पर।

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प्रश्न 2.
अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में पहला परमाणु बम किस जापानी नगर पर गिराया?
उत्तर:
हिरोशिमा पर।

प्रश्न 3.
हिटलर ने आत्महत्या कब की?
उत्तर:
30 अप्रैल, 1945 ई. को।

प्रश्न 4.
हिटलर की सेना ने पोलैण्ड पर कब आक्रमण किया?
उत्तर:
1 सितम्बर, 1939 ई. को।

प्रश्न 5.
विश्व तुष्टीकरण की नीति को सर्वाधिक बढ़ावा किस नेता ने दिया?
उत्तर:
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चैम्बरलेन ने।

प्रश्न 6.
वाइमर गणराज्य का सम्बन्ध किस देश से था?
उत्तर:
जर्मनी से।

प्रश्न 7.
जर्मनी के किस नेता को ‘द फ्यूहरर’ के नाम से सम्बोधित किया जाता था?
उत्तर:
हिटलर को।

प्रश्न 8.
राइख्सटाग के किस अधिनियम ने हिटलर को एक अधिकार सम्पन्न शासक बनाया?
उत्तर:
समर्थकारी अधिनियम (Enabling Act)

प्रश्न 9.
नात्सी पार्टी का पूरा नाम क्या था?
उत्तर:
इस पार्टी का पूरा नाम राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी (National Socialist German Workers Party) था।

प्रश्न 10.
हिटलर जर्मनी का भाग्यविधाता किस वर्ष बना?
उत्तर:
हिटलर 1936 ई. में शासक की समस्त शक्तियाँ अपने में केन्द्रित कर लीं।

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प्रश्न 11.
हिटलर की विदेश नीति के दो प्रमुख उद्देश्य बताइए।
उत्तर:

  1. हिटलर जर्मनी को विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बनाना चाहता था।
  2. उसे विस्तारवादी नीति में विश्वास था।

प्रश्न 12.
जर्मन संसद का क्या नाम था?
उत्तर:
राइख्सटाग।

प्रश्न 13.
स्कूलों में सफाई और शुद्धीकरण की मुहिम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नात्सी शासन काल में स्कूलों से यहूदी तथा राजनीतिक रूप से अविश्वसनीय लोगों को हटा दिया गया। अवांछित बच्चों (यहूदियों, जिप्सियों और विकलांग बच्चों) को स्कूलों से निकाल दिया गया। इस समस्त प्रक्रिया को स्कूलों की सफाई और शुद्धीकरण के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 14.
घेटो बस्तियाँ क्या थीं?
उत्तर:
यहूदी लोग समाज से अलग बस्तियों में रहते थे जिन्हें घेटो (दड़बा) बस्तियाँ कहा जाता था।

प्रश्न 15.
दुनिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार कौन-सा है?
उत्तर:
वाल स्ट्रीट एक्सचेंज (अमेरिका)।

प्रश्न 16.
1929 ई. तथा 1932 ई. के चुनावों में नात्सी पार्टी को कितने प्रतिशत वोट मिले थे?
उत्तर:

  1. 1929 के चुनाव में 2.6%,
  2. 1932 के चुनाव में 37%।

प्रश्न 17.
हिटलर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
आस्ट्रिया (1889 ई.)।

प्रश्न 18.
नात्सी यूथ लीग का गठन कब हुआ था?
उत्तर:
सन् 1922।

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प्रश्न 19.
युंगफोक क्या था?
उत्तर:
युंगफोक, 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का नात्सी युवा संगठन था।

प्रश्न 20.
हिटलर यूथ संगठन में छात्रों को क्या सिखाया जाता था?
उत्तर:

  1. युद्ध की उपासना,
  2. आक्रामकता की भावना,
  3. हिंसा,
  4. लोकतंत्र तथा साम्यवाद की निंदा,
  5. यहूदियों तथा अन्य अवांछितों से घृणा।

प्रश्न 21.
‘नवम्बर के अपराधी’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया जाता था?
उत्तर:
वाइमर सरकार को।

प्रश्न 22.
बोल्शेविक क्रांति की तर्ज पर जर्मनी में किस संगठन की स्थापना हुई?
उत्तर:
स्पार्टकिस्ट लीग की।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
महामंदी ने नाजीवाद को जन-आन्दोलन बनाने में क्या भूमिका निभायी?
उत्तर:
नाजीवाद 1930 ई. के दशक में अधिक लोकप्रिय नहीं बन पाया किन्तु मंदी के दौरान नाजीवाद एक जनआंदोलन बन गया। 1929 ई. के बाद बैंक दिवालिया हो चुके थे, काम-धन्धे बन्द होते जा रहे थे, मजदूर बेरोजगार हो रहे थे और मध्यवर्ग को लाचारी और भुखमरी का डर सता रहा था। ऐसे में लोगों को नाजी प्रोपेगैन्डा में एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाई देती थी। 1929 में नाजियों को जर्मन संसद ‘राइख्सटाग’ में केवल 2.6 प्रतिशत वोढ़ मिले। 1932 ई. तक यह सबसे बड़ा दल बन गई और इसे 27 प्रतिशत (UPBoardSolutions.com) वोट मिले।
इस दौरान नाजियों ने अनेक बड़ी रैलियों का आयोजन किया। हिटलर का जनसमर्थन दिखाने और लोगों में एकता की भावना का संचार करने के लिए जनसभाओं का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हिटलर ने बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने तथा युवाओं के लिए बेहतर भविष्य का वायदा किया।

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प्रश्न 2.
जनसामान्य की नाजीवाद के प्रति क्या धारणा थी?
उत्तर:

  1. बहुत से लोग नाजीवाद की निरंकुश पुलिस, दमन एवं हत्याओं के विरुद्ध खड़े हो गए।
  2. अधिकतर जर्मनीवासी निष्क्रिय मूकदर्शक एवं उदासीन बने रहे। वे इतने भयभीत थे कि न तो वे कुछ कर पाए, न मतभेद जता पाए और न ही विरोध कर पाए।
  3. कई लोगों ने नाजियों की दृष्टि से देखा और नाजियों की भाषा में उनके मस्तिष्क की बातें बताईं। उन्होंने यहूदियों के प्रति गुस्सा और घृणा विकसित कर ली थी। यहूदियों के घर चिह्नित किए गए और संदिग्ध पड़ोसी के रूप में उनकी शिकायत की गई। उनका विश्वास था कि नाजीवाद खुशहाली लाएगा और उनके जीवन को सुखी बना देगा।

प्रश्न 3.
विशेषाधिकार अधिनियम के प्रावधान बताइए।
उत्तर:
3 मार्च, 1933 को पारित विशेषाधिकार अधिनियम के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार थे-

  1. नाजियों व उनके सहयोगियों को छोड़ कर अन्य सभी राजनैतिक दलों व ट्रेड यूनियनों पर प्रतिबंध लगा दिया।
  2. अर्थव्यवस्था, मीडिया, सेना और न्यायपालिका पर राज्य ने पूर्ण रूप से नियंत्रण कर लिया।
  3. इसने जर्मनी में तानाशाही स्थापित कर दी।
  4. इसने संसद को दरकिनार करते हुए हिटलर को डिक्री से शासन करने की सारी शक्तियाँ दे दी।

प्रश्न 4.
वर्साय की संधि की प्रमुख चार शर्तों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मित्र देशों (इंग्लैण्ड, फ्रांस और रूस) ने जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध में पराजित करने के बाद उसे वर्साय सन्धि नामक एक शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए विवश किया। इस सन्धि की शर्ते जर्मनी के लिए अत्यन्त अपमानजनक और कठोर थीं।
सन्धि के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार थे-

  1. युद्ध अपराधबोध अनुच्छेद के तहत युद्ध के कारण मित्र देशों को हुई हानि और सारी तबाही के लिए जर्मनी को जिम्मेदार ठहराया गया। इसके एवज में उस पर छः अरब पौंड का जुर्माना लगाया गया।
  2. खनिज संसाधनों वाले राईनलैण्ड पर भी बीस के दशक में ज्यादातर मित्र राष्ट्रों का ही कब्जा रहा।
  3. जर्मनी को अपने समुद्र पार के उपनिवेश, 13 प्रतिशत भू-भाग, 75 प्रतिशत लौह-भण्डार, 26 प्रतिशत कोयला भण्डार फ्रांस, पोलैण्ड, डेनमार्क और (UPBoardSolutions.com) लिथुआनिया के हवाले करने पड़े।
  4. जर्मनी की रही-सही ताकत खत्म करने के लिए मित्र राष्ट्रों ने उसकी सेना भी भंग कर दी।

प्रश्न 5.
नात्सीवाद की विजय के प्रमुख परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नात्सीवाद की विजय के प्रमुख परिणाम-

  1. जर्मनी में सैन्यकरण का कार्य बड़े पैमाने पर शुरू किया गया तथा युद्ध की तैयारियाँ बड़े जोर-शोर से शुरू की गयीं।
  2. जर्मनी में अन्य सभी साहित्य को जला दिया गया जिसमें उदारवाद, समाजवाद व लोकतंत्र के विचारों की प्रशंसा की गई थी।
  3. हिटलर व नात्सी पार्टी का उत्थान द्वितीय विश्वयुद्ध का प्रमुख कारण बना।
  4. जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व में नात्सी पार्टी की तानाशाही स्थापित हो गई। इससे वहाँ आतंकवाद छा गया तथा नात्सी विरोधी नेताओं की बड़े पैमाने पर हत्या कर दी गई।
  5. जर्मनी की कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। समाजवादियों व साम्यवादियों का भी विरोध किया गया।

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प्रश्न 6.
नात्सीवादी शासन में वांछित बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को किस प्रकार पुरस्कृत किया गया?
उत्तर:
इस समयावधि में प्रजातीय आधार पर वांछित दिखने वाले बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को पुरस्कार दिया भण्डार जाता था। ऐसी माताओं को चिकित्सालयों में विशेष सुविधाएँ दी जाती थीं, दुकानों में सामान खरीदने पर उन्हें अधिक छूट दी जाती थी। इसके साथ ही थियेटर व रेलगाड़ी के टिकट सस्ती दर पर दिए जाते थे। हिटलर ने ढेर सारे बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को उसी प्रकार पदकों से (UPBoardSolutions.com) सम्मानित करने की व्यवस्था की थी जिस प्रकार सेना में शौर्य प्रदर्शित करने वाले सैनिकों को सम्मानित किया जाता था। चार बच्चे पैदा करने वाली माँ को कांस्य पदक, छः बच्चे पैदा करने वाली माँ को रजत पदक तथा आठ या उससे अधिक बच्चे पैदा करने वाली माँ को सोने के पदक दिए जाते थे।

प्रश्न 7.
नात्सी लोग यहूदियों से क्यों घृणा करते थे?
उत्तर:
जर्मन लोगों द्वारा यहूदियों से घृणा करने की निम्न वजह थी-

  1. नात्सी विचारधारा के अनुसार नस्ली श्रेष्ठता के आधार पर यहूदी विश्व की सबसे निम्न स्तरीय नस्ल है तथा जर्मनी की सभी समस्याओं का मूल कारण यहूदी ही हैं।
  2. यहूदी लोग जर्मन समाज से बिलकुल अलग बस्तियों में रहते थे जिन्हें घेटो’ कहा जाता था।
  3. जर्मनों के अनुसार यहूदी आदतन हत्यारे और सूदखोर थे।
  4. यहूदी लोग मुख्य रूप से व्यापार और धन उधार देने का धन्धा करते थे।
  5. जर्मन ईसाई धर्म के अनुयायी थे और ईसाइयों का आरोप था कि ईसा मसीह को यहदियों ने ही मारा था। इसीलिए मध्यकाल तक जर्मनी में यहूदियों को जमीन का मालिक बनने की मनाही थी।

प्रश्न 8.
नात्सी आचार संहिता का उल्लंघन करने वाली महिलाओं को किस प्रकार दण्डित किया जाता था?
उत्तर:

  1. आचार संहिता का उल्लंघन करने वाली महिलाओं को न केवल जेल की सजा दी जाती थी बल्कि उनके नागरिक सम्मान, पति और परिवार से उन्हें वंचित कर दिया जाता था।
  2. आचार संहिता का उल्लंघन करने वाली आर्य महिलाओं की सार्वजनिक रूप से निन्दा की जाती थी तथा उन्हें कठोर दण्ड दिया जाता था।
  3. आचार संहिता उल्लंघन की दोषी अनेक महिलाओं को गंजा करके, मुँह पर कालिख पोत कर और उनके गले में तख्ती लटका कर उन्हें सारे शहर में घुमाया जाता था। उनके गले में लटकी तख्ती पर लिखा होता था कि मैंने राष्ट्र के सम्मान को मलिन किया है।

प्रश्न 9.
प्रथम विश्व युद्ध का यूरोप पर प्रभाव बताइए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के यूरोप पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े-

  1. मीडिया में खंदकों की जिंदगी का महिमामंडन किया जा रहा था। लेकिन सच्चाई यह थी कि सिपाही इन खंदकों में बड़ी दयनीय जिंदगी जी रहे थे। वे लाशों को खाने वाले चूहों से घिरे रहते थे। वे जहरीली गैस और दुश्मनों की गोलाबारी का बहादुरी से सामना करते हुए भी अपने साथियों को पल-पल मरते देखते थे।
  2. सार्वजनिक जीवन में आक्रामक फौजी प्रचार और राष्ट्रीय सम्मान प्रतिष्ठा की चाह के सामने बाकी सारी चीजें गौण हो गई जबकि हाल ही में सत्ता में आए रूढ़िवादी तानाशाहों को व्यापक जनसमर्थन मिलने लगा।
  3. यूरोप कृर्ज देने वाले महाद्वीप से कर्जदारों का महाद्वीप बन गया।
  4. पहले महायुद्ध ने यूरोपीय समाज और राजनीतिक व्यवस्था पर अपनी गहरी छाप छोड़ दी थी। सिपाहियों को आम नागरिकों के मुकाबले ज्यादा सम्मान (UPBoardSolutions.com) दिया जाने लगा। राजनेता और प्रचारक इस बात पर जोर देने लगे कि पुरुषों को आक्रामक, ताकतवर और मर्दाना गुणों वाला होना चाहिए।

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प्रश्न 10.
वाइमर संविधान के दोषों को बताइए।
उत्तर:
वाइमर गणतंत्र ने आनुपातिक प्रतिनिधित्व पर निर्भर ऐसी प्रणाली का विकास किया जिसमें किसी एक दल को बहुमत पाना लगभग असंभव था, फलस्वरूप देश में गठबन्धन सरकारें बनती थीं। अनुच्छेद 48 राष्ट्रपति को नागरिक अधिकार समाप्त करते हुए आपातकाल लागू करके डिक्री द्वारा शासन करने की शक्ति देता था। अल्पकाल में ही वाइमर रिपब्लिक ने 20 अलग-अलग मन्त्रिमण्डल देखे जिनका औसत कार्यकाल 239 दिन था और साथ ही अनुच्छेद 48 का भी भरपूर प्रयोग हुआ। फिर भी संकट का समाधान नहीं हो सका। परिणामस्वरूप लोगों का लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली से विश्वास उठ गया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नासीवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नात्सीवाद का उदय जर्मनी में हुआ था। नात्सी लोगों ने एडोल्फ हिटलर के नेतृत्व में आधुनिक काल की सर्वाधिक बर्बर तानाशाही की जर्मनी में स्थापना की।
नात्सीवाद की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. यहूदी नस्ल सबसे घटिया नस्ल है तथा संसार की अन्य सभी नस्लें यहूदी और जर्मन के बीच की नस्लें हैं।
  2. हिटलर का मानना था कि लोगों को बसाने के लिए ज्यादा से ज्यादा इलाकों पर कब्जा करना जरूरी है। इससे मातृदेश का क्षेत्रफल भी बढ़ेगा और नए इलाकों में जाकर बसने वालों को अपने जन्म स्थान से सम्बन्ध बनाए रखने में कोई समस्या नहीं आएगी।
  3. वह पूर्व में जर्मनी की सीमाओं को फैलाना चाहता था ताकि सारे जर्मनों को भौगोलिक दृष्टि से एक ही जगह इकट्ठा किया जा सके।
  4. नात्सीवाद के अनुसार राज्य सबसे ऊपर है। लोग राज्य के लिए हैं न कि राज्य लोगों के लिए।
  5. नात्सीवाद लोकतंत्र तथा साम्यवाद को जड़ से मिटा देना चाहता था।
  6. नात्सीवाद युद्ध तथा शक्ति के प्रयोग को राज्य के विस्तार के लिए आवश्यक मानता था।
  7. नात्सीवाद के अनुसार ब्लाँड, नीली आँखों वाले नॉर्डिक जर्मन आर्य सर्वश्रेष्ठ नस्ल है। उसे अपनी शुद्धता बनाए रखनी चाहिए तथा उसे ही पूरी दुनिया पर वर्चस्व स्थापित करने का हक है।

प्रश्न 2.
वर्साय संधि के प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वर्साय संधि के प्रमुख प्रावधानों का विवरण इस प्रकार है-

  1. जर्मनी भविष्य में आक्रमणकारी नीति का अनुकरण कर पुनः युद्ध न छेड़ दे, इसको रोकने के लिए जर्मनी की सैनिक शक्ति को घटा दिया गया। जर्मनी में लामबंदी और अनिवार्य सैनिक शिक्षा की मनाही कर दी। उसकी सेना की संख्या एक लाख निश्चित की गई। शस्त्र बनाने, उन्हें बाहर भेजने या बाहर से मँगवाने पर भी पाबंदी लगा दी गई। जर्मनी के सैनिक विभाग की शक्ति सीमित कर दी गई। राइनलैण्ड और कील के क्षेत्रों को सेना-रहित क्षेत्र करार दिया गया।
  2. जर्मनी की जल-शक्ति में भी भारी कमी कर दी गई। उसे पनडुब्बियाँ रखने की मनाही कर दी गई। उसे केवल 6 लड़ाई के जहाज, 6 हल्के और 12 टारपीडो किश्तियाँ रखने का अधिकार दिया गया।
  3.  युद्ध की सारी जिम्मेदारी जर्मनी पर डाली गई। उसे युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में 6 अरब 10 करोड़ पौंड की बड़ी धनराशि मित्र राष्ट्रों को देने के लिए विवश किया गया।
  4. जर्मनी ने 10 लाख टन कोयला प्रतिवर्ष फ्रांस को और 80 लाख टन कोयला प्रतिवर्ष बेल्जियम और इटली को देना स्वीकार किया।
  5. युद्ध के लिए जर्मनी के सम्राट कैसर विलियम को जिम्मेदार ठहराया गया। उस पर मुकद्दमा चलाने का निर्णय किया गया परन्तु वह जर्मनी से भाग कर हालैण्ड चला गया। अन्तः इस दिशा में कोई कदम न उठाया जा सका। इस प्रकार जर्मनी के लिए यह संधि बड़ी अपमानजनक और घातक सिद्ध हुई और इसने जर्मनी को आर्थिक व सैनिक दृष्टि से असहाय बना दिया।
  6. आल्सेस और लोरेन के प्रांत फ्रांस को, यूपेन, मोर्सनेट और माल्मेडी के तीन जिले बेल्जियम को, मेमल का तटवर्ती बंदरगाह लिथूनिया को और संपूर्ण (UPBoardSolutions.com) पश्चिमी प्रशिया के प्रदेश पोलैण्ड को दिए गए।
  7. सार की घाटी की कोयले की खानों का अधिकार फ्रांस को दिया गया। सार का शासन-प्रबन्ध 15 वर्ष के लिए लीग ऑफ नेशंस की अधीनता में एक अन्तर्राष्ट्रीय कमीशन को सौंपा गया। 1935 में वहाँ जनमत हुआ और उसके आधार पर सार की घाटी को जर्मनी के साथ मिला दिया गया।
  8. राइनलैण्ड को सेना-रहित कर दिया गया। इस प्रदेश में किलेबंदी तोड़ दी गई और भविष्य में जर्मनी को इसकी किलेबंदी करने की मनाही कर दी गई।
  9. डैजिग को लीग ऑफ नेशंस के अधीन एक स्वतन्त्र नगर रखा गया। पोलैण्ड के विशेषाधिकारों को इसमें मान्यता दी गई।
  10. हेलिगोलैंड और ड्यून की बंदरगाहों तथा उनकी किलेबंदी को समाप्त कर दिया गया।।
  11. बेल्जियम, पोलैण्ड और चैकोस्लोवाकिया को स्वतंत्र राज्यों की मान्यता जर्मनी को देनी पड़ीं। पोलैंड को समुद्र तक पहुँचने के लिए जर्मनी के प्रदेशों में से एक संत रास्ता दिया गया।
  12. जर्मनी से उसका औपनिवेशिक साम्राज्य छीन लिया गया और लीग ऑफ नेशन्स के अधीन इसका शासन विभिन्न मित्र-राष्ट्रों को सौंपा गया। पश्चिमी अफ्रीका में जर्मन-उपनिवेश इंग्लैण्ड को दिए गए। कैमरून और टोगोलैण्ड को फ्रांस और इंग्लैण्ड में बाँटा गया। सैमोया द्वीप न्यूजीलैण्ड को तथा शांतुग और क्याओ-चाओ जापान को प्राप्त हुए।

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प्रश्न 3.
नाजियों के अधीन शिक्षण संस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एडोल्फ हिटलर ने इस बात का अनुभव किया कि बच्चों को नाजी विचारधारा सिखाकर ही नाजी समाज का निर्माण संभव है। अतः बच्चों को नाजी विचारधारा में प्रशिक्षित करने के लिए विद्यालयों को माध्यम बनाया। इसके लिए नाजियों ने निम्न प्रयास किए-

  1. नाजियों ने सभी स्कूलों में सफाई और शुद्धीकरण किया जिसका आशय था कि वे अध्यापक जो यहूदी थे अथवा जो राजनैतिक रूप से विश्वसनीय नहीं थे, बर्खास्त कर दिए गए।
  2. विद्यालयों में जर्मनों और यहूदियों को एक साथ बैठने-खेलने की मनाही थी।
  3. नाजियों द्वारा यूथ लीग की स्थापना 1922 ई. में की गयी जिसका नाम बदलकर बाद में हिटलर ने ‘यूथ’ रख दिया।
  4. ‘अवांछित बच्चे’, यहूदी, शारीरिक विकलांग, जिप्सी आदि को स्कूलों से बाहर निकाल दिया गया और अंततः 1940 ई. में इन्हें गैस चैम्बरों में ले जाया गया।
  5. स्कूलों की पाठ्य पुस्तकें पुनः लिखी गईं। नस्ल के बारे में नाजी विचारधारा को सही ठहराने के लिए नस्ल विज्ञान विषयं लागू किया गया।
  6. यहाँ तक कि गणित की कक्षाओं के जरिए भी यहूदियों की खास छवि गढ़ने का प्रयास किया जाता।
  7. बच्चों को वफादार, आज्ञाकारी बनना, यहूदियों से घृणा करना और हिटलर की पूजा करना सिखाया जाता था।
  8. खेल सिखाने का उद्देश्य बच्चों में हिंसा एवं आक्रामकता पैदा करना था। हिटलर का विश्वास था कि मुक्केबाजी लड़कों को पत्थरदिल, मजबूत एवं मर्दाना बना देगी।
  9. युवा संगठनों को जर्मन युवकों को राष्ट्रीय समाजवाद की भावना से लैस करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
  10. 10 वर्ष की आयु के बच्चों को गुंगफ्रोक (14 वर्ष से कम आयु के नाजी बच्चों का संगठन) में दाखिल कराया ..’ जाता। 14 वर्ष की आयु में सभी लड़कों को नाजी युवा संगठन हिटलर यूथ का सदस्य बनना पड़ता जहाँ वे युद्ध की पूजा, हिंसा व आक्रामकता को गौरवान्वित करने, लोकतन्त्र की निन्दा करने, यहूदियों, कम्युनिस्टों, जिप्सी और अन्य इसी प्रकार के अवांछित वर्ग के लोगों से घृणा करना सीखते थे।
  11. 18 वर्ष की आयु में वे लेबर सर्विस में शामिल हो जाते जिसके बाद उन्हें सेना में काम करना पड़ता था और किसी ‘एक नाजी संगठन की सदस्यता लेनी पड़ती थी।

प्रश्न 4.
जर्मनी में नासीवाद का प्रसार किस प्रकार किया गया?
उत्तर:
जर्मनी में नात्सीवाद का प्रसार इस प्रकार किया गया-
(क) हिटलर ने 1921 ई. में नासी दल का गठन किया था। उसने जर्मन राजधानी बर्लिन की ओर एक अभियान जारी कर सत्ता हासिल करने की योजना बनायी थी, किन्तु वह पकड़ा गया तथा उसे जेल में डाल दिया गया। लेकिन सजा की अवधि पूरी होने से पहले ही उसे छोड़ दिया गया।

(ख) जेल में ही उसने एक पुस्तक ‘मेरा संघर्ष’ लिखी। इस पुस्तक में उसने नात्सी आन्दोलन के दर्शन और डरावने विचार व्यक्त किए। इस पुस्तक में उसने बल प्रयोग, बर्बरतापूर्ण व्यवहार, महान् नेता द्वारा शासन की महिमा का गुणगान करने के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीयता, लोकतंत्र वे शान्ति का मजाक उड़ाया। उसने जर्मन यहूदियों के प्रति बहूत ज्यादा घृणा का प्रचार किया और उन्हें न सिर्फ प्रथम विश्वयुद्ध में (UPBoardSolutions.com) जर्मनी की हार के लिए बल्कि उसकी अनेक आर्थिक समस्याओं के लिए पूरा उत्तरदायी ठहराया। उसने उग्र राष्ट्रवाद का प्रचार किया।

(ग) हिटलर के सत्तारूढ़ होने से पूर्व जर्मनी में चुनाव हुए जिसमें नात्सी दल को समाजवादियों व कम्युनिस्टों को कुल मिलाकर जितने मत मिले थे, उससे भी कम मत मिले थे। वह और उसका दल 650 स्थानों में से केवल 196 स्थान ही ले सका। हिटलर राजनीतिक षड्यंत्रों के जरिए सत्ता में आया। चुनावों में विफलता के बावजूद जर्मनी के राष्ट्रपति हिंडेनबर्ग ने 30 जनवरी, 1933 ई. को उसे जर्मनी वा चांसलर नियुक्त किया। हिटलर के सत्ता में आने के कुछ
ही सप्ताहों के भीतर जर्मनी में जनतंत्र का ढाँचा छिन्न-भिन्न हो गया।

(घ) सत्ता में आते ही हिटलर ने चुनाव कराने के आदेश दिए तथा आतंक का राज्य स्थापित किया। नात्सी-विरोधी नेताओं की हत्या बड़े पैमाने पर कराई गई। नात्सी लोगों ने 27 फरवरी, 1933 ई. को संसद भवन में आग लगा दी। अग्निकाण्ड के लिए जर्मनी की कम्युनिस्ट पार्टी पर दोषारोपण कर उसे कुचल दिया गया। नात्सी लोगों द्वारा आतंक फैलाने के बावजूद नात्सी दल को संसद में बहुसंख्यक स्थान नहीं मिल पाए। फिर भी, हिटलर ने तानाशाही अधिकार ग्रहण कर लिए तथा वह राष्ट्रपति भी बन गया।

श्रमिक संघों को प्रतिबन्धित कर दिया गया। हजारों समाजवादियों, कम्युनिस्टों और नात्सी-विरोधी राजनीतिक नेताओं को मंत्रणा शिविरों में भेज दिया गया। नासी लोगों ने पुस्तकों को जलाना शुरू कर दिया। उन्होंने जर्मनी एवं अन्य देशों के प्रतिष्ठित लेखकों की रचनाओं को आग के हवाले कर दिया। समाजवादियों, कम्युनिस्टों, यहूदियों को अपमानित एवं प्रताड़ित किया गया। देश में सैन्यीकरण का एक विशाल (UPBoardSolutions.com) कार्यक्रम आरम्भ किया गया। नात्सीवाद की विजय न केवल जर्मन लोगों के लिए, बल्कि सम्पूर्ण यूरोप एवं विश्व के लिए विपत्ति सिद्ध हुई। द्वितीय विश्व युद्ध को आरम्भ करने में इसकी प्रमुख भूमिका थी।

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प्रश्न 5.
जर्मन अर्थव्यवस्था पर आर्थिक मंदी का प्रभाव बताइए।
उत्तर:
आर्थिक मंदी का जर्मन अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा। इस प्रभाव को निम्न रूप में प्रकट किया जा सकता है-

  1. औद्योगिक उत्पादन 1929 ई. के मुकाबले 1932 ई. में 40 प्रतिशत तक घट गया।
  2. जैसे-जैसे मुद्रा का अवमूल्यन होता जा रहा था, मध्यवर्ग, खासतौर से वेतनभोगी कर्मचारी और पेंशनधारियों की बचत भी सिकुड़ती जा रही थी।
  3. कारोबार ठप्प हो जाने से छोटे-मोटे व्यवसायी, स्वरोजगार में लगे लोग और खुदरा व्यापारियों की हालत भी खराब होती जा रही थी।
  4. बड़ा व्यापार भी संकट में था।
  5. किसानों का एक बहुत बड़ा वर्ग कृषि उत्पादों की कीमतों में बेहिसाब गिरावट की वजह से परेशान था। महिलाएँ अपने बच्चों का पेट भर पाने में असफल हो रहीं थीं।
  6. मजदूर या तो बेरोजगार हो गए या उन्हें घटी हुई मजदूरी मिली।
  7. बेरोजगारी एक गम्भीर समस्या बन गई। बेरोजगार नौजवान या तो ताश खेलते पाए जाते थे या नुक्कड़ों पर झुंड लगाए रहते थे या फिर रोजगार दफ्तरों के बाहर लम्बी-लम्बी कतार में खड़े पाए जाते थे।

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