UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 12 Safety Saves

UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 12 Safety Saves

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Safety Saves

TRANSLATION OF THE LESSON (पाठ का हिन्दी अनुवाद)

Kunal was ……………………………………. follow it.
हिन्दी अनुवाद – कुनाले एक लापरवाह लड़का था। वह ज्यादातर काम लापवाही से करता था। उसके माता-पिता हमेशा उसे लापरवाही के लिए डाँटते रहते थे। एक सुबह, वह बहुत परेशान था क्योंकि उसे अपनी कमल नहीं मिल रही थी। उसे अंग्रेजी की परीक्षा के लिए कलम की आवश्यकता थी। उसने प्रत्येक स्थान पर उसे ढूँढा परन्तु उसे कहीं न मिली। क्योंकि विद्यालय जाने के लिए देर हो रही थी, वह बस पकड़ने के लिए सड़क पर तेज़ी से भागा । उसने एक बड़ी लाल ।

बस को बस स्टॉप से निकलते देखा। वह उसके पीछे भागा और चलती बस में कूदकर चढ़ गया। (एक बूढ़ा आदमी जो बस में बैठा था कहता है)। (UPBoardSolutions.com)
बूढ़ा आदमी : क्या तुम नहीं जानते, एक चलती बस को पकड़ने की कोशिश जानलेवा हो सकती है?
कुनाल : मैं जल्दी में हूँ। आज मेरी परीक्षा है। मैं अपनी परीक्षा को छोड़ना नहीं चाहता था।
बूढ़ा आदमी : अपने बाकी बचे जीवन को छोड़ देने से बेहतर है.एक परीक्षा छोड़ देना।
कुनाल : माफ कीजिए श्रीमान्, मैं इसे ध्यान में रखेंगा और पालन करूँगा।

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The bus ……………………………. much ma’am.
हिन्दी अनुवाद – बस में बहुत भीड़ थी। कुनाल ने अपने मित्रों को ढूंढा परन्तु वहाँ कोई नहीं था। उसने पाया कि वह गलत बस में चढ़ गया था। उसका चेहरा पीला पड़ गया। वह चलती बस से नीचे कूद गया। वह धूड़ाम से सड़क पर गिरा। पीछे से स्कूटर आ रहा था। वह उससे कुछ इंच की दूरी पर सका। स्कूटर चलाने वाली महिला चिल्लाती हुई बोली
महिला : क्या तुम अपने को चोट पहुँचाना चाहते हो? (UPBoardSolutions.com)
कुनाल : नहीं, मैडम। मुझे क्षमा कीजिए। मुझे स्कूल के लिए देर हो रही है।
महिला : इसका मतलब है कि तुम बस से कूद जाओगे? क्या तुम नहीं जानते कि चलती बस से नीचे कूदना खतरनाक है? (कुनाल ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा। उसे बुरी तरह से चोट आई थी। उसने उस महिला को सारी घटना सुनाई। उसने ध्यान से पूरी घटना सुनी ।) ।
महिला : याद रखो, ‘सुरक्षित’ होना हमेशा ‘अफसोस करने से बेहतर है।
कुनाल : अब मैं क्या करूँ, मैडम? क्या आप कृपया करके मुझे डॉक्टर के पास ले जाएंगी?
महिला : बिल्कुल! ऐसी परिस्थितियों में मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ सकती।
कुनाल : बहुत बहुत धन्यवाद आपका मैडम्।

On the way……………………………… becareless.
हिन्दी अनुवाद – रास्ते में महिला ने कुनाल को एक कविता सुनाई कभी सड़क पर मत खेलों, कभी सड़क पर मत दौड़ो, कभी समूह में मत चलो, कभी यातायात-नियमों को मत तोड़ो। कभी बस से मत कूदो, कभी चलती बस पर मत चढ़ो, कभी अपने हाथ या सिर बाहर मत निकालो, कभी मत चीखो-चिल्लाओ। यह सब करके तुम सदैव सुरक्षित रहोगे, तुम और तुम्हारे आसपास सभी सुरक्षित होंगे।

कुनाल एक सबक सीख चुका था। उसने दोबारा कभी लापरवाही न करने का वादा किया।

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EXERCISE (अभ्यास)

Comprehension Questions

Question 1.
Answer the following questlons :
Answer:
Question a.
What kind of a boy was Kunal?
Answer:
Kunal was a careless boy.

Question b.
Why did Kunal need a pen?
Answer:
Kunal needed a pen to write his English test.

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Question c.
Why is it dangerous to catch a running bus?
Answer:
It is dangerous to catch a running buz because we may trip, fall and injure ourselves . badly. It can also lead to death.

Question d.
Why did Kunal jump off the bus?
Answer:
When Kunal found out he was on the wrong bus, his face turned pale and he jumped off the bus.

Question e.
How did the woman help Kunal?
Answer:
The woman offered Kunal a lift and took him to the doctor as he was injured.

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Question f.
What lesson did Kunal learn?
Answer:
Kunal learned a lesson on road safety rules that one should follow for one’s own safety as well as everyone’s safety.

Word Power

Question 1.
Underline the silent letters in the given words:
Answer:
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Language Practice

Question 1.
Make new words by adding ‘ly’ to the following. One is done for you-
Sad + ly = sadly
Answer:

  1. loudly
  2. carelessly.
  3. badly .
  4. carefully
  5. lightly
  6. beautifully
  7. friendly
  8. weekly
  9. monthly
  10. yearly

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Question 2.
Fill in the blanks with the correct adverbs :
Answer:
a. She sings sweetly.           (sweetly/neatly)
b. She speaks clearly.         (highly/clearly)
c. He shouts loudly.           (sadly/loudly)
d. He writes neatly.             (neatly/brightly)
e. A tortoise walks slowly. (badly/slowly)

Activity
Do it yourself.

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UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 11 Kabaddi

UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 11 Kabaddi

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Kabaddi

TRANSLATION OF THE LESSON (पाठ का हिन्दी अनुवाद)

Akabaddi match……………………….Jagatpuri’s team?
हिन्दी अनुवाद – जगतपुर गाँव में कबड्डी का मैच हर शनिवार खेला जाता है। मानिक काका के घर के बाहर भीड़ इकट्ठा है। वह गाँव के ग्राम प्रधान हैं। मीना जो शहर में रहती है, अपने चचेरे भाई रवि से जगतपुर रहने आई है। रवि, उसे वहाँ ले जाता है जहाँ मैच होने वाला है।
मीना : यहाँ क्या हो रहा है?
रवि : यहाँ एक कबड्डी मैच हमारे गाँव की टीम और पड़ोसी गाँव जसरा की टीम में खेला जाएगा।
मीना : वाह! यह बहुत रोमांचक होगा।
रवि : हाँ।
मीना : क्या तुमने कभी कबड्डी खेली है?
रवि : हाँ, यह मेरा मनपसंद खेल है।
मीना : मुझे इस खेल के बारे में कुछ और बताओ। कितने खिलाड़ी कबड्डी खेलते हैं?
रवि : कबड्डी दो टीमों का खेल है जिसमें प्रत्येक में सात खिलाड़ी होते हैं।
मीना : ठीक है।
रवि : एक टीम आक्रमण पक्ष की बन जाती है और दूसरी टीम बचाव पक्ष की। वे एक दूसरे के साथ प्रतियोगिता करते हैं और सहयोग भाव बनाए रखते हैं।
मीना : देखो। टीमें आ गई हैं।
रवि : हर टीम कोर्ट के अपने आधे भाग पर है। खेल आरम्भ होने वाला है।
मीना : जगतपुर की टीम कौनसी है?

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“Our team is ………………………………. my friends.
हिन्दी अनुवाद –
रवि : हमारी टीम कोर्ट के बाई तरफ के आधे भाग पर है। (खेल आरम्भ होता है। जगतपुर टीम का एक खिलाड़ी विरोधी टीम की तरफ जाता है।)
मीना : वह क्या अलाप रहा है?
रवि : वह आक्रमणकारी है। अपनी साँस रोक कर वह अलाप रहा है ‘कबड्डी’, ‘कबड्डी’, ‘कबड्डी’……..
मीना : वह क्या कर रही है?
रवि : वह विरोधी टीम के खिलाड़ियों को छूने का प्रयत्न कर रहा है। अगर वह विरोधी टीम के किसी खिलाड़ी को छूता है और अपने कोर्ट में वापस आ जाता है, बिना बचाव पक्ष के खिलाड़ियों के द्वारा पकड़े जाने से, उसे एक अंक मिलेगा।
मीना : अगर वह विरोधी खिलाड़ियों को छूने में असफल रहता है तो क्या होगा?
रवि : उसे कोई अंक नहीं मिलेगा। अगर विरोधी टीम उसे पकड़ लेती है, वह आउट हो जाएगा।
मीना : यह खेल कब समाप्त होगा।
रवि : दो अर्द्ध के बीच में पाँच मिनट के विलम्ब से यह खेल 40 मिनट तक खेला जाएगा। (मैच सुविधापूर्वक चला। जगतपुर टीम ने मैच जीत लिया।)
मीना : मुझे यहाँ लाने का धन्यवाद। यह एक अद्भुत अनुभव था। मैं अवश्य ही इसे अपने दोस्तों के साथ बाँटूगी।

EXERCISE (अभ्यास)

Comprehension Questions

Question 1.
Answer the following questions :
Answer:
Question a.
Which game was being played in Jagatpur village?
Answer:
A kabaddi match was being played in Jagatpur village.

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Question b.
How many players are there in each team of kabaddi?
Answer:
In a game of kabaddi, two teams having seven players each play.

Question c.
Do you prefer being a raider or a defender. Why?
Answer:
I prefer being a raider because it is so much exciting to go towards the defenders and move out swiftly to each a point for my team.

Question d.
Is it essential for a raider to chant ‘Kabaddi’, ‘Kabaddi’, ‘Kabaddi’,…….?
Answer:
Yes, it is essential in the game of kabaddi for a raider to chant ‘Kabaddi’, ‘Kabaddi’, Kabaddi’,……. He should chant it contineously till he comes back to his team’s half.

Question e.
What is the duration of a Kabaddi match?
Answer:
A kabaddi match is played for 40 minutes with a break of five minutes between two halves.

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Question 2.
Write ‘T’ for true and ‘F’ for false statements:
Answer:
a. A kabaddi match is held in Shantipur village every Saturday.    –   (F)
b. Manik kaka is the principal of the village.   –   (F)
c. There are eleven players in each team.   –  (F)
d. Meena lives in the city.   –   (T)
e. The kabaddi match was played between Jagatpur and Jasra village.   –  (T)

Word Power

Question 1.
Fill in the blanks with the words given in the balls:
Answer:
a. He gathered his toys together.
b. Virat Kohli is my favourite cricketer.
c. I am too weak to compete with you.
d. The crowd cheered when he caught the ball.
e. Good team spirit is must to win the match.

Language Practice

Question 1.
Divide each of the following sentences into subject and predicate :
Answer:
UP Board Solutions for Class 6 English Chapter 11 Kabaddi img-1

Let’s Know More
Do it yourself.

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Activity
Do it yourself.

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UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 21 रोगी का बिस्तर

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 21 रोगी का बिस्तर

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 21 रोगी का बिस्तर.

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
रोगी के बिस्तर के लिए आवश्यक वस्तुओं की सूची बनाइए। रोगी का बिस्तर लगाते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगी?
उत्तर:
रोगी के बिस्तर के लिए आवश्यक वस्तुएँ . रोगी को आरामदायक बिस्तर उपलब्ध कराने के लिए निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है

  1.  पलंग: भली-भाँति कसा हुआ बान, निवाड़ अथवा स्प्रिंगदार पलंग लगभग हर दृष्टिकोण से उपयुक्त रहता है।
  2.  दरी: सबसे नीचे बिछाने के लिए मोटी दरी अथवा टाट।
  3.  गद्दा: लगभग 6-7 सेन्टीमीटर मोटा मंजबूत गद्दा।
  4.  चादर: दो या तीन सफेद व स्वच्छ चादर।
  5. ड्रॉ: शीट-मोमजामे के टुकड़े के नाप की छोटी चादर।
  6.  मोमजामे का टुकड़ा: चादर से लगभग आधी नाप का।
  7.  ओढ़ने का सामान:  मौसम के अनुसार भारी अथवा हल्का कम्बल अथवा लिहाफ।
  8.  तकिया: मुलायम रुई या हवा वाले दो तकिए।

रोगी का बिस्तर लगाते समय ध्यान देने योग्य बातें

रोगी का बिस्तर लगाते समय आवश्यक वस्तुओं का उपयोग विधिपूर्वक करना अधिक उपयुक्त रहता है। यह कार्य निम्नलिखित चरणों में किया जाता है

  1. सर्वप्रथम दरी बिछाई जाती है। दरी को पलंग की चूल व पाटी आदि के साथ बाँध देना चाहिए ताकि बिछाए जाने के पश्चात् बिस्तर फिसलने न पाए।
  2.  दरी बिछाने के पश्चात् उस पर गद्दा बिछाना चाहिए।
  3.  गद्दे के ऊपर चादर बिछायें। चादर को चारों ओर से मोड़कर गद्दे के नीचे दबा देना उचित रहता है। इसके लिए पहले सिरहाने की ओर से तथा फिर पैरों की ओर तथा सबसे अन्त में लम्बाई की ओर से सलवटें निकाल देनी चाहिए।
  4. अब चादर पर मोमजामे का टुकड़ा बिछाया जाता है। यह चौड़ाई में चादर को लगभग आधा होता है। तथा लम्बाई में तकिए के सिरे से रोगी के घुटनों तक होता है। यह बिस्तर को गीला नहीं होने देता।
  5. रोगी को गीलेपन से बचाने तथा स्वच्छ स्थिति में रखने के लिए ड्रॉ-शीट का प्रयोग किया जाता है। यह चादर व गद्दे को भी सुरक्षित रखती है। इस छोटी चादर को इस (UPBoardSolutions.com) प्रकार बिछाया जाता है कि मोमजामा पूर्ण रूप से ढक जाए। मोमजामे में और ड्रॉ-शीट में सलवटें नहीं रहनी चाहिए।
  6. ऊपर की चादर इस प्रकार बिछाए कि यह बिस्तर को पूर्णरूप से ढक ले। इसे चारों ओर से लिफाफे के कोनों की तरह मोड़ देना चाहिए।
  7. मौसम के अनुसार ओढ़ने के लिए जो भी चादर, कम्बल अथवा लिहाफ हो उसे रोगी के पैरों की तरफ भली-भाँति तह बनाकर रखना चाहिए। |
  8. यदि ओढ़ने के लिए कम्बल देना है, तो चादर के ऊपर कम्बल को इस प्रकार लगाना चाहिए कि चादर सिरहाने की ओर कम-से-कम 15-20 सेन्टीमीटर बाहर निकली रहे। अब इसको कम्बल के ऊपर मोड़ देना उपयुक्त रहेगा। इस प्रकार की व्यवस्था से कम्बल रोगी को चुभेगा नहीं तथा कम्बल के इस भाग को गन्दा होने से बचाया जा सकेगा।
  9.  सिरहाने के लिए मुलायम व आरामदायक तकिया लगा देना चाहिए।

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प्रश्न 2:
रोगी का बिस्तर कितने प्रकार का हो सकता है? बिस्तर लगाने की विधि का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोगी के विभिन्न प्रकार के बिस्तर–अलग-अलग प्रकार के रोगियों के लिए अलग प्रकार के बिस्तर प्रयोग किए जाते हैं। ये प्रायः निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

  1. साधारण बिस्तर,
  2.  विशेष बिस्तर,
  3.  ऑपरेशन का बिस्तर,
  4. अस्थि-भंग का बिस्तर,
  5. जले का बिस्तर,
  6. कम्बल का बिस्तर।

विभिन्न प्रकार के बिस्तर लगाना

बिस्तर लगाते समय रोगी के आराम व सुविधाओं का अधिकाधिक ध्यान रखना चाहिए। भिन्न-भिन्न रोगियों के लिए उनकी सुविधा एवं दशा के दृष्टिकोण से निम्न प्रकार के बिस्तर लगाना उपयुक्त रहता है

(1) साधारण बिस्तर:
बिस्तर लगाने से पूर्व निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1.  पलंग की निवाड़, स्प्रिंग आदि ठीक प्रकार कसी हों,
  2.  पलंग दीवार से इतनी दूरी पर हो कि परिचारिका को उसके चारों ओर पर्याप्त स्थान मिल सके तथा
  3. रोगी को तीव्र वायु अथवा धूप न लगे।

पलंग पर पहले दरी बिछाई जाती है। ध्यान रहे कि दरी में सलवटें न हों। सिकुड़ने से बचाने के लिए दरी को पलंग के साथ बाँध देना चाहिए। अब गद्दा बिछाया जाता है। गद्दे के ऊपर सफेद चादर बिछाते समय सलवटों को दूर किया जाता है। चादर को गद्दे के चारों ओर दबा देना चाहिए। मौसम के अनुसार लिहाफ, कम्बल या चादर को ओढ़ने के प्रयोग में लाया जाता है। इन्हें भली प्रकार से तह बनाकर पलंग पर रोगी के पैरों की ओर रख दिया जाता है। सिर के नीचे एक मुलायम तकिया रख दिया जाता है और अन्त में रोगी को लिटाकर उसे छाती तक आवश्यक कपड़े से ढक देते हैं। ओढ़ने वाले कपड़े को तीनों ओर से गद्दे के नीचे दबा देना उपयुक्त रहता है ताकि अनजाने में रोगी के इधर-उधर होने से यह सिकुड़ने न पाए।

(2) विशेष बिस्तर:
यदि रोगी ठीक प्रकार से उठ-बैठ नहीं सकता तो उसके लिए विशेष बिस्तर लगाना सुविधाजनक रहता है। इस प्रकार के बिस्तर में सामान्य बिस्तर के अतिरिक्त रबर-शीट तथा ड्रॉ-शीट लगाई जाती है। रबर-शीट के स्थान पर मोमजामा या रैक्सीन भी लगाई जा सकती है। यह रोगी की कमर से (UPBoardSolutions.com) घुटने तक की लम्बाई की होती है। पहले रबर-शीट लगाकर फिर उसके ऊपर ड्रॉ-शीट (छोटी चादर) बिछाई जाती है। रबर-शीट व ड्रॉ-शीट की सलवटें निकालकर चौड़ाई में दोनों ओर गद्दे के नीचे दबा देनी होती है ताकि यह फिर से सिकुड़ने न पाए।

(3) ऑपरेशन का बिस्तर:
ऑपरेशन अथवा शल्य-क्रिया वाले रोगी का बिस्तर भी विशेष बिस्तर की ही तरह होता है। इसमें एक तौलिया तथा एक रबर-शीट अथवा मोमजामे का टुकड़ा अलग से रखी जाता है, जिससे कि रोगी के वमन करने से अथवा दूध व चाय आदि के फैलने पर ब्रिस्तर गन्दा न होने के पाए। रोगी के बिस्तर के नीचे चिलमची तथा मल-मूत्र विसर्जन पात्र भी रखे जाते हैं।

(4) अस्थि-भंग का बिस्तर:
हड्डी टूटने पर प्रायः रोगी को एक लम्बी अवधि तक बिस्तर पर लेटना पड़ता है। अतः उसे एक-सा चौरस बिस्तर चाहिए। मेरुदण्ड अथवा कूल्हे की हड्डी टूटने पर रोगी सीधा नहीं लेट पाता तथा पैर की हड्डी टूटने पर रोगी को पैर कुछ ऊँचा उठाकर रखना होता है। ऐसी अवस्था में फ़ैक्चर बोर्ड अथवा बैड-कैडिल की आवश्यकता पड़ती है। ये प्रायः 2.5 सेमी मोटे, 30 सेमी चौड़े तथा एक मीटर लम्बे होते हैं। इनका उपयोग घायल के टूटे अंगों पर वस्त्रों के भार को रोकने के लिए किया जाता है।

(5) जले का बिस्तर:
यह भी एक प्रकार से विशेष बिस्तर ही होता है। जले हुए स्थान पर अक्सर न तो पट्टी ही बाँधी जाती है और न ही इसे कपड़े से ढकना सरल होता है। जले हुए स्थान से प्रायः पानी स्रावित होता रहता है; अतः इसके लिए विशेष व्यवस्था की आवश्यकता होती है। बिस्तर पर रबर-शीट या मोमजामे (UPBoardSolutions.com) काटुकड़ा बिछाकर उसे ड्रॉ-शीट से ढक दिया जाता है। जले हुए स्थान के ऊपर बैड-कैडिल का उपयोग कर इसे महीन कपड़े अथवा कम्बल इत्यादि से मौसम के अनुसार ढक दिया जाता है।

(6) कम्बल का बिस्तर:
कुछ विशेष प्रकार के रोगियों के लिए कम्बलों के बिस्तर की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए-हृदय रोग तथा गठिया आदि से पीड़ित व्यक्ति। ऐसा इसलिए आवश्यक होता है कि रोगी को पूरी तरह से गर्म रखना होता है। इस प्रकार के बिस्तर में गद्दे बिछाने तक की क्रिया एक सामान्य बिस्तर की तरह होती है। इसमें गद्दे के ऊपर एक अथवा दो कम्बल बिछाए जाते हैं। ओढ़ने के लिए रोगी को कम्बल ही दिया जाता है।

प्रश्न 3:
रोगी के बिस्तर की चादर बदलने की विधि का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रोगी के बिस्तर की चादर बदलना

प्रत्येक प्रकार के बिस्तर का बाह्य अथवा ऊपरी आवरण चादर होती है; अत: बिस्तर की स्वच्छता बनाए रखने के लिए नियमित रूप से चादर बदलते रहना अति आवश्यक है। (UPBoardSolutions.com) यह कार्य रोगी की अवस्था एवं सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए सतर्कता एवं विधिपूर्वक करना होता है। यदि रोगी बिस्तर से उठने में असमर्थ हो, तो उसके बिस्तर की चादर बदलने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया को अपनाना चाहिए
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 21 रोगी का बिस्तर

  1.  चादर बदलने के लिए दो परिचारिकाओं का होना अधिक सुविधाजनक रहता है।
  2.  सर्वप्रथम एक स्वच्छ सफेद चादर को उसकी लम्बाई के आधे भाग में लपेटकर पास की मेज । पर रख दें।
  3. रोगी के ऊपर केवल चादर छोड़कर बिस्तर के शेष कपड़े हटाकर धूप में रख देने चाहिए।
  4. एक परिचारिका को रोगी के ऊपर झुककर अपने हाथ उसकी कमर व पुट्ठों के पीछे रखकर उसे धीरे से अपनी ओर करवट दिलानी चाहिए। दूसरी परिचारिका इस बीच रोगी को सावधानीपूर्वक ढके रखे तथा सँभाले रहे।
  5. अब बिस्तर पर बिछी चादर को धीरे से लपेटकर रोगी की पीठ के पास ले जाना चाहिए। पुरानी चादर के रिक्त स्थान पर मेज पर तह की हुई चादर बिछाए।
  6.  उपर्युक्त विधि के अनुसार रोगी को दूसरी ओर करवट दिलाए। अब पुरानी चादर के शेष भाग को हटाकर नई चादर को पूरी तरह बिछा दें।
  7. अब नई चादर को चारों ओर से सावधानीपूर्वक थोड़ा खींचकर उसकी सलवटें हटा दें और नीचे लटकने वाले भाग को गद्दे के नीचे अच्छी प्रकार से दबा दें।
  8. इसी प्रकार रबर-शीट एवं ड्रॉ-शीट (छोटी चादर) को लगाना चाहिए। रोगी को धीरे-धीरे साफ बिस्तर की ओर करवट बदलवा देनी चाहिए।
  9. अब दूसरी ओर जाकर पुराने कपड़ों को निकाल देना चाहिए। रबर-शीट एवं ड्रॉ-शीट की शेष तहों को खोलकर फैला देना चाहिए। पूर्व तरह से नीचे लटकते हुए भागों को चारों ओर से मोड़कर दबा देना चाहिए।
  10. सबसे बाद में ऊपर की चादर एवं कम्बल को बदलना चाहिए।

उपर्युक्त प्रक्रिया उन रोगियों के लिए है जो कि ठीक प्रकार से उठ-बैठ नहीं सकते। अन्य उठने व चलने योग्य रोगियों के बिस्तर की चादर बदलने का कार्य एक ही परिचारिका सरलतापूर्वक कर सकती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
रोगी के बिस्तर की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रोगी के बिस्तर की मुख्य विशेषताएँ

रुग्णावस्था में प्रायः व्यक्ति को एक लम्बी अवधि बिस्तर पर लेटकर व्यतीत करनी पड़ती है; अतः रोगी के लिए बिस्तर का अत्यधिक महत्त्व होता है। एक अच्छे एवं उपयुक्त बिस्तर की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित होनी चाहिए|

(1) रोग के अनुकूल बिस्तर:
रोग के अनुकूल बिस्तर से रोगी को अधिक सुविधाएँ एवं आराम मिलता है। उदाहरण के लिए-गठिया एवं हृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए कम्बलों का बिस्तर अधिक उपयुक्त रहता है।

(2) स्वच्छ बिस्तर:
साफ-सुथरा एवं स्वच्छ बिस्तर हर प्रकार के रोगी के लिए लाभदायक रहता। है। बिस्तर की अधिकांश वस्तुएँ; जैसे-दरी, चादर व तकिए के गिलाफ आदि सूती कपड़े के होने चाहिए ताकि उन्हें अच्छी प्रकार गर्म पानी से धोकर साफ किया जा सके। रोगी के बिस्तर को प्रतिदिन तीव्र धूप में सुखाना (UPBoardSolutions.com) चाहिए। ऐसा करने से खटमल आदि के होने का भय नहीं रहता है तथा अनेक प्रकार के अन्य कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार स्वच्छ एवं कीटाणुरहित बिस्तर शीघ्र स्वास्थ्य प्राप्त करने में रोगी की सहायता करता है।

(3) आरामदायक बिस्तर:
सलवटरहित कोमल बिस्तर रोगी को पर्याप्त आराम देता है; अतः समय-समय पर रोगी के बिस्तर से सलवटें दूर करते रहना चाहिए।

(4) ऋतु के अनुकूल बिस्तर:
ग्रीष्म ऋतु में रोगी को ओढ़ने के लिए महीन सूती चादर तथा शीत ऋतु में कम्बल अथवा लिहाफ देना सुविधाजनक रहता है।

(5) प्रकाशएवं वायु की उचित व्यवस्था:
रोगी का बिस्तर कमरे में ऐसी स्थिति में होना चाहिए कि प्रकाश एवं वायु उस पर सीधे न आएँ। ऐसा न होने पर रोगी कष्ट एवं बेचैनी का अनुभव कर सकता है।

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प्रश्न 2:
शय्या घाव से आप क्या समझती हैं? शय्या घाव के कारणों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
शय्या घाव तथा उनके कारण यदि कोई व्यक्ति किसी गम्भीर रोग अथवा दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण लम्बे समय तक बिस्तर पर लेटा रहता है तथा सामान्य रूप से (UPBoardSolutions.com) करवट भी नहीं बदल पाता तो उस स्थिति में व्यक्ति के शरीर के कुछ भागों में एक विशेष प्रकार के घाव हो जाते हैं। इस प्रकार के घावों को शय्या घाव (bed sore) कहते हैं। शय्या घाव हो जाने के मुख्य कारण निम्नलिखित होते हैं

(1) सलवटों वाला बिस्तर:
रोगी के बिस्तर की सलवटों की चुभन व रगड़ के कारण इस प्रकार के घाव बन जाया करते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 21 रोगी का बिस्तर

(2) बिस्तर की नमी-रोगी के हाथ:
मुँह धुलाते समय अथवा स्पंज कराते समय कई बार बिस्तर नम हो जाता है। पसीने से भी बिस्तर में नमी आ सकती है। ऐसे बिस्तर का उपयोग प्रायः रोगी को शय्या घाव अथवा शय्या-क्षत का शिकार बना देता है।

(3) अन्य कारण:
रोगी को मधुमेह रोग होना तथा पीठ के छिलने पर असावधानी करना आदि अन्य ऐसे कारण हैं जो कि शय्या घाव को बढ़ा देते हैं।

प्रश्न 3:
शय्या घाव के बचाव एवं उपचार के उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
शय्या घाव का बचाव एवं उपचार जहाँ तक हो सके इस बात का प्रयास करना चाहिए कि रोगी को शय्या घाव होने ही न पाएँ। इसके लिए रोगी को समय-समय पर करवट बदलवाते रहना चाहिए, शरीर को साफ एवं सूखा रखें तथा नित्य प्रति कोई अच्छा पाउडर लगाते रहें। इन साधारण (UPBoardSolutions.com) सावधानियों के अतिरिक्त अब शय्या के बचाव के लिए हवा तथा पानी वाले गद्दे भी तैयार कर लिए गए हैं। इन गद्दों के इस्तेमाल से रोगी को शय्या घाव से बचाया जा सकता है। परन्तु यदि दुर्भाग्यवश रोगी को शय्या घाव हो जाएँ तो निम्नलिखित उपचार किए जाने चाहिए

  1.  साबुन के झाग बनाकर शय्या घाव के स्थान पर धीरे-धीरे मलकर स्वच्छ पानी से धोने पर रोगी को काफी आराम मिलता है।
  2.  साबुन के झाग से साफ करने के पश्चात् शय्या घाव के स्थान को स्प्रिट से साफ कर जिंक अथवा बोरिक पाउडर लगाने पर शय्या घाव धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं।
  3. शय्या घाव के अधिक फैलने पर प्रभावित स्थान पर साइकिल के ट्यूब के आकार के रबर के घेरे अथवा रिंग कुशन का प्रयोग करना चाहिए। इससे घाव बिस्तर से रगड़ नहीं खाता तथा इसे उपर्युक्त उपचारों द्वारा ठीक किया जा सकता है।
  4.  शय्या घाव के उपचार के लिए अनेक बार शल्य-क्रिया भी की जाती है। इससे संक्रमण को नियन्त्रित किया जाता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
रोगी के लिए बिस्तर का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
रुग्णावस्था की अवधि को आराम एवं सुविधापूर्वक व्यतीत करने के लिए रोगी को एक उपयुक्त बिस्तर की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 2:
ड्रॉ-शीट से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यह सामान्य चादर से लगभग आधे आकार की सफेद चादर होती है जिसे रबर-शीट के ऊपर बिछाया जाता है। इसको बिछाने से पूरा बिस्तर गन्दा या गीला होने से बच जाता है।

प्रश्न 3:
रोगी के बिस्तर में गद्दे का क्या उपयोग है?
उत्तर:
गद्दे का प्रयोग प्रायः रोगी के बिस्तर को कोमल तथा आरामदायक बनाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 4:
रबर-शीट अथवा मोमजामे के प्रयोग से क्या लाभ है?
उत्तर:
मुख्य बिस्तर को गीला व गन्दा होने से बचाने के लिए रोगी के बिस्तर में रबर-शीट अथवा मोमजामे का टुकड़ा लगाया जाता है।

प्रश्न 5:
बैड-क्रैडिल का प्रयोग कब किया जाता है?
उत्तर:
बैड-क्रैडिल का प्रयोग रोगी के जलने अथवा अस्थि-भंग होने की अवस्था में किया जाता है।

प्रश्न 6:
गठिया अथवा हृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए किस प्रकार का बिस्तर उपयुक्त रहता है?
उत्तर:
गठिया अथवा हृदय रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए कम्बलों का बिस्तर उपयुक्त रहता है।

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प्रश्न 7:
ठीक प्रकार से उठ-बैठ न सकने वाले रोगी के बिस्तर की चादर बदलने में कितने व्यक्तियों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
इस प्रकार के रोगियों के बिस्तर की चादर बदलते समय दो व्यक्तियों का होना सुविधाजनक रहता है।

प्रश्न 8:
रोगी के बिस्तर पर सूती चादर क्यों बिछाते हैं?
उत्तर:
क्योंकि सूती चादर रोगी को पसीना सोख लेती है तथा इसे खौलते पानी में धोकर सहज ही नि:संक्रमित किया जा सकता है।

प्रश्न 9:
रोगी के बिस्तर के लिए कौन-कौन सी आवश्यक सामग्री चाहिए?
उत्तर:
रोगी को आरामदायक बिस्तर उपलब्ध कराने के लिए एक पलंग, दरी, गद्दा, चादर, ड्रॉशीट, एक मोमज़ामे का टुकड़ा, ओढ़ने की उपयुक्त सामग्री एवं तकिए आदि की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 10:
शव्या घाव वाले रोगी के बिस्तर पर क्या बिछाना उपयुक्त है ताकि इससे लाभ हो सके?
उत्तर:
भेड़ की खाल बिछाने से शय्या घाव में लाभ होता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) कम्बलों का बिस्तर किस रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है?
(क) शय्या-क्षत,
(ख) गठिया,
(ग) शल्य-क्रिया,
(घ) अस्थि भंग।

(2) बैड-क्रैडिल का प्रयोग करते हैं
(क) गठिया के रोगी के लिए,
(ख) शय्या घाव के रोगी के लिए,
(ग) दमे के रोगी के लिए,
(घ) जले के रोगी के लिए।

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(3) ड्रॉ-शीट होती है
(क) एक छोटी सूती चादर,
(ख) मोमजामे का टुकड़ा,
(ग) रैक्सीन का टुकड़ा,
(घ) एक छोटा कम्बल।

(4) रोगी के बिस्तर पर रबड़शीट का प्रयोग किया जाता है
(क) बिस्तर को ठण्डा रखने के लिए,
(ख) बिस्तर को रोगी के मल-मूत्र से सुरक्षित रखने के लिए,
(ग) बिस्तर को सुन्दर बनाने के लिए,
(घ) रोगी को शय्या-घाव से बचाने के लिए।

(5) ठीक से उठ-बैठ न सकने वाले रोगी को चाहिए
(क) सामान्य बिस्तर,
(ख) कम्बलों का बिस्तर,
(ग) विशेष बिस्तर,
(घ) सलवटयुक्त बिस्तर।

(6) शय्या घाव होते हैं
(क) एक साधारण रोग के कारण,
(ख) दोषपूर्ण बिस्तर के कारण,
(ग) निरन्तर करवट बदले बिना लम्बे समय तक बिस्तर पर लेटे रहने के कारा,
(घ) इन सभी कारणों से।

(7) शय्या-क्षत का उपचार है
(क) सेंक करना,
(ख) रिंग कुशन लगाना,
(ग) बर्फ लगाना,
(घ) कुछ नहीं करना।

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(8) गम्भीर रोगी के बिस्तर पर हवा का गद्दा इस्तेमाल करके उसे बचाया जा सकता है
(क) संक्रमण से,
(ख) रोग की गम्भीरता से,
(ग) शय्या घाव से,
(घ) थकान से।

उत्तर:
(1) (ख) गठिया,
(2) (घ) जले के रोगी के लिए,
(3) (क) एक छोटी सूती चादर,
(4) (ख) बिस्तर को रोगी के मल-मूत्र से सुरक्षित रखने के लिए,
(5) (ग) विशेष बिस्तर,
(6) (ग) निरन्तर करवट बदले बिना लम्बे समय तक बिस्तर पर लेटे रहने के कारण,
(7) (ख) रिंग कुशन लगाना,
(8) (ग) शय्या घाव से।

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UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 20 रोगी का कमरा एवं उसकी व्यवस्था

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 20 रोगी का कमरा एवं उसकी व्यवस्था

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 20 रोगी का कमरा एवं उसकी व्यवस्था.

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
रोगी के कमरे का चुनाव करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
या
रोगी के कमरे का चुनाव करते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगी?रोगी के कमरे के आवश्यक सामानों की सूची बनाइए।
उत्तर:
रोगी के कमरे का चयन

रोगग्रस्त व्यक्ति को अधिकांश समय विश्राम करना अनिवार्य होता है; अतः उसके लिए अलग से कमरे की व्यवस्था की जानी चाहिए। रोगी का कमरे का वातावरण शान्त होना चाहिए तथा उसमें किसी प्रकार की गन्दगी नहीं होनी चाहिए। रोगी के कमरे में सूर्य के प्रकाश तथा वायु के पारगमन की (UPBoardSolutions.com) समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। रोगी के लिए कमरे का चुनाव करते समय मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए

  1.  रोगी का कमरा पर्याप्त बड़ा होना चाहिए। सामान्यतः रोगी का कमरा 450-500 घन मीटर स्थान वाला होना आवश्यक है। इस आकार के कमरे में रोगी को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सकती है।
  2.  रोगी का कमरा मुख्य द्वार तथा सड़क से दूर मकान के पीछे की ओर होना चाहिए। इस प्रकार को कमरा शान्त एवं आरामदायक रहता है तथा सड़क से उठने वाली धूल से सुरक्षित रहता है।
  3.  रोगी के कमरे में खिड़कियाँ, रोशनदान व दरवाजे आदि इस प्रकार होने चाहिए कि वायु का संवातन भली-भाँति बना रहे।
  4. खिड़कियों तथा रोशनदान से सूर्य का प्रकाश आते रहना चाहिए जिससे कि रोगाणुओं के पनपने की आशंका न रहे। स्वच्छ वायु एवं सूर्य का प्रकाश रोगी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ में सहायता करते हैं। दार किवाड़ होना अति आवश्यक है। इनसे मक्खियाँ, मच्छर व वायु में उड़ने वाले अन्य कीड़े कमरे में प्रवेश नहीं कर पाते।
  5.  रोगी का कमरा रसोईघर व अन्य शयन-कक्षों से दूर होना चाहिए।
  6. रोगी का कमरा स्नानगृह तथा शौचालय के पास होना चाहिए ताकि रोगी को स्नान करने व शौच जाने के लिए अधिक दूर न जाना पड़े।
  7.  रोगी के कमरे के बाहर बरामदा होने पर वह इसका उपयोग टहलने तथा खुली वायु में बैठने के लिए कर सकता है। वैसे भी बरामदा होने पर कमरे के अन्दर का वातावरण अधिक उपयुक्त रह संकता है तथा धूल इत्यादि भी कमरे में प्रवेश नहीं करेगी।
  8.  रोगी के कमरे में अन्धकार, दुर्गन्ध, सीलन तथा नमी आदि नहीं रहनी चाहिए, क्योंकि इनकी उपस्थिति में रोगाणु आसानी से पनपते हैं।
  9.  रोगी के कमरे का फर्श पक्का व साफ-सुथरा होना चाहिए। पक्के फर्श को सहज ही कीटाणुनाशक घोल द्वारा धोया जा सकता है। कमरे में पानी के (UPBoardSolutions.com) निकास के लिए नालियों का होना भी आवश्यक है।
  10.  रोगी के कमरे का चयन करते समय मौसम का ध्यान रखना भी आवश्यक है। ग्रीष्म ऋतु में रोगी का कमरा ऐसा होना चाहिए कि यह अधिक गर्म न होता हो, जबकि शरद् ऋतु में गर्म रहने वाला कमरा उपयुक्त रहता है।
  11.  रोगी के कमरे से संलग्न एक छोटे कमरे का होना अच्छा रहता है। इस कमरे को परिचारिका प्रयोग में ला सकती है तथा सहज ही रोगी की परिचर्या कर सकती है। इसके अतिरिक्त इस कमरे में रोगी के उपयोग में आने वाली वस्तुओं को रखा जा सकता है।
  12. रोगी के कमरे की दीवारें स्वच्छ एवं चूने से पुती होनी चाहिए। दीवारों पर रोगी की रुचि के अनुसार चित्र व अन्य सज्जा-सामग्री की व्यवस्था होनी चाहिए।

रोगी के कमरे के सामान की सूची

रोगी की आवश्यकताओं एवं सुविधाओं की पूर्ति के लिए निम्नलिखित सामग्री होनी आवश्यक है

  1.  कसी हुई चारपाई अथवा स्प्रिंगदार पलंग।
  2.  दो छोटी मेज व दो कुर्सियाँ।
  3. दो स्टूल।
  4. भोज्य पदार्थों व औषधियों आदि को रखने के लिए एक जालीदार छोटी अलमारी।
  5.  वस्त्र, तौलिए आदि रखने के लिए एक अन्य अलमारी।
  6. विशेष उपयोग के पात्र; जैसे—मल-मूत्र विसर्जन पात्र, बाल्टी व कूड़ेदान आदि।
  7. मनोरंजन के लिए पत्रिकाए, ट्रांजिस्टर व टी० बी० आदि।
  8.  थर्मामीटर व ताप तथा नाड़ी के लिए चार्ट।
  9.  गिलास, प्याला, चम्मच, चाकू व प्लेट आदि।
  10.  दीवारों के लिए सुन्दर व आकर्षक चित्र एवं मेज के लिए फूलदान।
  11.  साबुन, पेस्ट, डिटॉल, फिनाइल व फिनिट आदि।
  12. थूकने, वमन करने, पेस्ट करने व हाथ धुलाने के लिए चिलमची।

लघु उत्तरीय प्रश्न

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प्रश्न 1:
रोगी व्यक्ति के लिए अलग कमरे की व्यवस्था क्यों की जाती है?
उत्तर:
स्वास्थ्य विज्ञान की सैद्धान्तिक मान्यता है कि रोगी व्यक्ति को सामान्य रूप से अलग कमरे में ही रखा जाना चाहिए। विभिन्न कारणों से रोगी के लिए अलग कमरे की व्यवस्था को आवश्यक माना। जाता है। वास्तव में इस व्यवस्था से जहाँ एक ओर रोगी को लाभ होता है, वहीं दूसरी ओर परिवार के अन्य सदस्यों के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी इसे आवश्यक माना जाता है। रोगी व्यक्ति प्रायः काफी दुर्बल हो जाता है तथा उसे अतिरिक्त विश्राम की आवश्यकता होती है। उसके सोने-जागने का समय भी अनिश्चित हो जाता है। (UPBoardSolutions.com) इस स्थिति में उसे शान्त एवं एकान्त वातावरण की आवश्यकता होती है। इस उद्देश्य से रोगी को अलग कमरे में रखना ही उचित माना जाता है। रोगी के लिए यदि अलग कमरे की व्यवस्था हो जाती है तो उसकी आवश्यकता की समस्त वस्तुओं को वहीं रखा जा सकता है। रोगी के लिए अलग कमरे की व्यवस्था होने की स्थिति में परिवार के अन्य सदस्य भी लाभान्वित होते हैं। इस स्थिति में परिवार के अन्य सदस्य रोग के संक्रमण से कुछ हद तक बच सकते हैं।

प्रश्न 2:
रोगी के कमरे में सफाई की व्यवस्था आप किस प्रकार करेंगी?
उत्तर:
उत्तम स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य लाभ के लिए स्वच्छ वातावरण का होना अति आवश्यक है। गन्दगी सदैव रोगाणुओं को पनपने का अवसर प्रदान करती है; अतः रोगी के कमरे की नियमित सफाई अति आवश्यक है। यह निम्नलिखित प्रकार से की जानी चाहिए

  1.  फर्श की सफाई प्रतिदिन फिनाइल के घोल से की जानी चाहिए। फिनाइल का घोल कीटाणुओं को नष्ट कर देता है।
  2. कमरे की दीवारों से मकड़ी के जाले साफ करें तथा दिन में एक बार कीटनाशक (फ्लिट, बेगौन स्प्रे आदि) का प्रयोग करना चाहिए ताकि रोगी के कमरे में मक्खियाँ व मच्छर न रहें।
  3. रोगी के कमरे के परदे, बैड कवर व अन्य सूती वस्त्रों को खौलते पानी से धोने से वे साफ व कीटाणुरहित हो जाते हैं। कृत्रिम धागों से बने वस्त्रों तथा ऊनी वस्त्रों की शुष्क धुलाई कराएँ।
  4. रोगी के बर्तन, चिलमची वे पीकदान आदि की सफाई के लिए नि:संक्रामकं घोल का प्रयोग करें।
  5. फूलदान आदि में ताजे पुष्प लगाएँ और यदि सम्भव हो, तो दीवारों पर लगे चित्रों को भी बदल दें। स्वच्छ एवं सुसज्जित कमरा रोगी को मानसिक सुख एवं सन्तोष प्रदान करता है।

प्रश्न 3:
रोगी के कमरे में सूर्य का प्रकाश आना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
रोगी के कमरे में दिन में कुछ समय के लिए धूप का आना अत्यावश्यक है, क्योंकि

  1.  सूर्य का प्रकाश कमरे के अन्धकार वे नमी को दूर करता है; अत: रोगाणुओं के पनपने की आशंका कम हो जाती है।
  2. सूर्य का प्रकाश कीटाणुनाशक की तरह कार्य करता है तथा अनेक प्रकार के रोगाणुओं को नष्ट । कर देता है।
  3.  सूर्य के प्रकाश से हमारे शरीर में विटामिन ‘डी’ का निर्माण होता है; अतः धूप की उपस्थिति रोगी के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से लाभदायक रहती है। यद्यपि सूर्य के प्रकाश में रोगी को उपर्युक्त लाभ होते हैं, परन्तु तीव्र व चकाचौंध करने वाला प्रकाश रोगी की बेचैनी बढ़ा सकता है (UPBoardSolutions.com) तथा उसके आराम में व्यवधान उत्पन्न कर सकता है। अतः आवश्यक एवं व्यवस्थित प्रकाश के लिए रोगी के कमरे में परदों का प्रयोग किया जाना चाहिए। परदों द्वारा सूर्य के प्रकाश एवं धूप को अपनी इच्छा एवं आवश्यकता के अनुसार नियन्त्रित किया जा सकता है।

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प्रश्न 4:
रोगी के कमरे में प्रकाश-व्यवस्था कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
रोगी के कमरे में रात के समय तीव्र या चकाचौंध करने वाला प्रकाश नहीं होना चाहिए। यदि घर में बिजली हो तो सामान्य रूप से हल्के दूधिया रंग का बल्ब ही इस्तेमाल करना चाहिए। यदि बिजली न हो तो तेल से जलने वाला दीपक या लालटेन जलाई जा सकती है। ध्यान रहे, (UPBoardSolutions.com) इनकी लौ कम : रखनी चाहिए ताकि इनका कच्चा धुआँ न बनने पाए। दीपक या लालटेन को रोगी के पलंग से काफी दूर ही रखना चाहिए।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
आपके विचार से रोगी को कमरा कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
हमारे विचार से रोगी का कमरा साफ-सुथरा, हवादार तथा प्रकाशयुक्त होना चाहिए।

प्रश्न 2:
रोगी के कमरे की सफाई को अधिक महत्त्व क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
नियमित सफाई से रोग के जीवाणुओं को बढ़ने से रोका जा सकता है, इससे रोगी के शीघ्र स्वस्थ होने में योगदान प्राप्त होता है। इसी कारण से रोगी के कमरे की सफाई को अधिक महत्त्व दिया जाता है।

प्रश्न 3:
रोगी के कमरे में पोछा लगाने के लिए पानी में क्या मिलाया जाता है?
उत्तर:
रोगी के कमरे में पोछा लगाने के लिए पानी में फिनाइल आदि निसंक्रामक घोल मिलाया जाता है।

प्रश्न 4:
रोगी के कमरे में धूप का उचित प्रबन्ध क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
सूर्य की किरणें अनेक रोगाणुओं को नष्ट करती हैं तथा रोगी को स्वास्थ्य लाभ करने में सहायता करती हैं।

प्रश्न 5:
रोगी के कमरे में वायु के संवातन का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायु की उपयुक्त संवातन व्यवस्था से रोगी को शुद्ध वायु प्राप्त होती है तथा कमरे की अशुद्ध वायु बाहर निकल जाती है। इस स्थिति में रोग के जीवाणु भी अधिक नहीं पनप पाते।

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प्रश्न 6:
रोगी के कमरे का तापक्रम क्या रहना चाहिए?
उत्तर:
रोगी के कमरे का तापक्रम सामान्यतः 98° फॉरेनहाइट (लगभग 37° सेन्टीग्रेड) रहना। चाहिए।

प्रश्न 7:
रोगी के कमरे का तापक्रम किस प्रकार नियन्त्रित किया जा सकता है?
उत्तर:
रोगी के कमरे के तापक्रम को नियन्त्रित करने के लिए ग्रीष्म ऋतु में कूलर व वातानुकूलन यन्त्र तथा शरद् ऋतु में रूम-हीटर प्रयोग में लाए जाते हैं।

प्रश्न 8:
रोगी के कमरे से रात्रि में साज-सज्जा वाले पौधे अथवा फूलदान क्यों हटा देने चाहिए?
उत्तर:
रात्रि में पौधों में श्वसन क्रिया अधिक होती है, जिसके फलस्वरूप हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड अधिक निष्कासित होती है; अतः रोगी के कमरे से रात्रि में फूलदान इत्यादि को हटाना उचित रहता है।

प्रश्न 9:
रोगी के कपड़े यथासम्भव सूती होने चाहिए, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि सूती वस्त्रों को खौलते पानी में धोकर सहज ही नि:संक्रमित किया जा सकता है।

प्रश्न 10:
रोगी के कमरे में मनोरंजन की व्यवस्था आप कैसे करेंगी?
उत्तर:
रोगी के मनोरंजन के लिए उसके कमरे में पत्रिकाएँ, ट्रांजिस्टर व टी० बी० इत्यादि रखे जा सकते हैं।

प्रश्न 11:
रोगी के पलंग की विशेषता बताइए।
उत्तर:
रोगी का पलंग ऊँचा, स्प्रिंग वाला तथा लोहे का बना ठीक रहता है।

प्रश्न 12:
मेल-पात्र की आवश्यकता किस दशा में होती है?
उत्तर:
मल-पात्र की आवश्यकता रोगी के उठने-बैठने में असमर्थ होने की दशा में होती है।

वसतुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न-प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) संक्रामक रोगग्रस्त व्यक्ति को आप किस प्रकार रखेंगी?
(क) अलग कमरे में,
(ख) बच्चों के कमरे में,
(ग) किसी के भी कमरे में,
(घ) बरामदे में।

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(2) रोगी का कमरा होना चाहिए
(क) रसोईघर के पास,
(ख) पशुशाला के पास,
(ग) शौचालय एवं स्नान घर के पास,
(घ) बैठक में कमरे के पास।

(3) रोगी के कमरे की दीवारें पुती होनी चाहिए
(क) पेन्ट्स से,
(ख) चूने से,
(ग) डिस्टेम्पर से,
(घ) किसी से भी।

(4) रोगी के मनोरंजन के लिए कमरे में होनी चाहिए
(क) पत्रिकाएँ,
(ख) ट्रांजिस्टर,
(ग) टी० बी०,
(घ) ये सभी।

(5) रोगी के लिए उपयुक्त वस्त्र होते हैं
(क) नायलॉन के,
(ख) सूती,
(ग) टेरीकॉट,
(घ) जरीदार।

(6) रोगी के कमरे के फर्श को प्रतिदिन धोना चाहिए
(क) डिटॉल से,
(ख) फिनिट से,
(ग) फिनाइल से,
(घ) लाल दवा से।

(7) रोगी के कमरे का तापक्रम रहना चाहिए
(क) 90° फॉरेनहाइट,
(ख) 100° फॉरेनहाइट,
(ग) 40° सेन्टीग्रेड,
(घ) 37° सेन्टीग्रेड।

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(8) रोगी के कमरे में प्रकाश की व्यवस्था होनी चाहिए
(क) लाल या हरे रंग की,
(ख) तेज एवं चमकदार,
(ग) हल्की तथा दूधिया रंग की,
(घ) किसी भी प्रकार की।

(9) रोगी के इस्तेमाल के लिए उपयोगी पलंग होना चाहिए
(क) तख्त के रूप में,
(ख) सामान्य फोल्डिग चारपाई,
(ग) सिंप्रग द्वारा कसा हुआ पलंग,
(घ) इनमें से कोई भी।

(10) रोगी के बिस्तर पर बिछाई जाने वाली चादर होनी चाहिए
(क) काले या पीले रंग की,
(ख) हरे या नीले रंग की,
(ग) सफेद रंग की,
(घ) किसी भी गहरे रंग की।

उत्तर:
(1) (क) अलग कमरे में,
(2) (ग) शौचालय एवं स्नान घर के पास,
(3) (ख) चूने से,
(4) (घ) ये सभी,
(5) (ख) सूती,
(6) (ग) फिनाइल से,
(7) (घ) 37° सेन्टीग्रेड,
(8) (ग) हल्की तथा दूधिया रंग की,
(9) (ग) सिंप्रग द्वारा कसा हुआ पलंग,
(10) (ग) सफेद रंग की।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 24 महाराजा रणजीत सिंह (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 24 महाराजा रणजीत सिंह (महान व्यक्तिव)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 6 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 24 महाराजा रणजीत सिंह (महान व्यक्तिव)

पाठ का सारांश

पंजाब के लोक जीवन में प्रचलित लोक कथाओं से महाराजा रणजीत सिंह की उदारता, न्यायप्रियता और सभी धर्मों के प्रति सम्मान प्रदर्शित होता है।

राणजीत सिंह का जन्म सुकरचक्या जागीरदार महासिंह के घर हुआ। पिता की मृत्यु के बाद सन 1797 ई० में रणजीत सिंह ने जागीर का भार सँभाल लिया। सन 1801 ई० में बैशाखी के दिन लाहौर में ये एक स्वतंत्र भारतीय शासक के रूप में प्रतिष्ठित हुए। सन 1839 ई० तक राज्य की सीमाओं को बढ़ाया और उसे शक्तिशाली बनाया। ये महाराजा की उपाधि से विभूषित हुए। कालान्तर , में, शेर-ए-पंजाब के नाम से विख्यात हुए।

महाराजा रणजीत सिंह अनोखे शासक थे। इन्होंने खालसा पंथ के नाम से शासन चलाया। इन्होंने अँग्रेजों की तरह सुशिक्षित सेना रखी और पंजाब को एक शक्तिशाली राज्य के रूप में परिवर्तित कर दिया। (UPBoardSolutions.com) इन्होंने विरोधियों के प्रति भी उदारता और दया का दृष्टिकोण रखा। इस भावना के कारण इन्हें लाखबख्श कहा जाता है।

27 जून, 1839 ई० में इनका देहावसान हो गया। दुर्भाग्यवश, इन्हें कोई योग्य उत्तराधिकारी नहीं मिला।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिरों और मस्जिदों के उत्थान के लिए क्या उल्लेखनीय कार्य किया?
उत्तर :
महाराजा राणजीत सिंह ने मन्दिरों को सोना आदि दान में दिए और अनेक मसजिदों की मरम्मत कराई।

प्रश्न 2.
विभिन्न धर्मों के प्रति महाराजा रणजीत सिंह के क्या विचार थे?
उत्तर :
विभिन्न धर्मों के प्रति महाराजा रणजीत सिंह के विचार सहिष्णुता, समानता व आदरभाव के थे।

प्रश्न 3.
किन गुणों के कारण महाराजा रणजीत सिंह को लोक गाथाओं में स्थान मिला?
उत्तर :
उदारता, न्यायप्रियता, सभी धर्मों के प्रति सम्मान की भावना आदि गुणों के कारण महाराजा रणजीत सिंह को लोक गाथाओं में स्थान मिला।

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प्रश्न 4.
किसने और क्यों कहा –

(क) ईश्वर की इच्छा है कि मैं सभी धर्मों को एक नजर से देखें।
उत्तर :
रणजीत सिंह ने फकीर से कहा, क्योंकि फकीर ने उनसे कहा कि कुरान तो आपके किसी काम का नहीं है।

(ख) उनके चेहरे पर इतना तेज था कि मैंने कभी सीधा उनके चेहरे की ओर देखा ही नहीं।
उत्तर :
फकीर अजीमुद्दीन ने लॉर्ड विलियम बेंटिक से कहा, क्योंकि उससे बेंटिक ने पूछा था कि महाराजा की कौन-सी आँख खराब है।

प्रश्न 5.
सही (✓) अथवा गलत (✗) का चिह्न लगाइए (चिह्न लगाकर) –

(क) महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में किसी को मृत्युदण्ड नहीं दिया गया। (✓)
(ख) इक्कीस वर्ष की उम्र में महाराजा रणजीत सिंह को शेर-ए-पंजाब की उपाधि दी गई। (✗)
(ग) अपने जीवनकाल में महाराजा रणजीत सिंह जनश्रुतियों के केन्द्र बन गए। (✓)
(घ) प्रतिशासक परिषद् में महाराजा रणजीत सिंह और उनकी माँ को सम्मिलित किया गया। (✗)

प्रश्न 6.
उचित शब्द का चयन करके रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके) –

(क) ईश्वर की इच्छा है कि मैं सभी धर्मों को एक ही नजर से देखें। (आँख, विचार, नजर)
(ख) अपने जीवनकाल में ही वे जनश्रुतियों के केन्द्र बन गए थे। (विषय, केन्द्र, क्षेत्र)
(ग) महाराजा रणजीत सिंह को दरबारियों के साथ मसनद के सहारे जमीन पर बैठना अच्छा लगता था। (सोना, खेलना, बैठना)
(घ) महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी सैन्य पद्धति को अँग्रेजी सेना के अनुसार संगठित करने का निश्चय किया। (विचार, निश्चय, काम)

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नोट – प्रश्न 7.
एवं 8 विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

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