UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 9 समान्तर रेखाएँ

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समान्तर रेखाएँ

अभ्यास 9 (a)

प्रश्न 1.
दी हुई रेखा AB से 5 सेमी० की दूरी पर AB के समान्तर एक रेखा खींचिए।
उत्तर
दी हुई रेखा AB के बिन्दु A पर लम्ब खींचते हैं जिसमें से AC=5 सेमी० काटते हैं। बिन्दु C पर लम्ब रेखा खींचते हैं। यह रेखा CD अभीष्ट रेखा है जिसकी रेखा AB से दूरी 5 सेमी है।
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 9 समान्तर रेखाएँ img-1

प्रश्न 2.
किसी दी हुई रेखा के बाहर स्थित बिन्दु से होकर जानी वाली एक समांतर रेखा खींचिए।
उत्तर
रचना : दी हुई रेखा AB के बाहर स्थित कोई
बिन्दु P है। पटरी व परकार की सहायता से।
बिन्दु P से AB के समान्तर रेखा CD खींची ।
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 9 समान्तर रेखाएँ img-2

प्रश्न 3.
पार्श्व चित्र में त्रिभुज ABC के आधार BC के समान्तर DE और FG रेखाखंड खीचें गए हैं कि निम्नलिखित के उत्तर दीजिए।
(i) कितने समलम्ब हैं?
(ii) कितने त्रिभुज हैं?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 9 समान्तर रेखाएँ img-3

  1. तीन समलम्ब FGED, FGCB तथा DECB हैं ।
  2. तीन त्रिभुज ABC, ADE, तथा AFG हैं ।

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प्रश्न 4.
पार्श्व चित्र में । और m दो समान्तर सरल रेखाएँ तथा t एक तिर्यक रेखा है। यदि ∠1 = 30°, शेष कोणों 2,3,4,5,6,7 और 8 के मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 9 समान्तर रेखाएँ img-4

प्रश्न 5.
पाश्र्व चित्र में ABC एक त्रिभुज है तथा BD भुजा AC के समान्तर है, ∠ACB = 30° तथा ∠ABD = 28°, ∠ABC, ∠DBK और ∠BAC के मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 6.
पार्श्व चित्र में r ⊥ p और r ⊥ q
(i) क्या p॥q? क्यों?
(ii) यदि p॥q तथा ∠1 = 63° हो, तो ∠2 का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 9 समान्तर रेखाएँ img-6

  1. p॥q क्योंकि एक ही रेखा पर दो लम्ब रेखाएँ परस्पर समान्तर होती है।
  2. यदि दो समान्तर रेखाओं को एक त्रिर्यक रेखा काटे तो संगत कोण बराबर होते है।

∵ ∠1=63°
∴ ∠2= 63°

अभ्यास 9 (b)

प्रश्न 1.
चतर्भज ABCD का प्रत्येक कोण समकोण है। सत्यापित कीजिए कि AB || DC और AD || BC,
उत्तर
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प्रश्न 2.
पाश्र्व चित्र में दो रेखाएँ । और m हैं जिसे एक तिर्यक रेखा T बिन्दुओं P और Q काटती हैं। यदि ∠2 = ∠3 = ∠90 सत्यापित कीजिए कि रेखाएँ l और m परस्पर समान्तर हैं। ∠1 + ∠3 का मान कितना होगा?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 9 समान्तर रेखाएँ img-8

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प्रश्न 3.
ABCD एक समलम्ब चतुर्भुज है जिसमें AD || BC है। रेखाखंड BL और CM रेखा AD पर लम्ब हैं दिखाइए BL || CM | यदि BC = ML हो तो दिखाइए कि BCML एक वर्ग है।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 9 समान्तर रेखाएँ img-9

प्रश्न 4.
ABCD एक वर्ग है तथा L, M, N और O क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD तथा DA के मध्य बिन्दु हैं। कोण तथा भुजाएँ नापकर देखिए कि आकृति LMNO भी एक वर्ग है।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 9 समान्तर रेखाएँ img-10

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प्रश्न 5.
त्रिभुज ABC में कोण B एक समकोण है। L और M क्रमशः भुजाओं AB और AC के मध्य बिन्दु हैं। MN भुजा BC पर लम्ब है। दिखाइए कि आकृति LMNB एक आयत है।
उत्तर
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प्रश्न 6.
पार्श्व चित्र में 1|| m, p ⊥ m और p ⊥ n
(i) क्या? m || n? क्यों?
(ii) क्या? l || n? क्यों?
(iii) क्या? p ⊥ l? क्यों?
उत्तर

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  1. हाँ, क्योंकि संगत कोण बराबर हैं।
  2. हाँ, क्योंकि L|| M और M || N|
    ∴ 
    L|| N
  3. हाँ, क्योंकि P, MN पर ⊥ है और L भी समान्तर है।

अभ्यास 9 (c)

प्रश्न 1.
10 सेमी० का एक रेखाखंड AB खींच कर इसको पाँच बराबर भागों में पटरी परकार की सहायता से विभक्त कीजिए। मापकर प्रत्येक भाग की लम्बाई जाँचिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 9 समान्तर रेखाएँ img-13
रचना :

  1. सर्वप्रथम रेखाखंड AB = 10 सेमी ची।।
  2. रेखाखंड के अन्त्य बिन्दु A से न्यूनकोण बनाती हुई एक किरण AL खींची ।
  3. किसी त्रिज्या से किरण AL पर पाँच बराबर भाग AM1, M1M2, M2M3, M4M5 तथा M4M5 किए।
  4. बिन्दु M5 को B से मिलाया।
  5. M4, M3 M2 तथा M1 से BM5 के समान्तर रेखायें खींची जो रेखाखंड AB को क्रमशः CD, E और F बिन्दु पर काटते हैं।
    इस प्रकार बिन्दु C, D, E और F रेखाखंड AB को पाँच बराबर खंडों में विभक्त करते हैं। नापने पर, प्रत्येक भाग की लम्बाई = 2 सेमी०

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प्रश्न 2.
एक 8 सेमी लम्बी रेखाखंड को 2:3 अनुपात में विभक्त कीजिए। इस प्रकार प्राप्त दोनों भाग की लम्बाई मापकर सत्यापित कीजिए कि इनका अनुपात 2:3 है।
उत्तर
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रचना :

  1. सर्वप्रथम रेखाखंड AB = 8 सेमी खींची।
  2. रेखाखंड AB के बिन्दु A से न्यूनकोण बनाती हुई किरण AM खींची।
  3. आनुपातिक अंक 2 और 3 के योग 5 के बराबर किरण AM में A से प्रारंभ करके किसी त्रिज्या से पाँच समान रेखाखंड AM1, M1M2, M2M3, M3M4 तथा M4M5, चिहनित किया।
  4. फिर अन्तिम चिहनित बिन्दु को रेखाखंड के अन्त्य बिन्दु B से मिलाया।
  5. M5B के समान्तर M2 से एक रेखाखंड M2P खींचा जो रेखाखंड AB को P काटता है। इस प्रकार बिन्दु P रेखाखंड AB को 2:3 में विभक्त करता है।

सत्यापन – AP और PB को मापा। मापने पर, [latex]\frac { AP }{ PB } =\frac { 2 }{ 3 } [/latex]
अतः उत्तर सही है।

प्रश्न 3.
8 सेमी माप का रेखाखंड AB खींचिए। अन्त्य बिन्दु A से इस रेखाखंड का [latex]\frac { 3 }{ 5 } [/latex] वाँ भाग रचना द्वारा ज्ञात कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 9 समान्तर रेखाएँ img-15
रचना :

  1. सर्वप्रथम रेखाखंड AB = 8 सेमी खींची ।।
  2. फिर रेखाखंड AB के बिन्दु A से न्यूनकोण बनाती हुई किरण AM खींची।
  3. इसके बाद AM में बिन्दु A से किसी त्रिज्या से पाँच समान रेखाखंड M1, M2, M3 M4 तथा M5 चिहनित किए।
  4. फिर अन्तिम चिहनित बिन्दु M5 को रेखाखंड के अन्त्य बिन्दु B से मिलाया।
  5. अन्त में M5B के समान्तर M3 से एक रेखाखंड M3P खींचा, जो रेखाखंड AB को बिन्दु P पर काटता है ।

इस प्रकार, बिन्दु P रेखाखंड AB को [latex]\frac { 3 }{ 5 } [/latex] वे भाग में विभक्त करता है।

[latex]AP=\frac { 3 }{ 5 } AB[/latex]

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प्रश्न 4.
8.4 सेमी० का एक रेखाखंड AB खींचिए। इस पर एक बिन्दु P रचना द्वारा इस प्रकार ज्ञात कीजिए कि [latex]AP=\frac { 2 }{ 5 } AB[/latex]।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 9 समान्तर रेखाएँ img-16
रचना :

  1. सर्वप्रथम रेखाखंड AB = 8.4 सेमी० खींची।
  2. फिर रेखाखंड AB के अन्त्य बिन्दु A से न्यूनकोण बनाती हुई किरण AM खींची।
  3. इसके बाद AM में बिन्दु A से किसी त्रिज्या के पाँच समान M1, M2, M3, M4 तथा M5 चिहनित किए।
  4. फिर अन्तिम चिहनित बिन्दु M5 को रेखाखंड के अन्त्य बिन्दु B से मिलाया।
  5. अन्त में M5B के समान्तर M2 से एक रेखाखंड M2P खींचा, जो रेखाखंड AB को । बिन्दु P पर काटता है।

इस प्रकार, बिन्दु P रेखाखंड AB को [latex]\frac { 2 }{ 5 } [/latex] वें भाग में विभक्त करता है।

[latex]AP=\frac { 2 }{ 5 } AB[/latex]

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 12 चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य रामगुप्त का छोटा भाई था। अपनी कायरता के कारण रामगुप्त शक राजा से पराजित हुआ। अपने प्राणों की रक्षा के लिए उसने अपनी रानी ध्रुवस्वामिनी को शक राजा के पास भेजना स्वीकार कर लिया। जब पालकी शक राजा के शिविर में पहुँची, तब पालकी से उतरकर युवती वेशधारी एक युवक ने एक हीं वार में शक राजा की हत्या कर दी, वह वेशधारी चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य था। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य बचपन से ही स्वाभिमानी थे। महान विजेता होने के साथ ये सफल कूटनीतिज्ञ भी थे। इन्होंने दक्षिण के राजाओं से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किए, जिससे इनके राज्य पर दक्षिण से होने वाले आक्रमण का भय समाप्त हो गया।

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य को कला व संस्कृति से विशेष अनुराग था। इन्होंने विद्वानों को पूर्ण संरक्षण दिया, ये स्वयं विद्वान थे। कालिदास इनके दरबार में नवरत्नों में गिने जाते थे। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के मंत्री वीरसेन स्वयं व्याकरण, न्याय और राजनीति के ज्ञाता थे। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने मालवा, गुजरात एवं काठियावाड़ पर विजय प्राप्त की। उज्जयिनी (UPBoardSolutions.com) के शत्रुओं का इन्होंने विनाश कर उनका राज्य गुप्त साम्राज्य में मिला लिया। मालवी की विजय चन्द्रगुप्त के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण सिद्ध हुई। विक्रमादित्य ने पूर्वी राज्यों तथा विद्रोही राजाओं को भी परास्त किया।

चन्द्रगुप्त द्वितीय के लिए ‘विक्रमादित्य’, ‘श्री विक्रम’, सिंह-विक्रम’, ‘परमभागवत’ और ‘गणारि’ उपाधियों का प्रयोग किया जाता है। ये पराक्रमी योद्धा और सफल विजेता थे। दिल्ली के महरौली नामक स्थान पर स्थित लोहे की लाट आज भी चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की महान उपलब्धियों की याद दिलाती है।

चीनी यात्री फाहयान ने चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकालीन राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक दशा का बहुत सुन्दर वर्णन किया है। देश का शासन अत्यन्त सुव्यवस्थित था। लोग शांतिपूर्ण और समृद्धशाली जीवन बिताते थे। चन्द्रगुप्त ने धार्मिक औषधालयों तथा निःशुल्क विश्रामशालाओं का निर्माण कराया। ये न्यायप्रिय शासक (UPBoardSolutions.com) थे। इन्होंने अपने पराक्रम, धार्मिक सहिष्णुता, विद्यानुराग तथा कला प्रेम से एक महान युग की संस्कृति और समृद्धि में स्मरणीय योगदान दिया।

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अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
भारत के इतिहास में विक्रमादित्य का नाम स्वर्णाक्षरों में क्यों अंकित है?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने अपने पराक्रम, सुव्यवस्थित शासन, धार्मिक सहिष्णुता, कला-प्रेम आदि से एक महान युग की संस्कृति के विकास में सहयोग किया, इसलिए इनका नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।

प्रश्न 2.
चन्द्रगुप्त द्वितीय ने विक्रमादित्य की उपाधि कब धारण की?
उत्तर :
अपनी महान और अद्भुत विजय श्रृंखला के पश्चात् चन्द्रगुप्त द्वितीय ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की।

प्रश्न 3.
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में कौन-सा चीनी यात्री भारत आया?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में फाह्यान नामक चीनी यात्री भारत आया।

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प्रश्न 4.
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में देश की राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति कैसी थी?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में देश की (UPBoardSolutions.com) `राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति उत्तम थी। शासन अत्यन्त सुव्यवस्थित था तथा लोग शांतिपूर्ण और समृद्धशाली जीवन बिता रहे थे।

प्रश्न 5.
महरौली के लोहे की लाट से किस बात का पता चलता है?
उत्तर :
दिल्ली में महरौली के लोहे की लाट से चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की महान उपलब्धियों का पता चलता है।

प्रश्न 6.
गुप्तवंश का शासन काल भारतीय इतिहास में किस युग के नाम से प्रसिद्ध है?
उत्तर :
गुप्तवंश का शासनकाल भारतीय इतिहास में स्वर्णयुग के नाम से प्रसिद्ध है।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 18 महर्षि दयानन्द (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

महर्षि दयानन्द का बचपन का नाम मूलशंकर था। इसका जन्म सम्पन्न ब्राह्मण परिवार में सन् 1824 ई० को गुजरात के टकरा गाँव में हुआ। इनके पिता का नाम कर्षन जी त्रिवेदी और माता का नाम शोभाबाई था। मूलशंकर का मन अध्ययन और एकान्त चिन्तन में अधिक लगता था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा संस्कृत में हुई। ये कुशाग्र बुद्धि और विलक्षण स्मृति वाले छात्र थे।

सोलह वर्ष की आयु में मूलशंकर के जीवन में छोटी बहन की हैजे से मृत्यु होने से इनमें वैराग्य भावना पैदा हो गई। इसके तीन वर्ष बाद मूलशंकर को स्नेह करने वाले चाचा को भी देहान्त हो गया। 21 वर्ष की आयु में ये चुपचाप घर से निकल पड़े। सायले गाँव (अहमदाबाद) में जाकर एक ब्रह्मचारी जी से दीक्षा लेकर शुद्ध चैतन्य ब्रह्मचारी बन गए। इसके बाद नर्मदा के तट पर दण्डी स्वामी पूर्णानन्द सरस्वती से संन्यास की दीक्षा लेकर ये दयानन्द सरस्वती हो गए। दीक्षा के उपरान्त इन्होंने (UPBoardSolutions.com) सारा समय विद्याध्ययन और योगाभ्यास में लगाया। इन्होंने द्वारिका के स्वामी महात्मा शिवानन्द से योग विद्या का ज्ञान प्राप्त किया। इसके बाद मथुरा के स्वामी विरजानन्द के चरणों में दयानन्द ने ‘अष्टाध्यायी म्हाभाष्य और ‘वेदान्त सूत्र’ आदि अनेक ग्रन्थों का अध्ययन किया। विद्याध्ययन की समाप्ति पर गुरु के आदेशों का पालन करने की प्रतिज्ञा की। गुरु का आदेश था- “वत्स दयानन्द! जंगलों में एकान्त साधना में संन्यास की पूर्णता नहीं है। कुसंस्कारों और अन्धविश्वासों का खण्डन करके समाज का उद्धार करो।”

स्वामी दयानन्द ने जीवनभर आडम्बरों का विरोध किया। उन्होंने महान ग्रन्थ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ लिखा जिसमें धर्म, समाज, राजनीति, नैतिकता एवं शिक्षा पर उनके संक्षिप्त विचार दिए गए हैं। सन् 1875 ई० में स्वामी जी ने ‘आर्य-समाज’ की स्थापना की। इसका मुख्य उद्देश्य सभी मनुष्यों के शारीरिक, आध्यात्मिक और सामाजिक स्तर को उठाना था।

उन्होंने वेदों और संस्कृत साहित्य के अध्ययन पर बल दिया। उन्होंने नारी शिक्षा पर भी बल दिया। उन्होंने पर्दा प्रथा और बाल-विवाह का विरोध किया। विधवा विवाह और पुनर्विवाह का समर्थन किया। समाज में व्याप्त वर्ण-भेद, असमानता और छुआछूत की भावना का भी उन्होंने खुलकर विरोध किया। उन्होंने संस्कृत भाषा और धर्म को ऊँचा स्थान दिलाने के लिए हिन्दी भाषा को प्रतिष्ठित किया। (UPBoardSolutions.com) महर्षि दयानन्द समाज सुधारक और आर्य संस्कृति के रक्षक थे। मानव कल्याण की कामना करने वाले महर्षि दयानन्द का जीवन-दीप सन् 1883 ई० को कार्तिक की अमावस्या को सहसा बुझ गया। स्वामी दयानन्द 19वीं सदी के भारत के पुनर्जागरण के प्रेरक व्यक्ति थे।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वामी पूर्णानन्द सरस्वती से संन्यास की दीक्षा लेने के बाद मूलशंकर किस नाम से पुकारे जाने लगे?
उत्तर :
दीक्षा लेने के बाद मूलशंकर ‘स्वामी दयानन्द सरस्वती’ के नाम से पुकारे जाने लगे।

प्रश्न 2.
गुरु विरजानन्द ने स्वामी दयानन्द को क्या उपदेश दिया था?
उत्तर :
गुरु विरजानन्द ने स्वामी दयानन्द को यह उपदेश दिया था, “वत्स दयानन्द जंगलों में जाकर एकान्त चिन्तन में संन्यास की पूर्णता नहीं है….. कुसंस्कारों और अन्धविश्वासों को खण्डन करके समाज • का उद्धार करो।”

प्रश्न 3.
आर्य समाज की स्थापना किस उद्देश्य को लेकर की गयी थी?
उत्तर :
आर्य समाज की स्थापना का उद्देश्य सभी मनुष्यों के शारीरिक, आध्यात्मिक और सामाजिक स्तर को ऊपर उठाना था।

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प्रश्न 4.
दयानन्द सरस्वती के समाज सुधार सम्बन्धी कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
स्वामी दयानन्द ने प्राचीन संस्कृति और सभ्यता की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने वेदों और संस्कृत पर बल दिया। उन्होंने नारी शिक्षा पर भी बल दिया। उन्होंने पर्दा प्रथा और बाल विवाह का विरोध किया। उन्होंने विधवा विवाह और पुनर्विवाह का समर्थन किया। समाज में व्याप्त वर्ण-भेद, असमानता और छुआछूत की भावना का खुलकर विरोध किया। वे महान सुधारक और भारतीय संस्कृति के रक्षक थे।

प्रश्न 5.
स्वामी दयानन्द सरस्वती के विषय में रवीन्द्र नाथ टैगोर ने क्या कहा था?
उत्तर :
स्वामी दयानन्द सरस्वती के विषय में रवीन्द्र नाथ टैगोर ने कहा था कि स्वामी दयानन्द 19वीं शताब्दी में भारत के पुनर्जागरण को प्रेरक व्यक्ति थे। उन्होंने भारतीय समाज के लिए एक ऐसा मार्ग प्रशस्त किया (UPBoardSolutions.com) जिसपर चलकर भारतीय समाज समुन्नत किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)
(क) महर्षि दयानन्द को जन्म सन् 1824 ई० में हुआ था।
(ख) मूलशंकर संन्यास की दीक्षा लेने के पश्चात स्वामी दयानन्द सरस्वती कहलाए।
(ग) स्वामी दयानन्द ने द्वारिका के स्वामी शिवानन्द से योग विद्या का ज्ञान प्राप्त किया।
(घ) आर्य समाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य सभी मनुष्यों के शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर को ऊपर उठाना था।

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प्रश्न 7.
सही (✓) और गलत (✗) का निशान लगाइए (सही-गलत का निशान लगाकर)
(अ) दयानन्द सरस्वती ने महान धर्मग्रन्थ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ लिखा। (✓)
(ब) स्वामी दयानन्द ने दिल्ली में आर्य समाज की स्थापना की। (✗)
(स) स्वामी दयानन्द ने पर्दा प्रथा तथा बाल-विवाह जैसी कुरीतियों का विरोध किया। (✓)
(द) स्वामी दयानन्द का जीवन-दीप 1885 में बुझ गया। (✗)

प्रश्न 8.
स्वामी दयानन्द के जीवन दर्शन को संक्षेप में वर्णित कीजिए।
उत्तर :
स्वामी दयानन्द का जीवन दर्शन-कोई भी सद्गुण सत्य से बड़ा नहीं है। कोई ज्ञान भी सत्य से बड़ा नहीं है। इसलिए मनुष्य को सदा सत्य का पालन करना चाहिए। परमात्मा के रचे पदार्थ सब प्राणियों के (UPBoardSolutions.com) लिए एक से हैं। इसलिए ईश्वर प्रदत्त धर्म भी सब मनुष्यों के लिए एक ही होना चाहिए। धर्म के नाम पर समाज का भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों में बँटा होना ईश्वरीय नियम के प्रतिकूल है।

प्रश्न 9.
महर्षि दयानन्द सरस्वती के किन-किन गुणों से आप प्रभावित हैं? उन गुणों को स्वयं में कैसे विकसित करेंगे।
उत्तर :
स्वामी दयानन्द सरस्वती की कुशाग्र बुद्धि, विलक्षण स्मरण शक्ति, अध्ययनशीलता, प्राचीन भारतीय संस्कृति के प्रति लगाव, सदा सत्य का पालन, एक ईश्वर प्रदत्त धर्म में विश्वास, स्वदेश प्रेम, परोपकार की भावना, मानव प्रेम और सहिष्णुता आदि गुणों से हम प्रभावित हैं। हमें इन गुणों में से कुछ को अपनाने के लिए स्वयं में लगन, अभ्यास और रुचि पैदा करनी होगी।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 11 अशोक महान (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 11 अशोक महान (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

अशोक महान का नाम भारत के इतिहास में दयालुता और करुणा के लिए विशेष प्रसिद्ध है। अशोक ने कलिंग पर विजय प्राप्त कर उसे अपने अधीन कर लिया। इस युद्ध में लगभग एक लाख लोग मारे गए। अशोक ने मारे गए सिपाहियों, रोती-बिलखती स्त्रियों तथा बच्चों को देखा। इन सबको देखकर उसका हृदय द्रवित हो उठा; तब उसने निर्णय किया कि अब मैं कभी तलवार नहीं उठाऊँगा।

अशोक प्रजा को अपनी सन्तान के समान समझता था। वह दीन-दुखियों,.वृद्धों और अपाहिजों को ध्यान रखता था। सभी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करता था। उसने राज्य के अधिकारियों को आदेश दे रखा था कि (UPBoardSolutions.com) प्रजा की सुरक्षा का सदैव ध्यान रखें।

अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी था, किंतु सभी धर्मों का आदर करता था। वह दयालुता का व्यवहार करता था। उसने बौद्ध धर्म का प्रचार किया। धर्म प्रचार के लिए उसने साम्राज्य के सुदूर भागों में धर्म प्रचारकों को भेजा। उसने बौद्ध धर्म का प्रचार विदेशों में भी किया। उसने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को भी धर्म के प्रचार के लिए भेजा। अशोक ने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों तथा उपदेशों को शिलाओं, स्तम्भों और गुफाओं में अंकित कराया। उसने गौतम बुद्ध के जन्म स्थान लुंबिनी वने में भी एक लाट लगवाई। हमारे राष्ट्रध्वज के मध्य का चक्र सारनाथ के अशोक स्तम्भ से ही लिया गया है। भारतीय शासकों में अशोक का स्थान बहुत ऊँचा है।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद युद्ध न करने का निश्चय क्यों किया?
उत्तर :
कलिंग के युद्ध में अशोक ने मारे गए सिपाहियों, रोती-बिलखती स्त्रियों और बच्चों को देखा। इससे उसका हृदय द्रवित हो उठा और उसने भविष्य में युद्ध न करने का निश्चय किया।

प्रश्न 2.
अशोक को जीत क्यों महँगी पड़ी?
उत्तर :
अशोक कलिंग की जनता पर अपनी प्रशासन क्षमता का प्रभाव छोड़ना चाहता था, लेकिन विजय के पश्चात् उसे केवल शवों के ढेर और पीड़ित अबलाओं, मासूमों, घायलों आदि का आर्तनाद मिला। इस आधार पर उसे जीत महँगी पड़ी।

प्रश्न 3.
अशोक के संदेशों को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :

  1. अशोक ने मनुष्यों को सदाचार की शिक्षा दी। उसने प्रजा को प्रेम, मृदुलता एवं दयालुता के उपदेश दिए।
  2. पशुओं पर दया करो। पशु की हत्या कभी मत करो।
  3. अशोक ने अहिंसा एवं सत्य पर बल दिया। (UPBoardSolutions.com)
  4. मनुष्यों को बड़ों का आदर तथा छोटों पर दया करनी चाहिए और सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
अशोक ने बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों और उपदेशों को जनमानस तक कैसे पहुँचाया?
उत्तर :
अशोक ने शिलालेखों, स्तम्भलेखों, स्तूपों, लाटों, प्रचारकों, प्रतिनिधियों आदि के द्वारा बौद्ध धर्म के सिद्धांत और उपदेश जनमानस तक पहुँचाए।

प्रश्न 5.
अशोक को युग पुरुष कहना क्यों उचित है?
उत्तर :
प्राचीन भारत के शासकों में अशोक का स्थान बहुत ऊँचा है। अशोक के कार्य अपनी पीढ़ी और युग से आगे थे। इसलिए अशोक को युग पुरुष कहना उचित है।

प्रश्न 6.
सही तथ्यों के सामने सही (✓) तथा गलत के सामने गलत (✗) को निशाने लगाएँ (निशान लगाकर) –

(क) अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद कभी युद्ध न करने का निर्णय लिया। (✓)
(ख) अशोक बौद्ध थे, वे सभी धर्मों का आदर नहीं करते थे। (✗)
(ग) अशोक ने सिंहल द्वीप, चीन, जापान आदि देशों में प्रचारक भेजे थे। (✓)
(घ) हमारे राष्ट्र ध्वज के मध्य का चक्र सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है। (✓)

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 17 रानी अवंती बाई (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 17 रानी अवंती बाई (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

रानी अवंती बाई का जन्म 16 अगस्त, 1831 को मदकेहनी, जिला-सिवनी, मध्य प्रदेश में हुआ था। इनके पिता राव जुझार सिंह मनकेहनी के जमींदार थे। अवंतजी बाई को बचपन से ही घुड़सवारी तथा तलवारबाजी का शौक था। लोग अवंती बाई की घुड़सवारी और तलवार बाजी देखकर आश्चर्यचकित हो जाते थे। विवाह योग्य होने पर पिता जुझार सिंह ने अवंती बाई का विवाह राम के राजा लक्ष्मण सिंह के सुपुत्र राजकुमार विक्रमादित्य से कर दिया। सन् 1850 में विक्रमादित्य पिता (UPBoardSolutions.com) की मृत्यु के बाद रामगढ़ के राजा बने। इनके रानी अवंती बाई से दो पुत्र हुए। अमान सिंह और शेर सिंह। कुछ समय बाद राजा विक्रमादित्य बीमार रहने लगे।

दोनों पुत्र अभी छोटे थे अतः राज्य की देख-रेख का जिम्मा अवंती बाई पर आ गया। उस समय लार्ड उलहौजी भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का गर्वनर जनरल था। जब उसे राजा विक्रमादित्य के बीमारी का पता चला तो उसने रामगढ़ रियासत को कोर्ट ऑफ , बाईस’ के अधीन कर लिया तथा रामगढ़ के राजपरिवार को पेंशन दे दी। वह बात अवंती बाई को बहुत बुरी लगी। दुर्भाग्य से मई 1857 में राजा विक्रमादित्य का निधन हो गया। अब सारी जिम्मेदारी अवंती बाई पर आ गया। तभी 1857 में देश में स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल बजा। मौका देखकर अवंती बाई ने आस-पास के सभी राजा और जमींदारों से गुप्त रूप से सर्पक किया। तमाम देश भक्त राजाओं और जमींदारों ने ब्रिटिश शासन के विरूद्ध विद्रोह कर दिया। सर्वत्र क्रांति की ज्याला फैल गई।

रानी अवंती बाई ने अपने राज्य से ‘कोर्ट ऑफ वास’ के अधिकारियों को खदेड़ दिया तथा क्रांति की बागडोर अपने हाथों में ले ली। इस समय वीरांगना अवंती बाई मध्य भारत की क्रांति का प्रमुख चेहरा बन चुकी थी। विद्रोह की सूचना से जबलपुर का कमिश्नर इस्काइन आग बबूला हो गया। मध्य भारत के विद्रोही रानी अवंती के साथ थे। रानी ने हमला करके घुघरी, रामनगर, बिदिया आदि क्षेत्रों से ब्रिटिश राज्य का सफाया कर दिया। इसके पश्चात रानी ने मंडला पर हमला करके ब्रिटिश सेना (UPBoardSolutions.com) को धूल चटा दी। इस हार से मंडला का कमिश्नर तिलमिला गया तथा अवंती बाई को सबक सिखाने के लिए भारी ब्रिटिश सेना के साथ रामगढ़ के किले पर हमला कर दिया। उधर रानी को इस हमले तथा भारी संख्या में ब्रिटिश सेना के आने की सूचना मिल चुकी थी अतः उन्होंने अपनी के साथ अपने राज्य के देवहार गढ़ की पहाड़ी पर चढ़ कर मोर्चा संभाल लिया। ब्रिटिश सेना रामगढ़ के किले को ध्वस्त करने के बाद रानी अवंति की तलास में गुप्त सूचना मिलने पर देवहार गढ़ की पहाड़ियों को घेर लिया तथा रानी के पास आत्म समर्पण का संदेश भिजवाया।

रानी ने ब्रिटिश सेना को ललकारते हुए आत्म सर्मपण का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया और संदेश भेजा कि मैं युद्ध भूमि में लड़ते-लड़ते प्राण त्याग देंगी लेकिन हथियार नहीं डालूंगी। कई दिनों तक युद्ध होता रहा। लेकिन रानी की सेना ब्रिटिश सेना के मुकाबले छोटी थी अतः धीरे-धीरे रानी के सैनिक काफी कम हो गए और युद्ध के दौरान रानी के बाएँ हाथ में गोली लग गई और उनकी बन्दूकं छूटकर नीचे गिर गई। निहत्थी रानी को अंग्रेजों ने घेर लिया। चारों ओर से। खुद को घिरा देखकर अवंती बाई ने खुद की तलवार से खुद ही अपने प्राणों की आहुति दे दी। इनका बलिदान सदैव देशभक्ति की प्रेरणा देता रहेगा। (UPBoardSolutions.com)

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
प्रश्न 1.
अवंती के जन्म पर उनके पिता राव जुझार सिंह ने किस प्रकार खुज़ियाँ मनाई ?
उत्तर :
अवंती बाई के जन्म पर जमींदार जुझार सिंह के यहाँ उत्सव का माहौल था। बधाइयों और शुभकामनाओं के बीच मिठाइयाँ बांटी जार ही थीं। ढोल-बाजे बजे रहे थे। माता-पिता बिटिया को पाकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे।

प्रश्न 2.
अवंती बाई का विवाह कब और किसके साथ हुआ ?
उत्तर :
अवंती बाई का विवाह रामगढ़ के राजा लक्ष्मण सिंह के सुपुत्र राजकुमार विक्रमादित्य के साथ हुआ।

प्रश्न 3.
अवंती बाई ने सन् 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के समय आस-पास के राजाओं को क्या संदेश भेजा?
उत्तर :
सन् 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के समय रानी (UPBoardSolutions.com) अवंती ने आस-पास के राजाओं को संदेश भेजा कि, ‘देश की रक्षा के लिए कमर कसो या चूड़ी पहनकर घर में बैठो।’

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प्रश्न 4.
रानी अवंती बाई ने अंग्रेजों के आत्मसमर्पण के संदेश को अस्वीकार कर दिया। इससे रानी की किस विशेषता को पता चलता है?
उत्तर :
इससे रानी की राष्ट्र भक्ति, जझारूपन, बहादुरी उनके स्वाभिमानी होने तथा उनके शौर्य का पता चलता है।

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