UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 8 (Section 1)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 8 प्रथम विश्वयुद्ध-कारण तथा परिणाम (अनुभाग – एक)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 8 प्रथम विश्वयुद्ध-कारण तथा परिणाम (अनुभाग – एक)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रथम विश्वयुद्ध के क्या कारण थे ? संक्षेप में लिखिए।
          या
प्रथम विश्वयुद्ध के दो प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए। [2013]
          या
प्रथम विश्वयुद्ध के लिए उत्तरदायी कारकों अथवा परिस्थितियों का वर्णन कीजिए।
          या
सन् 1914 ई० में यूरोप में संघर्ष के मुख्य कारण क्या थे ?
          या
प्रथम विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण क्या था ? [2011, 12, 17]
          या
प्रथम विश्वयुद्ध के तीन कारण लिखिए। [2013, 17]
          या
प्रथम विश्वयुद्ध में बाल्कन की समस्या क्या थी ?
उत्तर

प्रथम विश्वयुद्ध के कारण

प्रथम विश्वयुद्ध के मूल कारण निम्नलिखित हैं –

1. गुप्त सम्धियाँ – प्रथम विश्वयुद्ध का मुख्य कारण गुप्त सन्धियाँ थीं। इन सन्धियों के कारण ही 1914 ई० से पूर्व सम्पूर्ण यूरोप दो शक्तिशाली गुटों में बँट चुका था। जर्मनी के प्रधानमन्त्री बिस्मार्क ने सर्वप्रथम फ्रांस को यूरोपीय (UPBoardSolutions.com) राज्यों से अलग रखने के लिए गुटबन्दी प्रथा को जन्म दिया।

2. सैनिकवाद – फ्रांस की राज्य-क्रान्ति (1789 ई०) के बाद फ्रांस में अनिवार्य सैनिक शिक्षा और सैनिक सेवा लागू हो गयी थी। फ्रांस के इस सैनिकवाद ने यूरोप के विभिन्न देशों में सैनिकवाद की भावना को प्रोत्साहन दिया। सैनिकवाद के इस विकास ने यूरोपीय राज्यों की जनता में एक उत्तेजना फैला दी और यूरोपीय शासकों ने सैनिकवाद को अपनी राष्ट्रीय नीति का आधार बना लिया। यह मानसिकता भी प्रथम विश्वयुद्ध का कारण बनी।

UP Board Solutions

3. उग्र राष्ट्रीयता – सन् 1870 ई० से 1914 ई० के काल में यूरोप के इंग्लैण्ड, पुर्तगाल, स्पेन, जर्मनी, इटली, फ्रांस, बेल्जियम, हॉलैण्ड आदि देशों में राष्ट्रीयता की भावनाएँ प्रबल थीं। इस भावना के कारण ही प्रत्येक यूरोपीय राष्ट्र अपने राष्ट्रीय हितों को पूरा करने और अन्य राष्ट्रों के हितों की अवहेलना करने के लिए तत्पर हो चुका था।

4. साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद का प्रसार – औद्योगिक क्रान्ति ने यूरोप में साम्राज्यवाद को विशेष प्रोत्साहन दिया। फलस्वरूप यूरोपीय राष्ट्र अपना साम्राज्य विस्तृत करने की ओर आकर्षित हुए। उन्हें अपने उद्योग-धन्धों को संचालित करने के लिए कच्चे माल की तथा पक्के माल की बिक्री के लिए, बाजारों की आवश्यकता अनुभव हुई। इसलिए वे अपने उपनिवेशों की स्थापना में जुट गये। उपनिवेशवाद की यह दौड़ यूरोप में युद्ध का वातावरण तैयार करने में बड़ी सहायक सिद्ध हुई।

5. अल्सेस-लॉरेन का प्रश्न –अल्सेस-लॉरेन का औद्योगिक प्रदेश फ्रांस के अधिकार क्षेत्र में था। सेडॉन के युद्ध (1871 ई०) में फ्रांस की पराजय के बाद इस प्रदेश पर जर्मनी ने अपना अधिकार स्थापित कर लिया था। अन्ततः फ्रांस और जर्मनी की यह कटुता प्रथम विश्वयुद्ध के विस्फोट का कारण बन गयी।

6. बोस्निया और हर्जेगोविना की समस्या – बाल्कन क्षेत्र में स्थित बोस्निया और हर्जेगोविना के क्षेत्र टर्की के ऑटोवान साम्राज्य के अधीन चले आ रहे थे। बर्लिन कांग्रेस (1878 ई०) के निर्णयानुसार इन प्रदेशों पर ऑस्ट्रिया का प्रशासनिक नियन्त्रण कर दिया गया था, परन्तु इन पर प्रभुत्व टर्की का ही कायम रखा गया था। लेकिन 1908 ई० में ऑस्ट्रिया ने बोस्निया और हर्जेगोविना को अपने साम्राज्य का अंग बना लिया। सर्बिया (UPBoardSolutions.com) ने इन प्रदेशों पर अपने अधिकार का दावा किया। इससे ऑस्ट्रिया और सर्बिया के सम्बन्धों में तनाव उत्पन्न हो गया, जो आगे चलकर प्रथम विश्वयुद्ध का कारण बना।

7. मोरक्को संकट – सन् 1904 ई० में इंग्लैण्ड और फ्रांस की मित्रता-सन्धि से जर्मनी बहुत असन्तुष्ट हो गया था, क्योंकि इस मैत्री समझौते ने मोरक्को में उसके हितों पर पानी फेर दिया था। जर्मन सम्राट कैसर विलियम द्वितीय ने फ्रांस के समक्ष दो माँगें-फ्रांस के विदेश मन्त्री देल्कासे की पदच्युति और एक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मोरक्को की समस्या पर विचार-रख दीं, अन्यथा युद्ध छेड़ देने की धमकी दे दी। इसी बीच 1907 ई० में इंग्लैण्ड, रूस और फ्रांस में एक मैत्री सन्धि हो गयी। इस सन्धि ने जर्मनी का रोष और भी अधिक बढ़ा दिया। सन् 1911 ई० में पुनः मोरक्को का संकट उपस्थित हो गया।

8. बाल्कन समस्या – बाल्कन प्रदेश में रूस ने पान-स्लाव आन्दोलन को प्रोत्साहन दिया था, जिसके परिणामस्वरूप बाल्कन राष्ट्रों की ईसाई जनता टर्की की अधीनता से मुक्त होने के लिए संघर्षरत हो गयी। दूसरी ओर बर्लिन सन्धि के बाद से टर्की पर जर्मनी का प्रभाव बढ़ने लगा। टर्की के सुल्तान की अयोग्यता का लाभ उठाकर 1911 ई० में इटली ने ट्रिपोली पर अधिकार कर लिया। इससे उत्साहित होकर बाल्कन राज्यों (यूनान, सर्बिया, मॉण्टीनीग्रो तथा बुल्गारिया) ने 1912 ई० में टर्की पर आक्रमण कर उसको बुरी तरह पराजित कर दिया। युद्ध के बाद बाल्कन राज्यों में परस्पर संघर्ष छिड़ गया, जिसमें बुल्गारिया को पराजय का मुँह देखना पड़ा। इन बाल्कन युद्धों ने टर्की में जर्मनी के बढ़ते हुए प्रभाव को रोक दिया। इस प्रकार बाल्कन समस्या ने यूरोप में प्रथम विश्वयुद्ध का वातावरण तैयार कर दिया।

9. तात्कालिक कारण : सेराजेवो हत्याकाण्ड – बोस्निया की राजधानी सेराजेवो में ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी युवराज आर्क ड्यूक फ्रांसिस फर्डिनेण्ड तथा उसकी पत्नी को कुछ आतंकवादियों ने 28 जून, 1914 ई० को बम से उड़ा दिया। इसके लिए ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया सरकार को दोषी ठहराया और उसे कुछ अपमानजनक शर्ते स्वीकार करने का आदेश दिया। सर्बिया ने ऑस्ट्रिया की शर्ते स्वीकार करने से इनकार कर दिया। ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया और 28 जुलाई, 1914 ई० को युद्ध की घोषणा भी प्रकाशित करवा दी। निष्कर्ष रूप से कहा जा सकता है कि जर्मनी, (UPBoardSolutions.com) ऑस्ट्रिया, रूस, इंग्लैण्ड तथा फ्रांस की स्वार्थपरता, महत्त्वाकांक्षा और पारस्परिक कटुता ही प्रथम विश्वयुद्ध के विस्फोट के लिए उत्तरदायी थी।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
प्रथम विश्वयुद्ध की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए तथा बताइए कि रूस युद्ध से अलग क्यों हो गया ?
उत्तर

प्रथम विश्वयुद्ध की प्रमुख घटनाएँ

प्रथम विश्वयुद्ध की प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं –

1. जर्मनी का फ्रांस तथा रूस के विरुद्ध संघर्ष – जर्मनी को यह आशा थी कि वह बेल्जियम के मार्ग से फ्रांस पर अचानक आक्रमण करके उसे परास्त कर देगा और फिर रूस से निपट लेगा। जर्मन सैनिक पेरिस से केवल 20 किलोमीटर दूर ही रह गये थे कि रूस ने जर्मनी और ऑस्ट्रिया पर आक्रमण आरम्भ कर दिये। इसलिए जर्मन सैनिकों को पूर्वी मोर्चे पर भेजनी आवश्यक हो गया और जर्मन । सैनिकों का फ्रांस की ओर (UPBoardSolutions.com) बढ़ना रुक गया। इसी बीच संसार के अन्य कई भागों (पश्चिमी एशिया, अफ्रीका तथा सुदूर पूर्व) में लड़ाइयाँ आरम्भ हो गयीं।

2. नये अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग – प्रथम विश्वयुद्ध में नयी विधियों और अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग किया गया। पहले सेनाएँ खुले मैदान में लड़ती थीं, अब युद्धरत सेनाओं ने खाइयाँ खोदकर एक-दूसरे पर धावा बोलना आरम्भ कर दिया। अनेक प्रकार के नये हथियारों का भी प्रयोग हुआ। मशीनगन तथा तरल अग्नि नये हथियार थे। अंग्रेजों ने टैंक तथा जर्मनी ने यू-नौका नामक पनडुब्बियों का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया। युद्ध में जहरीली गैस का भी प्रयोग किया गया।

UP Board Solutions

3. युद्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका का सम्मिलित होना – संयुक्त राज्य अमेरिका त्रिदेशी सन्धि के देशों को युद्ध-सामग्री प्रदान कर रहा था। अमेरिकी जनता ब्रिटेन, फ्रांस तथा रूस के प्रति सहानुभूति रखती थी, परन्तु देश के आर्थिक हितों के कारण अमेरिका युद्ध में तटस्थ रहा। जब जर्मनी की यू-नौकाओं ने अमेरिकी नागरिक ले जाने वाले जहाजों को डुबो दिया, तो अमेरिका जर्मनी के विरुद्ध 6 अप्रैल, 1917 ई० को युद्ध में कूद पड़ा। अमेरिका के युद्ध में प्रवेश करते ही युद्ध का पासा पलट गया और अमेरिकी सेनाओं के समक्ष जर्मनी के पैर लड़खड़ाने लगे।

4. रूस का युद्ध से हटना – सन् 1917 ई० में युद्ध में एक महत्त्वपूर्ण घटना यह हुई कि रूस युद्ध से अलग हो गया। रूसी क्रान्तिकारी आरम्भ से ही लड़ाई का विरोध कर रहे थे। रूस के 6 लाख से भी अधिक सैनिक मारे जा चुके थे; अत: रूसी क्रान्ति के सफल होने के अगले दिन ही बोल्शेविक सरकार ने शान्ति सम्बन्धी एक समादेश (Decreeon Peace) जारी किया। मार्च, 1918 ई० में रूस ने जर्मनी के साथ शान्ति सन्धि पर हस्ताक्षर कर दिये तथा जर्मनी द्वारा प्रस्तुत सन्धि की कठोर शर्तों को भी स्वीकार कर लिया।

5. उपनिवेशों में युद्ध – अफ्रीका में जर्मनी तथा हॉलैण्ड की सेनाओं में उपनिवेशों के लिए अनेक स्थानों पर युद्ध हुआ। दक्षिणी अफ्रीका के सभी जर्मन उपनिवेशों पर ब्रिटिश सेना ने अधिकार कर लिया, परन्तु दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका में अनेक स्थानों पर जर्मन (UPBoardSolutions.com) सैनिकों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये। लेकिन 1917 ई० के बाद ब्रिटिश सेना जर्मन सैनिकों पर हावी होती गयी तथा अन्त में इंग्लैण्ड अफ्रीका के जर्मन उपनिवेशों को अपने अधिकार में लेने में सफल रहा।

प्रश्न 3.
प्रथम विश्वयुद्ध के क्या परिणाम हुए ? इस युद्ध का पराजित देशों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
          या
“प्रथम विश्वयुद्ध के परिणाम जहाँ विनाशकारी थे, वहीं गुणकारी भी थे।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
          या
प्रथम विश्वयुद्ध का एक राजनीतिक और एक आर्थिक परिणाम लिखिए। प्रथम विश्वयुद्ध के परिणामों (प्रभावों) का वर्णन कीजिए। [2015, 16, 17]
उत्तर
प्रथम विश्वयुद्ध के परिणाम प्रथम विश्वयुद्ध बीसवीं शताब्दी की एक भयंकर तथा विनाशकारी घटना थी। इसकी चपेट में लगभग 30 देश आ गये थे। इसके परिणाम अधिकांशत: विनाशकारी सिद्ध हुए, किन्तु कुछ परिणाम गुणकारी भी थे। इनका विवरण निम्नलिखित है –

UP Board Solutions

1. जन-धन की हानि – इस महायुद्ध में प्रथम बार बड़े पैमाने पर तबाही हुई। इस युद्ध में केन्द्रीय शक्तियों (जर्मनी और साथी देश) के 33 लाख सैनिक मारे गये तथा 82 लाख 50 हजार सैनिक घायल हुए, जबकि मित्रराष्ट्रों (इंग्लैण्ड, फ्रांस, इटली और (UPBoardSolutions.com) साथी देश) के 51 लाख 50 हजार सैनिक मारे गये तथा लगभग 1 करोड़ 28 लाख सैनिक घायल हुए। हवाई हमलों, महामारियों तथा अकालों के कारण गैर-सैनिक लोगों की भी बड़ी संख्या में जानें गयीं। अनेक नगर ध्वस्त हो गये और अनेक देशों की अर्थव्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गयी।

2. आर्थिक परिणाम – प्रथम विश्वयुद्ध में धन के अपार विनाश ने अनेक देशों को अमेरिका को कर्जदार बना दिया। विभिन्न देशों की मुद्राओं का अवमूल्यन हो जाने से संसार में भयानक आर्थिक मन्दी फैल गयी। दिसम्बर, 1922 ई० में जर्मनी के मार्क का मूल्य इतना अधिक गिर गया था कि 1 पौण्ड के बदले 34,000 मार्क प्राप्त किये जा सकते थे। बेकारी बढ़ने लगी तथा व्यापार नष्ट होने से यूरोप की आर्थिक व्यवस्था बिगड़ गयी। रूस दिवालिया होने के कगार पर पहुँच गया। सबसे भयानक आर्थिक परिणाम जर्मनी पर पड़े। उसके अधिकार के अल्सेस-लॉरेन क्षेत्र तथा सार घाटी की कोयला खानें फ्रांस को दे दी गयीं। उसे 6 अरब 50 करोड़ पौण्ड को हर्जाना देने को विवश किया गया।

3. राजनीतिक परिणाम – प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् यूरोप के मानचित्र में अनेक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए तथा एक नवीन युग का प्रारम्भ हुआ। इस युद्ध के प्रमुख राजनीतिक परिणाम निम्नलिखित थे

  1. निरंकुश राज्यों का अन्त-ऑस्ट्रिया, हंगरी, जर्मनी तथा रूस के राजवंशों का अन्त हो गया। बुल्गारिया तथा टर्की का निरंकुश शासन भी समाप्त हो गया था। सन् 1917 ई० में रूस की जनता ने अपने सम्राट जार के विरुद्ध क्रान्ति करके उसके शासन को समाप्त कर दिया। तत्पश्चात् रूस में लेनिन के नेतृत्व में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई।
  2. अधिनायकवाद का उदय – युद्ध के पश्चात् उत्पन्न असाधारण परिस्थितियों के कारण जर्मनी, इटली, जापान और स्पेन में अधिनायकवाद का जन्म हुआ।
  3. नवीन गणतन्त्रों की स्थापना – प्रथम विश्वयुद्ध से पूर्व केवल फ्रांस, पुर्तगाल तथा स्विट्जरलैण्ड इन तीन देशों में गणतन्त्र की स्थापना हो सकी थी, किन्तु युद्ध के पश्चात् कई देशों में नवीन गणतन्त्रों की स्थापना हुई।
  4. राष्ट्रीय भावनाओं का विकास – इस महायुद्ध के पश्चात् राष्ट्रीयता एवं आत्म-निर्णय के सिद्धान्तों को व्यापक मान्यता दी गयी। कई स्थानों पर जनता को सार्वजनिक मतदान का अधिकार दिया गया। राष्ट्रों के निर्माण के सम्बन्ध में एक जाति तथा एक राज्य का सिद्धान्त भी लागू किया गया। इसके आधार पर यूरोप में आठ नये देशों (जैसे—यूगोस्लाविया, पोलैण्ड, चेकोस्लोवाकिया आदि) का निर्माण किया गया।
  5. अमेरिका के प्रभाव में वृद्धि – इस महायुद्ध में मित्र-राष्ट्रों की विजय (UPBoardSolutions.com) युद्ध में अमेरिका के प्रवेश से हुई थी। इससे यूरोप की राजनीति में अमेरिका का प्रभाव बढ़ गया। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने वर्साय की सन्धि में प्रमुख भूमिका निभायी थी।
  6. वर्साय की सन्धि – इस युद्ध में केन्द्रीय शक्तियाँ (जर्मनी, टर्की, ऑस्ट्रिया, हंगरी) पराजित हुईं। युद्ध के बाद जर्मनी को एक अपमानजनक सन्धि पर हस्ताक्षर करने पड़े, जिसे वर्साय की सन्धि (1919) कहते हैं। प्रथम विश्वयुद्ध के लिए जर्मनी को दोषी ठहराया गया और उसके कई इलाके और उपनिवेश छीनकर बेल्जियम, पोलैण्ड, चेकोस्लोवाकिया और विजेता देशों में बाँट दिये गये। जर्मनी को अल्सेस-लॉरेन प्रान्त फ्रांस को वापस करना पड़ा। साथ ही जर्मनी की ‘सार’ की कोयले की खानों के उपयोग करने का अधिकार भी 15 वर्ष के लिए फ्रांस को दिया गया। युद्ध की क्षतिपूर्ति के लिए बहुत बड़ी धनराशि जर्मनी द्वारा फ्रांस को देनी पड़ी। जर्मनी की सैन्य-शक्ति में कमी करने के लिए कई शर्ते निश्चित की गयीं।
  7. अन्य सन्धियाँ – ऑस्ट्रिया-हंगरी को सेण्ट जर्मेन की सन्धि पर हस्ताक्षर करने पड़े। इसे सन्धि द्वारा ऑस्ट्रिया और हंगरी को दो अलग-अलग राज्यों में बाँट दिया गया। ऑस्ट्रिया के कुछ प्रदेश पोलैण्ड, चेकोस्लोवाकिया और यूगोस्लाविया को दे दिये गये तथा उसे इन प्रदेशों की स्वतन्त्रता को मान्यता देने के लिए बाध्य किया गया। उसकी सैन्य शक्ति को क्षीण कर दिया गया तथा उस पर भविष्य में जर्मनी से आर्थिक-राजनीतिक सम्बन्ध रखने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। टर्की को सेवर्स की सन्धि पर हस्ताक्षर करने के लिए विवश किया गया। इसे सन्धि ने टर्की साम्राज्य को बिल्कुल छिन्न-भिन्न कर दिया। टर्की के अधिकृत प्रदेश सीरिया (फ्रांस), फिलीस्तीन, मेसोपोटामिया (ब्रिटेन), अरब आदि मित्रराष्ट्रों के संरक्षण में आ गये। इस प्रकार प्रथम विश्वयुद्ध के बाद यूरोप का मानचित्र (UPBoardSolutions.com) पूर्ण रूप से बदल गया।
  8. लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना – विश्व के कुछ नेताओं ने भविष्य में युद्ध को रोकने के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था के गठन को आवश्यक समझा। फलस्वरूप वर्साय की सन्धि के अन्तर्गत 10 जनवरी, 1920 ई० को ‘राष्ट्र संघ’ (लीग ऑफ नेशन्स) का जन्म हुआ।
    धार्मिक परिणाम – यह युद्ध मित्रराष्ट्रों और जर्मनी व उसके सहयोगी राष्ट्रों के मध्य हुआ था। दोनों ही ओर ईसाई जाति के लोग थे। इन देशों के धर्माचार्य अपने-अपने देशों की विजय के लिए प्रार्थना करने में लगे हुए थे। इससे यूरोप में ईसाई धर्म में लोगों की आस्था को आघात पहुँचा।

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
पेरिस के शान्ति सम्मेलन की सन्धियों का उल्लेख कीजिए। वर्साय की सन्धि अस्थायी क्यों सिद्ध हुई ?
          या
पेरिस के शान्ति सम्मेलन 1919 ई० की अध्यक्षता किसने की ? इसमें कितने सदस्य थे? [2011]
          या
वर्साय सन्धि को द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए उत्तरदायी क्यों माना जाता है ?
          या
“जर्मनी के साथ की गयी वर्साय सन्धि जर्मनवासियों में अत्यधिक अलोकप्रिय थी।” तर्क देकर पुष्टि कीजिए।
          या
वर्साय की सन्धि के जर्मनी पर पड़ने वाले दो प्रभावों को समझाइए।
          या
“यदि जर्मनी के साथ वर्साय की सन्धि न होती तो जर्मनी में नाजीवाद व हिटलर का उदय न होता।” इस कथन के पक्ष में वर्साय की सन्धि की किन्हीं दो शर्तों को समाजहिए
उत्तर
पेरिस का शान्ति सम्मेलन प्रथम विश्वयुद्ध के समाप्त होने पर मित्रराष्ट्रों ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक शान्ति सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में पराजित देशों तथा रूस के प्रतिनिधियों को आमन्त्रित नहीं किया गया। इस सम्मेलन में 32 देशों के 70 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 18 जनवरी, 1919 ई० को सम्मेलन का आयोजन करने के लिए एक सर्वोच्च कार्यपालिका परिषद् गठित हुई, जिसमें पाँच प्रमुख विजेता राष्ट्रों के प्रतिनिधिक्लीमेन्सो (फ्रांस), वुडरो विल्सन (संयुक्त राज्य अमेरिका), लॉयड जॉर्ज (इंग्लैण्ड), ऑरलैण्डो (इटली) तथा सोओन्जी (जापान)–सम्मिलित थे। सम्मेलन की कार्यवाही की अध्यक्षता (UPBoardSolutions.com) क्लीमेन्सो को मिलने पर जापान सम्मेलन से अलग हो गया। क्लीमेन्सो की पराजित राष्ट्रों से प्रतिकार लेने की नीति से रुष्ट होकर ऑरलैण्डो भी सम्मेलन से अलग हो गया। अब सम्मेलन के कर्ता-धर्ता तीन बड़े (Three Bigs) बन् गये। सम्मेलन की सम्पूर्ण कार्यवाही क्लीमन्सो की इच्छानुसार संचालित हुई, जिसने विल्सन के चौदह सिद्धान्तों की अवहेलना करते हुए पराजित राष्ट्रों को अपमानजनक सन्धियों को स्वीकार करने के लिए बाध्य किया। इस प्रकार पेरिस शान्ति सम्मेलन से विल्सन के आदर्शवाद तथा यूरोपियन भौतिकवाद में प्रबल टकराव हुआ, जिसमें अन्तिम विजय भौतिकवाद की हुई।

पेरिस के शान्ति सम्मेलन में मित्रराष्ट्रों ने पराजित राष्ट्रों से निम्नलिखित सन्धियाँ कीं –

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 8 प्रथम विश्वयुद्ध-कारण तथा परिणाम 1

इन सन्धियों में जर्मनी के साथ हुई वर्साय की सन्धि सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण तथा प्रतिशोधात्मक थी, जो आगे चलकर द्वितीय विश्वयुद्ध का एक प्रमुख कारण बनी।

UP Board Solutions

वर्साय की सन्धि

मित्रराष्ट्रों ने सर्वप्रथम जर्मनी को विश्वयुद्ध का अपराधी बताकर जर्मनी के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति में वर्साय सन्धि का मसविदा तैयार किया। 17 मई, 1919 ई० को सन्धि का मसविदा जर्मन प्रतिनिधियों को सौंप दिया गया और उन्हें धमकी दी गयी कि यदि वे इस मसविदे पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे तो उन्हें युद्ध करना पड़ेगा! इस सन्धि-पत्र में 15 भाग और 440 धाराएँ थीं।

मित्रराष्ट्रों ने पराजित जर्मनी को पूरी तरह शक्तिहीन तथा अपमानित करने के लिए सन्धि के मसविदे में बड़ी ही कठोर तथा अनुचित शर्तों का समावेश किया था। यह सन्धि एकपक्षीय और आरोपित सन्धि थी। मित्रराष्ट्रों ने बलपूर्वक जर्मनी को सन्धि की शर्ते स्वीकार करने के लिए बाध्य किया था। इस सन्धि द्वारा जर्मनी को राजनीतिक दृष्टि से अस्थिर, सैनिक दृष्टि से दुर्बल, सामाजिक दृष्टि से अपमानित तथा आर्थिक दृष्टि से पंगु बना दिया गया था। वास्तव में वर्साय की सन्धि बड़ी ही कठोर, अपमानजनक और प्रतिशोधात्मक थी। इसने उन लोगों की आशाओं पर पानी फेर दिया जो यह कहते थे कि युद्ध का अन्त शान्ति का सन्देश लाएगा। यह सही अर्थों में शान्ति सन्धि नहीं थी, वरन् यह तो दूसरे विश्वयुद्ध की घोषणा सिद्ध हुई। जनरल फॉच ने तो सन्धि-पत्र के निर्माण के समय ही कह दिया था कि, (UPBoardSolutions.com) “वर्साय की सन्धि, सन्धि न होकर बीस वर्षों का एक विराम-काल है।” जनरल फॉच की यह भविष्यवाणी सही निकली और वर्साय सन्धि के ठीक 20 वर्ष बाद ही विश्व को द्वितीय महायुद्ध की ज्वाला में जलना पड़ा।

संक्षेप में कहा जा सकता है कि वर्साय की सन्धि कठोर, अपमानजनक, आरोपित, एकपक्षीय तथा अन्यायपूर्ण थी। यह सन्धि मित्रराष्ट्रों द्वारा बदले की भावना से जर्मनी पर थोपी गयी थी। इसलिए वर्साय की सन्धि के साथ-साथ पेरिस सम्मेलन की अन्य सभी सन्धियाँ अस्थायी सिद्ध हुईं और जर्मनी में हिटलर को उदय हुआ, जिसने वर्साय सन्धि-पत्र को फाड़कर द्वितीय विश्वयुद्ध का विस्फोट कर दिया।

UP Board Solutions

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय के कारणों का उल्लेख कीजिए। [2012, 13]
उत्तर
प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे –

  1. जर्मनी को लम्बे समय तक मित्रराष्ट्रों से युद्ध करना पड़ा, जिससे उसके पास साधनों की कमी होने लगी। इसके विपरीत मित्रराष्ट्रों को अमेरिका की सहायता निरन्तर प्राप्त हो रही थी।
  2. जर्मनी ने मित्रराष्ट्रों की शक्ति को अपने मुकाबले बहुत कम करके आँका और इसकी परिणति उसकी पराजय में हुई।
  3. जर्मनी की नौसेना इंग्लैण्ड की नौसेना के मुकाबले अत्यन्त कमजोर थी, जिससे वह प्रथम विश्वयुद्ध में पराजित हो गया।
  4. जिस समय जर्मनी फ्रांस पर भारी पड़ रहा था, ठीक (UPBoardSolutions.com) उसी समय अमेरिका मित्रराष्ट्रों की ओर से युद्ध में कूद पड़ा जिससे मित्रराष्ट्रों की ताकत और हिम्मत बढ़ गयी तथा फ्रांस व इंग्लैण्ड हार के नजदीक पहुँचकर भी विजेता हो गये।
  5. जर्मन राजनीतिज्ञ तथा सेनापति का अनुमान था कि जर्मन सेनाएँ दो-तीन महीने में ही फ्रांस तथा रूस को हथियार डालने के लिए विवश कर देंगी, लेकिन उनका अनुमान गलत निकला। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि अमेरिका द्वारा मित्रराष्ट्रों को सतत सहयोग तथा अन्तिम समय में मित्रराष्ट्रों की ओर से युद्ध में प्रवेश ने जर्मनी की हार को सुनिश्चित कर दिया।

प्रश्न 2.
राष्ट्र संघ की स्थापना के क्या उद्देश्य थे ?
          या
राष्ट्र संघ की स्थापना कब और क्यों हुई ?
          या
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद स्थायी शक्ति स्थापित करने के लिए क्या प्रयास किये गये ? चौदह-सूत्री सुझाव किसने दिये थे ? (2013)
          या
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब हुई? इसका मुख्यालय कहाँ है? [2018]
उत्तर
प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् 10 जनवरी, 1920 ई० में एक विश्व संस्था की नींव जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में रखी गयी, जो राष्ट्र संघ या लीग ऑफ नेशन्स के नाम से प्रसिद्ध हुई। ऐसी एक विश्व संस्था का परामर्श अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने अपने चौदह सूत्री कार्यक्रम में जनवरी, 1918 ई० को रखा था। इस प्रकार जो संस्था लीग ऑफ नेशन्स के नाम से अस्तित्व में आयी उसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे –

  1. भविष्य में युद्धों को रोकने के लिए सभी राष्ट्रों को निरस्त्रीकरण के लिए प्रोत्साहित करना।
  2. विश्व के सभी राष्ट्रों में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग स्थापित करना।
  3. राष्ट्रों के आपसी झगड़ों को शान्तिपूर्ण तरीकों से हल करना और अन्तर्राष्ट्रीय सन्धियों एवं समझौतों का पालन करवाना।
  4. श्रमिकों की दशा में सुधार करना।
  5. महामारी तथा संक्रामक रोगों की रोकथाम करना तथा ग्रस्त क्षेत्रों के विस्तार को रोकना व स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय करना।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
राष्ट्र संघ की असफलता के कारणों का विवेचन कीजिए [2015, 18]
          या
राष्ट्र संघ (लीग ऑफ नेशन्स) की असफलता के तीन कारण बताइए। [2014, 15]
उत्तर
राष्ट्र संघ की असफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे –

  1. राष्ट्र संघ का जन्मदाता स्वयं इसका सदस्य नहीं बना।
  2. सदस्य राष्ट्रों ने अपने स्वार्थों को सर्वोपरि रखा।
  3. संघ के सदस्यों द्वारा नियमों का उल्लंघन किया गया।
  4. हिटलर की तानाशाही के आगे संघ (UPBoardSolutions.com) की निष्क्रियता।
  5. राष्ट्र संघ के घोषणा-पत्र के उपबन्धों का अत्यधिक लचीला होना
  6. राष्ट्र संघ में सैनिक शक्ति का अभाव।

उपर्युक्त त्रुटियाँ होने के बावजूद राष्ट्र संघ ने राष्ट्रीयता, जातीय स्वशासन और अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा हेतु जो कार्य किये वो निश्चय ही प्रशंसनीय थे। इस अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने विश्व में पहली बार विभिन्न राष्ट्रों के लोगों को अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्त्व का ज्ञान कराया। इसी आधार पर द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरान्त वर्तमान संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O) का निर्माण सम्भव हो सका।

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
वुडरो विल्सन के 14 सिद्धान्त क्या थे? वर्णन कीजिए। (2015)
उत्तर
राष्ट्रपति विल्सन के चौदह सूत्र या सिद्धान्त
वुडरो विल्सन संयुक्त राज्य अमेरिका के 27वें राष्ट्रपति थे। वे नैतिकता और आध्यात्मिकता के पुजारी तथा विश्व-शान्ति के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने विश्व-शान्ति के निम्नांकित 14 सिद्धान्तों या सूत्रों का निर्माण किया था –

  1. सभी राष्ट्र गुप्त सन्धियाँ व समझौते न करें।
  2. समुद्रों की स्वतन्त्रता सभी देश स्वीकार करें।
  3. सभी देश नि:शस्त्रीकरण का पालन करें।
  4. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की कठिनाइयों को दूर किया जाए।
  5. औपनिवेशिक देशों की जनता की इच्छा का ध्यान रखा जाए।
  6. रूस को पूर्ण विकास के अवसर दिए जाएँ।
  7. जर्मनी, बेल्जियम को छोड़कर अपनी प्राचीन अवस्था ग्रहण कर ले।
  8. फ्रांस भी अपनी पुरानी अवस्था पर पहुँच जाए।
  9. इटली की सीमाएँ राष्ट्रीयता के सिद्धान्त के आधार पर निश्चित की जाएँ।
  10. ऑस्ट्रिया-हंगरी को स्वायत्त शासन का अधिकार प्रदान किया जाए।
  11. रूमानिया, सर्बिया तथा मॉण्टीनीग्रो से सेनाएँ हटा ली जाएँ।
  12. तुर्की साम्राज्य के विरुद्ध तुर्की प्रदेशों (UPBoardSolutions.com) की सम्प्रभुता सुरक्षित रखी जाए।
  13. पोलैण्ड को समुद्र तट तक जाने का मार्ग दिया जाए।
  14. लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना की जाए।

वुडरो विल्सन के उपर्युक्त सिद्धान्त विश्व शान्ति और मानव जाति की सुरक्षा के लिए बड़े महत्त्वपूर्ण और उपयोगी थे। लेकिन यूरोप की महाशक्तियों ने जर्मनी से बदला लेने की भावना से प्रेरित होकर इन सिद्धान्तों की खुलकर खिल्ली उड़ाई और उनकी घोर उपेक्षा की। इसी कारण मानव जाति को शीघ्र ही द्वितीय विश्व युद्ध की आग में जलना पड़ा।

UP Board Solutions

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रथम विश्वयुद्ध किन-किन देशों के बीच हुआ ?
उत्तर
प्रथम विश्वयुद्ध दो गुटों के बीच हुआ था। पहले गुट में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी व टर्की थे तथा दूसरे गुट में इंग्लैण्ड, फ्रांस, इटली व अमेरिका थे।

प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध में पहली बार प्रयुक्त दो नये शस्त्रों के नाम लिखिए।
          या
प्रथम विश्वयुद्ध उससे पहले लड़े गये युद्धों से किस प्रकार भिन्न था ? [2009]
उत्तर
प्रथम विश्वयुद्ध में पहली बार मशीनगन और टैंक तथा शत्रु के ठिकानों पर बमबारी करने के लिए पहली बार ही हवाई जहाजों का भी प्रयोग किया गया। इस प्रकार यह युद्ध इससे पहले लड़े गये युद्धों से भिन्न था।

प्रश्न 3.
‘त्रिगुट’ का संस्थापक कौन था ? इसके सदस्य देशों के नाम लिखिए।
उत्तर
‘त्रिगुट’ का संस्थापक बिस्मार्क था। इसके सदस्य देश थे

  1. जर्मनी
  2. ऑस्ट्रिया-हंगरी तथा (UPBoardSolutions.com)
  3. टर्की (तुर्की)

प्रश्न 4.
त्रि-राष्ट्रीय मैत्री गुट के सदस्य कौन-कौन से देश थे ?
उत्तर
त्रि-राष्ट्रीय मैत्री गुट के सदस्य देश इंग्लैण्ड, फ्रांस तथा इटली थे।

प्रश्न 5.
वर्साय सन्धि कब और किसके बीच हुई ?
उत्तर
वर्साय सन्धि मित्रराष्ट्रों और जर्मनी के बीच 28 जून, 1919 ई० को हुई थी।

UP Board Solutions

प्रश्न 6.
वुडरो विल्सन कौन था ? वह क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर
वुडरो विल्सन अमेरिका का राष्ट्रपति था। उसने जनवरी, 1918 ई० में विश्व शान्ति का एक ‘चौदह-सूत्री कार्यक्रम’ पेश किया। इस कार्यक्रम के कारण ही विल्सन विख्यात हुआ।

प्रश्न 7.
त्रिगुट (ट्रिपल एलायंस) तथा त्रि-देशीय सन्धियों (ट्रिपल आन्तान्त) में कौन-कौन से देश सम्मिलित थे ?
उत्तर
त्रिगुट में जर्मनी, ऑस्ट्रिया व हंगरी एवं (UPBoardSolutions.com) त्रिमैत्री गुट में ब्रिटेन, फ्रांस व रूस थे।

प्रश्न 8.
प्रथम विश्वयुद्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका किस वर्ष सम्मिलित हुआ ?
उत्तर
संयुक्त राज्य अमेरिका 6 अप्रैल, 1917 को प्रथम विश्वयुद्ध में सम्मिलित हुआ।

UP Board Solutions

प्रश्न 9.
लीग ऑफ नेशन्स (राष्ट्र संघ) की स्थापना कब और कहाँ हुई ? इसके दो प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए। [2009, 12, 14]
उत्तर
लीग ऑफ नेशन्स (राष्ट्र संघ) की स्थापना 10 जनवरी, 1920 ई० को जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में हुई थी। उद्देश्य

  1. भविष्य में युद्धों को रोकने के लिए सभी राष्ट्रों को नि:शस्त्रीकरण के लिए प्रोत्साहित करना।
  2. विश्व के सभी राष्ट्रों में अन्तर्राष्ट्रीय (UPBoardSolutions.com) सहयोग स्थापित करना।

प्रश्न 10.
पेरिस शान्ति सम्मेलन (1919) का अध्यक्ष कौन था ? [2011]
उत्तर
पेरिस शान्ति सम्मेलन (1919) का अध्यक्ष क्लीमेन्सो (फ्रांस) था।

प्रश्न 11.
जर्मनी के साथ कौन-सी सन्धि हुई ?
उत्तर
जर्मनी के साथ वर्साय की सन्धि हुई।

UP Board Solutions

प्रश्न 12.
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद भविष्य में युद्धों को रोकने के लिए किस संस्था की स्थापना की गयी ? [2010]
उत्तर
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद भविष्य में युद्धों को रोकने के लिए राष्ट्र संघ की स्थापना की गयी।

प्रश्न 13.
लीग ऑफ नेशन्स के महत्व को समझाइए। [2012]
उत्तर
‘लीग ऑफ नेशन्स’ की स्थापना अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक रचनात्मक एवं महत्त्वपूर्ण प्रयास अवश्य था, क्योंकि इस संस्था ने संसार को पहली बार संकुचित दृष्टिकोण के स्थान पर व्यापक हितों के संरक्षण को प्रोत्साहित किया तथा (UPBoardSolutions.com) अल्पसंख्यकों के हितों को संरक्षण प्रदान किया। कालान्तर में इसी नींव पर संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी महत्त्वपूर्ण संस्था की आधारशिला रखी जा सकी।

प्रश्न 14.
लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना कब की गई थी? इसके किन्हीं दो कार्यों पर प्रकाश डालिए। [2014]
उत्तर
लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना 10 जनवरी, 1920 ई० को की गई थी।
कार्य

  1. राष्ट्रों के आपसी झगड़ों को शान्तिपूर्वक तरीकों से हल कराना।
  2. श्रमिकों की दशा सुधारना।

प्रश्न 15.
प्रथम विश्वयुद्ध कब प्रारम्भ हुआ और कब समाप्त हुआ? उसकी ऐसी दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जो पिछले युद्धों से भिन्न हों। [2014, 17]
उत्तर
प्रथम विश्व युद्ध का आरम्भ 28 जुलाई, 1914 को तथा अन्त 11 नवम्बर, 1918 को हुआ।
विशेषताएँ

  1. प्रथम विश्वयुद्ध अपने पूर्ववर्ती सभी युद्धों में सबसे लम्बी समयावधि तक चला।
  2. प्रथम विश्वयुद्ध में पहली बार आधुनिक (UPBoardSolutions.com) हथियारों; जैसे-वायुयान, पनडुब्बी, टैंक आदि का प्रयोग किया गया।

UP Board Solutions

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. वुडरो विल्सन कहाँ के राष्ट्रपति थे? (2016)

(क) फ्रांस
(ख) सं० रा० अमेरिका
(ग) इंग्लैण्ड
(घ) जापान

2. प्रथम विश्वयुद्ध का आरम्भ कब हुआ?

(क) 28 जुलाई, 1914 ई० को
(ख) 1 अगस्त, 1914 ई० को
(ग) 3 अगस्त, 1914 ई० को ।
(घ) 15 मई, 1915 ई० को

3. संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रथम विश्वयुद्ध में कब प्रवेश किया?

(क) 1915 ई० में
(ख) 1916 ई० में
(ग) 1917 ई० में
(घ) 1918 ई० में

4. पेरिस के शान्ति सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी?

(क) लॉयड जॉर्ज ने
(ख) क्लीमेन्सो ने
(ग) मैटरनिख ने
(घ) ओरलैण्डो ने

5. वर्साय की सन्धि कब हुई?

(क) 18 जनवरी, 1919 ई० को
(ख) 4 जून, 1919 ई० को
(ग) 20 जून, 1919 ई० को
(घ) 28 जून, 1919 ई० को

6. वर्साय की सन्धि की गयी थी [2015, 16]

(क) रूस के साथ
(ख) अमेरिका के साथ
(ग) जर्मनी के साथ
(घ) इटली के साथ

UP Board Solutions

7. प्रथम विश्वयुद्ध के समय अमेरिका के राष्ट्रपति कौन थे? [2011, 13]

(क) विल्सन
(ख) लिंकन
(ग) कैनेडी
(घ) वाशिंगटन

8. त्रि-राष्ट्रीय मैत्री की स्थापना हुई थी [2012]

(क) 1882 ई० में
(ख) 1907 ई० में
(ग) 1914 ई० में।
(घ) 1918 ई० में

9. प्रथम विश्वयुद्ध किस वर्ष समाप्त हुआ? [2012, 15]

(क) 1917
(ख) 1918
(ग) 1919
(घ) 1920

10. लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना कब हुई? [2013]

(क) 10 जनवरी, 1920 ई० में
(ख) 15 फरवरी, 1920 ई० में
(ग) 20 अगस्त, 1924 ई० में
(घ) 10 जुलाई, 1924 ई० में

11. निम्नलिखित में से कौन-सा ‘लीग ऑफ नेशन्स’ का अंग नहीं था? [2012]

(क) साधारण सभा
(ख) सुरक्षा परिषद्
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय
(घ) सचिवालय

UP Board Solutions

12. लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना में निम्नलिखित में से कौन सम्बन्धित था? [2018]

(क) बिस्मार्क
(ख) लेनिन
(ग) वुडरो विल्सन
(घ) लॉयड जॉर्ज

उत्तरमाला

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 8 प्रथम विश्वयुद्ध-कारण तथा परिणाम 2

Hope given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 8 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. UP Board Solutions try to provide online tutoring for you.

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 2 (Section 1)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 2 धर्म-सुधार आन्दोलन–खोजें एवं आविष्कार (अनुभाग – एक)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 2 धर्म-सुधार आन्दोलन–खोजें एवं आविष्कार (अनुभाग – एक).

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धर्म-सुधार आन्दोलन के कुछ प्रमुख कारणों पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
       या
यूरोप में प्रोटेस्टेण्ट धर्म-सुधार आन्दोलन के कारणों का वर्णन कीजिए। [2014]
उत्तर
धर्म-सुधार आन्दोलन के प्रमुख कारण धर्म-सुधार (UPBoardSolutions.com) आन्दोलन के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

1. चर्च के सिद्धान्तों के विरुद्ध असन्तोष – मध्यकाल के अन्तिम चरण में रोमन कैथोलिक चर्च के अन्दर ही कुछ मूलभूत सिद्धान्तों के विरुद्ध असन्तोष बढ़ रहा था। कुछ लोग यह मानने लगे थे कि रोमन कैथोलिक चर्च ईसा के उपदेशों, भावनाओं एवं मान्यताओं से दूर हट चुका है। इसलिए चर्च को ईसाई धर्म के ईश्वर-नियुक्त अभिभावक के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। इन सुधारकों ने कहा कि ईसाई सिद्धान्तों का एकमात्र प्रामाणिक स्रोत धर्मग्रन्थ है, न कि संगठित चर्च के निर्णय एवं परम्पराएँ। उन्होंने ईसाई धर्म में मनुष्य और ईश्वर के बीच प्रत्यक्ष सम्बन्धों पर जोर देना शुरू किया। फलतः पेशेवर पादरी और रोमन कैथोलिक चर्च के संस्कारों का महत्त्व घटने लगा।

UP Board Solutions

2. चर्च में व्याप्त बुराइयाँ – धर्म-सुधार आन्दोलन का दूसरा प्रमुख कारण चर्च के अन्तर्गत व्याप्त बुराइयाँ थीं, जो 15वीं एवं 16वीं सदी में पैदा हो गयी थीं। पादरियों की अज्ञानता और विलासिता, चर्च के पदों एवं सेवाओं की बिक्री (सिमोनी), सम्बन्धियों के बीच चर्च के लाभकारी पदों का बँटवारा (नेपोटिज्म) तथा एक पादरी द्वारा एक से अधिक पद रखे रहना (प्लुरेलिज़म) यह सभी असन्तोष एवं शिकायत के कारण थे। (UPBoardSolutions.com) पापी-से-पापी व्यक्ति भी चर्च को पैसे देकर अपने पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकता था। सच्चे धर्मात्मा एवं श्रद्धालु लोगों को ये बातें बुरी लगती थीं। वे यह नहीं समझ पाते थे कि जो व्यक्ति पाप करते हैं, उन्हें ईश्वर पैसा लेकर कैसे छोड़ देगा?

3. आर्थिक कारण – आर्थिक कारणों ने नि:सन्देह धर्म-सुधार आन्दोलन में उल्लेखनीय भूमिका निभायी। उस समय तक पश्चिमी यूरोप के देशों में राष्ट्रीय राज्य कायम हो चुके थे। राजाओं को सेना व प्रशासन का खर्च चलाने के लिए अधिक धन की आवश्यकता थी। पादरियों द्वारा वसूला जाने वाला कर’ रोम चला जाता था। इसके अतिरिक्त पादरी वर्ग धनी होते हुए भी करों से मुक्त था। राजा चाहते थे कि राज्य का शासन चलाने के लिए चर्च पर कर लगाया जाए। वाणिज्य-व्यापार के कारण जब मुद्रा-प्रधान अर्थव्यवस्था कायम हुई तब कर्ज लेने की प्रथा जोरों से चल पड़ी। परन्तु चर्च की मान्यता थी कि कर्ज लेना पाप है। अत: चर्च के सिद्धान्त व्यापार की प्रगति में बड़े बाधक थे। इसलिए व्यापारी एक ऐसा धर्म चाहते थे जो उनके कार्यों का समर्थन करे।

4. चर्च द्वारा किसानों का शोषण – चर्चशोषित किसानों का असन्तोष भी धर्म-सुधार आन्दोलन का कारण था। चर्च स्वतः ही एक बड़ा सामन्त था। भू-अनुदान के रूप में उसके पास बहुत अधिक भूमि का स्वामित्व था। किसान चर्च के कर से पिसते जा रहे थे। पादरी, सामन्त-प्रथा एवं किसानों (कम्मियों) के शोषण का समर्थन करते थे। इसलिए जाग्रत किसान उनसे नाराज थे और कभी-कभी विद्रोह भी कर देते थे।

5. धर्म के प्रति कट्टरवादिता – पुनर्जागरण के कारण चर्च और उसके प्रधान पोप के विरुद्ध विद्रोह की भावना और बलवती हो उठी। चर्च सम्भवत: नवीन विचारधारा का सबसे जबरदस्त विरोधी था। वह नहीं चाहता था कि पुराने विश्वासों और रूढ़ियों को उखाड़कर नये सिद्धान्तों की स्थापना हो। परन्तु मुद्रण (प्रिण्टिग) कला के विकास से धार्मिक ग्रन्थों को पढ़कर एवं विचारकों के विचार जानकर लोगों को पता चल गया कि (UPBoardSolutions.com) ईसाई धर्म का सच्चा स्वरूप क्या है तथा बीच के काल में जो अन्धविश्वास प्रविष्ट हो गये हैं वे पादरी वर्ग के निहितार्थों के कारण हुए थे। अत: इससे धर्म का स्वरूप विकृत हो गया था। वे इस बात का प्रयत्न करने लगे कि धर्म का प्राचीन रूप पुनः प्रतिष्ठित हो।

UP Board Solutions

निष्कर्ष – सोलहवीं शताब्दी के अन्त तक चर्च के विरुद्ध धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक और बौद्धिक असन्तोष चरम सीमा तक पहुँच चुका था। विद्रोह के लिए केवल एक सक्रिय नेता और विस्फोट के लिए एक घटना की आवश्यकता थी। प्रोटेस्टेण्ट (UPBoardSolutions.com) धर्म-सुधार तीन विशिष्ट परन्तु सम्बद्ध आन्दोलनों-लूथरवाद, काल्विनवाद और ऐंग्लिकनवाद से मिलकर संघटित हुआ। मार्टिन लूथर का विद्रोह धर्म-सुधार की शुरुआत थी।

प्रश्न 2. लूथरवाद तथा काल्विनवाद का विस्तृत वर्णन कीजिए।
       या
धर्म-सुधार आन्दोलन में लूथर का क्या योगदान था ?
       या
मार्टिन लूथर किंग पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर

लूथरवाद

मार्टिन लूथर का जन्म 10 नवम्बर, 1483 ई० में जर्मनी के आइसलेवन नामक शहर में हुआ था। इसके पिता हेन्स लूथर एक खान में मजदूरी किया करते थे। मार्टिन लूथर की 62 वर्ष की अवस्था में 18 फरवरी, 1546 ई० को आइसलेवन में मृत्यु हो गयी।

मार्टिन लुथर ने धर्मशास्त्र का अध्ययन किया था। उसका विश्वास था कि ईसा मसीह में अटूट विश्वास के द्वारा मनुष्य मुक्ति प्राप्त कर सकता है। उसने अनुभव किया कि पूजा, प्रायश्चित्त, बानगी, प्रार्थना, आध्यात्मिक ध्यान और क्षमा-पत्रों (UPBoardSolutions.com) (इण्डल्जेन्स) की खरीद से पाप से मुक्ति नहीं पायी जा सकती। उसने क्षमा-पत्रों की बिक्री के औचित्य को चुनौती दी। उसने तर्क दिया कि क्षमा-पत्र के द्वारा मनुष्य चर्च के लगाये दण्ड से मुक्त हो सकता है, किन्तु मृत्यु के पश्चात् वह ईश्वर के लगाये दण्ड से छुटकारा नहीं पा सकता और ने अपने पाप के फल से बच सकता है। उसके विचारों ने तहलका मचा दिया। उसके समर्थकों की संख्या बढ़ने लगी।

लूथर के विचारों से पोप को घबराहट हुई। पोप ने उसे धर्मच्युत कर दिया। इस समय तक सारे जर्मनी में सामाजिक एवं धार्मिक खलबली पैदा हो चुकी थी। बहुत-से राजा चर्च से नाराज थे। इसलिए वे लूथर का समर्थन करने लगे।

UP Board Solutions

लूथर के विचार बहुत सुगम थे। उसने ईसा और बाइबिल की सत्ता स्वीकार की जबकि पोप और चर्च की दिव्यता और निरंकुशता को नकार दिया। उसने बताया कि चर्च का अर्थ रोमन कैथोलिक या कोई अन्य विशिष्ट संगठन नहीं बल्कि ईसा में (UPBoardSolutions.com) विश्वास करने वाले लोगों का समुदाय है। उसने पोप, कार्डिनल और बिशप के पदानुक्रम को समाप्त करने की माँग की। मठों और पादरियों के ब्रह्मचर्य को समाप्त करने का विचार उसने रखा। उसके ये विचार अत्यधिक लोकप्रिय हुए।

धर्म के प्रश्न को लेकर जर्मनी के राज्य दो दलों में बँट गये-लूथर के समर्थक ‘प्रोटेस्टेण्ट’ कहलाये और उसके विरोधी ‘कैथोलिक’। प्रोटेस्टेण्ट, सुधारवादी थे और कैथोलिक प्राचीन धर्म के अनुयायी। प्रोटेस्टेण्ट धर्म उत्तरी जर्मन राज्यों, डेनमार्क, नार्वे, स्वीडन और बाल्टिक राज्यों में तेजी से फैल गया।

काल्विनवाद

प्रोटेस्टेण्ट धर्म की स्थापना में लूथर के बाद फ्रांस के ‘काल्विन’ का ही नाम आता है। इनका जन्म 10 जुलाई, 1509 ई० को फ्रांस में हुआ था। इन्होंने लूथर के विचारों को पढ़कर 24 वर्ष की आयु में प्रोटेस्टेण्ट धर्म को अपना लिया। उनका विचार था कि ईसाई धर्म को समझने के लिए ईसा के विचार को समझना आवश्यक है। उनका कहना था कि आचार-विचार का पालन कड़ाई से होना चाहिए।

काल्विन के सिद्धान्तों का आधार ईश्वर की इच्छा की सर्वोच्चता थी। ईश्वर की इच्छा से ही सब कुछ होता है, इसलिए मनुष्य की मुक्ति न कर्म से हो सकती है न आस्था से, वह तो केवल ईश्वर के अनुग्रह से ही हो सकती है। मनुष्य के पैदा होते ही यह (UPBoardSolutions.com) तय हो जाता है कि उसका उद्धार होगा या नहीं। इसे ही पूर्व नियति का सिद्धान्त’ (Doctrine of Predestiny) कहते हैं।

काल्विन के इस सिद्धान्त ने उसके अनुयायियों, विशेषकर व्यापारियों में नवीन उत्साह, आत्मविश्वास एवं दैविक प्रेरणा का संचार किया। अत: यह स्पष्ट है कि काल्विन के धर्म को व्यापारियों का समर्थन इसलिए मिला; क्योंकि उसके सिद्धान्तों से उनके व्यापार को बड़ा लाभ हुआ; उदाहरणस्वरूप-स्कॉट, डच, फ्रांसीसी और अंग्रेज। वास्तव में “19वीं शताब्दी के सर्वहारा के लिए जो कार्य कार्ल मार्क्स ने किया, वही 16वीं शताब्दी के मध्यम वर्ग के लिए काल्विन ने।

काल्विन तत्कालीन पूँजीवादी विकास का समर्थक था। उसने व्यापारियों और मध्यम वर्ग के लोगों के समर्थन से अपने धर्म को मजबूत किया। उसने इस बात पर भी जोर दिया कि पूँजी के लिए सूद (ब्याज) लेना उतना
ही ठीक है, जितना कि ज़मीन के लिए मालगुजारी। व्यापार में मुनाफे को वह उचित समझता था। काल्विन को इन विचारों के कारण व्यापारी वर्ग का समर्थन प्राप्त हुआ। अतएव वाणिज्य- व्यापार पर से धार्मिक प्रतिबन्धों के हट जाने से इनका तेजी से विकास हुआ। 27 मई, 1564 ई० को इनकी मृत्यु हो गयी। वैसे तो आधुनिक युग में भौगोलिक खोजों के कारण वाणिज्य, व्यवसाय और अन्ततः पूँजीवादी व्यवस्था का उदय हो चुका था, परन्तु बौद्धिक पुनर्जागरण एवं धर्म-सुधार आन्दोलन ने समुद्र यात्रा और अन्वेषण की इच्छा को और भी तेज कर दिया।

सदियों से एशिया कई अत्यन्त कीमती वस्तुओं के लिए यूरोप का स्रोत था। इन वस्तुओं में रेशम सिल्क, सूती कपड़े, कालीन, जवाहरात और मसाले जैसे माल सम्मिलित थे। ये वस्तु या तो यूरोप में मिलती नहीं थीं या यूरोपीय वस्तुओं से बेहतर होती थीं। (UPBoardSolutions.com) मिर्च, दालचीनी, लौंग, अदरक, जायफल जैसे मसाले बहुत महत्त्वपूर्ण थे, जिनका प्रयोग दवा बनाने, मांस सुरक्षित रखने और सॉस इत्यादि बनाने में होता था।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
15वीं सदी में नए स्थलों की खोज के लिए उत्तरदायी परिस्थितियों का वर्णन कीजिए। [2013]
       या
15वीं शताब्दी में नवीन व्यापारिक मार्गों की खोज क्यों हुई ?
       या
15वीं तथा 16वीं शताब्दी में नए प्रदेशों की खोजों के लिए उत्तरदायी कारणों को बताइए।
       या
15वीं तथा 16वीं शताब्दी में नए समुद्री माग की खोज के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
नए स्थानों की खोज-यात्राएँ
मानव जिज्ञासु प्राणी है। जिज्ञासा की भावना ने ही उसे नये देशों व स्थानों की खोज हेतु प्रेरणा दी। 15वीं सदी के अन्तिम वर्षों और 16वीं सदी के प्रारम्भिक वर्षों में यूरोप के साहसी नाविकों ने जोखिम उठाते हुए लम्बी-लम्बी यात्राएँ करके नवीन देशों की खोज करने में सफलता अर्जित की। इसीलिए पुनर्जागरण काल को ‘खोजों का काल भी कहा जाता है। भौगोलिक खोजों के लिए सर्वप्रथम पुर्तगाली और स्पेनिश नाविक (UPBoardSolutions.com) आगे आये। बाद में इंग्लैण्ड, फ्रांस, हॉलैण्ड और जर्मनी के नाविक भी खोज-अभियान में जुट गये। इस काल में खोजी यात्राओं के लिए कतिपय अनुकूल परिस्थितियाँ थीं, जिनके कारण सुगमता से खोजी अभियान प्रारम्भ हुआ।

1. तुर्को द्वारा कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार – 1453 ई० में तुर्को द्वारा कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार कर लिये जाने के फलस्वरूप पश्चिम और पूर्व के बीच व्यापारिक मार्ग यूरोपियनों के लिए बन्द हो गये। पुर्तगाल और स्पेन को भारत और इण्डोनेशिया के साथ व्यापार से पर्याप्त लाभ होता था और पुर्तगाली तथा स्पेन के लोग इस लाभ को छोड़ने के लिए तैयार न थे, अत: पूर्वी देशों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध बनाये रखने के लिए उन्होंने नये जलमार्गों का पता लगाया।

2. वैज्ञानिक आविष्कार – आधुनिक युग में दिशासूचक यन्त्र (कुतुबनुमा) का आविष्कार हुआ और इस यन्त्र के आविष्कार ने समुद्री यात्राओं को सुगम और सुरक्षित बना दिया। इस काल में मजबूत जहाजों का भी निर्माण हुआ जो समुद्री यात्रा के समय तूफान, हवा आदि से अपेक्षाकृत सुरक्षित थे।

UP Board Solutions

3. सम्राट् हेनरी का योगदान – पुर्तगाल का शासक हेनरी, नाविक हेनरी (HenrytheNavigator) के नाम से प्रसिद्ध है। वह स्वयं तो एक नाविक नहीं था, किन्तु उसने भौगोलिक अन्वेषणों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किये। उसने नाविकों का एक प्रशिक्षण केन्द्र (स्कूल) स्थापित किया और खोजी यात्राओं को प्रोत्साहित किया। पोत निर्माताओं को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान कीं और लम्बी दूरी की यात्राओं के लिए उपयुक्त पोत निर्माण करने की सलाह दी। हेनरी द्वारा स्थापित यह केन्द्र नाविकों और वैज्ञानिकों के आकर्षण का केन्द्र बन गया। इस प्रकार सम्राट् हेनरी ने ऐसी परम्परा विकसित की, जिसके (UPBoardSolutions.com) फलस्वरूप खोजी यात्री न केवल उत्साहित हुए, वरन् उन्हें आवश्यक सुविधाएँ भी प्राप्त हुईं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नवीन व्यापारिक मार्गों की तलाश में किन नये देशों की खोज हुई ? इसका व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर
नवीन व्यापारिक मार्गों की तलाश में अग्रलिखित नये देशों की खोज हुई –

1. उत्तमाशा अन्तरीप की खोज – सन् 1486 ई० में बालोमियो डियाज अफ्रीका के दक्षिणी तट पर पहुँचा, जिसे उसने ‘तूफानों का अन्तरीप’ नाम दिया। बाद में पुर्तगाल के शासक ने इसका नाम ‘उत्तमाशा अन्तरीप’ (Cape of Good Hope) रख दिया।

2. अमेरिका तथा पश्चिमी द्वीपसमूह की खोज – स्पेन का नाविक कोलम्बस, 1492 ई० में तीन समुद्री जहाजों को लेकर एक नयी भूमि पर पहुँचा। पहले वह समझा कि यह भारत भूमि ही है, परन्तु वास्तव में यह ‘नयी दुनिया’ थी। बाद में इटली का एक नाविक अमेरिगो भी यहीं पर पहुँचा। उसी के नाम पर इसका नाम ‘अमेरिका’ पड़ा।

3. न्यूफाउण्डलैण्ड तथा लेब्रेडोर की खोज – सन् 1497 ई० में जॉन कैबेट इंग्लैण्ड के राजा हेनरी सप्तम की सहायता के लिए पश्चिमी समुद्र की ओर निकला। वह उत्तरी अटलाण्टिक महासागर को पार कर कनाडा के समुद्र तट पर पहुँच गया और (UPBoardSolutions.com) उसने ‘न्यूफाउण्डलैण्ड’ की खोज की।

4. भारत के समुद्री मार्ग की खोज – यूरोप और भारत के मध्य समुद्री मार्ग की खोज पुर्तगाली नाविक वास्को-डि-गामा ने की थी।

5. ब्राजील की खोज – सन् 1501 ई० में पुर्तगाली नाविक कैब्रेल ने एक नये देश ‘ब्राजील की खोज की।

6. मैक्सिको तथा पेरू की खोज – सन् 1519 ई० में स्पेनिश नाविक कोटिस ने ‘मेक्सिको की तथा सन् 1531 ई० में पिज़ारो ने ‘पेरू’ की खोज की।

7. अफ्रीका महाद्वीप की खोज – इस महाद्वीप की खोज का श्रेय मार्टन स्टैनली तथा डेविड . लिविंग्स्टन को प्राप्त है।

8. पृथ्वी की प्रथम परिक्रमा – पुर्तगाली नाविक मैगलेन तथा उसके साथियों ने सन् 1519 ई० में समुद्र द्वारा पृथ्वी की प्रथम परिक्रमा करके यह सिद्ध कर दिया कि पृथ्वी गोल है तथा उसकी परिक्रमा सुगमता से की जा सकती है।
नवीन व्यापारिक मार्गों की खोज से व्यापार पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े

  1. भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप भारत जाने का छोटा और नया मार्ग खुल गया।
  2. नये व्यापारिक मार्गों की खोज के कारण विश्व के व्यापार में तेजी के साथ वृद्धि होने लगी।
  3. यूरोप में बड़े-बड़े व्यापारिक केन्द्रों का विकास होने लगा और इंग्लैण्ड, फ्रांस, स्पेन तथा पुर्तगाल देश धनी और शक्तिशाली होने लगे।
  4. यूरोपीय देशों में अपने उपनिवेश बनाने और अपना (UPBoardSolutions.com) साम्राज्य बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ हो गयी।
  5. यूरोप के शरणार्थी अमेरिका में आकर बसने लगे और वहाँ पर अपनी सभ्यता एवं संस्कृति का विकास करने लगे।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
ज्विग्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
हुल्द्रिख ज्विंग्ली का जन्म सन् 1484 में स्विट्जरलैण्ड के एक कृषक परिवार में हुआ था। इन्होंने “आर्किटेलीस’ (1522), “सत्य तथा मिथ्या पर भाष्य’ (1525) नामक पुस्तकें लिखी थीं। 11 अक्टूबर, 1531 ई० को कैपेल नामक स्थान पर इनकी मृत्यु हो गयी।

कैथोलिक चर्च का विरोध करने वाला मार्टिन लूथर अकेला नहीं था। स्विट्जरलैण्ड में ज्विग्ली भी नये सिद्धान्तों का प्रतिपादन कर रहा था। ज्विंग्ली 1506 ई० में ग्लेरस में स्थानीय पुरोहित के पद पर आसीन हुआ। जहाँ उसने ग्रीक, हिब् ग्रीक (UPBoardSolutions.com) तथा चर्च प्रवर्तकों का अध्ययन प्रारम्भ किया। 1519 ई० में वह ज्यूरिख के गिरजाघर का उद्देशक चुना गया और उसने अपने उन प्रवचनों को प्रारम्भ किया जो धर्म-सुधार आन्दोलन के जन्मदाता सिद्ध हुए।

प्रश्न 3.
वास्कोडिगामा किस प्रकार भारत पहुँचा ?
उत्तर
सन् 1498 ई० में पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा अपने राजा से आर्थिक सहायता पाकर अपने जहाजी बेड़े के साथ अफ्रीका के पश्चिमी तट से होता हुआ उत्तमाशा अन्तरीप पहुँचा। वहाँ से उसने हिन्द महासागर में प्रवेश किया; फिर उत्तर की ओर से वह जंजीबार होता हुआ पूर्व की ओर बढ़ा। वहाँ से वह भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट राज्य में पहुँचा।

प्रश्न 4.
धर्म-सुधार आन्दोलन के प्रमुख परिणाम की विवेचना कीजिए। (2015)
उत्तर

धर्म-सुधार आन्दोलन के प्रमुख परिणाम

धर्म-सुधार आन्दोलन को यूरोप पर व्यापक प्रभाव पड़ा, यथा –

  1. कैथोलिक धर्म में सुधार।
  2. प्रोटेस्टेण्ट धर्म का उदय (जन्म)।
  3. इंग्लैण्ड का विकास।
  4. शासक वर्ग की शक्ति में वृद्धि।
  5. पोप की शक्ति का पतन।
  6. राजकीय सम्पत्ति एवं शक्ति में वृद्धि।
  7. गिरजाघरों में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का प्रयास।

UP Board Solutions

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यूरोप में धर्म-सुधार आन्दोलन कब शुरू हुआ ?
उत्तर
यूरोप में धर्म-सुधार आन्दोलन की शुरुआत सोलहवीं शताब्दी में की गयी।

प्रश्न 2.
यूरोप में धर्म-सुधार आन्दोलन किसके विरुद्ध हुए ? (2017)
उत्तर
यूरोप में धर्म-सुधार आन्दोलन चर्च के विरुद्ध हुए।

प्रश्न 3.
मुद्रण कला के विकास से धर्म-सुधार आन्दोलन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर
मुद्रण कला के विकास से पुस्तकों की संख्या में वृद्धि हुई जिससे सामान्य जनता के लिए शिक्षा के द्वार खुल गये। शिक्षा के प्रसार से लोगों का ज्ञान बढ़ा तथा उनकी तर्कशक्ति का विकास हुआ।

प्रश्न 4.
मार्टिन लूथर कहाँ का निवासी था ?
उत्तर
मार्टिन लूथर जर्मनी का (UPBoardSolutions.com) निवासी था।

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
लूथर के समर्थक किस नाम से जाने जाते थे ?
उत्तर
लूथर के समर्थक प्रोटेस्टेण्ट के नाम से जाने जाते थे।

प्रश्न 6.
कुस्तुनतुनिया नगर का क्या महत्त्व था ?
उत्तर
मध्यकाल में कुस्तुनतुनिया शिक्षा एवं कला का प्रमुख केन्द्र था।

प्रश्न 7
व्यापारिक मार्गों की खोज में कौन-सा देश अग्रणी था ?
उतर
व्यापारिक मार्गों की खोज में पुर्तगाल देश विश्व का सबसे अग्रणी देश था।

प्रश्न 8
सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार किसने किया ?
उत्तर
सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार जेड जॉनसन (UPBoardSolutions.com) ने सन् 1590 ई० में किया।

UP Board Solutions

प्रश्न 9
अमेरिका की खोज किसने एवं कब की ?
उत्तर
अमेरिका की खोज कोलम्बस ने 1492 ई० में की थी।

प्रश्न 10
वास्कोडिगामा कौन था ? उसने किस वर्ष भारत आने के जलमार्ग की खोज की ? (2012, 18)
या
यूरोप से भारत पहुँचने के लिए समुद्री मार्ग की खोज किसने की थी? वह किस देश का निवासी था? (2015, 18)
या
वास्कोडिगामा किस देश का नाविक था? (2011)
उत्तर
वास्कोडिगामा पुर्तगाल का निवासी था। उसने 1498 (UPBoardSolutions.com) ई० में भारत आने के जलमार्ग की खोज की थी।

प्रश्न 11
यूरोप में धर्म-सुधार आन्दोलन के दो प्रमुख नेताओं के नाम लिखिए। (2015, 16)
उत्तर
मार्टिन लूथर तथा काल्विन।

प्रश्न 12
कोलम्बस किस देश का निवासी था?
उत्तर
कोलम्बस स्पेन (जेनेवा) का निवासी था।

UP Board Solutions

प्रश्न 13
भौगोलिक खोजों के तीन प्रभावों का उल्लेख कीजिए। (2016)
उत्तर

  1. यूरोप में बड़े-बड़े व्यापारिक केन्द्रों का विकास होने लगा और इंग्लैण्ड, फ्रांस, स्पेन तथा पुर्तगाल जैसे देश धनी और शक्तिशाली होने लगे।
  2. यूरोपीय देशों में अपने उपनिवेश बनाने और अपना साम्राज्य बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ हो गयी।
  3. यूरोप के शरणार्थी अमेरिका में जाकर बसने लगे (UPBoardSolutions.com) और वहाँ पर अपनी सभ्यता एवं संस्कृति का विकास करने लगे।

बहु विकल्पीय प्रशन

1. यूरोप में धर्म-सुधार आन्दोलन का उद्देश्य था

(क) यूरोपीय लोगों को धार्मिक बनाना
(ख) पादरी वर्ग को और अधिक शक्तिशाली बनाना
(ग) तत्कालीन धर्म एवं चर्च में सुधारवादी परिवर्तन करना
(घ) रोमन कैथोलिक चर्च को प्रतिष्ठित करना

2. मार्टिन लूथर द्वारा चलाये गये आन्दोलन का क्या नाम था ? [2012, 13, 17]

(क) कैथोलिक
(ख) प्यूरीटन
(ग) डेसबेटेरियन्स
(घ) प्रोटेस्टेण्ट

UP Board Solutions

3. मार्टिन लूथर ने धर्म-सुधार आन्दोलन किस देश से प्रारम्भ किया था ? (2012]

(क) इटली
(ख) जर्मनी
(ग) फ्रांस
(घ) हॉलैण्ड

4. समुद्री मार्ग से सर्वप्रथम भारत पहुँचने वाला विदेशी व्यक्ति कौन था ? [2011, 13, 17]

(क) मैगलेन
(ख) वास्कोडिगामा
(ग) कोलम्बस
(घ) सर फ्रांसिसस ड्रेम

5. भारत आने के लिए जलमार्ग की खोज की

(क) कोलम्बस ने
(ख) अल्बुकर्क ने
(ग) डी० अल्मोडा ने
(घ) वास्कोडिगामा ने

6. वास्कोडिगामा कालीकट बन्दरगाह पर पहुँचा

(क) सन् 1488 ई० में
(ख) सन् 1494 ई० में
(ग) सन् 1498 ई० में
(घ) सन् 1598 ई० में

7. ‘सेन्ट पॉल’ गिरजाघर स्थित है [2012]

(क) रोम में
(ख) स्पेन में
(ग) जर्मनी में
(घ) लन्दन में

UP Board Solutions

8. प्रोटेस्टेण्ट आन्दोलन का नेतृत्व किसने किया? [2013]
       या
प्रोटेस्टेण्ट सम्प्रदाय की स्थापना किसने की? [2013]

(क) दान्ते ने
(ख) सर टॉमस मूर ने
(ग) मार्टिन लूथर ने
(घ) जूलियस द्वितीय ने

9. फ्रांसिस ड्रेक की प्रसिद्धि का कारण था, उसके द्वारा (2013)

(क) उत्तमाशा की खोज
(ख) कुतुबनुमा का आविष्कार
(ग) फिलीपीन्स में उपनिवेश की स्थापना
(घ) समुद्री मार्ग से विश्व की परिक्रमा

10. निम्न में से किसने रोमन कैथोलिक धर्म की तीव्र आलोचना की? [2014]

(क) मार्टिन लूथर
(ख) इग्नेशियस लायोला
(ग) दान्ते
(घ) इरास्मस रास्मस

11. महान धर्म सुधारक मार्टिन लूथर किस देश का निवासी था? [2014]

(क) जर्मनी
(ख) इंग्लैण्ड
(ग) फ्रांस
(घ) स्पेन

UP Board Solutions

12. बार्थोलोमियो डियाज ने निम्न में से किसकी खोज की थी? [2014]

(क) उत्तमाशा अन्तरीप की
(ख) ब्राजील की
(ग) पेरू की।
(घ) फिलीपीन द्वीप समूह की

13. जर्मनी में धर्म-सुधार आन्दोलन के प्रणेता थे – [2015]

(क) ज्विगली
(ख) काल्विन
(ग) राजा फिलिप
(घ) मार्टिन लूथर

14. प्रोटेस्टेण्ट धर्म सुधारक काल्विन किस देश का नागरिक था? [2016]

(क) स्कॉटलैण्ड
(ख) स्विट्जरलैण्ड
(ग) फ्रांस
(घ) स्पेन

15. कैथोलिक चर्च के विरुद्ध आवाज उठाने वाला धर्म-सुधारक ज्विग्ली किस देश का निवासी था? (2017)

(क) जर्मनी
(ख) स्विट्जरलैण्ड
(ग) फ्रांस
(घ) स्पेन

UP Board Solutions

16. नई दुनिया की खोज की (2017)

(क) वास्को-डि-गामा ने
(ख) मैगलेन ने
(ग) केल्विन ने
(घ) कोलम्बस ने

उत्तरमाला

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 2 धर्म-सुधार आन्दोलन–खोजें एवं आविष्कार 1

Hope given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 2 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. UP Board Solutions try to provide online tutoring for you.

UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations

UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations (रासायनिक अभिक्रियाएँ और समीकरण)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations.

पाठगत हल प्रश्न

[NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED]

खंड 1.1 (पृष्ठ संख्या 6)

प्रश्न 1.
वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को साफ़ क्यों किया जाता है?
उत्तर
वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को रेगमाल से रगड़कर साफ़ कर देते हैं, ताकि मैग्नीशियम ऑक्साइड और मैग्नीशियम कार्बोनेट की परत हट जाए, जो वायुमंडलीय ऑक्सीजन और CO, से अभिक्रिया के फलस्वरूप (UPBoardSolutions.com) रिबन पर बना था। ऐसा करने पर मैग्नीशियम रिबन आसानी से जलने लगता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए संतुलित समीकरण लिखिए|
(i) हाइड्रोजन + क्लोरीन → हाइड्रोजन क्लोराइड
(ii) बेरियम क्लोराइड + ऐलुमीनियम सल्फेट → बेरियम सल्फेट + ऐलुमीनियम क्लोराइड
(iii) सोडियम + जल → सोडियम हाइड्रॉक्साइड + हाइड्रोजन ।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-1

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए उनकी अवस्था के संकेतों के साथ संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए-
(i) जल में बेरियम क्लोराइड तथा सोडियम सल्फेट के विलयन अभिक्रिया करके सोडियम क्लोराइड का विलयन तथा अघुलनशील बेरियम सल्फेट का अवक्षेप बनाते हैं।
(ii) सोडियम हाइड्रोक्साइड का विलयन (जल में) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के विलयन (जल में) से अभिक्रिया करके सोडियम क्लोराइड का विलयन तथा जल बनाते हैं।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-2

खंड 1.2 ( पृष्ठ संख्या 11)

प्रश्न 1.
किसी पदार्थ ‘X’ के विलयन का उपयोग सफ़ेदी करने के लिए होता है।
(i) पदार्थ X’ का नाम तथा इसका सूत्र लिखिए।
(ii) ऊपर (i) में लिखे पदार्थ ‘X’ की जल के साथ अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर
(i) पदार्थ ‘x’ का नाम बिना बुझा हुआ चूना है, जिसका
(ii) पदार्थ ‘X’ अर्थात् CaO की जल के साथ अभिक्रिया इस प्रकार होती है-
CaO(s) + H2O(l) → Ca(OH)2(aq)
(बिना बुझा हुआ चूना) बुझा हुआ चूना (UPBoardSolutions.com) (कैल्शियम हाइड्रोक्साइड)

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
क्रियाकलाप 1.7 में एक परखनली में एकत्रित गैस की मात्रा दूसरी से दोगुनी क्यों है? उस गैस का नाम बताइए।
उत्तर
हमें ज्ञात है कि जल 2 भाग हाइड्रोजन और 1 भाग ऑक्सीजन स्विच से मिलकर बना है अर्थात् H,0। हाइड्रोजन परमाणु और
ऑक्सीजन परमाणु के 2 : 1 में संयोग करने से बना है। (UPBoardSolutions.com) अतः जल का वैद्युत अपघटन करने से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसें प्राप्त होती हैं। इसलिए कैथोड पर एकत्रित गैस हाइड्रोजन और एनोड पर एकत्रित गैस ऑक्सीजन
की मात्रा की दोगुनी है। (देखिए चित्र 1.4)
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-3

खंड 1.3 (पृष्ठ संख्या 15)

प्रश्न 1.
जब लोहे की कील को कॉपर सल्फ़ेट के विलयन में डुबोया जाता है, तो विलयन का रंग क्यों बदल जाता है?
उत्तर
जब लोहे की कील को नीले रंग के कॉपर सल्फेट (CuSO) के विलयन में डुबोया जाता है, तो विलयन का नीला रंग हल्का (मलीन) हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि Fe, Cu से अधिक अभिक्रियाशील है जो कॉपर को विस्थापित कर देता है और आयरन सल्फेट तथा कॉपर धातु बनती है। अभिक्रिया इस प्रकार होती है
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-4

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
क्रियाकलाप 1.10 से भिन्न द्विविस्थापन अभिक्रिया का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-5

प्रश्न 3.
निम्न अभिक्रियाओं में उपचयित तथा  अपचयित पदार्थों की पहचान कीजिए-
(i) 4Na(s) + O2(g) → 2Na2O(5)
(ii) Cuo(s) + H2(g) + Cu(s) + H2O(l)
उत्तर
(i) इस अभिक्रिया में सोडियम (Na) Na,0 में (UPBoardSolutions.com) उपचयित होता है, क्योंकि Na का O2, से संयोग हो रहा है और O2, अपचयित होने वाला पदार्थ है। अतः उपचयित एवं अपचयित होने वाले पदार्थ क्रमशः Na और O2 हैं।
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-6

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED]

प्रश्न 1.
नीचे दी गई अभिक्रिया के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
2PbO(s) + C(s) → 2PD(S) + CO2(g)
(a) सीसा अपचयति हो रहा है।
(b) कार्बन डाइऑक्साइड उपचयित हो रहा है।
(c) कार्बन उपचयित हो रहा है।
(d) लेड ऑक्साइड अपचयित हो रहा है।
(i) (a) एवं (b)
(ii) (a) एवं (C)
(iii) (a), (b) एवं (C)
(iv) सभी
उत्तर
(i) (a) एवं (b)

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
Fe2O3+ 2Al → Al2O3 + 2Fe
ऊपर दी गई अभिक्रिया किस प्रकार की है?
(a) संयोजन अभिक्रिया
(b) द्विविस्थापन अभिक्रिया
(C) वियोजन अभिक्रिया
(d) विस्थापन अभिक्रिया
उत्तर
(2) विस्थापन (UPBoardSolutions.com) अभिक्रिया ।

प्रश्न 3.
लौह-चूर्ण पर तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालने से क्या होता है? सही उत्तर पर निशान लगाइए।
(a) हाइड्रोजन गैस एवं आयरन क्लोराइड बनता है।
(b) क्लोरीन गैस एवं आयरन हाइड्रॉक्साइड बनता है।
(c) कोई अभिक्रिया नहीं होती है।
(d) आयरन लवण एवं जल बनता है।
उत्तर
(a) हाइड्रोजन गैस एवं आयरन क्लोराइड बनता है।

प्रश्न 4.
संतुलित रासायनिक समीकरण क्या है? रासायनिक समीकरण को संतुलित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर
जब किसी रासायनिक समीकरण में विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की संख्या बाईं ओर (L.H.S) तथा दाईं ओर (R.H.S) में बराबर होती है, तो उसे संतुलित रासायनिक समीकरण कहते हैं अर्थात्, अभिकारकों में तत्वों के कुल परमाणुओं की संख्या = उत्पादों में तत्वों के कुल परमाणुओं की संख्या। रासायनिक समीकरण को संतुलित करना इसलिए आवश्यक होता है, क्योंकि किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में (UPBoardSolutions.com) द्रव्यमान का न तो निर्माण होता है न ही विनाश। अर्थात् उत्पाद तत्वों का कुल द्रव्यमान = अभिकारक तत्वों का कुल द्रव्यमान अतः रासायनिक समीकरण में द्रव्यमान के संरक्षण नियम का पालन होता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
निम्न कथनों को रासायनिक समीकरण के रूप में परिवर्तित कर उन्हें संतुलित कीजिए।
(a) नाइट्रोजन हाइड्रोजन गैस से संयोग करके अमोनिया बनाता है।
(b) हाइड्रोजन सल्फ़ाइड गैस का वायु में दहन होने पर जल एवं सल्फ़र डाइऑक्साइड बनता है।
(C) ऐलुमिनियम सल्फेट के साथ अभिक्रिया कर बेरियम क्लोराइड ऐलुमिनियम क्लोराइड एवं बेरियम सल्फ़ेट का अवक्षेप देता है।
(d) पोटैशियम धातु जल के साथ अभिक्रिया करके पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड एवं हाइड्रोजन गैस देती है।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-7

प्रश्न 6.
निम्न रासायनिक समीकरणों को संतुलित कीजिए
(a) HNO3 + Ca(OH)2 → Ca(NO3)2 + H2O
(b) NaOH + H2SO4→ Na2SO4 + H2O
(c) NaCl + AgNO3 → Agcl + NaNO3
(d) BaCl2 + H2SO4→ BaSO4 + HCl
उत्तर
संतुलित रासायनिक समीकरण
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-8

प्रश्न 7.
निम्न अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए-
(a) कैल्शियम हाइड्रोक्साईड + कार्बन डाइऑक्साइड – कैल्शियम कार्बोनेट + जल ।
(b) जिंक + सिल्वर नाइट्रेट -→ जिंक नाइट्रेट + सिल्वर ।
(c) ऐलुमिनियम + कॉपर क्लोराइड —-→ ऐलुमिनियम क्लोराइड + कॉपर
(d) बेरियम क्लोराइड + पोटैशियम सल्फेट -→ बेरियम सल्फेट + पोटैशियम क्लोराइड
उत्तर
संतुलित रासायनिक समीकरण-
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-9
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-10

UP Board Solutions

प्रश्न 8.
निम्न अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए एवं प्रत्येक अभिक्रिया का प्रकार बताइए
(a) पोटैशियम ब्रोमाइड(aq) + बेरियम आयोडाइड(aq) → पोटैशियम आयोडाइड (aq) + बेरियम ब्रोमाइड(S)
(b) जिक कार्बोनेट(s) → जिंक ऑक्साइड(s) + कार्बन डाइऑक्साइड(g)
(C) हाइड्रोजन(g) + क्लोरीन(s) → हाइड्रोजन क्लोराइड(g)
(d) मैग्नीशियम(5) + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल(s) – मैग्नीशियम क्लोराइड(aq) + हाइड्रोजन(g)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-11

प्रश्न 9.
ऊष्माक्षेपी एवं ऊषमाशोषी अभिक्रिया का क्या अर्थ है? उदाहरण दीजिए।
उत्तर
ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic Reaction)-जिन अभिक्रियाओं में उत्पाद के निर्माण के साथ-साथ ऊष्मा भी उत्पन्न होती है, उन्हें ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं। ऊष्मा उत्सर्जन को (A) संकेत द्वारा उत्पाद की ओर लिखकर प्रदर्शित किया जाता है। उदाहरण के लिए-
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-12.1
ऊष्माशोषी अभिक्रिया (Endothermic Reaction)- (UPBoardSolutions.com) जिन अभिक्रियाओं में ऊष्मा का अवशोषण होता है, उन्हें ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ कहते हैं। उदाहरण के लिए-CaCO का अपघटन एक ऊष्माशोषी अभिक्रिया है, क्योंकि इसमें ऊष्मा के रूप में ऊर्जा अवशोषित होती है। अभिक्रिया इस प्रकार है-
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-12

प्रश्न 10.
श्वसन को ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया क्यों कहते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर
श्वसन को ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया दो कारणों से कहा जाता है
(i) क्योंकि ग्लूकोज़ हमारी कोशिकाओं में उपस्थित ऑक्सीजन से संयोग कर CO, और जल बनाता है।
(ii) इस अभिक्रिया में ऊष्मा ऊर्जा निर्मुक्त होती है। अभिक्रिया इस प्रकार होती है
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-13

प्रश्न 11.
वियोजन अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया के विपरीत क्यों कहा जाता है? इन अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर
वियोजन अभिक्रिया में कोई अभिकारक दो (UPBoardSolutions.com) या दो से अधिक उत्पादों में विघटित हो जाता है।
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-14

UP Board Solutions

प्रश्न 12.
उन वियोजन अभिक्रियाओं के एक-एक समीकरण लिखिए जिनमें ऊष्मा, प्रकाश एवं विद्युत के रूप में ऊर्जा प्रदान की जाती है।
उत्तर
(a) ऊष्मा के द्वारा वियोजन-
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-15
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-16

प्रश्न 13.
विस्थापन एवं द्विविस्थापन अभिक्रियाओं में क्या अंतर है? इन अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए।
उत्तर
विस्थापन अभिक्रिया-जब अधिक क्रियाशील तत्व, कम क्रियाशील तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है तो विस्थापन अभिक्रिया होती है।
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-17
यहाँ, Zn, Cu से अधिक क्रियाशील है जो (UPBoardSolutions.com) CuCl, से Cu को विस्थापित कर देता है।
द्विविस्थापन अभिक्रिया-द्विविस्थापन अभिक्रिया में अभिकारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है। जैसे AB + CD → AC + BD
NaOH + HCl → NaCl + H2O

प्रश्न 14.
सिल्वर के शोधन में, सिल्वर नाइट्रेट के विलयन से सिल्वर प्राप्त करने के लिए कॉपर धातु द्वारा विस्थापन किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर
Cu(s) + 2AgNO3(3) → Cu(NO3)2(aq) + 2Ag(s)

प्रश्न 15.
अवक्षेपण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें अविलेय लवण बनता है, जो विलयन से पृथक हो जाता है, अवक्षेपण अभिक्रिया कहलाती है। उदाहरण-
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-18

UP Board Solutions

प्रश्न 16.
ऑक्सीजन के योग या हास के आधार पर निम्न पदों की व्याख्या कीजिए। प्रत्येक के लिए दो उदाहरण दीजिए।
(a) उपचयन
(b) अपचयन
उत्तर
(a) उपचयन (Oxidation)-ऑक्सीकरण का योग या हाइड्रोजन का ह्रास ऑक्सीकरण या उपचयन कहलाता है। जैस-
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-19

प्रश्न 17.
एक भूरे रंग का चमकदार तत्व ‘X’ को वायु की उपस्थिति में गर्म करने पर वह काले रंग का हो जाता है। इस तत्व ‘X’ एवं उस काले रंग के यौगिक का नाम बताइए।
उत्तर
यह चमकदार तत्व ‘X’ कॉपर धातु (Cu) है। (UPBoardSolutions.com) जब इसे वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है, तो यह उपचयित होकर काले रंग की कॉपर (II) ऑक्साइड (CuO) बनाती है। अभिक्रिया इस प्रकार होती है-
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 Chemical Reactions and Equations img-20

प्रश्न 18.
लोहे की वस्तुओं को हम पेंट क्यों करते हैं?
उत्तर
लोहे की वस्तु हवा एवं आर्द्रता के संपर्क में आकर संक्षारित हो जाती है। अतः पेंट करने पर लोहे की सतह हवा या नमी (आर्द्रता) के प्रत्यक्ष संपर्क में नहीं रहती है, जिसके कारण संक्षारण (जंग लगना) नहीं हो पाता है। इस तरह लोहा पेंट करने पर क्षतिग्रस्त नहीं होता।

प्रश्न 19.
तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से प्रभावित क्यों किया जाता है?
उत्तर
तेल एवं वसा युक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से इसलिए प्रभावित किया जाता है, क्योंकि इन पदार्थों का गंध एवं स्वाद उपचयित होने के कारण बदल जाता है। नाइट्रोजन एक प्रतिऑक्सीकारक है, जो इन पदार्थों को उपचयित (UPBoardSolutions.com) (आक्सीकृत) होने से बचाता है। अतः तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों की विकृतगंधिता नहीं हो पाती है। इस तरह वसायुक्त पदार्थ; जैसे-चिप्स खराब नहीं होते।

UP Board Solutions

प्रश्न 20.
निम्न पदों का वर्णन कीजिए तथा प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए-
(a) संक्षारण
(b) विकृतगंधिता
उत्तर
(a) संक्षारण-जब कोई धातु वायुमंडल में उपस्थित आर्द्रता एवं अम्ल के संपर्क में आती है तो उसके सतहों पर एक परत चढ़ जाती है। इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं। जब लोहे का संक्षारण होता है, तो उसे जंग लगना कहते हैं।
उदाहरण-सिल्वर धातु (चाँदी) के ऊपर सिल्वर सल्फाइड की काली परत, कॉपर के ऊपर हरे रंग का कॉपर कार्बोनेट की परत चढ़ना तथा लोहे के ऊपर लालिमायुक्त भूरे रंग की Fe,0:2H,O (हाइड्रेटेड फेरिक ऑक्साइड) की परत चढ़ना।।

(b) विकृतगंधिता-तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थ हवा (ऑक्सीजन) के सम्पर्क में आने से उपचयित (आक्सीकृत) होकर विकृतगंधी हो जाते हैं, जिसके कारण इसका स्वाद एवं गंध बदल जाता है। इस प्रक्रिया को (UPBoardSolutions.com) विकृतगंधिता कहते हैं।
विकृतगंधिता रोकने के उपाय-

  1. नाइट्रोजन प्रति ऑक्सीकारक मिलाकर
  2. वायुरोधी बर्तनों में खाद्य सामग्री रखकर

उदाहरण-चिप्स की थैली लंबे समय बाद उपचयित होकर विकृतगंधी हो जाती है और मक्खन को कमरे के तापमान पर लंबे समय तक रखने पर इसका स्वाद खट्टा हो जाता है तथा इससे खराब गंध आने लगती है, क्योंकि यह उपचयित हो जाता है।

Hope given UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 1 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. UP Board Solutions try to provide online tutoring for you.

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 4 (Section 2)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 4 सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय (अनुभाग – दो)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 4 सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय (अनुभाग – दो).

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सर्वोच्च न्यायालय के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को अपदस्थ करने की क्या प्रक्रिया है ? [2015]
या

सर्वोच्च न्यायालय प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत किन-किन मुकदमों की सुनवाई कर सकता है? किन्हीं दो प्रकार के मुकदमों का वर्णन कीजिए। [2014]
              या
भारत के उच्चतम न्यायालय की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए। [2012, 14]
              या
सर्वोच्च न्यायालय को संविधान का रक्षक क्यों कहा जाता है ? [2010]
              या
सर्वोच्च न्यायालय किस प्रकार के मुकदमों की सीधी सुनवाई कर सकता है? इसे संविधान का संरक्षक क्यों कहा जाता है? [2015]
              या
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के संगठन पर प्रकाश डालिए। [2015]
              या
सर्वोच्च न्यायालय के संगठन पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए। [2010, 11]
              या
सर्वोच्च न्यायालय क्षेत्राधिकार में आने वाले किन्हीं दो बिन्दुओं का वर्णन कीजिए। [2009]
              या
सर्वोच्च न्यायालय नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा किस प्रकार करता है? [2010]
              या
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य कार्य क्या हैं? [2010]
              या
अभिलेख न्यायालय के रूप में उच्चतम न्यायालय के क्या अधिकार हैं? स्पष्ट कीजिए। [2009]
              या
अभिलेख न्यायालय पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। [2009]
              या
सर्वोच्च न्यायालय के प्रारम्भिक एवं अपीलीय क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए। [2017]
              या
भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है? उसकी दो अर्हताएँ लिखिए। [2018]
उत्तर :
संरचना अथवा संगठन- संविधान की धारा 224 के अनुसार, भारतीय संघ में एक सर्वोच्च न्यायालय होगा। सर्वोच्च न्यायालय का संगठन इन सन्दर्भो में समझा जा सकता है। मूल संविधान में सर्वोच्च न्यायालय के लिए एक मुख्य न्यायाधीश तथा 7 अन्य न्यायाधीशों की व्यवस्था की गयी थी। सन् 2008 से संसद ने न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाकर 31 कर दी है। अब सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और 30 अन्य न्यायाधीश  हैं। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के उन न्यायाधीशों से (UPBoardSolutions.com) परामर्श करता है, जिन्हें वह आवश्यक समझे। सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के समय राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश से मन्त्रणा कर लेता है। संवैधानिक अध्यक्ष होने के कारण राष्ट्रपति मन्त्रिपरिषद् के परामर्श से ही नियुक्तियाँ करता है। तदर्थ न्यायाधीश की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति की स्वीकृति से करता है। सर्वोच्च न्यायालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। वर्तमान में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री दीपक मिश्रा हैं।

न्यायाधीशों की योग्यताएँ– संविधान द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की निम्नलिखित योग्यताएँ (अर्हताएँ) निश्चित की गयी हैं

  • वह भारत का नागरिक हो।
  • उसकी आयु 65 वर्ष से कम हो।
  • वह किसी उच्च न्यायालय में या ऐसे दो अथवा दो से अधिक न्यायालयों में लगातार 5 वर्ष तक । न्यायाधीश रह चुका हो।
  • वह किसी उच्च न्यायालय में अथवा अन्य न्यायालयों में लगातार 10 वर्ष तक अधिवक्ता (एडवोकेट) रह चुका हो।
  • राष्ट्रपति के मत से वह कोई पारंगत एवं प्रतिष्ठित विधिवेत्ता रहा हो।

शपथ-ग्रहण- न्यायाधीश को पद पर आसीन होने से पहले राष्ट्रपति के समक्ष संविधान के प्रति निष्ठा एवं निष्पक्ष रूप से कार्य करने की शपथ लेनी पड़ती है।

वेतन और भत्ते- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को १ 2,80,000 मासिक वेतन तथा अन्य न्यायाधीशों को १ 2,50,000 मासिक वेतन मिलता है। इसके अतिरिक्त उन्हें नि:शुल्क आवास तथा यात्रा-भत्ता मिलता है। इनके वेतन-भत्ते भारत की संचित निधि से दिये जाते हैं। ये वेतन-भत्ते संसद द्वारा निश्चित किये जाते हैं। इनके कार्यकाल में ये घटाये नहीं जा सकते। सेवानिवृत्त होने पर मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों को वार्षिक पेंशन प्राप्त होती है। इन सभी सुविधाओं के उपरान्त उन पर एक प्रतिबन्ध यह है। कि वे सेवानिवृत्त होने के पश्चात् किसी न्यायालय में वकालत नहीं कर सकते। यदि राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को न्याय से सम्बन्धित कोई विशेष कार्य सौंपता है तो उस कार्य के लिए न्यायाधीश को पारिश्रमिक प्रदान किया जाता है।

UP Board Solutions

कार्यकाल तथा महाभियोग- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की अवधि तक अपने पद पर कार्य करते हैं। पैंसठ वर्ष की आयु पूर्ण होने पर उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया जाता है। इस अवधि से पूर्व वे स्वेच्छा से त्याग-पत्र दे सकते हैं अथवा संसद महाभियोग लगाकर उन्हें पदच्युत कर सकती है। न्यायाधीशों को अयोग्यता तथा कदाचार के आधार पर भी पदच्युत किया जा सकता है। इसके लिए व्यवस्था की गयी है। कि संसद के दोनों सदनों के उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत और समस्त संख्या के बहुमत से उक्त न्यायाधीश पर कदाचार अथवा असमर्थता का आरोप लगाकर (UPBoardSolutions.com) राष्ट्रपति के पास विचारार्थ भेजें और राष्ट्रपति उस प्रस्ताव पर अपने हस्ताक्षर कर दे। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि महाभियोग का प्रस्ताव संसद के एक ही सत्र में स्वीकृत हो जाना चाहिए। सम्बन्धित न्यायाधीश को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का पूर्ण अवसर दिया जाता है।

अभिलेख न्यायालय- उच्चतम न्यायालय को अभिलेख न्यायालय इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय अभिलेख (रिकॉर्ड) न्यायालय के रूप में भी कार्य करता है। अभिलेख न्यायालय का अर्थ यह है कि न्यायालय के समस्त निर्णयों को अभिलेख के रूप में सुरक्षित रखा जाता है। इन अभिलेखों को भविष्य में किसी भी न्यायालय के निर्णय, अन्य अधीनस्थ न्यायालयों में आवश्यकता पड़ने पर नजीर (केस लॉ) के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

भारत के उच्चतम या सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार/कार्य

भारत के सर्वोच्च या उच्चतम न्यायालय को व्यापक क्षेत्राधिकार प्राप्त हैं। इसके क्षेत्राधिकार का अध्ययन चार रूपों में किया जा सकता है–

  1. प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार,
  2. अपीलीय क्षेत्राधिकार,
  3. परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार तथा
  4. अन्य अधिकार।

1. प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार- कुछ विवाद ऐसे होते हैं जिन्हें केवल उच्चतम न्यायालय को ही सुनने तथा सुलझाने का अधिकार होता है। ये विवाद निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

  • जब कोई विवाद भारत सरकार और एक या एक से अधिक राज्यों के बीच हो।
  • जब किसी विवाद में एक ओर भारत सरकार और एक या एक से अधिक राज्य सरकारें हों तथा दूसरी ओर एक अथवा अधिक राज्य सरकारें हों।
  • जब विवाद दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य हो।
  • जब विवाद राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बन्धित हो।

2. अपीलीय क्षेत्राधिकार- सर्वोच्च न्यायालय को राज्यों के उच्च न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपील सुनने का अधिकार प्राप्त है। सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार को अग्रलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

  1. संवैधानिक अपीलें- संविधान के अनुच्छेद 132 के अनुसार, जब कोई उच्च न्यायालय किसी मुकदमे के सम्बन्ध में यह प्रमाण-पत्र दे देता है कि उसमें संविधान की किसी धारा की व्याख्या का प्रश्न निहित है तो उस मुकदमे की अपील उच्चतम न्यायालय में होती है। यदि उच्च न्यायालय प्रमाण-पत्र नहीं देता है तो उच्चतम न्यायालय स्वयं भी ऐसे मामलों में अपील की आज्ञा दे सकता
  2. दीवानी अपीलें- उच्च न्यायालय के प्रमाण-पत्र देने पर किसी भी दीवानी मुकदमे की अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।
  3. फौजदारी की अपीलें- निम्नलिखित स्थितियों में फौजदारी मुकदमों की अपीलें उच्चतम न्यायालय में की जा सकती हैं
  • जब उच्च न्यायालय ने किसी मुकदमे को अपने अधीन न्यायालय से मँगवाकर अपराधी को मृत्यु-दण्ड दे दिया हो।
  • यदि किसी अपराधी को उच्च न्यायालय ने अपने (UPBoardSolutions.com) अधीन न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध मृत्यु दण्ड दे दिया हो।
  • ऐसे मुकदमों की अपील उच्चतम न्यायालय में की जा सकती है जिनके सम्बन्ध में उच्च न्यायालय इस आशय का प्रमाण-पत्र दे दे कि वह उच्चतम न्यायालय में सुनने योग्य है।
  • यदि सर्वोच्च न्यायालय किसी मुकदमे में यह अनुभव करता है कि किसी व्यक्ति के साथ वास्तव में अन्याय हुआ है तो वह सैनिक न्यायालयों के अतिरिक्त किसी भी न्यायाधिकरण के विरुद्ध अपील करने की आज्ञा प्रदान कर सकता है।

UP Board Solutions

सर्वोच्च न्यायालय भारत के किसी भी उच्च न्यायालय या न्यायाधिकरण के निर्णय, दण्ड या आदेश के विरुद्ध संरक्षण प्रदान कर सकता है, चाहे भले ही उच्च न्यायालय ने अपील की आज्ञा से इन्कार ही क्यों न किया हो।

3. परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार-अनुच्छेद 143 –
के अन्तर्गत, राष्ट्रपति द्वारा किसी कानूनी प्रश्न या विषय पर परामर्श माँगने पर सर्वोच्च न्यायालय उसे परामर्श देता है, किन्तु राष्ट्रपति ऐसे किसी भी परामर्श को मानने के लिए बाध्य नहीं है।

4. अन्य अधिकार :

  • मूल अधिकारों की रक्षा- अनुच्छेद 32 के अन्तर्गत संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किये गये मौलिक अधिकारों की रक्षा का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को सौंपा गया है। इसके लिए वह आदेश, निर्देश तथा लेख (Writs) जारी करता है।
  • संविधान की रक्षा एवं व्याख्या- सर्वोच्च न्यायालय संसद द्वारा पारित ऐसे कानूनों को अवैध घोषित कर सकता है, जो संविधान की किसी व्यवस्था के विरुद्ध हैं। संविधान की व्याख्या करने | का अन्तिम अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को ही प्राप्त है।
  • अधीनस्थ न्यायालयों पर नियन्त्रण- सर्वोच्च न्यायालय को अधीनस्थ न्यायालयों के कार्यों की देखभाल करने तथा उन पर नियन्त्रण रखने का अधिकार होता है। यह अधीनस्थ न्यायालय से किसी मुकदमे को मॅगाकर उस पर विचार कर सकता है। यह अधीनस्थ न्यायालयों के नियमों का निर्माण भी करता है।
  • पुनर्विचार का अधिकार– भारत के सर्वोच्च न्यायालय को अपने निर्णय के पुनरावलोकन करने का भी अधिकार प्राप्त है। यदि ऐसा अनुभव हो कि उच्चतम न्यायालय निर्णय में कोई भूल कर बैठा है या उसके निर्णय में कोई कमी रह गयी है तो उस विवाद पर फिर से विचार करने की प्रार्थना की जा सकती है। इस अधिकार के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय ने अपने पहले निर्णयों को बदलकर अनेक बार निर्णय दिये हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
उच्च न्यायालय के संगठन और शक्तियों का वर्णन कीजिए। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यता, वेतन, भत्ते तथा सेवा शर्त पर प्रकाश डालिए। [2011, 18]
              या
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यताएँ क्या हैं? उनके अधिकार-क्षेत्रों का वर्णन कीजिए। [2012]
              या
उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए निर्धारित योग्यताओं का उल्लेख कीजिए। [2013]
              या
राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है? इन न्यायालयों के न्यायाधीशों का कार्यकाल कितना होता है? [2010, 11]
              या
उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए निर्धारित कोई तीन योग्यताएँ लिखिए। [2015]
              या
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए निर्धारित अर्हताएँ क्या हैं? उनका कार्यकाल कितना |
              या
होता है? उनका प्रारम्भिक और अपीलीय कार्य क्षेत्र क्या है? [2016]
उत्तर :

उच्च न्यायालय का संगठन

न्यायाधीशों की संख्या– संविधान के अनुसार न्यायाधीशों की संख्या निश्चित नहीं है। यह समय-समय पर बदलती रहती है। राष्ट्रपति इनकी संख्या राज्य के क्षेत्रफल, जनसंख्या तथा कार्यभार के आधार पर निश्चित करता है। उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश है तथा 160 पद न्यायाधीशों के लिए सृजित हैं। वर्तमान समय में 81 न्यायाधीश कार्यरत हैं। अन्य न्यायाधीश हैं, जिनमें 67 स्थायी तथा 14 अस्थायी हैं। राष्ट्रपति अतिरिक्त व अवकाश-प्राप्त न्यायाधीशों की भी नियुक्ति कर सकता है।

न्यायाधीशों की योग्यताएँ– राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए आवश्यक है कि वह भारत का नागरिक हो। वह भारत के किसी भी न्यायालय में कम-से-कम 10 वर्षों तक न्यायाधीश के पद पर कार्य कर चुका हो अथवा भारत के किसी एक या अधिक उच्च न्यायालयों में 10 वर्षों तक लगातार अधिवक्ता रह चुका हो अथवा राष्ट्रपति की दृष्टि में विधिशास्त्र का उच्चकोटि का विद्वान हो तथा उसकी आयु 62 वर्ष से कम हो।

न्यायाधीशों की नियुक्ति– उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। ऊपर उल्लिखित योग्यता वाले किसी व्यक्ति की नियुक्ति उस प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा (UPBoardSolutions.com) न्यायाधीश के पद पर की जा सकती है, परन्तु उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में राष्ट्रपति भारत के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं उस राज्य के राज्यपाल से परामर्श लेता है।

न्यायाधीशों की शपथ- नियुक्ति के उपरान्त न्यायाधीशों को अपने पद पर निष्ठापूर्वक कार्य करने की शपथ लेनी पड़ती है। कर्तव्यों के परिपालन में योग्यता, निष्पक्षता एवं न्यायप्रियता के प्रति उनको सत्यव्रती एवं निष्ठावान् होना पड़ता है।

वेतन एवं भत्ते- उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 2,50,000 मासिक वेतन तथा अन्य न्यायाधीशों को १ 2,25,000 मासिक वेतन मिलता है। इसके अतिरिक्त इन्हें मासिक भत्ते तथा प्रत्येक न्यायाधीश को नि:शुल्क निवासस्थान, यात्रा सम्बन्धी सुविधाएँ, सवेतन छुट्टियाँ और अवकाश ग्रहण करने पर पेंशन प्राप्त होती है। किसी न्यायाधीश के कार्यकाल में उसके वेतन, भत्तों आदि की कटौती नहीं की जा सकती है। कार्यकाल-साधारणत: प्रत्येक न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्य करता रहता है। यदि वह चाहे तो समय से पूर्व भी अपने पद से त्याग-पत्र दे सकता है। इसके अतिरिक्त यदि किसी न्यायाधीश पर भ्रष्टाचार अथवा अयोग्यता का आरोप लगाया जाए तो वह संसद द्वारा पारित एवं राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव द्वारा पदच्युत किया जा सकता है। राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का स्थानान्तरण भारत के किसी भी उच्च न्यायालय में कर सकता है। यह कार्य वह उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से करता है।

UP Board Solutions

उच्च न्यायालय की शक्तियाँ/कार्य

उच्च न्यायालय को अग्रलिखित शक्तियाँ प्राप्त हैं–
1. न्याय-सम्बन्धी अधिकार- इस अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत उच्च न्यायालय को अग्रलिखित शक्तियाँ प्राप्त हैं

  • प्रारम्भिक अधिकार-उच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों की रक्षा, वसीयत, विवाह| विच्छेद, विवाह-विधि, कम्पनी कानून, उच्च न्यायालय की अवमानना आदि के मुकदमे सुनने का अधिकार प्राप्त है।
  • अपील-सम्बन्धी अधिकार-उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध दीवानी, फौजदारी तथा माल के मुकदमों की अपीलें सुनता है। आयकर, बिक्रीकर तथा अन्य करों से सम्बन्धित अपीलें भी इसी न्यायालय में की जाती हैं।
  • मौलिक अधिकारों की रक्षा-उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। इस उद्देश्य के लिए वह बन्दी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार-पृच्छा तथा उत्प्रेक्षण लेख जारी कर सकता है।
  • संविधान की रक्षा एवं व्याख्या-उच्च न्यायालय को संविधान की रक्षा तथा व्यवस्था करने का भी अधिकार प्राप्त है। यदि विधानमण्डल संविधान की किसी धारा के विरुद्ध कोई कानून पारित करता है तो उच्च न्यायालय उसे अवैध घोषित (UPBoardSolutions.com) कर सकता है।
  • मृत्यु-दण्ड की स्वीकृति-सत्र न्यायाधीश किसी व्यक्ति को तब तक मृत्यु-दण्ड नहीं दे सकता, जब तक वह उच्च न्यायालय से इसकी पूर्व स्वीकृति प्राप्त नहीं कर लेता है।
  • अभिलेख न्यायालय का कार्य-उच्च न्यायालय अपने निर्णयों को प्रकाशित करवाता है, जो अधीनस्थ न्यायालयों में मान्य होते हैं। न्यायालय अपनी मान-हानि के लिए भी दण्ड दे सकता है।

2. प्रबन्ध-सम्बन्धी अधिकार- उच्च न्यायालय को अधीनस्थ न्यायालयों के प्रबन्ध एवं देखभाल करने का भी अधिकार प्राप्त है। वह अपने अधीन किसी भी न्यायालय के किसी भी मुकदमे के कागजात मँगवाकर देख सकता है। न्यायालयों की कार्य-पद्धति एवं रिकॉर्ड रखने सम्बन्धी नियम बना सकता है। उच्च न्यायालय मुकदमे को एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में स्थानान्तरित कर सकता है। उच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायालयों के अधिकारियों की सेवा-शर्तों को निर्धारित करता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
उत्तर प्रदेश की न्याय-व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
उत्तर प्रदेश की न्याय-व्यवस्था उत्तर प्रदेश में भी अन्य राज्यों की भाँति ही स्वतन्त्र न्यायपालिका की व्यवस्था की गयी है। यहाँ के जिला न्यायालय उच्च न्यायालय की अधीनता एवं संरक्षणता में कार्य करते हैं। उत्तर प्रदेश की न्याय व्यवस्था का स्वरूप निम्नलिखित है

1. उच्च न्यायालये- 
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नगर में उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी है। यह राज्य का सबसे बड़ा न्यायालय है। संविधान के अनुसार न्यायाधीशों की संख्या निश्चित नहीं है। यह समय-समय पर बदलती रहती है। राष्ट्रपति इनकी संख्या राज्य के क्षेत्रफल, जनसंख्या तथा कार्यभार के आधार पर निश्चित करता है। उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश है तथा 160 पद न्यायाधीशों के लिए सृजित हैं। वर्तमान समय में 81 न्यायाधीश कार्यरत हैं। अन्य न्यायाधीश हैं, जिनमें 67 स्थायी तथा 14 अस्थायी हैं। राष्ट्रपति अतिरिक्त व अवकाश-प्राप्त न्यायाधीशों की भी नियुक्ति कर सकता है। (UPBoardSolutions.com) यह न्यायालय न्याय की व्यवस्था करता है; अतः राज्य में न्याय के क्षेत्र में इसे महत्त्वपूर्ण अधिकार प्राप्त हैं। संविधान की व्याख्या, मूल अधिकारों की रक्षा, अभिलेख आदि के साथ-साथ यह प्रशासन का भी कार्य करता है। उच्च न्यायालय के अधीन प्रत्येक जिले में तीन प्रकार के न्यायालय-दीवानी, फौजदारी, राजस्व कार्यरत हैं।

2. जनपदीय न्यायालय– 
जिले की न्याय-व्यवस्था के लिए उच्च न्यायालय के संरक्षण में निम्नलिखित न्यायालयों की व्यवस्था की गयी है

  • दीवानी न्यायालय-धनराशि, चल तथा अचल सम्पत्ति से सम्बन्धित मुकदमों के निपटारों के
    लिए दीवानी न्यायालयों की व्यवस्था प्रत्येक जिले में की गयी है। यह न्यायालय नीचे के दीवानी न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपीलें भी सुनता है। जिले में दीवानी का सबसे बड़ा न्यायालय जिला न्यायाधीश का न्यायालय होता है। इसके पश्चात् एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश होता है। इसके निर्णयों की अपील उच्च न्यायालय में ही की जा सकती है। सिविल जज दीवानी के मामलों में जिला न्यायाधीश के नीचे का न्यायाधीश होता है। सिविल जज न्यायाधीश) के नीचे मुन्सिफ का न्यायालय होता है। मुन्सिफ के न्यायालय के नीचे खफीफा का न्यायालय होता है। दीवानी न्यायालयों में सबसे निचले स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय पंचायतें होती हैं। इनके (न्याय पंचायत) निर्णय के विरुद्ध अपील नहीं की जा सकती है।
  • फौजदारी न्यायालय-लड़ाई-झगड़े, हत्या, मारपीट आदि के मुकदमों की सुनवाई के लिए प्रत्येक जिले में एक फौजदारी न्यायालय होता है। जिले में फौजदारी का सबसे बड़ा न्यायालय सत्र न्यायाधीश का न्यायालय होता है। ये मृत्यु-दण्ड या आजीवन कारावास का दण्ड देने का अधिकार रखते हैं। ये न्यायालय निचले स्तर के न्यायालयों के निर्णयों की अपील सुनते हैं। सत्र न्यायालय तथा अतिरिक्त सत्र न्यायालय के निर्णयों के विरुद्ध उच्च न्यायालय में ही अपील की जा सकती है। सत्र न्यायाधीश या सेशन जज जब दीवानी के मुकदमे सुनता है तब उसे जिला जज कहते हैं। इसके अतिरिक्त जिले में सहायक सत्र न्यायाधीश, चीफ जुडीशियल मजिस्ट्रेट प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी के भी न्यायालय होते हैं। जिले में न्याय की सबसे छोटी इकाई न्याय पंचायत होती है। ये जुर्माना तो कर सकती हैं, लेकिन कारावास का दण्ड नहीं दे सकतीं। |
  • राजस्व न्यायालय–जिले में राजस्व का सबसे बड़ा न्यायालय जिलाधीश का न्यायालय होता है। (UPBoardSolutions.com) इसके नीचे उपजिलाधीश, तहसीलदार तथा नायब तहसीलदार के न्यायालय होते हैं। ये न्यायालय भूमि तथा लगान से सम्बन्धित मुकदमों की सुनवाई करते हैं।

उपर्युक्त न्यायालयों के अतिरिक्त कुछ विशेष मुकदमों का फैसला विशेष न्यायालयों में होता है; जैसे-आयकर सम्बन्धी मुकदमों का फैसला आयकर अधिकारी ही कर सकता है। उसके निर्णय के विरुद्ध आयकर आयुक्त और आयकर अधिकरण में अपील की जा सकती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सर्वोच्च न्यायालय के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सर्वोच्च न्यायालय की स्थिति निम्नलिखित कारणों से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है– ..

  • इस न्यायालय के कारण कार्यपालिका की तानाशाही नहीं चल सकती।
  • यह न्यायालय संविधान का रक्षक है।
  • इस न्यायालय द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा होती है।
  • यह न्यायालय संसद तथा कार्यपालिका से स्वतन्त्र रहने के कारण दोनों पर नियन्त्रण रखता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial Review) से क्या तात्पर्य है ? यह शक्ति किसे प्रदान की गयी है ? [2010]
उत्तर :
संविधान के अनुच्छेद 137 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय को यह अधिकार प्राप्त है कि वह स्वयं द्वारा दिये गये आदेश या निर्णय पर पुनर्विचार कर उचित समझे तो उसमें आवश्यक परिवर्तन कर सके। ऐसा उस समय किया जाता है जब सर्वोच्च न्यायालय को यह सन्देह हो कि उसके द्वारा दिये गये निर्णय में किसी पक्ष के प्रति न्याय नहीं हो सका है। यदि उसके सम्बन्ध में कोई नवीन तथ्य प्रकाश में आये हों, तब भी ऐसा किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान में सर्वोच्च न्यायालय की स्वतन्त्रता सुनिश्चित करने हेतु अपनाये गये किन्हीं तीन उपायों का उल्लेख कीजिए। (2015)
उत्तर : सर्वोच्च न्यायालय की स्वतन्त्रता के लिए निम्न प्रावधान किये गये हैं|

  • न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक् रखा गया है। इसके लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है, लेकिन पदच्युति का अधिकार अकेले राष्ट्रपति को नहीं संसद को भी दिया गया है। संसद द्वारा प्रस्ताव पास करने के बाद ही राष्ट्रपति न्यायाधीश को हटा सकता है।
  • पर्याप्त वेतन की व्यवस्था की गयी है। उनके कार्यकाल में उनके वेतन कम नहीं किये जा सकते हैं।
  • उनके पद की सुरक्षा की व्यवस्था की गयी है। न्यायाधीश (UPBoardSolutions.com) अवकाश ग्रहण करने की आयु तक अपने पद पर कार्य कर सकते हैं। केवल महाभियोग की कठिन प्रक्रिया द्वारा उन्हें हटाया जा सकता है।
  • सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीश किसी न्यायालय में वकालत नहीं कर सकते।
  • सर्वोच्च न्यायालय को अपने तथा अपने अधीनस्थ न्यायालयों की कार्य प्रणाली को निर्धारित करने के | लिए नियम बनाने का अधिकार है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति की आयु क्या है ? [2011]
उत्तर :
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है।

प्रश्न 2.
सर्वोच्च न्यायालय कहाँ स्थित है ?
उत्तर :
भारत का सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में स्थित है।

प्रश्न 3.
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों का वेतन लिखिए।
उतर :
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का वेतन १ 2,80,000 प्रतिमाह तथा अन्य न्यायाधीशों का वेतन १ 2,50,000 प्रतिमाह है।

प्रश्न 4.
सर्वोच्च न्यायालय के कोई दो कार्य अथवा अधिकार लिखिए।
उत्तर :
सर्वोच्च न्यायालय के दो कार्य अथवा अधिकार हैं

  • मूल अधिकारों की रक्षा करना तथा
  • संविधान की व्याख्या करना।

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर :
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की (UPBoardSolutions.com) नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश से मन्त्रणा लेकर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

प्रश्न 6.
उत्तराखण्ड की राजधानी एवं उच्च न्यायालय कहाँ पर स्थित हैं ?
उत्तर :
उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून तथा उच्च न्यायालय नैनीताल में स्थित है।

प्रश्न 7.
राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति किस प्रकार होती है ?
उत्तर :
राष्ट्रपति उसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह से अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।

प्रश्न 8.
इलाहाबाद के उच्च न्यायालय की खण्डपीठ कहाँ पर स्थित हैं ?
              या
उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय कहाँ स्थित है ?
उत्तर :
उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद में स्थित है तथा इलाहाबाद के उच्च न्यायालय की खण्डपीठ (शाखा) लखनऊ में स्थित है।

प्रश्न 9.
उच्च न्यायालय के दो प्रमुख कार्य कौन-कौन से हैं ?
उत्तर :
उच्च न्यायालय के दो प्रमुख कार्य हैं

  • अपील-सम्बन्धी अधिकार (कार्य) तथा
  • अधीनस्थ न्यायालयों पर नियन्त्रण।

प्रश्न 10.
भारत के मुख्य न्यायाधीश को कौन नियुक्त करता है ?
उत्तर :
भारत के मुख्य न्यायाधीश को राष्ट्रपति नियुक्त करता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 11.
भारत के किस उच्च न्यायालय की खण्डपीठ पोर्ट ब्लेयर में है ?
उत्तर :
भारत के कोलकाता उच्च न्यायालय की खण्डपीठ पोर्ट ब्लेयर में है।

प्रश्न 12.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अवकाश ग्रहण करने की आयु क्या है ? [2011]
उत्तर : उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अवकाश ग्रहण करने की आयु 62 वर्ष है।

प्रश्न 13.
लक्षद्वीप समूह किस सागर में स्थित है? यह किस प्रदेश के उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आता है? [2014]
उत्तर : लक्षद्वीप समूह अरब सागर में स्थित है। यह केरल उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आता है।

बहुविकल्पीय प्रण का

1. भारत का सर्वोच्च न्यायालय स्थित है
(क) मुम्बई में
(ख) कोलकाता में
(ग) नयी दिल्ली में
(घ) चेन्नई में

2. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद से हटाये जा सकते हैं [2011]
(क) राष्ट्रपति द्वारा
(ख) लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा
(ग) संसद द्वारा महाभियोग लगाकर
(घ) कार्यकाल में हटाये नहीं जा सकते हैं

UP Board Solutions

3. यदि कोई व्यक्ति उच्चतम न्यायालय में 58 वर्ष की आयु में न्यायाधीश नियुक्त हो जाता है तो वह अधिक-से-अधिक कितने वर्ष तक उस पद पर रह सकता है ? [2011]
(क) चार वर्ष
(ख) पाँच वर्ष
(ग) छ: वर्ष
(घ) सात वर्ष

4. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की जाती है- (2012, 13]
(क) राष्ट्रपति द्वारा
(ख) प्रधानमन्त्री द्वारा
(ग) कानून मन्त्री द्वारा
(घ) इनमें से कोई नहीं

5. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति किसकी सलाह पर की जाती है? [2011]
(क) केन्द्रीय वित्त मन्त्री
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) महान्यायवादी
(घ) भारत के मुख्य न्यायाधीश

6. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खण्डपीठ कहाँ स्थापित है? [2013]
(क) मेरठ में
(ख) इलाहाबाद में
(ग) कानपुर में
(घ) लखनऊ में

UP Board Solutions

7. राज्य का सबसे बड़ा न्यायालय होता है [2011]
(क) उच्च न्यायालय
(ख) उच्चतम न्यायालय
(ग) राजस्व परिषद्
(घ) जिला न्यायालय

8. उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय स्थित है [2011]
(क) लखनऊ में
(ख) कानपुर में
(ग) इलाहाबाद में
(घ) वाराणसी में

9. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने की अधिकतम आयु कितनी निर्धारित है? [2014, 17, 18]
(क) 62 वर्ष
(ख) 63 वर्ष
(ग) 64 वर्ष
(घ) 65 वर्ष

10. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की सेवानिवृत्त होने की अधिकतम आयु क्या है? [2014]
(क) 60 वर्ष
(ख) 61 वर्ष
(ग) 62 वर्ष
(घ) 65 वर्ष

11. भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है- [2015, 17, 18]
(क) उपराष्ट्रपति
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) राष्ट्रपति
(घ) मुख्य चुनाव आयुक्त

12. भारत संघ के राज्यों में सबसे बड़ा न्यायालय है (2015, 16]
(क) उच्च न्यायालय
(ख) सर्वोच्च न्यायालय
(ग) जिला न्यायालय
(घ) राजस्व परिषद्

UP Board Solutions

13. मौलिक अधिकार सम्बन्धी मुकदमे सुनने का अधिकार किसको है? (2017)
(क) केवल उच्चतम न्यायालय को
(ख) केवल उच्च न्यायालय को
(ग) केवल उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों को
(घ) उच्चतम तथा उच्च न्यायालय दोनों को

14. उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश अधिकतम कितनी आयु तक अपने पद पर कार्य । कर सकता है? [2018]
(क) 60 वर्ष
(ख) 62 वर्ष
(ग) 65 वर्ष
(घ) 67 वर्ष

15. सर्वोच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है? [2018]
(क) प्रधान न्यायाधीश
(ख) प्रधान मन्त्री
(ग) न्यायिक आयोग
(घ) राष्ट्रपति

उत्तरमाला

1. (ग), 2. (ग), 3. (घ), 4. (क), 5. (घ), 6. (घ), 7. (क), 8. (ग), 9. (घ), 10. (ग), 11. (ग), 12. (क), 13. (घ), 14. (ग), 15. (घ)

Hope given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 4 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. UP Board Solutions try to provide online tutoring for you.

UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry

UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry.

प्रश्नावली 9.1 (NCERT Page 225)

प्र० 1. सर्कस का एक कलाकार एक 20 मी. लंबी डोर पर चढ़ रहा है जो अच्छी तरह से तनी हुई है और भूमि पर सीधे लगे खंभे के शिखर से बंधा हुआ है। यदि भूमि स्तर के साथ डोर द्वारा बनाया गया कोण 30° का हो तो खंभे (UPBoardSolutions.com) की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 1

UP Board Solutions

प्र० 2. आँधी आने से एक पेड़ टूट जाता है और टूटा हुआ भाग इस तरह मुड़ जाता है कि पेड़ का शिखर जमीन को छूने लगता है और इसके साथ 30° का कोण बनाता है। पेड़ के पाद-बिंदु की दूरी, जहाँ पेड़ का शिखर जमीन को (UPBoardSolutions.com) छूता है, 8 मी. है। पेड़ की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 2
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 2.1

UP Board Solutions

प्र० 3. एक ठेकेदार बच्चों को खेलने के लिए एक पार्क में दो फिसलनपट्टी लगाना चाहती है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए वह एक ऐसी पिसलनपट्टी लगाना चाहती है जिसका शिखर 1.5 मी. की ऊँचाई पर हो और भूमि के (UPBoardSolutions.com) साथ 30° के कोण पर झुका हुआ हो, जबकि इससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए वह 3 मी. की ऊँचाई पर एक अधिक ढाल की फिसलनपट्टी लगाना चाहती है, जो भूमि के साथ 60° को कोण बनाती हो। प्रत्येक स्थिति में फिसलनपट्टी की लंबाई क्या होनी चाहिए?
हलः आकृति में, माना
छोटे बच्चों के लिए फिसलनपट्टी DE और बड़े बच्चों के लिए फिसलनपट्टी AC है।
अब, समकोण ΔABC,
AB = 3 मी.
AC = फिसलन पट्टी
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 3

UP Board Solutions

प्र० 4. भूमि के एक बिंद से, जो मीनार के पाद-बिंदु से 30 मी. (UPBoardSolutions.com) की दूरी पर है, मीनार के शिखर का उन्नयन कोण 30° है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 4

UP Board Solutions

प्र० 5. भूमि से 60 मी. की ऊँचाई पर एक पतंग उड़ रही है। पतंग में लगी डोरी को अस्थायी रूप से भूमि के एक बिंदु से बांध दिया गया है। भूमि के साथ डोरी का झुकाव 60° है। यह मानकर कि डोरी में कोई ढील नहीं है, डोरी (UPBoardSolutions.com) की लंबाई ज्ञात कीजिए।
हलः माना, समकोण ΔAOB में,
OB = डोरी की लम्बाई
AB = 60 मी. = पतंग की ऊँचाई
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 5

UP Board Solutions

प्र० 6. 1.5 मी. लंबा एक लड़का 30 मी. ऊँचे एक भवन से कुछ दूरी पर खड़ा है। जब वह ऊँचे भवन की ओर जाता है तब उसकी आँख से भवन के शिखर का उन्नयन कोण 30° से 60° हो जाता है। बताइए कि वह भवन की (UPBoardSolutions.com) ओर कितनी दूरी तक चलकर गया है।
हलः आकृति में, माना भवन की ऊँचाई = OA
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 6
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 6.1

UP Board Solutions

प्र० 7. भूमि के एक बिंदु से एक 20 मी. ऊँचे भवन के शिखर पर लगी एक संचार मीनार के तल (UPBoardSolutions.com) और शिखर के उन्नयन कोण क्रमशः 45° और 60° है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 7
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 7.1

UP Board Solutions

प्र० 8. एक पेडस्टल के शिखर पर एक 1.6 मी. ऊँची मूर्ति (UPBoardSolutions.com) लगी है। भूमि के एक बिंदु से मूर्ति के शिखर का उन्नयन कोण 60° है और उसी बिंदु से पेडस्टल के शिखर का उन्नयन कोण 45° है। पेडस्टल की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 8
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 8.1

UP Board Solutions

प्र० 9. एक मीनार के पाद-बिंदु से एक भवन के शिखर (UPBoardSolutions.com) का उन्नयन कोण 30° है और भवन के पाद-बिंदु से मीनार के शिखर का उन्नयन कोण 60° है। यदि मीनार 50 मी. ऊँची हो, तो भवन की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हलः आकृति में,
माना भवन की ऊँचाई = AB = h मी.
और मीनार की ऊँचाई = CD = 50 मी.
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 9
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 9.1

UP Board Solutions

प्र० 10. एक 80 मी. चौड़ी सड़क के दोनों ओर आमने-सामने समान लंबाई वाले दो खंभे लगे हुए हैं। इन दोनों खंभों के बीच सड़क के एक बिंदु से खंभों के शिखर के उन्नयन कोण क्रमशः 60° और 30° है। खंभों की ऊँचाई (UPBoardSolutions.com) और खंभों से बिंदु की दूरी ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 10
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 10.1

UP Board Solutions

प्र० 11. एक नहर के एक तट पर एक टीवी टॉवर ऊध्र्वाधरतः खड़ा है। टॉवर के ठीक सामने दूसरे तट के एक अन्य बिंदु से टॉवर के शिखर का उन्नयन कोण 60° है। इसी तट पर इस बिंदु से 20 मी. दूर और इस बिंदु को मीनार के (UPBoardSolutions.com) पाद से मिलाने वाली रेखा पर स्थित एक अन्य बिंदु से टॉवर के शिखर का उन्नयन कोण 30° है। टॉवर की ऊँचाई और नहर की चौड़ाई ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 11
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 11.1

UP Board Solutions

प्र० 12. 7 मी. ऊँचे भवन के शिखर से एक केबल टॉवर के शिखर का (UPBoardSolutions.com) उन्नयन कोण 60° है और इसके पाद का अवनमन कोण 45° है। टॉवर की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 12
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 12.1

UP Board Solutions

प्र० 13. समुद्र-तल से 75 मी. ऊँची लाइट हाउस के शिखर से देखने पर दो समुद्री जहाजों के अवनमन कोण 30° और 45° हैं। यदि लाइट हाउस के एक ही ओर एक जहाज दूसरे जहाज के ठीक पीछे हो तो दो जहाजों के बीच की (UPBoardSolutions.com) दूरी ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 13
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 13.1

UP Board Solutions

प्र० 14. 1.2 मी. लंबी एक लड़की भूमि से 88.2 मी. की ऊँचाई पर एक क्षैतिज रेखा में हवा में उड़ रहे गुब्बारे को देखती है। किसी भी क्षण लड़की की आँख से गुब्बारे का उन्नयन कोण 60° है। कुछ समय बाद उन्नयन कोण घटकर 30° हो जाता है। (UPBoardSolutions.com) इस अंतराल के दौरान गुब्बारे द्वारा तय की गई दूरी ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 14
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 14.1

UP Board Solutions

प्र० 15. एक सीधा राजमार्ग एक मीनार के पाद तक जाता है। मीनार के शिखर पर खड़ा एक आदमी एक कार को 30° के अवनमन कोण पर देखता है जो कि मीनार के पाद की ओर एक समान चाल से जाता है। छः सेकेंड बाद कार का (UPBoardSolutions.com) अवनमन कोण 60° हो गया। इस बिंदु से मीनार के पाद तक पहुँचने में कार द्वारा लिया गया समय ज्ञात कीजिए। [CBSE 2009]
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 15
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 15.1

UP Board Solutions

प्र० 16. मीनार के आधार से और एक सरल रेखा में 4 मी. और 9 मी. की (UPBoardSolutions.com) दूरी पर स्थित दो बिंदुओं से मीनार के शिखर के उन्नयन कोण पूरक कोण हैं। सिद्ध कीजिए कि मीनार की ऊँचाई 6 मी. है।
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 16
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 16.1
UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 Some Applications of Trigonometry 16.2

Hope given UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 9 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. UP Board Solutions try to provide online tutoring for you.