UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 9 Heredity and Evolution

UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 9 Heredity and Evolution (अनुवांशिकता एवं जैव विकास)

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पाठगत हल प्रश्न

[NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED]

खंड 9.1 ( पृष्ठ संख्या 157)

प्रश्न 1.
यदि एक ‘लक्षण-A’ अलैंगिक प्रजनन वाले समष्टि के 10 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है तथा ‘लक्षण B’ उसी समष्टि के 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा?
उत्तर
लक्षण-B पहले उत्पन्न हुआ होगा क्योंकि यह 60 (UPBoardSolutions.com) प्रतिशत है तथा पीढ़ी दर पीढी लक्षण (trail or variations) किसी समष्टि की जनसंख्या संग्रहित होते हैं।

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प्रश्न 2.
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है?
उत्तर
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ के अस्तित्व की संभावना इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि वह स्पीशीज़ स्वयं को वातावरण के अनुसार अनुकूलित करने में सक्षम हो जाता है। उदाहरण के लिए उष्णता को सहन करने की क्षमता वाले जीवाणुओं को अधिक गर्मी से बचने की संभावना अधिक होती है। यदि वैश्विक ऊष्मीकरण (global warming) के कारण जल का ताप बढ़ जाता है, तो जीवाणु मर (UPBoardSolutions.com) जाते हैं केवल उष्ण प्रतिरोधी क्षमता वाले ही जीवित रह पाते हैं।

खंड 9.2 ( पृष्ठ संख्या 161)

प्रश्न 1.
मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी हैं?
उत्तर
मेंडल ने पाया कि शुद्ध लंबे मटर के पौधे तथा शुद्ध बौने मटर के पौधे के बीच संकरण से F1 पीढ़ी में प्राप्त सभी पौधे लंबे थे।
I.
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अर्थात्, दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक जनकीय लक्षण ही दिखाई देता है।
इसे प्रभावी लक्षण (Dominant traits) कहते हैं।
द्वितीय चरण में उन्होंने F1 (T t) पीढ़ी से प्राप्त पौधों (UPBoardSolutions.com) में स्वपरागण करवाया तो पाया कि लंबे तथा बौने पौधे का अनुपात 3:1 था। अर्थात् F2 पीढ़ी में भी लंबे पौधे प्रभावी थे, परंतु बौने पौधे अप्रभावी लक्षण (recessive traits) वाले भी थे।
II.
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अर्थात् मेंडल के प्रयोग से स्पष्ट हो जाता है कि लक्षण प्रभावी या अप्रभावी हो सकते हैं।

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प्रश्न 2.
मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं?
उत्तर
मेंडल के प्रयोग में F, पीढी के सभी पौधे लंबे थे तथा पुनः जब F, पीढी के दो पौधों का संकरण किया गया तब F2 पीढ़ी के पौधे या तो लंबे या बौने थे। लंबे तथा बौने का अनुपात 3-1 था। कोई भी पौधा बीच की ऊँचाई का नहीं था। अर्थात् लंबे/बौनेपन का लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं।

प्रश्न 3.
एक ‘A-रुधिर वर्ग’ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘O’ है, से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग – ‘O’ है। क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन-सा विकल्प लक्षण-रुधिर वर्ग -A अथवा ‘O’ प्रभावी लक्षण है? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर
नहीं, यह सूचना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि

  1. यदि रक्त समूह A प्रभावी हो तथा रक्त समूह O अप्रभावी तब भी पुत्री का रुधिर समूह (वर्ग) O हो सकता | है।।
  2. यदि रक्त वर्ग A अप्रभावी परंतु रक्त वर्ग O (UPBoardSolutions.com) प्रभावी हो तब भी पुत्री का रक्त वर्ग O हो सकता है।

प्रश्न 4.
मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर
बच्चों का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें अपने पिता से किस प्रकार का गुणसूत्र प्राप्त हुआ है। जिस बच्चे को अपने पिता से ‘X’ गुणसूत्र वंशानुगत हुआ है वह लड़की तथा जिसे पिता से ‘Y’ गुणसूत्र वंशानुगत होता है, वह लड़का होगा।
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अत: नर तथा मादा उत्पन्न होने की संभावनाएँ 1:1 के अनुपात में होती हैं।

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खंड 9.3 ( पृष्ठ संख्या 165)

प्रश्न 1.
वे कौन से विभिन्न तरीके हैं, जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है?
उत्तर
निम्नलिखित तरीकों द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की (UPBoardSolutions.com) संख्या समष्टि में बढ़ सकती है।

  1. प्राकृतिक चयन (Natural selection)-प्रकृति द्वारा लाभप्रद विविधताओं वाली समष्टि को सतत् बनाए रखना प्राकृतिक चयन कहलाता है। वे लक्षण जो किसी व्यष्टि जीव के उत्तरजीविता तथा प्रजनन में लाभदायक होती हैं, अगली पीढ़ी (संतति) में हस्तान्तरित (passed on) हो जाती हैं। परंतु जिनसे कोई लाभ नहीं होता वे लक्षण संतति में नहीं जाते।
    उदाहरण-जितने अधिक कौए होंगे उतने अधिक लाल शृंग उनके शिकार बनेंगे तथा समष्टि में हरे भृगों की संख्या बढ़ती जाएगी, क्योंकि हरी पत्तियों की झाड़ियों में हरे भुंग को कौए नहीं देख पाते हैं।
  2. आनुवंशिक विचलन (Genetic drift)-कभी-कभी आकस्मिक दुर्घटना के कारण किसी समष्टि के ज्यादातर जीव मर जाते हैं ऐसी स्थिति में जीन सीमित रह जाते हैं इसके कारण उस समष्टि का रूप बदल जाता है तथा उनकी संतति में केवल जीवित सदस्यों के लक्षण ही दिखाई देते हैं। इसे आनुवंशिक विचलन (Genetic drift) कहा जाता है।
    जैसे-महामारी तथा परभक्षण (Predation) आदि की स्थिति में।
  3. विभिन्नताएँ एवं अनुकूलन-विभिन्नताएँ एवं अनुकूलता पर्यावरण में जीवों की उत्तरजीविता कायम रखने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 2.
एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों?
उत्तर
केवल वे ही लक्षण वंशानुगत होते हैं जो जनन कोशिकाओं के DNA द्वारा अगली पीढ़ी में जाते हैं। उपार्जित लक्षण का जनन कोशिका के जीन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, कायिक ऊतकों में होने वाले परिवर्तन, लैंगिक कोशिकाओं के DNA में नहीं जा सकते।

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प्रश्न 3.
बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता की दृष्टि से चिंता का विषय क्यों है?
उत्तर
बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता की दृष्टि से इसलिए चिंता का विषय है, क्योंकि यदि बाघ विलुप्त (extinct) हो गए, तो इसके स्पीशीज़ का जीन भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा तथा बाघों के स्पीशीज़ को पुनः वापस ला पाना (UPBoardSolutions.com) असंभव होगा। हमारी अगली पीढी बाघ को नहीं देख पाएगी।

खंड 9.4 ( पृष्ठ संख्या 166)

प्रश्न 1.
वे कौन-से कारक हैं, जो नयी स्पीशीज़ के उद्भवे में सहायक हैं?
उत्तर
नयी स्पीशीज़ के उद्भव में सहायक कारक निम्न हैं
(a) जीन प्रवाह (genetic flow) का स्तर कम होना।
(b) प्राकृतिक चयन (वरण) (Natural selection)
(c) विभिन्नताएँ।
(d) भौगोलिक पृथक्करण के कारण जनन पृथक्करण (Reproductive isolation)
(e) आनुवंशिक विचलन (genetic drift)

प्रश्न 2.
क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज़ के पौधों के जाति-उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है? क्यों या क्यों नहीं?
उत्तर
नहीं, भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज़ के पौधों (UPBoardSolutions.com) के जाति-उद्भव का प्रमुख कारण नहीं हो सकता, क्योंकि ये पौधे दूसरे पौधों पर आगे जनन प्रक्रिया के लिए निर्भर नहीं करते हैं।

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प्रश्न 3.
क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर
नहीं, क्योंकि अलैंगिक जनन करने वाले जीवों को जनन के लिए किसी अन्य जीव की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

खंड 9.5 ( पृष्ठ संख्या 171)

प्रश्न 1.
उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका हम दो स्पीशीज़ के विकासीय संबंध निर्धारण के लिए करते हैं?
उत्तर
समजात अंगों की उपस्थिति से हमें दो स्पीशीज़ के सदस्यों में विकासीय संबंध स्थापित करने में सहायता मिलती है। उदाहरण- पक्षियों, सरीसृप एवं जल-स्थलचर (Amphibians) की तरह स्तरधारियों के चार पैर (पाद) होते हैं। सभी में पैरों (UPBoardSolutions.com) की आधारभूत संरचना एक समान होती है, परंतु कार्यों में भिन्न होते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। ये अभिलक्षण ईंगित करते हैं कि वे समान जनक से वंशानुगत हुए हैं।

प्रश्न 2.
क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर
नहीं, वे अंग जिनकी आधारभूत संरचना समान परंतु कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं। लेकिन तितली और चमगादड़ के पंखों की आधारभूत संरचना भिन्न हैं, परंतु ये कार्य में एक समान हैं। इसलिए इन्हें समरूप अंग कहते हैं।

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प्रश्न 3.
जीवाश्म क्या है? वे जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं।
उत्तर
कभी-कभी जीव अथवा उसके कुछ भाग भूपटल की कठोर सतहों के बीच दब जाती हैं, जिसके कारण उसका अपघटन नहीं होता है तथा वे परिरक्षित (Preserved) रूप में मिलती हैं, जिन्हें जीवाश्म कहते हैं। जीवाश्म जैव-विकास के लिए एक प्रमाण (evidence) प्रदान करता है, जो इसे समझने में सहायता करता है। उदाहरण के लिए-आर्कियोप्टेरिक्स (Archaeopteryx) एक पक्षी जीवाश्म जो पक्षी की तरह दिखते हैं, परंतु इसमें अनेक ऐसे लक्षण हैं जो सरीसृप में पाए जाते हैं। इस तरह यह पक्षी तथा सरीसृप के बीच एक जैव-विकास संबंध (evolutionary relation) की कड़ी स्थापित करता है तथा प्रमाणित करते हैं कि पक्षी बहुत निकटता से सरीसृप से संबंधित हैं।

खंड 9.6 ( पृष्ठ संख्या 173)

प्रश्न 1.
क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज़ के सदस्य हैं?
उत्तर
आधुनिक मानव स्पीशीज़ ‘होमो सेपियंस” का उद्भव अफ्रीका में हुआ था। कुछ हजार वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने अफ्रीका छोड़ दिया, जबकि कुछ वहीं रह गए। वे अलग-अलग देश के वातावरण में फैल गए जिसके कारण उनका आकार, आकृति रंग-रूप भिन्न हो गए। इन विविधताओं के बावजूद वे परस्पर सफल लैंगिक जनन (interbreeding) करने में समर्थ हैं तथा बच्चे पैदा कर सकते हैं, जिसके आधार पर उन्हें एक स्पीशीज़ के सदस्य कहा जाता है।

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प्रश्न 2.
विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु, मकड़ी मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
जैव विकास में यह प्रवृत्ति दिखाई देती है कि समय के साथ-साथ उसके शारीरिक अभिकल्प की जटिलता में वृद्धि होती है। इस आधार पर चिम्पैंजी का शारीरिक अभिकल्प उत्तम प्रतीत होता है, परंतु प्रतिकूल एवं अत्यंत कठिन परिस्थितियों में (UPBoardSolutions.com) उत्तरजीविता की दृष्टि से सरलतम अभिकल्प वाला एक समूह-जीवाणु-विषम पर्यावरण जैसे ऊष्ण झरने, गहरे समुद्र के गर्म स्रोत तथा अंटार्कटिका की बर्फ में भी पाए जाते हैं। अतः यह आवश्यक नहीं कि जटिल शारीरिक अभिकल्प वाले जीव जैवविकासीय दृष्टि से सरल शारीरिक अभिकल्प वाले जीवों से उत्तम हों। क्योंकि ये कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रह पाते हैं।

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED]

प्रश्न 1.
मेंडल के एक प्रयोग में लंबे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधों जिनके सफ़ेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधों में पुष्प बैंगनी रंग के थे। परंतु उनमें से लगभग आधे-बौने थे। इससे कहा जा सकता है कि लंबे जनक पौधों की आनुवंशिक रचना निम्न थी
(a) TTWW
(b) TTww
(c) TtWw
(d) TtWw
उत्तर
(c) TtWW

प्रश्न 2.
समजात अंगों का उदाहरण है
(a) हमारा हाथ तथा कुत्ते के अग्रपाद
(b) हमारे दाँत तथा हाथी के दाँत
(c) आलू एवं घास के उपरिभूस्तारी
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर
(d) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 3.
विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किस से अधिक समानता है? ।
(a) चीन के विद्यार्थी
(b) चिम्पैंजी
(c) मकड़ी
(d) जीवाणु
उत्तर
(d) चीन के विद्यार्थी।

प्रश्न 4.
एक अध्ययन से पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता-पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग को लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
नहीं, यह बताना संभव नहीं है कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी जब तक कि दोनों प्रकार के विकल्पों का पता न हो। ऐसा भी संभव है कि जनक (माता-पिता) में दोनों ही विकल्प हल्के रंग की आँखों के हों, क्योंकि लक्षण की प्रतिकृति (UPBoardSolutions.com) दोनों जनकों (माता-पिता) से वंशानुगत होती हैं, अप्रभावी तभी होंगे, जब दोनों से प्राप्त जीन अप्रभावी हों। अतः हम केवल अनुमान लगा सकते हैं।

प्रश्न 5.
जैव-विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन आपस में किस प्रकार परस्पर संबंधित है।
उत्तर
विभिन्न जीवों के बीच समानताओं एवं विभिन्नताओं के आधार पर ही उनका वर्गीकरण करते हैं। दो स्पीशीज़ के बीच जितने अधिक अभिलक्षण समान होंगे उनका संबंध भी उतना ही निकट का होगा। जितनी अधिक समानताएँ होंगी, उनका उद्भव भी निकट अतीत में समान पूर्वजों से हुआ होगा।

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प्रश्न 6.
समजात अंग एवं समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
समजात अंग (Homologous organs)-विभिन्न जीवों में ऐसे अंग जिनकी समान आधारभूत संरचना होती है, परंतु कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं। जैसे- मेंढक, पक्षी एवं मनुष्य के अग्रपादों में अस्थियों की समान आधारभूत संरचना होती है, परंतु इनके कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं। समरूप अंग (Analogous organs)-ऐसे अंग जो एक-समान कार्य संपन्न करते हैं, परंतु संरचनात्मक रूप से भिन्न होते हैं, उन्हें समरूप अंग कहते हैं। (UPBoardSolutions.com) उदाहरण के लिए, कीट के पंख तथा पक्षी के पंख।

प्रश्न 7.
कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग ज्ञात करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए।
उत्तर
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प्रभावी रंग- सफ़ेद, अप्रभावी रंग- काला

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प्रश्न 8.
विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है?
उत्तर
विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्मे के निम्नलिखित महत्त्व हैं

  1. पृथ्वी की सतह के निकट वाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए जाने वाले जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नए हैं। इससे हमें यह ज्ञात होता है कि किस जीव का उद्भव पहले तथा किसका बाद में हुआ।
  2. “फॉसिल डेटिंग’ विधि से भी जीवाश्म का समय निर्धारण किया जाता है तथा जीव के समय-काल का पता चलता है।
  3. जीवाश्म-आर्कियोप्टेरिक्स (Archaeopteryx) दो भिन्न प्रकार (UPBoardSolutions.com) के स्पीशीज़ के बीच एक कड़ी (link) दर्शाते हैं।
  4. जीवाश्मों से जीवों और उनके पूर्वजों के बीच विकासीय विशेषकों को स्थापित करने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 9.
किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है?
उत्तर
स्टेनले एल० मिलर एवं हेराल्ड सी० उरे द्वारा 1953 में किए गए प्रयोगों के आधार पर इसकी पुष्टि की जा सकती है। उन्होंने कृत्रिम रूप से ऐसे वातावरण को निर्मित किया, जो संभवतः प्राथमिक/प्राचीन वातावरण के समान था (इसमें अमोनिया, मीथेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु थे, लेकिन ऑक्सीजन के नहीं), पात्र में जल भी था। इसे 100° सेल्सियस से कुछ कम ताप पर रखा गया। गैसों के मिश्रण में चिनगारियाँ उत्पन्न की गईं; जैसे- आकाश में बिजली एक सप्ताह के बाद, 15 प्रतिशत कार्बन (मीथेन से) सरल कार्बनिक यौगिकों में परिवर्तित हो गए। इनमें एमीनों अम्ल भी संश्लेषित हुए जिनसे प्रोटीन के अणुओं का निर्माण होता है। हम जानते हैं कि प्रोटीन जीवन का आधार है। अत: हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों (अकार्बनिक पदार्थों) से हुई है।

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प्रश्न 10.
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं। व्याख्या कीजिए यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों में विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर
अलैंगिक जनन में केवल एक ही जनक से DNA प्रतिकृति होती है, जिसके कारण उनमें बहुत अधिक समानताएँ होती हैं; जैस- गन्ने के पौधे। इनमें थोड़ी बहुत विभिन्नताएँ प्रतिकृति बनने के दौरान त्रुटियों के कारण होती है, जो बहुत न्यून (कम) होती हैं। परंतु लैंगिक जश्न में दो जनक के युग्मकों से प्राप्त हुए DNA का संलयन होता है, जिसके कारण संतति में बहुत अधिक विभिन्नताएँ आ जाती हैं। विभिन्नताओं का प्राकृतिक चयन (natural selection) होता है। अनुकूल विभिन्नताएँ पीढ़ी-दर-पीढी संचित होती रहती हैं तथा एक नई प्रजाति के रूप में विकसित होती हैं। स्पष्टतः ये विभिन्नताएँ वंशानुगत होती हैं तथा जैव विकास को प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 11.
संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है?
उत्तर
लैंगिक जनन क्रिया में क्रोमोसोम (गुणसूत्र) अर्धसूत्री विभाजन द्वारा दो भागों में बँटे जाते हैं और जब निषेचन क्रिया होती है, तो युग्मनज में आधे गुणसूत्र पिता से और आधे गुणसूत्र माता से आकर आपस में संयोजित हो जाते हैं। अर्थात् नर से (23 गुणसूत्र) (UPBoardSolutions.com) तथा मादा से (23 गुणसूत्र) मिलकर संतति में 46 गुणसूत्र होते हैं तथा बराबरी की भागीदारी होती है। यही कारण है कि प्रत्येक पीढी के लक्षणों में विभिन्न्ताएँ आती रहती हैं।

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प्रश्न 12.
केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्यों एवं क्यों नहीं?
उत्तर
हाँ, वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव के लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। उत्तरजीविता में लाभ वाली विभिन्नताओं का ही प्राकृतिक चयन होता है। इसे एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है उदाहरण के लिए, प्रारंभ में केवल (UPBoardSolutions.com) एक हरे भुंग थे। कौए हरी पत्तियों में हरे भुंग को नहीं देख पाते हैं। अतः इन्हें नहीं खा पाते हैं, जिससे शृंगों की समष्टि में लाल भूगों की समष्टि की अपेक्षा हरे भूगों की संख्या बढ़ती जाती है। अर्थात्, लाल भृग तथा नीले भृग की तुलना में हरे भुंग के लिए उत्तरजीविता (survival) के लिए लाभ है।

Hope given UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 9 are helpful to complete your homework.

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UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes

UP Board Solutions for Class 10 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes (पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन)

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प्रश्नावली 13.1 (NCERT Page 268)

जब तक अन्यथा न कहा जाए, π = [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] लीजिए |
प्र. 1. दो घनों, जिनमे से प्रत्येक का आयतन 64 cm3 है, के सलंग्न फलकों को मिलाकर एक ठोस (UPBoardSolutions.com) बनाया जाता है| इससे प्राप्त घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए|
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CBSE Class 10 Previous Year Question Papers

प्र. 2. कोई बर्तन एक खोखले अर्धगोले के आकार का है जिसके ऊपर एक खोखला बेलन अध्यारोपित है| अर्धगोले का व्यास 14 cm है और इस बर्तन (पात्र) की कुल ऊँचाई 13 cm है| इस बर्तन का आंतरिक पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए|
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प्र. 3. एक खिलौना त्रिज्या 3.5 cm वाले एक शंकु के आकार का है, (UPBoardSolutions.com) जो उसी त्रिज्या वाले एक अर्ध गोले पर अध्यारोपित है| इस खिलौने की संपूर्ण ऊँचाई 15.5 cm है| इस खिलोने का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए|
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प्र. 4. भुजा 7 cm वाले एक घनाकार ब्लाक के ऊपर एक अर्धगोला रखा हुआ है| अर्धगोले का अधिकतम व्यास क्या हो सकता है? इस प्रकार बने ठोस का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए|
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प्र. 5 एक घनाकार ब्लाक के एक फलक को अन्दर की ओर से काट कर (UPBoardSolutions.com) एक अर्धगोलाकार गड्ढा इस प्रकार बनाया गया है की अर्धगोले का व्यास घन के एक किनारे के बराबर है| शेष बचे ठोस का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए|
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प्र. 6. दवा का एक कैप्सूल (capsule) एक बेलन के आकार का है जिसके दोनों सिरों पर एक – एक अर्धगोला लगा हुआ है (देखिए आकृति) | पुरे कैप्सूल की लंबाई 14 mm है और उसका व्यास 5 mm है इसका पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात (UPBoardSolutions.com) कीजिए|
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प्र. 7. कोई तंबू एक बेलन के आकार का है जिस पर एक शंकु आध्यारोपित है| यदि बेलनाकार भाग की ऊँचाई और क्रमशः 2.1 m और 4 m है तथा शंकु की तिर्यक ऊँचाई 2.8 m है तो इस तंबू को बनाने में प्रयुक्त कैनवस (UPBoardSolutions.com) (canvas) का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए | साथ ही, 500 रू प्रति m2 की दर से इसमें प्रयुक्त कैनवस की लागत ज्ञात कीजिए | (ध्यान दीजिए कि तंबू के आधार को कैनवस से नहीं ढका जाता है|)
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प्र. 8. ऊँचाई 2.4 cm और व्यास 1.4 cm वाले एक ठोस बेलन में (UPBoardSolutions.com) से ऊँचाई और इसी व्यास वाला एक शंक्वाकार खोल (cavity) काट लिया जाता है |शेष बचे ठोस का निकटतम वर्ग सेंटीमीटर तक पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए|
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प्र. 9. लकड़ी के ठोस बेलन के प्रत्येक सिरे पर एक अर्धगोला खोदकर निकालते हुए, एक वस्तु बनाई गई है, जैसाकि आकृति में दर्शाया गया है| यदि बेलन की ऊँचाई 10 cm है और आधार की त्रिज्या 3.5 cm है तो इस वस्तु का संपूर्ण (UPBoardSolutions.com) पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए|
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प्रश्नावली 13.2 (NCERT Page 271)

(जब तक अन्यथा न कहा जाए, π = [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] लीजिए|)
प्र. 1. एक ठोस एक अर्धगोले पर खड़े एक शंकु के आकार का है जिनकी (UPBoardSolutions.com) त्रिज्याएँ 1 cm हैं तथा शंकु की ऊँचाई उसकी त्रिज्या के बराबर है| इस ठोस का आयतन π के पदों में ज्ञात कीजिए|
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प्र. 2. एक इंजीनियरिंग के विधार्थी रचेल से एक पतली एल्युमिनियम की शीट का प्रयोग करते हुए एक मॉडल बनाने को कहा गया जो एक ऐसे बेलन के आकार का हो जिसके दोनों सिरों पर दो शंकु जुड़े हुए हों| इसा मॉडल का व्यास 3 cm है और (UPBoardSolutions.com) इसकी लंबाई 12 cm है| यदि प्रत्येक शंकु की ऊँचाई 2 cm हो तो रचेल द्वारा बनाए गए मॉडल में अंतर्विष्ट हवा का आयतन ज्ञात कीजिए|
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प्र. 3. एक गुलाबजामुन में उसके आयतन की लगभग 30% चीनी की चाशनी होती है| 45 गुलाबजामुन एक बेलन के आकार का है, जिसके दोनों सिरे अर्धगोलाकार हैं तथा इसकी लंबाई 5 cm और व्यास 2.8 cm है (देखिए आकृति) |
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प्र. 4. एक कमलदान घनाभ के आकार की एक लकड़ी से बना हा जिसमें कलम रखने के लिए चार शंक्वाकार गड्ढे बने हुए हैं| घनाभ की विमाएँ 15 cm x 10 cm x 3.5 cm हैं| प्रत्येक गड्ढे की त्रिज्या 0.5 cm है और गहराई 1.4 cm है| (UPBoardSolutions.com) पुरे कमलदान में लकड़ी का आयतन ज्ञात कीजिए (देखिए आकृति)|

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प्र. 5. एक बर्तन एक उल्टे शंकु के आकार का है| इसकी ऊँचाई 8 cm है और इसके ऊपरी सिरे (जो खुला हुआ है) की त्रिज्या 5 cm त्रिज्या है| यह ऊपर तक पानी से भरा हुआ है| जब इस बर्तन में सीसे की कुछ गोलियाँ जिनमे प्रत्येक (UPBoardSolutions.com) 0.5 cm त्रिज्या वाला एक गोला है, डाली जाती हैं, तो इसमें से भरे हुए पानी का एक चौथाई भाग बाहर निकल जाता है | बर्तन में डाली गई सीसे की गोलियों की संख्या ज्ञात कीजिए|
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प्र. 6. ऊँचाई 220 cm और आधार व्यास 24 cm वाले एक बेलन, जिस पर ऊँचाई 60 cm और त्रिज्या 8 cm वाला एक अन्य बेलन आरोपित है, से लोहे का स्तंभ बना है | इस स्तंभ का द्रव्यमान ज्ञात कीजिए, जबकि दिया है 1 cm3 (UPBoardSolutions.com) लोहे का द्रव्यमान लगभग 8 g होता है | (π = 3.14 लीजिए |)
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प्र. 7. एक ठोस में, ऊँचाई 120 cm और त्रिज्या 60 cm वाला एक शंकु सम्मिलित है, जो 60 cm त्रिज्या वाले एक अर्धगोले पर आरोपित है| इस ठोस को पानी से भरे हुए एक लंब वृत्तीय बेलन में इस प्रकार सीधा डाल दिया जाता है कि (UPBoardSolutions.com) यह बेलन की तली को स्पर्श करे| यदि बेलन की त्रिज्या 60 cm है और ऊँचाई 180 cm है तो बेलन में शेष बचे पानी का आयतन ज्ञात कीजिए|
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प्र. 8. एक गोलाकार काँच के बर्तन की एक बेलन के आकार की गर्दन है जिसकी लंबाई 8 cm है और व्यास 2 cm है जबकि गोलाकार भाग का व्यास 8.5 cm है| इसमें भरे जा सकने वाली पानी की मात्रा माप कर, एक बच्चे ने यह ज्ञात किया (UPBoardSolutions.com) कि इस बर्तन का आयतन 345 cm3 है| जाँच कीजिए कि बच्चे का उत्तर सही है या नहीं, यह मानते हुए की उपरोक्त मापन आंतरिक मापन है और π = 3.14
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प्रश्नावली 13.3 (NCERT Page 276)

(जब तक अन्यथा न कहा जाए, π = [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] लीजिए |)
प्र. 1. त्रिज्या 4.2 cm वाले धातु के एक गोले को पिघलाकर त्रिज्या 6 cm वाले एक बेलन के रूप में ढाला जाता है| बेलन की ऊँचाई ज्ञात कीजिए|
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प्र. 2. क्रमशः 6 cm, 8 cm और 10 cm त्रिज्याओं वाले धातु के ठोस गोलों (UPBoardSolutions.com) को पिघलाकर एक बड़ा ठोस गोला बनाया जाता है| इस गोले की त्रिज्या ज्ञात कीजिए|
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प्र. 3. व्यास 7 m वाला 20 m गहरा एक कुआँ खोदा जाता है और खोदने से निकली (UPBoardSolutions.com) हुई मिट्टी को समान रूप से फैलाकर 22 m x 14 m वाला एक चबूतरा बनाया गया है| इस चबूतरे की ऊँचाई ज्ञात कीजिए|
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प्र. 4. व्यास 3 m वाला 14 m गहरा की गहराई तक खोदा जाता है | इससे निकली हुई मिट्टी को कुँए के चारों ओर 4 m चौड़ी एक वृत्ताकार वलय (ring) बनाते हुए, समान रूप से फैलाकर एक प्रकार का बाँध बनाया जाता है | इस बाँध की ऊँचाई ज्ञात कीजिए |
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प्र. 5. व्यास 12 cm और ऊँचाई 15 cm वाले एक लंब वृत्तीय बेलन के आकार का बर्तन आइसक्रीम से पूरा भरा हुआ है| इस आइसक्रीम को ऊँचाई 12 cm और व्यास 6 cm वाले शकुओं में भरा जाना है, जिनका ऊपरी सिरा अर्धगोलाकार होगा| (UPBoardSolutions.com) उन शंकुओं की संख्या ज्ञात कीजिए जो इस आइसक्रीम से भरे जा सकते हैं|
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प्र. 6. विमाओं 5.5 cm x 10 cm x 3.5 cm वाला एक घनाभ बनाने के लिए, 1.75 cm व्यास और 2 mm मोटाई (UPBoardSolutions.com) वाले कितने चाँदी के सिक्कों को पिघलाना पड़ेगा ?
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प्र. 7. 32 cm ऊँची और आधार त्रिज्या 18 cm वाली एक बेलनाकार बाल्टी रेत से भरी हुई है | इस बाल्टी को भूमि पर खाली किया जाता है और इस रेते की एक शंक्वाकार ढेरी बनाई जाती है | यदि शंक्वाकार ढेरी की ऊँचाई 24 cm है, (UPBoardSolutions.com) तो इस ढेरी की त्रिज्या और तिर्यक ऊँचाई ज्ञात कीजिए |
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प्र. 8. 6 m चौड़ी और 1.5 m गहरी एक नहर में पानी 10 km/h की चाल (UPBoardSolutions.com) से बह रहा है| 30 मिनट में, यह नहर कितने क्षेत्रफल की सिंचाई कर पाएगी, जबकि सिंचाई के ल;इए 8 cm गहरे पानी की आवश्यकता होती है|
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प्र. 9. एक किसान अपने खेत में बनी 10 m व्यास वाली और 2 m (UPBoardSolutions.com) गहरी एक बेलनाकार टंकी को आंतरिक व्यास 20 cm वाले एक पाइप द्वारा एक नहर से जोड़ता है| यदि पाइप में पानी 3 km/h की चाल से बह रहा है, तो कितने समय बाद टंकी पूरी भर जाएगी ?
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प्रश्नावली 13.4 (NCERT Page 282)

(जब तक अन्यथा न कहा जाए, π = [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] लीजिए|)
प्र. 1. पानी पीने वाला एक गिलास 14 cm ऊँचाई वाले एक शंकु के छिन्नक के (UPBoardSolutions.com) आकार का है| दोनों वृत्ताकार सिरों के व्यास 4 cm और 2 cm हैं| इस गिलास की धारिता ज्ञात कीजिए|
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प्र. 2. एक शंकु के छिन्नक की तिर्यक ऊँचाई 4 cm है तथा इसके (UPBoardSolutions.com) वृत्तीय सिरों के परिमाप (परिधियाँ) 18 cm और 6 cm हैं| इस छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए |
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प्र. 3. एक तुर्की टोपी शंकु के एक छिन्नक के आकर की है (देखिये आकृति)| यदि इसके खुले सिरे की त्रिज्या 10 cm है, ऊपरी सिरे की त्रिज्या 4 cm है टोपी की तिर्यक ऊँचाई 15 cm है तो इसके बनाने में प्रयुक्त पदार्थ का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए|
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प्र. 4. धातु की चादर से बना और ऊपर से खुला एक बर्तन शंकु के छिन्नक के आकार का है, जिसकी ऊँचाई 16 cm है तथा निचले और ऊपरी सिरों की त्रिज्याएँ क्रमशः 8 cm और 20 cm हैं | 20 रू प्रति लीटर की दर से, इस बर्तन (UPBoardSolutions.com) को पूरा भर सकने वाले दूध का मूल्य ज्ञात कीजिए | साथ ही, इस बर्तन को बनाने के लिए प्रयुक्त धातु की चादर का मूल्य 8 रू प्रति 100 cm2 की दर से ज्ञात कीजिए| (π = 3.14 लीजिए |)
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प्र. 5. 20 cm ऊँचाई और शीर्ष कोण (vertical angle ) 60o एक शंकु को उसकी ऊँचाई के बीचोंबीच से होकर जाते हुए एक ताल से दो भागों में काटा गया है, जबकि ताल शंकु के आधार के समांतर है| यदि इस प्राप्त शंकु के छिन्नक (UPBoardSolutions.com) को व्यास [latex]\frac { 1 }{ 16 }[/latex] cm वाले एक तार के रूप में बदल दिया जाता है तो की लंबाई ज्ञात कीजिए|
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प्रश्नावली 13.5 (NCERT Page 283)

प्र. 1. व्यास 3 mm वाले ताँबे के तार को 12 cm लंबे और 10 cm व्यास वाले एक बेलन पर इस प्रकार लपेटा जाता है वह बेलन के वक्र पृष्ठ को पूर्णतया ढक लेता है | तार की लंबाई और द्रव्यमान ज्ञात कीजिए, यह मानते हुए कि ताँबे का (UPBoardSolutions.com) घनत्व 8.88 g प्रति cm3 है |
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प्र. 2. एक समकोण त्रिभुज, जिसकी भुजाएँ 3 cm और 4 cm हैं (कर्ण के अतिरिक्त ), को उसके कर्ण के परितः घुमाया जाता है| इस प्रकार प्राप्त द्वी -शंकु (double cone) के आयतन और पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए|
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प्र. 3. एक टंकी, जिसके आंतरिक मापन 150 cm x 120 cm x 110 cm हैं, में 129600 cm3 पानी में कुछ छिद्र वाली ईंटे तब तक डाली जाती हैं, जब तक कि ताकि पूरी ऊपर तक भर न जाए | प्रत्येक ईंट अपने आयतन का [latex]\frac { 1 }{ 17 }[/latex] पानी सोख लेती (UPBoardSolutions.com) है| यदि प्रत्येक ईंट की माप 22.5 cm x 7.5 cm x 6.5 cm हैं, तो टंकी में कुल कितनी ईंटे डाली जा सकती हैं, ताकि उसमें से पानी बाहर न बहे ?
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प्र. 4. किसी महीने के 15 दिनों में, एक नदी की घाटी में 10 cm वर्षा हुई | यदि इस घाटी का क्षेत्रफल 97280 km2 है, तो दर्शाइए कि कुल वर्षा लगभग तीन नदियों के सामान्य पानी के योग के समतुल्य थी, जबकि प्रत्येक नदी (UPBoardSolutions.com) 1072 km लंबी, 75 m चौड़ी और 3 m गहरी है |
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प्र. 5. टीन की बनी हुई एक तेल की कुप्पी 10 cm लंबे एक बेलन में एक शंकु के छिन्नक को जोड़ने से बनी है| यदि इसकी कुल ऊँचाई 22 cm है, बेलनाकार भाग का व्यास 8 cm है और कुप्पी के ऊपरी सिरे का व्यास 18 cm है, तो इसके बनाने में लगी टीन की चादर का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए (देखिए आकृति 13.25) |
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प्र. 6. शंकु के एक छिन्नक के लिए, पूर्व स्पष्ट किए संकेतों का (UPBoardSolutions.com) प्रयोग करते हुए, वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल और संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल के उन सूत्रों को सिद्ध कीजिए, जो अनुच्छेद 13.5 में दिए गए हैं|
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प्र. 7. शंकु के एक छिन्नक के लिए, पूर्व स्पष्ट किए संकेतों का (UPBoardSolutions.com) प्रयोग करते हुए, आयतन का वह सूत्र कीजिए, जो अनुच्छेद 13.5 में दिया गया है |
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UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 8 How do Organisms Reproduce

UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 8 How do Organisms Reproduce (जीव जनन कैसे करते है)

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पाठगत हल प्रश्न

[NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOIVED]

खंड 8.1 ( पृष्ठ संख्या 142)

प्रश्न 1.
डी०एन०ए० प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है?
उत्तर
DNA के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का संदेश होता है, जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है। यह पीढ़ी-दर-पीढी अभिलक्षण हस्तान्तरित करने में सहायता करता है। साथ ही DNA प्रतिकृति में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं, जो लंबे (UPBoardSolutions.com) समय तक किसी स्पीशीज़ (species) के उत्तरजीविता के लिए आवश्यक होता है।।

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प्रश्न 2.
जीवों में विभिन्नता स्पीशीज़ के लिए तो आवश्यक है, परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों?
उत्तर
विभिन्नताएँ स्पीशीज़ की उत्तरजीविता बनाए रखने में उपयोगी होता है, क्योंकि यदि किसी समष्टि के जीवों में कुछ विभिन्नता होगी, तभी अचानक कुछ उग्र परिवर्तन आने पर जीवित रह पाएँगे अन्यथा समष्टि का समूल विनाश संभव है; जैसेवैश्विक उष्मीकरण (Global warming) के कारण शीतोष्ण जल के जीवाणुओं की समष्टि में से अधिकतर जीवाणु व्यष्टि मर जाएँगे, परंतु उष्ण प्रतिरोधी क्षमता वाले कुछ परिवर्तन जीवित रहेंगे।

खंड 8.2 ( पृष्ठ संख्या 146)

प्रश्न 1.
द्विखंडन बहुखंडन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर
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प्रश्न 2.
बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है?
उत्तर
बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है, नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगता है। ये हल्के तथा गोल होते हैं, जिसके कारण आसानी से वातावरण में फैल जाते हैं।

प्रश्न 3.
क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं, जिससे पता चलती हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति उत्पन्न नहीं कर सकते?
उत्तर
जटिल संरचना वाले जीवों में विशिष्ट कार्य करने के लिए एक खास अंग एवं अंगतंत्र होते हैं, इसलिए ऐसे जीवों के किसी भाग को काट कर नया जीव उत्पन्न नहीं किया जा सकता है। पुनरुद्भवन विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा संपादित होती है। इन कोशिकाओं (UPBoardSolutions.com) के क्रमप्रसरण से अनेक कोशिकाएँ बन जाती हैं। इस प्रकार का जनन केवल उन्हीं जीवों
में संभव है जिनमें विशिष्ट कार्य के लिए अंग नहीं पाए जाते हैं।

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प्रश्न 4.
कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर
कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन के उपयोग निम्नलिखित कारणों से किए जाते हैं

  1. कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधों में बीज द्वारा उगाए गए पौधों की अपेक्षा पुष्प एवं फल कम समय में लगते हैं।
  2. यह पद्धति उन पौधों के उगाने के लिए उपयुक्त है, जो बीज उत्पन्न करने की क्षमता खो चुके हैं; जैसे- गुलाब, चमेली, संतरा एवं केला।
  3. कायिक प्रवर्धन द्वारा उत्पन्न सभी पौधे आनुवंशिक रूप से जनक पौधे के समान होते हैं।

प्रश्न 5.
डी०एन०ए० की प्रतिकृति बनाना जनक के लिए आवश्यक क्यों है?
उत्तर
डी०एन०ए० की प्रतिकृति बनाना जनक के लिए इसलिए आवश्यक है, क्योंकि इससे संतति कोशिकाएँ समान होते हुए भी किसी न किसी रूप में एक दूसरे से भिन्न होती हैं। यही विभिन्नताएँ जैव-विकास का आधार हैं। इस प्रक्रिया में जनन कोशिका में (UPBoardSolutions.com) डी०एन०ए० की दो प्रतिकृतियाँ बनती हैं और इसके साथ-साथ दूसरी कोशिकीय संरचनाओं का सृजन भी होता रहता है तथा इसके बाद डी०एन०ए० की प्रतिकृतियाँ विलग हो जाती हैं।

खंड 8.3 ( पृष्ठ संख्या 154 )

प्रश्न 1.
परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर
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प्रश्न 2.
शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है?
उत्तर
प्रोस्ट्रेट तथा शुक्राणु अपने स्राव शुक्रवाहिका में डालते हैं, जिससे शुक्राणु एक तरल माध्यम में आ जाते हैं। इसके कारण इनका स्थानांतरण सरलता से होता है, साथ ही यह स्राव उन्हें पोषण भी प्रदान करता है।

प्रश्न 3.
यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन-से परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर
यौवनारंभ के समय लड़कियों में निम्नलिखित मुख्य परिवर्तन दिखाई देते हैं|

  1. वक्ष के भाग में स्तनों का विकास।
  2. रजोधर्म या ऋतुस्राव का प्रारंभ।
  3. आवाज़ पतली हो जाती है।
  4. गुप्तांगों पर बाल उत्पन्न होने लगते हैं।

प्रश्न 4.
माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है?
उत्तर
भ्रूण को माँ के रुधिर से ही पोषण मिलता है, इसके लिए एक विशेष संरचना होती है, जिसे प्लेसेंटा कहते हैं। यह एक तश्तरीनुमा संरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है। इसमें भ्रूण की ओर के ऊतक में प्रवर्ध होते हैं। माँ के ऊतकों में रक्तस्थान होते हैं, (UPBoardSolutions.com) जो प्रवर्ध को आच्छादित करते हैं। यह माँ से भ्रूण को ग्लूकोज़, ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थों के स्थानांतरण हेतु एक बृहद क्षेत्र प्रदान करते हैं। विकासशील भ्रूण द्वारा अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न होते हैं, जिनका निपटान उन्हें प्लेसेंटा के माध्यम से माँ के रुधिर में स्थानांतरण द्वारा होता है।

प्रश्न 5.
यदि कोई महिला कॉपर-टी का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन-संचरित रोगों से रक्षा करेगा?
उत्तर
नहीं। कॉपर-टी का प्रयोग महिला की यौन-संचरित रोगों से रक्षा नहीं करेगा, क्योंकि यह विधि नर तथा मादा के बीच शारीरिक संबंध स्थापित करने में कोई बाधा उत्पन्न नहीं करती है। केवल गर्भधारण रोकती है।

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पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED]

प्रश्न 1.
अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है।
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(C) प्लैज्मोडियम
(d) लेस्मानिया
उत्तर
(b) यीस्ट।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है?
(a) अंडाशय
(b) गर्भाशय
(C) शुक्रवाहिका
(d) डिबवाहिनी
उत्तर
(a) शुक्रवाहिका।

प्रश्न 3.
परागकोश में होते हैं
(a) बाह्यदल
(b) अंडाशय
(C) अंडप
(d) परागकण
उत्तर
(d) परागकण।

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प्रश्न 4.
अलैगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं?
उत्तर

  1. अलैंगिक जनन में प्राप्त संतति, जनक के लगभग समरूप होते हैं, क्योंकि इनमें एक ही जीव के डी०एन०ए० से प्रतिकृति प्राप्त होता है परंतु लैंगिक जनन में दो या दो से अधिक जीव भाग लेते हैं। अत: संयोजन अनोखा होता है तथा भिन्न जीवों से (UPBoardSolutions.com) प्राप्त डी०एन०ए० अत्यधिक विभिन्नताओं को बढ़ावा देता है, जो विकास के लिए आवश्यक है।
  2. लैंगिक जनन में नए संयोजन के अवसर उत्पन्न होते हैं, जिससे नई स्पीशीज़ एवं जाति की उत्पत्ति होती है।

प्रश्न 5.
मानव में वृषण के क्या कार्य हैं?
उत्तर
मानव में वृषण के कार्य निम्न हैं
.

  1. शुक्राणु का निर्माण करना।
  2.  टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का स्राव करना।

प्रश्न 6.
ऋतुस्राव क्यों होता है?
उत्तर
निषेचन नहीं होने की स्थिति में अंडाशय की अंत:भित्ति की मांसल एवं स्पोंजी परत जैसी संरचना की आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि यह अंड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक होता है। अतः यह परत धीरे-धीरे टूटकर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इस चक्र में लगभग एक मास
का समय लगता है, इसे ऋतुस्राव या रजोधर्म कहते हैं।

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प्रश्न 7.
पुष्प की अनुदैर्ध्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 8 How do Organisms Reproduce img-3
प्रश्न 8.
गर्भनिरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर
गर्भनिरोधन की विधियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. यांत्रिक अवरोध (Physical Barrier Method)- ताकि शुक्राणु अंडकोशिका तक न पहुँच सकें। शिश्न को ढकने वाले कंडोम अथवा योनि में रखने वाले अनेक युक्तियाँ; जैसे-लूप अथवा कॉपर-टी (copper-T) को गर्भाशय में स्थापित करना।
  2. हार्मोन संतुलन को परिवर्तन- ये दवाएँ मादा सामान्यतः गोली के रूप (UPBoardSolutions.com) में लेती हैं, जिससे हॉर्मोन संतुलन में परिवर्तन हो जाता है तथा अंड का विमोचन ही नहीं होता है। अतः निषेचन नहीं हो पाता है।
  3. शल्य क्रिया तकनीक (Surgical Method)- यदि पुरुष की शुक्रवाहिकाओं को अवरुद्ध कर दिया जाए तो शुक्राणुओं का स्थानांतरण रुक जाएगा। यदि मादा की अंडवाहिनी अथवा फेलोपियन नलिका को अवरुद्ध कर दिया जाए, तो अंड (डिंब) गर्भाशय तक नहीं पहुँच सकेगा। दोनों ही अवस्थाओं में निषेचन नहीं हो पाएगा।

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प्रश्न 9.
एक-कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 8 How do Organisms Reproduce img-4

प्रश्न 10.
जनन किसी स्पीशीज़ की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर
अपनी जनन क्षमता के कारण जीवों की समष्टि पारितंत्र में अपना स्थान अथवा निकेत ग्रहण करने में सक्षम होते हैं। जनन के दौरान डी०एन०ए० (DNA) प्रतिकृति का अविरोध जीव की शारीरिक संरचना एवं डिजाइन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं, जो उसे विशिष्ट निकेत (UPBoardSolutions.com) के योग्य बनाती है। अतः किसी प्रजाति (स्पीशीज़) की समष्टि के स्थायित्व का संबंध जनन से है।

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प्रश्न 11.
गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर
गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के निम्न कारण हैं

  1. अनचाहे गर्भधारण की संभावना को रोकना।
  2. लैंगिक संचरण द्वारा HIV AIDS, गनोरिया, सिफलिस, मस्सा (Wart) आदि रोगों से बचाव।
  3. बच्चों के बीच उपयुक्त अंतर के लिए।

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UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 4 बिहारी (काव्य-खण्ड)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 4 बिहारी (काव्य-खण्ड)

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कवि-पस्विय

प्रश्न 1.
कविवर बिहारी का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए। [2009, 10]
या
बिहारी का जीवन-परिचय देते हुए उनकी किसी एक रचना का नामोल्लेख कीजिए। [2012, 13, 14, 15, 16, 17, 18]
उत्तर
कविवर बिहारी एक श्रृंगारी कवि हैं। इन्होंने दोहे जैसे लघु आकार वाले छन्द में गागर में सागर भर देने का कार्य किया है। प्रख्यात आलोचक श्री पद्मसिंह शर्मा ने इनकी प्रशंसा में लिखा है कि, “बिहारी के दोहों का अर्थ गंगा की विशाल जल-धारा के समान है, (UPBoardSolutions.com) जो शिव की जटाओं में समा तो गयी थी, परन्तु उसके बाहर निकलते ही वह इतनी असीम और विस्तृत हो गयी कि लम्बी-चौड़ी धरती में भी सीमित न रह सकी। बिहारी के दोहे रस के सागर हैं, कल्पना के इन्द्रधनुष हैं, भाषा के मेघ हैं। उनमें सौन्दर्य के मादक चित्र अंकित हैं।”

जीवन-परिचय-रीतिकाल के प्रतिनिधि कवि बिहारी श्रृंगार रस के अद्वितीय कवि थे। इनका जन्म सन् 1603 ई० (सं० 1660 वि०) के लगभग ग्वालियर के निकट बसुवा गोविन्दपुर ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम केशवराय था। इन्हें मथुरा का चौबे ब्राह्मण माना जाता है। अनेक विद्वानों ने इनको आचार्य केशवदास { ‘रामचन्द्रिका’ के रचयिता) का पुत्र स्वीकार किया है और तत्सम्बन्धी प्रमाण भी प्रस्तुत किये हैं। इन्होंने निम्बार्क सम्प्रदाय के अनुयायी स्वामी नरहरिदास से संस्कृत, प्राकृत आदि का अध्ययन किया था। इन्होंने युवावस्था अपनी ससुराल मथुरा में बितायी थी। मुगल बादशाह शाहजहाँ के निमन्त्रण पर ये आगरा चले गये और उसके बाद जयपुर के राजा जयसिंह के दरबारी कवि हो गये। राजा जयसिंह अपनी नवविवाहिता पत्नी के प्रेम-पाश में फंसकर जब राजकार्य को चौपट कर बैठे थे, तब बिहारी ने राजा की मोहनिद्रा भंग करने के लिए निम्नलिखित अन्योक्तिपूर्ण दोहा लिखकर उनके पास भेजा—

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नहिं पराग नहि मधुर मधु, नहि बिकासु इहि काल।।
अली कली ही सौं बँध्यो, आगै कौन हवाल॥

इस दोहे को पढ़कर राजा की आँखें खुल गयीं और वे पुनः कर्तव्य-पथ पर अग्रसर हो गये। राजा जयसिंह की प्रेरणा पाकर बिहारी सुन्दर-सुन्दर दोहों की रचना करते थे और पुरस्कारस्वरूप प्रत्येक दोहे पर एक स्वर्ण-मुद्रा प्राप्त करते थे। बाद में पत्नी की मृत्यु के कारण श्रृंगारी कवि बिहारी का मन भक्ति और वैराग्य की ओर मुड़ गया। 723 दोहों की सतसई सन् 1662 ई० में समाप्त हुई मानी जाती है। सन् 1663 ई० (सं० 1720 वि०) में इनकी मृत्यु हो गयी। –

रचनाएँ—बिहारी की एकमात्र रचना ‘बिहारी सतसई’ है। यह श्रृंगार रसप्रधान मुक्तक काव्य-ग्रन्थ है। श्रृंगार की अधिकता होने के कारण बिहारी मुख्य रूप से श्रृंगार रस के कवि माने जाते हैं। इन्होंने छोटे-से . दोहे में प्रेम-लीला के गूढ़-से-गूढ़ प्रसंगों को अंकित किया है। इनके दोहों के विषय में कहा गया है सतसैया के दोहरे, ज्यौं नाविक के तीर। देखने में छोटे लगैं, घाव करै गम्भीर ॥ साहित्य में स्थान-रीतिकालीन कवि बिहारी अपने ढंग के अद्वितीय (UPBoardSolutions.com) कवि हैं। इनकी विलक्षण सृजन-प्रतिभा के कारण काव्य-संसार ने इन्हें महाकवि के पद पर प्रतिष्ठित किया है। आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र का कहना है कि, “प्रेम के भीतर उन्होंने सब प्रकार की सामग्री, सब प्रकार के वर्णन प्रस्तुत किये हैं और वह भी इन्हीं सात-सौ दोहों में। यह उनकी एक विशेषता ही है। नायिका-भेद या श्रृंगार का लक्षण-ग्रन्थ लिखने वाले भी किसी नायिका या अलंकारादि का वैसा उदाहरण प्रस्तुत करने में समर्थ नहीं हुए जैसा बिहारी ने किया है। हमें यह भी मान लेने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए कि उनके जोड़ का हिन्दी में कोई दूसरा कवि नहीं हुआ।

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पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या भक्ति |

प्रश्न 1.
मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ ।
जा तन की झाई परै, स्यामु हरित-दुति होइ॥ [2014]
उत्तर
[ भव-बाधा = सांसारिक दु:ख। हरौ = दूर करो। नागरि = चतुर। झाई परै = प्रतिबिम्ब, झलक पड़ने पर। स्यामु = श्रीकृष्ण, नीला, पाप। हरित-दुति = (1) हरी कान्ति, (2) प्रसन्न, (3) हरण हो गयी है द्युति । जिसकी; अर्थात् फीका, कान्तिहीन।]

सन्दर्भ–प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी के ‘काव्य-खण्ड’ में (UPBoardSolutions.com) संकलित रीतिकाल के रससिद्ध कवि बिहारी द्वारा रचित ‘बिहारी सतसई’ के ‘भक्ति’ शीर्षक से अवतरित है।

[ विशेष—इस शीर्षक के अन्तर्गत आने वाले सभी दोहों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]

प्रसंग-कवि ने अपने ग्रन्थ के प्रारम्भ में राधा जी की वन्दना की है।

व्याख्या-

  1. वह चतुर राधिका जी मेरे सांसारिक कष्टों को दूर करें, जिनके पीली आभा वाले (गोरे).शरीर की झाँई (प्रतिबिम्ब) पड़ने से श्याम वर्ण के श्रीकृष्ण हरित वर्ण की द्युति वाले; अर्थात् हरे रंग के हो जाते हैं।
  2. वे चतुर राधिका जी मेरी सांसारिक बाधाओं को दूर करें, जिनके शरीर की झलक पड़ने से भगवान् कृष्ण भी प्रसन्नमुख (हरित-कान्ति) हो जाते हैं।
  3. हे चतुर राधिका जी! आप मेरे सांसारिक कष्टों को दूर करें, जिनके ज्ञानमय (गौर) शरीर की झलकमात्र से मन की श्यामलता (पाप) नष्ट हो जाती है।
  4. वह चतुर राधिका जी मेरी सांसारिक बाधाओं को दूर करें, जिनके गौरवर्ण (UPBoardSolutions.com) शरीर की चमक पड़ने से श्रीकृष्ण भी फीकी कान्ति वाले हो जाते हैं।

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काव्यगत सौन्दर्य-

  1. कवि ने प्रस्तुत दोहे में मंगलाचरण रूप में राधा की वन्दना की है।
  2. नील और पीत वर्ण मिलकर हरा रंग हो जाता है। यहाँ बिहारी का चित्रकला-ज्ञान प्रकट हुआ है।
  3. भाषाब्रज।
  4. शैली-मुक्तक।
  5. रस-श्रृंगार और भक्ति।
  6. छन्द-दोहा।
  7. अलंकार-‘हरौ, राधा नागरि’ में अनुप्रास, ‘भव-बाधा’, ‘झाईं तथा ‘स्यामु हरित-दुति’ के अनेक अर्थ होने से श्लेष अलंकार की छटा मनमोहक बन पड़ी है।
  8. गुण–प्रसाद और माधुर्य।
  9. बिहारी ने निम्नलिखित दोहे में भी अपने रंगों के ज्ञान का परिचय दिया है—

अधर धरत हरि कै परत, ओठ डीठि पट जोति।
हरित बाँस की बाँसुरी, इन्द्रधनुष सँग होति ॥

प्रश्न 2.
मोर-मुकुट की चंद्रिकनु, यौं राजत नंदनंद ।।
मनु संसि सेखर की अकस, किय सेखर सत चंद ॥
उत्तर
[ चंद्रिकनु = चन्द्रिकाएँ। राजत = शोभायमान होना। ससि सेखर = चन्द्रमा जिनके सिर पर है अर्थात् भगवान् शंकर। अकस = प्रतिद्वन्द्वितावश। ]

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प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में श्रीकृष्ण के सिर पर लगे मोर-मुकुट की चन्द्रिकाओं का सुन्दर चित्रण किया गया है। |

व्याख्या-कवि कहता है कि भगवान् श्रीकृष्ण के सिर पर मोर पंखों का मुकुट शोभा दे रहा है। उन मोर पंखों के बीच में बनी सुनहरी चन्द्राकार चन्द्रिकाएँ देखकर ऐसा लगता है, जैसे मानो भगवान् शंकर से प्रतिस्पर्धा करने के लिए उन्होंने सैकड़ों चन्द्रमा सिर (UPBoardSolutions.com) पर धारण कर लिये हों।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. यहाँ श्रीकृष्ण के अनुपम सौन्दर्य का मोहक वर्णन हुआ है।
  2. मोर-मुकुट की चन्द्रिकाओं की तुलना भगवान् शंकर के सिर पर विराजमान चन्द्रमा से करके कवि ने अपनी अद्भुत काव्य-कल्पना का परिचय दिया है।
  3. भाषा–ब्रज।
  4. शैली-मुक्तक।
  5. छन्द-दोहा।
  6. रसशृंगार।
  7. अलंकार—‘मोर-मुकुट तथा ‘ससि सेखर’ में अनुप्रास एवं ‘मनु ससि सेखर की अकस’, ‘किय सेखर सत चंद’ में उत्प्रेक्षा तथा ‘ससि सेखर’ और ‘सेखर’ में सभंग श्लेष।
  8. गुण-माधुर्य।

प्रश्न 3.
सोहत ओढ़ पीतु पटु, स्याम सलौने गात ।
मनौ नीलमनि-सैल पर, आतपु पर्यो प्रभात ॥ [2012, 14]
उत्तर
[ सोहत = सुशोभित हो रहे हैं। पीतु पटु = पीले वस्त्र। सलौने = सुन्दर। गात = शरीर। नीलमनिसैल = नीलमणि पर्वत। आतपु = प्रकाश।]

प्रसंग-इस दोहे में पीला वस्त्र ओढ़े हुए श्रीकृष्ण के सौन्दर्य का (UPBoardSolutions.com) वर्णन किया गया है। |

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व्याख्या-श्रीकृष्ण का श्याम शरीर अत्यन्त सुन्दर है। वे अपने शरीर पर पीले वस्त्र पहने इस प्रकार शोभा पा रहे हैं, मानो नीलमणि के पर्वत पर प्रात:काल की पीली-पीली धूप पड़ रही हो। यहाँ श्रीकृष्ण के श्याम वर्ण के उज्ज्वल मुख में नीलमणि शैल की और उनके पीले वस्त्रों में प्रात:कालीन.धूप की सम्भावना की गयी है।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. श्रीकृष्ण के श्याम शरीर पर पीले वस्त्रों के सौन्दर्य का अद्भुत वर्णन है।
  2. भाषा–ब्रज।
  3. शैली-मुक्तक
  4. रस-श्रृंगार और भक्ति।
  5. छन्द-दोहा
  6. अलंकार‘पीतु पटु’, ‘स्याम सलौने’, ‘पयौ प्रभात’ में अनुप्रास तथा ‘मनौ नीलमनि-सैल पर, आतपु पर्यौ प्रभात’ में उत्प्रेक्षा की छटा।
  7. गुण-माधुर्य।

प्रश्न 4.
अधर धरत हरि कै परत, ओठ-डीठि-पट जोति ।।
हरित बाँस की बाँसुरी, इन्द्रधनुष-हँग होति ॥ [2012, 14]
उत्तर
[ अधर = नीचे का होंठ। ओठ-डीठि-पट जोति = होंठों की लाल, दृष्टि की श्वेत, वस्त्र की पीत कान्ति। ]

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में बाँसुरी बजाते हुए कृष्ण की हरे रंग की बाँसुरी का इन्द्रधनुषी रूप वर्णित किया गया है।

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व्याख्या-श्रीकृष्ण अपने रक्त वर्ण के होठों पर हरे रंग की बाँसुरी रखकर बजा रहे हैं। उस समय उनकी दृष्टि के श्वेत वर्ण, वस्त्र के पीत वर्ण तथा शरीर के श्याम वर्ण की कान्ति रक्त वर्ण के होठों पर रखी हुई हरे रंग की बाँसुरी पर पड़ने से वह (बाँसुरी) (UPBoardSolutions.com) इन्द्रधनुष के समान बहुरंगी शोभा वाली हो गयी है।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. बिहारी के रंगों के संयोजन का अद्भुत ज्ञान प्रस्तुत दोहे में परिलक्षित होता है।
  2. भाषा-ब्रज।
  3. शैली-मुक्तक।
  4. रस-भक्ति।
  5. छन्द-दोहा
  6. अलंकार-दोहे में सर्वत्र अनुप्रास, अधर धरत’ में यमक तथा बाँसुरी के रंगों से इन्द्रधनुष के रंगों की तुलना में उपमा।
  7. गुण–प्रसाद।।

प्रश्न 5.
या अनुरागी चित्त की, गति समुझै नहिं कोई ।।
ज्यों-ज्य बूड़े स्याम रँग, त्यों-त्यौं उज्जलु होई ॥ [2009, 18]
उत्तर
[अनुरागी = प्रेम करने वाला, लाल। गति = दशा। बूड़े = डूबता है। स्याम रँग = काले रंग, कृष्ण की भक्ति के रंग में। उज्जलु = पवित्र, सफेद।]

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में कवि ने बताया है कि श्रीकृष्ण के प्रेम से मन की म्लानता एवं कलुषता दूर हो जाती है।

व्याख्या-कवि का कहना है कि श्रीकृष्ण से प्रेम करने वाले मेरे मन (UPBoardSolutions.com) की दशा अत्यन्त विचित्र है। . इसकी दशा को कोई नहीं समझ सकता है; क्योंकि प्रत्येक वस्तु काले रंग में डूबने पर काली हो जाती है। श्रीकृष्ण भी श्याम वर्ण के हैं, किन्तु कृष्ण के प्रेम में मग्न यह मेरा मन जैसे-जैसे श्याम रंग (कृष्ण की , भक्ति, ध्यान आदि) में मग्न होता है वैसे-वैसे श्वेत (पवित्र) होता जाता है।

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काव्यगत सौन्दर्य-

  1. कृष्ण की भक्ति में लीन होकर मन पवित्र हो जाता है। इस भावना की बड़ी ही उत्कृष्ट अंभिव्यक्ति की गयी है।
  2. भाषा—ब्रज।
  3. शैली-मुक्तक।
  4. रस-शान्त।
  5. छन्ददोहा।
  6. अलंकारे-ज्यों-ज्यौं बूड़े स्याम रँग, त्यौं-त्यौं उज्जलु होय’ में श्लेष, पुनरुक्तिप्रकाश तथा विरोधाभास।
  7. गुण-माधुर्य।

प्रश्न 6.
तौ लगु या मन-सदन मैं, हरि आर्दै किहिं बाट ।
विकट जटे जौ लगु निपट, खुटै न कपट-कपाट ॥ [2009]
उत्तर
[मन-सदन = मनरूपी घर। बाट = मार्ग। जटे = जड़े हुए। तौ लगु = तब तक। जौ लगु = जब तक। निपट = अत्यन्त। खुर्दै = खुलेंगे। कपट-कपाट = कपटरूपी किवाड़।]

प्रसंग-इस दोहे में कवि ने ईश्वर को हृदय में बसाने के (UPBoardSolutions.com) लिए कपट का त्याग करना आवश्यक बताया है।

व्याख्या-कविवर बिहारी का कहना है कि इस मनरूपी घर में तब तक ईश्वर किस मार्ग से प्रवेश कर सकता है, जब तक मनरूपी घर में दृढ़ता से बन्द किये हुए कपटरूपी किवाड़ पूरी तरह से नहीं खुल जाते; अर्थात् हृदय से कपट निकाल देने पर ही हृदय में ईश्वर का प्रवेश व निवास सम्भव है।

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काव्यगत सौन्दर्य-

  1. ईश्वर की प्राप्ति निर्मल मन से ही सम्भव है। इस भावना की कवि ने यहाँ उचित अभिव्यक्ति की है।
  2. भाषा-ब्रज।
  3. शैली-मुक्तक।
  4. रस-भक्ति।
  5. छन्द-दोहा। “
  6. अलंकार–‘मन-सदन’, ‘कपट-कपाट’ में रूपक तथा अनुप्रास।
  7. गुण–प्रसाद।

प्रश्न 7.
जगतु जनायौ जिहिं सकलु, सो हरि जान्यौ नाँहि ।
ज्यौं आँखिनु सबु देखिये, आँखि न देखी जाँहि ॥ [2011]
उत्तर
[ जनायौ = ज्ञान कराया, उत्पन्न किया। सकलु = सम्पूर्ण । जान्यौ नाँहि = नहीं जाना, याद नहीं किया।]

प्रसंग-इस दोहे में कवि बिहारी ने ईश्वर-भक्ति करने की प्रेरणा दी है।

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व्याख्या-कवि का कथन है कि जिस ईश्वर ने तुम्हें (UPBoardSolutions.com) समस्त संसार का ज्ञान कराया है, उसी ईश्वर को तुम नहीं जान पाये। जैसे आँखों से सब कुछ देखा जा सकता है, परन्तु आँखें स्वयं अपने को नहीं देख सकतीं।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. सम्पूर्ण संसार का ज्ञान कराने वाले ईश्वर की स्थिति से अनभिज्ञ मनुष्य का सजीव चित्रण किया गया है।
  2. भाषा-ब्रज।
  3. शैली-मुक्तक।
  4. छन्द-दोहा।
  5. रस-शान्त।
  6. गुण–प्रसाद।
  7. अलंकार-अनुप्रास एवं दृष्टान्तः ।

प्रश्न 8.
जप, माला, छापा, तिलक, सरै न एकौ कामु ।
मन-काँचै नाचे वृथा, साँचे राँचे रामु ॥ [2011]
उत्तर
[जप = (मन्त्र) जपना। माला = माला फेरना। छापा = चन्दन का छापा (विशेष प्रकार का टीका) लगाना। तिलक = तिलक लगाना। सरै = पूरा होता है, सिद्ध होता है। एकौ कामु = एक भी कार्य। मन-काँचै = कच्चे मन वाला। नाचे = भटकता रहता है। राँचे = प्रसन्न होते हैं। ]

प्रसंग-कविवर बिहारी द्वारा रचित प्रस्तुत दोहे में बाह्याडम्बरों की निरर्थकता बताकर भगवान् की सच्ची भक्ति पर बल दिया गया है। |

व्याख्या-कवि का कथन है कि जप करने, माला फेरने, चन्दन का तिलक लगाने आदि बाह्य क्रियाओं से कोई काम पूरा नहीं होता। इन बाह्य आचरणों से सच्ची भक्ति नहीं होती है। जिनका मन ईश्वर की भक्ति करने से कतराता है, भक्ति करने (UPBoardSolutions.com) में कच्चा है, वह व्यर्थ ही इधर-उधर की क्रियाओं में मारा-मारा फिरता है। ईश्वर तो केवल सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं।

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काव्यगत सौन्दर्य-

  1. कवि ईश्वर की सच्ची भक्ति पर बल देता है तथा स्पष्ट करता है कि बाह्य आचरणों में भक्ति का सच्चा स्वरूप नहीं है।
  2. भाषा–साहित्यिक ब्रज।
  3. शैली-मुक्तक।
  4. रस-शान्त।
  5. छन्द-दोहा।
  6. अलंकार–अनुप्रास।
  7. गुण–प्रसाद।
  8. भावसाम्यकबीर का भी यही मत है

माला तो कर में फिरै, जिह्वा मुख में माँहि।
मनुवा तो दस दिस फिरै, ये तो सुमिरन नाहिं ॥

नीति
प्रश्न 1.
दुसह दुराज प्रजानु कौं, क्यौं न बढ़े दुख-दंदु ।।
अधिक अँधेरी जग करते, मिलि मावस रबि-चंद् ॥ [2016]
उत्तर
[दुसह = असह्य। दुराज = दो राजाओं का शासन, बुरा शासन। दंदु = संघर्ष। मावस = अमावस्या के दिन]

सन्दर्भ-प्रस्तुत दोहा कविवर बिहारी द्वारा रचित ‘बिहारी सतसई’ से (UPBoardSolutions.com) हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘काव्य-खण्ड में संकलित ‘नीति’ शीर्षक से उद्धृत है।।

[ विशेष—इस शीर्षक के अन्तर्गत आने वाले सभी दोहों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में दो राजाओं के शासन से उत्पन्न कष्टों का वर्णन किया गया है।

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व्याख्या-कवि का कथन है कि एक ही देश में दो राजाओं के शासन से प्रजा के दु:ख और संघर्ष अत्यधिक बढ़ जाते हैं। दुहरे शासन में प्रजा उसी प्रकार दुःखी हो जाती है, जिस प्रकार अमावस्या की रात्रि में सूर्य और चन्द्रमा एक ही राशि में मिलकर संसार को गहन अन्धकार से पूर्ण कर देते हैं।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. अमावस्या की रात्रि को सूर्य और चन्द्रमा (दो राजा) एक ही राशि में आ जाते हैं। ऐसा सूर्य-ग्रहण के समय में होता है। यह कवि के ज्योतिष-ज्ञान का परिचायक है।
  2. दुहरा शासन प्रजा के लिए कष्टप्रद होता है। इस नीति के (UPBoardSolutions.com) निर्धारण में कवि ने अपने ज्योतिष-ज्ञान का व्यावहारिक । रूप में अच्छा प्रयोग किया है।
  3. भाषा-ब्रज।
  4. शैली-मुक्तक।
  5. छन्द-दोहा।
  6. रस-शान्त।
  7. अलंकार–श्लेष और दृष्टान्त।
  8. गुण–प्रसाद।

प्रश्न 2.
बसै बुराई जासु तन, ताही कौ सनमानु ।
भली-भलौ कहि छोड़िये, खोटें ग्रह जपु दानु ॥ [2016, 18]
उत्तर
[सनमानु = सम्मान। खोर्दै ग्रह = अनिष्टकारी ग्रह (शनि) आदि। ]

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में इस सत्य को उद्घाटित किया गया है कि संसार में दुष्ट व्यक्ति की बहुत आवभगत (आदर) होती है, जिससे उसके अनिष्ट कार्यों से बचा जा सके।

व्याख्या-कवि का मत है कि जिसके पास अनिष्ट करने की शक्ति (बुराई) है, उसका संसार में बहुत आदर होता है। भले को हानि न पहुँचाने वाला समझकर अर्थात् भला कहकर सब छोड़ देते हैं अर्थात् उसकी उपेक्षा करते हैं, लेकिन अनिष्ट ग्रह के आने पर जप-दान (UPBoardSolutions.com) आदि करके उसे शान्त करते हैं। तात्पर्य यह है कि जिसमें बुराई या दुष्टता होती है, लोग उसी का सम्मान करते हैं। |

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काव्यगत सौन्दर्य-

  1. कवि ने अनिष्ट ग्रहों के आने पर जप, दान आदि से उन्हें शान्त करने के कार्यों के माध्यम से इस यथार्थ का सुन्दर चित्रण किया है कि लोग दुष्ट लोगों का सम्मान भयवश करते हैं।
  2. भाषा–ब्रज।
  3. शैली-मुक्तक।
  4. छन्द-दोहा।
  5. रस-शान्त।
  6. गुण–प्रसाद; व्यंजना से ओज भी है।
  7. अलंकार-‘बसै बुराई’ में अनुप्रास, ‘भलौ-भलौ’ में पुनरुक्तिप्रकाश तथा खोटे ग्रह का उदाहरण देने के कारण दृष्टान्त।
  8. भावसाम्य-महाकवि गोस्वामी तुलसीदास ने भी ऐसे ही विचार अपने काव्य में व्यक्त किये हैं

टेढ़ जानि सब बंद काहू। बक्र चंद्रमहि ग्रसइ न राहू ॥

प्रश्न 3.
नर की अरु नल-नीर की, गति एकै करि जोड़।
जेतौ नीचो है चले, तेतौ ऊँचौ होइ ॥ [2012, 16]
उत्तर
[ नल-नीर = नल को जल। जोइ = देखो। जेतौ = जितना। तेतौ = उतना।].

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में बताया गया है कि मनुष्य जितना नम्र होता है, उतना ही ऊपर उठता है।

व्याख्या-कविवर बिहारी का कथन है कि मनुष्य की और नल के जल की समान स्थिति होती है। जिस प्रकार नल का जल जितना नीचे होकर बहता है, उतना ही ऊँचा उठता है; उसी प्रकार मनुष्य जितना नम्रता का व्यवहार करता है, उतनी ही अधिक (UPBoardSolutions.com) उन्नति करता है। इस प्रकार मनुष्य और नल का पानी जितना. नीचे होकर चलते हैं, उतना ही ऊँचे उठते हैं।

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काव्यगत सौन्दर्य-

  1. मनुष्य नम्रता से उन्नति करता है। यहाँ विनम्रता से महान् बनने का रहस्य । समझाया गया है।
  2. भाषा-ब्रज।
  3. शैली-मुक्तक।
  4. रस-शान्त।
  5. छन्द–दोहा
  6. गुणप्रसाद।
  7. अलंकार-‘नर की ………………… करि जोइ’ में उपमा, ‘जेतौ नीचो ……………… ऊँचौ होइ’ में विरोधाभास, दो वस्तुओं (नल-नीर और नर) का एक समान धर्म होने के कारण दीपक तथा ‘गति’, ‘नीचो’, ‘ऊँचौ’ में श्लेष का मंजुल प्रयोग द्रष्टव्य है।

प्रश्न 4.
बढ़त-बढ़त संपति-सलिलु, मन-सरोजु बढ़ि जाई ।
घटत-घटत सु न फिरि घटै, बरु समूल कुम्हिलाई ॥ [2012, 14, 17]
उत्तर
[ संपति-सलिलु = धनरूपी जल। मन-सरोजु = मनरूपी कमल। बरु = चाहे। समूल = जड़सहित। कुम्हिलाइ = मुरझा जाता है।]

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में कवि ने धन के बढ़ने पर मन पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन किया है।

व्याख्या--कवि का कथन है कि धनरूपी जल के बढ़ जाने के साथ-साथ मनरूपी कमल भी बढ़ता चला जाता है, किन्तु धनरूपी जल के घटने के साथ-साथ मनरूपी कमल नहीं घटता, अपितु समूल नष्ट हो जाता है अर्थात् धन के बढ़ जाने पर मन की (UPBoardSolutions.com) इच्छाएँ भी बढ़ जाती हैं, परन्तु धन के घट जाने पर मन की इच्छाएँ नहीं घटती हैं। तब परिणाम यह होता है कि मनुष्य यह सह नहीं पाता और दुःख से मरे हुए के समान । हो जाता है।

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काव्यगत सौन्दर्य-

  1.  जिस तालाब में कमल होते हैं, जब उस तालाब में पानी बढ़ता है तो उसके साथ-साथ कमल की नाल भी बढ़ती जाती है, किन्तु जब पानी उतरती है तो वह बढ़ी हुई नाल छोटी नहीं होती। पानी के समाप्त होने पर वह स्वयं नष्ट होती है और कमल को भी नष्ट कर देती है। कमल का । उदाहरण देते हुए कवि ने यह स्पष्ट किया है कि धन के बढ़ने पर मन को नियन्त्रित रखना चाहिए अन्यथा धन न रहने पर बहुत कष्ट होता है।
  2. भाषा-ब्रज।
  3. शैली-मुक्तक।
  4. छन्द-दोहा।
  5. रस–शान्त।
  6. अलंकार-‘बढ़त-बढ़त’, ‘घटत-घटत’ में पुनरुक्तिप्रकाश और संपति-सलिलु, | मन-सरोज’ में रूपक तथा अनुप्रास काव्यश्री में वृद्धि कर रहे हैं।
  7. गुण–प्रसाद।

प्रश्न 5.
जौ चाहत, चटकन घटे, मैलौ होइ न मित्त।
रज राजसु न छुवाइ तौ, नेह-चीकन चित्त ॥ [2014, 17]
उत्तर
[ चटक = प्रतिष्ठा, चमक। मैलो = दोष से युक्त। मित्त = मित्र। रज = धूल। राजसु = रजोगुण। नेह चीकन = प्रेम से चिकने, तेल से चिकने। चित्त = मन, मनरूपी दर्पण।]

प्रसंग—इस दोहे में कवि ने मित्रता के मध्य धन और वैभव को न आने देने का परामर्श दिया है।

व्याख्या–कवि का कथन है कि यदि आप चाहते हैं कि मित्रता की चटक अर्थात् चमक समाप्त न हो तथा मित्रता स्थायी बनी रहे और उसमें दोष उत्पन्न न हों, तो धन-वैभव का इससे सम्बन्ध न होने दें। धन अथवा किसी अन्य वस्तु का लोभ मित्रता को (UPBoardSolutions.com) मलिन कर देता है। मित्र के स्नेह से चिकना मन धनरूपी धूल के स्पर्श से मैला हो जाता है; अत: स्नेह में धन का स्पर्श न होने दें। जिस प्रकार तेल से चिकनी वस्तु धूल के स्पर्श से मैली हो जाती है और उसकी चमक घट जाती है, उसी प्रकार प्रेम से कोमल चित्त; धनरूपी धूल के स्पर्श से दोषयुक्त हो जाता है और मित्रता में कमी आ जाती है।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. मित्रता में धन के लेन-देन का व्यवहार कम रखने से ही मित्रता विद्वेष रहित हो सकती है। चित्त की निर्मलता को बनाये रखने के लिए प्रेमरूपी तेल और धनरूपी धूल की जो प्रवृत्तिमूलक उपमा दी गयी है, उसने कवि के कथन को अत्यधिक कलात्मक एवं प्रभावोत्पादक बना दिया ‘ है।
  2. भाषा-ब्रज।
  3. शैली-मुक्तक।
  4. रस-शान्त।
  5. छन्द दोहा।
  6. अलंकार-रूपक, अनुप्रास तथा श्लेष।
  7. गुणप्रसाद।

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प्रश्न 6.
बुरी बुराई जौ तजे, तौ चितु खरौ डरातु ।
ज्यौं निकलंकु मयंकु लखि, गनैं लोग उतपातु ॥
उत्तर
[ खरौ = बहुत अधिकानिकलंकु = कलंकरहित। मयंकु = चन्द्रमा। गनै = गिनने लगते हैं। उतपातु = अमंगल।]

प्रसंग-इस दोहे में कवि ने बताया है कि यदि दुष्ट व्यक्ति अचानक अपनी दुष्टता छोड़ दे तो सदा अमंगल की सम्भावना बनी रहती है। |

व्याख्या-कविवर बिहारी का कथन है कि यदि दुष्ट व्यक्ति सहसा अपनी दुष्टता छोड़कर अच्छा व्यवहार करने लगे तो उससे चित्त अधिक भयभीत होने लगता है। जैसे चन्द्रमा को कलंकरहित देखकर लोग अमंगलसूचक मानने लगते हैं। तात्पर्य यह है (UPBoardSolutions.com) कि जिस प्रकार चन्द्रमा का कलंकरहित होना असम्भव है, उसी प्रकार दुष्ट व्यक्ति का एकाएक दुष्टता त्यागना भी असम्भव है।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. ज्योतिष सिद्धान्त के अनुसार निष्कलंक चन्द्रमा दिखाई देने से संसार में उपद्रव की आशंका होने लगती है। यह दोहा बिहारी के ज्योतिष-ज्ञान का परिचायक है।
  2. दुष्ट व्यक्ति के अच्छा व्यवहार करने पर भी उससे सावधान रहना चाहिए।
  3. भाषा-ब्रज।
  4. शैली-मुक्तक।
  5. रस–शान्त।
  6.  छन्द–दोहा।
  7.  अलंकार-‘बुरी बुराई’ में अनुप्रास तथा चन्द्रमा का उदाहरण देने में दृष्टान्त।
  8.  गुण–प्रसाद।।

प्रश्न 7.
स्वारथु सुकृतु न श्रम वृथा, देखि बिहंग बिचारि।
बाजि पराए पानि परि, हूँ पच्छीनु न मारि ॥
उत्तर
[स्वारथु = स्वार्थी। सुकृतु = पुण्य कार्य। श्रम वृथा = व्यर्थ को परिश्रम। बिहंग = पक्षी। बाजि = (i) बाज पक्षी तथा (ii) राजा जयसिंह। पानि = हाथ। पच्छीनु = पक्षियों को, अपने पक्ष वालों को।

प्रसंग-इस दोहे में कवि ने अन्योक्ति के माध्यम से अपने आश्रयदाता राजा जयसिंह को समय पर चेतावनी दी है। इस दोहे में उसे हिन्दू राजाओं पर आक्रमण न करने के लिए अन्योक्ति द्वारा सचेत किया .. गया है।

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व्याख्या–

  1. हे बाज! तू अपने मन में अच्छी तरह सोच-विचार कर देख ले कि तू शिकारी के हाथ में पड़कर अपनी जाति के पक्षियों को मारता है। इसमें न तो तेरा स्वार्थ है, न यह अच्छा कार्य ही है, तेरा श्रम भी व्यर्थ ही जाता है; क्योंकि तेरे परिश्रम का फल तुझे न (UPBoardSolutions.com) मिलकर तेरै मालिक को प्राप्त होता है। तू दूसरों के हाथ की कठपुतली बनकर अपनी जाति के पक्षियों का वध कर रहा है। अब तू मेरी सलाह मानकर अपनी जाति के पक्षियों का वध मत कर।
  2. हे राजा जयसिंह! तू विचार कर देख ले कि तू बाजे पक्षी की तरह अपने शासक औरंगजेब के हाथ की कठपुतली बनकर अपने साथी इन हिन्दू राजाओं पर आक्रमैण कॅर रहा है। इस कार्य को करने से तेरे स्वार्थ की पूर्ति नहीं होती है, जीता हुआ राज्य तुझे नहीं मिलता। युद्ध में राजाओं का वध करना कोई पुण्य का कार्य भी नहीं है। तुम्हारे श्रम का फल तुम्हें न मिलने से तुम्हारा श्रेम व्यर्थ हो जाता है। इसलिए तू औरंगजेब के कहने से अपने पक्ष के हिन्दू राजाओं पर आक्रमण करके उनका वध मत कर।। |

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. राजा जयसिंह ने औरंगजेब के कहने से अनेक हिन्दू राजाओं के विरुद्ध युद्ध किया था। उन दोनों में यह तय था कि जीता हुआ राज्य तो औरंगजेब का होगा और विजित राज्य की लूट में मिला हुआ धन जयसिंह का। अत: उसे चेतावनी देना उसके आश्रित कवि (बिहारी) का कर्तव्य है।
  2. यहाँ बाज़ पक्षी-जयसिंह का, शिकारी-औरंगजेब का तथा पक्षी अपने पक्ष के हिन्दू राजाओं का प्रतीक है। यह दोहा इतिहास की वास्तविक घटना पर आधारित होने के कारण विशेष महत्त्व रखता है।
  3. भाषा-ब्रज।
  4. शैली-मुक्तक।
  5.  रस-शान्त।
  6. छन्द-दोहा।
  7. अलंकार-बाज पक्षी के माध्यम से राजा जयसिंह को सावधान किया गया है; अत: अन्योक्ति अलंकार है। ‘पच्छीनु’ के दो अर्थ-पक्षी और पक्ष वाले होने से श्लेष है।
  8. गुण–प्रसाद एवं ओजा
  9. शब्दशक्ति-अभिधा, लक्षणा एवं व्यंजना।

काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध

प्रश्न 1
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों को पहचानकर उनके नाम तथा स्पष्टीकरण : दीजिए-
(क) जा तन की झाईं परै, स्यामु हरित-दुति होइ।।
(ख) ज्य-ज्य बूड़े स्याम सँग, त्य-त्य उज्जलु होइ ।।
(ग) नर की अरु नल-नीर की, गति एकै करि जोइ ।।
जेतौ नीच है चले, तेतौ ऊँचौ होइ ।।।
उत्तर
(क) श्लेष-“झाईं परै, स्यामु हरित-दुति’ के एक से अधिक और भिन्न अर्थ होने के कारण श्लेष अलंकार है।

(ख) पुनरुक्तिप्रकाश, श्लेष और विरोधाभास-ज्यौं’ और ‘त्यौं’ शब्द की पुनरावृत्ति होने के कारण पुनरुक्तिप्रकाश, ‘स्याम रँग’ और ‘उज्जलु’ के दो-दो अर्थ होने के कारण श्लेष तथा काले रंग में । डूबने के बाद सफेद होने के कारण विरोधाभास अलंकार है।

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(ग) उपमा, विरोधाभास, दीपक तथा श्लेष—“नर की अरु नल-नीर की, गति एकै करि जोइ।” में नर’ की समानता नल-नीर’ से किये जाने के कारण उपमा अलंकार है। ‘‘जेतो नीचो है चलै, तेतौ ऊँचौ होइ’ में जितना नीचा होने पर उतना ऊँचा होता है के (UPBoardSolutions.com) कारण विरोधाभास अलंकार है। दो वस्तुओं (नलनीर और नर) का एक ही समान धर्म होने के कारण दीपक अलंकार है। ‘नीचो’ (नीचा तथा पतन) और ऊँचो (ऊँचा तथा उत्थान) के दो-दो अर्थ होने के कारण श्लेष अलंकार है।

प्रश्न 2
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा छन्द है? सोदाहरण समझाइए-
तौ लगु या मन-सदन मैं, हरि आवै किहिं बाट ।
विकट जटे जौ लगु निपट, खुटै न कपट-कपाट ॥
उत्तर
इन पंक्तियों में दोहा छन्द है; क्योंकि इसके प्रथम और तृतीय चरणों में 13-13 तथा द्वितीय और चतुर्थ चरणों में 11-11 मात्राएँ हैं।

प्रश्न 3
कविजन कभी-कभी केवल अप्रस्तुत का वर्णन करते हैं और उसी के द्वारा प्रस्तुत की ओर संकेतमात्र कर देते हैं। इस प्रकार के क्मत्कार को ‘अन्योक्ति अलंकार’ कहते हैं। जैसे-
स्वारथु सुकृतु न श्रम वृथा, देखि बिहंग बिचारि ।
बाजि पराए पानि परि, तूं पच्छीनु न मारि ॥
-बिहारी के दोहों से अन्योक्ति का एक अन्य उदाहरण लिखिए-
उत्तर
कर लै सँघि सराहि हुँ, रहे सबै गहि मौनु ।
गंधी गंध गुलाब कौ, गॅवई (UPBoardSolutions.com) गाहकु कौनु ।।।

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प्रश्न 4
निम्नलिखित पदों में समास-विग्रह कीजिए तथा उनका नाम लिखिए-
पीतु पटु, नीलमनि, मन-सदन, दुपहर, रवि-चन्द, समूल ।।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 4 बिहारी (काव्य-खण्ड) img-1

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UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 7 Control and Coordination

UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 7 Control and Coordination (नियंत्रण एवं समन्वय)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 7 Control and Coordination.

पाठगत हल प्रश्न

[NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED]

खण्ड 7.1 (पृष्ठ संख्या 132)

प्रश्न 1.
प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अंतर है?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 7 Control and Coordination img-1

प्रश्न 2.
दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है?
उत्तर
दो तंत्रिका कोशिकाओं के मध्य रिक्त स्थान होते हैं, जिसे अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) कहते हैं। तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृति पर उत्पन्न विद्युत आवेग तंत्रिकांक्ष (एकसॉन) में होता हुआ अंतिम सिरे तक पहुँचता है। एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ (UPBoardSolutions.com) रसायनों का विमोचन करता है। यह रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स (सिनोण्टिक दरार) को पार करते हैं और अगली तंत्रिका कोशिका की द्रुमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं। अंततः इसी प्रकार का एक अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) ऐसे आवेगों को तंत्रिका कोशिका से अन्य कोशिकाओं जैसे कि पेशी कोशिकाओं या ग्रंथि तक ले जाते हैं।

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प्रश्न 3.
मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है?
उत्तर
अनुमस्तिष्क (Cerebellum) शरीर की स्थित तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है। यह मस्तिष्क के भाग पश्चमस्तिष्क में होता है।

प्रश्न 4.
हम अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं?
उत्तर
हमारे नाक में गंधीय संवेदांग (Olfactory receptors) होते हैं। गंध के कारण रासायनिक क्रिया होती है, जिससे विद्युत आवेग संवेदी तंत्रिका कोशिकाओं (Sensory neurons) द्वारा अग्रमस्तिष्क (fore brain) तक पहुँचता है, जिसमें विद्यमान सँघने के लिए विशिष्टीकृत (UPBoardSolutions.com) क्षेत्र अगरबत्ती की गंध पहचानने की क्रिया संपादित करता है।

प्रश्न 5.
प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है?
उत्तर
प्रतिवर्ती क्रिया मेरुरज्जु द्वारा संचालित एवं नियंत्रित होती है। ग्राही अंग (त्वचा में ऊष्मा/दर्द) से संवेदना संवेदी तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा मेरुरज्जु तक लाई जाती है तथा प्रेरक तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा कार्यकर (Effector) (जैसे भुज में पेशी) को संदेश भेजा जाता है। मस्तिष्क की प्रतिवर्ती क्रिया में कोई कार्य नहीं है, केवल संदेश मस्तिष्क तक पहुँचता है।

खण्ड 7.2 ( पृष्ठ संख्या 136)

प्रश्न 1.
पादप हॉर्मोन क्या है?
उत्तर
पादपों में उपस्थित वे रासायनिक पदार्थ जो पौधों की वृधि, (UPBoardSolutions.com) विकास एवं पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया के समन्वय में सहायता करते हैं। उदाहरण-ऑक्सिन, जिब्बरेलिन, तथा साइटोकाइनिन।

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प्रश्न 2.
छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर
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प्रश्न 3.
एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।
उत्तर
ऑक्सीजन पादप हॉर्मोन है, जो पौधे में वृद्धि करता है।

प्रश्न 4.
किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है?
उत्तर
हम जानते हैं कि प्रतान के शिखर पर ऑक्सिन बनता है। प्रतान स्पर्श के प्रति संवेदनशील होते हैं। जैसे ही प्रतान किसी आधार के संपर्क में आते हैं, वह भाग उतनी तेज़ी से साथ वृद्धि नहीं करती, जितनी तेजी से आधार से दूर वाला भाग करता है, (UPBoardSolutions.com) क्योंकि ऑक्सिन विसरित होकर उस तरफ़ चला जाता है। इसके कारण कोशिकाएँ लंबी एवं
तन्य हो जाती हैं और प्रतान मुड़ जाता है तथा आधार से लिपट जाती हैं। उदाहरण-मटर के पौधे।

प्रश्न 5.
जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए।
उत्तर
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UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 7 Control and Coordination img-4
निष्कर्ष – अंकुरित बीजों की जड़ें गीले बुरादे की ओर मुड़ जाती हैं, जिसे जलानुवर्तन कहा जाता है।
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खण्ड 7.3 ( पृष्ठ संख्या 138)

प्रश्न 1.
जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?
उत्तर
जंतुओं में रासायनिक समन्वय हॉर्मोन के द्वारा होता है। ये जंतु हार्मोन अंत:स्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं तथा रक्त के माध्यम से शरीर के उन अंगों तक पहुँच जाते हैं, जहाँ इसकी आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है?
उत्तर
अवटुग्रंथि (Thyroid gland) को थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाने के लिए आयोडीन आवश्यक होता है। थायरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के उपापचय का हमारे शरीर में नियंत्रण करता है। हमारे आहार में आयोडीन की कमी से हमें घंघा रोग (UPBoardSolutions.com) (गॉयटर) हो जाता है। अत: थायरॉक्सिन की उचित मात्रा शरीर में बनाए रखने के लिए आयोडीन युक्त नमक भोजन के साथ खाने की सलाह दी जाती है।

प्रश्न 3.
जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होती है, तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?
उत्तर

  1. एड्रीनली हृदय की धड़कन को बढ़ा देता है, ताकि हमारी मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके।
  2. पाचन तंत्र तथा त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है, क्योंकि इन अंगों की छोटी धमनियों के आस-पास की पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं।
  3. इससे डायाफ्राम तथा पसलियों के सिकुड़ने से श्वसन दर बढ़ जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर जंतु शरीर को स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं।

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प्रश्न 4.
मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?
उत्तर
मधुमेह रोग अग्न्याशय द्वारा स्रावित हॉर्मोन इन्सुलिन की कमी के कारण होता है, यह हॉर्मोन रुधिर में शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में सहायता करता है। अतः डॉक्टर रोगी को इन्सुलिन के इंजेक्शन लगवाने की सलाह देता है ताकि (UPBoardSolutions.com) रुधिर में शर्करा का स्तर कम किया जा सके।

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED]

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हार्मोन है?
(a) इंसुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(C) एस्ट्रोजन
(d) साइटोकाइनिन
उत्तर
(d) साइटोकाइनिन।

प्रश्न 2.
दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं-
(a) द्रुमिका
(b) सिनेप्स।
(C) एक्सॉन
(d) आवेग
उत्तर
(b) सिनेप्स।

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प्रश्न 3.
मस्तिष्क उत्तरदायी है
(a) सोचने के लिए
(b) हृदय स्पंदन के लिए
(C) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहा हो। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर
ग्राही, हमारी ज्ञानेन्द्रियों में स्थित एक खास कोशिकाएँ होती हैं, जो वातावरण से सभी सूचनाएँ ढूंढ निकालती हैं और उन्हें केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मेरुरज्जू तथा मस्तिष्क) में पहुँचाती हैं। मस्तिष्क के भाग अग्रमस्तिष्क में विभिन्न ग्राही से संवेदी (UPBoardSolutions.com) आवेग (सूचनाएँ) प्राप्त करने के लिए क्षेत्र होते हैं। इसके अलग-अलग क्षेत्र सुनने, सँघने, देखने आदि के लिए विशिष्टीकृत होते हैं। यदि कोई ग्राही उचित प्रकार कार्य नहीं करेगी तो उस ग्राही द्वारा एकत्र की गई सूचना मस्तिष्क तक नहीं पहुँचेगी।

उदाहरण-

  1. यदि रेटिना की कोशिका अच्छी तरह कार्य नहीं करेंगी, तो हम देख नहीं पाएँगे तथा अंधे भी हो सकते हैं।
  2. जिह्वा द्वार मीठा, नमकीन आदि स्वाद का पता लगाना संभव नहीं हो पाएगा।

प्रश्न 5.
एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
न्यूरॉन के कार्य-
UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 7 Control and Coordination img-6

  1. सूचना या उद्दीपन एक तंत्रिका कोशिका के दुमिका के सिरे द्वारा प्राप्त की जाती है।
  2. रासायनिक क्रिया द्वारा विद्युत आवेग पैदा होती है, जो कोशिकाय तक जाता है तथा तंत्रिकाक्ष (एक्सॉन) में होता हुआ इसके अंतिम सिरे तक पहुँचता है।
  3. एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ। रसायनों का विमोचन करता है। ये रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स को पार करते हैं। और अगली तंत्रिका कोशिका की दुमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं।
  4. इसी तरह का एक सिनेप्स अंतत: ऐसे आवेगों को तंत्रिका कोशिका से अन्य कोशिकाओं, जैसे कि पेशी कोशिकाओं या ग्रंथि तक ले जाते हैं। अतः न्यूरॉन एक संगठित जाल का बना होता है, जो सूचनाओं को विद्युत आवेग के द्वारा शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक संवहन करता है।
  5. उदाहरण के लिए ग्राही संवेदी तंत्रिका कोशिका (Sensory neurons) सूचना ग्रहण कर केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुँचाते हैं तथा यह  आवेग को वापस प्रेरक तंत्रिका कोशिका (Motor neurons) द्वारा पेशी कोशिकाओं या कार्यकर (effectors) तक पहुँचाती है।

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प्रश्न 6.
पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?
उत्तर
पादपों में प्ररोह प्रकाश की ओर मुड़कर तथा जड़े इससे दूर मुड़कर अनुक्रिया करती हैं, जिसे प्रकाशानुवर्तन कहा जाता है। प्रकाश जब पादप की वृद्धि वाले भाग पर पड़ता है, तो वृद्धि हॉर्मोन ऑक्सिन छाया वाले भाग में अधिक (UPBoardSolutions.com) मात्रा में एकत्र होकर उसे प्रकाश की आने की दिशा में मोड़ देता है अर्थात् पौधे का तने वाला भाग तथा पत्तियाँ प्रकाश की ओर मुड़ जाती हैं। इससे पत्तियों को प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिए अधिक से अधिक प्रकाश मिलने लगता है।

प्रश्न 7.
मेरुरज्जु आघात से किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा?
उत्तर
मेरुरज्जु आघात से निम्न क्रियाओं में व्यवधान होगा

  1. हम जानते हैं कि प्रतिवर्ती क्रिया मेरुरज्जु के द्वारा नियंत्रित होती है। अत: प्रतिवर्ती क्रिया नहीं होगी।
  2. ज्ञानेंद्रियों से आने वाली सूचना (आवेग) मस्तिष्क तक नहीं पहुँचेगी।
  3. मस्तिष्क से सूचना शरीर के विभिन्न कार्यकर अंगों तक नहीं पहुँचेगी।

प्रश्न 8.
पादपों में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है? ।
उत्तर
पादपों में रासायनिक समन्वय पादप हॉर्मोन द्वारा होते हैं। ये हॉर्मोन पौधों की वृद्धि, विकास एवं पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया के समन्वयन में सहायता प्रदान करते हैं। इनके संश्लेषण का स्थान इनके क्रिया क्षेत्र से दूर होता है और वे साधारण विसरण द्वारा क्रिया क्षेत्र तक पहुँच जाते हैं।
उदाहरण के लिए

  1. ऑक्सिन का सांद्रण कोशिकाओं की लंबाई में वृद्धि के लिए उद्दीप्त करता है।
  2. जिब्बेरेलिन —तने की वृद्धि में सहायता करते हैं।
  3. साइटोकाइनिन कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है।
  4. एब्सिसिक अम्ल वृद्धि का संदमन करते हैं, जैसे पत्तियों का मुरझाना।

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प्रश्न 9.
एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है?
उत्तर
सजीवों में अनेक अंग तंत्र पाए जाते हैं, जो एक खास कार्य करते हैं। जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय को कार्य तंत्रिका पेशी ऊतक तथा हॉर्मोन द्वारा किया जाता है तथा पादपों में हॉर्मोन द्वारा नियंत्रण एवं समन्वय होते हैं। यदि जीवों में (UPBoardSolutions.com) समन्वय तंत्र नहीं होगा, तो सभी अंग एवं कोशिकाएँ स्वतंत्र रूप से कार्य करेंगी तथा हमें इच्छित परिणाम नहीं मिलेंगे।

प्रश्न 10.
अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर
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प्रश्न 11.
जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोने क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (contrast) कीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 12.
छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है?
उत्तर
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Hope given UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 7 are helpful to complete your homework.

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