UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 3 घर की सफाई

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
घर की सफाई का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा घर की सफाई के महत्त्व ,
अदकता का विस्तार से वर्णन कीजिए।2012
परिवार के सदस्यों के स्वस्थ जीवन के लिए घर की सफाई की आवश्यकता तथा महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। घर की सफाई के महत्त्व को संक्षेप में लिखिए।
घर की सफाई क्यों आवश्यक है?
या
घर की स्वच्छता का अर्थ और इसका महत्त्व समझाइए2015,
घर की सफाई से आप क्या समझती हैं? 2 16, 17
उत्तर:
घर की सफाई का अर्थ परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य के लिए तथा घर की शोभा, व्यवस्था एवं साज-सज्जा के लि। घर की सफाई अति आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसका घर अधिक-से-अधिक साफ-सुथरा रहे। घर की सफाई (UPBoardSolutions.com) के महत्त्व को स्वीकार करने के उपरान्त प्रश्न उठता है कि घर की सफाई का अर्थ क्या है? घर की सफाई से आशय है घर में गन्दगी का न होना। अब प्रश्न उठता है कि गन्दगी का क्या अर्थ है? सैद्धान्तिक रूप से जिस वस्तु को जहाँ नहीं होना चाहिए, उसका वहाँ पाया जानी ही गन्दगी है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि प्रत्येक वस्तु का यथा-स्थान पाया जाना सफाई है। इस सैद्धान्तिक तथ्य को घर की सफाई के सन्दर्भ में व्यावहारिक रूप से भी प्रस्तुत किया जा सकता है।

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घर के कूड़े का कूड़ेदान में होना घर की सफाई का प्रतीक है तथा कूड़े का जहाँ-तहाँ फैला होना घर की गन्दगी का प्रमाण है। बर्तन माँजने के उपरान्त गन्दा पानी नाली से होकर बह जाना घर की सफाई का प्रतीक है। इसके विपरीत, यदि यह पानी रसोईघर में तथा आँगन में ही फैला रहे तो इसे घर की गन्दगी ही माना जाएगा। मकान के बाहर गली में अथवा लॉन में यदि धूल-मिट्टी है, तो उसे गन्दगी नहीं माना जाएगा, परन्तु यदि घर के अन्दर सोफे पर यो खाने की टेबल पर धूल हो, तो उसे गन्दगी या सफाई का अभाव माना जाएगा।

नाश्ते के समय अण्डे के छिलके यदि एक प्लेट में रखे जाएँ तो उसे सफाई का प्रतीक माना जाएगा। इसके विपरीत, यदि यही छिलके कालीन पर बिखरे हों, तो ये घर की गन्दगी के प्रमाण स्वरूप माने जाएँगे। इसी प्रकार घर के अन्य भागों में भी उन वस्तुओं का पाया जाना गन्दगी का प्रतीक माना जाएगा जो वहाँ पर नहीं होनी चाहिए, इसके विपरीत प्रत्येक स्थान पर गन्दगी का अभाव सफाई का प्रतीक माना जाएगा।

घर की सफाई का महत्त्व एवं आवश्यकता

घर की सफाई के महत्त्व एवं आवश्यकता सम्बन्धी मुख्य बिन्दु निम्नवर्णित हैं|
(1) घर की सुन्दरता में सहायक-घर की सफाई का सर्वाधिक महत्त्व यह है कि इससे घर की सुन्दरता में वृद्धि होती है। घर की सफाई के अभाव में कीमती एवं अच्छी-अच्छी वस्तुएँ तथा फर्नीचर भी घर को सुन्दर बनाने में असफल रहते हैं।

(2) कीटाणुओं को पनपने से रोकने में सहायक यह एक ज्ञात तथ्य है कि अधिकांश रोगों के कीटाणु गन्दगी, सीलन तथा धूल-मिट्टी में ही पनपते हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा घर की सफाई 39 सकता है कि यदि घर में सफाई हो तो रोगों के कीटाणु (UPBoardSolutions.com) नहीं पनपने पाते। इस दृष्टिकोण से भी घर की सफाई आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है।

(3) स्वास्थ्य एवं चुस्ती में सहायक-सफाईयुक्त घर-परिवार के सदस्यों के सामान्य स्वास्थ्य में वृद्धि करता है तथा परिवार के सभी सदस्यों में चुस्ती एवं फुर्ती बनी रहती है। साफ घर में परिवार के सदस्य प्रसन्न तथा उत्साहित रहते हैं तथा वे अधिक कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। इसके विपरीत गन्दे घर में निराशा, उदासी तथा आलस्य जैसे विकार उत्पन्न होने लगते हैं। इसके अतिरिक्त यह भी एक सत्यापित तथ्य है कि सभी संक्रामक रोगों के कीटाणु गन्दगी में अधिक पनपते हैं। इस दृष्टिकोण से भी घर की सफाई का विशेष महत्त्व है। साफ-सुथरे घर में रोगों के कीटाणुओ के पनपने की आशंका कम होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि घर की सफाई परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य में धी सहायक होती है।

(4) घर को आकर्षक बनाने में सहायक–घर की नियमित सफाई से घर आकर्षक बनता है। साफ एवं गन्दगी रहित घर आकर्षण का केन्द्र बन जाता है।

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(5) घर की सफाई गृह-व्यवस्था में सहायक–साफ घर में प्रत्येक वस्तु अपने निर्धारित स्थान पर रहती है तथा घर की वस्तुएँ जहाँ-तहाँ बिखरी नहीं रहतीं। इस स्थिति में घर भी सुव्यवस्थित रहता है। सुव्यवस्थित एवं स्वच्छ घर में कार्य करना भी सुविधाजनक होता है। सफाई के अभाव में गृह-कार्यों को अच्छे ढंग से करना प्रायः कठिन ही होता है।

(6) जीवन-स्तर को उच्च बनाने में सहायक-उच्च जीवन-स्तर के लिए घर का साफ-सुथरा होना अति आवश्यक माना जाता है। गन्दगी युक्त घर वाले परिवार के जीवन-स्तर को किसी भी स्थिति में उच्च नहीं माना जा सकता। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि ‘घर की सफाई परिवार के जीवन-स्तर को उच्च बनाने में सहायक होती है।

(7) आगन्तुकों द्वारा प्रशंसा–घर की सफाई प्रत्येक आगन्तुक को स्पष्ट दिखाई दे जाती है। घर को साफ रखना गृहिणी का एक आवश्यक गुण माना जाता है; अत: यदि घर अच्छे ढंग से साफ रहता है तो घर पर आने वाले व्यक्ति (आगन्तुक) गृहिणी की प्रशंसा ही करते हैं।

(8) व्यावसायिक सफलता में सहायक--साफ-सुथरे घर में परिवार के सभी सदस्य शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं। स्वस्थ व्यक्ति अपने सभी कार्य अधिक श्रम एवं अधिक कुशलतापवूक कर सकता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता (UPBoardSolutions.com) है कि साफ घर परिवार के कार्यरत सदस्यों की व्यावसायिक सफलता में भी सहायक होता है।

प्रश्न 2.
घर की सफाई के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए। [2007, 08, 09, 10, 12, 18]
घर की दैनिक, साप्ताहिक, मासिक तथा वार्षिक सफाई का विस्तृत वर्णन कीजिए। घर की दैनिक और साप्ताहिक सफाई क्यों और कैसे करेंगी? घर की सफाई को कितने भागों में बाँटा जा सकता है? किसी एक भाग की सफाई का वर्णन सविस्तार कीजिए। [2009, 10, 12]
वार्षिक सफाई का क्या अर्थ है? [2013]
उत्तर:
घर की सफाई के प्रकार
घर पर अनेक प्रकार की सफाई की निरन्तर आवश्यकता होती है, परन्तु सभी प्रकार की सफाई व्यस्त जीवन में न तो नित्य सम्भव ही होती है और न ही उसकी नित्य आवश्यकता होती है। अतः भिन्न-भिन्न महत्त्व की सफाई को क्रमश: इन पाँच भागों या पाँच प्रकारों में विभक्त कर लिया जाता है, अर्थात्

  1.  दैनिक सफाई (Daily Cleaning),
  2. साप्ताहिक सफाई (Weekly Cleaning),
  3.  मासिक सफाई (Monthly Cleaning),
  4. वार्षिक सफाई (Annual Cleaning) तथा
  5. आकस्मिक सफाई (Sudden Cleaning)

इन पाँचों प्रकार की सफाई का विस्तृत विवरण एवं महत्त्व निम्नवर्णित है

(1) दैनिक सफाई—जिस प्रकार नित्य-प्रति भोजन पकाया जाता है तथा शारीरिक सफाई के लिए स्नान किया जाता है, उसी प्रकार घर की कुछ सफाई भी नित्य ही की जाती है। घर की जो सफाई नित्य करनी अनिवार्य होती है, उसका विवरण इस प्रकार है

(i) विभिन्न कमरों की दैनिक सफाई–हवा से उड़कर अनेक प्रकार की गन्दगी एवं धूल नित्य ही हमारे कमरों में आती है। इसके अतिरिक्त जूतों के साथ भी मिट्टी आदि कमरे में जाती है। बच्चों वाले घर में भी बच्चे कागज के टुकड़े, पेन्सिल की छीलन आदि गन्दगी बिखेर देते हैं। अत: इन सब गन्दगियो की सफाई नित्य ही होनी अनिवार्य है। इसलिए रोज ही कमरों में झाडू लगाना तथा फर्नीचर को कपड़े से पोंछना व झाड़ना अनिवार्य रूप से आवश्यक होता है। कमरे के फर्श पर पोंछा लगाना भी अच्छा रहता है।

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पोंछे के पानी में फिनाइल या किसी अन्य नि:संक्रामक घोल को अवश्य डाल लेना चाहिए। दरवाजे के पास रखे गए पायदान को अवश्य झाड़ना चाहिए। इसके अतिरिक्त कमरों में अस्त-व्यस्त फैले हुए सामान एवं कपड़ों को भी समेट्ना एवं यथास्थान रखना अनिवार्य है। बिस्तर को ठीक करना तथा यदि आवश्यक हो तो उठाकर निर्धारित स्थान पर रखना चाहिए। यदि धर में फूलदानों में फूल रखे जाते हों तो उनकी भी रोज देखभाल करनी चाहिए।

(ii) रसोईघर को साफ करना–रसोईघर या पाकशाला को भी नित्य ही साफ करना अत्यन्त आवश्यक है। रसोईघर में जूठे बर्तन रखे रहते हैं तथा भोजन के कण बिखर जाते हैं। इन सबकी सफाई रोज ही होनी चाहिए। जूठे बर्तन भी रोज ही माँजे जाने चाहिए। रसोईघर को साफ रखना गृहिणी का मुख्य कर्तव्य है।

(iii) स्नानगृह एवं शौचालय की सफाई-स्नानगृह एवं शौचालय की सफाई नित्य ही करनी चाहिए। स्नानगृह में साबुन आदि के कारण काफी गन्दगी हो जाती है। स्नानगृह में कपड़े भी धोए जाते हैं जिनकी मैल फर्श पर रुक जाती है; अतः नित्य ही स्नानगृह के फर्श को झाड़ से साफ करना चाहिए। स्नानगृह में इस्तेमाल होने वाली बाल्टी, लोटा आदि भी साफ करके औंधे कर देने चाहिए ताकि उनमें पानी पड़ी न रहे। इसी प्रकार शौचालय की सफाई भी नित्य ही होनी चाहिए। शौचालय में फिनाइल आदि भी अवश्य डालना चाहिए।

(iv) घर की नालियों एवं अन्य स्थानों की सफाई-घर के अन्दर बहने वाली नालियों: (UPBoardSolutions.com) जैसे- रसोईघर से पानी निकालने वाली नाली आदि; की सफाई नित्य होनी चाहिए।

(v) बाहर की सफाई–घर के आन्तरिक भागों के अतिरिक्त घर के बाहरी भागों की सफाई भी आवश्यक होती है। घर के आँगन अथवा लॉन की सफाई अति आवश्यक होती है। यदि दरवाजा बाहर को खुलता हो तो उस दरवाजे तथा उसके आस-पास या सीढ़ी आदि की भी प्रतिदिन सफाई अनिवार्य रूप से की जाती हैं।

(2) साप्ताहिक सफाई-घर के सभी स्थानों की सफाई प्रतिदिन की जानी सम्भव नहीं होती; अत: कुछ स्थानों एवं वस्तुओं की सफाई सप्ताह में एक बार ही की जाती हैं। यह सफाई सामान्य रूप से छुट्टी के दिन ही की जाती है। साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत घर की दरियो एवं कालीनों को झाड़ा जाता है। फर्नीचर को भी पूरी तरह झाड़कर उनकी गद्दियों आदि को ठीक किया जाता है। दरवाजों तथा खिड़कियों के पास लग गए मकड़ी आदि के जालों को भी साफ करना चाहिए। कमरे में लटकने वाली तस्वीरों एवं सजावट की अन्य वस्तुओं को भी साप्ताहिक सफाई के दिन साफ करना चाहिए।

यदि आवश्यकता समझी जाए तो कमरों के फर्श को भी धोया जा सकता है। घर के बिस्तर एवं चादरो को भी इस दिन धूप में कुछ समय के लिए अवश्य डालना चाहिए। सर्दियों में तो यह अति आवश्यक होता है। यदि पलंग अथवा चारपाइयों में खटमल हों तो इस दिन उन्हें मारने के लिए कोई कीटनाशक दवा अवश्य छिड़कनी चाहिए। साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत रसोईघर में भी कुछ वस्तुओं को विशेष रूप से साफ करना चाहिए। रसोई की वस्तुएँ अर्थात् दाल-मसाले आदि रखने वाले प्लास्टिक के डिब्बों को भी साबुन अथवा सर्फ से धो और मुखाकर यथास्थान रख देना चाहिए।

इसी दिन स्नानगृह में लगी वाश-बेसिन एवं अन्य वस्तुओं को भी विशेष रूप से साफ करना चाहिए और घर के मैले कपड़े एवं चादरें आदि भी गिनकर धोबी के पास भेज देने चाहिए। संक्षेप में कहा जा सकता है कि साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत घर के सभी स्थानों की कुछ अधिक मेहनत से सफाई की जाती है।

(3) मासिक सफाई--कुछ वस्तुएँ एवं स्थान ऐसे होते हैं जिनकी सफाई साप्ताहिक सफाई में भी नहीं हो पाती तथा यह सफाई हर सप्ताह आवश्यक भी नहीं होती। ऐसी सफाई महीने में एक बार अवश्य हो जानी चाहिए। इसलिए इस सफाई को मासिक सफाई कहा जाता है। मासिक सफाई के अन्तर्गत मुख्य रूप से भण्डार-गृह अथवा स्टोर-रूम की सफाई आती है। भण्डार-गृह में रखी सभी वस्तुओं को झाड़-पोंछकर साफ किया जाता है तथा उन्हें धूप में रखा जाता है। इसी प्रकार रसोईघर में रखी हुई वस्तुओं को भी महीने में एक बार अवश्य धूप में रखना चाहिए। इससे दाल-चावल आदि खाद्यान्नों में घुन या कीड़ा नहीं लगने पाता। अचार, चटनी आदि को भी महीने में एक बार धूप में रखना अच्छा होता है। मासिक सफाई का भी विशेष महत्त्व होता है। |

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(4) वार्षिक सफाई–दैनिक, साप्ताहिक एवं मासिक सफाई के अतिरिक्त वार्षिक सफाई भी अपना विशेष महत्त्व रखती है। वार्षिक सफाई, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, वर्ष में केवल एक ही बार की जाती है। हमारे देश में इस प्रकार की सफाई करने की परम्परा दीपावली (UPBoardSolutions.com) के अवसर पर होती है। दीपावली सामान्य रूप से वर्षा के बाद सर्दियों के प्रारम्भ में होती है। इस अवसर पर घर की पूर्ण सफाई करना या करवाना नितान्त आवश्यक होता है।

वार्षिक सफाई के समय सम्पूर्ण घर की विस्तृत रूप से सफाई की जाती है। इस सफाई के अन्तर्गत घर के समस्त सामान को बाहर निकाला जाता है तथा उसे झाड़-पोंछकर एवं साफ करके रखा जाता है। इसी अवसर पर घर की पुताई भी करवाई जाती है। पुताई के साथ-साथ छोटी-छोटी टूट-फूट की मरम्मत भी करवा ली जाती है। दरवाजों एवं खिड़कियों पर रंग-रोगन तथा फर्नीचर पर पॉलिश भी करवाई जाती है। वार्षिक सफाई के अवसर पर घर के सामान को छाँटा भी जाता है। फालतू एवं व्यर्थ के सामान को या तो फेंक दिया जाता है अथवा कबाड़ी को बेच दिया जाता है।

(5) आकस्मिक सफाई-घर की सफाई के उपर्युक्त चार नियमित प्रकारों के अतिरिक्त एक अन्य प्रकार का भी विशेष महत्त्व है। घरेलू सफाई के इस प्रकार को आकस्मिक सफाई कहा जाता है। घरेलू सफाई के इस प्रकार का कोई निर्धारित समय नहीं होता तथा कभी भी इस प्रकार की सफाई की आवश्यकता हो सकती है। उदाहरण के लिए-तेज धूल भरी आँधी आ जाने की स्थिति में घर की विस्तृत सफाई अति आवश्यक हो जाती है, भले ही उसके पूर्व साप्ताहिक या मासिक सफाई ही क्यों न की गई हो।

इसी प्रकार घर में किसी उत्सव या भोज के आयोजन से पहले तथा उपरान्त घर की व्यापक सफाई आवश्यक हो जाती है। इस प्रकार की घरेलू सफाइयों को ही आकस्मिक सफाई की श्रेणी में रखा जाता है। आकस्मिक सफाई के कार्य को करने के लिए गृहिणी तथा परिवार के अन्य सदस्यों को कुछ अधिक कार्य करना पड़ता है तथा कुछ कम महत्त्वपूर्ण कार्यों को छोड़ना या आगे के लिए टालना भी पड़ता है।

प्रश्न 3.
घर की सफाई के लिए कौन-कौन से साधन एवं सामग्रियाँ प्रयुक्त की जाती हैं? विस्तारपूर्वक समझाइए। ||2018, 12
सफाई के विभिन्न साधनों का वर्णन कीजिए। [2008, 12, 153
घर की सफाई में प्रयुक्त की जाने वाली वस्तुओं और उपकरणों के बारे में लिखिए। | 2017
घर की सफाई से आप क्या समझती हैं? सफाई में प्रयुक्त होने वाले आधुनिक यन्त्रों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2011, 16, 17]
उत्तर:
घर की सफाई का अर्थ है-घर में गन्दगी का पूर्ण अभाव होना। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से घर को पूर्ण रूप से स्वच्छ रखना अति आवश्यक है, परन्तु गृहिणी के लिए यह कार्य कठिन एवं कष्टप्रद है। अत: एक कुशल गृहिणी इस महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक कार्य को विभिन्न (UPBoardSolutions.com) उपकरणों एवं साधनों की सहायता से सम्पन्न करती है।
घर की सफाई के साधन घर की सफाई में काम आने वाले साधन व सामग्री को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

(1) कपड़े व चिथड़े-घर की सफाई में कपड़ों तथा चिथड़ों का विशेष महत्त्व है। साधारण सफाई के लिए प्रायः मोटे कपड़े के झाड़न, रसोई में बर्तन पोंछने के लिए, सूती कपड़े के झाड़न, स्नानागार व वाश-बेसिन की सफाई के लिए पुराने व व्यर्थ कपड़ों के बनाए पोंछे प्रयोग में लाए जाते हैं। गीली अथवा नम सफाई के लिए स्पंज और सूती पोंछे का प्रयोग किया जाता है। चाँदी व शीशे की वस्तुएँ तथा फर्नीचर आदि को चमकाने के लिए फलालेन के झाड़न व नरम चमड़े के टुकड़े काम में लाए जाते हैं।

(2) झाड़ एवं ब्रश--विभिन्न प्रकार की झाड़ एवं ब्रश घर को स्वच्छ रखने में विशेष महत्त्व रखते हैं। इनके उदाहरण निम्नलिखित हैं
(क) झाड़-घर की सफाई के लिए सर्वाधिक उपयोग झाड़ का होता हैं। ये कई प्रकार की होती हैं-

  1. फर्श व आँगन धोकर साफ करने के लिए सख्त सींकों की झाड़,
  2. साधारण सफाई के लिए नरम झाडू; जैसे—खजूर या झाऊ की झाडू,
  3.  छत एवं दीवार की धूल झाड़ने के लिए लम्बे बाँस वाली नरम झाड़।

(ख) ब्रश-सफाई में प्रयुक्त होने वाले ब्रश प्रायः निम्न प्रकार के होते हैं-

  1.  दरी व कालीन की धूल साफ करने के लिए सख्त तिनकों का ब्रश,
  2.  फर्श साफ करने का नरम ब्रश,
  3.  स्नानगृह व रसोईघर के फर्श को रगड़कर साफ करने के लिए सख्त तिनकों अथवा तार का ब्रश,
  4.  छत एवं दीवार के जाले छुड़ाने के लिए लम्बे बाँस वाला ब्रश,
  5. बर्तन साफ करने के लिए नाइलॉन व तार के जूने,
  6.  बोतलों एवं शीशियों को साफ करने का नाइलॉन का ब्रश,
  7.  जूते पॉलिश करने का ब्रश,
  8.  पुताई करने के लिए मुंज की कैंची,
  9. पेन्ट करने के लिए विभिन्न आकार एवं प्रकार के ब्रश।

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(3) सफाई के आधुनिक यन्त्र--घर की विभिन्न प्रकार की सफाई के लिए अब कुछ अति आधुनिक उपकरण तैयार कर लिए गए हैं। ये उपकरण विद्युत शक्ति द्वारा चलते हैं तथा इनके प्रयोग से समय एवं श्रम की भी काफी बचत होती है। इस प्रकार के कुछ मुख्य उपकरणों का सामान्य परिचय निम्नवर्णित है

(i) वैक्यूम क्लीनर-यह एक आधुनिक यन्त्र है। इसमें वायु का दबाव बनने के कारण यह धूल एवं गर्द को अन्दर की ओर खींचता है, जो कि एक डिब्बे या थैले में एकत्रित हो जाती है। डिब्बे को बाहर झाड़ दिया जाता है।
(ii) कारपेट स्वीपर—यह भी वैक्यूम क्लीनर के समान कार्य करता है। इसमें एक सख्त (UPBoardSolutions.com) ब्रश द्वारा कारपेट व सोफा इत्यादि की धूल एवं गर्द साफ की जाती है, जो कि कारपेट स्वीपर के ‘डस्ट पैन’ में एकत्रित हो जाती है तथा ‘डस्ट पैन’ को बाहर झाड़ दिया जाता है।
(iii) बर्तन साफ करने की मशीन–इस मशीन के एक भाग में, जो ढोल के आकार का होता है, जूठे बर्तन रखकर सोडा अथवा विम डाल दिया जाता है। तत्पश्चात् मशीन को चालू कर दिया जाता है और बर्तन स्वतः ही साफ हो जाते हैं।

(4) कूड़े-कचरे के बर्तन–इनमें मुख्य हैं–कूड़ेदान अथवा डस्टबिन, बाल्टी, मग और तसला इत्यादि। इन्हें कूड़ा-कचरा एकत्रित कर उसे बाहर नियत स्थान पर फेंकने के काम में लाते हैं।

(5) सफाई की सामग्रियाँ-घरेलू सफाई के लिए जहाँ एक ओर कुछ उपकरण या साधन आवश्यक होते हैं, वहीं इस कार्य के लिए कुछ सामग्री भी आवश्यक होती है। घरेलू सफाई के लिए आवश्यक मुख्य सामग्रियों का सामान्य विवरण निम्नलिखित है”

  1. बर्तनों को साफ करने के लिए राख, विम, निरमा आदि पाउडर, खटाई, नमक, चूना और स्प्रिट इत्यादि उपयोग में लाए जाते हैं।
  2. धातु एवं शीशे के बर्तन एवं अन्य वस्तुओं को साफ करने व चमकाने के लिए अनेक प्रकार के क्रीम व पाउडर बाजार से खरीदे जा सकते हैं।
  3.  फर्नीचर पर पॉलिश करने के लिए प्रायः वार्निश प्रयोग में लाई जाती है।
  4.  दाग छुड़ाने के लिए बेन्जीन, तारपीन का तेल, ब्लीचिंग पाउडर, सिरका, नींबू व क्लोरीन इत्यादि काम में लाई जाती हैं।
  5.  लोहे के बने दरवाजों, खिड़कियों, रेलिंग व अलमारियों आदि पर मोरचा लगने से बचाने के लिए उन पर विभिन्न पेन्ट किए जाते हैं।
  6.  कीटनाशकों; जैसे-फिनिट, डी० डी० टी०, गैमेक्सीन, फिनाइल, चूना इत्यादि के प्रयोग द्वारा मक्खी, मच्छर आदि हानिकारक कीड़ों की सफाई की जाती है।

प्रश्न 4.
घर में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं बर्तनों की सफाई आप किस
प्रकार करेंगी? समझाइए। घर में प्रयुक्त विविध धातुओं से बनी वस्तुओं की सफाई का वर्णन कीजिए। निम्नलिखित वस्तुओं एवं बर्तनों की सफाई आप कैसे करेंगी-
(क) चीनी-मिट्टी व इनैसल की वस्तुएँ,
(ख) प्लास्टिक की वस्तुएँ तथा
(ग) पत्थर की वस्तुएँ। 2010, 15, 17 या स्टील एवं पीतल के बर्तनों (वस्तुओं) की सफाई की विधि लिखिए। 2017
उत्तर:
घर में प्रयुक्त होने वाली वस्तुओं की सफाई घर में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न वस्तुएँ एवं बर्तन प्राय तक डी, ध, शे त क , चीनी मिट्टी की बनी होती हैं। इनकी सफाई एवं सुरक्षा निम्न प्रकार से की जाती है –
(1) लकड़ी की वस्तुएँ-इनैमल की हुई लकी गर्रा फ़री व एडे ते ‘T : ‘नाती है। (UPBoardSolutions.com) इसे गुनगुने पानी में साबुन का घोल बनाकर धोते हैं। अब साफ पानी में थोड़ा सिर मिलाकर दोबारा धोते हैं तथा मुलायम कपड़े से सफाई करते हैं। इस प्रकार की सफाई के तुरन्त बाद इन्हें मुलायम सूखे कपड़े से पोंछकर सुखा देना चाहिए।

पॉलिश की हुई लकड़ी को गुनगुने पानी में एक चम्मच सिरका मिलाकर कपडा भिगोकर धोते हैं। सूख जाने पर पॉलिश लगाकर चमकाते हैं। वार्निश की हुई लकड़ी को साफ करने के लिए आधा लीटर पानी में आधा चम्मच पैराफीन डालकर इसे धोया जाता है। सूखने पर इसमें प्राकृतिक चमक आ जाती है। आवश्यकता पड़ने पर दोबारा वार्निश भी की जाती है।

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(2) शीशे की वस्तुएँ-खिड़कियों व दरवाजों के शीशों को साबुन के घोल में कपड़ा भिगोकर साफ करना चाहिए। शीशों में चमक लाने के लिए महीन कागज में मेथिलेटिड स्प्रिट लगाकर रगड़ा जाता है। साफ पानी में सिरका मिलाकर धोने से भी शीशे चमक जाते हैं। दर्पण एवं तस्वीरों के शीशे भी उपर्युक्त विधियों से चमकाए जाते हैं, परन्तु इनकी सफाई करते समय पानी अन्दर नहीं जाना चाहिए, वरना तस्वीरों व दर्पण की पॉलिश खराब हो जाती है। बोतलों व शीशियों की सफाई साबुन मिले गर्म पानी से ब्रश द्वारा की जाती है।

काँच के बर्तनों को साफ करने के लिए उन्हें गुनगुने पानी में अमोनिया की कुछ बूंदे डालकर भिगो देना चाहिए और कुछ समय पश्चात् इन्हें कपड़े से पोंछकर सुखा देना चाहिए। कॉफी या चाय के धब्बे छुड़ाने के लिए इन पर सिरका लगाकर नमक लगें गीले कपड़े से रगड़ने पर ये साफ हो जाते हैं। बिजली के बल्ब व ट्यूब को गीले व मुलायम कपड़े से साफ करना चाहिए। थर्मस की बोतल को सोडे के घोल में थोड़ी अमोनिया की बूंदें मिलाकर साफ करना चाहिए।

(3) चीनी-मिट्टी व इनैमल की वस्तुएँ-इस प्रकार की वस्तुओं एवं बर्तनों की सफाई पानी और साबुन से करनी चाहिए। यदि बर्तन पीले हो गए हों तो उन्हें पानी में सिरका मिलाकर साफ किया जा सकता है। चाय, कॉफी या हल्दी के धब्बों की सफाई के लिए विम आदि किसी अच्छे पाउडर को प्रयोग करना चाहिए।

(4) प्लास्टिक की वस्तुएँ–तेज गर्म पानी से इनकी चमक नष्ट हो जाती है तथा रगड़ने एवं खरोंचने वाली वस्तुओं के प्रयोग से प्लास्टिक की चीजें खराब हो जाती हैं। इन्हें गीले कपड़े में साबुन लगाकर पोंछना चाहिए तथा फिर साफ, ठण्डे अथवा गुनगुने पानी में धोकर सूखे कपड़े से पोंछ देना चाहिए।

(5) पत्थर की वस्तुएँ-सफेद अथवा रंगीन पत्थर की वाश-बेसिन, सिल तथा मेजों को गीले कपड़े से साबुन लगाकर पोंछना चाहिए तथा फिर साफ पानी से धोकर सूखे कपड़े से पोंछ देना चाहिए। संगमरमर को चमकाने वाली क्रीम लगाकर 20-22 घण्टों तक छोड़ देना चाहिए। इसके बाद साफ कपड़े द्वारा पोंछने पर संगमरमर में चमक आ जाती है। सीमेण्ट, पत्थर व टाइल्स के फर्श को सप्ताह में एक बार पानी व साबुन से अवश्य धोना चाहिए।

(6) धातु की वस्तुएँ–विभिन्न धातु निर्मित वस्तुएँ एवं बर्तन अग्रलिखित विधियों द्वारा साफ किए जाते हैं-

(क) चाँदी की वस्तुएँ साफ करने के लिए एक भगोने में एक लीटर साफ पानी लेकर इसमें एक छोटी चम्मच नमक व सोडा डालकर उबालिए। अब चाँदी की वस्तुएँ इसमें डाल दीजिए। चार-पाँच मिनट तक पानी उबलने दीजिए। अब वस्तुओं को निकालकर साबुन व साफ पानी से धोइए। अब नरम साफ कपड़े से इन्हें पोंछकर इन पर पॉलिश कर दीजिए। नक्काशी के काम की सफाई नरम ब्रश से करनी चाहिए।

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(ख) पीतल की वस्तुएँ शीघ्र ही काली पड़ जाती हैं। इनको खटाई और नींबू से साफ करना चाहिए। इमली व अमचूर के प्रयोग से पीतल बहुत चमकता है। बाजार में मिलने वाली ब्रासो नामक पॉलिश पीतल की वस्तुओं को बहुत चमकाती है। पीतल की वस्तुओं को अधिक दिन तक साफ रखने के लिए उन्हें नमी से बचाना आवश्यक होता है।

(ग) ताँबे की वस्तुएँ चूने की सफेदी का प्रयोग करने से चमक जाती हैं। चूना, सोडा व सिरका मिलाकर प्रयोग करने से बहुत गन्दी ताँबे की वस्तुएँ भी चमक जाती हैं।
(घ) ऐलुमिनियम की वस्तुएँ–प्राय: साबुन के घोल से ही साफ हो जाती हैं। अधिक गन्दी होने पर इन्हें उबलते पानी में थोड़ा-सा सिरका अथवा नींबू का रस मिलाकर साफ करना चाहिए।
(ङ) कलई की वस्तुओं पर रगड़ने व खरोंचने वाले पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। नरम कपड़े से साबुन व तलछट की सफेदी लगाकर धोने व पोंछने से ये साफ हो जाती हैं।
(च) स्टेनलेस स्टील की वस्तुओं को विम अथवा निरमा से धोकर साफ कपड़े से पोंछना चाहिए। सिरके का प्रयोग करने से इनमें चमक आ जाती है।
(छ) टिन की वस्तुओं को साबुन व पानी से धोकर साफ करना चाहिए।
(ज) लोहे की वस्तुओं पर नमी के कारण जंग लग जाती है।

जंग अथवा मोरचा लगने से बचाने के लिए इन वस्तुओं को तिल का तेल अथवा मिट्टी का तेल लगाकर रखना चाहिए। जंग को प्रायः चिकनाई के प्रयोग से साफ किया जाता है। लोहे के दरवाजों, खिड़कियों व रेलिंग इत्यादि पर वर्ष में एक बार पेन्ट करना चाहिए। पेन्ट करने से ये जंग लगने से सुरक्षित रहते हैं।

प्रश्न 5.
घर की पूर्ण सफाई के उद्देश्य से घर के कूड़े-करकट, गन्दे पानी तथा मल-मूत्र के विसर्जन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए। या घर के कूड़े-करकट को हटाने और नष्ट करने के उपायों पर प्रकाश डालिए।[2011] या कूड़े-करकट को ठिकाने लगाने की मुख्य विधियों का उल्लेख कीजिए। [2011, 12, 13, 14, 16]
उत्तर:
गन्दगी के सामान्य कारण एवं उनका निवारण

घर एवं घर के आस-पास की स्वच्छता को विपरीत रूप से प्रभावित करने वाले कारक प्रायः कूड़ा-करकट, गन्दा पानी व मल-मूत्र इत्यादि होते हैं। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इनके निष्कासन की उचित व्यवस्था करना आवश्यक है।
(1) कूड़े-करकट का निकास-फलों व सब्जी के छिलके, कोयले की राख, भूसी-चोकर, खाद्य पदार्थों की पैकिंग के कागज, दवाइयों के रैपर एवं पॉलीथीन के खाली व गन्दे रैपर तथा थैले इत्यादि प्रायः प्रत्येक घर के दैनिक कूड़ा-करकट (UPBoardSolutions.com) होते हैं। इसके अतिरिक्त घरेलू पेड़-पौधों के गिरे हुए कच्चे फल, पत्तियाँ व शाखाएँ भी प्रतिदिन के कूड़े-करकट में वृद्धि करते हैं। कूड़ा-करकट की दैनिक सफाई अति आवश्यक है, क्योंकि यह

  1. मक्खियों, मच्छरों, कॉकरोचों तथा अन्य कीड़े-मकोड़ों को पनपने देता है।
  2. नालियों में एकत्रित होने पर गन्दे पानी के निकास को रोकता है।
  3.  नम होने पर सड़कर दुर्गन्ध उत्पन्न करता है।
  4. अनेक रोगाणुओं की उत्पत्ति एवं वृद्धि का कारण बनकर पारिवारिक सदस्यों के स्वास्थ्य को कुप्रभावित करता है।

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घर के कूड़े-करकट को नष्ट करने या हटाने के लिए अग्रलिखित उपाय किए जा सकते हैं
(अ) कूड़े को जलाना-कूड़े को नष्ट करने का एक सरल उपाय हे-कूड़े को जलाना। परन्तु वर्तमान समय में घरेलू कूड़े में प्लास्टिक, रबड़ तथा पी०वी०सी० की अनेक वस्तुएँ होती हैं। इन वस्तुओं को जलाने से बहुत अधिक प्रदूषण होता है। अतः इस प्रकार के कूड़े को जलाना उचित नहीं माना जाता।

(ब) कूड़े से गड्ढों को पाटना-इस उपाय के अन्तर्गत नीची जमीन या दलदल को समाप्त करने के लिए वहाँ कूड़ा डाला जाता है। इस विधि के अन्तर्गत काफी समय तक कूड़ा खुला पड़ा रहता है, जिसमें मक्खी, मच्छर, विभिन्न रोगाणु तथा दुर्गन्ध व्याप्त होने लगती है। इन कारणों से कूड़े को हटाने के इस उपाय को भी उपयुक्त नहीं माना जाता।

(स) छंटाई द्वारा कूड़े को उपयोग में लाना–कूड़े को हटाने के इस उपाय के अन्तर्गत कूड़े की छंटाई की जाती है। कार्बनिक कूड़े से खाद बना ली जाती है, कठोर कूड़े से ईंट बनाने का कार्य किया जाता है तथा प्लास्टिक आदि से पुनः विभिन्न वस्तुएँ बना ली जाती हैं। कूड़े-करकट को हटाने का यह उपाय ही सर्वोत्तम है।

(2) गन्दे पानी का निकास–घरों में आँगन, स्नानागार, रसोईघर इत्यादि के गन्दे पानी के निकास के लिए इनका ढाल मुख्य नाली की ओर होना चाहिए। सभी नालियाँ पक्की व यथासम्भव सीमेण्ट की बनी होनी चाहिए। इनका सम्बन्ध मुख्य नाली से तथा मुख्य नाली का सम्बन्ध नगरपालिका द्वारा निर्मित नालियों से होना चाहिए। घर की सभी नालियों की सफाई का दायित्व गृहिणी का होता है। अतः इनकी धुलाई प्रतिदिन होनी चाहिए। नालियों में कूड़ा-करकट कभी नहीं डालना चाहिए। इससे गन्दे पानी के निकास में अवरोध उत्पन्न होता है। नालियों में जमा कीचड़ व काई की सफाई सख्त तारों के ब्रश से करनी चाहिए। समय-समय पर नालियों को फिनाइल से अवश्य धोना चाहिए। आधुनिक गृह-निर्माण में नालियाँ फर्श के नीचे बनाई जाती हैं। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से ये अधिक लाभकारी हैं, | परन्तु इनकी दैनिक सफाई अति आवश्यक है।

(3) मल-मूत्र का निकासमल-मूत्र के निकास की प्रायः दो विधियाँ प्रचलित हैं-

(क) शुष्क विधि-इस विधि में शौचालय में एक खोखला मंच बनाया जाता है। इसके नीचे सरलता से हटाया जा सकने वाला डिब्बा अथवा तसला होता है जिसमें मल एकत्रित होता रहता है। सफाई कर्मचारी अथवा मेहतर प्रतिदिन एकत्रित मल को ले जाकर एक (UPBoardSolutions.com) निश्चित स्थान पर डाल देते हैं। जहाँ से नगरपालिका कर्मचारी इसे ले जाते हैं। एकत्रित मल को नगर से दूर ले जाकर धरती में बनी खन्दकों में डालकर मिट्टी से ढक दिया जाता है। जहाँ यह सड़कर खाद बन जाता है। विदेशों में इसे जलाकर नष्ट कर दिया जाता है।

ध्यान देने योग्य बातें–स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह विधि अधिक सन्तोषजनक नहीं है। इसमें शौचालय की दुर्गन्ध से घर का वातावरण अप्रिय रहता है तथा रोगाणुओं के पनपने की पूर्ण सम्भावना रहती है। इसके अतिरिक्त मनुष्य द्वारा मनुष्य के ही मल को ढोना एक अमानवीय कार्य भी है। अत: जहाँ तक सम्भव हो सके मल-विसर्जन की इस विधि को त्याग देना ही उचित है। यदि किसी बाध्यता के कारण इस विधि को अपनाना आवश्यक हो तो निम्नलिखित बातों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए|

  1. शौच-निवृत्ति के पश्चात् मल पर राख, मिट्टी अथवा चूना डाल देना चाहिए।
  2.  मेहतर द्वारा सफाई किए जाने के बाद शौचालय को फिनाइल के घोल से स्वच्छ किया जाना चाहिए।

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(ख) जल-संवहन (फ्लश) विधि—यह मल-मूत्र विसर्जन की सर्वोत्तम विधि है। इस विधि में शौचालय में मल निष्कासन के लिए एक कमोड होता है, जिसका सम्बन्ध नीचे की ओर सीवर-लाइन से तथा ऊपर की ओर पानी की एक जंजीर लगी टंकी से होता है। मल त्याग के बाद जंजीर खींची जाती है जिससे टंकी का पानी तेजी से निकल कर निष्कासित मल को सीवर-लाइन में पहुँचा देता है। जहाँ से यह मुख्य सीवर-लाइन द्वारा नगर से दूर निर्धारित स्थल तक पहुँचा दिया जाता है। हमारे देश में यह विधि सीवर-लाइन न बन पाने के कारण केवल बड़े नगरों तक ही सीमित है।

सीवर-लाइन न होने की दशा में एक दूसरे प्रकार की जल-संवहन विधि अपनाई जाती है। इसमें । प्रत्येक घर में शौचालय के निकट एक बन्द हौज अथवा सेप्टिक टैंक बनवाया जाता है। निष्कासित मल जल संवहन विधि द्वारा भूमिगत पाइप लाइन में से होकर सेप्टिक टैंक (UPBoardSolutions.com) में एकत्रित होता रहता है। गन्दा . पानी सेप्टिक टैंक की मिट्टी द्वारा सोख लिया जाता है तथा एकत्रित मल सुड़कर नष्ट होता रहता है। कुछ वर्षों उपरान्त एक बार सेप्टिक टैंक को खुलवाकर इसकी सफाई कराई जाती है।।
नत संवहन विधि : दो प्रकार के कमोड प्रयोग में लाए जाते है। भारतीय विधि के कोड में पैरों के बल बैठकर मल त्याग किया जाता है, जबकि यूरोपियन शैली के कमोड में कुर्सी की भाँति बैठकर मल निष्कासन किया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
घर की सफाई में ध्यान रखने योग्य मुख्य बातों का वर्णन कीजिए।
या
घर की सफाई करते समय आप किन-किन बातों को ध्यान में रखेंगी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
घर की सफाई एक ऐसा कार्य है जो विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है। इस कार्य को करने में पर्याप्त समय एवं श्रम की आवश्यकता होती है। घर की सफाई की उत्तम, सरल एवं कम श्रम-साध्य तथा कम समय-साध्य बनाने के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए

(1) सफाई का कार्य क्रम से करना चाहिए—घर की सफाई के सन्दर्भ में यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि कौन-सी वस्तु की पहले और कौन-सी की बाद में सफाई की जाए। हर प्रकार की झाड़-पोंछ पहले करनी चाहिए, इसके उपरान्त फर्श पर झाड़ लगानी चाहिए। इस प्रकार की सफाई करने के उपरान्त ही गीला पोंछा लगाया जाना चाहिए। घर के विभिन्न भागों की सफाई का क्रम भी सुविधा तथा स्थिति के अनुसार निर्धारित कर लेना चाहिए।

(2) सफाई के लिए उचित साधन ही अपनाए जाने चाहिए-घर में भिन्न-भिन्न प्रकार (UPBoardSolutions.com) की सफाई की जाती है। प्रत्येक प्रकार की सफाई के लिए उचित साधन सामग्री तथा विधि को अपनाया जाना चाहिए। इससे समय एवं श्रम की समुचित बचत होती है।

(3) सफाई के स्तर का ध्यान रखना चाहिए-घर की सफाई का उच्च स्तर बनाए रखा जाना चाहिए, परन्तु इसके लिए आवश्यकता से अधिक समय नष्ट नहीं करना चाहिए।

(4) परिवार के सभी सदस्यों का सहयोग करना चाहिए-घर की सफाई के कार्य का दायित्व केवल गृहिणी का ही नहीं होना चाहिए, बल्कि परिवार के सभी सदस्यों को यथा-सम्भव तथा यथा-शक्ति इस कार्य में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्रदान करना चाहिए।

(5) कम-से-कम गन्दगी फैलने देनी चाहिए-घर की सफाई-व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घर में कम-से-कम गन्दगी एवं कूड़ा ही फैले। इसके लिए जहाँ-जहाँ आवश्यक हो कूड़ेदान एवं कूड़े की टोकरियाँ रखी जानी चाहिए।

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(6) सफाई-सामग्री एवं साधनों की देखभाल करनी चाहिए-घर की सफाई-व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए सफाई की सामग्री एवं साधनों की भी नियमित रूप से देखभाल की जानी चाहिए। यदि साधन ठीक दशा में हों तो कार्य भी सुचारु रूप से होता है।

प्रश्न 2.
घर की सफाई के आधुनिक उपकरण कौन-कौन से हैं? किसी एक का वर्णन कीजिए। [2010, 11, 12, 13, 14, 17] |
वैक्यूम क्लीनर से आप क्या समझती हैं? इससे क्या लाभ हैं? [2008, 14, 15, 161
या
घर की सफाई में प्रयुक्त होने वाले आधुनिक यन्त्रों के बारे में संक्षेप में लिखिए। [2008]
उत्तर:
घर की सफाई के आधुनिक उपकरण

वर्तमान युग में पारिवारिक परिस्थितियाँ बड़ी तेजी से बदल रही हैं। परिवार की महिलाओं को भी पारिवारिक आय में वृद्धि करने के लिए कुछ-न-कुछ व्यवसाय अथवा नौकरी करनी पड़ती है। इस स्थिति में घरेलू कार्यों को सीमित समय में पूरा करने के लिए कुछ अतिरिक्त उपकरणों की वर आवश्यकता होती है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए घर की सफाई के भी कुछ आधुनिक उपकरण बनाए गए हैं।

ये उपकरण समय एवं श्रम की बचत में सहायक होते हैं। घर की सफाई के मुख्य आधुनिक उपकरण हैं-वैक्यूम क्लीनर (Vacuum cleaner) तथा कारपेट स्वीपर (Carpet sweeper) इन उपकरणों का सामान्य परिचय निम्नवर्णित हैवैक्यूम क्लीनर यह घर की सफाई का मुख्य आधुनिक उपकरण है। पाश्चात्य देशों में तो इस उपकरण का बहुत अधिक उपयोग होता है, परन्तु हमारे देश में इसका प्रयोग केवल धनी परिवारों द्वारा ही किया जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह एक महँगा उपकरण है।

वैक्यूम क्लीनर एक विद्युत चालित उपकरण है। इस उपकरण में ऐसी व्यवस्था होती है कि यह सम्बन्धित क्षेत्र से धूल-मिट्टी, मकड़ी के जालों तथा छोटे-छोटे तिनकों आदि सभी को खींचकर संलग्न थैले में एकत्रित कर लेता है। इसके अतिरिक्त, द्वितीय व्यवस्था (UPBoardSolutions.com) के अनुसार यह उपकरण तेज वायु फेंककर सम्बन्धित क्षेत्र की धूल को उड़ाकर दूर भी कर सकता है। आप जिस ढंग से भी चाहें, अपने घर के सभी भागों की सफाई इस उपकरण द्वारा कर सकते हैं। जब वैक्यूम क्लीनर का धूल-मिट्टी वाला थैला भर जाता है, तब उसे घर के कूड़ादान में डाल दिया जाता है।

वैक्यूम क्लीनर घर की तथा घर के हर प्रकार के फर्नीचर, उपकरणों (टी० वी०, कम्प्यूटर आदि) तथा अन्य वस्तुओं की सफाई का उत्तम तथा सुविधाजनक उपकरण है। इसके प्रयोग में न तो प्रयोगकर्ता के वस्त्र ही गन्दे होते हैं और न किसी प्रकार की थकान ही होती है। इसके प्रयोग द्वारा सीमित समय में पूरे घर तथा घर की वस्तुओं की सफाई की जा सकती है। घर की सफाई के अतिरिक्त इस उपकरण द्वारा कुछ अन्य कार्य भी किए जा सकते हैं; जैसे कि कीटनाशक दवा का छिड़काव करना तथा स्प्रे पेन्ट करना।

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वैक्यूम क्लीनर का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों को सदैव ध्यान में रखना चाहिए

  1. बहुत भारी वजन का वैक्यूम क्लीनर नहीं खरीदना चाहिए, क्योंकि इसे उठाना अत्यधिक श्रम-साध्य है। अत: शारीरिक थकान से बचाव के लिए सदैव हल्का वैक्यूम क्लीनर ही लेना चाहिए।
  2. वैक्यूम क्लीनर का प्रयोग करने के पश्चात् धूल के थैले से धूल निकालकर उसे अच्छी तरह से साफ कर देना चाहिए।
  3.  प्रयोग के बाद वैक्यूम क्लीनर के प्लग को तुरन्त निकाल देना चाहिए। कारपेट स्वीपर

घर की सफाई का एक अन्य उपकरण कारपेट स्वीपर है। इस उपकरण को प्रायः दरी एवं कालीन की सफाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस उपकरण के नीचे पहिए लगे होते हैं। अत: इसे जहाँ चाहे सुविधापूर्वक ले जाया जा सकता है। इस उपकरण की कार्यविधि वैक्यूम क्लीनर के ही समान होती है। इसमें एक ब्रश की भी व्यवस्था होती है, जिसके द्वारा दरी एवं कालीन की सफाई अच्छे ढंग से की जाती है।

प्रश्न 3.
घर की साप्ताहिक सफाई आवश्यक क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समय के अभाव के कारण घर के जो भाग प्रतिदिन साफ नहीं किए जा सकते तथा घर की जो वस्तुएँ प्रतिदिन साफ नहीं हो पातीं, उन्हें सप्ताह में एक बार अवश्य साफ किया जाना चाहिए। इसमें दरवाजों व खिड़कियों के शीशों, फर्नीचर, दरी-कालीन आदि की सफाई, फर्श का धोना तथा दीवारों व छत की सफाई सम्मिलित है। यदि साप्ताहिक सफाई न की जाए, तो दीवारों व छत पर मकड़ी के जाले भर जाएँगे, दरी-कालीन आदि पर दाग-धब्बे पड़ जाएँगे, दरवाजों व खिड़कियों के शीशे अत्यधिक गन्दे हो जाएँगे तथा फर्नीचर व अन्य लकड़ी की वस्तुओं पर दीमक लग जाएगी। इस प्रकार साप्ताहिक सफाई न होने पर घर की सुन्दरता व आकर्षण तो प्रभावित होते ही हैं, साथ-साथ आर्थिक हानि भी होती है।

प्रश्न 4.
पीतल के फूलदान की सफाई आप कैसे करोगी? या पीतल की बनी सज्जा की वस्तुओं को कैसे साफ करोगी? या पीतल के बर्तनों की सफाई आप कैसे करेंगी? [13, 14, 17, 18]
उत्तर:
पीतल के वे बर्तन, जो रसोईघर में काम आते हैं अथवा प्रतिदिन जिनका प्रयोग किया जाता है, को राख या पीली मिट्टी से रगड़कर साफ किया जा सकता है। इस कार्य के लिए नारियल की जटा अथवा मुंज के रेशे लिए जा सकते हैं जिनसे बर्तन को भली-भाँति रगड़ा जा (UPBoardSolutions.com) सकता है। राख या मिट्टी के स्थान पर रेत प्रयोग में लाने से रगड़ ज्यादा हो जाती है। इन बर्तनों पर से दाग-धब्बे आदि छुड़ाने के लिए नींबू के रस में नमक मिलाकर प्रयोग करना चाहिए। इमली की खटाई से भी यही कार्य लिया जा सकता है।

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सजावटी सामान (पीतल का) की सफाई के लिए आवश्यकतानुसार या वस्तु की बनावट के अनुसार (जैसे—उसके साथ अन्य धातु या लकड़ी इत्यादि का भाग जुड़ा हो तो पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए) नींबू या इमली के पानी से साफ करके सुखा लिया जाता है। सूखी हुई पीतले की सतह पर ब्रासो पेस्ट या पीताम्बरी जैसे अन्य इसी प्रकार के पाउडर को कपड़े की सहायता से रगड़ा जाता है। बाद में, साफ कपड़े से रगड़कर चमका दिया जाता है।

प्रश्न 5.
चाँदी व ताँबे के बर्तनों की सफाई किस प्रकार करेंगी? संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2009, 17, 18]
उत्तर:
(1) चाँदी के बर्तनों एवं अन्य सजावटी वस्तुओं की सफाई के पानी में नमक तथा सोडा मिलाकर उसे उबाल लिया जाता है। इस पानी में चाँदी की वस्तुओं को डालकर लगभग 4-5 मिनट तक उबालें। इसके बाद उन्हें पानी से बाहर निकाल लें तथा साबुन व साफ पानी से अच्छी तरह धो लें। इसके बाद सिल्वो नामक क्रीम लगाकर साफ सूखे कपड़े से रगड़करे चमका लें।

(2) ताँबे के बर्तनों को साफ करने के लिए मुख्य रूप से चूने की सफेदी को इस्तेमाल किया जाता है। यदि ताँबे के बर्तन अधिक गन्दे हों तो चूना, सोडा व सिरका मिलाकर रगड़ने से बर्तन साफ हो जाते हैं।

प्रश्न 6.
कालीनों अथवा गलीचों की सफाई किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
सबसे पहले कालीन की धूल सख्त तारों वाले ब्रश से साफ की जाती है। यह कार्य ‘कारपेट स्वीपर’ उपकरण से अधिक प्रभावशाली ढंग से किया जा सकता है। अब सिरका मिले पानी में कपड़ा भिगोकर कालीन को साफ किया जाता है। चिकनाई के धब्बे छुड़ाने के लिए पेट्रोल अथवा खाने के सोडे का प्रयोग कर कालीन को हल्के हाथ से साफ करना चाहिए।

प्रश्न 7.
घर के फर्नीचर की देखभाल और सफाई आप किस प्रकार करेंगी? 2010, 14} या लकड़ी के फर्नीचर की देखभाल आप किस प्रकार करेंगी? । 2007, 16
उतर:
घर का फर्नीचर प्रायः लकड़ी, लोहे अथवा ऐलुमिनियम का बना होता है। इसकी देखभाल व सफाई निम्न प्रकार से की जा सकती है

(1) लोहे का फर्नीचर-इसे नरम कपड़े से झाड़ा जाता है और गीले कपड़े व साबुन से साफ किया जा सकता है। वर्ष में एक बार इस पर पेन्ट अवश्य किया जाना चाहिए।
(2) ऐलुमिनियम का फर्नीचर-इसे गीले कपड़े व साबुन से साफ किया जा सकता है। बहुत (UPBoardSolutions.com) गन्दा होने पर उबलते पानी में थोड़ा सिरका या नींबू का रस मिलाकर इसे साफ करना चाहिए। रगड़ने एवं खरोंचने वाली वस्तुओं का ऐलुमिनियम के फर्नीचर परे प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(3) लकड़ी का फर्नीचर-पॉलिश की हुई लकड़ी को आधा लीटर गुनगुने पानी में एक चम्मच सिरका मिलाकर कपड़ा भिगोकर साफ करना चाहिए।

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सूखने पर फर्नीचर क्रीम का प्रयोग कर इसे चमकाया जा सकता है। वार्निश की हुई लकड़ी, एक लीटर पानी में एक बड़ी चम्मच पैराफीन डालकर, इसमें कपड़ा भिगोकर साफ की जा सकती है। सूखने पर आवश्यकता होने पर दोबारा इस पर वार्निश की जा सकती है। इनैमल पेन्ट की हुई लकड़ी प्रायः गीले कपड़े से पोंछने से साफ हो जाती है। चमक लाने के लिए साफ पानी में थोड़ा-सा सिरका मिलाकर धोना चाहिए तथा फिर सूखे कपड़े से पोंछ देना चाहिए।

प्रश्न 8.
अपने घर को मक्खियों से मुक्त रखने के उपाय बताइए।
उत्तर:
घर की सफाई तथा परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है कि पूरा घर मक्खियों से मुक्त रहे। मक्खियाँ जहाँ एक ओर विभिन्न संक्रामक रोगों के कीटाणुओं की वाहक होती हैं वहीं दूसरी ओर ये घर की सभी वस्तुओं पर बार-बार मल-त्याग कर उन्हें दूषित करती रहती हैं। इससे भी गन्दगी फैलती है। घर को मक्खियों से मुक्त रखने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए

  1. मक्खियाँ गन्दगी पर अधिक पनपती तथा भिनभिनाती हैं। अत: घर में अधिक-से-अधिक सफाई रखनी चाहिए। घर में किसी प्रकार का कूड़ा-करकट नहीं बिखरने देना चाहिए। सफाई से मक्खियाँ दूर भागती हैं।
  2. घर में सूर्य के प्रकाश एवं वायु के आवागमन की समुचित व्यवस्था रखें। कमरों में बिजली के पंखे चलाकर भी मक्खियों को भगाया जा सकता है।
  3.  मक्खियों को घर में आकर्षित करने वाला कोई साधन न रखें। खाने-पीने की वस्तुएँ सदैव ढककर तथा बन्द जाली में ही रखें।
  4. घर को मक्खियों से मुक्त रखने के लिए मक्खियों को मारने की भी समुचित व्यवस्था की (UPBoardSolutions.com) जानी चाहिए। मक्खियों को मारने के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं। इनमें मुख्य उपाय। हैं–मक्खियों के अण्डे देने के स्थानों को नष्ट करना, मक्खीमार कागज (एक कागज पर अरण्डी का तेल तथा रेजिन पाउडर लगाकर) के इस्तेमाल द्वारा, फार्मलिन के घोल द्वारा, जाल द्वारा तथा फिनिट या कोई अन्य कीटनाशक दवा के छिड़काव द्वारा मक्खियों को नष्ट किया जा सकता है।

प्रश्न 9.
टिप्पणी लिखिए-सुलभ शौचालय।
उत्तर:
घरेलू मल-मूत्र विसर्जन की केन्द्र सरकार ने एक योजना प्रारम्भ की है, जिसे ‘सुलभ शौचालय’ कहा जाता है। यह शौचालय सैद्धान्तिक रूप से सेप्टिक टैंक वाले शौचालय के ही समान होता है, परन्तु इस टैंक को नीचे से पक्का नहीं बनाया जाता; अतः न तो इस टैंक की गैस या दुर्गन्ध निकलती है और न गन्दा पानी ही बाहर निकलता है। इस स्थिति में इसे मल-मूत्र विसर्जन की एक उत्तम प्रणाली माना जाता है। इस प्रकार के शौचालय बनाने का कार्य जिस संस्था द्वारा किया जा रहा है, उसे भी सुलभ कहते हैं।

यह संस्था प्राय: सभी नगरों एवं कस्बों की मलिन बस्तियों में स्वच्छ शौचालय बनाने में सहयोग दे रही है। सुलभ शौचालय सस्ता होने के साथ-साथ वातावरण को भी प्रदूषण रहित रखता है। यही कारण है कि इस संस्था को सरकार एवं विश्व बैंक की ओर से पर्याप्त अनुदान भी प्राप्त होता है। वर्तमान समय में भारत सरकार खुले में शौच की परम्परा का पूर्णरूप से उन्मूलन कर रही है। इसके लिए इसी पद्धति के शौचालय बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

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प्रश्न 10.
घर के गन्दे पानी के निस्तारण की विधि लिखिए। [2015]
उत्तर:
घर की उचित सफाई के लिए घर के गन्दे पानी के निस्तारण की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है।

  1. घर के गन्दे पानी के निस्तारण के लिए घर वालों तथा नगरपालिका आदि स्थानीय निकायों में सहयोग आवश्यक है।
  2.  घर में पक्की नालियों की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। वर्तमान समय में ढकी हुई नालियाँ ही उत्तम मानी जाती हैं।
  3. सभी नालियों का ढाल ठीक होना चाहिए तथा उन्हें मुख्य नाली से जोड़कर घर से बाहर पहुँचानी चाहिए।
  4.  यदि पानी की नालियाँ खुली हों तो उनकी सफाई की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  5.  घर के पानी की नाली को घर से बाहर की सार्वजनिक नाली से जोड़ देना चाहिए।
  6. यदि क्षेत्र में सार्वजनिक नालियाँ न हों तो पक्का गड्ढा या सोकिंग पिट्स बनवाकर उनमें घर के पानी को डालना चाहिए। ये सोकिंग पिट्स ढके हुए होने चाहिए।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
घर की सफाई से क्या आशय है?
उत्तर:
घर में किसी प्रकार की गन्दगी न होना ही घर की सफाई है।

प्रश्न 2.
घर की सफाई के चार लाभ लिखिए।[2015
उत्तर:
घर की सफाई के लाभ हैं

  1. घर की सुन्दरता में सहायक,
  2. कीटाणु नियन्त्रण में सहायक,
  3. स्वास्थ्य एवं चुस्ती में सहायक तथा
  4. उत्तम गृह-व्यवस्था में सहायक।।

प्रश्न 3.
घर की सफाई क्यों आवश्यक है? घर की सफाई के विभिन्न साधनों का भी उल्लेख कीजिए। 2017
या
घर की सफाई के चार उपकरणों के नाम लिखिए।2008
उत्तर:
घर को गन्दगी रहित बनाने के लिए, आकर्षक एवं स्वास्थ्य में सहायक बनाने के लिए घर की सफाई आवश्यक है। घर की सफाई के मुख्य साधन हैं-झाड़, झाड़न, ब्रश, कपड़े, कीटनाशक दवाएँ तथा वैक्यूम क्लीनर आदि।

प्रश्न 4.
घर की सफाई कितने प्रकार की होती है? [2007, 08, 09, 10, 12, 13, 14, 17, 18]
उत्तर:
घर की सफाई के पाँच मुख्य प्रकार हैं-

  1.  दैनिक,
  2. साप्ताहिक,
  3.  मासिक,
  4.  वार्षिक तथा
  5. आकस्मिक सफाई।।

प्रश्न 5.
दैनिक सफाई से आप क्या समझती हैं?
उत्तर:
घर की प्रतिदिन नियमपूर्वक अनिवार्य रूप से की जाने वाली सफाई को दैनिक सफाई कहा जाता है।

प्रश्न 6.
हमारे देश में वार्षिक सफाई कब की जाती है?
उत्तर:
हमारे देश में दशहरा व दीपावली के बीच के दिनों में प्राय: वार्षिक सफाई की जाती है।

प्रश्न 7.
फर्श की धूल साफ करने वाले आधुनिक यन्त्र को क्या कहते हैं?
उत्तर:
वैक्यूम क्लीनर।

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प्रश्न 8.
वैक्यूम क्लीनर का क्या कार्य है? [2007, 08 ]
उत्तर:
वैक्यूम क्लीनर का कार्य है-धूल आदि को एकत्र करके घरेलू वस्तुओं को साफ करना।

प्रश्न 9.
बिस्तर, कपड़ों व कालीन आदि को धूप में डालने के क्या लाभ हैं? [2014]
उत्तर:
इससे इनके कीटाणु नष्ट हो जाते हैं तथा नमी एवं (UPBoardSolutions.com) साधारण दुर्गन्ध समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 10.
शीशे की वस्तुओं की सफाई किस प्रकार की जाती है? ।
उत्तर:
यह चूना, साबुन का घोल तथा समुद्र-फेन इत्यादि से की जाती है।

प्रश्न 11 .
लकड़ी के फर्नीचर की देख-रेख आप किस प्रकार करेंगी? [2011]
उत्तर:
इसकी वर्ष में एक बार मरम्मत होनी चाहिए। आवश्यकतानुसार पेन्ट, पॉलिश एवं वार्निश करने से लकड़ी के फर्नीचर पर चमक आती है तथा इसकी आयु बढ़ती है।

प्रश्न 12.
सर्वोत्तम शौच-गृह कौन-सा होता है ?
उत्तर:
जल-संवहन अथवा फ्लश विधि द्वारा संचालित शौच-गृह सर्वोत्तम होता है।

प्रश्न 13.
मल-मूत्र निकास की जल-संवहन विधि क्या है?
उत्तर:
गन्दगी व मल-मूत्र को जल की सहायता से सीवर-लाइन तक बहा देने को जल-संवहन विधि कहते हैं।

प्रश्न 14 .
चीनी-मिट्टी से निर्मित बर्तन की सफाई किस प्रकार होगी? [2013]
उत्तर:
इस प्रकार की वस्तुओं की सफाई पानी और साबुन से करनी चाहिए। यदि बर्तन पीले हो गए हों तो उन्हें पानी में सिरका मिलाकर साफ किया जा सकता है।

प्रश्न 15.
स्टील के बर्तनों की सफाई आप कैसे करेंगी?[2011, 12, 13, 15]
उत्तर:
स्टील के बर्तनों की सफाई गर्म पानी तथा विम आदि अच्छे पाउडर द्वारा की जाती है। इसके लिए गरम कपड़ा या फोम का टुकड़ा इस्तेमाल किया जाता है।

प्रश्न 16.
प्लास्टिक के फर्नीचर की सफाई किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
तेज गर्म पानी से प्लास्टिक के फर्नीचर की प्राकृतिक चमक नष्ट हो सकती है तथा रगड़ने या खुरचने से इन पर निशान भी पड़ जाते हैं। इन्हें गीले कपड़े में साबुन लगाकर पोंछना चाहिए तथा बाद में साफ ठण्डे पानी में धोकर सूखे कपड़े से पोंछ देना चाहिए।

प्रश्न 17.
कूड़ेदान को ढककर क्यों रखा जाता है? [2008, 10, 13]
उत्तर:
कूड़ेदान को ढककर रखने से उसमें संगृहीत गन्दे तत्त्वों या कूड़े के दुर्गन्ध फैलाने वाले तत्त्वों तथा रोगाणुओं को फैलने से रोका जा सकता है।

प्रश्न 18.
कूड़ेदान का प्रयोग क्यों करते हैं? [2009]
उत्तर:
कूड़ेदान का प्रयोग इसलिए किया जाता है जिससे घर में कूड़ा न फैले, (UPBoardSolutions.com) क्योंकि कूड़ा फैलने से घर में गन्दगी होती है और उस गन्दगी से रोगाणु उत्पन्न होते हैं।

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प्रश्न 19.
कूड़ा-करकट को ठिकाने लगाने की सर्वोत्तम विधि कौन-सी है? [2010]
उत्तर:
छंटाई द्वारा कूड़े-करकट को विभिन्न प्रकार के उपयोग में लाना कूड़े-करकट को ठिकाने लगाने की सर्वोत्तम विधि है।

प्रश्न 20.
ताँबे के बर्तनों की सफाई किस प्रकार करेंगी? [2016]
उत्तर:
तांबे के बर्तनों की सफाई के लिए चुने की सफेदी का प्रयोग करना चाहिए। चूना, सोडा व सिरका मिलाकर प्रयोग करने से अत्यधिक गन्दी वस्तुएँ भी चमक जाती हैं। ।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न-निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

प्रश्न 1.
घर की सफाई से आशय है
(क) घर में गन्दगी का न होना
(ख) घर में सामान को बाहर दिखाई न देना
(ग) घर का सुसज्जित होना
(घ) नित्य झाडू एवं पोंछा लगाना

प्रश्न 2.
घर की सफाई के लिए आवश्यक है
(क) कूड़ा-करकट फैलने देना
(ख) नियमित सफाई करना
(ग) कुछ न करना।
(घ) ये सभी

प्रश्न 3.
आँगन की नाली को प्रतिदिन धोना चाहिए
(क) डी० डी० टी० पाउडर से
(ख) चूने से
(ग) फिनाइल से
(घ) गर्म पानी से

प्रश्न 4.
गन्दगी में सबसे अधिक पनपते हैं-
(क) मच्छर
(ख) मक्खियाँ
(ग) कॉकरोच
(घ) रोगाणु

प्रश्न 5.
धूल भरी आँधी आ जाने के उपरान्त की जाने वाली सफाई को कहते हैं
(क) दैनिक सफाई
(ख) वार्षिक सफाई
(ग) आकस्मिक सफाई
(घ) अनावश्यक सफाई

प्रश्न 6.
चाँदी की वस्तुएँ साफ की जाती हैं
(क) सर्फ से
(ख) सिल्वो से
(ग) ब्रासो से
(घ) राख से

प्रश्न 7.
पीतल के फूलदान की सफाई किसके द्वारा की जाती है?
(क) चूना
(ख) ब्रासो
(ग) रेत
(घ) साबुन

प्रश्न 8.
स्टेनलेस स्टील के बर्तनों को किस चीज से साफ करना चाहिए? 2018
(क) सिरका
(ख) विम
(ग) सोडा
(घ) राख

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प्रश्न 9.
दर्पण को साफ किया जा सकता है
(क) समुद्र-फेन से ।
(ख) ब्रश से
(ग) ब्रासो से
(घ) रेत से

प्रश्न 10.
प्लास्टिक की वस्तुओं को साफ किया जाता है
(क) सिरके से
(ख) साबुन के घोल से
(ग) खौलते पानी से
(घ) रेत से ।

प्रश्न 11.
घर का कूड़ा-करकट डालना चाहिए [2012, 15, 17]
(क) घर के किसी भी कोने में
(ख) कूड़ेदान में (ग) गली में
(घ) पड़ोसियों के घर के सामने

प्रश्न 12.
घर से मक्खियों को भगाने के लिए प्रयोग किया जाता है
(क) डी० डी० टी०
(ख) गन्धक
(ग) फिनिट
(घ) ऐल्ड्रीन

प्रश्न 13.
कूड़ा-करकट नष्ट करने के उपाय हैं। [2014)
(क) जलाकर
(ख) खाद बनाकर
(ग) छाँटकर उसका प्रयोग
(घ) ये सभी

प्रश्न 14.
सफाई का आधुनिक उपकरण क्या है? [2013]
(क) वैक्यूम क्लीनर
(ख) गीजर
(ग) अवन
(घ) ये सभी

प्रश्न 15.
वैक्यूम क्लीनर का प्रयोग किया जाता है। (2014, 16, 18)
(क) बर्तन की सफाई के लिए
(ख) फर्नीचर की पॉलिश करने के लिए
(ग) धातुओं को चमकाने के लिए।
(घ) घर की सफाई के लिए

उत्तर:

  1. (क) घर में गन्दगी का न होना,
  2. (ख) नियमित सफाई करना,
  3. (ग) फिनाइल से,
  4. (घ) रोगाणु,
  5. आकस्मिक सफाई,
  6. (ख) सिल्वो से,
  7. (ख) बासो,
  8. (ख) विम,
  9. (क) समुद्र-फेन से,
  10. (ख) साबुन के घोल से,
  11. (ख) कूड़ेदान में,
  12. (ग) फिनिट,
  13.  (घ) ये सभी,
  14. (क) वैक्यूम क्लीनर,
  15. (घ) घर की सफाई के लिए।

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UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 2 आय, व्यय और बचत

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 2 आय, व्यय और बचत

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिवारिक आय से आप क्या समझती हैं? पारिवारिक आय के मुख्य स्रोतों को भी स्पष्ट कीजिए। या । पारिवारिक आय को अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा पारिवारिक आय के प्रकारों एवं मुख्य स्रोतों
का उल्लेख कीजिए। प्रत्यक्ष आय तथा अप्रत्यक्ष आय से क्या तात्पर्य है? [2011, 12, 13]
उत्तर:
पारिवारिक आय का अर्थ एवं परिभाषा

परिवार हमारी विविध आवश्यकताओं की पूर्ति का केन्द्र होता है।
प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति के लिए धन की आवश्यकता होती है तथा धन के लिए आय का होना अनिवार्य है।
आय एक निश्चित अवधि में अर्जित की गई वह राशि है (UPBoardSolutions.com) जो आर्थिक प्रयासों के फलस्वरूप प्राप्त होती है तथा जिसमें कुछ अन्य सुविधाएँ भी सम्मिलित होती हैं। इस प्रकार की मुख्य सुविधाएँ हैं-बिना किराए की आवास-सुविधा, नि:शुल्क शिक्षा, वाहन एवं ड्राइवर (UPBoardSolutions.com) की सुविधा तथा नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा। । पारिवारिक आय को प्रो० ग्रास और क्रैन्डल ने इन शब्दों में परिभाषित किया है, “पारिवारिक आय मुद्रा, वस्तुओं, सेवाओं तथा सन्तोष का वह प्रवाह है जो परिवार के अधिकार में उसकी आबश्यकताओं और इच्छाओं को पूर्ण करने एवं उत्तरदायित्वों के निर्वाह हेतु आता है।”

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प्रस्तुत परिभाषा को ध्यान में रखते हुए पारिवारिक आय का विस्तृत स्पष्टीकरण प्राप्त किया जा सकता है। परिवार की आय में मुख्य रूप से परिवार के प्रधान सदस्य द्वारा अर्जित किया जाने वाला धन सम्मिलित होता है, परन्तु उसके अतिरिक्त यदि घर के अन्य व्यक्ति भी किन्हीं साधनों से धन अर्जित करते हैं तो उसे भी पारिवारिक आय में सम्मिलित कर लिया जाता है। इसके अतिरिक्त परिवार की अपनी चल या अचल सम्पत्ति के माध्यम से भी यदि कुछ धन (मकान या दुकान का किराया, जमा धन पर ब्याज आदि) प्राप्त होता है तो उसे भी परिवार की आय में ही जोड़ा जाता है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि आय केवल धनराशि के रूप में ही नहीं होती, अपितु परिवार को प्राप्त होने वाली विशेष सुविधाएँ भी पारिवारिक आय के अन्तर्गत ही आ जाती हैं। उदाहरण के लिए परिवार को प्राप्त निःशुल्क आवास, नि:शुल्क शिक्षा तथा नि:शुल्क चिकित्सा आदि सुविधाएँ भी आय का ही रूप मानी जाती हैं।

पारिवारिक आय के प्रकार

पारिवारिक आय के दो प्रकार माने जाते हैं, जिनका संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है

(1) प्रत्यक्ष आय-पारिवारिक आय का मुख्य रूप या प्रकार प्रत्यक्ष आय (Direct income) है। प्रत्यक्ष आय उस आय को कहा जाता है, जो परिवार के मुखिया तथा अन्य सदस्यों को उनके अपने-अपने व्यवसायों के माध्यम से प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए–वेतन या व्यापार से प्राप्त होने वाली आय। इसके अतिरिक्त धन के विनियोग अर्थात् ब्याज तथा आवास या दुकान आदि का मिलने वाला किराया भी इसी प्रकार की आय में ही सम्मिलित होता है।

(2) अप्रत्यक्ष आय-पारिवारिक आय का दूसरा प्रकार या रूप है ‘अप्रत्यक्ष आय (Indirect income)। अप्रत्यक्ष पारिवारिक आय से आशय उन सुविधाओं से है जो वेतन आदि के अतिरिक्त उपलब्ध होती हैं। अप्रत्यक्ष आय धन के रूप में नहीं होती। उदाहरण के लिए कम्पनी की ओर से बिना किराये का मकान या फर्नीचर मिलना, ड्राइवर या नौकर मिलना, आने-जाने के लिए वाहन की आय, व्यय और बचत 21 सुविधा, बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा आदि अप्रत्यक्ष आय की श्रेणी में आते हैं। कुछ परिस्थितियों में अप्रत्यक्ष आय को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस आय पर किसी प्रकार का आयकर नहीं देना पड़ता।

पारिवारिक आय के मुख्य स्रोत

भिन्न-भिन्न परिवारों की आय के स्रोत भी भिन्न-भिन्न होते हैं। भारतीय समाज में पारिवारिक आये के कुछ मुख्य स्रोत निम्नलिखित हो सकते हैं

(1) परिवार के मुखिया तथा अन्य सदस्यों को प्राप्त होने वाला वेतन। यह वेतन किसी सरकारी अथवा गैर-सरकारी कार्यालय या संस्थान में कार्य करने के बदले में प्राप्त होता है। हमारे देश में सामान्य रूप से मासिक वेतन का प्रचलन है।

(2) पारिवारिक आय का एक स्रोत दैनिक मजदूरी भी है। कार्य या श्रम करने के बदले में प्रतिदिन मिलने वाले धन या आय को दैनिक मजदूरी कहा जाता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत यदि कोई श्रमिक किसी दिन कार्य नहीं करता तो उस दिन उसको कोई (UPBoardSolutions.com) मजदूरी या (UPBoardSolutions.com) आय प्राप्त नहीं होती है। दैनिक मजदूरी पर निर्भर रहने वाले परिवारों को निरन्तर रूप से कठोर संघर्ष करना पड़ता है।

(3) परिवार के कुछ सदस्यों (सरकारी कार्यालय से अवकाश प्राप्त) को मासिक पेन्शन भी प्राप्त होती है। इस प्रकार से प्राप्त होने वाली पेन्शन को भी पारिवारिक आय का एक स्रोत माना जाता है।

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(4) व्यापार तथा व्यवसाय भी पारिवारिक आय के स्रोत होते हैं। कुछ परिवारों के सदस्य भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यापार किया करते हैं तथा व्यापार से प्राप्त होने वाला लाभ ही उनकी आय को स्रोत होता है। इससे भिन्न डॉक्टर, वकील, लेखक तथा नक्शानवीस आदि व्यवसायी होते हैं। इन्हें अपने व्यवसाय से आय प्राप्त होती है।

(5) कुछ परिवारों के लिए घरेलू उद्योग-धन्धे भी पारिवारिक आय के स्रोत होते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार के घरेलू उद्योग-धन्धे अपनाए जाते हैं। कुछ घरेलू उद्योग धन्धों की परिचालन गृहिणियों द्वारा भी किया जाता है।

(6) पारिवारिक आय का एक मुख्य तथा पर्याप्त व्यापक स्रोत है कृषि कार्य। कुछ परिवार अपनी भूमि पर कृषि कार्य करके आय (धन) प्राप्त करते हैं, जब कि कुछ व्यक्ति अन्य भूपतियों की भूमि पर कृषि कार्य अर्थात् कृषि श्रमिक के रूप में कार्य करके आय अर्जित करते हैं।

(7) प्रायः सभी देशों में पशुपालन को भी पारिवारिक आय के एक स्रोत के रूप में अपनाया जाता है। पशुओं से दूध, मांस, ऊन आदि प्राप्त होते हैं तथा उन्हें बेचकर आय की प्राप्ति होती है। कुछ पशुओं के बच्चे भी बेचे जाते हैं तथा आय प्राप्त की जाती है, जैसे कि ऊँची नस्ल के कुत्तों के बच्चे बेचना। मछली पालन तथा मधुमक्खी पालन भी आय के अच्छे स्रोत है।

(8) आय का एक उल्लेखनीय स्रोत ब्याज भी है। जमा धन पर किसी सरकारी अथवा गैर-सरकारी संस्था से प्राप्त होने वाला ब्याज भी पारिवारिक आय का एक स्रोत है।

(9) पारिवारिक आय का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत उपहार भी है। विभिन्न अवसरों (UPBoardSolutions.com) पर परिवार के सदस्यों को रिश्तेदारों या मित्रों आदि से प्राप्त होने वाले उपहार भी पारिवारिक आय का एक रूप ही माने जाते हैं।

(10) पारिवारिक आय के उपर्युक्त वर्णित मुख्य स्रोतों के अतिरिक्त कुछ अन्य स्रोत भी उपलब्ध हैं। वर्तमान समय में धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रवचन, गायन, नृत्य आदि के प्रदर्शन से भी काफी आय अर्जित की जाती है। कुछ व्यक्ति टी० वी० आदि पर होने वाली प्रतियोगिताओं से भी आय प्राप्त करते हैं। यही नहीं लाटरी के पुरस्कार आदि भी आय के स्रोत हैं। कुछ व्यक्ति तो भिक्षावृत्ति को ही पारिवारिक आय का प्रमुख स्रोत बना लेते हैं।

प्रश्न 2
पारिवारिक व्यय से आप क्या समझती हैं? पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाले मुख्य | कारकों का वर्णन कीजिए। [2010]
उत्तर:

पारिवारिक व्यय का अर्थ

पारिवारिक आय का उद्देश्य पारिवारिक व्यय को सम्भव बनाना होता है। व्यक्ति एवं परिवार की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो धन व्यय करना पड़ता है, उसी को पारिवारिक व्यय कहा जाता है। इस प्रकार, ‘एक निश्चित अवधि में अर्जित आय के उस भाग या अंश को पारिवारिक व्यय कहा जाता है जो परिवार की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय किया जाता है।” पारिवारिक आवश्यकताओं को मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभक्त किया जाता है-अनिवार्य आवश्यकताएँ, आरामदायक आवश्यकताएँ तथा विलासात्मक आवश्यकताएँ। इन तीनों प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति उनकी (UPBoardSolutions.com) प्राथमिकता के क्रम से ही की जाती है। पारिवारिक व्यय का नियोजन सदैव पारिवारिक आय को ध्यान में रखकर ही किया जाना चाहिए। एक दृष्टिकोण से पारिवारिक व्यय के चार प्रकार माने गए हैं–निश्चित व्यय, अर्द्ध-निश्चित व्यय, अन्य व्यय तथा आकस्मिक व्यय

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पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाले कारक 

जिस प्रकार प्रत्येक परिवार की आय भिन्न-भिन्न होती है, ठीक उसी प्रकार से प्रत्येक परिवार द्वारा किया जाने वाला व्यय भी भिन्न-भिन्न होता है। वास्तव में पारिवारिक व्यय को विभिन्न कारक निरन्तर रूप से प्रभावित करते हैं। पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक निम्नवर्णित हैं

(1) परिवार की कुल आय-पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला मुख्यतम कारक है-
परिवार की कुल आय। यदि सम्बन्धित परिवार की आय अधिक होगी तो निश्चित रूप से पारिवारिक व्यय भी अधिक होता है। इसके विपरीत, यदि परिवार की आय कम हो या घट जाए तो निश्चित रूप से परिवार द्वारा किया जाने वाला व्यय भी कम हो जाता है।

(2) परिवार के रहन-सहन का स्तर-पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला एक मुख्य कारक है-परिवार के रहन-सहन का स्तर। रहन-सहन के स्तर को उन्नत बनाने के लिए निश्चित रूप से अधिक व्यय करना पड़ता है। इसके विपरीत, यदि परिवार के रहन-सहन के स्तर को सामान्य या सामान्य से निम्न रखा जाए तो पारिवारिक व्यय काफी कम हो सकता है।

(3) परिवार का स्वरूप-पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला एक कारक परिवार का स्वरूप भी है। सामान्य रूप से माना जाता है कि संयुक्त परिवार में पारिवारिक व्यय की कुछ बचत होती है, जबकि एकाकी परिवार में व्यय की दर अधिक होती है।

(4) परिवार में बच्चों की संख्या–वर्तमान परिस्थितियों में बच्चों की शिक्षा एवं पालन-पोषण पर पर्याप्त व्यय करना पड़ता है। इस स्थिति में कहा जा सकता है कि यदि परिवार में बच्चों की संख्या अधिक हो तो निश्चित रूप से पारिवारिक व्यय अधिक होती है।

(5) रहने का स्थान—रहने के स्थान का भी पारिवारिक व्यय पर अनिवार्य रूप से प्रभाव पड़ता है। सामान्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को इस मद में अधिक व्यय करना पड़ता है। नगरीय क्षेत्रों में भी साधारण बस्तियों (UPBoardSolutions.com) की तुलना में उच्च श्रेणी की बस्तियों में रहने वाले परिवारों को कुछ अधिक व्यय करना पड़ता है।

(6) सामाजिक-धार्मिक परम्पराएँ-पारिवारिक व्यय को विभिन्न सामाजिक-धार्मिक परम्पराएँ भी प्रभावित करती हैं। इन परम्पराओं को अधिक महत्त्व प्रदान करने वाले परिवारों को कुछ अधिक व्यय करना पड़ता है। तरह-तरह के धार्मिक अनुष्ठान, दान-दक्षिणा तथा तीर्थयात्रा आदि को प्राथमिकता देने वाले परिवारों को अन्य परिवारों की तुलना में कुछ अधिक व्यय करना पड़ता है।

(7) पारिवारिक व्यवसाय-पारिवारिक व्यय को प्रभावित करने वाला एक उल्लेखनीय कारक पारिवारिक व्यवसाय भी है। कुछ व्यवसाय ऐसे होते हैं जिन्हें सुचारु रूप से चलाने के लिए कुछ अतिरिक्त व्यय करना पड़ता है। उदाहरण के लिए–वकालत, चिकित्सा, नक्शानवीसी तथा पुस्तकलेखन जैसे व्यवसायों को चलाने के लिए कुछ अतिरिक्त व्यय करना पड़ता है।

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(8) गृहिणी की कुशलता एवं दक्षता–गृहिणी की कुशलता तथा दक्षता भी पारिवारिक व्यय को प्रभावित करती है। यदि गृहिणी गृह-प्रबन्ध एवं आर्थिक नियोजन में कुशल हो तो बहुत-से पारिवारिक व्यय बच जाते हैं। इसके विपरीत यदि गृहिणी अकुशल तथा फूहड़ हो तो पारिवारिक व्यय निश्चित रूप से बढ़ जाता है।

प्रश्न 3.
पारिवारिक बचत से आप क्या समझती हैं? परिवार के लिए बचत का क्या महत्त्व है?
किन साधनों द्वारा बचत को सुरक्षित रखा जा सकता है? [07, 08, 11, 12, 17]
परिवार में बचत क्यों आवश्यक है? बचत विनियोजन की विधियाँ भी लिखिए। [2007, 12, 13, 14]
पारिवारिक बचत किसे कहते हैं?[07, 09, 13]
बचत से आप क्या समझती हैं? बचत के लाभ लिखिए। [2015 ]
बचत किसे कहते हैं? बचत का क्या महत्त्व है?2016
गृहिणी अपनी बचत को किस प्रकार सुरक्षित रख सकती है?[2016]
बचत से आप क्या समझती हैं? बचत सुरक्षित रखने के उपाय लिखिए। [2016]
उत्तर:

पारिवारिक बचत का अर्थ

पारिवारिक जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए परिवार के सदस्यों की अधिक-से-अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयास किए जाते हैं। सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ-नकुछ व्यय करना पड़ता है। इस प्रकार के व्यय के लिए (UPBoardSolutions.com) नियमित आय की आवश्यकता होती है। सुदृढ़ गृह-अर्थव्यवस्था तथा भावी जीवन की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि वर्तमान आय की तुलना में वर्तमान व्यय कम हो। इसीलिए प्रत्येक परिवार तथा विवेकशील गृहिणियाँ अपना पारिवारिक बजट इस प्रकार से बनाती हैं कि पारिवारिक आय से पारिवारिक व्यय कम हो।

व्यय कम होने की स्थिति में आय का जो अंश बचता है, उसे ही पारिवारिक बचत कहा जाता है। इस प्रकार पारिवारिक बचत के अर्थ को इन शब्दों में स्पष्ट किया जा सकता है-“पारिवारिक आय में से परिवार की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय करने के उपरान्त जो धनराशि शेष रह जाती है, वह पारिवारिक बचत कहलाती है।” यह बचत रूपी धनराशि भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक होती है। इस प्रकार से बचाये गये धन का लाभदायक ढंग से विनियोग किया जाना चाहिए, तभी उसे सही अर्थों में बचत माना जा सकता है। आय में से बचाया गया धन यदि विनियोग नहीं किया जाता है तो उसे बचत न कहकर ‘धन का संचय’ कहा जाता है। उत्तम गृह-अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत बचाये गये धन के उचित विनियोग को आवश्यक माना जाता है, न कि धन के संचय को।

बचत का महत्त्व एवं लाभ

बचत आय का वह भाग है जो भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय से बचाकर उत्पादक कार्यों में विनियोग किया जाता है। यह परिवार, समाज एवं राष्ट्र सभी के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। बचत के महत्त्व को निम्न प्रकार से वर्णित किया जा सकता है–

(1) पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति-बच्चों की शिक्षा एवं विवाह आदि अनेक पारिवारिक दायित्वों की समय आने पर पूर्ति बचत के द्वारा की जाती है।

(2) आकस्मिक संकटों का सामना-बचत द्वारा बीमारी, मृत्यु एवं दुर्घटना जैसे आकस्मिक संकटों के अवसर पर आर्थिक सहायता प्राप्त होती है। यदि किसी कारणवश पारिवारिक व्यय में एकाएक वृद्धि हो जाए तो उस स्थिति में पहले की गई बचत ही सहायक सिद्ध होती है।

(3) वृद्धावस्था में आत्मनिर्भरता-सेवाकाल में की गयी बचत सेवानिवृत्त होने पर आर्थिक आत्मनिर्भरता प्रदान करती है।

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(4) सामाजिक प्रतिष्ठा—समय से की गयी बचत एवं उसका विवेकपूर्ण नियोजन परिवार को आर्थिक सुदृढ़ता प्रदान करता है, जिसके फलस्वरूप गृह-निर्माण, बच्चों की उच्च शिक्षा, विवाह, व्यवसाय में वृद्धि एवं अनेक सामाजिक दृष्टि से आवश्यक कार्य किए जा (UPBoardSolutions.com) सकते हैं, जिनसे पारिवारिक प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है।

(5) आर्थिक दृष्टि से लाभदायक--बचत के विवेकपूर्ण नियोजन से आकर्षक ब्याज प्राप्त होता है। इससे पारिवारिक आय में वृद्धि होने के साथ-साथ व्यक्ति को आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता है।

(6) अनावश्यक पारिवारिक व्यय से बचने में सहायक–परिवार द्वारा यदि नियमित बचत करने का दृढ़ संकल्प कर लिया जाता है तो परिवार कुछ अनावश्यक व्ययों से बच जाता है। यहाँ यह
स्पष्ट कर देना प्रासंगिक है कि यदि व्यक्ति नियमित बचत को अनिवार्य नहीं मानता तो वह अपनी आय का कुछ भाग विलासात्मक एवं हानिकारक कार्यों पर व्यय करने लगता है। इससे व्यक्ति एवं परिवार का अहित ही होता है।

(7) अवकाश का समय अच्छे ढंग से व्यतीत करने में सहायक-व्यक्ति यदि नियमित रूप से बचत करता रहता है तो वह अपने अवकाश के समय को अच्छे ढंग से व्यतीत कर सकता है। इस स्थिति में वह अपनी रुचि एवं इच्छा के अनुसार कहीं भी घूमने-फिरने जा सकता है।

(8) आरामदायक एवं सुविधाजनक वस्तुओं की खरीद में सहायक-नियमित बचत करने वाला व्यक्ति टी०वी०, फ्रिज, कपड़े धोने की मशीन तथा स्कूटर या मोटर कार जैसी जीवन को आरामदायक एवं सुविधाजनक बनाने वाली वस्तुओं को सहज ही अर्जित कर सकता है।

(9) राष्ट्रीय योजना के संचालन में सहायक-राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन के लिए धन की निरन्तर आवश्यकता होती है। देश के परिवारों द्वारा की गयी बचत का जो विनियोग किया जाता है, उससे सरकार को पर्याप्त धन प्राप्त हो जाता है तथा यह धन राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन में सहायक होता है।

(10) मुद्रास्फीति के नियन्त्रण में सहायक-पारिवारिक बचत की प्रवृत्ति विकसित हो जाने की स्थिति में मुद्रास्फीति की दर को नियन्त्रित करना सम्भव होता है। इससे देश समृद्ध बनता है।

बचत के विनियोग के साधन

पारिवारिक बचत के विनियोग में निम्नलिखित दो बातो को ध्यान में रखना आवश्यक है-

  1. जिस संस्था में निवेश किया जा रहा है, उसकी विश्वसनीयता।
  2. विभिन्न संस्थानों में ब्याज की तुलनात्मक दर।

उपर्युक्त दोनों बातों को ध्यान में रखते हुए बचत का विनियोग उस संस्थान (UPBoardSolutions.com) में करना चाहिए जो विश्वसनीय हो तथा जिसमें ब्याज की दर तुलनात्मक दृष्टि से भी अधिक हो।
बचत के विनियोग के निम्नलिखित मुख्य साधन हैं

  1. बैंक,
  2.  डाकखाना,
  3.  विभिन्न बीमा योजनाएँ.
  4.  भविष्य निधि योजना,
  5.  सार्वजनिक भविष्य निधि योजना,
  6. भारतीय यूनिट ट्रस्ट,
  7.  सहकारी ऋण समितियाँ,
  8.  राष्ट्रीय बचत-पत्र योजना।

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प्रश्न 4.
पारिवारिक आय में वृद्धि के उपाय बताइए। या यह बताइए कि पारिवारिक आय का विवेकपूर्ण व्यय क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
पारिवारिक आय में वृद्धि के उपाय

आज के भौतिक युग में यदि आवश्यकताएँ अनेक हैं तो व्यय असीमित। परिणामस्वरूप सामाजिक स्तर के अनुसार जीवन-यापन के लिए प्रायः पति-पत्नी दोनों को धन अर्जित करने के लिए कार्य करने पड़ते हैं। यह सब होने के पश्चात् भी आर्थिक कठिनाइयाँ उत्पन्न होती ही रहती हैं। अतः इनके निराकरण के लिए आय में वृद्धि के उपाय अपनाने आवश्यक हो जाते हैं। कुछ ऐसे उपयोगी उपाय निम्नलिखित हैं

(1) परस्पर प्रेम एवं सहयोग-परिवार में परस्पर प्रेम और सहयोग का वातावरण होना चाहिए। परिवार के सभी योग्य सदस्यों को साहचर्य भाव से धन अर्जित करने के प्रयास करने चाहिए।

(2) घरेलू उद्योग-धन्धे अपनाना–सिलाई-कढ़ाई, सौन्दर्य प्रसाधन केन्द्र, (UPBoardSolutions.com) बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना, कचरी-पापड़ आदि बनाना कुछ ऐसे कार्य हैं जिनसे पारिवारिक आय में सहज ही वृद्धि की जा सकती है।

(3) मितव्ययिता के आवश्यक तत्त्वों का ज्ञान-फिजूलखर्ची एवं धन का अविवेकपूर्ण व्यय परिवार के लिए सदैव घातक सिद्ध होते हैं। धन के विवेकपूर्ण उपयोग से आय-व्यय में सन्तुलन बना रहता है। मितव्ययिता के सिद्धान्तों का पालन करने से कम धन का व्यय करके अधिकतम आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाना सम्भव हो पाता है।

आय, व्यय और बचत 25 पारिवारिक आय का विवेकपूर्ण व्यय

मितव्ययिता सफलता की कुंजी है। जिस परिवार के सदस्य परिवार की आय का विवेकपूर्ण व्यय नहीं करते, वह परिवार कभी भी अधिकतम सन्तोष प्राप्त नहीं कर सकता। वास्तव में, फिजूलखर्ची जोवन को नष्ट कर देती हैं। अत: परिवार के प्रत्येक सदस्य को धन का महत्त्व समझना चाहिए और वर्तमान महँगाई के युग में परिवार की आय में से अधिक-से-अधिक बचत करने का प्रयास करना चाहिए। आज की बचत कल के सुख का आधार बनती है, परन्तु बचत करना आय के विवेकपूर्ण व्यय पर भी निर्भर करता है। पानी की एक-एक बूंद से समुद्र तैयार होता है। अत: प्रत्येक व्यय में से यदि गृहिणी कुछ भी अपने विवेक से बचा सकने में सफल हो जाती है तो वह पर्याप्त बचत कर सकती है, जो परिवार के सुखदायी भविष्य का निर्माण करती है।

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प्रश्न 5.
डाकघर में बचत विनियोग के कौन-से साधन उपलब्ध हैं? वर्णन कीजिए।
डाकघर की विभिन्न योजनाएँ कौन-कौन सी हैं? किन्हीं दो योजनाओं के विषय में विस्तार से लिखिए। [2007, 12 ]
या ।
डाकघर में आप किन-किन योजनाओं द्वारा बचत को सुरक्षित रख सकती हैं? विस्तारपूर्वक समझाइए।[2008, 10, 13, 14, 15]
उत्तर:
पारिवारिक बचत के विनियोग का एक उत्तम साधन डाकघर है। डाकघर केन्द्रीय सरकार द्वारा परिचालित आर्थिक संस्थान है। डाकघर पारिवारिक बचत के विनियोग का एक सुरक्षित एवं लाभदायक साधन है। डाकघर में पारिवारिक बचत को जमा करवाना एवं निकलवाना भी सरल होता है। डाकघर द्वारा चलाई जाने वाली कुछ महत्त्वपूर्ण जमा योजनाओं का संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है|

(1) डाकघर बचत बैंक-इसमें न्यूनतम पाँच रुपये से कोई भी वयस्क व्यक्ति एकल रूप में, संयुक्त रूप से अथवा अवयस्क के नाम से डाकघर बचत खाता खोल सकता है। इसमें जमा धनराशि पर 4% वार्षिक ब्याज मिलता है। खाता चालक को एक लेखा-पुस्तिका अथवा पास-बुक मिलती है जिसमें धनराशि जमा करने व निकालने तथा दिए गए ब्याज आदि का विवरण होता है। ब्याज की दर समय-समय पर बदलती रहती है।

(2) डाकघर सावधि जमा खाता-डाकघर की इस योजना में निर्धारित अवधि के लिए कोई भी धनराशि जमा की जा सकती है। जमा करने की न्यूनतम राशि 50 है परन्तु अधिकतम कोई सीमा नहीं है। इस योजना के अन्तर्गत तिमाही चक्रवृद्धि आधार पर (UPBoardSolutions.com) वार्षिक ब्याज दिया जाता है। ब्याज की दर 1 वर्ष के लिए 6.25%, 2 वर्ष के लिए 6.50%, 3 वर्ष के लिए 7.25% तथा 5 वर्ष के लिए 7.50% है। इस योजना के अन्तर्गत आवश्यकता पड़ने पर निर्धारित अवधि से पहले भी खाता बन्द करके अपना धन वापस लिया जा सकता है।

(3) 5 वर्षीय डाकघर आवर्ती जमा खाता- 10 प्रति माह या 5 के गुणकों में यह खाता खोला जा सकता है। अधिकतम राशि की कोई सीमा नहीं है। इस योजना के अन्तर्गत यदि के 10 प्रति माह पाँच वर्ष तक जमा किए जाते हैं तो परिपक्वता उपरान्त ! 728.90 मिल जाते हैं।

(4) किसान विकास-पत्र-इस बचत योजना में 9 वर्ष 5 माह में धन दुगुना मिलता है। किसान विकास-पत्र र 500/-, र 1000/-, र 5000/- र 10000/- के अंकित मूल्य-वर्ग में सभी डाकघरों में मिलते हैं। अधिकतम की कोई सीमा नहीं है तथा आयकर में भी कोई छूट नहीं है।

(5) डाकघर मासिक आय योजना-डाकघर की इस योजना के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति एकल अथवा संयुक्त रूप से खाता खोल सकता है। इस खाते में न्यूनतम र 1000/- तथा अधिकतम एकल नाम में साढ़े चार लाख रुपये तथा संयुक्त खाते में र 9 लाख तक जमा कर सकता है। यह छः वर्षीय योजना है। इस योजना की ब्याज दर 8% है। यदि इस खाते में हैं 12000/- रुपये जमा कर दिए जाएँ तो र 80 प्रति माह ब्याज मिलता है। पूरे छ: वर्ष खाता रखने की दशा में 5% बोनस भी मिलता है।

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(6) वरिष्ठ नागरिक जमा योजना-यह योजना समाज के वरिष्ठ श्रेणी के नागरिकों के लिए प्रारम्भ की गई है। इस योजना के अन्तर्गत कोई भी 60 वर्ष से अधिक आयु वाला व्यक्ति के 15 लाख तक जमा कर सकता है। इस योजना में 8.4% की दर से ब्याज दिया जाता है। ब्याज का भुगतान तिमाही रूप से किया जाता है।

प्रश्न 6
डाकघर में बचत खाता कैसे खोला जा सकता है? रुपया जमा करने और निकालने की प्रक्रिया का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डाकघर में बचत खाता खोलना

डाकघर में बचत खाता नगर में अथवा गाँव में, प्रधान डाकघर अथवा उप-डाकघरों में कहीं भी खोला जा सकता है।

  1. डाकघर से एक छपा हुआ फार्म लेकर सर्वप्रथम उसे भरना होता है। इसके बाद न्यूनतम र 20 या इससे अधिक धनराशि फार्म में भरकर सम्बन्धित डाकघर कर्मचारी को देनी होती है। कर्मचारी तत्काल इसकी रसीद दे देता है। कुछ घण्टे पश्चात् अथवा अगले दिन खाता खोलने वाले को लेखा-पुस्तिका अथवा पास-बुक भी मिल जाती है। इसमें खाता खोलने वाले का नाम, पता, खाता संख्या तथा जमा धनराशि अंकित होती है।
  2. डाकघर में व्यक्तिगत, संयुक्त अथवा अल्पवयस्क का खाता (UPBoardSolutions.com) भी खोला जा सकता है।
  3.  खाताधारक को अपने हस्ताक्षर का नमूना भी देना होता है। अशिक्षित खाताधारी अँगूठे का चिह्न अथवा अपना प्रमाणित फोटो खाता खोलते समय डाकघर में दे सकते हैं।
  4. इस खाते में जमा धनराशि पर निर्धारित दर से वार्षिक ब्याज मिलता है जो वर्ष में केवल एक ही बार दिया जाता है।

बचत खाते में रुपया जमा करना डाकघर में रुपया जमा करने के निर्धारित फार्म में जमा की जाने वाली धनराशि भरकर अन्य सूचनाएँ अंकित करके जमाकर्ता को हस्ताक्षर करने के बाद इसे डाकघर बचत बैंक के कर्मचारी को देना होता है। फार्म के साथ अपनी बचत लेखा-पुस्तिका अर्थात् पास-बुक भी देनी पड़ती है। अशिक्षित खाताधारक फार्म भरने में कर्मचारी से सहायता प्राप्त कर सकता है। कुछ समय पश्चात् पास-बुक वापस मिल जाती है। इस पर जमा की गई धनराशि, सम्बन्धित अधिकारी के हस्ताक्षर तथा दिनांक युक्त डाकघर की मोहर अंकित होती है। पास-बुक में ब्याज चढ़वाने के लिए फार्म भरने की आवश्यकता नहीं होती तथा बचत बैंक कर्मचारी को पास-बुक देने पर वह इसमें देय ब्याज अंकित कर देता है।

बचत खाते से रुपया निकालना

डाकघर में रुपया निकालने का छपा हुआ फार्म नि:शुल्क मिलता है। खाताधारक को इसमें माँगी गई सूचनाओं सहित धनराशि भरकर डाकघर में खाता खोलते समय किए गए अपने हस्ताक्षर करने होते हैं। कर्मचारी हस्ताक्षर का मिलान करके धनराशि का भुगतान कर देता है। हस्ताक्षर न मिलने की दशा में खाताधारक को अपने हस्ताक्षर प्रमाणित कराने पड़ते हैं। बचत बैंक कर्मचारी पास-बुक से निकाली गई धनराशि तथा शेष धनराशि को दिनांक सहित अंकित कर हस्ताक्षर करता है तथा इसे खाताधारक को वापस लौटा देता है। अशिक्षित खाताधारक फार्म भरते समय कर्मचारी की सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इन्हें हस्ताक्षर के स्थान पर अँगूठे का चिह्न लगाना होता है अथवा प्रमाणित फोटो प्रस्तुत करना होता है। डाकघर के बचत बैंक से रुपया सप्ताह में एक ही बार निकाला जा सकता है।

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प्रश्न 7.
बैंकों में खोले जाने वाले विभिन्न बचत खातों का वर्णन करते हुए बैंक में धनराशि को जमा करने के लाभों का वर्णन कीजिए। बैंक में बचत विनियोग के कौन-से साधन उपलब्ध हैं? या बैंक में कितने प्रकार के खाते खोले जा सकते हैं?[2013]
बैंक की उपयोगिता लिखिए।[2013, 14, 16, 17]
बैंक में खोले जाने वाले किन्हीं चार खातों के नाम बताइए।[2016]
उत्तर:
बैंक देश की मुख्य वित्तीय एवं व्यावसायिक संस्थाएँ हैं जो धन के लेन-देन का कार्य उच्च स्तर पर करती हैं। ये संस्थाएँ सुसंगठित होती हैं और इनका सारे देश में एक जाल-सा बिछा हुआ है। अधिकांश बैंक राष्ट्रीयकृत हैं। इनमें जमा धनराशि पर ब्याज की प्राप्ति होती है। बैंकों द्वारा चेक, ड्राफ्ट आदि के द्वारा भुगतान की सुविधा प्रदान की जाती है। बैंकों से विभिन्न प्रकार के ऋण भी प्राप्त किए । जा सकते हैं।
आय, व्यय और बचत 27 बैंकों में बचत विनियोग के साधन (प्रकार) बैंकों में निम्नलिखित प्रकार के लाभकारी बचत खाते खोले जा सकते हैं

(1) बचत खाता-यह किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा में खोला जा सकता है। इसके लिए न्यूनतम धनराशि अवयस्कों के लिए रे 100/- तथा वयस्कों के लिए र 1000/- होती है तथा अधिकतम धनराशि की कोई सीमा नहीं है। इस खाते में इच्छानुसार रुपया (UPBoardSolutions.com) जमा कराया जा सकता है, परन्तु वर्ष में 150 बार से अधिक रुपया नहीं निकाला जा सकता। खाताधारक को एक लेखा-पुस्तिका अथवा पास-बुक मिलती है जिसमें खाताधारक का नाम, पता व खाता संख्या अंकित होते हैं। रुपया जमा करने व निकालने का विवरण भी लेखा-पुस्तिका में अंकित किया जाता है। बैंक से रुपया निकासी फाई अथवा चेक के द्वारा निकाला जा सकता है। बैंक से चेक-बुक लेने के पश्चात् वाताधारक को अपने खाते में कम-से-कम 1000/- की धनराशि छोड़नी होती है। बचत खाते में जमा धनराशि पर 4% की दर से वार्षिक ब्याज मिलता है। ब्याज की दर समय-समय पर ‘रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया’ के निर्देशानुसार बदलती रहती है। घरेलू लघु बचत के लिए यह खाता उत्तरा 37 जाता है। इसे खाते में जमा धन सुरक्षित र है तथा उश्यकता पड़ने पर तुरन्त निकाला भी जा सकता है।

(2) चालू खाता-इसमें खाताधारक कभी भी रुपया जमा कर सकता है एवं निकाल सकता है। खाताधारक केवल चेक के प्रयोग द्वारा ही रुपया निकाल सकता है। इस खाते में जमा धनराशि पर कोई ब्याज नहीं मिलता, बल्कि खाताधारक को बैंक को सेवा शुल्क अदा करना पड़ता है। सामान्य रूप से व्यापारी वर्ग ही इस प्रकार का खाता खोलता है तथा इस खाते के माध्यम से ही व्यापारिक लेन-देन करता है। घरेलू बचतों के लिए चालू खाता उपयुक्त नहीं माना जाता।

(3) घरेलू जमा खाता-यह खाता निम्न एवं मध्यम वर्ग के लिए अत्यन्त लाभकारी है। यह बच्चों तथा गृहिणी में बचत करने की भावना को प्रोत्साहित करता है। इसमें बैंक की ओर से ताला लगी एक गुल्लक दी जाती है जिसमें छोटी-छोटी बचत राशि डाली जाती है। प्रतिमाह यह राशि पास–बुक में जमा हो जाती है।

(4) सावधि जमा खाता-इस खाते में एक निश्चित धनराशि एक निश्चित अवधि के लिए जमा की जाती है। जमा की जाने वाली धनराशि पर निर्धारित दर से ब्याज दिया जाता हैं। वर्तमान अधिकतम दर 8% है।

(5) आवर्ती जमा खाता- र 5/- या इसके गुणक में एक निश्चित अवधि के लिए यह खाता खोला जाता है। इसमें प्रतिमाह निश्चित की गई धनराशि नियमित रूप से जमा करानी होती है। अवधि पूर्ण होने पर रुपया ब्याज सहित मिल जाता है। अवधि 12 माह से 120 माह तक है।

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बैंक में रुपया जमा करने के लाभ (उपयोगिता)। बैंक में परिवार की बचत को जमा करने के कई लाभ हैं। ये लाभ निम्नलिखित हैं

(1) धनराशि पर ब्याज की प्राप्ति-बैंक में जमा धनराशि न केवल अत्यन्त सुरक्षित होती है वरन् उस पर उचित दर से ब्याज की प्राप्ति भी होती रहती है। इस प्रकार बचत, मूलधन वृद्धि के साथ प्राप्त होती है।
(2) धनराशि की सुरक्षा–यदि परिवार द्वारा बचाई गई धनराशि को बैंक में जमा करवा दिया। जाता है तो धनराशि सुरक्षित हो जाती है। वास्तव में बैंकों में जमा धनराशि अत्यन्त सुरक्षित मानी जाती है। बैंक बचत के विनियोग का सबसे अधिक विश्वसनीय माध्यम है। (UPBoardSolutions.com) इनमें जमा धनराशि के डूबने की सम्भावना तो होती ही नहीं है, बल्कि यह असामाजिक तत्त्वों; जैसे-चोर-डाकुओं आदि; से भी सुरक्षित रहती है।
(3) धन निकालने की सुविधा बैंक में जमा धनराशि अपनी सुविधा के अनुसार वापस निकाली जा सकती है। धनराशि को निकालने में किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है। अब तो ए०टी०एम० की सुविधा ने धन की निकासी को और अधिक सरल एवं सुविधाजनक बना दिया है।

प्रश्न 8
आय-व्यय क्या है ? आय-व्यय में सन्तुलन रखने के लिए क्या सावधानियाँ रखनी | चाहिए? [2009]
उत्तर:
पारिवारिक आय एवं व्यय

गृह अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक महत्त्व पारिवारिक आय का होता है। पारिवारिक आय से आशय उस धनराशि से है, जो किसी परिवार द्वारा एक निश्चित अवधि में अर्जित की जाती है। आय अर्जित करने के लिए कुछ-न-कुछ आर्थिक प्रयास करने पड़ते हैं। व्यापक अर्थ में पारिवारिक आय में आर्थिक प्रयासों के बदले में मिलने वाली धनराशि के अतिरिक्त उन सुविधाओं को भी सम्मिलित किया जाता है, जो इन प्रयासों के बदले में उपलब्ध होती हैं।

प्रो० ग्रास तथा प्रो० केण्डल ने पारिवारिक आय की परिभाषा इन शब्दों में प्रतिपादित की है, ‘पारिवारिक आय मुद्रा, वस्तुओं, सेवाओं तथा सन्तोष का वह प्रवाह है जो परिवार के अधिकार में उसकी आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूर्ण करने तथा उत्तरदायित्वों के निर्वाह हेतु आता है। पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जिस धन को व्यय किया जाता है उसे ही पारिवारिक व्यय कहा जाता है। सामान्य रूप से, परिवार के लिए मासिक अथवा वार्षिक अवधि में होने वाले व्यय को ही पारिवारिक व्यय के रूप में स्वीकार किया जाता है। व्यय वास्तव में आवश्यकताओं की पूर्ति का एक साधन है।

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पारिवारिक व्यय को हम इन शब्दों में परिभाषित कर सकते हैं-‘किसी निश्चित अवधि में सम्बन्धित परिवार द्वारा अर्जित आय के उस अंश को पारिवारिक व्यय माना जा सकता है, जो परिवार के सदस्यों की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय हुआ है।”

आय-व्यय में सन्तुलन बनाने के लिए सावधानियाँ

(1) विवेकपूर्ण व्यय-जो व्यक्ति प्रत्येक आवश्यकता के महत्त्व को समझकर उसी के अनुरूप अपने विवेक से धन का व्यय निश्चित करता है वही आय का पूर्ण और उचित लाभ उठाता है।

(2) दैनिक व्यय के आधार पर बजट में संशोधन–बजट के अनुसार व्यय के लिए दैनिक हिसाब रखना आवश्यक है। यदि किसी महीने में किसी कारणवश महीना पूरा होने से पहले ही धन समाप्त होने लगता है तब हम बजट के आधार पर यह देख सकते हैं कि (UPBoardSolutions.com) हमारा धन कौन-सी आवश्यकता पर अधिक व्यय हुआ है, जिससे उस मास के व्यय में धन की कमी पड़ रही है। इससे सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि अगले महीने के बजट में उचित सुधार किया जा सकता है।

(3) बजट से अधिक व्यय हो जाने पर समायोजन—कुछ उत्सवों; जैसे-दीपावली, दशहरा तथा जन्मदिन; पर अधिक धन खर्च हो जाता है, तब बजट के अनुसार हम अगले महीने में खर्च हुए धन के व्यय में उचित समायोजन कर सकते हैं।

(4) बचत करना–गृहिणी को शुरू से ही आवश्यक बचत करते रहने की आदत डालनी चाहिए तथा ऋण लेने की बात कभी नहीं सोचनी चाहिए। भविष्य की आकस्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए धन की बचत करना गृहिणी का प्रमुख कर्तव्य है। यदि वह बचत करने की अपेक्षा हर महीने होने वाली आमदनी का सारा पैसा खर्च करती रहती है तो भविष्य में जरूरत पड़ने पर एक भयंकर समस्या सामने आती है तथा इस समय उसे दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ेगा और जिसे वह काफी समय तक चुकता करने में असमर्थ रहेगी।

(5) नियन्त्रित व्यय–बजट बनाने से मनुष्य अपनी सीमित आय से सभी आवश्यकताओं की पूर्ति मितव्ययिता के साथ करता है तथा अनावश्यक व्यय से बच जाता है। बजट बनाकर व्यय करने से व्यक्ति अपनी आय के अन्दर व्यय करने का अभ्यस्त हो जाती है।

(6) वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं के बीच उचित वितरण-अपनी सीमित आय के अन्दर व्यक्ति वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ भविष्य में आने वाली आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति भी चाहता है; जैसे—दुर्घटना, बीमारी, शादी आदि। इनके लिए भी धन की बचत की आवश्यकता होती है। जीवन बीमा आदि कराना भी इसी मनोवृत्ति का परिणाम है।

(7) आवश्यकता के आधार पर बजट में व्यय के प्रावधान में अन्तर करना—बजट के अन्तर्गत आने वाली आवश्यकताओं के महत्त्व को जानकर यह निश्चित किया जाता है कि किस आवश्यकता को पहले पूरा किया जाए तथा किसे बाद में। यदि किसी अनिवार्य आवश्यकता की पूर्ति में धन की कमी पड़ रही है, तब गृहिणी को मनोरंजन एवं विलासिता सम्बन्धी आवश्यकताओं के व्यय में कमी करनी पड़ती है, इस विधि को सम-सीमान्त उपयोगिता का नियम कहते हैं।

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(8) पारिवारिक आय-व्यय का अनुमान-पत्र बनाने की आवश्यकता–बजट के अभाव में गृहस्थी का खर्च चलाना बहुत मुश्किल पड़ता है। इसलिए घर की आय-व्यय का अनुमान-पत्र बनाना बहुत ही जरूरी है। अनुमान-पत्र द्वारा हमें पहले से ही व्यय होने वाली मदों का पता चल जाता है, क्योंकि आय तो सीमित होती है और आवश्यकताएँ दिन-पर-दिन बढ़ती जाती हैं। कोई भी वस्तु घर में नहीं आती और सारा धन व्यय होता मालूम पड़ता है, इसलिए एक कुशल गृहिणी के लिए बजट बनाना बहुत आवश्यक हो गया है, जिसके अच्छे परिणाम ही सामने आते हैं। पारिवारिक आवश्यकताओं की अधिक-से-अधिक पूर्ति करने के लिए आय-व्यय का सबसे अच्छा साधन बजट है। अत; बजट बनाकर ही एक कुशल गृहिणी अपने घर को सुचारु रूप से चला सकती है। इसके द्वारा ही वह घर में सुख व शान्ति को बनाए रख सकती है।

प्रश्न 9.
बीमा कराने से क्या लाभ हैं? भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा संचालित कुछ महत्त्वपूर्ण योजनाओं का संक्षिप्त विवरण दीजिए। [2007 ]
या
विभिन्न जीवन बीमा योजनाओं का वर्णन कीजिए।
या
बीमा कराने के लाभ लिखिए। [2007, 2, 3, 14, 17, 18 ]
उत्तर:
बीमा कराने से लाभ

भारतीय जीवन बीमा निगम ने अनेक जनहितकारी योजनाएँ प्रस्तुत की हैं। इनसे होने वाले प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं|

  1. इससे अनिवार्य रूप से बचत हो जाती हैं।
  2. बीमाधारक के आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा प्राप्त होती है तथा बीमे की अवधि समाप्त होने पर जीवित रहने की स्थिति में बीमाधारक को डिविडेण्ड के लाभ सहित बीमाकृत राशि वापस मिल जाती है। इसके अतिरिक्त बीमाधारक की असमय मृत्यु हो जाने की दशा में बीमा राशि उसके परिजनों को प्राप्त हो जाती है।
  3.  आवश्यकता पड़ने पर बीमा कम्पनी से कम ब्याज पर ऋण प्राप्त किया जा सकता है।
  4. बीमे के प्रीमियमों के भुगतान की धनराशि पर आयकर में छूट भी मिलती है।

प्रमुख बीमा योजनाएँ

(1) बन्दोबस्ती बीमा पॉलिसी-इसमें एक निर्धारित अवधि के लिए प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। अवधि पूरी होने पर बीमे का पूरा धन बोनस के साथ बीमाधारक को मिल जाता है। आकस्मिक मृत्यु होने पर नामांकिती (Nominee) को बीमे का पूरा धन मिल जाता है। यह पॉलिसी बच्चों की उच्च शिक्षा एवं विवाह आदि महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए अत्यन्त लाभप्रद है।

(2) जीवन बीमा योजना-यह एक लम्बी अवधि की योजना है जिसमें प्राप्त होने वाली धनराशि अधिक एवं प्रीमियम की धनराशि कम होती है। योजना के मध्य में मृत्यु होने पर बीमे की सम्पूर्ण धनराशि नामांकिती को मिलती है।

(3) निश्चित अवधि शिक्षा वृत्ति योजना-इस योजना वाले बीमाधारक व्यक्ति की मृत्यु यदि बीमा अवधि के मध्य में हो जाती है तो शेष प्रीमियम की धनराशि का भुगतान नहीं करना पड़ता तथा अवधि पूर्ण होने पर बीमाकृत धनराशि वार्षिक अथवा अर्द्धवार्षिक वृत्ति के रूप में नामांकिती को 6 वर्षों तक मिलती रहती है।

(4) जीवन मित्र योजना-इस योजना के अन्तर्गत बीमा कराने वाला व्यक्ति 18 से 50 आयु-वर्ग का होना चाहिए तथा बीमा पूर्ण होने की अवधि पर बीमाधारक की अधिकतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए। बीमे की अवधि 15, 20 अथवा 25 वर्ष होती है। इसमें दुर्घटना में मृत्यु होने पर नामांकिती को बीमे की धनराशि की तीन गुना धनराशि तथा प्राकृतिक मृत्यु होने पर दोगुना राष्ट्रि मिलती है।

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(5) जीवनधारा–इस योजना की प्रमुख विशेषताएँ र 30000 के वार्षिक प्रीमियम पर आयकर में 100% छूट तथा अवधि पूर्ण होने पर बीमाधारक को आयुपर्यन्त मासिक वृत्ति का मिलना है।
जीवन बीमा की समय-समय पर अन्य अनेक योजनाएँ भी प्रस्तुत की जाती हैं, जिनकी शर्ते एवं लाभ भी अलग-अलग होते हैं। कोई भी व्यक्ति अपनी आयु, परिस्थितियों तथा भुगतान की क्षमता को ध्यान में रखकर उपयुक्त योजना को अपना सकता है।

प्रश्न 10.
गृह-व्यय में मितव्ययिता के लिए किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है? [2016, 17]
उत्तर:
गृह-व्यय में मितव्ययिता के लिए सुझाव

सुचारु गृह-अर्थव्यवस्था तथा पारिवारिक बजट की सफलता के लिए सर्वाधिक आवश्यक है-गृह-व्यय में मितव्ययिता को अपनाना। मितव्ययिता कंजूसी नहीं है, यह अपव्यय से बचने का एक उपाय है। मितव्ययिता में परिवार की आवश्यकताओं की अवहेलना नहीं की जाती, वरन् उन्हें सूझ-बूझ द्वारा रूपान्तरित किया जाता है। मितव्ययिता के लिए वस्तुओं की कीमतों की पूर्ण जानकारी, कीमतों की तुलना, विभिन्न वस्तुओं के गुण-दोष की जानकारी तथा उनके कम कीमत में उपलब्ध होने वाले स्थान की जानकारी आवश्यक होती है। मितव्ययिता के लिए निम्नलिखित बातों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए ।

(1) आवश्यकतानुसार खरीद-खरीद आवश्यकतानुसार ही करनी चाहिए। कुछ गृहिणियाँ प्रत्येक वस्तु को थोक में खरीदती हैं। यह आदत जहाँ कुछ बचत करती है, वहीं वस्तु के प्रयोग में लापरवाही होने के कारण उससे हानि भी होती है।

(2) नकद भुगतान-मितव्ययिता की धारणा के अनुसार समस्त घरेलू वस्तुएँ यथासम्भव नकद भुगतान द्वारा ही खरीदनी चाहिए। आजकल बहुत-सी वस्तुएँ किस्तों पर भी मिलने लगी हैं। इन वस्तुओं को किस्तों पर लेने पर ब्याज भी चुकाना पड़ता है। उधार अथवा किस्तों पर सामान लेने की आदत विकसित हो जाने पर अनावश्यक वस्तुएँ भी खरीद ली जाती हैं जिससे पारिवारिक बजट बिगड़ जाता है।

(3) सही स्थान से खरीदारी–घर का प्रत्येक सामान, चाहे वह खाने का हो या पहनने का, सदैव विश्वसनीय दुकान से ही खरीदना चाहिए। इससे उचित कीमत पर अच्छा सामान मिलेगा।

(4) गुणों की पहचान-गृहिणी को अच्छी, शुद्ध एवं ताजी वस्तुओं की पहचान होनी चाहिए। उसे सस्ते व पौष्टिक गुणों वाले खाद्य पदार्थों का ही प्रयोग करना चाहिए।

(5) कुछ वस्तुएँ थोक में खरीदना-कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं, जिनकी वर्ष भर आवश्यकता बनी रती है; उदाहरण के लिए-गेहूँ एवं चावल। इस प्रकार की वस्तुओं को फसल की कटाई के अवसर पर आवश्यकतानुसार खरीद लेना चाहिए। इस अवसर पर ये सस्ती मिल जाती हैं तथा इससे मितव्ययिता में योगदान प्राप्त होता है।

(6) संरक्षण विधि का ज्ञान-यदि गृहिणी को खाद्य-सामग्री के संरक्षण का ज्ञान है तो वह घर पर ही अचार, मुरब्बे, टमाटर की चटनी आदि तैयार कर सकती है। मितव्ययिता के दृष्टिकोण से इन वस्तुओं को घर पर ही तैयार कर लेना चाहिए।

(7) गृह-कार्यों के लिए कम-से-कम सेवक रखना–घर के आवश्यक कार्यः जैसे-खाना बनाना, कपड़े धोना, घर की सफाई आदि; गृहिणी को स्वयं ही करने चाहिए। इससे धन की काफी बचत हो जाती है। यह तथ्य कामकाजी महिलाओं पर लागू नहीं होता।

(8) बालकों को स्वयं पढ़ाना-बालकों को स्वयं पढ़ाना भी गृहिणी के लिए अति आवश्यक है। इससे रुपये की बचत के साथ-साथ बालकों को स्वयं पढ़ने की आदत डाली जा सकेगी।

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(9) घर की वस्तुओं की देखभाल तथा मरम्मत करना–मितव्ययिता के लिए आवश्यक है। कि समस्त घरेलू वस्तुओं एवं उपकरणों की अच्छी तरह से देखभाल की जाए तथा इनके उत्तम रख-रखाव और मरम्मत की उचित व्यवस्था की जाए। इससे इनके अपव्यय से भी बचा जा सकता है।

(10) जरूरी वस्तुओं का सावधानीपूर्वक प्रयोग–पानी, ईंधन व प्रकाश (बिजली) जैसी जरूरी वस्तुओं का सावधानीपूर्वक प्रयोग करना चाहिए। आवश्यकता न होने पर इनका खर्च रोक देना चाहिए। [

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
‘बचत तथा ‘धन के संचय’ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्य रूप से कुछ लोग बचत तथा धन के संचय के मध्य अन्तर नहीं समझते। यदि धन को भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में व्यय न करके घर पर ही एकत्र करके रख लिया जाता है तो उसे धन का संचय कहा जाता है। यदि बचाए गए धन का समुचित विनियोग किया जाए तो उसे बचत कहा जाता है। उचित विनियोग द्वारा बचाए गए धन में निरन्तर वृद्धि होती है, जब कि संचित धन का क्रमशः मूल्य घटता जाता है तथा साथ ही चोरी आदि की चिन्ता भी बनी रहती है। अतः पारिवारिक बचत का समुचित विनियोग किया जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
चेक भरते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? [2016]
उत्तर:
चेक भरते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए

1. दिनांक-चेक पर दिनांक लिखना अत्यावश्यक है। साधारणत: जिस दिन चेक लिखा जाता है, वही दिनांक चेक पर लिखी जाती है। कभी-कभी चेक पर आगे की दिनांक डाल दी जाती है। ऐसा प्रायः उस दशा में किया जाता है, जब लेखक भविष्य में किसी निश्चित दिनांक को ही रुपया अदा करना चाहता है। इस दशा में जब तक वह दिनांक नहीं आती है, तब तक चेक का भुगतान प्राप्त नहीं किया जा सकता। इस प्रकार के चेक को ‘आगामी दिनांक का चेक’ (Post-dated Cheque) कहते हैं। कभी-कभी कुछ चेकों पर पिछली (पूर्व की) दिनांक भी डाल दी जाती है। इस प्रकार के चेक को ‘पिछली दिनांक का चेक’ (Ante-dated Cheque) (UPBoardSolutions.com) कहते हैं। संक्षेप में किसी भी चेक का रुपया चेक पर अंकित दिनांक से 3 माह के अन्दर लिया जा सकता है। इस नियत अवधि से अधिक दिन हो जाने पर बैंक चेक का भुगतान नहीं करता। 3 माह से अधिक पुराना चेक ‘बासी चेक’ (Stale Cheque) कहलाता है।

2. पाने वाले का नाम-चेक में प्राप्तकर्ता का नाम स्पष्ट रूप से लिखना चाहिए। प्राप्तकर्ता का नाम लिखते समय आदरसूचक शब्द एवं डिग्री; जैसे-श्री, श्रीमान, पण्डित, श्रीयुत्, डॉक्टर, प्रोफेसर, इंजीनियर आदि नहीं लिखा जाता। यदि चेक का लेखक स्वयं रुपया निकालना चाहता है तो उसे नाम के स्थान पर ‘स्वयं’ (Self) शब्द लिख देना चाहिए। ऐसे चेक का भुगतान लेखक को या उसके आदेशानुसार किसी भी अन्य व्यक्ति को दे दिया जाता है।

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3. चेक की राशि-चेक में लिखी जाने वाली रकम में किसी भी प्रकार की काट-छांट या उपरिलेख (Cutting or Overwriting) नहीं होनी चाहिए। यदि कोई कटिंग (काट-छाँट) हो तो उस पर अपने नमूने के हस्ताक्षर कर देने चाहिए। चेक में शब्दों एवं अंकों में लिखी जाने वाली रकम में भी अन्तर नहीं होना चाहिए। शब्दों में रकम लिखने के पश्चात् केवल’ (Only) शब्द का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। जालसाजी से बचने के लिए आजकल चेक संरक्षक यन्त्र’ (Cheque Protector) का प्रयोग किया जाता है।

4. लेखक के हस्ताक्षर-चेक पर लेखक के हस्ताक्षर होना आवश्यक है। हस्ताक्षर सावधानी से करने चाहिए तथा वही हस्ताक्षर करने चाहिए जो नमूने के हस्ताक्षर के रूप में बैंक की ‘हस्ताक्षर-पुस्तिका’ में हैं। हस्ताक्षर न मिलने पर बैंक चेक का भुगतान नहीं करता! हस्ताक्षर पेंसिल से या मुहर लगाकर कभी भी नहीं करने चाहिए।

5. प्रतिपर्ण भरना-चेक के बाईं ओर वाले भाग को ‘प्रतिपर्ण’ कहते हैं। लेखक को चेक के प्रतिपर्ण को भी सावधानी से भरना चाहिए। इस पर दिनांक, प्राप्तकर्ता का नाम, रकम एवं भुगतान करने का उद्देश्य अवश्य भर लेना चाहिए। इससे भावी सन्दर्भ में सुविधा रहती है।

प्रश्न 3.
पारिवारिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए गृहिणी को क्या करना चाहिए?
उत्तर:
पारिवारिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए गृहिणी को-

  1. पारिवारिक आय का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।
  2. आवश्यकताओं की प्राथमिकता के क्रम में धन का व्यय करना चाहिए।
  3. अधिक मूल्य वाले खाद्य-पदार्थों के स्थान पर समान पौष्टिक गुणों वाले कम मूल्य के खाद्य-पदार्थ खरीदने चाहिए।
  4. फसल के समय अनाज खरीदकर उनका संरक्षण कर लेना चाहिए।
  5. पारिवारिक आय में वृद्धि के उपाय अपनाने चाहिए, क्योंकि अधिक आय एवं बचत द्वारा ही पारिवारिक स्तर ऊँचा उठाया जा सकता है।

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प्रश्न 4
भविष्य निधि योजना के विषय में आप क्या जानती हैं?
उत्तर:
भविष्य निधि योजना प्राय: सरकारी, अर्द्ध-सरकारी एवं पंजीकृत संस्थानों के कर्मचारियों के लिए होती है। यह एक अनिवार्य बचत योजना हैं जिसमें प्रायः कर्मचारी के वेतन का प्रति माह 5% से 8% कटता है तथा इतनी ही धनराशि प्रति माह सम्बन्धित संस्था अथवा सरकार द्वारा जमा की जाती है। इस प्रकार प्रत्येक कर्मचारी के भविष्य निधि खाते में प्रति माह उसके मूल वेतन का कुल 10% से 16% जमा होता है। इस धनराशि पर निर्धारित दर से ब्याज भी मिलता है तथा आयकर में छूट भी मिलती है। यह धनराशि ब्याज सहित कर्मचारी को उसका सेवाकाल पूर्ण होने पर मिलती है। भविष्य निधि खाता डाकघर अथवा बैंक मे भी खोला जाता है।

प्रश्न 5
टिप्पणी लिखिए-सार्वजनिक प्रॉविडेण्ट फण्ड योजना।
उत्तर:
बचत विनियोग के लिए हमारी सरकार ने वर्ष 1972-73 में सार्वजनिक प्रॉविडेण्ट फण्ड योजना (Public Provident Fund Scheme) चलाई थी। इस योजना के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति अपनी पारिवारिक बचत की राशि को एक विशेष खाता खोलकरे (UPBoardSolutions.com) जमा कर सकता है। यह खाता ‘भारतीय स्टेट बैंक’ की मुख्य शाखा अथवा मुख्य डाकघर में खोला जा सकता है। इस योजना के अन्तर्गत प्रति वर्ष कम-से-कम  500/- तथा अधिक-से-अधिक 1,50,000/- जमा किए जा सकते हैं। जमा धन पर 8% वार्षिक दर से चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है। ब्याज दर समय-समय पर बदलती रहती है।

इस योजना में जमा की जाने वाली धनराशि पर आयकर में भी छूट मिलती है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि इस योजना के अन्तर्गत जमा धन पर मिलने वाला ब्याज पूर्ण रूप से आयकर से मुक्त है। इस खाते में जमा धन की किसी भी न्यायालय द्वारा कुक भी नहीं की जा सकती। यह योजना 15 वर्ष के लिए होती है। नियमों के अनुसार जमा धन में से ऋण लिया जा सकता है। योजना के छठे वर्ष से नियमानुसार आंशिक धन वापस भी लिया जा सकता है। इस योजना को 15 वर्ष के उपरान्त 5-5 वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है।

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प्रश्न 6.
टिप्पणी लिखिए-राष्ट्रीय बचत-पत्र।[2007, 0, 12, 13, 14]
उत्तर:
पारिवारिक बचत का एक अच्छा साधन ‘राष्ट्रीय बचत पत्र’ (National Saving Certificate) भी है। इस योजना का संचालन डाकघर के माध्यम से किया जाता है। इस योजना में धन जमा करने पर आयकर में नियमानुसार छूट मिलती है। ये बचत-पत्र र 100, र 500, र 1000, र 5000 तथा र 10000 मूल्य-वर्ग में मिलते हैं। ये बचत-पत्र एक नाम से अथवा संयुक्त नामों से भी लिए जा सकते हैं तथा इनमें नामांकन की सुविधा भी उपलब्ध हैं। यह योजना दो प्रकार की है-पाँच वर्षीय योजना तथा दस वर्षीय योजना। दोनों में मिलने वाले ब्याज में कुछ अन्तर रहता है। ब्याज दर समय-समय पर बदलती रहती है।

प्रश्न 7.
बैंक के बचत खाते और चालू खाते में क्या अन्तर है? दोनों की उपयोगिता लिखिए। या चालू खाते और बचत खाते में अन्तर बताइए।[09]
उत्तर:
बैंक में खोले जाने वाले दो मुख्य खाते होते हैं-‘बचत खाता’ तथा ‘चालु खाता’। इन दोनों खातों में मुख्य अन्तर निम्नलिखित हैं-

  1. बचत खाता व्यक्तिगत रूप से पारिवारिक बचत के लिए खोला जाता है, जब कि चालू खाता व्यापारिक लेन-देन के लिए व्यापारियों द्वारा खोला जाता है।
  2.  बचत खाते में जमा धनराशि पर निर्धारित दर से ब्याज दिया जाता है, जब कि चालू खाते में जमा धन पर किसी प्रकार का ब्याज नहीं दिया जाता, बल्कि खाताधारी से कुछ सेवा-शुल्क लिया जाता है।
  3. बचत खाते में से एक निश्चित मात्रा में ही धन निकाला जा सकता है, जब कि चालू खाते में से दिन में जितनी बार चाहें, धन निकाला जा सकता है।
    यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि बचत खाता घरेलू बचत के दृष्टिकोण से तथा चालू खाता व्यापारिक लेन-देन को अधिक सुविधाजनक बनाने के दृष्टिकोण से उपयोगी है।

प्रश्न 8.
पास-बुक और चेक-बुक में क्या अन्तर है? वर्णन कीजिए।[2008, 9, 11, 12, 14, 15, 16, 17 ]
या
चेक-बुक क्या है?(2016)
या
बैंक के कार्य लिखिए।
चेक-बुक तथा पास-बुक में अन्तर लिखिए। [2009, 17]
उत्तर:
बैंक के कार्य-पारिवारिक बचत का सर्वोत्तम तथा सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम बैंक है। वैको में धन जमा करने के साथ-साथ हम अपने आभूषण भी कुछ भुगतान करके जमा कर सकते हैं। बैंक हमारे धन को सुरक्षित रखते हैं और उस पर ब्याज भी देते हैं। हमारे व्यवसाय को उन्नत करने के लिए निश्चित दरों पर ऋण उपलब्ध कराते हैं। बेरोजगार युवाओं एवं युवतियों को अपना व्यापार, शिक्षा आदि के लिए भी धन उपलब्ध कराते हैं। बैंक हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं।

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पास-बुक-बैंक प्रत्येक जमाकर्ता को खाता खोलने पर एक लेखा-पुस्तिका अर्थात् पास-बुक देता है। पास-बुक में खाताधारी का नाम, पता, खाता संख्या तथा जमा धनराशि अंकित होती है। खाते में धन जमा करते अथवा निकालते समय जमाकर्ता अपनी पास-बुक सम्बन्धित लेखा कर्मचारी को देता है जो जमा की गई अथवा निकाली गई धनराशि को पास-बुक में अंकित कर जमाकर्ता को लौटा देता हैं। अब यह कार्य कम्प्यूटर या मशीन से होने लगा है।

चेक-बुक-खाताधारक द्वारा माँगने पर बैंक उसे चेक-बुक की सुविधा प्रदान करता है। इसके लिए खाताधारक को अपने खाते में सदैव एक निश्चित धनराशि शेष रखनी पड़ती है। चेक-बुक में चेकों की संख्या 10, 25 अथवा 50 तक होती है। चेक-बुक लेते समय इसके कुल चेकों को भली प्रकार गिन लेना चाहिए। चेक-बुक को सदैव सुरक्षित स्थान पर अपनी निगरानी में रखना चाहिए। चेक द्वारा धन निकालते समय चेक पर निकाली जाने वाली (UPBoardSolutions.com) धनराशि, दिनांक व प्राप्तकर्ता का नाम भरकर खाताधारक को नियत स्थान पर अपने हस्ताक्षर करने होते हैं। अब इसे भरे हुए चेक को प्रस्तुत करने । पर बैंक अधिकारी हस्ताक्षर का मिलान करता है। हस्ताक्षर मिलने पर चेक प्रस्तुत करने वाले को चेक पर लिखी गई धनराशि का भुगतान हो जाता है।

प्रश्न 9
‘यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया’ के विषय में आप क्या जानती हैं? संक्षेप में लिखिए।(2016)
उत्तर:
आजकल बचत का एक अत्यन्त लोकप्रिय, लाभदायक और पूर्णतया सुरक्षित साधन ‘यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया’ द्वारा प्रसारित विभिन्न प्रकार की जमा योजनाएँ हैं। यूनिट एक प्रकार की अंश पूँजी होती है, जिसकी कीमत 10 होती है। हम यूनिट ट्रस्ट के किसी भी एजेण्ट के माध्यम से, आवेदन-पत्र देकर तथा धनराशि को क्रॉस चेक द्वारा देकर यूनिट्स खरीद सकते हैं। यूनिट्स के माध्यम से प्राप्त धन को सरकार विभिन्न सरकारी उद्योगों में लगाती है तथा प्राप्त लाभांश का 90% यूनिट्स के खरीदारों को वर्ष के अन्त में लाभांश (Dividend) के रूप में देती है। ये यूनिट्स रुपये की आवश्यकता पड़ने पर कभी भी बेचे जा सकते हैं। यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया द्वारा समय-समय पर विभिन्न आकर्षक एवं लाभकारी योजनाएं चलायी जाती हैं।

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
बचत क्या है?[2008, 09, 10, 12, 18]
उत्तर:
पारिवारिक आय में से परिवार की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय करने के उपरान्त जो धनराशि शेष रह जाती है, वह बचते कहलाती है।

प्रश्न 2
प्रत्यक्ष आय और अप्रत्यक्ष आय में क्या अन्तर है ? [2011]
उत्तर:
प्रत्यक्ष आय धन (वेतन आदि) के रूप में होती है जबकि अप्रत्यक्ष आय सुविधाओं (बिना किराये का मकान, नि:शुल्क चिकित्सा एवं शिक्षा आदि) के रूप में होती है।

प्रश्न 3
डाकघर में बचत खाता खोलने से क्या लाभ होता है? समझाइए। 2015
उत्तर:
डाकघर में बचत खाता खोलने से निम्नलिखित लाभ हैं

  1.  बचत की आदत को प्रोत्साहन मिलता है।
  2. जमा धनराशि सभी प्रकार से सुरक्षित रहती है।
  3. व्यक्तिगत तथा संयुक्त खातों पर निर्धारित दर से वार्षिक ब्याज मिलता है।

प्रश्न 4
‘किसान विकास-पत्र के विषय में आप क्या जानती हैं?
उत्तर:
घरेलू बचतों के विनियोग के लिए एक उत्तम योजना किसान विकास–पत्र भी है। यह योजना डाकघर के माध्यम से चलाई जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत जमा की गई धनराशि 9 वर्ष 5 माह में दोगुनी हो जाती है। किसान विकास-पत्र को किसी (UPBoardSolutions.com) राष्ट्रीयकृत बैंक में गिरवी रखकर ऋण प्राप्त किया जा सकता है। इस योजना के अन्तर्गत की गई बचत पर किसी प्रकार की आयकर सम्बन्धी छूट नहीं मिलती।

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प्रश्न 5
बचत के चार उद्देश्य लिखिए। [2007, 08, 09, 11, 13, 14]
उत्तर:
बचत के चार उद्देश्य हैं

  1. वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा,
  2.  बच्चों के विवाह में सहायता,
  3. आकस्मिक संकटों का सामना तथा
  4.  सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि।

प्रश्न 6
यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया से आप क्या समझती हैं?
उत्तर:
यह योजना 1964 ई० में आरम्भ की गई थी। इसमें पारिवारिक बचत को एकत्रित कर विभिन्न उद्योगों में लगाया जाता है। लाभांश यूनिट धारकों के मध्य वितरित कर दिया जाता है।

प्रश्न 7
बैंक में धन रखना क्यों अच्छा माना जाता है? या बैंक में बचत खाता खोलने के क्या लाभ हैं? [2009, 14, 17]
उत्तर:
बैंक में बचत खाता खोलने के निम्नलिखित लाभ हैं

  1. धन पूर्ण रूप से सुरक्षित रहता है।
  2.  धन सरलतापूर्वक जमा किया व निकाला जा सकता है।
  3.  चेक की सुविधा उपलब्ध होती है।
  4.  जमा धनराशि पर ब्याज भी मिलता है।
  5. ए०टी०एम तथा ई बैकिंग की सुविधा उपलब्ध है।

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प्रश्न 8.
बैंक के कार्य लिखिए। [2008]
उत्तर:
बैंक विश्वव्यापी मुख्य वित्तीय व व्यावसायिक संस्थाएँ हैं। (UPBoardSolutions.com) ये धन के लेन-देन का कार्य उच्च स्तर पर करते हैं। हम यहाँ अपनी बचत का धन जमा भी कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर ऋण भी ले सकते हैं।

प्रश्न 9.
पास बुक की उपयोगिता बताइए।[2011, 14, 17]
उत्तर:
पास बुक में दिए गए विवरण से व्यक्ति को अपने खाते में हुए समस्त लेन-देन तथा ब्याज आदि की सही जानकारी प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 10.
चेक-बुक की क्या उपयोगिता है?
[2007, 09, 10, 11, 12, 15, 16, 17, 18]
या
चेक-बुक रखने से क्या लाभ है? [2008]
उत्तर:
बैंक द्वारा उपलब्ध कराई गई चेक-बुक के माध्यम से धन का लेन-देन सरल एवं सुरक्षित हो जाता है। एक नगर से दूसरे नगर तक धन को भेजना भी सम्भव हो जाता है।

प्रश्न 11.
चेक कितने प्रकार के होते हैं?[2014, 17]
उत्तर:
चेक प्राय: तीन प्रकार के होते हैं

  1.  साधारण चेक,
  2.  उपहार चेक तथा
  3. ट्रैवलर चेक।

प्रश्न 12.
वाहक चेक किसे कहते हैं? इसका लाभ बताइए।[2012]
उत्तर:
वाहक चेक उस चेक को कहते हैं जिसे ले जाकर कोई भी व्यक्ति बैंक से नकद राशि ले सकता है। इस प्रकार का चेक अपने किसी भी विश्वसनीय व्यक्ति को देकर बैंक से धन निकलवाया जा सकता है।

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प्रश्न 13.
उपहार चेक किसे कहते हैं?[2013]
उत्तर:
उपहार चेक र 21, 51, 101 तथा 151 तक की धनराशि के होते हैं तथा जन्म-दिन, विवाह आदि शुभ अवसरों पर भेंट किए जाते हैं।

प्रश्न 14.
ट्रैवलर चेक से आप क्या समझती हैं? या ट्रैवलर चेक की उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
बैंक में धन जमा कर ट्रैवलर चेक प्राप्त किए जा सकते हैं। ये प्रायः र 50/-, र 100/- एवं र 1000/- के होते हैं। ये देश के किसी भी शहर में, जहाँ पर जारीकर्ता बैंक की शाखा है, भुनाए जा सकते हैं। यात्रा आदि में धन सुरक्षित ले जाने का ये उपयुक्त माध्यम हैं। प्रश्न 15 धोखाधड़ी से बचने के लिए किस प्रकार का चेक दिया जाना चाहिए? उत्तर धोखाधड़ी से बचने के लिए रेखांकित चेक दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 16.
रेखांकित चेक किसे कहते हैं? [2007, 08, 09, 10, 12, 15, 16, 17, 18]
उत्तर:
किसी खाताधारक द्वारा जारी वह चेक रेखांकित चेक कहलाता है जिसके बाईं ओर उसके द्वारा दो समान्तर रेखाएँ खींच दी जाती हैं। इस चेक का पैसा प्राप्तकर्ता केवल अपने खाते में ही जमा कराकर प्राप्त कर सकता है। इस चेक का नकद भुगतान नहीं किया जा सकता। इस प्रकार रेखांकित वेक द्वारा लेन-देन सुरक्षित माना जाता है।

प्रश्न 17.
जीवन बीमा से क्या लाभ हैं? । [2010]
उत्तर:
जीवन बीमा के अन्तर्गत बीमाधारक को दोहरा लाभ प्राप्त होता है। बीमा अवधि के मध्य दुर्घटना में अथवा बीमारी से बीमाधारक की मृत्यु हो जाने की दशा में नामांकिती को आर्थिक सुरक्षा के रूप में बीमा को धनराशि मिल जाती है, जब कि बीमे की अवधि (UPBoardSolutions.com) पूर्ण होने तक जीवित रहने पर बीमाधारक को बोनस सहित बीमा धनराशि प्राप्त हो जाती है।

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प्रश्न 18
डाकघर की किन्हीं दो बचत योजनाओं के नाम लिखिए।[2008, 15]
उत्तर:
प्रमुख दो बचत योजनाएँ हैं-

  1.  बचत खाता योजना तथा
  2.  संचयी सावधि जमा खाता।

प्रश्न 19
मितव्ययिता से क्या तात्पर्य है? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।[2007]
उत्तर:
सोच-समझकर उचित कार्य में कम-से-कम व्यय करना मितव्ययिता कहलाती है।

प्रश्न 20
कोई दो बचत योजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
ऐसी दो योजनाएँ हैं

  1. किसान विकास-पत्र तथा
  2.  राष्ट्रीय बचत-पत्र योजना।

प्रश्न 21
बचत का विनियोजन करने वाली संस्थाएँ कौन-कौन सी हैं?
या
बचत को सुरक्षित रखने वाली किन्हीं दो सरकारी संस्थाओं के नाम लिखिए। [2008]
धन जमा करने की दो सरकारी संस्थाओं के नाम लिखिए। [2008, 11]
उत्तर:
ऐसी सरकारी संस्थाएँ हैं

  1. डाकघर,
  2. बैंक,
  3. भारतीय जीवन बीमा निगम,
  4.  यूनिट ट्रस्ट,
  5.  भविष्य निधि,
  6. चिट-फण्ड,
  7. सहकारी समितियाँ आदि।

प्रश्न 22
डाकघर में कितने प्रकार के खाते खोले जा सकते हैं?
उत्तर:
डाकघर में निम्न खाते खोले जा सकते हैं

  1. डाकघर बचत बैंक,
  2.  डाकघर सावधि जमा खाता,
  3. 5 वर्षीय डाकघर आवर्ती जमा खाता,
  4. 15 वर्षीय लोक भविष्य निधि खाता,
  5.  राष्ट्रीय बचत योजना खाता
  6. किसान विकास पत्र तथा
  7.  सुकन्या समृद्धि खाता।

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प्रश्न 23
राष्ट्रीय बचत-पत्र क्या है? [2007, 08, 09, 12, 13, 14, 16, 17]
उत्तर:
राष्ट्रीय बचत-पत्र र 100/-, र 500/-, र 1,000/-, र 5,000/- तथा (UPBoardSolutions.com) र 10,000/- मूल्य वर्ग में उपलब्ध होते हैं। ये बचत का बहुत अच्छा साधन हैं। यह योजना 5 वर्षीय तथा 10 वर्षीय होती है। और इसमें आयकर में छूट भी मिलती है।

प्रश्न 24
आय कितने प्रकार की होती है?[2008]
उत्तर:
आय दो प्रकार की होती है

  1. प्रत्यक्ष आय तथा
  2.  अप्रत्यक्ष आय।

प्रश्न 25
बैंक के दो प्रकार के खातों के नाम लिखिए। 09
उत्तर:

  1. बचत खाती तथा
  2.  चालू खाता।

प्रश्न 26
आय के साधन लिखिए।
उत्तर:
पारिवारिक आय के सम्भावित साधन हैं-वेतन, पेंशन, दैनिक मजदूरी, कृषि, व्यापार या व्यवसाय, घरेलू उद्योग-धन्धे, पशुपालन, ब्याज, उपहार तथा कुछ अन्य स्रोत।

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बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न-निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

प्रश्न 1.
आय-व्यय में सन्तुलन हेतु निम्नलिखित में से कौन-सा साधन उपयुक्त होगा?
(क) वार्षिक बजट
(ख) मासिक बजेट
(ग) साप्ताहिक बजट
(घ) दैनिक बजट

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सी वस्तु पूँजी नहीं है ?
(क) दस का नोट
(ख) फैक्टरी भवन
(ग) टैक्सी
(घ) औजार

प्रश्न 3.
बचत का मुख्य प्रयोजन है 2011, 16, 17
(क) भविष्य के आवश्यक और आकस्मिक व्यय के लिए
(ख) मनोरंजन के लिए
(ग) विलासात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए
(घ) सुख-प्राप्ति के लिए ।

प्रश्न 4.
बचत को सुरक्षित रखने का प्रमुख साधन है। 2012, 17
(क) बॉक्स में रखना।
(ख) बैंक में जमा करना
(ग) पड़ोसियों के घर रखना
(घ) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 5.
बचत आर्थिक सुरक्षा का साधन है।
(क) स्कूली बच्चों के लिए।
(ख) पड़ोसियों के लिए
(ग) स्वयं तथा आश्रितों के लिए
(घ) मेहमानों के लिए

प्रश्न 6.
यदि पारिवारिक आय से व्यय कम हो तो शेष धन को कहते हैं
(क) फालतू धन ।
(ख) अनावश्यक धन
(ग) पारिवारिक बचत
(घ) व्यावसायिक आय

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से किसे निःसंचय कहेंगे?
(क) व्यय के बाद बचे धन को जमीन में गाड़ देने को
(ख) उपलब्ध धन को तिजोरी में बन्द करके रखने को
(ग) कीमती आभूषण बनवाने को
(घ) उपर्युक्त सभी को

प्रश्न 8.
बैंक में कम-से-कम कितनी राशि से खाता खोला जा सकता है? [2013]
(क) र 1,000
(ख) र 200
(ग) र 100
(घ) र 500।

प्रश्न 9.
जीवन बीमा मुख्य रूप से सुरक्षा का साधन है।
(क) स्वयं के लिए।
(ख) पड़ोसियों के लिए
(ग) आश्रितों के लिए
(घ) किसी के लिए नहीं

प्रश्न 10.
किसी शुभ अवसर पर दिया जाने वाला चेक कहलाता है। 2009, 10, 17
(क) ट्रैवलर चेक
(ख) क्रॉस चेक
(ग) उपहार चेक
(घ) ऑर्डर चेक

प्रश्न 11.
उपहार चेक की राशि होती है ।
(क) र 25
(ख) र 21
(ग) र 30
(घ) र 50

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प्रश्न 12.
संचायिका जमा खाता किसके लिए लाभदायक है? [2009, 11, 13]
(क) वृद्धों के लिए।
(ख) स्कूली बच्चों के लिए
(ग) नौकरी करने वालों के लिए।
(घ) गृहिणी वर्ग के लिए

प्रश्न 13.
यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया योजना किस वर्ष में प्रारम्भ की गई थी?
(क) 1967 ई० में
(ख) 1966 ई० में
(ग) 1964 ई० में
(घ) 1974 ई० में

प्रश्न 14.
दैनिक जीवन में किसकी बचत अति आवश्यक है ? [2009
(क) समय
(ख) धन
(ग) श्रम
(घ) इन सभी की

प्रश्न 15.
सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के उपरान्त प्राप्त होता है। [2014]
(क) वेतन
(ख) पेंशन
(ग) बोनस
(घ) इनमें से कुछ नहीं

प्रश्न 16.
बचत की आवश्यकता है। [2016, 17 ]
(क) मनोरंजन के लिए।
(ख) बँगला खरीदने के लिए।
(ग) भविष्य के आकस्मिक खर्चे के लिए
(घ) ये सभी

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प्रश्न 17.
जीवन बीमा का मुख्य उद्देश्य है। [2015]
(क) शादी विवाह के लिए धन उपलब्ध कराना
(ख) बीमाधारक को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना
(ग) अधिक ब्याज देना
(घ) बीमा धारक के आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना

प्रश्न 18.
किसान विकास-पत्र योजना है। [2016]
(क) जीवन बीमा की
(ख) डाकखाने की
(ग) बैंक की
(घ) इनमें से कोई नहीं इतर

उत्तर:

  1. (ख) मासिक बजट,
  2.  (घ) औजार,
  3.  (क) भविष्य के आवश्यक और आकस्मिक व्यय के लिए,
  4. (ख) बैंक में जमा करना,
  5. (ग) स्वयं तथा आश्रितों के लिए,
  6. (ग) पारिवारिक बचत,
  7.  (घ) उपर्युक्त सभी को,
  8.  (ग) र 100,
  9. (ग) आश्रितों के लिए,
  10.  (ग) उपहार चेक,
  11.  (ख) र 21,
  12. (ख) स्कूली बच्चों के लिए,
  13. (ग) 1964 ई० में,
  14. (घ) इन सभी की,
  15. (ख) पेंशन,
  16.  (घ) ये सभी,
  17.  (घ) बीमा धारक के आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना,
  18.  (ख) डाकखाने की।

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UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 (Section 3)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य (अनुभाग – तीन)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य (अनुभाग – तीन).

मानचित्रांकन हेतु आवश्यक निर्देश

  • परीक्षा भवन में प्रश्न-पत्र तथा उत्तर-पुस्तिका के साथ मानचित्र भी दिया जाएगा; अतः उत्तर-पुस्तिका में मानचित्र खींचने की कोई अवश्यकता नहीं है।
  • परीक्षार्थियों को भारत के खाली मानचित्रों पर पाठ्य-पुस्तक तथा इस पुस्तक में दिये गये प्रश्नों का अंकन करने का अभ्यास करते रहना चाहिए।
  • मानचित्रांकन करते समय परीक्षार्थियों को निम्नलिखित निश्चित संकेत चिह्नों का ध्यान रखना चाहिए
  1. नगरों को काले बिन्दु द्वारा प्रदर्शित करना चाहिए।
  2. नदी को दिखाने के लिए उसके उद्गम से लेकर मुहाने तक रेखा अंकित करनी चाहिए तथा उसका नाम अवश्य लिखना चाहिए।
  3. पर्वत-श्रेणियों, शिखरों, दरों आदि को सुनिश्चित चिह्नों द्वारा (UPBoardSolutions.com) दिखाना चाहिए तथा उनके नाम भी लिखने चाहिए।
  4. रेलमार्गों, वायुमार्गों, सड़कों आदि को भी सुनिश्चित चिह्नों द्वारा दिखाना चाहिए तथा मार्ग के प्रमुख नगरों को अंकित करना चाहिए।
  5. जलवायु, मिट्टी, वनस्पति, भौतिक विभाग आदि को दिखाने के लिए आवश्यक संकेत-चिह्न (छाया) का प्रयोग करना चाहिए। उन चिह्नों को संकेत तालिका के रूप में अवश्य प्रदर्शित करना चाहिए।

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अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
दिये गये भारत के मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए

1. स्वर्ण रेखा नदी तथा महानदी।
2. काली मिट्टी का क्षेत्र।
3. पश्चिमी तटीय मैदान।
4. भिलाई तथा राउरकेला।
5. ब्रह्मपुत्र तथा ताप्ती नदियाँ।
6. जयन्तिया तथा कराकोरम।
7. जमशेदपुर तथा सूरत।।
8. थार का मरुस्थल।
9. जूट उत्पादक क्षेत्र।
10. सतपुड़ा तथा राजमहल की पहाड़ियाँ।
11. गोदावरी तथा सतपुड़ा नदियाँ।
12. भारत में खनिज तेल क्षेत्र।
13. कोई दो परमाणु विद्युत-गृह।
14. भोपाल तथा भुवनेश्वर।
15. स्वर्ण रेखा व पेन्नार नदियाँ।
16. शिवालिक व सतपुड़ा की पर्वत श्रेणियाँ।
17. कहवा उत्पादक क्षेत्र।
18. कांडला व त्रिवेन्द्रम।
19. अरावली तथा राजमहल की पहाड़ियाँ।
20. लाल मिट्टी का क्षेत्र।
21. सीमेण्ट उत्पादक दो केन्द्र।
22. तुंगभद्रा तथा गण्डक नदियाँ।
23. न्हावा-शेवा तथा पारादीप।
24. सतपुड़ा, नीलगिरि पर्वत-श्रेणियाँ।
25. दामोदर और कावेरी नदियाँ।
26. चाय उत्पादन का एक क्षेत्र।
27. कोयला उत्पादन का एक क्षेत्र।
28. दो तेलशोधक कारखाने।
29. कोलकाता से चेन्नई रेलमार्ग,
30. गंगा, गोमती नदियाँ। दो जंक्शन सहित।
31. चेन्नई, (UPBoardSolutions.com) अहमदाबाद।
32. लोहा उत्पादन का एक क्षेत्र।
33. दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग,
34. झाँसी और इलाहाबाद। दो जंक्शन सहित।
35. ताप्ती तथा माही नदियाँ।
36. खासी व जयन्तिया ‘पहाड़ियाँ।
37. महानदी तथा कावेरी नदियाँ।
38. चीनी उद्योग का एक केन्द्र तथा ऊनी वस्त्र उद्योग का एक केन्द्र।
39. नई दिल्ली से पटना वायुमार्ग तथा मार्ग का एक हवाई अड्डा।

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प्रश्न 2.
दिये गये मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 1
प्रश्न 3.
दिये गये मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए

1. राँची और बंगलुरु नगर नाम सहित।
2. छोटा नागपुर का पठार।
3. दो तेलशोधक कारखाने।
4. कपास उत्पादक क्षेत्र।
5. चेन्नई तथा अहमदाबाद।
6. भोपाल एवं रायपुर।
7. कैमूर और सतपुड़ा नाम सहित।
8. माही तथा कावेरी नदियाँ नाम सहित।
9. तेलशोधन के दो केन्द्र।
10. गन्ना उत्पादन के दो क्षेत्र।
11. पालघाट तथा भोरघाट नाम सहित।
12. मूनी और स्वर्ण-रेखा नदियाँ नाम सहित।
13. ऐलुमिनियम उत्पादन के दो क्षेत्र।
14. जमशेदपुर और गुवाहाटी।
15. पेराम्बूर और कानपुर।
16. कोई दो परमाणु ऊर्जा केन्द्र।
17. थोर का मरुस्थल।
18. अरावली और पीरपंजाल पहाड़ियाँ।
19. नर्मदा एवं चम्बल नदियाँ।
20. राँची एवं दिसपुर।
21. कोलकाता और (UPBoardSolutions.com) विशाखापत्तनम् समुद्र पत्तन।
22. पश्चिमी तट पर स्थित दो बन्दरगाह नाम सहित। .(काँदला, मुम्बई)
23. दिल्ली से पटना तक रेलमार्ग तथा बीच के दो जंक्शन।

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प्रश्न 4.
भारत के दिये गये मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए [2009]
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 2

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प्रश्न 6.
भारत के दिये गये मामचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए [2011]
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 3

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प्रश्न 7.
भारत के दिये गए मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए [2012]
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 4
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 5

प्रश्न 8.
दिये गये मानचित्र में निम्नलिखित को प्रदर्शित कीजिए [2013]
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 6

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित को दिये गये भारत के मानचित्र में दर्शाइए [2014]
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 7
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 8
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 9

प्रश्न 10.
निम्नलिखित को दिये गये भारत के मानचित्र में दर्शाइए [2015]
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 10
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 11

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प्रश्न 11.
निम्नलिखित को दिये गये भारत के मानचित्र में दर्शाइए [2016]
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 12
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 13

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प्रश्न 12.
निम्नलिखित को दिये गये भारत के मानचित्र में दर्शाइए [2017]
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 14
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 15

प्रश्न 13.
दिये गये भारत के मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए [2018]
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 16
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 17

मानचित्र-1

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 18

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मानचित्र-2

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 19

मानचित्र-3

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 20

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मानचित्र-4

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 21

मानचित्र-5

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 22

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मानचित्र-6

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 23

मानचित्र-7

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 24

मानचित्र-8

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 25

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मानचित्र-9

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 26

मानचित्र-10

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 27

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मानचित्र-11

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 28

मानचित्र-12

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य 29

We hope the UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य (अनुभाग – तीन) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 15 मानचित्र कार्य (अनुभाग – तीन), drop a comment below and we will get back to you at the earliest

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 9 ज्योति-जवाहर (खण्डकाव्य)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 9 ज्योति-जवाहर (खण्डकाव्य)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 9 ज्योति-जवाहर (खण्डकाव्य).

प्रश्न 1
‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य की कथावस्तु (कथानक, कथासार) संक्षेप में लिखिए। [2010, 11, 12, 13, 14, 15, 17, 18]
था
‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य का कथानक राष्ट्रीय एकता के परिवेश में देश की विभिन्नताओं के बीच अभिन्नता की एक शाश्वत कड़ी के रूप में उभरकर सामने आता है।” इस कथन के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त कीजिए। [2009]
था
‘ज्योति-जवाहर’ के नायक के व्यक्तित्व के निर्माण में पूरे भारत का योगदान रहा। कथानक के आधार पर इस तथ्य को स्पष्ट कीजिए।
था
‘ज्योति-जवाहर’ की कथावस्तु (कथासार) अपने शब्दों में लिखिए। [2009, 10, 11, 12, 13, 14, 16]
उत्तर
श्री देवीप्रसाद शुक्ल ‘राही’ द्वारा रचित ‘ज्योति-जवाहर’ नामक खण्डकाव्य की कथावस्तु घटनाप्रधान न होकर भावप्रधान है। इस खण्डकाव्य में भारत के निर्माता युगावतार पं० जवाहरलाल नेहरू का विराट लोकनायक का रूप चित्रित हुआ है। कवि ने सम्पूर्ण कथानक को एक ही सर्ग ‘प्रवेश’ में रचा है। कथावस्तु का सारांश निम्नवत् है–

कथानक का प्रारम्भ नायक में देवत्व और मनुजत्व के सम्मिश्रण से हुआ है। विधाता ने जवाहरलाल नेहरू के अलौकिक व्यक्तित्व का निर्माण अपनी रचना का समस्त कौशल लगाकर किया है। कवि की भव्य कल्पना है कि विधाता ने इन्हें सूर्य से ज्योति, (UPBoardSolutions.com) चन्द्रमा से सुघड़ता, हिमालय से स्वाभिमान, सागर से मन की गहराई, वायु से गति और धरती से धैर्य लेकर दिव्य पुरुष के रूप में रचा है। कवि के अनुसार नेहरू जी के व्यक्तित्व में अनेक राज्यों के महान् पुरुषों के गुणों के साथ-साथ राज्यों के सामाजिक-सांस्कृतिक गुणों का भी समावेश निम्नलिखित रूप में हुआ है

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गुजरात प्रान्त में जन्मे महात्मा गाँधी से ये कर्मयोग के सिद्धान्त की प्रेरणा पाकर जीवन के संघर्ष की प्रेरणा लेते हैं। इन्हें गाँधीजी का शुभाशीष, सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, समानता, ममता आदि के रूप में उसी प्रकार प्राप्त हुआ है, जैसे राम को वशिष्ठ का शुभाशीष प्राप्त हुआ था।
महाराष्ट्र ने उन्हें वीर शिवाजी की तलवार के रूप में शक्ति प्रदान की, जिससे वे विदेशी शक्तियों से उसी प्रकार लोहा लेते रहे; जिस प्रकार वीर शिवाजी ने औरंगजेब से लोहा लिया था।

नेहरू जी ने राजस्थान से संघर्षों में जीना सीखा तथा यहाँ के महापुरुषों से संकटों में अपने पथ से किसी भी प्रकार से विचलित न होने की शिक्षा ली। हल्दीघाटी की माटी वीर जवाहर को स्वतन्त्रता पर मिटने की भावनी देती है।

राजस्थान उन्हें भारत की सम्पूर्ण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक धरोहर (UPBoardSolutions.com) के रूप में पवित्र कला, जौहर-व्रत, स्वामिभक्ति और त्याग सौंपता है। वह राणा साँगा, कुम्भा, जयमल और महाराणा प्रताप का शौर्य तथा त्याग उनको प्रदान करता है।

सतपुड़ा राज्य भारत की अखण्डता की घोषणा करता है।

कालिदास की भावुकता, कुमारिल की विलक्षण प्रतिभा, अंगारों की भाषा वाला फकीर मोहन तथा अकबर से लड़ने वाली चाँदबीबी’ जैसी महान् विभूतियों को सतपुड़ा अपने हृदय में धारण किये हुए है। इन विभूतियों की समस्त विशेषताओं को वह नेहरू जी को समर्पित कर देता है।

बंगाल भी जवाहर पर अपना वैभवे न्योछावर करने में पीछे नहीं है। विवेकानन्द तथा दीनबन्धु ऐण्डूज की कर्मठता ने नेहरू जी को बहुत अधिक प्रभावित किया है। बंगाल प्रदेश तो नेहरू जी को बंकिम चन्द्र का राष्ट्र-प्रेम, टैगोर तथा शरत् की अमर कला, सुभाषचन्द्र बोस की देशभक्ति आदि सभी कुछ समर्पित कर गौरव का अनुभव कर रहा है।

असम अपने जंगलों, पर्वतों और नदियों की प्राकृतिक सुषमा को नेहरू जी पर वारता हुआ धन्य हो रहा है। रामायण के अनुवादक माधव कन्दली तथा मनसा नामक भक्त-कवि के गीतों ने नेहरू जी के मन को शुद्धता प्रदान की है।

बिहार गौतम बुद्ध की तपोभूमि है। यह सत्य, दया, अहिंसा, क्षमा, त्याग आदि का नन्दन वन है। महावीर स्वामी की विभूति वैशाली नेहरू जी को मानवीय गुणों के मोती अर्पित करती है।

समुद्रगुप्त की यशोगाथा आज भी विद्यमान है। समुद्रगुप्त के पुत्र चन्द्रगुप्त ने भी अपनी वीरता से भारत का मस्तक कभी झुकने नहीं दिया। कलिंग को जीतने के बाद अशोक वैराग्य-भावना से ओत-प्रोत हो गये। इस प्रदेश की ये सभी घटनाएँ नेहरू जी के व्यक्तित्व पर विशेष प्रभाव डालती हैं।

उत्तर प्रदेश अपनी कोख में वीर जवाहर को जन्म देकर धन्य है। मथुरा, वृन्दावन और अयोध्या की गली-गली में चर्चा है कि आज राम और कृष्ण ने प्रयाग में जन्म लिया है। उत्तर प्रदेश तुलसी की राममयी वाणी, सारनाथ में बुद्ध के उपदेश, कबीर की आडम्बरहीनता एवं साम्प्रदायिक सौहार्द, सूर के गीतों का उपहार लिये इस महामानव का अभिनन्दन करता है।

पंजाब भी अपनी गौरवमयी परम्परा को सौंपते हुए जननायक जवाहर के व्यक्तित्व (UPBoardSolutions.com) की अभिवृद्धि में योग दे रहा है। सिकन्दर को स्वाभिमान का पाठ पढ़ाने वाले राजा पोरस का पौरुष, गुरु नानक की वाणी आदि सब कुछ पंजाब वीर जवाहर को सौंप देता है।

कश्मीर का सौन्दर्य नेहरू जी को आकर्षित करता है तथा उन पर फूलों की वर्षा करता है।

कुरुक्षेत्र नेहरू जी को अर्जुन की संज्ञा से विभूषित करता है तथा अर्जुन से गाण्डीव उठवाकर दुर्योधन जैसे अत्याचारी व्यक्तियों को समाप्त करने का आदेश देता है।

पराधीनता के पाश में जकड़ी दिल्ली अकबर की हिन्दू-मुस्लिम एकता की ज्योति को सौंपते हुए गौरवान्वित है। वह उन्हें जहाँगीर का न्याय तथा शाहजहाँ की कलात्मक सौगात को अर्पित करती है।

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वास्तव में सम्पूर्ण भारत ने नेहरू जी को अपनी सभी निधियाँ अर्पित की हैं। यमुना अपने संगम के राजा के अभिनन्दन के लिए अपनी निधियों को न्यौछावर करने संगम तक गयी है। अत: यह कथन भी पूर्ण रूप से उपयुक्त ही है कि ज्योति-जवाहर’ के (UPBoardSolutions.com) नायक के व्यक्तित्व के निर्माण में सम्पूर्ण भारतवर्ष का योगदान रहा है। कवि नायक के व्यक्तित्व में सम्पूर्ण राष्ट्र की चेतना की झलक देखते हुए कहता है

जब लगा देखने मानचित्र, भारत न मिला तुमको पाया।
जब तुझको देखा नयनों में, भारत का चित्र उभर आया ।

प्रश्न 2
‘ज्योति-जवाहर’ का कथानक घटनाप्रधान न होकर भावप्रधान है।” इस कथन का क्या अभिप्राय है ? [2009]
था
नेहरू के व्यक्तित्व के निर्माण में किन शक्तियों का योगदान ‘ज्योति-जवाहर खण्डकाव्य के आधार पर संक्षेप में वर्णन कीजिए।
था
‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य में कवि ने पंजाब के व्यक्तित्व का चित्रण किस प्रकार किया है? विस्तार से लिखिए। ‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य के आधार पर मेवाड़ के गौरव का वर्णन कीजिए।
था
‘ज्योति-जवाहर’ के आधार पर बताइए कि नेहरू के व्यक्तित्व को किन-किन व्यक्तियों ने किस रूप में प्रभावित किया? [2009, 10]
उत्तर
नेहरू जी के महान् व्यक्तित्व में भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं। (UPBoardSolutions.com) कवि के अनुसार नेहरू जी के व्यक्तित्व में अनेक राज्यों के महान् पुरुषों के गुणों के साथ-साथ राज्यों के सामाजिक-सांस्कृतिक गुणों का भी समावेश निम्नलिखित रूप में हुआ है–

गुजरात प्रान्त में जन्मे महात्मा गाँधी से ये कर्मयोग के सिद्धान्त की प्रेरणा पाकर जीवन के संघर्ष की प्रेरणा लेते हैं। इन्हें गाँधीजी का शुभाशीष, सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, समानती, ममता आदि के रूप में उसी प्रकार प्राप्त हुआ है, जैसे राम को वशिष्ठ का शुभाशीष प्राप्त हुआ था। नरसी मेहता की भक्तिमयी वाणी से इन्होंने हृदय की पवित्रता को समझा। गुजरात के ही वीर रस के कवि पद्मनाभ तथा महर्षि दयानन्द की चारित्रिक विशेषताओं का भी नेहरू जी पर विशेष प्रभाव पड़ा।

महाराष्ट्र ने उन्हें वीर शिवाजी की तलवार के रूप में शक्ति प्रदान की, जिससे वे विदेशी शक्तियों से उसी प्रकार लोहा लेते रहे; जिस प्रकार वीर शिवाजी ने औरंगजेब से लोहा लिया था। कवि रामदास की राष्ट्रीय भावना, सन्त ज्ञानेश्वर का कर्मयोग, तुकाराम और लोकनाथ के गीत तथा तिलक के ‘करो या मरो’ का उपदेश जवाहरलाल के जीवन में मूर्तिमान हो उठता है। केशवगुप्त के ओजस्वी गीत उनके हृदय में नव-चेतना को जाग्रत करते हैं।

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नेहरू जी ने राजस्थान से संघर्षों में जीना सीखा तथा यहाँ के महापुरुषों से संकटों में अपने पथ से किसी भी प्रकार से विचलित न होने की शिक्षा ली। हल्दीघाटी की माटी वीर जवाहर को स्वतन्त्रता पर मिटने की भावना दे रही है

माथे पर टीका लगा दिया, हल्दीघाटी की माटी ने।
यों मन्त्र दिया मर मिटने का, आजादी की परिपाटी ने ॥

राजस्थान उन्हें भारत की सम्पूर्ण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक धरोहर के रूप में आबू की पवित्र कला, वीर क्षत्राणियों का जौहर-व्रत, पन्ना धाय की स्वामिभक्ति और त्याग तथा मीरा का प्रेम में दीवानापन सौंपता है। वह राणा साँगा, कुम्भा, जयमल और महाराणा प्रताप (UPBoardSolutions.com) का शौर्य तथा त्याग उनको प्रदान करता है।

राजस्थान की इस वीर भावना को देखकर सतपुड़ा राज्य भारत की अखण्डता की घोषणा करता हुआ कहता है

बूढ़ा सतपुड़ा लगा कहने, हूँ दूर मगर अलगाव नहीं।
कम हुआ आज तक उत्तर से, दक्षिण का कभी लगाव नहीं ॥

नेहरू जी के दर्शन के लिए नर्मदा, ताप्ती, महानदी, कृष्णा, कावेरी आदि नदियाँ भी पूरब से पश्चिम की ओर फैली हुई थीं। महावीर और गौतम के उपदेशों से ही इन्होंने महान्-धर्म को सीखा। कम्बन की ‘रामायण’ से इन्होंने ‘हिन्दू धर्म का ज्ञान प्राप्त किया तथा रामानुजाचार्य और शंकराचार्य के दार्शनिक तत्त्वों से आत्म-ज्ञान प्राप्त किया। सतपुड़ा के सन्त अय्यर से इन्होंने सत्याग्रह का महामन्त्र प्राप्त किया है। कालिदास की भावुकता, कुमारिल की विलक्षण प्रतिभा, अंगारों की भाषा वाला फकीर मोहन तथा अकबर से लड़ने वाली चाँदबीबी’ जैसी महान् विभूतियों को सतपुड़ा अपने हृदय में धारण किये हुए है। इन विभूतियों की समस्त विशेषताओं को वह नेहरू जी को समर्पित कर देता है। यहाँ की प्रतिमाओं में भारतीय संस्कृति अपने जीवन्त रूप में विद्यमान है। भुवनेश्वर और तंजौर की प्रतिमाएँ नेहरू जी को विशेष रूप से आकर्षित करती हैं।

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बंगाल भी जवाहर पर अपना वैभव न्योछावर करने में पीछे नहीं है। जहाँ बंगाल का वैभवशाली अतीत चण्डीदास तथा गोविन्ददास के मधुर गीतों को सँजोये है वहीं दूसरी ओर राधा की ममता जयदेव के गीतों में झलकती है। इनके छन्दों में गोपियों की व्याकुलता के भी दर्शन होते हैं। कृतिवास के द्वारा अनूदित रामायण व महाभारत तथा महाप्रभु चैतन्य की भक्तिपूर्ण वाणी नेहरू जी के चारित्रिक विकास में सहायक बने हैं। दौलत काजी तथा शाह जफर की गजलें नेहरू जी की वाणी में गुंजित हो रही हैं। विवेकानन्द तथा दीनबन्धु ऐण्डूज की कर्मठता ने नेहरू जी को बहुत अधिक प्रभावित किया है। बंगाल प्रदेश तो नेहरू (UPBoardSolutions.com) जी को बंकिम चन्द्र का राष्ट्र-प्रेम, टैगोर तथा शरत् की अमर कला, सुभाषचन्द्र बोस की देशभक्ति आदि सभी कुछ समर्पित कर गौरव का अनुभव कर रही है। वह कहता है

अब जो कुछ है सब अर्पित है; आँसू अंगारे औ फनी।
जीवन की लाज बचा लेना, गंगा यमुना के वरदानी।

असम अपने जंगलों, पर्वतों और नदियों की प्राकृतिक सुषमा को नेहरू जी पर वारता हुआ धन्य हो रहा है। रामायण के अनुवादक माधव कन्दली तथा मनसा नामक भक्त-कवि के गीतों ने नेहरू जी के मन को शुद्धता प्रदान की है। वैष्णव मठ की दीवारों पर निर्मित चरित-पुथी ने जन-जन को मानवता के मन्त्र का पाठ पढ़ाया है। असम की घाटियों में संगीत गूंज रहा है तथा वहाँ की हरियाली नेहरू जी का स्वागत करने के लिए मानो छलकी पड़ रही है। असम नेहरू जी का स्वागत करना चाहता है; वह कहता है

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मेरी हर धड़कन प्यासी है, तेरे चरणों के चुम्बन को ।
होती तैयार खड़ी है रे, जन-मन के स्नेह समर्पण को ।

बिहार गौतम बुद्ध की तपोभूमि है। यह सत्य, दया, अहिंसा, क्षमा, त्याग (UPBoardSolutions.com) आदि का नन्दन वन है। महावीर स्वामी की विभूति वैशाली नेहरू जी को मानवीय गुणों के मोती अर्पित करती हुई कहती है–

फिर भी दर्शन के कुछ मोती, इस आशा से ले आयी हूँ।
मोती की लाज न जाएगी, मोती के द्वारे आयी हूँ।

समुद्रगुप्त की यशोगाथा आज भी विद्यमान है। समुद्रगुप्त के पुत्र चन्द्रगुप्त ने भी अपनी वीरता से भारत का मस्तक कभी झुकने नहीं दिया। कलिंग को जीतने के बाद अशोक वैराग्य-भावना से ओत-प्रोत हो गये। इस प्रदेश की ये सभी घटनाएँ नेहरू जी के व्यक्तित्व पर विशेष प्रभाव डालती हैं। वैदिक संस्कृति के विकास में यहाँ के पुष्यमित्र शुंग का विशेष योगदान रहा है। पतंजलि के चिन्तन, बौद्धिक संस्कृति, साहित्य आदि को बिहार नेहरू जी के अभिनन्दन में अर्पित करना चाहता है।

उत्तर प्रदेश अपनी कोख में वीर जवाहर को जन्म देकर धन्य है। मथुरा, वृन्दावन और अयोध्या की गली-गली में चर्चा है कि आज राम और कृष्ण ने प्रयाग में जन्म लिया है। उत्तर प्रदेश तुलसी की राममयी वाणी, सारनाथ में बुद्ध के उपदेश, कबीर की आडम्बरहीनता एवं साम्प्रदायिक सौहार्द, सूर के गीतों का उपहार लिये इस महामानव का अभिनन्दन करता है। स्वतन्त्रता-प्राप्त करने का नाना साहब का स्वप्न वीर जवाहर को पाकर साकार (UPBoardSolutions.com) हो गया। झाँसी और बिठूर को जननायक की कार्यक्षमता पर अटल विश्वास है, मानो तात्या टोपे, जीनत महल, मोहम्मद शाह आदि के बलिदान से वीर जवाहर का आविर्भाव हुआ हो।

पंजाब भी अपनी गौरवमयी परम्परा को सौंपते हुए जननायक जवाहर के व्यक्तित्व की अभिवृद्धि में योग दे रहा है। सिकन्दर को स्वाभिमान का पाठ पढ़ाने वाले राजा पोरस का पौरुष, गुरु नानक की वाणी आदि सब कुछ पंजाब वीर जवाहर को सौंप देता है। जलियाँवाला बाग अपनी करुणा-कथा कहता हुआ नेहरू जी के हृदय में नव-चेतना का संचार करता है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की सभ्यता का इतिहास लिये हुए पंजाब नेहरू जी के सामने श्रद्धा के सुमन अर्पित करता है।

कश्मीर का सौन्दर्य नेहरू जी को आकर्षित करता है तथा उन पर फूलों की वर्षा करता है।

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कुरुक्षेत्र नेहरू जी को अर्जुन की संज्ञा से विभूषित करता है तथा अर्जुन से गाण्डीव उठवाकर दुर्योधन जैसे अत्याचारी व्यक्तियों को समाप्त करने का आदेश देता है।

पराधीनता के पाश में जकड़ी दिल्ली मुहम्मद गोरी, चंगेज खाँ, तैमूरलंग की खूनी बरबादी की स्मृतियों को नायक को सौंपने की कल्पना में ही कम्पित हो जाती है, किन्तु अकबर की हिन्दू-मुस्लिम एकता की ज्योति को सौंपते हुए वह गौरवान्वित है। दिल्ली उन्हें जहाँगीर का न्याय तथा शाहजहाँ की कलात्मक सौगात को अर्पित करती है।

वास्तव में सम्पूर्ण भारत ने नेहरू जी को अपनी सभी निधियाँ अर्पित की हैं। यमुंना अपने संगम के राजा के अभिनन्दन के लिए अपनी निधियों को न्योछावर करने संगम तक गयी है। अतः यह कथन भी पूर्ण रूप से उपयुक्त ही है कि ‘ज्योति-जवाहर’ के नायक के व्यक्तित्व के निर्माण में सम्पूर्ण भारतवर्ष का योगदान रहा है। कवि नायक के व्यक्तित्व में सम्पूर्ण राष्ट्र की चेतना की झलक देखते हुए कहता है

जब लगा देखने मानचित्र, भारत न मिला तुमको पाया।
जब तुझको देखा नयनों में, भारत का चित्र उभर आया।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि कवि श्री देवीप्रसाद राही जी (UPBoardSolutions.com) ने ‘ज्योति-जवाहर’ के कथानक के प्रतीकों के माध्यम से लाक्षणिक परिवेश में चित्रित करके, कथानक के आदि; मध्य और अन्त को एकात्मकता के सूत्र में पिरोकर, घटनाप्रधान कथानकों की घिसी-पिटी परिपाटी से हटकर, मनोवैज्ञानिक एवं भावात्मक पृष्ठभूमि के आधार पर, संवेदनशील अनुभूतियों के ताने-बाने से प्रस्तुत खण्डकाव्य के कलेवर को मौलिक स्वरूप प्रदान किया है। इसके विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्रनायक पं० नेहरू का उद्भव ही एक महान घटना है, जिससे प्रेरित होकर इस कृति का सृजन हुआ है।

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प्रश्न 3
‘ज्योति-जवाहर’ के आधार पर खण्डकाव्य के नायक पं० जवाहरलाल नेहरू का चरित्र-चित्रण कीजिए। [2010, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]
था
“‘ज्योति-जवाहर’ में नेहरू का विराट् व्यक्तित्व ही भारतीय राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।” उक्त कथन की पुष्टि कीजिए। [2009, 10]
था
‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य में व्यक्त राष्ट्रीय भावना पर प्रकाश डालिए। [2018]
था
‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य के आधार पर पं० जवाहरलाल नेहरू का चरित्र-चित्रण आधुनिक भारत के निर्माता एवं देशप्रेमी के रूप में कीजिए।
था
‘ज्योति-जवाहर’ के नायक के विविध गुणों और उसकी प्रधान चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। [2009, 10, 11, 13,14, 16]
था
‘ज्योति-जवाहर’ के नायक की किन्हीं तीन/चार व्यक्तिगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। [2014]
था
‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य के नायक (प्रमुख पात्र) का चरित्र-चित्रण कीजिए। [2016, 18]
था
‘ज्योति-जवाहर’ के नायक के प्रेरक चरित्र का वर्णन कीजिए। [2011]
था
“ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य के नायक में देश-प्रेम, विश्व-बन्धुत्व, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तथा राष्ट्रीय भावनात्मक एकता के समन्वित दर्शन होते हैं।” इस कथन की पुष्टि संक्षेप में कीजिए।
था
‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य कें जिस पात्र ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया हो, उसका चरित्र-चित्रण कीजिए। [2013, 14, 15]
उत्तर
श्री देवीप्रसाद शुक्ल ‘राही’ द्वारा रचित ‘ज्योति-जवाहर’ नामक खण्डकाव्य के नायक पंडित जवाहरलाल नेहरू हैं। प्रस्तुत खण्डकाव्य में कवि ने नायक के व्यक्तित्व को भारत की सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक, साहित्यिक, धार्मिक और ऐतिहासिक (UPBoardSolutions.com) विशिष्टताओं से समाहित करके नायक जवाहर के व्यक्तित्व में निम्नलिखित विशिष्टताओं को देखा है

(1) अलौकिक पुरुष–कवि ने जवाहरलाल नेहरू के व्यक्तित्व में अलौकिकता का समावेश किया है तथा कहा है कि वे दिव्य तत्त्वों से निर्मित अलौकिक पुरुष हैं। विधाता ने अपने रचना-कौशल से सूर्य से तेज, चन्द्रमा से सुघड़ता, हिमालय से स्वाभिमान, सागर से गम्भीरता, वायु से गति और धरती से धैर्य लेकर उनके व्यक्तित्व का निर्माण किया है–

सूरज से लेकर ज्योति, चाँद से लेकर सुघराई तन की ।
हिमगिरि से लेकर स्वाभिमान, सागर से गहराई मन की॥
लेकर मारुत से गति अबाध, धरती से ले धीरज सम्बले।।
विधि ने तुझको ही सौंप दिया, अपनी रचना का पुण्य सकल ॥

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कवि ने उनके व्यक्तित्व को राम-कृष्ण के गुणों से सम्पन्न मानकर युगावतार का स्वरूप प्रदान । किया है।

(2) गाँधीजी से प्रभावित–जवाहरलाल नेहरू महात्मा गाँधी के सच्चे अनुयायी एवं शिष्य थे। उन्हें गाँधी से सत्य, अहिंसा, उदारता, मानव-प्रेम, करुणा का आशीर्वाद उसी प्रकार प्राप्त हुआ था, जैसे राम को वशिष्ठ का शुभाशीष प्राप्त हुआ था। उन्होंने गाँधीजी के कर्म-सिद्धान्त से प्रेरणा पाकर अपने जीवन को कर्ममय बनाया है।

(3) समन्वयकारी लोकनायक-ज्योति-जवाहर’ काव्य में कवि ने उन्हें ‘संगम का राजा’ कहकर सम्बोधित किया है। उनके विराट् व्यक्तित्व में भारत के सम्पूर्ण धर्मों, संस्कृति, दर्शन, कला, साहित्य, राजनीति आदि के सभी रूपों का अपूर्व संगम मिलता है। वे (UPBoardSolutions.com) जननायक, लोकनायक एवं युगपुरुष के रूप में चित्रित किये गये हैं। भारतवर्ष के प्रत्येक प्रान्त ने अपना कुछ-न-कुछ उन पर न्योछावर किया है। नेहरू जी को युगावतार मानते हुए कवि ने इस प्रकार कहा है

मथुरा वृन्दावन अवधपुरी की, गली-गली में बात चली।
फिर नया रूप धरकर उतरा, द्वापर त्रेता का महाबली ॥

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(4) राष्ट्रीय भावों के प्रेरक–जवाहरलाल नेहरू का व्यक्तित्व भारतीयों को राष्ट्रीय भावनाओं की प्रेरणा देने वाला है। उनके व्यक्तित्व में अशोक की युद्ध–विरक्ति, बुद्ध की करुणा, महावीर की अहिंसा, प्रताप का स्वाभिमान, शिवाजीं की देशभक्ति और विवेकानन्द के आत्मदर्शन की झलक दिखाई पड़ती है। भारत का कण-कण उन्हें त्याग और बलिदान से अभिमण्डित कर रहा है। इसी भाव को व्यक्त करते हुए राही जी कहते हैं

आजादी की मुमताज जिसे, अपने प्राणों से प्यारी है।
उस पर अपनी मुमताजसहित, यह शाहजहाँ बलिहारी है ॥
उनके व्यक्तित्व में राष्ट्रीय चेतना और भावात्मक एकता के दर्शन होते हैं।

(5) स्वाधीनता-सेनानी–प्रस्तुत खण्डकाव्य में कवि ने वीर जवाहर को एक उत्कृष्ट देशभक्त और अजेय स्वाधीनता-सेनानी के रूप में चित्रित किया है। महाराष्ट्र इस युगपुरुष को शिवाजी की तलवार के रूप में शक्ति सौंपता है, जिससे वे विदेशी शक्तियों से लोहा ले सकें। झाँसी और बिठूर को नेहरू की कार्यक्षमता पर अटल विश्वास है; क्योंकि उनका आविर्भाव तात्या टोपे और मुहम्मद शाह के बलिदान से हुआ है। राजस्थान इस वीर सेनानी को आन पर मिटने की अदा और संघर्षों से जूझने की मस्ती प्रदान करता है।

(6) दृढ़ पुरुष—नायक जवाहरलाल में कठिनाइयों में धैर्य धारण करने की अद्भुत क्षमता है। (UPBoardSolutions.com) उन्हें यह गुण असम की मिट्टी से प्राप्त हुआ है

काँटों की नोकों पर खिलना, मेरे जीवन की शैली है।
मेरी दिनचर्या पर्वत से, लेकर जंगल तक फैली है ॥

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जिस प्रकार नारियल का फल ऊपर से कठोर और अन्दर से कोमल होता है उसी प्रकार श्री नेहरू ऊपर से सैनिक के शरीर के समाने कठोर और अन्दर से सन्त के मन के समान कोमल हैं। इसीलिए खण्डकाव्य में राही जी ने स्वयं उनके मुख से कहलवाया है-

मुझमें कोमलता है लेकिन, कायरता मेरा मर्म नहीं ।
बैरी के सम्मुख झुक जाना, मेरे जीवन का धर्म नहीं ॥

(7) नीतिज्ञ एवं स्वाभिमानी-नेहरू जी महान् राजनीतिज्ञ हैं। यह गुण उन्हें चाणक्य से प्राप्त हुआ था, जिसके सम्मुख सिकन्दर जैसा विश्व-विजेता भी मात खा गया था। उन्होंने राजा पोरस से स्वाभिमान का पाठ पढ़ा, जिसने सिकन्दर को स्वाभिमान का पाठ सिखाया था।

(8) नवराष्ट्र के निर्माता–भारत को स्वतन्त्र कराने के पश्चात् नये राष्ट्र का निर्माण करने वालों में जवाहरलाल नेहरू का नाम अग्रगण्य है। देश का सर्वाधिक उत्थान और विकास करने के लिए उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं का आरम्भ किया। गुट-निरपेक्षता, निरस्त्रीकरण, विश्व शान्ति की स्थापना आदि कार्यों के परिणामस्वरूप भारत विश्व के समक्ष प्रतिष्ठित हुआ। वे भारत को जाति-पॉति के बन्धनों से मुक्त देखना चाहते थे तथा सभी धर्मों की एकता में विश्वास रखकर देश को निरन्तर प्रगति-पथ पर अग्रसर रखना चाहते

(9) विश्व-शान्ति के अग्रदूत-नेहरू जी का व्यक्तित्व महान् था। भारत के राष्ट्र-भक्तों की श्रृंखला में उनका नाम अग्रगण्य है। भारत के भाग्य-विधाता के रूप में वे भारत की धरती पर अवतरित हुए। विश्वविख्यात धीरोदात्त नायक हैं, जिन्हें देश के प्रत्येक अंचल से स्नेहाशीष प्राप्त होता है।

संक्षेप में कहा जा सकता है कि जवाहरलाल लोकनायक एवं युगावतार हैं, जिनमें अहिंसा, सत्य, मानव-प्रेम, करुणा, विश्व-बन्धुत्व, शौर्य, स्वाभिमान, क्षमा आदि सभी गुण विद्यमान हैं। राष्ट्रीय भावात्मक एकता के प्रतीक के रूप में इनका व्यक्तित्व स्फटिक जैसी स्वच्छता, स्वदेशाभिमान, देश-प्रेम, विश्वबन्धुत्व एवं महान् मानवीय चेतना से ओत-प्रोत है। वस्तुतः वे भारत की आत्मा ही हैं।

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प्रश्न 4
‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य के आधार पर कलिंग युद्ध (मर्मस्पर्शी प्रसंग) का वर्णन कीजिए तथा उसके परिणाम का उल्लेख कीजिए।
था
‘ज्योति-जवाहर’ में वर्णित कलिंग युद्ध की घटना और सम्राट् अशोक पर उसके प्रभाव का वर्णन कीजिए। यह भी बताइए कि इस खण्डकाव्य की कथा में इसका क्या महत्त्व है ?
या
‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य की ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जिसने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया हो और क्यों ? (2015)
था
‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य के आधार पर कलिंग युद्ध का वर्णन कीजिए।[2016, 17]
उत्तर
‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य में कवि श्री देवीप्रसाद शुक्ल ‘राही’ ने आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरू को भारतीय संस्कृति और इतिहास के प्रतीक रूप में चित्रित किया है। इसके लिए कवि ने भारतीय इतिहास की अनेक घटनाओं का वर्णन किया है। इस काव्य में वर्णित (UPBoardSolutions.com) घटनाओं में कलिंग युद्ध और उसके परिणाम का मेरे हृदय पर विशेष प्रभाव पड़ा है; क्योंकि इसका अति मार्मिक वर्णन किया गया है। संक्षेप में इसका प्रसंग निम्नवत् है|

कलिंग युद्ध की घटना सम्राट अशोक के शासनकाल में हुई। यह घटना हृदय को कँपा देने वाली है। इस विध्वंसकारी युद्ध में रक्त की नदियाँ बह गयी थीं, जिसमें आदमी मछलियों जैसे तैरते दिखाई दे रहे थे। इस युद्ध में अस्त्र-शस्त्रों की भयंकर ध्वनि सुनाई पड़ती थी। हर ओर त्राहि-त्राहि मची हुई थी। नरमुण्ड कटकट कर धरती पर गिर रहे थे। न जाने कितनी माताओं की गोद सूनी हो गयी थी, अगणित नारियों की माँग का सिन्दूर पुछ गया था और अनेक बहनें अपने भाइयों की मृत्यु पर बिलख रही थीं। इस प्रकार के भयानक दृश्य को देखकर सभी का हृदय करुण क्रन्दन करने लगा था।

सम्राट अशोक ने जब इतना भयंकर नरसंहार देखा तो उसका हृदय करुणा से द्रवीभूत होने लगा। उसके अन्तस्तल में दया का समुद्र हिलोरें मारने लगा। उसने यह प्रण किया कि वह अब कभी भी हिंसा न करेगा और न ही कोई युद्ध लड़ेगा। वह अपने मन में विचार करने लगा कि मेरे संकेत मात्र से न जाने कितने व्यक्ति काल के मुँह में समा गये हैं। उसका मन विचलित होने लगा। उसके हृदय में वैराग्य भाव जाग्रत हो गया। साम्राज्य (UPBoardSolutions.com) विशाल होते हुए भी वह उसे छोटा और सारहीन प्रतीत होने लगा। कवि ने अशोक की मनोदशा का वर्णन करते हुए कहा है

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सोने चाँदी का आकर्षण अब उसे घिनौना लगता था।
साम्राज्यवाद का शीशमहल कुटिया से बौना लगता था।

कलिंग युद्ध के बाद अशोक पूर्णतया अहिंसक और वैरागी बन गया था। इस युद्ध ने उसके हृदय पर गहरा आघात किया था-

जाने कैसी थी कचोट, छिन पहले जिसने जगा दिया।
हिंसा की जगह अहिंसा का, अंकुर अन्तर में जमा दिया।

कलिंग युद्ध से अशोक का हृदय इतना दु:खी हुआ कि उसने सदैव के लिए तलवार फेंक दी तथा महात्मा गौतम बुद्ध का अनुयायी हो बौद्ध भिक्षु बन गया। कवि ने अशोक की इस स्थिति का चित्रण इस प्रकार किया है-

जो कभी न हारा औरों से, वह आज स्वयं से हार गया।
भिक्षुक अशोक, राजा अशोक से, पहले बाजी मार गया ।।।

‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य में अशोक के द्वारा कलिंग युद्ध करना फिर वैराग्य पैदा हो जाना, इस सबका वर्णन खण्डकाव्य के नायक जवाहरलाल नेहरू के विचारों पर वैराग्य के प्रभाव को चित्रित करने के लिए किया गया है।

सचमुच कलिंग युद्ध और उससे प्रभावित अशोक का यह प्रसंग बड़ा ही रोमांचकारी, भावपूर्ण तथा भारतीय इतिहास की अन्यान्य घटनाओं में प्रभावकारी, प्रमुख तथा महत्त्वपूर्ण है।

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प्रस्तुत खण्डकाव्य की कथा में कलिंग युद्ध के प्रसंग का बड़ा ही महत्त्व है। इसमें एक ओर तो अशोक को युद्ध में रत दिखाया है और दूसरी ओर युद्ध की अतिशयता तथा भीषण नरसंहार से उसके हृदय को बदलते और हिंसा को छोड़कर अहिंसक बनते (UPBoardSolutions.com) दिखाया गया है। अशोक के द्वारा शान्ति और अहिंसा का सन्देश दूर-दूर तक फैलाने का वर्णन किया गया है। जवाहरलाल नेहरू भी शान्ति के अग्रदूत तथा हिंसा के विरोधी थे। अशोक से सम्बन्धित इस प्रसंग का वर्णन करके जवाहरलाल नेहरू के विचारों को अहिंसक बनाने का प्रयास कवि द्वारा किया गया है। प्रस्तुत काव्य का प्रमुख उद्देश्य जवाहरलाल नेहरू के व्यक्तित्व को उजागर करना है और इसी के लिए इस प्रसंग का वर्णन किया गया है। अत: यह प्रसंग मेरी दृष्टि में अति महत्त्वपूर्ण है।

सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन प्रणाली तथा प्रायोगिक एवं आन्तरिक मूल्यांकन

प्रतिदर्श प्रश्न-पत्र (हल सहित)

प्रथम मासिक परीक्षा

हिन्दी-x

निर्देश—सभी प्रश्नों के उत्तर लिखने हैं। प्रश्नों के अंक उनके सम्मुख अंकित हैं।

प्रश्न 1.
वाचन के अन्तर्गत कौन-कौन से विषय सम्मिलित किये जाते हैं ?
उत्तर
वाचन के अन्तर्गत निम्नलिखित नौ विषय मुख्य रूप से सम्मिलित किये जाते हैं-

  1. भाषण,
  2. वाद-विवाद,
  3. सस्वर कविता-वाचन,
  4. वार्तालाप,
  5. कार्यक्रम-प्रस्तुति,
  6. अन्त्याक्षरी,
  7. कथाकहानी या कोई घटना सुनाना,
  8. परिचय देना और परिचय प्राप्त करना तथा
  9. भावानुकूल संवाद वाचन।

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प्रश्न 2
अच्छे भाषण की चार प्रमुख विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर
अच्छे भाषण की चार प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–

  1. भाषण रोचके होना चाहिए। उसमें जोश, उमंग और उत्साह भरा होना चाहिए।
  2. भाषण की भाषा प्रभावशाली व लोगों की समझ में आने वाली होनी चाहिए।
  3. भाषण के विषय को आज के जीवन से जोड़ते हुए वर्तमान उदाहरणों से पुष्ट करने का प्रयास करना चाहिए, जिससे उसमें सजीवता आ जाए।
  4. भाषण देते समय कविता की पंक्तियाँ या शेर या सूक्तियाँ आदि का जरूरत के मुताबिक प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 3
आपके विद्यालय के वार्षिकोत्सव में आपके विद्यालय की एक छात्रा सुनिधि कत्थक नृत्य प्रस्तुत करेगी। आप उसका परिचय देकर मंच पर बुलाइए तथा प्रस्तुति पश्चात् टिप्पणी भी कीजिए।
उत्तर
नृत्य का नाम सुनते ही हमारा मन झूम उठता है। अंग थिरकने लगते हैं और फिर सामने शास्त्रीय नृत्य हो तो बात ही कुछ और हो जाती है। आज आपके सामने प्रस्तुत किया जा रहा है–कत्थक नृत्य। इस नृत्य को हमारे ही विद्यालय की नवीं कक्षा की छात्रा सुनिधि प्रस्तुत करेंगी। जैसा सुन्दर नाम, वैसा ही सुन्दर काम! तो देखिए कत्थक नृत्य।।

कार्यक्रम पश्चात् टिप्पणी–मैंने कहा था—जैसा सुन्दर नाम, वैसा ही सुन्दर (UPBoardSolutions.com) काम! बहुत ही सुन्दर नृत्य था यह-मनोरम, आकर्षक और अपने-आप में सम्पूर्ण।

प्रश्न 4
निम्नलिखित शब्दों में से किसी एक शब्द का स्वनिर्मित वाक्य में प्रयोग कीजिए विश्वकोश और दूरस्थ
उत्तर
वाक्य-प्रयोग–विश्वकोश को सर्वाधिक प्रामाणिक सन्दर्भ-ग्रन्थ माना जाता है।
या मैं अपने दूरस्थ मित्रों से चलित दूरभाष यन्त्र द्वारा सम्पर्क रखता हूँ।

प्रश्न 5
निम्नलिखित शब्दों में से किसी एक शब्द से उपसर्ग व प्रत्यय अलग करके लिखिए प्रोत्साहित या प्रतिनिधित्व
उत्तर
प्रोत्साहित = प्र (उपसर्ग) + उत्साह (मूल शब्द) + इत (प्रत्यय)
या प्रतिनिधित्व = प्रति (उपसर्ग + निधि (मूल शब्द) + त्व (प्रत्यय)

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प्रश्न 6
निम्नलिखित शब्दों में से किसी एक शब्द का सनाम समास-विग्रह दीजिए पदकमल या सुलोचनि
उत्तर
समास-विच्छेदपद-
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 9 ज्योति-जवाहर (खण्डकाव्य) img-1
प्रश्न 7
निम्नलिखित पदों में से किसी एक का नियम-निर्देशपूर्वक सन्धि-विच्छेद कीजिएनिराश्रय और पतनोन्मुख
उत्तर
सन्धि-विच्छेद-
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 9 ज्योति-जवाहर (खण्डकाव्य) img-2

द्वितीय मासिक परीक्षा

हिन्दी-X

निर्देश सभी प्रश्नों के उत्तर लिखने हैं। सभी प्रश्नों के लिए अंक निर्धारित है।

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प्रश्न 1
उचित विकल्प का चयन करके अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए
(i) संज्ञा किसे कहते हैं?
(क) व्यक्तियों, वस्तुओं और स्थानों के गुण, संख्या और परिमाण का बोध कराने वाले शब्दों को
(ख) किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, स्थिति, गुण अथवा भाव का बोध कराने वाले शब्दों को
(ग) किसी व्यक्ति की स्थिति व गुणों को बोध कराने (UPBoardSolutions.com) वाले शब्दों को
(घ) किसी वस्तु व स्थान की स्थिति व उसके गुण-दोषों व भाव की स्थिति का बोध कराने वाले शब्दों को
उत्तर
(ख) किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, स्थिति, गुण अथवा भाव का बोध कराने वाले शब्दों को

(ii) विशेषण को उन शब्दों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है-
(क) जो शब्द पुल्लिग की विशेषता बताते हैं।
(ख) जो शब्द स्त्रीलिंग की विशेषता बताते हैं।
(ग) जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं।
(घ) जो शब्द बहुवचन की विशेषता बताते हैं।
उत्तर
(ग) जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं।

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(iii) वाच्य को परिभाषित किया जा सकता है-
(क) क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कर्ता स्वयं कार्य न करके दूसरे से काम करवाता है, उसे वाच्य कहते हैं।
(ख) क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कर्ता दूसरे से कार्य न करवाकर स्वयं कार्य करता है, उसे वाच्य कहते हैं।
(ग) क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि क्रिया का मुख्य विषय कर्ता है, कर्म है अथवा भाव, उसे वाच्य कहते हैं।
(घ) दो या दो से अधिक धातुओं के योग से बनी क्रियाओं को वाच्य कहते हैं।
उत्तर
(ग) क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि क्रिया का मुख्य विषय कर्ता है, कर्म है अथवा भाव, उसे वाच्य कहते हैं।

(iv) क्रिया-विशेषण की उचित परिभाषा है-
(क) वे संज्ञा शब्द जो विशेषण प्रकट करते हैं, क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
(ख) वे सर्वनाम शब्द जो विशेषण की विशेषता प्रकट करते हैं, क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
(ग) वे अविकारी शब्द जो क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं, क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
(घ) वे सम्बन्ध बोधक शब्द जो विशेषण की  विशेषता प्रकट करते हैं क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
उत्तर
(ग) वे अविकारी शब्द जो क्रिया की विशेषता (UPBoardSolutions.com) प्रकट करते हैं, क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।

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(v) जो अव्यय शब्द वाक्य में किसी शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ पर विशेष प्रकार का बल देते हैं, उन्हें कहते हैं-
(क)निपात
(ख)
क्रिया-विशेषण
(ग) संबंधबोधक
(घ) समुच्चयबोधक
उत्तर
(क) निपात।

प्रश्न 2
उचित विकल्प का चयन करके अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए –
1. कौन-से विकल्प में सभी शब्द भाववाचक संज्ञाएँ हैं?
(क) अमीरी, दोस्ती, संस्कार, इंसानियत
(ख) नारीत्व, दोस्त, बूढ़ा, यौवन
(ग) युवक, गुरु, शठ, नेतृत्व
(घ) वक्ता, स्वत्व, प्रयोग, सर्दी
उत्तर
(क) अमीरी, दोस्ती, संस्कार, इंसानियत।

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2. कौन-से विकल्प में सभी सर्वनाम अनिश्चयवाचक हैं?
(क) कुछ, किसी का, किन का, मैं
(ख) किसी ने, किसे, क्या, हम ।
(ग) किन्हीं ने, कोई, कुछ, जो
(घ) कोई, कुछ, किसी की, किन्हीं की
उत्तर
(घ) कोई, कुछ, किसी की, किन्हीं की।

3. कौन-से वाक्य में गुणवाचक विशेषण का प्रयोग किया गया है?
(क) मेरे पास एक काला कुत्ता है
(ख) बाज़ार से तीन किलो घी ले आओ |
(ग) उसने परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया
(घ) वह लड़का कहाँ चला गया
उत्तर
(क) मेरे पास एक काला कुत्ता है।

4. अब से ऐसी बात नहीं होगी’ में क्रिया-विशेषण है
(क) ऐसी
(ख) अब से
(ग) नहीं
(घ) ऐसी बात
उत्तर
(घ) ऐसी बात।।

5. निम्नलिखित वाक्यों में सरल वाक्य है
(क) सत्य बोलो और प्रगति प्राप्त करो
(ख) सत्य बोलने वाले की सदा विजय होती है।
(ग) जो सत्य बोलते हैं उनकी सदा जय होती है।
(घ) कभी असत्य मत बोलो क्योंकि सत्य बोलना श्रेष्ठ है।
उत्तर
(ख) सत्य बोलने वाले की सदा विजय होती है।

तृतीय मासिक परीक्षा

हिन्दी-x

निर्देश-सभी प्रश्नों के उत्तर लिखने हैं। प्रश्नों के अंक उनके सम्मुख अंकित हैं।

प्रश्न 1
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर अति संक्षिप्त (100-150 शब्दों का) निबन्ध लिखिए—
(क) स्वदेश-प्रेम,
(ख) प्रमुख प्राकृतिक आपदाएँ।
उत्तर
स्वदेश-प्रेम
रूपरेखा–
(1) प्रस्तावना,
(2) देश-प्रेम की स्वाभाविकता,
(3) देश-प्रेम का अर्थ,
(4) देश-प्रेम का क्षेत्र,
(5) भारतीयों का देश-प्रेम,
(6) उपसंहार।

प्रस्तावना—ईश्वर द्वारा बनायी गयी सर्वाधिक अद्भुत रचना है ‘जननी’, जो नि:स्वार्थ प्रेम की प्रतीक है, प्रेम का ही पर्याय है, स्नेह की मधुर बयार है, सुरक्षा का अटूट कवच है, संस्कारों के पौधों को ममता के जल से सींचने वाली चतुर उद्यान रक्षिका है, जिसका नाम प्रत्येक शीश को नमन के लिए झुक जाने को प्रेरित कर देता है। यही बात जन्मभूमि के विषय में भी सत्य है। इन दोनों का दुलार जिसने पा लिया, उसे स्वर्ग का पूरा-पूरा अनुभव (UPBoardSolutions.com) धरा पर ही हो गया। इसीलिए जननी और जन्मभूमि की महिमा को स्वर्ग से भी बढ़कर बताया गया है।

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देश-प्रेम की स्वाभाविकता–प्रत्येक देशवासी को अपने देश से अनुपम प्रेम होता है। अपना देश चाहे बर्फ से ढका हुआ हो, चाहे गर्म रेत से भरा हुआ हो, चाहे ऊँची-ऊँची पहाड़ियों से घिरा हुआ हो, वह सबके लिए प्रिय होता है।

प्रात:काल के समय पक्षी भोजन-पानी के लिए कलरव करते हुए दूर स्थानों पर चले तो जाते हैं, परन्तु सायंकाल होते ही एक विशेष उमंग और उत्साह के साथ अपने-अपने घोंसलों की ओर लौटने लगते हैं। जब पशु-पक्षियों को अपने घर से, अपनी मातृभूमि से इतना प्यार हो सकता है तो भला मानव को अपनी जन्मभूमि से, अपने देश से क्यों प्यार नहीं होगा? कहा भी गया है कि माता और जन्मभूमि की तुलना में स्वर्ग का सुख भी तुच्छ है-जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ।।

देश-प्रेम का अर्थ-देश-प्रेम का तात्पर्य है–देश में रहने वाले जड़-चेतन सभी से प्रेम, देश की सभी झोपड़ियों, महलों तथा संस्थाओं से प्रेम, देश के रहन-सहन, रीति-रिवाज, वेशभूषा से प्रेम, देश के सभी धर्मों, मतों, भूमि, पर्वत, नदी, वन, तृण, लता सभी से प्रेम और अपनत्व रखना, उन सबके प्रति गर्व की अनुभूति करना। सच्चे देश-प्रेमी के लिए देश का कण-कण पावन और पूज्य होता है-सच्चा देश-प्रेमी वही होता है, जो देश के लिए नि:स्वार्थ भावना से बड़े-से-बड़ा त्याग कर सकता है। स्वदेशी वस्तुओं का स्वयं उपयोग करता है और दूसरों को उनके उपयोग के लिए प्रेरित करता है। सच्चा देशभक्त उत्साही, सत्यवादी, महत्त्वाकांक्षी और कर्तव्य की भावना से प्रेरित होता है।

देश-प्रेम का क्षेत्र-देश-प्रेम का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। जीवन के किसी भी क्षेत्र में काम करने वाला व्यक्ति देशभक्ति की भावना प्रदर्शित कर सकता है। सैनिक युद्ध-भूमि में प्राणों की बाजी लगाकर, राज-नेता राष्ट्र के उत्थान का मार्ग प्रशस्त कर, समाज-सुधारक समाज का नवनिर्माण करके, धार्मिक नेता मानव-धर्म का उच्च आदर्श प्रस्तुत करके, साहित्यकार राष्ट्रीय चेतना और जन-जागरण का स्वर फेंककर, कर्मचारी, श्रमिक एवं किसान निष्ठापूर्वक अपने दायित्व का निर्वाह करके, व्यापारी मुनाफाखोरी व तस्करी का त्याग कर अपनी देशभक्ति की भावना को प्रदर्शित कर सकता है। संक्षेप में, सभी को अपना कार्य करते हुए देशहित को सर्वोपरि समझना चाहिए।

भारतीयों को देश-प्रेम–भारत माँ ने ऐसे असंख्य नर-रत्नों को जन्म दिया है, जिन्होंने असीम त्याग- भावना से प्रेरित होकर हँसते-हँसते मातृभूमि पर अपने प्राण अर्पित कर दिये। कितने ही ऋषि-मुनियों ने अपने तप और त्याग से देश की महिमा को मण्डित किया है तथा अनेकानेक वीरों ने अपने अद्भुत शौर्य से शत्रुओं के दाँत खट्टे किये हैं। वन-वन भटकने वाले महाराणा प्रताप ने घास की रोटियाँ खाना स्वीकार किया, परन्तु मातृभूमि के (UPBoardSolutions.com) शत्रुओं के सामने कभी मस्तक नहीं झुकाया। शिवाजी ने देश और मातृभूमि की सुरक्षा के लिए गुफाओं में छिपकर शत्रु से टक्कर ली और रानी लक्ष्मीबाई ने महलों के सुखों को त्यागकर शत्रुओं से लोहा लेते हुए वीरगति प्राप्त की। भगतसिंह, चन्द्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव, अशफाक उल्ला खाँ आदि न । जाने कितने देशभक्तों ने विदेशियों की अनेक यातनाएँ सहते हुए, मुख से ‘वन्देमातरम्’ कहते हुए हँसते-हँसते फाँसी के फन्दे को चूम लिया।

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उपसंहार-खेद का विषय है कि आज हमारे नागरिकों में देश-प्रेम की भावना अत्यन्त दुर्लभ होती जा रही है। नयी पीढ़ी का विदेशों से आयातित वस्तुओं और संस्कृतियों के प्रति अन्धाधुन्ध मोह, स्वदेश के बजाय विदेश में जाकर सेवाएँ अर्पित करने के सजीले सपने वास्तव में चिन्ताजनक हैं। हमारी पुस्तकें भले ही राष्ट्र-प्रेम की गाथाएँ पाठ्य-सामग्री में सँजोये रहें, परन्तु वास्तव में नागरिकों के हृदय में गहरा व सच्चा राष्ट्र-प्रेम ढूंढ़ने पर भी उपलब्ध नहीं होता। हमारे शिक्षाविदों व बुद्धिजीवियों को इस प्रश्न का समाधान ढूंढ़ना ही होगा। अब मात्र उपदेश या अतीत के गुणगान से वह प्रेम उत्पन्न नहीं हो सकता। हमें अपने राष्ट्र की दशा व छवि अनिवार्य रूप से सुधारनी होगी।

प्रत्येक देशवासी को यह ध्यान रखना चाहिए कि उसके देश भारत की देशरूपी बगिया में राज्यरूपी अनेक क्यारियाँ हैं। किसी एक क्यारी की उन्नति एकांगी उन्नति है और सभी क्यारियों की उन्नति देशरूपी उपवन की सर्वांगीण उन्नति है। जिस प्रकार एक माली अपने उपवन की सभी क्यारियों की देखभाल समाने भाव से करता है उसी प्रकार हमें भी देश का सर्वांगीण विकास करना चाहिए। देश-प्रेम मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। इसे संकुचित रूप में ग्रहण न कर व्यापक रूप में ग्रहण करना चाहिए। संकुचित रूप में ग्रहण करने से विश्व-शान्ति को खतरा हो सकता है। हमें स्वदेश-प्रेम की भावना के साथ-साथ समग्र मानवता के कल्याण को भी ध्यान में रखना चाहिए।

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प्रश्न 2
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीजिए-
महात्मा गाँधी अपना काम अपने हाथ से करने पर बल देते थे। वह प्रत्येक आश्रमवासी से आशा करते थे कि वह अपने शरीर से सम्बन्धित प्रत्येक कार्य, सफाई तक स्वयं करेगा। उनका कहना था कि जो श्रम नहीं करता है, वह पाप करता है और पाप का अन्न खाता है। ऋषि-मुनियों ने कहा है बिना श्रम किये जो भोजन करता है, वह वस्तुतः चोर है। महात्मा गाँधी का समस्त जीवन-दर्शन श्रमसापेक्ष था। उनका समस्त अर्थशास्त्र यही बताता था कि प्रत्येक उपभोक्ता को उत्पादनकर्ता होना चाहिए। उनकी नीतियों की उपेक्षा करने के परिणाम हम आज भी भोग रहे हैं। न गरीबी कम होने में आती है, न बेरोजगारी पर नियंत्रण हो पा रहा है और न अपराधों की वृद्धि हमारे वश की बात रही है। दक्षिण कोरियावासियों ने श्रमदान करके ऐसे श्रेष्ठ भवनों का निर्माण किया है, जिनसे किसी को भी ईष्र्या हो सकती है।
(क) महात्मा गाँधी प्रत्येक आश्रमवासी से क्या आशा करते थे?
(i) वह आश्रम के सभी काम स्वयं करें
(ii) वह परिश्रमशील बने ।
(iii) वह अपने शरीर से सम्बन्धित प्रत्येक कार्य स्वयं करें
(iv) वह आश्रम के कार्यों में सहयोग करें।
उत्तर
(iii) वह अपने शरीर से सम्बन्धित प्रत्येक कार्य स्वयं करें।

(ख) ऋषि-मुनियों ने किस प्रकार के व्यक्ति को चोर कहा है?
(i) जो किसी को हानि पहुँचाता है।
(ii) जो चोरी करता है।
(iii) जो बिना श्रम किये भोजन करता है।
(iv) जो असत्य भाषण करता है।
उत्तर
(iii) जो बिना श्रम किये भोजन करता है।

(ग) दक्षिण कोरियावासियों ने श्रमदान करके किस प्रकार की चीजों का निर्माण किया है?
(i) श्रेष्ठ मन्दिरों का
(ii) श्रेष्ठ भवनों का
(iii) श्रेष्ठ पुलों का ।
(iv) श्रेष्ठ बाँधों का
उत्तर
(ii) श्रेष्ठ भवनों का।

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प्रश्न 3
नीचे दिये गये चित्रों के आधार पर एक अति संक्षिप्त कहानी लिखिए-
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 9 ज्योति-जवाहर (खण्डकाव्य) img-3
उत्तर

तीन मित्र

एक जंगल में एक हिरन, कौआ और चूहा रहते थे। तीनों आपस में गहरे मित्र थे। तीनों साथ-साथ रहते और खाते-पीते थे। एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसने अपना जाल फैला दिया। बेचारा हिरन शिकारी के फैलाये उस जाल में फँस गया। (UPBoardSolutions.com) उस समय कौआ और चूहा वहाँ नहीं थे। कौआ आया। उसने हिरन को जाल में फंसा हुआ देखा। यह देखकर वह पेड़ पर बैठकर काँव-काँव करने लगा। कौए की आवाज सुनकर चूहा भागा चला आया और उसने अपने तेज दाँतों से जाल काट दिया। इस प्रकार हिरन की जान बच गयो।।

मॉडल पेपर

केवल प्रश्न-पत्र

हिन्दी

कक्षा 10

[ निर्देश-प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।]

1.
(क) निम्नलिखित कथनों में से कोई एक कथन सत्य है, उसे पहचानकर लिखिए-
(i) ‘झूठा सच’ यशपाल का प्रसिद्ध काव्य है।
(ii) डॉ० नगेन्द्र ख्यातिप्राप्त उपन्यासकार हैं।
(iii) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद निबन्धकार थे।
(iv) ‘गबन’ बालकृष्ण भट्ट की प्रसिद्ध कृति है।
(ख) निम्नलिखित कृतियों में से किसी एक कृति के लेखक का नाम लिखिए-
(i) साहित्यालोचन
(ii) सेवासदन
(iii) कलम का सिपाही
(iv) अशोक के फूल
(ग) किसी एक रिपोर्ताज-लेखक का नाम लिखिए।
(घ) किसी एक नाटककार का नाम लिखिए।
(ङ) शुक्लोत्तर युग के किसी एक साहित्यकार का नाम लिखिए।

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2.
(क) छायावाद की किन्हीं दो रचनाओं का उल्लेख करते हुए उनके रचनाकारों के नाम लिखिए।
(ख) रामचन्द्रिका’ तथा ‘ललितललाम’ के रचयिताओं के नाम लिखिए।
(ग) भक्तिकाल के किसी एक कवि का नाम लिखिए।

3.
निम्नांकित गद्यांशों में से किसी एक के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) जब एक बार मनुष्य अपना पैर कीचड़ में डाल देता है तब फिर यह नहीं देखता कि वह
कहाँ और कैसी जगह पैर रखता है। धीरे-धीरे उन बुरी बातों में अभ्यस्त होते-होते तुम्हारी घृणा कम हो जाएगी। पीछे तुम्हें उनसे चिढ़ न मालूम होगी क्योंकि तुम यह सोचने लगोगे कि चिढ़ने की बात ही क्या है? तुम्हारा विवेक कुंठित हो जाएगा और तुम्हें भले-बुरे की पहचान न रह जाएगी। अंत में होते-होते तुम भी बुराई के भक्त बन जाओगे। अत: हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि बुरी संगत की छूत । से बचो।
(i) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) लेखक ने हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का क्या उपाय सुझाया है ?
(ख) एक उपवन को पाकर भगवान् को धन्यवाद देते हुए उसका आनन्द नहीं लेना और बराबर इस चिन्ता में निमग्न रहना किं इससे भी बड़ा उपवन क्यों नहीं मिला, एक ऐसा दोष है, जिससे ईष्र्यालु व्यक्ति को चरित्र भी भयंकर हो उठता है। (UPBoardSolutions.com) अपने अभाव परे दिन-रात सोचते-सोचते वह सृष्टि की प्रक्रिया को भूलकर विनाश में लग जाता है और अपनी उन्नति के लिए उद्यम करना छोड़कर वह दूसरों को हानि पहुँचाने को ही अपना श्रेष्ठ कर्तव्ये समझने लगता है।
(i) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) लेखक ने ईर्ष्यालु व्यक्ति के चरित्र के भयंकर होने का क्या कारण बताया है ?

4.
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक की सन्दर्भ-सहित व्याख्या कीजिए और काव्यसौन्दर्य भी लिखिए
(क)
निरगुन कौन देस कौ बासी ?
मधुकर कहि समुझाइ सौंह है,
बुझतिं साँच न हाँसी।।
को है जनक, कौन है जननी,
कौन नारि, को दासी ?
कैसे बरन, भेष है कैसो,
किहिं रस को अभिलाषी ?
पावैगो पुनि कियौ आपनौ,
जो रे करैगो गाँसी ?
सुनत मौन है रह्यौ बावरी,
सूर सबै मति नासी।।
(ख)
मेवाड़-केसरी देख रहा,
केवल रण का न तमाशा था।
वह दौड़-दौड़ करता था रण,
वह मान-रक्त का प्यासा था।।
चढ़कर चेतक पर घूम-घूम,
करता सेना रखवाली था।
ले महामृत्यु को साथ-साथ ।
मानो प्रत्यक्ष कपाली था।।

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5.
(क) निम्नलिखित लेखकों में से किसी एक का जीवन-परिचय दीजिए एवं लेखक की एक रचना का नाम लिखिए
(i) रामधारी सिंह दिनकर
(ii) जयप्रकाश भारती
(iii) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(ख) निम्नलिखित कवियों में से किसी एक का जीवन-परिचय एवं उनकी एक रचना लिखिए–
(i) मैथिलीशरण गुप्त
(ii) रामनरेश त्रिपाठी
(iii) सूरदास

6.
निम्नलिखित का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए-
अधुनाऽपि अत्र संस्कृतवाग्धारा सततं प्रवहति, जनानां ज्ञानं च वर्द्धयति। अत्र अनेके आचार्याः मूर्धन्याः विद्वांसः वैदिकवाङ्मयस्य अध्ययने अध्यापने च इदानीं निरताः। न केवलं भारतीयाः अपितु वैदेशिका: गीर्वाणवाण्याः अध्ययनाय अत्र आगच्छन्ति, नि:शुल्कं (UPBoardSolutions.com) च विद्यां गृहणन्ति। अत्र हिन्दू विश्वविद्यालयः, संस्कृत विश्वविद्यालय: काशी विद्यापीठम् इत्येते त्रयः विश्वविद्यालयाः सन्ति, येषु नवीनां प्राचीनानाम् च ज्ञानविज्ञान विषयाणाम् अध्ययनं प्रचलति।
अथवा
स ह द्वादशवर्ष उपेत्य चतुर्विंशतिवर्षः सर्वान्वेदानधीत्य महामना अनूचानमानी स्तब्ध एयाय तं ह पितोवाच

7.
(क) अपनी पाठ्य-पुस्तक से कंठस्थ किया गया कोई एक श्लोक लिखिए जो प्रश्न-पत्र में न आया हो।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए
(i) दाराशिकोहः कस्यां भाषायां उपनिषदाम् अनुवादम् अकारयत् ?
(ii) वातात् शीघ्रतरं किम अस्ति ?
(iii) भारतीय संस्कृतेः मूलं किम् अस्ति ?
(iv) इन्दुदर्शनेन कः वर्धते ?

8.
(क) हास्य रस की परिभाषा लिखकर उसका एक उदाहरण दीजिए।
अथवा
राम-राम कहि राम कहि, राम-राम कहि राम
तन परिहरि रघुपति विरहं राउ गयउ सुरछाम् ।।
उपर्युक्त पद्यांश में प्रयुक्त रस का नाम तथा स्थायी भाव लिखिए।
(ख) “रूपक’ अथवा ‘उपमा अलंकार की परिभाषा उदाहरण-सहित लिखिए।
(ग) रोला’ अथवा ‘सोरठा’ छन्द की परिभाषा उदाहरण-सहित लिखिए।

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9.
(क) निम्नलिखित उपसर्गों में से किन्हीं तीन के मेल से एक-एक शब्द बनाइए-
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 9 ज्योति-जवाहर (खण्डकाव्य) img-4
(ख) निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रत्ययों का प्रयोग करके एक-एक शब्द बनाइए-
(i) हट
(ii) पन
(iii) ता
(iv) त्व
(ग) निम्नलिखित में से किन्हीं दो में समास-विग्रह कीजिए तथा समास का नाम लिखिए
(i) स्वर्णकलश
(ii) चौमासा
(iii) जल-थल
(iv) विषधर
(घ) निम्नलिखित में से किन्हीं दो के तत्सम रूप लिखिए–
(i) आँख
(ii) हाथ ,
(iii) कपूर
(iv) कान
(ङ) निम्नलिखित में से किन्हीं दो शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
(i) चाँद
(ii) भ्रमर
(iii) समुद्र
(iv) पर्वत

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10.
(क) निम्नलिखित में से किन्हीं दो में सन्धि कीजिए और सन्धि का नाम लिखिए-
(i) प्रति + उत्तरम्
(ii) पितृ + आदेशः
(iii) तथा + एवं
(iv) महा + ओजः
(ख) निम्नलिखित शब्दों के रूप षष्ठी विभक्ति, द्विवचन में लिखिए-
(i) नदी अथवा मधु
(ii) फल अथवा मति
(ग) निम्नलिखित में से किसी एक की धातु, लकार, पुरुष तथा वचन का उल्लेख कीजिए
(i) पचेव
(ii) पश्याम
(iii) अहसाम्
(iv) पठामः
(घ) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
(i) मैं प्रतिदिन स्नान करता हूँ।
(ii) तुम वीर हो।
(iii) वे लड़के दिन में कहाँ पढ़ेंगे ?
(iv) हमें देशभक्त होना चाहिए।

11.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर निबन्ध लिखिए
(i) पर उपदेश कुशल बहुतेरे
(ii) भ्रष्टाचार : कारण और निवारण
(iii) पर्यावरण-प्रदूषण
(iv) विज्ञान के बढ़ते कदम
(v) स्वास्थ्य शिक्षा का महत्त्व

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12.
अपने पठित खण्डकाव्य के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक को उत्तर लिखिए
(क)
(i) “तुमुल’ खण्डकाव्य की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
(ii) ‘तुमुल’ खण्डकाव्य के नायक की चारित्रिक विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
(ख)
(i) कर्मवीर भरत’ खण्डकाव्य की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
(ii) कर्मवीर भरत’ खण्डकाव्य के आधार पर भरत का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(ग)
(i) ‘कर्ण’ खण्डकाव्य के नायक के चरित्र का चित्रण कीजिए।
(ii) ‘कर्ण’ खण्डकाव्य की कथा संक्षेप (UPBoardSolutions.com) में लिखिए।
(घ)
(i) ‘अग्रपूजा’ खण्डकाव्य की कथावस्तु पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
(ii) ‘अग्रपूजा’ के प्रधान पात्र की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
(ङ)
(i) ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(ii) ‘ज्योति-जवाहर’ खण्डकाव्य के प्रधान पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(च)
(i) मातृभूमि के लिए’ खण्डकाव्य के प्रथम सर्ग की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
(ii) मातृभूमि के लिए’ खण्डकाव्य के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(छ)
(i) मेवाड़-मुकुट’ के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(ii) ‘मेवाड़-मुकुट’ खण्डकाव्य की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
(ज)
(i) ‘जय सुभाष’ खण्डकाव्य की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
(ii) ‘जय सुभाष’ खण्डकाव्य के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
(झ)
(i) ‘मुक्ति-दूत’ खण्डकाव्य के प्रमुख पात्र की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ii) मुक्ति-दूत’ खण्डकाव्य का कथासार प्रस्तुत (UPBoardSolutions.com) कीजिए।

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UP Board Solutions for Class 10 Hindi पाठ्य-पुस्तक में संकलित लेखक और उनकी रचनाएँ

UP Board Solutions for Class 10 Hindi पाठ्य-पुस्तक में संकलित लेखक और उनकी रचनाएँ

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पाठ्य-पुस्तक में संकलित लेखक और उनकी रचनाएँ

S.No.    लेखक     –     रचना    –    विधा

1. रामचन्द्र शुक्ल – चिन्तामणि [2010, 12, 14;16] – निबन्ध

2.रामचन्द्र शुक्ल – रस-मीमांसा [2011, 13, 14, 16, 17] – आलोचना

3. रामचन्द्र शुक्ल – हिन्दी-साहित्य (UPBoardSolutions.com) को इतिहास [2010, 12] – आलोचना

4. रामचन्द्र शुक्ल – विचार-वीथी [2018] – निबन्ध-संग्रह

5. रामचन्द्र शुक्ल – त्रिवेणी [2010, 15, 17] – आलोचना

6. रामचन्द्र शुक्ल – भ्रमरगीत सार (2009) – आलोचना

7. रामचन्द्र शुक्ल – ग्यारह वर्ष का समय [2015] – कहानी

8. जयशंकर प्रसाद – भआँधी – कहानी

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9. जयशंकर प्रसाद – भआकाशदीप [2009, 11, 14] .- कहानी

10. जयशंकर प्रसाद – भुरस्कार 2015 – कहानी

11. जयशंकर प्रसाद – भइन्द्रजाल [2012, 13, 16] – कहानी

12. जयशंकर प्रसाद – भकंकाल [2013, 18] – उपन्यास

13. जयशंकर प्रसाद – भतितली [2012, 16, 17] – उपन्यास

14. जयशंकर प्रसाद – भइरावती (अपूर्ण) – उपन्यास

15. जयशंकर प्रसाद – भकामायनी – महाकाव्य ”

16. जयशंकर प्रसाद – भस्कन्दगुप्त [2011, 12] – नाटक

17. जयशंकर प्रसाद – भअजातशत्रु [2012, 15, 16] – नाटक

18. जयशंकर प्रसाद – भचन्द्रगुप्त [2009, 10, 11, 17] – नाटक

19. जयशंकर प्रसाद – भ्रुवस्वामिनी [2010, 11, 15] – नाटक

20. जयशंकर प्रसाद – भएक घूट [2015, 16, 17, 18] – नाटक

21. जयशंकर प्रसाद – भजनमेजय का नागयज्ञ [2013, 15, 17, 18] – नाटक

22. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी (UPBoardSolutions.com) – भहिन्दी साहित्य विमर्श [2012, 13, 14] – आलोचना

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23. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी – भविश्व-साहित्य – लोचना

24. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी – भपंचपात्र [2011, 14, 16, 17] – निबन्ध

25. पदुमलाले पुन्नालाल बख्शी – भपद्मवन [2012, 15] – निबन्ध

26. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी – भप्रबन्ध पारिजात [2011, 13, 14] – निबन्ध

27. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी – भकुछ बिखरे पन्ने [2010, 11, 13, 17] – निबन्ध

28. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी – भक्या लिखें – निबन्ध

29. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी – भमकरन्द बिन्दु [2011, 16, 18] – निबन्ध

30. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी – भझलमला [2011] – कहानी

31. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद – साद साहित्य [2011, 14] – निबन्ध

32. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद – भबापूजी के कदमों में – निबन्ध

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33. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद – भसंस्कृति का अध्ययन – निबन्ध

34. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद – भचम्पारन के महात्मा गाँधी, – संस्मरण

35. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद – खादी का अर्थशास्त्र

36. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद – भमेरी यूरोप यात्रा [2012, 15] – यात्रावृत्त

37. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद – भमेरी आत्मकथा – आत्मकथा

38. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद – भशिक्षा और संस्कृति [2010, 11, 14, 16] निबन्ध

39. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद – भभारतीय शिक्षा [2011, 14] – निबन्ध

40. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद – भाँधीजी (UPBoardSolutions.com) की देन [2016] – निबन्ध

41. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – भसंस्कृति के चार अध्याय [2010, 11, 12] दर्शन

42. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – भअर्द्धनारीश्वर [2009, 12, 13, 14, 16, 18] निबन्ध

43. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – भबट-पीपल [2018] – निबन्ध

44. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – भउजली आग [2009, 13, 15, 17, 18] – निबन्ध

45. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – भदेश-विदेश – यात्रा-वृत्त

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46. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – भमिट्टी की ओर – निबन्ध

47. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – भरेती के फूल [2009, 12, 15, 17] – निबन्ध

48. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – भभारतीय संस्कृति की एकता – संस्कृति ग्रन्थ

49. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – भुद्ध कविता की ओर – आलोचना

50. रामधारी सिंह दिनकर – भपरशुराम की प्रतीक्षा [2013] – खण्डकाव्य

51. रामधारी सिंह दिनकर – भराष्ट्रभाषा और राष्ट्रीय एकता [2014] – आलोचना

52. भगवतशरण उपाध्याय – भखून के छींटे [2011, 13, 14, 16, 17] – निबन्ध

53. भगवतशरण उपाध्याय – भइतिहास साक्षी है। – निबन्ध

54. भगवतशरण उपाध्याय – भकुछ फीचर कुछ – एकांकी

55. भगवतशरण उपाध्याय – भइण्डिया (UPBoardSolutions.com) इन कालिदास (2017) – समालोचना

56. भगवतशरण उपाध्याय – भविश्व-साहित्य की रूपरेखा (2013) – आलोचना

57. भगवतशरण उपाध्याय – भसाहित्य और कला [2012, 15] – आलोचना

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58. भगवतशरण उपाध्याय – भकलकत्ता से पीकिंग – यात्रा-वृत्तान्त

59. भगवतशरण उपाध्याय – भसागर की लहरों पर [2011, 14] – यात्रा-वृत्तान्त

60. भगवतशरण उपाध्याय – भइँठा आम् [2011, 14, 17, 18] – | संस्मरण

61. भगवतशरण उपाध्याय – भमन्दिर और भवन [2014] – | संस्मरण

62. भगवतशरण उपाध्याय – भइतिहास के पन्नों पर [2009] ऐतिहासिक – निबन्ध

63. भगवतशरण उपाध्याय – भविश्व को एशिया की देन [2013] – निबन्ध

64. जयप्रकाश भारती – भअनन्त आकाश [2011, 16].- निबन्ध

65. जयप्रकाश भारती – भअथाह सागर [2011, 13, 14, 17] – निबन्ध

66. जयप्रकाश भारती – हिमालय की पुकार [2010, 11, 12, 14, 16, 18] – बाल-साहित्य

67. जयप्रकाश भारती – भविज्ञान की विभूतियाँ – जीवनी

68. जयप्रकाश भारती – भचलो चाँद पर चलें [2010, 13, 15, 18] – विज्ञान

69. जयप्रकाश भारती – भदुनिया रंग-बिरंगी [2016, 17] – बाल-साहित्य

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70. जयप्रकाश भारती – भबर्फ की गुड़िया [2013, 14, 17] – बाल-साहित्य

71. जयप्रकाश भारती – भभारत का संविधान – बाल-साहित्य

72. जयप्रकाश भारती – भलोकमान्य तिलक – जीवनी

73. जयप्रकाश भारती – भसरदार भगत सिंह – जीवनी

74. जयप्रकाश भारती – भहमारे गौरव के प्रतीक – जीवनी

75. जयप्रकाश भारती – भदेश हमारा देश हमारा – बाल-साहित्य

76. जयप्रकाश भारती – भउनका (UPBoardSolutions.com) बचपन यूं बीता [2018] – संस्मरण

77. जयप्रकाश भारती – भऐसे थे हमारे बापू – संस्मरण

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78. जयप्रकाश भारती – अस्त्र-शस्त्र : आदिम युग से अणु युग तक बाल-साहित्य

79. जयप्रकाश भारती – भसंयुक्त राष्ट्र संघ – बाल-साहित्य

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