UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 सुमित्रानन्दन पन्त (काव्य-खण्ड)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 सुमित्रानन्दन पन्त (काव्य-खण्ड)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 सुमित्रानन्दन पन्त (काव्य-खण्ड).

कवि परिचय

प्रश्न 1.
सुमित्रानन्दन पन्त का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए। [2009, 10]
या
सुमित्रानन्दन पन्त का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी किसी एक रचना का नाम लिखिए। [2011, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]
उत्तर
श्री सुमित्रानन्दन पन्त का सम्पूर्ण काव्य आधुनिक काव्य-चेतना का प्रतीक है। ये ऐसे कवि हैं। जो हिन्दी-साहित्य-कानन को झरने के समान कल-कल निनाद से मुखरित कर नवजीवन प्रदान करते हैं। इन्होंने अपने काव्य की लय-ताल में मानव-जीवन की (UPBoardSolutions.com) लय-ताल को निबद्ध करने का प्रयास किया है। इनके काव्य में धर्म, दर्शन, नैतिक एवं सामाजिक मूल्य, प्रकृति की सुकुमारता-उद्दण्डता आदि एक साथ देखी जा सकती है। वास्तव में इनका काव्य; काव्य-रसिकों के गले को कण्ठहार है। |

जीवन-परिचय–सुकुमार भावनाओं के कवि और प्रकृति के चतुर-चितेरे श्री सुमित्रानन्दन पन्त का जन्म 20 मई, सन् 1900 ई० को प्रकृति की सुरम्य गोद में अल्मोड़ा के निकट कौसानी नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम पं० गंगादत्त पन्त था। इनके जन्म के छः घण्टे के बाद ही इनकी माता का देहान्त हो गया था; अतः इनका लालन-पालन पिता और दादी के वात्सल्यं की छाया में हुआ। पन्त जी ने अपनी शिक्षा का प्रारम्भिक चरण अल्मोड़ा में पूरा किया। यहीं पर इन्होंने अपना नाम गुसाईंदत्त से बदलकर सुमित्रानन्दन रखा। इसके बाद वाराणसी के जयनारायण हाईस्कूल से स्कूल-लीविंग की परीक्षा उत्तीर्ण की और जुलाई, 1919 ई० में इलाहाबाद आये और म्योर सेण्ट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया। सन् 1921 ई० में महात्मा गाँधी के आह्वान पर असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर इन्होंने बी० ए० की परीक्षा दिये बिना ही कॉलेज त्याग दिया था। इन्होंने स्वाध्याय से संस्कृत, अंग्रेजी, बांग्ला और हिन्दी भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था। प्रकृति की गोद में पलने के कारण इन्होंने अपनी सुकुमार भावना को प्रकृति के चित्रण में व्यक्त किया। इन्होंने प्रगतिशील विचारों की पत्रिका रूपाभा’ का प्रकाशन किया। सन् 1942 ई० में भारत छोड़ो आन्दोलन से प्रेरित होकर ‘लोकायन’ नामक सांस्कृतिक पीठ की स्थापना की और भारत-भ्रमण हेतु निकल पड़े। सन् 1950 ई० में ये ऑल इण्डिया रेडियो के परामर्शदाता पद पर नियुक्त हुए और सन् 1976 ई० में भारत सरकार ने इनकी साहित्य-सेवाओं को ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया। इनकी कृति ‘चिदम्बरा’ पर इनको ‘भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। 28 दिसम्बर, सन् 1977 ई० को इस महान् । साहित्यकार ने इस भौतिक संसार से सदैव के लिए विदा ले ली और चिरनिद्रा में लीन हो गये।

UP Board Solutions

रचनाएँ-पेन्त जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इन्होंने कविता के अतिरिक्त नाटक, उपन्यास और कहानियों की भी रचना की है, परन्तु काव्य ही इनका प्रधान क्षेत्र रहा है। अपने दीर्घकालिक काव्य-जीवन में इन्होंने हिन्दी काव्य-जगत को अनेक कृतियों प्रदान की हैं जो निम्नलिखित हैं

(1) वीणा—यह पन्त जी की प्रथम काव्य-पुस्तक है। इसमें प्रकृति-निरीक्षण, अनुभूति और कल्पनाओं का सुन्दर रूप दिखाई देता है।
(2) ग्रन्थि-यह असफल प्रेम की दुःखपूर्ण गाथा का काव्य है। इसमें वियोग श्रृंगार की प्रधानता है।
(3) पल्लव–यह कल्पना-प्रधान काव्य है। इसमें प्रकृति-निरीक्षण और ऊँची कल्पनाओं के दर्शन । होते हैं। इसमें ‘वसन्तश्री’,’परिवर्तन’; ‘मौन-निमन्त्रण’, ‘बादल’ आदि श्रेष्ठ कविताएँ संकलित हैं।
(4) गुंजन-इसमें कवि का मन प्रकृति से हटकर आत्मचित्रण की ओर लग (UPBoardSolutions.com) गया है। नौकाविहार’ इस संकलन की श्रेष्ठ कविता है।
(5) युगान्त,
(6) युगवाणी,
(7) ग्राम्या—इन काव्यों में कवि पर गाँधीवाद और समाजवाद का प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है।
(8) लोकायतन-इस महाकाव्य में कवि की सांस्कृतिक और दार्शनिक विचारधारा व्यक्त हुई है। इसमें ग्राम्य-जीवन और जनभावना को स्वर प्रदान किया गया है।
पन्त जी की अन्य रचनाएँ हैं—पल्लविनी, अतिमा, युगपथ, ऋता, स्वर्णकिरण, चिदम्बरा, उत्तरा, कला और बूढ़ा चाँद, शिल्पी, स्वर्णधूलि आदि।

साहित्य में स्थान-सुन्दर, सुकुमार भावों के चतुर-चितेरे पन्त ने खड़ी बोली को ब्रजभाषा जैसा माधुर्य एवं सरसता प्रदान करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। पन्त जी गम्भीर विचारक, उत्कृष्ट कवि और मानवता के सहज आस्थावान् कुशल शिल्पी हैं, जिन्होंने नवीन सृष्टि के अभ्युदय की कल्पना की है। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि “पन्त जी हिन्दी कविता के श्रृंगार हैं, जिन्हें पाकर माँ-भारती कृतार्थ हुई।

UP Board Solutions

पद्यांशों की सन्दर्भ व्याख्या चींटी

प्रश्न 1.
चींटी को देखा?
वह सरल, विरल, काली रेखा
तम के तागे-सी जो हिल-डुल,
चलती लघुपद पल-पल मिल-जुल
वह है पिपीलिका पाँति !
देखो ना, किस भाँति ।
काम करती वह सतत !
कन-कन करके चुनती अविरत ! [2012]
गाय चराती,
धूप खिलाती,
बच्चों की निगरानी करती,
लड़ती, अरि से तनिक न डरती,
दल के दल सेना सँवारती,
घर आँगन, जनपथ बुहारती ।
उत्तर
[विरल = जो घंनी न हो। तम = अन्धकार। लघुपद = छोटे-छोटे पैरों से। पल-पल = थोड़ी-थोड़ी देर में। पिपीलिका = चींटी। सतत = निरन्तर। अविरत = बिना रुके। अरि = शत्रु। बुहारती = साफ करती।]

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्यावतरण प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन (UPBoardSolutions.com) पन्त द्वारा रचित ‘युगवाणी’ । काव्य-संग्रह की चींटी’ शीर्षक कविता से हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘काव्य-खण्ड’ में संकलित ” किया गया है।

UP Board Solutions

प्रसंग-इस अवतरण में कवि ने चींटी जैसे लघु प्राणी की परिश्रमशीलता का वर्णन करके मनुष्य को उससे प्रेरणा प्राप्त करने का सन्देश दिया है।

व्याख्या-कवि प्रश्न करता है कि क्या तुमने कभी चींटी को ध्यानपूर्वक देखा है? चीटियों की पंक्ति एक सरल (सीधी) काली और विरल रेखा के समान प्रतीत होती है। वह अपने छोटे-छोटे पैरों से प्रति क्षण चलती रहती है। चींटियाँ जब मिलकर चलती हैं तो ऐसा मालूम पड़ता है जैसे कोई पतलां काला धागा हिल-डुल रहा हो। कवि आगे कहता है कि वह चींटियों की पंक्ति (कतार) है। तुम ध्यान से देखो कि वह किस प्रकार निरन्तर चलती रहती है। वह निरन्तर अपने काम में जुटी रहती है और अपने व अपने परिवार के लिए छोटे-छोटे उपयोगी कणों को बिना रुके लगातार चुनती रहती है।

इतना ही नहीं, उसका भी घर-समाज है। यह गाय चराती है और उन्हें धूप खिलाती है। प्राणिशास्त्रियों के अनुसार चींटियों में भी गायें होती हैं। वे अपने बच्चों की देखभाल करती हैं, अपने शत्रुओं से निर्भय होकर लड़ती हैं, अपनी सेना सजाती हैं तथा घर, (UPBoardSolutions.com) आँगन और रास्ते को साफ करती प्रतीत होती हैं।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. इन पंक्तियों में चींटी की श्रमशीलता (कर्मठता) पर प्रकाश डाला गया है।
  2. कवि चींटी के माध्यम से मनुष्य को सतत कर्म करने की प्रेरणा दे रहा है। कवि के अनुसार चीटियों का लघु स्वरूप और मिल-जुलकर कार्य करने की प्रवृत्ति यह दर्शाती है कि शारीरिक लघुता व्यक्ति की कार्य-क्षमता पर अधिक प्रभावी नहीं हो सकती है।
  3. भाषा-सरल साहित्यिक खड़ी बोली।
  4. शैलीवर्णनात्मक।
  5. रस-वीर रस (कर्मवीरता के कारण)।
  6. गुण-ओज।
  7. अलंकार-तम के तागेसी जो हिल-डुल’ में उपमा और अनुप्रास; ‘कन-कन’ में पुनरुक्तिप्रकाश।
  8. भावसाम्य–जिस प्रकार पन्त ने चींटी के माध्यम से (UPBoardSolutions.com) सदैव कर्मरत रहने की प्रेरणा दी है, वैसे ही राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने भी सतत कर्मशील बने रहने पर बल दिया है

UP Board Solutions

नर हो, न निराश करो मन को।
कुछ काम करो, कुछ काम करो,
जग में रहकर कुछ नाम करो।

प्रश्न 2.
चींटी है प्राणी सामाजिक,
वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक !
देखा चींटी को ?
उसके जी को ?
भूरे बालों की सी कतरन,
छिपा नहीं उसका छोटापन,
वह समस्त पृथ्वी पर निर्भय
विचरण करती, श्रम में तन्मय,
वह जीवन की चिनगी अक्षय।
वह भी क्या देही है, तिल-सी ?
प्राणों की रिलमिल झिलमिल-सी !
दिन भर में वह मीलों चलती,
अथक, कार्य से कभी न टलती।
उत्तर
[ श्रमजीवी = श्रम करके जीने वाली। चिनगी (UPBoardSolutions.com) = चिंगारी। अक्षय = कभी नष्ट न होने वाली। अथक = बिना थके।]।

सन्दर्भ--पूर्ववत्।।

प्रसंग-इन पंक्तियों में कवि ने चींटी के गुणों और उसकी क्रियाशीलता का वर्णन किया है।

व्याख्या-चींटी एक सामाजिक प्राणी है। चींटी का अपना एक समाज होता है और उसी के साथ वह हिल-मिलकर नियमपूर्वक रहती है। वह कठोर परिश्रमी जीव है और उसमें एक अच्छे नागरिक के सभी गुण विद्यमान हैं।

UP Board Solutions

कवि कहता है कि तुमने चींटी को ध्यान से देखा होगा। वह अत्यधिक लघु प्राणी है, परन्तु उसका । हृदय एवं आत्मबल अत्यन्त विशाल है। चींटियों की पंक्ति भूरे बालों की कतरन के समान दिखाई देती है। उसकी लघुता को सभी जानते हैं, लेकिन उसके हृदय में असीम साहस है। वह सारी पृथ्वी पर, जहाँ चाहती है, निर्भय होकर विचरण करती है। उसे किसी भी स्थान पर घूमने में भय नहीं लगता है। वह लगातार अपने श्रम से, (UPBoardSolutions.com) भोजन को एकत्र करने के काम में तल्लीन होकर जुटी रहती है। चींटी श्रम की साकार मूर्ति है। वह जीवन की कभी नष्ट न होने वाली चिंगारी है। चींटी एक अतिलघु प्राणी है, परन्तु उसमें जीवन की सम्पूर्ण ज्योति जगमगाती है।

कवि कहता है कि उसका शरीर बड़ा नहीं, अपितु वह तिल के समान अत्यन्त छोटा है। इतनी छोटी होते हुए भी चींटी शक्ति से भरी हुई इधर-उधर घूमती रहती है। दिनभर में वह कई मील की लम्बी यात्रा पूरी करती है, फिर भी वह कभी थकती नहीं है और निरन्तर अपने काम में जुटी रहती है। धूप, छाँव, शीत, वर्षा में भी वह अपना कार्य करने से नहीं चूकती है।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. पन्त जी ने चींटी जैसे लघु प्राणी में भी आदर्श सामाजिक प्राणी के गुण देखे हैं।
  2. कवि तुच्छ दिखने वाले जीवन में भी महानता के तत्त्व हूँढ़ने में सक्षम है।
  3. भाषा-साहित्यिक खड़ी बोली।
  4. शैली-वर्णनात्मक।
  5. रस-वीर रस (कर्मवीरता के कारण)।
  6. अलंकार-‘भूरे बालों की सी कतरन’ में उपमा, ‘रिलमिल-झिलमिल’ में अनुप्रास।
  7. गुण-ओजमिश्रित प्रसाद।
  8. भावसाम्य-जिस प्रकार चींटी धूप-छाँव, शीत-वर्षा की चिन्ता किये बिना (UPBoardSolutions.com) आजीवन श्रमशील बने रहने की प्रेरणा देती है, उसी प्रकार रामनरेश त्रिपाठी भी मृत्युपर्यन्त कर्म करने के लिए प्रेरित करते हुए कहते हैं

UP Board Solutions

कर्म तुम्हारा धर्म अटल हो,
कर्म तुम्हारी भाषा।
हो सकर्म ही मृत्यु तुम्हारे
जीवन की अभिलाषा।

चंद्रलोक में प्रथम बार
प्रश्न 1.
चंद्रलोक में प्रथम बार,
मानव ने किया पदार्पण,
छिन्न हुए लो, देश काल के,
दुर्जय बाधा बंधन।
दिग-विजयी मनु-सुत, निश्चय,
यह महत् ऐतिहासिक क्षण,
भू-विरोध हो शांत,
निकट आये सब देशों के जन। [2015]
युग-युग का पौराणिक स्वप्न
हुआ मानव का संभव,
समारंभ शुभ नए चन्द्र-युग का
भू को दे गौरव।।
उत्तर
[पदार्पण = पैर रखना। दुर्जय = कठिनाई से जीते जा सकने वाले। बाधा = रुकावट, अड़चन। दिग्-विजयी = दिशाओं को जीतने वाला। मनु-सुत = मनुष्य। महत् = बड़ा। भू-विरोध = पृथ्वी पर दिखाई देने वाले झगड़े। पौराणिक = पुराना। समारंभ = प्रारम्भ।]

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर सुमित्रानन्दन पन्त द्वारा रचित ‘ऋता’ (UPBoardSolutions.com) नामक काव्य-संग्रह से हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी के ‘काव्य-खण्ड’ में संकलित ‘चंद्रलोक में प्रथम बार’ शीर्षक कविता से अवतरित हैं।

UP Board Solutions

[विशेष—इस शीर्षक के अन्तर्गत आने वाले सभी पद्यांशों की व्याख्या में यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]

प्रसंग-इन पंक्तियों में कवि ने मानव के चन्द्रमा पर पहुँचने की ऐतिहासिक घटना के महत्त्व को। व्यक्त किया है। यहाँ कवि ने उन सम्भावनाओं का भी वर्णन किया है, जो मानव के चन्द्रमा पर पैर रखने से साकार होती प्रतीत हो रही हैं।

व्याख्या-कवि कहता है कि जब चन्द्रमा पर प्रथम बार मानव ने अपने कदम रखे तो ऐसा करके उसने देश-काल के उन सारे बन्धनों, जिन पर विजय पाना कठिन माना जाता था, छिन्न-भिन्न कर दिया। मनुष्य को यह आशा बँध गयी कि इस ब्रह्माण्ड में कोई भी (UPBoardSolutions.com) देश और ग्रह-नक्षत्र अब दूर नहीं हैं। यह निश्चय ही मनु के पुत्रों (मनुष्यों) की दिग्विजय है। यह ऐसा महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण है कि अब सभी देशों के निवासी मानवों को परस्पर विरोध समाप्त करके एक-दूसरे के निकट आना चाहिए और प्रेम से रहना चाहिए। यह सम्पूर्ण विश्व ही अब एक देश में परिवर्तित हो गया है। सभी देशों के मनुष्य अब एक-दूसरे के। निकट आएँ, यही कवि की आकांक्षा है।

मनुष्य का युगों-युगों से चन्द्रमा के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। चन्द्र-विजय से युगों-युगों का पौराणिक स्वप्न अब सम्भव हो गया है। चन्द्रमा के सम्बन्ध में की जाने वाली मानव की मनोरम कल्पनाएँ अब साकार हो उठी हैं। पृथ्वीवासियों को गौरवान्वित करके अब नये चन्द्र युग का कल्याणकारी आरम्भ हुआ है।

UP Board Solutions

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. प्रस्तुत कविता में कवि ने दार्शनिक विचारों की प्रस्तुति वैज्ञानिक पृष्ठभूमि में की है।
  2. भाषा–साहित्यिक खड़ी बोली
  3. शैली–प्रतीकात्मक
  4. रस-वीर।
  5. छन्द– तुकान्त-मुक्त।
  6. गुण-ओज।
  7. अलंकार–अनुप्रास और पुनरुक्तिप्रकाश।
  8. भावसाम्यसंस्कृत के अधोलिखित श्लोक जैसी भावना ही कवि ने इन पंक्तियों में व्यक्त की है-

अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु, वसुधैव कुटुम्बकम्॥

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
फहराए ग्रह-उपग्रह में
धरती का श्यामल-अंचल,
सुख संपद् संपन्न जगत् में
बरसे जीवन-मंगल।
अमरीका सोवियत बने ।
नव दिक् रचना के वाहन
जीवन पद्धतियों के भेद ।
समन्वित हों, विस्तृत मन।
उत्तर
[ ग्रह = सूर्य की परिक्रमा करने वाले तारे। इनके नाम हैं-पृथ्वी, बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, प्लूटो, नेप्च्यून, यूरेनस। (प्रस्तुत कविता के अनुसार नौ ग्रह हैं; परन्तु वर्तमान में केवल आठ ग्रह माने गये हैं। प्लूटो को क्षुद्र ग्रह माना गया है)। उपग्रह = किसी बड़े ग्रह के चारों ओर घूमने वाले छोटे ग्रह; जैसे पृथ्वी का उपग्रह चन्द्रमा। श्यामल = हरा-भरा। संपद् = सम्पत्ति, वैभव। मंगल = कल्याण। नव दिक् = नयी दिशाएँ। रचना = सृजन, निर्माण। पद्धति = रास्ता। समन्वित = मिले हुए। विस्तृत = विशाल।]

व्याख्या-कवि का कथन है कि मैं अब यह चाहता हूँ कि ब्रह्माण्ड के ग्रहों-उपग्रहों में इस पृथ्वी का श्यामलं अंचल फहराने लगे। तात्पर्य यह है कि मनुष्य अन्य ग्रहों पर भी पहुँचकर वहाँ पृथ्वी जैसी हरियाली और जीवन का संचार कर दे। सुख और वैभव से (UPBoardSolutions.com) युक्त इस संसार में मानव-जीवन के कल्याण की वर्षा हो; अर्थात् सम्पूर्ण संसार में कहीं भी दु:ख और दैन्य दिखाई न पड़े।

UP Board Solutions

अमेरिका और सोवियत रूस नयी दिशाओं की रचना करें, क्योंकि अन्तरिक्ष विज्ञान में यही देश सर्वाधिक प्रगति पर हैं। कवि का कहना है कि विश्व में प्रत्येक देश की संस्कृति और सभ्यता भिन्न-भिन्न है। तथा अलग-अलग जीवन-पद्धतियाँ हैं। इनकी भिन्नता समाप्त होनी चाहिए। तात्पर्य यह है कि सभी जीवन-पद्धतियाँ आपस में मिलकर एक हो जाएँ और मन की संकुचित भावना का अन्त कर लोग उदारचेता बने तथा विश्व-मानव में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना का विकास हो।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. कवि चारों ओर कल्याणमय जीवन के प्रसार की कामना करता है।
  2. भाषा-साहित्यिक खड़ी बोली
  3. शैली–प्रतीकात्मक।
  4. रस-वीर।
  5. छन्द-तुकान्तमुक्त।
  6. गुण-ओज।
  7. अलंकार-‘फहराये ग्रह-उपग्रह में धरती का श्यामल अंचल में रूपक तथा अनुप्रास।

प्रश्न 3.
अणु-युग बने धरा जीवन हित
स्वर्ण-सृजन को साधन,
मानवता ही विश्व सत्य
भू राष्ट्र करें आत्मार्पण।
धरा चन्द्र की प्रीति परस्पर
जगत प्रसिद्ध, पुरातन,
हृदय-सिन्धु में उठता।
स्वर्गिक ज्वार देख चन्द्रानन । [2012, 16]
उत्तर
[ धरा = पृथ्वी। सृजन = निर्माण। आत्मार्पण = आत्म-समर्पण। चन्द्रानन = चन्द्रमा का मुख।]

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में यह कामना की गयी है कि अणु-शक्ति की परख और प्रयोग करने वाला यह वैज्ञानिक युग, मानव-जीवन के लिए कल्याणकारी सिद्ध हो।। |

व्याख्या-कवि का कहना है कि विज्ञान का सम्पूर्ण विकास मानव-जीवन के कल्याण के लिए ही होना चाहिए। परमाणु-शक्ति मानव-जीवन के विनाश का साधन न होकर पृथ्वी पर स्वर्ग के निर्माण का साधन बननी चाहिए। विश्व का एकमात्र सत्य है—मानवता (UPBoardSolutions.com) की भावना। इसके समक्ष समग्र पृथ्वी के राष्ट्र को आत्मसमर्पण कर देना चाहिए; अर्थात् सम्पूर्ण विश्व एक राष्ट्र बने और सम्पूर्ण देश मानवता की ही बात सोचें। वे अणुशक्ति से एक-दूसरे के विनाश की बात न सोचें, वरन् उसे मानवता के हित में लगाएँ।

चन्द्रमा और पृथ्वी का प्रेम जगत् प्रसिद्ध है और बहुत पुराना है; क्योंकि चन्द्रमा पृथ्वी का ही एक अंग है। इसीलिए पृथ्वी के सागर रूपी हृदय में चन्द्रमा के मुख को देखकर ज्वार उठा करता है। तात्पर्य यह है। कि चन्द्रविजये की सार्थकता तभी है जब वैज्ञानिक उपलब्धियों को मानव-हित में लगाया जाए।

UP Board Solutions

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. कवि विज्ञान की उन्नति को मानवता के विकास के लिए उपयोगी मानता है।
  2. पूर्णमासी के दिन चन्द्रमा पृथ्वी के निकट आ जाता है तो समुद्र का पानी चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति से ऊपर को उठ जाया करता है। यही ज्वार कहलाता है। कवि ने इस भौगोलिक सत्य की अति उत्कृष्ट साहित्यिक अभिव्यक्ति की है।
  3. भाषा-साहित्यिक खड़ी बोली।
  4. शैली–प्रतीकात्मक एवं भावात्मक।
  5. रस-शान्त।
  6. छन्द-तुकान्त-मुक्त।
  7. गुण–प्रसाद।
  8. अलंकार-स्वर्ग-सृजन का साधन में अनुप्रास तथा हृदय-सिन्धु’ में रूपका
  9. भावसाम्य-विज्ञान की शक्ति मनुष्य द्वारा नियन्त्रित (UPBoardSolutions.com) है और मनुष्य अपनी इच्छानुसार इसका उपयोग कर सकता है; यह भाव अन्यत्र भी व्यक्त किया गया है

शक्ति शक्ति है बुरी या अच्छी कभी नहीं होती है।
एक नियन्त्रक मानव, इसके ही विचार ढोती है।

काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
(क) तम के तागे सी जो हिल-डुल
चलती लघुपद पल-पल मिल-जुल ।
(ख) भूरे बालों की सी कतरन,
छिपां नहीं उसका छोटापन,
(ग) सुख संपद् सम्पन्न जगत् में
बरसे जीवन-मंगल ।
उत्तर
(क) उपमा, अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश,
(ख) उपमा,
(ग) अनुप्रास।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों से उपसर्ग और शब्द को पृथक्-पृथक् करके लिखिए-
सुनागरिक, अक्षय, समारम्भ, उपग्रह।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 सुमित्रानन्दन पन्त (काव्य-खण्ड) img-1

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पदों में से प्रत्ययों को अलग करके लिखिए-
सामाजिक, छोटापन, पौराणिक।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 सुमित्रानन्दन पन्त (काव्य-खण्ड) img-2

We hope the UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 सुमित्रानन्दन पन्त (काव्य-खण्ड) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 सुमित्रानन्दन पन्त (काव्य-खण्ड), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

 

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 (Section 1)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य (अनुभाग – एक)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य (अनुभाग – एक)

मानचित्र, इतिहास का आवश्यक अंग तथा उपकरण है। इसके माध्यम से ऐतिहासिक साम्राज्यों के विस्तार, ऐतिहासिक, राजनीतिक, प्रशासनिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक महत्त्व के केन्द्रों को स्पष्ट किया जाता है। सामाजिक विज्ञान के अनुभाग’एक’: सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत हेतु छात्रों को ऐतिहासिक महत्त्व के मानचित्रों का अभ्यास करना अभीष्ट है। मानचित्र अभ्यास के साथ-साथ प्रश्न का सही उत्तर देने के भी आधे अंक होते हैं; उदाहरणार्थ-‘वह स्थान जहाँ सूर्य मन्दिर स्थित है के लिए उत्तर लिखना होगा। ‘कोणार्क’ तथा साथ ही कोणार्क को मानचित्र में भी अंकित करना होगा।

मानचित्रांकन हेतु आवश्यक निर्देश

  • परीक्षा भवन में प्रश्न-पत्र तथा उत्तर-पुस्तिका के साथ ही मानचित्र भी दिया जाएगा। अतः परीक्षार्थी को उत्तर-पुस्तिका में मानचित्र खींचने की आवश्यकता नहीं है।
  • परीक्षार्थियों को भारत और विश्व के मानचित्रों पर (UPBoardSolutions.com) इतिहास से सम्बन्धित घटनाओं तथा स्थानों को अंकित करने का अभ्यास करते रहना चाहिए।
  • मानचित्र में नगरों का प्रदर्शन काले बिन्दु से करना चाहिए।
  • मानचित्र में अंकित विवरण जितना स्पष्ट तथा ठीक होगा, परीक्षार्थी को उतने ही अधिक अंक प्राप्त हो सकेंगे।
  • मानचित्र में विवरण अंकित करने के बाद मानचित्र को उत्तर-पुस्तिका के साथ बाँध देना चाहिए।

UP Board Solutions

अभ्यास-प्रश्न

(1) दिये गये मानचित्र में निम्नलिखित को चिह्न द्वारा नाम सहित दिखाइए –

  1. मेरठ, नागपुर, मैसूर, अमृतसर, झाँसी, मुम्बई।
  2. मेरठ, बोधगया, अमृतसर, हैदराबाद, माउण्ट आबू, मथुरा।
  3. जयपुर, कोणार्क, झाँसी, इलाहाबाद, मथुरा, अमृतसर।
  4. मेरठ, मुम्बई, प्रयाग, दिल्ली, सारनाथ, (UPBoardSolutions.com) पाटलिपुत्र।
  5. दिल्ली, इलाहाबाद, फतेहपुर सीकरी, झाँसी, मुम्बई, कोलकाता।
  6. कोलकाता, कानपुर, कोणार्क, पुणे, जयपुर, दिल्ली।

(2) भारत के रेखा-मानचित्र में निम्नलिखित तथ्यों से सम्बन्धित स्थानों को नाम सहित चिह्न द्वारा दर्शाइए –

1. वह स्थान जहाँ ताजमहल स्थित है। (2009, 11, 13, 15, 17, 18)
उत्तर : आगरा

2. वह स्थान जहाँ भारत का सर्वोच्च न्यायालय स्थित है। (2010, 11, 13, 14, 17)
उत्तर : दिल्ली

3. वह स्थान जहाँ पर मंगल पाण्डे को फाँसी दी गयी थी।
उत्तर : बैरकपुर

4. वह स्थान जहाँ 1857 ई० में प्रार्थना समाज की स्थापना हुई। (2011, 13)
उत्तर : मुम्बई

5. वह स्थान जहाँ भारत के नौसैनिकों ने 1946 ई० में क्रान्ति की थी।
उत्तर : मुम्बई (UPBoardSolutions.com)

UP Board Solutions

6. वह स्थान जहाँ सेण्ट्रल हिन्दू कॉलेज की स्थापना की गयी थी। (2015, 17)
उत्तर : वाराणसी

7. वह स्थान जहाँ महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। (2009, 11, 12, 14, 15, 16, 17, 18)
उत्तर : पोरबन्दर

8. वह नगर जहाँ 1817 ई० में हिन्दू कॉलेज की स्थापना हुई थी। (2018)
उत्तर : कोलकाता

9. वह नगर जहाँ वास्को-डि-गामा 1498 ई० में भारत पहुँचा।
उत्तर : कालीकट

10. वह नगर जहाँ उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय स्थित है। (2011, 12, 18)
उत्तर : इलाहाबाद

11. वह स्थान जहाँ कोणार्क का सूर्य मन्दिर है। (2013, 14, 15, 16, 18)
उत्तर : ओडिशा

12. वह स्थान जहाँ अटाला मस्जिद है।
उत्तर : जौनपुर

UP Board Solutions

13. सन् 1911 ई० तक अंग्रेजों के शासनकाल में भारत की राजधानी कहाँ थी ? (2010, 17)
उत्तर : कोलकाता

14. वह स्थान जहाँ उत्तर प्रदेश की राजधानी है। (2013, 14)
उत्तर : लखनऊ

15. वह स्थान जहाँ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 1907 ई० में विभाजन हुआ था। (2011, 14, 16)
उत्तर : सूरत

16. वह नगर जहाँ अटल बिहारी वाजपेयी और परवेज मुशर्रफ के मध्य शिखर वार्ता हुई।
उत्तर : आगरा

17. वह नगर जो भारत की राजधानी है। (2015)
उत्तर : नई दिल्ली (UPBoardSolutions.com)

18. वह स्थान जहाँ थियोसॉफिकल सोसायटी की भारत में स्थापना हुई थी। (2015, 16, 17)
उत्तर : चेन्नई

19. वह स्थान जहाँ आर्य समाज की स्थापना हुई। (2013, 17)
उत्तर : मुम्बई

20. वह स्थान जहाँ एनी बेसेण्ट ने होमरूल लीग की स्थापना की। (2016)
उत्तर : चेन्नई

UP Board Solutions

21. वह स्थान जहाँ चन्द्रशेखर आजाद शहीद हुए। (2010, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17)
उत्तर : इलाहाबाद

22. वह नगर जहाँ सिक्खों का स्वर्ण मन्दिर है। (2010, 11, 13, 14, 15, 16, 17)
उत्तर : अमृतसर

23. वह नगर जहाँ खुसरो बाग स्थित है। (20 13, 17)
उत्तर : लाहौर

24. वह नगर जहाँ बेगम हजरत महल ने क्रान्तिकारियों का नेतृत्व किया। (2010, 11, 12)
उत्तर : लखनऊ, अवध

25. वह नगर जहाँ मोहम्मडन एंग्लो ओरियण्टल कॉलेज की स्थापना हुई। (2011, 12, 13)
उत्तर : अलीगढ़

26. वह स्थान जहाँ मुस्लिम विश्वविद्यालय स्थित है। (2012)
उत्तर : अलीगढ़

27. वह स्थान जहाँ छत्तीसगढ़ की राजधानी स्थित है। (2014)
उत्तर : रायपुर (UPBoardSolutions.com)

28. वह स्थान जहाँ पश्चिमी नौसेना कमाण्ड का मुख्यालय है। (2016)
उत्तर : मुम्बई

UP Board Solutions

29. वह नगर जहाँ संविधान सभा की बैठकें हुआ करती थीं। (2014)
उत्तर : संसद भवन, नयी दिल्ली

30. वह नगर जहाँ जनसमूह द्वारा पुलिस स्टेशन में आग लगा देने के कारण गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया था।
उत्तर : चौरी-चौरा, गोरखपुर

31. वह नगर जहाँ जवाहरलाल नेहरू ने जन्म लिया। (2011, 13)
उत्तर : इलाहाबाद

32. वह स्थान जहाँ स्वामी दयानन्द का जन्म हुआ था। (2012,14)
उत्तर : काठियावाड़, गुजरात

33. वह स्थान जहाँ झारखण्ड राज्य की राजधानी स्थित है। (2013)
उत्तर : राँची

34. वह नगर जहाँ उत्तर प्रदेश की विधानसभा स्थित है। (2018)
उत्तर : लखनऊ

35. वह नगर जो भारतीय थल सेना का मुख्यालय है। (2018)
उत्तर : दिल्ली

36. वह स्थान जहाँ उत्तराखण्ड की राजधानी स्थित है। (2010, 13)
उत्तर : देहरादून

37. वह स्थान जहाँ ‘गेटवे ऑफ इण्डिया’ स्थित है। (2009, 10, 18)
उत्तर : मुम्बई (UPBoardSolutions.com)

UP Board Solutions

38. वह नगर जो ब्रह्म समाज का मुख्य केन्द्र रहा है। (2012, 16)
उत्तर : कोलकाता

39. वह नगर जहाँ से 1865 ई० में पायनियर’ नामक समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ।
उत्तर : कोलकाता

40. वह नगर जहाँ जनरल डायर ने सैकड़ों भारतीयों को गोलियों से भून दिया था। (2011)
            या
वह नगर जहाँ जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ। (2016)
उत्तर : अमृतसर

41. वह नगर जहाँ समुद्री यात्रा करके पहला पुर्तगाली भारतभूमि पर उतरा।
उत्तर : कालीकट

UP Board Solutions

42. वह नगर जहाँ गांधी जी और डॉ० अम्बेडकर में समझौता हुआ था। (2018)
उत्तर : पुणे

43. वह नगर (अकबर के शासन काल में) जो दिल्ली से पहले भारत की राजधानी था। (2015)
उत्तर : आगरा

44. वह स्थान जहाँ गंगा, यमुना एवं सरस्वती नदियों का संगम है।
उत्तर : इलाहाबाद

45. वह स्थान जहाँ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन हुआ था। (2010, 15, 17)
उत्तर : मुम्बई

46. वह नगर जो शीतकाल में जम्मू-कश्मीर की राजधानी रहता है।
उत्तर : जम्मू

47. उत्तराखण्ड का वह नगर जहाँ कुम्भ-मेला लगता है। (2014, 15, 17)
उत्तर : हरिद्वार

48. वह स्थान जो हिमाचल प्रदेश की राजधानी है।
उत्तर : शिमला

49. वह स्थान जहाँ गुप्तकालीन लौह-स्तम्भ स्थित है।
उत्तर : महरौली, दिल्ली (UPBoardSolutions.com)

UP Board Solutions

50. वह स्थान जहाँ ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह स्थित है। (2009, 15, 18)
उत्तर : अजमेर

51. वह स्थान जहाँ जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ। (2010, 11, 14, 15)
उत्तर : अमृतसर

52. वह स्थान जिसे ‘गुलाबी नगर’ (पिंक सिटी) के नाम से जाना जाता है। (2016, 18)
उत्तर : जयपुर

53. वह स्थान जहाँ ब्रह्म समाज एवं प्रार्थना समाज की स्थापना हुई। (2006, 12, 16)
उत्तर : मुम्बई

54. वह स्थान जहाँ विवेकानन्द शिला स्मारक स्थित है।
उत्तर : रामेश्वरम्, तमिलनाडु

55. वह नगर जहाँ तमिलनाडु एवं पॉण्डिचेरी (पुदुचेरी) का सम्मिलित उच्च न्यायालय है।
उत्तर : चेन्नई

56. वह स्थान जहाँ पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। (2007, 11, 13)
उत्तर : मुम्बई

57. वह स्थान जहाँ प्रथम स्वाधीनता संग्राम का आरम्भ हुआ। (2013, 15, 17)
उत्तर : मेरठ

58. वह स्थान जहाँ स्वामी विवेकानन्द का जन्म हुआ था। (2011, 16)
उत्तर : कोलकाता

59. वह स्थान जहाँ आनन्द भवन स्थित हैं। (2010, 12, 15, 16)
उत्तर : इलाहाबाद

60. वह स्थान जहाँ ईस्ट इण्डिया कम्पनी की राजधानी थी।
            या
वह स्थान जहाँ दिल्ली से पहले ब्रिटिश की भारत में राजधानी थी। (2018)
उत्तर : कोलकाता

UP Board Solutions

61. वह नगर जहाँ कांग्रेस ने सन् 1942 में भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित किया। (2017)
उत्तर : मुम्बई

62. वह स्थान जहाँ महात्मा गांधी ने नमक कानून भंग किया। (2016)
उत्तर : डाण्डी

63. वह स्थान जहाँ भारतीय नौसेना का मुख्यालय स्थित है। (2013)
उत्तर : दिल्ली

64. वह स्थान जहाँ भारतीय वायुसेना का मुख्यालय है। (2009, 15, 16)
उत्तर : दिल्ली

65. वह स्थान जो श्रीमती इन्दिरा गाँधी की जन्मभूमि है। (2009, 15)
उत्तर : प्रयाग

66. वह स्थान जहाँ ज़लियाँवाला बाग स्थित है। (2009, 14)
उत्तर : अमृतसर

67. वह स्थान जहाँ के राजा कुंवर सिंह थे। (2010)
उत्तर : अमृतसर

68. वह स्थान जो रानी लक्ष्मीबाई के राज्य की राजधानी था। (2010, 18)
            या
वह स्थान जहाँ से रानी लक्ष्मीबाई शासन चलाती थीं। (2016)
उत्तर : झाँसी (UPBoardSolutions.com)

UP Board Solutions

69. वह स्थान जहाँ गांधीजी की मृत्यु हुई थी। (2010, 15, 17)
उत्तर : दिल्ली

70. वह स्थान जहाँ गुरु नानक का जन्म हुआ था। (2010)
उत्तर : तलवंडी

71. वह स्थान जहाँ ‘विक्टोरिया मेमोरियल’ स्थित है। (2010, 11)
उत्तर : कोलकाता

72. वह स्थान जहाँ कुतुबमीनार स्थित है। (2014, 15, 16)
उत्तर : दिल्ली

73. हड़प्पाकालीन एक भारतीय स्थान
उत्तर : रोपड़

74. वह स्थान जहाँ तिलक ने होमरूल लीग की स्थापना की। (2011, 12)
उत्तर : पुणे, महाराष्ट्र

75. वह स्थान जहाँ गौतम बुद्ध ने प्रथम उपदेश दिया। (2015, 17)
उत्तर : सारनाथ

76. वह स्थान जहाँ बुलन्द दरवाजा स्थित है। (2015, 16)
उत्तर : फतेहपुर सीकरी

77. वह नगर जहाँ स्थित लाल किले पर प्रति वर्ष स्वतन्त्रता दिवस पर प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। (2011)
उत्तर : दिल्ली

78. वह स्थान जहाँ पल्लवों की राजधानी थी। (2011, 12)
उत्तर : काँचीपुरम

79. वह स्थान जहाँ चन्देलों ने मन्दिर बनवाए थे। (2011)
उत्तर : खजुराहो

UP Board Solutions

80. वह स्थान जहाँ अकबर तथा हेमू के मध्य युद्ध हुआ था। (2011, 16)
उत्तर : पानीपत

81. वह स्थान जहाँ स्वामी महावीर का जन्म हुआ था। (2011)
उत्तर : वैशाली

82. वह स्थान जहाँ बुद्ध पैदा हुए थे। (2011, 16)
उत्तर : लुम्बिनी

83. वह स्थान जहाँ महाराष्ट्र की राजधानी है। (2011, 15)
उत्तर : मुम्बई (UPBoardSolutions.com)

84. वह नगर जहाँ संसद भवन स्थित है। (2011)
उत्तर : नयी दिल्ली

85. वह नगर जहाँ महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम की स्थापना की। (2011)
उत्तर : अहमदाबाद

86. वह स्थान जहाँ कन्दरिया महादेव मंदिर स्थित है। (2012)
उत्तर : खजुराहो

87. वह स्थान जहाँ लालकिला है। (2012, 14, 16, 17, 18 )
उत्तर : दिल्ली

88. वह स्थान जहाँ मौर्य साम्राज्य की राजधानी थी। (2012, 17)
उत्तर : पाटलिपुत्र

UP Board Solutions

89. वह नगर जहाँ रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हुई थी। (2012)
उत्तर : ग्वालियर

90. वह नगर जहाँ गांधीजी 15 अगस्त, 1947 को शान्ति स्थापित करने में व्यस्त थे। (2012)
उत्तर : कोलकाता

91. उस द्वीप समूह की राजधानी जहाँ देश के अनेक क्रान्तिकारी स्वतन्त्रता सेनानी ब्रिटिश सरकार द्वारा आजीवन कारावास के लिए भेजे जाते थे। (2012)
उत्तर : पोर्ट ब्लेयर

92. वह नगर जहाँ इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थित है। (2012, 15)
उत्तर : लखनऊ

93. दशावतार का मन्दिर किस स्थान पर स्थित है? (2013)
उत्तर : देवगढ़, ललितपुर

94. वह नगर जो पंजाब और हरियाणा दोनों की ही राजधानी है। (2013)
उत्तर : चण्डीगढ़

95. राजस्थान में वह स्थान जहाँ जैन मन्दिर हैं। (2014, 16)
उत्तर : माउण्ट आबू

96. वह नगर जहाँ मध्य प्रदेश का उच्च-न्यायालय स्थित है। (2014)
उत्तर : जबलपुर

97. वह नगर जहाँ मदन मोहन मालवीय ने विश्वविद्यालय स्थापित किया था। (2014)
उत्तर : वाराणसी

UP Board Solutions

98. वह स्थान जहाँ लिंगराज मन्दिर स्थित है। (2014)
उत्तर : भुवनेश्वर

99. वह स्थान जहाँ गुजरात की राजधानी स्थित है। (2014)
उत्तर : गांधीनगर

100. वह स्थान जहाँ कांग्रेस और मुस्लिम लीग का 1916 में समझौता हुआ था। (2014)
उत्तर : लखनऊ

101. वह नगर जहाँ मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर को अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया था। (2014, 15)
उत्तर : नई दिल्ली (UPBoardSolutions.com)

102. वह नगर जहाँ महाकालेश्वर को मन्दिर है। (2014)
उत्तर : उज्जैन

103. वह नगर जो दो राज्यों की राजधानी है। (2014)
उत्तर : चण्डीगढ़

104. वह स्थान जो अपने गुफा चित्रों के लिए प्रसिद्ध है। (2015)
उत्तर : अजन्ता

UP Board Solutions

105. वह स्थान जहाँ 1857 ई० की क्रान्ति का आरम्भ हुआ। (2015, 16)
उत्तर : मेरठ

106. वह स्थान जहाँ गोपालकृष्ण गोखले ने ‘सर्वेन्ट्स ऑफ इण्डिया सोसाइटी’ स्थापित की थी। (2015, 17)
उत्तर : पुणे, महाराष्ट्र

107. वह स्थान जहाँ राजा जयचन्द राज्य करते थे। (2015)
उत्तर : कन्नौज

108. वह स्थान जहाँ सन् 1927 ई० में साइमन कमीशन का विरोध प्रस्ताव पारित हुआ था। (2015)
उत्तर : चेन्नई

109. वह स्थान जो टीपू सुल्तान की राजधानी था। (2015)
उत्तर : श्रीरंगपट्टनम

110. वह नगर जहाँ 1765 में मुगल सम्राट शाहआलम और अंग्रेजों की कम्पनी के बीच सन्धि हुई थी। (2016, 17)
उत्तर : इलाहाबाद

111. वह नगर जहाँ पुर्तगाल के अल्बुकर्क ने 1503 ई० में अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया था। (2016)
उत्तर : गोवा

112. वह नगर जहाँ पण्डित मदनमोहन मालवीय का जन्म हुआ था। (2018)
उत्तर : इलाहाबाद

UP Board Solutions

113. वह नगर जहाँ रामकृष्ण मिशन की स्थापना हुई थी। (2018)
उत्तर : वेल्लूर

114. वह नगर जहाँ इन्दिरा गाँधी की हत्या हुई थी। (2017)
उत्तर : दिल्ली (UPBoardSolutions.com)

मानचित्र – 1

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य 1

UP Board Solutions

मानचित्र – 2

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य 2

मानचित्र – 3

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य 3

UP Board Solutions

मानचित्र – 4

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य 4

मानचित्र – 5

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य 5

Hope given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. UP Board Solutions try to provide online tutoring for you.

UP Board Solutions for Class 10 Hindi पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Hindi पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल).

पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)

अतिलघु उत्तरीय प्रज

प्रश्न 1
भक्तिकाल का यह नाम क्यों पड़ा ?
उत्तर
इस काल की रचनाओं में भक्ति-भावना की अधिकता होने के कारण इसका नाम ‘भक्तिकाल रखा गया, जो सर्वथा उपयुक्त है। भक्तिकाल में कबीर, जायसी, सूर, तुलसी जैसे भक्त कवियों ने भक्ति काव्यों की (UPBoardSolutions.com) रचना की।

प्रश्न 2
भक्तिकाल के चार प्रमुख कवियों और उनकी मुख्य रचनाओं के नाम लिखिए।
या
भक्तिकाल के दो प्रमुख कवियों और उनकी प्रसिद्ध कृति का नाम लिखिए। [2009]
या
भक्तिकाल के किसी एक कवि का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर
भक्तिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ हैं—

  1. कबीरदास-बीजक,
  2. जायसी–पद्मावत,
  3. सूरदास—सूरसागर तथा
  4. तुलसीदास–श्रीरामचरितमानसः ।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
भक्तिकाल की दो शाखाओं का नामोल्लेख कीजिए तथा बताइए कि ‘श्रीरामचरितमानस की रचना में रचनाकार का क्या उद्देश्य निहित, था ?
उत्तर
भक्तिकाल की दो शाखाएँ थीं—

  1.  निर्गुण-भक्ति शाखा तथा
  2.  सगुण-भक्ति शाखा।
    ‘श्रीरामचरितमानस’ की रचना में तुलसीदास जी का (UPBoardSolutions.com) उद्देश्य था-मर्यादापुरुषोत्तम राम के शील, शक्ति और सौन्दर्य समन्वित स्वरूप के प्रस्तुतीकरण द्वारा लोक-मंगल की साधना।

प्रश्न 4
भक्तिकाल की चारों काव्यधाराओं के नाम लिखिए।
उत्तर
भक्तिकाल की काव्यधारा चार रूपों में प्रवाहित हुई—

  1. ज्ञानमार्गी या सन्त-काव्यधारा,
  2. प्रेममार्गी या सूफी-काव्यधारा,
  3.  रामभक्ति-काव्यधारा तथा
  4.  कृष्णभक्ति-काव्यधारा।।

प्रश्न 5
भक्तिकाल की प्रमुख शाखाओं का नामोल्लेख कर किसी एक शाखा की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
भक्तिकाल की प्रमुख शाखाएँ हैं–

  1. सगुण-भक्ति शाखा तथा
  2. निर्गुण-भक्ति शाखा

सगुण-भक्ति शाखा की विशेषताएँ–

  1. राम तथा कृष्ण की पूर्ण ब्रह्म के रूप में प्रतिष्ठा तथा
  2. लोकमंगल की भावना।

UP Board Solutions

प्रश्न 6
निर्गुण-भक्ति शाखा की दो विशेषताएँ लिखते हुए इसी शाखा के दो कवियों के नाम उनकी एक-एक रचना सहित लिखिए।
उत्तर
निर्गुण-भक्ति शाखा की विशेषताएँ–

  1. इसमें ईश्वर के निराकार स्वरूप की उपासना हुई तथा
  2. आन्तरिक साधना (UPBoardSolutions.com) पर बल दिया गया।

कवि तथा उनकी रचना

  1. कबीरदास-बीजक तथा
  2. मलिक मुहम्मद जायसी-पद्मावत।

प्रश्न 7
पूर्व मध्यकाल की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए और इस काल के दो कवियों के नाम बताइए।
उत्तर
विशेषताएँ–

  1. ईश्वर में सहज विश्वास तथा
  2. गुरु-महिमा का वर्णन।

दो कवि–

  1. कबीरदास तथा
  2. तुलसीदास।।

प्रश्न 8
निर्गुण-भक्ति काव्यधारा की कौन-सी दो उपशाखाएँ हैं ?
उत्तर
निर्गुण-भक्ति काव्यधारा की दो उपशाखाएँ हैं—

  1. ज्ञानाश्रयी या सन्त-काव्यधारा तथा
  2. प्रेमाश्रयी या सूफी-काव्यधारा।

UP Board Solutions

प्रश्न 9
सन्त-काव्यधारा (ज्ञानाश्रयी शाखा) के प्रतिनिधि कवि कौन थे ?
उत्तर
सन्त-काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि सन्त कबीरदास थे।

प्रश्न 10
कबीर के अतिरिक्त किन्हीं दो प्रमुख सन्त कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर
सन्त-काव्यधारा में कबीर के अतिरिक्त (UPBoardSolutions.com) रैदास, मलूकदास, नानक तथा दादूदयाल प्रमुख कवि ।।

प्रश्न 11
सूफी-काव्यधारा (प्रेमाश्रयी शाखा) के प्रतिनिधि कवि का नाम बताइट।
उत्तर
सूफी-काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि मलिक मुहम्मद जायसी हैं।

प्रश्न 12
सूफी-काव्यधारा के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
सूफी-काव्यधारा के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ निम्नवत् हैं–

  1. मलिक मुहम्मद जायसी-पद्मावत, अखरावट, आखिरी कलाम।
  2. कुतुबन-मृगावती।
  3. मंझन–मधुमालती।
  4. उसमान—चित्राक्ली।।

प्रश्न 13
सूफी कवियों ने अपनी काव्य-रचनाओं में किस शैली को अपनाया ?
उत्तर
सूफी कवियों ने अपनी काव्य-रचनाओं में फारसी की मसनवी शैली को अपनाया।

UP Board Solutions

प्रश्न 14
प्रेमाश्रयी या सूफी-काव्यधारा की पाँच विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
सूफी-काव्यधारा की प्रमुख पाँच विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. प्रेमतत्त्व का निरूपण,
  2. मसनवी शैली,
  3. श्रृंगार रस की प्रधानता,
  4.  हिन्दू संस्कृति व लोकजीवन का चित्रण तथा
  5. लौकिक प्रेम के द्वारा अलौकिक प्रेम (परमात्म-प्रेम) की व्यंजना।।

प्रश्न 15
सगुणमार्गी कृष्णभक्ति शाखा का सर्वश्रेष्ठ कवि कहलाने का गौरव किसे प्राप्त है ?
उत्तर
सगुणमार्गी कृष्णभक्ति शाखा का सर्वश्रेष्ठ (UPBoardSolutions.com) कवि कहलाने का गौरव सूरदास को प्राप्त है।

प्रश्न 16
कृष्णभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि का नाम लिखिए।
उत्तर
कृष्णभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि सूरदास हैं।

प्रश्न 17
कृष्णभक्ति काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
या
सूरदास के काव्य के आधार पर भक्तिकाल की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइट।
उत्तर
कृष्णभक्ति काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं–

  1. कृष्ण की लीलाओं का गान,
  2. सखाभाव की भक्ति,
  3. श्रृंगार और वात्सल्य रस की प्रधानता,
  4. सगुण रूप की प्रधानता,
  5. प्रकृति का उद्दीपन रूप में वर्णन तथा
  6. ब्रजभाषा में मुक्तक-गेय पदों की रचना।

UP Board Solutions

प्रश्न 18
सूरसागर में कितने पद थे ?
उत्तर
सूरसागर में लगभग सवा लाख पद थे।

प्रश्न 19
सूरदास की भक्ति किस प्रकार की है ?
उत्तर
सूरदास की भक्ति सख्य भाव की है।

प्रश्न 20
सगुणोपासक रामभक्ति शाखा का सर्वश्रेष्ठ कवि किसे माना जाता है ?
उत्तर
सगुणोपासक रामभक्ति शाखा का (UPBoardSolutions.com) सर्वश्रेष्ठ कवि तुलसीदास को माना जाता है।

प्रश्न 21
रामभक्ति काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि कौन हैं ?
उत्तर
रामभक्ति काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि गोस्वामी तुलसीदास हैं, जिन्होंने ‘श्रीरामचरितमानस की रचना करके समाज का पथ-प्रदर्शन किया।

प्रश्न 22
राम को मर्यादा-पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित करने वाले प्रसिद्ध ग्रन्थ का नाम लिखिए।
उत्तर
राम को मर्यादा-पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित करने वाले ग्रन्थ का नाम श्रीरामचरितमानस है।

प्रश्न 23
तुलसीकृत अवधी और ब्रजभाषा की एक-एक रचना का नाम बताइट।
उत्तर
अवधी भाषा-‘श्रीरामचरितमानस’ तथा ब्रजभाषा-‘विनयपत्रिका’।

UP Board Solutions

प्रश्न 24
तुलसी ने अपने ‘श्रीरामचरितमानस’ की रचना किस मुख्य छन्द में की है ?
उत्तर
तुलसी ने ‘श्रीरामचरितमानस की रचना मुख्य रूप से दोहा-चौपाई छन्द में की है।

प्रश्न 25
रामभक्ति काव्यधारा की दो प्रमुख रचनाओं और उनके रचयिताओं के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. श्रीरामचरितमानस तथा
  2. रामचन्द्रिका। इनके लेखक क्रमश: तुलसीदास और केशवदास

प्रश्न 26
रामभक्ति काव्य की रचना किन भाषाओं में हुई ?
उत्तर
रामभक्ति काव्य की रचना अवधी और ब्रजभाषा में हुई।

UP Board Solutions

लघु उत्तरीय प्रण।

प्रश्न 1
भक्तिकाल की विविध काव्यधाराओं का संक्षेप में परिचय दीजिए।
भक्तिकाल की दो प्रमुख धाराओं का नामोल्लेख कीजिए तथा उनके एक-एक प्रतिनिधि कवि का नाम भी बताइट।
उत्तर
भक्तिकाल के साहित्य में चार प्रकार की काव्यधाराएँ मिलती हैं, जिनका विभाजन निम्नवत् है|

(1) निर्गुण-भक्ति काव्यधारा–ईश्वर के निर्गुण रूप की उपासना करने वाले भक्त कवियों ने ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग ज्ञान और प्रेम बताया। इस आधार पर निर्गुण-भक्ति काव्यधारा दो शाखाओं में प्रस्फुटित हुई

  1.  ज्ञान को ईश्वर की प्राप्ति का साधन मानने के आधार पर ज्ञानमार्गी या सन्त-काव्यधारा प्रस्फुटित हुई। इसके प्रतिनिधि कवि कबीरदास हैं।
  2. प्रेम को ईश्वर की प्राप्ति का साधन मानने के आधार (UPBoardSolutions.com) पर प्रेममार्गी या सूफी-काव्यधारा प्रस्फुटित हुई। इसके प्रतिनिधि कवि मलिक मुहम्मद जायसी हैं।

(2) सगुण-भक्ति काव्यधारा–ईश्वर के साकार रूप को आधार मानकर उपासना करने वाले कवियों ने राम और कृष्ण को इष्टदेव मानकर भक्ति-काव्यों की रचना की। इस आधार पर सगुण-भक्ति काव्यधारा भी दो शाखाओं में प्रस्फुटित हुई|

  1. कृष्ण के साकार रूप का आधार लेकर कृष्णभक्ति काव्यधारा विकसित हुई। इसके प्रतिनिधि कवि सूरदास हैं।
  2. राम के साकार रूप का आधार लेकर रामभक्ति काव्यधारा विकसित हुई। इसके प्रतिनिधि कवि तुलसीदास हैं।

प्रश्न 2
भक्तिकाल का समय कब से कब तक माना जाता है ? इस काल के साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) बताइए।
या
भक्तिकाल की दो सामान्य प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
सन् 1343 से 1643 ई० तक का समय हिन्दी-साहित्य में भक्तिकाल के नाम से जाना जाता है। भक्तिकाल के साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत् हैं

  1. भक्ति-भावना,
  2.  गुरु की महिमा,
  3. सुधारवादी दृष्टिकोण एवं समन्वय की भावना,
  4. रहस्य की भावना,
  5. अहंकार का त्याग और लोकमंगल की भावना,
  6. काव्य का उत्कर्ष एवं
  7. जीवन की नश्वरता और ईश्वर के नाम-स्मरण की महत्ता।

प्रश्न 3
भक्तिकाल को हिन्दी-साहित्य का स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है ? स्पष्ट कीजिए।
या
हिन्दी पद्य-साहित्य को भक्तिकाल की क्या देन है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
भक्तिकाल में भाव, भाषा एवं शिल्प की दृष्टि से हिन्दी-साहित्य का उत्कर्ष हुआ। भावपक्ष तथा कलापक्ष के उत्कृष्ट रूप के कारण ही भक्तिकाल को हिन्दी-साहित्य का स्वर्ण युग कहते हैं। इसी समय कबीर, जायसी, सूर तथा तुलसी जैसे रससिद्ध (UPBoardSolutions.com) कवियों की दिव्य वाणी उनके अन्त:करण से निकलकर देश के कोने-कोने में फैली थी। यही सार्वभौम और सार्वकालिक साहित्य भक्तिकाल की अनुपम देन है।

UP Board Solutions

प्रश्न 4
सन्त-काव्यधारा (ज्ञानाश्रयी शाखा) की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
सन्त-काव्यधारा की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ इस प्रकार हैं–

  1. गुरु की महिमा का गान,
  2. निर्गुण ब्रह्म की उपासना,
  3. बाह्य आडम्बरों का विरोध और समाज-सुधार,
  4. हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल,
  5. एकेश्वरवाद में विश्वास,
  6. रहस्यवादी भावना,
  7. नाम के स्मरण को महत्त्व,
  8. मायारूपी महाठगिनी की निन्दा,
  9. मिश्रित या सधुक्कड़ी भाषा।।

प्रश्न 5
कृष्णभक्ति काव्यधारा (कृष्णाश्रयी शाखा) का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
या
अष्टछाप का संगठन किसने किया ? इसमें कितने कवियों को सम्मिलित किया गया ?
उत्तर
सगुण-भक्ति काव्य में कृष्णभक्ति के प्रवर्तन का श्रेय स्वामी वल्लभाचार्य को है। गोस्वामी बिट्ठलनाथ ने कृष्णभक्ति की धारा को आगे बढ़ाया। इन्होंने आठ कृष्णभक्त कवियों को चुनकर ‘अष्टछाप’ की स्थापना की, जिसमें सूरदास प्रमुख थे। इस शाखा के सभी (UPBoardSolutions.com) कवियों ने कृष्ण के लोकरंजक स्वरूप को अपनाया। इन्होंने कृष्ण के बाल और किशोर रूप का ही अधिक चित्रण किया तथा गोपियों के साथ की गयी क्रीड़ाओं को भी अपने काव्य का विषय बनाया। इसी कारण कृष्णभक्ति काव्य में वात्सल्य, माधुर्य एवं श्रृंगार भाव के दर्शन होते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 6
कृष्णभक्ति शाखा के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
कृष्णभक्ति शाखा के प्रमुख कवियों के नाम एवं रचनाएँ निम्नलिखित हैं
(क) अष्टछाप के कवि-

  1. सूरदास—सूरसागर, सूर सारावली, साहित्य लहरी;
  2. नन्ददास-रास पंचाध्यायी, भ्रमरगीत;
  3. कृष्णदास-भ्रमरगीत, प्रेम-तत्त्व निरूपण;
  4. परमानन्ददास-परमानन्द सागर;
  5. कुम्भनदास-फुटकर पद;
  6. चतुर्भुजदास,
  7. छीतस्वामी एवं
  8. गोविन्द स्वामी।।

(ख) अन्य प्रमुख कवि–

  1.  हित हरिवंश-हित चौरासी;
  2. मीराबाई—मीराबाई पदावली;
  3. रसखान-सुजान-रसखान, प्रेमवाटिका तथा
  4. नरोत्तमदास-सुदामाचरित।

प्रश्न 7
भ्रमरगीत का परिचय दीजिए।
उत्तर
सूरसागर का एक प्रसंग भ्रमरगीत कहलाता है। इस प्रसंग में गोपियों के प्रेमावेश ने ज्ञानी उद्धव को भी प्रेमी एवं भक्त बना दिया था।

प्रश्न 8
रामभक्ति काव्यधारा (रामाश्रयी शाखा) का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर
राम को आराध्य मानकर जिस लोक-मंगलकारी काव्य की रचना की गयी, वह रामभक्ति काव्य के नाम से जाना जाता है। रामभक्ति काव्यधारा के भक्त कवियों के प्रेरक स्वामी रामानन्द रहे हैं। स्वामी रामानन्द ने जनता के बीच रामभक्ति का प्रचार (UPBoardSolutions.com) किया। उन्हीं की शिष्य-परम्परा में गोस्वामी तुलसीदास ने ‘श्रीरामचरितमानस’ की रचना करके भारतीय जनता में रामभक्ति की पावन गंगा को प्रवाहित किया।

प्रश्न 9
रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवियों एवं उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
या
राम काव्यधारा (रामाश्रयी शाखा) के प्रमुख कवि और उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नवत् हैं

  1. तुलसीदास-श्रीरामचरितमानस, विनयपत्रिका, कवितावली, गीतावली, दोहावली, बरवै रामायण आदि।
  2. प्राणचन्द-रामायण महानाटक।
  3. हृदयराम-हिन्दी हनुमन्नाटक।
  4. केशवदास–रामचन्द्रिका, कविप्रिया, रसिकप्रिया।
  5. नाभादास-भक्तमाल।।

प्रश्न 10
रामभक्ति शाखा की प्रमुख प्रवृत्तियों (विशेषताओं) पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
या
तुलसी के पद्यों के आधार पर भक्तिकाल की दो प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
रामभक्ति काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) इस प्रकार हैं—

  1. राम को अपना इष्टदेव मानकर उनके लोकरक्षक एवं लोकरंजक रूप में रामचरित का गायन,
  2. दास्य-भाव की भक्ति,
  3. चातक-प्रेम के आदर्श पर आधारित अनन्य भक्ति-भावना,
  4. वर्णाश्रम धर्म से समर्थित सामाजिक व्यवस्था को श्रेष्ठ मानते हुए लोक-मर्यादा की प्रतिष्ठा,
    लोक-मंगल की भावना,
  5. विभिन्न मत-मतान्तरों, सम्प्रदायों तथा काव्य-शैलियों में समन्वय की चेष्टा,
  6. अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं में (UPBoardSolutions.com) अधिकारपूर्वक काव्य-रचना एवं
  7. प्रबन्ध व मुक्तक दोनों काव्य रूपों में रचना।

UP Board Solutions

प्रश्न 11
तुलसी और सूर की भक्ति में मूलभूत अन्तर क्या है ?
उत्तर
तुलसी और सूर की भक्ति में मूलभूत अन्तर यह है कि तुलसी की (UPBoardSolutions.com) भक्ति दास्य-भाव की है। और सूर की सख्य-भाव की; अर्थात् तुलसीदास स्वयं को भगवान् का दास मानकर उनकी उपासना करते हैं, जब कि सूरदास स्वयं को भगवान् का सखा मानकर उनसे याचना करते हैं।

We hope the UP Board Solutions for Class 10 Hindi पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 10 Hindi पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

 

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड).

अवतरणों का ससन्दर्भ हिन्दी अनुवाद

प्रश्न 1.
मानव-जीवनस्य संस्करणं संस्कृतिः।अस्माकं पूर्वजाः मानवजीवनं संस्कर्तुं महान्तं प्रयत्नम् अकुर्वन्। ते अस्माकं जीवनस्य संस्करणाय यान् आचारान् विचारान् च अदर्शयन् तत् सर्वम् अस्माकं संस्कृतिः। [2011, 15]
उत्तर
[संस्करणं = दोषों को दूर करना। संस्कर्तुं = शुद्ध करने के लिए। संस्करणाय = सँवारने के लिए। अदर्शयन् = दिखाया।]

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ (UPBoardSolutions.com) के ‘संस्कृत-खण्ड’ के ‘भारतीया संस्कृतिः पाठ से उद्धृत है।

[ विशेष—इस पाठ के शेष सभी गद्यांशों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।] प्रसंग-इसमें भारतीय संस्कृति के स्वरूप और महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।

अनुवाद-मानव-जीवन को सँवारना (दोषादि को दूर करना) संस्कृति है। हमारे पूर्वजों ने मानव-जीवन को शुद्ध करने के लिए महान् प्रयत्न किये। उन्होंने हमारे जीवन के संस्कारों के लिए जिन आचारों और विचारों को दिखाया, वह सब हमारी संस्कृति है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
“विश्वस्य स्रष्टा ईश्वरः एक एव” इति भारतीय-संस्कृतेः मूलम्। विभिन्नमतावलम्बिनः विविधैः नामभिः एकम् एव ईश्वरं भजन्ते।अग्निः, इन्द्रः, कृष्णः,करीमः, रामः, रहीमः,जिनः, बुद्धः, ख्रिस्तः, अल्लाहः इत्यादीनि नामानि एकस्य एव परमात्मनः सन्ति। तम् एव ईश्वरं जनाः गुरुः इत्यपि मन्यन्ते। अतः सर्वेषां मतानां समभावः सम्मानश्च अस्माकं संस्कृतेः सन्देशः। [2011, 14]
उत्तर
[ स्रष्टा = रचने वाला। विभिन्नमतावलम्बिनः (विभिन्नमत + अवलम्बिन:) = विभिन्न मतों को मानने वाले। समभावः = समान भाव।।

प्रसंग-प्रस्तुत अवतरण में भारतीय संस्कृति के मूल तत्त्व को बताया गया है।

अनुवाद--“विश्व को रचने वाला ईश्वर एक ही है, यह भारतीय संस्कृति का मूल है। अनेक मतों को मानने वाले अनेक नामों से एक ही ईश्वर का भजन करते हैं। अग्नि, इन्द्र, कृष्ण, करीम, राम, रहीम, जिन, बुद्ध, ख्रिस्त, अल्लाह इत्यादि नाम एक ही परमात्मा के हैं। उसी (UPBoardSolutions.com) ईश्वर को लोग ‘गुरु’ भी मानते हैं। अत: सब मतों के प्रति समान भाव और सम्मान हमारी संस्कृति का सन्देश है।

प्रश्न 3.
भारतीय संस्कृतिः तु सर्वेषां मतावलम्बिन सङ्गमस्थली। काले-काले विविधाः विचाराः भारतीय-संस्कृतौ समाहिताः। एषा संस्कृतिः सामासिकी संस्कृतिः यस्याः विकासे विविधानां जातीनां, सम्प्रदायानां, विश्वासानाञ्च योगदानं दृश्यते।अतएव अस्माकं भारतीयानाम्एका संस्कृतिः एका च राष्ट्रियता। सर्वेऽपि वयं एकस्याः संस्कृतेः समुपासकाः, एकस्य राष्ट्रस्य च राष्ट्रियाः। यथा भ्रातरः परस्परं मिलित्वा सहयोगेन सौहार्देन च परिवारस्य उन्नतिं कुर्वन्ति, तथैव अस्माभिः अपि सहयोगेन सौहार्देन च राष्ट्रस्य उन्नतिः कर्त्तव्या। [2012]
उत्तर
[सङ्गमस्थली = मिलने का स्थान। काले-काले = समय-समय पर। समाहिताः = मिल गये हैं। सामासिकी = मिली-जुली। समुपासकाः = उपासक। सौहार्देन = मित्रभाव से।]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में यह बताया गया है कि भारत की संस्कृति समन्वयात्मक है।

UP Board Solutions

अनुवाद-भारतीय संस्कृति तो सभी मतों के मानने वालों का मिलन-स्थल है। समय-समय पर अनेक प्रकार के विचार भारतीय संस्कृति में मिल गये। यह संस्कृति मिली-जुली संस्कृति है, जिसके विकास में अनेक जातियों, सम्प्रदायों और विश्वासों का योगदान (UPBoardSolutions.com) दिखाई पड़ता है। इसलिए हम भारतवासियों की एक संस्कृति और एक राष्ट्रीयता है। हम सभी एक संस्कृति की उपासना करने वाले और एक राष्ट्र के नागरिक हैं। जैसे सब भाई आपस में मिलकर सहयोग और प्रेमभाव से परिवार की उन्नति करते हैं, उसी प्रकार हमें भी सहयोग और मित्रभाव से राष्ट्र की उन्नति करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
अस्माकं संस्कृतिः सदा गतिशीला वर्तते। मानवजीवनं संस्कर्तुम् एषा यथासमयं नवां नवां विचारधारा स्वीकरोति, नवां शक्ति च प्राप्नोति। अत्र दुराग्रहः नास्ति, यत् युक्तियुक्तं कल्याणकारि च तदत्र सहर्ष गृहीतं भवति। एतस्याः गतिशीलतायाः रहस्यं मानवजीवनस्य शाश्वतमूल्येषु निहितम्, तद् यथा सत्यस्य प्रतिष्ठा, सर्वभूतेषु समभावः विचारेषु औदार्यम्, आचारे दृढता चेति। [2010, 11, 14, 17]
उत्तर
[ गतिशीला = वेगवती। संस्कर्तुम् = शुद्ध करने के लिए। नवां = नयी। (UPBoardSolutions.com) दुराग्रहः = हठ। युक्तियुक्तं = ठीक-ठीक, उचित। एतस्याः = इसकी। शाश्वतमूल्येषु = सदा रहने वाले मूल्यों में निहितम् = स्थित है। औदार्यम् = उदारता।]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में भारतीय संस्कृति की गतिशीलता और उसके लचीलेपन के बारे में बताया गया है।

अनुवाद-हमारी संस्कृति सदा गतिशील रही है। मानव-जीवन को शुद्ध करने के लिए यह समयानुसार नयी-नयी विचारधारा को स्वीकार कर लेती है और नयी शक्ति को प्राप्त करती है। इसमें दुराग्रह (हठधर्मिता) नहीं है, जो युक्तिसंगत और कल्याण करने वाला है, वह इसमें हर्षसहित ग्रहण किया जाता है। इसकी गतिशीलता का रहस्य मानव-जीवन में सदा रहने वाले मूल्यों में स्थित है; जैसे कि सत्य का सम्मान, सभी प्राणियों के प्रति समान भाव, विचारों में उदारता और आचरण में दृढ़ता।

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
एषा कर्मवीराणां संस्कृतिः “कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतं समाः’ इति अस्याः उद्घोषः।पूर्वं कर्म, तदनन्तरं फलम् इति अस्माकं संस्कृते नियमः।इदानीं यदा वयं राष्ट्रस्य नवनिर्माणे संलग्नाः स्मः निरन्तरं कर्मकरणम् अस्माकं मुख्यं कर्त्तव्यम्। निजस्य श्रमस्य फलं भोग्यं, अन्यस्य श्रमस्य शोषणं सर्वथा वर्जनीयम् यदि वयं विपरीतम् आचरामः तदा न वयं सत्यं भारतीय-संस्कृतेः उपासकाः। वयं तदैव यथार्थं भारतीया यदास्माकम् आचारे विचारे चे अस्माकं संस्कृतिः लक्षिता भवेत्। अभिलषामः वयं यत् विश्वस्य अभ्युदयाय भारतीयसंस्कृतेः एषः दिव्यः सन्देशः लोके सर्वत्र प्रसरेत्- [2009, 16]
पूर्व कर्म, तदनन्तरं …………………. फलं भोग्यम्। [2013]
एषा कर्मवीराणां ……………………… संस्कृतेः नियमः। [2014]
उत्तर
[कर्मवीराणां = कर्म में संलग्न रहने वालों की। कुर्वन्नेवेह (UPBoardSolutions.com) (कुर्वन् + एव + इह) = यहाँ करते हुए ही। जिजीविषेच्छतं (जिजीविषेत् + शतम्) समाः = सौ वर्षों तक जीने की इच्छा करनी चाहिए। उद्घोषः = घोषणा। कर्मकरणम् = कर्म करना। वर्जनीयम् = त्यागने योग्य। विपरीतम् = विरुद्ध आचरामः = आचरण करते हैं। लक्षिता भवेत् = दिखाई दे। अभिलषामः = चाहते हैं। अभ्युदयाय = उन्नति के लिए।प्रसरेत् = प्रसारित हो।]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में हमारी संस्कृति को कर्मवीरों की संस्कृति बताया गया है।

अनुवाद—यह कर्म में संलग्न रहने वालों (कर्मवीरों) की संस्कृति है। “यहाँ कर्म करते हुए ही सौ वर्षों तक जीने की इच्छा करनी चाहिए। यह इसकी घोषणा है। पहले कर्म, बाद में फल–यह हमारी संस्कृति का नियम है। इस समय जब हम लोग राष्ट्र के (UPBoardSolutions.com) नव-निर्माण में लगे हुए हैं, निरन्तर काम करना ही हमारा प्रधान कर्तव्य है। अपने परिश्रम का फल भोगने योग्य है, दूसरे के श्रम का शोषण त्यागने योग्य है। यदि हम विपरीत आचरण करते हैं तो हम भारतीय संस्कृति के सच्चे उपासक नहीं हैं। हम तभी वास्तविक रूप में भारतीय हैं, जब हमारे आचार और विचार में हमारी संस्कृति दिखाई दे। हम सब चाहते हैं कि संसार की उन्नति के लिए भारतीय संस्कृति का यह दिव्य सन्देश संसार में सब जगह फैले।

UP Board Solutions

प्रश्न 6.
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मी कश्चिद् दुःखभाग् भवेत् ॥ [2010, 11, 14, 16, 18]
उत्तर
[ निरामयाः = रोगरहित। भद्राणि = कल्याण। दुःखभाग् = दु:खी। भवेत् = होवे।]

सन्दर्भ-प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के संस्कृत खण्ड’ के ‘भारतीय संस्कृतिः’ नामक पाठ से लिया गया है।

प्रसंग-प्रस्तुत श्लोक में भारतीयों की मूल भावना (UPBoardSolutions.com) पर प्रकाश डाला गया है।

अनुवाद-“सब सुखी हों। सब रोगरहित हों। सब कल्याण को देखें, अर्थात् सभी का कल्याण हो। कोई भी दुःखी न हो, अर्थात् कोई भी दु:ख का भागी न बने।”

अतिलघु-उत्तरीय संस्कृत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1
संस्कृतिः शब्दस्य किं तात्पर्यम् अस्ति ? [2012]
या
संस्कृतेः अर्थः कः ?
या
संस्कृतिः का ?
या
संस्कृतेः की परिभाषा अस्ति ?
उत्तर
मानवजीवनस्य संस्करणम् संस्कृतिः (UPBoardSolutions.com) इति संस्कृति शब्दस्य तात्पर्यम्।

UP Board Solutions

प्रश्न 2
भारतीयः संस्कृतेः मूलं किम् अस्ति ? [2009, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]
या
भारतीय-संस्कृतेः किं मूलम् ?
उत्तर
विश्वस्य स्रष्टा ईश्वरः एक एव इति भारतीय-संस्कृते: मूलम् अस्ति।

प्रश्न 3
अस्माकं संस्कृतेः कः सन्देशः ?
या
अस्माकं संस्कृतेः कः दिव्यः सन्देशः अस्ति ? [2010]
या
भारतीय संस्कृतेः कः दिव्यः (प्रमुखः) सन्देश अस्ति ? [2010, 18]
उत्तर
सर्वेषां मतानां समभावः सम्मानश्च (UPBoardSolutions.com) अस्माकं संस्कृते: दिव्यः सन्देशः अस्ति।

प्रश्न 4
भारतीय संस्कृतिः कां सङ्गमस्थली ?
उत्तर
भारतीया संस्कृतिः सर्वेषां मतावलम्बिन सङ्गमस्थली।

UP Board Solutions

प्रश्न 5
अस्माकं संस्कृतिः कीदृशी वर्तते (अस्ति) ? [2009, 12, 15, 17]
या
भारतीया संस्कृतिः कीदृशी अस्ति ?
उत्तर
अस्माकं भारतीया संस्कृतिः सदा (UPBoardSolutions.com) गतिशीला वर्तते (अस्ति)।

प्रश्न 6
भारतीयसंस्कृत कः विशेषः गुणः अस्ति ?
उत्तर
भारतीयसंस्कृतौ सर्वेषां मतानां समभावः इति विशेष: गुणः अस्ति।

प्रश्न 7
अस्माकं संस्कृतेः कः नियमः ? [2014]
उत्तर
अस्माकं संस्कृते: नियमः ‘पूर्व कर्म, तदनन्तरं फलम्’ इति अस्ति।

प्रश्न 8
अस्माकं मुख्यकर्त्तव्यं किम् अस्ति ?
उत्तर
निरन्तरं कर्मकरणम् अस्माकं (UPBoardSolutions.com) मुख्यकर्त्तव्यम् अस्ति।

UP Board Solutions

प्रश्न 9
“मा कश्चित् दुःखभाग्भवेत्”, कस्याः अस्ति एषः दिव्यः सन्देशः ?
उत्तर
‘मा कश्चित् दु:खभाग्भवेत्,’ एष: भारतीय संस्कृतिः दिव्यः सन्देशः अस्ति।

प्रश्न 10
भारतीयसंस्कृतिः कस्य अभ्युदयाय इति ?
उत्तर
भारतीयसंस्कृतिः विश्वस्ये अभ्युदयाय इति।

प्रश्न 11
विश्वस्य स्रष्टा कः? [2012, 14, 15, 17, 18]
उत्तर
विश्वस्य स्रष्टा ईश्वरः एक  एव अस्ति।

UP Board Solutions

अनुवादात्मक

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड) img-1

व्याकरणात्मक

प्रश्न 1
निम्नलिखित शब्दों के विभक्ति और वचन बताइए-
संस्कृतेः, विविधैः, संस्कृती, अस्माभिः, कर्माणि, नवनिर्माणे, उपासकाः।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड) img-2

UP Board Solutions

प्रश्न 2
निम्नलिखित में सन्धि कीजिए-
इति + आदि, मतं + अवलम्बी, यथा + अर्थम्, ‘अभि + उदयः, जिजीविषेत् + शतम्।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड) img-3

प्रश्न 3
निम्नलिखित शब्दों में नियम निर्देशित करते हुए सन्धि-विच्छेद कीजिए-
दुराग्रहः, कुर्वन्नेवेह, नास्ति, मतावलम्बिनः, इत्यपि, अभ्युदयः।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड) img-4

We hope the UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

 

UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य-साहित्य के विकास पर आधारित

UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य-साहित्य के विकास पर आधारित

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य-साहित्य के विकास पर आधारित.

हिन्दी गद्य के विकास का संक्षिप्त परिचय

विशेष-पाठ्यक्रम के नवीनतम प्रारूप के अनुसार हिन्दी गद्य के विकास का संक्षिप्त परिचय’ के अन्तर्गत केवल शुक्ल और शुक्लोत्तर युग (छायावादोत्तर युग) ही निर्धारित हैं, किन्तु अध्ययन की दृष्टि से यहाँ सभी युगों के विकास से सम्बन्धित प्रश्नों को संक्षेप में दिया जा रहा है, क्योंकि एक-दूसरे से घनिष्ठता के कारण कभी-कभी निर्धारित युग से अलग प्रश्न भी पूछ लिये जाते हैं। लघु उत्तरीय प्रश्न, केवल विस्तृत अध्ययन के लिए दिये गये हैं। इससे प्रायः अतिलघु उत्तरीय प्रश्न ही पूछे जाते हैं, जिसके लिए कुल 5 अंक निर्धारित है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

गद्य-साहित्य के विकास पर आधारित

प्रश्न 1
गद्य का अर्थ लिखिए।
उत्तर
गद्य हमारे दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाली भाषा का (UPBoardSolutions.com) नाम है। इसकी विषय-वस्तु हमारी बोध-वृत्ति पर आधारित होती है तथा इसमें किसी विषय को विस्तार से कहने की प्रवृत्ति या भावना होती है। गद्य वास्तविकता और व्यावहारिकता से ओत-प्रोत होता है।

प्रश्न 2
गद्य और पद्य (काव्य) में अन्तर बताइट।
उत्तर
गद्य मस्तिष्क के तर्कप्रधान चिन्तन की उपज होता है और छन्दबद्ध, भावपूर्ण तथा ओजयुक्त रचनाएँ काव्य कहलाती हैं। गद्य में विस्तार, वास्तविकता तथा व्यावहारिकता अधिक होती है, जबकि काव्य में संकेत-रूप में बात कही जाती है। इसमें काल्पनिकता का प्राधान्य होता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 3
गद्य का प्रथम विकास किस रूप में होता है ?
उत्तर
गद्य का प्रथम विकास सामान्य बोल-चाल की भाषा के रूप में होता है।

प्रश्न 4
भाषा-रूपों के विकास की दृष्टि से गद्य की कितनी कोटियाँ उपलब्ध हैं ?
उत्तर
भाषा-रूपों के विकास की दृष्टि से गद्य की चार कोटियाँ–

  1. वर्णनात्मक,
  2. विवेचनात्मक,
  3. भावात्मक,
  4. विवरणात्मक उपलब्ध हैं।

प्रश्न 5
सृजनात्मक तथा उपयोगी गद्य की एक-एक विधा का नाम लिखिए।
उत्तर

  1. सृजनात्मक गद्य-विधा–निबन्ध तथा
  2. उपयोगी गद्य-विधा–विज्ञानपरक लेखन।

UP Board Solutions

प्रश्न 6
गद्य का महत्त्व समझाइए।
उत्तर
गद्य के द्वारा हम अपने विचारों या भावों को सरल या सहज (UPBoardSolutions.com) भाषा के रूप में अभिव्यक्त कर सकते हैं। ज्ञान-विज्ञान आदि सभी क्षेत्रों की सफल, सरल और बोधगम्य अभिव्यक्ति का माध्यम गद्य ही है।

प्रश्न 7
हिन्दी खड़ी बोली गद्य का आविर्भाव किस शताब्दी में हुआ ?
उत्तर
हिन्दी खड़ी बोली गद्य का आविर्भाव उन्नीसवीं शताब्दी के नवजागरण काल में हुआ।

प्रश्न 8
हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग किस भाषा में मिलते हैं ?
उत्तर
हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग राजस्थानी और (UPBoardSolutions.com) ब्रजभाषा में मिलते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 9
प्राचीन राजस्थानी गद्य कब और किन रूपों में मिलता है ?
या
राजस्थानी गद्य हमें किस प्रकार की रचनाओं में देखने को मिलता है ?
उत्तर
राजस्थानी गद्य हमें दसवीं शताब्दी के दानपत्रों, पट्टे-परवानों, टीकाओं व अनुवाद-ग्रन्थों के रूप में देखने को मिलता है।

प्रश्न 10
ब्रजभाषा गद्य का सूत्रपात किस वर्ष के आस-पास हुआ ?
उत्तर
ब्रजभाषा गद्य का सूत्रपात संवत् 1400 वि० (UPBoardSolutions.com) (सन् 1343 ई०) के आस-पास हुआ।

प्रश्न 11
ब्रजभाषा गद्य के दो प्रसिद्ध लेखकों के नाम बताइए।
या
ब्रजभाषा गद्य के दो प्रमुख लेखक तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर

  1.  गोस्वामी बिट्ठलनाथ, रचना–‘श्रृंगार रस-मण्डन’।
  2. गोकुलनाथ, रचना–‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ और ‘दो सौ बावन वैष्णवन की। वार्ता।

प्रश्न 12
खड़ी बोली गद्य के प्रथम दर्शन किस ग्रन्थ में होते हैं ?
या
खड़ी बोली गद्य के प्रथम लेखक और उसकी प्रथम रचना का नाम लिखिए।
उत्तर
खड़ी बोली गद्य के प्रथम दर्शन कवि गंग द्वारा लिखित (UPBoardSolutions.com) ‘चंद छंद बरनन की महिमा’ नामक ग्रन्थ में होते हैं।

UP Board Solutions

अत: कवि गंग को खड़ी बोली गद्य का प्रथम लेखक और उनकी रचना ‘चंद छंद बरनन की महिमा’ को खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना माना जाना चाहिए। कुछ विद्वान जटमलकृत ‘गोरा बादल की कथा’ को खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना मानते हैं।

प्रश्न 13
कवि गंग किसके दरबारी कवि थे ?
उत्तर
कवि गंग अकबर के दरबारी कवि थे।

प्रश्न 14
भारतेन्दु युग से पूर्व खड़ी बोली गद्य के प्रथम चार उन्नायकों के नाम, उनकी एक-एक रचना एवं उनकी कृतियों का रचनाकाल बताइए।
उत्तर
भारतेन्दु युग से पूर्व खड़ी बोली हिन्दी गद्य के प्रारम्भिक (UPBoardSolutions.com) चार उन्नायकों के नाम और उनकी रचनाएँ इस प्रकार हैं-

  1. मुंशी इंशा अल्ला खाँ–‘रानी केतकी की कहानी’,
  2. सदासुखलाल– ‘सुखसागर’,
  3. सदल मिश्र-‘नासिकेतोपाख्यान’,
  4. लल्लूलाल-‘प्रेमसागर’। इन सभी कृतियों का रचनाकाल सन् 1803 ई० के आस-पास है।

UP Board Solutions

प्रश्न 15
सदल मिश्र और इंशा अल्ला खाँ की शैली का अन्तर बताइए।
उत्तर
सदल मिश्र की भाषा में पूर्वी क्षेत्र के शब्दों के प्रयोग अधिक हुए हैं, जबकि इंशा अल्ला खाँ की भाषा में ठेठ खड़ी बोली के दर्शन होते हैं।

प्रश्न 16
लल्लूलाल और इंशा अल्ला खाँ की भाषा में क्या मुख्य अन्तर है ?
उत्तर
लल्लूलाल की भाषा पर ब्रजभाषा का प्रभाव है, जबकि इंशा अल्ला खाँ की भाषा खड़ी बोली है, जिसमें विदेशी, संस्कृत तथा ब्रजभाषा के शब्द नहीं हैं।

प्रश्न 17
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किस लेखक की भाषा को ‘रंगीन और चुलबुली’ कहा है ?
उत्तर
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इंशा अल्ला खाँ की भाषा (UPBoardSolutions.com) को रंगीन और चुलबुली’ कहा है।

UP Board Solutions

प्रश्न 18
आर्य समाज का हिन्दी गद्य के विकास में क्या योगदान है ?
उत्तर
आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द ने अपने उपदेशों का प्रचार-प्रसार हिन्दी भाषा में किया तथा अपने प्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ की रचना भी हिन्दी भाषा में ही की। वेदों के भाष्य भी उन्होंने हिन्दी भाषा में ही लिखे तथा आर्य समाज के अनुयायियों को हिन्दी भाषा का प्रयोग करने की शिक्षा दी। इस प्रकार आर्य समाज ने हिन्दी गद्य के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी।

प्रश्न 19
हिन्दी गद्य के प्रसार में ईसाई पादरियों का क्या योगदान रहा है।
उत्तर
ईसाई पादरियों ने अपने धर्म-प्रचार के लिए जनसाधारण में प्रचलित खड़ी बोली को अपनाया और बाइबिल का हिन्दी में अनुवाद कर उसे उत्तर भारत के विभिन्न स्थानों पर वितरित किया। इस प्रकार ईसाई धर्म के साथ-साथ हिन्दी भाषा के (UPBoardSolutions.com) गद्य का प्रचार-प्रसार भी होता रहा।

UP Board Solutions

प्रश्न 20
भारतेन्द्र से पूर्व कौन-से दो राजाओं ने हिन्दी गद्य के विकास में योगदान दिया ?
या
राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द’ तथा राजा लक्ष्मण सिंह की भाषा-शैली का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
भारतेन्दु से पूर्व राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द’ ने अरबी-फारसी मिश्रित खड़ी बोली को तथा राजा लक्ष्मण सिंह ने ठेठ संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली को अपनाया। इन दोनों की भाषा-शैली का यही मुख्य अन्तर है।

प्रश्न 21
राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द’ की भाषा के क्या दोष थे ?
उत्तर
राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द’ की भाषा पर अरबी-फारसी का प्रभाव था। इसी को उनकी खड़ी बोली भाषा का दोष माना जाता है।

प्रश्न 22
राजा लक्ष्मण सिंह की भाषा का क्या रूप था ?
उत्तर
राजा लक्ष्मण सिंह की भाषा संस्कृतनिष्ठ थी। ये दैनिक प्रयोग में (UPBoardSolutions.com) काम आने वाले अंग्रेजी व उर्दू के सामान्य शब्दों को भी हिन्दी से दूर रखना चाहते थे।

UP Board Solutions

प्रश्न 23
बीसवीं शताब्दी में किस एक व्यक्ति ने हिन्दी गद्य के निर्माण व प्रसार के लिए सर्वाधिक स्तुत्य कार्य किये ?
उत्तर
बीसवीं शताब्दी में आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी ने हिन्दी गद्य के निर्माण व प्रसार के लिए सर्वाधिक स्तुत्य कार्य किये।।

प्रश्न 24
हिन्दी गद्य का वास्तविक इतिहास कब से आरम्भ हुआ ?
या
गद्य साहित्य का विविध रूपों में विकास किस काल में हुआ ? (2016)
उत्तर
हिन्दी गद्य का वास्तविक इतिहास भारतेन्दुकोल–सन् 1850 ई०-से आरम्भ हुआ।

प्रश्न 25
भारतेन्दु युग में किन गद्य-विधाओं का विकास हुआ ?
उत्तर
भारतेन्दु युग में नाटक, निबन्ध, उपन्यास, कहानी, आलोचना आदि गद्य-विधाओं का विकास
हुआ।

प्रश्न 26
भारतेन्दु युग की भाषा की मुख्य विशेषता एक वाक्य में लिखिए।
उत्तर
संस्कृत के सरल शब्दों, प्रचलित विदेशी शब्दों, लोकोक्तियों (UPBoardSolutions.com) तथा मुहावरों के प्रयोग से भारतेन्दु युग की भाषा में सजीवता आ गयी थी।

UP Board Solutions

प्रश्न 27
भारतेन्दु युग का काल-निर्धारण कीजिए।
उत्तर
हिन्दी गद्य के विकास में सन् 1850 से 1900 ई० तक का समय भारतेन्दु युग कहलाता है।

प्रश्न 28
आधुनिक हिन्दी-निर्माताओं की वृहत्-त्रयी में किन लेखकों को गिना जाता है ?
उत्तर
आधुनिक हिन्दी-निर्माताओं की वृहत्-त्रयी में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, बालकृष्ण भट्ट और प्रतापनारायण मिश्र की गणना की जाती है।

प्रश्न 29
भारतेन्दु युग के गद्य की दो मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर
भारतेन्दु युग के गद्य की दो मुख्य विशेषताएँ निम्नवत् हैं

  1. इस युग में हिन्दी गद्य का स्वरूप निर्धारित हुआ तथा ।
  2. इस युग के लेखकों में अपनी भाषा, जाति और राष्ट्र के उत्थान के लिए गहरी समर्पण-भावना थी।

प्रश्न 30
भारतेन्दु युग के प्रमुख गद्यकारों के नाम लिखिए। |
या
उन्नीसवीं शताब्दी के दो प्रमुख गद्य लेखकों के नाम लिखिए।
या
भारतेन्दु युग के दो प्रमुख लेखकों के नाम लिखिए।
या
भारतेन्दु युग के किसी एक लेखक का नाम लिखिए। (2015)
उत्तर
भारतेन्दु युग के प्रमुख गद्यकारों में भारतेन्दु के अतिरिक्त (UPBoardSolutions.com) श्रीनिवासदास, बालकृष्ण भट्ट, प्रतापनारायण मिश्र, राधाकृष्णदास, कार्तिकप्रसाद खत्री, राधाचरण गोस्वामी तथा बदरीनारायण चौधरी, ‘प्रेमघन’ के नाम प्रमुख हैं।।

UP Board Solutions

प्रश्न 31
द्विवेदी युग में गद्य के किन-किन रूपों का विकास हुआ ?
उत्तर
द्विवेदी युग में गद्य के रूपों; निबन्ध, कहानी, उपन्यास तथा नाटक; का विकास हुआ।

प्रश्न 32
द्विवेदी युग की दो मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर

  1. भाषा संस्कार तथा
  2. गद्य के विविध रूपों और शैलियों का विकास; द्विवेदी युग की दो मुख्य विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 33
हिन्दी-साहित्य का प्रचार और सेवा करने वाली दो संस्थाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी-साहित्य का प्रचारे और सेवा करने वाली दो संस्थाओं के नाम निम्नवत् हैं

  1. नागरी प्रचारिणी सभा, काशी और
  2. हिन्दी-साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद।

UP Board Solutions

प्रश्न 34
उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में प्रेमचन्द का उत्तराधिकार जिन लेखकों ने सफलतापूर्वक वहन किया, उनमें से दो लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में प्रेमचन्द का उत्तराधिकार वहन करने वाले लेखक

  1. जैनेन्द्र कुमार और
  2. आचार्य चतुरसेन शास्त्री हैं।

प्रश्न 35
द्विवेदी युग के प्रमुख गद्य लेखकों के नाम लिखिए।
या
द्विवेदी युग के दो महत्त्वपूर्ण लेखकों के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी, अध्यापक पूर्णसिंह, पद्मसिंह शर्मा, श्यामसुन्दर दास तथा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्विवेदी युग के प्रमुख गद्य लेखक अथवा साहित्यकार हैं।

प्रश्न 36
द्विवेदी युग के तीन प्रसिद्ध आलोचकों अथवा साहित्य-इतिहास लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
द्विवेदी युग के तीन प्रसिद्ध आलोचकों अथवा साहित्य-इतिहास लेखकों के नाम इस प्रकार हैं–

  1. पद्मसिंह शर्मा,
  2. श्यामसुन्दर दास तथा
  3. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।

प्रश्न 37
हिन्दी के किसी एक युग प्रवर्तक आलोचक का नाम लिखिए।
या
किसी एक प्रसिद्ध आलोचक का नाम लिखिए। [2014]
उत्तर
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी के युग प्रवर्तक आलोचक हैं।

प्रश्न 38
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी किस युग के प्रमुख साहित्यकार हैं ?
उत्तर
श्री बख्शी द्विवेदी युग के प्रमुख साहित्यकार हैं।

प्रश्न 39
हिन्दी आलोचना का उत्कर्ष कब से माना जाता है ?
उत्तर
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की आलोचनात्मक कृतियों (UPBoardSolutions.com) के प्रकाशन से हिन्दी आलोचना का उत्कर्ष माना जाता है।

प्रश्न 40
आलोचना द्वारा गद्य-साहित्य को नयी दिशा किस लेखक ने प्रदान की ?
उत्तर
आलोचना द्वारा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने गद्य-साहित्य को एक नयी दिशा प्रदान की।

UP Board Solutions

प्रश्न 41
द्विवेदी युग की कालावधि लिखिए।
उत्तर
द्विवेदी युग की कालावधि सन् 1900 से 1920 ई० तक है। कालावधि का यह निर्धारण ‘सरस्वती’ पत्रिका की प्रमुखता के आधार पर किया गया है।

प्रश्न 42
आलोचना के अतिरिक्त शुक्ल जी किस विधा-लेखन के लिए जाने जाते हैं ?
उत्तर
आलोचना के अतिरिक्त शुक्ल जी निबन्ध और इतिहास-लेखन के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 43
शुक्ल जी की भाषा-शैली की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर

  1. शुक्ल जी की भाषा-शैली गठी हुई है, जिसमें शब्दों के साथ-साथ वाक्य भी गुंथे रहते हैं।
  2. शुक्ल जी की भाषा प्रांजल और शैली सामासिक है।

प्रश्न 44
रामचन्द्र शुक्ल की गद्य की किन दो विधाओं में सर्वाधिक प्रसिद्धि है ?
या
रामचन्द्र शुक्ल को गद्य की किन दो विधाओं के लेखन में सर्वाधिक सफलता मिली है ?
उत्तर
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की

  1. आलोचना और
  2. निबन्ध नामक गद्य की दो विधाओं में सर्वाधिक प्रसिद्धि है और इन्हीं दो विधाओं के लेखन में उन्हें सर्वाधिक सफलता भी मिली है।

प्रश्न 45
रामचन्द्र शुक्ल के दो आलोचना-ग्रन्थों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. रस-मीमांसा और
  2. चिन्तामणि; रामचन्द्र शुक्ल के दो आलोचना-ग्रन्थ हैं।

प्रश्न 46
शुक्ल युग के दो प्रसिद्ध कहानी-लेखकों के नाम लिखिए।
या
शुक्ल युग के किसी एक प्रसिद्ध कहानीकार का नाम लिखिए। [2013]
उत्तर
शुक्ल युग के दो प्रसिद्ध कहानी-लेखक हैं—

  1. भगवतीचरण वर्मा तथा
  2. आचार्य चतुरसेन शास्त्री।

प्रश्न 47
शुक्ल युग के दो प्रमुख हिन्दी-साहित्य के इतिहासकारों के नाम लिखिए।
या
शुक्ल युग के दो प्रमुख गद्य लेखकों के नाम लिखिए। [2010, 15]
या
शुक्ल युग के दो समालोचना एवं इतिहास-लेखकों के नाम लिखिए।
या
शुक्ल पक्ष के दो प्रमुख लेखकों अथवा निबन्धकारों के नाम लिखिए।
या
शुक्ल युग के सशक्त आलोचक एवं निबन्धकार का नाम लिखिए। [2012]
उत्तर
शुक्ल युग के दो प्रमुख लेखक निम्नवत् हैं-

  1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल तथा
  2. बाबू गुलाबराय इतिहासकार/निबन्धकार हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 48
शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख गद्य लेखकों के नाम लिखिए।
या
शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख गद्य लेखकों के नाम एवं उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।
या
शुक्लोत्तर युग के किसी एक साहित्यकार का नाम लिखिए।
उत्तर
(1) डॉ० नगेन्द्र; कृतियाँ–

  • विचार और अनुभूति,
  • अनुसन्धान और आलोचना,
  • आस्था के चरण,
  • अप्रवासी की यात्राएँ आदि।

(2) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी; कृतियाँ-

  • अशोक के फूल,
  •  कुटज,
  •  विचार-प्रवाह,
  • पुनर्नवा आदि।

प्रश्न 49
शुक्लोत्तर युग के किन्हीं दो प्रमुख हिन्दी आलोचकों के नाम लिखिए। [2011, 14]
उत्तर
शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख हिन्दी आलोचकों के नाम निम्नवत् हैं

  1. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी तथा
  2. पं० नन्ददुलारे वाजपेयी।

प्रश्न 50
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के बाद के किन्हीं दो साहित्य-इतिहास लेखकों के नाम लिखिए।
या
आलोचना और इतिहास-लेखन के क्षेत्र में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के बाद किन साहित्यकारों ने सराहनीय कार्य किया ? उनके नाम बताइए।
उत्तर:
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के पश्चात् (शुक्लोत्तर युग) आलोचना (UPBoardSolutions.com) और इतिहास-लेखन के क्षेत्र में कार्य करने वाले साहित्यकारों के नाम हैं-आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, विश्वनाथ प्रसाद मिश्र, डॉ० नगेन्द्र, डॉ० रामकुमार वर्मा आदि।।

UP Board Solutions

प्रश्न 51
शुक्लोत्तर युग की समय-सीमा बताइट। [2012, 13]
उत्तर
शुक्ल युग के पश्चात् यानि सन् 1938 से सन् 1980 के काल को शुक्लोत्तर युग कहा जाता है।

प्रश्न 52
हिन्दी-साहित्य के इतिहास और समालोचना के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले किन्हीं दो लेखकों के नाम लिखिए।
या
आधुनिक हिन्दी-साहित्य के दो प्रमुख आलोचकों के नाम लिखिए। [2012]
उत्तर

  1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल,
  2. श्यामसुन्दर दास तथा
  3. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी।

प्रश्न 53
प्रेमचन्द के समकालीन किन्हीं दो लेखकों के नाम बताइए।
उत्तर
प्रेमचन्द के समकालीन दो लेखकों के नाम हैं—

  1. श्री जयशंकर प्रसाद तथा
  2. श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’।

प्रश्न 54
छायावादी युग के गद्य-साहित्य की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
छायावादी युग के गद्य-साहित्य की विशेषताएँ हैं-

  1. प्रतीकात्मकता,
  2. लाक्षणिकता,
  3. आलंकारिकता एवं
  4. वक्रता।

प्रश्न 55
छायावादी युग के दो साहित्यकारों के नाम लिखिए।
या
किन्हीं दो छायावादी लेखकों तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए। [2009, 12]
उत्तर

  1. जयशंकर प्रसाद-चन्द्रगुप्त तथा
  2. महादेवी वर्मा-स्मृति की रेखाएँ।

प्रश्न 56
छायावादोत्तर युग के किसी एक प्रमुख कवि और गद्य लेखक का नाम लिखिए। उसकी एक काव्य तथा एक गद्य-रचना का नाम भी लिखिए।
उत्तर
लेखक-रामधारी सिंह ‘दिनकर’। काव्य-रचना–कुरुक्षेत्र, (UPBoardSolutions.com) गद्य-रचना-अर्द्धनारीश्वर।

UP Board Solutions

प्रश्न 57
शुक्लोत्तर युग की दो प्रमुख विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
या
शुक्लोत्तर युग के साहित्य की किन्हीं दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

  1. शुक्लोत्तर युग का साहित्य मार्क्सवादी विचारधारा से अनुप्राणित है।
  2. शुक्लोत्तर युग का गद्य सहज, व्यावहारिक, सामाजिक, प्रवाहपूर्ण, विचारशीलता और विषय-वैविध्य से ओत-प्रोत है।

प्रश्न 58
उस लेखिका का नाम बताइए, जिसको आधुनिक मीरा के नाम से जाना जाता है। उनकी किन्हीं दो गद्य-रचनाओं के नाम निर्दिष्ट कीजिए।
उत्तर
छायावादी युग की सुप्रसिद्ध लेखिका महादेवी वर्मा को आधुनिक मीरा के नाम से जाना जाता है। उनकी दो गद्य रचनाएँ हैं—

  1. पथ के साथी तथा
  2. स्मृति की रेखाएँ।

प्रश्न 59
प्रगतिवादी युग के गद्य की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइट।
उत्तर

  1. प्रगतिवादी युग में सहज, व्यावहारिक और अलंकारविहीन गद्य की रचना हुई।
  2. प्रगतिवादी युग में भावुकतापूर्ण अभिव्यक्ति का (UPBoardSolutions.com) स्थान सतेज और चुटीली उक्तियों से युक्त रचनाओं ने ले लिया।

प्रश्न 60
हिन्दी के दो प्रगतिवादी लेखकों के नाम लिखिए।
या
प्रगतिवादी युग के लेखकों में से किसी एक लेखक का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
हिन्दी के दो प्रगतिवादी लेखक हैं—

  1. डॉ० रामविलास शर्मा तथा
  2. शिवदानसिंह चौहान।

प्रश्न 61
प्रगतिवादी युग की किन्हीं दो साहित्यिक रचनाओं और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
प्रगतिवादी युग में लिखी गयी दो साहित्यिक रचनाओं के नाम हैं—

  1. रतिनाथ की चाची (लेखक : वैद्यनाथ मिश्र, प्रसिद्ध नाम नागार्जुन) तथा
  2. मैला आँचल (लेखक : फणीश्वर नाथ ‘रेणु’)।

प्रश्न 62
हजारीप्रसाद द्विवेदी तथा विनयमोहन शर्मा किस काल के लेखक थे ?
उत्तर
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी तथा विनयमोहन (UPBoardSolutions.com) शर्मा छायावादोत्तर काल के लेखक थे।

UP Board Solutions

प्रश्न 63
हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाओं के नाम बताइट।
या
हिन्दी गद्य की किन्हीं चार विधाओं के नाम लिखिए।
या
हिन्दी गद्य की किन्हीं दो विधाओं के नाम लिखिए। [2009, 10]
उत्तर
हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाएँ हैं-निबन्ध, नाटक, उपन्यास, कहानी तथा आलोचना।

प्रश्न 64
हिन्दी गद्य की किन्हीं दो नवीन विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी गद्य की दो नवीन विधाएँ हैं—

  1. डायरी तथा
  2. रिपोर्ताज।

प्रश्न 65
हिन्दी गद्यकाव्य-लेखकों में से किन्हीं दो लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. वियोगी हरि तथा
  2. रायकृष्ण दास; हिन्दी के दो गद्यकाव्य लेखक हैं।

प्रश्न 66
‘रानी केवकी की कहानी’ और ‘कलम का सिपाही’ के लेखकों के नाम लिखिए।
या
‘कलम का सिपाही’ नामक कृति के लेखक का नाम लिखिए। [2011]
उत्तर
‘रानी केतकी की कहानी’ के लेखक मुंशी इंशा अल्ला (UPBoardSolutions.com) खाँ व ‘कलम का सिपाही’ के लेखक अमृतराये हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 67
हिन्दी गद्य की किन्हीं चार प्रमुख विधाओं का उल्लेख करते हुए इनके प्रतिनिधि लेखकों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर

  1. निबन्ध–श्यामसुन्दर दास, रामचन्द्र शुक्ल, रामवृक्ष बेनीपुरी, हजारीप्रसाद द्विवेदी।
  2. नाटक–जयशंकर प्रसाद, वृन्दावनलाल वर्मा, उपेन्द्रनाथ अश्क’, मोहन राकेश।
  3. कहानी-प्रेमचन्द, जैनेन्द्र कुमार, यशपाल, जयशंकर प्रसाद।।
  4. उपन्यास-प्रेमचन्द, वृन्दावनलाल वर्मा, किशोरीलाल गोस्वामी, आचार्य चतुरसेन शास्त्री।

प्रश्न 68
हिन्दी के दो महाकाव्यों के नाम लिखिए।
या
हिन्दी के दो महाकाव्यों और उनके लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के दो महाकाव्यों के नाम हैं-

  1. श्रीरामचरितमानस और
  2. कामायनी।

इनके लेखकों के नाम हैं—

  1. गोस्वामी तुलसीदास तथा
  2. श्री जयशंकर प्रसाद।

प्रश्न 69
‘आवारा मसीहा’ किस विधा की रचना है? [2016]
उत्तर
जीवनी।।

We hope the UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य-साहित्य के विकास पर आधारित help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य-साहित्य के विकास पर आधारित, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.