UP Board Solutions for Class 11 English Short Stories Chapter 4 The Selfish Giant

UP Board Solutions for Class 11 English Short Stories Chapter 4 The Selfish Giant

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STORY at a Glance
Once there was a beautiful garden of a Giant. There were beautiful flowers and twelve peach trees. In spring they bore beautiful pink flowers and in autumn they bore rich fruits. The birds sat on the trees and sang very sweetly. Every afternoon many children used to play in this garden when they came back from their schools. Seven years ago the Giant had gone to visit his friend.

Now one day the Giant came back. He saw the children playing in the garden. He cried, “What are you doing there ?” The children ran away out of fear. Now the children had no place to play. They were very sad. When the spring came, there were little blossoms and little birds all over the country. But the garden of the selfish Giant was desolated. So the Giant was very sad. Everywhere summer, spring and autumn came but in the Giant’s garden there was always winter.

One morning the Giant heard a very lovely and sweet music. It was a little linnet singing outside his window. A delicious perfume came to him through the open casement. He thought that the spring had come. He peeped out but saw a wonderful sight.

The children had come into the garden through a little hole in the wall. They were sitting in every branch of the trees. The trees were in full bloom. The birds were twittering and singing melodiously. In the farthest corner there was standing a very little boy who could not reach the branches.

Seeing this the Giant’s heart melted. He said to himself, “How selfish I have been ! Now I have understood why the spring did not come in my garden.” The Giant took the little boy in his arms and seated him into the tree. The Giant said to the children, “It is your garden now, little children !” He then knocked down the wall and allowed the children to come in the garden. Thus there was again spring throughout the year. Thus this story teaches us not to be selfish. But we should love and help others as much as we can, especially the children.

कहानी पर एक दृष्टि

एक समय एक दानव का एक सुन्दर बाग था। इसमें सुन्दर-सुन्दर फूल और बारह आडू के पेड़ थे। वसन्त ऋतु में उस पर सुन्दर गुलाबी रंग के फूल आते थे और पतझड़ में उन पर बहुत-से फल लगते थे। पक्षी पेड़ों पर बैठा करते थे और बहुत मधुर गीत गाते थे। प्रत्येक दिन शाम को बहुत-से बच्चे जब वे स्कूल से वापस आते थे उस बाग में खेला करते थे। सात वर्ष पूर्व वह राक्षस अपने मित्र से मिलने गया था।

अब एक दिन दानव वापस आया। उसने बाग में बच्चों को खेलते हुए देखा। वह चिल्लाया, “तुम वहाँ क्या कर रहे हो?” बच्चे डर के कारण भाग गए। अब बच्चों के पास खेलने के लिए कोई स्थान नहीं था। वे बहुत दुःखी थे। अब वसन्त ऋतु आयी। पूरे नगर में चारों ओर छोटे-छोटे फूल और पक्षी दिखाई दिए। किन्तु स्वार्थी दानव का बाग उजाड़ था। इस प्रकार दानव बहुत दुःखी था। प्रत्येक स्थान पर गर्मी का मौसम, वसन्त ऋतु आ गयी है।

एक दिन सवेरे दानव ने बहुत सुन्दर और मधुर संगीत सुना। यह खिड़की के बाहर एक छोटा गाने वाला पक्षी था। एक मधुर सुगन्ध खुली खिड़की में से आई। उसने सोचा कि वसन्त ऋतु आ गई है। उसने बाहर झाँका। किन्तु उसे एक अद्भुत दृश्य दिखाई दिया।

दीवार में एक छोटे से सुराख में से बच्चे बाग में गये थे। वे पेड़ों की प्रत्येक शाखा पर बैठे हुए थे। वृक्ष खुब फल-फूल रहे थे। पक्षी चहचहा रहे थे और मधुर ध्वनि में गा रहे थे। दूर एक कोने में एक बहुत छोटा बच्चा खड़ा हुआ था। वह पेड़ की शाखाओं तक नहीं पहुंच पा रहा है।

यह देखकर दानव का हृदय पिघल गया। उसने अपने मन में कहा, “मैं कितना मूर्ख था। अब मैं समझा हूँ कि वसन्त मेरे बाग में क्यों नहीं आया।” दानव ने बच्चे को गोद में उठाया और पेड़ पर बैठा दिया। राक्षस ने बच्चों से कहा, “ऐ बच्चों, अब यह बाग तुम्हारा है। फिर उसने दीवार गिरा दी और बच्चों को बाग में आने दिया। इस प्रकार वहाँ दोबारा पूरे वर्ष वसन्त था।

इस प्रकार यह कहानी हमें सिखाती है कि हम स्वार्थी न बनें, बल्कि जितना अधिक-से-अधिक हो सके दूसरों से प्रेम करें, एवं उनकी सहायता करें, विशेष रूप से बच्चों से।

Short Answer Type Questions

Answer one of the following questions in not more than 30 words:

Question 1.
Give a brief description of the Giant’s garden.
(दानव के बाग का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।)
Answer:
The garden was very beautiful. There were beautiful flowers which looked like stars. There were twelve peach trees which blossomed in spring and bore fruits in autumn. The birds sat on the trees and sang very melodiously.
(बाग बहुत सुन्दर था। वहाँ सुन्दर फूल थे जो सितारों जैसे लगते थे। वहाँ बारह आडू के पेड़ थे जिन पर वसन्त में फूल आते थे और पतझड़ में फल लगते थे। पक्षी पेड़ों पर बैठते थे और बड़ी मधुरता से गाते थे।)

Question 2.
Did the children know whose garden it was ? When did they come to know it?
(क्या बच्चे जानते थे कि यह बाग किसका है? उन्हें यह कब पता लगा ?)
Answer:
In the beginning the children did not know whose garden it was. But after some days one day when the Giant came and stopped the children from playing there, they came to know that it was his.
(आरम्भ में बच्चों को यह मालूम नहीं था कि बाग किसका है। किन्तु कुछ दिनों बाद एक दिन जब दानव आया और उसने बच्चों को वहाँ खेलने से रोका तब उन्हें पता लगा कि यह उसका बाग है।)

Question 3.
why did the Giant grow angry to see the little boy?
(छोटे लड़के को देखकर दानव क्यों नाराज हो गया ?)
Answer:
Seeing the little boy the Giant became angry because he had put a notice board to check the entry of the boys.
(लड़के को देखकर दानव इसलिए नाराज हो गया क्योंकि उसने बच्चों के प्रवेश को रोकने के लिए एक नोटिस लगा दिया था।)

Question 4.
Why did the Giant build a high wall round his garden and put a notice board?   [M. Imp.]
(दानव ने अपने बाग में चारों ओर दीवार क्यों बनवाई तथा एक नोटिस बोर्ड क्यों रखा ?)
Or
What did the Giant do to check the entry of the children in the garden ?
(दानव ने बाग में बच्चों के प्रवेश को रोकने के लिए क्या किया ?)
Answer:
To check the entry of the children in the garden, the Giant built a high wall all around the garden and put up a notice board : “Tresspassers will be prosecuted.”
(बाग में बच्चों के प्रवेश को रोकने के लिए राक्षस ने बाग के चारों ओर एक ऊँची दीवार बनवा दी और एक नोटिस बोर्ड लगा दिया-“बिना अधिकार प्रवेश करने वालों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।”)

Question 5.
why was not the Giant happy even after this ?
(इसके पश्चात् भी दानव खुश क्यों नहीं हुआ ?)
Answer:
Its result was that the children did not enter the garden. But the spring also went away. There was only snow, frost, North wind and hail. The garden became desolated. So the Giant was not happy even after this.
(इसका परिणाम यह हुआ कि बच्चों ने बाग में प्रवेश नहीं किया। किन्तु वसन्त भी चला गया। वहाँ केवल बर्फ, कोहरा, ठण्डी उत्तरी हवा और ओले रह गए। बाग सुनसान और उजाड़ हो गया। इस कारण इसके पश्चात् भी दानवे खुश नहीं हुआ।)

Question 6.
How did the children feel now ?
(अब बच्चों ने कैसा अनुभव किया ?)
Answer:
The children felt very sad. They had no place for playing. They remembered the happy days when they played in the beautiful garden and enjoyed it.
(बच्चों को बहुत दु:ख हुआ। उन्हें खेलने के लिए कोई स्थान नहीं मिला। उन्हें उन आनन्द के दिनों की याद आई जब वे सुन्दर बाग में खेलते थे और आनन्द प्राप्त करते थे।)

Question 7.
why did the spring go away from the garden ?
(वसन्त बाग से क्यों चला गया ?)
Or
Why did the spring not come to the giant’s garden ?   [Imp.]
(दानव के बाग में वसन्त ऋतु क्यों नहीं आई ?)
Answer:
The spring went away from the garden because the Giant was selfish and did not let the children play there.
(वसन्त, बाग से चला गया क्योंकि दानव स्वार्थी था और उसने वहाँ बच्चों को नहीं खेलने दिया।)

Question 8.
How was the.Giant punished?
(दानव को दण्ड कैसे मिला ?)
Answer:
The Giant was punished by making his garden a desolated place.
(बाग को सुनसान और उजाड़ करके दानव को दण्ड मिला।)

Question 9.
what was his offence?
(उसका अपराध क्या था ?)
Answer:
His offence was that he was selfish. He made a wall around the garden and checked the entry of the children.
(उसका अपराध यह था कि वह स्वार्थी था। उसने बाग के चारों ओर दीवार बनवा दी थी और बच्चों का प्रवेश रोक दिया।)

Question 10.
How did the garden of the Giant look throughout the year now ? .
(अब पूरे वर्ष दानव का बाग कैसा दिखाई देता था ?)
Answer:
Throughout the year the garden now looked desolated. Snow and frost covered. it. The North wind roared all the day and blew the chimney pots down. Hail also came there and brought destruction. Thus, the beautiful garden changed into a heap of ruin.
(अब पूरे वर्ष बाग उजाड़ दिखाई देता था। बर्फ और कोहरे ने इसे ढक लिया था। उत्तरी हवा दिनभर चलती थी और चिमनी को गिरा देती थी। ओले भी आते थे और विनाश करते थे। इस प्रकार सुन्दर बाग खण्डहर के ढेर में बदल गया।)

Question 11.
when did the spring come again into the garden?    [Imp.]
(वसन्त बाग में पुन: कब आया ?)
Answer:
The spring came again into the garden when one day the children entered there through a small hole in the wall.
(वसन्त, बाग में पुन: उस समय आ गया जब दीवार के एक छोटे से छिद्र से होकर बच्चे बाग में आ गये।)

Question 12.
what was the Giant’s reaction now ?   [Imp.]
(अब दानव की क्या प्रतिक्रिया थी ?)
Answer:
Now the Giant’s reaction was positive. He had realised his mistake. So he did not stop the children from playing there this time.
(अब दानव की प्रतिक्रिया सकारात्मक थी। उसने अपनी भूल का अनुभव कर लिया था। इस बार उसने. बच्चों को वहाँ खेलने से नहीं रोका।)

Question 13.
How and when did the Giant come to know about the children’s entry into the garden?
(दानव को बाग में बच्चों के प्रवेश के विषय में कब और कैसे पता लगा ?)
Answer:
One morning the Giant was lying awake in the bed. He heard some sweet music and smelt delicious perfume coming through the open casement. He thought spring had come. When he peeped out, he saw the children also playing there.
(एक दिन सवेरे दानव अपने बिस्तर में जागा पड़ा था। उसने कुछ मधुर संगीत सुना और खुली हुई खिड़की से आती हुई मधुर महक को सँघा। उसने सोचा कि वसन्त आ गया है। जब उसने बाहर को झाँका, तब देखा कि वहाँ बच्चे भी खेल रहे हैं।)

Question 14.
what happened when Giant came into the garden ?
(जब दानव बाग में आया तब क्या घटित हुआ ?)
Answer:
When the Giant came into the garden, all the children ran away with fear and the spring also went away.
(जब दानव बाग में आया तब डर के मारे बच्चे भाग गये और वसन्त भी चला गया।)

Question 15.
what did the Giant do then ?
(तब दानव ने क्या किया ?)
Answer:
Then the Giant knocked down the wall and removed the notice. He took up the child, standing alone under a tree, in his arms and seated him on the tree. The tree at once blossomed and birds began to sing.
(तब दानव ने दीवार को गिरा दिया और नोटिस हटा दिया। उसने उस बच्चे को, जो पेड़ के नीचे अकेला खड़ा था, गोद में उठा लिया और पेड़ पर बिठा दिया। पेड़ एकदम फल-फूल गया और पक्षियों ने गाना आरम्भ कर दिया।)

Question 16.
when did the children come again into the garden and why?   [Imp.]
(बच्चे बाग में पुन: कब आए और क्यों ?)
Answer:
The children came again into the garden when they saw the Giant with the little boy in his arms because they thought that the Giant was not wicked but kind.
(बच्चे, बाग में पुनः आ गये जब उन्होंने उस दानव को एक छोटे बच्चे को गोद में लिए हुए देखा, क्योंकि वे समझ गए कि दानव दुष्ट नहीं है, बल्कि दयालु है।)

Question 17.
what did the Giant say to the children ?
(दानव ने बच्चों से क्या कहा?)
Answer:
The Giant said to the children, “It is your garden now. Come and play here daily.”
(दानवे ने बच्चों से कहा, “यह बाग तुम्हारा है। प्रतिदिन यहाँ आओ और खेलो।”)

Question 18.
How do you know that the Giant was a changed person ?
(आप कैसे जानते हो कि दानव एक बदला हुआ व्यक्ति है।)
Answer:
I come to know that the Giant was a changed person because now he said to the children,
“It is your garden now. Come and play here daily.”
(मैं जानता हूँ कि दानव एक बदला हुआ व्यक्ति है क्योंकि अब उसने बच्चों से कहा, “अब यह तुम्हारा बाग है। आओ और यहाँ प्रतिदिन खेलो।)

Question 19.
why was the Giant rewarded?
(दानव को पुरस्कृत क्यों किया गया ?)
Answer:
The Giant was rewarded because he had realised his mistake. Now he was no more selfish.
He had become kind and had allowed the children to play in the garden.
(दानव को पुरस्कृत किया गया क्योंकि उसने अपनी भूल का अनुभव कर लिया था। अब वह स्वार्थी नहीं था। वह दयालु हो गया था और उसने बच्चों को बाग में खेलने की स्वीकृति दे दी थी।)

Question 20.
What was his reward ?   [Imp.]
(उसका पुरस्कार क्या था ?)
Answer:
His reward was that the spring came in his garden again and made it beautiful.
(उसका पुरस्कार यही था कि बाग में वसन्त पुनः आ गया और इसे सुन्दर बना दिया।)

Question 21.
who was the little child whom the Giant had helped ?
(वह छोटा बच्चा कौन था जिसकी दानव ने सहायता की थी ?)
Answer:
The little child was an unknown child. The Giant saw him standing under a tree all alone when the other children had run away. He was too little to sit on the branch of a tree. The Giant seated him on the tree.
(वह छोटा बच्चा एक अज्ञात बच्चा था। दानव ने उसे एक पेड़ के नीचे अकेले खड़े हुए देखा जबकि अन्य सभी बच्चे भाग गए। वह इतना छोटा था कि पेड़ की शाख पर नहीं बैठ सकता था। दानव ने उसे पेड़ पर बिठाया।)

Question 22.
How did he repay the Giant?
(उसने दानव के एहसान का बदला कैसे चुकाया ?)
Answer:
The little child was in fact a divine child. He repaid the Giant by taking him to his garden Paradise.
(वास्तव में, यह एक दैवी बच्चा था। उसने दानव के एहसान का बदला उसे अपने साथ स्वर्ग बाग में ले जाकर चुकाया।)

Question 23.
Where was the Giant taken after his death? Who took him there and why ?
(मृत्यु के बाद दानवे को कहाँ ले जाया गया ? उसे वहाँ कौन तथा क्यों ले गया ?)
Answer:
After his death, the Giant was taken to Paradise, the garden of God. God took him there.
(मृत्यु के बाद दानव को स्वर्ग, जो कि भगवान् का बाग है, ले जाया गया। उसे भगवान् वहाँ ले गए।)

Question 24.
what moral does the story The Selfish Giant’ teach?   [M. Imp.]
(‘स्वार्थी दानव’ नामक कहानी हमें क्या नैतिकता सिखाती है ?)
Answer:
The story ‘Selfish Giant teaches us not to be selfish. But we should love and help others as much as we can.
(‘स्वार्थी दानव’ नामक कहानी हमें सिखाती है कि हमें स्वार्थी नहीं होना चाहिए, बल्कि जितना हम से हो सके उतना हमें दूसरों से प्रेम करना चाहिए और उनकी सहायता करनी चाहिए।)

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UP Board Solutions for Class 11 Geography: Fundamentals of Physical Geography Chapter 11 Water in the Atmosphere

UP Board Solutions for Class 11 Geography: Fundamentals of Physical Geography Chapter 11 Water in the Atmosphere (वायुमंडल में जल)

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
प्रश्न (i) मानव के लिए वायुमण्डल का सबसे महत्त्वपूर्ण घटक निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(क) जलवाष्प
(ख) धूलकण
(ग) नाइट्रोजन
(घ) ऑक्सीजन
उत्तर-(घ) ऑक्सीजन।

प्रश्न (ii) निम्नलिखित में से वह प्रक्रिया कौन-सी है जिसके द्वारा जल, द्रव से वाष्प में बदल जाता है?
(क) संघनन ।
(ख) वाष्पीकरणे
(ग) वाष्पोत्सर्जन
(घ) अवक्षेपण
उत्तर-(ख) वाष्पीकरण।

प्रश्न (ii) निम्नलिखित में से कौन-सा वायु की उस दशा को दर्शाता है जिसमें नमी उसकी पूरी क्षमता के अनुरूप होती है?
(क) सापेक्ष आर्द्रता
(ख) निरपेक्ष आर्द्रता
(ग) विशिष्ट आर्द्रता
(घ) संतृप्त हवा
उत्तर-(ख) निरपेक्ष आर्द्रता।।

प्रश्न (iv) निम्नलिखित प्रकार के बादलों में से आकाश में सबसे ऊँचा बादल कौन-सा है?
(क) पक्षाभ
(ख) वर्षा मेघ
(ग) स्तरी
(घ) कपासी
उत्तर-(क) पक्षाभ।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
प्रश्न (i) वर्षण के तीन प्रकारों के नाम लिखें।
उत्तर-वर्षण के तीन प्रकारों के नाम निम्नलिखित हैं– 1. जलवर्षा, 2. हिमवर्षा, 3. ओलावृष्टि।।

प्रश्न (ii) सापेक्ष आर्द्रता की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-वायु में निरपेक्ष या वास्तविक आर्द्रता एवं वायु के जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता का अनुपात । सापेक्ष आर्द्रता कहलाती है। यह सदैव प्रतिशत में मापी जाती है।
UP Board Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 11 Water in the Atmosphere (वायुमंडल में जल) img 1
अर्थात् दिए गए तापमान पर एक स्थान की वायु में जलवाष्प की मात्रा तथा उस वायु की जलवाष्प धारण करने की अधिकतम क्षमता के अनुपात को सापेक्ष आर्द्रता कहते हैं जिसे उक्त सूत्र से ज्ञात किया जाता है। इसे मापने हेतु आई बल्ब एवं शुष्क बल्ब तापमापी यन्त्र का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न (iii) ऊँचाई के साथ जलवाष्प की मात्रा तेजी से क्यों घटती है?
उत्तर-ऊँचाई के साथ आर्द्र हवा जब ठण्डी होती है तब उसमें जलवाष्प को धारण करने की क्षमता समाप्त हो जाती है। अतः ऊँचाई पर जाने पर हवा ठण्डी होने के कारण उसमें जलवाष्प की मात्रा तेजी से घटने लगती है, क्योंकि उपयुक्त तापमान के अभाव में हवा में जल धारण क्षमता नहीं रहती। इसीलिए ऊँचाई के साथ तापमान घटने के कारण जलवाष्प की मात्रा तेजी से घटती जाती है।

प्रश्न (iv) बादल कैसे बनते हैं? बादलों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर-बादल पानी की छोटी बूंदों या बर्फ के छोटे कणों की संहति है। बादलों की उत्पत्ति पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतन्त्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण होती है। बादलों को ऊँचाई, विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर निम्नलिखित चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है1. पेक्षाभ मेघ, 2. कपासी मेघ, 3. स्तरी मेघ, 4. वर्षा मेघ।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
प्रश्न (i) विश्व के वर्षण वितरण के प्रमुख लक्षणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-विश्व में वर्षा का वितरण सभी स्थानों पर समान नहीं है। धरातल की बनावट, जलवायु एवं पवनों की दिशा पर वर्षा की मात्रा परिवर्तित होती रहती है। विश्व में वर्षा के वितरण की मुख्य विशेषताएँ (लक्षण) निम्नलिखित हैं

  1. विषुवत् वृत्ते से ध्रुवों की ओर वर्षा की मात्रा धीरे-धीरे घटती जाती है।
  2. विश्व के तटीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के आन्तरिक भाग की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है।
  3. विश्व के स्थलीय भागों की अपेक्षा सागरीय भागों में वर्षा अधिक होती है क्योंकि वहाँ जलस्रोतों की उपलब्धता के कारण वाष्पीकरण की क्रिया लगातार होती रहती है।
  4. विषुवत् वृत्त से 35 से 40° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य पूर्वी तटों पर बहुत अधिक वर्षा होती है तथा पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा घटती जाती है।
  5. विषुवत् रेखा से 45° तथा 65° उत्तर तथा दक्षिण अक्षांशों के मध्य पछुवा पवनों के कारण सबसे पहले महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर तथा फिर पूर्व की ओर घटती हुई दर से वर्षा होती है।
  6. विश्व में जहाँ पर्वत तट के समानान्तर हैं, वहाँ वर्षा की मात्रा पवनाभिमुख तटीय मैदानों में अधिक | होती है जबकि प्रतिपवने दिशा की ओर वर्षा की मात्रा घटती जाती है।
  7. वार्षिक वर्षण के आधार पर वर्षा की कुल मात्रा के आधार पर विश्व में अधिक वर्षा के क्षेत्र | भूमध्य रेखा के निकट, मध्यम वर्षा के क्षेत्र 30° से 60° अक्षांश दोनों गोलार्द्ध में तथा कम वर्षा के क्षेत्र ध्रुवीय पेटी में स्थित हैं।

प्रश्न (i) संघनन के कौन-कौन से प्रकार हैं? ओस एवं तुषार के बनने की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है। वास्तव में ऊष्मा का ह्रास ही संघनन का कारण होता है। संघनन के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं
(i) ओस, (ii) तुषार, (ii) कुहासा, (iv) बादल।
ओस-जब आर्द्रता धरातल के ऊपर हवा में संघनन केन्द्रकों पर संघनित न होकर ठोस वस्तु; जैसेपत्थर, घास तथा पौधों की पत्तियों की ठण्डी सतह पर पानी के सूक्ष्म कणों के रूप में एकत्र हो जाती है। तो उसे ओस कहते हैं। ओस के बनने के लिए यह आवश्यक है कि ओसांक जमाव बिन्दु से ऊपर हो। ओस के बनने में साफ आकाश, शान्त हवा, उच्च सापेक्ष आर्द्रता तथा ठण्डी एवं लम्बी रातें उपयुक्त दशाएँ मानी जाती हैं।

तुषार-तुषार या पाला अथवा हिमकण भी संघनने प्रक्रिया का ही परिणाम है। जब संघनन क्रिया के समय भूमि के निकट की वायु का तापमान हिमांक बिन्दु (0°C) तक नीचे गिर जाता है तो पौधों एवं भूमि की सतह पर उपस्थित जल जमने लगता है, यही तुषार या पाला कहलाता है। सफेद तुषार के बनने की सबसे उपयुक्त दशाएँ ओस के बनने की दशाओं के समान हैं, किन्तु इसमें केवल हवा का तापमान जमाव बिन्दु पर या उससे नीचे होना आवश्यक है।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. वायुमण्डल से जल हमें किस रूप में प्राप्त होता है? |
(क) जल
(ख) जल एवं हिम
(ग) जल, हिम, पाला।
(घ) जल, हिम, पाला, ओस
उत्तर-(ख) जल एवं हिम।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से किस प्रदेश में प्रमुख रूप से संवाहनिक वर्षा होती है?
(क) भूमध्यसागरीय प्रदेश ।
(ख) भूमध्यरेखीय प्रदेश
(ग) टैगा प्रदेश
(घ) टुण्ड्रा प्रदेश
उत्तर-(ख) भूमध्यरेखीय प्रदेश।

प्रश्न 3. निम्नलिखित वर्षा-प्रकारों में से कौन विषुवतरेखीय प्रदेशों में पायी जाती है?
(क) प्रतिचक्रवातीय वर्षा
(ख) चक्रवातीय वर्षा
(ग) पर्वतीय वर्षा ।
(घ) संवहनीय वर्षा
उत्तर-(घ) संवहनीय वर्षा।

प्रश्न 4. संवहनीय वर्षा विशिष्ट विशेषता है
(क) चीन तुल्य जलवायु की ।
(ख) भूमध्यरेखीय जलवायु की
(ग) भूमध्यसागरीय जलवायु की
(घ) पश्चिम यूरोपीय जलवायु की
उत्तर-(ख) भूमध्यरेखीय जलवायु की।

प्रश्न 5. वृष्टिछाया प्रदेश किससे सम्बन्धित है?
(क) संवाहनिक वर्षा ।
(ख) चक्रवातीय वर्षा
(ग) पर्वतीय वर्षा
(घ) प्रतिचक्रवतीय वर्षा
उत्तर-(ग) पर्वतीय वर्षा। ||

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. संघनन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-वायु में उपस्थित जलवाष्प का ताप गिरने पर जब उसका घनीभवन होता है तब उसे संघनन कहते हैं।

प्रश्न 2. संघनन के कौन-कौन से रूप होते हैं?
उत्तर-ओस, पाला, कोहरा, ओले, मेघ, वर्षा, हिम आदि संघनन के विविध रूप हैं।

प्रश्न 3. संवाहनिक वर्षा क्या है ?
उत्तर-धरातल पर ऊष्मा की अधिकता के कारण वायुमण्डल में उत्पन्न संवहनीय धाराओं द्वारा होने वाली वर्षा संवाहनिक वर्षा कहलाती है।

प्रश्न 4. चक्रवातीय वर्षा का क्षेत्र बेताइए।
उत्तर-आयन रेखाओं तथा मध्य अक्षांशों में अधिकांश वर्षा चक्रवातों द्वारा ही होती है। उत्तरी भारत भी चक्रवातीय वर्षा का क्षेत्र है।

प्रश्न 5. संवहनीय वर्षा का क्षेत्र बतलाइए।
उत्तर-संवहनीय वर्षा अधिकतर अपराह्न में होती है। भूमध्यरेखीय क्षेत्र में शान्त पेटी (डोलड्रम) में अधिकांशतः संवहनीय वर्षा ही होती है।

प्रश्न 6. विश्व में औसत वार्षिक वर्षा के वितरण सम्बन्धी दो महत्त्वपूर्ण तथ्य बतलाइए।
उत्तर-1. भूमध्यरेखा से ध्रुवों की ओर वर्षा की मात्रा न्यून होती जाती है।
2. भूमध्यरेखीय कटिबन्ध तथा शीत-शीतोष्ण कटिबन्धों के पश्चिमी भागों में वर्षा का वितरण वर्षभर समान रहता है।

प्रश्न 7. वाष्पीकरण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-जल के तरल रूप से गैसीय अवस्था में परिवर्तन होने की प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं।

प्रश्न 8. कोहरे के कौन-कौन से तीन प्रकार हैं?
उत्तर-कोहरे के तीन प्रकार हैं-1. विकिरण कोहरा, 2. अभिवहन कोहरा, 3. वाताग्री कोहरा।

प्रश्न 9. धूम्र कोहरा क्या है?
उत्तर-ऐसी स्थिति जिसमें कोहरा तथा धुआँ सम्मिलित रूप से बनते हैं धूम्र कोहरा कहलाती है। यह स्थिति नगरों एवं औद्योगिक केन्द्रों में धुएँ की अधिकता के कारण केन्द्रकों की मात्रा की अधिकता के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 10. कुहासे एवं कोहरे में क्या अन्तर है?
उत्तर-कुहासे एवं कोहरे में अत्यन्त सूक्ष्म अन्तर होता है। कुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी अधिक होती है। कुहासा पहाड़ों पर अधिक पाया जाता है, जबकि कोहरा मैदानों में अधिक पाया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. आर्द्रता किसे कहते हैं?
उत्तर-वायुमण्डल में निहित जलवाष्प विशाल महासागरों, झीलों, नदियों अथवा पेड़-पौधों से प्राप्त होती है। प्रतिदिन धरातल का जल सूर्य की गर्मी से वाष्प के रूप में परिवर्तित होता रहता है। वायु में विद्यमाने वाष्प ही उसकी आर्द्रता कहलाती है। वायु में वाष्प ग्रहण करने की शक्ति बहुत अंशों में उसके तापमान पर निर्भर करती है। वायु का तापमान जितना अधिक होगा उसमें वाष्प धारण करने की शक्ति उतनी ही बढ़ जाएगी। उदाहरणार्थ-यदि एक घन फुट वायु के तापमान को 0° से 5° सेग्रे अर्थात् 5° सेग्रे बढ़ा दिया जाए तो उस वायु में केवल 1 ग्रेन वाष्प धारण करने की शक्ति बढ़ती है। परन्तु यदि 32° सेग्रे तापमान वाली वायु को 5.5° सेग्रे से बढ़ाकर 37.5° सेग्रे कर दिया जाए तो वह 5 ग्रेन वाष्प धारण करने योग्य हो जाती है। यही कारण है कि शीत ऋतु की अपेक्षा ग्रीष्म ऋतु में वायु अधिक वाष्प ग्रहण कर सकती है जिससे गर्मियों में अधिक वर्षा होती है। वायु में वाष्प की मात्रा उसके तापमान के अतिरिक्त जल और स्थल के विस्तार तथा पवनों की किसी स्थान तक पहुँच पर निर्भर करती है। इसे सदैव प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।

प्रश्न 2. आर्द्रता एवं सापेक्ष आर्द्रता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-आर्द्रता–आर्द्रता से तात्पर्य वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा से है। आर्द्रता को कई प्रकार से व्यक्त किया जाता है; जैसे—सापेक्ष आर्द्रता, निरपेक्ष आर्द्रता एवं अधिकतम आर्द्रता। आर्द्रता में क्षैतिज एवं लम्बवत् अन्तर पाया जाता है। किसी स्थान-विशेष पर किसी विशिष्ट समय में वायु में जलवाष्प की वास्तविक मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं। इसे वास्तविक आर्द्रता भी कहा जाता है। इसे ग्रेन प्रति घन फुट या ग्राम प्रति घन सेमी द्वारा व्यक्त किया जाता है। सोपक्ष आर्द्रता-वायु में निरपेक्ष या वास्तविक आर्द्रता एवं वायु के जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता का अनुपात सापेक्ष आर्द्रता कहलाती है। यह सदैव प्रतिशत में मापी जाती है।

प्रश्न 3. बादल या मेघ का क्या अर्थ है? ये कैसे बनते हैं?
उत्तर-मेघ वास्तव में वायुमण्डल में धूलकणों पर रुके हुए जल-बिन्दुओं का समूह मात्र है। तापमान के अत्यन्त कम होने पर वायु की अतिरिक्त जलवाष्प सूक्ष्म जल की बूंदों में बदल जाती है, जिसे संघनन (Condensation) कहते हैं। जिस ताप पर संघनन आरम्भ होता है, उसे ओसांक (Dew point) कहते ।

हैं। यदि ओसांक 0° सेल्सियस से ऊपर आ जाता है तो जलवाष्प सूक्ष्म जल की बूंदों में बदल जाती है और यदि 0° सेल्सियस (हिमांक) पर ओसांक आता है तो जलवाष्प सूक्ष्म हिमकणों में अर्थात् पाले के रूप में बदल जाती है। यही हिमकण तथा जल-सीकर कुहरे के रूप में वायुमण्डल में दिखलाई पड़ते हैं। जब ये एक विस्तृत क्षेत्रफल में विशाल रूप धारण कर ऊँचाई पर सघन रूप में एकत्रित हो जाते हैं, तो इन्हें मेघ या बादल कहा जाता है।
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सामान्यतया मेघ धूलकणों पर स्थित जलकण अथवा हिमकणों के विशाल आकार हैं, जो वायुमण्डल में अक्षांशों के अनुसार भिन्न-भिन्न ऊँचाइयों पर स्थापित हो जाते हैं। इन मेघों की ऊँचाई कटिबन्धों के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है।

प्रश्न 4. संघनन क्या है? इसके लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बतलाइए।
उत्तर-जलवाष्प के घनीभूत होकर जल में बदलने की प्रक्रिया को संघनन कहते हैं। संघनन आई वायु के ठण्डा होने पर होता है। संघनन प्रक्रिया के लिए निम्नलिखित परिस्थितियाँ अनुकूल होती हैं

  1. जब वायु का तापमान ओसांक तक पहुँच जाता है।
  2.  जब वायु का आयतन ऊष्मा की मात्रा बढ़ाए बिना बढ़ जाए।
  3. जब वायु की आर्द्रता धारण क्षमता घटकर वायु में उपस्थित आर्द्रता की मात्रा से कम हो जाए।
  4. जब वाष्पीकरण द्वारा वायु में आर्द्रता की अतिरिक्त मात्रा मिला दी जाए।

प्रश्न 5. वर्षा और वर्षण में अन्तर लिखिए।
उत्तर-वर्षा—यह वर्षण का एक विशिष्ट रूप है, जिसमें बादलों के जल-वाष्प कण संघनित होकर जल की बूंदों या हिमकणों के रूप में भू-पृष्ठ पर गिरते हैं। जलवर्षा तथा हिमवर्षा इसके दो रूप हैं।

वर्षण—यह एक व्यापक प्रक्रिया है, जिसमें वायुमण्डल की आर्द्रता संघनित होकर वर्षा, हिम, ओला, पाला आदि रूपों में धरातल पर गिरती है। जल-वर्षा, वर्षण का एक साधारण रूप है। हिमवृष्टि, ओलावृष्टि, हिमपात आदि इसके अनेक रूप हैं।

प्रश्न 6. निरपेक्ष एवं सापेक्ष आर्द्रता में अन्तर बताइए।
उत्तर- निरपेक्ष आर्द्रता एवं सापेक्ष आर्द्रता में अन्तर
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प्रश्न 7. वर्षण या वृष्टि से क्या अभिप्राय है? इसके दो रूपों का विवरण दीजिए।
उत्तर-वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसों के साथ-साथ जलवाष्प भी विद्यमान रहती है। वायुमण्डल में व्याप्त इस जलवाष्प को ही वायुमण्डल की आर्द्रता कहते हैं। भूमण्डल पर ओस, बादल, हिमपात, कुहरा, तुषार तथा वर्षा आदि इसी आर्द्रता की देन हैं, जिन्हें वर्षण तथा वृष्टि कहा जाता है।

वर्षण के रूप

वर्षण के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन निम्नलिखित है
1. हिमपात–जब कभी वायुमण्डल का तापमान ओसांक बिन्दु से भी कम हो जाता है, तो उसमें उपस्थित जलवाष्प जल में परिणत न होकर सीधे हिम के रवों के रूप में संघनित हो जाती है।
भूतल पर ये रवे हिमकणों के रूप में गिर जाते हैं। वर्षण का यह स्वरूप ‘हिमपात’ कहलाता है।

2. हिमवर्षा–जब जल की बूंदें भूप्रष्ठ के समीप की वायु की बहुत शीतल परतों से होकर गुजरती हैं, तब जलवाष्प हिम (बर्फ) बनकर नीचे गिरती है। वर्षण का यह रूप हिमवृष्टि या हिमवर्षा
कहलाता है। उच्च अक्षांशों तथा उच्च पर्वतीय प्रदेशों में हिमवर्षा ही होती है।

प्रश्न 8. उन नियन्त्रक कारकों का वर्णन कीजिए जो वाष्पीकरण एवं वाष्पोत्सर्जन की क्रिया की दर को नियन्त्रित करते हैं।
उत्तर–वाष्पीकरण वह क्रिया है जिसके द्वारा जल द्रव अवस्था से वाष्पीय अवस्था में परिवर्तित होता है। वाष्पीकरण निम्नलिखित कारकों पर निर्भर है

  1. तापमान तापमान बढ़ने पर वाष्पीकरण की गति अधिक हो जाती है। यही कारण है कि उष्ण कटिबन्ध में अन्य ताप-क्षेत्रों की अपेक्षा वाष्पीकरण अधिक होता है।
  2. पवन वेग-पवन का वेग जितना अधिक होता है, वाष्पीकरण भी उतना ही अधिक होता है।
  3. वायु की शुष्कता-वायु जितनी अधिक शुष्क होती है, वाष्पीकरण उतना ही तीव्र गति से होता है। वर्षा के दिनों में वायु आर्द्र होती है, इसलिए वर्षा ऋतु में वाष्पीकरण कम होता है।

वाष्पोत्सर्जन-इस प्रक्रिया के अन्तर्गत आर्द्रता की मात्रा तरल पदार्थों के साथ-साथ जीवित प्राणियों; जैसे—पेड़-पौधे आदि से भी प्राप्त होती है। वाष्पोत्सर्जन उन क्षेत्रों में अधिक होता है जहाँ वर्षा तथा वनस्पति अधिक पाई जाती है। भूमध्यरेखा के 10° उत्तर एवं 10° दक्षिण में ऐसे क्षेत्र स्थित हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. वर्षा के प्रमुख प्रकार कौन-से हैं? प्रत्येक की उत्पत्ति के कारण समझाइए।
या वर्षा के प्रमुख प्रकारों के नाम बताइए। संवहनीय वर्षा की उत्पत्ति समझाइए तथा उसका विश्व वितरण बताइए।
या विश्व में वर्षा के असमान वितरण की व्याख्या कीजिए तथा उसके प्रभाव की विवेचना कीजिए।
उत्तर-वर्षा अथवा वृष्टि
वायुमणूडल से जल हमें दो रूपों में प्राप्त होता है—तरल एवं ठोस। जल की प्राप्ति को ही वर्षा या वृष्टि कहते हैं। वर्षा धरातल पर जल, हिम, फुहार तथा ओलों के रूप में प्राप्त होती है। कोहरा, ओस तथा तुषार आदि भी वर्षा के ही रूप हैं, परन्तु इनमें वर्षा को अपना महत्त्वपूर्ण स्थान है। वर्षा की मात्रा वायुमण्डलीय आर्द्रता पर निर्भर करती है। वाष्प की यह मात्रा संघनित होकर जल-कणों में परिवर्तित हो जाती है। वायुमण्डल में जब इन जल-कणों की अधिकता हो जाती है तो यह कण घनीभूत होकर वर्षा के रूप में धरातल पर टपकना आरम्भ कर देते हैं। वर्षा निम्नलिखित तथ्यों पर निर्भर करती है

  1. वायुमण्डल में पर्याप्त मात्रा में जलवाष्प की उपस्थिति।
  2. जल-सीकरों के आकार में वृद्धि होना।
  3. जलवाष्प की संघनन प्रक्रिया का तीव्रता से होना, जो निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है
  • अधिक तापमान के कारण वायु का हल्की होकर ऊपर फैलना,
  • ध्रुवीय प्रदेशों से उष्ण प्रदेशों की ओर वायु का प्रवाहित होना एवं
  • निम्न वायुदाब का उच्च वायुदाब से मिलन तथा उसका ठण्डी जलधाराओं के सम्पर्क में आना।

वर्षा के प्रकार

जलवाष्पयुक्त वायुराशियों की संघनन प्रक्रिया के फलस्वरूप धरातल की वर्षा भिन्न-भिन्न रूपों में प्राप्त होती है। वर्षा के निम्नलिखित तीन स्वरूप पाये जाते हैं

1. संवहनीय वर्षा–धरातल पर ऊष्मा की अधिकता के कारण वायुमण्डल में उत्पन्न संवहनीय धाराओं द्वारा होने वाली वर्षा को संवहनीय वर्षा कहते हैं। इस प्रकार की वर्षा उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में अत्यधिक गर्मी के कारण होती है। उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में प्रतिदिन वायु गर्म होकर ऊपर उठती है तथा वायुमण्डल में फैल जाती है एवं समीपवर्ती वायु आकर इसका स्थान ले लेती है। कुछ समय बाद जलद मेघों का निर्माण होता है। वायुमण्डल में ऊपर उठी वायु ठण्डी होकर सीकरों में बदल जाती है। इस प्रकार स्थानीय ताप के प्रभाव के कारण वायुमण्डल में संवहन क्रिया आरम्भ हो जाती है। इन प्रदेशों में तीव्र गर्जन-तर्जन एवं बिजली की गड़गड़ाहट के साथ घनघोर वर्षा होती है। विषुवत्रेखीय प्रदेशों में इसी प्रक्रिया द्वारा वर्षा होती है।
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2. पर्वतीय वर्षा–निम्न वायुभार उच्च वायुभार को अपनी ओर आकर्षित करता है। यदि उच्च वायुभार किसी जलाप्लावित क्षेत्र से होकर गुजरता है तो यह आर्द्रता ग्रहण कर लेता है। जब इनके मार्ग में कोई पर्वत शिखर | या पठार अवरोध के रूप में उपस्थित हो जाता है तो वायु । घनीभूत होकर वर्षा करती है। पर्वतीय वर्षा उस समय होती है जब वायुमण्डल में आर्द्रता की मात्रा अधिकतम होती है।
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मध्यवर्ती अक्षांशों में शरद् एवं शीत ऋतु के प्रारम्भ में तथा मानसूनी प्रदेशों में ग्रीष्म ऋतु में इसी प्रकार की वर्षा होती है। इसे पर्वतकृत वर्ष भी कहते हैं। वायु अवरोध के सामने वाले भागों में अत्यधिक वर्षा होती है, जब कि विमुख भाग में वर्षा कम होती जाती है, क्योंकि यहाँ तक पहुँचते-पहुँचते वायु में आर्द्रता बहुत ही कम हो जाती है। ऐसे क्षेत्रों को वृष्टिछाया प्रदेश (Rain-Shadow Region) के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार की वर्षा में कुछ अन्य प्रत्यक्ष कारक भी अपना प्रभाव डालते हैं। दिन में पर्वतों के ढाल तथा घाटियाँ गर्म हो जाती हैं जिससे वायुमण्डल में संवहन धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं। कभी-कभी इनके शीतलन से भी वर्षा हो जाती है। इस प्रकार पर्वतीय वर्षा पर धरातलीय बनावट का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है।

3. चक्रवातीय वर्षा–जब विपरीत दिशाओं की शीतल एवं उष्ण वायुराशियाँ किसी स्थान पर एकत्रित होने लगती हैं तो वायु में अभिसरण की दशा उत्पन्न। इससे वायुराशियाँ ऊपर की ओर उठती हैं तथा इनमें अस्थिरता उत्पन्न हो जाती है। इनसे कपासी मेघों का निर्माण होता है तथा बौछारों के रूप में वर्षा होती है।
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शीत एवं शीतोष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में चक्रवातीय वर्षा होती है। उष्ण कटिबन्ध में ग्रीष्म ऋतु में चक्रवातों से वर्षा होती है। विषुवत्रेखीय प्रदेशों में विभिन्न वायुराशियों में तापमान, आर्द्रता एवं घनत्व में भिन्नता होने के कारण वाताग्रों का निर्माण नहीं हो पाता। अधिकांश चक्रवातीय वर्षा शरद् ऋतु में होती है। समशीतोष्ण प्रदेशों में पछुवा हवाओं के साथ-साथ अनेक चक्रवात पश्चिम से पूर्व की ओर चलते हैं। उत्तरी भारत में शीतकालीन वर्षा भी चक्रवातीय वर्षा का एक प्रमुख उदाहरण है।

संसार में वर्षा का वितरण

संसार के वर्षा के वितरण मानचित्र पर दृष्टि डालने से ज्ञात होता है कि भूतल पर सभी जगह एकसमान मात्रा में वर्षा नहीं होती। धरातल की बनावट, जलवायु एवं पवनों की दिशा पर वर्षा की मात्रा निर्भर करती है। संसार में वर्षा का वितरण निम्नवत् पाया जाता है–

1. विषुवतरेखीय अधिक वर्षा की पेटी-वर्षा-वितरण का यह क्षेत्र विषुवत रेखा के 10° उत्तर तथा 10° दक्षिण अक्षांशों के मध्य स्थित है। इस पेटी में प्रतिदिन संवहनीय मूसलाधार वर्षा होती है। वर्षा बादलों की गर्जन तथा बिजली की चमक के साथ होती है। इस पेटी में वर्षा का वार्षिक औसत 200 सेमी तक रहता है। अत्यधिक वर्षा के कारण यहाँ घने वन पाये जाते हैं तथा कृषि का विकास कम हुआ है। यहाँ विरल आबादी मिलती है।

2. व्यापारिक पवनों की वर्षा की पेटी-व्यापारिक पवन प्रवाह क्षेत्र में इन पवनों से व्यापक वर्षा होती है; अत: इसे व्यापारिक पवनों की वर्षा की पेटी कहते हैं। इस पेटी का विस्तार 10° से 20° अक्षांशों के मध्य दोनों गोलार्थों में पाया जाता है। इसी पेटी में मानसूनी पवनों से भी भारी वर्षा हुआ करती है। वार्षिक वर्षा का औसत 100 से 150 सेमी तक रहता है। प्रचुर वर्षा के कारण मानसूनी प्रदेशों में चावल की सघन खेती होती है तथा घनी आबादी पायी जाती है।

3. उपोष्ण कम वर्षा की पेटी-उच्च वायुदाब की यह पेटी 20° से 30° अक्षांशों के मध्य दोनों गोलाद्ध में विस्तृत है। इस पेटी में वर्षा बहुत कम होती है, क्योंकि नीचे उतरती हुई हवाएँ वर्षा नहीं करती हैं। अतः विश्व के अधिकांश उष्ण मरुस्थल इसी पेटी में पाये जाते हैं। इस पेटी में वर्षा का वार्षिक औसत 50 सेमी तक ही रहता है।

4. भूमध्यसागरीय मध्यम वर्षा की पेटी-यह पेटी 30° से 40° अक्षांशों के मध्य फैली हुई है। इस क्षेत्र में वायुदाब की पेटियों के खिसक जाने के कारण शीत ऋतु में ही वर्षा होती है। पछुवा पवनें तथा चक्रवात शीत ऋतु में खूब वर्षा करते हैं। इस क्षेत्र में वर्षा का वार्षिक औसत 50 से 100 सेमी तक रहता है। यहाँ मध्यम सघन आबादी पायी जाती है।

5. शीतोष्ण वर्षा की पेटी-40° से 60° अक्षांशों के मध्य दोनों गोलार्थों में यह पेटी पायी जाती है। पछुवा पवनों का व्यापक प्रभाव रहने के कारण इस क्षेत्र में भारी वर्षा होती है। दक्षिणी अक्षांशों में यहाँ चक्रवातों से भारी वर्षा होती है। इस पेटी में प्रतिवर्ष 100 से 125 सेमी तक वर्षा होती है। यहाँ पश्चिमी यूरोपीय देशों में सघन आबादी मिलती है।

6. ध्रुवीय कम वर्षा की पेटी-60° अक्षांशों से 90° अक्षांशों के मध्य सबसे कम वर्षा होती है। 60° अक्षांशों के निकट मात्र 25 सेमी वर्षा ही होती है, शेष भागों में वर्षा हिम-कणों के रूप में होती है। इस क्षेत्र में वर्ष-भर उच्च दाब बना रहने के कारण वर्षा कम होती है। हिमाच्छादन के कारण यहाँ विरल आबादी पायी जाती है।

प्रश्न 2. वायुमण्डल से ओलावृष्टि एवं वर्षा किस प्रकार होती है? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर–ओलावृष्टि-जब वायुमण्डल में प्रबल वायु की धाराएँ ऊर्ध्वाधर रूप में चलती हैं, तव संघनन की प्रक्रिया वायुमण्डल के उच्च स्तरों में निम्न तापमान पर सम्पन्न होती है तथा जलवाष्प हिमकणों में बदल जाती है। हिमकणों का आकार धीरे-धीरे बढ़ता जाता है, परन्तु ऊपर उठती हुई प्रचण्ड वायु इन्हें नीचे नहीं गिरने देती है। इस प्रकार इन रवों की मोटाई कुछ सेमी तक बढ़ जाती है तथा ठोस हिम के गोले के रूप में ये रवे भूपृष्ठ पर गिरते हैं, जिसे ‘ओलावृष्टि’ या ‘उपलवृष्टि’ कहते हैं। कभी-कभी ओले वर्षा के साथ भी भूपृष्ठ पर गिरते हैं। ओलावृष्टि से फसलों को भारी हानि पहुँचती है।

वर्षा-वर्षा, वृष्टि का सबसे सामान्य प्रतिरूप है। वायुमण्डल में जलवाष्प के संघनन से मेघों का निर्माण होता है। मेघों में अनेक छोटे-छोटे जलकण होते हैं, जो यत्र-तत्र बिखरे रहते हैं। जब मेघ वायुमण्डल के शीतल क्षेत्रों में पहुँचते हैं तब ये जलकण संचित होकर पहले की अपेक्षा और बड़े हो जाते हैं। भार के कारण ये वायुमण्डल में अधिक देर तक टिक नहीं पाते और नीचे बरसने लगते हैं। वृष्टि के इस रूप को ‘वर्षा’ कहते हैं। वर्षा की बूंदों का व्यास 6 मिमी तक होता है। ‘फुहार’ हल्की वर्षा का स्वरूप है। इसमें जल की बूंदें बहुत ही सूक्ष्म होती हैं, जिनका व्यास 0.5 मिमी से भी कम होता है।

प्रश्न 3. ऊँचाई के आधार पर मेघों या बादलों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर—बादलों का वर्गीकरण उनकी धरातल से ऊँचाई तथा आकार के आधार पर किया जाता है। 1932 ई० में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बादलों को निम्नलिखित चार भागों में वर्गीकृत किया गया है

1. उच्च बादल-इन बादलों की ऊँचाई समुद्रतल से 6 से 12 किमी तक होती है। इनमें पक्षाभ (Cirrus), पक्षाभ कपासी (Cirro-cumulus) और पक्षाभ स्तरी (Cirro-stratus) मेघ सम्मिलित किए जाते हैं। पक्षाभ सबसे ऊँचे मेघ होते हैं जिनका निर्माण सूक्ष्म हिमकणों से होने के कारण इनका रंग श्वेत होता है। ये चक्रवातों के आगमन से पहले आकाश में दिखलाई पड़ते हैं। पक्षाभ स्तरी मेघ आकाश में एक पतली चादर की भाँति फैले होते हैं और चन्द्रमा तथा सूर्य के चारों ओर प्रभामण्डल बना देते हैं। पक्षाभ-कपासी मेघ छोटे-छोटे, गोलाकार या लहरनुमा होते हैं।

2. मध्यम ऊँचाई के बादल-इन बादलों की ऊँचाई धरातल से 3 से 6 किमी तक होती है। इन बादलों में स्तरी मध्य रेखा (Altostratus) और कपासी मध्य मेघ (Altocumulus) प्रमुख हैं। स्तरी मध्य मेघों में सूर्य व चन्द्रमा स्पष्ट दिखाई नहीं देते और इनसे विस्तृत क्षेत्रों में लगातार वर्षा होती है।

3. निम्न बादल-ये धरातल से 3 किमी ऊँचाई तक पाए जाने वाले बादल हैं जिनके प्रमुख प्रकार स्तरी (Stratus), वर्षा स्तरी (Nimbo Stratus) और स्तरी कपासी (Strato-cumulus) मेघ हैं। स्तरी बादल कुहरे के समान कई परतों में शीतोष्ण कटिबन्ध में जाड़ों में अधिक दिखलाई पड़ते हैं। वर्षा स्तरी बादल काले तथा धरातल के निकट अत्यन्त घने होते हैं जिनसे भारी वर्षा होती है। स्तरी कपासी मेघ हल्के भूरे रंग के बड़े-बड़े गोलाकार चकतों में पाए जाते हैं।

4. अधिक ऊध्र्वाधर विकास वाले बादल-इन बादलों में पवनें तेजी से धरातल से ऊपर की ओर ऊर्ध्वाधर प्रवाहित होती हैं। अत: इनका ऊध्र्वाधर विस्तार अधिक होता है। ये कपासी (Cumulus) और कपासी वर्षी (Cumulonimbus) मेघ होते हैं। ये गहरे काले रंग वाले भारी बादल होते हैं। इन्हें गर्जन मेघ भी कहते हैं। कपासी वर्षी मेघ ऊँचाई में अधिक विस्तार वाले पर्वत के समान होते हैं। प्रबल ऊर्ध्वाधर पवनों के कारण इनसे मूसलाधार वर्षा ओले, विद्युत की चमक व गर्जन-तर्जन के साथ होती है।

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UP Board Solutions for Class 11 English Short Stories Chapter 3 Drought

UP Board Solutions for Class 11 English Short Stories Chapter 3 Drought

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 English Short Stories Chapter 3 Drought.

STORY at a Glance
The story ‘Drought takes place in the village called Kashipur. There was a landlord named Shibu Babu who was a cruel man. Gafur was a weaver who served Shibu Babu. Amina was Gafur’s daughter and Mahesh was his bull whom he loved most. One year there was drought. The month of May was going to be ended yet there was no hope of rain and no clouds in the sky. There was no grass anywhere and the tanks had dried up. Gafur had nothing to feed his bull on. He had become so weak that his ribs could be counted. Gafur tied him in the sun lest the bull should enter anybody’s field. Even Gafur’s daughter could not prepare anything for eating because she had nothing in the house to prepare food.

It was very hot in June. Gafur started in search of any work. But he got no work. When he returned home, he could get neither food nor water. He was so much angry with his daughter that he slapped her. The girl said nothing. She took up the pitcher and went to bring the water. But she could not get water anywhere. In the meantime a servant of the landlord came to call him and said to him, “If you do not come with me, I shall drag you to the landlord.” Gafur had to go. The landlord was very angry with him because Mahesh had spoiled her flowers and had wounded his daughter.

In the meantime Gafur heard a shriek of his daughter. He saw that the girl was lying on the ground. The pitcher had dropped down her head and Mahesh was sucking up the water. Gafur thought that Mahesh had pushed his daughter. So he struck hard on the bull’s head. The animal died on the spot.

At midnight Gafur left his village and started to Fulbere with his daughter to get some work in the Jute Mill at Fulbere. Before his departure he went near the tree where he used to tie his bull with the rope. He wept bitterly to remember Mahesh.

कहानी पर एक दृष्टि

‘Drought नामक कहानी काशीपुर नामक गाँव में घटित होती है। वहाँ शिब्बू बाबू नाम का एक जमींदार था जो बहुत अत्याचारी व्यक्ति था। गफूर एक जुलाहा था जो शिब्बू बाबू के यहाँ नौकरी करता था। अमीना गफूर की बेटी थी और महेश उसका बैल था जिसे वह सबसे अधिक प्यार करता था। एक वर्ष सूखा पड़ा। मई मास समाप्त होने को था, फिर भी बारिश की या आकाश में बादलों की कोई आशा नहीं थी। कहीं भी घास का नामोनिशान नहीं था और तालाब भी सूख गये थे। गफूर के पास अपने बैल को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं था। वह इतना कमजोर हो गया था कि उसकी पसलियाँ गिनी जा सकती थीं। गफूर ने उसे धूप में बाँध दिया था कहीं वह किसी के खेत में घुस न जाए। गफूर की पुत्री भी खाने के लिए कुछ न बना सकी क्योंकि घर में खाना पकाने को कुछ भी नहीं था।

जून के महीने में भयंकर गर्मी थी। गफूर काम की तलाश में गया किन्तु उसे काम नहीं मिला। जब वह घर लौटकर आया तो उसे न खाना मिला और न पानी। वह अपनी बेटी पर इतना नाराज हुआ कि उसे थप्पड़ मार दिया। लड़की कुछ नहीं बोली-और घड़ा उठाकर पानी लेने चली गई। किन्तु उसे कहीं भी पानी नहीं मिला।

इतने में ही जमींदार का एक नौकर उसे बुलाने आया और उसने बताया कि यदि वह उसके साथ नहीं चलेगा। तब उसे घसीटकर ले जाया जाएगा। गफूर को जाना ही पड़ा। जमींदार उस पर बहुत नाराज हुआ, क्योंकि गफूर के बैल ने जमींदार के फूलों को नष्ट कर दिया था और उसकी लड़की को घायल कर दिया था। इसी बीच गफूर ने लड़की की चीख सुनी। उसने देखा कि लड़की जमीन पर गिरी पड़ी है। घड़ा उसके सिर से गिर गया है। महेश बिखरे हुए पानी को पी रहा है। गफूर ने अपने हल के सिरे से महेश के झुके हुए सिर पर चोट की। इससे बैल वहीं पर मर गया।

आधी रात के समय गफूर ने अपना गाँव छोड़ दिया और अपनी लड़की को लेकर फुलबेरी चला गया। उसे आशा थी कि वहाँ उसे पटसन के कारखाने में नौकरी मिल जाएगी। चलने से पहले वह उस वृक्ष के पास गया जहाँ महेश को रस्सी से बाँधा जाता था। वह महेश को याद करके बहुत रोया।

Short Answer Type Questions

Answer one of the following questions in not more then 30 words:

Question 1.
who was Gafur ? What was the name of his daughter and his bull?
(गफूर कौन थी ? उसकी बेटी और बैल का क्या नाम था ?)
Answer:
Gafur was a poor weaver. Amina was his daughter and Mahesh was his bull.
(गफूर एक गरीब जुलाहा था। अमीना उसकी बेटी और महेश उसका बैल था।)

Question 2.
who was Mahesh ? How did Gafur feed him ?           [Imp.]
(महेश कौन था ? गफूर उसे किस प्रकार खाना देता था ?)
Answer:
Mahesh was the bull of Gafur. Gafur got some straw from the landlord for tilling his land. He fed his bull on this straw.
(महेश गफूर का बैल था। गफूर को जमींदार की जमीन जोतने के लिए कुछ भूसा मिल जाता था। उसी को वह
महेश को खाने के लिए देता था।)

Question 3.
What warning did Tarakaratna give to Gafur regarding Mahesh and what was his reply ?
(महेश के सम्बन्ध में तारकरन ने गफूर को क्या चेतावनी दी और उसका क्या उत्तर था ?)
Answer:
Tarakaratna warned Gafur that the landlord would flay him alive if the bull died. Gafur replied that he was suffering from fever. He would not let the bull go alone to graze because the paddies were still lying in the fields. So he might enter anybody’s field.
(तारकरत्न ने गफूर को चेतावनी दी कि जमींदार उसकी खाल खींच लेगा यदि उसका बैल मर गया। गफूर ने उत्तर दिया कि उसे बुखार आ रहा है। वह बैल को अकेले नहीं चरने देगा, क्योंकि खेतों में अभी धान पड़ा है। इसलिए वह किसी के खेत में घुस सकता है।)

Question 4.
what made Tarakaratma leave hurriedly ?
(तारकरत्न जल्दी क्यों चला गया ?)
Answer:
Tarakaratna had a bundle of rice and fruits in his hand. When the bull saw it, he moved towards him to eat it. Tarakaratna feared that the bull would attack him with his horns. So he left hurriedly.
(तारकरत्न के हाथ में चावल और फलों की एक पोटली थी। जब बैल ने इसे देखा तो वह उसे खाने के लिए उसकी ओर मुड़ा। तारकरल को भय था कि बैल अपने सींगों से उस पर आक्रमण करेगा। इसलिए वह जल्दी से चला गया।)

Question 5.
What for did Gafur come to Banshi’s shop secretly ?        [M. Imp.]
(गफूर छिपकैर बंसी की दुकान पर क्यों आया ?)
Answer:
Gafur wanted to bring his bull from the police pen. He needed a rupee for it. So he went to Banshi’s shop secretly to borrow a rupee from him.
(गफूर को पुलिस के कांजीघर से अपना बैल छुड़ाना था। उसे इसके लिए एक रुपये की आवश्यकता थी। इसलिए वह बंसी की दुकान पर एक रुपया उधार लेने के लिए चुपचाप गया।)

Question 6.
In spite of being very poor Gafur threw away a ten rupee note, why ?
(गरीब होने के बावजूद गफूर ने दस का नोट फेंक दिया. क्यों ?)
Or
Why did Gafur not accept the ten rupee note from the butcher ?       [Imp.]
(गफूर ने कसाई से दस रुपए का नोट लेने से मना क्यों कर दिया?)
Answer:
Gafur was very poor. But he loved his bull very much. So he could not bear his separation. So when the purchaser came, he threw away the ten rupee note at him.
(गफूर बहुत गरीब था। लेकिन वह अपने बैल को बहुत प्यार करता था। इसलिए वह उसका वियोग सहन नहीं कर सका। जब खरीददार आया तब उसने दस रुपये का नोट उस पर फेंक दिया।)

Question 7.
who was Amina ? Who slapped her and why?
(अमीना कौन थी ? उसे थप्पड़ किसने मारा और क्यों ?)
Answer:
Amina was the daughter of Gafur. Gafur scolded and slapped her because he was very hungry and Amina could not give him food.
(अमीना गफूर की पुत्री थी। गफूर ने उसे थप्पड़ मारा, क्योंकि वह भूखा था और अमीना उसे खाना नहीं दे सकी।)

Question 8.
Gafur loses his self-control for the second time’. when and why ?
(‘गफूर दूसरी बार अपना आत्म-नियन्त्रण खो देता है।’ कब और क्यों ?)
Answer:
The messenger of the landlord asked Gafur to go to the landlord at once and said, “It’s master’s order to drag you to him and give you a good thrashing.” Gafur could not bear it. So he lost his self-control and said that he was not a slave and he Would not go.
(जमींदार के दूत ने गफूर से तुरन्त जमींदार के पास जाने को कहा तथा यह भी कहा, “मालिक की आज्ञा है। कि तेरी खूब पिटाई करू और खींचकर ले जाऊँ।” गफूर इसे सहन नहीं कर सका। उसने पुन: आत्म-नियन्त्रण खो दिया और कह दिया कि मैं गुलाम नही हूँ और मैं नहीं जाऊँगा।)

Question 9.
why did Gafur kill the bull ?         [M. Imp.]
(गफूर ने बैल को क्यों मार डाला ?)
Or
Who killed Mahesh and why ?
(महेश को किसने मारा और क्यों ?)
Answer:
Gafur killed Mahesh (bull) because he doubted that Mahesh had attacked his daughter Amina.
(गफूर ने महेश (बैल) को मारा क्योंकि उसे यह सन्देह था कि महेश ने उसकी पुत्री अमीना पर
आक्रमण किया है।)

Question 10.
Amina, dear, comelet’s go.” who says these words and why?          [Imp.]
(‘‘प्रिय अमीना, आओ. अब हम चलें।” यह शब्द कौन कहता है और क्यों ?)
Answer:
Gafur says these words. He is afraid that he would not be able to pay the penalty to the landlord. So he decides to leave the city.
(यह शब्द गफूर कहता है। उसे भय है कि वह जमींदार को जुर्माना नहीं चुका पाएगा। अत: उसने नगर को छोड़ने का निश्चय कर लिया।)

Question 11.
What did Gafur ask God to do ?            [M. Imp.]
(गफूर ने भगवान् से क्या करने को कहा ?)
Answer:
Gafur asked God never to forgive the landlord who neither let his bull eat the grass nor drink the water.
(गफूर ने भगवान् से कहा कि जमींदार को कभी क्षमा न करना जिसने उसके बैल को न तो घास खाने दी और न पानी पीने दिया।)

Question 12.
what would have happened if it had been a good year ?
(यदि वह सुखद वर्ष होता तो क्या होता ?)
Answer:
If it had been a good year, there would have been no tragedy.
(यदि यह एक सुखद वर्ष होता तो कोई दुर्घटना नहीं होती।)

Question 13.
What do you think of the title ? Suggest any other that may suit it.
(कहानी के शीर्षक के विषय में आप क्या सोचते हैं ? इसके लिए कोई दूसरा उपयुक्त शीर्षक सुझाइए।)
Answer:
The title ‘Drought’ of this story is quite appropriate. The whole story centres round the drought and its after effects. All the tragedy was due to drought. Another suitable title may be “Cruelty of the Landlord.”
( Drought’ इस कहानी के लिए पूरी तरह उपयुक्त शीर्षक है। पूरी कहानी सूखे और उसके प्रभाव के चारों और घूमती नजर आती है। समस्त दु:खद घटनाएँ इसी सूखे के कारण हुईं। इस कहानी के लिए दूसरा उपयुक्त शीर्षक हो सकता है-“जमींदार की निर्दयता।”)

Question 14.
Describe the helplessness of Gafur in sustaining his family
(अपने परिवार के भरण-पोषण में गफूर की असहायता का वर्णन कीजिए।)
Answer:
Gafur became helpless to sustain his family because there was nothing to eat for himself and his only girl, Amina. And there was nothing to feed his bull on. This was caused by drought. He started to search for any work but got no work.
(गफूर अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असहाय हो गया था क्योंकि स्वयं के तथा अपनी इकलौती बेटी अमीना को खाने के लिए कुछ नहीं था और अपने बैल के खिलाने के लिए भी कुछ नहीं था। यह सूखा के कारण था। वह किसी काम की तलाश में भी गया लेकिन उसे काम नहीं मिला।)

Question 15.
How unfair was the landlord to Gafur ? What did it result in ?
(जमींदार गफूर के प्रति कितना अन्यायी था? इसका क्या परिणाम हुआ ?)
Answer:
Landlord was very unfair to Gafur. He did not give Gafur straw for his bull at the time of drought, he did not allow him to take water from the tank and was very rude. It resulted in the death of bull.
(जमींदारे गफूर के प्रति बहुत अन्यायी था। उसने सूखे के समय गफूर को बैल के लिए भूसा नहीं दिया, उसने उसे तालाब से पानी नहीं लेने दिया और अत्यन्त अभद्र था। इसको परिणाम हुआ बैल की मृत्यु।)

Question 16.
How did the drought affect the village Kashipur? Comment in the light of the story Drought ? [Imp.]
(काशीपुर गाँव को सूखे ने कैसे प्रभावित किया? ‘सूखा’ नामक कहानी के प्रकाश में विवेचना कीजिए।)
Answer:
One year in Kashipur in the month of May there was a fearful drought. There was no hope of rain. Tanks had dried up. There was no grass and no water in the village. The animals were starving.
(एक वर्ष काशीपुर में मई के महीने में भयंकर सूखा पड़ा। बारिश की कोई आशा नहीं थी। तालाब सूख गए थे। गाँव में न कहीं घास थी और न पानी। पशु भूख से मर रहे थे।)

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UP Board Solutions for Class 11 English Short Stories Chapter 2 After Twenty Years

UP Board Solutions for Class 11 English Short Stories Chapter 2 After Twenty Years

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 English Short Stories Chapter 2 After Twenty Years.

STORY at a Glance
Silky Bob and Jimmy Wells were two intimate friends. They lived in New York. They were young. They wanted to choose their career. Bob was very ambitious. He wanted to be rich soon. So he decided to go to Chicago. Jimmy did not want to leave New York. He thought it to be the best place on the earth. So he decided to live in New York. One day they parted from each other. They dined at ‘Big Joe’-Brandy’s restaurant. They promised to meet together after twenty years at this place, date and time. They parted at 10 o’clock.

Jimmy Wells was appointed in police. One day he was on his beat duty. At about 10 p.m. he saw a man in the door-way of a hardware store. When Jimmy reached that man, he told him that he was waiting there for a friend. Then, he lighted his cigar. In light of cigar Jimmy Wells recognised him that he was Bob. He was a criminal. He was wanted by Chicago police. It was the duty of Jimmy to arrest him.

Now Jimmy was in a fix what to do. Either he should do his duty as a policeman or as a friend.

So he left Bob there and went away. He told the story to another policeman. He sent him to Bob in plain clothes. That man pretended to be Bob’s friend Jimmy. They talked for sometime as friends. Then the man in plain clothes invited him to a suitable place so that they might talk for sometime. They reached a drug-store. There was enough light. Bob recognised him by his nose. He cried, “You are not Jimmy Wells. He has a Roman nose while yours is a pug nose.”

Then the man informed Bob that he was then under arrest. He was wanted by Chicago police. He would take him to the police station. Then he gave him a note. It was Jimmy Wells. In it Jimmy told him, “I had recognised you when you lighted your cigar. I have kept my promise. But you are a criminal and you are wanted by chicago police. I could not arrest you as you are my friend. So I am sending this man in plain clothes to arrest you.” Reading it Bob trembled a little.

कहानी पर एक दृष्टि

सिल्की बॉब और जिमी वैल्स दो घनिष्ठ मित्र थे। वे न्यूयॉर्क में रहते थे। वे नवयुवक थे। वे अपना भविष्य । चुनना चाहते थे। बॉब बहुत महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति था। वह शीघ्र ही धनी होना चाहता था। इसलिए उसने शिकागो जाने का निश्चय किया। जिमी न्यूयॉर्क को छोड़ना नहीं चाहता था। वह इसी को पृथ्वी पर सर्वोत्तम स्थान मानता था। इसलिए उसने न्यूयॉर्क में ही रहने का निश्चय किया। एक दिन वे एक-दूसरे से विदा हुए। उन्होंने बिग जोई नामक होटल में खाना खाया। उन्होंने वायदा किया कि वह बीस वर्ष बाद इसी स्थान पर, इसी दिन और इसी समय पुनः मिलेंगे। वे 10 बजे विदा हुए।

जिमी वैल्स पुलिस में भर्ती हो गया। एक दिन वह अपनी गश्त ड्यूटी पर था। लगभग 10 बजे रात को उसने एक लोहे की दुकान के दरवाजे में एक आदमी को देखा। जब जिमी उस आदमी के पास पहुँचा तब उसने उसे बताया कि वह अपने मित्र की प्रतीक्षा कर रहा है। फिर उसने अपना सिगार जलाया। प्रकाश में जिमी वैल्स ने उसे पहचान लिया कि वह बॉब है। वह एक अपराधी था। शिकागो पुलिस को उसकी तलाश थी। जिमी का यह कर्तव्य था कि वह उसे गिरफ्तार कर ले।

अब जिमी वैल्स परेशानी में पड़ गया कि क्या करे। या तो वह सिपाही के रूप में अपने कर्तव्य का पालन करे या एक मित्र के रूप में।

इसलिए उसने बॉबको वहीं छोड़ दिया और चला गया। उसने सारी कहानी एक-दूसरे सिपाही को बता दी। उसने उसे बॉब के पास सादे कपड़ों में भेजा। उस आदमी ने ऐसा बहाना किया कि वह बॉब का मित्र जिमी है। उन्होंने कुछ समय तक मित्र के रूप में बातचीत की। फिर सादे कपड़े पहने हुए आदमी ने उपयुक्त स्थान पर चलने का निमन्त्रण दिया ताकि वे कुछ समय तक बातचीत कर सकें। वे एक देवा-विक्रेता की दुकान पर पहुँचे। वहाँ पर्याप्त रोशनी थी। बॉब ने उसे उसकी नाक से पहचान लिया। उसने कहा, “तुम जिमी वैल्स नहीं हो। उसकी नाक तो रोमन जैसी है, जब कि तुम्हारी नाक चपटी है।”

फिर उस आदमी ने बॉब को सूचित किया कि वह गिरफ्तार हो चुका है। शिकागो की पुलिस को उसकी तलाश थी। वह उसे थाने ले चलेगा। फिर उसने उसे एक लिखित पत्र दिया। यह जिमी वैल्स का था। इसमें जिमी ने उसे बताया था, “मैंने तुम्हें उस समय पहचान लिया था जब तुमने सिगार जलाया। मैंने अपना वायदा पूरा कर दिया है। किन्तु तुम एक अपराधी हो और शिकागो की पुलिस को तुम्हारी तलाश है। तुम मेरे मित्र हो इसलिए मैं तुमको गिरफ्तार नहीं कर सका। अत: मैं सादे कपड़े पहने हुए इस आदमी को तुम्हें गिरफ्तार करने के लिए भेज रहा हूँ।” यह पढ़कर बॉब थोड़ा-सा कॉंपा।

Short Answer Type Questions

Answer one of the following questions in not more than 30 words :

(A) COMPREHENSION TEXT QUESTIONS

Question 1.
what was the policeman doing on his beat ?
(सिपाही अपनी गश्त पर क्या कर रहा था ?)
Answer:
The policeman was moving up and down the avenue. He was checking all the doors and locks.
(सिपाही रास्ते की ओर ऊपर-नीचे जा रहा था। वह सभी दरवाजों एवं तालों को चेक कर रहा था।)

Question 2.
what was Bob’s face like ?
(बॉब का चेहरा कैसा था ?)
Answer:
Bob’s face was pale and square-jawed. His eyes were keen. He had a little white scar near his right eyebrow.
(बॉब का चेहरा पीला और चौकोर जबड़े वाला था। उसकी आँखें पैनी थीं। उसकी दाहिनी भौंह के पास एक छोटा सफेद निशान था।)

Question 3.
How was the face of Bob recognised by the constable in the dark of night ?        [Imp]
(रात्रि के अँधेरे में कॉन्स्टेबल ने बॉब का चेहरा कैसे पहचान लिया ?)
Answer:
When Bob lit his cigar, the constable saw his face clearly and recognised him even in the dark of night.
(जब बॉब ने सिगार जलाया तब कॉन्स्टेबल ने उसका चेहरा स्पष्ट देख लिया और रात्रि के अन्धकार में भी पहचान लिया।) .

Question 4.
How many characters are there in the story? who are they?
(इस कहानी में कितने पात्र हैं? वे कौन-कौन हैं ?)
Answer:
There are only three characters in this story. They are :

  1.  Jimmy Wells-the constable
  2.  Bob-an old friend of Jimmy
  3.  another policeman in civil dress.

(इस कहानी में केवल तीन पात्र हैं। वे हैं :

  1.  जिमी वैल्स–एक सिपाही
  2.  बॉब–जिमी का पुराना मित्र
  3.  एक अन्य सिपाही जो सादे कपड़ों में है।)

Question 5.
Out of the two policemen which one is Jimmy?
(दो सिपाहियों में जिमी कौन-सा है ?)
Answer:
The policeman on beat duty with a Roman nose is Jimmy.
(रोमन जैसी नाक वाला गश्त की ड्यूटी पर जो सिपाही है वही जिमी है।)

Question 6.
Who was the man to discover that Bob was wanted by the police ? Mention his source of information.
(वह व्यक्ति कौन था जिसने यह पता लगाया कि पुलिस को बॉब की तलाश है ? उसकी सूचना का स्रोत बताओ।)
Answer:
Jimmy Wells was the man to discover that Bob was wanted by the police. His source of information was Chicago police.
(जिमी वैल्स वह व्यक्ति था जिसने पता लगाया कि पुलिस को बॉब की तलाश है। उसकी सूचना का स्रोत शिकागो की पुलिस थी।)

Question 7.
How did Jimmy manage to get his friend Bob arrested ?       [M. Imp.]
(जिमी ने अपने मित्र को कैसे गिरफ्तार कराया ?)
Answer:
Jimmy sent another policeman in civil dress and got his friend arrested:
(जिमी ने सादे कपड़ों में एक अन्य सिपाही को भेजा और अपने मित्र को गिरफ्तार करा दिया।)

Question 8.
Why did Jimmy get Bob arrested?
(जिमी ने बॉब को गिरफ्तार क्यों कराया ?)
Answer:
Jimmy got Bob arrested because he thought that sense of duty was stronger and more important than love for a friend.
(जिमी ने बॉब को गिरफ्तार करवा दिया क्योंकि उसने सोचा कि कर्तव्य की भावना एक मित्र के प्रति प्रेम की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली और आवश्यक है।)

Question 9.
who was Bob wanted by ?
(बॉब की किसको तलाश थी ?)
Answer:
Bob was wanted by Chicago police.
(बॉब की शिकागो पुलिस को तलाश थी।)

Question 10.
who had sent the plain-clothed man to arrest Bob ?
(बॉब को गिरफ्तार करने के लिए सादे कपड़ों में अन्य व्यक्ति को किसने भेजा ?)
Answer:
Jimmy Wells had sent the plain-clothed man to arrest Bob.
(बॉब को गिरफ्तार करने के लिए जिमी वैल्स ने सादे कपड़ों में अन्य व्यक्ति को भेजा।)

Question 11.
How do the two friends differ from each other ?      [M. Imp.]
(दो मित्र एक-दूसरे से कैसे भिन्न हैं ?)
Answer:
Jimmy is a true friend, as well as a faithful police officer. For him duty is first. He is honest and sincere. But Bob is ambitious and money-minded. He has no importance of moral and law in his mind. He wants to earn money by fair or foul means.
(जिमी एक सच्चा मित्र भी है और एक वफादार पुलिस अफसर भी। उसके लिए कर्त्तव्य सबसे पहले है। वह ईमानदार और सच्चा है। दूसरी ओर बॉब महत्त्वाकांक्षी और धन-लोलुप है। उसके मस्तिष्क में नैतिकता तथा कानून का कोई महत्त्व नहीं है। वह किसी न किसी प्रकार धन कमाना चाहता है।)

Question 12.
what is the significance of the title After Twenty Years’ ?
(‘बीस वर्ष बाद’ शीर्षक का क्या महत्त्व है ?)
Answer:
The title ‘After Twenty Years’ is quite significant because Jimmy and Bob had promised to meet after twenty years. It was a considerable long period. Yet they met on the same day at the appointed place.
(‘बीस वर्ष बाद’ शीर्षक बिल्कुल अर्थपूर्ण है क्योंकि जिमी और बॉब ने बीस वर्ष बाद मिलने का वायदा किया था। यह काफी लम्बी अवधि थी। फिर वे उसी दिन निश्चित स्थान पर मिले।)

Question 13.
When and where had the two friends parted twenty years ago ?
(बीस वर्ष पूर्व दोनों मित्र कब और कहाँ से विदा हुए थे ?)
Answer:
Twenty years ago Jimmy and Bob parted from each other at 10 in the night at ‘Big Joe-Brandy’s Restaurant.
(बीस वर्ष पूर्व जिमी और बॉब एक-दूसरे से रात्रि के दस बजे ‘बिग जोइ’-ब्राण्डीज़ रेस्तरां से विदा हुए थे।)

Question 14.
Do you think Jimmy wells was fair in his dealings with Bob, his friend       [Imp.]
(क्या आप समझते हो कि जिमी वैल्स अपने मित्र बॉब के साथ व्यवहार में उचित था?)
Answer:
Yes, Jimmy Wells was fair in his dealings with Bob because he did his duty as a policeman as well as a friend.
(हाँ, जिमी वैल्स बॉब के साथ व्यवहार में उचित था क्योंकि उसने पुलिस के सिपाही के रूप में भी और मित्र के रूप में भी अपना कर्तव्य निभाया।)

(B) APPRECIATING THE STORY

Question 1.
what is Bob’s estimate of Jimmy ?
(बॉब का जिमी के विषय में क्या अनुमान है ?)
Answer:
Bob’s estimate of Jimmy in his own words is “Jimmy Wells is my best chum and the finest chap in the world.”
(जिमी के विषय में बॉब का अनुमान उसके स्वयं के कथन में है : “जिमी वैल्स मेरा सबसे अच्छा एवं घनिष्ठ मित्र है और वह संसार का सबसे अच्छा लड़का है।”)

Question 2.
why did Jimmy conceal his identity from Bob ?      [Imp.]
(जिमी ने बॉब से अपनी पहचान को क्यों छिपाया ?)
Answer:
Jimmy was a true and sincere friend. But he was also a true and duty bound policeman. So he could not arrest Bob himself and concealed his identity from Bob.
(जिमी एक सच्चा तथा ईमानदार मित्र था। किन्तु वह एक सच्चा और कर्तव्यपरायण पुलिस का सिपाही भी थी। इसलिए वह बॉब को स्वयं गिरफ्तार नहीं कर सका और उसने अपनी पहचान को बॉब से छिपाया।)

Question 3.
why didn’t the patrolman arrest Bob ?
(गश्त वाले सिपाही ने बॉब को गिरफ्तार क्यों नहीं किया ?)
Or
Why did not Jimmy himself arrest Bob ?          (M. Imp.]
(जिमी ने स्वयं बॉब को गिरफ्तार क्यों नहीं किया ? )
Answer:
The patrolman was Jimmy Wells himself. He was the true friend of Bob. He had recognised Bob. But being a friend Jimmy did not arrest Bob.
(गश्त वाला सिपाही जिमी वैल्स स्वयं था। वह बॉब का सच्चा मित्र था। उसने बॉब को पहचान लिया था। अतः एक मित्र के नाते जिमी ने बॉब को गिरफ्तार नहीं किया।)

Question 4.
If you had been Jimmy how would you have treated Bob ?
(यदि आप जिमी के स्थान पर होते तब बॉब के साथ कैसा व्यवहार करते ?)
Answer:
If I had been Jimmy, I would also have treated Bob in the same manner as Jimmy did. I also believe that duty is supreme.
(यदि मैं जिमी होता तब मैं भी बॉब के साथ वैसा ही व्यवहार करता जैसा जिमी ने किया। मैं भी इस बात पर विश्वास करता हूँ कि कर्त्तव्य सर्वोपरि है।)

Question 5.
Who is the reader of the note and why did he tremble a little by the time he had finished the letter ?
(पत्र को पढ़ने वाला कौन है और वह पत्र को समाप्त करते-करते क्यों काँप जाता है ?)
Answer:
Bob himself is the reader of the note. When he starts reading it, he knows nothing. But by the time he finishes it, he comes to know that he is under arrest and Jimmy has sent that man. So he trembles a little.
(बॉब स्वयं पत्र को पढ़ने वाला है। जब उसने इसे पढ़ना आरम्भ किया, तब उसे कुछ पता नहीं था। किन्तु जब उसने पत्र समाप्त किया तब उसे पता लगा कि वह गिरफ्तार हो गया है और जिमी ने ही उस आदमी को भेजा है। इसलिए वह थोड़ा-सा कॉंपा।)

Question 6.
What lesson (or moral) do you learn from this story?       [ Imp.]
(इस पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?)
Answer:
From this story we learn that we should be loyal and sincere to our duty. Friendship or worldly relations are not so important.
(इस कहानी से हम यह सीखते हैं कि हमें अपने कर्तव्य के प्रति वफादार और सच्चा होना चाहिए। मित्रता या सांसारिक सम्बन्ध इतने आवश्यक नहीं हैं।)

Question 7.
In which city is Jimmy, the policeman, employed?
(जिमी नाम का सिपाही कौन-से नगर में नौकरी करता है ?)
Answer:
Jimmy, the policeman, is employed in the city of New York.
(जिमी नाम का सिपाही न्यूयॉर्क नगर में नौकरी करता है।)

Question 8.
Put a tick (✓) mark against the most appropriate answer :
Jimmy didn’t arrest his friend Bob because :
(a) he couldn’t recognise Bob in the dark.
(b) he wanted Bob to run away.
(c) he didn’t reach the right place on time.
(d) he didn’t like to arrest his friend himself.
Answer:
Jimmy didn’t arrest his friend Bob because he didn’t like to arrest his friend himself.
(जिमी ने अपने मित्र बॉब को इस कारण गिरफ्तार नहीं किया क्योंकि वह अपने मित्र को अपने हाथों गिरफ्तार करना नहीं चाहता था।)

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UP Board Solutions for Class 11 Geography: Fundamentals of Physical Geography Chapter 10 Atmospheric Circulation and Weather Systems

UP Board Solutions for Class 11 Geography: Fundamentals of Physical Geography Chapter 10 Atmospheric Circulation and Weather Systems (वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Geography. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Geography: Fundamentals of Physical Geography Chapter 10 Atmospheric Circulation and Weather Systems (वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ)

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
प्रश्न (i) यदि धरातल पर वायुदाब 1,000 मिलीबार है तो धरातल से 1 किमी की ऊँचाई पर वायुदाब कितना होगा?
(क) 700 मिलीबार
(ख) 900 मिलीबार।
(ग) 1,100 मिलीबार ।
(घ) 1,300 मिलीबार
उत्तर-(ख) 900 मिलीबार।।

प्रश्न (ii) अन्तर उष्णकटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र प्रायः कहाँ होता है?
(क) विषुववृत्त के निकट
(ख) कर्क रेखा के निकट
(ग) मकर रेखा के निकट
(घ) आर्कटिक वृत्त के निकट
उत्तर-(क) विषुवत् वृत्त के निकट।

प्रश्न (iii) उत्तरी गोलार्द्ध में निम्न वायुदाब के चारों तरफ पवनों की दिशा क्या होगी?
(क) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के अनुरूप
(ख) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के विपरीत
(ग) समदाबे रेखाओं के समकोण पर ।
(घ) समदाब रेखाओं के समानान्तर
उत्तर-(ख) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के विपरीत।

प्रश्न (iv) वायुराशियों के निर्माण का उद्गम क्षेत्र निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(क) विषुवतीय वन ।
(ख) साइबेरिया का मैदानी भाग |
(ग) हिमालय पर्वत ।
(घ) दक्कन पठार
उत्तर-(ख) साइबेरिया का मैदानी भाग।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
प्रश्न (i) वायुदाब मापने की इकाई क्या है? मौसम मानचित्र बनाते समय किसी स्थान के वायुदाब को समुद्र तल तक क्यों घटाया जाता है?
उत्तर-वायुदाब को मापने की इकाई मिलीबार तथा पासकल है। व्यापक रूप से वायुदाब मापने के लिए किलो पासकल इकाई का प्रयोग किया जाता है जिसे hPa द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। मौसम मानचित्र बनाते समय किसी स्थान के वायुदाब को समुद्र तल तक घटाया जाता है क्योंकि समुद्र तल पर औसत वायुमण्डलीय दाब 1,013.2 मिलीबार या 1,013.2 किलो पासकल होता है। अतः वायुदाब पर ऊँचाई के प्रभाव को दूर करने के लिए और मानचित्र को तुलनात्मक बनाने के लिए वायुदाब मापने के बाद इसे समुद्र स्तर पर घटा दिया जाता है।

प्रश्न (ii) जब दाब प्रवणता बल उत्तर से दक्षिण दिशा की तरफ हो अर्थात उपोष्ण उच्च दाब से विषुवत वृत्त की ओर हो तो उत्तरी गोलार्द्ध में उष्णकटिबन्ध में पवनें उत्तरी-पूर्वी क्यों होती है?
उत्तर-जब दाब प्रवणता बल उत्तर से दक्षिण दिशा में होता है तो उत्तरी गोलार्द्ध में उष्ण कटिबन्धीयं पेवनों की दिशा कोरिओलिस बल से प्रभावित होकर उत्तरी-पूर्वी हो जाती है।

प्रश्न (iii) भूविक्षेपी पवनें क्या हैं?
उत्तर-जब समदाब रेखाएँ सीधी होती हैं तो उन पर घर्षण का प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि दाब प्रवणता बल कोरिओलिस बल से सन्तुलित हो जाता है। इसलिए पवनें समदाब रेखाओं के समानान्तर चलती हैं। अतः ऐसी क्षैतिज पवनें जो ऊपरी वायुमण्डल की समदाब रेखाओं के समानान्तर चलती हों, भूविक्षेपी (Geostrophic) पवनें कहलाती हैं (चित्र 10.1)।
UP Board Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 10 Atmospheric Circulation and Weather Systems (वायुमंडimg 1

प्रश्न (iv) समुद्र व स्थल समीर का वर्णन करें।
उत्तर-ऊष्मा के अवशोषण तथा स्थानान्तरण की प्रकृति स्थल व समुद्र में भिन्न होती है अर्थात् दिन के समय स्थल भाग समुद्र की अपेक्षा शीघ्र एवं अधिक गर्म हो जाते हैं, अतः यहाँ निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है, जबकि समुद्र अपेक्षाकृत ठण्डे रहते हैं और उन पर उच्चदाब बना रहता है। इसलिए दिन में पवनें समुद्र से स्थल की ओर प्रवाहित होती हैं। इन पवनों को स्थल समीर कहते हैं। रात के समय स्थल भाग शीघ्र ठण्डे हो जाते हैं; अतः वहाँ उच्चदाब पाया जाता है जबकि समुद्र देर से ठण्डे होने के कारण रात्रि में निम्न दाब के क्षेत्र रहते हैं। इसलिए पवनें रात्रि में स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं। इनको समुद्री समीर कहते हैं (चित्र 10.2)।
UP Board Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 10 Atmospheric Circulation and Weather Systems (वायुमंडimg 2

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
प्रश्न (1) पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले कारक बताएँ।
उत्तर-पवनों की दिशा एवं वेग को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं

1. दाब प्रवणता-किन्हीं दो स्थानों के वायुदाब का अन्तर दाब प्रवणता कहलाता है। दाब प्रवणता में अन्तर जितना अधिक होगा पवनों की गति उतनी ही अधिक होती है। सामान्यतः प्रवणता के सम्बन्ध में दो तथ्य अधिक महत्त्वपूर्ण हैं–(i) पवनें समदाब रेखाओं को काटती हुई उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर चलती हैं तथा (ii) इनकी गति दाब प्रवणता पर आधारित होती है।

2. घर्षण बल-पवनों की गति तथा दिशा पर घर्षण बल का विशेष प्रभाव होता है। घर्षण बल की उत्पत्ति तथा उसके ऊपर चलने वाली पवन के संघर्ष से होती है। घर्षण बल हवा के विपरीत दिशा में कार्य करता है। जलीय भागों पर स्थल भागों की अपेक्षा घर्षण कम होता है इसलिए पवन तीव्र गति से चलती है। जहाँ घर्षण नहीं होता है, वहाँ पवन विक्षेपण बल तथा प्रवणता बल में सन्तुलन पाया जाता है; अतः पवन की दिशा समदाब रेखा के समानान्तर होती है, किन्तु घर्षण के कारण पवन वेग कम हो जाता है तथा वह समदाब रेखाओं के समानान्तर ने चलकर कोण बनाती हुई चलती है।

3. कोरिऑलिस बल-पृथ्वी की दैनिक गति (घूर्णन) के कारण उसका वायुमण्डलीय आवरण भी घूमता है; अत: इस बल के कारण पवनें सीधी न चलकर अपने दाईं अथवा बाईं ओर मुड़ जाती हैं। अर्थात् पवनों में विक्षेप उत्पन्न हो जाते हैं। इसे विक्षेपण बल (Deflection Force) कहा जाता है। इस बल की खोज सर्वप्रथम फ्रांसीसी गणितज्ञ कोरिऑलिस ने सन् 1844 में की थी; अत: इसे कोरिऑलिस बल भी कहते हैं। बल के प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी मूल दिशा से दाहिनी तरफ तथा दक्षिण गोलार्द्ध में बाईं तरफ विक्षेपित हो जाती हैं। जब पवनों का वेग अधिक होता है तब विक्षेपण भी अधिक होता है। कोरिऑलिस बल अक्षांशों के कोण के सीधा समानुपात में बढ़ता है। यह ध्रुवों पर सर्वाधिक और विषुवत् वृत्त पर अनुपस्थित रहता है।

प्रश्न (ii) पृथ्वी पर वायुमण्डलीय सामान्य परिसंचरण का वर्णन करते हुए चित्र बनाएँ। 30°उत्तरी व दक्षिण अक्षांशों पर उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायुदाब के सम्भव कारण बताएँ
उत्तर-वायुमण्डलीय पवनों के प्रवाह प्रारूप को वायुमण्डलीय सामान्य परिसंचरण कहा जाता है। वायुमण्डलीय परिसंचरण महासागरीय जल की गति को गतिमान रखता है, जो पृथ्वी की जलवायु को भी प्रभावित करता है। पृथ्वी पर वायुमण्डलीय सामान्य परिसंचरण का क्रमिक प्रारूप चित्र 10.3 में प्रस्तुत है। पृथ्वी की सतह से ऊपर की दिशा में होने वाले परिसंचरण और इसके विपरीत दिशा में होने वाले परिसंचरण को कोष्ठ (Cell) कहते हैं। उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र में ऐसे कोष्ठ को हेडले का कोष्ठ तथा उपोष्ठ उच्च दाब कटिबन्धीय क्षेत्र में फेरल कोष्ठ एवं ध्रुवीय अक्षांशों पर ध्रुवीय कोष्ठ कहा जाता है। ये
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तीन कोष्ठ वायुमण्डलीय परिसंचरण का प्रारूप निर्धारित करते हैं जिसमें तापीय ऊर्जा का निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांओं में स्थानान्तर सामान्य परिसंचरण प्रारूप को बनाए रखता है। 30° उत्तरी व दक्षिण अक्षांशों पर उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायुदाब के दो सम्भव कारण निम्नलिखित हैं

1. उच्च तापमान व न्यून वायुदाब से अन्तर उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र पर वायु संवहन धाराओं । के रूप में ऊपर उठती है। हम जानते हैं कि विषुवत् रेखा पर घूर्णन गति तेज होती है जिसके कारण वायुराशियाँ बाहर की ओर जाती हैं। यह हवा ऊपर उठकर क्रमशः ठण्डी होती है। ऊपरी परतों में यह हवा ध्रुवों की ओर बहने से और अधिक हो जाती है और इसका घनत्व बढ़
जाता है।

2. दूसरा कारण यह है कि पृथ्वी के घूर्णन के कारण ध्रुवों की ओर जाने वाली हवा कोरिऑलिस बल के कारण पूर्व की ओर विक्षेपित होकर कर्क और मकर रेखा व 30° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य उतर जाती है और उच्च वायुदाब कटिबन्ध का निर्माण करती है। इसको उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबन्ध कहते हैं।’

प्रश्न (iii) उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति केवल समुद्रों पर ही क्यों होती है? उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात के किस भाग में मूसलाधार वर्षा होती है और उच्च वेग की पवनें चलती हैं। क्यों?
उत्तर-उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात अत्यन्त आक्रामक एवं विनाशकारी होते हैं। इनकी उत्पत्ति उष्ण कटिबन्ध के महासागरीय क्षेत्रों पर होती है। यहाँ इनकी उत्पत्ति एवं विकास के लिए निम्नलिखित अनुकूल स्थितियाँ पाई जाती हैं
1. बृहत् समुद्री सतह, जहाँ तापमान 27° सेल्सियस से अधिक रहता है।
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2. इस क्षेत्र में कोरिऑलिस बल प्रभावी रहता है जो उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति में सहायक है।
3. इन क्षेत्रों में ऊर्ध्वाधर पवनों की गति में अन्तर कम रहता है।
4. यहाँ वायुदाब निम्न होता है जो चक्रवातीय परिसंचरण में सहायक है।
5. समुद्र तल तन्त्र पर ऊपरी अपसरण का होना।

उच्च वेग वाली और मूसलाधार वर्षा उष्णकटिबन्धीय चक्रवातों के केन्द्रीय भाग में होती है। क्योंकि यहाँ केन्द्रीय (अक्षु) भाग इस चक्रवात का शान्तक्षेत्र होता है, जहाँ पवनों का अवतलन होता है। चक्रवात अक्षु के चारों तरफ अक्षुभित्ति होती है जहाँ वायु का प्रबल वेग में आरोहण होता है, यह वायु आरोहण क्षोभसीमा की ऊँचाई तक पहुँचकर इसी क्षेत्र में उच्च वेग वाली पवनों को उत्पन्न करता है। (चित्र 10.4)। यह पवनें समुद्रों से आर्द्रता ग्रहण करती हैं जिससे समुद्रों के तटीय भाग पर भारी वर्षा होती है। और सम्पूर्ण क्षेत्र जलप्लावित हो जाता है।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. भूपृष्ठ (पृथ्वी के गोले) पर वायुदाब की कुल पेटियों की संख्या है
(क) पाँच
(ख) सात
(ग) चार
(घ) छः
उत्तर-(ख) सात।

प्रश्न 2. भूपृष्ठ पर उच्च वायुदाब की पेटियों (मेखलाओं) की संख्या है
(क) पाँच
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) दो।
उत्तर-(ग) चार।।

प्रश्न 3. समदाब रेखाएँ हैं
(क) काल्पनिक रेखाएँ ।
(ख) वास्तविक रेखाएँ
(ग) (क) और (ख) दोनों ।
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(क) काल्पनिक रेखाएँ।

प्रश्न 4. तापमान के अधिक होने पर वायुदाब
(क) अधिक होता है।
(ख) कम होता है।
(ग) मध्यम होता
(घ) अपरिवर्तनीय होता है।
उत्तर-(ख) कम होता है।

प्रश्न 5. तापीय चक्रवात को सूर्यातप चक्रवात का नाम देने वाले विद्वान हैं
(क) ल्यूक हावर्ड
(ख) बाइज बैलट
(ग) हम्फ्रीज
(घ) जर्कनीज
उत्तर-(ग) हम्फ्रीज।।

प्रश्न 6. जब पवनें वायु के निम्न दाब के कारण भंवर केन्द्र की ओर वेगपूर्वक दौड़ती हैं तो वायु का यह भंवर कहलाता है
(क) चक्रवात
(ख) प्रति-चक्रवात
(ग) शीतोष्ण चक्रवात
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(क) चक्रवात।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. वायुदाब का क्या अर्थ हैं?
उत्तर-वायुमण्डल की ऊँचाई धरातल से हजारों किलोमीटर तक है। इतनी अधिक ऊँचाई तक फैली वायुमण्डल की गैसें एवं जलवाष्प धरातल पर भिन्न-भिन्न मात्रा में दबाव डालती हैं, इसी दबाव को वायुदाब कहते हैं।

प्रश्न 2. वायुदाब विभिन्नता के मुख्य कारण बतलाइए।
उत्तर-धरातल पर वायुदाब सभी जगह समान नहीं होता। वायुदाब की भिन्नता का मुख्य कारण तापमान, ऊँचाई तथा जलवाष्प की भिन्नता एवं पृथ्वी की घूर्णन गति है।

प्रश्न 3. डोलडम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-डोलड्रम विषुवतीय निम्न वायुदाब पेटी है जो भूमध्य रेखा के दोनों ओर 5° अक्षांशों में मध्य स्थित है। इस पेटी में वायु शान्त रहती है।

प्रश्न 4. अश्व अक्षांश की स्थिति बतलाइए।
उत्तर-उच्च वायुभार अथवा अश्व अक्षांश पेटी दोनो गोलार्द्ध में 30°से 35° अक्षांशों के मध्य स्थित है।

प्रश्न 5. चक्रवात में पवनों की दिशा किस ओर होती है?
उत्तर-चक्रवात अण्डाकार समदाब रेखाओं का घेरा है जिसमें पवनें बाहर से केन्द्र की ओर तेजी से चलती हैं। इसमें पवनों की दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों के प्रतिकूल तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अनुकूल होती है।

प्रश्न 6. तापीय चक्रवात उत्पन्न होने का क्या कारण है?
उत्तर-तापीय चक्रवात की उत्पत्ति महासागरों में तापमान एवं वायुदाब की भिन्नता एवं असमानता के कारण होती है। ये चक्रवात उत्तरी गोलार्द्ध में आइसलैण्ड एवं ग्रीनलैण्ड तथा एल्यूशियन द्वीपों के निकट उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 7. टाइफून क्या हैं? ये कहाँ पाए जाते हैं?
उत्तर-फिलीपीन्स, जापान तथा चीन सागर में चलने वाले चक्रगामी चक्रवातों को टाइफून कहते हैं। इसमें तीव्र पवनें चलती हैं और तेज वर्षा होती है। प्रश्न 8. हरिकेन का क्या अर्थ है? उत्तर–कैरेबियन सागर तथा मैक्सिको के तट पर चलने वाले भयंकर चक्रवात जिनकी गति 120 किमी प्रति घण्टा से भी अधिक होती है, हरिकेन कहलाते हैं।

प्रश्न 9. व्यापारिक पवनें क्या हैं?
उत्तर-उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबन्धों से विषुवतीय निम्न दाब कटिबन्ध की ओर दोनों गोलार्द्ध में निरन्तर चलने वाली पवनों को व्यापारिक पवन कहते हैं।

प्रश्न 10. मिस्ट्रल तथा फोहन क्या हैं? इनकी स्थिति बताइए।
उत्तर-मिस्ट्रल-ये तीव्र गति की शुष्क गर्म पवनें हैं जो आल्पस पर्वतीय पर्वतीय क्षेत्रों में चलती हैं। इसके प्रभाव से यूरोप में अंगूर शीघ्र पक जाते हैं। फोहन-ये ठण्डी एवं शुष्क पवनें हैं जो शीत ऋतु में फ्रांस में भूमध्यसागरीय तट पर चलती हैं। ये पवनें तापमान को हिमांक से नीचे गिरा देती हैं।

प्रश्न 11. वायुराशि क्या है? ।
उत्तर-वायुमण्डल का वह विस्तृत भाग जिसमें तापमान एवं आर्द्रता के भौतिक लक्षण क्षैतिज दिशा में समरूप हों वायुराशि कहलाती है। एक वायुराशि कई परतों का समूह होती है जो क्षैतिज दिशा में एक-दूसरे के ऊपर फैली होती है। इन परतों में तापमान एवं आर्द्रता की दशाएँ लगभग समान होती हैं।

प्रश्न 12. दाब प्रवणता क्या है?
उत्तर-दो स्थानों के बीच वायुदाब परिवर्तन की दर को दाब प्रवणता कहते हैं। दाब प्रवणता सदैव उच्चदाब की ओर परिवर्तित होती है। इसीलिए जिस स्थान पर समदाब रेखाएँ अधिक पास-पास होती हैं वहाँ दाब-प्रवणता अधिक होती है।

प्रश्न 13. तृतीय समूह की पवनों के नाम बताइए।
उत्तर-तृतीय समूह की पवनों को स्थानीय पवन भी कहते हैं। लू, फोहन, चिनुक, मिस्ट्रल तथा हरमटन तृतीय समूह की प्रमुख पवनें हैं।

प्रश्न 14. तीन प्रकार की स्थायी पवनों के नाम लिखिए।
उत्तर-तीन प्रकार की स्थायी पवनों के नाम निम्नलिखित हैं

  1. व्यापारिक पवन,
  2. पछुआ पवन तथा
  3. ध्रुवीय पवन।

प्रश्न 15. वायुदाब पेटियों के नाम लिखिए।
उत्तर-वायुदाब की पेटियों के नाम निम्नलिखित हैं 1. विषुवत्रेखीय निम्नदाब पेटी, 2. उपोष्ण उच्च दाब पेटी (उत्तरी गोलार्द्ध), 3. उपोष्ण उच्च दाब पेटी (दक्षिणी गोलार्द्ध), 4. ध्रुवीय निम्न दाब पेटी (उत्तरी गोलार्द्ध), 5. ध्रुवीय निम्न दाब पेटी (दक्षिणी गोलार्द्ध), 6. ध्रुवीय वायुदाब पेटी।।

प्रश्न 16. मिलीबार क्या है तथा वायुदाब किस यन्त्र द्वारा मापा जाता है?
उत्तर-वायुदाब मापने की इकाई को मिलीबार कहते हैं। एक मिलीबार एक वर्ग सेमी पर एक ग्राम भार के बल के बराबर होता है। वायुदाब बैरोमीटर द्वारा मापा जाता है।

प्रश्न 17. कोरिऑलिस बल क्या है? इसके खोजकर्ता का नाम बताइए।
उत्तर-पृथ्वी के घूर्णन के कारण पवनें अपनी मूल दिशा से विक्षेपित हो जाती हैं। इसे कोरिऑलिस बल कहा जाता है। इस तथ्य की खोज सर्वप्रथम फ्रांसीसी वैज्ञानिक कोरिऑलिस द्वारा की गई थी। अत: उन्हीं के नाम पर इसका यह नाम पड़ा है।

प्रश्न 18. विषुवत वृत्त के निकट उष्णकटिबन्धीय चक्रवात क्यों नहीं बनते है।
उत्तर-विषुवत् वृत्त पर कोरिऑलिस बल शून्य होता है और पवनें समदाब रेखाओं के समकोण पर बहती है। अत: निम्न दाब क्षेत्र और अधिक गहन होने के बजाय पूरित हो जाता है। यही कारण है कि विषुवत् वृत्त के निकट उष्णकटिबन्धीय चक्रवात नहीं बनते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. चक्रवात से आप क्या समझते हैं? इनसे सम्बन्धित मौसम का वर्णन कीजिए।
उत्तर-चक्रवात उन चक्करदार अथवा अण्डाकार पवनों को कहते हैं जिनके मध्य में निम्न वायुदाब तथा बाहर की ओर क्रमशः उच्च वायुदाब पाया जाता है। जब ये निम्न वायुदाब के भंवर भयंकर झंझावातों का रूप धारण कर लेते हैं तो उन्हें चक्रवात (Cyclone) कहते हैं (चित्र 10.5)। सामान्यतया इनका व्यास 320 किमी से 480 किमी तक होता है। कुछ बड़े चक्रवातों का व्यास कई हजार किमी तक पाया गया है। पी० लेक के अनुसार, “अण्डाकार समदाब रेखा से घिरे हुए निम्न वायु-भार क्षेत्र को चक्रवात कहते हैं।”
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मौसम-इन चक्रवातों के आगमन से पूर्व मौसम उष्ण एवं शान्त होने लगता है। आकाश में धीरे-धीरे श्वेत बादल छाने लगते हैं। चक्रवात के प्रवेश करते समय बादलों का रंग परिवर्तित हो जाता है। इनके आते ही ठण्डी वायु वायुभार चलने लगती है तथा आकाश में घने काले बादल छा जाते हैं एवं मिलीबार तूफान आ जाते हैं। बादलों की गर्जना तथा वायु की चमक के साथ घनघोर वर्षा होती है। जैसे-जैसे चक्रवाते आगे की ओर बढ़ता जाता है वैसे-वैसे मौसम स्वच्छ और शान्त होता जाता है।

प्रश्न 2. फैरल अथवा बाइज बैलेट के नियम को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-फैरल का नियम-पवन संचरण के इस नियम का प्रतिपादन अमेरिकी जलवायुवेत्ता फैरल ने किया था। उनके अनुसार, “पृथ्वी पर प्रत्येक स्वतन्त्र पिण्ड अथवा तरल पदार्थ, जो गतिमान है, पृथ्वी की परिभ्रमण गति के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में अपने दाईं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपने बाईं ओर मुंडू जाता है।” इसी नियम के अनुसार ही सनातनी पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों के अनुकूल तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों के प्रतिकूल चलती हैं।

बाइज बैलेट का नियम-उन्नीसवीं शताब्दी में हॉलैण्ड के जलवायु वैज्ञानिक बाइज बैलेट ने पवन संचरण के सम्बन्ध में एक नवीन सिद्धान्त का प्रतिपादन किया था। उन्हीं के नाम पर इसे बाइज बैलेट का नियम कहते हैं। उनके अनुसार, “यदि हम उत्तरी गोलार्द्ध में चलती हुई वायु की ओर पीठ करके खड़े हो जाएँ तो हमारे बाईं ओर निम्न वायुभार तथा दाईं ओर उच्च वायुभार होगा। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में दाईं ओर निम्न वायुभार तथा बाईं ओर उच्च वायुभार होगा।” यही कारण है कि सनातनी पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में उच्चदाब के चारों ओर घड़ी की सुइयों के अनुकूल और न्यूनदाब के चारों ओर घड़ी की सुइयों के प्रतिकूल चला करती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में पवनों की दिशा ठीक इसके विपरीत होती है।

प्रश्न 3. वायुदाब पेटियों का स्थायी पवनों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-पृथ्वी पर वायुदाब पेटियों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि वायुदाब सभी स्थानों एवं प्रदेशों में समान नहीं होता है। वायुदाब की इस असमानता को दूर करने के लिए वायु में गति उत्पन्न होती है अर्थात् वायुदाबे की भिन्नता के कारण वायुमण्डल की गैसें पवनों के रूप में बहने लगती हैं। वायु सदैव उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर चलती है तथा उसका प्रवाह क्षेत्र बढ़ जाता है। इस प्रकार पृथ्वी तल के समानान्तर किसी दिशा में चलने वाली वायु को पवन (Wind) कहते हैं। वायुदाब पेटियों तथा स्थायी या सनातनी पवनों में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। धरातल पर वायु की गति के कारण ही वायुदाब में भी भिन्नता उत्पन्न हो जाती है। वायुदाब पेटियों के कारण ही स्थायी पवने वर्षभर उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर चलती हैं।

प्रश्न 4. समदाब रेखाएँ क्या होती हैं? विभिन्न वायुदाब परिस्थितियों में समदाब रेखाओं की आकृति को चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर-समदाब रेखाएँ वे रेखाएँ हैं जो समुद्र तल से एकसमान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाती हैं। वायुदाब के क्षैतिज वितरण का अध्ययन समान अन्तराल पर खींची गई इन्हीं समदाब रेखाओं द्वारा दिखाया जाता है। मानचित्र पर प्रदर्शित करते समय विभिन्न स्थानों का जो वायुदाब मापा जाता है।
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उसे समुद्र तल के स्तर पर घटाकर दिखाया जाता है। इससे दाब पर ऊँचाई का प्रभाव समाप्त हो जाता है तथा तुलनात्मक अध्ययन सरलता से किया जाता है चित्र 10.6 में वायुदाब परिस्थितियों में समदाब रेखाओं की आकृति को प्रदर्शित किया गया है। चित्र में निम्न दाब प्रणाली एक : या अधिक समदाब रेखाओं से घिरी है। चित्र 10.6 : उत्तरी गोलार्द्ध में समदाब रेखाएँ तथा पवन तन्त्र जिनके केन्द्र में निम्न वायुदाब है। उच्च दाब प्रणाली में भी एक या अधिक समदाब रेखाएँ होती हैं जिनके केन्द्र में उच्चतम वायुदाब है।

प्रश्न 5. शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों का प्रभाव क्षेत्र बताइए।
उत्तर-शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों से प्रभावित क्षेत्र उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में इनका प्रभावित क्षेत्र प्रशान्त महासागर का पश्चिमी तथा पूर्वी क्षेत्र, अटलाण्टिक महासागर का मध्य क्षेत्र एवं

भूमध्य व कैस्पियन सागर का ऊपरी क्षेत्र है। प्रशान्त महासागर में इनके द्वारा अलास्का, साइबेरिया, चीन तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया में फिलीपीन्स में शीतकाल में प्रबल चक्रवात चलते हैं तथा भारी हानि पहुँचाते हैं। मध्य अटलाण्टिक क्षेत्र में शीतकाल में यह मैक्सिको की खाड़ी के निकट स्थित रहते हैं। भूमध्य व कैस्पियन सागर क्षेत्र में शीतोष्ण चक्रवात यूरोपीय देशों तथा तुर्की, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा भारत तक अपना प्रभाव रखते हैं।

दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म व शीत दोनों ऋतुओं में चक्रवातों की उत्पत्ति होती है। यहाँ 60° अक्षांश के समीप सबसे अधिक संख्या में चक्रवात में चक्रवात उत्पन्न होते हैं। यहाँ अण्टार्कटिक महाद्वीप पर वर्षभर अति शीतल एवं स्थायी वायुराशियों का उत्पत्ति क्षेत्र होने के कारण चक्रवात बड़े प्रबल और विनाशकारी होते हैं। इनका प्रभाव दक्षिणी महाद्वीपों के दक्षिणी तटीय भागों पर अधिक पड़ता है। शीत ऋतु में इनका प्रभाव अत्यन्त तीव्र होता है।

प्रश्न 6. वाताग्र क्या है? इनके विभिन्न प्रकार बताइए।
उत्तर-जब दो विभिन्न प्रकार की वायुराशियाँ परस्पर मिलती हैं तो उनके मध्य सीमा क्षेत्र को वाताग्र कहते हैं। वाताग्र मध्य अक्षांशों में ही बनते हैं। तीव्र वायुदाब व तापमान प्रवणता इनकी विशेषता होती है। इनके कारण वायु ऊपर उठकर बादल बनाती है तथा वर्षा करती है। वाताग्र निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं
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1. अचर वाताग्र-जब वाताग्र स्थिर हो अर्थात् ऐसे वाताग्र जब कोई भी वायु । ऊपर नहीं उठती तो उसे अचर वाताग्र कहते हैं।

2. शीत वाताग्र-जब शीतल एवं भारी वायु आक्रामक रूप में उष्ण । वायुराशियों को ऊपर धकेलती है तो इस सम्पर्क क्षेत्र को शीत वाताग्र कहते हैं।

3. उष्ण वाताग्र-जब उष्ण वायुराशियाँ आक्रामक रूप में ठण्डी वायुराशियों के ऊपर चढ़ती हैं तो इस सम्पर्क क्षेत्र , को उष्ण वाताग्र कहते हैं।

4. अधिविष्ट वाताग्र-जब एक वायुराशि पूर्णतः धरातल के ऊपर उठ जाए तो ऐसे वाताग्र को अधिविष्ट वाताग्र कहते हैं (चित्र 10.7)।

प्रश्न 7. वायुराशियों से क्या अभिप्राय है? उद्गम क्षेत्र के आधार पर इनको वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर-जब वायुराशि लम्बे समय तक किसी समांगी क्षेत्र पर रहती है तो वह उस क्षेत्र के गुणों को धारण कर लेती हैं। अतः तापमान एवं आर्द्रता सम्बन्धी इन विशिष्ट गुणों वाली यह वायु ही वायुराशि कहलाती है। दूसरे शब्दों में, वायु का वह बृहत् भाग जिसमें तापमान एवं आर्द्रता सम्बन्धी क्षैतिज भिन्नताएँ बहुत कम हों, तो उसे वायुराशि कहते हैं।

वायुराशियाँ जिस समांग क्षेत्र में बनती हैं वह वायुराशियों का उद्गम क्षेत्र कहलाता है। इन्हीं उद्गम क्षेत्रों के आधार पर वायुराशियाँ अग्रलिखित पाँच प्रकार की होती हैं

  1. उष्णकटिबन्धीय महासागरीय वायुराशि (mT),
  2. उष्णकटिबन्धीय महाद्वीपीय वायुराशि (CT),
  3. ध्रुवीय महासागरीय वायुराशि (mP),
  4. महाद्वीपीय आर्कटिक वायुराशि (CA),
  5. ध्रुवीय महाद्वीपीय (cP)।

प्रश्न 8. कोरिऑलिस बल क्या है? पवनों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है? संक्षेप में बताइए।
उत्तर-पृथ्वी के घूर्णन के कारण ध्रुवों की ओर प्रवाहित होने वाली पवनें पूर्व की ओर विक्षेपित हो जाती हैं। इस तथ्य की खोज सर्वप्रथम फ्रांसीसी गणितज्ञ कोरिऑलिस ने की थी; अतः उन्हीं के नाम पर यह कोरिऑलिस बल कहलाता है।

इस बल के प्रभाव से उत्तरी गोलार्द्ध की पवन अपनी दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपनी बाई ओर विक्षेपित हो जाती है। वास्तव में पवनों में यह विक्षेप पृथ्वी के घूर्णन के कारण होता है। कोरिऑलिस बल दाब प्रवणता के समकोण पर कार्य करता है। दाब प्रवणता बल समदाब रेखाओं के समकोण पर होता है। अतः दाब प्रवणता जितनी अधिक होती है पवनों का वेग उतना ही अधिक होगा और पवनों की दिशा उतनी ही अधिक विक्षेपित होगी। अतः यह बल पवनों की दिशा को प्रभावित करता

प्रश्न 9. घाटी समीर एवं पर्वत समीर में अन्तर बताइए।
उत्तर-घाटी समीर-दिन के समय सूर्याभिमुखी पर्वतों के ढाल घाटी तल की अपेक्षा अधिक गर्म हो जाते हैं। इस स्थिति में वायु घाटी तल की अपेक्षा अधिक गर्म हो जाती है। इस स्थिति में वायु घाटी तल से पर्वतीय ढाल की ओर प्रवाहित होने लगती है। इसलिए इसे घाटी समीर या दैनिक समीर कहते हैं।

पर्वत समीर-सूर्यास्त के पश्चात् पर्वतीय ढाल पर भौमिक विकिरण ऊष्मा तेजी से होता है। इस कारण ढाल की ऊँचाई से ठण्डी और घनी हवा नीचे घाटी की ओर उतरने लगती है। यह प्रक्रिया चूँकि रात्रि में होती है अतः पवनों की इस व्यवस्था को पर्वत समीर या रात्रि समीर कहते हैं।

प्रश्न 10. वायुराशि तथा पवन या वायु में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-वायुराशि एवं वायु में अन्तर
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. वायुमण्डलीय दाब को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिए तथा पृथ्वीतल पर वायुदाब पेटियों का विवरण दीजिए।
या संसार की वायुदाब पेटियों का सचित्र विवरण दीजिए।
या पृथ्वी पर वायुदाब पेटियों की उत्पत्ति एवं वितरण की विवेचना कीजिए।
उत्तर- वायुमण्डलीय दाब को प्रभावित करने वाले कारक
वायुमण्डलीय दाब को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं

1. तापक्रम (Temperature)-तापक्रम एवं वायुदाब घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं। ताप बढ़ने के साथ-साथ वायु गर्म होकर फैलती है तथा भार में हल्की होकर ऊपर उठती है। वायु के ऊपर उठने के कारण उस स्थान का वायुदाब कम हो जाता है। तापक्रम कम होने पर इसके विपरीत स्थिति होती है; अतः स्पष्ट है कि गर्म वायु हल्की तथा विरल होती है, जबकि ठण्डी वायु भारी तथा सघन होती है। यदि तापमान हिमांक बिन्दु के समीप हो तो यह वायुमण्डल की उच्च वायुभार पेटी को प्रदर्शित करता है। उच्च अक्षांशों पर अर्थात् ध्रुवीय प्रदेशों में सदैव उच्च वायुभार रहता है, क्योंकि ताप की कमी के कारण सदैव हिम जमी रहती है। इसके अतिरिक्त हिम द्वारा सूर्यातप का 85 प्रतिशत भाग परावर्तित कर दिया जाता है।

2. आर्द्रता (Humidity)-आर्द्रता का वायुदाब पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। वायु में जितनी अधिक आर्द्रता होगी, वायु उतनी ही हल्की होगी। इसीलिए यदि किसी स्थान पर आर्द्रता अधिक है। तो उस स्थान पर वायुदाब में कमी आ जाएगी। शुष्क वायु भारी होती है। वर्षा ऋतु में वायु में जलवाष्प अधिक मिले रहने के कारण वायुदाब कम रहता है। अत: मौसम परिवर्तन के साथ-साथ वायु में आर्द्रता की मात्रा घटती-बढ़ती रहती है तथा वायुदाब भी बदलता रहता है। सागरों के ऊपर वाली वायु में जलवाष्प अधिक मिले होने के कारण यह स्थलीय वायु की अपेक्षा हल्की होती है।

3. ऊँचाई (Altitude)-ऊँचाई में वृद्धि के साथ-साथ वायुदाब में कमी तथा ऊँचाई कम होने के साथ-साथ वायुदाब में वृद्धि होती जाती है। वायुमण्डल की सबसे निचली परत में वायुदाब अधिक पाया जाता है। इसी कारण वायुदाब समुद्र-तल पर सबसे अधिक मिलता है। धरातल के समीप वाली वायु में जलवाष्प, धूल-कण तथा विभिन्न गैसों की उपस्थिति से वायुदाब अधिक रहती है। लगभग 900 फीट की ऊँचाई पर वायुदाब 1 इंच यो 34 मिलीबार कम हो जाता है। अधिक ऊँचाई पर वायुमण्डलीय दाब में कमी आती है, क्योंकि वायु की परतें हल्की तथा विरल होती हैं। यही
कारण है कि अधिक ऊँचाई पर वायुयान एवं रॉकेट आदि आसानी से चक्कर काटते रहते हैं।

4. पृथ्वी की दैनिक गति (Rotation of the Earth)-पृथ्वी की दैनिक गति भी वायुदाब को प्रभावित करती है। इस गति के कारण आकर्षण शक्ति का जन्म होता है। यही कारण है कि विषुवत् रेखा से उठी हुई गर्म पवनें ऊपर उठती हैं तथा ठण्डी होकर पुनः मध्य अक्षांशों अर्थात् 40° से 45° अक्षांशों पर उतर जाती हैं। यही क्रम ध्रुवीय पवनों में भी देखने को मिलता है। इस प्रकार इन अक्षांशों पर वायुमण्डलीय दाब अत्यधिक बढ़ जाता है। इसके विपरीत विषुवत रेखा पर वायु का दबाव कम रहता है।

5. दैनिक परिवर्तन की गति (Rotation of Diurmal Change)-दैनिक परिवर्तन की गति द्वारा दिन एवं रात के समय वायुमण्डलीय दाब में परिवर्तन होते हैं। दिन के समय स्थलखण्डों एवं । समुद्री भागों के वायुदाब में भिन्नता पायी जाती है, जबकि रात के समय समुद्री भागों पर वायुदाब में कम परिवर्तन होता है। विषुवत्रेखीय भागों में यह परिवर्तन अधिक पाया जाता है। ध्रुवों की ओर बढ़ने पर इस परिवर्तन में कमी आती जाती है। धरातल दिन के समय ताप का अधिग्रहण करता है तथा उसी ताप को पृथ्वी रात्रि के समय उत्सर्जन करती है। इस प्रकार तापमान घटने-बढ़ने से वायुमण्डलीय दाब में भी परिवर्तन होता रहता है।

पृथ्वीतल पर वायुदाब पेटियाँ

वायुमण्डल में वायुदाब असमान रूप से वितरित है। वायुदाब का अध्ययन समदाब रेखाओं (Isobars) की सहायता से किया जाता है। वायुदाब का वितरण निम्नलिखित दो रूपों में पाया जाता है
1. उच्च वायुदाब (High Pressure) तथा
2. निम्न वायुदाब (Low Pressure)।

पृथ्वी पर उच्च एवं निम्न वायुदाब क्षेत्र एक निश्चित क्रम में वितरित मिलते हैं। यदि ग्लोब पर . स्थल-ही-स्थल हो या फिर जल-ही-जल हो तो वायुदाब पेटियाँ एक निश्चित क्रम से वितरित मिल

सकती हैं। जल एवं स्थल की विभिन्नता महाद्वीपों एवं महासागरों के तापमान में विभिन्नता उपस्थित । करती है। फलस्वरूप धरातल पर विषुवत् रेखा से लेकर ध्रुव प्रदेशों तक वायुदाब का वितरण असमान एवं अनियमित पाया जाता है। पृथ्वी पर वायुदाब की सात पेटियाँ पायी जाती हैं। उत्पत्ति के आधार पर इन पेटियों को निम्नलिखित दो समूहों में रखा जा सकता है|

(i) तापजन्य वायुदाब पेटियाँ (Thermal Pressure Belts)-इन वायुदाब पेटियों पर ताप का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। इन पेटियों में विषुवतरेखीय निम्न वायुदाब तथा ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटियों को सम्मिलित किया जाता है।

(ii) गतिक वायुदाब पेटियाँ (Dynamic Pressure Belts)-इन वायुदाब पेटियों पर पृथ्वी की परिभ्रमण गति का प्रभाव पड़ता है। इन पेटियों में उपोष्ण उच्च वायुदाब तथा उपध्रुवीय निम्न वायुदाब को सम्मिलित किया जाता है।

वायुदाब पेटियाँ

1. विषुवतरेखीय निम्न वायुदाब पैटी (Equatorial Low Pressure Belt)-इस पेटी का विस्तार विषुवत् रेखा के दोनों ओर 5° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य है। सूर्य की उत्तरायण एवं दक्षिणायण स्थितियों के कारण ऋतुओं के अनुसार इस पेटी का स्थानान्तरण उत्तर-दक्षिण होता रहता है। स्थल की अधिकता के कारण अधिक तापमान की भाँति इस पेटी का विस्तार भी उत्तरी गोलार्द्ध की ओर अधिक है। इस पेटी में वर्ष-भर सूर्य की, किरणें सीधी चमकती हैं तथा दिन एवं रात । बराबर होते हैं। अतः सूर्यातप की अधिकता के कारण दिन के समय धरातल अत्यधिक गर्म हो जाता है, जिससे उसके सम्पर्क में आने वाली वायु भी गर्म हो जाती है। गर्म होकर वायु हल्की होती है। जिससे उसका फैलाव होता है तथा वह ऊपर उठ जाती है। इसी कारण वायु में संवहन धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं। ताप की अधिकता के कारण यहाँ पर निम्न वायुदाब सदैव बना रहता है। वायुमण्डल में अधिक आर्द्रता निम्न वायुदाब के कारण होती हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 10 Atmospheric Circulation and Weather Systems (वायुमंडimg 9
इस प्रकार यह पेटी प्रत्यक्ष रूप में ताप से सम्बन्धित है। इस पेटी के दोनों ओर स्थित उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटियों से विषुवत रेखा की ओर व्यापारिक पवनें चलती हैं तथा धरातलीय वायु में गति कम होने के कारण ये शान्त तथा अनिश्चित दिशा में | प्रवाहित होती हैं। इसी कारण इसे पेटी को ‘डोलड्रम’ अथवा ‘शान्त पवन की पेटी’ भी कहते हैं। सूर्य की उत्तरायण स्थिति में यह पेटी उत्तर की ओर खिसक जाती है तथा दक्षिणायण होने पर दक्षिण की ओर खिसक आती है।

2. उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायुदाब पेटी (Sub-tropical High Pressure Belt)-विषुव॑त् रेखा के दोनों ओर दोनों गोलार्डों में 30° से 35° अक्षांशों के मध्य यह पेटी विकसित है। वर्ष में शीतकाल के दो माह छोड़कर इस पेटी में तापमान लगभग उच्च रहता है। ग्रीष्मकाल में इस पेटी में उच्चतम तापमान अंकित किया जाता है, परन्तु फिर भी वायुदाब उच्च रहता है, क्योकि इस वायुदाब पेटी की उत्पत्ति पृथ्वी के परिभ्रमण के कारण होती है। उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी तथा विषुवत्रेखीय निम्न वायुदाब पेटी के ऊपर से आने वाली वायुराशियाँ इसी पेटी में नीचे उतरती हैं। धरातल पर नीचे उतरने के कारण तथा दबाव के फलस्वरूप इन वायुराशियों के तापमान में वृद्धि । हो जाती है। इस प्रकार इस पेटी को उच्च वायुदाब ताप से सम्बन्धित न होकर पृथ्वी की परिभ्रमण गति तथा वायु के अवतलन से सम्बन्धित है। इसीलिए इस पेटी में उच्च वायुदाब तथा स्वच्छ आकाश मिलता है।

पृथ्वी की दैनिक गति के कारण ध्रुवों के समीप की वायु कर्क तथा मकर रेखाओं तक प्रवाहित होकर एकत्रित हो जाती है, जिससे इस पेटी के वायुदाब में वृद्धि हो जाती है। वायुदाब की इस पेटी को ‘अश्व अक्षांश’ (Horse Latitudes) के नाम से पुकारते हैं। इन वायुदाब पेटियों के मध्य वायु शान्त रहती है, जिससे इन अक्षांशों में वायुमण्डल भी शान्त हो जाता है। धरातल पर वायु बहुत ही मन्द-मन्द प्रवाहित होती है जो अनियमित होती है।

3. उपधृवीय निम्न वायुदाब पेटी (Sub-polar Low Pressure Belt)-उत्तरी एवं दक्षिणी गोलाद्ध में इस पेटी का विस्तार 60° से 65° अक्षांशों के मध्य पाया जाता है। इस पेटी में निम्न वायुदाब ‘ मिलता है। इनका विस्तार उत्तर तथा दक्षिण में क्रमशः आर्कटिक तथा अण्टार्कटिक वृत्तों के समीप है। उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी में अनेक केन्द्र पाये जाते हैं, जिसके निम्नलिखित कारण हैं—

(i) इन पेटियों के दोनों ओर उच्च वायुदाब पेटियाँ स्थित हैं। ये पेटियाँ ध्रुवीय भागों में अधिक शीत के कारण तथा मध्य अक्षांशों में पृथ्वी की परिभ्रमण गति के कारण विकसित हुई हैं।

(ii) इन पेटियों के सागरतटीय भागों में गैर्म जलधाराएँ प्रवाहित होती हैं जिनसे तापक्रम में अचानक वृद्धि हो जाती है तथा वायुदाब निम्न हो जाता है।

(iii) पृथ्वी की परिभ्रमण गति के कारण उपध्रुवीय भागों में भंवरें उत्पन्न हो जाती हैं जिससे उपध्रुवीय भागों के ऊपर वायु की कमी के कारण न्यून वायुदाब उत्पन्न हो जाता है, परन्तु इस भाग में अधिक शीत पड़ने के कारण तापमान की अपेक्षा पृथ्वी की गति को प्रभाव बहुत ही कम रहता है। तापमान की कमी के कारण ध्रुवों पर उच्च वायुदाब की उत्पत्ति होती है तथा बाहर की ओर वायुदाब निम्न रहता है।

इस प्रकार इस वायुदाब पेटी का निर्माण पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण हुआ है। तापमान का बहुत ही कम प्रभाव इस निम्न वायुदाब पेटी पर पड़ता है।

4. ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी (Polar High Pressure Belt)-उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुवीय वृत्तों के समीप उच्च वायुदाब पेटी का विस्तार मिलता है। सम्पूर्ण वर्ष तापमान निम्न रहने के कारण यह प्रदेश बर्फाच्छादित रहता है। इसी कारण धरातलीय वायु भारी तथा शीतल होती है। यद्यपि इस प्रदेश में पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण वायु की धाराएँ पतली हो जाती हैं, परन्तु अधिक शीत एवं भारीपन के कारण वर्ष-भर उच्च वायुदाब बना रहता है। इस उच्च वायुदाब की उत्पत्ति में ताप को अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।

ध्रुवीय प्रदेशों के वायुदाब में प्रायः समता पायी जाती है, क्योंकि वर्ष-भर ये प्रदेश हिम से ढके रहते हैं। उच्च वायुदाब वाले इन ध्रुवीय प्रदेशों से विषुवत रेखा की ओर शीत वाताग्र चलते हैं। इन वायुराशियों को। उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी-पूर्वी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणी-पूर्वी के नाम से पुकारा जाता है। इसका प्रमुख कारण पृथ्वी की आन्तरिक गतियाँ हैं, जो इन्हें मोड़ने में सहायता करती हैं। सामान्यतया इन। वायु-राशियों को ध्रुवीय पूर्वी पवनों के नाम से पुकारा जाता है। अत: इन प्रदेशों में सदैव उच्च वायुदाब बना रहता है।

प्रश्न 2. जनवरी एवं जुलाई के आधार पर वायुदाब के क्षैतिज विश्व वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर-वायुदाब के क्षैतिज वितरण का अध्ययन समदाब रेखाओं की सहायता से किया जाता है। समदाब रेख़ाएँ समुद्रतल से समान वायुदाब को प्रदर्शित करती हैं।

वायुदाब का विश्व वितरण

जनवरी महीने का समुद्र तल से वायुदाब का विश्व वितरण चित्र 10.9 में दिखाया गया है जिससे स्पष्ट है कि विषुवत् वृत्त के निकट वायुदाब अफ्रीका महाद्वीप के मध्य में 1020 मिलीबार है, जबकि पूर्वी द्वीप समूह एवं दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के उत्तर तथा पूर्वी व पश्चिमी भाग में 1010 मिलीबार की समदाब. रेखा आवृत है। जैसे-जैसे भूमध्यरेखा से उत्तरी ध्रुवों की ओर जाते हैं, वायुदाब घटकर. 1005 मिलीबार

तक पहुँच जाता है, वायुदाब घटने का क्रम उत्तरी ध्रुवों की अपेक्षा दक्षिणी ध्रुवों पर अधिक है। यहाँ । 995 मिलीबार की समदाब रेखा दक्षिणी अमेरिका एवं आस्ट्रेलिया के दक्षिण में स्थत है।
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चित्र 10.10 में जुलाई महीने का समुद्रतल से वायुदाब का विश्व वितरण दर्शाया गया है। मानचित्र से स्पष्ट है कि जुलाई माह में विषुवत् वृत्ते पर निम्न वायुदाब की समदाब रेखाओं का मान अपेक्षाकृत जनवरी से बहुत कम तो नहीं होता, किन्तु यह कुछ उत्तर-दक्षिण अवश्य खिसक जाता है।
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अतः सामान्यतः यह कहा जा सकता है कि भूमध्यरेखा पर वायुदाब कम होता है जिसे भूमध्यरेखीय न्यून अवदाब कहते हैं। 30° उत्तर एवं दक्षिण अक्षांशों पर उच्चदाब क्षेत्र पाए जाते हैं जिन्हें उपोष्ण उच्च दाब क्षेत्र कहा जाता है। पुनः ध्रुवों की ओर 60° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों पर निम्न दाब पेटियाँ हैं जिन्हें अधोध्रुवीय निम्नदाब पेटियाँ कहते हैं। ध्रुवों के निकट वायुदाब अधिक होता है क्योंकि यहाँ तापमान कम रहता है। वायुदाब की ये पेटियाँ स्थायी नहीं होतीं बल्कि इनमें ऋतुवत् परिवर्तन होता रहता है। अर्थात् उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु में ये दक्षिण की ओर तथा ग्रीष्म ऋतु में उत्तर की ओर खिसक जाती हैं। यही कारण है कि जनवरी एवं जुलाई की समदाब रेखाओं की स्थिति में अन्तर पाया जाता है।

प्रश्न 3. पवनों का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए। पृथ्वी की नियतवाही अथवा स्थायी पवनों का वर्गीकरण कीजिए तथा उनकी उत्पत्ति के कारणों को भी समझाइए।
या पृथ्वी की सनातनी हवाओं की उत्पत्ति एवं उनके वितरण का वर्णन कीजिए।
या ‘अश्व अक्षांश से आप क्या समझते हैं ?
या व्यापारिक हवाओं की दिशा एवं क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
या पृथ्वी की भूमण्डलीय पवनों का वर्णन कीजिए एवं उनकी उत्पत्ति स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-वायुदाब में भिन्नता होने पर उच्च वायुदाब से कम निम्न वायुदाब की ओर वायु का क्षैतिज प्रवाह होता है, जिसे पवन कहते हैं।

पवनों का वर्गीकरण

भूमण्डल में पवने नियतवाही तथा अनियतवाही क्रम से चलती हैं, तदनुसार इन्हें दो वर्गों में रखा जाता है-
(I) स्थायी या नियतवाही या सनातनी या ग्रहीय पवनें (Permanent or Planetary Winds) तथा
(II) अनिश्चित अथवा अस्थायी पवने (Seasonal Winds)।

स्थायी या नियतवाही या सनातनी या ग्रहीय पवनें

ग्लोब या भूमण्डल पर उच्च वायुदाब की पेटियों से निम्न वायुदाब की ओर जो पवनें चलने लगती हैं, उन्हें नियतवाही पवनें कहते हैं। ये पवनें वर्ष भर एक निश्चित दिशा एवं क्रम से प्रवाहित होती हैं। इन पवनों में अस्थायी मौसमी स्थानान्तरण होता रहता है। इनकी उत्पत्ति तापमान तथा पृथ्वी के घूर्णन एवं वायुदाब से होती है, जिसके फलस्वरूप उच्च वायुदाब सदैव निम्न वायुदाब की ओर आकर्षित होता है।

1. विषुवतरेखीय पछुवा हवाएँ तथा डोलड्रम की पेटी (Equatorial westerly and Doldrum)-विषुवत् रेखा के 5° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य निम्न वायुदाब पेटी पायी जाती है। यहाँ पर हवाएँ शान्त रहती हैं। इसीलिए इसे शान्त पेटी या डोलड्रम कहते हैं। सूर्य की उत्तरायण स्थिति में यह उत्तर की ओर अधिक खिसक जाती है तथा दक्षिणायण होने पर पुन: अपनी प्रारम्भिक अवस्था में आ जाती है। विषुवत् रेखा के सहारे इस डोलड्रम का विस्तार निम्नलिखित तीन क्षेत्रों में पाया जाता है

(i) हिन्द-प्रशान्त डोलड्रम-इसका विस्तार विषुवत्रेखीय प्रदेश के एक-तिहाई भाग पर है। “यह अफ्रीका महाद्वीप के पूर्वी भाग से 180° देशान्तर तक विस्तृत है।

(ii) विषुवतरेखीय मध्य अफ्रीका के पश्चिमी भाग-डोलड्रम की यह पेटी अफ्रीका के पश्चिमी भाग में खाड़ी से लेकर अन्ध महासागर में कनारी द्वीप के उत्तरी भाग तक विस्तृत है।

(iii) विषुवतरेखीय मध्य अमेरिका के पश्चिमी भाग-इस पेटी में दोपहर बाद संवहन धाराएँ उत्पन्न होती हैं तथा ठण्डी होकर गरज के साथ वर्षा करती हैं। यह डोलड्रम पश्चिम | से पूर्व दिशा की ओर धरातल पर चलता है।

2. व्यापारिक पवनें या सन्मार्गी पवनें (Trade Winds)-दोनों गोलार्डो में उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायुदाब क्षेत्र से विषुवत्रेखीय निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर चलने वाली पवनों को व्यापारिक पवनों के नाम से पुकारा जाता है। उत्तरी गोलार्द्ध में इनकी दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर होती है। व्यापारिक पवनें 5° से 35° अक्षांशों के मध्य चलती हैं। ये स्थायी एवं सतत पवनें हैं तथा सदैव एक निश्चित दिशा एवं क्रम,से प्रवाहित होती हैं। इसलिए इन्हें ‘सन्मार्गी पवनें’ भी कहा जाता है। प्राचीन काल में नौकाएँ एवं जलयान इन्हीं पवनों के माध्यम से आगे बढ़ते थे। यदि इन पवनों का प्रवाह रुक जाता था तो व्यापार में बाधा पड़ती थी। यही कारण है कि इन पवनों का नाम व्यापारिक पवनें रखा गया था। व्यापारिक पवनों की स्थिति स्थल भागों की अपेक्षा जल भागों में अधिक शक्तिशाली होती है। साधारणतया पवनों की गति 16 से 24 किमी प्रति घण्टा होती है।

3. अश्व अक्षांश (Horse Latitudes)-दोनों गोलार्डों में 30° से 35° अक्षांशों के मध्य इनका विस्तार है। यह पेटी उपोष्ण उच्च वायुदाब की है। यह पेटी पछुवा पवनों एवं व्यापारिक पवनों के मध्य विभाजन का कार्य करती है। विषुवत् रेखा के समीप गर्म हुई वायु व्यापारिक पवनों के विपरीत दिशा में प्रवाहित होती हुई शीतले होकर 30° से 35° अक्षांशों के समीप नीचे उतरती है। अत: इन पवनों के नीचे उतरने के कारण यहाँ उच्च वायुदाब उत्पन्न हो जाता है। इसी कारण यहाँ उपोष्ण कटिबन्धीय प्रति-चक्रवात उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे वायुमण्डल में स्थिरता आ जाती है। इस प्रकार वायु-प्रवाह शान्त हो जाता है जिससे मौसम भी शुष्क एवं मेघरहित हो जाता है।
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प्राचीन काल में स्पेन के व्यापारी अपने जलयानों पर घोड़े (Anchor) ले जाते थे, क्योंकि इनके संचालन का आधार पछुवा पवनें होती थीं, परन्तु अत्यधिक वायुदाब के कारण जलयान डूबना प्रारम्भ कर देते थे। अतः नाविक जलयानों को हल्का करने के लिए कुछ घोड़े सागर में फेंक देते थे जिससे इन्हें अश्व-अक्षांशों के नाम से पुकारा जाने लगा।

4. पछुवा पवनें (Westerly Winds)-उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी से उपध्रुवीय निम्न वायुभार पेटियों (60° से 65° अक्षांश) के मध्य चलने वाली स्थायी पवनों को ‘पछुवा पवनों के नाम से पुकारते हैं। पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में इनकी दिशा उत्तर-पूर्व की ओर होती है। ये पवनें शीत एवं शीतोष्ण कटिबन्धों में चलती हैं। शीत-प्रधान ध्रुवीय पवनों के उष्णार्द्र पछुवा पवनों के सम्पर्क में आने से वाताग्र (Front) उत्पन्न हो जाता है। इन्हें शीतोष्ण वाताग्र के नाम से जाना जाता है। चक्रवातों से इनकी दिशा में परिवर्तन हो जाता है तथा मौसम में भी परिवर्तन आ जाता है। आकाश बादलों से युक्त हो जाता है तथा वर्षा होती रहती है। उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा दक्षिणी गोलार्द्ध में पछुवा पवनों का प्रवाह तीव्र होता है, क्योंकि यहाँ पर जल की अधिकता है। यहाँ पर पछुवा पवनें गर्जन-तर्जन के साथ चलती हैं जिससे समुद्री यात्रियों ने इन्हें ‘गरजने वाला चालीसा’, ‘क्रुद्ध पचासा’ तथा ‘चीखती साठा’ आदि नामों से पुकारा है।

5. ध्रुवीय पवनें (Polar Winds)-उत्तरी ध्रुवीय प्रदेशों में 60° से 65° अक्षांशों के मध्य पूर्वी पवनें चलती हैं। ग्रीष्मकाल में इन अक्षांशों के मध्य दोनों गोलार्डो में निम्न वायुदाब मिलता है, परन्तु शीतकाल में यह समाप्त हो जाता है। ध्रुवों पर वर्ष-भर उच्च वायुदाब बना रहता है। अतः ध्रुवीय उच्च वायुदाब से उप-ध्रुवीय निम्न वायुदाब की ओर चलने वाली पवनों को ‘ध्रुवीय पवनें’ कहते हैं। इनकी दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर-पूर्व तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण-पूर्व होती है। सूर्य की उत्तरायण स्थिति में इनके प्रवाह क्षेत्र उत्तर की ओर खिसक जाते हैं तथा दक्षिणायण में स्थिति इसके विपरीत होती है। ध्रुवीय पवनें 70° से 80° अक्षांशों के मध्य ही चल पाती हैं, क्योंकि इससे । आगे उच्च वायुदाब के क्षेत्र सदैव बने रहते हैं। ध्रुवों की ओर से चलने के कारण ये पवनें-अधिक ठण्डी एवं प्रचण्ड होती हैं। जब इनका सम्पर्क शीतोष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों की पवनों से होता है तो भयंकर चक्रवातों एवं प्रति-चक्रवातों की उत्पत्ति होती है।

नियतवाही या स्थायी या सनातनी हवाओं की उत्पत्ति

सनातनी हवाओं की उत्पत्ति के नियम को ग्रहीय वायु सम्बन्धी नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार हवाएँ सदैव उच्च वायुदाब क्षेत्रों से निम्न वायुदाब क्षेत्रों की ओर प्रवाहित होती हैं। तापमान की भिन्नता इन्हें गति प्रदान करती है, क्योंकि वायु गर्म होकर हल्की होने से ऊपर उठती है तथा उसके रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए दूसरे स्थानों से भारी वायु पवनं के रूप में दौड़ने लगती है। इन हवाओं की गति एवं दिशा पर पृथ्वी की घूर्णन गति का प्रभाव पड़ता है। पवन के निश्चित दिशा की ओर बहने के महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त निम्नलिखित हैं

1. फैरल का नियम (Ferrel’s Law)-पवन-संचरण के इस नियम का प्रतिपादन अमेरिकी विद्वान् | फैरल ने किया था। फैरल के अनुसार, “पृथ्वी पर प्रत्येक स्वतन्त्र पिण्ड अथवा तरल पदार्थ, जो गतिमान है, पृथ्वी की परिभ्रमण गति के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में अपने दायीं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपने बायीं ओर मुड़ जाता है। इसी नियम के अनुसार ही सनातनी हवाएँ उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सूइयों के अनुकूल तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सूइयों के प्रतिकूल प्रवाहित होती हैं।

2. बाइज बैलट का नियम (Buys Ballot’s Law)-उन्नीसवीं शताब्दी में हॉलैण्ड के वैज्ञानिक बाइज बैलट ने पवन-संचरण के सम्बन्ध में एक नवीन सिद्धान्त का प्रतिपादन किया था। उन्हीं के नाम पर इसे बाइज बैलट का नियम कहते हैं। बाइज बैलट के अनुसार, “यदि हम उत्तरी गोलार्द्ध में चलती हुई हवा की ओर पीठ करके खड़े हों तो हमारे बायीं ओर निम्न वायुभार तथा दायीं ओर उच्च वायुभार होगा। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में दायीं ओर निम्न वायुभार तथा बायीं ओर उच्च वायुभार होगा। यही कारण है कि सनातनी हवाएँ उत्तरी गोलार्द्ध में उच्च दाब के चारों ओर घड़ी की सूइयों के अनुकूल और न्यून दाब के चारों ओर घड़ी की सूइयों के प्रतिकूल चला करती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में हवाओं की दिशा ठीक इसके विपरीत होती है।

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