UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 6 The Three Orders

UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 6 The Three Orders (तीन वर्ग)

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
संक्षेप में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
फ्रांस के प्रारम्भिक सामन्ती समाज के दो लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
फ्रांस के प्रारम्भिक सामन्ती समाज के दो लक्षण निम्नलिखित हैं

  1.  फ्रांस में सामन्तवाद था। कृषक अपने खेतों के साथ-साथ सामन्त के खेतों पर कार्य करते थे। कृषक लॉर्ड को श्रम सेवा प्रदान करते थे और बदले में वे उन्हें सैनिक सुरक्षा देते थे।
  2.  सामन्त और राजाओं के अच्छे सम्बन्ध होते थे। सामन्तों की कई श्रेणियाँ थी; जैसे-ड्यूक या अर्ल, बैरन और नाइट्स।

प्रश्न 2.
जनसंख्या के स्तर में होने वाली लम्बी अवधि के परिवर्तनों ने किस प्रकार यूरोप की अर्थव्यवस्था और समाज को प्रभावित किया?
उत्तर :
जनसंख्या में हो रही निरन्तर वृद्धि ने तत्कालीन यूरोपीय अर्थव्यवस्था को प्रत्येक दृष्टि से प्रभावित किया। यूरोप की जनसंख्या जो 1000 ई० में लगभग 420 लाख थी बढ़कर 1200 ई० में लगभग 620 लाख और 1300 ई० में 730 लाख हो गई। 13वीं सदी तक एक औसत यूरोपीय आठवीं सदी की अपेक्षा 10 वर्ष अधिक लम्बा जीवन जी सकता था। पुरुषों की तुलना में महिलाओं की जीवन अवधि छोटी होती थी। इसका कारणे आहार था। पुरुषों को महिलाओं की तुलना में अच्छा भोजन मिलता था। ग्यारहवीं सदी में जब कृषि का विस्तार हुआ और वह अधिक जनसंख्या का भार सहने में सक्षम हुई तो नगरों में भी वृद्धि होने लगी। नगरों में हाट बाजार, वाणिज्य केन्द्र विकसित हो गए। अर्थव्यवस्था ने गतिशीलता धारण कर ली। लोग आकर नगरों में रहने लगे। कालान्तर में पश्चिम एशिया के साथ व्यापारिक मार्ग स्थापित हो गए।

प्रश्न 3.
नाइट एक अलग वर्ग क्यों बने और उनका पतन कब हुआ?
उत्तर :
नवीं सदी में यूरोप में स्थानीय युद्ध प्रायः होते रहते थे। शौकिया कृषक सैनिक पर्याप्त नहीं थे। और एक कुशल घुड़सवार सेना की आवश्यकता थी। इस आवश्यकता ने ही एक अलग वर्ग ‘नाइट’ को जन्म दिया। लॉर्ड नाइट से जुड़े हुए थे। नाइट अपने लॉर्ड को एक निश्चित राशि प्रदान करता था और युद्ध में उसकी ओर से लड़ने का वचन देता था। 12वीं सदी आते-आते नाइट का पतन हो गया।

प्रश्न 4.
मध्यकालीन मठों का क्या कार्य था?
उत्तर :
मध्यकाल में चर्च के अतिरिक्त धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र मठ भी थे। मठ आबादी से दूर स्थापित थे। मठों में भिक्षु रहा करते थे। वे प्रार्थना करते, अध्ययन करते और कृषि का भी कुछ कार्य। करते रहते थे। मठों का मुख्य कार्य धार्मिक प्रचार-प्रसार करना था। मठों ने कला के विकास में भी । योगदान दिया।

संक्षेप में निबन्ध लिखिए

प्रश्न 5.
मध्यकालीन फ्रांस के नगर में एक शिल्पकार के एक दिन के जीवन की कल्पना कीजिए और इसका वर्णन करिए।
उत्तर :
अध्यापक की सहायता से छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 6.
फ्रांस के सर्फ और रोम के दास के जीवन की दशा की तुलना कीजिए।
उत्तर :
फ्रांस के सर्फ और रोम के दास के जीवन की दशा की तुलना

  1.  फ्रांस के सर्फ या कृषि दास को अपने लॉर्ड की जागीर का काम करना होता था। काम करने के दिन निश्चित होते थे। रोम का दास अधिक त्रस्त था। उससे कभी भी कोई-सा भी काम कराया जाता था।
  2. सर्फ प्राय: अपने परिवार के लॉर्ड के यहाँ कार्य करते थे। रोम के दासों के साथ ऐसा नहीं था। उन्हें अन्य स्थानों पर भी काम करना पड़ता था।
  3. सर्फ के पास गुजारे के लिए लॉर्ड का एक भूखण्ड होता था। रोम के दास के पास इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं थी।
  4.  सर्फ लॉर्ड की आज्ञा से विवाह कर सकता था किन्तु रोम के दास को विवाह की आज्ञा नहीं थी।
  5.  रोम का दास खरीदा या बेचा जा सकता था किन्तु सर्फ के साथ ऐसा नहीं किया जा सकता था।

परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मध्यकालीन यूरोप की प्रमुख विशेषता है
(क) सामन्तवाद
(ख) दास प्रथा
(ग) नगरीकरण
(घ) अन्धविश्वास
उत्तर :
(क) सामन्तवाद

प्रश्न 2.
चर्च की सर्वोच्च संता थी
(क) रोम के पोप के पास
(ख) इंग्लैण्ड के सम्राट के पास
(ग) फ्रांस के चर्च के पादरी के पास
(घ) कॉन्स्टेनटाइन के पास
उत्तर :
(क) रोम के पोप के पास

प्रश्न 3.
रोमन साम्राज्य का पतन हुआ
(क) 476 ई० में
(ख) 527 ई० में
(ग) 814 ई० में
(घ) 1453 ई० में
उत्तर :
(क) 476 ई० में

प्रश्न 4.
कजाति का सबसे शक्तिशाली राजा था
(क) जस्टीनियन
(ख) कॉन्स्टेनटाइन
(ग) शार्लमेन
(घ) मैटरनिख
उत्तर :
(ग) शार्लमेन

प्रश्न 5.
गॉथिक शैली का विकास हुआ
(क) चीन में
(ख) जापान में
(ग) इंग्लैण्ड में
(घ) फ्रांस में
उत्तर :
(घ) फ्रांस में

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सा वर्ग सर्वाधिक शक्तिशाली था
(क) ईसाई पादरी
(ख) अभिजात वर्ग
(ग) सर्फ
(घ) स्वतन्त्र किसान
उत्तर :
(ख) अभिजात वर्ग

प्रश्न 7.
पोप कहाँ रहता था?
(क) लन्दन
(ख) पेरिस
(ग) रोम
(घ) काहिरा
उत्तर :
(ग) रोम

प्रश्न 8.
भिक्षुणी को निम्नलिखित में से क्या कहते थे?
(क) नन
(ख) नर्स
(ग) श्रेणी
(घ) चॉसक
उत्तर :
(क) नन

प्रश्न 9.
मेनर का नियन्त्रण किस पर होता था?
(क) राज्य पर
(ख) नगरों पर
(ग) ग्रामों पर
(घ) ग्रामीणों पर
उत्तर :
(ग) ग्रामों पर

प्रश्न 10.
आर्थिक संस्था का आधार क्या था?
(क) श्रेणी
(ख) धन
(ग) मेनर
(घ) लॉर्ड
उत्तर :
(क) श्रेणी।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सामन्तवाद का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर :
सामन्तवाद (feudalism) जर्मन के शब्द ‘फ्यूड’ से बना है, जिसका अर्थ ‘एक भूमि का टुकड़ा है।

प्रश्न 2.
मेनर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
लॉर्ड के घर को ‘मेनर’ कहा जाता था। इसमें उनके घर, उनके निजी खेत, चरागाह और दास होते थे।

प्रश्न 3.
फिफ’ किसे कहते थे?
उत्तर :
लॉर्ड नाइट को खर्चा चलाने के लिए भूमि को एक भाग देता था जिसे ‘फिफ’ कहा जाता था। इसके बदले नाईट लॉर्ड को रक्षा का वचन देते थे।

प्रश्न 4.
टीथे (Tithe) क्या था?
उत्तर :
टीथे एक प्रकार का कर था जिसे चर्च एक वर्ष के अन्तराल में कृषक से उसकी उपज के दसवें भाग के रूप में लेता था।

प्रश्न 5.
सामन्तवाद की परिभाषा दीजिए।
उत्तर :
“सामन्तवाद एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें स्थानीय शासक उन शक्तियों का प्रयोग करते हैं, जो राजा या केन्द्रीय सत्ता को प्राप्त होती हैं।”

प्रश्न 6.
सामन्तवाद की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-

  1.  जागीर और
  2.  सम्प्रभुता।

प्रश्न 7.
मध्यकालीन सामन्तों की श्रेणियों के नामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :

  1.  लॉर्ड,
  2. ड्यूक,
  3. बैरन और
  4. नाइट

प्रश्न 8.
सामन्तवाद के दो दोषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :

  1. सामाजिक विषमता तथा
  2.  निम्न वर्ग का शोषण।

प्रश्न 9.
सामन्तवाद के पतन के दो प्रमुख कारण लिखिए।
उत्तर :

  1. राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना तथा
  2. बारूद को आविष्कार और प्रयोग।

प्रश्न 10.
मध्यकाल में चर्च की प्रभुसत्ता किसके पास थी?
उत्तर :
मध्यकाल में चर्च की प्रभुसत्ता रोम के पोप के पास थी।

प्रश्न 11.
‘धर्म सुधार आन्दोलन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
मध्यकाल में चर्च और पोप के अत्याचारों से असन्तुष्ट होकर मार्टिन लूथर तथा काल्विन जैसे धर्म-सुधारकों ने जो आन्दोलन चलाया, उसे ही ‘धर्म सुधार आन्दोलन’ कहा जाता है। इसी धर्म सुधार आन्दोलन के परिणामस्वरूप प्रोटेस्टेण्ट धर्म की नींव पड़ी थी।

प्रश्न 12.
मध्यकाल की प्रारम्भिक शताब्दियों के काल को ‘अन्धकार का युग क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
मध्यकाल की प्रारम्भिक शताब्दियों में सामन्तवाद तथा चर्च की सम्प्रभुता के कारण सभ्यता व संस्कृति के विकास की गति बहुत धीमी हो गई थी। इसीलिए इस काल को ‘अन्धकार का युग’ कहा जाता है।

प्रश्न 13.
मध्य युग में चर्च की सर्वोच्चता के क्या कारण थे?
उत्तर :
मध्य युग में यूरोप की अन्धविश्वासी व अज्ञानी जनता चर्च को सर्वोत्तम सत्ता मानकर उसकी इच्छाओं का पालन करती थी तथा पोप को ईश्वर का प्रतिनिधि मानती थी। फलस्वरूप चर्च को सर्वोच्चता प्राप्त हो गई थी।

प्रश्न 14.
मध्यकाल में धर्मयुद्ध क्यों हुए?
उत्तर :
मध्यकाल में ईसाई तथा इस्लाम धर्म के अनुयायियों के बीच सत्ता संघर्ष ने ही धर्म-युद्धों को जन्म दिया था।

प्रश्न 15.
आज के युग में सामन्तवाद को बुरा क्यों समझा जाता है?
उत्तर :
आज के युग में स्वतन्त्रता और समानता की भावना शक्तिशाली बन चुकी है और मानव द्वारा मानव का शोषण किया जाना अनुचित समझा जाता है। इसी कारण आज सामन्तवाद एक बुरा शब्द बन चुका है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यूरोप में अभिजात वर्ग की क्या दशा थी?
उत्तर :
यूरोप में अभिजात वर्ग की दशा निम्न प्रकार थी

  1. यूरोप में अभिजात वर्ग राजा के अधीन था जिसका समाज में महत्त्वपूर्ण स्थान था। वस्तुत: भूमि पर उनका ही अधिकार होता था।
  2. अभिजात वर्ग जागीरदार होता था और दास की रक्षा करता था बदले में वह उसके प्रति निष्ठावान रहता था।
  3. अभिजात वर्ग की एक विशेष स्थिति थी, उसके पास सम्पूर्ण अधिकार होते थे।
  4.  वह अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा सकता था और युद्ध के नेतृत्व का भी उसे अधिकार प्राप्त था।
  5. उसका स्वयं को न्यायालय था। वह अपनी मुद्रा भी प्रचलित कर सकता था।

प्रश्न 2.
मध्यकाल की प्रारम्भिक शताब्दियाँ पश्चिमी यूरोप में ‘अन्धकार युग क्यों कहलाती हैं?
उत्तर :
मध्यकाल की प्रारम्भिक शताब्दियों को पश्चिमी यूरोप में ‘अन्धकार युग’ कहे जाने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  1.  पोप की निरंकुशता के कारण राजनीति और धर्म के बीच संघर्ष चलता रहता था। इससे लोगों में राष्ट्रीयता की भावना के विकास में बाधा पहुँची।
  2. इस युग में अधिकांश जनसंख्या अशिक्षा व अज्ञानता के अन्धकार में डूबी हुई थी।
  3.  शासन की निरंकुशता के कारण जनता दुःखी थी।
  4.  इस युग में अराजकता व अव्यवस्था की स्थिति बनी रही।

प्रश्न 3.
यूरोप की सामन्तवादी व्यवस्था की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर :
मध्यकालीन यूरोप की प्रमुख विशेषता सामन्तवादी प्रथा थी। सामन्तवाद के अन्तर्गत राज्य की सम्पूर्ण भूमि पर राजा का अधिकार होता था। राजा राज्य की भूमि को अपने विश्वासपात्र, स्वाभिमानी और कर्तव्यनिष्ठ सामन्तों को दे देता था। ये सामन्त ड्यूक’ या ‘अर्ल’ कहलाते थे। ड्यूक अपनी भूमि का कुछ भाग ‘छोटे लॉ’ को दे देते थे। इन लॉ को ‘बैरन’ भी कहा जाता था। सामन्तवादी प्रथा में निम्नतम श्रेणी में ‘किसान’ आते थे। कृषकों के एक वर्ग को ‘सर्फ’ (कृषि दास) कहा जाता था। इस प्रकार सामन्तवाद में भूमि सम्बन्धी अधिकार वंश-परम्परा पर आधारित थे।

प्रश्न 4.
मठों में भिक्षुओं द्वारा पालन किए जाने वाले मुख्य नियम क्या थे?
उत्तर :
मठों में भिक्षुओं द्वारा पालन किए जाने वाले मुख्य नियम निम्नलिखित थे

  1.  बेनेडेक्टाइन मठों में भिक्षुओं को बोलने की आज्ञा नहीं थी, वे कुछ विशिष्ट अवसरों पर ही बोल सकते थे।
  2.  भिक्षुओं को विनम्रता का व्यवहार अपनाना आवश्यक था।
  3. कोई भिक्षु निजी सम्पत्ति नहीं रख सकता था।
  4. आलस्य आत्मा का शत्रु है। इसलिए भिक्षु और भिक्षुणियों को निश्चित समय में शारीरिक श्रम और निश्चित अवधि में पवित्र पाठ करना होता था।
  5. मठ का निर्माण इस प्रकार किया जाता था कि आवश्यकता की समस्त वस्तुएँ-जल, चक्की, उद्यान, कार्यशाला आदि उसकी सीमा के अन्दर होते थे।

प्रश्न 5.
मध्यकालीन यूरोप में पोप के विशेषाधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मध्य युग में रोम के पोप के निम्नलिखित अधिकार थे

  1. वह किसी भी ईसाई धर्म के अनुयायी राजा को आदेश दे सकता था तथा उसे धर्म से बहिष्कृत कर उसके राज्याधिकार की मान्यता को समाप्त कर सकता था।
  2.  पोप की अपनी सरकार, अपना कानून, अपने न्यायालय, अपनी पुलिस और अपनी सामाजिकता • एवं धार्मिक व्यवस्था थी।
  3. पोप रोमन कैथोलिक धर्म के अनुयायी राजाओं के आन्तरिक मामलों में भी हस्तक्षेप कर सकता था।
  4.  पोप रोमन कैथोलिक जनता से कर वसूल किया करता था और उन्हें चर्च के नियमों के अनुसार, आचरण करने का आदेश भी देता था।
  5. पोप को रोमन कैथोलिक राज्यों में चर्च के लिए उच्च पदाधिकारियों को नियुक्त और पदच्युत करने का अधिकार प्राप्त था।

प्रश्न 6.
मध्य युग में नगरों के विकास के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
मध्य युग में यूरोप के सभी देशों-रूस, फ्रांस, इटली, इंग्लैण्ड आदि में अनेक नगरों का विकास हुआ। मध्यकालीन युग में रोम, वेनिस, जेनेवा, कुस्तुनतुनिया, पेरिस, बर्लिन, म्यूनिख, मैनचेस्टर आदि नगरों का तेजी से विकास हुआ। इन नगरों का महत्त्व इस रूप में बढ़ा कि ये । प्रशासकीय दृष्टि से सत्ता के महत्त्वपूर्ण केन्द्र बन गए थे और इन नगरों का सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व था। ये कला, विज्ञान’ धर्म और शिक्षा के उत्थान के केन्द्र बन गए थे। इनमें दुर्ग, सार्वजनिक भवन, चर्च और शिक्षा संस्थान प्रमुख थे। मध्यकाल में नगरों के माध्यम से व्यापार के क्षेत्र में क्रान्तिकारी प्रगति हुई। नए-नए आवागमन के मार्ग विकसित हुए। व्यापारिक जलमार्ग भी खोजे गए तथा बन्दरगाहों की भी स्थापना की गई। नाप-तौल के नए-नए ढंग विकसित हुए। छोटे एवं बड़े उद्योगों की स्थापना हुई। व्यापार का विकास बड़ी तेजी से हुआ। व्यापार के सन्दर्भ में आर्थिक और अन्य प्रकार की सुरक्षाओं के लिए श्रमिक संघों की स्थापना की जाने लगी।

प्रश्न 7.
कैथोलिक धर्म से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
ईसाई धर्म में दो सम्प्रदाय बन गए थे। पहला सम्प्रदाय रोमन कैथोलिक और दूसरा प्रोटेस्टेण्ट कहलाया। रोमन कैथोलिक सम्प्रदाय ईसाई धर्म के सिद्धान्तों का समर्थक है। इस सम्प्रदाय के अनुयायी रोम के पोप को अपना धर्मगुरु मानते हैं और उसकी प्रत्येक आज्ञा का पालन करना अपना परम कर्तव्य समझते हैं। मध्य युग में रोमन कैथोलिक धर्म की शक्ति चरम सीमा पर पहुँच गई थी। रोमन कैथोलिक धर्म में सुधार कर प्रोटेस्टेण्ट धर्म की नींव रखी गई। प्रोटेस्टैण्ट मत को मानने वाले पोप की सत्ता को स्वीकार नहीं करते हैं। ये अपेक्षाकृत उदारवादी होते हैं।

प्रश्न 8.
यूरोप के सामन्ती समाज में किसान किन वर्गों में विभाजित थे?
उत्तर :
मध्यकाल में सामन्तवाद के अन्तर्गत किसानों के तीन वर्ग थे

  1. स्वतन्त्र किसान-इस वर्ग के किसान सामन्त से भूमि प्राप्त करते थे और बदले में उसे कर (लगान) देते थे।
  2. कृषि दास–इस वर्ग के किसानों को अपनी उपज का एक निश्चित भाग लॉर्डों को देना पड़ता था। कुछ निश्चित दिनों तक सामन्त के खेतों पर मुफ्त काम भी करना पड़ता था।
  3. दास कृषक-यह किसानों का सबसे निम्न वर्ग था। इन्हें अपने स्वामी सामन्त को अपनी उपज का एक भाग देना पड़ता था। उसके खेतों पर मुफ्त काम करना पड़ता था। बिना मजदूरी लिए उसका मकान बनाना, लकड़ी चीरना, पानी भरना आदि गृहकार्य भी करने पड़ते थे। यदि वे स्वतन्त्र होने का प्रयास करते तो उन्हें पकड़कर दण्ड दिया जाता था।

प्रश्न 9.
सामन्तवाद से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मध्यकालीन यूरोप की एक प्रमुख विशेषता सामन्तवाद थी। रोमन साम्राज्य के पतन के बाद यूरोप में उनके छोटे-छोटे राज्य बन गए, और उनकी शक्ति भी क्षीण हो गई। इन राज्यों के राजाओं ने धन के अभाव में राज्य की भूमि को अपने विश्वासपात्र, सामन्तों में बाँट दिया और युद्ध के समय उनसे सैनिक सहायता लेनी प्रारम्भ कर दी। सामन्तवाद में राज्य की सम्पूर्ण भूमि पर राजा का अधिकार होता था। राजा राज्य की भूमि को अपने विश्वासपात्र, स्वाभिमानी एवं कर्तव्यनिष्ठ सामन्तों को दे देता था। सामन्तों को राजा से जो अधिकार प्राप्त होते थे, उन्हें सामन्ती अधिकार कहा जाता था। भूमि-वितरण की यह व्यवस्था ही यूरोप में सामन्तवाद’ कहलाती थी। यूरोप की सामन्तवादी व्यवस्था, भारत की जमींदारी व्यवस्था के ही समान थी। यह प्रथा परम्परागत थी। सामन्ती प्रथा में राजा का स्थान महत्त्वपूर्ण तथा सर्वोपरि होता था। खेतिहर कृषक ‘सर्फ’ कहलाते थे। सामन्त चर्च के साथ ताल-मेल बनाकर रखते थे। ये सामन्त अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार स्थायी सेना रखते थे और राजा के दरबार में उपस्थित होकर उसे उपहार, भेट आदि दिया करते थे। ये राजा के दरबार में आकर समय-समय पर शासन सम्बन्धी विषयों पर भी परामर्श दिया करते थे।

प्रश्न 10.
सामन्तवाद के उदय के क्या कारण थे?
उत्तर :
सामन्तवादी प्रथा के उदय के लिए निम्नलिखित प्रमुख कारण उत्तरदायी थे

  1. सामन्तवाद का विकास धीरे-धीरे हुआ था।
  2. तत्कालीन परिस्थितियाँ सामन्तवाद के उदय के लिए उत्तरदायी थीं।
  3.  राज्यों में फैलने वाली अशान्ति और अव्यवस्था के कारण सामन्तवाद का उदय हुआ।
  4. सामन्तों को स्थानीय व्यवस्था एवं प्रशासन सौंपना आवश्यक बन गया।
  5. राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों ने सामन्तवाद को मुख्य रूप से जन्म दिया।
  6.  राजा सामन्तों के व्यय पर एक सुव्यवस्थित सेना रखने में समर्थ हो गए।
  7.  चर्च के प्रभाव एवं संगठन तथा सामन्तों और राजाओं के सहयोग से यूरोप में सामन्तवाद का उदय हुआ।
  8.  राज्य के संचालन एवं सुव्यवस्था के लिए भी सामन्तवाद का उदय आवश्यक हो गया था।

प्रश्न 11.
सामन्तवाद के पतन के क्या कारण थे?
उत्तर :
सामन्तवाद के पतन के कारण निम्नलिखित थे

  1.  सामन्तों का पारस्परिक संघर्ष सामन्तवाद के पतन का प्रमुख कारण था।
  2. धर्मयुद्धों के कारण पूर्व तथा पश्चिम के लोग निकट सम्पर्क में आए और व्यापार में वृद्धि होने लगी। व्यापार का विस्तार भी सामन्तवाद के पतन को लाने में सहायक सिद्ध हुआ।
  3. राजाओं की निरंकुशता में वृद्धि भी सामन्तवाद के पतन का कारण बनी।
  4. राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना ने यूरोप में सामन्तवाद का पतन सुनिश्चित कर दिया।
  5. आधुनिक हथियारों तथा बारूद के आविष्कार ने यूरोप की युद्ध-प्रणाली में परिवर्तन कर दिया। नई युद्ध-प्रणाली के प्रयोग के फलस्वरूप सामन्तवाद का पतन होने लगा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मध्यकालीन यूरोपीय समाज के प्रमुख वर्गों का विवरण दीजिए।
उत्तर :
मध्यकालीन यूरोप का समाज मध्य युग के यूरोपीय समाज में निम्नलिखित वर्ग थे

  1. राजा : सामन्तवादी समाज में राजा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। राजा राज्य की भूमि को सामन्तों में बाँट देते थे।
  2. सामन्त : राजा के बाद सामन्तों का स्थान था। इनकी निम्नलिखित श्रेणियाँ थीं
  • ड्यूक(अर्ल) :
    राजा जिन लॉड को जागीर प्रदान करता था, उन्हें ड्यूक (अर्ल) कहते थे।
  • छोटे लॉर्ड( बैरन) :
    बड़े लॉर्ड राजा से प्राप्त भूमि का वितरण छोटे लॉ अथवा बैरनों में कर देते थे। राजा से इनका प्रत्यक्ष कोई सम्बन्ध नहीं होता था। इनके अधिपति ड्यूक होते थे। आवश्यकता पड़ने पर इन्हें ड्यूकों को सैनिक सहायता देनी पड़ती थी।
  •  नाइट :
    इनके अधिपति छोटे लॉर्ड या बैरन होते थे। इन्हें भूमि बैरनों से प्राप्त होती थी तथा ड्यूक अथवा लॉों से इनका कोई सम्बन्ध नहीं था। ये बैरनों को सैन्य सहायता देते थे।
  1. किसान :
    सामन्तों के बाद किसानों का वर्ग था, जो तीन श्रेणियों में बँटा हुआ था
  • स्वतन्त्र किसान :
    स्वतन्त्र किसानों को भूमि उनके अधिपतियों से प्राप्त होती थी। उन्हें केवल कर देना पड़ता था, परन्तु अधिपति के लिए वे कोई कार्य नहीं करते थे। इसके अतिरिक्त उनसे उपज का कोई अतिरिक्त भाग भी नहीं लिया जाता था।
  •  कृषि दास :
    ये मध्यम श्रेणी के किसान होते थे। उन्हें अधिपतियों के खेतों पर कुछ दिन निःशुल्क कार्य (बेगार) भी करना पड़ता था और उपज का एक भाग भी देना पड़ता था।
  • सर्फ :
    निम्नतम श्रेणी के किसान ‘सर्फ’ कहलाते थे। इनकी दशा अत्यन्त शोचनीय थी। इन्हें अपने अधिपति के लिए बेगार करनी पड़ती थी। अधिपति अपने खेतों पर सफ की भाँति इनसे भी कुछ दिन नि:शुल्क काम करवाते थे तथा उपज का भाग भी लेते थे। मध्यकाल में अन्तिम वर्षों में मध्यम वर्ग’ नामक एक नए वर्ग का विकास हुआ। इस वर्ग के लोगों ने शिक्षा, साहित्य, व्यापार, उद्योग-धन्धों आदि के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। नगरों के विकास में भी इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। ये लोग इतने समृद्ध और सम्पन्न हो गए थे कि राजा भी इनकी आर्थिक सहायता पर निर्भर रहने लगा। इससे सामन्तों का प्रभाव क्षीण हो गया।

प्रश्न 2.
मध्य युग में सामन्तवाद के विकास और पतन का विवरण दीजिए। इसके क्या गुण एवं दोष थे?
उत्तर :
मध्यकालीन सामन्तवाद का विकास मध्यकालीन यूरोप की प्रमुख विशेषता सामन्तवाद थी। इस युग में सामन्तवाद का पर्याप्त विकास हुआ। राजाओं की दुर्बलता का लाभ उठाकर सामन्त लोग बड़े शक्तिशाली हो गए। इन सामन्तों ने, जिन्हें लॉर्ड’ कहा जाता था, दासों (सर्फ) पर अत्याचार किए और स्वयं अनेक उपाधियाँ; जैसे-‘ड्यूक’, ‘अर्ल’, बैरन’ तथा ‘नाइट’ आदि; धारण कीं। इन सामन्तों का जीवन युद्ध और विलासितापूर्ण था। रोमन साम्राज्य के पतन के बाद यूरोप में अनेक छोटे-छोटे राज्य बन गए और उनकी शक्ति भी क्षीण हो गई। इन राज्यों के राजाओं ने धन के अभाव में राज्य की भूमि को अपने विश्वासपात्र सामन्तों में बाँट दिया और युद्ध के समय उनसे सैनिक सहायता लेनी प्रारम्भ कर दी। सामन्तवाद में राज्य की सम्पूर्ण भूमि पर राजा का अधिकार होता था। राजा राज्य की भूमि को अपने विश्वासपात्र, स्वामिभक्त एवं कर्तव्यनिष्ठ सामन्तों को देता था। सामन्तों को राजा से जो अधिकार प्राप्त होते थे, उन्हें ‘सामन्ती अधिकार’ कहा जाता था। भूमि-वितरण की यह व्यवस्था ही यूरोप में सामन्तवाद कहलाती थी। यूरोप की सामन्तवादी व्यवस्था भारत की जमींदारी व्यवस्था के ही समान थी। यह प्रथा पम्परागत थी। सामन्ती प्रथा में राजा का स्थान महत्त्वपूर्ण तथा सर्वोपरि होता था। खेतिहर कृषक ‘सर्फ’ कहलाते थे। सामन्त चर्च के साथ ताल-मेल बनाकर रखते थे। ये सामन्त अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार स्थायी सेना रखते थे और राजा के दरबार में उपस्थित होकर उसे उपहार, भेट आदि दिया करते थे। ये राजा के दरबार में आकर समय-समय पर शासन सम्बन्धी विषयों पर भी परामर्श दिया करते थे।

सामन्तवाद के गुण

सामन्तवाद के निम्नलिखित प्रमुख गुण थे

  1. यूरोप में शान्ति एवं व्यवस्था बनाए रखने में सामन्तवादी प्रथा का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। सामन्त अपनी प्रजा को सन्तुष्ट रखते थे।
  2.  सामन्तों के विशेषाधिकारों ने राजाओं पर नियन्त्रण कर उनकी निरंकुशता का अन्त कर दिया।
  3.  इस व्यवस्था ने शासन, सुरक्षा तथा न्याय का एक सरलीकृत ढंग प्रस्तुत किया।
  4. सामन्तवादी व्यवस्था में लोगों को अधिकार व कर्तव्यों का बोध हुआ तथा उनमें नैतिक भावना का प्रादुर्भाव हुआ।

सामन्तवाद के दोष

सामन्तवाद में गुणों की अपेक्षा दोष अधिक थे, जो इस प्रकार हैं

  1. इस प्रथा ने यूरोप की राजनीतिक एकता का अन्त कर दिया।
  2.  सामन्तों की पारस्परिक स्पर्धा व ईष्र्या के कारण अनेक युद्ध हुए।
  3. सामन्तवाद ने यूरोप में दास-प्रथा को जन्म दिया और किसानों की दशा अत्यन्त शोचनीय कर दी।
  4. सामन्तवाद ने सामाजिक असमानताओं को जन्म दिया और यूरोप में क्रान्ति के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
  5. सामन्तों की शक्ति बढ़ जाने से उनका नैतिक स्तर गिर गया और वे विलासी और अत्याचारी । होते चले गए।
  6.  आपसी युद्धों में लगे रहने के कारण सामन्त लोग, कला, व्यापार, साहित्य तथा कृषि आदि के विकास पर पर्याप्त ध्यान न दे सके।

प्रश्न 3.
मध्य युग में राज्य और चर्च के मध्य संघर्ष के क्या कारण थे? इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर :

चर्च और राज्य के मध्य सम्बन्ध

मध्यकालीन यूरोप में चर्च व राज्य के मध्य सम्बन्धों को अग्रलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है

  1. प्रारम्भ में मधुर सम्बन्ध :
    प्रारम्भ में चर्च और राज्य के मध्य मधुर सम्बन्ध थे। दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते हुए लोकहितकारी कार्यों से ही जुड़े रहते थे। इनमें किसी प्रकार का पारस्परिक संघर्ष नहीं था।
  2. आदर्श समन्वय पर आधारित सम्बन्ध :
    प्रारम्भ में चर्च और राज्य में अटूट समन्वय था। कभी-कभी कुछ सन्दर्भो में चर्च की उच्चता और सत्ता दिखाई पड़ती थी, जबकि सामान्य रूप से राज्य सर्वोच्च शक्ति के रूप में दृष्टिगोचर होता था। पोप की आज्ञाओं और निर्देशों का पालन करने में राजा धर्मपरायण होकर गौरव का ही अनुभव करते थे। पोप भी राज्य की आज्ञाओं को मानव-समाज के हित के लिए अनिवार्य मानकर उनका सम्मान करते थे। इस अटूट समन्वय की आदर्श समानता को दृष्टिगत रखते हुए एक विद्वान् ने लिखा है कि “यूरोप में चर्च और राज्य पति-पत्नी की भाँति आदर्श दम्पती थे तथा कभी चर्च पति, राज्य पत्नी और कभी राज्य पति तो चर्च पत्नी दिखलाई पड़ता था। दोनों में चोली-दामन का सम्बन्ध था”
  3. चर्च और राज्य के वैमनस्यपूर्ण सम्बन्ध :
    बाद में चर्च और राज्य के सम्बन्ध कटु और वैमनस्यपूर्ण होते चले गए। पोप स्वयं को ईश्वर का प्रतिनिधि मानने लगा था और राजा स्वयं को ईश्वर का अंग मानकर तथा उसके द्वारा भेजा गया अग्रदूत मानकर अपने आपको राज्य का सर्वोच्च स्वामी समझता था। उच्चता की भावना को लेकर चर्च और राज्य में वैमनस्य प्रारम्भ हो गया और यूरोप के राजा पोप के महत्त्व को कम करने में सलंग्न हो गए थे; परन्तु व्यवहार में चर्च की ही धार्मिक सत्ता का जनमानस पर छायी रही।

चर्च उस समय धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों में खुलकर हस्तक्षेप करता था। रोम के चर्च में पोप सर्वशक्तिमान था। चर्च की अपनी सरकार, अपना कानून, अपने न्यायालय एवं अपनी पृथक् धार्मिक व्यवस्था थी। वह कैथोलिक राजाओं के आन्तरिक मामलों में भी हस्तक्षेप कर सकता था। जनता उस समय चर्च एवं राज्य के दोहरे प्रशासन के बीच पिस रही थी। चर्च चौदहवीं शताब्दी तक राज्य पर छाया रहा। उस समय के शासक राज्य को चर्च के नियन्त्रण में मानते थे। चर्च उनकी शक्ति के विस्तार में बाधक बना हुआ था। जैसे ही चर्च के पादरियों में फूट पड़ी, पोप के पाखण्डों के विरुद्ध यूरोप में आवाज उठने लगी। राज्य ने पोप की सत्ता को नकार दिया। सम्पूर्ण यूरोप पोप की सत्ता के विरुद्ध एकजुट हो गया। यूरोप में धर्मयुद्ध आरम्भ हो गए, जिनमें अन्तिम विजय राज्य को प्राप्त हुई। इन युद्धों के फलस्वरूप पोप की सत्ता केवल रोम के वैटिकन सिटी तक ही सीमित हो गई। राजा के दैवी अधिकार सिद्धान्त ने राजा को असीमित अधिकार देकर पोप की सत्ता को कम कर दिया। अतः यूरोप में मध्य युग से निरंकुश राजाओं का बोलबाला हो गया।

प्रश्न 4.
मध्यकालीन यूरोप में नगरों के विकास पर प्रकाश डालिए। इस युग में शिक्षा, साहित्य व कला की क्या प्रगति हुई?
उत्तर :

मध्यकालीन यूरोप में नगरों का विकास

मध्य युग में यूरोप के रूस, फ्रांस, इटली, इंग्लैण्ड आदि देशो में नगरों का तीव्र विकास हुआ। मध्यकालीन युग में रोम, वेनिस, जेनेवा, कुस्तुनतुनिया, पेरिस, बर्लिन, म्यूनिख, मैनचेस्टर आदि नगरों का बड़ी तेजी से विकास हुआ। इन नगरों का महत्त्व इस रूप में भी बढ़ा कि ये प्रशासकीय दृष्टि से सत्ता के महत्त्वपूर्ण केन्द्र बन गए थे और इन नगरों का सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्त्व था। ये नगर कला, विज्ञान, धर्म और शिक्षा के उत्थान के केन्द्र बनाए गए थे। इन नगरों में दुर्ग, सार्वजनिक भवन, चर्च और शिक्षा संस्थान प्रमुख रूप से स्थापित कर दिए गए थे। मध्यकाल में नगरों के माध्यम से व्यापार के क्षेत्र में क्रान्तिकारी प्रगति हुई। नए-नए आवागमन के मार्ग विकसित हुए। व्यापारिक जलमार्ग भी खोजे गए तथा बन्दरगाहों की भी स्थापना की गई। नाप-तौल के नए-नए ढंग विकसित हुए। विभिन्न छोटे-बड़े उद्योगों की स्थापना हुई। व्यापार का विकास बड़ी तेजी से हुआ। व्यापार के सन्दर्भ में आर्थिक और अन्य प्रकार की सुरक्षाओं के लिए श्रमिक-संघों की स्थापना की जाने लगी।

मध्यकालीन यूरोप में शिक्षा, साहित्य व कला की प्रगति

मध्य युग में यूरोप में शिक्षा का पर्याप्त विकास हुआ। इसी काल में इटली, फ्रांस व इंग्लैण्ड में अनेक विश्वविद्यालय स्थापित हुए। इसी युग में मुसलमानों के भी कुछ विश्वविद्यालय स्पेन में सेदिल, सलामका तथा सारगोसा नामक स्थानों पर स्थापित हुए। इन विश्वविद्यालयों को ‘मूरिश विश्वविद्यालय’ कहा जाता था। इस युग में यूरोप में विभिन्न भाषाओं का भी विकास हुआ। ये भाषाएँ फ्रेंच, जर्मन और अंग्रेजी आदि थी। मध्य युग में सभी प्रकार के साहित्य की रचना भी यूरोपीय विद्वानों द्वारा हुई थी। राज्य, राजनीति एवं दर्शन से सम्बन्धित यूरोप में रचित साहित्य ने समस्त विश्व को प्रभावित किया। यहाँ नाटक, उपन्यास तथा काव्य आदि भी लिखे जाते थे। एक ओर धार्मिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु साहित्य लिखा जाता था तो दूसरी ओर सरस, लौकिक साहित्य की भी रचना की जाती थी। मध्यकालीन यूरोप में स्थापत्य कला, चित्रकला और संगीत कला के क्षेत्र में भी बहुत उन्नति हुई। इस युग में पेरिस, वेनिस तथा लन्दन आदि में अनेक गिरजाघरों का निर्माण हुआ। फ्रांस के मूर्तिकारों ने ‘गॉथिक शैली’ में कलात्मक मूर्तियों का निर्माण किया।

प्रश्न 5.
एबी एवं उसमें रहने वाले भिक्षुओं के जीवन पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर :
‘एबी’ चर्च के अतिरिक्त कुछ विशेष श्रद्धालु ईसाइयों की एक दूसरी तरह की संस्था थी। कुछ अत्यधिक धार्मिक व्यक्ति, पादरियों के विपरीत जो लोगों के बीच में नगरों और गाँवों में रहते थे, एकान्त जीवन व्यतीत करना पसन्द करते थे। वे धार्मिक समुदायों में रहते थे जिन्हें एबी या मठ कहते थे। दो सर्वाधिक प्रसिद्ध मठों में एक मठ 529 ई० में इटली में स्थापित सैंट बेनेडिक्टथा और दूसरा 910 ई० में बरगण्डी में स्थापित कलूनी था। भिक्षु अपना सारा जीवन एबी में रहने और समय पर प्रार्थना करने, अध्ययन और कृषि जैसे शारीरिक श्रम में लगाने का व्रत लेते थे। प्रादरी-कार्य के विपरीत भिक्षु का जीवन पुरुष और स्त्रियाँ दोनों ही अपना सकते थे-ऐसे पुरुषों को मॉक (Mauk) तथा महिलाओं को नन (Nun) कहते थे। कुछ अपवादों को छोड़कर सभी एबी में एक ही लिंग के व्यक्ति रह सकते थे। पुरुषों एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग एबी थे। पादरियों की तरह, भिक्षु और भिक्षुणियाँ भी विवाह नहीं कर सकती थीं। कालान्तर में दस या बीस पुरुष/स्त्रियों के छोटे समुदाय से बढ़कर मठ सैकड़ों की संख्या के समुदाय बन गए जिसमें बड़ी इमारतें और भू-जागीरों के साथ-साथ स्कूल या कॉलेज और अस्पताल सम्बद्ध थे। इन समुदायों ने कला के विकास में योगदान दिया। तेरहवीं सदी में भिक्षुओं के कुछ समूह जिन्हें ‘फायर’ कहते थे, उन्होंने मठों में न रहने का निर्णय लिया। वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूम-घूमकर लोगों को उपदेश देते और दान से अपनी जीविका चलाते

प्रश्न 6.
चर्च और पादरियों की जीवन शैली तथा अधिकारों की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
तत्कालीन कैथोलिक चर्च के अपने विशिष्ट नियम थे। उनके पास राजा द्वारा प्रदत्त भूमि थी जिससे वे कर प्राप्त कर सकते थे। इसीलिए यह एक शक्तिशाली संस्था थी जो राजा पर निर्भर नहीं थी। पश्चिमी चर्च के शीर्ष पर पोप था, जो रोम में रहता था। यूरोप में ईसाई समाज का मार्गदर्शन बिशपों तथा पादरियों द्वारा किया जाता था जो प्रथम वर्ग के अंग थे। अधिकांश गाँवों के अपने चर्च हुआ करते थे, जहाँ प्रत्येक रविवार को लोग पादरी का धर्मोपदेश सुनने तथा सामूहिक
प्रार्थना करने के लिए एकत्र होते थे। प्रत्येक व्यक्ति पादरी नहीं बन सकता था। कृषि-दास पर प्रतिबन्ध था। शारीरिक रूप से बाधित व्यक्तियों और स्त्रियों पर प्रतिबन्ध था। जो पुरुष पादरी बनते थे वे शादी नहीं कर सकते थे। धर्म के क्षेत्र में बिशप अभिजात माने जाते थे। बिशपों के पास भी लॉर्ड के समान विस्तृत जागीरें थीं और वे शानदार महलों में निवास करते थे। चर्च को एक वर्ष के अन्तराल में कृषक से उसकी उपज का दसवाँ भाग लेने का अधिकार था जिसे ‘टीथे’ कहते थे। अमीरों द्वारा अपने कल्याण और मरणोपरान्त अपने रिश्तेदारों के कल्याण हेतु दिया जाने वाला दान भी आय का एक प्रमुख स्रोत था। चर्च के औपचारिक रीति-रिवाज की कुछ महत्त्वपूर्ण रस्में, सामन्ती कुलीनों की नकल थी। प्रार्थना करते समय, हाथ जोड़कर और सिर झुकाकर घुटनों के बल झुकना, नाइट द्वारा अपने वरिष्ठ लॉर्ड के प्रति वफादारी की शपथ लेते समय अपनाए गए तरीके की नकल था। इसी प्रकार से ईश्वर के लिए लॉर्ड शब्द का प्रचलन एक उदाहरण था जिसके द्वारा सामन्तवादी संस्कृति चर्च के उपासना कक्षों में प्रवेश करने लगी। इस प्रकार अनेक सांस्कृतिक सामन्तवादी रीति-रिवाजों और तौर-तरीकों को चर्च की दुनिया में यथावत् स्वीकार कर लिया गया था।

प्रश्न 7.
सामन्तवाद की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
सामन्तवाद की निम्नलिखित विशेषताएँ उल्लेखनीय हैं

  1. सार्वभौमिक सत्ता का अपहरण :
    सामन्तवाद की सर्वप्रमुख विशेषता स्थानीय जागीरदारों द्वारा सार्वभौम सत्ता हस्तगत करना थी। शार्लमेन के साम्राज्य के पतन के पश्चात् स्थानीय  भूपतियों या जमींदारों को हस्तान्तरित कर दिया। स्थिति यह हो गई कि एक जागीरदार, जो सिद्धान्ततः अपने स्वामी और अन्ततः राजा के अधीन था, अपने क्षेत्र में सभी मामलों का स्वामी हो गया। फलतः यूरोप हजारों जागीरदारों के बीच बँट गया।
  2. काश्तकारी व्यवस्था :
    एक दूसरी विशेषता काश्तकारी व्यवस्था (land tenure) थी। इसी पर सामन्तवादी व्यवस्था खड़ी थी। किसी सामन्त की प्रशासनिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति का निर्धारण उसके द्वारा प्राप्त जागीर या भूमि के आधार पर होता था। जागीरदार अपने स्वामी से संविदास्वरूप भूमि प्राप्त करता था। संविदा के अनुसार उसे अपने स्वामी की सेवा करनी पड़ती थी। वह सहायतार्थ सेना भी भेजता था या स्वयं सैनिक के रूप में कार्य करता था। वह उसके दरबार में पुलिस-कार्य, न्याय-कार्य, या शान्ति-व्यवस्था बनाए रखने का कार्य करता था।
  3. सामाजिक विभाजन :
    सामन्तवाद ने समाज को दो वर्गों-शासक और शासित में बाँट दिया। | सामन्त या जमींदार शासक वर्ग के थे और शासित वर्ग वे थे जो खेत जोतते थे। भूमि ही समाज का ढाँचा निर्धारित करती थी।
  4. व्यक्तिगत बन्धन :
    एक अन्य विशेषता व्यक्तिगत बन्धन (personal bond) थी. जो स्वामी और जागीरदार के सम्बन्ध को बताती है। जागीरदार अपने स्वामी के प्रति वफादार रहने के लिए शपथ लेता था। काश्तकार, जागीरदार एवं स्वामी के बीच के सम्बन्ध का निर्धारण शपथ-ग्रहण उत्सव (homage) के साथ होता था, न कि किसी राज्य के कानून द्वारा।

प्रश्न 8.
सामन्तवाद के उदय के राजनीतिक कारण लिखिए।
उत्तर :
पश्चिमी यूरोप में रोमन साम्राज्य का पाँचवीं शताब्दी में पतन हो  गया। इसके साथ ही सामन्तवाद का उदय हुआ और अगले पाँच-सौ वर्षों में इसका विकास हुआ। इसके उदय के निम्नलिखित राजनीतिक कारण थे

राजनीतिक कारण

रोमन साम्राज्य में सम्पूर्ण पश्चिमी यूरोप सम्मिलित था। रोमन सम्राटों ने इस क्षेत्र के अधिकांश भू-भाग को अपने अधिकार में करके बाहरी बर्बर आक्रमणों से इसकी रक्षा की थी और बहुत अंशों में शान्ति-व्यवस्था स्थापित की थी। परन्तु, पाँचवीं शताब्दी में रोमन साम्राज्य के पतन के बाद यूरोप में सर्वत्र अराजकता, अशान्ति एवं अव्यवस्था फैल गई थी। आन्तरिक उपद्रव और बाह्याक्रमणों के कारण स्वतन्त्र किसानों का संकट बढ़ने लगा था। बर्बर जातियों के आक्रमणों ने उपद्रव और अशान्ति को बढ़ा दिया था। चारों ओर लूट-खसोट मची हुई थी। किसानों का कोई रक्षक नहीं था और वे बड़े कष्ट में थे। कोई भी अकेला व्यक्ति सुरक्षित न था। रोमन साम्राज्य के कुलीनवर्गीय सरदार अपने-अपने गाँवों में चले गए जहाँ उनके किले होते थे। इन लोगों ने किसानों पर और भी अत्याचार करना शुरू किया। वे अपने दुर्गों से छापा मारने के लिए निकल पडते थे। गाँव में वे किसानों को लूटते था तथा जमीन पर अपना अधिकार करने के लिए अपनी बराबरी के अन्य बड़े सामन्तों से लड़ते थे। इस प्रकार, सर्वत्र अराजकता का बोलबाला था। किसान और जमींदार सभी इस असह्य स्थिति से ऊब गए थे। न तो किसानों का जान-माल सुरक्षित था और न सामन्तों की जमींदारी ही। इस स्थिति में दोनों एक-दूसरे की सहायता चाहते थे। इसीलिए सब लोग मिलकर ऐसे व्यक्ति की खोज में थे जो उनसे अधिक शक्ति सम्पन्न हो तथा उनके जान-माल की रक्षा कर सके। किसानों की दृष्टि में सामन्त ही ऐसा व्यक्ति दिखलाई पड़ा, क्योंकि उसके पास दुर्ग और हथियार थे। इसीलिए किसानों ने सामन्तों से एक समझौता करके अपनी जमीन उसके हाथ में सौंप दी और यह तय हुआ कि यदि सामन्त किसानों को लूटना बन्द कर दें और आन्तरिक तथा बाह्य शत्रुओं से उन्हें बचाएँ तो वे अपने खेत की पैदावार का कुछ हिस्सा उन्हें दिया करेंगे और दूसरी तरह की सेवाएँ भी करेंगे। इस तरह की व्यवस्था से किसान अब जमीन के स्वतन्त्र स्वामी नहीं रहे। वे कृषिदास (sert) बन गए। इस प्रक्रिया से अनेक छोटे-छोटे सामन्त बन गए। फिर, ये सामन्त भी अपने को अनारक्षित ही पाते थे, इसलिए इन्होंने अपने को किसी बड़े सामन्त की सेवा में समर्पित कर दिया। बड़े भूमिपति बाहरी हमले से स्वयं अपनी रक्षा नहीं कर सकते थे, वे भी छोटे-छोटे सामन्तों की सेवा की अपेक्षा करते थे। इसलिए जागीरों के रूप में अपने विजित प्रदेश के टुकडे उन्होंने छोटे-छोटे सामन्तों को दे दिए। इसके बदले में उन्होंने सैनिक सेवा देने का वचन दिया। इस प्रकार, एक नई सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था उत्पन्न हो गई। इसे ही सामन्तवाद का नाम दिया गया। सामन्तवाद के विकास का एक दूसरा राजनीतिक कारण भी था। रोमन साम्राज्य के अन्तर्गत स्थानीय शासन को भार स्थानीय सरदारों पर रहता था। जब तक केन्द्रीय शासन सुदृढ़ रहा तब तक इन स्थानीय सरदारों को नियन्त्रण में रखा जा सका, लेकिन केन्द्रीय सत्ता के कमजोर होने से स्थानीय सरदार धीरे-धीरे स्वतन्त्र होने लगे। रोमन साम्राज्य के पतन के बाद वे पूर्ण स्वतन्त्र हो गए। जर्मन जातियों के आगमन से भी सामन्तवाद के विकास को प्रश्रय और प्रोत्साहन मिला। पाँचवीं शताब्दी में पश्चिमी यूरोप में रोमन साम्राज्य का अन्त होने पर जर्मन जातियों की शाखाएँ जर्मनी से निकलकर प्रायः सम्पूर्ण यूरोप पर छा गई। ये लोग अपने-अपने कबीलों में बँटे रहते थे। इन कबीलों के नेता होते थे। जब जर्मन लोग प्रदेश जीतते गए तो कबीलों के पास काफी जमीन हो गई। इस जमीन को वे अपने अनुयायियों में इस शर्त पर बाँटने लगे कि सैनिक और राजनीतिक सेवा प्रदान करेंगे। कबीलों का नेता इस प्रकार एक बड़ा सामन्त हो गया।

प्रश्न 9.
सामन्तवाद के उदय के आर्थिक कारणों की विवचेना कीजिए।
उत्तर :
आर्थिक कारण सामन्तवाद के उदय के आर्थिक कारण निम्नलिखित थेरोमन साम्राज्य के उत्कर्ष के दिनों में दास-प्रथा बड़े पैमाने पर प्रचलित थी। दासों का शोषण बड़ी निर्ममता से होता था। इस कारण राज्य की पैदावार घटने लगी। अब समस्या थी उपज बढ़ाने की इसके तीन उपाय हो सकते थे। प्रथम, कोई नया आविष्कार करके अनाज की पैदावार में वृद्धि की जाए। द्वितीय, अनाज पैदा करने वालों की संख्या बढ़ाई जाए। इन दोनों उपायों को प्राप्त करना आसान नहीं था। रोमन साम्राज्य के उत्कर्ष के दिनों में कोई वैज्ञानिक आविष्कार नहीं हुआ था और जब साम्राज्य पतनोन्मुख होने लगा तो दासों की संख्या भी नहीं बढ़ाई जा सकती थी। अतएव अब एक तीसरा उपाय ही शेष रह गया था कि दासों को अधिक सुविधा देकर उन्हें प्रोत्साहन दिया जाए, ताकि वे मन लगाकर काम करें और पैदावार बढ़ा सके। इसलिए, दासत्व से मुक्ति दी जाने लगी और दास-प्रथा का उन्मूलन शुरू हुआ। उन्हें अब थोड़ी जमीन मिली जहाँ वे अपना घर बनाकर परिवार के साथ रह सकते थे। अब वे दास नहीं रह गए। उनकी स्थिति बदल गई और वे कृषिदास या कम्मी कहलाने लगे। कम्मी और दासों में कोई अन्तर नहीं था। वे भी दासों की तरह परतन्त्र थे, लेकिन उन्हें थोड़ी सुविधा अवश्य मिली। यह सुविधा उन्हें अपने मालिक की जमीन जोतने के बदले में मिलती थी। इन कृषिदासों कोअपने-अपने सामन्तों की सेवा भिन्न-भिन्न प्रकार से करनी पड़ती थी। इस कारण भी सामन्तवाद की अनेक प्रवृत्तियों का विकास हुआ। इस प्रकार, सामन्तवाद की रचना किसी व्यक्ति-विशेष द्वारा नहीं हुई,  बल्कि इसका उदय और विकार स्वाभाविक ढंग से हुआ। इसका निर्माण जानबूझकर नहीं किया गया था। यह एक प्रकार का पारस्परिक समझौता था जो युग की परिस्थितियों के अनुकूल था। इसका स्वरूप भी विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न था। इसकी उत्पत्ति तो इटली और जर्मनी में हुई थी, लेकिन इसका पूर्ण विकास फ्रांस में हुआ। यहाँ पर स्मरण रखना चाहिए कि सामन्तवाद प्राचीन रोमन और जर्मन प्रथाओं से प्रभावित था। यह मध्ययुगीन ईसाइयत का एक अंग हो गया। टॉमसन के शब्दों में, “सामन्तवाद में रोमन, ईसाइयत एवं जर्मन तत्त्व थे जो समकालीन जीवन-परिस्थितियों के अनुकूल थे।” प्राचीन रोमन संस्था पैट्रोसिनियम (Patrocinium) या संरक्षण में हम सामन्तवाद के बीज पाते हैं। इसके अनुसार, सम्पन्न और प्रभावशाली व्यक्ति अपने को अनुयायियों से घिरे पाते थे जिन्हें अनुयायीगण (clients) कहते थे। वे अपने आश्रयदाता के समर्थन और सहायता पर आश्रित थे। अराजकता या अशान्ति के काल में ऐसे अनुयायीगणों की संख्या बढ़ जाती थी। भूमिपति आदि शक्तिशाली सामन्तों के संरक्षण में जाने लगे। फ्रांस में केल्टिक वैसस’ (Celtic vessus) और जर्मनी की कॉमिटेटस (Comitatus) रोमन पैट्रोसिनियम की तरह ही थे। ‘जर्मन कॉमिटेटस’ अपने स्वामियों के प्रति योद्धाओं की निर्भरता थी। निर्बल लोग संरक्षण के लिए सबलों या पराक्रमियों की छत्रछाया में आ जाते थे। प्रेकेरियम (Precarium), कमेण्डेशन (Commendation), बेनेफिसियम (Beneficium) आदि अन्य संस्थाएँ थीं जो सामन्तवाद के विकास में सहायक सिद्ध हुईं। चार्ल्स मोटेल (Charles Martle) के अधीन सामन्तवाद का सैनिक पक्ष अधिक उभरा, क्योंकि उसने दक्षिण गॉल (Gaul) में अश्वारोहियों के आक्रमण का प्रायः सामना करना पड़ता था। चाल्र्स ने चर्च की सम्पत्ति जब्त कर अश्वारोहियों को जागीरें दीं और शक्तिशाली घुड़सवार सेना का संगठन कर लिया। इस तरह, सैनिक सेवा के बदले जागीर देने की प्रथा आरम्भ हुई।

प्रश्न 10.
सामन्तवाद के गुणों तथा दोषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
गुण-सामन्तवाद के निम्नलिखित प्रमुख गुण थे

  1. यूरोप में शान्ति एवं व्यवस्था बनाए रखने में सामन्तवादी प्रथा का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। सामन्त अपनी प्रजा को सन्तुष्ट रखते थे।
  2. सामन्तों के विशेषाधिकारों ने राजाओं पर नियन्त्रण कर उनकी निरंकुशता का अन्त कर दिया।
  3. इस व्यवस्था ने शासन, सुरक्षा तथा न्याय का एक सरलीकृत ढंग प्रस्तुत किया।
  4. सामन्तवादी व्यवस्था से लोगों को अधिकार व कर्तव्यों का बोध हुआ तथा उनमें नैतिक भावना | का प्रादुर्भाव हुआ। दोष-सामन्तवाद में गुणों की अपेक्षा

दोष  :
अधिक थे, जो इस प्रकार हैं

  1. इस प्रथा ने यूरोप की राजनीतिक एकता का अन्त कर दिया।
  2.  सामन्तों की पारस्परिक स्पर्धा व ईष्र्या के कारण अनेक युद्ध हुए।
  3.  सामन्तवाद ने यूरोप में दास-प्रथा को जन्म दिया और किसानों की दशा अत्यन्त शोचनीय कर दी।
  4. सामन्तवाद ने सामाजिक असमानताओं को जन्म दिया और यूरोप में क्रान्ति के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
  5.  सामन्तों की शक्ति बढ़ जाने से उनका नैतिक स्तर गिर गया और वे विलासी और अत्याचारी होते चले गए।
  6. आपसी युद्धों में लगे रहने के कारण सामन्त लोग, कला, व्यापार, साहित्य तथा कृषि आदि के विकास पर पर्याप्त ध्यान न दे सके।

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UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 5 Nomadic Empires

UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 5 Nomadic Empires (यायावर साम्राज्य)

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
संक्षेप में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था?
उत्तर :
स्टैपी प्रदेशों में मूल आवश्यकताओं की वस्तुओं के स्रोतों की कमी के कारण मंगोलों और मध्य एशिया के यायावरों को व्यापार और वस्तुओं के विनिमय के लिए चीनवासियों के पास जाना पड़ता था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी थी। यायावर कबीले खेती से प्राप्त उत्पादों और लोहे के उपकरणों को चीन से लाते थे और घोड़े, फर और शिकार का व्यापार (विनिमय) करते थे। जब मंगोल कबीलों के लोगों के साथ मिलकर व्यापार करते थे तो वे अपने चीनी पड़ोसियों से व्यापार में लाभकारी शर्ते और व्यापारिक सम्बन्ध रखते थे। इन सभी परिस्थितियों के कारण मंगोलों के लिए व्यापार महत्त्वपूर्ण था।

प्रश्न 2.
चंगेज खान ने यह क्यों अनुभव किया कि मंगोल कबीलों को नवीन सामाजिक और सैनिक इकाइयों में विभक्त करने की आवश्यकता है?
उत्तर :
मंगोलों के विभिन्न निकायों में अलग-अलग प्रकार के लोगों का एक विशाल समूह सम्मिलित था जिन्होंने चंगेज खान की सत्ता को स्वेच्छा से स्वीकार कर लिया था। इसमें पराजित लोग भी शामिल थे। चंगेज खान इन विभिन्न जनजातीय समूहों की पहचान को क्रमबद्ध रूप से मिटाकर उन्हें एक नई पहचान देना चाहता था। इसलिए उसे मंगोल कबीलों को नवीन सामाजिक और सैनिक इकाइयों में विभक्त करने की आवश्यकता अनुभव दुई।

प्रश्न 3.
यास के बारे में परवर्ती मंगोलों का चिन्तन किस तरह चंगेज खान की स्मृति के साथ जुड़े | हुए उनके तनावपूर्ण सम्बन्धों को उजागर करता है?
उत्तर :
‘यास’ एक प्रकार की नियम-संहिता है। चंगेज खान ने 1206 ई० में यह संहिता किरिलताई में लागू की थी। अपने प्रारम्भिक स्वरूप में यास को यसाक (Yasaq) लिखा जाता था जिसका अर्थ था विधि, आज्ञप्ति व आदेश। वास्तव में जो थोड़ा-बहुत विवरण यसाक के बारे में हमें मिला है उसका सम्बन्ध प्रशासनिक विनियमों से है; जैसे-आखेट, सैन्य और डाक-प्रणाली का संगठन। 13वीं सदी के मध्य तक, किसी तरह से मंगोलों ने ‘यास’ शब्द का प्रयोग अधिक सामान्य रूप से करना प्रारम्भ कर दिया। इसका मतलब था-चंगेज खान की विधि संहिता। 16वीं शताब्दी के अन्त में चंगेज खान के सबसे बड़े पुत्र जोची का एक दूर का वंशज अब्दुल्लाह खान बुखारा के उत्सव मैदान में गया वहाँ उसने छुट्टी की नमाज अदा की और यास के नियमों का उल्लंघन किया। परवर्ती मंगोलों का चिन्तन यास के विषय में बदल गया था।

प्रश्न 4.
यदि इतिहास नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों पर निर्भर करता है तो | यायावर समाजों के बारे में हमेशा प्रतिकूल विचार ही रखे जाएँगे। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्या आप इसका कारण बताएँगे कि फारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की इतनी बढ़ा-चढ़ाकर संख्या क्यों बताई है?
उत्तर :
यह सत्य है कि यदि इतिहास लिखित तथ्यों पर विश्वास रखता है तो नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों के यायावरों के समाज के बारे में हमेशा ही प्रतिकूल विचार रखे जाएँगे। इन साहित्यकारों ने यायावरों के समाज सम्बन्धी जो सूचनाएँ प्रस्तुत की हैं, वे पक्षपातपूर्ण और विभिन्न दोषों से परिपूर्ण हैं। फारसी इतिहासकारों ने मंगोल अभियान में मारे गए लोगों की संख्या निम्नलिखित कारणों से
बढ़ा-चढ़ाकर बताई है

  1. इतिहासकारों की सोच मंगोलों के प्रति गलत थी। वह उन्हें लुटेरे और हत्यारों के रूप में ही देखते थे।
  2. मारे गए लोगों की संख्या अनुमान पर आधारित है। यथा-इल्खन के फारसी इतिवृत्ताकार जुबैनी ने कहा कि मर्व में 13,00,000 लोगों का वध किया गया, उसने इस संख्या का अनुमान इस प्रकार लगाया कि तेरह दिन तक 1,00,000 शव प्रतिदिन गिने जाते थे।

संक्षेप में निबन्ध लिखिए

प्रश्न 5.
मंगोल और बेदोइन समाज की यायावरी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए यह बताइए कि आपके विचार में किस तरह उनके ऐतिहासिक अनुभव एक-दूसरे से भिन्न थे? इन भिन्नताओं से जुड़े कारणों को समझाने के लिए आप क्या स्पष्टीकरण देंगे?
उत्तर :
मंगोल और बेदोइन समाज यायावरी समाज था। बेदोइन मंगोलों के समान क्रूर और असभ्य नहीं थे। वे ऊँटों के साथ चारे की तलाश में यहाँ-वहाँ भटकते रहते। कालान्तर में वे शहरों में बस गए। और व्यापार या कृषि कार्य करने लगे, जबकि मंगोल लूटमार कर अपना पोषण करते थे। हालाँकि कालान्तर में ये सभ्य हुए और इन्होंने अपना साम्राज्य स्थापित किया। मंगोलों और बेदोइन की इस भिन्नता का कारण पर्यावरणीय स्थितियाँ और नेतृत्व की विचारधारा को माना जा सकता है।

प्रश्न 6.
तेरहवीं शताब्दी के मध्य में मंगोलिया द्वारा निर्मित ‘पैक्स मंगोलिका’ का निम्नलिखित विवरण उसके चरित्र को किस तरह उजागर करता है?

एक फ्रेन्सिसकन भिक्ष, रूब्रुक निवासी विलियम को फ्रांस के सम्राट लुई IX ने राजदूत बनाकर महान खान मोंके के दरबार में भेजा। वह 1254 में मोंके की राजधानी कराकोरम पहुँचा और वहाँ वह लोरेन, फ्रांस की एक महिला पकेट (Paquette) के सम्पर्क में आया जिसे हंगरी से लाया गया था। यह महिला राजकुमार की पत्नियों में से एक पत्नी की सेवा में नियुक्त थी जो नेस्टोरियन ईसाई थी। वह दरबार में एक फारसी जौहरी ग्वीयोम बूशेर के सम्पर्क में आया, जिसका भाई पेरिस में ग्रेन्ड पोन्ट’ में रहता था। इस व्यक्ति को सर्वप्रथम रानी सोरगकतानी ने और उसके उपरान्त मोंके के छोटे भाई ने अपने पास नौकरी में रखा। विलियम ने यह देखा कि विशाल दरबारी उत्सवों में सर्वप्रथम नेस्टोरियन पुजारियों को उनके चिह्नों के साथ तथा इसके उपरान्त मुसलमान, बौद्ध और ताओ पुजारियों को महान खान को आशीर्वाद देने के लिए आमन्त्रित किया जाता था।…
उत्तर :
तेरहवीं शताब्दी के मध्य में मंगोलिया द्वारा निर्मित ‘पैक्स मंगोलिया’ (मंगोल शान्ति) का । उपर्युक्त विवरण उसकी धर्मसहिष्णुता को प्रकट करता है। मंगोल राजदरबार में किसी प्रकार का जातीय भेदभाव नहीं था। विभिन्न देशों के निवासी राजदरबार में कार्यरत थे। पकेट फ्रांस और हंगरी से सम्बद्ध थी। उसका धर्म ईसाई था। पर्सियन स्वर्णकार भी इस दरबार में था। राजदरबार में शासक सभी धर्मों का सम्मान करता था। वह ईसाई, बौद्ध, इस्लाम, ताओ धर्म के पुजारियों से आशीर्वाद लेता था। इस प्रकार मंगोल राजा का चरित्र धर्मनिरपेक्ष था।

परीक्षोपयोगी अन्य महत्व

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यायावरी लोगों में कौन-सा गुण नहीं होता?
(क) घुमक्कड़ी
(ख) आखेटक
(ग) संग्रही
(घ) स्थायी निवास
उत्तर :
(घ) स्थायी निवास

प्रश्न 2.
मंगोल मूलतः कहाँ के निवासी थे?
(क) स्टेपी प्रदेश
(ख) भारत
(ग) चीन
(घ) पाकिस्तान
उत्तर :
(क) स्टेपी प्रदेश

प्रश्न 3.
चंगेज खान का प्रारम्भिक नाम था
(क) तेमुजिन
(ख) च्यांग
(ग) बाटू
(घ) ओगोदेई
उत्तर :
(क) तेमुजिन

प्रश्न 4.
मंगोलिया गणराज्य कब बना?
(क) सन् 1921 में
(ख) सन् 1922 में
(ग) सन् 1923 में
(घ) सन् 1924 में
उत्तर :
(क) सन् 1921 में

प्रश्न 5.
चंगेज खान का वंशज था
(क) तैमूर
(ख) अकबर
(ग) जहाँगीर
(घ) औरंगजेब
उत्तर :
(क) तैमूर

प्रश्न 6.
चंगेज खान की मृत्यु कब हुई?
(क) 1224 में
(ख) 1226 में
(ग) 1227 में
(घ) 1238 में
उत्तर :
(ग) 1227 में

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चंगेज खान कौन था और उसका साम्राज्य किन-किन महाद्वीपों में था?
उत्तर :
चंगेज खान मंगोल साम्राज्य का संस्थापक था। उसका साम्राज्य यूरोप और एशिया महाद्वीप तक विस्तृत था।

प्रश्न 2.
मार्को पोलो कौन था?
उत्तर :
मार्को पोलो इटली का यात्री था। इसने अपने यात्रा वृत्तान्तों में मंगोलों के विषय में बहुत कुछ लिखा है।

प्रश्न 3.
बाटू के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
बाटू चंगेज खान का पौत्र था जिसने 1236 से 1241 तक शासन किया। उसने अपने अभियान ” में रूस की भूमि को मास्को तक जीत लिया था।

प्रश्न 4.
सुल्तान महमूद कौन था? चंगेज खान उससे क्यों नाराज था?
उत्तर :
सुल्तान महमूद ख्वारिज्म का शासक था। उसने मंगोल दूत की हत्या कर दी थी। इसलिए चंगेज खान उससे नाराज था और उसकी हत्या करने के लिए उसका पीछा करता रहा।

प्रश्न 5.
बाबर का मंगोलों से क्या सम्बन्ध था?
उत्तर :
जहीरुद्दीन बाबर तैमूर और चंगेज खान का वंशज था। उसने तैमूर के राज्य फरगान ओर समरकन्द में सफलता प्राप्त की। वहाँ से उसे निर्वासित किया गया। उसने 1526 ई० में काबुल, दिल्ली और आगरा पर अधिकार कर लिया और भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी।

प्रश्न 6.
उलुस किसे कहते हैं?
उत्तर :
चंगेज खान ने नवविजित प्रदेशों के शासन का कार्य चार पुत्रों में बाँट दिया प्रत्येक को उलुस कहा जाता था।

प्रश्न 7.
तैमूर ने भारत पर आक्रमण कब किया था?
उत्तर :
तैमूर ने सन् 1398 में भारत पर आक्रमण किया था।

प्रश्न 8.
तैमूर के आक्रमण का घातक प्रभाव किस पर पड़ा?
उत्तर :
तैमूर के भारतीय आक्रमण को सबसे घातक प्रभाव तुगलक वंश पर पड़ा। उसकी शक्ति और प्रतिष्ठा धूल में मिल गई।

प्रश्न 9.
मंगोल कौन थे?
उत्तर :
मंगोल का शाब्दिक अर्थ ‘दिलेर’ या ‘बहादुर’ होता है। मंगोल मध्य एशिया की एक असभ्य और बर्बर जाति थी।

प्रश्न 10.
तैमूर के भारत पर आक्रमण के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर :
तैमूर के भारत पर आक्रमण के उद्देश्य निम्नलिखित थे

  1.  ख्याति अर्जित करना।
  2.  धन लूटना।
  3.  इस्लाम धर्म का प्रचार करना।

प्रश्न 11.
क्वारिलताई संस्था क्या थी?
उत्तर :
चंगेज खान के परिवार के सदस्यों में राज्य के उत्तरदायित्व का निर्धारण क्वारिलताई नामक परिषद् करती थी। यह मुखियाओं की परिषद् होती थी। उत्तरदायित्व के अन्तर्गत राज्य के भविष्य के निर्णय, अभियान, लूट के माल का बँटवारा, चरागाह भूमि का प्रबन्ध आदि आता था।

प्रश्न 12.
चंगेज खान किस देश का राष्ट्रनायक है?
उत्तर :
चंगेज खान मंगोलिया का राष्ट्रनायक है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘बर्बर’ से क्या आशय है?
उत्तर :
बर्बर (अंग्रेजी में बारबेरियन) शब्द यूनानी भाषा के बारबरोस (Barbaros) शब्द से उत्पन्न हुआ है, जिसका आशय गैर-यूनानी लोगों से है जिनकी भाषा यूनानियों को बेतरतीब कोलाहल ‘बर-बर’ के समान लगती थी। यूनानी ग्रन्थों में बर्बरों को बच्चों के समान दिखाया गया है जो सुचारू रूप से बोलने या सोचने में असमर्थ, डरपोक, विलासप्रिय, निष्ठुर, आलसी, लालची और स्वशासन चलाने में असमर्थ थे।

प्रश्न 2.
मंगोलों की सामाजिक दशा के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
मंगोलों की सामाजिक दशा

  1. नृजातीय सम्बन्धों और एक भाषा ने मंगोल लोगों को आपस में जोड़े रखा था। समाज अनेक पितृवंशीय पक्षों में विभाजित था।
  2. धनी लोगों के परिवार विशाल होते थे। उनके पास अधिक भू-क्षेत्र था, वे स्थानीय राजनीति में भी पर्याप्त दखल रखते थे।
  3. खाद्य-सामग्री की समाप्ति, अकाल या सूखे की स्थिति में मंगोलों को भोजन की तलाश में यहाँ-वहाँ भटकना पड़ता था।
  4.  लूटपाट करने या आक्रमण करने के लिए मंगोल लोग आपस में परिसंघ भी बना लेते थे।

प्रश्न 3.
चंगेज खान के सैन्य संगठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
चंगेज खान का सैन्य संगठन

  1. प्रारम्भ में चंगेज खान की सेना स्टैपी मैदानों की पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी 10,100,10000,10000 सैनिकों में विभाजित थी।
  2.  चंगेज खान ने बाद में इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया। उसने नवीन सैन्य इकाइयों की स्थापना की।
  3.  उसकी सेना अनुशासित थी। आज्ञा का उल्लंघन करने पर दण्ड दिया जाता था।
  4. चंगेज खान अपने सैनिकों से पुत्रवत् प्रेम करता था।

प्रश्न 4.
‘यास क्या है? इसकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए
उत्तर :
‘यास’ को चंगेज खान की विधिसंहिता कहा जाता है। इस बात की पूरी सम्भावना है कि ‘यास मंगोल जाति की ही प्रथागत परम्पराओं का एक संकलन था। ‘यास मंगोलों को समान आस्था रखने के आधार पर संयुक्त करने में सफल हुआ। यास ने मंगोलों को आत्मविश्वास प्रदान किया। निश्चित रूप से यास एक शक्तिशाली सिद्धान्त था जिसने मंगोल साम्राज्य की संरचना में अहम् भूमिका निभाई थी।

प्रश्न 5.
मंगोलों की पराजय के दो प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
मंगोलों की पराजय के क़ई कारण थे, जिनमें से दो प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  1. मंगोल सेना की निर्बलताएँ—यद्यपि मंगोल सेना संख्या में अधिक होती थी, परन्तु मंगोल सैनिक संगठित एवं नियोजित रूप में युद्ध करने की कला से अनभिज्ञ थे। उनमें धैर्य एवं सहनशीलता का भी पर्याप्त अंभाव था। यही कारण है कि कई बार दिल्ली के समीप आकर भी बिना युद्ध किए ही वापस लौट गए।
  2. मंगोल सेनापतियों में योग्यता का अभाव–अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में भारत पर मंगोलों के जो भी आक्रमण हुए, उन सबका संचालन करने वाले सेनापतियों में युद्ध संचालन करने की योग्यता का पूर्ण अभाव था। वे अपने कुशल नेतृत्व और कूटनीति द्वारा मंगोल सेनाओं को युद्ध में सफलता प्राप्त कराने की दृष्टि से पूर्णत: अयोग्य सिद्ध हुए।

प्रश्न 6.
तैमूर के भारतीय आक्रमण के प्रभावों को रेखांकित कीजिए।
उत्तर :
तैमून के भारतीय आक्रमण के प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित थे

  1. तुगलक वंश पर घातक प्रहार–तैमूर के आक्रमण का सबसे प्रमुख परिणाम यह हुआ कि इससे तुगलक वंश पर घातक प्रहार हुआ और उसका पतन हो गया।
  2. अकाल तथा रोगों का प्रकोप-तैमूर ने लाखों व्यक्तियों को मौत के घाट उतार दिया। उनकी लाशों के सड़ने से महामारी फैल गई और हजारों व्यक्ति मारे गए। तैमूर की. लूटमार से अनेक . गाँव तथा नगर उजड़ गए और वहाँ अकाल की स्थिति पैदा हो गई।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए
(अ) चंगेज खान
(ब) तैमूर
उत्तर :
(अ) चंगेज खान : चंगेज खान मंगोल सरदार हलाकू खान का भतीजा था। वह बड़ा ही क्रूर तथा अत्याचारी था। चंगेज खान ने अपनी वीरता व शौर्य से सम्पूर्ण मध्य एशिया को रौंद डाला।
उसे ‘पृथ्वी का प्रकोप’ कहा जाता था। 1221 ई० में उसने भारत पर भी आक्रमण किया था, लेकिन भीषण गर्मी व इल्तुतमिश की दूरदर्शिता के कारण वह वापस लौट गया था।

(ब) तैमूर :
तैमूर बरलास तुर्क शाखा का एक प्रभावशाली नेता था। उसे बचपन से कुरान पढ़ने, तलवार चलाने और घोड़े पर चढ़ने का शौक था। तैमूर लंग शक्ति और तलवार का धनी था। उसने भारत पर 1398 ई० में आक्रमण करते हुए कहा था, “भारत पर आक्रमण करने का हमारा उद्देश्य काफिरों के विरुद्ध लड़ाई करना, पैगम्बर के आदेशानुसार उन्हें इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए बाध्य करना, उस देश को बहुदेववाद और अन्धविश्वास से छुटकारा दिलाना तथा मंदिरों की मूर्तियों को तोड़-फोड़ करना है।” वस्तुतः तैमूर लंग का मूल उद्देश्य भारत की अपार सम्पत्ति एवं धन लूटना भी था। इसलिए तैमूर ने अपने आक्रमणों के अंतर्गत पंजाब एवं दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों को भी जी-भरकर लूटा था। उसने दिल्ली में तीन दिन तक सामूहिक कत्लेआम करवाया था और इस कत्लेआम में एक लाख सैनिकों को भी मरवा दिया था। तैमूर के आक्रमण के परिणामस्वरूप हिन्दू और मुस्लिमों में विनाशकारी द्वेष की भावना जाग्रत हो गई। हिन्दुओं के मंदिरों को बहुत अधिक क्षति पहुँचाई गई और बहुत-से हिंदुओं को मुसलमान बना दिया गया, जिससे हिन्दू जनता की धार्मिक भावना को बहुत अधिक ठेस पहुँची। तैमूर ने भारत को बुरी तरह लूटा और यहाँ के मन्दिरों को लूटकर देश को निर्धन बना दिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चंगेज खान का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उसके साम्राज्य विस्तार की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
चंगेज खान का जन्म 1162 ई० के लगभग आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसका प्रारम्भिक नाम तेमुजिन था। उसके पिता कियात कबीले के मुखिया थे। उसके पिता की हत्या कर दी गई थी। तेमुजिन की माता ने उसका तथा उसके अन्य भाइयों का पालन-पोषण बड़ी कठिनाई से किया था। युवा होने पर तेमुजिन ने कैराइटे लोगों के शासक व अपने पिता के सगे भाई जो वृद्ध थे, तुगरिल ऊर्फ ओंग खान के साथ पुराने रिश्तों को स्थापित किया। 1180 और 1190 के दशकों में तेमुजिन और ओंग खाने में मित्रवत् सम्बन्ध रहे। उसने अपने पिता के हत्यारे शक्तिशाली तातार कैराइट और ओंग खान के विरुद्ध 1203 में युद्ध छेड़ा। 1206 तक तमाम शक्तिशाली लोगों को परास्त करने के बाद तेमुजिन स्टेपी प्रदेश की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। उसकी इस प्रतिष्ठा को मंगोल कबीले के सरदार (कुरिलताई) की एक सभा में मान्यता प्राप्त हुई और उसे चंगेज खान’ की उपाधि के साथ मंगोलों का महानायक घोषित किया गया। 1206 ई० में कुरिलताई में मान्यता मिलने से पूर्व चंगेज खान ने मंगोल लोगों को एक बड़ी सैन्य शक्ति के रूप में संगठित कर लिया था। चंगेज खान की पहली इच्छा चीन पर विजय प्राप्त करने की थी। चीन उस समय तीन भागों में विभक्त था। ये थे-उत्तरी-पश्चिमी प्रान्तों के तिब्बती मूल के सी सिआ लोग, जरचेन लोगों का चिन राजवंश और दक्षिण चीन जिसे पर शुंग राजवंश का शासन था।1209 में सी-सिआ परास्त हो गए। 1213 में चीन की महान् दीवार का अतिक्रमण हो गया। 1215 में पेकिंग नगर को लूटा गया। चिन वंश के विरुद्ध 1234 तक लम्बी लड़ाइयाँ चलीं पर चंगेज खान अपने अभियानों की प्रगति से पूरी तरह सन्तुष्ट था। 1218 तक मंगोलों का साम्राज्य अमू दरिया, तुरान और ख्वारज्म राज्यों तक विस्तृत हो गया था।1219 और 1221 ई० तक के अभियानों में बड़े नगरों ओट्रार, बुखारा, समरकन्द, बल्ख, गुरगंज, मर्व, निशापुर और हेरात ने मंगोल सेनाओं के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। अपने जीवन का अधिकांश भाग युद्धों में व्यतीत कर देने के बाद 1227 में चंगेज खान की मृत्यु हो गई।

प्रश्न 2.
चंगेज खान और मंगोलों का विश्व इतिहास में क्या स्थान है? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
तेरहवीं शताब्दी ई० के चीन, ईरान और पूर्वी यूरोप के शहरों के बहुत-से निवासी चंगेज खान द्वारा किए गए स्टैपी के नर-संहारों को भय और घृणा की दृष्टि से देखते थे। फिर भी मंगोलों के लिए चंगेज खान अब तक का सर्वाधिक महान् शासक था। उसने मंगोलों को एकजुट किया। लम्बे समय से चले आ रहे  जनजातीय संघर्षों और चीनियों के शोषण से मुक्ति दिलवाई साथ ही उन्हें समृद्ध बनाया। एक शानदार पार महाद्वीपीय साम्राज्य गठित किया और व्यापार के रास्तों और बाजारों को खोल दिया। मंगोलों और किसी भी घुमक्कड़ शासन प्रणाली से सम्बन्धित जिस तरह के प्रलेख प्राप्त हुए हैं-उनसे यह समझना वास्तव में कठिन है कि वह कौन-सा ऐसा प्रेरणा स्रोत था जिसने व्यक्तियों के विभाजित हुए समूहों को संगठित कर साम्राज्य निर्माण की महत्त्वाकांक्षा को जाग्रत किया। मंगोल साम्राज्य के संस्थापक की प्रेरणा एक प्रभावशाली शक्ति बनी रही। चौदहवीं शताब्दी ई० के अन्त में एक अन्य राजा तैमूर, जो एक विश्वव्यापी राज्य की आकांक्षा रखता था, ने स्वयं को राजा घोषित करने में संकोच का अनुभव किया, क्योंकि वह चंगेज खान का वंशज नहीं था। जब उसने अपने स्वतन्त्र प्रभुत्व की घोषणा की तो स्वयं को चंगेज खान का दामाद बताया। वर्तमान में दो दशकों के रूसी नियन्त्रण के पश्चात् मंगोलिया एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। उसने चंगेज खान को एक राष्ट्र-नायक के रूप में लिया है जिसका जनता सम्मान करती है और जिसकी उपलब्धियों का वर्णन अभिमान के साथ किया जाता है। मंगोलिया के इतिहास में इस निर्णायक समय पर चंगेज खान एक बार फिर मंगोलों के लिए एक आराध्य प्रतिमा के रूप में उभरकर सामने आया है, जो महान् अतीत की स्मृतियों को जाग्रत कर राष्ट्र की पहचान बनाने की दिशा में शक्ति प्रदान करेगा।

प्रश्न 3.
तैमूर के आक्रमण का वर्णन करते हुए उसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर :
तैमूर का परिचय तैमूर का जन्म 1336 ई० में ट्रांस ऑक्सियाना प्रदेश के केश नामक स्थान पर हुआ था। उसके पिता का नाम अमीर तुर्गे था जो वरलास शाखा को प्रमुख था। 1369 ई० में तैमूर ने समरकन्द के सिंहासन पर अधिकार कर लिया। सिंहासन पर अधिकार करने के उपरान्त उसने ईरान,  अफगानिस्तान, इराक, ख्वारिज्म आदि देशों को जीत लिया। इसके बाद उसने भारत पर आक्रमण करने की योजना बनाई।

तैमूर के भारत पर आक्रमण के उद्देश्य

तैमूर के भारत पर आक्रमण करने के निम्नलिखित उद्देश्य थे

  1.  ख्याति अर्जित करना : तैमूर अत्यधिक महत्त्वाकांक्षी था। वह भारत पर विजय प्राप्त करके ख्याति प्राप्त करना चाहता था।
  2.  धन लूटना-तैमूर भारत की धन : सम्पदा की ओर भी आकर्षित हुआ था; अत: धन लूटने की | लालसा से प्रेरित होकर भी उसने भारत पर आक्रमण किया।
  3.  इस्लाम धर्म का प्रसार : तैमूर ने स्वयं ही यह घोषित किया था कि भारत पर आक्रमण करने  का उसका उद्देश्य इस्लाम धर्म को प्रचार करना है।

तैमूर का भारत पर आक्रमण

सन् 1398 ई० में तैमूर ने 92,000 सैनिकों सहित भारत पर आक्रमण किया उस समय दिल्ली का सुल्तान मुहम्मद तुगलक था। उसने तैमूर का सामना किया, परन्तु वह तैमूर से परास्त होकर गुजरात की ओर भाग गया। तैमूर ने इस युद्ध से पूर्व एक लाख युद्धबन्दियों को कत्ल करवा दिया। तैमूर 15 दिन तक दिल्ली में रहा, वहाँ उसने खूब लूटमार मचायी। वह फिरोजाबाद, मेरठ, हरिद्वार होता हुआ काँगड़ा तथा जम्मू को लूटता हुआ समरकन्द लौट गया। इस मध्य उसने हजारों व्यक्तियों को दास बना लिया। वह अनेक कलाकारों को भी पकड़कर अपने साथ समरकन्द ले गया। उसने खिज्र खाँ को मुल्तान, लाहौर तथा दिमालपुर का शासक नियुक्त किया।

तैमूर के आक्रमण का प्रभाव

तैमूर के आक्रमण के प्रभाव निम्नलिखित थे

  1. तुगलक वंश का पतन-तैमूर के भारतीय आक्रमण का सबसे घातक प्रभाव तुगलक वंश पर | पड़ा। उसकी शक्ति और प्रतिष्ठा धूल में मिल गई और 1414 ई० में मुहम्मद तुगलक की मृत्यु के पश्चात् तुगलक वंश का अन्त हो गया।
  2. दिल्ली सल्तनत का विघटन तैमूर का आक्रमण दिल्ली सल्तनत के लिए पक्षाघात का रोग सिद्ध हुआ। दिल्ली सल्तनत को ऐसा धक्का लगा कि इसके बाद उसकी स्थिति में सुधार न हो पाया। जौनपुर, मालवा, गुजरात और अन्य प्रान्त स्वतन्त्र हो गए। सम्पूर्ण भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त हो गया केन्द्रीय शक्ति पूर्णत: नष्ट हो गई तथा सर्वत्र अव्यवस्था फैल गई।
  3. अकाल तथा रोगों का प्रकोप-तैमूर ने कई नगरों तथा गाँवों को लूटा तथा उन्हें उजाड़ दिया। उसने हजारों लोगों को मार डाला जिससे चारों ओर अकाल तथा रोगों का प्रकोप छा गया।
  4.  कला पर प्रभाव-तैमूर के आक्रमण से भारतीय कला और साहित्य की प्रगति अवरुद्ध हो गई। तैमूर अनेक बहुमूल्य कलाकृतियों और शिल्पियों को अपने साथ समरकन्द ले गया, किन्तु इससे भारतीय कला और शैली का विस्तार मध्य एशिया तक अवश्य हुआ।
  5.  आर्थिक प्रभाव-तैमूर के आक्रमण से उत्तरी भारत की आर्थिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गई, तैमूर अपने साथ भारत का बहुत-सा धन ले गया। तैमूर के आक्रमण से कृषि की व्यवस्था भी बिगड़ गई थी। इस प्रकार, तैमूर का आक्रमण दिल्ली सल्तनत के लिए पक्षाघात का रोग सिद्ध हुआ। डॉ० आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव ने तैमूर के आक्रमण के विषय में ठीक ही लिखा है, “भारत को ‘जितनी क्षति और दुःख तैमूर ने पहुँचाया, उतना उससे पहले किसी आक्रमणकारी ने एक आक्रमण में नहीं पहुँचाया।”

प्रश्न 4.
सल्तनत काल में भारत पर मंगोल आक्रमणों तथा उनके परिणामों का वर्णन कीजिए। अथवा अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति का परीक्षण कीजिए। अथवा बलबन तथा अलाउद्दीन खिलजी की मंगल नीतियों की तुलना कीजिए।
उत्तर :
मंगोलों का परिचय मंगोल का शाब्दिक अर्थ ‘दिलेर या ‘बहादुर’ होता है। मंगोल मध्य एशिया की एक असभ्य और बर्बर जाति थी। इस जाति के लोग अत्यन्त वीर, लड़ाकू, साहसी, अत्याचारी और निर्दयी होते थे। उन्हें व्यक्तियों के सिरों की मीनार बनाने, नगरों को जलाकर राख करने में बड़ा आनन्द आता था। उनकी आकृति भयानक, रंग पीला, चेहरा चपटा और चौड़ा, बाल काले, आँखे तिरछी, गाल की हड्डियाँ उभरी हुई, कान बड़े और खोपड़ी गोल होती थी। इनका प्रमुख नेता चंगेज खान था जिसके नेतृत्व में  मंगोलों ने कुछ ही वर्षों में बल्ख, बुखारा, समरकन्द चीन तथा मध्य एशिया के अनेक राज्यों को लूटकर और जलाकर पूरी तरह नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था।

दिल्ली सुल्तानों की मंगोल नीति

भारत एक दुर्ग के समान है। इसमें प्रवेश करने का एकमात्र स्थल मार्ग उत्तर-पश्चिम से ही है। इसी मार्ग से भारत पर सिकन्दर, महमूद गजनवी तथा मुहम्मद गोरी आदि ने आक्रमण किए थे। सल्तनत काल का आरम्भ होने के समय से ही इस सीमा से प्रविष्ट होने वाले मंगोलों के आक्रमण होने लगे थे। ख्वारिज्म के शाह ने पंजाब को अपने साम्राज्य का अंग बना लिया था। मंगोलों ने अफगानिस्तान, गजनी तथा पेशावर तक अपनी विजय-पताका फहराकर भारत पर सुनियोजित ढंग से आक्रमण करना आरम्भ कर दिया था। अतएव दिल्ली सल्तनत काल के आरम्भ में ही, मंगोलों के आक्रमण से सीमा को सुरक्षित रखने की समस्या सुल्तानों के समक्ष उत्पन्न हुई। इस समस्या को हल करने के लिए विभिन्न राजवंशों के सुल्तानों ने अपनी विभिन्न नीतियों का प्रयोग किया।

(क)
दास वंश
दास वंश के शासकों के समय हुए मंगोल आक्रमणों और इन आक्रमणों को रोकने हेतु दास वंश के शासकों द्वारा किए गए प्रयासों का संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है

  1. इल्तुतमिश का शासनकाल : दास वंश का प्रथम शासक कुतुबद्दीन ऐबक था। अल्प आयु में ही मृत्यु हो जाने के कारण वह शासन के कार्यों को भली-भाँति न देख सका। उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश के शासनकाल (1221 ई०) में मंगोल नेता चंगेज खाने, ख्वारिज्म के शाह जलालुद्दीन मगबर्नी का पीछा करता हुआ भारत की ओर आया था। शाह जलालुद्दीन ने सिन्ध को पार करके दोआब प्रदेश को अपना शरण-स्थल बनाना चाहा था, किन्तु दूरदर्शी इल्तुतमिश ने शाह जलालुद्दीन को सहायता नहीं दी। अत: इल्तुतमिश ने कूटनीति से कार्य करते हुए चंगेज खान से शत्रुता मोल नहीं ली थी। अत: चंगेज खान ने सिन्धु नदी को पार नहीं किया और वह वापस लौट गया। इस प्रकार, मंगोलों की भयंकर आँधी टल गई।
  2.  रजिया के उत्तराधिकारियों का शासनकाल : चंगेज खान के चले जाने के बाद मंगोलों ने अफगानिस्तान को केन्द्र बनाकर भारत पर आक्रमण किया। मंगोलों ने सिन्धु नदी के पार स्थित प्रदेशों पर अनेक आक्रमण किए। इन प्रदेशों ने रजिया से समझौता करना चाहा, किन्तु दूरदर्शी सुल्ताना रजिया ने तटस्थ नीति का पालन किया और अपने साम्राज्य को मंगोलों के आक्रमणों से बचाए रखा।
  3.  रजिया के उत्तराधिकारियों का शासनकाल : रजिया का पतन 1240 ई० में अमीरों की दलबन्दी के कारण हुआ। उसके शासनकाल के उपरान्त 1241 ई० में मंगोल सरदार बहादुर ताहिर’ ने लाहौर को लूटा। 1245 ई० में मुल्तान पर हसन कार्लंग’ ने और सिन्ध पर कबीर खाँ के वंशजों ने अधिकार कर लिया। 1247 ई० में मंगोल नेता सली बहादुर ने मुल्तान को घेरकर लाहौर पर आक्रमण किया। लाहौर के अमीरों ने सली बहादुर के सामने आत्म-समर्पण कर दिया। इस प्रकार, मुल्तान व सिन्ध के प्रदेश दिल्ली सल्तनत से कुछ समय तक कट गए। 1250 ई० में इन पर पुन: दासवंशीय शासकों की विजय पताका फहराने लगी, फिर भी प्रान्तीय सूबेदारों के षड्यन्त्र मंगोलों के साहस में निरन्तर वृद्धि करते रहे।
  4. मंगोल सरदार हलाकू का अभियान  :सुल्तान नासिरुद्दीन के शासनकाल में मंगोल नेता हलाकू ने दिल्ली से मित्रता बनाए रखी, किन्तु बलबन के सुल्तान होते ही मंगोलों ने भारत पर पुनः आक्रमण करने आरम्भ कर दिए। बलबन ने हलाकू आक्रमणों को रोकने के लिए सीमान्त प्रदेशों पर छावनियों की व्यवस्था का कार्य अपने पुत्रों को सौंप दिया। उन्होंने इन प्रदेशों में । मंगोलों की गतिविधियों को रोकने के लिए विशाल दुर्गों का निर्माण कराया।
  5. तैमूर खाँ का आक्रमण : 1285 ई० में मंगोल सरदार तैमूर खाँ ने आक्रमण किया। इस | आक्रमण में बलबन का पुत्र मुहम्मद मारा गया था।

(ख)
खिलजी व अन्य वंश

खिलजी वंश तथा तुगलक वंश के शासकों के समय में होने वाले मंगोल आक्रमणों का उल्लेख अग्रवत् । है

  1. खिलजी का शासनकाल–अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में मंगोलों ने बार-बार आक्रमण किए। 1299 ई० में साल्दी व कुतलुग ख्वाजा, 1303 ई० में तार्गी औरी 1305 ई० में अलीबेग, 1306 ई० में कूबक और 1307 ई० में इकबाल मन्दा के नेतृत्व में मंगोलों ने आक्रमण किए, किन्तु अलाउद्दीन की विशाल सेना के सामने इन मंगोल आक्रमणकारियों का सदैव नतमस्तक होना पड़ा।
  2. निर्बल सुल्तानों का काल- अलाउद्दीन खिलजी के बाद दिल्ली सल्तनत का पतन आरम्भ हो गया। तुगलक शासकों के काल में भी मंगोलों के आक्रमण का ताँता बँधा रहा। इस काल में तरमाशीरीन के नेतृत्व में मंगोलों का आक्रमण महत्त्वपूर्ण रहा। कालान्तर में 1398 ई० में तैमूर लंग ने दिल्ली को तहस-नहस कर डाला और वहाँ भयंकर रक्तपात किया। कई महीनों तक दिल्ली उजाड़ श्मशान-सी दिखाई देती रही। अन्ततः मंगोलों के आक्रमण दिल्ली सल्तनत के विघटन का एक महत्त्वपूर्ण कारण सिद्ध हुए।

मंगोलों के आक्रमण का प्रभाव

मंगोलों के आक्रमण के निम्नलिखित प्रभाव हुए

  1.  मंगोलों के आक्रमणों को रोकने में व्यस्त रहने के कारण सुल्तान प्रशासकीय कार्यों के प्रति
    जागरूक न रह सके।
  2. इन्हीं आक्रमणों के कारण प्रान्तीय सूबेदार स्वतन्त्र रूप से विद्रोह करते रहे, क्योंकि सुल्तान इन
    मंगोल आक्रमणों को दबाने में लगे रहते थे।
  3. सुल्तानों को विवश होकर दमेन नीति का आश्रय लेना पड़ा था, जिसके कारण प्रजा सुल्तानों से अप्रसन्न रही।

कुछ सुल्तानों ने सीमा नीति की उपेक्षा भी की, जिससे मंगोलों के आक्रमण निरन्तर जारी रहे और विद्रोहों की भी अधिकता रही। इतना ही नहीं, एक सुल्तान की मृत्यु पर दूसरे सुल्तान का  सिंहासनारोहण तलवार के द्वारा ही सम्भव था। इन कारणों से मंगोलों को भारतीय आक्रमणों के समय कभी-कभी अपार सफलता मिलती थी, जो उन्हें पूर्वी आक्रमण के लिए प्रेरणा देती थी।

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UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 1 From the Beginning of Time

UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 1 From the Beginning of Time (समय की शुरुआत से)

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पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर

संक्षेप में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.

पृष्ठ 27 पर दिए गए सकारात्मक प्रतिपुष्टि व्यवस्था (Positive Feedback Mechanism) को दर्शाने वाले आरेख को देखिए। क्या आप उन निवेशों (Inputs) की सूची दे सकते हैं जो औजारों के निर्माण में सहायक हुए? औजारों के निर्माण से किन-किन प्रक्रियाओं को बल मिला?
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उत्तर :
(I)  निम्नलिखित निवेश (Inputs) औजार निर्माण में सहायक हुए

  1. मस्तिष्क के आकार में वृद्धि हुई तथा उसकी क्षमता बढ़ी।
  2.  वस्तुओं को उठाने, औजारों को बनाने तथा उपयोग के लिए हाथ स्वतन्त्र थे।
  3. मानव अपने पैरों पर सीधा चलने लगा था।
  4. आखेट और भोजन के लिए।

(II)  औजारों के निर्माण में निम्नलिखित प्रक्रियाएँ आगे बढ़ीं

  1.  मानव की कार्यक्षमता में वृद्धि हो गई।
  2.  मानव सरलता से आखेट करने लगा।
  3.  वह मांस के बड़े टुकड़ों को छोटे-छोटे आकार में कर सकता था, जिससे उसे खाने में सरलता होने लगी।
  4. औजारों के उपयोग से उसने घर बनाना भी सीखा।

प्रश्न 2.
मानव और लंगूर तथा वानरों जैसे स्तनपायियों के व्यवहार तथा शरीर रचना में कुछ समानताएँ पाई जाती हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि सम्भवतः मानव का क्रमिक विकास वानरों से हुआ (क) व्यवहार और (ख) शरीर रचना शीर्षकों के अन्तर्गत दो अलग-अलग स्तम्भ बनाइए और उन समानताओं की सूची दीजिए। दोनों के बीच पाए जाने वाले उन अन्तरों का भी उल्लेख कीजिए जिन्हें आप महत्त्वपूर्ण समझते हैं?
उत्तर :
समानताएँ (व्यवहार) :

  1. मानव, लंगूर और वानर ये तीनों ‘प्राइमेट’ स्तनपायी प्राणियों के एक अधिक बड़े समूह के अन्तर्गत एक समूह है।
  2.  ये तीनों अपनी सन्तानों से प्यार करते हैं।
  3.  तीनों चलते समय पैरों और हाथों का उपयोग करते हैं।
  4. तीनों ही प्रजनन द्वारा सन्तान को जन्म देते हैं।
  5. अपना और अपने बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं।

शारीरिक समानताएँ :

  1.  तीनों के शरीर पर बाल पाए जाते हैं।
  2.  सन्तान जन्म लेने से पूर्व अपेक्षाकृत दीर्घकाल तक माता के गर्भ में पलती है।
  3. तीनों में स्तनपायी ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं।

मानव, लंगूर तथा वानर में अन्तर

  1. तीनों की खोपड़ियों की रचना में बड़ा अन्तर है।
  2.  तीनों के दाँत भी भिन्न प्रकार के होते हैं।

प्रश्न 3.
मानव उद्भव के क्षेत्रीय निरमंतरता मॉडल के पक्ष में दिए गए तर्कों पर चर्चा कीजिए। क्या आपके विचार से यह मॉडल पुरातात्त्विक साक्ष्य को युक्तियुक्त स्पष्टीकरण देता है?
उत्तर :
मानव उद्भव के क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए गए हैं

  1. आधुनिक सभ्य मानवों में सर्वत्र शारीरिक और आनुवंशिक समरूपता पाई जाती है। इस समरूपता का कारण क्षेत्रीय निरन्तरता है।
  2. सभी आधुनिक सभ्य मानवों के पूर्वज एक ही क्षेत्र अर्थात् अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे और वहीं से अन्य स्थानों पर गए।
  3. आधुनिक मानव के जो जीवाश्म इथोपिया में मिले हैं उनसे इनकी पुष्टि होती है।
  4. आधुनिक सभ्य समाज में जो शारीरिक भिन्नताएँ दिखाई देती हैं उसका कारण उन लोगों का , परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को तैयार करना है। इस प्रकार क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल पुरातात्त्विक साक्ष्य का सही-सही स्पष्टीकरण देता है। जिसकी पुष्टि पुरातात्त्विक साक्ष्य भी करते हैं।

प्रश्न 4.
इनमें से कौन-सी क्रिया के साक्ष्य व प्रमाण पुरातात्विक अभिलेख में सर्वाधिक मिलते हैं
(क) संग्रहण
(ख) औजार बनाना
(ग) आग का प्रयोग
उत्तर :
(ख) औजार बनाना

संक्षेप में निबन्ध लिखिए।

प्रश्न 5.
भाषा के प्रयोग से (क) शिकार करने और (ख) आश्रय बनाने के काम में कितनी मदद . मिली होगी? इस पर चर्चा कीजिए। इन क्रिया-कलापों के लिए विचार सम्प्रेषण के अन्य किन तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता था?
उत्तर :
शिकार करने और आश्रय या घर बनाने के कार्य में भाषा के प्रयोग से मानव को बहुत सुविधा प्राप्त हुई होगी। भाषा-विचार सम्प्रेषण का सर्वाधिक सशक्त माध्यम है। पहले भाषा का रूप हाव-भाव थे। होमोनिड भाषा में हाव-भाव या हाथों का संचालन सम्मिलित था। उच्चारित भाषा से पूर्व मौखिक या अशाब्दिक संचार का प्रयोग किया जाता था। मानव की वाणी का प्रारम्भ सम्भवतया प्राइमेट्स में पाए जाने वाले बुलावों की क्रिया से हुआ। प्रारम्भिक मानव एक-दूसरे को भाषा के माध्यम से शिकार का स्थान और उसका प्रकार बताता होगा। यही नहीं, शिकार किस प्रकार किया जाए, इसकी भी जानकारी प्राप्त करता होगा। कुछ पुरातत्त्वशास्त्रियों का विचार है कि भाषा, कला के साथ-साथ 40000-35000 वर्ष पूर्व विकसित हुई उच्चारित भाषा का विकास कला के साथ निकटतापूर्वक जुड़ा है। इसी कला के माध्यम से मानव को आश्रय या घर की सुविधा के विषय में ज्ञान प्राप्त हुआ होगा। घर बनाने की तकनीक, इसमें प्रयुक्त होने वाली सामग्री की जानकारी भी एक-दूसरे से भाषा के माध्यम से ही प्राप्त हुई होगी। विचार सम्प्रेषण केअन्य तरीकों के रूप में नृत्य, हाव-भाव का प्रदर्शन, चित्रकारी करना, रेखाएँ खींचना, लक्ष्य दिखाना आदि का प्रयोग किया जाता रहा होगा।

प्रश्न 6.
अध्याय के अन्त में दिए गए प्रत्येक कालानुक्रम में से किन्हीं दो घटनाओं को चुनिए और यह बताइए कि इनका क्या महत्त्व है?
उत्तर :
अध्याय के अन्त में दिए युए कालानुक्रम प्रथम की दो सम्मुख घटनाओं का वर्णन इस प्रकार है

  1. आस्ट्रेलोपिथेकस : 56 लाख वर्ष पूर्व आस्ट्रेलोपिथिकस का उद्भव हुआ था। इसके मस्तिष्क का आकार होमो की अपेक्षा बड़ा था। जबंड़े अधिक भारी थे। दाँत भी बड़े थे। आस्ट्रेलोपिथिकस नाम लातिनी भाषा के शब्द ‘आस्ट्रेल’ अर्थात् दक्षिणी और यूनानी भाषा के शब्द ‘पिथिक्स’ यानी ‘वानर’ से मिलकर बना है। यह नाम इसलिए ‘दिया गया, क्योंकि मानव के आदिकालीन रूप में उसकी वानर अवस्था के अनेक लक्षण विमान रहे।
  2. होमोसेपियन्स : होमोसैपियन्स अथवा आधुनिक मानव जो बुद्धिमान तथा चिन्तनशील कहलाता है। ये 1.9-1.6 लाख वर्ष पूर्व के हैं।

कालानुक्रम द्वितीय की दो घटनाएँ निम्नलिखित हैं

  1.  स्वरतन्त्र का विकास : स्वरतन्त्र का सम्बन्ध बोली जाने वाली भाषा से है। पुरातत्त्वविदों
    का विचार है कि होमोबिलस के मस्तिष्क में कुछ ऐसी विशेषताएँ रही होंगी, जिनके कारण वे बोल सके होंगे। स्वरतन्त्र का विकास भी भाषा की उत्पत्ति में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। स्वरतन्त्र का विकास लगभग 2 लाख वर्ष पूर्व हुआ। वास्तव में इसका सम्बन्ध आधुनिक मानवों से रहा है।
  2.  चूल्हों के इस्तेमाल के बारे में पहला साक्ष्य (1,25,000 लाख वर्ष पूर्व) :
    1,25,000 वर्ष । पूर्व गुफाओं तथा खुले निवास क्षेत्र का प्रचलन प्रारम्भ हो गया था। इसके प्रमाण यूरोप के पुरास्थलों से मिलते हैं। दक्षिण फ्रांस में स्थित लेजरेट गुफा की दीवार को 12×4 मीटर आकार के एक निवास स्थान से सटाकर बनाया गया है। इसके अन्दर दो चूल्हे मिले हैं। चूल्हे आग के नियन्त्रित प्रयोग के परिचायक हैं। इसके कई लाभ थे। नियन्त्रित आग का प्रयोग गुफाओं के अन्दर प्रकाश और उष्णता मिलने में सहायक होता था। इससे भोजन भी पकाया जाता था। आग का प्रयोग खतरनाक जानवरों को भगाने में भी किया जाता रहा होगा।

परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न :
प्रश्न 1.
जीवाश्मों का अध्ययने क्यों आवश्यक है।
(क) जीवित मानव के लिए।
(ख) मानव की लुप्त प्रजातियों के लिए।
(ग) मृत जीवों के लिए ।
(घ) विशिष्ट अध्ययन हेतु
उत्तर :
(ख) मानव की लुप्त प्रजातियों के लिए।

प्रश्न 2.
पशुओं और कुत्तों को कब पालतू बनाया गया?
(क) 7000-6000 ई० पू०
(ख) 5000-4000 ई० पू०
(ग) 2000-3000 ई० पू०
(घ) 1000-1500 ई० पू०
उत्तर :
(क) 7000-6000 ई० पू०

प्रश्न 3.
प्रथम ओलम्पिक खेलों का आयोजन किस देश में हुआ?
(क) यूनान
(ख) एशिया
(ग) यूरोप
(घ) भारत
उत्तर :
(क) यूनान 

प्रश्न 4.
गेहूँ और जौ की खेती कहाँ प्रारम्भ हुई थी?
(क) भारत
(ख) यूनान
(ग) यूरोप
(घ) अफ्रीका
उत्तर :
(ग) यूरोप।

प्रश्न 5.
भीमबेटका के गुफाचित्र भारत के किस प्रदेश में हैं।
(क) गुजरात
(ख) महाराष्ट्र
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) राजस्थान
उत्तर :
(ग) मध्य प्रदेश

प्रश्न 6.
प्राज्ञ मानव कहलाता है
(क) आस्ट्रेलोपिथिकस
(ख) होमोहैबिलस
(ग) होमोसैपियन्स
(घ) निअण्डरथल
उत्तर :
(ग) होमोसैपियन्स

प्रश्न 7.
सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलने वाले मानव थे
(क) होमोहैबिलस
(ख) होमोइरेक्टस
(ग) होमोसैपियन्स
(घ) निअण्डरथल
उत्तर :
(ख) होमोइरेक्टस

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवाश्म से क्या आशय है?
उत्तर :
जीवाश्म अत्यन्त प्राचीन वृक्ष, मानव तथा जानवरों के अवशेष हैं। ये पत्थर में परिवर्तित हो । जाते हैं तथा प्रायः चट्टानों में संचित रहते हैं। इस प्रकार जीवाश्म लाखों वर्षों तक सुरक्षित बने रहते हैं।

प्रश्न 2.
‘प्राइमेट्स से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
प्राइमेट्स स्तनधारियों के बड़े समूह के उपसमूह हैं। इसमें लंगूर, वानर तथा मानव को सम्मिलित किया जाता है। प्राइमेट्स का गर्भधारणकाल
अपेक्षाकृत लंबा होता है। इनमें स्तनग्रन्थियाँ पायी जाती हैं।

प्रश्न 3.
प्रारम्भ में मानव ने अपना भोजन किस प्रकार प्राप्त किया?
उत्तर :
प्रारम्भ में मानव ने अपना भोजन जानवरों का शिकार करके, भोजन की तलाश करके अंथवा वृक्षों से प्राप्त कंद-मूल से प्राप्त किया।

प्रश्न 4.
वे कौन-से कारक हैं जो प्रारम्भिक मानव इतिहास को समझने में हमारी सहायता करते हैं?
उत्तर :
निम्नलिखित कारक प्रारम्भिक मानव इतिहास को समझने में हमारी सहायता करते हैं

  1.  जीवाश्म,
  2.  पत्थर के औजार,
  3. गुफाओं की चित्रकारी।

प्रश्न 5.
मानव विज्ञान के अध्ययन के विषय क्या हैं?
उत्तर :
मानव विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसमें मानव संस्कृति और मानव जीवविज्ञान के उविकासीय पक्षों का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 6.
नृवंशशास्त्र (Ethnography) शास्त्र के अध्ययन का विषय क्या है?
उत्तर :
नृवंशशास्त्र के अध्ययन का विषय समकालीन नृजातीय समूहों का विश्लेषणात्मक अध्ययन होता है। इसमें उनके रहन-सहन, खान-पान, आजीविका के साधन, प्रौद्योगिकी आदि की जाँच की जाती है।

प्रश्न 7.
भाषा की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर :
उच्चरित यानी बोली जाने वाली भाषा की उत्पत्ति के विषय में नृतत्त्वशास्त्रियों का मत है कि ‘होमोहैबिलस’ के मस्तिष्क में कुछ ऐसी विशेषताएँ थीं जिनके कारण उसके लिए बोलना सम्भव हुआ। इस प्रकार सम्भवतः भाषा का विकास 20 लाख वर्ष पूर्व हुआ होगा।

प्रश्न 8.
आस्ट्रेलोपिथिकस की खोज किसने की?
उत्तर :
आस्ट्रेलोपिथिकस की खोज सर्वप्रथम मैरी लिके (Mary Leakey) ने 17 जुलाई, 1959 को की थी।

प्रश्न 9.
प्रजातियों का वर्गीकरण कैसे किया गया है?
उत्तर :
आदिकालीन मानवों के अवशेषों को भिन्न-भिन्न प्रजातियों में वर्गीकृत किया गया है। इन प्रजातियों को अक्सर उनकी हड्डियों की रचना में पाए जाने वाले अन्तरों के आधार पर एक-दूसरे से । अलग किया जाता है।

प्रश्न 10.

होमिनिड्स के उपविभाग लिखिए।
उत्तर :
होमिनिड्स के उपविभाग हैं

  1. आस्ट्रेलोपिथिकस
  2.  होमो

प्रश्न 11.
आस्ट्रेलोपिथिकस तथा होमो के बीच क्या अन्तर है?
उत्तर :
आस्ट्रेलोपिथिकस तथा होमो के बीच मुख्य अन्तर मस्तिष्क के आकार, जबड़ों तथा दाँतों में आस्ट्रेलोपिथिकस मस्तिष्क का आकार होमो की अपेक्षा छोटा होता है। इसके अलावा आस्ट्रेलोपिथिकस के जबड़े होमो के मुकाबले भारी तथा दाँत लम्बे होते हैं।

प्रश्न 12.
पत्थर के औजार बनाने तथा प्रयोग करने के प्रारम्भिक साक्ष्य हमें कहाँ मिले?
उत्तर :
पत्थर के औजार बनाने तथा प्रयोग करने के प्रारम्भिक साक्ष्य हमें अफ्रीका महाद्वीप के इथियोपिया तथा कार्निया में मिले हैं।

प्रश्न 13.
पत्थर के औजारों का प्रयोग सर्वप्रथम किसके द्वारा किया गया?
उत्तर :
आस्ट्रेलोपिथिकस सम्भवतः पत्थर के औजार बनाने वाले सर्वप्रथम थे।

प्रश्न 14.
हादजा कौन है?
उत्तर :
हादजा शिकारियों तथा संग्राहकों का एक छोटा समूह है, जो दक्षिण अफ्रीका में ‘लेक इयासी एक खारे पानी की विभ्रंश घाटी में बनी झील के आस-पास रहते हैं।

प्रश्न 15.
लेजरेट गुफा के पास मिले निवास स्थल में चूल्हे (Hearths) किस बात के प्रतीक हैं।
उत्तर :
चूल्हे इस बात का प्रतीक हैं कि मानव आग का नियन्त्रित प्रयोग जानता था। आग से गुफाओं को गर्म रखने तथा उजाला करने में सहायता मिलती थीं।

प्रश्न 16.
प्रारम्भिक होमिनिड्स के खाद्य स्रोत कौन से थे?
उत्तर :
ऐसा माना जाता है कि प्रारम्भिक होमिनिड्स मृत जानवरों के शरीर में मांस तथा मज्जा प्राप्त करते होंगे। ये जानवर या तो प्राकृतिक रूप से मर जाते होंगे या अन्य जानवरों द्वारा मार दिए जाते होंगे। प्रश्न 17. मानव के सीधे खड़े होने की स्थिति का उसे क्या लाभ मिला? उत्तर-सीधा खड़ा होने तथा पिछले पैरों से चलना सीखना मानव के विकास की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना थी। मानव अब स्वयं को दूसरे जानवरों से अलग कर सकता था। खड़ा होने पर मानव के आगे के अंग वस्तुओं को पकड़ने तथा औजारों का हथियारों के रूप में प्रयोग करने के लिए स्वतन्त्र थे।

प्रश्न 18.
मानव इतिहास में प्रमुख निर्णायक अवस्था कब आई?
उत्तर :
मानव इतिहास में प्रमुख निर्णायक अवस्था उस समय आई जब मानव ने भोजन की तलाश से कृषि करना सीखा।

प्रश्न 19.
होमो’ शब्द का अर्थ बताइए।
उत्तर :
‘होमो’ लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ‘मानव’।

प्रश्न 20.
नृतत्त्वशास्त्रियों द्वारा सभी प्रजातियों के नाम किन भाषाओं से लिए गए हैं। एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
नृतत्त्वशास्त्रियों द्वारा सभी प्रजातियों के नाम लैटिन तथा ग्रीक भाषाओं से लिए गए हैं, जैसेआस्ट्रेलोपिथिकस शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘आस्ट्रल’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है दक्षिणी तथा ग्रीक भाषा के शब्द ‘पिथिकोस’ से हुई, जिसका अर्थ है ‘वानर’।

प्रश्न 21.
ओल्डवर्ड गोर्ज क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर :
ओल्डवर्ड गोर्ज से आदिकालीन मानव के अनेक अवशेष मिले हैं, इसलिए यह प्रसिद्ध है।

प्रश्न 22.
आस्ट्रेलोपिथिकस कैसे लुप्त हो गया?
उत्तर :
हिमयुग के प्रारम्भ में तापमान और वर्षा की कमी के कारण जंगल कम हो गए और घास के मैदानों का क्षेत्रफल बढ़ता गया। फलस्वरूप आस्ट्रेलोपिथिकस के प्रारम्भिक रूप लुप्त हो गए।

प्रश्न 23.
गुफाओं में चित्रकारी क्यों की जाती थी?
उत्तर :

  1.  शिकार करने में सफलता प्राप्त करने पर।
  2.  गुफाएँ संगमस्थल थीं जहाँ लोगों के छोटे-छोटे समूह मिलते थे।

प्रश्न 24.
हादजा जनसमूह का भोजन क्या है?
उत्तर :
हादजा जनसमूह का भोजन 80% वनस्पतिजन्य और शेष 20% मांस और शहद से पूर्ण किया जाता है।

प्रश्न 25.
होमिनिड कहाँ निवास करते थे?
उत्तर :
होमिनिड पेड़ों की शाखाओं पर निवास करते थे।

प्रश्न 26.
आदिकालीन मानव के दो औजारों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  1. मँड़ासा,
  2. हस्तकुठार,
  3.  छेनी

लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
इन चार खोपड़ियों को देखिए
UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 1 From the Beginning of Time image 2
खोपड़ी—क, एक वानर की है।
खोपड़ी—ख, आस्ट्रेलोपिथिकस नामक प्रजाति की है (नीचे देखिए)
खोपड़ी–ग, होमोइरेक्टस (सीखे खड़े होकर चलने वाले आदमी) की है।
खोपड़ी-घ, होमोसेपियन्स (चिन्तनशील/प्राज्ञ मानव) नामक प्रजाति की है। आज के मानव इसी प्रजाति के हैं। इन खोपड़ियों में आप अधिक-से-अधिक जितनी समानताएँ और अन्तर देखते हैं उनकी सूची बनाइए; इस हेतु आप सबसे पहले इन खोपड़ियों का मस्तिष्क खोलो, जबड़ों और दाँतों को भली-भाँति देखिए।
उत्तर :
उपर्युक्त प्रस्तुत चार खोपड़ियाँ क, ख, ग, घ के विषय में हमारे अध्ययन का निष्कर्ष निम्न है
UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 1 From the Beginning of Time image 3

प्रश्न 2.
प्रजाति की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
प्रजाति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(i)
प्रजाति जीवों का एक ऐसा समूह है जिसके नर और मादा सहवास के माध्यम से बच्चे पैदा कर सकते हैं।
(ii) ये बच्चे भी कालान्तर में सहवास करके सन्तान उत्पन्न करते हैं।
(iii) एक प्रजाति विशेष के सदस्य दूसरी प्रजाति के सदस्यों से सहवास करके सन्तान उत्पन्न नहीं कर सकते।
(iv) विभिन्न प्राणियों की आनुवंशिकी भी भिन्न-भिन्न होती है।

प्रश्न 3.
“जीवित प्राणियों में केवल मानवों में ही भाषा पाई जाती है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
विश्व के समस्त जीवित प्राणियों में केवल मानव द्वारा ही भाषा का प्रयोग किया जाता है। भाषा के विकास से जुड़े निम्नलिखित मत हैंहोमोनिड मानव भाषा के रूप में हाव-भाव तथा हाथों की चेष्टा का उपयोग करता था। ध्वनि तथा हाव-भाव और चेहरे के भाव द्वारा अपनी बात समझाना बोल-चाल की भाषा से पूर्व का रूप था। मानव भाषा का प्रारम्भ प्राइमेट्स में पाई गई आवाजों से हुआ। प्रारम्भिक अवस्था में मानव के पास भाषा के रूप में कम ध्वनियाँ रही होंगी, धीरे-धीरे इनका विकास भाषा में हुआ होगा।

प्रश्न 4.
आदिमानव के दो पैरों पर चलने से क्या लाभ हुए?
उत्तर :
आदिमानव जब दो पैरों पर चला तो उसे निम्नलिखित लाभ हुए

  1. दो पैरों पर खड़े होकर चलने की क्षमता के कारण उसके हाथ वस्तुओं को उठाकर ले जाने के लिए मुक्त हो गए।
  2.  हाथों के प्रयोग से सन्तुलन बना और दो पैरों पर खड़े होकर चलने की कुशलता भी बढ़ गई।
  3.  हाथों का इस्तेमाल औजार बनाने में काम आया।
  4. चलने से उसकी शारीरिक ऊर्जा की खपत अन्य कार्यों में होने लगी।

प्रश्न 5.
आकृति (क) चिम्पैंजी की ठीक व सूक्ष्म पकड़ दर्शाती है।
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आकृति (ख) होमिनिड़ की दुरुस्त व सूक्ष्म पकड़ दर्शाती है। आकृति (ग) मनुष्य के हाथ की सशक्त (Power) पकड़ दर्शाती है। हाथ की सशक्त पकड़ का विकास सम्भवतः ठीक व सूक्ष्म पकड़ से पहले ही हुआ होगा। चिम्पैंजी की ठीक पकड की तुलना मनुष्य के हाथ की ठीक व सूक्ष्म पकड़ से कीजिए। उन कामों की सूची बनाइए जिन्हें करते समय आप ठीक व पकड़ सूक्ष्म का इस्तेमाल करते हैं। आप किन-किन कामों को करने के लिए सशक्त पकड़ का प्रयोग करते हैं?
उत्तर :
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हम यथार्थ मात्रता पकड़ के आधार पर औजार बनाने, छोटी-छोटी वस्तुओं को उठाने तथा उन्हें पकड़ने आदि का काम करते हैं। सशक्त पकड़ के आधार पर हम किसी वस्तु; जैसे-क्रिकेट का बैट, हॉकी, भाला, साइकिल, स्कूटर का हैंडिल आदि को पकड़ने का कार्य करते हैं।

प्रश्न 6.
कुछ स्थानों पर मानव-निर्मित औजार एक ही स्थान पर भारी मात्रा में मिले हैं। इसका क्यो कारण है?
उत्तर :
कुछ स्थानों, जैसे कीनिया में किलोंबे और ओलोर्जेसाइली में हजारों की संख्या में शल्य उपकरण और हस्तकुठार प्राप्त हुए हैं। ये 7 लाख से 5 लाख वर्ष प्राचीन हैं। एक ही स्थान पर हजारों की संख्या में औजार मिलने का कारण यह हो सकता है कि जिन स्थानों पर खाद्य प्राप्ति के संसाधन अधिक मात्रा में उपलब्ध थे वहाँ बार-बार आते-जाते रहे होंगे। वे लोग जाते समय वहाँ अपने क्रिया-कलापों और उपस्थिति के चिह्न; जैसे-शिल्प वस्तुएँ, औजार आदि छोड़ गए होंगे। धीरे-धीरे इन स्थानों पर औजारों का ढेर लग गया। जहाँ लोग कम आते थे वहाँ ये वस्तुएँ कम पाई गईं।

प्रश्न 7.
मानव द्वारा आखेट या शिकार कब प्रारम्भ किया गया?
उत्तर :
मानव द्वारा आखेट लगभग 5,00,000 वर्ष पूर्व प्रारम्भ किया गया। योजनाबद्ध तरीके से सोच-समझकर बड़े स्तनपायी जानवरों का शिकार और उनका वध करने का सबसे प्राचीन स्पष्ट साक्ष्य दो स्थानों से मिला है—दक्षिण इंग्लैण्ड में बॉक्स ग्रोव से 5 लाख वर्ष पूर्व का और जर्मनी में । शोनिजन से 4 लाख वर्ष पूर्व का। लगभग 35 हजार वर्ष पूर्व मानव के योजनाबद्ध तरीके से शिकार करने का साक्ष्य कुछ यूरोपीय खोज स्थलों से मिलता है। ऐसा लगता है कि पूर्व मानव
ने कुछ ऐसे स्थल जैसे कि नदी के पास दोलनी वेस्तोनाइस (चेक गणराज्य) को सोच-समझकर शिकार के लिए चुना था। रेन्डियर और घोड़ा जैसे स्थान बदलने वाले जानवरों के झुण्ड के झुण्ड पतझड़ और वसन्त के मौसम में सम्भवतः उस नदी के पार जाते थे आर तब उनका बड़े पैमाने पर शिकार किया जाता था।
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चित्र-यूरोप

प्रश्न 8.
आदिमानव की औजार बनाने की पंच ब्लेड विधि को सचित्र समझाइए।
उत्तर-लगभग 11000 वर्ष पूर्व सिले हुए कपड़ों के प्राथमिक प्रमाण मिलते हैं। पंच ब्लेड विधि के द्वारा छोटे रूखानी जैसे औजार बनाए जाने लगे। इनकी सहायता से हड्डियों, बारहसिंगों के सींग, हाथीदाँत या लकड़ी पर नक्काशी की जाने लगी।
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पंच ब्लेड विधि (The Punch Blade Technique)

(क) एक बड़े पत्थर का ऊपरी भाग पत्थर के हथौड़े से हटाया जाता है।
(ख) इससे एक सपाट तल (Flat Surface) बनता है जिसे चोट मारने वाला प्लेटफार्म (Striking platform) कहा जाता है।
(ग) इसे हथौड़े तथा पंच के द्वारा पीटा जाता है, जो कि हड्डी या बारहसिंगे के सींग के बने होते हैं।
(घ) इससे ब्लेड बनते हैं जिन्हें चाकुओं या रूखानियों (Chisels) के रूप में हड्डी बारहसिंगे की सींग, हाथीदाँत या लकड़ी पर नक्काशी अथवा खुदाई (Engraving) के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
(ङ) हड्डी पर नक्काशी (Engraving) का एक उदाहरण। इस पर जानवरों के चित्रों को देखें।
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एक फेंकने वाली बरछी (A Spear Hrowner)

प्रश्न 9.
होमोनिड्स के क्रियाकलाप के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
प्रस्तुत चित्र से स्पष्ट होता है कि एक ही स्थल पर होमोनिड्स, अन्य प्राइमेट्स तथा मांसाहारी पाए गए हैं। नृतत्त्वशास्त्रियों का विचार है कि प्रारम्भिक होमोनिड्स जैसे होमोहैबिलस जहाँ कहीं भी भोजन मिलता था उसका अधिकांश उपयोग करते थे। विभिन्न स्थानों पर सोते थे और अपना अधिकांश समय पेड़ों पर बिताते थे।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
आधुनिक मानव की उत्पत्ति के स्थान के विषय में प्रतिस्थापन मॉडल और क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल के बिन्दुओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
आधुनिक मानव की उत्पत्ति के विषय में हुई खोजों के पश्चात् वैज्ञानिकों ने दो मॉडल विकसित किए|

  1. क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल,
  2. प्रतिस्थापन मॉडल।

 

  1.  क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल : इस प्रतिरूप के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रदेशों में रहने वाले होमोसैपियन्स का आधुनिक मानव के रूप में विकास धीरे-धीरे अलग गति से हुआ। इसीलिए आधुनिक मानव विश्व के विभिन्न भागों में पहली बार अलग अलग स्वरूप में दिखाई दिया।यह तर्क वर्तमान मानव के लक्षणों की विभिन्नताओं पर आधारित है।
    UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 1 From the Beginning of Time image 10
  2.  प्रतिस्थापन मॉडल : प्रतिस्थापन मॉडल में यह कल्पना की गई है कि मानव के सभी प्राचीन रूप, चाहे वे कहीं भी थे, बदल गए। उनका स्थान पूरी तरह आधुनिक मानव ने ले लिया। इस विचारधारा का समर्थन इस प्रमाण से होता है कि आधुनिक मानव में सभी जगह शारीरिक और जाननिक समरूपता दिखाई देती है।

प्रश्न 2.
प्रारम्भिक मानव के भोजन प्राप्त करने के तरीकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
पुरातात्त्विक प्रमाणों से पता चलता है कि प्रारम्भिक मानव दो तरीकों से भोजन प्राप्त करते थे|

  1.  संग्रहण द्वारा।
  2. आखेट (शिकार) द्वारा।

 

  1.  संग्रहण द्वारा : यत्र-तत्र बिखरे हुए खाद्य पदार्थों को खोजकर एकत्र करना, बिखरे हुए दाने, बीजों आदि को बटोरना और जल से मछली पकड़ना आदि संग्रहण है। प्रारम्भिक मानव अपने भोजन के लिए सम्भवतया इसी संग्रहण प्रक्रिया का सहारा लेता होगा। इस प्रक्रिया के कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं हुए हैं।
    आखेट (शिकार) द्वारा : प्रारम्भिक मानव का भोजन प्राप्त करने का दूसरा प्रमुख तरीका आखेट था। प्राप्त साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि आदिकालीन होमिनिड मृत जानवरों की मांस-मज्जा खुरचकर निकाल लेते थे और उसका भोजन के रूप में प्रयोग करते थे। इसके लिए वे पत्थर के औजारों का इस्तेमाल करते थे। ये औजार दक्षिण अफ्रीका में इथोपिया और केन्या में मिले हैं। सम्भवतया ये लोग स्तनपायी जानवरों, पक्षियों, चूहे, साँप और कीड़े-मकौड़ों को  अपना आहार बनाते होगे। आखेट या शिकार द्वारा भोजन प्राप्त करने का तरीका मानव ने 5 लाख वर्ष पूर्व ही अपना लिया था। आस्ट्रेलोपिथिकस सम्भवतः पत्थर के औजार बनाने वाले सबसे पहले थे। इनसे मांस-मज्जा खुरचकर वे उसका प्रयोग भोजन में करते थे।
    UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 1 From the Beginning of Time image 11

योजनाबद्ध आखेट करने के सर्वाधिक प्राचीन प्रमाण दो स्थलों से प्राप्त हुए हैं ।

  1. दक्षिणी इंग्लैण्ड में बॉक्स ग्रोव से—यह 5 लाख वर्ष पूर्व का है।
  2. जर्मनी में स्कोनिंजन से—यह 4 लाख वर्ष पूर्व का है।
    वर्तमान समाज में भी अनेक जनजातियाँ संग्रहण और आखेट द्वारा अपना भरण-पोषण करती हैं, किन्तु इनकी तुलना प्राचीन समाज से नहीं की जा सकती है।

प्रश्न 3.
होमों का क्या अर्थ है? होमो जीवाश्मों का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया है?
उत्तर :
‘होमो’ लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ‘मानव’। नृतत्त्वशास्त्रियों द्वारा होमो को अनेक प्रजातियों में बाँटा गया है तथा प्रजातियों को उनकी विशिष्टताओं के आधार पर अलग-अलग नाम दिए गए हैं। होमो जीवाश्मों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा गया है

  1. होमोबिलस : औजार बनाने वाले।
  2.  होमोइरेक्टस : सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलने वाले।
  3.  होमोसेपियन्स : चिन्तनशील या प्राज्ञ मानव।
    UP Board Solutions for Class 11 History Chapter 1 From the Beginning of Time image 12
    होमोहबिलस के जीवाश्म इथियोपिया में ओमो तथा तंजानिया के ओल्ड्वर्ड गोर्ज में मिले हैं। होमोइरेक्टस के प्राचीनतम जीवाश्म अफ्रीका के कूबीफोरा तथा पश्चिमी तुर्काना, केन्या और जावा  के मोड़जोकर्ता तथा संकरित में मिले थे। होमोसैपियन्स आधुनिक मानव है। यह बुद्धिमान तथा चिन्तनशील माना जाता है।

विश्व में मानव प्रजातियों का विकास’

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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines

UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines (सरल रेखाएँ)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines (सरल रेखाएँ).

प्रश्नावली 10.1

प्रश्न 1.
कार्तीय तल में एक चतुर्भुज खींचिए जिसके शीर्ष (-4, 5), (0, 7), (5, -5) और (-4, -2) हैं। इसका क्षेत्रफल भी ज्ञात कीजिए।
हल:
दिए गए बिन्दुओं (-4, 5), (0, 7), (5, -5) और (-4, -2) क्रमशः A, B, C, D द्वारा दर्शाया गया है। चतुर्भुज ABCD को दो भागों में बाँटा गया है।
जो ΔABD तथा ΔBDC के रूप में हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 1
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 1.1

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प्रश्न 2.
2 भुजा के समबाहु त्रिभुज का आधार y-अक्ष के अनुदिश इस प्रकार है कि आधार का मध्य बिन्दु मूल बिन्दु पर है। त्रिभुज के शीर्ष ज्ञात कीजिए।
हल:
माना ΔABC की भुजा BC, y-अक्ष के अनुदिश है जिसका मध्य बिन्दु मूल बिन्दु O है।
⇒ B और C के शीर्ष बिन्दु (0, a) और (0, -a) हैं।
बिन्दु A, x-अक्ष पर है, AB = 2a, OB = a
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 2

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प्रश्न 3.
P(x1, y1) और Q(x2, y2) के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए जब :
(i) PQ, y-अक्ष के समांतर है,
(ii) PQ, x-अक्ष के समांतर है।
हल:
(i) जब कोई रेखा y-अक्ष के समांतर होती है तो उसे पर जितने भी बिन्दु होंगे उनके x-निर्देशांक बराबर होते हैं अर्थात् x1 = x2.
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 3
(ii) जब कोई रेखा x-अक्ष के समांतर लेती है तो उसके प्रत्येक बिन्दु का y-निर्देशांक बराबर होता है।
अर्थात्
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 3.1

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
x-अक्ष पर एक बिन्दु ज्ञात कीजिए जो (7, 6) और (3, 4) बिन्दुओं से समान दूरी पर है।
हल:
मान लीजिए x-अक्ष पर बिन्दु A(a, 0), बिन्दु B(7, 6) और C(3, 4) से समान दूरी पर है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 4
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 4.1

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प्रश्न 5.
रेखा की ढाल ज्ञात कीजिए जो मूल बिन्दु और P(0, -4) तथा B(8, 0) बिन्दुओं को मिलाने वाले रेखाखंड के मध्य बिन्दु से जाती है।
हल:
बिन्दु P(0, -4) और B(8, 0) को मिलाने वाले रेखाखंड का मध्य बिन्दु
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 5

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प्रश्न 6.
पाइथागोरस प्रमेय के प्रयोग बिना दिखलाइए कि बिन्दु (4, 4), (3, 5) और (-1, -1) एक समकोण त्रिभुज के शीर्ष हैं।
हल:
माना दिए गए बिन्दु A(4, 4), B(3, 5) और C(-1, -1) हैं, तब
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 6
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 6.1

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प्रश्न 7.
उस रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए जो y-अक्ष की धन दिशा से वामावर्त मापा गया 30° का कोण बनाती है।
हल:
माना रेखों OP, y-अक्ष से वामावर्त 30° का कोण बनाती है।
x- अक्षे, की धन दिशा से 90° + 30° = 120° को कोण बनाती है।
रेखा OP की ढाल = tan 120 = -√3
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 7
यह रेखा मूलबिन्दु (0, 0) से होकर जाती है। रेखा का बिन्दु ढाल रूप है।
y – y1 = m(x – x1)
OP का समीकरण y – 0 = -√3 (x – 0)
y = -√3 x.

प्रश्न 8.
x का वह मान ज्ञात कीजिए जिसके लिए बिन्दु (x, -1), (2, 1) और (4, 5) संरेख हैं।
हल:
मान लीजिए बिन्दु A (x, -1), B (2, 1), C (4, 5) सरेख हैं यदि,
AB की ढाल = BC की ढाल
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प्रश्न 9.
दूरी सूत्र का प्रयोग किए बिना दिखलाइए कि बिन्दु (-2, -1), (4, 0), (3, 3) और (-3, 2) एक समांतर चतुर्भुज के शीर्ष हैं।
हल:
मान लीजिए एक चतुर्भुज के शीर्ष A(-2, -1), B(4, 0), C(3, 3), तथा D(-3, 2) हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 9
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 9.1

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प्रश्न 10.
x-अक्ष और (3, -1) और (4, -2) बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखा के बीच का कोण ज्ञात कीजिए।
हल:
माना A(3, -1), B(4, -2) को मिलाने वाली रेखा AB की ढाल = [latex]\frac { -2+1 }{ 4-3 }[/latex] = [latex]\frac { -1 }{ 1 }[/latex] = -1
यदि x-अक्ष और AB के बीच से कोण हो, तो
tan θ = -1 = tan 135°
θ = 135°.

प्रश्न 11.
एक रेखा की ढाल दूसरी रेखा की ढाल का दुगुना है। यदि दोनों के बीच के कोण की स्पर्शज्या (tangent) [latex]\frac { 1 }{ 3 }[/latex] है तो रेखाओं की ढाल ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 11
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 11.1
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 11.2

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प्रश्न 12.
एक रेखा (x1, y1) और (h, k) से जाती है। यदि रेखा की ढाल m है तो दिखाइए k – y1 = m (h – x1).
हल:
माना रेखा AB बिन्दु A(x1, y1) और B(h, k) से गुजरती हो, तब
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 12

प्रश्न 13.
यदि तीन बिन्दु (h, 0), (a, b) और (0, k) एक रेखा पर हैं तो दिखाइए कि [latex]\frac { a }{ h } +\frac { b }{ k } = 1[/latex]
हल:
मान लीजिए बिन्दु A (h, 0), B(a, b), तथा C(0, k) एक रेखा पर हों, तब
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 13

प्रश्न 14.
जनसंख्या और वर्ष के निम्नलिखित लेखाचित्र पर विचार कीजिए। (देखिए आकृति में) रेखा AB की ढाल ज्ञात कीजिए और इसके प्रयोग से बताइए कि वर्ष 2010 में जनसंख्या कितनी होगी ?
हल:
दी गयी आकृति में रेखा AB बिन्दु A(1985, 92) और B(1995, 97) से होकर जाती है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 14
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 14.1
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1 14.2

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प्रश्नावली 10.2

प्रश्न 1 से 8 तक रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए जो दिए गए प्रतिबंधों को संतुष्ट करता है।

प्रश्न 1.
x-अक्ष और y-अक्ष के समीकरण लिखिए।
हल:
x-अक्ष का समीकरण y = 0.
तथा y-अक्ष का समीकरण x = 0.

प्रश्न 2.
ढाल [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] और बिन्दु (-4, 3) से जाने वाली।
हल:
ढाल m = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex], बिन्दु (-4, 3)
अभीष्ट रेखा का समीकरण
y – y1 = m(x – x1)
y – 3 = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] (x + 4)
2y – 6 = x + 4
x – 2y + 10 = 0.

प्रश्न 3.
बिन्दु (0, 0) से जाने वाली और ढाल m वाली।
हल:
दिया है : बिन्दु (0, 0), ढाल = m
ढाल m, तथा (x1, y1) से जाने वाली रेखा का समीकरण
y – y1 = m(x – x1)
y – 0 = m(x – 0)
अतः अभीष्ट समीकरण y = mx.

प्रश्न 4.
बिन्दुः(2, 2√3) से जाने वाली और x-अक्ष से 75° के कोण पर झुकी हुई।
हल:
चूँकि रेखा x-अक्ष के साथ 75° पर झुकी हुई है, तब रेखा की ढाल
m = tan 75° = tan (45° + 30°)
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 4
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 4.1

प्रश्न 5.
मूल बिन्दु के बाईं ओर ४-अक्ष को 3 इकाई की दूरी पर प्रतिच्छेद करने तथा ढाल -2 वाली।
हल:
मूल बिन्दु से बाईं ओर 3 इकाई की दूरी पर स्थित बिन्दु (-3, 0) होगा तथा ढाल m = – 2 m तथा (x1, y1) के द्वारा, रेखा का समीकरण,
y – y1 = (x – x1)
यहाँ x1 = -3 तथा y1 = 0 रखने पर,
y – 0 = -2 (x + 3) यो
y = -2x – 6
2x + y + 6 = 0.

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प्रश्न 6.
मूल बिन्दु से ऊपर y-अक्ष को 2 इकाई की दूरी पर प्रतिच्छेद करने वाली और x-अक्ष की धन दिशा के साथ 30° का कोण बनाने वाली।
हल:
मूल बिन्दु से y-अक्ष पर 2 इकाई की दूरी पर स्थित बिन्दु (0, 2) होगा। x-अक्ष की धन दिशा के साथ रेखा 30° का कोण बनाती है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 6

प्रश्न 7.
बिन्दुओं (-1, 1) और (2, -4) से जाते हुए।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 7
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 7.1

प्रश्न 8.
उस रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए जिसकी मूल बिन्दु से लांबिक दूरी 5 इकाई और लंब धन x-अक्ष से 30° को कोण बनाती है।
हल:
हम जानते हैं कि लंबे रूप में रेखा AB का समीकरण,
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 8

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प्रश्न 9.
ΔPQR के शीर्ष P(2, 1), Q(-2, 3) और R(4, 5) हैं। शीर्ष R से जाने वाली माध्यिका का समीकरण ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 9
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 9.1

प्रश्न 10.
(-3, 5) से होकर जाने वाली और बिन्दु (2, 5) और (-3, 6) से जाने वाली रेखा पर लंब रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए।
हल:
बिन्दु A(2, 5) और B(-3, 6) से होकर जाने वाली रेखा का ढाल
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 10
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 10.1

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प्रश्न 11.
एक रेखा (1, 0) तथा (2, 3) बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखाखंड पर लम्ब है तथा उसको 1 : n के अनुपात में विभाजित करती है। रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए।
हल:
रेखा AB बिन्दु A(1, 0) तथा B(2, 3) से होकर जाती है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 11
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 11.1
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 11.2

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प्रश्न 12.
एक रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए जो निर्देशांक अक्षों से समान अंत:खण्ड काटती है और बिन्दु (2, 3) से जाती है।
हल:
(i) रेखा AB बिन्दु P(2, 3) से होकर जाती है और निर्देशांक अक्षों पर समान अंत:खंड बनाती है।
OA = OB
∠BAO = 45°
∠BAX = 135°
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 12
AB की ढाल, m = tan 135° = -1
रेखा का समीकरण, y – y1 = m(x – x1)
जहाँ x1 = 2, y1 = 3 तथा m = -1
y – 3 = -1 (x – 2)
x + y – 5 = 0
x + y = 5.

प्रश्न 13.
बिन्दु (2, 2) से जाने वाली रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए जिसके द्वारा अक्षों से कटे अंत:खंडों का योम 9 है।
हल:
मान लीजिए P(2, 2) से होकर जाने वाली रेखा से अक्षों पर बने अंतः खंड a तथा b हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 13
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 13.1
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 13.2

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प्रश्न 14.
बिन्दु (0, 2) से जाने वाली और धन x-अक्ष से [latex]\frac { 2\pi }{ 3 }[/latex] के कोण बनाने वाली रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए। इसके समांतर और y-अक्ष को मूल बिन्दु से 2 इकाई नीचे की दूरी पर प्रतिच्छेद करती हुई रेखा का समीकरण भी ज्ञात करो।
हल:
माना एक रेखा PQ बिन्दु P(0, 2) से होकर जाती है और धन x-अक्ष के साथ [latex]\frac { 2\pi }{ 3 }[/latex] का कोण बनाती है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 14

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प्रश्न 15.
मूल बिन्दु से किसी रेखा पर डाला गया लम्ब रेखा से बिन्दु (-2, 9) पर मिलता है। रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए।
हल:
मान लीजिए रेखा AB पर मूल बिन्दु से डाला गया लम्ब AB पर मिलता है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 15
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 15.1

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प्रश्न 16.
तांबे की छड़ की लम्बाई L (सेमी में) सेल्सियस ताप C का रैखिक फलन है। एक प्रयोग में यदि L = 124.942, जब C = 20 और L = 125.134 जब C = 110 हो, तो L को C के पदों में व्यक्त कीजिए।
हल:
L ताप C का रैखिक फलन है।
(20, 124.942), (110, 125.134) इसका रैखिक फलन है। इन दो बिन्दुओं से संतुष्ट फलन
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 16

प्रश्न 17.
किसी दूध भण्डार का स्वामी प्रति सप्ताह 980 लीटर दूध, 14 रू प्रति लीटर के भव से और 1220 लीटर दूध 16 रू प्रति लीटर के भाव से बेच सकता है। विक्रय मूल्य तथा मांग के मध्य के संबंध को रैखिक मानते हुए ज्ञात कीजिए कि प्रति सप्ताह वह कितना दूध 17 रू प्रति लीटर के भाव से बेच सकता है?
हल:
दूध के भाव और मात्रा में रैखिक सम्बन्ध है। यह रेखा दो बिन्दुओं (14, 980), (16, 1220) से होकर जाती है।
इससे प्राप्त रेखा का समीकरण,
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 17

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प्रश्न 18.
अक्षों के बीच रेखाखंड का मध्य बिंदु P(a, b) है। दिखाइए कि रेखा का समीकरण [latex]\frac { x }{ a } +\frac { y }{ b } =\quad 2[/latex]
हल:
माना रेखा AB अक्षों पर p और q अंत:खंड बनते हैं।
बिन्दु A और B के क्रमशः निर्देशांक (p, 0) और (0, q) हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 18
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 18.1

प्रश्न 19.
अक्षों के बीच रेखाखण्ड को बिन्दु R(h, k), 1 : 2 के अनुपात में विभक्त करता है। रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए।
हल:
अक्षों के बीच रेखाखंड AB को R(h, k) AR : RB = 1 : 2 के अनुपात में विभक्त करता है।
मान लीजिए अक्षों पर अंत:खण्ड OA = a और OB = b है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 19
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 19.1

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प्रश्न 20.
रेखा के समीकरण की संकल्पना का प्रयोग करते हुए सिद्ध कीजिए कि तीन बिन्दु (3, 0), (-2, -2) और (8, 2) संरेख हैं।
हल:
बिन्दु A(3, 0), B(2, -2) से होकर जाने वाली रेखा का समीकरण
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.2 20

प्रश्नावली 10.3

प्रश्न 1.
निम्नलिखित समीकरणों को ढाल अंत:खण्ड रूप में रूपान्तरित कीजिए और उनके ढाल तथा y-अंत:खण्ड ज्ञात कीजिए:
(i) x + 7y = 0
(ii) 6x + 3y – 5 = 0
(iii) y = 0.
हल:
(i) x + 7y = 0
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 1
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 1.1

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित समीकरणों को अंतःखण्ड रूप में रूपान्तरित कीजिए और अक्षों पर इनके द्वारा काटे गए अंत:खण्ड ज्ञात कीजिए:
(i) 3x + 2y – 12 = 0
(ii) 4x – 3y = 6
(iii) 3y + 2 = 0.
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 2
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 2.1

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित समीकरणों को लम्ब रूप में रूपान्तरित कीजिए। उनकी मूल बिन्दु से लॉबिक दूरियाँ और लम्ब तथा धन-अक्ष के बीच का कोण ज्ञात कीजिए
(i) x – √3 y + 8 = 0
(ii) y – 2 = 0
(iii) x – y = 4.
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 3
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 3.1
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 3.2

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प्रश्न 4.
बिन्दु (-1, 1) की रेखा 12(x + 6) = 5(y – 2) से दूरी ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 4

प्रश्न 5.
x-अक्ष पर बिन्दुओं को ज्ञात कीजिए जिनकी रेखा [latex]\frac { x }{ 3 } +\frac { y }{ 4 } =\quad 1[/latex] से दूरियाँ 4 इकाई हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 5
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 5.1

प्रश्न 6.
समान्तर रेखाओं के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए-
(i) 15x + 8y – 34 = 0 और 15x + 8y + 31 = 0
(ii) l(x + y) + p = 0 और l(x + y) – r = 0
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 6

UP Board Solutions

प्रश्न 7.
रेखा 3x – 4y + 2 = 0 के समान्तर और बिन्दु (-2, 3) से जाने वाली रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 7
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 7.1

प्रश्न 8.
रेखा 4x – 7y + 5 = 0 पर लम्ब और x-अन्त:खण्ड 3 वाली रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 8

UP Board Solutions
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 8.1

प्रश्न 9.
रेखाओं √3 x + y = 1 और x + √3 y = 1 के बीच का कोण ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 9

प्रश्न 10.
बिन्दुओं (h, 3) और (4, f) से जाने वाली रेखा, रेखा 7x – 9y – 19 = 0 को समकोण पर प्रतिच्छेद करती है। h का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना रेखा AB बिन्दु A(h, 3), B(4, 1) से जाने वाली रेखा की ढाल,
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प्रश्न 11.
सिद्ध कीजिए कि बिन्दु (x1, y1) से जाने वाली और रेखा Ax + By + C = 0 के समान्तर रेखा को समीकरण A(x – x1) + B(y – y1) = 0 है।
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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 11.1

प्रश्न 12.
बिन्दु (2, 3) से जाने वाली दो रेखाएँ परस्पर 60° के कोण पर प्रतिच्छेद करती हैं। यदि एक रेखा की ढाल 2 है तो दूसरी रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए।
हल:
माना दूसरी रेखा की ढाल m है।
दोनों रेखाओं के बीच कोण
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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 12.1

UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 12.2

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प्रश्न 13.
बिन्दुओं (3, 4) और (-1, 2) को मिलाने वाली रेखाखण्ड के लम्बे समद्विभाजक रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए।
हल:
माना बिन्दुओं A(3, 4) और B(-1, 2) को मिलाने वाले रेखाखण्ड का मध्य बिन्दु
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 13

प्रश्न 14.
बिन्दु (-1, 3) से रेखा 3x – 4y – 16 = 0 पर डाले गए लम्बपाद के निर्देशांक ज्ञात कीजिए।
हल:
मान लीजिए रेखा AB को समीकरप, 3x – 4y – 16 = 0 …… (i)
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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 14.1
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 14.2

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प्रश्न 15.
मूल बिन्दु से रेखा y = mx + c पर डाला गया लम्ब रेखा से बिन्दु (-1, 2) पर मिलता है। m और c के मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना रेखा AB का समीकरण, y = mx + c
रेखा AB की ढाल = m
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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 15.1
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 15.2

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प्रश्न 16.
यदि p और q क्रमशः मूल बिन्दु से रेखाओं x cosθ – y sinθ = k cos 2θ और x secθ + y cosecθ = k पर लम्ब की लंबाइयाँ हैं तो सिद्ध कीजिए कि p² + 4q² = k².
हल:
मूल बिन्दु (0, 0) से x cosθ – y sinθ = k cos 2θ की दूरी,
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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 16.1

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प्रश्न 17.
शीर्षों A (2, 3), B (4, -1) और C (1, 2) वाले त्रिभुज ABC के शीर्ष A से उसकी सम्मुख भुजा पर लम्बे डाला गया है। लम्बे की लम्बाई तथा समीकरण ज्ञात कीजिए।
हल:
मान लीजिए AM रेखा BC पर लंब डाला गया है।
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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.3 17.1

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अध्याय 10 पर विविध प्रश्नावली

प्रश्न 1.
k के मान ज्ञात कीजिए जब कि रेखा (k – 3) x – (4 – k²) y + k² – 7k + 6 = 0
(a) x-अक्ष के समान्तर है।
(b) y-अक्ष के समान्तर है।
(c) मूल बिन्दु से जाती है।
हल:
(i) x-अक्ष के समान्तर y = a
प्रश्न में दिए गए समीकरण में x का गुणांक = 0 या k – 3 = 0 अर्थात् k = 3.
(ii) y-अक्ष के समान्तर रेखा x = q
दिए गए समीकरण में y का गुणांक = 0 या 4 – k² = 0 अर्थात् k = ± 2.
(iii) यदि रेखा मूल बिन्दु से जाती है तो (0, 0) इसके समीकरण को संतुष्ट करेगा।
0 – 0 + k² – 7k + 6 = 0 या (k – 6) (k- 1) = 0 या k = 1, 6.

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प्रश्न 2.
θ और p के मान ज्ञात कीजिए यदि समीकरण x cosθ + y sinθ = p रेखा √3 x + y + 2 = 0 को लम्ब रूप है।
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प्रश्न 3.
उन रेखाओं के समीकरण ज्ञात कीजिए जिनके अक्षों से कटे अंत:खण्डों का योग और गुणनफल क्रमशः 1 और -6 हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 3

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प्रश्न 4.
y-अक्ष पर कौन से बिन्दु ऐसे हैं, जिनकी [latex]\frac { x }{ 3 } +\frac { y }{ 4 } =\quad 1[/latex] से, दूरी 4 इकाई है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 4

प्रश्न 5.
मूल बिन्दु से बिन्दुओं (cosθ, sinθ) और (cosφ , sinφ) को मिलाने वाली रेखा की लांबिक दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
(cosθ, sinθ) और (cosφ , sinφ) को मिलाने वाली रेखा का समीकरण,
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 5

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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 5.1

प्रश्न 6.
रेखाओं x – 7y + 5 = 0 और 3x + y = 0 के प्रतिच्छेद बिन्दु से खीचीं गई और y-अक्ष के समान्तर रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 6

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प्रश्न 7.
रेखा [latex]\frac { x }{ 4 } +\frac { y }{ 6 } =\quad 1[/latex] पर लंब उस बिन्दु से खींची गई रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए जहाँ यह रेखा y-अक्ष से मिलती है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 7
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 7.1

प्रश्न 8.
रेखाओं y – x = 0, x + y = 0, और x – k = 0 से बने त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 8
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 8.1

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प्रश्न 9.
p का मान ज्ञात कीजिए जिससे तीन रेखाएँ 3x + y – 2 = 0, px + 2y – 3 = 0 और 2x – y – 3 = 0 एक बिन्दु पर प्रतिच्छेद करें।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 9

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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 10.1

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प्रश्न 11.
बिन्दु (3, 2) से जाने वाली उस रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए जो रेखा x – 2y = 3 से 45° का कोण बनाती है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 11
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 11.1

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प्रश्न 12.
रेखाओं 4x + 7y – 3 = 0 और 2x – 3y + 1 = 0 के प्रतिच्छेद बिन्दु से जाने वाली रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए जो अक्षों से समान अंतः खण्ड बनाती हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 12
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 12.1
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 12.2

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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 13
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 13.1
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 13.2
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 13.3

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प्रश्न 14.
(-1, 1) और (5, 7) को मिलाने वाली रेखाखण्ड को रेखा x + y = 4 किस अनुपात में विभाजित करती है ?
हल:
मान लीजिए बिन्दु P रेखाखण्ड AB को k : 1 के अनुपात में विभाजित करता है। जबकि A और B के क्रमशः (-1, 1) और (5, 7) निर्देशांक हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 14

प्रश्न 15.
बिन्दु (1, 2) से रेखा 4x + 7y + 5 = 0 की 2x – y = 0 के अनुदिश दूरी ज्ञात करो।
हल:
माना रेखा PC का समीकरण, 2x – y = 0 जिस पर बिन्दु P(1, 2) स्थित है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 15
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 15.1

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प्रश्न 16.
बिन्दु (-1, 2) से खींची जा सकने वाली उस रेखा की दिशा ज्ञात कीजिए जिसका रेखा x + y = 4 से प्रतिच्छेदन बिन्दु दिए बिन्दु से 3 इकाई की दूरी पर है।
हल:
मान लीजिए अभीष्ट रेखा PQ की ढाल m है। रेखा PQ जो बिन्दु P(-1, 2) से होकर जाती है और ढाल m है, का समीकरण
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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 16.1

प्रश्न 17.
समकोण त्रिभुज के कर्ण के अंत्य बिन्दु (1, 3) और (-4, 1) हैं। त्रिभुज के पाद (leg) (समकोणीय नाओं) का एक समीकरण ज्ञात कीजिए।
हल:
माना त्रिभुज ABC एक समकोणीय त्रिभुज है जिसका कर्ण AB है। A और B के निर्देशांक क्रमशः (1, 3) और (-4, 1) हैं।
मान लीजिए BC की ढाल m है।
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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 17.1

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प्रश्न 18.
किसी बिन्दु के लिए रेखा को दर्पण मानते हुए बिन्दु (3, 8) का रेखा x + 3y = 7 में प्रतिबिंब ज्ञात कीजिए।
हल:
माना देखा AB का समीकरण x + 3y = 7 है और बिन्दु P के निर्देशांक (3, 8) हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 18
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 18.1

प्रश्न 19.
यदि रेखाएँ y = 3x +1 और 2y = x + 3, रेखा y = mx + 4 पर समान रूप से आनत हो तो m का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
रेखा AB का समीकरण, y = 3x + 1 की ढाल = 3
रेखा BC का समीकरण, y = mx + 4 की ढाल = m
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 19
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 19.1

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प्रश्न 20.
यदि एक चर बिन्दु P(x, y) की रेखाओं x + y – 5 = 0 और 3x – 2y + 7 = 0 से लांबिक दूरियों का योग सदैव 10 रहे तो दर्शाइए कि P अनिवार्य रूप से एक रेखा पर गमन करता है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 20
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 20.1

प्रश्न 21.
समांतर रखाओं 9x + 6y – 7 = 0 और 3x + 2y + 6 = 0 से समदूरस्थ रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 21
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 21.1

प्रश्न 22.
बिन्दु (1, 2) से होकर जाने वाली एक प्रकाश किरण x-अक्ष के बिन्दु A से परावर्तित होती है और परावर्तित किरण बिन्दु (5, 3) से होकर जाती है। A के निर्देशांक ज्ञात कीजिए।
हल:
मान लीजिए BC, x-अक्ष के अनुदिश उस बिन्दु के निर्देशांक A (a, 0) है। AN इस पर लंब है। PA एक आपतित किरण है और AQ परावर्तित किरण है।
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 22
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 22.1

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UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 23
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 23.1

प्रश्न 24.
एक व्यक्ति समीकरणों 2x – 3y + 4 = 0 और 3x + 4y – 5 = 0 से निरूपित सरल रेखीय पथों के संधि बिन्दुओं (junction/crossing) पर खड़ा है और समीकरण 6x – 7y + 8 = 0 से निरूपित पथ पर न्यूनतम समय में पहुँचना चाहता है। उसके द्वारा अनुसरित पथ का समीकरण ज्ञात कीजिए।
हल:
AB और BC दो रेखीय पथ हैं। AB वे BC रेखाओं के समीकरण
2x – 3y + 4 = 0 ………(1)
और 3x +4y – 5 = 0 ……..(2)
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 24
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 24.1
UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines 24.2

We hope the UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines (सरल रेखाएँ) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 10 Straight Lines (सरल रेखाएँ), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 14 Mathematical Reasoning

UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 14 Mathematical Reasoning (गणितीय विवेचन)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Maths Chapter 14 Mathematical Reasoning (गणितीय विवेचन).

प्रश्नावली 14.1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों में से कौन से कथन हैं ? अपने उत्तर के लिए कारण भी बतलाइए।
(i) एक महीने में 35 दिन होते हैं।
(ii) गणित एक कठिन विषय है।
(iii) 5 और 7 का योगफल 10 से अधिक होता है।
(iv) किसी संख्या का वर्ग एक सम संख्या होती है।
(v) किसी चतुर्भुज की भुजाएँ बराबर (समान) लंबाई की होती हैं।
(vi) इस प्रश्न का उत्तर दीजिए।
(vii) -1 और 8 का गुणनफल 8 है।
(viii) किसी त्रिभुज के सभी अंत: कोणों का योगफल 180° होता है।
(ix) आज एक तूफानी दिन है।
(x) सभी वास्तविक संख्याएँ सम्मिश्र संख्याएँ होती हैं।
हल:
(i) कथन : यह असत्य है क्योंकि महीने में 35 दिन नहीं होते।
(ii) वाक्य : गणित एक कठिन विषय है। इसकी कोई (UPBoardSolutions.com) परिभाषा नहीं है। किसी एक के लिए सरल और दूसरे के लिए कठिन विषय हो सकता है।
(iii) कथन : यह कथन सत्य है।
(iv) कथन : यह असत्य है क्योंकि वर्ग संख्या विषम भी हो सकती है। जैसे 9, 25,….
(v) कथन : यह कथन असत्य है क्योंकि किसी चतुर्भुज की लंबाई असमान भी होती है।
(vi) वाक्य : यह एक आदेश है, इसलिए यह एक कथन नहीं है।
(vii) कथन : यह कथन असत्य है, -1 x 8 = – 8 ≠ 8.
(viii) कथन : यह कथन सत्य है। त्रिभुज के तीनों अंतः कोणों का योग 180° होता है।
(ix) वाक्य : यह स्पष्ट नहीं है कि कौन-सा दिन तूफानी है?
(x) कथन : यह सत्य कथन है।

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प्रश्न 2.
वाक्यों मैं तीन ऐसे उदाहरण दीजिए जो कथन नहीं हैं। उत्तर के लिए कारण भी बताइए।
हल:
तीन उदाह्ररण इस प्रकार हो सकते हैं:
(i) इस कमरे में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति निडर है। यह एक कथन नहीं है, क्योंकि संदर्भ से स्पष्ट नहीं है कि यहाँ पर किस कमरे के बारे में कहा जा रहा है और निडर शब्द भी स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है।
(ii) वह अभियान्त्रिकी की छात्री है। यह भी एक कथन नहीं है क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि ‘वह’ वह कौन है।
(iii) “cos² θ का मान सदैव [latex s=2]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ” से अधिक होता है। जब तक हमें यह ज्ञात न हो कि 8 क्या है हम यह नहीं कह सकते कि वाक्य सत्य है या नहीं।

प्रश्नावली 14.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथन का निषेधन लिखिए।
(i) चैन्नई, तमिलनाडु की राजधानी है।
(ii) √2 एक सम्मिश्र संख्या नहीं है।
(iii) सभी त्रिभुज समबाहु त्रिभुज नहीं होते हैं।
(iv) संख्या 2 संख्या 7 से अधिक है।
(v) प्रत्येक प्राकृत संख्या एक पूर्णाक होती है।
हल:
(i) चैन्नई, तमिलनाडु की राजधानी नहीं है।
(ii) √2 एक सम्मिश्र संख्या है।
(iii) सभी त्रिभुज समबाहु त्रिभुज हैं।
(iv) संख्या 2 संख्या 7 से (UPBoardSolutions.com) बड़ी नहीं है।
(v) प्रत्येक प्राकृत संख्या एक पूर्णीक नहीं है।

प्रश्न 2.
क्या निम्नलिखित कथन युग्म (कथन के जोड़े) एक दूसरे के निषेधन हैं?
(i) संख्या x एक परिमेय संख्या नहीं है।
संग्ख्या x एक अपरिमेय संख्या नहीं है।
हल:
कथन ” संख्या x एक परिमेय संख्या नहीं है।” का निषेधन संख्या x एक परिमेय संख्या है। यो x एक अपरिमेय संख्या नहीं है। यही दूसरा कथन है। अतः दिए गए कथन एक दूसरे के निषेधन हैं।

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(ii) संख्या एक परिमेय संख्या है।
संख्या एक अपरिमेय संख्या है।
हल:
कथन ” संख्या x एक परिमेय संख्या है।” का निषेधन संख्या ४ एक अपरिमेय संख्या है। जो कि दूसरे कथन के समान है।
अतः यह कथन एक दूसरे के निषेधन हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित मिश्र कथन के घटक कथन ज्ञात कीजिए और जाँचिए कि वे सत्य हैं या असत्य हैं।
(i) संख्या 3 अभाज्य है या विषम है।
(ii) समस्त (सभी) पूर्णांक धन या ऋण हैं।
(iii) संख्या 100 संख्याओं 3, 11 और 5 से भाज्य हैं।
हल:
(i) p : संख्या 3 अभाज्य है। यह कथन सत्य है।
q : संख्या 3 विषम संख्या है। यह कथन सत्य है।
(ii) p : सभी पूर्णांक धन हैं। यह कथन सत्य है।
q : सभी पूर्णांक ऋण हैं। यह कथन सत्य है।
(iii) p : 100, 3 से भाज्य है। यह कथन असत्य है।
q : 100, 11 से भाज्य है। यह कथन असत्य है।
r : 100, 5 से भाज्य है। यह कथन सत्य है।

प्रश्नावली 14.3

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मिश्र कथनों में पहले संयोजक शब्दों को पहचानिए और फिर उनको घटक कथनों में विघटित कीजिए:
(i) सभी परिमेय संख्याएँ वास्तविक संख्याएँ होती हैं और सभी वास्तविक संख्याएँ सम्मिश्र संख्याएँ नहीं होती हैं।
हल:
संयोजक शब्द ‘और’
घटक p : सभी परिमेय संख्याएँ वास्तविक संख्याएँ होती हैं।
q : सभी वास्तविक संख्याएँ सम्मिश्र (UPBoardSolutions.com) संख्याएँ नहीं होती हैं।

(ii) किसी पूर्णांक का वर्ग धन या ऋण होता है।
हल:
संयोजक शब्द ‘या’
घटक p : किसी पूर्णांक का वर्ग धन होता है।
q : किसी पूर्णा का वर्ग ऋण होता है।

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(iii) रेत (बालू घूप में शीघ्र गर्म हो जाती है और रात्रि में शीघ्र ठंडी नहीं होती है।
हल:
संयोजक शब्द ‘और’
घटक p : रेत (बालू) धूप में शीघ्र गर्म हो जाती है।
q : रेत (बालू) रात्रि में शीघ्र ठंडी नहीं होती।

(iv) x = 2 और x = 3, समीकरण 3x² – x – 10 = 0 के मूल हैं।
हल:
संयोजक शब्द ‘और’
घटक p : x = 2, समीकरण 3x² – x – 10 = 0 का मूल है।
q : x = 3 समीकरण 3x² – x – 10 = 0 को मूल है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित कथनों में परिमाण वाचक वाक्यांश पहचानिए और कथनों के निषेधन लिखिए:
(i) एक ऐसी संख्या का अस्तित्व है, जो अपने वर्ग के बराबर है।
हल:
परिमाणवाचक वाक्यांश : एक ऐसी संख्या का अस्तित्व है।
कथन का निषेधन : ऐसी संख्या का (UPBoardSolutions.com) अस्तित्व नहीं है जो अपने वर्ग के बराबर हो।

(ii) प्रत्येक वास्तविक संख्या x के लिए x, (x + 1) से कम होता है।
हल:
परिमाणवाचक वाक्यांश : ” प्रत्येक के लिए ”
p : प्रत्येक वास्तविक संख्या x के लिए x, x + 1 से कम होता है।
p का निषेधन = ~p = कम से कम एक वास्तविक संख्या 7 ऐसी है जो x + 1 से कम नहीं है।

(iii) भारत के हर एक राज्य/प्रदेश के लिए एक राजधानी का अस्तित्व है।
हल:
परिमाणवाचक वाक्यांश : एक ऐसे का अस्तित्व है।
कथन p : भारत के हर एक राज्य/प्रदेश के लिए एक राजधानी का अस्तित्व है।
p का निषेधन : ~p = भारत के हर एक राज्य/ प्रदेश के लिए एक राजधानी का अस्तित्व नहीं है।

प्रश्न 3.
जाँचिए कि क्या नीचे लिखे कथनों के जोड़े (युग्म) एक दूसरे के निषेधन हैं। अपने उत्तर के लिए कारण भी बतलाइए।
(i) प्रत्येक वास्तविक संख्याओं x और y के लिए x + y = y + x सत्य है।
(ii) ऐसी वास्तविक संख्याओं x और y का अस्तित्व है जिनके लिए x + y = y + x सत्य है।
हल:
कथन (i) और (ii) एक दूसरे के निषेधन (UPBoardSolutions.com) नहीं है।

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प्रश्न 4.
बतलाइए कि निम्नलिखित कथनों में प्रयुक्त ‘या’ ‘अपवर्जित है’ अथवा ‘अंतर्विष्ट’ है। अपने उत्तर के लिए कारण भी बतलाइए।
(i) सूर्य उदय होता है या चन्द्रमा अस्त होता है।
हल:
अपवर्जित : सूर्य उदय होता है और चन्द्रमा अस्त होता है। एक समय पर सूर्य उदय होगा या चन्द्रमा

(ii) ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन हेतु आपके पास राशन कार्ड या पासपोर्ट होना चाहिए।
हल:
अंतर्विष्ट : ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन हेतु राशन कार्ड या पास पोर्ट या दोनों मान्य है।
(iii) सभी पूर्णांक धन या ऋण होते है।
हल:
अपवर्जित : सभी पूर्णांक धन या ऋण होते हैं। परन्तु धन या ऋण दोनों नहीं हो सकते।

प्रश्नावली 14.4

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथन को वाक्यांश “यदि- तो” का प्रयोग करते हुए पाँच विभिन्न रूप में इस प्रकार लिखिए कि उनके अर्थ समान हों।
यदि एक प्राकृत संख्या विषम है तो उसका वर्ग भी विषम है।
हल:
(i) यदि एक प्राकृत संख्या विषम है तो अंर्तभाव है उसको वर्ग भी विषम है।
(ii) कोई प्राकृत संख्या विषम संख्या है केवल यदि उसका वर्ग विषम है।
(iii) यदि प्राकृत संख्या का वर्ग विषम नहीं है तो वह (UPBoardSolutions.com) प्राकृत संख्या भी विषम नहीं होगी।
(iv) एक प्राकृत संख्या विषम है, इसके लिए यह अनिवार्य है कि उनका वर्ग भी विषम होगा।
(v) एक प्राकृत संख्या का वर्ग विषम है, इसके लिए यह पर्याप्त होगा कि वह संख्या विषम है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित कथनों के प्रतिधनात्मक और विलोम कथन लिखिए:
(i) यदि x एक अभाज्य संख्या है, तो x एक विषम है।
हल:
प्रतिधनात्मक कथन : यदि एक संख्या x विषम नहीं है तो x एक अभाज्य संख्या नहीं है।
विलोम कथन : यदि एक संख्या x विषम है तो x एक अभाज्य संख्या है।

(ii) यदि दो रेखाएँ समांतर हैं तो वे एक दूसरे को एक समतल में नहीं काटती हैं।
हल:
प्रतिधनात्मक कथन : यदि दो रेखाएँ एक दूसरे को समतल में काटती हैं तो रेखाएँ समांतर नहीं हैं।
विलोम कथन : अदि दो रेखाएँ एक दूसरे को एक ही (UPBoardSolutions.com) समतल में नही काटती हैं तो रेखाएँ समांतर हैं।

(iii) किसी वस्तु के ठंडे होने का तात्पर्य (अंतर्भाव) है कि उसका तापक्रम कम है।
हल:
प्रतिधनात्मक कथन : यदि किसी वस्तु का तापमान कम नहीं है तो वह वस्तु ठंडी नहीं है।
विलोम कथन : यदि किसी वस्तु का तापमान कम है तो वह वस्तु ठंडी है।

(iv) आप ज्यामिति विषय को आत्मसात नहीं कर सकते यदि आपको यह ज्ञान नहीं है कि निगमनात्मक विवेचन किस प्रकार किया जाता है।
हल:
प्रतिधनात्मक कथन : यदि आपको यह ज्ञात है कि निगमनात्मक विवेचन किस प्रकार किया है तो आप ज्यामिति विषय को आत्मसात कर सकते हैं।
विलोम कथन : यदि आपको यह ज्ञात नहीं है कि निगमनात्मक (UPBoardSolutions.com) विवेचन किस प्रकार किया जाता है तो आप ज्यामिन्नि विषय को आत्मसात नहीं कर सकते हैं।

(v) “x एक सम संख्या है” से तात्पर्य (अंतर्भाव) है कि x संख्या 4 से भाज्य है।
हल:
प्रतिधनात्मक कथन : यदि x संख्या 4 से भाज्य नहीं है तो x एक सम संख्या नहीं है।
विलोम कथन : यदि संख्या x, 4 से भाज्य है तो यह एक सम संख्या है।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में से प्रत्येक को ‘यदि–तो’ रूप में लिखिए:
(i) आपको नौकरी (काम) मिलने का तात्पर्य (अंतर्भाव) है कि आपकी विश्वसनियता अच्छी है।
हल:
यदि आपको नौकरी मिल गई है तो आपकी विश्वसनियता अच्छी है।

(ii) केले का पेड़ फूलेगा यदि वह एक माह तक गरम बना रहे।
हल:
यदि केले का पेड़ एक माह तक गरम बना रहे तो केले का पेड़ फूलेगा।

(iii) एक चतुर्भुज समांतर चतुर्भुज है यदि उसके विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करे।
हल:
यदि किसी चतुर्भुज के विकर्ण एक दूसरे को (UPBoardSolutions.com) समद्विभाजित करते हैं तो वह एक समांतर चतुर्भुज है।

(iv) कक्षा में ग्रेड A पाने के लिए यह अनिवार्य है कि आप पुस्तक के सभी प्रश्नों को सरल कर लेते है।
हल:
यदि आप कक्षा में A ग्रेड पाते हैं, तो आप पुस्तक के सभी प्रश्न हल कर लेते हैं।

प्रश्न 4.
नीचे (a) और (b) में प्रदत्त कथनों में से प्रत्येक के (i) में दिए कथन का प्रतिधनात्मक और विलोम कथन पहचानिए।
(a) यदि आप दिल्ली में रहते हैं तो आपके पास जाड़े के कपड़े हैं।
(i) यदि आपके पास जाड़े के कपड़े नहीं हैं, तो आप दिल्ली में नहीं रहते हैं।
हल:
प्रतिधनात्मक।

(ii) यदि आपके पास जाड़े के कपड़े हैं, तो आप दिल्ली में रहते हैं।
हल:
विलोम

(b) यदि एक चतुर्भुज समांतर चतुर्भुज है, तो उसके विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
(i) यदि किसी चतुर्भुज के विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित नहीं करते हैं तो चतुर्भुज एक समांतर चतुर्भुज नहीं है।
हल:
प्रतिधमात्मक।

(ii) यदि चतुर्भुज के विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं तो वह समांतर चतुर्भुज है।
हल:
विलोम।

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प्रश्नावली 14.5

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए कि कथन यदि x एक ऐसी वास्तविक संख्या है कि x3 + 4x = 0, तो x = 0
(i) प्रत्यक्ष विधि द्वारा
(ii) विरोधोक्ति द्वारा
(iii) प्रतिधनात्मक कथन द्वारा
हल:
(i) प्रत्यक्ष विधि द्वारा
x3 + 4x = 0 या x (x² + 4) = 0
x = 0 या x² + 4 = 0
परन्तु x² + 4 ≠ 0, x ∈ R
अतः x = 0.

(ii) विरोधोक्ति द्वारा : माना x ≠ 0
यदि समीकरण x² + 4x = 0 का एक मूल p हो, तब
p3 + 4p = 0 या p(p² + 4) = 0
p = 0 या p² + 4 = 0
p² + 4 ≠ 0
p= 0 विरोधात्मक है x ≠ p के जो पूर्व निर्धारित है।
अर्थात् p = 0 या x = 0

(iii) प्रतिधनात्मक कथन द्वारा:
माना x = 0 सत्य नहीं है।
x ∈ R, x3 + 4x ≠ 0, और x ≠ 0 (माना गया है)
x (x² + 4) ≠ 0 यह सिद्ध करता (UPBoardSolutions.com) है कि x² + 4x = 0 का x = 0 मूल है।

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प्रश्न 2.
प्रत्युदाहरण द्वारा सिद्ध कीजिए कि कथन ” किसी भी ऐसी वास्तविक संख्याओं a और b के लिए, जहाँ a² = b² का तात्पर्य है कि a = b ” सत्य नहीं है।
हल:
माना जब a = 1, b = -1 तो a² = b²
परन्तु a ≠ b. अतः दिया गया कथन सत्य नहीं है।

प्रश्न 3.
प्रतिधनात्मक विधि द्वारा सिद्ध कीजिए कि निम्नलिखित कथन सत्य है।
p : यदि x एक पूर्णांक है और x² सम है तो x सम है।
हल:
माना x एक सम संख्या नहीं हैं।
x = 2n + 1
x² = (2n + 1)² = 4n² + 4n + 1 = 2 (2n² + 2n) + 1
यह एक विषम संख्या है। इस प्रकार यदि q सत्य नहीं है तो p भी सत्य नहीं है। अर्थात दिया हुआ कथन सत्य है।

प्रश्न 4.
प्रत्युदाहरण द्वारा सिद्ध कीजिए कि निम्नलिखित कथन सत्य नहीं हैं।
(i) p : यदि किसी त्रिभुज के कोण समान हैं, तो त्रिभुज एक अधिक कोण त्रिभुज है।
हल:
माना एक कोण = 90 + θ
तीनों कोण समान हों, तब
त्रिभुज के तीनों कोणों का योग = 3 (90 + θ) = 270 + 3θ
यह 180° के बराबर नहीं है।
त्रिभुज को कोई भी कोण अधिक कोण नहीं हो (UPBoardSolutions.com) सकता अर्थात वह त्रिभुज अधिक कोण त्रिभुज नहीं हो सकता है।

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(ii) q : समीकरण x² – 1 = 0 के मूल 0 और 2 के बीच स्थित नहीं है।
हल:
0 और 2 के बीच की संख्या 1 लीजिए।
x² – 1 = 0 में x = 1 रखने पर,
1 – 1 = 0,
अत: x = 1, दिए हुए समीकरण को संतुष्ट करता है।
इसलिए x = 1, समीकरण x² – 1 = 0 का मूल है और 0 और 2 के बीच स्थित हैं।
अतः दिया गया कथन सत्य नहीं है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित कथनों में से कौन से सत्य हैं और कौन से असत्य हैं। प्रत्येक दशा में अपने उत्तर के लिए वैध कारण बतलाइए:
(i) p : किसी वृत्त की प्रत्येक त्रिज्या वृत्त की जीवा होती है।
हल:
असत्य : त्रिज्या का एक सिरा केंद्र पर ओर दूसरा सिरा वृत्त पर होता हो तो वह जीवा नहीं होती है। अत: यह वृत्त की जीवा नहीं है।

(ii) q : किसी वृत्त का केंद्र वृत्त की प्रत्येक जीवा को समद्विभाजित करता है।
हल:
असत्य : वृत्त का केंद्र केवल व्यास को समद्विभाजित करता है। प्रत्येक जीवा केंद्र से होकर नहीं जाती है।
अत: वृत्त का केंद्र प्रत्येक जीवा को समद्विभाजित (UPBoardSolutions.com) नहीं करता है।

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(iii) r : एक वृत्त किसी दीर्घवृत्त की एक विशेष स्थिति है।
हल:
सत्य : दीर्घवृत्त का समीकरण [latex s=2]\frac { { x }^{ 2 } }{ { a }^{ 2 } } +\frac { { y }^{ 2 } }{ { b }^{ 2 } } =\quad 1[/latex]
जब a = b तब [latex s=2]\frac { { x }^{ 2 } }{ { a }^{ 2 } } +\frac { { y }^{ 2 } }{ { b }^{ 2 } } =\quad 1[/latex] या x² + y² = a²
अत: यह वृत्त का समीकरण है।

(iv) s : यदि x औरy ऐसे पूर्णाक हैं कि x > y, तो -x < -y हैं।
हल:
सत्य यदि x और y पूर्णांक हैं और x > y तो -x < -y (असमिकाओं के नियम से)

(v) t : √11 एक परिमेय संख्या है।
हल:
असत्य : √11 एक अपरिमेय संख्या है।

अध्याय 14 पर विविध प्रश्नावली

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथनों के निषेधन लिखिए:
(i) प्रत्येक धन वास्तविक संख्या x के लिए, संख्या x – 1 भी धन संख्या है।
हल:
एक ऐसी धन वास्तविक संख्या x को अस्तित्व है कि x – 1 धन संख्या नहीं है।

(ii) सभी बिल्लियाँ खरोंचती हैं।
हल:
सभी बिल्लियाँ खरोंचती नहीं हैं।

(iii) प्रत्येक वास्तविक संख्या के लिए या तो x > 1 या x < 1.
हल:
एक ऐसी वास्तविक संख्या x का अस्तित्व है कि न तो x > 1 और न ही x < 1.

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(iv) एक ऐसी संख्या ४ का अस्तित्व है कि 0 < x < 1.
हल:
किसी ऐसी वास्तविक संख्या x का अस्तित्व नहीं है कि 0 < x < 1.

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सप्रतिबंध कथनों (अंतर्भाव) में से प्रत्येक का विलोम तथा प्रतिधनात्मक कथन लिखिए:
(i) एक धन पूर्णाक अभाज्य संख्या है केवल यदि 1 और पूर्णांक स्वयं के अतिरिक्त उसका कोई अन्य भाजक नहीं है।
हल:
विलोम कथन : यदि एक धन पूर्णांक अभाज्य है, तो 1 तथा स्वयं के अतिरिक्त इसका कोई अन्य भाजक नहीं है।
प्रतिधनात्मक कथन : यदि एक धन पूर्णांक के 1 तथा स्वयं के अतिरिक्त अन्य भाजक भी हैं, तो वह धन पूर्णांक अभाज्य संख्या नहीं है।

(ii) मैं समुद्र तट पर जाता हूँ जब कभी धूप वाला दिन होता है।
हल:
विलोम कथन : यदि कभी धूप वाला दिन हो तो मैं समुद्र तट पर जाता हूँ।
प्रतिधनात्मक कथन : जब कभी धूप वाला दिन नहीं होता तो मैं समुद्र तट पर नहीं जाता।

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(iii) यदि बाहर गर्म है, तो आपको प्यास लगती है।
हल:
विलोम कथन : यदि आपको प्यास लगी है, तो बाहर गर्म है।
प्रतिधनात्मक कथन : यदि आपको प्यास नहीं लगती है तो बाहर गर्म नहीं है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में से प्रत्येक को ” यदि p तो q” के रूप में लिखिए।:
(i) सर्वर पर लॉग आन करने के लिए पासवर्ड का होना आवश्यक है।
(ii) जब कभी वर्षा होती है यातायात में अवरोध उत्पन्न होता है।
(iii) आप वेबसाइट में प्रवेश कर सकते हैं केवल यदि आपने निर्धारित शुल्क का भुगतान किया हो।
हल:
” यदि p तो q” के रूप में कथन
(i) यदि सर्वर पर लॉग आन है, तो पासवर्ड ज्ञात है।
(ii) यदि वर्षा होती है, तो यातायात में अवरोध उत्पन्न होता है।
(iii) यदि आप निर्धारित शुल्क का भुगतान करते हैं, तो आप बेवसाइट में प्रवेश कर सकते हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों में से प्रत्येक को ‘p यदि और केवल यदि q’ के रूप में पुनः लिखिएः
(i) यदि आप दूरदर्शन (टेलीविजन) देखते हैं, तो आपका मन मुक्त होता है तथा यदि आपका मन मुक्त है तो आप दूरदर्शन देखते हैं।
(ii) आपके द्वारा A ग्रेड प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य और पर्याप्त है कि आप गृहकार्य नियमित रूप से । करते हैं।
(iii) यदि एक चतुर्भुज समान कोणिक है, तो वह एक आयत होता है तथा यदि एक चतुर्भुज आयत है, तो वह समान कोणिक होता है।
हल:
‘p यदि और केवल यदि q’ के रूप में कथन
(i) आप टेलीविज़न देखते हैं यदि और केवल यदि आपका मन मुक्त होता है।
(ii) आप A ग्रेड प्राप्त करते हैं यदि और केवल (UPBoardSolutions.com) यदि आप नियमित रूप से समस्त गृहकार्य करते हैं।
(iii) एक चतुर्भुज समान कोणिक है यदि और केवल यदि वह एक आयत है।

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प्रश्न 5.
नीचे दो कथन दिए हैं,
p : 25 संख्या 5 का एक गुणज है।
q : 25 संख्या 8 का एक गुणज है।
उपरोक्त कथनों का संयोजक ‘और’ तथा ‘या’ द्वारा संयोजन करके मिश्र कथन लिखिए। दोनों दशाओं में प्राप्त मिश्र कथनों की वैधता जाँचिए।
हल:
(i) ‘और’ संयोजन द्वारा मिश्र कथन: 25 संख्या 5 और 8 का गुणज है। यह असत्य कथन है क्योंकि p और q दोनों सत्य नहीं हैं।
(ii) संयोजक ‘या’ द्वारा मिश्र कथने: 25 संख्या 5 या 8 का गुणज है। यह कथन सत्य है।

प्रश्न 6.
नीचे लिखे कथनों की वैधता की जाँच उनके सामने लिखित विधि द्वारा कीजिए।
(i) p : एक अपरिमेय संख्या और एक परिमेय संख्या का योगफल अपरिमेय होता है। (विरोधोक्ति विधि)
(ii) q : यदि n एक ऐसी वास्तविक संख्या है कि n > 3 तो n² > 9 (विरोधोक्ति विधि)
हल:
(i) मान लीजिए √a अपरिमेय और b परिमेय सेख्याएँ हों, तब
दोनों का योग b + √a = s
माना यह योग अपरिमेय नहीं है।
यदि s अपरिमेय नहीं है तो यह परिमेय संख्या है।
b + √a = [latex s=2]\frac { p }{ q }[/latex] …..(1)
जबकि p और q पूर्णांक हैं, q ≠ 0 तथा उनमें कोई समान गुणनखण्ड नहीं है।
समीकरण (1) से, √a = [latex s=2]\frac { p }{ q }[/latex] – b
बायाँ पक्ष = √a = एक अपरिमेय संख्या
दायाँ पक्ष = [latex s=2]\frac { p }{ q }[/latex] – b = एक परिमेय संख्या
चूँकि यह दोनों विरोधात्मक हैं।
अतः योग s परिमेय संख्या नहीं हो सकती।

(ii) माना n² > 9 नहीं है जबकि n > 3
n = 3 + a रखने पर
n = a + 3
n² = (a + 3)² = a² + 6a + 9 = 9 + (a² + 6a)
n² > 9
पूर्वनिर्धारित कथन और यह कथन (UPBoardSolutions.com) विरोधात्मक है।
अतः जब x > 3 तो x² > 9

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित कथन को पाँच भिन्न-भिन्न तरीकों से इस प्रकार व्यक्त कीजिए कि उनके अर्थ समान हों।
q : यदि एक त्रिभुज समान कोणिक है तो वह एक अधिक कोण त्रिभुज है।
हल:
पाँच समान अर्थ वाले कथन :
(i) कथन ”एक त्रिभुज समान कोणिक है’ का अंतर्भाव है कि यह अधिक कोण त्रिभुज है।
(ii) एक त्रिभुज के अधिक कोण त्रिभुज होने के लिए यह पर्याप्त है कि यह समान कोणिक है।
(iii) एक त्रिभुज समान कोणिक है यदि और केवल यदि त्रिभुज अधिक कोण त्रिभुज है।
(iv) एक त्रिभुज को समान कोणिक होने के लिए यह अनिवार्य है कि त्रिभुज अधिक कोण त्रिभुज हो।
(v) यदि एक त्रिभुज अधिक कोण त्रिभुज नहीं है तो वह (UPBoardSolutions.com) समान कोणिक त्रिभुज नहीं है।

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