UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 9 Coordination Compounds

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 9 Coordination Compounds (उपसहसंयोजन यौगिक) are part of UP Board Solutions for Class 12 Chemistry. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Chapter 9 Coordination Compounds (उपसहसंयोजन यौगिक).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Chemistry
Chapter Chapter 9
Chapter Name Coordination Compounds
Number of Questions Solved 72
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 9 Coordination Compounds (उपसहसंयोजन यौगिक)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित उपसहसंयोजन यौगिकों के सूत्र लिखिए –

  1. टेट्राऐम्मीनडाइऐक्वाकोबाल्ट (III) क्लोराइड (2018)
  2. पोटैशियम टेट्रासायनिडोनिकिलेट (II)
  3. ट्रिस (एथेन-1, 2-डाइऐमीन) क्रोमियम (III) क्लोराइड
  4. ऐम्मीनब्रोमिडोक्लोरिडोनाइट्रिटो-N-प्लैटिनेट (II)
  5. डाइक्लोरोबिस (एथेन-1, 2-डाइऐमीन) प्लैटिनम (IV) नाइट्रेट
  6. आयरन (III) हेक्सासायनिडोफेरेट (II) (2018)

उत्तर

  1. [Co(NH3)4(H2O)2]Cl3
  2. K2[Ni(CN)6]
  3. [Cr (en)3]Cl3
  4. [Pt (NH3) BrCl(NO2)]
  5. [PtCl2(en)2](NO3)2
  6. Fe4[Fe(CN)6]3

प्रश्न 2.
निम्नलिखित उपसहसंयोजन यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए –

  1. [Co(NH3)6]Cl3
  2. [Co(NH3)Cl]Cl2
  3. K3[Fe(CN)6]
  4. K3[Fe(C2O4)3]
  5. K2[PdCl4]
  6. [Pt (NH3)2Cl(NH2CH3)]Cl

उत्तर

  1. हेक्साऐम्मीनकोबाल्ट (III) क्लोराइड
  2. पेन्टाऐम्मीनक्लोरिडोकोबाल्ट (III) क्लोराइड
  3. पोटैशियम हेक्सासायनोफेरेट (III)
  4. पोटैशियम ट्राइऑक्सेलेटोफेरेट (III)
  5. पोटैशियम टेट्राक्लोरिडोपैलेडेट (II)
  6. डाइऐम्मीनक्लोरिडो( मेथिलऐमीन)प्लैटिनम (II) क्लोराईड

प्रश्न 3.
निम्नलिखित संकुलों द्वारा प्रदर्शित समावयवता का प्रकार बतलाइए तथा इन समावयवों की संरचनाएँ बनाइए –

  1. K[Cr(H2O)2 (C2O4)2]
  2. [Co(en)3] Cl3
  3. [Co(NH3)5 (NO2)](NO3)2
  4. [Pt(NH3)(H2O)Cl2]

उत्तर
1. (क) इसके लिए ज्यामितीय (सिस-ट्रान्स) तथा प्रकाशिक समावयव सम्भव हैं।
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(ख) सिस के प्रकाशिक समावयव (d- तथा l-)
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2. इसके दो प्रकाशिक समावयव हो सकते हैं।
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3. आयनन समावयव – निम्न समावयव सम्भव हैं (इसके दो आयनन तथा दो बन्धनी समावयव सम्भव हैं)।
[Co(NH3)(NO2)](NO3)2, [Co(NH3)5(NO3)](NO2)(NO3)
बन्धनी समावयव 
[Co(NH3)5(NO2)](NO3)2, [Co(NH3)5(ONO)](NO3)2

4. इसके दो ज्यामितीय समावयव (सिस-, ट्रान्स-) सम्भव हैं।
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प्रश्न 4.
इसका प्रमाण दीजिए कि [Co(NH3)5 Cl]SO4 तथा [Co(NH3)5SO4]Cl आयनन समावयव हैं।
उत्तर
आयनन समावयव जल में घुलकर भिन्न आयन देते हैं, इसलिए विभिन्न अभिकर्मकों के साथ भिन्न-भिन्न अभिक्रियाएँ देते हैं।
[Co(NH3)5Cl]SO4 + Ba2+ → BaSO4 (s)
[Co(NH3)5SO4]Cl + Ba2+ → कोई अभिक्रिया नहीं
[Co(NH3)5Cl]SO4 + Ag+ → कोई अभिक्रिया नहीं
[Co(NH3)5SO4]Cl + Ag+ → AgCl (s)
चूँकि दिए गए संकुल विभिन्न अभिकर्मकों के साथ भिन्न अभिक्रियाएँ देते हैं, अतः ये आयनन समावयव हैं।

प्रश्न 5.
संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त के आधार पर समझाइए कि वर्ग समतलीय संरचना वाला [Ni(CN)4]2- आयन प्रतिचुम्बकीय है तथा चतुष्फलकीय ज्यामिति वाला [NiCl4]2- आयन अनुचुम्बकीय है।
उत्तर
[Ni(CN)4]2- का चुम्बकीय व्यवहार (Magnetic behaviour of [Ni(CN)4]2- – Ni का परमाणु क्रमांक 28 है। Ni, Ni2+ तथा [Ni(CN)4]2- में निकिल की अवस्था के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित हैं –
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संकुल आयन [Ni(CN)4]2- प्रतिचुम्बकीय है; क्योंकि इसमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं।
[NiCl4]2- का चुम्बकीय व्यवहार (Magnetic behaviour of [NiCl4]2-)- इसमें Cl दुर्बल क्षेत्र लिगेण्ड है तथा यह इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं करता है।
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संकुल आयन [NiCl4]2- के d-उपकोश में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं, इसलिए यह अनुचुम्बकीय होता है।

प्रश्न 6.
[NiCl4]2- अनुचुम्बकीय है, जबकि [Ni(CO)4] प्रतिचुम्बकीय है यद्यपि दोनों चतुष्फलकीय हैं। क्यों?
उत्तर
[Ni(CO)4] में निकिल शून्य ऑक्सीकरण अवस्था में है, जबकि [NiCl4]2- में यह +2 ऑक्सीकरण अवस्था में है। CO लिगेण्ड की उपस्थिति में निकिल के अयुग्मित d-इलेक्ट्रॉन युग्मित हो जाते हैं, परन्तु Cl दुर्बल लिगेण्ड होने के कारण अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों को युग्मित करने योग्य नहीं होता है। अतः [Ni(CO)4] में कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित नहीं होता, इसलिए यह प्रतिचुम्बकीय है तथा [NiCl4]2- में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण यह अनुचुम्बकीय होता है।

प्रश्न 7.
[Fe(H2O)6]3+ प्रबल अनुचुम्बकीय है, जबकि [Fe(CN)6]3- दुर्बल अनुचुम्बकीय। समझाइए।
उत्तर
CN (प्रबल क्षेत्र लिगेण्ड) की उपस्थिति में, 3d- इलेक्ट्रॉन युग्मित होकर केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन छोड़ते हैं। d2 sp3 संकरण वाला आन्तरिक कक्षक संकुल बनता है। इसलिए [Fe(CN)6]3- दुर्बल अनुचुम्बकीय होता है। HO (दुर्बल क्षेत्र लिगेण्ड) की उपस्थिति में 3d-इलेक्ट्रॉन युग्मित नहीं होते अर्थात् संकरण spa है जो बाह्य कक्षक संकुल, जिसमें पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, बनाता है, इसलिए [Fe(H2O)6]3+ प्रबल अनुचुम्बकीय होता है।

प्रश्न 8.
समझाइए कि [Co(NH3)6]3+ एक आन्तरिक कक्षक संकुल है, जबकि [Ni(NH3)6]2+ एक बाह्य कक्षक संकुल है।
उत्तर
NH3 की उपस्थिति में Co के 3d- इलेक्ट्रॉन युग्मित होकर दो रिक्त d-कक्षक छोड़ते हैं जो [Co(NH3)6]3+ की स्थिति में आन्तरिक कक्षक संकुल बनाने वाले d2 sp3 संकरण में सम्मिलित होते हैं। [Ni(NH3)6]2+ में निकिल +2 ऑक्सीकरण अवस्था में है तथा इसका विन्यास 28 है। इसमें बाह्य कक्षक संकुल बनाने वाला sp3 d2 संकरण में सम्मिलित होता है।

प्रश्न 9.
वर्ग समतली (Pt(CN)4]2- आयन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बतलाइए।
उत्तर
78Pt आवर्त सारणी के वर्ग 10 में स्थित होता है तथा इसका विन्यास 5d9 6s1 है। अत: Pt2+ का विन्यास d8 है।
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वर्ग समतली संरचना के लिए संकरण dsp2 होता है। चूंकि 5d में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन युग्मित होकर dsp2 संकरण के लिए एक रिक्त d-कक्षक बनाते हैं, अत: कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं होता।

प्रश्न 10.
क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त को प्रयुक्त करते हुए समझाइए कि कैसे हेक्साऐक्वा मैंगनीज (II) आयन में पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं, जबकि हेक्सासायनो आयन में केवल एक ही अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है।
उत्तर
ऑक्सीकरण अवस्था +2 में Mn का विन्यास 3d5 होता है। लिगेण्ड के रूप में H2O (दुर्बल क्षेत्र लिगेण्ड) की उपस्थिति में इन पाँच इलेक्ट्रॉनों का वितरण t32g e2g होता है अर्थात् सभी इलेक्ट्रॉन अयुग्मित रह जाते हैं। लिगेण्ड के रूप में CN (प्रबल क्षेत्र लिगेण्ड) की उपस्थिति में वितरण  t52g e0g है। अर्थात् दो t2g कक्षकों में युग्मित इलेक्ट्रॉन हैं, जबकि तीसरे t2g कक्षक में एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होता

प्रश्न 11.
[Cu(NH3)4]2+ संकुल आयन के β4 का मान 2.1 x 1013 है, इस संकुल के समग्र वियोजन स्थिरांक के मान की गणना कीजिए।
हल
समग्र वियोजन स्थिरांक, समग्र स्थायित्व स्थिरांक का व्युत्क्रम होता है।
अतः समग्र वियोजन स्थिरांक = [latex]\frac { 1 }{ { \beta }_{ 4 } } =\frac { 1 }{ { 2.1\times 10 }^{ 13 } } [/latex] = 4.7 x 10-14

अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 1.
वर्नर की अभिधारणाओं के आधार पर उपसहसंयोजन यौगिकों में आबन्धन को समझाइए।
उत्तर
उपसहसंयोजन यौगिकों में आबन्धन को समझाने के लिए वर्नर ने सन् 1898 में उपसहसंयोजन यौगिकों का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। इस सिद्धान्त की मुख्य अभिधारणाएँ निम्नलिखित हैं –

  1. उपसहसंयोजन यौगिकों में धातुएँ दो प्रकार की संयोजकताएँ दर्शाती हैं- प्राथमिक तथा द्वितीयक।
  2. प्राथमिक संयोजकताएँ सामान्य रूप से धातु परमाणु की ऑक्सीकरण अवस्था से सम्बन्धित होती हैं। तथा आयननीय होती हैं। ये संयोजकताएँ ऋणात्मक आयनों द्वारा सन्तुष्ट होती हैं।
  3. द्वितीयक संयोजकताएँ धातु परमाणु की उपसहसंयोजन संख्या से सम्बन्धित होती हैं। द्वितीयक संयोजकताएँ अन-आयननीय होती हैं। ये उदासीन अणुओं अथवा ऋणात्मक आयनों द्वारा सन्तुष्ट | होती हैं। द्वितीयक संयोजकता उपसहसंयोजन संख्या के बराबर होती है तथा इसका मान किसी धातु के लिए सामान्यत: निश्चित होता है।
  4. धातु से द्वितीयक संयोजकता से आबन्धित आयन समूह विभिन्न उपसहसंयोजन संख्या के अनुरूप दिक्स्थान में विशिष्ट रूप से व्यवस्थित रहते हैं।

आधुनिक सूत्रीकरण में इस प्रकार की दिक्स्थान व्यवस्थाओं को समन्वये बहुफलक (coordination polyhedra) कहते हैं। गुरुकोष्ठक में लिखी स्पीशीज संकुल तथा गुरु कोष्ठक के बाहर लिखे आयन प्रति आयन (counter ions) कहलाते हैं।

उन्होंने यह भी अभिधारणा दी कि संक्रमण तत्वों के समन्वय यौगिकों में सामान्यतः अष्टफलकीय, चतुष्फलकीय व वर्ग समतली ज्यामितियाँ पायी जाती हैं। इस प्रकार [Co(NH3)6]3+, [CoCl(NH3)5]2+ तथा [CoCl2(NH3)4]+ की ज्यामितियाँ अष्टफलकीय हैं, जबकि [Ni(CO)4)] तथा [PtCl4]2- क्रमश: चतुष्फलकीय तथा वर्ग समतली हैं।
उपर्युक्त अभिधारणाओं से वर्नर, जिसने निम्नलिखित यौगिकों को कोबाल्ट (III) क्लोराइड की NH3 से अभिक्रिया करके बनाया, ने इन यौगिकों (उपसहसंयोजक) की संरचना की सफलतापूर्वक व्याख्या की जिसका वर्णन निम्नलिखित है –

  • CoCl3.6NH3 नारंगी
  • CoCl3.5NH3 . H2O गुलाबी
  • CoCl3.5NH3 बैंगनी
  • CoCl3.4NH3 बैंगनी
  • CoCl3.3NH3 हरा

CoCl3.4NH3 के विभिन्न रंगों का कारण यह है कि यह समपक्ष तथा विपक्ष समावयव के रूप में उपस्थित होता है।
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प्रश्न 2.
FeSO4 विलयन तथा (NH4)2SO4 विलयन का 1 : 1 मोलर अनुपात में मिश्रण Fe2+ आयन का परीक्षण देता है, परन्तु CuSO4 व जलीय अमोनिया का 1 : 4 मोलर अनुपात में मिश्रण Cu2+ आयनों का परीक्षण नहीं देता। समझाइए क्यों?
उत्तर
FeSO4 विलयन को (NH4)2SO4 विलयन में 1 : 1 मोलर अनुपात में मिश्रित करने पर एक द्विक-लवण प्राप्त होता है, जिसे मोहर लवण (FeSO4.(NH4)2SO4.6H2O) कहते हैं। यह निम्न प्रकार आयनित होता है –
FeSO4 .(NH4)2 SO4 .6H4O → F2+ + 2NH+4 + 3SO2-4 + 6H2O

विलयन में Fe2+ आयनों की उपस्थिति के कारण यह Fe2+ आयन का परीक्षण देता है। जब CuSO4 विलयन को जलीय अमोनिया में 1 : 4 मोलर अनुपात में मिश्रित किया जाता है, तो संकर लवण [Cu(NH4)4]SO4 प्राप्त होता है। यह विलयन में निम्न प्रकार आयनित होता है-
[Cu(NH3)4]SO4 → [Cu(NH3)4]2+ + SO2-4
संकर आयन [Cu(NH3)4]2+ पुन: आयनित होकर Cu2+ आयन नहीं देता है। इसलिए विलयन Cu2+ आयन का परीक्षण नहीं देता है।

प्रश्न 3.
प्रत्येक के दो उदाहरण देते हुए निम्नलिखित को समझाइए-समन्वय समूह, लिगेण्ड, उपसहसंयोजन संख्या, उपसहसंयोजन बहुफलक, होमोलेप्टिक तथा हेटरोलेप्टिक।
या
उपसहसंयोजक (समन्वय) संख्या को एक उदाहरण द्वारा ज्ञात कीजिए। (2018)
उत्तर
1. उपसहसंयोजन सत्ता या समन्वय समूह (Coordination entity) – केन्द्रीय धातु परमाणु अथवा आयन से किसी एक निश्चित संख्या में आबन्धित आयन अथवा अणु मिलकर एक उपसहसंयोजन सत्ता का निर्माण करते हैं। उदाहरणार्थ– [CoCl3(NH3)3] एक उपसहसंयोजन सत्ता है। जिसमें कोबाल्ट आयन तीन अमोनिया अणुओं तथा तीन क्लोराइड आयनों से घिरा है। अन्य उदाहरण हैं –
[Ni(CO)4],[PtCl2(NH3)2], [Fe(CN)6]4-, [Co(NH3)6]3+ आदि।

2. लिगेण्ड (Ligand) – उपसहसंयोजन सत्ता में केन्द्रीय परमाणु/आयन से परिबद्ध आयन अथवा अणु लिगेण्ड कहलाते हैं। ये सामान्य आयने हो सकते हैं; जैसे- Cl, F, CN, OH छोटे अणु हो सकते हैं; जैसे- H2O या NH3, बड़े अणु हो सकते हैं; जैसे- H2NCH2CH2NH2 या N(CH2CH2NH2)3 अथवा वृहदाणु भी हो सकते हैं; जैसे- प्रोटीन।

3. उपसहसंयोजन संख्या (Coordination number) – एक संकुले में धातु आयन की उपसहसंयोजन संख्या (CN) उससे आबन्धित लिगेण्डों के उन दाता परमाणुओं की संख्या के बराबर होती है, जो सीधे धातु आयन से जुड़े हों।
उदाहरणार्थ– संकुल आयनों [PtCl6]2- तथा [Ni(NH3)4]2+ में Pt तथा Ni की उपसहसंयोजन संख्या क्रमश: 6 तथा 4 है। इसी प्रकार संकुल आयनों [Fe(C2O4)3]3- और [Co(en)3]3+ में Fe और Co दोनों की समन्वय संख्या 6 है क्योंकि C2O2-4 तथा en (एथेन-1, 2-डाइऐमीन) द्विदन्तुर लिगेण्ड हैं।

उपसहसंयोजन संख्या के सन्दर्भ में यह तथ्य महत्त्वपूर्ण है कि केन्द्रीय परमाणु/आयन की उपसहसंयोजन संख्या केन्द्रीय परमाणु/आयन तथा लिगेण्ड के मध्य बने केवल o (सिग्मा) आबन्धों की संख्या के आधार पर ही निर्धारित की जाती है। यदि लिगेण्ड तथा केन्द्रीय परमाणु/आयन के मध्य π (पाई) आबन्ध बने हों तो उन्हें नहीं गिना जाता।

4. उपसहसंयोजन बहुफलक (Coordination polyhedron) – केन्द्रीय परमाणु/आयन से सीधे जुड़े लिगेण्ड परमाणुओं की दिक्स्थान व्यवस्था (spacial arrangement) को उपसहसंयोजन बहुफलक कहते हैं। इनमें अष्टफलकीय, वर्ग समतलीय तथा चतुष्फलकीय मुख्य हैं। उदाहरणार्थ– [Co(NH3)6]3+ अष्टफलकीय है, [Ni(CO)4] चतुष्फलकीय है तथा [PtCl4]2- वर्ग समतलीय है। चित्र-1 में विभिन्न उपसहसंयोजन बहुफलकों की आकृतियाँ दर्शायी गई हैं।
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5. होमोलेप्टिक (Homoleptic) – संकुल जिनमें धातु परमाणु केवल एक प्रकार के दाता समूह (लिगेण्ड) से जुड़ा रहता है, होमोलेप्टिक संकुल कहलाते हैं। उदाहरणार्थ– [Co(NH3)6]3+ तथा [Fe(CN)6]4-.

6. हेटरोलेप्टिक (Heteroleptic) – संकुल जिनमें धातु परमाणु एक से अधिक प्रकार के दाता समूहों (लिगेण्डों) से जुड़ा रहता है, हेटरोलेप्टिक संकुल कहलाते हैं। उदाहरणार्थ – [Co(NH3)4Cl2]+ तथा [Pt(NH3)5Cl]3+.

प्रश्न 4.
एकदन्तुर, द्विदन्तुर तथा उभयदन्तुर लिगेण्ड से क्या तात्पर्य है? प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
लिगेण्ड का एक परमाणु दाता परमाणु होता है जो केन्द्रीय धातु आयन को एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म दान करके उपसहसंयोजक आबन्ध बनाता है। जब एक लिगेण्ड धातु आयन से एक दाता परमाणु द्वारा परिबद्ध होता है; जैसे- Cl, H2O या NH3 तो लिगेण्ड एकदन्तुर (unidentate) कहलाता है। जब लिगेण्ड दो दाता परमाणुओं द्वारा परिबद्ध होता है; जैसे- H2NCH2CH2NH2 (एथेन-1, 2-डाइऐमीन) अथवा C2O2-4 (ऑक्सेलेट) तो ऐसा लिगेण्ड द्विदन्तुर कहलाता है।

वह लिगेण्ड जो दो भिन्न परमाणुओं द्वारा जुड़ सकता है, उसे उभयदन्ती संलग्नी या उभयदन्तुर लिगेण्ड कहते हैं। ऐसे लिगेण्ड के उदाहरण हैं- NO2 तथा SCN आयन। NO2 आर्यन केन्द्रीय धातु परमाणु/आयन से या तो नाइट्रोजन द्वारा अथवा ऑक्सीजन द्वारा संयोजित हो सकता है। इसी प्रकार SCN आयन सल्फर अथवा नाइट्रोजन परमाणु द्वारा संयोजित हो सकता है।
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प्रश्न 5.
निम्नलिखित उपसहसंयोजन सत्ता में धातुओं के ऑक्सीकरण अंक का उल्लेख कीजिए –

  1. [Co(H2O)(CN)(en)2]2+
  2. [CoBr2(en)2]+
  3. [PtCl4]2-
  4. [K3[Fe(CN)6]
  5. [Cr(NH3)3Cl3].

उत्तर
माना कि दिये गये संकर आयनों में धातु के ऑक्सीकरण अंक x हैं। अत:

  1. x + (0) + (-1) + 2 × (0) = +2; ∴ x = +3
  2. x + 2 × (-1) + 2 × (0) = +1; ∴ x = +3
  3. x + 4 × (-1) = – 2, ∴ x = +2
  4. 3 × (+1) + x + 6 × (-1) = 0; ∴ x = +3
  5. x + 3 × (0) + 3 × (-1) = 0; ∴ x = +3

प्रश्न 6.
IUPAC नियमों के आधार पर निम्नलिखित के लिए सूत्र लिखिए –

  1. टेट्राहाइड्रॉक्सिडोजिंकेट(II)
  2. पोटैशियम टेट्राक्लोरिडोपैलेडेट (II)
  3. डाइऐम्मीनडाइक्लोरिडोप्लैटिनम (II)
  4. पोटैशियम टेट्रासायनिडोनिकिलेट (II)
  5. पेन्टाऐम्मीननाइट्रिटो-O-कोबाल्ट(III)
  6. हेक्साऐम्मीनकोबाल्ट(III) सल्फेट
  7. पोटैशियम ट्राइ (ऑक्सेलेटो) क्रोमेट(III)
  8. हेक्साऐम्मीनप्लैटिनम(IV)
  9. टेट्राब्रोमिडोक्यूप्रेट(II)
  10. पेन्टाऐम्मीनंनाइट्रिटो-N-कोबाल्ट(III)

उत्तर

  1. [Zn(OH)4]2-
  2. K2[PdCl4]
  3. [Pt(NH3)2Cl2]
  4. K2[Ni(CN)4]
  5. [Co(NH3)5(ONO)]2+
  6. [Co(NH3)6]2(SO4)3
  7. K3[Cr(C2O4)3]
  8. [Pt(NH3)6]4+
  9. [CuBr4]2-
  10. [Co(NH3)5(NO2)]2+

प्रश्न 7.
IUPAC नियमों के आधार पर निम्नलिखित के सुव्यवस्थित नाम लिखिए –

  1. [Co(NH3)6]Cl3
  2. [Pt(NH3)2Cl(NH2CH3)]Cl
  3. [Ti(H2O)6]3+
  4. [Co(NH3)4Cl(NO2)]Cl
  5. [Mn(H2O)6]2+  (2018) 
  6. [NiCl4]2-
  7. [Ni(NH3)6]Cl2  (2017)
  8. [Co(en)3]3+
  9. [Ni(CO)4]

उत्तर

  1. हेक्साऐम्मीनकोबाल्ट (III) क्लोराइड
  2. डाइऐम्मीनक्लोरिडो( मेथिल ऐमीन)प्लैटिनम (II) क्लोराइड
  3. हेक्साऐक्वाटाइटेनियम (III) आयन
  4. टेट्राऐम्मीनक्लोरिडोनाइट्रिटो-N-कोबाल्ट (III) क्लोराईड
  5. हेक्साऐक्वामैंगनीज (II) आयन
  6. टेट्राक्लोरिडोनिकिलेट (II) आयन
  7. हेक्साऐम्मीननिकिल (II) क्लोराइड
  8. ट्रिस(एथेन-1,2-डाइऐमीन) कोबाल्ट (III) आयन
  9. टेट्राकार्बोनिलनिकिल(0)।

प्रश्न 8.
उपसहसंयोजन यौगिकों के लिए सम्भावित विभिन्न प्रकार की समावयवताओं को सूचीबद्ध कीजिए तथा प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
उपसहसंयोजन यौगिकों में दो प्रमुख प्रकार की समावयवताएँ ज्ञात हैं। इनमें से प्रत्येक को पुनः प्रविभाजित किया जा सकता है।
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प्रश्न 9.
निम्नलिखित उपसहसंयोजन सत्ता में कितने ज्यामितीय समावयव सम्भव हैं?

  1. [Cr(C2O4)3]3-
  2. [Co(NH3)Cl3]

उत्तर

  1. यह [M(AA)3] प्रकार का संकर आयन है तथा ज्यामितीय समावयवता प्रदर्शित करने में असमर्थ है। इसलिए इसका कोई ज्यामितीय समावयवी सम्भव नहीं है।
  2. दो (फेशियल तथा पेरीफेरल)।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित के प्रकाशिक समावयवों की संरचनाएँ बनाइए –
(i) [Cr(C2O4)3]3-
(ii) [PtCl2(en)2]2+
(iii) [Cr(NH3)2Cl2(en)]+
उत्तर
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प्रश्न 11.
निम्नलिखित के सभी समावयवों (ज्यामितीय व ध्रुवण) की संरचनाएँ बनाइए –

  1. [CoCl2(en)2]+
  2. [Co(NH3)Cl(en)2]2+
  3. [Co(NH3)Cl2(en)]+

उत्तर
1. CoCl2(en)2]+
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2. [Co(NH3)Cl(en)2]2+

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3. [Co(NH3)Cl2(en)]+

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सभी असममिताकार हैं, इसलिए सभी प्रकाशिक समावयवता अर्थात् d(+) तथा l(-) रूप प्रदर्शित करेंगे जो एक-दूसरे पर अध्यारोपित न होने वाले दर्पण प्रतिबिम्ब हैं।

प्रश्न 12.
[Pt(NH3)(Br)(Cl)(Py)] के सभी ज्यामितीय समावयव लिखिए। इनमें से कितने ध्रुवण अर्थात प्रकाशिक समावयवता दर्शाएँगे?
उत्तर
दिए गए यौगिक के तीन ज्यामितीय समावयव सम्भव हैं।
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इस प्रकार के समावयव ध्रुवण समावयवता नहीं दर्शाते हैं। ध्रुवण समावयवता वर्ग समतली या चतुष्फलकीय संकुलों में दुर्लभ रूप में पायी जाती है। जबकि इनमें असममिताकार कोलेटिंग लिगेण्ड उपस्थित हों।

प्रश्न 13.
जलीय कॉपर सल्फेट विलयन (नीले रंग का), निम्नलिखित प्रेक्षण दर्शाता है –

  1. जलीय पोटैशियम फ्लुओराइड के साथ हरा रंग
  2. जलीय पोटैशियम क्लोराइड के साथ चमकीला हरा रंग।

उपर्युक्त प्रायोगिक परिणामों को समझाइए।
उत्तर
जलीय कॉपर सल्फेट विलयन [Cu(H2O)4]SO4 के रूप में स्थित रहता है तथा [Cu(H2O)4]2+ आयनों के कारण इसका रंग नीला होता है।
1. जब KF विलयन मिलाया जाता है, तो दुर्बल H2O लिगेण्ड प्रबल F- लिगेण्ड्स के द्वारा। प्रतिस्थापित हो जाते हैं। इस प्रकार, [CuF4]2- आयन बनते हैं, जो हरा अवक्षेप देते हैं।
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2. जब KCl विलयन मिलाया जाता है तो Cl लिगेण्ड्स दुर्बल H2O लिगेण्ड्स को प्रतिस्थापित कर देते हैं और [CuCl4]2- आयन बनाते हैं, जो चमकीले हरे रंग के होते हैं।
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प्रश्न 14.
कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन में जलीय KCN को आधिक्य में मिलाने पर बनने वाली उपसहसंयोजन सत्ता क्या होगी? इस विलयन में जब H2S गैस प्रवाहित की जाती है तो कॉपर सल्फाइड का अवक्षेप क्यों नहीं प्राप्त होता?
उत्तर
जब जलीय KCN विलयन को जलीय कॉपर सल्फेट के विलयन में मिलाया जाता है, तो निम्न प्रकार से [Cu(CN)4]2- उपसहसंयोजन स्पीशीज प्राप्त होती है –
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इस प्रकार बनी उपसहसंयोजन स्पीशीज [Cu(CN)4]2- अत्यधिक स्थिर होती है क्योंकि CN प्रबल लिगेण्ड होते हैं। इसलिए इस विलयन में H2S गैस प्रवाहित करने पर CuS का अवक्षेप प्राप्त नहीं होता है क्योंकि मुक्त Cu2+ आयन उपलब्ध नहीं होते हैं।

प्रश्न 15.
संयोजकता आबन्धसिद्धान्त के आधार पर निम्नलिखित उपसहसंयोजन सत्ता में आबन्ध की प्रकृति की विवेचना कीजिए –

  1. [Fe(CN)6]4-
  2. [FeF6]3-
  3. [CO(C2O4)3]3-
  4. [COF6]3-

उत्तर
1. [Fe(CN6)]4- – इस संकुल आयन में आयरन की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है।
Fe का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = [Ar] 3d6 4s2
Fe 2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = [Ar] 3d6
छह सायनाइड आयनों से छह इलेक्ट्रॉन युग्मों को स्थान देने के लिए आयरन (II) आयन को छह रिक्त कक्षक उपलब्ध करने चाहिए। ऐसा निम्नलिखित संकरण पद्धति के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है जिसमें d-उपकोश के इलेक्ट्रॉन युग्मित हो जाते हैं, चूँकि CN आयन प्रबल क्षेत्र लिगेण्ड हैं।
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अत: छह सायनाइड आयनों से छह इलेक्ट्रॉन युग्म आयरन (II) आयन के छह संकरित कक्षकों को अध्यासित कर लेते हैं। इस प्रकार किसी भी कक्षक में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं, इसलिए [Fe(CN)6]4- प्रतिचुम्बकत्व दर्शाता है। अतः [Fe(CN)6]4- प्रतिचुम्बकीय तथा अष्टफलकीय है।

2. [FeF6]3- – यह संकुल उच्च चक्रण (या चक्रण मुक्त) या बाह्य संकुल है, चूंकि केन्द्रीय धातु आयन, Fe(III) संकरण के लिए nd-कक्षकों का प्रयोग करता है। यह एक अष्टफलकीय संकुल है। जिसमें sp3 d2 संकरण होता है, प्रत्येक कक्षक में छह फ्लुओराइड आयनों से एक-एक एकाकी इलेक्ट्रॉन-युग्म स्थान प्राप्त करता है जैसा कि निम्नांकित चित्र में दर्शाया गया है –
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चूँकि संकुल में पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं, अत: यह अनुचुम्बकीय है।

3. [CO(C2O4)3]3-
Co (Z = 27) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास : [Ar] 3d7 4s2
Co3+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास : [Ar] 3d6 4s0
C2O2-4 प्रबल क्षेत्रीय लिगेण्ड है जिसके कारण इलेक्ट्रॉनों का युग्मन हो जाता है।
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अतः स्पष्ट है कि [Co(C2O4)3]3- प्रतिचुम्बकीय तथा अष्टफलकीय संकुल है।

4. [CoF6]3- – Co (27) : [Ar] 3d7 4s2
Co3+ : [Ar] 3d6 4s0
F एक दुर्बल क्षेत्र लिगेण्ड होने के कारण इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं कर सकता है।
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अतः [CoF6]3- अनुचुम्बकीय तथा अष्टफलकीय संकुल है।

प्रश्न 16.
अष्टफलकीय क्रिस्टल क्षेत्र में d-कक्षकों के विपाटन को दर्शाने के लिए चित्र बनाइए।
उत्तर
माना छह लिगेण्ड कार्तिक अक्षों के अनुदिश सममित रूप से स्थित हैं तथा धातु परमाणु मूल बिन्दु पर है।
लिगेण्ड के निकट आने पर d-कक्षकों की ऊर्जा में मुक्त आयनों की तुलना में अपेक्षित वृद्धि होती है। जैसा कि गोलीय क्रिस्टल क्षेत्र की स्थिति में होता है।
अक्षों के अनुदिश कक्षक (dz2 तथा dx2– y2) dxy , dyz तथा dzx कक्षकों की तुलना में अधिक प्रबलता से प्रतिकर्षित होते हैं तथा इनमें अक्षों के मध्य निर्देशित पालियाँ (lobes) होती हैं। गोलीय क्रिस्टल क्षेत्र में औसत ऊर्जा की अपेक्षा dz2 तथा dx2– y2 कक्षक ऊर्जा में बढ़ जाते हैं तथा dxy, dyz, dzx, कक्षक ऊर्जा में न्यून हो जाते हैं।
अतः d- कक्षकों का समभ्रंश समूह (degenerate set) दो समूहों में विपाटित हो जाता है- निम्न ऊर्जा कक्षक समूह t2g तथा उच्च ऊर्जा कक्षक समूह eg ऊर्जा Δ0 द्वारा पृथक्कृत होती हैं।
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प्रश्न 17.
स्पेक्टमीरासायनिक श्रेणी क्या है? दुर्बल क्षेत्र लिगेण्ड तथा प्रबल क्षेत्र लिगेण्ड में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
स्पेक्टमीरासायनिक श्रेणी (Spectrochemical Series) – क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन, Δ0 लिगेण्ड तथा धातु आयन पर विद्यमान आवेश से उत्पन्न क्षेत्र पर निर्भर करता है। कुछ लिगेण्ड प्रबल क्षेत्र उत्पन्न कर सकते हैं तथा ऐसी स्थिति में विपाटन अधिक होता है, जबकि अन्य दुर्बल क्षेत्र उत्पन्न करते हैं जिसके फलस्वरूप d-कक्षकों का विपाटन कम होता है। सामान्यत: लिगण्डों को उनके बढ़ती हुई क्षेत्र प्रबलता के क्रम में एक श्रेणी में निम्नानुसार व्यवस्थित किया जा सकता है –
I < Br < SCN < Cl < S2 < F < OH < C2O2-4 < H2O < NCS < EDTA4- < NH3 < en < CN < CO
इस प्रकार की श्रेणी स्पेक्ट्रमीरासायनिक श्रेणी (spectrochemical series) कहलाती है। यह विभिन्न लिगेण्डों के साथ बने संकुलों द्वारा प्रकाश के अवशोषण पर आधारित प्रायोगिक तथ्यों द्वारा निर्धारित श्रेणी है।

दुर्बल क्षेत्र लिगेण्ड तथा प्रबल क्षेत्र लिगेण्ड के मध्य अन्तर (Difference between weak field ligand and strong field ligand) – वे लिगेण्ड जिनकी क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा (CFSE), Δ0 का मान कम होता है, दुर्बल क्षेत्र लिगेण्ड कहलाते हैं। दुर्बल क्षेत्र लिगेण्ड के कारण इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता तथा ये उच्च चक्रण संकुल बनाते हैं। वे लिगेण्ड जिनकी क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा, Δ0 का मान अधिक होता है, प्रबल क्षेत्र लिगेण्ड कहलाते हैं। प्रबल क्षेत्र लिगेण्ड के कारण इलेक्ट्रॉनों का युग्मन होता है तथा ये निम्न चक्रण संकुल बनाते हैं।

प्रश्न 18.
क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा क्या है? उपसहसंयोजन सत्ता में 4-कक्षकों का वास्तविक विन्यास A, के मान के आधार पर कैसे निर्धारित किया जाता है?
उत्तर
जब लिगेण्ड संक्रमण धातु आयन के निकट जाता है, तब d-कक्षक दो समुच्चयों में विपाटित हो जाते हैं, एक निम्न ऊर्जा के साथ तथा दूसरा उच्च ऊर्जा के साथ। कक्षकों के इन दो समुच्चयों के बीच ऊर्जा का अन्तर अष्टफलकीय क्षेत्र के लिए क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा, Δ0 कहलाता है।
यदि Δ0 < P (युग्मन ऊर्जा) तो चौथा इलेक्ट्रॉन किसी एक है, कक्षक में प्रवेश करता है तथा t32g e1g विन्यास देकर उच्च चक्रण संकुल बनाता है। ऐसे लिगेण्ड (जिनके लिए, Δ0 < P) दुर्बल क्षेत्र लिंगैण्ड कहलाते हैं।
यदि Δ0 > P तो चौथा इलेक्ट्रॉन किसी एक है t2g कक्षक में युग्मित होता है तथा t42g e0g विन्यास देकर निम्न चक्रण संकुल बनाता है। ऐसे लिगेण्ड (जिनके लिए, Δ0 > P) प्रबल क्षेत्र लिंगेण्ड कहलाते

प्रश्न 19.
[Cr(NH3)6] अनुचुम्बकीय है, जबकि [Ni(CN)4] प्रतिचुम्बकीय, समझाइए क्यों?
उत्तर
[Cr(NH3)6]3+ का निर्माण (Formation of [Cr(NH3)6]3+)
[Cr(NH3)6]3+ आयन में क्रोमियम की ऑक्सीकरण अवस्था +3 है। क्रोमियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d5 4s1 है। संकरण को निम्नलिखित आरेख में दर्शाया गया है –
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Cr3+ आयन अमोनिया के छह अणुओं से छह इलेक्ट्रॉन युग्मों को स्थान देने के लिए छह रिक्त कक्षक उपलब्ध कराते हैं। परिणामत: संकुल [Cr(NH3)]3+ में d2 sp3 संकरण होता है तथा यह अष्टफलकीय होता है। संकुल में तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति इसके अनुचुम्बकीय गुण को स्पष्ट करती हैं।

[Ni(CN)4]2- का निर्माण (Formation of [Ni(CN)4]2-)
[Ni(CN)4]2- में Ni की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है तथा इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d है। संकरण को निम्नवत् समझाया जा सकता है –
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प्रत्येक संकरित कक्षक सायनाइड आयन से एक इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करता है। अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति [Ni(CN)4]2- के प्रतिचुम्बकीय व्यवहार की पुष्टि करती है।

प्रश्न 20.
[Ni(H2O)6]2+ का विलयन हरा है, परन्तु [Ni(CN)4]2- का विलयन रंगहीन है। समझाइए।
उत्तर
[Ni(H2O)6]2+ विलयन में निकिल Ni2+ के रूप में स्थित रहता है तथा इसका 3d8 इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होता है। इसमें दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, जो कि दुर्बल जल लिगेण्डों की उपस्थिति में युग्मित नहीं हो पाते हैं। अयुग्मित इलेक्ट्रॉन d – d संक्रमण प्रदर्शित करते हैं जिसमें Ni2+ लाल प्रकाश अवशोषित करता है। इसलिए, संकर पूरक हरा रंग प्रदर्शित करता है।

[Ni(CN)4]2- में भी निकिल Ni2+ आयन के रूप में रहता है। इसका भी 3d8 इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होता है, जिसमें दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं परन्तु प्रबल CN लिगेण्ड युग्मित हो जाते हैं अतः अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति में d- d संक्रमण नहीं होता है तथा विलयन रंगहीन रहता है।

प्रश्न 21.
[Fe(CN)6]4- तथा [Fe(H2O)6]2+ के तनु विलयनों के रंग भिन्न होते हैं। क्यों?
उत्तर
दोनों जटिलों में आयरन की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है। Fe2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d6 है। तथा इसमें चार अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं। [Fe(CN)6]4- में CN लिगेण्ड्स प्रबल हैं तथा इलेक्ट्रॉनों को युग्मित कर देते हैं जबकि [Fe(H2O)6]2+ में H2O लिगेण्ड्स दुर्बल हैं तथा इलेक्ट्रॉनों को युग्मित करने में असमर्थ होते हैं। अत: अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की संख्या में अन्तर के कारण ये जटिल तनु विलयन में भिन्न-भिन्न रंग प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 22.
धातु काबनिलों में आबन्ध की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
उत्तर
धातु कार्बोनिलों में आबन्ध की प्रकृति (Nature of Bonding in Metal Carbonyls) – धातु कार्बोनिलों में निम्नलिखित दो प्रकार के आबन्धन सम्मिलित होते हैं –

  1. CO के कार्बन से एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म का धातु परमाणु के उचित रिक्त कक्षक में दान। यह एक अप्रत्यक्ष अतिव्यापन है तथा एक सिग्मा M ← C आबन्ध बनाता है।
  2. π-अतिव्यापन जिसमें पूरित धातु d-कक्षकों से इलेक्ट्रॉनों का CO के रिक्त प्रतिआबन्धन π* आण्विक
    कक्षकों में दान निहित होता है। इसके परिणामस्वरूप M → Cπ आबन्ध बनता है। धातु से लिगेण्ड का आबन्ध एक सहक्रियाशीलता का प्रभाव उत्पन्न करता है जो CO व धातु के मध्य आबन्ध को मजबूत बनाता है।

धातु कार्बोनिलों में आबन्धन निम्नवत् प्रदर्शित है –
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प्रश्न 23.
निम्नलिखित संकुलों में केन्द्रीय धातु आयन की ऑक्सीकरण अवस्था, d-कक्षकों का अधिग्रहण एवं उपसहसंयोजन संख्या बतलाइए –
(i) K3[Co(C2O4)3]
(ii) cis-[CrCl2(en)2]Cl
(iii) (NH4)[CoF4]
(iv) [Mn(H2O)6]SO4
उत्तर
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प्रश्न 24.
निम्नलिखित संकुलों के IUPAC नाम लिखिए तथा ऑक्सीकरण अवस्था, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और उपसहसंयोजन संख्या दर्शाइए। संकुल का त्रिविम रसायन तथा चुम्बकीय आघूर्ण भी बतलाइए –
(i) K[Cr(H2O)2(C2O4)2].3H2O
(ii) [CrCl3(Py)3]
(iii) [Co(NH3)5Cl]Cl2
(iv) Cs[FeC4]
(v) K4[Mn(CN)6]
उतर
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प्रश्न 25.
उपसहसंयोजन यौगिक के विलयन में स्थायित्व से आप क्या समझते हैं? संकुलों के स्थायित्व को प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
विलयन में उपसहसंयोजन यौगिकों को स्थायित्व (Stability of Coordination Compounds in Solution) – अधिकांश संकुल अत्यधिक स्थायी होते हैं। धातु आयन तथा लिगेण्ड के बीच अन्योन्यक्रिया को लुईस अम्ल-क्षार अभिक्रिया के समान माना जाता है। यदि अन्योन्यक्रिया प्रबल होगी तो बनने वाला संकुल ऊष्मागतिकीय रूप से अत्यधिक स्थायी होगा।
विलयन में संकुल के स्थायित्व का अर्थ है–साम्य अवस्था पर भाग ले रही दो स्पीशीज के मध्य संगुणन की मात्रा का मान। संगुणन के लिए साम्य स्थिरांक (स्थायित्व या विरचन) को परिमाण गुणात्मक रूप से स्थायित्व को प्रकट करता है। इस प्रकार यदि हम निम्न प्रकार की अभिक्रिया को लें –
M + 4L [latex]\rightleftharpoons [/latex] ML
K = [latex]\frac { [{ ML }_{ 4 }] }{ { [M][L] }^{ 4 } } [/latex]
साम्य स्थिरांक का मान जितना अधिक होगा, ML4 की विलयन में मात्रा उतनी ही अधिक होगी। विलयन में मुक्त धातु आयनों का अस्तित्व नगण्य होता है। अत: M सामान्यत: विलायक अणुओं से घिरा होगा जो लिगेण्ड अणुओं, L से प्रतिस्पर्धा करेंगे तथा धीरे-धीरे उनसे प्रतिस्थापित हो जाएँगे।

संकुलों के स्थायित्व को प्रभावित करने वाले कारक
(Factors Affecting the Stability of Complexes)
संकुलों को स्थायित्व निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –
I. केन्द्रीय आयन की प्रकृति (Nature of Central lon)
(i) केन्द्रीय धातु आयन पर आवेश (Charge on central metal ion) – सामान्यतया केन्द्रीय आयन पर आवेश घनत्व जितना अधिक होता है, उसके संकुलों का स्थायित्व भी उतना ही अधिक होता है। दूसरे शब्दों में, किसी आयन पर आवेश अधिक तथा आकार छोटा होने पर अर्थात् आयन का आवेश/त्रिज्या अनुपात अधिक होने पर इसके संकुलों का स्थायित्व अधिक होता है। उदाहरणार्थ– Fe2+ आयन की तुलना में Fe3+ आयन उच्च आवेश वहन करते हैं, परन्तु इनके आकार समान होते हैं। इसलिए Fe2+ आयन की तुलना में Fe3+ पर आवेश घनत्व उच्च होता है, इसलिए Fe3+ आयन के संकुल अधिक स्थायी होते हैं।
Fe3+ + 6CN → [Fe(CN)6]3-; K = 1.2 x 1031
Fe2+ + 6CN → [Fe(CN)6]4-; K = 1.8 x 106

(ii) धातु आयन का आकार (Size of metal ion) – धातु आयन का आकार घटने पर संकुल का स्थायित्व बढ़ता है। यदि हम द्विसंयोजी धातु आयन पर विचार करें तो इनके संकुलों का स्थायित्व केन्द्रीय धातु आयन की आयनिक त्रिज्या घटने के साथ बढ़ता है।
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इसलिए स्थायित्व का क्रम इस प्रकार है –
Mn2+ < Fe2+ < Co2+ < Ni2+ < Cu2+ < Zn2+
यह क्रम इवैग विलयम का स्थायित्व क्रम कहलाता है।

(iii) धातु आयन की विद्युतऋणात्मकता या आवेश वितरण (Electronegativity or Charge distribution of metal ion) – संकुल आयन का स्थायित्व धातु आयन पर इलेक्ट्रॉन आवेश वितरण से भी सम्बन्धित होता है। आरलेण्ड, चैट तथा डेविस के अनुसार धातु आयनों को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
(क) वर्ग ‘a’ ग्राही (Class ‘a’ acceptors) – ये पूर्णतया विद्युतधनात्मक धातुएँ होती हैं तथा इनमें वर्ग 1 तथा 2 की धातुएँ सम्मिलित होती हैं। इनके अतिरिक्त आन्तरसंक्रमण धातुएँ तथा संक्रमण श्रेणी के पूर्व सदस्य (वर्ग 3 से 6 तक), जिनमें अक्रिय गैस विन्यास से कुछ इलेक्ट्रॉन अधिक होते हैं, भी इस वर्ग में सम्मिलित होते हैं। ये N, O तथा F दाता परमाणुओं से युक्त लिगेण्डों के साथ अत्यधिक स्थायी उपसहसंयोजक सत्ता बनाते हैं।

(ख) वर्ग ‘b’ ग्राही (Class ‘b’ acceptors) – ये बहुत कम विद्युतधनात्मक होते हैं। इनमें भारी धातुएँ; जैसे- Rh, Pd, Ag, Ir, Pt, Au, Hg, Pb आदि, जिनमें भरित d-कक्षक होते हैं, सम्मिलित होती हैं। ये उन लिगेण्डों के साथ स्थायी संकुल बनाती हैं जिनमें N, O तथा F वर्ग के भारी सदस्य दाता परमाणु होते हैं।

(iv) कीलेट प्रभाव (Chelate effect) – स्थायित्व कीलेट वलयों के निर्माण पर भी निर्भर करता है। यदि L एक एकदन्तुर लिगेण्ड तथा L-L द्विदन्तुर लिगेण्ड हो तथा यदि L तथा L-L के दाता परमाणु एक ही तत्व के हों, तब L-L, L को प्रतिस्थापित कर देगा। कीलेशन के कारण यह स्थायित्व कीलेट प्रभाव कहलाता है। 5 तथा 6 सदस्यीय वलयों में कीलेट प्रभाव अधिकतम होता है। सामान्य रूप में वलय संकुल को अधिक स्थायित्व प्रदान करती है।

(v) वृहद्चक्रीय प्रभाव (Macrocyclic effect) – यदि एक बहुदन्तुर लिगेण्ड चक्रीय है तथा कोई अनुपयुक्त त्रिविम प्रभाव नहीं है तो बनने वाला संकुल बिना चक्रीय लिगेण्ड वाले सम्बन्धित संकुल की तुलना में अधिक स्थायी होगी। यह वृहद्चक्रीय प्रभाव कहलाता है।

II. लिगेण्ड की प्रकृति (Nature of Ligand)
(i) क्षारीय सामर्थ्य (Basic strength) – लिगेण्ड जितना अधिक क्षारीय होगा, उतनी ही अधिक सरलता उसे अपने एकाकी इलेक्ट्रॉन-युग्म को दान देने में होगी, इसलिए इससे बनने वाले संकुल उतने ही अधिक स्थायी होंगे। अत: CN तथा F आयन एवं NH3, जो प्रबल क्षार हैं, अच्छे लिगेण्ड हैं। तथा अनेक स्थायी संकुल बनाते हैं।

(ii) लिगेण्डों का आकार तथा आवेश (Size and charge of ligands)-ऋणायनी लिगेण्डों के लिए आवेश उच्च तथा आकार छोटा होने पर बनने वाला संकुल अधिक स्थायी होता है। अतः F अधिक स्थायी संकुल देता है, परन्तु Cl आयन नहीं।

प्रश्न 26.
कीलेट प्रभाव से क्या तात्पर्य है? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
जब कोई बहुदन्तुर लिगेण्ड दो या अधिक दाता परमाणुओं के द्वारा केन्द्रीय धातु आयन से अपने आप को इस प्रकार जोड़ता है कि केन्द्रीय आयन के साथ 5 या 6 सदस्यीय चक्र बनता है, तो यह प्रभाव कीलेट प्रभाव कहलाता है। कीलेट संकर यौगिक को स्थिरता प्रदान करते हैं; जैसे –
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अर्थात् [PtCl2(en)]

प्रश्न 27.
प्रत्येक का एक उदाहरण देते हुए निम्नलिखित में उपसहसंयोजन यौगिकों की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए –

  1. जैव प्रणालियाँ
  2. औषध रसायन
  3. विश्लेषणात्मक रसायन
  4. धातुओं का निष्कर्षण/धातुकर्म।

या
जैविक निकायों में उपसहसंयोजक यौगिकों के महत्त्व का उल्लेख कीजिए। (2018)
उत्तर
1. जैव प्रणालियाँ (Biological Systems) – उपसहसंयोजन यौगिक जैव तन्त्र में बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। प्रकाश संश्लेषण के लिए उत्तरदायी वर्णक, क्लोरोफिल, मैग्नीशियम का उपसहसंयोजन यौगिक हैं। रक्त का लाल वर्णक हीमोग्लोबिन, जो कि ऑक्सीजन का वाहक है, आयरन का एक उपसहसंयोजन यौगिक है। विटामिन B12 सायनोकोबालऐमीन, प्रतिप्रणाली अरक्तता कारक (antipernicious anaemia factor), कोबाल्ट का एक उपसहसंयोजन यौगिक है। जैविक महत्त्व के अन्य धातु आयन युक्त उपसहसंयोजन यौगिक; जैसे- कार्बोक्सीपेप्टिडेज-A (carboxypeptidase A) तथा कार्बोनिक एनहाइड्रेज (carbonic anhydrase) (जैव प्रणाली के उत्प्रेरक) एन्जाइम हैं।

2. औषध रसायन (Medicinal Chemistry) – औषधं रसायन में कीलेट चिकित्सा के उपयोग में अभिरुचि बढ़ रही है। इसका एक उदाहरण है-पौधे/जीव-जन्तु निकायों में विषैले अनुपात में विद्यमान धातुओं के द्वारा उत्पन्न समस्याओं का उपचार। इस प्रकार कॉपर तथा आयरन की अधिकता को D-पेनिसिलऐमीन तथा डेसफेरीऑक्सिम B लिगेण्डों के साथ उपसहसंयोजन यौगिक बनाकर दूर किया जाता है। EDTA को लेड की विषाक्तता के उपचार में प्रयुक्त किया जाता है। प्लैटिनम के कुछ उपसहसंयोजन यौगिक ट्यूमर वृद्धि को प्रभावी रूप से रोकते हैं। उदाहरण हैं- समपक्ष-प्लैटिन (cis-platin) तथा सम्बन्धित यौगिक

3. विश्लेषणात्मक रसायन (Analytical Chemistry) – गुणात्मक (qualitative) तथा मात्रात्मक (quantitative) रासायनिक विश्लेषणों में उपसहसंयोजन यौगिकों के अनेक उपयोग हैं। अनेक परिचित रंगीन अभिक्रियाएँ जिनमें धातु आयनों के साथ अनेक लिगेण्डों (विशेष रूप से कीलेट लिगेण्ड) की उपसहसंयोजन सत्ता बनने के कारण रंग उत्पन्न होता है, चिरसम्मत (classical) तथा यान्त्रिक (instrumental) विधियों द्वारा धातु आयनों की पहचान व उनके मात्रात्मक आकलन का आधार हैं। ऐसे अभिकर्मकों के उदाहरण हैं- EDTA, DMG (डाइमेथिल ग्लाइऑक्सिम), α- नाइट्रोसो- β- नैफ्थॉल आदि।

4. धातुओं का निष्कर्षण/धातुकर्म (Extraction of the Metals/Metallurgy) – धातुओं की कुछ प्रमुख निष्कर्षण विधियों में; जैसे- सिल्वर तथा गोल्ड के लिए, संकुल विरचन का उपयोग होता, है। उदाहरणार्थ-ऑक्सीजन तथा जल की उपस्थिति में गोल्ड, सायनाइड आयन से संयोजित होकर जलीय विलयन में उपसहसंयोजन सत्ता, [Au(CN)2] बनाता है। इस विलयन में जिंक मिलाकर गोल्ड को पृथक् किया जा सकता है।

प्रश्न 28.
संकुल [Co(NH3)6]Cl2 से विलयन में कितने आयन उत्पन्न होंगे?

  1. 6
  2. 4
  3. 3
  4. 2

उत्तर
3. 3 आयन
[Co(NH3)6]Cl2 → [Co(NH3)6]2+ + 2Cl

प्रश्न 29.
निम्नलिखित आयनों में से किसके चुम्बकीय आघूर्ण का मान सर्वाधिक होगा?

  1. [Cr(H2O)6]3+
  2. [Fe(H2O)6]2+
  3. [Zn(H2O)6]2+

उत्तर
[Fe(H2O)6]2+ का सबसे अधिक चुम्बकीय आघूर्ण है क्योंकि

  1. Cr3+ में 3 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं, जबकि
  2. में Fe2+ में चार अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं तथा
  3. Zn2+ में कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं है।

प्रश्न 30.
K[Co(CO)4] में कोबाल्ट (Co) की ऑक्सीकरण संख्या है –

  1. +1
  2. +3
  3. – 1
  4. -3

उत्तर
3. -1
[+1 + x + 4 × (0) = 0: ∴ x = – 1 ]

प्रश्न 31.
निम्नलिखित में सर्वाधिक स्थायी संकुल है –

  1. [Fe(H2O)6]2+
  2. [Fe(NH3)6]3+
  3. [Fe(C2O4)3]3-
  4. [FeCl6]3-

उत्तर
3. [Fe(C2O4)6]3-
(C2O2-4 एक कीलेटिंग लिगेण्ड है तथा संकर योगिक को स्थिरता प्रदान करता है।)

प्रश्न 32.
निम्नलिखित के लिए दृश्य प्रकाश में अवशोषण की तरंगदैर्घ्य का सही क्रम क्या होगा?
[Ni(NO2)6]4-, [Ni(NH3)6]2+, [Ni(H2O)6)2+
उत्तर
स्पेक्ट्रोकेमिकल श्रेणी में दिये गये संकर यौगिकों में उपस्थित लिगेण्ड्स का क्रम निम्न प्रकार है –
H2O < NH3 < NO3

इसलिए अवशोषित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य का क्रम निम्न होगा –
[Ni(H2O)6]2+ < [Ni(NH3)6]2+ < [Ni(NO2)6]4-

चूंकि अवलोकित तरंगदैर्घ्य अवशोषित तरंगदैर्घ्य की पूरक होती हैं, इसलिए अवशोषित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य ( E = [latex]\frac { hc }{ \lambda } [/latex]) विपरीत क्रम में होगी अर्थात्
[Ni(NO2)6]4- < [Ni(NH3)6]2+ < [Ni(H2O)6]2+

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
[Co(en)2Cl2]Cl में Co की समन्वय संख्या है – (2017)
(i) 3
(ii) 4
(iii) 5
(iv) 6
उत्तर
(iv) 6

प्रश्न 2.
[Cr(H,0) Cl,J+ आयन में Cr की संयोजकता होती है – (2017)
(i) 3
(ii) 1
(iii) 6
(iv) 5
उत्तर
(iii) 6

प्रश्न 3.
[Co(NH ) Cl]Cl, में Co की ऑक्सीकरण अवस्था है – (2017)
(i) +1
(ii) +2
(iii) +3
(iv) +4
उत्तर
(iii) +3

प्रश्न 4.
हैटरोलैप्टिक संकर है – (2015)
(i) [Fe(CN)6]4-
(ii) [Co(NH3)5SO4]+
(iii) [Hgl4]2-
(iv) [Co(NH3)6]3+
उत्तर
(ii) [Co(NH3)5SO4]+

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा आयन उपसहसंयोजन यौगिक नहीं बनाता है? (2017)
(i) Na+
(ii) Cr2+
(iii) Co+2
(iv) Cr3+
उत्तर
(i) Na+

प्रश्न 6.
कौन-सा धनायन अमोनिया के साथ ऐमीन संकुल नहीं बनाता है? (2017)
(i) Ag+
(ii) Al3+
(iii) Cd2+
(iv) Cu2+
उत्तर
(ii) Al3+

प्रश्न 7.
[Pt(NH3)2Cl2] यौगिक के त्रिविम समावयवियों की संख्या है- (2014)
(i) 1
(ii) 2
(iii) 4
(iv) 3
उत्तर
(ii) 2

प्रश्न 8.
जटिल यौगिक [Fe(H2O)5NO]SO4 में Fe के अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्यष्ट है –
(i) 2
(ii) 3
(iii) 4
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(i) 2

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लिगेण्ड क्या है? दो उदाहरण भी दीजिए। (2014, 17)
उत्तर
वह आण्विक अथवा आयनिक स्पीशीज जो संकर यौगिक में केन्द्रीय धातु परमाणु अथवा आयन से स्थायी रूप से जुड़ी होती है, लिगेण्ड कहलाती है। उदाहरणार्थ– K4[Fe(CN)6] में CN आयन लिगेण्ड है क्योंकि यह संकर में केन्द्रीय Fe2+ आयन से सीधे जुड़ा है। [Cu(NH3)4]2+ एक अन्य संकर आयन है जिसमें Cu2+ आयन चार NH3 लिगेण्ड से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित लिगेण्डों के नाम लिखिए –
OH, H2O, NH3, NH2, CH2, NH2-CH2NH2, CH3COO, CN, NCS
उत्तर

  • OH ⇒ हाइड्रॉक्सो
  • H2O ⇒ एक्वा
  • NH3 ⇒ ऐम्मीन
  • NH2 ⇒ एमिडो
  • CH2NH2-CH2NH2 ⇒ एथीलिन डाइएमीन
  • CH3COO ⇒ एसीटेटो
  • CN ⇒ सायनो
  • NCS ⇒ थायोसायनेटो

प्रश्न 3.
निम्न में से धनायनिक, ऋणायनिक तथा उदासीन संकर यौगिकों को छाँटिए-
K2[Hg I4], [Co(NH3)6]Cl3, K4[Fe(CN)6], [Ni(CO)4], [Pt(NH3),Cl2], [Fe(H2O)6]Cl3
उत्तर

  • धनायनिक संकर यौगिक ⇒ [Co(NH3)6]Cl3, [Fe(H2O)6]Cl3
  • ऋणायनिक संकर यौगिक ⇒ K2[Hg I4], K4 [Fe(CN)6]
  • उदासीन संकर यौगिक ⇒ [Ni(CO)4], [Pt(NH3)2 Cl2]

प्रश्न 4.
K2SO4 . Al2(SO4)3 . 24H2O के जलीय विलयन में उपस्थित आयनों के नाम लिखिए।
उत्तर
K2SO4 . Al2(SO4)3 . 24H2O के जलीय विलयन में K+, Al3+ व SO2-4 आयन उपस्थित होते हैं।

प्रश्न 5.
[Fe(C2O4)3] में केन्द्रीय धातु आयन की उपसहसंयोजकता (समन्वय संख्या) ज्ञात कीजिए। (2017)
उत्तर
समन्वय संख्या = 6

प्रश्न 6.
संकर [Fe(CN)6]4- की आवेश संख्या ज्ञात कीजिए।
हल
[Fe(CN)6]4- की आवेश संख्या = Fe2+ आयन पर आवेश + (6 × CN आयन पर आवेश) = 2+ 6 × (-1) = -4

प्रश्न 7.
[Cu(NH3)4] SO4 में Cu की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात कीजिए। (2014)
हल
माना Cu की ऑक्सीकरण संख्या x है।
x + 4(0) + 1(-2) = 0
x – 2= 0
x = +2

प्रश्न 8.
IUPAC नियमों का प्रयोग करते हुए निम्न के नाम लिखिए –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 9 Coordination Compounds image 34
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 9 Coordination Compounds image 35
उत्तर
(i) पोटैशियम ट्राइ (ऑक्सैलेटो) कोबाल्ट (III)
(ii) टेट्राकार्बोनिलनिकिल (0)
(iii) टेट्राऐम्मीन जिंक (II) क्लोराइड
(iv) पोटैशियम हेक्सा सायनो फैरेट (II)
(v) पोटैशियम ट्राइ ऑक्सेलेटो ऐलुमिनेट (III)
(vi) पोटैशियम ऐम्मीन ट्राइ ब्रोमाइडो प्लैटिनेट (III)
(vii) डाइऐम्मीन सिल्वर (I) डाइसायनो अर्जेन्टेट (I)
(viii) पोटैशियम टेट्रा आयोडो मरक्यूरेट (II)
(ix) सोडियम डाइ सायनो अर्जेन्टेट (I)
(x) टेट्राऐम्मीन कॉपर (II) सल्फेट
(xi) पेन्टा ऐक्वा क्लोरिडो क्रोमियम (III) क्लोराइड
(xii) पेन्टाऐम्मीन कार्बोनेटो कोबाल्ट (III) क्लोराइड
(xiii) पोटैशियम पेन्टासायनोनाइट्रोसिलफैरेट (II) डाइहाइड्रेट
(xiv) हेक्सा ऐम्मीन प्लेटिनम (IV) क्लोराइड
(xv) पोटैशियम टेट्रासायनो निकिलेट (II)
(xvi) पोटैशियम ट्राइ (ऑक्सैलेटो) क्रोमेट (III)
(xvii) टेट्राऐम्मीन क्लोराइडो कोबाल्ट (III) सल्फेट
(xviii) कैल्सियम हेक्सा सायनोफैरेट (II)
(xix) पोटैशियम ट्राइहेक्सा नाइट्रोकोबाल्ट (II)
(xx) हेक्साऐक्वाफैरेट (V) ट्राइक्लोराइड
(xxi) टेट्राऐम्मीनडाइऐक्वा कोबाल्ट (III) क्लोराइड
(xxii) आयरन (III) हेक्सासायनिडोफरेट (II)

प्रश्न 9.
निम्न समावयवियों के युग्मों के द्वारा कौन-सी समावयवता प्रदर्शित होती है?

  1. [Pt(OH)2 (NH3)4]SO4 तथा Pt(SO4)(NH3)4](OH)2
  2. [Cu(NH3)4] [PtCl4) तथा [Pt(NH3)4] [Cucl4]

उत्तर

  1. आयनन समावयवता,
  2. उपसहसंयोजन समावयवता।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से किस आयन का चुम्बकीय आघूर्ण सबसे अधिक है?

  1. [Cr(H2O)6]3+
  2. [Fe(H2O)6]2+
  3. [Zn(H2O)6]2+

उत्तर
2. [Fe(H2O)6]2+ का सबसे अधिक चुम्बकीय आघूर्ण है क्योंकि Cr3+ में 3 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं, जबकि Zn2+ में कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं है। यौगिक (ii) में Fe2+ में चार अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं।

प्रश्न11.
संयोजकता बन्ध सिद्धान्त के अनुसार निम्न उपसहसंयोजन स्पीशीज में बन्ध की प्रकृति बताइए

  1. [Fe(CN)6]4-
  2. [FeF6]3-
  3. [Co(C2O4)3]3-
  4. [CoF6]3-

उत्तर-
(i) d2 sp3, अष्टफलकीय, प्रतिचुम्बकीय,
(ii) sp3 d2, अष्टफलकीय, अनुचुम्बकीय,
(iii) d2 sp3, अष्टफलकीय, प्रतिचुम्बकीय,
(iv) sp3 d2, अष्टफलकीय, अनुचुम्बकीय।

प्रश्न 12.
VBT के आधार पर [FeF6]3- संकुल आयन की संरचना एवं चुम्बकीय प्रकृति बताइए। (2017)
उत्तर
sp3 d2 प्रकार का संकरण, अष्टफलकीय संरचना, अनुचुम्बकीय प्रकृति

प्रश्न 13.
प्रभावी परमाणु क्रमांक क्या है? उदाहरण द्वारा समझाइए। (2017)
उत्तर
प्रभावी परमाणु क्रमांक = परमाणु क्रमांक + ग्रहण किये गये इलेक्ट्रॉनों की संख्या – त्याग किए गए इलेक्ट्रॉनों की संख्या।

प्रश्न 14.
[Fe(CN)6]3- में आयरन का प्रभावी परमाणु क्रमांक ज्ञात कीजिए। (Fe का परमाणु क्रमांक = 26) (2018)
उत्तर
[Fe(CN)6]3- में आयरन का प्रभावी परमाणु क्रमांक = [26- 3 + 2(6)] = 35

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आवेश के आधार पर लिगेण्डों को किस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है? उदाहरण देते हुए समझाइए। (2014)
उत्तर
आवेश के आधार पर लिगेण्ड निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं –

  1. धनात्मक लिगेण्ड – धनावेश वाले लिगेण्ड धनात्मक लिगेण्ड कहलाते हैं। ये संकर में बहुत कम पाये जाते हैं।
    उदाहरणार्थ– NO+, NH2 NH+3 आदि।
  2. ऋणात्मक लिगेण्ड – ऋणावेश वाले लिगेण्ड ऋणात्मक लिगेण्ड कहलाते हैं। ये ऋणात्मक स्पीशीज होती हैं जिनमें एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों के एकाकी युग्म पाये जाते हैं।
    उदाहरणार्थ– F, Cl, Br, CN आदि।
  3. उदासीन लिगेण्ड – ऐसे लिगेण्डों पर कोई आवेश नहीं होती है और ये प्राय: आण्विक स्पीशीज होती हैं जिनमें एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉनों के एकाकी युग्म उपस्थित रहते हैं।
    उदाहरणार्थ– H2O, NH3, CO, NO आदि।

प्रश्न 2.
संकर यौगिकों में निम्न में से प्रत्येक को उदाहरण सहित समझाइए-

  1. आयनन समावयवता तथा
  2. हाइड्रेट समावयवता।

या
उपसहसंयोजन यौगिकों की संरचना समावयवता की व्याख्या उचित उदाहरण के साथ कीजिए। (2017)
उत्तर
1. आयनन समावयवता – जब सहसंयोजक यौगिकों के अणुसूत्र समान होते हैं परन्तु वह भिन्न आयनन व्यवहार प्रदर्शित करते हैं तथा विलयन में भिन्न आयन प्रदान करते हैं तो इसे आयनन समावयवता कहते हैं। आयनन समावयवता, उपसहसंयोजन तथा आयनन मण्डल के मध्य समूहों के विनिमय के कारण होती है।
उदाहरणार्थ– Co(NH3)5 (Br)(SO4) सूत्र वाले दो भिन्न यौगिक इस प्रकार हैं –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 9 Coordination Compounds image 36

2. हाइड्रेट समावयवता – जल के अणु लिगण्ड की भाँति तथा क्रिस्टलीकरण जल दोनों की भाँति व्यवहार प्रदर्शित कर सकते हैं। जब दो योगिक इस प्रकार की भिन्नता प्रदर्शित करते हैं तो उन्हें हाइड्रेट समावयवी कहते हैं तथा इस घटना को हाइड्रेट समावयवता कहते हैं। उदाहरणार्थ– CrCl. 6H2O सूत्र के निम्नलिखित तीन हाइड्रेट समावयवी ज्ञात हैं –

  • [Cr(H2O)]Cl3 हेक्साऐक्वाक्रोमियम (III) क्लोराइड (बैंगनी)
  • [Cr(H2O)5Cl]Cl. H2O पेन्टाऐक्वाक्लोरिडोक्रोमियम (III) क्लोराइड मोनोहाइड्रेट (नीला-हरा)
  • [Cr(H2O)4Cl2]Cl . 2H2O टेट्राऐक्वाडाइक्लोरिडोक्रोमियम (III) क्लोराइड डाइहाइड्रेट (गाढ़ा-हरा)

प्रश्न 3.
निम्न संकर यौगिकों के सन्दर्भ में ज्यामितीय समावयवता को समझाइए

  1. [PtCl2(NH3)2]
  2. [Co(NH3)2Cl2] तथा
  3. [Pt(gly)2]

या
सिस समावयवता और ट्रांस समावयवता की परिभाषा बताइए। (2015)
उत्तर
जब समान समूह केन्द्रीय धातु परमाणु के एक ही ओर स्थित होते हैं तो उसे सिस समावयवी तथा जब विपरीत ओर स्थित होते हैं तो उसे ट्रांस समावयवी कहते हैं।
1. [PtCl2(NH3)2] के सिस एवं ट्रांस रूप नीचे चित्र में दर्शाए गए हैं –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 9 Coordination Compounds image 37

2. [Co(NH3)4]+Cl2 के सिस एवं ट्रांस रूप नीचे चित्र में दर्शाए गए हैं –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 9 Coordination Compounds image 38

3. [Pt(gly)2] के सिस एवं ट्रांस रूप नीचे चित्र में दर्शाए गए हैं –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 9 Coordination Compounds image 39

प्रश्न 4.
द्विक-लवण क्या है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर
ये वे आण्विक अथवा योगात्मक यौगिक हैं जो कि ठोस अवस्था में रहते हैं परन्तु जल में घोलने पर ये अपने घटक आयनों में वियोजित हो जाते हैं। इस प्रकार घटक विलयन में अपनी पहचान खो देते हैं।
उदाहरणार्थ
1. पोटाश एलम (Potash alum), K2SO4 . Al2(SO4)3 . 24H2O द्विक-लवण है। इसे पोटैशियम सल्फेट तथा ऐलुमिनियम सल्फेट के संतृप्त विलयनों को मिलाकर तथा तत्पश्चात् मिश्रण का वाष्पीकरण करके प्राप्त किया जाता है।
K2SO4 + Al2(SO4)3 + 24H2O → K2SO4 . Al2(SO4)3 . 24H2O
जब पोटाश एलम को जल में घोला जाता है तो यह पहचान खोकर अपने आयनों में वियोजित हो जाता है।
K2SO4 . Al2(SO4) . 24H2O → 2K+ + 2Al3+ + 4SO2-4 + 24H2O
पोटाश एलम का जलीय विलयन K+, Al3+ तथा SO2-4 आयनों का परीक्षण देता है। अतः यह द्विक लवण है।

2. मोहर लवण (Mohr’s salt) FeSO4 . (NH4)2 SO4 . 6H2O भी एक द्विक-लवण है तथा इसे फेरस सल्फेट तथा अमोनियम सल्फेट के संतृप्त विलयनों को मिश्रित करके तथा मिश्रण को ठण्डा करके प्राप्त किया जाता है।
FeSO4 + (NH4)2 SO4 . 6H2O  → FeSO4 . (NH4)2 SO4 . 6H2O
जब मोहर लवण को जल में घोला जाता है तो वह अपने आयनों में निम्न प्रकार वियोजित होता है ” तथा उसकी पहचान समाप्त हो जाती है –
FeSO4 . (NH4)2 SO4 . 6H2O  → Fe2+ + 2NH+4 + 2SO2-4 + 6H2O
इसका जलीय विलयन Fe2+, NH+4 तथा SO2-4 आयनों का परीक्षण देता है। अत: मोहर लवण एक द्विक-लवण है।

प्रश्न 5.
FeSO4 विलयन को (NH4)2SO4 विलयन के साथ 1 : 1 मोलर अनुपात में मिश्रित करने पर विलयन Fe2+ आयन का परीक्षण देता है, परन्तु CuSO4 विलयन को जलीय अमोनिया में 1 : 4मोलर अनुपात में मिश्रित करने पर विलयन Cu2+ आयन का परीक्षण नहीं देता है। समझाइए क्यों?
उत्तर
FeSO4 विलयन को (NH4)2SO4 विलयन में 1 : 1 मोलर अनुपात में मिश्रित करने पर एक द्विक-लवण प्राप्त होता है, जिसे मोहर लवण (FeSO4.(NH4)2SO44.6H2O) कहते हैं। यह निम्न प्रकार आयनित होता है –
(FeSO4.(NH4)2SO44.6H2O) → F2+ + 2NH+4 + 3SO2-4 + 6H2O
विलयन में Fe2+ आयनों की उपस्थिति के कारण यह Fe2+ आयन का परीक्षण देता है।

जब CuSO4 विलयन को जलीय अमोनिया में 1 : 4 मोलर अनुपात में मिश्रित किया जाता है, तो संकर लवण [Cu(NH3)4]SO4 प्राप्त होता है। यह विलयन में निम्न प्रकार आयनित होता है –
[Cu(NH3)4]SO4 → [Cu(NH3)4]2+ + SO2-4
संकर आयन [Cu(NH3)4]2+ पुनः आयनित होकर Cu2+ आयन नहीं देता है। इसलिए विलयन Cu2+ आयन का परीक्षण नहीं देता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त (VBT) की मुख्य अवधारणाएँ क्या हैं? निकिल कार्बोनिल आयन की संरचना तथा चुम्बकीय व्यवहार को इस सिद्धान्त के आधार पर समझाइए।
उत्तर
संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त – इस सिद्धान्त का प्रतिपादन लाइनस पॉलिंग (Linus Pauling) ने किया था। इस सिद्धान्त के अनुसार, संकर का निर्माण, एक लूइस बेस (लिगेण्ड) तथा एक लूइस अम्ल (धातु या धातु आयन) के मध्य हुई अभिक्रिया है जिसके परिणामस्वरूप लिगेण्ड तथा धातु के मध्य उपसहसंयोजन अथवा दाता आबन्ध का निर्माण होता है।
संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त की अवधारणाएँ – संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त की मुख्य अवधारणाएँ निम्नलिखित हैं –

  1. केन्द्रीय धातु परमाणु अथवा आयन में कई रिक्त कक्षक (उनके उपसहसंयोजन संख्या के बराबर) उपस्थित होते हैं जिनमें लिगेण्ड द्वारा दिये गये इलेक्ट्रॉन समावेशित होते हैं। प्रत्येक एकदंतुर लिगेण्ड केन्द्रीय परमाणु अथवा आयन को इलेक्ट्रॉनों का एक युग्म प्रदान करता है।
  2. केन्द्रीय धातु परमाणु अथवा आयन के रिक्त परमाण्विक कक्षक आवश्यकतानुसार संकरण में भाग लेते हैं। संकरण में, कक्षक आपस में मिलकर अपनी ऊर्जा का पुनः वितरण करते हैं। इस प्रकार समान संख्या में समान ऊर्जा वाले संकरित कक्षकों का निर्माण होता है।
  3. जब लिगेण्ड, केन्द्रीय धातु परमाणु अथवा आयन के सम्पर्क में आता है, तो केन्द्रीय धातु परमाणु अथवा आयने के संकरित कक्षक, लिगेण्ड के इलेक्ट्रॉनों के एकाकी युग्म युक्त कक्षकों के साथ अतिव्यापन करते हैं तथा प्रबल लिगेण्ड-धातु उपसहसंयोजक आबन्धों का निर्माण करते हैं।
  4. केन्द्रीय धातु परमाणु अथवा आयन के अनाबन्धी इलेक्ट्रॉन (non-binding electrons) अप्रभावित रहते हैं तथा रासायनिक आबन्ध निर्माण में भाग नहीं लेते हैं।
  5. संकर निर्माण प्रक्रिया में, हुण्ड के अधिकतम बहुलता के नियम का अनुसरण किया जाता है परन्तु प्रबल लिगेण्ड के प्रभाव के कारण इलेक्ट्रॉन हुण्ड के नियम के विरुद्ध युग्मित हो सकते हैं।
  6. यदि किसी संकर में एक या अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित हों तो वह संकर अनुचुम्बकीय होता है। यदि संकर में उपस्थित सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित हैं तो संकर प्रतिचुम्बकीय होता है।

निकिल कार्बोनिल [Ni(CO)4] – इस संकर में केन्द्रीय निकिल परमाणु चार CO लिगेण्डों से घिरा रहता है। यौगिक में निकिल की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य है। निकिल परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d8 4s2 है। प्रबल CO लिगेण्डों की उपस्थिति में इलेक्ट्रॉन पुनर्व्यवस्थित होता है तथा 4s- इलेक्ट्रॉन 3d-कक्षक में प्रवेश करने के लिए बाध्य हो जाते हैं। इस प्रकार निकिल में 4s- तथा 4p- कक्षक संकरण में भाग लेने के लिए बाध्य हो जाते हैं। एक 4s- तथा तीन 4p- कक्षक sp3 संकरण में भाग लेते हैं तथा समान ऊर्जा के चार संकरित कक्षक का निर्माण करते हैं जो कि एक नियमित चतुष्फलक के चार कोनों की ओर दिष्ट होते हैं। ये कक्षक CO लिगेण्ड के कक्षक के साथ अतिव्यापित हो जाते हैं और इस प्रकार चतुष्फलकीय [Ni(CO)4] संकर का निर्माण होता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 9 Coordination Compounds image 40
यह संकर चतुष्फलकीय ज्यामिति युक्त है। इसमें सभी इलेक्ट्रॉनों के युग्मित होने के कारण यह प्रतिचुम्बकीय है।

प्रश्न 2.
क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त (CFT) को समझाइए। अष्टफलकीय व चतुष्फलकीय संकुल यौगिकों में d-कक्षकों को विपाटन स्पष्ट कीजिए।
या
अष्टफलकीय क्रिस्टल क्षेत्र में d-कक्षकों के विपाटन को दर्शाने हेतु चित्र बनाइए।
उत्तर
एच० बैथे (H. Bethe, 1929) तथा वी०व्लैक (Van Vleck) द्वारा 1932 ई० में उपसहसंयोजक यौगिकों के गुणों को स्पष्ट करने हेतु एक सिद्धान्त प्रस्तुत किया गया था, जिसे क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त (CFT) कहा गया, जो 1950 में लागू हुआ।
इस सिद्धान्त के मुख्य विन्दु निम्नवत् हैं –

  1. संक्रमण धातु संकुल के केन्द्रीय आयन का कार्य करती हैं। लिगण्ड एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान करता है, जबकि संक्रमण धातु आयन के रिक्त कक्षक इन इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण करते हैं।
  2. लिगेण्ड (ऋणात्मक/द्विध्रुवी) बिन्दु आवेश की तरह माने जाते हैं।
  3. संकुल यौगिकों में धातु आयन व लिगेण्ड के मध्य बनने वाले आबन्ध को पूर्णतया आयनिक माना जाता , है, अर्थात धातु आयन व लिगेण्ड परस्पर स्थित विद्युत आकर्षण बल द्वारा जुड़े रहते हैं।
  4. यह स्थिर विद्युत आकर्षण बल धनायन व ऋणायन के मध्य आयन-आयन आकर्षण बल हो सकता है या धनायन व उदासीन लिगेण्ड के मध्य आयन-द्विध्रुव आकर्षण बल हो सकता है।

अष्टफलकीय संकुल यौगिकों में 4-कक्षकों को विपाटन
एक मुक्त धातु आयन में सभी पाँच कक्षक (t2g और eg) अपभ्रंश होते हैं, अर्थात् उनकी ऊर्जा समान होती है। एक अष्टफलकीय संकर [ML6]n+ पर विचार करें जिसमें धातु आयन Mn+ अष्ट्रफलक के केन्द्र पर है तथा कोनों पर एकदन्ती लिगेण्ड (L) द्वारा घिरा हुआ है।
जब x,y और z अक्ष पर समस्त छ: लिगेण्ड धातु आयन की ओर अग्रसर होते हैं, तब लिगेण्ड के ऋण छोर (इलेक्ट्रॉन द्वारा) d-कक्षकों में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों से प्रतिकर्षित होते हैं। इस प्रतिकर्षण द्वारा पाँचों d-कक्षकों की ऊर्जाओं में परिवर्तन होता है। चूंकि eg, कक्षकों (dx2– y2 और dz2) की पालियाँ केन्द्रीय धातु आयन के समीप जाने वाले लिगेण्ड के मार्ग में आती हैं,
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 9 Coordination Compounds image 41
अत: t2g कक्षकों (dxy, dyz, dzx) की अपेक्षा इनमें इलेक्ट्रॉनों का प्रतिकर्षण अधिक होता है। इस कारण पाँच d-कक्षक दो ऊर्जा समूहों में विभक्त हो जाते हैं, अर्थात् eg कक्षकों की ऊर्जा में वृद्धि होती है। धातु आयन के पाँच d-कक्षकों का भिन्न ऊर्जा के दो समूहों में विभाजन, d – d विपाटन या क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन कहलाता है। t2g और eg कक्षकों की ऊर्जा के मध्य के अन्तर को Δ0 द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। (Δ = ऊर्जा में अन्तर व 0 = अष्टफलकीय) इसे 10Dq द्वारा भी दर्शाया जाता है और यह क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा कहलाती है।

चतुष्फलकीय संकुल यौगिकों में d-कक्षकों का विपाटन – चतुष्फलकीय संकुलों में d- कक्षकों का विपाटन समझने के लिए कल्पना कीजिए कि एक घन में चतुष्फलक रखा हुआ है। चतुष्फलक के चार किनारे घन के एकान्तर कोनों पर स्थापित हैं जिन पर चार लिगेण्ड स्थित हैं तथा धातु आयन उसके केन्द्र पर है।
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अब, हम यदि केन्द्रीय धातु परमाणु के d-कक्षकों की तुलना में चार लिगेण्डों की स्थिति को अध्ययन करें तो अक्ष (dx2– y2 और dz2 अर्थात् eg कक्षक) पर t2g कक्षकों (dxy, dxz, dyz) की अपेक्षा चार लिगण्ड और अधिक दर हो जाते हैं। अतः eg कक्षक निम्न ऊर्जा के हैं और t2g कक्षक उच्च ऊर्जा के हैं। eg और t2g कक्षकों के मध्य ऊर्जा का अन्तर चतुष्फलकीय संकुलों के लिए क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा कहलाता है तथा इसको A) द्वारा दर्शाया जाता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 9 Coordination Compounds image 43

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UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability

UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability (प्रायिकता) are part of UP Board Solutions for Class 12 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability (प्रायिकता).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Maths
Chapter Chapter 13
Chapter Name Probability (प्रायिकता)
Exercise Ex 13.1, Ex 13.2, Ex 13.3, Ex 13.4, Ex 13.5
Number of Questions Solved 81
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability (प्रायिकता)

प्रश्नावली 13.1

प्रश्न 1.
यदि E और F इस प्रकार की घटनाएँ हैं कि P (E) = 0.6, P (F) = 0.3 और P(E ∩ F) = 02, तो [latex ]P\left( \frac { E }{ F } \right) [/latex] और [latex ]P\left( \frac { F }{ E } \right) [/latex] ज्ञात कीजिए।
हल-
दिया है, P(E) = 0.6, P(F) = 0.3
और P (E ∩ F) = 0.2
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 1

UP Board Solutions

प्रश्न 2:
P(A | B) ज्ञात कीजिए यदि P(B) = 0.5 और P(A ∩ B) = 0.32
हल:
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 2

प्रश्न 3.
यदि P (A) = 0.8, P(B) = 0.5 और [latex ]P\left( \frac { B }{ A } \right) =0.4[/latex] तो ज्ञात कीजिए
(i) P(A ∩ B)
(ii) [latex ]P\left( \frac { A }{ B } \right) [/latex]
(iii) P(AU B)
हल-
दिया है, P(A) = 0.8, P(B) = 0.5 और [latex ]P\left( \frac { B }{ A } \right) =0.4[/latex]
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 3
(iii) ∵ P(A ∪ B) = P(A) + P(B) – P(A ∩ B)
= 0.8 + 0.5 – 0.32
= 1.3 – 0.32
= 0.98

प्रश्न 4:
P(A ∪ B) ज्ञात कीजिए यदि 2P(A) = P(B) = [latex]\frac { 5 }{ 13 }[/latex] और P(A| B) = [latex]\frac { 2 }{ 5 }[/latex]
हल :
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 4

प्रश्न 5:
यदि P(A) = [latex]\frac { 6 }{ 11 }[/latex] ,P(B) = [latex]\frac { 5 }{ 11 }[/latex] और P(A∪ B) = [latex]\frac { 7 }{ 11 }[/latex] तो ज्ञात कीजिए
(i) P(A ∩B)
(ii) P(A | B)
(iii) P(B | A)
हल:
(i) ∵ P(A ∪ B) = P(A) + P(B) – P(A ∩ B)
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 5

• निम्नलिखित प्रश्न 6 से 9 तक [latex ]P\left( \frac { E }{ F } \right)[/latex] ज्ञात कीजिए।

प्रश्न 6.
एक सिक्के को तीन बार उछाला गया है
(i) E : तीसरी उछाल पर चित F : पहली दोनों उछालों पर चित
(ii) E : न्यूनतम दो चित F : अधिकतम एक चित ।
(iii) E : अधिकतम दो पट F : न्यूनतम एक पट
हल-
(i) सिक्के को तीन बार उछालने पर कुल प्रतिदर्श समष्टि (प्रकार) = 2³ = 8 समसंभाव्य प्रतिदर्श बिन्दुओं का समुच्चय है जो निम्न प्रकार है।
S = {HHH, HHT, HTH, HTT, THH, THT, TTH, TTT}
E = तीसरी उछाल पर चित = {HHH, HTH, THH, TTH}
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प्रश्न 7.
दो सिक्कों को एक बार उछाला गया है-
(i) E : एक सिक्के पर पट प्रकट होता है F : एक सिक्के पर चित प्रकट होता है।
(ii) E : कोई पट प्रकट नहीं होता है F : कोई चित प्रकट नहीं होता है।
हल-
(i) E = एक सिक्के पर पट प्रकट होता है। = {TH, HT}
F = एक सिक्के पर चित प्रकट होता है।
= {HT, TH}
∴ E ∩ F = {TH, HT}
दो सिक्कों को उछालने पर प्रतिदर्श समष्टि = 2² = 4
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प्रश्न 8.
एक पासे को तीन बार उछाला गया है
E : तीसरी उछाल पर संख्या 4 प्रकट होना
F : पहली दो उछालों पर क्रमशः 6 तथा 5 प्रकट होना।
हल-
E = तीसरी उछाल पर संख्या 4 प्रकट होना तथा F पहली दो उछालों पर क्रमश: 6 तथा 5 प्रकार होना
= (1,1, 4), (1, 2, 4), (1, 3, 4), … (1, 6, 4)
= (2, 1, 4), (2, 2, 4), (2, 3, 4), … (2, 6, 4)
= (3, 1, 4), (3, 2, 4), (3, 3, 4), … (3, 6, 4)
= (4,1, 4), (4, 2, 4), (4, 3, 4), … (4,6, 4)
= (5, 1, 4), (5, 2, 4), (5, 3, 4), … (5, 6, 4)
= (6,1, 4), (6, 2, 4), 6, 3, 4),… (6, 6, 4)
= 36 परिणाम
तथा F = {6, 5, 1), (6, 5, 2), (6, 5, 3), (6, 5, 4), (6, 5, 5), (6, 5, 6)} = 6 परिणाम
∴E ∩ F = {6, 5, 4}
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प्रश्न 9.
एक पारिवारिक चित्र में माता, पिता व पुत्र यादृच्छया खड़े हैं
E : पुत्र एक सिरे पर खड़ा है
F : पिता मध्य में खड़े हैं।
हल-
यदि एक पारिवारिक चित्र में (m), पिता (f) व पुत्र (s) यादृच्छया खड़े हैं।
कुल तरीके = 3. 2. 1 = 6
E = पुत्र एक सिरे पर खड़ा है।
= {(s m f), (s f m), (f m s), (m f s)}
F = पिता मध्य में खड़े हैं।
= {(m f s), (s f m)}
E ∩ F = {(m f s), (s f m)}
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प्रश्न 10.
एक काले और एक लाल पासे को उछाला गया है
(a) पासों पर प्राप्त संख्याओं का योग 9 से अधिक होने की सप्रतिबन्ध प्रायिकता ज्ञात कीजिए यदि यह ज्ञात हो कि काले पासे पर 5 प्रकट हुआ है।
(b) पासों पर प्राप्त संख्याओं का योग 8 होने की सप्रतिबन्ध प्रायिकता ज्ञात कीजिए यदि यह ज्ञात हो कि लाल पासे पर प्रकट संख्या 4 से कम है।
हल-
(a) माना A पासों पर प्राप्त संख्याओं को योगफल 9 से अधिक होने की घटना तथा F काले पासे पर 5 प्रकट होने की घटना को निरूपित करता है।
∴ A = {(4, 6), (5, 5), (6,4), (5, 6), (6, 5), (6, 6)}
तथा B = {(5, 1), (5, 2), (5, 3), (5,4), (5, 5), (5, 6)}
∴ A ∩ B = {(5, 5), (5, 6)}
तथा 2 पासों की उछाल में कुल परिणाम = 36
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(b) माना A घटना पासों पर प्राप्त संख्याओं का योगफल 8 होने तथा B घटना लाल पासे पर प्रकट संख्या 4 से कम घटित होने को निरूपित करते हैं।
A = {(2, 6), (3, 5), 4, 4), (5, 3), (6, 2)}
B = {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (1, 5), (1, 6), (2, 1), (2, 2), 2, 3), (2,4), (2, 5), (2, 6), (3, 1), (3, 2), (3, 3), 3, 4), 3, 5), (3, 6)}
कुल प्रकार = 18
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प्रश्न 11.
एक सम पाँसे को उछाला गया है। घटनाओं E = {1, 3, 5}, F = {2, 3} और G = {2, 3, 4,5} के लिए निम्नलिखित ज्ञात कीजिए।
(i) P(E | F) और P(F | E)
(ii) P(E | G) और P(G | E)
(iii) P(E ∪ F|G) और P(E ∩ F | G)
हल:
प्रश्नानुसार, n(E) = 3, n(F) = 2, n(G) = 4
तथा n(E ∩ F) = 1, n(E ∩ G) = 2
(E ∪ F) = {1, 2, 3, 5}, (E OF) = {3}
⇒  n(E∪F) = 4, n(E OF) =1
∴ (E ∪ F) 2G = {2, 3, 5}, E 0 F G = {3}
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प्रश्न 12.
मान लें कि जन्म लेने वाले बच्चे को लड़का या लड़की होना समसंभाव्य है। यदि किसी परिवार में दो बच्चे हैं तो दोनों बच्चों के लड़की होने की सप्रतिबन्ध प्रायिकता क्या है, यदि यह दिया गया है कि
(i) सबसे छोटा बच्चा लड़की है
(ii) न्यूनतम एक बच्चा लड़की है।
हल-
माना पहले तथा-दूसरे बच्चे, लड़कियाँ G1, G2 तथा लड़के B1, B2 हैं।
∴ S = { (G1, G2), (G1, B2), (G2, B1), (B1, B2)}
माना A = दोनों बच्चे लड़कियाँ हैं = {G1 G2}
B = सबसे छोटा बच्चा लड़की है = {G1G2, B1G2}
C = न्यूनतम एक बच्चा लड़की है = {G1B2, G1G2, B1G2}
A ∩ B = {G1G2}, A ∩C = {G1G2}
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प्रश्न 13:
एक प्रशिक्षक के पास 300 सत्य/असत्य प्रकार के आसान प्रश्न, 200 सत्य/असत्य प्रकार के कठिन प्रश्न, 500 बहुविकल्पीय प्रकार के आसान प्रश्न और 400 बहुविकल्पीय प्रकार के कठिन प्रश्नों का संग्रह है। यदि प्रश्नों के संग्रह से एक प्रश्न यदृच्छया चुना जाता है, तो एक आसान प्रश्न की बहुविकल्पीय होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल:
माना E = आसान प्रश्न पूछे जाने की घटना
तथा F = बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाने की घटना
तब n(E) = 300 + 500 = 800, n(F) = 500 + 400 = 900
तथा n(E ) F) = 500
∴  अभीष्ट घटना की प्रायिकता = p(F | E) = [latex]\frac { n(E\quad \cap \quad F) }{ n(E) }[/latex] =  [latex]\frac { 500 }{ 800 }[/latex] =  [latex]\frac { 5 }{ 8 }[/latex]

प्रश्न 14.
यह दिया गया है कि दो पासों को फेंकने पर प्राप्त संख्याएँ भिन्न-भिन्न हैं। दोनों संख्याओं का योग 4 होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल-
दो पासों को फेंकने से प्रतिदर्श समष्टि के परिणाम = 6 x 6 = 36
माना A = दो संख्याओं का योग 4 = {(1,3), (2, 2), (3, 1}}
दो पासों को फेंकने पर समान संख्या वाले परिणाम ।
= {(1, 1), (2, 2), (3, 3), 4, 4), (5, 5), 6, 6)} कुल 6 हैं।
∴B = जब संख्या भिन्न हो तो ऐसे परिणाम = 36 – 6 ≠ 30
A ∩ B = {(1, 3), (3, 1)}
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प्रश्न 15.
एक पासे को फेंकने के परीक्षण पर विचार कीजिए। यदि पासे पर प्रकट संख्या 3 का गुणज है तो पासे को पुनः फेंकें और यदि कोई अन्य संख्या प्रकट हो तो एक सिक्के को उछालें। घटना न्यूनतम एक पासे पर संख्या 3 प्रकट होना’ दिया गया है तो घटना ‘सिक्के पर पट प्रकट होने की सप्रतिबन्ध प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल-
दिए गए परीक्षण के परिणामों को निम्न समुच्चय के द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
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∴ n(S) = 20
माना घटना E सिक्के पर पट प्रकट होना तथा घटना F न्यूनतम एक पासे पर संख्या 3 प्रकट होना को निरूपित करते हैं।
E = [(1, T), (2, T), (4, T), (5, T)] ⇒ n (E) = 4
F = [(3, 1), (3, 2), (3, 3), (3, 4), (3, 5), (3, 6), (6, 3)]
n(F) = 7
E ∩ F = 0 क्योंकि कोई उभयनिष्ठ बिन्दु नहीं है।
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निम्नलिखित प्रश्नों में से प्रत्येक में सही उत्तर चुनें।

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प्रश्न 16.
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हल-
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प्रश्न 17.
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 19a
हल-
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 20

प्रश्नावली 13.2

प्रश्न 1:
यदि  P(A)= [latex]\frac { 3 }{ 5 }[/latex] और  P(B) = [latex]\frac { 1 }{ 5 }[/latex] A व B स्वतन्त्र घटनायें हैं, तो P(A ∩ B) ज्ञात कीजिए। 
हल:
∵ A व B स्वतन्त्र घटनाये हैं।
∴  P(A ∩ B) = P(A) . P(B) =  [latex]\frac { 3 }{ 5 }[/latex] x [latex]\frac { 1 }{ 5 }[/latex] = [latex]\frac { 3 }{ 25 }[/latex]

प्रश्न 2.
52 पत्तों की एक गड्डी में से यदृच्छया बिना प्रतिस्थापित किये दो पत्ते निकाले गए। दोनों पत्तों के काले रंग का होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल:
ताश की गड्डी में 26 काले पत्ते होते हैं।
आगे उपरोक्त प्रश्न की भाँति हल करें।
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प्रश्न 3.
सन्तरों के एक डिब्बे का निरीक्षण उसमें से तीस सन्तरों को यदृच्छया बिना प्रतिस्थापित किये हुए निकाल कर किया जाता है। यदि तीनों निकाले गये सन्तरें अच्छे हैं; तो डिब्बे को बिक्री के लिए स्वीकृत किया जाता है अन्यथा अस्वीकृत कर देते हैं। एक डिब्बा जिसमें 15 सन्तरें हैं जिनमें से 12 अच्छे व ३ खराब सन्तरें हैं, के बिक्री के लिए स्वीकृत होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल:
माना पहली, दूसरी व तीसरी निकाल में अच्छा सन्तरा निकलने की घटनायें क्रमश: A, B व C है।
तब अभीष्ट प्रायिकता = P(A ∩ B ∩ C)
अब P(A) = पहली निकाल में अच्छा सन्तरा निकलने की प्रायिकता =  [latex]\frac { 12 }{ 15 }[/latex] x [latex]\frac { 4 }{ 5 }[/latex]
पहली निकाल में एक अच्छा सन्तरा निकलने के बाद शेष सन्तरों की संख्या 14 है जिसमें 11 सन्तरे अच्छे हैं।
∴ P(B | A) =  [latex]\frac { 11 }{ 14 }[/latex]
दूसरी निकाल में भी एक अच्छा सन्तरा निकलने के बाद शेष सन्तरे 13 हैं जिसमें 10 सन्तरे अच्छे हैं।
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प्रश्न 4.
एक न्याय्य सिक्का और एक अभिनत पाँसे को उछाला गया। माना A घटना ‘सिक्के पर चित प्रकट होता है और B घटना पाँसे पर संख्या 3 प्रकट होती है’ को निरूपित करते हैं। निरीक्षण कीजिए कि घटनाएँ स्वतन्त्र हैं या नहीं ?
हल:
इस प्रयोग की प्रतिदर्श समष्टि इस प्रकार होगी
S = {(H, 1), (H, 2), (H, 3), (H, 4), (H, 5), (H, 6), (T, 1),(T, 2), (T, 3), (T, 4), T, 5), (T, 6)}
A = सिक्के पर चित प्रकट होना; B = पाँसे पर संख्या 3 प्रकट होती है।
(A ∩ B) = {(H, 3}}
तब n(S) = 12, n(A) = 6, n(B) = 2
तथा n(A ∩ B) = 1
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प्रश्न 5.
एक पाँसे पर 1, 2, 3 लाल रंग से और 4, 5, 6 हरे रंग से लिखे गए हैं। इस पाँसे को उछाला गया। माना A घटना संख्या सम है’ और B घटना ‘संख्या लाल रंग से लिखी गई है’ को निरूपित करते हैं। क्या A और B स्वतन्त्र हैं?
हल:
इस प्रयोग की प्रतिदर्श समष्टि S = {1, 2, 3, 4, 5, 6} ⇒ n(S) = 6
घटना A = {2, 4, 6} }  ⇒ n(A) = 3
तथा घटना B = {1, 2, 3} ⇒  n(B) = 3
तब (A ∩ B) = {2} ⇒  n(A ∩ B) = 1
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प्रश्न 6.
माना E तथा F दो घटनाएँ इस प्रकार हैं कि P(E) = [latex]\frac { 3 }{ 5 }[/latex] , P(F) = [latex]\frac { 3 }{ 10 }[/latex]  और P(E ∩ F) = [latex]\frac { 1 }{ 5 }[/latex]  तब क्या E तथा F स्वतन्त्र हैं?
हल:
∵ P(E). P(F) = [latex]\frac { 3 }{ 5 }[/latex] x  [latex]\frac { 3 }{ 10 }[/latex] = [latex]\frac { 9 }{ 50 }[/latex] ≠ P(E ∩ F)
∴ घटनायें स्वतन्त्र नहीं हैं।

प्रश्न 7.
A और B ऐसी घटनाएँ दी गई हैं जहाँ P(A) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex],P(A ∪ B) = [latex]\frac { 3 }{ 5 }[/latex] तथा P(B) = p, तो p का मान ज्ञात कीजिए यदि (i) घटनाएँ परस्पर अपवर्जी हैं, (ii) घटनाएँ स्वतन्त्र हैं। 
हल :
(i) चूँकि घटनायें परस्पर अपवर्जी हैं।
∴ P(A ∩ B) = 0
पुन: P(A ∪ B) = P(A) + P(B) – P(A ∩ B)
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प्रश्न 8:
माना A और B स्वतन्त्र घटनायें है तथा P(A) = 0.3 और P(B) = 0.4 तब
(i) P (A ∩ B)
(i) P(A ∪ B)
(iii) P(A| B)
(iv) P(B | A) ज्ञात कीजिए।
हल:
(i) ∵ A व B स्वतन्त्र घटनायें हैं।
∴ P(A ∩ B) = P(A): P(B) = 0.3 x 0.4 = 0.12
(ii) P(A ∪ B) = P(A) + P(B) – P(A ∩ B)
= 0.3 + 0.4 – 0.12 = 0.58
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प्रश्न 9.
दी गई घटनाएँ A और B ऐसी हैं, जहाँ P(A) = [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex],P(B) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] और P(A ∩ B) = [latex]\frac { 1 }{ 8 }[/latex] तब P(A- नहीं और B -नहीं) ज्ञात कीजिए।
हल:
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प्रश्न 10:
माना A और B दो घटनाएँ हैं और P(A) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] तथा P(B) = [latex]\frac { 7 }{ 12 }[/latex] और P(A- नहीं और B-नहीं)= [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex], क्या A और B स्वतन्त्र घटनायें हैं?
हल:
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प्रश्न 11:
A और B स्वतन्त्र घटनाएँ दी गई हैं जहाँ P(A) = 0.3, P(B) = 0.6 तो
(i) P(A और B)
(ii) P(A और B – नहीं)
(iii) P(A या B)
(iv) P(A और B में कोई भी नहीं) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
(i) P(A और B) = P(A ∩ B) = P(A): P(B) ∵ P(A) व P(B) स्वतन्त्र घटनायें हैं।
= 0.3 x 0.6 = 0.18

(ii) P(A और B -नहीं) = P(A ∩ [latex]\overline { B }[/latex]) = P(A): P([latex]\overline { B }[/latex])
= P(A): [1 – P(B)]
= 0.3 [1 – 0.6] = 0.3 x 0.4 = 0.12

(iii) P(A या B) = P(A ∪ B) = P(A) + P(B) – P(A ∩ B)
= 0.3 + 0.6 – 0.18 = 0.72

(iv) P(A और B में कोई भी नहीं) = P([latex]\overline { A }[/latex] ∩ [latex]\overline { B }[/latex])
= P([latex]\overline { A\cup B }[/latex]) = 1 – P(A ∪ B)
= 1 – 0.72 = 0.28

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प्रश्न 12.
एक पाँसे को तीन बार उछाला जाता है कम से कम एक बार विषम संख्या प्राप्त होने की प्राकियता ज्ञात कीजिए। 
हल:
पाँसे की पहली उछाल में कुल अंक प्राप्त होने की स्थिति = 6
तथा विषम अंक प्राप्त न होने की स्थिति = 3
∴  पहले उछाल में विषम अंक प्राप्त न होने की प्रायिकता P(A) = [latex]\frac { 3 }{ 6 }[/latex]  = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]
इसी प्रकार दूसरे उछाल में विषम अंक प्राप्त न होने की प्रायिकता P(B) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]
तीसरे उछाल में विषम अंक प्राप्त न होने की प्रायिकता P(C) = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]
∵  उपरोक्त तीनों घटनायें स्वतन्त्र हैं।
∴ तीनों के एक साथ घटने की प्रायिकता अर्थात् प्रत्येक उछाल में विषम संख्या प्राप्त न होने की घटना
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प्रश्न 13.
दो गेंदें एक बॉक्स से बिना प्रतिस्थापित किये निकाली जाती हैं। बॉक्स में 10 काली और 8 लाल गेंदें हैं तो प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
(i) दोनों गेंदें लाल हों।
(ii) प्रथम काली एवं दूसरी लाल हो।
(iii) एक काली तथा दूसरी लाल हो।
हल:
माना R = लाल गेंद निकलने की घटना; B = काली गेंद निकलने की घटना
(i) पहले निकाल में लाल गेंद निकलने की प्रायिकता P(R) = [latex]\frac { 8 }{ 10+8 }[/latex] = [latex]\frac { 8 }{ 18 }[/latex] = [latex]\frac { 4 }{ 9 }[/latex]
क्योंकि गेंद पुनः वापस डाल दी जाती है।
∴  दूसरे निकाल में लाल गेंद निकलने की प्रायिकता P(R) = [latex]\frac { 4 }{ 9 }[/latex]
∴  दोनों गेंद लाल निकलने की प्रायिकता = P(R). P(R) =

(ii) पहले निकाल में काली गेंद निकलने की प्रायिकता P(B) = [latex]\frac { 10 }{ 18 }[/latex]  = [latex]\frac { 5 }{ 9 }[/latex]
दूसरे निकाल में लाल गेंद निकलने की प्रायिकता P(R) = [latex]\frac { 4 }{ 9 }[/latex]
∴  P(पहली काली और दूसरी लाल) = P(B). P(R) = [latex]\frac { 5 }{ 9 }[/latex]  x [latex]\frac { 4 }{ 9 }[/latex]  = [latex]\frac { 20 }{ 81 }[/latex]

(iii) P(एक काली और एक लाल) = P(प्रथम काली और दूसरी लाल) +P(प्रथम लाल और दूसरी काली)
= [latex]\frac { 5 }{ 9 }[/latex] .[latex]\frac { 4 }{ 9 }[/latex]  + [latex]\frac { 4 }{ 9 }[/latex] .[latex]\frac { 5 }{ 9 }[/latex] = [latex]\frac { 40 }{ 81 }[/latex]

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प्रश्न 14.
एक विशेष प्रश्न को A और B द्वारा स्वतन्त्र रूप से हल करने की प्रायिकताएँ क्रमशः [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]  और [latex]\frac { 1 }{ 3 }[/latex]  हैं। यदि दोनों स्वतन्त्र रूप से समस्या हल करने का प्रयास करते हैं, तो प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि
(i) प्रश्ल हल हो जाता है।
(ii) उनमें से तथ्यतः कोई एक प्रश्न हल कर लेता है।
हल:
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प्रश्न 15.
ताश के 52 पत्तों की एक ठीक से फैटी गई गड्डी से एक पत्ता यदृच्छया निकाला जाता है। निम्नलिखित में से किन दशाओं में घटनाएँ E और F स्वतन्त्र हैं?
(i) E : ‘निकाला गया पत्ता हुकुम का है
F : ‘निकाला गया पत्ता इक्का है ।

(ii) E : निकाला गया पत्ता काले रंग का है।
F : निकाला गया पत्ता एक बादशाह है।

(iii) E : निकाला गया पत्ता एक बादशाह या एक बेगम है।
F : निकाला गया पत्ता एक बेगम या एक गुलाम है।
हल:
(i) E : निकाला गया पत्ता हुकुम का है।
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(ii)
E : निकाला गया पत्ता काले रंग का है।
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(iii) E: निकाला गया पत्ता एक बादशाह या एक बेगम है।
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प्रश्न 16.
एक छात्रावास में 60% विद्यार्थी हिंदी का, 40% अंग्रेजी का और 20% दोनों अखबार पढ़ते हैं। एक छात्रा को यदृच्छया चुना जाता है।
(a) प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि वह न तो हिंदी और न ही अंग्रेजी का अखबार पढ़ती है।
(b) यदि वह हिंदी का अखबार पढ़ती है तो उसके अंग्रेजी का अखबार भी पढ़ने वाली होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
(c) यदि वह अंग्रेजी का अखबार पढ़ती है तो उसके हिंदी का अखबार भी पढ़ने वाली होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल:
माना H = हिंदी का अखबार पढ़ने की घटना; E = अंग्रेजी का अखबार पढ़ने की घटना
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प्रश्न 17.
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हल:
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प्रश्न 18.
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हल:
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प्रश्नावली 13.3

प्रश्न 1.
एक कलश में 5 लाल और 5 काली गेंदें हैं। यादृच्छया एक गेंद निकाली जाती है, इसका रंग नोट करने के बाद पुनः कलश में रख दी जाती है। पुनः निकाले गएं रंग की 2 अतिरिक्त गेंदें कलश में रख दी जाती हैं तथा कलश में से एक गेंद निकाली जाती है दूसरी गेंद की लाल होने की प्रायिकता क्या है?
हल-
क्योंकि एक कलश में 5 लाल और 5 काली गेंदें हैं।
(i) माना एक लाल गेंद निकाली जाती है।
∴ कुल 10 गेंदों में से एक लाल गेंद निकालने की प्रायिकता = [latex]\frac { 5 }{ 10 } =\frac { 1 }{ 2 } [/latex].
अब यदि दो लाल गेंदें कलश में रख दी जाती हैं।
कलश में 7 लाल और 5 काली गेंदें हैं।
लाल गेंद निकालने की प्रायिकता = [latex ]\frac { 7 }{ 12 }[/latex]

(ii) माना पहले काली गेंद निकाली जाती है।
कुल 10 गेंदों में से एक काली गेंद निकालने की प्रायिकता = [latex]\frac { 5 }{ 10 } =\frac { 1 }{ 2 } [/latex].
फिर दो काली गेंदें कलश में रख दी जाती हैं।
अब कलश में 5 लाल और 7 काली गेंदें हैं।
एक लाल गेंद होने की प्रायिकता = [latex ]\frac { 5 }{ 12 }[/latex]
दूसरी लाल गेंद होने की प्रायिकता =
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प्रश्न 2.
एक थैले में 4 लाल और 4 काली गेंदें हैं और एक अन्य थैले में 2 लाल और 6 काली गेंदें हैं। दोनों थैलों में से एक को यदृच्छया चुना जाता है और उसमें से एक गेंद निकाली जाती है जो कि लाल है। इस बात की प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि गेंद पहले थैले से निकाली गयी है।
हल :
माना पहले वे दूसरे थैले को चुनने की घटनायें क्रमश: E1 व E2 हैं, तब
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प्रश्न 3.
छात्रों में से एक कॉलेज में, यह ज्ञात है कि 60% छात्रावास में रहते हैं और 40% दिन विद्वान हैं (छात्रावास में नहीं रहते हैं)। पिछले साल के परिणाम रिपोर्ट करते हैं कि छात्रावास में रहने वाले सभी छात्रों में से 30% एक ग्रेड प्राप्त करते हैं और दिन के 20% विद्वान अपनी वार्षिक परीक्षा में एक ग्रेड प्राप्त करते हैं। वर्ष के अंत में, एक छात्र को कॉलेज से यादृच्छिक रूप से चुना जाता है और उसके पास ए-ग्रेड होता है क्या छात्र संभावना है कि छात्र एक होस्टल हो?
हल:
E1, E2 और ए निम्नलिखित का प्रतिनिधित्व करते हैं:
E1 = हॉस्टल में रहने वाले छात्र,
E2 दिन विद्वान (छात्रावास में नहीं रह रहे हैं)
और A = छात्र जो ग्रेड A प्राप्त करते हैं
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प्रश्न 4.
एक बहुविकल्पीय प्रश्न का उतर देने में एक विद्यार्थी या तो प्रश्न का उत्तर जानता है या वह अनुमान लगाता है। माना कि उसके उत्तर जानने की प्रायिकता [latex]\frac { 3 }{ 4 }[/latex]  है और अनुमान लगाने की प्रायिकता [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex]  है। मान लें कि छात्र के प्रश्न के उत्तर का अनुमान लगाने पर सही उत्तर देने की प्रायिकता [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex]  है तो इस बात की प्रायिकता क्या है कि कोई छात्र प्रश्न का उत्तर जानता है यदि यह ज्ञात है कि उसने सही उत्तर दिया है?
हल:
माना E1 : विद्यार्थी उत्तर जानता है; E2 : विद्यार्थी अनुमान लगाता हो।
E: विद्यार्थी सही उत्तर देता है।
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प्रश्न 5.
किसी विशेष रोग के सही निदान के लिए रक्त की जाँच 99% असरदार है, जब वास्तव में रोगी उस रोग से ग्रस्त होता है। किंतु 0.5% बार किसी स्वस्थ व्यक्ति की रक्त जाँच करने पर निदान गलत रिपोर्ट देता है यानी व्यक्ति को रोग से ग्रस्त बतलाता है। यदि किसी जनसमुदाय में 0.1% लोग उस रोग से ग्रस्त हैं तो क्या प्रायिकता है कि कोई यदृच्छया चुना गया व्यक्ति उस रोग से ग्रस्त होगा यदि उसके रक्त की जाँच में ये बताया जाता है कि उसे यह रोग है?
हल:
माना E1 : एक व्यक्ति को विशेष रोग होना;
E2 : एक व्यक्ति को विशेष रोग न होना।
तथा E : घटना जब जाँच की रिपोर्ट पॉजीटिव है।
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प्रश्न 6.
तीन सिक्के दिए गए हैं। एक सिक्के के दोनों ओर चित्त ही है। दूसरा सिक्का अभिनत (biased) है जिसमें चित्त 75% बार प्रकट होता है और तीसरा अनभिनत सिक्का है। तीनों में से एक सिक्के को यदृच्छयो चुना गया और उसे उछाला गया है। यदि सिक्के पर चित्त प्रकट हो, तो क्या
प्रायिकता है कि वह दोनों चित्त वाला सिक्का है?
हल:
E1 : सिक्का जिसमें दोनों तरफ चित्त है, चुने जाने की घटना।
E2 : अभिनत सिक्का जिसमें चित्त 75% प्रकट होता है, चुने जाने की घटना
E3 : अनभिनत सिक्का चुने जाने की घटना
E : सिक्के पर चित्त प्रकट होने की घटना
प्रश्नानुसार,
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प्रश्न 7.
एक बीमा कम्पनी 2000 स्कुटर चालकों, 4000 कार चालकों और 6000 ट्रक चालकों का बीमा करती है। दुर्घटनाओं की प्रायिकताएँ क्रमशः 0.01, 0.03 और 0.15 है। बीमाकृत व्यक्तियों ( चालकों ) में से एक दुर्घटना ग्रस्त हो जाता है। उस व्यक्ति के स्कूटर चालक होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल:
माना E1 : बीमित व्यक्ति एक स्कूटर चालक है; E2 : बीमित व्यक्ति एक कार चालक है।
E3 : बीमित व्यक्ति एक ट्रक चालक है; E : बीमित व्यक्ति दुर्घटना ग्रस्त है।
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प्रश्न 8.
एक कारखाने में A और B दो मशीनें लगी हैं। रिकार्ड से ज्ञात होता है कि कुल उत्पादन का 60% मशीन A और 40% मशीन B द्वारा किया जाता है। इसके अतिरिक्त मशीन A का 2% और मशीन B का 1% उत्पादन खराब है। यदि कुल उत्पादन का एक ढेर बना लिया जाता है और उसे ढेर से यदृच्छया निकाली गई वस्तु खराब हो तो इस वस्तु के मशीन A द्वारा बने होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि घटनायें E1 व E2 इस प्रकार हैं।
E1 = वस्तु मशीन A द्वारा बनायी गयी है; E2 = वस्तु मशीन B द्वारा बनायी गयी है। E = वस्तु खराब है।
तब प्रश्नानुसार, P(E1) = 0.6, P(E2) = 0.4
P(E | E1 ) = वस्तु के खराब होने की प्रायिकता जबकि वह मशीन A द्वारा बनायी गयी है।
=  [latex]\frac { 2 }{ 100 }[/latex] = 0.02
इसी प्रकार P(E | E2) =  [latex]\frac { 1 }{ 100 }[/latex] = 0.01
अब वस्तु के मशीन A द्वारा बने होने की प्रायिकता जबकि वह खराब है = P(E1 | E)
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प्रश्न 9.
दो समूह निगम के निदेशक मंडल की स्थिति के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। संभावनाएं जो पहले और दूसरे समूह जीतेंगे क्रमश: 0.6 और 0.4 हैं। इसके अलावा, यदि पहला समूह जीतता है, तो एक नया उत्पाद पेश करने की संभावना 0.7 है और दूसरा समूह जीतने पर संबंधित संभावना 0.3 है। संभावना है कि नए उत्पाद को पेश किया गया नया उत्पाद दूसरे समूह द्वारा किया गया था।
हल:
दिया गया: P (G1) = 0.6, P (G2) = 0.4
P नए उत्पाद P (P | G1) = 0.7 और P (P | G2) = 0.3 के लॉन्चिंग का प्रतिनिधित्व करता है
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प्रश्न 10.
कोई लड़की एक पाँसा उछालती है। यदि उसे 5 या 6 की संख्या प्राप्त होती है तो वह एक सिक्के को तीन बार उछालती है और ‘चित्तों की संख्या नोट करती है। यदि उसे 1, 2, 3 या 4 की संख्या प्राप्त होती है तो वह एक सिक्के को एक बार उछालती है और यह नोट करती है कि उस पर चित्त या पट प्राप्त हुआ। यदि उसे ठीक एक चित्त प्राप्त होता है, तो उसके द्वारा उछाले गए पाँसे पर 1, 2, 3 या 4 प्राप्त होने की प्रायिकता क्या है? 
हल:
माना E1 = एक पाँसे के उछाल पर संख्या 5 या 6 का आना
E= एक पाँसे के उछाल पर संख्या 1, 2, 3 या 4 का आना
E = सिक्के के उछाल में एक ही चित्त का आना
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प्रश्न 11.
एक निर्मात्म के पास A, B तथा C मशीन ऑपरेटर है। प्रथम ऑपरेटर A,1% खराब सामग्री उत्पादित करता है तथा ऑपरेटर B और C क्रमशः 5% और 7% खराब सामग्री उत्पादित करते हैं। कार्य पर A कुल समय का 50% लगाता है, B कुल समय का 30% तथा कुले समय का 20% लगाता है। यदि एक खराब सामग्री उत्पादित है तो इसे A द्वारा उत्पादित किए जाने की प्रायिकता क्या है?
हल:
माना E1 : ऑपरेटर A द्वारा उत्पादित होने की घटना
E2 : ऑपरेटर B द्वारा उत्पादित होने की घटना
E3 : ऑपरेटर C द्वारा उत्पादित होने की घटना
E : एक खराब सामग्री उत्पादित होने की घटना
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प्रश्न 12.
52 ताशों की गड्डी से एक पत्ता खो जाता है। शेष पत्तों से दो पत्ते निकाले जाते हैं जो ईंट के पत्ते हैं। खो गये पत्ते की ईंट होने की प्रायिकता क्या है?
हल:
माना E1 : खोने वाला पत्ता ईंट का है;
E2 : खोने वाला पत्ता पान का है।
E3 : खोने वाला पत्ता चिड़ी का है
E4 : खोने वाला पत्ता हुकम का है।
E : शेष पत्तों से 2 ईंट के पत्ते निकालने की घटना
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प्रश्न 13:
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हल:
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प्रश्न 14:
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हल:
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प्रश्नावली 13.4

प्रश्न 1:
बताइए कि निम्नलिखित प्रायिकता बंटनों में कौन-से एक यादृच्छिक चर के लिए सम्भव नहीं है। अपना उत्तर कारण सहित लिखिए।
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हल:
(i) यहाँ पर P(X = 0) + P(X = 1) + P(X = 2) = 0.4 + 0.4 + 0.2 = 1
और सभी P(X) ≥ 0
∴ यह प्रायिकता बंटन सम्भव है।
(ii) यहाँ पर P (X = 0) + P(X = 1) + P(X = 2) + P(X = 3) + P(X = 4)
= 0.1 + 0.5 + 0.2-0.1 + 0.3 = 1.0
परन्तु P(X = 3) = -0.1 < 0
∴ यह प्रायिकता बंटन सम्भव नहीं है।
(iii) यहाँ पर, P(Y = – 1) + P{Y = 0) + P(Y = 1)
= 0.6 + 0.1 + 0.2 = 0.9 ≠ 1
∴  यह प्रायिकता बंटन सम्भव नहीं है।
(iv) यहाँ पर, P(Z = 3) + P(Z = 2) + P(Z = 1) + P(2 = 0) + P(Z = -1)
= 0.3 + 0.2 + 0.4 + 0.1 + 0.05 ≠  1.054 1
∴ यह प्रायिकता बंटन सम्भव नहीं है।

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प्रश्न 2:
एक कलश में 5 लाल और 2 काली गेंद हैं। दो गेंद यदृच्छया निकाली गई। मान लीजिए x काली गेंदों की संख्या को व्यक्त करता है। X के सम्भावित मान क्या हैं? क्या X यदृच्छिक चर है ?
हल:
हमारे पास 5 लाल और 2 काली गेंदें हैं। जब दो गेंद यदृच्छया निकाली गईं, तब निम्नलिखित सम्भावना बन सकती हैं।
(i) निकाली गई दोनों गेंदें लाल हैं  (ii) 1 गेंद लाल, एक काली (iii) दोनों काली
(i) में X = 0                                 (ii) में X = 1                     (iii) में X = 2
∴ परिणाम X = {0, 1, 2}
∵ X का परिसर वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है।
इसलिए x एक यादृच्छिक चर है।

प्रश्न 3:
यदि X चित्तों की संख्या और पटों की संख्या में अन्तर को व्यक्त करता है, जबकि एक सिक्के को 6 बार उछाला जाता है। सम्भावित मूल्य क्या हैं?
हल:
यदि एक सिक्का 6 बार उछाला गया हो तो, चित्तों व पटों की कुल संख्याएँ = 26 = 64
चित्त व पट इस प्रकार आ सकते हैं।
(i) 6 चित्त, 0 पट
(ii) 5 चित्त, 1 पेट
(iii) 4 चित्त, 2 पट
(iv) 3 चित्त, 3 पट
(v) 2 चित्त, 4 पट
(vi) 1 चित्त, 5 पट
(vii) 0 चित्त, 6 पट
चूँकि X: चित्तों की संख्या और पटों की संख्या में अन्तर को व्यक्त करता है।
इसलिए
(i) में       X = 6 – 0= 6
(ii) में      X = 5 – 1 = 4
(iii) में     X = 4 – 2 = 2
(iv) में     X = 3 – 3 = 0
(v) में      X = 4 – 2 = 2
(vi) में     X = 5 -1 = 4
(vii) में    X = 6 – 0 = 6
इसलिए X के सम्भावित मूल्य = 0, 2, 4, 6

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प्रश्न 4:
निम्नलिखित के प्रायिकता बंटन ज्ञात कीजिए
(i) एक सिक्के की दो उछालों में चित्तों की संख्या का
(ii) तीन सिक्कों को एक साथ एक बार उछालने पर पटों की संख्या का
(ii) एक सिक्के की चार उछालों में चित्तों की संख्या का 
हल:
(i) सिक्के की दो उछालों की प्रतिदर्श समष्टि : S = {HH, HT, TH, TT}
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प्रश्न 5:
एक पाँसा दो बार उछालने पर सफलता की संख्या का प्रायिकता बंटन ज्ञात कीजिए जहाँ
(i) ‘4 से बड़ी संख्या’ को एक सफलता माना गया है।
(ii) न्यूनतम एक ‘पाँसे पर संख्या 6 प्रकट होना’ को एक सफलता माना गया है।
हल:
(i) पॉसे की एक उछाल की प्रतिदर्श समष्टि S = {1, 2, 3, 4, 5, 6}
सफलता की प्रायिकता =P(सफलता)
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प्रश्न 6.
30 बल्बों के समूह में, जिसमें 6 खराब हैं, 4 बल्बों का एक नमूना ( प्रतिदर्श ) यदृच्छया बिना प्रतिस्थापन के निकाला जाता है। खराब बल्बों की संख्या का प्रायिकता बंटन ज्ञात कीजिए।
हल:
कुल बल्ब = 30
खराब बल्ब = 6, सही बल्ब = 30 – 6 = 24
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प्रश्न 7.
एक सिक्का समसर्वय सन्तुलित नहीं है जिसमें चित्त प्रकट होने की सम्भावना पट प्रकट होने की सम्भावना की तीन गुनी है। यदि सिक्का दो बार उछाला जाता है तो पटों की संख्या का प्रायिकता बंटन ज्ञात कीजिए।
हल:
क्योंकि चित्त और पट की प्रायिकता का अनुपात 3 : 1 है।
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प्रश्न 8.
एक यादृच्छिक चर x का प्रायिकता बंटन नीचे दिया गया है।  (NCERT)
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ज्ञात कीजिए
(i) k
(ii) P(X < 3)
(iii) P(X > 6)
(iv) P(0<X <3)
हल:
(i) चूंकि ∑P(X) = 1
∴  0+k+ 2k + 2k + 3k + k2 + 2k2 + 7k2 + k = 1
⇒ 10k2 + 9k-1 = 0
⇒  (10k – 1) (k + 1) = 0 ⇒  k = [latex]\frac { 1 }{ 10 }[/latex], -1
क्योंकि P(X) ≥ 0 ∴ k = -1 नहीं हो सकता
अतः  k = [latex]\frac { 1 }{ 10 }[/latex]
P(X < 3) = P(X = 0) + P(X = 1) + P(X = 2)
= 0 + k+ 2k = 3k = [latex]\frac { 3 }{ 10 }[/latex]
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प्रश्न 9.
एक यादृच्छिक चर X का प्रायिकता फलन P(x) निम्न प्रकार से है, जहाँ # कोई संख्या है।
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(a) k का मान ज्ञात कीजिए।
(b) P(x<2), (x≤2),P(x≥2) ज्ञात कीजिए।
हल-
(a) चूंकि किसी यादृच्छिक चर के प्रायिकता बंटन का कुल योग 1 के बराबर होता है।
अर्थात ∑P(X) = 1
अत: P(0) + P(1) + P(2) + P (अन्यथा) = 1
∴ k + 2k + 3k + 0 = 1 या 6k = 1 ∴ [latex s=2]k=\frac { 1 }{ 6 }[/latex]
∴ अभीष्ट प्रायिकता बंटन निम्नलिखित है
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प्रश्न 10:
एक न्याय्य सिक्के की तीन उछालों पर प्राप्त चित्तों की संख्या का माध्यज्ञात कीजिए।
हल:
माना तीन सिक्कों की उछाल में X चित्त आने की संख्या दर्शाता है।
तब X = 0, 1, 2 या 3
अब P(H) = एक सिक्के के उछाल पर चित्त आने की प्रायिकता =  [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]
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प्रश्न 11:
दो पाँसों को युग्मत् उछाला गया। यदि x, छक्कों की संख्या को व्यक्त करता है, तो x की प्रत्याशा ज्ञात कीजिए।
हल:
स्पष्ट है कि X = 0, 1, 2
P(X = 0) = किसी भी पासे पर 6 न आने की प्रायिकता = [latex]\frac { 25 }{ 36 }[/latex]
केवल एक पाँसे पर 6 आने की घटना
{(1, 6), (2, 6), (3, 6), (4, 6), (5, 6), (6, 1), (6, 2), (6, 3), (6, 4), (6, 5)}
∴  P(X = 1) = एक 6 आने की प्रायिकता = [latex]\frac { 10 }{ 36 }[/latex]
P(X = 2) = P((6, 6)) =  [latex]\frac { 1 }{ 36 }[/latex]
अत: X का प्रायिकता बंटन है।
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प्रश्न 12:
प्रथम छः धन पूर्णाकों में से दो संख्याएँ यदृच्छया ( बिना प्रतिस्थापन ) चुनी गई। मान लें x दोनों संख्याओं में से बड़ी संख्या को व्यक्त करता है। E(X) ज्ञात कीजिए।
हल:
स्पष्ट है X का मान 2, 3, 4, 5, 6 हो सकता है।
P(X = 2) = प्रायिकता जब दोनों संख्याओं में बड़ी संख्या 2 है।
⇒ P(X = 2) = P((1, 2) या (2, 1))
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प्रश्न 13:
मान लीजिए दो पाँसों को फेंकने पर प्राप्त संख्याओं के योग को x से व्यक्त किया गया है। X का प्रसरण और मानक विचलन ज्ञात कीजिए।
हल:
दो पाँसों की फेंक में कुल घटनायें = 6 x 6 = 36
जिन्हें (xi ;yi}) के रूप में लिख सकते हैं,
जहाँ xi = 1, 2, 3, 4, 5, 6, yi = 1, 2, 3, 4, 5, 6
यादृच्छिक चर X के मान अर्थात् पाँसों पर प्राप्त संख्याओं का योग 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 या 12 हो सकता है।
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प्रश्न 14:
एक कक्षा में 15 छात्र हैं जिनकी आयु 14, 17, 15, 14, 21, 17, 19, 20, 16, 18, 20, 17, 16, 19 और 20 वर्ष हैं। एक छात्र को इस प्रकार चुना गया कि प्रत्येक छात्र के चुने जाने की सम्भावना समान है और चुने गए छात्र की आयु (X) को लिखा गया। यादृच्छिक चर x को प्रायिकता बंटन ज्ञात कीजिए। x का माध्य, प्रसरण व मानक विचलन भी ज्ञात कीजिए।
हल:
X का प्रायिकता बंटन इस प्रकार होगा (स्वयं ज्ञात कीजिए।)
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प्रश्न 15.
एक बैठक में 70% सदस्यों ने किसी प्रस्ताव का अनुमोदन किया और 30% सदस्यों ने विरोध किया। एक सदस्य को यदृच्छया चुना गया और, यदि उसे सदस्य ने प्रस्ताव का विरोध किया हो तो x = 0 लिया गया, जब कि यदि उसने प्रस्ताव का अनुमोदन किया हो तो x = 1 लिया गया। Ex)
और प्रसरण (X) ज्ञात कीजिए।
हल:
X का प्रायिकता बंटन इस प्रकार होगा।
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• निम्नलिखित में से प्रत्येक में सही उत्तरे चुनें।।

प्रश्न 16.
तीन चेहरे पर 1 लिखा हुआ मरने पर प्राप्त संख्या का मतलब, दो चेहरों पर 2 और एक चेहरे पर 5 है
(a) 1
(b) 2
(c) 5
(d) [latex s=2]\frac { 8 }{ 3 }[/latex]
हल:
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Mean 2
विकल्प (b) सही है

प्रश्न 17.
मान लीजिए कि दो कार्ड कार्ड के डेक से यादृच्छिक रूप से खींचे जाते हैं। X को प्राप्त एसेस की संख्या होने दें। E(X) का मूल्य क्या है?
(a) [latex s=2]\frac { 37 }{ 221 }[/latex]
(b) [latex s=2]\frac { 5 }{ 13 }[/latex]
(c) [latex s=2]\frac { 1 }{ 13 }[/latex]
(d) [latex s=2]\frac { 2 }{ 13 }[/latex]
हल:
n(S) = 52, n(A) = 4
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अभी व E(X) = [latex s=2]\frac { 2 }{ 13 }[/latex]
विकल्प (d) सही है

प्रश्नावली 13.5

प्रश्न 1:
एक पाँसे को 6 बार उछाला जाता है।
यदि ‘पाँसे पर सम संख्या प्राप्त होना’ एक सफलता है तो निम्नलिखित की प्रायिकता क्या होंगी?
(i) तथ्यतः 5 सफलताएँ
(ii) न्यूनतम 5 सफलताएँ
(iii) अधिकतम 5 सफलताएँ
हल:
मानी प्रयोग में सफलता की प्रायिकता = p
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प्रश्न 2:
बड़ी मात्रा में वस्तुओं में 5% दोषपूर्ण वस्तुएं हैं। संभावना है कि 10 वस्तुओं के नमूने में एक से अधिक दोषपूर्ण आइटम शामिल नहीं होंगे?
हल:
एक दोषपूर्ण वस्तु प्राप्त करने की संभावना = 5%
= [latex s=2]\frac { 5 }{ 100 }[/latex]
= [latex s=2]\frac { 1 }{ 20 }[/latex]
एक अच्छी वस्तु प्राप्त करने की संभावना = [latex s=2]1-\frac { 1 }{ 20 }[/latex] = [latex s=2]\frac { 19 }{ 20 }[/latex]
10 आइटम के नमूने में एक से अधिक दोषपूर्ण आइटम शामिल नहीं हैं।
=> नमूना में सबसे अधिक है (मुझे दोषपूर्ण आइटम इसकी संभावना = P (0) + P (1)
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प्रश्न 3.
वस्तुओं के एक ढेर में 5% त्रुटियुक्त वस्तुएँ हैं। इसकी क्या प्रायिकता है कि 10 वस्तुओं के एक प्रतिदर्श में एक से अधिक त्रुटियुक्त वस्तुएँ नहीं होंगी?
हल-
एक त्रुटियुक्त वस्तु प्राप्त होने की प्रायिकता p = 5 % = [latex ]\frac { 5 }{ 100 }[/latex] = [latex ]\frac { 1 }{ 20 }[/latex]
एक अच्छी वस्तु प्राप्त होने की प्रायिकता q = [latex s=2]1-\frac { 1 }{ 20 }[/latex] = [latex s=2]\frac { 19 }{ 20 }[/latex]
10 वस्तुओं के एक प्रतिदर्श में एक से अधिक त्रुटियुक्त वस्तुएँ नहीं होंगी।
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प्रश्न 4.
पासा की एक जोड़ी 4 बार फेंक दिया जाता है। यदि डबलेट प्राप्त करना सफल माना जाता है, तो दो सफलताओं की संभावनाएं पाएं।
हल-
n(S) = 36, A = {11,22,33,44,55,66}
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प्रश्न 5.
किसी फैक्ट्री में बने एक बल्ब की 150 दिनों के उपयोग के बाद फ्यूज होने की प्रायिकता 0.05 है। इसकी प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि इस प्रकार के 5 बल्बों में से
(i) एक भी नहीं
(ii) एक से अधिक नहीं
(iii) एक से अधिक
(iv) कम-से-कम एक, 150 दिनों के उपयोग के बाद फ्यूज हो जाएँगे।
हल-
150 दिनों के उपयोग के बाद फ्यूज होने की प्रायिकता p = 0.05
150 दिनों में उपयोग के बाद फ्यूज न होने की प्रायिकता q = 1 – 0.05 = 0.95
(i) P पाँचों में से कोई भी बल्ब 150 दिनों के उपयोग के बाद फ्यूज नहीं होगा
= (0.95)5
(ii) P (एक से अधिक बल्ब फ्यूज नहीं होंगे)
= (एक भी बल्ब फ्यूज न हो + एक बल्ब फ्यूज हो) की प्रायिकता
= P(0) + P (1) = (0.95)5 + 5C1 x (0.95)4 x (0.05)
= (0.95)4[ 0.95 + 5 x 0.05]
= (0.95)4 [ 0.95 + 0.25]
= (0.95)4 x 1.2
(iii) P (एक से अधिक बल्ब फ्यूज होंगे) = (2 बल्ब + 3 बल्ब +4 बल्ब + 5 बल्ब) फ्यूज होने की अलग-अलग प्रायिकता
= P (2) + P (3) + P (4) + P (5)
= [P (0) + P (1) + P (2) + P (3) + P (4) + P (5) – [P (0) + P (1)]
= 1 – [P (0) + P (1)]
= 1- (0.95)4 x 1.2
(iv) P (कम-से-कम एक बल्ब फ्यूज होता है)
= P (1) + P (2) + P (3) + P (4) + P (5)
= P (0) + P (1) + P (2) + P (3) + P (4) + P (5)- P (0)
= 1 – P (0)
= 1- (0.95)5

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प्रश्न 6:
एक थैले में 10 गेंदें हैं जिनमें से प्रत्येक पर 0 से 9 तक के अंकों में से एक अंक लिखा है। यदि थैले से 4 गेंदें उत्तरोत्तर पुनः वापस रखते हुए निकाली जाती है, तो इसकी क्या प्रायिकता है कि उनमें से किसी भी गेंद पर अंक 0 न लिखा हो ? 
हल:
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प्रश्न 7:
एक सत्य-असत्य प्रकार के 20 प्रश्नों वाली परीक्षा में माना कि एक विद्यार्थी एक न्याय्य (unbiased) सिक्के को उछाल कर प्रत्येक प्रश्न का उत्तर निर्धारित करता है। यदि पाँसे पर चित्त प्रकट हो, तो प्रश्न का उत्तर ‘सत्य’ देता है और यदि पट प्रकट हो, तो असत्य’ लिखता है। इसकी प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि वह कम से कम 12 प्रश्नों का सही उत्तर देता है।
हल:
प्रश्न का सही उत्तर देने की प्रायिकता (p) = पाँसे पर चित्त आने की प्रायिकता =  [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]
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प्रश्न 8:
माना कि X का बंटन B (6, [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] )है। दर्शाएँ कि X = 3 अधिकतम प्रायिकता चाला परिणाम है।
हल:
यहाँ पर X का द्विपद बंटन है जहाँ
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 86
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 87

प्रश्न 9:
एक बहु-विकल्पीय परीक्षा में 5 प्रश्न हैं जिनमें प्रत्येक के तीन सम्भावित उत्तर हैं। इसकी क्या प्रायिकता है कि एक विद्यार्थी केवल अनुमान लगा कर चार या अधिक प्रश्नों के सही उत्तर दे देगा ? 
हल:
माना X : सही उत्तरों की संख्या
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 88

प्रश्न 10:
एक व्यक्ति एक लॉटरी के 50 टिकट खरीदता है, जिसमें उसके प्रत्येक में जीतने की। प्रायिकता  [latex]\frac { 1 }{ 100 }[/latex] है। इसकी क्या प्रायिकता है कि वह (a) न्यूनतम एक बार (b) तथ्यत: एक बार (c) न्यूनतम दो बार, इनाम जीतेगा ?
हल:
माना X : जीतने की संख्या
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 89

प्रश्न 11:
एक पाँसे को 7 बार उछालने पर तथ्यतः दो बार 5 आने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल:
मानी सफलता की प्रायिकता = p।
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 90

प्रश्न 12:
एक सँसे को 6 बार उछालने पर अधिकतम 2 बार छः आने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार, n = 6, पाँसे की उछाल पर 6 आने की प्रायिकता अर्थात् सफलता की प्रायिकता
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 91a

प्रश्न 13:
यह ज्ञात है कि किसी विशेष प्रकार की निर्मित वस्तुओं की संख्या में 10% खराब है। इसकी क्या प्रायिकता है कि इस प्रकार की 12 वस्तुओं के यादृच्छिक प्रतिदर्श में से 9 खराब है।
हल:
यहाँ n = 12, r = 9
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 91

प्रश्न 14.
100 बल्ब युक्त बॉक्स में, 10 दोषपूर्ण हैं। 5 बल्बों के नमूने से बाहर होने की संभावना, कोई भी दोषपूर्ण नहीं है
(a) [latex s=2]{ 10 }^{ -1 }[/latex]
(b) [latex s=2]{ \left( \frac { 1 }{ 2 } \right) }^{ 5 }[/latex]
(c) [latex s=2]{ \left( \frac { 9 }{ 10 } \right) }^{ 5 }[/latex]
(d) [latex s=2]\frac { 9 }{ 10 }[/latex]
हल:
p = [latex s=2]\frac { 1 }{ 10 }[/latex]
q = [latex s=2]\frac { 9 }{ 10 }[/latex] n = 5, r = 0, P(X=0) = [latex s=2]{ \left( \frac { 9 }{ 10 } \right) }^{ 5 }[/latex]
Option (c) is correct

UP Board Solutions

प्रश्न 15.
संभावना है कि एक छात्र तैराक नहीं है [latex s=2]\frac { 1 }{ 5 }[/latex] है। फिर संभावना है कि पांच छात्रों में से चार, तैराक हैं:
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 92
हल:
p = [latex s=2]\frac { 4 }{ 5 }[/latex] , q = [latex s=2]\frac { 1 }{ 5 }[/latex] , n = 5,r = 4
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 13 Probability image 93
Option (a) is true

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UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements (d-एवं f-ब्लॉक के तत्त्व) are part of UP Board Solutions for Class 12 Chemistry. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Chapter 8 The d and f Block Elements (d-एवं f-ब्लॉक के तत्त्व).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Chemistry
Chapter Chapter 8
Chapter Name The d and f Block Elements
Number of Questions Solved 78
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements (d-एवं f-ब्लॉक के तत्त्व)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सिल्वर परमाणु की मूल अवस्था में पूर्ण भरित d कक्षक (4d10) हैं। आप कैसे कह सकते हैं कि यह एक संक्रमण तत्व है?
उत्तर
सिल्वर (Z = 47), +2 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित कर सकता है तथा इस अवस्था में इसके 4d कक्षक अपूर्ण भरे हुए होते हैं, अत: यह एक संक्रमण तत्व है।

प्रश्न 2.
श्रेणी Sc (Z = 21) से Zn (Z = 30) में, जिंक की कणन एन्थैल्पी का मान सबसे कम अर्थात 128 kJ mol-1 होता है, क्यों?
उत्तर
जिंक के 3d कक्षकों के इलेक्ट्रॉन आबन्धन में प्रयुक्त नहीं होते हैं, जबकि 3d श्रेणी की शेष सभी धातुओं के d कक्षक के इलेक्ट्रॉन आबन्ध बनाने में प्रयुक्त होते हैं। इसलिए श्रेणी में जिंक की कणन एन्थैल्पी का मान सबसे कम होता है।

प्रश्न 3.
संक्रमण तत्वों की 3d श्रेणी का कौन-सा तत्व बड़ी संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाता है एवं क्यों?
उत्तर
मैंगनीज (Z = 25) के परमाणु में सर्वाधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं। अत: यह +2 से +7 तक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करता है जो सबसे बड़ी संख्या है।

प्रश्न 4.
कॉपर के लिए E(M2+| M), का मान धनात्मक (+0.34 V) है। इसके सम्भावित कारण क्या हैं?
[संकेत-इसके उच्च ΔaH और ΔHyd H पर ध्यान दें।]
उत्तर
किसी धातु के लिए E(M2+| M), निम्नलिखित पदों में होने वाले एन्थैल्पी परिवर्तन के योग से सम्बद्ध होता है –

  • M(s) + ΔaH → M(g) (ΔaH = परमाण्विक एन्थैल्पी = धनात्मक)
  • M(g) + ΔiH → M2+ (g) (ΔiH = आयनन एन्थैल्पी = धनात्मक)
  • M2+ (g) + (aq) → M2+ (aq) + ΔhydH (ΔhydH = जलयोजन एन्थैल्पी = ऋणात्मक)

कॉपर की परमाण्विक एन्थैल्पी, उच्च तथा जलयोजन एन्थैल्पी कम होती हैं। इसलिए E(Cu2+| Cu) को मान धनात्मक होता है। अत: Cu(s) के Cu2+ (aq) में रूपान्तरण की उच्च ऊर्जा इसकी जलयोजन एन्थैल्पी द्वारा सन्तुलित नहीं होती है।

प्रश्न 5.
संक्रमण तत्वों की प्रथम श्रेणी में आयनन एन्थैल्पी (प्रथम और द्वितीय) में अनियमित परिवर्तन को आप कैसे समझाएँगे?
उत्तर
आयनन एन्थैल्पी में अनियमित परिवर्तन विभिन्न 3d विन्यासों के स्थायित्व की क्षमता में भिन्नता के कारण है (उदाहरण d0, d5, d10 असामान्य रूप से स्थायी होते हैं)।

प्रश्न 6.
कोई धातु अपनी उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था केवल ऑक्साइड अथवा फ्लुओराइड में ही क्यों प्रदर्शित करती है?
उत्तर
छोटे आकार एवं उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण ऑक्सीजन अथवा फ्लुओरीन तत्व, धातु को उसकी उच्च ऑक्सीकरण अवस्था तेक ऑक्सीकृत कर सकते हैं।

प्रश्न 7.
Cr2+ और Fe2+ में से कौन प्रबल अपचायक है और क्यों?
उत्तर
Fe2+ की तुलना में Cr2+ एक प्रबल अपचायक पदार्थ है।
कारण– Cr2+ से Cr3+ बनने में d4 → d3 परिवर्तन होता है, किन्तु Fe2+ से Fe3+ में d6 → d5 में परिवर्तन होता है। जल जैसे माध्यम में d5 की तुलना में d3 अधिक स्थायी है।

प्रश्न 8.
M2+ (aq) आयन (Z = 27) के लिए ‘प्रचक्रण-मात्र चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए।
उत्तर
M परमाणु (Z = 27) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d7 4s2 है।
∴ M2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = [Ar] 3d7
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 1
अतः इसमें तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं।
∴ ‘प्रचक्रेण-मात्र चुम्बकीय आघूर्ण (µ) = [latex]\sqrt { n(n+2) } [/latex] B.M. = [latex]\sqrt { 3(3+2) } [/latex] B.M.
= [latex]\sqrt { 15 } [/latex] B.M. = 3.87 B.M.

प्रश्न 9.
स्पष्ट कीजिए कि Cu’ आयन जलीय विलयन में स्थायी नहीं है, क्यों? समझाइए।
उत्तर
Cu+ (aq) से Cu2+ (aq) अधिक स्थायी होता है। इसका कारण यह है कि कॉपर की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी अधिक होती है, परन्तु Cu2+ (aq) के लिए ΔhydH, Cu+ (aq) की तुलना में अधिक ऋणात्मक होती है, इसलिए यह कॉपर की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी के लिए अधिक क्षतिपूर्ति करती है। अत: अनेक कॉपर (I) यौगिक जलीय विलयन में अस्थायी होते हैं तथा निम्नलिखित प्रकार असमानुपातित होते हैं –
2Cu+ (aq) → Cu2+ (aq) + Cu (S)

प्रश्न 10.
लैन्थेनाइड आकुंचन की तुलना में एक तत्व से दूसरे तत्व के बीच ऐक्टिनाइड आकुंचन अधिक होता है, क्यों?
उत्तर
5d इलेक्ट्रॉन नाभिकीय आवेश से प्रभावी रूप से परिरक्षित रहते हैं। दूसरे शब्दों में, 5d इलेक्ट्रॉनों की श्रेणी में एक तत्व से दूसरे तत्व की ओर जाने पर दुर्बल परिरक्षण प्रभाव परिलक्षित होता है। अतः ऐक्टिनाइड आकुंचन (संकुचन) अधिक होता है।

अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए –

  1. Cr3+
  2. Pm3+
  3. Cu+
  4. Ce4+
  5. Co2+
  6. Lu2+
  7. Mn2+
  8. Th4+

उत्तर

  1. Cr3+ : [Ar] 3d3
  2. Pm3+ : [Xe] 4f4
  3. Cu+ : [Ar] 3d10
  4. Ce4+ : [Xe] 4f0
  5. Co2+ : [Ar] 3d7
  6. Lu2+ : [Xe] 4f14 5d1
  7. Mn2+ : [Ar] 3d5
  8. Th4+ : [Rn] 5f0

प्रश्न 2.
+3 ऑक्सीकरण अवस्था में ऑक्सीकृत होने के सन्दर्भ में Mn2+ के यौगिक Fe2+ के यौगिकों की तुलना में अधिक स्थायी क्यों हैं?
उत्तर
Mn2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d5 है, जबकि Fe2+ का [Ar] 3d6 है। चूंकि Mn2+ में अर्द्ध-पूर्ण कक्ष (3d5) होती है, जो कि Fe2+ की 3d6 कक्ष से अधिक स्थायी है, इसलिए Mn2+ यौगिक सरलता से Mn3+ में ऑक्सीकृत नहीं होते हैं क्योंकि इनकी द्वितीय आयनन एन्थैल्पी बहुत अधिक होती है। इसके विपरीत, Fe2+ यौगिक कम द्वितीय आयनन एन्थैल्पी के कारण Fe3+ में सरलता से ऑक्सीकृत हो जाता है। यही कारण है कि Mn2+ यौगिक अपनी +3 अवस्था के लिए ऑक्सीकरण के प्रति Fe2+ से अधिक स्थायी होते हैं।

प्रश्न 3.
संक्षेप में स्पष्ट कीजिए कि प्रथम संक्रमण श्रेणी के प्रथम अर्द्धभाग में बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के साथ +2 ऑक्सीकरण अवस्था कैसे अधिक स्थायी होती जाती है?
उत्तर
प्रथम संक्रमण श्रेणी में बायें से दाये जाने पर IE1 + IE2 का योग बढ़ता जाता है। इसके परिणामस्वरूप M2+ आयन बनाने की प्रवृत्ति घटती जाती है। यही कारण है कि श्रेणी के प्रथम अर्द्ध भाग में +2 अवस्था अधिकाधिक स्थायी होती है।

प्रश्न 4.
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास किस सीमा तक ऑक्सीकरण अवस्थाओं को निर्धारित करते हैं? उत्तर को उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
जिस ऑक्सीकरण अवस्था में आयनों में पूर्ण भरी या अर्द्ध भरी d कक्ष होती है, वे आयन अधिक स्थायी होते हैं। जैसे Mn की +2 अवस्था इसकी अन्य ऑक्सीकरण अवस्थाओं की अपेक्षा अधिक स्थायी होती है। जैसे Mn की +2 अवस्था इसकी अन्य ऑक्सीकरण अवस्थाओं की अपेक्षा अधिक स्थायी होती है। क्योंकि Mn2+ में अर्द्ध भरी 3d5 कक्ष होती है। इसी प्रकार Zn की +2 अवस्था इसकी सबसे अधिक स्थायी अवस्था होती है क्योंकि इसमें पूर्ण भरी 3d10 कक्ष होती है।

प्रश्न 5.
संक्रमण तत्वों की मूल अवस्था में नीचे दिए गए d इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों में कौन-सी ऑक्सीकरण अवस्था स्थायी होगी?
3d3, 3d5, 3d8 तथा 3d4
उत्तर

  • 3d3 (वैनेडियम) : (+2), +3, +4, +5
  • 3d5 (क्रोमियम) : +3, +4, +6
  • 3d5 (मैंग्नीज) : +2, +4, +6, +7
  • 3d8 (कोबाल्ट) : +2, +3
  • 3d4 : इस विन्यास वाला कोई भी तत्त्व तलस्थ अवस्था में नहीं पाया जाता है।

प्रश्न 6.
प्रथम संक्रमण श्रेणी के ऑक्सो-धातुऋणायनों का नाम लिखिए, जिसमें धातु संक्रमण श्रेणी की वर्ग संख्या के बराबर ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करती है।
उत्तर
Cr2O2-7 तथा CrO2-4 में क्रोमियम +6 अवस्था प्रदर्शित करता है, जो कि इसके समूह की संख्या (6) के बराबर है।
MnO4 में Mn + 7 अवस्था प्रदर्शित करता है, जो कि इसकी समूह की संख्या (7) के बराबर है। VO3 में V+ 5 अवस्था प्रदर्शित करता है, जो कि इसकी समूह की संख्या (5) के बराबर है।

प्रश्न 7.
लैन्थेनाइड आकुंचन क्या है? लैन्थेनाइड आकुंचन के परिणाम क्या हैं? (2015, 16, 17, 18)
उत्तर
लैन्थेनाइड आकुंचन (Lanthanoid Contraction) – लैन्थेनाइड श्रेणी में परमाणु क्रमांक बढ़ने पर परमाण्विक तथा आयनिक त्रिज्याएँ एक तत्व से दूसरे तत्व तक घटती हैं, परन्तु यह कमी अत्यन्त कम होती है। उदाहरणार्थ– Ce से Lu तक जाने पर परमाण्विक त्रिज्या 183 pm से 173 pm तक घट जाती है तथा यह कमी केवल 10 pm है। इसी प्रकार Ce3+ से Lu3+ आयन तक जाने पर आयनिक त्रिज्या 103 pm से घटकर 85 pm रह जाती है तथा यह कमी केवल 18 pm है। अत: परमाणु क्रमांक में 14 की वृद्धि के लिए, परमाण्विक तथा आयनिक त्रिज्याओं में होने वाली कमी अत्यन्त कम है। यह कमी अन्य वर्गों तथा आवर्तो के तत्वों की तुलना में अत्यल्प है।

सारणी-लैन्थेनम तथा लैन्थेनाइडों के परमाण्विक तथा
आयनिक त्रिज्याओं में परिवर्तन (pm)
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 2
लैन्थेनाइड तत्वों में परमाणु क्रमांक बढ़ने पर उनके परमाणु तथा आयनिक आकारों में होने वाली स्थिर कमी ‘लैन्थेनाइड आकुंचन’ कहलाती है।
त्रिसंयोजी लैन्थेनॉइडों (Ln3+) की आयनिक त्रिज्याओं में कमी चित्र-1 में दर्शायी गई है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 3
लैन्थेनाइड आकुंचन का कारण (Cause of Lanthanide Contraction) – लेन्थेनाइड श्रेणी में एक तत्व से दूसरे तत्व तक जाने पर नाभिकीय आवेश एक इकाई बढ़ता है तथा एक इलेक्ट्रॉन जुड़ता है। ये नए इलेक्ट्रॉन समानान्तर 4f- उपकोशों में जुड़ते हैं। यद्यपि एक 4f- इलेक्ट्रॉन का दूसरे 4f- इलेक्ट्रॉन पर परिरक्षण प्रभाव (नाभिकीय आवेश से), f- कक्षकों के अत्यन्त विस्तृत आकार के कारण, कम होता है। यद्यपि नाभिकीय आवेश प्रत्येक पद पर एक इकाई बढ़ जाता है, इसलिए परमाणु क्रमांक तथा नाभिकीय आवेश बढ़ने पर प्रत्येक 4f- इलेक्ट्रॉन द्वारा अनुभव किया जाने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ जाता है, परिणामस्वरूप सम्पूर्ण 4f- इलेक्ट्रॉन कोश प्रत्येक तत्व के जुड़ने पर आकुंचित हो जाता है, यद्यपि यह कमी अत्यन्त अल्प होती है। इसके परिणामस्वरूप परमाणु क्रमांक बढ़ने पर लैन्थेनाइडों के आकार में नियमित हस पाया जाता है। क्रमिक अपचयनों का योग कुल लैन्थेनाइड आकुंचन देता है।

लैन्थेनाइड आकुंचन के परिणाम (Consequences of Lanthanide Contraction) – लैन्थेनाइड आकुंचन के महत्त्वपूर्ण परिणाम निम्नलिखित हैं –
(1) द्वितीय तथा तृतीय संक्रमण श्रेणियों की समानता (Resemblance of second and third transition series) – आवर्त सारणी में लैन्थेनाइडों से पहले तथा बाद में आने वाले तत्वों के
आपेक्षिक गुणों पर इसका महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। अग्रलिखित सारणी से स्पष्ट होता है कि Sc से Y तथा Y से La तक आकार में नियमित वृद्धि होती है।
सारणी- d-ब्लॉक के तत्वों की परमाणु त्रिज्याएँ (pm में)
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 4
लैन्थेनाइड आकुंचन
इसी प्रकार हम अन्य वर्गों में आकार में सामान्य वृद्धि की अपेक्षा कर सकते हैं, यद्यपि लैन्थेनाइडों के पश्चात् द्वितीय से तृतीय संक्रमण श्रेणियों में त्रिज्याओं की वृद्धि लगभग नगण्य होती है।
Ti → Zr → Hf
V → Nb → Ta आदि
तत्वों के युग्मों; जैसे- Zr – Hf, Nb – Ta, Mo – W आदि के आकार समान (लगभग) होते हैं तथा इन तत्वों के गुण भी समान होते हैं। अत: लैन्थेनाइड आकुंचन के परिणामस्वरूप द्वितीय तथा तृतीय संक्रमण श्रेणियों के तत्व, प्रथम तथा द्वितीय संक्रमण श्रेणियों के तत्वों की तुलना में परस्पर अत्यधिक समानता रखते हैं।

(2) लैन्थेनाइडों में समानता (Similarity among lanthanides) – लैन्थेनाइडों की त्रिज्याओं में अत्यन्त अल्प-परिवर्तन के कारण, इनके रासायनिक गुण लगभग समान होते हैं। अतः तत्वों को शुद्ध अवस्था में पृथक्कृत करना अत्यन्त कठिन होता है। पुनरावृत्त प्रभाजी क्रिस्टलन अथवा आयन-विनिमय तकनीकों पर आधारित आधुनिक विधियों द्वारा इनके त्रिसंयोजी आयनों के आकारों में अत्यल्प-अन्तर के आधार पर इन्हें पृथक्कृत किया जाता है। इन विधियों द्वारा तत्वों के गुणों जैसे विलेयता, संकुल आयन निर्माण, जलयोजन आदि में बहुत कम अन्तर के आधार पर इन्हें पृथक्कृत किया जाता है।

(3) क्षारकता अन्तर (Basicity differences) – लैन्थेनाइड आकुंचन के कारण लैन्थेनाइड आयनों का आकार, परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ नियमित रूप से घटता है। आकार में कमी के फलस्वरूप लैन्थेनाइड आयन तथा OH आयनों के मध्य इनके सहसंयोजक गुण La3+ से Lu3+ तक बढ़ते हैं, इसलिए परमाणु क्रमांक बढ़ने पर हाइड्रॉक्साइडों की क्षारकीय सामर्थ्य घटती है। अत: La(OH)3 अधिकतम क्षारकीय है, जबकि Lu(OH)3 सबसे कम क्षारकीय है।

प्रश्न 8.
संक्रमण धातुओं के अभिलक्षण क्या हैं? ये संक्रमण धातु क्यों कहलाती हैं? d- ब्लॉक के तत्वों में कौन-से तत्व संक्रमण श्रेणी के तत्व नहीं कहे जा सकते?
उत्तर
संक्रमण धातुओं के सामान्य अभिलक्षण (General Characteristics of Transition Elements) – संक्रमण धातुओं (d-ब्लॉक के तत्वों) के सामान्य अभिलक्षण निम्नलिखित हैं –

  1. लगभग सभी संक्रमण तत्व अभिधात्विक गुण जैसे उच्च तनन सामर्थ्य (tensile strength), तन्यता (ductility), वर्धनीयता (malleability), उच्च तापीय तथा विद्युत चालकता तथा धात्विक चमक दर्शाते हैं।
  2. मर्करी को छोड़कर, जो कमरे के ताप पर द्रव है, अन्य संक्रमण तत्वों की अभिधात्विक संरचनाएँ होती हैं।
  3. इनके गलनांक तथा क्वथनांक उच्च होते हैं तथा असंक्रमण तत्वों की तुलना में इनकी वाष्पन ऊष्मा उच्च होती है।
  4. s- ब्लॉक तत्वों की तुलना में संक्रमण तत्वों के घनत्व उच्च होते हैं।
  5. d- ब्लॉक के तत्वों की प्रथम आयनन ऊर्जाएँ 5-ब्लॉक के तत्वों से अधिक, परन्तु p-ब्लॉक के तत्वों से कम होती हैं।
  6. इनकी प्रवृत्ति विद्युत धनात्मक होती है।
  7. इनमें से अधिकांश तत्व रंगीन यौगिक बनाते हैं।
  8. इनमें संकुल बनाने की प्रवृत्ति अत्यधिक होती है।
  9. ये अनेक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं।
  10. इनके यौगिक सामान्यतया अनुचुम्बकीय प्रवृत्ति के होते हैं।
  11. ये अन्य धातुओं के साथ मिश्रधातु (alloy) बनाते हैं।
  12. ये कुछ तत्वों; जैसे हाइड्रोजन, बोरॉन, कार्बन, नाइट्रोजन आदि के साथ अन्तराकाशी यौगिक बनाते हैं।
  13. अधिकांश संक्रमण धातुएँ जैसे Mn, Ni, Co, Cr, V, Pt आदि तथा इनके यौगिक उत्प्रेरकों के रूप में प्रयुक्त किए जाते हैं।

d- ब्लॉक के तत्व संक्रमण धातुएँ कहलाते हैं क्योंकि ये तत्व अधिक विद्युत-धनात्मक 5-ब्लॉक के तत्वों तथा कम विद्युत-धनात्मक s- ब्लॉक के तत्वों से मध्यवर्ती गुण प्रदर्शित करते हैं तथा आवर्त सारणी में इनका स्थान s- तथा p- ब्लॉक के तत्वों के मध्य में है।
Zn, Cd तथा Hg का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास सामान्य सूत्र (n – 1)d10 ns2 से प्रदर्शित किया जाता है। इन तत्वों में कक्षक तलस्थ (सामान्य) अवस्था में तथा साधारण ऑक्सीकरण अवस्थाओं में भी पूर्णपूरित होते हैं अर्थात् इनकी परमाण्विक अवस्था अथवा किसी भी एक आयनिक अवस्था में उपकोश अपूर्ण नहीं होते हैं, इसलिए इन्हें संक्रमण तत्व नहीं कहा जा सकता।

प्रश्न 9.
संक्रमण धातुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास किस प्रकार असंक्रमण तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से भिन्न हैं?
उत्तर
संक्रमण तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n – 1)d1 – 10 ns1 – 2 प्रकार के होते हैं तथा इस प्रकार इनमें अपूर्ण d-ऑर्बिटल होती है जबकि असंक्रमण तत्त्वों में d-ऑर्बिटल नहीं पायी जाती है। इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns1 – 2 या ns2 np1 – 6 प्रकार के होते हैं।

प्रश्न 10.
लैन्थेनाइडों द्वारा कौन-कौन सी ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित की जाती हैं? (2014)
उत्तर
लैन्थेनाइडों की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (Oxidation States of Lanthanides) – आवर्त सारणी के वर्ग 3 के सदस्यों से प्रत्याशित होता है कि लेन्थेनाइडों की एकसमान +3 ऑक्सीकरण अवस्था उनकी एक विशेषता है। त्रिधनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था 6s2 इलेक्ट्रॉन और एकाकी 5d-इलेक्ट्रॉन अथवा यदि कोई 5d- इलेक्ट्रॉन उपस्थित न हो तो f- इलेक्ट्रॉनों में से एक के उपयोग के अनुसार होती है। प्रथम तीन आयनन एन्थैल्पियों का योग अपेक्षाकृत निम्न होता है जिससे ये तत्व उच्च धनविद्युती होते हैं और तत्परता से +3 आयन बना लेते हैं। यद्यपि जलीय विलयन में तथा ठोस अवस्था में सीरियम (Ce4+) चर्तुधनात्मक तथा सैमेरियम, यूरोपियम और इटर्बियम (Sm2+, Eu2+ और Yb2+) द्विधनात्मक आयन दे सकते हैं। अन्य तत्व ठोस अवस्था में +4 अवस्था दे सकते हैं। MX3 का अपचयन न केवल MX2 अपितु विशेष स्थिति में जटिल अपचयित स्पीशीज भी दे सकता है।

लैन्थेनाइडों के लिए +3 ऑक्सीकरण अवस्था की धारणा पर्याप्त दृढ़ हो गई है तथा अन्य ऑक्सीकरण अवस्थाओं को प्रायः असंगत’ कहा जाता है। विभिन्न लैन्थेनाइडों की ऐसी असंगत ऑक्सीकरण अवस्थाएँ अग्र प्रकार प्रदर्शित की गई हैं –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 5
यदि हम यह मान लें कि रिक्त, अर्द्धपूर्ण या पूर्ण f- उपकोश के साथ विशेष स्थायित्व सम्बन्धित होता है। तो एक निश्चित सीमा तक +2 तथा +4 ऑक्सीकरण अवस्थाओं की उपस्थिति का इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं के साथ सामंजस्य किया जा सकता है। इस प्रकार La, Gd और Lu केवल त्रिधनात्मक आयन निर्मित करते हैं क्योंकि तीन इलेक्ट्रॉनों के निष्कासन से La3+ आयन में उत्कृष्ट गैस का विन्यास बन जाता है। Gd3+ तथा Lu3+ आयनों में क्रमशः स्थायी विन्यास 4f7 तथा 4f14 से इलेक्ट्रॉनों का निष्कासन नहीं होता क्योंकि M3+ आयनों की अपेक्षा M2+ अथवा M+ आयनों की जालक अथवा जलयोजन ऊर्जाएँ लघु M3+ आयनों के लवणों की योगात्मक जालक या जलयोजन ऊर्जाओं की अपेक्षा कम होगी।

सबसे अधिक स्थायी द्वि या चतुर्धनात्मक आयन उन तत्वों द्वारा निर्मित होते हैं जो ऐसा करके f9, f7 तथा f14 विन्यास प्राप्त कर सकते हों। इस प्रकार सीरियम +4 ऑक्सीकरण अवस्था में आकर f0 विन्यास प्राप्त कर लेता है। यूरोपियम तथा इटर्बियम +2 ऑक्सीकरण अवस्था में क्रमशः f7 तथा f14 विन्यास प्राप्त कर लेते हैं। ये तथ्य इस धारणा का समर्थन करते प्रतीत होते हैं कि लैन्थेनाइडों के लिए +3 के अतिरिक्त दूसरी ऑक्सीकरण अवस्थाओं का अस्तित्व निर्धारित करने में f0, f7 तथा f14 विन्यासों का विशेष स्थायित्व महत्त्वपूर्ण है, परन्तु यह तर्क कम निर्णयात्मक हो जाता है जब हम देखते हैं कि सैमेरियम और थूलियम f6 तथा f13 विन्यास रखते हुए M2+ आयन बनाते हैं, M+ आयन नहीं।

साथ ही प्रेजियोडिमियम एवं नियोडिमियम f1 तथा f2 विन्यासों के साथ M4+ आयन बनाते हैं, परन्तु कोई पंच या षट-संयोजक प्रकार के आयन नहीं बनाते। इसमें सन्देह नहीं है कि Sm (II) और विशेषकर Tm (II), Pr (IV) तथा Nd (IV) अवस्थाएँ बहुत अस्थायी हैं, परन्तु यह विचार भी संदिग्ध है कि f0, f7 या f14 विन्यास के केवल समीप पहुँच जाना भी स्थायित्व के लिए सहायक होता है चाहे ऐसा कोई विन्यास वस्तुतः प्राप्त नहीं भी हो। Nd2+ (f4) का अस्तित्व यह विश्वास करने के लिए विशेष निर्णयात्मक प्रमाण है कि यद्यपि f0, f7, f14 विन्यास का स्थायित्व ऑक्सीकरण अवस्थाओं का स्थायित्व निर्धारण करने में एक घटक हो सकता है, यद्यपि अन्य ऊष्मागतिकीय तथा गतिकीय घटक विशेष भी हैं जिनका समान या अधिक महत्त्व है।

प्रश्न 11.
कारण देते हुए स्पष्ट कीजिए –

  1. संक्रमण धातुएँ तथा उनके अधिकांश यौगिक अनुचुम्बकीय हैं। (2014, 18)
  2. संक्रमण धातुओं की कणन एन्थैल्पी के मान उच्च होते हैं।
  3. संक्रमण धातुएँ सामान्यतः रंगीन यौगिक बनाती हैं।
  4. संक्रमण धातुएँ तथा इनके अनेक यौगिक उत्तम उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।

उत्तर
1. पदार्थों में अनुचुम्बकत्व की उत्पत्ति, अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण होती है। प्रतिचुम्बकीय पदार्थ वे होते हैं जिनमें सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होते हैं। संक्रमण धातु आयनों में प्रतिचुम्बकत्व तथा अनुचुम्बकत्व दोनों होते हैं अर्थात् इनमें दो विपरीत प्रभाव पाए जाते हैं, इसलिए परिकलित चुम्बकीय आघूर्ण इनका परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण माना जाता है। d0 (Sc3+, Ti4+) या d10 (Cu+, Zn2+) विन्यासों को छोड़कर, संक्रमण धातुओं के सभी सरल आयनों में इनके (n – 1) d उपकोशों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं; अत: ये अधिकांशत: अनुचुम्बकीय होते हैं। ऐसे अयुग्मित इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय आघूर्ण, प्रचक्रण कोणीय संवेग तथा कक्षीय कोणीय संवेग से सम्बन्धित होता है। प्रथम संक्रमण श्रेणी की धातुओं के यौगिकों में कक्षीय कोणीय संवेग को योगदान प्रभावी रूप से शमित (quench) हो जाता है, इसलिए इसका कोई महत्त्व नहीं रह जाता।

अत: इनके लिए चुम्बकीय आघूर्ण का निर्धारण उसमें उपस्थित अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के आधार पर किया जाता है तथा इसकी गणना निम्नलिखित ‘प्रचक्रण मात्र’ सूत्र द्वारा की जाती है-
μ = [latex s=2]\sqrt { n(n+2) } [/latex]
यहाँ n अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या है तथा ॥ चुम्बकीय आघूर्ण है जिसका मात्रक बोर मैग्नेटॉन (BM) है। अतः एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय आघूर्ण 1.73 BM होता है।

2. संक्रमण धातुओं की कणन एन्थैल्पी के मान उच्च होते हैं क्योंकि इनके परमाणुओं में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक होती है। इस कारण इनमें प्रबल अन्तरापरमाण्विक अन्योन्य-क्रियाएँ होती हैं। तथा इसलिए परमाणुओं के मध्य प्रबल आबन्ध उपस्थित होते हैं।

3. अधिकांश संक्रमण धातु आयन विलयन तथा ठोस अवस्थाओं में रंगीन होते हैं। ऐसा दृश्य प्रकाश के आंशिक अवशोषण के कारण होता है। अवशोषित प्रकाश इलेक्ट्रॉन को समान d-उपकोश के एक कक्षक से दूसरे कक्षक में उत्तेजित कर देता है। चूंकि इलेक्ट्रॉनिक संक्रमण धातु आयनों के d-कक्षकों में होते हैं, इसलिए ये d-d संक्रमण कहलाते हैं। संक्रमण धातु आयनों में दृश्य प्रकाश को अवशोषित करके होने वाले d-d संक्रमणों के कारण ही ये रंगीन दिखाई देते हैं।

4. संक्रमण धातुएँ तथा इनके यौगिक उत्प्रेरकीय सक्रियता के लिए जाने जाते हैं। संक्रमण धातुओं का यह गुण उनकी परिवर्तनशील संयोजकता एवं संकुल यौगिक के बनाने के गुण के कारण है। वैनेडियम (V) ऑक्साइड (संस्पर्श प्रक्रम में), सूक्ष्म विभाजित आयरन (हेबर प्रक्रम में) और निकिल (उत्प्रेरकीय हाइड्रोजनीकरण में) संक्रमण धातुओं के द्वारा उत्प्रेरण के कुछ उदाहरण हैं। उत्प्रेरक के ठोस पृष्ठ पर अभिकारक के अणुओं तथा उत्प्रेरक की सतह के परमाणुओं के बीच आबन्धों की रचना होती है। आबन्ध बनाने के लिए प्रथम संक्रमण श्रेणी की धातुएँ 3d एवं 4s इलेक्ट्रॉनों का उपयोग करती हैं, परिणामस्वरूप उत्प्रेरक की सतह पर अभिकारक की सान्द्रता में वृद्धि हो जाती है तथा अभिकारक के अणुओं में उपस्थित आबन्ध दुर्बल हो जाते हैं। इन कारण सक्रियण ऊर्जा का मान घटे जाता है। ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तन हो सकने के कारण संक्रमण धातुएँ उत्प्रेरक के रूप में अधिक प्रभावी होती हैं।

उदाहरणार्थ– आयरन (III), आयोडाइड आयन तथा परसल्फेट आयन के बीच सम्पन्न होने वाली अभिक्रिया को उत्प्रेरित करता है।

  • 2I + S2O2-8 → I2 ↑ + 2SO2-4

इस उत्प्रेरकीय अभिक्रिया का स्पष्टीकरण इस प्रकार है –

  • 2Fe3+ + 2I → 2Fe2+ +I2
  • 2Fe2+ + S2O2-8 → 2Fe3+ + 2SO2-4

प्रश्न 12.
अन्तराकाशी यौगिक क्या हैं? इस प्रकार के यौगिक संक्रमण धातुओं के लिए भली प्रकार से ज्ञात क्यों हैं?
उत्तर
वे यौगिक जिनके क्रिस्टल जालक में अन्तराकाशी स्थलों को छोटे आकार वाले परमाणु अध्यासित कर लेते हैं, अन्तराकाशी यौगिक कहलाते हैं। अन्तराकाशी यौगिक संक्रमण धातुओं के लिए भली प्रकार से ज्ञात होते हैं क्योंकि संक्रमण धातुओं के क्रिस्टल जालकों में उपस्थित रिक्तियों (voids) में छोटे आकार वाले परमाणु; जैसे- H, N या C सरलता से सम्पाशित हो जाते हैं।

प्रश्न 13.
संक्रमण धातुओं की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तनशीलता असंक्रमण धातुओं में ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तनशीलता से किस प्रकार भिन्न है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
संक्रमण धातुओं में ऑक्सीकरण अवस्था +1 से एक के क्रमिक परिवर्तन से उच्च अवस्थाओं में परिवर्तित होती है। जैसे, मैंगनीज में यह +2, +3, +4, +5, +6, +7 पायी जाती है। असंक्रमण धातुओं में परिवर्तन चयनात्मक होता है तथा सामान्य रूप से 2 के अन्तर से परिवर्तित होता है, जैसे क्लोरीन में परिवर्तन क्रम -1, +1,+3, +5, +7 है।

प्रश्न 14.
आयरन क्रोमाइट अयस्क से पोटैशियम डाइक्रोमेट बनाने की विधि का वर्णन कीजिए। पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन पर pH बढ़ाने से क्या प्रभाव पड़ेगा? (2016, 18)
उत्तर
पोटैशियम डाइक्रोमेट बनाने की विधि (Method of Preparation of Potassium Dichromate) – आयरन क्रोमाइट अयस्क (FeCr2O4) को जब वायु की उपस्थिति में सोडियम यो पोटैशियम कार्बोनेट के साथ संगलित किया जाता है तो क्रोमेट प्राप्त होता है।
4FeCr2O4 + 8Na2CO3 + 7O2 → 8Na2CrO4 +2Fe2O3 + 8CO2

सोडियम क्रोमेट के पीले विलयन को छानकर उसे सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा अम्लीय बना लिया जाता है। जिसमें से नारंगी सोडियम डाइक्रोमेट, Na2Cr2O7 . 2H2O को क्रिस्टलित कर लिया जाता है।
2Na2CrO4 + 2H+ → Na2Cr2O7 + 2Na+ + H2O

सोडियम डाइक्रोमेट की विलेयता, पोटैशियम डाइक्रोमेट से अधिक होती है, इसलिए सोडियम डाइक्रोमेट के विलयन में पोटैशियम क्लोराइड डालकर पोटैशियम डाइक्रोमेट प्राप्त कर लिया जाता है।
Na2Cr2O7 + 2KCl → K2Cr2O7 + 2NaCl

पोटैशियम डाइक्रोमेट के नारंगी रंग के क्रिस्टल, क्रिस्टलीकृत हो जाते हैं। जलीय विलयन में क्रोमेट तथा डाइक्रोमेट का अन्तरारूपान्तरण होता है जो विलयन के pH पर निर्भर करता है। क्रोमेट तथा डाइक्रोमेट में क्रोमियम की ऑक्सीकरण संख्या समान है।
2CrO2-4 + 2H+ → Cr2O2-7 + H2O
Cr2O2-7 + 2OH → 2CrO2-4 + H2O
अत: pH बढ़ाने पर, अर्थात् विलयन को क्षारीय करने पर, डाइक्रोमेट आयन (नारंगी रंग) क्रोमेट आयनों में परिवर्तित हो जाते हैं तथा विलयन का रंग पीला हो जाता है।

प्रश्न 15.
पोटैशियम डाइक्रोमेट की ऑक्सीकरण क्रिया का उल्लेख कीजिए तथा निम्नलिखित के साथ आयनिक समीकरण लिखिए-

  1. आयोडाइड आयन
  2. आयरन (II) विलयन
  3. H2S.

उत्तर
पोटैशियम डाइक्रोमेट प्रबल ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करता है। इसका उपयोग आयतनमितीय विश्लेषण में प्राथमिक मानक के रूप में किया जाता है। अम्लीय माध्यम में डाइक्रोमेट आयन की ऑक्सीकरण क्रिया निम्नलिखित प्रकार से प्रदर्शित की जा सकती है –
Cr2O2-7 + 14H+ + 6e → 2Cr3+ + 7H2O (E = 1: 33 V)
आयनिक अभिक्रियाएँ (Ionic Reactions)

  1. आयोडाइड आयन के साथ (With iodide ion) –
    • Cr2O2-7 + 14H+ + 6I → 2Cr3+ + 7H2O + 3I2 ↑
  2. आयरन (II) विलयन के साथ (With Iron (II) solution)
    • Cr2O2-7 + 14H+ + 6Fe2+ → 2Cr3+ + 7H2O + 6Fe3+
  3. H2S के साथ (With H2S)
    • Cr2O2-7 + 8H+ + 3H2S → 2Cr3+ + 7H2O + 3S ↓

प्रश्न 16.
पोटैशियम परमैंगनेट को बनाने की विधि का वर्णन कीजिए। अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट किस प्रकार (2016)

  1. आयरन (II) आयन,
  2. SO2 तथा
  3. ऑक्सैलिक अम्ल से अभिक्रिया करता है? अभिक्रियाओं के लिए आयनिक समीकरण लिखिए। (2018)

उत्तर
पोटैशियम परमैंगनेट, KMnO4 (Potassium Permanganate, KMnO4) बनाने की विधि (Method of Preparation) – पोटैशियम परमैंगनेट को निम्नलिखित विधियों से। बनाया जा सकता है –
1. पोटैशियम परमैंगनेट को प्राप्त करने के लिए MnO2 को क्षारीय धातु हाइड्रॉक्साइड तथा KNO3 जैसे ऑक्सीकारक के साथ संगलित किया जाता है। इससे गाढ़े हरे रंग का उत्पाद K2MnO4 प्राप्त होता है जो उदासीन या अम्लीय माध्यम में असमानुपातित होकर पोटैशियम परमैंगनेट देता है।
2MnO2 + 4KOH + O2 → 2K2MnO4 + 2H2O
3MnO2-4 + 4H+ → 2MnO4 + MnO2 + 2H2O

2. औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पादन MnO2 के क्षारीय ऑक्सीकरणी संगलन के पश्चात् मैंगनेट (VI) के विद्युत-अपघटनी ऑक्सीकरण द्वारा किया जाता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 6

3. प्रयोगशाला में मैंगनीज (II) आयन के लवण परऑक्सीडाइसल्फेट द्वारा ऑक्सीकृत होकर परमैंगनेट बनाते हैं।
2Mn2+ + 5S2O2-8 + 8H2O → 2MnO4 + 10SO2-4 + 16H+

रासायनिक अभिक्रियाएँ (Chemical Reactions)
अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट की रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं –

  1. आयरन (II) आयन के साथ (With Iron (II) ion)
    • MnO4 + 8H+ + 5Fe2+ → Mn2+ + 4H2O + 5Fe3+
  2. SO2 के साथ (With SO2)
    • 2MnO4 + 2H2O + 5SO2 → 2Mn2+ + 4H+ + 5SO2-4
  3. ऑक्सैलिक अम्ल के साथ (With oxalic acid)
    • UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 7

प्रश्न 17.
M2+ | M तथा M3+ | M2+ निकाय के सन्दर्भ में कुछ धातुओं के E के मान नीचे दिए गए हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 8
उपर्युक्त आँकड़ों के आधार पर निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए –

  1. अम्लीय माध्यम में Cr3+ या Mn3+ की तुलना में Fe3+ का स्थायित्व।
  2. समान प्रक्रिया के लिए क्रोमियम अथवा मैंगनीज धातुओं की तुलना में आयरन के ऑक्सीकरण में सुगमता।

उत्तर

  1. Cr3+ / Cr2+ के लिए E का मान ऋणात्मक है। इसलिए Cr3+ स्थायी है तथा Cr2+ में अपचयित नहीं हो सकता है।
    Mn3+ / Mn2+ के लिए E का मान अधिक धनात्मक है, इसलिए Mn3+ बहुत स्थायी नहीं है तथा सरलता से Mn2+ में अपचयित हो सकता है। Fe3+ / Fe2+ के लिए E का मान कम धनात्मक लेकिन छोटा है। इसलिए Fe3+, Mn3+ से अधिक स्थायी है। लेकिन यह Cr2+ से कम स्थायी है।
  2. Fe, Cr तथा Mn के लिए ऑक्सीकरण विभव क्रमशः +0.4 V, + 0.9 V तथा +1.2 V है। इसलिए इनके ऑक्सीकरण की सुलभता का क्रम Mn > Cr > Fe होगा।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित में कौन-से आयन जलीय विलयन में रंगीन होंगे?
Ti3+, V3+, Cu+, Sc3+, Mn2+, Fe3+ तथा Co2+ प्रत्येक के लिए कारण बताइए।
उत्तर
वे आयन रंगीन होते हैं जिनमें एक या अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं। Ti3+, V3+, Mn2+, Fe3+ तथा Co2+ रंगीन होते हैं। Cu+ तथा Sc3+ रंगहीन होते हैं।

प्रश्न 19.
प्रथम संक्रमण श्रेणी की धातुओं की +2 ऑक्सीकरण अवस्थाओं के स्थायित्व की तुलना कीजिए।
उत्तर
प्रथमें संक्रमण श्रेणी के प्रथम अर्द्धभाग में बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के साथ प्रथम तथा द्वितीय आयनन एन्थैल्पियों का योग बढ़ता है। अत: मानक अपचायक विभव (E) कम तथा ऋणात्मक होता है। इसलिए M2+ आयन बनाने की प्रवृत्ति घटती है। अत: +2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रथम अर्द्ध-भाग में अधिक स्थायी होती है। +2 ऑक्सीकरण अवस्था का अधिक स्थायित्व, Mn2+ में अर्द्धपूरित d-उपकोशों (d5) के कारण, Zn2+ में पूर्णपूरित d-उपकोशों (d10) के कारण तथा निकिल में उच्च ऋणात्मक जलयोजन एन्थैल्पी के कारण होता है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित के सन्दर्भ में लैन्थेनाइड एवं ऐक्टिनाइड के रसायन की तुलना कीजिए –

  1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
  2. परमाण्वीय एवं आयनिक आकार
  3. ऑक्सीकरण अवस्था
  4. रासायनिक अभिक्रियाशीलता।

उत्तर
1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration) – लैन्थेनाइडों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Xe]54 4f1-14 5d0-1 6s2 होता है, जबकि ऐक्टिनाइडों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Rn]86 5f1-14 6d1-2 7s2 होता है। अतः लैन्थेनाइड 4f श्रेणी से तथा ऐक्टिनाइड 5f श्रेणी से सम्बद्ध होते हैं।

2. परमाण्वीय एवं आयनिक आकार (Atomic and ionic sizes) – लैन्थेनाइड तथा ऐक्टिनाइड दोनों +3 ऑक्सीकरण अवस्था में अपने परमाणुओं अथवा आयनों के आकारों में कमी प्रदर्शित करते हैं। लैन्थेनाइडों में यह कमी लैन्थेनाइड आकुंचन कहलाती है, जबकि ऐक्टिनाइडों में यह ऐक्टिनाइड आकुंचन कहलाती है। यद्यपि ऐक्टिनाइडों में एक तत्व से दूसरे तत्व तक 5f-इलेक्ट्रॉनों द्वारा अत्यन्त कम परिरक्षण प्रभाव के कारण आकुंचन उत्तरोत्तर बढ़ता है।

3. ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation states) – लैन्थेनाइड सीमित ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (+2, + 3, +4) प्रदर्शित करते हैं जिनमें +3 ऑक्सीकरण अवस्था सबसे अधिक सामान्य है। इसका कारण 4f, 5d तथा 6s उपकोशों के बीच अधिक ऊर्जा-अन्तर होना है। दूसरी ओर ऐक्टिंनाइड अधिक संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं क्योंकि 5f,6d तथा 7s उपकोशों में ऊर्जा-अन्तर कम होता है।

4. रासायनिक अभिक्रियाशीलता (Chemical reactivity) – लैन्थेनाइड (Lanthanides) सामान्य रूप से श्रेणी के आरम्भ वाले सदस्य अपने रासायनिक व्यवहार में कैल्सियम की तरह बहुत क्रियाशील होते हैं, परन्तु बढ़ते परमाणु क्रमांक के साथ ये ऐलुमिनियम की तरह व्यवहार करते हैं।

अर्द्ध- अभिक्रिया Ln3+ (aq) + 3e → Ln(s) के लिए E का मान -2.2 V से -2.4 V के परास में है। Eu के लिए E का मान -2.0 V है। निस्सन्देह मान में थोड़ा-सा परिवर्तन है। हाइड्रोजन गैस के वातावरण में मन्द गति से गर्म करने पर ये धातुएँ हाइड्रोजन से संयोग कर लेती हैं। इन धातुओं को कार्बन के साथ गर्म करने पर कार्बाइड- Ln3C, Ln2C3 तथा LnC2 बनते हैं। ये तनु अम्लों से हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं तथा हैलोजेन के वातावरण में जलने पर हैलाइड बनाती हैं। ये ऑक्साइड M2O3 तथा हाइड्रॉक्साइड M(OH)3 बनाती हैं। हाइड्रॉक्साइड निश्चित यौगिक हैं न कि केवल हाइड्रेटेड (जलयोजित) ऑक्साइड। ये क्षारीय मृदा धातुओं के ऑक्साइड तथा हाइड्रॉक्साइड की भाँति क्षारकीय होते हैं। इनकी सामान्य अभिक्रियाएँ चित्र-3 में प्रदर्शित की गई हैं।
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ऐक्टिनाइड (Actinides) – ऐक्टिनाइड अत्यधिक अभिक्रियाशील धातुएँ हैं, विशेषकर जब वे सूक्ष्मविभाजित हों। इन पर उबलते हुए जल की क्रिया से ऑक्साइड तथा हाइड्राइड का मिश्रण प्राप्त होता है और अधिकांश अधातुओं से संयोजन सामान्य ताप पर होता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल सभी धातुओं को प्रभावित करता है, परन्तु अधिकतर धातुएँ नाइट्रिक अम्ल द्वारा अल्प प्रभावित होती हैं, इसका कारण यह है कि इन धातुओं पर ऑक्साइड की संरक्षी सतह बन जाती है। क्षारों का इन धातुओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रश्न 21.
आप निम्नलिखित को किस प्रकार से स्पष्ट करेंगे –

  1. d4 स्पीशीज में से Cr2+ प्रबल अपचायक है, जबकि मैंगनीज (III) प्रबल ऑक्सीकारक है।
  2. जलीय विलयन में कोबाल्ट (II) स्थायी है, परन्तु संकुलनकारी अभिकर्मकों की उपस्थिति में यह सरलतापूर्वक ऑक्सीकृत हो जाता है।
  3. आयनों का d1 विन्यास अत्यन्त अस्थायी है।

उत्तर

  1. Cr2+ प्रबल ऑक्सीकारक होता है क्योंकि इसमें 3d4 से 3d3 का परिवर्तन निहित है। 3d3 विन्यास (t32g) अधिक स्थायी है। Mn3+ के ऑक्सीकारक गुणों में 3d4 से 3d5 का परिवर्तन होता है। तथा 3d5 अधिक स्थायी विन्यास है। यही कारण है कि Mn3+ प्रबल ऑक्सीकारक है।
  2. जटिलीकरण (complexing) अभिकर्मकों की उपस्थिति में क्रिस्टल फील्ड स्थिरीकरण ऊर्जा (CFSE) कोबाल्ट की तृतीय आयनन एन्थैल्पी से अधिक होती है। इस प्रकार Co (II) सरलता से Co (III) में ऑक्सीकृत हो जाता है।
  3. वे आयन जिनमें d1 विन्यास होता है, वे d-उपकक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉन को त्यागने की प्रवृत्ति रखते हैं तथा अधिक स्थायी d0 विन्यास प्राप्त कर लेते हैं। यह सरलता से सम्पन्न हो सकता है। क्योंकि जलयोजन या जालक ऊर्जा का मान d-उपकक्ष से इलेक्ट्रॉन के पृथक्कीकरण में निहित आयनन एन्थैल्पी से अधिक होता है।

प्रश्न 22.
असमानुपातन से आप क्या समझते हैं? जलीय विलयन में असमानुपातन अभिक्रियाओं के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
किसी रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप किसी पदार्थ का एक समय में ऑक्सीकरण व अपचयन समानुपातीकरण कहलाता है। इस प्रकार, पदार्थ की ऑक्सीकरण अवस्था बढ़ती भी है तथा घटती भी है। जैसे,
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प्रश्न 23.
प्रथम संक्रमण श्रेणी में कौन-सी धातु बहुधा तथा क्यों +1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती हैं?
उत्तर
Cu(3d10 4s1) प्रायः +1 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है तथा Cu+ आयन (3d10) बनाता है, जिसकी अधिक स्थायी विन्यास होता है।

प्रश्न 24.
निम्नलिखित गैसीय आयनों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की गणना कीजिए –
Mn3+, Cr3+, v3+ तथा Ti3+
इनमें से कौन-सा जलीय विलयन में अतिस्थायी है?
उत्तर
Mn3+; 3d4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 4
Cr3+; 3d3 अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 3
V3+; 3d3 अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 2
Ti3+; 3d1 अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 1
इनमें से Cr3+ जलीय विलयन में अतिस्थायी हैं, क्योंकि इनमें अर्द्धपूरित t2g स्तर होता है।

प्रश्न 25.
उदाहरण देते हुए संक्रमण धातुओं के रसायन के निम्नलिखित अभिलक्षणों का कारण बताइए –

  1. संक्रमण धातु का निम्नतम ऑक्साइड क्षारकीय है, जबकि उच्चतम ऑक्साइड उभयधर्मी या अम्लीय है।
  2. संक्रमण धातु की उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था ऑक्साइडों तथा फ्लुओराइडों में। प्रदर्शित होती है।
  3. धातु के ऑक्सोऋणायनों में उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित होती है।

उत्तर

  1. निम्नतम ऑक्साइड में संक्रमण धातु की ऑक्सीकरण अवस्था सबसे कम होती है। इसलिए ऑक्साइड क्षारीय होता है तथा उच्च ऑक्सीकरण अवस्था प्राप्त करने के लिए अम्ल से क्रिया कर ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति रखता है। जबकि उच्चतम ऑक्साइड उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में बनते हैं। परिणामस्वरूप, ये ऑक्साइड अम्लीय या उभयधर्मी होते हैं।
  2. संक्रमण धातु की उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था ऑक्साइडों तथा फ्लुओराइडों में प्रदर्शित होती है। क्योंकि ऑक्सीजन तथा फ्लुओरीन उच्च विद्युत ऋणात्मक तत्त्व हैं तथा आकर में छोटे होते हैं। ये प्रबल ऑक्सीकारक होते हैं। उदाहरणार्थ– ऑस्मियम, OsF6 में +6 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है तथा वेनेडियम, V2O5 में +5 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
  3. धातु ऑक्सोऋणायनों में उच्च ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित होती है जैसे- Cr2O2-7 में Cr की ऑक्सीकरण अवस्था +6 है, जबकि MnO4 में Mn की ऑक्सीकरण अवस्था +7 है। धातु का ऑक्सीजन से संयोग का कारण यह है कि ऑक्सीजन उच्च विद्युत ऋणात्मक तथा ऑक्सीकरक तत्त्व है।

प्रश्न 26.
निम्नलिखित को बनाने के लिए विभिन्न पदों का उल्लेख कीजिए –

  1. क्रोमाइट अयस्क से K2Cr2O7 (2018)
  2. पाइरोलुसाइट से KMnO4

उत्तर

  1. क्रोमाइट अयस्क से K2Cr2O7 (K2Cr2O7 from chromite ore) – अभ्यास प्रश्न 14 का उत्तर देखें।
  2. पाइरोलुसाइट से KMnO4(KMnO4 from pyrolusite) – अभ्यास प्रश्न 16 का (ii) देखें।

प्रश्न 27.
मिश्रातुएँ क्या हैं? लैन्थेनाइड धातुओं से युक्त एक प्रमुख मिश्रातु का उल्लेख कीजिए। इसके उपयोग भी बताइए।
उत्तर
दो या दो से अधिक धातुओं या धातुओं व अधातुओं का समांग मिश्रण मिश्रातु कहलाती है। मिश धातु एक महत्त्वपूर्ण मिश्रातु है, जिसमें 30-35% सीरियम तथा कुछ मात्रा में अन्य हल्की लैन्थेनाइड धातु Zr होती है। यह धातुकर्म में अपचायक के रूप में प्रयोग होती है। 30% मिश्रातु तथा 1% Zr धातु युक्त मैग्नीशियम मिश्रातु का प्रयोग जेट इंजन में किया जाता है।

प्रश्न 28.
आन्तरिक संक्रमण तत्व क्या हैं? बताइए कि निम्नलिखित में कौन-से परमाणु क्रमांक आन्तरिक संक्रमण तत्वों के हैं –
29, 59, 74, 95, 102, 104
उत्तर
वे तत्त्व जिनमें विभेदी इलेक्ट्रॉन (n – 2) f-उपकक्षक में प्रवेश करता है, अन्त: संक्रमण तत्त्व कहलाते हैं। दिये गये तत्त्वों में 59,95 तथा 102 परमाणु क्रमांक वाले तत्त्व अन्त: संक्रमण तत्त्व हैं।

प्रश्न 29.
ऐक्टिनाइड तत्वों का रसायन उतना नियमित नहीं है जितना कि लैन्थेनाइड तत्वों का रसायन। इन तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं के आधार पर इस कथन का आधार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
लैन्थेनाइडों की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ +2, +3 तथा +4 हैं। इनमें से +3 अवस्था सर्वाधिक सामान्य है। ऑक्सीकरण अवस्थाओं की सीमित संख्या का कारण 4f, 5d तथा 6s उपकक्षाओं के बीच अधिक ऊर्जा अन्तर होना है। इसके विपरीत, ऐक्टिनाइड अनेक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ जैसे +2, +3, +4, +5, +6 तथा +7 प्रदर्शित करते हैं, यद्यपि इनकी सामान्य अवस्था +3 होती है। इसका कारण यह है कि 5f, 6d तथा 7s उपकक्षाओं के बीच ऊर्जा का अन्तर कम होता है।

प्रश्न 30.
ऐक्टिनाइड श्रेणी का अन्तिम तत्व कौन-सा है? इस तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। इस तत्व की सम्भावित ऑक्सीकरण अवस्थाओं पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर
ऐक्टिनाइड श्रेणी का अन्तिम तत्त्व लॉरेन्शियम (Lr) है तथा इसका परमाणु क्रमांक 103 होता है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Rn]5f14 6d1 7s2 है तथा सम्भावित ऑक्सीकरण अवस्था +3 है।

प्रश्न 31.
हुण्ड-नियम के आधार पर Ce3+ आयन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को व्युत्पन्न कीजिए तथा ‘प्रचक्रण मात्र सूत्र के आधार पर इसके चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए।
उत्तर
Ce तथा Ce3+ आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न है –
Ce (Z = 58) : 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d10 4s2 4p6
4d10 4f1 5s2 5p6 5d1 6s2 या : [Xe] 4f1 5d1 6s2
Ce3+ (z = 55) : [Xe]4f1
इस प्रकार Ce+ में केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होता है, अर्थात् n = 1
∴ μs = [latex]\sqrt { n(n+2) } [/latex] BM
= [latex]\sqrt { 1\times (1+2) } =\sqrt { 3 } [/latex]
= 1.732 BM

प्रश्न 32.
लैन्थेनाइड श्रेणी के उन सभी तत्वों का उल्लेख कीजिए जो +4 तथा जो +2 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाते हैं। इस प्रकार के व्यवहार तथा उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के बीच सम्बन्ध स्थापित कीजिए। उत्तर
+4 ऑक्सीकरण अवस्था : Ce, Pr, Nd, Tb तथा Dy
+2 ऑक्सीकरण अवस्था : Ce, Nd, Sm, Tm तथा Yb
ये तत्त्व +2 ऑक्सीकरण अवस्था उस समय प्रदर्शित करते हैं जब इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 5d0 6s2 होता है। इसके विपरीत, +4 अवस्था उस समय प्रदर्शित की जाती है जब इनका शेष विन्यास 4f0 के समीप (जैसे 4f1, 4f2, 4f3) या 4f7 की समीप (जैसे 4f8, 4f9) होता है।

प्रश्न 33.
निम्नलिखित के सन्दर्भ में ऐक्टिनाइड श्रेणी के तत्वों तथा लैन्थेनाइड श्रेणी के तत्वों के रसायन की तुलना कीजिए –
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
(ii) ऑक्सीकरण अवस्थाएँ।
(iii) रासायनिक अभिक्रियाशीलता।
उत्तर
1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration) – लैन्थेनाइडों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Xe]54 4f1-14 5d0-1 6s2 होता है, जबकि ऐक्टिनाइडों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Rn]86 5f1-14 6d1-2 7s2 होता है। अतः लैन्थेनाइड 4f श्रेणी से तथा ऐक्टिनाइड 5f श्रेणी से सम्बद्ध होते हैं।

2. ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation states) – लैन्थेनाइड सीमित ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (+2, + 3, +4) प्रदर्शित करते हैं जिनमें +3 ऑक्सीकरण अवस्था सबसे अधिक सामान्य है। इसका कारण 4f, 5d तथा 6s उपकोशों के बीच अधिक ऊर्जा-अन्तर होना है। दूसरी ओर ऐक्टिंनाइड अधिक संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं क्योंकि 5f,6d तथा 7s उपकोशों में ऊर्जा-अन्तर कम होता है।

3. रासायनिक अभिक्रियाशीलता (Chemical reactivity) – लैन्थेनाइड (Lanthanides) सामान्य रूप से श्रेणी के आरम्भ वाले सदस्य अपने रासायनिक व्यवहार में कैल्सियम की तरह बहुत क्रियाशील होते हैं, परन्तु बढ़ते परमाणु क्रमांक के साथ ये ऐलुमिनियम की तरह व्यवहार करते हैं।

अर्द्ध- अभिक्रिया Ln3+ (aq) + 3e → Ln(s) के लिए E का मान -2.2 V से -2.4 V के परास में है। Eu के लिए E का मान -2.0 V है। निस्सन्देह मान में थोड़ा-सा परिवर्तन है। हाइड्रोजन गैस के वातावरण में मन्द गति से गर्म करने पर ये धातुएँ हाइड्रोजन से संयोग कर लेती हैं। इन धातुओं को कार्बन के साथ गर्म करने पर कार्बाइड- Ln3C, Ln2C3 तथा LnC2 बनते हैं। ये तनु अम्लों से हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं तथा हैलोजेन के वातावरण में जलने पर हैलाइड बनाती हैं। ये ऑक्साइड M2O3 तथा हाइड्रॉक्साइड M(OH)3 बनाती हैं। हाइड्रॉक्साइड निश्चित यौगिक हैं न कि केवल हाइड्रेटेड (जलयोजित) ऑक्साइड। ये क्षारीय मृदा धातुओं के ऑक्साइड तथा हाइड्रॉक्साइड की भाँति क्षारकीय होते हैं। इनकी सामान्य अभिक्रियाएँ चित्र-3 में प्रदर्शित की गई हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 11
ऐक्टिनाइड (Actinides) – ऐक्टिनाइड अत्यधिक अभिक्रियाशील धातुएँ हैं, विशेषकर जब वे सूक्ष्मविभाजित हों। इन पर उबलते हुए जल की क्रिया से ऑक्साइड तथा हाइड्राइड का मिश्रण प्राप्त होता है और अधिकांश अधातुओं से संयोजन सामान्य ताप पर होता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल सभी धातुओं को प्रभावित करता है, परन्तु अधिकतर धातुएँ नाइट्रिक अम्ल द्वारा अल्प प्रभावित होती हैं, इसका कारण यह है कि इन धातुओं पर ऑक्साइड की संरक्षी सतह बन जाती है। क्षारों का इन धातुओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रश्न 34.
61, 91, 101 तथा 109 परमाणु क्रमांक वाले तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर
Z = 61 (प्रोमिथियम, Pr) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास,
[Xe]54 4f5 5d0 6s2
Z = 91 (प्रोटेक्टिनियम, Pa) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास,
[Rn]86 5f2 6d1 7s2
Z = 101 (मेण्डेलीवियम, Md) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
[Rn]86 5f13 6d0 7s2
Z = 109 (मेटनेरियम, Mt) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
[Rn]86 5f14 6d7 7s2

प्रश्न 35.
प्रथम श्रेणी के संक्रमण तत्वों के अभिलक्षणों की द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के वर्गों के संगत तत्वों से क्षैतिज वर्गों में तुलना कीजिए। निम्नलिखित बिन्दुओं पर विशेष महत्त्व दीजिए –

  1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
  2. ऑक्सीकरण अवस्थाएँ
  3. आयनन एन्थैल्पी तथा
  4. परमाण्वीय आकार।

उत्तर
1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration) – एक ही वर्ग के तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास सामान्यतया समान होते हैं। यद्यपि प्रथम संक्रमण श्रेणी दो अपवाद प्रदर्शित करती है –
Cr = 3d5 4s1 तथा Cu = 3d10 4s1, परन्तु द्वितीय श्रेणी इससे अधिक अपवाद प्रदर्शित करती है –
Mo (42) = 4d5 5s1, Tc (43) = 4d6 5s1, Ru (44) = 4d7 5s1, Rh (45) = 4d8 5s1, Pd (46) = 4d210 5s0, Ag (47) = 4d10 5s1। इसी प्रकार, तृतीय श्रेणी में W (74) = 5d4 6s1, Pt (78) = 5d9 6s1 तथा Au (79) = 5d10 6s1 अपवाद हैं। इसलिए क्षैतिज वर्ग में अनेक स्थितियों में, तीनों श्रेणियों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान नहीं हैं।

2. ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (Oxidation states) – समान क्षैतिज वर्ग में तत्व सामान्यतया समान ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं। प्रत्येक श्रेणी के मध्य में तत्वों द्वारा प्रदर्शित ऑक्सीकरण अवस्थाओं की संख्या अधिकतम होती है, जबकि अन्त में न्यूनतम होती है।

3. आयनन एन्थैल्पी (Ionization enthalpy) – प्रत्येक श्रेणी में बाएँ से दाएँ जाने पर प्रथम आयनन एन्थैल्पी सामान्यतया धीरे-धीरे बढ़ती है, यद्यपि प्रत्येक श्रेणी में कुछ अपवाद भी प्रेक्षित होते हैं। समान क्षैतिज वर्ग में 3d श्रेणी के तत्वों की तुलना में 4d श्रेणी के कुछ तत्वों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी उच्च तथा कुछ तत्वों की कम होती है, यद्यपि 5d श्रेणी की प्रथम आयनन एन्थैल्पी 3d तथा 4d श्रेणियों की तुलना में उच्च होती है। इसका कारण 5d श्रेणी में 4f इलेक्ट्रॉनों पर नाभिक का दुर्बल परिरक्षण प्रभाव है।

4. परमाण्वीय आकार (Atomic sizes) – सामान्यतया किसी श्रेणी में समान आवेश के आयन अथवा परमाणु, परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ त्रिज्याओं में क्रमिक कमी प्रदर्शित करते हैं, यद्यपि यह कमी अत्यन्त कम होती है। परन्तु 4d श्रेणी के परमाणुओं के आकार, 3d श्रेणी के सम्बन्धित तत्वों की तुलना में अधिक होते हैं, जबकि 5d श्रेणी के सम्बन्धित तत्वों के आकार के लगभग समान होते हैं। इसका कारण लैन्थेनाइड आकुंचन है।

प्रश्न 36.
निम्नलिखित आयनों में प्रत्येक के लिए 3d इलेक्ट्रॉनों की संख्या लिखिए –
Ti2+, V2+, Cr3+, Mn2+, Fe2+, Fe3+, Co2+, Ni2+, Cu2+
आप इन जलयोजित आयनों (अष्टफलकीय) में पाँच 3d कक्षकों को किस प्रकार अधिग्रहीत करेंगे? दर्शाइए।
उत्तर
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प्रश्न 37.
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व भारी संक्रमण तत्वों के अनेक गुणों से भिन्नता प्रदर्शित करते हैं। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर
दिया गया कथन सत्य है। इस कथन के पक्ष में कुछ प्रमाण निम्नलिखित हैं –

  1. भारी संक्रमण तत्वों (4d तथा 5d श्रेणियाँ) की परमाणु त्रिज्याएँ प्रथम संक्रमण श्रेणी के सम्बन्धित तत्वों की तुलना में अधिक होती हैं, यद्यपि 4d तथा 5d श्रेणियों की परमाणु त्रिज्याएँ लगभग समान होती हैं।
  2. 5d श्रेणी की आयनन एन्थैल्पियाँ 3d तथा 4d श्रेणियों के सम्बन्धित तत्वों से उच्च होती हैं।
  3. 4d तथा 5d श्रेणियों की कणन एन्थैल्पियाँ प्रथम श्रेणी के सम्बन्धित तत्वों की तुलना में उच्च होती हैं।
  4. भारी संक्रमण तत्वों के गलनांक तथा क्वथनांक प्रथम संक्रमण श्रेणी की तुलना में अधिक होते हैं। इसका कारण इनमें प्रबल अन्तराधात्विक बन्धों की उपस्थिति है।

प्रश्न 38.
निम्नलिखित संकुल स्पीशीज के चुम्बकीय आघूर्णो के मान से आप क्या निष्कर्ष निकालेंगे?
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उत्तर
यदि किसी जटिल यौगिक में ‘n’ अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, तो इसका चक्रण के कारण चुम्बकीय आघूर्ण निम्न प्रकार प्राप्त किया जा सकता है –
μs = [latex]\sqrt { n(n+2) } [/latex] BM
∴ जब n = 1, μs = [latex]\sqrt { 1(1+2) } [/latex] = 1.73 BM
n = 2, μs = [latex]\sqrt { 2(2+2) } [/latex] = 2.83 BM
n = 3, μs = [latex]\sqrt { 3(3+2) } [/latex] = 3.87 BM
n = 4, μs = [latex]\sqrt { 4(4+2) } [/latex] = 4.9 BM
n = 5, μs = [latex]\sqrt { 5(5+2) } [/latex] = 5.92 BM

(i) K4[Mn(CN)6] का चुम्बकीय आघूर्ण 2.2 BM है। इससे स्पष्ट है कि इसमें केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है। इस जटिल यौगिक में Mn की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है। अतएव यह Mn2+ के रूप में है। Mn2+ का अभिविन्यास 3d होता है। एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति स्पष्ट करती है कि CN लीगैण्ड ने निम्नानुसार इलेक्ट्रॉनों को हुण्ड के नियम के विपरीत युग्मित कर दिया है –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 16
इस प्रकार यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि CN एक प्रबल लीगैण्ड है तथा जटिल यौगिक के बनने में d2 sp3 संकरण होता है। अत: जटिल यौगिक एक आन्तरिक ऑर्बिटल अष्टफलकीय जटिल यौगिक है।

(ii) [Fe(H2O)6]2+ का चुम्बकीय आघूर्ण 5.3 है। इससे स्पष्ट है कि इसमें 4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं। इसमें Fe की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है। इस प्रकार यह Fe2+ आयन के रूप में है, जिसको अभिविन्यास 3d6 है। यौगिक में 4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति सिद्ध करती है कि H2O लीगैण्ड दुर्बल है तथा इलेक्ट्रॉनों को युग्मित करने में असमर्थ है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 17
इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकलता है कि H2O एक दुर्बल लीगण्ड है तथा इसमें sp3 d2 संकरण होता है। यह एक बाह्य ऑर्बिटल अष्टफलकीय जटिल यौगिक है।

(iii) K2[MnCl4] का चुम्बकीय आघूर्ण 5.9 है, जिससे स्पष्ट है कि इसमें 5 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं। Mn की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है। अत: यह Mn2+ अवस्था में है तथा इसका विन्यास 3d5 है। 5 अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति से स्पष्ट है कि Cl दुर्बल लीगैण्ड है तथा इलेक्ट्रॉन का युग्मन करने में असमर्थ है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 18
इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि Cl एक दुर्बल लीगैण्ड है तथा जटिल यौगिक में sp3 संकरण है। अतएव यह एक समचतुष्फलकीय जटिल यौगिक है।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संक्रमण श्रेणी धातुओं का विशिष्ट गुण है –
(i) ये परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करती हैं।
(ii) ये सभी धातु उत्प्रेरक का कार्य करती हैं।
(iii) ये रंगीन यौगिक बनाती हैं।
(iv) उपर्युक्त सभी
उत्तर
(iv) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 2.
संक्रमण तत्त्व संकुल यौगिक बनाते हैं क्योंकि –
(i) रिक्त कक्षकों की उपलब्धता होती है।
(ii) धातु आयनों का आकार छोटा होता है।
(iii) परिवर्तनीय ऑक्सीकरण अवस्था होती है।
(iv) उपर्युक्त सभी
उत्तर
(iv) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3.
संक्रमण तत्वों में 4d श्रेणी का तत्त्व है – (2015)
(i) 37A
(ii) 47B
(iii) 57C
(iv) 30D
उत्तर
(ii) 47B

प्रश्न 4.
कौन-सा तत्त्व d-ब्लॉक तत्त्व तो है किन्तु संक्रमण धातु नहीं है?
(i) Zn
(ii) Cu
(iii) Cr
(iv) Mn
उत्तर
(i) Zn

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में अनुचुम्बकीय यौगिक है – (2017)
(i) CuCl
(ii) AgNO3
(iii) FeSO4
(iv) ZnCl2
उत्तर
(iii) FeSO4

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आयनों में अनुचुम्बकीय आयन कौन-सा नहीं है? (2013)
(Ni= 28, Zn= 30, Cu= 29, Mn= 25)
(i) Ni++
(ii) Zn++
(iii) Cu+
(iv) Mn++
उत्तर
(ii) Zn++

प्रश्न 7.
निम्न में अनुचुम्बकीय आयन है। (2013, 16)
(i) Zn2+
(ii) Ni2+
(iii) Cu+
(iv) Ag+
उत्तर
(ii) Ni2+

प्रश्न 8.
निम्न में से रंगहीन आयन है। (2013)
(i) Cu+
(ii) Cu2+
(iii) Ni2+
(iv) Fe3+
उत्तर
(i) Cu+

प्रश्न 9.
एक संक्रमण धातु की अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्था प्राप्त करने में कौन-से इलेक्ट्रॉन मुक्त होते हैं? (2018)
(i) ns इलेक्ट्रॉन
(ii) (n + 1) d इलेक्ट्रॉन
(iii) (n – 1)d इलेक्ट्रॉन
(iv) ns + (n – 1) d इलेक्ट्रॉन
उत्तर
(iv) ns + (n – 1) d इलेक्ट्रॉन

प्रश्न 10.
संक्रमण धातु जो परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था नहीं प्रदर्शित करता है, है (2014)
(i) Ti
(ii) V
(iii) Fe
(iv) Zn
उत्तर
(iv) Zn

प्रश्न 11.
दुर्लभ मृदा तत्त्व हैं –
(i) क्षारीय मृदा तत्त्व
(ii) क्षारीय तत्त्व
(iii) संक्रमण श्रेणी के तत्त्व
(iv) लैन्थेनाइड
उत्तर
(iv) लैन्थेनाइड

प्रश्न 12.
निम्न तत्त्वों में लैन्थेनाइड तत्त्व है – (2015)
(i) Ra
(ii) Ce
(iii) Ac
(iv) Zr
उत्तर
(ii) Ce

प्रश्न 13.
लैन्थेनाइडों का सामान्य बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है –
(i) 4f1-14 5d0 6s2
(ii) 4f0,2-14 5d0 6s2
(iii) 4f20-14 5d0-2 6s2
(iv) 4f0-14 5d1 6s2
उत्तर
(ii) 4f0,2-14 5d0 6s2

प्रश्न 14.
लैन्थेनाइड निम्न ऋणायन के साथ संकुल बनाते हैं।
(i) F
(ii) Br
(iii) Cl
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(i) F

प्रश्न 15.
लैन्थेनाइडों के परमाणु क्रमांक के बढ़ने के साथ परमाणवीय त्रिज्या में कमी होती है, किन्तु अपवाद है।
(i) Gd व Lu
(ii) Eu व Yb
(iii) Na व Ho
(iv) Dy व Ho
उत्तर
(ii) Eu व Yb

प्रश्न 16.
लैन्थेनाइड संकुचन के कारण पश्च लैन्थेनाइडों में
(i) आयनन ऊर्जा अधिक हो जाती है।
(ii) घनत्व उच्च हो जाता है।
(iii) आयनिक त्रिज्या कम हो जाती है।
(iv) ये सभी
उत्तर
(iv) ये सभी

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संक्रमण तत्त्वों की परमाणु त्रिज्याएँ किसी श्रेणी में किस प्रकार परिवर्तित होती हैं? (2014)
उत्तर
सामान्यत: एक विशिष्ट श्रेणी से सम्बन्धित संक्रमण तत्त्वों की परमाणु त्रिज्याएँ परमाणु क्रमांक के बढ़ने के साथ घटती जाती हैं। प्रत्येक श्रेणी के अन्त में परमाणु त्रिज्याओं में थोड़ी वृद्धि देखने को मिलती है। समूह में नीचे की ओर जाने पर संक्रमण तत्त्वों की परमाणु त्रिज्याओं में वृद्धि होती है। द्वितीय और तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्त्वों की परमाणु त्रिज्याएँ लगभग समान रहती हैं।

प्रश्न 2.
संक्रमण तत्त्व धात्विक लक्षण क्यों प्रदर्शित करते हैं? (2014)
उत्तर
संक्रमण तत्त्व धात्विक लक्षण प्रदर्शित करते हैं क्योंकि उनकी आयनन ऊर्जाएँ निम्न होती हैं तथा । उनके बाह्यतम कोश में अनेक रिक्त कक्षक भी उपस्थित होते हैं। ये कारक उनमें धात्विक आबन्धों के निर्माण में सहायता करते हैं।

प्रश्न 3.
विलयन में Cu’ आयन रंगहीन जबकि Cu2+ आयन रंगीन होते हैं। क्यों? (2017)
उत्तर
Cu+ – 1s2, 252, 2p6, 3s2, 3p6, 3d10, 4s0, चूंकि सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित हैं इसलिए Cu+ आयन रंगहीन है। Cu2+ आयन में एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है इसलिए यह नीले रंग का है।
Cu2+ – 1s2, 2s2, 2p6, 3s2, 3p6, 3d9
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प्रश्न 4.
Mn3+ आयन की अपेक्षा Mn2+ आयन अधिक स्थायी होते हैं। क्यों? (2017)
उत्तर
हम जानते हैं कि आधे और पूरे भरे हुए ऑर्बिटल अधिक स्थायी होते हैं। Mn2+ में 3d पर पाँच इलेक्ट्रॉन हैं जोकि आधा भरा हुआ है। इसलिए Mn3+ आयन की अपेक्षा Mn2+ आयन अधिक स्थायी होते हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 20

प्रश्न 5.
आयतनात्मक विश्लेषण में पोटैशियम परमैंगनेट विलयन को अम्लीकृत करने के लिए तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के स्थान पर HNO3 का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता है? (2015)
उत्तर
आयतनात्मक विश्लेषण में KMnO4 विलयन को अम्लीकृत करने के लिए dil. H2SO4 का प्रयोग किया जाता है न कि HNO3 का क्योकि HNO3 स्वयं ऑक्सीकारक है और आंशिक रूप से अपचायक को ऑक्सीकृत कर देता है।
2KMnO4 + 3H2SO4 → K2SO4 + 2MnSO4 + 3H2O + 5[O]
Reducing agent + [O] → Oxidised product

प्रश्न 6.
आन्तरिक (अन्तः) संक्रमण तत्त्व क्या हैं? (2014)
उत्तर
जिन तत्त्वों में विभेदी इलेक्ट्रॉन (n- 2) f- कक्षकों में प्रवेश करता है वे तत्त्व आन्तरिक (अन्तः) संक्रमण तत्त्व कहलाते हैं। ये तत्त्व आवर्त सारणी में एक अलग ब्लॉक, f-ब्लॉक का निर्माण करते हैं; अत: इन्हें f- ब्लॉक के तत्त्व भी कहते हैं।

प्रश्न 7.
लैन्थेनाइड व ऐक्टिनाइड श्रेणियों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। या अन्तः संक्रमण तत्त्वों के सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। (2014)
उत्तर
लैन्थेनाइड्स के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निश्चित रूप से ज्ञात नहीं हैं। अधिकांश तत्त्वों में विभेदी इलेक्ट्रॉन 4f- उपकोश में प्रवेश करता है; अतः इन तत्त्वों का सैद्धान्तिक इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Xe] 4fn 5d1 6s2 प्रकार का होता है।
चूँकि 4f- उपकोश की ऊर्जा 5d-उपकोश की ऊर्जा के काफी निकट है; अत: यह विभेद करना कठिन होता है कि इलेक्ट्रॉन 4f उपकोश में प्रवेश कर रहा है अथवा 5d-उपकोश में। यही कारण है कि इनके प्रागुक्त इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, इनके अवलोकित विन्यासों से भिन्न होते हैं। अवलोकित विन्यास मुख्यत: [Xe] 4fn+1 6s2 प्रकार के होते हैं।
ऐक्टिनाइड्स के इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों को [Rn] 5f1-14 6d0-1 7s2 (अपवाद थोरियम को छोड़कर) के रूप में प्रकट किया जा सकता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संक्रमण तत्त्व क्या हैं? इनकी विशेषताओं को लिखिए। (2014, 16, 17)
या
संक्रमण तत्त्वों के अनुचुम्बकीय लक्षण को स्पष्ट कीजिए। (2018)
उत्तर
वे तत्त्व जिनमें अन्तिम इलेक्ट्रॉन बाह्य कोश से पहले वाले कोश के पाँच d-कक्षकों में से किसी भी एक कक्ष में प्रवेश करता है, d-ब्लॉक के तत्त्व कहलाते हैं। इनमें विभेदी इलेक्ट्रॉन (n-1) d-कक्षकों में प्रवेश पाता है। चूँकि इन तत्त्वों के गुण s-ब्लॉक तथा p-ब्लॉक के तत्त्वों के गुणों के मध्यवर्ती होते हैं अत: इन्हें संक्रमण तत्त्व भी कहते हैं।

विशेषताएँ– संक्रमण तत्त्वों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – संक्रमण तत्त्वों में बाह्यकोश से पिछले कोश के d ऑर्बिटलों में इलेक्ट्रॉन भरते हैं। इसके बाह्यतम दो कोशों का विन्यास इस प्रकार होता है –
(n – 1)s2 (n – 1)p6 (n-1)d1 to 10 ns1 or 2 या ns0

2. परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थाएँ – d-ब्लॉक (संक्रमण) तत्त्वों में ns ऑर्बिटल और (n – 1)d ऑर्बिटल दोनों के इलेक्ट्रॉन रासायनिक बन्ध बनाने में भाग लेते हैं। इसलिए संक्रमण तत्त्व परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं।
संक्रमण तत्त्वों में (n – 1)d और ns ऊर्जा स्तरों की ऊर्जा में थोड़ा अन्तर होने के कारण ये इलेक्ट्रॉन रासायनिक बन्ध बनाने में भाग ले सकते हैं। इसलिए संक्रमण तत्त्व परिवर्ती ऑक्सीकरण संख्या प्रदर्शित करते हैं।

3. उत्प्रेरक गुण – संक्रमण धातु और उनके यौगिकों में उत्प्रेरकीय गुण होते हैं। यह गुण उनकी परिवर्ती संयोजकता एवं उनके पृष्ठ पर उपस्थित मुक्त संयोजकताओं के कारण होता है।

4. रंगीन आयन व रंगीन यौगिक बनाने की प्रवृत्ति – संक्रमण तत्त्वों में d ऑर्बिटल आंशिक रूप से भरे होने के कारण ये रंगीन आयन व रंगीन यौगिक बनाते हैं।

5. आयनन विभव में परिवर्तन – संक्रमण धातुओं के प्रथम आयनन विभव दीर्घ आवर्गों में स्थित s-ब्लॉक और p ब्लॉक तत्त्वों के आयनन विभवों के बीच के हैं। प्रथम संक्रमण श्रेणी में तत्त्वों के प्रथम आयनन विभवों के मान 6 से 10 eV के मध्य है। किसी संक्रमण धातु परमाणु के उत्तरोत्तर (successive) आयनन विभव कम से बढ़ते हैं। संक्रमण धातु क्षार धातुओं (उपवर्ग IA) और क्षारीय मृदा-धातुओं (उपवर्ग IIA) से कम धन विद्युत होने के कारण आयनिक और सहसंयोजक दोनों प्रकार के यौगिक बनाते हैं।

6. चुम्बकीय लक्षण – अनेक संक्रमण तत्त्व उनके यौगिक अनुचुम्बकीय हैं। इसका कारण उनमें (n – 1) d कक्षकों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति है। किसी संक्रमण श्रेणी में बायें से दायें जाने पर जैसे-जैसे अयुग्मि इलेक्ट्रॉनों की संख्या एक से पाँच तक बढ़ती है, संक्रमण धातु आयन में अनुचुम्बकीय लक्षण बढ़ता है। अधिकतम अनुचुम्बकीय लक्षण श्रेणी के बीच में पाया जाता है और आगे जाने पर अनुचुम्बकीय लक्षण अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या कम होने से घटता है। वे संक्रमण धातु अथवा आयन जिनमें इलेक्ट्रॉन युग्मित होते हैं, प्रतिचुम्बकीय होते हैं।

प्रश्न 2.
संक्रमण तत्त्व परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था का प्रदर्शन क्यों करते हैं? (2015)
उत्तर
संक्रमण तत्त्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n – 1)d1 – 10 ns1 – 2 है। (n – 1) d-कक्षकों तथा ns- कक्षकों की ऊर्जाओं में अधिक अन्तर नहीं होता है अत: संक्रमण तत्त्वों में, (n – 1)d तथा ns दोनों कक्षकों के आबन्ध निर्माण के लिए उपलब्ध रहती हैं। +1 तथा +2 ऑक्सीकरण अवस्थाओं में ns-इलेक्ट्रॉनों का योगदान होता है, जबकि उच्च ऑक्सीकरण अवस्थाओं जैसे +3, +4,+ 5,+6 आदि, में आबन्ध निर्माण में ns-कक्षकों के साथ (n – 1)d-इलेक्ट्रॉनों का भी योगदान होता है। उत्तेजित अवस्था में (n – 1) d. इलेक्ट्रॉन आबन्ध निर्माण में भाग लेने के लिए स्वतन्त्र हो जाते हैं तथा परमाणु विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करने के योग्य हो जाता है। उदाहरण के लिए, Sc का बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d1 4s2 है। जब यह केवल 4s-इलेक्ट्रॉनों का उपयोग करता है तो +2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है, परन्तु जब यह दोनों 4s- इलेक्ट्रॉनों के साथ एक 3d-इलेक्ट्रॉन का भी उपयोग करता है तो +3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 3.
संक्रमण तत्त्वों में जटिल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति अधिक क्यों होती है? (2017)
उत्तर
संक्रमण तत्त्वों में जटिल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति निम्नलिखित कारणों से अधिक होती है –

  1. धातु आयनों का छोटा आकार
  2. धातु आयनों का उच्च नाभिकीय आवेश
  3. लीगैण्ड द्वारा प्रदान किये गये इलेक्ट्रॉनों के एकाकी युग्मों को ग्रहण करने के लिए उपयुक्त ऊर्जा के रिक्त d-कक्षकों की प्राप्यता।

प्रश्न 4.
ऐक्टिनाइड्स व लैन्थेनाइड्स में मुख्य समानताएँ बताइए। (2015)
उत्तर
चूंकि लैन्थेनाइड्स तथा ऐक्टिनाइड्स दोनों में ही इलेक्ट्रॉन (n- 2) f-उपकोश में प्रवेश पाता है। तथा दोनों के ही बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लगभग समान हैं, अतः ये गुणों में समानताएँ प्रदर्शित करते हैं। इनकी मुख्य समानताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. दोनों में ही (n – 2) f- कक्षक में इलेक्ट्रॉन प्रवेश करता है।
  2. दोनों की प्रमुख ऑक्सीकरण अवस्था +3 है।
  3. परमाणु क्रमांक बढ़ने पर दोनों ही परमाणविक तथा आयनिक आकारों में कमी प्रदर्शित करते हैं (लैन्थेनाइड संकुचन तथा ऐक्टिनाइड संकुचन)।
  4. दोनों ही अधिक क्रियाशील तथा प्रबल विद्युत धनात्मक हैं।
  5. दोनों ही चुम्बकीय गुण प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 5.
लैन्थेनाइड्स व ऐक्टिनाइड्स में अन्तर/ असमानताएँ बताइए। (2014)
उत्तर
लैन्थेनाइड्स व ऐक्टिनाइड्स में निम्नलिखित अन्तर/असमानताएँ हैं –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 8 The d and f Block Elements image 21

प्रश्न 6.
ऐक्टिनाइड्स क्या हैं? इन्हें ऐक्टिनाइड्स क्यों कहा जाता है? इनके प्रमुख उपयोग लिखिए। (2016)
उत्तर
आन्तरिक संक्रमण तत्त्व अथवा f-ब्लॉक तत्त्वों की दो श्रेणियाँ होती हैं –

  1. लैन्थेनाइड श्रेणी तथा
  2. ऐक्टिनाइड श्रेणी।

ऐक्टिनाइड श्रेणी में थोरियम से लेकर लॉरेन्शियम तक के चौदह तत्त्वों को ऐक्टिनाइड्स कहा जाता है। ये तत्त्व आवर्त सारणी में ऐक्टिनियम का अनुसरण करते हैं तथा भौतिक व रासायनिक गुणों में उससे समानता भी प्रकट करते हैं। इसलिए इन्हें ऐक्टिनाइड्स कहा जाता है।
ऐक्टिनाइडों के उपयोग

  1. यूरेनियम तथा प्लूटोनियम का मुख्य उपयोग नाभिकीय रिएक्टर से परमाणु ऊर्जा उत्पादन में ईंधन के रूप में किया जाता है। प्लूटोनियम का उपयोग परमाणु हथियार बनाने में भी किया जाता है।
  2. थोरियम ऑक्साइड का उपयोग चमकने वाले गैस मेन्टल के निर्माण में होता है।
  3. यूरेनियम के लवणों का उपयोग हरे रंग के काँच के निर्माण में होता है।
  4. थोरियम लवण का उपयोग आजकल कैंसर के उपचार में होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संक्रमण तत्त्वों को वर्गीकृत कीजिए तथा आवर्त सारणी में इनका स्थान निर्धारित कीजिए।
उत्तर
संक्रमण तत्त्वों का वर्गीकरण – संक्रमण तत्त्वों का वर्गीकरण (n – 1)d- कक्षकों के आधार पर किया गया है। इस आधार पर संक्रमण तत्त्वों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है जिन्हें संक्रमण श्रेणियाँ (transition series) कहते हैं। प्रत्येक श्रेणी (n – 1)d- कक्षक में इलेक्ट्रॉन-प्रवेश के क्रम के अनुसार है। ये संक्रमण श्रेणियाँ निम्नलिखित हैं –

  1. प्रथम संक्रमण श्रेणी अथवा 3d- श्रेणी – इस श्रेणी में इलेक्ट्रॉन 3d- कक्षक में प्रवेश पाता है। इस श्रेणी में Sc (Z = 21) से Zn (Z = 30) तक 10 तत्त्व हैं। ये तत्त्व आवर्त सारणी के चतुर्थ आवर्त में स्थित हैं।
  2. द्वितीय संक्रमण श्रेणी अथवा 4d- श्रेणी – इस श्रेणी में इलेक्ट्रॉन 4d- कक्षक में प्रवेश पाता है। इस श्रेणी में 10 तत्त्व Y(Z = 39) से Cd (Z = 48) हैं। ये तत्त्व आवर्त सारणी के पाँचवे आवर्त में स्थित हैं।
  3. तृतीय संक्रमण श्रेणी अथवा 5d- श्रेणी – इस श्रेणी में इलेक्ट्रॉन 5d-कक्षक में प्रवेश पाता है। इस श्रेणी में 10 तत्त्व La (Z = 57) तथा Hf (Z = 72) से Hg (Z = 80) हैं। ये तत्त्व आवर्त सारणी के छठे आवर्त में स्थित हैं।
  4. चतुर्थ संक्रमण श्रेणी अथवा 6d- श्रेणी – इस श्रेणी में इलेक्ट्रॉन 6d-कक्षक में प्रवेश पाता है। इस श्रेणी में 10 तत्त्व Ac (Z = 89) तथा Rf (Z = 104) से कॉपरनिसियम (Z = 112) हैं। ये तत्त्व आवर्त सारणी के सातवें आवर्त में स्थित हैं।

आवर्त सारणी में स्थिति – आवर्त सारणी में संक्रमण तत्त्व (d.ब्लॉक तत्त्व) समूह 2 तथा समूह 13 के मध्य स्थित हैं। d-ब्लॉक तत्त्व s-ब्लॉक तथा p-ब्लॉकों के मध्य स्थित हैं। d-ब्लॉक तत्वों को संक्रमण’ की संज्ञा इसी कारण ही प्रदान की गई है। s-ब्लॉक के तत्त्व अत्यधिक विद्युत धनात्मक होते हैं तथा आयनिक यौगिकों के निर्माण की प्रवृत्ति प्रदर्शित करते हैं। इसके विपरीत p-ब्लॉक के तत्त्व विद्युत ऋणात्मक होते हैं। और इनमें सहसंयोजी यौगिकों को बनाने की प्रवृत्ति होती है। d-ब्लॉक तत्त्व इन दोनों के मध्य एक संक्रमण व्यवहार प्रदर्शित करते हैं अर्थात् उनका व्यवहार अत्यधिक विद्युत धनात्मक s-ब्लॉक तत्त्वों तथा अत्यन्त दुर्बल रूप से विद्युत धनात्मक p-ब्लॉक तत्त्वों के मध्य का होता है। इस कारण ही d-ब्लॉक तत्त्वों को संक्रमण तत्त्व (transition elements) कहा जाता है।

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UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements (p-ब्लॉक के तत्त्व) are part of UP Board Solutions for Class 12 Chemistry. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements (p-ब्लॉक के तत्त्व).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Chemistry
Chapter Chapter 7
Chapter Name The p Block Elements
Number of Questions Solved 141
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements (p-ब्लॉक के तत्त्व)

अभ्यास के अन्तर्गत दिएर गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ट्राइसैलाइडों से पेन्टाहैलाइड अधिक सहसंयोजी क्यों होते हैं?
उत्तर
किसी अणु में केन्द्रीय परमाणु की जितनी उच्च धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था होती है, उसकी ध्रुवण क्षमता उतनी ही अधिक होती है जिसके कारण केन्द्रीय परमाणु और अन्य परमाणु के मध्य बने आबन्ध में सहसंयोजी गुण बढ़ता जाता है।
इस प्रकार चूंकि पेन्टालाइडों में केन्द्रीय परमाणु +5 ऑक्सीकरण अवस्था में होता है, जबकि ट्राइहैलाइडों में यह +3 ऑक्सीकरण अवस्था में होता है, इसलिए ट्राइलाइडों से पेन्टाहैलाइड अधिक सहसंयोजी होते हैं।

प्रश्न 2.
वर्ग 15 के तत्वों के हाइड्राइडों में BiH3 सबसे प्रबल अपचायक क्यों है?
उत्तर
वर्ग 15 के तत्वों के हाइड्राइडों में BiH3 के प्रबल अपचायक होने का कारण यह है कि इस वर्ग के हाइड्राइडों में Bi-H आबन्ध की लम्बाई सबसे अधिक होती है जिसके कारण BiH3 सबसे कम स्थायी होता है।

प्रश्न 3.
N2 कमरे के ताप पर कम क्रियाशील क्यों है?
उत्तर
N2 कमरे के ताप पर कम क्रियाशील होती है; क्योंकि प्रबल pπ – pπ अतिव्यापन के कारण त्रिओबन्ध N ≡ N बनता है।

प्रश्न 4.
अमोनिया की लब्धि को बढ़ाने के लिए आवश्यक स्थितियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
अमोनिया का निर्माण हेबर प्रक्रम से किया जाता है। इसकी लब्धि बढ़ाने के लिए ला-शातेलिए। सिद्धान्त के अनुसार आवश्यक स्थितियाँ निम्नवत् हैं –

  1. तापमान = 700 K
  2. उच्च दाब 200 x 105 Pa (लगभग 200 वायुमण्डल)
  3. उत्प्रेरक; जैसे- K2O तथा Al2O5 मिश्रित आयरन ऑक्साइड।

प्रश्न 5.
Cu2+ आयन के साथ अमोनिया कैसे क्रिया करती है?
उत्तर
Cu2+ आयन अमोनिया से क्रिया करके गहरे नीले रंग का संकुल बनाते हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 1

प्रश्न 6.
N2O5 में नाइट्रोजन की सहसंयोजकता क्या है?
उत्तर
सहसंयोजकता इलेक्ट्रॉनों के सहभाजित युग्मों की संख्या पर निर्भर करती है। चूंकि N2O5 में, प्रत्येक नाइट्रोजन परमाणु पर इलेक्ट्रॉनों के चार सहभाजित युग्म उपस्थित हैं जैसा कि निम्नवत् दिखाया गया है –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 2
इसलिए N2O5 में N की सहसंयोजकता 4 है।

प्रश्न 7.
PH3 से PH+4 ई का आबन्ध कोण अधिक है। क्यों?
उत्तर
PH3 तथा PH+4 दोनों sp3 संकरित हैं। PH+4 में चारों कक्षक आबन्धित होते हैं, जबकि PH3 में P पर इलेक्ट्रॉनों का एकाकी युग्म उपस्थित होता है जो PH3 में एकाकी युग्म-आबन्ध युग्म प्रतिकर्षण के लिए उत्तरदायी है जिससे आबन्ध कोण 109°28′ से कम हो जाता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 3

प्रश्न 8.
क्या होता है जब श्वेत फॉस्फोरस को CO2 के अक्रिय वातावरण में सान्द्र कॉस्टिक सोडा विलयन के साथ गर्म करते हैं?
उत्तर
श्वेत फॉस्फोरस NaOH से अभिक्रिया करके फॉस्फीन (PH3) बनाता है।UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 4

प्रश्न 9.
क्या होता है जब PCl5 को गर्म करते हैं?
उत्तर
PCl5 में तीन निरक्षीय (equatorial) [202 pm] तथा दो अक्षीय (axial) [240 pm] बन्ध होते हैं। चूंकि अक्षीय बन्ध निरक्षीय बन्धों से दुर्बल होते हैं, इसलिए जब PCl5 को गर्म किया जाता है तो कम स्थायी अक्षीय बन्ध टूटकर PCl3 बनाते हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 5

प्रश्न 10.
PCl5 की भारी पानी में जल-अपघटन अभिक्रिया का सन्तुलित समीकरण लिखिए।
उत्तर
PCl5 भारी जल (D2O) से अभिक्रिया करके फॉस्फोरस ऑक्सी-क्लोराइड (POCl3) तथा ड्यूटीरियम क्लोराइड (DCl) बनाता है।
PCl5 + D2O → POCl3 + 2 DCl

प्रश्न 11.
H3PO4 की क्षारकता क्या है?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 6
H3PO4 अणु में तीन -OH समूह उपस्थित हैं, इसलिए इसकी क्षारकता 3 है।

प्रश्न 12.
क्या होता है जब H3PO4 को गर्म करते हैं?
उत्तर
ऑफॉस्फोरस अम्ल या फॉस्फोरस अम्ल (H3PO4) गर्म करने पर असमानुपातित होकर ऑर्थोफॉस्फोरिक अम्ल या फॉस्फोरिक अम्ल तथा फॉस्फीन देता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 7

प्रश्न 13.
सल्फर के महत्त्वपूर्ण स्रोतों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर
भूपर्पटी में सल्फर की मात्रा 0.03 – 0.1% होती है। संयुक्त अवस्था में सल्फर सल्फेट के रूप में—जिप्सम (CaSO4 . 2H2O), एप्सम लवण (MgSO4 . 7H2O), बेराइट (BaSO4) तथा सल्फाइड के रूप में– गैलेना (PbS), जिंक ब्लैण्ड (ZnS), पाइराइट (CuFeS2) में पाया जाता है। कार्बनिक पदार्थों जैसे अण्डा, प्रोटीन, लहसुन, प्याज, सरसों, बाल तथा फर में सल्फर पाया जाता है। ज्वालामुखी में सल्फर के अंश H2S के रूप में पाए जाते हैं।

प्रश्न 14.
वर्ग 16 के तत्वों के हाइड्राइडों के तापीय स्थायित्व के क्रम को लिखिए।
उत्तर
चूँकि तत्वों का आकार वर्ग में नीचे जाने पर बढ़ता है, इसलिए E-H बन्ध वियोजन ऊर्जा घटती है। जिससे E-H बन्ध सरलता से टूट जाते हैं। अत: वर्ग 16 के तत्वों के हाइड्रोइडों का ऊष्मीय स्थायित्व वर्ग में नीचे जाने पर घटता है।
H2O > H2S > H2Se > H2Te > H2Po

प्रश्न 15.
H2O एक द्रव तथा H2S गैस क्यों है?
उत्तर
ऑक्सीजन के छोटे आकार तथा उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण H2O में अन्तराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध पाए जाने के परिणामस्वरूप यह कमरे के ताप पर द्रव होता है। H2S सल्फर के बड़े आकार के कारण हाइड्रोजन बन्ध नहीं बनाती है, अतः इसके अणुओं के मध्य दुर्बल वान्डर वाल्स बल कार्य करते हैं। इस कारण कक्ष ताप पर H2S गैस होती है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से कौन-सा तत्व ऑक्सीजन के साथ सीधे अभिक्रिया नहीं करता?
Zn, Ti, Pt, Fe
उत्तर
प्लैटिनम एक उत्कृष्ट धातु है। इसकी पहली चार आयनन एन्थैल्पियों का योग बहुत अधिक होता है, इसलिए यह ऑक्सीजन से सीधे संयोग नहीं करती है। दूसरी ओर Zn, Ti तथा Fe सक्रिय धातुएँ हैं, इसलिए ये ऑक्सीजन से सीधे संयोग करके संगत ऑक्साइड बनाती हैं।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए –

  1. C2H4 + O2
  2. 4 Al + 3O2

उत्तर

  1. C2H4 + 3O2 [latex]\underrightarrow { \triangle } [/latex] 2CO2 ↑ + 2H2O
  2. 4Al + 3O2 [latex]\underrightarrow { \triangle } [/latex] 2Al2O3

प्रश्न 18.
O3 एक प्रबल ऑक्सीकारक की तरह क्यों क्रिया करती है?
उत्तर
O3 शीघ्रता से अपघटित होकर नवजात ऑक्सीजन उत्पन्न करती है, जो विभिन्न पदार्थों को ऑक्सीकृत कर देती है। इसलिए यह प्रबल ऑक्सीकारक की तरह क्रिया करती है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 8

प्रश्न 19.
O3 का मात्रात्मक आकलन कैसे किया जाता है?
उत्तर
जब ओजोन पोटैशियम आयोडाइड के आधिक्य, जिसे बोरेट बफर (pH 9.2) के साथ बफरीकृत करते हैं, से अभिक्रिया करती है तो आयोडीन उत्पन्न होती है, इसे सोडियम थायोसल्फेट के मानक विलयन के साथ अनुमापित करते हैं। इस प्रकार O3 का मात्रात्मक आकलन किया जाता है।

प्रश्न 20.
तब क्या होता है जब सल्फर डाइऑक्साइड को Fe(III) लवण के जलीय विलयन में से प्रवाहित करते हैं?
उत्तर
SO2 अपचायक की भाँति कार्य करती है, इसलिए यह आयरन (III) लवण को आयरन (II) लवण में अपचयित कर देती है।
SO2 + 2H2O → SO2-4 + 4H+ + 2e
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 9

प्रश्न 21.
दो S-O आबन्धों की प्रकृति पर टिप्पणी कीजिए जो SO2 अणु बनाते हैं। क्या SO2 अणु के ये दोनों S-O आबन्ध समतुल्य हैं?
उत्तर
SO2 में बनने वाले दोनों S-O आबन्ध सहसंयोजक (covalent) हैं तथा अनुनादी संरचनाओं के कारण समान रूप से प्रबल होते हैं।

प्रश्न 22.
SO2 की उपस्थिति का पता कैसे लगाया जाता है?
उत्तर
SO2 एक तीक्ष्ण गन्ध वाली गैस है। इसकी उपस्थिति को निम्नलिखित दो परीक्षणों से ज्ञात किया जा सकता है –
(i) SO2 गुलाबी-बैंगनी रंग के अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट (VII) विलयन को MnO4 के Mn2+ आयन में अपचयन के कारण रंगहीन कर देती है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 10
(ii) SO2 अम्लीकृत K2Cr2O7 को Cr2O2-7 के Cr3+ आयनों में अपचयन के कारण हरा कर देती है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 11

प्रश्न 23.
उन तीन क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए जिनमें H2SO4 महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उत्तर

  1. उर्वरकों; जैसे- अमोनियम सल्फेट, सुपर फॉस्फेट के निर्माण में।
  2. पेट्रोलियम शोधन में।
  3. सीसा संचायक बैटरियों में।

प्रश्न 24.
संस्पर्श प्रक्रम द्वारा H2SO4 की मात्रा में वृद्धि करने के लिए आवश्यक परिस्थितियों को लिखिए।
उत्तर
H2SO4 के निर्माण में प्रमुख पद SO2 का O2 के साथ उत्प्रेरकीय ऑक्सीकरण है। इसमें V2O5 उत्प्रेरक की उपस्थिति में SO3 प्राप्त होती है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 12
अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी तथा उत्क्रमणीय है। अग्रगामी अभिक्रिया में आयतन का ह्रास होता है। इसलिए कम ताप तथा उच्च दाब उत्पाद की मात्रा में वृद्धि करने के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ हैं, परन्तु ताप अत्यधिक कम नहीं होना चाहिए, अन्यथा अभिक्रिया की दर कम हो जाएगी।

प्रश्न 25.
जल में H2SO4 के लिए Ka2 << Ka1 क्यों है?
उत्तर
H2SO4 एक द्विक्षारकीय अम्ल है, यह दो पदों में आयनित होता है, इसलिए इसके दो वियोजन स्थिरांक होते हैं।

  1. H2SO4 (aq) + H2O (l) → H3O+ (aq) + HSO4 (aq); Ka1 > 10
  2. HSO4 (aq) + H2O (l) → H3O+ (aq) + SO2-4 (aq); Ka2 = 1.2 x 10-2

Ka1 (>10) के अधिक मान से तात्पर्य यह है कि H2SO4, H3O+ तथा HSO4 में अधिक वियोजित है।
मुख्यत: H3O+ और H2SO4 में प्रथम आयनन के कारण H2SO4 जल में प्रबल अम्ल है। HSO4 का H3O+ तथा SO2-4 आयनों में आयनन लगभग नगण्य होता है;
अत: Ka2 << Ka1

प्रश्न 26.
आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी, इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी तथा जलयोजन एन्थैल्पी जैसे प्राचलों को महत्त्व देते हुए F2 तथा Cl2 की ऑक्सीकारक क्षमता की तुलना कीजिए।
उत्तर
ऑक्सीकारक क्षमता F2 से Cl2 तक घटती है। जलीय विलयन में हैलोजेनों की ऑक्सीकारक क्षमता वर्ग में नीचे की ओर घटती है (F से Cl तक)। फ्लुओरीन का इलेक्ट्रोड विभव (+287 V) क्लोरीन (+136 V) की तुलना में उच्च होता है, इसलिए F2 क्लोरीन की तुलना में प्रबल ऑक्सीकारक है। इलेक्ट्रोड विभव निम्नलिखित प्राचलों पर निर्भर करता है –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 13
अत: Fप्रबल ऑक्सीकारक है।

प्रश्न 27.
दो उदाहरणों द्वारा फ्लुओरीन के असामान्य व्यवहार को दर्शाइए।
उत्तर
फ्लुओरीन का असामान्य व्यवहार इसके-

  1. लघु आकार
  2. उच्च विद्युत ऋणात्मकता
  3. कम F-F आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी तथा
  4. इसके संयोजी कोश में d-कक्षकों की अनुपलब्धता के कारण होता है।

उदाहरणार्थ

  1. फ्लुओरीन केवल एक ऑक्सोअम्ल बनाती है, जबकि अन्य हैलोजेन अधिक संख्या में ऑक्सो- अम्लों का निर्माण करते हैं।
  2. हाइड्रोजन फ्लुओराइड प्रबल हाइड्रोजन बन्धों के कारण द्रव होता है, जबकि अन्य हाइड्रोजन हैलाइड गैसीय होते हैं।

प्रश्न 28.
समुद्र कुछ हैलोजेन का मुख्य स्रोत है। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर
समुद्र जल में मैग्नीशियम, कैल्सियम, सोडियम तथा पोटैशियम के क्लोराइड, ब्रोमाइड तथा आयोडाइड पाए जाते हैं जिनमें सोडियम क्लोराइड (द्रव्यमान अनुसार 2.5%) प्रमुख हैं। समुद्री जमाव में सोडियम क्लोराइड तथा कार्नेलाइट [KCI . MgCl. 6H2O] प्रमुख होते हैं। कुछ समुद्री जीवधारियों के तन्त्र में आयोडीन पायी जाती है। कुछ समुद्री खरपतवारों ( लेमिनेरिया प्रजाति) में 0.5% आयोडीन तथा चिली साल्टपीटर में 0.2% सोडियम आयोडेट होता है।

प्रश्न 29.
Cl2 की विरंजक क्रिया का कारण बताइए। (2012)
उत्तर
Cl2 की विरंजक क्रिया ऑक्सीकरण के कारण होती है। नमी अथवा जलीय विलयन की उपस्थिति में Cl2 नवजात ऑक्सीजन मुक्त करती है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 14
यह नवजात ऑक्सीजन वनस्पतियों तथा कार्बनिक द्रव्यों में उपस्थित रंगीन पदार्थों का ऑक्सीकरण करके उन्हें रंगहीन पदार्थ में परिवर्तित कर देती है।
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ
अत: Cl2 की विरंजक क्रिया ऑक्सीकरण के कारण होती है।

प्रश्न 30.
उन दो विषैली गैसों के नाम लिखिए जो क्लोरीन गैस से बनाई जाती हैं?
उत्तर
फॉस्जीन (COCl2) तथा मस्टर्ड गैस (ClCH2CH2SCH2CH2Cl)।

प्रश्न 31.
I2 से ICl अधिक क्रियाशील क्यों है?
उत्तर
I2 से ICl अधिक क्रियाशील होता है क्योंकि I-I आबन्ध से I-Cl आबन्ध दुर्बल होता है। परिणामस्वरूप ICl सरलता से टूटकर हैलोजेन परमाणु देता है जो तीव्रता से अभिक्रिया करते हैं।

प्रश्न 32.
हीलियम को गोताखोरी के उपकरणों में उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर
आधुनिक गोताखोरी के उपकरणों में हीलियम ऑक्सीजन के तनुकारी के रूप में उपयोग में आती है; क्योंकि रुधिर में इसकी विलेयता बहुत कम है।

प्रश्न 33.
निम्नलिखित समीकरण को सन्तुलित कीजिए –
XeF6 + H2O →XeO2F2 + HF
उत्तर
XeF6 + 2H2O → XeO2F2 + 4 HF

प्रश्न 34.
रेडॉन के रसायन का अध्ययन करना कठिन क्यों था?
उत्तर
रेडॉन अत्यन्त कम अर्द्धआयुकाल का रेडियोऐक्टिव तत्व है, इस कारण रेडॉन के रसायन का अध्ययन करना कठिन था।

अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 1.
वर्ग 15 के तत्वों के सामान्य गुणधर्मो की उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, ऑक्सीकरण अवस्था, परमाण्विक आकार, आयनन एन्थैल्पी तथा विद्युत ऋणात्मकता के सन्दर्भ में विवेचना कीजिए।
उत्तर
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration) – इन तत्वों के संयोजी कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2 , np3 होता है। इनमें s-कक्षक पूर्णतया भरे हुए तथा p- कक्षक अर्द्धपूरित होते हैं, जो इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को अधिक स्थायी बनाते हैं।

(ii) ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (Oxidation states) – इन तत्वों की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्थाएँ -3, +3 तथा +5 हैं। तत्वों द्वारा -3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करने की प्रवृत्ति वर्ग में नीचे जाने पर परमाणु आकार तथा धात्विक गुण बढ़ने के कारण घटती है। वस्तुतः अन्तिम तत्व बिस्मथ कठिनता से -3 ऑक्सीकरण अवस्था में यौगिक बनाता है। ऑक्सीकरण अवस्था +5 का स्थायित्व वर्ग में नीचे जाने पर घटता है। इस अवस्था में केवल Bi(V) का यौगिक BiF5 ज्ञात है। ऑक्सीकरण अवस्था +5 तथा ऑक्सीकरण अवस्था +3 का स्थायित्व वर्ग में नीचे जाने पर क्रमशः घटता तथा बढ़ता है (अक्रिय युग्म प्रभाव)। नाइट्रोजन +1, +2, +4 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करता है, जबकि यह ऑक्सीजन के साथ अभिकृत होता है। फॉस्फोरस कुछ ऑक्सोअम्लों में +1 तथा +4 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करता है।

(iii) परमाणु आकार (Atomic size) – समूह में नीचे जाने पर सहसंयोजी तथा आयनिक त्रिज्याएँ बढ़ती हैं। N से P तक सहसंयोजी त्रिज्याओं में पर्याप्त वृद्धि होती है, जबकि As से Bi तक सहसंयोजी त्रिज्याओं में सूक्ष्म वृद्धि प्रेक्षित होती है। यह भारी सदस्यों में पूर्णतया भरे हुए d तथा f-कक्षकों की उपस्थिति के कारण होता है।

(iv) आयनन एन्थैल्पी (Ionisation enthalpy) – वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर आयनन एन्थैल्पी में परमाणु आकार में क्रमिक वृद्धि के कारण कमी आती है। इस प्रकार अधिक स्थायी अर्द्धपूरित p-कक्षक के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तथा छोटे आकार के कारण वर्ग 15 के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी के मान वर्ग 14 के तत्वों से सम्बन्धित आवर्गों में अधिक होते हैं। आयनन एन्थैल्पी का उत्तरोत्तर बढ़ता क्रम निम्नवत् है –
ΔiHi < ΔiH2 < ΔiH3

(v) विद्युत ऋणात्मकता (Electronegativity) – किसी समूह में नीचे जाने पर परमाणु आकार बढ़ने के साथ विद्युत ऋणात्मकता सामान्यतः घटती है। यद्यपि भारी तत्वों में इस प्रकार का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 2.
नाइट्रोजन की क्रियाशीलता फॉस्फोरस से भिन्न क्यों है?
उत्तर
N2 अणु में उपस्थित N ≡ N बन्ध की अत्यधिक बन्ध वियोजन एन्थैल्पी (941.4 kJ mol-1) के कारण नाइट्रोजन अणु फॉस्फोरस अणु की तुलना में बहुत कम क्रियाशील हैं। फॉस्फोरस अणु (P4) में उपस्थित P-P बन्धों की बन्ध वियोजन एन्थैल्पी काफी कम (201.6 kJ mol-1) होती है।

प्रश्न 3.
वर्ग 15 के तत्वों की रासायनिक क्रियाशीलता की प्रवृत्ति की विवेचना कीजिए।
उत्तर
1. हाइड्राइड (Hydrides) – वर्ग 15 के सभी तत्व MH3 तथा MH4 प्रकार के हाइड्राइड बनाते हैं। (M = N, P, As, Sb, Bi)।

  1. क्षारीय गुण (Basic character) – हाइड्राइडों के क्षारीय गुण उनके आकार बढ़ने अर्थात् इलेक्ट्रॉन घनत्व घटने के साथ घटते हैं।
    UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 15
  2. ऊष्मीय स्थायित्व (Thermal stability) – वर्ग में नीचे जाने पर हाइड्राइडों का ऊष्मीय स्थायित्व घटता है क्योंकि परमाणु आकार बढ़ता है जिससे बन्ध लम्बाई (M – H) बढ़ती है।
  3. अपचायक गुण (Reducing character) – यह वर्ग में नीचे जाने पर बढ़ता है क्योंकि स्थायित्व घटता है। NH3 के अतिरिक्त सभी प्रबल अपचायक होते हैं।
  4. क्वथनांक (Boiling point) – NH3 का क्वथनांक हाइड्रोजन आबन्ध के कारण PH3 से अधिक होता है। क्वथनांक PH3 से आगे जाने पर बढ़ते हैं क्योंकि आण्विक द्रव्यमान बढ़ने के कारण वान्डर वाल्स बलों में वृद्धि होती है।

अभिक्रियाएँ

  • Ca3P2 + 6H2O → 2PH3 ↑ + 3 Ca(OH)2
  • P4 + 3 KOH + 3H2O → PH3 ↑ + 3 KH2PO2
  • 2NH3 + NaOCl → N2H4 + NaCl + H2O

2. हैलाइड (Halides) :
(i) ट्राइहैलाइड (Trihalides) – ये सभी प्रकार के हैलोजेनों से सीधे संयोग करके MX3 प्रकार के ट्राइलाइड बनाते हैं। NBr3 तथा NI3 को छोड़कर सभी ट्राइहैलाइड स्थायी तथा पिरैमिडी संरचना के होते हैं। BiF3 के अतिरिक्त सभी ट्राइहैलाइड सहसंयोजी प्रकृति के होते हैं। ट्राइहैलाइडों की सहसंयोजी प्रकृति तत्व के आकार के बढ़ने पर घटती है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 16
ट्राइहैलाइड सरलता से जल-अपघटित हो जाते हैं –

  • NCl3 + 3H2O → NH3 ↑ + 3 HOCl
  • PCl3 + 3H2O → H3PO3 + 3 HCl
  • 4 AsCl3 + 6H2O → As4O6 + 12 HCl
  • SbCl3 + H2O → SbOCl + 2 HCl
  • BiCl3 + H2O → BiOCl + 2 HCl

फॉस्फोरस तथा एण्टीमनी के ट्राइहैलाइड लूइस अम्ल की भाँति व्यवहार करते हैं।

  • PF3 + F2 → PF5
  • SbF3 + 2F → [SbF5]2-

(ii) पेन्टाहैलाइड (Pentahalides) – P, As तथा Sb सूत्र MCl5 के पेन्टालाइड बनाते हैं। N पेन्टाहलाइड नहीं बनाता है; क्योंकि इलेक्ट्रॉन के उत्तेजन के लिए d-कक्षक अनुपस्थित होते हैं। Bi अक्रिय-युग्म प्रभाव के कारण पेन्टाहैलाइड नहीं बनाता। पेन्टाक्लोराइडों में sp3 संकरण होता है तथा इनकी संरचना त्रिकोणीय द्विपिरैमिडी होती है।

3. ऑक्साइड (Oxides) – ये ऑक्सीजन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़कर अधिक संख्या में ऑक्साइड बनाते हैं।
(i) नाइट्रोजन के ऑक्साइड (Oxides of nitrogen) – नाइट्रोजन ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके कई प्रकार के ऑक्साइड बनाता है। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नांकित रूप में तालिकाबद्ध है –
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(ii) फॉस्फोरस के ऑक्साइड (Oxides of phosphorus) – फॉस्फोरस के दो महत्त्वपूर्ण ऑक्साइड P4O6 (P2O3 का द्विलक) तथा P4O10 (P2O5 का द्विलक) हैं। इन्हें अग्रवत् प्राप्त किया जाता है –
P4 + 6O (सीमित) [latex]\underrightarrow { \triangle } [/latex] P4O6
P4 + 5O2 (आधिक्य) → P4O10

(iii) अन्य तत्वों के ऑक्साइड (Oxides of other elements) – As4O6, As2O5, Sb4O6, Sb2O5, Bi2O3 तथा Bi2O5.
N, P तथा As के ट्राइऑक्साइड अम्लीय होते हैं। अम्लीय गुण वर्ग में नीचे जाने पर घटता है। Sb का ऑक्साइड उभयधर्मी होता है, जबकि Bi का ऑक्साइड क्षारीय होता है। सभी पेन्टाऑक्साइड अम्लीय होते हैं। N2O5 प्रबलतम तथा Bi2O5 दुर्बलतम अम्लीय ऑक्साइड होता है।

(4) ऑक्सी-अम्ल (Oxy-acids) – Bi को छोड़कर अन्य सभी तत्व ऑक्सी-अम्लों (जैसे- HNO3, H3PO4, H3AsO4, तथा H2SbO4) का निर्माण करते हैं। ऑक्सी-अम्लों का सामर्थ्य तथा स्थायित्व वर्ग में नीचे जाने पर घटता है।
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प्रश्न 4.
NH3 हाइड्रोजन बन्ध बनाती है, परन्तु PH3 नहीं बनाती, क्यों?
उत्तर
नाइट्रोजन की विद्युत ऋणात्मकता (3: O) हाइड्रोजन (2 : 1) से अधिक होती है। अत: N – H आबन्ध ध्रुवीय होता है। इसलिए NH3 में अन्तराआण्विक हाइड्रोजन आबन्ध होते हैं। इसके विपरीत P तथा H दोनों की विद्युत ऋणात्मकता 2 : 1 होती है, इसलिए PH बन्ध ध्रुवीय नहीं होता, अत: इसमें हाइड्रोजन बन्ध नहीं होता है।

प्रश्न 5.
प्रयोगशाला में नाइट्रोजन कैसे बनाते हैं? सम्पन्न होने वाली अभिक्रिया के रासायनिक समीकरणों को लिखिए।
उत्तर
प्रयोगशाला में अमोनियम क्लोराइड के सममोलर जलीय विलयन की सोडियम नाइट्राइट के साथ अभिक्रिया से नाइट्रोजन बनाते हैं। इस अभिक्रिया में द्विअपघटन के परिणामस्वरूप अमोनियम नाइट्राइट बनता है जो अस्थायी होने के कारण अपघटित होकर डाइनाइट्रोजन गैस बनाता है।
NH4Cl(aq) + NaNO2 (aq) → NH4NO2 (aq) + NaCl (aq)
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प्रश्न 6.
अमोनिया का औद्योगिक उत्पादन कैसे किया जाता है?
उत्तर
अमोनिया का औद्योगिक उत्पादन हेबर प्रक्रम से किया जाता है।
N2 (g) + 3H2 (g) [latex]\rightleftharpoons [/latex] 2NH(g), ΔfH = – 46.1 kJ mol-1
शुष्क नाइट्रोजन तथा हाइड्रोजन को 1 : 3 में लेकर उच्च दाब (200 से 300 वायुमण्डल) तथा ताप । (723 K से 773 K) पर Al2O3 मिश्रित आयरन उत्प्रेरक पर प्रवाहित करने पर NH3 प्राप्त होती है। जिसे द्रवित करके तरल रूप में प्राप्त कर लेते हैं।

प्रश्न 7.
उदाहरण देकर समझाइए कि कॉपर धातु HNO3 के साथ अभिक्रिया करके किस प्रकार भिन्न उत्पाद दे सकती है?
उत्तर
तनु HNO3 कॉपर के साथ अभिक्रिया करके कॉपर नाइट्रेट तथा नाइट्रिक ऑक्साइड बनाता है, जबकि सान्द्र HNO3 कॉपर के साथ अभिक्रिया करके कॉपर नाइट्रेट तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड बनाता है।
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प्रश्न 8.
NOतथा N2O5 की अनुनादी संरचनाओं को लिखिए।
उत्तर
(i) NO2 की अनुनादी संरचनाएँ
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(ii) N2O5 की अनुनादी संरचनाएँ
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प्रश्न 9.
HNH कोण का मान, HPH, HAsH तथा HSbH कोणों की अपेक्षा अधिक क्यों होता है?
(संकेत- NH3 में sp3 संकरण के आधार तथा हाइड्रोजन और वर्ग के दूसरे तत्वों के बीच केवल s-p आबंधन के द्वारा व्याख्या की जा सकती है।)
उत्तर
MH3 प्रकार के हाइड्राइडों में केन्द्रीय परमाणु M इलेक्ट्रॉनों के तीन बन्ध युग्मों (bond pairs) तथा एक एकल युग्म (lone pair) से निम्न प्रकार से घिरा रहता है –
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नाइट्रोजन परमाणु का आकार में बहुत छोटे तथा अधिक विद्युत ऋणात्मक होने के कारण NH3 में N परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व का मान अधिकतम होता है। इस कारण बन्ध युग्मों के मध्य अधिकतम प्रतिकर्षण होता है और इस कारण HNH बन्ध कोण का मान अधिकतम होता है। परमाणु आकार में वृद्धि होने के कारण N से Bi की ओर जाने पर M की विद्युत ऋणात्मकता घटती है। फलस्वरूप इलेक्ट्रॉन युग्मों के मध्य प्रतिकर्षण कम हो जाता है। यही कारण है कि NH3 से BiH3 की ओर जाने पर H-M-H बन्ध कोण घटता है।

प्रश्न 10.
R3P = O पाया जाता है जबकि R3N = O नहीं, क्यों (R = ऐल्किल समूह)?
उत्तर
d- ऑर्बिटलों की अनुपस्थिति के कारण, N अपनी सहसंयोजकता को 4 से अधिक करने में और dπ – pπ बन्धों का निर्माण करने में असमर्थ है। इस कारण, यह R3N = O प्रकार के यौगिकों का निर्माण नहीं करता है। इसके विपरीत P के पास d- ऑर्बिटल होते हैं और यह dπ – pπ बहुल बन्ध बनाने में सक्षम है। अत: यह अपनी सहसंयोजकता को 5 तक बढ़ाकर R3P = 0 प्रकार के यौगिक बनाता है।

प्रश्न 11.
समझाइए कि क्यों NH3 क्षारकीय है, जबकि BiH3 केवल दुर्बल क्षारक है?
उत्तर
N परमाणु का आकार (70 pm), Bi के परमाणु आकार (148 pm) की तुलना में काफी कम है। इस कारण NH3 में N परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व का मान BiH3 में Bi पर इलेक्ट्रॉन घनत्व के मान से काफी अधिक होता है। इस कारण BiH3 की तुलना में NH3 अधिक प्रभावशाली ढंग से इलेक्ट्रॉनों के एकल युग्म को दे सकता है। यही कारण है कि BiH3 की तुलना में NH3 अधिक क्षारीय है।

प्रश्न 12.
नाइट्रोजन द्विपरमाणुक अणु के रूप में पाया जाता है तथा फॉस्फोरस P4 के रूप में, क्यों?
उत्तर
छोटे परमाणु आकार तथा अधिक विद्युत ऋणात्मकता के कारण नाइट्रोजन में स्वयं से pπ – pπ बहुल बन्धों को बनाने की प्रबल प्रवृत्ति होती है। इस प्रकार, यह N ≡ N बन्ध का निर्माण कर एक द्वि-परमाणविक अणु (N2 ) के रूप में पाया जाता है। इसके विपरीत, बड़े परमाणु आकार तथा कम विद्युत ऋणात्मकता के कारण फॉस्फोरस में स्वयं से pπ – pπ बहुल बन्धों को बनाने की प्रवृत्ति नहीं होती है। अत: यह P – P एकल बन्धों को बनाकर एक समचतुष्फलकीय P4 अणु का निर्माण करता है।

प्रश्न 13.
श्वेत फॉस्फोरस तथा लाल फॉस्फोरस के गुणों की मुख्य भिन्नताओं को लिखिए।
उत्तर
श्वेत फॉस्फोरस तथा लाल फॉस्फोरस के गुणों की मुख्य भिन्नताएँ निम्नलिखित हैं –
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श्वेत तथा लाल फॉस्फोरस की संरचनाएँ निम्नवत् होती हैं –
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प्रश्न 14.
फॉस्फोरस की तुलना में नाइट्रोजन श्रृंखलन गुणों को कम प्रदर्शित करती है, क्यों?
उत्तर
शृंखलन का गुण तत्व की बन्ध प्रबलता पर निर्भर करता है। चूंकि N-N बन्ध की प्रबलता (159 kJ mol-1), P-P बन्ध की प्रबलता (212 kJ mol-1) से कम होती है, इसलिए नाइट्रोजन फॉस्फोरस की तुलना में कम श्रृंखलन गुणों को दर्शाती है।

प्रश्न 15.
H3PO3 की असमानुपातन अभिक्रिया दीजिए।
उत्तर
गर्म किये जाने पर H3PO3 निम्न प्रकार से असमानुपातन प्रदर्शित करता है –
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प्रश्न 16.
क्या PCl5 ऑक्सीकारक और अपचायक दोनों का कार्य कर सकता है? तर्क दीजिए।
उत्तर
PCl5 में P की ऑक्सीकरण अवस्था +5 है जो P की उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था है। अतः, यह अपनी ऑक्सीकरण अवस्था को +5 से अधिक प्रदर्शित नहीं कर सकता है, अर्थात् इसे और अधिक ऑक्सीकृत नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार यह अपचायक की भाँति व्यवहार नहीं कर सकता है। इसके विपरीत, यह आसानी से एक ऑक्सीकारक की भाँति व्यवहार कर सकता है क्योंकि यह अपनी ऑक्सीकरण अवस्था को +5 से घटाकर +3 कर सकता है।
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प्रश्न 17.
O, Se, Te तथा Po को इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, ऑक्सीकरण अवस्था तथा हाइड्राइड निर्माण के सन्दर्भ में आवर्त सारणी के एक ही वर्ग में रखने का तर्क दीजिए।
उत्तर
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration)-इन सभी तत्वों का संयोजी कोश इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान, ns2 np2 (n = 2 से 6 तक) होता है। इससे इन तत्वों को आवर्त सारणी के वर्ग 16 में रखा जाना चरितार्थ होता है।
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(ii) ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation state) – इन्हें समीपवर्ती अक्रिय गैस विन्यास प्राप्त करने के लिए अर्थात् द्विऋणात्मक आयन बनाने के लिए दो अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता पड़ती है, इसलिए इन तत्वों की न्यूनतम ऑक्सीकरण अवस्था -2 होनी चाहिए। ऑक्सीजन विशिष्ट रूप से तथा सल्फर कुछ मात्रा में विद्युत ऋणात्मक होने के कारण -2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं। इस वर्ग के अन्य तत्व, 0 तथा S से अधिक विद्युत ऋणात्मक होने के कारण ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करते हैं। चूंकि इन तत्वों के संयोजी कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं, इसलिए ये तत्व अधिकतम +6 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित कर सकते हैं। इन तत्वों द्वारा प्रदर्शित अन्य धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ +2 तथा +4 हैं। यद्यपि ऑक्सीजन 4-कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण +4 तथा +6 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित नहीं करता, अतः न्यूनतम तथा अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्थाओं के आधार पर इन तत्वों को समान वर्ग अर्थात् वर्ग 16 में रखा जाना पूर्णतया न्यायोचित है।

(iii) हाइड्राइडों का निर्माण (Formation of hydrides) – सभी तत्व अपने संयोजी इलेक्ट्रॉनों में से दो इलेक्ट्रॉनों की हाइड्रोजन के 1s-कक्षक के साथ सहभागिता करके अपने-अपने अष्टक पूर्ण कर लेते हैं। तथा सामान्य सूत्र EH, के हाइड्राइड बनाते हैं; जैसे- H2O, H2S, H2Se. H2Te तथा H2Po, इसलिए सामान्य सूत्र EH2 वाले हाइड्राइड बनाने के आधार पर इन तत्वों को समान वर्ग अर्थात् वर्ग 16 में रखा जाना पूर्णतया न्यायोचित है।

प्रश्न 18.
क्यों डाइऑक्सीजन एक गैस है, जबकि सल्फर एक ठोस है?
उत्तर
ऑक्सीजन pπ – pπ बहुल बन्ध बनाता है। छोटे आकार तथा उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण ऑक्सीजन द्विपरमाणुक अणु (O2) के रूप में पाया जाता है। ये अणु परस्पर दुर्बल वाण्डर वाल्स आकर्षण बलों द्वारा जुड़े रहते हैं जो कमरे के ताप पर अणुओं के संघट्टों द्वारा सरलता से हट जाते हैं। अत: O2 कमरे के ताप पर एक गैस होती है।
सल्फर अपने विशाल आकार तथा कम विद्युत ऋणात्मकता के कारण pπ – pπ बहुल बन्ध नहीं बनाता है, अपितु यह S – S एकल बन्ध बनाते हैं। पुनः O – O एकल बन्धों से अधिक प्रबल S – S बन्धों के कारण सल्फर में श्रृंखलन का गुण ऑक्सीजन से अधिक होता है। अत: सल्फर श्रृंखलन की उच्च प्रवृत्ति तथा pπ – pπ बहुल बन्ध बनाने की अल्प प्रवृत्ति के कारण अष्टपरमाणुक अणु (S8) बनाता है जिसकी संकुचित वलय संरचना (puckered ring structure) होती है। विशाल आकार के कारण S8 अणुओं को परस्पर बाँधे रखने वाले आकर्षण बल पर्याप्त प्रबल होते हैं जिन्हें कमरे के ताप पर अणुओं के संघट्टों द्वारा नहीं हटाया जा सकता है। अत: सल्फर कमरे के ताप पर एक ठोस होता है।
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प्रश्न 19.
यदि O → O तथा O → O2- के इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी मान पता हों, जो क्रमशः 141 तथा 702 kJ mol-1 हैं तो आप कैसे स्पष्ट कर सकते हैं कि O2- स्पीशीज वाले ऑक्साइड अधिक बनते हैं न कि O वाले?
(संकेत-यौगिकों के बनने में जालक ऊर्जा कारक को ध्यान में रखिए।)
उत्तर
O2- मूलक युक्त ऑक्साइडों (अर्थात् MO प्रकार के ऑक्साइड) की जालक ऊर्जा (lattice energy) का मान O2- मूलक युक्त ऑक्साइडों (अर्थात् M2O प्रकार के ऑक्साइड) की जालक ऊर्जाओं से काफी अधिक होता है क्योंकि O2- तथा M2+ पर आवेश की मात्रा अधिक होती है। इसलिए O → O2- की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान O → O के सम्बन्धित मान की तुलना में काफी अधिक होने के बाद भी MO का निर्माण M2O के निर्माण की तुलना में ऊर्जा की दृष्टि से अधिक सम्भाव्य है। यही कारण है कि MO प्रकार के ऑक्साइडों की संख्या M2O प्रकार के ऑक्साइडों की तुलना में काफी अधिक है।

प्रश्न 20.
कौन-से ऐरोसॉल्स ओजोन को कम करते हैं?
उत्तर
क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) ऐरोसॉल जैसे-फ्रियोन (CCl2F2) वायुमण्डल के स्ट्रेटोस्फियर : (stratosphere) में उपस्थित ओजोन पर्त को विच्छेदित करते हैं। निहित अभिक्रियाएँ निम्न हैं –
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प्रश्न 21.
संस्पर्श प्रक्रम द्वारा H2SO4 के उत्पादन का वर्णन कीजिए। (2009, 12, 15, 16)
उत्तर
संस्पर्श विधि द्वारा H2SO4 का उत्पादन
(Production of H2SO4 by Contact Process)
सल्फ्यूरिक अम्ल का उत्पादन संस्पर्श प्रक्रम द्वारा तीन चरणों में सम्पन्न होता है।
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  1. सल्फर अथवा सल्फाइड अयस्कों को वायु में जलाकर सल्फर डाइऑक्साइड का उत्पादन करना।
  2. उत्प्रेरक (V2O5) की उपस्थिति में ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कराकर SO2 का SO3 में परिवर्तन करना।
  3. SO3 को सल्फ्यूरिक अम्ल में अवशोषित करके ओलियम (H2S2O7) प्राप्त करना।

सल्फ्यूरिक अम्ल के उत्पादन का प्रवाह चित्र, चित्र-7 में दिया गया है।
प्राप्त सल्फर डाइऑक्साइड को धूल के कणों एवं आर्सेनिक यौगिकों जैसी अन्य अशुद्धियों से मुक्त कर शुद्ध कर लिया जाता है।
सल्फ्यूरिक अम्ल के उत्पादन में ऑक्सीजन द्वारा SO2 गैस का V2O5 उत्प्रेरक की उपस्थिति में SO3 प्राप्त करने के लिए उत्प्रेरकी ऑक्सीकरण मूल पद है।
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यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी तथा उत्क्रमणीय है एवं अग्र अभिक्रिया में आयतन में कमी आती है। अतः कम ताप और उच्च दाब उच्च लब्धि (yield) के लिए उपयुक्त स्थितियाँ हैं, परन्तु तापक्रम बहुत कम नहीं होना चाहिए अन्यथा अभिक्रिया की गति धीमी हो जाएगी। सल्फ्यूरिक अम्ल के उत्पादन में प्रयुक्त संयन्त्र का संचालन 2 bar दाब तथा 720 K ताप पर किया जाता है। उत्प्रेरकी परिवर्तक से प्राप्त SO3 गैस, सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल,में अवशोषित होकर ओलियम (H2S2O7) बना देती है। जल द्वारा ओलियम का तनुकरण करके वांछित सान्द्रता वाला सल्फ्यूरिक अम्ल प्राप्त कर लिया जाता है। प्रक्रम के सतत संचालन तथा लागत में भी कमी लाने के लिए उद्योग में उपर्युक्त दोनों प्रक्रियाएँ साथ-साथ सम्पन्न की जाती हैं।

  • SO3 + H2SO4 → H2S2O7
  • H2S2O7 + H2O → 2 H2SO4

संस्पर्श विधि द्वारा सल्फ्यूरिक अम्ल की शुद्धता सामान्यतः 96 – 98% होती है।

प्रश्न 22.
SO2 किस प्रकार से एक वायु प्रदूषक है?
उत्तर
SO2 एक अत्यन्त हानिकारक गैस है। वायुमण्डल में इसकी उपस्थिति से श्वसन रोग, हृदय रोग, गले तथा आँखों में अनेक परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं। यह अम्ल वर्षा (acid rain) का मुख्य कारण है। अम्ल वर्षा जन्तुओं, वनस्पतियों एवं भवनों के लिए अत्यन्त घातक है। अम्ल वर्षा से सम्बन्धित प्रकाश-रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्न हैं –

  • SO2 + hv → SO2
  • SO2 + O2 → SO3 + O
  • SO2 + SO2 → SO3 + SO
  • SO + SO2 → SO3 + S
  • SO + H2O → H2SO4

इस प्रकार, SO2 एक घातक वायु प्रदूषक है।

प्रश्न 23.
हैलोजेन प्रबल ऑक्सीकारक क्यों होते हैं?
उत्तर
हैलोजेनों में अल्प आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी, उच्च विद्युत ऋणात्मकता तथा अधिक ऋणात्मक इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के कारण इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अपचयित होने की प्रबल प्रवृत्ति होती है।
X + e → X
अत: हैलोजेन प्रबल ऑक्सीकरण कर्मक या ऑक्सीकारक होते हैं। यद्यपि इनकी ऑक्सीकारक क्षमता F2 से I2 तक घटती है जैसा कि इनके इलेक्ट्रोड विभवों से सत्यापित होता है –
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इसलिए F2 प्रबलतम तथा I2 दुर्बलतम ऑक्सीकारक होता है।

प्रश्न 24.
स्पष्ट कीजिए कि फ्लुओरीन केवल एक ही ऑक्सो-अम्ल, HOF क्यों बनाता है?
उत्तर
फ्लोरीन सर्वाधिक विद्युत ऋणात्मक तत्त्व है और केवल -1 ऑक्सीकरण अवस्था ही प्राप्त कर सकती है। इसका परमाणु आकार भी काफी कम होता है। इस कारण यह उच्च ऑक्सी अम्लों जैसे- HOXO, HOXO2 तथा HOXO3 आदि में केन्द्रीय परमाणु के रूप में स्थित नहीं हो पाती है और केवल एक ही ऑक्सी अम्ल HOF का निर्माण करती है। इस अम्ल में इसकी ऑक्सीकरण अवस्था-1 है।

प्रश्न 25.
व्याख्या कीजिए कि क्यों लगभग एकसमान विद्युत ऋणात्मकता होने के पश्चात् भी नाइट्रोजन हाइड्रोजन आबन्ध निर्मित करता है, जबकि क्लोरीन नहीं।
उत्तर
यद्यपि O तथा Cl दोनों की विद्युत ऋणात्मकताओं के मान लगभग समान हैं, तथापि उनके परमाणु आकार काफी भिन्न होते हैं (O = 66 pm, Cl = 99 pm)। इस कारण Cl परमाणु की तुलना में O परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व का मान काफी अधिक होता है। इस कारण ही ऑक्सीजन तो हाइड्रोजन बन्ध बनाने में सक्षम है, लेकिन Cl नहीं।

प्रश्न 26.
ClO2 के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर

  1. ClO2 एक शक्तिशाली ऑक्सीकारक तथा क्लोरीनीकारक है। अत: इसका उपयोग जल के शुद्धीकरण में किया जाता है।
  2. यह एक उत्कृष्ट विरंजक (bleaching agent) है और इसका उपयोग कागज की लुगदी तथा वस्त्रों के विरंजन में किया जाता है।

प्रश्न 27.
हैलोजेन रंगीन क्यों होते हैं? (2014)
उत्तर
सभी हैलोजेन रंगीन होते हैं। इसका कारण यह है कि इनके अणु दृश्य क्षेत्र में प्रकाश अवशोषित कर लेते हैं जिसके फलस्वरूप इनके इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तरों में चले जाते हैं, जबकि शेष प्रकाश उत्सर्जित हो जाता है। हैलोजेनों का रंग वास्तव में इस उत्सर्जित प्रकाश का रंग होता है। उत्तेजन के लिए आवश्यक ऊर्जा की मात्रा परमाणु आकार के अनुसार F से I तक लगातार घटती है, अतः उत्सर्जित प्रकाश की ऊर्जा F से I तक बढ़ती है। दूसरे शब्दों में, हैलोजेन का रंग F2 से I2 तक गहरा होता जाता है।
उदाहरणार्थ– F2 बैंगनी प्रकाश अवशोषित करके हल्का पीला दिखाई देता है, जबकि आयोडीन पीला तथा हरा प्रकाश अवशोषित करके गहरा बैंगनी रंग का प्रतीत होता है। इसी प्रकार हम Cl2 के हरे-पीले तथा ब्रोमीन के नारंगी-लाल रंग की व्याख्या कर सकते हैं।

प्रश्न 28.
जल के साथ F2 तथा Cl2 की अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर
प्रबल ऑक्सीकारक होने के कारण F, जल को 0, या 0; में ऑक्सीकृत कर देता है।

  • 2F2 (g) + 2H2O (l) → 4HF (aq) + O2 (g)
  • 3F2 (g) + 3H2O (l) → 6HF (aq) + O3 (g)

Cl2 जल से क्रिया कर हाइड्रोक्लोरिक तथा हाइपोक्लोरस अम्लों का निर्माण करता है।
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प्रश्न 29.
आप HCl से Cl2 तथा Cl2 से HCl को कैसे प्राप्त करेंगे? केवल अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर

  1. HCl से cl2 :
    • MnO2 (s) + 4HCl (aq) → MnCl2 (aq) + 2H2O (l) + Cl2 (g)
  2. Cl2 से HCl :
    • Cl2 (g) + H2 (g) → 2HCl (g)

प्रश्न 30.
एन-बार्टलेट Xe तथा PtF6 के बीच अभिक्रिया कराने के लिए कैसे प्रेरित हुए?
उत्तर
नील बार्टलेट ने प्रेक्षित किया कि PtF6 की अभिक्रिया O2 से होने पर एक आयनिक ठोस O+2PtF6 प्राप्त होता है।
O2 (g) + PtF(g) → O+2[PtF6]
यहाँ O2, PtF6 द्वारा O+2 में ऑक्सीकृत हो जाता है।

बार्टलेट ने पाया कि Xe की प्रथम आयनन एन्थैल्पी (1170 kJ mol-1) O2 अणुओं की प्रथम आयनन एन्थैल्पी (1175 kJ mol-1) के लगभग समान है, इसलिए PtF6 द्वारा Xe को Xe+ में ऑक्सीकृत करना चाहिए। इस प्रकार वे Xe तथा PtF6 के बीच अभिक्रिया कराने के लिए प्रेरित हुए। जब Xe तथा PtF6 को मिश्रित किया गया, तब एक तीव्र अभिक्रिया हुई तथा सूत्र Xe+PtF6 का एक लाल ठोस पदार्थ प्राप्त हुआ।
Xe + PtF6 [latex]\underrightarrow { 278K } [/latex] xe+ [PtF6]

प्रश्न 31.
निम्नलिखित में फॉस्फोरस की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ क्या हैं?
(i) H2PO2
(ii) PCl3
(iii) Ca3P2
(iv) Na3PO4
(v) POF3
उत्तर
माना कि फॉस्फोरस की ऑक्सीकरण अवस्था : है –
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प्रश्न 32.
निम्नलिखित के लिए सन्तुलित समीकरण दीजिए –
(i) जब NaCl को MnO2 की उपस्थिति में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म किया जाता है।
(ii) जब क्लोरीन गैस को NaI के जलीय विलयन में से प्रवाहित किया जाता है।
उत्तर
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(ii) Cl(g) + 2NaI (aq) → 2NaCl (aq) + I2 (s)

प्रश्न 33.
जीनॉन फ्लुओराइड XeF2, XeF4 तथा XeF6 कैसे बनाए जाते हैं?
उत्तर
जीनॉन फ्लुओराइडों को Xe तथा F2 के मध्य विभिन्न परिस्थितियों में सीधे अभिक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है।

  • Xe (g) + F2 (g) [latex]\underrightarrow { 673K,1bar } [/latex] XeF(s)
  • Xe (g) + 2F2 (g) [latex]\underrightarrow { 873K,7bar } [/latex] XeF4 (s)
  • Xe (g) + 3F2 (g) [latex]\underrightarrow { 573K,60-70bar } [/latex] XeF6 (s)

प्रश्न 34.
किस उदासीन अणु के साथ ClO समइलेक्ट्रॉनी है? क्या यह अणु एक लूइस क्षारक है?
उत्तर
ClO में कुल 17 + 8 + 1 = 26 इलेक्ट्रॉन हैं। यह ClF अणु से समइलेक्ट्रॉनिक है क्योंकि ClF में भी 17 + 9 = 26 इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं। ClF एक लूइस बेस की भाँति व्यवहार करता है क्योंकि [latex s=2] _{ . }^{ . }{ { \overset { .. }{ \underset { .. }{ Cl } } } } [/latex] – F में क्लोरीन परमाणु पर इलेक्ट्रॉनों के तीन एकल युग्म (lone pairs) उपस्थित हैं। यह पुनः F से क्रिया कर ClF3 बना सकती है।

प्रश्न 35.
XeO3 तथा XeF4 किस प्रकार बनाए जाते हैं?
उत्तर
XeF4 तथा XeF6 के जल-अपघटन पर XeO3 बनता है।

  • 6XeF4 + 12H2O → 4Xe + 2XeO3 + 24HF + 3O2
  • XeF6 + 3H2O → XeO3 + 6HF

जीनॉन तथा फ्लु ओरीन को 1 : 5 अनुपात में लेकर 873 K तथा 7 bar पर अभिक्रिया कराने पर XeF4 बनता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 37

प्रश्न 36.
निम्नलिखित प्रत्येक समुच्चय को सामने लिखे गुणों के अनुसार सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए –

  1. F2, Cl2, Br2, I2 – आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी बढ़ते क्रम में।
  2. HF, HCl, HBr, HI – अम्ल सामर्थ्य बढ़ते क्रम में।
  3. NH3, PH3, AsH3, SbH3, BiH3 – क्षारक सामर्थ्य बढ़ते क्रम में।

उत्तर
1. F2 से I2 तक आबन्ध दूरी बढ़ने पर आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी घटती है क्योंकि F से I की ओर जाने पर परमाणु के आकार में वृद्धि होती है। यद्यपि F-F आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी, Cl – Cl की तुलना में कम होती है तथा Br – Br की आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी से भी कम होती है। इसका कारण यह है कि F परमाणु अत्यधिक छोटा होता है तथा प्रत्येक F परमाणु पर इलेक्ट्रॉनों के तीन एकाकी युग्म F2 अणु में F-परमाणुओं को बाँधे रखने वाले आबन्ध युग्मों को प्रतिकर्षित करते हैं। अत: आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी का बढ़ता क्रम इस प्रकार होता है- I2 < F2 < Br2 < Cl2.

2. HF, HCl, HBr, HI की आपेक्षिक अम्ल सामर्थ्य इनकी आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी पर निर्भर करती है। F से I तक परमाणु का आकार बढ़ने पर H-X आबन्ध की आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी H – F से H – I तक घटती है। इसलिए अम्ल सामर्थ्य विपरीत क्रम में इस प्रकार बढ़ता है –
HF < HCl < HBr < HI.

3. NH3, PH3, AsH3, BiH3 में केन्द्रीय परमाणु पर इलेक्ट्रॉनों के एकाकी युग्म की उपस्थिति के कारण ये सभी लुईस क्षारों की भाँति व्यवहार करते हैं। यद्यपि NH3 से BiH3 तक जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है, परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉनों का एकाकी युग्म अधिक आयतन घेर लेता है। दूसरे शब्दों में, केन्द्रीय परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घटता है तथा क्षारक सामर्थ्य NH3 से BiH3 तेक घटती है, इसलिए क्षारक सामर्थ्य का बढ़ता क्रम है- BiH3 < SbH3 < AsH3 < PH3 < NH3 .

प्रश्न 37.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक अस्तित्व में नहीं है?

  1. XeOF4
  2. NeF2
  3. XeF2
  4. XeF6.

उत्तर
NeF2 अस्तित्व में नहीं है। इसका कारण यह है कि फ्लोरीन Ne को Ne+2 में ऑक्सीकृत नहीं कर सकता क्योंकि Ne की प्रथम तथा द्वितीय आयनन एन्थैल्पी के योग का मान Xe की तुलना में काफी अधिक है। इसलिए XeF2, XeOF4, तथा XeF6 प्राप्त किये जा सकते हैं, लेकिन NeF2 नहीं।

प्रश्न 38.
उस उत्कृष्ट गैस स्पीशीज का सूत्र देकर संरचना की व्याख्या कीजिए जो कि इनके साथ समसंरचनीय है –

  1. ICl4
  2. IBr2
  3. BrO3

उत्तर
1. ICl4, XeF4 से समइलेक्ट्रॉनिक है। दोनों वर्ग समतलीय हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 38
2. IBr2, XeF2 से समइलेक्ट्रॉनिक है। दोनों रेखीय हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 39
3. BrO3, XeO3 से समइलेक्ट्रॉनिक है। दोनों पिरामिडीय आकृति के होते हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 40

प्रश्न 39.
उत्कृष्ट गैसों के परमाण्विक आकार तुलनात्मक रूप से बड़े क्यों होते हैं?
उत्तर
उत्कृष्ट गैसों की परमाण्विक त्रिज्या अपने सम्बन्धित आवर्गों में सर्वाधिक होती है। इसका कारण यह है कि उत्कृष्ट गैसों की त्रिज्या केवल वाण्डर वाल्स त्रिज्या होती है (क्योंकि ये अणु नहीं बनाती हैं), जबकि अन्यों की सहसंयोजक त्रिज्याएँ होती है। वाण्डर वाल्स त्रिज्या सहसंयोजक त्रिज्या से अधिक होती है, अतः उत्कृष्ट गैसों के परमाण्विक आकार तुलनात्मक रूप से बड़े होते हैं।

प्रश्न 40.
निऑन तथा आर्गन गैसों के उपयोग सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर
निऑन के उपयोग (Uses of Neon) –

  1. निऑन का उपयोग विसर्जन ट्यूब तथा प्रदीप्त बल्बों में विज्ञापन प्रदर्शन हेतु किया जाता है।
  2. निऑन बल्बों का उपयोग वनस्पति उद्यान तथा ग्रीन हाउस में किया जाता है।

आर्गन के उपयोग (Uses of Argon) –

  1. आर्गन का उपयोग उच्चताप धातुकर्मीय प्रक्रमों में अक्रिय वातावरण उत्पन्न करने के लिए किया जाता है ( धातुओं तथा उपधातुओं के आर्क वेल्डिंग में)।
  2. इसका उपयोग विद्युत-बल्ब को भरने के लिए किया जाता है।
  3. प्रयोगशाला में इसका उपयोग वायु सुग्राही पदार्थों के प्रबन्धन में भी किया जाता है।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में सर्वाधिक स्थायी है – (2017)
(i) AsH3
(ii) SbH3
(iii) pH3
(iv) NH3
उत्तर
(iv) NH3

प्रश्न 2.
सफेद फॉस्फोरस को किस द्रव में रखते हैं? (2012)
(i) जल
(ii) केरोसीन
(iii) एथिल ऐल्कोहॉल
(iv) क्लोरोफॉर्म
उत्तर
(i) जल

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किसकी अभिक्रिया से फॉस्फोरस से फॉस्फीन बनाया जाता है? (2017)
(i) HCl
(ii) NaOH
(iii) CO2
(iv) CO2
उत्तर
(ii) NaOH

प्रश्न 4.
अमोनिया और फॉस्फीन गैसों के कौन-से निम्नलिखित गुण में भिन्नता है? (2011)
(i) अणु संरचनाओं में
(ii) क्लोरीन के साथ अभिक्रियाओं में
(iii) अपचायक गुण में
(iv) वायु में जलने में
उत्तर
(iv) वायु में जलने में

प्रश्न 5.
SO2 अणु में सल्फर परमाणु का संकरण है – (2017)
(i) sp
(ii) SP2
(iii) sp3
(iv) sp3d
उत्तर
(ii) sp2

प्रश्न 6.
प्रबल विद्युत ऋणात्मक हैलोजन है – (2017)
(i) F2
(ii) Cl2
(iii) Br2
(iv) I2
उत्तर
(i) F2

प्रश्न 7.
सर्वाधिक इलेक्ट्रॉन बन्धुता वाला तत्त्व है –
(i) N
(ii) 0
(iii) Cl
(iv) F
उत्तर
(iii) Cl

प्रश्न 8.
F, Ci, Br तथा I तत्त्वों के इलेक्ट्रॉन बन्धुता का सही क्रम है – (2016)
(i) F > Cl > Br > I
(ii) I > Br > Cl > F
(iii) F > Br > Cl > I
(iv) F > Cl > Br > I
उत्तर
(i) F > Cl > Br > I

प्रश्न 9.
निम्न में से कौन-सा कथन सही है? (2012)
(i) NO2 नाइट्रिक अम्ल का ऐनहाइड्राइड है
(ii) CO फॉर्मिक अम्ल का ऐनहाइड्राइड है
(iii) Cl2O3 हाइपोक्लोरस अम्ल का ऐनहाइड्राइड है
(iv) Cl2O7 परक्लोरिक अम्ल का ऐनहाइड्राइड है
उत्तर
(iv) Cl2O7 परक्लोरिक अम्ल का ऐनहाइड्राइड है

प्रश्न 10.
निम्न में से विस्फोटक है – (2013)
(i) Hg2Cl2
(ii) PCl3
(iii) NCl3
(iv) SbCl3
उत्तर
(iii) NCl3

प्रश्न11.
क्लोरीन का प्रबलतम ऑक्सी अम्ल है – (2016)
(i) HClO2
(ii) HClO4
(iii) HClO
(iv) HClO3
उत्तर
(ii) HClO4

प्रश्न12.
निष्क्रिय गैसों की खोज का श्रेय जाता है – (2012)
(i) रैले को
(ii) विलियम रैमसे को
(iii) जॉनसन को
(iv) डेवार को
उत्तर
(i) रैले को

प्रश्न 13.
वायुमण्डल में सर्वाधिक पायी जाने वाली गैस है – (2017)
(i) हीलियम
(ii) निऑन
(iii) आर्गन
(iv) क्रिप्टन
उत्तर
(iii) आर्गन

प्रश्न14.
निम्न में से कौन-सी गैस वायुयानों के टायरों में भरी जाती है? (2012)
(i) H,
(ii) He
(iii) Np
(iv) Ar
उत्तर
(ii) He

प्रश्न15.
वायुमण्डल में पायी जाने वाली अक्रिय गैस है – (2011)
(i) He तथा Ne
(ii) He, Ne तथा Ar
(iii) He, Ne, Ar तथा Kr
(iv) Rn को छोड़कर सभी
उत्तर
(iv) Rn को छोड़कर सभी

प्रश्न16.
हीलियम का मुख्य स्रोत है – (2012)
(i) वायु
(ii) मोनाजाइट रेत
(iii) रेडियम
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(ii) मोनोजाइट रेत

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अमोनिया की क्लोरीन से क्या अभिक्रिया होती है? (2014)
उत्तर
अमोनिया की क्लोरीन से अभिक्रिया निम्नलिखित दो प्रकार से होती है –

  1. जब अमोनिया आधिक्य में होती है तो N2 तथा NH4Cl प्राप्त होते हैं।
    • 8 NH3 + 3 Cl2 → N2 ↑ + 6 NH4Cl
  2. जब क्लोरीन आधिक्य में होती है तो NCl3 तथा HCl प्राप्त होते हैं।
    • NH3 + 3 Cl2 → NCl3 + 3 HCl

प्रश्न 2.
नाइट्रस अम्ल, ऑक्सीकारक एवं अपचायक दोनों के रूप में कार्य करता है। प्रत्येक को एक-एक उदाहरण देकर समझाइए। (2010, 12)
उत्तर
नाइट्रस अम्ल अपघटित होकर नवजात ऑक्सीजन देता है
2HNO2 → 2NO ↑ + [O] + H2O
नवजात ऑक्सीजन विभिन्न पदार्थों को ऑक्सीकृत कर देती है। इसके विपरीत यह प्रबल ऑक्सीकारकों के प्रति अपचायक का कार्य भी करती है, क्योंकि यह उनमें नवजात ऑक्सीजन ग्रहण करके स्वयं नाइट्रिक अम्ल में बदल जाती है।
HNO2 + [O] → HNO3
उदाहरण –

  1. ऑक्सीकारक गुण – नाइट्रस अम्ल सल्फर डाइऑक्साइड को सल्फ्यूरिक अम्ल में ऑक्सीकृत कर देता है।
    • SO2 + 2HNO2 → H2SO4 + 2NO
  2. अपचायक गुण – नाइट्रस अम्ले H2O2 को H2O में अपचयित कर देता है।
    • H2O2 + HNO2 → HNO3 + H2O

प्रश्न 3.
फॉस्फोरस के अपररूप लिखिए। (2017)
उत्तर
फॉस्फोरस के तीन मुख्य अपररूप निम्नवत् हैं –

  1. सफेद या पीला फॉस्फोरस
  2. लाल फॉस्फोरस
  3. काला फॉस्फोरस

प्रश्न 4.
सफेद फॉस्फोरस से लाल फॉस्फोरस कैसे प्राप्त किया जाता है? (2015)
उत्तर
सफेद फॉस्फोरस को निष्क्रिय वातावरण में 240°C ताप पर गर्म करने से वह लाल फॉस्फोरस में बदल जाता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 41

प्रश्न 5.
फॉस्फोरस के निम्नलिखित ऑक्सी अम्लों के संरचना सूत्र लिखिए – (2017)
(i) हाइपो फॉस्फोरिक अम्ल
(ii) फॉस्फोरिक अम्ल
(iii) ऑर्थों फॉस्फोरिक अम्ल
(iv) पाइरो फॉस्फोरिक अम्ल
उत्तर
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 42

प्रश्न 6.
एक अभिक्रिया लिखिए जिसमें ओजोन अपचायक हो परन्तु स्वयं भी अपचयित होती है – (2017)
उत्तर
ओजोन हाइड्रोजन परॉक्साइड को जल में अपचयित करती है और स्वयं भी अपचयित हो जाती है।
H2O2 + O3 → 2O2 ↑ + H2O

प्रश्न 7.
सल्फर के किन्हीं चार ऑक्सी अम्लों के नाम लिखिए। (2017)
उत्तर

  1. H2SO4 (सल्फ्यूरिक अम्ल)
  2. H2S2O7 (डाइसल्फ्यूरिक अम्ल)
  3. H2S2O3 (थायोसल्फ्यूरिक अम्ल)
  4. H2S2O6 (डाइथायोनिक अम्ल)

प्रश्न 8.
रासायनिक समीकरण देते हुए SO2 की विरंजक क्रिया का कारण समझाइए। (2012, 17)
उत्तर
SO2 अपचयन के आधार पर विरंजक गुण व्यक्त करती है।
SO2 + 2H2O → H2SO4 + 2[H]
रंगीन पदार्थ + [H] → रंगहीन पदार्थ

प्रश्न 9.
जल की अपेक्षा आयोडीन, KI विलयन में क्यों अधिक विलेय है? (2009)
उत्तर
जल के द्वारा आयोडीन का बिल्कुल भी अपघटन नहीं होता है जबकि आयोडीन KI विलयन में घुलकर भूरे रंग का पोटैशियम ट्राइआयोडाइड (KI3) संकर यौगिक बनाती है।
KI + I2 → KI3

प्रश्न10.
सामान्य ताप एवं दाब पर ब्रोमीन एक द्रव है जबकि आयोडीन ठोस। कारण स्पष्ट कीजिए। (2014)
उत्तर
आयोडीन का अणुभार तथा आकार दोनों ब्रोमीन से अधिक हैं चूंकि आयोडीन अणु के मध्य लगने वाला आणविक आकर्षण बल ब्रोमीन की तुलना में अधिक है, इसलिए आयोडीन ठोस तथा ब्रोमीन द्रव है।

प्रश्न 11.
हैलोजनों के दो ऑक्सी अम्लों के संरचना सूत्र लिखिए। (2016, 17)
उत्तर
हैलोजनों के दो ऑक्सी अम्लों के संरचना सूत्र निम्नवत् हैं –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 43

प्रश्न 12.
HCl का क्वथनांक HF से कम क्यों होता है? (2016)
उत्तर
हाइड्रोजन हैलाइडों के क्वथनांक HCl से HI तक बढ़ते हैं। HF का क्वथनांक अन्तराअणुक हाइड्रोजन आबन्धन के कारण अपसामान्य रूप से इन सबसे उच्च है।

प्रश्न 13.
उत्कृष्ट प्रैसे क्या होती हैं? उत्कृष्ट गैसों के नाम लिखिए। (2009)
उत्तर
आवर्त सारणी में शून्य वर्ग के तत्त्वों को उत्कृष्ट गैसें कहते हैं, क्योंकि ये तत्त्व रासायनिक रूप से अक्रिय होते हैं। हीलियम, आर्गन, निऑन, रेडॉन, क्रिप्टॉन तथा जीनॉन उत्कृष्ट गैसें हैं।

प्रश्न 14.
अक्रिय गैसों की चार विशेषताएँ/गुण लिखिए। (2009, 10)
उत्तर
अक्रिय गैसों के गुण

  1. ये रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन गैसें हैं।
  2. इनकी अन्तिम कक्षा का विन्यास ns2np6 (हीलियम को छोड़कर) होता है।
  3. इनकी संयोजकता शून्य होती है।
  4. ये एक परमाणुक गैसें हैं, जिनकी विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात (Cp/Cυ) 1.66 होता है।

प्रश्न15.
अक्रिय गैसों की इलेक्ट्रॉन बन्धुता शून्य क्यों होती है? (2017)
उत्तर
क्योंकि इनके अन्दर और बाहर के सभी कोश पूर्ण रूप से भरे होते हैं।

प्रश्न 16.
उत्कृष्ट गैसें अक्रिय क्यों होती हैं? इनके द्वारा बनाये गये दो यौगिकों के सूत्र लिखिए। (2010, 13, 16)
उत्तर
उत्कृष्ट या अक्रिय गैसों के सभी कक्ष पूर्णतया भरे होने के कारण ये संतृप्त होती हैं और इसी कारण रासायनिक रूप से निष्क्रिय होती हैं। इन तत्त्वों के आयनन विभव स्थायी इलेक्ट्रॉन कक्ष होने के कारण उच्च होते हैं, अतः ये रासायनिक क्रिया में भाग नहीं लेते हैं। इनके द्वारा बनाये गये दो यौगिक क्रमश: WHe2 व Ar6H2O हैं।

प्रश्न 17.
उत्कृष्ट गैसों के आयनन विभव के मान ऊँचे होते हैं? समझाइए। (2013, 15)
उत्तर
उत्कृष्ट गैसों के उच्च आयनन विभव इनके छोटे आकार के कारण होते हैं।

प्रश्न 18.
कारण सहित स्पष्ट कीजिए कि He उत्कृष्ट गैसों में सबसे ज्यादा निष्क्रिय है। (2013)
उत्तर
उत्कृष्ट गैसों की आयनन ऊर्जाओं का क्रम निम्नवत् होता है –
He > Ne > Ar > Kr > Xe > Rn.
इससे स्पष्ट है कि He की आयनन ऊर्जा सर्वोच्च है। अत: इसमें से इलेक्ट्रॉन निष्कासित करना आसान नहीं है। इसी के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि He उत्कृष्ट गैसों में सबसे ज्यादा निष्क्रिय है।

प्रश्न 19.
He और Ne फ्लोरीन के साथ यौगिक नहीं बनाते हैं क्यों? (2017)
उत्तर
He और Ne के फ्लोरीन के साथ यौगिक न बनाने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

  1. छोटा आकार
  2. d कक्षक की अनुपस्थिति
  3. उच्च आयनन ऊर्जा

प्रश्न 20.
अक्रिय गैसों में सबसे अधिक यौगिक बनाने वाली अर्थात् सबसे अधिक क्रियाशील गैस का नाम एवं इसके कोई भी दो यौगिकों के सूत्र लिखिए। (2009, 11, 12)
उत्तर
जीनॉन। यौगिक :

  • जीनॉन डाइफ्लुओराइड (XeF2)
  • जीनॉन टेट्राफ्लुओराइड (XeF4)

प्रश्न 21.
हीलियम तथा निऑन के मिश्रण को पृथक् करने की विधि लिखिए। (2011)
उत्तर
हीलियम तथा निऑन के मिश्रण को 180°C पर चारकोल के सम्पर्क में लाने पर He मुक्त हो। जाती है तथा निऑन अधिशोषित हो जाती है। इसको गर्म करने पर निऑन प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 22.
निष्क्रिय वातावरण के लिए किस अक्रिय गैस का प्रयोग किया जाता है और क्यों? (2012)
उत्तर
आर्गन को, क्योंकि यह किसी पदार्थ से क्रिया नहीं करती है।

प्रश्न 23.
रेडॉन की खोज किसने की? इसका किस रोग के उपचार में उपयोग किया जाता है? (2010, 12, 17)
उत्तर
रेडॉन (Rn) की खोज डॉर्न ने की थी। इसका प्रयोग कैंसर के उपचार में किया जाता है।

प्रश्न 24.
88Ra266 से प्राप्त होने वाली अक्रिय गैस का नाम तथा इसका प्रमुख उपयोग लिखिए। (2012)
उत्तर
88Ra266 के रेडियोऐक्टिव विघटन से रेडॉन (Rn) गैस प्राप्त होती है।
88Ra266 → 86Ra222 + 2He4
इसका उपयोग कैंसर के उपचार में तथा रेडियोऐक्टिवता के शोध कार्य में किया जाता है।

प्रश्न 25.
क्लीवाइट खनिज में कौन-सी अक्रिय गैस पाई जाती है? इस गैस का एक उपयोग लिखिए। (2018)
उत्तर
क्लीवाइट खनिज में हीलियम गैस पाई जाती है। यह गैस वायुयान के टायरों में भरी जाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
NF5 नहीं बनता है जबकि PF ज्ञात है। समझाइए। (2014)
उत्तर
नाइट्रोजन (N) 1s2,2s2,2p3 में निम्न ऊर्जा का रिक्त d-कक्षक उपलब्ध नहीं होता है इसलिए नाइट्रोजन अपने अष्टक का प्रसार नहीं कर पाता है अर्थात् अपने वाह्य कोश में 8 से अधिक इलेक्ट्रॉन नहीं रख सकता है जिसके कारण NF5 नहीं बन पाता है।
चूँकि फॉस्फोरस में निम्न ऊर्जा का रिक्त 3d -कक्षक उपलब्ध है इसलिए यह अपने अष्टक का प्रसार करता है अर्थात् अपने बाह्य कोश में 8 से अधिक इलेक्ट्रॉन रख सकता है जिसके कारण PF5 बनता है।
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PF5 में फॉस्फोरस के पाँच सहसंयोजक हैं तथा फॉस्फोरस के बाह्य कोश में कुल 10 इलेक्ट्रॉन हैं।

प्रश्न 2.
अमोनिया तथा फॉस्फीन बनाने की प्रयोगशाला विधि का रासायनिक समीकरण लिखिए तथा सफेद फॉस्फोरस की क्लोरीन से अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण भी लिखिए। (2016)
उत्तर
अमोनिया गैस बनाने की प्रयोगशाला विधि का रासायनिक समीकरण – प्रयोगशाला में अमोनिया गैस अमोनियम क्लोराइड को बुझे हुए चूने के साथ गर्म करके बनायी जाती है।
2NH4Cl + Ca(OH)2 → CaCl2 + 2NH3 + 2H2O

फॉस्फीन गैस बनाने की प्रयोगशाला विधि का रासायनिक समीकरण – प्रयोगशाला में फॉस्फीन गैस वायु की अनुपस्थिति में सफेद फॉस्फोरस को सान्द्र कास्टिक सोडा विलयन के साथ गर्म करके बनायी जाती है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 45
सफेद फॉस्फोरस की क्लोरीन से अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण – सफेद फॉस्फोरस साधारण ताप पर क्लोरीन गैस में स्वत: जलने लगता है।
P4 + 6Cl2 → 4PCl3
P4 + 10Cl2 → 4PCl5

प्रश्न 3.
फॉस्फीन बनाने की प्रयोगशाला विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। इसके दो गुण एवं उपयोग लिखिए। (2009, 10, 12, 13, 16, 17, 18)
उत्तर
प्रयोगशाला में फॉस्फीन को सान्द्र सोडियम हाइड्रॉक्साइड को अक्रिय वातावरण में सफेद फॉस्फोरस के साथ उबालकर प्राप्त करते हैं।
P4 + 3NaOH + 3H2O → 3NaH2PO2 + PH3
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 46
इसके दो प्रमुख गुण निम्नवत् हैं –

  1. यह वायु से भारी तथा जल में अल्प विलेय होती है।
  2. यह विषैली प्रकृति की होती है।

इसके दो प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं –

  1. इसका उपयोग धातुओं के फॉस्फाइड बनाने में किया जाता है।
  2. इसका उपयोग समुद्री यात्राओं में होम्ज सिग्नल के लिए किया जाता है।

प्रश्न 4.
अमोनिया तथा फॉस्फीन के दो रासायनिक विभेदीय परीक्षण लिखिए। (2014)
उत्तर

  1. अमोनिया जलीय कॉपर सल्फेट के साथ गहरा नीला विलयन बनाती है जबकि फॉस्फीन जलीय कॉपर सल्फेट के साथ कॉपर फॉस्फाइड बनाती है।
  2. अमोनिया सान्द्र HCl के साथ सघन श्वेत धूम देती है जबकि फॉस्फीन HCl से क्रिया करके फॉस्फोनियम क्लोराइड बनाती है।

प्रश्न 5.
होम्ज सिग्नल में किस गैस का प्रयोग किया जाता है और कैसे? (2010)
उत्तर
होम्ज सिग्नल में फॉस्फीन गैस का प्रयोग किया जाता है। इस कार्य के लिए कैल्सियम फॉस्फाइड व कैल्सियम कार्बाइड से भरे हुए दो डिब्बे छेद करके समुद्र में डाल दिये जाते हैं। जल के सम्पर्क में आने पर फॉस्फीन तथा ऐसीटिलीन दोनों ही साथ-साथ जलती हैं।

  • Ca3P2 + 6H2O → 3Ca(OH)2 + 2PH3
  • CaC2 + 2H2O → Ca(OH)2 + C2H2 ↑

फॉस्फीन शीघ्र ज्वलनशील होने के कारण ऐसीटिलीन को जला देती है जिससे प्रकाश उत्पन्न होता है तथा दूर से ऐसा लगता है कि समुद्र में आग लग रही है। इस प्रकार से सूचना समुद्री जहाज के चालकों को मिल जाती है।

प्रश्न 6.
डाइऑक्सीजन के विरचन की प्रमुख विधियाँ तथा इसके रासायनिक गुण एवं उपयोग लिखिए। (2016)
उत्तर
विरचन की विधियाँ

  1. ब्रिन विधि – बेरियम ऑक्साइड वायु में 500°C पर गर्म करने पर बेरियम परॉक्साइड में बदल जाता है तथा बेरियम परॉक्साइड 800°C पर गर्म करने से पुन: BaO और O2 में अपघटित हो जाता है।
    • 2 BaO + O2 [latex]\underrightarrow { { 500 }^{ 0 }C } [/latex] 2BaO2
    • 2BaO2 [latex]\underrightarrow { { 800 }^{ 0 }C } [/latex] 2BaO + O2
  2. प्रयोगशाला विधि – प्रयोगशाला में ऑक्सीजन गैस पोटैशियम क्लोरेट और मैंगनीज डाइऑक्साइड के मिश्रण को 340°C तक गर्म करके बनायी जाती है।
    UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 47

रासायनिक गुण
ऑक्सीकारक गुण – लगभग सभी तत्त्व ऑक्सीजन से सीधे संयोग करके ऑक्साइड बनाते हैं।

  1. C + O2 → CO2 + ऊष्मा + प्रकाश
  2. S + O2 → SO2 + ऊष्मा + प्रकाश
  3. 4P + SO2 → 2P2O5 + ऊष्मा + प्रकाश
  4. 3Fe + 2O2 → Fe3O4
  5. CH4 + 2O2 → CO2 + 2H2O

उपयोग

  1. ऑक्सीकारक के रूप में
  2. श्वसन में,
  3. रासायनिक उद्योगों में
  4. ऑक्सी-ऐसीटिलीन ज्वाला प्राप्त करने में

प्रश्न 7.
सीमेन्स और हाल्सके ओजोनाइजर द्वारा ओजोन के निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए तथा पोटैशियम फैरोसायनाइड और स्टेनस क्लोराइड पर इसकी अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए। (2016)
उत्तर
सीमेन्स और हाल्सके ओजोनाइजर द्वारा ओजोन का औद्योगिक निर्माण – ओजोन का औद्योगिक निर्माण सीमेन्स और हाल्सके (Siemens and Halske) ओजोनाइजर द्वारा किया जाता है। इस ओजोनाइजर की रचना संलग्न चित्र में प्रदर्शित है। यह ओजोनाइजर लोहे का एक बॉक्स होता है जिसमें काँच या पॉर्सिलेने की कई बेलनाकार नलियाँ होती हैं। इन नलियों में ऐलुमिनियम की छड़े लगी होती हैं। जिनका निचला सिरा काँच की प्लेट पर टिका रहता है। ये छड़े इलेक्ट्रोडों का कार्य करती हैं।

उपकरण को ठण्डा रखने के लिए बेलनाकार नलियों के चारों ओर ठण्डा जल लगातार प्रवाहित किया जाता है। लोहे के बॉक्स को भू-सम्पर्कित करके छड़ों को लगभग 10 हजार वोल्ट के विभव पर रखा जाता है। ओजोनाइजर के निचले भाग से शुद्ध और शुष्क ऑक्सीजन गैस की मन्द धारा ओजोनाईजर में प्रवाहित की जाती है। छड़ों और नलियों के बीच के वलयाकार अन्तराल (annular space) में ऑक्सीजन प्रवेश करती है तथा ऊपर की ओर उठती है और ओजोन में परिवर्तित हो जाती है। बाहर निकलने वाली ओजोनित ऑक्सीजन में ओजोन आयतन से 10% तक होती है।
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ओजोन की पोटैशियम फैरोसायनाइड से अभिक्रिया
यह पोटैशियम फैरोसायनाइड को पोटैशियम फैरीसायनाड में ऑक्सीकृत करती है।
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ओजोन की स्टेनस क्लोराइड से अभिक्रिया
यह स्टैनस क्लोराइड को स्टैनिक क्लोराइड में ऑक्सीकृत करती है।
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प्रश्न 8.
ओजोन एक ऑक्सीकारक एवं अपचायक पदार्थ है। उदाहरणों द्वारा समीकरण देते हुए इस कथन की पुष्टि कीजिए। (2012)
उत्तर
ओजोन एक ऑक्सीकारक एवं अपचायक दोनों है। इसे हम निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा समझ सकते हैं –

  1. ऑक्सीकारक गुण – ओजोन जल की उपस्थिति में सल्फर को सल्फ्यूरिक अम्ल में ऑक्सीकृत कर देती है।
    • S + H2O + 3O3 → H2SO4 + 3O2
  2. अपचायक गुण – ओजोन बेरियम परॉक्साइड को बेरियम मोनोऑक्साइड में अपचयित कर देती है।
    • BaO2 + O3 → BaO + 2O2

प्रश्न 9.
ओजोन की मर्करी, शुष्क आयोडीन तथा स्टैनस क्लोराइड से अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए। (2016)
उत्तर

  1. ओजोन की मर्करी से अभिक्रिया का समीकरण
    ओजोन मर्करी को मयूरस ऑक्साइड में ऑक्सीकृत कर देती है।
    UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 51
  2. ओजोन की शुष्क आयोडीन से अभिक्रिया का समीकरण
    ओजोन शुष्क आयोडीन को पीले रंग के ऑक्साइड (I4O9) में ऑक्सीकृत कर देती है।
    UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 52
  3. ओजोन की स्टैनस क्लोराइड से अभिक्रिया का समीकरण
    ओजोन स्टैनस क्लोराइड को स्टैनिक क्लोराइड में ऑक्सीकृत कर देती है।
    UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 53

प्रश्न 10.
‘सल्फर के अपररूप’ पर टिप्पणी लिखिए। (2016)
उत्तर
सल्फर के अनेक क्रिस्टलीय अपररूप ज्ञात हैं; जैसे- रोम्बिक सल्फर (rhombic sulphur or d-sulphur), मोनोक्लाइनिक सल्फर (monoclinic sulphur or B-sulphur), अमॉरफस सल्फर (amorphous sulphur), कोलॉइडी सल्फर (colloidal sulphur), प्लास्टिक सल्फर (plastic sulphur) आदि। रीम्बिक सल्फर और मोनोक्लाइनिक सल्फर, सल्फर के दो मुख्य अपररूप हैं। रोम्बिक और मोनोक्लाइनिक सल्फर दोनों के क्रिस्टल S8 अणुओं से बने होते हैं किन्तु क्रिस्टलों में अणओं की व्यवस्था में अन्तर होता है। साधारण ताप पर सल्फर का स्थायी रूप रोम्बिक सल्फर है। गर्म करने पर 95.6°C पर रोम्बिक सल्फर धीरे-धीरे मोनोक्लाइनिक सल्फर में बदल जाती है। 95.6°C से ऊपर के किसी ताप से ठण्डा करने पर मोनोक्लाइनिक सल्फर 95.6°C पर पुन: रोम्बिक सल्फर में बदल जाती है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 54
95.6°C से नीचे सल्फर का स्थायी रूप रोम्बिक रूप और 95.6°C से ऊपर मोनोक्लाइनिक रूप विद्यमान होता है।

प्रश्न 11.
सल्फर डाइऑक्साइड के निर्माण की प्रयोगशाला विधि का वर्णन कीजिए। इसके ऑक्सीकारक और अपचायक गुण देते हुए इसके उपयोग भी दीजिए। (2016, 17)
उत्तर
प्रयोगशाला विधि – प्रयोगशाला में सल्फर डाइऑक्साइड गैस कॉपर धातु की छीलन को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करके बनाई जाती है।
Cu + 2H2SO4 → CuSO4 + 2H2O + SO2
ऑक्सीकारक गुण – सल्फर डाइऑक्साइड अनेक क्रियाओं में ऑक्सीकारक का कार्य करती हैं; जैसे-

  1. H2S का S में ऑक्सीकरण
    • 2H2S + SO2 → 3S + 2H2O
  2. आयरन का फेरस ऑक्साइड में ऑक्सीकरण
    • 3Fe + SO2 → 2FeO + FeS

अपचायक गुण – सल्फर डाइऑक्साइड अनेक क्रियाओं में अपचायक का कार्य करती हैं; जैसे-

  1. K2Cr2O7 का Cr2(SO4)3 में अपचयन
    • K2Cr2O7 + H2SO4 + 3SO2 → K2SO4 + Cr2(SO4)3 + H2O
  2. Cl को HCl में अपचयन
    • Cl2 + 2H2O + SO2 → H2SO4 + 2HCl

उपयोग

  1. ऑक्सीकारक के रूप में
  2. अपचायक के रूप में
  3. कीटाणु और रोगाणुनाशक के रूप में
  4. चीनी उद्योग में

प्रश्न 12.
सीसा कक्ष विधि द्वारा सल्फ्यूरिक अम्ल के निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए। संयंत्र के प्रत्येक भाग में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण भी दीजिए। (2016, 18)
उत्तर
सीसा कक्ष विधि द्वारा सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण करने में सल्फर डाइऑक्साइड, वायु और नाइट्रिक ऑक्साइड (उत्प्रेरक) मिश्रण के भाग से क्रिया कराने पर सल्फ्यूरिक अम्ल प्राप्त होता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 55
इस विधि द्वारा सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण करने में प्रयुक्त संयंत्र संलग्न चित्र में प्रदर्शित है। इस संयंत्र के गुणक भाग और उनमें होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण निम्नवत् हैं –
1. पाइराइट बर्नर

  • 4FeS2 + 11O2 → 2Fe2O3 + 8SO2
  • S +O2 → SO2

2. धूल कक्ष – पाइराइट बर्नर में प्राप्त सल्फर डाइऑक्साइड गैस और वायु के मिश्रण को धूल कक्ष में भेजा जाता है। इस कक्ष में गैसीय मिश्रण भाप के सम्पर्क में आता है और उसमें उपस्थित धूल के कण भारी होकर कक्ष की पेंदी में बैठ जाते हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 56
3. नाइटर पात्र 
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 57
4. ग्लोवर टावर 

  • SO2 + NO2 + H2O → H2SO4 + NO
  • 2(NO . HSO4) + H2O → 2H2SO4 + NO2 + NO

5. सीसा कक्ष 

  • 2SO2 + O2 + 2NO + 2H2O → 2H2SO4 + 2NO

6. गे-लुसैक टावर

  • 2H2SO4 + NO + NO2 → 2(NO . HSO4) + H2O

प्रश्न 13.
सल्फ्यूरिक अम्ल एक ऑक्सीकारक एवं निर्जलीकारक है। इसके एक-एक उदाहरण दीजिए। (2009, 10, 11, 12, 16, 18)
उत्तर
1. ऑक्सीकारक गुण – गर्म करने पर सान्द्र H2SO4 अपघटित होकर ऑक्सीजन परमाणु देता है और ऑक्सीकारक का कार्य करता है।
H2SO4 → SO2 + H2O + O

(i) HBr तथा HI को क्रमश: Br2 और I2 में ऑक्सीकृत कर देता है।

  • 2HBr + H2SO4 → Br2 ↑ + SO2 ↑ + 2H2O
  • 2HI + H2SO4 → I2 ↑ + SO2 ↑ + 2H2O

(ii) कार्बन को CO2 में तथा सल्फर को SO2 में ऑक्सीकृत करता है।

  • C + 2 H2SO4 → CO2 ↑ + 2SO2 ↑ + 2H2O
  • S + 2 H2SO4 → 3SO2 ↑ + 2H2O

2. निर्जलीकारक गुण – यह कार्बनिक यौगिकों; जैसे–चीनी, फॉर्मिक अम्ल तथा ऑक्लैलिक अम्ल से जल का शोषण कर लेता है। अतः चीनी काली पड़ जाती है।
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प्रश्न 14.
क्लोरीन, ब्रोमीन तथा आयोडीन के फ्लोरीन से बने किन्हीं चार अन्तरा हैलोजन यौगिकों के बनाने का रासायनिक समीकरण दीजिए। (2016)
उत्तर
अन्तरा हैलोजन यौगिक दो भिन्न हैलोजनों के सीधे संयोग द्वारा या निम्न अन्तरा हैलोजन यौगिक की हैलोजन से क्रिया द्वारा बनाए जाते हैं।

  • Cl2 + F2 [latex]\underrightarrow { { 250 }^{ 0 }C } [/latex] 2ClF
  • Cl2 + 3F2 (आधिक्य) [latex]\underrightarrow { { 500 }^{ 0 }C } [/latex] 2ClF3
  • Br2 + 5F2 (आधिक्य) [latex]\underrightarrow { { 500 }^{ 0 }C } [/latex] 2BrF5
  • IF5 + F2 → IF7

प्रश्न 15.
अन्तरा हैलोजन यौगिक क्या हैं? उदाहरण द्वारा समझाइए। AB3 प्रकार के क्लोरीन तथा फ्लोरीन के अन्तरा हैलोजन यौगिक बनाने का रासायनिक समीकरण लिखिए। (2014, 16)
या
ClF3 के बनाने की विधि का ताप तथा दाब की परिस्थितियों को दिखाते हुए रासायनिक समीकरण लिखिए। (2017)
उत्तर
दो भिन्न हैलोजन परमाणु X तथा X’ से बने यौगिक अन्तरा हैलोजन यौगिक कहलाते हैं। इनका सामान्य सूत्र XX’ और XX’n है। (जहाँ n = 3 से 7 तक)
IF को छोड़कर सभी XX’ प्रकार के अन्तराहैलोजन यौगिक बनाये गए हैं।
AB3 प्रकार के क्लोरीन तथा फ्लोरीन के अन्तरा हैलोजन यौगिक
Cl2 + 3F2 [latex]\underrightarrow { { 300 }^{ 0 }C } [/latex] 2ClF3

प्रश्न16.
आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों के स्थान की विवेचना कीजिए। (2015)
उत्तर
आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों को दायीं ओर शून्य समूह (वर्ग-18) में रखा गया है। इन तत्त्वों को इनके गुणों में समानता होने के कारण एक साथ रखा गया है। He को छोड़कर सभी अक्रिय गैसों के बाह्य कोश में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं। रेडॉन को छोड़कर सभी अक्रिय गैसें वायुमण्डल में मौजूद हैं। आन्तरिक और बाह्य सभी कोश पूर्ण होने के कारण ये रासायनिक रूप से निष्क्रिय होती हैं। अत: इन्हें अक्रिय गैस कहा जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर नाइट्रोजन वर्ग (पाँचवे वर्ग) के तत्त्वों की आवर्त सारणी में स्थिति की विवेचना कीजिए। (2009, 10, 11, 12, 15)
उत्तर
नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, आर्सेनिक, ऐण्टिमनी तथा बिस्मथ को आवर्त सारणी के V-A उपसमूह में रखा गया है। इन तत्त्वों को नाइट्रोजन परिवार के तत्त्व कहते हैं। इन्हें प्रायः निक्टोजन (Pnictogen) भी कहते हैं। ये तत्त्व p-ब्लॉक के तत्त्व हैं। इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न प्रकार है –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 59
सभी तत्त्वों के बाहरी कोश में 5 इलेक्ट्रॉन हैं और बाह्यतम कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास nsnp3 है। भीतर के सभी उपकोश पूर्ण हैं। इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में समानता होने के कारण इनको एक ही उपसमूह में रखा जाना उचित है।
इनके गुणों में समानता तथा उनमें क्रमिक परिवर्तन तत्त्वों को एक ही उपवर्ग में रखे जाने की पुष्टि करते हैं।
गुणों में समानता

  1. इन तत्त्वों की मुख्य संयोजकता 3 तथा 5 है।
  2. ये (N2 को छोड़कर) स्वतन्त्र अवस्था में नहीं पाये जाते हैं।
  3. N2 के अतिरिक्त सभी ठोस हैं।
  4. N2 को छोड़कर सभी अपररूपता प्रदर्शित करते हैं।
  5. ये सभी हाइड्राइड बनाते हैं और सभी सहसंयोजक यौगिक हैं; जैसे- NH3, PH3, AsH3, SbH3 तथा BiH3.
  6. ये सभी बहु-परमाणुकता प्रकट करते हैं।
  7. ये सभी M2O3 तथा M2O5 प्रकार के ऑक्साइड बनाते हैं। नाइट्रोजन N2O, NO, NO2 प्रकार के भी ऑक्साइड बनाती है।
  8. ये सभी MX3 प्रकार के हैलाइड बनाते हैं, जिनका जल-अपघटन हो जाता है।
    • NCl3 +3 H2O → NH3 ↑ + 3HOCl
      UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 60
      UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 61

गुणों में क्रमिक परिवर्तन – परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ ऊपर से नीचे की ओर चलने पर

  1. परमाणु त्रिज्या तथा इलेक्ट्रॉन बन्धुता बढ़ती है।
  2. आयनन विभव तथा ऋण-विद्युतता घटती है।
  3. धात्विक लक्षण बढ़ता है।
    • UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 62
  4. इनके क्वथनांक तथा घनत्व क्रमशः बढ़ते हैं।
  5. इनके ऑक्साइडों का अम्लीय लक्षण घटता है।
    • UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 63
  6. जबकि नाइट्रोजन के ऑक्साइडों में अम्लीय प्रकृति का क्रम इस प्रकार है –
    • N2O < NO < N2O3 < N2O4 < N2O5
  7. हाईड्राइडों का स्थायित्व घटता है, विषैलापन बढ़ता है और क्षारीय गुण घटता है, जबकि अम्लीय गुण बढ़ता है।
    • UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 64
  8. इनके गलनांक व क्वथनांक NH3 से SbH3 तक घटते हैं, जबकि अपचायक क्रम इस प्रकार है –
    • BiH3 > SbH3 > AsH3 > PH3
  9. इन सभी में sp3 -संकरण होता है और पिरेमिड ज्यामिति होती है, परन्तु बन्ध कोण NH3 से BiH तक घटता है।
  10. इनके ऑक्सी-अम्लों की प्रबलता घटती है।
    • HNO3 > H3PO4 > H3AsO4 > H3SbO4 > H3BiO4
  11. इनके हैलाइडों का स्थायित्व N से Bi तक बढ़ता है तथा वाष्पशीलता घटती है। अतः ये ट्राइहैलाइड बनाते हैं।
    • UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 65

नाइट्रोजन को छोड़कर अन्य सभी तत्त्व पेण्टाहैलाइड भी बनाते हैं।

प्रश्न 2.
हेबर विधि द्वारा अमोनिया के औद्योगिक निर्माण का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजिए। इसके दो प्रमुख गुण एवं दो उपयोग लिखिए। इस विधि में ला-शातेलिए नियम का क्या महत्त्व है ? (2009, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 17)
उत्तर
हेबर विधि का सिद्धान्त–यदि शुद्ध नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के 1 : 3 अनुपात के मिश्रण को गर्म किया जाए तो अमोनिया बनती है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 66
यह एक ऊष्माक्षेपी उत्क्रमणीय अभिक्रिया है और क्रिया के पश्चात् आयतन में कमी होती है, इसलिए ला-शातेलिए के नियमानुसार कम ताप और अधिक दाब पर अमोनिया अधिक उत्पन्न होगी। कम ताप पर अभिक्रिया का वेग बढ़ाने के लिए एक उत्प्रेरक प्रयोग किया जाता है। इस अभिक्रिया का उत्प्रेरक की उपस्थिति में अनुकूलतम ताप 450°-500°C तथा उच्च दाब 200 वायुमण्डल है; क्योंकि अभिक्रिया उत्क्रमणीय है, इसलिए अमोनिया को बराबर क्रिया क्षेत्र से हटाने के बाद, अमोनिया गैस अधिक बनेगी। इस अभिक्रिया में लोहे का बारीक चूर्ण (उत्प्रेरक) तथा मॉलिब्डेनम (उत्प्रेरक वर्धक) की सूक्ष्म मात्रा प्रयुक्त होती है। इसमें गैसीय मिश्रण शुद्ध होना चाहिए जिससे उत्प्रेरक विषाक्त न हो।
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विधि- शुद्ध N2 तथा H2 को 1 : 3 अनुपात में मिलाकर 200 वायुमण्डल दाब पर तप्त लोहे के बारीक चूर्ण (उत्प्रेरक) को, जिसमें मॉलिब्डेनम (उत्प्रेरक वर्धक) मिला होता है, 500°C ताप पर गर्म करते हैं। इस विधि में 10 – 15% अमोनिया बनती है, जिसे संघनित्र में प्रवाहित करके द्रवित कर लेते हैं। शेष गैसों को फिर से उत्प्रेरक कक्ष में प्रवाहित करते हैं जिससे N2 व H2 के संयोजन द्वारा NH3 का लगातार उत्पादन होता रहता है।
रासायनिक गुण
1. क्षारीय गुण – यह क्षारीय गैस है तथा लाल लिटमस को नीला कर देती है। यह अम्लों से क्रिया करके लवण बनाती है।
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2. धातु ऑक्साइडों का अपचयन – यह धातु ऑक्साइडों को अपचयित कर देती है।
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उपयोग

  1. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
  2. बर्फ बनाने तथा कोल्ड स्टोरेज में प्रशीतक के रूप में; क्योंकि इसके वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 327 कैलोरी/ग्राम (उच्च) होती है।

प्रश्न 3.
प्रयोगशाला में नाइट्रस ऑक्साइड बनाने की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। नाइट्रस ऑक्साइड के दो प्रमुख रासायनिक गुण एवं दो उपयोग लिखिए। (2009, 11)
उत्तर
प्रयोगशाला में नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) को सोडियम नाइट्रेट तथा अमोनियम सल्फेट के मिश्रण को अथवा केवल अमोनियम नाइट्रेट को गर्म करके बनाया जाता है।
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अमोनियम सल्फेट व सोडियम नाइट्रेट के मिश्रण को एक गोल पेंदे के फ्लास्क में लेकर गर्म किया जाता है। इस क्रिया से N2O बनती है, जिसमें Cl2, NO व NH3 की अशुद्धियाँ होती हैं। अत: इस गैस को क्रमशः NaOH विलयन, FeSO4 विलयन व सान्द्र H2SO4 में से प्रवाहित किया जाता है जहाँ क्रमशः Cl2, NO व NH3 एवं जल-वाष्प आदि अशुद्धियाँ अवशोषित हो जाती हैं। N2O ठण्डे जल में अत्यन्त विलेय है; अतः इसे गर्म पानी के ऊपर गैस जार में एकत्रित कर लेते हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 71
रासायनिक गुण

  1. सोडामाइड से अभिक्रिया होने पर सोडियम ऐजाइड बनता है।
    • NaNH2 + N2O → NaN3 + H2O
  2. KMnO4 इसको नाइट्रिक ऑक्साइड में ऑक्सीकृत कर देता है।
    • N2O + [O] [latex]\xrightarrow [ { KMnO }_{ 4 } ]{ { H }_{ 2 }{ SO }_{ 4 } } [/latex] 2NO ↑

उपयोग

  1. ऑक्सीजन के साथ इसका मिश्रण दाँतों की शल्य चिकित्सा (dental surgery) में निश्चेतक (anaesthetic) के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  2. सोडियम ऐजाइड बनाने में।

प्रश्न 4.
ओस्टवाल्ड विधि द्वारा नाइट्रिक अम्ल के औद्योगिक निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए। सम्बन्धित अभिक्रियाओं का समीकरण दीजिए। तनु नाइट्रिक अम्ल (20%) की लेड पर अभिक्रिया लिखिए। (2011, 14, 15, 16, 17)
या
अमोनिया से नाइट्रिक अम्ल के निर्माण की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए तथा अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण भी दीजिए। Cu पर इस अम्ल की क्रिया किस प्रकार होती है? यदि अम्ल (i) गर्म और सान्द्र हो (ii) ठण्डा और तनु हो। सभी अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए। (2009, 11, 13)
उत्तर
ओस्टवाल्ड विधि- इसमें अमोनिया गैस वायु से ऑक्सीकृत होकर नाइट्रिक ऑक्साइड बनाती है जो फिर ऑक्सीकृत होकर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड देती है। यह जल से क्रिया करके नाइट्रिक अम्ल में परिवर्तित हो जाती है।

  • 4NH3 + 5O2 [latex]\underrightarrow { Pt } [/latex] 4NO + 6H2O
  • 2NO + O2 → 2NO2
  • 3NO2 + H2O → 2HNO3 + NO ↑

शुद्ध NH3 व वायु का मिश्रण 1 : 9 के अनुपात में परिवर्तक में प्रवाहित किया जाता है। यहाँ प्लेटिनम की जाली 650° – 800°C पर गर्म रखी जाती है जो उत्प्रेरक का कार्य करती है। यहाँ NH3 का 90% भाग ऑक्सीकृत होकर नाइट्रिक ऑक्साइड बनाता है। अब गैसों का मिश्रण ऑक्सीकारक स्तम्भ में पहुँचाया जाता है, जहाँ NO ऑक्सीकृत होकर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड देती है। NO2 अवशोषण स्तम्भ में जल में अवशोषित होकर नाइट्रिक अम्ल बनाती है।
इस प्रकार प्राप्त नाइट्रिक अम्ल तनु होता है। इसका आसवन करने पर एक निश्चित क्वथनांक का मिश्रण प्राप्त होता है, जिसे साधारण सान्द्र नाइट्रिक अम्ल कहते हैं।
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तनु नाइट्रिक अम्ल की लेड पर अभिक्रिया– इस अभिक्रिया के फलस्वरूप लेड नाइट्रेट, NO व जल बनता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 73
Cu पर क्रिया

  1. गर्म और सान्द्र HNO3 कॉपर से क्रिया करके Cu (NO3)2, N2 और जल देता है।
    • 5Cu + 12HNO3 → 5Cu (NO3)2 + N2 ↑ + 6H2O
  2. ठण्डा और तनु HNO, कॉपर से क्रिया करके Cu(NO3)2 N2O और जल देता है।
    • 4Cu + 10HNO3 → 4Cu (NO3)2 + N2O ↑ + 5H2O

प्रश्न 5.
हड्डी की राख से फॉस्फोरस प्राप्त करने की आधुनिक विधि का वर्णन कीजिए। फॉस्फोरस से फॉस्फीन गैस कैसे बनाओगे? (2009, 10, 11)
उत्तर
हड्डियों की राख या खनिज कैल्सियम फॉस्फेट [Ca3(PO4)2] को कोक एवं रेत के साथ मिलाकर हॉपर मार्ग से पेचदार चालक की सहायता से विद्युत भट्ठी में गिराते हैं। इस भट्ठी में दो कार्बन इलेक्ट्रोड होते हैं जिनके बीच विद्युत आर्क उत्पन्न किया जाता है। जिसके फलस्वरूप 1500°C ताप उत्पन्न हो जाता है। सर्वप्रथम कैल्सियम फॉस्फेट [Ca3(PO4)2], रेत (SiO2) के साथ क्रिया कर कैल्सियम सिलिकेट (CaSiO3) और फॉस्फोरस पेन्टॉक्साइड (P2O5) बनाता है। फिर P2O5 कार्बन द्वारा अपचयित होकर फॉस्फोरस की वाष्प देता है। यह वाष्प ऊपर के द्वार से निकलकर जल में ठोस रूप में एकत्रित हो जाती है। कैल्सियम सिलिकेट (धातुमल) नीचे के द्वार से निकाल लिया जाता है।
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2P2O5 + 10C → P4 + 10CO ↑

शुद्धिकरण– इस प्रकार प्राप्त फॉस्फोरस में कुछ अशुद्धियाँ होती हैं। इनको पृथक् करने के लिए एक टैंक में अशुद्ध फॉस्फोरस को क्रोमिक अम्ल (K2Cr2O7 + सान्द्र H2SO4) में डालकर पिघलाते हैं। इससे अशुद्धियाँ ऑक्सीकृत होकर मल के रूप में द्रव के ऊपर तैरने लगती हैं और फॉस्फोरस एक निर्मल और रंगहीन द्रव के रूप में टैंक के पेंदे में बैठ जाता है। पिघले हुए फॉस्फोरस को एक लम्बी नली में से प्रवाहित करते हैं जिसमें वह ठण्डा होकर जम जाता है। नली में जल डालकर ठोस फॉस्फोरस को जल में एकत्रित करते हैं।
फॉस्फोरस से फॉस्फीन गैस बनाना – फॉस्फोरस को निष्क्रिय वातावरण में NaOH के सान्द्र विलयन के साथ गर्म करने पर फॉस्फीन गैस बनती है।
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प्रश्न 6.
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में ऑक्सीजन एवं सल्फर तत्त्वों की स्थिति की विवेचना कीजिए। (2010)
या
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में ऑक्सीजन परिवार (VI-A वर्ग के तत्त्वों) के तत्त्वों की स्थिति की विवेचना कीजिए। (2012)
उत्तर
मेंडलीव की आवर्त सारणी के VI-A समूह में पाँच तत्त्व हैं। तत्त्वों का यह परिवार ‘ऑक्सीजन परिवार’ कहलाता है। इस समूह के प्रथम चार तत्त्वों को सामूहिक रूप में ‘कैल्कोजन’ (chalcogen) के रूप में पुकारा जाता है। इस समूह में परमाणु भार की वृद्धि के साथ धात्विक या धन विद्युतीय गुण बढ़ता है तथा घनत्व, क्वथनांक और गलनांक में वृद्धि होती है। इस समूह में O, S अधातु हैं, जबकि Se व Te उपधातुएँ हैं और Po धातु है।
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रासायनिक गुणों में ऑक्सीजन, परिवार के अन्य तत्त्वों से भिन्न है, परन्तु अन्य सभी तत्त्वों के गुणों में समानता पाई जाती है।

  1. 1. ऑक्सीजन, सल्फर व सेलीनियम परमाणु के बाह्यतम संयोजी कक्ष में 6 इलेक्ट्रॉन हैं।UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 77
    अतः इन तीनों तत्त्वों के परमाणु रासायनिक अभिक्रिया में अन्य परमाणुओं से 2 इलेक्ट्रॉन लेकर अथवा 2 इलेक्ट्रॉन के जोड़े साझा करके अपनी बाह्यतम कक्ष में अधिकतम इलेक्ट्रॉन (8) प्राप्त करने हेतु संयोग करते हैं।
  2. तीनों ही अधातु हैं (Se धात्विक गुण भी रखती है) जो प्रकृति में स्वतन्त्र व संयुक्त अवस्था में पाये जाते है।
  3. तीनों समान यौगिक बनाते हैं।
    • CO2, H2O, P2O5, As2O5,
    • SO2, H2S, P2S5, As2S5,
    • SeO2, H2Se, P2Se3,
    • C2H2OH तथा C2H2SH; C2H2-O-C2H5 तथा C2H5-S-C2H5
  4. तीनों ही हाइड्रोजन के साथ संयोग कर लेते हैं।
    • H2O, H2S, H2S3, H2Se,
    • H2O2, H2S2, H2S4
  5. तीनों ही RO2 प्रकार के ऑक्साइड बनाते हैं; जैसे- O3,SO2, SeO2 आदि। O3 ऑक्सीजन का ऑक्साइड माना जाता है।
  6. तीनों ही कार्बन के साथ संयोग करके क्रमश: CO2, CS2 व CSe2 बनाते हैं।
  7. तीनों ही अपररूपती प्रदर्शित करते हैं।
  8. तीनों तत्त्व ऑक्सीजन, सल्फर व सेलीनियम शृंखलन गुण भी व्यक्त करते हैं।
  9. धातु से क्रिया– ये Na, Cu, Zn, Fe आदि धातुओं के साथ क्रिया करके क्रमश: ऑक्साइड, सल्फाइड व सेलिनाइड बनाते हैं।
  10. ऑक्साइड व ऑक्सी अम्ल– ये तत्त्व ऑक्सीजन से संयोग करके डाई ऑक्साइड बनाते हैं। (सल्फर ट्राइ ऑक्साइड) भी बनाते हैं; जैसे- SO2, SeO2 आदि। ये जल में घुलकर ऑक्सी अम्ल बनाते हैं।
    • SO2 + H2 → H2SO3
    • SeO2 + H2O → H2SeO3
      इनकी प्रबलता का क्रम H2SO3 > H2SeO3 है।

अतः स्पष्ट है कि ऑक्सीजन, सल्फर व सेलीनियम तीनों को ही आवर्त सारणी के षष्ठम् समूह में एक साथ रखना औचित्यपूर्ण है।

प्रश्न 7.
शुद्ध ओजोन किस प्रकार प्राप्त करते हैं? Sncl2, FeSO2 और KI के साथ इसकी अभिक्रियाएँ लिखिए। (2009, 11, 14)
या
ओजोन बनाने की प्रयोगशाला विधि का वर्णन कीजिए। प्रयुक्त उपकरण का नामांकित रेखाचित्र दीजिए तथा इसके दो ऑक्सीकारक गुण दीजिए। समीकरण भी लिखिए। (2011, 13)
या
ब्रॉडी के ओजोनाइजर द्वारा ओजोन बनाने की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। इसके दो मुख्य उपयोग भी लिखिए। (2009)
या
ब्रॉडी ओजोनाइजर का नामांकित चित्र बनाइए। (2018)
उत्तर
प्रयोगशाला में ओजोन, ऑक्सीजन के नीरव विद्युत विसर्जन विधि द्वारा प्राप्त की जाती है।
3O2 → 2O3
नीरव विद्युत विसर्जन के लिए सीमेन्स का ओजोनाइजर या ब्रॉडी का ओजोनाइजर प्रयोग किया जाता है।
ब्रॉडी का ओजोनाइजर – यह एक U आकार की नली का बना होता है जिसका एक सिरा काफी चौड़ा होता है। इस सिरे में एक पतली परखनली को डालकर ऊपर वाले भाग को बन्द कर दिया जाता है। परखनली में तनु H2SO4 भरा होता है और उसमें एक प्लेटिनम का तार लटका देते हैं। सारे उपकरण को तनु H2SO4 में रखते हैं। इस बर्तन में भी एक प्लेटिनम का तार लटका देते हैं। प्लेटिनम के दोनों इलेक्ट्रोडों को चित्रानुसार प्रेरण कुण्डली से जोड़ देते हैं। नली में शुष्क ऑक्सीजन प्रवाहित करते हैं, जिससे 25% ओजोन प्राप्त होती है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 78
ऑक्सीकारक गुण

  1. 1. यह स्टेनस क्लोराइड को तनु HCl की उपस्थिति में स्टेनिक क्लोराइड में ऑक्सीकृत कर देती है।
    • 3SnCl2 +6HCl +O3 → 3SnCl4 +3H2O
  2. 2. यह फेरस सल्फेट को तनु H2SO4 की उपस्थिति में फेरिक सल्फेट में ऑक्सीकृत कर देती है।
    • 2FeSO2 + O3 + H2SO4 → Fe2(SO4)3 + H2O + O2
  3. KI विलयन में प्रवाहित करने पर I2 में ऑक्सीकृत कर देती है।
    • 2KI + H2O + O3 → 2KOH + I2 ↑ + O2

उपयोग

  1. प्रबल ऑक्सीकारक के रूप में।
  2. जीवाणुनाशक के रूप में।

प्रश्न 8.
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर क्लोरीन, ब्रोमीन एवं आयोडीन की आवर्त सारणी में स्थिति स्पष्ट कीजिए (2010)
या
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में हैलोजनों की स्थिति की विवेचना कीजिए। (2010, 12)
उत्तर
क्लोरीन, ब्रोमीन, आयोडीन को फ्लोरीन तथा ऐस्टैटीन के साथ आवर्त सारणी के VIIA उप-समूह में रखा गया है। VIIA के प्रथम चार तत्त्वों (F, CI, Br, I) को हैलोजन कहते हैं। ‘हैलोजन’ शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों ‘हैल्स’ (Hals) तथा ‘जेन्स’ (Genes) से हुई है, जिसका अर्थ है-समुद्री लवण पैदा करने वाला। ये सभी तत्त्वे अपने लवण के रूप में समुद्री जल में पाये जाते हैं। इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस प्रकार हैं –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 79
इन सभी तत्त्वों के बाहरी कोश में 7 इलेक्ट्रॉन होते हैं और बाहरी कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2 np5 है तथा भीतर के सभी कोश पूर्ण हैं। इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में समानता होने के कारण इनके गुणों में समानता है और उनमें क्रमिक परिवर्तन पाया जाता है।
गुणों में समानता

  1. ये वैद्युत संयोजकता (-1) तथा सह-संयोजकता दोनों ही प्रकट करते हैं।
  2. इनकी वाष्प रंगीन तथा तीक्ष्ण गन्ध वाली होती है।
  3. गैसीय अवस्था में ये द्वि-परमाणुक होते हैं।
  4. सभी प्रारूपिक अधातु हैं।
  5. हाइड्रोजन से सीधा संयोग कर हाइड्रो अम्ल बनाते हैं; जैसे- HCl, HBr, HI
  6. इनकी धातुएँ वाष्प में जलकर हैलाइड बनाती हैं।
    • 2Na + Cl2 → 2NaCl
    • Mg + Br2 → MgBr2
  7. Cl2 तथा Br2 जल के साथ क्रिया कर O2 निकालती है।
    • 2Cl2 + 2H2O → 4HCl + O2
  8. Cl2, Br2,I2, ऑक्सीकारक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
  9. ये तत्त्व वैद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं।
  10. क्षारों के साथ समान रूप से क्रिया करते हैं।
  11. सभी प्रबल ऑक्सीकारक हैं।
    • H2S + Cl2 → 2HCl + S
    • SO2 + Cl2 + 2H2O → 2HCl + H2SO4
  12. सभी अम्लीय ऑक्साइड बनाते हैं।

गुणों में क्रमिक परिवर्तन – परमाणु संरचना तथा गुणों की समानता से स्पष्ट है कि इन तत्त्वों को एक ही समूह में रखना न्यायोचित है। इसके अतिरिक्त तत्त्वों के गुणों में श्रेणीबद्ध परिवर्तन परमाणु क्रमांक के परिवर्तन पर निर्भर करता है तथा किसी समूह में तत्त्वों की विभिन्न स्थानों पर स्थिति का निर्णायक भी है। इन तत्त्वों के गुणों में परमाणु क्रमांक बढ़ने पर श्रेणीबद्ध परिवर्तन इस प्रकार हैं –

  1. तत्त्वों की अवस्था में क्रमिक परिवर्तन होता है; जैसे- क्लोरीन गैस है, ब्रोमीन द्रव तथा आयोडीन ठोस है।
  2. गैसों का रंग गहरा होता जाता है। अत: फ्लोरीन हल्की पीली है, क्लोरीन हरी-पीली, ब्रोमीन लाल-भूरी तथा आयोडीन वाष्प गहरी बैंगनी है।
  3. इनकी क्रियाशीलता घटती है।
  4. इनका ऑक्सीकारक स्वभाव भी घटता है।
  5. क्वथनांक बढ़ते हैं तथा आपेक्षिक ताप घटते हैं।
  6. परमाणु त्रिज्याएँ बढ़ती हैं।
  7. आयनन विभव घटते हैं।

इन तत्त्वों के गुणों में समानता तथा परमाणु क्रमांक में क्रमिक वृद्धि के साथ गुणों में श्रेणीबद्ध परिवर्तन इस बात का निर्णायक है कि ये तत्त्व एक समूह में रखे जाने चाहिए। इनके परमाणुओं के बाहरी कोश की ns2 np5 संरचना सह इंगित करती है कि इनकी सातवें समूह में स्थिति न्यायोचित है।

प्रश्न 9.
डीकन विधि द्वारा क्लोरीन के निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए। यह निम्नलिखित से किस प्रकार की क्रिया करती है? (2015)
(i) सोडियम आर्सेनाइट विलयन, (ii) गर्म चूने का पानी।
या
डीकन विधि द्वारा क्लोरीन के औद्योगिक निर्माण का सचित्र वर्णन कीजिए। इसकी अमोनिया के साथ अभिक्रिया लिखिए। आवश्यक रासायनिक समीकरण भी लिखिए। (2013, 15, 16, 18)
या
क्लोरीन के एक ऑक्सीकारक गुण का रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर
क्लोरीन के औद्योगिक निर्माण की निम्नलिखित तीन विधियाँ हैं-

  1. वेल्डन विधि
  2. डीकन विधि तथा
  3. वैद्युत-अपघटनी विधि।

डीकन विधि या HCl से क्लोरीन के निर्माण की विधि – इस विधि में HCl का ऑक्सीकरण क्यूप्रस क्लोराइड (उत्प्रेरक) की उपस्थिति में वायु की ऑक्सीजन द्वारा निम्न प्रकार किया जाता है –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 80
4HCl + O2 [latex]\underrightarrow { { Cu }_{ 2 }{ Cl }_{ 2 } } [/latex] 2H2O +2Cl2 ↑
उत्प्रेरक कक्ष में झाँबा पत्थर क्यूप्रस क्लोराइड विलयन में भिगोकर रख देते हैं तथा ताप 450°C कर देते हैं। HCl तथा वायु का मिश्रण 4 : 1 के अनुपात में लेकर उत्प्रेरक कक्ष में प्रवाहित किया जाता है। यहाँ क्लोरीन बनती है, पर इसमें HCl, N2,O2 तथा जल-वाष्प मिले होते हैं। इस मिश्रण को स्क्रबर में प्रवाहित करके HCl हटा देते हैं। दूसरे कक्ष में प्रवाहित करने पर सान्द्र H2SO4 द्वारा जल-वाष्प पृथक् कर देते हैं। इस प्रकार N2,O2 मिश्रित क्लोरीन प्राप्त होती है।
उत्प्रेरक की क्रिया निम्न प्रकार होती है –

  • 2Cu2Cl2 + O2 → 2Cu2OCl2
  • 2HCl + Cu2OCl2 → 2CuCl2 + H2O
  • 2CuCl2 → Cu2Cl2 + Cl2

क्रियाएँ

  1. यह सोडियम आर्सेनाईट को सोडियम आर्सिनेट में ऑक्सीकृत कर देती है।
    • Na3AsO3 + H2O + Cl2 → Na3AsO4 +2HCl
  2. क्लोरीन गर्म चूने के पानी के साथ कैल्सियम क्लोराइड तथा कैल्सियम क्लोरेट बनाती है।
    • 6Ca(OH)2 + 6Cl2 → 5CaCl2 + Ca(ClO3)2 + 6H2O

ऑक्सीकारक गुण – यह H2S को सल्फर में ऑक्सीकृत कर देती है।
H2S + Cl2 → 2HCl + S ↓
NH3 से अभिक्रिया
NH3 + 3Cl2 → NCl3 + 3HCl

प्रश्न10.
प्रयोगशाला में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के विरचन की विधि, प्रमुख रासायनिक गुण तथा उपयोग का वर्णन कीजिए। (2017)
उत्तर
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के विरचन की प्रयोगशाला विधि – प्रयोगशाला में हाइड्रोजन क्लाराइड गैस सोडियम क्लोराइड (नमक) को सान्द्र H2SO4 के सार्थ गर्म करके बनाई जाती है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 81
हाइड्रोजन क्लोराइड गैस को जल में अवशोषित करने पर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल प्राप्त होता है। हाइड्रोजन क्लोराइड गैस के जलीय विलयन को हाइड्रोक्लोरिक अम्ल कहते हैं।
हाइड्रोजन क्लोराइड गैस एवं हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बनाने में प्रयुक्त उपकरण संलग्न चित्र में प्रदर्शित है।

1. हाइड्रोजन क्लोराइड गैस बनाने की विधि – एक गोल पेंदे के फ्लास्क में कुछ सोडियम क्लोराईड (ठोस) लो और थिसेल फनल द्वारा सावधानी से सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल फ्लास्क में डालो जिससे फनल का निचला सिरा अम्ल में डूब जाए। फ्लास्क को गर्म करो। गर्म करने पर हाइड्रोजन क्लोराइड गैस बनती हैं और निकास नली से बाहर निकलने लगती है। गैस को वायु के उपरिमुखी विस्थापन द्वारा एक गैस जार में एकत्रित कर लो।। शुष्क HCl गैस प्राप्त करने के लिए निकास नली को सान्द्र H2SO4 की बोतल से जोड़ दो जिससे कि नम HCl गैस सान्द्र H2SO4 में से प्रवाहित होकर शुष्क हो जाए। सान्द्र H2SO4 युक्त बोतल में लगी दूसरी निकास नली से निकल रही शुष्क HCl गैस को अब जार में एकत्रित कर लो।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 82

2. हाइड्रोजन क्लोराइड गैस से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बनाने की विधि – चित्र में प्रदर्शित फ्लास्क में लगी हुई निकास नली के बाहर निचले सिरे पर रबर की नली के द्वारा एक साधारण फनल (छोटे स्तम्भ की) जोड़ दो। फनल का कुछ भाग एक पात्र में भरे जल में डुबा दो। निकास नली से फनल के द्वारा HCl गैस जल में पहुँचेगी और जल में विलेय हो जाएगी। इस प्रकार HCl गैस का जलीय विलयन अर्थात् हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बन जाएगा।

रासायनिक गुण
1. धातुओं से क्रिया – कॉपर, मरकरी, सिल्वर, गोल्ड और प्लैटिनम धातुओं को छोड़कर लगभग सभी धातुएँ हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से क्रिया करती हैं। क्रिया में धातु क्लोराइड बनता है और हाइड्रोजन गैस निकलती है।

  • 2Na + 2HCl → 2NaCl + H2
  • Mg + 2HCl → MgCl2 + H2
  • Zn + 2HCl → ZnCl2 + H2
  • Fe + 2HCl → FeCl2 + H2
  • 2Al + 6HCl → 2AlCl2 + 3H2

सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और सान्द्र नाइट्रिक अम्ल के आयतन से 3 : 1 मिश्रण को ‘ऐक्वारेजिया’ (aquaregia) कहते हैं। इस मिश्रण में गोल्ड (Au), प्लेटिनम (Pt) आदि धातुएँ घुल जाती हैं।
3HCl + HNO3 → NOCl + Cl2 + 2H2O
Au + Cl2 + NOCl → AuCl3 + NO
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 83

2. क्षारों से क्रिया – क्षार और अम्ल के परस्पर क्रिया करने से लवण और जल बनता है। इस क्रिया को उदासीनीकरण कहते हैं।

  • NaOH + HCl → NaCl + H2O
  • Ba(OH)2 + 2HCl → BaCl + 2H2O

3. धातु ऑक्साइडों से क्रिया – धातु ऑक्साइड और अम्ल की परस्पर क्रिया कराने पर लवण और जल बनता है।

  1. MgO + 2HCl → MgCl2 + H2O
  2. CuO + 2HCl → CuCl2 + H2O
  3. ZnO + 2HCl → ZnCl2 + H2O

4. अमोनिया से क्रिया – अमोनिया और HCl गैस की परस्पर क्रिया से अमोनियम क्लोराइड के सफेद धूम (fumes) बनते हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 84
अमोनियम के जलीय विलयन की HCl विलयन से क्रिया कराने पर अमोनियम क्लोराइड और जल बनता है।
NH4OH + HCl → NH4Cl+ H2O

5. धातु कार्बोनेट से क्रिया – धातु कार्बोनेट की हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से क्रिया कराने पर लवण, जल और कार्बन डाइऑक्साइड बनते हैं।

  • Na2CO3 + 2HCl → 2NaCl + H2O + CO2
  • CaCO3 + 2HCl → CaCl2 + H2O + CO2

उपयोग

  1. धातुओं के क्लोराइड बनाने में।
  2. अम्ल के रूप में।
  3. ऐक्वारेजिया (आयतन से 1 भाग सान्द्र HNO3 +3 भाग सान्द्र HCl) बनाने में।
  4. क्लोरीन गैस बनाने में।
  5. गाई, चमड़े और अन्य उद्योगों में।

प्रश्न 11.
विरंजक चूर्ण क्या है? विरंजक चूर्ण के निर्माण की विधि का वर्णन नामांकित चित्र के साथ कीजिए तथा इसका एक ऑक्सीकारक गुण भी लिखिए। (2016)
उत्तर
यह एक मिश्रित लवण है जिसको कैल्सियम क्लोरोहाइपोक्लोराइट भी कहते हैं। विरंजक चूर्ण के एक अणु में एक कैल्सियम आयन (Ca2+), एक क्लोराइड आयन (Cl) तथा एक हाइपोक्लोराइट आयन (OCl) होते हैं, जिसको Ca2+ (Cl) (OCl) रूप में भी व्यक्त कर सकते हैं। विरंजक चूर्ण का निर्माण बैचमान विधि द्वारा किया जाता है। इसके अन्तर्गत शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन की अभिक्रिया करायी जाती है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 85

विधि- यह विधि विरंजक चूर्ण (CaOCl2) बनाने की आधुनिक विधि है। इसमें लोहे का बना हुआ एक टॉवर होता है जिसमें खाने बने होते हैं। संयंत्र के ऊपरी भाग से हॉपर द्वारा बुझा हुआ चूना [Ca(OH2)] डाला जाता है। टॉवर में नीचे से गर्म वायु और क्लोरीन की धारा प्रवाहित की जाती है। Ca(OH)2 व Cl2 गैस की क्रिया से विरंजक चूर्ण बनता है, जिसे संयंत्र के निचले भाग से बाहर निकाल लेते हैं। व्यर्थ गैसें संयंत्र के ऊपरी भाग से बाहर निकल जाती हैं।

ऑक्सीकारक गुण – यह तनु अम्ल की अभिक्रिया से ऑक्सीजन देता है, अत: यह एक ऑक्सीकारक है।

    1. यह PbO को PbO2 में ऑक्सीकृत कर देता है।
      • 2CaOCl2 + 2PbO → 2CaCl2 + 2PbO2
  1. यह अम्लीय माध्यम में KI को I2 में ऑक्सीकृत कर देता है।
    • CaOCl2 + 2CH3COOH + 2KI → (CH3COO)2Ca + 2KCl + I2 ↑ + H2O

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements image 86

We hope the UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements (p-ब्लॉक के तत्त्व) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 7 The p Block Elements (p-ब्लॉक के तत्त्व), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 15 Communication Systems

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 15 Communication Systems (संचार व्यवस्था) are part of UP Board Solutions for Class 12 Physics. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 15 Communication Systems (संचार व्यवस्था).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Physics
Chapter Chapter 15
Chapter Name Communication Systems (संचार व्यवस्था)
Number of Questions Solved 45
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 15 Communication Systems (संचार व्यवस्था)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1:
व्योम तरंगों के उपयोग द्वारा क्षितिज के पार संचार के लिए निम्नलिखित आवृत्तियों में से कौन-सी आवृत्ति उपयुक्त रहेगी?
(a) 10 kHz
(b) 10 MHz
(c) 1 GHz
(d) 1000 GHz
उत्तर:
(b) 10 MHz
3 MHz से 30 MHz आवृत्ति तक की तरंगें व्योम तरंगों की श्रेणी में आती हैं। इससे उच्च आवृत्ति की तरंगें (जैसे-1GHz, 1000 GHz) आयन मण्डल को भेदकर पार निकल जाती हैं जबकि 10 kHz आवृत्ति की तरंगें ऐन्टीना की ऊँचाई अधिक होने के कारण उपयोगी नहीं हैं।

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प्रश्न 2:
UHF परिसर की आवृत्तियों का प्रसारण प्रायः किसके द्वारा होता है?
(a) भू-तरंगें
(b) व्योम तरंगें
(c) पृष्ठीय तरंगें
(d) आकाश तरंगें
उत्तर:
(d) आकाश तरंगें। UHF परिसर में प्रसारण आकाश तरंगों द्वारा ही होता है।

प्रश्न 3:
अंकीय सिगनल :
(i) मानों का संतत समुच्चय प्रदान नहीं करते।
(ii) मानों को विविक्त चरणों के रूप में निरूपित करते हैं।
(iii) द्विआधारी पद्धति का उपयोग करते हैं।
(iv) दशमलव के साथ द्विआधारी पद्धति का भी उपयोग करते हैं। उपरोक्त प्रकथनों में कौन-से सत्य ?
(a) केवल (i) तथा (ii)
(b) केवल (ii) तथा (iii)
(c) (i), (ii) तथा (iii) परन्तु (iv) नहीं
(d) (i), (ii), (iii) तथा (iv) सभी
उत्तर:
(c) (i), (ii) तथा (iii) सत्य हैं परन्तु (iv) सत्य नहीं है।
अंकीय सिगनल द्विआधारी पद्धति (अंकों 0 तथा 1) का उपयोग करते हैं। अत: मानों का सतत समुच्चय प्रदान करने के स्थान पर उन्हें विविक्त चरणों में निरूपित करते हैं।

प्रश्न 4:
दृष्टिरेखीय संचार के लिए क्या यह आवश्यक है कि प्रेषक ऐन्टीना की ऊँचाई अभिग्राही ऐन्टीना की ऊँचाई के बराबर हो? कोई TV प्रेषक ऐन्टीना 81m ऊँचा है। यदि अभिग्राही ऐन्टीना भूस्तर पर है तो यह कितने क्षेत्र में सेवाएँ प्रदान करेगा?
हल:
नहीं, प्रायः ग्राही ऐन्टीना की ऊँचाई प्रेषी ऐन्टीना से अधिक होती है।
प्रेषी को रेडियो-क्षितिज, dT = [latex]\sqrt { 2{ R }_{ e }{ \quad h }_{ T } }[/latex]
जिसमें Re पृथ्वी की त्रिज्या है।
सेवा-क्षेत्रफल (service area),
A = π[latex]{ d }_{ T }^{ 2 }[/latex]
= π. 2RhT
दिया है, hT = 81 m,
Re = 6.4 x 106 m ।
= 3.14 x 2 x 6.4 x 106 x 81 m2
= 3258 x 106 m2 = 3258 km2

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प्रश्न 5:
12v शिखर वोल्टता की वाहक तरंग का उपयोग किसी संदेश सिगनल के प्रेषण के लिए किया गया है। माडुलन सूचकांक 75% के लिए माडुलक सिगनल की शिखर वोल्टता कितनी होनी चाहिए?
हल:
माडुलन सूचकांक, ma= [latex]\frac { { E }_{ m } }{ { E }_{ c } } [/latex]
a E. माडुलक सिगनल का शिखर मान, Em = ma Ea
दिया है, ma = 75% = 0.75,
Ec = 12V
∴ Em = 0.75 x 12V = 9V

प्रश्न 6:
चित्र 15.1 में दर्शाए अनुसार कोई माडुलक सिगनल वर्ग तरंग है।
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दिया गया है कि वाहक तरंग c(t) = 2 sin (8πt)V
(i) आयाम माडुलित तरंग रूप आलेखित कीजिए।
(ii) माडुलन सूचकांक क्या है?
हल:
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प्रश्न 7:
किसी माडुलित तरंग का अधिकतम आयाम 10V तथा न्यूनतम आयाम 2V पाया जाता है। माडुलन सूचकांक μ का मान निश्चित कीजिए।
यदि न्यूनतम आयाम शून्य वोल्ट हो तो माडुलन सूचकांक क्या होगा?
हल:
दिया है, Emax = 10 V, Emin = 2V
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प्रश्न 8:
आर्थिक कारणों से किसी AM तरंग का केवल ऊपरी पाश्र्व बैंड ही प्रेषित किया जाता है, परन्तु ग्राही स्टेशन पर वाहक तरंग उत्पन्न करने की सुविधा होती है। यह दर्शाइए कि यदि कोई ऐसी युक्ति उपलब्ध हो जो दो सिगनलों की गुणा कर सके तो ग्राही स्टेशन पर माडुलक सिगनल की पुनःप्राप्ति सम्भव है।
हल:
माना वाही तरंग , ec = Ec cos ωc t …(1)
यदि सूचना माडुलक सिगनल की कोणीय आवृत्ति ωmt हो, तो ग्रहण किया गया सिगनल होगा है
er = Er cos (ωm) t …(2)
समीकरण (1) व (2) को गुणा करने पर,
e= Ec Ercos ωct t cos (ωc + ωm)t
सूत्र 2 cos A cos B = cos (A + B) + cos (A – B) का प्रयोग करने पर,
e = [latex]\frac { { E }_{ c }{ E }_{ r } }{ 2 }[/latex] [cos (2ωm) t + cos ωmt ]
यदि इस सिगनल को लो-पास फिल्टर (low pass filter) में से गुजारा जाए, तो उच्च आवृत्ति (2ωcm ) का सिगनले रुक जाएगा तथा केवल ωm आवृत्ति को सिगनल ही गुजरेगा।
अत: हमें माडुलक सिगनल, em = [latex]\frac { { E }_{ c }{ E }_{ r } }{ 2 }[/latex]cos ωmt प्राप्त हो जायेगा।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

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प्रश्न 1:
वाहक तरंग की आवृत्ति fc के साथ श्रव्य तरंग आवृत्ति fm के मॉड्यूलेशन से प्राप्त बैण्ड चौड़ाई का मान होगा (2015, 17)
(i) 2fc
(ii) 2fm
(iii) fm +fc
(iv) fm – fc
उत्तर:
(ii) 2fm

प्रश्न 2:
200 KHz की वाहक आवृत्ति और 10 kHz के मॉडुलन संकेत के लिए आयाम मॉडुलित (AM) सिगनल की बैण्ड चौड़ाई होगी (2016)
(i) 20 kHz
(ii) 210 kHz
(iii) 400 kHz
(iv) 190 kHz
उत्तर:
(iii) 400 kHz

प्रश्न 3:
आयर्न मण्डल से निम्न में से कौन-सी आवृत्ति परावर्तित हो सकती है? (2018)
(i) 5 KHz
(ii) 5 MHz
(iii) 5 GHz
(iv) 500 MHz
उत्तर:
(ii) 5 MHz

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प्रश्न 4:
UHF परास की आवृत्तियाँ सामान्यतः संचरित होती हैं
(i) भू-तरंगों द्वारा
(i) व्योम तरंगों द्वारा
(iii) पृष्ठ तरंगों द्वारा
(iv) आकाश तरंगों द्वारा
उत्तर:
(iv) आकाश तरंगों द्वारा

प्रश्न 5:
निम्न में से कौन विद्युत चुम्बकीय तरंग नहीं है? (2017)
(i) प्रकाश तरंगें
(ii) रेडियो तरंगें
(iii) X-किरणें
(iv) ध्वनि तरंगें
उत्तर:
(iv) ध्वनि तरंगें

प्रश्न 6:
उच्च आवृत्ति तरंगों पर संदेश संकेत के अध्यारोपण की प्रक्रिया कहलाती है (2016)
(i) संचरण
(ii) मॉड्यूलन
(iii) संसूचन
(iv) अभिग्रहण
उत्तर:
(ii) मॉड्यूलन

प्रश्न 7:
यदि संप्रेषी ऐण्टीना की ऊँचाई h1 तथा अभिग्राही ऐण्टीना की ऊँचाई h2 हो तब दृष्टिरेखीय (LOS) संचरण विधि में संतोषजनक संचरण के लिए दोनों ऐण्टीनों के बीच की अधिकतम दूरी होती है। (पृथ्वी की त्रिज्या = R) (2016)
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उत्तर:
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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
संचार व्यवस्था की तीन मूल इकाइयाँ (तत्त्व) क्या हैं?
उत्तर:

  1.  प्रेषित्र,
  2.  संचार चैनल,
  3.  अभिग्राही।

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प्रश्न 2:
ट्रांसड्यूसर क्या है?
उत्तर:
यह वह युक्ति है जिसका उपयोग ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 3:
दिए गए ब्लॉक आरेख में संचार व्यवस्था के X तथाY भागों को पहचानिए  (2017)
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उत्तर:
X-सूचना स्रोत, Y-चैनल

प्रश्न 4:
सूचना सिगनल किसे कहते हैं?
उत्तर:
सूचना, भाषण, संगीत आदि को किसी उचित ट्रांसड्यूसर द्वारा विद्युत सिगनल में परिवर्तित किया जाता है। यह सिगनल ही सूचना (संदेश) सिगनल कहलाता है।

प्रश्न 5:
सिगनल की बैण्ड-चौड़ाई से आप क्या समझते हैं? (2014, 17)
या
बैण्ड चौड़ाई को परिभाषित कीजिए। (2017)
उत्तर:
किसी सिगनल में अधिकतम तथा न्यूनतम आवृत्तियों के अन्तर को आवृत्ति परास कहते हैं। यही बैण्ड-चौड़ाई भी कहलाती है।

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प्रश्न 6:
व्योम तरंग संचरण (sky wave propagation) क्या है? इनकी आवृत्ति बताइए। (2014, 17, 18)
उत्तर:
वह संचरण प्रक्रिया जिसमें वाहक तरंगों का संचरण आयन मण्डल से तरंगों के परावर्तन से होता है, व्योम तरंग संचरण कहलाती है। व्योम तरंगों की आवृत्ति 1.5 मेगाहर्ट्ज से 30 मेगाहर्ट्ज तक होती है।

प्रश्न 7:
आकाश तरंगें क्या हैं? इनकी आवृत्ति बताइए। (2017)
उत्तर:
अति उच्च आवृत्ति (30 मेगाहर्ट्ज़ से 300 मेगाहर्ट्ज), परा उच्च आवृत्ति (300 मेगाहर्ट्ज से 3000 मेगाहर्ट्ज) तथा 3000 मेगाहर्ट्ज से उच्च आवृत्ति की रेडियो तरंगें आकाश तरंगें कहलाती हैं।

प्रश्न 8:
आकाश तरंग संचरण से आप क्या समझते हैं? इन तरंगों का संचरण किन विधियों के द्वारा किया जाता है? (2014, 17)
उत्तर:
वह तरंग संचरण जिसमें आकाश तरंगें प्रेषण ऐण्टीना से अभिग्राही ऐण्टीना तक दृष्टि रेखा पथ पर गमन करती हैं।
इन तरंगों का संचरण निम्न दो प्रकार से किया जा सकता है

  1.  भू-स्थिर संचार उपग्रहों के द्वारा।
  2. सीधे प्रेषित ऐण्टीना के द्वारा।

प्रश्न 9:
मॉड्यूलेशन (modulation) से क्या तात्पर्य है?
या
मॉड्यूलेशन से आप क्या समझते हैं? (2015, 16, 18)
उत्तर:
यह वह क्रिया है जिसमें उच्च आवृत्ति की वाहक तरंगों के आयाम, आवृत्ति अथवा कला को निम्न आवृत्ति के सूचना सिगनल के तात्क्षणिक मानों के अनुकूल परस्पर इनके अध्यारोपण के माध्यम से बदला जाता है ।

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प्रश्न 10:
मॉड्यूलित तरंग क्या है? (2014)
उत्तर:
मॉड्यूलेशन की क्रिया में सूचना सिगनल अर्थात् निम्न आवृत्ति की वैद्युत-चुम्बकीय तरंगों को उच्च आवृत्ति की वैद्युत-चुम्बकीय तरंगों पर अध्यारोपित किया जाता है। इनमें सूचना सिगनल को मॉड्यूलक या मॉड्यूलेटिंग तरंगें, उच्च आवृत्ति की वैद्युत-चुम्बकीय तरंगों को वाहक तरंगें तथा इन दोनों के अध्यारोपण के फलस्वरूप प्राप्त परिणामी तरंगों को मॉड्यूलित तरंगें कहते हैं।

प्रश्न 11:
ऐण्टीना का क्या कार्य है? इसकी न्यूनतम लम्बाई कितनी होती है? (2017)
उत्तर:
ऐण्टीना एक प्रकार का ट्रान्सड्यूसर है जो वैद्युत चुम्बकीय तरंगों को प्रसारित करने या ग्रहण करने के काम आता है। ऐण्टीना की न्यूनतम लम्बाई 75 मीटर होती है जो कि व्यावहारिक है।

प्रश्न 12:
3 x 108 Hz आवृत्ति की वाहक तरंगों के लिए द्विध्रुव ऐण्टीना की लम्बाई क्या होनी चाहिए? (2014)
हल:
वांछित लम्बाई
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प्रश्न 13:
एक दूरदर्शन टॉवर की ऊँचाई 75 मीटर है। अधिकतम दूरी क्या है जो यह दूरदर्शन प्रसारण ग्रहण कर सकती है? (Re = 6.4 x 106 मीटर) (2015, 18) हल:
दिया है, h= 75 मीटर, d = ? , Re = 6.4 x 106 मीटर
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प्रश्न 14:
एक टी.वी. टॉवर की ऊँचाई एक दिए गए स्थान पर 500 मी है। यदि पृथ्वी की त्रिज्या 6400 किमी हो तो इसके प्रसारण परास की गणना कीजिए। (2017, 18)
हल:
दिया है, h = 500 मी, Re = 6400 किमी = 6.4 x 106 मी
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प्रश्न 15:
एक वाहक तरंग जिसकी शिखर वोल्टता 12 वोल्ट है किसी संदेश सिगनल को प्रेषित करने के लिए उपयोग की जाती है। मॉडयूलित सिगनल की शिखर वोल्टता क्या होनी चाहिए? (2014)
हल:
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प्रश्न 16:
आयाम मॉड्यूलन क्या है? (2014)
उत्तर:
मॉड्यूलन की वह प्रक्रिया जिसमें वाहक तरंग के आयाम को मॉड्यूलक या मॉड्यूलेटिंग तरंग (सूचना संकेत) के तात्क्षणिक मान द्वारा परिवर्तित किया जाता है, जबकि वाहक तरंग के अन्य दो प्राचल आवृत्ति तथा कला अपरिवर्तित रहते हैं, आयाम मॉड्यूलन कहलाती है।

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प्रश्न 17:
आयाम मॉड्यूलेशन संचार व्यवस्था की बैण्ड-चौड़ाई का सूत्र लिखिए। (2017)
उत्तर:
बैण्ड-चौड़ाई = 2 x मॉड्यूलक सिगनल की आवृत्ति।

प्रश्न 18:
मॉड्यूलन सूचकांक क्या है? इसकी क्या महत्ता है? (2017)
उत्तर:
मॉड्यूलक तरंग के आयाम तथा वाहक तरंग के आयाम के अनुपात को मॉड्यूलन सूचकांक कहते हैं। यह उस सीमा को प्रदर्शित करता है जहाँ तक वाहक तरंग का आयाम सूचना सिगनल द्वारा परावर्तित होता है।

प्रश्न 19:
आवृत्ति मॉड्यूलन (FM) से आप क्या समझते हैं? (2016)
उत्तर:
जब उच्च आवृत्ति की वाहक तरंगों की आवृत्ति को श्रव्य संकेतों के संगत आयामों के अनुरूप परिवर्तित किया जाता है, तो उनके परस्पर अध्यारोपण की प्रक्रिया आवृत्ति मॉड्यूलन कहलाती है।

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प्रश्न 20:
एक वाहक तरंग प्रदर्शित की जाती है।
c(t) = 4 sin (8πt) volt यदि मॉडुलक सिगनल तरंग का आयाम 1.0 volt हो तब मॉडुलन सूचकांक का मान क्या है? (2017)
हल:
दिया है, Em = 1.0V
Ec = 4V
मॉडुलन सूचकांक, ma = [latex]\frac { { E }_{ m } }{ { E }_{ c } }[/latex] = [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] = 0.25

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
संचार व्यवस्था के मुख्य अवयव कौन-कौन से हैं? ब्लॉक आरेख खींचकर समझाइए। (2017)
या
रेडियो संचार व्यवस्था का नामांकित ब्लॉक आरेख बनाइए। (2014, 16, 17)
उत्तर:
संचार व्यवस्था के अवयव
ऐसी व्यवस्था जिसके द्वारा सन्देशों अथवा सूचनाओं को एक स्थान से किसी विधि द्वारा (जैसे केबल्स द्वारी अथवा विद्युत-चुम्बकीय तरंगों द्वारा) सम्प्रेषित किया जाता है तथा दूसरे स्थान पर इनको ग्रहण किया जाता है, संचार व्यवस्था कहते हैं। संचार व्यवस्था के निम्नलिखित तीन अवयव होते हैं

1. प्रेषित्र (Transmitter):
यह मूल सन्देश (सूचना, भाषण) सिगनल को एक उचित सिगनल में बदलता है, जिसे उचित माध्यम से गुजारा जा सके; इसे  सम्प्रेषण चैनल कहते हैं। जब वक्ता तथा श्रोता के बीच बहुत अधिक दूरी होती है। ३) मॉड्यूलेटर प्रवर्धक तो केबल्स (cables) सम्प्रेषण चैनल  का कार्य नहीं कर सकतीं (UPBoardSolutions.com) ऐसी स्थिति में ध्वनि को माइक्रोफोन द्वारा विद्युत सिगनलों में बदला जाता है, उनकी शक्ति, प्रवर्धक द्वारा बढ़ायी जाती है। अभिग्राही तत्पश्चात् इसको रेडियो आवृत्ति की  वाहक तरंगों (carrier waves) के साथ मॉड्यूलित किया जाता है और अन्त में ऐण्टीना द्वारा विद्युत-चुम्बकीय तरंगों  के रूप में अन्तरिक्ष (space) में प्रेषित  किया जाता है।
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 2. संचार चैनल (Transmission Channel):
वह माध्यम जिसके द्वारा प्रेषित्र से भेजी गई विद्युत-चुम्बकीय तरंगों के रूप में सूचना अथवा भाषण अभिग्राही के ऐण्टीना तक पहुँचती हैं, संचार चैनल कहलाता है। यह तारों का एक युग्म अथवा केबल, बेतार अर्थात् मुक्त आकाश हो सकता है।

3. अभिग्राही (Receiver):
यह प्रेषित्र द्वारा भेजे गये परावर्द्धित सिगनल को वास्तविक सन्देश अथवा सूचना में परिवर्तित करता है। यह प्रक्रिया डिमॉड्यूलेशन (demodulation) कहलाती है। जब अभिग्राही के ऐण्टीना पर मॉड्यूलित तरंग पहुँचती है तो वहाँ श्रव्य तरंगें उनसे अलग कर . ली जाती हैं। इनको प्रवर्धित करके लाउडस्पीकर में भेजा जाता है। जहाँ इन्हें पुन: ध्वनि तरंगों में परिवर्तित कर लेते हैं। संचार व्यवस्था का योजनाबद्ध ब्लॉक आरेख चित्र 15.4 में प्रदर्शित है।

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प्रश्न 2:
वायुमण्डल में आकाश तरंगों के संचरण को स्पष्ट कीजिए।
या
सिद्ध कीजिए कि आकाश तरंगों के संचरण हेतु एक टी.वी.प्रेषी ऐण्टीना जो पृथ्वी तल से h ऊँचाई पर है, का प्रसारण परास d = [latex]\sqrt { 2Rh }[/latex] है, जहाँ पृथ्वी की त्रिज्या है? (2015, 17)
या
आकाश तरंगों के संचरण को समझाइए। इन तरंगों के संचरण के लिए प्रयुक्त आवृत्ति परास क्या है? (2015)
या
तरंग संचरण में दृष्टि रेखा पक्ष (LOS)’ से क्या तात्पर्य है? किन तरंगों में इसका प्रयोग होता है? (2018)
उत्तर:
आकाश तरंगों का संचरण (Propagation of space waves or tropospherical waves):
रेडियो तरंग संचरण की अन्य विधा आकाश तरंग है। आकाश तरंग, प्रेषण ऐण्टीना से अभिग्राही ऐण्टीना तक दृष्टि रेखा पथों (line of sight : LOS) पर गमन करती है। (UPBoardSolutions.com) 40 MHz से ऊँची आवृत्तियों के लिये संचार मुख्यत: दृष्टि रेखा पथों तक ही सीमित रहता है। इन आवृत्तियों पर ऐण्टीना का साइज अपेक्षाकृत छोटा होता है तथा इसे पृथ्वी के पृष्ठ से कई तरंगदैर्यो की ऊँचाई पर स्थापित किया जा सकता है।
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टी०वी० सिगनलों (80-200 MHz) को न तो भू-तरंगों द्वारा (पृथ्वी के समीप वायुमण्डल द्वारा उनके उच्च अवशोषण के कारण) संचरित किया जा सकता है और न व्योम तरंगों द्वारा (आयनमण्डल से उनके परावर्तन न होने के कारण)। इन सिगनलों को केवल तभी प्राप्त किया जा सकता है जब ग्राही ऐण्टीना प्रेषक ऐण्टीना से चलने वाले सिगनल के मार्ग में पड़े। टी०वी० का अधिक क्षेत्र विस्तार प्राप्त करने के (UPBoardSolutions.com) लिये प्रसारण ऊँचे ऐण्टीना से करना चाहिए।
टी०वी० ऐण्टीना की ऊँचाई है तथा वह दूरी d जहाँ तक सिगनल प्रेषित किये जा सकते हैं, सम्बन्ध ज्ञात करने के लिये, माना ST टी०वी० का है ऊँचाई को प्रेषित्र ऐण्टीना है तथा पृथ्वी का  केन्द्र O एवं त्रिज्या R है (चित्र 15.5)। पृथ्वी की वक्रता के कारण पृथ्वी की सतह के बिन्दुओं P तथा २ के परे सिगनल प्राप्त नहीं किये जा सकते। यहाँ PT तथ QT क्रमशः P तथा Q पर स्पर्श रेखाएँ हैं। माना d (= SP अथवा SQ) ऐण्टीना के आधार से पृथ्वी की दूरी है, जहाँ तक सिगनल प्राप्त होते हैं। समकोण त्रिभुज OPT में,
(OT)2 = (OP)2 + (TP)2 जहाँ
OT = R+h,OP= R तथा
TP = SP= d (क्योंकि h<<R )
इस प्रकार (R+h)2 = R2+a2
h2+2Rh = d2
चूंकि h<<R अत: हम h2 को 2Rh के सापेक्ष उपेक्षणीय मान सकते हैं। इस प्रकार
2Rh = d2
अथवा  d = [latex]\sqrt { 2Rh }[/latex]
टी०वी० प्रसारण में क्षेत्र विस्तार A= πd2 =2πRh
संचार परास (Range of communication) अथवा दृष्टि रेखा दूरी (Line of sight – distance)-प्रेषी ऐण्टीना तथा ग्राही ऐण्टीना के बीच सरल रेखीय दूरी को संचार परास अथवा दृष्टि रेखा दूरी कहते हैं। इसको । अथवा d से प्रदर्शित करते हैं। यह प्रेषक ऐण्टीना की परास तथा ग्राही ऐण्टीना की परास के योग के बराबर होती है।

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यदि प्रेषक ऐटीना की ऊँचाई hT तथा ग्राही ऐण्टीना की ऊँचाई hR हो एवं इनसे क्षैतिज दूरियाँ अर्थात् इनकी परास क्रमश: dT व dR हो, तो
d= [latex]\sqrt { { 2R }_{ e }{ h }_{ T } }[/latex] तथा dr = [latex]\sqrt { { 2R }_{ e }{ h }_{ R } }[/latex];
जहाँ, Re= पृथ्वी की वक्रता त्रिज्या।
दोनों ऐण्टीनाऔं के बीच की रेखीय दू्री r = dm = dT + dR =  [latex]\sqrt { { 2R }_{ e }{ h }_{ T } }[/latex] +  [latex]\sqrt { { 2R }_{ e }{ h }_{ R } }[/latex]
इस तरंग संचरण का प्रयोग टेलीविजन प्रसारण, माइक्रोवेव-लिंक तथा सैटेलाइट संचार आदि संचार प्रणालियों में किया जाता है।

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प्रश्न 3:
निम्नलिखित आवृत्तियों की वाहक तरंगों के लिए ऐण्टीना की आवश्यक ऊँचाई ज्ञात कीजिए
(i) 30 MHz
(ii) 300 MHz
(iii) 6 x 108 Hz
प्राप्त परिणामों से किस फल को प्राप्त करोगे?
हल:
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प्रश्न 4:
आयाम मॉडुलन से आप क्या समझते हैं? एक आयाम मॉडलित तरंग प्राप्त करने का नामांकित परिपथ बनाइए। (2017)
उत्तर:
जब उच्च आवृत्ति की वाहक तरंगों के आयाम को निम्न आवृत्ति के श्रव्य सिगनलों के संगत आयामों के अनुरूप परिवर्तित किया जाता है तो उनके परस्पर अध्यारोपण की (UPBoardSolutions.com) प्रक्रिया आयाम मॉडुलन कहलाती है। चित्र 15.7 में परिणामी आयाम मॉडुलित तरंग प्रदर्शित है
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प्रश्न 5:
एक मॉड्यूलित तरंग का अधिकतम आयाम 11 वोल्ट तथा न्यूनतम आयाम 3 वोल्ट है। मॉड्यूलन सूचकांक का मान ज्ञात कीजिए। (2014)
हल:
दिया है, Emax = 11 V, Emin = 3V
∴ Ec + Em = 11V      …(1)
तथा Ec – Em = 3V …(2)
समी० (1) व समी० (2) को हल करने पर,
Ec = 7 v तथा
Em = 4V
मॉड्यूलन सूचकांक ma=[latex]\frac { 4 }{ 7 }[/latex] = 0.57

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प्रश्न 6:
मॉड्यूलित वाहक तरंग के अधिकतम एवं न्यूनतम आयाम क्रमशः 900 mV तथा 300 mV हैं। मॉड्यूलन सूचकांक की गणना कीजिए। (2015)
हल:
दिया है, Emax = 900 mV, Emin = 300 mV
∴ Ec + Em = 900 mV  ……….(1)
तथा Ec – Em = 300 mV ………..(2)
समी० (1) वे समी० (2) को हल करने पर,
Ec = 600 mV, Em = 300 mV
∴ मॉड्यूलन सूचकांक m= [latex]\frac { { E }_{ m } }{ { E }_{ c } }[/latex] = [latex]\frac { 300mV }{ 600mV }[/latex]  = 0.5

प्रश्न 7:
2 x 105 हर्ट्ज आवृत्ति तथा अधिकतम वोल्टेज 60 वोल्ट की वाहक तरंग को श्रव्य तरंग  em = 30 sin 2π x 2500t वोल्ट द्वारा मॉडुलित किया जाता है। ज्ञात कीजिए
(i) मॉडुलन प्रतिशतता
(ii) मॉडुलित तरंग के घटक की आवृत्ति (2017)
उत्तर:
दिया है, Ec = 60 वोल्ट तथा f= 2 x 105 हज
श्रव्ये तरंग em = 30 sin 2π x 2500t वोल्ट
अतः Em = 30 वोल्ट तथा fm = 2500 वोल्ट
(i) मॉडुलन गुणक (ma) = [latex]\frac { { E }_{ m } }{ { E }_{ c } }[/latex] = [latex]\frac { 30 }{ 60 }[/latex]   = 0.5
अतः मॉडुलन प्रतिशतता = 0.5 x 100 = 50%
(ii) मॉडुलित तरंग के घटक की आवृत्ति = fc +fm
= 2 x 105 + 2500 = 202500 हर्ट्ज
= 202.5 किलोहर्ट्ज

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
उपग्रह संचार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उतर:
उपग्रह संचार (Satellite communication):
अन्तरिक्ष तरंग संचरण विधि द्वारा पृथ्वी के सम्पूर्ण क्षेत्र को आवरित नहीं किया जा सकता, क्योंकि विषम भौगोलिक परिस्थितियों (जैसे, मध्य में कई महासागर आदि) के कारण निरन्तर पुनरावर्तक (repeater) लगाना सम्भव नहीं है। अतः इसके लिए आवश्यक है कि संचार उच्च आवृत्ति पर हो। 30 MHz से अधिक आवृत्ति की तरंगें परम्परागत विधियों द्वारा संचारित नहीं की जा सकतीं। इसके लिए संचार उपग्रहों का प्रयोग किया जाता है।

संचार उपग्रह एक ऐसा उपग्रह है जो पृथ्वी के चारों ओर पश्चिम से पूर्व की ओर वृत्ताकार कक्षा में इस प्रकार परिक्रमण करता है कि इसका आवर्त काल पृथ्वी के अपनी (UPBoardSolutions.com) अक्ष के परितः घूर्णन काल के बराबर अर्थात् 24 घण्टे हो। इसलिए यह उपग्रह पृथ्वी के सापेक्ष सदैव स्थिर प्रतीत होता है। इस प्रकार लम्बी दूरी के संचरण के लिए इन संचार उपग्रहों का प्रयोग किया जाता है। इनको भूस्थिर उपग्रह अथवा तुल्यकालिक उपग्रह भी कहते हैं।

इस प्रकार के संचार उपग्रहों में माइक्रो तरंग सिगनल के अभिग्रहण तथा प्रेषण के लिए आवश्यक उपकरण (रेडियो ट्रॉन्सपोंडर) लगे रहते हैं। पृथ्वी के प्रेषित्र स्टेशन से एक आवृत्ति (अपलिंक) के माइक्रो तरंग सिगनल उपग्रह की ओर प्रेषित किये जाते हैं। ये सिगनल उपग्रह पर लगे उपकरणों द्वारा ग्रहण कर संशोधित एवं प्रवर्धित किये जाते हैं तथा तत्पश्चात् एक अन्य आवृत्ति (डाउनलिंक) पर पृथ्वी पर ग्राही स्टेशन की ओर प्रेषित कर दिये जाते हैं। अपलिंक तथा डाउनलिंक की दोनों भिन्न आवृत्तियाँ सूक्ष्म तरंग अथवा UHF क्षेत्र में पड़ती हैं। इतनी उच्च आवृत्ति की तरंगें आयन मण्डल को पार कर जाती हैं। अत: पृथ्वी पर प्रेषित (UPBoardSolutions.com) तथा ग्राही ऐण्टीनों को निश्चित झुकाव कोणों पर रखा जाता है। उपग्रह संचार प्रणाली की आवृत्ति परास 1GHz से 10 GHz होती है। इस संचार प्रणाली की विशेषता यह है कि उपग्रह संचार बिना किसी विक्षोभ के काफी बड़ी दूरियों को आवंटित करता है। यह लम्बी दरियों, दरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के लिए संचार का आसान तथा अपव्ययी संचार माध्यम है। यह टेलीविजन, टेलीफोन तथा मोबाइल फोन सेवाओं के लिए उपयुक्त संचार माध्यम है। गोपनीयता की दृष्टि से यह संचार माध्यम उपयुक्त नहीं है।
चित्र 16.8 में वैद्युत-चुम्बकीय तरंगों, के संचरण की विभिन्न विधियों को दर्शाया गया है।
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प्रश्न 2:
मॉड्यूलेशन से क्या तात्पर्य है? इसकी आवश्यकता संचार निकाय में क्यों पड़ती है? (2014, 18)
या
दो कारणों को लिखिए जिससे किसी सिगनल के मॉड्यूलन की आवश्यकता स्पष्ट होती है।
या
सिगनल संचरण के लिए मॉड्यूलेशन की आवश्यकता क्यों है? (2015, 16, 18)
उत्तर:
सामान्यतः भेजे जाने वाले डिजिटल एवं एनालॉग सिगनलों को इनके मूलरूप में नहीं भेजा जा सकता है, चूंकि इन सिगनलों की आवृत्ति बहुत कम होती है। इस तरह के (UPBoardSolutions.com) सिगनलों को भेजने के लिए वाहक की आवश्यकता होती है। ये वाहक उच्च आवृत्ति की तरंगें (संकेत या सिगनल) होती हैं। मॉड्यूलेशन को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है ।
“अल्प आवृत्ति के संकेत (सिगनल) को उच्च आवृत्ति के संकेते पर लंदना ‘भाँड्यूलेशन’ कहलाता है।”

मॉड्यूलेशन की आवश्यकता
(Need of Modulation):
संचार निकाय में संदेश सिगनलों को (जिन्हें आधार बैण्ड सिगनल भी कहते हैं) दूरस्थ स्थानों को प्रेषित करना होता है। संदेश सिगनल श्रव्य आवृत्ति (UPBoardSolutions.com) परास (20 Hz से 20000 Hz) में होते हैं। इनको पहले माइक्रोफोन द्वारा वैद्युत सिगनल में बदला जाता है जिनकी आवृत्ति परास भी (20 Hz से 20000 Hz) ही होती है। इन सिगनलों को अधिक दूरी तक संप्रेषित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इसमें निम्नलिखित कठिनाइयाँ आती हैं

1. ऐण्टीना का आकार (Size of antenna):
किसी सिगनल के सम्प्रेषण के लिए आवश्यक है। कि ऐण्टीना का आकार प्रेषित किये जाने वाले सिगनल की तरंगदैर्ध्य की कोटि का होना चाहिए।
अतः
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अत: इन तरंगों को प्रेषित करने के लिए 100 मीटर लम्बाई के ऐण्टीना की आवश्यकता होगी जिसको आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। अतः प्रेषण से पूर्व न्यून आवृत्ति आधार बैण्ड सिगनल में निहित सूचना को उच्च रेडियो आवृत्तियों में रूपान्तरित करने की आवश्यकता होती है।

2. कम शक्ति का प्रभावी विकिरण (Effect low power radiation):
विकिरण के सैद्धान्तिक अध्ययन के आधार पर l लम्बाई के रेखीय ऐण्टीना द्वारा विकरित शक्ति P तरंगदैर्घ्य λ के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होती है। चूंकि P α (1/λ)2अत: । के नियत मान के लिए P α 1/λ2
अतः स्पष्ट है कि लम्बी तरंगदैर्घ्य (निम्न आवृत्ति) के आधार बैण्ड सिगनल द्वारा प्रभावी शक्ति विकिरण कम होगा। परन्तु अच्छे प्रेषण के लिए उच्च शक्ति चाहिए जो कम तरंगदैर्घ्य (उच्च आवृत्ति) के आधार बैण्ड सिगनल से सम्भव है। इस प्रकार यह तथ्य प्रेषण के लिए उच्च आवृत्ति के उपयोग की आवश्यकता दर्शाता है।

3. विभिन्न प्रेषित्रों से प्राप्त सिगनलों का मिश्रण: आधार बैण्ड सिगनलों के सीधे प्रेषण के विरूद्ध निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण तर्क अधिक व्यावहारिक हैं जब एक ही क्षण कई आधार बैण्ड सिगनल प्रेषित किये जा रहे होते हैं तो ये परस्पर मिल जाते हैं। तथा उनमें विभेद करने का कोई सरल उपाय नहीं है। इस कठिनाई को दूर करने के लिए सिगनलों को उच्च आवृत्ति पर प्रेषित करते हैं तथा प्रत्येक प्रसारण स्टेशन को एक बैण्ड आवंटित करते हैं। उपरोक्त सभी बिन्दुओं से यह स्पष्ट होता है कि न्यून आवृत्ति के मूल आधार बैण्ड (UPBoardSolutions.com) अर्थात् सूचना सिगनल को प्रेषण से पूर्व किसी उच्च आवृत्ति तरंग में रूपान्तरित करना आवश्यक है। यह रूपान्तरण क्रिया इस प्रकार की होनी चाहिए कि रूपान्तरित सिगनल में उन सभी सूचनाओं का समावेश रहे जो मूल सिगनल में समाहित थे। ऐसा करने के लिए हम किसी उच्च आवृत्ति सिगनल की सहायता लेते हैं। इस सिगनल को वाहक तरंग (carrier wave) कहते हैं। इस प्रकार उपर्युक्त सभी बिन्दु मॉड्यूलेशन की आवश्यकता को स्पष्ट करते हैं।

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प्रश्न 3:
मॉड्यूलन तथा विमॉड्यूलन से क्या अभिप्राय है? एक आयाम मॉड्यूलित तरंग को प्राप्त करने व संसूचित करने को परिपथ आरेख द्वारा समझाइए। (2015, 17)
या
आयाम मॉड्यूलन की व्याख्या कीजिए तथा किसी आयाम मॉड्यूलन को परिपथ आरेख बनाइए। (2015)
या
मॉड्यूलन से आप क्या समझते हैं? आयाम मॉड्यूलित तरंग के उत्पादन हेतु आवश्यक नामांकित परिपथ आरेख बनाइए। (2015, 16, 18)
उत्तर:
मॉडयलन: दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 2 के उत्तर के अन्तर्गत देखिए।
विमॉड्थूलिन : मॉड्यूलित तरंग से श्रव्य सिगनल (audio signal) अर्थात् सूचना सिगनल को पुनः प्राप्त करने की क्रिया संसूचन अथवा विमॉड्यूलन (Demodulation) कहलाती है।
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आयाम मॉड्यूलित (मॉड्यूलेटिड) तरंग प्राप्त करना

आयाम मॉड्यूलित तरंग के उत्पादन के लिए आवश्यक परिपथ आरेख  चित्र 15.9 में दर्शाया गया है। यह परिपथ वाहक तरंग सिगनल के लिए
सामान्यतः एक उभयनिष्ठ उत्सर्जक वाहक प्रवर्धक है। मॉड्यूलक सिगनल  [em = Em sinωm .t] आधार पर आरोपित किया जाता है। इस प्रकार निर्गम आधार (UPBoardSolutions.com) बायसिंग वोल्टता नियत d.c वोल्टता नहीं है, बल्कि यह नियत d.c. वोल्टता VBB तथा मॉड्यूलक वोल्टता a.c [em = Em sinωm.t] का योग है।
चित्र 15.9 अत: आधार वोल्टता नियत न रहकरे । मॉड्यूलक सिगनल के तात्कालिक मान के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। इस प्रकार प्रवर्धन भी परिवर्तित होता है। अतः निर्गम वोल्टता भी उसी के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। इस प्रकार निर्गम में आयाम मॉड्यूलित तरंग प्राप्त हो जाती है। उत्पादन प्रक्रिया को ब्लॉक चित्र 15.10 में प्रदर्शित है।
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आयाम मॉड्यूलित तरंग का संसूचन
आयाम मॉड्यूलेटिड तरंग को संसूचित करने में निम्नलिखित दो क्रियाएँ होती हैं
(i) मॉड्यूलित तरंग (UPBoardSolutions.com) का दिष्टीकरण (Rectification),
(ii) मॉझ्यालित तरंग से वाहक तरंग (रेडियो आवृत्ति) घटक को अलग करना। आयाम मॉड्यूलित तरंग के संसूचन अर्थात् विमॉड्यूलेशन के लिए आवश्यक परिपथ आरेख चित्र 15.11 में दर्शाया गया है।
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निवेशी परिपथ स्वप्रेरकत्व L1 तथा परिवर्ती संधारित्र C1 का समान्तर संयोजन है। इसको ट्यून्ड परिपथ (tuned circuit) कहते हैं। ग्राही के ऐण्टीना पर प्राप्त विभिन्न (UPBoardSolutions.com) सिगनलों से वांछित मॉड्यूलित रेडियो सिगनल C1 की आवृत्ति को व्यवस्थित करके अनुनाद के आधार पर चयनित कर लिया जाता है।
डायोड D इस सिगनल को दिष्टीकृत कर देता है। अतः डायोड का निर्गम, रेडियो आवृत्ति की धारा स्पन्दों के धनात्मक आधे वक्रों की चेन है। इन सिगनलों के शिखर श्रव्य सिगनलों के अनुसार परिवर्तित होते हैं। श्रव्य सिगनलों को पुनः प्राप्त करने के लिए डायोड दिष्टीकृत निर्गम को कम मान के (UPBoardSolutions.com) संधारित्र C2 तथा एक लोड प्रतिरोध RL के समान्तर संयोजन पर आरोपित किया जाता है। संधारित्र C2 उच्च आवृत्ति की वाहक तरंगों के लिए निम्न प्रतिघात ( Xc= [latex]\frac { 1 }{ 2\pi f{ C }_{ 2 } }[/latex]) तथा निम्न आवृत्ति की श्रव्य तरंगों के लिए उच्च प्रतिघात उत्पन्न करता है। अत: उच्च आवृत्ति की वाहक तरंगें इस संधारित्र से निकल जाती हैं। तथा निम्न आवृत्ति की श्रव्य तरंगें लोड प्रतिरोध RLपर प्राप्त हो जाती हैं। अत: यह हैडफोन में धारा भेजता है जिससे कि मूल श्रव्य सिगनल पुन: प्राप्त हो जाता है।।

संसूचन प्रक्रिया (विमॉड्यूलेशन) का ब्लॉक आरेख
संसूचन के लिए संतोषजनक प्रतिबन्ध: फिल्टर परिपथ से जुड़े संधारित्र की धारिता इतनी होनी चाहिए कि रेडियो आवृत्ति fके लिए इसका प्रतिघात ( X=[latex]\frac { 1 }{ { \omega }_{ c }C }[/latex] )प्रतिरोध R की तुलना में बहुत कम हो अर्थात्
X <<R अथवा    [latex]\frac { 1 }{ 2\pi { f }_{ c }C }[/latex] << R
जबकि श्रव्य-आवृत्ति f के लिए इसका प्रतिघात, प्रतिरोध है की तुलना में बहुत अधिक हो अर्थात्
[latex]\frac { 1 }{ { \omega }_{ m }C }[/latex]  >> R या  [latex]\frac { 1 }{ 2\pi { f }_{ m }C }[/latex]  >> R

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