UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 9 Planning and Sustainable Development in Indian Context

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UP Board Class 12 Geography Chapter 9 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 9 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए-
(i) प्रदेशीय नियोजन का सम्बन्ध है-
(क) आर्थिक व्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों का विकास
(ख) क्षेत्र-विशेष के विकास का उपागम
(ग) परिवहन जल तन्त्र में क्षेत्रीय अन्तर
(घ) ग्रामीण क्षेत्रों का विकास
उत्तर:
(ख) क्षेत्र-विशेष के विकास का उपागम।

(ii) आई०टी०डी०पी० निम्नलिखित में से किस सन्दर्भ में वर्णित है-
(क) समन्वित पर्यटन विकास प्रोग्राम
(ख) समन्वित यात्रा विकास प्रोग्राम
(ग) समन्वित जनजातीय विकास प्रोग्राम
(घ) समन्वित परिवहन विकास प्रोग्राम।
उत्तर:
(ग) समन्वित जनजातीय विकास प्रोग्राम।

(iii) इन्दिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में सतत पोषणीय विकास के लिए इनमें से कौन-सा सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है-
(क) कृषि विकास
(ख) पारितन्त्र विकास
(ग) परिवहन विकास
(घ) भूमि उपनिवेशन।
उत्तर:
(ख) पारितन्त्र विकास।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें-
(i) भरमौर जनजातीय क्षेत्र में समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम के सामाजिक लाभ क्या हैं?
उत्तर:
भरमौर जनजातीय क्षेत्र में जनजातीय विकास कार्यक्रम से सबसे अधिक विकास विद्यालयों, स्वास्थ्य सुविधाओं, पेयजल, परिवहन एवं संचार तथा विद्युत के क्षेत्र में हुआ।

(ii) सतत पोषणीय विकास की संकल्पना को परिभाषित करो।
उत्तर:
ब्रटलैण्ड आयोग के अनुसार सतत पोषणीय विकास का अर्थ है-“एक ऐसा विकास जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति को प्रभावित किए बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति की जाए।”

(iii) इन्दिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र का सिंचाई पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
इन्दिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में नहर द्वारा सिंचाई के प्रसार से इस प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यहाँ मृदा में नमी की कमी कृषि के विकास में सबसे बड़ी बाधा थी। सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने से बोए गए क्षेत्र का विस्तार हुआ है और एक से अधिक बार बोए गए क्षेत्र में वृद्धि हुई है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें-

(i) सूखा सम्भावी क्षेत्र कार्यक्रम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। यह कार्यक्रम देश में शुष्क भूमि कृषि विकास में कैसे सहायक है?
उत्तर:
सूखा सम्भावी क्षेत्र कार्यक्रम-यह कार्यक्रम चौथी योजना में शुरू किया गया था। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सूखा प्रवण क्षेत्रों में गरीब ग्रामीण लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना तथा सूखे के प्रभाव को कम करना था। इसमें भूमि तथा मजदूर की उत्पादकता में वृद्धि के लिए विकासात्मक कार्य शुरू किए गए थे। समन्वित विकास पर विशेष जोर दिया गया था। ये कार्यक्रम सिंचाई परियोजनाओं, भूमि विकास कार्यक्रम, वनारोपण/वनीकरण, घास भूमि विकास, ग्रामीण विद्युतीकरण और अवसंरचनात्मक विकास कार्यक्रम से सम्बन्धित थे।

कार्यक्रम का प्रभाव मुख्यत: कृषि तथा इससे सम्बद्ध सेक्टरों के विकास तक ही सीमित है और पर्यावरणीय सन्तुलन पुनः स्थापन तक इसमें विशेष बल दिया गया। यह भी महसूस किया गया कि जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण भूमि पर जनसंख्या का भार निरन्तर बढ़ रहा है और कृषक अधिक कृषि उत्पादन प्राप्त करने के लिए सीमान्त भूमि का प्रयोग करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इससे पारिस्थितिकीय सन्तुलन बिगड़ रहा है, अत: सूखा प्रभावी क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार के अवसर उत्पन्न करना अति महत्त्वपूर्ण हो गया है।

कार्यक्रम देश में शुष्क भूमि कृषि विकास में सहायक-भारत में सूखा सम्भावी क्षेत्र मुख्यत: राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र, आन्ध्र प्रदेश में रायलसीमा, तेलंगाना, कर्नाटक पठार और तमिलनाडु की उच्च भूमि तथा आन्तरिक भाग के शुष्क और अर्द्ध-शुष्क भागों में फैले हुए हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तरी राजस्थान के सूखा प्रभावित क्षेत्र सिंचाई के प्रसार के कारण सूखे से बच जाते हैं।

(ii) इन्दिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में सतत पोषणीय विकास को बढ़ावा देने के लिए उपाय सुझाइए।
उत्तर:
इन्दिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में सतत पोषणीय विकास को बढ़ावा देने के उपाय निम्नलिखित हैं-

(1) जल सघन फसलों के स्थान पर बागवानी कृषि में खट्टे फलों की कृषि को प्रोत्साहन देना चाहिए।
(2) जल प्रबन्धन नीति को कठोरता से लागू करने की आवश्यकता है।
(3) जलाक्रान्त तथा लवणता से प्रभावित भूमि के पुनरुद्धार के प्रयास किए जाएँ।
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(4) कमान क्षेत्र विकास कार्यक्रम; जैसे-नालों को पक्का करना, भूमि विकास तथा समतलन और बारबंदी (ओसरा) पद्धति (निकास के कमान क्षेत्र में नहर के जल का समान वितरण) प्रभावी रूप से क्रियान्वित की जाएँ जिससे बहते जल की क्षति मार्ग में कम हो सके।
(5) सतत पोषणीय विकास प्राप्त करने के लिए कृषि तथा इससे सम्बन्धित क्रियाकलापों के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों का भी विकास करना होगा।
(6) सामाजिक सतत पोषणीयता का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निर्धन आर्थिक स्थिति वाले भू-आवंटियों को पर्याप्त वित्तीय एवं संस्थागत सहायता देने की आवश्यकता है।
(7) प्रदेश के पारिस्थितिक तन्त्र के विकास के लिए वनीकरण, वृक्षों की रक्षण मेखला का निर्माण तथा चरागाह का विकास आवश्यक है।

UP Board Class 12 Geography Chapter 9 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 9 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विशिष्ट पहाड़ी क्षेत्र विकास कार्यक्रम पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में आरम्भ हुआ और इसमें उत्तराखण्ड, मिकिर पहाड़ी और असम की उत्तरी कछार की पहाड़ियाँ, पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग जिला तथा तमिलनाडु के नीलगिरि इत्यादि को मिलाकर 15 जिले शामिल हैं। पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए बनी राष्ट्रीय समिति ने सन् 1981 में सिफारिश की कि देश के उन सभी पर्वतीय क्षेत्रों को पिछड़े पर्वतीय क्षेत्रों में शामिल कर लिया जाए जिनकी ऊँचाई 600 मीटर से अधिक है और जिनमें जनजातीय उपयोजना लागू नहीं है।

राष्ट्रीय समिति ने पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए जो सुझाव दिए, उनमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा गया था

  1. कार्यक्रम का लाभ पहाड़ी क्षेत्र के सभी लोगों तक पहुँचे।
  2. स्थानीय संसाधनों व प्रतिभाओं का विकास हो सके।
  3. पहाड़ी लोग अपनी जीविका-निर्वाह अर्थव्यवस्था को निवेश-उन्मुखी बनाएँ व कुछ लाभ कमाना सीखें।
  4. अन्तः प्रादेशिक व्यापार में पिछड़े अर्थात् पर्वतीय क्षेत्रों का शोषण न होने पाए।
  5. पिछड़े क्षेत्रों की बाजार व्यवस्था में सुधार करके श्रमिकों को लाभ पहुँचाना।
  6. पारिस्थितिकीय सन्तुलन बनाए रखना।

पहाड़ी क्षेत्रों के विकास की योजनाएँ बनाते समय उनकी स्थलाकृति, पारिस्थितिकी व सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दशाओं को ध्यान में रखा गया था।

कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय लोगों को पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, मृदा संरक्षण, वृक्षारोपण तथा उद्यान खेती इत्यादि का प्रशिक्षण देकर तथा उन्हें इन कार्यक्रमों में शामिल करके स्थानीय संसाधनों का दोहन करना था।

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प्रश्न 2.
लक्ष्य क्षेत्र नियोजन को समझाइए।
उत्तर:
जो क्षेत्र आर्थिक विकास की दौड़ में पिछड़ गए हैं उनके नियोजन पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। आप जानते हैं कि किसी क्षेत्र का आर्थिक विकास उसके संसाधन आधार (Resources Base) पर निर्भर करता है, लेकिन कई बार संसाधनों से समृद्ध क्षेत्र भी पिछड़े रह जाते हैं। आर्थिक विकास के लिए संसाधनों के साथ-साथ तकनीकी ज्ञान और पूँजी की भी आवश्यकता होती है।

भारत में पहली तीन पंचवर्षीय योजनाओं का परिणाम यह रहा कि आर्थिक विकास में क्षेत्रीय विषमता और अधिक बढ़ती जा रही है। विकास का फल आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों और लोगों, विशेषतया स्त्रियों को उस हिसाब से नहीं मिल पाया जिसकी उम्मीद थी, अत: प्रादेशिक और सामाजिक विषमताओं को कम करने के लिए योजना आयोग ने योजना के दो नए उपगमनों ‘लक्ष्य क्षेत्र’ और ‘लक्ष्य समूह’ को प्रस्तुत किया है। लक्ष्य क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए जो कार्यक्रम इस देश में बनाए गए हैं, उनमें कमाण्ड एरिया डेवलपमेण्ट प्रोग्राम, सूखा प्रवण क्षेत्र विकास कार्यक्रम, मरुस्थल क्षेत्र विकास कार्यक्रम तथा पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम प्रमुख हैं।

इसी तरह लक्ष्य समूह विकास को ध्यान में रखते हुए लघु कृषक विकास अभिकरण (SFDA) तथा सीमान्त कृषक विकास अभिकरण (MFDA) जैसे कार्यक्रम चलाए गए।

आठवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान उत्तर-पूर्वी राज्यों, जनजातीय क्षेत्रों एवं पिछड़े क्षेत्रों में ढाँचागत सुविधाओं का विकास करने के लिए ‘विशिष्ट क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ लागू किया गया।

प्रश्न 3.
नियोजन का क्या अर्थ है? नियोजन के उपगमन को समझाइए।
उत्तर:
नियोजन का अर्थ-किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए-

  1. सोच-विचार करना,
  2. कार्यों व प्राथमिकताओं का क्रम विकसित करना तथा
  3. उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कठोर परिश्रम करना, ‘नियोजन’ कहलाता है।

नियोजन जिन समस्याओं को ध्यान में रखकर किया जाता है वे समस्याएँ स्थायी न होकर परिवर्तनीय होती हैं। नियोजन की अवधि भी अलग-अलग होती है।

नियोजन के उपगमन-सामान्यत: नियोजन के दो उपगमन होते हैं-

1.खण्डीय नियोजन-नियोजन के इस प्रकार में अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों; जैसे-कृषि, सिंचाई, विनिर्माण, ऊर्जा, परिवहन, संचार, सामाजिक अवसंरचना और सेवाओं के लिए कार्यक्रम बनाए और लागू किए जाते हैं।

2. क्षेत्रीय नियोजन-किसी भी क्षेत्र के सभी भागों में एक समान आर्थिक विकास नहीं पाया जाता। कुछ क्षेत्र अधिक विकसित हो जाते हैं व अन्य कुछ पिछड़े रह जाते हैं। विकास की यह क्षेत्रीय असमानता नियोजकों को प्रेरित करती है कि वे नियोजन का स्थानिक परिप्रेक्ष्य अपनाते हुए ऐसी योजनाएँ बनाएँ जिनसे विकास में प्रादेशिक असन्तुलन कम हो सके। इस प्रकार के नियोजन को क्षेत्रीय नियोजन’ कहा जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रादेशिक विषमता उत्पन्न होने के कारणों को समझाइए।
उत्तर:
प्रादेशिक विषमता उत्पन्न होने के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. देश के अधिकांश पिछड़े क्षेत्रों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया।
  2. द्वितीय पंचवर्षीय योजना में देश के गिने-चुने भागों में बड़े-बड़े कारखाने स्थापित किए गए। इन उद्योगों की स्थापना से अन्तः प्रादेशिक विषमताएँ बढ़ गईं।
  3. 60 के दशक में आयी हरित क्रान्ति ने भी आर्थिक विषमता को बढ़ावा दिया।
  4. उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण के कारण भी विकास केवल सुविधाजनक क्षेत्रों में ही तेजी से हो रहा है, सभी क्षेत्रों में नहीं। इससे प्रादेशिक विषमता बढ़ रही है।
  5. पक्षपातपूर्ण निवेश भी आर्थिक विषमता को बढ़ा रहा है।

प्रश्न 2.
भारत में किस पंचवर्षीय योजना में सूखा सम्भावित क्षेत्र विकास कार्यक्रम की शुरुआत हुई? कार्यक्रम के उद्देश्यों को समझाइए।
उत्तर:
सूखा सम्भावित क्षेत्र विकास कार्यक्रम चौथी पंचवर्षीय योजना में आरम्भ किया गया। कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य थे-

  1. सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लोगों की आय में वृद्धि हो और उन्हें रोजगार के अवसर प्राप्त हों।
  2. अभावग्रस्त लोगों के लिए काम के अवसर निकाले जा सकें।
  3. सूखाग्रस्त क्षेत्रों में गरीबी दूर करने के लिए रोजगार देकर सहायता करना।

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प्रश्न 3.
हिमाचल प्रदेश के भरमौर क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र के रूप में कब अधिसूचित किया गया? इस क्षेत्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भरमौर क्षेत्र 21 नवम्बर, 1975 को आदिवासी क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। भरमौर क्षेत्र की विशेषताएँ-

भरमौर क्षेत्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. यह क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित है।
  2. यह एक पर्वतीय क्षेत्र है।
  3. यहाँ के निवासी गद्दी आदिवासी हैं।
  4. यहाँ की जलवायु कठोर है तथा साधन कम हैं।
  5. यह क्षेत्र आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़ा हुआ है।

प्रश्न 4.
भरमौर जनजातीय क्षेत्र विकास योजना के उद्देश्यों को समझाइए।
उत्तर:
भरमौर जनजातीय क्षेत्र विकास योजना के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. भरमौर जनजातीय क्षेत्र विकास योजना का मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र का सर्वांगीण विकास करना है।
  2. यहाँ के लोगों के जीवन स्तर का विकास तथा शिक्षा, आवास और स्वास्थ्य समस्या को हल करना है।

प्रश्न 5.
सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. कार्यक्रम के द्वारा अभावग्रस्त लोगों के लिए कार्यक्रम बनाए गए।
  2. कार्यक्रम में भूमि और मजदूरों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए विकासात्मक कार्य शुरू किए गए।
  3. कार्यक्रम में क्षेत्र के विकास पर जोर दिया गया।
  4. भूमि विकास तथा लघु सिंचाई कार्यक्रमों द्वारा उत्पादकता बढ़ाने के लिए इन क्षेत्रों में विकासात्मक कार्य शुरू किए गए।

प्रश्न 6.
चौथी पंचवर्षीय योजना के उद्देश्यों को समझाइए।
उत्तर:
चौथी पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. यथासम्भव आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ना तथा विदेशी सहायता की अनिश्चितता को कम करना।
  2. सामाजिक न्याय तथा समानता को बढ़ाना।
  3. साधनहीन और कमजोर वर्गों की दशा सुधारने तथा जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए शिक्षा और रोजगार की व्यवस्था करना।
  4. प्रादेशिक असन्तुलन को कम करना।

प्रश्न 7.
पिछड़े क्षेत्रों के विषय में क्या सुझाव दिए गए हैं?
उत्तर:
पिछड़े क्षेत्रों के सम्बन्ध में राष्ट्रीय समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं-

  1. सभी लोग लाभान्वित हों न कि केवल प्रभावशाली लोग।
  2. स्थानीय संसाधनों और प्रतिभाओं का विकास किया जाए।
  3. जीविका निर्वाह अर्थव्यवस्था को निवेश उन्मुखी बनाना।
  4. अन्तःप्रादेशिक व्यापार में पिछड़े क्षेत्रों का शोषण न हो।
  5. पारिस्थितिक सन्तुलन को बनाए रखा जाए।

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प्रश्न 8.
विकास की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विकास की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. विकास के अन्तर्गत वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाता है।
  2. इसमें नवीकरण योग्य साधनों के संरक्षण पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है।
  3. इसमें पर्यावरण प्रदूषण के नियन्त्रण पर विशेष बल नहीं दिया जाता।
  4. यह एक पुरानी संकल्पना है।
  5. इसमें संसाधनों के वैज्ञानिक प्रबन्धन पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता।

प्रश्न 9.
सतत पोषणीय विकास की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सतत पोषणीय विकास की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. सतत पोषणीय विकास में भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जाता है।
  2. इसमें नवीकरण योग्य संसाधनों; जैसे-वन, मछली आदि के प्राकृतिक रूप में पुनरुत्पादन और संवर्द्धन पर पूरा-पूरा ध्यान दिया जाता है।
  3. इसमें पर्यावरण को एक संसाधन माना जाता है।
  4. सतत पोषणीय विकास अपेक्षाकृत एक नई संकल्पना है।

प्रश्न 10.
जनजातीय विकास कार्यक्रम की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
जनजातीय विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. ये कार्यक्रम समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए बनाए गए थे।
  2. ये कार्यक्रम आम आदमी को शीघ्र लाभ देने के उद्देश्य से बनाए गए थे।
  3. ये कार्यक्रम चुने गए क्षेत्रों की विशेष समस्याओं को सुलझाने के लिए बनाए गए थे। प्रमुख समस्याएँ थीं-बँधुआ मजदूरी, स्थानान्तरी कृषि तथा भूमि का हस्तान्तरण आदि।
  4. इन कार्यक्रमों के कुछ जनजातीय और दीर्घावधि उद्देश्य भी निर्धारित किए गए थे।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
नियोजन किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए सोच-विचार करना, कार्यों व प्राथमिकताओं का क्रम विकसित करना तथा उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कठोर परिश्रम करना ‘नियोजन’ कहलाता है।

प्रश्न 2.
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम कब आरम्भ हुआ?
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में आरम्भ हुआ।

प्रश्न 3.
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का समय क्या था?
उत्तर:
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का समय सन् 2007 से 2012 तक का था।

प्रश्न 4.
सूखा सम्भावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम कब शुरू किया गया?
उत्तर:
सूखा सम्भावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-1974) में शुरू किया गया।

प्रश्न 5.
सूखा सम्भावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम का उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
सूखा सम्भावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम का उद्देश्य संसाधनों के अभाव वाले सूखा सम्भावी क्षेत्रों में सूखे के प्रभाव अर्थात् गरीबी को दूर करने के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना था।

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प्रश्न 6.
जनजातीय विकास कार्यक्रम किन जिलों के लिए तैयार किया गया था?
उत्तर:
जनजातीय विकास कार्यक्रम उन जिलों के लिए तैयार किए गए थे जिनकी आधी या उससे अधिक जनसंख्या जनजातीय है। .

प्रश्न 7.
हिमाचल प्रदेश के भरमौर क्षेत्र में कौन-सी जनजाति पायी जाती है?
उत्तर:
हिमाचल प्रदेश के भरमौर क्षेत्र में ‘गद्दी’ जनजाति पायी जाती है।

प्रश्न 8.
सतत पोषणीय विकास की संकल्पना कब की गई?
उत्तर:
सतत पोषणीय विकास की संकल्पना सन् 1987 में की गई।

प्रश्न 9.
जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम शुरू करने वाले राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखण्ड और राजस्थान।

प्रश्न 10.
2 नवम्बर 1984 से पहले इन्दिरा गांधी नहर का क्या नाम था?
उत्तर:
2 नवम्बर 1984 से पहले इन्दिरा गांधी नहर का नाम ‘राजस्थान नहर’ था।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कौन-सी योजना में स्पष्ट रूप से विकास की विचारधारा पर जोर दिया गया-
(a) द्वितीय
(b) तृतीय
(c) चतुर्थ
(d) पंचम।
उत्तर:
(c) चतुर्थ।

प्रश्न 2.
कृषि जलवायु नियोजन का आरम्भ कब किया गया-
(a) सन् 1988 में
(b) सन् 1974 में
(c) सन् 1966 में
(d) सन् 1992 में।
उत्तर:
(b) सन् 1974 में।

प्रश्न 3.
उन क्षेत्रों में कौन-सा कार्यक्रम शुरू किया गया जहाँ 50 प्रतिशत से अधिक जनजाति के लोग रहते-
(a) जनजातीय विकास कार्यक्रम
(b) पहाड़ी क्षेत्र विकास कार्यक्रम
(c) गहन कृषि विकास कार्यक्रम
(d) सामुदायिक विकास कार्यक्रम।
उत्तर:
(a) जनजातीय विकास कार्यक्रम।

प्रश्न 4.
सतत विकास की आवश्यकता का उद्देश्य किस योजना में रखा गया-
(a) नौवीं पंचवर्षीय योजना
(b) आठवीं पंचवर्षीय योजना
(c) सातवीं पंचवर्षीय योजना
(d) छठी पंचवर्षीय योजना।
उत्तर:
(a) नौवीं पंचवर्षीय योजना।

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प्रश्न 5.
दसवीं पंचवर्षीय योजना कब समाप्त हुई-
(a) 31 मार्च 2007
(b) 31 मार्च 2008
(c) 31 मार्च 2009
(d) 31 मार्च 2010
उत्तर:
(a) 31 मार्च 2007

प्रश्न 6.
भरमौर क्षेत्र में निवास करने वाली जनजाति है-
(a) गद्दी
(b) भोटिया
(c) गुर्जर
(d) बकरवाल।
उत्तर:
(a) गद्दी।

प्रश्न 7.
भारत में पहली पंचवर्षीय योजना कब आरम्भ हुई-
(a) सन् 1950 में
(b) सन् 1951 में
(c) सन् 1952 में
(d) सन् 1956 में।
उत्तर:
(b) सन् 1951 में।

प्रश्न 8.
भरमौर क्षेत्र की प्रमुख नदी है-
(a) सतलज
(b) व्यास
(c) ताप्ती
(d) रावी।
उत्तर:
(d) रावी।

प्रश्न 9.
सतत पोषणीय विकास को प्राप्त करने का कौन-सा उपाय ठीक नहीं है
(a) अवशिष्ट पदार्थों का पुन: उपयोग
(b) सही प्रविधि का प्रयोग
(c) नवीकरण योग्य संसाधनों का कम प्रयोग
(d) पर्यावरण प्रदूषण पर रोकथाम।
उत्तर:
(c) नवीकरण योग्य संसाधनों का कम प्रयोग।

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प्रश्न 10.
इन्दिरा गांधी नहर का निर्माण कितने चरणों में पूरा हुआ-
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच।
उत्तर:
(a) दो।

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UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 5 Land Resources and Agriculture

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 5 Land Resources and Agriculture (भूसंसाधन तथा कृषि)

UP Board Class 12 Geography Chapter 5 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 5 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए
(i) निम्न में से कौन-सा भू-उपयोग संवर्ग नहीं है
(क) परती भूमि
(ख) सीमान्त भूमि
(ग) निवल बोया क्षेत्र
(घ) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि।
उत्तर:
(ख) सीमान्त भूमि।

(ii) पिछले 40 वर्षों में वनों का अनुपात बढ़ने का निम्न में से कौन-सा कारण है
(क) वनीकरण के विस्तृत व सक्षम प्रयास
(ख) सामुदायिक वनों के अधीन क्षेत्र में वृद्धि
(ग) वन बढ़ोतरी हेतु निर्धारित अधिसूचित क्षेत्र में वृद्धि
(घ) वन क्षेत्र प्रबन्धन में लोगों की बेहतर भागीदारी।
उत्तर:
(ग) वन बढ़ोतरी हेतु निर्धारित अधिसूचित क्षेत्र में वृद्धि।

(iii) निम्न में से कौन-सा सिंचित क्षेत्रों में भू-निम्नीकरण का मुख्य प्रकार है
(क) अवनालिका अपरदन
(ख) वायु अपरदन
(ग) मृदा लवणता
(घ) मृदा पर सिल्ट का जमाव।
उत्तर:
(ग) मृदा लवणता।

(iv) शुष्क कृषि में निम्न में से कौन-सी फसल नहीं बोई जाती
(क) रागी
(ख) मूंगफली
(ग) ज्वार
(घ). गन्ना।
उत्तर:
(घ) गन्ना।

(v) निम्न में से कौन-से देशों में गेहूँ व चावल की अधिक उत्पादकता की किस्में विकसित की गई थीं
(क) जापान तथा ऑस्ट्रेलिया
(ख) संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान
(ग) मैक्सिको तथा फिलीपीन्स
(घ) मैक्सिको तथा सिंगापुर।
उत्तर:
(ग) मैक्सिको तथा फिलीपीन्स।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
(i) बंजर भूमि तथा कृषि योग्य व्यर्थ भूमि में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
बंजर भूमि – यह अनुपजाऊ भूमि है, जो कृषि योग्य नहीं है। ऐसी भूमि पहाड़ों, मरुस्थलों, खड्ड आदि में होती है।
कृषि योग्य व्यर्थ भूमि – इस वर्ग में उस भूमि को शामिल किया जाता है, जिस पर पिछले पाँच वर्षों अथवा इससे अधिक समय तक कृषि नहीं की गई है। आधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग से इसे कृषि योग्य बनाया जा सकता है।

(ii) निवल बोया गया क्षेत्र तथा सकल बोया गया क्षेत्र में अन्तर बताएँ।
उत्तर:
निवल बोया गया क्षेत्र – वर्ष में फसलगत क्षेत्र को निवल बोया गया शुद्ध क्षेत्र कहते हैं।
सकल बोया गया क्षेत्र – निवल बोया गया क्षेत्र तथा एक से अधिक बार बोया गया क्षेत्र का योग सकल बोया गया क्षेत्र होता है।

(iii) भारत जैसे देश में गहन कृषि नीति अपनाने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि के कारण अधिक अन्न उत्पादन करने के लिए फसल गहनता में वृद्धि की विधि आवश्यक है। इस विधि के द्वारा भूमि की कम मात्रा में एक वर्ष में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

(iv) शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सामान्यतः 75 सेमी से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में शुष्क कृषि तथा इससे अधिक वर्षा वाले प्रदेशों में आर्द्र कृषि की जाती है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें
(i) भारत में भू-संसाधनों की विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएँ कौन-सी हैं? उनका निदान कैसे किया जाए?
उत्तर:
कृषि भूमि पर बढ़ते दबाव के कारण कई तरह की पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। ये समस्याएँ हैं
1. अनियमित मानसून पर निर्भरता – देश के कृषि क्षेत्र के केवल एक-तिहाई भाग को सिंचाई सुविधा प्राप्त है। दो-तिहाई कृषि क्षेत्र फसलों के उत्पादन के लिए सीधे-सीधे वर्षा पर निर्भर करता है। देश के अधिकांश भागों में वर्षा मानसून पवनों से होती है। यह मानूसनी वर्षा भी अनियमित व अनिश्चित होती है जिससे सिंचाई के लिए उपलब्ध नहरों के जल की आपूर्ति प्रभावित होती है।
समस्या का निदान – देश में सिंचाई सुविधाओं के विकास पर जोर दिया जाना चाहिए।

2. बाढ़ तथा सूखा – सूखा व बाढ़ भारतीय कृषि के लिए जुड़वाँ संकट बने हुए हैं। कम वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में सूखा तो आम बात है ही, लेकिन यहाँ कभी-कभी बाढ़ भी आ जाती है। सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जहाँ कृषि निम्न अवस्था में होती है, वहीं दूसरी तरफ बाढ़ कृषि अवसंरचना को नष्टप्राय कर देती है और करोड़ों रुपये की फसलें भी बहा ले जाती है।
समस्या का निदान – सूखा व बाढ़ को नियन्त्रित करने के हरसम्भव प्रयास किए जाने चाहिए।

(ii) भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् कृषि विकास की महत्त्वपूर्ण नीतियों का वर्णन करें।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद सरकार ने खाद्यान्नों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए। इन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु निम्नलिखित तीन रणनीतियाँ अपनाई गईं.

  • व्यापारिक फसलों के स्थान पर खाद्यान्नों की कृषि को प्रोत्साहन देना।
  • कृषि गहनता को बढ़ाना।
  • कृषि योग्य बंजर तथा परती भूमि को कृषि भूमि में परिवर्तित करना।

भारतीय कृषि में 1960 के दशक में आधुनिक निवेशों के साथ ही प्रौद्योगिकीय परिवर्तन होने लगे। बीजों की अधिक उपज देने वाली किस्में, उर्वरक, मशीनीकरण, ऋण तथा विपणन सुविधाएँ इस परिवर्तन के महत्त्वपूर्ण घटक हैं।

केन्द्र सरकार ने सन् 1960 में गहन क्षेत्र विकास कार्यक्रम (IADP) तथा गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम (IAAP) आरम्भ किया। गेहूँ तथा चावल के अधिक उपज देने वाले बीज भारत में लाए गए। इसके साथ ही रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशक दवाइयों का उपयोग भी शुरू किया गया और सिंचाई की सुविधाओं में सुधार एवं उनका विकास किया गया। इन सबके संयुक्त प्रभाव को हरित क्रान्ति के नाम से जाना जाता है।

UP Board Class 12 Geography Chapter 5 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 5 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भू-राजस्व विभाग अपनाए गए भू-उपयोग संवर्ग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भू-उपयोग संवर्ग भू-राजस्व विभाग द्वारा अपनाए गए भू-उपयोग संवर्ग निम्नलिखित हैं

1. वनों के अधीन क्षेत्र – यह जानना आवश्यक है कि वर्गीकृत वन क्षेत्र तथा वनों के अन्तर्गत वास्तविक क्षेत्र दोनों अलग-अलग हैं। सरकार ने वर्गीकृत वन क्षेत्र की पहचान और सीमांकन इस आधार पर किया है कि वहाँ वन विकसित हो सकते हैं। अत: वास्तविक वन क्षेत्र में वृद्धि हुए बिना इस संवर्ग के क्षेत्रफल में वृद्धि हो सकती है।

2. कृषि के लिए अनुपलब्ध क्षेत्र – इस श्रेणी में निम्नलिखित दो प्रकार की भूमि शामिल की जाती है

  • गैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त भूमि
  • बंजर व कृषि अयोग्य भूमि।

3. परती भूमि के अतिरिक्त अन्य कृषि अयोग्य भूमि – इस भूमि पर न तो खेती की जाती है और न ही इसमें परती भूमि को शामिल किया जाता है। इस संवर्ग में तीन प्रकार की भूमि आती है

  • स्थायी चरागाहें तथा अन्य गोचर भूमि
  • विविध वृक्षों, वृक्ष फसलों तथा उपवनों के अधीन भूमि
  • बंजर भूमि।

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4. परती भूमि – वह भूमि जिसे कुछ समय के लिए खाली छोड़ दिया जाता है, ताकि उनमें नमी व उपजाऊ-शक्ति बढ़ सके। परती भूमि के दो प्रकार हैं

  • वर्तमान परती भूमि एवं
  • पुरातन परती भूमि।

5.शुद्ध निवल बोया गया क्षेत्र – वह भूमि जिस पर फसलें उगाई व काटी जाती हैं, वह निवल बोया गया क्षेत्र कहलाता है। यदि एक वर्ष में एक बार से अधिक बोए गए क्षेत्र को निवल बोए गए क्षेत्र में जोड़ दिया जाए तो वह सकल कृषित क्षेत्र कहलाता है।

प्रश्न 2.
साझा सम्पत्ति संसाधन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
साझा सम्पत्ति संसाधन स्वामित्व के आधार पर भूमि को दो और वर्गों में बाँटा जाता है
(1) निजी भूमि, एवं (2) साझा भूमि।
1.निजी भू – सम्पत्ति पर किसी एक व्यक्ति का निजी अथवा कुछ व्यक्तियों का सम्मिलित निजी स्वामित्व होता है।

2. साझा भू – सम्पत्ति सभी की होती है और इसका स्वामित्व राज्य सरकार का होता है। यह भूमि सामुदायिक उपयोग के लिए होती है, जिसे ‘साझा सम्पत्ति संसाधन’ कहा जाता है। सामुदायिक वन, चरागाहें, ग्रामीण जलीय क्षेत्र, चौपाल तथा अन्य सार्वजनिक स्थान साझा सम्पत्ति संसाधनों के उदाहरण हैं। इन संसाधनों के उपयोग का अधिकार समुदाय के सभी व्यक्तियों को एक-समान होता है। साझा सम्पत्ति संसाधनों के लिए चारा, घरेलू उपयोग के लिए ईंधन व अन्य वन उत्पाद जैसे फल, रेशे, गिरी व औषधीय पौधे आदि उपलब्ध होते हैं। इन भूमियों का ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन छोटे किसानों तथा अन्य आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के लोगों के गुजर-बसर में विशेष महत्त्व है, क्योंकि इनमें से अधिकतर लोग भूमिहीन होने के कारण पशुपालन से प्राप्त आजीविका पर निर्भर हैं। ग्रामीण महिलाओं के लिए इन साझा भूमियों का विशेष महत्त्व है, क्योंकि गाँवों में चारा व ईंधन लाने की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है। इन भूमियों की कमी होने पर उन्हें चारे व ईंधन की तलाश में दूर तक भटकना पड़ता है।

आज गाँवों में साझा सम्पत्ति संसाधन अवैध कब्जों के कारण सिकुड़ रहे हैं, अत: इनके बचाव व रख-रखावं की जिम्मेदारी भी गाँव के सभी घरों की है।

प्रश्न 3.
भारत में फसल ऋतुओं का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
भारत में फसल ऋतुएँ भारत के उत्तरी व आन्तरिक भागों में तीन फसल ऋतुएँ पायी जाती हैं

  1. खरीफ
  2. रबी व
  3. जायद।

1.खरीफ (जून से सितम्बर) – खरीफ की फसलें दक्षिण-पश्चिमी मानसून के साथ बोई जाती हैं जिसमें उष्ण कटिबन्धीय फसलें शामिल हैं; जैसे-चावल, कपास, जूट, ज्वार, बाजरा व अरहर, मक्का, मूंग, उड़द, मूंगफली व सोया आदि। इन फसलों को अपेक्षाकृत अधिक तापमान तथा अधिक आर्द्रता की आवश्यकता होती है।
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2. रबी ( अक्टूबर से मार्च) – रबी की फसलों की बुआई शरद ऋतु में आरम्भ होती है। इस मौसम में शीतोष्ण व उपोष्ण कटिबन्धीय फसलें उगाई जाती हैं जो कम तापमान तथा अपेक्षाकृत कम वर्षा में पनप सकती हैं। गेहूँ, जौ, ज्वार, चना, तोरई और सरसों, अलसी, मसूर, चना आदि प्रमुख रबी की फसलें हैं।

3. जायद( अप्रैल से जून) – जायद एक छोटी अवधि की ग्रीष्मकालीन फसल ऋतु है। इस ऋतु में उच्च तापमान चाहने वाली फसलें सिंचाई की सहायता से उगाई जाती हैं। जायद की प्रमुख फसलें मक्का, सूरजमुखी, मूंगफली, तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी, सब्जियाँ, फल तथा चारे की फसलें आदि हैं।

प्रश्न 4.
कृषि के प्रकारों को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
कृषि के प्रकार मिट्टी में नमी लाने वाले प्रमुख स्रोत के आधार पर कृषि को दो प्रकारों में बाँटा जाता है
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(I) सिंचित कृषि – खेती की इस प्रकार की फसलों को विभिन्न साधनों द्वारा सींचा जाता है। सिंचाई के उद्देश्य के आधार पर सिंचित कृषि भी दो प्रकार की होती हैं
1. रक्षित सिंचाई कृषि – इस प्रकार कृषि में फसलों की केवल उतनी सिंचाई की जाती है कि जल के अभाव में वे नष्ट न हो जाएँ। अन्य शब्दों में, इस प्रकार की खेती में कम वर्षा के कारण हुई जल की कमी को सिंचाई द्वारा पूरा कर लिया जाता है।

2. उत्पादक सिंचाई कृषि – इस कृषि का उद्देश्य फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराकर अधिक-से-अधिक उत्पादन प्राप्त करना है।

(II) वर्षा निर्भर कृषि – फसल ऋतु में मिट्टी में उपलब्ध आर्द्रता की मात्रा के आधार पर वर्षा निर्भर कृषि दो प्रकार की होती है
1. शुष्क भूमि कृषि – भारत में यह कृषि उन प्रदेशों में की जाती है जहाँ वार्षिक वर्षा 75 सेमी से कम है। इन क्षेत्रों में शुष्कता सहन करने वाली फसलें बोई जाती हैं; जैसे-रागी, बाजरा, मूंग, चना तथा ग्वार आदि।

2. आई भूमि कृषि – आर्द्र कृषि क्षेत्रों में वर्षा ऋतु में जल की उपलब्धता फसलों की आवश्यकता से अधिक होती है। इन क्षेत्रों में वे फसलें उगाई जाती हैं जिन्हें पानी की अधिक आवश्यकता होती है; जैसे-चावल, जूट, गन्ना आदि।

प्रश्न 5.
चावल की कृषि की उपज की दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चावल की कृषि की उपज की दशाएँ चावल की कृषि के लिए अनुकूल उपज की दशाएँ निम्नलिखित हैं
1. तापमान – चावल के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। 20° से० से कम तापमान पर तो चावल अंकुरित ही नहीं होता। इसे बोते समय 21° से०, बढ़ते समय 27° से० तथा पकते समय 24° से. तापमान आवश्यक होता है। इसको प्रचुर मात्रा में प्रकाश की आवश्यकता होती है। लम्बा मेघाच्छादित मौसम तथा तेज . हवाएँ चावल के लिए हानिकारक होती हैं।

2. जल – चावल में खेतों में 75 दिन तक पानी भरा रहना चाहिए। इसलिए चावल के लिए 150 से 200 सेमी वार्षिक वर्षा आदर्श होती है। 100 सेमी से कम वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल सिंचाई के द्वारा उगाया जाता है।

3. मिट्टी – चावल के लिए उपजाऊ चिकनी, जलोढ़ अथवा दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसमें अधिक समय तक नमी धारण करने की शक्ति होती है।

4. श्रम – चावल की कृषि मशीनों से नहीं की जा सकती; इसलिए इसकी कृषि के लिए अत्यधिक श्रम की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि चावल सदा घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बोया जाता है।

5. भूमि – नदियों के डेल्टाओं तथा बाढ़ के मैदानों में चावल खूब पैदा होता है। इसकी कृषि के लिए हल्की ढाल वाले मैदानी भाग अनुकूल होते हैं।

प्रश्न 6.
गन्ने की कृषि की उपज की दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गन्ने की कृषि की उपज की दशाएँ गन्ने की कृषि की अनुकूल उपज की दशाएँ निम्नलिखित हैं-
1. तापमान – गन्ना मुख्यत: अयनवृत्तीय पौधा है। अंकुर निकलते समय 20° से. तापमान लाभदायक रहता है, लेकिन इसके बढ़ने के लिए 20° से 30° से. तापमान की आवश्यकता होती है। पाला गन्ने की कृषि के लिए हानिकारक होता है।

2. वर्षा – वर्षा पर निर्भर दशाओं में गन्ना केवल आर्द्र और उपार्द्र जलवायु वाले क्षेत्रों में ही उगाया जा सकता है। अन्य शब्दों में, 100 से 150 सेमी वार्षिक वर्षा वाले भागों में गन्ना भली-भाँति उगाया जा सकता है, लेकिन भारत में इसकी कृषि अधिकतर सिंचित क्षेत्रों में की जा सकती है।

3. मिट्टी – गन्ने की कृषि के लिए चूना तथा फॉस्फोरसयुक्त गहरी तथा उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। गन्ना मिट्टी की उर्वरा-शक्ति को शीघ्र समाप्त कर देता है, अतः इसके लिए नदी-घाटियों की काँप मिट्टी सर्वश्रेष्ठ होती है, क्योंकि वहाँ प्रतिवर्ष मिट्टी की नवीन परत जम जाने से मिट्टी में उपजाऊ तत्त्व सदा उपलब्ध रहते हैं।

4. भूमि – गन्ने की खेती के लिए मैदानी भागों की आवश्यकता होती है। सागरीय वायु तथा धूप गन्ने के रस में मिठास भरते हैं; इसलिए तटीय मैदान इसकी कृषि के लिए आदर्श माने जाते हैं। अच्छे जल निकास वाली भूमि गन्ने के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होती है।

5. श्रम – गन्ने की खेती के अधिकतर कार्य हाथ से होते हैं; इसलिए इसकी खेती में सस्ते तथा कुशल श्रम की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 7.
भारत में चावल के उत्पादन क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चावल, भारत की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। यह मानूसनी प्रदेशों की फसल है। यहीं इसके पनपने की आदर्श दशाएँ पायी जाती हैं। चावल भारत में लगभग तीन-चौथाई मनुष्यों का भोज्य पदार्थ है।
भारत में चावल के उत्पादन क्षेत्र
भारत में चावल के प्रमुख उत्पादन क्षेत्र इस प्रकार हैं
1. पश्चिम बंगाल – यह भारत का प्रमुख चावल उत्पादन करने वाला राज्य है। यहाँ बाढ़ के कारण भूमि अधिक उपजाऊ होने से खाद देने की कम आवश्यकता होती है, लेकिन कभी-कभी फसल को बाढ़ से हानि भी होती है। यहाँ के मुख्य उत्पादक जिले कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, बांकुड़ा, मिदनापुर, दिनाजपुर, बर्द्धमान और दार्जिलिंग हैं। यहाँ चावल की तीन फसलें पैदा की जाती हैं।
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2. असम – यहाँ पर चावल की कृषि ब्रह्मपुत्र और सुबनसिरी नदी की घाटियों में तथा पहाड़ी ढालों पर सर्वत्र की जाती है। यहाँ चावल की तीन फसलें पैदा की जाती हैं। गोलपाड़ा, नवगाँव, कामरूप, धरांग, शिवसागर, लखीमपुर आदि प्रमुख उत्पादक जिले हैं।

3. बिहार – यहाँ पर वर्ष में चावल की दो फसलें पैदा की जाती हैं। गया, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और पूर्णिया आदि प्रमुख उत्पादक जिले हैं।

4. उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड – उत्तर प्रदेश में पीलीभीत, सहारनपुर, देवरिया, गोंडा, बहराइच, बस्ती, रायबरेली, बलिया, लखनऊ और गोरखपुर मुख्य उत्पादक जिले हैं।
उत्तराखण्ड में हिमालय की तराई में देहरादून में चावल की खेती अत्यधिक होती है। देहरादून का बासमती चावल स्वाद एवं सुगन्ध की दृष्टि से सर्वत्र प्रसिद्ध है।

5. महाराष्ट्र – यहाँ अधिकांश चावल पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल और समुद्र तटीय भागों में थाना, कोलाबा, रत्नागिरि, कनारा तथा कोंकण तट पर पैदा किया जाता है।

6. तमिलनाडु – यहाँ देश के कुल उत्पादन का 5-10 प्रतिशत चावल प्राप्त होता है। यहाँ चावल की दो फसलें पैदा की जाती हैं। यहाँ के मुख्य उत्पादक तिरुचिरापल्ली, रामनाथपुरम, थंजावूर, चिंगलपुर, उत्तरी और दक्षिणी अर्काट, मदुरै, सेलम, कोयम्बटूर और नीलगिरि जिले हैं।

7. आन्ध्र प्रदेश – यहाँ से देश का 12.36 प्रतिशत चावल प्राप्त होता है। यहाँ भी दो फसलें प्राप्त की जाती हैं। प्रमुख उत्पादक जिले विशाखापत्तनम, कृष्णा, गुण्टूर, श्रीकाकुलम, नेल्लौर, चित्तूर, कड्डप्पा, कुर्नूल, अनन्तपुर, पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी हैं।

8. अन्य – भारत में चावल उत्पादन के प्रमुख अन्य राज्य कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, राजस्थान, ओडिशा आदि हैं।

प्रश्न 8.
भारत में गेहूँ के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में चावल के बाद गेहूँ दूसरा प्रमुख अनाज है। भारत, विश्व का 12 प्रतिशत गेहूँ उत्पादन करता है। इसे रबी की ऋतुओं में बोया जाता है।
भारत में गेहूँ के उत्पादन क्षेत्र
भारत में गेहूँ के प्रमुख उत्पादन क्षेत्र इस प्रकार हैं
1. उत्तर प्रदेश – दक्षिण की पहाड़ी और पठारी भूमि को छोड़कर उत्तर प्रदेश में सर्वत्र गेहूँ की कृषि होती है। गेहूँ में अधिकांश क्षेत्रफल गंगा, यमुना, घाघरा नदियों के बीच के क्षेत्रफल में पाया जाता है। मेरठ, बुलन्दशहर, आगरा, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, इटावा, फर्रुखाबाद, बदायूँ, कानपुर, फतेहपुर आदि जिलों की लगभग एक-तिहाई कृषि योग्य भूमि पर केवल गेहूँ की कृषि होती है।

2. पंजाब – यहाँ अमृतसर, लुधियाना, गुरुदासपुर, पटियाला, संगरूर, भटिण्डा, जालन्धर तथा फिरोजपुर मुख्य गेहूँ उत्पादक जिले हैं जहाँ नहरों की सहायता से सिंचाई की समुचित व्यवस्था है।

3. हरियाणा – रोहतक, अम्बाला, करनाल, जींद, हिसार तथा गुरुग्राम में गेहूँ की कृषि सिंचाई द्वारा की जाती है।

4. मध्य प्रदेश – यहाँ के मैदानी क्षेत्रों में तापी, नर्मदा, लबा, गंजल, हिरण आदि नदियों की घाटियों और मालवा पठार की काली मिट्टी के क्षेत्रों में सिंचाई द्वारा गेहूँ पैदा किया जाता है। होशंगाबाद, टीकमगढ़, इन्दौर, सागर, सिहोर, मण्डला, गुना, विदिशा, भिण्ड, रायसेन, छतरपुर, ग्वालियर, नीमच, उज्जैन, भोपाल, देवास, रीवा और जबलपुर मुख्य उत्पादक जिले हैं।

5. अन्य – भारत में अन्य प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार, राजस्थान एवं जम्मू-कश्मीर आदि हैं।
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प्रश्न 9.
भारत में कॉफी (कहवा) के उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कॉफी एक उष्ण कटिबन्धीय रोपण कृषि है। भारत में विश्व का केवल 3.7 प्रतिशत कॉफी का उत्पादन होता है।
भारत में कॉफी के उत्पादक क्षेत्र
भारत में कॉफी के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र निम्नलिखित है
1. कर्नाटक – यहाँ लगभग 4,600 कॉफी के बागान हैं। यहाँ कॉफी अधिकतर दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिमी भाग में कुर्ग, शिवामोग्गा, हासन, चिकमंगलुरु और मैसूर जिलों में पैदा होती है। वर्तमान में देश के कुल उत्पादन का लगभग 55.7% कर्नाटक से प्राप्त होता है।

2. केरल – यहाँ कॉफी उत्पादन क्षेत्र 1,200 मीटर की ऊँचाई तक है, जहाँ वर्षा की मात्रा 200 सेमी तक होती है। प्रमुख उत्पादक क्षेत्र वामनाड, ट्रावनकोर और मालाबार जिले हैं। यहाँ से कुल उत्पादन का लगभग 24.3% प्राप्त किया जाता है।
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3. तमिलनाडु – यहाँ सम्पूर्ण दक्षिण-पश्चिम में उत्तरी अर्काट जिले से लगाकर तिरुनलवैली तक यह बोयी जाती है। प्रमुख कॉफी उत्पादक क्षेत्र पालनी, शिवराय (सेलम), नीलगिरि तथा अनामलाई (कोयम्बटूर) हैं। तमिलनाडु से कुल उत्पादन का लगभग 9.1% प्राप्त किया जाता है।

4. महाराष्ट्र – यहाँ मुख्यतः सतारा, रत्नागिरि व कनारा जिले में कॉफी उत्पादित की जाती है।

5. आन्ध्र प्रदेश – यहाँ मुख्यतः विशाखापत्तनम जिले में कॉफी उत्पादित की जाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
शस्य गहनता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
शस्य गहनता-शस्य गहनता सकल फसलगत क्षेत्र तथा शुद्ध बोए गए क्षेत्र का अनुपात होता है। इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।
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प्रश्न 2.
शस्य गहनता को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
उत्तर:
शस्य गहनता को प्रभावित करने वाले कारक-शस्य गहनता को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक सिंचाई, उर्वरक, शीघ्र पकने वाली तथा अधिक उपज देने वाली फसलों के उन्नत बीज, कृषि का यन्त्रीकरण तथा कीटनाशक दवाओं का प्रयोग है। शस्य गहनता निवेश उपयोग पर निर्भर करती है। जहाँ निवेश उपयोग अधिक होगा वहाँ शस्य गहनता अधिक होगी और जहाँ निवेश उपयोग कम होगा वहाँ शस्य गहनता भी कम होगी।

प्रश्न 3.
आर्द्र कृषि की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
आर्द्र कृषि की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • आर्द्र कृषि का अभिप्राय सिंचित कृषि से है।
  • यह कृषि 150 से 200 सेमी वर्ष वाले क्षेत्रों में की जाती है।
  • इस कृषि में ऐसी फसलें उत्पन्न की जाती हैं जिनके लिए अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है; जैसे-चावल, चाय, रबड़ आदि।
  • यह कृषि असम, केरल आदि राज्यों में की जाती है।

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प्रश्न 4.
शुष्क कृषि की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
शुष्क कृषि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

  • शुष्क कृषि 50 से 75 सेमी की वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है।
  • इन क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाओं का अभाव होता है।
  • इन क्षेत्रों में ऐसी फसलें बोई जाती हैं जिन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है।
  • भूमि में नमी बनाए रखने के लिए कृषक अनेक विधियाँ अपनाते हैं।
  • राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों में शुष्क कृषि मुख्य रूप से की जाती है।

प्रश्न 5.
शुष्क कृषि की समस्याओं के समाधान के उपाय बताइए।
उत्तर:
शुष्क कृषि की समस्याओं के समाधान के उपाय निम्नलिखित हैं

  • शीघ्र पकने वाली फसलों को उगाया जाए।
  • शुष्क कृषि में नवीन तकनीकों को अपनाया जाए।
  • मृदा में नमी को बनाए रखने के प्रयास किए जाने चाहिए।
  • जीव-जन्तु आधारित क्रियाकलाप शुरू किए जाने चाहिए।
  •  लघु उद्योगों की स्थापना जैसे कदम उठाए जाने चाहिए।

प्रश्न 6.
पश्चिम बंगाल में चावल की फसलों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पश्चिम बंगाल में चावल की प्रमुख तीन फसलें निम्नलिखित हैं

  • औस – यह मई-जून में बोई जाती है व सितम्बर-अक्टूबर में काटी जाती है।
  • अमन- जून – जुलाई में बोई जाती है व नवम्बर-दिसम्बर में काटी जाती है। यहाँ का 85 प्रतिशत चावल अमन से प्राप्त होता है।
  • बोरो – यह कम उपजाऊ व दलदली भूमि पर नवम्बर-दिसम्बर में बोई जाती है व मार्च-अप्रैल में काटी जाती है।

प्रश्न 7.
बाजरे की कृषि की उपज की दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बाजरे की कृषि की उपज की दशाएँ – बाजरे के लिए औसत तापमान 25° से 30° सेल्सियस तथा वर्षा 40 से 50 सेमी आवश्यक होती है। भारी वर्षा इसके लिए आवश्यक होती है। यह रेतीली मिट्टी में भली-भाँति पैदा हो जाता है। अच्छे जल निकास वाली बलुई, दोमट और उथली काली मिट्टियों में बाजरा खूब पैदा होता है।

प्रश्न 8.
भारत में कृषि उत्पादकता अभी भी कम क्यों है?
उत्तर:
भारत में कृषि उत्पादकता कम होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  • मानसूनी वर्षा – भारत एक मानसून देश है। मानसून वर्षा की अनियमितता व अनिश्चितता कृषि उत्पादकता कम होने का प्रमुख कारण है।
  • आर्थिक कारक – भारतीय कृषक गरीब हैं, अत: अच्छे बीज, उर्वरक, प्रौद्योगिकी आदि का उपयोग नहीं कर पाते हैं।
  • जनसंख्या – जनसंख्या के बढ़ते दबाव के कारण खेतों का छोटा तथा बिखरा होना भी कृषि की निम्न उत्पादकता का कारण है।
  • प्रौद्योगिक कारक – भारत में आज भी परम्परागत तरीकों से कृषि की जाती है। उन्नत प्रौद्योगिकी के अभाव में यहाँ कृषि उत्पादकता कम है।

प्रश्न 9.
भारत में साझा सम्पत्ति की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में साझा सम्पत्ति की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

  • साझा सम्पत्ति सबकी होती है और इसका स्वामित्व राज्य सरकार का होता है।
  • यह भूमि सामुदायिक उपयोग के लिए होती है।
  • सामुदायिक वन, चरागाह, ग्रामीण जलीय क्षेत्र, चौपाल तथा अन्य सार्वजनिक स्थान साझा सम्पत्ति संसाधनों के उदाहरण हैं।
  • इन भूमियों का ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन छोटे किसानों तथा अन्य आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबके के लोगों के गुजर-बसर में विशेष महत्त्व है।

प्रश्न 10.
भारत में भू-निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारकों को समझाइए।
उत्तर:
भारत में भू-निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं

  • जलाक्रान्ति (जल भराव) – सिंचाई के निम्न क्षेत्रों में जल भराव हो जाता है जिससे भूमि का उपयोग नहीं किया जा सकता।
  • निक्षालन – अत्यधिक वर्षा के कारण भूमि पर निक्षालन की स्थिति बन जाती है जिससे भूमि उपयोग में नहीं लाई जा सकती।
  • मृदा अपरदन – मृदा अपरदन में कृषि योग्य भूमि की मृदा पवन तथा जल द्वारा बह जाती है और भूमि अनुपयोगी हो जाती है।
  • रासायनिक पदार्थों का प्रयोग – कृषि में प्रयोग में लाए गए रासायनिक पदार्थ तथा अन्य तत्त्व भूमि निम्नीकरण में सहायक हैं।

प्रश्न 11.
खाद्यान्न व खाद्य फसलों में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
खाद्यान्न – जिन अनाजों का उपयोग भोजन के लिए किया जाता है उन्हें खाद्यान्न कहते हैं। गेहूँ, चावल, ज्वार, बाजरा आदि को खाद्यान्न कहते हैं।
खाद्य फसलें – खाद्य फसलों में वे फसलें शामिल हैं जिनसे खाने के लिए अनेक प्रकार की सामग्री मिलती हैं। अनाज, दालें, तिलहन तथा सब्जियाँ आदि खाद्य फसलें हैं।

प्रश्न 12.
गन्ने का उत्पादक क्षेत्र उत्तरी भारत में संकेन्द्रित क्यों है?
उत्तर:
गन्ने के उत्पादक क्षेत्र के उत्तरी भारत में संकेन्द्रित होने के कारण-मुख्य रूप से भारत में गन्ना 8° से 32° उत्तरी अक्षांशों के मध्य बोया जाता है। यद्यपि दक्षिण भारत में तापमान की दशाएँ गन्ने की कृषि के लिए अत्यन्त उपयुक्त है तथापि नमी के कारण यहाँ की फसल सामान्य नहीं होती। केरल के तटीय मैदान जलवायु की दृष्टि से गन्ने की कृषि के लिए श्रेष्ठ हैं। इसी तरह कृष्णा और गोदावरी नदियों के डेल्टा प्रदेश सिंचाई की सुविधाओं और उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी के कारण गन्ने के लिए बहुत उपयुक्त हैं, लेकिन यहाँ प्राय: चक्रवात आते रहते हैं जिससे गन्ने की फसल को हानि होती है। गन्ने की कृषि में दक्षिणी भारत की तुलना में उत्तरी भारत में लागत कम आती है। यही कारण है कि गन्ने के उत्पादक क्षेत्र उत्तरी भारत में संकेन्द्रित हैं।

अतिलघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
शस्य गहनता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
शस्य गहनता का अर्थ है कि एक कृषि वर्ष में एक ही खेत में कई फसलें उगाना।

प्रश्न 2.
आर्द्र कृषि से क्या आशय है?
उत्तर:
आर्द्र कृषि से आशय सिंचित कृषि भूमि से है। यह कृषि प्राय: अधिक वर्षा वाले भागों और सिंचाई की सुविधा वाले भागों में की जाती है।

प्रश्न 3.
साझा सम्पत्ति संसाधन का क्या अर्थ है?
उत्तर:
साझा सम्पत्ति संसाधन सामूहिक उपयोग हेतु राज्यों के स्वामित्व में होते हैं।

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प्रश्न 4.
कुल कृषि योग्य भूमि में किसे शामिल किया जाता है?
उत्तर:
कुल कृषि योग्य भूमि के अन्तर्गत शुद्ध बोया क्षेत्र, कुल पड़ती भूमि तथा कृषि योग्य भूमि शामिल की जाती है।

प्रश्न 5.
भूमि उपयोग का क्या अर्थ है?
उत्तर:
पृथ्वी के किसी भू-भाग का उसकी वर्तमान उपयोगिता के आधार पर किया जाने वाला वर्गीकरण ‘भूमि उपयोग’ कहलाता है।

प्रश्न 6.
भू-उपयोग सम्बन्धी अभिलेख कौन रखता है?
उत्तर:
भू-उपयोग सम्बन्धी अभिलेख भू-राजस्व विभाग रखता है।

प्रश्न 7.
वर्गीकृत वन से क्या आशय है?
उत्तर:
वर्गीकृत वन वह क्षेत्र है, जिसका सीमांकन सरकार द्वारा इस प्रकार किया जाता है कि वहाँ पर वन विकसित हो सके।

प्रश्न 8.
गैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त भूमि से क्या आशय है?
उत्तर:
गैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त भूमि में वह भूमि आती है जो कृषि के अतिरिक्त अन्य कार्यों के लिए उपयोग की जाती है।

प्रश्न 9.
बंजर व व्यर्थ भूमि से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
बंजर व व्यर्थ भूमि, अनुपजाऊ भूमि है जो कि कृषि के योग्य नहीं है। ऐसी भूमि पहाड़ों, मरुस्थलों, खड्ड आदि में होती है।

प्रश्न 10.
भूमि उपयोग में वास्तविक वृद्धि से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
भूमि उपयोग में वास्तविक वृद्धि दो समय कालों के बीच भू-उपभागों संवर्गों के अन्तर को कहते हैं।

प्रश्न 11.
स्वामित्व के आधार पर भूमि को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर भूमि को दो मोटे वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है

  • निजी भूमि, एवं
  • साझा भूमि।

प्रश्न 12.
शस्य गहनता को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
उत्तर:
शस्य गहनता को प्रभावित करने वाले कारक हैं-सिंचाई, उवर्रक, उन्नत बीज, कृषि का यन्त्रीकरण तथा कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग आदि।

प्रश्न 13.
भारत में पायी जाने वाली फसल ऋतुओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में तीन फसल ऋतुएँ पायी जाती हैं

  • खरीफ
  • रबी, एवं
  • जायद।

बहविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
शस्य गहनता को नियन्त्रित करने वाला प्रमुख कारक है
(a) सिंचाई
(b) उर्वरक
(c) कृषि का यन्त्रीकरण
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 2.
खरीफ की फसल का समय है
(a) जून से सितम्बर
(b) अक्टूबर से मार्च
(c) अप्रैल से जून
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) जून से सितम्बर

प्रश्न 3.
रबी की फसल का समय है
(a) जून से सितम्बर
(b) अक्टूबर से मार्च
(c) अप्रैल से जून
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अक्टूबर से मार्च

प्रश्न 4.
अप्रैल से जून के मध्य का समय किस कृषि ऋतु का है
(a) रबी
(b) खरीफ
(c) जायद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) जायद

प्रश्न 5.
शुष्क फसल है
(a) बाजरा
(b) मूंग
(c) चना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 6.
पश्चिम बंगाल में चावल की बोई जाने वाली फसल है
(a) औस
(b) अमन
(c) बोरो
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 7.
मोटे अनाज में शामिल किया जाता है
(a) ज्वार
(b) मक्का
(c) जौ
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 5 Land Resources and Agriculture

प्रश्न 8.
भारत में पैदा होने वाला मुख्य तिलहन है
(a) मूंगफली
(b) सरसों
(c) तिल
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 9.
भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख दाल है
(a) चना
(b) मूंग
(c) उड़द
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 10.
स्टार्च, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा की भरपूर मात्रा किसमें होती है
(a) मक्का
(b) बाजरा
(c) ज्वार
(d) गेहूँ।
उत्तर:
(a) मक्का

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UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems (भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ)

UP Board Class 12 Geography Chapter 12 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 12 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-
(i) निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है—
(क) ब्रह्मपुत्र
(ख) सतलुज
(ग) यमुना
(घ) गोदावरी।
उत्तर:
(ग) यमुना।

(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा रोग जलजन्य है-
(क) नेत्रश्लेष्मला शोथ
(ख) अतिसार
(ग) श्वसन संक्रमण
(घ) श्वासनली शोथ।
उत्तर:
(ख) अतिसार।

(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल वर्षा का एक कारण है-
(क) जल प्रदूषण
(ख) भूमि प्रदूषण
(ग) शोर प्रदूषण
(घ) वायु प्रदूषण।
उत्तर:
(घ) वायु प्रदूषण।

(iv) प्रतिकर्ष और अपकर्ष कारक उत्तरदायी हैं-
(क) प्रवास के लिए
(ख) भू-निम्नीकरण के लिए
(ग) गन्दी बस्तियाँ
(घ) वायु प्रदूषण।
उत्तर:
(क) प्रवास के लिए।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें-
(i) प्रदूषण और प्रदूषकों में क्या भेद है?
उत्तर:
प्रदूषण-मानवीय क्रियाकलाप से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों से कुछ पदार्थ और ऊर्जा मुक्त होती है जिससे प्राकृतिक पर्यावरण से परिवर्तन होते हैं। ये हानिकारक होते हैं जिन्हें ‘प्रदूषण’ कहते हैं।
प्रदूषक-पारितन्त्र के विद्यमान प्राकृतिक सन्तुलन में ह्रास और प्रदूषण उत्पन्न करने वाले ऊर्जा या पदार्थ के किसी भी रूप को ‘प्रदूषक’ कहा जाता है। ये गैस, तरल तथा ठोस रूप में हो सकते हैं।

(ii) वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत–उद्योग, परिवहन के विभिन्न साधन, ताप विद्युतगृह, शहरी कचरा एवं खदानों से निकली धूल आदि।

(iii) भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी समस्याएँ-

  1. मानव मल के सुरक्षित निपटान का अभाव,
  2. कूड़ा-कचरा संग्रहण की सेवाओं की अपर्याप्त व्यवस्था,
  3. औद्योगिक अपशिष्टों का जल स्रोतों में प्रवाह,
  4. नगरों में ठोस अपशिष्ट संग्रहण का अभाव आदि।

(iv) मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का प्रभाव-वायु प्रदूषण से अम्ल वर्षा, नगरीय धूम्र, कुहरा, हरितगृह प्रभाव तथा ओजोन गैस का ह्रास होता है। कैंसर, दमा, ब्रोंकाइटिस आदि जानलेवा रोग वायु प्रदूषण के. कारण उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें-

(i) भारत में जल प्रदूषण की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल प्रदूषण का अर्थ-जब भौतिक, रासायनिक तथा जैविक तत्त्वों द्वारा जलाशयों के जल में ऐसे अनैच्छिक परिवर्तन हो जाएँ जिनसे जैव समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े उसे ‘जल प्रदूषण’ कहते हैं। जल प्रदूषण के कारण

जल प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  1. कृषि में रसायनों का उपयोग,
  2. नदियों में साबुन से स्नान,
  3. नगरीय अपशिष्ट,
  4. अधजली लाशें,
  5. नदियों के तट पर विभिन्न मेलों, उत्सवों का आयोजन
  6. शौचालयों की कमी,
  7. प्राकृतिक कारक,
  8. समुद्र में पेट्रोलियम का खनन,
  9. आण्विक कचरा आदि।

जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव

  1. रोगों का प्रसार-हैजा, पीलिया, टाइफॉइड, पेचिश, फेफड़ों का कैंसर और पेट के अनेक रोग आदि।
  2. जलीय पौधों और जीव-जन्तुओं की मृत्यु,
  3. फसलों का नाश,
  4. मिट्टी की उर्वरता का नाश,
  5. कुपोषण, एवं
  6. सागरीय जल का प्रदूषण आदि।

जल प्रदूषण पर नियन्त्रण के उपाय

जल प्रदूषण पर नियन्त्रण के उपाय निम्नलिखित हैं-

  1. कूड़ा-कचरा केवल कूड़ा-घरों में ही फेंका जाए।
  2. शौचालयों का निर्माण किया जाए।
  3. विद्युत शवदाहगृहों की स्थापना की जाए।
  4. मृत पशुओं के जलाशयों में बहाने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जाए।
  5. औद्योगिक अपशिष्टों का उपचार किया जाए।
  6. नगरपालिकाओं के मल-जल का शोधन किए बिना नदियों में न डाला जाए।
  7. कारखानों में कम जल के प्रयोग की उन्नत प्रौद्योगिकी का विकास किया जाए।
  8. कठोर कानूनों का निर्माण किया जाए साथ ही इनकी पालना भी कठोरता के साथ की जाए।

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(ii) भारत में गन्दी बस्तियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में गन्दी बस्तियों की प्रमुख समस्याएँ भारत में गन्दी बस्तियों की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं-

  1. ऐसी बस्तियाँ सामान्यतः नागरिक सुविधाओं; जैसे—पार्क, सड़क, स्कूल आदि की भूमि पर अवैध कब्जा करके बनाई जाती हैं।
  2. ऐसी बस्तियों के आस-पास गन्दगी का विशाल साम्राज्य होता है।
  3. ये बस्तियाँ अनैतिक कार्यों, नशीले पदार्थों की बिक्री और अपराधियों की शरण-स्थलियाँ बन जाती हैं।
  4. नगरों के अधिकांश अपराध और अपराधी यहीं पनपते हैं।
  5. बिजली, पानी, चिकित्सा, यातायात जैसी मूलभूत सुविधाओं पर इन बस्तियों का दुष्प्रभाव पड़ता है।

(iii) भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय सुझाइए।
उत्तर:
भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय भ-निम्नीकरण को कम करने के उपाय निम्नलिखित हैं-

  1. किसानों को रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षण देकर भूमि के प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। उदाहरणतया, डी०डी०टी० तथा अन्य हानिकारक तत्त्वों पर तुरन्त प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए। कई देशों में ऐसा किया भी जा चुका है।
  2. नगरीय एवं औद्योगिक अपशिष्ट जल को साफ करके सिंचाई के लिए प्रयोग किया जा सकता है और अपशिष्ट जल से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
  3. गली-सड़ी सब्जियों व फलों, पत्तों तथा पशुओं व मानवीय मल-मूत्र को उचित प्रौद्योगिकी द्वारा बहुमूल्य खाद में परिवर्तित करके लाभ उठाया जा सकता है।
  4. गन्दी बस्तियों में रहने वाले लोगों को ‘सुलभ शौचालय’ की सुविधा उपलब्ध करवाई जानी चाहिए।
  5. प्लास्टिक की थैलियों की जगह पर कागज की थैलियों का प्रयोग किया जाना चाहिए। प्लास्टिक की थैलियों पर प्रभावी रूप से तुरन्त प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए।

UP Board Class 12 Geography Chapter 12 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 12 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वायु प्रदूषण के नियन्त्रण के उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण के नियन्त्रण के उपाय

वायु प्रदूषण के नियन्त्रण के उपाय निम्नलिखित हैं-

  1. कारों में सीसा’ रहित पेट्रोल का उपयोग-ऐसे पेट्रोल के उपयोग से वायु-प्रदूषण कम होता है।
  2. ईंधन का पूर्ण दहन-नई प्रौद्योगिकी अपनाकर कोयले, पेट्रोल, डीजल आदि का सभी भाग पूरा जल जाना चाहिए। इस तकनीक से वायुमण्डल का प्रदूषण बढ़ाने वाले बहुत कम प्रदूषक बचते हैं।
  3. नई प्रौद्योगिकी से बने इंजनों का उपयोग कारखानों और मोटरवाहनों के इंजन नए और सक्षम होने चाहिए। ऐसे इंजनों से धुआँ कम निकलता है।
  4. कारखानों की चिमनियों में फिल्टर-फिल्टर के उपयोग से कारखानों और ताप बिजलीघरों से निकलने वाले धुएँ की जहरीली गैसों और ठोस कणों को वायु में फैलने से रोका जा सकता है। उपकरणों को निरन्तर चालू हालत में रखना भी आवश्यक है।
  5. कारखानों को घनी बस्तियों से दूर स्थापित करना-प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों को घनी बस्तियों से दूर लगाना चाहिए।
  6. ऊर्जा के प्रदूषणरहित संसाधनों का उपयोग-कोयला और पेट्रोलियम के उपयोग से वायु प्रदूषित होती है। सौर, पवन, ज्वारीय व समुद्री लहरों से उत्पन्न ऊर्जा प्रदूषण मुक्त होती है। ये नवीकरण योग्य संसाधन भी है। पनबिजली प्रदूषण मुक्त है। इसके भी यथासम्भव अधिकाधिक उपयोग पर बल देना चाहिए।
  7. ऊँची चिमनी-कारखानों और ईंट भट्ठों में ऊँची चिमनियाँ लगाकर भी वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
  8. क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) पर रोक-सी०एफ०सी० ओजोन परत को हानि पहुँचाती है। सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी को बचाने वाली ओजोन परत की रक्षा करना आवश्यक है। सी०एफ०सी० के उपयोग पर रोक लगाकर इस कार्य को पूरा किया जा सकता है।

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प्रश्न 2.
ध्वनि प्रदूषण पर नियन्त्रण के उपायों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण पर नियन्त्रण के उपाय ध्वनि प्रदूषण पर नियन्त्रण के उपाय निम्नलिखित हैं-

  1. शोर न करने वाली अथवा कम शोर करने वाली मशीनों का उपयोग किया जाना चाहिए।
  2. तेल व ग्रीस देकर मशीनों का ठीक प्रकार से रख-रखाव करना चाहिए।
  3. ध्वनि उत्पन्न करने वाली मशीनों को ध्वनिरोधी कमरों में स्थापित करना चाहिए।
  4. कारखानों में कार्यरत कर्मचारियों को रुई, प्लग या दस्तान लगाने चाहिए। इन चीजों के उपयोग से ध्वनि की तीव्रता को 40-50 डेसीबल तक कम किया जा सकता है।
  5. कारखाने आवासीय बस्तियों से दूर लगाने चाहिए।
  6. धार्मिक व सामाजिक उत्सवों एवं शादियों में बैंड-बाजे, गाने बजाने व डी०जे० उपयोग के दौरान सीमित ध्वनि का प्रयोग करना चाहिए।
  7. रात्रि में एक निश्चित समय के बाद लाउड स्पीकर का प्रयोग वर्जित होना चाहिए।
  8. प्रैशर हॉर्न का प्रयोग कम-से-कम करना चाहिए।
  9. वाहनों के इंजनों के उचित रख-रखाव, अच्छी ट्यूनिंग तथा गति सीमा निर्धारित करके वाहनों द्वारा उत्पन्न ध्वनि को कम किया जा सकता है।
  10. सड़कों के किनारे वृक्ष लगाने चाहिए। इससे ध्वनि प्रदूषण कम होता है।

प्रश्न 3.
वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण के प्रमुख दुष्प्रभाव वायु प्रदूषण के प्रमुख दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं-

1. मौसम और जलवायु पर दुष्प्रभाव–अनेक प्रकार के रासायनिक प्रदूषकों से ओजोन की परत क्षतिग्रस्त हो जाती है। ओजोन की परत हमें हानिकारक सूर्य की पराबैंगनी किरणों से बचाती है। कार्बन-डाइ-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से तापमान में वृद्धि हो रही है। इससे हिमचादरों के पिघलने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

2. मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव-वायु प्रदूषण से फेफड़ों, त्वचा, आँख और गले के रोग फैलते हैं, कभी-कभी तो प्रदूषण इतना घातक होता है कि हजारों लोग मर जाते हैं। सन् 1984 में भोपाल में जहरीली ‘मिक’ गैस के वायु में फैल जाने से 2500 लोग मर गए थे तथा अन्य हजारों जीवन-भर के लिए अपंग हो गए थे।

3. जीव-जन्तुओं और पेड़-पौधों पर दुष्प्रभाव-वायु प्रदूषकों का पेड़-पौधों की पत्तियाँ और तनों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इनकी वृद्धि रुक जाती है। जड़ों द्वारा प्रदूषक रसायन पूरे पेड़ में फैल जाते हैं। इन पेड़-पौधों की पत्तियों, फूलों और फलों को खाने वाले जीव-जन्तु बीमार पड़ जाते हैं।

4. पदार्थों पर दुष्प्रभाव-सल्फर-डाइ-ऑक्साइड, धुआँ, बालू के कण और धूल जैसे वायु प्रदूषक सम्पत्ति और पदार्थों को नुकसान पहुंचाते हैं। वायु प्रदूषण से इमारतें काली पड़ जाती हैं। वायु प्रदूषण के कारण होने वाली अम्ल वर्षा से संगमरमर की चमक नष्ट हो जाती है। यही नहीं उसमें छोटे-छोटे गड्ढे भी पड़ जाते हैं। विश्व प्रसिद्ध आगरा स्थित ताजमहल पर प्रदूषित वायु का विपरीत असर पड़ रहा है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ध्वनि प्रदूषण क्या है?
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण-आवश्यकता से अधिक ध्वनि जो कानों को अप्रिय लगती है, ‘ध्वनि प्रदूषण’ कहलाती है।

“जब ध्वनि अपनी तीव्रता के कारण शोरगुल में बदल जाए और वह मानव में चिड़चिड़ापन, बोलने में व्यवधान, सुनने में दिक्कत और कार्यकुशलता में ह्रास कर दे तो वह प्रदूषण मानी जाती है।”

प्रश्न 2.
ध्वनि स्तर के मापन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ध्वनि स्तर का मापन–ध्वनि की तीव्रता को मापने की इकाई ‘डेसीबल’ (dB) कहलाती है। डेसीबल रिकॉर्ड करने वाला उपकरण ‘साउंड मीटर’ कहलाता है। ध्वनि मापन में ध्वनि तरंगों को विद्युतीय तरंगों में बाँटा जाता है। शून्य डेसीबल वह सबसे मन्द ध्वनि है जो सामान्य कान द्वारा सुनी जा सके। 25 डेसीबल तक खामोशी, 65 डेसीबल तक शान्त, 65-75 डेसीबल तक साधारण आवाज व 75 डेसीबल के ऊपर शोर शुरू होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 45 डेसीबल ध्वनि को मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित माना है। 90 डेसीबल से ऊपर 8 घण्टे तक का शोर दिमाग की नसें फाड़ सकता है।

प्रश्न 3.
ध्वनि प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोतों को समझाइए।
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत-ध्वनि प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोतों में ज्वालामुखी का फटना, बिजली का कड़कना, बादलों का गरजना, आँधी-तूफान, समुद्री लहरों की आवाज, तेज गति की पवनें आदि शामिल हैं।

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प्रश्न 4.
ध्वनि प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव को समझाइए।
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण का मानव के स्वास्थ्य पर निम्नवत् प्रभाव पड़ता है-

  1. अधिक तेज ध्वनि से कान का पर्दा फट सकता है और मनुष्य स्थायी रूप से बहरा भी हो सकता है।
  2. ध्वनि प्रदूषण मनुष्य में चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, तनाव, क्रोध तथा रक्तचाप से सम्बद्ध विकार उत्पन्न करता है।
  3. अकस्मात तेज ध्वनि का हृदय पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। हृदय गति की दर बढ़ जाती है, मनुष्य शिथिल हो जाता है, रुधिर नलिकाएँ सिकुड़ जाती हैं, रुधिर दाब में परिवर्तन आ जाता है।
  4. ध्वनि प्रदूषण से नींद नहीं आती व आराम नहीं मिलता।

प्रश्न 5.
भूमि निम्नीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
भूमि निम्नीकरण-भूमि निम्नीकरण मानव प्रेरित या प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो किसी पारितन्त्र में भूमि को प्रभावशाली ढंग से कार्य करने की क्षमता को घटा देती है अर्थात् भूमि की जैविक अथवा आर्थिक उत्पादकता में कमी आ जाती है। फसलों का प्रति हैक्टेयर उत्पादन घट जाता है। किसानों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। वनों और चरागाहों की उत्पादकता भी घट जाती है।

प्रश्न 6.
भूमि निम्नीकरण के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भूमि निम्नीकरण के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. वनों की अन्धाधुन्ध कटाई,
  2. वन भूमि का कृषि भूमि में परिवर्तन,
  3. स्थानान्तरी कृषि,
  4. सीमान्त भूमि पर कृषि,
  5. दोषपूर्ण प्रबन्ध व्यवस्था,
  6. परती भूमि छोड़ने में निरन्तर कमी,
  7. रसायनों का अत्यधिक उपयोग,
  8. भू-जल का अत्यधिक शोषण,
  9. तटीय पारितन्त्र में सागर जल का प्रवेश,
  10.  बाढ़ और सूखा।

प्रश्न 7.
भूमि निम्नीकरण के पर्यावरणीय व समाजार्थिक प्रभाव को समझाइए।
उत्तर:
भूमि निम्नीकरण के पर्यावरणीय व समाजार्थिक प्रभाव निम्नलिखित हैं-

  1. पर्यावरणीय प्रभाव
    • जैव विविधता और पारितन्त्रीय स्थिरता का नाश हो जाता है।
    • कार्बन सोखने की क्षमता में कमी, जिसका प्रभाव जलवायु पर पड़ता है।
    • बाढ़ और सूखे की आवृत्ति में वृद्धि हो जाती है।
    • अपरदन की गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
    • जलाशय गाद से भर जाते हैं और जलचक्र परिवर्तित हो जाता है।
  2. सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
    • रोजगार के अवसर घट जाते हैं।
    • जीविकोपार्जन खतरे में पड़ जाता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अम्लीय वर्षा होने के प्रमुख कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ज्वालामुखी विस्फोट से वायुमण्डल में जहरीली गैस या राख के कारण जो वर्षा होती है वह ‘अम्ल वर्षा’ कहलाती है।

प्रश्न 2.
भारत में जल प्रदूषण के दो प्राकृतिक स्रोत बताइए।
उत्तर:

  1. मृदा अपरदन एवं
  2. भू-स्खलन।

प्रश्न 3.
संदूषित जल के उपयोग के कारण जनित कोई दो रोगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. पीलिया एवं
  2. हैजा।

प्रश्न 4.
भारत में जल को प्रदूषित करने में सबसे अधिक योगदान किसका है?
उत्तर:
भारत में जल को प्रदूषित करने में सबसे अधिक योगदान मानव स्रोतों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषकों का है।

प्रश्न 6.
यमुना को सबसे अधिक प्रदूषित करने वाला नगर कौन-सा है?
उत्तर:
यमुना को सबसे अधिक प्रदूषित करने वाला नगर दिल्ली है।

प्रश्न 6.
किस प्रदूषण से अम्ल वर्षा होती है?
उत्तर:
वायु प्रदूषण से अम्ल वर्षा होती है।

प्रश्न 7.
ध्वनि प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत बताइए। (कोई दो)
उत्तर:

  1. ज्वालामुखी का फटना एवं
  2. बिजली का कड़कना।

प्रश्न 8.
भू-निम्नीकरण के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  1. मृदा अपरदन एवं
  2. जलाक्रान्त।

प्रश्न 9.
एशिया की विशालतम गन्दी बस्ती कौन-सी है?
उत्तर:
मुम्बई का धारावी, एशिया की विशालतम गन्दी बस्ती है।

प्रश्न 10.
जल प्रदूषण रोकने के कोई दो उपाय बताइए।
उत्तर:

  1. अपशिष्ट पदार्थों के जल स्रोतों में डालने पर प्रतिबन्ध।
  2. औद्योगिक अपशिष्टों का उपचार किया जाए।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
शोर का स्तर किस इकाई में मापा जाता है-
(a) डेसीबल में
(b) डेसीमल में
(c) डेसीमीटर में
(d) डेकामीटर में।
उत्तर:
(a) डेसीबल में।

प्रश्न 2.
प्रदूषित जल के सेवन से होने वाला रोग है-
(a) हैजा
(b) टाइफॉइड
(c) पीलिया
(d) ये सभी।
उत्तर:
(d) ये सभी।

प्रश्न 3.
जल प्रदूषण पर नियन्त्रण का उपाय है-
(a) अपशिष्टों का उपचार
(b) कठोर कानून और पालन
(c) शौचालयों का निर्माण
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

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प्रश्न 4.
जल प्रदूषण अधिनियम कब पारित किया गया-
(a) सन् 1972 में
(b) सन् 1974 में
(c) सन् 1980 में
(d) सन् 1982 में।
उत्तर:
(b) सन् 1974 में।

प्रश्न 5.
वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव पड़ता है-
(a) मौसम और जलवायु पर
(b) मानव स्वास्थ्य पर
(c) जीव-जन्तुओं पर
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 6.
वायु प्रदूषण के नियन्त्रण का उपाय है-
(a) ईंधन का पूर्ण दहन
(b) कारखानों की चिमनियों में फिल्टर
(c) नई प्रौद्योगिकी से बने इंजनों का उपयोग
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 7.
गन्दी बस्तियों की समस्या है-
(a) पेयजल का अभाव
(b) अपराध
(c) जीण-शीर्ण आवास
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 8.
भू-निम्नीकरण का कारण है-
(a) मृदा अपरदन
(b) लवणता
(c) जलाक्रान्त
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

मानचित्र कार्य

प्रश्न 1.
भारत में राजनीतिक मानन्नित्र में निम्नांकित को प्रदर्शित कीजिए-
(1) भारत में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य। (पश्चिम बंगाल)
(2) भारत में गेहूँ का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य। (उत्तर प्रदेश)
(3) भारत में ज्वार का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य। (महाराष्ट्र)
(4) भारत में बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य। (राजस्थान)
(5) भारत में मक्का का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य। (मध्य प्रदेश)
(6) भारत में मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य। (गुजरात)
(7) भारत में कपास का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य। (महाराष्ट्र)
(8) भारत में पटसन का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य। (पश्चिम बंगाल)
(9) भारत में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य। (असम)
(10) भारत में कहवा का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य। (कर्नाटक)
(11) भारत में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य। (उत्तर प्रदेश)
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 1

प्रश्न 2.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में गन्ना उत्पादक क्षेत्र को प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 2

प्रश्न 3.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में कपास एवं जूट उत्पादक क्षेत्र को प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 3
प्रश्न 4.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में ताँबा अथवा बॉक्साइट के उत्पादक केन्द्रों को प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 4

प्रश्न 5.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में लौह अयस्क के क्षेत्र एवं खानों को प्रदर्शित कीजिए। अथवा भारत के राजनीतिक मानचित्र में लौह अयस्क निर्यात पत्तन को प्रदर्शित कीजिए। अथवा भारत के राजनीतिक मानचित्र में मैंगनीज उत्पादक केन्द्रों को प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 5

प्रश्न 6.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में निम्नांकित लोहा एवं इस्पात संयंत्रों को प्रदर्शित कीजिए
(1) विजयनगर,
(2) भद्रावती,
(3) सेलम,
(4) भिलाई,
(5) विशाखापत्तनम,
(6) राउरकेला,
(7) बर्नपुर,
(8) जमशेदपुर,
(9) दुर्गापुर,
(10) बोकारो।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 6

प्रश्न 7.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में सूती वस्त्र उद्योग के महत्त्वपूर्ण केन्द्रों को प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 7

प्रश्न 8.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में चीनी उद्योग के महत्त्वपूर्ण केन्द्रों को प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 8

प्रश्न 9.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में पेट्रो-कैमिकल उद्योग के निम्नांकित केन्द्रों को प्रदर्शित कीजिए-
(1) मोदीनगर,
(2) गाजियाबाद,
(3) कोटा,
(4) वडोदरा,
(5) उधाना,
(6) ठाणे,
(7) मुम्बई,
(8) पिम्परी,
(9) पुणे,
(10) मैटूर,
(11) चेन्नई,
(12) रिसरा,
(13) बरौनी।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 9

प्रश्न 10.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में निम्नांकित तेल शोधन कारखानों के केन्द्रों को प्रदर्शित कीजिए-
(1) पानीपत,
(2) मथुरा,
(3) जामनगर,
(4) कोयली,
(5) मुम्बई,
(6) मंगलौर,
(7) कोच्चि,
(8) नागापट्टिनम,
(9) चेन्नई,
(10) तांतीपाका,
(11) विशाखापत्तनम,
(12) पारादीप,
(13) बरौनी,
(14) बोंगईगाँव,
(15) गुवाहाटी,
(16) नुमालीगढ़,
(17) डिगबोई।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 10

प्रश्न 11.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में निम्नांकित सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क के केन्द्रों को इंगित कीजिए
(1) श्रीनगर,
(2) शिमला,
(3) मोहाली (चण्डीगढ़),
(4) जयपुर,
(5) मुम्बई,
(6) पुणे,
(7) बंगलुरु,
(8) मैसूर,
(9) कोयम्बटूर,
(10) हैदराबाद,
(11) नोएडा,
(12) लखनऊ,
(13) कानपुर,
(14) कोलकाता,
(15) गुवाहाटी,
(16) चेन्नई,
(17) विशाखापट्नम।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 11

प्रश्न 12.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में निम्नांकित को प्रदर्शित कीजिए
(1) गुड़गाँव-दिल्ली मेरठ क्षेत्र,
(2) गुजरात क्षेत्र,
(3) मुम्बई-पुणे क्षेत्र,
(4) बंगलुरु-तमिलनाडु क्षेत्र,
(5) कोलम-तिरुवनंतपुरम क्षेत्र,
(6) छोटा नागपुर क्षेत्र,
(7) हुगली क्षेत्र।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 12

प्रश्न 13.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में निम्नांकित को प्रदर्शित कीजिए-
(1) स्वर्णिम-चतुर्भुज,
(2) उत्तर-दक्षिण गलियारा,
(3) पूर्व-पश्चिम गलियारा।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 13

प्रश्न 14.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में निम्नांकित समुद्री पत्तनों को प्रदर्शित कीजिए
(1) कांडला,
(2) मुम्बई,
(3) जवाहरलाल नेहरू,
(4) मार्मागाओ,
(5) मंगलौर,
(6) कोच्चि,
(7) तूतीकोरिन,
(8) चेन्नई,
(9) इन्नौर,
(10) विशाखापत्तनम,
(11) पारादीप,
(12) हल्दिया,
(13) कोलकाता।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 12 Geographical Perspective on Selected Issues and Problems 14

UP Board Solutions for Class 12 Geography

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 4 Human Settlements

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 4 Human Settlements (मानव बस्तियाँ)

UP Board Class 12 Geography Chapter 4 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 4 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा नगर नदी तट पर अवस्थित नहीं है
(क) आगरा
(ख) भोपाल
(ग) पटना
(घ) कोलकाता।
उत्तर:
(ख) भोपाल।

(ii) भारत की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सी एक विशेषता नगर की परिभाषा का अंग नहीं है
(क) जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
(ख) नगरपालिका, निगम का होना
(ग) 75% से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खण्ड में संलग्न होना
(घ) जनसंख्या आकार 5000 व्यक्तियों से अधिक।
उत्तर:
(ग) 75% से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खण्ड में संलग्न होना।

(iii) निम्नलिखित में से किस पर्यावरण में परिक्षिप्त ग्रामीण बस्तियों की अपेक्षा नहीं की जा सकती
(क) गंगा का जलोढ़ मैदान
(ख) राजस्थान के शुष्क और अर्द्ध शुष्क प्रदेश
(ग) हिमालय की निचली घाटियाँ
(घ) उत्तर-पूर्व के वन और पहाड़ियाँ।
उत्तर:
(क) गंगा का जलोढ़ मैदान।।

(iv) निम्नलिखित में से नगरों का कौन-सा वर्ग अपने पदानुक्रम के अनुसार क्रमबद्ध है
(क) बृहन मुम्बई, बंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई
(ख) दिल्ली, बृहन मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता
(ग) कोलकाता, बृहन मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता
(घ) बृहन मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई।
उत्तर:
(घ) बृहन मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 4 Human Settlements

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) गैरिसन नगर क्या होते हैं? उनका क्या प्रकार्य होता है?
उत्तर:
गैरिसन नगर – ब्रिटिशकाल में अंग्रेजी शासकों ने कई छावनियाँ बनाईं जिन्हें ‘गैरिसन नगर’ कहते हैं।
गैरिसन नगर के कार्य – इनका प्रमुख कार्य सुरक्षा प्रदान करना होता है। उदाहरण-अम्बाला छावनी, मेरठ छावनी, जालन्धर छावनी, महू छावनी आदि।

(ii) किसी नगरीय संकुल की पहचान किस प्रकार की जा सकती है?
उत्तर:
किसी नगरीय संकुल की पहचान निम्नलिखित तीन में से कोई एक संयोजन से हो सकती है

  • नगर तथा इसका संलग्न विस्तार
  • विस्तार सहित या बिना विस्तार के दो या दो से अधिक सटे हुए नगर और
  • एक नगर और उससे सटे हुए एक या एक से अधिक नगरों और उनके क्रमिक विस्तार।

(iii) मरुस्थलीय प्रदेशों में गाँवों के अवस्थिति के कौन-से मुख्य कारक होते हैं?
उत्तर:
मानव जीवन के अस्तित्व के लिए जल का उपलब्ध होना अति आवश्यक है और मानव बस्ती उसी स्थल पर बसती है जहाँ पर जल उपलब्ध होता है, अत: मरुस्थलीय प्रदेशों में गाँवों की अवस्थिति में जल सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। उच्चावच और जलवायु अन्य महत्त्वपूर्ण कारक हैं।

(iv) महानगर क्या होते हैं? ये नगरीय संकुलों से किस प्रकार भिन्न होते हैं?
उत्तर:
दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर को ‘महानगर’ कहते हैं। महानगर और नगरीय संकुलों में अन्तर यह है कि नगरीय संकुल के आस-पास के नगरीय विस्तार भी शामिल किए जाते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
(i) विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बस्तियों के लक्षणों की विवेचना कीजिए। विभिन्न भौतिक पर्यावरणों में बस्तियों के प्रारूपों के लिए उत्तरदायी कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के प्रकार
भारत की ग्रामीण बस्तियों को मुख्य रूप से चार भागों में बाँटा जाता है
1. गुच्छित, संहत अथवा केन्द्रित बस्तियाँ – इस तरह की बस्तियों में ग्रामीण घरों के संहत खण्ड पाए जाते हैं। घरों की दो कतारों को सँकरी, तंग तथा टेढ़ी-मेढ़ी गलियाँ पृथक् करती हैं। सामान्यत: इन बस्तियों का एक अभिन्यास होता है, जो रैखिक, आयताकार, ‘L’ आकृति अथवा कभी-कभी आकृतिविहीन होता है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 4 Human Settlements 1
2. अर्द्धगुच्छित या विखण्डित बस्तियाँ – किसी सीमित क्षेत्र में समूहन प्रवृत्ति या समेकित प्रादेशिक आधार के परिणामस्वरूप ही अर्द्धगुच्छित या विखण्डित बस्तियाँ बनती हैं। प्रायः किसी बड़े संहत गाँव के पृथक्करण या विखण्डन के परिणामस्वरूप ही ऐसे प्रतिरूप उभरते हैं। इस उदाहरण में ग्रामीण समाज का एक या एक से अधिक वर्ग स्वेच्छा या मजबूरी से मुख्य गुच्छित बस्ती से कुछ दूरी पर अलग बस्ती बनाकर रहने लगता या लगते हैं।

3. पुरवे – जाति व्यवस्था के कारण उत्पन्न सामाजिक विलगाव, कभी-कभी गुच्छित बस्तियों को विखण्डित कर देता है। बस्तियों की ये गौण इकाइयाँ पान्ना, पाड़ा, पल्ली, नंगला या ढाणी कहलाती हैं।

4. परिक्षिप्त या एकाकी बस्तियाँ – इस तरह की बस्ती में छोटे-छोटे हैमलेट एक बड़े क्षेत्र पर दूर-दूर बिखरे होते हैं। इसका कोई अभिन्यास नहीं होता, क्योंकि इन बस्तियों में केवल कुछ ही घर होते हैं। सामान्यत: ये बस्तियाँ सुदूर वनों में एकाकी झोपड़ी या कुछ झोपड़ियों के समूह के रूप में पायी जाती हैं। ऐसी बस्तियाँ छोटी पहाड़ियों पर भी होती हैं, जिनके आस-पास के ढालों पर खेत अथवा चरागाह होते हैं।

(ii) क्या एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना की जा सकती है? नगर बहुप्रकार्यात्मक क्यों हो जाते हैं?
उत्तर:
एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना नहीं की जा सकती, क्योंकि कोई भी नगर एक प्रकार्य पर आश्रित नहीं रह सकता। सभी नगर बहुप्रकार्य होते हैं अर्थात् प्रत्येक नगर एक से अधिक प्रकार्य करता है। कुछ . नगर अपने एक महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए अवश्य जाने जाते हैं।

उदाहरण-चण्डीगढ़ प्रशासनिक नगर, फरीदाबाद औद्योगिक नगर तथा कुरुक्षेत्र धार्मिक नगर है, लेकिन इसका यह अर्थ कदाचित नहीं है कि चण्डीगढ़ प्रशासन के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य नहीं करता। इसका एक सुनिश्चित औद्योगिक क्षेत्र है और विश्वविद्यालय के अतिरिक्त कई उच्च शिक्षण के संस्थान भी हैं, अत: यह एक बहु-प्रकार्य नगर है, यद्यपि इसका मुख्य कार्य प्रशासन है। फरीदाबाद में कई शैक्षणिक संस्थान हैं, अत: यह औद्योगिक नगर होने के साथ-साथ शिक्षा का भी बड़ा केन्द्र है। यद्यपि कुरुक्षेत्र मूलत: धार्मिक स्थल है तथापि इस नगर में एक विश्वविद्यालय है और यह शिक्षा का भी बड़ा केन्द्र है।

UP Board Class 12 Geography Chapter 4 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 4 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ग्रामीण एवं नगरीय बस्तियों में अन्तर को समझाइए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 4 Human Settlements 2

प्रश्न 2.
गुच्छित एवं परिक्षिप्त बस्तियों में अन्तर को समझाइए।
उत्तर:
गुच्छित एवं परिक्षिप्त बस्तियों में अन्तर
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 4 Human Settlements 3

प्रश्न 3.
ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को निर्धारित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को निर्धारित करने वाले कारक ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को निर्धारित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं
1. भौतिक कारक – बस्तियों के प्रकार और विभिन्न बस्तियों के बीच आपसी दूरी के निर्धारण में उच्चावच, ऊँचाई, अपवाह-तन्त्र, भौम जल-स्तर की गहराई, जलवायु तथा मिट्टी जैसे भौतिक कारकों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। उदाहरण के लिए; शुष्क क्षेत्रों में बस्ती का प्रकार निर्धारित करने वाला पानी अकेला महत्त्वपूर्ण कारक है। वहाँ मकान जल के स्रोत जैसे कुएँ या तालाब के चारों तरफ बनाए जाते हैं।

2. सांस्कृतिक एवं मानवजातीय कारक – नृ-जातीय एवं सांस्कृतिक कारण जैसे जन-जातीयता, जाति व्यवस्था अथवा साम्प्रदायिक पहचान आदि भी ग्रामीण बस्तियों के अभिन्यास को प्रभावित करते हैं। भारत के गाँवों में उच्च जातियों के जमींदारों के घर गाँव के बीचों-बीच उनके केन्द्र के रूप में बने होते हैं। इनके चारों तरफ सेवा व चाकरी करने वाले कमजोर वर्ग की जातियों जैसे कुम्हार, लोहार, बुनकर, बढ़ई आदि के घर होते हैं। अनुसूचित जाति के लोगों के घर प्रायः बस्ती से दूर गाँव की सीमा पर होते हैं। यह प्रवृत्ति सामाजिक अलगाव का उदाहरण है। इससे गुच्छित बस्ती का छोटी इकाइयों से विखण्डन हो जाता है।

3. सुरक्षा सम्बन्धी कारक – भारत के इन प्रदेशों में जहाँ बाहर से आने वाले आक्रमणकारी बार-बार युद्ध करते थे, लोग फौजों के आतंक से बचने के लिए संहत बस्तियों में रहने को प्राथमिकता देते थे। भारत के उत्तरी भाग में संहत बस्तियों के निर्माण में इन बाहरी युद्धों का भी योगदान है। ये संहत बस्तियाँ राजनीतिक अराजकता के समय भी ग्रामीण लोगों को सुरक्षा प्रदान करती थीं, जब राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने की होड़ में कुछ दल आपसी लड़ाई के भय और लूट का माहौल बना देते थे।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 4 Human Settlements

प्रश्न 4.
परिक्षिप्त बस्तियाँ क्या हैं? इनकी विशेषताएँ, उत्पत्ति के कारक एवं वितरण को समझाइए।
उत्तर:
परिक्षिप्त बस्तियाँ – इस प्रकार की बस्ती में आठ-दस घरों से बनी छोटी-छोटी पल्लियाँ एक बड़े क्षेत्र पर दूर-दूर बिखरी होती हैं। इन बस्तियों को छितरी हुई, एकाकी, बिखरी हुई बस्तियाँ कहते हैं। परिक्षिप्त बस्तियों की विशेषताएँ
परिक्षिप्त बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • इनमें मकान एक-दूसरे से दूर बने होते हैं। कभी-कभी मकानों के बीच कई खेत होते हैं।
  • इनमें लोग अलग-अलग एकाकी रहते हैं।
  • इन बस्तियों के लोग व्यक्तिवादी और स्वतन्त्र जीवन-यापन के अभ्यस्त होते हैं।
  • इनमें पड़ोसी धर्म की भावना, सामुदायिक अन्तर्निर्भरता और सामाजिक अन्तक्रिया नहीं होती।

परिक्षिप्त बस्तियों की उत्पत्ति के कारक
परिक्षिप्त बस्तियों की उत्पत्ति के कारक निम्नलिखित हैं

  • ऊबड़-खाबड़, बीहड़ों और अनुपजाऊ मृदा के कारण कृषि के अयोग्य भूमि, ऐसी बस्तियों की उत्पत्ति में सहायक होती है,
  • मि की बाढ़ प्रवणता
  • भूमि का ऊसर होना
  • कृषि कार्यों में लगी जातियों में ऊँच-नीच की भावना
  • कृषि भूमि का ठेके पर दिया जाना,
  • शान्ति और सुरक्षा की भावना का होना।

परिक्षिप्त बस्तियों का वितरण
परिक्षिप्त बस्तियों का वितरण निम्न प्रकार है

  • हिमालय क्षेत्र में कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक ऐसी बस्तियाँ पायी जाती हैं।
  • हिमालय के तराई और भाबर क्षेत्र।
  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश का गंगा के खादर का क्षेत्र।
  • पूर्वी तथा दक्षिणी राजस्थान।
  • असम के वन क्षेत्र।

प्रश्न 5.
पल्ली बस्तियाँ किसे कहते हैं? इसकी विशेषताएँ व वितरण को समझाइए।
उत्तर:
पल्ली बस्तियाँ-कई बार बस्ती भौतिक रूप से एक-दूसरे से अलग अनेक इकाइयों में बँट जाती है, लेकिन उन सबका नाम एक रहता है। इन इकाइयों के स्थानीय नाम हैं—पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी आदि।
पल्ली बस्तियों की विशेषताएँ
पल्ली बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • इनमें मकान अधिक सटे होते हैं।
  • इनका विस्तार अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्र में होता है।
  • मुख्य बस्ती के साथ एक या उससे अधिक पुरवे होते हैं।
  • भीड़ बढ़ जाने पर बस्ती के केन्द्रीय भाग से निकलकर लोग गाँव की सीमा से लगे खेतों में घर बनाकर रहने लगते हैं।

पल्ली बस्तियों का वितरण
ये बस्तियाँ मैदानी भागों में ही मिलती हैं। इनके मुख्य क्षेत्र हैं

  • गंगा-घाघरा दोआब के पूर्वी भाग में
  • मध्य गंगा के विशेषत: गंगा के खादर में
  • रुहेलखण्ड के बांगर क्षेत्र में
  • वध के मैदान में
  • गंगा – यमुना दोआब के कुछ भाग में, छत्तीसगढ़ और हिमालय की निचली घाटियों में तथा
  • मध्य उत्तरी बिहार में
  • बिहार के दक्षिण में गंगा की धारा के कुछ दूर, लेकिन इसके समान्तर, ये बस्तियाँ फैली हैं।

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प्रश्न 6.
आधुनिक नगरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आधनिक नगर
सन् 1707 के बाद की अवधि के भारत के नगरीय परिदृश्य को अंग्रेजों और अन्य यूरोपवासियों ने आकर बदला। बाहरी शक्ति के रूप में आए इन विदेशियों ने सर्वप्रथम भारत के तटीय स्थानों पर अपने पैर जमाए थे। व्यापार के इरादे से आए इन लोगों ने सबसे पहले कुछ व्यापारिक पत्तनों जैसे गोवा, पुड्डुचेरी, सूरत व दमन आदि का विकास किया। बाद में अंग्रेजों ने देश में रेलमार्गों का विस्तार किया और तीन मुख्य नगरों मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता में अपनी प्रशासनिक जड़ों को मजबूत किया। अंग्रेजों द्वारा निर्मित नगर अंग्रेजी स्थापत्य कला के अनुसार विकसित हुए थे। अंग्रेज प्रत्यक्ष नियन्त्रण द्वारा भारतीय रियासतों पर तेजी से कब्जा करते गए और इसी दौरान उन्होंने प्रशासनिक केन्द्रों व पर्यटन स्थलों के रूप में अनेक पर्वतीय नगरों का विकास किया। उन्होंने पहले से विद्यमान नगरों में छावनी क्षेत्र, प्रशासनिक क्षेत्र व सिविल लाइन्स इत्यादि जोड़ दिए। सन् 1850 के बाद भारत में आधुनिक उद्योगों पर आधारित अनेक नगरों का विकास हुआ। जमशेदपुर इसका उदाहरण है। .

स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् भारत में अनेक नगरों का उदय प्रशासनिक मुख्यालयों तथा औद्योगिक नगरों के रूप में हुआ। गांधीनगर, चण्डीगढ़, भुवनेश्वर तथा दिसपुर प्रशासनिक मुख्यालयों तथा भिलाई, दुर्गापुर, बरौनी तथा सिंदरी नए औद्योगिक केन्द्रों के उदाहरण हैं।

सन् 1960 के बाद कुछ प्राचीन नगरों का महानगरों के चारों तरफ उपनगरों के रूप में विकास किया गया। उदाहरणत: दिल्ली के चारों तरफ विकसित आधुनिक नगरों में नोएडा व गुरुग्राम का नाम प्रमुख है। इसके अलावा फरीदाबाद, गाजियाबाद, रोहतक इत्यादि भी दिल्ली के उपनगर हैं। सन् 1980 के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में विनिवेश बढ़ने के फलस्वरूप भारत में अधिक संख्या में मध्यम और छोटे कस्बों का विकास हुआ है।

प्रश्न 7.
विशिष्ट प्रकार्यों के आधार पर भारतीय नगरों को वर्गीकृत कीजिए।
अथवा
नगरों के प्रकार्यात्मक वर्गीकरण का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारतीय नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण
विशिष्ट प्रकार्यों के आधार पर भारत के नगरों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है
1. प्रशासनिक नगर-इन नगरों का प्रमुख कार्य अपने निर्धारित क्षेत्र की सीमाओं में प्रशासनिक कार्यों का निष्पादन होता है। इन नगरों में राजधानी के अलावा नगर भी शामिल होते हैं; जैसे-नई दिल्ली, शिमला, . चण्डीगढ़, भोपाल, शिलांग आदि।

2. औद्योगिक नगर – ये नगर मुख्य रूप से कच्चे माल तथा अर्द्धनिर्मित माल को उपयोगी विनिर्मित वस्तुओं में बदलने का कार्य करते हैं; जैसे-हुगली, भिलाई, जमशेदपुर, मोदीनगर, सेलम आदि।

3. परिवहन नगर – ये नगर सड़क/रेल/वायु/जलमार्ग के प्रमुख केन्द्र होते हैं; जैसे—मुम्बई, कोलकाता, मुगलसराय, इटारसी, कटनी आदि।

4. वाणिज्यिक नगर – व्यापार और वाणिज्य में विशिष्टता प्राप्त शहरों और नगरों को इस वर्ग में रखा जाता है; जैसे-कोलकाता, सहारनपुर, सतना आदि।

5. खनन नगर – खनन कार्यों में विशिष्टता प्राप्त करने वाले भारत के प्रमुख नगर हैं, जैसे-रानीगंज, झरिया, अंकलेश्वर व सिंगरौली आदि।

6. गैरिसन (छावनी) नगर – ये वे नगर हैं जिनका विकास आरम्भ में सुरक्षा सेनाओं की छावनी के रूप में हुआ था; जैसे—अम्बाला, मेरठ, जालन्धर, बबीना, हिसार व महू आदि।

7. धार्मिक और सांस्कृतिक नगर – ऐसे नगरों में धार्मिक व सांस्कृतिक क्रियाकलापों की प्रधानता होती है; जैसे-अमृतसर, मथुरा, वृन्दावन, हरिद्वार, तिरुपति, शिरडी आदि।

8. शैक्षिक नगर – इस श्रेणी के नगरों में शैक्षिक कार्यों की प्रधानता रहती है; जैसे-रुड़की, वाराणसी, दिल्ली, अलीगढ़, पिलानी, रोहतक व कुरुक्षेत्र आदि।

9. पर्यटन नगर – इस श्रेणी के नगरों में स्वास्थ्यवर्धक जलवायु, सुन्दर, मनोहारी प्राकृतिक दृश्यावली तथा मनोरंजन की विभिन्न सुविधाएँ मिलती हैं; जैसे—कुल्लू, मनाली, शिमला, नैनीताल, माउण्ट आबू आदि।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
नगरीय क्षेत्र में शामिल बस्तियों के लक्षण बताइए।
उत्तर:
नगरीय क्षेत्र में शामिल बस्तियों की विशेषताएँ (लक्षण) निम्नलिखित हैं

  • नगरपालिका, नगर-निगम, अधिसूचित नगर क्षेत्र समिति, छावनी बोर्ड आदि सहित सभी सांविधिक स्थान।
  • बस्ती की जनसंख्या कम-से-कम 5000 हो।
  • बस्ती की कम-से-कम 75 प्रतिशत पुरुष जनसंख्या गैर-कृषि कार्यकलापों में कार्यरत हो।
  • बस्ती में जनसंख्या का घनत्व कम-से-कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी हो।

प्रश्न 2.
गुच्छित बस्तियों की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
गुच्छित बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • ये बस्तियाँ प्रायः खेतों के मध्य किसी ऊँचे और बाढ़ आदि से सुरक्षित स्थानों पर बसी होती हैं।
  • इनमें सभी मकान एक-दूसरे से सटाकर बनाए जाते हैं।
  • ये बस्तियाँ एक स्थान पर संकेन्द्रित होती हैं।
  • इन बस्तियों में रहने वालों को सुख-दुःख में एक-दूसरे से सहायता मिलती है।

प्रश्न 3.
गुच्छित बस्तियों के सघन होने के क्या कारण हैं?
उत्तर:
गुच्छित बस्तियों के सघन होने के निम्नलिखित कारण हैं

  • ये बस्तियाँ उपजाऊ मृदा व भू-जल उपलब्धता वाले क्षेत्रों में बसती हैं। कृषि में सहयोग की आवश्यकता और वंश तथा जातियों के साथ मिलकर रहने की भावना से भी बस्तियाँ सघन हो जाती हैं।
  • जाटों, गुर्जरों, राजपूतों आदि के वंशों के एकजुट होने के कारण ये बस्तियाँ सघन हो गई हैं।
  • मजदूरों, दस्तकारों आदि के आर्थिक-सामाजिक बन्धनों ने भी बस्तियों को सघन बनाया है।
  • असुरक्षा की भावना से वशीभूत लोग भी बड़ी संख्या में एक साथ रहना चाहते हैं।

प्रश्न 4.
अर्द्धगुच्छित बस्तियों की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
अर्द्धगुच्छित बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • मकान एक-दूसरे से अलग, लेकिन एक ही बस्ती में होते हैं।
  • बस्ती अनेक पुरवों में विभक्त होती है।
  • प्राय: जमीन के मालिक धनी और प्रभावशाली व्यक्ति गाँव के मध्य में रहते हैं और गाँव का एक ही नाम होता है।
  • अलग-अलग पुरवों में अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं।

प्रश्न 5.
पल्ली बस्तियों की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
पल्ली बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • पल्ली बस्तियों में मकान अधिक सटे नहीं होते हैं।
  • इनका विस्तार अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्र में होता है।
  • मुख्य बस्ती के साथ एक या उससे अधिक पुरवे होते हैं।
  • भीड़ बढ़ जाने पर बस्ती के केन्द्रीय भाग से निकलकर लोग गाँव की सीमा से लगे खेतों में घर बनाकर रहने लगते हैं।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 4 Human Settlements

प्रश्न 6.
भारतीय नगरों की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
भारतीय नगरों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

  • भारत के अधिकांश नगरों में गाँवों की छाप स्पष्ट झलकती है। वास्तव में नगर बड़े गाँव हैं।
  • अधिकांश नगरीय जनसंख्या व्यवहार, आदतों, दृष्टिकोण और भाषा हर प्रकार से ग्रामीण है।
  • अनेक नगरों में प्राचीन प्रकार्यों के चिह्न देखने को मिलते हैं।
  • भारतीय नगरों का प्रकार्यात्मक पृथक्करण अभी प्रारम्भिक अवस्था में है। इसकी पश्चिमी देशों से तुलना नहीं की जा सकती है।

प्रश्न 7.
नगरीय बस्तियों के लक्षणों को समझाइए।
उत्तर:
नगरीय बस्तियों के लक्षण (विशेषताएँ) निम्नलिखित हैं

  • नगरीय बस्तियाँ संख्या में अपेक्षाकृत कम किन्तु बड़ी बस्तियाँ होती हैं।
  • नगरीय बस्तियाँ द्वितीयक एवं तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत होती हैं।
  • नगरीय बस्तियाँ एक तरफ कच्चे माल के प्रक्रमण और निर्मित माल के विनिर्माण तथा दूसरी तरफ विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर निर्भर करती हैं।
  • नगरीय क्षेत्रों में जीवन का ढंग जटिल और तीव्र होता है और सामाजिक सम्बन्ध भी औपचारिक व व्यक्तिगत होते हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मानव बस्ती किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी भी प्रकार और आकार के घरों का संकुल जिसमें मनुष्य रहते हैं, ‘मानव बस्ती’ कहलाती है।

प्रश्न 2.
बस्ती की प्रक्रिया में मूल रूप से किसे शामिल किया जाता है?
उत्तर:
बस्ती की प्रक्रिया में मूल रूप से दो बातें शामिल होती हैं

  • लोगों का समूहन, एवं
  • संसाधन आधार के रूप में भूमि का आवंटन।

प्रश्न 3.
बस्ती कितने प्रकार की होती है?
उत्तर:
बस्तियाँ सामान्यत: दो प्रकार की होती हैं

  • ग्रामीण बस्तियाँ, एवं
  • नगरीय बस्तियाँ।

प्रश्न 4.
ग्रामीण व नगरीय बस्तियाँ किन आधारों पर एक-दूसरे से भिन्न होती हैं?
उत्तर:
ग्रामीण व नगरीय बस्तियों में भिन्नता के आधार हैं

  • व्यवसाय
  • आकार
  • कुल जनसंख्या
  • जनसंख्या पालन की क्षमता
  • जनघनत्व
  • आधुनिक सुविधाएँ एवं
  • जन सम्बन्ध आदि।

प्रश्न 5.
भारत में ग्रामीण बस्तियों के प्रकार बताइए।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण बस्तियाँ चार प्रकार की होती हैं

  • गुच्छित, संकुलित अथवा केन्द्रित
  • अर्द्धगुच्छित अथवा विखण्डित
  • पल्लीकृत और
  • परिक्षिप्त अथवा एकाकी।

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प्रश्न 6.
गुच्छित बस्तियाँ कहाँ पायी जाती हैं?
उत्तर:
गुच्छित बस्तियाँ प्राय: उपजाऊ जलोढ़ मैदानों, शिवालिक की घाटियों और पूर्वोत्तर राज्यों में पायी जाती हैं।

प्रश्न 7.
एकाकी बस्तियाँ कहाँ पायी जाती हैं?
उत्तर:
एकाकी बस्तियाँ उच्च भूमियों, पर्वतीय क्षेत्रों और मरुस्थलीय भागों में पायी जाती हैं।

प्रश्न 8.
नगरीय बस्तियाँ किसका केन्द्र होती हैं?
उत्तर:
नगरीय बस्तियाँ उद्योग, व्यापार, प्रशासन, सुरक्षा, शिक्षा, तकनीक, संस्कृति और मनोरंजन का केन्द्र होती हैं।

प्रश्न 9.
नगरीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
नगरीय जनसंख्या के बढ़ने को नगरीकरण की प्रक्रिया कहते हैं।

प्रश्न 10.
नगरीय जनसंख्या किस प्रकार से बढ़ती है?
उत्तर:
नगरीय जनसंख्या तीन प्रकार से बढ़ती है

  • प्राकृतिक वृद्धि
  • गाँवों से नगरों की ओर प्रवास तथा
  • किसी ग्रामीण क्षेत्र के नगरीय घोषित हो जाने से।

प्रश्न 11.
नगरों के वर्गीकरण के सर्वाधिक प्रचलित आधार क्या हैं?
उत्तर:
नगरों के वर्गीकरण के सर्वाधिक प्रचलित आधार हैं

  • जनसंख्या आकार के आधार पर
  • प्रकार्यों के आधार पर।

प्रश्न 12.
भारत के कोई दो प्रशासनिक नगरों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत के प्रशासनिक नगर हैं

  • नई दिल्ली
  • शिमला।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सामान्यतः बस्तियाँ कितने प्रकार की होती हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच।
उत्तर:
(a) दो।

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प्रश्न 2.
ग्रामीण बस्तियों की प्रमुख विशेषता है
(a) छोटी बस्तियाँ
(b) प्राथमिक क्रियाकलाप
(c) कम गतिशीलता
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
नगरीय बस्तियों का लक्षण है
(a) अपेक्षाकृत बड़ी बस्तियाँ
(b) द्वितीयक व तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत
(c) जीवन का जटिल होना
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
पल्लीकृत बस्तियों का स्थानीय नाम है
(a) पान्ना
(b) पाड़ा
(c) पाली
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 5.
भारत का प्राचीन नगर है
(a) इलाहाबाद
(b) पटना
(c) मथुरा
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तरः
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 6.
प्रशासनिक नगर है
(a) नई दिल्ली
(b) कालका
(c) सिंगरौली
(d) नैनीताल।
उत्तर:
(a) नई दिल्ली।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सा औद्योगिक नगर नहीं है
(a) जमशेदपुर
(b) फरीदाबाद
(c) काठगोदाम
(d) सेलम।
उत्तर:
(c) काठगोदाम।

प्रश्न 8.
परिवहन नगर का उदाहरण है
(a) रानीगंज
(b) अमृतसर
(c) मनाली
(d) मुम्बई।
उत्तर:
(d) मुम्बई।

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UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 International Trade

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 International Trade (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार)

UP Board Class 12 Geography Chapter 11 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 11 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए-

(i) दो देशों के मध्य व्यापार कहलाता है-
(क) अन्तर्देशीय व्यापार
(ख) बाह्य व्यापार
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
(घ) स्थानीय व्यापार।
उत्तर:
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार।

(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक स्थलबद्ध पोताश्रय है-
(क) विशाखापत्तनम
(ख) मुम्बई
(ग) एन्नोर
(घ) हल्दिया।
उत्तर:
(क) विशाखापत्तनम।

(iii) भारत का अधिकांश विदेश व्यापार वहन होता है-
(क) स्थल और समुद्र द्वारा
(ख) स्थल और वायु द्वारा
(ग) समुद्र और वायु द्वारा
(घ) समुद्र द्वारा।
उत्तर:
(क) स्थल और समुद्र द्वारा।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें-

(i) भारत के विदेश व्यापार की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत का विदेश व्यापार सदा ही प्रतिकूल रहा है अर्थात् आयात का मूल्य निर्यात के मूल्य से सदा ही अधिक रहा है। विश्व के लगभग सभी देशों के साथ भारत के व्यापारिक सम्बन्ध हैं। वस्त्र, अयस्क व खनिज, हीरे-आभूषण तथा इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ भारत के मुख्य निर्यात हैं, जबकि पेट्रोलियम हमारे देश का सबसे बड़ा आयात है।

(ii) पत्तन और पोताश्रय में अन्तर बताइए।
उत्तर:
पत्तन-गोदी, घाट एवं सामान उतारने की सुविधाओं सहित तट पर ऐसा स्थान होता है जहाँ पर समुद्र-मार्ग से आने वाले माल को उतारकर स्थल मार्ग द्वारा आन्तरिक भागों को भेजा जाता है। साथ ही आन्तरिक भागों में आए माल को समुद्र मार्ग द्वारा विदेशों को भेजा जाता है।
पोताश्रय-यह समुद्र का वह अंशत: परिषद् क्षेत्र है; जैसे—निवेशिका, नदमुख अथवा समुद्र-अन्तर्गम आदि, जो आने वाले जहाजों को आश्रय देता है।

(iii) पृष्ठप्रदेश के अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बन्दरगाह का संलग्न क्षेत्र जो इसकी सेवा करता है तथा इससे सेवा प्राप्त करता है, बन्दरगाह का पृष्ठप्रदेश’ कहलाता है।

(iv) उन महत्त्वपूर्ण मदों के नाम बताइए जिन्हें भारत विभिन्न देशों से आयात करता है?
उत्तर:
भारत मुख्यत: पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम पदार्थों का आयात करता है। इसके अलावा मशीनों व उपकरणों, उर्वरकों, विशेष किस्म का इस्पात, खाद्य तेल तथा रसायन बड़ी मात्रा में आयात किए जाते हैं।

(v) भारत के पूर्वी तट पर स्थित पत्तनों के नाम बताइए।
उत्तर:
भारत के पूर्वी तट पर स्थित पत्तन हैं-कोलकाता, हल्दिया, पाराद्वीप, विशाखापत्तनम, चेन्नई, एन्नोर तथा तूतीकोरिन।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें-

(i) भारत में निर्यात और आयात व्यापार के संयोजन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
निर्यात व्यापार संयोजन-भारत से अनेक वस्तुओं का निर्यात किया जाता है। निर्यात की प्रमुख वस्तुएँ कृषि एवं समवर्गी उत्पाद, अयस्क एवं खनिज, विनिर्मित वस्तुएँ तथा पेट्रोलियम व अपरिष्कृत उत्पाद आदि हैं।

आयात संयोजन-भारत के आयात भी अनेक तरह के हैं। आयात की सबसे महत्त्वपूर्ण वस्तु पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पाद हैं। इसके अलावा अयस्क, मोती एवं बहुमूल्य रत्न, उर्वरक, कागज व लुग्दी तथा खाद्य तेल हैं।

तालिका: भारत का विदेश व्यापार
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स्रोत : http://commerce.nic.in/publications/annual report-2010-11 और आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17.

तालिका: भारत का निर्यात संघटन, 2009-17
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 International Trade 2
स्रोत : आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17

तालिका : कुछ प्रमुख उपयोगी वस्तुओं का निर्यात
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 International Trade 3
स्रोत : आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17

तालिका: भारत का आयात संघटन, 2009-2017
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 International Trade 4
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 International Trade 5
स्त्रोत : आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17

तालिकाः कुछ प्रमुख वस्तुओं का आयात
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 International Trade 6
स्रोत : आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17

(ii) भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रकृति पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत के आयात एवं निर्यात दोनों में ही कालिक परिवर्तन हुए हैं। भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रकृति

समय के साथ भारत के विदेशी व्यापार में बहुत बड़े परिवर्तन हुए हैं, जैसा कि निम्नलिखित उदाहरणों से समझा जा सकता है-

  1. भारत का कुल विदेशी व्यापार 1950-51 में 1,214 करोड़ रुपये था, जो कि वर्ष 2016-17 में बढ़कर 44,29,762 करोड़ रुपये हो गया।
  2. निर्यात की अपेक्षा आयात तेजी से बढ़ा है। 1950-51 में आयात 608 करोड़ रुपये से बढ़कर 2009-10 में 1,36.736 करोड़ रुपये हो गया। इसकी तुलना में इसी अवधि में निर्यात 606 करोड़ रुपये से बढ़कर 8,45,534 करोड़ रुपये हो गया।
  3. व्यापार घाटा जो कि 2000-01 में – 27,302 करोड़ रुपये था वह बढ़कर 2009-10 में – 5,18.202 करोड़ रुपये हो गया।
  4. भारत के व्यापार सन्तुलन के विपक्ष में होने के कारण-
    • विश्व स्तर पर मूल्यों में वृद्धि।
    •  विश्व बाजार में भारतीय रुपये का अवमूल्यन।
    • उत्पादन में धीमी प्रगति तथा घरेलू उपभोग में वृद्धि।
    • विश्व व्यापार में कड़ी प्रतिस्पर्धा।
    • घाटे में इस वृद्धि के लिए अपरिष्कृत पेट्रोलियम को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है, क्योंकि यह भारत की आयात सूची में एक प्रमुख व महँगा घटक है।

वर्ष 2012-13 से 2016-17 के दौरान भारत के विदेश व्यापार में निर्यात एवं आयात के बीच अन्तर का फैलाव
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स्त्रोत : आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17.

तालिका:भारत का विदेश व्यापार
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स्रोत : http://commerce.nic.in/publications/annual report 2010-11. और आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17.

ऊपर दी गई सारणी से स्पष्ट होता है कि आयात का मूल्य, निर्यात के मूल्य से सदा ही अधिक रहा है और आयात तथा निर्यात के बीच अन्तर बढ़ता ही जाता है। इससे व्यापार घाटे में निरन्तर वृद्धि होती है।

UP Board Class 12 Geography Chapter 11 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 11 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत के निर्यात में पिछड़ने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत के निर्यात में पिछड़ने के कारण भारत के निर्यात में पिछड़ने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  1. भारतीय वस्तुओं की उत्पादन लागत अपेक्षाकृत अधिक है। हम समय, श्रम व वस्तु (कच्चे माल) का अनुकूलतम उपयोग नहीं कर पाते।
  2. भारतीय वस्तुओं की गुणवत्ता का स्तर निम्न है। हम उच्च गुणवत्ता वाली वस्तु नहीं दे पाते।
  3. भारतीय माल के आयात पर विकसित देशों ने संरक्षणवादी नीति अपना रखी है।
  4. यदि कोई देश विकसित देशों से आयात करता है तो उसे कम आयात शुल्क देना होता है। यदि वही देश वही माल किसी विकासशील देश से ले तो उसे अधिक आयात शुल्क देना होता है।
  5. भारतीय रुपये का बार-बार अवमूल्यन एक हथियार के रूप में प्रयोग हो रहा है।
  6. भारतीय निर्यात वस्तुओं की स्थानापन्न वस्तुओं की विदेशी बाजार में बहुलता है।
  7. भारत के परम्परागत निर्यातों की विदेशों में कम माँग है।
  8. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय वस्तुओं का विज्ञापन व प्रचार अपर्याप्त है।

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प्रश्न 2.
पश्चिमी तट पर स्थित भारत के प्रमुख पत्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित प्रमुख पत्तन भारत के पश्चिमी तट पर स्थित प्रमुख पत्तन हैं-

  1. कांडला,
  2. मुम्बई,
  3. जवाहरलाल नहेरू पत्तन, न्हावाशेवा, मुम्बई,
  4. मार्मागाओ,
  5. न्यू मंगलौर तथा
  6. कोच्चि।

1. कांडला-यह एक ज्वारीय पत्तन है जो गुजरात में कच्छ की खाड़ी के मुहाने पर स्थित है। यह पत्तन देश के उत्तर-पश्चिमी भाग की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ मुम्बई पत्तन पर दबाव को भी कम करता है। इस पत्तन से कच्चे तेल के उत्पादों, उर्वरकों, खाद्य पदार्थों, कपास, चीनी, सीमेण्ट और स्क्रैप (धात्विक कतरनों) आदि का व्यापार होता है।

2. मुम्बई–यह भारत का प्राकृतिक और सबसे बड़ा पत्तन है। यह पत्तन सालसार द्वीप पर स्थित है। यह पश्चिमी तट पर स्थित है। सभी पत्तनों के कुल यातायात का पाँचवाँ भाग अकेला यही पत्तन सँभालता है। मुख्यतः पेट्रोलियम पदार्थों और शुष्क माल का व्यापार होता है।

3. जवाहरलाल नेहरू पत्तन, मुम्बई–मुम्बई के न्हावाशेवा के स्थान पर बनी जवाहरलाल नेहरू पत्तन आधुनिक उपस्करों और आधुनिक साधनो से युक्त एक महत्त्वपूर्ण पत्तन है जिसका विकास मुम्बई पत्तन के भार को कम करने के लिए किया गया है। यह भारत का विशालतम कन्टेनर पत्तन है।

4. मार्मागाओ-जुआरी नदमुख के मुहाने पर अवस्थित यह भारत के पश्चिमी तट का एक प्रमुख, प्राकृतिक एवं सुरक्षित बन्दरगाह है। यहाँ से मुख्यतः लौह-अयस्क, मछलियों के उत्पाद, नारियल और मसालों का निर्यात किया जाता है। इस पत्तन पर आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएँ रसायन, उर्वरक और खाद्य पदार्थ आदि हैं।

5. न्यू मंगलौर—यह पश्चिमी तट पर कर्नाटक का प्रमुख पत्तन है जो कि कोच्चि और मार्मागाओ के मध्य स्थित है। इस पत्तन से कुद्रेमुख के लौह-अयस्क और लौह-सांद्र को निर्यात किया जाता है। इनके अलावा यहाँ से उर्वरकों, पेट्रोलियम उत्पादों, खाद्य तेलों, कॉफी, चाय, लुग्दी, सूत, ग्रेनाइट पत्थर और शीरा आदि का आयात-निर्यात किया जाता है।

6. कोच्चि-यह केरल में स्थित एक प्राकृतिक पत्तन है। यह मालाबार तट का प्रमुख पत्तन है। इस पत्तन को स्वेज-कोलम्बो मार्ग के पास अवस्थित होने का लाभ प्राप्त है। यहाँ से पेट्रोलियम और उसके उत्पादों, उर्वरकों और कच्चे माल का आयात-निर्यात होता है। कोच्चि पत्तन भारतीय नौसेना के लड़ाकू जलयानों का महत्त्वपूर्ण , आश्रय-स्थल है।

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लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बन्दरगाह को पोताश्रय क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
बन्दरगाह समुद्र का अंशत: परिबद्ध क्षेत्र होता है; जैसे—निवेशिका, ज्वारनदमुख अथवा समुद्र-अंतर्गम आदि, जो आने वाले जहाजों को आश्रय देता है। इसीलिए बन्दरगाह को ‘पोताश्रय’ कहा जाता है। यहाँ जहाज समुद्र की खुली तूफानी, तेज और मारक लहरों से सुरक्षित रहते हैं।

प्रश्न 2.
विशाखापत्तनम बन्दरगाह पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
विशाखापत्तनम-आन्ध्र प्रदेश के तट पर स्थित यह देश में सर्वाधिक गहरी, स्थलरुद्ध और सुरक्षित बन्दरगाह है। यह देश में सबसे आन्तरिक भाग में स्थित बन्दरगाह है जिसे ठोस चट्टान एवं बालू को काटकर एक नहर के द्वारा समुद्र से जोड़ा गया है। यहाँ से लौह-अयस्क, कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पादों और उर्वरकों का व्यापार होता है। इस पत्तन का पृष्ठ प्रदेश आन्ध्र प्रदेश है।

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प्रश्न 3.
कोलकाता पत्तन काफी हद तक अपनी सार्थकता खो चुका है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कोलकाता पत्तन ने अपना महत्त्व निम्नलिखित कारणों से खो दिया है-

  1. निर्यात का विशाखापत्तनम तथा पाराद्वीप समुद्री-पत्तनों की तरफ मुड़ना।
  2. इसे गंगा नदी द्वारा लायी गई भारी गाद का सामना करना पड़ता है।
  3. यह एक ज्वारीय पत्तन है और इसे बार-बार हुगली नदी के छत्तराव की भी आवश्यकता होती है ताकि जल का न्यूनतम स्तर बना रहे और नौकायन होता रहे।

प्रश्न 4.
प्राकृतिक पत्तन और कृत्रिम पत्तन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक पत्तन-कटे-फटे समुद्री तट पर सुरक्षित पत्तन होता है। इनके विकास में कम व्यय होता है।
कृत्रिम पत्तन सीधी व सपाट तट रेखा पर अशांत समुद्र की लहरों से असुरक्षित होता है, अत: इसकी सुरक्षा के लिए कृत्रिम दीवार बनाई जाती है जिस पर अधिक व्यय आता है।

प्रश्न 5.
पत्तनों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
पत्तनों के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

  1. प्रमुख पत्तन–10 लाख टन वार्षिक से अधिक यातायात सँभालने वाले पत्तनों को ‘प्रमुख पत्तन’ कहा जाता है।
  2. मध्यम पत्तन-10 लाख टन से कम और 1 लाख टन से अधिक यातायात वाले पत्तन को ‘मध्यम पत्तन’ कहा जाता है।
  3. छोटा पत्तन-1 लाख टन से कम मगर 1500 टन से ज्यादा वाले पत्तन को ‘छोटा पत्तन’ कहा जाता है।
  4. उप-पत्तन–1500 टन से कम वाला पत्तन ‘उप-पत्तन’ कहलाता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
वस्तुओं के क्रय-विक्रय को व्यापार कहते हैं।

प्रश्न 2.
व्यापार कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
व्यापार दो प्रकार के होते हैं-

  1. देशी अथवा घरेलू व्यापार तथा
  2. अन्तर्राष्ट्रीय या विदेशी व्यापार।

प्रश्न 3.
देशी या घरेलू व्यापार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
देशी या घरेलू व्यापार में वस्तुओं का क्रय-विक्रय देश के एक भाग से दूसरे भाग में किया जाता है। उदाहरण-असम की चाय सारे देश में बिकती है।

प्रश्न 4.
विदेशी व्यापार से क्या आशय है?
उत्तर:
विदेशी व्यापार में वस्तुओं का क्रय-विक्रय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होता है।

प्रश्न 5.
निर्यात किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब देश में किसी वस्तु का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता है, तो उसे विदेशों में भेज दिया जाता है, इसे निर्यात कहते हैं।

प्रश्न 6.
आयात से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब एक देश किसी दूसरे देश से वस्तु खरीदता है, तो उसे ‘आयात’ कहा जाता है।

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प्रश्न 7.
व्यापार सन्तुलन किसे कहते हैं?
उत्तर:
आयात तथा निर्यात के अन्तर को ‘व्यापार सन्तुलन’ कहते हैं।

प्रश्न 8.
व्यापार सन्तुलन पक्ष और विपक्ष में कब होता है?
उत्तर:
यदि आयात, निर्यात से कम हो, तो ‘व्यापार सन्तुलन”पक्ष’ में होता है और यदि आयात, निर्यात से अधिक हो, तो ‘व्यापार सन्तुलन’ ‘विपक्ष’ में होता है।

प्रश्न 9.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में किसे जाना जाता है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में ‘समुद्री पत्तन’ को जाना जाता है।

प्रश्न 10.
विमान पत्तन किसे कहते हैं?
उत्तर:
वायु परिवहन के केन्द्रों को ‘निमान पत्तन’ कहा जाता है।

प्रश्न 11.
विमान पत्तनों का प्रबन्ध कौन करता है?
उत्तर:
विमान पत्तनों का प्रबन्ध ‘भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण’ करता है।

प्रश्न 12.
भारत के कोई दो अन्तर्राष्ट्रीय विमान पत्तनों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. इन्दिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमान पत्तन, नई दिल्ली।
  2. दमदम पत्तन, कोलकाता।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
न्हावा शेवा पत्तन किस राज्य में है-
(a) गुजरात
(b) महाराष्ट्र
(c) गोवा
(d) कर्नाटका
उत्तर:
(b) महाराष्ट्र।

प्रश्न 2.
चेन्नई पत्तन कब बनाया गया था-
(a) सन् 1839 में
(b) सन् 1859 में
(c) सन् 1849 में
(d) सन् 1869 में।
उत्तर:
(b) सन् 1859 में।

प्रश्न 3.
भारत का व्यापार सन्तुलन विपक्ष में रहने का कारण है-
(a) विश्व स्तर पर मूल्यों में वृद्धि
(b) विश्व बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा
(c) विश्व बाजार में भारतीय रुपये का अवमूल्यन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
भारत द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तु है-
(a) कृषि एवं समवर्गी उत्पाद
(b) अयस्क एवं खनिज
(c) विनिर्मित वस्तुएँ
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 5.
भारत द्वारा आयात की जाने वाली वस्तु है-
(a) पेट्रोलियम अपरिष्कृत तथा अन्य उत्पाद
(b) पूँजीगत सामान
(c) रसायन तथा सम्बन्धित उत्पाद
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 6.
गोवा के तट पर स्थित प्राकृतिक बन्दरगाह है-
(a) मार्मागाओ
(b) न्यू मंगलौर
(c) कोच्चि
(d) हल्दिया।
उत्तर:
(a) मार्मागाओ।

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प्रश्न 7.
सहारा विमान पत्तन स्थित है-
(a) मुम्बई में
(b) कोलकाता में
(c) चेन्नई में
(d) नई-दिल्ली में।
उत्तर:
(a) मुम्बई में।

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