UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction (वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण) are part of UP Board Solutions for Class 12 Physics. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction (वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Physics
Chapter Chapter 6
Chapter Name Electromagnetic Induction (वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण)
Number of Questions Solved 54
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction (वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
चित्र 6.1 (a) से (f) में वर्णित स्थितियों के लिए प्रेरित धारा की दिशा की प्रागुक्ति (predict) कीजिए।
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उत्तर-
(a) चुम्बक के S ध्रुव को कुण्डली की ओर ले जाया जा रहा है, अत: लेन्ज के नियम के अनुसार कुण्डली का इस ओर का सिरा भी S ध्रुव होना चाहिए ताकि यह चुम्बक की गति का विरोध करे (परस्पर प्रतिकर्षण द्वारा) इसलिए कुण्डली में प्रेरित धारा दक्षिणावर्त दिशा में अर्थात् qrpq दिशा में बहेगी।

(b) चुम्बक की गति के विरोध के लिए लेन्ज नियम के अनुसार बायीं ओर की कुण्डली का चुम्बक के ध्रुव S की ओर वाला सिरा S बनना चाहिए तथा दायीं ओर की कुण्डली का (UPBoardSolutions.com) चुम्बक में N ध्रुव की ओर वाला सिरा भी S ध्रुव ही बनना चाहिए ताकि ध्रुव S पर प्रतिकर्षण तथा N पर आकर्षण बल लगे। इसलिए बायीं ओर की कुण्डली में धारा दक्षिणावर्त दिशा में (अर्थात् prqp दिशा में), तथा दायीं ओर की कुण्डली में धारा yzxy दिशा में प्रेरित होनी चाहिए।

(c) दाब कुंजी तुरन्त बन्द करने पर बायीं ओर कुण्डली में धारा शून्य से बढ़ेगी, अत: दायीं ओर की कुण्डली में प्रेरित धारा बायीं ओर कुण्डली में धारा की विपरीत दिशा में (अर्थात् वामावर्त दिशा में) yzx में होनी चाहिए।

(d) चित्र से स्पष्ट है कि धारा नियन्त्रक द्वारा प्रतिरोध घटाया जा रहा है अर्थात् दायीं ओर कुण्डली में धारा बढ़ेगी जिसकी दिशा वामावर्त है। अतः लेन्ज के नियम के अनुसार (UPBoardSolutions.com) बायीं ओर कुण्डली में प्रेरित धारा मुख्य धारा के विपरीत होनी चाहिए अर्थात् zyx दिशा में।

(e) दाब कुंजी को खोलने के तुरन्त बाद प्राथमिक कुण्डली में धारा घटेगी। अतः द्वितीयक कुण्डली में धारा की दिशा प्राथमिक के मुख्य धारा की दिशा में होनी चाहिए अर्थात् xry दिशा में।

(f) कोई प्रेरित धारा नहीं चूँकि बल रेखाएँ लूप के तल में स्थित होंगी तथा फ्लक्स में परिवर्तन नहीं होगा। चूँकि बल-रेखाएँ लूप को काटेंगी भी नहीं।

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प्रश्न 2.
चित्र 6.2 में वर्णित स्थितियों के लिए लेंज के नियम का उपयोग करते हुए प्रेरित विद्युत धारा की दिशा ज्ञात कीजिए।
(a) जब अनियमित आकार का तार वृत्ताकार लूप में बदल रहा हो;
(b) जब एक वृत्ताकार लूप एक सीधे तार में विरूपित किया जा रहा हो।
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उत्तर-
(a) क्रॉस (x) द्वारा एक ऐसे चुम्बकीय-क्षेत्र को प्रदर्शित किया गया है जिसकी दिशा कागज के तल के लम्बवत् भीतर की ओर है अनियमित आकार के लूप को वृत्तीय (UPBoardSolutions.com) रूप में खींचने पर इससे गुजरने वाला फ्लक्स बढ़ेगा। अतः लूप में प्रेरित धारा इस प्रकार की होगी कि वह निम्नगामी फ्लक्स को बढ़ने से रोकेगी। प्रेरित धारी कागज के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर चुम्बकीय-क्षेत्र उत्पन्न करेगी। अत: धारा की दिशा a d c b a मार्ग का अनुसरण करेगी।

(b) चुम्बकीय-क्षेत्र कागज के तल के लम्बवत् (UPBoardSolutions.com) बाहर की ओर है। लूप के आकार को बदलने पर उससे गुजरने वाला ऊर्ध्वमुखी फ्लक्स घटेगा। अत: लूप में प्रेरित धारा ऊर्ध्वमुखी चुम्बकीय-क्षेत्र उत्पन्न करेगी। इसके लिए धारा a’d’c’b’a’ मार्ग का अनुसरण करेगी।

प्रश्न 3.
एक लम्बी परिनालिका के इकाई सेंटीमीटर लम्बाई में 15 फेरे हैं। उसके अन्दर 2.0 cm का एक छोटा-सा लूप परिनालिका की अक्ष के लम्बवत रखा गया है। यदि परिनालिका में बहने वाली धारा का मान 0.15 में 2.0 A से 40 A कर दिया जाए तो धारा परिवर्तन के समय प्रेरित विद्युत वाहक बल कितना होगा?
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UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction Q3.1

प्रश्न 4.
एक आयताकार लूप जिसकी भुजाएँ 8 cm एवं 2 cm हैं, एक स्थान पर थोड़ा कटा हुआ है। यह लूप अपने तल के अभिलम्बवत 0.3 T के एकसमान चुम्बकीय-क्षेत्र से बाहर की ओर निकल रहा है। यदि लूप के बाहर निकलने का वेग 1 cm s-1 है तो कटे भाग के सिरों पर उत्पन्न विद्युत वाहक बल कितना होगा, जब लूप की गति अभिलम्बवत हो
(a) लूप की लम्बी भुजा के
(b) लूप की छोटी भुजा के। प्रत्येक स्थिति में उत्पन्न प्रेरित वोल्टता कितने समय तक टिकेगी?
हल-
(a) चुम्बकीय क्षेत्र B में क्षेत्र के लम्बवत् स्थित क्षेत्रफल A से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स Φ = BA
माना लूप की लम्बाई l व चौड़ाई b है तथा (UPBoardSolutions.com) इसके वेग का परिमाण है। जैसे ही लूप लम्बी भुजा के लम्बवत् चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर निकालता है क्षेत्र से बद्ध क्षेत्रफल बदलता है, जिससे में परिवर्तन होता है। फैराडे के नियम से, प्रेरित वैद्युत वाहक बल का परिमाण
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UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction Q4.1

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प्रश्न 5.
1.0 m लम्बी धातु की छड़ उसके एक सिरे से जाने वाले अभिलम्बवत अक्ष के परितः 400 rad-s-1 की कोणीय आवृत्ति से घूर्णन कर रही है। छड़ का दूसरा सिरा एक धात्विक वलय से सम्पर्कित है। अक्ष के अनुदिश सभी जगह 0.5 T का एकसमान चुम्बकीय-क्षेत्र उपस्थित है। वलय तथा अक्ष के बीच स्थापित विद्युत वाहक बल की गणना कीजिए।
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प्रश्न 6.
एक वृत्ताकार कुंडली जिसकी त्रिज्या 8.0 cm तथा फेरों की संख्या 20 है अपने ऊर्ध्वाधर व्यास के परितः 50 rad-s- की कोणीय आवृत्ति से 3.0 x 10-2 T के एकसमान चुम्बकीय-क्षेत्र में घूम रही है। कुंडली में उत्पन्न अधिकतम तथा औसत प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान ज्ञात कीजिए। यदि कुंडली 10 Ω प्रतिरोध का एक बन्द लूप बनाए तो कुंडली में धारा के अधिकतम मान की गणना कीजिए। जूल ऊष्मन के कारण क्षयित औसत शक्ति की गणना कीजिए। यह शक्ति कहाँ से प्राप्त होती है?
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction Q6
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कुण्डली में प्रेरित धारा एक बल-आघूर्ण उत्पन्न करती है, जो कुण्डली के घूमने का विरोध करता है। इसलिए कुण्डली को एकसमान कोणीय वेग से (UPBoardSolutions.com) घुमाए रखने के लिए एक बाह्य कारक (रोटर) बल-आघूर्ण प्रदान करता है। इसीलिए व्यय ऊष्मा का स्रोत रोटर (rotor) ही है।

प्रश्न 7.
पूर्व से पश्चिम दिशा में विस्तृत एक 10 m लम्बा क्षैतिज सीधा तार 0.30 x 10-4 Wbm-2 तीव्रता वाले पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र के क्षैतिज घटक के लम्बवत 5.0 m s-1 की चाल से गिर रहा है।
(a) तार में प्रेरित विद्युत वाहक बल का तात्क्षणिक मान क्या होगा?
(b) विद्युत वाहक बल की दिशा क्या है?
(c) तार का कौन-सा सिरा उच्च विद्युत विभव पर है?
हल-
(a) तार की लम्बाई l = 10 मीटर, B = H = 0.30 x 10-4 वेबर/मी2, तार का वेग v = 50 मी/सेकण्ड
अतः तार के सिरों के बीच प्रेरित विभवान्तर e = Bvl sin 90° = Bvl = 0.30 x 10-4 x 5.0 x 10 = 0.0015 वोल्ट = 1.5 मिलीवोल्ट

(b) फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम के अनुसार, तार में प्रेरित धारा की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर होगी। अतः प्रेरित वैद्युत वाहक बल की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर होगी।

(c) चूँकि तार में प्रेरित धारा की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर है, अत: तार में इलेक्ट्रॉन इसके विपरीत पश्चिम से पूर्व की ओर गति करेंगे। चूँकि इलेक्ट्रॉन निम्न विभव (UPBoardSolutions.com) से उच्च विभव की ओर गति करते हैं, अत: तार का पूर्वी सिरा उच्च विभव पर होगा। [विशेष-यदि तार उत्तर-दक्षिण दिशा में रहते हुए गिरता, तब इसकी लम्बाई पृथ्वी के क्षेत्र के क्षैतिज घटक के समान्तर होती। अतः कोई वैद्युत वाहक बल प्रेरित नहीं होता।

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प्रश्न 8.
किसी परिपथ में 0.1 s में धारा 5.0 A से 0.0 A तक गिरती है। यदि औसत प्रेरित विद्युत वाहक बल 200 V है तो परिपथ में स्वप्रेरकत्व का आकलन कीजिए।
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UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction Q8.1

प्रश्न 9.
पास-पास रखे कुंडलियों के एक युग्म का अन्योन्य प्रेरकत्व 1.5 H है। यदि एक कुंडली । में 0.5 s में धारा 0 से 20 A परिवर्तित हो तो दूसरी कुंडली की फ्लक्स बंधता में कितना परिवर्तन होगा?
हल-
यहाँ M = 1.5 हेनरी, ∆t = 0.5 सेकण्ड,
∆I = I2 – I1 = (20 – 0) = 20 A
Φ1 = MI
∆Φ2 = M∆I1
अतः द्वितीयक कुण्डली की फ्लक्स बद्धता में परिवर्तन
∆Φ2 = 1.5 हेनरी x 20 ऐम्पियर = 30 वेबर
यहाँ धारा बढ़ रही है, अत: फ्लक्स बद्धता में परिवर्तन धारा वृद्धि का विरोध करेगा।

प्रश्न 10.
एक जेट प्लेन पश्चिम की ओर 1800 km/h वेग से गतिमान है। प्लेन के पंख 25 m लम्बे हैं। इनके सिरों पर कितना विभवान्तर उत्पन्न होगा? पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का मान उस स्थान पर 5 x 10-4 Tतथा नति कोण (dip angle) 30° है।
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 11.
मान लीजिए कि प्रश्न 4 में उल्लिखित लूप स्थिर है किन्तु चुम्बकीय-क्षेत्र उत्पन्न करने वाले विद्युत चुम्बक में धारा का मान कम किया जाता है जिससे चुम्बकीय-क्षेत्र का मान अपने प्रारम्भिक मान 0.3 T से 0.02 Ts-1 की दर से घटता है। अब यदि लूप का कटा भाग जोड़ दें जिससे प्राप्त बन्द लूप का प्रतिरोध 1.6 Ω हो तो इस लूप में ऊष्मन के रूप में शक्ति ह्रास क्या है? इस शक्ति का स्रोत क्या है?
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प्रश्न 12.
12 cm भुजा वाला वर्गाकार लूप जिसकी भुजाएँ X एवं Y अक्षों के समान्तर हैं, x-दिशा में 8 cm s-1 की गति से चलाया जाता है। लूप तथा उसकी गति का परिवेश धनात्मक दिशा के चुम्बकीय-क्षेत्र का है। चुम्बकीय-क्षेत्र न तो एकसमान है और न ही समय के साथ नियत है। इस क्षेत्र की (UPBoardSolutions.com) ऋणात्मक दिशा में प्रवणता 10-3 Tcm-1 है। (अर्थात् ऋणात्मक x-अक्ष की दिशा में इकाई सेंटीमीटर दूरी पर क्षेत्र के मान में 10-3 Tcm-1 की वृद्धि होती है) तथा क्षेत्र के मान में 10-3 Ts-1 की दर से कमी भी हो रही है। यदि कुंडली का प्रतिरोध 4.50 mΩ हो तो प्रेरित धारा का परिमाण एवं दिशा ज्ञात कीजिए।
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प्रश्न 13.
एक शक्तिशाली लाउडस्पीकर के चुम्बक के ध्रुवों के बीच चुम्बकीय-क्षेत्र की तीव्रता के परिमाण का मापन किया जाना है। इस हेतु एक छोटी चपटी 2 cm क्षेत्रफल की अन्वेषी कुंडली (search coil) का प्रयोग किया गया है। इस कुंडली में पास-पास लिपटे 25 फेरे हैं तथा इसे चुम्बकीय-क्षेत्र के लम्बवत व्यवस्थित किया गया है और तब इसे द्रुत गति से क्षेत्र के बाहर निकाला जाता है। तुल्यतः एक अन्य विधि में अन्वेषी कुंडली को 90° से तेजी से घुमा देते हैं जिससे कुंडली का तल चुम्बकीय-क्षेत्र के समान्तर हो जाए। इन दोनों घटनाओं में कुल 7.5 mC आवेश का प्रवाह होता है (जिसे परिपथ में प्रक्षेप धारामापी (ballistic galvanometer) लगाकर ज्ञात किया जा सकता है)। कुंडली तथा धारामापी का संयुक्त प्रतिरोध 0.50 Ω है। चुम्बक की क्षेत्र की तीव्रता का आकंलन कीजिए।
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UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction Q13

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प्रश्न 14.
चित्र 6.6 में एक धातु की छड़ PQ को दर्शाया गया है जो पटरियों AB पर रखी है तथा एक स्थायी चुम्बक के ध्रुवों के मध्य स्थित है। पटरियाँ, छड़ एवं चुम्बकीय-क्षेत्र परस्पर अभिलम्बवत दिशाओं में हैं। एक गैल्वेनोमीटर (धारामापी) G को पटरियों से एक स्विच K की सहायता से संयोजित किया गया है। छड़ की लम्बाई = 15 cm, B = 0.50 T तथा पटरियों, छड़ तथा धारामापी से बने बन्द लूप का प्रतिरोध = 9.0 m2 है। क्षेत्र को एकसमान मान लें।
(a) माना कुंजी Kखुली (open) है तथा छड़ 12 cm s-1 की चाल से दर्शायी गई दिशा में गतिमान है। प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान एवं ध्रुवणता (polarity) बताइए।
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(b) क्या कुंजी Kखुली होने पर छड़ के सिरों पर आवेश का आधिक्य हो जाएगा? क्या होगा यदि कुंजी K बंद (close) कर दी जाए?
(c) जब कुंजी K खुली हो तथा छड़ एकसमान वेग से गति में हो तब भी इलेक्ट्रॉनों पर कोई परिणामी बल कार्य नहीं करता यद्यपि उन पर छड़ की गति के कारण चुम्बकीय बल कार्य करता है। कारण स्पष्ट कीजिए।
(d) कुंजी बन्द होने की स्थिति में छड़ पर (UPBoardSolutions.com) लगने वाले अवमन्दन बल का मान क्या होगा?
(e) कुंजी बन्द होने की स्थिति में छड़ को उसी चाल (= 12 cms-1) से चलाने हेतु कितनी शक्ति (बाह्य कारक के लिए) की आवश्यकता होगी?
(f) बन्द परिपथ में कितनी शक्ति का ऊष्मा के रूप में क्षय होगा? इस शक्ति का स्रोत क्या है?
(g) गतिमान छड़ में उत्पन्न विद्युत वाहक बल का मान क्या होगा यदि चुम्बकीय-क्षेत्र की दिशा पटरियों के लम्बवत होने की बजाय उनके समान्तर हो?
हल-
दिया है, B = 0.50 T, l = 0.15 m, v = 0.12 m s-1, R = 9.0 x 10-3
(a) छड़ में प्रेरित विद्युत वाहक बल
e = Bvl = 0.50 x 0.12 x 0.15 = 9 x 10-3 V = 9.0 mV
छड़ का सिरा P धनात्मक तथा २ ऋणात्मक होगा।

(b) हाँ, छड़ के Q सिरे पर इलेक्ट्रॉन एकत्र हो जाएँगे जबकि P सिरे पर धनावेश की अधिकता हो जाएगी। यदि कुंजी K को बन्द कर दिया जाए तो सिरे पर एकत्र होने वाले इलेक्ट्रॉन बन्द परिपथ से होते हुए (G से होकर) सिरे P की ओर गति करने लगेंगे। इस प्रकार परिपथ में स्थायी धारा स्थापित हो जाएगी।

(c) जब कुंजी K खुली है तो P सिरा धनात्मक व Q सिरा ऋणात्मक हो जाता है। इससे छड़ के भीतर सिरे P से सिरे २ की ओर एक विद्युत क्षेत्र स्थित हो जाता है। (UPBoardSolutions.com) इस क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉनों पर Q से P की ओर विद्युत बल लगता है जो विपरीत दिष्ट चुम्बकीय बल को सन्तुलित कर लेता है। इस प्रकार इलेक्ट्रॉनों पर कोई नैट बल कार्य नहीं करता है।

(d) कुंजी K बन्द होने की स्थिति छड़ PQ से प्रवाहित धारा
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(e) कुंजी K के बन्द होने पर छड़ को खींचते रहने के लिए व्यय की जाने वाली शक्ति
P = Fv = 0.075 x 0.12 = 9 x 10-3 W

(f) परिपथ में व्यय ऊष्मीय शक्ति
P = R= (1.0) x 9.0 x 10-3 = 9 x 10-3 W
इस शक्ति का स्रोत छड़ को एकसमान वेग से खींचते रहने के लिए बाह्य स्रोत द्वारा व्यय की गई शक्ति है।

(g) शून्य; इस स्थिति में छड़ चुम्बकीय बल रेखाओं को नहीं काटेगी।
अतः कोई विद्युत वाहक बल प्रेरित नहीं होगा।

प्रश्न 15.
वायु के क्रोड वाली एक परिनालिका में, जिसकी लम्बाई 30 cm तथा अनुप्रस्थ काट का कषेत्रफल 25 cm तथा कुल फेरे 500 हैं, 2.5 A धारा प्रवाहित हो रही है। धारा को 10-38 के अल्पकाल में अचानक बन्द कर दिया जाता है। परिपथ में स्विच के खुले सिरों के बीच उत्पन्न औसत विद्युत वाहक बल का मान क्या होगा? परिनालिका के सिरों पर चुम्बकीय क्षेत्र के परिवर्तन की उपेक्षा कर सकते हैं ?
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प्रश्न 16.
(a) चित्र 6.7 में दर्शाए अनुसार एक लम्बे, सीधे तार तथा एक वर्गाकार लूप जिसकी एक भुजा की लम्बाई a है, के लिए अन्योन्य प्रेरकत्व का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
(b) अब मान लीजिए कि सीधे तार में 50 A की धारा प्रवाहित हो रही है तथा लूप एक स्थिर वेग v = 10 m/s से दाईं ओर को गति कर रहा है। लूप में प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिकलन चित्र 6.7 उंस क्षण पर कीजिए जब x = 0.2 m हो। लूप के लिए a = 0.1 m लीजिए तथा यह मान लीजिए कि उसका प्रतिरोध बहुत अधिक है।
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction Q16
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प्रश्न 17.
किसी M द्रव्यमान तथा R त्रिज्या वाले एक पहिए के किनारे (rim) पर एक रैखिक आवेश स्थापित किया गया है जिसकी प्रति इकाई लम्बाई पर आवेश का मान 2 है। पहिए के स्पोक (spoke) हल्के एवं कुचालक हैं तथा वह अपनी अक्ष के परितः घर्षण रहित घूर्णन हेतु स्वतन्त्र हैं जैसा कि चित्र 6.9 में दर्शाया गया है। पहिए के वृत्तीय भाग पर रिम, के अन्दर एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र विस्तरित है। इसे इस प्रकार परिभाषित किया गया है-
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UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction Q17.1
चुम्बकीय-क्षेत्र को अचानक ‘ऑफ (Switched off) करने के पश्चात्, पहिए का कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
हल-
माना चुम्बकीय-क्षेत्र को स्विच ऑफ करने पर E विद्युत-क्षेत्र उत्पन्न होता है तथा पहिया ω कोणीय वेग से घूमना प्रारम्भ करता है।
यदि पहिए पर कुल आवेश q है तो एक पूर्ण चक्र के दौरान विद्युत-क्षेत्र द्वारा आवेश को घुमाने में कृत कार्य
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UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction Q17.3

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रेरित वैद्युत धारा की दिशा का पता चलता है- (2012, 15)
(i) लेन्ज के नियम द्वारा
(ii) फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम द्वारा
(iii) बायो-सेवर्ट के नियम द्वारा
(iv) ऐम्पियर के नियम द्वारा
उत्तर-
(i) लेन्ज के नियम द्वारा

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प्रश्न 2.
लेन्ज का नियम किसके संरक्षण नियम के अनुरूप उत्पन्न होता है? (2017, 18)
(i) आवेश
(ii) संवेग
(iii) ऊर्जा
(iv) द्रव्यमान
उत्तर-
(iii) ऊर्जा

प्रश्न 3.
लेन्ज के वैद्युत चुम्बकीय फ्लक्स प्रेरण के नियमानुसार इनमें से क्या सत्य है? (2010, 12, 13)
(i) आवेश का संरक्षण
(ii) चुम्बकीय फ्लक्स का संरक्षण
(iii) ऊर्जा का संरक्षण
(iv) संवेग का संरक्षण
उत्तर-
(iii) ऊर्जा का संरक्षण

प्रश्न 4.
हेनरी/मीटर मात्रक है-
(i) वैद्युतशीलता का
(ii) चुम्बकशीलता का
(iii) परावैद्युतक का
(iv) स्वप्रेरकत्व का
उत्तर-
(ii) चुम्बकशीलता का

प्रश्न 5.
[latex]\frac { L }{ R }[/latex] की विमा होगी, जहाँ प्रेरकत्व है तथा प्रतिरोध है- (2013,17)
(i) [M0L0T-1]
(ii) [M0LT]
(iii) [M0L0T]
(iv) [MLT-2]
उत्तर-
(iii) [M0L0T]

प्रश्न 6.
10 ओम प्रतिरोध तथा 10 हेनरी प्रेरकत्व की एक कुण्डली 50 वोल्ट की बैटरी से जोड़ी गयी है। कुण्डली में संचित ऊर्जा है- (2014)
(i) 125 जूल
(ii) 62.5 जूल
(iii)250 जूल
(iv) 500 जूल
उत्तर-
(iv) 500 जूल

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प्रश्न 7.
एक कुण्डली के लिए स्वप्रेरकत्व 2 mH है। उसमें वैद्युत धारा प्रवाह की दर 103 ऐम्पियर/सेकण्ड है। इसमें प्रेरित विद्युत वाहक बल है। (2014)
(i) 1 वोल्ट
(ii) 2 वोल्ट
(iii) 3 वोल्ट
(iv) 4 वोल्ट
उत्तर-
(ii) 2 वोल्ट

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण का लेन्ज का नियम क्या है? (2014, 16, 17)
उत्तर-
किसी परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल, अथवा प्रेरित धारा की दिशा सदैव ऐसी होती है कि यह उस कारण का विरोध करती है जिससे वह स्वयं उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
भंवर धाराओं से आप क्या समझते हैं? (2010, 12, 17, 18)
या
भंवर धाराएँ क्या होती हैं? (2013, 18)
उत्तर-
आँवर धाराएँ (Eddy Currents)- सन् 1875 में फोको (Focault) ने देखा कि जब किसी धातु का टुकड़ा किसी परिवर्ती” (variable) चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है, अथवा किसी चुम्बकीय क्षेत्र में इस प्रकार गति करता है कि उससे बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन हो, तो धातु के (UPBoardSolutions.com) सम्पूर्ण आयतन में प्रेरित धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं। ये धाराएँ धातु के टुकड़े की गति का (अथवा फ्लक्स परिवर्तन का) विरोध करती हैं। इन धाराओं को ‘भंवर धाराएँ’ कहते हैं। फोको के नाम पर इन्हें ‘फोको धाराएँ’ भी कहा जाता है। कभी-कभी ये धाराएँ इतनी प्रबल हो जाती हैं कि धातु का टुकड़ा गर्म होकर लाल-तप्त हो जाता है।

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प्रश्न 3.
भंवर धाराओं से क्या हानियाँ हैं? किसी ट्रांसफॉर्मर की क्रोड में इनको उत्पन्न होने से किस प्रकार रोका जा सकता है? (2017)
उत्तर-
ट्रांसफॉर्मर, डायनमो तथा मोटर की आमेचर कुण्डलियों की क्रोड नर्म लोहे की बनी होती हैं। जब इन यन्त्रों में प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित होती है तो क्रोड से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है, जिससे क्रोड में भंवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं और वे गर्म हो जाते हैं। इस प्रकार वैद्युत ऊर्जा का ऊष्मीय (UPBoardSolutions.com) ऊर्जा में हास होने लगता है। इस हास ( भंवर धाराओं) को कम करने के लिए क्रोड को नर्म लोहे के एक अकेले टुकड़े के रूप में न लेकर, नर्म लोहे की कई पतली-पतली पत्तियों को वार्निश द्वारा जोड़कर आवश्यक मोटाई बना लेते हैं। इस प्रकार की क्रोड, पटलित क्रोड (laminated core) कहलाती है। ऐसा करने से क्रोड का प्रतिरोध बढ़ जाता है तथा मँवर धाराएँ क्षीण हो जाती हैं, फलस्वरूप ऊर्जा ह्रास कम हो जाता है।

प्रश्न 4.
चित्र 6.10 में एक दण्ड-चुम्बक मुक्त रूप से एक कुण्डली के बीच से होकर गिरता है। कारण सहित बताइए कि घुम्बक की त्वरण (a), गुरुत्वीय त्वरण(g) से कम अथवा समान अथवा अधिक होगा। (2015)
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction
उत्तर-
जब एक दण्ड चुम्बक मुक्त रूप से एक कुण्डली के बीच से होकर गिरता है तो कुण्डली में वैद्युत धारा प्रेरित हो जाती है, जो सदैव उस कारण का विरोध करती है, जिससे वह उत्पन्न होती है। अत: चुम्बक का त्वरण (a), गुरुत्वीय त्वरण (g) से कम होगा।

प्रश्न 5.
0.2 वेबर /मी के चुम्बकीय क्षेत्र में 10.0 सेमी पृष्ठ क्षेत्रफल की एक आयताकार कुण्डली 20.0 रेडियन/से के नियत कोणीय वेग से घूम रही है। उत्पन्न अधिकतम प्रेरित विद्युत वाहक बल ज्ञात कीजिए (2013)
हल-
आयताकार कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स
Φ = BA = (0.2) x (10 x 10-4) वेबर = 2 x 10-4 वेबर
आयताकार कुण्डली 20.0 रेडियन/से के नियत कोणीय वेग से घूम रही है अर्थात् प्रत्येक चक्कर में फ्लक्स परिवर्तन कें होगा। चूंकि कुण्डली 1 सेकण्ड में 20 चक्कर पूरे कर रही है, अत: फ्लक्स परिवर्तन की दर 20Φ होगी जो कि अभीष्ट प्रेरित विवा० बल होगा।
अतः e = 20Φ = 20 x 2 x 10-4 वोल्ट = 4.0 x 10-3 वोल्ट = 4 मिलीवोल्ट

प्रश्न 6.
एक कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स 0.1 सेकण्ड में 1 वेबर से 0.1 वेबर हो जाता है। कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल ज्ञात कीजिए। (2015)
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction VSAQ 6

प्रश्न 7.
1000 फेरों वाली एक कुण्डली में 2.5 ऐम्पियर की दिष्ट धारा प्रवाहित करने पर कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स 1.4 x 10-4 वेबर है। कुण्डली का प्रेरकत्व क्या है? (2013)
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 Electromagnetic Induction

प्रश्न 8.
एक कुण्डली से बढ़ चुम्बकीय फ्लक्स 0.1 सेकण्ड में 10 वेबर से 1 वेबर कर दिया जाता है। कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान बताइए। (2015)
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प्रश्न 9.
अन्योन्य प्रेरण गुणांक की विमा लिखिए। (2011)
उत्तर-
[ML2T-2A-2].

प्रश्न 10.
स्वप्रेरण से आप क्या समझते हैं? (2016)
या
स्वप्रेरण का अर्थ समझाइए तथा स्वप्रेरण गुणांक का विमीय सूत्र लिखिए। (2017)
उत्तर-
स्वप्रेरण- किसी कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स के मान में परिवर्तन होने पर उसी कुण्डली में प्रेरित वैद्युत वाहक बल तथा प्रेरित धारा क्त्पन्न होने की घटना को स्वप्रेरण कहते हैं। स्वप्रेरण गुणांक का विमीय सूत्र = [ML2T-2A-2]

प्रश्न 11.
स्वप्रेरण-गुणांक का विमा सूत्र लिखिए।
उत्तर-
[ML2T-2A-2]

प्रश्न 12.
8.0 मिली-हेनरी स्वप्रेरकत्व वाली कुण्डली में 2.0 ऐम्पियर धारा है। कुण्डली के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र में कितनी ऊर्जा संचित है? (2010)
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प्रश्न 13.
एक कुण्डली का स्वप्रेरकत्व 3.0 x 10-3 हेनरी है। यदि 0.1 सेकण्ड में कुण्डली की धारा का मान 5 ऐम्पियर से घट कर शून्य हो जाये तो कुण्डली में उत्पन्न स्वप्रेरित विद्युत वाहक बल की गणना कीजिए। (2011, 12)
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प्रश्न 14.
एक कुण्डली का स्वप्रेरण गुणांक 10 मिली हेनरी है। इसमें वैद्युत धारा 5 मिलीसेकण्ड में 5 ऐम्पियर से 15 ऐम्पियर हो जाती है। कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल ज्ञात कीजिए। (2016, 18)
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प्रश्न 15.
यदि प्राथमिक कुण्डली में बहने वाली 3.0 ऐम्पियर की धारा को 0.001 सेकण्ड में शून्य कर दिया जाए तो द्वितीयक कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित वाहक बल 15000 वोल्ट होता है। इन कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरण गुणांक ज्ञात कीजिए। (2017)
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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम लिखिए। (2011)
उत्तर-
फ्लेमिंग के दायें हाथ का नियम (Fleming’s Right Hand Rule)- जब कोई ऋजुरेखीय चालक तार किसी चुम्बकीय क्षेत्र में उसके लम्बवत् गति करता है तो इसमें उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम की सहायता से ज्ञात की जाती है। इस नियम के अनुसार, (UPBoardSolutions.com) यदि हम दायें हाथ का अँगूठा तथा इसके पास वाली दोनों अँगुलियों को एक साथ इस प्रकार फैलाएँ कि वे परस्पर लम्बवत् हों (चित्र 6.11), तब यदि पहली अँगुली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में तथा अँगूठा चालक की गति की दिशा में संकेत करें तो बीच वाली अँगुली चालक में प्रेरित वैद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करेगी।”
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प्रश्न 2.
फैराडे के वैद्युत-चुम्बकीय प्रेरण सम्बन्धी नियम बताइए। (2009, 11, 15, 17, 18)
उत्तर-
फैराडे के वैद्युत-चुम्बकीय प्रेरण के नियम-फैराडे ने वैद्युत-चुम्बकीय प्रेरण के निम्नलिखित दो नियम दिये हैं
(i) प्रथम नियम- “जब किसी परिपथ से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो उसमें एक विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है।” यदि परिपथ ‘बन्द’ है तो उसमें प्रेरित धारा बहने लगती है। यह धारा केवल तभी तक बहती है जब
तक कि चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है।

(ii) द्वितीय नियम- “प्रेरित विद्युत वाहक बल चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन की ऋणात्मक दर के बराबर होता है।” यदि किसी समय परिपथ से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स का मान के Φ1 है और Δt समयान्तर के बाद यह फ्लक्स हो जाता है, तो
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ऋणात्मक चिह्न यह प्रदर्शित करता है कि वि० वा० बल सदैव चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन का विरोध करता है। यह लेन्ज का नियम कहलाता है। यदि चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर वेबर प्रति सेकण्ड में लें तो प्रेरित विद्युत वाहक बल वोल्ट में होता है। यदि कुण्डली में N फेरे हों तो पूरी कुण्डली में प्रेरित वि० वा० बल
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जहाँ, NΦ कुण्डली में चुम्बकीय फ्लक्स-ग्रन्थिताओं (flux linkages) की संख्या है।

प्रश्न 3.
भंवर धाराओं के अनुप्रयोग लिखिए। (2017, 18)
उत्तर-
आँवर धाराओं के अनुप्रयोग निम्नवत् हैं-
(i) दोलन-रुद्ध धारामापी- चल-कुण्डली धारामापियों को दोलन-रुद्ध (dead beat) बनाने के लिए भंवर धाराओं का उपयोग किया जाता है। इसके लिये धारामापी की कुण्डली ताँबे के विद्युतरोधी तार को ऐलुमिनियम के फ्रेम पर लपेटकर बनायी जाती है। जब कुण्डली विक्षेपित होती है, (UPBoardSolutions.com) तो उससे बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है जिससे फ्रेम में भंवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं जो कुण्डली की गति का विरोध करती हैं। अत: कुण्डली शीघ्र ही शून्य पर लौट आती है।

(ii) प्रेरण भट्टी- प्रेरण भट्टी में पिघलाये जाने वाली धातु को एक तेजी से परिवर्तित होने वाले चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है जिसे उच्च-आवृत्ति प्रत्यावर्ती धारा से प्राप्त किया जाता है इससे धातु में प्रबल भंवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं जिनकी ऊष्मा से धातु लाल-तप्त होकर पिघल जाती है। यह प्रक्रिया खनिज पदार्थ से धातु निकालने में भी प्रयुक्त की जाती है।

(iii) प्रेरण मोटर- जब एक धात्विक बेलन किसी घूमते हुए चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो बेलन में भंवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं। ये धाराएँ, लेन्ज के नियमानुसार, (UPBoardSolutions.com) बेलन तथा चुम्बकीय क्षेत्र के बीच आपेक्षिक गति को घटाने का प्रयत्न करती हैं। अतः बेलन चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में घूमने लगता है। प्रेरण मोटर का यही सिद्धान्त है।

(iv) वैद्युत ब्रेक- विद्युत रेलगाड़ियों में पहिये की धुरी के साथ एक ड्रम लगा रहता है जो पहिये के साथ घूमता है। जब ब्रेक लगाने होते हैं, तो ड्रम पर एक प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र लगा दिया जाता है। जिससे ड्रम में भंवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं और ड्रम पहिये को रोक देता है।

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प्रश्न 4.
एक कुण्डली का क्षेत्रफल 100 सेमी है तथा इसमें 400 फेरे हैं। 0.20 वेबर/मी2 का चुम्बकीय क्षेत्र कुण्डली के तल के लम्बवत है। यदि चुम्बकीय क्षेत्र 0.1 सेकण्ड में घटकर शुन्य हो जाए तो कुण्डली में प्रेरित वि० वा० बल का मान ज्ञात कीजिए। यदि कुण्डली का प्रतिरोध 4 ओम हो तो प्रेरित धारा का मान ज्ञात कीजिए। (2013, 14)
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प्रश्न 5.
एक L लम्बाई की धातु की छड़ कोणीय आवृत्ति से अपने एक सिरे के परितः घूर्णन कर रही है। चुम्बकीय क्षेत्र B छड़ की घूर्णन अक्ष के समान्तर आरोपित है। छड़ के सिरों के बीच उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल ज्ञात कीजिए। यदि छड़ का प्रतिरोध हो तब उसमें प्रेरित धारा क्या होगी? (2014)
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प्रश्न 6.
जब एक प्राथमिक कुण्डली में धारा शून्य से 2.0 ऐम्पियर, 300 मिली सेकण्ड में परिवर्तित की जाती है तो द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल 0.80 वोल्ट है। दोनों कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरण गुणांक की गणना कीजिए। (2015)
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प्रश्न 7.
स्वप्रेरण गुणांक की परिभाषा लिखिए तथा मात्रक बताइए। (2009, 11, 13, 16, 17, 18)
या
स्वप्रेरकत्व की परिभाषा लिखिए। (2013, 14, 17)
उत्तर-
NΦ = Li तथा यदि i = 1 तो L = NΦ, अत: किसी कुण्डली का स्वप्रेरण गुणांक कुण्डली में चुम्बकीय फ्लक्स ग्रन्थिताओं के बराबर होता है, जबकि कुण्डली में एकांक धारा प्रवाहित हो रही है। संख्यात्मक रूप से प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिमाण
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अत: “किसी कुण्डली का स्वप्रेरण गुणांक संख्यात्मक (UPBoardSolutions.com) रूप से उस प्रेरित वि० वा० बल के बराबर होता है जो कुण्डली में धारा-परिवर्तन की दर एकांक अर्थात् एक ऐम्पियर प्रति सेकण्ड होने पर उत्पन्न होता है।” इसका मात्रक हेनरी होता है।

प्रश्न 8.
एक समतल वृत्ताकार कुण्डली के लिए स्वप्रेरण गुणांक का सूत्र निगमित कीजिए। (2012)
उत्तर-
माना r मीटर त्रिज्या तथा N फेरों की एक समतल वृत्ताकार कुण्डली में ऐम्पियर की वैद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। अतः कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र
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मानी कुण्डली के सम्पूर्ण तल में चुम्बकीय क्षेत्र B एकसमान है (यद्यपि कुण्डली की परिधि के समीप चुम्बकीय क्षेत्र B अधिक होता है)। अतः कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय-फ्लक्स Φ = BA
जहाँ, A कुण्डली के तल का क्षेत्रफल है; अतः A = πr²
समीकरण (1) से B का मान रखने पर,
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समीकरण (1) से स्पष्ट है कि किसी कुण्डली का स्वप्रेरकत्व बढ़ाने के लिए कुण्डली में फेरों की संख्या अधिक लेनी चाहिए। यदि कुण्डली के अन्दर. लौहचुम्बकीय पदार्थ की छड़ रख दी जाए तो कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय-फ्लक्स बढ़ जाता है, जिससे कुण्डली का स्वप्रेरकत्व बढ़ जाएगा।

प्रश्न 9.
धारावाही लम्बी परिनालिका के स्व-प्रेरकत्व का सूत्र स्थापित कीजिए। (2017, 18)
उत्तर-
माना एक लम्बी वायु-क्रोड परिनालिकों की लम्बाई l तथा परिच्छेद क्षेत्रफल A है। परिनालिका में फेरों की कुल संख्या N तथा उसमें प्रेरित धारा i है।
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प्रश्न 10.
स्वप्रेरण गुणांक की परिभाषा दीजिए। (2018)
एक प्रेरक में प्रवाहित धारा i = 2 + 5t द्वारा व्यक्त की जाती है, जहाँ i ऐम्पियर तथा t सेकण्ड में है। इसमें स्वप्रेरित विद्युत वाहक बल 10 मिलीवोल्ट है। ज्ञात कीजिए।
(i) स्वप्रेरण गुणांक तथा
(ii) t = 2 सेकण्ड पर प्रेरक में संचित ऊर्जा
हल-
[स्वप्रेरण गुणांक की परिभाषा के लिए लघु उत्तरीय प्रश्न 7 का उत्तर देखें।]
दिया है,
e = 10 मिलीवोल्ट = 10 x 10-3 वोल्ट
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प्रश्न 11.
एक प्रेरकत्व कुण्डली में वैद्युत धारा 0.3 सेकण्ड में शून्य से बढ़कर 8.0 A हो जाती है। जिसके कारण उसमें 30 V का प्रेरित वि० वा० बल उत्पन्न हो जाता है। कुण्डली का स्वप्रेरकत्व गुणांक ज्ञात कीजिए। (2014)
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प्रश्न 12.
किसी कुण्डली में 0.1 सेकण्ड में धारा शून्य से बढ़कर 5.0 ऐम्पियर हो जाती है, जिससे 20 वोल्ट का प्रेरित वैद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है। कुण्डली का स्वप्रेरण गुणांक ज्ञात कीजिए। (2016)
हल-
दिया है, समयान्तराल ∆t = 0.1 सेकण्ड
प्रेरित विद्युत वाहक बल, e = 20 वोल्ट
धारा परिवर्तन, ∆i = (5 – 0) = 5 ऐम्पियर
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प्रश्न 13.
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से क्या अभिप्राय है। किसी कुण्डली का स्वप्रेरण गुणांक 80 मिली हेनरी है। इस कुण्डली में कितने समय में धारा शून्य से बढ़कर 5 ऐम्पियर होने पर विद्युत वाहक बल 400 वोल्ट हो जायेगा? (2015)
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संक्षेप में बताइए कि लेन्ज का नियम ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त को कैसे पोषित करता है। (2009)
या
लेन्ज का नियम लिखिए। क्या यह ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त का उल्लंघन करता है? (2009, 11)
या
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण सम्बन्धी लेन्ज के नियम का उल्लेख कीजिए। यह किस संरक्षण के नियम पर आधारित है? (2015)
या
लेन्ज का नियम क्या है? (2018)
उत्तर-
लेन्ज का नियम- किसी परिपथ में प्रेरित वि० वा० बल, अथवा प्रेरित धारा, की दिशा सदैव ऐसी होती है कि यह उस कारण का विरोध करती है जिससे कि यह उत्पन्न होती है। इसे ही ‘लेन्ज का नियम’ कहते हैं। लेन्ज के नियम की पुष्टि फैराडे के प्रयोगों से हो जाती है। इन प्रयोगों में (UPBoardSolutions.com) चुम्बक की गति के कारण ही कुण्डली में प्रेरित धारा बहती है। जब हम चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली के पास लाते हैं तो कुण्डली में प्रेरित धारा ऐसी दिशा में प्रवाहित होती है कि कुण्डली का चुम्बक के सामने वाला तल उत्तरी ध्रुव की तरह कार्य करता है (चित्र 6.12 a)। अतः यह पास आते हुए चुम्बक को दूर हटाने का प्रयत्न करता है अर्थात् उसकी गति का विरोध करता है। इसी प्रकार, जब चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को।

कुण्डली से दूर हटाते हैं तो कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि कुण्डली का सामने वाला तल दक्षिणी ध्रुव की तरह कार्य करता है (चित्र 6.12 b)। अब यह चुम्बक को अपनी ओर आकर्षित करता है अर्थात् उसकी गति को पुन: विरोध करता है। ठीक इसी प्रकार, जब चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव को कुण्डली के पास ले जाते हैं अथवा दूर हटाते हैं तो कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है (UPBoardSolutions.com) कि वह चुम्बक की गति का विरोध करती है (चित्र 6.12 c तथा d)। अतः स्पष्ट है कि प्रत्येक दंशा में चुम्बक को गतिमान करने के लिए इस विरोधी बल के कारण कुछ यान्त्रिक कार्य करना पड़ता है। ऊर्जा-संरक्षण के नियमानुसार, ठीक यही कार्य हमें कुण्डली में वैद्युत-ऊर्जा (ऊष्मा) के रूप में प्राप्त होता है।

हम चुम्बक को जितना तेज चलायेंगे हमें उतनी ही तेजी से कार्य करना होगा अर्थात् प्रेरित धारा उतनी ही प्रबल होगी। यदि कुण्डली किसी स्थान पर कटी हो (परिपथ खुला हो) तब चुम्बक को चलाने पर धारा प्रेरित नहीं होगी (यद्यपि वि० वा० बल प्रेरित होगा) तथा कोई कार्य भी नहीं होगा।
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उपर्युक्त प्रयोगों में यह बात उल्लेखनीय है कि यदि कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा चुम्बक की गति का विरोध न करे तो हमें बिना कोई कार्य किये ही लगातार वैद्युत-ऊर्जा प्राप्त होती रहेगी जो कि असम्भव है। अतः लेन्ज का नियम ऊर्जा-संरक्षण के लिए एक आवश्यकता है।

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प्रश्न 2.
वैद्युत-चुम्बकीय प्रेरण क्या होता है ? वैद्युत-चुम्बकीय प्रेरण के आधार पर अन्योन्य प्रेरण की परिघटना समझाइए। अन्योन्य प्रेरण का एक उदाहरण दीजिए। (2011, 17)
या
अन्योन्य प्रेरण गुणांक की परिभाषा एवं मात्रक लिखिए। दो समतल कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरकत्व के लिए सूत्र स्थापित कीजिए। (2012)
या
अन्योन्य प्रेरण गुणांक की परिभाषा दीजिए तथा इसका मात्रक लिखिए। (2015, 17)
उत्तर-
वैद्युत-चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction)- जब किसी कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति होती है तो कुण्डली में एक वि० वा० बल उत्पन्न हो जाता है, जिसे प्रेरित विद्युत वाहक बल कहते हैं। यदि कुण्डली एक बन्द परिपथ में है तो इस प्रेरित वि० वा० बल के कारण (UPBoardSolutions.com) कुण्डली में वैद्युत धारा प्रवाहित होती है, जिसे प्रेरित धारा कहते हैं। इस घटना को वैद्युत-चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।
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अन्योन्य प्रेरण (Mutual Induction)- यदि दो कुण्डलियों को पास-पास रखकर, एक में धारा प्रवाहित करें, अथवा उसमें प्रवाहित धारा को बन्द करे, अथवा प्रवाहित धारा के मान में परिवर्तन करें तो दूसरी कुण्डली में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है। वैद्युत-चुम्बकीय प्रेरण की (UPBoardSolutions.com) यह घटना अन्योन्य प्रेरण कहलाती है। वह कुण्डली जिसमें धारा परिवर्तित होती है, प्राथमिक कुण्डली तथा जिसमें प्रेरित वि० वा० बल उत्पन्न होता है, द्वितीयक कुण्डली कहलाती है। अन्योन्य प्रेरण के उदाहरण ट्रांसफॉर्मर तथा प्रेरण कुण्डली हैं।

अन्योन्य प्रेरण-गुणांक अथवा अन्योन्य प्रेरकत्व– (i) यदि प्राथमिक कुण्डली में ip ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होने से द्वितीयक कुण्डली में प्रत्येक फेरे से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स Φs, हो और द्वितीयक कुण्डली में कुल Ns फेरे हों, तो द्वितीयक कुण्डली से बद्ध कुल चुम्बकीय फ्लक्स NsΦs होगा, जो प्राथमिक कुण्डली में प्रवाहित धारा ip के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात्
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अत: ‘दो कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरण-गुणांक किसी एक कुण्डली के उस प्रेरित वि० वी० बल के संख्यात्मक मान के बराबर होता है जो कि दूसरी कुण्डली में धारा-परिवर्तन की दर एकांक होने पर उत्पन्न होता है।” अन्योन्य प्रेरण-गुणांक का मात्रक हेनरी है तथा विमा [ML2T-2A-2] है।

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UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease

UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease (मानव स्वास्थ्य तथा रोग) are part of UP Board Solutions for Class 12 Biology. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease (मानव स्वास्थ्य तथा रोग).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Biology
Chapter Chapter 8
Chapter Name Human Health and Disease
Number of Questions Solved 46
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease (मानव स्वास्थ्य तथा रोग)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कौन-से विभिन्न जन स्वास्थ्य उपाय हैं जिन्हें आप संक्रामक रोगों के विरुद्ध रक्षा-उपायों के रूप में सुझायेंगे?
उत्तर
संक्रामक रोगों के विरुद्ध हम निम्नलिखित जन-स्वास्थ्य उपायों को सुझायेंगे –

  1. अपशिष्ट व उत्सर्जी पदार्थों का समुचित निपटान होना।
  2. संक्रमित व्यक्ति व उसके सामान से दूर रहना।
  3. नाले-नालियों में कीटनाशकों का छिड़काव करना।
  4. आवासीय स्थलों के निकट जल-ठहराव को रोकना, नालियों के गंदे पानी की समुचित निकासी होना।
  5. संक्रामक रोगों की रोकथाम हेतु वृहद स्तर पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाये जाना।

प्रश्न 2.
जीव विज्ञान (जैविकी) के अध्ययन ने संक्रामक रोगों को नियन्त्रित करने में किस प्रकार हमारी सहायता की है?
उत्तर
जीव विज्ञान (जैविकी) के अध्ययन ने संक्रामक रोगों को नियन्त्रित करने में हमारी सहायता निम्नलिखित प्रकार से की है –

  1. जीव विज्ञान रोगजनकों को पहचानने में हमारी सहायता करता है।
  2. रोग फैलाने वाले रोगजनकों के जीवन चक्र का अध्ययन किया जाता है।
  3. रोगजनक के मनुष्य में स्थानान्तरण की क्रिया-विधि की जानकारी होती है।
  4. रोग से किस प्रकार सुरक्षा की जा सकती है, ज्ञात होता है।
  5. बहुत से रोगों के विरुद्ध इन्जेक्शन तैयार करने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित रोगों का संचरण कैसे होता है?

  1. अमीबता
  2. मलेरिया
  3. ऐस्कैरिसता
  4. न्यूमोनिया।

उत्तर
1. अमीबता (Amoebiasis) – अमीबता या अमीबी अतिसार (amoebic dysentery) नामक रोग मानव की वृहद् आंत्र में पाए जाने वाले एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका (Entumoeba histobytica) नामक प्रोटोजोआ परजीवी से होता है। इस रोग के लक्षण कोष्ठबद्धता (कब्ज), उदर पीड़ा और ऐंठन, अत्यधिक श्लेष्म और रुधिर के थक्के वाला मल आदि हैं। इस रोग की वाहक घरेलू मक्खियाँ होती हैं जो परजीवी को संक्रमित व्यक्ति के मल से खाद्य और खाद्य पदार्थों तक ले जाकर उन्हें संदूषित (contaminated) कर देती हैं। संदूषित पेयजल और खाद्य पदार्थ संक्रमण के प्रमुख स्रोत हैं। इससे बचने के लिए स्वच्छता के नियमों का पालन करना चाहिए और खाद्य पदार्थों को ढककर रखना चाहिए।

(ख) मलेरिया (Malaria) – इस रोग के लिए प्लाज्मोडियम (Plasmodium) नामक प्रोटोजोआ उत्तरदायी है। मलेरिया के लिए प्लाज्मोडियम की विभिन्न प्रजातियाँ (जैसे–प्ला० वाइवैक्स, प्ला० मैलेरिआई, प्ला० फैल्सीपेरम) तथा प्ला० ओवेल उत्तरदायी हैं। इनमें से प्ला० फैल्सीपेरम (Plasmodium fulsipurum) द्वारा होने वाला दुर्दम (malignant) मलेरिया सबसे गम्भीर और घातक होता है। इसके संक्रमण के कारण रक्त केशिकाओं में थ्रोम्बोसिस हो जाने के कारण ये अवरुद्ध हो जाती हैं और रोगी की मृत्यु हो जाती है।

मादा ऐनोफेलीज रोगवाहक अर्थात् रोग का संचारण करने वाली है। जब मादा ऐनोफेलीज मच्छर किसी. संक्रमित व्यक्ति को काटती है तो परजीवी उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और जब संक्रमित मादा मच्छर किसी अन्य स्वस्थ मानव को काटती है तो स्पोरोज्वाइट्स (sporozoites) मादा मच्छर की लार से मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। मलेरिया में ज्वर की पुनरावृत्ति एक निश्चित अवधि (48 या 72 घण्टे) के पश्चात् होती रहती है। इसमें लाल रक्त कणिकाओं की निरन्तर क्षति होती रहती है।

(ग) ऐस्कैरिसता (Ascariasis) – यह रोग आंत्र परजीवी ऐस्कैरिस (Ascaris) से होता है। इस रोग के लक्षण आन्तरिक रुधिरस्राव, पेशीय पीड़ा, ज्वर, अरक्तता, आंत्र का अवरोध आदि है। इस परजीवी के अण्डे संक्रमित व्यक्ति के मल के साथ बाहर निकल आते हैं और मिट्टी, जल, पौधों आदि को संदूषित कर देते हैं। स्वस्थ व्यक्ति में संक्रमण संदूषित पानी, शाक-सब्जियों, फलों, वायु आदि से होता है। इससे रक्ताल्पता (anaemia), दस्त (diarrhoea), उण्डुकपुच्छ शोध (appendicitis) आदि रोग हो जाते हैं। कभी-कभी ऐस्कैरिस के लार्वा पथ भ्रष्ट होकर विभिन्न अंगों में पहुँचकर क्षति पहुँचाते हैं।

(घ) न्यूमोनिया (Pneumonia) – मानव में न्यूमोनिया रोग के लिए स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी (Streptococcus pneumoniae) और हिमोफिलस इंफ्लुएन्ज़ी (Haemophilus influenzae) जैसे जीवाणु उत्तरदायी हैं। इस रोग में फुफ्फुस अथवा फेफड़ों (lungs) के वायुकोष्ठ संक्रमित हो जाते हैं। इस रोग के संक्रमण से वायुकोष्ठों में तरल भर जाता है जिसके कारण साँस लेने में परेशानी होती है। इस रोग के लक्षण ज्वर, ठिठुरन, खाँसी और सिरदर्द आदि हैं। न्यूमोनिया विषाणुजनित एवं कवक जनित भी होता है।

प्रश्न 4.
जलवाहित रोगों की रोकथाम के लिये आप क्या उपाय अपनायेंगे?
उत्तर

  1. सभी जल स्रोतों; जैसे- जल कुण्ड, पानी के टैंक इत्यादि की नियमित सफाई करनी चाहिये तथा इन्हें असंक्रमित रखना चाहिये।
  2. वाहित मल एवं कूड़ा-करकट आदि को जलीय स्रोतों में बहाने से रोकना चाहिये।
  3. भोजन बनाने के लिये, पीने के लिये व अन्य घरेलू कार्यों हेतु परिष्कृत (संक्रमण, निलम्बित व घुले हुए पदार्थों से स्वतन्त्र) जल का उपयोग करना चाहिये।

प्रश्न 5.
डी०एन०ए० वैक्सीन के सन्दर्भ में ‘उपयुक्त जीन के अर्थ के बारे में अपने अध्यापक से चर्चा कीजिए।
उत्तर
DNA वैक्सीन में उपयुक्त जीन’ का अर्थ है कि इम्युनोजेनिक प्रोटीन का निर्माण इसे नियन्त्रित करने वाले जीन से हुआ है। ऐसे जीन क्लोन किये जाते हैं तथा फिर वाहक के साथ समेकित करके व्यक्ति में प्रतिरक्षा उत्पन्न करने के लिए उसके शरीर में प्रवेश कराये जाते हैं।

प्रश्न 6.
प्राथमिक और द्वितीयक लसिकाओं के अंगों के नाम बताइये।
उत्तर

  1. प्राथमिक लसिका अंग- अस्थिमज्जा व थाइमस हैं।
  2. द्वितीयक लसिकाएँ- प्लीहा, लसिका नोड्स, टॉन्सिल्स, अपेन्डिक्स व छोटी आँत के पियर्स पैचेज आदि हैं।

प्रश्न 7.
इस अध्याय में निम्नलिखित सुप्रसिद्ध संकेताक्षर इस्तेमाल किये गये हैं। इनका पूरा रूप बताइये –

  1. एम०ए०एल०टी०
  2. सी०एम०आई०
  3. एड्स
  4. एन०ए०सी०ओ
  5. एच०आई०वी०

उत्तर

  1. एम०ए०एल०टी० (MALT) – म्यूकोसल एसोसिएटिड लिम्फॉइड टिशू (Mucosal Associated Lymphoid Tissue)
  2. सी०एम०आई० (CMI) – सेल मीडिएटिड इम्यूनिटी (Cell Mediated Immunity)।
  3. एड्स (AIDS) – एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएन्सी सिन्ड्रोम (Acquired Immuno | Deficiency Syndrome)।
  4. एन०ए०सी०ओ० (NACO) – नेशनल एड्स कन्ट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (National AIDS Control Organisation)
  5. एच०आई०वी० (HIV) – ह्यमन इम्यूनो डेफिशिएन्सी वायरस (Human Immuno Deficiency Virus)।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में भेद कीजिए और प्रत्येक के उदाहरण दीजिए –
(क) सहज (जन्मजात) और उपार्जिल प्रतिरक्षा
(ख) सक्रिय और निष्क्रिय प्रतिरक्षा। (2009)
उत्तर
(क) सहज (जन्मजात) और उपार्जित प्रतिरक्षा में अन्तर
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease img-1

(ख) सक्रिय और निष्क्रिय प्रतिरक्षा में अन्तर
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease img-2
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease img-3

प्रश्न 9.
प्रतिरक्षी (प्रतिपिण्ड) अणु का अच्छी तरह नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर
प्रतिरक्षी (प्रतिपिण्ड) अणु
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease img-4

प्रश्न 10.
वे कौन-कौन से विभिन्न रास्ते हैं जिनके द्वारा मानव में प्रतिरक्षान्यूनता विषाणु (एच०आई०वी०) का संचारण होता है?
उत्तर
एच०आई०वी० के संचारण के निम्न कारण हैं –

  1. संक्रमित रक्त व रक्त उत्पादों के आधान से।
  2. संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध।
  3. इन्ट्रावीनस औषधि के आदी व्यक्तियों में संक्रमित सुइयों का साझा करके।

प्रश्न 11.
वह कौन-सी क्रियाविधि है जिससे एड्स विषाणु संत व्यक्ति के प्रतिरक्षा तन्त्र का ह्रास करता है?
उत्तर

  1. संक्रमित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने के पश्चात् एड्स विषाणु वृहद् भक्षकाणु (macrophage) में प्रवेश करता है।
  2. यहाँ इसका RNA जीनोम, विलोम ट्रांसक्रिप्टेज विकर (reverse transcriptase enzyme) की मदद से, रेप्लीकेशन (replication) द्वारा विषाणुवीय DNA (viral DNA) बनाता है जो कोशिका में DNA में प्रविष्ट होकर, संक्रमित कोशिकाओं में विषाणु कण निर्माण का निर्देशन करता है।
  3. वृहद् भक्षकाणु विषाणु उत्पादन जारी रखते हैं व HIV की उत्पादन फैक्टरी का कार्य करते हैं।
  4. HIV सहायक T-लसीकाणु में प्रविष्ट होकर अपनी प्रतिकृति बनाता है व संतति विषाणु उत्पन्न करता है।
  5. रक्त में उपस्थित संतति विषाणु अन्य सहायक T-लसीकाणुओं पर आक्रमण करते हैं।
  6. यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है जिसके परिणामस्वरूप संक्रमित व्यक्ति के शरीर में T-लसीकाणुओं की संख्या घटती रहती है।
  7. रोगी ज्वर व दस्त से निरन्तर पीड़ित रहता है, वजन घटता जाता है, रोगी की प्रतिरक्षा इतनी कम हो जाती है कि वह इन प्रकार के संक्रमणों से लड़ने में असमर्थ होता है।

प्रश्न 12.
प्रसामान्य कोशिका से कैंसर कोशिका किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर

  1. एक प्रसामान्य कोशिका में कोशिका वृद्धि व कोशिका विभेदन अत्यन्त नियन्त्रित व नियमित होते हैं।
  2. प्रसामान्य कोशिका में संस्पर्श संदमन (contact inhibition) नामक गुण होता है जिसके कारण अन्य कोशिकाओं में इसका स्पर्श अनियन्त्रित वृद्धि का संदमन करता है।
  3. इसके विपरीत कैंसर कोशिका में यह गुण समाप्त हो जाता है, अत: इन कोशिकाओं में वृद्धि व विभेदन अनियन्त्रित हो जाते हैं।
  4. इसके परिणामस्वरूप कैंसर कोशिकायें निरन्तर वृद्धि करके कोशिकाओं में एक पिण्ड, रसौली (tumour) बना देती हैं।

प्रश्न 13.
मेटास्टेसिस का क्या मतलब है? व्याख्या कीजिये।
उत्तर

  1. मेटास्टेसिस में कैंसर कोशिकाओं के अन्य ऊतकों व अंगों में स्थानान्तरण से कैंसर फैलता है। परिणामस्वरूप द्वितीयक ट्यूमर का निर्माण होता है।
  2. यह प्राथमिक ट्यूमर की अति वृद्धि के परिणामस्वरूप फैलता है।
  3. अति वृद्धि करने वाली ट्यूमर कोशिकायें रक्त वाहिनियों में से गुजरती हैं या सीधे द्वितीयक बनाती हैं।
  4. दूसरे उपयुक्त ऊतक या अंग पर पहुँचने के बाद, एक नया ट्यूमर बनता है।
  5. यह बना ट्यूमर, जो द्वितीयक बना सकते हैं, घातक ट्यूमर कहलाता है।
  6. वे कोशिकाएँ जो ट्यूमर से फैलने के योग्य होती हैं, घातक (malignant) कोशिकायें होती हैं।

प्रश्न 14.
ऐल्कोहॉल/ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभावों की सूची बनाइये।
उत्तर
ऐल्कोहॉल/ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं –

  1. अत्यधिक मात्रा में लेने पर इन पदार्थों से श्वसन निष्क्रियता, हृदय- घात, कोमा व मृत्यु भी हो सकती है।
  2. मादक पदार्थों के व्यसनी पैसे न मिलने पर चोरी का सहारा ले सकते हैं। अत: परिवार/समाज के लिये मानसिक व आर्थिक कष्ट हो सकता है।
  3. ऐल्कोहॉल के चिरकारी प्रयोग से तन्त्रिका तन्त्र व यकृत को क्षति पहुँचती है।
  4. रक्त शिरा में इन्जेक्शन द्वारा ड्रग्स लेने पर एड्स व यकृत शोथ-बी जैसे गम्भीर संक्रमण की सम्भावना बढ़ जाती है।
  5. गर्भावस्था के दौरान मादक पदार्थों का प्रतिकूल प्रभाव भ्रूण पर पड़ता है।
  6. अन्धाधुन्ध व्यवहार, बर्बरता व हिंसा का बढ़ना।
  7. महिलाओं में उपापचयी स्टेराइड के सेवन से पुरुष; जैसे- लक्षण, आक्रामकता, भावनात्मकता स्थिति में उतार-चढ़ाव, अवसाद, असामान्य आर्तवचक्र, मुंह व शरीर पर बालों की अतिरिक्त वृद्धि, आवाज का भारी होना आदि दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं।
  8. पुरुषों में मुहाँसे, आक्रामकता का बढ़ना, अवसाद, वृषणों के आकार का घटना, शुक्राणु उत्पादन की कमी, समय से पूर्व गंजापन आदि लक्षण ड्रग्स सेवन के कुप्रभाव हैं।

प्रश्न 15.
क्या आप ऐसा सोचते हैं कि मित्रगण किसी को ऐल्कोहॉल/डग सेवन के लिये प्रभावित कर सकते हैं? यदि हाँ, तो व्यक्ति ऐसे प्रभावों से कैसे अपने आपको बचा सकते हैं?
उत्तर
मित्रगण किसी को ऐल्कोहॉल/ड्रग लेने के लिये प्रभावित कर सकते हैं। युवा प्रायः ऐसे मित्रों के चंगुल में फंस जाते हैं जो मादक द्रव्यों के आदी हो चुके होते हैं। ऐसे मित्र युवाओं को धीरे-धीरे मादक पदार्थों के सेवन की लत लगा देते हैं तथा युवा इन पदार्थों के चंगुल में बुरी तरह फंस जाते हैं।
स्वयं को इस प्रकार के प्रभाव से बचाने के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं –

  1. प्रथम माता-पिता व अध्यापकों का विशेष उत्तरदायित्व है। ऐसा लालन-पालन जिसमें पालन-पोषण का स्तर ऊँचा हो व सुसंगत अनुशासन हो।
  2. ऐसे मित्रों के चंगुल में आने पर तुरन्त अपने माता-पिता व समकक्षियों से मदद व उचित मार्गदर्शन लें।
  3. समस्याओं व प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने, निराशाओं व असफलताओं को जीवन का एक हिस्सा समझकर स्वीकार करने की शिक्षा व परामर्श लेना इस प्रकार के प्रभाव से बचने में सहायक होता है।
  4. क्षमता से अधिक कार्य करने के दबाव से बचें।

प्रश्न 16.
ऐसा क्यों है कि जब कोई व्यक्ति ऐल्कोहॉल या ड्रग लेना शुरू कर देता है तो उस आदत से छुटकारा पाना कठिन होता है? अपने अध्यापक से चर्चा कीजिये।
उत्तर

  1. ड्रग/ऐल्कोहॉल लाभकारी है। इसी सोच के कारण व्यक्ति इसे बार-बार लेता है। डुग/ऐल्कोहॉल के प्रति लत मनोवैज्ञानिक आशक्ति है।
  2. ड्रग/ऐल्कोहॉल के बार-बार सेवन से शरीर में मौजूद ग्राहियों का सहन स्तर बढ़ जाता है। जिसके कारण अधिकाधिक मात्रा में ड्रग लेने की आदत पड़ जाती है।
  3. इस प्रकार ऐल्कोहॉल/डूग व्यसनी शक्ति प्रयोग करने वाले को दोषपूर्ण चक्र में घसीट लेती है। तथा व्यक्ति इनका नियमित सेवन करने लगता है और इस चक्र में फंस जाता है।

प्रश्न 17.
आपके विचार से किशोरों को ऐल्कोहॉल या ड्रग के सेवन के लिये क्या प्रेरित करता है और इससे कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर

  1. जिज्ञासा, जोखिम उठाने व उत्तेजना के प्रति आकर्षण व प्रयोग करने की इच्छा प्रमुख कारण है जो नवयुवकों को ऐल्कोहॉल/ड्रग्स के लिये अभिप्रेरित करते हैं।
  2. इन पदार्थों के प्रयोग को फायदे के रूप में देखना भी एक अन्य कारण है।
  3. शिक्षा के क्षेत्र या परीक्षा में आगे रहने के दबाव से उत्पन्न तनाव भी नवयुवकों को मादक पदार्थों की ओर खींच सकता है।
  4. युवकों में यह भी प्रचलन है कि धूम्रपान, ऐल्कोहॉल, ड्रग्स आदि का प्रयोग व्यक्ति की प्रगति का सूचक है।
  5. सामाजिक एकाकीपन, कामवासना में वृद्धि का अनुभव, जीवन के प्रति नीरसता, मानसिक क्षमता में वृद्धि की मिथ्या धारणा, क्षणिक स्वर्गिक आनंद की अभिलाषा व कुसंगति का प्रभाव नवयुवकों को इन पदार्थों के प्रति आकर्षित करता है।
  6. इसको नजरअंदाज करने के लिये रोकथाम व नियन्त्रण सम्बन्धी उपाय कारगर हो सकते हैं।
  7. पढ़ाई, खेल-कूद, संगीत, योग के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य गतिविधियों में ऊर्जा लगानी चाहिये।
  8. युवाओं के व्यसनी होने पर योग्य मनोवैज्ञानिक की सहायता ली जानी चाहिये।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निद्रा रोग किस जन्तु के द्वारा होता है? (2015)
(क) यूग्लीना
(ख) प्लाज्मोडियम
(ग) ट्रिपैनोसोमा
(घ) अमीबा
उत्तर
(ग) ट्रिपैनोसोमा

प्रश्न 2.
चिकनगुनिया विषाणु का वाहक है – (2017)
(क) क्यूलेक्स मच्छर
(ख) एडीज मच्छर
(ग) एनोफिलीज मच्छर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(ख) एडीज मच्छर

प्रश्न 3.
एडिस इजिप्टियाई वाहक है – (2017)
(क) डेंगू बुखार का
(ख) मलेरिया बुखार का
(ग) फाइलेरिया का
(घ) कालाजार का
उत्तर
(क) डेंगू बुखार का

प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सा जीवाणु-जनित मानव रोग है? (2014)
(क) पोलियो
(ख) पायरिया
(ग) अतिसार
(घ) हाथीपाँव
उत्तर
(ग) अतिसार

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-सा रोग विषाणुओं द्वारा नहीं उत्पन्न होता है? (2016)
(क) पोलियो
(ख) चेचक
(ग) एड्स
(घ) टी०बी०
उत्तर
(घ) टी०बी०

प्रश्न 6.
विषाणु संक्रमण से रक्षा के लिए शरीर निम्नलिखित में से किस विशेष प्रकार के प्रोटीन को उत्पन्न करता है? (2014)
(क) हॉर्मोन्स
(ख) एन्जाइम
(ग) प्लाज्मिड्म
(घ) इण्टरफेरॉन
उत्तर
(घ) इण्टरफेरॉन

प्रश्न 7.
लिम्फोसाइट्स का निर्माण निम्नलिखित में से किसमें होता है? (2015)
(क) लसीका में
(ख) यकृत में
(ग) आमाशय में
(घ) वृक्क में
उत्तर
(क) लसीका में

प्रश्न 8.
टी०बी० के टीके का नाम है – (2017)
(क) PAS
(ख) OPV
(ग) DPT
(घ) BCG
उत्तर
(घ) BCG

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य में विषाणु जनित कुछ प्रमुख रोगों के नाम लिखिए। (2010, 15)
उत्तर
चेचक (small pox), हरपीज (herpes), आर्थराइटिस (arthritis) आदि डी०एन०ए० वाइरस (DNA virus) द्वारा तथा पोलियो (polio), डेंगू ज्वर (dengue fever), कर्णफेर (mumps), खसरा (measles), रेबीज (rabies) आदि आर०एन०ए० वाइरस (RNA virus) द्वारा उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 2.
स्वाइन फ्लू के कारक अभिकर्ता का नाम, रोग के लक्षण तथा बचाव के उपाय बताइए। (2017)
उत्तर
स्वाइन फ्लू एक विषाणु जनित रोग है। इसकी अनेक स्ट्रेन्स पायी जाती हैं जिन्हें H1N1, H1N2, H3N1 आदि नामों से जाना जाता है। इस विषाणु का संक्रमण सुअरों के सम्पर्क में रहने से होता है।

इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं, तीव्र सिरदर्द, बुखार, ठण्ड लगना, शरीर में दर्द, मितली आना, वमन, नाक का बहना, गले में जलन व खराश, साँस लेने में कठिनाई, सुस्ती, थकान एवं भूख का न लगना
आदि।

इस रोग से बचाव के लिए हाथों एवं नाखून की उचित सफाई करनी चाहिए, छींकते एवं खाँसते समय मुंख को ढक लेना चाहिए, रोग ग्रसित व्यक्ति से कम-से-कम एक मीटर की दूरी बनाकर रहना चाहिए।

प्रश्न 3.
एस्केरिस के लार्वा में कितने त्वक पतन होते हैं? (2017)
उत्तर
एस्केरिस के लार्वा में चार त्वक पतन होते हैं।

प्रश्न 4.
विसंक्रमण क्या है? (2014)
उत्तर
वह कोई भी प्रक्रिया जिसके द्वारा संक्रामक एजेण्टों; जैसे- कवक, जीवाणु, विषाणु, बीजाणु आदि को मार दिया जाता है, विसंक्रमण कहलाती है। यह क्रिया गर्म करके, ठण्डा करके, रासायनिक प्रक्रिया, उच्च दाब आदि द्वारा सम्पादित की जाती है।

प्रश्न 5.
स्वास्थ्य के क्षेत्र में अलेक्जेण्डर फ्लेमिंग के योगदान का उल्लेख कीजिए। (2015)
उत्तर
अलेक्जेण्डर फ्लेमिंग ने पेनिसिलिन नामक सर्वप्रथम प्रतिजैविक का निर्माण किया था।

प्रश्न 6.
मानव शरीर की प्राकृतिक विनाशी कोशिकाएँ किन्हें कहते हैं? (2015)
उत्तर
श्वेत रुधिराणु – लिम्फोसाइट्स को मानव शरीर की प्राकृतिक विनाशी कोशिकाएँ कहते हैं।

प्रश्न 7.
यदि मानव शरीर से थाइमस ग्रन्थि निकाल दी जाय तो उसके प्रतिरोधी संस्थान पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (2017)
उत्तर
थाइमस मानव शरीर में प्राथमिक लसीकाभ अंग है, जहाँ अपरिपक्व लसीकाणु, प्रतिजन संवेदनशील लसीकाणुओं में विभेदित होते हैं। यदि शरीर से थाइमस ग्रन्थि को निकाल दिया जाये तो इन लसीकाणुओं का प्रतिजन संवेदनशील लसीकाणुओं में विभेदन नहीं हो पायेगा।।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका तथा एण्टअमीबा जिन्जीवेलिस मानव शरीर में कहाँ पाये जाते हैं? इनसे उत्पन्न मनुष्य में एक-एक रोग का नाम लिखिए। (2013, 14)
उत्तर
एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका – यह मनुष्य की आंत्र में अन्त:परजीवी के रूप में पाया जाता है। यह मनुष्य में अमीबिएसिस या अमीबिक पेचिश (Amoebiasis or Amoebic dycentry) रोग उत्पन्न करता है।

एण्टअमीबा जिन्जीवेलिस – यह मनुष्य के मसूड़ों में परजीवी के रूप में पाया जाता है। यह मनुष्य में पाइरिया रोग उत्पन्न करता है।

प्रश्न 2.
प्रोटोजोआ द्वारा उत्पन्न होने वाले किन्ही दो रोगों के नाम लिखिये। इनमें से किसी एक रोग के जनक, लक्षण एवं रोकथाम का उल्लेख कीजिए। (2013)
या
अमीबीय पेचिश क्या है? इसके लक्षण, रोकथाम एवं चिकित्सा का उल्लेख कीजिए। (2014, 16)
या
एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका के संक्रमण से बचने के लिए चार महत्त्वपूर्ण उपायों का उल्लेख कीजिए। (2013)
या
पेचिश या अमीबता रोग के रोगजनक का नाम लिखिए तथा इस रोग के लक्षण एवं उपचार बताइए। (2015)
या
अमीबिक पेचिश पर टिप्पणी लिखिए। (2015)
या
टिप्पणी लिखिए-पेचिश। (2015)
उत्तर
प्रोटोजोआ द्वारा उत्पन्न होने वाले दो रोगों का नाम निम्नवत् है –
(i) मलेरिया
(ii) अमीबिक पेचिश या अमीबिएसिस

अमीबिएसिस अथवा अमीबिक पेचिश
आमातिसार अथवा अमीबिएसिस नामक बीमारी एक प्रोटोजोआ एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका (Entomoeba histolytica) द्वारा होती है। एण्टअमीबा (Entamoeba) की ट्रोफोजाइट (trophozoite) अवस्था बड़ी आँत में हिस्टोलायटिक (histolytic) विकर स्रावित करके घाव (ulcer) पैदा कर देती है। इन घावों से रक्त, म्यूकस आदि मल के साथ पेचिश के रूप में बाहर आता है। ये परजीवी चतुष्केन्द्रीय पुटिकाओं (cysts) के रूप में रोगी के मल के साथ बाहर आते हैं तथा संक्रमित भोजन एवं जल द्वारा दूसरे मानवों में पहुँचकर रोग फैलाते हैं। इस रोग को फैलाने में घरेलू मक्खियों का भी बड़ा हाथ रहता है। कभी-कभी यह परजीवी फेफड़ों, यकृत व मस्तिष्क में पहुंचकर सूजन व घाव का कारक बनता है।
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease img-5

इस रोग के होने पर पेट में दर्द व ऐंठन रहती है, वमन की इच्छा होती है व पेट भारी रहता है, सिर में दर्द व शरीर कमजोर हो जाता है। श्लेष्मा व रक्तयुक्त दस्त हो जाते हैं। रोगी की आँखों के आस-पास काले घेरे बन जाते हैं व चेहरा मुरझा जाता है। एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका परजीवी अण्डाकार व शरीर 20μ – 30μ व्यास का होता है। इसका शरीर एक मोटे, भौथरे (blunt) पाद युक्त होता है। कोशिकाद्रव्य एन्डोप्लाज्म व एक्टोप्लाज्म में विभाजित रहता है। कुंचनशीलधानी अनुपस्थित होती है, माइटोकॉण्डिया आदि अंगक थोड़े ही होते हैं। यह परजीवी विश्व के लगभग 10% व्यक्तियों में पाया जाता है व सिर्फ 3% को ही प्रभावित करता है।

रोकथाम व उपचार (Control and Treatment) – भोजन को अच्छी तरह से पकाकर खाना चाहिए तथा फल आदि ठीक प्रकार से धोने चाहिए। नियमित रूप से नहाना, नाखून काटना, भोजन से पूर्व हाथ धोने चाहिए। स्वच्छ जल का प्रयोग करना चाहिए। रोगी को स्वस्थ मनुष्यों से अलग रखना चाहिए। रोग हो जाने पर फ्यूमेजिलिन (fumagilin), इरथ्रोमायसिन (erythromycin), बायोमीबिक-D (biomebic-D), डिपेन्डॉल-m (dependal-m), डायडोक्विन (diadoquin), ट्राइडेजॉल (tridazole), मेट्रोजिल (metrogyle), एम्जोल (amzole), ह्यमेटिन (humatin) आदि औषधियों का प्रयोग लाभकारी होता है।

प्रश्न 3.
प्रतिरक्षा तन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी खोज करने वाले वैज्ञानिक का नाम लिखिए। (2015, 17, 18)
उत्तर
प्रतिरक्षा तन्त्र तथा प्रतिरोधी क्षमता
सामान्य भाषा में किसी प्राणि के शरीर द्वारा किसी रोग विशेष के रोगजनक (pathogen) के प्रति रोग उत्पन्न करने में प्रतिरोध करने की शक्ति को प्रतिरोध क्षमता या प्रतिरक्षा या असंक्राम्यता (immunity) कहा जाता है। जिस प्राणि में यह शक्ति होती है, वह रोधक्षम या प्रतिरक्षित या असंक्राम्य (immune) कहलाता है; जैसे- जिन व्यक्तियों में एक बार चेचक का संक्रमण हो जाता है, उनमें चेचक का संक्रमण पुनः जीवन भर नहीं होता।

इसका कारण यह है कि एक बार संक्रमित मनुष्य के शरीर के रुधिर में चेचक के विषाणु के प्रति प्रतिरोध क्षमता या असंक्राम्यता उत्पन्न करने की शक्ति रहती है, जो असंक्रमित मनुष्य के रुधिर में नहीं होती। एक बार संक्रमित मनुष्य के रुधिर में कुछ ऐसे पदार्थ उत्पन्न हो जाते हैं; जो उसी प्रकार के विषाणु के शरीर पर पुनः संक्रमण की क्रिया को रोकते हैं। यही शक्ति शरीर में रोग न होने देने की क्षमता रखती है अथवा रोग-प्रतिरोध करती है। अत: यह रोगरोधक क्षमता ही प्रतिरक्षा, असंक्राम्यता अथवा प्रतिरोध क्षमता (immunity) कहलाती है।

रूस के वैज्ञानिक एली मैचनीकॉफ (Elie Metchnikoff, 1884) ने सर्वप्रथम भक्षाणुओं द्वारा शरीर में आये सूक्ष्मजीवों की प्रतिरोधक क्षमता या प्रतिरक्षी क्रियाओं का वर्णन ‘फैगोसाइटोसिस (phagocytosis) या कोशिका भक्षण के नाम से प्रस्तुत किया। बाद में मैचनीकॉफ को 1908 ई० में नोबेल पुरस्कार (Noble prize) से भी सम्मानित किया गया।

यद्यपि अनेक बार लुई पाश्चर (Louis Pasteur) को उनके सूक्ष्म जीवों के कार्य के लिए प्रतिरक्षा विज्ञान के जनक’ (father of immunology) के रूप में सम्मानित किया जाता है। यद्यपि अन्य लोग एमिल वॉन बैहरिंग (Emil Von Behring) को ‘फादर ऑफ इम्यूनोलॉजी’ कहते हैं। ऐबामोफ (Abamoff, 1970) के अनुसार, प्रतिरोध क्षमता शरीर की वह क्षमता है, जो अपने से बाहर के पदार्थों को नष्ट कर देती है अथवा बाहर निष्कासित करके रोगजनकों से अपनी सुरक्षा करने में सक्षम होती है।

प्रश्न 4.
कोशिका भक्षण को संक्षेप में वर्णन कीजिए तथा इसके उपयोग लिखिए। (2014)
या
टिप्पणी लिखिए – भक्षी कोशिका (2015)
उत्तर
श्वेत रुधिराणुओं में पादाभों द्वारा भ्रमण करने की क्षमता पायी जाती है। ये रुधिर के बहाव की उल्टी दिशा में भी भ्रमण कर सकते हैं। यही नहीं ये महीन केशिकाओं की दीवार के छिद्रों से निकलकर ऊतक द्रव्य में भी जाते रहते हैं। ऊतकों में जाकर अधिकांश श्वेत रुधिराणु जीवाणुओं, विषाणुओं, विष पदार्थों, टूटी-फूटी कोशिकाओं तथा अन्य अनुपयोगी निर्जीव कणों का अपने पादाभों द्वारा अन्तर्ग्रहण करते रहते हैं। इस प्रक्रिया को कोशिका भक्षण तथा श्वेत रुधिराणुओं को भक्षी कोशिका कहते हैं।

इस प्रक्रिया का प्रमुख उपयोग यह है कि इसके द्वारा हमारे शरीर में उपस्थित अनुपयोगी तत्त्वों का निराकरण होता रहता है।

प्रश्न 5.
इण्टरफेरॉन्स (interferons) क्या हैं? प्रतिरक्षी अनुक्रिया में इनका महत्त्व (कार्य) समझाइए। (2017)
या
‘इण्टरफेरॉन्स’ पर टिप्पणी लिखिए। (2015)
या
‘इण्टरफेरॉन के विषय में आप क्या जानते हैं? उस वैज्ञानिक का नाम बताइए जिसने इसका पता लगाया। इसकी रासायनिक प्रकृति एवं शारीरिक प्रतिरक्षा अनुक्रिया में महत्त्व बताइए। (2014)
या
इण्टरफेरॉन क्या हैं? इनका कार्य लिखिए। (2015)
या
इण्टरफेरॉन की परिभाषा एवं कार्य लिखिए। (2016)
उत्तर
इण्टरफेरॉन्स इण्टरफेरॉन्स (interferons) कशेरुकी जन्तुओं में वाइरस से संक्रमित कोशिकाओं द्वारा स्रावित एक ग्लाइकोप्रोटीन पदार्थ है जो इन कोशिकाओं को वाइरसों से संक्रमण के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करते हैं। इण्टरफेरॉन का उपयोग वाइरस संक्रमण के लिए रोग निवारक (therapeutic) तथा निरोधक (preventive) औषधियों के रूप में किया जाता है। आइसक्स तथा लिण्डनमैन (Isaacs and Lindenmann) ने सन् 1957 में इस प्रकार की प्रोटीन का पता लगाया और चूँकि इसके द्वारा अन्त:कोशिकीय विषाणुओं के गुणन को रोका (interfere) जाता है इसलिए इसको इण्टरफेरॉन (interferon) कहा गया।

ऐसा समझा जाता है कि इण्टरफेरॉन्स विषाणु केन्द्रकीय अम्ल (nucleic acid) संश्लेषक तन्त्र को बाधित करता है, किन्तु यह किसी प्रकार भी कोशिका के उपापचय (metabolism) में कोई विघ्न नहीं डालता है। यह भी निश्चित हो चुका है कि इण्टरफेरॉन्स कोशिका के बाहर उपस्थित विरिऑन्स (virions) आदि को किसी प्रकार भी प्रभावित नहीं करते हैं, न ही संक्रमण रोकने में किसी प्रकार सक्षम हैं। ये कोशिका के अन्दर ही क्रिया करते हैं अर्थात् केवल अन्त:कोशिकीय (intracellular) क्रियाएँ ही करते हैं।

प्रश्न 6.
प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया (immune response) का विस्तार से वर्णन कीजिए। (2010, 12)
या
प्रौढ मानव में T तथा B-लिम्फोसाइट्स कहाँ बनते हैं? T एवं B-लिम्फोसाइट्स के परिपक्वन से आप क्या समझते हैं? (2014)
या
प्रतिरक्षण तन्त्र से आप क्या समझते हैं? प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के दो प्रमुख प्रकार बताइए। (2015, 17, 18)
या
सेल्फ एवं नॉन-सेल्फ की पहचान के संदर्भ में, प्रतिरक्षा तंत्र की विशेषताएँ लिखिए। (2015)
या
प्रतिरक्षण तन्त्र क्या है? प्रतिरक्षण प्रतिक्रिया की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। (2015)
उत्तर
प्रतिरक्षण तन्त्र
अनेक अंग हमारे शरीर में सभी प्रकार के रोगोत्पादक जीवों अर्थात् रोगाणुओं और प्रतिजनों के कुप्रभाव का प्रतिरोध करके समस्थैतिकता बनाए रखने के लिए एक तंत्र की रचना करते हैं, जिसे प्रतिरक्षण तन्त्र कहते हैं।

प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया
प्रतिरक्षी प्रतिक्रियाएँ प्राणियों में एण्टीबॉडीज का निर्माण करने के लिए प्रेरित करती हैं। इसके लिए रुधिर वे लसीका में पाये जाने वाले लिम्फोसाइट्स शरीर में प्रवेश करने वाले रोगाणुओं या उनके एण्टीजन के प्रति सुग्राही हो जाते हैं और बाहरी जीवों (रोगाणुओं) को पहचानकर उनको नष्ट करके उनसे जीवनभर सुरक्षा प्रदान करते हैं। इस प्रकार प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं –

1. आक्रामक की पहचान करना – प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया का पहला और सबसे प्रमुख कार्य है। आक्रामक की पहचान करना। प्रतिरक्षी तन्त्र की लिम्फोसाइट्स शरीर में आये बाहरी पदार्थों व रोगाणुओं को पहचानने और उनको नष्ट करने का कार्य करती हैं। यह कार्य T और B लिम्फोसाइट्स करती हैं।

2. आक्रामक से बचाव या एण्टीजन को नष्ट करना – एण्टीबॉडीज निम्नलिखित चार प्रकार से बाह्य रोगाणुओं व एण्टीजन को नष्ट करते हैं

  1. निष्प्रभावी करके – एण्टीबॉडीज विषाणुओं से चिपककर उनके चारों ओर एक आवरण – सा बना लेती हैं जिससे विषाणु कायिक कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली से नहीं चिपकने पाते हैं और उनमें प्रवेश नहीं कर पाते हैं। इसी प्रकार एण्टीबॉडीज जीवाणुओं के विष को भी निष्प्रभावी कर देती हैं।
  2. समूहन – अकेली एण्टीबॉडी कई एण्टीजन्स से जुड़कर उनको समूह में एकत्र कर देती है। बाद में इन समूहों को मैक्रोफेज कोशिकाएँ निगलकर नष्ट कर देती हैं।
  3. अवक्षेपण – एण्टीबॉडीज विलेय एण्टीजन्स से जुड़कर उनको अविलेय बना देती हैं। फिर ये अवक्षेपित हो जाती हैं और मैक्रोफेज द्वारा नष्ट हो जाती हैं।
  4. पूरक तन्त्र का सक्रियण – एण्टीजन-एण्टीबॉडी कॉम्प्लेक्स अविशिष्ट प्रतिरक्षा तन्त्र के पूरक प्रोटीन अणुओं की श्रृंखला को सक्रिय कर देते हैं। ये प्रोटीन जीवाणु कोशिका की प्लाज्मा झिल्ली में रन्ध्र कर देते हैं जिससे ये फूलकर फट जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं।

3. आक्रामक को याद रखना – प्रतिरक्षी तन्त्र की कोशिकाएँ शरीर में प्रवेश करने वाले पदार्थों को याद रखने वाली स्मृति कोशिकाओं का निर्माण करती हैं। B तथा T दोनों प्रकार की लिम्फोसाइट्स स्मृति कोशिकाओं को उत्पन्न करती हैं जो रुधिर एवं लसीका में सुप्तावस्था में पड़ी रहती हैं। शरीर में दूसरी बार उन्हीं एण्टीजन के प्रवेश करते ही उसकी विरोधी सभी स्मृति कोशिकाएँ सक्रिय होकर संक्रमण से शरीर की रक्षा के लिए तत्पर हो जाती हैं। इसे द्वितीयक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कहते हैं।

T-लिम्फोसाइट्स या T-कोशिकाओं की एण्टीजन के प्रति अनुक्रिया – रोगाणुओं द्वारा उत्पन्न एण्टीजन के सम्पर्क में आने पर T-लिम्फोसाइट्स सक्रिय हो जाती हैं और ये वृद्धि करके समसूत्री विभाजन द्वारा विभाजित होती हैं। विभाजन के बाद निम्नलिखित चार प्रकार की T-लिम्फोसाइट्स बनती हैं –

  1. मारक कोशिकाएँ (Killer T-cells) – ये कोशिकाएँ रोगाणु कोशिकाओं पर सीधे आक्रमण करके उन्हें नष्ट कर देती हैं।
  2. दमनकारी या निरोधक कोशिकाएँ (Suppressor Cells) – ये शरीर की अपनी कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाने के लिए संक्रमण समाप्त होने के बाद T व B कोशिकाओं की सक्रियता को भी समाप्त करती हैं।
  3. सहायक कोशिकाएँ (Helper Cells) – ये कोशिकाएँ B-कोशिकाओं को सक्रिय करती हैं तथा . इनके द्वारा स्रावित इण्टरल्यूकिन-2 विभिन्न प्रकार की T-कोशिकाओं की सक्रियता को बढ़ाकर प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया को बढ़ाती हैं।
  4. स्मृति कोशिकाएँ (Memory Cells) – रोगाणुओं के सम्पर्क में आयी कुछ B-कोशिकाएँ संवेदनशील होने के बाद लसीका ऊतक में स्मृति कोशिकाओं के रूप में संगृहीत हो जाती हैं। और आजीवन जीवित रहती हैं। पुनः वही आक्रमण होने पर ये कोशिकाएँ तुरन्त सक्रिय हो जाती हैं।

B-लिम्फोसाइट्स या B-कोशिकाओं की एण्टीजन के प्रति अनुक्रिया – ऊतक द्रव में एण्टीजन के प्रवेश कर जाने पर B-लिम्फोसाइट्स उद्दीप्त होकर एण्टीबॉडीज बनाती हैं। एक विशिष्ट प्रकार के एण्टीजन के लिए विशिष्ट प्रकार की B-कोशिकाएँ होती हैं। कुछ B-लिम्फोसाइट्स सक्रिय होकर प्लाज्मा कोशिकाओं का एक क्लोन बनाती हैं। प्लाज्मा कोशिकाएँ लसीका ऊतक में रहकर एण्टीबॉडीज का निर्माण करती हैं। ये एण्टीबॉडीज लसीका एवं रुधिर में परिवहन करती रहती हैं। कुछ सक्रिय B-लिम्फोसाइट्स स्मृति कोशिकाओं के रूप में लसीका ऊतक में संचित हो जाती हैं। शरीर में पुनः वही संक्रमण होने पर ये अपने जैसी लाखों कोशिकाएँ बनाकर तेजी से विशिष्ट एण्टीबॉडीज का उत्पादन प्रारम्भ कर देती हैं।

प्रश्न 7.
टीकाकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2013, 17)
या
टीका एवं टॉक्साइड्स का तुलनात्मक वर्णन कीजिए। (2014, 15)
उत्तर
टीकाकरण
वैक्सीन अथवा टीका (vaccine) प्रायः कोशिका निलम्बन (cell suspension) होता है अथवा यह कोशिका द्वारा उत्सर्जित एक उत्पाद होता है, जो प्रतिरक्षण कर्मक (immunizing agent) के रूप में प्रयोग किया जाता है। वास्तव में, वैक्सीन प्रतिजनों (antigens) का तैयार घोल होता है, जो इन्जेक्शन द्वारा शरीर में प्रविष्ट कराने पर विशिष्ट प्रतिरक्षियों (antibodies) के निर्माण को प्रेरित करके शरीर में सक्रिय कृत्रिम प्रतिरोध क्षमता या प्रतिरक्षा उत्पन्न करता है। यह क्रिया ही टीकाकरण (vaccination) कहलाती है। सबसे पहले सन् 1798 में एडवर्ड जेनर (Edward Jenner) ने टीकाकरण की तकनीक में गौशीतला विषाणु (cowpoxvirus) को चेचक (smallpox) के विरुद्ध प्रतिरक्षण कर्मक (immunizing agent) के रूप में प्रयोग किया था। एडवर्ड जेनर को प्रतिरक्षा विज्ञान का जनक (father of immunology) माना जाता है।

टीके या वैक्सीन के प्रकार
सामान्यतः ये निम्नांकित प्रकार के होते हैं –
1. जीवित प्रतिजन से निर्मित वैक्सीन – इसमें जीवित जीवाणुओं या विषाणुओं को क्षीणीकृत (attenuated) करके घोल तैयार किया जाता है, जो प्रतिजनयुक्त होता है। इस प्रकार का वैक्सीन अच्छा माना जाता है, क्योंकि इसकी थोड़ी-सी मात्रा शरीर में प्रविष्ट कराने से जीवाणु या विषाणु गुणन करके बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाते हैं। इसमें सूक्ष्म जीवों के अतिरिक्त उनका विष भी रहता है जिससे कि यह अधिक प्रभावशाली होते हैं तथा इनके प्रभाव से उत्पन्न प्रतिरोध क्षमता अधिक लम्बे समय तक शरीर में बनी रहती है।

2. मृत प्रतिजन से निर्मित वैक्सीन – इसमें सूक्ष्मजीवों को मृत करके उनका घोल इन्जेक्शन द्वारा शरीर में प्रविष्ट कराया जाता है। इसका प्रमुख लाभ यह है कि रोगजनक सूक्ष्मजीव रोग का प्रभाव उत्पन्न नहीं कर पाता है। अतः टीकाकरण के बाद इसके दुष्प्रभाव बहुत कम दिखायी। देते हैं। यह वैक्सीन जीवित प्रतिजन से निर्मित वैक्सीन की अपेक्षा कम प्रभावशाली है।

3. प्रतिजन के आविष से निर्मित वैक्सीन – कुछ रोगजनक जीवाणु जो बहि:आविष (exotoxin) उत्पन्न करते हैं, उन्हें प्रतिजन से अलग करके केवल यह आविष (toxin), आविषाभ (toxoid) के रूप में शरीर में प्रविष्ट कराकर प्रतिरक्षी एवं प्रतिआविष (antitoxin) के निर्माण के लिए उत्प्रेरित किया जा सकता है। इस श्रेणी में टिटेनस (tetanus) एवं टायफॉइड (typhoid) के वैक्सीन आते हैं जो इन रोगों के बचाव हेतु बहुत सरल एवं सुरक्षित साधन होते हैं।

4. मिश्रित वैक्सीन – कभी-कभी दो या अधिक विभिन्न प्रकार के रोगों के रोगजनक सूक्ष्मजीव अथवा प्रतिजनों के मिश्रण से एक वैक्सीन तैयार किया जाता है। इसमें सभी वैक्सीन मिलाकर एक वैक्सीन का निर्माण किया जाता है जिससे कि इसमें सभी वैक्सीन के गुण आ जाते हैं और शीघ्र ही कई रोगों के प्रति प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हो जाती है। उदाहरण – डिफ्थीरिया-कुकुर या काली खाँसी-टिटेनस वैक्सीन (diphtheria- pertussis-tetanus vaccine = DPT)।

प्रश्न 8.
विषाणु द्वारा उत्पन्न एक रोग का नाम, लक्षण, उपचार तथा बचाव के उपाय बताइए। (2011, 12, 15)
उत्तर
विषाणु रोग : एड्स
एड्स (AIDS) एक भयंकर, प्रायः लाइलाज तथा अत्यन्त गम्भीर रोग है।
एड्स तथा उसके लक्षण (AIDS and its Symptoms) – HIV जो एड्स (AIDS) रोग उत्पन्न करने वाला विषाणु है, की मुख्य लक्ष्य कोशिकाएँ (target cells) T, लिम्फोसाइट्स (TA lymphocytes) होती हैं। इस प्रकार विषाणु शरीर में पहुँचकर इन कोशिकाओं को संक्रमित करता है और एक प्रोवाइरस (provirus) निर्मित करता है जो पोषद कोशिका (host cell) के डी० एन० ए० में समाविष्ट हो जाता है। इस प्रकार पोषद कोशिका अन्तर्हित संक्रमित (latent infected) हो जाती है। समय-समय पर प्रोवाइरस सक्रिय होकर पोषद कोशिका में सन्तति विरिओन्स (daughter virions) का निर्माण करते रहते हैं, जो पोषद कोशिका से मुक्त होकर नयी T, लिम्फोसाइट्स को संक्रमित करने में पूर्णतः सक्षम होते हैं।

इस प्रकार लिम्फोसाइट की क्षति से मनुष्य की प्रतिरक्षण क्षमता धीरे-धीरे दुर्बल होती जाती है। सामान्यतः 4-12 वर्षों तक तो व्यक्तियों में HIV के संक्रमण का पता तक नहीं चलता। कुछ व्यक्तियों को संक्रमण के कुछ हफ्तों के बाद ही सिरदर्द, घबराहट, हल्का बुखार आदि हो सकता है। धीरे-धीरे प्रतिरक्षण क्षमता कमजोर होने से जब व्यक्ति पूर्ण रूप से एड्स (AIDS) अर्थात् उपार्जित प्रतिरक्षा-अपूर्णता संलक्षण (Acquired Immuno-Deficiency Syndrome) का शिकार हो जाता है तो उसमें भूख की कमी, कमजोरी, थकावट, पूर्ण शरीर में दर्द, खाँसी, मुख व आँत में घाव, सतत ज्वर (persistant fever) एवं अतिसार (diarrhoea) तथा जननांगों पर मस्से हो जाते हैं। अन्ततः इनका प्रतिरक्षण तन्त्र इतना दुर्बल हो जाता है कि व्यक्ति अनेक अन्य रोगों से ग्रसित हो जाता है तथा उसकी मृत्यु हो जाती है।

एड्स रोग का संचरण (Transmission of AIDS) – रोगी के शरीर से स्वस्थ मनुष्य के शरीर के साथ रुधिर स्थानान्तरण, यौन सम्बन्ध, इन्जेक्शन की सूई का परस्पर उपयोग, रोगी माता से उसकी सन्तानों में संचरण आदि एड्स रोग के विषाणु (virus) के संचरण की विधियाँ हैं।

एड्स का रोगनिदान एवं उपचार (Diagnosis and Treatment of AIDS) – अभी तक एड्स (AIDS) के लिए किसी प्रभावशाली स्थाई उपचार की विधि का विकास नहीं हो पाया है। इसीलिए संसार भर में सैकड़ों लोगों की मृत्यु प्रतिदिन इस रोग से हो जाती है।

रुधिर में प्रतिरक्षी प्रोटीन की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति का पता सीरमी जाँच (serological test) द्वारा लगाकर, HIV के संक्रमण के होने या न होने का पता लगाया जाता है। इन प्रतिरक्षियों की सीरमी जाँच के लिए ELISA किट (एन्जाइम सहलग्न प्रतिरोधी शोषक जाँच किट) का निर्माण किया गया है। मुम्बई के कैन्सर अनुसन्धान संस्थान (Cancer Research Institute) ने “HIV-1 तथा HIV-II W. Biot” किट बनाया। लगभग तीस औषधियों में AIDS के इलाज की क्षमता का पता लगाया गया है; जैसे-जाइडोवुडाइन, ऐजोडोथाइमिडीन (Zidovudine, Azodothymidine–AZT), XQ – 9302, ऐम्फोटेरिसीन आदि।

एइस पर नियन्त्रण (Control on AIDS) – एड्स पर नियन्त्रण के लिए अभी तक कोई टीका (vaccine) आदि नहीं बनाया जा सका है। इसे निम्न प्रकार से नियन्त्रित किया जा सकता है –

  1. किसी अनजाने व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित नहीं करना चाहिए।
  2. एक बार उपयोग की गई इन्जेक्शन की सूई का प्रयोग दोबारा नहीं किया जाना चाहिए।
  3. एड्स संक्रमित व्यक्ति को किसी भी तरह से रुधिर दान नहीं करना चाहिए।
  4. रुधिर आधान से पूर्व रुधिर का HIV मुक्त होना आवश्यक है अर्थात् इसकी पूर्ण जाँच अनिवार्य होनी चाहिए।

प्रश्न 9.
स्टेम कोशिका के बारे में आप क्या जानते हैं? चिकित्सकीय उपचार में उनकी भूमिका की समीक्षा कीजिए। (2017)
उत्तर
बहुकोशिकीय जीवों की ऐसी अभिन्नित कोशिकाएँ (undifferentiated cells) जिनमें विभाजन द्वारा उसी प्रकार की असंख्य कोशिकाएँ उत्पन्न करने की क्षमता हो तथा इन कोशिकाओं के विभिन्नन (differentiation) से अन्य विशिष्ट कोशिकाएँ बन सकें, स्टेम कोशिका कहलाती हैं। एक स्टेम कोशिका अनेक प्रकार की कोशिकाओं एवं ऊतक का निर्माण करने में सक्षम होती है। मानव में विभिन्न रोगों के उपचार हेतु स्टेम कोशिकाओं का अत्यधिक महत्त्व है। इससे सम्बन्धित कुछ उपचार निम्नलिखित हैं –

  1. हृदय रोग (Heart Disease) – पेशी हृदय स्तर रोधगलने (myocardial infraction) रोग के उपचार हेतु अस्थिमज्जा स्टेम कोशिकाओं को उपयोग करके हृदय पेशियों तथा हृदय पेशी कोशिकाओं एवं ऊतकों को बनाया जाता है।
  2. त्वचा निरोपण (Skin Grafting) – आग या अम्ल से झुलसी त्वचा का निरोपण त्वचा की स्टेम कोशिकाओं से तैयार त्वचा द्वारा किया जाता है।
  3. रुधिर कैंसर उपचार (Leukemia Treatment) – रुधिर कैंसर रोगी में कीमोथिरेपी (chemotherapy) से अस्थिमज्जा नष्ट हो जाती है जिसे स्टेम कोशिका प्रत्यारोपण द्वारा सही किया जाता है।
  4. कॉर्निया प्रत्यारोपण (Cornea Transplantation) – कॉर्निया के खराब हो जाने पर स्टेम कोशिकाओं द्वारा विकसित कॉर्निया का प्रत्यारोपण करके इसे ठीक किया जाता है। इस विधि को होलोक्लार (holoclar) कहते हैं।
  5. बहरापन का इलाज (Treatment of Deafness) – निकट भविष्य में स्टेम कोशिकाओं द्वारा बहरेपन (deafness) का भी इलाज किया जा सकेगा।
  6. गर्भनाल रक्त संग्रह (Umblical Cord Blood Storage) – गर्भनाल से रक्त स्टेम कोशिकाओं को प्राप्त करके इसे सुरक्षित किया जाता है। इसका उपयोग रुधिर कणिकाओं एवं प्लेटलेट्स के निर्माण में किया जाता है।
  7. नई दवाइयों के परीक्षण हेतु भी स्टेम कोशिकाओं से ऊतक संवर्धन करके इन पर बीमारी की प्रकृति एवं दवाइयों के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संक्रामक तथा असंक्रामक रोग से आप क्या समझते हैं? प्रत्येक के दो-दो उदाहरण देकर इनके लक्षण, कारक एवं रोकथाम के उपाय लिखिए। (2014)
या
टिप्पणी लिखिए-न्यूमोनिया एवं टाइफॉइड (2015)
या
जुकाम किन विषाणुओं से होता है? जुकाम के दो लक्षण लिखिए। (2017)
या
कैंसर रोग के कारण, रोकथाम एवं बचाव पर प्रकाश डालिए। (2017)
उत्तर
संक्रामक रोग
वे रोग जो एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से संचारित हो सकते हैं, संक्रामक रोग कहलाते हैं।
1. न्यूमोनिया
कारक – यह रोग मुख्यत: शिशुओं व वृद्धजनों में होता है परन्तु अन्य उम्र के लोगों में भी हो सकता है। फेफड़ों में होने वाला यह संक्रामक रोग स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिआई व हीमोफिलस इन्फ्लुएंजी नामक जीवाणुओं से होता है। इनके अतिरिक्त स्टेफाइलोकोकस पाइरोजीन्स, क्लीष्सीला न्यूमोनिआई तथा चेचक व खसरा उत्पन्न करने वाले विषाणु व माइकोप्लाज्मा भी इस रोग के कारक हो सकते हैं। न्यूमोनिया दो प्रकार का होता है –

  1. विशिष्ट न्यूमोनिया – यह स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिआई नामक जीवाणु से होता है। यह रोग सामान्य श्वसन तंत्र वाले व्यक्तियों में होता है।
  2. द्वितीयक न्यूमोनिया – यह इन्फ्लुएंजा पीड़ित व्यक्ति में स्टेफाइलो कोकाई जीवाणु द्वारा होता है। यह रोग उन व्यक्तियों में होता है जिनके फेफड़े इस रोग से पूर्व प्रभावित होते हैं।

लक्षण 

  1. रोगी को श्वास लेने में बाधा उत्पन्न होती है।
  2. रोगी को तीव्र सर्दी लगती है।
  3. रोगी को तीव्र ज्वर भी होता है।
  4. रोगी की भूख मर जाती है।

रोकथाम के उपाय 

  1. संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना चाहिए।
  2. रोगी के द्वारा प्रयोग किये गये गर्म वस्त्र, बर्तन, बिस्तर आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  3. घर तथा पड़ोस में स्वच्छता बनाये रखनी चाहिए।

2. जुकाम या सामान्य ठण्ड
कारक – यह अति संक्रामक रोग पिकोवायरस समूह के रहिनो विषाणु द्वारा होता है। यह विषाणु जल की कणिकाओं तथा नाक के स्राव से एक-दूसरे में फैलता है।
लक्षण – आँखों तथा नाक से पानी आना, खांसी तथा बुखार आना, हाथ-पैर व कमर में दर्द रहना, बेचैनी रहना वे शरीर का कमजोर हो जाना।
रोकथाम के उपाय – इस रोग से बचाव हेतु, संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना चाहिए। रोगी को खाँसते या छींकते समय रूमाल से मुंह ढक लेना चाहिए। इस रोग से संक्रमित व्यक्ति की वस्तुओं के उपयोग से बचना चाहिए।

3. टाइफॉइड ज्वर
यह संक्रामक रोग ग्राम नेगेटिव, रॉड की आकृति वाले गतिशील जीवाणु (gram negative, rode shaped motile bacteria) द्वारा होता है। इसे सालमोनेला टायफी (Salmonella typhi) भी कहते हैं। यह जीवाणु छोटी आँत में रहता है व रक्त परिसंचरण द्वारा शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है। यह रोग अधिकतर गर्मी में होता है तथा इसका जीवाणु संक्रमित भोजन, जल, मल-मूत्र आदि द्वारा लोगों में पहुँचता है। मक्खियाँ इस रोग को फैलाने में मुख्य भूमिका निभाती हैं। प्राकृतिक आपदाओं; जैसे- बाढ़ आदि के समय भी यह रोग अधिक फैलता है। यह रोग पूरे विश्व में पाया जाता है, प्रायः यह 1-15 वर्ष के बालकों में अधिक होता है।

लक्षण (Symptoms)

  1. रोगी को लम्बे समय तक तेज बुखार रहता है।
  2. पूरे शरीर में दर्द रहता है।
  3. भूख नहीं लगती है तथा आँतों में परेशानियाँ होने लगती हैं।
  4. इसके साथ-साथ रोगी की नाड़ी धीमी हो जाती है तथा शरीर पर चमकीले छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं।
  5. कभी – कभी रोगी की आँतों से रक्त स्रावित होने लगता है। सही समय पर उपचार न होने पर रोगग्रस्त व्यक्तियों में से 10% की मृत्यु हो जाती है।

बचाव के उपाय (Measures of Prevention)

  1. खाद्य पदार्थों को हमेशा ढककर रखना चाहिए, जिससे मक्खियाँ जीवाणुओं को खाने तक न ला सकें।
  2. रोगी को हवादार तथा रोशनीयुक्त कमरे में रखना चाहिए।
  3. रोगी के मलमूत्र, थूक आदि को जलाकर नष्ट कर देना चाहिए।
  4. जल व अन्य पदार्थों को उबालकर प्रयोग में लेना चाहिए।
  5. बाजार के खुले खाद्य पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  6. वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए तथा कीटनाशकों का नियमित छिड़काव करना चाहिए।
  7. TAB के टीके (TAB vaccine) लगवाने चाहिए।

रोग का उपचार (Treatment of Disease)

  1. इस रोग की जाँच विडाल टेस्ट (widal test) द्वारा की जाती है।
  2. इस रोग में क्लोरोमाइसिटीन, एपिसीलीन (ampicilline) व क्लोरेम्फेनिकोल (chloramphenicol) नामक दवाइयाँ लाभदायक होती हैं।
  3. अब रोगी के शरीर से पित्ताशय को निकालकर भी रोग का उपचार किया जाता है।

असंक्रामक रोग
वे रोग जो एक व्यक्ति से दूसरे में संचारित नहीं होते हैं, असंक्रामक रोग कहलाते हैं।
1. एलर्जी
कारक – हममें से कुछ लोग पर्यावरण में मौजूद कुछ कणों; जैसे-पराग, चिंचड़ी, कीट आदि के प्रति संवेदनशील होते हैं। इनके सम्पर्क में आने से ही हमारे शरीर में प्रतिक्रियास्वरूप खुजली आदि प्रारम्भ हो जाती है। यही एलर्जी है।
लक्षण 

  1. हमारे शरीर पर लाल दाने या चकते पड़ जाते हैं।
  2. शरीर में खुजली होती है।
  3. छींक आती है।
  4. नाक में से पानी बहता है।

रोकथाम के उपाय – हमें नये स्थान पर जाते समय वहाँ की भौगोलिक दशा के अनुरूप तैयारी करनी चाहिए अर्थात् यदि वहाँ धूल, पराग आदि अधिक होने की संभावना हो तो मुंह पर मास्क लगाकर निकलना चाहिए। शरीर को पूरा ढककर बाहर निकलना चाहिए तथा एलर्जी हो जाने पर प्रति हिस्टैमीन, एड्रीनेलिन और स्टीराइडों जैसी औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।

2. कैंसर
कारक – सामान्य कोशिकाओं को कैंसरी कोशिकाओं में रूपान्तरण को प्रेरित करने वाले कारक भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक हो सकते हैं। ये कारक कैंसरजन कहलाते हैं। एक्स किरणें, गामा किरणें, पराबैंगनी किरणें, तम्बाकू के धुएँ में मौजूद कैंसरजन आदि कैंसर उत्पन्न करने के प्रमुख कारण हैं।

लक्षण – कैंसर ग्रस्त रोगी के शरीर में गाँठे पड़ जाती हैं जो बढ़ती रहती हैं।
रोकथाम के उपाय – कैंसरों के उपचार के लिए शल्यक्रिया, विकिरण चिकित्सा और प्रतिरक्षा चिकित्सा का प्रयोग किया जाता है। आजकल कीमोथैरेपी का प्रचलन बढ़ गया है क्योंकि इससे रोग के समाप्त होने की संभावना अधिक होती है।

प्रश्न 2.
एस्केरिएसिस से आप क्या समझते हैं? इसके बचाव, उपचार और नियंत्रण का उल्लेख कीजिए। (2013, 14)
उत्तर
एस्केरिएसिस
यह रोग मनुष्य की आँत में रहने वाले परजीवी एस्केरिस लुम्ब्रिकॉयड्स (Ascaris lumbricoides) नामक, गोल कृमि से होता है। संक्रमित भोजन के साथ इस परजीवी के अण्डे मनुष्य की आँत में पहुँच जाते हैं। आँत में इसका लार्वा छेद करके हृदय, फेफड़े, यकृत को संक्रमित करता है। यह परजीवी हमारी आँत में पचे हुए भोजन पर निर्भर करता है। आँत में इसकी संख्या 500-5000 तक हो सकती है।

लक्षण व रोग जनकता (Symptoms and Pathogenecity) – इस रोग के मुख्य लक्षण हैं-पेट में दर्द, उल्टियाँ, अपेन्डिसाइटिस (appendicitis), अतिसार (diarrhoea), गैस्ट्रिक अल्सर (gastric ulcer), सन्नित (delirium), घबराहट, ऐंठन (convulsions) आदि। परपोषी की आँत में इस परजीवी के होने का कोई विशेष नुकसान नहीं होता है किन्तु संक्रमित बालक कुपोषण का शिकार होकर दुर्बल हो जाते हैं, इनकी वृद्धि मन्द हो जाती है। रोगी को हमेशा वमन की इच्छा बनी रहती है जिससे मन व मस्तिष्क बेचैन रहते हैं। आँत में एस्केरिस की संख्या अधिक होने पर पेट दर्द, भूख न लगना, अनिद्रा, दस्त, उल्टी आदि लक्षण विकसित हो जाते हैं।

एस्केरिस के द्वारा रोगी का उण्डुक (appendix) अवरुद्ध हो जाता है जिससे उदरशूल (colic pain) व उण्डुक पुच्छशोथ (appendicitis) विकार हो जाते हैं। रोगी के पित्तनली, अग्न्याशयी नाल आदि में एस्केरिस के फँस जाने पर स्थिति गम्भीर हो जाती है। एस्केरिस रोगी के शरीर में घूमता रहता है जिससे फेफड़े, आँत की दीवारें व रक्त केशिकाएँ घायल हो जाती हैं जिससे रक्तस्राव प्रारम्भ हो जाता है, फलस्वरूप रोगी दुर्बलता, सूजन, ऐंठन आदि का शिकार हो जाता है। शिशु एस्केरिस विपथगामी भ्रमण द्वारा रोगी के मस्तिष्क, वृक्क, नेत्र, मेरुदण्ड आदि में प्रवेश कर जाता है जिससे इन अंगों को हानि पहुँचती है।
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease img-6

रोकथाम (Control) – अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखना, मल-मूत्र का खुला विसर्जन न करना, प्रदूषित भोजन व सड़े-गले फल-सब्जी आदि से बचना, भोजन करने से पूर्व हाथों को भली-भाँति धोना, शौचालय की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना व स्वच्छ जल का प्रयोग करना आदि इस रोग की रोकथाम के प्रमुख उपाय हैं। रोग होने पर इस परजीवी को मारने के लिए पाइपराजिन सिट्रेट (piperazin citrate) तथा पाइपराजिन फॉस्फेट (piperazin phosphate) औषधियों का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त मीबेन्डाजोल (mebendazole), पाइरान्टेल पामोएट (pyrantel pamoate) व ऐल्बेन्डाजोल (albendazole) औषधियाँ भी इस रोग के इलाज में प्रयुक्त की जाती हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease img-7

निदान एवं चिकित्सा (Diagnosis and Therapy) – एस्केरिस रोग के संक्रमण की पहचान रोगी के मल में इसके अण्डों की उपस्थिति से होती है। एस्केरिस द्वारा होने वाले रोग को एस्केरिएसिस (ascariasis) कहा जाता है। रोगी की आँत से कृमि को निकालने हेतु बथुआ का तेल (oil of chenopodium), डीमेटोड (dematode), मीबेन्डाजोल (mebendazole), जीटोमिसोल-पी (zetomisol-p), हेट्राजान (hetrazan), वर्मिसोल (vermisol), केट्राक्स (ketrax), जेन्टेल (zentel), एन्टीपार (antipar), एल्कोपार (alcopar), डिकैरिस (decaris) आदि औषधियाँ प्रयुक्त की जाती हैं। वर्तमान में 12 घंटे के उपवास के साथ हैक्सिल रिसॉर्सिनाल (hexylresorcinol) का तथा पाइपराजीन (piperazine), हैल्मेसिड सिना के साथ (halmacid with senna) आदि का उपयोग अत्यन्त प्रभावशाली सिद्ध हो रहा है।

प्रश्न 3.
मलेरिया रोग के रोगजनक, लक्षण तथा उपचार लिखिए। (2014)
या
मलेरिया तथा इसके नियंत्रण पर टिप्पणी लिखिए। (2014)
या
मलेरिया रोग के रोगजनक तथा रोगवाहक का नाम लिखिए और उसके लक्षण एवं निदान बताइए।
(2015, 17)
उत्तर
रोगजनक – मलेरिया रोग का जनक एक प्रोटोजोआ जीव प्लाज्मोडियम है। प्लाज्मोडियम वाइवैक्स, प्लाज्मोडियम ओवल, प्लाज्मोडियम मलेरी तथा प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम इस जीव की प्रमुख जातियाँ हैं जो मलेरिया रोग के लिए उत्तरदायी हैं।
लक्षण 

  1. इस रोग में रोगी की भूख मर जाती है।
  2. रोगी को तीव्र ज्वर चढ़ जाता है।
  3. रोगी को कब्ज हो जाता है तथा जी मिचलाता है।
  4. रोगी का मुँह सूखने लगता है।
  5. रोगी के सिर, पेशियों और जोड़ो में तीव्र दर्द होता है।

उपचार – मलेरिया के उपचार के लिए 300 वर्षों से कुनैन एक परम्परागत औषधि बनी हुई है। यह डच ईस्ट इण्डीज, भारत, पेरू, लंका आदि देशों में सिन्कोना वृक्ष की छाल के सत से बनाई जाती है। यह रोगी के रुधिर में उपस्थित प्लाज्मोडियम की सभी प्रावस्थाओं को नष्ट कर देती है। कुनैन से मिलती-जुलती कृत्रिम औषधियाँ-ऐटीब्रिन, बेसोक्विन, एमक्विन, मैलोसाइड, मेलुब्रिन, निवाक्विन, रेसोचिन, कामोक्विन, क्लोरोक्विन आदि आजकल प्रचलित हैं। पेल्यूड्रिन, मेपाक्रीन, पैन्टाक्विन, डेराप्रिम, प्राइमाक्विन एवं प्लाज्मोक्विन रोगी के यकृत में उपस्थित प्लाज्मोडियम की प्रावस्थाओं को भी नष्ट करती हैं।

बचाव व नियन्त्रण – मलेरिया से बचाव व इसके नियन्त्रण के निम्नलिखित उपाय हैं –

  1. तालाब व गड्ढों में पानी जमा नहीं रहने देना चाहिए।
  2. घरेलू कुलर आदि में भी पानी की सफाई दो-तीन दिन के उपरान्त करनी चाहिए। नाली व अन्य पानी जमा होने वाले स्थानों पर मच्छरों का जनन रोकने हेतु मिट्टी का तेल डालना चाहिए। मच्छर के लारवा को खाने वाली मछलियों को तथा बतखों को पानी में छोड़ देते हैं। तथा यूट्रीकुलेरिया (Utricularia) जैसे पादपों को पानी में उगाते हैं।
  3. मच्छर के जनन स्थानों को नष्ट कर देना चाहिए तथा नालियों को खुला नहीं छोड़ना चाहिए।
  4. D.D.T, B.H.C. आदि का प्रयोग मच्छर नष्ट करने हेतु करना चाहिए परन्तु इन दोनों का प्रयोग भारत में प्रतिबन्धित है।
  5. क्लोरोक्विन, प्राइमोक्विन, डाराप्रिम दवाओं का प्रयोग रोगी को स्वस्थ करने में सहायक होता है।
  6. मच्छरों को दूर भगाने हेतु allout तेल व क्रीम तथा मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 4.
निम्न पर टिप्पणी लिखिए –
(क) डेंगू बुखार (2018)
(ख) फाइलेरिंएसिस (2015, 16, 17)
उत्तर
(क) डेंगू बुखार
यह एक विषाणुजनित बुखार है, जिसे हड्डीतोड़ बुखार भी कहते हैं। डेंगू विषाणु की वाहक मादा ऐडीज मच्छर (Aedes aegypti) है। इस रोग का विषाणु फ्लेविवाइरिडी (flaviviridae) कुल का सदस्य है जिसे फ्लेविवाइरस (Flavivirus) कहा जाता है। इसे आर्बोवाइरस (Arbovirus) भी कहते हैं क्योंकि यह विषाणु मच्छरों (arthropod vector) द्वारा संचारित होता है।

डेंगू विषाणु की चार से पाँच स्ट्रेन्स (strains) या सेरोटाइप (serotypes) पायी जाती है जिन्हें क्रमशः DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4 आदि कहते हैं। यदि किसी व्यक्ति में इसमें से किसी भी एक स्ट्रेन द्वारा संक्रमण हो जाता है, तो उसे डेंगू बुखार हो जाता है तथा व्यक्ति इस स्ट्रेन के लिए जीवन पर्यन्त प्रतिरक्षा (immunity) विकसित कर लेता है किन्तु दूसरे अन्य स्ट्रेन्स के प्रति प्रतिरक्षण न होने के कारण उनके द्वारा संक्रमण का खतरा बना रहता है।

मादा ऐडीज दिन में (मुख्यत: प्रात: काल एवं सायंकाल) मनुष्य को काटती है। मनुष्य डेंगू विषाणु का प्राथमिक पोषद (primary host) और मादा मच्छर इसका द्वितीयक पोषद (secondary host) है। मनुष्य के शरीर में डेंगू विषाणु प्रवेश से लेकर बुखार का लक्षण प्रकट होने तक के समय को उद्भवन काल (incubation period) कहते हैं। यह 3 से 7 दिन कभी-कभी 10 से 12 दिन का होता है।

डेंगू बुखार के लक्षण (Symptoms of Dengue Fever) – डेंगू बुखार की दो श्रेणियाँ हैं –

  1. साधारण डेंगू बुखार—इसमें तेज ज्वर के साथ तेज सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, चक्कर आना, भूख न लगना, मांसपेशियों में ऐंठन आदि हैं।
  2. प्रचण्ड डेंगू बुखार (Severe Dengue Fever) – इसकी दो अवस्थाएँ हैं –
    • डेंगू रक्तस्राव ज्वर (Dengue Haemorrhagic Fever) – इसमें सिरदर्द, बुखार, भूख न लगना, नाक-कान से रक्तस्राव होना, खून की उल्टी होना तथा रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या घट जाना आदि इसके लक्षण हैं।
    • डेंगू घातक लक्षण (Dengue Shock Syndrome) – इसमें बेचैनी, रुधिर दाब का अत्यधिक कम हो जाना तथा शरीर के प्रमुख अंगों में तरल की कमी होना आदि लक्षण हैं।

डेंगू का उपचार (Treatment of Dengue) – डेंगू एक विषाणु जनित रोग है इसके लिए कोई प्रतिजैविक (antibiotic) नहीं है। इसके लिए सहायक उपचार ही मुख्य चिकित्सकीय सहायता है। डेंगू बुखार में पेरासिटामोल तथा दर्द निवारक ऐसिटामिनोफेन एवं कोडीन दिया जाना चाहिए। मैक्सिको की सनोफी (sanofi) फार्मा कम्पनी ने एक वैक्सीन डेंग्वाक्सिया तैयार किया। इसका प्रयोग बहुत जल्द शुरू हो जायेगा।

डेंगू की रोकथाम (Control of Dengue) – डेंगू के रोकथाम एवं उन्मूलन के लिए निम्न प्रमुख उपाय हैं –

  1. सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग।
  2. दिन में मच्छरों से बचाव के लिए मच्छर भगाने वाली क्रीम का प्रयोग।
  3. टंकी, कूलर, गमला आदि में जल संग्रह नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि इसके वाहक मच्छर अपने लार्वा स्वच्छ जल में ही देते हैं।
  4. मच्छरों को मारने हेतु कीटनाशक का छिड़काव, लार्वा खाने वाले कीटों का प्रयोग आदि उपाय किए जाने चाहिए।

(ख) फाइलेरिएसिस
यह रोग क्यूलेक्स (Culex) मच्छर द्वारा फैलता है। यह ऐसे क्षेत्रों में अधिक होता है जहाँ मच्छर अधिक होते हैं व दूषित जल का प्रयोग किया जाता है। यह रोग एक निमेटोड वाउचेरेरिया बैंक्राफ्टी (Wuchereria buncrqfti) नामक परजीवी से होता है जो लसीका बाहिनियों (lymph ducts) में रहता है। इस परजीवी की जीवित व मृत दोनों अवस्थाओं से रोग होता है। जीवित अवस्था में यह ऐलीफेन्टियासिस (elephantiasis) या फाइलेरिएसिस (filariasis) नामक रोग उत्पन्न करता है, इसे हाथी पाँव भी कहते हैं।

इस रोग में लिम्फ वाहिनियों की एन्डोथीलियम कोशिकाएँ विभाजित होकर दीवारों को मोटा कर देती हैं। शुरुआत में रोगी को हल्का बुखार व शरीर में दर्द बना रहता है। लसीका नोड के ऊतक व अन्य अंगों; जैसे- यकृत, प्लीहा, अण्डकोष, टॉगों आदि में सूजन आने से इनको आकार बढ़ जाता है। इन अंगों में सूजन आने व लसीका बहने से ट्यूमर बन जाते हैं। इस रोग की गम्भीर अवस्था में टाँग का आकार सूजकर बढ़ जाता है तथा इस अवस्था को हाथी पाँव (elephantiasis) कहते हैं। इस रोग का संचरण क्यूलेक्स मच्छर द्वारा तीसरे चरण के लार्वा माइक्रोफाइलेरिया (Microfilaria) की अवस्था में होता है। क्यूलेक्स मच्छर द्वारा किसी मनुष्य को काटने पर लार के द्वारा माइक्रोफाइलेरिया लार्वा शरीर में प्रवेश कर जाता है। तत्पश्चात् यह रक्त व लसीका वाहिनियों में पहुंचकर वयस्क में रोग का संक्रमण कर देता है।

मादा क्यूलेक्स संक्रमित व्यक्ति के रुधिर से माइक्रोफाइलेरिया लार्वा को मुख्यतः रात के समय प्राप्त करती है; क्योंकि रात में यह लार्वा संक्रमित व्यक्ति की त्वचा के रुधिर वाहिनियों में आ जाते हैं।

रोकथाम (Control) – इस रोग से बचाव के लिए मच्छर व उनके लार्वा को नष्ट कर देना चाहिए तथा मच्छर के काटने से बचना चाहिए। वयस्क कृमियों को मारने के लिए आर्सेनिक से निर्मित दवा व M.S.Z. का प्रयोग किया जाना चाहिए। माइक्रोफाइलेरिया लार्वा को मारने के लिए डाइमिथाइल कार्बोमोनोजॉइन (dimethyl carbomonozoine) नामक दवी प्रभावी होती है। संक्रामक लार्वा के लिए पैरामेलेमिनाइल-फिनाइलस्टीबोनेट (paramelamynil-phenylstibonate) का प्रयोग किया जाता है। फाइलेरिया को पूर्ण रूप से समाप्त करने व फाइलेरिएसिस रोग की सूचना प्राप्त करने हेतु सरकार ने राष्ट्रीय फाइलेरिया नियन्त्रण कार्यक्रम (National Filaria Control Programme) चलाया है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित के सेवन से होने वाले हानिकारक प्रभावों का वर्णन कीजिए तथा इनसे बचने के उपायों को लिखिए – (2014)
(i) ऐल्कोहॉल (2017)
(ii) ड्रग (नशीली दवाएँ) (2017)
(iii) तम्बाकू
उत्तर-
(i) ऐल्कोहॉल
ऐल्कोहॉल (शराब) का सेवन करने से शरीर पर निम्नलिखित प्रमुख दुष्प्रभाव होते हैं –
1. शराब के प्रभाव से तन्त्रिका तन्त्र; विशेषकर केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र दुर्बल हो जाता है जिससे आत्म-नियन्त्रण समाप्त होना, मस्तिष्क कमजोर होना, स्मरण शक्ति क्षीण होना, विचार शक्ति लुप्त होना, अच्छे-बुरे का ज्ञान समाप्त होना, एकाग्रता की कमी होना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं। बाद में ऐसा व्यक्ति अपना आत्मसंयम तथा आत्मसम्मान खो देता है।

2. शराब में ऐल्कोहॉल होता है जो कोशिकाओं से जल और शरीर की आन्तरिक ग्रन्थियों से होने वाले स्रावों को तेजी से अवशोषित करता है। परिणामस्वरूप पहले तो यकृत (लिवर) सिकुड़कर छोटा हो जाता है और इसके बाद उसका आकार सामान्य से अधिक हो जाता है। जिससे उसकी प्राकृतिक क्रियाशीलता नष्ट हो जाती है। पाचन तन्त्र तथा श्वसन तन्त्र में अनेक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। शरीर का पोषणे उचित न होने के कारण दुर्बलताएँ और अधिक बढ़ती हैं।

3. ऐल्कोहॉल आमाशय तथा आँतों की श्लेष्मिका झिल्ली को हानि पहुँचाता है। इसके फलस्वरूप पेप्टिक अल्सर हो जाता है। कभी-कभी पेप्टिक अल्सर के फोड़े कैन्सर भी बन जाते हैं।

4. कोशिकाओं से जल अवशोषित होने के कारण वे नष्ट हो जाती हैं और धीरे-धीरे शरीर; विशेषकर मांसपेशियाँ; दुर्बल होकर, शिथिल (ढीला-ढाला) पड़ जाता है।

5. शरीर में विटामिनों की कमी हो जाती है; विशेषकर विटामिन B श्रेणी के विटामिन (थायमीन आदि); और उनका वितरण अनियमित हो जाता है जो शरीर में अनेक प्रकार की विकृतियाँ और रोग उत्पन्न करता है।

6. रुधिर परिसंचरण प्रमुखतः त्वचा की ओर अधिक होने से त्वचा का रंग लाल हो जाता है। वास्तव में, इन स्थानों की रुधिर केशिकाएँ चौड़ी हो जाती हैं, अत: इस स्थान पर ताप अधिक हो जाता है।

7. भावनात्मकता यद्यपि बढ़ी हुई दिखाई देती है किन्तु शीघ्र ही उसमें आक्रामकता झलकने लगती है जो बाद में घृणास्पद हो जाती है।
ऐल्कोहॉल का आदी व्यक्ति अपने समस्त पारिवारिक सम्बन्धों की ओर से उदासीन अथवा कटु हो जाता है, उसमें सामाजिकता का अभाव होता जाता है तथा धीरे-धीरे वह आत्मकेन्द्रित हो जाता है। अनेक प्रकार की जटिलताएँ आयु के साथ (35-40 वर्ष से आगे) बढ़ती ही जाती हैं। कम-से-कम 5 प्रतिशत व्यक्ति हृदय अथवा वृक्कीय (cardiac or renal) जटिलताओं के कारण मर जाते हैं।

(ii) ड्रग (नशीली दवाएँ)
नशीली औषधियों को शरीर पर प्रभाव के आधार पर निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है –
1. शामक व निद्राकारक – ये औषधियाँ केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र के उच्च केन्द्रों पर प्रभाव डालती हैं और कुछ क्षण के लिए चिन्ताओं को दूर करती हैं, तनाव व बेचैनी को कम करती हैं, निद्रा लाती हैं; जैसे-लुमिनल, इक्वेनिल, बार्बिट्यूरिक अम्ल आदि।

2. उत्तेजक या एण्टीडिप्रेसेन्ट्स – ये औषधियाँ केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र को उत्तेजित करती हैं। इनसे कष्ट से राहत तथा ठीक होने की संवेदना प्राप्त होती है। इनके कारण रक्त चाप बढ़ जाता है। इनकी अत्यधिक मात्रा उग्रता उत्पन्न करती है। इसके प्रयोग से चुस्त होने का अहसास एवं आत्मविश्वास उत्पन्न होता है; जैसे-कैसीन, कोकेन, टॉफरेनिल, मेथिलफेनिडेट आदि।

3. विभ्रमक या साइकेडेलिक औषधियाँ – ये पदार्थ श्रवण तथा दृष्टि भ्रम उत्पन्न करते हैं। इनके प्रयोग से रंग न होते हुए भी रंग का आभास होता है। व्यसनी (drug addict) को रंगीन स्वप्निल दुनिया का आभास होता है। इनके कारण प्रसन्नता को झूठा आभास होता है तथा समय, स्थान व दूरी का उचित सामंजस्य नहीं रहता। एल०एस०डी० (लाइसेर्जिक ऐसिड डाइएथिलैमाइंड = LSD), सीलोसाइविन, चरस, गाँजा, हशीश आदि विभ्रमकारी पदार्थ हैं।

4. ओपिएट – ओपिएट नारकोटिक तथा दर्दनाशक दवाइयों का एक वर्ग है जिसमें अफीम तथा इसके स्राव से बने मॉर्फीन, हेरोइन, कोडीन, मीथाडोन तथा पैथिडीन आते हैं। ये दर्द, चिन्ता तथा तनाव को कम करते हैं। इनसे निद्रा व सुस्ती आती है। व्यसनी स्वयं को अच्छा महसूस करते हैं। इनमें से हेरोइन सबसे खतरनाक है।

(iii) तम्बाकू
तम्बाकू का सेवन पान, बीड़ी, सिगरेट, सिगार, पाइप, पान मसाला आदि किसी भी रूप में किया जाए, इसके सेवन के अनेक दुष्प्रभाव होते हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  1. तम्बाकू में निकोटिन नामक विष होता है जो फेफड़ों में एकत्रित होकर कैन्सर, दमा, तपेदिक आदि भयंकर रोगों को उत्पन्न होने में सहायता करता है।
  2. तम्बाकू के सेवन से रुधिर परिसंचरण की गति बढ़ जाती है जिससे उच्च रक्त चाप और हृदय सम्बन्धी अन्य रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  3. धूम्रपान द्वारा तम्बाकू का सेवन अपने मार्ग मुंह, गला, फेफड़े इत्यादि की श्लेष्म कला (mucous membrane) पर हानिकारक प्रभाव डालता है। इससे कैन्सर जैसा भयंकर रोग होने की सम्भावना हो जाती है।
  4. श्लेष्म कला प्रभावित होकर अत्यधिक मात्रा में श्लेष्मक (mucous) स्रावित करती है, जिससे खाँसी, कफ (cough) और बाद में रोगाणुओं की रोकथाम की शक्ति (रोग अवरोधक क्षमता) कम होने से दमा, तपेदिक जैसे संक्रामक रोग भी शरीर में आसानी से घर कर लेते हैं।
  5. तम्बाकू के सेवन से पाचन शक्ति क्षीण होना, आमाशय और आँतों में सूजन आना, गैस अधिक बनना, कब्ज होना, भूख कम लगना, जी मिचलाना (मितली आना), मुँह में छाले होना आदि रोग उत्पन्न होते हैं।
  6. तम्बाकू सेवन से मस्तिष्क में खुश्की आने से मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है और अनिद्रा की स्थिति पैदा होती है। मानसिक शक्ति, विशेषकर विचार करने की क्षमता तथा तार्किकता क्षीण हो जाती है।
  7. धूम्रपान आदि से मांसपेशियों की कार्यक्षमता पर विशेष प्रभाव पड़ता है, उनकी संकुचन शक्ति कम होने से व्यक्ति की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।
  8. धूम्रपान के द्वारा तम्बाकू सेवन का प्रभाव आँखों पर भी पड़ता है।
  9. गर्भवती स्त्रियों के लिए धूम्रपान करना विशेष हानिकारक होता है। इससे गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
  10. प्रौढ़ावस्था में धूम्रपान का प्रभाव धीमा होता है किन्तु यौवनावस्था में यह अति तीव्र गति से प्रभावित करता है।
  11. धूम्रपान विशेष रूप से प्रदूषणकारी है। कहते हैं, धूम्रपान करने वाले व्यक्ति से अधिक उसका पड़ोसी प्रभावित होता है।
  12. धूम्रपान तथा अन्य प्रकार से तम्बाकू सेवन तन्त्रिका तन्त्र पर बुरा प्रभाव डालता है।

धुम्रपान एवं तम्बाकू के सेवन से अनेक हानियाँ होती हैं, इसीलिए विश्व के सभी उन्नत देशों में इसका सेवन न करने की निरन्तर चेतावनी दी जाती है। सिगरेट एवं तम्बाकू के प्रत्येक पैकेट पर इस प्रकार की वैधानिक चेतावनी अनिवार्य रूप से लिखी जाती है।
भारत में वर्तमान समय में तम्बाकू तथा तम्बाकू से बनी सभी वस्तुओं के सार्वजनिक विज्ञापन पर पूर्णतया रोक लगी हुई है।

रोकथाम एवं नियन्त्रण
यौवनावस्था में मानव को नशीले पदार्थ व ऐल्कोहॉल के सेवन से रोका जा सकता है जिसमें ऐसे मानव जो नशीला पदार्थ ले रहे हैं, उन्हें उचित शिक्षा व परामर्श देकर तथा योग्य मनोवैज्ञानिक की सहायता लेकर नशीले पदार्थ एवं ऐल्कोहॉल के अतिप्रयोग की रोकथाम व नियन्त्रण किया जा सकता है।

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UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions

UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions (सम्बन्ध एवं फलन) are part of UP Board Solutions for Class 12 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions (सम्बन्ध एवं फलन)

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Maths
Chapter Chapter 1
Chapter Name Relations and Functions
Exercise Ex 1.1, Ex 1.2, Ex 1.3, Ex 1.4,
Number of Questions Solved 55
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions

Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

We have to find the L.C.M of 12,18 and 24. Now,. Write the given number in their form of multiple.

प्रश्न 1.
निर्धारित कीजिए कि क्या निम्नलिखित सम्बन्धों में से प्रत्येक स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक हैं
(i) से (iv) व उनके हल के लिए प्रश्नावली 1 (A) का प्रश्न 1 देखें।
(v) किसी विशेष समय पर किसी नगर के निवासियों के समुच्चय में निम्नलिखित सम्बन्ध R
(a) R = { (x, y) : x तथा y एक ही स्थान पर कार्य करते हैं }
(b) R = { (x, y) : x तथा y एक ही मोहल्ले में रहते हैं }
(c) R = { (x, y) : x, y से ठीक-ठीक 7 सेमी लम्बा है }
(d) R = { (x, y) : x, y की पत्नी है}
(e) R = { (x, y) : x, y के पिता हैं }
हल :
(v) माना A = किसी विशेष समय पर किसी नगर के निवासियों का समुच्चय
(a)
R = { (x, y) : x तथा y एक ही स्थान पर कार्य करते हैं }
R स्वतुल्य है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति उस नगर में उस विशेष समय पर कार्यरत है। R सममित है, क्योंकि x , y एक ही स्थान पर एक समय पर कार्यरत हैं तो y, x भी उसी स्थान पर उस समय कार्यरत हैं। R संक्रामक है, क्योंकि x, y तथा y, z एक नगर में एक ही समय पर कार्यरत हैं तो उस नगर में उसी समय x, z भी कार्यरत हैं।
अतः
स्पष्ट है कि R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है।

(b)
R = { (x , y) : x तथा y एक ही मोहल्ले में रहते हैं }
R स्वतुल्य है, क्योंकि उस स्थान का प्रत्येक व्यक्ति वहीं पर रहता है। R सममित है, क्योकि x और y एक स्थान पर रहते हैं तथा उसी स्थान पर y और x भी रहते हैं। R संक्रामक है, क्योंकि x , y तथा y, z एक स्थान पर रहते हैं तब x , z भी उसी स्थान पर रहते हैं।
अतः
स्पष्ट है कि R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है।

(c)
R = { (x,  y) : x, y से ठीक-ठीक 7 सेमी लम्बा है।
R स्वतुल्य नहीं है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने आप से 7 सेमी अधिक लम्बा नहीं हो सकता। R सममित नहीं है, क्योंकि  y, x से ठीक 7 सेमी अधिक लम्बा है तब  x, y से  7 सेमी लम्बा नहीं हो सकता। R संक्रामक नहीं है, क्योंकि  x, y से तथा  y, z से ठीक 7 सेमी लम्बे तो  x, y से ठीक 7 सेमी अधिक लम्बा नहीं हो सकता।
अतः
स्पष्ट है कि R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक में से कोई भी नहीं है।

(d)
R = { (x,  y) : x, y की पत्नी है}
R स्वतुल्य नहीं है, क्योंकि x स्वयं अपनी ही पत्नी नहीं हो सकती है। R सममित नहीं है, क्योंकि यदि  x, y की पत्नी है तो  y, x की पत्नी नहीं हो सकती। R संक्रामक नहीं है, क्योंकि यदि  x, y की पत्नी है तो  y किसी की भी पत्नी नहीं हो सकती।
अतः
स्पष्ट है कि R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक नहीं है।

(e)
R = { (x, y) : x, y के पिता हैं}
R स्वतुल्य नहीं है, क्योंकि x अपना ही पिता नहीं हो सकता। R सममित नहीं है, क्योंकि यदि  x, y का पिता है तो  y, x का पिता नहीं हो सकता। R संक्रामक नहीं है, क्योंकि x, y का y, z का पिता है तो x,  z का पिता नहीं हो सकता।
अतः
स्पष्ट है कि R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक नहीं है।

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The LCM of 12 and 16 is 48.

प्रश्न 2.
सिद्ध कीजिए कि वास्तविक संख्याओं के समुच्चय R में R = { (a, b) : a ≤ b2}, द्वारा परिभाषित सम्बन्ध R, न तो स्वतुल्य है, न सममित है और न ही संक्रामक है।
हल :
माना A = वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है और R = { (a, b) : a ≤ b2}

  1. R स्वतुल्य नहीं है, क्योंकि ,[latex s=2]\frac { 1 }{ 2 } [/latex], [latex s=2]\frac { 1 }{ 4 } [/latex] से कम नहीं है।
  2. R सममित नहीं है, क्योंकि a ≤ b2 तो b, a2 से कम या बराबर नहीं है, जैसे -2 < 52 परन्तु  5, 22 से कम नहीं है।
  3. R संक्रामक नहीं है, माना a = 2, b = -2 और c = -1 तब 2 < (-2)2, -2 < (-1)2 परन्तु  2, (-1)2 से कम नहीं है।

अत:
1,2 तथा 3 से स्पष्ट है कि R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक नहीं है।

प्रश्न 3.
जाँच कीजिए कि क्या समुच्चय{ 1, 2, 3, 4, 5, 6 } में R = { (a, b) : b = a + 1} द्वारा परिभाषित सम्बन्ध R स्वतुल्य, सममित या संक्रामक है।
हल :
दिया है, A = {1, 2, 3, 4, 5, 6} तथा R = { a, b ) : b = a + 1}

  1. R स्वतुल्य नहीं है, क्योंकि  a, a + 1 के बराबर नहीं हो सकता।
    माना 4 = 1, 1, (1 + 1) = 2 के बराबर नहीं हो सकता।
  2. R सममित नहीं है, क्योंकि b = a + 1
    तब a ≠ b + 1 यदि b = 1 + 1 = 2, 1 ≠ 2 + 1
  3. R संक्रामक नहीं है, क्योंकि b = a + 1, c = b + 1
    तो c ≠ a + 1 यदि b = 1 + 1 = 2 तथा c = 2 + 1 = 3 तो 3 ≠ 1 + 1

अत:
1, 2 तथा 3 से स्पष्ट है कि R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक नहीं है।

प्रश्न 4.
सिद्ध कीजिए कि R में R = { (a, b) : a ≤ b}, द्वारा परिभाषित सम्बन्ध R स्वतुल्य तथा संक्रामक है किन्तु सममित नहीं है।
हल :
माना R कोई वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है तथा R = { (a, b):a≤b}

  1. R स्वतुल्य है, क्योंकि a ≤ a ⇒ a = a
  2. R सममित नहीं है, क्योंकि a, b से कम है तब b, a से कम नहीं है।
    यदि 1, 2 से कम है तब 2, 1 से कम नहीं हो सकती।
  3. R संक्रामक है, क्योंकि  a ≤ b और b ≤ c तब a ≤ b

अत:
1, 2 व 3 से स्पष्ट है कि R स्वतुल्य और संक्रामक है परन्तु सममित नहीं है।

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प्रश्न 5.
वास्तविक संख्याओं के समुच्चय 5 में सम्बन्ध R, R = {(a, b): <b} द्वारा परिभाषित है, तो इसकी स्वतुल्यता, सममितता और संक्रमकता की जाँच कीजिए।
हल :
स्वतुल्यता :
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 1
प्रश्न 6.
सिद्ध कीजिए कि समुच्चय {1,2,3} में R = { (1,2), (2,1) } द्वारा प्रदत्त सम्बन्ध R सममित है किन्तु न तो स्वतुल्य है और न संक्रामक है।
हल :
दिया है, A = {1, 2, 3} तथा R = { (1, 2), (2, 1) }

  1. R स्वतुल्य नहीं है, क्योंकि (1, 1), (2, 2), (3, 3) ∉ R
  2. R सममित है, क्योंकि (1, 2) ∈ R और (2, 1) ∈ R
  3. R संक्रामक नहीं है, क्योंकि R में केवल 2 ही अवयव हैं, जबकि संक्रामक होने के लिए तीन अवयव का होना आवश्यक हैं।

अत:
1, 2 व 3 से स्पष्ट है कि R न तो स्वतुल्य है और न ही संक्रामक है परन्तु R सममित है। इति सिद्धम्

प्रश्न 7.
सिद्ध कीजिए कि किसी कॉलेज के पुस्तकालय की समस्त पुस्तकों के समुच्चय A में R = { (x, y) : x तथा y में पेजों की संख्या समान है } द्वारा प्रदत्त सम्बन्ध R एक तुल्यता सम्बन्ध
हल :
दिया है, A किसी कॉलेज के पुस्तकालय की समस्त पुस्तकों का समुच्चय है। तथा R = { (x, y) : x तथा y में पेजों की संख्या समान है }

  1. R स्वतुल्य है, क्योंकि बराबर पृष्ठों वाली प्रत्येक पुस्तक में पृष्ठों की संख्या बराबर होगी।
  2. R सममित है, क्योंकि x, y पुस्तकों में पृष्ठ बराबर है तो y, x पुस्तकों में भी पृष्ठ बराबर होगे।
  3. R संक्रामक है, क्योंकि x, y तथा y, z पुस्तकों में पृष्ठ बराबर हैं तो x, z पुस्तकों में भी पृष्ठ बराबर होंगे।

अत:
1, 2 व 3 से स्पष्ट है कि R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है। इसलिए R तुल्यता सम्बन्ध है।

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प्रश्न 8.
सिद्ध कीजिए कि A = {1, 2, 3, 4, 5} में, R = { (a, b) :|a – b| सम है } द्वारा प्रदत्त सम्बन्ध R एक तुल्यता सम्बन्ध है। प्रमाणित कीजिए कि {1, 3, 5} के सभी अवयव एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं और समुच्चय {2, 4} के सभी अवयव एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं परन्तु {1, 3 ,5} का कोई भी अवयव {2, 4} के किसी अवयव से सम्बन्धित नहीं है।
हल :
दिया है, A = {1, 2, 3, 4, 5} तथा R = { (a, b) : |a – b| एक सम संख्या } = { (1, 3), (1, 5), (2, 4), (3, 5)}
(a) तुल्यता सम्बन्ध सिद्ध करने के लिए प्रश्नावली 1 (A) के प्रश्न 10 का हल देखें।
(b) समुच्चय {1, 3, 5} में |1 -3|,|1 -5|,|3 -5| सभी सम संख्याएँ हैं। सभी अवयव एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं। समुच्चय {2, 4} में |2 -4| एक सम संख्या है।
अतः
इसमें अवयव एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं। परन्तु {1, 3, 5}, {2, 4} के अवयव आपस में सम्बन्धित नहीं हैं|1 -2|, |3 -4|,|3 -5|| सम संख्याएँ नहीं हैं। (इति सिद्धम्)

प्रश्न 9.
सिद्ध कीजिए कि समुच्चय A = { x ∈ z : 0 ≤ x ≤ 12 }, में दिए गए निम्नलिखित सम्बन्धों R में से प्रत्येक एक तुल्यता सम्बन्ध है :
(i) R = { (a, b) : |a – b|, 4 का एक गुणज है},
(ii) R = { (a, b) : a = b}, प्रत्येक दशा में 1 से सम्बन्धित अवयवों को ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है,  A = {x ∈ z : 0≤ x ≤ 12} = {0, 1, 2, 3, 4, ….., 12}
(i)
R = { (a, b) :|a – b|, 4 का एक गुणज है } ,
= { (1, 5), (1, 9), (2, 6), (2, 10), (3, 7), 3, 11),(4, 8) (4, 12), (5, 9), (6, 10), (7, 11), (8, 12),(0, 4), (0, 8), (0, 12), (0, 0), (1, 1), (2, 2), (3, 3), …, (12, 12)}

  1. R स्वतुल्य है, यदि a – b= 4k ⇒ k = 0
  2. R सममित है, यदि | a – b| =| b – a| = 4k
  3. R संक्रामक है, यदि a – b, 4 का गुणज है तथा b – c, 4 का गुणज है। तो a – b + b – c = |a – c| भी 4 का एक गुणज होगा।

अत:
1, 2 व 3 से स्पष्ट है कि R, स्वतुल्य, सममित तथा स्वतुल्य है।
अत:
R एक तुल्यता सम्बन्ध है।
1 से सम्बन्धित अवयव = {1, 5, 9}

(ii)
R = { (a, b) : a = b} ∴ R = { (0, 0), (1, 1), (2, 2), (3, 3),…. (12, 12) }

  1. 4 = 1 = (a, a) = R
    ∴R स्वतुल्य है।
  2. R सममित है, यदि 4 = b = b = d
  3. R संक्रामक है, यदि 1 = b,
    b = c ⇒ a = c अर्थात a, b, c तीनों बराबर हैं।

अत:
1, 2 तथा 3 से स्पष्ट है कि R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है।
अंतः
R एक तुल्यता सम्बन्ध है।
1 से सम्बन्धित अवयव = { 1 }

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प्रश्न 10.
ऐसे सम्बन्ध का उदाहरण दीजिए, जो
(i) सममित हो परन्तु न तो स्वतुल्य हो और न संक्रामक हो।
(ii) संक्रामक हो परन्तु न तो स्वतुल्य हो और न सममित हो।
(iii) स्वतुल्य तथा सममित हो किन्तु संक्रामक न हो।
(iv) स्वतुल्य तथा संक्रामक हो किन्तु सममित न हो।
(v) सममित तथा संक्रामक हो किन्तु स्वतुल्य न हो।
हल :
(i)
माना A एक समतल में सरल रेखाओं का समुच्चय है तथा R = { (a, b) : a, b पर लम्ब है }

  1. रेखा a, b पर लम्ब है तो b रेखा a पर लम्ब है।
    ∴ R सममित सम्बन्ध है।
  2. R स्वतुल्य नहीं है, क्योंकि रेखा a अपने आप पर ही लम्ब नहीं हो सकती है।
  3. R संक्रामक नहीं है, यदि a रेखा b पर लम्ब है, b रेखा c पर लम्ब है तो a रेखा c पर लम्ब नहीं

(ii)
माना A एक वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है। तथा R = { (a, b) : a > b}

  1. R संक्रामक है, यदि a > b और b > c = a > c
  2. R स्वतुल्य नहीं है, a अपने आप से बड़ी संख्या नहीं है।
  3. R सममित नहीं है, यदि a > b तो b, a से बड़ा नहीं है।

(iii)
माना A = {1, 2, 3} तथा R = { (1, 1), (2, 2), (3, 3), (1, 2), (2, 1), (2, 3), (3, 2) }
समतुल्य व सममित है। परन्तु संक्रामक नहीं है क्योंकि (1, 2) ∈ R, (2, 3) ∈ R, परन्तु  (1, 3) ∉ R

(iv)
माना A = {1, 2, 3} तथा
R = { (a, b) : a ≤ b} = {(1, 1), (2, 2), (3, 3), (1, 2), (1, 3), (2, 3) }

  1. R स्वतुल्य है, क्योंकि (1, 1), (2, 2), (3, 3) ∈ R
  2. R संक्रामक है, क्योंकि (1, 2), (2, 3) ∈ R = (1, 3) ∈ R
  3. R सममित नहीं है, यदि a < b परन्तु b, a से कम नहीं है।

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(v)
माना A = {1, 2, 3} तब R = { (1, 1), (2, 2), (1, 2), (2, 1)} सममित व संक्रामक है, ।
परन्तु स्वतुल्य नहीं हैं क्योकि (3, 3) ∉R

प्रश्न 11.
सिद्ध कीजिए कि किसी समतल में स्थित बिन्दुओं के समुच्चय में  R : { ( P, Q : बिन्दु P की मूलबिन्दु से दूरी, बिन्दु Qकी मूलबिन्दु से दूरी के समान है} द्वारा प्रदत्त सम्बन्ध R एक तुल्यता सम्बन्ध है। पुनः सिद्ध कीजिए कि बिन्दु P ≠ (0,0) से सम्बन्धित सभी बिन्दुओं का समुच्चय P से होकर जाने वाले एक ऐसे वृत्त को निरूपित करता है, जिसका केन्द्र मूलबिन्दु पर है।

हल :
दिया है, A समतल में बिन्दुओं को समुच्चय है। तथा R = { ( P, Q) : मूलबिन्दु से P तथा Q की दूरी समान है }
= { (P, Q) : OP = OQ}

  1. R स्वतुल्य है, क्योंकि OP अपने ही बराबर है।
  2. R सममित है, यक्योंकि OP = OQ ⇒ OQ = OP
  3. R संक्रामक है, क्योंकि OP = OQ,
    OQ = QR ⇒ OP =QR

1, 2 तथा 3 से स्पष्ट है कि R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है।
अत:
R तुल्यता सम्बन्ध है। चूँकि o मूलबिन्दु है तथा P वृत्त की परिधि पर रहता है अर्थात् यदि OP = K ⇒ बिन्दु P एक वृत्त पर रहता है जो 0 से K दूरी पर है। अतः बिन्दु P ≠ (0, 0) से सम्बन्धित सभी बिन्दुओं का समुच्चय P से होकर जाने वाले एक ऐसे वृत्त को निरूपित करता है, जिसका केन्द्र मूलबिन्दु पर है। (इति सिद्धम्)

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प्रश्न 12.
सिद्ध कीजिए कि समस्त त्रिभुजों के समुच्चय A में, R = { (T1 T2) : T1 T2, के समरूप है} द्वारा परिभाषित सम्बन्ध R एक तुल्यता सम्बन्ध है। भुजाओं 3, 4, 5 वाले समकोण त्रिभुज T1 भुजाओं 5, 12, 13 वाले समकोण त्रिभुज T2, तथा भुजाओं 6, 8, 10 वाले समकोण त्रिभुज T3  पर विचार कीजिए। T1 T2 और T3  में से कौन-से त्रिभुज परस्पर सम्बन्धित हैं?
हल :
तुल्यता संबंध सिद्ध करने के लिए प्रश्नावली 1 (A) के प्रश्न 16 का हल देखें।

(i)
त्रिभुज , की भुजाएँ 3, 4, 5 हैं त्रिभुज T, की भुजाएँ 5, 12, 13 हैं तथा त्रिभुज T3 की भुजाएँ 6, 8, 10 हैं। चूँकि त्रिभुज  T1, की भुजाएँ 3, 4, 5, त्रिभुज T2, की भुजाओं 5, 12, 13 के समानुपाती नहीं है। इसी प्रकार त्रिभुज T2 , की भुजाएँ 5, 12, 13 त्रिभुज  T3 की भुजाओं 6, 8, 10 के समानुपाती नहीं है, इसलिए ये त्रिभुज समरूप त्रिभुज नहीं होंगे।
पुनः
त्रिभुज  T3 तथा  T3 की भुजाएँ समानुपाती हैं, इसलिए यह समरूप त्रिभुज है।
अत:
त्रिभुज  T1 तथा  Tआपस में सम्बन्धित है।

प्रश्न 13.
सिद्ध कीजिए कि समस्त बहुभुजों के समुच्चय A में, R = { (p1, p2) : p1, तथा p}, की भुजाओं की संख्या समान है। प्रकार से परिभाषित सम्बन्ध R एक तुल्यता सम्बन्ध है। 3,4 और 5 लम्बाई की भुजाओं वाले समकोण त्रिभुज से सम्बन्धित समुच्चय A के सभी अवयवों का समुच्चय ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है, A समस्त बहुभुजों का समुच्चय है। तथा R = { (p1, p2) : p1, p2, की भुजाओं की संख्या बराबर है।
(i)

  1. R स्वतुल्य है, क्योंकि प्रत्येक बहुभुज की भुजाओं की संख्या स्वयं के समान होती है।
  2. R सममित है, यदि बहुभुज  p1, p2, की भुजाएँ  n है तो बहुभुज pऔर p1,की भुजाएँ भी n ही होंगी।
  3. R संक्रामक है, यदि बहुभुज  p1, p2 औरp2, p3 प्रत्येक की n भुजाएँ है तो p1 और p3 की भुजाएँ भी n ही होंगी।

अतः
1, 2 तथा 3 से स्पष्ट है कि R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक हैं।
अतः
R एक तुल्यता सम्बन्ध है।

(ii)
सभी त्रिभुजों का समुच्चय त्रिभुज T से सम्बन्धित है।

प्रश्न 14.
मान लीजिए कि X Y – तल में स्थित समस्त रेखाओं का समुच्चय L है और L में R = { (L1,L2) : L1 समान्तर है L2 के } द्वारा परिभाषित सम्बन्ध R है। सिद्ध कीजिए कि R एक तुल्यता सम्बन्ध है। रेखा y = 2 x + 4 से सम्बन्धित समस्त रेखाओं का समुच्चय ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है, L किसी X Y- तल में स्थित समस्त रेखाओं का समुच्चय है।
तथा R = { (L1, L2) : L1 समान्तर है L2 के }
(i)

  1. R स्वतुल्य है, क्योंकि प्रत्येक रेखा अपने आप के समान्तर है।
  2. R सममित है, यदि  Lरेखा, L2 के समान्तर है तो Lरेखा, Lके भी समान्तर होगी।
  3. R संक्रामक है, यदि  L1, Lऔर  L2, Lसमान्तर रेखाएँ हैं तो L1और Lभी समान्तरे रेखाएँ होंगी।

अतः
1, 2 तथा 3 से स्पष्ट है कि R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है।
अतः
R एक तुल्यता सम्बन्ध है।
इति सिद्धम्

(ii)
माना y = 2 x + c, जबकि c का मान कुछ भी हो सकता है।
अतः
y = 2 x +4 से सम्बन्धित रेखाओं का समुच्चय y = 2 x + c है।

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प्रश्न 15.
मान लीजिए कि समुच्चय {(1, 2, 3, 4)} में, R = { (1, 2), (2, 2), (1, 1), (4, 4), (1, 0, (3, 3), (3, 2)} द्वारा परिभाषित सम्बन्ध में है। निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनिए।
(A) R स्वतुल्य तथा सममित है किन्तु संक्रामक नहीं है।
(B) R स्वतुल्य तथा संक्रामक है किन्तु सममित नहीं है।
(C) R सममित तथा संक्रामक है किन्तु स्वतुल्य नहीं है।
(D) R एक तुल्यता सम्बन्ध है।
हल :
दिया है, A = {1, 2, 3, 4}
तथा R = { (1, 2), (2, 2), (1, 1), 4, 4), (1, 3), (3, 3), (3, 2) }

  1. R स्वतुल्य है, क्योकि (1, 1), (2, 2), (3, 3), (4, 4) ∈ R
  2. R सममित नहीं है, क्योंकि (1,2) ∈ R परन्तु (2,1) ∉ R
  3. R संक्रामक है, क्योंकि (1, 3) ∈ R,(3, 2) ∈ R = (1, 2) ∈ R

अत:
1, 2 तथा 3 से स्पष्ट है कि R स्वतुल्य तथा संक्रामक है परन्तु सममित नहीं है।
अत:
विकल्प (B) सही है।

प्रश्न 16.
यदि प्राकृतिक संख्याओं के समुच्चय N में सम्क्न्ध में इस प्रकार है कि R = {(a, b) : a = b -2, b> 6} तो सही उत्तर चुनिए ।
(a) (2,4) ∈ R,
(b) (3, 8) ∈ R,
(c) (6, 8) ∈ R
(d) (8, 7) ∈ R
हल :
6 = 8 – 2, तथा 8 > 6
∴ (6, 8) ∈ R
अत: विकल्प (c) सही है।

Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए कि f(x) = [latex s=2]\frac { 1 }{ x }[/latex]  द्वारा परिभाषित फलन f : R→ R* एकैकी तथा आच्छादक है, जहाँ  R* सभी ऋणेतर वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है। यदि प्रान्त Rको N से बदल दिया जाए, जबकि सहप्रांत पूर्ववत  R* ही रहे, तो भी क्या यह परिणाम सत्य होगा?
हल :
(a)
(i) दिया है, f (x) = [latex s=2]\frac { 1 }{ x }[/latex] यदि f (x1) = f (x2)  ⇒ [latex s=2]\frac { 1 }{ { x }_{ 1 } }[/latex] = [latex s=2]\frac { 1 }{ { x }_{ 2 } } [/latex] 
x1 = x2
अत:
प्रान्त के प्रत्येक अवयव का एक ही प्रतिबिम्ब है।
अतः
f एकैकी फलन है।

(ii)
दिया है, ye
y = [latex s=2]\frac { 1 }{ x }[/latex]
x = [latex s=2]\frac { 1 }{ y }[/latex]
y ≠ 0
सहप्रान्त का प्रत्येक अवयव प्रान्त में क्रमश: एक ही अवयव का प्रतिबिम्ब है।
∴ f आच्छादक फलन है।
∴ f एकैकी व आच्छादक फलन है।

(b)
यदि प्रान्त R को N से बदल दिया जाता है तब सहप्रान्त R वही रहे तो f : N → R
जब f (x1) = f (x2)
⇒ [latex s=2]\frac { 1 }{ { x }_{ 1 } }[/latex] = [latex s=2]\frac { 1 }{ { x }_{ 2 } } [/latex]
x1 = x2 ∈ N
 ⇒  f एकैकी है।
परन्तु सहप्रान्त का प्रत्येक अवयव प्रान्त के अवयव का प्रतिबिम्ब न हो।
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 3
इस प्रकार f एकैकी है परन्तु आच्छादक नहीं है। (इति सिद्धम्)

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित फलनों की एकैक (Injective) तथा आच्छादी (Surjective) गुणों की जाँच कीजिए :
(i) f (x) = x2  द्वारा प्रदत्त f : N → N फलन है।
(ii) f (x) = x2  द्वारा प्रदत्त f : Z → Z फलन है।
(iii) f (x) = x2  द्वारा प्रदत्त f : R → R फलन है।
(iv) f (x) = x3  द्वारा प्रदत्त f : N → N फलन है।
(v) f (x) = x3  द्वारा प्रदत्त f : Z → Z फलन है।
हल :
(i)
दिया है, f ( x ) = x2  और  f : N → N
(a)
f ( x) = f ( x) ⇒ [latex]{ x }_{ 2 }^{ 1 }[/latex]
⇒  x1 = x2 ,
⇒  x1 = x2 ∈ N
f  एकैकी है।
(b)
परन्तु सहप्रान्त में ऐसे कुछ अवयव हैं जो प्रान्त के किसी भी अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं हैं।

उदाहरणार्थ :
माना 3 सहप्रान्त में है तो 3 प्रान्त के किसी भी अवयव को प्रतिबिम्ब नहीं होगा।
∴ f आच्छादक नहीं है।
अत:
f एकैकी है परन्तु आच्छादक नहीं है।

(ii)
f (x) = x2   f : Z → Z , जबकि  f (x) = x
(a)
f (-1) = f (1) = 1 ⇒ -1 और 1 का प्रतिबिम्ब 1 है।
∵ प्रान्त के दो भिन्न-भिन्न अवयवों -1 और 1 का परिसर R में एक ही f-प्रतिबिम्ब 1 पर है।
∵ प्रतिबिम्ब समान है।
∴ f एकैकी नहीं है।
(b)
सहप्रान्त में ऐसे अवयव हैं जो प्रान्त के किसी अवयव में प्रतिबिम्ब नहीं हैं।
उदाहरणार्थ-3
सहप्रान्त में है, परन्तु 3 प्रान्त के किसी अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं है।
∴ f आच्छादक नहीं है।
अत:
f न तो एकैकी है और न ही आच्छादक है।

(iii)
f : R → R, यदि f (x) = x2
(a)
( -1 )= (1)2 = f (-1) = f (1)
अतः
-1 और 1 का प्रतिबिम्ब 1 है। अर्थात् प्रान्त के दो भिन्न-भिन्न अवयवों -1 और 1 का परिसर R में एक ही f- प्रतिबिम्ब 1 है। अर्थात् प्रतिबिम्ब समान है,
∴ f एकैकी नहीं है।
(b)
-2 सहप्रान्त में है परन्तु यह प्रान्त के किसी भी अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं है।
अत:
f आच्छादक नहीं है।
∴ f न तो एकैकी है और न ही आच्छादक है।
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प्रश्न 3.
सिद्ध कीजिए कि f(x) = [x] द्वारा प्रदत्त महत्तम पूर्णाक फलन f : R – R, न तो एकैकी है और न आच्छादक है, जहाँ [x], x से कम या उसके बराबर महत्तम पूर्णांक को निरूपित करता है।
हल :
स्पष्ट है कि f(x) का प्रान्त = R
तथा f(x) = 0 Y x e[0, 1)
∴ f : R → R एकैकी नहीं है।
पुनः f(x) केवल पूर्णांक मान ग्रहण करता है।
∴ सह प्रान्त के अपूर्णांक अवयव प्रान्त के किसी भी अवयव के प्रतिबिम्ब नहीं हैं।
∴ f : R → R आच्छादक नहीं है।
अत: f : R → R न तो एकैकी है और न ही आच्छादक।

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प्रश्न 4.
सिद्ध कीजिए कि f ( x ) =| x | द्वारा प्रदत्त मापांक फलन f : R→ R, न तो एकैकी है। और न आच्छादक है, जहाँ | x | बराबर x , यदि x धन या शून्य है तथा| x | बराबर  – x, यदि x ऋण है।
हल :
यहाँ f : R → R, जबकि f ( 3 ) = [x]
(a)
f (-1) = |- 1 | = 1, f(1) = |1| = 1
-1 और 1 का एक ही प्रतिबिम्ब है।
अत:
प्रान्त के दो भिन्न-भिन्न अवयवों -1 और 1 का परिसर R में एक ही f – प्रतिबिम्ब 1 है।
∵ प्रतिबिम्ब समान है।
इसलिए  f  एकैकी नहीं है।
(b)
सहप्रान्त की कोई भी ऋणात्मक संख्या प्रान्त के किसी भी अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं है।
∴ f आच्छादक नहीं है।
अत:
f न तो एकैकी है और न ही आच्छादक है। इति सिद्धम्

प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि f :R → R
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हल :
स्पष्टतया f(2) = 1 तथा f (3) = 1
∴ f(2) = f(3) जबकि 2 ≠ 3
∴ f एकैकी नहीं है। f का परिसर = {1, 0, -1} c R
∴ f अन्तः क्षेपी है।
अतः फलन न तो एकैकी है और न आच्छादक।

प्रश्न 6.
मान लीजिए कि A = {1, 2, 3}, B = {4, 5, 6, 7} तथाf = { (1, 4), (2, 5), (3, 6) } A से B तक एक फलन है। सिद्ध कीजिए कि f एकैकी है।
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हल :
दिया है, A ={1, 2, 3}, B = {4, 5, 6, 7}
f : A → B इस प्रकार है कि f = { (1, 4 ), ( 2, 5 ), ( 3, 6 ) } A के प्रत्येक अवयव का अलग-अलग प्रतिबिम्ब है। इसलिए  f  एकैकी है।
( इति सिद्धम् )

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से प्रत्येक स्थिति में बताइये कि क्या दिए हुए फलन एकैकी, आच्छादक अथवा एकैकी आच्छादी (bijective) हैं। अपने उत्तर का औचित्य भी बताइये।
(i) f (x) = 3 – 4 द्वारा परिभाषित फलन f : R → R है।
(ii) f (x) = 1 + x2 द्वारा परिभाषित फलन f : R → R है।
हल :
(i)
यहाँ f : R – R, यदि f(x) = 3 – 4 x
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अत:
f, बहु-एक फलन है।
∴ f एकैकी नहीं है।
(b)
पुनः x के प्रत्येक वास्तविक मान के लिए (1 + x) का मान सदैव 1 या 1 से बड़ा होगा।
∴ परिसर R में 1 से छोटे अवयव (0 तथा ऋणात्मक संख्याएँ ), डोमेन R के किसी भी अवयव के f-प्रतिबिम्ब नहीं होंगे।
∴ f – अन्त:क्षेपी फलन है अर्थात् आच्छादक नहीं है।
इसलिए दिया हुआ फलन न तो एकैकी है और न ही आच्छादक है।

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प्रश्न 8.
मान लीजिए A तथा B दो समुच्चय हैं। सिद्ध कीजिए किf : A × B → B × A, इस प्रकार हैं कि f (a, b) = f (b, a) एक एकैकी आच्छादक फलन है।
हल :
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प्रश्न 9.
दिखाइए कि फलन f : N → N जोकि
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हल :
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 11
प्रश्न 10.
मान लीजिए कि A= R → { 3 } तथा  B = R – { 1 } हैं। (x) = [latex s=2]\frac { x-2 }{ x-3 } [/latex] द्वारा परिभाषित फलन f : A → B पर विचार कीजिए। क्या । एकैकी तथा आच्छादक है? अपने का औचित्य भी बतलाइए।
हल :
दिया है , f : A → B , तथा
A= R → { 3 } तथा  B = R – { 1 } हैं। (x) = [latex s=2]\frac { x-2 }{ x-3 } [/latex] द्वारा परिभाषित फलन f : A → B पर विचार कीजिए। क्या । एकैकी तथा आच्छादक है? अपने का औचित्य भी बतलाइए।
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इससे सिद्ध होता है कि सहडोमेन R का स्वेच्छ अवयव y ≠ 1, डोमेन R के अवयव x का f-प्रतिबिम्ब है अर्थात् सहडोमेन R का प्रत्येक अवयव, डोमेन R के किसी-न-किसी अवयव का f-प्रतिबिम्ब अवयव है।
फलन f का परिसर = सहडोमेन R फलन f आच्छादक है।
इसलिए दिया हुआ फलन । एकैकी तथा आच्छादक है।

प्रश्न 11.
मान लीजिए : R – R; f (3) = * द्वारा परिभाषित है। सही उत्तर का चयन कीजिए।
(a) एकैकी आच्छादक है।
(b) f बहुएक आच्छादक है।
(c) f एकैकी है किन्तु आच्छादक नहीं है,
(d) f न तो एकैकी है और न आच्छादक है।
हल :
दिया है, f : R → R, यदि f (x) = x4
(i) f(-1) = (-1)4 = 1, f(1) = 14 = 1
f(-1) = f(1)
∴ -1 और 1 का प्रतिबिम्ब 1 है। इसलिए f एकैकी नहीं है।

(ii)
सहप्रान्त का अवयव -1 प्रान्त के किसी भी अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं है। इसलिए f आच्छादक नहीं है। अत: f न तो एकैकी है और न ही आच्छादक है।
अत: विकल्प (d) सही है।

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प्रश्न 12.
मान लीजिए कि f(a) = 3x द्वारा परिभाषित फलन f : R → R है। सही उत्तर चुनिए :
(a) f एकैकी आच्छादक है
(b) f बहुएक आच्छादक है।
(c) f एकैकी है परन्तु आच्छादक नहीं है
(d) f न तो एकैकी है और न आच्छादक है।
हल :
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 13
इससे सिद्ध होता है कि सहडोमेन R का स्वेच्छ अवयव y, डोमेन R के किसी-न-किसी अवयव का f-प्रतिबिम्ब अवश्य है। फलन f का परिसर = सहडोमेन R, फलन / आच्छादक है। इसलिए f एकैकी तथा आच्छादक है। अतः विकल्प (a) सही है।

Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3

प्रश्न 1.
मान लीजिए कि f : {1, 3, 4} {1,2, 5} तथा f : {1,2, 5} {1, 3}, f = { (1, 2), (3, 5), (4, 10} तथा g = { (1, 3), (2, 3), (5, 10} द्वारा प्रदत्त हैं। gof ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है, f : { 1, 3, 4 } → { 1, 2, 5 } तथा g : { 1, 2, 5 } → { 1 , 3 } .
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 14

प्रश्न 2.
मान लीजिए कि f, g तथा h, R से R तक दिए फलन हैं। सिद्ध कीजिए कि
(f + g) oh = foh + goh
(f.g) oh = (foh). (goh)
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 15

प्रश्न 3.
gof तथा fog ज्ञात कीजिए, यदि
(i) f (x) = | x | तथा g (x) =| 5 x – 2|
(ii) f (x) = g x3 तथा g (x) = x1/3
हल :
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 16

प्रश्न 4.
यदि y(x) = [latex]\frac { 4x+3 }{ 6x-4 } ,x\neq \frac { 2 }{ 3 }[/latex] तो सिद्ध कीजिए कि सभी [latex]x\neq \frac { 2 }{ 3 }[/latex] के लिए fof (x) = x है। f का प्रतिलोम भी ज्ञात कीजिए।
हल :
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 17
f का प्रतिलोम तभी ज्ञात किया जा सकता है जब f एकैकी आच्छादक हो। f एकैकी है माना कि x1 x2 ∈ प्रान्त तब f (x1) = f(x2)
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 18

प्रश्न 5.
कारण सहित बताइए कि क्या निम्नलिखित फलनों के प्रतिलोम हैं ?
(i) f : {1, 2, 3, 4} → {10} जहाँ f = {(1, 10), (2, 10), (3, 10), 4, 10)}
(ii) g: {5, 6, 7, 8} → {1, 2, 3, 4} जहाँ g = {(5, 4), (6, 3), (7, 4), (8, 2)}
(iii) h : {2, 3, 4, 5} → {7, 9, 11, 13} जहाँ h = {(2, 7), (3, 9), (4, 11), (5, 13)}
हल :
(i) नहीं, क्योंकि एक बहुएक फलन है।
(ii) नहीं, इयोंकि g एक बहुएक फलन है।
(iii) हाँ, क्योंकि h एक एकैकी आच्छादक फलन है।

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प्रश्न 6.
यदि f :[-1, 1] → Y: f(x) = [latex]\frac { x }{ x+2 } ,x\neq -2[/latex] तथा Y = परिसर (f) तो दिखाइए कि f-1 व्युत्क्रमणीय है तथा ज्ञात कीजिए।
हल :
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 19
प्रश्न 7.
f (x) = 4 x + 3 द्वारा प्रदत्त फलन f : R → R पर विचार कीजिए। सिद्ध कीजिए कि f व्युत्क्रमणीय है। f का प्रतिलोम फलन ज्ञात कीजिए।
हल :
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 20

प्रश्न 8.
f(x) = x + 4 द्वारा प्रदत्त फलन f : R → [4,∞) पर विचार कीजिए। सिद्ध कीजिए किf व्युत्क्रमणीय है तथा का प्रतिलोम -1,f (y) = [latex]\sqrt { y-4 } [/latex] द्वारा प्राप्त होता है, जहाँ R सभी ऋणेतर वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है।
हल :
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 21

प्रश्न 9.
यदि f : R+ → [-5, ∞]: f (3) = 9x2 + 6x – 5 तो सिद्ध कीजिए कि f व्युत्क्रमणीय है तथा f-1(y) = [latex]\left( \frac { \sqrt { Y+6-1 } }{ 3 } \right)[/latex]
हल :
उपरोक्त प्रश्न की भाँति स्वयं हल करें।

प्रश्न 10.
मान लीजिए कि f : X→ Y एक व्युत्क्रमणीय फलन है। सिद्ध कीजिए कि f  को प्रतिलोम फलन अद्वितीय (unique) है।
हल :
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 22

प्रश्न 11.
f : { 1, 2, 3} {a, b, c}, f (1) = a, f (2) = b तथा f (3) = c द्वारा प्रदत्त फलन f पर विचार कीजिए। f -1 ज्ञात कीजिए और सिद्ध कीजिए कि  (f -1 )-1 =  f है।
हल :
UP Board Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions image 23
प्रश्न 12.
मान लीजिए कि f : A → B एक व्युत्क्रमणीय फलन है। सिद्ध कीजिए कि f-1 का प्रतिलोम f है अर्थात् (f-1)-1 = f है।
हल :
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प्रश्न 13.
प्रश्नावली 1(C) का प्रश्न 5 व हल देखें।

प्रश्न 14.
प्रश्नावली 1(C) का प्रश्न 20 व हल देखें।

Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.4

प्रश्न 1.
प्रश्नावली 1(D) का प्रश्न 1 व हल देखें।

प्रश्न 2.
प्रश्नावली 1(D) का प्रश्न 2 व हल देखें।

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प्रश्न 3.
प्रश्नावली 1(D) का प्रश्न 16 व हल देखें।

प्रश्न 4.
प्रश्नावली 1(D) का प्रश्न 17 व हल देखें।

प्रश्न 5.
मान लीजिए कि समुच्चय { 1,2,3,4,5 } में एक द्विआधारी संक्रिया *’, a *’ b = a तथा b का HCF द्वारा परिभाषित है। क्या संक्रिया *’ उपर्युक्त प्रश्न 4 में परिभाषित संक्रिया * के समान है? अपने उत्तर का औचित्य भी बतलाइए।
हल :
प्रश्नानुसार, समुच्चय {1, 2, 3, 4, 5} संक्रिया a *’ b H.C.F. a तथा b द्वारा परिभाषित है। द्विआधारी संक्रिया * के लिए सारणी निम्नलिखित होगी ।

*’ 1 2 3 4 5
1 1 1 1 1 1
2 1 2 1 2 1
3 1 1 3 1 1
4 1 2 1 4 1
5 1 1 1 1 5

यह संक्रिया सारणी प्रश्न 4 में दी गई संक्रिया सारणी के समान है।
अतः
द्विआधारी संक्रिया *’ तथा * समान होगी।

प्रश्न 6.
मान लीजिए कि N में एक द्विआधारी संक्रिया *, a* b = a तथा b का L.C.M. द्वारा परिभाषित है। निम्नलिखित ज्ञात कीजिए।
(i) 5 * 7, 20 * 16
(ii) क्या संक्रिया * क्रमविनिमेय है?
(iii) क्या * साहचर्य है?
(iv) N में * का तत्समक अवयव ज्ञात कीजिए।
(v) N के कौन-से अवयव * संक्रिया के लिए व्युत्क्रमणीय हैं?
हल:
प्रश्न में समुच्चय N = प्राकृत संख्याओं का समुच्चय में * संक्रिया, a * b = a, b का L.C.M. द्वारा परिभाषित है।
(i)
5 * 7 = 5 व 7 का L.C.M. = 35
20 * 16 = 20 वे 16 का L.C.M. = 80
∴ 5 * 7 = 35 , 20 *16 = 80

(ii)
a*b = a, b का  L.C.M.
b* a = b, a का  L.C.M.
∵ a * b तथा b* a का L.C.M. बराबर है।
इसलिए
⇒  a * b = b * a
∵ स्पष्ट है कि संक्रिया * क्रमविनिमेय द्विआधारी संक्रिया है।

(iii)
a * (b * c) = a * (b, c का L.C.M.)
= a, b, c का  L.C.M.
(a*b)* c = (a, b का L.C.M.) *C
= a, b, c का L.C.M.
∵ a* (b * c) तथा (a * b)* c के L.C.M. बराबर हैं।
⇒ (a * b)* c = a * (b* c)
∴ स्पष्ट है कि संक्रिया * साहचर्य द्विआधारी संक्रिया है।

(iv)
* संक्रिया का तत्समक अवयव 1 है।
1 * a = a * 1 = a

(v)
N * N → N, * संक्रिया का a * b = a, b का L.C.M. द्वारा परिभाषित किया गया है। यदि a = 1, b = 1, a * b = 1 अन्यथा नहीं
⇒ 1 * 1 =1
⇒ 1 के लिए व्युत्क्रमणीय है।

प्रश्न 7.
प्रश्नावली 1(D) का प्रश्न 12 व हल देखें।

प्रश्न 8.
प्रश्नावली 1(D) का प्रश्न 13 व हल देखें।

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प्रश्न 9.
प्रश्नावली 1(D) का प्रश्न 9 व हल देखें।

प्रश्न 10.
प्रश्न 9 में दी गई संक्रियाओं में किसी का तत्समक है, वह बतलाइए।
हल :
(i)
दिया है, a * b = a – b यदि e तत्समक अवयव हो तब ।
a * e = a – e  तथा  e * a = e – a
a – e ≠ e – a  ⇒  a * e ≠ e * a
अत :
स्पष्ट है कि e का अस्तित्व नहीं है।

(ii)
दिया है, a * b = a2 + b2
∴ a * e = a2 + e2  तथा e * a = e2+a2
∵ हम देखते हैं कि
a *e = e * a ≠ 1
अत :  
स्पष्ट है कि e का अस्तित्व नहीं है।

(iii)
दिया है, a * b = a+ ab
a* e = a + ae तथा
∵ हम देखते हैं कि a * e ≠ e * a ≠ a
अत :
स्पष्ट है कि e का अस्तित्व नहीं है।

(iv)
दिया है, a* b = (a – b)2
a * e = (a – e)2 ≠ a तथा e * a = (e – a)2 ≠ a
a * e =e * a ≠ a
अत :
स्पष्ट है कि e का अस्तित्व नहीं है।

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अतः
स्पष्ट है कि e का अस्तित्व नहीं है।

प्रश्न 11.
प्रश्नावली 1(D) का प्रश्न 14 हल देखें।

प्रश्न 12.
बताइए कि क्या निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य हैं। औचित्य भी बतलाइए।
(i) समुच्चय N में किसी भी स्वेच्छ द्विआधारी संक्रिया * के लिए a * a = a, ∀ a ∈ N
(ii) यदि N में * किसी क्रमविनिमेय द्विआधारी संक्रिया है तो a* (b * c) = (c * b) * a
हल :
प्रश्नानुसार, द्विआधारी संक्रिया समुच्चय N पर इस प्रकार परिभाषित की गयी है कि a * a = a, ∀ a ∈ N
(i)
यहाँ पर * संक्रिया में केवल एक ही अवयव का प्रयोग किया गया है।
अत :
स्पष्ट है कि यह कथन असत्य है।

(ii)
वास्तविक संख्याओं में समुच्चय पर संक्रिया * क्रमविनिमेय है।
b * c = c * b
∴ तथा (c * b) * a = (b * c) * a = a * (b * c)
∴ a* (b * c) = (c * b) * a
∴ यह कथन सत्य है।

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प्रश्न 13.
a * b= a3 + b3 प्रकार से परिभाषित N में एक द्विआधारी संक्रिया * पर विचार कीजिए। अब निम्नलिखित में से सही उत्तर का चयन कीजिए
(A) * साहचर्य तथा क्रमविनिमेय दोनों है।
(B) * क्रमविनिमेय है किन्तु साहचर्य नहीं है।
(C) * साहचर्य है किन्तु क्रमविनिमेय नहीं है।
(D) * न तो क्रमविनिमेय है और न साहचर्य है।
हल :
प्रश्नानुसार, द्विआधारी संक्रिया * को समुच्चय N पर इस प्रकार परिभाषित किया गया है कि
a * b= a3 + b3
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UP Board Solutions for Class 12 English Composition Chapter 2 Unseen Passage

UP Board Solutions for Class 12 English Composition Chapter 2 Unseen Passage are part of UP Board Solutions for Class 12 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 English Composition Chapter 2 Unseen Passage.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject English Composition
Chapter Name Unseen Passage
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 English Composition Chapter 2 Unseen Passage

From U.P. Board Examination Papers
Exercise 1

(a) Summary : Permanent success can by attained only by self help. Generally people blame others for their failure while a man of self help never blames others. he analyses his own actions and tries to overcome his own short comings. He does not rest till he succeeds in his aim. Thus not only his friends but also his enemies congratulate him.
(b) A suitable title to the given passage may be ‘Self Help’.
(c)
(i) Many people regard others responsible for their own failures.
(ii) We should never rest till we achieve success.
(d) We should never rest till we achieve success.
(e) A man of self help never blames others for his failures but analyses his own actions to overcome his shortcomings. (2012)

Exercise 2

(a) (i)
(b) The sick man will refuse to touch the most delicious food. He would imagine him to be happy if he is as healthy as even his lowest servant who is not sick. The reason is the healthy servant enjoys whatever coarse cheap or little food he gets.
(c) Health is Wealth
(d)
(i) Cannot out weigh the suffering of the sick. All the joys that life can give cannot be more in importance than the suffering of the sick. In other words the suffering of the sick exceed many times the joys.
(ii) The miserable beggars with health sleep sweetly. The beggars lead a miserable life. The reason is they are devoid of every comfort. Yet they possess one thing that surpasses all the scarcities and that is their being healthy. They have a sound sleep while lying on hard stony floor without any mattress to lie on and quilt to cover themselves and protect against cold.
(e) Summary : Loss of health is the greatest misfortune. Silken bed, tasty and choicest foods and all the wealth will be useless for him. He will not be able to enjoy sound sleep. While the poorest man who eats a piece of dry bread and has no comfort except good health, will enjoy a sound sleep and will be full of happiness. Thus, health is the greatest boon for everybody. (2012)

Exercise 3

(a) Sir Waltered Raleigh smoked tobacco.
(b) The servant rushed up to his master with water because seeing his master smoking, he thought that his clothes must have caught fire.
(c) When the servant saw the clouds of smoke he rushed to his master and poured water on him.
(d) Summary : Sir Walter Raleigh was fond of smoking tobacco. He was the first man to indulge in the habit of smoking tobacoo in England. One day his servant saw him smoking. He thought his master’s clothes had caught fire. So he threw a bucket full of water over his master and ran to bring more.
(e) A suitable title to the given passage may be ‘A Faithful Servant’. (2012)

Exercise 4

(a) Summary : In this passage the writer describes that Napoleon never lost heart in difficulties and discouragements of life but he faced them and marched forward. This is the golden rule of successes and victories for all heroes. The writer prescribes this rule for all kinds of people of the world. We should never be discouraged in any type of odds of life. The man who is always marching forward will win over all misfortunes and losses. So remember that continuous efforts to recover the loss by new energy and new action will brighten your life.
(b) A suitable title to the above passage may be ‘The Golden Rule of Life.’
(c)
(i) however stormy …………. dark the way even in the odds of life and in uncertainty.
(ii) be up and ………….. new action. We should always work hard with new energy to recover the loss.
(d) Our motto should be ‘Press on!’.
(e) ‘To press on’ solves the problem of all the heroes. (2012)

Exercise 5

(a) Summary : In this passage the writer tells us that to enter the kingdom of God exemplary human conduct, ethical values and God-fearning conduct are necessary. Wealth has nothing to do with it. Wealth, in reality, is a great obstacle because a wealthy man commits moral crimes without which he cannot gather wealth. These crimes may remain hidden temporarily. But when they come to light, all the secrets are revealed and he is bound to live behind bars instead of reaching the kingdom of God.
(b) A suitable title to the given passage may be ‘The Way to the Kingdom of God.’
(c)
(i) A rich man is deprived of the wisdom and sensibility to accept a fundamental truth about human life.
(ii) When the secrets of a wealthy man are revealed.
(d) A real and good life is a life which has examplary human conduct, ethical values and God fearing demeanour.
(e) Money alone cannot bring happiness, to human life because a rich man commits moral crimes to gather more and more money and ignores other qualities of human life which bring real happiness.(2012)

Exercise 6

(a) Summary : Physical pollution has adversely affected not only our body but mind also. The nobility of character has become a thing of the past. We have become purely materialistic due to scientific and technological development and increase in wealth. We have gone very far from spiritualism and are completely engrossed in earning, spending and increasing money.(b) A suitable title for the passage may be ‘Materialism Versus Spiritualism’.
(c)
(i) Materialism…us = Now a days we have become completely money minded and are busy in earning and spending money.
(ii) accumulation…end all = Our main aim is to gather and increase money.
(d) The pollution of physical environment has contaminated our minds.
(e) Materialism is sounding the final death knell of humanism. (2013)

Exercise 7

(a) The greatest misfortune that can befall a man is the loss of health.
(b) The given phrase means that a sick person will dream to enjoy the health even of his poorest servant.
(c)
(i) Cannot out weigh the suffering of the sick. All the joys that life can give cannot be more in importance than the suffering of the sick. In other words the suffering of the sick exceed many times the joys.
(ii) The rich man when sick would not accept the delicious dishes and out of apathy withdraw his hand.
(d) Gist : Loss of health is the greatest misfortune. Silken bed, tasty and choicest foods and all the wealth will be useless for him. He will not be able to enjoy sound sleep. While the poorest man who eats a piece of dry bread and has no comfort except good health, will enjoy a sound sleep and will be full of happiness. Thus, health is the greatest boon for everybody.
(e) A suitable title to the given passage may be ‘Health—The Greatest Boon.’ (2013)

Exercise 8

(a) Marco Polo first discovered a route across Asia to China.
(b) Marco Polo told Europeans about the court of Peking.
(c) Two animals of the Arctic countries are white bear and reindeers.
(d) Summary : First of all Marco Polo discovered a route across Asia to China. He described Burma, Tibet and India and the customs and manners of the people. He described the cold Arctic countries also. Marco’s discoveries and descriptions stirred men up to find out more about this outside world.
(e) A suitable title to the passage may be ‘Marco Polo A Great Discoverer’. (2013)

Exercise 9

(a) Summary : In this passage the writer advises us that we should not read books for amusement only. We should read great literature with deeper qualities. Books which give intellectual food and make an appeal to the higher emotions and to the intellect are included in great literature.
(b) A suitable title to passage may be ‘Books Worth Reading’.
(c) Explanation : Wine-drinking and opium-smoking give temporary happiness till there is their effect. In the same way the amusement obtained from cheap books is temporary till we are reading the book.
(d) A young man with university education should read a book with the aim of obtaining intellectual food and an appeal to the higher emotions.
(e) The books which give only amusement and have no deeper qualities should not be read. (2013)

Exercise 10

(a) The money-minded men and women believe that it is foolishness to exert themselves for such study and brain work as cannot be converted into cash.
(b) Their rule of life is ‘Hard work only for money and then plenty of play and pleasure’.
(c) The old working woman complained to the author that her son was habitual of wasting money on buying books. He was a carpenter, not a school master.
(d) The psychology of material prosperity is deep rooted in the majority of people in society.
(e) Main idea : Generally the people are money-minded and they want to work hard only when they get money. They apply their intellect in getting material prosperity and give no importance to personal mental development. This psychology is deep rooted in all classes of society. (2014)

Exercise 11

(a) We can live a better life by adjusting ourselves properly well with other people. (b) The herd instinct brings animals closer together.
(c) Explanation :
(i) Herd instincts means to behave and think like the majority.
(ii) All animals crowd together in a small space under the same tree to protect them from wind or rain.
(d) Summary : We should live together in the society as companions of one another. We should not be centred up to our own resources. We should learn a lesson from animals how they adjust themselves like companions and enjoy security, warmth and comfort. Group instinct will always be more useful for us.
(e) A suitable heading to the given passage may be ‘Togetherness’. (2014)

Exercise 12

(a) A suitable heading to the given passage may be ‘Be Charitable’.
(b) Explanation :
(i) Fully satisfied.
(ii) If you are generous to give your any thing to a needy freely and lovingly.
(c) Summary : The thirsty horses go to a beautiful stream and pacify their thirst by drinking water. Then they make the water of the stream dirty by turning their back upon it or by stamping in it. Then the horses go out. But the stream at once floats away the mud and allows other creatures to pacify their thirst. This is the generosity of the stream. So we should learn a lesson from the stream and be charitable without expecting any reward or gratitude.
(d) The horses pollute the water after satisfying their thirst. This is the price they pay.
(e) This life is meant for sowing and scattering seed, not for reaping the produce. (2014)

Exercise 13

(a) The main function of a newspaper is to supply us with all sorts of news, local and foreign.
(b) In a country without newspaper, the people of that country will remain totally ignorant of the affairs of the world. (c) The newspapers can be given a name ‘Contemporary History’ in modern times.
(d) Explanation :
(i) Without newspapers we will be totally ignorant of the world affairs.
(ii) We remain aware of the latest news.
(e) Summary : Newspapers are really a part and parcel of modern life. They supply us local and foreign news of every part of the world. They bring us into close touch with one another and promote friendly feelings. They create a link between the rulers and the ruled. Newspapers are the best source of expressing the grievances and views of people and vice versa.
(f) A suitable title to the passage may be ‘Benefits of Newspapers’. (2014)

Exercise 14

(a) The wish of the author is to have ‘smile’ if he were to be born into this world again.
(b) The author admires the right kind of smile because there is nothing so irresistible as the right sort of smile.
(c) A pleasant smile is better than riches because it can carry us anywhere and can win us anything including riches.
(d) A good smile disarms our enemies and makes them forget that they have a grudge against us.
(e) The author illustrates the effect of a pleasing smile by narrating a short story of a public man who forgot the reasons of disliking the author’s friend whenever he was with him. (2014)

Exercise 15

(a) Some people want students to do nothing but add to their knowledge as they think that the aim of education is merely to give knowledge.
(b) Real function of education is to make all-round development of men. Education should be such that not only the person gets benifit but the society and country as a whole should be benefitted.
(c) The three aims of education are to give men knowledge, make them self-reliant and they should be able to serve others.
(d) Education should not produce citizens who love their own freedom and take away the freedom of others. It should not make men who want to harm other countries.
(e) A suitable title is “Role of Education”. (2015)

Exercise 16

(a) In this passage it is discussed how speaker should interact with his audience in order to have positive impact on them.
(b) Sometimes speakers suffer from superiority complex and deliver the talk like great teachers and wise preachers.
(c) Humility is a virtue that is universally appreciated and reciprocated.
(d) The audience should feel wiser and uplifted after listening the speech. They should have positive impact of the speech on them.
(e) ‘Assume air’ means to have particular feeling. ‘Superiority Complex’ means feeling that makes you feel better than others ‘Doling out means to give something to others. (2015)

Exercise 17

(a) Suitable title is ‘Meaning of Liberty’
(b)
(i) While enjoying our liberty, we should take care of others, liberty as well. For this we should adjust ourselves for others. We should sometimes give away our enjoyment and take tough condition in order to enjoy liberty in real sense.
(ii) Liberty means enjoying our freedom with appropriate checks and balances.
(c) Summary : Liberty means freedom to do our work as we wish but we should not harm others while doing so. This means we should take care of limits of liberty. Man is born free but everywhere he is in chains. Liberty means we should put restriction on us if others’ liberty is harmed. We should respect others’ point of view and should not show our supremacy in all decisions taken in public.
(d) Man should not be allowed to commit crimes in the name of liberty so that others’ safety is maintained. Others should not be harmed in the name of liberty.
(e) Liberty means enjoying our freedom with appropriate checks and balances. (2015)

Exercise 18

(a) Indian muslins were found wrapped around mummies in Egyptian Pyramids dating back to 3,000 B.C.
(b) Indian iron and steel industry is too old as Damascus steel for swords and armour used in the crusades came from India.
(c) During the eighteenth century, many of the finest British warships were built in India.’
(d) Crusade means a long and determined effort to achieve something in order to start or stop some activity.
(e) Indian industrial advancement and excellence in art and craft ebb out due to political disintegration and foreign conquest. (2015)

Exercise 19

(a) Early rising gives us good start in our day work.
(b) In the early morning the mind is fresh and there are few sounds or other distractions. So the work done in the early morning is well done.
(c) The early riser by beginning early is left with plenty of time to do all his work thoroughly. Therefore he is not tempted to hurry over his day’s work.
(d) The early riser finishes his work in good time and has long interval of rest in the evening. This enables him to go to bed at the proper time.
(e) A suitable title is “Benefits of Rising Early.” (2015)

Exercise 20

(a) Suitable heading is “Drawbacks of rising and sleeping late”.
(b)
(i) In the morning fresh air and cool environment give you a feeling of less tiredness or less hotness. It is pleasent when felt and gives you a fresh feeling.
(ii) Doing work in midnight.
(c) Summary : Rising early in the morning and avoiding midnight working habit is good for one’s health. When we get up early we have enough time to complete our work. We can have proper exercise which is good for our health. One who is habitual of working midnight cannot produce good results. Few persons say that they work with clear brain at midnight but they are not aware of the concequences of working late when body needs rest. They soon loose their good health.
(d) Early rising is better than rising late because man who rises late, can have little rest in the course of the day and devoid of evening exercise which is so important. He cannot take advantage of refreshing hours of the morning.
(e) Those who work into midnight soon loose their health and bad health has a bad effect on the quality of their work. (2015)

Exercise 21

(a) Gautam Buddha left home at the age of twenty-nine.
(b) Buddha fasted in order to seek true path.
(c) The meaning of ‘nirvana’ is the state of peace and happiness that a person gets after giving up his all desires. ‘Englightened one’ means to attain true knowledge.
(d) Summary : Gautam Buddha was the son of the ruler of a small state in northern India. He was married and had a son. He left his home at the age of twenty-nine to attain true knowledge. He wandered on and finally while sitting under a tree he became ‘the Buddha’ or ‘the Enlightened one’. He entered ‘nirvana’ and came out of the process of rebirth.
(e) Suitable title is ‘Enlightenment of Buddha. (2015)

Exercise 22

(a) Now there is hardly any sphere of human life where computers have not been pressed into service of man. Computers will become part of man’s daily life.
(b) Automation helps human beings in every sphere by doing work very accurately and at a high speed.
(c) In future small computers will be carried in pocket. They will inform weather condition, traffic routes, and the nature of patient’s illness. They will relieve the people of their tedious work. Thus they will be called the most efficient servants of man.
(d) In future small computers will be developed easy to be carried in pocket anywhere.
(e) A suitable title to the given passage may be ‘Bright Future of Computers.’ (2016)

Exercise 23

(a) A suitable title to the given passage may be ‘Miseries of Riches’.
(b) Explanation:
(i) fearing ………….. the lambs.: The night of a rich man is full of various miseries. He fears that people who are own may revolt against us and may kill also.
(ii) No sooner ……….. new care. A rich man can’t sleep peacefully. His night is full of cares. One care ends and another follows.
(c) Husband and wife had so many cares e.g care of new guests, care of people in power, care of thieves, care of future amenities etc.
(d) Writer’s idea is that riches keep a man restless all the twenty four hours. He sleeps on the pillow of cares.
(e) There was no happiness in their life UMBRARY because due to riches they had various types of cares. They were always restless and had no time even to hear of their soul or pray to God. (2016)

Exercise 24

(a) A suitable title to the given passage may be ‘Poverty is a Blessing’.
(b)
(i) moan about poverty: become sad in poverty.
(ii) governesses : a woman employed to teach young children in their home.
(c) Summary : Most of the people do not like poverty. When they compare themselves to the rich people, they conclude that money is necessary to buy happiness. But in reality the rich people, even though they have a lot of money to buy anything and many servants to serve them, miss the true happiness. A poor man is free from all those cares, envies, jealousies etc. . from which a rich man can’t get rid of. History tells us that the majority of great, eminent and strong men have come from poor class.
(d) The sons and daughters of the rich should be pitied because they have missed something real and most important but they are not aware of it.
(e) Great men are mostly born in poor families because they live in a very sweet, poor and happy home of honest poverty and use their precious time in working hard to make their life great. (2016)

Exercise 25

(a) The life of Shivaji’s was full of action and achievement.
(b) Shivaji’s treatment towards Islam was unique. He loved every Musalman like a Brahmin. He respected all followers of Islam and their holy buildings.
(c) He behaved women in a gentle way.
(d) The role of his guru Ramdas was very great. His guru strengthened the teachings of his mother.
(e) Shivaji built a large and brave army and laid the foundations of an organised state. He shaped the Marathas into a nation. (2016)

Exercise 26

(a) A suitable title to the given passage may be ‘An Intelligent Thief”.
(b)
(i) a tree …………….. honest person = only an honest man can plant a tree which would have golden fruits.
(ii) so the king pardoned the thief = when the king came to know that he was also not an honest man, he forgive the thief and let him go.
(c) The pre-condition was that the person who would plant the tree should be honest.
(d) The king pardoned him because he came to know that he also was dishonest.
(e) From the story we learn a lesson that before blaming others, we should first see ourselves whether we are free from that evil. (2016)

Exercise 27

(a) Summary : In this passage, the writer advises the students to be diligent. This quality of being diligent includes all qualities which a student should have. He also tells them that the young age is the golden period of life. So they should develop good qualities in this period so that their future life i.e. adult hood and old age also should be joyful.
(b) A suitable title to the given passage may be ‘Be Diligent.
(c) Explanations :
(i) not what ………… today ………… the explanation which modern people give.
(ii) seed time of life …………. starting period of life when we can grow primary virtues to make future life good.
(d) In our life time we should sow the seed which may give good reap. This is the seed of diligence.
(e) I can say that life depends on my being diligent because it includes all virtues that a student should have. (2016)

Exercise 28

(a) A man who possesses a strong will and a firm determination can steer clear of all dangers and difficulties.
(b) The man who labours hard with a strong resolution and an unshaken will, could achieve success and thus, he is a builder of his own fortune.
(c) Summary : A man who possesses a strong will and firm determination could accomplish success in his life. Man must be persevering and must exert himself to shape out his destiny. Man who does not work hard and labour could bring misery and suffering to himself. Thus, to gain wealth, fame and power he must labour with a strong resolution and unshaken will, and thereby could make his own fortune.
(d) Resolution here means strong determination. A man who works hard with a strong resolution and powerful will accomplish success. Industrious means laborious or hard working. By being industrious and persevering one can make his fortune.
(e) A suitable title to the given passage may be A Man of Strong Will. (2017)

Exercise 29

(a) Summary : It is undeniably true that in the ultimate measure the deeds done by man in his life time sums up the quality of his life. The span of life is meaningless when measured in years alone. Noble deeds, splendid ideas and fine sentiments, not the number of years, carved a niche for the real man in history.
(b) A suitable title to the given passage may be Live in Deeds not in Years.
(c) A man is memorable by his noble deeds and conscientious efforts.
(d) Noble deeds, splendid ideas and fine sentiments constitute the real glory of the character.
(e) Noble endeavours is an earnest and conscientious effort that a man wants to accomplish his goal. For them, just to eat, sleep and exist is no life at all. They suffer for mitigating the miseries of others and for the good of humanity. Trivial pursuits is an activity that one engages in, which is of no real importance.
(2017)

Exercise 30

(a) The real ornamentation for the women lies not in loading the body with metal and stone but in purifying the heart and developing the beauty of soul.
(b) Author’s advice to the women of India is to get rid of their jewellery.
(c) He/She who does not offer sacrifice of his or her wealth has been termed as a thief according to the Bhagvad Gita.
(d) Some women feel more happy in sacrificing their possessions to help the poor and needy person.
(e) Summary : The real beauty of a woman is her character, her purity not a jewellery. Woman like Sati, Savitri and Damayanti have become sacred to us for their unsullied virtue not for their ornaments. Bhagavad Gita has termed those people as a thief who do not sacrifice their wealth to the poor and needy persons. It is a social and religious obligation for every men and women. There can be no sacrifice higher than to clear out the distinctions of high and low and to maintain the equality of men and women. The women of India should realize the value of ornamentation which lies not in wearing the jewellery but in purifying the heart and developing the beauty of soul. (2017)

Exercise 31

(a) A polling station is a suitable building away from the town, situated in some lonely spot.
(b) The after-effects of the elections that we gather from the above are that as soon as the people cast their vote, nobody cares for them. All their importance
vanished. The seed of dissension is sown which is accompanied by the division of the community.
(c) The portions italisized in the passage means that he or she becomes a worthless trifles and nobody cares for them.
(d) Summary : Although elections have an important place in democracy, yet few of them have made it as a funny affair. There is an activity and bustle, hue and cry with a compliments of each and every voter to get a sure success by the candidate. The poll takes place on a certain day at the polling station. Everybody is welcomed like princess but as soon as they cast their vote their importance vanished. Nobody cares for them. The after-effects of the election could also be seen by the arguments, dissension and partisan which is finally accompanied by the division of the community.
(e) A suitable title to the given passage may be ‘An Election Scene’. (2017)

Exercise 32

(a) A suitable title to the given passage may be “The Prevention from Food Adulteration’.
(b) Summary : Adulteration of food-stuffs was so rampant and widespread that a drastic remedy in the form of or amendment of a comprehensive legislation became the need of the hour. Adulteration can be seen in most of the essential food items like milk, bottled water, tea, coffee and spices etc. Thus, to check ‘this kind of anti-social evil Supreme Court has asked the centre to amend the Indian Penal Code and the Food Safety Standards Act to make this punishable with life imprisonment. It is a much needed hope and relief for the consumers at large.
(c) ‘You are what you eat is the dictum about body and health.
(d) Many Indians have a lot to worry about their health and future generations because of the serious issue like food adulteration.
(e) Food Safety and Standards Authority of India. (2017)

Exercise 33

(a) A suitable title to the given passage may be “The Migration of Birds’.
(b) Summery : Migratory birds travel from one region to another depending on the availability of foods, habitat and climatic conditions of a place. These birds usually take their shelter in the country like India to escape from the severe winter of Northern and Central Asia. Migratory birds like small ducks, barheaded geese, Siberian crane and spotted eagle coming here has reduced considerably. So, this has become a great concern for the bird watcher and ornithologist.
(c) Migratory means moving from one place to another at particular times of the year especially by animals like birds of fishes. They travel to countries where they find optimal conditions of food and climate for their survival. Ornithologist is the zoologist who studies birds.
(d) The availability of food, habitat and climatic conditions of a place are the factors which decidei which way the migratory birds will go.
(e) Optimal conditions of food and suitable climate for the survival attracts the migratory birds in India that they choose it as their preferred destination. (2017)

Exercise 34

(a) Summary : Speech is a great blessing but it can also be a great curse. Speech, as a blessing helps us to make our intentions and desires, known to fellows, make our attitude completely understood as well as helped to win a friend. But it becomes curse when it is used without any thought. A slip of tongue, the use of unusual word or an ambiguous word may create an enemy. Different classes of people use different vocabularies. So one should be very careful in handling the speech and should express according to the kinds and conditions of men.
(b) A suitable title to the given passage may be ‘Speech, Blessings as well as Curse’.
(c) These types of words are used either without thought or sometimes it may be understood in two or more possible senses respectively.
(d) Speech can be great blessing if it has been used with thought and careful handling. (2017)

Exercise 35

(a) Sardar Patel was called the ‘Iron man of India’ because he was a strict and efficient administrator.
(b) In private life, Sardar Patel was kind and considerate. Sometimes, he became emotional even.
(c)
(i) Any person could be sure of his being a strict and efficient administrator.
(ii) He was a philanthropist. He profoundly loved all wihout any distiction. Thus he had firm faith in universal love.
(d) Summary : Generally the people opined that Sardar Patel was a man of rough temperament. He was called an Iron man because he was a strict and efficient administrator. But in personal life he was kind and considerate and even emotional. He was a great organiser. He selected proper man and got every work done by him.
(e) ‘Sardar Patel, the Iron man’. (2018)

The half-life formula of a reaction is the time required for the reactant concentration to decrease to one-half its initial value.

Exercise 36

(a) The children.believe in challenges and possibilities.
(b) When we grow up our inspiration is dampened by the skepticism and realism of society. Our self-doubt also grows up.
(c) We merely exist means we pull on our lives in a half-hearted manner.
(d) Life becomes full of inspiration, involvement and intensity when we do what we love and love what we do.
(e) The law of nature, according to the passage is that everything which loses its purpose ceases to exist becomes extinct. (2018)

Exercise 37

(a) We call ourselves civilized because we have the advantages of the inventions of science which our ancestors had never known.
(b) We can become truly civilized by learning to live in peace.
(c)
(i) Science has made us full of more worries.
(ii) Adopt the principle of universal fraternity i.e., all the human beings are brothers.
(d) Summary : We do not claim to be civilized because we live and dress better than our ancestors. Science has equipped us with inventions. However science has increased our worries. We fight more fatal wars killing more men than earlier. To be really civilized we must believe in universal brotherhood.
(e) The suitable title is ‘true civilization’. (2018)

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UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 17 डाटाबेस कन्सेप्ट

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Computer
Chapter Chapter 17
Chapter Name डाटाबेस कन्सेप्ट
Number of Questions 26
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 17 डाटाबेस कन्सेप्ट

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
DBMS का सम्बन्ध निम्नलिखित में से किससे है? (2012)
(a) डाटा के भण्डारण से
(b) डाटाबेस से डाटा प्राप्त करने से
(c) डाटाबेस की सुरक्षा से
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2.
DBMS का पूर्ण रूप क्या है?
(a) डाटाबेस मैनेज सिस्टम
(b) डिस्ट्रीब्यूटिड मैनेजमेण्ट सिस्टम
(c) डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर
(c) डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम का उदाहरण नहीं है?
(a) MS-Word
(b) Oracle
(c) Sybase
(d) MS-Access
उत्तर
(a) MS-Word

प्रश्न 4.
एक टेबल में कितनी प्राइमरी की हो सकती हैं?
(a) दो
(b) तीन
(c) एक
(d) चार
उत्तर
(c) एक

प्रश्न 5.
रिलेशनल डाटाबेस में डाटा किस फॉर्म में स्टोर रहता है?
(a) नम्बर
(b) डिग्री
(C) टेबल
(d) टपल
उत्तर
(d) रिलेशनल डाटाबेस में प्रत्येक रिकॉर्ड को टपल के रूप में स्टोर किया जाता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
डाटाबेस शब्द का अर्थ समझाइए। (2008)
अथवा
DBMS का पूर्ण रूप लिखिए।
उत्तर
किसी कार्य विशेष से सम्बन्धित सूचनाओं तथा डाटा का व्यवस्थित रूप से एकत्रीकरण ही डाटाबेस कहलाता है। DBMS को पूर्ण रूप डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम है।

प्रश्न 2.
DBMS की व्याख्या संक्षेप में कीजिए। (2015, 13)
उत्तर
डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम प्रोग्राम का एक ऐसा समूह है, जो डाटाबेस को परिभाषित करने, क्रिएट करने व व्यवस्थित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3.
RDBMS की एक वाक्य में व्याख्या कीजिए। (2016)
उत्तर
रिलेशनल डाटाबेस के रख-रखाव के तरीके को रिलेशनल डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम (RDBMS) कहा जाता है।

प्रश्न 4.
रिलेशनल डाटाबेस तन्त्र के गुणों को समझाइए। (2012)
उत्तर
रिलेशनल डाटाबेस तत्र में निम्न गुण पाए जाते हैं।

  1. प्रत्येक टेबल के सभी रिकॉर्ड्स के फिल्ड संख्या एक समान होना चाहिए।
  2. प्रत्येक फाइल में एक ही प्रकार के रिकॉर्ड होते हैं।

प्रश्न 5.
नॉर्मलाइजेशन शब्द को समझाइए। (2012)
उत्तर
रिलेशनल मॉडल के अन्तर्गत नॉर्मलाइजेशन का अर्थ है-डाटाबेस में होने वाली पुनरावृत्ति को कम करना।

प्रश्न 6.
SQL का विकास समय बताइए। (2015)
उत्तर
SQL का विकास 1970 के दशक में डॉ. ई.एफ. कोड ने किया था।

प्रश्न 7.
फाइल में लिखने के लिए SQL के किन्हीं दो स्टेटमेण्ट को समझाइट। (2012)
उत्तर

  1. DELETE इस कमाण्ड का प्रयोग किसी टेबल से अवांछित रॉज अथवा रिकॉर्ड्स को डिलीट करने के लिए किया जाता है।
  2. INSERT किसी टेबल को क्रिएट करने के पश्चात् उस टेबल में डाटा-रिकॉड्र्स को एण्टर करने के लिए INSERT कमाण्ड का प्रयोग होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न ।

प्रश्न 1.
डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम क्या है? इनके मुख्य उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। (2009)
उत्तर
डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम प्रोग्राम का एक ऐसा समूह है, जो डाटाबेस परिभाषित करने, क्रिएट करने तथा मेण्टेन करने के लिए यूजर को योग्य बनाता है। यह उपयोगकर्ता को एक ऐसा वातावरण प्रदान करती है, जिसके माध्यम से डाटा को संग्रहीत करना तथा पुन: प्राप्त करना बहुत ही सुविधाजनक हो जाता है।
डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. इसका मूल उद्देश्य प्रयोगकर्ता और डाटाबेस के मध्य एक ऐसा दक्ष और सुविधाजनक वातावरण बनाना है, जिसमें डाटाबेस और प्रयोगकर्ता के मध्य डाटा का आदान-प्रदान सरलता से हो सके।
  2. इसका दूसरा उद्देश्य डाटाबेस के प्रयोगकर्ताओं की जानकारियों का तथा उनके द्वारा की जाने वाली डाटाबेस क्रियाओं का प्रबन्धन करना है।

प्रश्न 2,
रिलेशनल डाटाबेस सिस्टम का वर्णन कीजिए। (2013, 09)
उत्तर
रिलेशनल डाटाबेस में डाटा को द्वि-आयामी सारणियों (Two-dimensional tables) के रूप में संग्रहीत किया जाता है। इन सारणियों को रिलेशन भी कहा जाता है। रिलेशन डाटाबेस के रख रखाव के लिए रिलेशनल डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम (RDBMS) की आवश्यकता होती है। RDBMS, DBMS का ही एक प्रकार हैं। रिलेशनल डाटाबेस की मुख्य विशेषता यह है कि एकल डाटाबेस में एक-से-अधिक सारणियों को संग्रहीत किया जा सकता है और ये सारणियाँ आपस में सम्बन्धित होती हैं।

प्रश्न 3.
फंक्शनल डिपेण्डेन्सी पर संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (2010)
उत्तर
किसी टेबल का फील्ड A, फील्ड B पर तब फंक्शनली डिपेण्डेण्ट होता है, जब फील्ड A के समस्त मान फील्ड B में उपस्थित हो। इसे हम → (ऐरो सिम्बल) से प्रदर्शित करते हैं।
जैसे B ← A

प्रश्न 4.
निम्नलिखित SQL क्वेरी के उदाहरण दीजिए।
(i) Create
(ii) Select
(iii) Delete
(iv) Update
Student यहाँ टेबल का नाम है।
उत्तर
(i) CREATE TABLE Student (Roll_NO int (5),
(ii) SELECT * FROM Student;
उपरोक्त क्वेरी से Student टेबल का सारा डाटा रिट्रीव किया जाता है।
SELECT Name FROM Student;
उपरोक्त क्वेरी से किसी एक विशेष प्रकार का डाटा रिट्रीव किया जाता है।
(iii) DELETE Student;
(iv) UPDATE Student SET Name =”Shikha” WHERE Roll_No = 1;

प्रश्न 5.
DBMS व RDBMS में बीच कोई दो अन्तर बताइए। (2017)
उत्तर
DBMS व RDBMS के बीच अन्तर निम्न प्रकार है
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 17 डाटाबेस कन्सेप्ट img-1

लघु उत्तरीय प्रश्न ।।

प्रश्न 1.
डाटाबेस से आप क्या समझते हैं? (2010)
अथवा
डाटाबेस की अवधारणा तथा सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए !(2008)
अथवा
डाटाबेस क्या है? उनके गुणों व अवगुणों का वर्णन कीजिए| (2012)
अथवा
DBMS की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (2014)
उत्तर
किसी कार्य विशेष से सम्बन्धित सूचनाओं/डाटा का व्यवस्थित रूप से एकत्रीकरण ही डाटाबेस कहलाता है। डाटाबेस डाटा फाइल्स का एक ऐसा समूह है, जो एकीकृत फाइल सिस्टम (Integrated file system) की भाँति होता है तथा डाटा के डुप्लीकेशन (Duplication) को कम करता है, साथ ही कोई भी वांछित सूचना सरलता से एक्सेस करता है।
इस एकीकृत फाइल सिस्टम में अनेक फाइल्स एक दूसरे से सम्बद्ध होते हुए भी पूर्णता का आभास प्रदान करती हैं। टेलीफोन डायरेक्ट्री, इसका एक अच्छा उदाहरण हैं।
उदाहरण यदि आपने किसी इण्डेक्स्ड एड्रेस बुक (Indexed address book) में अपने जानने वाले व्यक्तियों के नाम, टेलीफोन नम्बर एवं एड्रेस को लिख रखा है, तो इसे एक डाटाबेस कहा जा सकता हैं।

DBMS की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. डाटाबेस का निर्माण करना।
  2. नए डाटा को सम्मिलित करना या जोड़ना।
  3. वर्तमान डाटा को सम्पादित करना।
  4. डाटा को अस्थायी एवं स्थायी रूप से डिलीट करना।

प्रश्न 2.
नॉर्मलाइजेशन से आप क्या समझते हैं? 2NF क्या है और उसके लाभ व हानियाँ क्या है? (2010, 08)
अथवा
विभिन्न प्रकार के नॉर्मलाइजेशन के लाभ क्या है? (2012)
अथवा
नॉर्मलाइजेशन क्या है? इससे प्राप्त लाभ को लिखें।
अथवा
नॉर्मलाइजेशन का वर्णन कीजिए। द्वितीय नॉर्मल फॉर्म को समझाइट। (2015, 10)
उत्तर
रिलेशनल मॉडल के अन्तर्गत नॉर्मलाइजेशन का मुख्य कार्य डाटाबेस में होने वाली पुनरावृत्ति (Redundancy) को कम करना है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि डाटा को केवल एक ही बार संग्रहीत करना चाहिए, क्योंकि डाटा को अनेक बार तथा अनेक जगह पर संग्रहीत करने में समय व स्टोरेज दोनों का ही व्यय होता है। डाटा को नॉर्मलाइज करने के लिए टेबल को अन्य टेबल में विभक्त किया जाता है।

(ii) द्वितीय नॉर्मल फॉर्म कोई भी सारणी द्वितीय नॉर्मल फॉर्म (2NF) में तब कहलाई जाती है, जब वह सारणी प्रथम नॉर्मल फॉर्म में हो तथा प्रत्येक एट्रिब्यूट जोकि Non-key है, प्राइमरी की पर फंक्शनली डिपेण्डेण्ट हो।
Table : Employee

Emp_No Name Designation
25 Rakesh Computer Operator
26 Manish Manager
27 Rakesh Computer Program

इस टेबल में प्राइमरी की Emp_No है, यहाँ पर एट्रिब्यूट प्राइमरी की पर फंक्शनली डिपेण्डेण्ट नहीं है, इसलिए इसे निम्न प्रकार से विभक्त करेंगे

Emp_No Name
25 Rakesh
26 Manish
27 Rakesh
Emp_No Designation
25 Computer Operator
26 Manager
27 Computer Program

अब इस प्रकार से बनी टेबल में कोई Designation हटाया जाता है, तो डाटा नष्ट नहीं होगा।
नॉर्मलाइजेशन से निम्न प्रकार के लाभ होते हैं।

  1. यह डाटा की होने वाली पुनरावृत्ति को कम करता है तथा यह आकार में छोटा होता है, इसलिए इसे स्टोर करने के लिए कम मैमोरी की आवश्यकता होती है।
  2. डाटा की पुनरावृत्ति नहीं होती, डाटा की एक से अधिक विभिन्न प्रतियों को स्टोर करने की सम्भावना कम होती है।

नॉर्मलाइजेशन के प्रयोग से निम्न हानियाँ हैं

  1. डाटा को नॉर्मलाइज्ड करने के लिए अधिक मैमोरी की आवश्यकता होती है।
  2. डाटाबेस में अधिक टेबल होती है, जिन्हें जोड़ना कठिन होता है।

प्रश्न 3.
नॉर्मलाइजेशन के विभिन्न प्रकारों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए। (2010)
उत्तर
यहाँ अनेक प्रकार के नॉर्मल फॉर्म परिभाषित हैं।
(i) प्रथम नॉर्मल फॉर्म डाटा को नॉर्मलाइज करने की प्रक्रिया 1NF से ही आरम्भ होती है। कोई भी टेबल प्रथम नॉर्मल फॉर्म में होती है, यदि कोई भी दो रॉ (Row) एक समान नहीं हो तथा प्रत्येक कोष्ठक में केवल एक ही मान रखा हो।
Table : Course

Course_id Course_Name College
101 BCA Deewan
102 BBA GBIT
103 MCA IIMT

उपरोक्त सारणी में प्रस्तुत टेबल 1NF में है, जहाँ प्रत्येक कोष्ठक में एक मान है।

(ii) द्वितीय नॉर्मल फॉर्म इसके लिए लघु उत्तरीय प्रश्न II का प्रश्न 2 देखें।
(iii) तृतीय नॉर्मल फॉर्म कोई भी टेबल तृतीय नॉर्मल फॉर्म (3NF) में तब माना जाता है, जब वह द्वितीय नॉर्मल फॉर्म (2NF) में हो तथा प्रत्येक एट्रिब्यूट Non-key हो, जो केवल प्राइमरी की पर फंक्शनली डिपेण्डेन्ट
हो और किसी पर नहीं। उपरोक्त टेबल Designate को निम्न प्रकार से विभक्त करेंगे।

Desig_No Designation
1 Computer Operator
2 Manager
3 Computer program
Desig_No Emp_No
1 25
2 26
3 27

Normality formula is defined as the number of grams that is equal to the solute mixed in per liter of the solution.

प्रश्न 4.
बॉयस-कोड नॉर्मल फॉर्म (BCNF Boyce-Codd Normal Form) से आपका क्या तात्पर्य है? उदाहरण सहित वर्णन करें। (2008)
उत्तर
BCNF, 3NF का एडवान्स वर्ज़न है। एक टेबल BCNF’ में तब मानी जाती है जब वह 3NF में हो तथा प्रत्येक फंक्शनल डिपेण्डेन्सी में प्रथम टेबल की सुपर की हो।
सारणी को BCNF में होने के लिए निम्न आवश्यकताएँ हैं।
(i) दी गई सारणी में अनेक कैण्डिडेट की हो।
(ii) जहाँ अनेक कैण्डिडेट की कम्पोजिट की (Key) की तरह कार्य करती है।
(iii) जहाँ कैण्डिडेट की एक-दूसरे को ओवरलैप (Overlap) करती है।
(iv) जहाँ एक एट्रिब्यूट समान होता है।
(v) रिलेशन तब BCNF में कहलाया जाता है, जब प्रत्येक डिटरमिनेण्ट एक कैण्डिडेट हो।

सारणी को BCNF में बदलने के लिए
Table : Project

E_Code Proj_Code Dept Depthead Hours
E101 P27 System E901 90
E305 P27 Finance E909 10
E508 P51 Admin E908 NULL
E101 P51 System E901 101
E101 P20 System E901 60
E508 P27 Admin E908 72

सारणी से Overlapping एट्रिब्यूट को ढूंढिए और Remove कीजिए और कैण्डिडेट की के part को तथा एट्रिब्यूट को जिस पर फंक्शनली डिपेण्डेण्ट हो, दूसरी सारणी में रख दीजिए और बचे हुए एट्रिब्यूट को ग्रुप कर दीजिए। यहाँ पर Dept, E_Code पर डिपेण्डेण्ट है, इसलिए इसे एक सारणी में रखिए।

E_code Dept
E101 System
E305 Finance
E508 Admin
E101 System
E101 System
E508 Admin

Depthead भी E_Code तथा Dept पर डिपेण्डेण्ट है, लेकिन E_Code कॉमन एट्रिब्यूट है, इसलिए इसे हटा दीजिए।

Depthead Dept
E901 System
E909 Finance
E908 Admin
E901 System
E901 System
E908 Admin

प्रश्न 5.
SQL पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो। (2016, 14, 10, 07, 06)
अथवा
SQL क्या है? इस पर की जाने वाली डाटा सम्बन्धित मुख्य क्रियाओं को समझाइए।
अथवा
SQL क्या है? किसी उच्चस्तरीय भाषा से यह कैसे भिन्न है? (2008)
अथवा
विस्तार में sQL की व्याख्या करें। (2018)
उत्तर
एस-क्यू-एल (SQL) का पूरा नाम स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लैंग्वेज (Structured Query Language) है। यह एक हाई लेवल लैंग्वेज है, जिसका प्रयोग डाटाबेस एवं इससे सम्बन्धित ऑब्जेक्टस; जैसे-टेबल्स (Tables), क्वेरीज (Queries), व्यूज (Views) इत्यादि को क्रिएट (Create) करने, टेबल के स्ट्रक्चर (Structure) को परिवर्तित करने, टेबल में डाटा को इन्सर्ट (Insert), अपडेट (Update) एवं डिलीट (Delete) करने में किया जाता है।
डाटाबेस पर की जाने वाली डाटा सम्बन्धी मुख्य क्रियाएँ निम्न प्रकार हैं।

  1. इन्सर्ट इसका अर्थ होता है-किसी टेबल में डाटा को जोड़ना।
  2. डिलीट इसका अर्थ होता है-किसी टेबल से अवांछित रॉज अथवा रिकॉर्ड्स को मिटाना।
  3. अपडेट इसका अर्थ है-किसी टेबल या व्यू में स्टोर डाटा को अपडेट अर्थात् मॉडिफाइ करना।

SQL एक उच्चस्तरीय भाषा ही है, लेकिन इसमें कुछ अन्तर भी है; जैसे –

  1. इसमें डाटा की पुनरावृत्ति को कम किया जाता है।
  2. इसमें विभिन्न प्रकार की कमाण्ड प्रयोग की जाती है; जैसे- डिलीट, इन्सर्ट, अपडेट आदि।
  3. प्रयोगकर्ता की आवश्यकतानुसार पहले से उपलब्ध डाटाबेस में से डाटा को रिट्रीव (Retrieve) कर सकते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
डाटा क्या है? डाटाबेस क्या है? हमें डाटाबेस की आवश्यकता क्यों होती है? रिलेशनल डाटाबेस की विशेषताएँ समझाइए। (2006)
उत्तर
किसी वस्तु, व्यक्ति या समूह के बारे में किसी तथ्य अथवा जानकारी को डाटा कहा जाता है। किसी व्यक्ति का नाम, किसी वस्तु का वजन तथा मूल्य, किसी कक्षा के विद्यार्थियों की उम्र आदि ये सभी डाटा के उदाहरण हैं। डाटाबेस, सूचनाओं (या डाटा) का एक ऐसा व्यवस्थित संग्रह (Organised collection) होता है, जिससे हम किसी भी सूचना को सरलता से प्राप्त कर सकते हैं। डाटाबेस व्यवस्थित इसलिए होता है, क्योंकि इसमें किसी भी डाटा या सूचना को एक निश्चित स्थान पर पहले से तय किए हुए रूप में रखा जाता है, ताकि कभी भी आवश्यकता पड़ने पर उसे आसानी से ढूँढ़कर देखा जा सके।

डाटाबेस की आवश्यकता
हाथ से बनाए गए डाटाबेस (हस्तचालित डाटाबेस) में बहुत-सी समस्याएँ होती है; जैसे –

  1. नया डाटा जोड़ने की समस्या
  2. डाटा को बदलने की समस्या
  3. डाटा को अपनी शर्तों के अनुसार प्राप्त करने की समस्या आदि।

इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए कम्प्यूटरीकृत डाटाबेस का निर्माण किया गया। इसमें सभी सूचनाएँ कम्प्यूटर पर रखी जाती हैं और कम्प्यूटर की सहायता से ही उनका रख-रखाव तथा प्रोसेसिंग की जाती है।
कम्प्यूटर पर डाटाबेस बनाने के कई कारण हैं, जो निम्नलिखित हैं

  1. कम्प्यूटर पर बड़े आकार का डाटाबेस सरलता से बनाया जा सकता है, क्योंकि उसमें डाटा को संग्रहीत करने की क्षमता अधिक होती है।
  2. कम्प्यूटर की कार्य करने की गति तेज होने के कारण कितने भी बड़े डाटाबेस में से कोई भी इच्छित सूचना निकालना और डाटाबेस पर विभिन्न क्रियाएँ करना आदि कार्य बहुत कम समय में ही सम्पन्न हो । जाते हैं। इतना ही नहीं, तेज गति के कारण उस पर कोई लम्बी-चौड़ी रिपोर्ट निकालना और छापना मिनटों का कार्य होता है।
  3. इसमें हस्तचालित डाटाबेस की तुलना में बहुत कम खर्च आता है।
    रिलेशनल डाटाबेस की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

रिलेशनल डाटाबेस की विशेषताएँ
रिलेशनल डाटाबेस को विशेषताएँ निम्न हैं

  1. डाटाबेस की प्रत्येक फाइल में एक ही तरह के रिकॉर्ड होते हैं।
  2. डाटाबेस की फाइल में प्रत्येक रिकॉर्ड के फील्डों की संख्या समान होती है।
  3. टेबल के प्रत्येक रिकॉर्ड का एक विशेष आइडेण्टीफायर होता है।

प्रश्न 2.
रिलेशनल डाटाबेस मॉडल को विस्तार से समझाएँ। (2018)
उत्तर
रिलेशनल डाटा मॉडल में, डाटा सारणियों के रूप में संग्रहीत किया जाता है। इन डाटा सारणियों में स्तम्भ, सारणी में स्टोर होने वाले डेटा के प्रकार को तथा पंक्तियाँ डेटा को दर्शाती हैं। यह मॉडल डाटाबेस संरचना को सरल बना देता है। इसमें सारणियों (Tables) का उपयोग किया जाता है अर्थात् डाटा को द्विविमीय टेबल्स के रूप में स्टोर किया जाता है। टेबल्स को एक-दूसरे से सम्बद्ध किया जाता है। इसमें पॉइण्टर नहीं होता। टेबल्स में कोई भौतिक सम्बन्ध भी नहीं होता।
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 17 डाटाबेस कन्सेप्ट img-2
रिलेशनल डाटा मॉडल के लाभ निम्न हैं

  1. टेबल के रूप में संरचना साधारण होती है, जिसे समझना आसान है।
  2. टेबल्स में डाटा पर सभी प्रकार की क्रियाएँ करना सरल है।
  3. टेबल्स में गणितीय क्रियाएँ करना भी सम्भव होता है।
  4. रिलेशनल डेटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम में एक क्वेरी लैंग्वेज उपलब्ध होती है।
  5. यह डाटा संगठन बहुत फ्लेक्सिबल है।

प्रश्न 3.
रिलेशनल डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम क्या है? इसके क्या लाभ हैं? समझाइए (2007)
अथवा
RDBMS पर निबन्ध लिखिए। (2014, 13)
उत्तर
रिलेशनल डाटाबेस में, डाटा को द्वि-आयामी सारणियों के रूप में संग्रहीत किया जाता है। इन सारणियों को रिलेशन (Relation) भी कहा जाता है। रिलेशन डाटाबेस के रख-रखाव के लिए रिलेशनल डाटाबेस मैनेजमेण्ट सिस्टम (Relational Database Management System-RDBMS) की आवश्यकता होती हैं।

RDBMS, DBMS का ही एक प्रकार है। रिलेशनल डाटाबेस की मुख्य विशेषता यह है कि एकल डाटाबेस में एक से अधिक सारणियों को संग्रहीत किया जा सकता है और ये सारणियाँ आपस में सम्बन्धित होती है। रिलेशनल डाटाबेस एक ऐसा डाटाबेस है, जोकि रिलेशनल मॉडल पर आधारित है। इस मॉडल के अनुसार, डाटा को विभिन्न टेबल्स में संग्रहीत किया जा सकता हैं।
इस प्रकार के मॉडल के मुख्य गुण निम्नलिखित हैं।
(i) प्रत्येक टेबल के सभी रिकॉर्ड्स का स्ट्रक्चर एक जैसा ही होगा।
(ii) प्रत्येक टेबल के सभी रिकॉर्ड्स के एट्रिब्यूट की संख्या एक जैसी ही होगी।
(iii) टेबल के प्रत्येक रिकॉर्ड का कोई-न-कोई आइडेण्टीफायर होता है। यदि Students का डाटा संग्रहीत करना हो

Roll_No Name Address
1 Rajesh Delhi
2 Ravi Mumbai
3 Manish Kolkata
4 Sagar Meerut
5 Nitin Modipuram

रिलेशनल डाटाबेस की कुछ सम्बन्धित पदावली निम्नलिखित हैं।

  1. रिलेशन (Relation) इसके अन्तर्गत एक टेबल (Table) तैयार की जाती है, जो एक सिक्वेन्शियल फाइल को निरूपित करती है, जिसमें टेबल की पंक्तियाँ (Rows) फाइल के रिकॉर्ड को इण्डीकेट करती हैं, एवं स्तम्भ (Column) रिकॉर्ड के फील्ड को दर्शाता है। ये टेबल्स रिलेशन ही होते हैं। रिलेशन को उच्चस्तरीय फाइल्स के रूप में समझा जाता हैं।
    • प्रत्येक रिलेशन में एक ही तरह के रिकॉर्ड होते हैं।
    • किसी दिए गए रिलेशन में प्रत्येक रिकॉर्ड के फील्डों की संख्या समान होती है।
    • प्रत्येक रिकॉर्ड का एक अलग पहचानने वाला आइडेण्टीफायर (Identifier) होता है।
    • रिलेशन के अन्दर रिकॉर्ड किसी विशेष क्रम में व्यवस्थित होते हैं।
  2. टपल (Tuplo) रिलेशन में प्रत्येक रिकॉर्ड को टपल कहा जाता है।
  3. एट्रिब्यूट (Attribute) रिलेशन के सन्दर्भ में प्रत्येक कॉलम् (फील्ड) को एट्रिब्यूट कहते हैं।
  4. डोमेन (Domain) रिलेशन के सन्दर्भ में डोमेन मानों का एक समूह होता है, जिससे किसी कॉलम में दिए गए वास्तविक मानों को व्युत्पन्न किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
नॉर्मलाइजेशन का मुख्य कार्य क्या है? प्रथम तथा द्वितीय नॉर्मल फॉर्म को उदाहरण सहित समझाइए। (2006)
उत्तर
यहाँ अनेक प्रकार के नॉर्मल फॉर्म परिभाषित हैं।
(i) प्रथम नॉर्मल फॉर्म डाटा को नॉर्मलाइज करने की प्रक्रिया 1NF से ही आरम्भ होती है। कोई भी टेबल प्रथम नॉर्मल फॉर्म में होती है, यदि कोई भी दो रॉ (Row) एक समान नहीं हो तथा प्रत्येक कोष्ठक में केवल एक ही मान रखा हो।
Table : Course

Course_id Course_Name College
101 BCA Deewan
102 BBA GBIT
103 MCA IIMT

उपरोक्त सारणी में प्रस्तुत टेबल 1NF में है, जहाँ प्रत्येक कोष्ठक में एक मान है।

(ii) द्वितीय नॉर्मल फॉर्म इसके लिए लघु उत्तरीय प्रश्न II का प्रश्न 2 देखें।
(iii) तृतीय नॉर्मल फॉर्म कोई भी टेबल तृतीय नॉर्मल फॉर्म (3NF) में तब माना जाता है, जब वह द्वितीय नॉर्मल फॉर्म (2NF) में हो तथा प्रत्येक एट्रिब्यूट Non-key हो, जो केवल प्राइमरी की पर फंक्शनली डिपेण्डेन्ट
हो और किसी पर नहीं। उपरोक्त टेबल Designate को निम्न प्रकार से विभक्त करेंगे।

Desig_No Designation
1 Computer Operator
2 Manager
3 Computer program
Desig_No Emp_No
1 25
2 26
3 27

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