UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 1 Data: Its Source and Compilation

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 1 Data: Its Source and Compilation (आंकड़े-स्रोत और संकलन)

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
(i) एक संख्या अथवा लक्षण जो मापन को प्रदर्शित करता है, कहते हैं
(क) अंक
(ख) आँकड़े
(ग) संख्या
(घ) लक्षण।
उत्तर:
(ख) आँकड़े।

(ii) एकल आधार सामग्री एकमात्र माप है
(क) तालिका
(ख) आवृत्ति
(ग) वास्तविक संसार
(घ) सूचना।
उत्तर:
(क) तालिका।

(iii) एक मिलान चिह्न में, फोर एवं क्रॉसिंग फिफ्थ द्वारा समूहीकरण को कहते हैं
(क) फोर एंड क्रॉस विधि
(ख) मिलान चिह्न विधि
(ग) आवृत्ति अंकित विधि
(घ) समावेश विधि।
उत्तर:
(क) फोर एंड क्रॉस विधि।

(iv) ओजाइव एक विधि है जिसमें
(क) साधारण आवृत्ति नापी जाती है
(ख) संचयी आवृत्ति नापी जाती है
(ग) साधारण आवृत्ति अंकित की जाती है
(घ) संचयी आवृत्ति अंकित की जाती है।
उत्तर:
(ख) संचयी आवृत्ति नापी जाती है।

(v) यदि वर्ग के दोनों अन्त आवृत्ति समूह में लिए गए हों, इसे कहते हैं
(क) बहिष्कार विधि
(ख) समावेशी विधि
(ग) चिह्न विधि
(घ) सांख्यिकीय विधि।
उत्तर:
(ख) समावेशी विधि।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) आँकड़ा और सूचना के बीच अन्तर।
उत्तर:
आँकड़ा- आँकड़ों को ऐसी संख्याओं के रूप में परिभाषित किया गया है जो यथार्थ विश्व के मापन को प्रदर्शित करती हैं।
सूचना- सूचना को एक प्रश्न के अर्थपूर्ण उत्तर अथवा अर्थपूर्ण उद्दीपक के रूप में परिभाषित किया गया है जिसे अगले प्रश्नों में सोपानित किया जा सकता है।

(ii) आँकड़ों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आँकड़ों को ऐसी संख्याओं के रूप में परिभाषित किया गया है जो यथार्थ विश्व के मापन को प्रदर्शित करती हैं।

(iii) एक तालिका में पाद टिप्पणी से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
तालिका में दी गई पाद टिप्पणी से लाभ यह है कि उससे तालिका के स्रोत की जानकारी हो जाती है तथा अन्य संकेतों का पता चलता है।

(iv) आँकड़ों के प्राथमिक स्रोतों से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जो आँकड़े प्रथम बार व्यक्तिगत रूप से अथवा व्यक्तियों के समूह/संस्था अथवा संगठन द्वारा एकत्रित किए जाते हैं, आँकड़ों के प्राथमिक स्रोत कहलाते हैं।

(v) द्वितीयक आँकड़ों के पाँच स्रोत बताइए।
उत्तर:
द्वितीयक आँकड़ों के पाँच स्रोत हैं

  1. सरकारी प्रकाशन
  2. अर्द्ध-सरकारी प्रकाशन
  3. अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन
  4. निजी प्रकाशन एवं
  5. समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ।

(vi) आवृत्ति वर्गीकरण की अपवर्जी विधि क्या है?
उत्तर:
आवृत्ति वर्गीकरण की अपवर्जी विधि में एक वर्ग के उच्च मूल्य को उसी वर्ग में शामिल किया जाता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए
(i) राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय अभिकरणों की चर्चा कीजिए जहाँ से द्वितीयक आँकड़े एकत्र किए जा सकते हैं।
उत्तर:
राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय अभिकरण निम्नलिखित हैं जहाँ से द्वितीयक आँकड़े एकत्र किए जा सकते हैं
(1) सरकारी प्रकाशन- केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों के अनेक मंत्रालय तथा विभाग और जिलों के बुलेटिन द्वितीय सूचनाओं के महत्त्वपूर्ण साधन हैं।
इनमें महत्त्वपूर्ण द्वितीय वर्ग की सूचनाएँ मिलती हैं। इसमें भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा प्रकाशित भारत की जनगणना, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण की रिपोर्टे, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मौसम रिपोर्ट, राज्य सरकारों द्वारा प्रकाशित सांख्यिकीय सारांश और विभिन्न आयोगों द्वारा प्रकाशित आवधिक रिपोर्ट शामिल की जाती हैं।

(2) अर्द्ध-सरकारी प्रकाशन- इनमें नगर विकास प्राधिकरणों और विभिन्न नगरों और शहरों के नगर-निगमों और जिला परिषदों के प्रकाशन और रिपोर्ट आते हैं।

(3) अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन- इसमें वार्षिकी, संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अभिकरणों; जैसे—संयुक्त राष्ट्र, अभिकरण, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, विश्व स्वास्थ्य संगठन, खाद्य व कृषि परिषद् आदि द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट और मोनोग्राफ शामिल किए जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र के कुछ महत्त्वपूर्ण आवधिक प्रकाशन भी हैं जिनमें डैमोग्राफिक इयर बुक, स्टेटिस्टीकल इयर बुक और मानव विकास रिपोर्ट आदि महत्त्वपूर्ण हैं।

(ii) सूचकांक का क्या महत्त्व है? सूचकांक की परिकलन की प्रक्रिया को बताने के लिए एक उदाहरण लीजिए और परिवर्तनों को दिखाइए।
उत्तर:
सूचकांक- सूचकांक चर अथवा एक सांख्यिकीय माप है, जिसे चर अथवा समय भौगोलिक स्थिति या दूसरी विशेषताओं के सन्दर्भ में सम्बन्धित चरों के सम्बन्धित समूह में परिवर्तन को दर्शाने के लिए अभिकल्पित किया जाता है। सूचकांक का महत्त्व
सूचकांक का निम्नलिखित महत्त्व है
(1) सूचकांक न केवल समय के साथ हुए परिवर्तनों की माप करता है बल्कि विभिन्न स्थानों, उद्योगों, नगरों अथवा देशों की आर्थिक दशाओं की तुलना भी करता है।

(2) सूचकांक का उपयोग व्यापक रूप में अर्थशास्त्र और व्यवसाय में लागत और मात्रा में आए परिवर्तनों को देखने के लिए किया जाता है।
सूचकांक के परिकलन के लिए साधारण समुच्चय विधि सर्वाधिक उपयोगी है। इसका सूत्र निम्नलिखित
[latex]\frac{\Sigma q_{1}}{\Sigma q_{0}}[/latex] × 100
Σq1 = वर्तमान वर्ष के उत्पादन का योग
Σq0 = आधार वर्ष के उत्पादन का योग
उदाहरण— निम्न तालिका में भारत में लौह इस्पात के उत्पादन और 1980-81 से 2010-11 तक के सूचकांकों के परिवर्तन को दर्शाती
UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 1 Data Its Source and Compilation 1

क्रियाकलाप

प्रश्न 1.
भूगोल की 35 विद्यार्थियों की कक्षा में, निम्नलिखित अंक 10 अंक के यूनिट टेस्ट में प्राप्त किए हैं
1, 0, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 2, 3, 4, 0, 2, 5, 8, 4, 5, 3, 6, 3, 2, 7, 6, 5, 4, 3, 7, 8, 9, 7, 9, 4, 5, 4, 3 आँकड़े को संचयी आवृत्ति वितरण में प्रस्तुत कीजिए।
हल:
वर्गीकरण
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प्रश्न 2.
अपनी कक्षा के भूगोल विषय की अन्तिम परीक्षा का परिणाम एकत्र कीजिए और प्राप्तांकों को संचयी आवृत्ति वितरण के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
नोट-छात्र स्वयं करें।

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
साक्षात्कार लेते समय बरती जाने वाली सावधानियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
साक्षात्कार लेते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ-साक्षात्कार लेते समय शोधकर्ता के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है

  • जिस व्यक्ति का साक्षात्कार लेना है उसके साथ मैत्रीपूर्वक मेलजोल स्थापित करना चाहिए।
  • प्राप्त की जाने वाली सूचना की परिशुद्ध सूची बना लेनी चाहिए।
  • अपने सर्वेक्षण के उद्देश्य की स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए और कोई झूठा वादा नहीं करना चाहिए।
  • उत्तर देने वाले से उसके परिवार की कुशलता के विषय में बातचीत करने से काम आसान हो जाएगा।
  • संवेदनशील प्रश्न पूछने से पहले उत्तर देने वाले व्यक्ति को विश्वास में ले लेना चाहिए।
  • प्रश्नों की भाषा सरल व शिष्ट होनी चाहिए।
  • जब उत्तरदाता व्यस्त हो तो उससे प्रश्न नहीं पूछना चाहिए।
  • उत्तरंदाता के आत्मसम्मान और धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाने वाले प्रश्न नहीं पूछे जाने चाहिए।
  • उत्तरदाता से प्राप्त उत्तर को तुरन्त नोट कर लिया जाना चाहिए।
  • साक्षात्कार के बाद उत्तरदाता को धन्यवाद अवश्य देना चाहिए।

प्रश्न 2.
प्राथमिक व द्वितीयक आँकड़ों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
प्राथमिक व द्वितीयक आँकड़ों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
प्राथमिक आँकड़ों की विशेषताएँ

  1. ये आँकड़े विस्तृत क्षेत्र और विस्तृत जानकारी के लिए उपयुक्त हैं।
  2. इन आँकड़ों के अध्ययन में लचीलापन होता है।
  3. इनके द्वारा गुप्त सूचनाएँ एकत्रित की जा सकती हैं।
  4. ये आँकड़े विश्वसनीय होते हैं।
  5. इन आँकड़ों को एकत्रित करने में समय व धन अपेक्षाकृत अधिक लगता है।
  6. व्यवस्थित ढंग व पूर्ण निर्धारित उद्देश्य से संकलित ये आँकड़े उपयोगी होते हैं।
  7. इन आँकड़ों का उपयोग करते समय विशेष ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती।

द्वितीयक आँकड़ों की विशेषताएँ

  1. द्वितीयक आँकड़े मौलिक नहीं होते, क्योंकि अनुसन्धानकर्ता अन्य एजेन्सियों द्वारा एकत्रित आँकड़ों का प्रयोग करते हैं।
  2. इन आँकड़ों के संकलन में समय, श्रम व धन अपेक्षाकृत कम लगता है।
  3. ये आँकड़े उपयोगी हो भी सकते हैं और नहीं भी।
  4. द्वितीयक आँकड़ों का प्रयोग अत्यन्त सावधानी से करना चाहिए।
  5. विस्तृत क्षेत्र व विस्तृत जानकारी के लिए उपयुक्त नहीं है।
  6. ये आँकड़े विश्वसनीय नहीं होते हैं।
  7. इन आँकड़ों का उपयोग करते समय विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
प्राथमिक आँकड़ों के साधनों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक आँकड़ों के साधन प्राथमिक आँकड़ों के साधन हैं— व्यक्तिगत प्रेक्षण, साक्षात्कार, प्रश्नावली अथवा अनुसूची एवं अन्य विधियाँ।
1. व्यक्तिगत प्रेक्षण- इस विधि में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा क्षेत्र में प्रत्यक्ष प्रेक्षण द्वारा आँकड़े एकत्रित किए जाते हैं। प्रेक्षक स्वयं क्षेत्र में जाकर सूचनाएँ एकत्रित करता है। प्रेक्षणकर्ता को विषय का सैद्धान्तिक ज्ञान होना आवश्यक है, ताकि मूल्यांकन वैज्ञानिक एवं निष्पक्ष हो सके।

2. साक्षात्कार- इस विधि में शोधकर्ता उत्तर देने वाले व्यक्ति के साथ प्रत्यक्ष सम्पर्क स्थापित करता है और संवाद तथा बातचीत द्वारा सूचनाएँ अथवा आँकड़े प्राप्त करता है।

3. प्रश्नावली- इस विधि में वांछित सूचना से सम्बन्धित साधारण प्रश्नों को उनके सम्भावित उत्तरों के साथ एक सादे कागज पर लिखा जाता है और उत्तर देने वाले व्यक्ति को दिए गए विकल्पों में सही उत्तर पर निशान लगाने को कहा जाता है।

4. अनुसूची- अनुसूची लगभग प्रश्नावली जैसी ही होती है, क्योंकि इसमें भी जाँच-पड़ताल से सम्बन्धित प्रश्न दिए हुए होते हैं। इन दोनों में अन्तर केवल यह है कि प्रश्नावली में उत्तर देने वाला प्रश्नावलियों को स्वयं भरता है, जबकि अनुसूची में परिगणक उत्तर देने वाले से प्रश्न पूछकर स्वयं भरता है।

5. अन्य विधियाँ- उपर्युक्त विधियों के अलावा कुछ अन्य विधियों की सहायता से भी आँकड़े एकत्रित किए जा सकते हैं।

लघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
समावेशी विधि से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समावेशी विधि-समावेशी विधि में एक मूल्य जो वर्ग की उच्च सीमा के मूल्य के समान होता है, उसे उसी वर्ग में रखा जाता है; इसीलिए इस विधि को ‘समावेशी विधि’ कहते हैं। इस विधि में वर्गों को अलग प्रकार से प्रदर्शित किया जाता है। साधारणतया वर्ग की उच्च सीमा में अगले वर्ग की निम्न सीमा से 1 का अंतर होता है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस विधि में वर्ग का विस्तार 10 इकाइयों तक होता है।.

प्रश्न 2.
ओजाइव क्या है?
उत्तर:
ओजाइव-जब आवृत्ति को जोड़ दिया जाता है, उन्हें संचयी आवृत्ति कहा जाता है और जिस सारणी में सूचीगत किए जाते हैं, उसे संचयी आवृत्ति सारणी कहते हैं। संचयी आवृत्ति द्वारा प्राप्त किए गए वक्र को ‘ओजाइव’ कहते हैं। इसका निर्माण या तो कमतर विधि या अधिकतर विधि द्वारा करते हैं।

प्रश्न 3.
सूचकांक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सूचकांक-सूचकांक चर अथवा एक सांख्यिकीय माप है जिसे चर अथवा समय भौगोलिक स्थिति या दूसरी विशेषताओं के सन्दर्भ में सम्बन्धित चरों के सम्बन्धित समूह में परिवर्तन को दर्शाने के लिए अभिकल्पित किया जाता है। सूचकांक न केवल समय के साथ हुए परिवर्तनों की माप करता है बल्कि विभिन्न स्थानों, उद्योगों, नगरों अथवा देशों की आर्थिक दशाओं की तुलना भी करता है।

प्रश्न 4.
प्राथमिक आँकड़े को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक आँकड़े-वे आँकड़े जो क्षेत्र से सीधे किसी तत्त्व की गणना द्वारा अथवा लोगों से साक्षात्कार करके प्राप्त किए जाते हैं, उन्हें प्राथमिक आँकड़े’ कहते हैं। प्राथमिक आँकड़ों का मुख्य स्रोत सर्वेक्षण होता है। ये आँकड़े प्रथम बार व्यक्तिगत रूप से अथवा व्यक्तियों के समूह, संस्था/संगठन आदि द्वारा एकत्रित किए जाते हैं।
उदाहरणत- किसी कारखाने में कर्मचारियों की आय या किसी गाँव में भू-उपयोग से सम्बन्धित आँकड़े इत्यादि।

प्रश्न 5.
द्वितीयक आँकड़े को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
द्वितीयक आँकड़े-द्वितीयक आँकड़े प्रयोगकर्ता द्वारा स्वयं एकत्रित नहीं किए जाते हैं। ये बहुधा प्रकाशित होते हैं। कई बार अप्रकाशित साधनों से भी द्वितीयक आँकड़े प्राप्त किए जाते हैं। प्रयोगकर्ता ऐसे आँकड़ों को लेकर उन्हें सही व विश्वसनीय मानते हुए अपना निष्कर्ष निकालते हैं।

प्रश्न 6.
सारणीयन के उद्देश्यों को समझाइए।
उत्तर:
सारणीयन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं

  • सारणीयन का प्रमुख उद्देश्य अनुसन्धान द्वारा प्राप्त सामग्री को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करना है।
  • सारणीयन से बोधगम्य सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं।
  • संकलित सामग्री को स्पष्ट करने के लिए उन्हें सारणियों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
  • सारणीयन से तुलना करना, निष्कर्ष निकालना एवं व्याख्या करना आसान हो जाता है।
  • सारणीयन का उद्देश्य तथ्यों को संक्षिप्त रूप से प्रदर्शित करना है।

प्रश्न 7.
सारणीयन के लाभों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सारणीयन के निम्नलिखित लाभ हैं

  1. सारणीयन से अंकों की गणना आदि करने में आसानी रहती है।
  2. सारणीयन से तुलनात्मक अध्ययन करने में सुविधा रहती है।
  3. सारणीयन से समय व स्थान की बचत होती है।
  4. सारणीयन से तथ्यों का व्यवस्थित क्रम रहता है।
  5. सारणीयन से स्मरण करने में आसानी रहती है।
  6. सारणीयन सूचनाओं का स्पष्ट चित्र है।

प्रश्न 8.
सूचकांक की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सूचकांक की उपयोगिता एवं महत्त्व निम्नलिखित हैं

  1. सूचकांक की उपयोगिता सार्वभौमिक है।
  2. सूचकांक से जटिल तथ्यों का सरलीकरण हो जाता है।
  3. सूचकांक नीति-निर्माण में सहायक है।
  4. सूचकांक तुलना में सहायक है।
  5. सूचकांक भावी प्रवृत्तियों के संकेत हैं।

प्रश्न 9.
साक्षात्कार प्रविधि का महत्त्व समझाइए।
उत्तर:
साक्षात्कार प्रविधि का महत्त्व निम्नलिखित है

  1. साक्षात्कार से सभी प्रकार की सूचनाओं का संकलन होता है।
  2. इससे भूतकालीन घटनाओं का अध्ययन होता है।
  3. यह परस्पर प्रेरणात्मक अध्ययन है।
  4. यह एक मनोवैज्ञानिक अध्ययन है।
  5. यह अमूर्त-अदृश्य घटनाओं का अध्ययन है।
  6. इसमें सत्यापन की क्षमता होती है।

प्रश्न 10.
साक्षात्कार प्रविधि की सीमाएँ बताइए।
उत्तर:
साक्षात्कार प्रविधि की सीमाएँ निम्नलिखित हैं

  1. साक्षात्कार में सूचनादाता पर निर्भरता होती है।
  2. इसमें व्यक्तिगत पक्षपात की सम्भावना रहती है।
  3. इसमें स्मरण शक्ति पर निर्भरता होती है।
  4. सूचनादाता द्वारा गलत सूचना देने की सम्भावना रहती है।
  5. यह एक महँगी विधि है।
  6. यह बड़े अध्ययन क्षेत्र के लिए अनुपयुक्त है।

मौखिक प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
आँकड़ों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी लक्षण के सम्बन्ध में प्राप्त मात्रात्मक सूचनाओं को, जो स्थान, समय या दशा से जुड़ी हुई होती हैं, ‘आँकड़े’ कहलाती हैं।

प्रश्न 2.
प्राथमिक व द्वितीयक आँकड़ों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
जब शोधकर्ता स्वयं क्षेत्र में या आँकड़ों के स्रोत पर पहुँचकर मात्रात्मक सूचनाएँ प्राप्त करता है तो उन्हें ‘प्राथमिक आँकड़े’ कहते हैं। सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, व्यक्तिगत प्रकाशनों तथा पत्र-पत्रिकाओं, रिपोर्टों से प्राप्त आँकड़े ‘द्वितीयक आँकड़े’ कहलाते हैं।

प्रश्न 3.
प्राथमिक आँकड़ों को एकत्रित करने के स्रोतों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. प्रत्यक्ष व्यक्तिगत साक्षात्कार द्वारा
  2. अप्रत्यक्ष व्यक्तिगत साक्षात्कार द्वारा
  3. संवाददाताओं से प्राप्त सूचना
  4. डाक द्वारा प्रश्नावली भेजकर
  5. परिगणकों द्वारा प्रश्नावली भेजकर।

प्रश्न 4.
निरपेक्ष आँकड़ा क्या है?
उत्तर:
जब आँकड़े अपने मूल रूप में पूर्णांक की तरह प्रस्तुत किए जाते हैं, उन्हें ‘निरपेक्ष आँकड़े’ (कच्चे आँकड़े) कहा जाता है।

प्रश्न 5.
द्वितीयक आँकड़ों के स्रोतों के नाम बताइए।
उत्तर:
द्वितीयक आँकड़ों के दो स्रोत हैं
(1) प्रकाशित एवं
(2) अप्रकाशित स्रोत।

1. प्रकाशित एवं

  • सरकारी प्रकाशन
  • अर्द्ध-सरकारी प्रकाशन
  • अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन
  • निजी प्रकाशन
  • समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ
  • इलेक्ट्रॉनिक।

2. अप्रकाशित स्रोत

  • सरकारी प्रलेख
  • अर्द्ध-सरकारी प्रलेख
  • निजी प्रलेख।

प्रश्न 6.
प्राथमिक आँकड़ों के साधनों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्राथमिक आँकड़ों के साधन

  1. व्यक्तिगत प्रेक्षण
  2. साक्षात्कार
  3. प्रश्नावली व अनुसूची एवं
  4. अन्य विधियाँ।

प्रश्न 7.
आवृत्ति किसे कहते हैं?
उत्तर:
मदों की संख्याएँ ‘आवृत्ति’ कहलाती हैं।

प्रश्न 8.
संचयी आवृत्ति को किससे प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर:
संचयी आवृत्ति को cf से प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 9.
समूहों या वर्गों को तैयार करने के लिए लाई जाने वाली विधियों के नाम बताइए।
उत्तर:

  • अपवर्ती विधि एवं
  • समावेशी विधि।

प्रश्न 10.
आवृत्ति बहुभुज किसे कहते हैं?
उत्तर:
आवृत्तियों के वितरण का ग्राफ ‘आवृत्ति बहुभुज’ के नाम से जाना जाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आँकड़े एकत्रित करने के स्रोत हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच।
उत्तर:
(a) दो।

प्रश्न 2.
प्राथमिक आँकड़ों का साधन नहीं है
(a) साक्षात्कार
(b) प्रश्नावली
(c) अनुसूची
(d) सरकारी प्रकाशन।
उत्तर:
(d) सरकारी प्रकाशन।

प्रश्न 3.
आँकड़ों के द्वितीयक स्रोत का अप्रकाशित साधन है
(a) सरकारी प्रलेख
(b) अर्द्धसरकारी प्रलेख
(c) निजी प्रलेख
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
साधारण आवृत्ति को प्रदर्शित करने वाला संकेताक्षर है
(a)f
(b) cf
(c) s
(d) t.
उत्तर:
(a) f.

प्रश्न 5.
समूहों या वर्गों को तैयार करने के लिए कौन-सी विधि प्रयोग में लायी जाती है
(a) समावेशी विधि
(b) अपवर्जी विधि
(c) (a) व (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) (a) व (b) दोनों।

UP Board Solutions for Class 12 Geography

UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 6 Spatial Information Technology

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 6 Spatial Information Technology (स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी)

UP Board Class 12 Geography Chapter 6 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 6 पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
(i) स्थानिक आँकड़ों के लक्षण निम्नांकित स्वरूप में दिखाई देते हैं
(क) अवस्थितिक
(ख) रैखिक
(ग) क्षेत्रीय
(घ) उपर्युक्त सभी स्वरूपों में।
उत्तर:
(क) अवस्थितिक।

(ii) विश्लेषक मॉड्यूल सॉफ्टवेयर के लिए कौन-सा एक प्रचालन आवश्यक है
(क) आँकड़ा संग्रहण
(ख) आँकड़ा प्रदर्शन
(ग) आँकड़ा निष्कर्षण
(घ) बफरिंग।
उत्तर:
(क) आँकड़ा संग्रहण।

(iii) चित्ररेखापुंज (रैस्टर) आँकड़ा फॉरमेट का एक अवगुण क्या है
(क) सरल आँकड़ा संरचना
(ख) सहज एवं कुशल उपरिशायी
(ग) सुदूर संवेदन प्रतिबिम्ब के लिए सक्षम
(घ) कठिन परिपथ चाल विश्लेषण।
उत्तर:
(क) सरल ऑकड़ा संरचना।

(iv) सदिश (वेक्टर) आँकड़ा फॉरमेट का एक गुण क्या है
(क) समिश्र आँकड़ा संरचना
(ख) कठिन उपरिशायी प्रचालन
(ग) सुदूर संवेदन आँकड़ों के साथ कठिन सुसंगतता
(घ) सघन आँकड़ा संरचना।
उत्तर:
(ग) सुदूर संवेदन आँकड़ों के साथ कठिन सुसंगतता।

(v) भौगोलिक सूचना तंत्र कोट में उपयोग कर नगरीय परिवर्तन की पहचान कुशलतापूर्वक की जाती है
(क) उपरिशायी प्रचालन
(ख) सामीप्य विश्लेषण
(ग) परिपथ जाल विश्लेषण
(घ) बफरिंग।
उत्तर:
(घ) बफरिंग।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) चित्ररेखाएंज एवं सदिश (वेक्टर) आँकड़ा मॉडल के मध्य अंतर।
उत्तर:
चित्ररेखाएंज (रैस्टर) आँकड़े वर्गों के जाल के प्रारूप में आँकड़ों का ग्राफीय प्रदर्शन करते हैं जबकि सदिश (वेक्टर) आँकड़े वस्तु का प्रदर्शन विशिष्ट बिन्दुओं के बीच खींची गई रेखाओं के समुच्चय के रूप में करते हैं।

(ii) उपरिशायी विश्लेषण क्या है?
उत्तर:
उपरिशायी विश्लेषण में भू-संदर्भित सूचना के प्रक्रमण, स्थिति निर्धारण आदि सूचनाओं का विश्लेषण किया जाता है।

(iii) भौगोलिक सूचना तन्त्र में हस्तचलित विधि के गुण क्या हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र में हस्तचलित विधि के गुण निम्नलिखित हैं

  1. प्रयोक्ता प्रदर्शित किए जाने वाले स्थानिक लक्षणों के सम्बन्ध में प्रश्न पूछ सकते हैं।
  2. गुण न्यास की जाँच करके अथवा विश्लेषण करके मानचित्र आलेखित किए जा सकते हैं।
  3. स्थानिक प्रचालकों का समन्वित सूचनाधार पर अनुप्रयोग करके सूचनाओं के नये समुच्चयन उत्पन्न किए जा सकते हैं।
  4. विशेष आँकड़ों के विभिन्न आइटम एक-दूसरे के साथ अंश अवस्थिति कोड की सहायता से जोड़े जा सकते हैं।

(iv) भौगोलिक सूचना तन्त्र के महत्त्वपूर्ण घटक क्या हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र के महत्त्वपूर्ण घटक हैं

  1. हार्डवेयर
  2. सॉफ्टवेयर,
  3. आँकड़े एवं
  4. लोग।

(v) भौगोलिक सूचना तन्त्र के कोर में स्थानिक सूचना बनाने की विधि क्या हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र के कोर में स्थानिक सूचना बनाने की विधि निम्नलिखित हैं

  1. आँकड़ा आपूर्तिदाता से आंकिक रूप में आँकड़े प्राप्त करना।
  2. विद्यमान अनुरूप ऑकड़ों का अंकीकरण करना।
  3. भौगोलिक सत्ताओं का स्वयं सर्वेक्षण करके।

(vi) स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
उत्तर:
स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी से अभिप्राय किसी स्थान अथवा क्षेत्र विशेष से सम्बन्धित आँकड़ों एवं सूचनाओं का एकत्रीकरण करना तथा कम्प्यूटर द्वारा उन सूचनाओं की संगणना, भण्डारण, विश्लेषण और उपयोग करने से है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दीजिए
(i) चित्ररेखाएंज (रैस्टर) एवं सदिश (वेक्टर) आँकड़ा फॉर्मेट को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
किारेखा{ज (रैस्टर) आँकड़ा फॉर्मेट चित्ररेखाएंज आँकड़े वर्गों के जाल के रूप में आँकड़ों का ग्राफीय प्रदर्शन करते हैं जिसमें स्तम्भ एवं पंक्तियों का जाल होता है। स्तम्भों व पंक्तियों के जाल को ‘ग्रिड’ (Grid) तथा एक स्तम्भ एवं पंक्ति के भेदन स्थल को ‘सेल’ (Cell) कहते हैं।

मान लीजिए कागज पर एक तिरछी रेखा खींची गई है। चित्ररेखाएंज में इसे ग्राफ पेपर पर बने आयतों की भाँति प्रदर्शित किया जाता है और उसके आधार पर इसका मूल्य निर्धारित किया जाता है। (चित्र) आँकड़ों का यह प्रदर्शन प्रयोक्ता को प्रतिबिम्ब के पुनर्गठन अथवा दृश्यांकन में सहायता करता है।
UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 6 Spatial Information Technology 1
सेलों के आकार और उनकी संख्या के बीच सम्बन्ध को चित्ररेखाएंज (रैस्टर) के विभेदन के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है।
नीचे दिए गए चित्र में चित्ररेखाएंज फॉर्मेट में आँकड़ों पर जाल या वर्ग के आकार को स्पष्ट किया गया है।
UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 6 Spatial Information Technology 2
सदिश आँकड़ा फॉर्नेट
उसी तिरछी रेखा का सदिश (वेक्टर) प्रदर्शन केवल निर्देशांकों के आरम्भिक एवं अन्तिम बिन्दुओं को दर्ज कर रेखा की स्थिति को दर्ज करके होगा। प्रत्येक बिन्दु की अभिव्यक्ति दो अथवा तीन संख्याओं के रूप में होगी। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि प्रदर्शन द्वि-आयामी था या त्रि-आयामी, जिसे प्राय: X, Y अथवा X, Y, Z निर्देशांकों द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। (चित्र)
UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 6 Spatial Information Technology 3
पहली संख्या X, बिन्दु और कागज की बाईं सीमा के बीच की दूरी है; Y बिन्दु तथा कागज की निचली सीमा के बीच दूरी; Z कागज के ऊपर अथवा नीचे से बिन्दु की उच्चता है। मापे गए बिन्दुओं को मिलाने से सदिश का निर्माण होता है।
UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 6 Spatial Information Technology 4

(ii) भौगोलिक सूचना तन्त्र से सम्बन्धित कार्यों को क्रमबद्ध रूप में किस प्रकार किया जाता है? एक व्याख्यात्मक लेख प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र की क्रियाओं का अनुक्रम
भौगोलिक सूचना तन्त्र से सम्बन्धित कार्यों का अनुक्रम निम्नलिखित है
1. स्थानिक आँकड़ा निवेश- स्थानिक आँकड़ा निवेश के विभिन्न स्रोतों को निम्नलिखित दो वर्गों में संक्षेपित किया जाता है

  • आँकड़ा आपूर्तिदाता से आंकिक आँकड़ा समुच्चय का प्रग्रहण।
  • हस्तेन निवेश द्वारा आंकिक आँकड़ा समुच्चयों की रचना।

2. गुण न्यास की प्रविष्टि- गुण न्यास उन स्थानिक विशेषताओं को परिभाषित करता है, जिसे भौगोलिक सूचना तन्त्र में निपटाने की आवश्यकता होती है।

3. आँकड़ों का सत्यापन और सम्पादन- भौगोलिक सूचना तन्त्र में प्रग्रहित आँकड़ों का सत्यापन एवं सम्पादन अति आवश्यक है, क्योंकि इससे आँकड़ों की शुद्धता तथा त्रुटियों की पहचान होती है। इसे कम्प्यूटर की सहायता से किया जाता है।
त्रुटियों का वर्गीकरण

  • स्थानिक आँकड़े अपूर्ण अथवा दोहरे हैं।
  • स्थानिक आँकड़े गलत मापनी पर हैं।
  • स्थानिक आँकड़े विरूपित हैं।

4. स्थानिक और गुण न्यास आँकड़ों की सहलग्नता– स्थानिक और गुण न्यास आँकड़ों की सहलग्नता का पूरा ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि ये भौगोलिक सूचना तन्त्र के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं।

5. स्थानिक विश्लेषण– भौगोलिक सूचना तन्त्र में स्थानिक विश्लेषण की क्षमता है उनकी विश्लेषणात्मक क्रियाएँ यथार्थ विश्व से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सूचनाधार में स्थानिक तथा गैर-स्थानिक गुणों का प्रयोग करती हैं।
भौगोलिक सूचना तन्त्र का प्रयोग करते हुए स्थानिक विश्लेषण के निम्नलिखित प्रचालनों को शामिल किया जाता है

  • अधिचित्रण
  • बफर विश्लेषण
  • परिपथ जाल विश्लेषण, एवं
  • आंकिक भू-भाग मॉडल।

UP Board Class 12 Geography Chapter 6 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 6 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भौगोलिक सूचना तन्त्र के लाभ/महत्त्व/उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र के मुख्य लाभ/महत्त्व/उपयोगिता निम्नलिखित हैं

  1. भौगोलिक सूचना तन्त्र की सहायता से भूगोलवेत्ता स्थानिक प्रतिरूपों और प्रक्रियाओं की पहचान कर उनका विश्लेषण कर सकता है।
  2. इसकी सहायता से भौगोलिक तत्त्वों के बीच पाए जाने वाले अन्तर्सम्बन्धों की व्याख्या की जा सकती है। उदाहरणतः शुष्क प्रदेशों में नहरी जल की व्यवस्था के बीच अन्तर्सम्बन्ध।
  3. इसमें परिवहन तन्त्र और नगरों के विकास के अध्ययन में सहायता मिलती है।
  4. इससे कम समय और कम लागत से भौगोलिक विश्लेषण सम्भव होता है।
  5. इससे समाज के गरीबी रेखा के नीचे बसर कर रहे लोगों के सम्बन्ध में विश्वसनीय जानकारी हासिल हो सकती है।
  6. वर्तमान में G.I.S. का उपयोग पर्यावरण, कृषि, भूमि उपयोग, नियोजन, आपदा प्रबन्धन, परिवहन तन्त्र, जनांकिकीय विश्लेषण तथा नगरीय सुविधाओं के क्षेत्र में बढ़ रहा है।
  7. भौगोलिक सूचना तन्त्र का एक और उपयोग पुराने पड़ गए मानचित्रों को आधुनिक बनाना है। उदाहरणत: जलीय क्षेत्रों, नगरीय क्षेत्रों तथा वन क्षेत्रों को दिखाने वाले मानचित्रों में एक निश्चित समय अन्तराल के बाद संशोधन करना अनिवार्य होता है।

प्रश्न 2.
चित्ररेखाएंज संरचना के गुण व दोषों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चित्ररेखाएंज संरचना के गुण चित्ररेखाएंज संरचना के गुण निम्नलिखित हैं

  1. इसे समझना व कार्यान्वित करना सरल होता है।
  2. प्रत्येक सेल का अपना गुण होता है, जिससे भूमि उपयोग तथा मृदा के प्रकार जैसे समीपस्थ लक्षणों को प्रदर्शित करने में सहायक होता है।
  3. उच्च स्थानिक परिवर्तनशीलता को आसानी से प्रदर्शित किया जा सकता है।
  4. प्रिन्टर, प्लॉटर जैसे अधिकांश उत्पादक उपकरण चित्ररेखापुँज में उपलब्ध होते हैं।
  5. उपग्रह दूर संवेदन तथा अंकीय वायुचित्र से सीधे ही चित्ररेखाएंज में आँकड़े प्राप्त हो जाते हैं और आँकड़ों के परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती।

चित्ररेखा{ज संरचना के दोष चित्ररेखाएंज संरचना के दोष निम्नलिखित हैं

  1. प्रत्येक सेल केवल एक गुण का ही भण्डारण करता है।
  2. आँकड़ों के भण्डारण में उच्च कोटीय स्मृति व्यवस्था होती है और आँकड़ों के संपीडन की आवश्यकता होती है।
  3. नेटवर्क संबंधों को सुचारु रूप से प्रदर्शित नहीं किया जा सकता।
  4. मिश्रित सेलों की स्थिति में अशुद्धियाँ आ जाती हैं।
  5. सेलों के खुरदरेपन से छोटे-छोटे लक्षण छूट जाते हैं।

प्रश्न 3.
भौगोलिक सूचना तन्त्र क्या है? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए। –
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र-भौगोलिक सूचना तन्त्र (G.I.S.) एक ऐसा सूचना तन्त्र है जिसे भौगोलिक अथवा स्थानिक आँकड़ों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए बनाया गया है। यह वास्तव में एक आँकड़ा संचय तन्त्र है जिसमें भौगोलिक आँकड़ों को शामिल करने के साथ-साथ उनके संसाधन और विश्लेषण की क्षमता भी होती है।
भौगोलिक सूचना तन्त्र के प्रकार
स्थानिक उपग्रहों के भण्डारण और विश्लेषण की तकनीक के आधार पर भौगोलिक सूचना तन्त्र निम्नलिखित दो प्रकार का होता है
1. रेखाएंज- यह मानचित्रों, फोटोग्राफों तथा अन्य दो आयामी वितरण को अंक रूप में भण्डारित करने की एक पद्धति है। यह पद्धति स्थान के अनुसार निरन्तर बदलने वाली परिघटनाओं को हैण्डल करने के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। यही कारण है कि पर्यावरण विज्ञानों में रेखाएंज पद्धति का उपयोग निरन्तर बढ़ रहा है।

2. सदिश- इस पद्धति में सभी वस्तुओं का अंकन बिन्दुओं, रेखाओं और क्षेत्र के रूप में किया जाता है। अंकीकरण की इस पद्धति में ‘X’, ‘Y निर्देशांकों का उपयोग किया जाता है।

लघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
रेखाएंज भौगोलिक सूचना तन्त्र की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
रेखाएंज भौगोलिक सूचना तन्त्र की विशेषताएँ (गुण) निम्नलिखित हैं

  1. इसमें भौगोलिक सूचनाओं को कोष्ठिकाओं के माध्यम से दिखाया जाता है।
  2. यह पर्यावरण और भौतिक विज्ञानों के अध्ययन के लिए उपयोगी है।
  3. इसमें एक-दूसरे से पृथक् वस्तुओं के अंकन में सुविधा होती है।
  4. यह पद्धति बताती है कि “प्रत्येक स्थान पर क्या है?”

प्रश्न 2.
सदिश भौगोलिक सूचना तन्त्र की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
सदिश भौगोलिक सूचना तन्त्र की विशेषताएँ निलिखित हैं

  1. इसमें भौगोलिक सूचनाओं, बिन्दुओं, रेखाओं और क्षेत्र (बहुभुज) का उपयोग किया जाता है।
  2. सामाजिक सुविधाओं, उद्योगों के मानचित्रण और भौगोलिक रूप से वितरित सुविधाओं के अंकन में सदिश भौगोलिक सूचना तन्त्र उपयोगी है।
  3. इसमें सड़कों के अंकीकृत जाल से दो बिन्दुओं के मध्य यात्रा समयावधि का अनुभव किया जा सकता है।
  4. यह पद्धति बताती है कि “प्रत्येक वस्तु कहाँ है?”

प्रश्न 3.
हस्तेन विधियों की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हस्तेन विधियों की सीमाएँ निम्नलिखित हैं

  1. मानचित्रीय सूचना एक विशेष ढंग से प्रक्रमित और प्रदर्शित की गई होती है।
  2. एक मानचित्र एक अथवा. एक से अधिक पूर्व-निर्धारित विषय-वस्तुओं को दर्शाता है।
  3. मानचित्रों में चित्रित सूचना में परिवर्तन करने पर एक नया मानचित्र आलेखित करना पड़ता है।

प्रश्न 4.
चित्ररेखापुँज फाइल फॉर्मेटों का अधिकतर प्रयोग किन क्रियाओं में किया जाता है?
उत्तर:
चित्ररेखा(ज फाइल फॉर्मेटों का अधिकतर प्रयोग निम्नलिखित क्रियाओं में किया जाता है

  • वायव फोटोग्राफी, उपग्रहीय प्रतिबिम्बों, क्रमवीक्षितं कागजी मानचित्रों के आंकिक प्रदर्शन और अत्यधिक ब्यौरेवार प्रतिबिम्बों वाले अन्य अनुप्रयोग के लिए।
  • जब लागत का कम करना आवश्यक हो।
  • जब मानचित्र में व्यक्तिगत मानचित्रीय लक्षण का विश्लेषण अपेक्षित न हो।
  • जब ‘बैकड्रॉप’ मानचित्रों की आवश्यकता हो।

प्रश्न 5.
सदिश फाइलों का प्रयोग किन परिस्थितियों में किया जाता है?
उत्तर:
सदिश फाइलों का प्रयोग मुख्यत: निम्न परिस्थितियों में किया जाता है

  1. उच्च परिष्कृत अनुप्रयोग की आवश्यकता हो।
  2. फाइलों के आकार महत्त्वपूर्ण हों।
  3. मानचित्र के प्रत्येक लक्षण का विश्लेषण आवश्यक हो।
  4. वर्णनात्मक सूचना का भण्डारण अनिवार्य हो।

प्रश्न 6.
सदिश संरचना के गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सदिश संरचना के गुण निम्नलिखित हैं

  1. यह सांस्कृतिक लक्षणों को प्रदर्शित करने के लिए अधिक उपयोगी है।
  2. ग्लोबल पोजीशनल सिस्टम (GPS) तथा टोटल स्टेशनों से आँकड़े सीधे ही प्राप्त हो सकते हैं।
  3. इसमें कम स्मृति की आवश्यकता होती है।
  4. स्थालाकृतियों को दर्शाने तथा उनके विश्लेषण में अधिक शुद्धता होती है।

प्रश्न 7.
चित्ररेखापुंज (रैस्टर) मॉडल की हानियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
चित्ररेखापुंज (रैस्टर) मॉडल की हानियाँ निम्नलिखित हैं

  1. कम्प्यूटर भण्डारण का अदक्ष प्रयोग होता है।
  2. इसके परिमाप और आकृति में त्रुटियाँ होती हैं।
  3. परिपथ जाल का विश्लेषण कठिन होता है।
  4. प्रक्षेपण का रूपान्तरण अदक्ष वृहत् सैलों का प्रयोग करते समय सूचना का ह्रास होता है।
  5. कम परिशुद्ध मानचित्र होता है।

प्रश्न 8.
सदिश (वेक्टर) मॉडल की हानियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सदिश (वेक्टर) मॉडल की हानियाँ निम्नलिखित हैं

  1. इसकी आँकड़ा संरचना जटिल होती है।
  2. अधिचित्रण में कठिन प्रचालन होता है।
  3. उच्च स्थानिक विचरणशीलता का अदक्ष प्रतिनिधित्व होता है।
  4. यह सुदूर संवेदन प्रतिबिंबों के साथ असंगत होता है।

प्रश्न 9.
भौगोलिक सूचना तन्त्र को किन स्रोतों से आँकड़े प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र को निम्नलिखित स्रोतों से आँकड़े प्राप्त होते हैं

  • भारतीय सर्वेक्षण विभाग के स्थलाकृतिक मानचित्र तथा वायुचित्र।
  • उपभोक्ताओं द्वारा एकत्रित प्राथमिक आँकड़े।
  • भारतीय जनगणना विभाग के विशाल आँकड़े और मानचित्र।
  • राष्ट्रीय दूर संवेदी एजेन्सी, हैदराबाद।
  • राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबन्ध प्रणाली, बंगलुरु।
  • महानगरों के विकास प्राधिकरण।
  • राज्यों और जिलों के सांख्यिकीय विभाग। .
  • राष्ट्रीय विषयक मानचित्र संगठन, कोलकाता।

मौखिक प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी से तात्पर्य किसी क्षेत्र से सम्बन्धित सूचनाओं का कम्प्यूटर में संचयन, संगणना, भण्डारण और उपयोग से है।

प्रश्न 2.
भौगोलिक सूचना तन्त्र में किसी वस्तु या वाहन की स्थिति कैसे प्रदर्शित की जाती है?
उत्तर:
अक्षांशों व देशान्तरों के माध्यम से स्थिति प्रदर्शित की जाती है।

प्रश्न 3.
भौगोलिक सूचना तन्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र एक आँकड़ा संचय तन्त्र है जिसमें भौगोलिक आँकड़ों का संचयन, संगणना और विश्लेषण किया जाता है।

प्रश्न 4.
सदिश भौगोलिक सूचना तन्त्र में आँकड़ों का प्रदर्शन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
बिन्दुओं, रेखाओं और क्षेत्र के रूप में।

प्रश्न 5.
किस पद्धति से पता चलता है कि “प्रत्येक स्थान पर क्या है?”
उत्तर:
रेखा(ज। प्रश्न 6-किस पद्धति से पता चलता है कि “प्रत्येक वस्तु कहाँ है?” उत्तर-सदिश पद्धति से।

प्रश्न 7.
सहलग्नता क्या है?
उत्तर:
सहलग्नता में एक भौगोलिक सूचना तन्त्र में विभिन्न प्रकार के आँकड़ों को जोड़ने की क्षमता होती है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी में शामिल है
(a) सुदूर संवेदन
(b) भौगोलिक सूचना तन्त्र
(c) वैश्विक स्थिति-निर्धारण तन्त्र
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 2.
कितने प्रकार के आँकड़े भौगोलिक सूचना प्रदान करते हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच।
उत्तर:
(a) दो।

प्रश्न 3.
स्थानीय आँकड़ों का प्रकार है
(a) बिन्दु
(b) रेखा
(c) क्षेत्र
(d) ये सभी।
उत्तर:
(d) ये सभी।

प्रश्न 4.
स्थानिक सूचना तन्त्र का घटक है
(a) हार्डवेयर
(b) सॉफ्टवेयर
(c) आँकड़े
(d) ये सभी।
उत्तर:
(d) ये सभी।

प्रश्न 5.
आँकड़ा संरचना के प्रकार हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच।
उत्तर:
(a) दो।

UP Board Solutions for Class 12 Geography

UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Field Surveys

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 5 Field Surveys (क्षेत्रीय सर्वेक्षण)

UP Board Class 12 Geography Chapter 5 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 5 पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से एक सही उत्तर का चुनाव कीजिए
(i) क्षेत्र सर्वेक्षण की योजना के लिए नीचे दी गई विधियों में कौन-सी विधि सहायक है
(क) व्यक्तिगत साक्षात्कार
(ख) द्वितीयक सूचनाएँ
(ग) मापन
(घ) प्रयोग।
उत्तर:
(ख) द्वितीयक सूचनाएँ।

(ii).क्षेत्र-सर्वेक्षण के निष्कर्ष के लिए क्या किया जाना चाहिए
(क) आँकड़ा प्रवेश एवं सारणीयन
(ख) प्रतिवेदन लेखन
(ग) सूचकांकों का अभिकलन
(घ) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं।
उत्तर:
(ख) प्रतिवेदन लेखन।

(iii) क्षेत्र-सर्वेक्षण के प्रारंभिक स्तर पर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण क्या है
(क) उद्देश्य का निर्धारण करना
(ख) द्वितीयक आँकड़ों का संग्रहण
(ग) स्थानिक एवं विषयक सीमाओं को परिभाषित करना
(घ) निदर्शन अभिकल्पना।
उत्तर:
(ग) स्थानिक एवं विषयक सीमाओं को परिभाषित करना।

(iv) क्षेत्र सर्वेक्षण के समय किस स्तर की सूचनाओं को प्राप्त करना चाहिए
(क) बृहत् स्तर की सूचनाएँ
(ख) मध्यम स्तर की सूचनाएँ
(ग) लघु स्तर की सूचनाएँ
(घ) उपर्युक्त सभी स्तर की सूचनाएँ।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी स्तर की सूचनाएँ।

प्रश्न 2.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर 30 शब्दों में दीजिए
(i) क्षेत्र सर्वेक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
क्षेत्र सर्वेक्षण का आयोजन वांछित सूचनाओं के एकत्रण के लिए किया जाता है ताकि अन्वेषण के अन्तर्गत समस्या का पूर्व निर्धारित उद्देश्यों के अनुरूप गहन अध्ययन किया जा सके।

(ii) क्षेत्र सर्वेक्षण के उपकरण एवं प्रविधियों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्र सर्वेक्षण के उपकरण एवं प्रविधियाँ निम्नलिखित हैं

  1. अभिलिखित एवं प्रकाशित आँकड़े
  2. क्षेत्रीय पर्यवेक्षण
  3. मापन एवं
  4. साक्षात्कार।

(iii) क्षेत्र सर्वेक्षण के चुनाव के पहले किस प्रकार के व्याप्ति क्षेत्र की आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर:
क्षेत्र सर्वेक्षण के चुनाव के लिए अन्वेषक को यह निर्णय करना होता है कि सर्वेक्षण सम्पूर्ण जनसंख्या अथवा समग्र के लिए आयोजित किया जाना है। बृहत् आकार की स्थिति में जनसंख्या के घटकों का प्रतिनिधित्व करने वाले चयनित प्रतिदर्श तक अध्ययन को सीमित किया जा सकता है।

(iv) सर्वेक्षण अभिकल्पना को संक्षिप्त में समझाएँ।
उत्तर:
सर्वेक्षण अभिकल्पना-क्षेत्र सर्वेक्षण का आयोजन वांछित सूचनाओं के एकत्रण के लिए किया जाता है ताकि अन्वेषण में समस्याओं का गहन अध्ययन किया जा सके। यह पर्यवेक्षण द्वारा संभव है जो सूचनाओं के एकत्रण और उनसे निष्कर्ष प्राप्त करने की एक उपयोगी विधि है।

(v) क्षेत्र सर्वेक्षण के लिए प्रश्नों की अच्छी संरचना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
प्रश्नावली द्वारा उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सम्बन्धित सूचनाएँ एकत्र करने में सहायता मिलती है। उस क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति के अपने परिवेश से सम्बन्धित अनुभव व ज्ञान तथा सूचनाएँ मिलती हैं। उस क्षेत्र की समस्याओं का ज्ञान होता है। इसी कारण सर्वेक्षण के लिए प्रश्नों की अच्छी संरचना आवश्यक है।

प्रश्न 3.
निम्नांकित समस्याओं में से किसी एक के लिए क्षेत्र सर्वेक्षण अभिकल्पना का निर्माण कीजिए
(1) पर्यावरण प्रदूषण, (2) मृदा अपघटन, (3) बाढ़, (4) आपदा विषयक, (5) भूमि उपयोग परिवर्तन की पहचान।
उत्तर:
बाढ़
भारत एक मानसूनी देश हैं। यहाँ वर्षा एक निश्चित समय और असमान वितरण के साथ होती है। देश के कुछ भागों में वर्षा अधिक होती है जिससे बाढ़ का प्रकोप बना रहता है। इन भागों में असम, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि राज्य मुख्य हैं। बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है। इसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
उद्देश्य
(1) बाढ़ का कारण समझना।
(2) उन क्षेत्रों की पहचान करना जहाँ बाढ़ की पुनरावृत्ति होती है।
(3) बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को बाढ़ से निपटने के सुझाव देना।

  • व्याप्ति- सर्वेक्षण के क्षेत्रीय, कालिक तथा विषयक व्याप्ति के पहलुओं को समझना आवश्यक है।
  • क्षेत्रीय- बिहार या असोम प्रदेश में बाढ़ का विशेष क्षेत्रीय सर्वेक्षण करना।
  • कालिक- बाढ़ की समस्या चिरकालिक है। इसे समझने के लिए सम्पूर्ण प्रदेश का अध्ययन आवश्यक है।
  • विषयक- विषयक दृष्टि से कृषि उत्पादन, भूमि उपयोग का मूल्यांकन, वर्षा की मात्रा तथा अन्य संबंधित कारकों का अध्ययन करना।
  • द्वितीयक सूचनाएँ- किन नदियों में बाढ़ आती है? बाढ़ से कितना क्षेत्र प्रभावित होता है? इसके लिए हमें प्रदेश का मानचित्र, जिला रिपोर्ट आदि प्राप्त करनी होगी। राजस्व अधिकारी द्वारा यह जानकारी प्रदान की जाएगी कि फसलों की कितनी क्षति हुई है।
  • प्रेक्षण- प्रेक्षण का अर्थ है-चारों तरफ दृष्टिपात करना, लोगों से बातचीत करना तथा जल भराव, फसल खराब होने, चारे की कमी, भूख से मृत्यु आदि के सम्बन्ध में किए गए प्रेक्षण का अभिलेखन करना।

UP Board Class 12 Geography Chapter 5 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 5 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्षेत्रीय सर्वेक्षण करने से पूर्व अध्यापक द्वारा विद्यार्थियों को दिए जाने वाले निर्देश क्या हैं?
उत्तर:
क्षेत्रीय सर्वेक्षण करने से पूर्व अध्यापक द्वारा विद्यार्थियों को दिए जाने वाले निर्देश निम्नलिखित

  • क्षेत्रीय लोगों के साथ निकट का सम्बन्ध बनाना।
  • क्षेत्रीय लोगों को अपने सर्वेक्षण से सम्बन्धित सही जानकारी देना।
  • प्रश्न सरल, छोटे और केवल सर्वेक्षण से सम्बन्धित ही होने चाहिए।
  • उत्तरदाता यदि किसी कार्य में व्यस्त है तो उससे प्रश्न नहीं पूछा जाना चाहिए।
  • अपना प्रश्न पूछने से पहले उत्तरदाता से उसके परिवार की कुशल-मंगल आदि के सम्बन्ध में बात करने की औपचारिकता अवश्य निभानी चाहिए।
  • उत्तरदाता से प्राप्त प्रश्न के उत्तर को तुरन्त अपनी नोटबुक में नोट करना चाहिए, ताकि बाद में भूल न जाएँ।
  • यदि उत्तरदाता अपना दिया गया उत्तर नोट न करवाना चाहता हो तो उसके सामने ऐसा नहीं करना चाहिए।
  • सर्वेक्षक को ऐसा कोई वचन नहीं देना चाहिए, जो कि बाद में पूरा न किया जा सके।

प्रश्न 2.
सर्वेक्षण प्रक्रिया के चरणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पूरे सर्वेक्षण को निम्नलिखित पाँच चरणों में बाँटा जाता है

  1. प्रारम्भिक चरण- इसमें सर्वेक्षक को सर्वेक्षण की योजना बनानी होती है। इसे योजना चरण (Planning Stage) भी कहा जाता है।
  2. क्रियान्वयन चरण- इसमें क्षेत्र में जाकर योजना के आधार पर सर्वेक्षण का कार्य पूरा किया जाता है।
  3. परिगणन चरण- सर्वेक्षण कार्य पूरा होने पर प्राप्त सूचना की विभिन्न तालिकाएँ तैयार की जाती हैं।
  4. मानचित्र चरण- इसमें विभिन्न ऑकड़ों को मानचित्रों की सहायता से दर्शाया जाता है।
  5. रिपोर्ट चरण- सर्वेक्षण का सारा काम पूरा हो जाने के बाद उसकी रिपोर्ट लिखी जाती है। रिपोर्ट में सर्वेक्षण से निकले परिणामों का उल्लेख किया जाता है।

प्रश्न 3.
एक अच्छी प्रश्नावली के गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
एक अच्छी प्रश्नावली में निम्नलिखित गुण आवश्यक रूप से होने चाहिए

  1. प्रश्नावली के साथ एक अनुरोध पत्र संलग्न हो जो अन्वेषक का परिचय व अन्वेषण के उद्देश्य को स्पष्ट करें।
  2. प्रश्नावली के प्रश्नों की संख्या उतनी रखी जाए, जितनी आवश्यक हो।
  3. प्रश्न और उसकी भाषा दोनों ही सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।
  4. जहाँ तक संभव हो सके व्यक्तिगत जीवन अथवा भावनाओं से जुड़े संवेदनशील प्रश्न नहीं पूछने चाहिए।
  5. प्रश्नों का क्रम तर्कसंगत होना चाहिए। इससे आँकड़ों के वर्गीकरण एवं सारणीयन में मदद मिलती है।
  6. गणितीय गणना वाले प्रश्नों को प्रश्नावली में शामिल नहीं करना चाहिए।
  7. प्रश्नावली भरने के लिए सूचनादाताओं को कुछ आवश्यक निर्देश दिए जाने चाहिए ताकि उत्तर की शुद्धता व एकरूपता बनी रह सके।
  8. कुछ प्रश्न ऐसे भी होने चाहिए जिनसे दिए गए उत्तरों की सत्यता की जाँच हो सके।
  9. प्रश्न विभिन्न शीर्षकों और उप-शीर्षकों में वर्गीकृत हों और सुविधा के लिए प्रश्नों का क्रमांक भी दिया हुआ होना चाहिए।

प्रश्न 4.
मानचित्र के दिक्विन्यास की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानचित्र के दिक्विन्यास का अर्थ-मानचित्र के दिक्विन्यास का अर्थ है कि मानचित्र को इस पर ‘सेट’ या व्यवस्थित करना ताकि पृथ्वी और मानचित्र की दिशाएँ एक हो जाएँ। यहाँ मानचित्र के दिक्विन्यास । की प्रमुख विधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है
1. ट्रफ कम्पास की सहायता से- जिस क्षेत्र के मानचित्र का दिविन्यास करना है, वहाँ जाकर ट्रफ कम्पास को भूमि पर रखिए। चुम्बकीय उत्तर दिशा निर्धारित करने के लिए जब नॉब (Knob) को ढीला किया जाता है तो सुई की नोक डिबिया के पार्श्व (Side) से टकराने लगती है। इस टकराने वाली दिशा की ओर डिबिया को तब तक घुमाते रहना चाहिए जब तक सुई की दोनों नोंक अंशांकित चापों पर छपे शून्य पर न आ जाए। ऐसी अवस्था में चुम्बकीय सुईं का ‘N’ वाला सिरा चुम्बकीय उत्तर की ओर संकेत करेगा।

2. सूर्य की सहायता से- सूर्य पूर्व दिशा से निकलता है। यदि हम अपना मुँह सूर्योदय की दिशा में करके खड़े हो जाएँ तो हमारी पीठ पश्चिम दिशा में, बाईं बाजू उत्तर दिशा में तथा दाईं बाजू दक्षिण दिशा में होगी। यदि हम मानचित्र को बताई हुई स्थिति में खड़े होकर बाईं बाजू की ओर व्यवस्थित करते हैं तो मानचित्र उत्तर दिशा के अनुरूप व्यवस्थित हो जाएगा।

3. प्रदर्शित तत्त्वों की पारस्परिक स्थिति द्वारा- मानचित्र पर अनेक प्रकार की प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक वस्तुओं (Objects) का प्रदर्शन किया जाता है। जिस जगह पर मानचित्र है, वहाँ जाकर मानचित्र को इस प्रकार व्यवस्थित कीजिए कि मानचित्र पर दिखाई गई वस्तुएँ धरातल पर दिखाई गई वस्तुओं के अनुरूप हों। इस प्रकार भी मानचित्र का दिक्विन्यास हो जाता है।

लघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्षेत्रीय अध्ययन की उपयोगिता क्या है?
उत्तर:
क्षेत्रीय अध्ययन की निम्नलिखित उपयोगिता है

  1. क्षेत्रीय अध्ययन से समस्याओं के समाधान में सहायता मिलती है।
  2. इससे छात्रों को सिद्धान्तों का व्यावहारिक ज्ञान हो जाता है।
  3. इससे छात्रों का बौद्धिक (ज्ञानात्मक) विकास होता है।
  4. प्रत्यक्ष प्रेक्षणों से ज्ञान और नये-नये विचार मिलते हैं।
  5. छात्रों में भावनाओं, मूल्यों और अच्छी मनोवृत्तियों का विकास होता है।
  6. क्षेत्र के प्रति मानवीय दृष्टिकोण का विकास होता है।

प्रश्न 2.
परिवार के सर्वेक्षण के क्या उद्देश्य हैं?
उत्तर:
परिवार के सर्वेक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. परिवार के सम्बन्ध में समस्त जानकारी प्राप्त करना।
  2. परिवार की आमदनी तथा उसके स्रोतों की जानकारी प्राप्त करना।
  3. परिवार को विभिन्न आय वर्गों में विभक्त करना।
  4. परिवार के सदस्यों की शैक्षिक तथा वैवाहिक स्थिति ज्ञात करना।

मौखिक प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
भूगोल किस तरह का विज्ञान है?
उत्तर:
भूगोल एक क्षेत्र वर्णनी विज्ञान है।

प्रश्न 2.
क्षेत्रीय सर्वेक्षण की कार्यविधि का प्रथम चरण क्या है?
उत्तर:
समस्या को परिभाषित करना।

प्रश्न 3.
क्षेत्रीय सर्वेक्षण की कार्यविधि का अन्तिम चरण क्या है?
उत्तर:
प्रस्तुतीकरण।

प्रश्न 4.
सामाजिक मुद्दों से जुड़े क्षेत्रीय सर्वेक्षणों व सूचनाओं का एकत्रण किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
व्यक्तिगत साक्षात्कार के द्वारा।

प्रश्न 5.
क्षेत्र-सर्वेक्षण से क्या आशय है?
उत्तर:
जब हम स्वयं क्षेत्र में जाकर किसी विषय पर सर्वेक्षण करते हैं तो उसे क्षेत्र-सर्वेक्षण’ कहते हैं। .

प्रश्न 6.
सेम्पल सर्वेक्षण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब क्षेत्र काफी बड़ा हो और पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण करना कठिन हों तो पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण न करके उसके कुछ चुने हुए भागों का ही सर्वेक्षण किया जाता है, उसे ‘सेम्पल सर्वेक्षण’ कहते हैं।

प्रश्न 7.
मानचित्र का दिक्विन्यास किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानचित्र को सही दिशा में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को मानचित्र का दिक्विन्यास’ कहते हैं।

बहविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्षेत्रीय सर्वेक्षण की कार्यविधि को कितने चरणों में पूरा किया जाता है
(a) चार
(b) पाँच
(c) छह
(d) सात।
उत्तर:
(d) सात।

प्रश्न 2.
सर्वेक्षण प्रक्रिया को कितने चरणों में बाँटा गया है
(a) चार
(b) पाँच
(c) छह
(d) आठ।
उत्तर:
(b) पाँच।

प्रश्न 3.
प्रश्नावली के प्रकार हैं
(a) चार
(b) पाँच
(c) छह
(d) साता
उत्तर:
(a) चार।।

प्रश्न 4.
क्षेत्रीय सर्वेक्षण की कार्यविधि का प्रथम चरण है
(a) समस्या को परिभाषित करना
(b) उद्देश्य
(c) प्रयोजन
(d) विधियाँ एवं तकनीकें।
उत्तर:
(a) समस्या को परिभाषित करना।

प्रश्न 5.
प्रश्नावली के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न होने चाहिए
(a) सरल व संक्षिप्त प्रश्न
(b) सर्वेक्षण से सम्बन्धित प्रश्न
(c) क्रमबद्ध प्रश्न
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

UP Board Solutions for Class 12 Geography

UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 4 Use of Computer In Data Processing and Mapping

UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 4 Use of Computer In Data Processing and Mapping (आंकड़ों का प्रक्रमण एवं मानचित्रण में कंप्यूटर का उपयोग)

UP Board Class 12 Geography Chapter 4 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 4 पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए— .
(i) निम्नलिखित आँकड़ों के प्रदर्शन के लिए आप किस प्रकार के ग्राफ का उपयोग करेंगे
UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 4 Use of Computer In Data Processing and Mapping 1
(क) रेखा
(ख) बहुदण्ड आरेख
(ग) वृत्त आरेख
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) वृत्त आरेख।

(ii) राज्य के अन्तर्गत जिलों का प्रदर्शन किस प्रकार के स्थानिक आँकड़ों द्वारा होगा
(क) बिन्दु
(ख) रेखाएँ
(ग) बहुभुज
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) बिन्दु।

(iii) एक वर्कशीट के सेल में दिए गए सूत्र में वह कौन-सा प्रचालक है जिसका पहले परिकलन किया जाता है
(क) +
(ख) –
(ग) /
(घ) ×
उत्तर:
(क) +

(iv) एक्सेल में विजार्ड फंक्शन आपको समर्थ बनाता है
(क) ग्राफ रचना में
(ख) गणितीय और सांख्यिकीय क्रियाओं को करने में
(ग) मानचित्र आलेखन में
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) गणितीय और सांख्यिकीय क्रियाओं को करने में।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) एक कम्प्यूटर के विभिन्न भागों की हस्तेन विधियों की तुलना में कम्प्यूटर के प्रयोग के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
कम्प्यूटर के विभिन्न भागों की हस्तेन विधियों की तुलना में कम्प्यूटर के प्रयोग के लाभ निम्नलिखित हैं

  1. यह अभिकलन और आँकड़ों के प्रक्रमण की गति बढ़ा देता है।
  2. आँकड़ों की विशाल मात्रा का निपटान कर सकता है।
  3. चाहने पर यह आँकड़ों की प्रतिलिपि बना सकता है, उनका सम्पादन कर सकता है।
  4. यह आसानी से आँकड़ों को प्रमाणीकरण, पड़ताल और संशुद्धि के योग्य बनाता है।
  5. ऑकड़ों का समूहन विश्लेषण काफी सरल हो जाता है।
  6. ग्राफ अथवा मानचित्र के प्रकार, शीर्षक, संकेत आदि को बदला जा सकता है।

(ii) आँकड़ा प्रक्रमण और प्रदर्शन की हस्तेन विधियों की तुलना में कम्प्यूटर के प्रयोग के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
कम्प्यूटर का प्रयोग अधिक सर्वोन्मुखी है। यह स्क्रीन पर पाठ के सम्पादन पर प्रतिलिपि बनाने, उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने या यहाँ तक कि अवांछित पाठ को विलुप्त करने को भी सुगम बनाता है।

(iii) वर्कशीट क्या होती है?
उत्तर:
कम्प्यूटर के मूल में एक केन्द्रीय प्रक्रमण इकाई होती है जो आँकड़ों के प्रक्रमण हेतु क्रमादेशों का क्रियान्वयन और परिधीय उपस्करों का नियन्त्रण करती है, इसे ‘वर्कशीट’ कहते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों से अधिक में न दें
(i) स्थानिक व गैर-स्थानिक आँकड़ों में क्या अन्तर है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्थानिक आँकड़े– स्थानिक आँकड़े भौगोलिक दिक्स्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं। बिन्दु, रेखाएँ और बहुभुज उनके अभिलक्षण होते हैं। बिन्दु आँकड़े मानचित्र पर प्रदर्शित विद्यालय, अस्पताल, कुएँ, नलकूप, कस्बे और गाँव जैसे कुछ भौगोलिक लक्षणों की अवस्थिति सम्बन्धी विशेषताओं का प्रदर्शन करते हैं।

गैर- स्थानिक आँकड़े- स्थानिक आँकड़ों का वर्णन करने वाले आँकड़े गैर-स्थानिक आँकड़े अथवा गुण न्यास कहलाते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आपके पास आपके विद्यालय की स्थिति दर्शाने वाला मानचित्र है तो आप विद्यालय का नाम, इसके द्वारा प्रदत्त विषय-धारा, प्रत्येक कक्षा में विद्यार्थियों की अनुसूची, पुस्तकालय, उपकरणों आदि की सुविधा जैसी सूचनाओं का संलग्न कर सकते हैं।

(ii) भौगोलिक आँकड़ों के तीन प्रकार कौन-से हैं?
उत्तर:
भौगोलिक आँकड़े तीन प्रकार के हैं

  1. स्थानिक आँकड़े- स्थानिक आँकड़े विभिन्न तत्त्वों के भौगोलिक स्थान पर दिक्स्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं। बिन्दु, रेखाएँ और बहुभुज इन आँकड़ों को अभिलक्षित करते हैं।
  2. गैर-स्थानिक आँकड़े- स्थानिक आँकड़ों का वर्णन करने वाले आँकड़ों को गैर-स्थानिक अथवा गुण न्यास आँकड़े कहते हैं।
  3. बहुभुज आँकड़े- ये आँकड़े किसी विशेष क्षेत्र को परिलक्षित करते हैं।

क्रियाकलाप
प्रश्न 1.
दिए गए आँकड़ों में समुच्चय का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित चरणों का अनुसरण कीजिए
(i) दिए गए आँकड़ों को एक फाइल में प्रविष्ट कीजिए और उनका माई डॉक्यूमेंट (My Document) में भण्डारण कीजिए (फाइल का नाम ‘रेनफॉल’ रखिए)।
(ii) एक्सेल स्प्रेड शीट में विजार्ड फंक्शन का प्रयोग करते हुए दिए गए आँकड़ा समुच्चय के प्रमाप विचलन और माध्य की गणना कीजिए।
(iii) द्वितीय चरण में व्युत्पन्न परिणामों का प्रयोग करते हुए विचरण गुणांक का अभिकलन कीजिए।
(iv) परिणाम का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
(नोट-अध्यापक की सहायता से छात्र स्वयं करें।)

प्रश्न 2.
कम्प्यूटर की सहायता से उपयुक्त तकनीक का प्रयोग करते हुए नीचे दिए गए आँकड़ों का प्रदर्शन कीजिए और आलेख का विश्लेषण कीजिए।
UP Board Class 12 Geography Practical Work Chapter 4 Use of Computer In Data Processing and Mapping 2
उत्तर:
(नोट–अध्यापक की सहायता से छात्र स्वयं करें।)

UP Board Class 12 Geography Chapter 4 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 4 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कम्प्यूटर क्या है? कम्प्यूटर की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कम्प्यूटर का अर्थ- कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक युक्ति/मशीन है, जिसका उपयोग विशाल मात्रा में आँकड़ों के भण्डारण और असंसाधित आँकड़ों को सार्थक सूचनाओं (ज्ञान) में बदलने के लिए किया जाता है। कम्प्यूटर की विशेषताएँ
कम्प्यूटर की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. गति- कम्प्यूटर अत्यन्त तीव्र गति से कार्य करता है। इसमें प्रति सेकण्ड अरबों गणनाएँ करने की क्षमता होती है।
  2. परिशुद्धता- कम्प्यूटर विशाल मात्रा में आँकड़ों का संसाधन करके त्रुटिरहित परिणाम प्रस्तुत कर सकते हैं।
  3. विविध कार्य करने की क्षमता- कम्प्यूटर विविध क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के काम करने में समर्थ हैं।
  4. भण्डारण क्षमता- कम्प्यूटर में विशाल मात्रा में आँकड़ों का भण्डारण किया जा सकता है।
  5. विश्वसनीयता- कम्प्यूटर अपनी कार्यक्षमता और विश्वसनीयता के लिए प्रसिद्ध है।
  6. अध्यवसाय- कम्प्यूटर निरन्तर लम्बी अवधी तक कार्य करते हुए न तो थकता है और न ही ऊबता है। यह बिना थके सैकड़ों घण्टों तक निरन्तर उसी गति और परिशुद्धता से कार्य कर सकता है।

प्रश्न 2.
डाटा प्रोसेसिंग की विभिन्न क्रियाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डाटा प्रोसेसिंग की विभिन्न क्रियाएँ-डाटा प्रोसेसिंग चाहे हस्तचालित हो, चाहे मशीनीकृत हो या इलेक्ट्रॉनिक हो, इसमें निम्नलिखित क्रियाएँ अपनायी जाती हैं
1. अभिलेखन- इस प्रथम चरण में आँकड़ों को स्थायी रूप में लिखकर या उसकी प्रतिलिपि को अभिलेखित किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली में अभिलेखन के दौरान आँकड़ों को कोड प्रदान किए जाते हैं।

2. वर्गीकरण- इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली में आँकड़ों को उनके कोड के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। ये कोड अंक या अक्षर या इसके संयोजन द्वारा बनते हैं।

3. संयोजन- आँकड़ों को उनकी उपयोगिता के अनुसार आरोही अथवा अवरोही क्रम में पुन: व्यवस्थित करना ‘संयोजन’ कहलाता है। संयोजन हमेशा अंक या अक्षर के कोड द्वारा संभव होता है।

4. गणना- इसमें जोड़ने, घटाने, भाग करने तथा गुणा करने जैसी अंकगणितीय क्रियाएँ की जाती हैं।

5. संक्षिप्तीकरण- इस क्रिया में आँकड़ों का उनके प्रमुख व्यवहारों या बिन्दुओं के आधार पर एकत्रीकरण किया जाता है।

6. प्रतिवेदन- यह अन्तिम और सबसे महत्त्वपूर्ण क्रिया होती है जिसमें ऊपर बताई गई सभी क्रियाओं को उपयोगी सूचना में बदला जाता है और एक व्यवस्थित ढंग से सूचना का उपयोग करने वाले व्यक्ति की रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

लघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कम्प्यूटर के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कम्प्यूटर का महत्त्व-कम्प्यूटर हमारे जीवन का एक अंग बन गया है। यह एक मनोरंजन का साधन भी बन गया है। इसके द्वारा हम खेल भी खेल सकते हैं तथा संगीत सुन सकते हैं, चलचित्र आदि देख सकते हैं। कम्प्यूटर एक तीव्र गणितीय प्रक्रिया है। कम्प्यूटर का प्रयोग बैंक, अस्पताल, घर, दुकान आदि में किया जाता है।

प्रश्न 2.
सक्रिय तन्त्र क्या है?
उत्तर:
सक्रिय तन्त्र-सक्रिय तन्त्र वह प्रक्रिया सामग्री है जो कम्प्यूटर प्रोग्राम के कार्य को नियन्त्रित करती है और अनुसूचीकरण, डीबगिंग निवेश तथा निर्गत के नियन्त्रण, संचयीकरण, आँकड़ों का प्रबन्धन तथा उससे सम्बन्धित सेवाएँ प्रदान करती है। प्रचलित प्रकार की ऑपरेटिंग प्रणाली में डॉस (डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम), यूनिक्स तथा इसके विभिन्न प्रकार वी०एम०एस० (विजुअल मैमोरी सिस्टम) माइक्रोसॉफ्ट, विन्डोज आदि शामिल हैं।

प्रश्न 3.
कम्प्यूटर की अंकगणितीय एवं तर्क इकाई के प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर:
कम्प्यूटर की अंकगणितीय एवं तर्क इकाई के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं

  • आँकड़ों का विश्लेषण तथा पुनर्विन्यास करना।
  • नियन्त्रण इकाई द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार अंकगणितीय क्रियाओं को करना; जैसे-जोड़ना, घटाना, प्रतिशत निकालना, गुणा व भाग करना आदि।
  • तार्किक क्रियाएँ करना, जैसे तुलना करना व निर्णय लेना आदि।
  • किन्हीं विशेष क्रियाओं को दोहराना या बार-बार करना।
  • किसी विशेष क्रिया को दोहराना अथवा बार-बार करना।

प्रश्न 4.
केन्द्रीय संगणना इकाई क्या है?
उत्तर:
केन्द्रीय संगणना इकाई केन्द्रीय संगणना इकाई को ‘कम्प्यूटर का मस्तिष्क’ कहा जाता है। यह कम्प्यूटर की प्रमुख चिप होती है जो आँकड़ों का कम्प्यूटर की मुख्य स्मृति में भण्डारण करती है। इसकी नियन्त्रण इकाई आँकड़ों को मुख्य स्मृति से अंकगणितीय तथा तार्किक इकाई में समय-समय पर स्थानान्तरित करती है। संगणना के बाद यह इकाई सूचनाओं को निर्गम यन्त्रों की तरह भेजती है। इस तरह केन्द्रीय संगणना इकाई (CPU) के तीन प्रमुख अंग होते हैं

  1. मुख्य स्मृति,
  2. कगणितीय एवं तर्क इकाई,
  3. नियन्त्रण इकाई।

प्रश्न 5.
निवेश उपकरण क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निवेश उपकरण–ये वे उपकरण हैं जिनके माध्यम से कम्प्यूटर में आँकड़ों का निवेश किया जाता है।
निवेश उपकरण हैं

  1. फ्लॉपी डिस्क
  2. चुम्बकीय टेप
  3. विचेस्टर डिस्क
  4. कुंजी पटल
  5. आँकड़े
  6. टर्मिनल
  7. मैग्नेटिक इंक केरेक्टर रिक्गनीशन (M.I.C.R.)
  8. ऑप्टीकल मार्क रिक्गनीशन (O.M.R.)।

प्रश्न 6.
कम्प्यूटर की केन्द्रीय संगणना इकाई के प्रमुख अंग मुख्य स्मृति के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मुख्य स्मृति के कार्य-यह CPU का सबसे महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख अंग है। इसे आन्तरिक स्मृति या प्राथमिक स्मृति भी कहा जाता है। इसके तीन प्रमुख कार्य होते हैं

  1. निवेश किए गए आँकड़ों और निर्देशों का भण्डारण करना।
  2. नियन्त्रण इकाई तथा अंकगणितीय एवं तार्किक प्रभाग के आँकड़े व सूचनाएँ पहुँचाना।
  3. नियन्त्रण इकाई तथा अंकगणितीय एवं तार्किक प्रभाग द्वारा परिणाम के रूप में उत्पन्न आँकड़ों का पुनः भण्डारण करना।

प्रश्न 7.
निर्गम उपकरण क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ये वे उपकरण होते हैं जिनके माध्यम से हमें परिणाम प्राप्त होते हैं। ये उपकरण मानव और मशीन (कम्प्यूटर) के मध्य कड़ी का कार्य करते हैं। इनके बिना सूचनाएँ, आँकड़े, दस्तावेज कागज पर मुद्रित होकर हमारे हाथ में नहीं आ सकते। सर्वाधिक प्रचलित निर्गम उपकरण निम्नलिखित हैं

  1. मॉनीटर
  2. प्रिन्टर,
  3. कम्प्यूटर निर्गम सूक्ष्म फिल्म
  4. चुम्बकीय डिस्क
  5. फ्लॉपी डिस्क
  6. डाटा टर्मिनल
  7. ग्राफ प्लॉटर।

प्रश्न 8.
कम्प्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
कम्प्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में सम्बन्ध–’हार्डवेयर’ शब्द का प्रयोग उन सभी यन्त्रों और उपकरणों के लिए किया जाता है जो इलेक्ट्रॉनिक डाटा संगणना प्रक्रिया में शामिल होते हैं और सॉफ्टवेयर उन कार्यक्रमों और निर्देशों के समूह को कहा जाता है जिनके आधार पर संगणना प्रक्रिया पूरी होती है। ये दोनों चीजें एक-दूसरे से अलग होते हुए भी एक-दूसरे की पूरक हैं। एक के बिना दूसरे का कार्य नहीं चल सकता। यदि सॉफ्टवेयर न हो तो हार्डवेयर मात्र लोहे और प्लास्टिक के कल-पुर्जे हैं। इसी प्रकार हार्डवेयर यदि न हो तो सॉफ्टवेयर का प्रयोग कहाँ किया जाएगा?

मौखिक प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
कम्प्यूटर क्या है?
उत्तर:
कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक युक्ति/मशीन है, जिसका उपयोग विशाल मात्रा में आँकड़ों के भण्डारण – और असंसाधित आँकड़ों को सार्थक सूचनाओं (ज्ञान) में बदलने के लिए किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
कम्प्यूटर की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  • गति एवं
  • परिशुद्धता।

प्रश्न 3.
कम्प्यूटर की कोई दो कमियाँ बताइए।
उत्तर:

  • कम्प्यूटर में स्वयं निर्णय लेने की क्षमता नहीं है।
  • कम्प्यूटर की बुद्धिलब्धि (I.Q.) शून्य होती है।

प्रश्न 4.
कम्प्यूटर के हार्डवेयर घटक में शामिल कोई दो भाग बताइए।
उत्तर:

  1. निवेशी साधन एवं
  2. बहिर्वेशी साधन।

प्रश्न 5.
कोई दो बहिर्वेशी उपकरण (कम्प्यूटर) बताइए।
उत्तर:

  1. मॉनीटर एवं
  2. प्रिन्टर।

प्रश्न 6.
कम्प्यूटर की कोई दो निवेश युक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:

  • कुंजी पटल एवं
  • माउस।

प्रश्न 7.
कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर क्या है?
उत्तर:
कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर एक लिखित क्रमादेश है जो स्मृति में संगृहीत है। प्रयोक्ता द्वारा किए गए निर्देशानुसार यह विशिष्ट क्रियाएँ सम्पन्न करता है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कम्प्यूटर की प्रमुख विशिष्टता है
(a) क्षमता
(b) भण्डारण
(c) गति
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 2.
कम्प्यूटर का प्रमुख भाग है
(a) मॉनीटर
(b) सी०पी०यू०
(c) माउस
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
कम्प्यूटर का निवेश उपकरण है
(a) फ्लॉपी डिस्क
(b) चुम्बकीय टेप
(c) कुंजी पटल
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
सी०पी०यू० का अंग है
(a) मुख्य स्मृति
(b) अंकगणितीय एवं तर्क इकाई
(c) नियन्त्रण इकाई
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 5.
स्थानिक आँकड़ों का अभिलक्षण है
(a) बिन्दु
(b) रेखाएँ
(c) बहुभुज
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

UP Board Solutions for Class 12 Geography

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Transport And Communication

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Transport And Communication (परिवहन तथा संचार)

UP Board Class 12 Geography Chapter 10 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 10 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए-
(i) भारतीय रेल प्रणाली को कितने मण्डलों में विभाजित किया गया है-
(क) 9
(ख) 12
(ग) 16
(घ) 14
उत्तर:
(ग) 16

(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का सबसे लम्बा राष्ट्रीय महामार्ग है-
(क) एन०एच०-1
(ख) एन०एच०-6
(ग) एन०एच०-7
(घ) एन०एच०-8
उत्तर:
(ग) एन०एच०-7

(iii) राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 किस नदी पर तथा किन दो स्थानों के बीच पड़ता है-
(क) ब्रह्मपुत्र-सादिया-धुबरी
(ख) गंगा-हल्दिया-इलाहाबाद
(ग) पश्चिमी तट नहर-कोट्टापुरम से कोल्लाम
उत्तर:
(ख) गंगा-हल्दिया-इलाहाबाद।

(iv) निम्नलिखित में से किस वर्ष में पहला रेडियो कार्यक्रम प्रसारित हुआ था-
(क) 1911
(ख) 1936
(ग) 1927
(घ) 1923
उत्तर:
(घ) 1923

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें-
(i) परिवहन किन क्रियाकलापों को अभिव्यक्त करता है? परिवहन के तीन प्रमुख प्रकारों के नाम बताइए।
उत्तर:
परिवहन, तृतीयक क्रियाकलाप को अभिव्यक्त करता है। परिवहन के प्रमुख तीन प्रकार-

  1. स्थल,
  2. जल एवं
  3. वायु परिवहन।

(ii) पाइप लाइन परिवहन से लाभ एवं हानि की विवेचना करें।
उत्तर:
पाइप लाइन द्वारा किया गया परिवहन काफी सस्ता होता है लेकिन इसके रिसाव होने का खतरा सदैव बना रहता है, जिस कारण इस माध्यम में अत्यधिक सावधानी रखने की आवश्यकता होती है।

(iii) संचार’ से आपका क्या तात्पर्य है? उत्तर-एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश अथवा सूचना पहुँचाने की व्यवस्था को ‘संचार’ कहते हैं। संचार के साधनों के दो वर्ग-

  1. वैयक्तिक संचार जाल एवं
  2. सार्वजनिक संचार जाल।

(iv) भारत में वायु परिवहन के क्षेत्र में ‘एयर इण्डिया’ तथा ‘इण्डियन’ के योगदान की विवेचना करें।
उत्तर:
एयर इण्डिया-यह विदेशी उड़ानों का संचालन करता है। यह विश्व के सभी प्रमुख नगरों को मिलाती है।
इण्डियन एयरलाइन्स–यह देश में मुख्य घरेलू उड़ानों का संचालन करता है। 8 दिसम्बर, 2005 को इण्डियन एयरलाइन्स ने अपने नाम से ‘एयरलाइन्स’ शब्द को अलग कर दिया और इसे केवल ‘इण्डियन’ के नाम से ही जाना जाता है।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Transport And Communication

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें-
(i) भारत में परिवहन के प्रमुख साधन कौन-कौन-से हैं? इनके विकास को प्रभावित करने वाले, कारकों की विवेचना करें।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Transport And Communication 1
परिवहन के विकास को प्रभावित करने वाले कारक-

परिवहन के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-

  1. आर्थिक कारक-परिवहन साधनों के विकास में आर्थिक स्थिति को देखा जाता है। परिवहन साधनों का विकास उन्हीं क्षेत्रों में अधिक किया जाता है जहाँ आर्थिक विकास अधिक हुआ है।
  2. भौगोलिक कारक-भारत के उत्तरी मैदानों में रेल तथा सड़क मार्गों का जाल बिछा हुआ है। इस प्रदेश में समतल भूमि, सघन जनसंख्या, समृद्ध कृषि और विकसित उद्योग के साथ-साथ बड़े-बड़े नगर भी हैं। ये सभी कारक परिवहन साधनों के विकास में सहायक हैं।
  3. राजनीतिक कारक-ब्रिटिशकाल में अंग्रेजों ने रेलों के द्वारा प्रमुख नगरों को जोड़ा था, लेकिन स्वतन्त्रता के बाद रेलों व सड़कों का विकास काफी तेजी से हुआ है।
    स्पष्ट है कि उपर्युक्त सभी कारक परिवहन साधनों के विकास को प्रभावित करते हैं।

(ii) पाइप लाइन परिवहन के लाभ एवं हानि की विवेचना करें। उत्तर-लाभ-पाइप लाइन परिवहन से निम्नलिखित लाभ होते हैं-

  1. पाइप लाइनें तरल तथा गैस पदार्थों के परिवहन के लिए आदर्श माध्यम हैं।
  2. इनके संचालन एवं रख-रखाव में काफी कम खर्चा होता है।
  3. यह ऊबड़-खाबड़ भू-भागों तथा पानी के भीतर बिछाई जा सकती है।
  4. इसमें ऊर्जा का उपयोग काफी कम होता है।

हानि-पाइप लाइन परिवहन से निम्नलिखित हानियाँ होती हैं-

  1. पाइप लाइन परिवहन में लोच का अभाव होता है। इसे निश्चित स्थानों के लिए ही प्रयोग किया जा सकता है।
  2. इनकी सुरक्षा व्यवस्था करना कठिन कार्य है।
  3. एक बार निर्माण के बाद इसकी क्षमता को घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता।
  4. भूमिगत पाइप लाइनों में रिसाव का पता लगाने तथा उनकी मरम्मत करने में भी काफी कठिनाई आती है।

(iii) भारत के आर्थिक विकास में सड़कों की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत में आर्थिक विकास में सड़कों की भूमिका (महत्त्व)

  1. रेलें सीमित स्थानों तक ही पहुँच सकती हैं, परन्तु सड़कें दूर-दूर तक पहुँच जाती हैं। भारत की अधिकांश रेलें बड़े-बड़े शहरों को ही मिलाती हैं, जबकि सड़कें छोटे-छोटे गाँव तक भी पहुँच जाती हैं।
  2. पर्वतीय क्षेत्रों में रेलों का लगभग पूर्णत: अभाव है। इन भागों में सड़कें आसानी से पहुँच सकती हैं।
  3. कृषि के विकास के लिए सड़कों का महत्त्व कहीं अधिक है। उर्वरक, बीज, कृषि यन्त्र आदि को खेतों तक पहुँचाने के लिए सड़कों का ही प्रयोग किया जाता है। कृषि उत्पादों को ग्रामीण क्षेत्रों की मण्डियों तक पहुँचाने में भी सड़कों का काफी योगदान है।
  4. सड़कों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की शीघ्रनाशी वस्तुओं जैसे दूध, पनीर, सब्जी, फल, मछली इत्यादि को खपत क्षेत्रों तक शीघ्रता से पहुँचाया जा सकता है।
  5. सीमावर्ती दुर्गम क्षेत्रों में तैनात सेना के जवानों को आवश्यक वस्तुएँ पहुँचाने के लिए भी सड़कों का ही। प्रयोग किया जाता है। इसी कारण ‘सीमा सड़क संगठन’ ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण किया।
  6. प्राकृतिक आपदाओं (सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि एवं अन्य दैवी विपत्तियों आदि के समय) के दौरान सड़कें, रेलों की तुलना में अधिक प्रभावशाली हो जाती हैं, क्योंकि उनसे दूर-दूर तक जाया जा सकता है।
  7. सड़कों से शिक्षा व सभ्यता के प्रसार में भी सहायता मिलती है, क्योंकि सड़कों ने नगरों व गाँवों को आपस में जोड़ दिया है।

UP Board Class 12 Geography Chapter 10 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 10 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सड़कों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
सड़कों का वर्गीकरण निर्माण एवं रख-रखाव की दृष्टि से भारत में सड़कों के निम्नलिखित प्रकार हैं-

  1. राष्ट्रीय महामार्गः-राष्ट्रीय महामार्गों के निर्माण, रख-रखाव, विकास एवं गुणवत्ता की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है। केन्द्र सरकार का भूतल परिवहन मन्त्रालय इन सड़कों का निर्माण राज्यों के लोक निर्माण विभागों, भारतीय राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण (NHAI) और सीमा सड़क संगठन (BRO) के माध्यम से करता है। ये महामार्ग राज्यों की राजधानियों, प्रमुख नगरों, महत्त्वपूर्ण पत्तनों तथा रेलवे जंक्शनों को जोड़ते हैं।
  2. राज्य महामार्ग—ये सड़कें राज्यों की प्रमुख सड़कें हैं जो राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों व अन्य महत्त्वपूर्ण शहरों को जोड़ती हैं। ये सड़कें राष्ट्रीय महामार्गों से भी जुड़ी हुई होती हैं। इनका निर्माण व रख-रखाव राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
  3. जिला सड़कें-ये सड़कें जिला मुख्यालयों को जिले के अन्य महत्त्वपूर्ण स्थानों से मिलाती हैं।
  4. ग्रामीण सड़कें-ये सड़कें न केवल ग्रामीण क्षेत्रों को आपस में मिलाती हैं बल्कि गाँवों को कस्बों और शहरों से भी जोड़ती हैं।
  5. अन्य सड़कें अन्य सड़कों में सीमान्त सड़कें व अन्तर्राष्ट्रीय महामार्ग आते हैं।
  6. सीमान्त सड़कें देश की उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी सीमा से सटी सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सड़कों के तीव्र एवं समन्वित सुधार के लिए मई 1960 में सीमा सड़क संगठन (B.R.0.) स्थापित किया गया।
  7. अन्तर्राष्ट्रीय महामार्ग अन्तर्राष्ट्रीय महामार्गों का उद्देश्य पड़ोसी राष्ट्रों के बीच भारत के सम्पर्क बढ़ाना तथा सद्भावनापूर्ण सम्बन्धों को बढ़ावा देना है।

प्रश्न 2.
परिवहन के स्थलीय साधनों में रेलमार्गों के सापेक्षिक महत्त्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
स्थानीय साधनों में रेलमार्गों के सापेक्षिक महत्त्व स्थलीय साधनों में रेलमार्गों का सापेक्षिक महत्त्व इस प्रकार है-

  1. रेल परिवहन संसार के आर्थिक विकास में एकमात्र सबसे अधिक शक्तिशाली कारक सिद्ध हुआ है। यह सर्वाधिक विभिन्न उत्पादों, सवारियों तथा डाक ले जाने की सुविधा प्रदान करता है।
  2. रेल स्थल पर अत्यन्त तीव्र गति वाला परिवहन का साधन है।
  3. यह मोटर गाड़ियों की अपेक्षा कई गुना अधिक भार ढोने की क्षमता रखता है।
  4. रेल भारी तथा सस्ती वस्तुओं को दूर-दूर तक ले जाती है।
  5. अधिक दूरी तय करने के लिए रेल सबसे उपयुक्त एवं सुविधाजनक साधन है।
  6. स्थल पर पशुओं के परिवहन के लिए रेलों से बढ़कर कोई और सस्ता, सुविधाजनक और विस्तृत साधन उपलब्ध नहीं है।
  7. रेल-तन्त्र किसी भी देश के आन्तरिक परिवहन का आधार होता है।

प्रश्न 3.
“भारत में सड़कों का वितरण समरूप नहीं है।” उपयुक्त तर्कों की सहायता से इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
भारत में सड़कों का वितरण एकसमान नहीं है, जिसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
1. भौतिक बनावट-सड़क घनत्व भौतिक बनावट से प्रभावित होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में सड़को का घनत्व कम है, जबकि मैदानी भागों में घनत्व अधिक है।
2. जलवायु-जलवायु के प्रभाव से भी सड़क वितरण प्रभावित होता है। उत्तर-पूर्वी राज्यों में मनत्य इसलिए कम है कि यहाँ वर्षा अधिक होती है।
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3. आर्थिक विकास–आर्थिक रूप से विकसित प्रदेशों में सड़कों का घनत्व कम है। केरल में सबसे अधिक सड़क घनत्व 37.5 किमी है। अरुणाचल प्रदेश में सबसे कम 10 किमी है।
4. अधिक जनसंख्या–प्रायः अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में सड़कें अधिक हैं। सड़क ही यहाँ का यातायात का प्रमुख साधन है।
5. निर्माण सामग्री-सड़कों की निर्माण सामग्री का भी इसके वितरण पर प्रभाव पड़ता है। पश्चिम बंगाल तथा राजस्थान में निर्माण सामग्री का अभाव है, इसलिए सड़कों का वितरण कम है, जबकि दक्षिण भारत में निर्माण सामग्री के रूप में पत्थर आदि उपलब्ध हैं; इसलिए यहाँ सड़कों का वितरण अधिक है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सड़क परिवहन के दोषों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सड़क परिवहन के दोष/अवगुण/कमियाँ/सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

  1. लम्बी दूरियों को तय करने के लिए सड़क मार्ग सुरक्षित एवं सुविधाजनक नहीं होते।
  2. लोहा व कोयले जैसी भारी वस्तुओं की ढुलाई सड़क मार्गों से महँगी पड़ती है।
  3. सड़क यात्रा रेल यात्रा की तुलना में महँगी है।
  4. सड़कों द्वारा यात्रा रात्रि में सुरक्षित नहीं है।
  5. सड़क परिवहन में वाहन के अन्दर टॉयलेट व कैण्टीन आदि की सुविधा नहीं होती है।

प्रश्न 2.
कोंकण रेलवे पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कोंकण रेलवे-सन् 1998 में कोंकण रेलवे का निर्माण भारतीय रेल की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। यह 760 किमी लम्बा रेलमार्ग महाराष्ट्र में रोहा को कर्नाटक के मंगलौर से जोड़ता है। इसे अभियान्त्रिकी का एक अनूठा चमत्कार माना जाता है। यह रेलमार्ग 146 नदियों व धाराओं तथा 2000 पुलों एवं 91 सुरंगों को पार करता है। इस मार्ग में महाराष्ट्र, गोवा तथा कर्नाटक राज्य शामिल हैं।

प्रश्न 3.
संचार तन्त्र के अर्थ एवं महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
संचार तन्त्र का अर्थ–एक स्थान से दूसरे स्थान पर सूचना अथवा संदेश भेजने या प्राप्त करने की विस्तृत व्यवस्था को ‘संचार तन्त्र’ कहा जाता है।

संचार तन्त्र का महत्त्व देश के आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास के साथ-साथ संचार तन्त्र राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को बनाए रखने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत जैसे बड़े देश में बाढ़, सूखा, भूकम्प, चक्रवात तथा दुर्घटना जैसी आपदाओं का प्रबन्धन विकसित संचार तन्त्र के बिना सम्भव नहीं है।

प्रश्न 4.
संचार साधनों को,वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
संचार साधनों के वर्ग-व्यापकता और गुणवत्ता के आधार पर संचार साधनों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-
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प्रश्न 5.
मुक्त आकाश नीति को समझाइए।
उत्तर:
मुक्त आकाश नीति-सरकार ने अप्रैल 1992 में मुक्त आकाश नीति को अपनाया। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय निर्यातकों को सहायता देना तथा उनके निर्यात को विश्व बाजार में अधिक प्रतियोगितापूर्ण बनाना था। इस नीति में विदेशी एयरलाइन्स या निर्यातकों का संगठन कोई भी मालवाहक वायुयान देश में ला सकता है।

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प्रश्न 6.
भारतीय रेल-मार्गों के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय रेल-मार्गों के प्रकार भारतीय रेल-मार्ग गेज की दृष्टि से निम्नलिखित तीन प्रकार के हैं-

  1. बड़ी लाइन अथवा चौड़ी गेज-इसकी चौड़ाई अर्थात् दोनों पटरियों की आपसी दूरी 1676 मिलीमीटर अथवा 1.676 मीटर होती है।
  2. मध्यम लाइन अथवा मीटर गेज—इसकी चौड़ाई, 1,000 मिलीमीटर अथवा 1 मीटर होती है।
  3. छोटी लाइन अथवा सँकरी गेज-इसकी चौड़ाई 762 मिलीमीटर तथा 610 मिलीमीटर है। यह लाइन कुछ पर्वतीय क्षेत्रों तक ही सीमित है और कम दूरी तक ही चलती है।

प्रश्न 7.
स्वर्ण चतुष्कोण परम राजमार्ग को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्वर्ण चतुष्कोण परम राजमार्ग-राष्ट्रीय महामार्ग परियोजना में सड़कों के विकास की एक महत्त्वाकांक्षी योजना बनाई गई है। इसे 2 जनवरी, 1999 में शुरू किया गया था और यह सड़कों को सुधारने की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है। इन राजमार्ग परियोजनाओं के निर्माण का दायित्व भारत के राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण को है। इसके दो घटक हैं-
चरण-I : स्वर्ण चतुष्कोण
चरण-II : उत्तर-दक्षिण गलियारा एवं पूर्व-पश्चिम गलियारा

प्रश्न 8.
भारत में उपग्रह संचार के लाभों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में उपग्रह संचार के लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. इससे दूरदर्शन सेवाएँ प्राप्त होती हैं जो देश में दूरस्थ भागों में भी उपलब्ध है।
  2. यह विभिन्न भागों में दूर तक विभिन्न सूचनाएँ भेज सकता है।
  3. INSAT प्रणाली बहुउद्देशीय प्रणाली है जिसके द्वारा संवाद किया जा सकता है।
  4. इसका उपयोग आँकड़ों के एकत्रीकरण तथा कार्यान्वयन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 9.
सीमावर्ती सड़कों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सीमावर्ती सड़कों का महत्त्व निम्नलिखित है-

  1. इन सड़कों ने दुर्गम क्षेत्रों के आवागमन को सुलभ बनाया है।
  2. इन सड़कों के बनने से सीमावर्ती क्षेत्रों के आर्थिक विकास में सहायता मिलती है।
  3. सुरक्षाकर्मियों को गन्तव्य स्थान तक पहुँचने तथा उन्हें सामान की निरन्तर आपूर्ति करने में इन सड़कों का विशेष महत्त्व है।

प्रश्न 10.
भारत में वैयक्तिक संचार तन्त्र के क्षेत्र में इण्टरनेट की सेवाओं के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैयक्तिक संचार तन्त्र के क्षेत्र में इण्टरनेट सेवाओं का महत्त्व निम्नलिखित है-

  1. इण्टरनेट के द्वारा सभी प्रकार के कम्प्यूटरों को जोड़ा जा सकता है।
  2. इण्टरनेट से हम किसी भी तरह की सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
  3. इण्टरनेट से ई-मेल द्वारा सूचना तथा पत्र भेजे जा सकते हैं।
  4. इण्टरनेट टेलीफोन, कम्प्यूटर पर बात करने के लिए उपयुक्त हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सड़कों के कोई दो महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
सड़क परिवहन का महत्त्व (गुण)-

  1. उपभोक्ता के घर तक सेवा एवं
  2. शीघ्र नाशवान वस्तुओं का परिवहन।

प्रश्न 2.
परिवहन का सबसे सस्ता साधन कौन-सा है?
उत्तर:
परिवहन का सबसे सस्ता साधन जल परिवहन है।

प्रश्न 3.
परिवहन का सबसे महँगा साधन कौन-सा है?
उत्तर:
परिवहन का सबसे महँगा साधन वायु परिवहन है।

प्रश्न 4.
भारत में वायु परिवहन की शुरुआत कब हुई थी?
उत्तर:
भारत में वायु परिवहन की शुरुआत सन् 1911 में हुई।

प्रश्न 5.
भारत में वायु परिवहन के महत्त्व के दिनों-दिन बढ़ने का क्या कारण है?
उत्तर:
भारत में वायु परिवहन के महत्त्व के बढ़ने का कारण-

  1.  यहाँ दूरियाँ बहुत लम्बी हैं तथा
  2. भू-भाग एवं जलवायवी दशाएँ अत्यन्त विविधतापूर्ण हैं।

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प्रश्न 6.
वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण कब किया गया?
उत्तर:
वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण,सन् 1953 में किया गया।

प्रश्न 7.
स्वर्णिम चतुष्कोण मार्ग की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. इन्हें ‘परम राजमार्ग’ कहते हैं। यह छह लेन के होंगे जिनसे यातायात बिना किसी रुकावट के चलता रहेगा।
  2. इन राजमार्गों के बन जाने से महानगरों के बीच की दूरी कम हो जाएगी।

प्रश्न 8.
‘साइबर स्पेस’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
साइबर स्पेस कम्प्यूटर में एक काल्पनिक स्थान है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक संवाद सूचनाएँ तथा फोटों का आदान-प्रदान होता है।

प्रश्न 9.
सड़क घनत्व से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रति 100 वर्ग किमी क्षेत्र में पायी जाने वाली सड़कों को ‘सड़क घनत्व’ कहा जाता है।

प्रश्न 10.
‘उपग्रह संचार’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
यह संचार की विधि है जिसके द्वारा संवाद तथा सूचनाएँ भेजी जाती हैं। यह अन्य संचार साधनों को भी नियमित करता है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
दिल्ली और अमृतसर के मध्य महामार्ग को क्या कहते हैं-
(a) राष्ट्रीय महामार्ग-2
(b) राष्ट्रीय महामार्ग-1
(c) राष्ट्रीय महामार्ग-3
(d) राष्ट्रीय महामार्ग-4
उत्तर:
(b) राष्ट्रीय महामार्ग-1

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प्रश्न 2.
दिल्ली और मुम्बई को कौन-सा राष्ट्रीय महामार्ग जोड़ता है-
(a) राष्ट्रीय महामार्ग-1
(b) राष्ट्रीय महामार्ग-6
(c) राष्ट्रीय महामार्ग-4
(d) राष्ट्रीय महामार्ग-8
उत्तर:
(d) राष्ट्रीय महामार्ग-8

प्रश्न 3.
नैरो गेज में दो पटरियों के बीच की दूरी कितनी होती है-
(a) 1.676 मीटर
(b) 0.610 मीटर
(c) 1 मीटर
(d) 1.4 मीटर।
उत्तर:
(b) 0.610 मीटर।

प्रश्न 4.
भारत में पहली रेलगाड़ी कब चलाई गई-
(a) सन् 1853 में
(b) सन् 1856 में
(c) सन् 1861 में
(d) सन् 1864 में।
उत्तर:
(a) सन् 1853 में।

प्रश्न 5.
सीमा सड़क संगठन कब बनाया गया-
(a) सन् 1950 में
(b) सन् 1960 में
(c) सन् 1965 में
(d) सन् 1970 में।
उत्तर:
(b) सन् 1960 में।

प्रश्न 6.
भारत में रेडियो प्रसारण कब शुरू हुआ-
(a) सन् 1920 में
(b) सन् 1923 में
(c) सन् 1925 में
(d) सन् 1930 में।
उत्तर:
(b) सन् 1923 में।

प्रश्न 7.
उत्तर-दक्षिण गलियारा किन स्थानों को जोड़ता है-
(a) वाराणसी-कन्याकुमारी
(b) श्रीनगर-कन्याकुमारी
(c) पोरबन्दर-गुवाहाटी
(d) पटना-कोच्चि।
उत्तर:
(b) श्रीनगर-कन्याकुमारी।

प्रश्न 8.
भारत में सड़कों का सर्वाधिक घनत्व किस राज्य में है-
(a) केरल
(b) तमिलनाडु
(c) गोवा
(d) कर्नाटक।
उत्तर:
(a) केरल।

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प्रश्न 9.
सन् 1853 में मुम्बई और ठाणे के बीच चली पहली भारतीय रेल ने कितना सफर तय किया था-
(a) 18 किमी
(b) 54 किमी
(c) 34 किमी
(d) 100 किमी।
उत्तर:
(c) 34 किमी।

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