UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration: Types, Causes and Consequences

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration: Types, Causes and Consequences (प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम)

UP Board Class 12 Geography Chapter 2 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 2 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा भारत में पुरुष प्रवास का मुख्य कारण है
(क) विवाह
(ख) व्यवसाय
(ग) काम और रोजगार
(घ) विवाह।
उत्तर:
(ग) काम और रोजगार।

(ii) निम्नलिखित में से किस राज्य में सर्वाधिक संख्या में आप्रवासी आते हैं
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) दिल्ली
(ग) महाराष्ट्र
(घ) बिहार।
उत्तर:
(ग) महाराष्ट्र।

(iii) भारत में प्रवास की निम्नलिखित धाराओं में से कौन-सी एक धारा पुरुष प्रधान है
(क) ग्रामीण से ग्रामीण
(ख) नगरीय से ग्रामीण
(ग) ग्रामीण से नगरीय
(घ) नगरीय से नगरीय।
उत्तर:
(ग) ग्रामीण से नगरीय।

(iv) निम्नलिखित में से किस नगरीय समूहन में प्रवासी जनसंख्या का अंश सर्वाधिक है—
(क) मुम्बई नगरीय समूहन
(ख) दिल्ली नगरीय समूहन
(ग) बंगलुरु नगरीय समूहन
(घ) चेन्नई नगरीय समूहन।
उत्तर:
(क) मुम्बई नगरीय समूहन।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration: Types, Causes and Consequences

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
(i) जीवनपर्यन्त प्रवासी और पिछले निवास के अनुसार प्रवासी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीवनपर्यन्त प्रवास – यह वह प्रवास होता है जो जन्म के स्थान, यदि जन्म का स्थान गणना के स्थान से भिन्न है। इसे ‘जीवनपर्यन्त प्रवास’ के नाम से जाना जाता है।
पिछले स्थान प्रवास – इसमें निवास का स्थान पिछले निवास से भिन्न होता है। इसे निवास के पिछले स्थान के प्रवासी के रूप में जाना जाता है।

(ii) पुरुष/स्त्री चयनात्मक प्रवास के मुख्य कारण की पहचान कीजिए।
उत्तर:
पुरुष बड़ी संख्या में ग्रामीण इलाकों से नगरों की तरफ रोजगार की तलाश में प्रवास करते हैं। स्त्रियाँ विवाह के कारण प्रवास करती हैं। भारत में प्रत्येक लड़की को विवाह के बाद अपने मायके के घर से ससुराल के घर तक प्रवास करना होता है।

(iii) उद्गम और गन्तव्य स्थान की आयु एवं लिंग संरचना पर ग्रामीण-नगरीय प्रवास का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
बड़ी संख्या में युवक रोजगार की तलाश में ग्रामीण इलाकों से नगरों की ओर प्रवास करते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में युवकों की संख्या में कमी हो जाती है और नगरों में उनकी संख्या में वृद्धि हो जाती है। गाँवों में वृद्ध, बच्चे और स्त्रियाँ रह जाती हैं, अत: ग्रामीण-नगरीय प्रवास से उद्गम तथा गन्तव्य दोनों ही स्थानों की आयु एवं लिंग संरचना पर प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें
(i) भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास – जब किसी देश-विशेष का निवासी किन्हीं विशेष कारणों से अन्य देश में प्रवासित हो जाता है तो उसे ‘अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास’ कहते हैं।
भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के कारण भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
1. आर्थिक कारण – भारत में संसाधनों का भण्डार है। यहाँ प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में इन संसाधनों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। भारत में प्रवासी इन्हीं आर्थिक कारणों की वजह से अधिक आते हैं। वर्तमान में अनेक विदेशी कम्पनियाँ भारत में इसी आकर्षण के कारण स्थापित हुई हैं, क्योंकि उन्हें यहाँ अपने उत्पादों के लिए कच्चा माल, सस्ता श्रम और व्यापक बाजार आदि सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

2. राजनीतिक कारण – भारत में राजनीतिक कारणों या सरकारी नीतियों के लचीलेपन के कारण भी विदेशी प्रवास करते हैं। सीमावर्ती देशों से होने वाला प्रवास इसका उदाहरण है।

3. धार्मिक और सामाजिक कारण – भारत सर्वधर्म समभाव, वसुधैव कुटुम्बकम् सिद्धान्त एवं आदि संस्कृतियों वाला देश है। यहाँ सभी धर्मों को सम्मान दिया जाता है। यहाँ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सम्पन्नता आदि से प्रभावित होकर और समाज में सहायता से समन्वय के कारण प्रवासी आकर्षित होते हैं जिसके कारण भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास होता है।

इस तरह भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के प्रमुख कारण आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक हैं. किन्तु वर्तमान समय में अनेक अन्य कारणों; जैसे-तकनीकी सुविधाओं, उच्च प्रतिभा तथा उच्च शिक्षा आदि से भी भारत के लोग खाड़ी देशों एवं यू०एस०ए० और यूरोपीय देशों को प्रवास करते हैं।

(ii) प्रवास के सामाजिक जनांकिकीय परिणाम क्या-क्या हैं?
उत्तर:
प्रवास के सामाजिक परिणाम

  • नवीन प्रौद्योगिकी, परिवार कल्याण, बालिका शिक्षा आदि नए विचारों का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसार होता है।
  • विविध संस्कृतियों का अन्त:मिश्रण होता है।
  • प्रवास लोगों को अपराध और औषध दुरुपयोग जैसी असामाजिक क्रियाओं में फँसा देता है।

प्रवास के जनांकिकीय परिणाम

  • प्रवास से आयु लिंगानुपात में असन्तुलन उत्पन्न होता है।
  • नगरों में लिंगानुपात घट जाता है तथा युवा वर्ग श्रमिकों का अनुपात बढ़ जाता है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लिंगानुपात बढ़ जाता है तथा कुशल युवा श्रमिकों का अनुपात घट जाता है।

UP Board Class 12 Geography Chapter 2 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 2 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रवास के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रवास के प्रमुख कारण प्रवास के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
1. आजीविका – सीमित कृषि भूमि और बढ़ती ग्रामीण जनसंख्या के कारण कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्रों में एक निश्चित जनसंख्या को ही रोजगार उपलब्ध हो पाता है। कुटीर उद्योगों की पतली हालत और कृषि में बढ़ते . मशीनीकरण के कारण ग्रामीण जनसंख्या के एक बड़े भाग को गाँवों में आजीविका नहीं मिल पाती। गाँवों में ये बेरोजगार अधिशेष जनसंख्या के रूप में नगरों में रोजगार की तलाश में प्रवास कर जाते हैं। नगरों में निश्चित तौर पर विविध प्रकार की आर्थिक सम्भावनाएँ होती हैं।

2. विवाह – सामाजिक रीति-रिवाजों के अन्तर्गत विवाह के उपरान्त लड़कियों को माता-पिता का घर छोड़कर ससुराल जाकर रहना होता है। भारत में इसी कारण स्त्रियों के प्रवास की संख्या उच्च है।

3. शिक्षा और वृत्तिका – योग्यता की वृद्धि हेतु लोग शहरों में विभिन्न प्रकार की उच्च तथा तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने हेतु शहरों में प्रवास करते हैं। अपनी वृत्तिका को उत्कृष्ट बनाने के लिए भी सुनिश्चित, निपुण व्यक्ति, कलाकार, वैज्ञानिक अथवा किसी भी क्षेत्र में योग्य व्यक्ति शहरों में उन्नति के अवसर तलाशते हैं।

4. सामाजिक असुरक्षा एवं प्रकोप – राजनीतिक अस्थिरता एवं गड़बड़ी, जातीय दंगे, देश-विभाजन, वर्ग-संघर्ष से त्रस्त होकर लोग सुरक्षित स्थानों की तरफ प्रवास करते हैं। अनेक बार प्राकृतिक प्रकोप भी जनसंख्या को प्रवास करने के लिए बाधित करते हैं; जैसे—बाढ़, सूखा, चक्रवाती तूफान, भूकम्प, सुनामी आदि।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration: Types, Causes and Consequences

प्रश्न 2.
प्रवास के आर्थिक परिणामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रवास के आर्थिक परिणाम प्रवासी उद्गम प्रदेश में स्थित अपने घरों को कमाई का पैसा भेजते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासियों द्वारा भेजी गई धनराशियाँ विदेशी-विनिमय के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं। पंजाब, केरल और तमिलनाडु अपने अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासियों से सर्वाधिक राशि प्राप्त करते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासियों की तुलना में आन्तरिक प्रवासियों द्वारा भेजी गई राशि काफी कम है, किन्तु यह उद्गम क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस राशि का प्रयोग मुख्यतः भोजन, ऋणों की अदायगी, उपचार, विवाहों, बच्चों की शिक्षा, कृषि में निवेश, गृह-निर्माण इत्यादि के लिए किया जाता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश इत्यादि के हजारों निर्धन गाँवों की अर्थव्यवस्था के लिए यह राशि शरीर में धमनियों की तरह कार्य करती हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और ओडिशा के ग्रामीण क्षेत्रों से पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवास कृषि विकास के लिए, उसकी हरित क्रान्ति कार्ययोजना की सफलता के लिए उत्तरदायी है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration Types, Causes and Consequences 1

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर अकुशल प्रवासियों के प्रवास के प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर अकुशल प्रवासियों के प्रवास के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  • इसका सबसे प्रमुख कारण निर्धनता है।
  • नगरों में श्रमिकों की माँग प्रायः अधिक रहती है।
  • नगरीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बेहतर होते हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर कम तथा वेतनमान निम्न होता है।

प्रश्न 2.
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर अकुशल प्रवासियों के प्रवास के कष्टों को समझाइए।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर अकुशल प्रवासियों के प्रवास के कष्ट निम्नलिखित

  • नगरीय क्षेत्रों में मजबूरन कम वेतन पर नौकरी करना।
  • परिवार के सदस्यों की अनुपस्थिति व्याकुलता उत्पन्न करती है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों से पुरुषों के प्रवास के कारण परिवार पीछे छूट जाता है, जिससे परिवार पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
  • प्रवास से विविध संस्कृतियों का मिश्रण होता है। इससे गुमनामी जैसे नकारात्मक परिणाम भी होते हैं।

प्रश्न 3.
प्रवास के अपकर्ष व प्रतिकर्ष कारक से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या प्रवास को अपकर्ष और प्रतिकर्ष दोनों प्रकार के कारक प्रभावित करते हैं
1. अपकर्ष कारक-जब लोग नगर की सुविधाओं तथा आर्थिक अवसरों से आकर्षित होकर नगर की ओर प्रवास करते हैं तो यह ‘अपकर्ष प्रेरित प्रवास’ कहलाता है।

2. प्रतिकर्ष कारक-जब लोग शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, मनोरंजन व अन्य सुविधाओं की कमी अथवा गरीबी और भुखमरी के कारण मजबूरी में गाँव छोड़कर शहर में जा बसते हैं तो इसे ‘प्रतिकर्ष प्रेरित प्रवास’ कहते हैं।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration: Types, Causes and Consequences

प्रश्न 4.
दिक् परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नगरों तथा गाँवों से शहरों के बीच जनसंख्या के दैनिक स्थानान्तरण को ‘दिक परिवर्तन’ कहते हैं। यह केवल दैनिक होता है।

प्रश्न 5.
भारत में प्रवास के परिणामों को समझाइए।
उत्तर:
भारत में प्रवास के परिणाम निम्नलिखित हैं

  • प्रवास के कारण क्षेत्र-विशेष में जनसंख्या बढ़ती है; इसलिए आवास की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • प्रवासी लोगों को रोजगार चाहिए; इसलिए रोजगार के साधनों का अभाव हो जाता है।
  • जनसंख्या वृद्धि के कारण परिवहन साधनों की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • अधिक जनसंख्या के कारण स्वच्छता की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 6.
उत्प्रवास के लिए उत्तरदायी प्रतिकर्ष कारकों को समझाइए।
उत्तर:
उत्प्रवास के लिए उत्तरदायी प्रतिकर्ष कारक निम्नलिखित हैं

  • गरीबी – गरीबी के कारण जनसंख्या उन स्थानों को प्रवास करती है जहाँ पर उन्हें रोजगार प्राप्त हो सके।
  • शिक्षा – शिक्षा सुविधाओं की कमी के कारण अधिक शिक्षा लेने के लिए लोग उत्प्रवास करते हैं।
  • जनसंख्या का अधिक दबाव – जनसंख्या के अधिक दबाव से बच्चे के लिए लोग अन्य स्थानों पर जहाँ जनसंख्या कम होती है, प्रवास करते हैं।
  • सुरक्षा – सुरक्षा की दृष्टि से भी लोग सुरक्षित स्थानों को प्रवास करते हैं। .

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रवास का क्या अर्थ है?
उत्तर:
प्रवास’ का अर्थ जनसंख्या का उद्गम स्थान से गन्तव्य की ओर गमन है।

प्रश्न 2.
उत्प्रवास किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब एक व्यक्ति एक स्थान को छोड़कर अन्य स्थान पर जाता है तो यह ‘उत्प्रवास’ कहलाता है।

प्रश्न 3.
आप्रवास किसे कहते हैं?
उत्तर:
यदि व्यक्ति अन्य स्थानों से आकर एक विशिष्ट स्थान पर बस जाता है, तो यह ‘आप्रवास’ कहलाता है।

प्रश्न 4.
आन्तरिक प्रवास से क्या आशय है? .
उत्तर:
आन्तरिक प्रवास में लोगों का पलायन मुख्य रूप से देश की राजनीतिक सीमाओं के अन्दर ही होता है। उदाहरण के लिए; बिहार के लोगों का उत्तर प्रदेश में प्रवास।

प्रश्न 5.
अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास से क्या आशय है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में लोग राजनीतिक सीमाओं (देश) से बाहर पलायन कर जाते हैं। उदाहरण के लिए; राजस्थान के लोगों का यू०के० तथा कनाडा में प्रवास।

प्रश्न 6
भारत में आन्तरिक प्रवास के कितने प्रवाह हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में आन्तरिक प्रवास के चार प्रवाह हैं

  • ग्रामीण से ग्रामीण
  • ग्रामीण से नगरीय
  • नगरीय से नगरीय, तथा
  • नगरीय से ग्रामीण।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration: Types, Causes and Consequences

प्रश्न 7.
प्रवास के पर्यावरणीय परिणाम बताइए।
उत्तर:
प्रवास के पर्यावरणीय परिणाम हैं

  • नगरों की अनियोजित वृद्धि
  • गन्दी बस्तियाँ
  • विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, तथा
  • अपशिष्ट निपटान की समस्या आदि।

प्रश्न 8.
अन्तर्राज्यीय प्रवास से क्या आशय है?
उत्तर:
लोगों का एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना अन्तर्राज्यीय प्रवास कहलाता है, जैसे—अम्बाला से मेरठ प्रवास को जाना।

प्रश्न 9.
अन्तःराज्यीय प्रवास से क्या आशय है?
उत्तर:
लोगों का एक ही राज्य में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना अन्तःराज्यीय प्रवास कहलाता है, जैसे-आगरा से मेरठ प्रवास को जाना।

प्रश्न 10.
प्रवास को प्रभावित करने वाले कोई चार कारक बताइए।
उत्तर:
प्रवास को प्रभावित करने वाले कारक है

  • बेहतर सुविधाएँ
  • सुरक्षा
  • नागरिक सुविधाएँ, तथा
  • स्वास्थ्य सुविधाएँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
स्थानान्तरण की दिशा के आधार पर आन्तरिक प्रवास की कितनी धाराओं की पहचान की गई
(a) तीन
(b) चार
(c) पाँच .
(d) छह।
उत्तर:
(b) चार।

प्रश्न 2.
प्रवास का प्रतिकर्ष कारक है
(a) शिक्षा
(b) मनोरंजन
(c) रोजगार
(d) उपर्युक्त संभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
प्रवास को प्रभावित करने वाला कारक है
(a) आजीविका
(b) विवाह
(c) शिक्षा और वृत्तिका
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
यदि प्रवास राज्य की सीमा के बाहर हो तो उसे कहते हैं
(a) अन्त:राज्यीय प्रवास
(b) अन्तर्राज्यीय प्रवास
(c) अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास
(d) उत्प्रवास।
उत्तर:
(b) अन्तर्राज्यीय प्रवास।

प्रश्न 5.
प्रवास होता है
(a) नगर से नगर को
(b) ग्राम से नगर को
(c) ग्राम से ग्राम को
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 Migration: Types, Causes and Consequences

प्रश्न 6.
कौन-सा कारण प्रतिकर्ष का कारक नहीं है
(a) मनोरंजन
(b) गरीबी
(c) जनसंख्या दबाव
(d) आपदा।
उत्तर:
(c) जनसंख्या दबाव।

प्रश्न 7.
सामाजिक प्रवास के कितने रूप हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच।
उत्तर:
(a) दो।

प्रश्न 8.
किस राज्य में विवाह स्त्रियों के प्रवास का मुख्य कारण नहीं है
(a) केरल
(b) कर्नाटक
(c) बिहार
(d) मेघालय।
उत्तर:
(d) मेघालय।

UP Board Solutions for Class 12 Geography

UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics

UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics (भारतीय राजनीति : नए बदलाव)

UP Board Class 12 Civics Chapter 9 Text Book Questions

UP Board Class 12 Civics Chapter 9 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
उन्नी-मुन्नी ने अखबार की कुछ कतरनों को बिखेर दिया है। आप इन्हें कालक्रम के अनुसार व्यवस्थित करें
(क) मण्डल आयोग की सिफारिशों और आरक्षण विरोधी हंगामा
(ख) जनता दल का गठन
(ग) बाबरी मस्जिद का विध्वंस
(घ) इन्दिरा गांधी की हत्या
(ङ) राजग सरकार का गठन
(च) संप्रग सरकार का गठन
(छ) गोधरा की दुर्घटना और उसके परिणाम।
उत्तर:
(घ) इन्दिरा गांधी की हत्या (1984)
(ख) जनता दल का गठन (1988)
(क) मण्डल आयोग की सिफारिशों और आरक्षण विरोधी हंगामा (1990)
(ग) बाबरी मस्जिद का विध्वंस (1992)
(ङ) राजग सरकार का गठन (1999)
(छ) गोधरा की दुर्घटना और उसके परिणाम (2002)
(च) संप्रग सरकार का गठन (2004)।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में मेल करें-
UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics 1
उत्तर
UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics 2

प्रश्न 3.
1989 के बाद की अवधि में भारतीय राजनीति के मुख्य उद्देश्य क्या रहे हैं? इन मुद्दों से राजनीतिक दलों के आपसी जुड़ाव के क्या रूप सामने आए हैं?
उत्तर:
1989 के बाद भारतीय राजनीति के मुख्य मुद्दे – सन् 1989 के बाद भारतीय राजनीति में कई बदलाव आए जिनमें कांग्रेस का कमजोर होना, मण्डल आयोग की सिफारिशें एवं आन्दोलन, आर्थिक सुधारों को लागू करना, राजीव गांधी की हत्या तथा अयोध्या मामला प्रमुख हैं। इन स्थितियों में भारतीय राजनीति में अग्र मुद्दे प्रमुख रूप से उभरे-

  1. कांग्रेस ने स्थिर सरकार का मुद्दा उठाया।
  2. भाजपा ने राम मन्दिर बनाने का मुद्दा उठाया।
  3. लोकदल व जनता दल ने मण्डल आयोग की सिफारिशों का मुद्दा उठाया।

इन मुद्दों में कांग्रेस ने दूसरे दलों की गैर-कांग्रेस सरकारों की अस्थिरता का मुद्दा उठाकर कहा कि देश में स्थिर सरकार कांग्रेस दल ही दे सकता है। दूसरी तरफ भाजपा ने अयोध्या में राम मन्दिर का मुद्दा उठाकर हिन्दू मतों को अपने पक्ष में कर अपने जनाधार को ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक करने का प्रयास किया।

तीसरी तरफ लोक मोर्चा, जनता पार्टी व लोकदल आदि दलों ने पिछड़ी जातियों को अपने पक्ष में लामबन्द करने के उद्देश्य से मण्डल की 27 प्रतिशत पिछड़ी जातियों के आरक्षण का मुद्दा उठाया।

UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics

प्रश्न 4.
“गठबन्धन की राजनीति के इस दौर में राजनीतिक दल विचारधारा को आधार मानकर गठजोड़ नहीं करते हैं।” इस कथन के पक्ष या विपक्ष में आप कौन-कौन से तर्क देंगे?
उत्तर:
वर्तमान युग में गठबन्धन की राजनीति का दौर चल रहा है। इस दौर में राजनीतिक दल विचारधारा को आधार बनाकर गठजोड़ नहीं कर रहे बल्कि अपने निजी स्वार्थी हितों की पूर्ति के लिए गठजोड़ करते हैं। वर्तमान समय में अधिकांश राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय हित की चिन्ता नहीं रहती, बल्कि वे सदैव इस प्रयास में रहते हैं कि किस प्रकार अपने राजनीतिक हितों को पूरा किया जाए, इसी कारण अधिकांश राजनीतिक दल विचारधारा और सिद्धान्तों के आधार पर गठजोड़ न करके स्वार्थी हितों की पूर्ति के लिए गठजोड़ करते हैं।

पक्ष में तर्क-गठबन्धन की राजनीति के भारत में चल रहे नए दौर में राजनीतिक दल विचारधारा को आधार मानकर गठजोड़ नहीं करते। इनके समर्थन में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं-

(1) सन् 1977 में जे०पी० नारायण के आह्वान पर जो जनता दल बना था उसमें कांग्रेस के विरोधी प्रायः सी०पी०आई० को छोड़कर अधिकांश विपक्षी दल जिनमें भारतीय जनसंघ, कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी, भारतीय क्रान्ति दल, तेलुगू देशम, समाजवादी पार्टी, अकाली दल आदि शामिल थे। इन सभी दलों को हम एक ही विचारधारा वाले दल नहीं कह सकते।

(2) जनता दल की सरकार गिरने के बाद केन्द्र में राष्ट्रीय मोर्चा बना जिसमें एक ओर जनता पार्टी के वी०पी० सिंह तो दूसरी तरफ उन्हें समर्थन देने वाले सी०पी०एम० वामपन्थी और भाजपा जैसे तथाकथित हिन्दुत्व समर्थक गांधीवादी राष्ट्रवादी दल भी थे। कुछ महीनों बाद वी०पी० सिंह प्रधानमन्त्री नहीं रहे तो केवल सात महीनों के लिए कांग्रेस ने चन्द्रशेखर को समर्थन देकर प्रधानमन्त्री बनाया। चन्द्रशेखर वही नेता थे जिन्होंने इन्दिरा गांधी के आपातकाल के दौरान श्रीमती गांधी का विरोध किया था और श्रीमती गांधी ने चन्द्रशेखर और मोरारजी को कारावास में डाल दिया था।

(3) कांग्रेस की सरकार, सन् 1991 से सन् 1996 तक नरसिंह राव के नेतृत्व में अल्पमत होते हुए भी इसलिए चलती रही क्योंकि उसे अनेक दलों का समर्थन प्राप्त था।

(4) अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में जनतान्त्रिक गठबन्धन (एन०डी०ए०) की सरकार लगभग 6 वर्ष तक चली लेकिन उसे जहाँ एक ओर अकालियों ने तो दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस, बीजू पटनायक कांग्रेस, कुछ समय के लिए समता दल, जनता पार्टी आदि ने भी सहयोग और समर्थन दिया।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि राजनीति में किसी का कोई स्थायी शत्रु नहीं होता। अवसरवादिता हकीकत में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है।
विपक्ष में तर्क-उपर्युक्त कथन के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं-

  1. गठबन्धन की राजनीति के नए दौर में भी वामपन्थ के चारों दल अर्थात् सी०पी०एम०; सी०पी०आई०, फारवर्ड ब्लॉक, आर०एस० ने भारतीय जनता पार्टी से हाथ नहीं मिलाया, वे उसे अब भी राजनीतिक दृष्टि से अस्पर्शीय पार्टी मानती है।
  2. समाजवादी पार्टी, वामपन्थी मोर्चा, डी०पी०के० जैसे क्षेत्रीय दल किसी भी उस प्रत्याशी को खुला समर्थन नहीं देना चाहते जो एन०डी०ए० अथवा भाजपा का प्रत्याशी हो क्योंकि उनकी वोटों की राजनीति को ठेस पहुँचती है।
  3. कांग्रेस पार्टी ने अधिकांश मोर्चों पर बीजेपी विरोधी और बीजेपी ने कांग्रेस विरोधी रुख अपनाया है।

प्रश्न 5.
आपातकाल के बाद के दौर में भाजपा एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरी। इस दौर में इस पार्टी के विकास-क्रम का उल्लेख करें।
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी का विकासक्रम आपातकाल के बाद भारतीय जनता पार्टी की शक्ति में निरन्तर वृद्धि हुई और एक सशक्त राजनीतिक दल के रूप में उभरी। भाजपा की इस विकास यात्रा को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-

  1. जनता पार्टी सरकार के पतन के बाद जनता पार्टी के भारतीय जनसंघ घटक ने वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया। श्री अटल बिहारी वाजपेयी इसके संस्थापक अध्यक्ष बने।
  2. सन् 1984 के चुनावों में कांग्रेस के पक्ष में श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या हो जाने के बाद पैदा हुई सहानुभूति की लहर में भाजपा को लोकसभा में केवल दो सीटें प्राप्त हुईं।
  3. सन् 1989 के चुनावों में वी०पी० सिंह के जनमोर्चा के साथ गठजोड़ कर भाजपा ने चुनाव में भाग लिया तथा राम मन्दिर बनवाने के नारे को उछाला। फलत: इस चुनाव में भाजपा को आशा से अधिक सफलता मिली। भाजपा ने वी०पी० सिंह को बाहर से समर्थन देकर संयुक्त मोर्चा सरकार का गठन करने में सहयोग दिया।
  4. सन् 1991 के चुनाव में इसने अपनी स्थिति को लगातार मजबूत किया। इस चुनाव में राम मन्दिर निर्माण का नारा विशेष लाभदायक सिद्ध हुआ।
  5. सन् 1996 के चुनावों में यह लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लेकिन लोकसभा में स्पष्ट बहुमत का समर्थन प्राप्त नहीं कर सकी।
  6. सन् 1998 के चुनावों में इसने कुछ क्षेत्रीय दलों से गठबन्धन कर सरकार बनाई तथा सन् 1999 के चुनावों में भाजपानीत गठबन्धन ने फिर सत्ता प्राप्त की। राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन के काल में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमन्त्री बने।
  7. सन् 2004 तथा सन् 2009 के चुनावों में भाजपा को पुनः अपेक्षित सफलता नहीं मिल पायी। फिर भी कांग्रेस के बाद आज यह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है।

प्रश्न 6.
कांग्रेस के प्रभुत्व का दौर समाप्त हो गया है। इसके बावजूद देश की राजनीति पर कांग्रेस का असर लगातार कायम है। क्या आप इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
देश की राजनीति से यद्यपि कांग्रेस का प्रभुत्व समाप्त हो गया है परन्तु अभी कांग्रेस का असर कायम है, क्योंकि अब भी भारतीय राजनीति कांग्रेस के इर्द-गिर्द घूम रही है तथा सभी राजनीतिक दल अपनी नीतियाँ एवं योजनाएँ कांग्रेस को ध्यान में रखकर बनाते हैं। सन् 2004 के 14वें लोकसभा के चुनावों में इसने अन्य दलों के सहयोग से केन्द्र में सरकार बनाई। इसके साथ-साथ जुलाई 2007 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में भी इस दल की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। सन् 2009 के आम चुनावों में पहले से काफी अधिक सीटों पर जीत प्राप्त कर गठबन्धन की सरकार बनाई। अत: कहा जा सकता है कि कांग्रेस के कमजोर होने के बावजूद इसका असर भारतीय राजनीति पर कायम है।

UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics

प्रश्न 7.
अनेक लोग सोचते हैं कि सफल लोकतन्त्र के लिए दो-दलीय व्यवस्था जरूरी है। पिछले बीस सालों के भारतीय अनुभवों को आधार बनाकर एक लेख लिखिए और इसमें बताइए कि भारत की मौजूदा बहुदलीय व्यवस्था के क्या फायदे हैं।
उत्तर:
कुछ लोगों का मानना है कि सफल लोकतन्त्र के लिए दो-दलीय व्यवस्था जरूरी है। इनका मानना है कि द्वि-दलीय व्यवस्था में साधारण बहुमत के दोष समाप्त हो जाते हैं, सरकार स्थायी होती हैं, भ्रष्टाचार कम फैलता है, निर्णय शीघ्रता से लिए जा सकते हैं।

भारत में बहुदलीय प्रणाली भारत में बहुदलीय प्रणाली है। कई विद्वानों का मत है कि भारत में बहुदलीय प्रणाली उचित ढंग से कार्य नहीं कर पा रही है। यह भारतीय लोकतन्त्र के लिए बाधा उत्पन्न कर रही है अत: भारत को द्वि-दलीय पद्धति अपनानी चाहिए परन्तु पिछले बीस वर्षों के अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बहुदलीय प्रणाली से भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को निम्नलिखित फायदे हुए हैं-

  1. विभिन्न मतों का प्रतिनिधित्व-बहुदलीय प्रणाली के कारण भारतीय राजनीति में सभी वर्गों तथा हितों को प्रतिनिधित्व मिल जाता है। इस प्रणाली से सच्चे लोकतन्त्र की स्थापना होती है।
  2. मतदाताओं को अधिक स्वतन्त्रता-अधिक दलों के कारण मतदाताओं को अपने वोट का प्रयोग करने के लिए अधिक स्वतन्त्रताएँ होती हैं। मतदाताओं के लिए अपने विचारों से मिलते-जुलते दल को वोट देना आसान हो जाता है।
  3. राष्ट्र दो गुटों में नहीं बँटता-बहुदलीय प्रणाली होने के कारण भारत कभी भी दो विरोधी गुटों में . विभाजित नहीं हुआ।
  4. मन्त्रिमण्डल की तानाशाही स्थापित नहीं होती-बहुदलीय प्रणाली के कारण भारत में मन्त्रिमण्डल तानाशाह नहीं बन सकता।
  5. अनेक विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व-बहुदलीय प्रणाली में व्यवस्थापिका में देश की अनेक विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व हो सकता है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें-
भारत की दलगत राजनीति ने कई चुनौतियों का सामना किया है। कांग्रेस प्रणाली ने अपना खात्मा ही नहीं किया बल्कि कांग्रेस के जमावड़े के बिखर जाने से आत्म-प्रतिनिधित्व की नयी प्रवृत्ति का भी जोर बढ़ा। इससे दलगत व्यवस्था और विभिन्न हितों की समाई करने की इसकी क्षमता पर भी सवाल उठे। राज-व्यवस्था के सामने एक महत्त्वपूर्ण काम एक ऐसी दलगत व्यवस्था खड़ी करने अथवा राजनीतिक दलों को गढ़ने की है, जो कारगर तरीके से विभिन्न हितों को मुखर और एकजुट करें। -जोया हसन
(क)इस अध्याय को पढ़ने के बाद क्या आपदलगत व्यवस्था की चुनौतियों की सूची बना सकते हैं?
(ख) विभिन्न हितों का समाहार और उनमें एकजुटता का होना क्यों जरूरी है?
(ग) इस अध्याय में आपने अयोध्या विवाद के बारे में पढ़ा। इस विवाद ने भारत के राजनीतिक दलों की समाहार की क्षमता के आगे क्या चुनौती पेश की?
उत्तर:
(क) इस अध्याय में दलगत व्यवस्था की निम्नलिखित चुनौतियाँ उभरकर सामने आती हैं-

  1. गठबन्धन की राजनीति को चलाना।
  2. कांग्रेस के कमजोर होने से खाली हुए स्थान को भरना।
  3. पिछड़े वर्गों की राजनीति का उभरना।
  4. अयोध्या विवाद का उभरना।
  5. गैर-सैद्धान्तिक राजनीतिक समझौते का होना।
  6. गुजरात दंगों से साम्प्रदायिक दंगे होना।

(ख) विभिन्न हितों का समाहार और उनमें एकजुटता का होना जरूरी है, क्योंकि तभी भारत अपनी एकता और अखण्डता को बनाए रखकर विकास कर सकता है।
(ग) अयोध्या विवाद ने भारत में राजनीतिक दलों के सामने साम्प्रदायिकता की चुनौती पेश की तथा भारत में साम्प्रदायिक आधार पर राजनीतिक दलों की राजनीति बढ़ गई।

UP Board Class 12 Civics Chapter 9 InText Questions

UP Board Class 12 Civics Chapter 9 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अगर हर सरकार एक-सी नीति पर अमल करे, तो मुझे नहीं लगता कि इससे राजनीति में कोई बदलाव आएगा।
उत्तर:
यदि सभी सरकारें या उनसे सम्बद्ध राजनीतिक दल एक ही प्रकार की नीतियाँ अपनाएँ तो इससे राजनीतिक व्यवस्था स्थिर व जड़ हो जाएगी।

लेकिन लोकतान्त्रिक व्यवस्था में इस प्रकार की नीति लागू होना सम्भव नहीं है क्योंकि लोकतान्त्रिक व्यवस्था में जनमत सर्वोपरि होता है और जनसामान्य के हित अलग-अलग होते हैं और यह हित समय और परिस्थितियों के अनुसार निरन्तर परिवर्तित भी होते रहते हैं, इसलिए प्रत्येक सरकार को जन इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में सभी सरकारें एक जैसी नीति का अनुसरण नहीं कर सकतीं।

इसके अलावा भारत जैसे बहुदलीय व्यवस्था वाले देश में तो इस प्रकार की नीति लागू करना बिल्कुल भी सम्भव नहीं है क्योंकि भारत में प्रत्येक दल की विचारधारा व कार्यक्रमों में व्यापक अन्तर है और ये राजनीतिक दल सत्ता में आने पर अलग-अलग ढंग से निर्णय लेते हैं।

प्रश्न 2.
चलो मान लिया कि भारत जैसे देश में लोकतान्त्रिक राजनीति का तकाजा ही गठबन्धन बनाना है। लेकिन क्या इसका मतलब यह निकाला जाए कि हमारे देश में हमेशा से गठबन्धन बनते चले आ रहे हैं। अथवा, राष्ट्रीय स्तर के दल एक बार फिर से अपना बुलन्द मुकाम हासिल करके दिखाएँगे।
उत्तर:
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में गठबन्धन का दौर हमेशा से चला आ रहा है। यह बात कुछ हद तक सही है, लेकिन इन गठबन्धनों के स्वरूप में व्यापक अन्तर है। पहले जहाँ एक ही पार्टी के भीतर गठबन्धन (जैसे—कांग्रेस पार्टी में क्रान्तिकारी और शान्तिवादी, कंजरवेटिव और रेडिकल, गरमपन्थी और नरमपन्थी, दक्षिणपन्थी और वामपन्थी आदि) होता था अब पार्टियों के बीच गठबन्धन होता है।

जहाँ तक राष्ट्रीय दलों के प्रभुत्व का सवाल है, वर्तमान दलीय व्यवस्था के बदलते दौर में अपना बुलन्द मुकाम पाना बहुत कठिन है। क्योंकि वर्तमान में भारतीय दलीय व्यवस्था का स्वरूप बहुदलीय हो गया है, जिसमें राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों के महत्त्व को भी नकारा नहीं जा सकता। यही कारण है कि आज राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पा रहा और मिली-जुली सरकारों का निर्माण हो रहा है। भारत में नब्बे के दशक में गठबन्ध सरकारों का दौर शुरू हुआ और यह सिलसिला अभी तक जारी है।

प्रश्न 3.
मुझे इसकी चिन्ता नहीं है कि सरकार किसी एक पार्टी की है यां गठबन्धन की। मसला तो यह है कि कोई सरकार काम कौन-से कर रही है। क्या गठबन्धन सरकार में ज्यादा समझौते करने पड़ते हैं? क्या गठबन्धन सरकार साहसी और कल्पनाशील नीतियाँ नहीं अपना सकती?
उत्तर:
सरकारों का स्वरूप चाहे कैसा भी हो। चाहे वह गठबन्धन सरकार हो या एक ही दल की सरकार हो लेकिन सरकार जनता की कसौटियों पर खरी उतरे वही सफल सरकार है।

गठबन्धन सरकारों में विभिन्न दल आपसी समझौतों या शर्तों के आधार पर सरकार का गठन करते हैं। इन दलों के सभी के अपने-अपने हित व स्वार्थ होते हैं जिन्हें पूरा करने हेतु निरन्तर प्रयास करते रहते हैं। जहाँ आपसी हितों में रुकावट या टकराव आता है वहीं दल अलग हो जाते हैं और सरकारें गिर जाती हैं। इस प्रकार गठबन्धन सरकारों में स्थिरता बहुत कम पायी जाती है। इस प्रकार की सरकारों में स्वतन्त्र निर्णय लेना सम्भव नहीं है। इस प्रकार गठबन्धन सरकार साहसी और कल्पनाशील नीतियाँ नहीं अपना सकतीं।

UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics

प्रश्न 4.
क्या हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जो लोग ऐसे जनसंहार की योजनाए बनाएँ, अमल करें और उसे समर्थन दें, वे कानून के हाथों से बच न पाएँ? ऐसे लोगों को कम-से-कम राजनीतिक रूप से तो सबक सिखाया ही जा सकता है।
उत्तर:
भारत में धर्म, जाति व सम्प्रदाय के नाम पर अनेक बार साम्प्रदायिक दंगे हुए तथा देश की शान्ति और व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न भी लगा। इन साम्प्रदायिक दंगों के पीछे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न राजनीतिक दलों का हाथ रहा है। यह दल अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति हेतु दुष्प्रचार करते हैं जिसमें जनसामान्य इनके बहकावे में आकर गलत कदम उठाते हैं। भारत में सन् 1984 के सिक्ख दंगे हों, सन् 1992 की अयोध्या की घटना हो या सन् 2002 में गुजरात का गोधरा काण्ड, इन सभी चटनाओं के पीछे राजनीतिक दलों की स्वार्थपूर्ण नीति रही है।

इस प्रकार ये सभी घटनाएँ हमें आगाह करती हैं कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धार्मिक भावनाओं को भड़काना खतरनाक है। इससे हमारी लोकतान्त्रिक व्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो सकता है, अतः यह जरूरत है कि ऐसी घटनाओं को रोका जाए। इन घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक है कि ऐसे राजनीतिक दल व उनके नेतृत्वकर्ता जिनका आपराधिक रिकॉर्ड रहा है या साम्प्रदायिक दंगों में लिप्त रहे हैं उन पर चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने पर आजीवन प्रतिबन्ध लगा दिया जाना चाहिए।

UP Board Class 12 Civics Chapter 9 Other Important Questions

UP Board Class 12 Civics Chapter 9 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वर्तमान में भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती प्रवृत्तियाँ वर्तमान में भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती हुई प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. एक दल से साझा सरकारों की ओर-भारतीय राजनीति में सन् 1989 के बाद कांग्रेस की एक दलीय प्रभुत्व की स्थिति भी नहीं रही। 11वीं, 12वीं, 13वीं, 14वीं तथा 15वीं लोकसभा के चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। परिणामतः साझा सरकारें अस्तित्व में आईं।
  2. क्षेत्रीय दलों का बढ़ता वर्चस्व-वर्तमान राजनीतिक दलीय स्थिति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका बढ़ी है। किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत के अभाव में सत्ता की जोड़-तोड़ में इन दलों की भूमिका बढ़ रही है।
  3. निर्दलीय सदस्यों की बढ़ती भूमिका-भारत में प्रत्येक लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार बड़ी संख्या में रहे हैं। किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका बढ़ जाती है।
  4. दलीय प्रणाली का सत्ता केन्द्रित स्वरूप-वर्तमान समय में राजनीतिक दलों का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना रह गया है तथा उनके लिए विचारधाराएँ समस्याएँ गौण हो गई हैं।
  5. भाषावाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद का प्रभाव-सत्ता प्राप्ति के लिए राजनीतिक दल भाषा, जाति एवं सम्प्रदायों का भी सहारा लेते हैं। चुनावी घोषणा-पत्र में इनका विरोध करते हैं, परन्तु दलीय प्रत्याशी खड़ा करते समय इन आधारों को महत्त्व प्रदान करते हैं।
  6. दलों में आन्तरिक गुटबन्दी–भारत की दल प्रणाली का एक प्रमुख लक्षण विभिन्न दलों में आन्तरिक गुटबन्दी का होना है। सभी राजनीतिक दल इस समस्या से पीड़ित हैं। इन दलों में एक गुट तो वह होता है जो संगठन तथा सत्ता में पद प्राप्त किए हुए है और दूसरा गुट इन पदों से अलग रहने वाला असन्तुष्ट गुट होता है।
    भारतीय राजनीतिक दलों में व्याप्त गुटबन्दी की स्थिति भारतीय राजनीति का अभिशाप बनी हुई है।
  7. राजनीतिक अपराधीकरण-राजनीतिक व्यवस्था में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। प्रायः सभी राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को चुनावों में खड़ा किया जा रहा है जो धन-बल व भुज-बल के आधार पर मत प्राप्त करते हैं।
  8. दल की कथनी व करनी में अन्तर—यद्यपि लोकतान्त्रिक देशों में राजनीतिक दलों व उनके नेताओं की कथनी और करनी में अन्तर रहता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारत में यह अन्तर अपने भीषणतम रूप में उभरा है।
  9. केन्द्र व राज्य में टकराहट केन्द्र व राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें होती हैं जिससे केन्द्र व राज्यों के मध्य विभिन्न राजनीतिक मुद्दों को लेकर टकराहट की स्थिति बनी रहती है। केन्द्र, राज्य की दूसरे दलों की सरकार को किसी-न-किसी बहाने दबाव व उलझन में रखते हैं।

प्रश्न 2.
भारतीय दलीय व्यवस्था की प्रमुख समस्याओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय दलीय व्यवस्था की समस्याएँ भारतीय दलीय व्यवस्था की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं-

  1. दलों की संख्या में वृद्धि-भारत में बहुदलीय व्यवस्था है। बहुदलीय व्यवस्था में राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी है। राजनीतिक दलों की भरमार ने अस्थिर राजनीतिक स्थिति के साथ-साथ अन्य समस्याओं को भी जन्म दिया है।
  2. वैचारिक प्रतिबद्धता का अभाव-राजनीतिक दल आर्थिक और राजनीतिक विचारधारा पर आधारित होना चाहिए तथा दल एवं उसके सदस्यों में वैचारिक प्रतिबद्धता होनी चाहिए लेकिन भारतीय राजनीतिक दलों में वैचारिक प्रतिबद्धता का अभाव है।
    वैचारिक प्रतिबद्धता से रहित इन दलों का मुख्य उद्देश्य येन-केन प्रकारेण सत्ता प्राप्त करना होता है तथा सत्ता से जुड़े लाभ प्राप्त करने के लिए ये अपने सिद्धान्तों की तिलांजलि देने में तत्पर रहते हैं।
  3. दलीय व्यवस्था में अस्थायित्व-भारतीय राजनीतिक दल निरन्तर बिखराव और विभाजन के शिकार हैं। इस कारण इन दलों में तथा भारतीय दलीय व्यवस्था में स्थायित्व का अभाव है। कई बार तो राज्यों में सत्ता हेतु पूरे-के-पूरे राजनीतिक दल ने अपना चरित्र बदल दिया।
  4. दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव-भारत के अधिकांश राजनीतिक दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव है और वे घोर अनुशासनहीनता से पीड़ित हैं।
  5. राजनीतिक दलों में गुटीय राजनीति-लगभग सभी राजनीतिक दल तीव्र आन्तरिक गुटबन्दी की समस्या से पीड़ित हैं। लगभग सभी राजनीतिक दलों में अनेक छोटे-बड़े गुट विद्यमान हैं। इन दलों में गुटीय राजनीति इतनी तीव्र है कि चुनावों में एक गुट के समर्थन प्राप्त उम्मीदवार को उसी दल के दूसरे गुट के सदस्य पराजित करने की भरसक कोशिश करते हैं।
  6. सत्ता के लिए संविधानेतर और विघटनकारी प्रवृत्तियों को अपनाना-वैचारिक प्रतिबद्धता के अभाव तथा गहरी सत्ता लिप्सा के कारण राजनीतिक दलों ने पिछले दशक की राजनीति में बहुत अधिक मात्रा में संविधानेतर और विघटनकारी प्रवृत्तियों को अपना लिया है।
  7. नेतृत्व का संकट-भारत में वर्तमान में राजनीतिक दलों के समक्ष नेतृत्व का संकट भी बना हुआ है। अधिकांश राजनीतिक दलों के पास ऐसा नेतृत्व नहीं है, जिसका अपना ऊँचा राजनीतिक कद हो। प्रायः बौना नेतृत्व बना हुआ है। नेतृत्व का यह बौना कद न तो दल को एकजुट रख पा रहा है और न ही वह अपने दल या देश की राजनीति को कोई दिशा दे पा रहा है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
शाहबानो मामला क्या था? इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस विरोधी रुख क्यों अपनाया?
उत्तर:
शाहबानो मामला-शाहबानो मामला एक 62 वर्षीय तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो का है। उसने अपने भूतपूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए अदालत में एक अर्जी दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने शाहबानो के पक्ष में निर्णय लिया। पुरातनपन्थी मुसलमानों ने अदालत के इस निर्णय को अपने ‘पर्सनल लॉ’ में हस्तक्षेप माना। कुछ मुस्लिम नेताओं की माँग पर सरकार ने मुस्लिम महिला अधिनियम, 1986 पास किया जिसमें सर्वोच्च फैसले के निर्णय को निरस्त कर दिया गया।

भाजपा ने कांग्रेस सरकार के इस कदम की आलोचना की और इसे अल्पसंख्यक समुदाय को दी गई अनावश्यक रियायत तथा तुष्टीकरण करार दिया।

प्रश्न 2.
जनता दल के प्रमुख कार्यक्रमों एवं नीतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जनता दल के कार्यक्रम एवं नीतियाँ-जनता दल के प्रमुख कार्यक्रम एवं नीतियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. जनता दल का लोकतन्त्र में दृढ़ विश्वास है और उत्तरदायी प्रशासनिक व्यवस्था को अपनाने के पक्ष में है।
  2. जनता दल ने भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सात-सूत्रीय कार्यक्रम को अपनाने की बात कही है।
  3. पार्टी राजनीति में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लोकपाल की नियुक्ति के पक्ष में है।
  4. पार्टी पंचायती राज संस्थाओं को अधिक स्वायत्तता देने के पक्ष में है।
  5. जनता दल महिलाओं को संसद और राज्य विधानमण्डलों में 33 प्रतिशत और सरकारी, सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के पक्ष में है।

UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics

प्रश्न 3.
भारत में गठबन्धन की राजनीति के प्रभाव समझाइए।
उत्तर:
सन् 1989 में भारत में गठबन्धन की राजनीति का श्रीगणेश हुआ। इस गठबन्धन की राजनीति के निम्नलिखित प्रमुख प्रभाव पड़े-

  1. एक दलीय प्रभुत्व की समाप्ति-गठबन्धन की राजनीति में कांग्रेस के दबदबे की समाप्ति हुई और बहुदलीय प्रणाली का युग शुरू हुआ।
  2. क्षेत्रीय पार्टियों का बढ़ता प्रभाव क्षेत्रीय पार्टियों ने गठबन्धन सरकार बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। प्रान्तीय और राष्ट्रीय दल का भेद अब लगातार कम होता जा रहा है और प्रान्तीय दल केन्द्र सरकार में साझेदार बन रहे हैं।
  3. विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर-गठबन्धन की राजनीति के इस दौर में राजनीतिक दल विचारधारागत अन्तर की जगह सत्ता में भागीदारी की बातों पर जोर दे रहे हैं।
  4. जन-आन्दोलन और संगठन विकास के नए रूप-गठबन्धन की राजनीति में प्रतिस्पर्धी राजनीति के बीच राजनीतिक दलों में कुछ मसलों पर सहमति है, वहीं जन-आन्दोलन और संगठन विकास के नए रूप सामने आ रहे हैं। ये रूप गरीबी, विस्थापन, न्यूनतम मजदूरी, भ्रष्टाचार विरोध, आजीविका और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों पर जन-आन्दोलन के जरिए राजनीति में उभर रहे हैं।

प्रश्न 4.
1990 का दशक भारतीय राजनीति में नए बदलाव का दशक माना जाता है? कारण बताइए।
उत्तर:
1990 का दशक भारतीय राजनीति में नए बदलाव का दशक निम्नलिखित कारणों से माना जाता है-

  1. सन् 1984 में भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की हत्या। लोकसभा के चुनाव व सहानुभूति की लहर में कांग्रेस का विजयी होना। लेकिन सन् 1989 में कांग्रेस की हार तथा सन् 1991 में मध्यावधि चुनाव होना तथा सन् 1991 में राजीव गांधी की हत्या।
  2. राष्ट्रीय राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग से सम्बन्धित मण्डल मुद्दे का उदय होना।
  3. अयोध्या में स्थित एक विवादित ढाँचे का विध्वंस, राष्ट्र में साम्प्रदायिक तनाव व दंगे।
  4. देश में गठबन्धन की राजनीति का तीव्रता से उदय होना तथा नए राजनीतिक दलों के रूप में भाजपा, उसके सहयोगी एवं संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन के समर्थक दलों का तेजी से उत्थान।
  5. विभिन्न सरकारों द्वारा नवीन आर्थिक नीति व सुधारों को अपनाकर उदारीकरण एवं वैश्वीकरण को बढ़ावा देना।
    ये सभी महत्त्वपूर्ण बदलाव हैं और आगामी राजनीति इन्हीं बदलावों के दायरे में आकार लेगी। इस . प्रतिस्पर्धी राजनीति के बीच मुख्य राजनीतिक दलों में कुछ मसलों पर सहमति है। अगर राजनीतिक दल इस सहमति के दायरे में सक्रिय हैं तो जन-आन्दोलन और संगठन विकास के नए रूप, स्वप्न और तरीकों की पहचान कर रहे हैं।

प्रश्न 5.
1990 के दशक में कांग्रेस के पतन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
1990 के दशक में कांग्रेस के पतन के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  1. अन्य पिछड़ा वर्ग ओ०बी०सी० के कारण मण्डल एवं कमण्डल की राजनीति कुछ समय तक देश के क्षितिज पर छा गई।
  2. देश की बहुदलीय प्रणाली व गठबन्धन राजनीति की बढ़ती लोकप्रियता।
  3. बहुजन समाज पार्टी का जन्म, उदय एवं विकास होना।
  4. कई प्रान्तों एवं क्षेत्रों में क्षेत्रीय दलों का उदय तथा अनेक वर्ग समूहों का कांग्रेस से हटकर अन्य बड़े राजनीतिक दलों से जुड़ना।
  5. कुछ राजनीतिक दलों द्वारा साम्प्रदायिकता की राजनीति करने में सफल होना।
  6. सन् 1971 के बाद बहुत बड़ी संख्या में बंगलादेशियों का आगमन तथा वोट की राजनीति के कारण उनकी वापसी के बारे में टालमटोल की राजनीति।
  7. सन् 1984 के सिक्ख दंगे तथा उससे पूर्व अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर में सैन्य बलों का प्रवेश अथवा ऑपरेशन ब्लू स्टार की घटना।

प्रश्न 6.
‘मण्डल कमीशन’ अथवा ‘मण्डल आयोग’ की नियुक्ति क्यों की गयी? इसकी प्रमुख सिफारिशें बताइए।
उत्तर:
मण्डल आयोग का गठन-केन्द्र सरकार ने सन् 1978 में एक आयोग का गठन किया और इसको पिछड़ा वर्ग की स्थिति को सुधारने के उपाय बताने का कार्य सौंपा गया। आमतौर पर इस आयोग को इसके अध्यक्ष बिन्देश्वरी प्रसाद मण्डल के नाम पर ‘मण्डल कमीशन’ कहा जाता है। मण्डल आयोग का गठन भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के बीच शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन की व्यापकता का पता लगाने और इन पिछड़े वर्गों की पहचान के तरीके बताने के लिए किया गया था। आयोग से यह भी अपेक्षा की गयी थी कि वह इन वर्गों के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय सुझाएगा।

मण्डल आयोग की सिफारिशें-आयोग ने सन् 1980 में अपनी सिफारिशें पेश की। इस समय तक जनता पार्टी की सरकार गिर चुकी थी। आयोग का मशविरा था कि पिछड़ा वर्ग को पिछड़ी जाति के अर्थ में स्वीकार किया जाए। आयोग ने एक सर्वेक्षण किया और पाया कि इन पिछड़ी जातियों की शिक्षा संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में बड़ी कम मौजूदगी है। इस वजह से आयोग ने इन समूहों के लिए शिक्षा संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत सीट आरक्षित करने की सिफारिश की। मण्डल आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग की स्थिति सुधारने के लिए कई और समाधान सुझाए जिनमें भूमि-सुधार भी एक था।

अति उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना कब हुई? इसके प्रथम अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना सन् 1980 में हुई। अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के प्रथम अध्यक्ष थे।

प्रश्न 2.
दल-बदल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कोई जन-प्रतिनिधि किसी खास दल के चुनाव चिह्न को लेकर चुनाव लड़े और चुनाव जीतने के बाद इस दल को छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल हो जाए, तो इसे ‘दल-बदल’ कहते हैं।

प्रश्न 3.
संयुक्त मोर्चा सरकार कब और किसके नेतृत्व में बनी?
उत्तर:
संयुक्त मोर्चा सरकार 1 जून, 1996 को एच०डी० देवगौड़ा के नेतृत्व में बनी।

प्रश्न 4.
भारतीय दलीय व्यवस्था की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. बहुदलीय व्यवस्था, एवं
  2. विभिन्न मतों का प्रतिनिधित्व।

UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics

प्रश्न 5.
राजनीतिक दल के कोई दो कार्य बताइए।
उत्तर:

  1. राजनीतिक चेतना का प्रसार, एवं
  2. शासन सत्ता को मर्यादित करना।

प्रश्न 6.
वर्तमान दलीय व्यवस्था की उभरती हुई दो प्रवृत्तियाँ बताइए।
उत्तर:

  1. जाति आधारित दलों का गठन, एवं
  2. राजनीतिक अपराधीकरण।

प्रश्न 7.
भारतीय दलीय व्यवस्था के कोई दो अवगुण/दोष/कमियाँ बताइए।
उत्तर:

  1. साम्प्रदायिकता तथा क्षेत्रवाद की प्रबलता, एवं
  2. नैतिकता का अभाव।

प्रश्न 8.
राजनीतिक दलों के दो आवश्यक तत्त्व बताइए।
उत्तर:

  1. संगठन, एवं
  2. सामान्य सिद्धान्तों की एकता।

प्रश्न 9.
किन्हीं चार क्षेत्रीय दलों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. डी०एम०के०
  2. ए०डी०एम०के०
  3. अकाली दल, एवं
  4. तेलुगू देशम।

प्रश्न 10.
जन मोर्चा का गठन किसने और कब किया?
उत्तर:
जन मोर्चा का गठन वी०पी० सिंह ने 2 अक्टूबर, 1987 को किया।

प्रश्न 11.
बाबरी मस्जिद कब गिराई गई, उस समय केन्द्र में किस पार्टी की सरकार थी?
उत्तर:
बाबरी मस्जिद 6 दिसम्बर, 1992 को गिराई गई, उस समय केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तथा पी०वी० नरसिम्हा राव प्रधानमन्त्री थे।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारतीय दलीय व्यवस्था का स्वरूप है-
(a) एकदलीय
(b) द्विदलीय
(c) बहुदलीय
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) बहुदलीय।

UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics

प्रश्न 2.
निर्बल व अस्थिर जिस शासन-प्रणाली का दोष है, वह है-
(a) एकदल की तानाशाही
(b) द्विदलीय प्रणाली
(c) बहुदलीय प्रणाली
(d) दलविहीन प्रणाली।
उत्तर:
(c) बहुदलीय प्रणाली।

प्रश्न 3.
जनता पार्टी का उदय कब हुआ-
(a) सन् 1980 में
(b) सन् 1998 में
(c) सन् 1999 में
(d) सन् 1977 में।
उत्तर:
(d) सन् 1977 में।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में कौन-सा दल अखिल भारतीय दल है-
(a) तेलुगू देशम
(b) कांग्रेस
(c) समाजवादी पार्टी
(d) राष्ट्रीय जनता दल।
उत्तर:
(b) कांग्रेस।

प्रश्न 5.
केन्द्र में मिली-जुली सरकार कब बनी-
(a) सन् 1977 में
(b) सन् 1978 में
(c) सन् 1979 में
(d) सन् 1980 में।
उत्तर:
(a) सन् 1977 में।

UP Board Solutions for Class 12 Civics

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population: Distribution, Density, Growth and Composition

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population: Distribution, Density, Growth and Composition (जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन)

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चनिए
(i) सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या निम्नलिखित में से कौन-सी है
(क) 102.8 करोड़
(ख) 318.2 करोड़
(ग) 328.7 करोड़
(घ) 121 करोड़ा
उत्तर:
(घ) 121 करोड़।

(ii) निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में जनसंख्या का घनत्व सर्वाधिक है
(क) पश्चिम बंगाल
(ख) केरल
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) पंजाब।
उत्तर:
(क) पश्चिम बंगाल।

(iii) सन् 2011 की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से किस राज्य में नगरीय जनसंख्या का अनुपात सर्वाधिक है
(क) तमिलनाडु
(ख) महाराष्ट्र
(ग) केरल
(घ) गोवा।
उत्तर:
(ख) महाराष्ट्र

(iv) निम्नलिखित में से कौन-सा एक समूह भारत में विशालतम भाषाई समूह है
(क) चीनी-तिब्बती
(ख) भारतीय-आर्य
(ग) आस्ट्रिक
(घ) द्रविड़।
उत्तर:
(ख) भारतीय-आर्य।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population: Distribution, Density, Growth and Composition

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
(i) भारत के अत्यन्त उष्ण एवं शुष्क तथा अत्यन्त शीत व आर्द्र प्रदेशों में जनसंख्या का घनत्व निम्न है। इस कथन के दृष्टिकोण से जनसंख्या के वितरण में जलवायु की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या के वितरण पर जलवायु का गहरा प्रभाव पड़ता है। राजस्थान के अत्यन्त उष्ण व शुष्क प्रदेश; जम्मू कश्मीर, उत्तराखण्ड, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश के अन्तर्गत शीत तथा मेघालय के अत्यन्त आर्द्र प्रदेशों में जलवायु के अनुकूल न होने के कारण जनसंख्या का घनत्व निम्न है।

(ii) भारत के किन राज्यों में विशाल ग्रामीण जनसंख्या है? इतनी विशाल ग्रामीण जनसंख्या के लिए उत्तरदायी एक कारण को लिखिए।
उत्तर:
भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान आदि राज्यों में विशाल ग्रामीण जनसंख्या है, क्योंकि इन राज्यों में उपजाऊ मिट्टी, अनुकूल जलवायु तथा सिंचाई की सुविधा के कारण कृषि व्यवसाय को ठोस आधार प्राप्त है।

(iii) भारत के कुछ राज्यों में अन्य राज्यों की अपेक्षा श्रम-सहभागिता ऊँची क्यों है?
उत्तर:
भारत के कुछ राज्यों में सहभागिता-दर अपेक्षाकृत ऊँची है, क्योंकि निर्वाह अथवा लगभग निर्वाह की आर्थिक क्रियाओं के निष्पादन के लिए अनेक कामगारों की आवश्यकता होती है।

(iv) “कृषि सेक्टर में भारतीय श्रमिकों का सर्वाधिक अंश संलग्न है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 54.6 प्रतिशत कृषक और कृषि मजदूर हैं, अत: कृषि सेक्टर में भारतीय श्रमिकों का सर्वाधिक अंश संलग्न है। इसका कारण यह है कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें
(i) भारत में जनसंख्या के घनत्व के स्थानिक वितरण की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या के घनत्व का स्थानिक वितरण
2011 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी हैं। 1951 ई० में जनसंख्या का घनत्व 117 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से बढ़कर 2011 में 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी होने से पिछले 50 वर्षों में 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से अधिक उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population Distribution, Density, Growth and Composition 1
राज्य स्तर पर जनसंख्या के घनत्व में बहुत अधिक विषमताएँ पायी जाती हैं। अरुणाचल प्रदेश में जनसंख्या का घनत्व केवल 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, जबकि बिहार में यह घनत्व 1102 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी (सर्वाधिक) है। केन्द्रशासित प्रदेशों में दिल्ली का जनसंख्या घनत्व सर्वाधिक 11,320 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, जबकि अण्डमान तथा निकोबार द्वीप समूह में जनसंख्या का घनत्व केवल 46 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।

बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 1029 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी जनसंख्या घनत्व पाया जाता है। केरल (860), उत्तर प्रदेश (828), हरियाणा (573) तथा तमिलनाडु (555) अन्य अधिक घनत्व वाले . राज्य हैं।

प्रायद्वीपीय भारत के राज्य केरल का घनत्व 860 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, जोकि सर्वाधिक है। केरल के बाद तमिलनाडु का स्थान है जहाँ 555 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी जनसंख्या का घनत्व पाया जाता है। पर्यावरण की विपरीत परिस्थितियों के कारण उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी भारत के राज्यों में जनसंख्या का घनत्व काफी कम है। उदाहरणतया, जनसंख्या का घनत्व मिजोरम में 52 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से मणिपुर में 122 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी तक है। असम, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा, झारखण्ड, ओडिशा आदि राज्यों में मध्यम जनसंख्या घनत्व पाया जाता है।

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि भारत में जनसंख्या के घनत्व का स्थानिक वितरण अत्यधिक असमानता लिए हुए है।

(ii) भारत की जनसंख्या के व्यावसायिक संघटन का विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत की जनसंख्या का व्यावसायिक संघटन–आर्थिक दृष्टि से भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों या स्तरों में विभक्त किया जाता है
(1) मुख्य श्रमिक, (2) सीमान्त श्रमिक और (3) अश्रमिक।
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में श्रमिकों (मुख्य और सीमान्त दोनों) का अनुपात 39.8 प्रतिशत है, जबकि 60 प्रतिशत विशाल संख्या अश्रमिकों की है। यह एक अश्रमिक स्तर को इंगित करता है जिसमें एक बड़ा अनुपात आश्रित जनसंख्या का है।

राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में श्रमजीवी जनसंख्या का अनुपात गोवा में लगभग 39.6 प्रतिशत, दमन एवं दीव में लगभग 49.9 प्रतिशत सामान्य भिन्नता प्रदर्शित करता है। श्रमिकों की अपेक्षाकृत अधिक प्रतिशत वाले राज्य हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, छत्तीसगढ़, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, मणिपुर और मेघालय हैं। केन्द्रशासित प्रदेशों में दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव की प्रतिभागिता दर उच्च है।
तालिका: भारत में श्रम शक्ति का सेक्टरवार संघटन, 2011
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population Distribution, Density, Growth and Composition 2
तालिका में द्वितीयक और तृतीयक सेक्टरों की तुलना में प्राथमिक सेक्टर के श्रमिकों के एक बड़े अनुपात को दर्शाया गया है। कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 54.6 प्रतिशत कृषक और कृषि मजदूर हैं, जबकि 3.8 प्रतिशत श्रमिक घरेलू उद्योगों में लगे हैं और 41.6 प्रतिशत अन्य श्रमिक हैं।

जहाँ तक देश की पुरुष और स्त्री जनसंख्या के व्यवसाय का प्रश्न है पुरुष श्रमिकों की संख्या तीनों ही सेक्टरों में स्त्री श्रमिकों से अधिक है।

पिछले कुछ दशकों में भारत के कृषि सेक्टर के श्रमिकों के अनुपात में उतार-चढ़ाव नजर आया है। परिणामस्वरूप द्वितीयक और तृतीयक सेक्टर में सहभागिता दर बढ़ी है। यह देश की अर्थव्यवस्था में सेक्टरीय स्थानान्तरण है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population Distribution, Density, Growth and Composition 3

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 1 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में जनसंख्या के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या का वितरण
भारत में जनसंख्या के वितरण के सम्बन्ध में (जनगणना-2011) निम्नलिखित विशेषताएँ उभरती हैं
(1) देश में सर्वाधिक जनसंख्या उत्तर प्रदेश (19.9 करोड़) में बसी हुई है। यहाँ पर भारत की 16 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या निवास करती है। इसके बाद क्रमश: महाराष्ट्र (11.23 करोड़), बिहार (10.40 करोड़), पश्चिम बंगाल (9.12 करोड़) तथा आन्ध्र प्रदेश एवं तेलंगाना (8.45 करोड़) का स्थान आता है। इन पाँच राज्यों में देश की लगभग आधी जनसंख्या (48.9%) रहती है।

(2) भारत की एक-चौथाई जनसंख्या दो राज्यों उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में रहती है।

(3) क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के दो सबसे बड़े राज्य राजस्थान और मध्य प्रदेश हैं जिनका क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्रफल का क्रमश: 10.4 प्रतिशत और 9.37 प्रतिशत है, परन्तु इन राज्यों में भारत की केवल 5.6 प्रतिशत और 6.00 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

(4) उत्तर प्रदेश, देश के कुल क्षेत्रफल के 7.26 प्रतिशत भाग पर स्थित है, जबकि इस राज्य में देश की 16.49 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

(5) बिहार, देश के कुल क्षेत्रफल के 2.86 प्रतिशत भाग पर स्थित है, जबकि इस राज्य में देश की 8.58 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

(6) देश के 11 राज्यों और 6 केन्द्रशासित प्रदेशों में जनसंख्या उनके क्षेत्रफल की तुलना में अधिक है। परिणामस्वरूप इन राज्यों में प्रति इकाई क्षेत्रफल पर जनसंख्या का दबाव राष्ट्रीय औसत से अधिक है।

(7) जम्मू-कश्मीर (1.04%), अरुणाचल प्रदेश (0.11%) और उत्तराखण्ड (0.84%) जैसे राज्यों की जनसंख्या का आकार इनके विशाल भौगोलिक क्षेत्र के बावजूद अत्यन्त छोटा है।

(8) हिमालयी लघु राज्य सिक्किम की जनसंख्या (6.07 लाख) भारत के सभी राज्यों की जनसंख्या से कम है जबकि दिल्ली की जनसंख्या (1.67 करोड़), जम्मू-कश्मीर की जनसंख्या या सभी केन्द्रशासित प्रदेशों की संयुक्त जनसंख्या से भी अधिक है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population Distribution, Density, Growth and Composition 4

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population: Distribution, Density, Growth and Composition

प्रश्न 2.
भारत में जनसंख्या की वृद्धि की प्रावस्थाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या वृद्धि की प्रावस्थाएँ
भारत में जनसंख्या की वृद्धि वार्षिक जन्म-दर, मृत्यु-दर तथा प्रवास की दर के कारण हुई है और यह वृद्धि विभिन्न प्रवृत्तियों और प्रावस्थाओं को दर्शाती है। भारत के जनांकिकीय इतिहास को चार सुस्पष्ट प्रावस्थाओं में बाँटा जा सकता है
प्रावस्था ‘क’ – 1901 से 1921 की अवधि को भारत की जनसंख्या की वृद्धि की रुद्ध अथवा स्थिर प्रावस्था कहा जाता है, क्योंकि इस अवधि में वृद्धि-दर अत्यन्त निम्न थी। 1911-21 के दौरान जनसंख्या बढ़ने के स्थान पर 0.31 प्रतिशत कम हो गई।

प्रावस्था ‘ख’ – 1921-1951 के दशकों को जनसंख्या की स्थिर वृद्धि की अवधि के रूप में जाना जाता है, क्योंकि 1921 के बाद भारत की जनसंख्या में सामान्य वृद्धि होने लगी।

प्रावस्था ‘ग’ – 1951-1981 के दशकों को भारत में जनसंख्या-विस्फोट की अवधि के रूप में जाना जाता है। यह देश में मृत्यु-दर में तीव्र ह्रास और जनसंख्या की उच्च प्रजनन-दर के कारण हुआ। इस दौरान जनसंख्या की औसत वार्षिक वृद्धि दर 2.2 प्रतिशत तक उच्च रही और जनसंख्या दुगुनी हो गई।

प्रावस्था ‘घ’ – 1981 के बाद वर्तमान तक देश की जनसंख्या वृद्धि दर यद्यपि उच्च बनी रही, परन्तु मन्द गति से घटने भी लगी। इसका अभिप्राय यह नहीं कि देश की कुल अथवा निरपेक्ष जनसंख्या घट गई। इसका अभिप्राय केवल यह है कि जनसंख्या बढ़ने की गति पर थोड़े ब्रेक लग गए। लोग तो बढ़े लेकिन कम गति से।

प्रश्न 3.
किशोर जनसंख्या की चुनौतियों और युवा नीति का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में 10 से 19 आयु वर्ग ‘किशोर जनसंख्या’ कहलाती है। देश में किशोरों की जनसंख्या का बढ़ता अनुपात जनसंख्या वृद्धि का महत्त्वपूर्ण पक्ष है। किशोर जनसंख्या उच्च सम्भावनाओं से युक्त युवा जनसंख्या समझी जाती है। वे आने वाले कल के ‘उत्पादक’ हैं।
किशोर जनसंख्या की चुनौतियाँ
भारत में किशोर जनसंख्या की प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं

  • विवाह की निम्न आयु
  • निरक्षरता
  • स्कूली शिक्षा का बीच में छूट जाना
  • पोषक व सन्तुलित भोजन का न मिलना
  • किशोरी माताओं में उच्च मातृ मृत्यु-दर
  • एड्स संक्रमण की उच्च दरें
  • शारीरिक व मानसिक अपंगता,
  • मदिरापान व धूम्रपान आदि।

राष्ट्रीय युवा नीति
किशोरों की उपर्युक्त चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 2003 में राष्ट्रीय युवा नीति को लागू किया। इस नीति के प्रमुख ध्येय निम्नलिखित हैं

  • भारत की विशाल युवा और किशोर जनसंख्या का समग्र विकास सुनिश्चित करना ताकि वे देश के रचनात्मक विकास में अपने उत्तरदायित्वों को निभा सकें।
  • इस वर्ग की जनसंख्या को उपयुक्त शिक्षा प्रदान करना ताकि उनमें विवेक उत्पन्न हो।
  • किशोरों व युवाओं के गुणों का बेहतर मार्गदर्शन और सही उपयोग किया जा सके।
  • निर्णय लेने में युवाओं की प्रभावी सहभागिता हो और वे स्वयं भी सुयोग्य नेतृत्व दे सकें।
  • पुरुषों और महिलाओं की स्थिति में समता लाने के लिए महिलाओं के सशक्तीकरण पर विशेष बल देना।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population: Distribution, Density, Growth and Composition

प्रश्न 4.
जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले भौतिक कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक
उच्चावच, जलवायु, मृदा तथा खनिज संसाधनों की सुलभता जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख भौतिक कारक हैं। पर्याप्त वर्षा प्राप्त करने वाली अथवा सुविकसित सिंचाई की सुविधाओं वाली गहरी, उपजाऊ समतल भूमि पर प्रायः सघन जनसंख्या पायी जाती है। यह इन्हीं कारकों का असर है कि उत्तर भारत के मैदानों, डेल्टाओं और तटीय मैदानों में जनसंख्या का अनुपात. दक्षिणी और मध्य भारत के राज्यों के आन्तरिक जिलों; हिमालय, उत्तर-पूर्वी और पश्चिमी कुछ राज्यों की अपेक्षा अधिक है। सामान्यतः ऊबड़-खाबड़ पर्वतीय क्षेत्र तथा जलविहीन रेतीली व पथरीली भूमि जनसंख्या के जमाव को प्रोत्साहित नहीं करती। फिर भी सिंचाई के विकास (राजस्थान) और खनिज एवं ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता (झारखण्ड) और परिवहन तन्त्र के विकास (प्रायद्वीपीय राज्य) की वजह से उन क्षेत्रों में जहाँ कभी जनसंख्या कम पायी जाती थी, वहाँ अब मध्यम से उच्च जनसंख्या घनत्व पाया जाता है।

प्रश्न 5.
1951-1981 के दशकों में भारत में जनसंख्या-विस्फोट के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1951-1984 के दशकों में भारत में जनसंख्या विस्फोट के कारण
1951-1981 के दशकों में भारत में जनसंख्या विस्फोट के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
(1) स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद यही वह अवधि थी, जिसमें केन्द्रीकृत नियोजन प्रक्रिया के माध्यम से विकासात्मक कार्यों को आरम्भ किया गया। कृषि और उद्योग खण्डों के विकास, रोजगार में वृद्धि, चिकित्सा सुविधाओं की प्रगति और विस्तार तथा जन्म और मृत्यु-दर पर नियन्त्रण जैसी उपलब्धियों के कारण जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी।

(2) साठ के दशक में देश में आई हरित क्रान्ति से उपजी खाद्यान्नों में आत्म-निर्भरता से अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ। सुनिश्चित भोजन ने जीवन की दशाओं को उन्नत किया जिससे जनसंख्या की बेतहाशा वृद्धि हुई।

(3) इसी अवधि में तिब्बतियों, नेपालियों, बंगलादेशियों और पाकिस्तान से आने वाले लोगों के बढ़ते अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के कारण भी भारत की जनसंख्या में वृद्धि हुई।

(4) सन् 1971 के बाद, शिक्षा के प्रचार-प्रसार के प्रभाव तथा चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार से जनसंख्या की वृद्धि दर में कुछ-कुछ कमी आने लगी। सन् 1981 में जनसंख्या की वृद्धि-दर हल्की-सी घटकर 24.66 प्रतिशत रह गई। इसे ‘प्रजनन प्रेरित वृद्धि’ कहा गया है।

लघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में आर्थिक कारक किस प्रकार जनसंख्या वितरण के प्रतिरूप को निर्धारित करते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक कारकों में द्वितीयक तथा तृतीयक आर्थिक क्रियाएँ शामिल होती हैं। तकनीकी ज्ञान भी आर्थिक कारकों का एक प्रमुख अंग है; इसलिए जहाँ भी इस प्रकार की क्रियाओं पर विकास निर्भर होता है वहाँ अधिक जनसंख्या निवास करती है। औद्योगिक क्षेत्र और नगरीय क्षेत्र इसी कारण अधिक घने बसे होते हैं; जैसे—मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली आदि, लेकिन जहाँ कृषि जैसी प्राथमिक क्रियाएँ अधिक पायी जाती हैं और उत्पादन अधिक मात्रा में होता है, वे क्षेत्र भी अधिक घने बसे होते हैं; जैसे—पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि।

प्रश्न 2.
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले जनांकिकीय कारक को समझाइए।
उत्तर:
जनांकिकीय कारक – जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले जनांकिकीय कारक तीन हैंप्रजनन दर, मृत्यु-दर और प्रवास। प्रजनन दर अधिक और मृत्यु-दर कम होने पर जनसंख्या की वृद्धि होती है। . आप्रवासन महानगरों व औद्योगिक क्षेत्रों में विशाल जनसंख्या के संकेन्द्रण का मुख्य कारक है।

प्रश्न 3.
जनसंख्या घनत्व और जनसंख्या वितरण के अध्ययन के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
भारत एक विकासशील देश है जो जनांकिकी संक्रमण के विस्फोटक दौर से गुजर रहा है। देश में नई आर्थिक नीति के लागू होने के कारण रोजगार के अवसरों में क्षेत्रीय पुनर्वितरण की प्रवृत्ति चल रही है, इस कारण जनसंख्या का घनत्व और वितरण प्रारूप. भी गुणात्मक ढंग से परिवर्तित हो रहा है, अत: देश के योजनाबद्ध विकास के लिए जनसंख्या के वितरण और घनत्व का समुचित अध्ययन आवश्यक है।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population: Distribution, Density, Growth and Composition

प्रश्न 4.
जनसंख्या की धनात्मक एवं ऋणात्मक वृद्धि को समझाइए।
उत्तर:
धनात्मक वृद्धि – धनात्मक वृद्धि तब होती है जब दो समय बिन्दुओं के बीच जन्म-दर, मृत्यु-दर से अधिक हो या किसी अन्य देश से लोग आकर बस जाएँ।

ऋणात्मक वृद्धि – यदि दो समय बिन्दुओं के बीच जनसंख्या कम हो जाए तो ऋणात्मक वृद्धि कहते हैं। यह तब होती है जब जन्म-दर, मृत्यु-दर से कम हो या लोग विदेश में जा बसें।

प्रश्न 5.
जनसंख्या वृद्धि के घटक बताइए।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि के दो घटक निम्नलिखित हैं
1. प्राकृतिक वृद्धि – दो समय बिन्दुओं में जन्म-दर और मृत्यु-दर के अन्तर से बढ़ने वाली जनसंख्या को उस क्षेत्र की प्राकृतिक वृद्धि कहते हैं।
प्राकृतिक वृद्धि = जन्म – मृत्यु

2. अभिप्रेरित वृद्धि – जनसंख्या वृद्धि के अभिप्रेरित घटकों जैसे प्रवास को किसी दिए गए क्षेत्र में लोगों के अन्तर्वर्ती और बहिर्वर्ती संचालन की प्रबलता द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
1901 से 1921 की अवधि को भारत की जनसंख्या की वृद्धि की स्थिर प्रावस्था क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1901 से 1921 की अवधि को भारत की जनसंख्या की वृद्धि की स्थिर प्रावस्था कहे जाने के कारण निम्नलिखित हैं

  • स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाएँ निम्न-स्तरीय थीं
  • प्रथम विश्वयुद्ध में हजारों भारतीय काम आए
  • लगातार हो रही फसलों की खराबी से भी अनेक लोग भुखमरी का शिकार हो गए
  • निरक्षरता भी उच्च जन्म-दरों व मृत्यु-दरों के लिए उत्तरदायी थी।

प्रश्न 7.
1921 से 1951 के दशकों को भारत में जनसंख्या की स्थिर वृद्धि की अवधि के रूप में क्यों जाना जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1921 से 1951 के दशकों को भारत में जनसंख्या की स्थिर वृद्धि की अवधि के रूप में जाना जाने के कारण निम्नलिखित हैं

  • इस अवधि में चिकित्सा विज्ञान में हुई उन्नति से अनेक महामारियों पर काफी हद तक काबू पा लिया गया।
  • परिवहन के साधनों के विकास ने अकाल-ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुँचाने का कार्य आसान कर दिया।
  • कृषीय अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
  • जनसंख्या की वृद्धि दर 1941 में 1.42 से घटकर सन् 1951 में 1.33 प्रतिशत रह गई।

प्रश्न 8.
आर्थिक दृष्टि से भारत की जनसंख्या को कितने वर्गों में बाँटा जाता है?
उत्तर:
आर्थिक दृष्टि से भारत की जनसंख्या को तीन वर्गों या स्तरों में बाँटा जाता है

  • मुख्य श्रमिक – वह व्यक्ति है जो एक वर्ष में कम-से-कम 183 दिन कार्य करता है। देश की जनसंख्या में 30.5 प्रतिशत मुख्य श्रमिक हैं।
  • सीमान्त श्रमिक – वह व्यक्ति है, जो एक वर्ष में 183 दिनों से कम कार्य करता है। देश की जनसंख्या में 8.7 प्रतिशत लोग सीमान्त श्रमिक हैं।
  • अश्रमिक – अश्रमिक या गैर-कामगार वह व्यक्ति है जो वर्ष-भर अपनी आजीविका के लिए कोई कार्य नहीं करता।

प्रश्न 9.
स्त्रियों की निम्न सहभागिता के प्रमुख कारणों को समझाइए।
उत्तर:
स्त्रियों की निम्न सहभागिता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  • संयुक्त परिवार का दायित्व और समय की कमी
  • स्त्रियों में शिक्षा का निम्न स्तर,
  • बारम्बार शिशु जन्म
  • बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार के सीमित अवसर
  • महिलाओं को घर से बाहर न निकलने देने व उनकी कमाई न खाने जैसे रूढ़िवादी विचार।

प्रश्न 10.
भारत के उत्तर-पूर्वी और उत्तरी राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या का कृषि पर दबाव अधिक क्यों है?
उत्तर:
उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी भारत में कृषि पर जनसंख्या का अधिक दबाव है। इसके निम्नलिखित कारण हैं

  • भारत के उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या आज भी लगभग 80 प्रतिशत है।
  • इन राज्यों में कृषि योग्य उपजाऊ भूमि है तथा पर्याप्त जलापूर्ति के कारण कृषि सम्भव है।
  • इन राज्यों में कृषि पर निरन्तर दबाव बढ़ता जा रहा है क्योंकि कृषि के अतिरिक्त इन भागों में रोजगार के अवसर कम हैं।

अतिलघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में नियमित रूप से हर 10 वर्ष के बाद जनगणना कब से की जा रही है?
उत्तर:
भारत में नियमित रूप से हर 10 वर्ष के बाद जनगणना सन् 1881 से की जा रही है।

प्रश्न 2.
जनसंख्या को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक बताइए।
उत्तर:
जनसंख्या को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक हैं-उच्चावच, जलवायु, मृदा तथा खनिज संसाधन आदि।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population: Distribution, Density, Growth and Composition

प्रश्न 3.
जनसंख्या का घनत्व क्या है?
उत्तर:
जनसंख्या का घनत्व वह माप है जो किसी क्षेत्र की जनसंख्या व वहाँ के क्षेत्रफल के बीच आनुपातिक सम्बन्ध को व्यक्त करता है।

प्रश्न 4.
जनसंख्या घनत्व ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population Distribution, Density, Growth and Composition 5

प्रश्न 5:
कायिक घनत्व ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population Distribution, Density, Growth and Composition 6

प्रश्न 6.
कृषीय घनत्व ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population Distribution, Density, Growth and Composition 7

प्रश्न 7.
जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि से क्या आशय है?
उत्तर:
यदि समय के दो बिन्दुओं के बीच जनसंख्या में वृद्धि होती है, तो इसे ‘जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि’ कहते हैं।

प्रश्न 8.
जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि से क्या आशय है?
उत्तर:
यदि समय के दो बिन्दुओं के बीच जनसंख्या में कमी होती है, तो इसे ‘जनसंख्या की ऋणात्मक . वृद्धि’ कहते हैं।

प्रश्न 9.
जनसंख्या की वृद्धि दर से क्या आशय है?
उत्तर:
दो समय बिन्दुओं के मध्य जनसंख्या में होने वाले शुद्ध परिवर्तन को ‘जनसंख्या की वृद्धि दर’ कहते हैं।

प्रश्न 10.
जनसंख्या वृद्धि के प्रकार बताइए।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि के दो प्रकार हैं

  • धनात्मक वृद्धि एवं
  • ऋणात्मक वृद्धि।

प्रश्न 11.
किशोर जनसंख्या से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर:
किशोर जनसंख्या से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ हैं

  • विवाह की निम्न आयु
  • निरक्षरता
  • स्कूली शिक्षा का बीच में छूट जाना
  • सन्तुलित भोजन न मिलना
  • शारीरिक व मानसिक अपंगता
  • मदिरापान व धूम्रपान आदि।

प्रश्न 12.
जनसंख्या संघटन क्या है?
उत्तर:
जनसंख्या संघटन, जनसंख्या भूगोल में अध्ययन का एक सुस्पष्ट क्षेत्र है जिसमें आयु व लिंग का विश्लेषण, निवास का स्थान, मानव जातीय लक्षण, जनजातियाँ, भाषा, धर्म, वैवाहिक स्थिति, साक्षरता और शिक्षा, न्यावसायिक विशेषताएँ आदि का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 13.
निवास स्थान के आधार पर जनसंख्या कितने वर्गों में संयोजित होती है?
उत्तर:
निवास स्थान के आधार पर जनसंख्या दो वर्गों में संयोजित होती है

  • ग्रामीण एवं
  • नगरीय जनसंख्या।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population: Distribution, Density, Growth and Composition

प्रश्न 14.
किशोर जनसंख्या किसे कहते हैं?
उत्तर:
भारत में 10 से 19 वर्ष का आयु वर्ग किशोर जनसंख्या कहलाता है।

प्रश्न 15.
नगरीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
ग्रामीण जनसंख्या से नगरीय जनसंख्या में समाज के बदलने की प्रक्रिया को ‘नगरीकरण’ कहते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व कितना है
(a) 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
(b) 360 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
(c) 344 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
(d) 316 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी।
उत्तर:
(a) 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी।।

प्रश्न 2.
जनगणना-2011 के अनुसार भारत में न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है
(a) आन्ध्र प्रदेश
(b) अरुणाचल प्रदेश
(c) हरियाणा
(d) ओडिशा।
उत्तर:
(b) अरुणाचल प्रदेश।

प्रश्न 3.
जनगणना-2011 के अनुसार जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर है
(a) 1.64 प्रतिशत
(b) 1.18 प्रतिशत
(c) 0.92 प्रतिशत
(d) 2.22 प्रतिशत।
उत्तर:
(a) 1.64 प्रतिशत।

प्रश्न 4.
जनगणना-2011 के अनुसार किशोरों अर्थात् 10-19 वर्ष की आयु वर्ग का अंश है
(a) 20.9 प्रतिशत
(b) 18.4 प्रतिशत
(c) 24.8 प्रतिशत
(d) 28.2 प्रतिशत।
उत्तर:
(a) 20.9 प्रतिशत।

प्रश्न 5.
किशोरों के समक्ष प्रमुख चुनौती/समस्या है
(a) विवाह की निम्न आयु
(b) शारीरिक व मानसिक अपंगता
(c) औषध दुरुपयोग व मदिरा सेवन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 6. भारत सरकार द्वारा युवा नीति कब प्रायोजित की गई
(a) सन् 2003
(b) सन् 2006
(c) सन् 2005
(d) सन् 2008.
उत्तर:
(a) सन् 2003.

प्रश्न 7.
जनसंख्या संघटन में अध्ययन किया जाता है
(a) निवास स्थान का
(b) जनजातियों का
(c) भाषा व धर्म का
(d) उपर्युक्त सभी का।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी का।

प्रश्न 8.
आधुनिक भारत के सन्दर्भ में कितनी भाषाएँ हैं
(a) 22
(b) 24
(c) 20
(d) 26
उत्तर:
(a) 22

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 1 Population: Distribution, Density, Growth and Composition

प्रश्न 9.
जनगणना-2011 के अनुसार भारत में श्रमिकों का अनुपात है
(a) 39.8 प्रतिशत
(b) 34.2 प्रतिशत
(c) 30.8 प्रतिशत
(d) 27.3 प्रतिशत।
उत्तर:
(a) 39.8 प्रतिशत।

प्रश्न 10.
कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग कितना भाग कृषक और कृषि मजदूर है
(a) 54.6 प्रतिशत
(b) 56.2 प्रतिशत
(c) 52.6 प्रतिशत
(d) 50.5 प्रतिशत।
उत्तर:
(a) 54.6 प्रतिशत।

UP Board Solutions for Class 12 Geography

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 7 Mineral and Energy Resources

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 7 Mineral and Energy Resources (खनिज तथा ऊर्जा संसाधन)

UP Board Class 12 Geography Chapter 7 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए
(i) निम्नलिखित में से किस राज्य में प्रमुख तेल क्षेत्र स्थित हैं
(क) असम
(ख) बिहार
(ग) राजस्थान
(घ) तमिलनाडु।
उत्तर:
(क) असम

(ii) निम्नलिखित में से किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था
(क) कलपक्कम
(ख) नरोरा
(ग) राणाप्रताप सागर
(घ) तारापुर।
उत्तर:
(घ) तारापुर।

(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज ‘भूरा-हीरा’ के नाम से जाना जाता है
(क) लौह
(ख) लिग्नाइट
(ग) मैंगनीज
(घ) अभ्रक।
उत्तर:
(ख) लिग्नाइट।

(iv) निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा का अनवीकरणीय स्त्रोत है
(क) जल
(ख) सौर
(ग) ताप
(घ) पवन।
उत्तर:
(ग) ताप।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 7 Mineral and Energy Resources

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
(i) भारत में अभ्रक के वितरण का विवरण दें।
उत्तर:
भारत में अभ्रक का वितरण-आन्ध्र प्रदेश भारत का 72 प्रतिशत से भी अधिक अभ्रक उत्पादित करता है। इस राज्य की मुख्य अभ्रक पेटी नैल्लोर जिले में है। अभ्रक उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का दूसरा स्थान है। इस राज्य की प्रमुख अभ्रक पेटी जयपुर से उदयपुर तक विस्तृत है। अभ्रक उत्पादक अन्य राज्य झारखण्ड, बिहार, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा उत्तर प्रदेश हैं।

(ii) नाभिकीय ऊर्जा क्या है? भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केन्द्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
नाभिकीय ऊर्जा परमाणु के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा है। यह परमाणु के नाभिक में परिवर्तन लाकर प्राप्त की जाती है। नाभिकीय ऊर्जा के प्रमुख केन्द्र

  • तारापुर (महाराष्ट्र)
  • रावतभाटा परमाणु ऊर्जा केन्द्र (राजस्थान)
  • कलपक्कम परमाणु ऊर्जा केन्द्र (तमिलनाडु)
  • नरौरा परमाणु ऊर्जा केन्द्र (उत्तर प्रदेश)
  • कैगा परमाणु ऊर्जा केन्द्र (कर्नाटक)
  • काकरापारा परमाणु शक्ति केन्द्र (गुजरात)।

(iii) अलौह धातुओं के नाम बताएँ। उनके स्थानिक वितरण की विवेचना करें।
उत्तर:
1. ताँबा – सिंहभूम (झारखण्ड), झुंझुनू (राजस्थान), बालाघाट (मध्य प्रदेश) एवं दुर्ग (छत्तीसगढ़)।
2. बॉक्साइट – ओडिशा, झारखण्ड, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु एवं कर्नाटक राज्य आदि।

(iv) ऊर्जा के अपारम्परिक स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर:
ऊर्जा के अपारम्परिक स्रोत निम्नलिखित हैं—बायो गैस, जैव पदार्थ, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, लघु जलविद्युत परियोजनाएँ, सौर फोटोवोल्टाइक ऊर्जा एवं ऊर्जा ग्राम आदि।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें। (i) भारत के पेट्रोलियम संसाधनों पर विस्तृत टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
भारत के पेट्रोलियम संसाधन-भारतीय भू-गर्भ सर्वेक्षण विभाग के अनुमानों के अनुसार भारत में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस (हाइड्रोकार्बन) के कुल भण्डार 17 अरब टन हैं, जिनमें से 75 प्रतिशत अब तक स्थापित हो चुके हैं।
भारत में तेल क्षेत्रों का वितरण
1. उत्तर – पूर्वी प्रदेश-यह ऊपरी असम घाटी, अरुणाचल प्रदेश तथा नागालैण्ड के विशाल क्षेत्र में विस्तृत है। इस क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण उत्पादक डिगबोई, नहरकटिया, मोरान, रुद्रसागर, गालेकी और हुगरीजन हैं।

2. गुजरात प्रदेश – इस प्रदेश के मुख्य उत्पादक अंकलेश्वर, कलोन, नवगाँव, कोसांबा, कठना, बरकोल, मेहसाना, सनंद और ल्यूनेज हैं। सौराष्ट्र के भावनगर से 45 किमी दूर पश्चिम में अलियाबेट द्वीप में भी तेल मिलता है।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 7 Mineral and Energy Resources 1
3. मुम्बई हाई – यह मुम्बई तट के समीप मुम्बई से 176 किमी दूर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यहाँ सन् 1975 में तेल की खोज का कार्य आरम्भ किया गया। यहाँ सागर सम्राट नामक मंच बनाया गया है। अनुमान है कि यहाँ पर 80 करोड़ टन तेल संगृहीत है। मुम्बई हाई के दक्षिण में एक और तेल क्षेत्र बेसीन की खोज हुई है। यहाँ के भण्डार मुम्बई के तेल भण्डारों से बड़े माने जा रहे हैं।

4. पूर्वी तट प्रदेश – यह प्रदेश कृष्णा-गोदावरी और कावेरी की द्रोणियों में विस्तृत है। नारीमनम और कोविलप्पल कावेरी द्रोणी के प्रमुख तेल क्षेत्र हैं।

5. अन्य – राजस्थान के जैसलमेर व बाड़मेर जिलों में भी तेल के भण्डार मिले हैं।

(ii) भारत में जलविद्युत पर एक निबन्ध लिखें।
उत्तर:
भारत में जलविद्युत
सबसे सस्ती विद्युत जलविद्युत है। उसके अलावा जलविद्युत ऊर्जा का नवीकरणीय, स्वच्छ, परिमित्र और सदा रहने वाला स्रोत है।

भारत में प्रथम जलविद्युत केन्द्र सन् 1897 में दार्जिलिंग में शुरू किया गया। इसके बाद सन् 1902 में कर्नाटक में शिवसमुद्रम में जलविद्युत केन्द्र की स्थापना हुई। इसके बाद जम्मू और कश्मीर तथा महाराष्ट्र में जल-विद्युत परियोजनाएं शुरू की गईं। जलविद्युत का वास्तविक विकास आजादी के बाद पंचवर्षीय योजनाओं के लागू होने पर हुआ।

सन् 1947 में देश की कुल जलविद्युत उत्पादन क्षमता 508 मेगावाट. थी जो कि 2006-07 में 34.7 हजार मेगावाट हो गयी। 1950-51 में इसकी भागीदारी 49 प्रतिशत थी, जो कि 2006-07 में घटकर केवल 16.9 प्रतिशत रह गई। देश में ऊर्जा संकट के सन्दर्भ में जलविद्युत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुमान के अनुसार देश में 84,000 मेगावाट जलविद्युत की सम्भावित उत्पादन क्षमता है।

जलविद्युत उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ

  • प्राकृतिक जल प्रपात
  • कृत्रिम जल प्रपात
  • निरन्तर जल प्रवाह
  • उपयुक्त जलवायु
  • स्वच्छ जल
  • उपभोग के लिए माँग
  • पर्याप्त पूँजी आदि।

भारत में जलविद्युत उत्पादन में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय जलविद्युत निगम, उत्तर-पूर्व ऊर्जा निगम (नीपको), सतलुज जलविद्युत निगम, टिहरी जलविद्युत विकास निगम, भाखड़ा-व्यास प्रबन्धन बोर्ड तथा दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गई है।

UP Board Class 12 Geography Chapter 7 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 7 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
खनिज किसे कहते हैं? खनिज संसाधनों के प्रकारों को समझाइए।
उत्तर:
खनिज का अर्थ – धरातल अथवा भूगर्भ से खोदकर प्राप्त की जाने वाली वस्तुओं को ‘खनिज’ कहा जाता है।

“खनिज प्राकृतिक रूप से मिलने वाले वे कार्बनिक या अकार्बनिक उत्पत्ति वाले पदार्थ होते हैं जिनकी अपनी एक परमाणवीय संरचना, निश्चित रासायनिक संघटन तथा भौतिक गुण-धर्म होते हैं।”
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 7 Mineral and Energy Resources 2

1. धात्विक खनिज – धात्विक खनिज वे खनिज हैं जिन्हें गलाने से धातु प्राप्त होती हैं; जैसे-लोहा, मैंगनीज, बॉक्साइट, टिन, ताँबा, चाँदी, सोना व जस्ता इत्यादि। ये खनिज आग्नेय व कायान्तरित चट्टानों में मिलते हैं। इन खनिजों से प्राप्त धातुओं को पीटकर या गलाकर विभिन्न आकारों में ढाला जा सकता है।
धात्विक खनिजों के पुन: दो वर्ग हैं

  • लोहयुक्त खनिज-लौह-अयस्क, मैंगनीज, टंगस्टन, निकिल आदि।
  • अलौहयुक्त खनिज-सोना, चाँदी, ताँबा, सीसा, बॉक्साइट, टिन आदि।

2. अधात्विक खनिज – इन खनिजों से धातु प्राप्त नहीं होती। उत्पत्ति के आधार पर अधात्विक खनिज कार्बनिक अथवा अकार्बनिक दोनों प्रकार के हो सकते हैं। ये खनिज अवसादी चट्टानों में पाए जाते हैं।
अधात्विक खनिजों के दो वर्ग हैं

  • अधात्विक कार्बनिक खनिज (ईंधन खनिज)-कोयला, खनिज तेल और प्राकृतिक गैस।
  • अधात्विक अकार्बनिक खनिज (अन्य अधात्विक खनिज)-चूना पत्थर, गन्धक, जिप्सम, अभ्रक, नमक आदि।

प्रश्न 2.
खनिजों की सामान्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
खनिजों की सामान्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • प्रायः प्रत्येक खनिज दो अथवा दो से अधिक रासायनिक तत्त्वों से मिलकर बना होता है। उदाहरणत: क्वार्ट्स सिलिकन व ऑक्सीजन से मिलकर बना है।
  • कुछ खनिज एक ही तत्त्व से बने हुए पाए जाते हैं; जैसे-सोना, ताँबा, सीसा, ग्रेफाइट व गन्धक आदि। . .
  • अधिकांश खनिज ठोस, जड़, अजैव अथवा अकार्बनिक होते हैं। केवल कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे खनिज कार्बनिक पदार्थ हैं जो क्रमश: ठोस, तरल एवं गैस के रूप में पाए जाते हैं।
  • पृथ्वी के आन्तरिक भाग में पाया जाने वाला मैग्मा ही सभी खनिजों का मूल स्रोत है। मैग्मा के ठण्डा होने पर ही खनिजों के क्रिस्टल बनने लगते हैं।
  • खनिजों का नवीकरण हमारी आवश्यकताओं के अनुकूल नहीं हो पाता, क्योंकि इनका निर्माण भूगर्भिक प्रक्रियाओं द्वारा लाखों वर्षों में होता है, अत: इनका संरक्षण अनिवार्य है।
  • खनिज पृथ्वी पर असमान रूप से वितरित हैं।
  • खनिजों की मात्रा व गुण में ऋणात्मक सह-सम्बन्ध पाया जाता है अर्थात् मूल्यवान खनिज अत्यन्त अल्प मात्रा में और कम मूल्यवान खनिज विस्तृत क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 7 Mineral and Energy Resources

प्रश्न 3.
जलविद्युत उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जलविद्युत उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ निम्नलिखित हैं

  • प्राकृतिक जलप्रपात – जलविद्युत का उत्पादन लगातार ऊँचाई से गिरते जल से होता है। प्राकृतिक जलप्रपात में यह सुविधा निहित है।
  • कृत्रिम जलप्रपात – यदि प्राकृतिक जलप्रपात न हो तो नदियों पर बाँध बनाकर कृत्रिम जलप्रपात बनाकर जलविद्युत तैयार की जा सकती है। ‘
  • निरन्तर जल प्रवाह – जलविद्युत उत्पादन के लिए निरन्तर जल प्रवाह आवश्यक है।
  • उपयुक्त जलवायु – अत्यधिक ठण्डे जलवायु वाले भागों में जल जम सकता है; इसलिए विद्युत बनाने में बाधा उत्पन्न हो सकती है, लेकिन भारत की जलवायु इसके लिए अनुकूल है।
  • स्वच्छ जल – जल में रेत, बजरी इत्यादि से मशीनें खराब हो सकती हैं, अत: स्वच्छ जल होना आवश्यक है।
  • उपभोग के लिए माँग – बिजली का उपभोग उत्पादन के तुरन्त बाद ही होना चाहिए; इसलिए उपभोग के क्षेत्र समीप होने चाहिए।
  • पर्याप्त पूँजी-इसके लिए पर्याप्त पूँजी की आवश्यकता होती है। बड़ी-बड़ी परियोजनाओं के निर्माण, में अत्यधिक पूँजी होनी चाहिए।

प्रश्न 4.
खनिज संसाधनों के संरक्षण के उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
खनिज संसाधनों के संरक्षण के उपाय निम्नलिखित हैं
(1) खनिजों को भू-गर्भ से निकालने, साफ करने व गलाने की तकनीक जितनी अधिक सक्षम होगी, खनिज हमें उतनी ही अधिक मात्रा में उपलब्ध होंगे। संसाधन उपयोग के परम्परागत तरीकों के परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में अपशिष्ट के साथ-साथ अन्य पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं।

(2) धात्विक खनिजों के मामले में स्क्रैप या कबाड़ धातुओं का उपयोग धातुओं का पुनर्चक्रण सम्भव करेगा। इससे ताँबा, सीसा व जस्ते जैसी धातुओं का बोझ कम होगा जिनके भारत में भण्डार पर्याप्त हैं।

(3) अत्यल्प धातुओं के स्थान पर यदि हम प्रतिस्थापनों का उपयोग करें तो हम उनकी खपत को घटा सकते हैं।

(4) सामरिक और अत्यल्प खनिजों के निर्यातों को भी घटाया जाना चाहिए ताकि वर्तमान आरक्षित भण्डारों का लम्बे समय तक प्रयोग किया जा सके।

(5) धातुओं को उनके प्राकृतिक क्षरण की प्रक्रिया से सुरक्षा होने पर इनका संरक्षण हो सकता है। धातुओं से बनी वस्तुओं व उपकरणों पर पेण्ट, ग्रीस, तेल का उपयोग करके उनका जीवन बढ़ाया जा सकता है।
(6) हमें ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों, जो असमाप्य हैं, पर अपनी निर्भरता बढ़ानी होगी। वे स्रोत हैं-सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा व भू-तापीय ऊर्जा।

(7) उद्योगों का विद्युतीकरण करने से भी जीवाश्म ईंधन को बचाया जा सकता है।

(8) संसाधनों की मितव्ययिता को हर व्यक्ति को अपनी जीवन-शैली का अंग बनाना होगा।

लघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लौहयुक्त खनिज एवं अलौहयुक्त खनिज में अन्तर को समझाइए।
उत्तर:
लोहयुक्त खनिज – जिन खनिजों में लौह अंश पाया जाता है, उन्हें ‘लौहयुक्त धात्विक खनिज’ कहा जाता है। इनके प्रमुख उदाहरण लौह-अयस्क, मैंगनीज, टंगस्टन, निकिल इत्यादि हैं।

अलौहयुक्त खनिज – इन खनिजों में लौह अंश नहीं पाया जाता। इनके मुख्य उदाहरण सोना, चाँदी, ताँबा, सीसा, बॉक्साइट, टिन व मैगनीशियम इत्यादि हैं।

प्रश्न 2.
भारत में खनिजों का अन्वेषण करने वाले संस्थानों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में खनिजों की छानबीन तथा उनके स्रोतों का पता लगाने का कार्य निम्नलिखित संस्थान करते हैं

  • जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया (GSI)
  • ऑयल एण्ड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC)
  • मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पोरेशन लि. (MECL)
  • नेशनल मिनरल डेवलपमेण्ट कॉर्पोरेशन (NMDC)
  • इण्डियन ब्यूरो ऑफ माइन्स (IBM)
  • भारत गोल्ड माइन्स लि० (BGML)
  • हिन्दुस्तान कॉपर लि० (HCL)
  • नेशनल ऐलुमीनियम कम्पनी लि० (NALCO) एवं
  • विभिन्न राज्यों के खनन एवं भूगर्भशास्त्र विभाग।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 7 Mineral and Energy Resources

प्रश्न 3.
लोहे को आर्थिक उन्नति का बैरोमीटर क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
लोहा, आर्थिक उन्नति का बैरोमीटर-सुई, कील, बर्तन, चाकू व छुरियों जैसे रोजमर्रा की सामान्य वस्तुओं से लेकर भारी-भरकम मशीनों, मशीनी औजारों, भवनों व कारखानों के निर्माण तथा रेलगाड़ियों, जहाजों व परिवहन और संचार के सभी साधनों में लोहे का प्रयोग होता है। लोहे के बिना आधुनिक जीवन-शैली की कल्पना भी सम्भव नहीं। उपर्युक्त सभी कारणों की वजह से लोहे को आर्थिक उन्नति का बैरोमीटर कहा जाता है।

प्रश्न 4.
लोहे का प्रयोग अन्य धातुओं की तुलना में अधिक किए जाने के क्या कारण हैं? अथवा लोहा धातु की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
लोहा धातु की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • लोहा भारी, कठोर, सबल व टिकाऊ होता है।
  • यह अधिक मात्रा में सुलभ होने के कारण सस्ता भी है।
  • घातवर्ध्यता के गुण से युक्त होने के कारण लोहे को चादरों के रूप में ढाला व तारों के रूप में खींचा जा सकता है।
  • लोहे में अन्य धातुएँ मिलाकर मिश्रधातुएँ बनाई जाती हैं जो लोहे से भी कठोर साबित होती हैं।
  • लोहे का चक्रीय उपयोग सम्भव है।

प्रश्न 5.
लोहे के प्रकारों को समझाइए।
उत्तर:
लोहे के प्रकार-लोहांश की मात्रा के आधार पर लौह-अयस्क चार प्रकार के होते हैं

  • मैग्नेटाइट – यह काले रंग का सर्वोत्तम चुम्बकीय लौह-अयस्क होता है। इसमें धातु का अंश 72 प्रतिशत तक होता है।
  • हैमेटाइट – इसमें धातु का अंश 60 से 70 प्रतिशत तक होता है। यह अयस्क लाल व भूरे रंग का होता है।
  • लिमोनाइट – इस पीले या बादामी रंग के अयस्क में लोहे का अंश 40 से 60 प्रतिशत तक होता है।
  • सिडेराइट – यह निम्न श्रेणी का अयस्क है। इसका रंग भूरा व राख के समान होता है। इसमें लोहे की मात्रा 48 प्रतिशत तक होती है।

प्रश्न 6.
मैंगनीज के उपयोग को समझाइए।
उत्तर:
मैंगनीज के उपयोग – युद्धक टैंक के लिए, तोप के गोलों से भी न टूटने वाली इस्पात की चादर बनानी हो या आपकी प्रात:कालीन चाय के लिए चीनीमिट्टी का मनमोहक प्याला बनाना हो, दोनों ही दशाओं में मैंगनीज की आवश्यकता होती है। इसका सर्वाधिक उपभोग इस्पात बनाने में किया जाता है। बिजली का सामान, काँच, ब्लीचिंग पाउडर, दवाएँ, सूखी बैटरी, सोने के आभूषणों पर मीना करने के लिए, वार्निश तथा रसायन उद्योगों में मैंगनीज का उपयोग होता है, अत: इसे ‘बहु उपयोगी’ या ‘Jack Mineral’ भी कहते हैं।

प्रश्न 7.
बॉक्साइट के उपयोग को समझाइए।
उत्तर:
बॉक्साइट के उपयोग – बॉक्साइट एक ऐसा कच्चा पदार्थ है जिससे ऐलुमीनियम बनाया जाता है। भार में हल्की होने के कारण ऐलुमीनियम का वायुयान निर्माण में खूब प्रयोग किया जाता है। ऐलुमीनियम का प्रयोग रेल के डिब्बे, मोटर तथा कार बनाने के लिए भी किया जाता है। वर्तमान में तो इसका प्रयोग बिजली की तारें, बर्तन तथा वैज्ञानिक यन्त्र व उपकरण बनाने में भी होने लगा है।

प्रश्न 8.
ताँबे के गुण/उपयोगिता/महत्त्व को समझाइए।
उत्तर-:
ताँबे के गुण/उपयोगिता/महत्त्व – ताँबा एक अत्यन्त उपयोगी अलौह धातु है। विद्युत का उत्तम चालक होने के कारण ताँबे का प्रयोग मोटरों, ट्रांसफार्मरों तथा जनरेटरों जैसे विद्युत उपकरणों तथा टेलीफोन एवं टेलीग्राफ उपकरणों के निर्माण में किया जाता है। इसके बर्तन व सिक्के भी बनाए जाते हैं। आभूषणों को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए ताँबे को स्वर्ण के साथ भी मिलाया जाता है। ताँबा एक मिश्रधातु योग्य, आघातवर्ध्य तथा तन्य धातु है।

प्रश्न 9.
धात्विक खनिज और अधात्विक खनिज में अन्तर समझाइए।
उत्तर:
धात्विक खनिज और अधात्विक खनिज में अन्तर

क्र० सं० धात्विक खनिज अधात्विक खनिज
1. इन खनिजों को गलाने से धातु प्राप्त होती है। इन खनिजों को गलाने से धातु प्राप्त नहीं होती है।
2. ये खनिज आग्नेय व कायान्तरित चट्टानों में पाए जाते हैं। ये खनिज अवसादी चट्टानों में पाए जाते हैं।
3. ये खनिज चोट मारने से टूटते नहीं हैं।

उदाहरण – लोहा, मैंगनीज, बॉक्साइट, टिन, ताँबा, सोना, चाँदी व जस्ता आदि।

ये खनिज चोट मारने से टूट जाते हैं।

 

उदाहरण – चूना पत्थर, जिप्सम, गन्धक, अभ्रक, नमक आदि।

प्रश्न 10.
तापविद्युत की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
तापविद्युत की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • तापविद्युत कोयला, डीजल अथवा परमाणु ऊर्जा से तैयार की जाती है।
  • ये साधन समाप्य साधन हैं, इसी कारण अधिक खर्चीले हैं।
  • ये पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।
  • तापविद्युत संयन्त्र कोयला अथवा परमाणु ऊर्जा के संसाधनों के समीप ही बनाए जाते हैं।

प्रश्न 11.
जलविद्युत के लक्षणों को समझाइए।
उत्तर:
जलविद्युत के लक्षण (विशेषताएँ) निम्नलिखित हैं

  • जलविद्युत एक असमाप्य संसाधन है।
  • यह प्रदूषणरहित है।
  • यह कम खर्चीला साधन है।
  • यह नदियों पर बाँध बनाकर तैयार की जाती है।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 7 Mineral and Energy Resources

प्रश्न 12.
पेट्रोलियम के उपयोग व महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
पेट्रोलियम का उपयोग एवं महत्त्व – पेट्रोलियम का अधिकांश उपयोग मोटरवाहनों, रेल और वायुयानों के अन्तर-दहन को चलाने के लिए किया जाता है। इसके अनेक सह-उत्पाद, पैट्रो-रसायन उद्योगों; जैसे कि उर्वरक, स्नेहकों, कृत्रिम रबड़, कृत्रिम रेशे, दवाइयाँ, वैसलीन, मोम, साबुन व सौन्दर्य प्रसाधनों के निर्माण में उपयोग में लाए जाते हैं।

प्रश्न 13.
खनिज तेल (पेट्रोलियम) की उत्पत्ति को समझाइए।
उत्तर:
खनिज तेल (पेट्रोलियम) की उत्पत्ति – खनिज तेल टर्शियरी युग की बालू और चूने की अवसादी शैलों में उसी तरह विद्यमान रहता है जैसे स्पंज में जल। करोड़ों वर्षों तक बड़ी मात्रा में कीचड़, मिट्टी और बालू आदि में वनस्पति एवं जीवों के दबे रहने, उन पर गर्मी, दबाव, रसायन, जीवाणु और रेडियो-सक्रियता आदि क्रियाओं के प्रभाव के फलस्वरूप खनिज तेल की उत्पत्ति होती है।

प्रश्न 14.
जैव ऊर्जा पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जैव ऊर्जा — जैविक उत्पादों से प्राप्त की जाने वाली ऊर्जा को जैव ऊर्जा कहा जाता है। जैविक उत्पादों में कृषि अवशेष, नगरपालिका द्वारा एकत्रित अवशेष, औद्योगिक तथा अन्य अपशिष्ट शामिल होते हैं। जैव-ऊर्जा ऊर्जा परिवर्तन का सम्भावित स्रोत है। इसे बिजली, ताप ऊर्जा अथवा खाना बनाने के लिए प्रयुक्त गैस में परिवर्तित किया जा सकता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
खनिज किसे कहते हैं?
उत्तर:
धरातल अथवा भू-गर्भ से खोदकर प्राप्त की जाने वाली वस्तुओं को ‘खनिज’ कहा जाता है।

प्रश्न 2.
धात्विक खनिज किसे कहते हैं?
उत्तर:
धात्विक खनिज वे खनिज हैं जिन्हें गलाने से धातु प्राप्त होती है; जैसे—लोहा, मैंगनीज, बॉक्साइट, ताँबा आदि।

प्रश्न 3.
लौहयुक्त खनिज से आपका क्या आशय है?
उत्तर:
जिन खनिजों में लौह अंश पाया जाता है, उन्हें ‘लौहयुक्त धात्विक खनिज’ कहा जाता है; जैसे-लौह-अयस्क, मैंगनीज, टंगस्टन, निकिल आदि।

प्रश्न 4.
अलौहयुक्त खनिज क्या है?
उत्तर:
जिन खनिजों में लौह अंश नहीं पाया जाता है, उन्हें ‘अलौहयुक्त खनिज’ कहा जाता है, जैसे-सोना, चाँदी, ताँबा, सीसा आदि।

प्रश्न 5.
अधात्विक खनिज क्या है?
उत्तर:
वे खनिज जिनसे धातु प्राप्त नहीं होती ‘अधात्विक खनिज’ कहलाते हैं; जैसे-कोयला, खनिज तेल और प्राकृतिक गैस आदि।

प्रश्न 6.
धात्विक व अधात्विक खनिज के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
धात्विक खनिज के उदाहरण

  • लौह-अयस्क
  • मैंगनीज।

अधात्विक खनिज के उदाहरण

  • चूना पत्थर
  • अभ्रक।

प्रश्न 7.
कार्बनिक एवं अकार्बनिक अधात्विक खनिज के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कार्बनिक अधात्विक खनिज के उदाहरण

  • कोयला
  • खनिज तेल।

अकार्बनिक अधात्विक खनिज के उदाहरण

  • चूना पत्थर
  • अभ्रक।

प्रश्न 8.
लौह-अयस्क के प्रकार बताइए।
उत्तर:
लौह-अयस्क के प्रकार

  • मैग्नेटाइट
  • हैमेटाइट
  • लिमोनाइट एवं
  • सिडेराइट।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 7 Mineral and Energy Resources

प्रश्न 9.
‘Jack Mineral’ किसे और क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
‘Jack Mineral’ मैंगनीज को उसके बहुआयामी गुण के कारण कहा जाता है।

प्रश्न 10.
बॉक्साइट से क्या बनाया जाता है?
उत्तर:
बॉक्साइट से ऐलुमीनियम बनाया जाता है।

प्रश्न 11.
अभ्रक का उपयोग बताइए।
उत्तर:
अभ्रक का उपयोग मुख्यतः विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में किया जाता है।

प्रश्न 12.
परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना अगस्त 1948 में की गई।

प्रश्न 13.
GAIL का पूरा नाम बताइए।
उत्तर:
‘Gas Authority of India Ltd.’

प्रश्न 14.
जैव ऊर्जा क्या है?
उत्तर:
जैविक उत्पादों से प्राप्त की जाने वाली ऊर्जा ‘जैव ऊर्जा’ कहलाती है।

प्रश्न 15.
भू-तापीय ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
भू-गर्भ में विद्यमान ऊर्जा की अपार राशि को ‘भू-तापीय ऊर्जा’ कहते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अलौहयुक्त खनिज का उदाहरण है
(a) सोना
(b) चाँदी
(c) ताँबा
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 2.
खनिजों का अन्वेषण करने वाला संस्थान है
(a) GSI
(b) MECL
(c) NMDC
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
अधात्विक खनिज है
(a) नमक
(b) अभ्रक
(c) जिप्सम
(d) ये सभी।
उत्तर:
(d) ये सभी।

प्रश्न 4.
भारीपन, कठोरता, सबलता व टिकाऊपन आदि किस खनिज का गुण है
(a) लौह-अयस्क
(b) मैंगनीज
(c) ताँबा
(d) बॉक्साइट।
उत्तर:
(a) लौह-अयस्क।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 7 Mineral and Energy Resources

प्रश्न 5.
सर्वश्रेष्ठ किस्म का लौह-अयस्क है
(a) मैग्नेटाइट
(b) हैमेटाइट
(c) लिमोनाइट
(d) सिडेराइट।
उत्तर:
(a) मैग्नेटाइट।

प्रश्न 6.
कोयले की संचित राशि तथा उत्पादन दोनों ही दृष्टि से देश का कौन-सा राज्य प्रथम स्थान पर है
(a) झारखण्ड
(b) छत्तीसगढ़
(c) बिहार
(d) ओडिशा।
उत्तर:
(a) झारखण्ड।

प्रश्न 7.
तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग का स्थापना वर्ष है
(a) सन् 1956
(b) सन् 1958
(c) सन् 1960
(d) सन् 1962
उत्तर:
(a) सन् 1956

प्रश्न 8.
परमाणु ऊर्जा संस्थान की स्थापना कब की गई.
(a) सन् 1954
(b) सन् 1956
(c) सन् 1960
(d) सन् 1963
उत्तर:
(a) सन् 1954

प्रश्न 9.
जैविक उत्पाद है
(a) कृषि अवशेष
(b) नगरपालिका द्वारा एकत्रित अवशेष
(c) औद्योगिक अपशिष्ट
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 10.
बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है
(a) ओडिशा
(b) झारखण्ड
(c) आन्ध्र प्रदेश
(d) कर्नाटक।
उत्तर:
(a) ओडिशा।

UP Board Solutions for Class 12 Geography

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 Manufacturing Industries

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 Manufacturing Industries

UP Board Class 12 Geography Chapter 8 Text Book Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 8 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए-

(i) कौन-सा औद्योगिक अवस्थापना का एक कारण नहीं है-
(क) बाजार
(ख) पूँजी
(ग) जनसंख्या घनत्व
(घ) ऊर्जा।
उत्तर:
(ग) जनसंख्या घनत्व।

(ii) भारत में सबसे पहले स्थापित की गई लौह-इस्पात कम्पनी निम्नलिखित में से कौन-सी है-
(क) भारतीय लौह एवं इस्पात कम्पनी (आई०आई०एस०सी०ओ०)
(ख) टाटा लौह एवं इस्पात कम्पनी (टी०आई०एस०सी०ओ०)
(ग) विश्वेश्वरैया लौह तथा इस्पात कारखाना
(घ) मैसूर लोहा तथा इस्पात कारखाना।
उत्तर:
(ख) टाटा लौह एवं इस्पात कम्पनी (टी०आई०एस०सी०ओ०)।

(iii) मुम्बई में सबसे पहला सूती वस्त्र कारखाना स्थापित किया गया, क्योंकि-
(क) मुम्बई एक पत्तन है
(ख) यह कपास उत्पादक क्षेत्र के निकट स्थित है
(ग) मुम्बई एक वित्तीय केन्द्र था
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 Manufacturing Industries

(iv) हुगली औद्योगिक प्रदेश का केन्द्र है-
(क) कोलकाता-हावड़ा
(ख) कोलकाता-रिशरा
(ग) कोलकाता-मेदनीपुर
(घ) कोलकाता-कोन नगर।
उत्तर:
(क) कोलकाता-हावड़ा।

(v) निम्नलिखित में से कौन-सा चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है-
(क) महाराष्ट्र
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग) पंजाब
(घ) तमिलनाडु।
उत्तर:
(ख) उत्तर प्रदेश।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें-

(i) लोहा-इस्पात उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है, ऐसा क्यों?
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग के विकास ने भारत में औद्योगीकरण के द्वार खोल दिए हैं। लगभग सभी क्षेत्र लोहा-इस्पात उद्योग पर निर्भर करते हैं। लोहा-इस्पात उद्योग में अन्य उद्योगों के लिए मशीनीकरण उपकरण आदि तैयार होते हैं। इसके विभिन्न उत्पाद अन्य उद्योगों के लिए कच्चा माल हैं। जीवन का प्रत्येक क्षेत्र लोहे से प्रभावित है; इसलिए यह उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है।

(ii) सूती वस्त्र उद्योग के दो सेक्टरों के नाम बताइए। वे किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
भारतीय सूती वस्त्र उद्योग दो सेक्टरों में विभक्त है-

  1. संगठित एवं
  2. विकेन्द्रित सेक्टर।

संगठित सेक्टर में मिल उद्योग शामिल किए जाते हैं, जबकि विकेन्द्रित सेक्टर में हथकरघों (खादी सहित) तथा विद्युत करघों में उत्पादित कपड़ा आता है।

(iii) चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग क्यों है?
उत्तर:
चीनी उद्योग मूलत: गन्ने पर आधारित है और गन्ना एक मौसमी फसल है, अत: भारत में चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग है।

(iv) पेट्रो-रासायनिक उद्योग के लिए कच्चा माल क्या है? इस उद्योग के लिए कुछ उत्पादों के नाम बताइए।
उत्तर:
पेट्रो-रासायनिक उद्योग के लिए कच्चा माल खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस है। इस उद्योग के प्रमुख उत्पाद हैं

  1. बहुलक,
  2. कृत्रिम रेशे,
  3. प्रत्यास्थापक एवं
  4. पृष्ठ सक्रियक मध्यवर्ती।

(v) भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रान्ति के प्रमुख प्रभाव क्या हैं?
उत्तर:
सूचना प्रौद्योगिकी का भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है। सूचना प्रौद्योगिकी ने देश में आर्थिक और सामाजिक विकास की नई सम्भावनाएँ खोल दी हैं। इसने व्यापार प्रक्रिया को बाह्य स्रोत सम्बन्धी बना दिया है। भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से उभरकर आया है जिसके द्वारा व्यापार तथा अन्य क्षेत्रों में तेजी से विकास हुआ है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें-

(i) ‘स्वदेशी’ आन्दोलन ने सूती वस्त्र उद्योग को किस प्रकार विशेष प्रोत्साहन दिया?
उत्तर:
‘स्वदेशी’ आन्दोलन ने भारतीय सूती वस्त्र उद्योग को बहुत प्रोत्साहित किया। इस आन्दोलन में ब्रिटेन में बने वस्त्रों का बहिष्कार किया गया और भारतीय सामानों को उपयोग में लाने का आह्वान किया गया। ब्रिटेन में निर्मित वस्त्रों को आम जनता के सामने जलाया गया ताकि लोग ब्रिटिश वस्त्रों को त्यागकर भारतीय वस्त्रों को अपनाएँ।

(ii) आप उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से क्या समझते हैं? इन्होंने भारत के औद्योगिक विकास में किस प्रकार से सहायता की है?
उत्तर:
उदारीकरण-उदारीकरण आर्थिक विकास की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के स्थान पर निजी क्षेत्र में उद्योगों को चलाने पर बल दिया जाता है तथा उन सब नियमों और प्रतिबन्धों में छूट दी जाती है जिससे पहले निजी क्षेत्र के विकास में रुकावट आती है।

निजीकरण—निजीकरण से अभिप्राय है कि सरकार द्वारा लगाए गए उद्योगों को निजी क्षेत्र में स्थापित किया जाए। इससे सार्वजनिक क्षेत्र का महत्त्व कम होगा।

वैश्वीकरण-वैश्वीकरण से अभिप्राय है-देश की अर्थव्यवस्था को संसार की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करने की प्रक्रिया। इसके अधीन आयात पर प्रतिबन्ध तथा आयात शुल्क में कमी की गई। इस प्रक्रिया में एक देश के पूँजी संसाधनों के साथ-साथ वस्तुएँ और सेवाएँ, श्रमिक तथा अन्य संसाधन एक-दूसरे में स्वतन्त्रतापूर्वक आ-जा सकते हैं।

उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण का भारत के औद्योगिक विकास पर प्रभाव-

  1. विदेशी पूँजी का सीधा निवेश किया जा सकता है।
  2. व्यापारिक प्रतिबन्ध समाप्त हो जाते हैं, जिससे देश में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आने में सुविधा होती है।
  3. भारतीय कम्पनियों को विदेशी कम्पनियों के साथ प्रवेश करने का अवसर मिलता है।
  4. उदारीकरण कार्य से आयात किया जा सकता है, आदि।

UP Board Class 12 Geography Chapter 8 Other Important Questions

UP Board Class 12 Geography Chapter 8 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों के प्रमुख प्रकार (वर्गीकरण) निम्नलिखित हैं-

  1. सार्वजनिक सेक्टर उद्योग-सार्वजनिक सेक्टर उद्योग सरकार द्वारा नियन्त्रित कम्पनियाँ या निगम होते हैं, जिन्हें सरकार फण्ड प्रदान करती है। इस सेक्टर में सामान्यतः सामरिक और राष्ट्रीय महत्त्व के उद्योग-धन्धे आते हैं। भिलाई, दुर्गापुर, राउरकेला व विशाखापत्तनम में स्थित लौह-इस्पात संयन्त्र सार्वजनिक सेक्टर के उद्योगों के उदाहरण हैं।
  2. व्यक्तिगत या निजी सेक्टर उद्योग-जिन उद्योगों का स्वामित्व एक व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों या किसी परिवार के पास होता है वे ‘व्यक्तिगत सेक्टर के उद्योग’ कहलाते हैं। सोनीपत की एटलस साईकिल, फरीदाबाद की बाटा शू कम्पनी तथा धारूहेड़ा (गुरुग्राम) की हीरो कम्पनी व्यक्तिगत सेक्टर के उद्योगों के उदाहरण हैं।
  3. सहकारी सेक्टर के उद्योग-जब कुछ लोग एक सहकारी समिति बनाकर किसी उद्योग को चलाते हैं तो उसे ‘सहकारी उद्योग’ कहते हैं। ये लोग ही मुख्यत: उस उद्योग के कच्चे माल के उत्पादक होते हैं। सहकारी चीनी मिलें और सहकारी डेयरी उद्योग, दुग्ध उद्योग, हैण्डलूम इकाइयाँ इसके उदाहरण हैं।
  4. मिश्रित सेक्टर के उद्योग-ये वे उद्योग हैं जिन्हें सरकार व निजी व्यक्ति सामूहिक रूप से चलाते हैं।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 Manufacturing Industries

प्रश्न 2.
TISCO को प्राप्त भौगोलिक सुविधाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
TISCO को प्राप्त भौगोलिक सुविधाएँ निम्नलिखित हैं-

  1. इस कारखाने के लिए उच्चकोटि का लौह-अयस्क गुरुमहिषानी पहाड़ियों एवं झारखण्ड के सिंहभूम जिले की नोआमंडी खानों से प्राप्त होता है।
  2. कोयला रानीगंज तथा झरिया की खानों से प्राप्त होता है।
  3. मैंगनीज नोआमंडी से प्राप्त होता है।
  4. चूना पत्थर तथा डोलोमाइट बीरमित्रपुर, हाथी बाड़ी, बिसरा, बड़ाद्वार, कटनी और पनपोश की खानों से प्राप्त होते हैं।
  5. भट्ठियों के अन्दर लिपाई के लिए क्वार्टजाइट बालू कालीमाटी नामक नदी से व टंगस्टन मिदिनापुर से प्राप्त होती है।
  6. सुबर्णरेखा नदी की बालू (रेत) लोहा ढालने के लिए उपयुक्त है।
  7. यह कारखाना सुबर्णरेखा और खारकोई नदियों के संगम पर बना हुआ है, अत: शीतल जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
  8. श्रमिक गंगा नदी के सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों और छोटा नागपुर पठार क्षेत्र से उपलब्ध हो जाते हैं।
  9. यह कारखाना रेलमार्ग तथा राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा कोलकाता, मुम्बई और चेन्नई से जुड़ा है, अत: कच्चा माल प्राप्त करने व निर्मित माल भेजने की बहुत सुविधा है।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 Manufacturing Industries 1

प्रश्न 3.
मुम्बई में सूती वस्त्र उद्योग की उल्लेखनीय उन्नति के कारणों को समझाइए।
उत्तर:
मुम्बई में सूती वस्त्र उद्योग की उल्लेखनीय उन्नति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  1. मुम्बई के पृष्ठप्रदेश में काली मिट्टी का उपजाऊ क्षेत्र है जहाँ कपास पर्याप्त मात्रा में उगाई जाती है।
  2. समुद्र-तट पर स्थित होने के कारण मुम्बई की जलवायु आर्द्र है। आर्द्र जलवायु में सूत का धागा पतला और लम्बा आता है और बार-बार टूटता नहीं है।
  3. मुम्बई एक प्रमुख बन्दरगाह है, अत: उत्कृष्ट मशीनों, तकनीक और लम्बी रेशे वाली कपास के आयात में सुविधा रहती है। मुम्बई व काण्डला बन्दरगाहों से इन वस्त्रों का निर्यात भी भारी मात्रा में होता है।
  4. पश्चिमी घाट पर टाटा जलविद्युत परियोजना से सस्ती विद्युत-शक्ति प्राप्त हो जाती है, जबकि पहले यह उद्योग पश्चिम बंगाल की कोयला खानों पर निर्भर था।
  5. मुम्बई में पायी जाने वाली परिवहन सुविधा कच्चे माल व श्रमिकों को लाने और निर्मित माल दूर-दूर तक भेजने में बहुत सहायक है।
  6. मुम्बई में पूँजीपतियों व देशी-विदेशी बैंकों का जमाव है, अतः यहाँ पूँजी का अभाव नहीं है।
  7. मुम्बई के निकटवर्ती राज्यों में सस्ते व कुशल श्रमिक आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
  8. यहाँ कपड़े की धुलाई व रँगाई की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

प्रश्न 4.
मुम्बई-पुणे औद्योगिक प्रदेश के विकसित होने के कारणों को समझाइए।
उत्तर:
मुम्बई-पुणे औद्योगिक प्रदेश के विकसित होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  1. इस प्रदेश का प्रमुख उद्योग सूती वस्त्र उद्योग है। इसका मुख्य कारण महाराष्ट्र में काली मिट्टी के प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में कपास का उगना है।
  2. कोयला क्षेत्रों से दूर होने के कारण यहाँ के अधिकांश उद्योग खनिज तेल अथवा विद्युत पर आधारित हैं।
  3. मुम्बई हाई एवं बसीन में खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस के मिलने से यहाँ के औद्योगीकरण को विशेष प्रोत्साहन मिला हुआ है। नाभिकीय ऊर्जा संयन्त्र की स्थापना ने भी इस प्रदेश को अतिरिक्त बल दिया।
  4. मुम्बई देश के सभी भागों से रेल, सड़क एवं वायु मार्गों से जुड़ा हुआ है। इससे कच्चा माल एवं निर्मित माल के परिवहन की सुविधा है।
  5. मुम्बई समुद्री मार्गों के द्वारा सम्पूर्ण विश्व से जुड़ा हुआ है। स्वेज नहर के बन जाने से मिस्र और यूरोपीय देशों के औद्योगिक प्रदेश मुम्बई से जुड़ गए। इससे आयात-निर्यात की सुविधा में वृद्धि हुई।
  6. मुम्बई देश का सबसे बड़ा महानगर है जहाँ अनेक देशी-विदेशी बैंक, बीमा कम्पनियाँ, विदेशी व्यापार की सुविधाएँ एवं पूँजी की पर्याप्त उपलब्धता है। इनसे औद्योगिक विकास तेज होता है।
  7. भारत का यह भाग सघन जनसंख्या से वासित क्षेत्र है जहाँ से न केवल सस्ते श्रमिक उपलब्ध होते हैं बल्कि निर्मित माल की मांग भी उत्पन्न होती है।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 Manufacturing Industries 2

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
स्वतन्त्र उद्योग से क्या आशय है?
उत्तर:
स्वतन्त्र उद्योग-स्वतन्त्र उद्योग वे उद्योग होते हैं जो किसी स्थान विशिष्ट से बँधे नहीं होते। वे थोड़े से लाभों को ध्यान में रखकर किसी भी स्थान पर स्थापित हो जाते हैं, अत: उनके उत्पाद की लागत में थोड़ा-सा फर्क पड़ते ही वे अपना स्थान बदल लेते हैं। स्वतन्त्र उद्योग उन निष्कर्षण उद्योगों से भिन्न होते हैं जो किसी एक कारक अर्थात् कच्चे माल के स्रोत से बँधे होते हैं या उन सेवाओं से जिनका बाजार के समीप होना आवश्यक है अथवा ऐसे उद्योगों से जिनमें भारी पूँजी लगी हुई है और वे अब कभी स्थानान्तरित नहीं किए जा सकते।

प्रश्न 2.
विनिर्माण उद्योग के सिद्धान्त को समझाइए।
उत्तर:
विनिर्माण उद्योग का सिद्धान्त-विनिर्माण उद्योग का एक सिद्धान्त यह है कि स्वरूप बदलने पर यदि वस्तु की क्षमता और उपयोगिता बढ़ती है तो उसका मूल्य भी बढ़ता है। उदाहरणत: कपास की तुलना में सूत का मूल्य अधिक होता है, परन्तु जब सूत से कपड़ा बनाया जाता है तो परिणामस्वरूप उसकी उपयोगिता और मूल्य दोनों बढ़ जाते हैं।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 Manufacturing Industries

प्रश्न 3.
लौह-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों माना जाता है?
उत्तर:
लौह-इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग-लौह-इस्पात उद्योग आधुनिक औद्योगिक एवं आर्थिक विकास की धुरी बन गया है। इसे आधारभूत उद्योग माना जाता है, क्योंकि यह देश के औद्योगिक विकास की बुनियाद की रचना करता है। इसके उत्पाद (स्टील) से ही अन्य उद्योगों की मशीनों व अवसंरचना का निर्माण होता है इसलिए इसे अन्य उद्योगों की जननी भी कहा जाता है।

प्रश्न 4.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के कारणों को समझाइए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. भारत एक उष्ण कटिबन्धीय देश है। सूती वस्त्र पहनना गर्म और आर्द्र जलवायु में आरामदायक रहता है।
  2. भारत में कपास बड़ी मात्रा में पैदा होता है।
  3. देश में इस उद्योग के लिए आवश्यक कुशल श्रमिक बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं।

प्रश्न 5.
चीनी उद्योग की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
उत्तर:
चीनी उद्योग को उन्नत बनाने के सुझाव निम्नलिखित हैं-

  1. चीनी उत्पादन का ढंग आधुनिक करना होगा। .
  2. नई मिलें लगाने के साथ-साथ पुरानी व रुग्ण मिलों को भी ठीक करना होगा ताकि संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जा सके।
  3. प्रयास यह हो कि नई चीनी मिलें केवल गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में ही स्थापित हों ताकि गन्ने का परिवहन कम हो सके।
  4. चीनी उत्पादन पर सरकारी नियन्त्रण का होना आवश्यक है।

प्रश्न 6.
बड़े पैमाने के उद्योग को समझाइए।
उत्तर:
बड़े पैमाने के उद्योग-इन उद्योगों की एक इकाई में बहुत बड़ी संख्या में श्रमिक कार्य करते हैं। इस प्रकार के उद्योग बहुत बड़ी मात्रा में विविध प्रकार का कच्चा माल, पूँजी, शक्ति एवं कुशल श्रम का प्रयोग करते हैं। इन उद्योगों की अन्य विशेषताएँ उच्च गुणवत्ता वाली अत्यधिक मात्रा का उत्पादन और जटिल प्रबन्ध व्यवस्था है। पटसन, सूती कपड़ा, चीनी, मशीनी औजार से सम्बन्धित उद्योग ‘बड़े पैमाने के उद्योग’ कहलाते हैं।

प्रश्न 7.
कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

  1. कृषि आधारित उद्योग; जैसे-सूती वस्त्र उद्योग।
  2. खनिज आधारित उद्योग; जैसे-लोहा एवं इस्पात उद्योग।
  3. वन आधारित उद्योग; जैसे–कागज उद्योग।
  4. उद्योगों के कच्चे माल पर आधारित उद्योग; जैसे—पेट्रो-रसायन उद्योग।

प्रश्न 8.
कृषि आधारित उद्योग किसे कहते हैं? कृषि पर आधारित उद्योगों के दो उदाहरण उनके . कच्चे माल के नामों के साथ दीजिए।
उत्तर:
कृषि आधारित उद्योग-ऐसे उद्योग जिनके उत्पाद के लिए कच्चा माल कृषि से प्राप्त किया जाता है, “कृषि आधारित उद्योग’ कहलाते हैं। उदाहरण

  1. चीनी उद्योग-कच्चा माल गन्ना।
  2. सूती वस्त्र उद्योग-कच्चा माल कपास।

प्रश्न 9.
नई औद्योगिक नीति के उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
नई औद्योगिक नीति के उद्देश्य निम्नलिखित थे-

  1. उद्योगों से मिलने वाले लाभों की निरन्तरता को बनाए रखना।
  2. उद्योगों की कमियों को दूर करना।
  3. उत्पादन वृद्धि की निरन्तरता को बनाए रखना।
  4. रोजगार के नवीन अवसरों का विकास करना।
  5. औद्योगिक उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ाकर अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल करने के योग्य बनाना।

प्रश्न 10.
औद्योगिक समूहन की पहचान के लिए उपयोग में लाए गए सूचकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
स्थानीकरण के अनुकूल कारकों के प्रभाव से उद्योगों के समूहन की पहचान के लिए अनेक मापदण्डों का उपयोग किया जाता है। ये मापदण्ड (सूचक) हैं-

  1. औद्योगिक इकाइयों की संख्या,
  2. औद्योगिक कामगारों की संख्या,
  3. औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग में लायी गई ऊर्जा की मात्रा,
  4. कुल औद्योगिक उत्पादन,
  5. विनिर्माण द्वारा वस्तुओं के मूल्य में परिवर्तन अर्थात् वस्तु की उपयोगिता बढ़ाकर उसे मूल्यवान बनाना।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
विनिर्माण उद्योग से क्या आशय है?
उत्तर:
कच्चे और अर्द्ध-निर्मित माल को मशीनों की सहायता से उपयोगी निर्मित माल में बदलने वाले उद्योग ‘विनिर्माण उद्योग’ कहलाते हैं।

प्रश्न 2.
बड़े पैमाने के उद्योग से क्या आशय है?
उत्तर:
ऐसे उद्योग जिनमें श्रमिकों की संख्या अधिक होती है, बड़े पैमाने के उद्योग कहलाते हैं; जैसे—लोहा-इस्पात उद्योग तथा सूती वस्त्र उद्योग।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 Manufacturing Industries

प्रश्न 3.
मध्यम पैमाने के उद्योग से क्या आशय है?
उत्तर:
वे उद्योग जिनमें बड़े उद्योगों की अपेक्षा थोड़े श्रमिकों की सहायता से उत्पादन कार्य किया जाता है वे मध्यम पैमाने के उद्योग कहलाते हैं। रेडियो, टी०वी० आदि मध्यम पैमाने के उद्योग माने जाते हैं।

प्रश्न 4.
छोटे पैमाने के उद्योग से क्या आशय है?
उत्तर:
ऐसे उद्योग जो स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, जिनमें काम करने वाले श्रमिकों की संख्या कम होती है तथा जिन्हें प्रारम्भ करने के लिए थोड़ी पूँजी की आवश्यकता होती है, वे छोटे पैमाने के उद्योग कहलाते हैं; जैसे-साबुन बनाना, बीड़ी बनाना आदि।

प्रश्न 5.
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले चार कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक-

  1. कच्चे माल की उपलब्धता,
  2. शक्ति के साधन,
  3. बाजार एवं
  4. पूँजी।

प्रश्न 6.
भारत के लोहे और इस्पात के कोई चार कारखानों के नाम लिखिए।
उत्तर:
लोहे और इस्पात के कारखानों के नाम निम्नलिखित हैं-

  1. टाटा लोहा और इस्पात कम्पनी (TISCO), जमशेदपुर;
  2. भारतीय लोहा और इस्पात कम्पनी (IISCO), बर्नपुर;
  3. विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील कम्पनी, भद्रावती एवं
  4. राउरकेला इस्पात कारखाना, भिलाई।

प्रश्न 7.
ज्ञान आधारित उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे उद्योग जिन्हें उत्पादन के लिए विशिष्ट नए ज्ञान, उच्च प्रौद्योगिकी और निरन्तर शोध और अनुसन्धान की आवश्यकता रहती है, ‘ज्ञान आधारित उद्योग’ कहलाते हैं।

प्रश्न 8.
निजीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
निजीकरण का अर्थ है-देश के अधिकतर उद्योगों के स्वामित्व, नियन्त्रण तथा प्रबन्ध का निजी क्षेत्र में किया जाना।

प्रश्न 9.
वैश्वीकरण क्या है?
उत्तर:
मुक्त व्यापार तथा पूँजी और श्रम की मुक्त गतिशीलता द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को अन्य देशों की अर्थव्यवस्था से जोड़ना ‘वैश्वीकरण’ है।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 Manufacturing Industries

प्रश्न 10.
निजी उद्योग से क्या आशय है?
उत्तर:
निजी उद्योग में उद्योग का स्वामित्व किसी एक व्यक्ति, कुछ व्यक्तियों के समूह अथवा कम्पनी के पास होता है।
उदाहरण-टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी।

प्रश्न 11.
सहकारी उद्योग से क्या आशय है?
उत्तर:
जब कुछ लोग एक सहकारी समिति बनाकर किसी उद्योग को चलाते हैं तो उसे ‘सहकारी उद्योग’ कहते हैं।

प्रश्न 12.
उपभोक्ता पदार्थ उद्योग से क्या आशय है?
उत्तर:
ये वे उद्योग हैं जिनके उत्पाद का प्रयोग प्राय: दैनिक जीवन में अधिकतर लोग करते हैं। कागज, पैन, घड़ियाँ, वस्त्र, खाद्य पदार्थ इत्यादि के उद्योग उपभोक्ता उद्योग के उदाहरण हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लोहा तथा इस्पात कारखाना सर्वप्रथम कहाँ लगाया गया-
(a) पश्चिम बंगाल में
(b) उत्तर प्रदेश में
(c) गुजरात में
(d) ओडिशा में।
उत्तर:
(a) पश्चिम बंगाल में।

प्रश्न 2.
टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी कहाँ पर स्थित है-
(a) हजारीबाग
(b) भिलाई
(c) जमशेदपुर
(d) कोलकाता।
उत्तर:
(c) जमशेदपुर।

प्रश्न 3.
भारत में सर्वप्रथम सूती वस्त्र उद्योग कहाँ शुरू हुआ-
(a) कोलकाता
(b) मुम्बई
(c) अहमदाबाद
(d) कानपुर।
उत्तर:
(b) मुम्बई।

प्रश्न 4.
भारत में सर्वप्रथम सूती वस्त्र मिल कब लगाई गई-
(a) सन् 1954 में
(b) सन् 1854 में
(c) सन् 1942 में
(d) सन् 1926 में।
उत्तर:
(b) सन् 1854 में।

प्रश्न 5.
भारत की इलेक्ट्रॉनिक राजधानी किसे कहा जाता है-
(a) बंगलुरु
(b) मुम्बई
(c) कोलकाता
(d) चेन्नई।
उत्तर:
(a) बंगलुरु।

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 Manufacturing Industries

प्रश्न 6.
चीनी उत्पादन में प्रथम स्थान पर है-
(a) उत्तर प्रदेश
(b) महाराष्ट्र
(c) तमिलनाडु
(d) कर्नाटक।
उत्तर:
(b) महाराष्ट्र।

प्रश्न 7.
ज्ञान आधारित उद्योग का उदाहरण है-
(a) सॉफ्टवेयर
(b) चिकित्सा उपकरण
(c) कम्प्यूटर हार्डवेयर
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 8.
नई औद्योगिक नीति की घोषणा कब की गई-
(a) सन् 1991 में
(b) सन् 1994 में
(c) सन् 2001 में
(d) सन् 2011 में।
उत्तर:
(a) सन् 1991 में।

प्रश्न 9.
नई औद्योगिक नीति, 1991 का लक्ष्य है-
(a) उदारीकरण
(b) निजीकरण
(c) वैश्वीकरण
(d) ये सभी।
उत्तर:
(d) ये सभी।

प्रश्न 10.
भिलाई इस्पात संयन्त्र किस राज्य में है
(a) छत्तीसगढ़
(b) मध्य प्रदेश
(c) उत्तर प्रदेश
(d) कर्नाटक।
उत्तर:
(a) छत्तीसगढ़।

UP Board Solutions for Class 12 Geography