UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 16 कौन बनेगा निंगथउ (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 16 कौन बनेगा निंगथउ (राजा) (मंजरी)

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महत्वपूर्ण गद्यांश की व्याख्या

निंगथउ और …………………………… वह मर गया।

संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘कौन बनेगा निंगथउ (राजा)’ नामक पाठ से लिया गया है।

प्रसंग – यह पाठ मणिपुर की एक लोककथा पर आधारित है। इसमें पर्यावरण संरक्षण और जनता से प्रेम की भावना का अनोखा चित्रण हुआ है।

व्याख्या – राजा-रानी युवराज चुनने की इच्छा से अपने तीनों राजकुमारों की उपेक्षा कर अपनी पाँच साल की छोटी लड़की सानातोंबि की तरफ देख रहे थे। वह बरगद के पेड़ के पास उदास खड़ी थी। बरगद का पेड़ मर गया था। उस पर जो घोंसले थे, उनके टूट जाने पर आस-पास के पक्षी फड़फड़ा रहे थे। क्योंकि उन्हें अपने घोंसले नहीं मिल रहे थे। लड़की विचार (UPBoardSolutions.com) कर रही थी कि बरगद के पेड़ को चोट लगी है; जिससे यह जमीन पर गिरकर मर गया है। लड़की के दिल में वेदना थी। इस कारण वातावरण में चुप्पी छाई हुई थी।

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पाठ का सार (सारांश)

बहुत पुराने समय की बात है, मणिपुर के कांगलइपाक राज्य में एक राजा और रानी राज करते थे। वे अपनी प्रजा, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सभी से बहुत प्यार करते थे, लेकिन उनके कोई सन्तान नहीं थी। लोगों की प्रार्थना से उनके एक पुत्र सानाजाउबा ने जन्म लिया। बहुत धूमधाम से उत्सव मनाया गया। इसके बाद फिर उत्सव मनाया गया, जब दूसरे पुत्र सानायाइमा ने जन्म लिया। इसके बाद तीसरा पुत्र सानातोंबा पैदा हुआ। बारह सालों बाद सुन्दर-सी पुत्री सानातोंबि हुई; जो कोमल दिलवाली और बहुत प्यारी थी।

सभी बच्चे जवान होने लगे और राजा बहुत वृद्ध हो चले थे। उन्होंने मंत्रियों को बुलाकर तीनों पुत्रों में से एक को युवराज चुनने की ठानी। बड़ा पुत्र सानाजाउबा को पुरानी प्रथा के अनुसार युवराज बनना चाहिए था; लेकिन पुरानी प्रथा छोड़कर जो सबसे योग्य हो, उसे ही युवराज बनाने की योजना बनी। एक घुड़दौड़ हुई। उसमें तीनों राजकुमार (UPBoardSolutions.com) एक ही साथ बरगद के पेड़ तक पहुँच जो दौड़ का आखिरी बिन्दु था। चूँकि तीनों ही अच्छे घुड़सवार थे, इसलिए युवराज चुने जाने की खातिर उन तीनों से अपने तरीके से कुछ करने को कहा गया।

सर्वप्रथम सानाजाउबा घोड़े पर सवार होकर बहुत तेजी में दौड़ते हुए बरगद के पेड़ को भेदकर निकल गया। दूसरा राजकुमार एक अद्भुत छलॉग में उस विशाल वृक्ष को पार करके दूसरी ओर निकल गया। अब सबसे छोटे राजकुमार की बारी आई। उसने ऐसा घोड़ा दौड़ाया कि बरगद को जड़ से उखाड़ दिया और उसे उठाकर राजा-रानी के सामने लाकर डाल दिया।

छोटी बेटी पाँच वर्षों की सानातोंबि, मरे हुए बरगद के पास चुप खड़ी थी। पक्षी पेड़ पर अपने घोंसले को ढूँढ़ रहे थे। राजा-रानी ने देखा कि सानातोंबि दूसरों का दर्द समझती है। उसे मनुष्य, पेड़-पौधे, जानवर, पक्षी सभी की तकलीफ अनुभव होती है। राजा-रानी ने छोटी लड़की सानातोंबि को ही कांगलइपाक की होने वाली रानी चुना। पक्षी फड़फड़ाते हुए उसके सिर पर बैठने लगे। पक्षी लड़की द्वारा दिए दानों को चुगने लगे।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को –
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

विचार और कल्पना

प्रश्न 1.
भारतीय संस्कृति में पेड़ पौधों को बहुत महत्व क्यों दिया गया है? पता करें।
उत्तर :
पेड़-पौधे परोपकारी होते हैं। उनसे हमें शुद्ध हवा, फल, फूल, लकड़ियाँ, औषधि आदि तमाम चीजें मिलती है। भारत के लोग शुरू ही इन पेड़-पौधों और जंगलों का महत्व समझते थे इसी कारण उनके संरक्षण (UPBoardSolutions.com) हेतु उन्हें धर्म से जोड़ दिया गया। भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों की बहुपयोगिता को देखते हुए ही उन्हें इतना महत्त्व दिया गया है।

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प्रश्न 2.
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
इस कहानी में निंगाथउ (राजा) के चुनाव के बारे में बताया गया है। बताइए-

(क) आपके यहाँ किन-किन का चुनाव किया जाता है?
(ख) चुनाव किन-किन तरीकों से किया जाता है?
(ग) हमें किस प्रकार के व्यक्ति का चुनाव करना चाहिए?

उत्तर :

(क) हमारे यहाँ प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित विभिन्न मंत्रियों और मुखिया आदि का चुनाव होता है।
(ख) चुनाव मतदान द्वारा किया जाता है।
(ग) हमें ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ और कर्मनिष्ट व्यक्ति का चुनाव करना चाहिए।

प्रश्न 4.
आप क्या-क्या करेंगे कि –
पशु-पक्षी आपसे प्यार करने लगें? – आपके आसपास हरियाली फैल जाए?
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।
संकेत – चिड़िया को दाना-पानी, पशुओं को भोजन तथा हरियाली के लिए ज्यादा-से-ज्यादा पौधारोपण एवं वृक्षों का संरक्षण।

लोक कथा से

प्रश्न 1.
सभी बच्चों के नाम क्रमशः थे –
उत्तर :
(घ) सानाजाउबा, सानायाइमा, सानातोम्बा और सानातोम्बि।

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प्रश्न 2.
जब निंगथउ और लेइमा, तुंगी का चुनाव कर रहे थे, उस समय सानातोम्बि की आयु थी
उत्तर :
(ग) पाँच वर्ष

प्रश्न 3.
किस राजकुमार ने तुंगी निंगथउ बनने के लिए क्या काम किया? तीर (→) के निशान से मिलाइए (मिलाकर) –
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प्रश्न 4.
सानातोम्बि को अगली ‘लेइमा’ घोषित किया गया, क्योंकि –
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त ‘ख’ और ‘ग’ दोनों

प्रश्न 5.
निंगथउ को किसने याद दिलाया कि खोननंग में भी जान है –
उत्तर :
(ख) सानातोम्बि ने

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प्रश्न6.
‘खोंगनंग में भी जान है।’ सानातोम्बि ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर :
खोगनंग एक विशाल पेड़ था, जिस पर बहुत से पक्षियों का बसेरा था। सानातोम्बि के भाइयों ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने में उस विशाल पेड़ को जमीन से उखाड़ दिया। सानातोम्बि को पेड़ की दुर्दशा देखकर (UPBoardSolutions.com) बहुत दुख हुआ जिसके कारण उसने ऐसा कहा कि खोंगनंग में भी जान है।

प्रश्न 7.
कहानी की कौन सी बात आपको सबसे अच्छी लगी और क्यों?
उत्तर ;
कहानी में सानातोम्बि का पेड़ खोंगनंग के लिए उदास होना और निंगथउ द्वारा उसकी इस तकलीफ को समझते हुए उसे अगली लेइमा घोषित करना मुझे सबसे अच्छी बात लगी। क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि निंगथउँ एक उदार और प्रजावत्सल शासक था और उसने राज्य को दोबारा अपने जैसी एक शासिका प्रदान की।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
तुंगी, थाउरो, खोंगनंग शब्दों को खोजकर इनका हिन्दी अर्थ लिखिए।
उत्तर :

  • तुंगी – युवराज
  • थाउरो – शाबाश
  • खोंगनंग – बरगद।

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प्रश्न 2.
दो वाक्यों की रचना आप भी कीजिए, जिसमें एक ही क्रियापद से दोनों वाक्यों का अर्थ स्पष्ट हो रहा है।
उत्तर :

(क) हमें दूसरों का भला करना चाहिए; सिर्फ मनुष्यों का नहीं; पशुओं और पक्षियों सहित सभी जीवों का भी।
(ख) तुम्हें सबसे हिल-मिलकर रहना चाहिए, सिर्फ अपनों से नहीं; परायों से भी।

प्रश्न 3.
इस कहानी में आए हुए मुहावरों को छाँटकर इनका अपने वाक्यों में प्रयोग करें (प्रयोग करके)
उत्तर :

  • सिर चूमना = प्यार करना
  • वाक्य प्रयोग – सिर चूमने से प्यार प्रकट होता है।
  • हक्का-बक्का रह जाना = अचरज में होना
  • वाक्य प्रयोग – राजा की घोषणा सुनकर सब मंत्री हक्के-बक्के रह गए।
  • पलक-झपकते ही कार्य करना = अतिशीघ्र कार्य करना
  • वाक्य प्रयोग – उसने पलक झपकते ही दौड़ जीत ली।

इसे भी जानें –
नोट – विद्यार्थी स्वयं पढ़ें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 आप भले तो जग भला (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 आप भले तो जग भला (मंजरी)

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महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की व्याख्या

दुनिया ………………………………………. हितकर होगा।

संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘आप भले तो जग भला’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक श्रीमन्नारायण हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने बताया है कि आप दूसरों से जिस प्रकार का व्यवहार करेंगे, दूसरे मनुष्य भी वैसा ही व्यवहार आपके साथ करेंगे।

व्याख्या – लेखक कहता है कि सारा संसार काँच के महल जैसा है। जिस प्रकार, काँच के महल में अपना रूप साफ-साफ दिखाई देता है, उसी प्रकार, हमारी आदत की छाया ही हमें दिखाई देती है। आप अगर खुश हों, तो संसार भी विनम्र भाव और प्रेम से बात करेगा। अगर आप दूसरों की गलतियाँ ही देखते रहेंगे, उन्हें अपना शत्रु समझते रहेंगे, उनकी (UPBoardSolutions.com) ओर भौंको करेंगे, तो वे भी आपकी ओर गुस्से से दौड़ेंगे अंग्रेजी में एक कहावत है कि अगर आप खुश रहेंगे, तो दुनिया भी आपका साथ देने को तैयार रहेगी। यदि आपको गुस्सा करना और रोना हो, तो दुनिया से दूर किसी जंगल में चले जाना ही कल्याणकारी होगा।

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पाठका सार (सारण)

काँच के एक विशाल महल में एक कुत्ता घुस आया और जोर से भौंकने लगा। काँच होने से बहुत सारे कुत्ते उसे अपने ऊपर भौंकते दिखाई पड़े। वह उन पर झपटा, तो वे भी झपटे। अन्त में, कुत्ता गश खाकर गिर पड़ा। तभी दूसरा कुत्तों आया। वह प्रसन्नता से उछला, कूदा, अपनी ही छाया से खुश हुआ और फिर पूँछ हिलाते हुए बाहर चला गया।

दुनिया काँच के महल जैसी है। अपने स्वभाव की छाया ही उस पर पड़ती है। आप भले तो जग भला। अगर आप हँसेंगे, तो दुनिया आपके साथ हँसेगी; परन्तु आपके साथ रोएगी कभी नहीं । अमेरिकन राष्ट्रपति लिंकन की सफलता का रहस्य यह था कि उन्होंने दूसरों की अनावश्यक नुक्ताचीनी से किसी का दिल कभी नहीं दुखाया।

हमें दूसरों के दृष्टिकोण से समझने की कोशिश करनी चाहिए; क्योंकि शहद की एक बूंद ज्यादा मक्खियों को आकर्षित करती है, बजाय एक सेर जहर के। लोग दूसरों की आँखों के तिनके तो देखते हैं, परन्तु अपनी आँखों के शहतीर नहीं देखते। दूसरों को सीख देना आसान है, लेकिन अपने आदर्शों पर चलना बहुत कठिन है। हमें निन्दक को दूर न कर उसे सम्मान देना चाहिए, क्योंकि वह हमारी गलतियों की ओर ध्यान दिलाकर हम पर उपकार ही करता है। इसके प्रतिकूल गलती (UPBoardSolutions.com) करने कलों का अपमान न कर हमें प्रेम और सहानुभूति के व्यवहार से। उसे सुधारने का प्रयत्न करना चाहिए। गाँधी जी हँसकर, मीठी चुटकियाँ लेकर दूसरे की कड़ी-से-कड़ी आलोचना कर देते थे। जिनकी कहीं भी नहीं पटती थी, वे गाँधी जी के पुजारी बन जाते थे।

मनुष्य को व्यवहार-कुशल होना चाहिए। जानवर भी प्रेम की भाषा समझते हैं और अनुकूल प्रतिक्रिया करते हैं। हमें अपने आदर्श, आचार-विचार के साथ-साथ दूसरों के साथ प्रेम, सहानुभूति और सम्मान का व्यवहार करना चाहिए। यदि ज्ञानी मनुष्य स्वयं को सर्वज्ञ समझे, तो वह सबसे बढ़कर मूर्ख है।

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प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

नोट – प्रश्न संख्या 1 को विद्याथी स्वयं हल करें। प्रश्न संख्या 2 का उत्तर नीचे दिया जा रहा है
उत्तर :
कर भला हो भला – दूसरों के साथ अच्छा करने से अपने साथ भी अच्छा होता है।
अंत भला तो सब भला – परिणाम अच्छा हो जाए तो सब कुछ अच्छा माना जाता हैं।
अंत भले का भला – अच्छे लोगों का अंत अच्छा ही होता है।
कहने से करना भला – केवल बात करने से बेहतर है कुछ कर के दिखाना।
बैठे से बेगार भली – कुछ भी न करने से कुछ करना बेहतर है।
ये लोकोक्तियाँ उदाहरण के तौर पर दी गई हैं। बच्चे स्वयं लोकोक्तियों का संग्रह करें।

विचार और कल्पना

नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

निबन्ध से

प्रश्न 1.
“आपकी सफलता का सबसे बड़ा रहस्य क्या है?’ इस प्रश्न का अब्राहम लिंकन ने क्या जवाब दिया?
उत्तर :
अब्राहम लिंकन ने जवाब दिया कि मैं दूसरों की अनावश्यक नुक्ताचीनी कर उनका दिल नहीं दुखाता।

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प्रश्न 2.
गाँधी जी ने अपने आश्रम को प्रयोगशाला क्यों कहा है?
उत्तर :
गाँधी जी के आश्रम में केवल सैद्धांतिक बातें नहीं होती थीं; वहाँ उनका व्यावहारिक प्रयोग भी होता था; जिसमें उनकी अहिंसात्मक प्रवृत्ति बहुत उपयोगी होती थी। यही कारण है कि उन्होंने अपने आश्रम को प्रयोगशाला कहा है।

प्रश्न 3.
पाठ के शीर्षक ‘आप भले तो जग भला’ का क्या आशय है? ।
उत्तर :
पाठ के शीर्षक ‘आप भले तो जग भला’ का आशय है – जो जिसके साथ जैसा व्यवहार करता है, वह बदले में वैसा ही पाता है।

प्रश्न 4.
नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए –

(क) दुनिया काँच के महल जैसी है, अपने स्वभाव की छाया ही उस पर पड़ती है।
भाव – जिस प्रकार, दर्पण में वास्तविक रूप दिखाई दे जाता है, उसी प्रकार, किसी को अपने व्यवहार का ही प्रतिफल प्राप्त होता है अर्थातू हम जैसा आचरण करेंगे; सामने वाला भी हमारे साथ वैसा ही आचरण करेगा।

(ख) अगर आप हँसेंगे, तो दुनिया भी आपका साथ देगी।
भाव – यह दुनिया सुख में हमेशा साथ देती है।

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(ग) शहद की एक बूंद ज्यादा मक्खियों को आकर्षित करती है, बजाय एक सेर जहर के।
भाव – कई दुर्गुणों की अपेक्षा एक गुण अधिक प्रभावकारी होता है।

(घ) लोग दूसरों की आँखों का तिनका तो देखते हैं; पर अपनी आँख के शहतीर को नहीं देखते।
भाव – दूसरों के साधारण अवगुण शीघ्र दिखाई दे जाते हैं; जबकि अपने असाधारण दुर्गुण भी दिखाई नहीं देते हैं।

प्रश्न 5.
प्रश्नों में उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं, सही विकल्प पर सही (✓) का चिह्न लगाइए (चिह्न लगाकर) –
(क) लोग आपसे प्रेम और नम्रता का बर्ताव करेंगे, जब आप –

  1. हमेशा लोगों के ऐबों की ओर देखेंगे।
  2. लोगों को अपना शत्रु संमझेंगे।
  3. लोगों की ओर गुस्से से दौड़ेंगे।
  4. लोगों के दोष न देखकर उनके गुणों की ओर ध्यान देंगे। (✓)

(ख) बापू के किस गुण के कारण लोग उनकी ओर आकृष्ट होते थे –

  1. आलोचना
  2. अनुशासन
  3. कठोरता
  4. प्रेम और सहानुभूति (✓)

भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे दिये गये मुम्नवरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए (प्रयोग करके) –

टूट पड़ना – हमला करना
वाक्य प्रयोग – एक कुत्ते को भौंकता देखकर बाकी सब कुत्ते उस पर टूट पड़े, जिससे वह घायल हो गया।
दुम हिलाना – खुशामद करना
वाक्य प्रयोग – मालिक को देखकर कुत्ते ने दुम हिलाना शुरू कर दिया।
दिल दुखाना – कष्ट पहुँचाना
वाक्य प्रयोग – किसी का भी दिल नहीं दुखाना चाहिए।
नुक्ताचीनी करना – दोष ढूँढ़ना
वाक्य प्रयोग – लोगों की नुक्ताचीनी करने पर मनुष्य स्वयं घृणा का पात्र बन जाता है।
आग-बबूला होना – नाराज होना
वाक्य प्रयोग – नौकर के घर चले जाने पर मालिक आग-बबूला हो गया।
चुटकी लेना – विनोद/मजाक करना
वाक्य प्रयोग – गाँधी जी मीठी चुटकी लेकर लोगों को हँसा देते थे।
दिमाग चढ़ना – घमण्ड होना
वाक्य प्रयोग – आस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप क्या जीत गई, खिलाड़ियों के दिमाग चढ़ गए।

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प्रश्न 2.
(क) आप तो बड़े समझदार हैं। -साधारण वाक्य
(ख) शायद कुछ लोगों का ख्याल है कि ईश्वर ने उन्हें लोगों को सुधारने के लिए भेजा है। -मिश्र वाक्य
(ग) वह प्रसन्नता से उछला कूदा, अपनी ही छाया से खेला, खुश हुआ और फिर पूँछ हिलाता हुआ बाहर चला गया – संयुक्त वाक्य।
ऊपर तीन तरह के वाक्य दिए गए हैं – साधारण, मिश्र और संयुक्त। पाठ में आये हुए इन तीनों प्रकार के कम-से-कम दो-दो वाक्यों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
(क) साधारण वाक्य –

  1. दुनिया काँच के महल जैसी है।
  2. उनकी आँखों में आँसू छलछला आए।

(ख) मिश्र वाक्य –

  1. वह समझा कि ये सब उस पर टूट पड़ेंगे।
  2. वे मानते हैं कि उनका जीवन, आचार और विचार आदर्श हैं।

(ग) संयुक्त वाक्य –

  1. मन में क्रोध जाग्रत हुआ और वे उठकर चल दिए।
  2. वह खूब खुश हुआ और कुत्तों की ओर अपनी पूँछ हिलाते हुए बढ़ा।

प्रश्न 3.
“यह तो बड़ी अशिष्टता होगी। इस वाक्य में ‘अशिष्टता’ शब्द भाववाचक संज्ञा है। भाववाचक संज्ञा शब्दों के अन्त में ता, पन, पा, हट, वट, त्व आस प्रत्यय जुड़े रहते हैं। पाठ में आये हुए अन्य भाववाचक संज्ञा शब्दों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
शान, आवाज, प्रतिध्वनि, प्यार, प्रसन्नता, छाया, स्मरण, स्वभाव, दोष, गुण, नम्रता, प्रेम, ऐब, तारीफ, मजा, ज़िन्दगी, विचार, जीवन, आचार, सम्मान, साहस, सहानुभूति, याद, शौक, ताकत, तमाशा, (UPBoardSolutions.com) खबर, डॉट, झलक, व्यवहार, अहिंसा, मतलब, सन्तोष, अपमान, उपकार, अवगुण, ध्यान, सफलता, नुक्ताचीनी, गलती, त्रुटियाँ, सीख, आदर्श, टीका-टिप्पणी, बुराई, आलोचना आदि।

इसे भी जानें-

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नोट – विद्यार्थी ध्यान से पढ़ें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 15 खग, उड़ते रहना (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 15 खग, उड़ते रहना (मंजरी)

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समस्त पद्यांशों की व्याख्या

खग उड़ते रहना ………………….. जीवन भर!

संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘खग, उड़ते रहना’ पाठ से ली गई हैं। इसके रचयिता सुप्रसिद्ध कवि-गीतकार गोपालदास नीरज जी है।

प्रसंग – कवि मानव को पक्षी के बहाने सदा क्रियाशील रहने का संदेश देता है। (UPBoardSolutions.com)

व्याख्या – कवि कहता है कि ओ पक्षी! तू जीवनभर उड़ता रहा। वैसे, तू अपना रास्ता भटक चुका है और तेरे पंखों में भी अब पहले जैसी गति नहीं रही; फिर भी पीछे मत लौटना; क्योंकि वह मौत से भी बदतर है।

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मत डर …………….. जीवन भर!

संदर्भ और प्रसंग – पूर्ववत् ।

व्याख्या – तू रास्ते की बाधाओं से मत डर; नई आशा, नए विश्वास की लहर पाले बढ़ता रह; तेरे सभी शत्रु (सारी समस्याएँ) तेरे पंखों की फड़फड़ाहट से पिसकर मिट जाएँगे अर्थातू तेरे उड़ते रहने मात्र से सारी समस्याएँ दूर हो जाएँगी।

यदि तू ……………… जीवन भर!

व्याख्या – यदि तू जीवन पथ की बाधाओं से डरकर लौट पड़ेगा, तो तेरे चाहने वाले ही तेरा मजाक उड़ाएँगे!

और मिट गया ……………………. जीवन भर!

संदर्भ और प्रसंग – पूर्ववत् ।

व्याख्या – यदि तू क्रियाशील रहते, लक्ष्य प्राप्त करते हुए मिट गया, (UPBoardSolutions.com) तो पूरी दुनिया तेरी खाक श्रद्धापूर्वक सिर-माथे चढ़ाएगी और तू प्रेरणा-स्तम्भ बन जाएगा।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1.
अपनी पसन्द के किसी पक्षी के बारे में कुछ वाक्य लिखिए।
उत्तर :
मेरा पसंदीदा पक्षी मोर है। यह पक्षियों का राजा है। साथ ही यह भारत का राष्ट्रीय पक्षी भी है। मोर के पंख बहुत सुंदर होते हैं। इसके सिर पर नीले रंग की सुंदर सी कलगी होती है। वर्षा-ऋतु में मोर जब अपने पंख फैलाकर नृत्य करता है तो सब का मन मोह लेता है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित उदाहरण के आधार पर किसी एक पक्षी का विवरण तैयार करें
उदाहरण – पुस्तक में देखें।
उत्तर :
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विचार और कल्पना

प्रश्न 1.
सामने दिये गये चित्र को देखकर अपने विचार पाँच पंक्तियों में लिखिए
उत्तर :

  1. इस में पक्षियों को पिंजरा उलटकर बाहर उड़ते हुए दिखाया गया है।
  2. यह चित्र स्वतंत्रता एवं स्वच्छंदता का प्रतीक है।
  3. प्रत्येक जीव को अपनी स्वच्छंदता प्रिय होती है।

कोई भी बंधन या पहरे में रहना पसंद नहीं करता, भले ही उसे उस बंधन में लाखों सुख-सुविधाएँ दी गई हों। परतंत्रता में कितना भी सुख क्यों न हो वह स्वतंत्रता की बराबरी नहीं कर सकती है। तभी तो कहा गया है कि पराधीन सपने हुँ सुख नाही अर्थात दूसरों के अधीन रहने पर सपनों में भी सुख की कामना नहीं कि जा सकती।

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प्रश्न 2.
उड़ता हुआ पक्षी हमें आगे बढ़ने अर्थात् उन्नति करने का संदेश देता है। इसी प्रकार बताइए कि उगता सूरज, हिमालय, लहराता सागर, फलों से लदे वृक्ष, खिले फूल हमें क्या संदेश देते हैं? प्रत्येक पर (UPBoardSolutions.com) अपने विचार दो-दो पंक्तियों में लिखिए।
उत्तर :
उगता सूरज हमें दूसरों के जीवन को प्रकाशित यानी सुखमय बनाने का संदेश देता है। हिमालय हमें हर संकट में अविचल होकर खड़े रहने एवं ऊँचा बने रहने की प्रेरणा देता है।

लहराता सागर हमें जोश एवं उमंग के साथ जीने की सीख देता है।
फलों से लदे वृक्ष हमें विनम्रता एवं परोपकार की सीख देते हैं।
खिले फूल हमें दूसरों के जीवन में खुशियाँ प्रदान करने की प्रेरणा देते हैं।

प्रश्न 3.
कवि इस गीत के माध्यम से हमें क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर :
कवि इस गीत के माध्यम से हमें प्रगतिशीलता और कर्मठता का संदेश देना चाहता है।

प्रश्न 4.
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

गीत से

प्रश्न 1.
मौत से भी बदतर क्या है?
उत्तर :
पीछे लौटना।

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प्रश्न 2.
मार्ग में कठिनाई आने पर क्या करना चाहिए?
उत्तर :
मार्ग में कठिनाई आने पर नई आशा और विश्वास से आगे बढ़ते रहना चाहिए।

प्रश्न 3.
जो लोग अपने लक्ष्य तक पहुँचने के प्रयास में समाप्त हो जाते हैं, उनको संसार किस तरह सम्मान देता है?
उत्तर :
जो लोग अपने लक्ष्य तक पहुँचने के प्रयास में समाप्त हो जाते हैं, संसार उनको नायक की तरह सम्मान करता है।

प्रश्न 4.
कार्य को बिना पूरा किए हुए, छोड़कर लौट आने वाले व्यक्ति को संसार किस दृष्टि से देखता है?
उत्तर :
हीन और व्यंग्य की दृष्टि से।

प्रश्न 5.
दी गई कविता की पंक्तियों को पढ़िए और नीचे दिए गए सही भावार्थ पर सही (✓) का चिह्न लगाइए।
और मिट गया चलते-चलते, (UPBoardSolutions.com) मंजिल-पथ तय करते-करते,
खाक चढ़ाएगा जग, उन्नत भाल और आँखों पर।

(क) हे पक्षी ! यदि चलते-चलते और मंजिल पाने में खाक मिलती है तो तेरा ललाट ऊँचा रहेगा।
(ख) हे पक्षी ! (हे मानव !) यदि अपनी मंजिल को पाने के लिए अपने पथ पर उड़ते-उड़ते (चलते-चलते) मिट जाओगे तो भी कोई हानि नहीं होगी, क्योंकि तब यह संसार बड़े गर्व से तुम्हारे बलिदान (चिताभस्म) को अपने सिर आँखों पर चढ़ाएगा। ✓
(ग) हे मानव ! अपनी मंजिल की खाक अपने ऊँचे मस्तक और आँखों पर चढ़ाओ।
(घ) हे खग ! यदि राह चलते-चलते और मंजिल पाने में तू मर गया तो तू मिट्टी में मिल जायेगा।

भाषा की बात

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प्रश्न 1.
दिए गए शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए (शब्द लिखकर) –

  • पथ – मार्ग, रास्ता, राह
  • आशा – आस, आसरा, उम्मीद
  • अरि – शत्रु, रिपु, दुश्मन
  • आँख – चक्षु, नेत्र, लोचन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए (शब्द लिखकर) –

  • पक्षी – खग, विहग
  • आकाश – नभ,गगन
  • धरती – पृथ्वी, भू
  • पहाड़ – पर्वत, गिरि

प्रश्न 3.
योजक-चिहून ……………. क्या अर्थ हैं।
उत्तर :

  • आशा – हलकोरों – आशा की हिलकोरें
  • अरि – दल – अरियों का दल
  • चलते-चलते – चलते और चलते

प्रथम और द्वितीय योजक चिह्नों के अर्थ हैं-सम्बन्ध प्रकट करना; जबकि तृतीय योजक चिह्न का अर्थ है-शब्द की पुनरावृत्ति प्रकट करना।

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प्रश्न 4.
बच्चे स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 1 चिर महान (मंजरी)

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समस्त पद्यांशों की व्याख्या

जगजीवन …………………………………… हित समान।

संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक “मंजरी’ के ‘चिर महान’ नामकं पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता कविवर सुमित्रानन्दन पन्त हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत कविता में भर्य, संशय, अन्धभक्ति से दूर रहकर मानवसेवा और भाईचारे की स्थापना पर बल दिया गया है। कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि मुझे ऐसी शक्ति प्रदान करो, जिससे मैं लोक-कल्याण करके अपना जीवन सार्थक कर सकें।

व्याख्या – कवि ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहता है कि हे प्रभु! मैं उसका (UPBoardSolutions.com) प्रेमी बनूं, जो समान रूप में मनुष्यमात्र को कल्याण करने वाला हो; संसाररूपी जीवन में जो दीर्घकाल तक रहने वाला हो; श्रेष्ठ सौंदर्य से परिपूर्ण और हृदय में सत्य धारण करने वाला हो।

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जिससे जीवन में ……………………. अखिल व्यक्ति।

संदर्भ एवं प्रसंग – पूर्ववत् ।

व्याख्या – हे प्रभु! मैं वह प्रकाश बन सकें, जिसमें सम्पूर्ण प्राणी समाहित हो जाएँ, जिससे जीवन में शक्ति प्राप्त हो तथा भय, शक, संदेह एवं बिना सोच-विचार और अन्धविश्वास के किसी के प्रति निष्ठा रखने की भावना का निवारण हो सके।

पाकर प्रभु …………………….. विहान।

संदर्भ एवं प्रसंग – पूर्ववतु।

व्याख्या – हे प्रभु! तुझसे संसार के मनुष्यमात्र की पूर्ण रक्षा करने का अमरदान प्राप्त कर मैं कृतज्ञ हूँ। मुझे ऐसी शक्ति दो कि मैं एक बार पुनः नए जीवन का प्रातःकाल ला सकें, अर्थात् प्राणिमात्र को सुखी व समृद्ध बना सकें।

शब्दार्थ – जगजीवन = संसार के लोगों के जीवन में, चिर = दीर्घकाले तक रहने वाला, महान = बड़ा, संत्यप्राण = जिसका हृदय सत्य से भरा हो, मानव के हित समान = जो मानव का हितैषी हो, भय = डर, संशय = संदेह, अन्धभक्ति = बिना सोचे-समझे किसी के प्रति निष्ठा का भाव रखना, अखिल = सम्पूर्ण/सारा, मानव = मनुष्य, परित्राण = पूर्ण रक्षा, नव = नया, विहान = प्रातःकाल, भोर।

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प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1.
ईश्वर भक्ति से संबंधित अन्य कविताओं का संकलन कीजिए।
उत्तर :

प्रार्थना

हर देश में तू हर वेष में तू, तेरे नाम अनेक तू एक ही है!
तेरी रंग भूमि यह विश्व धरा, हर खेल में, मेल में तू ही तो है!!
सागर से उठा बादल बनकर, बादल से गिरा जल होकर के!!
फिर नहर बनी नदिया गहरी, तेरे भिन्न प्रकार तू एक ही है!!
हर देश में ………………………………………..!
चींटी सा अणु परमाणु बना!!
हर जीव जगत का रूप लिया, कहीं पर्वत वृक्ष-विशाल बना!!
सौन्दर्य तेरा तू एक ही है, हर देश में ………………!
यह दिव्य दिखाया है जिसने, वह है गुरुदेव की पूर्ण दया!!
टुकड़ा कहीं और न कोई दिखा! बस मैं और तू सब एक ही हैं!!
हर देश में ……………………… !

विचार और कल्पना

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प्रश्न 1.
संसार में मानव कल्याण के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं? अपना विचार व्यक्त कीजिए। अगर आपको ईश्वर से संसार के कल्याण का वरदान मिल जाए, तो आप क्या-क्या करेंगे?
उत्तर :
ऐसे अनेक उपाय हैं जो संसार में मानव कल्याण के लिए किए जा सकते हैं। सबसे पहले हमें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे इस संसार में कोई भूखा न रहे। सबको भर पेट भोजन, पहनने को कपड़े और रहने को घर मिले। इसके बाद दूसरा प्रयास यह होना चाहिए कि संसार में सर्वत्र शांति और भाईचारे का माहौल हो। जिसके लिए सभी को मिल-जुल कर प्रयास करने चाहिए। अगर हमें संसार के कल्याण के लिए ईश्वर से वरदान मिल जाये तो सबसे पहले मैं गरीबों, दलितों, शोषितों तथा वंचितो (UPBoardSolutions.com) का कल्याण करना चाहूँगा ताकि उनके भी जीवन में खुशहालीं आ सके और वे भी समाज में सबके साथ मिल-जुल कर रह सकें। हमारे समाज में बहुत विषमता आ गई है। अतः मैं प्रयास करूंगा कि समाज में समता आए। कोई गरीब न रहे, कोई भूखा न रहे, सभी सुखी एवं खुश रहें। कोई किसी को न सताए, सभी मिलजुल कर रहें।

कविता से

प्रश्न 1.
इस कविता में आया ‘सत्यप्राण’ शब्द अच्छे गुण का सूचक है और ‘भय’ शब्द दुर्गुण अर्थात अच्छे गुण का सूचक नहीं है। इसी प्रकार, कविता को पढ़कर इसमें आए अच्छे गुण वाले शब्दों और दुर्गुण वाले शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर :
अच्छे गुण वाले शब्द – सत्यप्राण, महान, सौंदर्यपूर्ण, प्रेमी, हित, शक्ति, प्रकाश, अमर, दान, परित्राण, नवजीवन।
दुर्गुण वाले शब्द – भय, संशय, अन्धभक्ति।

प्रश्न 2.
कवि विश्व में नवजीवन को विहान क्यों लाना चाहता है?
उत्तर :
मानवता की सम्पूर्ण सुरक्षा, सुख-समृद्धि और विकास के लिए कवि विश्व में नवजीवन का विहान लाना चाहता है।

प्रश्न 3.
इस कविता का शीर्षक ‘चिर महान’ है। आपको इस कविता का कोई और शीर्षक देना हो, तो क्या शीर्षक देना चाहेंगे? उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
इस कविता का अन्य शीर्षक हो सकता है – ‘नवजीवन का विहान’ ।

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प्रश्न 4.

(क) निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए

1. जग-जीवन …………………………….. सत्य-प्राण।
उत्तर :
भाव – जो संसार रूपी जीवन में दीर्घकाल तक रहने वाला, श्रेष्ठ सौंदर्य से परिपूर्ण और हृदय में सत्य धास्ण करने वाला हो।

2. जिससे जीवन में ………………………… अन्धभक्ति
उत्तर :
भावं –  हे प्रभु! मुझे ऐसी शक्ति दो जिससे मेरे अंदर भय, शक, संदेह और बिना सोच-विचार के किसी के प्रति निष्ठा रखने की भावना का उदय हो।

(ख) नीचे ‘क’ वर्ग में दी गई पंक्तियों से सम्बन्धित कुछ पंक्तियाँ ‘ख’ वर्ग में दी गई हैं। किन्तु वे क्रम में नहीं हैं, उन्हें ‘क’ वर्ग की सम्बन्धित पंक्तियों के नीचे लिखिए-
उत्तर :

  1. मैं उसका प्रेमी बनू नाथ
    जो हो मानव के हित समान।
  2. मैं वह प्रकाश बन सकें नाथ
    मिल जाएँ जिसमें अखिल व्यक्ति।
  3. ला सकें विश्व में एक बार
    फिर से नवजीवन का विहान।

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भाषा की बात

1. ‘चिर’ शब्द का अर्थ है ‘सदैव’, यह महान के पूर्व विशेषण के रूप में जुड़ा है। इसी प्रकार, ‘चिर’ विशेषण लगाकर तीन नए शब्द बनाइए; जैसे- चिर नवीन।
उत्तर :
चिर युवा, चिर यौवन, चिर आयु (चिरायु)।

2. और 3. नंबर में दिए गए बिंदुओं को विद्यार्थी ध्यान से पढ़े और (UPBoardSolutions.com) विशेषण, विशेष्य एवं क्रिया विशेषण के बारे में समझें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 21 आओ फिर से दिया जलाएँ (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 21 आओ फिर से दिया जलाएँ (मंजरी)

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समस्त पद्यांशों की व्याख्या

भरी दुपहरी ………………………………………………………….. दिया जलाएँ।

शब्दार्थ – अँधियारा-अँधेरा, अन्तरतम-अंतर्मन, हृदय।

संदर्भ एवं प्रसंग – प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक मंजरी-8 में संकलित अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा रचित कविता ‘आओ फिर से दिया जलाएँ’ कविता से उद्धृत हैं। प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कवि युवाओं को जीवन की कठिनाइयों का सामना करने एवं लक्ष्य प्राप्ति हेतु संघर्षरत रहने की प्रेरणा दे रहा है।

व्याख्या – कवि कहता है युवावस्था में व्यक्ति स्वस्थ शक्तिशाली और जोश से भरा होता है। इस उम्र में जीवन की कठिनाइयों से निराश होकर हार नहीं मानना चाहिए। उन्होंने युवाओं की तुलना सूर्य से करते हुए कहा है कि युवाओं का जीवन की कठिनाइयों के आगे हारना ऐसे है जैसे सूरज का परछाई से हार जाना। इसलिए हमें अपने अंतरतम के (UPBoardSolutions.com) नेह (तेल) को निचोड़कर यानी अपनी सारी इच्छा शक्ति को समेटकर आशा के बुझे हुए दीप की बाती को सुलगाना होगा और उम्मीद का दिया फिर से जलाना होगा।

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हम पड़ाव को ………………………………………………………………… दिया जलाएँ।

संदर्भ एवं प्रसंग – पूर्ववत ।

प्रसंग – कवि कहता है यदि पड़ाव यानी मामूली उपलब्धि को ही मंजिल समझकर यदि हम रुक जाएँगे तो जो जीवन का वास्तविक लक्ष्य है, वह आँखों से ओझल हो जाएगी यानी हम अपना वास्तविक लक्ष्य या ध्येय भूल, जाएँगे। इसलिए वर्तमान के मोहजाले में आकर आनेवाले कल को नहीं भूलना चाहिए यानि वर्तमान की खुशियों को जीते हुए भविष्य की बेहतरी की तैयारी भी करते रहना चाहिए। अभी आहुति बाकी है, इसलिए यज्ञ भी अधूरा है अर्थात अपनों के साथ हम इतने व्यस्त हो गए हैं कि पूरी मानवता के बारे में सोचना भूल गए हैं। पूरी मानवता का कल्याण यज्ञ स्वरूप है जिनमें हमारे बलिदानों, कर्तव्यों की आहुति जानी बाकी है। इसलिए दुखों एवं बुराइयों पर विजय के लिए हमें अपना आत्मोत्सर्ग वैसे ही करना है जैसे दधीचि ने देवताओं की विजय के लिए वज्र बनाने हेतु अपनी हड्डयाँ दान में दे दी थीं।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1.
भरी हुई दुपहरी से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर :
भरी हुई दुपहरी से कवि का आशय युवावस्था से है।

प्रश्न 2.
कवि बुझी हुई बाती को कैसे सुलगाने को कह रहा है ?
उत्तर :
कवि अंतरतम के नेह को निचोड़कर बुझी हुई बाती को सुलगाने को कह रहा है।

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प्रश्न 3.
‘पड़ाव को ही समझे मंजिल’ का क्या आशय है ?
उत्तर :
जीवन में किसी मोड़ पर जहाँ हमें कोई उपलब्धि मिल जाती है तो हम उसी को मंजिल मानकर, ठहर जाते हैं, जबकि यदि हम चलते रहें तो ऐसी अनेक उपलब्धियाँ हासिल करते रहेंगे।

प्रश्न 4.
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर :
कवि कहता है कि मानव जीवन का जो लक्ष्य है, अभी वह पूरा नहीं हुआ है। अभी हमें अपने कर्मों से जीवन रूपी इस हवन कुंड में और आहुति देनी होगी।

प्रश्न 5.
वर्तमान के मोह जाल’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर :
वर्तमान के मोहजाल से कवि का आशय है कि मनुष्य अपने जीवन के वर्तमान समय में मिलने वाली खुशियों के कारण भविष्य की अनदेखी करता है। वह भविष्य के विषय में सोच ही नहीं पाता।

प्रश्न 6.
कवि द्वारा ‘नव दधीचि की बात क्यों की जा रही है ?
उत्तर :
दधीचि ने एक राक्षस के वध एवं मानवता के कल्याण हेतु वज्र बनाने हेतु अपनी हडियाँ देवताओं को दान कर दी थी। कवि कहता है. आज के समय में भी ऐसे ही नव दधीचियों की आवश्यकता है जो (UPBoardSolutions.com) संपूर्ण मानवता के कल्याण हेतु स्वयं को बलिदान करने को तत्पर हों।

विचार और कल्पना

प्रश्न 1.
अगर भरी हुई दुपहरी में अचानक अँधेरा हो जाय तो क्या-क्या कठिनाइयाँ होंगी ?
उत्तर :
अगर भरी दोपहरी में अचानक अँधेरा हो जाए तो सर्वत्र त्राहि-त्राहि मच जाएगी। लोग जहाँ होंगे वहीं रुक जाएँगे और बहुत सारी परेशानियाँ खड़ी हो जाएँगी।

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प्रश्न 2.
यदि आने वाले कल को भुला दिया जाय तो हमारे वर्तमान पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर :
यदि आने वाले कल को भुला दिया जाए तो हमारे वर्तमान पर उसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। क्योंकि वर्तमान मे जीते हुए ही आने वाले कल को सुखद बनाने हेतु कार्य किए जाते हैं और वही आनेवाला कल एक दिन हमारा या हमारी पीढ़ियों का वर्तमान बन जाता है।

कुछ करने को

प्रश्न 1.
दीप से सम्बंधित अन्य कवियों की कविताओं का संग्रह कर पुस्तिका में लिखिए।
उत्तर :

  • स्वयं करें। संकेत- अँधेरे का दीपक – हरिवंश राय बच्चन
  • मधुर – मधुर मेरे दीपक जल – महादेवी वर्मा
  • आशा का दीपक – रामधारी सिंह दिनकर
  • तुम दीपक से जलते जाओ – परशुराम शुक्ला

प्रश्न 2.
बिजली का आविष्कार होने के पूर्व प्रकाश के लिए किन-किन साधनों का प्रयोग किया जाता था, पता करके लिखिए।
उत्तर :
बिजली का आविष्कार होने से पूर्व प्रकाश के लिए मशाल, दीपक, मोमबत्ती, लालटेन, लैम्प आदि का प्रयोग किया जाता था।

प्रश्न 3.
स्वयं करे।

भाषा की बात –

प्रश्न 1.
दिये गये शब्दों में उचित स्थान पर अनुस्वार (-) लगाइए – मजिल, अतिम, विघ्नो
यथा- निचोड़े – निचोड़ें।
उत्तर :

  • मजिल – मंजिल
  • अतिम – अंतिम
  • विघ्नो – विघ्नों

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प्रश्न 2.
नेह शब्द का दो अर्थ है-1. प्रेम 2. तेल। इसी प्रकार दो अर्थ देने वाले पाँच शब्द और उनका अर्थ लिखिए।
उत्तर :

  • अंक – गोद, संख्या
  • रक्त – खून, लाल
  • वर्ण – अक्षर, जाति
  • पानी – जल, चमक
  • तीर – तट बाण

प्रश्न 3.
कविता में आए तुकान्त शब्दों को छाँटकर अपनी पुस्तिका पर लिखिए।
उत्तर :

  • अँधियारा – हारा
  • जलाएँ – गलाएँ

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