UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 9 फल परिरक्षण

UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 9 फल परिरक्षण

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इकाई – 9  फल परिरक्षण
अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प के सामने सही (✔) का चिह्न लगाइये (निशान लगाकर)
उत्तर :

  1. जैम तैयार किया जाता है।
    (क) केली
    (ख) सेब से (✔)
    (ग) नींबू से
    (घ) अंगूर से
  2. जेली बनायी जाती है।
    (क) अमरूद
    (ख) केला
    (ग) पपीता (✔)
    (घ) गाजर
  3. सॉस तैयार किया जाता है।
    (क) नींबू ।
    (ख) आम
    (ग) सेब
    (घ) टमाटर (✔)
  4. अचार तैयार किया जाता है।
    (क) तेल में (✔)
    (ख) पानी में
    (ग) नींबू के शर्बत में
    (घ) इनमें से कोई नहीं

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प्रश्न 2.
नीचे लिखे कथन में सही के सामने(✔) तथा गलत के सामने (✘) का निशान लगाइए (निशान लगाकर)
उत्तर :

  1. जैम कच्चे फलों से बनाया जाता है।                                                 (✘)
  2. जैम पके फलों से बनाया जाता है।                                                 (✘)
  3. जैम अधपके फलों से बनाया जाता है।                                         (✔)
  4. जैम सूखे फलों से बनाया जाता है।                                               (✘)
  5. जेली बनाते समय उसमें चीनी की मात्रा रस की 3/4 होनी चाहिए। (✔)
  6. टमाटर से सॉस बनाते समय फल समूचे रूप में डालना चाहिए।    (✘)

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UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 7 सिंचाई की विधियाँ तथा जल निकास

UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 7 सिंचाई की विधियाँ तथा जल निकास

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इकाई-7    सिंचाई की विधियाँ तथा जल निकास
अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर पर सही (✔) का निशान लगाइए (निशान लगाकर)
उत्तर :

  1. सरसों की सिंचाई किस विधि से की जाती है
    (क) नाली विधि
    (ख) थाला विधि  (✔)
    (ग) क्यरी विधि
    (घ) जल-वन विधि
  2. आलू की फसल की सिंचाई किस विधि से की जाती है
    (क) क्यारी विधि
    (ख) छिड़काव विधि
    (ग) थाला विधि
    (घ) कँड़ विधि (✔)
  3. ऊँची-नीची भूमि की सिंचाई किस विधि से करते हैं
    (क) क्यारी विधि
    (ख) थाला विधि
    (ग) छिड़काव विधि (✔)
    (घ) कँड़ विधि
  4. खेत में जल भराव से मृदा ताप
    (क) घटता है (✔)
    (ख) बढ़ता है
    (ग) स्थिर रहता है
    (घ) उपरोक्त में कोई नहीं

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)
उत्तर :

  1. क्यारी विधि सिंचाई की उत्तम विधि है। (क्यारी/थाला)
  2. नमी की कमी के कारण अंकुरण अच्छा नहीं होता। (नमी/सूखा)
  3. कैंड़ विधि से आलू के खेत की सिंचाई की जाती है। (कूड़/थाला)
  4.  ड्रिप विधि में अधिक धन तथा कुशल श्रम की आवश्यकता होती है। (ड्रिप/प्रवाह)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में सही के सामने (✔)  तथा गलत के सामने (✘) का निशान लगाए (निशान लगाकर)

उत्तर :

  1. प्रवाह विधि से आलू की सिंचाई की जाती है।                          (✘)
  2. प्रवाह विधि में कम श्रम की आवश्यकता होती है।               (✔)
  3. क्यारी विधि से गेहूं की सिंचाई नहीं की जाती।                     (✘)
  4. कॅड़ विधि से गन्ने की सिंचाई की जाती है।                            (✘)
  5. थाला विधि से पपीते के बाग की सिंचाई की जाती है।          (✔)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ का स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए (सुमेल करके)

उत्तर :
UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 7 सिंचाई की विधियाँ तथा जल निकास image 1

प्रश्न 5.
सिंचाई देर से करने पर फसलों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर :
सिंचाई देर से करने पर फसलों पर कुप्रभाव पड़ता है और पौधों का समुचित विकास नहीं हो पाता, जिससे उत्पादन पूरा नहीं मिल पाता।

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प्रश्न 6.
जल भराव से पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर :
जड़ों की वृद्धि पर बुरा प्रभाव पड़ता है, पौधे मुरझाने लगते हैं। जड़ों द्वारा भूमि से पोषक तत्वों के अवशोषण की क्रिया रुक जाती है। रासायनिक पदार्थ विषैले पदार्थों में बदल जाते हैं। जिससे (UPBoardSolutions.com) फसलों की वृद्धि तथा विकास प्रभावित होता है।

प्रश्न 7.
छिड़काव विधि क्या है? भारत में यह विधि अभी तक अधिक लोकप्रिय क्यों नहीं हुई?

उत्तर :
छिड़काव विधि में पानी को पाइपों के द्वारा खेत तक लाया जाता है और स्वचालित यन्त्रों द्वारा छिड़काव करके सिंचाई की जाती है। कृषि कार्य में छिड़काव विधि सिंचाई की उत्तम विधि मानी जाती है। इस विधि में महँगे यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है। भारतीय किसान इन महँगे यन्त्रों को खरीद पाने में समर्थ नहीं है, इसलिए यह विधि भारत में लोकप्रिय नहीं हो सकी।

प्रश्न 8.
थाला विधि से सिंचाई के दो लाभ बताइए।

उत्तर :
थाला विधि के दो लाभ

  1. इस विधि से सिंचाई करने पर जल की बचत होती है क्योंकि पानी पूरे क्षेत्र में देने के बजाय प्रत्येक पौधे की जड़ के पास बने थालों में दिया जाता है।
  2. पौधे की जड़-तना सीधे जल सम्पर्क में नहीं आते, जिससे पौधे को कोई हानि नहीं होती।

प्रश्न 9.
जल जमाव से होने वाली दो हानियाँ बताइए।
उत्तर :
जल जमाव से होने वाली दो हानियाँ निम्नलिखित हैं

  1. मृदा वायु संचार और मृदा ताप में कमी होना।
  2. भूमि का दलदली होना और हानिकारक लवण इकट्ठे होना।

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प्रश्न 10.
उचित जल-निकास का मिट्टी पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :

  1. भूमि का ताप सन्तुलित हो जाता है, जिससे बीजों का अंकुरण अच्छा होता है।
  2. हानिकारक लवण बह जाते हैं। मृदा संरचना में सुधार हो जाता है।
  3. मृदा में जीवाणु क्रियाशीलता बढ़ जाती है, जिससे भूमि की उर्वरता बढ़ जाती है।

प्रश्न 11.
थाला विधि की सिंचाई का चित्र बनाइए।
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 7 सिंचाई की विधियाँ तथा जल निकास image 2

प्रश्न 12.
आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने से फसल पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने से फसल पीली पड़ कर नष्ट होने लगती है। जड़ों द्वारा जल का अवशोषण कम हो जाता है और पौधे मुरझाने लगते हैं।

प्रश्न 13.
सिंचाई का अर्थ समझाइए। सिंचाई की कितनी विधियाँ हैं? किन्हीं दो विधियों सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर :
फसलों और बागों में पानी देने की प्रक्रिया को (UPBoardSolutions.com) सिंचाई करना कहा जाता है। सिंचाई की निम्नलिखित विधियाँ हैं

  1. जल-प्लवन या प्रवाह विधि
  2. क्यरी विधि
  3. कॅड़ विधि
  4. थाला विधि
  5. छिड़काव विधि
  6. ड्रिप (टपक) विधि

प्रवाह विधि : खेत में पलेवा करने व धान में सिंचाई हेतु काम में लाई जाती है। इस विधि में सिंचाई आसानी से होती है। समय की बचत होती है। गन्ना, धान जैसी फसलों को पर्याप्त पानी मिल जाता है।
हानि : इसमें पानी बहुत बेकार में खर्च होता है। जल का असमान वितरण होता है, ढालू खेतों के लिए अनुपयुक्त है।
ड्रिप (टपक) विधि : इसमें जल को पौधों की जड़ में बूंद-बूंद करके दिया जाता है। यह विधि ऊसर, बलुई तथा बाग के लिए उपयुक्त है। पी0वी0सी0 पाइप लाइन खेत में बिछाकर जगह-जगह नोजिल लगाए जाते हैं। इन पाइपों में 2.5 किग्रा वर्ग सेमी दबाव से जल छोड़ा जाता है जो धीरे-धीरे भूमि को नम करता है। (UPBoardSolutions.com)
लाभ : कम वर्षा वाले क्षेत्रों में कम पानी से ज्यादा क्षेत्रफल में सिंचाई हो जाती है। जलहानि न्यूनतम होती है। भूमि समतलीकरण जरूरी नहीं।
हानि : शुरू में अधिक लागत आती है। स्वच्छ जल व तकनीकी ज्ञान की जरूरत होती है।

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प्रश्न 14.
प्रवाह तथा ड्रिप विधि के गुण और दोष लिखिए।

उत्तर :
प्रश्न 13 का उत्तर देखिए।

प्रश्न 15.
फलदार वृक्षों के लिए आप सिंचाई की किस विधि को अपनाएँगे और क्यों? वर्णन कीजिए।

उत्तर :
फलदार वृक्षों की सिंचाई के लिए थाला विधि अपनाई जाती है। इस विधि से सिंचाई करने पर जल की बचत होती है और पौधे पानी का समुचित उपयोग करते हैं, क्योंकि पानी जड़ों के पास थाला में दिया जाता है।

प्रश्न 16.
जल निकास का अर्थ समझाइए। जल जमाव से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर :
जल निकास का अर्थ :
खेतों से अतिरिक्त पानी निकालकर बहा देना जल निकास कहा जाता है। कृषि विज्ञान में इसका विशेष अर्थ है। जल निकास की निम्न विशेषताएँ हैं

  1. खेत में आवश्यकता से अधिक पानी भरने से रोकना ।
  2. खेत के अतिरिक्त पानी को बाहर निकालना।

जल जमाव से हानियाँ :
जल की अधिकता से निम्न हानियाँ होती हैं

  1. मृदा वायु संचार में नमी।
  2. मृदा ताप में कमी।
  3. मिट्टी में हानिकारक लवणों का इकट्ठा होना।
  4. भूमि का दलदली होना।
  5. लाभदायक मृदा जीवाणुओं के कार्यों में बाधा।

प्रश्न 17.
मृदा से जल निकास कितने प्रकार से किया जाता है? जल निकास की एक विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।

उत्तर :
जल निकास की दो विधियाँ हैं

  1. सतही खुली नालियों द्वारा।
  2. भूमिगत बन्द नालियों द्वारा

खुली निकास नालियों में खेत सतह से 30 सेमी गहरी तथा लगभग 75 सेमी ऊँची और सीधी नालियाँ बनाई जाती । हैं। इन्हें आगे बड़ी नाली में मिलाया जाता है। बड़ी नानी को (UPBoardSolutions.com) प्राकृतिक नाले या नदी में डाला जाता है।

भूमिगत बन्द नालियाँ : ये वहाँ बनाई जाती हैं,जहाँ भूजल स्तर ऊँचा होता है। ये नालियाँ तीन प्रकार की होती हैं

  1. पोल जल निकास नालियाँ : लकड़ी के टुकड़ों को तिकोने आकार में रखकर ये जल निकास नालियाँ 80 से 90 सेमी गहरी, 30 सेमी चौड़ी बनाई जाती हैं।
  2. स्टोन जल निकास नाली : इनमें पत्थरों का प्रयोग किया जाता है।
  3. टाइल डेन्स : टाइल्स से बनी नालियाँ सर्वोत्तम होती हैं।

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प्रोजेक्ट कार्य :
नोट : विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 15 टीपू सुल्तान (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 15 टीपू सुल्तान (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

टीपू सुल्तान का जन्म सन् 1753 ई० में हुआ। इसके पिता का नाम हैदरअली था। इनके पिता मैसूर के शासक थे। उन्होंने मैसूर राज्य की सीमा को काफी विस्तृत किया। टीपू सुल्तान की अवस्था जब तीस वर्ष थी, हैदरअली की मृत्यु हो गई। पिता की मृत्यु के बाद टीपू सुल्तान मैसूर का शासक बना।

उस समय ईस्ट इण्डिया कम्पनी का राज्य बढ़ रहा था। अंग्रेजों ने मराठों से सन्धि करे टीपू पर आक्रमण कर दिया। टीपू ने अपनी सेना को सुदृढ़ नहीं किया था। टीपू की हार हुई और युद्ध क्षेत्र में वह (UPBoardSolutions.com) वीरगति को प्राप्त हुआ। अंग्रेजों एवं मराठा सैनिकों ने उसके खजाने को लूट लिया।

टीपू सुल्तान महान वीर, कुशल शासक और देशभक्त था। उसके राज्य में कोई शराब नहीं पी सकता था। राजाज्ञा का उल्लंघन करने वालों को कठोर दण्ड दिया जाता था। हिन्दुओं के प्रति टीपू सहिष्णु था। शिक्षा- देशभक्ति प्राणों से भी प्रिय होनी चाहिए।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
टीपू सुल्तान कौन था? उसकी जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर :
टीपू सुल्तान हैदरअली का पुत्र था तथा उसका जन्म मैसूर में हुआ था।

प्रश्न 2.
टीपू सुल्तान ने अपने राज्य में कौन-कौन से सुधार किए?
उत्तर :
टीपू ने एक स्त्री के कई लोगों से विवाह करने की प्रथा बन्द करा दी और नियम बनाया कि जो ऐसा करेगा, उसे कठोर दण्ड दिया जाएगा। उसने शराब पर रोक लगा दी।

प्रश्न 3.
टीपू ने किन-किन विषयों की पुस्तकें लिखीं?
उत्तर :
टीपू ने साहित्य, कविता, गणित, ज्योतिष, विज्ञान तथा कला पर पुस्तकें लिखीं।

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प्रश्न 4.
टीपू ने अपने पिता के समक्ष क्या प्रतिज्ञा की थी? (UPBoardSolutions.com)
उत्तर :
टीपू ने अपने पिता के समक्ष प्रतिज्ञा की थी कि मैं कभी झूठ नहीं बोलूंगा, किसी को धोखा नहीं दूंगा तथा चोरी नहीं करूंगा।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 14 छत्रसाल (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 14 छत्रसाल (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

छत्रसाल ओरछा के राजा चम्पतराय के पुत्र थे। इनकी माता का नाम सारन्धी था। पिता ने इनको रानी के साथ मायके भेज दिया और चार वर्ष तक वे वहीं पर रहे। सात वर्ष की अवस्था में इनकी शिक्षा प्रारम्भ हुई और तीन वर्ष में ये एक कुशल सैनिक बन गए। सोलह वर्ष की अवस्था में इनके माता-पिता का स्वर्गवास हो गया।

इन्होंने अपने बड़े भाई से मिलकर बुन्देलखण्ड का राज्य दोबारा स्थापित करने की योजना बनाई। अपनी माता के जेवर को बेचकर तीन सौ सैनिकों की एक सेना तैयार करके इन्होंने (UPBoardSolutions.com) कुशलता से युद्ध करना प्रारम्भ कर दिया। उनके शासन में प्रजा सुखी थी।

भूषण और लाल कवि इनके दरबार में थे। वे विद्वानों तथा कवियों का आदर करते थे। सन् 1731 में 83 वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो गई। इन्होंने अपनी समस्त जीवन देश तथा जाति की भलाई में लगा दिया। छत्रसाल भारतमाता की वीर तथा महान सन्तान थे। शिक्षा-जीवन की सफलता कर्तव्यपरायणता में है।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
छत्रसाल का जन्म कब और किस वातावरण में हुआ?
उत्तर :
त्रसाल का जन्म सन् 1648 ई० में पहाड़ी तथा जंगली प्रदेश के वातावरण में हुआ।

प्रश्न 2.
छत्रपति शिवाजी ने छत्रसाल को क्या उपदेश दिया?
उत्तर :
छत्रपति शिवाजी ने छत्रसाल को उपदेश दिया कि वीरता से लड़ो, लालच कभी मत करो, अधर्म कभी मत करो और किसी धर्म या जाति से द्वेष न करो।।

प्रश्न 3.
छत्रसाल की प्रशंसा में किस कवि ने कविताएँ लिखीं?
उत्तर :
छत्रसाल की प्रशंसा में कवि भूषण ने कविताएँ लिखीं?

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प्रश्न 4.
औरंगजेब छत्रसाल को क्यों न हरा सका?
उत्तर :
क्योंकि छत्रसाल के लड़ने का ढंग बहुत कौशलपूर्ण था, ये और इनके भाई सेना का संचालन करते थे, ये पहाड़ी प्रदेशों में भी कुशलता से लड़ते थे। इन स्थानों की इन्हें विशेष जानकारी थी।

प्रश्न 5.
छत्रसाल का राज्य प्रबंध कैसा था?
उत्तर :
छत्रसाल का राज्य प्रबंध बहुते उत्तम और प्रजा को सुखी बनाने वाला था। कोई व्यक्ति यदि स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार करता तो उसे कठोर दण्ड देते थे। सारा राज-काज इन्हीं की आज्ञा से चलता (UPBoardSolutions.com) था। प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह कितना ही छोटा हो, इनसे मिल सकता था। ये सबकी विनती और बात ध्यान से सुनते थे तथा सबकी सहायता करते थे।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 13 गुरु गोविन्द सिंह (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 13 गुरु गोविन्द सिंह (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

गुरु तेगबहादुर के पुत्र तथा उत्तराधिकारी गुरु गोविन्द सिंह का जन्म सन् 1666 ई० में पटना (बिहार) में हुआ। उन्हें दस वर्ष की अवस्था में गुरु की गद्दी मिली। वे सैनिकों की भाँति घुड़सवारी करते और तलवार चलाते थे। इतना ही नहीं कुछ राजकाज भी होने लगा। इनके शिष्य इन्हें भेट देते थे। इनके शिष्य तथा दरबारी उन्हें ‘सच्चे बादशाह’ (UPBoardSolutions.com) कहते थे। गुरु गोविन्द सिंह: सिखों के आग्रह पर आनन्दपुर आ गए जो गुरु तेगबहादुर की राजधानी थी। यहाँ 20 वर्ष तक रहकर धर्मग्रन्थों , को अध्ययन किया। ये अच्छे कवि और विचारक थे। इनके द्वारा रचित ‘चंडी-चरित्र’ और ‘चंडी का वार’ वीररस के सुन्दर काव्य हैं। इन्होंने एक पुस्तक ‘विचित्र नाटक’ भी लिखी, जिसके द्वारा लोगों में . उत्साह भरने की चेष्टा की।

सन् 1699 ई० में बैसाखी के दिन इन्होंने खालसा पंथ अथवा सिख धर्म की स्थापना की। गुरु गोविन्द सिंह ने सिखों को पाँच वस्तुओं को धारण करना जरूरी बताया। ये वस्तुएँ हैं–

  1. केश,
  2. कड़ा
  3. कंघा,
  4. कच्छा और
  5. कृपाण ये ‘पाँच ककार’ कहे जाते हैं।

गुरु ने अपने शिष्यों से जाति सूचक शब्द छोड़कर प्रत्येक सिख के नाम के साथ ‘सिंह’ जोड़ना जरूरी समझा। इस प्रकार सिख संगठित सैनिक बन गए। इससे औरंगजेब, जो दक्षिण में था, ने गुरु पर आक्रमण करने का आदेश दिया। गुरु अपने कुछ साथियों सहित बच निकले। गुरु औरंगजेब से छह-सात वर्ष तक युद्ध करते रहे। इन युद्धों (UPBoardSolutions.com) में उनके दो पुत्रे मारे गए और दो को सरहिंन्द के सूबेदार ने दीवार चिनवा दिया। गुरु ने फिर भी साहस और धैर्य नहीं छोड़ा। औरंगजेब ने गुरु को कैद करने का आदेश दिया लेकिन इसी बीच औरंगजेब की मृत्यु हो गई।

गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने 42 वर्ष के अल्प जीवन में अनेक कार्य किए। भेद-भाव मिटाकर और खालसा पंथ को संगठित करके उन्होंने देशवासियों को नई स्फूर्ति और प्रेरणा दी। नि:सन्देह वे हमारे देश के अमूल्य रत्न थे।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरु गोविन्द सिंह ने सिखों को अपने नाम में सिंह लगाने का आदेश क्यों दिया?
उत्तर :
गुरु गोविन्द सिंह ने जाति-पाँति का भेदभाव समाप्त करने और एकता पर आधारित सैनिक संगठन बनाने के लिए सिखों के नाम के साथ ‘सिंह’ लगाने का आदेश दिया।

प्रश्न 2.
सिखों को किन पाँच वस्तुओं को धारण करना अनिवार्य है?
उत्तर :
सिखों को पाँच ककार- केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण धारण करना अनिवार्य है।

प्रश्न 3.
पंच प्यारे कौन कहलाए? (UPBoardSolutions.com)
उत्तर :
पंच प्यारे वे व्यक्ति कहलाए जो मृत्यु का डर छोड़कर अपनी बलि देने को तैयार हो गए थे।

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प्रश्न 4.
खालसा पंथ की स्थापना कब और किसने की?
उत्तर :
सन् 1699 ई० में वैसाखी के दिन गुरु गोविन्द सिंह जी ने ‘खालसा पंथ’ अथवा सिख धर्म स्थापना की थी।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति निम्नांकित में से उचित शब्दों के द्वारा कीजिए (पूर्ति करके)
उत्तर :
नान्दे (हैदराबाद), 1708, पुत्र, 1666,’मुगलों, पिता, 1699

  1. गुरु गोविन्द सिंह के जन्म के समय भारत में मुगलों का शासन था।
  2. गुरु गोविन्द सिंह की मृत्यु नान्दे ( हैदराबाद) स्थान में हुई थी।
  3. गुरु तेगबहादुर गुरुगोविन्द सिंह के पिता थे।
  4. गुरु गोविन्द सिंह का जन्म 1666 ई० में हुआ था।
  5. गुरु गोविन्द सिंह ने वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी।

प्रश्न 6.
संक्षेप में उत्तर दीजिए
(1).
‘सच्चे बादशाह’ सम्बोधन किसके लिए किया गया था?
उत्तर :
‘सच्चे बादशाह’ सम्बोधन गुरु गोविन्द सिंह के पितामह गुरु हरगोविन्द के लिए किया गया था।

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(2).
‘मसन्द’ किसे कहते हैं?
उत्तर :
‘मसन्द’ उन शिष्यों को कहते हैं जो गुरु को स्थान-स्थान पर खड़े होकर भेंट देते थे।

(3).
गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित पुस्तकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
गुरु गोविंद सिंह द्वारा रचित पुस्तकों के नाम हैं- ‘चंडी चरित्र’, ‘चंडी का वार’ और ‘विचित्र नाटक’।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित के बारे में लिखिए- चंडी चरित्र, विचित्र नाटक, पाँचककार
उत्तर :
चंडी-चरित्र – यह गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित वीररस का सुन्दर काव्य है। गुरु ने इसके माध्यम से शिष्यों में अदम्य साहस और वीरता का संचार किया।

विचित्र नाटक – गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित इस नाटक के द्वारा लोगों में उत्साह भरने की चेष्टा की गई। इसमें गुरु ने लिखा है, “तुम हमारे पुत्रों के समान हो, नया पंथ चलाओ। लोगों से (UPBoardSolutions.com) कहो कि, सत्यमार्ग पर चलकर नासमझी से दूर रहें।”

पाँच ककार – केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण सिखों को धारण करना अनिवार्य है।

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