UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 11 कूड़ा-करकट व मल-मूत्र निस्तारण 

UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 11 कूड़ा-करकट व मल-मूत्र निस्तारण (Disposal of Refuse and Human Excreta)

UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 11 कूड़ा-करकट व मल-मूत्र निस्तारण

UP Board Class 11 Home Science Chapter 11 विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
घर के कूड़े-करकट के निष्कासन की क्या व्यवस्था होनी चाहिए? कूड़े-कचरे के अन्तिम विसर्जन की विभिन्न विधियों का भी उल्लेख कीजिए।
अथवा
कूड़ा-करकट तथा अपशिष्ट जल के निकास की व्यवस्था पर विस्तारपूर्वक लिखिए।
अथवा
शहर के कूड़े-कचरे के निस्तारण की सर्वोत्तम विधि क्या है? समझाइए।
अथवा
कूड़े को नष्ट करने की विभिन्न विधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः
कूड़ा-करकट (Refuse) –
घर में अनेक कार्यों के परिणामस्वरूप कूड़ा-करकट एकत्र होता रहता है। सब्जियों के छिलके, आटे का चोकर, भोजन की जूठन, धूल-मिट्टी जो हाथ अथवा पैरों के साथ आती है तथा अन्य प्रकार का कूड़ा-करकट घर की सफाई में निकलता ही है। व्यक्तिगत तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए इसका उचित विसर्जन अत्यावश्यक है। अगर ऐसा न किया गया तब पर्यावरण तो दूषित होगा ही, साथ ही स्थान-स्थान पर कूड़ा-कचरा भी होगा और विभिन्न प्रकार के रोगाणु आदि उत्पन्न होंगे। इस प्रकार प्रत्येक घर की सफाई के बाद निकला कूड़ा-करकट, इस प्रकार से विसर्जित होना चाहिए कि जन-स्वास्थ्य तथा पर्यावरण को कोई हानि न हो।

गाँव हो या शहर, प्रत्येक घर से निष्कासित कूड़ा-करकट गली, मुहल्ले, नगर अथवा गाँव का कूड़ा-करकट बन जाता है।

कूड़े-करकट का निस्तारण (Disposal of Refuse) –
घर में सफाई इत्यादि से निकले कूड़े-करकट के विसर्जन के लिए सबसे उत्तम उपाय यह है कि घर में किसी स्थान पर कूड़ेदान रख दिया जाए। कूड़ेदान का ढक्कनदार होना आवश्यक है। बच्चों के कमरे या अन्य ऐसे स्थानों पर अलग टोकरी रखी जा सकती है जिनमें कागज इत्यादि डाले जा सकते हैं। इन सब कूड़ेदानों के कूड़े को एक मुख्य कूड़ेदान में पहुँचाने की क्रिया आवश्यक है। यह कूड़ेदान घर के मुख्य द्वार के आस-पास रखा जाना चाहिए। सम्पूर्ण घर का कूड़ा इसी कूड़ेदान में डाला जाए तो यह घर की सफाई की उत्तम व्यवस्था है। सड़क या गली में आने वाली गाड़ियों के साथ आने वाले सफाई कर्मचारी कूड़ेदान से अपने ठेले में इस कूड़े को ले जाकर सार्वजनिक खत्ते पर पहुँचाने की व्यवस्था कर सकते हैं।

इस प्रकार, नगर में कूड़ा-करकट मुख्य तीन स्थानों पर एकत्रित किया जाता है –

  1. प्रत्येक घर में मुख्य द्वार के निकट एक बड़ा कूड़ेदान रखा जाता है। इस कूड़ेदान में घर का सारा कूड़ा एकत्र किया जाता है तथा यहाँ से इस कूड़े को सफाई कर्मचारी उठा ले जाता है।
  2. प्रत्येक मुहल्ले में जहाँ यह किसी बड़े ड्रम या इसी कार्य के लिए रखे गए विशेष प्रकार के ढक्कनदार कूड़ेदान में एकत्रित किया जाना चाहिए।
  3. नगर के खत्ते पर जहाँ सम्पूर्ण नगर या बड़े नगर के एक बड़े भाग के प्रत्येक मुहल्ले से आए हुए कूड़े को अन्तिम विसर्जन के लिए एकत्रित किया जाता है।

कूड़े-कचरे का अन्तिम विसर्जन (Last Disposal of Refuse) –
नगर अथवा गाँव के एकत्र किए गए कूड़े का अन्तिम विसर्जन निम्नलिखित विधियों द्वारा किया जा सकता है –

1. जलाकर – इस कार्य के लिए विशेष प्रकार की भट्ठियाँ बनाई जाती हैं। ये भट्ठियाँ नगर से दूर होनी चाहिए क्योंकि कूड़े को जलाने से, उससे हानिकारक गैसें निकलती हैं। ये गैसें नागरिकों के स्वास्थ्य को हानि पहुँचा सकती हैं। जलने के बाद बचे अवशेष, राख आदि को कई प्रकार से काम में लाया जा सकता है; जैसे भराव करने के लिए, सड़क आदि बनाने के लिए अथवा सीमेण्ट आदि बनाने के लिए। वर्तमान परिस्थितियों में घरेलू कूड़े में प्लास्टिक, रबड़ तथा पॉलीथीन जैसी अकार्बनिक वस्तुओं की पर्याप्त मात्रा होती है। इस स्थिति में कूड़े को जलाने पर अत्यधिक पर्यावरण प्रदूषण होता है। अतः कूड़े-करकट को जलाकर ठिकाने लगाना उचित नहीं माना जाता।

2. जल प्रवाह में डालकर – अब से कुछ काल पूर्व तक कूड़े-करकट के निस्तारण के लिए यही विधि उपयोग में लाई जाती थी जो अत्यन्त हानिकारक है। नदी आदि का जल इस प्रकार के निस्तारण से अत्यधिक दूषित हो जाता है। अत: कूड़े के निस्तारण की यह विधि वर्जित होनी चाहिए।

3. भराव करने के लिए – गड्ढों अथवा नीची भूमि में भराव करने के लिए कूड़े-कचरे का प्रयोग भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही है। विशेषकर ऐसे गड्ढे इत्यादि यदि आवासीय क्षेत्र में हैं तो इनसे निकली गैसें आदि अनेक रोगों का कारण बन सकती हैं। इससे कुछ सीमा तक बचाव के लिए कूड़े के ऊपर मिट्टी की तह बनाई जा सकती है। फिर भी इस प्रकार का भराव केवल आवासीय क्षेत्र से दूर के क्षेत्र में ही किया जाना चाहिए।

4. खाद बनाना-कूड़े – कचरे में जो कार्बनिक पदार्थ होते हैं, उनको खाद बनाने के लिए खाद के गड्ढों में डाला जाता है। इसको मिट्टी की तहों के बीच-बीच में दबाया जाता है। इस प्रकार, एक उत्तम प्रकार की खाद, कम्पोस्ट खाद तैयार होती है। इस विधि से कूड़े-करकट को उपयोगी पदार्थ में बदला जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में घर के साधारण कूड़े के अतिरिक्त गाय, भैंस आदि पशुओं का कूड़ा (गोबर आदि) भी होता है। इनका कूड़ा अलग तरीके से विसर्जित किया जाना चाहिए। इसके लिए व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि ये पदार्थ किसी एक स्थान पर अधिक समय तक एकत्रित न रहें। उपले थपवा देने, खाद बनाने के लिए गड्ढे में डाल देना आदि व्यवस्था सामान्य तथा पुरानी है। आजकल गोबर आदि से बायो गैस बनाने का कार्यक्रम, कूड़े-करकट के निस्तारण का एक वैज्ञानिक तरीका है।

5. छंटाई करके इस्तेमाल करना – घरेलू कूड़े-करकट के विसर्जन का एक उपाय कूड़े-करकट की छंटाई करके विभिन्न प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल करना भी है। इस उपाय के अन्तर्गत खाद के अतिरिक्त प्लास्टिक आदि को पुनः इस्तेमाल किया जाता है।

प्रश्न 2.
घरेलू मल विसर्जन के क्या-क्या तरीके हैं? कौन-सी प्रणाली उत्तम है और क्यों?
अथवा
जल-संवहन विधि से आप क्या समझती हैं? इसके द्वारा मल विसर्जन का वर्णन कीजिए।
अथवा
शहरों में वाहित मल का विसर्जन किस प्रकार होता है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
जल-संवहन विधि के शौचालय पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः
घरेलू मल निस्तारण (Disposal of Excreta) –
सामान्यत: नगर या कस्बे में रहने वाले व्यक्तियों को घर पर ही मल-मूत्र विसर्जन की व्यवस्था करना अब आवश्यक हो गया है। गाँवों में प्राचीनकाल की भाँति मल विसर्जन की कोई समस्या नहीं है। स्थानाभाव, आबादी की वृद्धि तथा व्यक्ति की व्यस्तता के अनुसार इस दशा में घरों पर शौचालयों की व्यवस्था, उनकी बनावट तथा एकत्रित मल को ठिकाने लगाने की अनेक प्रकार से व्यवस्था की जाती रही है। पारम्परिक से लेकर आधुनिक तरीकों तक निम्नलिखित चार विधियाँ प्रचलित हैं –

1. मल उठाकर ले जाने की विधि – छोटे नगरों, कस्बों आदि में इसी प्रकार की व्यवस्था होती है। शौचालय में परिवार का प्रत्येक व्यक्ति मल त्याग करता है जो किसी बर्तन (pot) में एकत्रित होता है। सफाई कर्मचारी दिन में एक या दो समय आकर मल को उठाकर ले जाता है तथा नगरपालिका द्वारा स्थापित खत्ते में डाल देता है। सामान्यतः इस खत्ते से खाद बनाया जाता है।

मल विसर्जन की यह विधि सामान्य है तथा किसी प्रकार से भी अच्छी नहीं कही जा सकती। सफाई कर्मचारी की लापरवाही अनेक बार इसको और भी विकृत रूप दे देती है। मल को शुष्क अवस्था में न ले जाना, नाली आदि में बहाना, कम सफाई आदि के कारण यह विधि वातावरण को दुर्गन्धयुक्त तथा अस्वास्थ्यकर बनाती है। दूसरी ओर, सफाई कर्मचारी के द्वारा मल उठाकर ले जाना किसी प्रकार भी मानवीय कार्य प्रतीत नहीं होता। इसलिए इस प्रणाली को अब लगभग समाप्त किया जा चुका है।

2. सण्डास विधि – इस विधि के अन्तर्गत शौचालय में एक गहरा गड्ढा खोदकर इसके ऊपर बैठने के लिए एक सीट लगाई जाती है, जहाँ बैठकर मल त्याग किया जाता है। इस गड्ढे को साफ करने की कोई व्यवस्था नहीं होती, अत: यह गड्ढा धीरे-धीरे भरने लगता है। यह विधि किसी भी प्रकार से ठीक नहीं मानी जा सकती क्योंकि इससे सड़न एवं दुर्गन्ध पैदा होती है जो वातावरण को दूषित करने के साथ-साथ विभिन्न रोगों को भी उत्पन्न करती है।

3. जल-संवहन विधि – सभी आधुनिक व बड़े नगरों में घरेलू मल विसर्जन के लिए जल-संवहन विधि को अपनाया जाता है। यह एक उत्तम विधि है। इस विधि से गन्दगी एवं दुर्गन्ध पर नियन्त्रण पाया जा सकता है।

इस विधि के अन्तर्गत घर पर एक व्यवस्थित शौचालय बनाया जाता है। शौचालय में मल त्यागने के लिए एक सीट लगाई जाती है जिसका सम्बन्ध भूमिगत पाइप द्वारा एक मुख्य पाइप से होता है जो शहर से बाहर तक जाता है। मल त्याग करने के उपरान्त सीट के पीछे लगे फ्लश सिस्टम से अधिक मात्रा में पानी छोड़ा जाता है। पानी के बहाव के साथ मल-मूत्र भी मुख्य पाइप में बह जाता है तथा शौचालय पूर्णतया स्वच्छ रहता है। नगर के बाहर एक स्थान पर इस मल को सड़ाकर खाद बना लिया जाता है जो कृषि कार्यों में बहुत उपयोगी होता है।

पहले कुछ नगरों में इस प्रकार से मल को बहाकर नगर के पास बहने वाली किसी नदी में मिला दिया जाता था, परन्तु अब इसे अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि इससे नदियों का जल दूषित होता है। वास्तव में, घरेलू मल विसर्जन के लिए यह विधि सामान्यतः सभी प्रकार से उपयुक्त है, किन्तु इस विधि को केवल वहीं प्रयोग किया जा सकता है जहाँ पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध होता है तथा इसका प्रबन्ध व्यवस्थित रूप से नगरपालिका द्वारा किया जाता है।

4. सैप्टिक टैंक विधि – घरेलू मल-विसर्जन के लिए उपर्युक्त सार्वजनिक जल-संवहन के स्थान पर स्थानीय सैप्टिक टैंक विधि का भी प्रयोग किया जा सकता है। सैप्टिक टैंक बनाने के लिए एक गहरा गड्ढा बनाया जाता है जो ऊपर से बन्द होता है, केवल विषैली गैसों के निकलने के लिए इसके ऊपर एक पाइस लगा दिया जाता है। सैप्टिक टैंक में मल को कीड़े खाते रहते हैं अथवा इसका अपघटन (decomposition) हो जाता है तथा पानी जमीन में रिसता रहता है अथवा नाली से बाहर जाता है। यह टैंक कई वर्षों तक कार्य करता रहता है। कुछ वर्षों के बाद एक बार सफाई करवा देने से पुनः उतने ही समय के लिए टैंक कार्य कर सकता है। इस टैंक के साथ भी घर का शौचालय हर प्रकार से स्वच्छ एवं दुर्गन्धरहित रूप में कार्य करता है।

उपर्युक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि घरेलू मल विसर्जन की चारों विधियों में जल-संवहन विधि सर्वोत्तम है क्योंकि इसमें शौचालय पूर्णतया स्वच्छ रहता है और दुर्गन्ध भी नहीं फैलती तथा मल भूमिगत पाइपों द्वारा बहकर शहर से बाहर चला जाता है।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 11 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
गोबर का सबसे अच्छा उपयोग आप किस प्रकार करेंगी? समझाइए।
उत्तरः
गोबर का उत्तम उपयोग –
पारम्परिक रूप से हमारे देश में गोबर को उपले आदि बनाकर जलाने के काम में लिया जाता था। इसके धुएँ आदि में उपस्थित विषैली गैसें फैलती थीं, साथ ही उन कार्बनिक पदार्थों की हानि होती थी जिनका प्रयोग अत्यधिक उपयोगी पदार्थों के रूप में किया जा सकता है। कुछ स्थानों पर इसका उपयोग खाद बनाने के लिए भी किया जाता रहा है।

गोबर का सबसे अच्छा उपयोग है इसको बायो गैस संयन्त्र में डालकर बायो गैस प्राप्त करना। इस प्रकार एक शक्तिशाली ईंधन, प्रकाश के लिए ऊर्जा का साधन प्राप्त हो जाता है। यही नहीं, शेष बचा हुआ पदार्थ अत्यन्त उपयोगी खाद के रूप में प्रयोग होता है।

स्पष्ट है कि गोबर का बायो गैस उत्पादक के रूप में उपयोग सबसे अच्छा है।

प्रश्न 2.
घर की स्वच्छता एवं स्वास्थ्य में बाधक कीटों के रूप में मक्खी तथा मच्छर का सामान्य विवरण दीजिए।
उत्तरः
(क) मक्खी मक्खी गन्दगी में उत्पन्न होती है तथा सामान्य रूप से यह गन्दगी में रहना ही पसन्द करती है। एक मादा मक्खी एक बार में 100-500 अण्डे देती है। ये अण्डे छोटे, लम्बे तथा सिगार के आकार के होते हैं। इनका रंग सफेद व चमकीला होता है। जल्दी ही इनसे लारवा निकलता है जो बाद में प्यूपा बनकर मक्खी के रूप में बदल जाता है। बरसात के दिनों में गोबर, मल, कूड़ा-करकट इत्यादि के आस-पास इनका जन्म अधिक होता है, अतः इन्हें रोकने के लिए सफाई रखना अत्यन्त आवश्यक है। मक्खियों को नष्ट करने के लिए गन्दगी पर नियन्त्रण करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त घरों से मक्खियों को समाप्त करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं जैसे कि मक्खी मारने की औषधियों का छिड़काव।

(ख) मच्छर मच्छर की उत्पत्ति अण्डे से होती है। मादा मच्छर ठहरे हुए पानी के आस-पास अण्डे देती है। इसके अण्डे समूह में होते हैं। एक बार में एक मादा मच्छर 100-500 तक अण्डे देती है। बाद में अण्डों से लारवा तथा प्यूपा अवस्था बनती है और फिर मच्छर उत्पन्न होते हैं। इनके निवारण के लिए आस-पास पानी को रुकने नहीं देना चाहिए और यदि कहीं पानी रुका हुआ हो, तो उसके ऊपर मिट्टी का तेल डाल देना चाहिए। नाली, पानी के गड्ढे, टैंक, कूलर तथा अन्य स्थानों पर यदि पानी नहीं रुकेगा तो मच्छर भी पैदा नहीं होंगे।

प्रश्न 3.
घर के गन्दे पानी को निकालने के लिए क्या उपाय करना चाहिए?
उत्तरः
घर के गन्दे पानी को निकालने के लिए नगरपालिका और नगरवासियों को आपसी सहयोग करना अनिवार्य है। घर के अन्दर नालियों की उचित व्यवस्था होनी आवश्यक है ताकि इसमें पानी न रुके। पक्के फर्श ढालू होने चाहिए, विशेषकर स्नानघर, रसोईघर आदि स्थानों के फर्श। घर की सभी नालियों को मिलाकर एक मुख्य नाली के द्वारा गली या सड़क की नाली से जोड़ देना चाहिए। प्रत्येक नाली के ऊपर जाली होनी आवश्यक है ताकि कूड़ा-करकट नालियों में न भरने पाए और पानी न रुकने पाए। नालियों को कभी-कभी फिनायल से साफ करवा देना चाहिए। एक से अधिक मंजिल वाले मकानों में निचली मंजिलों तक गन्दा पानी लाने के लिए प्लास्टिक या सीमेण्ट के पाइप का प्रयोग होना चाहिए। खुले पतनाले किसी भी हालत में उचित नहीं।

घर के गन्दे पानी को बाहर निकाल देना ही काफी नहीं है। बल्कि गन्दे पानी को निकालने की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि यह घर से बाहर पहुँचे और सार्वजनिक नाली से मिल जाए। इस प्रकार, जहाँ नगर अथवा कस्बे में सार्वजनिक नालियाँ हैं वहाँ गन्दे पानी की निकासी की समस्या स्वयं ही सुलझ जाती है किन्तु इनके अभाव में घर के बाहर गहरा .पक्का गड्ढा या सोकिंग पिट (socking pit) बनवा देना आवश्यक होगा। इनकी सफाई की भी व्यवस्था होनी चाहिए; ताकि इनमें मक्खी, मच्छर इत्यादि न पनप सकें।

प्रत्येक अवस्था में यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कहीं भी पानी बेकार न बिखरे और न ही अधिक समय तक रुके।

प्रश्न 4.
सुलभ शौचालय से आप क्या समझती हैं? इसके महत्त्व को समझाइए।
अथवा
सुलभ शौचालय से क्या आशय है?
अथवा
टिप्पणी लिखिए-सुलभ शौचालय।
उत्तरः
सुलभ शौचालय की योजना एक राष्ट्रीय योजना है तथा इसका परिचालन केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता है। इस योजना का उद्देश्य देश भर से मनुष्य द्वारा मैला ढोने की प्रथा का पूर्ण उन्मूलन तथा आदर्श शौचालय उपलब्ध कराना है।

सुलभ शौचालय सैद्धान्तिक रूप से सैप्टिक टैंक विधि के ही समान है, परन्तु इस विधि के अन्तर्गत जो टैंक बनाया जाता है वह पक्का नहीं होता; अतः शौचालय का समस्त पानी जमीन में ही सोख लिया जाता है तथा कीड़ों द्वारा मल को समाप्त कर दिया जाता है। इस विधि में किसी प्रकार की विषैली एवं दुर्गन्धपूर्ण गैस भी नहीं बनती; अत: वातावरण के प्रदूषण का भी भय नहीं रहता। इस गड्ढे से दूषित पानी भी बाहर नहीं निकलता। अत: यह एक उत्तम एवं आदर्श शौचालय है।

सुलभ शौचालय बनाने के लिए केन्द्र सरकार तथा विश्व बैंक की ओर से विशेष अनुदान की व्यवस्था है। अत: सुलभ शौचालय बनवाने पर लागत भी बहुत कम आती है।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 11 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
घर के कूड़े को कहाँ एकत्र करना चाहिए?
उत्तरः
घर के कूड़े को एक ढक्कनदार कूड़ेदान में एकत्र करना चाहिए।

प्रश्न 2.
कूड़े-कचरे के अन्तिम विसर्जन की मुख्य विधियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तरः
कूड़े-कचरे के अन्तिम विसर्जन की मुख्य विधियाँ हैं –

  • जलाना
  • जल में प्रवाहित करना
  • गड्ढों में भराव करना
  • खाद बनाना तथा
  • छंटाई करके इस्तेमाल करना।

प्रश्न 3.
मल-मूत्र के विसर्जन की किस प्रणाली को सर्वोत्तम माना जाता है?
उत्तरः
जल-संवहन प्रणाली को मल-मूत्र के विसर्जन की सर्वोत्तम प्रणाली माना जाता है।

प्रश्न 4.
मल-मूत्र विसर्जन की जल-संवहन विधि के स्थानीय स्वरूप को क्या कहते हैं?
उत्तरः
सैप्टिक टैंक विधि।

प्रश्न 5.
वर्तमान समय में गोबर का सर्वोत्तम उपयोग क्या माना जाता है?
उत्तरः
वर्तमान समय में गोबर का सर्वोत्तम उपयोग है-गोबर से बायोगैस बनाना।

प्रश्न 6.
घर से गन्दे पानी की निकासी के लिए किस प्रकार की नालियाँ होनी चाहिए?
उत्तरः
घर से गन्दे पानी की निकासी के लिए पक्की, ढलावदार तथा ढकी हुई नालियाँ होनी चाहिए।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 11 बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

निर्देश : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर में दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए –
1. घर के समस्त कूड़े को एकत्र करना चाहिए –
(क) घर के किसी कोने में
(ख) कूड़ेदान में
(ग) सड़क पर
(घ) पड़ोसियों के घर के सामने।
उत्तरः
(ख) कूड़ेदान में।

2. घरेलू कूड़े की समस्या के पूर्ण समाधान का उपाय क्या है –
(क) घर में कूड़ा फैलने न दें
(ख) कूड़े को घर से निकालने की समुचित व्यवस्था करें
(ग) सभी घरों से निकलने वाले कूड़े को नष्ट करने के उपाय करें
(घ) उपर्युक्त सभी उपाय आवश्यक हैं।
उत्तरः
(घ) उपर्युक्त सभी उपाय आवश्यक हैं।

3. भारत सरकार द्वारा शौचालय की किस योजना के लिए अनुदान दिया जाता है –
(क) जल-संवहन विधि
(ख) सैप्टिक टैंक विधि
(ग) सुलभ शौचालय योजना
(घ) उपर्युक्त सभी के लिए।
उत्तरः
(ग) सुलभ शौचालय योजना।

4. गोबर का सर्वोत्तम वैज्ञानिक उपयोग क्या है –
(क) कण्डे बनाना
(ख) कच्चे घर को लीपना
(ग) गड्ढों में भर देना
(घ) बायोगैस बनाना।
उत्तरः
(घ) बायोगैस बनाना।

5. मक्खियों द्वारा कौन-सा रोग फैलता है
(क) चेचक
(ख) हैजा
(ग) टाइफॉइड
(घ) मलेरिया।
उत्तरः
(ख) हैजा।

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