UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry (रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ)

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पाठ के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित के लिए मोलर द्रव्यमान का परिकलन कीजिए-
(i) H20
(ii) CO2
(iii) CH4
उत्तर
(i) H20 का मोलर द्रव्यमान = (2×1.008) + (1600) = 18.016 amu
(ii) CO2 का मोलर द्रव्यमान = 12.01+ (2×1600)= 44.01 amu
(iii) CH4, का मोलर द्रव्यमाने = 12.01+ (4×1.008)= 16.042 amu

प्रश्न 2.
सोडियम सल्फेट (Na2SO4) में उपस्थित विभिन्न तत्वों के द्रव्यमान प्रतिशत का परिकलन कीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 3.
आयरन के उस ऑक्साइड का मूलनुपाती सूत्र ज्ञात कीजिए जिसमें द्रव्यमान द्वारा 69.9% आयरन और 30.1% ऑक्सीजन है।
उत्तर
>UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-2

∴ मूलानुपाती सूत्रे =Fe203

प्रश्न 4.
प्राप्त कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा का परिकलन कीजिए। जब-
(i) 1 मोल कार्बन को हवा में जलाया जाता है और
(ii) 1 मोल कार्बन को 16 g ऑक्सीजन में जलाया जाता है।
उत्तर
ऑक्सीजन/वायु में कार्बन निम्न प्रकार से जलता ह-
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(i) हवा में ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा है। इस कारण से ज्वलन पूर्ण होता है। अतः 1 मोल कार्बन | के दहन से उत्पन्न CO2 = 44 g
(ii) इस स्थिति में ऑक्सीजन एक सीमांत अभिकर्मक है। केवल 0.5 मोल कार्बन के जलेंगे।
∴ 32 g ऑक्सीजन से उत्पन्न CO2 = 44g
∴ 16 g ऑक्सीजन से उत्पन्न CO2= [latex]\frac { 44 }{ 32 } \times 16[/latex]= 22 g

प्रश्न 5.
सोडियम ऐसीटेट (CH3COONa) का 500 mL, 0.375 मोलर जलीय विलयन बनाने के लिए उसके कितने द्रव्यमान की आवश्यकता होगी? सोडियम ऐसीटेट का मोलर द्रव्यमान 82.0245 g mol-1 है।
उत्तर
जलीय विलयन की मोलरता निम्न समीकरण से व्यक्त की जा सकती है-
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अत: सोडियम ऐसीटेट के द्रव्यमान की आवश्यक मात्रा = 15.38 g

प्रश्न 6.
सान्द्र नाइट्रिक अम्ल के उस प्रतिदर्श का मोल प्रति लीटर में सान्द्रता का परिकलन कीजिए जिसमें उसका द्रव्यमान प्रतिशत 69% हो और जिसका घनत्व 1.41 g mL-1 हो।।
उत्तर
दिया गया प्रतिदर्श 69% है अर्थात् 100 g विलयन में केवल 69 g नाइट्रिक अम्ल है। नाइट्रिक अम्ल का मोलर द्रव्यमान =1+14+ (3×16) = 63g mol-1
∴ 69 g शुद्ध नाइट्रिक अम्ल (जो विलयन के 100 g में उपस्थित है) में उपस्थित मोलों की संख्या = [latex]\frac { 69 }{ 63 } =1.095[/latex]
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प्रश्न 7.
100 g कॉपर सल्फेट (CuSO4) से कितना कॉपर प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर
CuSO4 का मोलर द्रव्यमान = 63.5 + 32+ (4×16)= 1595 g mol-1
1 मोल (159.5 g) CuSO4 में Cu का 1 ग्राम परमाणु (63.5 g) उपस्थित रहता है
∴ 100 g कॉपर सल्फेट से प्राप्त कॉपर की मात्रा = [latex]\frac { 63.5 }{ 159.5 } \times 100[/latex]= 39.81 g .

प्रश्न 8.
आयरन के ऑक्साइड का आण्विक सूत्र ज्ञात कीजिए जिसमें आयरन तथा ऑक्सीजन का द्रव्यमान प्रतिशत क्रमशः 69.9 g तथा 30.1 g है।
हल
मूलानुपाती सूत्र की गणना के लिए प्रश्न 3 का हल देखिये।।
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प्रश्न 9.
निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर क्लोरीन के औसत परमाणु द्रव्यमान का परिकलन कीजिए-
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उत्तर
क्लोरीन का औसत परमाणु द्रव्यमान
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प्रश्न 10.
एथेन (C2H6) के तीन मोलों में निम्नलिखित का परिकलन कीजिए-
(i) कार्बन परमाणुओं के मोलों की संख्या
(ii) हाइड्रोजन परमाणुओं के मोलों की संख्या
(iii) एथेन के अणुओं की संख्या।
उत्तर

  1. 1 मोल एथेन में कार्बन परमाणुओं के 2 मोल हैं।
    ∴ 3 मोल एथेन में उपस्थित कार्बन परमाणुओं के मोलों की संख्या = 3×2=6
  2.  1 मोल एथेन में हाइड्रोजन परमाणुओं के 6 मोल हैं।
    ∴ 3 मोल एथेन में उपस्थित हाइड्रोजन परमाणुओं के मोलों की संख्या =3×6=18
  3. 1 मोल एथेन में उपस्थित अणु = 6.022×1023 (आवोगाद्रो संख्या)
    ∴ 3 मोल एथेन में उपस्थित अणुओं की संख्या = 3x 6.022x 1023 = 18.066×1023

प्रश्न 11.
यदि 20 g चीनी (C2H22O11) को जल की पर्याप्त मात्रा में घोलने पर उसका आयतन 2L हो जाए तो चीनी के इस विलयन की सान्द्रता क्या होगी?
उत्तर
चीनी का मोलर द्रव्यमान = (12×12)+ (1×22) + (11×16) = 342 g mol-1
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प्रश्न 12.
यदि मेथेनॉल का घनत्व 0.793 kgL-1हो तो इसके 0.25 M के 2.5L विलयन को बनाने के लिए कितने आयतन की आवश्यकता होगी?
उत्तर
मेथेनॉल का मोलर द्रव्यमान (CH3OH)= 32 g mol-1
दिये गये विलयन को तैयार करने के लिए आवश्यक मेथेनॉल का भार, जो निम्नवत् है-
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अतः आवश्यक मेथेनॉल प्रतिदर्श का आयतन = 25.22 mL

प्रश्न 13.
दाब को प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले बल के रूप में परिभाषित किया जाता है। दाब का S.I. मात्रक पास्कल नीचे दिया गया है-
1 Pa=1Nm-2
यदि समुद्रतल पर हवा का द्रव्यमान 1034 g cm-2हो तो पास्कल में दाब का परिकलन कीजिए।
उत्तर
दाब को प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले बल के रूप में परिभाषित किया गया है।
समुद्रतल पर हवा का भार = mXg = 1034×98 = 10.1332 kg ms-2
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प्रश्न 14.
द्रव्यमान का S.I. मात्रक क्या है? इसे किस प्रकार परिभाषित किया जाता है?
उत्तर
द्रव्यमान का S.I. मात्रक किलोग्राम (kg) है। पेरिस के निकट सैवरेस में 0°C पर रखी प्लैटिनम-इरीडियम मिश्र-धातु की एक विशेष छड़ अथवा टुकड़े का द्रव्यमान 1 मानक किलोग्राम माना गया है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित पूर्व-लग्नों को उनके गुणांकों के साथ मिलाइए-
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उत्तर

  1. माइक्रो-10-6,
  2. डेका-10,
  3. मेगा–10°,
  4.  गीगा–10,
  5. फेम्टो-10-15

प्रश्न 16.
सार्थक अंकों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
उन अंकों की संख्या को, जिनके द्वारा किसी राशि को निश्चित रूप से व्यक्त किया जाता है. सार्थक अंक कहते हैं।

प्रश्न 17.
पेय जल के नमूने में क्लोरोफॉर्म, जो कैन्सरजन्य है, से अत्यधिक संदूषित पाया गया। संदूषण का स्तर 15 Ppm (द्रव्यमान के रूप में था।
(i) इसे द्रव्यमान प्रतिशतता में दर्शाइए।
(ii) जल के नमूने में क्लोरोफॉर्म की मोललता ज्ञात कीजिए।
उत्तर
(i) 15 ppm (द्रव्यमान द्वारा) का अर्थ है कि क्लोरोफॉर्म के 15 भाग (द्रव्यमान से) पानी के 106 भाग (द्रव्यमान से) में उपस्थित हैं।
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प्रश्न 18.
निम्नलिखित को वैज्ञानिक संकेतन में लिखिए-
(i) 0.0048
(ii) 234.000
(iii) 8008
(iv) 500.0
(v) 6.0012
उत्तर
(i) 4.8×10-3,
(ii) 234×105,
(iii) 8.008×103,
(iv) 5.000×102,
(v) 60012×100

प्रश्न 19.
निम्नलिखित में सार्थक अंकों की संख्या बताइए-
(i) 0.0025
(ii) 208
(iii) 5005
(iv) 126,000
(v) 500.00
(vi) 2.0034
उत्तर
(i) 2,
(ii) 3,
(iii) 4,
(iv) 6,
(v) 3,
(vi) 5

प्रश्न 20.
निम्नलिखित को तीन सार्थक अंकों तक निकटित कीजिए-
(i) 34.216
(ii) 10.4107
(iii) 0.04597
(iv) 2808
उत्तर
(i) 34.2,
(ii) 10.4,
(iii) 0.0460,
(iv) 2810

प्रश्न 21.
(क) जब डाइनाइट्रोजन और डाइऑक्सीजन अभिक्रिया द्वारा भिन्न यौगिक बनाती हैं। तो निम्नलिखित आँकड़े प्राप्त होते हैं-
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ये प्रायोगिक आँकड़े रासायनिक संयोजन के किस नियम के अनुरूप हैं? बताइए।
(ख) निम्नलिखित में रिक्त स्थान को भरिए-
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उत्तर
(क) यदि नाइट्रोजन का द्रव्यमान 28 g स्थिर माना जाये तो इन चारों स्थितियों में ऑक्सीजन का द्रव्यमान क्रमशः 32 g, 64 g, 32 g और 80 g प्राप्त होता है, जो सरल पूर्ण संख्या अनुपात । 2 : 4 : 2 : 5 में हैं। अतः दिये गये आँकड़े गुणित अनुपात के नियम का पालन करते हैं।
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प्रश्न 22.
यदि प्रकाश का वेग 3.00 x 108 ms-1 हो तो 2.00 ns में प्रकाश कितनी दूरी तय करेगा?
उत्तर
तय दूरी = वेग x समय = 30×108 ms-1x200 ns
= 3.0×108 ms-1x200nsx[latex]\frac { { 10 }^{ -9 }s }{ 1ns } [/latex]= 6.00×10-1m=0.600 m

प्रश्न 23.
किसी अभिक्रिया A+B2→AB, में निम्नलिखित अभिक्रिया मिश्रणों में सीमान्त अभिकर्मक, (यदि कोई हो तो) ज्ञात कीजिए-
(i) A के 300 परमाणु + B के 200 अणु
(ii) 2 मोल A+3 मोल B
(iii) A के 100 परमाणु + B के 100 अणु
(iv) A के 5 मोल + B के 2-5 मोल
(v) A के 25 मोल+ B के 5 मोल
उत्तर

  1. दी गई अभिक्रिया के अनुसार, A + B2 → AB2 A का एक परमाणु AB के एक अणु से अभिक्रिया करता है।
    ∴ पूर्ण अभिक्रिया में A के 300 परमाणुओं के लिए, B के 300 अणुओं की आवश्यकता होगी। क्योंकि B के केवल 200 अणु उपस्थित हैं, अतः 100 अणुओं की कमी है। इस प्रकार A अधिकता में है। इसलिए B एक सीमान्त अभिकर्मक है।
  2. A के 1 मोल, B के 1 मोल से अभिक्रिया करते हैं।
    ∴ A के 2 मोल, B के 2 मोल से अभिक्रिया करेंगे B के 3 मोल उपस्थित हैं जो अधिकता में हैं। इस प्रकार A एक सीमान्त अभिकर्मक है।
  3. A के 100 परमाणु B के 100 अणुओं से पूरी तरह अभिक्रिया करेंगे। इस प्रकार दोनों प्रयुक्त हो जायेंगे। अत: इस स्थिति में कोई सीमान्त अभिकर्मक नहीं होगा।
  4. B के 2.5 मोल, A के 2.5 मोल के साथ अभिक्रिया करेंगे। इस प्रकार A अधिकता में बचा रहेगा। अतः, B एक सीमान्त अभिकर्मक है।
  5. A के 2.5 मोल B के 2.5 मोल के साथ अभिक्रिया करेंगे। इस प्रकारे B अधिकता में बचा रहेगा। अतः A एक सीमान्त अभिकर्मक है।

प्रश्न 24.
डाइनाइट्रोजन और डाइहाइड्रोजन निम्नलिखित रासायनिक समीकरण के अनुसार अमोनिया बनाती हैं-
N2(g) + 3H2(g) → 2NH3(g)
(i) यदि 2-00×103g डाइनाइट्रोजन 1-00×103 g डाइहाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया करती है तो प्राप्त अमोनिया के द्रव्यमान का परिकलन कीजिए।
(ii) क्या दोनों में से कोई अभिकर्मक शेष बचेगा?
(iii) यदि हाँ, तो कौन-सा उसका द्रव्यमान क्या होगा?
उत्तर
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स्पष्ट है, डाइहाइड्रोजन अधिकता में है तथा डाइनाइट्रोजन एक सीमान्त अभिकर्मक है।
∵ 28 g डाइनाइट्रोजन से उत्पन्न अमोनिया = 34g
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(ii) डाइहाइड्रोजन शेष बचेगा।
(iii) शेष H, का द्रव्यमान = 1.00×10-3 – 428.57=571.43 g

प्रश्न 25.
0.5 मोल Na2CO3और 0.50 M Na2CO3 में क्या अन्तर है?
उत्तर
Na2CO3 का मोलर द्रव्यमान = (2×23) +12+ (3×16)= 106
0.5 मोल Na2CO3 से तात्पर्य है-
05×106= 53g Na2CO3
यह केवल द्रव्यमान को सन्दर्भित करता है।
0.50 M Na2CO3 से तात्पर्य है 0.50 मोलर, अर्थात् Na2CO3 के 53 gm 1 लीटर विलयन में उपस्थित हैं। इस प्रकार यह विलयन के सान्द्रण को बताता है।

प्रश्न 26.
यदि डाइहाइड्रोजन गैस के 10 आयतन डाइऑक्सीजन गैस के 5 आयतनों के साथ अभिक्रिया करें तो जलवाष्प के कितने आयतन प्राप्त होंगे?
उत्तर
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हाइड्रोजन (H2) के दो आयतन ऑक्सीजन (O2) के एक आयतन के साथ अभिक्रिया करके जल वाष्प (H20) के दो आयतन उत्पन्न करते हैं।

इस प्रकार H2 के 10 आयतन पूर्णत: O2, के 5 आयतन के साथ अभिक्रिया करके जलवाष्प के 10 आयतन उत्पन्न करेंगे।

प्रश्न 27.
निम्नलिखित को मूल मात्रकों में परिवर्तित कीजिए-
(i) 28.7 pm
(ii) 15.15 us
(iii) 25365 mg
उत्तर
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प्रश्न 28.
निम्नलिखित में से किसमें परमाणुओं की संख्या सबसे अधिक होगी?
(i) 1g Au(s)
(ii) 1 g Na(s)
(iii) 1g Li(s)
(iv) 1 g Cl2(g)
उत्तर
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इस प्रकार एक ग्राम लीथियम में परमाणुओं की संख्या सबसे अधिक है।

प्रश्न 29.
एथेनॉल के ऐसे जलीय विलयन की मोलरता ज्ञात कीजिए जिसमें एथेनॉल का मोल-अंश 0.040 है।
उत्तर
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इस प्रकार एक लीटर विलयन में एथेनॉल के 2.314 मोल उपस्थित हैं। अत: दिये गये विलयन की मोलरता = 2.314 M

प्रश्न 30.
एक 12c कार्बन परमाणु का ग्राम (g) में द्रव्यमान क्या होगा?
उत्तर
12c के एक मोल अर्थात् 6.022×1023 परमाणुओं का द्रव्यमान 12g होता है।
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प्रश्न 31.
निम्नलिखित परिकलनों के उत्तर में कितने सार्थक अंक होने चाहिए?
(i) [latex]\frac { 0.02856\times 298.15\times 0.112 }{ 0.5785 } [/latex]
(ii) 5×5.364
(iii) 0.0125 + 0.7864 + 0.0215
उत्तर
(i) न्यूनतम यथार्थ परक संख्या (0.112) में तीन सार्थक अंक हैं। अत: उत्तर में तीन सार्थक अंक होने चाहिए।
(ii) पाँच पूर्ण संख्या हैं। दूसरी संख्या अर्थात् 5.364 में 4 सार्थक अंक है। अत: उत्तर में चार सार्थक अंक होने चाहिए।
(iii) उत्तर में चार सार्थक अंक होने चाहिए क्योंकि दशमलव स्थानों की न्यूनतम संख्या 4 है।

प्रश्न 32.
प्रकृति में उपलब्ध ऑर्गन के मोलर द्रव्यमान की गणना के लिए निम्नलिखित तालिका में-
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उत्तर
ऑर्गन का औसत मोलर द्रव्यमान
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प्रश्न 33.
निम्नलिखित में से प्रत्येक में परमाणुओं की संख्या ज्ञात कीजिए-
(i) 52 मोल Ar
(ii) 52u He
(iii) 52 g He
उत्तर
(i) ऑर्गन का 1 मोल = 6.022×1023परमाणु
∴ ऑर्गन के 52 मोल = 52x 6.022×1023 परमाणु = 3.131×1025 परमाणु
(ii) He के 4u = He का एक परमाणु
∴ He के 52u = [latex]\frac { 52 }{ 4 } [/latex] = 13 परमाणु
(iii) He के एक मोल अर्थात् इसके 4 g में 6.022×103 परमाणु उपस्थित होते हैं।
अतः 52 g He में उपस्थित परमाणुओं की संख्या = [latex]\frac { 6.022\times { 10 }^{ 23 } }{ 4 } \times 52[/latex]
= 3.131×1025 परमाणु

प्रश्न 34.
एक वेल्डिंग ईंधन गैस में केवल कार्बन और हाइड्रोजन उपस्थित हैं। इसके नमूने की कुछ मात्रा ऑक्सीजन से जलाने पर 3.38 g कार्बन डाइऑक्साइड, 0.690 g जल के अतिरिक्त और कोई उत्पाद नहीं बनाती। इस गैस के 10.0L (STP पर मापित) आयतन का द्रव्यमान 11.69 g पाया गया। इसके-
(i) मूलानुपाती सूत्र
(ii) अणु द्रव्यमान और
(iii) अणुसूत्र की गणना कीजिए।
उत्तर
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UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-27

प्रश्न 35.
CaCO3 जलीय HCI के साथ निम्नलिखित अभिक्रिया कर CaCI2 और C02 बनाता है।
CaC03(s) + 2HCI(g) → CaCl2(aq) + C02(g) + H2O(l) 0.75 M-HCI के 25 mL के साथ पूर्णतः अभिक्रिया करने के लिए CaCO3 की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?
उत्तर
विलयन की मोलरता (M) निम्न सम्बन्ध से प्राप्त की जा सकती है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-28

प्रश्न 36.
प्रयोगशाला में क्लोरीन का विरचन मैंगनीज डाइऑक्साइड (MnO2) की जलीय HCI विलयन के साथ अभिक्रिया द्वारा निम्नलिखित समीकरण के अनुसार किया जाता है| 4HCI(aq) + MnO2(s) → 2H20(l) + MnCl2(aq) + Cl2(g)
5.0 g मैंगनीज डाइऑक्साइड के साथ HCI के कितने ग्राम अभिक्रिया करेंगे?
उत्तर
दी गई समीकरण निम्नवत् है-
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जल तथा हाइड्रोजन परॉक्साइड निम्नलिखित में कौन-सा नियम दर्शाते हैं?
(i) स्थिर अनुपात का नियम
(ii) व्युत्क्रमानुपाती नियम ।
(iii) रासायनिक तुल्यता का नियम
(iv) गुणित अनुपात का नियम
उत्तर
(iv) गुणित अनुपात का नियम

प्रश्न 2.
आवोगाद्रो संख्या अणुओं की वह संख्या है जो उपस्थित रहती है।
(i) NTP पर 22.4 ली गैस में
(ii) किसी पदार्थ के 1 मोल में
(iii) पदार्थ के 1 ग्राम अणुभार
(iv) ये सभी
उत्तर
(iv) ये सभी

प्रश्न 3.
1 परमाण्विक द्रव्यमान इकाई (amu) का मान होता है।
(i)127 MeV
(ii) 9310 MeV
(iii) 931 MeV
(iv) 937 MeV
उत्तर
(iii) 931 Mev

प्रश्न 4.
1.12 लीटर नाइट्रोजन का STP पर लगभग द्रव्यमान है।
(i) 0.7 ग्राम
(ii) 2.8 ग्राम
(iii) 1.4 ग्राम
(iv) 3.0 ग्राम
उत्तर
(iii) 1.4 ग्राम

प्रश्न 5.
ऑक्सीजन के एक परमाणु का भार होगा
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उत्तर
(ii) [latex]\frac { 16 }{ 6.023\times { 10 }^{ 23 } } [/latex] ग्राम

प्रश्न 6.
किसी गैस के 0.1 ग्राम का NTP पर आयतन 28 मिली है। इस गैस का अणुभार है
(i) 56
(ii) 40
(iii) 80
(iv) 60
उत्तर
(iii) 80

प्रश्न 7.
7.1 ग्राम क्लोरीन गैस में क्लोरीन के मोलों की संख्या है।
(i) 0.01
(ii) 0.1
(iii) 0.05
(iv) 0.5
उत्तर
(ii) 0.1

प्रश्न 8.
निम्न में से सबसे अधिक नाइंट्रोजन परमाणुओं की संख्या किसमें है?
(i) NH4CI का 1 मोल,
(ii) 2M NH3 का 500 मिली।
(iii) NO2 के 6023 X 1023 अणु
(iv) NTP पर 22.4 लीटर N2 गैस
उत्तर
(iv) NTP पर 22.4 लीटर N2 गैस

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में अधिकतम अणुओं की संख्या किसमें है?
(i) 44 ग्राम CO2 में
(ii) 48 ग्राम O3 में
(iii) 8 ग्राम H2 में
(iv) 64 ग्राम SO2 में
उत्तर
(iii) 8 ग्राम H2 में

प्रश्न 10.
अणुओं की संख्या सर्वाधिक है।
(i) STP पर 15 लीटर H2 गैस में
(ii) STP पर 5 लीटर N2 गैस में
(iii) 0.5 ग्राम H2 गैस में,
(iv) 10 ग्राम O2 गैस में
उत्तर
(i) STP पर 15 लीटर H2 गैस में

प्रश्न 11.
10 M-HCI के 100 मिली को 10 M- Na2CO3 के 75 मिली के साथ मिलाया गया।
परिणामी विलयन होगा
(i) अम्लीय
(ii) क्षारीय
(iii) उभयधर्मी
(iv) उदासीन
उत्तर
(ii) क्षारीय

प्रश्न 12.
पानी में H :0 को भारात्मक अनुपात है।
(i) 1:1
(ii) 1:2
(iii) 1 : 8
(iv) 1: 16
उत्तर
(iii) 1 : 18

प्रश्न 13.
आसुत (distilled) जल की मोलरता है
(i) 55.56
(ii) 18.00
(iii) 49.87
(iv) 81.00
उत्तर
(i) 55.56

प्रश्न 14.
यूरिया के जलीय विलयन की मोललता 4.44 मोल/किग्रा है। विलयन में यूरिया का मोल प्रभाज है।
(i) 0.074
(ii) 0.00133
(iii) 0.008
(iv) 0.0044
उत्तर
(i) 0.074

प्रश्न 15.
H3PO4 के 1 M विलयन की नॉर्मलता है।
(i) 0.5 N
(ii) 1N
(iii) 2 N
(iv) 3 N
उत्तर
(iv) 3 N

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दो तत्वों के नाम लिखिए जो उपधातुओं के रूप में कार्य करते हैं।
उत्तर
आर्सेनिक व ऐण्टीमनी।

प्रश्न 2.
सेल्सियस तथा फारेनहाइट में सम्बन्ध बताइए।
उत्तर
सेल्सियस तथा फारेनहाइट में सम्बन्ध इस प्रकार है : °F = [latex]\frac { 9 }{ 5 } [/latex](°C)+32

प्रश्न 3.
स्थिर अनुपात का नियम किस वैज्ञानिक ने दिया था?
उत्तर
स्थिर अनुपात का नियम फ्रांसीसी रसायनज्ञ जोसफ प्राउस्ट ने सन् 1779 में दिया था।

प्रश्न 4.
कौन-सा नियम गैसीय अभिकारकों तथा गैसीय उत्पादों के अनुपात से सम्बन्धित है?
उत्तर
गै-लुसैक का नियम गैसीय अभिकारकों तथा गैसीय उत्पादों के अनुपात से सम्बन्धित है।

प्रश्न 5.
1 मोल पदार्थ को परिभाषित कीजिए।
उत्तर
मोल पदार्थ की मात्रा का मात्रक है। 1 मोल पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें उतने ही मूल कण होते हैं जितने की 0.012 किग्रा कार्बन-12 में परमाणु होते हैं।

प्रश्न 6.
CaCO3 के 20 ग्राम में मोलों की संख्या की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-31

प्रश्न 7.
4.4 ग्राम CO2 में ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या क्या होगी?
उत्तर
4.4 ग्राम CO2 में मोलों की संख्या = [latex]\frac { 4.4 }{ 44 } [/latex] = 0.1 मोल
0.1 मोल CO2 में ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या
= 01x2xN = 01x2x 6023×1023
=1.2046×1023

प्रश्न 8.
C12 के 12 ग्राम में परमाणुओं की संख्या की गणना कीजिए।
उत्तर
C12 के मोलों की संख्या =[latex]\frac { 12 }{ 12 } [/latex]=1 मोल
अतः 1 मोल C12 में परमाणुओं की संख्या = 6.023×1023 C12 परमाणु

प्रश्न 9.
CaCl2.2H2O का प्रतिशत संघटन निकालिए।
[Ca = 40, CI= 35.5, H = 1, 0 = 16]
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-32

प्रश्न 10.
मूलानुपाती सूत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
वह सूत्र जो किसी यौगिक के अणु में उपस्थित विभिन्न परमाणुओं के सरलतम पूर्ण संख्या अनुपात को दर्शाता है, यौगिक का मूलानुपाती सूत्र कहलाता है।

प्रश्न 11.
मूलानुपाती सूत्र तथा आणविक सूत्र में सम्बन्ध बताइए।
उत्तर
आणविक सूत्र = nx मूलानुपाती सूत्र (जहाँ ॥ = 1, 2, 3, 4, 5,……..)

प्रश्न 12.
स्टॉइकियोमीट्रिक (रससमीकरणमिती) गुणांक क्या है?
2KCIO3 → 2KCl+3O2
अभिक्रिया के लिए स्टॉइकियोमीट्रिक गुणांक लिखिए।
उत्तर
स्टॉइकियोमीट्रिक गुणांक सन्तुलित रासायनिक समीकरण में अभिकारकों तथा उत्पादों के मोलों की संख्या को स्टॉइकियोमीट्रिक गुणांक कहते हैं।

2KCIO3 → 2KCl+3O2

उपर्युक्त अभिक्रिया में KCIO3 के 2 मोल गर्म करने पर 2 मोल KCI तथा 3 मोल 0, उत्पन्न हो रहा है। अतः उपर्युक्त अभिक्रिया का स्टॉइकियोमीट्रिक गुणांक 2, 2 व 3 है।

प्रश्न 13.
स्टॉइकियोमीट्रिक तथा अन-स्टॉइकियोमीट्रिक यौगिकों में अन्तर बताइए।
उत्तर
वे यौगिक जिनमें विद्यमान तत्वों का संघटन निश्चित होता है, स्टॉइकियोमीट्रिक कहलाते हैं; जैसे-H20, NH3 CH4, CO2 आदि। जबकि वे यौगिक जिनमें विद्यमान तत्वों का संघटन संयोग करने वाले अवयवों की संयोजकताओं के अनुरूप नहीं होता है तथा परिवर्तनीय होता है, जैसे-अन-स्टॉइकियोमीट्रिक कहलाते हैं; Fe0.98O, Cu1.7S आदि।

प्रश्न 14.
रासायनिक अभिक्रिया की परिभाषा एवं प्रकार लिखिए।
उत्तर
रासायनिक अभिक्रिया रसायन विज्ञान में विभिन्न रसायनों की एक-दूसरे से होने वाली अभिक्रिया रासायनिक अभिक्रिया कहलाती है। किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों को अभिकारक तथा उस अभिक्रिया में बनने वाले पदार्थों को उत्पाद कहते हैं। रासायनिक अभिक्रियाएँ मुख्यतः निम्न प्रकार की होती हैं।

  1. अम्ल-क्षार अभिक्रियाएँ
  2. ऑक्सीकारक-अपचयन अभिक्रियाएँ
  3. अवक्षेपण अभिक्रियाएँ

प्रश्न 15.
मोल प्रभाज को संक्षेप में परिभाषित कीजिए।
उत्तर
मोल प्रभाज “विलयन में उपस्थित किसी एक अवयव का मोल प्रभाज उस विलयन में उपस्थित उस अवंयव के मोलों (ग्राम-अणुओं) की संख्या तथा विलयन में उपस्थित इन सभी अवयवों के मोलों की कुल संख्या का अनुपात होता है।”
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-33

[नोट : विलयन में उपस्थित सभी अवयवों के मोल प्रभाज का योग सदैव एक होता है तथा अवयवों के मोल प्रभाज ताप परिवर्तन पर अपरिवर्तित रहते हैं।

प्रश्न 16.
विलयन की मोलरता क्या व्यक्त करती है?
उत्तर
किसी विलयन के एक लीटर आयतन में उपस्थित विलेय पदार्थ के मोलों की संख्या को उस विलयन की मोलरता कहते हैं। इस प्रकार यह विलयन के प्रति लीटर में विलेय की सान्द्रता व्यक्त करती है।

प्रश्न 17.
मोललता की परिभाषा लिखिए तथा इसकी इकाई भी बताइए।
उत्तर
किसी विलायक के 1 किग्रा में उपस्थित विलेय के मोलों की संख्या मोललता कहलाती है। इसे m से निरूपित करते हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-34
इसकी इकाई (मात्रक) मोल/किग्रा है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए
(i) द्रव्य,
(ii) तत्त्व,
(iii) यौगिक,
(iv) मिश्रण,
(v) परमाणु तथा
(vi) अणु
उत्तर

  1. द्रव्य-वह पदार्थ जो स्थान घेरता है, जिसमें भार होता है तथा जिसका ज्ञान हम अपनी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा कर सकते हैं, द्रव्य कहलाता है।
  2. तत्त्व-ऐसे द्रव्य जिनको किसी भी विधि द्वारा दो या दो से अधिक विभिन्न द्रव्यों में अपघटित न किया जा सके, तत्त्व कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-लोहा, ताँबा, चाँदी आदि।
  3. यौगिक–शुद्ध समांगी द्रव्य (पदार्थ) जो दो या दो से अधिक तत्त्वों के निश्चित अनुपात में पारस्परिक रासायनिक संयोग से बनता है, यौगिक कहलाता है। उदाहरणार्थ-सोडियम क्लोराइड, चीनी, जल आदि।
  4.  मिश्रण–वे द्रव्य जो दो या दो से अधिक पदार्थों (तत्त्वों अथवा यौगिकों) को किसी भी अनुपात में मिला देने पर बनते हैं, मिश्रण कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-चीनी और रेत का मिश्रण, चीनी का जल में मिश्रण आदि।
  5. परमाणु-तत्त्व का वह सूक्ष्मतम कण जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है, परमाणु कहलाता है।
  6. अणु-किसी पदार्थ (तत्त्व अथवा यौगिक) का वह सूक्ष्मतम कण जो स्वतन्त्र रूप में रह सकता है, अणु कहलाता है।

प्रश्न 2.
मिश्रण और यौगिक में अन्तर बताइए।
उत्तर
मिश्रण और यौगिक में अन्तर निम्नलिखित हैं-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-35
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-36

प्रश्न 3.
द्रव्य की कणिक प्रकृति पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
हम जानते हैं कि सभी भौतिक वस्तुएँ द्रव्य से बनी हुई हैं परन्तु द्रव्य किससे बना हुआ है? इस प्रश्न का उत्तर मानव प्राचीनकाल से ही खोजता आया है। ईसा से 500 वर्ष पूर्व भारतीय महर्षि कणाद ने यह विचार व्यक्त किया था कि द्रव्य असतत हैं अर्थात् द्रव्य अतिसूक्ष्म अभिकारक कणों से बना हुआ है। ईसा से पूर्व पाँचवीं शताब्दी में यूनानी दार्शनिक डेमोक्रेटस ने तथा ईसा से पूर्व प्रथम शताब्दी में रोम के दार्शनिक ल्यूक्रिटस ने भी यही विचार व्यक्त किये थे कि द्रव्य अतिसूक्ष्म अविभाज्य कणों से बना हुआ है। इस प्रकार यह सिद्ध हुआ कि द्रव्य की प्रकृति कणिक होती है। 17 वीं और 18 वीं शताब्दी में भी कुछ रसायनशास्त्रियों ने द्रव्य की कणिक प्रकृति सम्बन्धी परिकल्पनाएँ दी। परन्तु 19 वीं शताब्दी से पूर्व तक द्रव्य की रचना के सम्बन्ध में व्यक्त किये गये विचार केवल सपना मात्र थे। सन् 1803 में जॉन डॉल्टन ने सर्वप्रथम परमाणु परिकल्पना के आधार पर द्रव्य की कणिक प्रकृति को सिद्ध किया। अभी यह परमाणु परिकल्पना प्रयोगों और प्रेक्षणों के परिणामों पर आधारित थी। इस प्रकार सिद्ध हुआ कि द्रव्य की प्रकृति कृणिक होती है अर्थात् यह अविन्यास कणों (परमाणुओं) से निर्मित होता है।

प्रश्न 4.
S.I. पद्धति के मूल मात्रक कौन-कौन से हैं? ये किन भौतिक राशियों से सम्बन्धित हैं?
उत्तर
S.I. पद्धति के मूल मात्रक, उनसे संम्बन्धित भौतिक राशियों तथा उनके प्रतीकों को निम्नांकित सारणी में दर्शाया गया है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-37

प्रश्न 5.
द्रव्यमान संरक्षण का नियम क्या है? एक प्रयोग द्वारा दर्शाइए कि रासायनिक परिवर्तन के लिए भी यह नियम सत्य है।
उत्तर
इस नियम के अनुसार, “किसी रासायनिक अथवा भौतिक परिवर्तन में, उत्पादों का कुल द्रव्यमान अभिकारकों के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है। प्रयोग जब 100 ग्राम मरक्यूरिक ऑक्साइड को एक बन्द नली में लेकर गर्म किया जाता है तो 92.6 ग्राम मरक्यूरी और 7.4 ग्राम ऑक्सीजन प्राप्त होती है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-38

यहाँ उत्पादों का कुल द्रव्यमान (92.6 ग्राम + 7.4 ग्राम = 100 ग्राम) अभिकारक के द्रव्यमान (100 ग्राम) के बराबर है।।

प्रश्न 6.
स्थिर अनुपात के नियम को एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर
इस नियम के अनुसार, “एक रासायनिक यौगिक में एक ही प्रकार के तत्त्व भारानुसार एक निश्चित अनुपात में जुड़े रहते हैं।’ उदाहरणार्थ— कार्बन डाइऑक्साइड किसी भी विधि से बनाई जाए (वायु में कोयले को गर्म करके, सोडियम बाइकार्बोनेट को गर्म करके अथवा कैल्सियम कार्बोनेट को गर्म करके) उसमें सदैव 1 कार्बन परमाणु और 2 ऑक्सीजन परमाणु होते हैं तथा ये दोनों सदैव भारानुसार 12 : 32 अथवा 3: 8 के अनुपात में जुड़े रहते हैं।

प्रश्न 7.
गुणित अनुपात के नियम को एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर
इस नियम के अनुसार, “जब दो तत्त्वे परस्पर संयोग करके एक से अधिक यौगिक बनाते हैं, तब उनमें एक तत्त्व के विभिन्न भार जो दूसरे तत्त्व के एक निश्चित भार से संयोग करते हैं परस्पर सरल अनुपात में होते हैं। उदाहरणार्थ-सल्फर, ऑक्सीजन के साथ संयोग करके दो यौगिक सल्फर डाइऑक्साइड और सल्फर ट्राइऑक्साइड बनाता है। सल्फर डाइऑक्साइड में सल्फर के 32 भाग, ऑक्सीजन के 32 भागों (भारानुसार) से संयोग करते हैं जबकि सल्फर ट्राइऑक्साइड में सल्फर के 32 भाग ऑक्सीजन के 48 भागों (भारानुसार) से संयोग करते हैं। ऑक्सीजन के विभिन्न भारों, जो सल्फर के निश्चित भार (32 भाग) से संयोग करते हैं, का अनुपात 32:48 अथवा 2:3 हैं जो कि एक सरल अनुपात हैं।

प्रश्न 8.
व्युत्क्रम अनुपात के नियम को एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर
इस नियम के अनुसार, “जब दो तत्त्व किसी तीसरे तत्त्व के निश्चित भार से संयोग करते हैं, तो उनके भारों का अनुपात या तो वही रहता है या उन भारों के अनुपात का अपवर्त्य होता है जिसमें वे आपस में संयोग करते हैं। उदाहरणार्थ-कार्बन, सल्फर और ऑक्सीजन तीन तत्त्व हैं। कार्बन और सल्फर ऑक्सीजन से अलग-अलग संयोग करके क्रमशः कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड बनाते हैं। सल्फर और कार्बन आपस में संयोग करके कार्बन डाइसल्फाइड बनाते हैं। कांर्बन डाइऑक्साइड (CO, ) में कार्बन के 12 भाग ऑक्सीजन के 32 भागों से संयोग (भारानुसार) करते हैं जबकि सल्फर डाइऑक्साइड (SO,) में सल्फर के 32 भाग ऑक्सीजन के 32 भागों से संयोग (भारानुसार) करते हैं। अब ऑक्सीजन के निश्चित भार (32 भाग) से संयोग करने वाले कार्बन और सल्फर के भारों में अनुपात 12 : 32 अथवा 3 : 8 कार्बन डाइसल्फाइड (Cs,) में कार्बन के 12 भाग सल्फर के 64 भागों से संयोग (भारानुसार) करते हैं। CS, में कार्बन और सल्फर के भारों में अनुपात 12:64 अथवा 3 : 16

ऊपर दिए गए अनुपातों में अनुपात [latex]\frac { 3 }{ 8 } :\frac { 3 }{ 16 } [/latex] अथवा 2 : 1.

अत: ऑक्सीजन के निश्चित भार के साथ संयोग करने वाले कार्बन और सल्फर के भारों में अनुपात, भारों के उस अनुपात का सरल अपवर्त्य होता है जिसमें कार्बन और सल्फर आपस में संयोग करते हैं। इस प्रकार यह उदाहरण व्युत्क्रम अनुपात के नियम की पुष्टि करता है।

प्रश्न 9.
गै-लुसैक के नियम को एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर
इस नियम के अनुसार, “जब दो गैसें परस्पर संयोग या रासायनिक अभिक्रिया करती हैं, तो समान ताप व दाब पर अभिकारक तथा उत्पाद गैसों के आयतन सरल अनुपात में होते हैं।’
उदाहरणार्थ -एक आयतन हाइड्रोजन (H2), एक आयतन क्लोरीन (Cl2) के साथ संयोग करके 2 आयतन हाइड्रोजन क्लोराइड गैस (HCI) देती है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-39
अत: अभिकारक तथा उत्पाद गैसों का अनुपात 1: 1 : 2 है।

प्रश्न 10.
42.47 ग्राम सिल्वर नाइट्रेट प्रति लीटर वाले विलयन के 10 मिली से कितने ग्राम सिल्वर क्लोराइड प्राप्त होगी? (Ag = 108, N=14, 0 = 16, Cl= 35.5, H = 1)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-40

प्रश्न 11.
सामान्य ताप एवं दाब पर 2.4 लीटर ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए कितना KCIO3 आवश्यक है? (K= 39, Cl= 35.5)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-41

प्रश्न 12.
1.7 ग्राम अमोनिया (अणुभार = 17) में मोलों और अणुओं की संख्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-42

प्रश्न 13.
1 ग्राम हीलियम (He) में परमाणुओं की संख्या और NTP पर आयतन की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-43

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव जीवन में रसायन विज्ञान के महत्व एवं विस्तार का वर्णन कीजिए।
उत्तर
आधुनिक जीवन में रसायन विज्ञान का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह लगभग सभी क्षेत्रों में मानव-समाज की सेवा कर रहा है और मानव जीवन को सुखी, स्वस्थ, सुरक्षित एवं समृद्ध बना रहा है। राष्ट्रीय अर्थ-व्यवस्था में भी रसायन विज्ञान का महत्त्वपूर्ण योगदान है। देश की विकास योजनाओं की सफलत बहुत कुछ रसायन-विज्ञान के अनुप्रयोग पर निर्भर करती है। सभी लघु और बड़े उद्योगों में रासायनिक पदार्थों की आवश्यकता पड़ती है। अम्ल, क्षार और लवणों का उपयोग धातु-निष्कर्षण, धातु-शोधन, पेट्रोलियम शोधन तथा काँच, साबुन, कागज, कपड़ा, उर्वरक, विस्फोटक, रंजक, औषधियों आदि के उत्पादन में होता है। सल्फ्यूरिक अम्ल, नाइट्रिक अम्ल, अमोनिया, कॉस्टिक सोडा और क्लोरीन उद्योगों के स्तम्भ हैं। लोहा, ताँबा, ऐलुमिनियम, जिंक, निकिल आदि धातुओं, पीतल तथा स्टील अनेक प्रकार की मिश्र-धातुओं का उपयोग उद्योग-धन्धों और दैनिक जीवन की अनेकों वस्तुएँ बनाने में होता है। प्लास्टिक, टेफ्लॉन, पॉलिथीन, कृत्रिम रबर व अन्य बउत्तरकों से अनेक प्रकार की उपयोगी वस्तुएँ बनाई जाती हैं। कृत्रिम रेशम, ऊन तथा धागों से वस्त्र बनाए जाते हैं। कीटनाशी, पीड़कनाशी आदि रसायन फसल की रक्षा करते हैं। औषधियाँ स्वास्थ्य तथा जीवन की रक्षा करती हैं। तेल, वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लवण और विटामिन हमारे भोजन के आवश्यक अंग हैं। संक्षेप में रसायन विज्ञान के महत्त्व को निम्नवत् स्पष्ट किया जा सकता है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 1 Some Basic Concepts of Chemistry img-44

प्रश्न 2.
डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त क्या है? इसके प्रमुख बिन्दु लिखिए। इसके दोषों का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर
डोल्टन का परमाणु सिद्धान्त-एक अंग्रेज अध्यापक जॉन डाल्टन ने सन् 1808 में द्रव्य की रचना के सम्बन्ध में एक सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जिसे डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त कहते हैं। इस परमाणु सिद्धान्त के प्रमुख बिन्दु निम्नवत् हैं-

  1. द्रव्य अत्यन्त सूक्ष्म अविभाज्य कणों का बना होता है जिन्हें परमाणु (atoms) कहते हैं।
  2. एक ही तत्त्व के परमाणु सभी प्रकार से समान होते हैं अर्थात् उनका भार, आकृति आदि समान होते हैं।
  3. विभिन्न तत्त्वों के परमाणुओं के आकार, भार, रासायनिक गुण आदि भिन्न-भिन्न होते हैं।
  4. परमाणु न तो नष्ट किए जा सकते हैं और न ही उत्पन्न अर्थात् ये अविनाशी होते हैं।
  5. एक परमाणु वह सूक्ष्मतम कण है जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है अर्थात् पूर्ण परमाणु न कि उनके भिन्न (fractions) रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं।
  6. एक ही अथवा विभिन्न तत्त्वों के परमाणु संयुक्त होकर यौगिक परमाणु (compound atoms) बनाते हैं जिन्हें अब अणु (molecules) कहा जाता है।
  7. जब परमाणु संयुक्त होकर यौगिक परमाणु बनाते हैं तो उनकी संख्याओं में सरल पूर्ण संख्या अनुपात (1 : 1, 1 : 2, 2 : 1, 2: 3) होता है।
  8. दो तत्त्वों के परमाणु विभिन्न अनुपातों में संयोग करके एक से अधिक यौगिक बना सकते हैं।
    उदाहरणार्थ-सल्फर ऑक्सीजन से संयोग करके सल्फर डाइऑक्साइड (SO,) और सल्फर ट्राइऑक्साइड (SO) बनाता है जिनमें सल्फर और ऑक्सीजन का अनुपात क्रमशः 1:2 और 1: 3 होता है।
  9. परमाणु रासायनिक परिवर्तन में अपनी निजी सत्ता (individuality) बनाए रखते हैं।

डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त के दोष
डाल्टन के परमाणु सिद्धान्तं ने द्रव्य की आंतरिक रचना के बारे में काफी सटीक और सही जानकारी दी। साथ ही उससे रासायनिक संयोजन के नियमों की भी सही व्याख्या हुई परन्तु इस सिद्धान्त के कुछ दोष भी पाए गए जो निम्नवत् हैं-

  1. यह बता नहीं सका कि विभिन्न तत्त्वों के परमाणु किस प्रकार एक-दूसरे से भिन्न होते हैं अर्थात् उसने परमाणु की आंतरिक संरचना के बारे में कुछ नहीं बताया।
  2. यह गे-लुसैक के गैसीय आयतन के नियम की व्याख्या करने में असफल रहा।
  3. यह स्पष्ट नहीं कर सका कि परमाणु क्यों और कैसे जुड़कर यौगिक परमाणु बनाते हैं।
  4. यह अणु में परमाणुओं को बाँधे रखने वाले बल की प्रकृति के विषय में कुछ नहीं बता सका।
  5. यह अभिक्रिया में भाग लेने वाले तत्त्व के मूल कण (परमाणु) और स्वतन्त्र अवस्था में पाए जा सकने वाले मूल कण (अणु) में विभेद नहीं कर सका।

Grams to moles calculator is the best mole weight calculator.

प्रश्न 3.
मोल संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर
परमाणुओं के निरपेक्ष द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए यह अनिवार्य है कि हमें पदार्थ की निश्चित मात्रा में उपस्थित परमाणुओं अथवा अणुओं की संख्या ज्ञात हो। अध्ययन से यह पता चला है कि किसी भी तत्त्व के एक ग्राम परमाणु में समान संख्या में परमाणु होते हैं। इसी प्रकार किसी भी पदार्थ के एक ग्राम अणु में समान संख्या में अणु होते हैं। प्रयोगों द्वारा यह संख्या 6023×1023 ज्ञात हुई है। इस संख्या को ‘आवोगाद्रो संख्या’ या ‘आवोगाद्रो स्थिरांक’ कहते हैं तथा इसे NA द्वारा प्रदर्शित करते। हैं। किसी पदार्थ की वह मात्रा जिसमें 6023×1023 तात्विक कण पाये जाते हैं, एक मोल (mole) कहलाती है। दूसरे शब्दों में, एक मोल पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें उतने ही तात्विक कण पाये जाते हैं जितने कि कार्बन-12 के 12 g(0.012 kg) में होते हैं। ‘मोल’ पद का प्रयोग परमाणु, अणु, आयन, इलेक्ट्रॉन आदि किसी के लिए भी किया जा सकता है। मोल परमाणुओं, अणुओं, आयनों आदि को गिनने का एक मात्रक है। जिस प्रकार एक दर्जन का तात्पर्य 12 वस्तुओं और एक स्कोर का तात्पर्य 20 वस्तुओं से है, ठीक उसी प्रकार मोल का तात्पर्य 6023×1023 कणों से है। इसका कणों की प्रकृति से कोई सम्बन्ध नहीं है।
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किसी पदार्थ के एक मोल के ग्राम में व्यक्त द्रव्यमान को उसका मोलर द्रव्यमान (molar mass) कहते हैं। परमाणुओं की स्थिति में यह ग्राम परमाणु द्रव्यमान (gram atomic mass) और अणुओं की स्थिति में यह ग्राम आणविक द्रव्यमान (gram molecular mass) के समान होता है। इसे हम इस प्रकार भी कह सकते हैं कि किसी तत्त्व के 6023×1023 परमाणुओं का ग्राम में व्यक्त द्रव्यमान उसके ग्राम परमाणु द्रव्यमान अथवा एक ग्राम परमाणु के समान होता है। इसी प्रकार किसी तत्त्व अथवा यौगिक के 6023×1023 अणुओं का ग्राम में व्यक्त द्रव्यमान उसके ग्राम आणविक द्रव्यमान अथवा एक ग्राम अणु के समान होता है।

उदाहरणार्थ-6023×1023 ऑक्सीजन परमाणुओं का द्रव्यमान = 16 g
6023×1023 ऑक्सीजन अणुओं का द्रव्यमान = 32 g
6023×1023 जल अणुओं का द्रव्यमान = 18 g

यदि पदार्थ परमाणवीय (atomic) है तो मोलर द्रव्यमान 6023×1023 (आवोगाद्रो संख्या) परमाणुओं को द्रव्यमान होता है। ऐसे में हम मोलर द्रव्यमान को आवोगाद्रो संख्या से भाग देकर एक परमाणु का निरपेक्ष द्रव्यमान (absolute mass) ज्ञात कर सकते हैं। इसी प्रकार हम आणविक पदार्थों के एक अणु का निरपेक्ष द्रव्यमान भी ज्ञात कर सकते हैं।

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UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties (तत्त्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Chemistry. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties (तत्त्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता).

पाठ के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आवर्त सारणी में व्यवस्था का भौतिक आधार क्या है?
उत्तर
आवर्त सारणी में व्यवस्था का भौतिक आधार समान गुणधर्म (भौतिक तथा रासायनिक गुण) वाले तत्वों को एकसाथ एक ही वर्ग में रखना है। चूंकि तत्वों के ये गुणधर्म मुख्यत: उनके संयोजी कोश के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर निर्भर करते हैं। अत: किसी समूह के तत्वों के परमाणुओं के संयोजी कोश विन्यास समान होते हैं।

प्रश्न 2.
मेंडलीव ने किस महत्त्वपूर्ण गुणधर्म को अपनी आवर्त सारणी में तत्वों के वर्गीकरण का आधार बनाया? क्या वे उस पर दृढ़ रह पाए?
उत्तर
मेंडलीव ने परमाणु भार को, तत्त्वों के वर्गीकरण का आधार माना तथा तत्त्वों को बढ़ते हुए परमाणु भार के क्रम में व्यवस्थित किया। वह अपने आधार पर निष्ठापूर्वक दृढ़ रहे तथा उन्होंने उन तत्त्वों के लिए रिक्त स्थान छोड़ा जो उस समय ज्ञात नहीं थे तथा उनके परमाणु भारों के आधार पर, उनके लक्षणों या गुणों की भविष्यवाणी की। उनकी भविष्यवाणियाँ उन तत्त्वों की खोज होने पर सत्य पायी गयीं।

प्रश्न 3.
मेंडलीव के आवर्त नियम और आधुनिक आवर्त नियम में मौलिक अन्तर क्या है?
उत्तर
मेंडलीव का आवर्त नियम तत्त्वों के परमाणु भारों पर आधारित है, जबकि आधुनिक आवर्त नियम तत्त्वों के परमाणु क्रमांकों पर आधारित है। इस प्रकार मौलिक अन्तर वर्गीकरण का आधार है।

प्रश्न 4.
क्वाण्टम संख्याओं के आधार पर यह सिद्ध कीजिए कि आवर्त सारणी के छठवें आवर्त में 32 तत्व होने चाहिए।
उत्तर
आवर्त सारणी के दीर्घ रूप में प्रत्येक आवर्त एक नई कक्षा के भरने से प्रारम्भ होता है। छठवाँ आवर्त (मुख्य क्वाण्टम संख्या = 6)n = 6 से प्रारम्भ होता है। इस कक्ष के लिए, n= 6 तथा != 0,1, 2 तथा 3 होगा (उच्च मान आदेशित नहीं है)।

इस प्रकार, उपकक्षाएँ 6s, 6p, 6d तथा 6 इलेक्ट्रॉनों के समावेशन के लिए उपलब्ध हैं। किन्तु आँफबाऊ के नियमानुसार 6d तथा 6/-उपकक्षाओं की ऊर्जा 7s-उपकक्षाओं की तुलना में अधिक होती है। इसलिए यह कक्षाएँ 7s उपकक्षाओं के भरने तक नहीं भरती हैं। इसके अतिरिक्त 5d- तथा 4- उपकक्षाओं की ऊर्जाएँ 6p- उपकक्षाओं से कम होती हैं। इसलिए, छठवें आवर्त में, इलेक्ट्रॉन्स केवल 6s, 4,5d तथा 6p- उपकक्षाओं में भरते हैं। इन उपकक्षाओं में इलेक्ट्रॉन्स की संख्याएँ क्रमशः 2, 14, 10 तथा 6 होती हैं अर्थात् कुल 32 इलेक्ट्रॉन्स होते हैं। इसी कारण छठवें आवर्त में 32 तत्त्व होते।

प्रश्न 5.
आवर्त और वर्ग के पदों में यह बताइए कि z = 14 कहाँ स्थित होगा?
उत्तर
z=114 तत्त्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-1
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-2

यह स्पष्ट है कि दिया तत्त्व एक सामान्य तत्त्व है तथा आवर्त सारणी के p-ब्लॉक से सम्बन्धित है।’ चूँकि इस तत्त्व में n = 7 कक्ष में इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं, अत: यह आवर्त सारणी के सातवें आवर्त में स्थित होगा। इसके अतिरिक्त समूह की संख्या = 10+ संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या
= 10 +4 = 14
अतः दिया गया तत्त्व सातवें आवर्त में तथा समूह 14 में स्थित है।

प्रश्न 6.
उस तत्व का परमाणु क्रमांक लिखिए, जो आवर्त सारणी में तीसरे आवर्त और 17वें वर्ग में स्थित होता है।
उत्तर
तीसरे आवर्त में केवल 3- तथा 3p-कक्षाएँ भरती हैं। अत: आवर्त में केवल दो – तथा छः p-ब्लॉक के तत्त्व होते हैं। तीसरा आवर्त Z=11 से प्रारम्भ होकर Z= 18 पर समाप्त होता है। अतः Z=11 तथा Z= 12 के तत्त्व -ब्लॉक में स्थित होंगे। अगले छः तत्त्व Z = 13 (समूह 13) से Z= 18 (समूह 18)p-ब्लॉक के तत्त्व हैं। इसलिए वह तत्त्व जो 17वें समूह में स्थित है उसका परमाणु क्रमांक Z = 17 होगा।

प्रश्न 7.
कौन-से तत्व का नाम निम्नलिखित द्वारा दिया गया है?
(i) लॉरेन्स बर्कले प्रयोगशाला द्वारा
(ii) सी बोर्ग समूह द्वारा।
उत्तर

  1. लॉरेन्सियम (Lawrencium) (Z=103) तथा बर्केलियम (Berkelium) (Z=97)
  2. सीबोर्गीयम (Seaborgium) (Z = 106)

प्रश्न 8.
एक ही वर्ग में उपस्थित तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुणधर्म समान क्यों होते हैं?
उत्तर
एक ही वर्ग में उपस्थित तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होते हैं अर्थात् उनकी संयोजी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है। इसी कारण से एक ही वर्ग में उपस्थित तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं।

प्रश्न 9.
परमाणु त्रिज्या’ और ‘आयनिक त्रिज्या से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
परमाणु त्रिज्या से तात्पर्य परमाणु का आकार है, जो परमाणु के नाभिक के केन्द्र से बाह्यतम कक्षा के इलेक्ट्रॉन की दूरी के बराबर मानी जाती है। किसी आयन की ‘आयनिक त्रिज्या’ उसके नाभिक तथा उस बिन्दु के मध्य की दूरी को माना जाता है जिस पर नाभिक का प्रभाव आयन के इलेक्ट्रॉन मेघ पर प्रभावी होता है।

प्रश्न 10.
किसी वर्ग या आवर्त में परमाणु त्रिज्या किस प्रकार परिवर्तित होती है? इस परिवर्तन की व्याख्या आप किस प्रकार करेंगे?
उत्तर
आवर्त में परमाणु त्रिज्याएँ (Atomic Radii in Periods) किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर परमाणु त्रिज्याएँ नियमित क्रम में क्षार धातु से हैलोजेन तक घटती हैं; क्योंकि नाभिकीय आवेश बढ़ने के साथ-साथ बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनों की संख्या भी बढ़ती है, फलस्वरूप बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करने की क्षमता भी बढ़ती है। इस कारण इनकी नाभिक व बाह्यतमं कोशों के बीच की दूरी क्रमशः घटती है; अत: परमाणु त्रिज्या घटती है। (यह ध्यान देने योग्य है कि यहाँ उत्कृष्ट गैसों की परमाणु त्रिज्या पर विचार नहीं किया जा रहा है। एकल परमाणु होने के कारण उनकी आबन्धित त्रिज्या बहुत अधिक है। इसलिए उत्कृष्ट गैसों की तुलना दूसरे तत्वों की सहसंयोजक त्रिज्या से न करके वाण्डरवाल्स त्रिज्या से करते हैं।)

कुछ तत्वों के लिए परमाणु त्रिज्या का मान निम्नांकित सारणी-1 में दिया गया है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-3
द्वितीय आवर्त में परमाणु त्रिज्या में परमाणु क्रमांक के साथ परिवर्तन चित्र-1 में प्रदर्शित वक्र द्वारा और अधिक स्पष्ट होता है। वक्र में स्पष्ट प्रदर्शित है कि नितान्त बाईं ओर स्थित क्षार धातु (Li) की परमाणु त्रिज्या अधिकतम तथा नितान्त दाईं ओर स्थित हैलोजेन (F) की परमाणु त्रिज्या का मान न्यूनतम है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-4
वर्ग में परमाणु त्रिज्याएँ (Atomic radii in Groups)
किसी वर्ग में ऊपर से नीचे चलने पर परमाणु त्रिज्याएँ बढ़ती हैं; क्योंकि जैसे-जैसे नाभिकीय आवेश बढ़ता है, इलेक्ट्रॉनिक कोशों की संख्या बढ़ती जाती है, फलस्वरूप बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करने की क्षमता घटती है; अत: परमाणु त्रिज्या बढ़ती है।
निम्नांकित सारणी-2 में धातुओं तथा हैलोजेन तत्वों के लिए परमाणु त्रिज्याएँ दी गई हैं
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-5
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-6
वर्ग में परमाणु क्रमांकों के साथ क्षार धातुओं तथा हैलोजेनों की परमाणु त्रिज्याओं में परिवर्तन चित्र-2 में प्रदर्शित वक्र द्वारा और अधिक स्पष्ट होता है। मानों से यह स्पष्ट है कि लीथियम (Li) की परमाणु त्रिज्या न्यूनतम तथा सीजियम (Cs) की अधिकतम है। इसी प्रकार हैलोजेनों में फ्लुओरीन (F) की परमाणु त्रिज्या न्यूनतम तथा आयोडीन (I) की अधिकतम है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-7

प्रश्न 11.
समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज से आप क्या समझते हैं? एक ऐसी स्पीशीज का नाम लिखिए, जो निम्नलिखित परमाणुओं या आयनों के साथ समइलेक्ट्रॉनिक होगी-
(i) F
(ii) Ar
(iii) Mg2+
(iv) Rb+
उत्तर
वे स्पीशीज (विभिन्न तत्त्वों के आयन या परमाणु) जिनमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या समने होती है। लेकिन नाभिकीय आवेश भिन्न होता है, समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज कहलाती हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-8

प्रश्न 12.
निम्नलिखित स्पीशीज पर विचार कीजिए- –
N3-,O2-, F, Na+, Mg2+ तथा Al3+
(क) इनमें क्या समानता है? |
(ख) इन्हें आयनिक त्रिज्या के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर
(क) दी गई प्रत्येक स्पीशीज में 10 इलेक्ट्रॉन हैं। अत: ये सब समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज हैं।
(ख) समइलेक्ट्रॉनिक आयनों की आयनिक त्रिज्या, परमाणु आवेश के बढ़ने के साथ घटती है। दी।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-9

प्रश्न 13.
धनायन अपने जनक परमाणुओं से छोटे क्यों होते हैं और ऋणायनों की त्रिज्या उनके जनक परमाणुओं की त्रिज्या से अधिक क्यों होती है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर
जनक परमाणुओं से एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों के निकलने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है। इस प्रकार बचे हुए इलेक्ट्रॉन अधिक नाभिकीय आकर्षण का अनुभव करते हैं। परिणामस्वरूप त्रिज्या घटती है। इसी कारण धनायन की त्रिज्या उनके जनक परमाणु से छोटी होती है। दूसरी ओर, जनके परमाणुओं में एक या अधिक इलेक्ट्रॉन बढ़ने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश घटता है। इस प्रकार, इलेक्ट्रॉन कम नाभिकीय आकर्षण या खिंचाव अनुभव करते हैं। परिणामस्वरूप त्रिज्या बढ़ती है। इसी कारण से ऋणायनों की त्रिज्या उनके जनक परमाणुओं की त्रिज्या से अधिक होती है।

प्रश्न 14.
आयनन एन्थैल्पी और इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी को परिभाषित करने में विलगित गैसीय परमाणु तथा ‘आद्य अवस्था पदों की सार्थकता क्या है?
उत्तर
किसी परमाणु के नाभिक द्वारा उसमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों पर आरोपित बल काफी मात्रा में अणु में उपस्थित अन्य परमाणुओं तथा पड़ौसी परमाणुओं की उपस्थिति पर निर्भर करता है। चूंकि इस बल का परिमाण आयनन एन्थैल्पी तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मानों को निर्धारित करता है, अतः इन्हें विलगित परमाणुओं के लिए परिभाषित करना आवश्यक है। एक अकेले परमाणु को विलगित करना सम्भव नहीं है। चूंकि गैसीय अवस्था में परमाणु (या अणु) काफी अलग होते हैं, आयनन एन्थैल्पी तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी गैसीय परमाणुओं के लिए परिभाषित की जाती है तथा यह माना जाता है कि वे विलगित हैं। इसके अतिरिक्त आद्य अवस्था (ground state) निम्नतम ऊर्जा की अवस्था अर्थात् सबसे अधिक स्थाई अवस्था को निर्देशित करती है। यदि परमाणु उत्तेजित अवस्था में है, तो इसकी ऊर्जा का एक निश्चित मान होगा और इस अवस्था में आयनन एन्थैल्पी तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मान भिन्न होंगे। अतः आयनन एन्थैल्पी तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी को परिभाषित करते समय एक गैसीय परमाणु को आद्य अवस्था में स्थित होना आवश्यक है।

प्रश्न 15.
हाइड्रोजन परमाणु में आद्य अवस्था में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा -2.18 x 10-18 J है। परमाणविक हाइड्रोजन की आयनन एन्थैल्पी Jmol-1 के पदों में परिकलित कीजिए।
उत्तर
हाइड्रोजन परमाणु की आद्य अवस्था से इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-10

प्रश्न 16.
द्वितीय आवर्त के तत्वों में वास्तविक आयनन एन्थैल्पी का क्रम इस प्रकार है
Li< B < Be<C< O< N < F < Ne व्याख्या कीजिए कि
(i) Be की ∆i,H, B से अधिक क्यों है?
(ii) O की ∆iH, N और F से कम क्यों है?
उत्तर
(i) Be तथा B के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नांकित प्रकार हैं
4Be= 2,2 या 1s2 ,2s2
5B= 2, 3 या 1s2 ,2s2 2p1
बोरॉन (B) में, इसके एक 2p कक्षक में एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है। बेरिलियम (Be) में युग्मित : इलेक्ट्रॉनों वाले पूर्ण-पूरित ls तथा 25 कक्षक हैं।

जब हम एक ही मुख्य क्वाण्टम ऊर्जा स्तर पर विचार करते हैं तो 5-इलेक्ट्रॉन p-इलेक्ट्रॉन की तुलना में नाभिक की ओर अधिक आकर्षित होता है। बेरिलियम में बाह्यतम इलेक्ट्रॉन, जो अलग किया जाएगा, वह 5-इलेक्ट्रॉन होगा, जबकि बोरॉन में बाह्यतम इलेक्ट्रॉन (जो अलग किया जाएगा) p-इलेक्ट्रॉन होगा। उल्लेखनीय है कि नाभिक की ओर 2-इलेक्ट्रॉन का भेदन (penetration) 2p-इलेक्ट्रॉन की तुलना में अधिक होता है। इस प्रकार बोरॉन का 2p-इलेक्ट्रॉन बेरिलियम के 2-इलेक्ट्रॉन की तुलना में आन्तरिक क्रोड इलेक्ट्रॉनों द्वारा अधिक परिरक्षित होता है। चूंकि बेरिलियम के 25-इलेक्ट्रॉन की तुलना में बोरॉन को 2p-इलेक्ट्रॉन अधिक सरलता से पृथक् हो जाता है; अत: बेरिलियम की तुलना में बोरॉन की प्रथम आयनन एन्थैल्पी (∆iH) का मान कम होगा।

(ii) नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नांकित प्रकार हैं

7N = 2,5 या 1s2, 2s2 2p1x 2p1y 2p1z
8O= 2,6 या 1s2 , 2s2 2p2x 2p1y 2p1z

स्पष्ट है कि नाइट्रोजन में तीनों बाह्यतम 2p-इलेक्ट्रॉन विभिन्न p-कक्षकों में वितरित हैं (हुण्ड का नियम), जबकि ऑक्सीजन के चारों 2p-इलेक्ट्रॉनों में से दो 2p-इलेक्ट्रॉन एक ही 2p-ऑर्बिटल में हैं; फलतः इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण बढ़ जाता है। फलस्वरूप नाइट्रोजन के तीनों 2p-इलेक्ट्रॉनों में से एक इलेक्ट्रॉन पृथक् करने की तुलना में ऑक्सीजन के चारों 2p-इलेक्ट्रॉनों में से चौथे इलेक्ट्रॉन को पृथक् करना सरल हो जाता है; अतः 6 की प्रथम आयनन एन्थैल्पी (∆iH) का मान N से कम होता है। यही स्पष्टीकरण F के लिए भी दिया जा सकता है।

प्रश्न 17.
आप इस तथ्य की व्याख्या किस प्रकार करेंगे कि सोडियम की प्रथम आयनन एन्थैल्पी मैग्नीशियम की प्रथम आयनन एन्थैल्पी से कम है, किन्तु इसकी द्वितीय आयनन एन्थैल्पी मैग्नीशियम की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी से अधिक है?
उत्तर
Na तथा Mg के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न हैं-
Na (Z= 11): 1s2 2s2 2p6 3s1
Mg (Z= 12): 1s2 2s2 2p6 3s2
चूँकि सोडियम (+11) ; में मैग्नीशियम’ (+12) की तुलना में कम नाभिकीय आवेश है, सोडियम की प्रथम आयनन एन्थैल्पी मैग्नीशियम की तुलना में कम होगी।
प्रथम इलेक्ट्रॉन निकलने के बाद, सोडियम Na+ आयन में परिवर्तित हो जाता है तथा मैग्नीशियम Mg+ में। इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न प्रकार से होगा-
Na+ : 1s2 2s2 2p6
Mg+ : 1s2 2s2 2p6 3s1
Na+ आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निऑन के समान एक बहुत अधिक स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास , है। इसलिए Naआयन से Mg की तुलना में इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी। इसी कारण से सोडियम की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी, मैग्नीशियम की तुलना में अधिक होती है।

प्रश्न 18.
मुख्य समूह तत्वों में आयनन एन्थैल्पी के किसी समूह में नीचे की ओर कम होने के कौन-से कारक हैं?
उत्तर
मुख्य समूह तत्वों में आयनन एन्थैल्पी के किसी समूह में नीचे की ओर कम होने के विभिन्न कारक निम्नलिखित हैं-

  1. समूह में नीचे जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है।
  2. समूह में नीचे जाने पर प्रत्येक तत्व में नए कोश जुड़ जाने के कारण परमाणु आकार बढ़ जाते ।
  3. समूह में नीचे जाने पर आन्तरिक इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है। इससे बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों पर आवरण-प्रभाव घट जाता है।

परमाणु आकार में वृद्धि तथा आवरण-प्रभाव का संयुक्त प्रभाव नाभिकीय आवेश में वृद्धि के प्रभाव से अधिक हो जाता है। ये प्रभाव इस प्रकार कार्य करते हैं कि नाभिक तथा बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों के मध्य आकर्षण बल कम हो जाता है। परिणामस्वरूप समूह में नीचे जाने पर आयनन एन्थैल्पी कम हो जाती है।

प्रश्न 19.
वर्ग 13 के तत्वों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी के मान (kJ mol-1) में इस प्रकार हैं-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-11
उत्तर
सामान्य परम्परा के अनुसार वर्ग 13 में ऊपर से नीचे जाने पर आयनन एन्थैल्पी घटती है। लेकिन Ga तथा TI इसके अपवाद हैं। d तथा / इलेक्ट्रॉनों का परिरक्षण प्रभाव (shielding effect) 5 तथा 2 इलेक्ट्रॉनों की तुलना में कम होता है। Ga में 3d इलेक्ट्रॉन होते हैं, जबकि T1 में 5d तथा 47 इलेक्ट्रॉन होते हैं। कम परिरक्षण प्रभाव के कारण, Ga तथा T1 परमाणुओं के नाभिक संयोजी इलेक्ट्रॉन को मजबूती से बाँधे रखते हैं। इसी कारण से पड़ौसी तत्त्वों की तुलना में इनकी आयनन एन्थैल्पी अधिक होती है।

प्रश्न 20.
तत्वों के निम्नलिखित युग्मों में किस तत्व की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अधिक ऋणात्मक होगी?
(i) O या F
(ii) F या Cl
उत्तर

  1. F की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अधिक ऋणात्मक होगी। O से F तक जाने में, परमाणु आकार घटता है तथा नाभिकीय आवेश बढ़ता है। ये दोनों कारक फ्लुओरीन की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मान को अधिक ऋणात्मक बनाते हैं क्योंकि ये आने वाले इलेक्ट्रॉन के लिए नाभिकीय आकर्षण में वृद्धि करते हैं।
  2. CI की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अधिक ऋणात्मक होती है।

प्रश्न 21.
आप क्या सोचते हैं कि O की द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी प्रथम इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के समान धनात्मक, अधिक ऋणात्मक या कम ऋणात्मक होगी? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर
ऑक्सीजन (O) की द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी धनात्मक होती है। उदासीन ऑक्सीजन परमाणु में प्रथम इलेक्ट्रॉन के जुड़ने पर ऊर्जा का निष्कासन होता है तथा प्रथम इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी ऋणात्मक होती है।

O(g)+e → O (g); ∆eg H= -141.0 kJ

और अधिक इलेक्ट्रॉन के जुड़ने के लिए ऊर्जा का अवशोषण आवश्यक है।

O(g)+e → O2-(g); ∆egH = +780.0kJ

इसका कारण यह है कि ऋण आवेशित 0 आयन तथा आने वाले इलेक्ट्रॉन के बीच प्रबल विद्युत स्थैतिक प्रतिकर्षण होता है। इस स्थिति में इलेक्ट्रॉन को जोड़ने के लिए ऊर्जा का अवशोषण आवश्यक है जो विद्युत स्थैतिक प्रतिकर्षण पर विजय प्राप्त करता है। इसी कारण से ऑक्सीजन की द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी धनात्मक होती है।

प्रश्न 22.
इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी और इलेक्ट्रॉन ऋणात्मकता में क्या मूल अन्तर है?
उत्तर
इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी किसी विलगित गैसीय परमाणु की एक अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति को संदर्भित करती है, जबकि विद्युत ऋणात्मकता किसी परमाणु के द्वारा सहसंयोजक बध में साझे के युग्मित इलेक्ट्रॉन को अपनी ओर खींचने की प्रवृत्ति है। इस प्रकार ये दोनों गुण एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं, जबकि दोनों एक परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की प्रवृत्ति को संदर्भित करते हैं।

प्रश्न 23.
सभी नाइट्रोजन यौगिकों में N की विद्युत ऋणात्मकता पॉलिंग पैमाने पर 3.0 है। आप इस कथन पर अपनी क्या प्रतिक्रिया देंगे?
उत्तर
यह कथन विवादास्पद है क्योंकि एक परमाणु की विद्युत ऋणात्मकता उसके सभी यौगिकों में स्थिर नहीं होती है। यह संकरण अवस्था तथा ऑक्सीकरण अवस्था के साथ बदलती है। उदाहरण के लिए, NO, तथा NO में N की विद्युत ऋणात्मकता, ऑक्सीकरण अवस्थाओं में भिन्नता के कारण, भिन्न होती है।

प्रश्न 24.
उस सिद्धान्त का वर्णन कीजिए, जो परमाणु की त्रिज्या से सम्बन्धित होता है,
(i) जब वह इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है।
(ii) जब वह इलेक्ट्रॉन का त्याग करता है।
उत्तर
(i) जब परमाणु एक या अधिक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है, तब ऋणायन बनता है। परमाणु के ऋणायन में परिवर्तन के दौरान एक या अधिक इलेक्ट्रॉन परमाणु के संयोजी कोश से जुड़ जाते हैं। नाभिकीय आवेश जनक परमाणु के समान ही रहता है। संयोजी कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या में वृद्धि, इलेक्ट्रॉनों द्वारा परस्परीय परिरक्षण की अधिकता के कारण, प्रभावी नाभिकीय आवेश को कम कर देती है। परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉन-मेघ विस्तृत हो जाता है अर्थात् आयनिक त्रिज्या बढ़ जाती है।
(ii) जब परमाणु एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों का त्याग करता है, तब धनायन बनता है। इस प्रकार प्राप्त धनायन सदैव अपने जनक परमाणु से आकार में छोटा होता है। ऐसा निम्नलिखित कारणों से हो सकता है-

  • संयोजी कोश के विलोपन द्वारा (By elimination of valence shell)-कुछ स्थितियों में, इलेक्ट्रॉन त्यागने पर संयोजी कोश को पूर्णतया विलोपन हो जाता है। बाह्यतम कोश विलुप्त होने के कारण धनायन के आकार में कमी आ जाती है।
  • प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि के द्वारा (By increase in effective nuclear charge)-धनायन में, इलेक्ट्रॉनों की संख्या जनक परमाणु से कम होती है। कुल नाभिकीय आवेश समान रहता है। यह प्रभावी नाभिकीय आवेश को बढ़ा देता है। परिणामस्वरूप, इलेक्ट्रॉन नाभिक से अधिक दृढ़ता से जुड़े रहते हैं जिससे इनके आकार में कमी आ जाती है।

प्रश्न 25.
किसी तत्व के दो समस्थानिकों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी समान होगी या भिन्न? आप क्या मानते हैं? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर
एक तत्त्व के समस्थानिकों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या, परमाणु नाभिकीय आवेश तथा आकार समान होता है। इसलिए इनकी प्रथम आयनन एन्थैल्पी के मान समान होते हैं।

प्रश्न 26.
धातुओं और अधातुओं में मुख्य अन्तर क्या है?
उत्तर
धातुएँ विद्युत धनात्मक तत्त्व हैं तथा एक या अधिक संयोजी इलेक्ट्रॉनों को त्यागकर धनायनों का निर्माण करती हैं। ये एक अपचायक के रूप में कार्य करती हैं तथा इनकी आयनन एन्थैल्पी, इलेक्ट्रॉनिक लब्धि एन्थैल्पी तथा विद्युत ऋणात्मकता का मान कम होता है। ये बेसिक ऑक्साइड्स बनाती हैं। दूसरी तरफ, अधातुएँ विद्युत ऋणात्मक तत्त्व हैं तथा अपने संयोजी कक्ष में एक या अधिक इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति दर्शाती हैं। ये ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करती हैं। इनकी आयनन एन्थैल्पी, इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी तथा विद्युत ऋणात्मकता के मान अधिक होते हैं। ये अम्लीय ऑक्साइड बनाती हैं।

प्रश्न 27.
आवर्त सारणी का उपयोग करते हुए निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) उस तंव का नाम बताइए जिसके बाह्य उप-कोश में पाँच इलेक्ट्रॉन उपस्थित हों।
(ख) उस तत्व का नाम बताइए जिसकी प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉनों को त्यागने की हो।
(ग) उस तत्व का नाम बताइए जिसकी प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉनों को प्राप्त करने की हो।
(घ) उस वर्ग का नाम बताइए जिसमें सामान्य ताप पर धातु, अधातु, द्रव और गैस उपस्थित हों।
उत्तर
(क) F(1s2 2s2 2p5)
(ख) Mg (1s2 2s2 2p6 3s2); Mg → Mg2+ +2 e
(ग) O(1s2 2s2 2p4); 0+2e → 02-
(घ) द्रव धातुएँ : Hg (वर्ग 12) तथा Ga (वर्ग 13) हैं।
द्रव अधातुएँ ब्रोमीन (वर्ग 17) हैं। गैसीय अधातुएँ : फ्लुओरीन तथा क्लोरीन (वर्ग 17), ऑक्सीजन (वर्ग 16), नाइट्रोजन (वर्ग 15) इत्यादि।

प्रश्न 28.
प्रथम वर्ग के तत्वों के लिए अभिक्रियाशीलता का बढ़ता हुआ क्रम इस प्रकार है- Li < Na < K < Rb < Cs; जबकि वर्ग 17 के तत्वों में क्रम F > Cl> Br>I है।
इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर
वर्ग 1 के तत्त्व विद्युत धनात्मक तत्त्व होते हैं तथा संयोजी इलेक्ट्रॉन को त्यागकर एकल धनात्मक धनायन बनाते हैं। इनकी क्रियाशीलता आयनन एन्थैल्पी के मान पर निर्भर करती है। यदि आयनन एन्थैल्पी का मान कम है तो क्रियाशीलता अधिक होती है। चूंकि वर्ग में नीचे जाने पर, आयनन एन्थैल्पी का मान घटता है, अतः प्रथम वर्ग के तत्त्वों की क्रियाशीलता वर्ग में नीचे जाने पर बढ़ती है। (अर्थात् इस क्रम में, Li Cl > Br> I)

प्रश्न 29.
S-, p-, d और f-ब्लॉक के तत्वों का सामान्य बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर
(i) s-ब्लॉक तत्वों का सामान्य बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns1-2 (अर्थात् ns1 या ns2) होता है।
(ii) p-ब्लॉक तत्वों का सामान्य बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2np1-6 होता है।
(iii) d-ब्लॉक तत्वों का सामान्य बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1) d1-10 ns1-2 होता है।
(iv) f-ब्लॉक तत्वों का सामान्य बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-2) f1-14 (n-1) 4d0-1ns2 होता है।

प्रश्न 30.
तत्व, जिसका बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित है, का स्थान आवर्त सारणी में बताइए-
(i) ns2np4, जिसके लिए n = 3 है।
(ii) (n-1) d2 ns2, जब n= 4 है तथा
(iii) (n-2)f7 (n-1) d1 ns2, जब n= 6 है।
उत्तर
(i) दिया गया तत्त्व तीसरे आवर्त (n=3) में उपस्थित है तथा इसके संयोजी कक्ष में 6(2+4) इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं। यह एक p-ब्लॉक तत्त्व है क्योंकि विभेदी (differentiating) इलेक्ट्रॉन p-उपकक्ष में प्रवेश करता है।
∴ वर्ग की संख्या = 10+ संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 10+6= 16
इस प्रकार, यह तत्त्व तीसरे आवर्त तथा वर्ग 16 में स्थित है। यह सल्फर (S) है।
(ii) दिया गया तत्त्व चौथे आवर्त (n=4) में स्थित है। यह एक 4-ब्लॉक तत्त्व है क्योंकि d-उपकोश अपूर्ण है।
∴ वर्ग की संख्या = 2+ (n-1)d इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 2+2=4
इस प्रकार यह तत्त्व चौथे आवर्त तथा समूह 4 में स्थित है। यह Ti (टाइटेनियम) है।
(iii) दिया गया तत्त्व छठवें आवर्त में स्थित है। यह एक f-ब्लॉक तत्त्व है क्योंकि विभेदी इलेक्ट्रॉन (n-2)f उपकक्ष में प्रवेश करता है। यह तत्त्व वर्ग 3 में स्थित है क्योंकि सभी f-ब्लॉक के तत्त्वों को तीसरे वर्ग में रखा गया है। यह तत्त्व Gd (gadolinium) है।

प्रश्न 31.
कुछ तत्वों की प्रथम ∆iH1 और द्वितीय ∆iH2 आयनन एन्थैल्पी (kJ mol-1 में) और इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी (∆egH) (kJ mol-1 में) निम्नलिखित है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-12
(क) सबसे कम अभिक्रियाशील धातु है?
(ख) सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु है?
(ग) सबसे अधिक अभिक्रियाशील अधातु है?
(घ) सबसे कम अभिक्रियाशील अधातु है?
(ङ) ऐसी धातु है, जो स्थायी द्विअंगी हैलाइड (binary halide), जिनका सूत्र MX, (X= हैलोजेन) है, बनाता है।
(च) ऐसी धातु, जो मुख्यतः MX (X = हैलोजेन) वाले स्थायी सहसंयोजी हैलाइड बनाती है।
उत्तर
(क) तत्त्व V, क्योंकि इस प्रथम आयनन एन्थैल्पी का मान सर्वाधिक है तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान धनात्मक है। यह कर्म क्रियाशील धातु है। यह एक उत्कृष्ट गैस होनी चाहिये।
(ख) तत्त्व II, क्योंकि इसकी प्रथम आयनन एन्थैल्पी का मान न्यूनतम तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान कम है। इसे अधिक क्रियाशील धातु होना चाहिए। यह एक क्षारीय धातु होनी चाहिए।
(ग) तत्त्व III, क्योंकि इसकी इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान उच्च ऋणात्मक तथा प्रथम आयनन एन्थैल्पी का मान पर्याप्त उच्च है। यह एक हैलोजन (halogen) होना चाहिए।
(घ) तत्त्व IV, क्योंकि इसकी इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान उच्च ऋणात्मक तथा प्रथम आयनन एन्थैल्पी का मान काफी कम है। इसे सबसे कम क्रियाशील अधातु होना चाहिए। यह सम्भवतः एक ‘ कम क्रियाशील हैलोजन है।
(ङ) तत्त्व VI, क्योंकि इसकी प्रथम आयनन एन्थैल्पी का मान यद्यपि कम है, लेकिन फिर भी क्षार धातुओं से अधिक है। इसे एक मृदा क्षारीय धातु होना चाहिए। यह MX, प्रकार के द्विअंगी हैलाइड का निर्माण करेगा।
(च) तत्त्व I, क्योंकि इसकी प्रथम आयनन एन्थैल्पी का मान कम है लेकिन द्वितीय आयतन एन्थैल्पी का मान बहुत अधिक है। यह एक क्षारीय धातु है। यह Li होना चाहिए क्योंकि यह सूत्र MX का स्थायी सहसंयोजी हैलाइड बनाता है।

प्रश्न 32.
तत्वों के निम्नलिखित युग्मों के संयोजन से बने स्थायी द्विअंगी यौगिकों के सूत्रों की प्रगुक्ति कीजिए-
(क) लीथियम और ऑक्सीजन
(ख) मैग्नीशियम और नाइट्रोजन
(ग) ऐलुमिनियम और आयोडीन
(घ) सिलिकन और ऑक्सीजन
(ङ) फॉस्फोरस और फ्लुओरीन
(च) 71वाँ तत्व और फ्लुओरीन
उत्तर
(क) लीथियम की संयोजकता (201, वर्ग 1) 1 है, जबकि ऑक्सीजन (2s2 2p4, वर्ग 16) की 2 है। इसलिए, दोनों के मध्य बना द्विअंगी यौगिक Li20 है।
(ख) मैग्नीशियम (3s2, वर्ग 2) की संयोजकता 2 है, जबकि नाइट्रोजन (2s2 2p4, वर्ग 15) की
संयोजकता 3 है। इसलिये दोनों के मध्य बना द्विअंगी यौगिक Mg3N2 है।
(ग) ऐलुमिनियम (3s2 3p1, समूह 13) की संयोजकता 3 है, जबकि आयोडीन (5s2, 5p5, वर्ग 17) की संयोजकता 1 है। इसलिए, दोनों के मध्य बना द्विअंगी यौगिक AII3 है।
(घ) सिलिकॉन (3s2 3p2, वर्ग 14) की संयोजकता 4 है, जबकि ऑक्सीजन (2s2 2p4, वर्ग 17) की संयोजकता 2 है। इसलिए दोनों के मध्य बना द्विअंगी यौगिक SiO2 है।
(ङ) फॉस्फोरस (3s2 3p3, वर्ग 15) की संयोजकता 3 तथा 5 है, जबकि फ्लुओरीन (2s2 2p4, वर्ग 17) की संयोजकता 1 है। इसलिए, दोनों के मध्य बना द्विअंगी यौगिक PF3 अथवा PF5 है।
(च) तत्त्व जिसका परमाणु क्रमांक 71(4f14 5d1 6s2) है, एक लैन्थेनाइड है तथा ल्यूटीशियम : (Lu) है। यह वर्ग 3 में स्थित है। इसकी संयोजकता 3 है। फ्लु ओरीन (2s2 2p5, वर्ग 17) की संयोजकता 1 है। इसलिए, दोनों के मध्य बना द्विअंगी यौगिक LuF, है।

प्रश्न 33.
आधुनिक आवर्त सारणी में आवर्त निम्नलिखित में से किसको व्यक्त करता है?
(क) परमाणु संख्या
(ख) परमाणु द्रव्यमान
(ग) मुख्य क्वाण्टम संख्या
(घ) दिगंशी क्वाण्टम संख्या
उत्तर
(ग) मुख्य क्वाण्टम संख्या
आधुनिक आवर्त सारणी में, प्रत्येक आवर्त एक नवीन कक्ष के भरने के साथ प्रारम्भ होता है।

प्रश्न 34.
आधुनिक आवर्त सारणी के लिए निम्नलिखित के सन्दर्भ में कौन-सा कथन सही नहीं है।
(क) p-ब्लॉक में 6 स्तम्भ हैं, क्योंकि p-कोश के सभी कक्षक भरने के लिए अधिकतम 6 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
(ख) d-ब्लॉक में 8 स्तम्भ हैं, क्योंकि d-उपकोश के कक्षक भरने के लिए अधिकतम 8 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
(ग) प्रत्येक ब्लॉक में स्तम्भों की संख्या उस उपकोश में भरे जा सकने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है।
(घ) तत्व के इलेक्ट्रॉन विन्यास को भरते समय अन्तिम भरे जाने वाले इलेक्ट्रॉन को उपकोश उसके दिगंशी क्वाण्टम संख्या को प्रदर्शित करता है।
उत्तर
कथन (ख) असत्य है। 4-ब्लॉक में 10 स्तम्भ हैं क्योंकि एक d-उपकक्ष में अधिकतम 10 इलेक्ट्रॉन ही व्यवस्थित हो सकते हैं।

प्रश्न 35.
ऐसा कारक, जो संयोजकता इलेक्ट्रॉन को प्रभावित करता है, उस तत्व की रासायनिक , प्रवृत्ति भी प्रभावित करता है। निम्नलिखित में से कौन-सा कारक संयोजकता कोश को
प्रभावित नहीं करता?
(क) संयोजक मुख्य क्वाण्टम संख्या (n)
(ख) नाभिकीय आवेश (z)
(ग) नाभिकीय द्रव्यमान
(घ) क्रोड इलेक्ट्रॉनों की संख्या
उत्तर
(ग) नाभिकीय द्रव्यमान। नाभिकीय द्रव्यमान संयोजकता कोश को प्रभावित नहीं करता है।

प्रश्न 36.
समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज F, Ne और Na+ का आकार इनमें से किससे प्रभावित : होता है?
(क) नाभिकीय आवेश (Z)
(ख) मुख्य क्वाण्टम संख्या (n)
(ग) बाह्य कक्षकों में इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन अन्योन्यक्रिया
(घ) ऊपर दिए गए कारणों में से कोई भी नहीं, क्योंकि उनका आकार समान है।
उत्तर
(क) नाभिकीय आवेश। समइलेक्ट्रॉनिक आयनों की त्रिज्या नाभिकीय आवेश के बढ़ने पर घटती है। दी गई समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज में विभिन्न नाभिकीय आवेश हैं और इस प्रकार उनके आकार भिन्न हैं। इनका आकार निम्न क्रम में घटता है-
F (+9)> Ne(+10)> Na+ (+11)

प्रश्न 37.
आयनन एन्थैल्पी के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा असत्य/गलत है?
(क) प्रत्येक उत्तरोत्तर इलेक्ट्रॉन से आयनन एन्थैल्पी बढ़ती है।
(ख) क्रोड उत्कृष्ट गैस के विन्यास से जब इलेक्ट्रॉन को निकाला जाता है, तब आयनन एन्थैल्पी का मान अत्यधिक होता है।
(ग) आयनन एन्थैल्पी के मान में अत्यधिक तीव्र वृद्धि संयोजकता इलेक्ट्रॉनों के विलोपन को व्यक्त करती है।
(घ) कम मान वाले कक्षकों से अधिक n मान वाले कक्षकों की तुलना में इलेक्ट्रॉनों को आसानी से निकाला जा सकता है।
उत्तर
कथन (घ) असत्य है। अधिक » मान वाले कक्षकों से इलेक्ट्रॉनों को आसानी से निकाला जा सकता है, क्योंकि निकलने वाला इलेक्ट्रॉन नाभिक से दूर होता है।

प्रश्न 38.
B, AI, Mg, K तत्वों के लिए धात्विक अभिलक्षण का सही क्रम इनमें कौन-सा है?
(क) B > Al> Mg > K
(ख) Al> Mg > B > K
(ग) Mg > Al> K > B
(घ) K > Mg > Al> B
उत्तर
(घ) K> Mg> Al> B
यह क्रम इसलिए सही है क्योंकि धात्विक गुण आवर्त में आगे बढ़ने पर घटता है। इसलिए, Al, Mg तथा K के धात्विक गुण इस क्रम में होंगे-K > Mg > Al। इसके अतिरिक्त धात्विक गुण एक वर्ग में नीचे जाने पर बढ़ते हैं। अत: B को Al की तुलना में कम धात्विक होना चाहिए।

प्रश्न 39.
तत्वों B, C, N, F और Si के लिए अधातु अभिलक्षण का इनमें से सही क्रम कौन-सा है?
(क) B > C> Si> N > F
(ख) Si> C> B > N > F
(ग) F> N > C> B > Si
(घ) F > N > C > Si > B
उत्तर
(ग) F > N >C>B> Si
यह इसलिए है क्योकि अधातु अभिलक्षण एक आवर्त में बायें से । दायें ओर जाने पर बढ़ते हैं तथा वर्ग में नीचे जाने पर घटते हैं।

प्रश्न 40.
तत्वों F, CI, O और N तथा ऑक्सीकरण गुणधर्मों के आधार पर उनकी रासायनिक अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्नलिखित में से कौन-से तत्वों में है?
(क) F > Cl> O > N
(ख) F> O> Cl> N
(ग) Cl> F> O > N
(घ) O> F> N > Cl
उत्तर
(ख) F>O>Cl>N
तत्त्वों का ऑक्सीकारक गुणधर्म एक आवर्त में बायें से दायें चलने पर बढ़ता है तथा वर्ग में नीचे जाने पर घटता है। ऑक्सीजन Cl की तुलना में एक प्रबल ऑक्सीकारक पदार्थ है क्योंकि 0 अधिक विद्युत ऋणात्मक है।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक तत्त्व में अन्तिम इलेक्ट्रॉन के लिए चारों क्वाण्टम संख्याओं के माने n = 5;1 = 1; m = -1; s = [latex]-\frac { 1 }{ 2 } [/latex], हैं। तत्त्व है।
(i) आन्तरिक संक्रमण तत्त्व
(ii) संक्रमण तत्त्व
(iii) अक्रिय गैस
(iv) क्षारीय धातु
उत्तर
(iii) अक्रिय गैस

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सी धातु एक से अधिक ऑक्सीकरण अवस्था प्रकट करती है?
(i) Na
(ii) Mg
(iii) Al
(iv) Fe
उत्तर
(iv) Fe

प्रश्न 3.
निम्नलिखित आयनों की त्रिज्या का सही क्रम है ।
(i) F <O2-< Na+<Mg2+
(ii) Mg2+<Na+<F <O2-
(iii) Na+ <Mg2+<O2-<F
(iv) O2-<F < Na+< Mg2+
उत्तर
(ii) Mg2+ <Na+ <F <O2-

प्रश्न 4.
सर्वाधिक धन-विद्युतीय तत्त्व है।
(i) [He]2s1
(ii) [He]2s2
(iii) [Xe]6s1
(iv) [Xe]6s2
उत्तर
(iii) [Xe]6s1

प्रश्न 5.
धन विद्युती लक्षण का सही क्रम है
(i) Cs > Rb >K > Na> Li।
(ii) Rb>Cs >K> Na >Li
(iii) Li> Na> K> Rb>Cs
(iv) K> Na> Rb>Cs>Li
उत्तर
(i) Cs > Rb >K >Na >Li।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित धनायनों की त्रिज्याओं का सही क्रम है।
(i) Li+ > Na+ > Na2+ > Be2+
(ii) Na+ > Mg2+ >Li+ > Be2+
(iii) Na+ > Li+ > Mg2+ > Be2+
(iv) Mg2+ > Na2+ > Li+ > Be2+
उत्तर
(ii) Na+ > Mg2+ > Li+ > Be2+

प्रश्न 7.
ऋण विद्युती लक्षण का सही क्रम है।
(i) I> Br>Cl> F
(ii) Br>Cl> F>I
(iii) F>Cl> Br>I
(iv) Cl> Br>I> F
उत्तर
(iii) F> Cl> Br> I

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से ऋणायनों की त्रिज्याओं का सही क्रम है।
(i) F > Cl > S2- >O2-
(ii) S2- > Cl > O2- > F
(iii) Cl > S2- > O2- > F
(iv) O2- > Cl > F > S2-
उत्तर
(ii) S2- > Cl >O2- > F

प्रश्न 9.
आयन जिसका प्रथम आयनन विभव निम्न समइलेक्ट्रॉनिक आयनों में सबसे अधिक है, .
(i) Ca2+
(ii) Cl
(iiii) K+
(iv) S2-
उत्तर
(i) Ca2+

प्रश्न 10.
निम्नलिखित समइलेक्ट्रॉनिक आयनों में सबसे छोटा आयन है।
(i) Na+
(ii) Mg2+
(iii) Al3+
(iv) Si4+
उत्तर
(iv) Si4+

प्रश्न 11.
प्रथम आयनन ऊर्जा का सही क्रम है।
(i) C> B> Be> Li
(ii) C> Be> B> Li
(iii) B>C> Be> Li
(iv) Be> Li> B>C
उत्तर
(ii)
C> Be> B> Li

प्रश्न 12.
निम्न में से किसकी आयनन ऊर्जा (आयनन विभव) सबसे अधिक है ?
(i) B
(ii) N
(iii) C
(iv) O
उत्तर
(ii) N

प्रश्न 13.
निम्न में किसका आकार सबसे बड़ा है?
(i) Mg
(ii) Ba
(iii) Be
(iv) Ra
उत्तर
(iv) Ra

प्रश्न 14.
इलेक्ट्रॉन बन्धुता अधिकतम होती है।
(i) F की
(ii) CI की
(iii) Br की
(iv) I की
उत्तर
(i) Cl की

प्रश्न 15.
F, Cl, Br तथा I में तत्त्वों की इलेक्ट्रॉन बन्धुता का घटता क्रम है।
(i) F> Cl> Br>I
(ii) I> Br>Cl> F
(iii) F > Br> Ci>I
(iv) Cl> F > Br>I
उत्तर
(iv) Cl> F > Br>I

प्रश्न 16.
सबसे अधिक विद्युत ऋणात्मक तत्त्व है।
(i) O
(ii) F
(iii) Cl
(iv) N
उत्तर
(ii) F

प्रश्न 17.
C, N, P और Si तत्त्वों की विद्युत ऋणात्मकता के बढ़ने का क्रम है।
(i) C, N, Si, P
(ii) N, Si, C, P
(iii) Si, P, C, N
(iv) P, Si, N, C
उत्तर
(iii) Si, P, C, N

प्रश्न 18.
निम्न में कौन-सा अम्लीय है ?
(i) Na20
(ii) MgO
(iii) SiO
(iv) FeO
उत्तर
(iii) SiO

प्रश्न 19.
दिए गए अम्लों की अम्लीयता का सही क्रम है
(i) HClO4 < HClO3 < HClO2 < HClO
(ii) HClO< HClO2 < HClO3 < HClO4
(iii) HClO < HClO4 < HClO3 < HClO2
(iv) HCIO4 <HClO2 <HClO3 < HClO
उत्तर
(ii) HClO<HClO2 <HCIO3 <HClO4

प्रश्न 20.
निम्नलिखित में किस अणुक प्रजाति में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं?
(i) N2
(ii) F2
(iii) O2
(iv) O2-2
उत्तर
(iii) O2

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
न्यूलैण्ड का अष्टक नियम लिखिए।
उत्तर
न्यूलैण्ड (1864) ने ज्ञात किया कि तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु भारों के क्रम में व्यवस्थित करने पर प्रत्येक आठवें तत्व के गुण प्रथम तत्वों के गुणों से मिलते हैं। इसे ही न्यूलैण्ड का अष्टक नियम कहते हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-13

प्रश्न 2.
परमाणु क्रमांक 19 वाले तत्त्व का आवर्त सारणी में स्थान कारण सहित लिखिए।
उत्तर
परमाणु क्रमांक 19 वाले तत्त्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s2 , 2s2 2p6 , 3s2 3p6 ,4s1 होता है। चूंकि इसमें चार कोश सम्मिलित हैं; अतः यह चौथे आवर्त का तत्त्व है। चूंकि इसके बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन s कक्षक में है; अतः यह s-ब्लॉक तथा प्रथम समूह का तत्त्व है।

प्रश्न 3.
आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों के स्थान की विवेचना कीजिए।
उत्तर
उत्कृष्ट (अक्रिय) गैसों के बाह्यकोश और आन्तरिक कोश पूर्ण भरे होते हैं। हीलियम (He) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 152 तथा अन्य उत्कृष्ट गैसों के बाह्यकोश का विन्यास ns- np है। इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों में समरूपता, रासायनिक निष्क्रियता और मिलते-जुलते अन्य लक्षणों के कारण उत्कृष्ट गैसों को एक साथ आवर्त सारणी के शून्य वर्ग (18वें) में रखा गया है।

प्रश्न 4.
आवर्त सारणी के किन वर्गों के तत्त्वों को p-ब्लॉक तत्त्व कहते हैं और क्यों?
उत्तर
जिन तत्त्वों में अन्तिम इलेक्ट्रॉन बाह्यतम कोश के p-उपकोश में प्रवेश करता है, p-ब्लॉक तत्त्व कहलाते हैं। आवर्त सारणी में IIIA से VIIA तथा शून्य वर्ग के तत्त्व p-ब्लॉक तत्त्व कहलाते हैं।

प्रश्न 5.
d-ब्लॉक तत्त्वों (संक्रमण तत्त्व) को परिभाषित करते हुए उनकी स्थिति बताइए। या संक्रमण तत्त्व किन्हें कहते हैं? दीर्घ आवर्त सारणी में इनको कहाँ रखा गया है? ऐसे किन्हीं चार तत्त्वों के नाम बताइए।
उत्तर
जिन तत्त्वों में अन्तिम इलेक्ट्रॉन बाह्य कोश (n) से पिछले कोश के 4-ऑर्बिटलों में भरते हैं, d-ब्लॉक तत्त्व या संक्रमण तत्त्व कहलाते हैं। 4-ब्लॉक तत्त्वों के बाह्य कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns’ या ns होता है तथा पिछले कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)s2 , p6 ,d1से10 होता है। आवर्त सारणी में संक्रमण तत्त्वों को IB से VIIB उपवर्गों तथा VIII उपवर्ग में -तथा p-ब्लॉक के तत्त्वों के बीच 10 ऊर्ध्वाधर खानों में रखा गया है। उदाहरणार्थ-स्कैण्डियम (Sc), टाइटेनियम (Ti), वैनेडियम (V), क्रोमियम (Cr) आदि।

प्रश्न 6.
कारण देते हुए समझाइए कि संक्रमण तत्त्वों में उत्प्रेरक गुण होता है।
उत्तर
संक्रमण तत्त्वों व उनके यौगिकों में उत्प्रेरक गुण होता है। इन धातुओं का यह गुण उनकी परिवर्ती संयोजकता एवं उनके पृष्ठ में स्थित परमाणुओं की मुक्त संयोजकताओं के कारण होता है।

प्रश्न 7.
किसी तत्त्व का परमाणु क्रमांक 25 है। आवर्त सारणी में इसका स्थान निर्धारित कीजिए।
उत्तर
परमाणु क्रमांक 25 वाला तत्त्व मैंगनीज (Mn) है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस प्रकार है।
Mn (25)= 1s2,2s2 2p6,3s2 3p6 3d5,4s2
इस तत्त्व में कुल चार कोश हैं। अत: यह चौथे आवर्त का तत्त्व है। इसमें अन्तिम इलेक्ट्रॉन अन्तिम से दूसरे कोश के 4-उपकोश में जाता है; अतः यह दीर्घ आवर्त सारणी के d-ब्लॉक में है तथा यह एक संक्रमण तत्त्व है और सातवें समूह में उपस्थित है।

प्रश्न 8.
निम्न में सबसे छोटा आयन कौन-सा है ? कारण सहित समझाइए। )
Na+, Mg2+, Al3+
उत्तर
सबसे छोटा आयन Al3+ है। किसी आवर्त में परमाणु क्रमांक बढ़ने पर परमाणु त्रिज्याएँ घटती हैं क्योंकि परमाणु क्रमांक वृद्धि से प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है।

प्रश्न 9.
Li+,Mg2+,K+,Al3+ को बढ़ते हुए आयनिक त्रिज्याओं के क्रम में लिखिए।
उत्तर
Li+< Al3+ < Mg2+ < K+

प्रश्न 10.
Ca2+ तथा K+ में किसकी आयनिक त्रिज्या कम है व क्यों ?
उत्तर
Ca2+ तथा K+ के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस प्रकार हैं।
Ca2+ = 1s2,2s2 2p6,3s2 3p6
K+ = 1s2,2s2 2p6,3s2 3p6

परन्तु Ca2+ के नाभिक में धनावेश 20 इकाई, K+ के नाभिक में उपस्थित धनावेश 19 इकाई से अधिक है। अत: यह बाह्य इलेक्ट्रॉनों को अधिक तीव्र बल से अपनी ओर आकर्षित करता है। फलतः इसकी आयनिक त्रिज्या कम होती है।

प्रश्न 11.
सोडियम प्रबल विद्युत धनात्मक धातु है जबकि क्लोरीन प्रबल विद्युत ऋणात्मक अधातु कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
सोडियम परमाणु के बाह्यतम कोश में केवल एक इलेक्ट्रॉन होता है। अतः यह इसे त्यागकर स्थायी होने की तीव्र प्रवृत्ति रखता है। अतः यह प्रबल वैद्युत धनात्मक है। इसके विपरीत, क्लोरीन परमाणु के ब्राह्यतम कोशे में सात इलेक्ट्रॉन होते हैं। अतः यह एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके स्थायी विन्यास प्राप्त करने की तीव्र प्रवृत्ति रखता है। अर्थात् यह प्रबल वैधुत ऋणात्मक है।

प्रश्न 12.
C, N, 0 तथा F को इनके बढ़ते हुए प्रथम आयनन विभव के अनुसार व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर
C, N, 0 तथा F को इनके बढ़ते हुए प्रथम आयनन विभव के अनुसार इस प्रकार व्यवस्थित करेंगे
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-14

प्रश्न 13.
अक्रिय गैसों के आयनन विभव बहुत ऊँचे होते हैं, क्यों ?
उत्तर
आवर्त में उच्चतम आयनन विभव अक्रिय गैस का होता है, क्योंकि उसका संवृत्त कोश इलेक्ट्रॉनिक विन्यास बहुत स्थायी होता है।

प्रश्न 14.
बेरीलियम का प्रथम आयनन विभव बोरॉन से अधिक है। समझाइए।
उत्तर
बेरीलियम का प्रथम आयनन विभव बोरॉन से अधिक है क्योंकि Be के बाह्यकोश में s ऑर्बिटल पूर्ण भरे हुए (ns2) हैं। यह एक अधिक स्थायी व्यवस्था है।

प्रश्न 15.
कारण सहित बताइए कि नाइट्रोजन का प्रथम आयनन विभव ऑक्सीजन से अधिक होता है।
उत्तर
7N= 1s2,2s2,2p1x,2p1y, 2p1z;
8O= 1s2, 2s2,2p2x,2p1y, 2p1z
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से स्पष्ट है कि नाइट्रोजन के 2p-ऑर्बिटल आधे भरे हुए हैं। नाइट्रोजन के p-ऑर्बिटल में समदिश चक्रण के 3 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं जिससे N का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास O की अपेक्षा अधिक स्थायी है। अत: N का प्रथम आयनन विभव O से अधिक होता है।

प्रश्न 16.
तत्त्वों के द्वितीय आयनन विभव का मान सदैव प्रथम आयनन विभव से अधिक क्यों होता है?
उत्तर
परमाणु से प्रथम इलेक्ट्रॉन निकलने के बाद बने धनायन से दूसरे इलेक्ट्रॉन का निकलना बहुत कठिन हो जाता है, क्योंकि शेष बचे इलेक्ट्रॉनों पर नाभिकीय आकर्षण बल बढ़ जाता है। अतः द्वितीय आयनन विभव का मान प्रथम आयनन विभवे से अधिक होता है।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित तत्त्वों को बढ़ते हुए आयनन विभव के क्रम में लिखिए
6A12,8B16,8C16,9D18
उत्तर
उपर्युक्त तत्त्वों के आयनन विभव का बढ़ता क्रम निम्नवत् है-
6A12 < 8B16 <8C16 <9D18

प्रश्न 18.
फॉस्फोरस का प्रथम आयनन विभव सल्फर से अधिक होता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
चूँकि आवर्त सारणी में किसी वर्ग में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर आयनन विभव घटता है; इसलिए फॉस्फोरस (पंचम वर्ग) का प्रथम आयनन विभव सल्फर (षष्ठम् वर्ग) से अधिक होता

प्रश्न 19.
P, S, Cl तथा F में से किसकी ऋणात्मक इलेक्ट्रॉन-लब्धि एन्थैल्पी अधिकतम तथा किसकी न्यूनतम होगी? समझाइए।
उत्तर
हम जानते हैं कि आवर्त में बायीं ओर से दायीं ओर बढ़ने पर इलेक्ट्रॉन-लब्धि एन्थैली बढ़ती जाती है, जबकि वर्ग में ऊपर से नीचे की ओर बढ़ने पर यह घटती जाती है। 3p-कक्षक में इलेक्ट्रॉन प्रवेश कराने की तुलना में जब 2p-कक्षक में इलेक्ट्रॉन जाता है, तब इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण अधिक होता है। अतः अधिकतम ऋणात्मक इलेक्ट्रॉन-लब्धि एन्थैल्पी क्लोरीन की होगी तथा सबसे कम ऋणात्मक इलेक्ट्रॉन-लब्धि एन्थैल्पी फॉस्फोरस की होगी।

प्रश्न 20.
Cu+ आयन प्रतिचुम्बंकीय है, जबकि Cu2+ आयन अनुचुम्बकीय है, क्यों? समझाइए।
उत्तर
Cu+ आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस प्रकार है।
Cu+:1s2,2s2 2p6,3s2 3p6 3d10
Cu+आयन में सभी उपकोश पूर्ण भरे हैं और सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित हैं, अत: Cu+ प्रतिचुम्बकीय है।
Cu2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस प्रकार है।
Cu2+ : 1s2,2s2 2p6,3s2 3p6 3d9
Cu2+ आयन में 3d उपकोश अपूर्ण है तथा इसमें एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है।
अत: Cu2+ आयन अनुचुम्बकीय है।

प्रश्न 21.
Mg2+,O2-,Na+ तथा F को आकार के घटते हुए क्रम में लिखिए।
उत्तर
O2->F> Na+ > Mg2+

प्रश्न 22.
समझाइए कि क्यों Mg2+ आयन O2- आयन से छोटा है, यद्यपि दोनों की इलेक्ट्रॉनिक संख्या समान है?
उत्तर
Mg2+ आयन में 12 प्रोटॉन तथा 02- आयन में 8 प्रोटॉन हैं, फलत: Mg2+ आयन में उसके इलेक्ट्रॉनों पर लगने वाला नाभिकीय आकर्षण बल O2- से ज्यादा होगा जिससे इसका आकार O2- से छोटा हो जाएगा।

प्रश्न 23.
आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर आयनन ऊर्जा बढ़ती है, किन्तु Al की प्रथम आयनन ऊर्जा Mg से कम होती है। क्यों? समझाइए।
उत्तर
Al: 13 = 1s2, 2s2 2p6, 3s2 3p1
Mg : 12 = 1s2, 2s2 2p6, 3s2
Mg के 3s के इलेक्ट्रॉन की वेधन मात्रा अर्थात् नाभिक से निकटता AI के 3p की तुलना में अधिक है। इसलिए Mg का प्रथम आयनन विभव Al से अधिक है।

प्रश्न 24.
N3-,Na+,F,O2- तथा Mg2+ को आयनिक आकार के बढ़ते क्रम में लिखिए।
उत्तर
Mg2+<Na+ <F <O2- <N3-

प्रश्न 25.
निम्न को समझाइए।
F आयन Na+ आयन से बड़े आकार का होता है।
उत्तर
F में इलेक्ट्रॉन की संख्या = 10 तथा प्रोटॉन की संख्या = 9
Na+ में इलेक्ट्रॉन की संख्या = 10 तथा प्रोटॉन की संख्या =11
Na+ में कार्यरत् प्रभावी नाभिकीय आवेश F से अधिक है इसलिए F का आकार Na+ से बड़ा है।

प्रश्न 26.
अक्रिय गैसों की इलेक्ट्रॉन बन्धुता शून्य होती है, क्यों? समझाइए।
उत्तर
अक्रिय गैसों की इलेक्ट्रॉन बन्धुता शून्य होती है, क्योंकि इनके कक्षों के इलेक्ट्रॉन कक्षक पूर्णतया भरे होने के कारण इनमें अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन प्रवेश नहीं कर सकता है।

प्रश्न 27.
नाइट्रोजन की इलेक्ट्रॉन बन्धुता कार्बन से कम होती है। कारण दीजिए।
उत्तर
क्योंकि नाइट्रोजन में 5 उपकोश पूर्ण तथा p उपकोश आधा भरा होता है।

प्रश्न 28.
F, CI, Br, I को उनके बढ़ते हुए इलेक्ट्रॉन बन्धुता के क्रम में तथा Li, Na, K, Rb को उनके बढ़ते हुए विद्युत ऋणात्मकता के क्रम में लिखिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-15

प्रश्न 29.
F, O, Cl की इलेक्ट्रॉन बन्धुता घटने का क्रम लिखिए।
उत्तर
F, O, Cl की इलेक्ट्रॉन बन्धुता घटते क्रम में निम्नवत् है–
Cl> F>O

प्रश्न 30.
O, F, Be, C, N को घटती हुई इलेक्ट्रॉन बन्धुता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर
O, F, Be, C तथा N की घटती हुई इलेक्ट्रॉन बन्धुता का क्रम निम्नवत् है–
F>O>N>C> Be

प्रश्न 31.
Cl,s2-,ca2+,Ar को आकार के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर
Cl,s2-,Ca2+ तथा Ar का बढ़ते हुए आकार को क्रम निम्नवत् है-
Ca2+< Ar<Cl,S2-

प्रश्न 32.
F, CI, Br तथा I को बढ़ती हुई ऋण-विद्युतता के अनुसार व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर
बढ़ती हुई ऋण-विद्युतता के अनुसार F, CI, Br तथा I की व्यवस्था इस प्रकार है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-16

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आवर्त सारणी के किन-किन वर्गों के तत्त्वों को 5-ब्लॉक तत्त्व कहते हैं और क्यों ? इन तत्वों के किन्हीं चार मुख्य अभिलक्षणों को लिखिए।
उत्तर
तत्त्वों के परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ जब उनके बाह्यतम कोश के -उपकोश में इलेक्ट्रॉन प्रवेश करते हैं, उन्हें ब्लॉक तत्त्व कहते हैं। इन तत्त्वों के बाह्य कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास या अभिलाक्षणिक इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns’ या nsहोता है तथा (n-1) कोश में प्रायः 8 इलेक्ट्रॉन (H, Li वे Be को छोड़कर) होते हैं।

वर्ग 1-A (Li, Na, K, Rb, Cs, Fr) तथा वर्ग II-A (Be, Mg, Ca, Sr, Ba, Ra) के तत्त्व -ब्लॉक तत्त्व : होते हैं। हाइड्रोजन और हीलियम भी ब्लॉक के तत्त्व हैं। इनमें I-A उपवर्ग के तत्त्वों को क्षारीय धातु (H को छोड़कर) कहते हैं तथा II-A उपवर्ग के तत्त्वों को क्षारीय मृदा धातुएँ कहते हैं।
S-ब्लॉक के तत्त्वों के गुणधर्म

  1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास-इन तत्त्वों के बाह्य कोश के 3-उपकोश में 1 या 2 इलेक्ट्रॉन तथा उससे पहले कोश में सभी उपकोश पूर्ण भरे होते हैं।
  2. संयोजकता—इन तत्त्वों की एक निश्चित संयोजकता होती है, जो उनके बाह्य कोश के इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है; अतः I-A के क्षार धातुओं (जैसे-Li, Na, K आदि) की संयोजकता 1 तथा II-A के क्षारीय मृदा धातुओं (जैसे-Mg, Ca, Sr) की संयोजकता 2 होती है।
  3. परमाणु त्रिज्या–हाइड्रोजन तथा हीलियम को छोड़कर सभी 5-ब्लॉक तत्त्वों की परमाणु त्रिज्या अपेक्षाकृत काफी बड़ी होती है; जैसे-Li (1.23 A), Mg (1.36 A) आदि।।
  4. आयनन विभव-हाइड्रोजन तथा हीलियम को छोड़कर, सभी 5-ब्लॉक तत्त्वों के आयनन विभव निम्न होते हैं; जैसे—Li (5.4 eV), Mg (7.6 ev) आदि। इस कारण ये तत्त्व प्रबल धन-विद्युती (electropositive) हैं तथा बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं।
    उदाहरणार्थ-Na+, K+, Mg2+, Ca2+ आदि।

प्रश्न 2.
d-ब्लॉक तत्त्वों के प्रमुख लक्षण (विशेषताएँ या गुण क्या हैं?
उत्तर
d-ब्लॉक तत्त्वों को संक्रमण तत्त्व कहते हैं। इनके मुख्य लक्षण/गुण/विशेषताएँ इस प्रकार

  1. इन तत्त्वों में बाह्य कोश (n) से पिछले कोश (n-1) के 4-ऑर्बिटलों में इलेक्ट्रॉन भरते हैं। इन तत्त्वों के बाह्य कोश में 1 या 2 इलेक्ट्रॉन तथा उससे पिछले कोश में 9 से 18 इलेक्ट्रॉन तक होते हैं।
  2. ये परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं।
  3. ये सभी तत्त्व धातु हैं। इन धातुओं के क्वथनांक, गलनांक तथा घनत्व ऊँचे होते हैं। ये सभी | तत्त्व ऊष्मा तथा वैद्युत के कुचालक होते हैं और मिश्र धातु बनाने का गुण भी व्यक्त करते हैं।
  4. ये तत्त्व अनुचुम्बकीय (paramagnetic) होते हैं, क्योंकि (n-1) 4-उपकोश में प्रायः अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं।
  5. इन तत्त्वों के जिन आयनों में (n-1)d उपकोश पूरा भरा नहीं होता है उनके आयन तथा यौगिक रंगीन होते हैं; जैसे-Cu2+ आयन (4) तथा क्यूप्रिंक यौगिक नीले रंग के होते हैं।
  6. ये तत्त्व और इनके यौगिक उत्प्रेरक गुण प्रदर्शित करते हैं।
  7. ये संकर आयन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं।

प्रश्न 3.
आयनन विभव की परिभाषा लिखिए। किसी वर्ग में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ आयनन विभव/ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर
किसी तत्त्व के एक विलग, (isolated) गैसीय परमाणु में से एक इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे तत्त्व का आयनन विभव या प्रथम आयनन विभव कहते हैं। इसी प्रकार दूसरे तथा तीसरे इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकालने के लिए प्रयुक्त ऊर्जा को क्रमशः द्वितीय आयनन विभव तथा तृतीय आयनन विभव कहते हैं।
आयनन विभव को इलेक्ट्रॉन वोल्ट (ev) या किलो कैलोरी प्रति मोल (kcal/mol) या किलो जूल प्रति मोल (kJ/mol) में व्यक्त करते हैं। किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर अर्थात् परमाणु क्रमांक में वृद्धि से नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है और परमाणु का आकार कम होने लगता है जिससे परमाणु के आयनीकरण में अधिक ऊर्जा प्रयुक्त होती है जिससे आयनन विभव का मान बढ़ जाता है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-17
किसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर अर्थात् परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ इनके परमाणु आकार में वृद्धि होती है जिससे नाभिकीय आवेश का बाहरी कक्षाओं के इलेक्ट्रॉन पर आकर्षण कम हो जाता है। और इलेक्ट्रॉनों को निकालने में कम ऊर्जा लगती है जिससे आयनन विभव का मान कम हो जाता है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-18

प्रश्न 4.
इलेक्ट्रॉन बन्धुता की परिभाषा दीजिए। क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन बन्धुता फ्लोरीन से अधिक है। स्पष्ट कीजिए।
या
आवर्त सारणी में किसी आवर्त तथा वर्ग में इलेक्ट्रॉन बन्धुता में क्या परिवर्तन होता है? समझाइए।
उत्तर
किसी तत्त्व के परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋण आयन बनने में उत्सर्जित ऊर्जा को उस तत्त्व की इलेक्ट्रॉन बन्धुता कहते हैं। ऊर्जा का उत्सर्जन जितना अधिक होगा, इलेक्ट्रॉन बन्धुता उतनी ही अधिक होगी। हैलोजनों की इलेक्ट्रॉन बन्धुता सबसे अधिक होती है। इलेक्ट्रॉन बन्धुता इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV) प्रति परमाणु में व्यक्त की जाती है तथा E या E, अक्षरों द्वारा व्यक्त की जाती है।

Cl+e → Cl + E यहाँ E = 3.61 ev

आवर्त में आगे की ओर जाने पर इलेक्ट्रॉन बन्धुता बढ़ती है तथा वर्ग में नीचे की ओर जाने पर यह घटती है।

क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन बन्धुता फ्लोरीन से अधिक है क्योंकि फ्लोरीन परमाणु की त्रिज्या बहुत छोटी एवं इलेक्ट्रॉन घनत्व बहुत उच्च होने के कारण फ्लोरीन परमाणु में इलेक्ट्रॉन डालना ऊर्जा की दृष्टि से क्लोरीन परमाणु की तुलना में कुछ कम अनुकूल होता है। इसलिए फ्लोरीन की इलेक्ट्रॉन बन्धुता क्लोरीन से कम है।

प्रश्न 5.
वैद्युत ऋणात्मकता किसे कहते हैं? आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ जाने पर वैद्युत ऋणात्मकता किस प्रकार परिवर्तित होती है?
या
वैद्युत ऋणात्मकता पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
किसी यौगिक के परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करने की प्रवृत्ति को उस परमाणु की वैद्युत ऋणात्मकता कहा जाता है। वे परमाणु जिनके नाभिक अधिक धनात्मक होते हैं और जिनकी त्रिज्याएँ कम होती हैं, अधिक वैद्युत ऋणात्मक होते हैं।

आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर अर्थात् परमाणु क्रमांक में वृद्धि से वैद्युत ऋणात्मकता बढ़ती है क्योंकि परमाणु त्रिज्याएँ घटती हैं, जबकि वर्ग में ऊपर से नीचे आने अर्थात् परमाणु क्रमांक बढ़ने से वैद्युत ऋणात्मकता प्राय: घटती है क्योंकि परमाणु त्रिज्याएँ क्रम से बढ़ती हैं। उदाहरणार्थ।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-19अक्रिय गैसों (Ar, Ne) इत्यादि में इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करने की प्रवृत्ति नहीं होती है, अत: उनकी वैद्युत ऋणात्मकता शून्य होती है।
उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि फ्लोरीन हैलोजन वर्ग में सबसे ऊपर है अत: इसकी वैद्युत ऋणात्मकता सबसे अधिक है।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आधुनिक आवर्त नियम के आधार पर बनी दीर्घ आवर्त सारणी की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
दीर्घाकार आवर्त सारणी का निर्माण बोर के परमाणु की कक्षाओं में इलेक्ट्रॉनों के वितरण के सिद्धान्त के आधार पर हुआ है। अतः इसे बोर की आवर्त सारणी भी कहते हैं। इस सारणी के मुख्य लक्षण/विशेषताएँ/गुण इस प्रकार हैं।

  1. दीर्घाकार आवर्त सारणी में मेंडलीव की आवर्त सारणी की भाँति ही क्षैतिज पंक्तियों की संख्या 7 है जिन्हें आवर्त कहते हैं (अर्थात् आवर्तों की कुल संख्या 7 है) जबकि ऊर्ध्वाधर स्तम्भों की कुल संख्या 18 है जिन्हें वर्ग या समूह अथवा परिवार या फेमिलीज कहते हैं, अर्थात् इनमें वर्गों की कुल संख्या 18 है। इस आवर्त सारणी में बाईं ओर से दाईं ओर चलने पर उपर्युक्त वर्गों को निम्नलिखित रूप में व्यवस्थित किया गया है।
    I-A, II-A, III-B, IV-B, V-B, VI-B, VII-B, VIII, VIII, VIII, I-B, II-B, III-A, IV-A, V-A, VI-A, VII-A तथा शून्य। IUPAC पद्धति के अनुसार आजकल ये वर्ग क्रमशः 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17 व 18 तक वर्गों के रूप में भी व्यक्त किए जाते हैं। इन वर्गों को आजकल क्रसश: 1 से 18 वर्गों के रूप में भी व्यक्त किया जाता है। , इनमें VIII वर्ग में तीन ऊर्ध्वाधर स्तम्भ हैं, अर्थात् VIII वर्ग तीन ऊध्र्वाधर स्तम्भों में रखा गया है।
  2. इस सारणी के आवर्गों में पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे, पाँचवें तथा छठे आवर्गों में क्रमश: तत्त्वों की संख्याएँ 2, 8, 8, 18 तथा 32 हैं, इनको मैजिक संख्याएँ कहते हैं, जबकि सातवाँ आवर्त अपूर्ण है।
  3. इस सारणी में छठे आवर्त के 14 तत्त्वों, परमाणु क्रमांक 58 से 71 तक को और सातवें आवर्त के 14 तत्त्वों, परमाणु क्रमांक 90 से 103 तक को दो श्रेणियों में क्रमशः लैन्थेनाइड तथा ऐक्टिनाइड के रूप में सारेणी के नीचे रखा गया है।
  4. प्रत्येक आवर्त का प्रथम तत्त्व क्षार धातु तथा अन्तिम तत्त्व अक्रिय गैस है; जैसे-तृतीय आवर्त का पहला तत्त्व Li (क्षार धातु) तथा अन्तिम तत्त्व Ne (अक्रिय गैस) है।
  5. इस सारणी में तत्त्वों को परमाणु क्रमांक के वृद्धि क्रम में उस समय तक श्रेणीबद्ध किया गया है जब तक कि समान गुण वाला तत्त्व पुन: नहीं आ गया है।
  6. इस सारणी में प्रत्येक आवर्त में एक नई मुख्य क्वाण्टम संख्या के साथ बाह्यतम कक्ष में ” इलेक्ट्रॉन भरना शुरू होता है और बाह्यतम कक्ष के पूर्ण होने के साथ आवर्त समाप्त हो जाता है। किसी आवर्त की क्रम संख्या उस आवर्त के तत्त्वों की बाह्यतम कक्ष की मुख्य क्वाण्टम संख्या होती है।
  7. इस सारणी में शून्य वर्ग के तत्त्वों को अक्रिय गैस कहते हैं; क्योंकि इनकी सभी उपकक्षाएँ पूर्ण होती हैं।
  8. इस सारणी में I-A उपवर्ग (H को छोड़कर) के तत्त्वों को क्षारीय धातु तथा II-A उपवर्ग के तत्त्वों को क्षारीय मृदा धातुएँ कहते हैं।
  9. इस सारणी में III-A, IV-A, V-A, VI-A तथा VII-A उपवर्गों या वर्गों में तत्त्वों को सामान्य .तत्त्व कहते हैं, जिसमें धातु, अधातु एवं उपधातु हैं।
  10. इस सारणी में III-B, IV-B, V-B, VI-B, VII-B, VIII, I-B, II-B उपवर्गों या वर्गों के तत्त्वों को | संक्रमण तत्त्व कहते हैं क्योंकि इन तत्त्वों को क्षार धातुओं तथा सामान्य तत्त्वों के बीच में रखा गया
  11.  इस सारणी में उपस्थित किसी उपवर्ग या वर्ग के सभी तत्त्वों की बाह्यतम कक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्याएँ समान होने के कारण उनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास एकसमान होता है। के कारण उनके गुणों में समानताएँ होती हैं। किसी भी उपवर्ग या वर्ग में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर तत्त्वों के परमाणु क्रमांकों की वृद्धि के साथ, उपकक्षों की संख्या में भी वृद्धि होती है जिसके कारण उन तत्त्वों के गुणों में भी क्रमिक परिवर्तन होता है।
  12.  इस सारणी में तत्त्वों को उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर चार ब्लॉकों में विभक्त किया गया है।
    • s-ब्लॉक
    • p-ब्लॉक,
    • 4-ब्लॉक तथा
    • f-ब्लॉक।

प्रश्न 2.
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में तत्त्वों का वर्गीकरण लिखिए। या प्रवर्धित आवर्त सारणी के प्रारूप को 5, p, d व f-ब्लॉक के तत्वों के आधार पर
समझाइए।
उत्तर
तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तथा आवर्त सारणी किसी परमाणु के कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का वितरण उसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास कहलाता है। किसी तत्त्व के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और उसकी आवर्त सारणी में स्थिति में सीधा सम्बन्ध होता है। किसी तत्त्व की आवर्त सारणी में स्थिति से, भरें जाने वाले अन्तिम कक्ष की मुख्य क्वाण्टम संख्या (n) और दिगंशी, क्वाण्टम संख्या (l) के विषय में भी जानकारी मिलती है।
आवर्त में तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास

आवर्त बाह्यतम कोश के लिए n का मान बताता है। आवर्त 1, 2, 3,… आदि का तात्पर्य क्रमशः 1, 2, 3,… आदि मुख्य ऊर्जा स्तरों के भरने से है। प्रत्येक आवर्त में तत्त्वों की संख्या, भरे जाने वाले ऊर्जा स्तर में उपलब्ध परमाणु कक्षकों की संख्या से दोगुनी होती है।

प्रथम आवर्त में इलेक्ट्रॉन प्रथम ऊर्जा स्तर (n=1) में भरते हैं। इस आवर्त में केवल एक कक्षक (ls) होता है और इलेक्ट्रॉन इसी में भरते हैं। इसमें दो तत्त्व हाइड्रोजन (Z= 1) और हीलियम (Z=2) होते हैं। जिनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्रमशः 1s1 तथा 1s2 होते हैं।

दूसरे आवर्त में इलेक्ट्रॉन दूसरे ऊर्जा स्तर (n= 2) में भरते हैं। यह आवर्त लीथियम (z= 3) से शुरू होता है जिसमें दो इलेक्ट्रॉन 1s कक्षक में होते हैं और तीसरा इलेक्ट्रॉन 2s कक्षक में प्रवेश करता है (1s+ 2s1), अगले तत्त्व बेरीलियम (Z = 4) में 1s तथा 2s दोनों कक्षकों में 2-2 इलेक्ट्रॉन होते हैं (1s2 2s2) इसके पश्चात् बोरॉन (Z= 5) से निऑन (Z = 10) तक पहुँचने पर 2p कक्षक पूर्ण रूप से इलेक्ट्रॉनों से भर जाता है। इस तरह L कोश (n=2) निऑन (1s2,2s2 2p6) तत्त्व के साथ पूर्ण हो जाता है।

तीसरे आवर्त में इलेक्ट्रॉन तीसरे ऊर्जा स्तर (n=3) में भरते हैं। यह आवर्त सोडियम (Z= 11) से शुरू होता है। इसमें इलेक्ट्रॉन 3s कक्षक में प्रवेश करता है। इस आवर्त में सोडियम (3s1) से लेकर आर्गन (3s2 3p6) तक उत्तरोतर 3s एवं 3p कक्षकों में इलेक्ट्रॉन भरते हैं। 3d कक्षकों की ऊर्जा 4s कक्षकों से अधिक होती है इसलिए वे 4s कक्षकों के पश्चात् भरते हैं। चौथे आवर्त में इलेक्ट्रॉन चौथे ऊर्जा स्तर (n=4) में भरते हैं। यह आवर्त पोटैशियम (Z=19) से प्रारम्भ होता है और इसमें इलेक्ट्रॉन 4s कक्षक में प्रवेश करता है। कैल्सियम (Z = 20) में 4s कक्षक भर जाता है। चूंकि 3d-कक्षकों की ऊर्जा 4p-कक्षकों से कम होती है इसलिए 4p-कक्षकों से पहले 3d-कक्षकों में इलेक्ट्रॉन भरते हैं। इस प्रकार हमें तत्त्वों की 3d संक्रमण श्रेणी (transition series) प्राप्त होती है। यह स्कैण्डियम (Z=21) से प्रारम्भ होती है। इसको बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d 4s होता है। 3d-कक्षक जिंक (Z= 30) पर पूर्ण रूप से भर जाता है। इसका बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d10 4s2 होता है। इसके पश्चात् गैलियम (z=31) से 4p-कक्षक का भरना प्रारम्भ होता है जो क्रिप्टॉन पर समाप्त होता है। क्रिप्टॉन का बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 4s2 3d10 4p6 होता है। इस आवर्त में 18 तत्त्व होते हैं तथा इसमें 9’कक्षक भरते हैं। 4d और 4f-कक्षकों की ऊर्जा अधिक होने के कारण वे इस आवर्त में नहीं भरते हैं। पाँचवें आवर्त में इलेक्ट्रॉन पाँचवें ऊर्जा स्तर (n = 5) में भरते हैं। यह आवर्त रूबिडियम (Z=37) से प्रारम्भ होता है जिसमें 1 इलेक्ट्रॉन 5s-कक्षक में प्रवेश करता है। 55-कक्षक के भरने के पश्चात् 4d संक्रमण श्रेणी प्रारम्भ हो जाती है जिसमें इलेक्ट्रॉन 4d-कक्षकों में भरते हैं। यह इट्रियम (Z= 39) से प्रारम्भ होकर कैडमियम (Z=48) पर समाप्त होती है। इसके पश्चात् 5p-कक्षक भरते हैं। इनका भरना इंडियम (Z= 49) से प्रारम्भ होकर जीनॉन (Z=54) पर समाप्त होता है। छठे आवर्त में इलेक्ट्रॉन छठे ऊर्जा स्तर (n= 6) में भरते हैं। यह आवर्त सीजियम (Z = 55) से प्रारम्भ होता है जिसमें 1 इलेक्ट्रॉन 6s-कक्षक में प्रवेश करता है। 6s-कक्षक के भरने के पश्चात् अगला इलेक्ट्रॉन La में 5d-कक्षक में प्रवेश करता है। इसके पश्चात् सीरियम (Z= 58) से प्रारम्भ करके ल्यूटीशियम (Z= 71) तक इलेक्ट्रॉन 4f-कक्षकों में भरते हैं। इसे 4 आंतरिक संक्रमण श्रेणी (inner transitional series) या लैन्थेनाइड श्रेणी (lanthanide series) कहते हैं। इसके पश्चात् हैफनियम (Z = 72) से मर्करी (Z = 80) तक इलेक्ट्रॉन 5d-कक्षकों में भरते हैं। इस प्रकार 54 सक्रमण श्रेणी प्राप्त होती है। इसके पश्चात् इलेक्ट्रॉन थैलियम (Z= 81) से रेडॉन (Z= 86) तक 6p-कक्षकों में भरते हैं।

सातवें आवर्त में इलेक्ट्रॉन सातवें ऊर्जा स्तर (n= 7) में भरते हैं। यह आवर्त फ्रैंशियम (Z = 87) से प्रारम्भ होता है जिसमें 7s-कक्षक में 1 इलेक्ट्रॉन प्रवेश करता है। 7s-कक्षक के भरने के पश्चात् ऐक्टिनियम (Z = 89) और थोरियम (Z=90) में इलेक्ट्रॉन 6d-कक्षक में प्रवेश करते हैं और उसके पश्चात् 5f-कक्षकों का भरना शुरू होता है। यह प्रोऐक्टिनियम (Z=91) से लॉरेन्शियम (Z = 103) तक चलता है। इस प्रकार 5f आंतरिक संक्रमण श्रेणी या ऐक्टिनाइड श्रेणी (actinide series) प्राप्त होती है। ऐक्टिनियम (Z= 89) से Uub (Z = 112) तक 6d-कक्षक भरते हैं और हमें 6d संक्रमण श्रेणी प्राप्त होती है। 6d-कक्षकों के भरने के पश्चात् 7p-कक्षक भरते हैं।

वर्गवार इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
एक ही वर्ग के सभी तत्त्वों के बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (संयोजकता कोश इलेक्ट्रॉनिक विन्यास) समान होते हैं। इनके बाह्य कक्षकों में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या एवं गुणधर्म भी समान होते हैं।
उदाहरणार्थ-Li, Na, K, Rb, Cs और Fr सभी का संयोजकता कोश इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns1 है। तथा वे सभी समान गुण प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि किसी तत्त्व के गुण उसके परमाणु क्रमांक पर निर्भर करते हैं न कि उसके सापेक्षिक परमाणु द्रव्यमान पर।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-20
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-21
तत्त्वों का s, p, a तथा f ब्लॉकों में वर्गीकरण
प्रवर्धित आवर्त सारणी के विभिन्न तत्त्वों को चार ब्लॉकों (s, p, d तथा f) में वर्गीकृत किया गया है। इनका यह वर्गीकरण उनके उस कक्षक के नाम पर किया गया है जिसमें अन्तिम इलेक्ट्रॉन प्रवेश करता है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties img-22

We hope the UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties (तत्त्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 3 Classification of Elements and Periodicity in Properties (तत्त्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom (परमाणु की संरचना)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Chemistry. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom (परमाणु की संरचना).

पाठ के अन्तर्गत दिएर गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
(i) एक ग्राम भार में इलेक्ट्रॉनों की संख्या का परिकलन कीजिए।
(ii) एक मोल इलेक्ट्रॉनों के द्रव्यमान और आवेश का परिकलन कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-1

प्रश्न 2.
(i) मेथेन के एक मोल में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या का परिकलन कीजिए।
(ii) 7mg14C में न्यूट्रॉनों की
(क) कुल संख्या तथा
(ख) कुल द्रव्यमान ज्ञात कीजिए। (न्यूट्रॉन का द्रव्यमान =1.675×10-27 kg मान लीजिए।)
(iii) मानक ताप और दाब(STP) पर 34 mg NH3 में प्रोटॉनों की
(क) कुल संख्या और
(ख) कुल द्रव्यमान बताइए।
दाब और ताप में परिवर्तन से क्या उत्तर परिवर्तित हो जाएगा?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-2
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-3

प्रश्न 3.
निम्नलिखित नाभिकों में उपस्थित न्यूट्रॉनों और प्रोटॉनों की संख्या बताइए-
[latex]_{ 6 }^{ 13 }{ C }_{ 8 }^{ 16 }{ O }_{ 12 }^{ 24 }{ Mg }_{ 26 }^{ 56 }{ Fe }_{ 38 }^{ 88 }{ Sr }[/latex]
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-4

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए परमाणु द्रव्यमान (A) और परमाणु संख्या (Z) वाले परमाणुओं का पूर्ण प्रतीक लिखिए-
(i) Z = 1,A = 35
(ii) Z = 92, A = 233
(iii) Z = 4, A = 9
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-5

प्रश्न 5.
सोडियम लैम्प द्वारा उत्सर्जित पीले प्रकाश की तरंगदैर्घ्य (λ) 580 mm है। इसकी आवृत्ति (v) और तरंग-संख्या (V) की परिकलन कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-6

प्रश्न 6.
प्रत्येक ऐसे फोटॉन की ऊर्जा ज्ञात कीजिए-
(i) जो 3×1016 Hz आवृत्ति वाले प्रकाश के संगत हो।
(ii) जिसकी तरंगदैर्घ्य 0:50 A हो।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-7

प्रश्न 7.
2.0×10-10 s काल वाली प्रकाश तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति और तरंग-संख्या की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-8

प्रश्न 8.
ऐसा प्रकाश, जिसकी तरंगदैर्घ्य 4000 pm हो और जो 1J ऊर्जा दे, के फोटॉनों की संख्या बताइए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-9

प्रश्न 9.
यदि 4×10-7m तरंगदैर्घ्य वाला एक फोटॉन 2.13 ev कार्यफलन वाली धातु की सतह स’ टकराता है तो-
(i) फोटॉन की ऊर्जा (ev में)
(ii) उत्सर्जन की गतिज ऊर्जा और
(iii) प्रकाशीय इलेक्ट्रॉन के वेग का परिकलन कीजिए। (1 eV = 1,6020 x 10-19 J)
उत्तर
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UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-11

प्रश्न 10.
सोडियम परमाणु के आयनंन के लिए 242 nm तरंगदैर्ध्य की विद्युत-चुम्बकीय विकिरण पर्याप्त होती है। सोडियम की आयनन ऊर्जा kJ mol-1 में ज्ञात कीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 11.
25 वाट का एक बल्ब 0.57um तरंगदैर्घ्य वाले पीले रंग का एकवर्णी प्रकाश उत्पन्न करता है। प्रति सेकण्ड क्वाण्टा के उत्सर्जन की दर ज्ञात कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-13

प्रश्न 12.
किसी धातु की सतह पर 6800 A तरंगदैर्ध्व वाली विकिरण डालने से शून्य वेग वाले इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं। धातु की देहली आवृत्ति (v°) और कार्यफलन (W°) ज्ञात
कीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 13.
जब हाइड्रोजन परमाणु के n= 4ऊर्जा स्तर से n= 2 ऊर्जा स्तर में इलेक्ट्रॉन जाता है तो किस तरंगदैर्घ्य का प्रकाश उत्सर्जित होगा?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-15

प्रश्न 14.
यदि इलेक्ट्रॉन n=5 कक्षक में उपस्थित हो तो H-परमाणु के आयनन के लिए कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होगी? अपने उत्तर की तुलना हाइड्रोजन परमाणु के आयनन एन्थैल्पी से कीजिए। (आयनन एन्थैल्पी n=1 कक्षक से इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा होती है।)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-16

प्रश्न 15.
जब हाइड्रोजन परमाणु में उत्तेजित इलेक्ट्रॉन = 6 से मूल अवस्था में जाता है तो प्राप्त उत्सर्जित रेखाओं की अधिकतम संख्या क्या होगी?
उत्तर
उत्सर्जित रेखाओं की प्राप्त संख्या 15 होगी। यह निम्न संक्रमणों के कारण प्राप्त होंगी-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-17

प्रश्न 16.
(i) हाइड्रोजन के प्रथम कक्षक से सम्बन्धित ऊर्जा – 2.18×10-18Jatom-1 है पाँचवें कक्षक से सम्बन्धित ऊर्जा बताइए।
(ii) हाइड्रोजन परमाणु के पाँचवें बोर कक्षक की त्रिज्या की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-18

प्रश्न 17.
हाइड्रोजन परमाणु की ‘बामर श्रेणी में अधिकतम तरंगदैर्घ्य वाले संक्रमण की तरंग-संख्या की गणना कीजिए।
उत्तर
बामर श्रेणी में अधिकतम तरंगदैर्घ्य वाले संक्रमण के लिए
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-19

प्रश्न 18.
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन को पहली कक्ष से पाँचवीं कक्ष तक ले जाने के लिए आवश्यक ऊर्जा की जूल में गणना कीजिए। जब यह इलेक्ट्रॉन तलस्थ अवस्था में लौटता है तो किस तरंगदैर्घ्य का प्रकाश उत्सर्जित होगा? (इलेक्ट्रॉन की तलस्थ अवस्था ऊर्जा -2.18 x 10-11erg है)।
उत्तर

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-22

प्रश्न 19.
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा En = [latex]\frac { \left( -2.18\times { 10 }^{ -18 } \right) }{ { n }^{ 2 } } [/latex]J द्वारा दी जाती है। n=2 कक्षा से इलेक्ट्रॉन को पूरी तरह निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा की गणना कीजिए। प्रकाश की सबसे लम्बी तरंगदैर्घ्य (cm में) क्या होगी जिसका प्रयोग इस | संक्रमण में किया जा सके?
उत्तर
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प्रश्न 20.
2.05 x 107ms-1 वेगं से गंति कर रहे किसी इलेक्ट्रॉन का तरंगदैर्ध्य क्या होगी?
उत्तर
दे-ब्रॉग्ली समीकरण के अनुसार,
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-24

प्रश्न 21.
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1×10-31kg है। यदि इसकी गतिज ऊर्जा 3.0×10-25 Jहो तो इसकी तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-25

प्रश्न 22.
निम्नलिखित में से कौन सम-आयनी स्पीशीज हैं, अर्थात् किनमें इलेक्ट्रॉनों की समान संख्या है?
Na+, K+, Mg2+, Ca2+, S2-,Ar
उत्तर
दी गई स्पीशीज में इलेक्ट्रॉन्स की संख्या निम्नवत् है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-26

प्रश्न 23.
(i) निम्नलिखित आयनों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए
(क) H
(ख) Na+
(ग) O2-
(घ) F
(ii) उन तत्वों की परमाणु संख्या बताइए जिनके सबसे बाहरी इलेक्ट्रॉनों को निम्नलिखित रूप में दर्शाया जाता है-
(क) 3s1
(ख) 2p3 तथा
(ग) 3p5
(iii) निम्नलिखित विन्यासों वाले परमाणुओं के नाम बताइए-
(क) [He] 2s1
(ख) [Ne] 3s23p3
(ग) [Ar]4s23d1
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-27

प्रश्न 24.
किस निम्नतम n मान द्वारा g-कक्षक का अस्तित्व अनुमत होगा?
उत्तर
g उपकोश के लिए, 1 = 4
चूँकि । का मान 0 तथा (n-1) के बीच होता है, g-कक्षक के अस्तित्व के लिए ॥ का निम्नतम मान n = 5 होगा।

प्रश्न 25.
एक इलेक्ट्रॉन किसी 3d-कक्षक में है। इसके लिए n, 1 और m1 के सम्भव मान दीजिए।
उत्तर
3d कक्षक के लिए, n = 3,1=2
1=2 के लिए, m1=-2,-1, 0, +1, +2
इस प्रकार, दिये गये इलेक्ट्रॉन के लिए।
n= 3,1= 2, m1 = -2, -1, 0, +1,+ 2

प्रश्न 26.
किसी तत्व के परमाणु में 29 इलेक्ट्रॉन और 35 न्यूट्रॉन हैं-
(i) इसमें प्रोटॉनों की संख्या बताइए।
(ii) तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास बताइए।
उत्तर
एक उदासीन परमाणु के लिए
Z= प्रोटॉनों की संख्या = इलेक्ट्रॉनों की संख्या
इसलिए, दिये गये तत्त्व का परमाणु क्रमांक (Z) = 29
(i) इसमें उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या = 29
(ii) दिये गये तत्त्व को इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न है-
1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d10 4s1 or [Ar]3d10 4s1

प्रश्न 27.
[latex]{ H }_{ 2 }^{ + }[/latex], H2 और [latex]{ O }_{ 2 }^{ + }[/latex] स्पीशीज में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताइए।
उत्तर
H2 में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 1+1=2
[latex]{ H }_{ 2 }^{ + }[/latex] में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 2-1=1
[latex]{ O }_{ 2 }^{ + }[/latex] में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = (8+ 8)-1= 15

प्रश्न 28.
(i) किसी परमाणु कक्षक का n = 3 है। उसके लिए। और 2m1 के सम्भव मान क्या होंगे ?
(ii) 3d-कक्षक के इलेक्ट्रॉनों के लिए m1 और क्वाण्टम संख्याओं के मान बताइए।
(iii) निम्नलिखित में से कौन-से कक्षक सम्भव हैं
lp, 2s, 22 और 3f
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-28

प्रश्न 29.
s, p, 4 संकेतन द्वारा निम्नलिखित क्वाण्टम संख्याओं वाले कक्षकों को बताइए–
(क) n = 1; l= 0
(ख) n = 3:l=1
(ग) n = 4;1= 2
(घ) n = 4:1= 3
उत्तर
(क) as
(ख) 3p
(ग) 4d
(घ) 4f

प्रश्न:30.
कारण देते हुए बताइए कि निम्नलिखित क्वाण्टम संख्या के कौन-से मान सम्भव नहीं हैं-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-29
उत्तर
(क) सम्भव नहीं है, क्योंकि n का मान कभी शून्य नहीं होता।
(ख) सम्भव है।
(ग) सम्भव नहीं है, क्योंकि जब n=1,1= 0 केवल
(घ) सम्भव है।
(ङ) सम्भव नहीं है, क्योंकि जब n= 3,1= 0, 1, 2
(च) सम्भव है।

प्रश्न 31.
किसी परमाणु में निम्नलिखित क्वाण्टम संख्याओं वाले कितने इलेक्ट्रॉन होंगे
(क) n=4, m2 =[latex]-\frac { 1 }{ 2 } [/latex]
(ख) n= 3,l= 0
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-30

प्रश्न 32.
यह दर्शाइए कि हाइड्रोजन परमाणु की बोर कक्षा की परिधि उस कक्षा में गतिमान इलेक्ट्रॉन की दे-ब्राग्ली तरंगदैर्घ्य को पूर्ण गुणक होती है।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-31

2πr बोर कक्षक की परिधि को इर्शाता है। इस प्रकार, हाइड्रोजन परमाणु के लिए बोर कक्षक की परिधि दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य की पूर्ण गुणांक होगी।

प्रश्न 33.
He+ स्पेक्ट्रम के += 4 से n = 2 बामर संक्रमण से प्राप्त तरंगदैर्घ्य के बराबर वाला संक्रमण हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में क्या होगा?
उत्तर
हाइड्रोजन जैसी स्पीशीज़ के लिए
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यह तभी सम्भव है जब n1 =1 तथा ny = 2 हो।
अत: H स्पेक्ट्रम में समान तरंगदैर्घ्य के लिए संगत संक्रमण n=2 से n=1 होगा।

प्रश्न 34.
He+ (g) → He+ (g) +e प्रक्रिया के लिए आवश्यक ऊर्जा की गणना कीजिए।
हाइड्रोजन परमाणु की तलस्थ अवस्था में आयनन ऊर्जा 2.18 x 10-18Jatom-1 है।
उत्तर
हाइड्रोजन जैसी स्पीशीज के लिए, nth कक्षक की ऊर्जा निम्न व्यंजक से प्राप्त की जा सकती है-
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प्रश्न 35.
यदि कार्बन परमाणु का व्यास 0.15 nm है तो उन कार्बन परमाणुओं की संख्या की गणना कीजिए जिन्हें 20 cm स्केल की लम्बाई में एक-एक करके व्यवस्थित किया जा सकता है।
उत्तर
कार्बन परमाणु का व्यास = 0.15 nm = 1.5×10-10m=1.5×10<sup-8+ cm स्केल की लम्बाई जिसमें कार्बन परमाणु व्यवस्थित हैं = 20cm
∴ कार्बन परमाणुओं की संख्या जों स्केल की लम्बाई में एक-एक करके व्यवस्थित होंगे-
[latex]=\frac { 20 }{ 1.5\times { 10 }^{ -8 } } =1.33\times { 10 }^{ 9 }[/latex]

प्रश्न 36.
कार्बन के 2×108 परमाणु एक कतार में व्यवस्थित हैं। यदि इस व्यवस्था की लम्बाई 2.4 cm है तो कार्बन परमाणु के व्यास की गणना कीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 37.
जिंक परमाणु का व्यास 2.6Å है—(क) जिंक परमाणु की त्रिज्या pm में तथा (ख) 1-6 cm की लम्बाई में कतार में लगातार उपस्थित परमाणुओं की संख्या की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-35
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-36

प्रश्न 38.
किसी कण का स्थिर विद्युत आवेश 2.5×10-16c है। इसमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-37
प्रश्न 39.
मिलिकन के प्रयोग में तेल की बूंद पर चमकती x-किरणों द्वारा प्राप्त स्थैतिक विद्युत-आवेश प्राप्त किया जाता है। तेल की बूंद पर यदि स्थैतिक विद्युत-आवेश
-1. 282 x 10-18c है तो इसमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या की गणना कीजिए।
उत्तर
इलेक्ट्रॉन द्वारा लिया गया आवेश = -1.6022×10-19C
∴ तेल की बूंद पर उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = [latex]\frac { -1.282\times { 10 }^{ -16 } }{ -1.6022\times { 10 }^{ -19 } } =8[/latex]

प्रश्न 40.
रदरफोर्ड के प्रयोग में सोने, प्लैटिनम आदि भारी परमाणुओं की पतली पन्नी पर ए-कणों द्वारा बमबारी की जाती है। यदि ऐलुमिनियम आदि जैसे हल्के परमाणु की पतली पन्नी ली जाए तो उपर्युक्त परिणामों में क्या अन्तर होगा?
उत्तर
हल्के परमाणुओं जैसे एलुमिनियम के नाभिक छोटे तथा कम धन आवेश युक्त होते हैं। यदि | इनका प्रयोग रदरफोर्ड के प्रयोग में 0-कणों द्वारा बमबारी के लिए किया जाये तो नाभिकों के छोटे होने के कारण अधिकतर -कण लक्ष्य परमाणुओं से बिना टकराये ही बाहर निकल जायेंगे। जो कण नाभिक से टकरायेगें वे भी कम नाभिकीय आवेश के कारण अधिक विचलित नहीं होंगे।

प्रश्न 41.
[latex]_{ 35 }^{ 79 }{ Br }[/latex] तथा 79Br प्रतीक मान्य हैं, जबकि [latex]_{ 79 }^{ 35 }{ Br }[/latex] तथा 35Br मान्य नहीं हैं। संक्षेप में कारण बताइए।
उत्तर
एक तत्त्व के लिए परमाणु संख्या को मान स्थिर होता है, लेकिन द्रव्यमान संख्या का मान तत्त्व के समस्थानिक की प्रकृति पर निर्भर करता है। अतः द्रव्यमान संख्या को प्रतीक के साथ दर्शाना आवश्यक हो जाती है। परम्परा के अनुसार तत्त्व के प्रतीक में द्रव्यमान संख्या को ऊपर बायें तथा परमाणु संख्या को नीचे दायें ओर इस प्रकार लिखा जाता है- AXZ,

प्रश्न 42.
एक 81 द्रव्यमान संख्या वाले तत्व में प्रोटॉनों की तुलना में 31.7% न्यूट्रॉन अधिक हैं। इसका परमाणु प्रतीक लिखिए।
उत्तर
दिये गये तत्त्व की द्रव्यमान संख्या = 81
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प्रश्न 43.
37 द्रव्यमान संख्या वाले एक आयन पर ऋणावेश की एक इकाई है। यदि आयन में इलेक्ट्रॉन की तुलना में न्यूट्रॉन 11.1% अधिक है तो आयन का प्रतीक लिखिए।
उत्तर
माना कि आयन में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या x है।
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प्रश्न 44.
56 द्रव्यमान संख्या वाले एक आयन पर धनावेश की 3 इकाई हैं और इसमें इलेक्ट्रॉन की तुलना में 30.4% न्यूट्रॉन अधिक हैं। इस आयन का प्रतीक लिखिए।
उत्तर
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प्रश्न 45.
निम्नलिखित विकिरणों के प्रकारों को आवृत्ति के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए
(क) माइक्रोवेव ओवन (oven) से विकिरण
(ख) यातायात-संकेत से त्रणमणि (amber) प्रकाश
(ग) एफ०एम० रेडियो से प्राप्त विकिरण
(घ) बाहरी दिक् से कॉस्मिक किरणें ।
(ङ) x-किरणें।
उत्तर
FM < माइक्रोवेव < एम्बर प्रकाश <X-किरणें < कॉस्मिक किरणें।

प्रश्न 46.
नाइट्रोजन लेजर 337.1 nm की तरंगदैर्ध्य पर एक विकिरण उत्पन्न करती है। यदि उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या 5.6 x 10-24 हो तो इस लेजर की क्षमता की गणना कीजिए।
उत्तर
विकिरण की तरंगदैर्घ्य
λ = 337.1nm= 337.1×10-9m
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प्रश्न 47.
निऑन गैस को सामान्यतः संकेत बोर्डों में प्रयुक्त किया जाता है। यदि यह 616 nm पर प्रबलता से विकिरण-उत्सर्जन करती है तो
(क) उत्सर्जन की आवृत्ति,
(ख) 30 सेकण्ड में इस विकिरण द्वारा तय की गई दूरी,
(ग) क्वाण्टम की ऊर्जा तथा
(घ) उपस्थित क्वाण्टम की संख्या की गणना कीजिए। (यदि यह 2J की ऊर्जा उत्पन्न करती है)।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-42

प्रश्न 48.
खगोलीय प्रेक्षणों में दूरस्थ तारों से मिलने वाले संकेत बहुत कमजोर होते हैं। यदि फोटॉन संसूचक 600 nm के विकिरण से कुल 3.15×10-18 J प्राप्त करता है तो संसूचक द्वारा प्राप्त फोटॉनों की संख्या की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-43

प्रश्न 49.
उत्तेजित अवस्थाओं में अणुओं के जीवनकाल का माप प्रायः लगभग नैनो-सेकण्ड परास वाले विकिरण स्रोत का उपयोग करके किया जाता है। यदि विकिरण स्रोत का काल 2ns और स्पन्दित विकिरण स्रोत के दौरान उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या 2.5×10-15 है तो स्रोत की ऊर्जा की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-44

प्रश्न 50.
सबसे लम्बी द्विगुणित तरंगदैर्घ्य जिंक अवशोषण संक्रमण 589 और 589.6 nm पर देखा ‘. जाता है। प्रत्येक संक्रमण की आवृत्ति और दो उत्तेजित अवस्थाओं के बीच ऊर्जा के अन्तर की गणना कीजिए।
उत्तर
प्रथम संक्रमण के लिए :
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प्रश्न 51.
सीजियम परमाणु का कार्यफलन 1.9 ev है तो
(क) उत्सर्जित विकिरण की देहली तरंगदैर्घ्य,
(ख) देहली आवृत्ति की गणना कीजिए।
यदि सीजियम तत्व को 500 pm की तरंगदैर्घ्य के साथ विकीर्णित किया जाए तो निकले हुए फोटो इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा और वेग की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-46

प्रश्न 52.
जब सोडियम धातु को विभिन्न तरंगदैर्यों के साथ विकीर्णित किया जाता है तो निम्नलिखित परिणाम प्राप्त होते है-
λ (nm) : 500 450 400
vx10-5 (cm s-1) : 2.55 4.35 5.35
देहली तरंगदैर्घ्य तथा प्लांक स्थिरांक की गणना कीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 53.
प्रकाश-विद्युत प्रभाव प्रयोग में सिल्वर धातु से फोटो इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन 0.35V की वोल्टता द्वारा रोका जा सकता है। जब 256.7 nm के विकिरण का उपयोग किया जाता है तो सिल्वर धातु के लिए कार्यफलन की गणना कीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 54.
यदि 150 pm तरंगदैर्घ्य का फोटॉन एक परमाणु से टकराता है और इसके अन्दर बँधा हुआ इलेक्ट्रॉन 1.5×107 ms-1 वेग से बाहर निकलता है तो उस ऊर्जा की गणना कीजिए जिससे यह नाभिक से बँधा हुआ है।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-51

प्रश्न 55.
पाश्चन श्रेणी का उत्सर्जन संक्रमण ॥ कक्ष से आरम्भ होता है। कक्ष n=3 में समाप्त होता है तथा इसे = 3.29 x 1015(Hz) [latex]\left[ \frac { 1 }{ { 3 }^{ 2 } } -\frac { 1 }{ { n }^{ 2 } } \right] [/latex] से दर्शाया जा सकता है। यदि संक्रमण 1285 nm पर प्रेक्षित होता है तो के मान की गणना कीजिए तथा स्पेक्ट्रम का क्षेत्र बताइए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-52

प्रश्न 56.
उस उत्सर्जन संक्रमण के तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए, जो 1.3225 pm त्रिज्या वाले कक्ष से आरम्भ और 211.6 pm पर समाप्त होता है। इस संक्रमण की श्रेणी का नाम और स्पेक्ट्रम का क्षेत्र भी बताइए।
उत्तर
मानते हुए कि निहित प्रतिदर्श एक H परमाणु है, nth कक्ष की त्रिज्या
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-53

प्रश्न 57.
दे-ब्रॉग्ली द्वारा प्रतिपादित द्रव्य के दोहरे व्यवहार से इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज हुई, जिसे जैव अणुओं और अन्य प्रकार के पदार्थों की अति आवधित प्रतिबिम्ब के लिए उपयोग में लाया जाता है। इस सूक्ष्मदर्शी में यदि इलेक्ट्रॉन का वेग 1.6×10-ms-1 है। तो इस इलेक्ट्रॉन से सम्बन्धित दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-54

प्रश्न 58.
इलेक्ट्रॉन विवर्तन के समान न्यूट्रॉन विवर्तन सूक्ष्मदर्शी को अणुओं की संरचना के निर्धारण में प्रयुक्त किया जाता है। यदि यहाँ 800 pm की तरंगदैर्घ्य ली जाए तो न्यूट्रॉन से सम्बन्धित अभिलाक्षणिक वेग की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-55

प्रश्न 59.
यदि बोर के प्रथम कक्ष में इलेक्ट्रॉन का वेग 2.9 x106 ms-1 है तो इससे सम्बन्धित दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-56

प्रश्न 60.
एक प्रोटॉन, जो 1000v के विभवान्तर में गति कर रहा है, से सम्बन्धित वेग 4.37×105 ms-1 है। यदि 0.1 kg द्रव्यमान की हॉकी की गेंद इस वेग से गतिमान है तो इससे सम्बन्धित तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-57

प्रश्न 61.
यदि एक इलेक्ट्रॉन की स्थिति + 0.002 nm की शुद्धता से मापी जाती है तो इलेक्ट्रॉन के संवेग में अनिश्चितता की गणना कीजिए। यदि इलेक्ट्रॉन का संवेग [latex]\frac { 5 }{ 4\Pi m } \times 0.05[/latex]pm है तो । क्या इस मान को निकालने में कोई कठिनाई होगी?
उत्तर
प्रश्नानुसार, Ax= 0.002nm=2×10-12m
हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता के सिद्धान्त के अनुसार,
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-58
वास्तविक संवेग को परिभाषित नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह संवेग में अनिश्चितता (Ap) से छोटा है।

प्रश्न 62.
छः इलेक्ट्रॉनों की क्वाण्टम संख्याएँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ऊर्जा के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए। क्या इनमें से किसी की ऊर्जा समान है?
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-59
उत्तर
दिये गये इलेक्ट्रॉन कक्षक 1.4d, 2. 3d, 3.4p, 4. 3d, 5. 3p तथा 6.4p से सम्बन्धित हैं। इनकी ऊर्जा इस क्रम में होगी-
5<2=4<6=3<1

प्रश्न 63.
ब्रोमीन परमाणु में 35 इलेक्ट्रॉन होते हैं। इसके 2p कक्षक में छः इलेक्ट्रॉन, 3p कक्षक में छः इलेक्ट्रॉन तथा 4p कक्षक में पाँच इलेक्ट्रॉन होते हैं। इनमें से कौन-सा इलेक्ट्रॉन न्यूनतम प्रभावी नाभिकीय आवेश अनुभव करता है?
उत्तर
4p इलेक्ट्रॉन्स न्यूनतम प्रभावी नाभिकीय आवेश अनुभव करते हैं, क्योंकि ये नाभिक से सबसे अधिक दूर हैं।

प्रश्न 64.
निम्नलिखित में से कौन-सा कक्षक उच्च प्रभावी नाभिकीय आवेश अनुभव करेगा?
(i) 2s और 3s,
(ii) 44 और 4 तथा
(iii) 3d और 3p.
उत्तर
(i) 25 कक्षक, 3s कक्षक की तुलना में नाभिक के अधिक निकट होगा। अत: 25 कक्षक उच्च प्रभावी नाभिकीय आवेश अनुभव करेगा।
(ii) d कक्षक, / कक्षकों की तुलना में अधिक भेदक (penetrating) होते हैं। इसलिए 44 कक्षक उच्च प्रभावी नाभिकीय आवेश अनुभव करेगा।
(iii) p कक्षक, 4 कक्षकों की तुलना में अधिक भेदक (penetrating) होते हैं। इसलिए, 3p कक्षक उच्च प्रभावी नाभिकीय आवेश अनुभव करेगा।।

प्रश्न 65.
Al तथा Si में 3p कक्षक में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं। कौन-सा इलेक्ट्रॉन नाभिक से अधिक प्रभावी नाभिकीय आवेश अनुभव करेगा?
उत्तर
सिलिकॉन (+14) में, ऐलुमिनियम (+13) की तुलना में अधिक नाभिकीय आवेश होता है। अत: सिलिकॉन में उपस्थित अयुग्मित 3p इलेक्ट्रॉन अधिक प्रभावी नाभिकीय आवेश अनुभव करेंगे।

प्रश्न 66.
इन अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताइए|
(क) P
(ख) Si
(ग) Cr
(घ) Fe
(ङ) Kr
उत्तर
इन तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तथा अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या निम्न है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-60

प्रश्न 67.
(क) n = 4 से सम्बन्धित कितने उपकोश हैं?
(ख) उस उपकोश में कितने इलेक्ट्रॉन उपस्थित होंगे जिसके लिए ms =-[latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] एवं ॥= 4 हैं?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-61

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कैथोड किरणों के लिए कौन-सा कथन असत्य है?
(i) सीधी रेखा में कैथोड की तरफ चलती हैं।
(ii) ऊष्मा उत्पन्न करती हैं।
(iii) ऋण आवेश रहता है।
(iv) उच्च परमाणु भार वाली धातु से टकराकर X-किरणें उत्पन्न करती हैं।
उत्तर
(i) सीधी रेखा में कैथोड की तरफ चलती हैं।

प्रश्न 2.
न्यूट्रॉन एक मौलिक कण है जिसमें
(i) +1 आवेश एवं एक इकाई द्रव्यमान होता है।
(ii) 0 आवेश एवं एक इकाई द्रव्यमान होता है।
(iii) 0 आवेश एवं 0 द्रव्यमान होता है।
(iv) -1 आवेश एवं इकाई द्रव्यमान होता है।
उत्तर
(ii) 0 आवेश एवं एक इकाई द्रव्यमान होता है।

प्रश्न 3.
किसी तत्व के 3d उपकोश में 7 इलेक्ट्रॉन हैं। तत्त्व का परमाणु क्रमांक है
(i) 24
(ii) 27
(iii) 28
(iv) 29
उत्तर
(ii) 27

प्रश्न 4.
परमाणु क्रमांक 12 वांले तत्त्व में इलेक्ट्रॉनों की संख्या है।
(i) 0
(ii) 12
(iii) 6
(iv) 14
उत्तर
(ii) 12

प्रश्न 5.
किसी तत्त्व के समस्थानिक ,xm में न्यूट्रॉनों की संख्या होगी
(i) m+n
(ii) m
(iii) n
(iv) m-n
उत्तर
(iv) m-n

प्रश्न 6.
दे-ब्रॉग्ली के सिद्धान्त के अनुसार
(i) E= mc2
(ii) [latex]\lambda =\frac { h }{ p } [/latex]
(iii) ∆E= ∆h
(iv) [latex]\triangle x\times \triangle p=\frac { h }{ 2\Pi } [/latex]
उत्तर
(ii) [latex]\lambda =\frac { h }{ p } [/latex]

प्रश्न 7.
निश्चितता के सिद्धान्त के अनुसार
(i) E = mc2
(ii) [latex]\triangle x\times \triangle p=\frac { h }{ 4\Pi } [/latex]
(iii) [latex]\lambda =\frac { h }{ p } [/latex]
(iv) [latex]\triangle x\times \triangle p=\frac { h }{ 2\Pi } [/latex]
उत्तर
(i) [latex]\triangle x\times \triangle p=\frac { h }{ 4\Pi } [/latex]

प्रश्न 8.
निम्न में कौन-सा क्वाण्टम संख्याओं का समूह असम्भव है ?
या
किसी परमाणु में कौन-सी इलेक्ट्रॉनों की व्यवस्था सम्भव नहीं है?
(i) 3,2,-2,[latex]+\frac { 1 }{ 2 } [/latex]
(ii) 4, 0, 0,[latex]+\frac { 1 }{ 2 } [/latex]
(iii) 3, 2, 3,[latex]+\frac { 1 }{ 2 } [/latex]
(iv) 5,3, 0, [latex]-\frac { 1 }{ 2 } [/latex]
उत्तर
(i) 3,2,-3,[latex]+\frac { 1 }{ 2 } [/latex]

प्रश्न 9.
3d3 निकाय के तीसरे इलेक्ट्रॉन की चारों क्वाण्टम संख्याओं का सही क्रम
(i) n = 3,1= 2, m= +3, s=[latex]+\frac { 1 }{ 2 } [/latex]
(ii) n = 3,l= 2, m= + 1, s=[latex]+\frac { 1 }{ 2 } [/latex]
(iii) n= 3, 1= 2, m= +2, s=[latex]-\frac { 1 }{ 2 } [/latex]
(iv) n = 3,1= 2, m= 0, s=[latex]+\frac { 1 }{ 2 } [/latex]
उत्तर
(iv) n= 3, 1 = 2, m=0 s= [latex]+\frac { 1 }{ 2 } [/latex]

प्रश्न 10.
चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या बताती है।
(i) ऑर्बिटलों की आकृति
(ii) ऑर्बिटलों का आकार
(iii) ऑर्बिटलों का अभिविन्यास
(iv) नाभिकीय स्थायित्व
उत्तर
(iii) ऑर्बिटलों का अभिविन्यास

प्रश्न 11.
परमाणु उपकोशों की बढ़ती ऊर्जा का सही क्रम है।
(i) 5p<4f< 6s< 5d
(ii) 5p< 6s<4f<5d
(iii) 4f<5p<5d<6s
(iv) 5p<5d <4f< 6s
उत्तर
(ii) 5p<6s<4f<5d

प्रश्न 12.
ताँबा परमाणु की आद्य अवस्था में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है।
(i) [Ar] 3d94s2
(ii) [Ar] 3d104s2
(iii) [Ar] 3d104s1 ,
(iv) [Ar] 3d104s2 4p1
उत्तर
(iii) [Ar] 3d104s1

प्रश्न 13.
Fe3+ (परमाणु क्रमांक Fe=26) का सही विन्यास है।
(i) 1s2, 2s2, 3s2 3p6 3d5
(ii) 1s2, 2s2 2p6, 3s2 3p6 3d6, 4s2
(iii) 1s2, 2s2 2p6, 3s2 3p63d5, 4s2
(iv) 1s2 ,2s2 2p6, 3s2 3p6 3d5 4s1
उत्तर
(i) s2, 2s2, 3s2 3p6 3d5

प्रश्न 14.
Cr परमाणु (Z = 24) की तलस्थ अवस्था में सही इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है।
(i) [Ar] 3d4,4s2
(ii) [Ar] 3d5,4s2
(iii) [Ar] 3d6,4s2
(iv) [Ar] 3d5,4s1
उत्तर
(iv) [Ar] 3d6,4s1

प्रश्न 15.
Fe2+(z= 26) में 4-इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर नहीं है।
(i) Ne (Z=10) में p-इलेक्ट्रॉनों की संख्या
(ii) Mg (Z= 12) में इलेक्ट्रॉनों की संख्या
(iii) Fe में d-इलेक्ट्रॉनों की संख्या
(iv) Cl(Z=17) में p-इलेक्ट्रॉनों की संख्या
उत्तर
(iv) Cl(2=17) में p-इलेक्ट्रॉनों की संख्या

प्रश्न 16.
H का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है।
(i) 1s0
(ii) 1s1
(iii) 1s2
(iv) 1s2, 2s1
उत्तर
(iii) H में 2 इलेक्ट्रॉन हैं, अत: विकल्प (iii) 1s2 सही है।

प्रश्न 17.
निम्न आयनों में कौन अनुचुम्बकीय है?
(i) Zn2+
(ii) Ni2+
(iii) Cu2+
(iv) Ca2+
उत्तर
(ii) एवं (iii)

प्रश्न 18.
प्रतिचुम्बकीय आयन है।
(i) Cu2+
(ii) Fe2+
(iii) Ni2+
(iv) Zn2+
उत्तर
(iv) Zn2+

प्रश्न 19.
(n+1) नियमानुसार इलेक्ट्रॉन np ऊर्जा स्तर पूर्ण करने के बाद
(i) (n-1)d में प्रवेश करता है।
(ii) (n+ 1)s में प्रवेश करता है।
(iii) (n+ 1)p में प्रवेश करता है।
(iv) nd में प्रवेश करता है।
उत्तर
(ii) (n+1)s में प्रवेश करता है।

प्रश्न 20.
p ऑर्बिटलों में चारों इलेक्ट्रॉनों का सही वितरण है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-62
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-63

प्रश्न 21.
Cu2+ (z=29) में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या है।
(i) 1
(ii) 2
(iii) 3
(iv) 4
उत्तर
(i) 1

प्रश्न 22.
निम्नलिखित में सेमान अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों वाले आयनों को पहचानिए
I. Fe3+ (Z=26)
II. Zn2+ (Z= 30)
III. Cr3+ (Z = 24)
IV. Mn2+ (2=25)
(i) I तथा II ।
(ii) I, II तथा III
(iii) I तथा III
(iv) I तथा IV
उत्तर
(iv) I तथा IV

प्रश्न 23.
निम्न में से किसमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं हैं?
(i) Fe2+
(ii) Ni2+
(iii) Cu2+
(iv) Zn2+
उत्तर
(iv) Zn2+

प्रश्न 24.
निम्नलिखित किस आयन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिकतम है?
(i) Cr3+ (Z=24)
(ii) Ni2+ (Z= 28)
(iii) Mn2+ (Z=25)
(iv) Ti22+ (Z= 22)
उत्तर
(iii) Mn2+ (Z= 25)

प्रश्न 25.
Ni2+(z = 28) आयन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या है।
(i) 1
(ii) 2
(iii) 3
(iv) 8
उत्तर
(ii) 2

प्रश्न 26.
Cr2+ (2=24) आयन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या है।
(i) 6
(ii) 4
(iii) 3
(iv) 1
उत्तर
(ii) 4

प्रश्न 27.
निम्नलिखित में से किस आयन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या शून्य (0) है?
(i) Cr22+ (2=24)
(ii) Fe2+(Z= 26)
(iii) Cu2+ (Z = 29)
(iv) Zn2+(Z= 30)
उत्तर
(iv) Zn2+ (Z = 30)

प्रश्न 28.
कार्बन परमाणु में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या है।
(i) 1
(ii) 4
(iii) 3
(iv) 2
उत्तर
(iv) 2

प्रश्न 29.
आयन जिसमें सबसे अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं, है।
(i) Fe3+
(ii) Co2+
(iii) Ni2+
उत्तर
(i) Fe3+

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दो कारण दीजिए जिनके आधार पर इलेक्ट्रॉन को पदार्थ का मौलिक कण समझा जाता है।
उत्तर
इलेक्ट्रॉन सभी पदार्थों के मौलिक कण होते हैं। ऐसा कई प्रकार की घटनाओं के अध्ययन द्वारा सिद्ध हुआ है। इसके दो प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  1. तापायनिक उत्सर्जन-जब किसी पदार्थ को उच्च ताप तथा कम दाब पर गर्म किया जाता है। तब पदार्थ से इलेक्ट्रॉन बाहर निकलने लगते हैं।
  2. प्रकाश वैद्युत प्रभाव-जब X-किरणें, y-किरणे अथवा पराबैंगनी किरणें धातुओं से टकराती | हैं, तब भी इलेक्ट्रॉन उन धातुओं से बाहर निकलने लगते हैं।

प्रश्न 2.
इलेक्ट्रॉन की तरंग प्रवृतिं क्या है ? इससे सम्बन्धित व्यंजक लिखिए।
उत्तर
सन् 1924 में दे-ब्रॉग्ली ने यह विचार प्रस्तुत किया कि गतिशील सूक्ष्म कण; जैसे—इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन आदि तरंग के गुण प्रदर्शित करते हैं। यदि m द्रव्यमान का एक सूक्ष्म कण ) वेग से गतिमान है, तो उसके तरंगदैर्घ्य 2 और संवेग p=) में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है।

[latex]\lambda =\frac { h }{ p } =\frac { h }{ mv } [/latex]

प्रश्न 3.
इलेक्ट्रॉन की द्वैती प्रकृति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
इलेक्ट्रॉन, कण तथा तरंग दोनों के गुण व्यक्त करते हैं, इसे इलेक्ट्रॉन की द्वैती प्रकृति कहते हैं; जैसे

  1. कैथोड किरणें (जिनमें केवल इलेक्ट्रॉन होते हैं) अपने मार्ग में रखी हल्की वस्तु को चला | सकती हैं। इससे सिद्ध होता है कि इलेक्ट्रॉनों में कण के गुण हैं।
  2. प्रकाश किरणों की तरह इलेक्ट्रॉन किरणपुंज भी विवर्तन और व्यतिकरण प्रक्रिया प्रदर्शित करता है। इससे सिद्ध होता है कि इलेक्ट्रॉनों में तरंग के गुण हैं।

प्रश्न 4.
इलेक्ट्रॉन को ऋणात्मक आवेश की इकाई क्यों माना जाता है?
उत्तर
इलेक्ट्रॉन पर उपस्थित आवेश विद्युत का सूक्ष्मतम आवेश होता है इसलिए इलेक्ट्रॉन के आवेश को इकाई ऋणावेश माना जाता है।

प्रश्न 5.
द्रव्यमान संख्या तथा परमाणु भार में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान लगभग नगण्य होता है तथा प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन का द्रव्यमान लगभग 1 amu होता है। अतः परमाणु भार और द्रव्यमान संख्या लगभग बराबर होती है।

परमाणु भार = द्रव्यमान संख्या

प्रश्न 6.
हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का नियम स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
इस नियम के अनुसार, किसी गतिशील कण की स्थिति तथा वेग दोनों का एक साथ यथार्थ निर्धारण सम्भव नहीं है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-64

यदि ∆x किसी कण की स्थिति निर्धारण की अनिश्चितता हो और ∆p उसके संवेग (द्रव्यमान x वेग) के निर्धारण की अनिश्चितता हो तो इस सिद्धान्त के अनुसार,

[latex]\triangle x\times \triangle y\ge \frac { h }{ 4\Pi } [/latex]
जहाँ h = प्लांक स्थिरांक (6.625×10-27 अर्ग-सेकण्ड)

प्रश्न 7.
हाइड्रोजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन मेघ मॉडल समझाइए।
उत्तर
आधुनिक विचारों के अनुसार, नाभिक के चारों ओर स्पष्ट वृत्तीय कक्षाएँ नहीं हैं, अपितु इलेक्ट्रॉन मेघ है। हाइड्रोजन परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉन का ऋणावेश एक मेघ (cloud) के रूप में नाभिक के चारों ओर विसरित रहता है। जिन क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉन के उपस्थित होने की प्रायिकता अधिक होती है, उन क्षेत्रों में ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन मेघ का घनत्व अधिक होता है। वे त्रिविम क्षेत्र, जिनमें निश्चित ऊर्जा के इलेक्ट्रॉन के उपस्थित होने की प्रायिकता अधिकतम होती है, ऑर्बिटल (कक्षक) कहलाते हैं। भिन्न-भिन्न उपकोशों में कक्षकों की संख्याएँ भिन्न-भिन्न होती हैं।

प्रश्न 8.
कोश एवं उपकोश क्या हैं?
उत्तर
समान मुख्य क्वाण्टम संख्या n के परमाणु कक्षकों का समूह कोश कहलाता है जबकि समान मुख्य क्वाण्टम संख्या n की और दिगंशी क्वाण्टम संख्या । के परमाणु कक्षकों का समूह उपकोश कहलाता है।

प्रश्न 9.
कक्षक किसे कहते हैं? एक कक्षक में अधिकतम कितने इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं?
उत्तर
कक्षक नाभिक के चारों ओर स्थित आकाश के उन त्रिविम क्षेत्रों को कहते हैं जिनमें इलेक्ट्रॉन औसतन अधिक पाए जाते हैं। प्रत्येक कक्षक का केन्द्र परमाणु का नाभिक होता है। एक कक्षक में अधिकतम दो इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं जिनके चक्रण विपरीत दिशा में होते हैं।

प्रश्न 10.
d-उपकोश में पाँच कक्षक होते हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
d-उपकोश में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 10 होती है, जबकि एक कक्षक में केवल ” अधिकतम दो इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं, अतः 4-उपकोश में पाँच कक्षक होते हैं।

प्रश्न 11.
एक तत्त्व के 47 उपकोश में 7 इलेक्ट्रॉन हैं। इस / उपकोश के अन्तिम इलेक्ट्रॉन की चारों क्वाण्टम संख्याएँ लिखिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-65

प्रश्न 12.
क्लोरीन के अन्तिम इलेक्ट्रॉन के लिए चारों क्वाण्टम संख्याओं के मान लिखिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-66

प्रश्न 13.
एक तत्त्व (परमाणु क्रमांक = 21) के अन्तिम डाले गये इलेक्ट्रॉन के लिए चारों क्वाण्टम संख्याओं के मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-67

प्रश्न 14.
मुख्य क्वाण्टम संख्या 2 के लिए सभी चुम्बकीय क्वाण्टम संख्याओं के मान लिखिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-68

प्रश्न 15.
3d8 इलेक्ट्रॉन के लिए #, 1, तथा s के मान लिखिए।
उत्तर

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-69

प्रश्न 16.
Fe (Z = 26) के 24 वें इलेक्ट्रॉन के लिए क्वाण्टम संख्याओं के मान लिखिए।
उत्तर
-Fe (Z = 26) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नवत् है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-70

प्रश्न 17.
Sc (परमाणु क्रमांक =210) में अन्तिम इलेक्ट्रॉन के लिए चारों क्वाण्टम संख्याओं के मान लिखिए।
उत्तर
Sc (Z = 21) तत्त्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नवत् है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-71

प्रश्न 18.
L कोश में कितने उपकोश होते हैं। इसके उपकोशों की आकृतियाँ तथा अभिविन्यास बताइए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-72

प्रश्न 19.
s, p और 4 कक्षकों की आकृतियाँ बताइए?
उत्तर
कक्षक की आकृति गोलाकार, p कक्षक की आकृति डम्बलाकार तथा d कक्षक की आकृति द्वि-डम्बलाकार होती है।

प्रश्न 20.
ऑफबाऊ सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
इस सिद्धान्त के अनुसार, “विभिन्न कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का प्रवेश उपकोशों की ऊर्जा की वृद्धि के क्रमानुसार होता है. और इलेक्ट्रॉन एक-एक करके ऊर्जा के बढ़ते क्रम वाले उपकक्षकों में प्रवेश पाते हैं।”

प्रश्न 21.
पाउली के अपवर्जन नियम को स्पष्ट कीजिए तथा एक परमाणु के चतुर्थ मुख्य ऊर्जा स्तर में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या की गणना कीजिए।
उत्तर
इस सिद्धान्त के अनुसार, “किसी परमाणु में दो इलेक्ट्रॉनों के लिए चारों क्वाण्टम संख्याओं के मान समान नहीं हो सकते हैं। यदि किन्हीं दो इलेक्ट्रॉनों के लिए n, 1 तथा m के मान समान भी हो जायें, तो s का मान निश्चित रूप से भिन्न होगा। इस स्थिति में यदि प्रथम इलेक्ट्रॉन के लिए ” का मान [latex]+\frac { 1 }{ 2 } [/latex] हो, तो दूसरे इलेक्ट्रॉन के लिए यह मान [latex]-\frac { 1 }{ 2 } [/latex] होगा। परमाणु के चतुर्थ मुख्य ऊर्जा स्तर में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2n2 = 2×16= 32

प्रश्न 22.
हुण्ड के नियम का उल्लेख कीजिए। एक उदाहरण देकर इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
हुण्ड के नियम के अनुसार, “किसी उपकोश के कक्षक में इलेक्ट्रॉन तभी युग्मित होते हैं जब उस उपकोश के सभी कक्षकों में एक-एक इलेक्ट्रॉन भर जाता है। इलेक्ट्रॉन जब युग्मित होते हैं तो युग्म के दोनों इलेक्ट्रॉन विपरीत चक्रण वाले होते हैं।”

इस नियम के अनुसार, इ-कक्षक में दूसरे इलेक्ट्रॉन के प्रवेश पर, p-कक्षक में चौथे इलेक्ट्रॉन के प्रवेश । पर, 4-कक्षक में छठे इलेक्ट्रॉन के प्रवेश पर तथा f-कक्षक में आठवें इलेक्ट्रॉन के प्रवेश पर युग्मन आरम्भ होता है। उदाहरणार्थ-नाइट्रोजन परमाणु में p-उपकोश में तीनों इलेक्ट्रॉन अलग-अलग । p-कंक्षकों अर्थात् px, py और pz में रहते हैं। ये इलेक्ट्रॉन अयुग्मित तथा समदिश चक्रण वाले होते हैं।
इस परमाणु में इलेक्ट्रॉन वितरण इस प्रकार होता है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-73

प्रश्न 23.
किसी तत्त्व के 34 उपकोश में 4 इलेक्ट्रॉन हैं। तत्त्व के 4 उपकोश में इलेक्ट्रॉनों का वितरण प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर
हुण्ड के नियमानुसार, इलेक्ट्रॉनों का वितरण निम्नवत् होगा-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-74

प्रश्न 24.
Cu2+तथा Mn4+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास s, p, 4, f में लिखिए।
(Cu की परमाणु संख्या = 29, Mn की परमाणु संख्या = 25)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-75

प्रश्न 25.
एक तत्त्व के बाह्यतम कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 4s2 4p5 है। इस तत्त्व का पूर्ण | इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। इस तत्त्व का परमाणु क्रमांक क्या है ?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-76

प्रश्न 26.
मैग्नीशियम, कैल्सियम तथा ब्रोमीन के परमाणु क्रमांक क्रमशः 25, 20 तथा 35 हैं। निम्नलिखित के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए Mn2+,ca2+ तथा Br-1
उत्तर

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-77

प्रश्न 27.
Fe2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या लिखिए।
(Z =26)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-78

प्रश्न 28.
कोबाल्ट (Z = 27) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए एवं उसमें उपस्थित अयुग्मित | इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताइए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-79
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-80

प्रश्न 29.
किसी परमाणु के 7 उपकोश में दस इलेक्ट्रॉन हैं। इनका बॉक्स वितरण दिखाते हुए अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताइए। अपने उत्तर का आधार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-81

प्रश्न 30.
क्रोमियम (Cr) का परमाणु क्रमांक 24 है। Cr3+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यासs, p, d,f के | रूप में दीजिए तथा अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताइए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-82

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन की खोज किसने की? इन कणों के अभिलक्षण भी लिखिए।
उत्तर
इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन अति सूक्ष्म ऋणावेशित कण हैं। एक इलेक्ट्रॉन पर इकाई ऋणावेश होता है। इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान (me = 5.4860×10-4 amu) हाइड्रोजन परमाणु (H) के द्रव्यमान (mh = 100797amu) का लगभग [latex]\frac { 1 }{ 1837 } [/latex] है। इलेक्ट्रॉन की खोज सन् 1897 में अंग्रेज वैज्ञानिक जे०जे० टॉमसन ने कैथोड किरणों में की। सभी परमाणुओं में इलेक्ट्रॉन होते हैं। प्रोटॉन-प्रोटॉन अति सूक्ष्म धनावेशित कण हैं। एक प्रोटॉन पर इकाई धनावेश होता है।

प्रोटॉन का द्रव्यमान (mp = 1.007276amu) हाइड्रोजन परमाणु (H) के द्रव्यमान के लगभग बराबर है। हाइड्रोजन परमाणु में से इलेक्ट्रॉन बाहर निकल जाने पर जो इकाई धनावेशित कण (H+) शेष रह जाता है उसे हाइड्रोजन परमाणु का नाभिक या प्रोटॉन कहते हैं। अंग्रेज भौतिक विज्ञानी अर्नेस्ट रदरफोर्ड (191) ने प्रोटॉन की खोज की और सिद्ध किया कि सभी परमाणुओं में प्रोटॉन होते हैं।

न्यूट्रॉन-न्यूट्रॉन विद्युत् उदासीन कण हैं। न्यूट्रॉन का द्रव्यमाने (mn = 1.008665 amu) हाइड्रोजन परमाणु (H) के द्रव्यमान के लगभग बराबर है। न्यूट्रॉन की खोज सन् 1932 में अंग्रेज वैज्ञानिक जे० चैडविक ने की। हाइड्रोजन-1 परमाणु ([latex]_{ 1 }^{ 1 }{ H }[/latex]) को छोड़कर अन्य सभी परमाणुओं में न्यूट्रॉन होते हैं।

प्रश्न 2.
टॉमसन का परमाणु मॉडल समझाइए। इसकी सीमाएँ भी लिखिए।
उत्तर
टॉमसन का परमाणु मॉडल ।। कैथोड किरणों और धन किरणों पर किए गए प्रयोगों से प्राप्त जानकारी के आधार पर जे०जेटॉमसन (J.J. Thomson, 1904) ने प्रथम परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया। टॉमसन मॉडल के अनुसार, परमाणु अतिसूक्ष्म गोलाकार (spherical) विद्युत-उदासीन कण हैं जो धन और ऋण आवेशित द्रव्य से बने हुए हैं। धनावेशित द्रव्य परमाणु में एक समान रूप से फैला हुआ है तथा इलेक्ट्रॉन धन-आवेश में इस प्रकार पॅसे हुए हैं जैसे तरबूज में बीज धंसे रहते हैं।

टॉमसन परमाणु मॉडल, परमाणु का “तरबूज मॉडल” (water-melon model) भी कहलाता है। यह मॉडल परमाणु स्पेक्ट्रम की उत्पत्ति की व्याख्या करने में असफल रहा। सन् 1911 में लॉर्ड रदरफोर्ड ने ऐल्फा-कणों के प्रकीर्णन प्रयोग द्वारा इस मॉडल का खण्डन किया और परमाणु का नाभिकीय मॉडल प्रस्तुत किया।

प्रश्न 3.
परमाणु क्रमांक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
किसी तत्व के परमाणु नाभिक पर स्थित धनावेश इकाइयों की संख्या को उस तत्व का परमाणु क्रमांक (2) कहते हैं। परमाणु नाभिक पर स्थित धनावेश इकाइयों की संख्या नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या के बराबर होती है। अत: किसी तत्व के परमाणु नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या उस तत्व का परमाणु क्रमांक (Z) होता है। प्रत्येक तत्व का परमाणु क्रमांक निश्चित और स्थिर होता है। भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु क्रमांक भिन्न-भिन्न होते हैं। किसी तत्व के सभी परमाणुओं में प्रोटॉनों की संख्या समान होती है। अतः परमाणु क्रमांक (2) तत्वों का मूल लक्षण (fundamental property) है। हाइड्रोजन का परमाणु क्रमांक 1 है, इस कथन से यह अभिप्राय है कि हाइड्रोजन परमाणु के नाभिक में एक प्रोटॉन है। कार्बन का परमाणु क्रमांक 6 और सोडियम का परमाणु क्रमांक 11 है।
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-83

प्रश्न 4.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए।
(i) समस्थानिक,
(ii) समभारिक
उत्तर
(i) समस्थानिक–किसी एक तत्त्व के ऐसे परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती है। परन्तु द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं। ऐसे परमाणुओं में प्रोटॉनों की संख्या तो समान होती है परन्तु न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न होती है। उदाहरणार्थ-प्रोटियम (1H1), ड्यूटीरियम (1H2) तथा ट्राइटियम (1H3) हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक हैं। इन समस्थानिकों की परमाणु संख्या 1 है। परन्तु द्रव्यमान संख्याएँ क्रमशः 1, 2 व 3 हैं।

(ii) समभारिक–विभिन्न तत्त्वों के ऐसे परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या समान होती है, समभारिक कहलाते हैं। उदाहरणार्थ- 18Ar40, 19K40 तथा 20Ca40 समभारिक हैं।

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-से इलेक्ट्रॉनिक विन्यास नियमानुसार सही नहीं हैं। सम्बन्धित नियमों को परिभाषित भी कीजिए
(i) 1s2, 2s2
(ii) 1s2, 2s2, 2p2x, 2p1y
(iii) 1s2, 2s2, 2p2x, 2p2y , 2p1z
(iv) 1s2, 2s2, 2p7
उत्तर
(ii) 1s2,2s2,2p2x,2p1y), इलेक्ट्रॉनिक विन्यास सही नहीं है, क्योंकि हुण्ड के नियमानुसार इसका सही विन्यास 1s2,2s2,2p1x,2p1y, 2p1z होना चाहिए। हुण्ड का नियम–किसी उपकोश के कक्षक, में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन तब तक नहीं हो सकता जब तक प्रत्येक ऑर्बिटल में समदिश स्पिन के एक-एक इलेक्ट्रॉन नहीं हो जाते हैं।
(iv) 1s2,2s2,2p7 इलेक्ट्रॉनिक विन्यास सही नहीं है क्योंकि पाउली के अपवर्जन नियम के अनुसार, p उपकोश में अधिकतम 6 इलेक्ट्रॉन ही हो सकते हैं। सही इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस प्रकार होना चाहिए 1s2,2s2,2p6,3s1

पाउली का अपवर्जन नियम-“किसी परमाणु के किन्हीं दो इलेक्ट्रॉनों के लिए चारों क्वाण्टम संख्याओं के मान समान नहीं हो सकते हैं।”

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल (सिद्धान्त) का उल्लेख कीजिए। इसकी सीमाएँ भी लिखिए।
उत्तर
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल (सिद्धान्त ) : विभिन्न तत्वों के परमाणुओं पर तीव्रगामी o-कणों की बमबारी के प्रयोग से प्राप्त प्रेक्षणों के आधार पर रदरफोर्ड ने निम्नलिखित सिद्धान्त दिया, जिसे परमाणु का नाभिकीय सिद्धान्त कहते हैं जो कि निम्न प्रकार है-

  1. परमाणु अति सूक्ष्म, गोलाकार, विद्युत-उदासीन कण है। यह धनावेशित नाभिक के चारों ओर विशाल त्रिविम आकाश में गतिशील इलेक्ट्रॉनों का एक समूह होता है।
  2. परमाणु का केन्द्रीय भाग, जिसमें परमाणु का कुल धनावेश और लगभग समस्त द्रव्यमान निहित होता है, नाभिक कहलाता है।
  3. नाभिक पर कुल केन्द्रित धनावेश, इलेक्ट्रॉनों के कुल ऋणावेशों के बराबर होता है जिससे परमाणु में विद्युत आवेशों का सन्तुलन बना रहता है और वह उदासीन रहता है।
  4. नाभिक की त्रिज्या 10-12 सेमी और परमाणु की त्रिज्या 10-8 सेमी होती है। स्पष्ट है कि परमाणु की त्रिज्या नाभिक की त्रिज्या से लगभग 10,000 गुना अधिक होती है।
  5. परमाणु के ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन इसके धनावेशित नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं।
  6. परमाणु के नाभिक में स्थित धनावेशित कणों की संख्या उसके ऋणावेशित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है; अतः परमाणु विद्युत-उदासीन होता है।
  7. नाभिक तथा उसके चारों ओर भ्रमण कर रहे इलेक्ट्रॉन के बीच परस्पर स्थिर-वैद्युत आकर्षण होने के बाद भी इलेक्ट्रॉन तीब्र गति से भ्रमण करते रहते हैं और नाभिक में नहीं गिरते; क्योंकि इन इलेक्ट्रॉनों के परिक्रमण से उत्पन्न अपकेन्द्री बल नाभिक के स्थिर-वैद्युत आकर्षण बल को सन्तुलित कर देता है।

रदरफोर्ड के उपर्युक्त मॉडल को परमाणु का मॉडल (nuclear model) कहा गया। इस मॉडल को सौर (solar) या ग्रहीय (planetary) मॉडल भी कहते हैं; क्योंकि इस मॉडल में यह कल्पना की गई है कि जिस प्रकार सूर्य के चारों ओर ग्रह परिक्रमा करते हैं; उसी प्रकार नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन घूमते रहते हैं। रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की सीमाएँ (अर्थात् दोष या कमियाँ) निम्नलिखित हैं-

  1. रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में तीव्र गति से चक्कर लगाते हैं। क्लार्क मैक्सवेल ने बताया कि विद्युत-चुम्बकीय सिद्धान्त के अनुसार, ऋणावेशित इलेक्ट्रॉनों को धनावेशित नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाने के कारण सतत रूप से प्रकाश विकिरण उत्सर्जित करने चाहिए जिससे लगातार ऊर्जा की क्षति होनी चाहिए तथा उनकी कक्षा की त्रिज्या लगातार कम होती जानी चाहिए और अन्त में वे नाभिक में गिरकर नष्ट हो जाने चाहिए। परन्तु ऐसा नहीं होता है क्योंकि परमाणु एक स्थायी निकाय है। अतः रदरफोर्ड मॉडल परमाणु निकाय के स्थायित्व की व्यवस्था करने में असफल रहा है।
  2. रदरफोर्ड के -कणों के प्रकीर्णन प्रयोग से परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों तथा इलेक्ट्रॉनों की । | संख्या के बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती है। अतः यह परमाणु संरचना के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं करता है।
  3. इस सिद्धान्त के द्वारा यह भी स्पष्ट नहीं होता कि इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर कहाँ और कैसे स्थित रहता है और उसकी ऊर्जा क्या है।
  4. परमाणु रेखीय स्पेक्ट्रम (line spectrum) देते हैं, जबकि यदि इलेक्ट्रॉन के परिक्रमण से निरन्तर ऊर्जा का उत्सर्जन होता है तो रेखीय स्पेक्ट्रम के स्थान पर सतत स्पेक्ट्रम (continuous spectrum) प्राप्त होना चाहिए था। दूसरे शब्दों में, स्पेक्ट्रम में निश्चित आवृत्ति की रेखाएँ नहीं होनी चाहिए, परन्तु वास्तव में परमाणु का स्पेक्ट्रम सतत नहीं होता। इसके स्पेक्ट्रम में निश्चित आवृति’ की कई रेखाएँ होती हैं। अतः रदरफोर्ड परमाणु मॉडल परमाणुओं के रैखिक स्पेक्ट्रम (line spectrum) को समझाने में असफल रहा है।

रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियों को दूर करने के लिए नील बोर ने सन् 1913 में स्पेक्ट्रमी अध्ययन और क्वाण्टम सिद्धान्त की सहायता से अपना परमाणु सिद्धान्त तथा परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया।

प्रश्न 2.
बोर के परमाणु मॉडल का वर्णन कीजिए तथा उसकी सीमाएँ भी लिखिए।
उत्तर
बोर का परमाणु मॉडल यह प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त (Planck’s quantum theory) पर आधारित है। यह रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में पाये जाने वाले दोषों को दूर करता है और परमाणु के स्थायित्व व उसके रैखिक स्पेक्ट्रम की व्याख्या करता है। नील बोर (Neils Bohr, 1913) ने परमाणु संरचना के सम्बन्ध में निम्नलिखित अभिकल्पनाएँ (assumptions) प्रस्तुत की

  1. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर किसी विशेष वृतीय कक्ष (circular orbit) में बिना ऊर्जा का | उत्सर्जन (emission) किये चक्कर लगाते रहते हैं। इन कक्षों को स्थायी कक्षाएँ (stationary orbits) कहते हैं।
  2. नाभिक के चारों ओर अनेक वृत्तीय कक्षाएँ सम्भव हैं परन्तु इलेक्ट्रॉन इन सभी सम्भव कक्षाओं में चक्कर नहीं लगाते हैं। इलेक्ट्रॉन केवल उसी कक्षा में चक्कर लगाते हैं जिसमें उसका कोणीय संवेग (angular momentum) [latex]\frac { h }{ 2\Pi } [/latex] का गुणित (integral multiple) होता है। यदि m द्रव्यमान का इलेक्ट्रॉन, r त्रिज्या वाली कक्षा में v वेग से घूमता है, तो इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-84
    [latex]mvr=\frac { nh }{ 2\Pi } [/latex]
    जहाँ, h प्लांक नियतांक है।
    n स्थायी कक्षा की क्रम संख्या (principal quantum number) है। n= 1, 2, 3, … या K, L, M, N …
    यदि किसी इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग h/2π हैं, तो वह परमाणु के K-कोश में चक्कर लगाता है। इसी प्रकार यदि किसी इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग [latex]\frac { 2h }{ 2\Pi } [/latex] अर्थात् [latex]\frac { h }{ \Pi } [/latex] है, तो वह परमाणु के L-कोश (n=2) में चक्कर लगाती है।
  3.  प्रत्येक स्थायी कक्षा की एक निश्चित ऊर्जा होती है। इसलिए इन कक्षाओं को ऊर्जा स्तर (energy level) भी कहते हैं। जैसे-जैसे मुख्य क्वाण्टम संख्या (n) का मान बढ़ता है वैसे-वैसे स्थायी कक्षा की त्रिज्या (r) और उसकी ऊर्जा (E) का मान बढ़ता जाता है। जब तक इलेक्ट्रॉन एक-निश्चित ऊर्जा वाली स्थायी कक्षा में घूमता रहता है, तो वह ऊर्जा का शोषण या उत्सर्जन नहीं कर सकता।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-85
  4. जब कोई इलेक्ट्रॉन एक स्थायी कक्षा (ऊर्जा स्तर) से दूसरी स्थायी कक्षा (ऊर्जा स्तर) में कूदता है, तो दोनों ऊर्जा स्तरों की ऊर्जा का अन्तर (∆E) एक विकिरण के रूप में अवशोषित (absorb) या उत्सर्जित (emit) होता है। इस विकिरण की आवृत्ति (v) या तरंगदैर्घ्य (λ) का मान निम्नलिखित समीकरण से निकाल सकते हैं।
    [latex]{ E }_{ 2 }-{ E }_{ 1 }=\left( \triangle E \right) =hv=\frac { hv }{ \lambda } [/latex]
    जब इलेक्ट्रॉन एक न्यून ऊर्जा (E1) के स्तर से एक उच्च ऊर्जा (E2) के स्तर में कूदता है, तो परमाणु द्वारा ∆E ऊर्जा अवशोषित होती है। इसके विपरीत, यदि इलेक्ट्रॉन एक-उच्च ऊर्जा (E2) स्तर से एक न्यून ऊर्जा (E1) के स्तर में कूदता है तो ऊर्जा विकिरण के रूप में परमाणु द्वारा उत्सर्जित होती है।
  5. इन परिवर्तनों के फलस्वरूप प्राप्त स्पेक्ट्रम में निश्चित आवृति की रेखायें (lines) उत्पन्न होती हैं। इस प्रकार यह मॉडल परमाणु के रैखिक स्पेक्ट्रम की व्याख्या करता है।
    परमाणु में इलेक्ट्रॉन हमेशा निम्नतम ऊर्जा वाली कक्षाओं में रहते हैं। इस अवस्था को परमाणु की आद्य अवस्था (ground state) कहते हैं। बाहर से ऊर्जा देने पर इलेक्ट्रॉन उत्तेजित (excite) होकर अधिक ऊर्जा वाली कक्षाओं में कूद जाते हैं। परमाणु की इस अवस्था को उत्तेजित अवस्था (excited state) कहते हैं। परमाणु को बाहर से बहुत अधिक ऊर्जा देने पर इलेक्ट्रान परमाणु को छोड़कर उससे बाहर निकल जाते हैं और धनायन (cation) प्राप्त होते हैं।

बोर के परमाणु मॉडल की सीमाएँ निम्नवत् हैं-

  1. बोर का परमाणु मॉडल केवल उन परमाणुओं और आयनों के स्पेक्ट्रम की व्याख्या करता है। जिनमें केवल एक इलेक्ट्रॉन होता है; जैसे-H-परमाणु, He+ और Li2+ आयन। यह उन निकायों (systems) की व्याख्या नहीं करता जिनमें एक से अधिक इलेक्ट्रॉन होते हैं। जैसे-N, ,0, Cl आदि।
  2. बोर के सिद्धान्त द्वारा जीमनं प्रभाव (Zeeman effect) और स्टार्क प्रभाव (Stark effect) की व्याख्या नहीं की जा सकती है। जिस वस्तु से विकिरण का उत्सर्जनं हो रहा है उस वस्तु को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर उसकी स्पेक्ट्रम रेखाएँ विभक्त (split) हो जाती हैं। इस प्रकार स्पेक्ट्रम रेखाओं का चुम्बकीय क्षेत्र में विभक्त होना जीमन-प्रभाव (Zeeman effect) कहलाता है। इसी प्रकार वैद्युत क्षेत्र में स्पेक्ट्रम रेखाओं का विभक्त होना स्टार्क प्रभाव कहलाता है।
  3. यह हाइड्रोजन परमाणु के सूक्ष्म स्पेक्ट्रम की संरचना (fine spectrum of H-atom) की व्याख्या नहीं करता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 2 Structure of Atom img-86
    जब हाइड्रोजन के स्पेक्ट्रम का अध्ययन उच्च विभेदन क्षमता (high resolving power) वाले स्पेक्ट्रोस्कोप (spectroscope) से करते हैं तो यह पाया जाता है कि प्रत्येक एकल रेखा (single line) वास्तव में कई सूक्ष्म रेखाओं (fine lines) से मिलकर बनी हैं। हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में इन सूक्ष्म रेखाओं को हाइड्रोजन परमाणु का सूक्ष्म स्पेक्ट्रम (fine spectrum of H-atom) कहते हैं। बोर का परमाणु मॉडल इसकी व्याख्या नहीं कर सकता है।
  4. बोर का परमाणु मॉडल हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धान्त (Heisenberg’s uncertainty principle) के विरूद्ध है।

प्रश्न 3.
क्वाण्टम संख्याएँ क्या हैं? ये कितने प्रकार की होती हैं? इनमें से प्रत्येक को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर
क्वाण्टम संख्याएँ-जिन संख्याओं का प्रयोग करके हम परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा तथा स्थिति (नाभिक से दूरी, कक्षक की आकृति, अभिविन्यास तथा चक्रण की दिशा) से सम्बन्धित समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, उन्हें क्वाण्टम संख्याएँ कहते हैं। क्वाण्टम संख्याएँ निम्नलिखित चार प्रकार की होती हैं।

1. मुख्य क्वाण्टम संख्या—यह क्वाण्टम संख्या परमाणु के इलेक्ट्रॉन के मुख्य ऊर्जा स्तर अथवा
कोश (shell) को व्यक्त करती है। इसे n से प्रदर्शित करते हैं। यह क्वाण्टम संख्या, परमाणु के इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा तथा नाभिक से उसकी कोश की औसत दूरी प्रदर्शित करती है। इसका मान ‘0 के अतिरिक्त कोई पूर्णांक 1, 2, 3, 4 इत्यादि हो सकता है। मुख्य ऊर्जा स्तरों को क्रमशः नाभिक से आरम्भ करके K, L, M, N आदि अक्षरों से भी व्यक्त करते हैं। इन कोशों हेतु ॥ का मान क्रमशः 1, 2, 3, 4 आदि होता है। अर्थात् ॥=1 का अर्थ है न्यूनतम ऊर्जा स्तर अर्थात् K-कोश
n=2 का अर्थ है L-कोश
n= 3 का अर्थ है M-कोश
n= 4 का अर्थ है N-कोश इत्यादि।
n का मान बढ़ने के साथ-साथ इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा तथा उसकी नाभिक से औसत दूरी प्राय: बढ़ती जाती है।
2. दिगंशी क्वाण्टम संख्या—इसे कोणीय संवेग (angular momentum) या भौम क्वाण्टम संख्या (secondary quantum number) भी कहते हैं। इसे 1 से प्रदर्शित करते हैं। तत्त्वों के स्पेक्ट्रमों में मुख्य रेखाओं के अतिरिक्त बारीक रेखाएँ भी होती हैं। इन बारीक रेखाओं की उत्पत्ति को समझाने के लिए यह सुझाया गया कि किसी बहुइलेक्ट्रॉनिक परमाणु के मुख्य कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा समान नहीं होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये इलेक्ट्रॉन विभिन्न पथों पर गति करते हैं और इनके कोणीय संवेग भी भिन्न-भिन्न होते हैं। अत: एक ही मुख्य कोश में अनेक उपकोश (sub-shell) अथवा ऊर्जा के उपस्तर (sub levels) होते हैं। इनके कारण ही इलेक्ट्रॉनों की कूदों (jumps) की संख्या बढ़ जाती है जिससे स्पेक्ट्रम में अधिक संख्या में रेखाएँ प्राप्त होती हैं।
दिगंशी क्वाण्टम संख्या 1, इलेक्ट्रॉन के उप ऊर्जा-स्तर (उपकोश) को प्रदर्शित करती है। के मान मुख्य क्वाण्टम संख्या n पर निर्भर करते हैं। किसी n के लिये । के मान 0 से लेकर (n-1) तक होते हैं।
n=1 तो, 1= 0
n=2 तो, 1=0 और 1
n=3 तो,1= 0, 1 और 2
जिन उपकोशों के लिये । के मान क्रमश: 0, 1, 2 और 3 होते हैं उन्हें क्रमशः s, p, d और f अक्षरों द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
1 का मान उप ऊर्जा-स्तर का प्रतीक
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किसी n के लिये 1 के मानों की कुल संख्या ॥ के बराबर होती है अर्थात् किसी कोश में उपकोशों की कुल संख्या उस कोश की मुख्य क्वाण्टम संख्या n के बराबर होती है।। का मान । उपकोश के कक्षकों की आकृति को निर्धारित करता है।
3. चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या—इसे m या m; द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
यह क्वाण्टम संख्या उप ऊर्जा-स्तरों के कक्षकों को प्रदर्शित करती है। m के मान दिगंशी क्वाण्टम संख्या के मान पर निर्भर करते हैं। किसी m के मान +1 से लेकर -1 तक (शून्य सहित) या -1 से +1 तक होते हैं।
यदि l= 0 तो, m=0
1= 1 तो, m= + 1, 0 -1
1= 2 तो, m= + 2, + 1, 0, -1 -2
1= 3 तो, m= +3, +2, + 1, 0,-1,- 2,-3
किसी 1 के लिए m के मानों की कुल संख्या (21+1) होती है, अर्थात् किसी उपकोश में कक्षकों की कुल संख्या (21+ 1) होती है।
(जहाँ । उपकोश की दिगंशी क्वाण्टम संख्या है)।
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कभी-कभी + चिन्हों को बिना किसी विभेद के प्रयोग किया जाता है। बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में किसी उपकोश में उपस्थित सभी कक्षकों की ऊर्जाएँ । समान होती हैं। ऐसे कक्षकों को समभ्रंश कक्षक (degenerate orbital) कहते हैं। बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति में किसी एक उपकोश में उपस्थित कक्षकों की ऊर्जाओं में थोड़ा अन्तर आ जाता है। किसी स्पेक्ट्रमी रेखा के कई रेखाओं में विभक्त होने का कारण भी यह ऊर्जाओं में अन्तर है।
4. चक्रण क्वाण्टम संख्या—इसे s या m, से प्रदर्शित करते हैं। इस संख्या की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि परमाणु में इलेक्ट्रॉन न केवल नाभिक के चारों ओर घूमता है बल्कि अपने अक्ष पर घूर्णन (चक्रण) करता है। यह संख्या इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा को प्रदर्शित करती है। इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा दक्षिणावर्त (clockwise) या वामावर्त (anticlockwise) हो सकती है। m के किसी मान के लिए : के केवल दो मान होते हैं- [latex]+\frac { 1 }{ 2 } [/latex] या [latex]-\frac { 1 }{ 2 } [/latex] इन दोनों मानों को विपरीत दिशाओं को दर्शाते हुए तीरों (क्रमश: ↑ और ↓) द्वारा प्रदर्शित करते हैं। प्रत्येक इलेक्ट्रॉन का उसके चक्रण के कारण कोणीय संवेग होता है जिसका परिमाण निम्न व्यंजक से प्राप्त होता है।
चक्रण कोणीय संवेग [latex]\sqrt { s\left( s+1 \right) } \times \overline { h } [/latex] जहाँ [latex]s=+\frac { 1 }{ 2 } [/latex]
इस क्वाण्टम संख्या से पदार्थों के चुम्बकीय गुणों के विषय में भी जानकारी मिलती है। घूमता हुआ इलेक्ट्रॉन छोटे चुम्बक के समान व्यवहार करता है। यदि किसी कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होते हैं तो वे एक-दूसरे के प्रभाव को निरस्त कर देते हैं। यदि किसी परमाणु के सभी कक्षक पूर्णतः भरे होते हैं तो सभी इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे के चुम्बकीय प्रभाव को नष्ट कर देते हैं और पदार्थ प्रतिचुम्बकीय (diamagnetic) होता है। ऐसा पदार्थ बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा प्रतिकर्षित होता है। दूसरी ओर यदि पदार्थ में कुछ अर्द्ध-पूर्ण कक्षक होते हैं तो इसमें उपस्थित इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे के चुम्बकीय प्रभाव को पूर्णतः नष्ट नहीं कर पाते। ऐसा पदार्थ अनुचुम्बकीय (paramagnetic) होता है। यह पदार्थ बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की तरफ आकर्षित होता हैं।

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UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion (कणों के निकाय तथा घूर्णी गति)

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अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
एकसमान द्रव्यमान घनत्व के निम्नलिखित पिण्डों में प्रत्येक के द्रव्यमान केन्द्र की अवस्थिति लिखिए –

(a) गोला
(b) सिलिण्डर
(c) छल्ला तथा
(d) घन।

क्या किसी पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र आवश्यक रूप से उस पिण्ड के भीतर स्थित होता है?

उत्तर :
गोला, सिलिण्डर, वलय तथा घन का द्रव्यमान केन्द्र उनको ज्यामितीय केन्द्र होता है। नहीं, द्रव्यमान केन्द्र आवश्यक रूप से पिण्ड के भीतर स्थित नहीं होता है, अनेक पिण्डों; जैसे-वलय में, खोखले गोले में, खोखले सिलिण्डर में द्रव्यमान केन्द्र पिण्ड के बाहर होता है, जहाँ कोई पदार्थ नहीं होता है।

प्रश्न 2.
HCl अणु में दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच पृथकन लगभग 1.27 A (1Å = 10-10 m) है। इस अणु के द्रव्यमान केन्द्र की लगभग अवस्थिति ज्ञात कीजिए। यह ज्ञात है कि क्लोरीन का परमाणु हाइड्रोजन के परमाणु की तुलना में 35.5 गुना भारी होता है तथा किसी परमाणु का समस्त द्रव्यमान उसके नाभिक पर केन्द्रित होता है।
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प्रश्न 3.
कोई बच्चा किसी चिकने क्षैतिज फर्श पर एकसमान चाल υ से गतिमान किसी लम्बी ट्रॉली के एक सिरे पर बैठा है। यदि बच्चा खड़ा होकर ट्रॉली पर किसी भी प्रकार से दौड़ने लगता है, तब निकाय (ट्रॉली + बच्चा) के द्रव्यमान केन्द्र की चाल क्या है?
उत्तर :
चूंकि ट्रॉली एक चिकने क्षैतिज फर्श पर गति कर रही है; अतः फर्श के चिकना होने के कारण निकाय पर क्षैतिज दिशा में कोई बाह्य बल कार्य नहीं करता है। जब बच्चा ट्रॉली पर दौड़ता है तो बच्चे द्वारा ट्रॉली पर
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प्रश्न 4.
दर्शाइए कि [latex]\xrightarrow { a } [/latex] एवं [latex]\xrightarrow { b } [/latex] के बीच बने त्रिभुज का क्षेत्रफल [latex]\xrightarrow { a } [/latex] x [latex]\xrightarrow { b } [/latex] के परिमाण का आधा है।

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प्रश्न 5.
दर्शाइए कि [latex]\xrightarrow { a } [/latex].([latex]\xrightarrow { b } [/latex] x [latex]\xrightarrow { c } [/latex]) का परिमाण तीन सदिशों [latex]\xrightarrow { a } [/latex], [latex]\xrightarrow { b } [/latex] तथा [latex]\xrightarrow { c } [/latex] से बने समान्तर षट्फलक के आयतन के बराबर है।

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अत: ज्यामितीय दृष्टिकोण से [latex]\xrightarrow { a } [/latex] •([latex]\xrightarrow { b } [/latex] x [latex]\xrightarrow { c } [/latex]) उस समान्तर षट्फलक का आयतन है, जिसकी तीन संलग्न भुजाएँ सदिशों [latex]\xrightarrow { a } [/latex], [latex]\xrightarrow { b } [/latex] व [latex]\xrightarrow { c } [/latex] से निरूपित होती हैं।

प्रश्न 6.
एक कण, जिसके स्थिति सदिश [latex]\xrightarrow { r } [/latex] के x, y, z – अक्षों के अनुदिश अवयव क्रमशः x,y,s हैं और रेखीय संवेग सदिश [latex]\xrightarrow { p } [/latex] के अवयव px, py, ps हैं, कोणीय संवेग [latex]\xrightarrow { 1 } [/latex] के अक्षों के अनुदिश अवयव ज्ञात कीजिए। दर्शाइए कि यदि कण केवल x-y तल में ही गतिमान हो तो। कोणीय संवेग का केवल z – अवयव ही होता है।

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प्रश्न 7.
दो कण जिनमें से प्रत्येक का द्रव्यमान m एवं चाल υ है, d दूरी पर समान्तर रेखाओं के अनुदिश, विपरीत दिशाओं में चल रहे हैं। दर्शाइए कि इस द्विकण निकाय का सदिश कोणीय संवेग समान रहता है, चाहे हम जिस बिन्दु के परितः कोणीय संवेग लें।
उत्तर :
माना दो कण समान्तर रेखाओं AB तथा CD के अनुदिश परस्पर विपरीत दिशाओं में चाल से गति कर रहे हैं।

माना किसी क्षण इनकी स्थितियाँ क्रमश: बिन्दु P तथा Q हैं। हम एक बिन्दु O (UPBoardSolutions.com) के परितः इस निकाय का कोणीय संवेग ज्ञात करना चाहते हैं।
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इस प्रकारं द्विकर्ण निकाय का बिन्दु O के परितः कोणीय संवेग केवल m, υ तथा रेखाओं के बीच की दूरी d पर निर्भर करता है अर्थात् यह कोणीय संवेग बिन्दु O की स्थिति पर निर्भर नहीं करता है।

अतः इस द्विकण निकाय का सभी बिन्दुओं के परितः कोणीय संवेग नियत है।

प्रश्न 8.
w भार की एक असंमांग छड़ को, उपेक्षणीय 3 भार वाली दो डोरियों से चित्र 7.4 में दर्शाए अनुसार लटकांकर विरामावस्था में रखा गया है। डोरियों द्वारा ऊध्र्वाधर से बने कोण क्रमशः 36.9° एवं 53.1° हैं। छड़ 2 m लम्बाई की है। छड़ के बाएँ सिरे से इसके गुरुत्व केन्द्र की दूरी d ज्ञात कीजिए।
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हल : माना छड़ AB का गुरुत्व केन्द्र G, उसके एक सिरे A से ‘d दूरी पर स्थित है। (UPBoardSolutions.com) छड़ तीन बलों के अधीन सन्तुलन में है।
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डोरियों में तनाव T1 तथा T2 डोरियों के अनुदिश ऊपर 3 की ओर कार्य करते हैं।

छड़ का भार W उसके गुरुत्व केन्द्र G पर ऊर्ध्वाधरत: नीचे की ओर कार्य करता है।

सन्तुलन की स्थिति में तीनों बलों की क्रिया-रेखाएँ एक ही बिन्दु O पर काटती हैं।
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प्रश्न 9.
एक कार का भार 1800 kg है। इसकी अगली और पिछली धुरियों के बीच की दूरी 1.8 m है। इसका गुरुत्व केन्द्र, अगली धुरी से 1.05 m पीछे है। समतल धरती द्वारा। इसके प्रत्येक अगले और पिछले पहियों पर लगने वाले बल की गणना कीजिए।
हल : माना भूमि द्वारा प्रत्येक अगले पहिए पर आरोपित प्रतिक्रिया बल R1 व प्रत्येक पिछले पहिए पर आरोपित प्रतिक्रिया बले R2 है तब निकाय के ऊर्ध्वाधर सन्तुलन के लिए,
2R1 + 2R2 = W ……(1)
जहाँ W कार का भार है जो उसके (UPBoardSolutions.com) गुरुत्व केन्द्र G पर कार्यरत है।
G के सापेक्ष आघूर्ण लेने पर
2R1 × 1.05 = 2R2 × (1.8 – 1.05)
या
R1 × 1.05 = R2 × 0.75

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प्रश्न 10.
(a) किसी गोले को, इसके किसी व्यास के परितः जड़त्व – आघूर्ण 2MR2/5 है, जहाँ M गोले का द्रव्यमान एवं R इसकी त्रिज्या है। गोले पर खींची गई स्पर्श रेखा के परितः इसका जड़त्व-आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
(b) M द्रव्यमान एवं R त्रिज्या वाली किसी डिस्क का इसके किसी व्यास के परित; “जड़त्व-आघूर्ण MR2 /4 है। डिस्क के लम्बवत् इसकी कोर से गुजरने वाली अक्ष के परितः
इस डिस्क (चकती) का जड़त्व-आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
(a) दिया है : गोले का द्रव्यमान = M, त्रिज्या = R
रेखा AB गोले की एक स्पर्श रेखा है जिसके परितः गोले का जड़त्व-आघूर्ण ज्ञात करना है। स्पर्श रेखा AB के समान्तर, गोले का एक व्यास PQ खींचा।
प्रश्नानुसार, व्यास PQ (जो कि गोले के केन्द्र से जाता है) के परितः गोले का जड़त्व-आघूर्ण।
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प्रश्न 11.
समान द्रव्यमान और त्रिज्या के एक खोखले बेलन और एक ठोस गोले पर समान परिमाण के बल-आघूर्ण लगाए गए हैं। बेलन अपनी सामान्य सममित अक्ष के परितः घूम सकता है और गोला अपने केन्द्र से गुजरने वाली किसी अक्ष के परितः। एक दिए गए समय के बाद दोनों में कौन अधिक कोणीय चाल प्राप्त कर लेगा?
उत्तर :
खोखले बेलन का अपनी सामान्य सममित अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण
Ic = MR2 …..(1)
ठोस गोले का अपने केन्द्र से गुजरने वाली अक्ष के परित: जड़त्व आघूर्ण
Is = [latex]\frac { 2 }{ 5 } [/latex] MR2 …..(2)
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प्रश्न 12.
20 kg द्रव्यमान का कोई ठोस सिलिण्डर अपने अक्ष के परितः 100 rad s-1 की कोणीय चाल से घूर्णन कर रहा है। सिलिण्डर की त्रिज्या 0.25 m है। सिलिण्डर के घूर्णन से सम्बद्ध गतिज ऊर्जा क्या है? सिलिण्डर का अपने अक्ष के परितः कोणीय संवेग का परिमाण क्या है?
हल : ठोस सिलिण्डर का द्रव्यमान M = 20 किग्रा, सिलिण्डर की त्रिज्या R = 0.25 मी
∴ ठोस सिलिण्डर का अपनी अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण,
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प्रश्न 13.
(a) कोई बच्चा किसी घूर्णिका (घूर्णीमंच) पर अपनी दोनों भुजाओं को बाहर की ओर फैलाकर खड़ा है। घूर्णिका को 40 rev/min की कोणीय चाल से घूर्णन कराया जाता है। यदि बच्चा अपने हाथों को वापस सिकोड़कर अपना जड़त्व-आघूर्ण अपने आरम्भिक जड़त्व-आघूर्ण [latex]\frac { 2 }{ 5 } [/latex] गुना कर लेता है तो इस स्थिति में उसकी कोणीय चाल क्या होगी? यह मानिए कि घूर्णिका की घूर्णन गति घर्षणरहित है।

(b) यह दर्शाइए कि बच्चे की घूर्णन की नयी गतिज ऊर्जा उसकी आरम्भिक घूर्णन की गतिज ऊर्जा से अधिक है। आप गतिज ऊर्जा में हुई इस वृद्धि की व्याख्या किस प्रकार करेंगे?

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अब चूँकि अन्तिम जड़त्व आघूर्ण प्रारम्भिक जड़त्व आघूर्ण का 2/5 है, अत: अन्तिम घूर्णन गतिज ऊर्जा प्रारम्भिक मान की 5/2 गुनी हो जायेगी अर्थात् घूर्णन की नयी गतिज ऊर्जा प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा से अधिक है।

इसका कारण यह है कि बच्चे द्वारा हाथों को वापस सिकोड़ने में व्यय रासायनिक ऊर्जा घूर्णन गतिज ऊर्जा में बदल जाती है।

प्रश्न 14.
3 kg द्रव्यमान तथा 40 cm त्रिज्या के किसी खोखले सिलिण्डर पर कोई नगण्य द्रव्यमान की रस्सी लपेटी गई है। यदि रस्सी को 30 N बल से खींचा जाए तो सिलिण्डर का कोणीय त्वरण क्या होगा। रस्सी का रैखिक त्वरण क्या है? यह मानिए कि इस प्रकरण में कोई फिसलन नहीं है?
हल : यदि बेलन का द्रव्यमान M तथा त्रिज्या R हो तो यहाँ M = 3.0 किग्रा तथा R = 40 सेमी = 0.40 मीटर
अत: खोखले बेलन का अपनी अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण –
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प्रश्न 15.
किसी घूर्णक (रोटर) की 200 rads-1 की एकसमान कोणीय चालक्नाए रखने के लिए एक इंजन द्वारा 180 N- m का बल-आघूर्ण प्रेषित करना आवश्यक होता है। इंजन के लिए आवश्यक शक्ति ज्ञात कीजिए। (नोट : घर्षण की अनुपस्थिति में एकसमान कोणीय वेग होने में यह समाविष्ट है कि बल-आघूर्ण शून्य है। व्यवहार में लगाए गए बल-आघूर्ण की। आवश्यकता घर्षणी बल-आघूर्ण को निरस्त करने के लिए होती है।) यह मानिए कि इंजन की दक्षता 100% है।
हल : दिया है ω = 200 rad s-1 (नियत है), बल-आघूर्ण τ = 180 Nm
इंजन के लिए आवश्यक शक्ति
P = इंजन द्वारा घूर्णक को दी गई शक्ति [∵ η = 100%]
= τ ω = 180 N m × 200rad s-1
= 36 × 10 w = 36 kW

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प्रश्न 16.
R त्रिज्या वाली समांग डिस्क से [latex]\frac { R }{ 2 }[/latex] त्रिज्या का एक वृत्ताकार भाग काट कर निकाल दिया गया है। इस प्रकार बने वृत्ताकार सुराख का केन्द्र मूल डिस्क के केन्द्र से [latex]\frac { R }{ 2 }[/latex] दूरी पर है। अवशिष्ट डिस्क के गुरुत्व केन्द्र की स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
माना दिए हुए वृत्ताकार पटल का केन्द्र O और व्यास AB है।
OA = OB = R = त्रिज्या
इस पटल से, व्यास OB को एक वृत्त काट कर निकाल दिया जाता है।
स्पष्टत: दिए हुए पटल का गुरुत्व केन्द्र O पर तथा काटे गए वृत्त का गुरुत्व केन्द्र उसके केन्द्र G1 पर होगा, जबकि
OG1 = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]. OB = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] R
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∵ वृत्तों के क्षेत्रफल उनकी त्रिज्याओं के वर्गों के अनुपात में होते हैं।
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प्रश्न 17.
एक मीटर छड़ के केन्द्र के नीचे क्षुर-धार रखने पर वह इस पर सन्तुलित हो जाती है जब दो सिक्के, जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 5 g है, 12.0 cm के चिह्न पर एक के ऊपर एक रखे जाते हैं तो छड़ 45.0 cm चिह्न पर सन्तुलित हो जाती है। मीटर छड़ का द्रव्यमान क्या है?
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हल : माना मीटर छड़ का द्रव्यमान m g है।
प्रश्नानुसार, प्रथम स्थिति में छड़ अपने मध्य बिन्दु पर सन्तुलित होती है। इसका अर्थ यह है कि छड़ का गुरुत्व केन्द्र उसके मध्य बिन्दु पर है। दूसरी दशा में, छड़ पर दो बल लगे हैं,
(1) सिक्कों का भार W1 = 10g, बिन्दु C पर जहाँ AC = 12 cm
(2) छड़ का भार W2 = mg, मध्य बिन्दु G पर
छड़ D बिन्दु पर सन्तुलित होती है, जहाँ AD = 45 cm
यहाँ D आलम्ब है।
अतः आघूर्गों के सिद्धान्त से,
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प्रश्न 18.
एक ठोस गोला, भिन्न नति के दो आनत तलों पर एक ही ऊँचाई से लुढ़कने दिया जाता है।

(a) क्या वह दोनों बार समान चाल से तली में पहुँचेगा?
(b) क्या उसको एक तल पर लुढ़कने में दूसरे से अधिक समय लगेगा?
(c) यदि हाँ, तो किस पर और क्यों?

उत्तर :
(a) θ झुकाव कोण तथा h ऊँचाई के आनत तल पर लुढ़कने वाले सममित पिण्ड का पृथ्वी तल पर पहुँचने पर वेग υ हो तो –
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यहाँ पर स्पष्ट है कि गोले को तली पर पहुँचने का वेग आनत तल के झुकाव कोण 8 पर निर्भर नहीं करता, अतः गोला दोनों आनत तलों की तली पर समान चाल से पहुँचेगा।

(b) यदि आनत तल की लम्बाई s हो तथा गोले द्वारा तली तक पहुँचने में लिया गया समय t हो तो –
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चूँकि लिया गया समय आनत तल के झुकाव कोण पर निर्भर करता है, अतः दोनों तलों पर लुढ़कने का समय भिन्न-भिन्न होगा।

(c) चूंकि t α 1/sin θ तथा 8 का मान बढ़ने से sin θ का मान बढ़ता है।
अतः θ के कम मान के लिए sin θ का मान कम होने के कारण t का मान अधिक होगा अर्थात् कम ढाल वाले तल पर लुढ़कने में लिया गया समय अधिक होगा।

प्रश्न 19.
2 m त्रिज्या के एक वलय (छल्ले) का भार 100 kg है। यह एक क्षैतिज फर्श पर इस प्रकार लोटनिक गति करता है कि इसके द्रव्यमान केन्द्र की चाल 20 cm/s हो। इसको रोकने के लिए कितना कार्य करना होगा ?
हल : छल्ले की त्रिज्या R =2 मी, इसका द्रव्यमान M = 100 किग्रा, द्रव्यमान केन्द्र की चाल υ = 2 सेमी/से = 0.20 मी/से।
चूँकि छल्ला लोटनिक गति करता आगे बढ़ रही है,
अतः इसकी कुल गतिज ऊर्जा K = स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा + घूर्णी गतिज ऊर्जा
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प्रश्न 20.
ऑक्सीजन अणु का द्रव्यमान 5.30 × 10-26 kg है तथा इसके केन्द्र से होकर गुजरने वाली और इसके दोनों परमाणुओं को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण 1.94 × 10-46 kg-m2 है। मान लीजिए कि गैस के ऐसे अणु की औसत चाल 500 m/s है और इसके घूर्णन की गतिज ऊर्जा, स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा की दो-तिहाई है। अणु का औसत कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
हल : ऑक्सीजन अणु का द्रव्यमान M = 5.30 × 10-26 किग्रा
इसका जड़त्व आघूर्ण I = 1.94 × 10-46 किग्रा-मी2
अणु की औसत चाल υ = 500 मी/से
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प्रश्न 21.
एक बेलन 30° कोण बनाते आनत तल पर लुढ़कता हुआ ऊपर चढ़ता है। आनत तल की तली में बेलन के द्रव्यमान केन्द्र की चाल 5 m/s है।
(a) आनत तल पर बेलन कितना ऊपर जाएगा?
(b) वापस तली तक लौट आने में इसे कितना समय लगेगा?
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 22.
जैसा चित्र-7.14 में दिखाया गया है, एक खड़ी होने वाली सीढी के दो पक्षों BA और CA की लम्बाई 1.6m है और इनको A पर कब्जा लगाकर जोड़ा गया है। इन्हें ठीक बीच में 0.5m लम्बी रस्सी DE द्वारा बाँधा गया है। सीढ़ी BA के अनुदिश B से 1.2 m की दूरी पर स्थित बिन्दु F से 40 kg का एक भार लटकाया गया है। यह मानते हुए कि फर्श घर्षणरहित है और सीढी का भार उपेक्षणीय है, रस्सी में तनाव और सीदी पर फर्श द्वारा लगाया गया बल ज्ञात कीजिए।(g =9.8 m/s2 लीजिए)
[संकेत : सीढ़ी के दोनों ओर के सन्तुलन पर अलग-अलग विचार कीजिए]
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हल : माना सीढ़ी के निचले सिरों पर फर्श की प्रतिक्रिया R1 तथा R2 है तथा डोरी का तनाव T है। माना सीढ़ी की दोनों भुजाएँ ऊध्र्वाधर से कोण से बनाती हैं [चित्र 7.15]।
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प्रश्न 23.
कोई व्यक्ति एक घूमते हुए प्लेटफॉर्म पर खड़ा है। उसने अपनी दोनों बाहें फैला रखी हैं और उनमें से प्रत्येक में 5 kg भार पकड़ रखा है। प्लेटफॉर्म की कोणीय चाल 30 rev/min है। फिर वह व्यक्ति बाहों को अपने शरीर के पास ले आता है जिससे घूर्णन अक्ष से प्रत्येक भार की दूरी 90 cm से बदलकर 20 cm हो जाती है। प्लेटफॉर्म सहित व्यक्ति के जड़त्व आघूर्ण का मान 7.6 kg-m2 ले सकते हैं।
(a) उसका नया कोणीय वेग क्या है? (घर्षण की उपेक्षा कीजिए)
(b) क्या इस प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा संरक्षित होती है? यदि नहीं, तो इसमें परिवर्तन का स्रोत क्या है?
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अत: इस प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं रहती बल्कि बढ़ती है तथा इस परिवर्तन (वृद्धि) का स्रोत व्यक्ति की मांसपेशीय रासायनिक ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होना है।

प्रश्न 24.
10 g द्रव्यमान और 500 m/s चाल वाली बन्दूक की गोली एक दरवाजे के ठीक केन्द्र में टकराकर उसमें अंतः स्थापित हो जाती है। दरवाजा 1.0m चौड़ा है और इसका द्रव्यमान 12 kg है। इसके एक सिरे पर कब्जे लगे हैं और यह इनसे गुजरती एक ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः लगभग बिना घर्षण के घूम सकता है; गोली के दरवाजे में अन्तःस्थापना के ठीक बाद इसका कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
[संकेत : एक सिरे से गुजरती ऊध्र्वाधर अक्ष के परितः दरवाजे का जड़त्व-आघूर्ण ML2/3 है]
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प्रश्न 25.
दो चक्रिकाएँ जिनके अपने-अपने अक्षों (चक्रिका के अभिलम्बवत् तथा चक्रिका के केन्द्र से गुजरने वाले) के परितः जड़त्व-आघूर्ण I1 तथा I2 हैं और जो ω1 तथा ω2 कोणीय चालों से घूर्णन कर रही हैं, को उनके घूर्णन अक्ष सम्पाती करके आमने-सामने (सम्पर्क में) लाया जाता है।
(a) इस दो चक्रिका निकाय की कोणीय चाल क्या है?
(b) यह दर्शाइए कि इस संयोजित निकाय की गतिज ऊर्जा दोनों चक्रिकाओं की आरम्भिक गतिज ऊर्जाओं के योग से कम है। ऊर्जा में हुई इस हानि की आप कैसे व्याख्या करेंगे? ω1 ≠ ω2 लीजिए।
उत्तर :
(a) माना सम्पर्क में आने के पश्चात् दोनों चक्रिकाएँ उभयनिष्ठ कोणीय वेग ω से घूर्णन करती हैं।
∵ निकाय पर बाह्य बल आघूर्ण शून्य है, अतः निकाय का कोणीय संवेग संरक्षित रहेगा।
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अर्थात् संयोजित निकाय की गतिज ऊर्जा चक्रिकाओं की आरम्भिक गतिज ऊर्जाओं के योग से कम है।

गतिज ऊर्जा में हानि, चक्रिकाओं की सम्पर्कित सतहों के बीच घर्षण बल के कारण हुई है।

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प्रश्न 26.
(a) लम्बवत् अक्षों के प्रमेय की उपपत्ति करें। [संकेत:(x, y) तल के लम्बवत् मूलबिन्दु से गुजरती अक्ष से किसी बिन्दु x – y की दूरी का वर्ग (x2 + y2) है।
(b) समान्तर अक्षों के प्रमेय की उपपत्ति करें। [संकेत : यदि द्रव्यमान केन्द्र को मूलबिन्दु ले लिया जाए ∑ [latex]\overrightarrow { m }[/latex] i [latex]\overrightarrow { r }[/latex] i = [latex]\overrightarrow { 0 }[/latex]
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उत्तर :
(a) लम्बवत् अक्षों की प्रमेय (Theorem of Perpendicular Axes) – इस प्रमेय के अनुसार, “किसी समपटल का उसके तल के लम्बवत् तथा द्रव्यमान केन्द्र से जाने वाली अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण (Is), समपटल के तल में स्थित तथा द्रव्यमान केन्द्र से जाने वाली दो परस्पर लम्बवत् अक्षों के परितः समपटल के जड़त्व-आघूर्णी (Ix तथा Iy) के योग के बराबर होता है।”
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(b) समान्तर अक्षों की प्रमेय (Theorem of Parallel Axes) – इस प्रमेय के अनुसार, “किसी पिण्ड का किसी अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण I, उस पिण्ड के द्रव्यमान केन्द्र से होकर जाने वाली समान्तर अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण Icm तथा पिण्ड के द्रव्यमान M व दोनों समान्तर अक्षों के बीच की लम्बे दूरी d के वर्ग के गुणनफल के योग के बराबर होता है।”
अर्थात् I = Icm + Md2

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उपपत्ति – माना पिण्ड के भीतर स्थित m द्रव्यमान के किसी कण की दी गई अक्ष AB से दूरी r है तथा द्रव्यमान केन्द्र C से गुजरने वाली AB के समान्तर अक्ष EF से कण की दूरी a है। माना दोनों अक्षों AB व EF के बीच की लम्बवत् दूरी 4 है। तब चित्र-7.17 से, r = a + d

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प्रश्न 27.
सूत्र υ2 = 2gh / (1 + k2/R2) को गतिकीय दृष्टि (अर्थात् बलों तथा बल-आघूर्गों विचार) से व्युत्पन्न कीजिए। जहाँ लोटनिक गति करते पिण्ड (वलय, डिस्क, बेलन या गोला) का आनत तल की तली में वेग है। आनत तल पर hवह ऊँचाई है जहाँ से पिण्ड गति प्रारम्भ करता है। K सममित अक्ष के परितः पिण्ड की घूर्णन त्रिज्या है और R पिण्ड की त्रिज्या है।
उत्तर :
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माना M द्रव्यमान तथा R त्रिज्या का कोई गोलीय पिण्ड, जिसका द्रव्यमान केन्द्र C है, ऐसे आनत तल पर लुढ़कता है, जो क्षैतिज से θ कोण पर झुका है। इस स्थिति में पिण्ड पर निम्नलिखित बल कार्य करते हैं –

  1. पिण्ड का भार Mg, ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर
  2. आनत तल की प्रतिक्रिया N, तल के लम्बवत् ऊपर की ओर
  3. आनत तल द्वारा पिण्ड पर आरोपित स्पर्शरेखीय चित्र-7.18 स्थैतिक घर्षण-बल fs आनत तल के समान्तर ऊपर की ओर।

घर्षण-बल fs ही पिण्ड को फिसलने से रोकता है। माना पिण्ड के द्रव्यमान केन्द्र का आनत तल के अनुदिश नीचे की ओर रेखीय त्वरण a है। इन बलों को आनत तल के समान्तर तथा लम्बवत् घटकों में वियोजित करने पर,
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प्रश्न 28.
अपने अक्ष पर ω0 कोणीय चाल से घूर्णन करने वाली किसी चक्रिका को धीरे से (स्थानान्तरीय धक्का दिए बिना किसी पूर्णतः घर्षणरहित मेज पर रखा जाता है। चक्रिका की त्रिज्या R , है। चित्र-7.19 में दर्शाई चक्रिका के बिन्दुओं A, B तथा पर रैखिक वेग क्या हैं? क्या यहं चक्रिका चित्र में दर्शाई दिशा में लोटनिक गति करेगी?
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उत्तर :
चूँकि चक्रिका तथा मेज के बीच कोई घर्षण बल नहीं है; अत: चक्रिका लोटनिक गति नहीं कर पाएगी तथा मेज के एक ही बिन्दु B के संम्पर्क में रहते हुए अपनी अक्ष के परितः शुद्ध घूर्णी गति करती रहेगी।
बिन्दु A की अक्ष से दूरी = R
∴बिन्दु A पर रैखिक वेग υA = R ω0 तीर की दिशा में होगा।
इसी प्रकार बिन्दु B पर रैखिक वेग υB = R ω0
बिन्दु B पर दिखाए गए तीर के विपरीत दिशा में होगा।
∵ बिन्दु C की अक्ष से दूरी = [latex]\frac { R }{ 2 } [/latex]
∴ बिन्दु C पर रैखिक वेग υc = [latex]\frac { R }{ 2 } [/latex] ω0 क्षैतिजत: बाएँ से दाएँ को होगा।
यह पहले ही स्पष्ट है कि चक्रिका लोटनिक गति नहीं करेगी।

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प्रश्न 29.
स्पष्ट कीजिए कि चित्र-7.19 में अंकित दिशा में चक्रिका की लोटनिक गति के लिए घर्षण होना आवश्यक क्यों है?
(a) B पर घर्षण बल की दिशा तथा परिशुद्ध लुढ़कन आरम्भ होने से पूर्व घर्षणी बल-आघूर्ण की दिशा क्या है?
(b) परिशुद्ध लोटनिक गति आरम्भ होने के पश्चात् घर्षण बल क्या है?
उत्तर :
चक्रिका मूलतः शुद्ध घूर्णी गति कर रही है जबकि लोटनिक गति प्रारम्भ होने का अर्थ घूर्णी गति के साथ-साथ स्थानान्तरीय गति का भी होना है, परन्तु स्थानान्तरीय गति प्रारम्भ होने के लिए बाह्य बल आवश्यक है। अत: चक्रिका की लोटनिक गति होने के लिए घर्षण बल (वर्णित परिस्थिति में एकमात्र बाह्य बले घर्षण बल ही हो सकता है) आवश्यक है।

(a) बिन्दु B पर घर्षण बल की दिशा तीर द्वारा प्रदर्शित दिशा में (बिन्दु B की अपनी गति की दिशा के विपरीत) है जबकि घर्षण बल के कारण उत्पन्न बल-आघूर्ण की दिशा कागज के तल के लम्बवत् बाहर की ओर है।

(b) घर्षण बल बिन्दु B को मेज के सम्पर्क बिन्दु के सापेक्ष विराम में लाना चाहता है, जब ऐसा हो जाता है तो परिशुद्ध लोटनिक गति प्रारम्भ हो जाती है।

अब चूँकि सम्पर्क बिन्दु पर कोई सरकन नहीं है; अतः घर्षण बल शून्य हो जाता है।

प्रश्न 30.
10 cm त्रिज्या की कोई ठोस चक्रिका तथा इतनी ही त्रिज्या का कोई छल्ला किसी क्षतिज मेज पर एक ही क्षण 10 π rad s-1 की कोणीय चाल से रखे जाते हैं। इनमें से कौन पहले लोटनिक गति आरम्भ कर देगा। गतिज घर्षण गुणांक µk =0.2।
हल : माना मेज पर रखे जाने के t s पश्चात् कोई पिण्ड लोटनिक गति प्रारम्भ करता है। द्रव्यमान केन्द्र की स्थानान्तरीय गति प्रारम्भ कराने के लिए आवश्यक बल घर्षण बल से मिलता है। यदि इस दौरान द्रव्यमान केन्द्र का त्वरण a है तो
F = ma से, µk mg = ma
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चक्रिका तथा छल्ले को लोटनिक गति’ प्रारम्भ करने में क्रमश: 0.17s तथा 0.25s लगेंगे। स्पष्ट है कि चक्रिको पहले लोटनिक गति प्रारम्भ करेगी।

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प्रश्न 31.
10 kg द्रव्यमान तथा 15 cm त्रिज्या का कोई सिलिण्डर किसी 30° झुकाव के समतल पर परिशुद्धतः लोटनिक गति कर रहा है। स्थैतिक घर्षण गुणांक µs = 0.25 है।

(a) सिलिण्डर पर कितना घर्षण बल कार्यरत है?
(b) लोटन की अवधि में घर्षण के विरुद्ध कितना कार्य किया जाता है?
(c) यदि समतल के झुकाव θ में वृद्धि कर दी जाए तो के किस मान पर सिलिण्डर परिशुद्धतः लोटनिक गति करने की बजाय फिसलना आरम्भ कर देगा?

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अतः जब नत समतल को झुकाव कोण 37° हो जायेगा तो सिलिण्डर फिसलने लगेगा।

प्रश्न 32.
नीचे दिए गए प्रत्येक प्रकथन को ध्यानपूर्वक पढिए तथा कारण सहित उत्तर दीजिए कि इनमें से कौन-सा सत्य है और कौन-सा असत्य?

(a) लोटनिक गति करते समय घर्षण बल उसी दिशा में कार्यरत होता है जिस दिशा में पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र गति करता है।
(b) लोटनिक गति करते समय सम्पर्क बिन्दु की तात्क्षणिक चाल शून्य होती है।
(c) लोटनिक गति करते समय सम्पर्क बिन्दु का तात्क्षणिक त्वरण शून्य होता है।
(d) परिशुद्ध लोटनिक गति के लिए घर्षण के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।
(e) किसी पूर्णतः घर्षणरहित आनत समतल पर नीचे की ओर गति करते पहिये की गति फिसलन गति (लोटनिक गति नहीं) होगी।

उत्तर :

(a) सत्य, क्योंकि घर्षण बल ही पिण्ड में स्थानान्तरीय गति उत्पन्न करता है और इसी बल के कारण पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र आगे की ओर बढ़ता है।
(b) सत्य, जब सम्पर्क बिन्दु की सप गति समाप्त हो जाती है तभी लोटनिक गति प्रारम्भ होती है; अतः परिशुद्ध लोटनिक गति में सम्पर्क बिन्दु की तात्क्षणिक चाल शून्य होती है।
(e) असत्य, चूँकि वस्तु घूर्णन गति कर रही है; अतः सम्पर्क बिन्दु की गति में अभिकेन्द्र त्वरण अवश्य ही विद्यमान रहता है।
(d) सत्य, परिशुद्ध लोटनिक गति में सम्पर्क बिन्दु पर कोई सरकन नहीं होता; अतः घर्षण बल के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।
(e) सत्य, घर्षण के अभाव में, आनत तल पर छोड़े गए पहिये का आनत तल के साथ सम्पर्क बिन्दु विराम में नहीं रहेगा अपितु पहिया भार के अधीन आनत तल के अनुदिश फिसलता जाएगा। अतः यह गति विशुद्ध सरकन गति होगी, लोटनिक नहीं।

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प्रश्न 33.
कणों के किसी निकाय की गति को इसके द्रव्यमान केन्द्र की गति और द्रव्यमान केन्द्र के परितः गति में अलग-अलग करके विचार करना। दर्शाइए कि –
(a) [latex]\overrightarrow { P } [/latex] = [latex]\overrightarrow { P } [/latex] I = mi [latex]\overrightarrow { V } [/latex]
जहाँ है [latex]\overrightarrow { P } [/latex] i (mi द्रव्यमान वाले) i-वे कण का संवेग है और [latex]\overrightarrow { P } [/latex] i = mi [latex]\overrightarrow { v’ } [/latex] i ध्यान दें कि [latex]\overrightarrow { v’ } [/latex] i, द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष i – वे कण का वेग है।
द्रव्यमान केन्द्र की परिभाषा का उपयोग करके यह भी सिद्ध कीजिए कि ∑ [latex]\overrightarrow { P’ } [/latex] i = 0

(b) K = K’ +[latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] MV2
K कणों के निकाय की कुल गतिज ऊर्जा, K’ = निकाय की कुल गतिज ऊर्जा जबकि कणों की गतिज ऊर्जा द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष ली जाए। MV2/2 सम्पूर्ण निकाय के (अर्थात् निकाय के द्रव्यमान केन्द्र के) स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा है।

(c) [latex]\overrightarrow { L } [/latex] = [latex]\overrightarrow { L’ } [/latex] + [latex]\overrightarrow { R } [/latex] X M [latex]\overrightarrow { V } [/latex]
जहाँ L’ = ∑ [latex]\overrightarrow { L } [/latex] i x [latex]\overrightarrow { P’ } [/latex] i , द्रव्यमान के परितः निकाय का कोणीय संवेग है जिसकी गणना में वेग द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष मापे गए हैं। याद कीजिए [latex]\overrightarrow { r } [/latex] i = [latex]\overrightarrow { r } [/latex] i – [latex]\overrightarrow { R } [/latex] शेष सभी चिह्न अध्याय में प्रयुक्त विभिन्न राशियों के मानक चिह्न हैं। ध्यान दें कि [latex]\overrightarrow { L’ } [/latex] द्रव्यमान केन्द्र के परितः निकाय का कोणीय संवेग एवं M [latex]\overrightarrow { R } [/latex] x [latex]\overrightarrow { V } [/latex] इसके द्रव्यमान केन्द्र का कोणीय संवेग है।

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(जहाँ [latex]\xrightarrow { \tau \prime } [/latex] ext द्रव्यमान केन्द्र के परितः निकाय पर लगने वाले सभी बाह्य बल आघूर्ण हैं।)
[संकेत – दव्यमान केन्द की परिभाषा एवं न्यूटन के गति के तृतीय नियम का उपयोग कीजिए। यह मान लीजिए कि किन्ही दो कणों के बीच के आन्तरिक बल उनको मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करते हैं।]

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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वह बिन्दु जहाँ पर किसी निकाय या पिण्ड का सम्पूर्ण द्रव्यमान केन्द्रित माना जा सकता है, कहलाता है।
(i) ज्यामितीय केन्द्र
(ii) मध्य बिन्दु
(iii) द्रव्यमान केन्द्र
(iv) गुरुत्व केन्द्र
उत्तर :
(iii) द्रव्यमान केन्द्र

प्रश्न 2.
द्रव्यमान m तथा त्रिज्या वाली किसी वृत्ताकार डिस्क का इसके व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण होता है।
(i) mr2
(ii) mr2 / 2
(iii) mr2 / 4
(iv) 3/4 mr2
उत्तर :
(iii) mr2 / 4

प्रश्न 3.
गोलीय कोश का जड़त्व आघूर्ण होगा
(i) MR2
(ii) MR2 / 2
(iii) 2/5 MR2
(iv) 2/3 MR2
उत्तर :
(iv) 2/3 MR2

प्रश्न 4.
किसी अक्ष के परितः कोणीय वेग से घूमते हुए किसी पिण्ड के जड़त्व आघूर्ण I तथा कोणीय संवेग J में सम्बन्ध है।
(i) J= Iω2
(ii) J= Iω
(iii) I = Jω
(iv) I = Jω2
उत्तर :
(ii) J= Iω

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प्रश्न 5.
किसी पिण्ड के जड़त्व आघूर्ण तथा कोणीय त्वरण के गुणनफल को कहते हैं।
(i) कोणीय संवेग
(ii) बल-आघूर्ण
(iii) बल
(iv) कार्य
उत्तर :
(ii) बल-आघूर्ण

प्रश्न 6.
यदि एक वस्तु के कोणीय संवेग में 50% की कमी हो जाए तो उसकी घूर्णन गतिज ऊर्जा में परिवर्तन होगा
(i) 125% की वृद्धि
(ii) 100% की कमी
(iii) 75% की वृद्धि
(iv) 75% की कमी
उत्तर :
(iv) 75% की कमी।

प्रश्न 7.
किसी अक्ष के परितः कोणीय वेग से घूमते किसी पिण्ड के जड़त्व आघूर्ण कोणीय त्वरण तथा बल आघूर्ण क्रमशःI, α तथा τ हैं, तब
(i) τ = Iα
(ii) τ = Iω
(iii) I = τω
(iv) α = τ I
उत्तर :
(i) τ = Iα

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दृढ पिण्ड से क्या तात्पर्य है।
उत्तर :
यदि किसी पिण्ड पर बाह्य बल लगाने पर उसके कणों में एक-दूसरे के सापेक्ष कोई विस्थापन न हो तो ऐसे पिण्ड को दृढ़ पिण्ड कहते हैं।

प्रश्न 2.
किसी निकाय के द्रव्यमान केन्द्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
किसी निकाय का द्रव्यमान केन्द्र वह बिन्दु है जो पिण्ड के साथ इस प्रकार गति करता है, जैसे पिण्ड का समस्त द्रव्यमान उसी बिन्दु पर केन्द्रित हो तथा पिण्ड पर कार्यरत् सभी बल भी उसी पर कार्य कर रहे हों।

प्रश्न 3.
समान द्रव्यमान के वो कणों के द्रव्यमान केन्द्र की स्थिति क्या होती है?
उत्तर :
समान द्रव्यमान के दो कणों का द्रव्यमान केन्द्र (CM) उनको मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर होता है। होता है।

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प्रश्न 4.
यदि दो कणों के निकाय में एक कण दूसरे की अपेक्षा भारी है तो इसका द्रव्यमान केन्द्र किस कण के निकट होगा?
उत्तर :
भारी कण के निकट।

प्रश्न 5.
समान द्रव्यमान के दो कणों के निकाय के द्रव्यमान केन्द्र को स्थिति सदिश क्या होगा?
उत्तर :
दोनों कणों के स्थिति सदिशों का औसत
अर्थात् [latex]\xrightarrow { r } [/latex] = ([latex]\xrightarrow { r1 } [/latex] + [latex]\xrightarrow { r2 } [/latex]) / 2

प्रश्न 6.
2.0 किग्रा तथा 1.0 किग्रा के दो पिण्ड क्रमशः (0, 0) मी तथा (3,0) मी पर स्थित हैं। इस निकाय के द्रव्यमान केन्द्र की स्थिति ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion 60

प्रश्न 7.
यदि m द्रव्यमान वाले कण का स्थिति सदिश [latex]\xrightarrow { r1 } [/latex] तथा 2m द्रव्यमान वाले कण का स्थिति सदिश [latex]\xrightarrow { r2 } [/latex] हो, तो उस निकाय के द्रव्यमान केन्द्र का स्थिति सदिश क्या होगा?
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प्रश्न 8.
रेखीय त्वरण तथा कोणीय त्वरण में सम्बन्ध का सूत्र लिखिए।
उत्तर :
a = rα

प्रश्न 9.
बल-आघूर्ण की परिभाषा दीजिए तथा इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर :
जब किसी पिण्ड पर लगा हुआ कोई बाह्य बल, उस पिण्ड को किसी अक्ष के (UPBoardSolutions.com) परितः घुमाने की प्रवृत्ति रखता है, तो इस प्रवृत्ति को बल-आघूर्ण कहते हैं। इसका S.I. मात्रक न्यूटन-मीटर होता है।

प्रश्न 10.
किसी कण को बल में एक बिन्दु की ओर आरोपित किया जाता है। उस बिन्दु के परितः बल का आधूर्ण क्या होगा तथा क्यों?
उत्तर :
शून्य (क्योंकि बिन्दु से बेल की क्रिया की लम्बवत् दूरी शून्य होगी)।

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प्रश्न 11.
किसी वस्तु का जड़त्व आघूर्ण किस बिन्द कण के लिए शून्य होता है?
उत्तर :
घूर्णन अक्ष पर स्थित बिन्दु कण के लिए।

प्रश्न 12.
किसी पिण्ड को जड़त्वं आघूर्ण किस अक्ष के परितः न्यूनतम होता है?
उत्तर :
उसके द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाली अक्ष के परितः न्यूनतम होता है।

प्रश्न 13.
बल आघूर्ण, जड़त्व आघूर्ण तथा कोणीय त्वरण के बीच सम्बन्ध का सूत्र लिखिए।
या
घूर्णन गति हेतु बल आघूर्ण तथा जड़त्व आघूर्ण में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर :
τ = Ia

प्रश्न 14.
विभिन्न धातुओं से बने समान द्रव्यमान तथा समान त्रिज्या के दो गोलों में से एक ठोस तथा दूसरा खोखला है। यदि इन्हें एक साथ नत तल पर लुढ़काया जाता है तो कौन-सा गोला पहले नीचे पहुँचेगा? कारण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
ठोस गोला पहले नीचे पहुँचेगा, क्योकि खोखले गोले की अपेक्षा ठोस गोले का जड़त्व आघूर्ण कम होगा। अत: ठोस गोले की घूर्णन गति में खोखले गोले की अपेक्षा कम विरोध उत्पन्न होगा।

प्रश्न 15.
किसी छड़ का उसके एक सिरे से गुजरने वाली लम्बवत् अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण ज्ञात करने के लिए जड़त्व आघूर्ण का कौन-सा प्रमेय प्रयोग में लाया जाता है, जबकि इसका जड़त्व आघूर्ण इसके द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाली ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः दिया हो?
उत्तर :
समान्तर अक्षों की प्रमेय।

प्रश्न 16.
एक ठोस बेलन की त्रिज्या R, द्रव्यमान M तथा लम्बाई है। इसका अपनी अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण का सूत्र क्या होगा? यदि बेलन खोखला हो तब सूत्र क्या होगा?
उत्तर :
I = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] MR2 ; I = MR2

प्रश्न 17.
एक ठोस गोले का द्रव्यमान M तथा त्रिज्या R है। इसके व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण का सूत्र लिखिए। यदि इसी द्रव्यमान तथा त्रिज्या का खोखला गोला हो तब सूत्र क्या होगा?
उत्तर :
I = [latex]\frac { 2 }{ 5 }[/latex] MR2.

प्रश्न 18.
एक पतली छड़ का द्रव्यमान M तथा इसकी लम्बाई L है। इसके एक सिरे से गुजरने वाली लम्बवत् अक्ष के परितः छड़ को जड़त्व आघूर्ण क्या होगा?
उत्तर :
जड़त्व आघूर्ण I = ML2 /12

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प्रश्न 19.
धूर्णन गति में किए गए कार्य के लिए सूत्र लिखिए।
उत्तर :
घूर्णन गति में किया गया कार्य घूर्णन गतिज ऊर्जा के बराबर होता है।
अतः कार्य w = [latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] Iω2 जहाँ I = जड़त्व आघूर्ण तथा ω = कोणीय वेग

प्रश्न 20.
घूर्णन गति के तीनों समीकरणों को लिखिए तथा प्रयुक्त संकेतों के अर्थ बताइए।
उत्तर :
घूर्णन गति के समीकरण हैं –
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प्रश्न 21.
किसी पिण्ड की घूर्णन गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखिए। क्या यह घूर्णन अक्ष पर निर्भर करता है?
उत्तर :
Krot = [latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] Iω2 हाँ।

प्रश्न 22.
22.2[latex]\sqrt { 2 } [/latex] मीटर त्रिज्या की एक चकती अपनी अक्ष के परितः घूर्णन कर रही है। उसकी घूर्णन (परिभ्रमण) त्रिज्या की गणना कीजिए।
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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विलगित निकाय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
विलगित निकाय (Isolated system) – विलगित निकाय वह होता है जिस पर कार्यरत् समस्त बाह्य बलों का सदिश योग शून्य हो।

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इस प्रकार, जब किसी निकाय पर लगने वाले सभी बाह्य बलों का सदिश योग शून्य होता है, तो द्रव्यमान केन्द्र का वेग नियत रहता है। रेडियोऐक्टिव क्षय में विभिन्न कण भिन्न-भिन्न वेगों से भिन्न-भिन्न दिशाओं में पलायन करते हैं, परन्तु उनके द्रव्यमान-केन्द्र का वेग नियत रहता है।

प्रश्न 2.
1 ग्राम, 2 ग्राम तथा 3 ग्राम के तीन बिन्दु द्रव्यमान XY- तल में क्रमशः (1,2), (0, -1) तथा (2,-3) बिन्दुओं पर स्थित हैं। निकाय के द्रव्यमान केन्द्र की स्थिति ज्ञात कीजिए।
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प्रश्न 3.
कोणीय संवेग की परिभाषा दीजिए तथा दिखाइए कि किसी पिण्ड के कोणीय संवेग के परिवर्तन की दर उस पिण्ड पर लगाए गए बल-आघूर्ण के बराबर होती है।
उत्तर :
कोणीय संवेग की परिभाषा – घूर्णन गति में पिण्ड के विभिन्न अवयवी कणों के रेखीय (UPBoardSolutions.com) संवेगों के घूर्णन-अक्ष के परितः आघूर्गों का योग उस अक्ष के परितः पिण्ड का कोणीय संवेग कहलाता है। यह निम्नलिखित सूत्र से व्यक्त किया जाता है –
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प्रश्न 4.
कोणीय संवेग संरक्षण का नियम लिखिए।
हल : इस नियम के अनुसार, यदि किसी घूर्णन के परित: घूमते हुए पिण्ड पर बाह्य बल आघूर्ण न लगाया जाए, तो उस पिण्ड का कोणीय संवेग नियत रहता है।
अर्थात् J = Iω = नियतांक

प्रश्न 5.
बल-युग्म से क्या तात्पर्य है? बल-युग्म के आघूर्ण का सूत्र लिखिए।
उत्तर :

बल-युग्म – जब किसी दृढ़ पिण्ड पर कोई ऐसे दो बल जो परिमाण में समान, दिशा में विपरीत व जिनकी क्रिया रेखाएँ भिन्न-भिन्न हों, साथ-साथ लगाये जाते हैं तो यह पिण्ड में बिना स्थानान्तरण के 40 घूर्णन उत्पन्न कर देते हैं (चित्र 7.22)। ऐसे बलों के युग्म को बल-युग्म कहते हैं।

बल-युग्म का आघूर्ण – बल-युग्म के बल के परिमाण वे उसकी भुजा की लम्बाई के गुणनफल को बल-युग्म को आघूर्ण कहते हैं। माना F परिमाण के दो बल एक दृढ़ छड़ AB जो बिन्दु O के परितः घूमने को स्वतन्त्र है, पर लगे हैं (चित्र 7.22)। तब छड़ AB पर कार्यरत् बल-युग्म का आघूर्ण,
τ = बिन्दु A पर कार्यरत् बल F का आधूर्ण + बिन्दु B पर कार्यरत् बल F का आघूर्ण
= F × AO + F × OB
= F × (AO + OB) = F × AB
परन्तु  AB = l,
∴ τ = F × l

प्रश्न 6.
एक पिण्ड जिसका जड़त्व आघूर्ण 3 किग्रा-मी2 है, विरामावस्था में है। इसे 6 न्यूटन-मीटर के बल आघूर्ण द्वारा 20 सेकण्ड तक घुमाया जाता है। पिण्ड का कोणीय विस्थापन ज्ञात कीजिए। पिण्ड पर किये गये कार्य की गणना भी कीजिए।
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प्रश्न 7.
किसी छड़ की लम्बाई के लम्बवत् द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाली अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण 2.0 ग्राम-सेमी2 है। इस छड़ की लम्बाई के लम्बवत छड़ के सिरे से गुजरने वाली अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण कितना होगा?
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion 69

प्रश्न 8.
वृत्ताकार छल्ले का व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण 4.0 ग्राम-सेमी है। छल्ले के केन्द्र से गुजरने वाली तथा तल के लम्बवत अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion 70

प्रश्न 9.
m1 तथा m2 द्रव्यमान के दो कण l लम्बाई की भारहीन छड़ के सिरों पर रखे हैं। सिद्ध कीजिए कि छड़ के लम्बवत द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाली अक्ष के परितः निकाय का जड़त्व आघूर्ण I = m1 m2/(m1 + m2) है।
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प्रश्न 10.
कोणीय संवेग और घूर्णन गतिज ऊर्जा में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर :
कोणीय संवेग और घूर्णन गतिज ऊर्जा में सम्बन्ध – यदि किसी घूर्णन अक्ष के परित: किसी पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण I तथा कोणीय वेग ω हो तो उस पिण्ड को उसी घूर्णन अक्ष के परित: कोणीय संवेग
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UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion 73
यही कोणीय संवेग और घूर्णन गतिज ऊर्जा में अभीष्ट सम्बन्ध है।

प्रश्न 11.
घूर्णन करते हुए दो पिण्डों A तथा B के कोणीय संवेग के मान बराबर हैं। A का जड़त्व आघूर्ण B के जड़त्व आघूर्ण का दोगुना है। Aतथा B की घूर्णन गतिज ऊर्जाओं का अनुपात निकालिए।
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प्रश्न 12.
क्षैतिज समतल पर लुढ़कती हुई गेंद की घूर्णन गतिज ऊर्जा उसकी सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा का कौन-सा भाग होगी?
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प्रश्न 13.
10 किग्रा द्रव्यमान एवं 0.2 मीटर त्रिज्या की एक रिंग अपनी ज्यामितीय अक्ष के परितः 35 चक्कर/सेकण्ड की दर से घूम रही है। उसके जड़त्व आघूर्ण एवं घूर्णन गतिज ऊर्जा की गणना कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion 75

प्रश्न 14.
5 किग्रा द्रव्यमान एवं 0.4 मी व्यास की एक रिंग अपनी ज्यामितीय अक्ष के परितः 840 चक्कर/मिनट की दर से घूम रही है। इसके कोणीय संवेग एवं घूर्णन गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए।
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प्रश्न 15.
15 किग्रा द्रव्यमान एवं 0.5 मीटर त्रिज्या की रिंग अपनी ज्यामितीय अक्ष के परितः 35 चक्कर/सेकण्ड की दर से घूम रही है। इसकी घूर्णन गतिज ऊर्जा की गणना कीजिए।
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एकसमान छड़ के द्रव्यमान केन्द्र के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
एकसमान छड़ का द्रव्यमान (अथवा संहति) केन्द्र – माना l लम्बाई की कोई समांग छड़ AB (चित्र 7.24) जिसका कुल द्रव्यमान m इसकी पूरी लम्बाई । पर एकसमान रूप से वितरित है। यह छड़ इस प्रकार से रखी है कि इसकी लम्बाई AB X-अक्ष के अनुदिश तथा उसका सिरा A समकोणिक निर्देशाक्षों XY के मूल-बिन्दु 0 पर स्थित है। अब चूंकि एक सर्वत्रसम छड़ ऐसे बिन्दु द्रव्यमानों (point masses) के समुच्चय का (UPBoardSolutions.com) निकाय होती है जो सतत् रूप से किसी रेखा के अनुदिश वितरित होते हैं। अतः ऐसे निकाय के द्रव्यमान-केन्द्र की स्थिति का निर्धारण समाकलन विधि द्वारा सर्वाधिक सुगमता से किया जा सकता है।

यहाँ यह मान लिया गया है कि छड़ की अनुप्रस्थ विमाएँ यथा चौड़ाई (आयताकारछड़ की दशा में) या व्यास (बेलनाकार छड़ की दशा में) अनुदैर्ध्य विमाओं (यथा लम्बाई या ऊँचाई) की तुलना में नगण्य है।

छड़ के एक छोटे से खण्ड CD जिसकी लम्बाई dx (जहाँ dx → 0) है तथा जो मूल-बिन्दु O से X दूरी पर स्थित है (चित्र 7.24) पर विचार कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion 79
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion 80

अर्थात् सर्वत्रसम छड़ का द्रव्यमाने-केन्द्र उसके मध्य-बिन्दु अर्थात् ज्यामितीय-केन्द्र पर स्थित होगा। सममिति का यही तर्क, समांग वलयों, चकतियो, गोलों और यहाँ तक कि वृत्ताकार या आयताकार अनुप्रस्थ काटे वाली मोटी छड़ों के लिए भी लागू होता है अर्थात् इनके ज्यामितीय-केन्द्र ही इनके द्रव्यमान-केन्द्र भी होते हैं।

प्रश्न 2.
किसी पिण्ड के कोणीय संवेग तथा जड़त्व आघूर्ण के बीच सम्बन्ध स्थापित कीजिए। इसके आधार पर जड़त्व आघूर्ण की परिभाषा दीजिए।
उतर :
कोणीय संवेग तथा जड़त्व आघूर्ण में सम्बन्ध – रेखीय गति में पिण्ड के द्रव्यमान m तथा उसके रेखीय वेग υ का गुणनफल पिण्ड का रेखीय संवेग कहलाता है। इसको p से प्रदर्शित करते हैं। अतः p = m × υ घूर्णन गति में पिण्ड के विभिन्न अवयवी कणों के रेखीय संवेगों के घूर्णन-अक्ष के परितः आघूर्णो का योग उस अक्ष के परितः पिण्ड का कोणीय संवेग कहलाता है। इसको Jसे प्रदर्शित करते हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion 81
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion 82

अत: “किसी पिण्ड के जड़त्व-आघूर्ण का मान घूर्णन-अक्ष के परितः पिण्ड के कोणीय संवेग के परिमाण के बराबर होता है, जबकि पिण्ड एक रेडियन/सेकण्ड के कोणीय वेग से घूर्णन गति कर रहा है।”

प्रश्न 3.
जड़त्व-आघूर्ण सम्बन्धी समकोणिक अक्षों के प्रमेय का उल्लेख कीजिए तथा उसको सिद्ध कीजिए।
उत्तर :
जड़त्व-आघूर्ण सम्बन्धी समकोणिक अक्षों की प्रमेय कथन-किसी समतल पंटल का उसके तल में ली गई दो परस्पर लम्बवत् अक्षों ox OY के परितः जड़त्व-आघूर्णो का योग, इन अक्षों के कटान-बिन्दु O में को जाने वाली तथा पटल के तल के लम्बवत् अक्ष Oz के परितः जड़त्व-अधूर्ण के बराबर होता है। अतः पटल का’ अक्ष Oz के परितः जड़त्व-आघूर्ण
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प्रश्न 4.
घूर्णन गति में बल-आधूर्ण एवं जड़त्व-आघूर्ण में सम्बन्ध स्थापित कीजिए तथा इस आधार पर जड़त्व-आघूर्ण की परिभाषा दीजिए।
उत्तर :
माना कोई पिण्ड किसी घूर्णन-अक्ष के परितः अचर कोणीय त्वरण α  (UPBoardSolutions.com)से घूर्णन गति कर रहा है। पिण्ड के सभी कणों का कोणीय त्वरण α ही होगा परन्तु रेखीय त्वरण अलग-अलग होंगे। माना कि पिण्ड के एक कण का द्रव्यमान m1 है तथा इसकी घूर्णन-अक्ष से दूरी r1 है। तब
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अत: किसी वस्तु का किसी दी हुई अक्ष के सापेक्ष जड़त्व-आघूर्ण उस बल-आघूर्ण के बराबर होता है। जो वस्तु में एकांक कोणीय त्वरण उत्पन्न कर दे।

प्रश्न 5.
घूर्णन गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक का निगमन कीजिए।
उत्तर :
घूर्णन गतिज ऊर्जा – माना कोई पिण्ड किसी अक्ष के परित: एकसमान कोणीय वेग ω से घूर्णन गति कर रहा है। इस पिण्ड के सभी अवयवी कणों का कोणीय वेग ω ही होगा जबकि उनके रेखीय वेग भिन्न-भिन्न होंगे। माना घूर्णन अक्ष से r1, r2, r3…. दूरियों (UPBoardSolutions.com) पर स्थित पिण्ड के अवयवी कणों के द्रव्यमान क्रमशः m1, m2, m3…. तथा इनके रेखीय वेग क्रमश: v1, v2, v3…. हैं।

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion 86a

We hope the UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion (कणों के निकाय तथा घूर्णी गति) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 7 System of particles and Rotational Motion (कणों के निकाय तथा घूर्णी गति) drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements (मात्रक एवं मापन)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Physics. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements (मात्रक एवं मापन).

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1:
रिक्त स्थान भरिए

(a) किसी 1 cm भुजा वाले घन का आयतन…..m3 के बराबर है।
(b) किसी 2 cm त्रिज्या व 10 cm ऊँचाई वाले सिलिण्डर का पृष्ठ क्षेत्रफल…..(mm)बराबर है।
(c) कोई गाड़ी 18 kmem/h की चाल से चल रही है तो यह 1s में….m चलती है।
(d) सीसे का आपेक्षिक घनत्व 11.3 है। इसका घनत्व…….g cm-3 या …. kg m-3 है।
हल:
(a) ∵ घन का आयतन = ( भुजा)3 =(1 cm)3
= ([latex]\frac { 1 }{ 100 }[/latex] m) = (UPBoardSolutions.com) (10-2 m)3 [ 1cm=[latex]\frac { 1 }{ 100 }[/latex] = 10-2 m)
=10-6 m3

(b) सिलिण्डर का पृष्ठ क्षेत्रफल = वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल + दोनों वृत्तीय सिरों का क्षेत्रफल
=2πrh + 2πr2
= 2π (h +r)= 2x 3.14 x 2 cm (10 cm + 2 cm)
= 4 x 3:4 x 12cm2 = 150.72 cm2
= 150.72 x (10mm)2 (∵1 cm = 10 mm)
= 150.72 x 100(mm)2 =1.5x 104 (mm)2

(c) गाड़ी की चाल = 18km/h
= 18x [latex]\frac { 5 }{ 18 }[/latex]m/s = 5 m s-1
∴ 1s में तय दूरी = चाल x समय = 5ms-1 x1 s=5 m

(d) सीसे का घनत्व = सीसे का आपेक्षिक-घनत्व x जल का घनत्व
= 11.3 x 1 g cm-3 = 11.3 g cm-3
[∵जल का घनत्व = 1 g cm-3 या 10 kg m-3]
या   सीसे का घनत्व = 11.3 x 103 kg m-3
= 1.13 x 104 kg m-3

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प्रश्न 2:
रिक्त स्थानों को मात्रकों के उचित परिवर्तन द्वारा भरिए
(a) 1 kg m2 s-2= ……g cm2 s-2
(b) 1 m = …. 1y
(c) 3.0 m s-2 = …. km h-2
(d) G= 6.67x 10-11 Nm (kg)-2 =……… (cm)3 s-2 g-1
हल:
(a) 1 kg m2s-2 = 1 kg x 1m2s-2
= (1000 g)x (100 cm)2x 1s-2
= 1000 x 10000 g (cm)2 s-2
= 107g (cm)2 s-2
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प्रश्न 3:
ऊष्मा या ऊर्जा का मात्रक कैलोरी है और यह लगभग 4.2J के बराबर है, जहाँ 1J =1 kg m2 s-2 मान लीजिए कि हम मात्रकों की कोई ऐसी प्रणाली प्रयोग करते हैं जिसमें द्रव्यमान का मात्रक α kg के बराबर है, लम्बाई का मात्रक β m के बराबर है, समय का मात्रक γs के बराबर है तो यह प्रदर्शित कीजिए कि नए मात्रकों के पदों में कैलोरी का परिमाण 4.2 α-1 β-2 γ2 है।
हल:
1 कैलोरी = 4.2.J = 4.2 kg-m2S-2
ऊर्जा का विमीय सूत्र = [ML2F-2]
माना दी गई दो मापन पद्धतियों में द्रव्यमान, लम्बाई (UPBoardSolutions.com) तथा समय के मात्रक क्रमशः M1,L1, T1, तथा M2,L2, T2, हैं।
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प्रश्न 4:
इस कथन की स्पष्ट व्याख्या कीजिए : तुलना के मानक का विशेष उल्लेख किए बिना “किसी विमीय राशि को ‘बड़ा या छोटा कहना अर्थहीन है।” इसे ध्यान में रखते हुए नीचे दिए गए कथनों को जहाँ कहीं भी आवश्यक हो, दूसरे शब्दों में व्यक्त कीजिए
(a) परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
(b) जेट वायुयान अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान बहुत ही अधिक है।
(d) इस कमरे के अन्दर वायु में अणुओं की संख्या बहुत अधिक है।
(e) इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन से बहुत भारी होता है।
(f) ध्वनि की गति प्रकाश की गति से बहुत ही कम होती है।
उत्तर:
सामान्यतया कहा जाता है कि परमाणु बहुत छोटा गोलीय पिण्ड है, परन्तु हम जानते हैं कि इलेक्ट्रॉन परमाणु से भी छोटा कण है, तब यह कहा जा सकता है कि इलेक्ट्रॉन की तुलना में परमाणु एक बड़ा पिण्ड है। इसके विपरीत क्रिकेट की गेंद की तुलना में परमाणु एक बहुत छोटा पिण्ड है। इस प्रकार हम देखते हैं कि परमाणु को किसी एक वस्तु की तुलना में बहुत छोटा कहा जा सकता है जबकि किसी अन्य वस्तु की तुलना में उसे बड़ा (UPBoardSolutions.com) कहा जा सकता है। यही बात किसी विमीय राशि के विषय में भी लागू होती है। कोई विमीय राशि, किसी दूसरी समान विमीय राशि की तुलना में बड़ी हो सकती है जबकि किसी अन्य, समान विमीय राशि से छोटी हो सकती है। अत: किसी विमीय राशि को छोटा या बंड़ा कहना तब तक अर्थहीन है जब तक कि तुलना के मानक को स्पष्ट उल्लेख ने किया गया हो।
(a) चीनी के एक दाने की तुलना में परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
(b) जेट वायुयान, रेलगाड़ी की तुलना में अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान की तुलना में बहुत ही अधिक है।
(d) इस कमरे के अन्दर वायु में अणुओं की संख्या, एक ग्राम-अणु गैस में उपस्थित अणुओं की संख्या ‘ से बहुत अधिक है। कथनों
(e) तथा
(f) को बदलने की आवश्यकता नहीं है।

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प्रश्न 5:
लम्बाई का कोई ऐसा नया मात्रक चुना गया है जिसके अनुसार निर्वात में प्रकाश की चाल 1 है। लम्बाई के नए मात्रक के पदों में सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है, प्रकाश इस दूरी को तय करने में 8 min और 20 s लगाता है।
हल:
प्रकाश की चाल = 1 मात्रक S-1
जबकि प्रकाश द्वारा लिया गया समय है t = 8 min 20 s
= (8x 60 + 20) s = 500s
∴ सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी = प्रकाश की चाल x लगा समय
=1 मात्रक s-1 x 500 s
= 500 मात्रक

प्रश्न 6:
लम्बाई मापने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे परिशुद्ध यन्त्र है
(a) एक वर्नियर कैलीपर्स जिसके वर्नियर पैमाने पर 20 विभाजन हैं।
(b) एक स्क्रूगेज जिसका चूड़ी अन्तराल 1 mm और वृत्तीय पैमाने पर 100 विभाजन हैं।
(c) कोई प्रकाशिक यन्त्र जो प्रकाश की तरंगदैर्घ्य की सीमा के अन्दर लम्बाई माप सकता है।
हल:
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प्रश्न 7:
कोई छात्र 100 आवर्धन के एक सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखकर मनुष्य के बाल की मोटाई मापता है। वह 20 बार प्रेक्षण करता है और उसे ज्ञात होता है कि सूक्ष्मदर्शी के दृश्य क्षेत्र में बाल की औसत मोटाई 3.5 mm है। बाल की मोटाई का अनुमान क्या है?
हल:
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प्रश्न 8.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए
(a) आपको एक धागा और मीटर पैमाना दिया जाता है। आप धागे के व्यास का अनुमान किस प्रकार लगाएँगे?
(b) एक स्क्रूगेज का चूड़ी अन्तराल 1.0 mm है और उसके वृत्तीय पैमाने पर 200 विभाजन हैं। क्या आप यह सोचते हैं कि वृत्तीय पैमाने पर विभाजनों की संख्या स्वेच्छा से बढ़ा देने पर स्क्रूगेज की यथार्थता में वृद्धि करना संभव है?
(c) वर्नियर कैलीपर्स द्वारा पीतल की किसी पतली छड़ का माध्य व्यास मापा जाना है। केवल 5 मापनों के समुच्चय की तुलना में व्यास के 100 मापनों के समुच्चय के द्वारा अधिक विश्वसनीय अनुमान प्राप्त होने की सम्भावना क्यों है?
उत्तर:
(a) इसके लिए हम एक बेलनाकार छड के ऊपर धागे को इस (UPBoardSolutions.com) प्रकार लपेटेंगे कि धागे के फेरे एक-दूसरे से सटे रहें। धागे के फेरों द्वारा घेरी गई छड़ की लम्बाई l को मीटर पैमाने की सहायता से नाप लेंगे। अब लपेटे गए फेरों की संख्या n को गिन लिया जाएगा।
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प्रश्न 9:
किसी मकान का फोटोग्राफ 35 mm स्लाइड पर 1.75 cm क्षेत्र घेरता है। स्लाइड को | किसी स्क्रीन पर प्रक्षेपित किया जाता है और स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल 1.55 m2 है। प्रक्षेपित्र-परदा व्यवस्था का रेखीय आवर्धन क्या है?
हल:
स्लाइड पर मकान का क्षेत्रफल = 1.75 cm2
स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल = 1.55 m2 = 1.55 (100 cm)
= 1.55x 10000 cm2
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प्रश्न 10:
निम्नलिखित में सार्थक अंकों की संख्या लिखिए
(a) 0.007 m2
(b) 2.64 x 1024 kg
(c) 0.2370 cm-3
(d) 6.320 J
(e) 6.032 Nm-2
(f) 0.0006032 m2
उत्तर:
(a) 1, (b) 3, (e) 4, (d) 4, (e) 4, (f) 4.

प्रश्न 11:
धातु की किसी आयताकार शीट की लम्बाई, चौड़ाई व मोटाई क्रमशः 4,234 m, 1.005 m व 2.01 cm है। उचित सार्थक अंकों तक इस शीट का पृष्ठीय क्षेत्रफल व आयतन ज्ञात कीजिए।
हल:
यहाँ लम्बाई 4 = 4.234 m, चौड़ाई b =1.005 m
तथा मोटाई c = 2.01 cm = 0.0201 m
स्पष्ट है कि लम्बाई व चौड़ाई में 4-4 सार्थक अंक हैं जबकि मोटाई में 3 सार्थक अंक हैं।
∴ पृष्ठीय क्षेत्रफल तथा आयतन दोनों का (UPBoardSolutions.com) अधिकतम 3 सार्थक अंकों में पूर्णांकन करना होगा।
अब शीट का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2x (ab + bc + ca)
= 2x [4.234 x 1.005 + 1.005 x 0.0201 + 0.0201 x 4234] m2
= 2x [4.25517 + 0.0202005 + 0.0851034] m2
= 2 x 4.3604739 m = 8.7209478 m = 8.72 m2
जबकि शीट का आयतन = ल० x चौ० x ऊँ०
= 4.234 m x 1.005 m x 0.0201 m
= 0.085528917 m3
= 0.0855 m3

प्रश्न 12:
पंसारी की तुला द्वारा मापे गए डिब्बे का द्रव्यमान 2.300 kg है। सोने के दो टुकड़े जिनका द्रव्यमान क्रमशः 20.15 g व 20.17 g है, डिब्बे में रखे जाते हैं
(a) डिब्बे का कुल द्रव्यमान कितना है,
(b) उचित सार्थक अंकों तक टुकड़ों के द्रव्यमानों में कितना अन्तर है?
हल:
(a) दिया है : डिब्बे का द्रव्यमान = 2300 kg
पहले टुकड़े का द्रव्यमान = 20.15 g = 0.02015 kg
दूसरे टुकड़े का द्रव्यमान = 2017 g= 0.02017 kg
∴ टुकड़े रखने के बाद डिब्बे का कुल द्रव्यमान
= 2.300 kg + 0.02015 kg + 0.02017kg
= 2.34032 kg
∵ तीनों मांपों में डिब्बे के द्रव्यमान में सबसे कम सार्थक अंक (4 अंक) हैं; अतः डिब्बे के कुल द्रव्यमान का अधिकतम चार सार्थक अंकों में पूर्णांकन करना होगा।
∴ डिब्बे का कुल द्रव्यमान = 2.340 kg

(b)∵ सोने के टुकड़ों के द्रव्यमानों में प्रत्येक में 4 सार्थक अंक हैं; अतः इनके अन्तर का अधिकतम
दशमलव के दूसरे स्थान तक पूर्णांकन करना होगा।
टुकड़ों के द्रव्यमानों का अन्तर = 20.17 g – 20.16 g= 0.02 g

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प्रश्न 13:
कोई भौतिक राशि P, चार प्रेक्षण-योग्य राशियों a, b,c तथा d से इस प्रकार
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a, b, c तथा d के मापने में प्रतिशत त्रुटियाँ क्रमशः 1%, 3%, 4% तथा 2% हैं। राशि P में प्रतिशत त्रुटि कितनी है? यदि उपर्युक्त सम्बन्ध का उपयोग करके P का परिकलित मान 3. 763 आता है तो आप परिणाम का किस मान तक निकटन करेंगे?
हल:
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P के मान में त्रुटि 0.489 से स्पष्ट है कि P के मान में दशमलव (UPBoardSolutions.com) के पहले स्थान पर स्थित अंक ही संदिग्ध है; अत: P के मान को दशमलव के दूसरे स्थान तक लिखना व्यर्थ है। अतः P के मान का. दशमलव के पहले स्थान तक पूर्णांकन करना होगा।
अतः P का निकटतम मान = 3.763 = 3.8

प्रश्न 14:
किसी पुस्तक में, जिसमें छपाई की अनेक त्रुटियाँ हैं, आवर्त गति कर रहे किसी कण के विस्थापन के चार भिन्न सूत्र दिए गए हैं
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(a = कण का अधिकतम विस्थापन, ν = कण की चाल, T = गति का आवर्तकाल)।
विमीय आधारों पर गलत सूत्रों को निकाल दीजिए।
उत्तर:
किसी त्रिकोणमितीय फलन का कोण एक विमाहीन राशि होती है।
सूत्र (b) तथा (c) में कोण vt तथा ! विमाहीन नहीं हैं; अत: उपर्युक्त दोनों सूत्र सही नहीं हैं। शेष दोनों सूत्र (a) तथा (d) सही हैं।

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प्रश्न 15:
भौतिकी का एक प्रसिद्ध सम्बन्ध किसी कण के चल द्रव्यमान (moving mass) m, [latex]\frac { t }{ a }[/latex] विराम द्रव्यमान (rest mass) m0, इसकी चाल ν और प्रकाश c की चाल  के बीच है। (यह सम्बन्ध सबसे पहले अल्बर्ट आइन्स्टाइन के विशेष आपेक्षिकता के सिद्धान्त के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ था।) कोई छात्र इस सम्बन्ध को लगभग सही याद करता है। लेकिन स्थिरांक c को लगाना भूल जाता है। वह लिखता है
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अनुमान लगाइए कि c कहाँ लगेगा?
उत्तर:
दिया गया सम्बन्ध है।
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प्रश्न 16:
परमाण्विक पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक ऍग्स्ट्रॉम है और इसे [latex]\mathring { A }[/latex](1 [latex]\mathring { A }[/latex] = 10-10m) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। हाइड्रोजन के परमाणु का आमाप लगभग 0.5 A है। हाइड्रोजन परमाणुओं के एक मोल का m’ में कुल आण्विक आयतन कितना होगा?
हल:
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प्रश्न 17:
किसी आदर्श गैस का एक मोल (ग्राम अणुक) मानक ताप व दाब पर 22.4L आयतन (ग्राम अणुक आयतन) घेरता है। हाइड्रोजन के ग्राम अणुक आयतन तथा उसके एक मोल के परमाण्विक आयतन का अनुपात क्या है? (हाइड्रोजन के (की आमाप लगभग 1[latex]\mathring { A }[/latex] मानिए)। यह अनुपात इतनी अधिक क्यों है?
हल:
एक मोल हाइड्रोजन गैस का (UPBoardSolutions.com) आयतन = 22.4
L =22.4 x 10-3 m3
जबकि 1 मोल हाइड्रोजन गैस का परमाण्विक आयतन =3.15 x 10-7 m3 (प्रश्न 16 के परिणाम से)
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इसे अनुपात का मान इतना अधिक होने का अर्थ है कि गैस का आयतन उसमें उपस्थित अणुओं के वास्तविक आयतन की तुलना में बहुत अधिक होता है। इसका अन्य अर्थ यह है कि गैस के अणुओं के बीच बहुत अधिक खाली स्थान होता है।

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प्रश्न 18:
इस सामान्य प्रेक्षण की स्पष्ट व्याख्या कीजिए : यदि आप तीव्र गति से गतिमान किसी रेलगाड़ी की खिड़की से बाहर देखें तो समीप के पेड़, मकान आदि रेलगाड़ी की गति की विपरीत दिशा में तेजी से गति करते प्रतीत होते हैं, परन्तु दूरस्थ पिण्ड (पहाड़ियाँ, चन्द्रमा, तारे आदि) स्थिर प्रतीत होते हैं। (वास्तव में क्योंकि आपको ज्ञात है कि आप चल रहे हैं, इसलिए ये दूरस्थ वस्तुएँ आपको अपने साथ चलती हुई प्रतीत होती हैं।)
उत्तर:
किसी वस्तु का हमारे सापेक्ष गति करते हुए प्रतीत होना, हमारे सापेक्ष वस्तु के कोणीय वेग पर निर्भर करता है न कि उसके रेखीय वेग पर। यद्यपि गाड़ी से यात्रा करते समय सभी वस्तुएँ समान वेग से हमारे पीछे की ओर गति करती हैं, परन्तु समीप स्थित वस्तुओं का हमारे सापेक्ष कोणीय वेग अधिक होता है; अतः वे तेजी से पीछे जाती प्रतीत होती हैं जबकि दूर स्थित वस्तुओं का हमारे सापेक्ष कोणीय वेग बहुत ही कम होता है; अतः वे हमें लगभग स्थिर प्रतीत होती हैं।

प्रश्न 19:
समीपी तारों की दूरियाँ ज्ञात करने के लिए लम्बन के सिद्धान्त का प्रयोग किया जाता है। सूर्य के परितः अपनी कक्षा में छः महीनों के अन्तराल पर पृथ्वी की अपनी, दो स्थानों को मिलाने वाली, आधार रेखा AB है। अर्थात आधार रेखा पृथ्वी की कक्षा के व्यास≈ 3x 1011 m के लगभग बराबर है। लेकिन चूंकि निकटतम तारे भी इतने अधिक दूर हैं। कि इतनी लम्बी आधार रेखा होने पर भी वे चाप के केवल 1″ (सेकण्ड, चाप का) की कोटि का लम्बन प्रदर्शित करते हैं। खगोलीय पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक पारसेक है। यह किसी पिण्ड की वह दूरी है जो पृथ्वी से सूर्य तक की दूरी के बराबर आधार रेखा के दो विपरीत किनारों से चाप के 1′ का लम्बन प्रदर्शित करती है। मीटरों में एक पारसेक
कितना होता है?
हल:
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प्रश्न 20:
हमारे सौर परिवार से निकटतम तारा 4.29 प्रकाश वर्ष दूर है। पारसेक में यह दूरी कितनी है? यह तारा (ऐल्फा सेटौरी नामक) तब कितना लम्बन प्रदर्शित करेगा जब इसे सूर्य के परितः अपनी कक्षा में पृथ्वी के दो स्थानों से जो छः महीने के अन्तराल पर हैं, देखा, जाएगा?
हल:
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प्रश्न 21:
भौतिक राशियों का परिशुद्ध मापन विज्ञान की आवश्यकताएँ हैं। उदाहरण के लिए, किसी शत्रु के लड़ाकू जहाज की चाल सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही छोटे समयान्तरालों पर इसकी स्थिति का पता लगाने की कोई यथार्थ विधि होनी चाहिए। द्वितीय विश्वयुद्ध में रेडार की खोज के पीछे वास्तविक प्रयोजन यही था। आधुनिक विज्ञानं के उन भिन्न उदाहरणों को सोचिए जिनमें लम्बाई, समय, द्रव्यमान आदि के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है। अन्य जिस किसी विषय में भी आप बता सकते हैं, परिशुद्धता की मात्रात्मक धारणा दीजिए।
उत्तर:
लम्बाई का मापन: विभिन्न यौगिकों के क्रिस्टलों में परमाणुओं के बीच की दूरी का मापन करते समय लम्बाई के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।।

समय का मापन: फोको की विधि द्वारा किसी (UPBoardSolutions.com) माध्यम में प्रकाश की चाल ज्ञात करने के प्रयोग में समय के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।

द्रव्यमान का मापन: द्रव्यमान स्पेक्ट्रमलेखी में परमाणुओं के द्रव्यमान का परिशुद्ध मापन किया जाता है।

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प्रश्न 22:
जिस प्रकार विज्ञान में परिशुद्ध मापन आवश्यक है, उसी प्रकार अल्पविकसित विचारों तथा सामान्य प्रेक्षणों को उपयोग करने वाली राशियों के स्थूल आकलन कर सकना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। उन उपायों को सोचिए जिनके द्वारा आप निम्नलिखित का अनुमान लगा सकते हैं-(जहाँ अनुमान लगाना कठिन है वहाँ राशि की उपरिसीमा पता लगाने का प्रयास कीजिए)
(a) मानसून की अवधि में भारत के ऊपर वर्षाधारी मेघों का कुल द्रव्यमान।
(b) किसी हाथी का द्रव्यमान।।
(c) किसी तूफान की अवधि में वायु की चाल।
(d) आपके सिर के बालों की संख्या।
(e) आपकी कक्षा के कमरे में वायु के अणुओं की संख्या।
उत्तर:
(a) सर्वप्रथम मौसम विभाग से पूरे भारत में हुई कुल वर्षा की माप की जानकारी लेंगे और वर्षा जल के आयतन को जल के घनत्व से गुणा करके वर्षा जल के द्रव्यमान की गणना कर लेंगे। इससे मेघों का द्रव्यमान ज्ञात हो जाएगा।
(b) ट्रक आदि का द्रव्यमान मापने वाले काँटे पर खड़ा करके हाथी को द्रव्यमान ज्ञात किया जा सकता है।
(c) किसी तूफान की अवधि में वायु द्वारा उत्पन्न दाब को मापकर, वायु की चाल का आकलन किया जा सकता है।
(d) सिर के 1cm2 क्षेत्रफल में स्थित बालों को गिन लिया जाएगा। तत्पश्चात् सिर के क्षेत्रफल का आकलन करके इस क्षेत्रफल से 1cm2 क्षेत्रफल में स्थित बालों की संख्या को गुणा करके सिर के बालों की संख्या का आकलन किया जा सकता है।
(e) कक्षा के कमरे में उपस्थित वायु का घनत्व नापकर 1cm3 आयतन में उपस्थित अणुओं की संख्या की गणना की जा सकती है। तत्पश्चात् कमरे के आयतन से गुणा करके कक्षा के कमरे में उपस्थित वायु के अणुओं की गणना की जा सकती है।

प्रश्न 23:
सूर्य एक ऊष्म प्लैज्मा (आयनीकृत पदार्थ) है जिसके आन्तरिक क्रोड का ताप 107K से अधिक और बाह्य पृष्ठ का ताप लगभग 6000 K है। इतने अधिक ताप पर कोई भी पदार्थ ठोस या तरल प्रावस्था में नहीं रह सकता। आपको सूर्य का द्रव्यमान घनत्व किस परिसर में होने की आशा है? क्या यह ठोसों, तरलों या गैसों के घनत्वों के परिसर में है? क्या आपका अनुमान सही है, इसकी जाँच आप निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर कर सकते हैं- सूर्य का द्रव्यमान = 2.0×1030 kg सूर्य की त्रिज्या = 7.0 x 108 m.
हल:
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प्रश्न 24:
जब बृहस्पति ग्रह पृथ्वी से 8247 लाख किलोमीटर दूर होता है तो इसके व्यास की कोणीय माप 35.72′ का चाप है। बृहस्पति का व्यास परिकलित कीजिए।
हल:
दिया है, बृहस्पति ग्रह की पृथ्वी से दूरी
s= 8247 लाख किलोमीटर = 8247 x 105 किमी
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 25:
वर्षा के समय में कोई व्यक्ति चाल) के साथ तेजी से चला जा रहा है। उसे अपने छाते को टेढ़ा करके ऊर्ध्व के साथ 8 कोण बनाना पड़ता है। कोई विद्यार्थी कोण 8 व 9 के बीच निम्नलिखित सम्बन्ध व्युत्पन्न करता है-tan θ = ν
और वह इस सम्बन्ध के औचित्य की सीमा पता लगाता है: जैसी कि आशा की जाती है। यदि v→0 तो θ →0(हम यह मान रहे हैं कि तेज हवा नहीं चल रही है और किसी खड़े व्यक्ति के लिए वर्षा ऊध्वधरतः पड़ रही है)। क्या आप सोचते हैं कि यह सम्बन्ध सही हो सकता है? यदि ऐसा नहीं है तो सही सम्बन्ध का अनुमान लगाइए।
उत्तर:
दिए गए सम्बन्ध में,
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∵ दोनों पक्षों की विमाएँ परस्पर समान नहीं हैं; अत: यह सम्बन्ध सही नहीं हो सकता। स्पष्ट है कि सही सम्बन्ध में दाएँ पक्ष की विमाएँ भी [L0] होनी चाहिए। माना वर्षा की बूंदें u वेग से ऊर्ध्वाधरत: नीचे गिर रही हैं, तब दाएँ पक्ष को विमाहीन करने के लिए ν को (UPBoardSolutions.com) u से भाग देना चाहिए।
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प्रश्न 26:
यह दावा किया जाता है कि यदि बिना किसी बाधा के 100 वर्षों तक दो सीजियम घड़ियों को चलने दिया जाए तो उनके समयों में केवल 0.02 s का अन्तर हो सकता है। मानक सीजियम घड़ी द्वारा 1s के समय अन्तराल को मापने में यथार्थता के लिए इसका क्या अभिप्राय है?
हल:
कुल समय = 100 वर्ष, T = 100 x 365 x 24 x 60 x 60 s
100 वर्ष के अन्तराल में त्रुटि ∆T = 0.02s
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प्रश्न 27:
एक सोडियम परमाणु का आमाप लगभग 2.5 [latex]\mathring { A }[/latex] मानते हुए उसके माध्य द्रव्यमान घनत्व का अनुमान लगाइए। (सोडियम के परमाणवीय द्रव्यमान तथा आवोगाद्रो संख्या के ज्ञात मान का प्रयोग कीजिए)। इस घनत्व की क्रिस्टलीय प्रावस्था में सोडियम के घनत्व 970 kg m-3 के साथ तुलना कीजिए। क्या इन दोनों घनत्वों के परिमाण की कोटि समान है? यदि हाँ, तो क्यों?
हल:
सोडियम परमाणु का आमाप (त्रिज्या) = 2.5 [latex]\mathring { A }[/latex]= 2.5 x 10-10 m
सोडियम का ग्राम परमाणु भार = 23 g= 23 x 10-3 kg
एक ग्राम परमाणु में परमाणुओं की संख्या 6.023 x 1023 होती है।
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स्पष्ट है कि परमाणु का द्रव्यमान घनत्व तथा ठोस प्रावस्था में सोडियम का (UPBoardSolutions.com) घनत्व दोनों 103 की कोटि के हैं। इसका अर्थ यह है कि ठोस प्रावस्था में परमाणुओं के बीच खाली स्थान नगण्य होता है, अर्थात् ठोस प्रावस्था में परमाणु दृढ़तापूर्वक संकुलित होते हैं।

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प्रश्न 28:
नाभिकीय पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक फर्मी है-(1f=10-15 m)। नाभिकीय आमाप लगभग निम्नलिखित आनुभविक सम्बन्ध का पालन करते हैं r =r0 A1/3 जहाँ नाभिक की त्रिज्या,A इसकी द्रव्यमान संख्या और r0, कोई स्थिरांक है जो लगभग 1.2 f के बराबर है। यह प्रदर्शित कीजिए कि इस नियम का अर्थ है कि विभिन्न नाभिकों के लिए नाभिकीय द्रव्यमान घनत्व लगभग स्थिर है। सोडियम नाभिक के द्रव्यमान घनत्व का आकलन कीजिए। प्रश्न 27 में ज्ञात किए गए सोडियम परमाणु के माध्य द्रव्यमान घनत्व के साथ इसकी तुलना कीजिए।
हल:
माना किसी नाभिक की द्रव्यमान संख्या A है तथा प्रत्येक न्यूक्लिऑन (न्यूट्रॉन तथा प्रोटॉन) का द्रव्यमान m0 (नियतांक) है।
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अर्थात् सोडियम नाभिक का घनत्व उसके परमाणु के घनत्व से लगभग 1015 गुना अधिक है। इसका अर्थ यह है कि परमाणु का अधिकांश भाग खोखला है तथा उसका अधिकांश द्रव्यमान उसके नाभिक में निहित है।

प्रश्न 29:
लेसर (LASER), प्रकाश के अत्यधिक तीव्र, एकवर्णी तथा एकदिश किरण-पुंज का स्रोत है। लेसर के इन गुणों का लम्बी दूरियाँ मापने में उपयोग किया जाता है। लेसर को प्रकाश के स्रोत के रूप में उपयोग करते हुए पहले ही चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी परिशुद्धता के साथ ज्ञात की जा चुकी है। कोई लेसर प्रकाश किरण-पुंज चन्द्रमा के पृष्ठ से परावर्तित होकर 2.56 s में वापस आ जाता है। पृथ्वी के परितः चन्द्रमा की कक्षा की त्रिज्या कितनी है?
हल:
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प्रश्न 30:
जल के नीचे वस्तुओं को ढूंढने व उनके स्थान का पता लगाने के लिए सोनार (SONAR) में पराश्रव्य तरंगों का प्रयोग होता है। कोई पनडुब्बी सोनार से सुसज्जित है। इसके द्वारा जनित अन्वेषी तरंग और शत्रु की पनडुब्बी से परावर्तित इसकी प्रतिध्वनि की प्राप्ति के बीच काल विलम्ब 77.0 s है। शत्रु की पनडुब्बी कितनी दूर है? (जल में ध्वनि की चाल = 1450 m s-1)
हल:
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प्रश्न 31:
हमारे विश्व में आधुनिक खगोलविदों द्वारा खोजे गए सर्वाधिक दूरस्थ पिण्ड इतनी दूर हैं। कि उनके द्वारा उत्सर्जित प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में अरबों वर्ष लगते हैं। इन पिण्डों (जिन्हें क्वासर Quasar’ कहा जाता है) के कई रहस्यमय लक्षण हैं जिनकी अभी तक सन्तोषजनक व्याख्या नहीं की जा सकी है। किसी ऐसे क्वासर की km में दूरी ज्ञात कीजिए जिससे उत्सर्जित प्रकाश को हम तक पहुँचने में 300 करोड़ वर्ष लगते हों।
हल:
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प्रश्न 32:
यह एक विख्यात तथ्य है कि पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि में चन्द्रमा की चक्रिका सूर्य की चक्रिका को पूरी तरह ढक लेती है। चन्द्रमा का लगभग व्यास ज्ञात कीजिए।
(पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी = 3.84 x 108 m सूर्य का कोणीय व्यास = 1920′ )
हल:
माना कि चन्द्रमा का कोणीय व्यास = d
जबकि चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी = 3.84 x 108 m
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प्रश्न 33:
इस शताब्दी के एक महान भौतिकविद् (पी०ए०एम० डिरैक) प्रकृति के मूल स्थिरांकों (नियतांकों) के आंकिक मानों के साथ क्रीड़ा में आनन्द लेते थे। इससे उन्होंने एक बहुत ही रोचक प्रेक्षण किया। परमाणवीय भौतिकी के मूल नियतांकों (जैसे इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, प्रोटॉन का द्रव्यमान तथा गुरुत्वीय नियतांक G) से उन्हें पता लगा कि वे एक ऐसी संख्या पर पहुँच गए हैं जिसकी विमा समय की विमा है। साथ ही, यह एक बहुत ही बड़ी संख्या थी और इसका परिमाण विश्व की वर्तमान आकलित आयु (~1500 करोड़ वर्ष) के करीब है। इस पुस्तक में दी गई मूल नियतांकों की सारणी के आधार पर यह देखने का प्रयास कीजिए कि क्या आप भी यह संख्या (या और कोई अन्य रोचक संख्या जिसे आप सोच सकते हैं) बना, सकते हैं? यदि विश्व की आयु तथा इस संख्या में समानता महत्त्वपूर्ण है तो मूल नियतांकों की स्थिरता किस प्रकार प्रभावित होगी?
हल:
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1:
निम्नलिखित में से कौन-सा S.I. मात्रक नहीं है?
(i) ऐम्पियर
(ii) केण्डिला
(iii) न्यूटन
(iv) केल्विन
उत्तर:
(iii) न्यूटन

प्रश्न 2:
निम्नलिखित में से कौन दूरी का मात्रक नहीं है?
(i) ऐंग्स्ट्रॉम
(ii) फर्मी
(iii) बार्न
(iv) पारसेक
उत्तर:
(iii) बार्न

प्रश्न 3.
पारसेक मात्रक है।
(i) समय का
(ii) दूरी को
(iii) आवृत्ति का
(iv) कोणीय संवेग का
उत्तर:
(ii) दूरी का

प्रश्न 4.
प्रकाश वर्ष मात्रक है।
(i) समय का
(ii) दूरी का
(iii) वेग का
(iv) प्रकाश की तीव्रता का
उत्तर:
(ii) दूरी का

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प्रश्न 5:
नाभिकीय त्रिज्या 10-15 मीटर कोटि की है। इसे व्यक्त करने के लिए उपयुक्त मात्रक है
(i) माइक्रोन
(ii) मिमी
(iii) ऐंग्स्ट्राम
(iv) फर्मी
उत्तर:
(iv) फर्मी

प्रश्न 6:
निम्नलिखित में से व्युत्पन्न मात्रक है।
(i) केण्डिला
(ii) किग्रा
(iii) न्यूटन
(iv) मीटर
उत्तर:
(iii) न्यूटन

प्रश्न 7:
1 मीटर तुल्य है।
(i) 1010 [latex]\mathring { A }[/latex]
(ii) 108 [latex]\mathring { A }[/latex]
(iii) 106 [latex]\mathring { A }[/latex]
(iv) 105 [latex]\mathring { A }[/latex]
उत्तर:
(i) 1010 [latex]\mathring { A }[/latex]

प्रश्न 8.
एक माइक्रोन (μ) होता है।
(i) 10-9 मी
(ii) 10-12 मी
(iii) 10-6 मी
(iv) 10-15 मी
उत्तर:
(iv) 10-15 मी

प्रश्न 9:
एक नैनोमीटर तुल्य है ।
(i) 10-9 मिमी
(ii) 10-6 सेमी
(iii) 10-7 सेमी
(iv) 10-9 सेमी
उत्तर:
(iii) 10-7 सेमी

प्रश्न 10:
1 सेकण्ड तुल्य है।
(i) क्रिप्टॉन घड़ी के 1650763.73 आवर्गों के
(ii) क्रिप्टॉन घड़ी के 652189.63 आवर्ती के
(iii) सीजियम घड़ी के 1650763.73 आवर्ती के
(iv) सीजियम घड़ी के 91926317770 आवर्ती के
उत्तर:
(iv) सीजियम घड़ी के 91926317770 आवर्ती के

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प्रश्न 11:
1 मीटर में Kr86 की कितनी तरंगदैर्ध्य होती है?
(i) 1553164.13
(ii) 1650763.73
(iii) 2348123.73
(iv) 652189.63
उत्तर:
(ii) 1650763.73

प्रश्न 12:
एक प्रकाश वर्ष दूरी बराबर है।
(i) 9.46 x 1010 किमी
(ii) 9.46 x 1012 किमी
(iii) 9.46 x 1012 मीटर
(iv) 9.46 x 1015 सेमी
उत्तर:
(ii) 9.46 x 1012 किमी

प्रश्न 13:
106 डाइन/सेमी2 का दाब किसके बराबर है?
(i) 107 न्यूटन/मीटर2
(ii) 106 न्यूटन/मीटर2
(iii) 10न्यूटन/मीटर2
(iv) 104 न्यूटन/मीटर2
उत्तर:
(iii) 10°न्यूटन/मीटर2,

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
किसी भौतिक राशि के मापन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी भौतिक राशि की इसके मात्रक से तुलना करना ही मापन कहलाता है।

प्रश्न 2:
किसी राशि की माप को पूर्णतया व्यक्त करने के लिए किन-किन बातों का ज्ञान होना आवश्यक है?
उत्तर:
किसी राशि की माप को पूर्णतया व्यक्त करने के लिए निम्नलिखित बातों का ज्ञान होना आवश्यक है

  1.  मात्रक: जिसमें वह भौतिक राशि मापी जाती है।
  2.  आंकिक मान: यह उस राशि के परिमाण को प्रदर्शित करता है अर्थात् यह बताता है कि उस राशि की माप में उसका मात्रक कितनी बार सम्मिलित है।

प्रश्न 3:
मात्रक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
मात्रक दो प्रकार के होते हैं-
(i) मूल मात्रक,
(ii) व्युत्पन्न मात्रक।

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प्रश्न 4:
S.I. प्रणाली क्या है?
उत्तर:
सात मूल मात्रकों तथा दो पूरक मूल मात्रकों पर आधारित माप की प्रणाली S.I. प्रणाली कहलाती है।।

प्रश्न 5:
MKS प्रणाली के मूल मात्रकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
MKS प्रणाली के मूल मात्रक मीटर, किग्रा, सेकण्डे, ऐम्पियर, केण्डिला तथा केल्विन होते हैं।

प्रश्न 6:
शेक किस भौतिक राशि का मात्रक है?
उत्तर:
यह समय का मात्रक है तथा 1 शेक = 10-8 सेकण्ड।

प्रश्न 7:
नाभिक के आकार को व्यक्त करने के लिए कौन-सा मात्रक प्रयुक्त किया जाता है? इसका मीटर से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
फर्मी, जहाँ 1 फर्मी (F) = 10-15 मीटर।

प्रश्न 8:
चन्द्रशेखर सीमा किस यौगिक राशि का मात्रक है?
उत्तर:
यह द्रव्यमान का मात्रक है तथा 1 CS.L.= 1.4 x सूर्य का द्रव्यमान।।

प्रश्न 9:
AU तथा [latex]\mathring { A }[/latex] क्या हैं? इनमें पारस्परिक सम्बन्ध क्या हैं?
उत्तर:
AU तथा [latex]\mathring { A }[/latex] लम्बाई के ही भिन्न-भिन्न मात्रक हैं। AU लम्बाई का खगोलीय मात्रक है तथा A लम्बाई की छोटा मात्रक है।।
1 AU =1.496 x 1021 [latex]\mathring { A }[/latex]

प्रश्न 10:
स्लग (Slug) क्या है? 1 स्लग में मीट्रिक टनों की संख्या कितनी होगी?
हल:
स्लग (Slug) बड़े द्रव्यमान मापने का एक मात्रक है।
तथा 1 स्लग = 14.59 किग्रा
∵ 1 मीट्रिक टन = 1000 किग्रा
∴ 1 स्लग =[latex]\frac { 14.59 }{ 1000 }[/latex]14.32 मीट्रिक टन
= 1459 x 10-3  मीट्रिक टन

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प्रश्न 11:
क्या प्रकाश वर्ष समय का मात्रक है?
उत्तर:
नहीं, प्रकाश वर्ष दूरी का मात्रक है।

प्रश्न 12:
माइक्रोसेकण्ड तथा शेक में क्या सम्बन्ध है?
हल:
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements 33

प्रश्न 13:
प्रकाश वर्ष को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
1 प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश निर्वात् में 1 वर्ष में तय करता है।
∴ 1 प्रकाश वर्ष = 9.46 x 1015 मीटर
या निर्वात् में 1 प्रकाश वर्ष = 9.46 x 1013 मीटर

प्रश्न 14:
1 सेकण्ड माध्य-सौर-दिवस का कौन-सा भाग होता है?
उत्तर:
1 सेकण्ड माध्य-सौर-दिवस का 86,400वाँ भाग होता है।

प्रश्न 15:
एक मीटर में कितने प्रकाश-वर्ष होते हैं?
उत्तर:
हम जानते हैं कि,
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प्रश्न 16:
पृथ्वी से प्रेषित एक लेसर पुंज चन्द्रमा से परावर्तन के पश्चात पृथ्वी पर 2.6 सेकण्ड बाद वापस लौटता है। पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
यहाँ, समय t = 2.6 सेकण्ड,
लेसर पुंज का वेग c = 3x 108 मी/से
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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
मूल मात्रक क्या हैं? इनके चार गुण लिखिए।
उत्तर:
मूल राशियों के वे मात्रक जो एक-दूसरे से पूर्णतया स्वतन्त्र होते हैं तथा इनमें से किसी एक मात्रक को किसी अन्य मात्रक से बदला अथवा उससे सम्बन्धित नहीं किया जा सकता है, मूल मात्रक कहलाते हैं। लम्बाई, द्रव्यमान, समय, वैद्युतधारा, ऊष्मागतिक ताप, ज्योति तीव्रता तथा पदार्थ की मात्रा मूल मात्रक हैं। मूल. मात्रकों के गुण निम्नलिखित हैं

  1.  यह बाह्य कारकों से अप्रभावित रहना चाहिए।
  2.  यह सुपरिभाषित होना चाहिए।
  3.  इसे सरलतापूर्वक निर्मित किया जाना चाहिए।
  4.  इसका उपयोग सरल होना चाहिए।

प्रश्न 2:
व्युत्पन्न मात्रक किसे कहते हैं? किसी एक भौतिक राशि का व्युत्पन्नमात्रक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
मूल राशियों के अतिरिक्त अन्य सभी भौतिक राशियों के मात्रक एक अथवा अधिक मूल मात्रकों पर उपयुक्त घातें लगाकर प्राप्त किये जा सकते हैं। ऐसे मात्रकों को व्युत्पन्न मात्रक (derived units) कहते हैं। बल का व्युत्पन्न मात्रक (UPBoardSolutions.com) निम्न प्रकार से प्राप्त कर सकते हैं
बलु = द्रव्यमान x त्वरण
बल का मात्रक = किग्रा x मीटर/सेकण्ड-2
= किग्रा-मीटर सेकण्ड-2
परन्तु S.I. प्रणाली में बल का व्यावहारिक मात्रक न्यूटन होता है।
∴ 1 न्यूटन = 1 किग्रा-मीटर सेकण्ड-2

प्रश्न 3:
गुरुत्वीय द्रव्यमान और जड़त्वीय द्रव्यमान में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी वस्तु पर कार्यरतु पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल तथा पृथ्वी की ओर मुक्त रूप से गिरती वस्तु के गुरुत्वीय जनित त्वरण का अनुपात, वस्तु का गुरुत्वीय द्रव्यमान कहलाता हैं, जबकि किसी वस्तु पर लगाए गए कुल बाह्य बल तथा उसके कारण वस्तु में उत्फन त्वरण का अनुपात वस्तु का जड़त्वीय द्रव्यमान कहलाता है।

प्रश्न 4:
मापन की यथार्थता तथा परिशुद्धता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1.  किसी मापन की यथार्थता वह मान है जो हमें यह बताती है कि किसी राशि का मापित मान उसके वास्तविक मान के कितना निकट है, जबकि किसी मापन की परिशुद्धता यह बताती है कि वह राशि किस सीमा या विभेदन तक मापी गई है।
  2. किसी भी मापक यन्त्र की यथार्थती उस यन्त्र में विद्यमान उसकी क्रमबद्ध त्रुटि पर निर्भर करती है, जबकि किसी भी मापक यन्त्र की परिशुद्धता यादृच्छिक त्रुटियों पर निर्भर करती है।

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प्रश्न 5:
किसी राशि के परिमाण की कोटि से क्या तात्पर्य है? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
यदि किसी राशि के परिमाण को उसके निकटतम 10 की पूर्णाक घात के रूप में लिखा जाए, तो प्राप्त परिमाण को इस राशि को कोटिमान (कोटि) कहते हैं।
उदाहरण:
किसी राशि 0.0025 = 2.5 x 10-3 में 2.5, 3.16 से छोटा है, तो इस राशि का कोटिमान 10-3 होगा, जबकि एक अन्य राशि 0.0035 = 3.5 x 10-3 में 3.5, 3.16 से बड़ा है, तो इस राशि का कोटिमान 10-3+1 = 10-2 होगा।

प्रश्न 6:
पृथ्वी के व्यास के दो विपरीत छोरों से किसी आकाशीय पिण्ड का विस्थापनाभास (parallax) 60 सेकण्ड है। यदि पृथ्वी की त्रिज्या 64 x 106 मीटर हो, तो पृथ्वी के केन्द्र से आकाशीय पिण्ड की दूरी ज्ञात कीजिए। इस दूरी को खगोलीय मात्रक में परिवर्तित कीजिए। (1 A.U.= 1.5 x 1011 मीटर)
हल:
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
लम्बन तथा लम्बनकोण से क्या तात्पर्य है? पृथ्वी के निकट स्थित तारे की दूरी ज्ञात करने के लिए लम्बन विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लम्बन तथा लम्बनकोण-जब हम किसी दीवार पर अंकित किसी चिह्न P को पहले अपनी बायीं आँख A(दायीं आँख B बन्द रखते हुए) देखते हैं और फिर उसी बिन्दु को अपनी दायीं आँख B से (बायीं आँख A बन्द रखते हुए) देखते हैं तो दीवार के सापेक्ष (UPBoardSolutions.com) चिह्न की स्थिति में आभासी विस्थापन दिखायी देता है। इस आभासी विस्थापन को ही लम्बन कहते हैं दूरी AB को आधार दूरी कहते हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements 37
AP तथा BP के बीच का कोण θ लम्बनकोण कहलाता है।

पृथ्वी के निकट स्थित तारे की दूरी ज्ञात करना—दिए गए चित्र 2.3 में सूर्य S के परितः पृथ्वी की परिक्रमण कक्षा का व्यास AB है। N एक तारा है जो पृथ्वी के निकट स्थित है तथा इस तारे N की ही पृथ्वी से दूरी ज्ञात करनी है। चित्र 2.3 में F एक अन्य तारा है जो पृथ्वी से काफी दूरी पर स्थित है। माना किसी क्षण पृथ्वी की अपनी कक्षा में स्थिति A है। खगोलीय दूरदर्शी द्वारा ∠FAN = θ, ज्ञात कर । लिया जाता है। में ∠ANS =∠ FAN = θ.6 माह के समयान्तराल पर पृथ्वी अपनी कक्षा में स्थिति A के ठीक सामने स्थिति B में होगी। अब खगोलीय दूरदर्शी द्वारा ∠NBF = 8ज्ञात कर लिया जाता है।

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∠BNS =∠ NBF = θ,
तथा ∠ANB=∠ANS + ∠BNS
= θ1 + θ2.
यह कोण तारे N द्वारा पृथ्वी के व्यास AB पर शीर्षाभिमुख बनने वाला कोण है।
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प्रश्न 2:
आवोगाने विधि द्वारा परमाणु के आकार का आकलन किस प्रकार किया जा सकता है? समझाइए।
उत्तर:
आवोगाद्रो के अनुसार, पदार्थ के एक ग्राम-परमाणु में 6023 x 1023 परमाणु होते हैं, जो पदार्थ का लगभग दो-तिहाई आयतेन घेरते हैं। माना पदार्थ का द्रव्यमान m, पदार्थ का परमाणु भार M, पदार्थ द्वारा घेरा गया आयतन V, परमाणु की त्रिज्या तथा आवोगाद्रो संख्या N है। तब,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurements 39
चूंकि आयतन V, परमाणु भार M, आवोगाद्रो संख्या N तथा पदार्थ का द्रव्यमान m ज्ञात हैं, अतः परमाणु की त्रिज्या । नापी जा सकती है, जिसका मान लगभग 10-10 मीटर की कोटि का होता है।

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