UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Resources

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Geography
Chapter Chapter 10
Chapter Name Resources (संसाधन)
Number of Questions Solved 27
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Resources (संसाधन)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
संसाधन से आपका क्या अभिप्राय है? संसाधनों का वर्गीकरण कीजिए। [2009]
या
विभिन्न प्रकार के संसाधनों का वर्णन कीजिए।
या
टिप्पणी लिखिए–संसाधनों के प्रकार। [2010]
या
संसाधनों के वर्गीकरण के आधारों को बताइए। [2012]
उत्तर

संसाधन का अर्थ
Meaning of Resources

संसाधनों का अध्ययन आर्थिक भूगोल की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है। किसी देश या प्रदेश में स्थित संसाधन आर्थिक विकास को आधार एवं गति प्रदान करते हैं। संसाधन आधुनिक धात्विक सभ्यता में। आधार-स्तम्भ माने जाते हैं। मानव अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोगी संसाधनों का शोषण कर अपना जीवन-यापन करता है तथा उनसे अधिकाधिक उपयोगिता प्राप्त करने का भरसक प्रयास करता है। ‘संसाधन’ शब्द के अर्थ को निम्नलिखित रूपों में प्रस्तुत किया जा सकता है –

  1. जिस पर कोई सहायता, पोषण तथा आपूर्ति के लिए आश्रित हो;
  2. दिये गये साधनों के प्राप्त करने के ढंग एवं
  3. अनुकूल परिस्थितियों से लाभ उठाने की क्षमता।

स्पष्ट है कि कोई भी वह वस्तु जो मानव की कठिनाइयों को दूर करने में समर्थ हो अथवा वह उसे आवश्यकताओं की पूर्ति करके सन्तुष्ट करती हो अथवा किसी प्रकार की उपयोगिता प्रदान करती हो, संसाधन कहलाती है। यह वस्तु प्राकृतिक अथवा सांस्कृतिक या मानवीय किसी भी प्रकार की हो सकती है, परन्तु यहाँ संसाधनों से आशय प्राकृतिक संसाधनों से ही लगाया जाता है। भूगोलवेत्ताओं की कथन है। कि संसाधनों से अभिप्राय, उन सभी भौतिक तत्त्वों तथा मानवीय क्रियाओं से सम्बन्धित पर्यावरण से समझा जाता है जो भूतल से लगभग 20 किमी ऊपर तथा 7 किमी धरातल के नीचे तक पाये जाते हैं। स्थलाकृति, मिट्टी, जलवायु, वनस्पति, वन्य प्राणी, जलराशियाँ, खनिज पदार्थ आदि सभी को प्राकृतिक संसाधनों के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है, परन्तु ये सभी अवयव तब तक संसाधन नहीं बन सकते जब तक मानव अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर इन्हें अपने लिए उपयोगी नहीं बना लेता। अत: कोई भी वह पदार्थ जो मानव के लिए उपयोगी हो अथवा प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से मानव की कुछ उपयोगिता करता हो, संसाधन कहलाता है।

कोई भी पदार्थ संसाधन तभी कहा जा सकता है जब वह मानव को किसी भी प्रकार की उपयोगिता प्रदान करता हो। इस तथ्य को दृष्टिगत करते हुए प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता ई०डब्ल्यू० जिम्मरमैन (E.W. zimmermann) ने कहा है, “मानव के विभिन्न उद्देश्यों एवं आवश्यकताओं की पूर्ति अथवा किसी कठिनाई का निवारण करने वाले या निवारण में योग देने वाले स्रोत को संसाधन कहा जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि संसाधन होते नहीं, बल्कि उन्हें बनाया जाता है। जिस देश या समाज में जितना अधिक तकनीकी एवं वैज्ञानिक विकास होगा, वहाँ संसाधनों का विकास भी उतना ही अधिक होगा। अतः संसाधन मानव से सम्बन्धित क्रियाओं में उपयोगी होते हैं।

संसाधनों का वर्गीकरण
Classification of Resources
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 10 Resources 1
मानवीय संसाधन – मानवीय शक्ति किसी भी देश के लिए बहुत ही आवश्यक साधन है। उसके द्वारा ही प्राकृतिक सम्पदा का दोहन करके आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास सम्भव होता है; अत: मानव संसाधन के विकास में मानव ही सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। मानवीय संसाधनों के तीन मुख्य पक्ष निम्नवत् हैं –

  1. जनसंख्या – इसमें न केवल मानवं की संख्या वरन् उसकी शारीरिक शक्ति, मानसिक क्षमता, स्वास्थ्य, वितरण, जनघनत्व, वृद्धि दर, स्त्री-पुरुष अनुपात, आयु-वर्ग, शिक्षा आदि भी सम्मिलित किये जाते हैं।
  2. जनता का सामाजिक संगठन – इस पक्ष के द्वारा संसाधन उपयोग प्रभावित होता है तथा समाज के सब वर्गों को उसकी उपलब्धता एवं उपयोग की सीमा निर्धारित होती है। ये प्रादेशिक आर्थिक उन्नति के लिए बनाये गये सामाजिक राजनीतिक संगठन होते हैं; जैसे- पूँजीवादी व्यवस्था, समाजवादी व्यवस्था और साम्यवादी व्यवस्था।
  3. संस्कृति की अवस्था – किसी प्रदेश में तकनीकी एवं विज्ञान का जो स्तर होता है उससे उस प्रदेश की संस्कृति की अवस्था निर्धारित होती है। आज संसार के विकसित और विकासशील राष्ट्रों में यही अन्तर चल रहा है।

प्राकृतिक संसाधनों को मुख्यत: निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
(1) भौतिक संसाधन (Physical Resources) – भौतिक संसाधनों के अन्तर्गत चट्टानें, धरातल, मिट्टी, खनिज सम्पदा व जलीय तत्त्वों आदि को सम्मिलित किया जाता है। ये सभी पदार्थ मानव को प्रकृति की ओर से नि:शुल्क उपहार के रूप में प्राप्त हुए हैं। इन पर सभी व्यक्तियों का समान अधिकार है, परन्तु विश्व के उन भागों में जहाँ मानव ने अत्यधिक तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर लिया है, वहाँ इन संसाधनों का अधिक उपयोग किया जा सका है। इसके विपरीत जिन प्रदेशों से प्रकृति के साथ किसी भी प्रकार का सामंजस्य स्थापित नहीं किया गया है, वहाँ पर इनका उपयोग नहीं किया जा सका है। उदाहरण के लिए, अफ्रीका महाद्वीप में प्राकृतिक संसाधनों के पर्याप्त भण्डार भरे पड़े हैं, परन्तु तकनीकी ज्ञान के अभाव के कारण इनका उपयोग एवं उपभोग नहीं किया जा सका है।

इन संसाधनों के अन्तर्गत खनिज पदार्थ, जल, भूमि, वन, वायु, मिट्टी, धरातल आदि का स्थान मुख्य है। इनमें से कुछ संसाधन तो ऐसे हैं जो प्रत्येक स्थान पर उपलब्ध होते हैं, जिन्हें सर्वत्र सुलभ संसाधन कहते हैं; जैसे-वायु एवं धरातल। कुछ संसाधन ऐसे होते हैं जो कम ही स्थानों पर उपलब्ध होते हैं, अर्थात् धरातल पर समान रूप से विकसित नहीं हैं; जैसे-लौह-अयस्क, ताँबा, अभ्रक, मैंगनीज
आदि खनिज तथा कोयला एवं पेट्रोलियम आदि शक्ति संसाधन। इस प्रकार धरातल पर संसाधनों का वितरण समान नहीं है।

(2) जैविक संसाधन (Biotic Resources) – जैविक संसाधन मानव की आर्थिक क्रियाओं को लम्बे समय तक प्रभावित करते हैं। इन संसाधनों में कमी अथवा वृद्धि हो सकती है। वनस्पति की उत्पत्ति तथा पशुपालन जैविक संसाधनों के अन्तर्गत आते हैं। इन संसाधनों पर मानवीय क्रियाकलापों का प्रभाव तो पड़ता है, परन्तु इनके स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं होता। वनों के शोषण पर वर्षा तथा तापमान के प्रभाव के कारण प्राकृतिक वनस्पति स्वत: ही उग आती है। जैविक संसाधन गतिशील होते हैं। इन संसाधनों का उपयोग करने पर इनका कुछ भाग शेष रह जाता है, जिससे वे पुन: अपना रूप धारण कर लेते हैं। मत्स्य उत्पादक क्षेत्रों से सभी मछलियों को पकड़ने के उपरान्त भी वहाँ मछलियों की उत्पत्ति धीरे-धीरे होती रहती है। विश्व में जैविक संसाधनों के वितरण में भी भिन्नता पायी जाती है। शीत कटिबन्धीय प्रदेशों में पायी जाने वाली प्राकृतिक वनस्पति तथा मरुस्थलीय वनस्पति में अन्तर पाया जाता है। इन संसाधनों में कठोरता कम होती है। कभी-कभी जैविक संसाधनों का पूर्णतः उपयोग कर लेने पर इनकी मात्रा समाप्त हो जाती है।

उपयोगिता के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण
Classification of Resources on the Basis of Utility

उपयोगिता के आधार पर संसाधनों को निम्नलिखित दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
(1) क्षयी संसाधन – वे संसाधन जिनका उपयोग मानव की इच्छा-शक्ति पर निर्भर रहता है, क्षयी संसाधन होते हैं। कभी-कभी अधिकतम उपयोग करने से यह संसाधन समाप्त भी हो जाते हैं। इन्हें निम्नलिखित दो भागों में विभाजित किया जा सकता है –

  1. नव्यकरणीय संसाधन – ग्लोब पर कुछ संसाधन ऐसी प्रकृति के पाये जाते हैं कि उनका अधिकतम उपयोग किया जा सकता है। ऐसा मानव के तकनीकी ज्ञान पर निर्भर करता है। ये संसाधन पुनः विकसित हो जाते हैं अथवा उनका नवीनीकरण करने के उपरान्त उन्हें उपयोग में लाया जा सकता है। जलवायु, सौर ऊर्जा, जल विद्युत शक्ति आदि इसी प्रकार के संसाधंन हैं।
  2. अनव्यकरणीय संसाधन – इस प्रकार के संसाधन एक बार उपयोग करने के उपरान्त सदैव के लिए समाप्त हो जाते हैं अथवा वे नष्ट हो जाते हैं। कोयला, खनिज तेल, अनेक प्रकार के धात्विक खनिज आदि इन संसाधनों के प्रमुख उदाहरण हैं।

(2) अक्षयी संसाधन – ये कभी समाप्त न होने वाले संसाधन हैं। इन्हें बार-बार उपयोग किया जाता रहता है। एक बार उपयोग करने के बाद वे स्वयं विकसित हो जाते हैं तथा उनका पुन: उपयोग कर लिया जाता है। यह प्रक्रिया निरन्तर जारी रहती है, परन्तु इनका पुनः उत्पादन रासायनिक एवं भौतिक उपकरणों की सहायता से किया जा सकता है। वनस्पति, मिट्टी, जल, वायु, सौर ऊर्जा, वन्य प्राणी, मानवआदि कभी न समाप्त होने वाले संसाधनों की श्रेणी में आते हैं। इस प्रकार ये संसाधन मानव उपभोग के लिए असीम एवं चिरस्थायी संसाधन हैं।

प्रश्न 2
संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
या
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
या
‘संसाधन संरक्षण से आप क्या समझते हैं?’ इसके लिए उपयुक्त उपाय समझाइए। (2011)
उत्तर

संसाधनों के संरक्षण का अर्थ एवं आवश्यकता
Meaning and Need of Conservation of Resources

धरातल पर संसाधन सीमित ही उपलब्ध हैं; अतः उनका अधिकतम एवं सुरक्षित उपयोग ही ‘संसाधन संरक्षण’ कहलाता है। दूसरे शब्दों में, “प्राकृतिक संसाधनों का कम-से-कम मात्रा में अधिकतम उपयोग ही संसाधन संरक्षण कहलाता है।” संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता 20वीं शताब्दी की देन है, क्योंकि इस सदी में संसाधनों का बड़ी निर्ममता से उपयोग किया गया है। विज्ञान एवं तकनीकी विकास के साथ-साथ संसाधनों का दोहन तीव्र गति से किया गया है जिस कारण उनमें से कुछ संसाधन समाप्ति की,ओर अग्रसर हुए हैं। अत: संसाधनों को सुरक्षित बनाये रखने के लिए संसाधनों के संरक्षण की भावना बलवती हुई है। पिछली दो शताब्दियों से विश्व पटल पर आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं, जिसके अग्रलिखित कारण उत्तरदायी रहे हैं –

  1. कुछ देशों में तीव्र जनसंख्या-वृद्धि का होना।
  2. तकनीकी एवं औद्योगिक क्रान्ति के कारण औद्योगिक उत्पादों में तीव्र वृद्धि का होना।
  3. मानव का जीवन के प्रति भौतिकवादी दृष्टिकोण पनपना।

उपर्युक्त कारणों के फलस्वरूप संसाधनों का बड़े ही अविवेकपूर्ण ढंग से दोहन किया गया है। इसी कारण बहुत से जैविक एवं अजैविक संसाधनों को तीव्र गति से ह्रास होता जा रहा है अथवा वे पूर्ण । रूप से विनष्ट हो गये हैं। इसके फलस्वरूप इस तथ्य को बल मिलने लगा है कि संसाधनों का अधिकतम उपयोग मानवहित में नहीं हो सकेगा। अत: संसाधनों का मितव्ययिता के साथ सदुपयोग किया जाए तथा जो संसाधन अल्पमात्रा में शेष रह गये हैं, उनका संरक्षण अवश्य ही किया जाए जिससे भावी जनसंख्या को भी ये संसाधन मिल सकें। इस सम्बन्ध में सिरीयसी वाण्ट्रप ने कहा है कि “संसाधनों का उपयोग कब, किस प्रकार होगा, इसका विश्लेषण करते हुए उपयोग को समय के अनुसार निर्धारित किया जाना चाहिए।’

वर्तमान समय में विश्व की जनसंख्या में द्रुत गति से वृद्धि होती जा रही है जिससे उसकी संसाधनों की आवश्यकता में भी वृद्धि हुई है तथा संसाधनों का अविवेकपूर्ण ढंग से विनाश किया जाने लगा है। इस पर तत्काल रोक लगाना आवश्यक है, अन्यथा ये संसाधन किसी भी समय समाप्त हो सकते हैं। इस प्रकार जनसंख्या की अपरिमित वृद्धि, उत्पादन प्रक्रिया में तकनीकी विकास से क्रान्ति आने तथा मानव का जीवन-स्तर उच्च होने से संसाधनों में कमी आयी है। इससे मानवीय क्रियाकलापों एवं प्रकृति में असन्तुलन होने लगा है। अतः मानवीय क्रियाकलापों एवं उपभोग के मध्य अनुकूलन एवं सामंजस्य स्थापित किया जाना चाहिए जो संसाधनों के संरक्षण का मूल उद्देश्य है।

संसाधन संरक्षण के उपाय
Remedies of Conservation of Resources

  1. किसी भी राष्ट्र के कुल संसाधनों की संख्या, मात्रा, प्रकार, गुण एवं उपलब्धि के विषय में पूर्ण जानकारी होना अति आवश्यक है, जिससे आवश्यकतानुसार उनका व्यावहारिक उपयोग किया जा सके।
  2. संसाधनों का अविवेकपूर्ण उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि सम्भाव्यता के आधार पर ही उनका उपयोग निर्धारित किया जाना चाहिए।
  3. जो संसाधन शीघ्र समाप्त होने वाले हैं, उनका उपयोग अधिकतम उपयोगिता प्रदान करने वाले कार्यों में ही किया जाना चाहिए।
  4. संसाधनों की वृद्धि एवं गुणवत्ता बनाये रखने के लिए उनकी विशेषताओं को वैज्ञानिक-तकनीकी ज्ञान के सहारे विकसित किया जाना चाहिए।
  5. जो संसाधन अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं, उनका उपयोग अधिकतम मात्रा में करना चाहिए।
  6. संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए उनके सही विकल्पों को खोज लिया जाना चाहिए, जिससे अधिक समय तक उनकी उपलब्धता बनी रह सके।
  7. संसाधनों के उपयोग की ऐसी पद्धतियाँ एवं प्रणालियाँ विकसित की जानी चाहिए कि राष्ट्र सदैव के लिए आत्मनिर्भर बना रह सके।
  8. राष्ट्र के संसाधनों का सर्वेक्षण करा लिया जाना चाहिए जिससे उनके उपभोग की मात्रा सुनिश्चित की जा सके।

इस प्रकार उपर्युक्त विवरण से निष्कर्ष निकलता है कि देश के प्रत्येक नागरिक को वहाँ उपलब्ध संसाधनों को अमूल्य निधि समझना चाहिए। इन संसाधनों का भविष्य के लिए संरक्षण करना अति
आवश्यक है, जिससे कि वर्तमान एवं भावी सन्तति उनसे लाभान्वित हो सके तथा धीरे-धीरे अधिकतम उपयोगिता प्राप्त होती रहे।

प्रश्न 3
विश्व में लकड़ी काटने का उद्योग (Lumbering) किन भौगोलिक परिस्थितियों पर आधारित है? लकड़ी काटने एवं चीरने वाले प्रमुख देशों का वर्णन कीजिए।
उत्तर

लकड़ी काटने Lumbering

वन- व्यवसाय का महत्त्वपूर्ण उपयोग लकड़ी काटने एवं चीरने का है। लकड़ी काटना एवं उनकी चिराई एक प्राथमिक व्यवसाय है। वनों से कठोर एवं कोमल दोनों प्रकार की लकड़ी काटी जाती है, जिसका उपयोग निम्नवत् किया जाता है –

  1. ईंधन में 40 प्रतिशत।
  2. इमारती कार्यों में- भवन-निर्माण, पुल निर्माण, नावें, रेल के डिब्बे एवं स्लीपर, मोटर, टूक, फर्नीचर तथा पैकिंग आदि कार्यों में 40 प्रतिशत।
  3. निर्माण उद्योगों में- कागज की लुग्दी, दियासलाई, कृत्रिम रेशम आदि में-10 प्रतिशत।
  4. अन्य फुटकर कार्य- बल्लियों, सीढ़ियों, खानों आदि में-10 प्रतिशत।
    जेड० एस० हॉक ने विश्व में प्राप्त लकड़ी को निम्नलिखित तीन भागों में बाँटा है –

    • शीत कटिबन्धीय वनों (कोणधारी) से (कोमल लकड़ी)-35 प्रतिशत;
    • शीतोष्ण कटिबन्धीय वनों से (मिश्रित लकड़ी)-49 प्रतिशत एवं
    • उष्ण कटिबन्धीय वनों से (कठोर लकड़ी)-16 प्रतिशत।

लकड़ी काटने के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियाँ
Necessary Geographical Conditions for Lumbering

  1. उत्तम लकड़ी की प्राप्ति – लकड़ी काटने एवं चीरने के लिए काफी मात्रा में कठोर एवं कोमल लकड़ी के वन होने चाहिए। कठोर लकड़ी में महोगनी, सीडार एवं टीक तथा कोमल लकड़ी में देवदार, कैल, फर, चीड़ एवं यूकेलिप्टस प्रमुख हैं।
  2. सस्ते एवं कुशल श्रमिक – वृक्षों को सघन वनों से काटने के लिए काफी संख्या में सस्ते एवं कुशल श्रमिकों की उपलब्धता अति आवश्यक है। साइबेरिया एवं कनाडा में टैगा वनों की कटाई के लिए सस्ते एवं पर्याप्त श्रमिक मिल जाते हैं जो ग्रीष्म ऋतु में कृषि-कार्य करते हैं एवं शीत ऋतु में हिम अधिक पड़ने के कारण वनों को काटने का कार्य करते हैं।
  3. यातायात एवं परिवहन साधनों की सुलभता – लकड़ी के बड़े-बड़े लट्ठों को बहाकर ले जाने के लिए जल-परिवहन सबसे सस्ता साधन है तथा अन्य साधनों में रेल, मोटर आदि का होना अति आवश्यक है। म्यांमार एवं थाईलैण्ड में यह कार्य हाथियों द्वारा किया जाता है।
  4. जल-विद्युत शक्ति का विकास – कारखानों को चलाने के लिए जल-विद्युत शक्ति सबसे सस्ती पड़ती है। इस शक्ति को प्राप्त करने के लिए नदियों के मार्ग में कृत्रिम जल-प्रपात या बाँध बनाये जा सकते हैं।
  5. बाजार की समीपता-वनों के समीपवर्ती प्रदेशों में लकड़ी का उपभोग करने के लिए कागज़ मिल, दियासलाई, पैकिंग, कृत्रिम रेशम आदि उद्योगों की स्थापना की जानी अति आवश्यक है।
  6. सघन वनों का न होना- वने सघन नहीं होने चाहिए, अन्यथा लकड़ी काटना बड़ा ही कठिन हो जाता है। विरल वनों से लकड़ी सावधानीपूर्वक काटी जा सकती है।

सम्पूर्ण विश्व में 425 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रफल पर वन फैले हैं, जिसमें से लगभग आधे भाग पर उष्ण कटिबन्धीय कठोर, मिश्रित एवं अवर्गीकृत वनों का विस्तार है। शंकुधारी या टैगो वनस्पति का विस्तार 136 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर है, जब कि शीतोष्ण कटिबन्धीय कठोर लकड़ी के वनों का विस्तार केवल 66 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर है। विश्व में लकड़ी का उत्पादन करने वाले देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका औद्योगिक लकड़ी का 76% भाग पूरा करता है।

लकड़ी का उत्पादन करने वाले प्रमुख देश
Main Wood Producing Countries

समशीतोष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में लकड़ी काटने एवं चीरने का व्यवसाय प्रमुख है। इन देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, अलास्का, रूस, नार्वे, स्वीडन, फिनलैण्ड, जापान, चीन, म्यांमार एवं भारत आदि देश मुख्य हैं।
(1) संयुक्त राज्य अमेरिका – इस देश का लकड़ी काटने एवं चीरने में महत्त्वपूर्ण स्थान है। यहाँ पर लगभग एक-तिहाई भूमि पर वन-सम्पदा फैली है जिनमें से दो-तिहाई क्षेत्रफल व्यापारिक लकड़ियों का है। इस देश में कोमल लकड़ी के वनों का विस्तार अधिक है। पाइन, डगलस, फर, येलोपाइन, स्पूस आदि वृक्ष महत्त्वपूर्ण हैं जिनसे लुग्दी, कागज, गत्ता, बिरोजा, तारपीन का तेल एवं अखबारी कागज बनाये जाते हैं। अमेरिका में उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र, महान् झील क्षेत्र, अप्लेशियन पर्वतीय क्षेत्र, मध्यवर्ती क्षेत्र, रॉकी पर्वतीय क्षेत्र एवं पश्चिमी तटीय क्षेत्र लकड़ी काटने एवं चीरने में मुख्य स्थान रखते हैं।

(2) कनाडा – इस देश के 45% भाग पर वन-सम्पदा फैली है। यहाँ कोमल लकड़ी के वनों का विस्तार अधिक है। ब्रिटिश कोलम्बिया, उत्तरी प्रेयरी प्रान्त, ओण्टेरियो, क्यूबेक एवं न्यू ब्रिन्सविक मुख्य लकड़ी उत्पादक क्षेत्र हैं। कुल वन क्षेत्रों का 51% भाग व्यापारिक है। यहाँ 65% कोमल, 24% मिश्रित एवं 11% कठोर लकड़ी के वन हैं। इस देश में 150 से भी अधिक किस्मों की लकड़ी पायी जाती है जिनमें नुकीली पत्ती वाले वृक्ष 47 प्रकार के हैं। स्यूस, बालसम, पाइन, डगलस, फर, हेमलॉक, सीडार, मैपिल, बीच, रेड पाइन आदि मुख्य वृक्ष हैं। इनसे लकड़ी चीरने, कागज एवं लुग्दी बनाने, फर्नीचर, वस्त्रों के कृत्रिम धागे एवं प्लास्टिक बनायी जाती है। वन उत्पादन का 95% भाग लट्ठों, लुग्दी एवं ईंधन का होता है। कुल उत्पादन का 10% भाग निर्यात कर दिया जाता है। लकड़ी का कुल उत्पादन 402 लाख घन मीटर है। जिसमें 9 लाख घन मीटर कठोर एवं 393 लाख घन मीटर कोमल लकड़ी है।।

(3) रूस – रूस में 91 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर वन-सम्पदा का विस्तार है। यहाँ पर शंकुल वृक्षों की अधिकता है जिनमें स्पूस, एल्डर, विलो, लिंडन, हार्डब्रीम, फर, लार्च, सीडार एवं पाइन मुख्य हैं। इनकी लकड़ी कागज एवं लुग्दी बनाने के काम आती है। शंकुल वनों का विस्तार 60° उत्तरी अक्षांश से टुण्ड्रा प्रदेश तक है। यह वन क्षेत्र बाल्टिक सागर से पूर्व में ओखोटस्क सागर तक विस्तृत है। ओनेगा, लेनिनग्राड, मरमास्क, मेजेनई, गरका एवं आरकेंजल लकड़ी की चिराई के प्रमुख केन्द्र हैं। रूस के समस्त वन भाग का 80% एशियाई रूस में है। साइबेरिया के इस वन प्रदेश की सबसे बड़ी सुविधा ट्रांस-साइबेरियन रेलवे है। विश्व लकड़ी भण्डार का 21% भाग साइबेरिया से प्राप्त होता है।

(4) यूरोपीय देश – यूरोप महाद्वीप का एक-तिहाई भाग वनों से आच्छादित है, जहाँ विश्व की 10% लकड़ी प्राप्त होती है। इनमें कोमल लकड़ी की अधिकता है। इसका विस्तार 50° से 70° उत्तरी अक्षांशों तक है, जो नार्वे, स्वीडन, फिनलैण्ड होती हुई उत्तरी रूस तक चली गयी है। लकड़ी में निम्नलिखित देश प्रमुख उत्पादक हैं –

  1. नार्वे – इस देश के 25% भाग पर वन फैले हैं। उत्तरी एवं दक्षिणी तट को छोड़कर शेष पर्वतीय ढालों एवं नदी घाटियों में वनों का विस्तार पाया जाता है। यहाँ पर पाये जाने वाले प्रमुख वृक्षों में फर 50%, चीड़ 34% तथा शेष पर बीच एवं ओक आदि के वृक्ष हैं। यहाँ अखबारी कागज, सैलूलोज, गत्ता, दियासलाई तथा उत्तम किस्म का कागज बनाया जाता है।
  2. स्वीडन – यहाँ 60% भाग पर वन-सम्पदा फैली है। उत्तर एवं मध्य में कोमल तथा दक्षिण में कठोर लकड़ी के वनों की अधिकता है। यहाँ पर पाइन, स्पूस, फर आदि वृक्षों की प्रधानता है। इस देश में कागज, लुग्दी, प्लाईवुड एवं दियासलाई बनायी जाती है। निर्यात व्यापार में भी इन्हीं वृक्षों की लकड़ियों की अधिकता है।
  3. फिनलैण्ड – फिनलैण्ड के 70% भाग पर वन-सम्पदा का विस्तार है। यहाँ स्पूस, पाइन एवं फर वृक्षों की अधिकता है। यहाँ के निर्यात में 88% भाग वन वस्तुओं का है। चीरी हुई लकड़ी की वस्तुएँ, प्लाईवुड, अखबारी कागज तथा लकड़ी का रेशा यहाँ भी मुख्य उत्पादक वस्तुएँ हैं। तटीय भाग में लकड़ी चीरने के केन्द्र स्थापित हुए हैं।

मध्य यूरोपीय देशों में फ्रांस–22%, जर्मनी-21%, स्विट्जरलैण्ड-25% तथा जर्मनी में 27% भाग पर वन फैले हैं, परन्तु सभी देशों में लकड़ी का अभाव पाया जाता है। इन देशों में केवल अपने उपभोग के लिए ही लकड़ी का उत्पादन किया जाता है।

(5) एशियाई देश – एशिया महाद्वीप में जापान, चीन, म्यांमार एवं भारत प्रमुख लकड़ी उत्पादक देश हैं, जिनका विवरण निम्नवत् है –

  1. जापान – इस देश के लगभग 50% भाग पर वन फैले हैं। मध्य होकेड़ो एवं हाँशू के भीतरी पर्वतीय क्षेत्रों में इनका विस्तार है। फर, स्पूस, हिकोरी, सुगी-नुकीली पत्ती वाले; मैपिल, बूना, पॉपलर, ओक-चौड़ी पत्ती के वृक्ष महत्त्वपूर्ण हैं। शंकुल वनों का विस्तार 60,000 वर्ग किमी क्षेत्र पर है। इन वृक्षों को चीरकर विभिन्न वस्तुएँ तथा कागज उद्योग के लिए लुग्दी बनायी जाती है।
  2. चीन – चीन में केवल 40% भाग पर ही वन छाये हुए हैं। जनसंख्या में भारी वृद्धि के कारण कृषि के विकास के लिए भारी पैमाने पर वनों का विनाश किया गया है। केवल पश्चिमी एवं दक्षिणी पहाड़ी भागों पर ही वन मिलते हैं। फर, स्थूस, हेमलॉक, ओक, चेस्टनट आदि मुख्य वृक्ष हैं।
  3. म्यांमार – यहाँ 200 सेमी से अधिक वर्षा वाले भागों में सदापर्णी एवं 100 से 200 सेमी वर्षा वाले भागों में पर्णपाती मानसूनी वन मिलते हैं। इरावदी नदी के बेसिन में विश्वविख्यात सागौन के वृक्ष पाये जाते हैं। यहाँ से लकड़ी काटकर हाथियों द्वारा ढोयी जाती है। रंगून नगर से सागौन की लकड़ी विदेशों को निर्यात की जाती है।
  4. भारत – भारत में 200 सेमी से अधिक वर्षा वाले भागों में, प्रमुख रूप से असम के पहाड़ी ढालों एवं पश्चिमी घाट पर, सदापर्णी वन मिलते हैं। 100 से 200 सेमी वर्षा वाले भागों में मानसूनी वन मिलते हैं जिनकी लकड़ी फर्नीचर एवं इमारती कार्यों में प्रयुक्त की जाती है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं छोटा-नागपुर का पठार इन लकड़ियों के लिए प्रसिद्ध हैं। रेल विभाग द्वारा यहीं से लकड़ी डिब्बों एवं स्लीपरों के लिए मँगायी जाती है। पर्वतीय क्षेत्रों से ईंधन की लकड़ी प्राप्त होती है। यहीं से कुछ कोमल प्रकार की लकड़ी कागज एवं दियासलाई बनाने में प्रयुक्त की जाती है।

(6) ऑस्ट्रेलिया – इस महाद्वीप के केवल 4% भाग पर वन मिलते हैं। वनों का 50% भाग शीतोष्ण कटिबन्धीय है। कॉरीगम वृक्ष मुख्य है जो 50 मीटर से 90 मीटर तक ऊँचा होता है। दक्षिणी-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया एवं तस्मानिया द्वीप में वन अधिक मिलते हैं। आर्द्र भागों में यूकेलिप्टस के वृक्ष बहुतायत में मिलते हैं।

न्यूजीलैण्ड द्वीप का 20% भाग वनों से आच्छादित है। यहाँ के प्रमुख वृक्ष कॉरीगम, पाइन, टोटोरा, तवा एवं बीच हैं।
उपर्युक्त आधार पर विश्व में लकड़ी की कटाई एवं चिराई का कार्य निम्नलिखित प्रदेशों में उल्लेखनीय है –

  1. मानसूनी प्रदेशों के पतझड़ वाले वनों में साल, सागौन, शीशम, साखू आदि सुन्दर एवं टिकाऊ लकड़ी के वृक्ष भारी संख्या में पाये जाते हैं।
  2. सामान्य गर्मी वाले समशीतोष्ण प्रदेशों में यूकेलिप्टस, ओक आदि दीमकों से नष्ट न होने वाले वृक्ष मिलते हैं।
  3. सामान्य शीत वाले समशीतोष्ण प्रदेशों में टिकाऊ लकड़ी के वृक्ष-मैपिल, बर्च, बीच, बलूत, पोपलर आदि वृक्षों की अधिकता होती है।
  4. शंकुल वनों में कागज की लुग्दी, कागज, दियासलाई, तारपीन का तेल आदि के लिए उपयुक्त चीड़, देवदार, स्पूस, फर आदि कोमल लकड़ी के वृक्ष बहुतायत में पाये जाते हैं।
  5. भूमध्यरेखीय वनों में जहाँ सघनता कम है एवं नदियाँ उपलब्ध हैं, वहाँ महोगनी, एबोनी, रोजवुड, ग्रीनवुड, हार्डवुड, रबड़ आदि की मजबूत एवं टिकाऊ लकड़ियों के वृक्ष मिलते हैं।

यह बात विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है कि दक्षिणी गोलार्द्ध में वन क्षेत्रफल उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा न केवल कम है, बल्कि ये क्षेत्र विश्व के औद्योगिक क्षेत्रों एवं बाजारों से दूर पड़ते हैं। अत: इन प्रदेशों की लकड़ियाँ बिना काटे ही रह जाती हैं। इसीलिए आर्थिक दृष्टिकोण से इन वनों की लकड़ी महत्त्व नहीं रखती।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
क्षयी और अक्षयी संसाधन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर
पृथ्वी से प्राप्त विभिन्न प्रकार की धातुएँ खनिज क्षयी संसाधनों की श्रेणी में आती हैं। वास्तव में खनिज भण्डार इतनी तेजी से घट रहे हैं कि भविष्य में उनके अभाव से एक विकट समस्या उत्पन्न हो जाएगी। अतः ऐसे खनिज पदार्थ जो धीरे-धीरे कम हो रहे हैं, उन्हें क्षयी संसाधन कहा जाता है। इसके विपरीत वे पदार्थ जो बहुत अधिक समय तक रहेंगे; जैसे-सौर ऊर्जा, वायु, जल, वनस्पति, जीव-जन्तु तथा मानव आदि को अक्षयी संसाधन कहा जाता है।

प्रश्न 2
नव्यकरणीय एवं अनव्यकरणीय संसाधनों के बारे में आप क्या जानते हैं?
या
नव्यकरणीय एवं अनव्यकरणीय संसाधनों के बीच विभेद कीजिए। [2011, 13, 16]
उत्तर
ऐसे संसाधन जो एक बार प्रयोग करने के पश्चात् फिर प्रयोग किये जा सकें, नव्यकरणीय संसाधन कहे जाते हैं; जैसे-जल, पवन, सूर्य-ऊर्जा आदि ऐसे संसाधन हैं जो सतत उपयोग करने पर फिर उत्पन्न होते रहते हैं; परन्तु कुछ संसाधन ऐसे होते हैं जिसका एक बार उपयोग करने पर फिर उन्हें प्रयोग में नहीं लाया जा सकता; जैसे-कोयला। ऐसे संसाधनों को अनव्यकरणीय संसाधन कहा जाता है।

प्रश्न 3
संसाधनों के ‘संरक्षण’ पर टिप्पणी लिखिए। [2010]
उत्तर
संसाधनों के संरक्षण से अभिप्राय यह है कि जिन पदार्थों व वस्तुओं के प्रयोग के विषय में मानव को ज्ञान है, उनसे वह अधिकाधिक उपयोगिता हासिल करे। इस दिशा में संसाधनों का ऐसा प्रबन्ध किया जाए, जिससे वे अधिक लम्बे समय तक अधिकाधिक मनुष्यों की अधिकतम आवश्यकता की पूर्ति कर सकें। एली के अनुसार, “संरक्षण वर्तमान पीढ़ी या भावी पीढ़ी के लिए त्याग है।” डॉ० मैकनाल के अनुसार, “संरक्षण का आशय किसी संसाधन का ऐसा उपयोग है जिससे मनुष्य जाति की आवश्यकताओं की पूर्ति सर्वोत्तम रीति से हो सके।” संरक्षण का महत्त्व निम्नलिखित रूप से स्पष्ट होता है –

  1. बचत की भावना का विकास होता है।
  2. संरक्षण से बरबादी या दुरुपयोग को रोका जा सकता है।
  3. विवेकपूर्ण उपयोग भविष्य के लिए संसाधनों में बचत को प्रोत्साहित करता है।
  4. भविष्य में संसाधनों के नष्ट होने पर गहरा संकट केवल संरक्षण द्वारा ही दूर किया जा सकता है।
  5. पारिस्थितिक सन्तुलन को बनाये रखने के लिए भी संरक्षण आवश्यक है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
संसाधन से क्या तात्पर्य है? (2007)
या
संसाधन को परिभाषित कीजिए। [2012, 16]
उत्तर
कोई भी वह पदार्थ जो मानव के लिए उपयोगी हो अथवा प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से मानव की कुछ उपयोगिता करता हो, संसाधन कहलाता है।

प्रश्न 2
प्राकृतिक संसाधन किन्हें कहते हैं? [2007, 08, 10, 11, 16]
या
प्राकृतिक संसाधन को उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए। [2014, 16]
उत्तर
वे संसाधन जो प्रकृति द्वारा मनुष्य को नि:शुल्क प्रदान किये जाते हैं और जो मानव के लिए उपयोगी होते हैं, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं; जैसे-वायु, जल, सौर ऊर्जा, खनिज, जीव-जन्तु आदि।

प्रश्न 3
क्या मानव स्वयं भी एक संसाधन है?
उत्तर
वास्तव में मानव स्वयं में एक बहुत बड़ा संसाधन है, जो प्रकृति की विभिन्न वस्तुओं को अपने ज्ञान और क्षमता के द्वारा उपयोगी बनाता है।

प्रश्न 4
विश्व के कुछ प्रमुख संसाधनों के नाम बताइए।
उत्तर
विश्व के कुछ प्रमुख संसाधन हैं- मानव, कोयला, खनिज तेल, जल, खनिज, पशु-सम्पदा, मत्स्य आदि।

प्रश्न 5
वर्तमान काल में ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत क्या है?
उत्तर
वर्तमान काल में ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत ‘खनिज तेल है, क्योंकि ऊर्जा के अतिरिक्त खनिज तेल से 8,000 अन्य प्रकार की उपवस्तुएँ भी प्राप्त की जाती हैं।

प्रश्न 6
संसार के चार प्रमुख मछली उत्पादक देशों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. चीन,
  2. जापान,
  3. भारत तथा
  4. संयुक्त राज्य अमेरिका।

प्रश्न 7
दो नव्यकरणीय संसाधनों का उल्लेख कीजिए। [2008]
उत्तर

  1. जल तथा
  2. पवन-दो नव्यकरणीय संसाधन हैं। ये संसाधन निरन्तर बने रहते हैं। अथवी चक्रीय स्वरूप में प्राप्त हो जाते हैं।

प्रश्न 8
लकड़ी उत्पादन के चार प्रमुख देशों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
लकड़ी उत्पादन के चार प्रमुख देश हैं-संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, रूस व नावें।

प्रश्न 9
एशिया में लकड़ी उत्पादन वाले चार देशों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
एशिया में लकड़ी उत्पादन वाले चार देश हैं-जापान, चीन, म्यांमार तथा भारत।

प्रश्न 10
मानव संसाधन किसी भी देश के लिए आवश्यक साधन क्यों है?
उत्तर
मानवीय शक्ति द्वारा ही प्राकृतिक सम्पदा का दोहन करके आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास सम्भव होता है; अत: मानव संसाधन किसी भी देश के लिए एक आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण साधन है।

प्रश्न 11
मुख्य भौतिक संसाधनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
मुख्य भौतिक संसाधन हैं-खनिज पदार्थ, जल, भूमि, वन, वायु, मिट्टी, धरातल आदि।

प्रश्न 12
चार अक्षयी संसाधनों का नामोल्लेख कीजिए। [2007, 08]
उत्तर
चार अक्षयी संसाधन हैं-मिट्टी, जल, वायु तथा सौर ऊर्जा।

प्रश्न 13
विश्व में लकड़ी का उत्पादन करने वाले उस देश के नाम का उल्लेख कीजिए जो औद्योगिक लकड़ी का 76% भाग पूरा करता है।
उत्तर
संयुक्त राज्य अमेरिका।

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1
“मनुष्य का ज्ञान ही सबसे बड़ा संसाधन है।” यह कथन है –
(क) मैकनाल का
(ख) जिम्मरमैन का
(ग) कु० सैम्पुल का
(घ) डॉ० डेविस का
उत्तर
(ख) जिम्मरमैन का।

प्रश्न 2
निम्न में से कौन जैविक संसाधन है? [2011, 12, 15, 16]
(क) मिट्टी
(ख) जस्ता
(ग) वनस्पति
(घ) वायु
उत्तर
(ग) वनस्पति।

प्रश्न 3
वायु, जल, सौर ऊर्जा, भूमि व धरातल, मिट्टी, प्राकृतिक वनस्पति, खनिज पदार्थ एवं जीव-जन्तु हैं –
(क) मानवीय संसाधन
(ख) प्राकृतिक संसाधन
(ग) (क) व (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(ख) प्राकृतिक संसाधन।

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प्रश्न 4
विश्व के कुल मछली उत्पादन का सागरों से प्राप्त होने वाला भाग है –
(क) 70 प्रतिशत
(ख) 90 प्रतिशत
(ग) 88 प्रतिशत
(घ) 84 प्रतिशत
उत्तर
(ग) 88 प्रतिशत।

प्रश्न 5
ऊर्जा के निम्नलिखित स्रोतों में से कौन-सा स्रोत नवीकरणीय नहीं है?
(क) ज्वार ऊर्जा
(ख) सौर ऊर्जा
(ग) जल-विद्युत
(घ) ताप-विद्युत
उत्तर
(घ) ताप-विद्युत।

प्रश्न 6
निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा का नव्यकरणीय स्रोत नहीं है ? (2009)
(क) भू-ताप
(ख) वायु
(ग) जल
(घ) खनिज तेल
उत्तर
(घ) खनिज तेल।

प्रश्न 7
निम्नलिखित में से कौन अक्षय संसाधन है? (2014)
(क) कोयला
(ख) लौह-अयस्क
(ग) सौर ऊर्जा
(घ) मैंगनीज
उत्तर
(क) सौर ऊर्जा।

प्रश्न 8
निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है? (2014)
(क) ज्वारीय ऊर्जा
(ख) सौर ऊर्जा
(ग) ताप विद्युत
(घ) जल-विद्युत
उत्तर
(क) तापविद्युत।

प्रश्न 9
निम्नलिखित में से कौन-सा नव्यकरणीय संसाधन है? (2015)
(क) पेट्रोलियम
(ख) लौह-अयस्क
(ग) जल
(घ) कोयला
उत्तर
(ग) जल

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UP Board Solutions for Class 12 English Poetry Short Stories Chapter 1 The Gold Watch

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Board CBSE
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject English Poetry Short Stories
Chapter Chapter 1
Chapter Name The Gold Watch
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 English Poetry Short Stories Chapter 1 The Gold Watch

STORY at a Glance

AS Sanku was a low-paid worker at a factory. He was very poor. His mother had died. He had a wife and two children. A third child was expected to come soon. He had to take loan from his fund to attend the death anniversary of his mother. So he was to pay the loan with interest. He owed some money to the store-keeper and tea- vendor. He owed some money to the fish woman also. There were also some other urgent needs of the family.

Thus Sanku was surrounded by many domestic problems. He was so much worried that he could not sleep in the night also. He was very much confused and disturbed. He tried to find out the way to end his misery. But he could not get any solution. Sanku had seen a gold watch on the table of the engineer. The engineer was his boss. He had seen that the watch remained lying on the table when the engineer went on lunch. So Sanku was tempted to steal it. He had no other alternative to solve his problems. He thought he would get a considerable amount of money by selling it. One day at 1 o’clock the bell rang for interval. Everybody was in a hurry to go out. The engineer also went home. His watch was still lying on the table. There was nobody in the office. So Sanku thought it was the best time to steal the watch. He went into the office. But he was very nervous. He was afraid of being caught red-handed. His heart throbbed. But his urgent needs prompted him not to go back. So he gathered courage and put the watch into his pocket with trembling hands. Then he came out.

Now he was again trembling with fear. He doubted that somebody had seen him. He thought he would be checked by the watchman at the gate. He would be dismissed from his service. So he was again much confused. He could not control his feelings. So he again went to the office, saw in all directions and put the watch back at its place. Thus his problems and miseries remained unsolved.

कहानी पर एक दृष्टि

संकू एके कारखाने में कम वेतन वाला मजदूर था। वह बहुत गरीब था। उसकी माता का देहान्त हो गया था। उसकी एक पत्नी और दो बच्चे थे। एक तीसरे बच्चे के आने की शीघ्र आशा थी। उसे अपनी माँ की बरसी में जाने के लिए अपने फण्ड में से कर्जा लेना पड़ा था। इसलिए उसे वह कर्जा ब्याज सहित चुकाना था। कुछ धन उसे दुकानदार को तथा कुछ धन चाय वाले को देना था। मछली वाली औरत का भी धन उधार था। परिवार की और बहुत-सी जरूरी आवश्यकताएँ थीं।।

इस प्रकार संकू अनेक घरेलू समस्याओं से घिरा हुआ था। वह इतना परेशान था कि रात को सों भी नहीं सकता था। वह बड़ा घबराया हुआ और चिन्तित था। वह अपने इन दुःखों को समाप्त करने का तरीका ढूंढ़ने की कोशिश करता था। किन्तु कोई हल नहीं ढूंढ़ सका। संकू ने इन्जीनियर की मेज पर एक सोने की घड़ी देखी। इन्जीनियर उसका अफसर था। उसने देखा कि जब इन्जीनियर दोपहर का भोजन करने जाता था तब भी घड़ी वहीं पड़ी रहती थी। इसलिए संकू को लालच आ गया कि वह उसे चुरा ले। अपनी समस्याओं को हल करने का उसके पास कोई और विकल्प था भी नहीं। उसने सोचा कि इसे बेचकर उसे काफी धन मिल जाएगा। एक दिन दोपहर को एक बजे मध्यान्तर की घण्टी बजी। प्रत्येक व्यक्ति बाहर जाने के लिए जल्दी में था। इन्जीनियर साहब भी घर चले गए। उनकी घड़ी अब भी मेज पर पड़ी थी। दफ्तर में कोई व्यक्ति नहीं था। इसलिए संकू ने सोचा कि घड़ी चुराने का यह सबसे अच्छा समय है। वह दफ्तर में गया। किन्तु वह बहुत घबराया हुआ था। उसे रंगे हाथों पकड़े जाने का भय था। उसका हृदय धड़क रहा था। किन्तु उसकी जरूरी

आवश्यकताएँ उसे पीछे न हटने के लिए प्रेरित कर रही थीं। इसलिए उसने साहस बटोरा और काँपते हुए हाथों से घड़ी को अपनी जेब में रख लिया। फिर वह बाहर आया। अब वह पुन: भय से काँप रहा था। उसे सन्देह हुआ कि किसी ने उसे देख लिया है। उसने सोचा कि गेट पर चौकीदार उसे रोक लेगा। उसे नौकरी से हटा दिया जाएगा। वह पुनः घबरा गया। वह अपनी भावनाओं पर नियन्त्रण न कर सका। इसलिए वह दफ्तर में पुनः गया। चारों ओर देखा और घड़ी को वापस उसी स्थान पर रख दिया। इस प्रकार उसकी समस्याएँ और दुःख बिना हल किए ही रहे।

Understanding the Text

Short Answer Type Questions

Answer two of the following questions in not more than 30 words each :
Question 1.
Where did Sanku work? 
[2012]
(संकू कहाँ कार्य करता था ?)
Answer.
Sanku worked in a factory.
(संकू एक कारखाने में काम करता था।).

Question 2.
What were Sanku’s problems and how did he plan to solve them ? [2009, 12, 17, 18]
(संकू की क्या समस्याएँ थीं और उन्हें हल करने के लिए उसने क्या योजना बनाई ?)
Answer.
There were mainly two problems before Sanku :
(1) to meet the expenses of his family in his small income, and
(2) to repay the loan which he owed to different people. Sanku had only one way to solve these problems, to pick up the gold watch from the office table of his officer and to get money by selling it.

(संकू के सामने दो मुख्य समस्याएँ थीं

(1) अपनी छोटी आमदनी में परिवार के खर्चे को पूरा करना, और
(2) वह कर्जा चुकाना जो उसने भिन्न-भिन्न लोगों से ले रखा था। संकू के सामने इन समस्याओं को हल करने का एक ही रास्ता था कि वह अपने अफसर के दफ्तर की मेज से घड़ी उठाए और उसे बेचकर धन प्राप्त करे।)

Question 3.
What time of the day did Sanku think was the most suitable for stealing the gold watch and why?[2014]
(सोने की घड़ी चुराने के लिए संकू ने सबसे उपयुक्त समय कौन-सा सोचा और क्यों ?)
Answer.
Sanku thought that interval was the most suitable time for stealing the gold watch because at this time everyone went out for lunch.
(संकू ने सोचा कि मध्यान्तर का समय सोने की घड़ी चुराने के लिए सबसे उपयुक्त समय है, क्योंकि इस समय सभी लोग दोपहर के भोजन के लिए बाहर जाते हैं।)।

Question 4. 
What did Sanku’s wife ask him to bring from the market ? [2016]
(संकू की पत्नी ने उससे बाजार से क्या लाने को कहा ?)
Answer.
Sanku’s wife asked him to bring from the market ointment for the sores on her child’s body and two bananas also.
(संकू की पत्नी ने उससे बाजार से अपने बच्चे के शरीर पर हो रहे घावों के लिए मरहम और दो केले लाने को कहा।)

Question 5.
What stopped Sanku from stealing the watch in the beginning ?
(आरम्भ में संकू को कौन-सी बात ने घड़ी चुराने से रोका ?) [2018]
Answer.
Sanku was afraid of being caught. So this thing stopped Sanku from stealing the watch.
(संकू को पकड़े जाने का भय था। इस बात ने उसे घड़ी चुराने से रोका।)

Question 6.
Why could he no longer postpone the act of stealing ?
(चोरी करने के कार्य को वह और अधिक क्यों नहीं टाल सका ?)
Answer.
Sanku had many urgent needs. He needed money very soon. So he could no longer postpone the act of stealing.
(संकू की बहुत-सी जरूरी आवश्यकताएँ थीं। उसे बहुत शीघ्र धन की आवश्यकता थी। इसलिए वह चोरी करने के काम को और अधिक नहीं टाल सका।)

Question 7.
What made Sanku decide that he had no other choice but to steal ? [2009]
(कौन-सी बात ने संकू को यह निश्चय करने के लिए बाध्य किया कि चोरी करने के अतिरिक्त उसके पास और कोई विकल्प नहीं है ?)

Or 

Why did Sanku steal the watch ? [2010, 15, 16, 18]
(संकू ने घड़ी क्यों चुराई ?)
Answer.
Sanku’s urgent needs and pressure of the people to pay loan made him decide that he had no other choice but to steal.
(संकू की आवश्यकताओं ने तथा लोगों के दबाव ने कि वह कर्जा चुकाए, यह निश्चय करने के लिए बाध्य कर दिया कि चोरी करने के अतिरिक्त उसके पास अन्य कोई विकल्प नहीं है।)

Question 8.
Describe how Sanku steals the gold watch ?
(वर्णन कीजिए कि संकू सोने की घड़ी कैसे चुराता है ?)

Or

At what time did Sanku decide to steal the watch and why? [2014]
(संकू ने घड़ी को किस समय और क्यों चुराने का निश्चय किया?)
Answer.
One day Sanku saw that his engineer had gone to lunch and his watch was lying on his table. So he went into the office, looked all around him and put the watch into his pocket with trembling hands.
(एक दिन संकू ने देखा कि उसका इन्जीनियर दोपहर के भोजन पर गया हुआ है और उसकी घड़ी उसकी मेज पर पड़ी हुई है। अत: वह दफ्तर में गया, अपने चारों ओर देखा और काँपते हुए हाथों से घड़ी को जेब में रख लिया।)

Question 9.
Why did Sanku curse himself ? [2011, 18] 
(संकू ने स्वयं को क्यों कोसा ?)
Answer.
When Sanku knew that his wife was pregnant, he thought that it would be another burden on him. So he cursed himself.
(जब संकू को पता लगा कि उसकी पत्नी गर्भवती है, तब उसने सोचा कि यह उस पर एक दूसरा बोझ होगा। अत: उसने स्वयं को कोसा।)

Question 10.
What were Sanku’s feelings before stealing the watch? .
(घड़ी चुराने से पहले संकू की क्या भावनाएँ थीं ?)

Or

Why did Sanku hesitate and was afraid of stealing the watch in the beginning? [2014]
(आरम्भ में संकू घड़ी चुराने से क्यों भयभीत था और क्यों संकोच कर रहा था?)
Answer.
Sanku was much afraid before stealing the watch. He feared that someone might see him. He was nervous. His heart throbbed.
(संकू घड़ी को चुराने से पहले भयभीत था। उसे भय था कि कोई उसे देख न ले। वह घबराया हुआ था। उसका हृदय धड़क रहा था।)

Question 11.
What thoughts troubled Sanku after committing the theft ? [2015, 17, 18]
(चोरी करने के बाद कौन-से विचार संकू को परेशान कर रहे थे ?)

Or

Describe the behaviour of Sanku after he had committed the theft.
(चोरी करने के बाद संकू के व्यवहार को वर्णन कीजिए।)

Or

Why did Sanku feel suffocated?[2017] |
(संकू ने घुटन महसूस क्यों की?)
Answer.
After committing the theft Sanku feared that somebody had seen him stealing the watch. He would be caught as a thief. He would be dismissed. These thoughts troubled Sanku very much.

(चोरी करने के बाद संकू को यह भय हुआ कि किसी ने उसे घड़ी चुराते हुए देख लिया होगा। वह चोर मानकर पकड़ा जाएगा। उसे नौकरी से हटा दिया जाएगा। इन विचारों ने संकू को बहुत परेशान किया।)

Question 12.
‘Sanku was essentially an honest man.’Do you agree with the statement? Give reasons in support of your
[2010,1]
(‘संकू निश्चित रूप से एक ईमानदार व्यक्ति था। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? अपने उत्तर की 
पुष्टि में कारण दीजिए।) Answer.
I fully agree with the statement that Sanku was essentially an honest man. He stole the watch under compulsion of his poverty. But he could not keep it with him and put back on the table of his officer. So it also shows that he was honest.

(मैं इस कथन से पूर्ण रूप से सहमत हूँ कि संकू निश्चित रूप से एक ईमानदार व्यक्ति था। उसने गरीबी की विवशता में घड़ी चुराई। किन्तु वह इसे अपने पास नहीं रख सका और उसने उसे वापस अपने ऑफीसर की मेज पर रख दिया। अत: यह बात प्रदर्शित करती है कि वह एक ईमानदार व्यक्ति था।)

Question 13.
What made Sanku put the watch back on the table ?[2011]
(कौन-सी बात ने संकू को घड़ी वापस मेज पर रखने को बाध्य किया ?)
Answer.
Sanku put the watch back on the table because he was afraid of being caught and punished.
(संकू ने घड़ी को वापस मेज पर रख दिया, क्योंकि उसे पकड़े जाने तथा दण्डित होने का भय था।). .

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UP Board Solutions for Class 12 English Poetry Short Poems Chapter 10 The Song of the Free

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject English Poetry short Poems
Chapter Chapter 10
Chapter Name The Song of the Free
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 English Poetry Short Poems Chapter 10 The Song of the Free

About the Poet : Swami Vivekanand was not only a saint and philosopher but also a poet. He lived only for a brief span of forty years, he gave his lofty ideas on religion and philosophy to the people and became immortal in the whole world. Under the influence of Ramakrishna Paramhansa, he became a reformer and religious teacher. Now his followers and disciples are found all over the world.

About the Poem : Swami Vivekanand’s poem ‘The Song of the Free’ is a famous poem in which he expresses his views on the philosophy of ‘Advaitvad’. The stanzas of the present poem have been extracted from his long poem with the same title. The poet uman life is surrounded with so many sufferings and difficulties. But we should not be disheartened. We have a definite aim of our life and we should know it. Then in spite of all odd situations, we should march on to achieve it.

Central Idea                                                                                                                       [2010, 12, 14, 17, 18]
In this poem the poet teaches us the philosophy of ‘Advaitvad. He says that the world is full of pain, misery, troubles and difficulties. Sometimes our fate and nature also do not favour us. Our friends betray us. Yet we should remember that every black cloud has a silver lining. We have a divine soul which always prompts us to follow the right path. The ups and downs of life give us an opportunity to show our best powers. So we should have faith in God and in our power and should march on the right path to achieve the goal of life.

(इस कविता में कवि हमें अद्वैतवाद की विचारधारा की शिक्षा देता है। वह कहता है कि यह संसार दु:ख, कष्ट और कठिनाइयों से भरा हुआ है। कभी-कभी हमारा भाग्य और प्रकृति भी साथ नहीं देती। हमारे मित्र हमारे साथ विश्वासघात करते हैं। फिर भी हमें याद रखना चाहिए कि प्रत्येक काले बादल में सफेद रेखा होती है। हमारे पास एक दिव्य आत्मा है जो हमें सदा सही मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करती है। जीवन के उतार-चढ़ाव हमें अपनी सर्वोत्तम शक्तियों का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करते हैं। इसलिए हमें भगवान् और अपनी शक्ति में विश्वास रखना चाहिए और जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सही मार्ग पर आगे बढ़ते रहना चाहिए।).

EXPLANATIONS (With Meanings & Hindi Translation) LIZE
(1)
The wounded snake its hood unfurls,
The flame stirred up doth blaze,
The desert air resounds the calls of heart-struck Lion’s rage : [2018]
The cloud puts forth its deluge strength
When lightening cleaves its breast,
When the soul is stirred to its inmost depth
Great ones unfold their best ! [2009, 11, 12, 13, 17]

इस पद्यांश में कवि का तात्पर्य है कि यदि तुम चारों ओर से विपत्तियों से घिरे हुए हो-न तुम्हारा भाग्य साथ दे रहा हो और न प्रकृति-ऐसी स्थिति में भी तुम्हारे अन्दर एक दिव्य शक्ति है। इसलिए अपने जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निरन्तर आगे बढ़ते रहो और समार्ग का त्याग मत करो। निश्चित रूप से तुम्हें सफलता मिलेगी।)

Reference : This stanza has been taken from the poem The Song of the Free composed by Swami Vivekanand, a saint, philosopher and a poet.

Context : This poem reveals the message of Swami Vivekanand to every human being. He gives some examples to show that there are so many difficulties in the life of everyone. It is our duty to face them boldly and then we shall become great.

Explanation : In this concluding stanza the poet says that life of man is full of so many difficulties, troubles, miseries, etc. Fate and nature also seem not to favour him. Friends also betray him. There may be many ups and downs in the life. Yet he should not leave the right path and should not lose heart. He should remember that he has a divine power with him. So he should march on boldly to achieve the real aim of life. Success must come.

(इस अन्तिम पद्यांश में कवि कहता है कि मनुष्य का जीवन बहुत-सी परेशानियों, कठिनाइयों और दुःखों से भरा हुआ है। भाग्य और प्रकृति भी उसका साथ देती हुई दिखाई नहीं देतीं। मित्र भी उसके साथ विश्वासघात कर जाते हैं। जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव भी आ सकते हैं। फिर भी उसे सद्मार्ग को नहीं छोड़ना चाहिए। और साहस भी नहीं छोड़ना चाहिए। उसे याद रखना चाहिए कि उसके पास दिव्य शक्ति है। अत: उसे जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए बहादुरी से आगे बढ़ना चाहिए। सफलता अवश्य मिलेगी।)

[Word-meanings : wounded= घायल injured; ho०d=सर head; unfurls = खोलना, फैलाना unfold; stirred up = उत्तेजित करना, तेज करना; blaze = चमकना, तेजी से जलना to bum with flame; resounds = पूँज होती है echoes; desert = रेगिस्तान; rage = क्रोध anger; deluge = मूसलाधार बारिश heavy rainfall; cleaves = चीर देती है splits; stirred = झकझोरना agitated; unfold = प्रकट करते हैं reveal.]

(साँप के ऊपर जब वार किया जाता है और वह जख्मी हो जाता है तभी अपना सिर उठाता है। जब शिकारी का तीर या गोली शेर को लगती है तभी आक्रामक गुस्से से भरी उसकी गरज पूरे जंगल में गूंजती है। जब आकाश की बिजली बादल का सीना चीर देती है अर्थात् पूरे जोर से चमकती है तभी बादल जोर की वर्षा करते हैं। इसी प्रकार जब आत्मा की गहराई में हलचल होती है अर्थात् अन्तरात्मा में भाव उत्पन्न होते हैं। तभी महान् व्यक्ति अपने सर्वोत्तम विचार प्रकट करते हैं।)

Reference : This stanza has been taken from the poem The Song of the Free composed by Swami Vivekanand, a saint, philosopher and a poet.

Context : This poem reveals the message of Swami Vivekanand to every human being. He gives some examples to show that there are so many difficulties in the life of everyone. It is our duty to face them boldly and then we shall become great.

Explanation : In this opening stanza the poet says that the snake shows its head when it is hurt. When the flame is excited, it burns brightly. When the lion is struck by the hunter’s arrow or bullet, its angry roars can be heard in the whole forest. When violent lightening is seen in the sky, it rains heavily. In the same way when the inner soul is stirred up, great ideas come out from within because the character of inner soul is divine.

(इस प्रथम पद्यांश में कवि कहता है कि साँप उस समय अपना सिर उठाता है जब इसे चोट पहुँचायी जाए। जब ज्वाला को उत्तेजित किया जाता है तब यह और तेजी से जलती है। जब शेर पर शिकारी का तीर या गोली लगती है तब इसकी क्रोध भरी गरज पूरे जंगल में सुनी जा सकती है। जब बहुत तेज चमकती हुई बिजली आकाश में दिखायी देती है तब भारी वर्षा होती है। इसी प्रकार जब अन्तरात्मा को उद्वेलित किया जाता है तब अन्दर से महान् विचार उत्पन्न होते हैं, क्योंकि अन्तरात्मा का लक्षण ईश्वरीय है।)

(2)
Let eyes grow dim and heart grow faint
And friendship fail and love betray.
Let fate its hundred horrors send
And clotted darkness block the way [2018]

And nature wore one angry frown
To crush you out—still know my soul;
You are divine, March on and on
Nor right nor left, but to the goal ! [2017, 18]

[Word-meanings : faint = कमजोर weak; fail=छोड़ जाते हैं abandon; betray=विश्वासघात करना to be disloyal; clotted darkness=पूर्ण अन्धकार complete darkness; block=रोकना hinder; frown =त्यौरी gloomy look; divine = ईश्वरीय Godly; nor right nor left =सही मार्ग पर अडिग unshaken not leaving the right path.]

(चाहे आँखों का प्रकाश धुंधला हो जाए, हृदये कमजोर हो जाए, सभी मित्र छोड़कर चले जाएँ, प्रेम विश्वासघात कर जाए, भाग्य भी चाहे सैकड़ों विपत्तियाँ भेज दे और पूर्ण अन्धकार तुम्हारे मार्ग में बाधा उत्पन्न कर दे अर्थात् कुछ भी दिखाई न दे और प्रकृति भी तुमसे नाराज होकर तुम्हें कुचल डाले। तब भी ऐ मेरे प्रिय ! याद रखो कि फिर भी तुम दिव्य हो। आगे बढ़ते रहो और न अपने दाएँ देखो न बाएँ बल्कि अपने जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आगे बढ़ते रहो। इस पद्यांश में कवि का तात्पर्य है कि यदि तुम चारों ओर से विपत्तियों से घिरे हुए हो-न तुम्हारा भाग्य साथ दे रहा हो और न प्रकृति-ऐसी स्थिति में भी तुम्हारे अन्दर एक दिव्य शक्ति है। इसलिए अपने जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निरन्तर आगे बढ़ते रहो और समार्ग का त्याग मत करो। निश्चित रूप से तुम्हें सफलता मिलेगी।)

Reference : This stanza has been taken from the poem The Song of the Free composed by Swami Vivekanand, a saint, philosopher and a poet.

Context : This poem reveals the message of Swami Vivekanand to every human being. He gives some examples to show that there are so many difficulties in the life of everyone. It is our duty to face them boldly and then we shall become great.

Explanation : In this concluding stanza the poet says that life of man is full of so many difficulties, troubles, miseries, etc. Fate and nature also seem not to favour him. Friends also betray him. There may be many ups and downs in the life. Yet he should not leave the right path and should not lose heart. He should remember that he has a divine power with him. So he should march on boldly to achieve the real aim of life. Success must come.

(इस अन्तिम पद्यांश में कवि कहता है कि मनुष्य का जीवन बहुत-सी परेशानियों, कठिनाइयों और दुःखों से भरा हुआ है। भाग्य और प्रकृति भी उसका साथ देती हुई दिखाई नहीं देतीं। मित्र भी उसके साथ विश्वासघात कर जाते हैं। जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव भी आ सकते हैं। फिर भी उसे सद्मार्ग को नहीं छोड़ना चाहिए। और साहस भी नहीं छोड़ना चाहिए। उसे याद रखना चाहिए कि उसके पास दिव्य शक्ति है। अत: उसे जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए बहादुरी से आगे बढ़ना चाहिए। सफलता अवश्य मिलेगी।)

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UP Board Solutions for Class 12 English Poetry Short Poems Chapter 9 Stopping by Woods on a Snowy Evening

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject English Poetry short Poems
Chapter Chapter 9
Chapter Name Stopping by Woods on a Snowy Evening
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 English Poetry Short Poems Chapter 9 Stopping by Woods on a Snowy Evening

About the Poet : Robert Lee Frost is one of the most distinguished American poets of 20th century. He studied classics for a brief period at Harvard, and worked at odd jobs. ‘as a teacher, a cobbler and a farmer. During his stay in England, he began publishing poems, and won national fame in America. His theme and technique continually developed from the early pastorals to the later profoundly philosophical treatment of man’s problems.

About the Poem : This is a poem about a man who is on his long journey. But he is tempted by the beauty of nature and wants to stop for some time. But soon he is reminded that he has to go on a long way. So he should check his desire of enjoying beauty and peace of nature. This poem was favourite of Jawaharlal Nehru probably because it reminded him of the tremendous tasks to perform in the service of the country.

Central Idea                                                                                                   [2010, 11, 13, 14, 16, 17, 18]
In this poem the poet refers to the man who is on a long journey but wants to enjoy nature by giving up his journey in the middle. But soon he is prompted within that he has to go on a very long way before sleeping. After that he can take rest and sleep. In fact the journey refers to the journey of life in which everybody has many responsibilities to perform before sleeping an eternal sleep. This is the reason that Pt. Jawaharlal Nehru also loved and liked this stanza.

(इस कविता में कवि उस व्यक्ति का सन्दर्भ देता है जो लम्बी यात्रा पर है, किन्तु अपनी यात्रा को बीच में ही छोड़कर प्रकृति का आनन्द लेना चाहता है। किन्तु शीघ्र ही उसे अन्तरात्मा से चेतना मिलती है कि उसे सोने से पहले बहुत लम्बा रास्ता तय करना है। उसके बाद ही वह आराम कर सकता है और सो सकती है। वास्तव में यात्रा का सम्बन्ध हमारी जीवन की यात्रा से है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को अनन्त निद्रा में सोने से पूर्व अनेक कर्तव्य निभाने होते हैं। यही कारण है कि पण्डित नेहरू भी कविता के इस पद्यांश को बहुत प्यार करते थे एवं पसन्द करते थे।)

EXPLANATIONS (With Meanings & Hindi Translation)
(1)
Whose woods these are I think I know.
His house is in the village though;
He will not see me stopping here
To watch his woods fill up with snow. [2009]

[Word-meanings: woods = जंगल forest; to watch = देखना to see; fill up with snow = बर्फ से ढका हुआ covered with snow.] (मैं मानता हूँ कि मुझे ज्ञात है कि यह बाग किसका है। यद्यपि उसका मकान गाँव में है। फिर भी यदि मैं यहाँ ठहर जाऊँ तब वह मुझे नहीं देख सकेगा क्योंकि वह देखेगा कि उसका बाग बर्फ से ढका हुआ है।)

Reference : This stanza has been taken from the poem ‘Stopping by Woods on a Snowy Evening’ composed by Robert Frost who was known as one of the greatest of modern American poets.

[ N.B. : The above reference will be used for all the explanations of this poem. ]

Context : This is a poem about a man who, on his way home, is lured by the sight of snow and woods. He is tempted to break his journey. But he is reminded of his daily household duties.

Explanation : In this stanza the poet says that a traveller is attracted by the beauty of a garden which is covered with snow. He wants to break his journey and stay here for some time. He knows well who is the owner of this garden. He lives in a village at a little distance from here. He is sure that the owner will not be able to see him due to snow and darkness. Thus his stay in the garden will be quite safe.

(व्याख्या—इस पद्यांश में कवि कहता है कि एक यात्री बाग की सुन्दरता से आकर्षित हो जाता है जो बर्फ से ढका हुआ है। वह अपनी यात्रा को तोड़ना चाहता है और यहाँ कुछ समय के लिए ठहरना चाहता है। वह भली प्रकार जानता है कि इस बाग का स्वामी कौन है। वह यहाँ से कुछ दूरी पर एक गाँव में रहता है। उसे निश्चित है कि बर्फ और अन्धेरे के कारण उसका मालिक उसे नहीं देख सकेगा। इस प्रकार बाग में उसका पड़ाव पूर्ण सुरक्षित होगा।)

(2)
My little horse must think it queer
To stop without a farmhouse near
Between the woods and frozen lake
The darkest evening of the year. [2009]

[Word-meanings : queer = विचित्र strange; farmhouse = खलिहान के पास का घर, अस्तबल a house near the farm, stable; frozen = बर्फ से ढकी हुई covered with snow.] (यदि मैं यहाँ ठहर जाऊँ तब मेरा घोड़ा पास में बिना किसी मकान या अस्तबल के यहाँ ठहरना विचित्र समझेगा अर्थात् उसे परेशानी होगी। यह स्थान बाग के बीच में है, झील का पानी जम गया है तथा यह पूरे वर्ष की सबसे अँधेरी शाम है।)

Context : This is a poem about a man who, on his way home, is lured by the sight of the snow and woods. He is tempted to break his journey. But he is reminded of his daily household duties.

Explanation : In this stanza the poet says that the traveller wants to pass his night in the beautiful garden. But at the same time he thinks about his horse who will feel uneasiness here. It will be a strange and unusual thing for him because there is no covered place or stable nearby. A horse feels comfortable only in a stable. Moreover it is the darkest evening of the year. The garden’is covered with snow and the lake water is also frozen. So the horse will neither get anything for eating nor for drinking. N.B.: The animal does not appear to share the feelings of the man for the loveliness of woods.

(इस पद्यांश में कवि कहता है कि यात्री अपनी रात सुन्दर बाग में बिताना चाहता है। किन्तु उसी समय अपने । घोड़े के विषय में सोचता है जो वहाँ परेशानी का अनुभव करेगा। यह उसके लिए अद्भुत और असाधारण ” बात होगी, क्योंकि वहाँ कोई ढका हुआ स्थान नहीं है और न पास में कोई अस्तबल। इसके अतिरिक्त यह पूरे वर्ष की सबसे अँधेरी रात है। बाग बर्फ से ढका हुआ है और झील का पानी भी जम गया है। इसलिए घोड़े को न तो कुछ खाने को मिलेगा और न पीने को। नोट–ऐसा प्रतीत होता है कि घोड़ा बाग की सुन्दरता के विषय में मनुष्य की भावनाओं में हिस्सा बँटाना नहीं चाहता।)

(3)
He gives his harness bells a shake
To ask if there is some mistake.
The only other sound’s the sweep
Of easy wind and downy flake. [2018]

[Word-meanings : harness = लगाम; shake = झटका; sweep = वेग से चलने की आवाज swift gliding motion; easywind = धीमी हवा gentle wind; downy flake = छोटे-छोटे बर्फ के टुकड़े soft snow pieces.]

(घोड़ा अपनी लगाम में लगी हुई घण्टियों को झटके से हिलाता है जिसका अर्थ है कि वह अपने मालिक से पूछता है कि क्या वहाँ ठहरकर वह भूल तो नहीं कर रहा है। घण्टियों की आवाज के अतिरिक्त वहाँ धीमी-धीमी हवा के चलने की आवाज या पेड़ों पर गिरने वाले बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़ों की ही आवाज सुनाई पड़ती है।)

Context : The traveller is tempted to stay in the garden because he is attracted by the beauty of the snow-covered garden. But at the same time he thinks that his horse will think it a strange thing and he will feel uneasiness here. . Explanation : In this stanza the poet says that inspite of his own desire to stay in the lovely woods the traveller is quite aware of discomfort and uneasiness of the horse. When the traveller was thinking about it, his horse shook his body and this caused a jingling of the bells tied to the harness. So there is either the sound of jingling of bells or the blowing of wind through the trees and of the snow pieces falling on the trees. Besides this there is perfect silence.

(इस पद्यांश में कवि कहता है कि सुन्दर बाग में ठहरने की अपनी इच्छा के होते हुए भी यात्री घोड़े की परेशानी और असुविधा क्रे प्रति सचेत है। जब यात्री इस विषय में सोच ही रहा था तभी उसके घोड़े ने अपना शरीर हिलाया और इससे लगाम में बँधी हुई घण्टियाँ बजने लगीं। अतः वहाँ या तो घण्टियों के बजने की आवाज है या पेड़ों में से हवा के बहने की आवाज या पेड़ों पर गिरने वाले बर्फ के टुकड़ों की आवाज, इसके अतिरिक्त वहाँ पूर्ण शान्ति है।)

(4)
The woods are lovely, dark and deep,
But I have promises to keep.
And miles to go before I sleep,
And miles to go before I sleep. [2009, 10, 11, 12, 14, 15, 16, 17, 18]

[Word-meanings : promises to keep = कार्य पूरे करना to carry out tasks or responsibilities; milestog० = लम्बी दूरी तय करना to go along distance; sleep= सोने जाना या अनन्त निद्रा immortal sleep.]

(बाग सुन्दर है, अँधेरा और घना है किन्तु मुझे अपने वायदे पूरे करने हैं अर्थात् अपने कार्य पूरे करने हैं। सोने से पहले मुझे लम्बी दूरी तय करनी है अर्थात् मृत्यु से पूर्व मुझे बहुत से कार्य पूरे करने हैं?)

Context : The traveller is tempted to stay in the garden because he is attracted by the beauty of the snow-covered garden. But at the same time he thinks that hiş horse will think it strange and he will feel uneasiness here.

Explanation : In this concluding stanza the traveller says that no doubt the garden is very beautiful and attractive. There is darkness and silence all-around. He wants to stay there. But at the same time he is reminded of the common duties which he has to fulfil before death, i.e. eternal death. N.B.: This stanza was favourite of Pt. Jawaharlal Nehru because it reminded him of a lot of tasks which he had to perform in the service of the country.

(इस अन्तिम पद्यांश में यात्री कहता है कि इसमें कोई सन्देह नहीं कि बाग बहुत सुन्दर और आकर्षक है। चारों ओर अँधेरा और खामोशी है। वह वहाँ ठहरना चाहती है। किन्तु उसी समय उसे उन सामान्य कर्तव्यों की याद आ जाती है जो उसे मृत्यु अर्थात् शाश्वत मृत्यु से पूर्व पूरे करने हैं। विशेष : यह पद्यांश पं० जवाहरलाल नेहरू को इसलिए अत्यधिक पसन्द था क्योंकि यह उन्हें उन असंख्य कार्यों की याद दिलाता था जो उन्हें देश की सेवा के लिए पूरे करने थे। उन्होंने इन पंक्तियों को अपने कार्यालय की मेज पर रखा हुआ था।)

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UP Board Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 10 Comparative Development Experiences of India and its Neighbours

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Economics
Chapter Chapter 10
Chapter Name  Comparative Development Experiences
of India and its Neighbours (भारत और इसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव)
Number of Questions Solved 45
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 10 Comparative Development Experiences of India and its Neighbours (भारत और इसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव)

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1.
कुछ क्षेत्रीय और आर्थिक समूहों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर
विश्व के लगभग सभी राष्ट्र 1960 के दशक से ही अपनी घरेलू अर्थव्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए अनेक क्षेघ्रीय एवं वैश्विक आर्थिक समूहों का निर्माण करते रहे हैं जैसे सार्क (SAARC), यूरोपीय संघ (EU), आसियान (ASEAN), जी-8 (G-8) तथा जी-20 (G-20) आदि।।

प्रश्न 2.
वे विभिन्न साधन कौन-से हैं जिनकी सहायता से देश अपनी घरेलू अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने का प्रयत्न कर रहे हैं ?
उत्तर
विभिन्न देश अपनी घरेलू अर्थव्यवस्थाओं को निम्न साधनों से मजबूत बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं

  1. विभिन्न प्रकार के क्षेत्रीय एवं वैश्विक आर्थिक समूहों का निर्माण करके जैसे सार्क (SAARC), आसियान (ASEAN), जी-8 (G-8), यूरोपीय संघ (EU) आदि।।
  2. अपनी अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुधारों को अपनाकर अर्थात् वैश्वीकरण की प्रक्रिया को अपनाकर।
  3. अपने पड़ोसी राष्ट्रों द्वारा अपनाई गई विकासात्मक प्रक्रियाओं को समझकर।
  4. अपने पड़ोसी देशों की शक्तियों एवं कमजोरियों को बेहतर ढंग से समझकर।
  5. वैश्वीकरण के प्रभावों का आकलन करके।

प्रश्न 3.
वे समान विकासात्मक नीतियाँ कौन-सी हैं जिनका कि भारत और पाकिस्तान ने अपने-अपने विकासात्मक पथ के लिए पालन किया है?
उत्तर
भारत व पाकिस्तान द्वारा अपनाई गई समान विकासात्मक नीतियाँ जिनके द्वारा उन्होंने अपने विकासात्मक पथ के लिए पालन किया है, निम्नलिखित हैं|

  1. भारत और पाकिस्तान ने अपने विकास पथ पर लगभग एक ही समय चलना प्रारम्भ किया है।
  2. भारत ने 1951 ई० में अपनी प्रथम पंचवर्षीय योजना की घोषणा की जबकि पाकिस्तान ने 1956 में अपनी प्रथम पंचवर्षीय योजना की घोषणा की। इस प्रकार दोनों ही देशों ने विकास के लिए आर्थिक नियोजन का मार्ग अपनाया।
  3. दोनों ही देशों ने प्रारम्भ में सार्वजनिक क्षेत्र के विस्तार पर बल दिया किन्तु निजी क्षेत्र की भी उपेक्षा नहीं की। इस प्रकार दोनों ही देशों ने ‘मिश्रित अर्थव्यवस्था अपनाई।
  4. दोनों ही देशों ने अपने व्यय का अधिकांश ‘सामाजिक विकास पर किया अर्थात् दोनों ही देशों की प्राथमिकता सार्वजनिक विकास’ रही।
  5. दोनों ही देशों ने अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए लगभग एक ही समय पर आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू किए।

प्रश्न 4.
1958 में प्रारम्भ की गई चीन के ‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड’ (महान प्रगति उछाल) अभियाष की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
‘महान् प्रगति उछाल’ (Great Leap Forward: GLF) 1958 ई० में चीन में आरम्भ किया गया। इसका प्रमुख उद्देश्य बड़े पैमाने पर देश का औद्योगीकरण करना था। इस अभियान के अन्तर्गत सरकार ने एक ऐसी सामाजिक जागृति को प्रोत्साहित किया जिसके द्वारा लोग औद्योगीकरण (उद्योगों की स्थापना) की 
ओर आकर्षित हुए। इसके अन्तर्गत लोगों को अपने घरों के पिछवाड़े खाली स्थानों पर उद्योग लगाने को प्रोत्साहित किया गया। इस अभियान के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे

  1. समष्टि स्तर पर औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करना।
  2. लोगों को अपने घरों के पिछवाड़े, खाली स्थानों पर उद्योग लगाने को प्रोत्साहित करना।
  3. ग्रामीण क्षेत्रों में सामूहिक खेती’ (commune) को प्रोत्साहित करना।

‘लेप लीप फॉरवर्ड’ अभियान को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। इनमें प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित थीं

  1. भयंकर सूखे ने चीन में तबाही मचा दी। इसमें लगभग 3 करोड़ लोग मारे गए।
  2. रूस और चीन के मध्य संघर्ष हो गया और रूस ने अपने उन सभी विशेषज्ञों को वापस बुला लिया जिन्हें औद्योगीकरण की प्रक्रिया के लिए सहायता करने के लिए चीन भेजा गया था।

प्रश्न 5.
“चीन की तीव्र औद्योगिक संवृद्धि 1978 में उसके सुधारों के आधार पर हुई थी। क्या आप | इस कथन से सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
चीन में आर्थिक सुधार 1978 ई० से लागू किए गए। ये सुधार विभिन्न चरणों में शुरू किए गए। प्रारम्भिक चरण में कृषि, विदेशी व्यापार तथा निवेश क्षेत्रकों में सुधार किए गए। उदाहरण के लिए कृषि क्षेत्रक कम्यून (सामूहिक) भूमि को छोटे-छोटे भू-खण्डों में बाँट दिया गया जिन्हें कृषि प्रयोग के लिए अलग-अलग परिवारों को आवंटित किया गया। कर देने के बाद शेष आय के वे स्वयं स्वामी थे। दूसरे चरण में औद्योगिक क्षेत्र में सुधार किए गए। ग्रामीण उद्योगों की स्थापना के लिए निजी क्षेत्रक को प्रोत्साहित किया गया। इसके फलस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्रक को निजी क्षेत्रक की प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। सुधार प्रक्रिया में ‘दोहरी कीमत निर्धारण पद्धति’ (Dual pricing policy) लागू की गई—

  1. सरकार द्वारा निर्धारित कीमत,
  2. बाजार द्वारा निर्धारित कीमत।।

आगतों और निर्गतों की एक निर्धारित मात्रा का क्रय-विक्रय सरकार द्वारा निर्धारित कीमतों पर किया जाता था जबकि शेष मात्रा का क्रय-विक्रय बाजार द्वारा निर्धारित कीमतों पर किया जाता था। विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र’ (Special economic zones) स्थाषित किए गए। परिणामस्वरूप चीन की औद्योगिक संवृद्धि दर तेजी से बढ़ती गई।

प्रश्न 6.
पाकिस्तान द्वारा अपने आर्थिक विकास के लिए की गई विकासात्मक पहलों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
पाकिस्तान द्वारा अपने आर्थिक विकास के लिए की गई विभिन्न विकासात्मक पहले निम्नलिखित 
हैं
(1) पाकिस्तान ने ‘मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया जिसमें सार्वजनिक व निजी क्षेत्रक मिलकर काम करते हैं। दोनों एक-दूसरे के पूरक होते हैं।
(2) 1950 और 1960 के दशकों में अन्त में पाकिस्तान ने अनेक प्रकार के नियन्त्रण लगाए

  • औद्योगिक विकास के लिए आयात प्रतिस्थापन की नीति को अफ्नाया।।
  • उपभोक्ता वस्तुओं के विनिर्माण को संरक्षण देने के लिए प्रशुल्क लगाए।
  • प्रतिस्पर्धा आयातों पर आयात-नियन्त्रण लगाए।
  • चुनिन्दा क्षेत्रों की आधारिक संरचना में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि की।
  • 1970 ई० के दशक में प्रमुख पूँजीगत वस्तुओं के उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया।
  • कृषि क्षेत्र में हरित क्रान्ति को प्रोत्साहन दिया।
  • 1970 और 1980 के दशकों के अन्त में अ-राष्ट्रीयकरण की नीति अपनाई और निजी क्षेत्रक को प्रोत्साहित किया।
  • 1988 ई० में देश में आर्थिक सुधार लागू किए गए।

प्रश्न 7.
चीन में ‘एक सन्तान नीति का महत्त्वपूर्ण निहितार्थ क्या है?
उत्तर
1970 ई० के दशक के अन्त में चीन में ‘एक सन्तान नीति लागू की गई थी। इस नीति के निम्नलिखित परिणाम सामने आए

  1. चीन में जनसंख्या वृद्धि की गति बहुत धीमी हो गई।
  2. चीन में लिंगानुपात (प्रति एक हजार पुरुषों में महिलाओं को अनुपात) में गिरावट आई।
  3.  यह अनुमान लगाया गया कि कुछ दशकों के बाद चीन में वयोवृद्ध लोगों की जनसंख्या का अनुपात युवा लोगों की अपेक्षा अधिक हो जाएगा।
  4. चीन को सामाजिक सुरक्षा उपाय बढ़ाने होंगे।

प्रश्न 8.
चीन, पाकिस्तान और १रत के मुख्य जनांकिकीय संकेतकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
चीन व भारत क्रमश: विश्व के सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश हैं। विश्व में रहने वाले प्रत्येक छ: व्यक्तियों में से एक व्यक्ति भारतीय है और दूसरा चीनी है। इसके विपरीत पाकिस्तान की जनसंख्या बहुत कम है और वह चीन या भारत की जनसंख्या का लगभग दसवाँ भाग है। जनसंख्या वृद्धि की दर पाकिस्तान में सबसे अधिक है, और उसके बाद भारत व चीन का स्थान है। चीन में प्रजनन दर भी बहुत कम है और पाकिस्तान में बहुत अधिक। इसे तालिका 10.1 में दर्शाया गया है
UP Board Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 10 camparative development 1
[* नोट-इन आँकड़ों में हाँगकाँग, मकाओ और ताइवान प्रान्तों के आँकड़े शामिल नहीं हैं।] अर्युक्त तालिका में निम्न बातें स्पष्ट होती है

  1. जनसंख्या की दृष्टि से चीन का प्रथम, भारत का द्वितीय तथा पाकिस्तान का तृतीय है।
  2. जनसंख्या की वार्षिक संवृद्धि दर पाकिस्तान में सर्वाधिक (2.5) है। इसके बाद भारत (1.7) का नम्बर आता है। चीन (1.0) में यह सबसे कम है।
  3. भारत में जनसंख्या का घनत्व सर्वाधिक (358) है जबकि पाकिस्तान में 193 तथा चीन में 138 है।
  4. लिंगानुपात की दृष्टि से चीन का  प्रथम (937), भारत का द्वितीय (933) तथा पाकिस्तान का तृतीय (922) है।
  5. प्रजनन दर पाकिस्तान में सर्वाधिक (5.1) है जबकि भारत में यह 3.0 तथा चीन में सबसे कम (1.8) है।
  6. चीन (36.1) तथा पाकिस्तान (33.4) दोनों ही में नगरीकरण अधिक है। भारत में नगरीय क्षेत्रों में लगभग 28% लोग रहते हैं।

प्रश्न 9.
मानव विकास के विभिन्न संकेतकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
मानव विकास के विभिन्न संकेतक निम्नलिखित हैं

  1. प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद।
  2. निर्धनता रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोग।
  3. जन्म के समय जीवन प्रत्याशा।
  4. प्रौढ़ साक्षरता दरें (15 वर्ष और अधिक आयु)।
  5. सामान्य साक्षरता दर :
  6. शिशु मृत्यु-दर।
  7. मातृत्व मृत्यु-दर।
  8. उत्तम स्वच्छता तक धारणीय पहुँच वाली जनसंख्या।
  9. उत्तम जलस्रोतों तक धारणीय पहुँच वाली जनसंख्या।
  10. अल्पपोषित जनसंख्या।

प्रश्न 10.
स्वतन्त्रता संकेतक की परिभाषा दीजिए। स्वतन्त्रता संकेतकों के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर
स्वतन्त्रता संकेतक की परिभाषा स्वतन्त्रता संकेतक को ‘सामाजिक व राजनीतिक निर्णय प्रक्रिया में लोकतान्त्रिक भागीदारी के रूप में परिभाषित किया जाता है। प्रमुख स्वतन्त्रता संकेतांकों के उदाहरण निम्नलिखित हैं

  1. नागरिक अधिकारों की संवैधानिक संरक्षण की सीमा।
  2. न्यायपालिका की स्वतन्त्रता को संरक्षण देने की संवैधानिक सीमा।
  3. विधिसम्मत शासन।

प्रश्न 11.
उन विभिन्न कारकों का मूल्यांकन कीजिए जिनके आधार पर चीन में आर्थिक विकास में 
तीव्र वृद्धि (तीव्र आर्थिक विकास) हुई। उत्तर
चीन में तीव्र आर्थिक विकास के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  1. विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के दिशा-निर्देशों के बिना ही चीन ने 1978 ई० में आर्थिक सुधारों को आरम्भ किया।
  2. व्यापक भूमि सुधार, सामुदायिकीकरण और ग्रेट लीप फॉरवर्ड जैसी पहले (Initiatives) ली गईं।
  3. स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में आधारिक संरचना का निर्माण किया गया, योजनाओं को विकेन्द्रीकरण किया गया, भू-सुधार कार्यक्रमों को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया गया तथा लघु उद्योगों के विकास पर पर्याप्त बल दिया गया।
  4. ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं का बड़े व्यापक स्तर पर प्रसारण किया गया।
  5. प्रत्येक सुधार को पहले छोटे स्तर पर लागू किया गया और बाद में उसे बड़े पैमाने पर लागू किया गया। उपर्युक्त सुधारों के कारण चीन की वार्षिक संवृद्धि दर में तेजी से वृद्धि हुई।

प्रश्न 12.
भारत, चीन और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्थाओं से सम्बन्धित विशेषताओं को तीन शीर्षकों के अन्तर्गत समूहित कीजिए

  1. एक सन्तान का नियम
  2. निम्न प्रजनन दर
  3. नगरीकरण का उच्च स्तर
  4. मिश्रित अर्थव्यवस्था
  5. अति उच्च प्रजनन पर
  6. भारी जनसंख्या
  7. जनसंख्या का अत्यधिक घनत्व
  8. विनिर्माण क्षेत्रक के कारण संवृद्धि
  9. सेवा क्षेत्रक के कारण संवृद्धि।

प्रश्न 13.
पाकिस्तान में धीमी संवृद्धि दर तथा पुनःनिर्धनता के कारण बताइए।
उत्तर
पाकिस्तान में संवृद्धि दर धीमी रही है। यह 1980-90 के दशक में 6.3% थी जो 1990-2003 की अवधि के दौरान घटकर 3.6% रह गई। यह गिरावट कृषि, विनिर्माण व सेवा–तीनों ही क्षेत्रकों में देखी गई। संवृद्धि दर में गिरावट के साथ-साथ निर्धनता का स्तर भी कम होने के बाद 1990 के दशक में पुन: बढ़ने लगा है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  1. कृषि संवृद्धि और खाद्य पूर्ति, तकनीकी परिवर्तन संस्थागत प्रक्रिया पर आधारित न होकर अच्छीफसल पर आधारित था। फसल के अच्छा होने पर अर्थव्यवस्था ठीक रहती थी और फसल के अच्छी न होने पर संवृद्धि दर गिर जाती थी।
  2. विदेशी मुद्रा फ़ा अर्जन विनिर्मित उत्पादों के निर्यात पर आधारित न होकर, मध्य-पूर्व में काम करने वाले पाकिस्तानी श्रमिकों की आय प्रेषण तथा अति अस्थिर कृषि उत्पादों के निर्यातों पर आधारित था।
  3. पाकिस्तान में विदेशी ऋणों पर निर्भर रहने की प्रवृत्ति बढ़ रही थी और दूसरी ओर पुराने ऋणों को चुकाने की कठिनाई बढ़ती जा रही थी। इस प्रकार पाकिस्तान विदेशी ऋण-जाल में फँसता जा रहा था।
  4.  पाकिस्तान विनिर्माण क्षेत्र के लिए आवश्यक आधारिक संरचना का निर्माण नहीं कर पाया।
  5. आतंकवाद के चलते विदेशी निवेशकों ने पाकिस्तान में निवेश के प्रति रुचि नहीं दिखाई।

प्रश्न 14.
कुछ विशेष मानव विकास संकेतांकों के सन्दर्भ में भारत, चीन और पाकिस्तान के विकास की तुलना कीजिए और उसका वैषम्य बताइए।
उत्तर
तालिका 10.2 में भारत, चीन और पाकिस्तान में मानव विकास के कुछ विशेष मानव विकास संकेतांकों की निष्पादन प्रवृत्ति को दर्शाया गया है|

तालिका 10.2 : कुछ विशेष मानव विकास संकेतांक (2003 ई0)
UP Board Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 10 camparative development 2
UP Board Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 10 camparative development 3

 उपर्युक्त तालिका के प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित हैं

  1. प्रति व्यक्ति जी०डी०पी० की दृष्टि से चीन भारत व पाकिस्तान से आगे है। इसमें पाकिस्तान का स्थान सबसे नीचे है।
  2. निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या पाकिस्तान में सबसे कम है। भारत में सबसे अधिक लोग निर्धनता रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं। यदि इस संख्या को प्रतिशत में अभिव्यक्त करें, तो यह प्रतिशत चीन में सबसे कम है।
  3. जीवन प्रत्याशा चीन में सर्वाधिक है। इसके बाद क्रमशः भारत व पाकिस्तान का स्थान है।
  4. प्रौढ़ साक्षरता दर में चीन का स्थान सर्वोपरि है। इसके बाद भारत और पाकिस्तान का स्थान आता
  5. शिशु मृत्यु-दर एवं मातृत्व मृत्यु-दर भी चीन में ही सबसे कम है। इसके बाद शिशु मृत्यु-दर में भारत तथा मातृत्व मृत्यु दर में पाकिस्तान का स्थान है।
  6. स्वच्छता व जलस्रोतों तक धारणीय पहुँच वाली जनसंख्या का प्रतिशत भी पाकिस्तान में सर्वाधिक
  7. सबसे कम अल्पोषित जनसंख्या का प्रतिशत चीन में है। इसके बाद क्रमशः भारत और पाकिस्तान का स्थान है।

संक्षेप में, अनेक सूचकों में चीन, अनेक सूचकों में भारत तो अनेक सूचकों में पाकिस्तान आगे है, किन्तु समग्र रूप में चीन का सर्वोपर (85वाँ) स्थान है जबकि भारत और पाकिस्ताने का स्थान क्रमशः 127वाँ व 135वाँ है।

प्रश्न 15.
पिछले दो दशकों में चीन और भारत में देखी गई संवृद्धि दर की प्रवृत्तियों पर टिप्पणी| कीजिए।
उत्तर
पिछले दो दशकों में चीन और भारत की संवृद्धि की प्रवृत्तियों को तालिका 10.3 में दर्शाया गया है
UP Board Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 10 camparative development 4

उपर्युक्त तालिका में निम्न बातें स्पष्ट होती हैं

  1. दोनों देशों में कृषि संवृद्धि की दर घटी है। भारत में यह 3.1% से घटकर 2.7% रह गई है जबकि चीन में यह 5.9% से घटकर 3.9% रह गई। स्पष्ट है कि गिरावट की यह दर चीन में अधिक रही
  2. चीन में उद्योग की संवृद्धि दर बढ़ी है। (10.8% से बढ़कर 11.8%) जबकि भारत में औद्योगिक | संवृद्धि दर घटी है (7.4% से घटकर 6.6%)।
  3. भारत में सेवा क्षेत्रक में संवृद्धि दर बढ़ी है (6.9% से बढ़कर 7.9%) जबकि चीन में यह घटी है।| (13.5% से घटकर 8.8%)। इस प्रकार भारत में सेवा क्षेत्रक और चीन में विनिर्माण क्षेत्रक में जी०डी०पी० योगदान अधिक रहा है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों को भरिए
(क) 1956 ई० में ………….” की प्रथम पंचवर्षीय योजना शुरू हुई थी पाकिस्तान/चीन)
(ख) मातृत्व मृत्यु-दर ……….. में अधिक है। 
(चीन/पाकिस्तान)
(ग) निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का अनुपात :………..’ में अधिक है। 
(भारत/पाकिस्तान)
(घ) …………. में आर्थिक सुधार 1978 ई० में शुरू किए गए थे। (चीन/पाकिस्तान)
उत्तर
(क) पाकिस्तान,
(ख) पाकिस्तान,
(ग) भारत,
(घ) चीन।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
महान प्रगति उछाल (ग्रेट लीप फॉरवर्ड) का आरम्भ कहाँ किया गया?
(क) भारत में
(ख) चीन में
(ग) नेपाल में
(घ) अमेरिका में
उत्तर
(ख) चीन में।।

प्रश्न 2.
चीन में आर्थिक सुधार लागू किए गए
(क) सन् 1958 में
(ख) सन् 1988 में
(ग) सन् 1950 में
(घ) सन् 1978 में
उत्तर
(घ) सन् 1978 में।

प्रश्न 3.
पाकिस्तान में कब आर्थिक सुधार लागू किए गए?
(क) सन् 1988 में
(ख) सन् 1990 में
(ग) सन् 2000 में
(घ) सन् 1900 में
उत्तर
(क) सन् 1988 में।।

प्रश्न 4.
चीन में एक सन्तान नीति कब लागू की गई?
(क) सन् 1980 में
(ख) सन् 1900 में
(ग) सन् 1970 में
(घ) सन् 1950 में
उत्तर
(ग) सन् 1970 में।

प्रश्न 5.
भारत सरकार ने कब आर्थिक सुधार लागू किए?
(क) 1990 के दशक में ।
(ख) 1980 के दशक में
(ग) 2000 के दशक में ।
(घ) 2010 के दशक में
उत्तर
(क) 1990 के दशक में।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किन्हीं दो क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूहों के नाम बताइए।
उत्तर
क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह हैं-
(1) सार्क
(2) आसियान।

प्रश्न 2.
भारत की प्रथम पंचवर्षीय योजना की अवधि क्या थी?
उत्तर
भारत की प्रथम पंववर्षीय योजना की अवधि 1951-56 ई० थी।

प्रश्न 3.
पाकिस्तान ने अपनी प्रथम पंचवर्षीय योजना की घोषणा कब की?
उत्तर
पाकिस्तान ने सन् 1956 में अपनी प्रथम पंचवर्षीय योजना की घोषणा की। इसे मध्यकालिक योजना भी कहा गया।

प्रश्न 4.
चीन ने अपनी प्रथम पंचवर्षीय योजना की घोषणा कब की?
उत्तर
चीन ने अपनी प्रथम पंचवर्षीय योजना की घोषणा 1953 ई० में की।

प्रश्न 5.
भारत व पाकिस्तान की दो समान नीतियाँ बताइए।
उत्तर
भारत व पाकिस्तान की दो समान नीतियाँ थीं
(1) वृहत् सार्वजनिक क्षेत्र का सृजन
(2) सामाजिक विकास पर अधिक सार्वजनिक व्यय।

प्रश्न 6.
‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड क्या है?
उत्तर
‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड’ 1958 ई० में चलाया चीन का एक मुख्य अभियान था जिसका मुख्य बिन्दु देश के औद्योगीकरण को उच्च पैमाने पर ले जाना था।

प्रश्न 7.
कम्यून क्या था?
उत्तर
केम्यून एक ऐसी पद्धति थी जिसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में लोग सामूहिक रूप से खेती करते थे। 1958 ई० में लगभग 26,000 कम्यून थे।

प्रश्न 8.
जी०एल०एफ० अभियान में कौन-कौन-सी प्रमुख समस्याएँ आई?
उत्तर
जी०एल०एफ० अभियान में दो प्रमुख समस्याएँ सामने आईं-
(1) भयंकर सूखा,
(2) रूस और चीन के मध्य संघर्ष।

प्रश्न 9.
माओ ने चीन में किस क्रान्ति का आरम्भ किया?
उत्तर
1965 ई० में माओ ने ‘महान् सर्वहारा सांस्कृतिक क्रान्ति’ का आरम्भ किया जिसके अन्तर्गत छात्रों और विशेषज्ञों को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने और अध्ययन करने के लिए भेजा गया।

प्रश्न 10.
चीन में तीव्र औद्योगिक संवृद्धि दर का मुख्य कारण क्या था?
उत्तर
चीन में तीव्र औद्योगिक संवृद्धि दर का मुख्य कारण 1978 ई० में लागू किए गए ‘सुधार कार्यक्रम

प्रश्न 11.
चीन में आर्थिक सुधारों को किस प्रकार लागू किया गया?
उत्तर
चीन में आर्थिक सुधार विभिन्न चरणों में लागू किए गए। प्रथम चरण में कृषि, विदेशी व्यापार तथा निवेश क्षेत्रों में सुधार किए गए तथा द्वितीय चरण में औद्योगिक क्षेत्र में सुधार आरम्भ किए गए।

प्रश्न 12.

चीन में दोहरी कीमत निर्धारण पद्धति क्या थी?
उत्तर
चीन में कीमत का निर्धारण दो प्रकार से किया जाता था
(1) निर्धारित मात्रा का क्रय-विक्रय सरकार द्वारा निर्धारित कीमत पर तथा
(2) शेष वस्तुओं का क्रय-विक्रय बाजार कीमतों पर।

प्रश्न 13.
चीन में विशेष आर्थिक क्षेत्र क्यों स्थापित किए गए?
उत्तर
चीन में विशेष आर्थिक क्षेत्र विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए स्थापित किए गए।

प्रश्न 14.
1950 व 1960 ई० के दशकों के अन्त में पाकिस्तान की नीतियाँ कैसी थीं?
उत्तर
1950 व 1960 के दशकों के अन्त में पाकिस्तान ने अनेक प्रकार की नियन्त्रित नीतियों का प्रारूप लागू किया। इनमें से प्रमुख थीं-आयात-प्रतिस्थापन नीति, प्रशुल्क संरक्षण, प्रतिस्पर्धी आयातों पर प्रत्यक्ष नियन्त्रण आदि।

प्रश्न 15.
पाकिस्तान में हरित क्रान्ति के क्या परिणाम हुए? ”
उत्तर
पाकिस्तान में हरित क्रान्ति के परिणाम हुए-कृषि यन्त्रीकरण में वृद्धि, खाद्यान्नों के उत्पादन में तीव्र वृद्धि, कृषि-भू-संरचना में परिवर्तन आदि।

प्रश्न 16.
चीन में जनसंख्या वृद्धि की धीमी दर का क्या कारण रहा है?
उत्तर
1970 ई० के दशक के अन्त में चीन में केवल एक सन्तान नीति’ को लागू करना।

प्रश्न 17.
1980 ई० के दशक में पाकिस्तान की संवृद्धि दर में भारी गिरावट के क्या कारण थे?
उत्तर
ये कारण थे—
(1) 1988 ई० में प्रारम्भ की गई सुधार प्रक्रिया तथा
(2) राजनीतिक अस्थिरता।

प्रश्न 18.
चीन, भारत व पाकिस्तान के जी०डी०पी० में किस क्षेत्र का योगदान सर्वाधिक है?
उत्तर
चीन में विनिर्माण क्षेत्रक का तथा भारत व पाकिस्तान में सेवा क्षेत्रक का योगदान सर्वाधिक है।

प्रश्न 19.
कोई दो मानव विकास संकेतांकञताइए।
उत्तर
ये हैं—
(1) प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद तथा
(2) जीवन प्रत्याशा।

प्रश्न 20.
कोई दो स्वतन्त्रता संकेतांक बताइए।
उत्तर
ऐसे संकेतांक हैं—
(1) सामाजिक व राजनीतिक निर्णय-प्रक्रिया में लोकतान्त्रिक भागीदारी तथा
(2) न्यायपालिका की स्वतन्त्रता को संरक्षण देने की संवैधानिक सीमा।

प्रश्न 21.
चीन, पाकिस्तान और भारत ने कब-कब आर्थिक सुधार आरम्भ किए?
उत्तर
चीन ने 1978 ई० में, पाकिस्तान में 1988 ई० में तथा भारत ने 1991 ई० में आर्थिक सुधार प्रारम्भ किए।

प्रश्न 22.
चीन, पाकिस्तान और भारत में आर्थिक सुधारों का प्रेरणा-स्रोत क्या था?
उत्तर
चीन ने संरचनात्मक सुधारों का निर्णय स्वयं लिया था जबकि भारत और पाकिस्तान को अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने ऐसे सुधार करने के लिए बाध्य किया था।

प्रश्न 23.
चीन ने जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए किस नीति का अनुसरण किया?
उत्तर
चीन ने जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए केवल एक सन्तान नीति’ का अनुसरण किया।

प्रश्न 24.
चीन, पाकिस्तान व भारत में से किस देश में कृषि निर्भरता सबसे अधिक है?
उत्तर
चीन, पाकिस्तान व भारत में से भारत में कृषि निर्भरता सबसे अधिक है।

प्रश्न 25.
चीन, पाकिस्तान व भारत की विकास नीति क्या रही?
उत्तर
चीन ने फ्रम्परागत विकास नीति को अपनाया जिसमें क्रमशः कृषि से विनिर्माण तथा उसके बाद सेवा की ओर अग्रसर होने की प्रवृत्ति थी। भारत तथा पाकिस्तान सीधे कृषि से सेवा क्षेत्रक की ओर चले गए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के मुख्य आयात और निर्यात कौन-से हैं?
उत्तर
भारत की मुख्य आयातक वस्तुएँ हैं-उर्वरक, खाद्य तेल, अखबारी कागज, पेट्रोलियम उत्पाद, मशीनरी, परियोजना का सामान, औषधि और फार्मास्युटिकल उत्पाद, कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन, कोयला, कुकिंग कोल व कृत्रिम रेजिन आदि।। भारत की मुख्य निर्यातक वस्तुएँ हैं—समुद्री उत्पाद, अयस्क और खनिज, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, जवाहराते और आभूषण, रसायन और सह-उत्पाद, इन्जीनियरिंग का सामना, कपड़ा और दस्तकारी का सामान, चीनी, दुग्ध उत्पाद व इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि।

प्रश्न 2.
भारत की आर्थिक स्थिति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
भारत एक विकासशील देश है। भारतीय जनसंख्या का लगभग 70% भाग कृषि कार्य में संलग्न है। जबकि सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान लगभग 19.7% है। 1970 के दशक के हरित क्रान्ति के फलस्वरूप कृषि क्षेत्र ने महत्त्वपूर्ण प्रगति की है। इसके बावजूद लगभग 26% भारतीय आज भी निर्धन ही हैं। गत वर्षों में औद्योगि उत्पाद में विस्तार एवं विविधीकरण हुआ है। कार्य-बल का लगभग 15% भाग उद्योग क्षेत्र में कार्यरत है। 1990 के दशक में सरकार ने आर्थिक सुधार लागू किए जिसके अन्तर्गत भारतीय उद्योग को सभी प्रकार के नियन्त्रणों से मुक्त कर दिया गया, व्यापार के लिए भारतीय द्वार खोल दिए गए, विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए उचित कदम उठाए गए। तब से सेवा क्षेत्रक को तेजी से विस्तार हुआ है, आधारिक संरचना का निर्माण हुआ है और रोजगार के नए-नए अवसर सृजित हुए हैं। फलस्वरूप आज भारत विकासशील देशों में अधिकतम विकसित देश है।

प्रश्न 3.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है। जनसंख्या का लगभग 50% भाग इस कार्य में लगा है। खाद्यान्नों के उत्पादन में देश आत्मनिर्भर है। पाकिस्तान का उद्योग देश की अधिकांश उपभोक्ता वस्तुओं की जरूरतों को पूरा करता है। तेलशोधन, धातु प्रक्रमण तथा ताप बिजली संयन्त्रों के प्रयोग के फलस्वरूप बिजली के उत्पादन में बहुत अधूिक वृद्धि हुई है। इसके बावजूद आर्थिक दृष्टि से पाकिस्तान एक पिछड़ा देश है। यहाँ प्रति व्यक्ति आय कम है, आर्थिक निष्पादन अकुशल है और राजनीतिक अस्थिरता के कारण विकास की गति रुकी हुई है। विभिन्न आर्थिक एवं सामाजिक विकास की दृष्टि से पाकिस्तान पिछड़ता ही जा रहा है।

प्रश्न 4.
चीन की अर्थव्यवस्था पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
चीन एक विकासशील देश है। 1970 के दशक के पश्चात् इसका बड़ी तेजी से आर्थिक विकास हुआ है। कृषि अभी भी इसका मुख्य व्यवसाय है और 50% से भी अधिक जनसंख्या यहाँ कृषि कार्यों में संलग्न है। यहाँ पशुपालन व्यवसाय भी बड़े पैमाने पर किया जाता है। यहाँ बड़ी मात्रा में खनिज पदार्थ पाए जाते हैं तथा बड़ी मात्रा में खनिज तेल का उत्पादन किया जाता है। 1970 के अन्तिम वर्षों में आर्थिक नीतियों में परिवर्तन किए गए जिसके अन्तर्गत उद्योगों का विकेन्द्रीकरण किया गया। विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना की गई तथा विदेशी पूँजी को आकर्षित करने के लिए प्रयास किए गए जिसके फलस्वरूप औद्योगिक विकास को गति मिली।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत और पाकिस्तान की एकसमान सफलताएँ और विफलताएँ क्या हैं? किन क्षेत्रों में 
पाकिस्तान का निष्पादन भारत से बेहतर है और किन क्षेत्रों में भारत का निष्पादन पाकिस्तान से बेहतर है?
उत्तर

भारत और पाकिस्तान की एकसमान सफलताएँ

1. भारत तथा पाकिस्तान दोनों ही देश प्रति व्यक्ति आय को दुगुना करने में सफल रहे हैं।
2. दोनों ही देशों पर निर्धनता का भार कम हुआ है।
3. दोनों ही देश खाद्यान्नों के उत्पादन में आत्मनिर्भर हैं (प्राकृतिक विपदाओं के वर्षों को छोड़कर)।
4. दोनों ही देशों में ‘पोषण स्थिति में सुधार हुआ है।
5. दोनों ही अर्थवयवस्थाओं की प्रकृति दोहरी है-एक सुविकसित आधुनिक क्षेत्र तथा एक पिछड़ा हुआ रूढ़िवादी क्षेछ।

भारत और पाकिस्तान की एकसमान विफलताएँ

1. दोनों ही देश एक ‘सकुशल अर्थव्यवस्था’ का निर्माण कर पाने में विफल रहे हैं।
2. दोनों ही देशों में प्रशासनिक शिथिलता पाई जाती है। व्यापक भ्रष्टाचार, अधिकारों एवं अनुबन्धों का दोषपूर्ण प्रयोग और पारदर्शिता का अभाव दोनों ही देशों में विद्यमान है। इससे ‘जन भागीदारी हतोत्साहित हुई है।
3. दोनों ही देशों के राजकोषीय प्रबन्धन में अकुशलता पाई जाती है। राजकोषीय घाटा उच्च है, अनुत्पादक व्यय अधिक है, ऋण और ऋणों पर ब्याज का भार बढ़ता ही जा रहा है तथा मूल सामाजिक सेवाओं तक जनता की पहुँच निम्न है।
4. वित्तीय क्षेत्र की स्थिति चिन्ताजनक है। साख गुणवत्ता की उपेक्षा की गई है, बैंकों की | गैर-निष्पादक सम्पत्तियाँ बढ़ी हैं तथा वित्तीय क्षेत्र कमजोर हो गया है। 

पाकिस्तान के बेतहर निष्पादन वाले क्षेत्र

वे क्षेत्र जिनमें भारत का निष्पादन पाकिस्तान से बेहतर है, निम्नलिखित हैं
1. सॉफ्टवेयर के निर्यात में भारत ने आशा से अधिक प्रगति की है।
2. भारत में मानव संसाधन की कुशलता में अधिक तेजी से वृद्धि हुई है। ”
3. प्रतिरक्षा, प्रौद्योगिकी, अन्तरिक्ष अनुसन्धान, इलेक्ट्रॉनिक्स, एवियोनिक्स तणि जेनेटिक्स व दूरसंचार 
आदि क्षेत्रों में भारत की प्रगति अधिक सराहनीय रही है।
4. प्रौढ़ शिक्षा दर, महिला शिक्षा दर, सभी स्तरों पर नामांकन अनुपात तथा शिक्षा सूचकांक भारत में 
पाकिस्तान की तुलना में बहुत आगे हैं।

प्रश्न 2.
आर्थिक व सामाजिक प्रगति की दृष्टि से चीन व भारत की तुलना कीजिए।
उत्तर
चीन व भारत की तुलनात्मक प्रगति चीन में भारत का मुख्य बिन्दुओं को विवेचन निम्न प्रकार है

  1. यद्यपि दोनो ही देश आकार व जनसंख्या की दृष्टि से विशाल हैं, भारत की वृद्धि दर चीन की वृद्धि | दर से कम है तथा इसमें व्यापक उतार-चढ़ाव की प्रवृत्ति भी पाई जाती है।
  2. चीन में सुधार की प्रक्रिया अस्सी के दशक में प्रारम्भ हुई जबकि भारत में सुधार की प्रक्रिया 1990 के दशक में प्रारम्भ हुई।
  3. चीन में आर्थिक सुधार कार्यक्रमों का उद्देश्य देश में प्रतियोगी वातावरण का सृजन करना था जबकिभारत में आर्थिक सुधार कार्यक्रमों का प्रारम्भिक उद्देश्य भुगतान शेष के असाधारण संकट से निपटनी था।
  4. भारत की तुलना में चीन में सुधारों का ढाँचा निर्धन वर्ग के अधिक अनुकूल था।
  5. चीन में व्यापक पैमाने पर कृषि सम्बन्धी सुधार किए गए जबकि भारत में कृषि सम्बन्धी सुधार अभी शैशव अवस्था में ही हैं।
  6. भारत की तुलना में चीनी अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर मुक्त कर दिया गया है। चीन में विदेशी निवेशकों को पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त है। उन्हें उत्कृष्ट आधारिक संरचना प्रदान की गई है। इसके विपरीत भारत में व्यापक निर्धनता, अस्थिर सरकार, बढ़ रही वित्तीय समस्याएँ तथा घटिया भौतिक आधारिक संरचना विदेशी निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण नहीं बना पाई है।
  7. चीन में विदेशी निवेश भूमि, भवनों, प्लाण्ट तथा मशीनरी में पाया जाता है जबकि भारत में तुलनात्मक लघु विदेशी निवेश का अधिक अनुपात पोर्टफोलियो तथा विद्यमान उत्पादन क्षमता को खरीदने में पाया जाता है।
  8. मानवीय विकास सूचकांक के सम्बन्ध में चीन का स्थान भारत से ऊँचा है।
  9. निर्धनता घटाने में चीन की सफलता भारत से कहीं अधिक रही है। (चीन में 10% और भारत में 26%)।
  10. चीन में सकल घरेलू उत्पाद में उद्योगों का योगदान सर्वाधिक है जबकि भारत में सेवा क्षेत्रक का योगदान सर्वाधिक है। यद्यपि दोनों ही देशों में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान घटा है। किन्तु भारत की तुलना में चीन में यह अधिक तेजी से घटा है।
  11. चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को और अधिक औद्योगिक तथा विविध बना लिया है जबकि भारत में औद्योगिक विकास की गति अत्यधिक धीमी है।

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