UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi सूक्तिपरक निबन्ध

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Name सूक्तिपरक निबन्ध
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi सूक्तिपरक निबन्ध

देव-दैव आलसी पुकारा

सम्बद्ध शीर्षक

  • परिश्रम का महत्त्व
  • करम प्रधान बिस्व करि राखा

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi उपयोगितापरक निबन्ध

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Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Name उपयोगितापरक निबन्ध
Category UP Board Solutions

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मानव-जीवन में वनों की उपयोगिता

सम्बद्ध शीर्षक

  • हमारी वन-सम्पदा और पर्यावरण
  • वन-संरक्षण की उपादेयता
  • वन-संरक्षण का महत्त्व
  • वृक्षारोपण का महत्त्व
  • वनमहोत्सव की उपादेयता
  • पर्यावरण की शुद्धता में सामाजिक वानिकी का योगदान
  • पर्यावरण और वृक्षारोपण

प्रमुख विचार-बिन्दु

  1. प्रस्तावना,
  2. वनों का प्रत्यक्ष योगदान,
  3. वनों का अप्रत्यक्ष योगदान,
  4. भारतीय वन-सम्पदा के लिए उत्पन्न समस्याएँ,
  5. वनों के विकास के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास,
  6. उपसंहार

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi स्वास्थ्यपरक निबन्ध

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Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Name स्वास्थ्यपरक निबन्ध
Category UP Board Solutions

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जीवन में खेलकूद की आवश्यकता और स्वरूप

सम्बद्ध शीर्षक

  • स्वस्थ तन, स्वस्थ मन
  • व्यक्तित्व-विकास में खेलों का महत्त्व
  • खेलकूद और योगासन का महत्त्व
  • शिक्षा और क्रीड़ा को सम्बन्ध
  • युवा पीढ़ी और खेलकूद का महत्त्व
  • खेलकूद : शिक्षा और विद्यार्थी
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा
  • विद्यालय में क्रीड़ा-शिक्षा का महत्त्व
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान

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UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 10 देशी व्यापार

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Board UP Board
Class Class 10
Subject Commerce
Chapter Chapter 10
Chapter Name देशी व्यापार
Number of Questions Solved 15
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Commerce Chapter 10 देशी व्यापार

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
दिल्ली और उत्तर प्रदेश के मध्य किया जाने वाला व्यापार कहलाता है।
(a) विदेशी व्यापार
(b) देशी व्यापार
(c) थोक व्यापार
(d) फुटकर व्यापार
उत्तर:
(b) देशी व्यापार

प्रश्न 2.
पूछताछ के पत्र के उत्तर में प्राप्त होने वाला पत्र कहलाता है।
(a) निर्ख-पत्र
(b) सूचना पत्र
(c) आदेश-पत्र
(d) व्यापारिक पत्र
उत्तर:
(a) निर्ख-पत्र

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प्रश्न 3.
रेलवे बिल्टी प्रलेख है।
(a) पूर्ण विनिमय साध्य
(b) विनिमय साध्य
(c) अर्द्ध-विनिमय साध्य
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अर्द्ध-विनिमय साध्य

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सी क्रिया व्यवसाय नहीं है? (2017)
(a) निर्माण
(b) ठेका कार्य
(c) सामाजिक सेवा
(d) अंशों में व्यवसाय
उत्तर:
(b) ठेका कार्य

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निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
एक ही देश के दो राज्यों के मध्य होने वाले व्यापार को क्या कहते हैं?
उत्तर:
अन्तर्राज्यीय व्यापार

प्रश्न 2.
क्या व्यापारिक सौदों का शुभारम्भ पूछताछ से होता है?
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 3.
मालगाड़ी द्वारा माल भेजने पर कौन-सा प्रपत्र भरना होता है?
उत्तर:
कन्साइनमेण्ट नोट (प्रेषण-पत्र)

प्रश्न 4.
रेलवे बिल्टी खो जाने पर कौन-सा फॉर्म भरना पड़ता है?
उत्तर:
क्षतिपूर्ति अनुबन्ध

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
देशी व्यापार किसे कहते हैं? इसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए। (2012)
उत्तर:
जब एक ही देश में रहने वाले दो व्यक्ति किसेतु के क्रेता (UPBoardSolutions.com) और विक्रेता हों, तो ऐसे व्यक्तियों के मध्य किए जाने वाले व्यापार को ‘देशी व्यापार’ कहते हैं। देशी व्यापार के दो प्रकार निम्नलिखित हैं

  1. स्थानीय व्यापार ऐसा व्यापार, जो किसी स्थान-विशेष में ही सीमित होता है, स्थानीय व्यापार कहलाता है।
  2. राज्यीय व्यापार ऐसा व्यापार, जो किसी राज्य-विशेष की सीमाओं तक ही सीमित होता है, राज्यीय व्यापार कहलाता है।

प्रश्न 2.
देशी व्यापार और विदेशी व्यापार में कोई दो अन्तर लिखिए। (2014)
उत्तर:
देशी व्यापार और विदेशी व्यापार में अन्तर
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प्रश्न 3.
विदेशी व्यापार क्या है? इसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए। (2013)
उत्तर:
विदेशी व्यापार दो अलग-अलग देशों के मध्य किया जाने वाला व्यापार विदेशी व्यापार कहलाता है जैसे-भारत तथा अमेरिका के मध्य होने वाला व्यापार।

विदेशी व्यापार को निम्नलिखित दो प्रकारों में बाँटा जा सकता है

  1. आयात व्यापार जब एक देश दूसरे देश से आवश्यकता (UPBoardSolutions.com) की वस्तुएँ क्रय करता है, तो उनके मध्य किए जाने वाले व्यापार को आयात व्यापार कहते हैं।
  2. निर्यात व्यापार जब एक देश दूसरे देश को आवश्यकता की वस्तुएँ विक्रय करता है, तो उनके मध्य किए जाने वाले व्यापार को निर्यात व्यापार कहते हैं।

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प्रश्न 4.
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य होने वाले व्यापार का नाम बताइए तथा इसे परिभाषित कीजिए। (2014)
उत्तर:
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य किए जाने वाले व्यापार को विदेशी व्यापार के नाम से जाना जाता है। प्रो. बेस्टेबिल के अनुसार, “सामाजिक विज्ञान के दृष्टिकोण से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न समुदाओं के बीच होने वाला व्यापार है अर्थात् यह (UPBoardSolutions.com) उन विभिन्न सामाजिक संगठनों के बीच होने वाला व्यापार है, जिन्हें समाजशास्त्र अपने अन्वेषण का क्षेत्र मानता है।’ फेडरिक लिस्ट के अनुसार, “आन्तरिक व्यापार हमारे बीच है तथा विदेश व्यापार हमारे और उनके (दूसरे देशों के) बीचद्धबीच होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1.
व्यापार तथा वाणिज्य में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
व्यापार तथा वाणिज्य में अन्तर
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प्रश्न 2.
रेलवे रसीद या बिल्टी (R/R-Railway Receipt) से आप क्या समझते हैं? रेलवे बिल्टी के लाभ बताइए।
उत्तर:
जब माल रेल द्वारा भेजा जाता है, तो रेलवे के अधिकारी उसकी जाँच करने के पश्चात् उसके प्रेषणकर्ता को एक रसीद देते हैं, जिसे रेलवे रसीद या बिल्टी (Railway Receipt) कहा जाता है। इस रेलवे रसीद के द्वारा यह प्रमाणित किया जा सकता है कि माल रेलवे (UPBoardSolutions.com) अधिकारी को सौंप दिया गया है। गन्तव्य स्थान पर माल को प्राप्त करने के लिए इस रसीद की आवश्यकता होती है। इस रसीद को रेलवे अधिकारी प्राप्त करके माल को उसके स्वामी को लौटा देते हैं। इस रसीद में निम्नलिखित विवरण लिखा होता है-

  1. माल भेजने वाले का नाम व पता
  2. माल का प्रेषण करने वाले स्टेशन का नाम
  3. गन्तव्य स्टेशन का नाम
  4. माल का विवरण
  5. माल पाने वाले का नाम व पता
  6. माल का तौल
  7. यह तथ्य कि भाड़ा चुका दिया गया है या अभी प्राप्त करना है

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इस रेलवे रसीद में उपरोक्त सभी शर्तों का विवरण, क्रम संख्या व रेलवे अधिकारी के हस्ताक्षर भी होते हैं। इस रसीद को दिखाकर रेलवे द्वारा आए हुए माल की सुपुर्दगी ली जा सकती है। रेलवे रसीद के लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. अनुबन्ध यह रेलवे और माल के प्रेषक के मध्य माल ले जाने का अनुबन्ध होता है।
  2. लिखित प्रमाण यह रेलवे द्वारा माल प्राप्त करने का लिखित प्रमाण होता है।
  3. प्रतिभूति इसको प्रतिभूति के रूप में रखकर ऋण प्राप्त किया जा सकता है।
  4. अधिकार-पत्र इसके द्वारा माल को छुड़ाया या उस पर अधिकार प्राप्त किया जा सकता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8 अंक)

प्रश्न 1.
देशी व्यापार किसे कहते हैं? देशी व्यापार के सौदे की गतिविधियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
देशी व्यापार का क्षेत्र अथवा देशी व्यापार के सौदे की गतिविधि

1. पूछताछ-पत्र प्रत्येक क्रेता व्यापारी माल के क्रय से पहले अनेक विक्रेता व्यापारियों से माल के विषय में पूछताछ करता है। यदि विक्रेता व्यापारी स्थानीय होता है, तो भाव की पूछताछ मौखिक रूप से या टेलीफोन के द्वारा की जा सकती है। यदि विक्रेता (UPBoardSolutions.com) व्यापारी दूर का होता है, तो यह जानकारी पत्राचार के माध्यम से प्राप्त करते हैं। पूछताछ में माल की किस्म, व्यापारिक छूट, सुपुर्दगी का ढंग व भुगतान की शर्ते, वस्तु की किस्म, आदि के बारे में तुलना की जाती है।

2. निर्ण-पत्र या कोटेशन किसी क्रेता व्यापारी से पूछताछ का पत्र प्राप्त होने पर विक्रेता व्यापारी को उसके उत्तर में वस्तुओं की मूल्य सूची भेजनी होती है, इस तरह के पत्र को निर्व-पत्र (Quotation) कहा जाता है। इसमें वस्तु की किस्म, भुगतान की शर्ते, मूल्य, छूट, माल की सुपुर्दगी, आदि बातों को पूर्ण विवरण लिखा होता है।

3. माल के लिए आदेश देना सभी व्यापारियों से मूल्य सूचियाँ या निर्ख-पत्र प्राप्तहोने पर उनका आपस में मिलान कर लिया जाता है तथा जिस व्यापारी का माल उत्तम व कम मूल्य का होता है, उस व्यापारी से वस्तु क्रय करने का निर्णय लिया जाता है। माल क्रय करने का आदेश मौखिक या पत्र के माध्यम से दियाजाता है।

4. आदेश-पत्र की प्राप्ति की सूचना यदि विक्रेता व्यापारी को किसी क्रेता व्यापारी से माल के क्रय का आदेश मिलता है, तो इसकी सूचना क्रेता (ग्राहक) को देनी होती है। इससे क्रेता को आश्वासन हो जाता है कि विक्रेता व्यापारी द्वारा उसके आदेश पर उचित ध्यान दिया जा रहा है।

5. माल उधार देना माल की आदेश-प्राप्ति के समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि माल उधार खरीदा जा रहा है अथवा नकद। यदि माल नकद खरीदा जाता है, तो कोई परेशानी नहीं रहती, किन्तु यदि उधार माल खरीदने का आदेश हो, तो ग्राहक की आर्थिक स्थिति के बारे में अवश्य जान लेना चाहिए। इस सन्दर्भ में प्रतिष्ठित व्यक्तियों के नाम भी पूछ लेने चाहिए और उसकी पिछली आर्थिक व व्यापारिक गतिविधियों को भी ध्यान में रखते हुए माल को विक्रय करने का निर्णय लेना चाहिए।

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6. माल का संग्रह एवं संवेष्टन ग्राहक की आर्थिक स्थिति से सन्तुष्ट हो जाने के बाद माल भेजने की तैयारी करनी चाहिए। माल आदेश-पत्र के अनुसार होना चाहिए। माल का मिलान करके इसे पैकिंग के लिए भेजा जाता है। इसकी पैकिंग वस्तु की किस्म के (UPBoardSolutions.com) अनुसार करनी चाहिए। माल के पैकेटों पर आवश्यक निर्देश भी लिख देने चाहिए। पैकिंग पर ग्राहक का नाम व मार्क आदि भी लिख देने चाहिए।

7. माल भेजना माल की पैकिंग हो जाने पर इसे भेजने की व्यवस्था करनी होती है। माल को उसकी प्रकृति व मार्ग की दूरी को ध्यान में रखते हुए साधन का चुनाव करना चाहिए, जैसे-सड़क वाहन, रेलवे, वायुयान, जलयान, आदि।

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi राजनीति सम्बन्धी निबन्ध

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Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Name राजनीति सम्बन्धी निबन्ध
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भारत में लोकतन्त्र की सफलता

सम्बद्ध शीर्षक

  • भारतीय लोकतन्त्र और राजनीतिक दल
  • भारत में लोकतन्त्र : सफल अथवा असफल
  • भारत में प्रजातन्त्र का भविष्य
  • भारत में लोकतन्त्र

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लोकतन्त्र और समाचार-पत्र

सम्बद्ध शीर्षक

  • आज के युग में समाचार-पत्रों का महत्त्व
  • समाचार-पत्र और वर्तमान जीवन
  • समाचार-पत्रों की उपयोगिता

प्रमुख विचार-बिन्दु

  1. प्रस्तावना,
  2. लोकतन्त्र में समाचार-पत्रों की भूमिका
    (क) राजनीतिक भूमिका;
    (ख) सामाजिक भूमिका;
    (ग) आर्थिक भूमिका,
  3. समाचार-पत्रों के लाभ
    (क) शिक्षा के प्रसार में सहायक;
    (ख) साहित्यिक उन्नति;
    (ग) व्यापार में सहायक;
    (घ) मनोरंजन के साधन,
  4. समाचार-पत्रों से हानियाँ,
  5. उपसंहार

प्रस्तावना-‘लोकतन्त्र’ का अर्थ है ‘लोक का तन्त्र’ अर्थात् ‘जनता द्वारा शासन’। भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के शब्दों में, “लोकतन्त्र जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन है” (Democracy is the government of the people, for the people, by the people)। इस प्रकार लोकतन्त्र में जनता ही सर्वेसर्वा होती है, अर्थात् अपनी भाग्यविधाता आप होती है। सारा जनसमुदाय प्रत्यक्ष रूप से शासन नहीं कर सकता, इसलिए वह एक निश्चित संख्या में अपने प्रतिनिधि चुनकर भेजता है, जो पारस्परिक सहयोग से देश के लिए हितकारी कानून बनाते हैं। इस प्रकार किसी देश एवं उसमें रहने वाले जनसमुदाय की उन्नति या अवनति उसके द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों की योग्यता एवं प्रामाणिकता पर निर्भर करती है। अत: लोकतन्त्र में यह नितान्त वांछनीय है कि प्रतिनिधियों का चुनाव बहुत सोच-समझकर उनकी क्षमता के आधार पर किया जाए। इसके लिए जनता का शिक्षित और ज्वलन्त देशभक्ति से सम्पन्न होना नितान्त आवश्यक है।

दुर्भाग्यवश हमारे देश की अधिकांश जमता अशिक्षित या अर्द्ध-शिक्षित है, इसीलिए उसे लोकतन्त्र की आवश्यकताओं की दृष्टि से यथासम्भव शिक्षित करना प्राथमिक आवश्यकता है। इसकी पूर्ति के दायित्व के गुरुतर भार को सर्वाधिक कुशलता से उठाने की क्षमता एकमात्र समाचार-पत्रों में ही है, क्योंकि समाचारपत्र प्रतिदिन धनी–निर्धन सभी तक पहुंचते हैं।

लोकतन्त्र में समाचार-पत्रों की भूमिका–लोकतन्त्र में समाचार-पत्रों की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका जनता को शिक्षित करने में है। इस भूमिका पर निम्नलिखित तीन दृष्टियों से विचार किया जा सकता है

(क) राजनीतिक भूमिको–लोकतन्त्र में निर्वाचन का सर्वाधिक महत्त्व है; क्योंकि उसी पर देश को भविष्य निर्भर करता है। समाचार-पत्र विभिन्न राजनीतिक दलों की घोषित नीतियों, उनके द्वारा चुनाव में पार्टी-टिकट पर खड़े किये गये प्रत्याशियों या निर्दलीय रूप में खड़े व्यक्तियों की योग्यता एवं पृष्ठभूमि का विस्तृत परिचय, चुनाव की प्रणाली एवं प्रक्रिया आदि का विवरण तथा विभिन्न नेताओं और प्रत्याशियों के भाषण आदि देकर जनता को शिक्षित करते हैं। इससे मतदाताओं को योग्य प्रत्याशी के चयन में सुविधा होती है।

सरकार बन जाने पर उसके कार्यकलाप एवं विरोधी दलों द्वारा उसकी समय-समय पर की जाने वाली आलोचनाओं, शासन की गतिविधियों एवं उसके द्वारा उठाये गये कदमों के औचित्य-अनौचित्य का पता समाचार-पत्रों के द्वारा चलता रहता है। साथ ही सम्पादक के नाम पत्रों, अग्रलेखों एवं देश के विभिन्न अंचलों में बसे प्रबुद्धजनों के मन्तव्यों से सरकारी गतिविधियों के विषय में जनता की प्रतिक्रिया का पता चलता है, जिससे स्वस्थ जनमत का विकास होता है और जनता सरकार पर दबाव डालकर उसे गलत कार्य करने से रोकती है। यदि सरकार लोक-विरोधी कार्य करती है तो मतदाता उसे अगले चुनाव में अपदस्थ करने का निर्णय ले सकते हैं। इससे शासक-वर्ग लोकमत की अवहेलना करने का साहस नहीं कर पाता।

जनता शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों, आन्दोलनों एवं स्मरण-पत्रों द्वारा भी सरकार को अपने मत से अवगत कराकर उसकी देश्ले या समाज-विरोधी गतिविधियों का विरोध करती है या अपनी उचित माँगें मनवाने के लिए दबाव डालती है। इस सबके समाचार भी समाचार-पत्रों में बराबर छपते रहते हैं, जिससे माँग के पक्ष या विपक्ष में जनमत के अधिक सुसंगठित होने में सुविधा होती है।

इसके अतिरिक्त समाचार-पत्रों में देश-विदेश की घटनाएँ एवं अपने देश पर पड़ने वाले उसके सम्भावित प्रभावों आदि का विवरण भी छपता रहता है, जिससे जनता को विश्व के विभिन्न देशों की आन्तरिक और बाह्य स्थिति तथा अपने देश के प्रति उनके मैत्री या शत्रुतापूर्ण रवैये की जानकारी भी मिलती रहती है। दैनन्दिन समाचारों के अतिरिक्त समाचार-पत्रों में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय घटनाचक्र के विषय में सुयोग्य विद्वानों के समीक्षात्मक लेख, परिचर्चा आदि भी छपते रहते हैं, जिससे जनता को विभिन्न घटनाओं को सही परिप्रेक्ष्य में देखने की दिशा मिलती है।

विज्ञजनों के अनुसार लोकतन्त्र की सफलता जनता की सतत जागरूकता पर निर्भर रहती है। यदि जनता अपने चुने प्रतिनिधियों पर प्रत्येक समय कड़ी नजर नहीं रखती तो शासकों के स्वेच्छाचारी या निरंकुश हो जाने की आशंका उत्पन्न हो जाती है। अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन की वाटरगेट काण्ड में लिप्तता को उजागर करने का श्रेय यदि वहाँ के राष्ट्रनिष्ठ समाचार-पत्रों को है तो निक्सन को उसके पद से अविलम्ब हटवाने का श्रेय वहाँ की सतत जागरूक जनता को। ऐसे ही देश में लोकतन्त्र सफल होता है।

किन्तु भारत में लोकतन्त्र एक मजाक बनकर रह गया है। इसका एक कारण तो यह है कि यहाँ के समाचार-पत्र अपना दायित्व पूर्ण निष्ठा से नहीं निभा पाते। जो थोड़े-बहुत स्वतन्त्र विचारों के राष्ट्रनिष्ठ पत्र हैं। भी, वे सरकार द्वारा बुरी तरह नियन्त्रित और प्रताड़ित हैं। जब तक समाचार-पत्र निर्भीकतापूर्वक शासक-दल की राष्ट्रघातक नीतियों का भण्डाफोड़ नहीं करेंगे, जनता को यह नहीं सिखाएँगे कि लोकतन्त्र में राष्ट्र ही सर्वोपरि होता है, व्यक्ति नहीं; तब तक लोकतन्त्र सफल नहीं हो सकता और सत्ताधारी स्वेच्छाचारी बनते रहेंगे। समाचार-पत्रों के माध्यम से भारत की अधिकतर अशिक्षित जनता को इस सम्बन्ध में जागरूक बनाकर ही उसे लोकतन्त्र में सफल बनाया जा सकता है।

(ख) सामाजिक भूमिका-समाचार-पत्रों की सामाजिक भूमिका भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। समाज में व्याप्त कुरीतियों, कुप्रथाओं, अन्धविश्वासों एवं पाखण्डों का भण्डाफोड़ कर समाचार-पत्र इन बुराइयों को उखाड़ फेंकने की प्रेरणा देकर समाज-सुधार का पथ प्रशस्त करते हैं। इस प्रकार वे विभिन्न प्रकार के अपराधों में संलग्न व्यक्तियों के कारनामे उजागर कर एक ओर जनता को सावधान करते हैं तो दूसरी ओर सरकार द्वारा उनकी रोकथाम में भी सहायक सिद्ध होते हैं। इसी प्रकार बाल-विवाह, दहेज-प्रथा, भ्रष्टाचार, शोषण, अनाचार, अत्याचार आदि के विरुद्ध प्रबल जनमत जगाने में भी समाचार-पत्रों की भूमिका उल्लेखनीय रही है।

(ग) आर्थिक भूमिका-समाचार-पत्र देश के अर्थतन्त्र को पुष्ट करने में पर्याप्त सहयोग देते हैं। इसके लिए दैनिक समाचार-पत्रों में एक पृष्ठ व्यापार से सम्बन्धित होता है। आयात-निर्यात के समाचार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की वृद्धि में सहायक होते हैं। अनेके जीवनोपयोगी वस्तुओं के विज्ञापन एवं पते भी समाचार-पत्रों में प्रकाशित होते हैं, जिनसे क्रेता-विक्रेता दोनों को लाभ प्राप्त होता है। सरकार की आर्थिक नीतियों या प्रस्तावित कानूनों आदि की पूर्वसूचना देकर समाचार-पत्र जनता को उनका समर्थन या विरोध करने या संशोधन कराने की प्रेरणा देते हैं। इस प्रकार समाचार-पत्र सरकार, व्यापारी वर्ग एवं जनता के मध्य आर्थिक समाचारों के वाहक एवं समीक्षक के रूप में देश के आर्थिक ढाँचे को सुदृढ़ बनाने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

समाचार-पत्रों के लाभ-समाचार-पत्रों से मुख्य रूप से निम्नलिखित लाभ होते हैं

(क) शिक्षा के प्रसार में सहायक-समाचार-पत्रों में समाचार के अतिरिक्त ऐसे गहन विषयों पर प्रकाश डाला जाता है, जिनके अध्ययन से हमें ज्ञान-विज्ञान से सम्बद्ध अनेक बातें मालूम होती रहती हैं। अल्प शिक्षित लोगों के ज्ञान को बढ़ाने में समाचार-पत्रों का विशेष योगदान होता है। समाचार-पत्रों द्वारा सर्वसाधारण के बीच भी शिक्षा के प्रसार में अधिक सहायता मिलती है। उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों को भी समाचार-पत्रों में नित्य नये-नये तत्त्वों, नये-नये विचारों और आविष्कारों की अनेक तथ्ययुक्त बातें पढ़ने को मिलती हैं, जिनसे उन्हें अपने ज्ञान-विस्तार का सुअवसर प्राप्त होता है।

(ख) साहित्यिक उन्नति–समाचार-पत्रों के प्रकाशन से साहित्यिक क्षेत्र में भी बहुत विकास हुआ है। आज समाचारपत्रों में विशेष रूप से साप्ताहिक और मासिक पत्रिकाओं में अनेक कहानियाँ, निबन्ध, महापुरुषों की जीवनी, लेख, एकांकी व नाटक प्रकाशित होते हैं, जिनसे साहित्य की उन्नति में पर्याप्त सहायता मिलती है।

(ग) व्यापार में सहायक-व्यापारिक उन्नति में भी समाचार-पत्र बहुत सहायक होते हैं। समाचार-पत्रों में अनेक वस्तुओं के विज्ञापन छपते हैं, जिनसे उनको प्रचार होता है और बाजार में उनकी माँग बढ़ती है।

(घ) मनोरंजन के साधन–समाचार-पत्र मनोरंजन का भी अच्छा साधन हैं। समाचार-पत्रों से हम विश्राम के समय कविताएँ, निबन्ध और कहानियाँ पढ़कर अपना मनोरंजन करते हैं।

समाचार-पत्रों से हानियाँ–समाचार-पत्र जब व्यापक देशहित को भुलाकर किसी राजनीतिक दल, पूँजीपति, सम्प्रदाय विशेष या सरकार के हाथ का खिलौना बन जाते हैं तो उनसे भयंकर हानि होती है। क्योंकि प्रतिदिन लाखों लोगों तक पहुँचने के कारण ये प्रचार का सबसे प्रबल साधन हैं। ऐसे समाचार-पत्रों में जो समाचार या सूचनाएँ प्रकाशित होती हैं, वे मुख्यत: अपने स्वामी की स्वार्थ-सिद्धि को दृष्टि में रखने से पक्षपातपूर्ण और संकुचित होती हैं। बहुत-से समाचार-पत्र अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए झूठी अफवाहें, निराधार एवं सनसनीपूर्ण समाचार, अभिनेत्रियों और मॉडल गर्ल्स के अश्लील चित्र प्रकाशित कर अनैतिकता को प्रोत्साहित करते हैं। इतिहास इस बात का साक्षी है कि देश में बहुत-से दंगे-झगड़े और साम्प्रदायिक उपद्रव समाचार-पत्रों द्वारा ही प्रोत्साहित किये गये। इस प्रकार के जातिगत, साम्प्रदायिक एवं प्रादेशिक विचार राष्ट्रीय एकता में बाधक सिद्ध होते हैं। कुछ समाचार-पत्र यदि सरकारी नीतियों का विवेचन कर जनता को वस्तुस्थिति से अनभिज्ञ रखकर देश की बड़ा अहित करते हैं तो कुछ सरकार की सही नीतियों की भी अन्यायपूर्ण आलोचना कर जनता को भ्रमित करते हैं।

उपसंहार–वर्तमान युग में समाचार-पत्रों का महत्त्व असन्दिग्ध है। वे यदि देशहित को सर्वोपरि मानकर निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता का आदर्श अपनाएँ तो देश का महान् उपकार कर सकते हैं। समाचार-पत्रों को लोकतन्त्र के चार शक्ति-स्तम्भों में से एक माना गया है। समाचार-पत्र लोगों को कूप-मण्डूकता से उबारकर जागरूक बनाते हैं, जनमत का निर्माण करते हैं। निष्पक्ष समाचार-पत्र राष्ट्र के आर्थिक आधार को पुष्ट करने के साथ-साथ सामाजिक बुराइयों का उन्मूलन करते हैं। वे न केवल देश के जनमत, अपितु विश्व-जनमत तक को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। सच तो यह है कि समाचार-पत्र लोकतन्त्र के सतत सजग प्रहरी हैं। उनके बिना आज स्वस्थ लोकतन्त्र की कल्पना तक नहीं की जा सकती।

आरक्षण की नीति एवं राजनीति

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  • आरक्षण : वरदान या अभिशाप

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अनुच्छेद 335 में संघ या राज्य की गतिविधियों से सम्बन्धित किसी पद या सेवा में नियुक्ति में प्रशासनिक कार्यकुशलता बनाये रखने के साथ-साथ अनुसूचित जातियों/जनजातियों के सदस्यों के दावों का लगातार ध्यान रखने की व्यवस्था है।

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इस स्वाभाविक और नैसर्गिक सद्गचाई को न मण्डल आयोग की सिफारिशें लागू करने वालों ने समझना चाहा और न ही संविधान के 104वें संशोधन के अनुसार काम करने का दावा करने वाले वर्तमान में समझना चाह रहे हैं।

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यही समान भागीदारी हमें जोड़ेगी, मजबूत बनाएगी। आवश्यकता आरक्षण को सम्पूर्णत: नकारने की नहीं, उसे विवेकपूर्ण बनाने और सभी पक्षों द्वारा सीमित अवधि के साधन के रूप में स्वीकारने की है।
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