UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 28 आचार्य विनोबा भावे (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

विनोबा जी का जन्म 11 सितम्बर, 1895 ई० को महाराष्ट्र में कोलाबा जिले के गागोदा ग्राम में हुआ। विनोबा जी पाठ्यपुस्तकों के साथ आध्यात्मिक पुस्तकों के पढ़ने में भी रुचि लेते थे। छोटी उम्र में (UPBoardSolutions.com) ही उन्होंने तुकाराम गाथा, दासबोध ब्रह्मसूत्र, शंकर भाष्य और गीता का अनेक बारे अध्ययन किया।

विनोबा जी कक्षा-5 से लेकर ऊँची कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाते थे वे उच्चकोटि के रचनाकार भी थे। उन्होंने मराठी, हिन्दी, तमिल, संस्कृत और बंगला में अनेक पुस्तकों की रचना की।

महात्मा गांधी के आग्रह पर वे साबरमती आश्रम चले आए। यहाँ वे उपनिषदों का नियमित वाचन और संस्कृत पढ़ाने का कार्य करने लगे। लोगों ने उन्हें आचार्य कहना प्रारम्भ कर दिया। इनमें आलस्य बिलकुल न था। वे दृढ संकल्पी और सच्चे कर्मयागी थे। विनोबा जी पर गीता का गहरा प्रभाव था। उन्होंने जगह-जगह घूमकर लोगों के सामाजिक उत्थान के विषय में विचार व्यक्त किए।

भूदान यज्ञ-विनोबा जी ज्यादा जमीन वाले किसानों की भूमि (UPBoardSolutions.com) का कुछ हिस्सा भूमिहीनों में बाँटते थे। इस प्रकार भूदान यज्ञ के द्वारा विनोबा जी ने भूमिहीनों को जमीन दिलाई।

सर्वोदय सिद्धांत-विनोबा जी के सर्वोदय सिद्धांत के तीन तत्व हैं- सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह (त्याग)। उनके अनुसार आध्यात्मिक विकास का आधार सत्य है। सामाजिक विकास का आधार अहिंसा और आर्थिक विकास का आधार अपरिग्रह है।

विनोबा जी के विचार-“समता का अर्थ ऐसी बराबरी है जिसमें योग्यता के आधार पर आकलन हो।” भक्ति ढोंग नहीं है। दिनभर झूठ बोलकर, पाप करके प्रार्थना नहीं होती। जिस घर में उद्योग की शिक्षा नहीं है, उस घर के बच्चे घर का नाश कर देंगे। स्वावलम्बन का अर्थ है- अपने आप पर निर्भर होना तथा दूसरों का मुंह न ताकना। आशय है – “जितना कमाओ, उतना खाओ।”

विनोबा जी ऋषि, गुरु और क्रान्तिदूत सभी कुछ थे। 15 नवम्बर, 1982 ई० को उनका निधन हो गया। वर्ष 1983 ई० में इन्हें भारत सरकार द्वारा मरणोपरान्त ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
विनोबा जी के सर्वोदय सिद्धांत को आशय लिखिए।
उत्तर :
विनोबा जी के सर्वोदय सिद्धांत का आशय स्वशासन और स्वावलम्बन था।

प्रश्न 2.
विनोबा जी ने आर्थिक विकास का आधार किसे और क्यों बताया है?
उत्तर :
विनोबा जी ने आर्थिक विकास का आधार अपरिग्रह (त्याग) बताया है क्योंकि इसमें ही धने का समान वितरण सम्भव है।

प्रश्न 3.
भूदान आन्दोलन को क्या उद्देश्य था?
उत्तर :
भूदान आन्दोलन का उद्देश्य भूमिहीन को बड़े किसानों की भूमि का कुछ हिस्सा दिलाना था।

प्रश्न 4.
विनोबा जी कैसी बराबरी चाहते थे? आपकी नजर में समता का क्या मतलब है?
उत्तर :
विनोबा जी ऐसी बराबरी चाहते थे जिसमें योग्यता के अनुसार सभी का आकलन हो। गणित की बराबरी दैनिक व्यवहार के लिए व्यावहारिक नहीं है। हम विनोबा जी के विचार से सहमत हैं।

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प्रश्न 5.
“जितना कमाओ – उतना खाओ’ विनोबा जी के इस कथन का क्या मतलब है।
उत्तर :
‘जितना कमाओ – उतना खाओ’ का मतलब है स्वावलम्बन और दूसरों का मुँह न ताकना।

प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)

  1. विनोबा जी में आलस्य लेशमात्र भी नहीं था।
  2. लोगों की सेवा करना विनोबा का धर्म बन गया था।
  3. विनोबा जी का कहना था कि केवल पाठशाला की शिक्षा पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है।
  4. दिन भर पाप करके, झूठ बोलकर प्रार्थना नहीं होती।

प्रश्न 7.
विनोबा जी द्वारा कहे गए निम्नलिखित शब्दों का सही मिलान कीजिए
उत्तर :
सत्य                सामाजिक विकास का आधार
अहिंसा           योग्यता के अनुसार कीमत
अपरिग्रह         जो खाता है वह उद्योग करे
समता             आध्यात्मिक विकास का आधार
उद्योग             पाप करके झूठ बोलकर प्रार्थना नहीं होती।
भक्ति               आर्थिक विकास को आधार

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प्रश्न 8.
नोट – 
विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 9 अशुद्ध वायु से होने वाले रोग

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 9 अशुद्ध वायु से होने वाले रोग

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
वायु द्वारा रोगों के संक्रमण का प्रसार किस प्रकार से होता है? इस प्रकार के संक्रमण से बचाव के उपायों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वायु; विशेष रूप से अशुद्ध वायु अनेक संक्रामक रोगों के प्रसार में प्रभावी माध्यम को कार्य करती है। वायु में अनेक रोगाणु पाए जाते हैं। रोगाणुओं का वायु में भली प्रकार से पनपना वायु की आर्द्रता, तापमान व सूर्य के प्रकाश की कम अथवा अधिक उपलब्धि पर निर्भर करता है। उदाहरण (UPBoardSolutions.com) के लिए-वर्षा ऋतु में अधिक आर्द्रता, अपेक्षाकृत कम सूर्य का प्रकाश व तापमान की परिस्थितियों में रोगाणु अधिक पनपते हैं, जबकि ग्रीष्म ऋतु की विपरीत परिस्थितियाँ रोगाणुओं के लिए घातक होती हैं। वायु द्वारा रोगाणुओं के प्रसार की कुछ सामान्य विधियाँ निम्नलिखित हैं

(1) धूल के कणों के साथ रोगाणुओं का स्थानान्तरण:
साधारणतः वायु में धूल के कण व रोगाणु दोनों ही पाए जाते हैं। जब वायु की गति में परिवर्तन होता है तो धूल के कणों के साथ-साथ रोगाणु भी भूमि पर गिरते रहते हैं। झाडू द्वारा भूमि की सफाई करते समय ये रोगाणु धूल के कणों के साथ निचले स्तर की वायु में आ जाते हैं तथा या तो आस-पास (UPBoardSolutions.com) के मनुष्यों की श्वास नलिकाओं में प्रवेश कर जाते हैं। या फिर आस-पास के खुले रखे भोज्य पदार्थों तक पहुँच जाते हैं। इस प्रकार रोगों के संक्रमण की पूर्ण सम्भावना बन जाती है।

बचने के उपाय:

  1. मकानों, सार्वजनिक भवनों एवं अस्पतालों इत्यादि की सफाई झाडू द्वारा नहीं करनी चाहिए। इन स्थानों की सफाई गीले पोंछे से करनी चाहिए जिससे कि धूल के उड़ने की कोई सम्भावना न रहे। सफाई करते समय पोंछे को रोगाणुमुक्त करने के लिए फिनाइल के घोल में भिगोते रहना चाहिए।
  2. वायु के संवातन की समुचित व्यवस्था तथा धूल के उड़ने पर नियन्त्रण रखने से फैलने वाले रोगों से एक बड़ी सीमा तक बचाव किया जा सकता है।

(2) मानवीय असावधानियों द्वारा रोगाणुओं का प्रसार:
छींकना, खाँसना, वार्तालाप करना, हँसना, रोना अथवा गाना आदि वैसे तो सामान्य मानवीय क्रियाएँ हैं, परन्तु रोगियों द्वारा नादानी एवं असावधानी से की गई ये क्रियाएँ ही संक्रामक रोगों के प्रसार का कारण बन जाती हैं। रोगी द्वारा खाँसने व छींकने से निकला कफ व म्यूकस पदार्थ रोगाणुयुक्त (UPBoardSolutions.com) होता है। यह आस-पास लगभग 3-4 फिट दूरी तक बैठे व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकता है। इसके अतिरिक्त म्यूकस पदार्थ धूल के कणों के साथ मिलकर वायु द्वारा दूर-दूर तक फैलकर रोगाणुओं का प्रसार कर सकता है। रोगाणुओं का यह समूह धूल के कणों के साथ मिलकर भार में हल्का होने के कारण एक लम्बे समय तक वायु में विचरण भी कर सकता है।

बचने के उपाय:

  1.  परिचर्या के समय रोगी से लगभग चार फीट की दूरी तक रहना चाहिए।
  2. सार्वजनिक स्थलों (जैसे- स्कूल, अस्पताल एवं छविगृहों इत्यादि)में एक-दूसरे से कम-से कम 4-5 फीट की दूरी पर रहना चाहिए।
  3. रोगी एवं स्वस्थ दोनों ही प्रकार के मनुष्यों को खुले अथवा सार्वजनिक स्थलों पर नहीं थूकना चाहिए तथा छींकते समय नाक को रूमाल से ढक लेना चाहिए।
  4.  रोगी का रूमाल अथवा तौलिया अन्य व्यक्तियों को प्रयोग नहीं करना चाहिए।

(3) वातानुकूलन संयन्त्र द्वारा रोगाणुओं का संक्रमण:
वातानुकूलन के कारण कमरे में आर्द्रता अधिक व तापमान कम बना रहता है। रोगाणुओं के पनपने के लिए यह एक उपयुक्त वातावरण है। वातानुकूलित कमरे में (UPBoardSolutions.com) रोगाणुओं का स्रोत बाहर से प्रवेश करने वाली वायु होती है। अतः यदि सावधानियाँ न रखी जाये तो वातानुकूलित कमरों में रहने वाले मनुष्य सरलतापूर्वक संक्रामक रोगों के शिकार बन जाते हैं।

बचने के उपाय:

  1. वातानुकूलन संयन्त्र में वायु के प्रवेश के स्थान पर जीवाणु-अभेद्य फिल्टर का लगा होना अति आवश्यक है। इसमें से छनकर केवल शुद्ध वायु ही कमरे में प्रवेश कर सकती है।
  2. सप्ताह में कम-से-कम दो बार वातानुकूलन संयन्त्र को बन्द कर कमरे को शुष्क किया जाना चाहिए और सम्भव हो, तो खिड़कियाँ इत्यादि खोलकर कमरे में धूप आने दें, इससे कमरे में उपस्थित रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। .

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प्रश्न 2:
वायु द्वारा फैलने वाले रोग कौन-कौन से हैं? किसी एक रोग का सविस्तार वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु अनेक रोगों के प्रसार का माध्यम है, जिनमें कुछ प्रमुख रोग निम्नलिखित हैं

  1.  डिफ्थीरिया,
  2.  काली खाँसी,
  3.  तपेदिक,
  4. चेचक,
  5.  खसरी,
  6. छोटी माता,
  7.  कर्णफेर,
  8. इन्फ्लू एंजा आदि।

रोहिणी (डिफ्थीरिया)

रोग का कारण:
यह रोग जीवाणुजनित रोग है तथा इसके जीवाणु वायु के माध्यम से फैलते हैं। कोरीनीबैक्टीरियम डिफ्थीरी नामक जीवाणु इस रोग की उत्पत्ति का कारण है। यह एक भयानक संक्रामक रोग है, जो कि प्राय: 2-5 वर्ष की आयु के बच्चों में अधिक होता है। यह रोग बहुधा शीत ऋतु में होता है।

सम्प्राप्ति काल: 2 से 3 दिन तक।

रोग के लक्षण:
इस रोग का प्रारम्भ रोगी की नाक व गले से होता है। इसके प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं

  1.  प्रारम्भ में गले में दर्द होता है और फिर सूजन आ जाती है तथा घाव बन जाते हैं।
  2.  शरीर का तापक्रम 101-104° फा० तक हो जाता है, परन्तु रोग बढ़ने पर यह कम हो जाता है।
  3.  टॉन्सिल व कोमल तालू पर झिल्ली बन जाती है, जो कि श्वसन क्रिया में अवरोधक होती है। इसके कारण रोगी दम घुटने का अनुभव करता है।
  4. रोगी को बोलने तथा खाने-पीने में कठिनाई होती है।
  5. रोगी के शरीर के अंगों को लकवा मार जाता है।
  6. समुचित उपचार न होने की स्थिति में जीवाणुओं का अतिक्रमण फेफड़ों तथा हृदय तक होता है, जिससे रोगी की मृत्यु हो जाती है।

रोग का संक्रमण:
इस रोग का संवाहक वायु है। रोगी के बोलने, खाँसने एवं छींकने से जीवाणु वायु में मिलकर स्वस्थ बच्चों तक पहुँचते हैं। रोगी द्वारा प्रयुक्त वस्त्रों, दूध एवं खाद्य पदार्थों के माध्यम से भी यह रोग स्वस्थ बच्चों में स्थानान्तरित हो सकता है।

रोगोपचार एवं रोग से बचने के उपाय

बचाव के उपाय:
डिफ्थीरिया नामक रोग के संक्रमण को नियन्त्रित करने के लिए अर्थात् इस रोग से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए—

  1.  रोगी से स्वस्थ बच्चों को दूर रहना चाहिए।
  2. रोगी द्वारा प्रयुक्त वस्तुओं को सावधानीपूर्वक नष्ट कर देना चाहिए।
  3. रोगी की ‘परिचर्या करने वाले व्यक्ति को तथा घर के अन्य बच्चों को डिफ्थीरियाएण्टीटॉक्सिन इन्जेक्शन लगवाने चाहिए।
  4.  स्वस्थ रहन-सहन द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है; अतः वातावरण की स्वच्छता एवं निद्रा व विश्राम का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

रोग का उपचार:
डिफ्थीरिया नामक रोग का तुरन्त तथा अत्याधिक व्यवस्थित उपचार आवश्यक होता है। इसके लिए रोगग्रस्त बच्चे को अस्पताल में भर्ती करवा देना चाहिए तथा निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. रोगी को उबालकर ठण्डा किया हुआ जल देना चाहिए।
  2.  नमक मिले जल से नाक, गले व मुँह को साफ करना चाहिए।
  3.  सिरदर्द एवं अधिक तापक्रम होने पर माथे व सिर पर शीतल जल की पट्टी रखना लाभकारी रहता है।
  4.  रोगी को पर्याप्त मात्रा में द्रव पदार्थ पिलाने चाहिए।
  5.  मधु में लहसुन का रस मिलाकर रोगी के गले पर लेप करना उचित रहता है।
  6.  रोगमुक्त होने के पश्चात् भी रोगी को कम-से-कम दस दिन तक पूर्ण विश्राम करना चाहिए।
  7. रोगी के प्रभावित अंगों की मालिश करना प्रायः लाभप्रद रहता है।

प्रश्न 3:
चेचक नामक रोग की उत्पत्ति के कारणों, लक्षणों तथा बचने एवं उपचार के उपायों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
वायु द्वारा संक्रमित होने वाले रोगों में से एक मुख्य रोग चेचक (Smallpox) है। यह एक अत्यधिक भयंकर एवं घातक रोग है। अब से कुछ वर्ष पूर्व तक भारतवर्ष में इस संक्रामक रोग का काफी अधिक प्रकोप रहता था। प्रतिवर्ष लाखों व्यक्ति इस रोग से पीड़ित हुआ करते थे तथा हजारों की मृत्यु (UPBoardSolutions.com) हो जाती थी, परन्तु सरकार के व्यवस्थित प्रयास से अब इस रोग को प्रायः पूरी तरह से नियन्त्रित कर लिया। गया है। चेचक को स्थानीय बोलचाल की भाषा में बड़ी माता भी कहा जाता है। इस रोग के कारणों, लक्षणों एवं बचाव के उपायों का विवरण निम्नवर्णित है

चेचक की उत्पत्ति के कारण:
चेचक वायु के माध्यम से फैलने वाला संक्रामक रोग है। यह रोग एक विषाणु (Virus) द्वारा फैलता है, जिसे वरियोला वायरस कहते हैं। रोगी व्यक्ति के साँस, खाँसी, बलगम के अतिरिक्त उसके दानों के मवाद, छिलके, कै, मल एवं मूत्र में भी यह वायरस विद्यमान होता है। इन सब स्रोतों (UPBoardSolutions.com) से चेचक के वायरस निकलकर वायु में व्याप्त हो जाते हैं तथा सब ओर फैल जाते हैं। ये वायरस सम्पर्क में आने वाले स्वस्थ व्यक्तियों को संक्रमित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त रोगी व्यक्ति के सीधे सम्पर्क द्वारा भी यह रोग संक्रमित हो सकता है। चेचक के फैलने का काल मुख्य रूप से नवम्बर से मई माह तक का होता है।

रोग के लक्षण:

  1.  रोगी को तीव्र ज्वर रहता है।
  2. पीठ एवं सिर में भयानक पीड़ा होती है।
  3.  रोग के तीसरे दिन पहले चेहरे पर तथा फिर टाँगों व बाँहों पर लाल रंग के दाने निकल आते हैं। अब रोगी का ज्वर कम होने लगता है।
  4. रोग के 5-6 दिन पश्चात् दाने आकार में वृद्धि कर बड़े-बड़े छालों का रूप ले लेते हैं।
  5.  छालों में प्रारम्भ में तरल पदार्थ भरा रहता है जो कि रोग के 8-10 दिन बाद पस में बदल जाता है। छालों में प्रायः जलन व खाज होती है।
  6. रोग के 15-20 दिन पश्चात् छाले अथवा फफोले सूखने लगते हैं तथा इन पर खुरण्ड जमने लगता है।
  7.  खुरण्ड उतर जाने पर त्वचा पर स्थायी चिह्न बने रह जाते हैं।
  8. उतरा हुआ खुरण्ड भारी मात्रा में विषाणुओं का संक्रमण करता है।

रोग से बचने के उपाय:
चेचक एक भयानक संक्रामक रोग है। सभी व्यक्तियों, विशेष रूप से रोगी की परिचर्या करने वाले व्यक्ति को इस रोग से बचने के उपाय अवश्य ही अपनाने चाहिए। एडवर्ड जेनर ने चेचक के टीके का आविष्कार किया, जिसके सफल प्रयोगों के फलस्वरूप आज चेचक को सम्पूर्ण विश्व में नियन्त्रित कर लिया गया है। चेचक से बचाव के कुछ सामान्य एवं सरल उपाय अग्रवर्णित हैं

  1. रोगी को पृथक्, स्वच्छ एवं हवादार कमरे में रखना चाहिए।
  2.  रोगी के पासे नीम की ताजी पत्तियों वाली टहनी रखनी चाहिए।
  3. रोगी की परिचर्या करने वाले व आस-पास कै व्यक्तियों को चेचक का टीका अवश्य ही लगवा देना चाहिए।
  4.  रोगी को उबालकर ठण्डा किया हुआ जल पीने के लिए देना चाहिए।
  5. तीव्र ज्वर व अन्य प्रकार की परिस्थितियों में किसी कुशल चिकित्सक की देख-रेख में ही रोगी को औषधियाँ देनी चाहिए।
  6.  रोगी द्वारा प्रयुक्त वस्त्र, बर्तन इत्यादि को तीव्र नि:संक्रामक प्रयोग कर उबलते पानी से धोना चाहिए।
  7. रोगी के फफोलों पर से उतरने वाले खुरण्डों को जला देना चाहिए।
  8.  नि:संक्रमण के लिए डिटॉल, फिनाइल, सैवलॉन, स्प्रिट व कार्बोलिक साबुन इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है।
  9.  पूर्ण स्वस्थ होने तक रोगी को कमरे से बाहर नहीं जाने देना चाहिए।

चेचक का उपचार:
सामान्य रूप से चेचक के विशेष उपचार की कोई आवश्यकता नहीं होती क्योंकि यह रोग निश्चित अवधि के उपरान्त अपने आप ही समाप्त हो जाता है, परन्तु समुचित उपचार के माध्यम से रोग की भयंकरता से बचा जा सकता है तथा रोग से होने वाले अन्य कष्टों को कम किया जा सकता है। चेचक के रोगी को हर प्रकार से अलग रखना अनिवार्य है। उसे हर प्रकार की सुविधा दी जानी चाहिए। रोगी के कमरे में अधिक प्रकाश नहीं होना चाहिए, क्योंकि रोशनी से उसकी आँखों में चौंध लगती है, जिसका रोगी की नजर पर बुरा प्रभाव पड़ता (UPBoardSolutions.com) है। चेचक के रोगी को पीने के लिए उबला हुआ पानी तथा हल्का आहार ही देना चाहिए। रोगी से सहानुभूतिमय व्यवहार करना चाहिए। किसी चिकित्सक की राय से कोई अच्छी मरहम भी दानों पर लगाई जा सकती है। रोगी को सुझाव देना चाहिए कि वह दानों को खुजलाए नहीं।

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प्रश्न 4:
खसरा नामक रोग की उत्पत्ति के कारणों, लक्षणों तथा बचाव एवं उपचार के उपायों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
खसरा (Measles):
वायु द्वारा संक्रमित होने वाला मुख्य रूप से बच्चों में होने वाला एक संक्रामक रोग है। यह छोटी आयु के बच्चों को होता है तथा कभी-कभी गम्भीर रूप धारण कर लेता है। सामान्य रूप से इस रोग से व्यक्ति की मृत्यु नहीं होती।

रोगका कारण:
यह एक विषाणु जनित रोग है जो कि रुबियोला नामक विषाणु के द्वारा उत्पन्न होता है। इस रोग के विषाणु खाँसने, थूकने व छींकने से वायु में आते हैं तथा वायु द्वारा स्वस्थ व्यक्तियों में पहुँच कर रोग उत्पन्न करते हैं। रोग के संक्रमण के 10-12 दिन के पश्चात् रोगी में इसके लक्षण प्रकट होते हैं।

रोग के लक्षण:
खसरा एक संक्रामक रोग है; अत: इसको निम्नलिखित विभिन्न लक्षणों के द्वारा पहचान कर इससे बचने के उपाय करने चाहिए

  1.  रोग का प्रारम्भ जुकाम व सिर-दर्द से होता है।
  2.  रोगी को प्राय: खाँसी उठती है तथा छींकें आती हैं।
  3. शरीर का तापमान 103-104° फा० तक हो जाता है।
  4. चार या पाँच दिन पश्चात् मस्तक व चेहरे पर छोटे-छोटे लाल रंग के दाने निकलते हैं जो कि धीरे-धीरे शरीर के अन्य भागों पर भी फैल जाते हैं।
  5.  दाने निकलने पर रोगी का ज्वर कम हो जाता है।
  6. चार या पाँच दिन में दाने सूखने लगते हैं तथा इनसे खुरण्ड अथवा पपड़ी उतरने लगती है।
  7.  दस से पन्द्रह दिन बाद शरीर साफ हो जाता है तथा रोगी स्वस्थ अनुभव करता है।

बचाव के उपाय:
खसरे से बचने के लिए गन्दगी एवं अशुद्ध वातावरण से बचना चाहिए। सन्तुलित एवं पौष्टिक भोजन से बच्चों में रोग से बचने की क्षमता विकसित होती हैं। अब खसरा (UPBoardSolutions.com) से बचने का टीका भी विकसित कर लिया गया है, जो छोटे शिशुओं को लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त वे सभी उपाय करने चाहिए, जो अन्य संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए किए जाते हैं।

उपचार के उपाय:
यदि खसरा बिगड़े नहीं तो किसी विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती, परन्तु खसरा के रोगी की उचित देखभाल अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि कभी-कभी इस बात का डर रहता है कि रोगी को कहीं निमोनिया न हो जाए। रोगी को गर्मी एवं अधिक ठण्ड से बचाना चाहिए। रोगी
को हल्का एवं सुपाच्य आहार देना चाहिए तथा दानों को खुजाने से रोकना चाहिए।

प्रश्न 5:
तपेदिक या क्षयरोग के विषय में आप क्या जानती हैं? इस रोग की उत्पत्ति के कारणों, लक्षणों, बचने एवं उपचार के उपायों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
तपेदिक अथवा क्षय रोग एक अत्यन्त गम्भीर एवं घातक संक्रामक रोग है। इस रोग को टी०बी० तथा राज्यक्ष्मा भी कहते हैं। यह एक जीवाणु जनित रोग है जो कि माइक्रो बैसिलस ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु द्वारा फैलती है। इस जीवाणु की सर्वप्रथम खोज रॉबर्ट कॉक नामक वैज्ञानिक ने 1882 ई० में की थी। क्षय रोग वायु संवाहित संक्रामक रोग है जो कि विश्व के लगभग सभी देशों में पाया जाता है। यह रोग अधिकतर महानगरों की सघन आबादियों, औद्योगिक क्षेत्रों, खनिज खान क्षेत्रों तथा गन्दी व अविकसित बस्तियों के निवासियों में पाया जाता है। यह रोग अधिकतर युवावस्था में होता है तथा वृद्धावस्था में अपना उग्र रूप प्रदर्शित करता है। क्षय (UPBoardSolutions.com) रोग के जीवाणु श्वसन वायु के साथ शरीर में प्रवेश कर फेफड़ों में पनपते हैं। वायु द्वारा संवाहित होने के कारण रोगी के आसपास के लोग सरलतापूर्वक इस रोग की चपेट में आ जाते हैं। इस रोग की एक अन्य विशेषता यह है कि इस रोग को संक्रमण होने के लगभग छह माह बाद रोगी में रोग के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इस रोग के जीवाणु अधिक समय तक जीवित रहने के कारण वायु द्वारा भोज्य पदार्थों पर भी पहुंच जाते हैं। अतः दूषित भोज्य पदार्थ भी प्रायः इस रोग के वाहक का कार्य करते हैं। क्षय रोग फेफड़ों के अतिरिक्त शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है। मनुष्यों में प्रायः चार प्रकार के क्षय रोग पाए जाते हैं

  1. फेफड़ों का क्षय रोग,
  2.  अस्थियों का क्षय रोग,
  3. आँतों का क्षय रोग तथा
  4.  ग्रन्थियों का क्षय रोग।।

रोग की उत्पत्ति के कारण:
क्षय रोग होने के कारणों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार से दिया जा सकता है

  1.  वायु की समुचित संवातन व्यवस्था न होने के कारण।
  2.  घनी बस्तियों व महानगरों में एक ही स्थान में अधिक लोगों के रहने पर अर्थात् स्थानाभाव की स्थिति में।
  3.  पौष्टिक भोजन के अभाव में।
  4. आवश्यकता से अधिक मानसिक व शारीरिक कार्य करने से।
  5.  परिवार कल्याण का पालन न करने से।।
  6.  अत्यधिक धूम्रपान व मदिरापान करने से।
  7.  आवासीय व्यवस्था के आस-पास कूड़ा-करकट व गन्दगी एकत्रित होने से।
  8. क्षय रोग से ग्रस्त व्यक्ति के आस-पास रहने से।

रोग के लक्षण:
क्षय रोग के लक्षण एक लम्बी अवधि के बाद प्रकट होते हैं। संक्रमण के लगभग छह माह बाद रोगी में क्षय रोग के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। एक भीषण संक्रामक रोग होने के कारण इस रोग के निम्नलिखित लक्षणों का प्रत्येक गृहिणी को ज्ञान आवश्यक है

  1.  रोग की प्रारम्भिक अवस्था में रोगी थकावट अनुभव करता है।
  2.  धीरे-धीरे भूख कम लगने लगती है।
  3. रोगी को शरीर दुर्बल होने लगता है तथा शारीरिक भार धीरे-धीरे घटने लगता है।
  4.  क्षय रोग से प्रभावित रोगी की कार्यक्षमता घट जाती है तथा कार्य करने में उसका मन नहीं लगता।
  5.  श्वसन क्रिया तीव्र हो जाती है तथा श्वास फूलने लगती है।
  6.  जुकाम वे खाँसी की शीघ्र पुनरावृत्ति होने लगती है।
  7. सीने में प्राय: दर्द होने लगता है।
  8.  रोग की गम्भीर अवस्था में खाँसने पर कफ के साथ रक्त भी जाने लगता है।
  9. रक्त की कमी से जाने के कारण रोगी का रंग पीला पड़ने लगता है।
  10.  रोगी को प्रायः ज्वर रहने लगता है।
  11.  फेफड़ों में तरल पदार्थ भर जाने के कारण इनकी कार्यक्षमता घटने लगती है। समुचित उपचार न होने पर फेफड़े सिकुड़ने लगते हैं। इन लक्षणों को रोगी के एक्स-रे चित्र में देखा जा सकता है।

रोग से बचने के उपाय एवं उपचार:

  1.  बच्चों को आवश्यक रूप से बी० सी० जी० का टीका लगवाना चाहिए।
  2. रोगी को पृथक् कमरे में रखना चाहिए तथा उसके सम्पर्क में परिचर्या करने वाले व्यक्ति के अतिरिक्त अन्य लोगों को नहीं आना चाहिए।
  3.  रोग बढ़ जाने की अवस्था में रोगी को क्षय रोग अस्पताल में भर्ती करा देना चाहिए।
  4.  रोगी के कमरे में वायु की संवातन व्यवस्था उत्तम होनी चाहिए।
  5. रोगी का नियमित रूप से सुबह व शाम को खुली हवा में टहलना सदैव लाभप्रद रहता है।
  6.  रोगी को शुद्ध, पौष्टिक एवं सुपाच्य भोजन देना चाहिए।
  7. रोगी के कपड़ों, बर्तनों व अन्य वस्तुओं का नियमित नि:संक्रमण होना चाहिए।
  8.  रोगी के थूकदान में फिनाइल डालना चाहिए तथा कमरे के फर्श को भी फिनाइल द्वारा धोते रहना चाहिए।
  9. आवासीय व्यवस्था के आस-पास स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  10. औषधियों का प्रयोग: वर्तमान समय में क्षय रोग के उपचार के लिए विभिन्न प्रभावकारी औषधियाँ उपलब्ध हैं। क्षय रोग ग्रस्त व्यक्ति को किसी योग्य चिकित्सक की देख-रेख में औषधियाँ लेनी चाहिए। इस रोग का उपचार लम्बे समय तक चलता है। अतः धैर्यपूर्वक पूर्ण उपचार करना चाहिए तथा आहार एवं दिनचर्या को अनिवार्य रूप से नियमित रखना चाहिए।

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प्रश्न 6:
कर्णफेर अथवा गलसुआ नामक रोग के कारणों, लक्षणों तथा बचने के उपायों एवं सावधानियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
कर्णफेर अथवा गलसुआ (Mumps)–एक वायु संवाहित विषाणु जनित रोग है। मम्स विषाणु प्रायः पाँच से पन्द्रह वर्ष की आयु के बच्चों में रोग उत्पन्न करते हैं, परन्तु अधिक आयु के
व्यक्ति भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। इस रोग के होने के विशेष कारण निम्नलिखित हैं|

  1.  रोगी के सम्पर्क में आने के परिणामस्वरूप एक बच्चे को रोग के होने पर परिवार के अन्य बच्चों को भी इस रोग के होने की सम्भावना अधिक रहती है।
  2.  गले के अंगों के रोग से प्रभावित होने के कारण रोगी का थूक अथवा लार रोग के प्रसार का माध्यम होते हैं।
  3. यह रोग प्राय: शीत ऋतु में होता है।
  4.  रोग के प्रारम्भ में होने के लगभग चार सप्ताह तक रोग के संक्रमण की सम्भावना रहती है।

सम्प्राप्ति काल: लगभग दो दिन

रोग के लक्षण:
यह एक भीषण संक्रामक रोग है। युवावस्था में होने पर इस रोग में जननांगों के कुप्रभावित होने की सम्भावना रहती है; अत: इस रोग से बचने के लिए इसके विशिष्ट लक्षणों का ज्ञान अति आवश्यक है

  1.  जबड़ों के कोनों पर कान के नीचे अत्यधिक दर्द करने वाली सूजन आ जाती है।
  2. धीरे-धीरे यह सूजन व दर्द गले तक पहुँच जाती है जो कि लगभग एक सप्ताह में दूर होती है।
  3.  बच्चों में प्रभावित होने वाले विशिष्ट अंग सैलाइवरी व पेरोटिड ग्रन्थियाँ होती हैं तथा विषाणु रक्त, रीढ़-रज्जु (स्पाइनल कॉर्ड) के तरल पदार्थ तथा मूत्र में पाए जाते हैं।
  4. युवावस्था में रोग होने पर जननांगों में सूजन आ जाती है, जिससे नपुंसकता पैदा होने का भय रहता है।

बचने के उपाय एवं सावधानियाँ:
इस रोग की उत्पत्ति संक्रमण द्वारा होती है। अतः स्वस्थ बच्चों को रोगी बच्चे के निकट सम्पर्क से बचाना चाहिए। बच्चों को ठण्ड से बचाकर रखना चाहिए। अब इस रोग से बचाव का टीका भी प्रचलन में आ गया है तथा प्रायः सभी बच्चों को लगाया जाता है।

उपचार:
इस रोग के उपचार के लिए रोगी को ठण्ड से बचाना चाहिए तथा पूर्ण विश्राम प्रदान करना चाहिए। रोगी को हल्का तथा नर्म भोजन दिया जाना चाहिए, ताकि चबाना न पड़े। गर्म पानी में नमक डाल कर कुल्ले कराने चाहिए। गले की सिकाई करनी चाहिए; गर्म रुई द्वारा सेंकना अच्छा रहता है। स्वस्थ बच्चों को रोगी बच्चे से दूर रखना चाहिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
काली खाँसी रोग के कारण, लक्षण एवं उपचार बताइए।
उत्तर:
कारण-काली खाँसी अथवा कुकुर खाँसी बच्चों में होने वाला एक भयंकर रोग है, जो कि होमोकीस परदुसिस बैसिलस नामक जीवाणु के द्वारा होता है। रोगी के खाँसने, (UPBoardSolutions.com) छींकने या बोलने से जीवाणु वायु में आ जाते हैं तथा इस प्रकार की दूषित वायु स्वस्थ बच्चों में रोग का प्रसार करती है। रोगी द्वारा प्रयुक्त वस्त्र एवं बर्तन भी रोग के प्रसार का माध्यम होते हैं।
लक्षण:

  1. भयंकर खाँसी उठती है तथा रोगी खाँसते-खाँसते वमन कर देता है।
  2. खाँसने से आँखों में पानी आ जाता है।
  3.  गले में दर्द रहता है।
  4.  ज्वर तथा व्याकुलता रहती है।
  5.  यह रोग लगभग 1-2 सप्ताह तक रहता है।

बचने के उपाय तथा उपचार:

  1.  बच्चों को रोग-निरोधक टीका लगवाना चाहिए।
  2. वायु संवाहित रोग होने के कारण रोगी से स्वस्थ बच्चों को पृथक् रखना चाहिए।
  3.  रोगी द्वारा प्रयुक्त वस्तुओं को नि:संक्रमित करते रहना चाहिए।
  4. रोगी को किसी योग्य चिकित्सक को दिखाना चाहिए तथा चिकित्सक द्वारा सुझाई गई औषधियाँ नियमित रूप से लेनी चाहिए।

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प्रश्न 2:
कूलर एवं वातानुकूलन यन्त्र के निरन्तर उपयोग से क्या हानि सम्भव है?
उत्तर:
कूलर अथवा वातानुकूलन यन्त्र के लगातार उपयोग से कमरे की आर्द्रता में वृद्धि होती है। तथा तापमान कम हो जाता है। कम तापमान व अधिक आई वायु में रोगाणु (UPBoardSolutions.com) सरलतापूर्वक पनपते हैं; अतः विभिन्न रोगों के पनपने की सम्भावनाओं में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त कूलर युक्त अथवा वातानुकूलित कमरे में वायु के संवतन की उत्तम व्यवस्था का अभाव रहता है। इस प्रकार के कमरे में यदि वायु संवाहित रोग से ग्रस्त कोई रोगी रखा जाता है, तो उसके सम्पर्क में आने वाले स्वस्थ व्यक्तियों के रोगग्रस्त होने की आशंका अधिक रहती है।

प्रश्न 3:
अशुद्ध एवं विषैली वायु से हमें क्या-क्या हानियाँ हैं?
उत्तर:
अशुद्ध एवं विषैली वायु के वातावरण में रहने से होने वाली मुख्य हानियाँ निम्नलिखित हैं

  1. मानसिक तनाव में वृद्धि,
  2.  सिर दर्द,
  3.  जी मिचलाना,
  4. श्वास की गति में अवरोध होने के कारण दम घुटना,
  5. हृदय गति मन्द हो जाने के कारण हृदय रोगों की सम्भावनाओं में वृद्धि तथा
  6.  वायु संवाहित रोगों के प्रसार में वृद्धि।

प्रश्न 4:
उदभवन अथवा सम्प्राप्ति काल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
रोगों के मूल कारण प्रायः रोगाणु होते हैं जो कि किसी-न-किसी विधि से हमारे शरीर में प्रवेश कर रोग उत्पन्न करते हैं। रोगों की पहचान हम उनके कारण शरीर में दिखाई पड़ने वाले लक्षणों के आधार पर करते हैं, परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि संक्रमण (रोगाणुओं को शरीर में प्रवेश) के साथ ही शरीर में रोग के लक्षण प्रकट हों। इनमें कुछ समय लगता है, जिसे सम्प्राप्ति काल कहा जाता है। अतः संक्रमण (UPBoardSolutions.com) ग्रहण करने और इसके कारण रोग के लक्षणों के प्रकट होने तक की अवधि को सम्प्राप्ति काल अथवा उद्भवन काल कहते हैं। विभिन्न रोगों में यह अवधि अलग-अलग होती है, जैसे कि खसरा का सम्प्राप्ति काल 10-12 दिन का तथा कर्णफेर का लगभग दो दिन का होता है।

प्रश्न 5:
इन्फ्लूएंजा कैसे फैलता है? इस रोग के उपचार तथा बचने के उपाय लिखिए।
उत्तर:
इन्फ्लूएंजा या फ्लू एक सामान्य रूप से फैलने वाला संक्रामक रोग है। यह रोग सामान्य रूप से मौसम के बदलने के समय अधिक होता है। इस रोग का फैलाव बड़ी तेजी से होता है; अत: इससे बचने के लिए विशेष सावधानी रखनी पड़ती है। फ्लू के कारण तथा फैलना-फ्लू नामक रोग एक अति सूक्ष्म जीवाणु द्वारा फैलता है। यह रोगाणु इन्फ्लूएंजा वायरस कहलाता है। प्रायः जुकाम के बिगड़ जाने पर फ्लू बन जाता है। फ्लू नामक रोग रोगी के सम्पर्क द्वारा भी फैल जाता है। फ्लू के रोगी की छींक, खाँसी तथा थूक आदि द्वारा भी फ्लू फैलता है। रोगी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रूमाल, बर्तन तथा अन्य वस्तुओं के सम्पर्क द्वारा भी यह रोग लग सकता है।

लक्षण:
फ्लू प्रारम्भ में जुकाम के रूप में प्रकट होता है। नाक से पानी बहने लगता है। इस रोग के शुरू होते ही शरीर में दर्द होने लगता है। सारे शरीर में बेचैनी होती है तथा कमजोरी महसूस होती है। इसके साथ-ही-साथ तेज ज्वर (102°F से 104°Fतक) हो जाता है।
उपचार:
फ्लू के रोगी व्यक्ति को आराम से लिटा देना चाहिए। रोगी को चिकित्सक को दिखाकर दवा ले लेनी चाहिए। फ्लू के रोगी को विटामिन ‘सी’ युक्त भोजन देना चाहिए।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
अशुद्ध वायु के माध्यम से फैलने वाले रोग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
चेचक, तपेदिक, खसरा, डिफ्थीरिया, कर्णफेर, काली खाँसी तथा इन्फ्लूएंजा आदि रोग वायु के माध्यम से ही फैलते हैं।

प्रश्न 2:
फर्श पर थूकना क्यों हानिकारक है? या इधर-उधर थूकना क्यों हानिकारक है?
उत्तर:
फर्श पर थूकने से थूक में उपस्थित रोगाणु भी भूमि पर गिरते हैं। थूक के सूखने पर धूल के साथ ये रोगाणु वायु द्वारा स्वस्थ व्यक्तियों तक पहुँचकर उनमें रोग की उत्पत्ति कर सकते हैं।

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प्रश्न 3:
वातानुकूलित कमरे में जीवाणुओं के प्रवेश को किस प्रकार रोका जा सकता है?
उत्तर:
वातानुकूलित संयन्त्र में वायु के प्रवेश स्थान पर जीवाणु-अभेद्य फिल्टर लगाने से कमरे में प्रवेश करने वाली वायु के साथ आने वाले जीवाणुओं को बाहर ही रोका जा सकता है।

प्रश्न 4:
अस्पतालों की सफाई झाड़द्वारा क्यों नहीं करनी चाहिए?
उत्तर:
झाडू से सफाई करने पर रोगाणुयुक्त धूल उड़कर वायु में आ जाती है, जिससे वायु द्वारा रोगाणुओं के प्रसार की सम्भावना बलवती हो जाती है। अतः झाडू द्वारा अस्पतालों में सफाई नहीं की जाती है।

प्रश्न 5:
सूर्य के प्रकाश का रोगाणुओं पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
शुष्क वातावरण एवं सूर्य के प्रकाश में रोगाणु प्रायः नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 6:
ऐसा कौन-सा संक्रामक रोग है जिसकी हमारे देश में समूल नष्ट किए जाने की घोषणा की गई?
उत्तर:
चेचक एक भीषण संक्रामक रोग है। हमारे देश में यह समूल नष्ट किया जा चुका है।

प्रश्न 7:
क्षय रोग अधिक होने के दो प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:
गन्दगी एवं कुपोषण के कारण क्षय रोग की सम्भावना अधिक रहती है।

प्रश्न 8:
किसे रोग को मृत्यु का कप्तान’ कहा जाता है?
उत्तर:
क्षय रोग को, ‘मृत्यु का कप्तान’ भी कहा जाता है।

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प्रश्न 9:
क्षय रोग से बचाव के लिए कौन-सा टीका लगाया जाता है?
उत्तर:
क्षय रोग से बचाव के लिए बी०सी०जी० का टीका लगाया जाता है।

प्रश्न 10:
टीका लगवाने अथवा वैक्सीनेशन से क्या लाभ है?
उत्तर:
किसी रोग विशेष का टीका लगवाने से शरीर में उस रोग के लिए रोग-प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होती है।

प्रश्न 11:
ट्रिपल एण्टीजन टीके से कौन-कौन से रोगों के लिए प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न की जाती है?
उत्तर:
ट्रिपल एण्टीजन (डी० पी० टी०) को टीका डिफ्थीरिया, काली खाँसी एवं टिटेनस नामक रोगों से बचाव के लिए लगाया जाता है।

प्रश्न 12:
खसरा के रोगी को नमक बहुत कम मात्रा में क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
खसरा के रोगी को कम नमक देने से उसकी त्वचा पर उभरे दानों में जलन व खुजली कम होती है।

प्रश्न 13:
कुकुर खाँसी याकाली खाँसी की उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार जीवाणु का नाम लिखिए।
उत्तर:
कुकुर खाँसी या काली खाँसी की उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार जीवाणु का नाम है-होमोकीट्स परटुसिस बैसिलसा ।

प्रश्न 14:
कुकुर खाँसी के लक्षण लिखिए।
उत्तर:

  1. भयंकर खाँसी उठती है तथा रोगी खाँसते-खाँसते वमन कर देता है।
  2. खाँसी से आँखों में पानी आ जाता है।
  3.  गले में दर्द रहता है।
  4.  ज्वर तथा व्याकुलता रहती है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) किस रोग में रोगी के गले में झिल्ली बन जाती है?
(क) चेचक,
(ख) काली खाँसी,
(ग) डिफ्थीरिया,
(घ) कर्णफेर।

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(2) डिफ्थीरिया नामक रोग होता है
(क) केवल छोटी लड़कियों को,
(ख) केवल स्कूल जाने वाले बालकों को,
(ग) 2 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों को,
(घ) केवल सम्पन्न परिवार के बच्चों को।

(3) कर्णफेर नामक रोग में बच्चे को होता है
(क) जबड़े में दर्द,
(ख) गले में दर्द,
(ग) लार ग्रन्थियों में सूजन तथा दर्द,
(घ) कान में दर्द।

(4) चेचक से बचाव के टीके का आविष्कार किया है
(क) रॉबर्ट कॉक ने,
(ख) एलेक्जेण्डर फ्लेमिंग ने,
(ग) एडवर्ड जेनर ने,
(घ) इनमें से किसी ने नहीं।

(5) क्षय रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु का नाम है
(क) कोरीनीबैक्टीरियम,
(ख) माइक्रो बैसिलस ट्यूबरकुलोसिस,
(ग) बोइँटेला,
(घ) स्ट्रेप्टोकोकस।

(6) बी० सी० जी० का टीका लगाया जाता है
(क) क्षय रोग से बचने के लिए,
(ख) काली खाँसी से बचने के लिए,
(ग) कर्णफेर से बचने के लिए,
(घ) रोहिणी से बचने के लिए।

(7) चेचक के विषाणु का क्या नाम है?
(क) एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका,
(ख) वेरियोला वाइरस,
(ग) विब्रियो कोलेरा,
(घ) साल्मोनेला टाइफॉइडिस।

(8) निम्नलिखित में वायु द्वारा फैलने वाला रोग है
(क) चेचक,
(ख) हैजा,
(ग) पीलिया,
(घ) पेचिश।

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(9) कौन-सा रोग वायु द्वारा संक्रमित नहीं होता?
(क) तपेदिक,
(ख) हैजा,
(ग) चेचक,
(घ) खसरा।

उत्तर:
(1) (ग) डिफ्थीरिया,
(2) (ग) 2 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों को,
(3) (ग) लार ग्रन्थियों में सूजन तथा दर्द,
(4) (ग) एडवर्ड जेनर ने,
(5) (ख) माइक्रो बैसिलस ट्यूबरकुलोसिस,
(6) (क) क्षय रोग से बचने के लिए,
(7)(ख) वेरियोला वाइरस,
(8) (क) चेचक,
(9) (ख) हैजा।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 21 नानक देव (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 21 नानक देव (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

नानकदेव मानवता के परम उपासक थे। बचपन से ही ये धर्म और ईश्वर सम्बन्धी बातों में रुचि लेते थे। जहाँ ये साथियों के साथ भजन-कीर्तन में मस्त रहते थे, वहीं पाठशाला में गुमसुम रहते थे। पिता इन्हें बीमार जानकर इलाज का उपाय खोजने लगे। वैद्य द्वारा नाड़ी देखने से रोग नहीं जाना जा सका, धीरे-धीरे नानकदेव के ज्ञान, सत्संग और भजन आदि गुणों की चर्चा होने लगी। नानक को व्यापार के लिए सुल्तानपुर भेजा गया। वहाँ भी कार्य के साथ-साथ, दीनों को मुफ्त भोजन कराना, साधु-संगति करना (UPBoardSolutions.com) और ईश्वर भजन करना इनकी दिनचर्या में सम्मिलित था। सुलक्षणा देवी से इनका विवाह होने पर श्रीचंद और लक्ष्मीचंद दो पुत्र पैदा हुए। फिर भी नानक का मन परिवार में नहीं लगा।

पिता ने नानक की देखभाल के लिए मरदाना को भेजा। वह नानक का भक्त बन गया। नानक देश-विदेश में घूम-घूमकर ऊँच-नीच के भेद-भाव को दूर करने में प्रयासरत हो गए नानकदेव सामाजिक विषमता पसन्द नहीं करते थे। ये गरीबों को देखकर द्रवित हो उठते थे। इन्होंने अनेक देशों की यात्रा की। ये अफगानिस्तान, काबुल, अरब, तिब्बत आदि देशों में गए और इन्होंने ज्ञान का प्रकाश फैलाया। ये मानव समानता की बात करते थे। इनके अनुसार अत्याचार सहना सबसे घोर पाप है। इनकी मान्यता थी कि ईश्वर एक है और वह सृष्टि का नियंता है। आज भी मानवता के उपासक नानकदेव की ख्याति विश्व में गूंज रही है।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
नानक की दृष्टि में सच्चा सौदा क्या था?
उत्तर :
नानकदेव की दृष्टि में साधुओं को भोजन कराना ही सच्चा सौदा था।

प्रश्न 2.
नानक के पिता को क्या चिन्ता थी?
उत्तर :
नानक के पिता को चिन्ता थी कि मेरे व्यापार को कौन सँभालेगा।

प्रश्न 3.
नानक की रुचि किन बातों में थी?
उत्तर :
नानक की रुचि धर्म, ज्ञान और ईश्वर सम्बन्धी बातों में थी।

प्रश्न 4.
सही (✓) अथवा गलत (✗) का निशान लगाइए (निशान लगाकर)

(क) नानक का जन्म तलवण्डी नामक गाँव में हुआ था। (✓)
(ख) नानक को व्यवसाय में आनन्द आने लगा। (✗)
(ग) नानक गरीब एवं दुखियारों को देखकर द्रवित हो उठते थे। (✓)
(घ) नानक चंचल प्रवृत्ति के बालक थे। (✗)

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प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके) –

(क) नानक ने कहा-मैंने तो सच्चा सौदा किया है पिता जी।
(ख) मरदाना भी नानक के पास आकर उनका परम भक्त बन गया।
(ग) नानकदेव ऊँच-नीच के घोर विरोधी थे।
(घ) तलवण्डी अब ननकाना साहब के नाम से प्रसिद्ध है।

प्रश्न 6.
सूची बनाइए –

  • उन कामों की, जो यह पाठ पढ़ने के बाद नहीं करना चाहेंगे।
  • उन आदतों की, जिनमें यह पाठ पढ़ने के बाद बदलाव करना चाहेंगे।

प्रश्न 7.
अपने परिवारजनों व अन्य लोगों से बात करके अपने आस-पास के किसी व्यक्ति के बारे में लिखिए जिसने विशेष उल्लेखनीय कार्य किया हो।

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नोट – प्रश्न 6. एवं 7. विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 6 लोकतांत्रिक अधिकार

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 6 लोकतांत्रिक अधिकार

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
इनमें से कौन-सा मौलिक अधिकारों के उपयोग का उदाहरण नहीं है?
(क) बिहार के मजदूरों का पंजाब के खेतों में काम करने जाना।
(ख) ईसाई मिशनों द्वारा मिशनरी स्कूलों की श्रृंखला चलाना।
(ग) सरकारी नौकरी में औरत और मर्द को समान वेतन मिलना।
(घ) बच्चों द्वारा माँ-बाप की सम्पत्ति विरासत में पानी।
उत्तर:
(घ) बच्चों द्वारा माँ-बाप की सम्पत्ति विरासत में पाना।

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प्रश्न 2.
इनमें से कौन-सी स्वतंत्रता भारतीय नागरिकों को नहीं है?
(क) सरकार की आलोचना की स्वतंत्रता।
(ख) सशस्त्र विद्रोह में भाग लेने की स्वतंत्रता।
(ग) सरकार बदलने के लिए आन्दोलन शुरू करने की स्वतंत्रता।
(घ) संविधान के केंद्रीय मूल्यों का विरोध करने की स्वतंत्रता।
उत्तर:
(ख) सशस्त्र विद्रोह में भाग लेने की स्वतंत्रता।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान इनमें से कौन-सा अधिकार देता है?
(क) काम का अधिकार।
(ख) पर्याप्त जीविका का अधिकार
(ग) अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार।
(घ) निजता का अधिकार।
उत्तर:
(ग) अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार।

प्रश्न 4.
उस मौलिक अधिकार का नाम बताएँ जिसके तहत निम्नलिखित स्वतंत्रताएँ आती हैं?
(क) अपने धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता।
(ख) जीवन का अधिकार।
(ग) छुआछूत की समाप्ति।
(घ) बेगार का प्रतिबन्ध।
उत्तर:
(क) धर्म की (धार्मिक) स्वतंत्रता का अधिकार।
(ख) स्वतंत्रता का अधिकार।
(ग) समानता का अधिकार।
(घ) शोषण के विरुद्ध अधिकार।

प्रश्न 5.
लोकतंत्र और अधिकारों के बीच सम्बन्धों के बारे में इनमें से कौन-सा बयान ज्यादा उचित है? अपनी पसंद के पक्ष में कारण बताएँ?
(क) हर लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार देता है।
(ख) अपने नागरिकों को अधिकार देने वाला हर देश लोकतांत्रिक हैं।
(ग) अधिकार देना अच्छा है, पर यह लोकतंत्र के लिए जरूरी नहीं है।
उत्तर:
(क) यह बयान अधिक वैध और उपयुक्त है। प्रत्येक लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार देता है। लोकतन्त्र में प्रत्येक नागरिक को मतदान करने तथा चुनाव लड़ने का अधिकार दिया जाता है। चुनाव लोकतांत्रिक हों, इसके लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार व्यक्त करने, राजनैतिक दल का निर्माण करने तथा राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार प्राप्त हो। लोकतंत्रीय राज्यों (UPBoardSolutions.com) में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। अधिकतर राज्यों में नागरिकों के महत्वपूर्ण अधिकारों को संविधान में शामिल कर दिया जाता है। भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों को शामिल किया गया है और उनकी सुरक्षा के भी उपाय किए गए हैं।

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प्रश्न 6.
स्वतन्त्रता के अधिकार पर ये पाबन्दियाँ क्या उचित हैं? अपने जवाब के पक्ष में कारण बताएँ।
(क) भारतीय नागरिकों की सुरक्षा कारणों से कुछ सीमावर्ती इलाकों में जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है।
(ख) स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिए कुछ इलाकों में बाहरी लोगों को सम्पत्ति खरीदने की अनुमति नहीं है।
(ग) शासक दल को अगले चुनाव में नुकसान पहुँचा सकने वाली किताब पर सरकार प्रतिबन्ध लगाती है।
उत्तर:
(क) स्वतन्त्रता के अधिकार के अन्तर्गत देश के किसी भी भाग में घूमने-फिरने का अधिकार प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है, किन्तु देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए देश के कुछ भागों जैसे सेना की छावनी, सीमावर्ती संवेदनशील क्षेत्रों में किसी को जाने की अनुमति लेनी पड़ती है। यह प्रति उचित एवं (UPBoardSolutions.com) न्यायसंगत है क्योंकि किसी भी देश के लिए उसकी सुरक्षा सर्वोपरि है।
(ख) कुछ क्षेत्रों में ऐसी व्यवस्था को अनुचित नहीं कहा जा सकता है। कुछ जनजातीय क्षेत्रों में तथा जम्मू-कश्मीर एवं हिमाचल आदि राज्यों के बारे में ऐसा प्रतिबन्ध लगाया गया है जिससे वहाँ के लोग अपनी संस्कृति को बनाए रख सकें।
(ग) ऐसे प्रतिबन्ध को उचित नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का खुला उल्लंघन है।

प्रश्न 7.
मनोज एक सरकारी दफ्तर में मैनेजर के पद के लिए आवेदन देने गया। वहाँ के अधिकारी ने उसका आवेदन लेने से मना कर दिया और कहा, “झाडू लगाने वाले का बेटा होकर तुम मैनेजर बनना चाहते हो। तुम्हारी जाति का कोई कभी इस पद पर आया है? नगरपालिका के दफ्तर जाओ और सफाई कर्मचारी के लिए अर्जी दो।” इस मामले में मनोज के किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है? मनोज की तरफ से जिला अधिकारी के नाम लिखे एक पत्र में इसका उल्लेख करो।
उत्तर:
मनोज के मामले में समानता के अधिकार तथा स्वतंत्रता के अधिकार’ को स्पष्ट उल्लंघन हुआ है। स्वतंत्रता के अधिकार के अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार कोई भी कार्य, नौकरी अथवा व्यवसाय करने का अधिकार दिया गया है और किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध कोई कार्य (UPBoardSolutions.com) करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। अतः निम्न जातियों के लोगों को उनका जातिगत काम करने के लिए मजबूर करना उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

प्रश्न 8.
जब मधुरिमा सम्पत्ति के पंजीकरण वाले दफ्तर में गई तो रजिस्ट्रार ने कहा, “आप अपना नाम ‘मधुरिमा बेनर्जी, बेटी ए. के. बनर्जी’ नहीं लिख सकतीं। आप शादीशुदा हैं और आपको अपने पति का ही नाम देना होगा। फिर आपके पति का उपनाम तो राव है। इसलिए आपका नाम भी बदलकर मधुरिमा राव हो जाना चाहिए।” मधुरिमा इस बात से सहमत नहीं हुई। उसने कहा, “अगर शादी के बाद मेरे पति का नाम नहीं बदला तो मेरा नाम क्यों बदलना चाहिए? अगर वह अपने नाम के साथ पिता का नाम लिखते रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं लिख सकती?” आपकी राय में इस विवाद में किसका पक्ष सही है? और क्यों?
उत्तर:
इस विवाद में मधुरिमा का पक्ष सही है। मधुरिमा के व्यक्तिगत मामलों पर प्रश्न करके तथा उनमें दखल करके रजिस्ट्रार मधुरिमा के स्वतंत्रता के अधिकार में हस्तक्षेप कर रहा है। साथ ही अपने पति का नाम अपनाने का प्रश्न सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है जो महिलाओं को कमतर तथा (UPBoardSolutions.com) कमजोर मानता है। मधुरिमा को अपना नाम बदलने के लिए बाध्य करना समानता के अधिकार तथा धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।

प्रश्न 9.
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरिया में हजारों आदिवासी और जंगल में रहने वाले लोग सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क, बोरी वन्यजीव अभ्यारण्य और पंचमढ़ी वन्यजीव अभ्यारण्य से अपने प्रस्तावित विस्थापन का विरोध करने के लिए जमा हुए। उनका कहना था कि यह विस्थापन उनकी जीविका और उनके विश्वासों पर हमला है। सरकार का दावा है कि इलाके के विकास और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उनका विस्थापन जरूरी है। जंगल पर आधारित जीवन जीने वाले की तरफ से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक पत्र, इस मसले पर सरकार द्वारा दिया जा सकने वाला संभावित जवाब और इस मामले पर मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट तैयार करो।
उत्तर:
होशंगाबाद (म.प्र.) जिले के पिपरिया में हजारों आदिवासी और जंगल में रहने वाले लोग अपने प्रस्तावित विस्थापन का विरोध करने के लिए एकात्रित हुए थे। पिपरिया के निवासियों के अनुसार सरकार द्वारा ऐसा करना। उनके स्वतंत्रता के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है जो उन्हें देश के किसी भी भाग में बसने का अधिकार देता है। किन्तु सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि सार्वजनिक हित में वह नागरिक (UPBoardSolutions.com) के स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन कर सकती है और उसे सीमित कर सकती है। कुछ ही समय पहले दिल्ली में यमुना नदी के किनारे पर बसे कई झुग्गी-झोंपड़ी वालों को वहाँ से हटा दिया गया है क्योंकि ऐसा करना उस स्थान के विका तथा जानवरों की रक्षा के लिए आवश्यक समझा गया था।

उस जंगल में रहने वाले लोगों में राष्ट्रीय मानवाधिकार को एक पत्र लिखा जिसमें यह कहा गया कि सरकार किसी अन्य स्थान पर उनके पुनर्वास का प्रबन्ध करे। दिल्ली सरकार ने ऐसा किया। सर्वोच्च न्यायालय का हाल ही का एक निर्णय भी इसी बात का समर्थन करता है जिसमें नर्मदा बाँध की ऊँचाई को बढ़ाने के उद्देश्य से जिन लोगों को विस्थापित किया गया था, उनके पुनर्वास के लिए सरकार किसी अन्य स्थल पर प्रबन्ध करेगी।

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प्रश्न 10.
इस अध्याय में पढ़े विभिन्न अधिकारों को आपस में जोड़ने वाला एक मकड़जाल बनाएँ। जैसे आने जाने की स्वतंत्रता का अधिकार तथा पेशा चुनने की स्वतंत्रता का अधिकार आपस में एक-दूसरे से जुड़े हैं। इसका एक कारण है कि आने-जाने की स्वतंत्रता के चलते व्यक्ति अपने गाँव या शहर के अन्दर ही नहीं, दूसरे गाँव, दूसरे शहर और दूसरे राज्य तक जाकर काम कर सकता है। इसी प्रकार इस अधिकार को तीर्थाटन से (UPBoardSolutions.com) जोड़ा जा सकता है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने धर्म का अनुसरण करने की आजादी से जुड़ा है। आप इस मकड़जाल को बनाएँ और तीर के निशानों से बताएँ कि कौन-से अधिकार आपस में जुड़े हैं। हर तीर के साथ संबंध बताने वाला एक उदाहरण भी दें।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 6 लोकतांत्रिक अधिकार
नोट : उपर्युक्त चित्र की सहायता से विद्यार्थी स्वयं भी मकड़जाल बनाने का प्रयास करें।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अधिकार का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
अधिकार वे सुविधाएँ, अवसर व परिस्थितियाँ हैं जो व्यक्ति को समाज तथा राज्य द्वारा उसके विकास के लिए प्रदान की जाती हैं।

  1. प्रो. लॉस्की के अनुसार, “अधिकार सामाजिक जीवन की वे अवस्थाएँ हैं जिनके बिना कोई मनुष्य अपने व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं कर सकता।”
  2. डॉ. बेनी प्रसाद के अनुसार, “अधिकार न अधिक और ने कम वे सामाजिक परिस्थितियाँ हैं जो व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक व अनुकूल हों।”

प्रश्न 2.
जनहित याचिका किसे कहते हैं?
उत्तर:
जनहित किसी मामले को लेकर कोई व्यक्ति न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है। इस तरह दायर की गयी।
याचिका को जनहित याचिका कहते हैं।

प्रश्न 3.
बंधुआ मजदूरी किसे कहते हैं?
उत्तर:
मजदूरों को अपने मालिक के लिए मुफ्त या बहुत थोड़े से अनाज वगैरह के लिए जबरन काम करना पड़ता है।
जब यही काम मजदूर को जीवन भर करना पड़ता है तो उसे बंधुआ मजदूरी कहते हैं।

प्रश्न 4.
किन्हीं चार राजनैतिक अधिकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. मतदान का अधिकार
  2. चुनाव लड़ने का अधिकार
  3. सरकारी नौकरी पाने का अधिकार
  4. सरकार की आलोचना करने का अधिकार

प्रश्न 5.
प्रतिज्ञा-पत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
नियमों व सिद्धान्तों को बनाए रखने का व्यक्ति, समूह या देशों का वायदा प्रतिज्ञा-पत्र कहलाता है। ऐसे बयान या संधि पर हस्ताक्षर करने वाले पर इसके पालन की वैधानिक बाध्यता होती है।

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प्रश्न 6.
एमनेस्टी इंटरनेशनल क्या है?
उत्तर:
एमनेस्टी इंटरनेशनल मानवाधिकारों के लिए कार्य करने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। यह संगठन विश्व भर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर स्वतंत्र रिपोर्ट जारी करता है।

प्रश्न 7.
कानुनी अधिकार किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे अधिकार जिन्हें राज्य की स्वीकृति मिल जाती है, उन्हें कानूनी या वैधानिक अधिकार कहते हैं। इन्हें प्राप्त करने के लिए व्यक्ति अदालत में दावा कर सकता है। जीवन, संपत्ति, कुटुंब आदि के अधिकार राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त होते हैं। यदि कोई व्यक्ति या अधिकार इन्हें छीनने का प्रयत्न करता है तो (UPBoardSolutions.com) उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। राज्य इनका उल्लंघन करने वालों को दण्ड देता है, इसलिए कानूनी अधिकार के पीछे राज्य की शक्ति रहती है।

प्रश्न 8.
लोकतांत्रिक अधिकार 347 नैतिकता का अधिकार किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी देश में लोगों को कुछ अधिकार नैतिक आधार पर दिए जाते हैं। ये अधिकार मनुष्य एवं समाज दोनों के हित में होते हैं। जीवन की सुरक्षा, स्वतंत्रता, धर्म-पालन, शिक्षा-प्राप्ति, संपत्ति रखने आदि की सुविधाएँ देने पर ही मनुष्य की भलाई हो सकती है। इनसे समाज भी उन्नत होता है, इसलिए समाज स्वेच्छा से इन अधिकारों को प्रदान करता है। जब तक ऐसे अधिकारों के पीछे कानून की मान्यता या दबाव नहीं रहता, ये नैतिक अधिकार कहलाते हैं। नैतिक अधिकारों की मान्यता सामाजिक निंदा तथा आलोचना के भय से दी जाती है। यदि बुढ़ापे में माता-पिता की सेवा नहीं की जाती है तो समाज निंदा करता है। इसलिए माता-पिता का यह नैतिक अधिकार है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जनहित याचिका को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
कोई भी पीड़ित व्यक्ति मौलिक अधिकारों के हनन के मामले में न्याय पाने के लिए तत्काल न्यायालय जा सकता है। किन्तु यदि मामला सामाजिक या सार्वजनिक हित का हो तो ऐसे मामलों में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर कोई भी व्यक्ति अदालत में जा सकता है। ऐसे मामलों को जनहित याचिका के माध्यम से उठाया जाता है।

इसमें कोई भी व्यक्ति या समूह सरकार के किसी कानून या काम के खिलाफ सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय में जा सकता है। ऐसे मामले जज के नाम पोस्टकार्ड पर लिखी अर्जी के माध्यम से भी चलाए जा सकते हैं। अगर न्यायाधीशों को लगे कि सचमुच (UPBoardSolutions.com) इस मामले में सार्वजनिक हितों पर चोट पहुँच रही है तो वे मामले को विचार के लिए स्वीकार कर सकते हैं।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना एक कानून के तहत 1993 ई. में की गयी। इस आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इस आयोग में सेवानिवृत्त न्यायाधीश, अधिकारीगण तथा नागरिक शामिल होते हैं। लेकिन इसे अदालती मामलों में निर्णय देने का अधिकार नहीं है। यह पीड़ितों को संविधान में वर्णित सभी मौलिक अधिकारों सहित सारे मानव अधिकार दिलाने पर ध्यान देता है। इनमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा कराई गई वे संधियाँ भी शामिल हैं जिन पर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग स्वयं किसी को सजा नहीं दे सकता।

यह मानव अधिकार हनन के किसी भी मामले की जाँच करता है। तथा देश में मानव अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए अन्य सामान्य कदम उठाता है। यह गवाहों को इसके समक्ष पेश होने के आदेश दे सकता है, किसी सरकारी कर्मचारी से पूछताछ कर सकता है, किसी आधिकारिक दस्तावेज की (UPBoardSolutions.com) माँग कर सकता है, किसी जेल का निरीक्षण करने के लिए उसका दौरा कर सकता है तथा किसी स्थान पर जाँच करने के लिए अपना दल भेज सकता है। देश के 14 राज्यों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे राज्य मानवाधिकार आयोग हैं।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान में शामिल किए गए अधिकारों को मौलिक अधिकार क्यों कहते हैं? ।
उत्तर:
नागरिकों के मूल अधिकारों का वर्णन भारतीय संविधान के तीसरे अध्याय में अनुच्छेद 12 से 35 के बीच किया गया है। इन्हें मूल अधिकार इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये अधिकार मनुष्य की उन्नति और विकास के लिए आवश्यक माने जाते हैं। इनके प्रयोग के बिना कोई भी व्यक्ति अपने जीवन की उन्नति नहीं कर सकता। ये अधिकार देश में सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना में (UPBoardSolutions.com) सहायता करते हैं। संविधान में इन अधिकारों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है ताकि कोई सरकार नागरिकों को इन अधिकारों से वंचित न कर सके और देश के सभी नागरिक इन अधिकारों का प्रयोग कर सकें।

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प्रश्न 4.
अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञा-पत्रों की अधिकारों के विस्तार में क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञा – पत्र आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक आधार पर कई अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है। ये अधिकार भारत के संविधान में प्रत्यक्ष रूप से मौलिक अधिकारों का हिस्सा नहीं हैं।
इन अधिकारों में प्रमुख अधिकार इस प्रकार हैं-

  1. स्वास्थ्य का अधिकार- बीमारी के दौरान चिकित्सीय देखभाल, बच्चे के जन्म के समय महिलाओं की विशेष देखरेख तथा महामारियों की रोकथाम।।
  2. शिक्षा का अधिकार- निःशुल्क तथा अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा के लिए समान अवसर। इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञा पत्रों की अधिकारों के विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
  3. काम करने का अधिकार- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आजीविका कमाने के लिए अवसर मिलना चाहिए।
  4. सुरक्षित तथा स्वस्थ कार्य परिस्थितियाँ, उचित मेहनताना जो कि मजदूरों तथा उनके परिवारों को सम्मानजनक जीवन स्तर उपलब्ध कराता हो।
  5. उपयुक्त जीवन स्तर का अधिकार जिसमें उपयुक्त भोजन, कपड़े तथा निवासस्थान शामिल हैं।
  6. सामाजिक सुरक्षा तथा बीमे का अधिकार।

प्रश्न 5.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से आप क्या समझते हैं? इसकी सीमाएँ बताइए।
उत्तर:
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता से आशय है किसी भी व्यक्ति द्वारा अपने विचारों को स्वतन्त्र रूप से अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता। यह किसी व्यक्ति को दूसरों से बातचीत करने, सरकार की आलोचना करने हेतु अलग तरीके से सोचने की आजादी देता है। हम पैम्पलेट, पत्रिका या अखबार के द्वारा समाचार प्रकाशित कर सकते हैं।
सीमाएँ-

  1. किसी भी व्यक्ति को दूसरों के विरुद्ध हिंसा भड़काने की स्वतंत्रता नहीं है।
  2. कोई भी व्यक्ति इसका प्रयोग लोगों को सरकार के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए नहीं उकसा सकता।
  3. कोई भी व्यक्ति झूठी और घटिया बातें करके किसी अन्य को अपमानित नहीं कर सकता जिससे किसी व्यक्ति के सम्मान को हानि होती है।

प्रश्न 6.
सऊदी अरब में किस तरह की सरकार अस्तित्व में है? इसकी प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
सऊदी अरब में वंशानुगत शासन व्यवस्था अस्तित्व में है। यहाँ लोगों की शासक को चुनने में कोई भूमिका नहीं है।
इस शासन व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. वहाँ कोई धार्मिक आजादी नहीं है। सिर्फ मुसलमान ही यहाँ के नागरिक हो सकते हैं। यहाँ रहने वाले दूसरे धर्मों के लोग घर के अन्दर ही धर्म के अनुसार पूजा-पाठ कर सकते हैं। उनके सार्वजनिक धार्मिक अनुष्ठानों पर रोक है।
  2. महिलाओं पर कई सार्वजनिक पाबंदियाँ लगी हुई हैं। औरतों को वैधानिक रूप से मर्दो से कम दर्जा मिला हुआ है।
  3. शाह ही विधायिका और कार्यपालिका का (UPBoardSolutions.com) चयन करता है तथा जजों की नियुक्ति भी स्वयं ही करता है और उनके द्वारा किए गए किसी भी निर्णय को बदल सकता है।
  4. नागरिक राजनैतिक दल अथवा राजनैतिक संगठन का गठन नहीं कर सकते।
  5. मीडिया शाह की मर्जी के विरुद्ध कोई भी खबर नहीं दे सकता।

प्रश्न 7.
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गोआन्तानामो में मानवाधिकारों के उल्लंघन के । सम्बन्ध में क्या सूचनाएँ एकत्रित कीं?
उत्तर:
मानवाधिकारों के लिए कार्यरत कार्यकर्ताओं को संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल विश्व भर में मानवाधिकारों के हनन पर स्वतन्त्र रिपोर्ट जारी करता है।
इस संस्था ने गोआन्तानामो में कैदियों के बारे में निम्न सूचनाएँ एकत्रित की थीं-

  1. कैदियों को ऐसे तरीकों से यातनाएँ दी जाती थीं जो अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन करते थे।
  2. उन्हें इलाज कराने की भी आज्ञा नहीं थी जो कि अन्तर्राष्ट्रीय संधियों के अनुसार युद्ध बंदियों को भी उपलब्ध था।
  3. कई कैदियों ने भूख हड़ताल करके इन स्थितियों का विरोध करने का प्रयास किया था।
  4. आधिकारिक रूप से निर्दोष घोषित किए जाने के उपरान्त भी कैदियों को रिहा नहीं किया गया था।

इस प्रकार एमनेस्टी इंटरनेशनल ने लोगों का ध्यान मानवाधिकार हनन के मामले की ओर आकृष्ट किया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई एक स्वतंत्र जाँच ने भी एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा जारी तथ्यों की पुष्टि की थी। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने कहा कि गोआन्तानामो बे की जेल बन्द की जानी चाहिए।

प्रश्न 8.
भारत के संविधान में किए गए उन प्रावधानों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए जो भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश घोषित करते हैं।
उत्तर:
विभिन्नता में एकता भारत की विशेषता है। भारत में विभिन्न धर्मों के लोग साथ-साथ रहते हैं। इसलिए भारत का संविधान भी धार्मिक मामलों में तटस्थ रहा तथा इसने भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश बनाना स्वीकार किया है। कोई भी ऐसा देश जो किसी धर्म को आधिकारिक धर्म के रूप में मान्यता नहीं देता धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहलाता है।
निम्न संवैधानिक प्रावधान भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करते हैं-

  1. भारत का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है। श्रीलंका में बुद्ध धर्म, पाकिस्तान में इस्लाम, इंग्लैण्ड में इसाई धर्म को आधिकारिक धर्म घोषित किया गया है जबकि भारत में ऐसा नहीं है। भारत में किसी भी धर्म को विशेष दर्जा नहीं दिया गया है।
  2. संविधान धर्म के आधार पर भेद-भाव को प्रतिबंधित करता है।
  3. संविधान सभी नागरिकों को अपनी इच्छानुसार धर्म चुनकर उसका प्रचार करने, मानने का अधिकार देता है।

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प्रश्न 9.
“स्वतंत्रता का अधिकार छः स्वतंत्रताओं का समूह है।” स्पष्ट कीजिए। साथ ही व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अन्तर्गत की गयी व्यवस्थाओं का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 में स्वतंत्रता के अधिकार के अधीन भारतीय नागरिकों को अनेक प्रकार की स्वतंत्रताएँ प्रदान की गयी हैं जिनका विवरण इस प्रकार है-

  1. भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता।
  2. शान्तिपूर्ण तथा बिना शस्त्रों के इकट्ठा होने की स्वतंत्रता।
  3. संघ अथवा समुदाय बनाने की स्वतंत्रता।
  4. भारत में किसी भी क्षेत्र अथवा स्थान पर घूमने-फिरने की स्वतंत्रता।
  5. भारत के किसी भी भाग में रहने अथवा निवास करने की स्वतंत्रता।
  6. कोई भी व्यवसाय अथवा पेशा अपनाने की स्वतंत्रता।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार (धारा 20-22) के अन्तर्गत निम्न व्यवस्था की गई है-

  1. किसी व्यक्ति को बिना कानून तोड़े दण्ड नहीं दिया जा सकता।
  2. एक ही व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार दण्ड नहीं दिया जा सकता।
  3. किसी भी व्यक्ति को अपने विरुद्ध गवाही देने को मजबूर नहीं किया जा सकता।
  4. किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर पुलिस को 24 घण्टे के अन्दर उसे किसी न्यायाधीश के सामने उपस्थित करना होता है। जब कभी किसी व्यक्ति को निवारक नजरबन्दी कानून के अधीन गिरफ्तार किया जाता है। तब उसे 24 घण्टे के अन्दर न्यायाधीश के सामने उपस्थित करना जरूरी नहीं। परन्तु उसे भी दो महीने की अवधि से अधिक समय तक न्यायालय के सामने पेश किए बिना (UPBoardSolutions.com) नजरबन्द नहीं रखा जा सकता।
  5. गिरफ्तार किए व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी का कारण बताना होगा। उस व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार वकील करने का अधिकार होगा। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि स्वतन्त्रता का अधिकार अनेक अधिकारों का समूह है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
न्यायपालिका किस तरह हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत के संविधान में की गयी व्यवस्था के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होता है तो वह न्यायालय की शरण में जा सकता है। यह हमारा मौलिक अधिकार है कि हम सीधे सर्वोच्च न्यायालय अथवा किसी राज्य के उच्च न्यायालय में जाकर अपने अधिकारों की सुरक्षा की माँग कर सकते हैं।

विधायिका, कार्यपालिका या सरकार द्वारा गठित किसी अन्य प्राधिकरण की किसी भी कार्रवाई के विरुद्ध हमें हमारे मौलिक अधिकारों की गारंटी प्राप्त है। कोई भी कानून अथवा कार्रवाई हमें हमारे मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती।
यदि विधायिका या कार्यपालिका की कोई कार्रवाई हमसे हमारे मौलिक अधिकार या तो छीनती हैं या उन्हें सीमित करती है तो यह अवैध होगा। हम ऐसे केन्द्र अथवा राज्य सरकार के ऐसे कानून को चुनौती दे सकते हैं।

न्यायालय भी किसी निजी व्यक्ति या निकाय के विरुद्ध मौलिक अधिकारों को लागू करती है। किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय विभिन्न प्रकार की रिट जारी कर सकते हैं। जब भी हमारे किसी मौलिक अधिकार का हनन होता है तो हम न्यायालय के द्वारा इसे रोक सकते हैं। हमारी न्यायपालिका अत्यंत शक्तिशाली है तथा नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए यह कोई भी आवश्यक कदम उठा सकती है।

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
मौलिक अधिकारों की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार बहुत ही व्यापक तथा विस्तृत हैं। इनका वर्णन संविधान के 24 अनुच्छेदों (अनुच्छेद 12-35) में किया गया है।
  2. ये अधिकार सभी नागरिकों को जाति, धर्म, रंग, लिंग, भाषा आदि के भेदभाव के बिना दिए गए हैं।
  3. इसका अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति अथवा सरकार नागरिकों के इन अधिकारों को उल्लंघन करने अथवा इन्हें छीनने का प्रयत्न करता है तो नागरिक न्यायालय में जाकर उसके विरुद्ध न्याय की माँग कर सकता है।
  4. मौलिक अधिकारों का प्रयोग नागरिकों द्वारा मनमाने ढंग से नहीं किया जा सकता। यदि कोई नागरिक इनको प्रयोग इस ढंग से करता है कि उससे शांति तथा व्यवस्था भंग होती हो अथवा दूसरों की स्वतंत्रता के प्रयोग के मार्ग में बाधा उत्पन्न (UPBoardSolutions.com) होती हो तो ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा सकती है; उसे ऐसा करने से रोका जा सकता है।
  5. संकटकालीन स्थिति में मौलिक अधिकारों को निलम्बित किया जा सकता है। इसका अर्थ यह है कि संकट काल में सरकार द्वारा इन अधिकारों के प्रयोग पर पाबंदी लगाई जा सकती है।
  6. संसद को मौलिक अधिकारों में संशोधन करने का अधिकार प्राप्त है।
  7. मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए विशेष संवैधानिक व्यवस्था की गई है, इनकी केवल घोषणा ही नहीं की गई है।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत्त मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के संविधान ने अपने नागरिकों को निम्नलिखित मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं।
समानता का अधिकार- इस अधिकार के अन्तर्गत नागरिकों को निम्न प्रकार की समानता प्रदान की गई है-

  1. कानून के सामने सभी नागरिक समान हैं।
  2. किसी भी नागरिक को उसकी जाति, धर्म, रंग, लिंग तथा जन्म स्थान आदि के आधार पर सार्वजनिक स्थानों जैसे-होटलों, पार्को, नहाने के घाटों आदि पर प्रवेश करने से नहीं रोका जाएगा।
  3. सभी नागरिकों को सरकारी नौकरी पाने के क्षेत्र में अवसर की समानता का अधिकार।
  4. छुआ-छूत की समाप्ति।
  5. सेना तथा शिक्षा सम्बन्धी उपाधियों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की उपाधियों का अन्त।

स्वतन्त्रता का अधिकार- स्वतंत्रता का अधिकार के अन्तर्गत नागरिकों को निम्न स्वतंत्रताएँ प्रदान की गई हैं-

  1. भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता।
  2. शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के एकत्र होने की स्वतंत्रता।
  3. संघ बनाने की स्वतंत्रता।
  4. भारत में किसी भी स्थान पर (किसी भी भाग में) घूमने-फिरने की स्वतन्त्रता।
  5. भारत के किसी भी भाग में रहने अथवा निवास करने की स्वतंत्रता।
  6. अपनी इच्छानुसार कोई भी व्यवसाय अपनाने की स्वतंत्रता।

शोषण के विरुद्ध अधिकार-

  1. इस अधिकार के अधीन मनुष्यों को खरीदना-बेचना तथा बेगार पर रोक लगा दी गई है।
  2. 14 वर्ष अथवा उससे कम आयु वाले बच्चों को किसी कारखाने अथवा खान में नौकरी पर नहीं लगाया जा सकता है।

धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार-

  1. प्रत्येक नागरिकों को अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को मानने तथा उसका प्रचार करने का अधिकार है।
  2. प्रत्येक धर्म के अनुयायियों को अपनी धार्मिक संस्थाएँ स्थापित करने तथा उनका प्रबन्ध करने का अधिकार है।
  3. किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी धर्म (UPBoardSolutions.com) विशेष के लिए चंदा या कर देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
  4. राज्य द्वारा स्थापित किसी भी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती।

सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार- इस अधिकार के अन्तर्गत भारत के सभी नागरिकों को अपनी भाषा, धर्म व संस्कृति को सुरक्षित रखने तथा उसका विकास करने का अधिकार है।
संवैधानिक उपचारों का अधिकार- इस अधिकार के अनुसार नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन होने की स्थिति में न्यायालय में जाकर न्याय माँगने का अधिकार है।

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प्रश्न 4.
भारत का संविधान कहता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति से उसके व्यक्तिगत जीवन की स्वतंत्रता का अधिकार नहीं छीना जा सकता।” इस कथन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
इसका आशय है कि जब तक न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को मृत्यु दण्ड न दिया गया हो, तब तक किसी भी व्यक्ति को मारा नहीं जा सकता। इसका यह भी अर्थ है कि सरकार अथवा पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को तब तक हिरासत में नहीं रख सकते जब तक उनके पास इसके लिए कोई न्यायिक औचित्य न हो। जब भी वे ऐसा करते हैं, उन्हें कुछ विशेष कानूनों का पालन करना पड़ता है।

  1. ऐसे व्यक्ति को अपने वकील से विचार-विमर्श करने और अपने बचाव के लिए वकील रखने का अधिकार होता है।
  2. गिरफ्तार किए गए अथवा हिरासत में लिए गए व्यक्ति को ऐसी गिरफ्तारी या हिरासत के कारण की सूचना देना आवश्यक है।
  3. जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है अथवा हिरासत में लिया जाता है तो उसे ऐसी गिरफ्तारी के 24 घण्टे के अन्दर निकटतम न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाना होता है।

प्रश्न 5.
भारत में नगरिकों के राजनैतिक अधिकारों का वर्णन कीजिए। ।
उत्तर:
भारत में संविधान द्वारा प्रदत्त राजनीतिक अधिकारों द्वारा नागरिक अपने देश के शासन-प्रबन्ध में भाग लेते हैं।
इस श्रेणी के अन्तर्गत नागरिकों को प्रदत्त प्रमुख अधिकार इस प्रकार हैं-

1. मतदान का अधिकार- लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदान का अधिकार एक प्रमुख अधिकार है जो देश के नागरिकों को प्राप्त है। मतदान के अधिकार द्वारा सभी वयस्क नागरिक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शासन-प्रबन्ध में हिस्सा लेने लगे हैं। जनता संसद तथा कार्यपालिका के लिए अपने प्रतिनिधि चुनकर भेजती है, जिससे कानून बनाने तथा प्रशासन चलाने के कार्य जनता की इच्छानुसार किए जाते हैं। इस प्रकार प्रजातांत्रिक शासन जनता का, जनता के लिए तथा जनता द्वारा चलाया जाता है। सभी आधुनिक राज्य अधिक-से-अधिक नागरिकों को मताधिकार देने का प्रयत्न करते हैं। इसके लिए अब शिक्षा, सम्पत्ति, जाति, लिंग, जन्म-स्थान आदि का (UPBoardSolutions.com) भेदभाव नहीं किया जाता, परन्तु नाबालिगों, अपराधियों, दिवालियों, पागलों तथा विदेशियों को मताधिकार नहीं दिया जाता। क्योंकि मताधिकार एक पवित्र तथा जिम्मेदारी का काम है। भारत में 18 वर्ष के सभी स्त्री-पुरुषों को मताधिकार प्राप्त है।

2. चुनाव लड़ने का अधिकार- प्रजातंत्र में सभी नागरिकों को योग्य होने पर चुनाव लड़ने का भी अधिकार दिया जाता है। प्रजातंत्र में तभी जनता की तथा जनता द्वारा सरकार बन सकती है, जब प्रत्येक नागरिक को कानून बनाने में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने का अधिकार दिया जाता हो। जनता के वास्तविक प्रतिनिधि भी वही होंगे जो उन्हीं में से निर्वाचित किए गए हों। इसलिए राज्य नागरिकों को चुनाव लड़ने का भी अधिकार देता है, परन्तु कानून बनाना अधिक जिम्मेदारी का काम होता है, इसलिए ऐसे नागरिक को ही निर्वाचन में खड़े होने का अधिकार होता है जो कम-से-कम 25 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो तथा पागल, दिवालिया व अपराधी न हो। भारत में 25 वर्ष की आयु वाले नागरिक को यह अधिकार मिल जाता है।

3. सरकार की आलोचना करने का अधिकार- लोकतन्त्र में नागरिकों को शासन-कार्यों की रचनात्मक आलोचना करने का अधिकार है। लोकतन्त्र लोकमत पर आधारित सरकार है। विरोधी मतों के संघर्ष से ही सच्चाई सामने आती है। स्वतंत्रता का मूल जनता की निरन्तर जागृति ही है। (UPBoardSolutions.com) शासन के अत्याचारों अथवा अधिकारों के दोषों को दूर करने के लिए सरकार की आलोचना एक उत्तम तथा प्रभावशाली हथियार है। इससे सरकार दक्षतापूर्वक कार्य करती है। धन व सत्ता का दुरुपयोग नहीं होने पाता।

4. विरोध करने का अधिकार- नागरिकों को सरकार का विरोध करने का भी अधिकार है। यदि सरकार अन्यायपूर्ण कानून बनाती है अथवा राष्ट्र-हित के विरुद्ध कार्य करती है तो उसका विरोध किया जाना चाहिए। ऐसे शासन के सामने झुकना आदर्श नागरिकता का लक्षण नहीं है। इसलिए नागरिकों को बुरी सरकार का विरोध करना चाहिए तथा उसे बदल देने का प्रयत्न करना चाहिए, परन्तु ऐसा संवैधानिक तरीकों के अन्तर्गत ही किया जाना चाहिए। यह भी ध्यान में रखना पड़ता है कि निजी स्वार्थ-सिद्धि के लिए ऐसा नहीं किया जा सकता। नागरिक को सरकार का विरोध करने का तो अधिकार है, परन्तु राज्य का विरोध करने का कोई अधिकार नहीं।

5. प्रार्थना-पत्र देने का अधिकार- नागरिकों को अपने कष्टों का निवारण करने के लिए प्रार्थना-पत्र देने का अधिकार है। प्रजातंत्र में संसद में जनता के प्रतिनिधियों द्वारा लोगों को भी स्वतः याचिका भेजकर सरकार के सामने अपनी समस्याएँ रखने तथा उन्हें हल करने की माँग करने का अधिकार है। (UPBoardSolutions.com) सरकारी पद प्राप्त करने का अधिकार- सभी नागरिकों को उनकी योग्यतानुसार अपने राज्य में सरकारी पद या नौकरियाँ प्राप्त करने का अधिकार दिया जाता है। सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए किसी भी नागरिक के साथ केवल धर्म, जाति, वंश, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।

भारत में ऐसा कोई भेदभाव नहीं रखा गया है। यहाँ कोई भी नागरिक राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ सकता है। राजनीतिक दल बनाने का अधिकार- प्रजातंत्र में लोगों को दल बनाने का अधिकार होता है। समान राजनीतिक विचार रखने वाले लोग अपना दल बना लेते हैं। राजनीतिक दल ही उम्मीदवार खड़े करते हैं, चुनाव आंदोलन चलाते हैं तथा विजयी होने पर सरकार बनाते हैं। जो दल अल्पसंख्या में रह जाते हैं, वे विरोधी दल का कार्य करते हैं। इन राजनैतिक दलों के बिना प्रजातंत्र सरकार बनाना असंभव है।

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प्रश्न 6.
भारत में नागरिक के सामाजिक एवं नागरिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पारिवारिक जीवन का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को विवाह करने तथा कुटुम्ब बनाने का अधिकार है। परिवार के पवित्रता, स्वतंत्रता तथा सम्पत्ति की राज्य रक्षा करता है। प्रगतिशील देशों में पारिवारिक कलह दूर करने के लिए पतिपत्नी को एक-दूसरे को तलाक देने का भी अधिकार है। बहु-विवाह एवं बाल-विवाह की प्रथाओं पर भी प्रतिबंध लगाए जाते हैं।

शिक्षा का अधिकार- आधुनिक राज्य में नागरिकों को शिक्षा प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार है। कई देशों में चौदह वर्ष तक के बच्चों के लिए निःशुल्क तथा अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का प्रबन्ध किया गया है। शिक्षा प्रजातांत्रिक शासन की सफलता का आधार है। शिक्षित नागरिक ही अपने (UPBoardSolutions.com) अधिकारों तथा कर्तव्यों का ज्ञान रखते हैं। शिक्षा अच्छे सामाजिक जीवन के लिए भी आवश्यक है, इसलिए राज्य स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, वाचनालय, पुस्तकालय आदि स्थापित करता है। नागरिकों को शिक्षा देना राज्य अपना परम कर्तव्य समझता है।

प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार- समाचार-पत्र प्रजातन्त्र के पहरेदार होते हैं। ये लोकमत तैयार करने के अच्छे साधन हैं। इनके माध्यम से जनता तथा सरकार एक-दूसरे की बातें समझ सकते हैं।  समाचार-पत्रों पर सरकार का नियंत्रण नहीं होना चाहिए। स्वतंत्र प्रेस द्वारा ही शासन की जनहित विरोधी कार्रवाई की आलोचना की जा सकती है। प्रेस पर प्रतिबन्ध लगा देने से जनता का गला घोंट दिया जाता है। तानाशाही राज्यों में प्रेस को स्वतंत्र नहीं रहने दिया जाता, परन्तु प्रजातंत्रीय देशों में प्रेस को स्वतंत्रता का अधिकार होता है। समाचार-पत्रों को इस अधिकार का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।

सभा बुलाने तथा संगठित होने का अधिकार- मनुष्य में सामाजिक प्रवृत्ति होती है। वह सभा बुलाकर तथा संगठन बनाकर उसे पूर्ण करता है। जनता को शांतिपूर्वक सभाएँ करने तथा अपने हितों की रक्षा करने के लिए समुदाय बनाने का अधिकार होना चाहिए। आधुनिक राज्य लोगों को यह अधिकार प्रदान करता है। सार्वजनिक वाद-विवाद, मत-प्रकाशन तथा जोरदार आलोचना शासन के अत्याचारों तथा (UPBoardSolutions.com) अधिकारों की मनमानी क्रूरताओं के विरुद्ध जनता के शस्त्र हैं, परन्तु इन सभाओं, जलूसों तथा समुदायों का उद्देश्य सार्वजनिक हित की वृद्धि करना ही होना चाहिए। द्वेष या विद्रोह फैलाने, शांति भंग करने आदि के लिए इनका प्रयोग नहीं किया जा सकता। राज्य ऐसे कार्यों को रोकने के लिए सभाओं आदि पर प्रतिबन्ध लगा देता है, परन्तु राज्य की सुरक्षा के नाम पर नागरिक स्वतंत्रता का दमन करना फासिस्टवाद है।

न्याय पाने का अधिकार- आधुनिक राज्य में सभी लोगों को पूर्ण न्याय प्राप्त करने का अधिकार है। अपराध करने पर सभी पर सामान्य अदालत में मुकद्दमा चलाया जाता है तथा सामान्य कानून के अन्तर्गत दण्ड दिया जाता है। गरीब तथा निर्बल व्यक्तियों को अमीरों के अत्याचारों से बचाया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को अदालत में जाने तथा न्याय पाने का अधिकार है। भारतीय संविधान में भी न्याय प्राप्त करने के लिए कानूनी उपचार की व्यवस्था की गयी है। कोई भी व्यक्ति न्याय पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक अपील कर सकता है।

स्वतन्त्र भ्रमण का अधिकार- सुखी तथा स्वस्थ जीवन के लिए भ्रमण करना भी जरूरी है। राज्य प्रत्येक व्यक्ति को आवागमन की स्वतन्त्रता का अधिकार देता है। वह देश भर में कहीं भी आ-जा सकता है। विदेश यात्रा के लिए पासपोर्ट भी मिल सकता है। शांतिपूर्ण ढंग से आजीविका (UPBoardSolutions.com) कमाने तथा सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने के लिए सभी लोगों को घूमने-फिरने की स्वतंत्रता है, परन्तु विद्रोह फैलाने, तोड़-फोड़ की कार्रवाइयाँ करने वालों को यह अधिकार नहीं दिया जाता। युद्ध के समय विदेशियों के भ्रमण पर भी कठोर नियंत्रण लागू कर दिया जाता है।

विचार तथा भाषण की स्वतंत्रता का अधिकार- प्रजातांत्रिक राज्यों में प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से विचार करने तथा बोलने अथवा भाषण देने का अधिकार दिया जाता है। विचारों के आदान-प्रदान से ही सत्य का पता लगता है। इससे जागृत लोकमत तैयार होता है जो सरकार की रचनात्मक आलोचना करके उसे जनहित में कार्य करते रहने के लिए बाध्य करता है। मंच जनता के दुःखों तथा अधिकारों को दबाने सम्बन्धी अत्याचारों को दूर करने का शक्तिशाली माध्यम है, परन्तु भाषण की स्वतंत्रता का अर्थ झूठी अफवाहें फैलाने, अपमान करने या गालियाँ देने का अधिकार नहीं है। मानहानि करना या राजद्रोह फैलाना अपराध है। युद्ध के समय राज्य की सुरक्षा के लिए इस स्वतंत्रता पर प्रतिबंध भी लगा दिए जाते हैं।

जीवन का अधिकार- प्रत्येक मनुष्य का यह मौलिक अधिकार है कि उसका जीवन सुरक्षित रखा जाए। राज्य बनाने का प्रथम उद्देश्य भी यही है। यदि लोग ही जीवित नहीं रहेंगे तो समाज व राज्य भी समाप्त हो जाएँगे। इसलिए राज्य अपनी प्रजा की बाहरी आक्रमणों तथा आन्तरिक उपद्रवों से रक्षा करने के लिए सेना और पुलिस का संगठन करता है। जीवन के अधिकार के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मरक्षा करने का (UPBoardSolutions.com) भी अधिकार है। मनुष्य का जीवन समाज की निधि है। उसकी रक्षा करना राज्य का परम कर्तव्य है। इसलिए किसी व्यक्ति की हत्या करना राज्य के विरुद्ध घोर अपराध माना जाता है। यही नहीं, आत्महत्या का प्रयत्न करना भी अपराध माना जाता है, परन्तु राज्य उस व्यक्ति के जीवन के अधिकार को समाप्त कर देता है जो समाज का शत्रु बन जाती है तथा दूसरों की हत्या करता फिरता है।

सम्पत्ति का अधिकार- सम्पत्ति जीवन के विकास के लिए आवश्यक है। इसलिए व्यक्ति को निजी सम्पत्ति रखने का अधिकार दिया जाता है। कोई उसकी सम्पत्ति छीन नहीं सकता अन्यथा चोरी अथवा डाका डालने को अपराध माना जाता है। बिना कानूनी कार्रवाई किए तथा उचित मुआवजा दिए राज्य भी किसी व्यक्ति की सम्पत्ति जब्त नहीं करता। यद्यपि पूँजीवादी राज्य में निजी सम्पत्ति की कोई सीमा नहीं रखी जाती, फिर भी समाजवादी राज्य में व्यक्तिगत सम्पत्ति रखने की एक सीमा है। अपनी शारीरिक मेहनत से प्राप्त धन रखने (UPBoardSolutions.com) का वहाँ अधिकार होता है, परन्तु लोगों का शोषण करके सम्पत्ति इकट्ठी नहीं की जा सकती। आधुनिक कल्याणकारी राज्य में यद्यपि सम्पत्ति रखने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता, परन्तु सरकार अधिक धन कमाने वालों पर अधिक-से-अधिक कर (Tax) लगाती है।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 27 डॉ० भीमराव रामजी अम्बेडकर (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 27 डॉ० भीमराव रामजी अम्बेडकर (महान व्यक्तित्व)

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पाठ को सारांश

भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 ई० में इन्दौर के महू नामक स्थान पर हुआ। इनके पिता राम जी फौज में सूबेदार थे। इनकी माता का नाम भीमाबाई सकपाल था। 1907 ई० में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् एलफिंस्टन कालेज से इन्होंने इण्टर पास की। 17 वर्ष की आयु में रमाबाई से इनका विवाह हो गया। बड़ौदा नरेश सयाजीराव ने इन्हें छात्रवृत्ति दी। 1912 ई० इन्होंने बी०ए० पास किया। न्यूयार्क विश्वविद्यालय से 1915 ई० में एम०ए० की डिग्री प्राप्त की। कोलम्बिया विश्वविद्यालय ने इन्हें डॉ० ऑफ फिलॉसफी की उपाधि दी। अर्थशास्त्र व राजनीति के अध्ययन के लिए ये लन्दन गए परन्तु सयाजीराव ने छात्रवृत्ति बन्द कर दी। ये विवश होकर स्वदेश लौटे।

31 जनवरी, 1920 ई० को इन्होंने ‘मूकनायक’ अखबार निकाला। इसका उद्देश्य जातिप्रथा की समाप्ति तथा अस्पृश्यता का निवारण करना था। 21 मार्च, 1920 ई० में इन्होंने कोल्हापुर दलित सम्मेलन की अध्यक्षता की। कोल्हापुर नरेश ने इन्हें दलितों का उद्धारक कहा। सन् 1920 ई० में इन्होंने पुनः लन्दन जाकर वकालत पास की। 27 मई, 1935 ई० को इनकी पत्नी रमाबाई का निधन हो गया। सन् 1936 ई० में इन्होंने ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ राजनैतिक दल का गठन किया। 1937 ई० के (UPBoardSolutions.com) प्रान्तीय चुनाव में ये भारी बहुमत से विजयी हुए। जुलाई 1941 ई० में इन्हें गणित रक्षा सलाहकार समिति का सदस्य चुना गया। सन् 1945 ई० में इन्होंने पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की। मार्च 1952 ई० में इन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया और ये भारत सरकार के कानून मंत्री बने। 14 अक्टूबर, 1956 ई० को इन्होंने बौद्धधर्म ग्रहण कर लिया। 6 दिसम्बर 1956 ई० को इनका देहान्त हो गया। भारत सरकार ने मरणोपरान्त उन्हें भारत रत्न’ से सम्मानित किया।

डॉ० भीमराव अम्बेडकर ने अनेक उल्लेखनीय कार्य किए। सन् 1924 में उन्होंने बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की जिसका उद्देश्य छुआछूत दूर करना था। इन्होंने सरकार द्वारा दलितों की सेना में भर्ती पर रोक को लेकर 20 मार्च, 1927 ई० को महाड़ में दलित सम्मेलन बुलाया। दलितों के हित के लिए लेजिस्लेटिव काउंसिल के लिए इन्हें सन् 1929 ई० में मनोनीत किया गया। इन्होंने शिक्षा, मद्यनिषेध, कर व्यवस्था, महिला और बाल कल्याण विषयों पर (UPBoardSolutions.com) कड़ा रुख अपनाया। इन्होंने प्रथम, द्वितीय व तृतीय गोलमेज सम्मेलन में दलितों का प्रतिनिधित्व किया। दलितों के उत्थान के लिए गांधी जी के साथ पूना पैक्ट किया। इनकी प्रमुख रचनाएँ- द बुद्ध एण्ड हिज गोस्पेल, थाट्स ऑन पाकिस्तान, रिवोल्यूशन्स एण्ड काउण्टर रिवोल्यूशन्स इन इण्डिया है।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान में कितने अनुच्छेद और अनुसूचियाँ हैं?
उत्तर :
भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ हैं।

प्रश्न 2.
डॉ० अम्बेडकर को पहली बार लंदन से वापस क्यों होना पड़ा?
उत्तर :
डॉ० अम्बेडकर को पहली बार लंदन से वापस इसलिए आना पड़ा क्योंकि सयाजीराव ने छात्रवृत्ति बन्द कर दी थी।

प्रश्न 3.
डॉ० अम्बेडकर ने स्थायी प्रगति के लिए क्या उपाय सुझाए हैं?
उत्तर :
हमें अपना आचरण सुधारना, बोल-चाल का तरीका बदलना और विचारों में दृढ़ता लानी होगी।

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प्रश्न 4.
“मूक नायक’ अखबार का क्या उद्देश्य था?
उत्तर :
जातिप्रथा समाप्त करना और अस्पृश्यता का निवारण करना, मूक नायक अखबार का उद्देश्य था।

प्रश्न 5.
कोल्हापुर नरेश शाहूजी महाराज ने अम्बेडकर को दलितों के उद्धारक की संज्ञा क्यों दी?
उत्तर :
भीमराव ने दलित सम्मेलन की अध्यक्षता की और जातिप्रथा की समाप्ति और अस्पृश्यता निवारण के लिए मूकनायक अखबार निकाला।

प्रश्न 6.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)

  1. बालक पर ज्योतिबा के व्यक्तित्व (UPBoardSolutions.com) का गहरा प्रभाव पड़ा।
  2. मूक नायक अखबार को उद्देश्य जातिप्रथा और अस्पृश्यता को समाप्त करना था।
  3. मार्च 1952 में भीमराव रामजी अम्बेडकर को राज्यसभा के लिए चुन लिया।
  4. डॉ० भीमराव रामजी अम्बेडकर को दलितों का मसीहा, विधिवेत्ता, समाजसेवी एवं कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में याद किया जाता है।

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प्रश्न 7.
सही विकल्प चुनिए (सही विकल्प चुनकर)
(अ) 1927 में अम्बेडकर ने महाड़ में दलितों का सम्मेलन बुलाया, क्योंकि

  1. दलितों ने उनसे सम्मेलन बुलाने के लिए कहा था।
  2. ब्रिटिश सरकार ने दलितों को सेना में भर्ती पर रोक लगा दी। (✓)
  3. वे दलितों के नेता के रूप में जाने जाते थे।

(ब) ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ का उद्देश्य था

  1. अहिष्कृत लोगों को संगठित करना।
  2. छुआ-छूत दूर करना। (✓)
  3. बहिष्कृत लोगों को छात्रवृत्ति दिलाना।

प्रश्न 8.
नोट –
विद्यार्थी अपने शिक्षक से स्वयं चर्चा करें।

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