UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 32 लाल बहादुर शास्त्री (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 32 लाल बहादुर शास्त्री (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, सन् 1904 को मुगलसराय (तत्कालीन वाराणसी वर्तमान चंदौली) के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम । शारदा प्रसाद तथा माता का नाम राजदुलारी देवी था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर लालबहादुर वाराणसी आ गए। पढ़ने-लिखने में इनकी विशेष रुचि थी। वे बहुत ही सीधे, साधे शांत और सरल स्वभाव के विद्यार्थी थे। जब लाल बहादुर बनारस के हरिश्चन्द्र हाई स्कूल में पढ़ रहे थे उस समय लोकमान्य बालगंगाधर तिलक का (UPBoardSolutions.com) नारा “स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है” पूरे देश में गूंज रहा था। इससे उन्हें देश प्रेम की प्रेरणा मिली। कुछ दिनों बाद बनारस में उन्हें गांधी जी को पहली बार देखने का अवसर मिला। उनके भाषण से वे बहुत प्रभावित हुए। अब वे पढ़ाई के साथ-साथ स्वराज आन्दोलन में भी भाग लेने लगे। गांधी जी का असहयोग आंदोलन आरंभ हुआ। लाल बहादुर भी पढ़ाई छोड़कर आन्दोलन में कूद पड़े।

आजादी की लड़ाई में उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। बाद में लाल बहादुर काशी विद्यापीठ में शिक्षा ग्रहण करने लगे। सन 1926 में उन्होंने शास्त्री की परीक्षा पास की। अब वे लाल बहादुर से लाल बहादुर शास्त्री बन गए। अध्ययन समाप्त कर शास्त्री जी देश सेवा में सक्रिय हो गए। उनकी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा एवं परिश्रम से प्रभावित होकर पंडित नेहरू ने उन्हें आनंद भवन में बुला लिया। देश स्वतंत्र हुआ। प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में रेल मंत्री बनाया। फिर बाद में उन्हें उद्योग मंत्री तथा स्वराष्ट्र मंत्री का दायित्व दिया गया। उन्होंने सभी पदों पर बड़ी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य किया।

पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद शास्त्री जी सर्वसम्मति से भारत के प्रधानमंत्री बने। इनके प्रधानमंत्री बनने के कुछ समय बाद ही भारत पर पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया। इनके कुशल नेतृत्व (UPBoardSolutions.com) में युद्ध में भारत की जीत हुई। इस जीत ने भारत का मस्तक ऊँचा कर दिया। युद्ध समाप्त होने के बाद रूस में भारत-पाकिस्तान के बीच ताशकंद समझौता हुआ। 10 जनवरी, सन 1966 की रात को हृदय गति रुक जाने से ताशकंद में ही उनका निधन हो गया। भारत ने अपने इस लोकप्रिय नेता को सदा-सदा के लिए खो दिया।

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अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

प्रश्न 1.
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर :
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म मुगलसराय (तत्कालीन वाराणसी वर्तमान चन्दौली) में। हुआ था।

प्रश्न 2.
शास्त्री जी ने रेल मंत्री का पद क्यों छोड़ा?
उत्तर :
उनके रेल मंत्री रहते एक भीषण रेल दुर्घटना हुई। शास्त्री जी ने दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री का पद छोड़ दिया तथा अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

प्रश्न 3.
देश में खाद्यान्न की समस्या होने पर शास्त्री जी ने क्या किया?
उत्तर :
देश में खाद्यान्न की समस्या को देखते हुए शास्त्री जी ने “जय-जवान, जय-किसान” का नारा देकर देश वासियों के स्वाभिमान को जगाया और देश में हरित क्रांति प्रारंभ हुई जिसके परिणाम स्वरूप भारत-खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना।

प्रश्न 4.
शास्त्री जी के स्वभाव की क्या-क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर :
शास्त्री जी स्वभाव से सीधे-सादे, सच्चे, सरल हृदय, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ एवं परिश्रमी व्यक्ति थे।

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प्रश्न 5.
लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर दस वाक्य लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 6.
इन महापुरुषों के लोकप्रिय नारे कौन से थे ?
जैसे :- पं० जवाहर लाल नेहरू – आराम हराम है।
महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चंद्र बोस
उत्तर :
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प्रश्न 7.
वर्षों को घटनाओं से जोड़िए –
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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 36 लोकनायक जयप्रकाश नारायण (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म बिहार के सिताबदियारा गाँव में (अब उ०प्र० में) 11 अक्टूबर, 1902 को हुआ था। इनके पिता का नाम हरसूदयाल तथा माता का नाम श्रीमति फूल रानी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पटना के कालेजिएट स्कूल में हुई। यहाँ से इन्होंने हाई स्कूल पास किया। आगे की शिक्षा के लिए इन्होंने पटना कॉलेज, पटना में प्रवेश लिया। सन् 1922 में उच्च शिक्षा की के लिए अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। शिक्षा पूरी कर स्वदेश लौटने (UPBoardSolutions.com) के बाद वे भारतीय राजनीति में सक्रिय हो गए। उस समय भारत में गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चल रहा था। वे भी एक सच्चे राष्ट्रभक्त की तरह स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ गए।

जयप्रकाश नारायण समाजवादी सिद्धातों से प्रभावित थे। स्वतंत्रता आंदोलन में वे कई बार जेल गए। गांधी जी जयप्रकाश नारायण को भारतीय समाज का सबसे बड़ा विद्वान मानते थे। 1946 में गांधी जी ने उनका नाम कांग्रेस अध्यक्ष के लिए प्रस्तावित किया किन्तु कांग्रेस की कार्य कारिणी ने इसे स्वीकार नही किया। सन् 1948 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भारतीय समाजवादी पार्टी की स्थापना की। 1952 में वे आचार्य बिनोवा भावे के नेतृत्व में चलाए जा रहे सर्वोदय

आंदोलन व भूदान आंदोलन से जुड़ गए। उन्होंने सरकार एवं सत्ता में कभी कोई पद स्वीकार नहीं किया। 8 अक्टूबर 1979 को इनकी मृत्यु हो गई उनके विचार, उनके सिद्धांत सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
प्रश्न 1.
जयप्रकाश नारायण का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को बिहार के सिताबदिलारा गाँव, (अब उ०प्र०) में हुआ था।

प्रश्न 2.
जयप्रकाश नारायण के माता-पिता का नाम बताइए।
उत्तर :
जयप्रकाश नारायण के माता का नाम श्री (UPBoardSolutions.com) मति फूलरानी तथा पिता का नाम हरसूदयाल था।

प्रश्न 3.
गांधी जी ने समाजवाद का सबसे बड़ा विद्वान किसको माना?
उत्तर :
गांधी जी ने समाजवाद का सबसे बड़ा विद्वान जयप्रकाश नारायण को माना।

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प्रश्न 4.
जयप्रकाश नारायण के राष्ट्रवाद पर क्या विचार थे? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
वे सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र के आमूल परिवर्तन के पक्षधर थे। वे समाजवाद के समर्थक थे। उनकी दृष्टि में समाजवाद का उद्देश समाज को समन्वित विकास करना था। समाजवाद के संबंध में (UPBoardSolutions.com) उनके विचार थे कि भारतीय संस्कृति के मूल्लों को सुरक्षित रखते हुए भी हम देश में समाजवाद ला सकते हैं क्योंकि भारतीय पंरपराएँ कभी भी शोषणवादी नहीं रहीं हैं।

जय प्रकाश नारायण के समग्र जीवन दर्शन से स्पस्ट है कि वे ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ के वास्तविक पोषक थे।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi निबन्ध रचना

UP Board Solutions for Class 6 Hindi निबन्ध रचना

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गाय

गाय एक चौपाया पशु है। पशुओं में गाय को सबसे अधिक उपयोगी माना जाता है। यह अनेक रंगों की होती है परन्तु विशेष रूप से सफेद, भूरी काली व चितकबरी होती है। नस्ल की दृष्टि से भी गाय हरियाणा, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश की अलग-अलग होती हैं। हरियाणा व पंजाब की गाय की अपेक्षा उत्तर प्रदेश की गाय शरीर में बड़ी होती हैं परन्तु उत्तर प्रदेश की गाय की अपेक्षा हरियाणा की गाय अधिक दूध देती है। संसार भर में रूस, अमेरिका, स्विटजरलैंड तथा डेनमार्क की गायें सबसे अधिक दूध देती है। गाय का मुख्य भोजन भूसा व घास है। खली के साथ भूसे को गाय बड़े चाव से खाती है। यह हरे चारे को भी पसन्द करती है। (UPBoardSolutions.com)समय पर चारा न मिलने पर भी यह धैर्य के साथ अपने स्थान पर बैठी रहती है। गाय से हमें अनेक लाभ हैं। सबसे मुख्य बात तो यह है कि यह हमें स्वास्थ्यवर्धक एवं बुधिवर्धक अमृत जैसा दूध देती है। इसका दूध छोटे बच्चों एवं रोगियों के लिए बहुत ही उपयोगी है। गाय के बछड़े बड़े होकर हमारी खेती के काम आते हैं। गाय का गोबर खाद बनाने व ईंधन के काम भी आता है। अब तो गोबर से गैस भी बनाई जाने लगी है। गाय का मूत्र अनेक दवाइयों में काम आता है। गाय हमारे लिए सभी प्रकार से उपयोगी है।

सार रूप में कहा जा सकता है कि गाय एक उदार स्वभाव वाली, उपयोगी व लाभकारी पशु है। भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में इसका महत्त्व एवं उपयोग है।

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विजयादशमी (दशहरा)

दशहरा हिन्दुओं का प्रसिद्ध व पवित्र त्योहार है। यह त्योहार क्वार के महीने में शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। यह त्योहार हर गाँव अथवा शहर में बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। बच्चे-बूढ़े और जवान सभी इस त्योहार की प्रतीक्षा किया करते हैं। इस दिन विजया देवी की पूजा की जाती है।

इस त्योहार के विषय में एक कथा प्रचलित है कि लंका का राजा रावण बहुत ही अत्याचारी था। उसके शासन में साधु-सन्तों, ऋषि-मुनियों को धर्म-पालन करना कठिन हो गया था। पाप बहुत बढ़ गया था। जब रामचन्द्र जी, सीता जी और लक्ष्मण के साथ वन में थे तो रावण ने छल करके सीता का हरण कर लिया। पाप के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए श्रीराम ने रावण का वध किया और लंका का राज्य रावण के भाई विभीषण को सौंप दिया था। भगवान श्रीराम की गौरव गाथा (UPBoardSolutions.com) की याद दिलाने के लिए जगह-जगह पर राम-रावण का युद्ध दिखाया जाता है। बहुत स्थानों पर तो सुन्दर-सुन्दर आकर्षक झाँकियाँ निकाली जाती हैं। दशहरे के दिन रावण का पुतला जला देने के साथ ही रामलीला समाप्त हो जाती है। यह अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है।

दीपावली

यह त्योह्मर कार्तिक महीने की अमावस्या को होता है। इस त्योहार पर रात में विशेष रूप से दीपक जलाकर प्रकाश किया जाता है। इसलिए इसे दीपावली या दीपमालिका के नाम से पुकारते हैं।

दीपावली का त्योहार किस कारण से मनाया जाता है? इस विषय में अनेक मत प्रचलित हैं। कुछ लोग मानते हैं कि श्रीरामचन्द्र जी रावण का विनाश करके, सीता जी तथा लक्ष्मण जी के साथ 14 वर्ष के बाद अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने अपनी खुशी प्रकट करने के लिए अयोध्या को दीपकों से सजाया था। बस तभी से दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा। लोगों का एक अन्य मत है। , कि इस दिन धन की देवी लक्ष्मी जी \ भूमि पर यह देखने के लिए आती हैं कि मेरी मान्यता कहाँ, (UPBoardSolutions.com) किसके यहाँ, कैसी है। कौन मेरा सम्मान व पूजा करता है। इसीलिए हर एक आदमी अपने घर को . लक्ष्मी जी के आगमन की सम्भावना से सजाता है और लक्ष्मी जी की कृपा की आशा करता हैं।

इस त्योहार की तैयारी कई दिन पूर्व से ही की जाने लगती है। प्रत्येक व्यक्ति मकान, दुकान आदि को अच्छी तरह से सजाता है। दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस होती है। इस दिन बाजार से नए बर्तन खरीदकर लाने का प्रचलन है। अगले दिन छोटी दीपावली होती है, इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इसके अगले दिन दीपावली का मुख्य त्योहार होता है इस दिन नर-नारी, बालक-बच्चे सभी प्रसन्न व व्यस्त दिखाई पड़ते हैं। सायंकाल होने पर श्रीगणेश, लक्ष्मी जी का पूजन . दीप जलाकर चावल, खील-बतासे, मिठाई व फल-फूलों से किया जाता है। इसके बाद मनुष्य अपने घरों, दुकानों को व अन्य भवनों को दीप, मोमबत्तियों व (UPBoardSolutions.com) बिजली के बल्बों से सजाते हैं। बाजारों में भी बहुत अधिक रोशनी एवं सजावट की जाती है। दीपावली से अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है तथा उससे अगले दिन भैया दूज का पर्व मनाया जाता है।

इस त्योहार की प्रतीक्षा सभी नर-नारी किया करते हैं। बच्चों के लिए तो यह मिठाई का त्योहार माना जाता है। यह त्योहार खुशी व उमंग का त्योहार है। इस पर्व के बहाने घरों की सफाई हो जाती है। वर्षा के दिनों में जो गंदगी सीलन हो जाती है, वह सब लिपाई-पुताई के कारण दूर हो जाती है। कुछ लोग इस अवसर पर जुआ भी खेलते हैं। जुआ खेलना पर्व की पवित्रता एवं समाज के सुखद वातावरण को दूषित कर देता है। इस अवसर पर हमें बुरे काम नहीं करने चाहिए। दीपावली वास्तव में एक अद्वितीय पर्व है।

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जन्माष्टमी

हिन्दुओं के प्रमुख त्योहार में जन्माष्टमी का प्रमुख स्थान है। यह वर्षा ऋतु का प्रधान त्योहार है। भ्राद्रपद की अष्टमी, श्रीकृष्ण की स्मृति में मनायी जाती है। श्रीकृष्ण के जीवन की झाँकियाँ सजाई जाती हैं, मन्दिर (UPBoardSolutions.com) और घर सजाए जाते हैं, व्रत रखते हैं, कीर्तन करते हैं।

श्रीकृष्ण के जीवन से तपस्या, त्याग, परोपकार, कठिन परिश्रम, न्याय और सत्यपालन की शिक्षा मिलती है। श्री कृष्ण के आदर्श चरित्र का अधिक प्रचार होना चाहिए। हमें इस त्योहार को बड़े उत्साह से मनाना चाहिए।

होली

होली हमारे देश का प्रसिद्ध त्योहार है। यह प्रत्येक वर्ष फाल्गुन के महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। प्रत्येक हिन्दू इस त्योहार के आने की प्रतीक्षा करता है।

पुराणों में एक कथा है कि इस दिन भक्त प्रहलाद की बुआ होलिका अपने भाई के आदेशानुसार प्रहलाद को गोदी में लेकर आग में बैठ गई। भगवान की कृपा से भक्त प्रहलाद बच गया और होलिका जलकर राख हो गई। इसी खुशी में हिन्दू लोग इस दिन को होली के रूप में मनाते हैं।

फाल्गुन आने से पूर्व माघ मास की बसन्त पंचमी से ही इस त्योहार का श्रीगणेश हो जाता है। बसन्त पंचमी के दिन किसी सार्वजनिक स्थल, चौराहे पर होली के लिए बच्चे ईंधन, लकड़ी, उपले आदि एकत्र (UPBoardSolutions.com) करना शुरू कर देते हैं। होली के दिन तक यह बहुत बड़े ढेर (होली) के रूप में बदल जाता है। कुछ प्रमुख व्यक्ति शुभ मुहूर्त में होली को आग लगाते हैं। सभी व्यक्ति आनन्द से जौ की बालियाँ भुनकर अपने मित्रों, संबधियों में बाँट-बाँटकर खाते हैं और गले मिलते हैं।

अगले दिन प्रातः से ही मस्ती का वातावरण बन जाता है। छोटे-बड़े बच्चे, जवान, बूढे, नर-नारी सभी में रंग-गुलाल, पिचकारी के लिए एक-दूसरे को रंग में रंग देने की होड़ लग जाती है इस त्योहार पर कोई छोटा-बड़ा नहीं रहता। सभी गले मिलते हैं और प्रेम का व्यवहार करते हैं।

इस त्योहार पर बहुत से व्यक्ति रंग-गुलाल की जगह गंदगी फेंक देते हैं, जो कि अच्छा नहीं है। हमें इन बुराइयों को दूर करना चाहिए। दोपहर बाद सभी नहा-धोकर एक स्थान पर या एक-दूसरे । के घर (UPBoardSolutions.com) जाकर मिलते हैं और आपस में मिल-बैठकर खाते-पीते हैं। वास्तव में होली मित्रता, प्रेम मिलन एवं सद्भावना का त्योहार है।

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रक्षाबंधन

रक्षाबंधन भारत का बहुत की प्राचीन और महत्त्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भाई अपनी बहनों की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा करते हैं।

रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्योहार को श्रावणी, सलूनो आदि नामों से भी पुकारा जाता है।

प्राचीनकाल से इस त्योहार के बारे में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। इनमें से एक कहानी तो बहुत प्रसिद्ध है- कहते हैं कि एक बार देवताओं और राक्षसों में भयंकर युद्ध छिड़ गया। धीरे-धीरे देवताओं का बल घटने लगा और ऐसा लगने लगा जैसे देवता हार जाएँगे। देवताओं के राजा इन्द्र को इससे बड़ी चिन्ता हुई। इन्द्र के गुरु ने विजय के लिए श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन इन्द्र के हाथ में रक्षा कवच बाँधा। इसके प्रभाव से राक्षस हार गए। कहा जाता है कि तभी से रक्षाबंधन का यह त्योहार आज तक मनाया जाता है।

रक्षाबंधन को मनाने के विषय में एक दूसरी कथा भी प्रचलित है। एक समय चितौड़ की रानी कर्मवती पर गुजरात के राजा ने आक्रमण कर दिया। कर्मवती ने सम्राट हुमायूँ के पास राखी भेजी थी। हुमायूँ ने (UPBoardSolutions.com) कर्मवती को अपनी धर्म की बहन मानकर रक्षा का प्रयास किया। वास्तव में रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहन के पावन प्रेम को प्रकट करता है।

रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए कई दिन पूर्व से तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। बाजार से सुन्दर-सुन्दर राखियाँ खरीदी जाती हैं। जो भाई बाहर रहते हैं, उनके लिए बहनें राखियाँ डाक द्वारा भेजती हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन प्रात:काल से ही एक निराली प्रसन्नता-सी छाई रहती है। सफाई आदि के बाद दीवारों पर चित्र बनाए जाते हैं। इस दिन घरों में खीर, सेवई आदि बनाई जाती हैं। राखी की पूजा होती है। बहन-भाई नए-नए वस्त्र धारण करते हैं। बहनें अपने भाइयों के हाथ में राखी बाँधती हैं तथा मिठाई देती हैं। भाई अपनी बहनों की रक्षा की प्रतिज्ञा करते हैं तथा दक्षिणा में रुपए भी देते हैं। इस दिन घरों में भी बहनें राखी बाँधने के लिए आती हैं तथा दक्षिणा पाती हैं। वास्तव में यह त्योहार भाई-बहन के असीम स्नेह का प्रतीक है। संध्या के समय मेले में जाते हैं। इस प्रकार पूरे दिन प्रसन्नता का वातावरण रहता है।

रक्षाबंधन भारत का एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार से (UPBoardSolutions.com) व्यक्तियों में स्नेह एवं कर्तव्य पालन की भावना जाग्रत होती है। हम सभी को इस त्योहार की पवित्रता एवं शुद्धता बनाए रखनी चाहिए।

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वर्षा ऋतु

प्रायः ऋतुएँ तीन प्रकार की होती हैं- (1) ग्रीष्म ऋतु (2) वर्षा ऋतु तथा (3) शरद ऋतु।। इन सब ऋतुओं में वर्षा ऋतु का विशेष महत्त्व है। ग्रीष्म ऋतु की तेज गर्मी से पृथ्वी के सभी मनुष्य, जीव-जन्तु व्याकुल हो जाते हैं। सभी जीव पानी एवं छाया की तलाश में बेचैन हो जाते हैं। सभी व्यक्ति आकुल होकर ईश्वर से वर्षा के लिए प्रार्थना करने लगते हैं, तब जाकरे कहीं वर्षा का आगमन होता है।

प्रायः वर्षा ऋतु का समय जुलाई मास से लेकर अक्टूबर मास तक होता है। जुलाई में भगवान इन्द्र की कृपा से आकाश में काले-काले बादल दिखाई पड़ने लगते हैं। बिजली चमकती है और पानी बरसने लगता है। ग्रीष्म ऋतु की गर्मी से तपती हुई धरती की प्यास शांत हो जाती है।

वर्षा ऋतु के आरम्भ होते ही ग्रीष्म ऋतु की गर्म हवाएँ, जिन्हें लू भी कहा जाता है, ठंडी, मन को लुभाने वाली हवाओं में बदल जाती हैं। आकाश में काले एवं सफेद बादल छा जाते हैं। बिजली चमकने लगती है, तेज वर्षा होने लगती है। वर्षा से सब जगह जल ही जल दिखाई देने लगता है। सरोवर आदि जल से भर जाते हैं। पशु-पक्षी चैन का अनुभव करते हैं। मेंढक बोलने लगते हैं। कोयल पंचम स्वर में गाना आरम्भ कर देती है। अनेक प्रकार के कीड़े पृथ्वी पर रेंगते दिखाई देते हैं। किसान हल लेकर (UPBoardSolutions.com) खेतों की ओर चल पड़ते हैं। आम, जामुन, अमरूद आदि फल आने लगते हैं। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दृष्टिगोचर होती है। चारों तरफ एक अनोखी सुगन्ध छा जाती है। वास्तव में वर्षा ऋतु का समय बड़ा सुहावना होता है। ऐसे समय में आनंदित होकर लोग श्रावण (सावन) के गीत गाने लगते हैं।

वर्षा के अनेक लाभ हैं। वर्षा प्रत्येक जीव का प्राण है। इसके द्वारा ही मनुष्यों को अनाज प्राप्त, होता है तथा पशुओं को हरा चारा मिलता है। यदि वर्षा न हो, तो पृथ्वी के सभी जीव तड़पने लगेंगे। अतः वर्षा का मानव जीवन में अत्यन्त महत्त्व है।

लाभ के साथ-साथ वर्षा से कुछ हानियाँ भी हैं। इससे कच्चे स्थानों पर कीचड़ जमा हो जाती है। गड्ढों में जल भर जाने से मच्छर पैदा हो जाते हैं। बहुत से मकान वर्षा से गिर जाते हैं। कई बार अधिक वर्षा के कारण फसलों का विनाश हो जाता है। अधिक वर्षा से बाढ़ भी आ जाती है, जिससे जान व माल दोनों का विनाश होता है।

उपर्युक्त हानियों के साथ-साथ वर्षा ऋतु का मानव जीवन में विशेष महत्त्व है। इस ऋतु से होने वाली हानियों से बचाव के प्रयास करने चाहिए। वर्षा ऋतु मानव जीवन के लिए बड़ी उपयोगी, लाभदायक एवं सुहावनी होती है। ग्रीष्म से परेशान व्यक्ति वर्षा ऋतु में एक विशेष प्रसन्नता का अनुभव करता है।

मेले का वर्णन

हमारे देश में मेलों का विशेष महत्त्व है। मेलों के द्वारा मनुष्य अपने मन में प्रसन्नता का अनुभव करता है। उत्तर प्रदेश में भी अनेक मेले लगते हैं, जैसे- बूढ़े बाबू का मेला, गंगा मेला और नौचंदी का मेला आदि। इनमें गंगा स्नान का मेला सबसे महंत्त्वपूर्ण है। गढ़मुक्तेश्वर का मेला उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध मेला है, जो गाजियाबाद जिले में लगता है।

यह मेला कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन लगता है। कार्तिक (UPBoardSolutions.com) पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्त्व है। लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान करने के लिए आते हैं। गढ़ में गंगा के किनारे एक नया नगर-सा बस जाता है। चारों तरफ तंबू-डेरा दिखाई देते हैं।

इस मेले का प्रबन्ध जिला परिषद द्वारा किया जाता है। मेले में पुलिस के जवान व्यवस्था करते हैं। पूरे मेले को अनेक भागों में बाँट दिया जाता है, जिससे प्रबन्ध में कोई परेशानी न हो।

हम लोग भी मेले के दृश्य देखने और गंगा स्नान करने के लिए गए। वहाँ देखा कि गाड़ियों की कतार लगी हुई है। यात्रियों के ठहरने के लिए तंबू लगे हुए हैं। सड़कों के दोनों ओर दुकानें लगी हुई हैं। सड़कों पर पैदल चलने वालों की भारी भीड़ थी, जिससे चलना भी मुश्किल हो रहा था।

लोग सड़कों और मार्गों के सुहावने दृश्य देखते हुए ‘गंगा मैया की जय’ बोलते हुए मेले के मुख्य द्वार पर पहुँचते हैं। स्त्रियाँ गीत गाती हैं। मेले में पहुँचकर सबसे पहले लोग गंगा स्नान करते है। गंगा का दृश्य बड़ा सुन्दर (UPBoardSolutions.com) होता है। कोई गंगा में नहाता है, कोई तैरता है, कोई फूल चढ़ाता है। और कोई गंगा में दीपक जलाता है। कहीं पर कथा होती है, कहीं पर पंडे बैठे रहते हैं, कहीं पर स्नान करने वाले को चंदन घिसकर लगाया जाता है।

मेले का बाजार भी बड़ा लम्बा-चौडा लगा हुआ था। हलवाइयों, चाय वालों, चाट वालों और होटलों की भी काफी अधिक संख्या थी। मेले में कंबल, दरी, लिहाफ, चादर आदि भी बिक रहे थे। मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध थे। रेडियो, लाउडस्पीकर की ध्वनि भी मेले की रौनक बढ़ा रही थी। सभी ओर खुशी ही खुशी नजर आ रही थी।

गढ़मुक्तेश्वर का मेला एक धार्मिक मेला है। गंगा का जल ठंडा होता है फिर भी हिन्दू लोग श्रद्धा भाव से इस जल में स्नान करते हैं क्योंकि गंगा में स्नान करना पुण्य समझा जाता है। इससे लोगों में प्रेम और एकता का भाव उत्पन्न होता है। यह मेला हमारी प्राचीन सभ्यता की याद दिलाता है। इस प्रकार गंगा स्नान के मेले का अपना विशेष महत्त्व है।

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हमारा विद्यालय

हमारे विद्यालय का नाम डी०ए०वी० इन्टर कॉलेज है। हमारे विद्यालय में लगभग 54 कमरे हैं। सभी कमरे पक्के और साफ हैं। विद्यालय में बैठने के लिए कुर्सी और मेज हैं। प्रत्येक कक्षा में श्याम-पट भी है।

हमारे विद्यालय में खेल-कूद का मैदान भी है। हमारे (UPBoardSolutions.com) विद्यालय में बगीचा भी है, जिसमें रंग-बिरंगे फूल खिले रहते हैं। हमारे विद्यालय के पास फसल हेतु भूमि भी है।

हमारे विद्यालय के प्रधानाचार्य बड़े महान हैं। वे एक योग्य प्रशासक एवं कर्मठ व्यक्ति हैं। हमारे विद्यालय में 65 अध्यापक हैं। सभी अध्यापक योग्य एवं अनुभवी हैं। हमारे विद्यालय में लगभग दो हजार छात्र पढ़ते हैं। सभी छात्र आज्ञाकारी एवं परिश्रमी हैं। हमारे विद्यालय में एक पुस्तकालय है, जहाँ छात्र बैठकर पुस्तक पढ़ते हैं हमारे विद्यालय में कृषि एवं विज्ञान आदि विषयों की शिक्षा दी जाती है। हमारे विद्यालय में विज्ञान की प्रयोगशालाएँ हैं, जिनमें छात्रों को प्रयोगात्मक कार्य कराया जाता है। हमारे विद्यालय में खेल-कूद का भी उत्तम प्रबन्ध है विद्यालय की छुट्टी के बाद शाम को, खेल-कूद आरम्भ होते हैं। लगभग 100 छात्र प्रतिदिन खेल के मैदान में अनेक प्रकार के खेल (जैसे- कबड्डी, फुटबॉल, क्रिकेट, दौड़, खो-खो आदि) खेलते हैं।

हमारे विद्यालय का परीक्षाफल भी बहुत अच्छा रहता है। यहाँ के छात्रों ने आगे चलकर बड़े पदों को ग्रहण किया है। हमारे विद्यालय में ईश्वर की पूजा के लिए प्रार्थना की जाती है तथा नैतिक शिक्षा भी दी जाती है, (UPBoardSolutions.com) जिससे छात्रों में धर्म के प्रति आस्था बनी रहे। इसके अतिरिक्त हमारे यहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। इस प्रकार हमारे विद्यालय में छात्रों का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है।

हमारे विद्यालय में गुरु एवं छात्रों का सम्बन्ध बड़ा मधुर है। सभी छात्र अपने गुरुओं की आज्ञा का पालन करते हैं। इस प्रकार हमारा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय है। मैं भगवान से प्रार्थना करता हैं कि हमारा विद्यालय उन्नति के पथ पर और अधिक अग्रसर हो।

रेलयात्रा का वर्णन

एक दिन मेरे पिता जी ने मुझे बताया कि मेरी मौसी की शादी 27 जनवरी की है। उन्होंने कहा कि हमें 25 तारीख की सुबह ही मेरठ चलना है। रेलगाड़ी ठीक सात बजे अलीगढ़ से मेरठ के लिए चल देती है। मैं तो बहुत ही प्रसन्न हुआ। 25 तारीख की सुबह साढ़े छह बजे हम रेलवे स्टेशन की ओर चल दिए और रिक्शा पर सवार होकर स्टेशन पर जा पहुंचे।

जिसे समय हम स्टेशन पर पहुँचे, वहाँ काफी चहल-पहल थी। पिता जी उस समय टिकट खरीदने चले गए। लोगों की भीड़ इधर से उधर आ-जा रही थी। ट्रेन अभी तक स्टेशन पर नहीं आई थी। इतने में पिता जी टिकट लेकर आ गए और हम लोग भी प्लेटफार्म पर जा पहुँचे। यहाँ काफी लोग इधर से उधर घूम रहे थे। इतने में ही गाड़ी धड़-धड़ाती हुई आ पहुँची। सैकड़ों यात्री गाड़ी में से उतरने और चढ़ने लगे। हम लोग भी ठीक प्रकार से बैठ गए। थोड़ी ही देर में गाड़ी ने सीटी बजाई और गार्ड ने हरी झंडी हवा में हिला दी। गाड़ी धीरे-धीरे आगे को खिसकने लगी।

इस समय काफी ठंड पड़ रही थी। सूर्य निकल आया था। गाड़ी भी पूरी गति से भाग रही थी। दूर तक हरे-भरे खेत सुहावने लग रहे थे। गाड़ी की तेज गति के कारण पेड़-पौधे तथा खंभे आदि सभी पीछे को भागते हुए से लग रहे थे। यद्यपि हवा बड़ी तेजी से चल रही थी किंतु मैं तो खिड़की के पास ही बैठा रहा। छोटे-छोटे स्टेशनों को पार करती हुई गाड़ी खुर्जा (UPBoardSolutions.com) आकर ठहरी। यहाँ हमें दूसरी ट्रेन में बैठना था। मैं अपने पिता जी के साथ डिब्बे से नीचे उतरा। यहाँ स्टेशन पर अधिक भीड़ नहीं थी। पिता जी ने एक प्याला चाय पी। इतने में ही गाड़ी ने सीटी दी और हम तुरन्त डिब्बे में जा बैठे। यहाँ से चलकर हमारी गाड़ी बुलन्दशहर, गुलावटी तथा हापुड़ आदि स्टेशनों पर रुकी।

जहाँ-जहाँ गाड़ी रुकती थी, वहाँ-वहाँ अनेक यात्री उस पर सवार होते थे तथा बहुत से उतर भी जाते थे। हापुड़ के प्लेटफार्म पर तो बड़ी भीड़ थी। हमारे डिब्बे में तो एकदम तीस-पैंतीस यात्री चढ़ गए। बड़ी धक्का-मुक्की हुई। हापुड़ में एक टिकट चैकर महोदय ने हमारे डिब्बे में सबके टिकट देखे। एक यात्री ऐसा था, जिसके पास टिकट नहीं थी। (UPBoardSolutions.com) उन्होंने उसे तुरन्त पुलिस के हवाले कर दिया। यहाँ से हमारी गाड़ी ठीक 11 बजे चल दी। इस समय चारों ओर धूप ही धूप दिखाई पड़ रही थी। गाड़ी छुक-छुक की ध्वनि करती हुई चली जा रही थी। लगभग 12 बजे हमारी गाड़ी मेरठ जा पहुँची।

स्टेशन पर काफी भीड़ थी। पिता जी ने तुरन्त ही एक कुली को बुलाया और सामान ले चलने को कहा। मैं भी डिब्बे से नीचे उतर आया। जैसे ही हम लोग प्लेटफार्म के मुख्य द्वार पर पहुँचे, वहाँ पर खड़े हुए एक व्यक्ति ने हमारे टिकट ले लिए और हम सबको बाहर जाने दिया। बाहर आकर हमने शांतिनगर मोहल्ले के लिए ताँगा लिया और घर की ओर चल दिए।

यह मेरी पहली रेलयात्रा थी। मैं अपनी इस रेलयात्रा को कभी नहीं भूल सकता।

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फुटबॉल मैच

हमारे विद्यालय में कक्षा 6 की टीम ने कक्षा 7 की टीम के साथ फुटबॉल को मैच खेलने का निश्चय किया। मैच शाम को साढ़े चार बजे आरम्भ होना था।

उस दिन फुटबॉल का मैदान पूर्ण रूप से स्वच्छ किया गया था। मैदान के चारों ओर सफेद रेखा खिची हुई थी और दोनों किनारों पर दो-दो गोल खंबे खड़े हुए थे। मैदान के चारों ओर अनेक छात्र एकत्र थे। ठीक सा1ढ़े चार बजे रेफरी महोदय ने सीटी बजाई और दोनों टीमें मैदान में उतर पड़ीं। फुटबॉल को मैदान के बीच में रखा गया और रेफरी के संकेत देते ही खेल आरम्भ हो गया। गेंद खिलाड़ियों के पैरों की चोट से इधर-उधर दौड़ने लगी। कभी वह आकाश में ऊपर जाती तो कभी मैदान में सरपट दौड़ लगाती थी। जब कहीं नियम भंग होता था तो रेफरी सीटी बजाकर खेल , को रोक देते थे और खेल फिर वहीं से शुरू करना पड़ता था। (UPBoardSolutions.com) लगभग 15 मिनट तक बेचारी गेंद ठोकर खाती रही और एक भी गोल नहीं हुआ। कक्षा 6 की टीम का कप्तान मोहन बड़ा फुर्तीला था। उसने विपक्षी टीम से गेंद छीन ली। गोल-रक्षक अब्दुल ने गेंद को तुंरत रोककर वापस फेंक दिया और गोल होते-होते बच गया। इसी समय रेफरी महोदय ने मध्यावकाश की घोषणा कर दी। खेल रुक गया और खिलाड़ी थोड़ी देर के लिए विश्राम करने को चल दिए।

ठीक दस मिनट बाद खेल फिर शुरू होने की सीटी बजी। दोनों टीमों ने खेल शुरू कर दिया। दोनों टीमें एक-दूसरे को गेंद देते हुए उसे लेकर आगे बढ़ीं किंतु मोहन ने जोर से किक मारी, गेंद गोल के जाल से जा टकराई। चारों ओर से ‘गोल-गोल’ की आवाजें आने लगीं तथा जोर से तालियाँ बज उठीं। गेंद को फिर बीच में रखा गया और खेल फिर शुरू हुआ। खेल बड़े उत्साह से खेला जाने लगा। खेल समाप्त होने में केवल चार मिनटे शेष थे। थोड़ी देर बाद ही लम्बी सीटी बजी और खेल समाप्त हो गया।

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UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals (चतुर्भुज)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals (चतुर्भुज).

प्रश्नावली 8.1

प्रश्न 1.
एक चतुर्भुज के कोण 3 : 5 : 9 : 13 के अनुपात में हैं। इस चतुर्भुज के सभी कोण ज्ञात कीजिए।
हल :
चतुर्भुज के कोणों का अनुपात 3 : 5 : 9 : 13 है।
अतः माना कि चतुर्भुज के कोण क्रमशः 3x, 6x, 9x और 13x हैं।
चतुर्भुज के (अन्तः) कोणों का योग = 360°
3x + 5x + 9x + 13x = 360°
⇒ 30x = 360°
⇒ x = 12°
पहला कोण = 3x = 3 x 12 = 36°
दूसरा कोण = 5x = 5 x 12 = 60°
तीसरा कोण = 9x = 9 x 12 = 108°
तथा चौथा कोण = 13x = 13 x 12 = 156°
अतः चतुर्भुज के कोण क्रमशः 36°, 60°, 108° व 156° हैं।

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प्रश्न 2.
यदि एक समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों तो दर्शाइए कि वह एक आयत है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-1
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। जिसमें विकर्ण AC = BD है। विकर्णो का प्रतिच्छेद बिन्दु O है।
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक आयत है।
उपपत्ति : समान्तर चतुर्भुज ABCD के बिकर्ण AC और BD हैं जो O पर प्रतिच्छेद करते हैं।
तथा AC = BD
AO + OC = BO + OD (चित्र से) …(1)
AC और BD समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण हैं और बिन्दु O पर काटते हैं।
AO = OC और BO = OD ……(2)
तब समीकरण (1) व (2) से,
AO + AO = BO + BO
⇒ AO = BO
AO = BO = CO = OD
तब ∆OAD में,
AO = OD
⇒ ∠ADO = ∠DAO (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
∠AOB, ∆OAD का बहिष्कोण है।
∠AOB = ∠DAO + ∠ADO
⇒ ∠AOB = DAO + ∠DAO (∠ADO = ∠DAO)
⇒ ∠AOB = 2 ∠DAO …(3)
और ∆OAB में भी, AO = OB ⇒ ∠ABO = ∠BAO (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
∠AOD, ∆OAB का बहिष्कोण है,
∠AOD = ∠BAO + ∠ABO
∠AOD = ∠ BAO + ∠BAO (∠ABO = ∠BAO)
∠AOD = 2 ∠BAO …(4)
समीकरण (3) व (4) को जोड़ने पर,
∠AOB + ∠AOD = 2 ∠DAO + 2 ∠BAO
⇒ ∠BOD = 2 (∠DAO + ∠BAO) = 2 ∠BAD (चित्र से)
2 ∠BAD = 180° (क्योंकि BOD एक ऋजु रेखा है।)
∠BAD = 90°
चतुर्भुज ABCD में ∠A = 90°
चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है
तथा ∠A + ∠D = 180° (अन्त:कोणों का योग)
∠D = ∠A = ∠D = 90° (∠A = 90°)
तब ∠B और ∠C में से भी प्रत्येक 90° होगा।
समान्तर चतुर्भुज ABCD में, AB = CD और BC = DA
और ∠A = ∠B = ∠C = ∠D = 90°
अतः समान्तर चतुर्भुज ABCD एक आयत है।
Proved.

प्रश्न 3.
दर्शाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करें, तो वह एक समचतुर्भुज होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-2
हल :
ज्ञात है : एक चतुर्भुज ABCD जिसके विकर्ण AC और BD एक-दूसरे को बिन्दु D 0 पर परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
अर्थात् ∠AOD = ∠COD = 90°
तथा OA = OC तथा OB = OD
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।
उपपत्ति: ∆AOD
तथा ∆COB में, OA = OC (दिया है।)
∠AOD = ∠ COB (शीर्षाभिमुख कोण हैं।)
OD = OB (दिया है।)
∆AOD = ∆COB (S.A.S. से)
∠OAD = ∠OCB (C.P.C.T.)
परन्तु ∠OAD = ∠CAD
तथा ∠OCB = ∠ACB
∠CAD = ∠ACB
इससे प्रदर्शित होता है कि AD और BC को तिर्यक रेखा AC द्वारा काटने पर बने एकान्तर अन्त: कोण CAD तथा ACB बराबर हैं जो केवल तभी सम्भव है जबकि AD एवं BC एक-दूसरे के समान्तर हों।
AD एवं BC एक-दूसरे के समान्तर हैं। …(1)
इसी प्रकार सिद्ध किया जा सकता है कि AB एवं DC एक-दूसरे के समान्तर हैं।
इस प्रकार सिद्ध हुआ कि ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
अब हम दिखाएँगे कि AB = BC = CD = DA
∆AOD तथा ∆COD में,
OA = OC (दिया है।)
∠AOD = ∠COD = 90° (दिया है।)
OD = OD (उभयनिष्ठ है।)
∆AOD = ∆COD (S.A.S. से)
AD = CD (C.P.C.T.)
इससे प्रदर्शित होता है कि ABCD एक ऐसा समान्तर चतुर्भुज है जिसकी क्रमागत भुजाओं का एक युग्म AD, CD बराबर है।
अतः समान्तर चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।
Proved.

प्रश्न 4.
दर्शाइए कि एक वर्ग के विकर्ण बराबर होते हैं और परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-3
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है जिसके विकर्ण AC और BD परस्पर बिन्दु O पर काटते हैं। सिद्ध करना है:
AC = BD और ∠AOB एक समकोण या 90° उपपत्ति: चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
AB = BC = CD = DA
∠A = ∠B= ∠C = ∠D = 90°
तब ∆ABC और ∆BCD समकोण त्रिभुज हैं।
अब ∆ABC और ∆DCB में,
AB = DC (वर्ग की भुजाएँ हैं।)
∠B= ∠C (प्रत्येक 90°)
BC = BC (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆ABC = ∆DCB (S.A.S. से)
AC = BD (C.P.C.T.)
चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
AB = BC = CD = DA
AB = CD और BC = DA
चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज भी है।
इसके विकर्ण AC तथा BD परस्पर (बिन्दु O पर) समद्विभाजित करेंगे।
AO = BO = CO = DO
अब ∆AOB और ∆COB में,
AO = CO (ऊपर सिद्ध किया है।)
AB = CB (वर्ग की भुजाएँ हैं।)
BO = BO (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆AOB = ∆COB (S.S.S. से)
∠AOB = ∠COB (C.P.C.T.) …(1)
परन्तु AOC (विकर्ण) एक ऋजु रेखा है,
∠AOB + ∠BOC = 180°
समीकरण (1) व (2) के हल से,
∠AOB = ∠COB = 90°
अतः वर्ग के विकर्ण बराबर होते हैं और परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
Proved.

प्रश्न 5.
दर्शाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों और वे परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करें तो वह एक वर्ग होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-4
हल :
दिया है: ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें विकर्ण AC और BD बराबर हैं तथा एक-दूसरे को बिन्दु O पर इस प्रकार काटते हैं कि AO = OC तथा BO = OD तथा AC ⊥ BD
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
उपपत्ति : चतुर्भुज ABCD के विकर्ण परस्पर बिन्दु O पर समद्विभाजित करते हैं।
चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB = CD …(1)
तथा AB || CD …(2)
अब ∆ABC और ∆DCB में,
AB = DC (ऊपर सिद्ध किया है।)
AC = DB (दिया है।)
BC = BC (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆ABC = ∆DCB (S.S.S. से)
∠B = ∠C (C.P.C.T.) …(3)
AB || CD समीकरण (2) से, और BC एक तिर्यक प्रतिच्छेदी रेखा है।
∠B + ∠C = 180° (अन्त:कोणों का योग) …(4)
समीकरण (3) व (4) से,
∠B = 90° और ∠C = 90°
इस प्रकार चतुर्भुज ABCD एक ऐसा समान्तर चतुर्भुज है जिसका प्रत्येक कोण 90° है।
AC = BD और ये बिन्दु O पर परस्पर समद्विभाजित होते हैं।
AO = BO = CO = DO
AC ⊥ BD ⇒ ∠AOB = 90° तथा ∠ BOC = 90°
तब ∆AOB तथा ∆COB में,
AO = CO (विकर्ण परस्पर समद्विभाजित करते हैं।)
∠AOB= ∠COB (प्रत्येक समकोण है।)
BO = BO (दोनों त्रिभुजों की उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆AOB = ∆COB (S.A.S. से)
AB = BC (C.P.C.T.)
तब चतुर्भुज ABCD में,
AB = BC, AB = CD और BC = DA
AB = BC = CD = DA और ∠B = 90°
अर्थात् चारों भुजाएँ बराबर हैं और अन्त:कोण समकोण हैं।
अतः चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
Proved.

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प्रश्न 6.
समान्तर चतुर्भुज ABCD का विकर्ण AC, ∠A को समद्विभाजित करता है। दर्शाइए कि
(i) यह ∠C को भी समद्विभाजित करता है।
(ii) ABCD एक समचतुर्भुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-5
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जिसमें विकर्ण AC, ∠A को समद्विभाजित करता है
अर्थात् ∠ BAC = ∠DAC
सिद्ध करना है :
(i) विकर्ण AC, ∠C को भी समद्विभाजित करता है।
(ii) ABCD एक समचतुर्भुज है।
उपपत्ति : (i) चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB || CD तथा BC || DA
AB || CD और AC एक तिर्यक रेखा है।
∠ BAC = ∠ACD (एकान्तर कोण) …(1)
इसी प्रकार, BC || DA और AC एक तिर्यक रेखा है।
∠DAC = ∠ACB (एकान्तर कोण) …(2)
AC, ∠A को समद्विभाजित करता है।
∠BAC = ∠DAC
समीकरण (1) व (2) से,
∠ACB = ∠ACD
अर्थात् AC, ∠C को भी समद्विभाजित करती है।
(ii) ∠BAC = ∠DAC और ∠DAC = ∠ACB
∠BAC = ∠ACB
तब ∆ABC में,
∠BAC = ∠ACB
BC = AB (त्रिभुज में समान कोणों की सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं।)
परन्तु ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB = CD तथा BC = DA
AB = BC = CD = DA
चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज होगा।
Proved.

प्रश्न 7.
ABCD एक समचतुर्भुज है। दर्शाइए विकर्ण AC कोणों A और C दोनों को समद्विभाजित करता है तथा विकर्ण BD, कोणों B और D दोनों को समद्विभाजित करता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-6
हल :
दिया है : ABCD एक समचतुर्भुज है।।
सिद्ध करना है : विकर्ण AC, ∠A और ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है
तथा विकर्ण BD, ∠B तथा ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
उपपत्ति : चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।
AB = BC = CD = DA
∆ABC में,
AB = BC के ∠ACB = ∠BAC …(1) (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
समचतुर्भुज एक समान्तर चतुर्भुज भी होता है।
AB || CD और AC तिर्यक रेखा है।
∠BAC = ∠ACD (एकान्तर कोण) …(2)
समीकरण (1) व (2) से,
∠ACB = ∠ACD (एकान्तर कोण) …(3)
अर्थात् AC, ∠C का समद्विभाजक है।
BC || DA तथा AC तिर्यक रेखा है के
∠ACB= ∠DAC (एकान्तर कोण) …(4)
तब समीकरण (1) व (4) से,
∠DAC = ∠BAC
अर्थात् AC, ∠A का समद्विभाजक है।
अतः AC, ∠A व ∠C दोनों का समद्विभाजक है।
BC || DA और BD तिर्यक रेखा है।
∠ADB = ∠CBD (एकान्तर कोण) …(5)
इसी प्रकार ∠ABD = ∠ BDC (एकान्तर कोण) …(6)
और : ∆BCD में,
BC = CD ⇒ ∠BDC = ∠CBD …(7)
(त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
तब समीकरण (5) व (7) से,
∠ADB = ∠BDC
अर्थात् BD, ∠D का समद्विभाजक है।
समीकरण (6) व (7) से,
∠ABD = ∠CBD
अर्थात् BD, ∠B का समद्विभाजक है।
BD, ∠B व ∠D दोनों का समद्विभाजक है।
अत: विकर्ण AC, ∠A व ∠C को समद्विभाजित करता है और BD, ∠B व ∠D को समद्विभाजित करता है।
Proved.

प्रश्न 8.
ABCD एक आयत है जिसमें विकर्ण AC दोनों कोणों A व C को समद्विभाजित करता है। दर्शाइए कि
(i) ABCD एक वर्ग है।
(ii) BD, दोनों कोणों B और D को समद्विभाजित करता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-7
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक आयत है जिसमें विकर्ण AC, ∠A व ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है।
BD आयत का दूसरा विकर्ण है।
सिद्ध करना है :
(i) चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
(ii) BD, ∠B और ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
उपपत्ति : (i) चतुर्भुज ABCD एक आयत है।
AB = CD तथा ∠A = 90°
विकर्ण AC, ∠A तथा ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है।
∠BAC = ∠DAC और ∠BCA = ∠DCA
∆ABC तथा ∆ADC में,
∠BAC =∠DAC (दिया है।)
AC = AC (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∠BCA = ∠DCA (दिया है।)
∆ABC = ∆ADC (A.S.A. से)
AB = DA (C.P.C.T.) …(1)
चतुर्भुज ABCD में,
AB = CD; BC = DA;
AB = BC = CD = DA
तथा ∠A = 90° [समीकरण (1) से ]
अतः चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है।
Proved.
(ii) ∆BCD में,
BC = CD ⇒ BDC = ∠CBD (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।)
अब वर्ग की सम्मुख भुजाएँ समान्तर होती हैं।
अर्थात AB || CD और BD तिर्यक रेखा है।
∠BDC = ∠ABD (एकान्तर कोण) …(2)
समीकरण (1) व (2) से,
∠ABD = ∠CBD
अर्थात् BD, ∠B का समद्विभाजक है।
इसी प्रकार, BC || DA और BD तिर्यक रेखा है।
∠CBD = ∠ADB (एकान्तर कोण) …(3)
समीकरण (1) व (3) से,
∠BDC = ∠ADB
अर्थात् BD, ∠D का समद्विभाजक है।
अत: BD, ∠B तथा ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
Proved.

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प्रश्न 9.
समान्तर चतुर्भुज ABCD के विकर्ण BD पर दो बिन्दु P और Q इस प्रकार स्थित हैं कि DP = BQ है। दर्शाइए कि
(i) ∆APD = ∆CQB
(ii) AP = CQ
(iii) ∆AQB = ∆CPD
(iv) AQ = CP
(v) APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-8
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है और BD उसका एक विकर्ण है।
BD पर P और Q दो बिन्दु इस प्रकार स्थित हैं कि DP = BQ है।
AP, AQ, CP वे C रेखाखण्ड खींचे गए हैं जिनसे चतुर्भुज APCQ बनता है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆APD = ∆CQB
(ii) AP = CQ
(iii) ∆AQB = ∆CPD
(iv) AQ = CP
(v) APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।
उपपत्ति : चतुर्भुज ABCD समान्तर चतुर्भुज है ।
AB = CD तथा और
AB || CD तथा BC|| DA
(i) BC || DA और BD एक तिर्यक रेखा है।
∠ADB = ∠CBD ⇒ ∠ADP = ∠CBQ (एकान्तर कोण)
अब, ∆APD और ∆CQB में,
DA = BC (दिया है।)
∠ADP = ∠CBQ (ऊपर सिद्ध किया है।)
DP = BQ (दिया है।)
∆APD = ∆CQB (S.A.S. से)
Proved.
(ii) ∆APD = ∆CQB
AP = CQ (C.P.C.T.)
Proved.
(iii) AB || CD और BD तिर्यक रेखा है।
∠ABD = ∠BDC के ∠ABQ = ∠PDC (एकान्तर कोण)
अब ∆AQB और ∆CPD में, AB = CD (दिया है।)
∠ABQ = ∠PDC (ऊपर सिद्ध किया है।)
BQ = DP (दिया है।)
∆AQB = ∆CPD (S.A.S. से)
Proved.
(iv) ∆AQB = ∆CPD
AQ = CP (C.P.C.T.)
Proved.
(v) चतुर्भुज APCR में सम्मुख भुजाएँ AP = CQ और AQ = CP [भाग (i) तथा (iv) से]
अत: चतुर्भुज APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.

प्रश्न 10.
ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है तथा AP और CQ शीर्षों A और C से विकर्ण BD पर क्रमशः लम्ब हैं। दर्शाइए कि
(i) ∆APB = ∆CQD
(ii) AP = CQ
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-9
हल :
दिया है: चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जिसका एक विकर्ण BD है।
BD पर शीर्ष A से AP और शीर्ष C से CQ लम्ब खींचा गया है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆APB = ∆CQD
(ii) AP = CQ
उपपत्ति:
(i) चतुर्भुज ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB = CD तथा AB || CD
AB || CD और विकर्ण BD एक तिर्यक रेखा है।
∠ABD = ∠BDC (एकान्तर कोण)
∠1 = ∠2
AP ⊥ BD ⇒ ∠APB= 90°
∆APB में, ∠PAB = 180° – (∠APB + ∠ABP) (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
∠PAB = 180° – (90° + ∠1) = 90° – ∠1
∠3 = 90° – ∠1
इसी प्रकार, CQ ⊥ BD ⇒ ∠CQD = 90°
∆CQD में,
∠QCD = 180° – (∠CQD + ∠CDQ)
= 180° – 90° – ∠2 = 90° – ∠2
∠4 = 90° – 21 (∠1 = ∠2)
∠3 = 90° – ∠1 और ∠4 = 90° – ∠1
∠3 = ∠4 …(2)
तब ∆APB और ∆CQD की तुलना करने पर,
∠1 = ∠2 [समीकरण (1) से]
AB = CD (दिया है।)
∠3 = ∠4 [समीकरण (2) से]
∆APB = ∆CQD (A.S.A. से)
Proved.
(ii) ∆APB = ∆CQD
AP = CQ (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्न 11.
∆ABC और ∆DEF में, AB = DE, AB || DE, BC = EF और BC || EF है। शीर्षों A, B और C को क्रमशः शीर्षों D, E और F से जोड़ा जाता है। दर्शाइए कि
(i) चतुर्भुज ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।
(ii) चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
(iii) AD || CF और AD = CF है।
(iv) चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
(v) AC = DF है।
(vi) ∆ABC = ∆DEF है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-10
हल :
दिया है : ∆ABC और ∆DEF दो त्रिभुज हैं जिनमें AB = DE और AB || DE तथा BC = EF और BC || EF हैं। शीर्षों A, B व C को क्रमशः शीर्षों D, E व F से ऋजु रेखाखण्डों द्वारा जोड़ा गया है।
सिद्ध करना है :
(i) चतुर्भुज ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।
(ii) चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
(iii) AD || CF और AD = CF है।
(iv) चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
(v) AC = DF है।
(vi) ∆ABC = ∆DEF है।
उपपत्ति :
(i) चतुर्भुज ABED में,
AB = DE और AB || DE
चतुर्भुज ABED की सम्मुख भुजाओं AB वे DE का एक युग्म बराबर और समान्तर है।
अत: चतुर्भुज ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.
(ii) चतुर्भुज BEFC में, BC = EF और BC || EF
चतुर्भुज BEFC की सम्मुख भुजाओं BC और EF का एक युग्म बराबर और समान्तर है।
अतः चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.
(iii) चतुर्भुज ABED समान्तर चतुर्भुज है।
AD = BE और AD || BE चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
BE = CF
BE || CF दोनों को मिलाकर,
AD = BE = CF और AD || BE || CF
अतः AD = CF और AD || CF
Proved.
(iv) चतुर्भुज ACFD में,
AD = CF और AD || CF
अर्थात् सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और समान्तर है।
अतः चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
Proved.
(v) चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
सम्मुख भुजाओं के युग्म बराबर होंगे।
अत: AC = DF
Proved.
(vi) ∆ABC और ∆DEF की तुलना करने पर,
AB = DE (दिया है।)
AC = DF (अभी सिद्ध किया है।)
BC = EF (दिया है।)
∆ABC = ∆DEF (S.S.S. से)
Proved.

प्रश्न 12.
ABCD एक समलम्ब है, जिसमें AB || DC और AD = BC है। दर्शाइए कि
(i) ∠A = ∠B
(ii) ∠C = ∠D
(iii) ∆ABC = ∆BAD
(iv) विकर्ण AC = विकर्ण BD
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-11
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समलम्ब है, जिसमें AB || DC और AD = BC है।
सिद्ध करना है :
(i) ∠A = ∠B
(ii) ∠C = ∠D
(iii) ∆ABC = ∆BAD
(iv) विकर्ण AC = विकर्ण BD
रचना : विकर्ण AC तथा BD खींचे।
AB को आगे बढ़ाया और बिन्दु C से DA के समान्तर रेखा खींची जो बढ़ी हुई ABP को बिन्दु E पर काटे।
उपपत्ति : (i) : समलम्ब चतुर्भुज ABCD में AB|| DC और AB को बढ़ाया गया है।
AE || DC और AD || CE (रचना से) …(2)
चतुर्भुज ADCE एक समान्तर चतुर्भुज है।
∠DAE = ∠DCE (सम्मुख कोण) …(3)
∠ADC = ∠AEC (सम्मुख कोण) …(4)
AB || DC और BC एक तिर्यक रेखा है
∠BCD = ∠CBE (एकान्तर कोण) …(5)
चतुर्भुज ADCEएक समान्तर चतुर्भुज है।
AD = CE परन्तु दिया है कि
AD = BC
BC = CE
∠BEC = ∠CBE (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं।) …(6)
अब समान्तर चतुर्भुज ADCE में,
∠A = ∠DCE (समीकरण (3) से)
= ∠ BCD +∠BCE (चित्र से)
=∠CBE +∠BCE (समीकरण (5) से)
= ∠ BEC+∠BCE (समीकरण (6) से)
= ∠CBA (∠CBA, ∆BCE का बहिष्कोण है।)
∠A = ∠B (समलम्ब ABCD में)
Proved.
(ii) AB || CD और AD तिर्यक रेखा है।
∠A + ∠D = 180° (अन्त:कोणों का योग)
∠D = 180° – ∠A
∠D = 180° – ∠B [∠A= ∠B भाग (i) से)]
इसी प्रकार, AB || CD और BC तिर्यक रेखा है।
∠ABC + ∠BCD = 180° (अन्त:कोणों का योग)
∠ BCD = 180° – ∠ABC
∠C = 180° – ∠B
तब ∠C व ∠D की तुलना करने पर,
∠C = ∠D
Proved.
(iii) ∆ABC और ∆BAD में,
BC = AD (दिया है।)
∠A = ∠B [भाग (1) से)]
AB = AB (उभयनिष्ठ भुजा है।)
∆ABC = ∆BAD (S.A.S. से)
(iv) ∆ABC = ∆BAD
AC = BD (C.P.C.T.)
अतः समलम्ब का विकर्ण AC = विकर्ण BD
Proved.

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प्रश्नावली 8.2

प्रश्न 1.
ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें P, Q, R और S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु हैं। AC उसका एक विकर्ण है। दर्शाइए कि
(i) SR || AC और SR = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC है।
(ii) PQ = SR है।
(iii) PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-12
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD में P, Q, R व S क्रमश: भुजाओं AB, BC, CD व DA के मध्ये-बिन्दु हैं।
P, Q, R व S को ऋजु रेखाखण्ड PQ, QR, RS व SP द्वारा जोड़कर चतुर्भुज PQRS प्राप्त किया गया है।
सिद्ध करना है :
(i) SR || AC और SR = AC
(ii) PQ = SR
(iii) PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
उपपत्ति : (i) ∆ACD में,
CD का मध्य-बिन्दु R तथा AD का मध्य-बिन्दु S है।
किसी त्रिभुज की दो भुजाओं के मध्य-बिन्दुओं को मिलाने वाला रेखाखण्ड तीसरी भुजा के समान्तर और तीसरी भुजा का आधा होता है।
अतः रेखाखण्ड SR || AC और SR = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC होगा। …(1)
Proved.
(ii) ∆ABC में, AB का मध्य-बिन्दु P है और BC का मध्यबिन्दु Q है।
रेखाखण्ड PQ || AC और PQ = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC
अब (1) और (2) से
PQ || SR और PQ = SR
अतः PQ = SR
Proved.
(iii) ऊपर सिद्ध हुआ है कि PQ || SR और PQ = SR
चतुर्भुजं PQRS में P और RS सम्मुख भुजाओं का युग्म है जो परस्पर बराबर भी है और समान्तर भी।
अत: चतुर्भुज PQRS एक समान्तर चतुर्भुज होगी।
Proved.

प्रश्न 2.
ABCD एक समचतुर्भुज है और P, Q, R, S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु हैं। दर्शाइए कि चतुर्भुज PQRS एक आयत है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-13
हल :
दिया है: ABCD एक समचतुर्भुज है। जिसकी भुजाओं AB, BC, CD, DA के मध्य-बिन्दु क्रमशः P, Q, R, S हैं।
सिद्ध करना है : PQRS एक आयत है।
रचना : रेखाखण्ड QS को मिलाया।
उपपत्ति : ABCD एक समचतुर्भुज है,
AB = BC = CD = DA
तथा ∠A = ∠C और ∠B = ∠D
P, Q, R, S क्रमश: AB, BC, CD, DA के मध्य-बिन्दु हैं।
AP = BP = BQ = CQ = CR = RD = DS = AS
∆APS और ∆QCR में,
AP = CR (दिया है।)
∠A = ∠C (दिया है।)
AS = CQ (दिया है।)
∆APS = ∆CRQ (S.A.S. से)
PS = QR (C.P.C.T.) …(1)
∆PBQ तथा ∆RDS में,
BP = DR (दिया है।)
∠B = ∠D (दिया है।)
BQ = DS (दिया है।)
∆PBQ = ∆RDS (S.A.S. से)
PQ = RS (C.P.C.T.) …(2)
AB || CD और बिन्दु Q तथा S क्रमश: BC और DA के मध्य-बिन्दु हैं।
QS || AB तथा QS = CD
QS || AB और PS तिर्यक रेखा है।
∠PSQ= ∠ APS (एकान्तर कोण)
परन्तु ∠ APS = ∠ASP (AS = AP)
∠ PSQ = ∠ ASP …(3)
इसी प्रकार, ∠RSQ = ∠DSR …(4)
∠ ASP +∠PSQ + ∠RSQ +∠DSR = 180° (एक रेखा पर बने कोण)
∠PSQ + ∠ PSQ + ∠RSQ + ∠RSQ = 180° [समीकरण (3) व (4) से]
2 (∠PSQ + ∠RSQ) = 180°
2 ∠S = 180° या ∠S = 90°
(∠S = ∠PSQ + ∠RSQ)…(5)
समीकरण (1) और (2) से,
PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है और समीकरण (5) से उसका एक अन्त:कोण समकोण है।
अतः PQRS एक आयत है।
Proved.

प्रश्न 3.
ABCD एक आयत है जिसमें P, Q, R और S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु हैं। दर्शाइए कि चतुर्भुज PQRS एक समचतुर्भुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-14
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक आयत है जिसकी भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु क्रमशः P, Q, R और S हैं।
रेखाखण्ड PG, QR, RS और SP एक चतुर्भुज PQRS बनाते हैं।
सिद्ध करना है : चतुर्भुज PQRS एक समचतुर्भुज है।
उपपत्ति: ΔAPS और ΔDRS में,
AS = DS (S, AD का मध्य-बिन्दु है)।
∠A = ∠D (आयत के अन्त:कोण)
AP = DR (P, AB का तथा R, CD का मध्य बिन्दु है तथा AB = CD)
ΔAPS = ΔDRS (S.A.S. से)
SP = SR (C.P.C.T.) …(1)
ΔAPS और ΔBPQ में,
AP = BP (P, AB का मध्य-बिन्दु है)
∠A = ∠B (आयत के अन्त:कोण)
AS = BQ (AD = BC और S तथा Q इनके क्रमश: मध्य-बिन्दु हैं)
ΔAPS = ΔBPQ (S.A.S. से)
SP = QP (C.P.C.T.) …(2)
ΔAPS और ΔCRQ में,
AP = CR (AP = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] CD = RC) (प्रत्येक समकोण)
∠A = ∠C
AS = CQ ( AS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AD = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] BC = QC)
ΔAPS = ΔCRQ (S.A.S. से)
SP = QR (C.P.C.T.) …(3)
समीकरण (1), (2) और (3) से,
SP = RS = PQ = QR
PQRS एक समचतुर्भुज है।
Proved.

प्रश्न 4.
ABCD एक समलम्ब है, जिसमें AB || CD है। साथ ही BD एक विकर्ण है और E भुजा AD का मध्य-बिन्दु है। E से होकर एक रेखा AB के समान्तर खींची गई है जो BC को F पर प्रतिच्छेद करती है। दर्शाइए कि F भुजा BC का मध्य-बिन्दु है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-15
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक समलम्ब है जिसमें AB || CD है। BD. समलम्ब ABCD का एक विकर्ण है।
भुजा AD का मध्य-बिन्दु E है।
E से AB के समान्तर एक रेखा EF खींची गई है जो BC को बिन्दु F पर तथा BD को बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करती है।
सिद्ध करना है : F, BC का मध्य-बिन्दु है।
उपपत्ति : ΔABD में, बिन्दु E भुजा AD का मध्य-बिन्दु है और चूँकि EF, AB के समान्तर है।
बिन्दु O, BD को समद्विभाजित करेगा अर्थात् O, भुजा BD का मध्य-बिन्दु है।
AB || CD और EF || AB
EF || CD या OF || CD
अब ΔBCD में,
O, BD को मध्य-बिन्दु है
और OF || CD, जो BC को F पर प्रतिच्छेद करती है।
अत: F, BC का मध्य-बिन्दु है।
Proved.

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
एक समान्तर चतुर्भुज ABCD में E और F क्रमशः भुजाओं AB और CD के मध्य-बिन्दु हैं। दर्शाइए कि रेखाखण्ड AF और CE विकर्ण BD को समत्रिभाजित करते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-16
हल :
दिया है : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। बिन्दु E और F क्रमश: उसकी भुजाओं AB तथा CD के मध्य-बिन्दु हैं।
उसका विकर्ण BD, रेखाखण्डों AF तथा CE से क्रमशः बिन्दुओं P और Q पर विभक्त होता है।
सिद्ध करना है : BD को AF और CE तीन बराबर भागों में बाँटते हैं
अर्थात् DP = PQ = QB
उपपत्ति : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AB || CD तथा AB = CD
और E तथा F क्रमश: AB और CD के मध्य-बिन्दु हैं।
AE || CF और AE = CF
AECF एक समान्तर चतुर्भुज है।
AF || CE ……(1)
AP|| EQ …(2)
PF || CQ …(3)
ΔDQC में, बिन्दु F, भुजा CD का मध्य-बिन्दु है। (ज्ञात है।)
और PF || CQ (समीकरण (3) से)
P, DQ का मध्य-बिन्दु है।
DP = PQ …(4)
पुनः ΔABP में, बिन्दु E भुजा AB का मध्य-बिन्दु है
और EQ || AP (समीकरण (2) से)
Q, BP का मध्य-बिन्दु है। QB = PQ …(5)
समीकरण (4) और (5) से, DP = PQ = QB
अतः रेखाखण्ड AF और CE, विकर्ण BD को तीन बराबर भागों में विभक्त करते हैं।
Proved.

प्रश्न 6.
दर्शाइए कि चतुर्भुज की सम्मुख भुजाओं के मध्य बिन्दुओं को मिलाने वाले रेखाखण्ड परस्पर समद्विभाजित करते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-17
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD की भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु क्रमशः P, Q, R, S हैं।
सम्मुख भुजाओं AB और CD के मध्य-बिन्दुओं P और R को मिलाकर रेखाखण्ड PR बनता है
तथा BC और DA के मध्य-बिन्दुओं Q और S को मिलाकर रेखाखण्ड QS बनता है।
सिद्ध करना है : PR और QS परस्पर समद्विभाजित करते हैं।
रचना : रेखाखण्ड PQ, QR, RS और SP को मिलाइए
तथा विकर्ण AC और BD खींचिए।
उपपत्ति: ΔABC में,
P, AB का तथा Q, BC का मध्य-बिन्दु है।
PQ = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC और PQ || AC …(1)
पुनः ΔACD में, R, CD का ओर S, DA का मध्य-बिन्दु है।
RS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AC और RS || AC
PQ = RS और PQ || RS [समीकरण (1) व (2) से]
PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
समान्तर चतुर्भुज PQRS के विकर्ण PR तथा SQ हैं।
अत: PR तथा SQ परस्पर समद्विभाजित करते हैं।
Proved.

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प्रश्न 7.
ABC एक त्रिभुज है जिसका कोण C समकोण है। कर्ण AB के मध्य-बिन्दु M से होकर BC के समान्तर खींची गई रेखा AC को D पर प्रतिच्छेद करती है। दर्शाइए कि :
(i) D भुजा AC का मध्य-बिन्दु है।
(ii) MD ⊥ AC है।
(iii) CM = MA = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB है। .
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals img-18
हल:
दिया है: ΔABC में ∠C समकोण है और AB कर्ण है जिसका मध्य-बिन्दु M है।
बिन्दु M से एक रेखा BC के समान्तर खींची गई है जो AC को बिन्दु D पर प्रतिच्छेद करती है।
सिद्ध करना है :
(i) D भुजा AC का मध्य-बिन्दु है।
(ii) MD ⊥ AC
(iii) CM = MA = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
रचना : रेखाखण्ड CM खींचा।
उपपत्ति : (i) ΔABC में,
M कर्ण AB का मध्य-बिन्दु है और M से BC के समान्तर खींची गई Aरेखा AC को बिन्दु D पर प्रतिच्छेद करती है जिससे MD || BC है।
अतः बिन्दु D, AC का मध्य-बिन्दु होगा।
Proved.
(ii) MD || BC और तिर्यक रेखा AC इन्हें प्रतिच्छेद करती है।
∠MDA = ∠C
∠MDA = 90°
MD ⊥ AD या MD ⊥ AC
अतः (iii) ΔMDA तथा ΔMDC में,
AD = CD (D, AC का मध्य-बिन्दु है।)
∠MDA = ∠MDC (MD ⊥ AC)
MD = MD (उभयनिष्ठ भुजा है।)
ΔMDA = ΔMDC (S.A.S. से)
MA = CM (C.P.C.T.)
परन्तु M, AB का मध्य-बिन्दु है जिससे
MA = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
अतः CM = MA = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
Proved.

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals (चतुर्भुज) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 8 Quadrilaterals (चतुर्भुज), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 11 व्यक्तिगत सज्जा : उचित वेशभूषा

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 11 व्यक्तिगत सज्जा : उचित वेशभूषा

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 11 व्यक्तिगत सज्जा : उचित वेशभूषा.

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
व्यक्तिगत सज्जा से क्या तात्पर्य है? व्यक्तिगत सज्जा हेतु वस्त्रों का चयन करते समय आप किन-किन मुख्य बातों का ध्यान रखेंगी?
या
व्यक्तिगत सज्जा और वेशभूषा में वस्त्रों का क्या स्थान है? किसी व्यक्ति के लिए वस्त्रों के चयन में कौन-सी सावधानियाँ अपेक्षित हैं?
उत्तर:
उपयुक्त वेशभूषा व्यक्तिगत सज्जा का मूल आधार है। सुन्दर एवं उपयुक्त वस्त्रों से मनुष्य का बाहरी व्यक्तित्व आकर्षक हो जाता है, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है एवं इससे मनुष्य को मानसिक प्रसन्नता होती है। उपयुक्त वस्त्र आयु, लिंग, व्यवसाय, अवसर एवं ऋतुओं के अनुकूल होते हैं। ये मनुष्य को शारीरिक सुख एवं आराम प्रदान करने के साथ-साथ उसके रहन-सहन के स्तर के भी परिचायक होते हैं। अतः (UPBoardSolutions.com) संक्षेप में हम कह सकते हैं कि व्यक्तिगत सज्जा व्यक्ति-विशेष के मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, अवसर के अनुकूल एवं रहन-सहन के अपेक्षित स्तर को बनाए रखने व प्रदर्शित करने की प्रभावशाली विधि है।

व्यक्तिगत सज्जा का अर्थ
उपर्युक्त सामान्य परिचय के आधार पर व्यक्तिगत सज्जा का अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है। वास्तव में, व्यक्ति के बाहरी व्यक्तित्व को निखारने एवं आकर्षक बनाने के लिए व्यक्ति द्वारा अपनाए जाने वाले समस्त उपायों एवं साधनों को ही सम्मिलित रूप से व्यक्तिगत सज्जा कहा जाता है। व्यक्तिगत सज्जा के माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर अर्थात् व्यक्तित्व के प्रकट रूप को अधिक-से-अधिक आकर्षक, निखरा हुआ तथा प्रभावशाली बनाने का प्रयास करते हैं। व्यक्तिगत सज्जा का मुख्यतम साधन वेशभूषा है। उत्तम वेशभूषा द्वारा (UPBoardSolutions.com) व्यक्तिगत सज्जा में विशेष योगदान प्राप्त होता है। वेशभूषा के अतिरिक्त व्यक्ति द्वारा किया जाने वाला श्रृंगार, बाल सँवारने का ढंग, बातचीत करने का ढंग, उठने-बैठने का ढंग तथा व्यक्ति के हाव-भाव व्यक्तिगत सज्जा के महत्त्वपूर्ण कारक हैं। इन सभी कारकों के प्रति जागरूक व्यक्ति निश्चित रूप से उत्तम व्यक्तिगत सज्जा को प्रदर्शित कर सकता है तथा समाज में आकर्षण का केन्द्र बन सकता है।

वस्त्रों का चयन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें वस्त्र केवल तन ढकने का ही कार्य नहीं करते वरन् व्यक्ति-विशेष के बाहरी व्यक्तित्व को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। अत: उपयुक्त वस्त्रों का चयन करते समय उनकी निम्नवर्णित विशेषताओं को दृष्टिगत रखना चाहिए

(1) आकर्षक एवं आरामदायक वस्त्र-वस्त्रों का चयन करते समय देखें कि

  • (क) वस्त्र सही फिटिंग अथवा शारीरिक माप वाले एवं सुन्दर होने चाहिए,
  • (ख) वस्त्र न तो बहुत पुराने और न ही आधुनिकतम चलन के हों,
  • (ग) रंगों का चयन अवसर, व्यवसाय एवं आयु के अनुरूप हो,
  • (घ) चयन का आधार किसी की नकल के अनुसार न होकर अपने कद-काठी व रुचि के अनुसार होना चाहिए।

उपर्युक्त नियमों के अनुरूप चयनित वस्त्र देखने में अच्छे लगते हैं, आरामदायक होते हैं एवं व्यक्ति-विशेष की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि करते हैं।

(2) ऋतुओं के अनुकूल वस्त्र:
विभिन्न ऋतुओं में प्रायः उनके अनुकूल ही वस्त्र पहनने चाहिए; जैसे कि ग्रीष्म ऋतु में सूती एवं शरद ऋतु में ऊनी वस्त्र ही आरामदायक रहते हैं। सूती वस्त्र शरीर से निकलने वाले पसीने को सोखकर ठण्डेपन का आभास कराते हैं, जबकि ऊनी वस्त्र शीत ऋतु में शारीरिक ऊष्मा को अन्दर ही रोककर शरीर को गर्म रखते हैं।

(3) अवसरानुकूल वस्त्र:
घर में सामान्यतः सूती वस्त्र पहनने में हर प्रकार की सुविधा रहती है, परन्तु विशिष्ट अवसरों (विवाह, जन्मदिन व अन्य महत्त्वपूर्ण उत्सव आदि) पर मूल्यवान् व सुन्दर वस्त्र पहनना सामाजिक प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए आवश्यक है; जैसे कि विवाह अथवा जन्मदिन के अवसर पर जरीदार (UPBoardSolutions.com) बनारसी साड़ियाँ, रेशमी व कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित सुन्दर व आधुनिक फैशन के वस्त्र पहनने से एकत्रित जनसमूह के मध्य सम्मान एवं प्रशंसा प्राप्त होती है।

(4) मजबूत व टिकाऊ वस्त्र:
प्रायः पक्के रंगों के मजबूत व टिकाऊ वस्त्र खरीदने राहिए। उदाहरण के लिए टेरीकॉट, नायलॉन, टेरीलीन आदि वस्त्र सूती व रेशमी वस्त्रों से अधिक मजबूत व टिकाऊ होते हैं। अतः इनका यथासम्भव अधिक उपयोग आर्थिक दृष्टि से लाभदायक रहता है।

(5) सरलता से धुलने वाले वस्त्र:
सामान्यतः कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित वस्त्रों को धोना सरल होता है, क्योंकि ये न तो सिकुड़ते हैं और न ही सूखने में अधिक समय लेते हैं। मोटे सूती वस्त्रों को धोने में अधिक श्रम की आवश्यकता होती है तथा इन पर लगे दाग व धब्बे भी सहज ही दूर नहीं होते। मूल्यवान ऊनी, रेशमी व जरीदार वस्त्रों की धुलाई कठिन व महँगी होने के कारण इन्हें सावधानीपूर्वक विशिष्ट अवसरों पर ही उपयोग में लाना चाहिए।

(6) सिकुड़न व सिलवट मुक्त वस्त्र:
वस्त्र खरीदते समय यह अवश्य ध्यान रखें कि धुलाई का उस पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। एक उपयोगी वस्त्र न तो धोने पर सिकुड़ना चाहिए और न ही उसमें अनावश्यक सिलवटें पड़नी चाहिए। उदाहरणार्थ टेरीकॉट, टेरीलीन, रेयॉन इत्यादि वस्त्र। इन वस्त्रों पर इस्तरी (प्रेस) करने के श्रम की भी पर्याप्त बचत होती है।

(7) आर्थिक क्षमता के अनुरूप वस्त्र:
वस्त्र खरीदते समय पारिवारिक बजट का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि ऐसा न करने पर प्रायः मानसिक क्लेश उत्पन्न होता है तथा पारिवारिक अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है। अतः सामान्यतः अपनी आर्थिक क्षमता के अनुरूप वस्त्रों को खरीदना ही विवेकपूर्ण रहता है।

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प्रश्न 2:
वस्त्रों के चयन के मुख्य आधार कौन-कौन से हैं? समझाइए।
या
शारीरिक विशेषताओं, आयु एवं लिंग के अनुसार वस्त्रों का चयन आप किस प्रकार करेंगी?
उत्तर:
मनुष्य के दैनिक जीवन के लिए उपयुक्त वस्त्रों का अत्यधिक महत्त्व है। उपयुक्त वस्त्रों को चयन कोई सरल कार्य नहीं है। इसके लिए व्यक्ति विशेष की आर्थिक, सामाजिक, मानसिक, आयु वर्ग एवं व्यवसाय सम्बन्धी परिस्थितियों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
उपर्युक्त सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए उचित वस्त्रों के चयन के निम्नलिखित आधार माने जा सकते हैं

  1.  शारीरिक विशेषताएँ,
  2.  लिंग एवं आयु,
  3. व्यवसाय एवं पद,
  4. मौसम एवं भौगोलिक परिस्थिति।

(1) शारीरिक विशेषताएँ:
वस्त्रों का चयन करते समय शारीरिक विशेषताओं को ध्यान में रखना अत्यधिक आवश्यक है। उदाहरणस्वरूप–औसत कद वाले व्यक्तियों पर प्रायः सभी प्रकार के वस्त्र अच्छे लगते हैं। लम्बे कद की स्त्रियों को साड़ी और ब्लाउज के विभिन्न रंग, बड़े डिजाइन व हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए। (UPBoardSolutions.com) नाड़े कद की स्त्रियों को लम्बी दिखाई पड़ने के लिए एक ही रंग की साड़ी व ब्लाउज, जो कि ऊपर से नीचे की ओर धारियों वाले, छोटे डिजाइन के व हल्के रंग के हों, पहनने चाहिए।
विभिन्न कद एवं आकार वाले व्यक्तियों को अपनी लम्बाई व चौड़ाई के अनुसार वस्त्रों का चयन करना चाहिए।

(2) लिंग एवं आयु:
विभिन्न व्यक्तियों के लिए वेशभूषा के चयन हेतु अलग-अलग नियम होते हैं, जिन्हें निम्नांकित विवरण से समझा जा सकता है

(i) पुरुषों के लिए:
सही शारीरिक माप वाले कपड़े पहनने से बाहरी व्यक्तित्व आकर्षक दिखाई पड़ता है। वस्त्र चाहे संख्या में कम हों परन्तु उनकी अच्छी सिलाई आवश्यक है। पुरुषों को अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार उपयुक्त वस्त्र खरीदने चाहिए। महँगे होने के कारण सूट का कपड़ा सदैव टिकाऊ, आकर्षक व गहरे रंग का लेना चाहिए जिससे इसे बार-बार ड्राइक्लीन न कराना पड़े। नवयुवक पर प्रायः चमकीले अथवा गहरे रंग के वस्त्र आकर्षक लगते हैं, जबकि अधेड़ावस्था में हल्के व सौम्य रंग के वस्त्र ही ठीक रहते हैं।

(ii) स्त्रियों के लिए:
महिलाओं के लिए प्रायः साड़ी व ब्लाउज ही अधिक महत्त्वपूर्ण वस्त्र होते हैं। दैनिक उपयोग के लिए सूती साड़ियाँ सर्वोत्तम रहती हैं। विशेष अवसरों के लिए जरीदार बनारसी साड़ियाँ, काँचीवरम की साड़ियाँ तथा गुजराती बंधेज की साड़ियाँ उपयोग में लाई जाती हैं। सामान्य अवसरों के लिए हैण्डलूम की साड़ियाँ, आरगेण्डी व चिकन की साड़ियाँ तथा कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित साड़ियाँ अधिक उपयुक्त रहती हैं। (UPBoardSolutions.com) साड़ियों के साथ अधिकतर अनुरूप (मैचिंग) रंग के ब्लाउज उपयुक्त रहते हैं। इसके लिए 2×2 रूबिया, पॉपलीन व रेशमी वस्त्रों का चयन उचित रहता है। मूल्यवान साड़ियों के साथ प्रायः ब्लाउज के लिए अतिरिक्त कपड़ा साड़ी के साथ ही जुड़ा मिलता है। कम आयु की महिलाओं के लिए प्रायः चटकीले रंग उपयुक्त रहते हैं, जो कि सहज ही हैण्डलूम व कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित साड़ियों में उपलब्ध हो जाते हैं।

(iii) बच्चों के लिए:
बच्चे अधिक खेलते-कूदते हैं; अतः उनके वस्त्र मजबूत कपड़े के होने चाहिए। बाल्यावस्था में शारीरिक वृद्धि होने के कारण बच्चों के कपड़े थोड़े ढीले व संख्या में कम होने चाहिए। वस्त्रों की सिलाई कराते समय सींवनों में अतिरिक्त कपड़ा छोड़ने से इन्हें आवश्यकतानुसार ढीला किया जा सकता है। बच्चों के वस्त्रों के बटन मजबूती से लगे होने चाहिए। विशेष अवसरों के लिए बच्चों को महँगे वस्त्र दिलाए जा सकते हैं।

(iv) शिशुओं के लिए:
शिशुओं की त्वचा कोमल होती है; अतः इनके वस्त्र मुलायम कपड़ों (रेशमी, सूती व ऊनी आदि) के बनवाने चाहिए। शिशुओं को प्रायः हल्के गुलाबी, नीले, नारंगी आदि रंगों के झबले, रोम्पर, फ्रॉक, टी-शर्ट व लैंगिंग्स पहनाए जाते हैं।

(3) व्यवसाय एवं पद:
व्यवसाय एवं पद का सीधा सम्बन्ध मनुष्य की आर्थिक क्षमता एवं सामाजिक स्थिति में होता है। छोटे व्यवसाई अथवा छोटी नौकरी करने वाले व्यक्ति आय कम होने के कारण वस्त्रों पर अधिक व्यय नहीं कर सकते। इनके लिए प्रायः सूती व टेरीकॉट के वस्त्र ही अधिक उपयुक्त रहते हैं। अधिक आय वर्ग के व्यक्ति अधिक मूल्य के रेडीमेड अथवा अन्य प्रकार के अनेक वस्त्र प्रयोग कर सकते हैं। (UPBoardSolutions.com) कुछ विशिष्ट व्यवसायों एवं सेवाओं में वस्त्रों की निर्धारित सीमाएँ होती हैं; जैसे कि सेवा के समय में चिकित्सक, सेना व पुलिस कर्मचारी व वकील इत्यादि एक निश्चित पोशाक पहनने के लिए बाध्य होते हैं। व्यापारियों एवं दुकानदारों को कुर्ता-धोती अथवा कुर्ता-पाजामा पहनने में सुविधा रहती है। उच्च अधिकारियों, अध्यापक एवं अध्यापिकाओं को सौम्य रंग एवं फैशन के वस्त्र पहनने उपयुक्त रहते

(4) मौसम एवं भौगोलिक परिस्थिति:
वस्त्रों के चयन के लिए मौसम व स्थान-विशेष की भौगोलिक परिस्थितियों का एक अलग ही महत्त्व है। ग्रीष्म ऋतु में हल्के रंग के सूती वस्त्र तथा शीत ऋतु में विभिन्न प्रकार के गहरे रंग के ऊनी वस्त्र अधिक उपयुक्त रहते हैं। इसी प्रकार ठण्डे प्रदेशों में शीत ऋतु के वस्त्र तथा गर्म प्रदेशों में ग्रीष्म ऋतु के वस्त्र उपयोग करना आवश्यक होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
स्पष्ट कीजिए कि उचित वेशभूषा से व्यक्तित्व में निखार आता है।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने में उसकी वेशभूषा का विशेष योगदान एवं महत्त्व होता है। यदि व्यक्ति अपनी आयु, व्यवसाय, अवसर, ऋतु एवं लिंग के अनुसार वेशभूषा धारण करता है। तो उस व्यक्ति का व्यक्तित्व सामान्य रूप से आकर्षक एवं प्रभावशाली प्रतीत होता है। जो व्यक्ति उचित वेशभूषा धारण करता है, उसके प्रति अन्य व्यक्तियों का व्यवहार भी सौम्य होता है। यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य (UPBoardSolutions.com) है कि उचित वेशभूषा धारण करने वाले व्यक्ति में एक प्रकार का अतिरिक्त आत्म-विश्वास भी जाग्रत होता है, इससे भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में क्रमश: निखार आता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि व्यक्ति-व्यक्तित्व को निखारने वाले कारकों में उचित वेशभूषा का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

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प्रश्न 2:
अवसर के अनुकूल व्यक्तिगत वेशभूषा कैसी होनी चाहिए? कम-से-कम पाँच |.. बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति को अपने दैनिक एवं सामाजिक जीवन में विभिन्न अंवसरों एवं परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। यदि उसको सामान्य जीवन घरेलू परिस्थितियों में व्यतीत होता है, तो उसे कभी-कभी यात्रा पर भी जाना होता है और अनेक बार विवाह, जन्म-दिन आदि अनेक महत्त्वपूर्ण (UPBoardSolutions.com) सामाजिक उत्सवों में भी भाग लेना पड़ता है। प्रत्येक अवसर के लिए अनुकूल व्यक्तिगत वेशभूषा को चयन व्यक्तिगत सज्जा के नियमानुसार करने से उसके आत्मविश्वास एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। आइए इस सम्बन्ध में कुछ उपयोगी नियमों का अवलोकन करें

(1) मौसम सम्बन्धी नियम:
मौसम के अनुसार सूती व रेशमी (ग्रीष्म ऋतु) अथवा ऊनी (शीत ऋतु) वस्त्र उपयोग में लाने चाहिए।

(2) मजबूती व टिकाऊपन सम्बन्धी नियम:
सामान्य घरेलू जीवन में मजबूत व टिकाऊ वस्त्र पहनना लाभदायक रहता है। रसोई-गृह में सूती वस्त्रों व शेष समय में हैण्डलूम व कृत्रिम तन्तुओं से निर्मित वस्त्रों का उपयोग सर्वोत्तम रहता है।

(3) आरामदायक व उपयुक्त फिटिंग सम्बन्धी नियम:
सदैव ऐसे वस्त्रों का चयन करना चाहिए जो कि शारीरिक आराम में बाधा न डालें। सही शारीरिक माप अथवा फिटिंग वाले वस्त्र पहनने से बाहरी व्यक्तित्व के आकर्षण में वृद्धि होती है।

(4) रंगों के संयोग का नियम:
रंग प्रायः परस्पर या तो समन्वित होते हैं अथवा विरोधाभासी। लाल एवं गुलाबी, गहरा व हल्का नीला, सफेद व काला इत्यादि रंगों के अद्भुत संयोग के उदाहरण हैं। इनका विवेकपूर्ण उपयोग सदैव लाभदायक रहता है।

(5) विशिष्ट अवसर सम्बन्धी नियम:
विवाह, जन्मोत्सव आदि उत्सवों में व्यक्तिगत वेशभूषा का चुनाव इस प्रकार करना चाहिए कि शरीर के असुन्दर भाग ढके रहें तथा सुन्दर अंगों का आवश्यक प्रदर्शन हो सके। इन अवसरों पर मूल्यवान वस्त्रों, जैसे जरीदार व रेशमी साड़ियों का उपयोग प्रतिष्ठा एवं सौन्दर्य में वृद्धि करता है।

प्रश्न 3:
व्यक्तिगत सज्जा हेतु वस्त्रों के विवेकपूर्ण चयन से आप क्या समझती हैं?
उत्तर:
व्यक्तिगत सज्जा के सारे नियमों का पालन करने पर भी यदि कोई व्यक्ति वस्त्रों को क्रय करते समय अपने विवेक का प्रयोग नहीं करता है, तो सब कुछ व्यर्थ हो सकता है। वस्त्रों के सुन्दर एवं उपयुक्त चुनाव के साथ निम्नलिखित सिद्धान्तों का पालन अवश्य किया जाना चाहिए

(1) बजट के अनुसार खरीदारी:
आप अपने बजट के अनुसार ही वस्त्रों का चयन करें। फिजूलखर्ची आप व आपके परिवार में असन्तोष उत्पन्न कर सकती है।

(2) सोच-समझकर खरीदारी:
वस्त्रों की उद्देश्यहीन खरीदारी न करें। अवसरों एवं आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखकर की गई खरीदारी सदैव सुख एवं सन्तोष प्रदान करती है।

(3) मूल्य देखकर खरीदारी:
अधिक मूल्य के वस्त्र केवल आवश्यकता पड़ने पर ही खरीदें। सदैव अच्छी जगह से वस्त्र खरीदें। यदि वस्त्र सिलवाने हों, तो सोच-समझकर आवश्यक कपड़ा ही खरीदें। इससे कपड़ा व्यर्थ नहीं होगा और धन की बचत होगी।

(4) वस्त्रों की उचित देखभाल:
आपके पास वस्त्रं कर्म हों अथवा अधिक, उनकी उचित देखभाल करना अति आवश्यक है। इससे वस्त्रों को लम्बे समय तक प्रयोग में लाया जा सकता है।

प्रश्न 4:
बाजार से वस्त्रों को खरीदते समय आप किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखेंगी?
उत्तर:
उपयुक्त वस्त्रों के चयन के अनेक नियम हैं, जिनमें कुछ इतने आवश्यक हैं जिनकी अवहेलना नहीं की जानी चाहिए। वस्त्रों के लिए कपड़ा खरीदते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है

  1. बाजार जाने से पूर्व ही यह निश्चित कर लेना आवश्यक है कि कपड़ा दैनिक उपयोग के लिए खरीदना है अथवा किसी विशिष्ट अवसर के लिए।
  2. कपड़ा मजबूत व टिकाऊ होना चाहिए।
  3. कपड़े का रंग पक्का होना चाहिए।
  4.  कपड़ा सिकुड़न मुक्त है अथवा नहीं, इसकी जाँच कर लेनी चाहिए।
  5.  सूती कपड़ों पर सनफोराइज्ड व कलैण्डर्ड की मोहर व ऊनी कपड़ों पर वूलमार्क व आई० एस० आई० मार्क अवश्य देख लेना चाहिए।
  6. कई अच्छी दुकानों पर जाकर कपड़े के सही मूल्य का अनुमान लगाकर ही उसे खरीदना चाहिए।

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प्रश्न 5:
स्कूल जाने वाले बालक-बालिकाओं की वेशभूषा का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
सामान्य रूप से सभी स्कूलों द्वारा छात्र-छात्राओं की वेशभूषा निर्धारित तथा निश्चित होती है इसलिए स्कूल जाने वाले बालक-बालिकाओं को स्कूल द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म ही धारण करनी चाहिए। यूनिफॉर्म धारण करने से स्कूल के सभी छात्र-छात्राओं में एकरूपता बनी रहती है तथा किसी प्रकार के भेदभाव या ऊँच-नीच के अन्तर के विकसित होने की आशंका नहीं रहती। स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं की (UPBoardSolutions.com) वेशभूषा को तैयार करवाते समय ध्यान रखना चाहिए कि उनकी वेशभूषा चुस्त तथा अच्छी फिटिंग वाली ही होनी चाहिए। सामान्य रूप से ऐसा कपड़ा चुनना चाहिए जिसमें शीघ्र सिलवटें तथा शिकन न पड़े। स्कूल जाने वाले बच्चों की यूनिफॉर्म के लिए पक्के रंग वाला कपड़ा ही लेना चाहिए तथा उसकी धुलाई भी सरल होनी चाहिए। कपड़ों के अतिरिक्त बच्चों की वेशभूषा में जूतों, मोजों, बेल्ट तथा बैज आदि भी ठीक दशा में होने चाहिए।

प्रश्न 6:
तीज-त्योहार के अवसर पर पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तीज-त्योहार के अवसर अपने आप में कुछ विशिष्ट अवसर होते हैं। इन विशिष्ट अवसरों पर वेशभूषा धारण करने में भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। इन अवसरों की प्रकृति तथा उत्साह के वातावरण को ध्यान में रखते हुए रंग-बिरंगे आकर्षक तथा भड़कीले वस्त्र भी पहने जा सकते हैं। व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार आधुनिक अथवा पारम्परिक किसी भी प्रकार के वस्त्र पहन सकता है। अनेक महिलाएँ इन अवसरों पर लहँगा-चुनरी, गरारा अथवा भारी साड़ियाँ पहना करती हैं। कुछ किशोरावस्था की लड़कियाँ इन अवसरों पर जीन्स अथवा (UPBoardSolutions.com) स्कर्ट आदि पहनना अधिक पसन्द करती हैं। जहाँ तक बनाव श्रृंगार का प्रश्न है, इन अवसरों पर पर्याप्त छूट होती है। अपनी रुचि एवं आयु के अनुसार पर्याप्त श्रृंगार किया जा सकता है। सुविधा के अनुसार आभूषण भी पहने जा सकते हैं। यदि इस अवसर पर मेले में अथवा भीड़-भाड़ वाले स्थान पर जाना हो, तो सुरक्षा के पहलू को अवश्य ही ध्यान में रखना चाहिए।

प्रश्न 7:
खेल के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा का विवरण दीजिए।
उत्तर:
खेल के समय व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की शारीरिक क्रियाएँ करनी पड़ती हैं तथा सभी क्रियाएँ प्रायः तीव्र गति से करनी पड़ती हैं। इस स्थिति में शरीर से अधिक पसीना निकलता है। अतः इन तथ्यों को ध्यान में रखकर ही खेल के समय की वेशभूषा का निर्धारण करना चाहिए तथा उसका निर्माण ऐसे कपड़े से किया जाना चाहिए जिसमें अवशोषकता का गुण विद्यमान हो ताकि खेल के समय वो शरीर से निकलने (UPBoardSolutions.com) वाले पसीने को सोख सके। इसके अतिरिक्त खेल के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा ऐसे कपड़े की होनी चाहिए जिससे धोना सरल हो। खेल के समय जूतों तथा मोजों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। हल्के तथा आरामदायक जूते पहनना ही अच्छा रहती है।

प्रश्न 8:
रात्रि-भोज के अवसर पर पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रात्रि-भोज के अवसर सामान्य रूप से हर्ष, उल्लास एवं प्रसन्नता के अवसर होते हैं। रात्रि-भोज के अवसर पर अधिक औपचारिकता नहीं होती तथा प्रत्येक व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार आकर्षक एवं सुन्दर वेशभूषा पहन सकता है। इस अवसर पर यदि चाहें तो सीमित रूप से भड़कीली तथा आत्म-प्रदर्शन में सहायक वेशभूषा भी पहनी जा सकती है। महिलाएँ यदि चाहें तो रात्रि-भोज के अवसर पर चमकीले, भड़कीले तथा जरी-गोटे वाले बहुमूल्य वस्त्र भी पहन सकती हैं। आधुनिक फैशन के अनुसार इन अवसरों पर साटन तथा वेलवेट के वस्त्र पहनने का भी प्रचलन है। रात्रि-भोज के अवसर पर वेशभूषा के साथ-साथ अपनी रुचि के अनुसार कम या (UPBoardSolutions.com) अधिक श्रृंगार भी किया जा सकता है। बालों को सजाने के लिए ताजे फूलों का गजरा भी लगाया जा सकता है। यदि चाहें तो परफ्यूम भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस अवसर पर एक निश्चित सीमा के अन्तर्गत रहते हुए शारीरिक सौष्ठव का प्रदर्शन भी किया जा सकता है। रात्रि-भोज के अवसर पर यदि चाहें तो गहने भी पहने जो सकते हैं, परन्तु सुरक्षा का समुचित ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न 9:
यात्रा के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कभी-न-कभी छोटी अथवा लम्बी यात्री पर जाना ही। पड़ता है। कुछ व्यक्तियों को तो नियमित रूप से ही यात्रा पर जाना पड़ता है। यात्रा के समय भी व्यक्ति को अपनी वेशभूषा का चुनाव सूझ-बूझपूर्वक करना चाहिए। यात्रा के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा का अनिवार्य गुण उसका सुविधादायक होना है। यात्रा के समय वही वेशभूषा धारण की जानी चाहिए, जो लम्बे समय तक सीट पर बैठने अथवा लेटने में सुविधाजनक हो। इस अवसर पर ऐसे वस्त्र धारण करना उत्तम माना जाता है जो (UPBoardSolutions.com) शीघ्र ही क्रश न होते हों अर्थात् शीघ्र ही सिलवटें पड़ने वाले वस्त्र यात्रा के समय धारण नहीं करने चाहिए। सामान्य रूप से यात्रा के समय किसी प्रकार का विशेष बनाव-श्रृंगार नहीं किया जाना चाहिए। जहाँ तक कीमती आभूषणों का प्रश्न है, यात्रा के समय इन्हें बिल्कुल भी धारण नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा किसी अनहोनी के घटित होने की निरन्तर आशंका बनी रहती है।

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प्रश्न 10:
कामकाजी महिलाओं के लिए कार्य के समय पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कामकाजी महिलाओं को अपने कार्य के समय वेशभूषा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस अवसर पर प्रत्येक स्थिति में वेशभूषा की सौम्यता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। कार्यस्थल की औपचारिकता को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए तथा किसी भी स्थिति में महिलाओं को अधिक चटकदार तथा दिखावटी वेशभूषा नहीं पहननी चाहिए। इस समय अधिक श्रृंगार भी नहीं करना चाहिए, केवल हल्का-सा अति आवश्यक श्रृंगार ही करना चाहिए। बिन्दी, हल्की लिपस्टिक तथा माँग भरना (यदि विवाहित हों तो) ही पर्याप्त होता है। (UPBoardSolutions.com) कार्य-स्थल पर खनखनाहट वाले गहने भी नहीं पहनने चाहिए। इससे कार्य-स्थल के वातावरण में व्यवधान उत्पन्न होता है तथा अशोभनीय प्रतीत होता है। सामान्य रूप से कोई तेज सुगन्ध वाला परफ्यूम या तेल भी नहीं लगाना चाहिए। संक्षेप में कहा जा सकता है कि महिलाओं द्वारा कार्य-स्थल पर पहनी जाने वाली वेशभूषा में अनावश्यक आकर्षण तथा भड़कीलेपन का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके माध्यम से सौम्यता, गरिमा तथा सादगी का ही प्रदर्शन होना चाहिए।

प्रश्न 11:
शोक के अवसर पर धारण की जाने वाली वेशभूषा का विवरण दीजिए।
उत्तर:
शोक के अवसर पर उल्लास एवं उमंग का नितान्त अभाव होता है। इस अवसर पर परस्पर संवेदना तथा सहानुभूति प्रकट की जाती है। शोक के अवसर पर जहाँ तक हो सके बिल्कुल सादी वेशभूषा ही धारण की जानी चाहिए। हमारे समाज में पारम्परिक रूप से इस अवसर पर सफेद अथवा हल्के (UPBoardSolutions.com) रंगों की वेशभूषा ही धारण की जाती है। कुछ समाजों में शोक के अवसर पर काले रंग की वेशभूषा धारण की जाती है। शोक के अवसर पर सादी वेशभूषा धारण करने के साथ ही साथ किसी प्रकार का बनाव-श्रृंगार भी नहीं किया जाता। संक्षेप में कहा जा सकता है कि शोक के अवसर पर व्यक्ति की वेशभूषा से सादगी का प्रदर्शन होना चाहिए, न कि दिखावे तथा आकर्षण का।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
व्यक्तिगत सज्जा क्या है?
उत्तर:
व्यक्तिगत सज्जा से तात्पर्य उस महत्त्वपूर्ण कारक से है जो व्यक्ति के बाहरी व्यक्तित्व को निखारने में उल्लेखनीय भूमिका निभाता है। इस कारक के अन्तर्गत सामान्य रूप से उचित वेशभूषा, श्रृंगार के ढंग, बालों को सँवारने के ढंग, बातचीत करने के ढंग, उठने-बैठने के ढंग तथा व्यक्ति के हाव-भावों को सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 2:
व्यक्तिगत सज्जा क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
व्यक्तिगत सज्जा मनुष्य की रुचि एवं रहन-सहन के स्तर की परिचायक होती है। उपयुक्त सज्जा मनुष्य को आत्मविश्वास, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं मानसिक प्रसन्नता प्रदान करती है तथा उसके बाहरी व्यक्तित्व को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाती है।

प्रश्न 3:
व्यक्तिगत सज्जा का मूल आधार क्या है?
उत्तर:
उपयुक्त वेशभूषा व्यक्तिगत सज्जा का मूल आधार है।

प्रश्न 4:
वेशभूषा के लिए कपड़े का चुनाव करते समय ध्यान रखने योग्य मुख्य गुण क्या हैं?
उत्तर:
वेशभूषा के लिए कपड़ा

  1.  आकर्षक एवं आरामदायक होना चाहिए,
  2. मजबूत एवं टिकाऊ होना चाहिए,
  3. सरलता से धुलने वाला होना चाहिए तथा
  4.  आर्थिक बजट के अनुरूप होना चाहिए।

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प्रश्न 5:
ग्रीष्म ऋतु में कौन-से वस्त्र उपयुक्त रहते हैं?
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु में सूती वस्त्र अधिक उपयुक्त रहते हैं।

प्रश्न 6:
ग्रीष्म ऋतु के वस्त्रों में कौन-कौन सी मुख्य विशेषताएँ होनी चाहिए?
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु के वस्त्र पसीना सोखने वाले, महीन, सफेद अथवा हल्के रंगों के होने चाहिए।

प्रश्न 7:
रसोई गृह में नायलॉन व टेरीलीन के वस्त्र पहनने से क्या हानि हो सकती है?
उत्तर:
ये वस्त्र आग शीघ्र पकड़ते हैं; अतः इन्हें भोजन बनाते समय नहीं पहनना चाहिए।

प्रश्न 8:
छोटे बच्चों के वस्त्र किस प्रकार के होने चाहिए?
उत्तर:
बच्चों के लिए सदैव चमकीले एवं भड़कीले वस्त्र लेने चाहिए। इसके साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के वस्त्रों का कपड़ा नर्म तथा मुलायम होना चाहिए।

प्रश्न 9:
वृद्ध व्यक्तियों को किस रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए ?
उत्तर:
वृद्ध व्यक्तियों को सफेद या हल्के रंगों के वस्त्र ही धारण करने चाहिए।

प्रश्न 10:
अिंक पूफ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
कुछ रासायनिक पदार्थों का प्रयोग कर कपड़ा सिकुड़ने से मुक्त बनाया जाता है, इसी को श्रिंक पूफ कहते हैं।

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प्रश्न 11:
मौसम के अनुसार वस्त्र पहनना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मौसम के अनुसार वस्त्र पहनना इसलिए आवश्यक है जिससे कि मौसम के प्रभाव से बचा जा सके।

प्रश्न 12:
वर्षा ऋतु में कौन-से वस्त्रों से अधिक आराम मिलता है?
उत्तर:
वर्षा ऋतु में सूती व महीन वस्त्रों से अधिक आराम मिलता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) व्यक्तिगत सज्जा के लिए आवश्यक है
(क) उचित वेशभूषा,
(ख) श्रृंगार एवं उचित केश विन्यास,
(ग) बात करने तथा उठने-बैठने का उचित ढंग,
(घ) उपर्युक्त सभी।

(2) वस्त्रों का चुनाव करते समय ध्यान में रखना चाहिए
(क) कपड़े का गुण,
(ख) कपड़े की सुन्दरता तथा आकर्षण,
(ग) कपड़े का मूल्य,
(घ) ये सभी।

(3) खेल के समय वस्त्र धारण करने चाहिए ।
(क) मोटे तथा मजबूत,
(ख) कृत्रिम तन्तुओं से बने,
(ग) पसीना सोखने की क्षमता वाले,
(घ) पुराने तथा घटिया।

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(4) घरेलू जीवन में उपयोग के लिए सर्वोत्तम वस्त्र हैं
(क) सूती,
(ख) रेशमी,
(ग) जरीदार,
(घ) आधुनिक फैशन के।

(5) सफेद अथवा हल्के रंगों के वस्त्र पहनने चाहिए
(क) शीत ऋतु में,
(ख) ग्रीष्म ऋतु में,
(ग) वर्षा ऋतु में,
(घ) इन सभी में।।

(6) व्यक्तिगत सज्जा से वृद्धि होती है
(क) सामाजिक प्रतिष्ठा में,
(ख) व्यक्तित्व के आकर्षण में,
(ग) मानसिक सन्तोष में,
(घ) इन सभी में।

(7) काले रंग के व्यक्ति को वस्त्र पहनने चाहिए
(क) सफेद रंग के,
(ख) हल्के रंग के,
(ग) गहरे रंग के,
(घ) किसी भी रंग के।

(8) लम्बे कद की महिलाओं को साड़ी व ब्लाउज पहनने चाहिए
(क) समान रंग के,
(ख) भिन्न रंग के
(ग) सफेद रंग के,
(घ) काले रंग के।

(9) शिशु के वस्त्र बने होने चाहिए
(क) सूती तन्तु से,
(ख) टेरीलीन के तन्तु से,
(ग) नायलॉन के तन्तु से,
(घ) किसी भी तन्तु से।।

(10) स्कूल जाने वाले बालक-बालिकाओं को धारण करनी चाहिए
(क) रंग-बिरंगी वेशभूषा,
(ख) मजबूत वेशभूषा,
(ग) सस्ती वेशभूषा,
(घ) स्कूल द्वारा निर्धारित वेशभूषा।

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(11) पसीना सोखने की क्षमता वाले वस्त्र हैं
(क) ऊनी वस्त्र,
(ख) टेरीलीन के वस्त्र,
(ग) रेशमी वस्त्र,
(घ) सूती वस्त्र।

उत्तर:
(1) (घ) उपर्युक्त सभी,
(2) (घ) इन सभी,
(3) (ग) पसीना सोखने की क्षमता वाले,
(4) (क) सूती,
(5) (ख) ग्रीष्म ऋतु में,
(6) (घ) ये सभी में,
(7) (ख) हल्के रंग के,
(8) (ख) भिन्न रंग के,
(9) (क) सूती तन्तु से,
(10) (घ) स्कूल द्वारा निर्धारित वेशभूषा,
(11) (घ) सूती वस्त्र।

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