UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 12 बैंकिंग

UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 12 बैंकिंग

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बैंकिंग

अभ्यास – 12 (a)

प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार के खातों के नाम लिखिए।
उत्तर
बैंक में हम कई तरह के खाते खोल सकते हैं, जिनमें से कुछ, प्रमुख खाते निम्नवत् हैं:

  1. बचत खाता (Savings Bank Account)
  2. चालू खाता (Current Account)
  3. सावधि जमा खाता (Fixed Deposit Account)
  4. आवर्ती (संचयी) जमा खाता (Recurring Deposit Account)
  5. अल्पवयस्क का खाता (Minor Account)

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प्रश्न 2.
चेक क्या है? चेक के प्रकार लिखिए?
उत्तर
चेक एक शर्त रहित आज्ञापत्र है जो सम्बंधित खाते से रुपये निकालने के लिए काम आता है।

प्रश्न 3.
एक बचत बैंक की पासबुक में दर्ज की गई प्रविष्टियाँ निम्नांकित हैं। यदि बयाज दर 4% वार्षिक हो, तो नवम्बर माह के अन्त में मिलने वाले ब्याज का परिकलन कीजिए।
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उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 12 बैंकिंग img-2

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प्रश्न 4.
मिस्ट x की बैंक पास बुक में दर्ज की गई प्रविष्टियों के आधार पर, जून 2017 के अन्त में कितना ब्याज मिलेगा, यदि ब्याज दर 3.5% वार्षिक है।
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 12 बैंकिंग img-3
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 12 बैंकिंग img-4

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UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life (जीवन की मौलिक इकाई)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life (जीवन की मौलिक इकाई).

पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 66)

प्रश्न 1.
कोशिका की खोज किसने और कैसे की?
उत्तर-
कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने 1665 में की। उसने कॉर्क की पतली काट को स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी से अवलोकन करने पर पाया कि इसमें अनेक छोट-छोटे प्रकोष्ठ हैं, (UPBoardSolutions.com) जिसकी संरचना मधुमक्खी के छत्ते जैसी प्रतीत हुई। इन प्रकोष्ठों को रॉबर्ट हुक ने कोशिका का नाम दिया।

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प्रश्न 2.
कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
सभी जीव-जन्तु जो हम अपने आस-पास देखते हैं, कोशिकाओं से मिलकर बनते हैं। कुछ जीव एक- कोशी होते हैं तथा अन्य बहुकोशी होते हैं। प्रत्येक बहुकोशी जीव एक कोशिका से ही विकसित हुआ है। कुछ जीवों में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ भी होती हैं।
प्रत्येक कोशिका में कुछ मूलभूत कार्य करने की क्षमता होती है जो सभी जीवों का गुण है। प्रत्येक कोशिका में कुछ विशिष्ट अंग होते हैं जो विशिष्ट कार्य करते हैं इन्हें कोशिकांग कहते हैं। इन कोशिकांगों के कारण ही एक कोशिका जीवित रहती है। ये कोशिकांग मिलकर कोशिका बनाते हैं। प्रत्येक (UPBoardSolutions.com) कोशिकांग विभिन्न कार्य करता है। जैसे-नये पदार्थ का निर्माण, अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन आदि। अतः कोशिका जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 68)

प्रश्न 1.
CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका से कैसे अन्दर तथा बाहर जाते हैं ? इस पर चर्चा करें।
उत्तर-
CO2 की सांद्रता जब कोशिका में उच्च हो जाती है तो विसरण द्वारा ये कोशिका से बाहर निकल जाती है और जब CO2 की सांद्रता निम्न होती है तो बाहर से यह कोशिका में आ जाती है।
जल के अणु परासरण के कारण कोशिका की वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा उच्च जल की सांद्रता से निम्न जल की सांद्रता की ओर जाता है।

प्रश्न 2.
प्लाज्मा झिल्ली को वर्गात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहते हैं?
उत्तर-
प्लाज्मा झिल्ली को अर्धपारगम्य झिल्ली इसलिए कहते हैं क्योंकि ये कोशिका में आने-जाने वाले पदार्थों पर नियन्त्रण रखती है। यह कुछ पदार्थों को अन्दर आने व बाहर जाने देती है जबकि कुछ पदार्थों को अन्दर आने व बाहर जाने से रोकती है अतः इसे अर्धपारगम्य झिल्ली कहते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 70)

प्रश्न 1.
क्या अब आप निम्नलिखित तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों को भर सकते हैं, जिससे कि प्रोकैरियोटी तथा यूकैरियोटी कोशिकाओं में अंतर स्पष्ट हो सके?
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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 73)

प्रश्न 1.
क्या आप दो ऐसे अंगकों का नाम बता सकते हैं जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ होता है ?
उत्तर-
हाँ-दो ऐसे अंगक केन्द्रक व माइटोकोण्डिया हैं जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ पाया जाता है।

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प्रश्न 2.
यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक या रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो क्या होगा ?
उत्तर-
यदि किसी भौतिक या रासायनिक प्रभाव के कारण कोशिका का जैविक संगठन नष्ट हो जाएगी तो कोशिका मृत हो जाएगी।

प्रश्न 3.
लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं ? .
उत्तर-
लाइसोसोम में शक्तिशाली जल अपघटनीय, एंजाइम होते हैं जो सभी कार्बनिक पदार्थों को पचाने में सहायक होते हैं। यदि पूर्ण क्षतिग्रस्त यी मृत कोशिकाओं को नष्ट करने की आवश्यकता हो तो वे अपनी झिल्ली, तोड़कर एक ही बार में अपना सारा द्रव्य मुक्त कर देते। हैं और क्योंकि इस क्रिया में ये स्वयं भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए इन्हें आत्मघाती थैली भी कहा जाता है।

प्रश्न 4.
कोशिका के अन्दर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है ?
उत्तर-
केन्द्रिका (Nucleolus) में ही राइबोसोम्स का (UPBoardSolutions.com) संश्लेषण होता है। ये राइबोसोम्स ही प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं।

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 75)

प्रश्न 1.
पादप कोशिकाओं तथा जन्तु कोशिकाओं में तुलना करो।
उत्तर-
जन्तु कोशिका व पादप कोशिका में निम्नलिखित अन्तर हैं-
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प्रश्न 2.
प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ, युकेरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं ?
उत्तर-
प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं और यूकैरियोटिक कोशिकाओं के बीच भिन्नताएँ
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प्रश्न 3.
यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए या टूट जाए तो क्या होगा ?
उत्तर-
यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए या टूट जाए। तो कोशिका के भीतर होने वाली क्रियाएँ संभव नहीं होंगी। अतः कुछ समय में कोशिका नष्ट हो जाएगी।

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प्रश्न 4.
यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा ?
उत्तर-
गॉल्जी उपकरण चिकने, चपटे व नलिकाकार उपक्रम समूह के रूप में केन्द्रक के पास उपस्थित होता है। ये प्रायः समान्तर पंक्तियों में एक ढेर के रूप में होते हैं और स्रवण का कार्य करते हैं। इनका मुख्य कार्य कोशिका में संश्लेषित पदार्थों के पैकेज बनाकर कोशिका के अन्दर (प्लाज्मा झिल्ली व लाइसोसोम) व बाहर के लक्ष्यों को भेजना है। यह लाइसोसोम को बनाने में भी सहायक है। यदि गॉल्जी (UPBoardSolutions.com) उपकरण कोशिका में नहीं होगा तो स्रवण का कार्य, संश्लेषित पदार्थों के पैकेज बनाकर अन्दर व बाहर स्थानान्तरण तथा लाइसोसोम्स बनाने का कार्य नहीं होंगे।

प्रश्न 5.
कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है?
उत्तर-
माइटोकॉण्डिया कोशिका को बिजलीघर (Power house) है। ये दोहरे आवरण से घिरा होता है। और इसमें कोशिका के भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण होता है तथा ऊर्जा उत्पन्न होती है। मुक्त हुई ऊर्जा (A.T.P.) ऐडिनोसीन ट्राईफॉस्फेट के रूप में संगृहीत हो जाती है। जो शरीर के विभिन्न कार्यों में प्रयोग की जाती है। इनके पास अपना DNA और राइबोसोम्स होता है जिससे अपने लिए प्रोटीन का संश्लेषण भी कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है ?
उत्तर-
कोशिका झिल्ली का निर्माण करने वाले प्रोटीन, कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका द्वारा संश्लेषित होती है। लिपिड का निर्माण चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका द्वारा कार्बनिक कणों के स्रवण से होता है। ये प्रोटीन व लिपिड़ ही कोशिका झिल्ली का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 7.
अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?
उत्तर-
अमीबा अन्त:ग्रहण विधि द्वारा अपना भोजन प्राप्त करता है। इसकी कोशिका झिल्ली अत्यधिक लचीली होती है जिसके कारण यह बाहर के वातावरण में से भोजन के कण और अन्य पदार्थ ग्रहण कर लेता है। इस कार्य के लिए इसके कूटपाद आगे की ओर बढ़कर भोजन के (UPBoardSolutions.com) कण को पूरा घेर लेते हैं और इस प्रकार भोजन जीवद्रव्य में पहुँच जाता है।

प्रश्न 8.
परासण क्या है?
उत्तर-
वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा पानी के अणुओं की उच्च सान्द्रण क्षेत्र से निम्न सान्द्रण क्षेत्र की तरफ गति को परासरण कहते हैं। पानी की गति उसमें घुले हुए पदार्थों पर निर्भर करती है।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें| छिले हुए आधे-आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो जिससे कि आलू के कप बन जाएँ। इनमें से एक कप को उबले आलू में बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब
(a) कप ‘A’ को खाली रखो,
(b) कप ‘B’ में एक चम्मच चीनी डालो,
(c) कप ‘C’ में एक चम्मच (UPBoardSolutions.com) नमक डालो तथा
(d) उबले आलू से बनाए गए कप ‘D’ में एक चम्मच चीनी डालो।
आलू के इन चारों कपों को दो घंटे तक रखने के पश्चात् उनका अवलोकन करो तथा निम्न प्रश्नों का उत्तर दो
(i) ‘B’ तथा ‘C’ के खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया ? इसका वर्णन करो।
(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ ? इसका वर्णन करो।
उत्तर-
(i) आलू बहुत-सी कोशिकाओं से बना हुआ होता है। कोशिकाओं की कोशिका झिल्ली अर्द्धपारगम्य होती है। आलू A व C के खाली भाग में क्रमशः चीनी तथा नमक भरा है जबकि इनके बाहरी भाग पानी के सम्पर्क में हैं। अत: पानी का सान्द्रण आलू के अन्दर की तुलना में बाहर के बर्तन में अधिक होता है। अतः पानी की गति परासरण के कारण बाहर के बर्तन से आलू के अन्दर की तरफ होता है। अत: आलू का B व C में पानी भर जाता है।
(ii) इस प्रयोग में खाली कप A इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह दर्शाता है कि यदि दो विलयनं लिए जाएँ जिनका सान्द्रण बराबर होता है तो पानी के अणुओं में कोई गति नहीं होती।
(iii) आलू कप A व D में पानी इसलिए नहीं भरता क्योंकि आलू कप D उबले हुए आलू से बना है। अतः उसकी कोशिकाएँ मृत हो जाती हैं तथा कोशिका झिल्ली अर्द्धपारगम्यता खो देती है। अतः परासरणे नहीं होता जिससे पानी बाहरी बर्तन से आलू में प्रवेश नहीं करता। आलू कप A (UPBoardSolutions.com) को खाली रखा गया है। अत: अर्द्धपारगम्य कोशिका झिल्ली के दोनों तरफ का सान्द्रण बराबर होता है। अतः पानी के अणु बाहर से अन्दर की तरफ गति नहीं करते। अतः आलू कप A व D में पानी नहीं भरता है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक कोशिकीय जीवों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
एक कोशिकीय जीवों के उदाहरण
(1) अमीबा,
(2) पैरामीशियम।

प्रश्न 2.
जटिल बहुकोशिकीय जीवों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जटिल बहुकोशिकीय जीवों के उदाहरण-
(i) मनुष्य,
(ii) विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी तथा
(iii) वृक्ष

प्रश्न 3.
‘कोशा’ किसे कहते हैं?
अथवा
कोशिको क्या है ?
उत्तर-
कोशा (Cell)- जीवन की संरचनात्मक इकाई कोशा कहलाती है। कोशा जैव संगठन का प्रथम जैविक स्तर है।

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प्रश्न 4.
कोशिका की खोज किस वैज्ञानिक ने की थी ?
उत्तर-
कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने की थी।

प्रश्न 5.
कोशिका में केन्द्रक की खोज किस वैज्ञानिक ने की ?
उत्तर-
कोशिका में केन्द्रक की खोज रॉबर्ट ब्राउन ने की।

प्रश्न 6.
कोशिकाद्रव्य को जीवद्रव्य नाम किस वैज्ञानिक ने दिया?
उत्तर-
कोशिकाद्रव्य को जीवद्रव्य नाम जे. ई. पुरकिन्जे ने दिया।

प्रश्न 7.
कोशिका सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर-
कोशिका सिद्धान्त-कोशिका जीवन की मूलभूत इकाई है।”

प्रश्न 8.
कोशिका सिद्धान्त किन-किन वैज्ञानिकों ने प्रतिपादित किया ?
उत्तर-
कोशिका सिद्धान्त को एम. जे. श्लीडन एवं टी. श्वान ने प्रतिपादित किया।

प्रश्न 9.
‘कोशिका भित्ति’ से क्या समझते हो ?
उत्तर-
कोशिका भित्ति (Cell wall)- पादप, कोशिका प्लाज्मा झिल्ली के बाहर सेल्यूलोज से बनी एक परत द्वारा घिरी होती है जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं।

प्रश्न 10.
‘कोशिकाद्रव्य’ (साइटोप्लाज्म) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm)-कोशिका के अन्दर पाया जाने वाला तरल द्रव्य कोशिकाद्रव्य (साइटोप्लाज्म) कहलाता है। यह एक चिपचिपा, रंगहीन, समांगी, तरल, कोलाइडी अर्द्ध-पारदर्शक पदार्थ है।

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प्रश्न 11.
‘कोशिकांग’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कोशिकांग (Cell Organelles) कोशिकाद्रव्य में कई अन्य जीवित संरचनाएँ पायी जाती हैं जो कोशिकांग कहलाती हैं।

प्रश्न 12.
‘केन्द्रक’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
केन्द्रक (Nucleus)- कोशिका के अन्दर पायी जाने वाली संरचना केन्द्रक’ कहलाती है।

प्रश्न 13.
‘अन्त:प्रद्रव्यी जालिका’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
अन्त:प्रद्रव्यी जालिको (Endoplasmic Reticulum)- केन्द्रक से जुड़ी हुई लम्बी धागेनुमा असंख्य शाखाओं वाली झिल्लियों का जाल, अन्त:प्रद्रव्यी जालिका कहलाती है।

प्रश्न 14.
राइबोसोम किसे कहते हैं?
उत्तर-
राइबोसोम (Ribosomes)- अन्त:प्रद्रव्य जालिका की सतह पर पायी जाने वाली संरचना राइबोसोम कहलाती है।

प्रश्न 15.
‘हरित लवक’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
हरित लवक (Chloroplast)- कोशिका के अन्दर पाये जाने वाला हरे रंग का कोशिकांग हरित लवक कहलाता है।

प्रश्न 16.
‘माइटोकॉण्डिया’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
माइटोकॉण्डुिया (Mitochondria)कोशिका में पाया जाने वाला वह कोशिकांग जो ऊर्जा उत्पन्न करने में सहायक होता है, माइटोकॉण्ड्रिया कहलाता है।

प्रश्न 17.
कोशिका का ऊर्जा घर किसे कहते हैं?
उत्तर-
माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा घर या पावर हाउस कहते हैं।

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प्रश्न 18.
‘पक्ष्माभिका’ (सीलिया) किन्हें कहते हैं?
उत्तर-
पक्ष्माभिका (सीलिया) (Cilia)- जन्तु कोशिका की सतह पर पायी जाने वाली सूक्ष्म उभरी हुई। संरचना, पक्ष्माभिका (सीलिया) कहलाती है।

प्रश्न 19.
‘कशाभिका (फ्लेजिला)’ किन्हें कहते हैं?
उत्तर-
कशोभिका (Flagella)- “कोशिका की सतह पर पायी जाने वाली लम्बी, पतली तथा चाबुक के समान संरचना कशाभिका (फ्लेजिला) कहलाती है।”

प्रश्न 20.
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले प्रोटीन का नाम बताइये।
उत्तर-
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले प्रोटीन का नाम लिपोप्रोटीन है।

प्रश्न 21.
अवर्णी लवक क्या होते हैं ? .
उत्तर-
अवर्णी लवक (Leucoplasts)- भोज्य पदार्थों का संग्रह करने वाले रंगहीन लवक अवर्णी लवक कहलाते हैं।

प्रश्न 22.
अवर्णी लवक कहाँ पाये जाते हैं ?
उत्तर-
अवर्णी लवक पौधों के उस भाग में पाये जाते हैं जहाँ सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँचता।

प्रश्न 23.
अवर्णी लवक का क्या काम है ?
उत्तर-
अवर्णी लवक का कार्य-अवण लवक को कार्य मांड, तेल, वसा तथा प्रोटीन आदि भोज्य पदार्थों का संचय करना है।

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प्रश्न 24.
हरित लवक कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर-
हरित लवक पौधों के हरे भाग में पाया जाता है।

प्रश्न 25.
हरित लवक का रंग हरा क्यों होता है ?
उत्तर-
हरित लवक में हरे रंग का वर्णक पर्णहरिम या क्लोरोफिल होता है इस कारण इसका रंग हरा होता है।

प्रश्न 26.
क्लोरोप्लास्ट (हरित लवक) का प्रमुख कार्य बताइये।
उत्तर-
क्लोरोप्लास्ट का कार्य-क्लोरोप्लास्ट का प्रमुख कार्य प्रकाश संश्लेषण है।

प्रश्न 27.
वर्णी लवक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वर्णी लवक-पौधों में पाये जाने वाले रंग-बिरंगे (हरे रंग को छोड़कर) लवक वर्णी लवक कहलाते हैं।

प्रश्न 28.
वर्णी लवक पौधों के किन भागों में पाये जाते हैं ?
उत्तर-
वर्णी लवक पुष्पों, दलों एवं फलों में पाये जाते हैं।

प्रश्न 29.
वर्णी लवक का कार्य क्या है ?
उत्तर-
वर्णी लवक का कार्य पुष्पों, पत्रों एवं फलों को आकर्षक बनाना है।

प्रश्न 30.
गॉल्जी बॉडी, गॉल्जीकार्य या गॉल्जी उपकरण की खोज किसने की थी ?
उत्तर-
गॉल्जी बॉडी, गॉल्जीकाय या गॉल्जी उपकरण की खोज केमिलियो गॉल्जी ने की।

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प्रश्न 31.
आत्महत्या करने वाली थैली या सुसाइड बैग्स किन्हें कहते हैं ?
उत्तर-
आत्महत्या करने वाली थैली या सुसाइड बैग्स लाइसोसोम्स को कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अन्तःप्रद्रव्यी जालिका के कार्य लिखिए।
उत्तर-
अन्त:प्रद्रव्यी जालिका के कार्य

  1. यह प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होते हैं।
  2. यह कोशिका विभाजन के समय केन्द्रकीय झिल्ली के निर्माण में भाग लेता है।
  3. यह ग्लाइकोजन के उपापचय में सहायता करता है।
  4. यह केन्द्रक से विभिन्न आनुवंशिक पदार्थों को कोशिकाद्रव्य के विभिन्न अंगों तक पहुँचाता है।

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प्रश्न 2.
गॉल्जीकाय या गॉल्जी उपकरण के कार्य लिखिए।
अथवा
गॉल्जी उपकरण के कोशिका में क्या कार्य हैं ?
उत्तर-
गॉल्जीकाय या गॉल्जी उपकरण के कार्य

  1. ये लाइसोसोम्स का निर्माण करते हैं।
  2. ये अनेक प्रकार के स्रावी पदार्थों का निर्माण करते हैं।
  3. ये स्रावण द्वारा कोशिका भित्ति का निर्माण करते हैं।
  4. ये अनेक कार्बोहाइड्रेट्स के दीर्घ अणुओं का संश्लेषण करते हैं।
  5. ये शुक्राणुजनन के समय शुक्राणु के ऊपरी भाग (एक्रोसोम) का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 3.
प्याज के शल्क-पत्र की झिल्ली की कोशिकाओं का चित्र बनाइये।
उत्तर-
प्याज के शल्क-पत्र की झिल्ली की कोशिकाओं का चित्र-
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित घटकों के कार्य लिखिए
(i) राइबोसोम
(ii) गॉल्जीकाय
(iii) माइटोकॉण्ड्यिा
(iv) रसधानी
(v) पादप कोशाभित्ति
(vi) क्रोमोसोम्स
(vii) क्लोरोप्लास्ट
(viii) केन्द्रिका
(ix) प्लाज्मा मेम्ब्रेन।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -6

प्रश्न 5.
एक प्राणी (जन्तु) कोशिका की आन्तरिक संरचना को स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइये।
अथवा
जन्तु कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा प्रदर्शित प्राणी (जन्तु) कोशिका की संरचना का नामांकित चित्र
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -7

प्रश्न 6.
एक पादप कोशिका की आन्तरिक संरचना का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइये। अथवा एक पादप कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा प्रदर्शित पादप कोशिका की आन्तरिक संरचना का नामांकित चित्र-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -8

प्रश्न 7.
जन्तु एवं पादप कोशिका में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
जन्तु एवं पादप कोशिका में अन्तर-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -9

प्रश्न 8.
माइटोकॉण्ड्यिा के कार्य लिखिए।
उत्तर-
माइटोकॉण्डिया के कार्य
(1) ये भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण करके ऊर्जा मुक्त करते हैं तथा इस ऊर्जा को ATP के रूप में संचित करते हैं जो जैविक कार्यों में प्रयुक्त होती है।
(2) ये प्रोटीन का संश्लेषण भी करते हैं।
(3) ये अण्डों का योक तथा शुक्राणुओं के मध्यमान का निर्माण करते हैं।

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प्रश्न 9.
लाइसोसोम के कार्य लिखिए।
उत्तर-
लाइसोसोम के कार्य

  1. ये कोशिका में पाये जाने वाले प्रकीर्णो (Enzyme) का स्रावण एवं संग्रहण करते हैं।
  2. ये मृत या पुरानी कोशिकाओं (UPBoardSolutions.com) का भक्षण करते हैं।
  3. ये कोशिका में प्रवेश करने वाले सूक्ष्म जीवों व कणों का पाचन करते हैं।
  4. ये भोजन की कमी के समय कोशिकाओं तथा कोशिकाद्रव्य में उपस्थित अवयवों का पाचन करते हैं।
  5. ये उपवास या रोग की स्थिति में शरीर को पोषण देते हैं।
  6. शुक्राणु इन्हीं के कारण अण्डाणु में प्रवेश करते हैं।
  7. इन्हें आत्महत्या करने वाली थैली (Suicide bags) कहते हैं।

प्रश्न 10.
तारककाय (सेण्ट्रोसोम) के कार्य लिखिए।
उत्तर-
तारककाय (सेण्ट्रोसोम) के कार्य

  1. ये जन्तु कोशिकाओं में कोशिका विभाजन के समय त रूप रेशों का निर्माण करते हैं।
  2. ये शुक्राणु में स्थित दो सेण्ट्रिओल में से कशाभ का अक्षीय तन्तु बनाते हैं।
  3. ये सेण्ट्रिओल पक्ष्मों व कशाभों के काइनेटोसोम या आधारकाय बनाते हैं।

प्रश्न 11.
सूक्ष्मकाओं के कार्य लिखिए।
उत्तर-
सूक्ष्मकाओं के कार्य

  1. ये कोशिकाओं के कंकाल का निर्माण करती हैं।
  2. ये कोशिका के आकार, विस्तार को नियमित करती हैं।
  3. ये कोशिकाओं की गति एवं गुणसूत्रों का नियन्त्रण करती हैं।
  4. ये कोशिकाद्रव्य चक्रण में सहायता करती हैं।

प्रश्न 12.
रिक्तिकाओं के कार्य लिखिए।
उत्तर-
रिक्तिकाओं के कार्य

  1. ये भोजन के पाचन, उत्सर्जन आदि क्रियाओं में सहायता करती हैं।
  2. ये कोशाओं में परासरण नियन्त्रण का कार्य करती हैं।
  3. ये भोज्य पदार्थों का संग्रहण करती हैं।
  4. टोनोप्लास्ट के अर्द्ध-पारगम्य होने के कारण, ये कोशा के अन्दर विभिन्न पदार्थों के संवहन का कार्य करती हैं।

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प्रश्न 13.
माइटोकॉण्ड्रिया को सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
माइटोकॉण्ड्रिया का वर्णन-माइटोकॉण्डिया सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में पाया जाता है। यह दोहरो झिल्ली का बना होता है जिसमें एक तरल पदार्थ भरा रहता है। इसे बाह्य कक्ष कहते हैं। माइटोकॉण्डूिया की आन्तरिक झिल्ली के बीच की गुहा को आन्तरिक (UPBoardSolutions.com) कक्ष कहते हैं। इसमें मैट्रिक्स (आधानी) भरा होता है। आन्तरिक झिल्ली अन्दर की ओर अंगुलियों जैसी संरचनाएँ बनाती है जिन्हें क्रिस्टी कहते हैं। क्रिस्टी की सतह पर ऑक्सीसोम (F कण) नामक संरचनाएँ पाई जाती हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -10
मैट्रिक्स में लिपिड्स, प्रोटीन, प्रकीण्व, कुण्डलित दोहरे स्टेण्ड वाले DNA एवं RNA तथा राइबोसोम पाये जाते हैं।

प्रश्न 14.
कोशिका झिल्ली के प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर-
कोशिका झिल्ली के प्रमुख कार्य

  1. यह कोशिका को एक आकार प्रदान करती है।
  2. यह कोशिका के जीवित अंगों की सुरक्षा के लिए एक आवरण प्रदान करने का कार्य भी करती है।
  3. इसका मुख्य कार्य कोशिका के अन्दर और उसके बाहरी माध्यमों के बीच आणविक आदान-प्रदान को नियन्त्रित करना है।

प्रश्न 15.
गॉल्जीकाय या गॉल्जी बॉडी या गॉल्जी उपकरण का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
गॉल्जीकार्य या शल्जी उपकरण का वर्णन-गॉल्जीकाय दोहरी झिल्ली की बनी संरचनाएँ हैं। जो एक खाली स्थान के द्वारा एक-दूसरे से अलग-अलग स्थित होती हैं। इनमें तीन घटक होते हैं|
(1) चपटे कोष,
(2) आशय,
(3) रिक्तिकाएँ।
एक जन्तु कोशिका में 3 से 7 एवं पादप कोशिका में 10 से 20 गॉल्जीकाय पाये जाते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -11
ये लाल रुधिर कणिकाओं को छोड़कर सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं में समतल इकाई झिल्लियों के गुच्छे के रूप में पायी जाती हैं। कुछ अकशेरुकी जन्तुओं तथा पौधों की कोशिकाओं में अनेक असम्बद्ध इकाइयों के रूप में बिखरी होती हैं जिन्हें डिक्टियोसोम कहते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक जन्तु कोशिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जन्तु कोशिका का वर्णन – जन्तु कोशिका में अग्रलिखित भाग होते हैं

  1. कोशिका कला (झिल्ली) – यह तीन परतों की बनी होती है– बीच की परत लिपिड की तथा शेष दो प्रोटीन की। यह अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली होती है।
  2. अन्तःप्रद्रव्यी जालिका – झिल्लियों से बना नलिकाकार तन्त्र जो बाहर कोशिका कला से तथा अन्दर केन्द्रक कला से जुड़ा हुआ है। इस तन्त्र की सतह पर राइबोसोम पाये जाते हैं।
  3. राइबोसोम – प्रोटीन एवं राइबोन्यूक्लिक अम्ल से बनी कणिकामय संरचनाएँ।
  4. लाइसोसोम – एकल झिल्ली से घिरी गोल संरचनाएँ जिनमें हाइड्रोजन एन्जाइम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  5. सेण्ट्रोसोम – केन्द्रक के निकट पाई जाने वाली संरचना जिसके खोखले भाग में तीन-तीन सूक्ष्म नलिकाओं के 9 समूह होते हैं।
  6. माइटोकॉण्डूिया – दो झिल्लियों से घिरी गोल अथवा चपटी संरचना जिसकी बाहरी झिल्ली चिकनी तथा भीतरी झिल्ली माइटोकॉण्डूिया की गुहिका में फँसी होती है जिसमें क्रिस्टी नामक अंग्रलासर प्रवर्ध निकले रहते हैं। यह कोशिका का ऊर्जा घर (Power house) होती है।
  7. गॉल्जी बॉडी – सिस्टर्नी नलिकाओं तथा गुहिकाओं से मिलकर बनी अर्द्धचन्द्राकार रचनाएँ हैं। यह सिस्टर्नी जाल के रूप में होती है।
  8. केन्द्रक – यह दोहरी केन्द्रक कला से घिरा हुआ गोल अथवा चपटे आकार का सबसे बड़ा कोशिकांग है। केन्द्रक में उपस्थित कणिकामय द्रव्य केन्द्रकद्रव्य कहलाता है। इसमें क्रोमेटिन तन्तुओं का जाल-सा बिछा रहता है।

प्रश्न 2.
वनस्पति कोशिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वनस्पति कोशिका का वर्णन-वनस्पति कोशिका की संरचना भी जन्तु कोशिका की तरह होती। है। लेकिन इसमें तारक काय (सेण्ट्रोसोम) नहीं पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें जन्तु कोशा के अतिरिक्त निम्नलिखित भाग और पाये जाते हैं

  1. कोशिका भित्ति – सेल्यूलोज का बना कोशिका का आवरण होता है।
  2. लवक – वनस्पति कोशा में तीन प्रकार के लवक पाये जाते हैं-(1) अवर्णी लवक, (2) हरित लवक तथा (3) वर्णी लवक। हरित लवक के कारण ही पौधों के विभिन्न भाग हरे दिखाई देते हैं।
  3. रसधानी – कोशिका के मध्य में विस्तृत रसधानी उपस्थित होती है।

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प्रश्न 3.
समसूत्री विभाजन की कितनी प्रावस्थाएँ होती हैं ? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
समरूपी विभाजन की प्रावस्थाएँ – समसूत्री विजन की निम्नलिखित पाँच प्रावस्थाएँ होती हैं।

  1.  विश्रामावस्था (Resting Period) अथवा अन्तरालावस्था या इण्टरफेज (Interphase)
  2. पूर्वावस्था या प्रोफेज (Prophase)
  3. मध्यावस्था या मेटाफेज (Metaphase)
  4. आश्वावस्था या एनाफेज (Anaphase)
  5. अत्यावस्था या टीलोफेज (Telophase)

प्रश्न 4.
अत:प्रद्रव्यी जालिका का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अन्त: प्रद्रव्यी जालिका का वर्णन अन्त:प्रद्रव्यी जालिका में सूक्ष्म आशय (थैलियाँ) एवं नलिकाओं का जालक तन्त्र होता है। यह केन्द्रक झिल्ली से कोशिका झिल्ली तक कोशिकाद्रव्य में फैली रहती हैं।
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अन्तप्रद्रव्यी जालिका, जीवाणु, विषाणु, स्तनधारियों की लाल रक कणिकाओं तथा हरे-नीले शैवालों को छोड़कर सभी कोशिकाओं में पाई जाती है।

प्रश्न 5.
तारककाय का संचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तारककाय (Centrosome) का वर्णन-तारककाय जन्तु कोशिकाओं में केन्द्रक के पास पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह शैवाल तथा कवक की कोशिकाओं में भी पाया (UPBoardSolutions.com) जाता है। प्रत्येक तारककाय में तारक केन्द्र होते हैं।
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प्रश्न 6.
लाइसोसोम का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लाइसोसोम का वर्णन-लाइसोसोम 0.2 से 0.8 तक व्यास वाली इकाई झिल्ली की बनी गोलाकार या अण्डाकार संरचनाएँ होती हैं। इनमें पाचक प्रकोण्व (Digestive enzyme) पाये जाते हैं। इनमें 24 प्रकार के एन्जाइम पाये जाते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -14
लाइसोसोम यकृत, प्लीहा, श्वेत रक्त कणिकाएँ, अग्न्याशय, वृक्क, थॉयराइड ग्रन्थि आदि ऊतकों की कोशिकाओं में तथा पादप की विभाजी कोशिकाओं में पाये जाते हैं।

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प्रश्न 7.
राइबोसोम का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राइबोसोम का वर्णन-राइबोसोम्स सघन, गोलाकार, कणिकामय संरचनाएँ हैं तथा कोशिका में उपस्थित सबसे छोटे कोशिकांग हैं। इनका व्यास लगभग 250A होता है। ये केवल RNA एवं प्रोटीन से निर्मित होते हैं तथा कलाविहीन कणों के रूप में क्लोरोप्लास्ट, माइटोकॉण्ड्रिया, केन्द्रक के अन्दर या अन्त:प्रद्रव्यी जालिका के ऊपर या कोशिकाद्रव्य में स्वतन्त्र रूप से पाये जाते हैं। ये अपारदर्शी होते हैं।
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प्रश्न 8.
लवक का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लवक का वर्णन-लवक अधिकांश पादप तथा कुछ प्रकाश-संश्लेषी एक कोशिकीय जन्तुओं (Protoz0a) की कोशिकाओं में पाई जाने वाली छोटी-छोटी बिम्ब के समान, गोल अथवा अण्डाकार दोहरी दीवार युक्त संरचना होती है। ये तीन प्रकार के होते हैं

  1. अवर्णी लवक,
  2. हरित लवक तथा
  3. वर्णी लवक।
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प्रश्न 9.
प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं में अन्तर बताइये।
उत्तर-
प्रोकैरियोटिक तथा यूकैरियोटिक कोशिकाओं में अन्तर
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अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण होता है
(a) फेफड़ों में
(b) हृदय में
(c) अस्थिमज्जा में
(d) गुर्दो में।

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2. कोशिका का ऊर्जागृह कहलाता है-
(a) लाइसोसोम
(b) माइटाकण्डूया
(c) गाजीबॉडी नीलॉटी
(d) केन्द्रक।

3. राइबोसोम संश्लेषण करता है
(a) प्रोटीन का
(b) RNA का
(c) DNA का
(d) इन सभी का

4. पौधों में हरा रंग निम्न के कारण होता है
(a) वर्णी लवक
(b) अवर्णी लवक
(c) हरित लवक
(d) ये सभी।

5. मानव शरीर में सबसे बड़ी कोशिका है
(a) नर्व सेल
(b) मसल सेल
(c) लिवर सेल
(d) किडनी सेल

6. जन्तु कोशिका में प्रोटोप्लाज्म तथा अन्य वातावरण के बीच रोधिका है
(a) सेल वाल
(b) न्यूक्लियर मेम्ब्रेन
(c) टोनोप्लास्ट
(d) प्लाज्मा मेम्ब्रेन

7. शब्द सेल’ देने वाले थे
(a) ल्यूवेन हुक
(b) रॉबर्ट हुक
(c) फ्लेमिंग।
(d) रॉबर्ट ब्राउन

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8. कोशिका सिद्धान्त प्रस्तावित करने वाले थे
(a) श्लीडेन तथा श्वान
(b) वाट्सन तथा क्रिक
(c) डार्विन तथा वैलेस
(d) मेण्डेल तथा मॉर्गन

9. निम्नलिखित की अनुपस्थिति के कारण पादप कोशिका जंतु कोशिका से भिन्न होती है
(a) एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम
(b) माइटोकॉण्ड्रिया
(c) राइबोसोम
(d) सेण्ट्रियोल

10. सेन्ट्रोसोम निम्नलिखित में पाया जाता है
(a) साइटोप्लाज्मा
(b) न्यूक्लियस
(c) कोमोसोम
(d) न्यूक्लियोलस

11. कोशिका का बिजलीघर है
(a) क्लोरोप्लास्ट
(b) माइटोकॉण्डिॉन
(c) गॉल्जी अपरेटस
(d) न्यूक्लियोलस

12. कोशिका के भीतर श्वसन (ऑक्सीकरण) का स्थान है
(a) राइबोसोम
(b) गॉल्जी अपरेटस
(c) माइटोकॉण्डुिऑन
(d) एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम

13. पाचक थैला कहलाता है
(a) सेण्ट्रोसोम
(b) लाइसोसोम
(c) मेसोसोम
(d) क्रोमोसोम

14. राइबोसोम निम्नलिखित के केन्द्र हैं
(a) रेस्पिरेशन
(b) फोटोसिथेसिस
(c) प्रोटीन सिन्थेसिस
(d) फैट सिन्थेसिप

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15. द्विक झिल्ली निम्नलिखित में अनुपस्थित होती है
(a) माइटोकॉण्डुिऑन
(b) क्लोरोप्लास्ट
(c) न्यूक्लियस
(d) लाइसोसोम

16. केवल पादपों में पाये जाने वाला कोशिकांगक है
(a) गॉल्जी अपरेटस
(b) माइटोकॉण्डिया
(c) प्लास्टिड
(d) राइबोसोम

17. केन्द्रक तथा कला परिबद्ध कोशिकांगक रहित जीव हैं
(a) डिप्लॉयड्स
(b) प्रोकैरियोट्स
(c) हैप्लॉयड्स
(d) यूकैरियोट

18. जंतु कोशिका निम्नलिखित के द्वारा सीमित होती है
(a) प्लाज्मा मेम्ब्रेन
(b) सेल मेम्ब्रेन
(c) सेल वाल।
(d) बेसमेन्ट मेम्ब्रेन

19. एण्डोप्लाज्पिक रेटिकुलम का जाल निम्नलिखित में उपस्थित होता है
(a) न्यूक्लियस
(b) न्यूक्लिमेलस
(c) साइटोप्लाज्म
(d) क्रोमोसोम्स

20. लाइसोसोम निम्नलिखित के आशय (reservoirs) हैं
(a) फैट
(b) RNA
(c) सिक्रीटरी ग्लाइकोप्रोटीन्स
(d) हाइड्रोलिटिक एन्जाइम्स

21. पादप कोशिका की रसधानी को घेरनेवाली झिल्ली कहलाते हैं
(a) टोनोप्लास्ट
(b) प्लाज्मा मेम्ब्रेन
(c) न्यूक्लियर मेम्ब्रेन
(d) सेले वाल

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22. कोशिका स्रवण निम्नलिखित के द्वारा किया जात है
(a) प्लास्टिड्स
(b) एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम
(c) गॉल्नो अपरेटस
(d) न्यूक्लियोलस

23. सेण्ट्रियोल निम्नलिखित से सम्बद्ध है
(a) DNA सिन्थेसिस
(b) शिरोडक्शन
(c) स्पिण्डिल निर्माण
(d) रेस्पिरेशन

24. जंतु कोशिका और पादप कोशिका के बीच प्रमुख अंतर है
(a) न्यूट्रिशन
(b) ग्रोथ
(c) पूवमेन्ट
(d) रेस्पिरेशन

25. केन्द्रक रहित जंतु कोशिका में निम्नलिखित का भी अभाव होता है
(a) क्रोणेम
(b) राइबोसोम
(c) लाइसोसोम
(d) एन्डोप्लामिक रेटिकुलम

26. प्लाज्मोलिसिस निम्नलिखित के कारण होती है
(a) ऐब्जॉर्पशन
(b) एण्डॉस्मोसिस
(c) ऑस्मोसिस
(d) एक्सॉस्मोसिस

27. पादप कोशिका निम्नलिखित के कारण फूल जाती है
(a) प्लाज्मोलिसिस
(b) एक्सॉस्मोसिस
(c) एण्डॉस्मोरिस
(d) इलेक्ट्रोलिसिस

28. बाह्य विलयन में, निलेय सान्द्रण उच्चतर होने पर कहलाता है।
(a) हाइपोटॉनिल
(b) आइसटॉनिक
(c) हाइपरटॉनिक
(d) इनमें से कोई नहीं

29. हाइपोटॉनिक विलयन में रखी कोशिका
(a) सिकुड़ जाये।
(b) प्लाज्मोलिसिस प्रदर्शित कोगी।
(c) फूल जायेगी
(d) आकृति अथवा कार अपरिवर्तित रहे।

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30. सूर्यप्रकाश की विकिरण ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित होकर निम्नलिखित के रूप में संगृहीत होती है
(a) AMP
(b) ADP
(c) ATP
(d) APP

उत्तरमाला

  1. (d)
  2. (d)
  3. (a)
  4. (b)
  5. (a)
  6. (d)
  7. (b)
  8. (a)
  9. (d)
  10. (a)
  11. (b)
  12. (c)
  13. (b)
  14. (c)
  15. (d)
  16. (c)
  17. (b)
  18. (a)
  19. (c)
  20. (d)
  21. (a)
  22. (c)
  23. (c)
  24. (a)
  25. (a)
  26. (d)
  27. (c)
  28. (c)
  29. (c)
  30. (c)

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 32 लाल बहादुर शास्त्री (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 32 लाल बहादुर शास्त्री (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, सन् 1904 को मुगलसराय (तत्कालीन वाराणसी वर्तमान चंदौली) के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम । शारदा प्रसाद तथा माता का नाम राजदुलारी देवी था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर लालबहादुर वाराणसी आ गए। पढ़ने-लिखने में इनकी विशेष रुचि थी। वे बहुत ही सीधे, साधे शांत और सरल स्वभाव के विद्यार्थी थे। जब लाल बहादुर बनारस के हरिश्चन्द्र हाई स्कूल में पढ़ रहे थे उस समय लोकमान्य बालगंगाधर तिलक का (UPBoardSolutions.com) नारा “स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है” पूरे देश में गूंज रहा था। इससे उन्हें देश प्रेम की प्रेरणा मिली। कुछ दिनों बाद बनारस में उन्हें गांधी जी को पहली बार देखने का अवसर मिला। उनके भाषण से वे बहुत प्रभावित हुए। अब वे पढ़ाई के साथ-साथ स्वराज आन्दोलन में भी भाग लेने लगे। गांधी जी का असहयोग आंदोलन आरंभ हुआ। लाल बहादुर भी पढ़ाई छोड़कर आन्दोलन में कूद पड़े।

आजादी की लड़ाई में उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। बाद में लाल बहादुर काशी विद्यापीठ में शिक्षा ग्रहण करने लगे। सन 1926 में उन्होंने शास्त्री की परीक्षा पास की। अब वे लाल बहादुर से लाल बहादुर शास्त्री बन गए। अध्ययन समाप्त कर शास्त्री जी देश सेवा में सक्रिय हो गए। उनकी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा एवं परिश्रम से प्रभावित होकर पंडित नेहरू ने उन्हें आनंद भवन में बुला लिया। देश स्वतंत्र हुआ। प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में रेल मंत्री बनाया। फिर बाद में उन्हें उद्योग मंत्री तथा स्वराष्ट्र मंत्री का दायित्व दिया गया। उन्होंने सभी पदों पर बड़ी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य किया।

पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद शास्त्री जी सर्वसम्मति से भारत के प्रधानमंत्री बने। इनके प्रधानमंत्री बनने के कुछ समय बाद ही भारत पर पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया। इनके कुशल नेतृत्व (UPBoardSolutions.com) में युद्ध में भारत की जीत हुई। इस जीत ने भारत का मस्तक ऊँचा कर दिया। युद्ध समाप्त होने के बाद रूस में भारत-पाकिस्तान के बीच ताशकंद समझौता हुआ। 10 जनवरी, सन 1966 की रात को हृदय गति रुक जाने से ताशकंद में ही उनका निधन हो गया। भारत ने अपने इस लोकप्रिय नेता को सदा-सदा के लिए खो दिया।

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अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

प्रश्न 1.
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर :
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म मुगलसराय (तत्कालीन वाराणसी वर्तमान चन्दौली) में। हुआ था।

प्रश्न 2.
शास्त्री जी ने रेल मंत्री का पद क्यों छोड़ा?
उत्तर :
उनके रेल मंत्री रहते एक भीषण रेल दुर्घटना हुई। शास्त्री जी ने दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री का पद छोड़ दिया तथा अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

प्रश्न 3.
देश में खाद्यान्न की समस्या होने पर शास्त्री जी ने क्या किया?
उत्तर :
देश में खाद्यान्न की समस्या को देखते हुए शास्त्री जी ने “जय-जवान, जय-किसान” का नारा देकर देश वासियों के स्वाभिमान को जगाया और देश में हरित क्रांति प्रारंभ हुई जिसके परिणाम स्वरूप भारत-खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना।

प्रश्न 4.
शास्त्री जी के स्वभाव की क्या-क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर :
शास्त्री जी स्वभाव से सीधे-सादे, सच्चे, सरल हृदय, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ एवं परिश्रमी व्यक्ति थे।

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प्रश्न 5.
लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर दस वाक्य लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 6.
इन महापुरुषों के लोकप्रिय नारे कौन से थे ?
जैसे :- पं० जवाहर लाल नेहरू – आराम हराम है।
महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चंद्र बोस
उत्तर :
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प्रश्न 7.
वर्षों को घटनाओं से जोड़िए –
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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 36 लोकनायक जयप्रकाश नारायण (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 36 लोकनायक जयप्रकाश नारायण (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म बिहार के सिताबदियारा गाँव में (अब उ०प्र० में) 11 अक्टूबर, 1902 को हुआ था। इनके पिता का नाम हरसूदयाल तथा माता का नाम श्रीमति फूल रानी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पटना के कालेजिएट स्कूल में हुई। यहाँ से इन्होंने हाई स्कूल पास किया। आगे की शिक्षा के लिए इन्होंने पटना कॉलेज, पटना में प्रवेश लिया। सन् 1922 में उच्च शिक्षा की के लिए अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। शिक्षा पूरी कर स्वदेश लौटने (UPBoardSolutions.com) के बाद वे भारतीय राजनीति में सक्रिय हो गए। उस समय भारत में गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चल रहा था। वे भी एक सच्चे राष्ट्रभक्त की तरह स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ गए।

जयप्रकाश नारायण समाजवादी सिद्धातों से प्रभावित थे। स्वतंत्रता आंदोलन में वे कई बार जेल गए। गांधी जी जयप्रकाश नारायण को भारतीय समाज का सबसे बड़ा विद्वान मानते थे। 1946 में गांधी जी ने उनका नाम कांग्रेस अध्यक्ष के लिए प्रस्तावित किया किन्तु कांग्रेस की कार्य कारिणी ने इसे स्वीकार नही किया। सन् 1948 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भारतीय समाजवादी पार्टी की स्थापना की। 1952 में वे आचार्य बिनोवा भावे के नेतृत्व में चलाए जा रहे सर्वोदय

आंदोलन व भूदान आंदोलन से जुड़ गए। उन्होंने सरकार एवं सत्ता में कभी कोई पद स्वीकार नहीं किया। 8 अक्टूबर 1979 को इनकी मृत्यु हो गई उनके विचार, उनके सिद्धांत सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
प्रश्न 1.
जयप्रकाश नारायण का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को बिहार के सिताबदिलारा गाँव, (अब उ०प्र०) में हुआ था।

प्रश्न 2.
जयप्रकाश नारायण के माता-पिता का नाम बताइए।
उत्तर :
जयप्रकाश नारायण के माता का नाम श्री (UPBoardSolutions.com) मति फूलरानी तथा पिता का नाम हरसूदयाल था।

प्रश्न 3.
गांधी जी ने समाजवाद का सबसे बड़ा विद्वान किसको माना?
उत्तर :
गांधी जी ने समाजवाद का सबसे बड़ा विद्वान जयप्रकाश नारायण को माना।

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प्रश्न 4.
जयप्रकाश नारायण के राष्ट्रवाद पर क्या विचार थे? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
वे सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र के आमूल परिवर्तन के पक्षधर थे। वे समाजवाद के समर्थक थे। उनकी दृष्टि में समाजवाद का उद्देश समाज को समन्वित विकास करना था। समाजवाद के संबंध में (UPBoardSolutions.com) उनके विचार थे कि भारतीय संस्कृति के मूल्लों को सुरक्षित रखते हुए भी हम देश में समाजवाद ला सकते हैं क्योंकि भारतीय पंरपराएँ कभी भी शोषणवादी नहीं रहीं हैं।

जय प्रकाश नारायण के समग्र जीवन दर्शन से स्पस्ट है कि वे ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ के वास्तविक पोषक थे।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi निबन्ध रचना

UP Board Solutions for Class 6 Hindi निबन्ध रचना

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गाय

गाय एक चौपाया पशु है। पशुओं में गाय को सबसे अधिक उपयोगी माना जाता है। यह अनेक रंगों की होती है परन्तु विशेष रूप से सफेद, भूरी काली व चितकबरी होती है। नस्ल की दृष्टि से भी गाय हरियाणा, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश की अलग-अलग होती हैं। हरियाणा व पंजाब की गाय की अपेक्षा उत्तर प्रदेश की गाय शरीर में बड़ी होती हैं परन्तु उत्तर प्रदेश की गाय की अपेक्षा हरियाणा की गाय अधिक दूध देती है। संसार भर में रूस, अमेरिका, स्विटजरलैंड तथा डेनमार्क की गायें सबसे अधिक दूध देती है। गाय का मुख्य भोजन भूसा व घास है। खली के साथ भूसे को गाय बड़े चाव से खाती है। यह हरे चारे को भी पसन्द करती है। (UPBoardSolutions.com)समय पर चारा न मिलने पर भी यह धैर्य के साथ अपने स्थान पर बैठी रहती है। गाय से हमें अनेक लाभ हैं। सबसे मुख्य बात तो यह है कि यह हमें स्वास्थ्यवर्धक एवं बुधिवर्धक अमृत जैसा दूध देती है। इसका दूध छोटे बच्चों एवं रोगियों के लिए बहुत ही उपयोगी है। गाय के बछड़े बड़े होकर हमारी खेती के काम आते हैं। गाय का गोबर खाद बनाने व ईंधन के काम भी आता है। अब तो गोबर से गैस भी बनाई जाने लगी है। गाय का मूत्र अनेक दवाइयों में काम आता है। गाय हमारे लिए सभी प्रकार से उपयोगी है।

सार रूप में कहा जा सकता है कि गाय एक उदार स्वभाव वाली, उपयोगी व लाभकारी पशु है। भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में इसका महत्त्व एवं उपयोग है।

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विजयादशमी (दशहरा)

दशहरा हिन्दुओं का प्रसिद्ध व पवित्र त्योहार है। यह त्योहार क्वार के महीने में शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। यह त्योहार हर गाँव अथवा शहर में बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। बच्चे-बूढ़े और जवान सभी इस त्योहार की प्रतीक्षा किया करते हैं। इस दिन विजया देवी की पूजा की जाती है।

इस त्योहार के विषय में एक कथा प्रचलित है कि लंका का राजा रावण बहुत ही अत्याचारी था। उसके शासन में साधु-सन्तों, ऋषि-मुनियों को धर्म-पालन करना कठिन हो गया था। पाप बहुत बढ़ गया था। जब रामचन्द्र जी, सीता जी और लक्ष्मण के साथ वन में थे तो रावण ने छल करके सीता का हरण कर लिया। पाप के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए श्रीराम ने रावण का वध किया और लंका का राज्य रावण के भाई विभीषण को सौंप दिया था। भगवान श्रीराम की गौरव गाथा (UPBoardSolutions.com) की याद दिलाने के लिए जगह-जगह पर राम-रावण का युद्ध दिखाया जाता है। बहुत स्थानों पर तो सुन्दर-सुन्दर आकर्षक झाँकियाँ निकाली जाती हैं। दशहरे के दिन रावण का पुतला जला देने के साथ ही रामलीला समाप्त हो जाती है। यह अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है।

दीपावली

यह त्योह्मर कार्तिक महीने की अमावस्या को होता है। इस त्योहार पर रात में विशेष रूप से दीपक जलाकर प्रकाश किया जाता है। इसलिए इसे दीपावली या दीपमालिका के नाम से पुकारते हैं।

दीपावली का त्योहार किस कारण से मनाया जाता है? इस विषय में अनेक मत प्रचलित हैं। कुछ लोग मानते हैं कि श्रीरामचन्द्र जी रावण का विनाश करके, सीता जी तथा लक्ष्मण जी के साथ 14 वर्ष के बाद अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने अपनी खुशी प्रकट करने के लिए अयोध्या को दीपकों से सजाया था। बस तभी से दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा। लोगों का एक अन्य मत है। , कि इस दिन धन की देवी लक्ष्मी जी \ भूमि पर यह देखने के लिए आती हैं कि मेरी मान्यता कहाँ, (UPBoardSolutions.com) किसके यहाँ, कैसी है। कौन मेरा सम्मान व पूजा करता है। इसीलिए हर एक आदमी अपने घर को . लक्ष्मी जी के आगमन की सम्भावना से सजाता है और लक्ष्मी जी की कृपा की आशा करता हैं।

इस त्योहार की तैयारी कई दिन पूर्व से ही की जाने लगती है। प्रत्येक व्यक्ति मकान, दुकान आदि को अच्छी तरह से सजाता है। दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस होती है। इस दिन बाजार से नए बर्तन खरीदकर लाने का प्रचलन है। अगले दिन छोटी दीपावली होती है, इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इसके अगले दिन दीपावली का मुख्य त्योहार होता है इस दिन नर-नारी, बालक-बच्चे सभी प्रसन्न व व्यस्त दिखाई पड़ते हैं। सायंकाल होने पर श्रीगणेश, लक्ष्मी जी का पूजन . दीप जलाकर चावल, खील-बतासे, मिठाई व फल-फूलों से किया जाता है। इसके बाद मनुष्य अपने घरों, दुकानों को व अन्य भवनों को दीप, मोमबत्तियों व (UPBoardSolutions.com) बिजली के बल्बों से सजाते हैं। बाजारों में भी बहुत अधिक रोशनी एवं सजावट की जाती है। दीपावली से अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है तथा उससे अगले दिन भैया दूज का पर्व मनाया जाता है।

इस त्योहार की प्रतीक्षा सभी नर-नारी किया करते हैं। बच्चों के लिए तो यह मिठाई का त्योहार माना जाता है। यह त्योहार खुशी व उमंग का त्योहार है। इस पर्व के बहाने घरों की सफाई हो जाती है। वर्षा के दिनों में जो गंदगी सीलन हो जाती है, वह सब लिपाई-पुताई के कारण दूर हो जाती है। कुछ लोग इस अवसर पर जुआ भी खेलते हैं। जुआ खेलना पर्व की पवित्रता एवं समाज के सुखद वातावरण को दूषित कर देता है। इस अवसर पर हमें बुरे काम नहीं करने चाहिए। दीपावली वास्तव में एक अद्वितीय पर्व है।

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जन्माष्टमी

हिन्दुओं के प्रमुख त्योहार में जन्माष्टमी का प्रमुख स्थान है। यह वर्षा ऋतु का प्रधान त्योहार है। भ्राद्रपद की अष्टमी, श्रीकृष्ण की स्मृति में मनायी जाती है। श्रीकृष्ण के जीवन की झाँकियाँ सजाई जाती हैं, मन्दिर (UPBoardSolutions.com) और घर सजाए जाते हैं, व्रत रखते हैं, कीर्तन करते हैं।

श्रीकृष्ण के जीवन से तपस्या, त्याग, परोपकार, कठिन परिश्रम, न्याय और सत्यपालन की शिक्षा मिलती है। श्री कृष्ण के आदर्श चरित्र का अधिक प्रचार होना चाहिए। हमें इस त्योहार को बड़े उत्साह से मनाना चाहिए।

होली

होली हमारे देश का प्रसिद्ध त्योहार है। यह प्रत्येक वर्ष फाल्गुन के महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। प्रत्येक हिन्दू इस त्योहार के आने की प्रतीक्षा करता है।

पुराणों में एक कथा है कि इस दिन भक्त प्रहलाद की बुआ होलिका अपने भाई के आदेशानुसार प्रहलाद को गोदी में लेकर आग में बैठ गई। भगवान की कृपा से भक्त प्रहलाद बच गया और होलिका जलकर राख हो गई। इसी खुशी में हिन्दू लोग इस दिन को होली के रूप में मनाते हैं।

फाल्गुन आने से पूर्व माघ मास की बसन्त पंचमी से ही इस त्योहार का श्रीगणेश हो जाता है। बसन्त पंचमी के दिन किसी सार्वजनिक स्थल, चौराहे पर होली के लिए बच्चे ईंधन, लकड़ी, उपले आदि एकत्र (UPBoardSolutions.com) करना शुरू कर देते हैं। होली के दिन तक यह बहुत बड़े ढेर (होली) के रूप में बदल जाता है। कुछ प्रमुख व्यक्ति शुभ मुहूर्त में होली को आग लगाते हैं। सभी व्यक्ति आनन्द से जौ की बालियाँ भुनकर अपने मित्रों, संबधियों में बाँट-बाँटकर खाते हैं और गले मिलते हैं।

अगले दिन प्रातः से ही मस्ती का वातावरण बन जाता है। छोटे-बड़े बच्चे, जवान, बूढे, नर-नारी सभी में रंग-गुलाल, पिचकारी के लिए एक-दूसरे को रंग में रंग देने की होड़ लग जाती है इस त्योहार पर कोई छोटा-बड़ा नहीं रहता। सभी गले मिलते हैं और प्रेम का व्यवहार करते हैं।

इस त्योहार पर बहुत से व्यक्ति रंग-गुलाल की जगह गंदगी फेंक देते हैं, जो कि अच्छा नहीं है। हमें इन बुराइयों को दूर करना चाहिए। दोपहर बाद सभी नहा-धोकर एक स्थान पर या एक-दूसरे । के घर (UPBoardSolutions.com) जाकर मिलते हैं और आपस में मिल-बैठकर खाते-पीते हैं। वास्तव में होली मित्रता, प्रेम मिलन एवं सद्भावना का त्योहार है।

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रक्षाबंधन

रक्षाबंधन भारत का बहुत की प्राचीन और महत्त्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भाई अपनी बहनों की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा करते हैं।

रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्योहार को श्रावणी, सलूनो आदि नामों से भी पुकारा जाता है।

प्राचीनकाल से इस त्योहार के बारे में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। इनमें से एक कहानी तो बहुत प्रसिद्ध है- कहते हैं कि एक बार देवताओं और राक्षसों में भयंकर युद्ध छिड़ गया। धीरे-धीरे देवताओं का बल घटने लगा और ऐसा लगने लगा जैसे देवता हार जाएँगे। देवताओं के राजा इन्द्र को इससे बड़ी चिन्ता हुई। इन्द्र के गुरु ने विजय के लिए श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन इन्द्र के हाथ में रक्षा कवच बाँधा। इसके प्रभाव से राक्षस हार गए। कहा जाता है कि तभी से रक्षाबंधन का यह त्योहार आज तक मनाया जाता है।

रक्षाबंधन को मनाने के विषय में एक दूसरी कथा भी प्रचलित है। एक समय चितौड़ की रानी कर्मवती पर गुजरात के राजा ने आक्रमण कर दिया। कर्मवती ने सम्राट हुमायूँ के पास राखी भेजी थी। हुमायूँ ने (UPBoardSolutions.com) कर्मवती को अपनी धर्म की बहन मानकर रक्षा का प्रयास किया। वास्तव में रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहन के पावन प्रेम को प्रकट करता है।

रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए कई दिन पूर्व से तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। बाजार से सुन्दर-सुन्दर राखियाँ खरीदी जाती हैं। जो भाई बाहर रहते हैं, उनके लिए बहनें राखियाँ डाक द्वारा भेजती हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन प्रात:काल से ही एक निराली प्रसन्नता-सी छाई रहती है। सफाई आदि के बाद दीवारों पर चित्र बनाए जाते हैं। इस दिन घरों में खीर, सेवई आदि बनाई जाती हैं। राखी की पूजा होती है। बहन-भाई नए-नए वस्त्र धारण करते हैं। बहनें अपने भाइयों के हाथ में राखी बाँधती हैं तथा मिठाई देती हैं। भाई अपनी बहनों की रक्षा की प्रतिज्ञा करते हैं तथा दक्षिणा में रुपए भी देते हैं। इस दिन घरों में भी बहनें राखी बाँधने के लिए आती हैं तथा दक्षिणा पाती हैं। वास्तव में यह त्योहार भाई-बहन के असीम स्नेह का प्रतीक है। संध्या के समय मेले में जाते हैं। इस प्रकार पूरे दिन प्रसन्नता का वातावरण रहता है।

रक्षाबंधन भारत का एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार से (UPBoardSolutions.com) व्यक्तियों में स्नेह एवं कर्तव्य पालन की भावना जाग्रत होती है। हम सभी को इस त्योहार की पवित्रता एवं शुद्धता बनाए रखनी चाहिए।

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वर्षा ऋतु

प्रायः ऋतुएँ तीन प्रकार की होती हैं- (1) ग्रीष्म ऋतु (2) वर्षा ऋतु तथा (3) शरद ऋतु।। इन सब ऋतुओं में वर्षा ऋतु का विशेष महत्त्व है। ग्रीष्म ऋतु की तेज गर्मी से पृथ्वी के सभी मनुष्य, जीव-जन्तु व्याकुल हो जाते हैं। सभी जीव पानी एवं छाया की तलाश में बेचैन हो जाते हैं। सभी व्यक्ति आकुल होकर ईश्वर से वर्षा के लिए प्रार्थना करने लगते हैं, तब जाकरे कहीं वर्षा का आगमन होता है।

प्रायः वर्षा ऋतु का समय जुलाई मास से लेकर अक्टूबर मास तक होता है। जुलाई में भगवान इन्द्र की कृपा से आकाश में काले-काले बादल दिखाई पड़ने लगते हैं। बिजली चमकती है और पानी बरसने लगता है। ग्रीष्म ऋतु की गर्मी से तपती हुई धरती की प्यास शांत हो जाती है।

वर्षा ऋतु के आरम्भ होते ही ग्रीष्म ऋतु की गर्म हवाएँ, जिन्हें लू भी कहा जाता है, ठंडी, मन को लुभाने वाली हवाओं में बदल जाती हैं। आकाश में काले एवं सफेद बादल छा जाते हैं। बिजली चमकने लगती है, तेज वर्षा होने लगती है। वर्षा से सब जगह जल ही जल दिखाई देने लगता है। सरोवर आदि जल से भर जाते हैं। पशु-पक्षी चैन का अनुभव करते हैं। मेंढक बोलने लगते हैं। कोयल पंचम स्वर में गाना आरम्भ कर देती है। अनेक प्रकार के कीड़े पृथ्वी पर रेंगते दिखाई देते हैं। किसान हल लेकर (UPBoardSolutions.com) खेतों की ओर चल पड़ते हैं। आम, जामुन, अमरूद आदि फल आने लगते हैं। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दृष्टिगोचर होती है। चारों तरफ एक अनोखी सुगन्ध छा जाती है। वास्तव में वर्षा ऋतु का समय बड़ा सुहावना होता है। ऐसे समय में आनंदित होकर लोग श्रावण (सावन) के गीत गाने लगते हैं।

वर्षा के अनेक लाभ हैं। वर्षा प्रत्येक जीव का प्राण है। इसके द्वारा ही मनुष्यों को अनाज प्राप्त, होता है तथा पशुओं को हरा चारा मिलता है। यदि वर्षा न हो, तो पृथ्वी के सभी जीव तड़पने लगेंगे। अतः वर्षा का मानव जीवन में अत्यन्त महत्त्व है।

लाभ के साथ-साथ वर्षा से कुछ हानियाँ भी हैं। इससे कच्चे स्थानों पर कीचड़ जमा हो जाती है। गड्ढों में जल भर जाने से मच्छर पैदा हो जाते हैं। बहुत से मकान वर्षा से गिर जाते हैं। कई बार अधिक वर्षा के कारण फसलों का विनाश हो जाता है। अधिक वर्षा से बाढ़ भी आ जाती है, जिससे जान व माल दोनों का विनाश होता है।

उपर्युक्त हानियों के साथ-साथ वर्षा ऋतु का मानव जीवन में विशेष महत्त्व है। इस ऋतु से होने वाली हानियों से बचाव के प्रयास करने चाहिए। वर्षा ऋतु मानव जीवन के लिए बड़ी उपयोगी, लाभदायक एवं सुहावनी होती है। ग्रीष्म से परेशान व्यक्ति वर्षा ऋतु में एक विशेष प्रसन्नता का अनुभव करता है।

मेले का वर्णन

हमारे देश में मेलों का विशेष महत्त्व है। मेलों के द्वारा मनुष्य अपने मन में प्रसन्नता का अनुभव करता है। उत्तर प्रदेश में भी अनेक मेले लगते हैं, जैसे- बूढ़े बाबू का मेला, गंगा मेला और नौचंदी का मेला आदि। इनमें गंगा स्नान का मेला सबसे महंत्त्वपूर्ण है। गढ़मुक्तेश्वर का मेला उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध मेला है, जो गाजियाबाद जिले में लगता है।

यह मेला कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन लगता है। कार्तिक (UPBoardSolutions.com) पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्त्व है। लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान करने के लिए आते हैं। गढ़ में गंगा के किनारे एक नया नगर-सा बस जाता है। चारों तरफ तंबू-डेरा दिखाई देते हैं।

इस मेले का प्रबन्ध जिला परिषद द्वारा किया जाता है। मेले में पुलिस के जवान व्यवस्था करते हैं। पूरे मेले को अनेक भागों में बाँट दिया जाता है, जिससे प्रबन्ध में कोई परेशानी न हो।

हम लोग भी मेले के दृश्य देखने और गंगा स्नान करने के लिए गए। वहाँ देखा कि गाड़ियों की कतार लगी हुई है। यात्रियों के ठहरने के लिए तंबू लगे हुए हैं। सड़कों के दोनों ओर दुकानें लगी हुई हैं। सड़कों पर पैदल चलने वालों की भारी भीड़ थी, जिससे चलना भी मुश्किल हो रहा था।

लोग सड़कों और मार्गों के सुहावने दृश्य देखते हुए ‘गंगा मैया की जय’ बोलते हुए मेले के मुख्य द्वार पर पहुँचते हैं। स्त्रियाँ गीत गाती हैं। मेले में पहुँचकर सबसे पहले लोग गंगा स्नान करते है। गंगा का दृश्य बड़ा सुन्दर (UPBoardSolutions.com) होता है। कोई गंगा में नहाता है, कोई तैरता है, कोई फूल चढ़ाता है। और कोई गंगा में दीपक जलाता है। कहीं पर कथा होती है, कहीं पर पंडे बैठे रहते हैं, कहीं पर स्नान करने वाले को चंदन घिसकर लगाया जाता है।

मेले का बाजार भी बड़ा लम्बा-चौडा लगा हुआ था। हलवाइयों, चाय वालों, चाट वालों और होटलों की भी काफी अधिक संख्या थी। मेले में कंबल, दरी, लिहाफ, चादर आदि भी बिक रहे थे। मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध थे। रेडियो, लाउडस्पीकर की ध्वनि भी मेले की रौनक बढ़ा रही थी। सभी ओर खुशी ही खुशी नजर आ रही थी।

गढ़मुक्तेश्वर का मेला एक धार्मिक मेला है। गंगा का जल ठंडा होता है फिर भी हिन्दू लोग श्रद्धा भाव से इस जल में स्नान करते हैं क्योंकि गंगा में स्नान करना पुण्य समझा जाता है। इससे लोगों में प्रेम और एकता का भाव उत्पन्न होता है। यह मेला हमारी प्राचीन सभ्यता की याद दिलाता है। इस प्रकार गंगा स्नान के मेले का अपना विशेष महत्त्व है।

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हमारा विद्यालय

हमारे विद्यालय का नाम डी०ए०वी० इन्टर कॉलेज है। हमारे विद्यालय में लगभग 54 कमरे हैं। सभी कमरे पक्के और साफ हैं। विद्यालय में बैठने के लिए कुर्सी और मेज हैं। प्रत्येक कक्षा में श्याम-पट भी है।

हमारे विद्यालय में खेल-कूद का मैदान भी है। हमारे (UPBoardSolutions.com) विद्यालय में बगीचा भी है, जिसमें रंग-बिरंगे फूल खिले रहते हैं। हमारे विद्यालय के पास फसल हेतु भूमि भी है।

हमारे विद्यालय के प्रधानाचार्य बड़े महान हैं। वे एक योग्य प्रशासक एवं कर्मठ व्यक्ति हैं। हमारे विद्यालय में 65 अध्यापक हैं। सभी अध्यापक योग्य एवं अनुभवी हैं। हमारे विद्यालय में लगभग दो हजार छात्र पढ़ते हैं। सभी छात्र आज्ञाकारी एवं परिश्रमी हैं। हमारे विद्यालय में एक पुस्तकालय है, जहाँ छात्र बैठकर पुस्तक पढ़ते हैं हमारे विद्यालय में कृषि एवं विज्ञान आदि विषयों की शिक्षा दी जाती है। हमारे विद्यालय में विज्ञान की प्रयोगशालाएँ हैं, जिनमें छात्रों को प्रयोगात्मक कार्य कराया जाता है। हमारे विद्यालय में खेल-कूद का भी उत्तम प्रबन्ध है विद्यालय की छुट्टी के बाद शाम को, खेल-कूद आरम्भ होते हैं। लगभग 100 छात्र प्रतिदिन खेल के मैदान में अनेक प्रकार के खेल (जैसे- कबड्डी, फुटबॉल, क्रिकेट, दौड़, खो-खो आदि) खेलते हैं।

हमारे विद्यालय का परीक्षाफल भी बहुत अच्छा रहता है। यहाँ के छात्रों ने आगे चलकर बड़े पदों को ग्रहण किया है। हमारे विद्यालय में ईश्वर की पूजा के लिए प्रार्थना की जाती है तथा नैतिक शिक्षा भी दी जाती है, (UPBoardSolutions.com) जिससे छात्रों में धर्म के प्रति आस्था बनी रहे। इसके अतिरिक्त हमारे यहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। इस प्रकार हमारे विद्यालय में छात्रों का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है।

हमारे विद्यालय में गुरु एवं छात्रों का सम्बन्ध बड़ा मधुर है। सभी छात्र अपने गुरुओं की आज्ञा का पालन करते हैं। इस प्रकार हमारा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय है। मैं भगवान से प्रार्थना करता हैं कि हमारा विद्यालय उन्नति के पथ पर और अधिक अग्रसर हो।

रेलयात्रा का वर्णन

एक दिन मेरे पिता जी ने मुझे बताया कि मेरी मौसी की शादी 27 जनवरी की है। उन्होंने कहा कि हमें 25 तारीख की सुबह ही मेरठ चलना है। रेलगाड़ी ठीक सात बजे अलीगढ़ से मेरठ के लिए चल देती है। मैं तो बहुत ही प्रसन्न हुआ। 25 तारीख की सुबह साढ़े छह बजे हम रेलवे स्टेशन की ओर चल दिए और रिक्शा पर सवार होकर स्टेशन पर जा पहुंचे।

जिसे समय हम स्टेशन पर पहुँचे, वहाँ काफी चहल-पहल थी। पिता जी उस समय टिकट खरीदने चले गए। लोगों की भीड़ इधर से उधर आ-जा रही थी। ट्रेन अभी तक स्टेशन पर नहीं आई थी। इतने में पिता जी टिकट लेकर आ गए और हम लोग भी प्लेटफार्म पर जा पहुँचे। यहाँ काफी लोग इधर से उधर घूम रहे थे। इतने में ही गाड़ी धड़-धड़ाती हुई आ पहुँची। सैकड़ों यात्री गाड़ी में से उतरने और चढ़ने लगे। हम लोग भी ठीक प्रकार से बैठ गए। थोड़ी ही देर में गाड़ी ने सीटी बजाई और गार्ड ने हरी झंडी हवा में हिला दी। गाड़ी धीरे-धीरे आगे को खिसकने लगी।

इस समय काफी ठंड पड़ रही थी। सूर्य निकल आया था। गाड़ी भी पूरी गति से भाग रही थी। दूर तक हरे-भरे खेत सुहावने लग रहे थे। गाड़ी की तेज गति के कारण पेड़-पौधे तथा खंभे आदि सभी पीछे को भागते हुए से लग रहे थे। यद्यपि हवा बड़ी तेजी से चल रही थी किंतु मैं तो खिड़की के पास ही बैठा रहा। छोटे-छोटे स्टेशनों को पार करती हुई गाड़ी खुर्जा (UPBoardSolutions.com) आकर ठहरी। यहाँ हमें दूसरी ट्रेन में बैठना था। मैं अपने पिता जी के साथ डिब्बे से नीचे उतरा। यहाँ स्टेशन पर अधिक भीड़ नहीं थी। पिता जी ने एक प्याला चाय पी। इतने में ही गाड़ी ने सीटी दी और हम तुरन्त डिब्बे में जा बैठे। यहाँ से चलकर हमारी गाड़ी बुलन्दशहर, गुलावटी तथा हापुड़ आदि स्टेशनों पर रुकी।

जहाँ-जहाँ गाड़ी रुकती थी, वहाँ-वहाँ अनेक यात्री उस पर सवार होते थे तथा बहुत से उतर भी जाते थे। हापुड़ के प्लेटफार्म पर तो बड़ी भीड़ थी। हमारे डिब्बे में तो एकदम तीस-पैंतीस यात्री चढ़ गए। बड़ी धक्का-मुक्की हुई। हापुड़ में एक टिकट चैकर महोदय ने हमारे डिब्बे में सबके टिकट देखे। एक यात्री ऐसा था, जिसके पास टिकट नहीं थी। (UPBoardSolutions.com) उन्होंने उसे तुरन्त पुलिस के हवाले कर दिया। यहाँ से हमारी गाड़ी ठीक 11 बजे चल दी। इस समय चारों ओर धूप ही धूप दिखाई पड़ रही थी। गाड़ी छुक-छुक की ध्वनि करती हुई चली जा रही थी। लगभग 12 बजे हमारी गाड़ी मेरठ जा पहुँची।

स्टेशन पर काफी भीड़ थी। पिता जी ने तुरन्त ही एक कुली को बुलाया और सामान ले चलने को कहा। मैं भी डिब्बे से नीचे उतर आया। जैसे ही हम लोग प्लेटफार्म के मुख्य द्वार पर पहुँचे, वहाँ पर खड़े हुए एक व्यक्ति ने हमारे टिकट ले लिए और हम सबको बाहर जाने दिया। बाहर आकर हमने शांतिनगर मोहल्ले के लिए ताँगा लिया और घर की ओर चल दिए।

यह मेरी पहली रेलयात्रा थी। मैं अपनी इस रेलयात्रा को कभी नहीं भूल सकता।

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फुटबॉल मैच

हमारे विद्यालय में कक्षा 6 की टीम ने कक्षा 7 की टीम के साथ फुटबॉल को मैच खेलने का निश्चय किया। मैच शाम को साढ़े चार बजे आरम्भ होना था।

उस दिन फुटबॉल का मैदान पूर्ण रूप से स्वच्छ किया गया था। मैदान के चारों ओर सफेद रेखा खिची हुई थी और दोनों किनारों पर दो-दो गोल खंबे खड़े हुए थे। मैदान के चारों ओर अनेक छात्र एकत्र थे। ठीक सा1ढ़े चार बजे रेफरी महोदय ने सीटी बजाई और दोनों टीमें मैदान में उतर पड़ीं। फुटबॉल को मैदान के बीच में रखा गया और रेफरी के संकेत देते ही खेल आरम्भ हो गया। गेंद खिलाड़ियों के पैरों की चोट से इधर-उधर दौड़ने लगी। कभी वह आकाश में ऊपर जाती तो कभी मैदान में सरपट दौड़ लगाती थी। जब कहीं नियम भंग होता था तो रेफरी सीटी बजाकर खेल , को रोक देते थे और खेल फिर वहीं से शुरू करना पड़ता था। (UPBoardSolutions.com) लगभग 15 मिनट तक बेचारी गेंद ठोकर खाती रही और एक भी गोल नहीं हुआ। कक्षा 6 की टीम का कप्तान मोहन बड़ा फुर्तीला था। उसने विपक्षी टीम से गेंद छीन ली। गोल-रक्षक अब्दुल ने गेंद को तुंरत रोककर वापस फेंक दिया और गोल होते-होते बच गया। इसी समय रेफरी महोदय ने मध्यावकाश की घोषणा कर दी। खेल रुक गया और खिलाड़ी थोड़ी देर के लिए विश्राम करने को चल दिए।

ठीक दस मिनट बाद खेल फिर शुरू होने की सीटी बजी। दोनों टीमों ने खेल शुरू कर दिया। दोनों टीमें एक-दूसरे को गेंद देते हुए उसे लेकर आगे बढ़ीं किंतु मोहन ने जोर से किक मारी, गेंद गोल के जाल से जा टकराई। चारों ओर से ‘गोल-गोल’ की आवाजें आने लगीं तथा जोर से तालियाँ बज उठीं। गेंद को फिर बीच में रखा गया और खेल फिर शुरू हुआ। खेल बड़े उत्साह से खेला जाने लगा। खेल समाप्त होने में केवल चार मिनटे शेष थे। थोड़ी देर बाद ही लम्बी सीटी बजी और खेल समाप्त हो गया।

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