UP Board Solutions for Class 10 Hindi पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)

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पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)

अतिलघु उत्तरीय प्रज

प्रश्न 1
भक्तिकाल का यह नाम क्यों पड़ा ?
उत्तर
इस काल की रचनाओं में भक्ति-भावना की अधिकता होने के कारण इसका नाम ‘भक्तिकाल रखा गया, जो सर्वथा उपयुक्त है। भक्तिकाल में कबीर, जायसी, सूर, तुलसी जैसे भक्त कवियों ने भक्ति काव्यों की (UPBoardSolutions.com) रचना की।

प्रश्न 2
भक्तिकाल के चार प्रमुख कवियों और उनकी मुख्य रचनाओं के नाम लिखिए।
या
भक्तिकाल के दो प्रमुख कवियों और उनकी प्रसिद्ध कृति का नाम लिखिए। [2009]
या
भक्तिकाल के किसी एक कवि का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर
भक्तिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ हैं—

  1. कबीरदास-बीजक,
  2. जायसी–पद्मावत,
  3. सूरदास—सूरसागर तथा
  4. तुलसीदास–श्रीरामचरितमानसः ।

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प्रश्न 3.
भक्तिकाल की दो शाखाओं का नामोल्लेख कीजिए तथा बताइए कि ‘श्रीरामचरितमानस की रचना में रचनाकार का क्या उद्देश्य निहित, था ?
उत्तर
भक्तिकाल की दो शाखाएँ थीं—

  1.  निर्गुण-भक्ति शाखा तथा
  2.  सगुण-भक्ति शाखा।
    ‘श्रीरामचरितमानस’ की रचना में तुलसीदास जी का (UPBoardSolutions.com) उद्देश्य था-मर्यादापुरुषोत्तम राम के शील, शक्ति और सौन्दर्य समन्वित स्वरूप के प्रस्तुतीकरण द्वारा लोक-मंगल की साधना।

प्रश्न 4
भक्तिकाल की चारों काव्यधाराओं के नाम लिखिए।
उत्तर
भक्तिकाल की काव्यधारा चार रूपों में प्रवाहित हुई—

  1. ज्ञानमार्गी या सन्त-काव्यधारा,
  2. प्रेममार्गी या सूफी-काव्यधारा,
  3.  रामभक्ति-काव्यधारा तथा
  4.  कृष्णभक्ति-काव्यधारा।।

प्रश्न 5
भक्तिकाल की प्रमुख शाखाओं का नामोल्लेख कर किसी एक शाखा की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
भक्तिकाल की प्रमुख शाखाएँ हैं–

  1. सगुण-भक्ति शाखा तथा
  2. निर्गुण-भक्ति शाखा

सगुण-भक्ति शाखा की विशेषताएँ–

  1. राम तथा कृष्ण की पूर्ण ब्रह्म के रूप में प्रतिष्ठा तथा
  2. लोकमंगल की भावना।

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प्रश्न 6
निर्गुण-भक्ति शाखा की दो विशेषताएँ लिखते हुए इसी शाखा के दो कवियों के नाम उनकी एक-एक रचना सहित लिखिए।
उत्तर
निर्गुण-भक्ति शाखा की विशेषताएँ–

  1. इसमें ईश्वर के निराकार स्वरूप की उपासना हुई तथा
  2. आन्तरिक साधना (UPBoardSolutions.com) पर बल दिया गया।

कवि तथा उनकी रचना

  1. कबीरदास-बीजक तथा
  2. मलिक मुहम्मद जायसी-पद्मावत।

प्रश्न 7
पूर्व मध्यकाल की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए और इस काल के दो कवियों के नाम बताइए।
उत्तर
विशेषताएँ–

  1. ईश्वर में सहज विश्वास तथा
  2. गुरु-महिमा का वर्णन।

दो कवि–

  1. कबीरदास तथा
  2. तुलसीदास।।

प्रश्न 8
निर्गुण-भक्ति काव्यधारा की कौन-सी दो उपशाखाएँ हैं ?
उत्तर
निर्गुण-भक्ति काव्यधारा की दो उपशाखाएँ हैं—

  1. ज्ञानाश्रयी या सन्त-काव्यधारा तथा
  2. प्रेमाश्रयी या सूफी-काव्यधारा।

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प्रश्न 9
सन्त-काव्यधारा (ज्ञानाश्रयी शाखा) के प्रतिनिधि कवि कौन थे ?
उत्तर
सन्त-काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि सन्त कबीरदास थे।

प्रश्न 10
कबीर के अतिरिक्त किन्हीं दो प्रमुख सन्त कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर
सन्त-काव्यधारा में कबीर के अतिरिक्त (UPBoardSolutions.com) रैदास, मलूकदास, नानक तथा दादूदयाल प्रमुख कवि ।।

प्रश्न 11
सूफी-काव्यधारा (प्रेमाश्रयी शाखा) के प्रतिनिधि कवि का नाम बताइट।
उत्तर
सूफी-काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि मलिक मुहम्मद जायसी हैं।

प्रश्न 12
सूफी-काव्यधारा के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
सूफी-काव्यधारा के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ निम्नवत् हैं–

  1. मलिक मुहम्मद जायसी-पद्मावत, अखरावट, आखिरी कलाम।
  2. कुतुबन-मृगावती।
  3. मंझन–मधुमालती।
  4. उसमान—चित्राक्ली।।

प्रश्न 13
सूफी कवियों ने अपनी काव्य-रचनाओं में किस शैली को अपनाया ?
उत्तर
सूफी कवियों ने अपनी काव्य-रचनाओं में फारसी की मसनवी शैली को अपनाया।

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प्रश्न 14
प्रेमाश्रयी या सूफी-काव्यधारा की पाँच विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
सूफी-काव्यधारा की प्रमुख पाँच विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. प्रेमतत्त्व का निरूपण,
  2. मसनवी शैली,
  3. श्रृंगार रस की प्रधानता,
  4.  हिन्दू संस्कृति व लोकजीवन का चित्रण तथा
  5. लौकिक प्रेम के द्वारा अलौकिक प्रेम (परमात्म-प्रेम) की व्यंजना।।

प्रश्न 15
सगुणमार्गी कृष्णभक्ति शाखा का सर्वश्रेष्ठ कवि कहलाने का गौरव किसे प्राप्त है ?
उत्तर
सगुणमार्गी कृष्णभक्ति शाखा का सर्वश्रेष्ठ (UPBoardSolutions.com) कवि कहलाने का गौरव सूरदास को प्राप्त है।

प्रश्न 16
कृष्णभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि का नाम लिखिए।
उत्तर
कृष्णभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि सूरदास हैं।

प्रश्न 17
कृष्णभक्ति काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
या
सूरदास के काव्य के आधार पर भक्तिकाल की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइट।
उत्तर
कृष्णभक्ति काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं–

  1. कृष्ण की लीलाओं का गान,
  2. सखाभाव की भक्ति,
  3. श्रृंगार और वात्सल्य रस की प्रधानता,
  4. सगुण रूप की प्रधानता,
  5. प्रकृति का उद्दीपन रूप में वर्णन तथा
  6. ब्रजभाषा में मुक्तक-गेय पदों की रचना।

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प्रश्न 18
सूरसागर में कितने पद थे ?
उत्तर
सूरसागर में लगभग सवा लाख पद थे।

प्रश्न 19
सूरदास की भक्ति किस प्रकार की है ?
उत्तर
सूरदास की भक्ति सख्य भाव की है।

प्रश्न 20
सगुणोपासक रामभक्ति शाखा का सर्वश्रेष्ठ कवि किसे माना जाता है ?
उत्तर
सगुणोपासक रामभक्ति शाखा का (UPBoardSolutions.com) सर्वश्रेष्ठ कवि तुलसीदास को माना जाता है।

प्रश्न 21
रामभक्ति काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि कौन हैं ?
उत्तर
रामभक्ति काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि गोस्वामी तुलसीदास हैं, जिन्होंने ‘श्रीरामचरितमानस की रचना करके समाज का पथ-प्रदर्शन किया।

प्रश्न 22
राम को मर्यादा-पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित करने वाले प्रसिद्ध ग्रन्थ का नाम लिखिए।
उत्तर
राम को मर्यादा-पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित करने वाले ग्रन्थ का नाम श्रीरामचरितमानस है।

प्रश्न 23
तुलसीकृत अवधी और ब्रजभाषा की एक-एक रचना का नाम बताइट।
उत्तर
अवधी भाषा-‘श्रीरामचरितमानस’ तथा ब्रजभाषा-‘विनयपत्रिका’।

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प्रश्न 24
तुलसी ने अपने ‘श्रीरामचरितमानस’ की रचना किस मुख्य छन्द में की है ?
उत्तर
तुलसी ने ‘श्रीरामचरितमानस की रचना मुख्य रूप से दोहा-चौपाई छन्द में की है।

प्रश्न 25
रामभक्ति काव्यधारा की दो प्रमुख रचनाओं और उनके रचयिताओं के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. श्रीरामचरितमानस तथा
  2. रामचन्द्रिका। इनके लेखक क्रमश: तुलसीदास और केशवदास

प्रश्न 26
रामभक्ति काव्य की रचना किन भाषाओं में हुई ?
उत्तर
रामभक्ति काव्य की रचना अवधी और ब्रजभाषा में हुई।

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लघु उत्तरीय प्रण।

प्रश्न 1
भक्तिकाल की विविध काव्यधाराओं का संक्षेप में परिचय दीजिए।
भक्तिकाल की दो प्रमुख धाराओं का नामोल्लेख कीजिए तथा उनके एक-एक प्रतिनिधि कवि का नाम भी बताइट।
उत्तर
भक्तिकाल के साहित्य में चार प्रकार की काव्यधाराएँ मिलती हैं, जिनका विभाजन निम्नवत् है|

(1) निर्गुण-भक्ति काव्यधारा–ईश्वर के निर्गुण रूप की उपासना करने वाले भक्त कवियों ने ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग ज्ञान और प्रेम बताया। इस आधार पर निर्गुण-भक्ति काव्यधारा दो शाखाओं में प्रस्फुटित हुई

  1.  ज्ञान को ईश्वर की प्राप्ति का साधन मानने के आधार पर ज्ञानमार्गी या सन्त-काव्यधारा प्रस्फुटित हुई। इसके प्रतिनिधि कवि कबीरदास हैं।
  2. प्रेम को ईश्वर की प्राप्ति का साधन मानने के आधार (UPBoardSolutions.com) पर प्रेममार्गी या सूफी-काव्यधारा प्रस्फुटित हुई। इसके प्रतिनिधि कवि मलिक मुहम्मद जायसी हैं।

(2) सगुण-भक्ति काव्यधारा–ईश्वर के साकार रूप को आधार मानकर उपासना करने वाले कवियों ने राम और कृष्ण को इष्टदेव मानकर भक्ति-काव्यों की रचना की। इस आधार पर सगुण-भक्ति काव्यधारा भी दो शाखाओं में प्रस्फुटित हुई|

  1. कृष्ण के साकार रूप का आधार लेकर कृष्णभक्ति काव्यधारा विकसित हुई। इसके प्रतिनिधि कवि सूरदास हैं।
  2. राम के साकार रूप का आधार लेकर रामभक्ति काव्यधारा विकसित हुई। इसके प्रतिनिधि कवि तुलसीदास हैं।

प्रश्न 2
भक्तिकाल का समय कब से कब तक माना जाता है ? इस काल के साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) बताइए।
या
भक्तिकाल की दो सामान्य प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
सन् 1343 से 1643 ई० तक का समय हिन्दी-साहित्य में भक्तिकाल के नाम से जाना जाता है। भक्तिकाल के साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत् हैं

  1. भक्ति-भावना,
  2.  गुरु की महिमा,
  3. सुधारवादी दृष्टिकोण एवं समन्वय की भावना,
  4. रहस्य की भावना,
  5. अहंकार का त्याग और लोकमंगल की भावना,
  6. काव्य का उत्कर्ष एवं
  7. जीवन की नश्वरता और ईश्वर के नाम-स्मरण की महत्ता।

प्रश्न 3
भक्तिकाल को हिन्दी-साहित्य का स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है ? स्पष्ट कीजिए।
या
हिन्दी पद्य-साहित्य को भक्तिकाल की क्या देन है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
भक्तिकाल में भाव, भाषा एवं शिल्प की दृष्टि से हिन्दी-साहित्य का उत्कर्ष हुआ। भावपक्ष तथा कलापक्ष के उत्कृष्ट रूप के कारण ही भक्तिकाल को हिन्दी-साहित्य का स्वर्ण युग कहते हैं। इसी समय कबीर, जायसी, सूर तथा तुलसी जैसे रससिद्ध (UPBoardSolutions.com) कवियों की दिव्य वाणी उनके अन्त:करण से निकलकर देश के कोने-कोने में फैली थी। यही सार्वभौम और सार्वकालिक साहित्य भक्तिकाल की अनुपम देन है।

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प्रश्न 4
सन्त-काव्यधारा (ज्ञानाश्रयी शाखा) की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
सन्त-काव्यधारा की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ इस प्रकार हैं–

  1. गुरु की महिमा का गान,
  2. निर्गुण ब्रह्म की उपासना,
  3. बाह्य आडम्बरों का विरोध और समाज-सुधार,
  4. हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल,
  5. एकेश्वरवाद में विश्वास,
  6. रहस्यवादी भावना,
  7. नाम के स्मरण को महत्त्व,
  8. मायारूपी महाठगिनी की निन्दा,
  9. मिश्रित या सधुक्कड़ी भाषा।।

प्रश्न 5
कृष्णभक्ति काव्यधारा (कृष्णाश्रयी शाखा) का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
या
अष्टछाप का संगठन किसने किया ? इसमें कितने कवियों को सम्मिलित किया गया ?
उत्तर
सगुण-भक्ति काव्य में कृष्णभक्ति के प्रवर्तन का श्रेय स्वामी वल्लभाचार्य को है। गोस्वामी बिट्ठलनाथ ने कृष्णभक्ति की धारा को आगे बढ़ाया। इन्होंने आठ कृष्णभक्त कवियों को चुनकर ‘अष्टछाप’ की स्थापना की, जिसमें सूरदास प्रमुख थे। इस शाखा के सभी (UPBoardSolutions.com) कवियों ने कृष्ण के लोकरंजक स्वरूप को अपनाया। इन्होंने कृष्ण के बाल और किशोर रूप का ही अधिक चित्रण किया तथा गोपियों के साथ की गयी क्रीड़ाओं को भी अपने काव्य का विषय बनाया। इसी कारण कृष्णभक्ति काव्य में वात्सल्य, माधुर्य एवं श्रृंगार भाव के दर्शन होते हैं।

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प्रश्न 6
कृष्णभक्ति शाखा के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
कृष्णभक्ति शाखा के प्रमुख कवियों के नाम एवं रचनाएँ निम्नलिखित हैं
(क) अष्टछाप के कवि-

  1. सूरदास—सूरसागर, सूर सारावली, साहित्य लहरी;
  2. नन्ददास-रास पंचाध्यायी, भ्रमरगीत;
  3. कृष्णदास-भ्रमरगीत, प्रेम-तत्त्व निरूपण;
  4. परमानन्ददास-परमानन्द सागर;
  5. कुम्भनदास-फुटकर पद;
  6. चतुर्भुजदास,
  7. छीतस्वामी एवं
  8. गोविन्द स्वामी।।

(ख) अन्य प्रमुख कवि–

  1.  हित हरिवंश-हित चौरासी;
  2. मीराबाई—मीराबाई पदावली;
  3. रसखान-सुजान-रसखान, प्रेमवाटिका तथा
  4. नरोत्तमदास-सुदामाचरित।

प्रश्न 7
भ्रमरगीत का परिचय दीजिए।
उत्तर
सूरसागर का एक प्रसंग भ्रमरगीत कहलाता है। इस प्रसंग में गोपियों के प्रेमावेश ने ज्ञानी उद्धव को भी प्रेमी एवं भक्त बना दिया था।

प्रश्न 8
रामभक्ति काव्यधारा (रामाश्रयी शाखा) का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर
राम को आराध्य मानकर जिस लोक-मंगलकारी काव्य की रचना की गयी, वह रामभक्ति काव्य के नाम से जाना जाता है। रामभक्ति काव्यधारा के भक्त कवियों के प्रेरक स्वामी रामानन्द रहे हैं। स्वामी रामानन्द ने जनता के बीच रामभक्ति का प्रचार (UPBoardSolutions.com) किया। उन्हीं की शिष्य-परम्परा में गोस्वामी तुलसीदास ने ‘श्रीरामचरितमानस’ की रचना करके भारतीय जनता में रामभक्ति की पावन गंगा को प्रवाहित किया।

प्रश्न 9
रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवियों एवं उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
या
राम काव्यधारा (रामाश्रयी शाखा) के प्रमुख कवि और उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नवत् हैं

  1. तुलसीदास-श्रीरामचरितमानस, विनयपत्रिका, कवितावली, गीतावली, दोहावली, बरवै रामायण आदि।
  2. प्राणचन्द-रामायण महानाटक।
  3. हृदयराम-हिन्दी हनुमन्नाटक।
  4. केशवदास–रामचन्द्रिका, कविप्रिया, रसिकप्रिया।
  5. नाभादास-भक्तमाल।।

प्रश्न 10
रामभक्ति शाखा की प्रमुख प्रवृत्तियों (विशेषताओं) पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
या
तुलसी के पद्यों के आधार पर भक्तिकाल की दो प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
रामभक्ति काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) इस प्रकार हैं—

  1. राम को अपना इष्टदेव मानकर उनके लोकरक्षक एवं लोकरंजक रूप में रामचरित का गायन,
  2. दास्य-भाव की भक्ति,
  3. चातक-प्रेम के आदर्श पर आधारित अनन्य भक्ति-भावना,
  4. वर्णाश्रम धर्म से समर्थित सामाजिक व्यवस्था को श्रेष्ठ मानते हुए लोक-मर्यादा की प्रतिष्ठा,
    लोक-मंगल की भावना,
  5. विभिन्न मत-मतान्तरों, सम्प्रदायों तथा काव्य-शैलियों में समन्वय की चेष्टा,
  6. अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं में (UPBoardSolutions.com) अधिकारपूर्वक काव्य-रचना एवं
  7. प्रबन्ध व मुक्तक दोनों काव्य रूपों में रचना।

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प्रश्न 11
तुलसी और सूर की भक्ति में मूलभूत अन्तर क्या है ?
उत्तर
तुलसी और सूर की भक्ति में मूलभूत अन्तर यह है कि तुलसी की (UPBoardSolutions.com) भक्ति दास्य-भाव की है। और सूर की सख्य-भाव की; अर्थात् तुलसीदास स्वयं को भगवान् का दास मानकर उनकी उपासना करते हैं, जब कि सूरदास स्वयं को भगवान् का सखा मानकर उनसे याचना करते हैं।

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UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड)

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अवतरणों का ससन्दर्भ हिन्दी अनुवाद

प्रश्न 1.
मानव-जीवनस्य संस्करणं संस्कृतिः।अस्माकं पूर्वजाः मानवजीवनं संस्कर्तुं महान्तं प्रयत्नम् अकुर्वन्। ते अस्माकं जीवनस्य संस्करणाय यान् आचारान् विचारान् च अदर्शयन् तत् सर्वम् अस्माकं संस्कृतिः। [2011, 15]
उत्तर
[संस्करणं = दोषों को दूर करना। संस्कर्तुं = शुद्ध करने के लिए। संस्करणाय = सँवारने के लिए। अदर्शयन् = दिखाया।]

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ (UPBoardSolutions.com) के ‘संस्कृत-खण्ड’ के ‘भारतीया संस्कृतिः पाठ से उद्धृत है।

[ विशेष—इस पाठ के शेष सभी गद्यांशों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।] प्रसंग-इसमें भारतीय संस्कृति के स्वरूप और महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।

अनुवाद-मानव-जीवन को सँवारना (दोषादि को दूर करना) संस्कृति है। हमारे पूर्वजों ने मानव-जीवन को शुद्ध करने के लिए महान् प्रयत्न किये। उन्होंने हमारे जीवन के संस्कारों के लिए जिन आचारों और विचारों को दिखाया, वह सब हमारी संस्कृति है।

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प्रश्न 2.
“विश्वस्य स्रष्टा ईश्वरः एक एव” इति भारतीय-संस्कृतेः मूलम्। विभिन्नमतावलम्बिनः विविधैः नामभिः एकम् एव ईश्वरं भजन्ते।अग्निः, इन्द्रः, कृष्णः,करीमः, रामः, रहीमः,जिनः, बुद्धः, ख्रिस्तः, अल्लाहः इत्यादीनि नामानि एकस्य एव परमात्मनः सन्ति। तम् एव ईश्वरं जनाः गुरुः इत्यपि मन्यन्ते। अतः सर्वेषां मतानां समभावः सम्मानश्च अस्माकं संस्कृतेः सन्देशः। [2011, 14]
उत्तर
[ स्रष्टा = रचने वाला। विभिन्नमतावलम्बिनः (विभिन्नमत + अवलम्बिन:) = विभिन्न मतों को मानने वाले। समभावः = समान भाव।।

प्रसंग-प्रस्तुत अवतरण में भारतीय संस्कृति के मूल तत्त्व को बताया गया है।

अनुवाद--“विश्व को रचने वाला ईश्वर एक ही है, यह भारतीय संस्कृति का मूल है। अनेक मतों को मानने वाले अनेक नामों से एक ही ईश्वर का भजन करते हैं। अग्नि, इन्द्र, कृष्ण, करीम, राम, रहीम, जिन, बुद्ध, ख्रिस्त, अल्लाह इत्यादि नाम एक ही परमात्मा के हैं। उसी (UPBoardSolutions.com) ईश्वर को लोग ‘गुरु’ भी मानते हैं। अत: सब मतों के प्रति समान भाव और सम्मान हमारी संस्कृति का सन्देश है।

प्रश्न 3.
भारतीय संस्कृतिः तु सर्वेषां मतावलम्बिन सङ्गमस्थली। काले-काले विविधाः विचाराः भारतीय-संस्कृतौ समाहिताः। एषा संस्कृतिः सामासिकी संस्कृतिः यस्याः विकासे विविधानां जातीनां, सम्प्रदायानां, विश्वासानाञ्च योगदानं दृश्यते।अतएव अस्माकं भारतीयानाम्एका संस्कृतिः एका च राष्ट्रियता। सर्वेऽपि वयं एकस्याः संस्कृतेः समुपासकाः, एकस्य राष्ट्रस्य च राष्ट्रियाः। यथा भ्रातरः परस्परं मिलित्वा सहयोगेन सौहार्देन च परिवारस्य उन्नतिं कुर्वन्ति, तथैव अस्माभिः अपि सहयोगेन सौहार्देन च राष्ट्रस्य उन्नतिः कर्त्तव्या। [2012]
उत्तर
[सङ्गमस्थली = मिलने का स्थान। काले-काले = समय-समय पर। समाहिताः = मिल गये हैं। सामासिकी = मिली-जुली। समुपासकाः = उपासक। सौहार्देन = मित्रभाव से।]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में यह बताया गया है कि भारत की संस्कृति समन्वयात्मक है।

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अनुवाद-भारतीय संस्कृति तो सभी मतों के मानने वालों का मिलन-स्थल है। समय-समय पर अनेक प्रकार के विचार भारतीय संस्कृति में मिल गये। यह संस्कृति मिली-जुली संस्कृति है, जिसके विकास में अनेक जातियों, सम्प्रदायों और विश्वासों का योगदान (UPBoardSolutions.com) दिखाई पड़ता है। इसलिए हम भारतवासियों की एक संस्कृति और एक राष्ट्रीयता है। हम सभी एक संस्कृति की उपासना करने वाले और एक राष्ट्र के नागरिक हैं। जैसे सब भाई आपस में मिलकर सहयोग और प्रेमभाव से परिवार की उन्नति करते हैं, उसी प्रकार हमें भी सहयोग और मित्रभाव से राष्ट्र की उन्नति करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
अस्माकं संस्कृतिः सदा गतिशीला वर्तते। मानवजीवनं संस्कर्तुम् एषा यथासमयं नवां नवां विचारधारा स्वीकरोति, नवां शक्ति च प्राप्नोति। अत्र दुराग्रहः नास्ति, यत् युक्तियुक्तं कल्याणकारि च तदत्र सहर्ष गृहीतं भवति। एतस्याः गतिशीलतायाः रहस्यं मानवजीवनस्य शाश्वतमूल्येषु निहितम्, तद् यथा सत्यस्य प्रतिष्ठा, सर्वभूतेषु समभावः विचारेषु औदार्यम्, आचारे दृढता चेति। [2010, 11, 14, 17]
उत्तर
[ गतिशीला = वेगवती। संस्कर्तुम् = शुद्ध करने के लिए। नवां = नयी। (UPBoardSolutions.com) दुराग्रहः = हठ। युक्तियुक्तं = ठीक-ठीक, उचित। एतस्याः = इसकी। शाश्वतमूल्येषु = सदा रहने वाले मूल्यों में निहितम् = स्थित है। औदार्यम् = उदारता।]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में भारतीय संस्कृति की गतिशीलता और उसके लचीलेपन के बारे में बताया गया है।

अनुवाद-हमारी संस्कृति सदा गतिशील रही है। मानव-जीवन को शुद्ध करने के लिए यह समयानुसार नयी-नयी विचारधारा को स्वीकार कर लेती है और नयी शक्ति को प्राप्त करती है। इसमें दुराग्रह (हठधर्मिता) नहीं है, जो युक्तिसंगत और कल्याण करने वाला है, वह इसमें हर्षसहित ग्रहण किया जाता है। इसकी गतिशीलता का रहस्य मानव-जीवन में सदा रहने वाले मूल्यों में स्थित है; जैसे कि सत्य का सम्मान, सभी प्राणियों के प्रति समान भाव, विचारों में उदारता और आचरण में दृढ़ता।

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प्रश्न 5.
एषा कर्मवीराणां संस्कृतिः “कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतं समाः’ इति अस्याः उद्घोषः।पूर्वं कर्म, तदनन्तरं फलम् इति अस्माकं संस्कृते नियमः।इदानीं यदा वयं राष्ट्रस्य नवनिर्माणे संलग्नाः स्मः निरन्तरं कर्मकरणम् अस्माकं मुख्यं कर्त्तव्यम्। निजस्य श्रमस्य फलं भोग्यं, अन्यस्य श्रमस्य शोषणं सर्वथा वर्जनीयम् यदि वयं विपरीतम् आचरामः तदा न वयं सत्यं भारतीय-संस्कृतेः उपासकाः। वयं तदैव यथार्थं भारतीया यदास्माकम् आचारे विचारे चे अस्माकं संस्कृतिः लक्षिता भवेत्। अभिलषामः वयं यत् विश्वस्य अभ्युदयाय भारतीयसंस्कृतेः एषः दिव्यः सन्देशः लोके सर्वत्र प्रसरेत्- [2009, 16]
पूर्व कर्म, तदनन्तरं …………………. फलं भोग्यम्। [2013]
एषा कर्मवीराणां ……………………… संस्कृतेः नियमः। [2014]
उत्तर
[कर्मवीराणां = कर्म में संलग्न रहने वालों की। कुर्वन्नेवेह (UPBoardSolutions.com) (कुर्वन् + एव + इह) = यहाँ करते हुए ही। जिजीविषेच्छतं (जिजीविषेत् + शतम्) समाः = सौ वर्षों तक जीने की इच्छा करनी चाहिए। उद्घोषः = घोषणा। कर्मकरणम् = कर्म करना। वर्जनीयम् = त्यागने योग्य। विपरीतम् = विरुद्ध आचरामः = आचरण करते हैं। लक्षिता भवेत् = दिखाई दे। अभिलषामः = चाहते हैं। अभ्युदयाय = उन्नति के लिए।प्रसरेत् = प्रसारित हो।]

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में हमारी संस्कृति को कर्मवीरों की संस्कृति बताया गया है।

अनुवाद—यह कर्म में संलग्न रहने वालों (कर्मवीरों) की संस्कृति है। “यहाँ कर्म करते हुए ही सौ वर्षों तक जीने की इच्छा करनी चाहिए। यह इसकी घोषणा है। पहले कर्म, बाद में फल–यह हमारी संस्कृति का नियम है। इस समय जब हम लोग राष्ट्र के (UPBoardSolutions.com) नव-निर्माण में लगे हुए हैं, निरन्तर काम करना ही हमारा प्रधान कर्तव्य है। अपने परिश्रम का फल भोगने योग्य है, दूसरे के श्रम का शोषण त्यागने योग्य है। यदि हम विपरीत आचरण करते हैं तो हम भारतीय संस्कृति के सच्चे उपासक नहीं हैं। हम तभी वास्तविक रूप में भारतीय हैं, जब हमारे आचार और विचार में हमारी संस्कृति दिखाई दे। हम सब चाहते हैं कि संसार की उन्नति के लिए भारतीय संस्कृति का यह दिव्य सन्देश संसार में सब जगह फैले।

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प्रश्न 6.
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मी कश्चिद् दुःखभाग् भवेत् ॥ [2010, 11, 14, 16, 18]
उत्तर
[ निरामयाः = रोगरहित। भद्राणि = कल्याण। दुःखभाग् = दु:खी। भवेत् = होवे।]

सन्दर्भ-प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के संस्कृत खण्ड’ के ‘भारतीय संस्कृतिः’ नामक पाठ से लिया गया है।

प्रसंग-प्रस्तुत श्लोक में भारतीयों की मूल भावना (UPBoardSolutions.com) पर प्रकाश डाला गया है।

अनुवाद-“सब सुखी हों। सब रोगरहित हों। सब कल्याण को देखें, अर्थात् सभी का कल्याण हो। कोई भी दुःखी न हो, अर्थात् कोई भी दु:ख का भागी न बने।”

अतिलघु-उत्तरीय संस्कृत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1
संस्कृतिः शब्दस्य किं तात्पर्यम् अस्ति ? [2012]
या
संस्कृतेः अर्थः कः ?
या
संस्कृतिः का ?
या
संस्कृतेः की परिभाषा अस्ति ?
उत्तर
मानवजीवनस्य संस्करणम् संस्कृतिः (UPBoardSolutions.com) इति संस्कृति शब्दस्य तात्पर्यम्।

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प्रश्न 2
भारतीयः संस्कृतेः मूलं किम् अस्ति ? [2009, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]
या
भारतीय-संस्कृतेः किं मूलम् ?
उत्तर
विश्वस्य स्रष्टा ईश्वरः एक एव इति भारतीय-संस्कृते: मूलम् अस्ति।

प्रश्न 3
अस्माकं संस्कृतेः कः सन्देशः ?
या
अस्माकं संस्कृतेः कः दिव्यः सन्देशः अस्ति ? [2010]
या
भारतीय संस्कृतेः कः दिव्यः (प्रमुखः) सन्देश अस्ति ? [2010, 18]
उत्तर
सर्वेषां मतानां समभावः सम्मानश्च (UPBoardSolutions.com) अस्माकं संस्कृते: दिव्यः सन्देशः अस्ति।

प्रश्न 4
भारतीय संस्कृतिः कां सङ्गमस्थली ?
उत्तर
भारतीया संस्कृतिः सर्वेषां मतावलम्बिन सङ्गमस्थली।

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प्रश्न 5
अस्माकं संस्कृतिः कीदृशी वर्तते (अस्ति) ? [2009, 12, 15, 17]
या
भारतीया संस्कृतिः कीदृशी अस्ति ?
उत्तर
अस्माकं भारतीया संस्कृतिः सदा (UPBoardSolutions.com) गतिशीला वर्तते (अस्ति)।

प्रश्न 6
भारतीयसंस्कृत कः विशेषः गुणः अस्ति ?
उत्तर
भारतीयसंस्कृतौ सर्वेषां मतानां समभावः इति विशेष: गुणः अस्ति।

प्रश्न 7
अस्माकं संस्कृतेः कः नियमः ? [2014]
उत्तर
अस्माकं संस्कृते: नियमः ‘पूर्व कर्म, तदनन्तरं फलम्’ इति अस्ति।

प्रश्न 8
अस्माकं मुख्यकर्त्तव्यं किम् अस्ति ?
उत्तर
निरन्तरं कर्मकरणम् अस्माकं (UPBoardSolutions.com) मुख्यकर्त्तव्यम् अस्ति।

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प्रश्न 9
“मा कश्चित् दुःखभाग्भवेत्”, कस्याः अस्ति एषः दिव्यः सन्देशः ?
उत्तर
‘मा कश्चित् दु:खभाग्भवेत्,’ एष: भारतीय संस्कृतिः दिव्यः सन्देशः अस्ति।

प्रश्न 10
भारतीयसंस्कृतिः कस्य अभ्युदयाय इति ?
उत्तर
भारतीयसंस्कृतिः विश्वस्ये अभ्युदयाय इति।

प्रश्न 11
विश्वस्य स्रष्टा कः? [2012, 14, 15, 17, 18]
उत्तर
विश्वस्य स्रष्टा ईश्वरः एक  एव अस्ति।

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अनुवादात्मक

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड) img-1

व्याकरणात्मक

प्रश्न 1
निम्नलिखित शब्दों के विभक्ति और वचन बताइए-
संस्कृतेः, विविधैः, संस्कृती, अस्माभिः, कर्माणि, नवनिर्माणे, उपासकाः।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड) img-2

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प्रश्न 2
निम्नलिखित में सन्धि कीजिए-
इति + आदि, मतं + अवलम्बी, यथा + अर्थम्, ‘अभि + उदयः, जिजीविषेत् + शतम्।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड) img-3

प्रश्न 3
निम्नलिखित शब्दों में नियम निर्देशित करते हुए सन्धि-विच्छेद कीजिए-
दुराग्रहः, कुर्वन्नेवेह, नास्ति, मतावलम्बिनः, इत्यपि, अभ्युदयः।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 8 भारतीय संस्कृतिः (संस्कृत-खण्ड) img-4

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UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues (ऊतक)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues (ऊतक).

पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 77)

प्रश्न 1.
ऊतक क्या है ?
उत्तर-
कोशिकाओं का ऐसा समूह जो बनावट व कार्य में समान होता है, एक ही तरह के कार्य को सम्पन्न करता है ऊतक कहलाता है।

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प्रश्न 2.
बहुकोशिकीय जीवों में ऊतकों का क्या उपयोग है ?
उत्तर-
बहुकोशिकीय जीवों में लाखों कोशिकाएँ होतं. हैं। इनमें से अधिकतर कुछ ही कार्यों को सम्पन्न करने के लिए होती हैं। प्रत्येक विशेष कार्य कोशिकाओं के विभिन्न समूहों द्वारा किया जाता है। बहुकोशिक जीवों में श्रम विभाजन होता है। शरीर के अन्दर ऐसी कोशिकाएँ जो एक तरह के कार्य को सम्पन्न करने (UPBoardSolutions.com) में दक्ष होती हैं, सदैव एक ही समूह में रहती हैं अर्थात् ऊतक बनाती हैं। रक्त, फ्लोयम ऊतक पेशी सभी ऊतक के उदाहरण हैं।

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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 81)

प्रश्न 1.
प्रकाश संश्लेषण के लिए किस गैस की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड गैस (CO) की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
पौधों में वाष्पोत्सर्जन के कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर-
पौधों में वाष्पोत्सर्जन के कार्य निम्नलिखित हैं
(i) पौधे जमीन से पानी को वाष्पोत्सर्जन क्रिया द्वारा ऊपर खींचते हैं।
(ii) पौधा ठण्डा रहता है।

पाठात प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 83)

प्रश्न 1.
सरल ऊतकों के कितने प्रकार हैं ?
उत्तर-
सरल ऊतकों के तीन प्रकार हैं
(i) मृदूतक
(ii) स्थूलकोण ऊतक
(iii) दृढ़ ऊतक।

प्रश्न 2.
प्ररोह का शीर्षस्थ विभज्योतक कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर-
एपिकल विभज्योतक जड़ तथा तनों की चोटी पर पाया जाता है। यह तने तथा जड़ों की वृद्धि करने में सहायता करता है।

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प्रश्न 3.
नारियल का रेशा किस ऊतक का बना होता है ?
उत्तर-
स्कलेरेन्काइमा ऊतक।

प्रश्न 4.
फ्लोएम के संघटक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
(i) छलनी नलिका,
(ii) साथी (सहचर) कोशिकाएँ,
(iii) फ्लोएम मृदूतक,
(iv) स्कलेरेन्काइमा।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 87)

प्रश्न 1.
उस ऊतक का नाम बताएँ जो हमारे शरीर में गति के लिए उत्तरदायी है।
उत्तर-
पेशी ऊतक हमारे शरीर की गति के लिए उत्तरदायी है।

प्रश्न 2.
न्यूरॉन देखने में कैसा रुगता है ?
उत्तर-
तंत्रिका ऊतक की कोशिकाओं को न्यूरॉन कहा जाता है। न्यूरॉन में कोशिकाएँ केन्द्रक तथा साइटोप्लाज्म होते हैं। इससे लम्बे, पतले बालों जैसी शाखाएँ निकली होती हैं। (UPBoardSolutions.com) प्रायः प्रत्येक न्यूरॉन में इस तरह का एक लम्बा प्रवर्ध होता है, जिसे एक्सॉन कहते हैं और बहुत सारी छोटी शाखा वाले प्रवधू को डेन्डराइट्स कहते हैं। एक तंत्रिका कोशिका एक मीटर लम्बी हो सकती है।
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प्रश्न 3.
हृदय पेशी के तीन लक्षणों को बताएँ।
उत्तर-
हृदय पेशी ऊतक के तीन लक्षण निम्नलिखित हैं

  1. ये अनैच्छिक पेशियाँ ही होती हैं जो सामान्य परिस्थितियों में जीवन-पर्यन्त लयबद्ध संकुचन और प्रसार करती हैं।
  2. ये ऊतक बेलनाकार, कम शाखित व एक या दो केन्दलीय होते हैं।
  3. इन ऊतकों पर हल्की व कम गहरी धारियाँ होती हैं।

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प्रश्न 4.
ऐरीओलर ऊतक के क्या कार्य हैं ?
उत्तर-
ऐरीओलर ऊतक त्वचा व पेशीय के बीच रक्त वाहिकाओं के गिर्द, अस्थिमज्जा व तन्त्रिकाओं में पाया जाता है।
कार्य-

  1. यह अंगों के मध्य स्थान की पूर्ति करता है।
  2. अन्दर के अंगों को सहारा देता है।
  3. यह ऊतकों की मरम्मत में भी सहायता करता है।

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 88 – 89)

प्रश्न 1.
ऊतकं को परिभाषित करें।
उत्तर-
कोशिकाओं के ऐसे समूह को जिनकी उत्पत्ति, रचना व कार्य एक समान हो ऊतक कहते हैं।

प्रश्न 2.
कितने प्रकार के तत्त्वे मिलकर जाइलम ऊतक का निर्माण करते हैं। उनके नाम बताएँ।
उत्तर-
चार प्रकार के अवयव मिलकर जाइलम ऊतक को बनाते हैं। वे निम्न प्रकार के हैं

  1. ट्रेकीड
  2. वैसलस (वाहिका)
  3. जाइलम पेरनकाइमा
  4. जाइलम फाइबर्स।

इनमें से वाहिकाएँ सबसे प्रमुख हैं। इनकी कोशिका भित्ति कठोर व सामान्यतया मृत होती है। वाहिकाएँ बेलनाकार होती हैं और एक नलिका-सी बनाती हैं जो पानी व खनिज लवणों को जड़ों से पौधे के विभिन्न भागों तक पहुँचाते हैं। पेरनकाइमा भोजन संग्रहण करती है जबकि फाइबर्स दृढ़ता प्रदान करते हैं।

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प्रश्न 3.
पौधों में सरल ऊतक जटिल ऊतक से किस प्रकार भिन्न होते हैं ?
उत्तर-

  1. सरल ऊतक – ये ऊतक एक ही प्रकार की कोशिकाओं से बने होते हैं जैसे विभज्योतक, पेरनकाइमा, कोलेनकाइमा व स्केलरनकाइमा ये विभिन्न कार्य करते हैं।
  2. विभज्योतक  –  तीव्रता से विभाजित होकर वृद्धि करते हैं, पेरनकाइमा भोजन का संग्रह करता है, कोलेनकाइमा तना, शाखाएँ व पत्तों को दृढ़ता प्रदान (UPBoardSolutions.com) करके उसे यान्त्रिकी आधार देता है।
  3. जटिल ऊतक – इस प्रकार के ऊतक एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बनते हैं। सभी कोशिकाएँ परस्पर मिलकर कोई सामान्य कार्य करती है। जैसे जाइलम व फ्लोएम। ये दोनों संवहन का कार्य करते हैं और संवहन बंडल बनाते हैं।

प्रश्न 4.
कोशिका भित्ति के आधार पर पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा व स्क्लेरेन्काइमा के बीच भेद स्पष्ट करें।
उत्तर-
पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा व स्क्लेरेन्काइमा में निम्नलिाखत अन्तर हैं
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प्रश्न 5.
रन्ध्र के क्या कार्य हैं ?
उत्तर-
पौधों की पत्तियों में बाह्य त्वचा या एपिडर्मिस की कोशिकाओं में छोटे-छोटे रन्ध्र होते हैं उन्हें स्टोमेटा या वात-रन्ध्र कहते हैं। ये पौधे के लिए निम्न प्रकार आवश्यक हैं-

  1. ये वायुमण्डल से पौधों में वायु की गैसों का आदान-प्रदान कराने में सहायक हैं अर्थात् इनकी सहायता से पौधा प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिए कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं और
    ऑक्सीजन बाहर (UPBoardSolutions.com) निकालते हैं।
  2. स्टोमेटा वाष्पोत्सर्जन की क्रिया में भी पौधे की पत्तियों द्वारा फालतू पानी को वाष्प के रूप में वायुमण्डल में उत्सर्जित करते हैं।

प्रश्न 6.
तीनों प्रकार के पेशीय रेशों में चित्र बनाकर अन्तर स्पष्ट करें।
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प्रश्न 7.
कार्डिक (हृदयक) पेशी का विशेष कार्य क्या है ?
उत्तर-
हृदय पेशी ऊतक अनैच्छिक ऊतक है अतः ये जीवनपर्यन्त हृदय में लयबद्ध संकुचन व प्रसार करती रहती हैं, जिसके कारण शरीर में रुधिर का परिवहन होता है और जीवित रहते हैं।

प्रश्न 8.
रेखित, अरेखित तथा कार्डिक (हृदयक) पेशियों में शरीर में स्थित कार्य और स्थान के आधार पर अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
रेखित, अरेखित तथा कार्डिक (हृदयक) पेशी में निम्नलिखित अन्तर हैं-
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प्रश्न 9.
न्यूरॉन का एक चिन्हित चित्र बनाएँ।
उत्तर-
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प्रश्न 10.
निम्नलिखित के नाम लिखिए
(a) ऊतक जो मुँह के भीतरी अस्तर का निर्माण करता है।
(b) ऊतक जो मनुष्य में पेशियों को अस्थि से जोड़ता है।
(c) ऊतक जो पौधों में भोजन को संवहन करता है।
(d) ऊतक जो हमारे शरीर में वसा का संचय | करता है।
(e) तरल आधात्री सहित संयोजी ऊतक।
(f) मस्तिष्क में स्थित ऊतक।
उत्तर-
(a) हमारी मुख गुहिका की आन्तरिक परत बनाने वाले शल्की एपिथीलियम ऊतक है।
(b) मानव शरीर में हड्डियों के जोड़ने वाले ऊतक कन्डरा होते हैं।
(c) फ्लोएम ऊतक पौधों में भोजन का संवहन करते हैं।
(d) ऐडीपोज (वसा) ऊतक हमारे शरीर में वसा का संग्रह करते हैं।
(e) तरल आधात्री वाला योजी (UPBoardSolutions.com) ऊतक रक्त है।
(f) मस्तिस्क में पाए जाने वाले ऊतक तन्त्रिका ऊतक (न्यूरॉन) हैं।

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प्रश्न 11.
निम्नलिखित में ऊतक के प्रकार की पहचान करें
(1) त्वचा
(2) पौधे का वल्क
(3) अस्थि
(4) वृक्कीय नलिका अस्तर
(5) संवहन बण्डल।
उत्तर-
(1) त्वचा-शल्की एपिथीलियम ऊतक।
(2) पौधे का वल्क-रक्षात्मक ऊतक।
(3) अस्थि-योजी ऊतक।
(4) वृक्कीय नलिका अस्तर-स्तंभाकार एपिथीलियम।
(5) संवहन बण्डल-जाइलम और फ्लोएम।

प्रश्न 12.
पैरेन्काइमा ऊतक किस क्षेत्र में स्थित होते हैं ?
उत्तर-
पैरेन्काइमा ऊतक – ये ऊतक पौधे के विभिन्न भागों में जैसे जड़, तना, पत्तियाँ, फल, फूल इत्यादि में पाए जाते हैं। इन ऊतकों में जब क्लोरोफिल पाई जाती है। और ये पौधे का भोजन बनाती है उस स्थिति में इन्हें क्लोरनकाइमा कहते हैं।

प्रश्न 13.
पौधों में एपिडर्मिस की क्या भूमिका है?
उत्तर-
एपिडर्मिस जो कोशिकाओं की बाह्यतम परत है वह रक्षात्मक ऊतक का कार्य करती है। ये ऊतक सामान्यतया जड़, तने, पत्तियों और फूलों की कोशिकाओं के बाहर पाए जाते हैं। यह मोटाई में एककोशिकीय होती है जिसके बाहर क्यूरिन की परत चढ़ी होती है। जैसे-जैसे पौधे की आयु बढ़ती है (UPBoardSolutions.com) परिधि पर स्थित एपिडर्मिस के अन्दर की कोशिकाएँ कार्क कोशिकाओं में रूपान्तरित हो जाती हैं। इनकी कोशिका भित्ति सुबेरिन के जमाव के कारण बहुत मोटी व मृत हो जाती है। यह जल की हानि को कम करती है।
कार्य-

  1. पौधे की सुरक्षा करती है।
  2. इसका उपयोग रोधन व धात रोधन में करते हैं।
  3. इसका उपयोग लिनोलियम व खेल का सामान बनाने में भी किया जाता है।
  4. एपिडर्मिस की कोशिकाओं में बीच-बीच में छोटे रन्ध्र होते हैं जिन्हें वातरन्ध्र (स्टोमेटा) कहते हैं।
  5. कुछ कार्बनिक पदार्थों के जमाव के कारण यह मोटी व जलरोधी हो जाती है।

प्रश्न 14.
छाल (कॉक) किस प्रकार सुरक्षा ऊतक के रूप में कार्य करता है ?
उत्तर-
कॉर्क एक सुरक्षा ऊतक की तरह कार्य करता है क्योंकि
(i) इसकी कोशिकाएँ मृत होती हैं तथा बिना स्थान छोड़े लगातार परत बनाती हैं।
(ii) इसकी भित्ति पर सुबेरिन जमा होता है जो इसे गैसों के आदान-प्रदान में सहायता करने योग्य बनाता है।
अतः कॉर्क ऊतकों की अत्यधिक पानी-हानि बाह्य वायुमंडल के प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करती है।

प्रश्न 15.
निम्न दी गई तालिका को पूर्ण करें-
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊतक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऊतक (Tissues)-कोशिकाओं के ऐसे समूह जिनकी उत्पत्ति, रचना एवं कार्य समान हों, ऊतक कहलाते हैं।

प्रश्न 2.
‘अंग’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
अंग (Organs)-उच्च श्रेणी के जन्तुओं तथा पौधों में विभिन्न प्रकार के ऊतक तन्त्र मिलकर अंग का निर्माण करते हैं। अंग अलग-अलग निश्चित कार्य करते हैं।

प्रश्न 3.
‘अंग तन्त्र’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
अंग तन्त्र (Organ System)-विशेष कार्य करने वाले अंगों के समूह को अंग तन्त्र कहते हैं।

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प्रश्न 4.
पादप ऊतक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
पादप ऊतक (Plant tissues)-पादप कोशिकाओं के ऐसे समूह जिनकी उत्पत्ति, रचना एवं कार्य समान हों, पादप ऊतक कहलाते हैं।

प्रश्न 5.
ऊतक शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस वैज्ञानिक ने किया था ?
उत्तर-
ऊतक शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग बिचर नामक वैज्ञानिक ने किया था।

प्रश्न 6.
विभज्योतक क्या है ?
उत्तर-
विभज्योतक (Meristematic tissues) – वे ऊतक जिनकी कोशिकाएँ निरन्तर वृद्धि करके पौधों की लम्बाई एवं मोटाई में वृद्धि करती रहती हैं विभज्योतक कहलाते हैं।

प्रश्न 7.
दृढ़ोतक या स्क्लेरेनकाइमा का एक प्रमुख कार्य लिखिए
उत्तर-
दृढ़ोतक या स्क्लेरेनकाइमा का एक प्रमुख कार्य पौधों को दृढ़ता प्रदान करना है।

प्रश्न 8.
जटिल ऊतक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जटिल ऊतक (Complex tissues)-जो ऊतक एक (UPBoardSolutions.com) से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं तथा जो सभी मिलकर इकाई ऊतक के रूप में कार्य करते हैं, वे जटिल ऊतक कहलाते हैं।

प्रश्न 9.
ग्रन्थिल ऊतक क्या हैं?
उत्तर-
ग्रन्थिल ऊतक (Glandular Tissues)- ग्रन्थियुक्त विशिष्ट स्रावी ऊतक, न्थिल ऊतक कहलाते

प्रश्न 10.
आक्षीरी ऊतक क्या है ?
उत्तर-
आक्षीरी ऊतक (Lacticiferous tissues)-नलिकायुक्त वे विशिष्ट स्रावी ऊतक जो दुग्ध जैसे पदार्थ का स्रावण करते हैं आदी ऊतक कहलाते हैं।

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प्रश्न 11.
ग्रन्थिल ऊतक का क्या कार्य है ?
उत्तर-
ग्रन्थिल के गोंद, रेजिन, तेल, सुगन्धित तेल एवं मकरन्द वा स्राव करते हैं।

प्रश्न 12.
ग्रन्थिले ऊतक किन पौधों में पाये जाते हैं?
उत्तर-
ग्रन्थिल ऊतक, जैट्रोपा तम्बाकू, बबूल, चीड़ आदि पौधों में पाये जाते हैं।

प्रश्न 13.
आक्षीरी ऊतक किन पौधों में पाये जाते हैं?
उत्तर-
आक्षीरी ऊतक, आक, गूलर आदि पौधों में पाये जाते हैं।

प्रश्न 14.
पेशी और अस्थि को जोड़ने वाले ऊतक का नाम बताइये।
उत्तर-
पेशी अंग अस्थि को नोडने वाले ऊतक का नाम कण्डराएँ (Tendons) हैं।

प्रश्न 15.
पेशी को पेशी से जोड़ने वाले ऊतक का नाम लिखिए।
उत्तर-
पेशी से पेशी को जोड़ने वाले ऊतक का नाम स्नायु (Ligament) है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जटिल ऊतक कितने प्रकार के होते हैं ? उनके नाम लिखिए।
अथवा
जटिल ऊतक के केवल नाम लिखिए।
उत्तर-
जटिल ऊतकों के प्रकार – जटिल ऊतक निम्न दो प्रकार के होते हैं।

  1. दारू ऊतक या जाइलम (Xylem)
  2. अधोवाही ऊतक या फ्लोएम (Phloem)

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प्रश्न 2.
शीर्षस्थ विभज्योतक क्या है ?
उत्तर-
शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical meristematic tissues) – ये ऊतक जड़ एवं तने के शिखाग्र पर स्थित रहते हैं तथा जड़ एवं तने की लम्बाई में वृद्धि करते हैं।

प्रश्न 3.
अन्तर्विष्ट विभज्योतक क्या है ?
उत्तर-
अन्तर्विष्ट विभज्योतक (Intercalarymeristematic tissues) – ये ऊतके पौधे में पत्ती के आधार के पास अथवा पर्व के आधार के पास स्थित होते हैं। ये पौधे की लम्बाई बढ़ाने में सहयोग करते हैं।

प्रश्न 4.
पाश्र्व विभज्योतक क्या है ?
उत्तर-
पार्श्व विभज्योतक (Lateral meristematic tissues) – ये ऊतक तनों एवं जड़ों के पाश्र्व भाग में स्थित होते हैं। इनसे पौधों के तनों एवं जड़ों की मोटाई बढ़ती है।

प्रश्न 5.
स्थायी ऊतक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
स्थायी ऊतक (Permanent tissues) – विभज्योतकों से बने वे ऊतक जिनकी कोशिकाओं में विभाजन की क्षमता समाप्त हो जाती है तथा जो एक निश्चित आकार ग्रहण कर लेते हैं, स्थायी ऊतक कहलाते हैं।

प्रश्न 6.
सरल स्थायी ऊतक क्या हैं ?
उत्तर-
सरले स्थायी ऊतक (Simple permanent tissues) – जो स्थायी ऊतक केवल एक ही प्रकार की कोशिकाओं से बने होते हैं, वे सरल स्थायी ऊतक कहलाते हैं।

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प्रश्न 7.
स्थूलकोण ऊतक या कॉलेनकाइमा के प्रमुख दो कार्य लिखिए।
उत्तर-
स्थूलकोण ऊतक या कोलेनकाइमा के प्रमुख कार्य

  1. ये पौधों में दृढ़ता प्रदान करते हैं।
  2. क्लोरोफिल की उपस्थिति में जब ये

प्रकाश-संश्लेषण द्वारा भोजन बनाने का कार्य करते हैं, तब इन्हें क्लोरेनकाइमा भी कहते हैं।

प्रश्न 8.
जाइलम एवं फ्लोएम में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जाइलम एवं फ्लोएम में अन्तर-
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प्रश्न 9.
लसिका के कार्य लिखिए।
उत्तर-
लसिका के कार्य (Functions of Lymph)-

  1. लसिका ऊतकों तक भोज्य पदार्थों का संवहन करती है।
  2. ऊतक से उत्सर्जी पदार्थ एकत्रित करती है।
  3. हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करके शरीर की रक्षा करती है।
  4. पचे वसा का अवशोषण करके शरीर के विभिन्न भागों तक ले जाती है।
  5. शरीर के घाव भरने में सहायक होती है।

प्रश्न 10.
लसिका तथा रक्त में अन्तर लिखिए।
अथवा
रक्त एवं लसीका में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
लसिका तथा रक्त में अन्तर-
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पौधों में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के ऊतकों के नाम एवं उनके प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर-
पौधों में पाये जाने वाले विभिन्न ऊतक एवं उनके प्रमुख कार्य-
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प्रश्न 2.
रक्त कणिकाओं के प्रकार एवं कार्यों का सचित्र वर्णन कीजिए।
अथवा
रक्त की संरचना (के घटकों) का विस्तृत सचित्र वर्णन कीजिए।
अथवा
रक्त कणिकाओं के नाम और कार्य लिखिए।
उत्तर-
रक्त की संरचना एवं रक्त के घटक (Structure and Composition of Blood)- रक्त निम्नलिखित घटकों से मिलकर बना होता है-
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  1. लाल रक्त कणिकाएँ (R.B.C.) या इरिथ्रोसाइट्स (Erythrocytes) – इनमें हीमोग्लोबिन नाम का प्रोटीन होता है जो श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन करता है।
  2. श्वेत रक्त कणिकाएँ (W.B.C.) या ल्यूकोसाइट्स (Leucocytes) – ये हानिकारक बैक्टीरिया एवं मृत कोशिकाओं का भक्षण करके उन्हें नष्ट कर देती हैं और संक्रमण तथा आघातों से शरीर की रक्षा करती हैं।
  3. रक्त पट्टिकाएँ (Blood Platelets) या थ्रोम्बोसाइट्स (Thrombocytes) – ये रक्त का थक्का जमाने में सहायक होती हैं और इस प्रकार अमूल्य रक्त को नष्ट होने से रोकती हैं।
  4. प्लाज्मा (Plasma) – यह रक्त का द्रवीय भाग (UPBoardSolutions.com) है जिसमें प्रोटीन, हॉर्मोन्स, ग्लूकोज, वसीय अम्ल, ऐमीनो अम्ल, खनिज लवण, भोजन के पचित भाग एवं उत्सर्जी पदार्थ होते हैं। यह रक्त के परिवहन का मुख्य माध्यम है।

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प्रश्न 3.
रक्त के कार्य लिखिए।
उत्तर-
रक्त के कार्य (Functions of Blood)रक्त के विभिन्न कार्य निम्नलिखित हैं-

  1. फेफड़ों से ऊतकों तक ऑक्सीजन का परिवहन करता है।
  2. विभिन्न ऊतकों में कार्बन डाइऑक्साइड को एकत्रित करके उसका फेफड़ों तक परिवहन करता है।
  3. उपापचय में बने विषैले एवं हानिकारक पदार्थों | को एकत्रित करके हानिरहित बनाने के लिए यकृत में भेजता है।
  4. विभिन्न प्रकार के उत्सर्जी पदार्थों को उत्सर्जन हेतु वृक्कों तक पहुँचाता है।
  5. छोटी आँतों से पचित भोज्य पदार्थों का अवशोषण भी रक्त प्लाज्मा द्वारा होता है जिसे यकृत और फिर विभिन्न ऊतकों में भेज दिया जाता है।
  6. विभिन्न प्रकार के हॉर्मोनों का परिवहन करता है।
  7. शरीर के तापक्रम को ऊष्मा वितरण द्वारा नियन्त्रित रखता है।
  8. रक्त की श्वेत रक्त कणिकाएँ हानिकारक बैक्टीरियाओं, मृतकोशाओं तथा रोगाणुओं का भक्षण करके उन्हें नष्ट कर देती है। इस प्रकार रोग से रक्षा करता है।
  9. पट्टिकाएँ तथा फाइब्रिनोजेन नामक प्रोटीन रक्त में उपस्थित होती है जो रक्त का थक्का जमने में सहायक होते हैं।
  10. विभिन्न प्रकार के एन्जाइम्स का परिवहन करता है।

प्रश्न 4.
रेखित पेशी एवं हृदय पेशी का नामांकित चित्र बनाइये।
उत्तर-
रेखित पेशी एवं हृदय पेशी का नामांकित चित्र-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues image -13
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues image -14

प्रश्न 5.
उपकला ऊतक के प्रकारों का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उपकला ऊतक के प्रकार-उपकला ऊतक अग्र प्रकार के होते हैं-

    1. सरले घनाकार उपकला ऊतक (Simple cuboidal epithelial tissue) – ये घनाकार होते हैं व लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई बराबर होती है। ये स्वेद ग्रन्थियों, थायरॉइड ग्रन्थियों, यकृत, वृक्क नलिकाओं व जनदों में पाया जाता है।
      UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues image -15
    1. सरले स्तम्भकार ऊतक (Simple columnar epithelial tissue) – इस ऊतक की कोशिकाएँ एक-दूसरे से सटी हुई व स्तम्भ के समान दिखाई देती हैं। इनके स्वतन्त्र सिरों पर सूक्ष्मांकुर (Microvilli) पाये जाते हैं। ये अवशोषण तल को बढ़ाते हैं वे संवेदी अंगों से संवेदना ग्रहण करते हैं। पित्ताशय व पित्तवाहिनी की दीवार इसी ऊतक की बनी होती है।
    2. स्तरित उपकला ऊतक (Stratified epithelial tissue) – इसमें कोशिकाएँ कई स्तरों में व्यवस्थित रहती हैं एवं स्तम्भाकार एवं जीवित होती हैं। इसमें जीवन-पर्यन्त विभाजन की क्षमता पाई जाती है। विभाजन की क्षमता होने के कारण इसे जनन स्तर कहते हैं। यह ऊतक घर्षण करने वाले स्थानों, मुखगुहा, त्वचा, एपिडर्मिस, इसोफेगस, नासा गुहा की म्यूकोसा, योनि आदि में पाया जाता है।
      UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues image -16
    1. ग्रन्थिल उपकला ऊतक (Glandular epithelial tissue) – हमारे शरीर में कई प्रकार की ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं। इन ग्रन्थियों की स्वतन्त्र आन्तरिक सतह पर पाये जाने वाले ऊतक को ग्रन्थिल उपकला ऊतक कहते हैं। ये ग्रन्थियाँ एककोशिकीय व बहुकोशिकीय होती हैं। ये ग्रन्थियाँ त्वचा, स्वेद ग्रन्थि, स्तन ग्रन्थि, तेल ग्रन्थि, लार ग्रन्थि, जठर ग्रन्थि, अग्न्याशयी ग्रन्थि में होती हैं।
      UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues image -17
    1. सरल पक्ष्माभी उपकला ऊतक (Simple ciliated epithelial tissue) – इस ऊतक की कोशिकाएँ स्तम्भकार या घनाकार होती हैं। इसके सिरों पर छोटी-छोटी महीन धागों के समान रचनाएँ पायी जाती। हैं, जिन्हें सीलिया (Cilia) कहते हैं। ये ऊतक (UPBoardSolutions.com) अण्डवाहिनी (Oviduct), मूत्रवाहिनी (Ureter), मुगुहा की श्लेष्मकला (Mucous menabrane), टिम्पैनिक गुहा, मस्तिष्क एवं मेरुरज्जु की केन्द्रीय नील (Central canal) तथा श्वास नली की भीतरी सतह पर पाये जाते हैं। ये ऊतक के पक्ष्म तरफ तथा अन्य पदार्थ को ढकेलने में मदद करती हैं।
      UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues image -18
    1. सरल शल्की उपकला ऊतक (Siniple squamous epithelial tissue) – यह ऊतक शरीर की सतह की सुरक्षात्मक आवरण बनाता है। मूत्र नलिका, देहगुहा, हृदय के चारों ओर रक्षात्मक आवरण बनाता है।
      UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues image -19
    1. संवेदी उपकला ऊतक (Sensory epithelial tissue) – ये स्तम्भी उपकला ऊतक का रूपान्तरण है। इनके सिरे पर संवेदी रोम (Sensory hair) पाये जाते हैं। ये रोम तन्त्रिका तन्तु से जुड़े रहते हैं। ये ऊतक घ्राण कोष, आँख की रेटिना तथा मुखगुहा की म्यूकस झिल्ली में पाया जाता है।
      UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues image -20

प्रश्न 6.
तन्त्रिकीय कोशिका के सचित्र वर्णन कीजिए।
अथवा
तन्त्रिका ऊतक क्या है? इनकी संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तत्रिका कोशिका या तन्त्रिक ऊतक का सचित्र वर्णन
तन्त्रिकीय ऊतक (Nervous tissue) – ये ऊतक सोचने, समझने, संवेदनाओं, उद्दीपन या बाह्य परिवर्तनों को ग्रहण करने की क्षमता रखता है। यह दो विशिष्ट (UPBoardSolutions.com) प्रकार की कोशिका का बना होता है।

  1. तन्त्रिका कोशिका (Neurons) – ये तन्त्रिका तन्त्र का निर्माण करती हैं व 4 से 136u या अधिक व्यास की कोशिकाएँ हैं। ये दो भागों की बनी होती हैं
    UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues image -21

    • कोशिकाकाय या सायटन (Cell body or Cyton) – यह तन्त्रिका का मुख्य भाग है, इसके कोशिकाद्रव्य में छोटे-छेटे निसिल्स कण (Nissils Granules) पाये जाते हैं।
    • कोशिका प्रवर्ध (Cell processes) – कोशिकाकाय से एक या एक से अधिक छोटे-बड़े कोशिका द्रव्यीय प्रवर्ध निकले रहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं
      • डेण्ड्राइट्स (Dendrites) तथा
      • एक्सॉन (Axon)
  2. न्यूरोग्लिया (Neurogloea) – ये एक्सॉन रहित कोशिकाएँ हैं जो तन्त्रिकाओं में आवरण बनाती हैं।

प्रश्न 7.
जालिकावत् एवं रेशेदार संयोजी ऊतकों के नामांकित चित्र बनाइये।
उत्तर-
जालिकावत् एवं रेशेदार संयोजी ऊतकों के नामांकित चित्र-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues image -22

अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. शैवालों में पाया जाता है
(a) असूत्री विभाजन
(b) समसूत्री विभाजन
(c) अर्द्धसूत्री विभाजन
(d) इनमें से कोई नहीं।

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2. समसूत्री विभाजन कौन-सी कोशिकाओं में होता
(a) जनन
(b) वसीय
(c) दैहिक
(d) ऊतक

3. स्नायु और कण्डरा इसके बने होते हैं
(a) उपकला ऊतक
(b) पेशी ऊतक
(c) उपास्थि
(d) संयोजी ऊतक

4. कोलेजन को जब जल में उबालते हैं, वह इसमें परिवर्तित हो जाता है
(a) जिलैटिन
(b) रेटिकुलिन
(c) इलास्टिन
(d) मायोसिन

5. अस्थिकोरकों से प्रवर्ध इसमें पाये जाते हैं
(a) पटलिकाएँ।
(b) सूक्ष्मनलिकाएँ
(c) दुमिका
(d) हैवर्स नलिका

6. कणिकाओं को निकाल देने के पश्चात् रुधिर को तरल अंश होता है
(a) प्लाज्मा
(b) लिम्फ
(c) सीरम
(d) वैक्सिन

7. रुधिर में वास्तविक कोशिकाएँ कौन-सी नहीं हैं?
(a) प्लेटलेट्स
(b) मोनोसाइट्स
(c) बेसोफिल्स
(d) न्यूट्रोफिल्स

8. इसके अत्यधिक खिंच जाने से मोच आ जाती है
(a) तंत्रिका
(b) कण्डरी
(c) पेशी
(d) स्नायु

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9. कंण्डरा एक संरचना है जो जोड़ता है
(a) एक अस्थि को दूसरी अस्थि से
(b) पेशी को अस्थि से
(c) तंत्रिका को पेशी से
(d) पेशी को पेशी से

10. चिकनी पेशियाँ इसमें पायी जाती हैं
(a) गर्भाशय
(b) धमनी
(c) शिरा
(d) ये सभी

11. निम्नलिखित पादप ऊतकों में से किसमें परिपक्वता पर जीवित प्रोटोप्लाज्म नहीं होता है
(a) दृढ़ोतक
(b) श्लेषोतक
(b) ट्रेकीड्स
(d) अधिचर्म

12. संयोजी ऊतक के श्वेत तंतु इसके बने होते हैं
(a) इलास्टिन
(b) रेटिकुलर तन्तु
(c) कोलेजन ।
(d) मायोसिन

13. अस्थि ऊतक की कठोरता इनके फॉस्फेट्स तथा कार्बोनेट्स के कारण होती है
(a) कैल्सियम और सोडियम
(b) कैल्सियम और मैग्नीशियम
(c) मैग्नीशियम और सोडियम
(d) मैग्नीशियम और पोटैशियम

14. आकृति, कार्य तथा उत्पत्ति में समान कोशिकाओं का समूह कहलाता है
(a) ऊतक
(b) अंग
(c) अंगक
(d) इनमें से कोई नहीं

15. पौधे की लम्बाई इसके द्वारा बढ़ती है
(a) शीर्षस्थ विभज्या
(b) पार्श्व विभज्या
(c) बल्कुटजन
(d) मृदूतक

16. कोशिका विभाजन इस तक सीमित है
(a) विभज्योतक कोशिकाएँ
(b) स्थायी कोशिकाएँ
(c) स्रावी कोशिकाएँ
(d) उपर्युक्त सभी

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17. सक्रिय विभाजन इसकी कोशिकाओं में होता है
(a) जाइलम
(b) फ्लोएम
(c) दृढ़ोतक
(d) कैम्बियम

18. घास का तना इसकी क्रियाशीलता से लम्बाई में बढ़ता है
(a) प्राथमिक विभज्या
(b) द्वितीयक विभज्या
(c) अंतर्वेशी विभज्या
(d) शीर्षस्थ विभज्या

19. सरल ऊतक ये हैं
(a) मृदूतक, जाइलम और श्लेषोतक
(b) मृदूतक, श्लेषोतक और दृढ़ोतक
(c) मृदूतक, जाइलम और दृढ़ोतक
(d) मृदूतक, जाइलम और फ्लोएम

20. जटिल ऊतक इनका बना होता है-
(a) समान कार्य करने वाली विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ
(b) भिन्न-भिन्न कार्य करने वाली विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ
(c) समान उत्पत्ति तथा समान कार्य करने वाली समान प्रकार की कोशिकाएँ।
(d) समान उत्पत्ति तथा समान कार्य करने वाली विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ।

21. सबसे अधिक सामान्य प्रकार का भरण ऊतक है
(a) उपत्वचा (या अधिचर्म)
(b) श्लेषोतक
(c) दृढ़ोतक
(d) मृदूतक

22. दृढ़ोतक से श्लेषोतक इसमें भिन्न होता है
(a) परिपक्वता पर कोशिकाद्रव्य धारण किये रखना
(b) स्थूल भित्तियाँ रखना
(c) विस्तृत अवकाशिका रखना
(d) विभज्योतकी होना

23. श्लेषोतक मुख्यतः बनाता है
(a) अधश्चर्म
(b) अधिचर्म
(c) फ्लोएम
(d) आन्तरिक बल्कुट

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24. किसकी जीवित कोशिकाएँ तनन तथा यान्त्रिक
सामर्थ्य प्रदान करती हैं
(a) श्लेषोतक
(b) दृढ़ोतक
(c) फ्लोएम
(d) स्क्लोराइड

25. काष्ठीय (लिग्नीफाइड) दीर्धित निर्जीव कोशिकाएँ हैं
(a) मृदूतक
(b) श्लेषोतक
(c) दृढ़ोतक
(d) इनमें से कोई नहीं

26. निम्नलिखित ऊतकों में से प्रायः कौन निर्जीव कोशिकाओं का बना होता है
(a) फ्लोएम
(b) अधिचर्म
(c) जाइलम
(d) अन्तश्चर्म

27. पौधों में फ्लोएम यह कार्य सम्पन्न करता है
(a) आहार का चालन
(b) जल का चालन
(c) आधार प्रदान करना
(d) प्रकाश-संश्लेषण

28. सरल उपकला एक ऊतक है जिसमें कोशिकाएँ
(a) कठोर होती हैं और अंगों को आधार प्रदान करती हैं।
(b) अंग बनाने के लिए लगातार विभाजित होती रहती हैं।
(c) एकल परत बनाने के लिए एक-दूसरे से सीधे चिपकी रहती हैं।
(d) अनियमित परत बनाने के लिए एक-दूसरे से शिथिलता से जुड़ी रहती हैं।

29. कुट्टिम उपकला इसका नाम है
(a) शल्की उपकला
(b) घनाभ उपकला
(c) पक्ष्माभी उपकला
(d) स्तम्भकार उपकला

30. कुर्च परिवेशित उपकला इसमें पायी जाती है
(a) आमाशय
(b) छुद्रान्त्र
(c) डिम्बवाहिनी नली
(d) श्वासनली

31. पक्ष्माभी उपकला इसमें पायी जाती है
(a) जिह्वा
(b) ग्रसिका।
(c) श्वासनली
(d) गर्भाशय

32. किस प्रकार का ऊतक ग्रन्थियाँ बनाता है ?
(a) उपकला
(b) संयोजी
(c) तन्त्रिका
(d) पेशी

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33. गर्तिकामय ऊतक है
(a) तंत्रिका ऊतक
(b) संयोजी ऊतक
(c) पेशी ऊतक
(d) अस्थि ऊतक

34. कलश कोशिकाओं का कार्य क्या है?
(a) HCl का उत्पादन
(b) श्लेष्मा का उत्पादन
(c) एन्जाइमों का उत्पादन
(d) हार्मोनों का उत्पादन

35. एक लम्बी अस्थि का सिरा, दूसरी अस्थि से इसके द्वारा जुड़ा होता है
(a) स्नायु
(b) कण्डरा
(c) उपास्थि
(d) पेशी

उत्तरमाला

  1. (a)
  2. (c)
  3. (d)
  4. (a)
  5. (b)
  6. (a)
  7. (a)
  8. (d)
  9. (b)
  10. (d)
  11. (a)
  12. (c)
  13. (b)
  14. (a)
  15. (a)
  16. (a)
  17. (d)
  18. (c)
  19. (b)
  20. (b)
  21. (d)
  22. (a)
  23. (a)
  24. (a)
  25. (c)
  26. (c)
  27. (a)
  28. (c)
  29. (a)
  30. (b)
  31. (c)
  32. (a)
  33. (b)
  34. (b)
  35. (a)

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 UP Board Solutions for Class 8 Hindi प्रार्थना पत्र (पत्र-लेखन)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi प्रार्थना पत्र (पत्र-लेखन)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 8 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 8 Hindi प्रार्थना पत्र (पत्र-लेखन).

पत्र लिखना Patra Lekhan भी एक अत्यन्त आवश्यक कला है। अतः विद्यार्थियों को इसका ज्ञान भी आवश्यक है। पत्र-लेखन ही ऐसी कला है जिसके द्वारा हम दूर बैठे (UPBoardSolutions.com) अपने मित्रों, निकट सम्बन्धियों आदि से सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं।
पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए

1. पत्र की भाषा सरल और शिष्ट होनी चाहिए।
2. एक ही बात को बार-बार नहीं दोहराना चाहिए।
3. प्रत्येक बात एक-दूसरे से सम्बन्धित होनी चाहिए।
4. लेखनी शुद्ध और साफ होनी चाहिए।

पत्र मुख्यतः निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं:

1. व्यक्तिगत पत्र – ये पत्र अपने मित्रों, सम्बन्धियों, जैसे- माता-पिता, भाई-बहन आदि के लिए लिखे जाते हैं।
2. व्यापारिक पत्र – ये पत्र वस्तुओं को खरीदने और बेचने आदि अर्थात् व्यापार की बातों के लिए लिखे जाते है।
3. सरकारी तथा अर्ध – सरकारी पत्र-ये पत्र सरकारी कार्यालयों को लिखे जाते हैं।

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1. व्यक्तिगत पत्र

पुत्र का पिता को पत्र
लक्ष्मी नगर, लखनऊ
दिनांक : 1 जुलाई, 20xx
परम पूज्य पिताजी,
सादर चरण स्पर्श!
ईश्वर की कृपा से हम सभी कुशलपूर्वक हैं और आपकी कुशलता की कामना करते हैं। मेरा विद्यालय कल से खुल गया है। नई कक्षा में आकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। (UPBoardSolutions.com) मैंने अपनी सभी पुस्तकें खरीद ली हैं। आप जब घर आएँगे तो आपको दिखाऊँगा। आप छुट्टियों में अवश्य घर आने की कृपा करें। हम सबको पत्र का उत्तर शीघ्र देने की कृपा करें।
आपका प्रिय पुत्र
विजय कुमार

पिता का पुत्र को पत्र

गांधी नगर, मेरठ
दिनांक : 4 जुलाई, 20xx
प्रिय पुत्र विजय
चिरंजीव रहो!
तुम्हारा पत्र कल मुझे मिल गया था। मुझे यह पढ़कर बहुत खुशी हुई कि तुमने नई कक्षा में प्रवेश ले लिया। है और पुस्तकें भी खरीद ली हैं। अब तुम्हें खूब मन लगाकर पढ़ना चाहिए ताकि कक्षा में प्रथम आ सको। मैं छुट्टियों में अवश्य घर आऊँगा। आने से पूर्व पत्र लिख दूंगा। घर में सबको प्यार एवं आशीर्वाद।
तुम्हारा शुभाकांक्षी
रघुबर दत्त बलूनी

मित्र का मित्र को पत्र

गांधी नगर, लखनऊ
दिनांक : 2 अप्रैल, 20xx
परम प्रिय मित्र अजय,
सप्रेम नमस्ते!
तुमने मेरे पत्र का उत्तर नहीं दिया। क्या कारण है? मुझे चिन्ता हो रही है। आगे समाचार यह कि मेरी पढाई बहुत अच्छी चल रही है। तुम भी खूब परिश्रम करना ताकि गतवर्ष की भाँति हम दोनों वार्षिक परीक्षा (UPBoardSolutions.com) में प्रथम श्रेणी प्राप्त कर सकें। परीक्षण के बाद छुट्टियाँ हो जाएँगी। छुट्टियों में तुम मेरे यहाँ आ जाना। हम दोनों खूब घूमेंगे और खेलेंगे। यहाँ कई दर्शनीय स्थान हैं। ये सब स्थान हम देखेंगे। तुम अवश्य आना। अपने पिताजी और माताजी को मेरा प्रणाम कहना। पत्र का उत्तर अवश्य देना।
तुम्हारी मित्र
प्रदीप कुमार

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2. व्यापारिक पत्र

व्यापारिक पत्र-पुस्तकें मँगवाने के लिए पत्र

व्यवस्थापक,
अशोक प्रकाशन (रजि०)
डिप्टी गंज,
बुलन्दशहर (उ०प्र०)
महोदय,
निम्नलिखित पुस्तकें ट्रांसपोर्ट कम्पनी द्वारा तुरन्त भेजने की व्यवस्था करें तथा बिल्टी पंजाब नेशनल बैंक, रिंग रोड ब्रांच द्वारा भेज दें।

1. राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा – 7 50 प्रतियाँ
2. राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा – 8 50 प्रतियाँ

भवदीय
व्यवस्थापक
गाजियाबाद
दिनांक : 21 जून, 20xx

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ग्राहक द्वारा शिकायती पत्र

मेरठ शहर
व्यवस्थापक महोदय,
दिनांक : 25 जून, 20xx
श्रीमान जी,
आपके द्वारा भेजा हुआ पुस्तकों का पार्सल समय पर मिल गया। पार्सल खोलने पर उसमें से राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा- 8 की एक प्रति कम निकली है।
अतः आपसे निवेदन है कि आप डाक द्वारा यह पुस्तक शीघ्र भेज दें।
धन्यवाद!
भवदीय
राज बुक डिपो
चौक, इलाहाबाद

शिकायती पत्र को उत्तर

अशोक प्रकाशन (रजि०)
डिप्टीगंज, बुलन्दशहर
दिनांक : 28 जून, 20xx
प्रिय महोदये।
सप्रेम नमस्कॉर!
आपका पत्र दिनांक 23 जून, 26xx को प्राप्त हुआ। हमें खेद है कि पार्सल में एक पुस्तक कम निकली है। हम पहें पुस्तक आपको ठीक द्वारा भेज रहे हैं। पुस्तक प्राप्त होने पर सूचित करें।
धन्यवाद।
भवदीय
व्यवस्थापक

3. सरकारी एवं अर्द्ध-सरकारी पत्र

अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र

श्रीमान प्रधानाध्यापक महोदय,
उच्च प्राथमिक विद्यालय, लखनऊ।
श्रीमान जी,
सविनय निवेदन है कि गत रात्रि से मेरे कान में बहुत अधिक दर्द हो रहा है। इस कारण मैं विद्यालय आने में असमर्थ हैं। कृपया मुझे 11.07.20XX से 12.07.20xx तक दो दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।
मैं आपका अत्यन्त आभारी रहूँगा।
आपको आज्ञाकारी शिष्य
सतीश सिंघल
कक्षा 8 ब
दिनांक : 10 जुलाई, 20xx

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शुल्क मुक्ति हेतु प्रार्थना पत्र

प्रधानाध्यापिका महोदया,
उच्च प्राथमिक विद्यालय, इलाहाबाद।
महोदया,
मैं आपके विद्यालय की कक्षा 8 अ की छात्रा हूँ, गत वर्ष में मैंने कक्षा 6 और 7 में आपके विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति (UPBoardSolutions.com) इतनी अच्छी नहीं है कि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। मेरे पिताजी की मासिक आय केवल 5000 रुपये है तथा मेरे छोटे बहन, भाई क्रमशः तीसरी और छठी कक्षा में पढ़ रहे हैं।
अतः आपसे सविनय प्रार्थना है कि गत वर्ष की भाँति आप मुझे इस वर्ष भी शुल्क से मुक्ति प्रदान करने की कृपा करें ताकि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। मैं आपकी अत्यन्त आभारी रहूँगी।
आपकी आज्ञाकारी शिष्या
रजनी
कक्षा 8 अ।
दिनांक : 09 जुलाई, 20xx

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 32 चंद्रशेखर आजाद (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 32 चंद्रशेखर आजाद (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को अलीराजपुर जिले (मध्य प्रदेश) के भावरा गाँव में हुआ था। इनके पिता पं० सीताराम तिवारी मूलरूप से उन्नाव जिले (उ० प्र०) के बदरका गाँव के रहने वाले थे। इनकी माता का नाम जगरानी देवी था। प्राथमिक शिक्षा गाँव में पाने के बाद 14 वर्ष की उम्र में आगे की पढ़ाई के लिए चंद्रशेखर काशी चले गए। चंद्रशेखर अब बनारस में संस्कृत शिक्षा पर रहे थे उसी समय वैशाखी के दिन 13 अप्रैल, सन् 1919 को रॉवल एक्त के विरोध (UPBoardSolutions.com) में अमृतसर के जॉलियाँवाला बाग एक सभा हो रही थी। इस सभा में बच्चे, बूढे तथा युवक सभी शामिल थे। सभा के दौरान जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। रॉयल एक्ट द्वारा क्रांतिकारियों के दमन हेतु कठोर कानून बनाया गया था।

जालियाँवाला बाग वाली घटना की जानकारी चंद्रशेखर को समाचार-पत्रों से हुई। अंग्रेजी शासन के इस अल्लर के विरूद्ध किशोर चंद्रशेखर का खून खौल उठा। इन्होंने अंग्रेजों द्वारा अपने देशवासियों पर किए जा रहे अत्याचारों का बदला लेने की मन में ठान ली। सन् 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन के कारण पूरे देश में अंग्रेजी शासन का विरोध शुरू हो गया था। लोग विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर उन्हें जला रहे थे। इस स्वदेशी आंदोलन के प्रभाव से चंद्रशेखर भी अछूते न रहे और आँदोलन में शामिल हो गए। जहाँ जुलूस व हड़तालें होतीं, चंद्रशेखर वहाँ तत्तकाल पहुँच जाते। उस समय चंद्रशेखर की उम्र 16 वर्ष थी।

उसी समय बनारस के एक जूलूस का नेतृत्व करते समय चंद्रशेखर को अंग्रेज पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। अगले दिन चंद्रशेखन को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। वहाँ मजिस्ट्रेट ने पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है? उन्होंने जवाब दिया- आजाद! फिर मजिस्ट्रेट ने पूछा तुम्हारे पिता का नाम क्या है? जबाब था स्वतंत्रता! उसने चंद्र शेखर (UPBoardSolutions.com) को 15 बेंतों की कठोर सजा सुनाई। इन्होंने हँसते-हँसते व भारत माता की जय बोलते हुए पंद्रह बेंतों की कठोर सज़ा झेली। इस घटना के बाद चंद्रशेखर आजाद क्रांतिकारी बन गए। इनके विचारों एवं नीडरता की ख्याति चारों तरफ फैल गई। कावेरी रेलवे स्टेशन के पास 9 अगस्त 1925 को सरकारी खजाने का लूटने की की घटना में आजाद की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इनके अधि। कांश साथी पकड़े गए।

कुछ को फाँसी हुई, लेकिन आजाद, आजाद रहे। साइमन कमीशन के विरोध में सन् 1928 में हुए पर्दशन में पुलिस की मार से लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। इनकी मृत्यु का बदला लेने के लिए आजाद, भगत सिंह, तथा राजगुरु ने पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्या कर दी। उन्हें अंग्रेज पुलिस कभी पकड़ न सकी। 27 फरवरी, सन् 1931 को आजाद अल्फ्रेड पार्क, इलाहबाद में अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ मंत्रणा कर रहे थे तभी किसी गद्दार ने उनके वहाँ होने की सूचना अंग्रेजी शासन को (UPBoardSolutions.com) दे दी। पूरा पार्क पुलिस द्वारा घेर लिया गया। चारों तरफ से गोलियाँ चल रही थीं। आजाद भी जवाब में गोली दाग रहे थे। उन्होंने अपने साथियों को सुरक्षित बाहर निकाल दिया तथा अकेले मोर्चे पर डठे रहे। जब आजाद के पास एक ही गोली बची तो उन्होंने स्वयं ही अपनी कनपटी पर मार ली। घेरों पुलिस उनके खौफ से उनके पास नही आई। आजाद ने पहले ही प्रतिज्ञा की थी कि कभी भी वे जीवित शासन के हाथ नहीं आएँगे। उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
प्रश्न 1.
चंद्रशेखर आजाद का जन्म स्थान भारत के किस राज्य में स्थित है?
उत्तर :
चंद्रशेखर आजाद का जन्म स्थान मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है।

प्रश्न 2.
जलियाँवाला बाग कहाँ स्थित है?
उत्तर :
जलियाँवाला बाग भारत के पंजाब राज्य के अमृतसर में स्थित है।

प्रश्न 3.
जलियाँवाला बाग कांड में किसने गोली चलाने का आदेश दिया था?
उत्तर :
जालियाँवाला बाग कांड में जनरल डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था।

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प्रश्न 4.
आजाद ने किस क्रांतिकारी संस्था का गठन किया?
उत्तर :
आजाद ने हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन’ नामक क्रांतिकारी संस्था का गठन किया था।

प्रश्न 5.
चंद्रशेखर आजाद ने क्या प्रतिज्ञा की थी?
उत्तर :
चंद्रशेखर आजाद ने प्रतिज्ञा की थी कि वे कभी जीते जी अंग्रेजी शासन के हाथ नहीं आएँगे।

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प्रश्न 6.
मिलान कीजिए
उत्तर :
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