UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 10 सत्साहस (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 10 सत्साहस (मंजरी)

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महत्त्वपूर्ण गद्यांश की व्याख्या

सत्साहसी …………….. नहीं देता है।

संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांशं हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘सत्साहस’ नामक पीठ से लिया गया है। इस निबन्ध के लेखक गणेश शंकर विद्यार्थी हैं।

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प्रसंग:
लेखक ने सत्साहस के लिए हृदय की पवित्रता, उदारता, (UPBoardSolutions.com) चारित्रिक दृढ़ता और कर्तव्यपरायणता आदि गुणों का होना जरूरी बताया है।

व्याख्या:
सत्साहसी व्यक्ति में एक शक्ति होती है जो छिपी होती है। इस शक्ति के बल से वह दुखी व्यक्ति को बचाने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देता है। इसी शक्ति से वह अपने देश धर्म, जाति और परिवार की रक्षा करता है। वह संकट में पड़े अपरिचित व्यक्ति की भी बिना स्वार्थ, इस शक्ति की प्रेरणा से सहायता करता है। इस सहायता कार्य में वह मुसीबतों का प्रसन्नतापूर्वक सामना करता हुआ स्वार्थपरता से दूर रहता है।

पाठ का सार (सारांश)

संसार के सभी महापुरुष साहसी हुए हैं। अपने साहस के कारण ही अर्जुन, भीष्म, अभिमन्यु आदि को हम याद करते हैं। आल्प्स के शिखरों को पार करने वाले हनीवल और नेपोलियन अतुलनीय साहस वाले थे। साहस के प्रभाव से तैमूर, बाबर, शिवाजी, रणजीत सिंह आदि ने कुछ-से-कुछ कर दिया।
क्रोधान्ध होकर स्वार्थवश साहस दिखांना निम्न श्रेणी का (UPBoardSolutions.com) साहस माना जाता है। मध्यम श्रेणी का साहस शूरवीरों में पाया जाता है परन्तु ज्ञान की कमी के कारण वह निस्तेज-सा प्रतीत होता है। सर्वोच्च श्रेणी के साहस के लिए शारीरिक बलिष्ठता और धन जरूरी नहीं है। इसके लिए हृदय की पवित्रता, उदारता और चरित्र की दृढ़ता के साथ कर्तव्यपरायणता आदि गुण जरूरी हैं। कर्तव्य-ज्ञान से रहित मनुष्य पशु समान होता है।
सर्वोच्च साहस के लिए कर्तव्यपरायण होना परम आवश्यक है। मारवाड़ को बुद्धन सिंह जयपुर जाकर बस गया। मराठों ने मारवाड़ पर हमला कर दिया। मातृभूमि को संकट में पड़ा जानकर बुद्धन, सिंह का खून खौल उठा। उसने अपने वीर राजपूतों के साथ मारवाड़ आकर समय पर अपने देश और राजा की सेवा की। आज भी राजपूत स्त्रियाँ बुद्धन सिंह और उसके साथियों की वीरता के गीत गाती हैं।
सत्साहसी के लिए स्वार्थ त्याग आवश्यक है। हमें देश, काल (UPBoardSolutions.com) और कर्तव्य का विचार करना चाहिए। और स्वार्थरहित होकर साहस न छोड़ते हुए कर्तव्यपरायण बनने का यत्न करना चाहिए।

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प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को
नोट- विद्यार्थी प्रश्न 1 वे प्रश्न 2 पाठ्य पुस्तक में देखकर स्वयं हल करें।

प्रश्न 3:
हमारे देश में हर वर्ष 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर बहादुर (UPBoardSolutions.com) बच्चों को ‘राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिये जाते हैं। इन पुरस्कारों के बारे में विस्तार से जानकारी कीजिए तथा सभी को बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भारत में हर वर्ष 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर बहादुर बच्चों को दिए जाते हैं। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 में ये पुरस्कार शुरू किये थे। पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण-पत्र और नकद राशि दी जाती है। सभी बच्चों को विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है। 26 जनवरी के दिन ये बहादुर बच्चे हाथी पर सवारी करते हुए गणतंत्र दिवस परेड में सम्मिलित होते हैं। इन पुरस्कारों में निम्न पाँच पुरस्कार सम्मिलित हैं- (UPBoardSolutions.com)

  1.  भारत  पुरस्कार (1987 से),
  2.  गीता चोपड़ा पुरस्कार (1978 से),
  3.  संजय चोपड़ा पुरस्कार (1978 से),
  4. बापू गैधानी पुरस्कार (1988 से),
  5. सामान्य राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (1957 से)।

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प्रश्न 4:
प्रत्येक पाठ के साथ ही लेखकों व उनकी कृतियों का (UPBoardSolutions.com) परिचय संक्षेप में दिया गया है, नीचे दिये गये समूह ‘क’ के लेखकों के सम्मुख उनकी कृतियाँ समूह ‘ख’ से चुनकर अपनी पुस्तिका में लिखिए
उत्तर:
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विचार और कल्पना

प्रश्न 1:
चित्र को देखकर आपके मन में जो विचार आ रहे हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर:
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चित्र में एक लड़का एक लड़की को डूबने से बचा रहा है। (UPBoardSolutions.com) इससे लड़के के साहसी, परोपकारी और कर्तव्यपरायण होने का पता चलता है।

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प्रश्न 2:
आपके विचार से किसी डूबते हुए को बचाना किस प्रकार का साहस है ?
उत्तर:
हमारे विचार में किसी डूबते हुए को बचाना सर्वोच्च साहस है।

निबन्ध से।

प्रश्न 1:
लेखक ने साहस की कितनी श्रेणियाँ बतायी हैं तथा (UPBoardSolutions.com) उनकी क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर:
लेखक के अनुसार साहस की तीन श्रेणियाँ हैं- निम्न, मध्यम और सर्वोच्च।

निम्न श्रेणी की विशेषता:
निम्न प्रकार का साहस जो क्रोधान्ध होकर स्वार्थ के लिए दिखाया जाता है, प्रशंसनीय नहीं होता है।

मध्यम श्रेणी की विशेषता:
यह साहस शूरवीरों में पाया जाता है। उनके विचार उच्च तथा निर्भीकता को भली-भाँति प्रकट करते हैं। इस प्रकार का साहस निस्सन्देह प्रशंसनीय है, परन्तु ज्ञान की कमी के कारण निस्तेज-सा प्रतीत होता है।

‘सर्वोच्च श्रेणी की विशेषता:
सर्वोच्च श्रेणी के साहस के लिए हृदय की पवित्रता, उदारता, (UPBoardSolutions.com) चारित्रिक दृढ़ता और कर्तव्यपरायणता आदि का होना जरूरी है। सत्साहसी को स्वार्थरहित होना भी जरूरी है।

प्रश्न 2:
बुद्धन सिंह द्वारा सत्साहस का कौन-सा कार्य किया गया?
उत्तर:
बुद्धन सिंह ने स्वार्थरहित भाव से, कर्तव्यभावना से प्रेरित होकर संकटों की परवाह न करके समय पर उपस्थित होकर मातृभूमि की रक्षा की।

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प्रश्न 3:
सत्साहसी व्यक्ति में कौन-सी गुप्तशक्ति रहती है, जिसके बल पर वह दूसरों को दुःख से बचाने के लिए प्राण तक दे सकता है ?
उत्तर:
सत्साहसी व्यक्ति हृदय की पवित्रता और चारित्रिक दृढ़ता के बल पर, (UPBoardSolutions.com) दूसरों को दुख से बचाने के लिए प्राण तक दे सकता है।

प्रश्न 4:
लेखक के अनुसार सत्साहस के लिए अवसर की राह देखने की आवश्यकता नहीं है, क्यों?
उत्तर:
लेखक के अनुसार सत्साहस के लिए अवसर की राह देखने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि सत्साहस दिखाने का अवसर प्रत्येक मनुष्य के जीवन में पल-पल में आया करता है।

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प्रश्न 5:
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए। (UPBoardSolutions.com)

(क) बिना किसी प्रकार का साहस दिखलाये किसी जाति या किसी देश का इतिहास ही नहीं बन सकता।
उत्तर:
भावे- इतिहास में साहस की घटनाओं का वर्णन होता है।

(ख) कर्तव्य का विचार प्रत्येक साहसी मनुष्य में होना चाहिए।
उत्तर:
भाव- साहसी व्यक्ति के लिए कर्तव्यपरायण होना जरूरी है।

(ग) कर्तव्य-ज्ञान-शून्य मनुष्य को (UPBoardSolutions.com) मनुष्य नहीं, पशु समझना चाहिए।
उत्तर:
भाव- जो व्यक्ति अपना कर्तव्ये नहीं जानता, वह पशु के समान होता है।

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भाषा की बात

प्रश्न 1:
‘बलिष्ठता’ शब्द बलिष्ठ+ता (प्रत्यय) से बना है। ‘बलिष्ठ’ शब्द विशेषण और (UPBoardSolutions.com) ‘बलिष्ठता’ शब्द भाववाचक संज्ञा है। इसी प्रकार निम्नलिखित विशेषण शब्दों के साथ ‘ता’ प्रत्यय जोड़कर भाववाचक संज्ञा बनाइए
पवित्र, उदार, दृढ़, अनभिज्ञ, कायर, कठोर, कोमल, मधुर।
उत्तर:
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प्रश्न 2:
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(क) रक्त उबल पड़ना (क्रोधित हो उठना)- मातृभूमि पर हमले की खबर सुनकर राजपूतों का रक्त उबल पड़ा।
(ख) मस्तक झुकाना (हार मानना)- राणा प्रताप ने अकबर के सामने मस्तक झुकाने से इनकार कर दिया।
(ग) जान पर खेल जाना (अपूर्व वीरता दिखाना)-  (UPBoardSolutions.com) हमारे सैनिकों ने जान पर खेलकर भीषण युद्ध में शत्रु को हराया।
(घ) फटकने न देना (पास न आने देना)- सत्साहसी व्यक्ति स्वार्थपरता को पास नहीं फटकने देता। …
(ङ) अवसर की राह देखना (उचित मौका हूँढना)- हुमायूँ अवसर की राह देख रहा था। उसने शेरशाह सूरी के मरने पर भारत में पुनः राज्य स्थापित किया।

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प्रश्न 3:
अग्निकुंड’ तथा ‘स्वदेश-भक्ति’ सामासिक पद हैं। इनका विग्रह होगा- ‘अग्नि का कूड’ तथा ‘स्वदेश के लिए भक्ति’। इनमें क्रमशः- सम्बन्ध कारक तथा सम्प्रदान कारक का चिह्न लगा हुआ है। समास होने पर उनका लोप हो जाता है। नीचे लिखे शब्दों का (UPBoardSolutions.com) समासविग्रह कीजिए
देश-प्रेम, क्रोधान्थ, इतिहास-वेत्ता, समाज-हित-चिन्तक, कर्तव्य-ज्ञान-शून्य
उत्तर:
शब्द                                                              समास-विग्रह
देश-प्रेम                       –                                   देश के लिए प्रेम
क्रोधान्ध                        –                                   क्रोध में अन्धा
इतिहास-वेत्ता               –                                   इतिहास का वेत्ता
समाज-हित-चिन्तक     –                                   समाज के हित का चिन्तक
कर्तव्य-ज्ञान-शून्य         –                                  कर्तव्य के ज्ञान से शून्य

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प्रश्न 4:
निम्नलिखित संज्ञा शब्दों को बहुवचन में बदलकर अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
माला, झरना, रोटी, आँख, कपड़ा, बालिका। (UPBoardSolutions.com)
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 10 सत्साहस (मंजरी) image - 4

इस निबन्ध पाठ के आधार पर आप भी दो प्रश्न बनाइए।
प्र०1. सर्वोच्च श्रेणी के साहस की क्या (UPBoardSolutions.com) विशेषता है?
प्र०2. सर्वोच्च कोटि के साहस, उच्चकोटि के साहस और मध्यम कोटि के साहस में क्या अंतर है?

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इस निबन्ध पाठ से मैंने सीखा ………..
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें। (UPBoardSolutions.com)

अब मैं करूँगा/करूंगी………..।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 35 हमारे वैज्ञानिक (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 35 हमारे वैज्ञानिक (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

सर सी०वी० रमन-चन्द्रशेखर वेंकट रमन का जन्म 7 नवम्बर, 1888 ई० को तमिलनाडु के तिरूचरापल्ली नगर में हुआ। इनके पिता चन्द्रशेखर कालेज में अध्यापक थे। रमन ने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कालेज से एम०ए० की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने पर इन्होंने लेखा विभाग की परीक्षा पास की और कोलकाता में डिप्टी एकाउंटेंट जनरल का पद प्राप्त किया। (UPBoardSolutions.com) इस पद से त्यागपत्र देकर कोलकाता से भौतिक शास्त्र के प्राध्यापक बने। कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि के रूप में ये लन्दन में आयोजित सम्मेलन में गए। लौटते समय ये समुद्र के पानी को देखकर सोचने लगे कि यह नीला क्यों है।

सर सी०वी० रमन ने वैज्ञानिक शोध से पता लगाया कि प्रकाश यदि पारदर्शी माध्यम से गुजरेगा, तो उसकी प्रकृति में बदलाव आएगा। यही कारण है कि सूर्य की किरणों के प्रकाश को पानी परावर्तित कर देता है। इसीलिए समुद्र का पानी नीला दिखाई देता है। सूर्य के प्रकाश के इस प्रभाव को ‘रमन इफेक्ट’ के नाम से जाना जाता है। रमन की इस महत्त्वपूर्ण खोज के लिए सन् 1930 ई० में भौतिकी के क्षेत्र में इन्हें नोबल अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सन् 1943 ई० में रमन ने बंगलौर के निकट रमन इंस्टीट्यूट’ नामक संस्था स्थापित की। यें इस संस्था में 27 वर्ष तक कार्य करते रहे। 20 नवम्बर, 1970 में उनका निधन हो गया।

डॉ० होमी जहाँगीर भाभा-डॉ० होमी जहाँगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर, 1909 ई० को मुम्बई के पारसी परिवार में हुआ। इन्होंने इण्टर मुम्बई से पास किया। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से 1930 में इन्होंने बी०एस-सी० पास की और 1934 में पी०एच-डी० की उपाधि प्राप्त की। सन् 1940 ई० में भारत आए। इन्होंने बंगलौर इण्डियन इस्टीट्यूट ऑफ साइंस संस्था में अन्तरिक्ष किरणों पर शोध किए। इन्होंने बताया कि बाहय अन्तरिक्ष से आने वाली किरणों के (UPBoardSolutions.com) कण बहुत छोटे और तेज गति से चलते हैं। ये पृथ्वी के वायुमण्डल में हवा में मौजूद परमाणुओं से तेजी से टकराते हैं। इस टक्कर से परमाणुओं के इलेक्ट्रॉन अलग हो जाते है। अलग हुए इलेक्ट्रॉन में एक और कण मेसॉन होता है। इस प्रकार प्रत्येक वस्तु छोटे-छोटे परमाणुओं से निर्मित होती है।

परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन कण होते हैं। नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते हैं। प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रान में ऊर्जा की मात्रा अधिक होती है। इस प्रकार भाभा ने दुनिया को अन्तरिक्ष की इन किरणों के रहस्य से अवगत कराया। । सन् 1948 ई० मे डॉ० भाभा परमाणु शक्ति आयोग के चेयरमैन बने। इनके कुशल निर्देशन में अप्सरा, (UPBoardSolutions.com) सिरस और जरलीना नामक रिएक्टरों की स्थापना हुई। इनके निर्देशन में सन् 1936 ई० में ट्रॉम्बे परमाणु बिजलीघर स्थापित हुआ। 18 मई, 1978 के दिन राजस्थान के पोखरण स्थान पर शान्तिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु विस्फोट किया गया। नाभिकीय परिवार का भारत विश्व में छठा राष्ट्र बन गया। विज्ञान के क्षेत्र में डॉ० भाभा के योगदानों के लिए इन्हें 1942 में एडम्स पुरस्कार, 1948 ई० में हाकिंस पुरस्कार और 1954 ई० में पद्म भूषण की उपाधि दी गई। सन् 1966 ई० में भाभी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई।

ए०पी०जे० अब्दुल कलाम-इनका पूरा नाम अब्दुल पाकिर जैनुलआबदीन अब्दुल कलाम है। इनको जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ। इन्होंने तमिलनाडु से ही बी०एस-सी० परीक्षा पास की। इसके बाद मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी चेन्नई से इन्होंने इंजीनियरिंग की परीक्षा उत्तीर्ण की। इन्होंने वैमानिकी इंजीनियरिंग में विशेष योग्यता प्राप्त की। वैज्ञानिक के रूप में सफर करते हुए ये सन् 2002 ई० में भारत के बारहवें राष्ट्रपति चुने गए।

अब्दुल कलाम ने कड़ी मेहनत और लगन से प्रथम उपग्रह प्रक्षेपक यान एसएलवी-3 का निर्माण किया। इन्होंने ‘पृथ्वी’ और ‘अग्नि’ मिसाइल बनाकर देश को मिसाइल शक्ति सम्पन्न बनाया। पृथ्वी मिसाइल का वजन 14 टन है। यह जमीन से जमीन पर 250 किलोमीटर दूरी तक शत्रु के ठिकाने नष्ट कर सकता है। अग्नि मिसाइल की ऊँचाई 21 मीटर और वजन 16 टन है। यह हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। यह 1200 से 2500 किलोमीटर दूरी तक शत्रु के जहाजों (UPBoardSolutions.com) या मिसाइलों को नष्ट कर सकता है। इन मिसाइलों का उपयोग आक्रमण होने पर देश की रक्षा के लिए किया जाता है। वर्ष 1998 ई० के पोखरण परमाणु विस्फोट का श्रेय अब्दुल कलाम को ही है। इन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया है।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
सर सी०वी० रमन का जीवन परिचय लिखिए। सी०वी० रमन की प्रमुख उपलब्धियाँ कौन-कौन सी हैं?
नोट – विद्यार्थी इस प्रश्न के उत्तर हेतु इस पाठ का सारांश भाग पढ़ें।

प्रश्न 2.
डॉ० होमी जहाँगीर भाभी के जीवन और उपलब्धियों के विषय में लिखिए।
नोट – विद्यार्थी इस प्रश्न के उत्तर हेतु इस पाठ का सारांश भाग पढ़ें।

प्रश्न 3.
अब्दुल कलाम के जीवन परिचय का उल्लेख संक्षेप में कीजिए एवं विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान को विस्तार से लिखिए।
नोट – विद्यार्थी इस प्रश्न के उत्तर हेतु पाठ का सारांश भाग पढे।

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प्रश्न 4.

निम्नलिखित के विषय में पता करके लिखिए
पीएच-डी०, पद्म भूषण, भारत रत्न, नोबेल पुरस्कार

उत्तर :
पी०एच-डी० – 
यह उपाधि ‘डॉ० ऑफ फिलॉसफी’ किसी शोध कार्य से सम्बन्धित लेख या ग्रन्थ लिखने पर विश्वविद्यालयों द्वारा अनुमोदित होने पर दी जाती है।
पद्म भूषण – यह पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट और उल्लेखनीय सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। इसमें सरकारी कर्मचारी द्वारा की गई सेवा भी शामिल है।
भारत रत्न – उच्चकोटि के विद्वान, अद्वितीय राष्ट्र सेवा, विश्व शान्ति के लिए किए गए प्रयास आदि के लिए भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान।
नोबेल पुरस्कार – यह अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार है। यह स्वीडन के महान वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में प्रतिवर्ष विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व खोजों या योगदानों के लिए दिया जाता है। ये क्षेत्र निम्न हैं

  • चिकित्सा शास्त्र
  • भौतिक विज्ञान
  • रसायन विज्ञान
  • साहित्य
  • शान्ति
  • अर्थशास्त्र।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित का उत्तर संक्षेप में लिखिए
(1).
मिसाइल क्या है?
उत्तर :
किसी उपकरण के माध्यम से फेंककर (UPBoardSolutions.com) मारा जाने वाला अस्त्र मिसाइल कहा जाता है। भारत के पास ‘अग्नि’ और ‘पृथ्वी’ मिसाइल अपनी रक्षा के लिए है।

(2).
वैज्ञानिक परीक्षण क्यों किए जाते हैं?
उत्तर :
वैज्ञानिक परीक्षण किसी तथ्य को जानने और उसकी सत्यता प्रमाणित करने के लिए किए जाते हैं।

(3).
सूर्य के प्रकाश में कितने रंग होते हैं?
उत्तर :
सूर्य के प्रकाश में सात रंग होते हैं- बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल।

(4).
पानी का रंग नीला क्यों दिखाई पड़ता है?
उत्तर :
पानी का रंग नीला दिखाई देता है क्योंकि प्रकाश पारदर्शी माध्यम (UPBoardSolutions.com) से गुजरेगा तो उसकी प्रकृति में बदलाव आ आएगा। सूर्य की किरणें पानी को परावर्तित कर देती हैं।

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(5).
हवा से हवा में मार करना, जमीन से जमीन पर मार करने का क्या आशय है?
उत्तर :
हवा से हवा में मार करने से आशय है- हवाई युद्ध। जमीन से जमीन पर मार करने से आशय है- स्थल युद्ध जो जमीन (पृथ्वी या धरातल) पर लड़ा जाता है।

प्रश्न 6.
निम्न तालिका को पूरा कीजिए (पूरा करके)
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प्रश्न 7. व 8.
नोट –
विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ

UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ

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वृत्त की स्पर्श रेखाएँ

अभ्यास 14 (a)

प्रश्न 1.
पार्श्व चित्र में O वृत्त का केंद्र है, और कुछ रेखाखंड खीचे गए हैं। ज्ञात कीजिए वृत्त की|
(i) दो छेदक रेखाएँ
(i) दो स्पर्श रेखाएँ
(iii) एक व्यास
(iv) एक स्पर्श बिन्दु और
(v) एक जीवा
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-1

  1. AC तथा FC
  2. GH JI FG
  3. BOA
  4. A या H
  5. HE था DE

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प्रश्न 2.
केंद्र O और त्रिज्या r वाले वृत्त की स्पर्श रेखा । है जो वृत्त को P पर स्पर्श करती है। यदि रेखा । पर स्थित कोई अन्य बिन्दु O है, तो निम्न कथनों में से सत्य अथवा असत्य कथन छाँटिएः
(i) OQ>r
(ii) OQ=r
(ii) OQ<r
(iv) OP>r
(v) OP = r
(vi)
OP> r
उत्तर

UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-2

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. असत्य
  4. असत्य
  5. सत्य
  6. असत्य

प्रश्न 3.
जीवा और छेदक रेखा में क्या अंतर है? चित्र बनाकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-3
जीवा – वृत्त पर स्थित किन्हीं दो बिन्दुओं को मिलाने वाले रेखाखंड को वृत्त की। जीवा कहते है। वृत्त पर स्थित बिन्दु A और B जीवाओं के अन्त्य बिन्दु हैं।

छेदक रेखा – उस रेखा को जो वृत्त को दो अलग-अलग (UPBoardSolutions.com) बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करती है, वृत्त की छेदक रेखा कहते हैं। चित्र में PQ एक छेदक रेखा है।

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प्रश्न 4.
2.0 सेमी त्रिज्या का एक वृत्त खींचिए। इस वृत्त के अभ्यन्तर , एक बिन्दु P लीजिए। ज्ञान कीजिए कि क्या P से होकर जाती हुई कोई ऐसी रेखा खींची जा सकती है जो वृत्त को स्पर्श करे?
उत्तर

UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-4

नहीं, P से होकर स्पर्श रेखा नहीं खींची जा सकती है ।

प्रश्न 5.
किसी वृत्त की छेदक रेखा और स्पर्श रेखा में क्या भिन्नता होती है? चित्र खींचकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-5

छेदक रेखा – किसी वृत्त की छेदक रेखा वह रेखा है। जो उस वृत्त को दो भिन्न बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करती है। चित्र में । छेदक रेखा है।

स्पर्श रेखा – किसी वृत्त की स्पर्श रेखा वह रेखा है जो (UPBoardSolutions.com) उस वृत्त को केवल एक ही बिन्दु पर काटती है। चित्र में m स्पर्श रेखा है।

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प्रश्न 6.
क्या व्यास वृत्त की छेदक रेखा है?
उत्तर
नहीं, स्पर्श रेखा है।

अभ्यास 14 (b)

प्रश्न 1.
पाश्र्व चित्र में O वृत्त का केंद्र है। PQ वृत्त की स्पर्श रेखा है और P स्पर्श बिन्दु है। ∠OPQ का मान कितना है?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-6
∵ वृत्त की त्रिज्या स्पर्श रेखा (UPBoardSolutions.com) के लम्बवत होती है।

∠OPQ = 90°

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प्रश्न 2.
3.0 सेमी त्रिज्या का एक वृत्त खींचिए। वृत्त पर एक बिन्दु P लीजिए। बिन्दु P से वृत्त की स्पर्श रेखा खींचिए। रचना भी लिखिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-7

रचना :

  1. सर्वप्रथम 3 सेमी त्रिज्या का वृत्त खींचा।
  2. इस वृत्त पर Pबिन्दु लेकर केन्द्र O से बिन्दु P को मिलाया।
  3. OP के Pबिन्दु पर 90° का कोण बनाती हुई रेखा ABखींची।

अतः APB अभीष्ट स्पर्श रेखा है।

प्रश्न 3.
O केंद्र वाला एक वृत्त है। वृत्त पर एक बिन्दु P दिया है। बताइये कि बिन्दु P से वृत्त की कितनी स्पर्श रेखाएँ खींची जा सकती है। उत्तर का कारण चित्र खींचकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-8
O केन्द्र वाला एक वृत्त है। वृत्त की परिधि पर बिन्दु P (UPBoardSolutions.com) स्थित है। OP त्रिज्या के बिन्दु P से केवल एक ही लम्ब रेखा खींची जा सकती है, अतः बिन्दु P से वृत्त पर एक और केवल एक ही स्पर्श रेखा खींची जा सकती है।

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प्रश्न 4.
किसी बिन्दु O को केंद्र मानकर 3.0 सेमी त्रिज्या का एक वृत्त खींचिए। चांदा और पटरी की सहायता से इस वृत्त की दो त्रिज्याएँ OA तथा OB इस प्रकारे खींचिए कि ∠AOB = 125°। बिन्दुओं A और B से वृत्त की स्पर्श रेखाएँ खींचिए। यदि दोनों रेखाएँ एक दूसरे को बिन्दु P पर। प्रतिच्छेद करें तो ∠ APB को नापकर लिखिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-9
सर्वप्रथम O केन्द्र का एक वृत्त खींचा जिसकी त्रिज्या 3.0 सेमी है। त्रिज्या OA के बिन्दु 0 पर 125° का कोण बनाती हुई त्रिज्या OB खींची। अब बिन्दु A और B से त्रिज्याओं क्रमशः OA और OB पर लम्ब खींचे जो एक-दूसरे को P पर प्रतिच्छेद करती हैं। नापने पर,

∠APB = 55°

अभ्यास 14 (c)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथनों में सत्य/असत्य कथन को अपनी अभ्यास पुस्तिका पर अलग-अलग करके लिखिए।
उत्तर

  1. वृत्त की कोई स्पर्श रेखा तथा स्पर्श बिन्दु से खींची गयी त्रिज्या एक दूसरे पर लम्बे होते हैं।      (सत्य)
  2. किसी वृत्त की छेदिका, उस वृत्त को दो से अधिक बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करती है।                (असत्य)
  3. किसी वृत्त की स्पर्श रेखा, उस वृत्त को केवल दो बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करती है।                   (असत्य)
  4. वृत्त के केन्द्र से उसकी किसी जीवा पर खींचा गया लम्ब, उस जीवा को समद्विभाजित करता है। (सत्य)

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प्रश्न 2.
O केन्द्र लेकर 2.5 सेमी त्रिज्या का एक वृत्त खींचिए। इस वृत्त पर एक बिन्दु P लीजिए। त्रिज्या OP खींचिए । रेखाखण्ड OP के बिन्दु P पर लम्ब PT खींचिए। क्या PT वृत्त की स्पर्श रेखा है?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-10
O वृत्त का केन्द्र तथा OP = 2.5 सेमी वृत्त की त्रिज्या है। (UPBoardSolutions.com) रेखाखण्ड OP के बिन्दु P पर । लम्ब PT खींचा। ∠OPT = 90°

अतः PT वृत्त की स्पर्श रेखा है।

प्रश्न 3.
पार्श्व चित्र में O वृत्त का केन्द्र हैं। चित्र से निम्नांकित में रिक्त स्थानों की पूर्ति अपनी अभ्यास पुस्तिका पर कीजिए :
उत्तर

  1. रेखाखण्ड AB वृत्त की जीवा है।
  2. रेखाखण्ड OR वृत्त की त्रिज्या है।
  3. रेखा CD वृत्त की छेदक रेखा है।
  4. रेखा PQ वृत्त की स्पर्श रेखा है।

प्रश्न 4.
2.5 सेमी त्रिज्या तथा 0 केन्द्र वाला एक वृत्त खींचिए। इस वृत्त पर दो बिन्दु A और B इस प्रकार लीजिए कि ∠AOB = 60°। बिन्दुओं A और B से वृत्त की स्पर्श रेखाएँ क्रमशः AP तथा BP खींचिए। ∠APB नापकर लिखिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-11
O वृत्ते को केन्द्र है केन्द्र O पर ∠AOB = 60° बिन्दु A और B से वृत्त की स्पर्श रेखाएँ AP तथा BP खींची जो कि एक दूसरे को बिन्दु P पर प्रतिच्छेद करती है।
∠OAP=∠OBP = 90°
∠APB = 180-60 = 120°

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प्रश्न 5.
पार्श्व आकृति में PQ वृत्त का एक व्यास है तथा PR एवं QS उस वृत्त की क्रमशः P. एवं Q पर स्पर्श रेखाएँ हैं। क्या PR||Qs है? अपने उत्तर के लिए कारण भी दीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-12
पार्श्व आकृति में PQ वृत्त का व्यास है तथा PR एवं Qs बिन्दु P तथा Q पर वृत्त की स्पर्श रेखाएँ हैं।
∠OPR = ∠OQS = 90°
OP⊥PR तथा OQ⊥QS

अतः PR||QS (क्योंकि वृत्त के केन्द्र से है तथा Q बराबर दूरी पर है। OP=OQ वृत्त की त्रिजाएँ)

प्रश्न 6.
पार्श्व आकृति में केन्द्र 9 वाले दो संकेन्द्रीय वृत्त (दोनों वृत्तों का एक ही केन्द्र O है) हैं। बड़े वृत्त की एक जीवा AB छोटे वृत्त की P पर स्पर्श रेखा है। क्या यह कहा सत्य होगा कि | AB बिन्दु P पर समद्विभाजित होती है? सकारणे उत्तर दीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-13
पार्श्व आकृति में केन्द्र O (दोनों वृत्तों का केन्द्र है।) बड़े (UPBoardSolutions.com) वृत्त की जीवा AB छोटे वृत्त की स्पर्श रेखा है।

∠OPA = ∠OPB = 90°

अतः वृत्त के केन्द्र से किसी जीवा पर डाला गया लम्ब जीवा को समद्विभाजित करता है। इसलिए बिन्दु P जीवा AB को समद्विभाजित करता है।

दक्षता अभ्यास-14

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प्रश्न 1.
पार्श्व चित्र में O वृत्त का केंद्र है। इसकी दो त्रिज्याएँ OP : एवं OQ इस प्रकार हैं कि ∠POQ= 120°। बिन्दुओं P और Q से वृत्त की स्पर्श रेखाएँ खींची गई हैं जो एक दूसरे को T पर प्रतिच्छेद करती हैं। ∠PTQ का मान है:
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-14
(i)
(ii) 1200°
(iii) 90°
(iv) 100°
उत्तर
∠ PTQ=180° – 1200° = 60° (i)

प्रश्न 2.
किसी वृत्त के केन्द्र के एक ओर दो समान्तर जीवाओं की लम्बाई 6 सेमी और 8 सेमी हैं। यदि वे 1 सेमी की दूरी पर हों, तो वृत्त का व्यास होगा
(i) 14 सेमी
(ii) 10 सेमी
(iii) 8 सेमी
(iv) 5 सेमी
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Maths Chapter 14 वृत्त की स्पर्श रेखाएँ img-15

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UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 9 सोहनलाल द्विवेदी (काव्य-खण्ड)

UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 9 सोहनलाल द्विवेदी (काव्य-खण्ड)

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए :

( उन्हें प्रणाम)

1. भेद गया है …………………………………………………………………………………… सतत प्रणाम॥ (Imp.)

शब्दार्थ-मर्म = हृदय। मुहताजों = निर्धन, परमुखापेक्षी संस्थापन = स्थापना सतत = निरन्तर, लगातार।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संगृहीत ‘उन्हें प्रणाम’ नामक शीर्षक कविता से उद्धृत किया गया है। इसके रचयिता पं० सोहनलाल द्विवेदी हैं। पाठ्य-पुस्तक में प्रस्तुत रचना ‘जय भारत जय’ काव्य संग्रह से उद्धृत की गयी है।

प्रसंग – इस पद्यांश में कवि ने ऐसे अज्ञात नामवाले महापुरुषों को प्रणाम निवेदित किया है, जो सदैव दीन-दुःखियों के सहयोगी बन मानवता के उपासक रहे हैं।

व्याख्या – पं० सोहनलाल द्विवेदी कहते हैं कि वे महापुरुष जिनका हृदय निर्धनों के दु:ख से बिंध गया है, जिनको निर्धन-दलितों के साथ रहते हुए भी लज्जा अनुभव नहीं होती, (UPBoardSolutions.com) वे चाहे जिस देश में रहें और चाहे जिस वेश में, हमेशा कर्मरत रहते हैं तथा मानवता की स्थापना को ही अपनी सच्चा धर्म समझते हैं, ऐसे अज्ञात नामवाले महापुरुषों को मेरा निरन्तर नमन है, नमन है।

काव्यगत सौन्दर्य

  • प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने अज्ञात नामवाले उन महापुरुषों को प्रणाम निवेदित किया है जो निरन्तर मानवता की स्थापना में लगे रहते हैं।
  • भाषा-शुद्ध साहित्यिक खड़ीबोली
  • शैली- भावात्मक
  • छन्द-24 मात्राओं का मात्रिक छन्द
  • रस-शान्त।
  • गुण-प्रसाद
  • अलंकार- अनुप्रास एवं पुनरुक्तिप्रकाश।
  • शब्द-शक्ति–अभिधा।
  • प्रस्तुत पद्यांश की बलिदानी नेताओं के पक्ष में भी व्याख्या की जा सकती है।

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2. कोटि-कोटि …………………………………………………………………………………… सतत प्रणाम।

शब्दार्थ-कोटि-कोटि = करोड़ों। उन्नत माथ = मस्तक ऊँचा किये हुए। प्रकाम = पूरी तरह, सम्पूर्ण । सत्पुरुषों = सज्जनों ।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘उन्हें प्रणाम शीर्षक से उधृत है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में कवि दीन-हीन लोगों का उद्धार और सहायता करनेवाले सत्पुरुषों को श्रद्धा अर्पित कर रहा है।

व्याख्या – कवि कहता है कि वे सत्पुरुष जो करोड़ों नंगे और भिखमंगे अर्थात् समाज द्वारा दलित-पीड़ित लोगों का साथ देते हैं तथा उन्नत मस्तक कर उनके साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चलते हैं-ऐसे दलितों के साथ रहकर लज्जा न अनुभव करनेवाले सत्पुरुषों को मेरा नमस्कार है। जो शोषित और (UPBoardSolutions.com) सताये हुए लोगों के हाथों को पकड़कर उन्हें उधर लिये आ रहे हैं जिधर पूर्ण स्वच्छता और स्वतन्त्रता है ऐसे ज्ञात और अज्ञात नामवाले आदरणीय उन सत्पुरुषों को मैं निरन्तर प्रणाम करता हूँ।

काव्यगत सौन्दर्य

  • महात्मा गाँधी जैसे सत्पुरुषों, जिन्होंने पद-दलितों और शोषितों का बिना किसी लज्जा के साथ दिया, के प्रति आदरभाव व्यक्त किया गया है।
  • भाषा-सरल साहित्यिक खड़ीबोली जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों का भी प्रयोग किया गया है।
  • शैली-ओजपूर्ण
  • रस-वीर।
  • गुण-ओज।
  • अलंकार-अनुप्रास एवं पुनरुक्तिप्रकाश।
  • शब्द-शक्ति–अभिधा।।

3. जिनके गीतों …………………………………………………………………………………… बलिदान।

शब्दार्थ-भ्रान्ति = भ्रम टेक = संकल्प, मान्यता। टिकती = स्थायी होती। वितान = विस्तार उच्छ्वसित = प्रसन्नता से उद्यत सहृदय = दयालु, संवेदनशील ।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं पं० सोहनलाल द्विवेदी की रचना ‘उन्हें प्रणाम’ से उद्धृत है।

प्रसंग – कवि उन गीतकारों की प्रशंसा कर रहा है जिनके गीत जनसाधारण के हृदयों को शान्ति, उत्साह एवं बलिदानी भावना प्रदान करते हैं।

व्याख्या – जिन गीतकारों के गीत मन को शान्ति प्रदान करते हैं, जिनके गीतों की तानें भ्रम को नष्ट कर देती हैं, जिनके स्वर मुरझाये मुखों पर जवानी की चमक उत्पन्न कर देते हैं और जिनके गीतों की टेक (स्थायी पंक्ति) मन में क्रान्ति-भावना को स्थायी बना देती है अथवा जिनके दृढ़ संकल्पों का आश्रय लेने से क्रान्तियाँ स्थायी हुआ करती हैं। जो मृत्यु का भी एक मधुर वरदान के समान स्वागत करते हैं, मृत्यु को सामने देख (UPBoardSolutions.com) जो भयभीत नहीं होते अपितु मनमोहिनी मुस्कराहट लिये चलने को प्रस्तुत रहते हैं, जो संसार में अन्याय का विस्तार होते नहीं देख सकते, जिनके प्राण सदैव बलिदान होने को उमगते रहते हैं।

काव्यगत सौन्दर्य

  • कवि ने महापुरुषों के अनेक गुणों का परिचय कराया है।
  • कवि ने समाज के पीड़ित व्यक्तियों की सेवा करने का सन्देश भी दिया है।
  • भाषा में व्यावहारिक तथा तत्सम शब्दावली का सामंजस्य हुआ है।
  • शैली भावात्मक तथा विवरणात्मक है।
  • अनुप्रास अलंकार है।

4. उन्हें जिन्हें …………………………………………………………………………………… चरणों में कोटि प्रणाम।
अथवा जो घावों …………………………………………………………………………………… देती विश्राम।

शब्दार्थ-मधुकरियाँ = रोटियाँ। शोध = खोज। बोध = ज्ञान क्रूर = निर्दय। अभीष्ट = इच्छित प्रतिशोध = बदला।

सन्दर्भ – प्रस्तुत अवतरण ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं पं० सोहनलाल द्विवेदी की रचना ‘उन्हें प्रणाम’ से उधृत है।

प्रसंग – कवि आदर्श नेताओं के लक्षण बताते हुए उनको सादर प्रणाम कर रहा है।

व्याख्या – कवि कहता है-जो दु:खियों के हृदयों को सांत्वना देकर उसी प्रकार सुखी बनाया करते हैं जिस प्रकार घाव पर मरहम लगाने से पीड़ित व्यक्ति को चैन मिला करता है, ऐसे संवेदनशील पुरुषों को कवि करोड़ों बार प्रणाम करती है। जिन जननायकों को संसार में अपने लिए कोई भी काम नहीं करना होता, जो सदा दूसरों ही के लिए काम किया करते हैं, जन-सेवा के लिए जिन्होंने आराम त्याग दिया है और अपना सब कुछ दान करके भिखारी जैसा जीवन अपना लिया है, जो दूसरों के लिए द्वार-द्वार भिक्षा माँगा करते हैं, वर्षा और (UPBoardSolutions.com) धूप की भी चिन्ता नहीं करते, केवल दो सूखी रोटियों पर ही जो सन्तोष कर लेते हैं, जो निरन्तर सत्य की खोज में लगे रहते हैं, जो अपने देश और अपनी महान् संस्कृति के गौरव को सदा ध्यान में रखते हैं, जो दुःखियों पर दया करते हैं और निर्दयी तथा कठोर हृदय के लोगों पर क्रोध प्रदर्शित किया करते हैं, जो अत्याचारों का बदला लेना उचित समझते हैं, ऐसे महापुरुषों को प्रणाम है, निरन्तर प्रणाम है। जो निर्धनों के लिए धन और निर्बलों के लिए बल बनकर निरन्तर सेवारत हैं, ऐसे सच्चे नेताओं के चरणों में मैं सैकड़ों बार प्रणाम करता हूँ।

काव्यगत सौन्दर्य

  • सच्चे जनसेवकों के लोकोत्तर गुणों का परिचय कराया गया है।
  • दीन-दु:खियों की सेवा तथा अन्याय के प्रतिकार हेतु प्रेरणा दी गयी है।
  • भाषा सरल, साहित्यिक खड़ीबोली है। शैली भावात्मक है।
  • अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश तथा मानवीकरण अलंकार है।।

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5. मातृभूमि का …………………………………………………………………………………… कोटि प्रणाम।
अथवा मातृभूमि का …………………………………………………………………………………… अपनी भूल।

शब्दार्थ-अनुराग = प्रेम। वैराग्य = संन्यास धूल छानना = बार-बार जाना। नसीब = उपलब्ध।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ के ‘उन्हें प्रणाम’ से लिया गया है। इसके रचयिता सोहनलाल द्विवेदी हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में पं० सोहनलाल द्विवेदी ने ऐसे देशभक्तों को प्रणाम निवेदित किया है जो निर्धनों में चेतना जागृत करते हैं।

व्याख्या – पं० सोहनलाल द्विवेदी कहते हैं कि ऐसे देशभक्तों को मेरा प्रणाम है जिनके हृदय में मातृभक्ति का ऐसा प्रेम जागृत हुआ किजिसके कारण युवावस्था में ही जिन्होंने संन्यास ले लिया। इन राष्ट्रभक्तों ने अज्ञान में पड़ी हुई जनता को उसकी भूल का अनुभव कराने के लिए प्रत्येक नगर और गाँव की धूल छान मारी अर्थात् अनेक बार प्रत्येक नगर और गाँव में चेतना जागृत करने के लिए घूमे। | ऐसे व्यक्तियों जिनको सामान्य भोजन रोटी और नमक तक उपलब्ध नहीं होता तथा युगीन समाज ने शोषण करके जिनको सदैव निर्धन बनाये (UPBoardSolutions.com) रखा है, ऐसे लोगों को जगाने के लिए अपने ध्येय की मूर्खता तक पहुँचे हुए लोगों एवं विद्वानों को जो इन्हें जगाने के लिए दिन-रात एवं प्रात: ही फेरी लगाते हैं-उन्हें प्रणाम है। जो देश के सोए हुए गौरव को निरन्तर जगा रहे हैं ऐसे स्वदेश के स्वाभिमानी महापुरुषों को मेरा करोड़ों बार प्रणाम है।

काव्यगत सौन्दर्य

  • कवि ने देशभक्तों एवं क्रान्तिकारियों के प्रति भावात्मक श्रद्धा-सुमन अर्पित किये हैं।
  • देशभक्ति जैसे कठिन-पथ पर चलकर अनेक कष्टों का भी सामना करना पड़ता है-सब कुछ त्यागकर वैरागी-सा बनना पड़ता है-इस तथ्य को सुन्दर उद्घाटन किया गया है।
  • भाषा-साहित्यिक खड़ीबोली
  • ‘धूल छानना’, ‘रोटी नसीब न होना’, ‘वैराग ले लेना’, ‘फेरी देना’ आदि मुहावरों का सार्थक प्रयोग हुआ है।
  • रस-अन्तिम पंक्तियों में वीर तथा शेष में शान्त रस है।
  • गुण–प्रसाद
  • अलंकार-नगर-नगर’ तथा ‘ग्राम-ग्राम’ में पुनरुक्तिप्रकाश शेष में अनुप्रास दर्शनीय है।
  • शब्द-शक्ति-लक्षणा एवं व्यंजना।

6. जंजीरों में कसे …………………………………………………………………………………… कोटि प्रणाम।

शब्दार्थ-सिकचों = सींकचे कठिन = कठोर धुन का पक्का होना = लक्ष्य प्राप्ति के प्रति लगनशील होना। साम्राज्यवाद = दूसरे देशों पर अधिकार प्राप्त कर राज्य विस्तार की प्रवृत्ति दृढ़ = मजबूत वार = न्योछावर करके। सरनाम = प्रसिद्ध कर्मठ = कर्मशील ध्रुव = अटल। धीर = धैर्यशाली।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘उन्हें प्रणाम’ से अवतरित है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में पं० सोहनलाल द्विवेदी ने जेल की यातनाएँ सहकर भी अपने लक्ष्य से न भटकने वाले धीर-वीरों को श्रद्धा अर्पित की है।

व्याख्या – प्रस्तुत पद्यांश में पं० सोहनलाल द्विवेदी ने उन स्वतन्त्रता सेनानियों को प्रणाम निवेदित किया है जो अनेक कष्ट आने पर भी अपनी टेक नहीं छोड़ते थे, जो अपने विचार के पक्के थे। कवि कहता है कि स्वतन्त्रता के दीवाने जंजीरों में कसे हुए और जेल के सींखचों के भीतर अर्थात् जेल में पड़े (UPBoardSolutions.com) हुए भी भारतमाता– अपनी जन्मभूमि की जय-जयकार करते रहते थे। उनके हाथ-पैरों में कठोर हथकड़ियाँ पहनायी जाती थीं, उन्हें बेंतों से मारा जाता था। इन सबको सहते हुए उन्होंने कभी भी आजादी के संकल्प और नारे को नहीं त्यागा। ऐसे उन वीरों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है।

इन लोगों को स्वार्थ, लोभ एवं यश की चाह कभी भी जीत नहीं सकी। वे इनसे कभी विचलित नहीं हुए। अपने मन के अनुसार कार्य करनेवाले ये लोग धुन के पक्के थे अर्थात् जो बात मन में ठान लेते थे वही करते थे। उनकी अपनी एक ही धुन थी कि हमारा देश स्वतन्त्र हो

अंग्रेजी साम्राज्यवाद की दीवार को ढहाने के लिए अर्थात् अंग्रेजी साम्राज्य को उखाड़ फेंकने के लिए ये लोग प्राणों को न्योछावर करके बलिदानी बने। इनका एक ही संकल्प था कि इन दीवारों को तोड़कर फेंक दिया जाये। निरन्तर सीखचों में बन्द रहनेवाले इन वीरों का यश आज भी फैला हुआ है। ऐसे धीर, वीर उन महापुरुषों को मैं करोड़ों बार प्रणाम करता हूँ। ऐसे ही कर्मशील, दृढ़ निश्चयी एवं धैर्यशाली वीरों को हर समय मेरा करोड़ों बार प्रणाम स्वीकार हो।

काव्यगत सौन्दर्य

  • उन स्वतन्त्रता सेनानियों को समादर दिया गया है जो देश के लिए मर-मिट गये।
  • भाषा- मुहावरेदार एवं प्रवाहपूर्ण साहित्यिक खड़ीबोली।
  • शैली-ओजपूर्ण, संस्मरणपरक
  • रस- वीर।
  • गुण-ओज
  • अलंकार-अनुप्रास और रूपक।
  • शब्द-शक्ति-लक्षणी।
  • भावसाम्य-एक कवि ने लिखा है जो चढ़ गये पुण्य-वेदी पर, लिए बिना गर्दन का मोल। कलम आज उनकी जय बोल॥’

7. जो फाँसी के …………………………………………………………………………………… सुख शान्ति प्रकाम।
अथवा उस आगत …………………………………………………………………………………… शांति प्रकाम।

शब्दार्थ-मासूम = भोले-भाले बच्चे। आगत आनेवाला । अनागत = न आनेवाला। दिव्य = दैवीय। हविष्य = आहुति । ललाम = सुन्दर । मंगलमय = कल्याणकारी । सर्वोदय सबका उदय, सबकी उन्नति।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘उन्हें प्रणाम’ से अवतरित है।

प्रसंग – पं० सोहनलाल द्विवेदी ने उन वीरों को प्रणाम निवेदित किया है जिनके कारण मंगलमय दिन आते हैं और पीड़ित मानवता की उन्नति होती है।

व्याख्या – पं० सोहनलाल द्विवेदी कहते हैं कि वे स्वतन्त्रता सेनानी जो देश की आजादी के लिए फाँसी के फंदे पर झूल गये, जिन्होंने हँसते-हँसते इस शूली को चूमा-ऐसे उन वीरों को मेरा प्रणाम है। गुरुगोविन्द सिंह के वे दोनों मासूम वीर बालक जिन्हें औरंगजेब ने दीवार में चिनवा दिया, फिर भी अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहे और विष का धुआँ चुपचाप पी गये अर्थात् मृत्यु को गले लगा लिया-उन दोनों वीर बालकों को भी मेरा प्रणाम है। उन स्वतन्त्रता सेनानियों के कारण ही यह सुखद वर्तमान है तथा अलौकिक एवं सुखद भविष्य भी आयेगा। इन वीरों के बलिदान की पवित्र ज्वाला में सारे पाप जल जायेंगे। सभी लोग स्वतन्त्र होंगे, सभी सुखी होंगे और इस पृथ्वी पर (UPBoardSolutions.com) सुख और चैन होगा। नये युग के प्रात:काल की सुन्दर किरण भी इन्हीं के कारण होगी। चारों ओर जो प्रगति और सुख का प्रकाश होगा, वह इन्हीं वीर सेनानियों के बलिदानों के कारण ही होगा। सभी मंगल और सुख को लानेवाले उस दिन को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है जो इन वीरों के बलिदान का परिणाम होगा। सभी की उन्नति, सुख और अत्यधिक शान्ति भारत में विहंस रही होगी। यह सब इन वीरों के कारण ही होगी। अत: इस मंगलमय दिन और इन वीरों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम स्वीकार हो।

काव्यगत सौन्दर्य

  • प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने देश में सुख-चैन लानेवाले वीर बलिदानी सेनानियों को श्रद्धा के साथ स्मरण किया है।
  • दीवारों में चुनवा दिये गये गुरुगोविन्द सिंह के मासूम बालकों की ओर संकेत है जिन्होंने देश हित में चुपचाप मर जाना स्वीकार किया।
  • भाषा – सरल साहित्यिक खड़ीबोली।
  • शैली – ओजपूर्ण।
  • रस – वीर एवं शान्त
  • गुण – ओज एवं प्रसाद
  • अलंकार – यमक, रूपक, पुनरुक्ति प्रकाश, अनुप्रास एवं मानवीकरण।
  • शब्दशक्ति – लक्षणा एवं व्यंजना।

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प्रश्न 2.
सोहनलाल द्विवेदी की जीवनी एवं रचनाओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा सोहनलाल द्विवेदी की साहित्यिक विशेषताओं एवं भाषा-शैली का उल्लेख कीजिए।
अथवा सोहनलाल द्विवेदी की रचनाओं एवं भाषा-शैली का उल्लेख कीजिए।

(सोहनलाल द्विवेदी)
(स्मरणीय तथ्य)

जन्म – सन् 1906 ई०, बिन्दकी, जिला फतेहपुर, (उ० प्र०)।
मृत्यु – सन् 1988 ई०
पिता का नाम – बिन्दाप्रसाद द्विवेदी
रचनाएँ – ‘भैरवी’, ‘वासवदत्ता’, ‘कुणाल’, ‘विषपान’, ‘पूजा’, ‘वासन्ती’।
काव्यगत विशेषताएँ
वर्य-विषय – राष्ट्रीय-साहित्य, बाल-साहित्य, सांस्कृतिक-साहित्य और सम्पादित-साहित्य रचना, प्रकृति-चित्रण।
भाषा- 1. संस्कृत के तत्सम शब्दों से युक्त। 2. व्यावहारिक तथा मुहावरा युक्त भाषा।
शैली- 1. इतिवृत्तात्मक प्रभावपूर्ण शैली। 2. ओजपूर्ण शैली। 3. मनोरंजनात्मक शैली। 4. गीतात्मक शैली।
अलंकार – उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, मानवीकरण, अनुप्रास तथा वीप्सा अलंकार आदि।
छन्द – गीतात्मक छन्द।

जीवन-परिचय – सोहनलाल द्विवेदी का जन्म सन् 1906 ई० में फतेहपुर जिले के बिन्दकी नामक कस्बे में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम पं० बिन्दाप्रसाद द्विवेदी था। इन्होंने हाईस्कूल तक शिक्षा फतेहपुर में और उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्राप्त की। (UPBoardSolutions.com) एम० ए०, एल-एल० बी० पास करके कुछ दिनों तक आपने वकालत भी की थी, किन्तु महामना मालवीय जी के सम्पर्क में रहने के कारण महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर ये स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रिय रूप से सम्मिलित हो गये।

इन्हें प्रारम्भ से ही कविता करने में रुचि थी किन्तु काव्य-रचना के साथ-साथ ये राजनीति में भी भाग लेते रहे हैं। आपका शरीरान्त 1988 ई० में हो गया।

रचनाएँ – भैरवी, पूजा-गीत, प्रभाती, चेतना और वासन्ती (काव्य-संग्रह), बाल साहित्य-दूध-बताशा, शिशुभारती, बालभारती, आख्यान काव्य-कुणाल, वासवदत्ता, विषपान

काव्यगत विशेषताएँ
(क) भाव-पक्ष-द्विवेदी जी गाँधीवादी विचारधारा के कवि हैं। उनकी कविताओं का मुख्य विषय राष्ट्रीय जागरण एवं उद्बोधन है। इनकी रचनाओं को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है

राष्ट्रीय-साहित्य – द्विवेदी जी की राष्ट्रीय कविताओं में खादी प्रचार, ग्राम-सुधार, देश-भक्ति, सत्य, अहिंसा और प्रेम का सन्देश मुखरित हुआ है। ये गांधी जी को इन सबका सृजनकर्ता मानकर उन्हें युगावतार के रूप में देखते हैं। गाँधी जी के विषय में ये कहते हैं

“चल पड़े जिधर दो डग मग में, चल पड़े कोटि पग उसी ओर।
पड़ गयी जिधर भी एक दृष्टि, गड़ गये कोटि दूग उसी ओर।’

बाल-साहित्य – दूसरे भाग में द्विवेदी जी का बाल-साहित्य आता है। इसमें इन्होंने देश के होनहार बालकों को भावी राष्ट्र मानकर उनके लिए प्रेरणाप्रद स्वस्थ साहित्य का सृजन किया है। इनकी बालोपयोगी रचनाएँ अत्यन्त लोकप्रिय, सरस और मधुर हैं। बालकों को ये प्रकृति का सन्देश सुनाते हैं

‘पर्वत कहता शीश उठाकर, तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर, मन में गहराई लाओ।”

इनके अतिरिक्त द्विवेदी जी ने अपने आख्यान काव्यों में भारतीय संस्कृति के वर्णन के साथ मानव हृदय के अन्तर्द्वन्द्वों का भी सफल चित्रण किया है।

(ख) कला-पक्ष-भाषा : द्विवेदी जी की भाषा सरस, बोधगम्य, सीधी-सादी और स्वाभाविक खड़ीबोली है। इन्होंने अपनी उत्कृष्ट और गम्भीर रचनाओं में संस्कृत के तत्सम शब्दों का (UPBoardSolutions.com) अधिक प्रयोग किया है तथा बालोपयोगी साहित्य में सरल व्यावहारिक मुहावरेदार भाषा का प्रयोग है। इसमें आवश्यकतानुसार उर्दू के प्रचलित शब्दों का भी प्रयोग हुआ है।

शैली – द्विवेदी जी के काव्यों में विविध शैलियों का दर्शन होता है। इनमें इतिवृत्तात्मक, ओजपूर्ण, गीतात्मक एवं मनोरंजनात्मक शैली मुख्य हैं। इनकी शैली में सर्वत्र पूर्ण प्रवाह और रोचकता है।

रस – द्विवेदी जी की रचनाओं में विशेषत: वीर तथा हास्य रस की अनुभूति होती है। कहीं-कहीं श्रृंगारात्मक भावनाएँ भी हैं।

छन्द – द्विवेदी जी ने युगानुरूप गीतात्मक एवं गेय छन्दों का प्रयोग किया है।

अलंकार – द्विवेदी जी की कविता में व्यर्थ का अलंकार प्रदर्शन नहीं है, बल्कि उसमें उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अनुप्रास आदि अत्यन्त प्रचलित अलंकार का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है।

साहित्य में स्थान – आधुनिक काल में राष्ट्रीयता से पूर्ण, गाँधीवादी कवियों और बाल साहित्यकारों में द्विवेदी जी का प्रमुख स्थान है।

प्रश्न 3.
उन्हें प्रणाम’ कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर :
सोहनलाल द्विवेदी ने इस कविता में संयमी, वीर, प्रणवीर, बलिदान करनेवाले दृढ़-निश्चयी, दीनरक्षक, स्वतन्त्रता की पुकार लगाने वाले, निर्भय, राष्ट्रनिर्माता, गाँधीजी का जयगान किया है। इन जैसे वीर दीन और दु:खियों की सहायता करने में लज्जित नहीं होते। वे किसी वेष तथा देश में रहे, हमेशा (UPBoardSolutions.com) अपने कर्तव्य-पालन में लगे रहते हैं। उनका उद्देश्य मानवता की स्थापना है। वे शोषण और साम्राज्यवाद से लोहा लेते हैं। वे ज़नता की सेवा करने और उनमें चेतना लाने के लिए घूमते रहते हैं। कवि बारबार ऐसे ही वीरों को प्रणाम करता है।

(लघुत्तरीय प्रश्न )

प्रश्न 1.
उन्हें प्रणाम’ कविता के आधार पर बताइए कि कवि ने किन-किन को प्रणाम करने की बात कही है?
उत्तर :
द्विवेदी जी की उन्हें प्रणाम’ कविता कर्मनिष्ठों, पीड़ितोद्धारकों, बलिदानी देशभक्तों और स्वतंत्रता के दीवानों के लिए एक शब्द-श्रद्धांजलि है। कवि ने आशा व्यक्त क़ी है कि देशवासियों के बलिदान व्यर्थ नहीं जायेंगे और देश में स्वतन्त्रता की ज्वाला जगेगी, जिसमें सारे पाप-ताप भस्म हो जायेंगे। एक स्वतन्त्र, सुखी और सर्वोदय से सुशोभित भारत का उदय होगा। उस मंगलमय दिन को भी कवि अपना नमन अर्पित कर रहा है।

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प्रश्न 2.
क्रान्ति के आश्रयदाताओं के कौन-कौन से लक्षण बताये गये हैं?
उत्तर :
क्रान्ति के आश्रयदाताओं के निम्न लक्षण बताये गये हैं

  • उनकी आत्मा सदा सत्य का शोध करती है।
  • उन्हें अपनी गौरव’गरिम्ना का बोध रहता है।
  • उन्हें दुःखियों पर दया आती है।
  • उन्हें क्रूर पर क्रोध आता है।
  • वे अत्याचारों का प्रतिशोध करना चाहते हैं।

प्रश्न 3.
उन्हें प्रणाम’ कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘उन्हें प्रणाम’ कविता के माध्यम से कवि उन महापुरुषों को नमन कर रहा है जो शोषितों और दलितों के बीच रहकर उनके उत्थान के लिए कार्य करते हैं, जिनकी जीवन-शैली और बलिदानों का स्मरण करके मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है, जो पीड़ित मानवता को सुखी बनाने हेतु तत्पर रहते हैं, जिन्होंने राजा से भिखारी बनकर देश और जाति की सेवा स्वीकार की है, जो सभी को गौरवमय, स्वाभिमानी और (UPBoardSolutions.com) अन्याय-विरोधी जीवन अपनाने की प्रेरणा देते हैं, जिन्होंने देशहित में अपनी जवानी समर्पित कर दी, जो देश के लिए जेल के सीखचों में बन्दी बने रहे, जिनका जीवन लोभ, लाभ और स्वार्थ से दूर रहा और जो देश के लिए हँसते-हँसते फाँसी पर चढ़ गये।

प्रश्न 4.
कवि ने स्वदेश का स्वाभिमान किसे कहा है?
उत्तर :
राष्ट्र के प्रति समर्पित लोगों को कवि ने स्वदेश को स्वाभिमान कहा है।

प्रश्न 5.
कवि किस मंगलमय दिन को अपनी प्रणाम अर्पित करता है?
उत्तर :
कवि उस मंगलमय दिन को अपना प्रणाम अर्पित करता है, जिस दिन सब स्वतंत्र हों, सब सुखी हों और सबको समृद्धि प्राप्त हो।

प्रश्न 6.
देशभक्तों द्वारा नगर-नगर और ग्राम-ग्राम की धूल छानने के पीछे उनका क्या उद्देश्य रहता है?
उत्तर :
वे सोयी जनता में चेतना उत्पन्न करना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि देश के अन्दर कोई प्राणी बच जाय जिसमें अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम जागृत न हो।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सोहनलाल द्विवेदी की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
भैरवी तथा पूजा-गीत।

प्रश्न 2.
द्विवेदी जी ने किन-किन पत्रिकाओं का सम्पादन किया?
उत्तर :
अधिकार और बालसखा।

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प्रश्न 3.
किसी एक गांधीवादी कवि का नाम बताइए।
उत्तर :
सोहनलाल द्विवेदी।

प्रश्न 4.
कवि की दृष्टि में वन्दनीय पुरुष कौन है?
उत्तर :
कवि की दृष्टि में वे महापुरुष वन्दनीय हैं जो अपने देश के गरीब, पीड़ित लोगों की सेवा करने और उन्हें उन्नत करने में सदैव तत्पर रहते हैं।

प्रश्न 5.
राष्ट्र निर्माता को कवि ने क्या कहा है? ।
उत्तर :
राष्ट्र निर्माता को कवि ने प्रणाम कहा है तथा उन्हें मृतहत जीवन जन्म विधाता कहा है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से सही उत्तर के सम्मुख सही (✓) का चिह्न लगाइए
(अ) कवि कर्मठ वीरों को प्रणाम करता है।
(ब) द्विवेदी जी की भाषा खड़ीबोली है।
(स) कवि परतन्त्रता के दिन को प्रणाम करता है।

काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध
1. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए
(अ) नगर-नगर की ग्राम-ग्राम की छानी धूल।
(ब) ढाने को साम्राज्यवाद की दृढ़ दीवार।
(स) नवयुग के उस नवप्रभात की दृढ़ दीवार।
उत्तर :
(अ) काव्य-सौन्दर्य-

  • नगर-नगर और ग्राम-ग्राम में अनेक कष्ट सहन करते हुए भी जनता को उसकी गुलामी को स्वीकार करने की भूल बतलाने के लिए घूमते रहे।
  • अलंकार- अत्यानुप्रास।
  • छन्द-गीत।
  • भाषा-शुद्ध तथा खड़ीबोली।

(ब) काव्य-सौन्दर्य –

  • देश के अमर सपूतों ने साम्राज्यवादी मजबूत दीवार ढहा दी।
  • भाषा-ओजस्वपूर्ण
  • रस-शान्त।
  • शैली-गीतात्मक।

(स) काव्य-सौन्दर्य-

  • कवि ने क्रान्तिकारियों का स्मरण किया है।
  • भाषा-परिमार्जित खड़ीबोली।
  • अलंकार-रूपक, यमक तथा मानवीकरण।
  • रस-शान्त
  • गुण-प्रसाद।
  • शैली-गीतात्मक।
  • छन्द-गीत।।

2.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम बताइएस्वाभिमान, सर्वोदय।
उत्तर :
स्वाभिमान = स्व + अभिमान = दीर्घ सन्धि सर्वोदय = सर्व + उदय = गुण सन्धि

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3.
निम्नलिखित शब्द-युग्मों से विशेषण-विशेष्य अलग कीजिएनव-युग, मरण-मधुर, मादक-मुस्कान, दृढ़-दीवार, बंद-सीखचे।
उत्तर :
विशेषण                    विशेष्य
मादक              –          मुस्कान
बंद                   –          सीखचे
मधुर                 –          मरण
दृढ़                   –           दीवार

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UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित

UP Board Solutions for Class 10 Hindi गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित

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गद्य की विभिन्न विधाओं पर आधारित

निबन्ध

प्रश्न 1
निबन्ध किसे कहते हैं ?
उत्तर
निबन्ध उस गद्य-विधा को कहते हैं, जिसमें किसी विषय पर सभी दृष्टियों से प्रस्तुत किये गये विचारों का मौलिक और स्वतन्त्र रूप में विवेचन; विचारपूर्ण, विवरणात्मक और विस्तृत रूप में किया गया हो। इसमें लेखक स्वतन्त्रतापूर्वक अपने विचारों तथा भावों को प्रकट करता है।

प्रश्न 2
हिन्दी निबन्ध-लेखन की विभिन्न शैलियों का उल्लेख कीजिए।
या
विषय एवं शैली के अनुसार निबन्ध के दो भेदों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
हिन्दी निबन्ध-लेखन में वर्णनात्मक, (UPBoardSolutions.com) विवरणात्मक, विचारात्मक तथा भावात्मक शैलियों को अपनाया गया है।

प्रश्न 3
विचारात्मक निबन्ध और वर्णनात्मक निबन्ध में अन्तर बताइए।
उत्तर
विचारात्मक निबन्ध में तर्कपूर्ण विवेचन, विश्लेषण एवं खोजपूर्ण अध्ययन की प्रधानता होती है, किन्तु वर्णनात्मक निबन्ध का लेखक किसी वस्तु, घटना या दृश्य का वर्णन निरीक्षण के आधार पर करता है।

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प्रश्न 4
‘वर्णनात्मक’ एवं ‘विवरणात्मक निबन्ध का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
वर्णनात्मक निबन्धों में किसी भी वर्णनीय वस्तु, स्थान, व्यक्ति, दृश्य आदि का निरीक्षण के आधार पर आकर्षक, सरस तथा रमणीय रूप में वर्णन होता है; जब कि विवरणात्मक निबन्धों में प्रायः ऐतिहासिक तथा सामाजिक घटनाओं, स्थानों, दृश्यों, पात्रों तथा जीवन के अन्य विविध क्रियाकलापों का विवरण दिया जाता है।

प्रश्न 5
हिन्दी के प्रमुख ललित निबन्धकारों के नाम बताइए।
उत्तर
हिन्दी के प्रमुख ललित निबन्धकार निम्नवत् हैं

  1. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी,
  2. शिवप्रसाद सिंह,
  3. रामवृक्ष बेनीपुरी,
  4. कुबेरनाथ राय,
  5. विद्यानिवास मिश्र,
  6. वासुदेवशरण अग्रवाल,
  7. जगदीशचन्द्र माथुर,
  8. धर्मवीर भारती एवं
  9. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी।।

प्रश्न 6
विचारात्मक और भावात्मक निबन्ध में क्या अन्तर है ?
उत्तर
विचारात्मक निबन्ध में बुद्धि-तत्त्व की तथा भावात्मक निबन्ध में हृदय-तत्त्व की प्रधानता होती है।

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प्रश्न 7
भावात्मक निबन्धों की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
भावात्मक निबन्धों की दो विशेषताएँ हैं—

  1. भावात्मक तन्त्र की प्रधानता और
  2. सरल एवं सरस भाषा का प्रयोग।

प्रश्न 8
एक-एक विचारात्मक तथा भावात्मक निबन्ध-लेखकों का नाम लिखिए।
उत्तर

  1. रामचन्द्र शुक्ल-विचारात्मक निबन्ध-लेखक।
  2. वियोगी हरि-भावात्मक (UPBoardSolutions.com) निबन्ध-लेखक।

प्रश्न 9
हिन्दी के दो प्रसिद्ध निबन्धकारों का उल्लेख कीजिए। [2009]
या
किसी एक निबन्धकार का नाम लिखिए। [2017]
या
निबन्ध के विकास में सहायक किन्हीं दो निबन्धकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
निबन्ध के विकास में सहायक दो प्रसिद्ध निबन्धकार हैं–

  1. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी तथा
  2. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।।

प्रश्न 10
कुछ प्रगतिवादी निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
डॉ० धर्मवीर भारती, डॉ० रांगेय राघव, डॉ० रामविलास शर्मा, डॉ० नामवर सिंह, डॉ० शिवप्रसाद सिंह, राजेन्द्र यादव आदि प्रगतिवादी निबन्धकारों के नाम हैं।

प्रश्न 11
हिन्दी-साहित्य के दो विचारात्मक निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. बाबू श्यामसुन्दर दास तथा
  2. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी-साहित्य के दो विचारात्मक निबन्धकार हैं।

प्रश्न 12
भारतेन्दु युग के किन्हीं दो प्रमुख निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
भारतेन्दु युग के दो प्रमुख निबन्धकारों के नाम हैं—

  1. बालकृष्ण भट्ट और
  2. प्रतापनारायण मिश्र।

प्रश्न 13
शुक्लोत्तर युग के किन्हीं दो निबन्धकारों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख निबन्धकारों के नाम हैं—

  1. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी तथा
  2. श्री विद्यानिवास मिश्र।

प्रश्न 14
शुक्ल युग के किन्हीं दो निबन्धकारों का नामोल्लेख कीजिए। [2009]
उत्तर
शुक्ल युग के दो प्रमुख निबन्धकारों के नाम हैं—

  1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल तथा
  2. बाबू गुलाबराय।

प्रश्न 15
‘नर से नारायण’ और ‘अजन्ता’ निबन्धों के लेखकों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
‘नर से नारायण’ के लेखक गुलाबराय तथा ‘अजन्ता’ के लेखक डॉ० भगवतशरण उपाध्याय हैं।

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प्रश्न 16
‘पानी में चन्दा और चाँद पर आदमी’ निबन्ध की भाषा-शैली की दो विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
उत्तर

  1. इस निबन्ध की भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण और बोधगम्य है।
  2. वर्णनात्मक शैली में लिखा गया यह एक श्रेष्ठ निबन्ध है। इस निबन्ध में कहीं-कहीं चित्रात्मक शैली भी दृष्टिगत होती है।

प्रश्न 17
‘भारतीय संस्कृति’ नामक निबन्ध कहाँ से उद्धृत है ? इसकी मूल भावना को एक वाक्य में व्यक्त कीजिए।
उत्तर
यह निबन्ध डॉ० राजेन्द्रप्रसाद के भाषण का एक अंश है। इसमें भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता की भावना को व्यक्त किया गया है।

प्रश्न 18
‘ईष्र्या, तू न गयी मेरे मन से’ निबन्ध रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की किस रचना से संकलित है ?
उत्तर
‘ईष्र्या, तू न गयी मेरे मन से’ निबन्ध रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की रचना अर्द्धनारीश्वर से संकलित है।

प्रश्न 19
भारतीय संस्कृति एवं साहित्य पर लेखन करने वाले एक गद्यकार का नाम बताइट।
उत्तर
भारतीय संस्कृति एवं साहित्य पर लेखन करने (UPBoardSolutions.com) वाले गद्यकार हैं–डॉ० भगवतशरण उपाध्याय।

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प्रश्न 20
‘अजन्ता’ कैसा लेख है और इसकी शैली कैसी है ?
उत्तर
‘अजन्ता’ पुरातत्त्व सम्बन्धी लेख है। इसकी शैली वर्णनात्मक व मनोरम है।

नाटक

प्रश्न 1
नाटक किसे कहते हैं ?
उत्तर
नाटक साहित्य की एक से अधिक अंकों वाली वह दृश्यात्मक गद्य-विधा है, जो रंगमंच पर अभिनय द्वारा प्रस्तुत करने की दृष्टि से लिखी जाती है तथा पात्रों एवं उनके संवादों पर आधारित होती है।

प्रश्न 2
भारतीय आचार्यों द्वारा बताये गये नाटक के तत्त्व लिखिए।
उत्तर
भारतीय आचार्यों ने नाटक के पाँच तत्त्व बताये हैं—

  1. कथावस्तु,
  2. नायक,
  3. रस,
  4. अभिनय एवं
  5. वृत्ति।।

प्रश्न 3
पाश्चात्य विद्वानों की दृष्टि से नाटक के तत्त्व बताइए।
उत्तर
पाश्चात्य विद्वानों ने नाटक के छ: तत्त्व स्वीकार किये हैं–

  1. कथावस्तु,
  2. पात्र,
  3. संवाद अथवा कथोपकथन,
  4. देश-काल,
  5. भाषा-शैली एवं
  6. उद्देश्य।

प्रश्न 4
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के चार नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. भारत दुर्दशा,
  2. सत्य हरिश्चन्द्र,
  3. अंधेर नगरी एवं
  4. वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति।

प्रश्न 5
भारतेन्दु के पश्चात् नाटक के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान किसका रहा ?
उत्तर
भारतेन्दु के पश्चात् नाटक के क्षेत्र में (UPBoardSolutions.com) सर्वाधिक योगदान जयशंकर प्रसाद का रहा।

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प्रश्न 6
भारतेन्दु के बाद के प्रमुख ऐतिहासिक नाटककार का नाम लिखिए।
या
किसी एक नाटककार का नाम लिखिए। [2016, 18]
उत्तर
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के बाद के प्रमुख ऐतिहासिक नाटककार हैं-श्री जयशंकर प्रसाद।

प्रश्न 7
हिन्दी के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
या
उदयशंकर भट्ट किस गद्य-विधा के प्रमुख लेखक हैं ? [2012]
उत्तर

  1. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,
  2. जयशंकर प्रसाद,
  3. वृन्दावनलाल वर्मा,
  4. लक्ष्मीनारायण मिश्र,
  5. सेठ गोविन्ददास,
  6. विष्णु प्रभाकर,
  7. हरिकृष्ण प्रेमी,
  8. उदयशंकर भट्ट,
  9. उपेन्द्रनाथ अश्क आदि हिन्दी के प्रमुख नाटककार हैं।

प्रश्न 8
शुक्ल युग के दो नाटककारों के नाम लिखिए।
या
प्रसाद युग के किसी एक नाटककार का नाम लिखिए। [2012]
उत्तर

  1. जयशंकर प्रसाद और
  2. हरिकृष्ण ‘प्रेमी’ शुक्ल युग के दो नाटककार हैं।

प्रश्न 9
प्रसादोत्तर काल के चार नाटककारों तथा उनके एक-एक नाटक का नाम लिखिए।
या
शुक्लोत्तर युग (प्रसाद के परवर्ती) के दो प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए। [2011, 14]
उत्तर

  1. लक्ष्मीनारायण मिश्र–सिन्दूर की होली,
  2. विष्णु प्रभाकर टूटते परिवेश,
  3. धर्मवीर भारती–अन्धा युग तथा
  4. मोहन राकेश-लहरों के राजहंस।

प्रश्न 10
शुक्ल युग के उस सुप्रसिद्ध नाटककार का नाम लिखिए, जो अपने युग के सुप्रतिष्ठित कहानीकार होने के साथ-साथ श्रेष्ठ कवि भी हैं।
उत्तर
जयशंकर प्रसाद शुक्ल युग के सुप्रसिद्ध (UPBoardSolutions.com) नाटककार हैं, जो सुप्रतिष्ठित कहानीकार और श्रेष्ठ कवि भी हैं।

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प्रश्न 11
हिन्दी नाटक के विकास में किस नाटककार का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है ? उसके द्वारा लिखित दो नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी नाटक के विकास में श्री जयशंकर प्रसाद का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके द्वारा लिखित दो नाटक हैं-‘अजातशत्रु’ और ‘ध्रुवस्वामिनी’।

प्रश्न 12
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के नाटक किन विषयों पर आधारित हैं ?
उत्तर
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के नाटक राष्ट्र-प्रेम, धर्म, राजनीति, समाज-सुधार, प्रेम आदि विषयों पर आधारित हैं। इनके नाटकों में प्रेम-तत्त्व की प्रमुखता है।

प्रश्न 13
जयशंकर प्रसाद के नाटकों के क्या विषय हैं ?
उत्तर
प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति का समन्वय, देशप्रेम, आधुनिक युग की समस्याएँ, मानव-मन का अन्तर्द्वन्द्व आदि जयशंकर प्रसाद के नाटकों के प्रमुख विषय हैं।

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प्रश्न 14
छायावादी युग के दो नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. जयशंकर प्रसाद तथा
  2. डॉ० रामकुमार वर्मा।

प्रश्न 15
जयशंकर प्रसाद के दो ऐतिहासिक नाटकों के नाम लिखिए।
या
जयशंकर प्रसाद के किन्हीं दो नाटकों के नाम लिखिए। [2009]
या
जयशंकर प्रसाद के एक नाटक का नाम लिखिए। [2012, 14]
उत्तर

  1. चन्द्रगुप्त और
  2. स्कन्दगुप्त जयशंकर प्रसाद के दो ऐतिहासिक नाटक हैं।

प्रश्न 16
जयशंकर प्रसाद के परवर्ती (बाद के) नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. लक्ष्मीनारायण मिश्र,
  2. हरिकृष्ण प्रेमी’,
  3. रामकुमार वर्मा,
  4. सेठ गोविन्ददास,
  5. उदयशंकर भट्ट,
  6.  गोविन्दबल्लभ पन्त और
  7.  उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ जयशंकर प्रसाद के बाद के नाटककार हैं।

प्रश्न 17
माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित किसी एक नाटक का नाम बताइए।
उत्तर
श्री माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित (UPBoardSolutions.com) नाटक ‘कृष्णार्जुन युद्ध’ है।

प्रश्न 18
कुछ प्रमुख रेडियो-नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. श्री सुमित्रानन्दन पन्त,
  2. श्री उदयशंकर भट्ट,
  3. श्री विष्णु प्रभाकर,
  4. श्री अमृतलाल नागर,
  5. श्री उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’,
  6. श्री सत्येन्द्र शरत् आदि प्रसिद्ध रेडियो-नाटककार हैं।

प्रश्न 19
हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध ऐतिहासिक नाटककारों तथा उनके द्वारा लिखित एक-एक नाटक का नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध ऐतिहासिक नाटककार तथा उनके द्वारा लिखित एक-एक नाटक के नाम हैं—

  1. श्री जयशंकर प्रसाद : अजातशत्रु,
  2. श्री उपेन्द्रनाथ अश्क’ : जय-पराजय,
  3. श्री उदयशंकर भट्ट : मुक्ति-पथ,
  4. श्री सेठ गोविन्ददास : हर्ष,
  5. श्री व्यथित हृदय : राजमुकुट,
  6. श्री हरिकृष्ण ‘प्रेमी : आन का मान,
  7. श्री लक्ष्मीनारायण मिश्र : गरुड़ध्वज,
  8. श्री जगदीशचन्द्र माथुर : कोणार्क आदि।

प्रश्न 20
हिन्दी के प्रथम नाटक और उसके नाटककार का नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी के प्रथम नाटक का नाम ‘नहुष’ है, जिसकी रचना गोपालचन्द्र गिरधरदास (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के पिता) द्वारा की गयी।

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प्रश्न 21
सेठ गोविन्ददास किस विधा के प्रमुख लेखक हैं ? [2011]
उत्तर
सेठ गोविन्ददास ‘नाटक’ विधा के प्रमुख लेखक हैं।

प्रश्न 22
भुवनेश्वर गद्य की किस विधा-विशेष के लिए प्रसिद्ध हैं? [2011]
उत्तर
भुवनेश्वर नाटक और एकांकी गद्य-विधाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। इनके द्वारा रचित एक नाटक का नाम ‘स्ट्राइक’ है।

कहानी

प्रश्न 1
कहानी किसे कहते हैं ?
उत्तर
कहानी गद्य की वह विधा है, जो छोटी होती हुई भी बड़े-से-बड़े भाव की व्यंजना करने में समर्थ होती है। इसका आरम्भ तथा अन्त कलात्मक व प्रभावपूर्ण होता है। यह गद्य-विधा पाठकों को अपनी यथार्थपरता और मनोवैज्ञानिकता के कारण प्रभावित करती है।

प्रश्न 2
आधुनिक साहित्य की सबसे अधिक लोकप्रिय विधाको नाम लिखिए।
उत्तर
आधुनिक साहित्य की सबसे अधिक लोकप्रिय विधा का नाम ‘कहानी’ है।

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प्रश्न 3
आधुनिक कहानी किस उद्देश्य से लिखी जाती है ?
उत्तर
आधुनिक कहानी के लिखे जाने को मुख्य उद्देश्य (UPBoardSolutions.com) पाठकों के मनोरंजन के साथ-साथ किसी पात्र, घटना, भाव या संवेदना की मार्मिक अभिव्यंजना करना है।

प्रश्न 4
“आधुनिक कहानी साहित्य की सबसे अधिक लोकप्रिय विधा है।” ऐसा क्यों कहा जाता है ?
उत्तर
आधुनिक कहानी

  1. रोचकता,
  2. कलात्मकता,
  3. संवेदनशीलता,
  4. संक्षिप्तता,
  5. प्रभावोत्पादकता,
  6. भावात्मकता आदि गुणों के कारण साहित्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा मानी जाती है।

प्रश्न 5
विषय की प्रधानता के आधार पर कहानी कितने प्रकार की होती है. ?
उत्तर
विषय की प्रधानता के आधार पर कहानी चार प्रकार की होती है—

  1. घटनाप्रधान,
  2. चरित्रप्रधान,
  3. भावप्रधान तथा
  4. वातावरणप्रधान।

प्रश्न 6
विषय-वस्तु के आधार पर कहानी कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर
विषय-वस्तु के आधार पर कहानी के सात प्रकार होते हैं—

  1. ऐतिहासिक,
  2. सामाजिक,
  3. यथार्थवादी,
  4. दार्शनिक,
  5. मनोवैज्ञानिक,
  6. हास्य-व्यंग्यप्रधान,
  7. प्रतीकवादी आदि।

प्रश्न 7
द्विवेदी युग के चार प्रसिद्ध कहानीकारों के नाम लिखिए। [2017]
उत्तर

  1. प्रेमचन्द,
  2. चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’,
  3. जयशंकर प्रसाद,
  4. विश्वम्भरनाथ ‘कौशिक द्विवेदी युग के चार प्रसिद्ध कहानीकार हैं।

प्रश्न 8
प्रेमचन्द की प्रमुख कहानियों के नाम लिखिए। या मुंशी प्रेमचन्द की किसी एक प्रसिद्ध कहानी का नाम लिखिए। [2011]
उत्तर
ईदगाह, पूस की रात, शतरंज के खिलाड़ी, बड़े भाई (UPBoardSolutions.com) साहब, कफन, मन्त्र, पंच परमेश्वर आदि प्रेमचन्द की प्रमुख कहानियाँ हैं।

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प्रश्न 9
प्रेमचन्द के समकालीन किन्हीं दो कहानीकारों के नाम लिखिए।
या
हिन्दी के दो प्रसिद्ध कहानीकारों के नाम बताइए।
उत्तर

  1. जयशंकर प्रसाद तथा
  2. सुदर्शन; प्रेमचन्द के समकालीन हिन्दी के दो प्रसिद्ध कहानीकार

प्रश्न 10
प्रेमचन्दोत्तर युग के किन्हीं दो कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. जैनेन्द्र कुमार तथा
  2. यशपाल, प्रेमचन्द के बाद के दो कहानीकार हैं।

प्रश्न 11
हिन्दी के किन्हीं दो बड़े कहानीकारों तथा उनकी एक-एक कहानी का नाम लिखिए।
या
किसी एक कहानीकार का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर

  1. प्रेमचन्द-पंच परमेश्वर तथा
  2. जयशंकर प्रसाद-ममता।।

प्रश्न 12
उपन्यास और कहानी-लेखन के क्षेत्र में प्रेमचन्दोत्तर लेखकों में से कुछ के नाम लिखिए।
उत्तर
उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में प्रेमचन्द के बाद आने वाले लेखकों में से उल्लेखनीय हैंजैनेन्द्र कुमार, आचार्य चतुरसेन शास्त्री, भगवतीप्रसाद वाजपेयी, भगवतीचरण वर्मा, राहुल सांकृत्यायन, यशपाल, इलाचन्द्र जोशी, नागार्जुन, अमृतलाल नागर आदि।

प्रश्न 13
शुक्ल युग के दो प्रसिद्ध कहानी-लेखकों के नाम लिखिए। [2009]
या
शुक्ल युग के दो प्रमुख लेखकों के नाम लिखिए। [2015]
उत्तर

  1. श्री भगवतीचरण वर्मा तथा
  2. आचार्य चतुरसेन शास्त्री शुक्ल युग के दो प्रसिद्ध कहानी-लेखक हैं।

प्रश्न 14
शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. श्री इलाचन्द्र जोशी तथा
  2. श्री मोहन राकेश शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख कहानीकार हैं।

प्रश्न 15
आपको किस कहानी ने सबसे अधिक प्रभावित किया है ?
या
‘उसने कहा था’ के लेखक का नाम लिखिए। [2013]
उत्तर
श्री चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की कहानी ‘उसने कहा था’ ने (UPBoardSolutions.com) अपनी संवेदनशीलता के कारण हमें सर्वाधिक प्रभावित किया है।

प्रश्न 16
हिन्दी कथा-साहित्य में युगान्तर उपस्थित करने वाले कथाकार कौन थे ? ‘मानसरोवर’ में किस कहानीकार की कहानियाँ संकलित हुई हैं ? ।
उत्तर
हिन्दी कथा-साहित्य में युगान्तर उपस्थित करने वाले कथाकार प्रेमचन्द थे। मानसरोवर (आठ भाग) में प्रेमचन्द की ही कहानियाँ संकलित हुई हैं।

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प्रश्न 17
भारतेन्दु युग के दो कहानीकार और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
भारतेन्दु युग के दो कहानीकार और उनकी रचनाओं के नाम हैं–

  1. अम्बिकादत्त व्यास– कथा-कुसुम-कलिका तथा
  2. चण्डी प्रसाद सिंह-हास्य रतन।।

उपन्यास

प्रश्न 1
उपन्यास का व्युत्पत्तिपरक अर्थ बताइए।
उत्तर
‘उपन्यास’ शब्द संस्कृत भाषा के ‘उपन्यस्त’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है-‘सामने रखा हुआ’। इस प्रकार मानव-जीवन, समाज या इतिहास के यथार्थ सत्य को संवाद एवं दृश्यात्मक घटनाओं पर आधारित चित्रण के माध्यम से पाठकों के सम्मुख यथार्थ रूप में प्रस्तुत करने वाली विधा ही उपन्यास कहलाती है।

प्रश्न 2
उपन्यास की परिभाषा लिखिए।
उत्तर
उपन्यास गद्य की वह कलात्मक लोकप्रिय विधा है, जिसमें मानव के सम्पूर्ण और वास्तविक जीवन का काल्पनिक एवं विशद चित्रण होता है। प्रेमचन्द ने उपन्यास को ‘मानव-जीवन’ को चित्र कहा है।

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प्रश्न 3
उपन्यास के मूल उद्देश्य बताइट।
उत्तर
मानव-चित्रण पर प्रकाश डालना और उसके रहस्यों को खोलना उपन्यास के मूल उद्देश्य होते

प्रश्न 4
उपन्यास के कौन-कौन से प्रमुख तत्त्व हैं ?
उत्तर

  1. कथावस्तु,
  2. चरित्र-चित्रण,
  3. कथोपकथने या संवाद,
  4. भाषा-शैली,
  5. देशकाल अथवा वातावरण तथा
  6.  उद्देश्य; उपन्यास के छ: प्रमुख तत्त्व हैं।

प्रश्न 5
विषय के आधार पर हिन्दी उपन्यास कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर
विषय के आधार पर हिन्दी उपन्यासों को–

  1. सामाजिक,
  2. ऐतिहासिक,
  3. आंचलिक,
  4. मनोवैज्ञानिक,
  5. पौराणिक,
  6. राजनीतिक,
  7.  रहस्यात्मक आदि भागों में विभक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 6
द्विवेदी युग के तीन प्रसिद्ध उपन्यासकारों के नाम लिखिए। [2017]
या
किसी एक प्रसिद्ध उपन्यास लेखक का नाम लिखिए। [2014]
उत्तर

  1. प्रेमचन्द,
  2. वृन्दावनलाल वर्मा तथा
  3. किशोरीलाल गोस्वामी; द्विवेदी युग के तीन प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 7
प्रेमचन्द के चार उपन्यासों के नाम बताइए।
या
प्रेमचन्द के दो उपन्यासों के नाम लिखिए। [2010]
उत्तर
प्रेमचन्द द्वारा लिखित चार प्रमुख उपन्यास हैं—

  1. गोदान,
  2. गबन,
  3. सेवासदन तथा
  4. निर्मला।

प्रश्न 8
प्रेमचन्द के उपन्यास किन-किन विषयों पर आधारित हैं ?
उत्तर
प्रेमचन्द के उपन्यास-दीन-हीन, किसान-मजदूरों, नारी-उद्धार, (UPBoardSolutions.com) समाज-सुधार, राष्ट्रीयचेतना आदि विषयों पर आधारित हैं।

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प्रश्न 9
प्रेमचन्द युग के चार उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. आचार्य चतुरसेन शास्त्री,
  2. विश्वम्भरनाथ ‘कौशिक,
  3. भगवतीप्रसाद वाजपेयी तथा
  4. वृन्दावनलाल वर्मा; प्रेमचन्द युग के चार उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 10
शुक्ल युग के दो प्रमुख उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. प्रेमचन्द तथा
  2. आचार्य चतुरसेन शास्त्री; शुक्ल युग के दो उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 11
शुक्ल युग के प्रसिद्ध उपन्यास लेखक और उनके एक अति प्रसिद्ध उपन्यास का नाम लिखिए।
उत्तर
उपन्यासकार-प्रेमचन्द। प्रमुख उपन्यास-गोदान।

प्रश्न 12
प्रेमचन्दोत्तर युग के तीन उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
या
प्रेमचन्दोत्तर काल के उपन्यासकारों में से किन्हीं दो के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर

  1. जैनेन्द्र कुमार,
  2. अमृतलाल नागर तथा
  3.  सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ प्रेमचन्दोत्तर युग के तीन उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 13
जयशंकर प्रसाद के दो उपन्यासों के नाम लिखिए।
या
जयशंकर प्रसाद की किसी एक कृति का नाम लिखिए। [2011]
उत्तर

  1. तितली और
  2. कंकाल।।

प्रश्न 14
‘चन्द्रकान्ता-सन्तति’ उपन्यास के लेखक का नामोल्लेख कीजिए। [2012]
या
देवकीनन्दन खत्री के किसी एक तिलिस्मी उपन्यास का नाम लिखिए, साथ ही उनके युग का उल्लेख भी कीजिए।
उत्तर
लेखक-देवकीनन्दन खत्री। युग-द्विवेदी युग। देवकीनन्दन (UPBoardSolutions.com) खत्री के तिलिस्मी उपन्यास—चन्द्रकान्ता, चन्द्रकान्ता-सन्तति, भूतनाथ आदि।

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प्रश्न 15
हिन्दी के प्रमुख सामाजिक उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
मुंशी प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, वृन्दावनलाल वर्मा, आचार्य चतुरसेन शास्त्री, विश्वम्भरनाथ ‘कौशिक’ आदि हिन्दी के प्रमुख सामाजिक उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 16
द्विवेदी युग में प्रायः किस प्रकार के उपन्यास लिखे गये ?
उत्तर
द्विवेदी युग में प्राय: तिलिस्मी, जासूसी, सामाजिक, ऐतिहासिक, पौराणिक, चरित्रप्रधान तथा भावप्रधान उपन्यास लिखे गये।

प्रश्न 17
हिन्दी का प्रथम मौलिक उपन्यास और उसके लेखक का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर
प्रथम मौलिक उपन्यास-परीक्षागुरु। लेखक-श्रीनिवासदास।

प्रश्न 18
उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में प्रेमचन्द का उत्तराधिकार जिन लेखकों ने सफलतापूर्वक वहन किया उनमें से किन्हीं दो लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर
उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में प्रेमचन्द का उत्तराधिकार वहन करने वाले दो लेखक हैं

  1. जैनेन्द्र कुमार तथा
  2. आचार्य चतुरसेन शास्त्री।

प्रश्न 19
हिन्दी के प्रथम सामाजिक उपन्यास का नाम बताइट।
उत्तर
सन् 1887 ई० में श्री श्रद्धाराम फुल्लौरी द्वारा रचित ‘भाग्यवती’ को हिन्दी को प्रथम सामाजिक उपन्यास माना जाता है।

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प्रश्न 20
शुक्लोत्तर युग के दो उपन्यासकारों के नाम लिखिए तथा उनके एक-एक उपन्यास का उल्लेख कीजिए।
या
यशपाल की किसी एक रचना का नाम लिखिए। [2016]
उत्तर
शुक्लोत्तर युग के दो उपन्यासकार यशपाल और भगवतीचरण (UPBoardSolutions.com) वर्मा हैं। इनके द्वारा लिखित एक-एक उपन्यास के नाम (क्रमश:) हैं-झूठा सच और भूले बिसरे चित्र।

प्रश्न 21
प्रमुख आंचलिक उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर
प्रमुख आंचलिक उपन्यासकार हैं—

  1. फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ (परती परिकथा),
  2. नागार्जुन (बाबा बटेसरनाथ),
  3. देवेन्द्र सत्यार्थी (रथ के पहिए),
  4. रांगेय राघव (कब तक पुकारू),
  5. उदयशंकर भट्ट (सागर, लहरें और मनुष्य) आदि।

प्रश्न 22
प्रमुख मनोवैज्ञानिक उपन्यासकारों और उनके एक-एक प्रमुख उपन्यास का नाम लिखिए।
उम्र
प्रमुख मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार और उनके उपन्यास हैं—

  1. जैनेन्द्र कुमार (परख),
  2. इलाचन्द्र जोशी (लज्जा),
  3. सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (अपने-अपने अजनबी),
  4. डॉ० देवराज (पथ की खोज),
  5. डॉ० धर्मवीर भारती (गुनाहों के देवता) आदि।

प्रश्न 23
प्रमुख सामाजिक उपन्यासकारों और उनकी एक-एक कृतियों का नाम लिखिए।
उत्तर
प्रमुख सामाजिक उपन्यासकार और उनके उपन्यास हैं—

  1. आचार्य चतुरसेन शास्त्री (शुभदा),
  2. पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ (सरकार तुम्हारी आँखों में),
  3. श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’ (अप्सरा),
  4. अमृतलाल नागर (शतरंज के मोहरे),
  5. मोहन राकेश (अँधेरे बन्द कमरे) आदि।

प्रश्न 24
प्रमुख ऐतिहासिक उपन्यासकार और उनकी एक-एक औपन्यासिक कृति का नाम लिखिए।
या
राहुल सांकृत्यायन की एक रचना का नाम लिखिए। [2012]
उत्तर

  1. वृन्दावनलाल वर्मा (मृगनयनी),
  2. आचार्य चतुरसेन शास्त्री (वैशाली की नगरवधू),
  3. राहुल सांकृत्यायन (जय यौधेय),
  4. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी (चारुचन्द्रलेख),
  5. रांगेय राघव (महायात्रा गाथा) आदि प्रमुख ऐतिहासिक उपन्यासकार और उनकी औपन्यासिक कृतियाँ हैं।

अन्य गद्य-विधाएँ

प्रश्न 1
अच्छी जीवनी की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर

  1. प्रामाणिकता,
  2. तथ्यपूर्ण साहित्यिक विवरण,
  3. आत्मीयता,
  4. प्रेरणादायक स्थलों पर बल तथा
  5. रोचकता; अच्छी जीवनी की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

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प्रश्न 2
जीवनी-साहित्य को समृद्ध बनाने वाले किन्हीं दो प्रसिद्ध लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. बाबू गुलाबराय तथा
  2. श्री रामनाथ सुमन; जीवनी-साहित्य को समृद्ध बनाने वाले दो प्रसिद्ध लेखक हैं।।

प्रश्न 3
शुक्ल युग के एक प्रमुख जीवनी-लेखक एवं उनकी कृति का उल्लेख कीजिए।
या
किसी एक जीवनी-लेखक का नाम लिखिए। [2013]
उत्तर
शुक्ल युग के प्रमुख जीवनी-लेखक और उनकी कृति है—बाबू गुलाबराय-गाँधी की देन।

प्रश्न 4
‘कलम का सिपाही’ किस साहित्यकार की जीवनी है?
उत्तर
‘कलम का सिपाही’ प्रसिद्ध कहानीकार-उपन्यासकार प्रेमचन्द की जीवनी है।

प्रश्न 5
शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख जीवनी-लेखकों एवं उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
शुक्लोत्तर युग के दो प्रमुख जीवनी-लेखक और उनकी कृतियाँ हैं—

  1.  विष्णु प्रभाकर आवारा मसीहा तथा
  2. रामविलास शर्मा–निराला की साहित्य-साधना।

प्रश्न 6
आत्मकथा से आप क्या समझते हैं? किन्हीं दो आत्मकथा-लेखकों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
लेखक जब स्वयं अपने जीवन की कथा को पाठकों के समक्ष पूर्ण आत्मीयता के साथ प्रस्तुत करता है तो उसे आत्मकथा कहते हैं। बाबू गुलाबराय और पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ हिन्दी के प्रसिद्ध आत्मकथा-लेखक हैं और उनकी आत्मकथा का नाम क्रमश: ‘मेरी असफलताएँ’ और ‘अपनी खबर है।

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प्रश्न 7
जीवनी और आत्मकथा में क्या अन्तर है ?
उत्तर
जीवनी में लेखक के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के जीवन की घटनाओं का वर्णन किया जाता है, जब कि आत्मकथा में लेखक स्वयं अपने जीवन की कथा पाठकों के समक्ष आत्मीयता के साथ प्रस्तुत करता

प्रश्न 8
आत्मकथा की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

  1. आत्मकथाएँ मार्गदर्शक और प्रेरक होती हैं तथा
  2. आत्मकथाओं में लेखक के अन्तरंग जीवन का पूर्ण आत्मीयता के साथ रोचक शैली में प्रस्तुतीकरण होता है। ये ही आत्मकथा की दो विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 9
हिन्दी के प्रमुख आत्मकथा-लेखकों के नाम लिखिए।
या
हिन्दी के किन्हीं दो प्रमुख आत्मकथा-लेखकों के नाम लिखिए। [2010]
या
किसी एक आत्मकथा-लेखक का नाम लिखिए। [2013]
उत्तर
श्यामसुन्दर दास, वियोगी हरि, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, बाबू गुलाबराय, पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’, हरिवंशराय बच्चन आदि श्रेष्ठ आत्मकथा-लेखक हैं। डॉ० हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा चार खण्डों में विभक्त है–

  1. क्या भूलें क्या याद करू,
  2. नीड़ का निर्माण फिर,
  3. बसेरे से दूर,
  4.  प्रवास की डायरी।

प्रश्न 10
हिन्दी की किसी प्रेरणाप्रद आत्मकथा का नाम लिखिए।
उत्तर
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद द्वारा लिखित मेरी आत्मकथा हिन्दी की एक प्रेरणाप्रद आत्मकथा है।

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प्रश्न 11
हिन्दी की किन्हीं दो साहित्यिक आत्मकथाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

  1. पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ की आत्मकथा ‘अपनी खबर’ तथा
  2. हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा ‘क्या भूलें क्या (UPBoardSolutions.com) याद करू” हिन्दी की दो साहित्यिक आत्मकथाएँ हैं।

प्रश्न 12
हिन्दी के प्रमुख संस्मरण लेखकों के नाम बताइट। या हिन्दी के दो संस्मरण लेखकों के नाम लिखिए। [2014, 16]
या
किसी एक संस्मरण लेखक का नाम लिखिए। [2011, 13, 14, 15, 17, 18]
उत्तर
बनारसीदास चतुर्वेदी, पद्मसिंह शर्मा, कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’, श्रीनारायण चतुर्वेदी आदि हिन्दी के प्रमुख संस्मरण लेखक हैं।

प्रश्न 13
‘संस्मरण’ विधा का संक्षेप में परिचय दीजिए।
उत्तर
जब लेखक अपने निकट सम्पर्क में आने वाले किसी विशिष्ट, विचित्र, प्रिय और आकर्षक व्यक्ति को अपनी स्मृति के आधार परे शब्दों द्वारा आत्मीयता से वर्णन करता है, तब उसे ‘संस्मरण कहते हैं।

प्रश्न 14
‘रेखाचित्र’ किसे कहते हैं ?
उत्तर
रेखाचित्र उस गद्यात्मक साहित्य को कहते हैं, जिसमें किसी व्यक्ति, वस्तु अथवा घटना का कम-से-कम शब्दों में यथावत् चित्रण किया जाता है।

प्रश्न 15
‘रेखाचित्र’ की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
रेखाचित्र की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. यह सांकेतिक एवं व्यंजक होता है तथा
  2. पूर्व स्मृति पर आधारित किसी मूर्त कल्पना का शब्द-चित्र प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 16
प्रमुख रेखाचित्र-लेखकों के नाम लिखिए।
या
‘रेखाचित्र’ विधा के एक प्रमुख लेखक का नाम लिखिए। [2011, 15]
उत्तर

  1. श्रीमती महादेवी वर्मा,
  2. बनारसीदास चतुर्वेदी,
  3. डॉ० नगेन्द्र,
  4. विष्णु प्रभाकर,
  5. रामवृक्ष बेनीपुरी,
  6.  कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ आदि प्रमुख रेखाचित्र-लेखक हैं।

प्रश्न 17
रेखाचित्र और संस्मरण विधाओं में अन्तर स्पष्ट कीजिए। [2009]
उत्तर
रेखाचित्र में व्यक्ति विशेष के जीवन सम्बन्धी स्मृति-चित्र अधूरे भी हो सकते हैं, पर संस्मरण . में वह पूर्ण होता है। रेखाचित्र में कल्पना का महत्त्व होता है, जबकि संस्मरण में यथार्थ को।

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प्रश्न 18
रेखाचित्र तथा संस्मरण विधाओं के लिए प्रसिद्ध एक-एक रचनाकार का नाम लिखिए।
उत्तर
रेखाचित्र–श्रीमती महादेवी वर्मा। संस्मरण-कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’।

प्रश्न 19
यात्रा-साहित्य का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर
यात्रा-साहित्य का मुख्य उद्देश्य किसी यात्रा के अनुभव को सरल और रोचक ढंग से जीवन्त रूप में प्रस्तुत करना है।

प्रश्न 20
यात्रा-साहित्य और रिपोर्ताज के एक-एक लेखक का नामोल्लेख कीजिए।
या
यात्रा-साहित्य के लेखकों में से किन्हीं दो के नाम लिखिए। [2010]
या
किसी एक रिपोर्ताज लेखक का नाम लिखिए। [2011, 12, 14, 18]
या
रिपोर्ताज विधा के किसी एक लेखक का नाम लिखिए। [2018]
उत्तर
यात्रा-साहित्य के लेखक–

  1. राहुल सांकृत्यायन तथा
  2. देवेन्द्र सत्यार्थी।

रिपोर्ताज के लेखक–

  1. विष्णु प्रभाकर तथा
  2. प्रभाकर माचवे।

प्रश्न 21
‘यात्रा-साहित्य’ किसे कहते हैं ?
उत्तर
जिस रचना में रचनाकार किसी यात्रा के अनुभव का यथावत् तथा कलात्मक वर्णन करता है, उसे ‘यात्रा-साहित्य’ कहते हैं।

प्रश्न 22
‘रिपोर्ताज’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
जिस गद्य-साहित्य में किसी घटना या घटना-स्थल का (UPBoardSolutions.com) आँखों देखा हाल जब साहित्यिक और कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे रिपोर्ताज’ कहते हैं ।

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प्रश्न 23
रिपोर्ताज की विशेषताओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर
विशेषताएँ-

  1. रिपोर्ताज ऑखों देखा वर्णन जैसा प्रतीत होता है।
  2. इसमें सम-सामयिक घटनाओं को वास्तविक रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
  3. इसमें निजी-सूक्ष्म निरीक्षण के आधार पर मनोवैज्ञानिक विश्लेषण होता है।
  4. इसकी शैली विवरणात्मक तथा वर्णनात्मक होती है।
  5. यह पत्रकारिता के गुणों से सम्पन्न होता है।

प्रश्न 24
हिन्दी की साहित्यिक शैली में वैज्ञानिक लेख लिखने के लिए प्रसिद्ध एक लेखक का नाम बताइए।
उत्तर
साहित्यिक शैली में वैज्ञानिक लेख लिखने के लिए प्रसिद्ध लेखक जयप्रकाश भारती हैं।

प्रश्न 25
यात्रा-साहित्य के किसी एक प्रमुख लेखक तथा उनके एक यात्रा-वृत्तान्त का नामोल्लेख | कीजिए। [2012]
या
यात्रा-साहित्य की एक प्रमुख रचना का उल्लेख कीजिए। [2012]
उत्तर
यात्रा-साहित्य के लेखकों में श्री विनयमोहन शर्मा का नाम उल्लेखनीय है। इन्होंने ‘दक्षिण भारत की एक झलक’ शीर्षक यात्रा-वृत्तान्त लिखा है।

प्रश्न 26
एक सफल रेखाचित्र की रचना के लिए किन गुणों की आवश्यकता होती है ?
उतर
एक सफल रेखाचित्र की रचना के लिए यथार्थ चित्रण, चित्रात्मक शैली का प्रभावपूर्ण प्रयोग तथा रेखाचित्र से सम्बन्धित वस्तु या व्यक्ति के प्रति लेखक के भावात्मक सम्बन्ध की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 27
एकांकी का अर्थ बताइए।
उत्तर
एक अंक में समाप्त हो जाने वाले नाटक को एकांकी कहते हैं।

प्रश्न 28
नाटक और एकांकी में दो प्रमुख अन्तर बताइए।
उत्तर
नाटक और एकांकी में निम्नलिखित दो प्रमुख अन्तर हैं—

  1. नाटक में एक मुख्य-कथा तथा कुछ अन्तर्कथाएँ होती हैं, जबकि एकांकी एक ही घटना पर आधारित होता है।
  2. नाटक में अधिक पात्र होते हैं तथा देशकाल विस्तृत होता है, जबकि एकांकी में कम पात्र होते हैं तथा देशकाल सीमित होता है।

प्रश्न 29
हिन्दी के दो प्रमुख एकांकीकार और उनके द्वारा लिखित एक-एक एकांकी का नाम बताइए।
या
किसी एक ‘एकांकी’ लेखक का नाम लिखिए।[2013, 14, 16, 17]
या
डॉ० रामकुमार वर्मा के प्रसिद्ध एकांकी का नाम लिखिए। [2014]
या
‘दीपदान’ एकांकी के लेखक का नाम लिखिए। [2015, 17]
उत्तर

  1. डॉ० रामकुमार वर्मा (दीपदान) तथा
  2. उपेन्द्रनाथ अश्क’ (तौलिए)-दो प्रमुख एकांकीकार और उनकी एकांकी रचनाएँ हैं।

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प्रश्न 30
विषय की दृष्टि से हिन्दी-एकांकी के भेद बताइए।
उत्तर
विषय के आधार पर एकांकी के सात भेद हैं—

  1. पौराणिक,
  2. राजनीतिक,
  3. सांस्कृतिक,
  4. ऐतिहासिक,
  5. सामाजिक,
  6. चारित्रिक और
  7. तथ्यपरक।

प्रश्न 31
द्विवेदी युग के प्रमुख एकांकीकारों और उनके द्वारा लिखित एक-एक एकांकी का नाम बताइट।
उत्तर
द्विवेदीयुगीन हिन्दी के प्रमुख एकांकीकार (UPBoardSolutions.com) और उनके द्वारा लिखित एक-एक एकांकी के नाम हैं–

  1. बदरीनारायण भट्ट : चुंगी की उम्मीदवारी,
  2. रामसिंह वर्मा : रेशमी रूमाल,
  3. रूपनारायण पाण्डेय : मूर्ख मण्डली,
  4. मंगलाप्रसाद विश्वकर्मा : शेर सिंह।

प्रश्न 32
डायरी की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर
डायरी की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. दैनिक घटनाओं का कलात्मक प्रस्तुतीकरण,
  2. अन्तरंग क्षणों का चित्रण,
  3. संक्षिप्तता,
  4. स्पष्ट अभिव्यक्ति आदि।

प्रश्न 33
हिन्दी के दो प्रमुख डायरी लेखक और उनके द्वारा लिखित डायरी का नाम बताइए। [2009]
या
किसी एक डायरी लेखक का नाम लिखिए। [2015]
या
‘मेरी कॉलेज डायरी’ के लेखक का नाम लिखिए। [2015, 17]
या
डायरी विधा के लेखकों में से किसी एक लेखक का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर
नरदेव शास्त्री ‘वेदतीर्थ’ को प्रथम डायरी लेखक माना जाता है। इनकी रचना का नाम “नरदेव शास्त्री ‘वेदतीर्थ’ की जेल डायरी’ है। डॉ० धीरेन्द्र वर्मा द्वारा लिखित ‘‘मेरी कॉलेज डायरी’ इसी विधा की अन्य महत्त्वपूर्ण रचना है।

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प्रश्न 34
गद्य-काव्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए। यो गद्य-काव्य की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

  1. गद्य-काव्य, गद्य तथा काव्य के बीच की विधा है।
  2. इसमें गद्य के माध्यम से किसी भावपूर्ण विषय की काव्यात्मक अभिव्यक्ति होती है।

प्रश्न 35
हिन्दी गद्य-काव्य लेखकों में से किन्हीं दो लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. वियोगी हरि और
  2. श्री रामवृक्ष बेनीपुरी।

प्रश्न 36
हरिभाऊ उपाध्याय द्वारा अनूदित ‘मेरी जीवनी’ और ‘कांग्रेस का इतिहास के मूल-लेखको के नाम लिखिए।
उत्तर
मेरी जीवनी–पं० जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस का इतिहास-सीतारमैया।।

प्रश्न 37
हरिभाऊ उपाध्याय द्वारा अनूदित एक रचना तथा उनके द्वारा रचित दो मौलिक रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
अनूदित रचना-मेरी जीवनी।। मौलिक रचना-‘स्वतन्त्रता की ओर’ और ‘हमारा कर्तव्य’।

प्रश्न 38
बाबू गुलाबराय के साहित्यिक कृतित्व के रूपों का नामोल्लेख कीजिए।
उतर
गुलाबराय के साहित्यिक कृतित्व के रूप इस प्रकार हैं–काव्यशास्त्रकार, व्यावहारिक आलोचक, ललित और गम्भीर निबन्धकार तथा शास्त्रमर्मज्ञ।

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प्रश्न 39
नामवर सिंह किस विधा के प्रमुख लेखक हैं ? [2012]
उत्तर
नामवर सिंह ‘आलोचना’ विधा के प्रमुख लेखक हैं।

प्रश्न 40
महादेवी वर्मा की किसी एक रेखाचित्र विधा का नाम लिखिए। [2015]
उत्तर
स्मृति की रेखाएँ।

प्रश्न 41
‘लद्दाख की यात्रा’ किस विधा पर आधारित रचना है? [2016]
उत्तर
यात्रावृत्त पर।

प्रश्न 42
‘किन्नर देश में रचना किस विधा पर आधारित है? [2016]
उत्तर
यात्रावृत्त पर।

प्रश्न 43
‘किन्नर देश में कृति के लेखक का नाम लिखिए। [2016, 17]
उत्तर
‘राहुल सांकृत्यायन।

प्रश्न 44
‘गिरती दीवारें किस विधा की रचना है? [2017]
उत्तर
‘गिरती दीवारें” नाटक विधा की रचना है।

प्रश्न 45
‘क्या भूलें क्या याद करूँ किस विधा पर आधारित रचना है? [2017]
उत्तर
आत्मकथा पर।

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प्रश्न 46
‘प्रायश्चित’ के लेखक का नामोल्लेख कीजिए। [2017]
उत्तर
भगवती चन्द्र वर्मा।

प्रश्न 47
किसी एक यात्रावृत्त’ लेखक का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर
राहुल सांकृत्यायन।।

प्रश्न 48
‘कलम का सिपाही’ लेखक का नाम लिखिए। [2016]
उत्तर
अमृत राय।

प्रश्न 49
‘चतुर चंचला’ कृति के लेखक का नाम लिखिए। [2018]
उत्तर
बाबू गोपालराम (गहमरी)।

प्रश्न 50
‘राज्यश्री’ कृति के लेखक का नाम लिखिए। [2018]
उत्तर
जयशंकर प्रसाद।

प्रश्न 51
‘तुम चन्दन हम पानी’ कृति के लेखक का नाम लिखिए। [2018]
उत्तर
सन्त रैदास।

प्रश्न 52
प्रतिध्वनि’ कृति के लेखक का नाम लिखिए। [2018]
उत्तर
जयशंकर प्रसाद।

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प्रश्न 53
निम्नलिखित गद्य-विधाओं में से किसी एक विधा के प्रसिद्ध लेखक का नाम लिखकर उसकी एक कृति का उल्लेख कीजिए।
या
राहुल सांकृत्यायन की एक रचना का नाम लिखिए। [2011]
उत्तर
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प्रश्न 54
निम्नलिखित रचनाएँ आधुनिक काल के किस-किस युग में लिखी गयीं ? किन्हीं दो के उत्तर लिखिए-
उत्तर
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प्रश्न 55
निम्नलिखित रचनाओं में से किन्हीं दो की विधा एवं रचनाकार का उल्लेख कीजिए
उत्तर
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पत्र-पत्रिकाएँ और उनके सम्पादक

प्रश्न 1
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा प्रकाशित पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा प्रकाशित पत्रिकाएँ ‘हरिश्चन्द्र मैगजीन’ और ‘कविवचन सुधा’ हैं।

प्रश्न 2
‘बालाबोधिनी’ पत्रिका के सम्पादक का नाम लिखिए। [2012]
उत्तर
‘बालाबोधिनी’ पत्रिका के सम्पादक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र थे।

प्रश्न 3
भारतेन्दु युग की प्रमुख पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. ब्राह्मण-श्री प्रतापनारायण मिश्र द्वारा सम्पादित।
  2. हिन्दी प्रदीप-श्री बालकृष्ण भट्ट द्वारा सम्पादित।
  3. आनन्द कादम्बिनी-श्री बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ द्वारा सम्पादित।

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प्रश्न 4
द्विवेदी युग की प्रमुख पत्रिकाओं के नाम बताइए। [2009]
या
द्विवेदी युग की किन्हीं दो पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
या
हिन्दी की उन पत्रिकाओं के नाम लिखिए, जिनसे हिन्दी साहित्य के विकास में बहुत सहायता मिली।
उत्तर

  1. सरस्वती,
  2. नागरी ‘प्रचारिणी पत्रिका,
  3. इन्दु,
  4. माधुरी,
  5. मर्यादा,
  6. सुधा,
  7. जागरण,
  8. हंस,
  9. प्रभा,
  10. कर्मवीर,
  11. विशाल भारत।

प्रश्न 5
‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रथम सम्पादक का नाम लिखिए।
या
महावीरप्रसाद द्विवेदी किस प्रसिद्ध हिन्दी-पत्रिका का सम्पादन करते थे ?
या
द्विवेदी युग की प्रमुख पत्रिका और उसके सम्पादक का नाम लिखिए।
या
‘सरस्वती’ पत्रिका किस युग में प्रकाशित हुई ? [2013]
या
‘सरस्वती’ पत्रिका के सम्पादक का नाम लिखिए। [2016]
उत्तर
‘सरस्वती’ का प्रकाशनारम्भ सन् 1900 ई० में हुआ था उस समय ‘सरस्वती’ का एक सम्पादक मण्डल था, जिसमें पाँच सदस्य थे। इनमें एक सदस्य श्यामसुन्दर दास थे। इस सम्पादक मण्डल ने एक वर्ष तक ‘सरस्वती’ का सम्पादन किया। (UPBoardSolutions.com) इसके पश्चात् दो वर्षों तक ‘सरस्वती’ का सम्पादन श्यामसुन्दर दास ने किया। तत्पश्चात् सन् 1903 से 1920 ई० तक ‘सरस्वती’ का सम्पादन महावीरप्रसाद द्विवेदी ने किया था।

प्रश्न 6
‘सरस्वती’ पत्रिका के सर्वाधिक प्रसिद्ध सम्पादक का नाम लिखिए।
उत्तर
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी।

प्रश्न 7
हिन्दी की किन्हीं दो प्रसिद्ध पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
या
हिन्दी के सर्वतोमुखी विकास में योगदान देने वाली दो प्रमुख (प्रसिद्ध) पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
हिन्दी-साहित्य के सर्वतोमुखी विकास में योगदान देने वाली दो प्रमुख पत्रिकाओं के नाम हैं—

  1. सरस्वती तथा
  2. हिन्दी प्रदीप।

प्रश्न 8
हरिभाऊ उपाध्याय ने गाँधी जी के सम्पर्क में आने पर किस पत्र का सम्पादन-कार्य कुशलतापूर्वक किया ?
उत्तर
‘हिन्दी नवजीवन’।

प्रश्न 9
‘सरस्वती’ का बख्शी जी के साहित्यिक जीवन में क्या योगदान है ?
उत्तर
बख्शी जी की रचनाएँ सर्वप्रथम ‘सरस्वती’ में ही प्रकाशित होनी आरम्भ हुईं, जिनसे इनकी साहित्यिक पहचान बनी।।

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प्रश्न 10
‘सरस्वती’ पत्रिका का सम्पादन पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने कब-से-कब तक किया ? इसके अतिरिक्त इन्होंने किस पत्रिका का सम्पादन किया ?
उत्तर
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने सन् 1920 से 1927 ई० तक सरस्वती का सम्पादन किया। इसके अतिरिक्त इन्होंने ‘छाया’ मासिक पत्रिका का सम्पादन भी किया।

प्रश्न 11
शुक्ल युग की दो प्रमुख (प्रसिद्ध) पत्रिकाओं के नाम लिखिए। [2011]
उत्तर
शुक्ल युग की दो प्रमुख पत्रिकाएँ हैं—

  1. हंस तथा
  2. साहित्य-सन्देश।

प्रश्न 12
शुक्लोत्तरयुगीन दो प्रमुख पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर

  1. कादम्बिनी तथा
  2. सारिक़ा।

प्रश्न 13
शुक्लोत्तर युग की हिन्दी पत्रिका के किसी एक सम्पादक का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर
राजेन्द्र अवस्थी।

प्रश्न 14
‘साहित्य सन्देश’ किस प्रकार की पत्रिका थी ? इसके किसी एक सम्पादक का नाम लिखिए।
उत्तर
‘साहित्य-सन्देश’ आलोचनात्मक मासिक पत्रिका थी। इसके एक सम्पादक बाबू गुलाबराय थे।

प्रश्न 15
‘संगम’ साप्ताहिक पत्र कहाँ से निकलता है ?
उत्तर
इलाहाबाद से।।

प्रश्न 16
‘धर्मयुग’ के सम्पादक का नाम बताइए।
उत्तर
डॉ० धर्मवीर भारती।

प्रश्न 17
‘देश’ पत्रिका के सम्पादक का नाम लिखिए। [2017]
उत्तर
‘देश’ पत्रिका के वर्तमान सम्पादक हर्ष दत्ता हैं।

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प्रश्न 18
‘नन्दन कैसी और कहाँ से प्रकाशित पत्रिका है ? आपकी पाठ्य-पुस्तक में संकलित लेखकों में से कौन इसके सम्पादक थे ?
उत्तर
नन्दन’ दिल्ली से प्रकाशित बाल-पत्रिका है। हमारी पाठ्य-पुस्तक (UPBoardSolutions.com) में संकलित लेखकों में से श्री जयप्रकाश भारती इसके सम्पादक थे।

प्रश्न 19
सुप्रसिद्ध मासिक पत्रिका ‘प्रभा’ के सम्पादकों में से एक का नाम लिखिए।
उत्तर
माखनलाल चतुर्वेदी सुप्रसिद्ध मासिक पत्रिका ‘प्रभा’ के सम्पादकों में से एक हैं।

प्रश्न 20
‘प्रताप’ के सहकारी सम्पादक का नाम लिखिए।
उत्तर
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ प्रताप के सहकारी सम्पादक रहे हैं।

प्रश्न 21
माखनलाल चतुर्वेदी के अतिरिक्त प्रभा’ के एक और सम्पादक का नाम बताइट।
उत्तर
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ ने माखनलाल चतुर्वेदी के अतिरिक्त प्रभा’ का सम्पादन किया।

प्रश्न 22
वर्तमान समय में प्रकाशित हो रही कुछ प्रमुख पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
वर्तमान समय में प्रकाशित कुछ (UPBoardSolutions.com) प्रमुख पत्रिकाएँ हैं–

  1. कादम्बिनी,
  2. सरिता,
  3. मुक्ता,
  4. माया,
  5. नवनीत,
  6. हंस,
  7. इंडिया टुडे,
  8. आउटलुक आदि।

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प्रश्न 23
हिन्दी की प्रमुख पत्रिकाओं और उनके सम्पादकों के नाम बताइट।
उत्तर
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