UP Board Solutions for Class 9 English Poetry Chapter 1 The Mountain And The Squirrel (Ralph Waldo Emerson)

UP Board Solutions for Class 9 English Poetry Chapter 1 The Mountain And The Squirrel (Ralph Waldo Emerson)

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Read the following stanzas given below and answer the questions that follow each :
नीचे दिये हुए निम्नलिखित पद्यांशों को पढ़िये और उनके नीचे दिये हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(a) The mountain and the squirrel
Had a quarrel
And the former called the latter “Little prig”
Bun replied,
You are doubtless very big;
But all sorts of things and weather
Must be taken in together
To make up a year
And a sphere,
Question:
(i) Write name of the poem from which the above stanza has been selected. Who is the poet
of the poem?
उस कविता का नाम लिखिए जिससे उपरोक्त पद्यांश लिया गया है। इस कविता के रचनाकार कौन हैं?
(ii) Which words rhyme with each other in the above lines?
उपरोक्त पंक्तियों में कौन से तुकान्त शब्द हैं?
(iii) What is the mountain proud of?
पर्वत को किस पर अभिमान था?
(iv) What does the squirrel say to the mountain?
गिलहरी ने पर्वत से क्या कहा?
Answers:
(i) ‘The mountain and the Squirrel’ is the name of this poem. Ralph Waldo Emerson is the poet of this poem.
इस कविता का नाम The Mountain and the Squirrel है। इस कविता के रचयिता राल्फ वाल्डो इमरसन हैं।
(ii) Rhyming words :
Squirrel शब्द Quarrel का तुकान्त है।
Prig शब्द Big का तुकान्त है।
Weather शब्द together का तुकान्त है।
(iii) Mountain has very proud of his very big.
|पर्वत को अपनी विशालता पर गर्व था।
(iv) Squirrel said to the mountain, you are doubtless very big.
गिलहरी ने पर्वत से कहा। सचमुच तुम बहुत बड़े हो।

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(b) And I think it no disgrace
To occupy my place
If I’m not so large as you,
You are not so small as I,
And not half so spry;
Questions:
(i) Name the poem from which the above stanza has been selected. Who is the poet of the poem?
उस कविता का नाम लिखिए जहाँ से यह उपरोक्त पद्यांश लिया गया है। कविता के रचयिता कौन हैं?
(ii) Why does the squirrel feel no disgrace?
गिलहरी अपमानित क्यों नहीं महसूस करती है?
(iii) Which words rhyme with each other in the above stanza?
उपरोक्त पद्यांश में कौन से शब्द एक दूसरे के तुकान्त है?
(iv) What does you stand for?
‘you’ का क्या तात्पर्य है?
Answers:
(i) The name of the poem is “The Mountain and the Squirrel’. The poet of the poem is R. W Emerson.
कविता का नाम The Mountain and the Squirrel’ है। कविता के रचयिता आर. डब्ल्यू. इमर्सन हैं।
(ii) It is no disgrace to be a squirrel because everything has its own importance in the world.
गिलहरी होना अपमान की बात नहीं है क्योंकि संसार में प्रत्येक वस्तु का अपना महत्व है।
(iii) Disgrace rhyme with place,
disgrace शब्द place का तुकान्त है।
(iv) The word ‘you stands for the mountain’s.
‘you’ शब्द का तात्पर्य पर्वत से है।

(c) I’ll not deny you make
A very pretty squirrel track.
Talents differ; all is well and wisely put
‘If I cannot carry forests on my back,
Neither can you crack a nut.’

Questions.
(i) Write name of the poem from which the above stanza has been selected. Who is the poet of the poem?
उस कविता का नाम लिखिए जिससे उपरोक्त उपर्युक्त पद्यांश लिया गया है। कविता के रचयिता कौन है?
(ii) Which words rhyme with each other in the above stanza?
उपरोक्त पद्यांश में कौन-कौन से शब्द एक-दूसरे के तुकान्त हैं?
(iii) What is meant by the expression “All is well and wisely put’?
वाक्यांश “All is well and wisely put” का क्या तात्पर्य है?
(iv) What moral do you learn from this poem?
इस कविता से तुम्हें क्या नैतिक शिक्षा मिलती है?
Answers:
(i) The name of the poem is,
“The Mountain and the Squirrel” and the poet is R.W. Emerson.
कविता का नाम “The Mountain and the Squirrel” है तथा रचयिता आर० डब्ल्यू० इमर्सन हैं।
(ii) Make and track, put and nut rhyme together with each other.
make और track, put और nut एक-दूसरे के (UPBoardSolutions.com) तुकान्त हैं।
(iii)All is well and wisely put’ means everything is well arranged and properly balanced in this world.”All is well and wisely put”
को अर्थ है-इस संसार में सभी वस्तएँ अच्छी प्रकार से तथा बुद्धिमानी से रखी हुई है।
(iv) The moral of the poem is that everything has its own importance. Nothing is high or low in the world.
इस कविता की नैतिक शिक्षा यह है कि हर वस्तु का अपना महत्व है। संसार में कोई भी वस्तु ऊँची या नीची नहीं है।

(A) SOLVED QUESTIONS OF TEXT BOOK

Answer the following questions :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
Question 1
Who had a quarrel?
झगड़ा किस-किस से हुआ?
Answer:
The mountain and the squirrel had a quarrel.
पर्वत और गिलहरी में झगड़ा हुआ।

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Question 2.
Why did the quarrel begin?
झगड़ा क्यों प्रारम्भ हुआ?
Answer:
The quarrel began because the mountain told the squirrel a little prig.
झगड़ा इसलिए प्रारम्भ हुआ क्योंकि पर्वत ने गिलहरी को ‘a little prig’ (तुच्छ प्राणी) कहा।

Question 3.
Who do the words former’ and latter stand for?
Former और latter शब्द किसके लिए प्रयोग किये गये हैं?
Answer:
The word former’ stands for the mountain and latter for the squirrel.
Former शब्द पर्वत के लिए और latter शब्द गिलहरी के लिए प्रयोग किये गये हैं।

Question 4.
What does the word ‘Bun’ refer to?
‘Bun’ शब्द क्या सन्दर्भित करता है?|
Answer:
The word ‘Bun’ refers to the squirrel.
‘Bun’ शब्द गिलहरी को सन्दर्भित करता है।

Question 5.
What example does the squirrel give to prove that it is as important as other things that go to make up this world?
गिलहरी इस बात को सिद्ध करने के लिए क्या उदाहरण देती है कि वह भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी और वस्तुएँजो संसार को बनाती है?
Answer:
Both big and the small things have their own importance in the world. If squirrel cannot carryforests on its back, the mountain cannot crack a nut.
संसार में बड़ी तथा छोटी दोनों वस्तुओं को अपना महत्व है। यदि गिलहरी पर्वतों को अपनी पीठ पर नहीं ले जा सकती।तो पर्वत एक अखरोट नहीं तोड़ सकता।
Question 6.
What is the quality that the squirrel has but the mountain does not have? 
वह कौन सा गुण है जो गिलहरी के पास है लेकिन पर्वत (UPBoardSolutions.com) के पास नहीं है?
Answer:
The squirrel can crack a nut but the mountain can not.
गिलहरी अखरोट तोड़ सकती है लेकिन पर्वत नहीं तोड़ सकता।

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Question 7.
Read last three lines of the poem and say by whom have these lines been spoken the mountain or the squirrel?
कविता की अन्तिम तीन पंक्तियाँ पढ़िये तथा बताइये कि ये किसके द्वारा कही गयी हैं-पर्वत के या गिलहरी के?
Answer:
The last three lines of the poem are spoken by the squirrel.
कविता की अन्तिम तीन पंक्तियाँ गिलहरी द्वारा कही गयी है

(B) APPRECIATING THE POEM 

Question 1.
What does the expression “All is well and wisely put” mean?
वाक्यांश “All is well and wisely put’ का क्या तात्पर्य है?
Answer:
“All is well and wisely put” means that in this world everything is well arranged and properly balanced
संसार में प्रत्येक वस्तु व्यवस्था के अनुसार तथा उचित रूप से सन्तुलित है।

Question 2.
Which word of the following describe the squirrel
निम्नलिखित में से कौन सा शब्द गिलहरी का वर्णन करता है।
quarrelsome, self-satisfied, self-respecting, proud, timid.
Answer:
The word ‘self satisfied’ describes the squirrel.
शब्द गिलहरी का वर्णन करता है।

Question 3.
Point out any two words in the poem that rhyme together.
कविता में किन्हीं दो शब्दों को बताइए जो आपस में तुकान्त हों
Answer:
Squirrel and quarrel rhyme with each other.
Squirrel और Quarrel एक दूसरे के तुकान्त हैं।

Question 4.
Write down the central idea of the poem.
कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
Answer:
In the poem “The Mountain and the Squirrel” the poet says that different persons have different abilities. In this world everything is well-arranged and properly balanced. One cannot hate the other. The big creatures should not feel proud (UPBoardSolutions.com) of their bigness and the small creatures should not feel ashamed of their smallness. If a squirrel cannot have forests on its back, a mountain cannot crack a nut.

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Question 5.
Who is the poet of the poem?
कविता के रचयिता कौन हैं?
Answer:
The poet of the poem is Ralph Waldo Emerson.
कविता के रचयिता Ralph Waldo Emerson हैं।

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 16 राजा राममोहन राय (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 16 राजा राममोहन राय (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

राजा राममोहन राय का जन्म पश्चिम बंगाल में 11 मई, 1772 ई० को हुगली जिले के राधानगर गाँव में हुआ। इनके पिता का नाम रमाकांत राय और माता का नाम तारिणी देवी था। इनकी आरम्भिक शिक्षा घर पर बांग्ला भाषा में हुई। पटना से उन्होंने अरबी तथा फारसी की उच्च शिक्षा प्राप्त करके काशी में संस्कृत का अध्ययन किया। उन्होंने अँग्रेजी (UPBoardSolutions.com) भी मन लगाकर पढ़ी। वेदान्त और उपनिषदों के प्रभाव से इनको दृष्टिकोण उदारवादी था।

इन्होंने तिब्बत जाकर बौद्ध धर्म का अध्ययन किया। लौटने पर विवाह होने के बाद पारिवारिक निर्वाह के लिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी में क्लर्क के पद पर नौकरी कर ली। नौकरी के समय अँग्रेजी, लैटिन और ग्रीक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। 40 वर्ष की उम्र में नौकरी छोड़कर ये कोलकाता में रहकर समाजसेवा में लग गए। इस दिशा में इन्होंने सती–प्रथा का विरोध, अन्धविश्वासों का विरोध, बहु-विवाह विरोध और जाति प्रथा का विरोध किया। विधवाओं के पुनर्विवाह और पुत्रियों को पिता की सम्पत्ति दिलवाने की दिशा में कार्य किया।

उदारवादी दृष्टिकोण के कारण इन्होंने ‘आत्मीय सभा’ बनाई जिसका उद्देश्य “ईश्वर एक है” का प्रचार था। एक ईश्वर की अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए ‘ब्रह्मसभा’ की स्थापना की, जिसका बाद में (UPBoardSolutions.com) नाम बदलकर ‘ब्रह्मसमाज’ रख दिया। इसमें सभी धर्मों की अच्छी बातों का समावेश था। सन् 1821 ई० में ‘संवाद-कौमुदी’ बांग्ला साप्ताहिक पत्र प्रकाशित किया। फिर फारसी में अखबार प्रकाशित किया। वे अँग्रेजी शिक्षा के पक्षघर थे। सन् 1824 ई० में उन्होंने वेदान्त कॉलेज की स्थापना की। जिसमें भारतीय विद्या के अलावा सामाजिक व भौतिक विज्ञान भी पढ़ाई जाती थी।

राजा राममोहन राय ने प्रशासन में सुधार के लिए आन्दोलन किया। ईस्ट इण्डिया कम्पनी के विरुद्ध शिकायत ‘ लेकर 8 अप्रैल 1831 ई० को इंग्लैण्ड गए। वे पेरिस भी गए। 27 सितम्बर 1833 ई० में उनकी मृत्यु हो गई।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
प्रश्न 1.
राजा राममोहन राय ने तिब्बत में किसका अधययन किया?
उत्तर :
राजा राममोहन राय ने तिब्बत में बौद्ध धर्म का अध्ययन किया।

प्रश्न 2.
“आत्मीय सभा” में किस विचार धारा के लोग थे ? इसका प्रमुख उद्देश्य क्या था? ,
उत्तर :
‘आत्मीय सभा’ में उदारवादी दृष्टिकोण के लोग थे। इसका मुख्य उद्देश्य ‘एक ईश्वर’ का प्रचार करना था।

प्रश्न 3.
“वेदान्त कॉलेज” की स्थापना किसने की ? इसमें किन-किन विषयों की शिक्षा : दी जाती थी?
उत्तर :
‘वेदान्त कालेज’ की स्थापना सन् 1825 ई० में हुई। इसमें भारतीय विद्या के अलावा सामाजिक और भौतिक विज्ञान की शिक्षा भी दी जाती थी।

प्रश्न 4.
राम मोहन राय के समाज सुधार संबंधी कार्यों को लिखिए।
उत्तर :
राजा राममोहन राय ने समाज सुधार संबंधी अनेक कार्य किए। उनके प्रयास से सती प्रथा पर रोक लगी तथा बाल विवाह के संबंध में लोगों को जागरुक किया। इन्होंने अंधविश्वास के विरुद्ध भी बहुत सारे कार्य किए।

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प्रश्न 5.
कॉलम ‘अ’ और कॉलम ‘ब’ के वाक्यांशों को मिलाकर सही वाक्य बनाइए। (सही वाक्य बनाकर)

‘अ’                                                                                                                                ‘ब’
राजा राममोहन राय का जन्म                                             22 मई, 1772 ई० को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के राधानगर गाँव में हुआ था। पारिवारिक                                                                                               जीवन के निर्वाह के लिए उन्होंने – ईस्ट इण्डिया कम्पनी में क्लर्क की नौकरी कर ली।
ईश्वर एक है की अवधारणा को स्पष्ट                                   ‘ब्रहम सभा’ की स्थापना की। करने के लिए
‘संवाद कौमुदी’ बंगला साप्ताहिक पत्र                                 सन् 1821 में प्रकाशित किया।

प्रश्न 6.
सत्य कथन के सामने सही (✓) तथा असत्य कथन के सामने गलत (✗) को निशान लगाइए। (सही-गलत का निशान लगाकर)
• राजा राममोहन राय की माता विदुषी महिला थीं। (✓)
• राजा राममोहन राय ने सभी कार्य आजादी के लिए किए। (✗)
• मुगल सम्राट ने राममोहन राय को ‘राजा’ की उपाधि दी। (✓)
• ब्रह्मसभा को नाम बदलकर ब्रह्मसमाज कर दिया गया। (✓)

प्रश्न 7.
रिक्त स्था की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके) (UPBoardSolutions.com)

  • काशी में राममोहन राय ने संस्कृत का भी अध्ययन किया।
  • ब्रहमसभा का नाम बदलकर ब्रह्मसमाज कर दिया गया।
  • राजा राममोहन राय का कहना था कि मैं केवल अन्धविश्वास की आलोचना करता हूँ, न कि धर्म की।

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प्रश्न 8.
निम्न शीर्षकों के आधार पर राजा राममोहन राय पर लेख लिखिए जन्म तथा माता-पिता, शिक्षा समाज सुधार के कार्य।
उत्तर :
नोट –
विद्यार्थी उक्त शीर्षकों के आधार पर राजा राममोहन राय पर लेख हेतु पाठ का सारांश पढ़ें।

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UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 21 Model Paper

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Model Paper

Note:
(i) This question-paper is divided into two section ‘A’ and ‘B’.
(ii) All questions from the two sections are compulsory.
(iii) Marks are indicated against each question.
(iv) Read the questions very carefully before you answer them.

[TIME: 3 Hrs. 15 Minutes ]                                                                                         [M.M.: 70]

SECTION’A

1. Read the following passage and answer the questions given below it:  2+2=4
It is difficult to imagine how hard and dangerous, it was, to travel from one country to another six or seven hundred years ago. Men had to travel mainly by overland routes. They had to move slowly as and when they got the chance. Many persons died on the way for lack of food and water. People had to travel with large parties, or caravans, as (UPBoardSolutions.com) they were called. Bands of robbers knew these routes too. They attacked caravans and looted them. Many travellers were killed in the fighting that took place. Others died of hunger and thirst when everything they had was stolen and taken away. Only persons of great courage could dare undertake long journeys which led them to strange lands and sometimes took years to complete,

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Questions.
(i) Write the name of the lesson from which the above passage has been taken.  02
(ii) What type of people dared to go on long journeys?  02

2. Answer any one of the following questions in about 60 words:  1×4=4
(i) What qualities of Serivan have been brought out in the story?
(ii) What is the most important rule of the road?

3. Answer any two of the following questions in about 25 words:  2+2=4
(i) How did people travel in the past?
(ii) What did Serivan sell?
(iii) Why was the girl sad?

4. Match the words of List ‘A’ with their meanings in List ‘B’: 1×4=4
List ‘A’                               List ‘B’
(Words)                            (Meanings)
(a) Plan                             Lifted
(b)Raised                         Alert
(c) Chance                       Scheme
(d) Careful                      Opportunity

5. Read the following piece of poetry and answer the questions given below it:  2+2=4
And I think it no disgrace
To occupy my place
if I’m not so large as you,
You are not so small as I,
And not half so spry;

Questions.

(i) Write the name of the poem from which the stanza has been selected.  02
(ii) What does ‘you’ stand for here?  02

6. Give the ‘Central idea’ of ar, one of the following poems in about 40 words : 03
(a) Indian Weavers
(b) Sympathy
(c) Faithful Friends
Or Write four lines from any one of the poems given in your text-book.
(Do not copy out the lines given in this question-paper.)

7. Answer any two of the following questions in about 25 words each :  2+2=4
(a) Who was Ba? Why did Gandhiji not ask her to prepare the coffee?
(b) Whom did Dev Datt shoot down?
(c) Why did Halku want to give the money to Sohana?

8. Point out the ‘True’ and ‘False’ statements in the following: 1×4=4
(a) Gandhiji was a first class nurse to the sick.
(b) Siddhartha claimed the swan because he had saved it.
(c) Children of different countries are quite different.
(d) Jhabra loved his master very much.

9. Select the most suitable alternative to complete the following statements : 1×4=4
(a) Halku’s wife gave three rupees to Halku because :
(i) she wanted to invest them in the land
(ii) she wanted to eat her bread in peace
(iii) Halku wanted to buy some bread with them
(iv) Halku was ill-treated by the money-lender

(b) Dev Datt claimed the swan because :

(i) he had caught it
(ii) he had shot it
(iii) he had bought it
(iv) he had saved it

(c) Gandhiji promised the young lad:

(i) a cup of coffee only
(ii) warm toast and coffee
(iii) coffee and thosai
(iv) a cup of tea

(d) Pandit Nehru wanted to go with young children to :

(i) big factories of India
(ii) mountains, forests and big rivers of India
(iii) great cities of India
(iv) big towns of India

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SECTION ‘B’

10. Frame sentence as indicated against each of the following sentences : 2+2+2+2=8
(i) A scooter I see on the road. (Frame correct sentence by reordering the words)  02
(ii) He gets up early every morning. (Negative Sentence) 02
(iii) The teacher said to the boys, “Have you done your work today?” (Indirect Speech)  02
(iv) They are………………………..a letter. (write) (Use correct form of the Verb)    02

11. Choose the correct preposition given against the sentence to fill in the blank:
(a) Somebody knocked. …………my door.(with, at, for, since, of, by) 02
(b) Complete the following sentence:   Honesty is the…………………
(c) Complete the spelling of the following words:  1/2+1/2=01
jo_rn_y,
l_bo_r
(d) Punctuate the following sentence using capital letters wherever necessary:    02
i am going to aligarh tomorrow to play a hockey match.

12. Translate the following passage into English : 04     
फूलपुर में एक सरकारी स्कूल है। स्कूल में 15 शिक्षिकाएँ और 500 छात्राएँ हैं। स्कूल की इमारत छोटी है। स्कूल के सामने एक मैदान है।

13. Write an application to the Principal of your college informing him about your illness and requesting him to grant you leave of absence for three days.
or
Write in about 100 words a letter to your father requesting him to send you more money this time. 04   

14. Write a composition on any one of the following topics in about 60 words. Points are given below for each topic for develop the composition.

(a) An Ideal Teacher 
 06 
1. Introduction,
2. His dress and appearance,
3. His behaviour,
4. His method of teaching,
5. His qualities.

(b)My School

1. Name and Situation,
2. Building,
3. Library,
4. Play Ground,
5. Conclusion.

(c) An Indian Farmer

1. Introduction,
2. Home,
3. Education,
4. Daily Life,
5. Source of Enjoyment,
6. Efforts of Improvement.

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15. Read the following passage carefully and on the basis of your reading answer the questions given below it: 06
Gandhiji was not against machines. He believed that a machine is good if it serves a man, but it is harmful when it seeks to master him. He was against the large scale use of machines because he wanted to utilize the immense manpower and cattle power of India. He was completely in favour of village and cottage industries so that people could employ their own resources to improve their economic condition. Gandhiji was a believer (UPBoardSolutions.com) in self-dependence so that people might not rely on British and foreign aid for their prosperity. The revival of hand-spinning and hand-weaving industries in our country shook the foundations of the British Empire. Another reason of Gandhiji’s dislike for machines was that large scale production has the  tendency of concentrating wealth in a few hands.
Questions.
(i) What was the attitude of Gandhiji towards machines?
(ii) Why was Gandhiji in favour of village industry?

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UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 11 परमवीरः अब्दुलहमीदः (गद्य – भारती)

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Textbook NCERT
Class Class 9
Subject Sanskrit
Chapter Chapter 11
Chapter Name परमवीरः अब्दुलहमीदः (गद्य – भारती)
Number of Questions Solved 3
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 11 परमवीरः अब्दुलहमीदः (गद्य – भारती)

पाठ-सारांश

यह भारतभूमि विद्वानों, देशभक्तों और वीरों की जननी है। आधुनिक समय में भी ऐसे अनेक वीर हुए हैं, जिन्होंने स्वतन्त्रता के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी। चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ आदि ऐसे ही देशभक्त हैं। दूसरी ओर ऐसे भी अनेक देशभक्त वीर हैं, जिन्होंने देश की स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए शत्रुओं का मुकाबला करते हुए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया। ऐसे ही देशभक्त परमवीरों में (UPBoardSolutions.com) अब्दुल हमीद का नाम बड़ी श्रद्धा से याद किया जाता है, जिन्होंने सन् 1965 ई० में भारत-पाकिस्तान युद्ध में वीरतापूर्वक लड़ते हुए वीरगति पायी थी!

जन्म एवं शिक्षा-वीर हमीद का जन्म सन् 1933 ई० में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धुमआपुर ग्राम में एक साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ था। बचपन से ही पहलवानी करने और लाठी चलाने में इनकी रुचि थी। ये पढ़ने की अपेक्षा क्रीड़ा-अभ्यास को अधिक पसन्द करते थे। बार-बार अभ्यास करके इन्होंने अचूक निशाना लगाना सीख लिया था। एक बार इन्होंने रात्रि में उल्लू की आवाज सुनकर और उस पर निशाना लगाकर उसे मार गिराया था। उसी समय इन्होंने सैनिक बनकर मातृभूमि की रक्षा करने का (UPBoardSolutions.com) दृढ़-संकल्प कर लिया। 7 दिसम्बर, सन् 1954 ई० में इन्होंने सेना में प्रवेश लिया। ‘ग्रेवोडियर्स रेजीमेंटल प्रशिक्षण केन्द्र में प्रशिक्षण प्राप्त करके ये सैनिक हो गये और छ: वर्ष के भीतर ही लान्सनायक के पद पर नियुक्त होकर वर्षभर में हवलदार हो गये।

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युद्ध में सैनिक रूप में नियुक्ति-चीन के आक्रमण के समय इनकी नियुक्ति नेफा क्षेत्र में हुई थी। यहीं इन्हें प्रथम बार युद्ध का सामना करना पड़ा। अपनी कर्तव्यनिष्ठा, शौर्य और साहस के कारण इन्होंने सैनिक अधिकारियों के हृदय पर अपनी धाक जमा ली। सन् 1965 ई० में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया। उस समय इन्हें लाहौर क्षेत्र में ‘कसूर’ स्थान पर तैनात किया गया था। उस युद्ध में पाकिस्तान के पास अमेरिका के दुभेद्य और दूरमारक आधुनिक पैटन टैंक थे। भारत अपने पुराने पैटन टैंकों को लेकर ही युद्ध कर रहा था, लेकिन उसके सैनिकों का मनोबल ऊँचा था।

अप्रतिम शौर्य-प्रदर्शन–अब्दुल हमीद अपने दिव्य उत्साह से युद्ध-क्षेत्र में गोले फेंक रहे थे। वे अपनी जीप में चढ़कर पाकिस्तानी टैंकों पर गोलों की बौछार करते हुए पाकिस्तानी सेना को रोक रहे थे। उनकी जीप को लक्ष्य बनाकर पाकिस्तानी टैंक उन पर गोला फेंकने ही वाला था कि अब्दुल हमीद ने विद्युत गति से उछलकर और हथगोला फेंककर उस टैंक को नष्ट कर दिया। यह देखकर दूसरे (UPBoardSolutions.com) पाकिस्तानी टैंक ने आक्रमण कर दिया। उसे भी अब्दुल हमद ने हथगोले से ध्वस्त कर दिया, लेकिन दुःख है कि तीसरे पैटन टैंक से फेंके गये एक गोले से उनका प्राणान्त हो गया। उस समय उनके मुख परे मातृभूमि की रक्षा करने से उत्पन्न सन्तोष झलक रहा था।

सम्मानित-अब्दुल हमीद जिस मातृभूमि की गोद में बड़ा हुआ, उसके प्रति अपने कर्तव्य के पूरा कर धन्य हो गया। भारत सरकार ने उस परमवीर को परमवीर चक्र की उपाधि से सम्मानित किया ‘उत्तर प्रदेश सरकार ने भी उसके परिवार की बड़ी सहायता की और उसकी स्मृति को चिरस्थायी रखने के लिए उसके ग्राम का नाम ‘हमीपुर’ रख दिया।

 निश्चय ही मातृभूमि के चरणों पर भक्तिपूर्वक सिर समर्पित करने वाले, यश शरीर वाले, स्वर देवता-स्वरूप वे श्रेष्ठ वीर मनुष्य धन्य हैं।

गद्यांशों का ससन्दर्भ अनुवाद

(1) एषा शस्यश्यामला भारतभूमिर्महतां मनीषिण, विलक्षणानां विपश्चित स्वप्राणेष्वप्यनासक्तानां देशभक्तानां परमधीराणां च युद्धवीराणां जननी। आस्तां तावदस्या प्राक्तनो लोकातिक्रान्तो गरिमा। आधुनिकेऽपि काले चन्द्रशेखरभक्तसिंहरामप्रसादादिभिः बहुभिर्युवाभिरस्याः स्वातन्त्र्यस्य हेतवे स्वजीवनमपि प्रदत्तम्, अपरैश्चानेकैस्तरुणैस्तथाधिगत स्वतन्त्रतां परिरक्षितुं शत्रूणामभिमुखं सुदृढं संस्थाय तेषां विनाशं कुर्वद्भिः स्वप्राणा एवं उत्सृष्टाः।यौवनं परिगणितं, ने कुटुम्बं चिन्तितं नाप्यायुष्यं (UPBoardSolutions.com) समीहितम्। स्मारं स्मारं तेषामभिधानमद्यापि . हृदयमगाधया श्रद्धया प्लावितं सदनुभवति यद्गुणाः पूजास्थानं गुणिषु न च स्विङ्गं न च वयः। तादृशं वीराणामेवान्यतमः श्रीअब्दुलहमीदो नाम यः पञ्चषष्ट्युत्तरैकोनविंशतिशततमे (1965) ईसवीये संवत्सरे कसूरयुद्धे पाकिस्तानिभिः सैनिकैरभियुध्यन् असूनपिविहाय तेषां भारताभिमुख गतिं सम्यगुपारौत्सीत्।।

शब्दार्थ
शस्यश्यामला = फसलों से हरी-भरी।
विलक्षणानां = अनोखे, आश्चर्यजनक।
विपश्चिताम् = विद्वानों की।
अनासक्तानाम् = प्रेम न करने वाले।
आस्ताम् = रहे।
प्राक्तनः = पुराना।
लोकातिक्रान्तः = लोक का अतिक्रमण करने वाली,
अलौकिक। हेतवे = के लिए।
तथाधिगताम् = उस प्रकार प्राप्त हुई।
परिरक्षितुं = रक्षा करने के लिए।
संस्थाय = खड़े होकर।
उत्सृष्टाः = त्याग दिये।
समीहितम् = इच्छा की।
तेषामभिधानमद्यापि = उनका नाम आज भी।
प्लावितम् = सराबोर, डूबे हुए।
वयः = आयु।
सैनिकैरभियुध्यन् (सैनिकैः + अभि + युध्यन्) = सैनिकों के साथ विरोध में युद्ध करता हुआ।
असूनपि = प्राणों को भी।
उपारौत्सीत् = रोक दिया। |

सन्दर्भ
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत गद्य-भारती’ में संकलित ‘परमवीरः अब्दुलहमीदः’ शीर्षक से अवतरित है।

[संकेत-इस पाठ के शेष गद्यांशों के लिए भी यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में देश की स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए आत्म-बलिदान करने वाले वीरों में अब्दुल हमीद का स्मरण किया गया है। । अनुवाद—यह धान्य से परिपूर्ण हरी-भरी भारतभूमि महान् बुद्धिमानों, विलक्षण विद्वानों, अपने प्राणों का मोह न करने वाले देशभक्तों, अत्यन्त धैर्यशालियों और युद्धवीरों की माता है। इसकी उस प्राचीन अलौकिक महिमा को रहने दें (अर्थात् उसकी तो बात ही क्या) आधुनिक समय में भी चन्द्रशेखर, भगतसिंह, रामप्रसाद आदि बहुत-से युवकों ने इसकी स्वतन्त्रता के लिए अपना जीवन भी दे दिया। दूसरे अनेक तरुणों ने उस प्रकार (कठिनाई) से प्राप्त हुई स्वतन्त्रता की रक्षा करने के लिए शत्रुओं के सामने मजबूती से खड़े रहकर (UPBoardSolutions.com) उनका विनाश करते हुए अपने प्राण भी त्याग दिये। न युवावस्था की परवाह की, न कुटुम्ब की चिन्ता की, न अधिक आयु की इच्छा की। उनके नाम को याद कर-करके आज भी हृदय अगाध श्रद्धा से भरा हुआ अच्छा अनुभव करता है कि गुणियों में गुण ही पूजा के योग्य होते हैं, लिंग और उम्र नहीं।’ उस प्रकार के वीरों में एक श्री अब्दुल हमीद का नाम है, जिसने सन् 1965 ई० में कसूर युद्ध में पाकिस्तान के सैनिकों के साथ युद्ध करते हुए प्राणों को भी त्यागकर उनकी भारत की ओर बढ़ती गति को भली-भाँति रोक दिया।

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(2) अस्य वीरपुङ्गवस्य जन्म त्रयस्त्रिशदुत्तरैकोनविंशतिशततमे (1933) ख्रीष्टाब्दे अस्माकं प्रदेशस्य गाजीपुरमण्डलस्य धुमआपुराह्वये ग्रामे अतिसाधारणे मुहम्मदीयकुटुम्बे जातम्। बाल्यादेवास्य मल्लविद्यायष्टिचालनादिषु शारीरिकबलोपचयाधायिनीषु क्रीडासु सहजेवाभिरुचिरासीत्। सैनिकगुणानात्मसात्कर्तुं दृढनिश्चयोऽसौ पौनःपुन्येन तथा अभ्यस्यति स्म यथा लक्ष्यवेधादिक्रीडास्वपि प्रावीण्यमुपागमत्। अक्षराभ्यासादधिकमस्मै क्रीडाभ्यासोऽरोचत। तदयं चतुर्थकक्षां यावदेवाधीतवान्। श्रूयते यदेकस्यां निशि (UPBoardSolutions.com) कस्यचिदूलूकस्य विरोवमेवानुसृत्य लक्ष्ये प्रहरताऽनेनासौ न्यपाति। ततः क्षणादेव चासौ सैनिको भूत्वा मातृभूमे रक्षणाय समकल्पत। सौभाग्यात्तस्यायं मनोरथश्चतुःपञ्चाशदुत्तरैकोनविंशतिशततमे (1954) वर्षे दिसम्बरमासस्य सप्तमेऽहनि पर्यपूर्यत यदासौ सेनायां प्रवेशं प्राप्तवान्। चतुर्दशमासान् यावद् राजस्थानस्य नसीराबादसैनिकशिविरे ‘ग्रेवोडियर्स रेजीमेण्टल’ प्रशिक्षणकेन्द्रे सैनिकप्रशिक्षणं प्राप्य अब्दुलहमीदः पूर्णतया सैनिकोऽभवत् षड्वर्षाभ्यन्तरे च लान्सनायकपदे न्ययुज्यते वर्षमात्रेण च हवलदारपदमाप्तवान्।

शब्दार्थ
वीरपुङ्गवस्य = श्रेष्ठ वीर को।
धुमआपुराह्वये (धुमआपुर + आह्वये) = धुमआपुर नाम के।
मुहम्मदीय कुटुम्बे = मुस्लिम वंश में।
मल्लविद्यायष्टिचालनादिषु = कुश्ती लड़ने, लाठी चलाने आदि में।
बलोपचय = बलवर्द्धक।
आत्मसात्कर्तुम् = अपनाने के लिए।
पौनः पुन्येन = बार-बार।
लक्ष्यवेध = निशाना लगाना।
प्रावीण्यम् = कुशलता।
उपागमत् = प्राप्त की।
विरावम् = शोर।
न्यपाति = गिरा दिया।
पर्यपूर्यत = पूर्ण हो गया।
न्ययुज्यत = नियुक्त कर दिया गया।
आप्तवान् = प्राप्त कर लिया।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में अब्दुल हमीद के जन्म, शिक्षा, अभिरुचि एवं सेना में भर्ती होने का वर्णन है।

अनुवान
इस श्रेष्ठ वीर का जन्म सन् 1933 ई० में हमारे प्रदेश (उत्तर प्रदेश) के गाजीपुर जिले के धुमआपुर नरक ग्राम में अत्यन्त साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ था। बचपन से ही इसकी पहलवानी, लाठी चलाने आदि शारीरिक शक्तिवर्द्धक क्रीड़ाओं में स्वाभाविक ही लगन थी। सैनिक के गुणों को अपनाने के लिए दृढ़-निश्चय वाले उसने बार-बार इतना अभ्यास किया कि निशान लगाने आदि खेलों में भी कुशलता प्राप्त कर ली। इसे अक्षरों के अभ्यास (विद्याभ्यास) की अपेक्षा क्रीड़ा का अभ्यास अच्छा लगता था, इसलिए इसने चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई की। सुना जाता है कि एक रात में किसी उल्लू के शोर का ही अनुसरण करके लक्ष्य पर प्रहार करते हुए इसने उसे गिरा (UPBoardSolutions.com) दिया। उस क्षण से ही उसने सैनिक बनकर मातृभूमि की रक्षा का संकल्प लिया। सौभाग्य से उसके मन की यह इच्छा सन् 1954 ई० में दिसम्बर महीने के सातवें दिन (सात तारीख को) पूर्ण हो गयी, जब उसने सेना में प्रवेश कर लिया। चौदह महीने तक राजस्थान के नसीराबाद सैनिक शिविर में ग्रेवोडियर्स रेजीमेण्ट’ नामक प्रशिक्षण केन्द्र में सैनिक प्रशिक्षण प्राप्त करके अब्दुल हमीद पूर्णरूप से सैनिक हो गया और छह वर्ष के अन्दर ही लान्सनायक के पद पर नियुक्त कर दिया गया और वर्षभर में हवलदार का पद प्राप्त कर लिया।

(3) भारतसीमान्ते चीनदेशस्याक्रमणकाले श्रीअब्दुलहमीदो नेफाक्षेत्रे नियुक्त आसीत्। तत्रैवासौ युद्धस्याद्यं साक्ष्यमकरोत्। कर्तव्यनिष्ठाद्वितीयेन स्वेनानन्यसाधारणेनौजसा सः सैनिकाधिकारिणामविलम्बं दृष्टिमाकृष्य तूर्णमेव हृदयेषु अपि पदमदधात्। मातृभूमेः कृते प्राणानपि मुञ्चतो मे चेतो न तनुकमपि व्यथिष्यते, प्रत्युत प्राप्यैव तादृशं सुयोगं परां मुदमेवापत्स्यति इति नैकधासौ स्वमित्राण्यचीकथयत्। मनोनीतस्तादृशोऽवसरोऽपि नातिविलम्बेनागतः। पञ्चषष्ट्युत्तरैकोनविंशतिशततमे (1965) वर्षे दैवदुर्विपाकात् पाकिस्तानेन भारतवर्षे आक्रमणं कृतम्। श्रीअब्दुलहमीदश्च लवपुरसमक्षेत्रे कसूरनाम्नि स्थले सैनिकनियोगमादिष्टों युद्धनिरतः संवृत्तः। पाकिस्तानं प्रति सदैव पक्षपातिना अमेरिकादेशेन पाकिस्तानायातिशक्तिशालिनो दूरमारका अभेद्यत्वेन प्रसिद्धाः (UPBoardSolutions.com) पैटनटैङ्काः प्राचुर्येण प्रदत्ता आसन्। तच्छक्तिदृप्ताः पाकिस्तानिनः सैनिकास्तानग्रे कृत्वा भारतसैन्ये गोलकानि वर्षन्तो दुर्दान्ता दानवा नाकमिव भारतधरामधिचिकीर्षतस्तस्यान सीमसु प्रविष्टाः। तेषां प्रतिरोधाय भारतसैनिका अपि गोलकानि वर्षन्ति स्म, किन्तु तेषां पुरातनाष्टैङ्का ने तथा दुर्भेद्या दूरमारका शक्तिशालिनश्च आसन् तथापि मातृभुवं रक्षितुं मनोबलं तु आकाशं स्पृशति स्म।क्रियासिद्धिः सत्वे भवति महतां नोपकरणे’ इति भृशं विश्वसन्तस्तेषामात्मा कार्यं वा साधयेयं देहं वा पातयेयम्’ इति मुहुर्मुहुः शूराभ्यस्ते समये वर्तमानो ‘हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्’ इति भगवतो वाक्यं स्मारयन् तेषां मनसि पैटनटैङ्कादपि गरीयसीं दृढतामुपाबध्नात्।।

शब्दार्थ
आद्यम् = पहली बार।
साक्ष्यम् = सामना।
अकरोत् = किया।
ओजसा = बल से
अविलम्बम् = जल्दी।
तूर्णम् = शीघ्र।
पदमधात् = स्थान बना लिया।
तनुकमपि = थोड़ा भी
व्यथयिष्यते = व्यथित करेगा।
मुदम् = प्रसन्नता को।
नैकधा = अनेक बार।
अचीकथयत् = कहा
नाति-विलम्बेन = अधिक देर से नहीं, शीघ्र ही।
लवपुरसमरक्षेत्रो = लाहौर युद्ध क्षेत्र में
दूरमारकाः = दूर तक मार करने वाले।
प्राचुर्येण = अधिक मात्रा में।
तच्छक्तिदृप्ताः = उनकी शकि से अहंकारयुक्त।
नाकम् = स्वर्ग।
क्रियासिद्धिः सत्वे भवति महतां नोपकरणे = वीरों या महापुरुष की कार्य-सफलता बल में रहती है, साधन में नहीं।
हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्य महीम् = मारा गया तो स्वर्ग जाएगा, जीता रहा तो पृथ्वी का भोग करेगा।
कार्यं वा साधयेयम् देहं व पातयेयम् = कार्य सिद्ध करूंगा या शरीर नष्ट कर लूंगा।
स्मारयन् = याद दिलाते हुए। उपाबध्नात् : बाँध दी।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में चीन के आक्रमण के समय अब्दुल हमीद के उच्च मनोबल का वर्ण किया गया है।

अनुवाद
भारत के सीमान्त प्रदेश में चीन देश के आक्रमण के समय श्री अब्दुल हमीद नेप क्षेत्र में नियुका थे। वहीं उसने युद्ध का पहली बार सामना किया। कर्तव्यनिष्ठा के कारण अद्विती अपने अनन्य असाधारण बल से उसने सैनिक अधिकारियों की दृष्टि आकृष्ट कर शीघ्र ही हृदयों पर १

स्थान बना लिया। “मातृभूमि के लिए प्राणों को भी त्यागते हुए मेरा चित्त तनिक भी दु:खी नहीं होगा, प्रत्युत् उस प्रकार के सुअवसर को प्राप्त करके ही अत्यन्त प्रसन्नता को प्राप्त करेगा”, ऐसा वह अनेक . | बार अपने मित्रों को कहता था। मनचाहा वैसा अवसर भी शीघ्र ही आ गया। सन् 1965 ई० में दुर्भाग्य | से पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया। श्री अब्दुल हमीद लवपुर (लाहौर) के युद्ध-क्षेत्र में | ‘कसूर’ नाम के स्थान पर सैनिक के कर्तव्य का आदेश पाकर युद्ध करने लगे थे। पाकिस्तान के प्रति

हमेशा ही पक्षपात करने वाले अमेरिका देश ने पाकिस्तान को अत्यन्त शक्तिशाली, दूर तक मार करने | वाले, अभेद्य होने में प्रसिद्ध पैटन टैंक अधिक मात्रा में दे रखे थे। उनकी शक्ति से गर्वीले पाकिस्तान के

सैनिक उनको आगे करके भारत की सेना पर गोले बरसाते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे स्वर्ग पर दुर्दान्त दानव अधिकार करना चाहते हों और वे उसकी सीमाओं में घुस गये। उनको (UPBoardSolutions.com) रोकने के लिए भारत के सैनिक भी गोले बरसा रहे थे, किन्तु उनके पुराने टैंक वैसे दुभेद्य, दूर तक मार करने वाले और शक्तिशाली नहीं थे, तो भी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए उनका मनोबल आकाश को छू रहा था।

क्रिया की सिद्धि साध्य में होती है, साधन में नहीं” इसका अत्यधिक विश्वास करते हुए उनकी आत्मा | ने “कार्य को सिद्ध करू या शरीर को नष्ट कर दें इस प्रकार वीरों के द्वारा बार-बार अभ्यास किये गये। | समय में स्थित होते हुए “मारे जाकर स्वर्ग को प्राप्त करोगे अथवा जीतकर पृथ्वी को भोगोगे’-इस | प्रकार भगवान् के वाक्य का स्मरण करते हुए उनके मन में पैटन टैंक से भी बड़ी दृढ़ता बाँध दी।

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(4) तथाभूतेन दिव्योत्साहेन दीपितः श्रीहमीदस्तु नृत्यन्मृत्युना तद् भयावहं युद्धं कन्दुकक्रीडनमिव, युद्धक्षेत्रं क्रीडाक्षेत्रमिव, गोलकजातं च कुन्दुकमिव मन्यमानो जीपवाहनमारूढ़ः पैटनटैङ्कानां छायायामग्रेसरन् पाकिस्तानिसैन्यमुपरोद्धं तेषां टैङ्केषु गोलकानि प्रक्षिपन् अभिमुखमागतः। टैङ्करक्षितैर्रिपुसैनिकैर्हमीदस्य जीपयानै शतत्रयहस्तदूरं दृष्टं तदधिलक्ष्य च महाभीषणो गोलकक्षेपः कर्तुमारब्धः। तत्क्षणमेव हमीदेन विद्युद्गत्या हस्तगोलकं प्रक्षिप्य सः टैङ्को विनाशितः। तद् दृष्ट्वा अपरेण पाकिस्तानटैङ्केन हमीदस्योपरि आक्रमणं कृतम्, किन्तु (UPBoardSolutions.com) वीरोत्तमेनानेन सोऽपि हस्तगोलकेन तथैव ध्वंसं नीतः। अहो! वैचित्र्यम् , भारतवीरवरस्य तस्य शौर्यस्य येनोत्तमोपकरणा अपि शत्रवो निरुद्धाः। हस्तिशशकयोरिव झञ्झादीपयोरिव सङ्घर्षोऽसौ प्रतिभाति स्म। परन्तु हा! हन्त! हन्त! रणशिरसि वर्तमानस्यास्य भारतवीरधौरेयस्यानुपदमेव तृतीयस्मात् पाकिस्तानटैङ्कात् प्रक्षिप्तेनैकेन गोलकेन प्राणान्तो जातः। मृतस्याप्यस्य वदने | मातृभूमिरक्षार्थं प्राणोत्सर्गजनितः सन्तोषः सुतरामङ्कित आसीत्। क्षणभङ्गुरेऽस्मिन् संसारे

कलेवरं तु भङ्गुरम्। तस्य विनिमयेन विमलकीर्तेरर्जनं न खलु पुष्कलमूल्यम्। परमवीरेणानेन | निःसन्दिग्धं प्रमाणितं यत् स्वल्पोपकरणैरेव स्वौजसा महान्ति कार्याणि यैः सम्पाद्यन्ते त एव महान्तो न तु साधनसम्पन्नाः।।

शब्दार्थ
दिव्योत्साहेन = अलौकिक उत्साह से।
दीपितः = प्रकाशमान्।
नृत्यन्मृत्युना = मृत्यु |
का नृत्य। कन्दुकक्रीडनमिव = गेंद के खेल के समान।
छायायामग्रेसरन् = छाया में आगे बढ़ता हुआ।
उपरोदधुम् = रोकने के लिए।
प्रक्षिपन् = फेंकता हुआ।
शतत्रयहस्तदुरम् = तीन-सौ हाथ दूर।
तदभिलक्ष्य = उसे निशाना बनाकर।
विद्युद्गत्या = बिजली के समान तेज गति से।
हस्तगोलकं= हाथ का गोला (हैण्डग्रेनेड)।
ध्वंसं नीतः = नष्ट कर दिया।
निरुद्धाः = रोक दिये गये।
हस्तिशश- कयोरिव = हाथी और खरगोश के समान।
झञ्झादीपयोरिव = तूफान और दीपक के समान।
वीरधौरेयस्य= वीरों में अग्रणी।
अनुपदमेव = पीछे ही।
वदने= मुख पर।
भङ्गुरम्= नाशवान्।
कलेवरं = शरीर।
विनिमयेन = बदले से।
पुष्कृलमूल्यम् = अधिक मूल्य पर।
स्वौजसा = अपने बल से। |

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में पाकिस्तानी सेना के साथ जूझते हुए रणबाँकुरे अब्दुल हमीद के अप्रतिम शौर्य-प्रदर्शन एवं मृत्यु का वर्णन किया गया है।

अनुवाद
उस प्रकार के अलौकिक उत्साह से प्रकाशमान् श्री हमीद मृत्यु से नाचते हुए, उस यावह युद्ध को गेंद के खेल के समान, युद्ध-क्षेत्र को खेल के मैदान के समान और गोलों के समूह को गेंद के समान मानते हुए जीप पर सवार होकर पैटन टैंकों की छाया में आगे चलते हुए, पाकिस्तान की सेना को रोकने के लिए उनके टैंकों पर गोले फेंकता हुआ सामने आ गया। टैंकों की रक्षा करने गले शत्रुओं के सैनिकों ने हमीद की जीप को तीन सौ हाथ दूर पर देखा और उसको निशाना बनाकर नत्यन्त भयानक गोले फेंकना आरम्भ कर दिया। उसी क्षण हमीद ने बिजली के समान तेजगति से थगोला फेंककर उस टैंक को ध्वस्त कर दिया। यह देखकर पाकिस्तान के दूसरे टैंक ने हमीद के

ऊपर आक्रमण कर दिया, किन्तु इस श्रेष्ठ वीर ने उसे भी हथगोले से उसी प्रकार नष्ट कर दिया। अहो! भारत के वीर और उसकी बहादुरी की विलक्षणता आश्चर्यकारी है, जिसने उत्तम उपकरणों वाले शत्रु को भी रोक दिया। वह संघर्ष हाथी और खरगोश के समान, तूफान और दीपक के समान प्रतीत हो रहा था, परन्तु बारम्बार खेद है! युद्ध-स्थल में स्थित भारत के वीरों में अग्रणी इस वीर का इसके पीछे ही पाकिस्तान के (UPBoardSolutions.com) तीसरे टैंक से फेंके गये एक गोले से प्राणान्त हो गया। मरे हुए भी इसके मुख पर मातृभूमि की रक्षा के लिए प्राण-त्याग से उत्पन्न हुआ अत्यधिक सन्तोष अंकित था। इस नशवान् संसार में शरीर तो अधिक नाशवान है। उसके बदले में देने से (शरीर-त्याग से) पवित्र यश की प्राप्ति का अधिक मूल्य है। इस परमवीर ने नि:सन्देह प्रमाणित कर दिया कि थोड़े-से साधनों के द्वारा अपने बल से, जिनके द्वारा महान् कार्य पूर्ण किये जाते हैं, वे ही महान् हैं, साधनसम्पन्न लोग नहीं। |

(5) एवमसौ परश्शतैर्महारथैरभिमन्युरिव बलवद्भिर्युध्यन् सखायामिवालिङ्ग्य मृत्युमितिहासपुरुषो जातः। यस्य देशस्य रजसि क्रीडित्वा तेन बाल्यं नीतम् , यस्यान्नजलाभ्यां तस्य देहः पुष्टिमगात् , यस्य वायौ तेन सततं श्वसितम् , तं प्रति स्वकर्तव्यं परिपूर्य सः कृतार्थोऽभवत्। भारतशासनेनासौ शूरशिरोमणिर्मरणानन्तरं परमवीरचक्रेण सम्मानितः। उत्तप्रदेशशासनेन च तस्य कुटुम्बस्य भूयसी सहायता कृता तस्य स्मृतेश्च चिरस्थायितायै तस्य ग्रामस्य नामापि हमीदपुरमिति कृतम्।

रक्षणाय जनुभूमेः प्राणानपि त्यजन्ति ये।
यशोदेहेन जीवन्तो-मार्गमन्यान् दिशन्ति ते॥
मातृपादयोर्भक्त्या शिरः पुष्पसमर्पकाः।।
यशःकायाः स्वयंदेवा धन्या वीरवरा नराः॥

शब्दार्थ
परश्शतैः = सैकड़ों से अधिक।
बलवद्भिः = बलवानों से।
आलिङ्ग्य = आलिंगन करके।
रजसि = मिट्टी में।
नीतम् = बिताया।
श्वसितम् = साँस ली।
परिपूर्य = पूर्ण करके।
मरणोपरान्तम् = मरने के बाद।
भूयसी = बहुत।
चिरस्थायितायै = बहुत समय तक स्थायी रखने के लिए।
जनुभूमेः = जन्मभूमि की।
यशोदेहेन = यश रूपी शरीर से।
दिशन्ति = बतलाते हैं।
शिरःपुष्पसमर्पकाः = शीश रूपी पुष्प समर्पित करने वाले।
वीरवराः = वीरों में श्रेष्ठ।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में अब्दुल हमीद के वीरगति को प्राप्त करने पर उसके सम्मान का वर्णन किया गया है।

अनुवाद
इस प्रकार वह सैकड़ों से अधिक बलवान् महारथियों से युद्ध करते हुए अभिमन्यु के समान मृत्यु का मित्र के समान आलिंगन करके इतिहास-पुरुष हो गया। जिस देश की धूल में खेलकर उसने बचपन बिताया, जिसके अन्न और जल से उसका शरीर पुष्ट हुआ, जिसकी वायु में उसने निरन्तर श्वास (UPBoardSolutions.com) लिया, उसके प्रति अपने कर्तव्य को पूर्ण करके वह धन्य हो गया। भारत सरकार ने इस शूर शिरोमणि को मरने के बाद परमवीर चक्र से सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश सरकार ने उसके परिवार की बहुत सहायता की तथा उसकी स्मृति को लम्बे समय तक स्थायी रखने के लिए उसके गाँव का नाम भी ‘हमीदपुर’ कर दिया।

जो लोग जन्मभूमि की रक्षा के लिए प्राणों को भी त्याग देते हैं, वे यशः शरीर से जीवित रहते हुए दूसरों को मार्ग बताते हैं। मातृभूमि के चरणों में सिररूपी पुष्प को समर्पित करने वाले, यशः शरीर वाले, स्वयं देवतास्वरूप वे श्रेष्ठ वीर मनुष्य धन्य हैं।

लघु उत्तरीय प्ररन

प्ररन 1
इस पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है?

या

अब्दुल हमीद का बलिदान हमें क्या प्रेरणा देता है?
उत्तर
इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्य के गुण पूजनीय होते हैं। मनुष्य दृढ़, संकल्प और प्रयत्न से अपने मनोरथ को पूर्ण करने में समर्थ होता है। कार्य की सिद्धि साध्य में होती है, साधन में नहीं। पाकिस्तान के पास अभेद्य पैटन टैंक थे और भारत के पास पुराने टैंक, लेकिन भारत के सैनिकों का मनोबल ऊँचा था; अतः वे युद्ध में विजयी हुए। मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की चिन्ता भी नहीं करनी चाहिए।

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प्ररन 2
परमवीर अब्दुल हमीद की जीवनी अंश के आधार पर अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
[संकेत-‘पाठ-सारांश’ मुख्य शीर्षक की सामग्री को अपने शब्दों में लिखिए। .

प्ररन 3
युद्ध में अब्दुल हमीद ने जो वीरता दिखाई उसका वर्णन कीजिए।
उत्तर
[संकेत—‘पाठ-सारांश’ मुख्य शीर्षक के अन्तर्गत आये शीर्षकों-‘युद्ध में सैनिक रूप । में नियुक्ति’ और ‘अप्रतिम शौर्य-प्रदर्शन की सामग्री को संक्षेप में लिखें।]

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 मेघ बजे, फूले कदम्ब (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 मेघ बजे, फूले कदम्ब (मंजरी)

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समस्त पद्याशों की व्याख्या

मेघ बजे

धिन-धिन-धा ……………………….. धिन-धिन-धा….।

संदर्भ:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘मेघ बजे, फूले (UPBoardSolutions.com) कदम्ब’ नामक कविता से उद्धत की गई हैं। इसके रचयिता वैद्यनाथ मिश्र ‘नागार्जुन’ हैं।

प्रसंग:
प्रस्तुत कविता में कवि ने बादलों की उमड़-घुमड़ एवं उनकी ध्वनि का मार्मिक चित्रण किया है।

व्याख्या:
धिन-धिन-धा और धमक-धमक के साथ बादल गर्जना करने लगे। बादलों में बिजली चमक ली। बादलों की गर्जना हुई, मेंढक ने बोलना शुरू कर दिया। धरती का ऊपरी तले पानी से धुल गया। कीचड़ भी चंदन समान लग रहा है क्योंकि पानी बरसने से जमीन (UPBoardSolutions.com) जोतने योग्य हो गई। इस कार हुल का स्वागत होने लगा। बादल धिन-धिन करके गर्जना करने लगे।

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फूले कदम्ब……………………. फूले कदम्ब।

संदर्भ:

पूर्ववत् ।

प्रसंग:
अवि ने सावन में फैली हरियाली तथा फूले हुए कदम्ब का सजीव चित्रण किया है।

व्याश्या:
सावन के महीने में कदम्ब फूल आ जाते हैं। उनकी प्रत्येक टहनी पर गेंद के समान वह अब भी बरस रहा है। ललचाई आँखों से पपीहा स्वाति नक्षत्र की बूंद के लिए तरस रहा है। मेरा मन कहता है कि कदम्ब पर बैठ जाऊँ। कदम्ब फूले हुए हैं। (UPBoardSolutions.com)

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प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1:
चित्र देखिए और बताइए कि वर्षा ऋतु में गाँव में रहने वालों के समक्ष क्या-क्या समस्याएँ हो सकती हैं और उनके निदान के लिए क्या उपाय हो सकते हैं?
उत्तर:
वर्षा के दिनों में गाँव के लोगों की समस्याएँ- सड़क (UPBoardSolutions.com) कच्ची होने के कारण पानी भर जाता है जिससे आवागमन की समस्या पैदा हो जाती है। लकड़ी, उपले आदि के गीले होने पर सूखे ईंधन की समस्या बढ़ जाती है।
UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 मेघ बजे, फूले कदम्ब (मंजरी) image - 1

उपाय:
सड़कों की मरम्मत कराकर तथा नालियों को पक्की तथा गहरी बनाकर पानी के निकास की व्यवस्था की जा सकती है। जिससे कीचड़ से बचा जा सकता है। गाँव में वर्षा के दिनों में एल०पी०जी० गैस का प्रयोग करके सूखे ईंधन की समस्या से बचा जा सकता है।

प्रश्न 2:
आपने कविता में पढ़ा-धिन-धिन-धा, धमक-धमक मेघ बजे। (UPBoardSolutions.com) यह तबले का एक बोल है, इसी तरह अन्य वाद्ययंत्रों के भी बोल होते हैं। पता लगाएँ- ढोल, सितार, बाँसुरी, हारमोनियम के कौन-कौन से बोल होते हैं?
उत्तर:
ढोल – ढम – ढम
सितार – टींग – टींग
बाँसुरी – पीऊँ – पीऊँ
हारमोनियम – सा रे गा मा….

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विचार और कल्पना

प्रश्न 1:
निम्नांकित कविता को धयान से पढ़िए
बिजली चमकी कड़कड़-कड़।
बादल गरजा गड़-गड़-गड़। पानी बरसा तड़-तड़-तड़।
नानी बोली पढ़-पढ़-पढ़।

यह कविता आपके ही एक साथी द्वारा लिखी गयी है। (UPBoardSolutions.com) आप भी कविता लिख सकते हैं। नीचे लिखे शब्दों की मदद से ऐसी ही एक कविता की रचना कीजिए
धमक, चमक, दमक, महक
उत्तर:
बादल आया धमक   –  धमक
बिजली चमकी चमक  –  चमक
धरा रही है दमक  –  दमक
खिल गए फूल सब महक  –  महक।

प्रश्न 2:
बताइए, निम्नांकित ऋतुओं में आप अपने आस-पास क्या-क्या परिवर्तन देखते हैं
(क) बरसात में
( ख ) जाड़े में
(ग) गर्मी में
उत्तर:
(क) बरसात में: बरसात में चारों ओर कीचड़ फैल जाता है। कीड़े-मकोड़ों की वृद्धि हो जाती है। चारों ओर हरियाली छा जाती है।
(ख) जाड़े में : जाड़े में लोग स्वेटर, जर्सी आदि ऊनी वस्त्र पहनते हैं। (UPBoardSolutions.com) पानी बहुत ठण्डा हो जाता है। रातें बड़ी तथा दिन छोटे हो जाते हैं। दिन की अपेक्षा रातें ठण्डी होती हैं।
(ग) गर्मी में : गर्मी में लोग सूती तथा हल्के वस्त्र पहनते हैं। गर्मी के मौसम में दिन भर गर्म हवाएँ चलती हैं। दिन बड़े तथा रात छोटी हो जाती है। रात की अपेक्षा दिन अधिक गर्म रहता है।

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कविता से

प्रश्न 1:

(क) “धरती का हृदय धुला’ और ‘दादुर का कंठ खुला’ से क्यो आशय है?

उत्तर:
धरती को हृदय धुला’ से कवि का आशय यह है कि बादलों के बरसने से प्यासी धरा तृप्त हो गई, धूल चंदन रूपी कीचड़ बन गई, क्योंकि भूमि जोतने योग्य बन गई। ‘दादुर का कंठ खुला से कवि का आशय है-बादलों के बरसने से प्रसन्न मेंढक टर्र-टर्र कर गाने लगे। (UPBoardSolutions.com)

(ख) “जाने कब से तू तरस रहा” पंक्ति में ‘तू’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
उत्तर:
यहाँ ‘तू’ पपीहा के लिए प्रयुक्त हुआ है। वह स्वाति नक्षत्र की बूंद के लिए तरसता रहता है।

(ग) कवि ने कदम्ब के फूलों की तुलना ‘कन्दुक’ से क्यों की है?
उत्तर:
कन्दुक का अर्थ है-गेंद। गेंद गोल होती है। (UPBoardSolutions.com) कदम्ब के फूलों की गोल आकृति के कारण उनकी तुलना कन्दुक से की गई है।

प्रश्न 2. इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए

(क) पंक बना हरिचन्दन
हल का है अभिनन्दन
उत्तर:
कवि कहता है बादल के बरसने से जो कीचड़ बन रहा है, वह भी हरिचंदन के समान है। क्योंकि इसी कीचड़ में किसान फसल बोने की तैयारी कर रहे हैं। हल का अभिनंदन हो रहा है, किसान, उसे काँधे पर लिए खेतों की ओर निकल पड़े हैं। (UPBoardSolutions.com)

(ख) बादल का कोप नहीं रीता
जाने कब से वो बरस रहा
ललचाई आँखों से नाहक
जाने कब से तू तरस रहा
उत्तर:
ये पंक्तियाँ पपीहे को इंगितकर लिखी गई हैं। कवि कहता है कि बादल का कोप रीता नहीं है यानी वह लगातार बरस रहा है और बहुत समय से बरस रहा है लेकिन पपीहे की प्यास अभी भी नहीं बुझ रही। वह तो ललचाई आँखों से अभी (UPBoardSolutions.com) भी स्वाति नक्षत्र में बरसनेवाली उस एक बूंद की प्रतीक्षा में प्यासा है।

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भाषा की बात

प्रश्न 1:
निम्नांकित शब्दों के तुकान्त शब्द कविता से छाँटकर लिखिए
खुला, हरिचन्दन्, दमक, रीता, बरस, झूले।
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 मेघ बजे, फूले कदम्ब (मंजरी) image - 2
प्रश्न 2:
कविता की निम्नांकित पंक्तियों को पढ़िए
‘ललचाई आँखों से नाहक
जाने कब से तू तरस रहा’ इनमें ‘नाहक’ शब्द का प्रयोग हुआ है। (UPBoardSolutions.com) यह शब्द अरबी भाषा का है, जिसमें ‘ना’ उपसर्ग लगा हुआ है। ‘ना’ उपसर्ग रहित (नहीं) के अर्थ में प्रयोग होता है। इसी तरह के और भी शब्द हैं जैसे- नासमझ…………। आप इस प्रकार के चार शब्दों को ढूंढकर लिखिए।
उत्तर:
नादान, नाराज, नापसन्द, नालायक।

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