UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 1 बात (गद्य खंड)

UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 1 बात (गद्य खंड)

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजिये
(1) यदि हम वैद्य होते तो कफ और पित्त के सहवर्ती बात की व्याख्या करते तथा भूगोलवेत्ता होते तो किसी देश के जलबात का वर्णन करते, किन्तु दोनों विषयों में से हमें (UPBoardSolutions.com) एक बात कहने का भी प्रयोजन नहीं है। हम तो केवल उसी बात के ऊपर दो-चार बातें लिखते हैं, जो हमारे-तुम्हारे सम्भाषण के समय मुख से निकल-निकल के परस्पर हृदयस्थ भाव को प्रकाशित करती रहती हैं।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए। |
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) हम अपने हृदयस्थ भावों की अभिव्यक्ति किसके माध्यम से करते हैं?
(4) भूगोलवेत्ता किसका अध्ययन करता है?
(5) वैद्य किस बात का वर्णन करते हैं? |
[शब्दार्थ-सहवर्ती = साथ रहनेवाला, सहचर। वेत्ता = ज्ञाता, जाननेवाला। बात = वचन, शरीरस्थ वायु, वायु । जल-बात = जलवायु । प्रयोजन = मतलब। संभाषण = वार्तालाप । हृदयस्थ = हृदय में स्थित ।]

उत्तर –

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं पं० प्रतापनारायण मिश्र द्वारा लिखित ‘बात’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। यहाँ लेखक बात की महत्ता बताते हुए कहता है कि जिस प्रकार का व्यक्ति होता है वह उसी प्रकार की बात करता है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या – लेखक इस तथ्य से अवगत कराते हुए कहता है कि एक व्यक्ति का जो स्वभाव होगा अथवा जो जिस प्रकार का कार्य करेगा वह स्वाभाविक रूप से उसी प्रकार के वातावरण में उसी कार्य के अनुसार बुद्धिवाला हो जायेगा, फिर वह उसी से सम्बन्धित बात करेगी। उदाहरणस्वरूप यदि हम वैद्यराज को लें तो अपने स्वभावानुसार एवं कार्य के अनुरूप किसी रोग जैसे पित्त और उससे सम्बन्धित विषयों पर बात करेगा। यदि कोई भूगोल का ज्ञाता होगा तो वह अपने स्वभावानुसार (UPBoardSolutions.com) किसी देश की जलवायु अथवा प्राकृतिक विषयों पर बात करेगा। परन्तु लेखक कहता है कि दोनों विषयों में बात कहने का हमारा कोई प्रयोजन नहीं है। हम लोग उसी विषय पर बात लिखते अथवा करते हैं जो हृदय की भावनाओं को वाणी के माध्यम से प्रकाशित करती है। हमारे मन की जो स्थिति है, जो भावनाएँ हमारे हृदय में प्रतिपल उठती हैं उसे यदि हम मुख से, वाणी के माध्यम से दूसरे को अवगत करायें तो वह ‘बात’ कहलाती है।
  3. हम अपने हृदयस्थ भावों की अभिव्यक्ति बात के माध्यम से करते हैं।
  4. भूगोलवेत्ता किसी देश के जल-बात का वर्णन करते हैं। |
  5. वैद्य कफ और पित्त के सहवर्ती बात की व्याख्या करते हैं।

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(2) जब परमेश्वर तक बात का प्रभाव पहुँचा हुआ है तो हमारी कौन बात रही? हम लोगों के तो ‘गात माँहि बात करामात है।’ नाना शास्त्र, पुराण, इतिहास, काव्य, कोश इत्यादि सब बात ही के फैलाव हैं जिनके मध्य एक-एक बात ऐसी पायी जाती है जो मन, बुद्धि, चित्त को अपूर्व दशा में ले जानेवाली (UPBoardSolutions.com) अथच लोक-परलोक में सब बात बनानेवाली है। यद्यपि बात का कोई रूप नहीं बतला सकता कि कैसी है पर बुद्धि दौड़ाइये तो ईश्वर की भाँति इसके भी अगणित ही रूप पाइयेगा। बड़ी बात, छोटी बात, सीधी बात, खोटी बात, टेढ़ी बात, मीठी बात, कड़वी बात, भली बात, बुरी बात, सुहाती बात, लगती बात इत्यादि सब बाते ही तो हैं।
प्रश्न
(1)  गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) “गात माँहि बात करामात है।” का क्या तात्पर्य है?
(4) कौन-सी बात चित्त, मन और बुद्धि को अपूर्व दिशा की ओर अग्रसर करती है?
(5) ‘बड़ी बात’, ‘छोटी बात’ एवं ‘सीधी बात’ मुहावरे का क्या अभिप्राय है?

उत्तर-

  1. सन्दर्भ प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित पं० प्रतापनारायण मिश्र द्वारा लिखित ‘बात’ शीर्षक पाठ से उद्धत किया गया है। इसमें लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है कि बात का प्रभाव मनुष्य तक नहीं, बल्कि ईश्वर तक भी है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या – इन पंक्तियों में लेखक बात की महत्ता दिखाते हुए कहता है कि बात का प्रभाव मनुष्य तक ही सीमित नहीं, परमेश्वर तक इसके प्रभाव से बच नहीं पाये। यद्यपि परमेश्वर के विषय में कहा गया है कि उसकी न वाणी है, न हाथ हैं, न पैर हैं, बल्कि वह तो निराकार निरंजन है तथापि उसे बिना वाणी का वक्ता कहा गया है। जब निराकार ब्रह्म पर भी बात को प्रभाव होता है तो फिर हम शरीरधारी मनुष्यों का तो कहना ही क्या है? हमारे शरीर में तो बात (भाषण शक्ति अथवा वायु) का (UPBoardSolutions.com) ही चमत्कार है। अनेक शास्त्र, पुराण, इतिहास, काव्य, कोष आदि जितना भी साहित्य है, वह सब बात का ही विस्तार है। इन विविध प्रकार के ग्रन्थों में एक से बढ़कर एक बातें पायी जाती हैं। एक-एक बात ऐसी अमूल्य है कि जो हमारे मन, बुद्धि और चित्त को अपूर्व आनन्दमयी दशा में पहुँचा देती है। इन ग्रन्थों की बातें ही लोक तथा परलोक की सब बातों का ज्ञान कराती हैं। लेखक कहता है कि बात का रूप-रंग नहीं होता। कोई कह नहीं सकता कि अमुक बात ऐसी है परन्तु यदि बुद्धि से विचार कर देखा जाय तो हम पायेंगे कि जैसे भगवान् के अनेक रूप होते हैं, उसी प्रकार बात के भी अनेक रूप होते हैं, जैसे बड़ी बात, छोटी बात, सीधी बात, टेढ़ी बात, मीठी, कड़वी, भली, बुरी, सुहाती और लगती बात आदि कैसी भी हों ये सब बात के ही रूप हैं।
  3. “गात माँहि बात करामात है।” का तात्पर्य है कि हमारे शरीर में तो बात का ही चमत्कार है।
  4. नानाशास्त्र, पुराण, इतिहास काल आदि की बातें चित्त, मन और बुद्धि को अपूर्व दिशा की ओर अग्रसर करती है।
  5. ‘बड़ी बात’, ‘छोटी बात’ एवं ‘सीधी बात’ मुहावरे का अभिप्राय बात का स्वरूपगत वैभिन्नता को दर्शाना है।

(3)  सच पूछिये तो इस बात की भी क्या ही बात है जिसके प्रभाव से मानव जाति समस्त जीवधारियों की शिरोमणि (अशरफ-उल मखलूकात) कहलाती है। शुकसारिकादि पक्षी केवल थोड़ी-सी समझने योग्य बातें उच्चरित कर सकते हैं, इसी से अन्य नभचारियों की अपेक्षा आदृत समझे जाते हैं। फिर क़ौन न मानेगा कि बात की बड़ी बात है। हाँ, बात की बात इतनी बड़ी है कि परमात्मा को लोग निराकार (UPBoardSolutions.com) कहते हैं, तो भी इसका सम्बन्ध उसके साथ लगाये रहते हैं। वेद, ईश्वर का वचन है, कुरआनशरीफ कलामुल्लाह है, होली बाइबिल वर्ड ऑफ गोड है। यह वचन, कलाम और वर्ड बात ही के पर्याय हैं जो प्रत्यक्ष मुख के बिना स्थिति नहीं कर सकती। पर बात की महिमा के अनुरोध से सभी धर्मावलम्बियों ने ‘बिन बानी वक्ता बड़ जोगी’ वाली बात मान रखी है।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) निराकार परमात्मा का सम्बन्ध बात से कैसे है?
(4) मानव जाति समस्त जीवधारियों में क्यों शिरोमणि है?
(5) ‘बिन बानी वक्ता बड़ जोगी’ का क्या अभिप्राय है?

उत्तर-

  1. सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं पं० प्रतापनारायण मिश्र द्वारा लिखित ‘बात’ नामक हास्य-व्यंग्य प्रधान निबन्ध से उद्धृत किया गया है। इसके अन्तर्गत लेखक ने बात की महत्ता का वर्णन किया है और कहा है कि बात के कारण ही जन मानस में व्यक्ति की प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या – वस्तुत: बात का महत्त्व इतना अधिक है कि उसका वर्णन करना कठिन हो जाता है। यदि बात के महत्त्व को लेखनीबद्ध किया जाये तो एक ग्रन्थ बन सकता है। संसार में मानव को समस्त प्राणियों से श्रेष्ठ माना जाता है। उसका मुख्य कारण भी यह बात ही है। मानव ही एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो बात करने में चतुर है। इसी कारण वह सभी प्राणियों का सिरमौर बना है। मानव की भाषा में तोता-मैना आदि पक्षी थोड़ा समझने योग्य बातों का उच्चारण कर लेते हैं, जिसके कारण वे आकाश में विचरण करनेवाले अन्य पक्षियों की तुलना में श्रेष्ठ समझे जाते हैं और इसीलिए उनका जनसामान्य में आदर किया जाता है। इतना सब कुछ होते हुए भी भला कौन ऐसा व्यक्ति होगा, जो बात (भाषा) की महत्ता को स्वीकार नहीं (UPBoardSolutions.com) करेगी। बात (भाषा) की महत्ता के कारण ही लोग भगवान् का सम्बन्ध उससे जोड़ते हैं। यद्यपि लोग भगवान् को बिना आकार वाला (अशरीर) मानते हैं किन्तु लोग उसे फिर भी श्रेष्ठ उपदेशवक्ता कहकर उसकी सर्वोच्च सत्ता को स्वीकार करते हैं। लेखक बात की महत्ता का वर्णन करते हुए यह कहता है कि यदि यह कहा जाय कि भगवान् तो निराकार होने के कारण सम्भाषण (उपदेश) कर ही नहीं सकते तो वह मनुष्य से भी निम्न श्रेणी में आ जाते हैं क्योंकि मनुष्य तो सम्भाषण करने में समर्थ है। अत: बात (सदुपदेश) ही भगवान् को मनुष्य से श्रेष्ठ बनाती है। इसीलिए शायद सभी धर्मावलम्बी भगवान् का सम्बन्ध भाषण-शक्ति से अवश्य जोड़ते हैं, चाहे वे उसके निराकार रूप के समर्थक हों अथवा साकार रूप के।
  3. हिन्दू समाज में वेदों को ईश्वर का वचन कहा जाता है साथ ही ईश्वर को निराकार कहा जाता है।
  4. बात का प्रभाव के कारण मानव जाति जीवधारियों में शिरोमणि है।
  5. ‘बिन बानी वक्ता बड़ जोगी’ का अभिप्राय प्रत्यक्ष मुख के बिना बात से स्थित स्पष्ट हो जाना है।

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(4) बात के काम भी इसी भाँति अनेक देखने में आते हैं। प्रीति-वैर, सुख-दु:ख, श्रद्धा-घृणा, उत्साह-अनुत्साह आदि जितनी उत्तमता और सहजता बात के द्वारा विदित हो सकते हैं, दूसरी रीति से वैसी सुविधा ही नहीं । घर बैठे लाखों कोस का समाचार मुख और लेखनी से निर्गत बात ही बतला सकती है। डाकखाने अथवा तारघर के सहारे से बात की बात में चाहे जहाँ की जो बात हो, जान सकते हैं। इसके अतिरिक्त बात बनती है, बात बिगड़ती है, बात आ पड़ती है, बात जाती रहती है, बात उखड़ती है। हमारे तुम्हारे भी सभी काम (UPBoardSolutions.com) बात पर ही निर्भर करते हैं। ‘बातहि हाथी पाइये बातहि हाथी पाँव’ बात ही से पराये अपने और अपने पराये हो जाते हैं। मक्खीचूस उदार तथा उदार स्वल्पव्ययी, कापुरुष युद्धोत्साही एवं युद्धप्रिय शान्तिशील, कुमार्गी, सुपथगामी अथच सुपन्थी, कुराही इत्यादि बन जाते हैं।
प्रश्न
(1)
उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए। |
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) लाखों कोस का समाचार कौन बतला सकता है?
(4) पाँच वाक्यों में बात का महत्त्व लिखिए।
(5) ‘बातहि हाथी पाइये बातहि हाथी पाँव’ का आशय स्पष्ट कीजिए। |

उत्तर-

  1. सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ के पाठ ‘बात’ से उद्धृत है। इसके लेखक पं० प्रतापनारायण मिश्र हैं। इन पंक्तियों में लेखक ने वाणी के महत्त्व को स्पष्ट किया है।
  2. रेखांकित पद्यांशों की व्याख्या – लेखक बात के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालते हुए कहता है कि बात का प्रभाव बहुत व्यापक होता है। बात कहने के ढंग से ही उसका प्रभाव घटता अथवा बढ़ता है।‘निश्चय ही हमारे बात करने के ढंग से हमारा प्रत्येक कार्य प्रभावित होता है। बात (UPBoardSolutions.com) के प्रभावशाली होने पर कवि अथवा चारण, राजाओं से पुरस्कार में हाथी तक प्राप्त कर लेते थे किन्तु कटु बात कहने से राजाओं द्वारा लोग हाथी के पाँव के नीचे कुचल भी दिये जाते थे। यह बात भी सिद्ध है कि बात अर्थात् वायु-प्रकोप से ‘हाथीपाँव’ नामक रोग भी हो जाता है।” किसी की वाणी से प्रभावित होकर बड़े-बड़े कंजूस भी उदार हृदयवाले बन जाते हैं और परिश्रम से अर्जित अपनी सम्पत्ति परोपकार के लिए अर्पित कर देते हैं। इसके विपरीत कटु वाणी के प्रभाव से उदार-हृदय व्यक्ति भी अपने साधनों को समेट लेता है। युद्ध-क्षेत्र में चारणों की ओजपूर्ण वाणी सुनकर कायरों में भी वीरता का संचार हो जाता है और यदि बात लग जाय तो युद्ध चाहनेवाला व्यक्ति भी शान्तिप्रिय बन जाता है। बात के प्रभाव से बुरे रास्ते पर चलनेवाला व्यक्ति सन्मार्ग पर चलने लगता है (UPBoardSolutions.com) और बात की शक्ति-द्वारा सन्मार्ग पर चलनेवाला व्यक्ति भी दुष्टों-जैसा व्यवहार करने लगता है। तात्पर्य यह है कि बात कहने का ढंग और शब्दों का प्रयोग मनुष्य पर आश्चर्यजनक प्रभाव डालता है।
  3. लाखों कोस को समाचार बात बतला सकता है।
  4. बात का महत्त्व –
    • बात के अनेक काम देखने में मिलते हैं?
    • बात के द्वारा कोई भी भाव सहजता एवं सरलता से विदित हो सकता है।
    • लाखों कोस का समाचार मुख या लेखनी से निर्गत बात बतला सकती है।
    • हम डाकघर अथवा तारघर के सहारे दूर की बात जान सकते हैं।
    • सभी काम बात पर ही निर्भर करते हैं।
  5. ‘बातहि हाथी पाइये बातहि हाथी पाँव’ का आशय है अच्छी बात से पुरस्कार स्वरूप हाथी की प्राप्ति होती है और बुरी बात पर हाथी के पाँव के नीचे कुचला जा सकता है।

(5)  बात का तत्त्व समझना हर एक का काम नहीं है और दूसरों की समझ पर आधिपत्य जमाने योग्य बात गढ़ सकना भी ऐसों वैसों का साध्य नहीं है। बड़े-बड़े विज्ञवरों तथा महा-महा कवीश्वरों के जीवन बात ही के समझने-समझाने में व्यतीत हो जाते हैं। सहृदयगण की बात के आनन्द के आगे सारा संसार तुच्छ हुँचता है। बालकों की तोतली बातें, सुन्दरियों की मीठीमीठी प्यारी-प्यारी बातें, सत्कवियों की रसीली बातें, (UPBoardSolutions.com) सुवक्ताओं की प्रभावशालिनी बातें जिनके जी को और का और न कर दें, उसे पशु नहीं पाषाणखण्ड कहना चाहिए, क्योंकि कुत्ते, बिल्ली आदि को विशेष समझ नहीं होती तो भी पुचकार के’तूतू’, ‘पूसी-पूसी’ इत्यादि बातें कह दो तो भावार्थ समझ के यथासामर्थ्य स्नेह प्रदर्शन करने लगते हैं। फिर वह मनुष्य कैसा जिसके चित्त पर दूसरे हृदयवान् की बात का असर न हो।
प्रश्न
(1)
उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। |
(3) बालकों की बातें कैसी होती हैं?
(4) इस अवतरण में पाषाण खण्ड से क्या आशय है?
(5) विद्वानों एवं कवियों का जीवन कैसे बीतता है?

उत्तर – 

  1. सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं पं० प्रतापनारायण मिश्र द्वारा लिखित ‘बात’ शीर्षक निबन्ध से उधृत है। इस गद्यावतरण में लेखक ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि बात कहने की क्षमता यद्यपि सब में होती है किन्तु ‘बात’ को सही ढंग से व्यक्त कर पाना या दूसरों की बातों को समझ पाना सभी के वश की बात नहीं होती।
  2. रेखांकित अंश की व्याख्या – विद्वानों की बात का तात्पर्य समझ पाना प्रत्येक व्यक्ति के लिए सरल काम नहीं है। साथ ही साथ दूसरों को प्रभावित कर सकनेवाली बात भी गढ़कर कह देना साधारण मनुष्यों का काम नहीं है। संसार में बड़े-बड़े ज्ञानियों एवं कवियों का जीवन बात के तात्पर्य को समझने और समझाने में ही बीत जाता है। सुहृदगणों की बात में जो आनन्द मिलता है उसके (UPBoardSolutions.com) आगे सारा संसार फीका पड़ जाता है। बालकों की तोतली बोलियों में, सुन्दर रमणियों की मीठी, प्यारी-प्यारी बातों में, कवियों की रसीली उक्तियों में और सुन्दर वक्ताओं की प्रभावशाली सशक्त बातों में जो आकर्षण होता है वह सभी के चित्त को मुग्ध कर देता है। जो इससे प्रभावित नहीं होते वे पशु ही क्यों पत्थर की शिला की भाँति शुष्क और कठोर होते हैं। |
  3. बालकों की बातें सुन्दर रमणियों की मीठी, प्यारी-प्यारी होती हैं।
  4. बालकों की तोतली बातें, सुन्दरियों की प्यारी मीठी बातें, कवियों की रसीली बातें जिनके हृदय को प्रभावित न करे उन्हें पाषाण खण्ड कहते हैं।
  5. विद्वानों एवं कवियों का जीवन बात ही को समझने-समझाने में व्यतीत हो जाते हैं।

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(6) ‘मर्द की जबान’ (बात का उदय स्थान) और गाड़ी का पहिया चलता-फिरता ही रहता है। आज जो बात है कल ही स्वार्थान्धता के वश हुजूरों की मरजी के मुवाफिक दूसरी बातें हो जाने में तनिक भी विलम्ब की सम्भावना नहीं है। यद्यपि कभी-कभी अवसर पड़ने पर बात के अंश का कुछ रंग-ढंग परिवर्तित कर लेना नीति-विरुद्ध नहीं है। पर कब? जात्युपकार, देशोद्धार, प्रेम-प्रचार आदि के समय न कि पापी पेट के लिए।
प्रश्न
(1)
उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) लेखक ने किसे नियमों का उल्लंघन नहीं माना है?
(4) ‘मर्द की जबान’ के चलते-फिरते रहने से क्या तात्पर्य है?
(5) बात के ढंग का कुछ रंग-ढंग परिवर्तित कर लेना किस प्रकार नीति विरुद्ध नहीं है?

उत्तर-

  1. सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ के ‘बात’ पाठ से उद्धृत है। इसके लेखक पं० प्रतापनारायण मिश्र हैं। पं० प्रतापनारायण मिश्र ने प्रस्तुत गद्यांश में यह बताया है कि प्राचीन काल में हमारे यहाँ के लोग बात के पक्के होते थे, किन्तु आजकल स्वार्थ में अन्धे लोग तुरन्त बात बदल देते हैं। |
  2. रेखांकित अंश की व्याख्या – लेखक का कथन है कि आजकल के भारत के अनेक कुपुत्रों ने यह तरीका अपना रखा है कि आदमी की जवान और गाड़ी का पहिया तो चलते ही रहते हैं अर्थात् गाड़ी का पहिया जिस प्रकार स्थिर नहीं रहता उसी प्रकार जबाने की स्थिर रहना या बात का पक्का होना आवश्यक नहीं है। यह कथन उन्हीं स्वार्थी लोगों का है जिनके लिए जाति, देश और सम्बन्धों का कोई महत्त्व नहीं होती। ऐसे लोगों की आज की जो बात है कल ही वह स्वार्थवश मालिक के मन के अनुसार बदलने (UPBoardSolutions.com) में थोड़ी भी देर नहीं लगाते हैं।
    लेखक आगे कहता है कि किसी महान् उद्देश्य की साधना या समय आने पर बात के रंग-ढंग या कहने का तरीका बदल लेने में किसी नियम का उल्लंघन नहीं है। ऐसा मानव जाति की भलाई के समय, देशोद्धार के समय और प्रेम-प्रसंग में ही करना चाहिए अर्थात् यदि बात बदलने से मानव जाति की भलाई होती है, देश का कल्याण होता है या प्रेम-प्रसंग में प्रेमी-प्रेमिका का हित छिपा है तो कोई नियम विरुद्ध कार्य नहीं है। स्वार्थ या पापी पेट को भरने के लिए कभी भी बात नहीं बदलनी चाहिए।
  3. यदि बात बदलने से मानव जाति की भलाई होती है, देश का कल्याण होता है या प्रेम-प्रसंग में प्रेमी-प्रेमिका को हितं छिपा है तो कोई नियम विरुद्ध कार्य नहीं है।
  4. ‘मर्द की जबान’ के चलते-फिरते रहना का तात्पर्य है स्वार्थवश बात बदलने में विलम्ब न लगना है।
  5. जाति उपकार और देशोद्धार के लिए अवसर पड़ने पर बात के कुछ रंग-ढंग को परिवर्तित कर लेना नीति विरुद्ध नहीं है।

प्रश्न 2. पं० प्रतापनारायण मिश्र का जीवन-परिचय बताते हुए उनकी साहित्यिक सेवाओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा पं० प्रतापनारायण मिश्र का जीवन एवं साहित्यिक परिचय स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 3. पं० प्रतापनारायण मिश्र को साहित्यिक परिचय एवं भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न 4. पं० प्रतापनारायण मिश्र का जीवन-परिचय बताते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न 5. पं० प्रतापनारायण मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए। अथवा पं० प्रतापनारायण मिश्र को संक्षिप्त साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए।

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पं० प्रतापनारायण मिश्र
( स्मरणीय तथ्य )

जन्म-सन् 1856 ई० । मृत्यु-सन् 1894 ई०। पिता-पं० संकटाप्रसाद मिश्र (ज्योतिषी)। जन्म-स्थान-बैजेगाँव (उन्नाव), उ० प्र०। शिक्षा-संस्कृत, बंगला, उर्दू आदि का ज्ञान।
साहित्यिक विशेषताएँ – प्रारम्भिक लेखक होते हुए भी श्रेष्ठ निबन्धों की रचना की । आँख, कान जैसे साधारण विषयों पर | भी सुन्दर निबन्ध रचना।
भाषा-शैली- प्रवाहपूर्ण, हास्य-विनोद का पुट, मुहावरों की चहल-पहल, भाषा में चमत्कार ।
रचनाएँ- 50 से भी अधिक पुस्तकों की रचना। ‘प्रतापनारायण मिश्र ग्रन्थावली’ (सभी रचनाओं का संग्रह) प्रकाशित हो चुका है।

  • जीवन-परिचय- पं० प्रतापनारायण मिश्र का जन्म उन्नाव जिला के बैजेगाँव में सन् 1856 ई० में हुआ था। इनके पिता पं० संकटाप्रसाद मिश्र एक ज्योतिषी थे। वे पिता के साथ बचपन से ही कानपुर आ गये थे। अंग्रेजी स्कूलों की अनुशासनपूर्ण पढ़ाई इन्हें रुचिकर नहीं लगी । फलत: घर पर ही आपने बंगला, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, फारसी का अध्ययन किया। लावनीबाजों के सम्पर्क में आकर (UPBoardSolutions.com) मिश्र जी ने लावनियाँ लिख़नी शुरू कीं और यहीं से इनकी कविता का श्रीगणेश हुआ। बाद में आजीवन इन्होंने हिन्दी की सेवा की।
  • कानपुर के सामाजिक-राजनीतिक जीवन से भी इनका गहरा सम्बन्ध था। वे यहाँ की अनेक सामाजिक संस्थाओं से सम्बद्ध थे। इन्होंने कानपुर में एक नाटक-सभा की भी स्थापना की थी। ये भारतेन्दु के व्यक्तित्व से अत्यन्त प्रभावित थे तथा इन्हें अपना गुरु और आदर्श मानते थे। अपनी हाजिरजवाबी और हास्यप्रियता के कारण वे कानपुर में काफी लोकप्रिय थे। इनकी मृत्यु कानपुर में ही सन् 1894 ई० में हुई।
  • कृतियाँ-मिश्र जी द्वारा लिखित पुस्तकों की संख्या 50 हैं, जिनमें प्रेम-पुष्पावली, मन की लहर, मानस विनोद आदि काव्य-संग्रह; कलि कौतुक, हठी हम्मीर, गो-संकट, भारत-दुर्दशा (नाटक), जुआरी-खुआरी (प्रहसन) आदि प्रमुख हैं। नागरी प्रचारिणी सभा काशी द्वारा ‘प्रतापनारायण मिश्र ग्रन्थावली’ नाम से इनकी समस्त रचनाओं का संकलन प्रकाशित हुआ है।
  • साहित्यिक परिचय-प्रतिभा एवं परिश्रम के बल पर अपने 38 वर्ष के अल्प जीवन-काल में ही पं० प्रतापनारायण मिश्र ने हिन्दी-निर्माताओं की वृहन्नयी (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, बालकृष्ण भट्ट और प्रतापनारायण मिश्र) में अपना विशिष्ट स्थान बना लिया। कविता के क्षेत्र में ये पुरानी धारा के अनुयायी थे। ब्रजभाषा की समस्या की पूर्तियाँ ये खूब किया करते थे। हिन्दी-हिन्दुस्तान का नारा भी इन्होंने ही दिया (UPBoardSolutions.com) था। मिश्र जी का उग्र और प्रखर स्वभाव उनकी कविताओं की अपेक्षा उनके निबन्धों में विशेष मुखर हुआ। मिश्र जी के निबन्धों में आत्मीयता और फक्कड़पन की सरसता है। इन्होंने कुछ गम्भीर विषयों पर कलम चलायी है जिसकी भाषा अत्यन्त ही संधी और परिमार्जित है। हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में आज भी उनके जैसे लालित्यपूर्ण निबन्धकार की अभी बहुत कुछ कमी है। इनके निबन्धों में पर्याप्त विविधता है।
  • भाषा-शैली- मिश्र जी की भाषा मुहावरों और कहावतों से सजी हुई अत्यन्त ही लच्छेदार है जिसमें उर्दू, फारसी, संस्कृत शब्दों के साथ-साथ वैसवाड़ी के देशज शब्दों के भी प्रयोग हुए हैं। इनके निबन्धों की शैली में एक अद्भुत प्रवाह एवं आकर्षण है। इनकी शैली मुख्यत: दो प्रकार की हैं–(1) विनोदपूर्ण तथा (2) गम्भीर शैली । विनोदपूर्ण शैली को उत्कृष्ट कहना ‘समझदार की मौत’ है। गम्भीर शैली में इन्होंने बहुत ही कम लिखा है। यह उनके स्वभाव के बिल्कुल ही विरुद्ध था। ‘मनोयोग’ नामक निबन्ध इनकी गम्भीर शैली का उत्कृष्ट नमूना है।

उदाहरण 

  1. विनोदपूर्ण शैली – (i) “इसके अतिरिक्त बात बनती है, बात बिगड़ती है, बात जाती है, बात खुलती है, बात छिपती है, बात अड़ती है, बात जमती है, बात उखड़ती है, हमारे-तुम्हारे भी सभी काम बात पर ही निर्भर हैं।”- बात
  2. गम्भीर शैली – ‘संसार में संसारी जीव निस्संदेह एक-दूसरे की परीक्षा न करें तो काम न चले पर उनके काम चलने में कठिनाई यह है कि मनुष्य की बुद्धि अल्प है। अतः प्रत्येक विषय पर पूर्ण निश्चय सम्भव नहीं है।”

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. पं० प्रतापनारायण मिश्र की भाषा एवं शैली की दो-दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- भाषा की विशेषताएँ-

  1. मिश्र जी ने सर्वसाधारण की बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है।
  2. भाषा प्रवाहयुक्त, सरल एवं मुहावरेदार है। शैली की विशेषताएँ–
    • लेखों की शैली संयत एवं गम्भीर है।
    • लेखों में विनोदपूर्ण व्यंग्य तथा वक्रता के दर्शन होते हैं।

प्रश्न 2. ‘‘बात के कारण ही मनुष्य सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।” इस तथ्य को लेखक ने किस प्रकार सिद्ध किया|
उत्तर –  राजा दशरथ ने वचन के कारण ही अपने प्राण त्याग दिये लेकिन वचन का त्याग नहीं किया। वचन का पक्का व्यक्ति समाज में समादृर होता है।

प्रश्न 3. बातहि हाथी पाइये बातहि हाथीपाँव’ से लेखक का क्या तात्पर्य है?
उत्तर- बात के द्वारा ही व्यक्ति हाथी तक प्राप्त कर सकता है और बात से ही व्यक्ति अपयश का भागी भी हो सकता है। अर्थात् उसे हाथी के पैर के नीचे कुचला भी जा सकता है।

प्रश्न 4. पं० प्रतापनारायण मिश्र ने किन पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया?
उत्तर- पं० प्रतापनारायण मिश्र ने ब्राह्मण’ एवं ‘हिन्दुस्तान’ पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया।

प्रश्न 5. ‘अपाणिपादो जवनो ग्रहीता’ सूक्ति का अर्थ बताइए।
उत्तर- ‘अपाणिपादो जवनो ग्रहीता’ पर हठ करनेवाले को यह कहके बातों में उड़ायेंगे कि हम लूले-लँगड़े ईश्वर को नहीं मान सकते। हमारा तो प्यारा कोटि काम सुन्दर (UPBoardSolutions.com) श्याम वर्ण विशिष्ट है। ‘अपाणिपादो जवनो ग्रहीता’ का तात्पर्य हाथ-पैर से हीन युवावस्था को प्राप्त है।

प्रश्न 6. आर्यगण अपनी बात का ध्यान रखते थे, इस बात को क्या प्रमाण है?
उत्तर- राजा दशरथ ने अपने प्राण त्याग दिये लेकिन उन्होंने वचन नहीं छोड़ा।

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प्रश्न 7. ‘बात’ पाठ से मुहावरों की सूची बनाइए।
उत्तर-
गात माँहि बात करामात है।
बातहिं हाथी पाइये बातहिं हाथी पाँव।
मर्द की जबान।
बात-बात में बात।

प्रश्न 8. ‘बात’ पाठ में बात और ईश्वर में क्या साम्य बताया गया है?
उत्तर- बात और ईश्वर में परस्पर साम्य है। वेद ईश्वर का वचन है। कुरानशरीफ कलामुल्लाह है, होली बाइबिल वर्ड ऑफ गॉड है। यह वचन, कलाम और वर्ड बात ही के पर्याय हैं।

प्रश्न 9. प्रथम अनुच्छेद में ‘बात’ शब्द का प्रयोग किन-किन अर्थों में किया गया है?
उत्तर – प्रथम अनुच्छेद में ‘बात’ शब्द का प्रयोग वचन, कलाम और वर्ड के रूप में किया गया है।

प्रश्न 10. किस प्रकार के व्यक्ति को हमें पाषाणखण्ड समझना चाहिए और क्यों?
उत्तर- बालकों की तोतली बातें, सुन्दरियों की मीठी-मीठी और प्यारी-प्यारी बातें, सत्कवियों की रसीली बातें, सुवक्ताओं की प्रभावशालिनी बातों का जिनके हृदय पर प्रभाव (UPBoardSolutions.com) नहीं पड़ता, उन्हें पशु नहीं पाषाणखण्ड कहना चाहिए क्योंकि कुत्ते, बिल्ली आदि को विशेष समझ नहीं होती तो भी पुचकार के तू-तू, पूसी-पूसी इत्यादि बातें कह दो तो वे भावार्थ समझ के यथासामर्थ्य स्नेह प्रदर्शन करने लगते हैं।

प्रश्न 11. ‘बात’ शब्द की गूढ़ता पर तीस शब्द लिखिए।
उत्तर- नाना शास्त्र, पुराण, इतिहास, काव्य, कोश इत्यादि सब बात ही के फैलाव हैं जिनके मध्य एक बात ऐसी पायी जाती है जो मन, बुद्धि, चित्त को अपूर्व दशा में ले जानेवाली अथवा लोक-परलोक में सब बात बनानेवाली है। यद्यपि बात का कोई रूप नहीं बतला सकता कि कैसी है, पर बुद्धि दौड़ाइये तो पता चलेगा कि ईश्वर की भाँति इसके अनेक रूप हैं।

प्रश्न 12. ‘बात’ पाठ से 10 सुन्दर वाक्य लिखिए।
उत्तर- वेद ईश्वर का वचन है। निराकार शब्द का अर्थ शालिग्राम शिला है। बात के अनेक रूप हैं। बात का तत्त्व समझना आसान काम नहीं है। मर्द की जबान और गाड़ी (UPBoardSolutions.com) का पहिया चलता-फिरता ही रहता है। बात से ही अपने-पराये और पराये अपने हो जाते हैं। कुरान शरीफ कलामुल्लाह है। होली बाइबिल वर्ड ऑफ गॉड है। निराकार शब्द का अर्थ शालिग्राम शिला है। मर्द की जबान और गाड़ी का पहिया चलता-फिरता रहता है।

प्रश्न 13. ‘बात’ पाठ का मुख्य उद्देश्य बताइए।
उत्तर- ‘बात’ पाठ का मुख्य उद्देश्य यह है कि हम दूसरों से बहुत नपी-तुली बात करें।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. लेखक ने भारत के कुपुत्रों द्वारा ‘मर्द की जबान’ का क्या अर्थ बताया है?
उत्तर- लेखक ने भारत के कुपुत्रों द्वारा ‘मर्द की जबान’ को अर्थ बताया है कि आजकल के बहुतेरे भारत के कुपुत्र अपने वचन की तनिक भी परवाह नहीं करते। स्वार्थ के कारण वे अपनी बात तुरन्त बदल देते हैं। इनका मानना है कि ‘मर्द की जबान’ और ‘गाड़ी को पहिया’ सदैव चलता रहता (UPBoardSolutions.com) है अर्थात् गाड़ी के पहिये की तरह मर्द की जबान भी चलायमान है अत: इस जबान से जो कुछ भी कहा जाय, उसे पूरा करना आवश्यक नहीं । हुजूरों की मरजी के अनुसार, इसे चाहे जब बदला जा सकता है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से सही वाक्य के सम्मुख सही (√) का चिह्न लगाओ
(अ) पं० प्रतापनारायण मिश्र भारतेन्दु युग के लेखक हैं।                         (√)
(ब) निराकार शब्द का अर्थ शालिग्राम शिला है।                                    (√)
(स) पं० प्रतापनारायण मिश्र ने ब्राह्मण’ पत्रिका को सम्पादन नहीं किया।  (×)
(द) ‘बात’ के कई रूप हैं।                                                                      (√)             

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प्रश्न 3. पं० प्रतापनारायण मिश्र किस युग के लेखक हैं?
उत्तर – पं० प्रतापनारायण मिश्र भारतेन्दु युग के लेखक हैं।

प्रश्न 4. पं० प्रतापनारायण मिश्र किस महान् साहित्यकार को अपना गुरु मानते थे?
उत्तर – पं० प्रतापनारायण मिश्र भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को अपना गुरु मानते थे।

प्रश्न 5. पं० प्रतापनारायण मिश्र द्वारा लिखित दो नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर – पं० प्रतापनारायण मिश्र द्वारा लिखित दो नाटक-‘कलि-कौतुक’ और ‘हठी हम्मीर’ है।

प्रश्न 6. कलामुल्लाह का क्या अर्थ है?
उत्तर – कलामुल्लाह का अर्थ वचन है।

व्याकरण-बोध

प्रश्न 1. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्य प्रयोग कीजिए –
बात जाती रहना, बात जमना, बात बिगड़ना, बात का बतंगड़ बनाना, बात उखड़ना, बात की बात।

उत्तर – 

  • बात जाती रहना- (बात का महत्त्व न होना)
    राम ने दिनेश को इतना अधिक प्रलोभन दिया फिर भी उसकी बात जाती रही। 
  • बात जमना – (ठीक तरह से बात समझ में आना)
    मैंने उसे बहुत अच्छी तरह से समझाया, जिससे बात जम गयी लगती है।
  • बात बिगड़ना – (बात न बनना)
    मोहन को मैंने बार-बार समझाया था फिर भी बात बिगड़ गयी।
  • बात का बतंगड़ बनाना – (बातों में उलझाना)
    उसने बात का ऐसा बतंगड़ बनाया कि उसके समझ में नहीं आया।
  • बात उखड़ना – (बात न बनना)
    उसके लाख समझाने पर भी बात उखड़ गयी।
  • बात की बात – (प्रसंगवश किसी बात का जिक्र होना)
    मैं उसके साथ किये गये कार्यों का वर्णन नहीं कर रहा हूँ, यह तो बात की बात है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में सनियम सन्धि-विच्छेद कीजिए तथा सन्धि का नाम बताइएनिराकार, निरवयव, परमेश्वर, धर्मावलम्बी, विदग्धालाप, युद्धोत्साही, स्वार्थान्धता, कवीश्वर, योगाभ्यास।

उत्तर-
निराकार = निर + आकार = अ + आ = आ (दीर्घ सन्धि)
निरवयव = निरः + अवयव = : + अ = र (विसर्ग सन्धि)
परमेश्वर = परम + ईश्वर = अ + ई = ए (गुण सन्धि)
धर्मावलम्बी = धर्म + अवलम्बी = अ + अ = आ (दीर्घ सन्धि)
विदग्धालाप = विदग्ध + आलाप = अ + आ = आ (दीर्घ सन्धि)
युद्धोत्साही = युद्ध + उत्साही = अ + उ = ओ (गुण सन्धि)
स्वार्थान्धता = । स्वार्थ + अन्धता = अ + अ = आ (दीर्घ सन्धि)
कवीश्वर = कवि + ईश्वर = इ + ई = ई (दीर्घ सन्धि)
योगाभ्यास = योग + अभ्यास = अ + अ = आ (दीर्घ सन्धि)

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प्रश्न 3. निम्नलिखित में समास-विग्रह करके समास का नाम भी लिखिएकापुरुष, पाषाणखण्ड, सुपथ, यथासामर्थ्य, अपाणिपादो, कुमार्गी ।

उत्तर  –
कापुरुष कायर पुरुष = कर्मधारय
पाषाणखण्ड = पाषाण का खण्ड = सम्बन्ध तत्पुरुष
सुपथ = सुन्दर रास्ता 
= प्रादि तत्पुरुष
यथासामर्थ्य = सामर्थ्य के अनुसार = अव्यययीभाव
अपाणिपादो = नपाणिपादो = 
क् तत्पुरुष
कुमार्गी = कुत्सित मार्गी = कर्मधारय

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UP Board Solutions for Class 10 Social Science Project Work (प्रोजेक्ट कार्य)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Project Work (प्रोजेक्ट कार्य)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Project Work (प्रोजेक्ट कार्य).

प्रोजेक्ट कार्य-1

समस्या कथन
किसी राष्ट्रीयकृत अथवा प्राइवेट बैंक की शाखा में जाकर बचत खाते में लगने वाले साधारण ब्याज के आगणन की जानकारी प्राप्त करना।

प्रस्तावना

जब हम अपने बचत खाते में धनराशि जमा करते हैं तो उस राशि को बैंक या तो जनसाधारण को लोन के रूप में देता है या सरकार उस राशि का प्रयोग सार्वजनिक कार्यों के लिए करती है। बैंक खाताधारकों के धन का प्रयोग करने के प्रतिफल में खाताधारक को एक निर्धारित दर से ब्याज प्रदान करते हैं। यह प्रक्रिया ठीक उसी प्रकार है, जब कोई व्यक्ति किसी महाजन या बैंकर से कुछ धन उधार लेता है। तो वह उधार लिया (UPBoardSolutions.com) मूलधन निश्चित समय एवं ब्याज की अतिरिक्त राशि के साथ देता है। इस प्रकार, यह अतिरिक्त धन ही ब्याज है। मूलधन और ब्याज के योग को मिश्रधन कहते हैं। बैंक बचत खाते में जितने वर्ष, माह, दिन के लिए खाताधारकों की धनराशि को जमा रखता है, उसके अनुसार ब्याज की राशि खाताधारक के खाते में निश्चित समय-अन्तराल पर जमा करता है। बैंकों में यह एक साधारण प्रक्रिया है, जो सभी खाताधारकों को सामान्य रूप से प्रदान की जाती है।
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पहले बैंक बचत खाते में जमा धनराशि के लिए ब्याज माह के हिसाब से प्रदान करते थे जिसकी गणना के लिए उसे वर्ष में बदलने के लिए 12 से भाग देना पड़ता था, लेकिन वर्तमान में बैंक प्रतिदिन के हिसाब से बचत खाते की शेष धनराशि पर ब्याज की गणना करते हैं जिसकी गणना के लिए दिनों को वर्ष में बदलने हेतु 365 से भाग देना पड़ता है। इस क्रिया में जिस दिन धन दिया जाता है, उसे छोड़ दिया जाता है और जिस दिन धन जमा किया जाता है, उसे सम्मिलित कर लिया जाता है। इस प्रकार बचत खाते में जमा धनराशि पर ब्याज की गणना निम्नलिखित सूत्र के माध्यम से की जाती है
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वर्तमान में ब्याज की गणना बैंक कम्प्यूटर के माध्यम से करते हैं और त्रैमासिक रूप से ब्याज की धनराशि खाताधारक के खाते में क्रेडिट कर दी जाती है।

लक्ष्य, उद्देश्य एवं कार्य-प्रणाली
प्रस्तुत परियोजना कार्य का मुख्य उद्देश्य बैंकों द्वारा की जाने वाली ब्याज की गणना का मूल्यांकन कर उस विधि का अध्ययन करना है। इसका मुख्य लक्ष्य विद्यार्थियों को बैंक द्वारा दिए जाने वाले ब्याज आगणन की प्रक्रिया से अवगत कराना है। इस परियोजना कार्य के लक्ष्य एवं उद्देश्य की पूर्ति हेतु आनुभाविक शोध प्रणाली (Empirical Research Method) का प्रयोग किया जाता है।

बैंक की ब्याज नीति का निर्धारण
1 अप्रैल, 2010 से देश के करीब 62 करोड़ बचत खाताधारकों के लिए बैंक द्वारा एक नई शुरुआत की गयी। इस दिन से सभी खाताधारकों को बचत खाते में जमा राशि पर प्रतिदिन के हिसाब से ब्याज प्रदान किया जा रहा है। ब्याज की दर तो 4% ही रखी गयी, लेकिन (UPBoardSolutions.com) नई गणना से ब्याज से प्राप्त होने वाली आय पर काफी फर्क पड़ा है।

इस नियम की घोषणा 21 अप्रैल, 2009 को वित्त वर्ष 2009-10 की वार्षिक मौद्रिक नीति पेश करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ० डी० सुब्बाराव ने की थी, लेकिन बैंकों के शीर्ष संगठन इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) का कहना था कि रोजाना के आधार पर ब्याज की गणना तभी संभव है जब वाणिज्यिक बैंकों की सभी शाखाओं का कम्प्यूटरीकरण पूरा हो जाए। इसलिए सभी वाणिज्यिक बैंकों के बचत खातों पर ब्याज की गणना 1 अप्रैल, 2010 से प्रतिदिन के आधार पर करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

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यह भी ध्यान देने योग्य है कि बैंक चालू खाते में ओवरड्राफ्ट पर अपने ब्याज की गणना प्रतिदिन के आधार पर करते हैं, इसलिए बचत खाते में प्रतिदिन की गणना से ही खाताधारक को ब्याज दिया जाना चाहिए। वास्तव में चालू और बचत खाते बैंकों के लिए फंड जुटाने का सबसे सरल एवं सुलभ माध्यम हैं।

बैंक द्वारा बचत खाते में की जाने वाली साधारण ब्याज की गणना
बैंक की पास बुक में से ली गयी प्रविष्टियों में ब्याज आगणन की प्रक्रिया का वर्णन निम्नलिखित है
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प्रतिदिन के आधार पर ब्याज की गणना
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उपर्युक्त प्रविष्टियों में बचत खाते में जमा राशि की प्रतिदिन की शेष राशि पर ब्याज की गणना की गयी है। बैंक द्वारा त्रैमासिक रूप से ब्याज की धनराशि खाते में समायोजित की जाती है। उपरोक्त गणना में 4 प्रतिशत की दर से प्रतिदिन के शेष पर ब्याज (UPBoardSolutions.com) अभिकलित किया गया है। अभीष्ट ब्याज की गणना हेतु निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया गया है

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अतः 1 जनवरी से 31 जनवरी तक कुल ब्याज = 14.465 +37260 = ₹ 51.725
इसी प्रकार फरवरी और मार्च माह के ब्याज की गणना कर तीनों माह के योग 162.96 अर्थात् 163 को खाते में समायोजित किया गया है।
ब्याज की गणना इस प्रकार संयुक्त रूप से भी की जा सकती है
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निष्कर्ष
प्रस्तुत परियोजना के माध्यम से हमने बैंक की शाखा में जाकर बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज की दर ज्ञात की तथा उसकी गणना के बारे में बैंक अधिकारियों से विस्तारपूर्वक चर्चा की। इसके अलावा उनके द्वारा बताई गई आगणन विधि से तीन माह की प्रविष्टियों पर दिए गए ब्याज की गणना की। बैंक की पासबुक में मुद्रित प्रविष्टियों के अनुसार सत्यापन कर हमने बचत खाते पर प्रतिदिन के आधार पर मिलने वाले ब्याज की धनराशि का (UPBoardSolutions.com) आगणन करना सीखा और पासबुक में की गयी प्रविष्टियों का गहन अध्ययन किया। प्रस्तुत परियोजना कार्य से हमारे ज्ञान में वृद्धि होने के साथ-साथ हमें नवीन जानकारियाँ प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ।

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प्रोजेक्ट कार्य-2

समस्या कथन
स्थायी खाता संख्या (PAN) कार्ड बनवाने हेतु आवेदन की प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त करना।

प्रस्तावना
पैन कार्ड एक विशिष्ट पहचान कार्ड है जिसे स्थायी खाता संख्या (Permanent Account Number) कहा जाता है, जो किसी भी तरह के आर्थिक लेन-देन के लिए आवश्यक है। पैन कार्ड में एक अल्फान्यूमेरिक 10 अंकों की संख्या होती है, जो आयकर (UPBoardSolutions.com) विभाग द्वारा निर्धारित की जाती है। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अन्तर्गत आती है। इसके अलावा यह भी उल्लेखनीय है कि पैन कार्ड आयकर अधिनियम 139A के तहत जारी किए जाते हैं। पैन कार्ड के अल्फान्यूमेरिक अंकों के प्रत्येक शब्द का अर्थ निम्नलिखित होता है
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पैन का उपयोग
पैन का उपयोग इन कार्यों के लिए अनिवार्य रूप से किया जाता है

  • आयकर (आईटी) रिटर्न दाखिल करने के लिए।
  • शेयरों की खरीद-बिक्री हेतु डीमैट खाता खुलवाने के लिए।
  • एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में है 50,000 या उससे अधिक की राशि निकालने अथवा जमा करने अथवा हस्तांतरित करने पर।
  • टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) जमा करने एवं वापस पाने के लिए।

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प्राप्त करने की पात्रता
कोई भी व्यक्ति, फर्म या संयुक्त उपक्रम पैन कार्ड के लिए आवेदन कर सकता है। इसके लिए कोई न्यूनतम अथवा अधिकतम उम्र सीमा नहीं है।

पैन हेतु आवेदन करने के लिए जरूरी दस्तावेज

  • अच्छी गुणवत्ता वाली पासपोर्ट आकार की दो रंगीन फोटो।
  • शुल्क के रूप में है 107 का डिमांड ड्राफ्ट या चेक एवं विदेश (UPBoardSolutions.com) के दिये गये पते पर बनवाने के लिए ₹ 994 का ड्राफ्ट बनवाना जरूरी है।
  • व्यक्तिगत पहचान के प्रमाण की छायाप्रति।
  • आवासीय पते के प्रमाण की छायाप्रति।
  • व्यक्तिगत पहचान व आवासीय पता पहचान दोनों सूची में से अलग-अलग दो दस्तावेज जमा करें।

व्यक्तिगत पहचान के लिए प्रमाण – (निम्न में से कोई भी एक प्रमाण-पत्र)

  1. विद्यालय परित्याग प्रमाण-पत्र
  2. मैट्रिक का प्रमाण-पत्र
  3. मान्यताप्राप्त शिक्षण संस्थान की डिग्री
  4. डिपोजिटरी खाता विवरण
  5. क्रेडिट कार्ड का विवरण
  6. बैंक खाते का विवरण/बैंक पासबुक
  7. पानी का बिल
  8. राशन कार्ड
  9. सम्पत्ति का मूल्यांकन आदेश
  10. पासपोर्ट
  11. मतदाता पहचान-पत्र
  12. ड्राइविंग लाइसेंस
  13. सांसद/विधायक/नगरपालिका पार्षद अथवा किसी (UPBoardSolutions.com) राजपत्रित अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित पहचान प्रमाण-पत्र।

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आवासीय पते के प्रमाण के लिए – (निम्न में से कोई भी एक प्रमाण-पत्र)

  1. बिजली बिल
  2. टेलीफोन बिल
  3. डिपोजिटरी खाता विवरण
  4. क्रेडिट कार्ड का विवरण
  5. बैंक खाता विवरण/बैंक पासबुक
  6. घर किराये की रसीद
  7. नियोक्ता का प्रमाण-पत्र
  8. पासपोर्ट
  9. मतदाता पहचान-पत्र
  10. सम्पत्ति का मूल्यांकन आदेश
  11. ड्राइविंग लाइसेंस
  12. राशन कार्ड
  13. सांसद/विधायक/नगरपालिका पार्षद अथवा (UPBoardSolutions.com) किसी राजपत्रित अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित पहचान प्रमाण-पत्र।

ध्यान दें – यदि आवासीय पते के प्रमाण के लिए क्रम संख्या 1 से 7 तक में उल्लिखित दस्तावेज का उपयोग किया जा रहा हो तो वह जमा करने की तिथि से एक माह से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए।

पैन कार्ड के लिए शुल्क भुगतान की प्रक्रिया

  • पैन आवेदन के लिए शुल्क ₹ 107 है (93.00 + 15% सेवा शुल्क)
  • शुल्क का भुगतान डिमांड ड्राफ्ट, चेक अथवा क्रेडिट कार्ड द्वारा किया जा सकता है।
  • डिमांड ड्राफ्ट या चेक NSDL-PAN के नाम से बना होना चाहिए।  डिमांड ड्राफ्ट मुम्बई में भुगतेय होना चाहिए और डिमांड ड्राफ्ट के पीछे आवेदक को नाम तथा पावती संख्या लिखी होनी चाहिए।
  • चेक द्वारा शुल्क का भुगतान करने वाले आवेदक देशभर में एचडीएफसी बैंक की किसी भी शाखा पर भुगतान कर सकते हैं। आवेदक को जमा पर्ची पर NSDLPAN का उल्लेख करना चाहिए।

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पैन कार्ड के लिए आवेदन प्रपत्र 49A भरने की प्रक्रिया
पैन कार्ड हेतु आवेदन करने के लिए फॉर्म 49A भरकर निर्धारित शुल्क व आवश्यक दस्तावेजों के साथ प्रेषित किया जाता है। आवेदन-पत्र की प्रविष्टियाँ निम्नलिखित क्रम में स्पष्ट रूप से भरनी चाहिए तथा फॉर्म के दोनों ओर फोटो लगाकर हस्ताक्षर (UPBoardSolutions.com) करने के स्थान पर हस्ताक्षर करने चाहिए।

कॉलम-1 :

  • इस कॉलम में आवेदक का पूरा नाम अंग्रेजी के कैपिटल अक्षरों में भरा जाता है।

कॉलम-2 :

  • इस कॉलम में आवेदक अपने नाम के पदबंध (Abbreviation) का संक्षिप्त रूप दर्ज कर सकता है।

कॉलम-3 :

  • इस कॉलम में यदि आवेदक को किसी अन्य नाम से भी जाना जाता है तो उसकी सूचना दर्ज करनी चाहिए। नाम को पहला, मध्य व अन्तिम अक्षर स्पष्ट रूप से लिखना चाहिए।

कॉलम-4 :

  • इस कॉलम में आवेदक अपना लैंगिक विभेद पुरुष/महिला पर निशान लगाकर स्पष्ट करता है।

कॉलम-5 :

  • इस कॉलम में अर्विदक को अपनी जन्मतिथि तथा कम्पनी, ट्रस्ट फर्म आदि की स्थापना तिथि दर्ज करनी चाहिए।

कॉलम-6 :

  • इस कॉलम में आवेदक के पिता का नाम लिखने के लिए स्थान दिया जाता है।

कॉलम-7 :

  • इस कॉलम में आवेदक का पूरा पता तथा उसके कार्यालय का पूरा पता दर्ज करने के लिए मकान नं०, भवन का नाम, पोस्ट ऑफिस, मोहल्ले का नाम, शहर व प्रदेश का नाम, पिन नम्बर तथा राष्ट्र के नाम के लिए पृथक्-पृथक् स्थान दिया होता हे।

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कॉलम-8 :

  • इस कॉलम में संचार के लिए प्रयुक्त होने वाला पता; यथा-निवास अथवा कार्यालयी दोनों में से किसी एक पर सही () का निशान लगाकर सहमति प्रकट करनी होती है।

कॉलम-9 :

  • इस कॉलम में आवेदक का फोन नम्बर, मोबाइल नम्बर व ईमेल एड्रेस लिखने का स्थान होता है।

कॉलम-10 :

  • इस कॉलम में आवेदक के स्तर; यथा-व्यक्तिगत, (UPBoardSolutions.com) कम्पनी, सरकारी, ट्रस्ट आदि में उपयुक्त कॉलम पर सही (V) का निशान लगाना होता है।

कॉलम-11 :

  • इस कॉलम में यदि आवेदन किसी कम्पनी या फर्म की ओर से किया जा रहा हो तो उसकी पंजीकरण संख्या दर्ज करनी चाहिए।

कॉलम-12 :

  • इस कॉलम में यदि आवेदक भारत का नागरिक है तो उसका आधार नम्बर निर्धारित स्थान पर लिखना चाहिए।

कॉलम-13 :

  • इस कॉलम में आवेदक की आय के स्रोत; जैसे-वेतन, व्यवसाय, किराया, कैपिटल गेन या अन्य स्रोतों से होने वाली आय का विवरण दर्ज किया जाता

कॉलम-14 :

  • इस कॉलम में ऐसे प्रतिनिधि का नाम वे पूरा पता दर्ज किया जाता है, जो आवेदक की अनुपस्थिति में आयकर निर्धारण हेतु आवेदक के प्रतिनिधि के रूप में भूमिका निभायेगा।

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कॉलम-15 :

  • इस कॉलम में पहचान-पत्र एवं निवास प्रमाण-पत्र के सन्दर्भ में सूचना दर्ज की जाती है जो कि इस आवेदन-पत्र के साथ संलग्न किए जा रहे हों।

कॉलम-16 :

  • इस कॉलम में आवेदक द्वारा घोषणा कथन पर हस्ताक्षर कर स्पष्ट किया जाता है कि उसके द्वारा दर्ज की गयी सभी जानकारियाँ पूर्ण सत्य हैं।

अन्त में स्थान, दिनांक व हस्ताक्षर करने हेतु बने कॉलमों में प्रविष्टियाँ करके फॉर्म को पूर्ण किया जाता है तथा पैन आवेदन संग्रह केन्द्र के कार्यालय में प्रेषित किया जाता है।

निष्कर्ष
प्रस्तुत परियोजना के माध्यम से हमने पैन कार्ड आदि के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। इसके अतिरिक्त पैन कार्ड के आवेदन हेतु प्रयुक्त किए जाने वाले फॉर्म सं० 49 A के प्रत्येक कॉलम को भरने एवं उसके सम्बन्ध में पूरी जानकारी का अध्ययन किया। (UPBoardSolutions.com) परियोजना कार्य हेतु संगृहीत की गयी जानकारी वास्तव में अत्यन्त बोधगम्य एवं रोचक सिद्ध हुई।

प्रोजेक्ट कार्य-3

समस्या कथन
आधार कार्ड बनवाने हेतु आवेदन की प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त करना।

प्रस्तावना
आधार कार्ड भारत सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को जारी किया जाने वाला एक पहचान-पत्र है। इसमें 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या मुद्रित होती है जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (भा०वि०प०प्रा०) जारी करती है। यह संख्या भारत में कहीं भी व्यक्ति की पहचान और पते का प्रमाण होता है। भारतीय डाक द्वारा प्राप्त और यू०आई०डी०ए०आई० की वेबसाइट से डाउनलोड किया गया ई-आधार दोनों ही समान रूप से मान्य हैं। (UPBoardSolutions.com) कोई भी व्यक्ति आधार के लिए नामांकन करा सकता है बशर्ते वह भारत का निवासी हो और यू०आई०डी०ए०आई० द्वारा निर्धारित सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करती हो, चाहे उसकी उम्र और लिंग (जेण्डर) कुछ भी हो। प्रत्येक व्यक्ति केवल एक बार नामांकन करा सकता है। इसका नामांकन निशुल्क है तथा यह नागरिकता का प्रमाण-पत्र न होकर एक पहचान-पत्र मात्र है। UIDAI की प्रथम अध्यक्षा नंदन नीलेकणि हैं। UIDAI का लक्ष्य आगामी वर्षों में सम्पूर्ण भारतवर्ष के लोगों को आधार नम्बर जारी करने का है।

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लक्ष्य, उद्देश्य एवं कार्य-प्रणाली
प्रस्तुत परियोजना कार्य का मुख्य उद्देश्य आधार कार्ड की आवेदन प्रक्रिया का अध्ययन करना है। इसका मुख्य लक्ष्य आधार कार्ड की आवश्यकता, लाभ व उपयोगिता की जानकारी प्राप्त करना है। इसके उद्देश्य एवं लक्ष्य की प्राप्ति हेतु आनुभाविक शोध विधि का प्रयोग किया गया है और जनसेवा केन्द्र पर जाकर आधार कार्ड का आवेदन-पत्र प्राप्त करके, उसे भरने एवं संलग्न होने वाले दस्तावेजों, डेमोग्राफिक
और बायोमैट्रिक सूचनाओं के संकलन की जानकारी प्राप्त कर इस परियोजना कार्य को पूर्ण करने का प्रयास किया गया है।

आधार कार्ड के लाभ
आधार कार्ड के लाभों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है

  1. आधार एक 12 अंकों की प्रत्येक भारतीय की एक विशिष्ट पहचान है।
  2. आधार कार्ड भारत के प्रत्येक निवासी के पहचान-पत्र के रूप में प्रमाण है।
  3. आधार कार्ड डेमोग्राफिक और बायोमैट्रिक आधार पर प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट पहचान सिद्ध करता है।
  4. यह एक स्वैच्छिक सेवा है जिसका प्रत्येक निवासी लाभ उठा सकता है, चाहे वर्तमान में उसके पास कोई भी दस्तावेज हो।
  5. आधार कार्ड के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति को केवल एक ही विशिष्ट (UPBoardSolutions.com) पहचान आधार नम्बर दिया जाता है।
  6. आधार वैश्विक इन्फ्रास्ट्रक्चर पहचान प्रदान करता है, जो कि राशन कार्ड, पासपोर्ट आदि जैसी पहचान आधारित ऐप्लिकेशन द्वारा भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
  7. यू०आई०डी०ए०आई० किसी भी तरह के पहचान प्रमाणीकरण से सम्बन्धित प्रश्नों के हाँ/नहीं में उत्तर प्रदान करेगा।
  8. आधार संख्या को बैंकिंग, मोबाइल फोन कनेक्शन और सरकारी व गैर-सरकारी सेवाओं की सुविधाएँ प्राप्त करने में प्रयोग किया जा सकता है।

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आधार कार्ड की आवश्यकता और उपयोग
आधार कार्ड पहचान-पत्र तथा निवास प्रमाण-पत्र के रूप में सभी सरकारी एवं गैर-सरकारी विभागों में जरूरी हो गया है; क्योंकि पहचान के लिए हर जगह आधार कार्ड माँगा जाता है। आधार कार्ड के महत्त्व को बढ़ाते हुए भारत सरकार ने भी बड़े फैसले लिए हैं जिसमें निम्नलिखित कार्यों के लिए आधार संख्या दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया गया है

  1. पासपोर्ट जारी करने के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया गया है।
  2. बैंक में जनधन खाता खोलने के लिए
  3. एलपीजी की सब्सिडी पाने के लिए।
  4. ट्रेन टिकट में छूट पाने के लिए।
  5. परीक्षाओं में बैठने के लिए (जैसे—आईआईटी जेईई के लिए)
  6. बच्चों को नर्सरी कक्षा में प्रवेश दिलाने के लिए।
  7. डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्र (UPBoardSolutions.com) (लाइफ सर्टिफिकेट) के लिए
  8. प्रॉविडेंट फंड के भुगतान के आवेदन हेतु
  9. डिजिटल लॉकर के लिए।
  10. सम्पत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए
  11. छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति को बैंक में जमा कराने हेतु
  12. सिम कार्ड खरीदने के लिए।
  13. आयकर रिटर्न हेतु। आयकर विभाग करदाताओं को आधार कार्ड के जरिए आयकर रिटर्न की ई-जाँच करने की सुविधा प्रदान करता है।

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आधार कार्ड के आवेदन की प्रक्रिया
आधार कार्ड के आवेदन प्रपत्र में निम्नलिखित सूचनाएँ संदर्भित विषय-वस्तु के अनुसार भरी जाती हैं

कॉलम-1 :

  • इस कॉलम में नामांकन संख्या उपलब्ध हो तो अवश्य भरनी चाहिए।

कॉलम-2 :

  • इस कॉलम में राष्ट्रीय रजिस्टर का रसीद (UPBoardSolutions.com) नम्बरे अथवा टिन नम्बर भरना चाहिए।

कॉलम-3 :

  • इस कॉलम में दिए गए स्थान पर आवेदक को पूरा पता लिखना चाहिए।

कॉलम-4 :

  • इस कॉलम में लैंगिक विभेद अर्थात् पुरुष/स्त्री व अन्य में से उपयुक्त स्थान पर सही (V) का निशान लगाना चाहिए।

कॉलम-5 :

  • इस कॉलम में जन्मतिथि का विवरण भरना चाहिए।

कॉलम-6 :

  • इस कॉलम में पते से सम्बन्धित विवरण दर्ज करना चाहिए।

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कॉलम-7 :

  • इस कॉलम में माता, पिता, पति, पत्नी आदि से सम्बन्धित जानकारी; यथा–नाम व आधार नम्बर, जन्मतिथि आदि का विवरण दर्ज करना चाहिए।

कॉलम-8 :

  • इस कॉलम में अनापत्ति कथन पर सही (V) अथवा गलत (४) का निशान ” लगाकर सहमति/असहमति प्रकट करनी चाहिए।

कॉलम-9 :

  • इस कॉलम में आधार संख्या को अन्य सरकारी विभागों; जैसे—बैंक, (UPBoardSolutions.com) आदि से जोड़ने के लिए अनापत्ति कथन हेतु सहमति प्रकट करना और बैंक का नाम, खाता संख्या आदि दर्ज करना चाहिए।

कॉलम-10 :

  • इस कॉलम में संलग्न किए जाने वाले दस्तावेजों; जैसे-पहचान पत्र, निवास प्रमाण-पत्र, सम्बन्ध प्रमाण-पत्र तथा जन्म प्रमाण-पत्र आदि पर सही (V) का निशान लगाकर उस आवेदन-पत्र के साथ संलग्न करना चाहिए।

कॉलम-11 :

  • इस कॉलम में पहचान आधारित विवरण भरना चाहिए जिसमें माता, पिता, पति, पत्नी, अभिभावक आदि की जानकारी दर्ज की जाती है जिसमें मुख्य रूप से उनकी आधार संख्या दर्ज करनी चाहिए।

अन्त में, आवेदन पत्र में भरी गयी जानकारियों के सत्यापन के लिए मुद्रित कथन के नीचे हस्ताक्षर करके तथा पहचानकर्ता को नाम लिखकर एवं हस्ताक्षर कराकर जनसेवा केन्द्र या डाक घर में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर आधार कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं। सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होकर बायामैट्रिक माध्यम से अपने हाथों की अँगुलियों की छाप, आँखों के इम्प्रेशन तथा फोटो खिंचवाने की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद सक्षम अधिकारी अगली कार्यवाही के लिए फॉर्म को अग्रसारित करते हैं तथा एक से दो सप्ताह के भीतर डाक के माध्यम से आधार कार्ड दिए गए पते पर पहुँच जाता है।

निष्कर्ष
प्रस्तुत परियोजना कार्य के माध्यम से हमने जनसेवा केन्द्र पर जाकर आधार कार्ड के आवेदन से सम्बन्धित पूर्ण जानकारी का अध्ययन किया और आवेदन प्रपत्र भरने, आधार कार्ड के लाभों, आवश्यकता और उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी अर्जित की। इस परियोजना कार्य से यह भी ज्ञात हुआ कि आधार कार्ड प्रत्येक भारतीय को पहचान प्रदान करने वाला महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है तथा इसे 12 अंकों की विशिष्ट संख्या द्वारा अनुमोदित (UPBoardSolutions.com) किया जाता है। आधार कार्ड को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है; अतः हमें इस परियोजना कार्य के माध्मय से ही आधार कार्ड सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण जानकारियों को प्राप्त करने का सुअवसर प्राप्त हुआ।

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प्रोजेक्ट कार्य-4

समस्या कथन
व्यक्तिगत आयकर किस प्रपत्र पर और कैसे भरा जाता है? इसकी जानकारी प्राप्त करना।

प्रस्तावना
सरकार को अपने कर्तव्य निभाने के लिए बहुत-से कार्य; जैसे देश की सुरक्षा करना, कानून व्यवस्था बनाये रखना, स्वास्थ्य एवं शिक्षा की सुविधा देना, न्याय-पद्धति को चलाना, बेरोजगारी एवं गरीबी का उन्मूलन करना, आदि करने होते हैं। इन सभी पर सरकार को बहुत अधिक धन व्यय करना पड़ता है।

देश के विकास के लिए और इन सभी कार्यों को करने के लिए इतनी मात्रा में धन सरकार अनेक साधनों से जुटाती है, इनमें से एक महत्त्वपूर्ण साधने को कर प्रणाली (Taxation) कहा जाता है। आयकर, सेवाकर, बिक्री कर, सम्पत्ति कर, मनोरंजन कर, चुंगी शुल्क, सीमा शुल्क आदि सरकार की आय के विभिन्न स्रोत हैं। केन्द्रीय सरकार प्रदेश सरकार अथवा स्थानीय संस्थाएँ किस क्षेत्र में कर लगा सकती है, इसका निर्धारण पहले से ही रहता है। केन्द्र सरकार इन करों का अधिक भाग प्राप्त करती है, इसलिए उसे इन साधनों का कुछ अंश प्रदेश सरकारों या संघीय क्षेत्रों को देना होता है, ताकि वे भी विकास के लिए और दूसरे खर्च करने के लिए इसका उपयोग कर सकें; अतः आयकर सरकार की आय का सबसे बड़ा स्रोत है।

लक्ष्य एवं उद्देश्य
प्रस्तुत परियोजना कार्य का मुख्य उद्देश्य आयकर की जानकारी प्राप्त करना है तथा इसका लक्ष्य आयकर जमा करने की प्रक्रिया से अवगत कराना है जिसके कि विद्यार्थी आयकर के महत्त्व, प्रक्रिया एवं दरों का विधिवत अध्ययन कर सकें।

भारत में आयकर का स्वरूप
आयकर विभाग ने देयकर्ता के लिए टैक्स स्लैब में अनेक परिवर्तन किए हैं, जो वित्तीय वर्ष (2017-18) तथा आकलन वर्ष 2018-19 के लिए हैं। भारत में जहाँ पहले ₹ 2.5 लाख से लेकर ₹ 5 लाख तक की सालाना आय पर 10 फीसदी टैक्स लगता था, अब यह टैक्स (UPBoardSolutions.com) 5 फीसदी लगेगा, वहीं ₹ 2.5 लाख तक आय पूरी तरह से टैक्स मुक्त है। इसके अलावा सरकार ने 50 लाख से लेकर 1 करोड़ तक की आय वालों पर 10 फीसदी की सरचार्ज लगाया है, जो अब तक नहीं था। आयकर के नए नियमों के अनुसार इसका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है

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सामान्य वर्ग के लोगों हेतु आयकर के प्रावधान – 60 वर्ष तक आयु वाले किसी भी व्यक्ति की वार्षिक आय यदि ₹ 2.5 लाख से अधिक है, तब वह टैक्स छूट के दायरे से बाहर माना जाएगा, यानी केवल ₹ 2.5 लाख तक की आय ही करमुक्त है। इसके बाद ₹ 5 लाख तक की सालाना आय वाले व्यक्ति को 5 फीसदी टैक्स का होगा, साथ ही र 5 लाख तक की करयोग्य आय पर पहले ₹ 5 हजार की छूट मिलती थी जोकि अब घटाकर ₹ 2500 कर दी गयी है और यह ₹ 3.5 लाख तक की करयोग्य आय पर मिलेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि यदि किसी व्यक्ति की वार्षिक आय ₹ 3 लाख थी तो उसकी टैक्स भुगतान की जिम्मेदारी नहीं थी। आयकर के नए नियमों के अनुसार आयकर का वर्णन निम्नलिखित हैं

₹ 2.5 लाख  तक                                     शून्य
₹ 2.5 लाख 1 से ₹ 5 लाख तक     ……… 5%
₹ 5 लाख 1 से 10 लाख तक          ……… 20%
₹ 10 लाख से अधिव                     ……… 30%

₹ 5 लाख से है 10 लाख की आय पर 20 प्रतिशत आयकर होगा और ₹ 10 लाख से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत आयकर लागू होगा, लेकिन यदि आय ₹ 50 लाख से ज्यादा है (सालाना) तथा ₹ 1 करोड़ है, तब सरचार्ज बढ़कर 15 प्रतिशत हो जाएगा। यह बढ़ा हुआ 5 फीसदी सरचार्ज एजुकेशन सेस और हायर एजुकेशन सेस है।

वरिष्ठ नागरिक (60 से 80 आयु वर्ष के लोगों के लिए ) – वरिष्ठ नागरिक जो कि 0 से ₹ 3 लाख सालाना आय के दायरे में आते हैं, उन पर कोई आयकर देनदारी नहीं आती। ₹ 3 से 5 लाख तक की आय पर 5 प्रतिशत की दर से कर लागू होगा। ₹ 5 लाख से ₹ 10 लाख तक की आय और के 10 लाख से अधिक की आय पर सामान्य श्रेणी के लिए लागू कर की दर और सरचार्ज वरिष्ठ नागरिकों पर भी लागू होंगे।

₹ 3 लाख तक                                     …… शून्य
₹ 3 लाख 1 से ₹ 5 लाख तक               …… 5%
₹ 5 लाख 1 से ₹ 10 लाख तक             …… 20%
₹ 10 लाख से अधिक                          …… 30%

अति वरिष्ठ नागरिक ( 80 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों के लिए)-वे वरिष्ठ नागरिक जिनकी आयु 80 वर्ष से अधिक है, वे इस श्रेणी में आते हैं। उनके लिए ₹ 5 लाख तक की आय पूरी तरह से कर-मुक्त होगी, परन्तु शेष सभी कर स्लैब वही लागू होंगे जो कि (UPBoardSolutions.com) सामान्य श्रेणी पर लागू हैं।

₹ 5 लाख तक                                        ……. शून्य
₹ 5 लाख 1 से ₹ 10 लाख तक                ……. 20
₹ 10 लाख से अधिक                              ……. 30%

आयकर की दरों का सिंहावलोकन
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Project Work (प्रोजेक्ट कार्य)

प्रत्येक वर्ष वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद वे सभी व्यक्ति आयकर देने के लिए बाध्य हैं, जो आयकर द्वारा निर्धारित कर सीमा के अन्तर्गत आते हैं। आयकर के भुगतान के लिए आयकर विभाग द्वारा पृथक्-पृथक् फॉर्मों के माध्यम से आयकर जमा करने हेतु आवेदन पत्र बनाए गए हैं। इन फॉर्मों के माध्यम से व्यक्ति यह घोषित करता है कि विगत वर्ष में उसे कितनी आय हुई तथा उस आय के लिए कितने कर का भुगतान किया। यही प्रक्रिया इनकम (UPBoardSolutions.com) टैक्स रिटर्न कहलाती है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने के पश्चात आयकर विभाग, आयकर जमा करने के लिए एक अन्तिम तिथि का निर्धारण करता है। वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए आयकर जमा करने की अन्तिम तिथि 31 जुलाई निर्धारित की गयी है।

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व्यक्तिगत आयकर जमा करने के फॉर्म
व्यक्तिगत रूप से आयकर जमा करने के लिए निम्नलिखित फॉर्मों को उनकी श्रेणी के आधार पर भरा जाता है, जिनका वर्णन निम्नलिखित है

ITR-1 :

  • इस फॉर्म को सहज फॉर्म भी कहा जाता है जिनकी आय के साधन उनका वेतन, पेंशन या ब्याज है तथा जिस व्यक्ति के पास अपना घरे हो और उसने हाउसिंग लोन लिया हो, उसे भी यह फॉर्म भरना होता है।

IRT-2 :

  • यह फॉर्म हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF) के लिए आयकर जमा करने हेतु भरा जाता है। इसके अतिरिक्त यदि किसी व्यक्ति के आय के साधन वेतन, पेंशन तथा ब्याज के अतिरिक्त एक से ज्यादा घर से आने वाली किराये की धनराशि, कैपिटल गेन या (UPBoardSolutions.com) डिविडेंड से प्राप्त होने वाली आमदनी है तो ऐसे लोगों को भी इसी फॉर्म के माध्यम से आयकर जमा करने का प्रावधान है।

TTR-3 :

  • यह फॉर्म उन लोगों के लिए होता है, जो किसी व्यवसाय में साझेदार (Partner) हैं तथा उनकी आय का स्रोत केवल यही है।

ITR-4 :

  • इस फॉर्म को सुगम फॉर्म कहा जाता है। यह फॉर्म सभी प्रकार के प्रोफेशनल्स; जैसे-डॉक्टर, वकील, सी०ए० आदि के लिए होता है। इसके अतिरिक्त वह व्यक्ति जो किसी व्यवसाय में साझेदार होने के साथ-साथ प्रोफेशनल इनकम भी अर्जित करता है, उसके लिए भी यही फॉर्म भरने का प्रावधान है। सुगम फॉर्म के माध्यम से आयकर अधिनियम के सेक्शन 44AD, 44ADA तथा 44AE के अन्तर्गत आयकर जमा कराया जाता है।

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ITR-4s :

  • यह फॉर्म उन छोटे व्यापारियों के लिए है जिनकी वार्षिक आय ₹ 60 लाख से कम है तथा ऐसे प्रोफेशनल व्यक्ति जिनकी आय ₹ 60 लाख से कम है, उन्हें भी यही फॉर्म भरना होता है। इन लोगों को अपने खातों को अंकेक्षण (Audit) कराने की आवश्यकता नहीं होती है।

वित्तीय वर्ष समाप्त होने पर प्रत्येक व्यक्ति को उपरोक्त वर्णित फॉर्मों में से उस फॉर्म को भरना होता है जिसके लिए वह पात्र होता है। इस फॉर्म के द्वारा व्यक्ति अपनी वार्षिक आय पर उचित कर का भुगतान करता है। यह कर प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है; जैसे-वेतन से प्राप्त आय तथा व्यक्तिगत व्यापार करने वालों के लिए अलग। जो व्यक्ति वेतनभोगी हैं, उनके लिए फॉर्म-16 प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है। इसमें उस व्यक्ति (UPBoardSolutions.com) की सालाना आय बताई जाती है तथा उसके द्वारा किये गये पूँजी सम्बन्धी निवेश पर छूट दी जाती है। यही सब जोड़-घटाकर जो भी शेष राशि होती है, उस पर आयकर का भुगतान किया जाता है। इसी प्रकार, प्रोफेशनले व्यक्ति तथा व्यापारी भी अपने आय-व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत करते हैं तथा आर्थिक चिट्ठा बनाकर अपने लाभ-हानि की घोषणा करते हैं। इसी आधार पर वह आयकर का भुगतान करते हैं।

आयकर जमा करने हेतु ITR-1 (सहज) फॉर्म भरने की प्रक्रिया
आयकर का सहज फॉर्म (ITR-1) क्रमशः पाँच खण्डों एवं दो प्रकार की अनुसूचियों से मिलकर बना है। प्रत्येक खण्ड एवं अनुसूची को भरने का वर्णन अग्रलिखित है

1. खण्ड-A : सामान्य जानकारी-सहज फॉर्म के इस भाग में आयकरदाता का पैन, आधार कार्ड नम्बर, मोबाइल नम्बर, ई-मेल, पूरा पता, निवास की स्थिति, सम्बद्धता; यथा–सरकारी कर्मचारी, पी०एस०यू० या अन्य, आयकर भरने की मूल तिथि, यदि फॉर्म में संशोधन हो तो उसकी फॉर्म संख्या, या किसी प्रकार के नोटिस का सन्दर्भ हो तो नोटिस संख्या भरने के लिए नियत स्थान एवं कॉलमों में जानकारी भरनी चाहिए।

2. खण्ड-B:
सकल कुल आय-इस खण्ड में कुल आय के स्रोतों की जानकारी भरनी होती है; जैसे-वेतन, पेंशन, एक गृह सम्पत्ति से आय, अन्य स्रोतों से आय यदि हो तो इनमें से जिस भी स्रोत से आय हो उसके वर्षभर का योग निर्धारित कॉलम में लिखना चाहिए तथा अन्त में कुल योग करना चाहिए।

3. खण्ड-c :
करयोग्य कुल आय में से कटौतियाँ—इस खण्ड में करयोग्य कुल आय में से वित्तीय वर्ष में किए गए ऐसे निवेशों को घटाया जा सकता है, जो आयकर की धारा 80C, 80D, 80G या 80 TTA में करमुक्त हैं। ऐसे निवेशों की जानकारी अथवा धनराशि निर्धारित कॉलम में लिखनी चाहिए जिससे आयकर में छूट प्राप्त की जा सके।

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4. खण्ड-D :
देयकर की गणना-इस खण्ड में देय योग्य कर की गणना की जाती है। इसके कॉलम D1 में कुल आय पर देय कर की संख्या लिखी जाती है। कॉलम D2 में सेक्शन 87A में कर से छूट, यदि कोई हो तो उसकी संख्या लिखी जाती है। D3 कॉलम में छूट प्राप्ति के बाद कुल कर योग्य धनराशि लिखी जाती है। कॉलम D4 में उपकर या सेस की धनराशि का वर्णन किया जाता है तथा Ds कॉलम में कर एवं सेस का कुल योग लिखा जाता है। कॉलम D6 में सेक्शन 89(1) के अन्तर्गत प्रदान की जाने वाली कर राहत का ब्यौरा होता है। कॉलम D7, Da एवं Dj में कर पर ब्याज की गणना लिखी जाती है। D10 कॉलम में कुल कर एवं ब्याज को जोड़कर लिखा जाता है। कॉलम D11 में कुल देय कर धनराशि वर्णित की जाती है। D12 कॉलम में D13 कॉलम में यदि किसी प्रकार का कोई प्रतिदेय (Refund) हो तो उसका वर्णन होता है। इस खण्ड के अन्त में करमुक्त आय की सूचना देने के लिए निर्दिष्ट कॉलम होते हैं; जैसे-सेक्शन 10(38), 10 (34), कृषि आय या अन्य आदि।

5. खण्ड-E :
अन्य जानकारी-इस खण्ड में बैंक से सम्बन्धित जानकारियों का वर्णन होता है; जैसे—बैंक का नाम, खाता संख्या, IFSC कोड, खाते में नकद जमा का कुल योग आदि का ब्यौरा दिया जाता है।

6. अग्रिम कर अनुसूची – 
इस अनुसूची में यदि करदाता ने कोई अग्रिम आयकर जमा कराया हो तो उसका विवरण भरना होता है। इसमें बी०एस०आर० कोड, अग्रिम कर जमा करने की तिथि, चालान नम्बर तथा जमा किए गए कर की धनराशि आदि दर्ज करने के (UPBoardSolutions.com) पृथक्-पृथक् कॉलमों में सभी विवरण भरा जाता है।

7. टी०डी०एस०/टी०सी०एस० विवरण अनुसूची – 
इस अनुसूची में करदाता यदि वित्तीय वर्ष में किसी से भी भुगतान प्राप्त करते समय टी०डी०एस० कटवा चुका है तो उसका प्रमाण-पत्र प्राप्त करे उसका विवरण यहाँ प्रस्तुत करना चाहिए। इसमें प्रथम कॉलम में टी०डी०एस० काटने वाले का TAN नम्बर भरा जाता है, दूसरे कॉलम में उसका नाम तथा तीसरे कॉलम में जिस राशि पर कर काटा गया है, उसका ब्यौरा लिखा जाता है। चौथे कॉलम में वर्ष तथा पाँचवें कॉलम में उस धनराशि को लिखा जाता है। कि जिसके लिए हमें उस वित्तीय वर्ष क्लेम करना चाहते हैं। सातवें कॉलम में वह राशि लिखी जाती है। जिसका क्लेम आयकरदाता अपने स्वयं के लिए न करके अपनी पत्नी/पति (spouse) के लिए करता है। यह सेक्शन 5A के अन्तर्गत आता है।

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8. सत्यापन – 
इसे फॉर्म के अन्त में आयकरदाता द्वारा उपरोक्त जानकारी का सत्यापन किया जाता है जिसके अन्तर्गत आयकरदाता अपना नाम, पिता का नाम लिखकर यह घोषणा करता है कि उपरोक्त सभी जानकारियाँ उसके ज्ञान और विश्वास के अनुरूप सत्य एवं सही हैं तथा आयकर अधिनियम, 1961 के सभी प्रावधानों के अनुरूप हैं। इस प्रकार सत्यापन कथन के नीचे आयकरदाता अपने हस्ताक्षर कर इसे प्रमाणित एवं सत्यापित करता है।

9. फॉर्म प्राप्ति की रसीद – 
इस.फॉर्म के बाएँ ओर कार्यालय प्रयोग हेतु एक बॉक्स होता है जिसमें प्राप्ति संख्या, दिनांक, प्राप्त करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर तथा मोहर लगाने हेतु स्थान होता है। इस फॉर्म को आयकर कार्यालय में जमा करने के उपरान्त आयकरदाता को इसकी प्राप्ति की रसीद प्रदान की। जाती है।

निष्कर्ष
प्रस्तुत परियोजना के माध्यम से हमने आयकर के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की तथा व्यक्तिगत रूप से व्यक्ति को कितनी आय पर कितने कर का भुगतान करना पड़ता है, उन सभी नियमों का अवलोकन किया। इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत आयकर प्रपत्र (ITR-1) सहज फॉर्म किस प्रकार भरा जाता है तथा उसमें क्या-क्या विवरण होता है, इसकी भी जानकारी प्राप्ति की। इस परियोजना कार्य से हम भारत की प्रगतिशील कर नीति, कुशल एवं दक्ष प्रशासन (UPBoardSolutions.com) तथा बेहतर स्वैच्छिक अनुपालन के द्वारा आने वाले राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं।

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UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 6 निष्ठामूर्ति कस्तूरबा (गद्य खंड)

UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 6 निष्ठामूर्ति कस्तूरबा (गद्य खंड)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 6 निष्ठामूर्ति कस्तूरबा (गद्य खंड).

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(1) चाहे दक्षिण अफ्रीका में हों या हिन्दुस्तान में, सरकार के खिलाफ लड़ाई के समय जब-जब चारित्र्य का तेज प्रकट करने का 
मौका आया कस्तूरबा हमेशा इस दिव्य कसौटी से सफलतापूर्वक पार हुई हैं।
             इससे भी विशेष बात यह है कि बड़ी तेजी से बदलते हुए आज के युग में भी आर्य सती स्त्री का जो आदर्श हिन्दुस्तान ने अपने हृदय में कायम रखा है, उस आदर्श की जीवित प्रतिमा के रूप में राष्ट्र पूज्य कस्तूरबा को पहचानता। है। इस तरह की विविध लोकोत्तर योग्यता के कारण आज सारा राष्ट्र कस्तूरबा की पूजा करता है।
प्रश्न
(1) गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) किस योग्यता के कारण सारा राष्ट्र कस्तूरबा की पूजा करता है?

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ के ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ नामक पाठ से अवतरित है। इसके लेखक उच्चकोटि के विचारक काका कालेलकर हैं। प्रस्तुत अवतरण में कस्तूरबा के गुणों का वर्णन किया गया है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- कस्तूरबा का वर्णन करते हुए लेखक कहता है कि चाहे भारत में हो या दक्षिण अफ्रीका में सरकार के खिलाफ संघर्ष के अवसर पर कस्तूरबा पीछे नहीं रहीं और उसका सफलतापूर्वक संचालन किया। इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि कस्तूरबा ने आदर्श भारतीय नारी के स्वरूप का विधिवत् पालन किया है। भारत ने स्त्री का जो आदर्श अपने (UPBoardSolutions.com) हृदय में धारण किया है, कस्तूरबा उसकी प्रतिमूर्ति थीं। इन्हीं गुणों के कारण कस्तूरबा भारतीय समाज में समादृत हैं।
  3. विविध लोकोत्तर योग्यता के कारण आज सारा राष्ट्र कस्तूरबा की पूजा करता है।

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(2) दुनिया में दो अमोघ शक्तियाँ हैं-शब्द और कृति । इसमें कोई शक नहीं कि ‘शब्दों’ ने सारी पृथ्वी को हिला दिया है। किन्तु अन्तिम शक्ति तो ‘कृति’ की है। महात्मा जी ने इन दोनों शक्तियों की असाधारण उपासना की है। कस्तूरबा ने इन दोनों शक्तियों में से अधिक श्रेष्ठ शक्ति कृति की नम्रता के साथ उपासना करके सन्तोष माना और जीवनसिद्धि प्राप्त की।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) कस्तूरबा कैसी महिला थीं?
(4) शब्द और कृति क्या है?
(5) गाँधी जी ने किसकी उपासना की?
[शब्दार्थ-अमोघ = अचूक। कृति = रचना। सिद्धि = जीवन की श्रेष्ठता।]

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत पद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं काका कालेलकर द्वारा लिखित । ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ नामक निबन्ध से लिया गया है जो गाँधी युग के जलते चिराग’ नामक पुस्तक से उद्धृत है। लेखक कस्तूरबा के जीवन की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए विश्व की महानतम् शक्तियों (शब्द और कृति) में ‘बा’ को ‘कृति’ की उपासिका बतलाता है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- शब्द अर्थात् ‘कहना’ तथा कृति अर्थात् ‘करना’ वास्तव में इस संसार की ये ही दो अचूक शक्तियाँ हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि शब्दों की शक्ति ऐसी है जिसने सारे विश्व को प्रभावित कर रखा है, किन्तु शब्दों की अपेक्षा ‘कृति’ वाली शक्ति और भी महत्त्व रखती है। महात्मा गाँधी ने उक्त दोनों शक्तियों की असाधारण साधना की थी अर्थात् उन्होंने कथनी (UPBoardSolutions.com) और करनी में सामंजस्य स्थापित किया था, किन्तु कस्तूरबा ने सबसे पहले महत्त्वपूर्ण शक्ति ‘कृति’ की नम्रतापूर्वक साधना की और अपने जीवन को सफल सिद्ध किया। ‘बा’ ने केवल काम करने को ही महत्त्व दिया और इसी के बल पर वे सर्वपूज्य हो गयीं। दक्षिणी अफ्रीका की सरकार ने गाँधी जी को जब जेल भेज दिया तो कस्तूरबा ने अपना बचाव तक नहीं किया और न कहीं निवेदन किया। वे एक दृढ़ संकल्प वाली महिला थीं।
  3. कस्तूरबा एक दृढ़ संकल्प वाली महिला थीं।
  4. शब्द और कृति दो अमोघ शक्तियाँ हैं।
  5. गाँधी जी ने शब्द और कृति दोनों शक्तियों की असाधारण उपासना की है।

(3) यह सब श्रेष्ठता या महत्ता कस्तूरबा में कहाँ से आयी? उनकी जीवन-साधना किस प्रकार की थी? शिक्षण के द्वारा उन्होंने बाहर से कुछ नहीं लिया था। सचमुच, (UPBoardSolutions.com) उनमें तो आर्य आदर्श को शोभा देनेवाले कौटुम्बिक सद्गुण ही थे। असाधारण मौका मिलते ही और उतनी ही असाधारण कसौटी आ पड़ते ही उन्होंने स्वभावसिद्ध कौटुम्बिक सद्गुण व्यापक किये और उनके जोरों पर हर समय जीवन-सिद्धि हासिल की। सूक्ष्म प्रमाण में या छोटे पैमाने पर जो शुद्ध साधना की जाती है उसका तेज इतना लोकोत्तरी होता है कि चाहे कितना ही बड़ा प्रसंग आ पड़े, व्यापक प्रमाण में कसौटी हो, चारित्र्यवान् मनुष्य को अपनी शक्ति का सिर्फ गुणाकार ही करने का होता है।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) चारित्र्यवान् मनुष्य को अपनी शक्ति का क्या करना होता है?
(4) चारित्र्यवान व्यक्ति की क्या विशेषता होती है? |
(5) किस साधना का तेज लोकोत्तरी होता है?

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं काका कालेलकर द्वारा लिखित ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ से अवतरित है। प्रस्तुत अवतरण में कस्तूरबा के कौटुम्बिक सद्गुणों का वर्णन है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- कस्तूरबा ने शिक्षण द्वारा कुछ नहीं ग्रहण किया था, बल्कि उन्होंने जो कुछ सीखा-समझा वह व्यवहारतः था । वास्तव में उनमें आदर्श कौटुम्बिक सद्गुण थे, बल्कि अवसर मिलने पर उन्होंने स्वभाव सिद्ध पारिवारिक सद्गुणों का विस्तार किया और (UPBoardSolutions.com) उसी के बल पर जीवन में सफलता प्राप्त की। छोटे पैमाने पर जो साधना की जाती है उसमें असीम शक्ति होती है। चरित्रवान व्यक्ति सदैव कसौटी पर खरा उतरता है। कस्तूरबा एक चरित्रवान् महिला थीं। अपने चारित्रिक गुणों और कौटुम्बिक सदगुणों के कारण उन्होंने भारतीय समाज में ख्याति प्राप्त की।
  3. चारित्र्यवान् मनुष्य को अपनी शक्ति का सिर्फ गुणाकर ही करना होता है।
  4. चारित्र्यवान् व्यक्ति की विशेषता है कि उसमें कौटुम्बिक सद्गुण होते हैं।
  5. शुद्ध साधना का तेज लोकोत्तरी होता है।

प्रश्न 2. काका कालेलकर का जीवन-परिचय देते हुए उनके कृतित्व पर प्रकाश डालिए।

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प्रश्न 3. भाषा-शैली को स्पष्ट करते हुए कालेलकर जी की साहित्यिक विशेषताएँ लिखिए।

प्रश्न 4, काका कालेलकर का जीवन एवं साहित्यिक परिचय दीजिए।
अथवा काका कालेलकर का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।

काका कालेलकर
( स्मरणीय तथ्य )

जन्म-सन् 1885 ई० । मृत्यु-सन् 1981 ई०। जन्म-स्थान- महाराष्ट्र में सतारा जिला।
अन्य बातें -हिन्दी, गुजराती, बंगला, अंग्रेजी, मराठी भाषाओं पर पूरा अधिकार, राष्ट्रभाषा का प्रचार ।
भाषा- सरल, ओजस्वी, प्रवाहपूर्ण ।
शैली- सजीव, प्रभावपूर्ण, कल्पना की उड़ान।
साहित्य- संस्मरण, यात्रा वर्णन, सर्वोदय, हिमालय प्रवास, लोकमाता, उस पार के पड़ोसी, जीवन लीला, बापू की 
झाँकियों, जीवन का काव्य आदि।

  • जीवन-परिचय- काका कालेलकर का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले में 1 दिसम्बर, सन् 1885 ई० को हुआ था। कालेलकर हिन्दी के उन उन्नायक साहित्यकारों में से हैं जिन्होंने अहिन्दी भाषा क्षेत्र का होकर भी हिन्दी सीखकर उसमें लिखना प्रारम्भ किया। उन्होंने राष्ट्रभाषा के प्रचार-कार्य को राष्ट्रीय कार्यक्रम के अन्तर्गत माना है। काका कालेलकर ने सबसे पहले हिन्दी लिखी और फिर (UPBoardSolutions.com) दक्षिण भारत में हिन्दी प्रचार को कार्य प्रारम्भ किया। अपनी सूझबूझ, विलक्षणता और व्यापक अध्ययन के कारण उनकी गणना देश के प्रमुख अध्यापकों एवं व्यवस्थापकों में होती है। काका साहब उच्चकोटि के विचारक एवं विद्वान् थे। भाषा प्रचार के साथ-साथ इन्होंने हिन्दी और गुजराती में मौलिक रचनाएँ भी की हैं। सन् 1981 ई० में आपकी मृत्यु हो गयी।
  • कृतियाँ- काको साहब की कृतियाँ निम्नलिखित हैं –
    1. निबन्ध-संग्रह- जीवन-साहित्य, जीवन का काव्य-इन विचारात्मक निबन्धों में इनके संत व्यक्तित्व और प्राचीन भारतीय संस्कृति की सुन्दर झलक मिलती है।
    2. आत्म-चरित्र- ‘धर्मोदय’ तथा ‘जीवन लीला’–इनमें काका साहब के यथार्थ व्यक्तित्व की सजीव झाँकी है।
    3. यात्रा-वृत्त- ‘हिमालय-प्रवास’, ‘लोकमाता’, ‘यात्रा’, ‘उस पार के पड़ोसी’ आदि प्रसिद्ध यात्रावृत्त हैं।
    4. संस्मरण- ‘संस्मरण’ तथा ‘बापू की झाँकी’-इन रचनाओं में महात्मा गाँधी के जीवन का चित्रण है।
    5. सर्वोदय-साहित्य- आपकी ‘सर्वोदय’ रचना में सर्वोदय से सम्बन्धित विचार हैं।
    6. साहित्यिक परिचय- काका साहब एक सिद्धहस्त मॅझे हुए लेखक थे। किसी भी सुन्दर दृश्य का वर्णन अथवा पेचीदी समस्या का सुगम विश्लेषण उनके लिए आनन्द का विषय है। उनके यात्रा-वर्णन में पाठकों को देश-विदेश के भौगोलिक विवरणों के साथ-साथ वहाँ की विभिन्न समस्याओं तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं की जानकारी भी (UPBoardSolutions.com) हो जाती है। काका साहब देश की विभिन्न भाषाओं के अच्छे जानकार हैं। उन्होंने प्रायः अपने ग्रन्थों का अनुवाद विभिन्न भारतीय भाषाओं में स्वयं प्रस्तुत किया है। इनके विचारों में संस्कृति और परम्पराओं में एक नवीन क्रान्तिकारी दृष्टिकोणों का समावेश रहता है।
    7. भाषा-शैली- काका साहब की भाषा अत्यन्त ही सरल और ओजस्वी है। उसमें एक आकर्षक धारा है जिसमें सूक्ष्म दृष्टि एवं विवेचनात्मक तर्कपूर्ण विचार की अभिव्यक्ति होती है। उनकी भाषा में एक नयी चित्रमयता के साथ-साथ विचारों की मौलिकता के स्पष्ट दर्शन होते हैं। भाषा के साथ-साथ उनकी शैली अत्यन्त ही ओजस्वी है। इन्होंने अपने निबन्धों में प्राय: व्याख्यात्मक शैली का प्रयोग किया है। कुछ रचनाओं में प्रबुद्ध विचारक के उपदेशात्मक शैली के दर्शन होते हैं ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. कस्तूरबा में एक आदर्श भारतीय नारी के कौन-कौन से गुण विद्यमान थे?
उत्तर- कस्तूरबा गाँधी एक पतिव्रता महिला थीं। वे अत्यन्त धार्मिक महिला थीं। गीता और तुलसी कृत रामायण में उनकी अगाध श्रद्धा थी। आलस्य नाम की चीज उनके अन्दर थी ही नहीं। आश्रम में कस्तूरबा लोगों के लिए माँ के समान थीं।

प्रश्न 2. स्वयं में शिक्षा के अभाव की पूर्ति ‘बा’ ने किस प्रकार की?
उत्तर- कस्तूरबा अनपढ़ थीं। उनका भाषा-ज्ञान सामान्य देहाती से अधिक नहीं था। बापू के साथ वे दक्षिण अफ्रीका में रहीं इसलिए वह कुछ अंग्रेजी समझने लगी थीं।

प्रश्न 3. ‘शब्द’ और ‘कृति’ से लेखक का क्या तात्पर्य है? कस्तूरबा के सम्बन्ध में सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- दुनिया में दो अमोघ शक्तियाँ हैं-शब्द और कृति। इसमें कोई शक नहीं है कि शब्दों ने सारी पृथ्वी को हिला दिया है, किन्तु अन्तिम शक्ति तो कृति ही है। महात्मा जी (UPBoardSolutions.com) ने इन दोनों शक्तियों की असाधारण उपासना की है। कस्तूरबा ने इन दोनों शक्तियों में से अधिक श्रेष्ठ शक्ति कृति की नम्रता के साथ उपासना करके सन्तोष माना और जीवनसिद्धि प्राप्त की।

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प्रश्न 4. ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ से दस महत्त्वपूर्ण वाक्य लिखिए।
उत्तर- कस्तूरबा अनपढ़ थीं। उनका भाषा-ज्ञान सामान्य देहाती से अधिक नहीं था। कस्तूरबा को गीता पर असाधारण श्रद्धा थी। उनकी निष्ठा का पात्र दूसरा ग्रन्थ था तुलसीकृत रामायण। कस्तूरबा रामायण भी ठीक ढंग से कभी पढ़ न सकीं। आश्रम में कस्तूरबा हम लोगों के लिए माँ के समान थीं। आज के जमाने में स्त्री-जीवन-सम्बन्ध के हमारे आदर्श हमने काफी बदल लिये हैं।

प्रश्न 5. कस्तूरबा से सम्बन्धित संक्षिप्त गद्यांश लिखिए।
उत्तर- वह भले ही अशिक्षित रही हों, संस्था चलाने की जिम्मेदारी लेने की महत्त्वाकांक्षा भले ही उनमें कभी जागी न हो, लेकिन देश में क्या चल रहा है उसकी सूक्ष्म जानकारी वह प्रश्न पूछकर या अखबारों के ऊपर नजर डालकर प्राप्त कर ही लेती थीं।

प्रश्न 6. कस्तूरबा के ‘मूक किन्तु तेजस्वी बलिदान’ की कहानी लिखिए।
उत्तर- सती कस्तूरबा सिर्फ अपने संस्कारों के कारण पातिव्रत्य धर्म को, कुटुम्ब वत्सलता को और तेजस्विता को चिपकाये रहीं और उसी के बल पर महात्मा जी के महात्म्य की (UPBoardSolutions.com) बराबरी में आ सकीं। आज हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध आदि अनेक धर्मों के लोगों का यह विशाल देश अत्यन्त निष्ठा के साथ कस्तूरबा की पूजा करता है।

प्रश्न 7. कस्तूरबा की मितभाषिता एवं कर्तव्यनिष्ठा के गुणों को प्रकट करनेवाले प्रसंगों एवं घटनाओं का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर- आश्रम में चाहे बड़े-बड़े नेता आयें या मामूली कार्यकर्ता, उनके खाने-पीने का प्रबन्ध कस्तूरबा ही करती थीं। प्राणघातक बीमारी से मुक्त होने के बाद रसोई के कार्यों में हाथ बँटाती थीं । कस्तूरबा में आर्य आदर्श को शोभा देनेवाले कौटुम्बिक सद्गुण थे।

प्रश्न 8. ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ की भाषा-शैली की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ की भाषा-शैली विवेचनात्मक है। भाषा अपेक्षाकृत संस्कृतनिष्ठ एवं परिष्कृत है।

प्रश्न 9. कस्तूरबा के गुणों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- कस्तूरबा आदर्श भारतीय महिला थीं। वे पतिव्रता स्त्री थीं। वे आश्रम में बच्चों की देखभाल करती थीं। आश्रम में कस्तूरबा लोगों के लिए माँ समान थीं। गीता और रामायण में उनकी अगाध श्रद्धा थी।

प्रश्न 10. काका कालेलकर की भाषा-शैली की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- काका कालेलकर की भाषा परिष्कृत खड़ीबोली है। उसमें प्रवाह, ओज तथा अकृत्रिमता है। इन्होंने विवेचनात्मक, विवरणात्मक तथा व्यंग्यात्मक शैलियों का प्रयोग किया है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. काका कालेलकर की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
काका कालेलकर की दो रचनाएँ जीवन काव्य तथा हिमालय प्रवास हैं।

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प्रश्न 2. काका कालेलकर किस युग के लेखक माने जाते हैं?
उत्तर- काका कालेलकर शुक्ल एवं शुक्लोत्तर युग के लेखक माने जाते हैं।

प्रश्न 3. राष्ट्रभाषा प्रचार को राष्ट्रीय कार्यक्रम मानने वाले हिन्दी लेखक का नाम बताइए।
उत्तर- राष्ट्रभाषा प्रचार को राष्ट्रीय कार्यक्रम मानने वाले हिन्दी लेखक का नाम है काका कालेलकर ।

प्रश्न 4. कस्तूरबा कौन थीं?
उत्तर- कस्तूरबा महात्मा गाँधी की पत्नी थीं।

प्रश्न 5. निम्नलिखित में से सही वाक्य के सम्मुख सही (√) का चिह्न लगाइए-
(अ) कस्तूरबा अनपढ़ थीं।                                                                  (√)
(ब) ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ विवेचनात्मक शैली में लिखा गया है।       (√)
(स) कालेलकर जी का सम्पर्क टैगोर से नहीं था।                                  (×)
(द) दुनिया में ‘शब्द’ और ‘कृति’ दो अमोघ शक्तियाँ हैं।                         (√)

व्याकरण-बोध

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों में सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम भी लिखिए-
लोकोत्तर, सत्याग्रह, गुणाकर, महत्त्वाकांक्षा, एकाक्षरी, प्रत्युत्पन्न।
उत्तर-
लोकोत्तर        –    
लोक + उतर           – गुण सन्धि
सत्याग्रह         –    
सत्य + आग्रह          – दीर्घ सन्धि
गुणाकर          –     गुण + आकर         – 
दीर्घ सन्धि
महत्त्वाकांक्षा   –    महत्त्व + आकांक्षा   – दीर्घ सन्धि
एकाक्षरी         –    एक + अक्षरी          –  
दीर्घ सन्धि
प्रत्युत्पन्न          –   
प्रति + उत्पन्न           – यण सन्धि

प्रश्न 2.निम्नलिखित में समास-विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए-
माँ-बाप, देश-सेवा, राष्ट्रमाता, प्राणघातक, बन्धनमुक्ते, धर्मनिष्ठा।
उत्तर-
माँ-बाप      =  माँ और बाप           =    द्वन्द्व समास
देश-सेवा    =  देश के लिए सेवा    =    
सम्प्रदान तत्पुरुष
राष्ट्रमाता     =  राष्ट्र की माता           =   
सम्बन्ध तत्पुरुष
प्राणघातक =  प्राण के लिए घातक   =   सम्प्रदान तत्पुरुष
बन्धनमुक्त  =  बंधन से मुक्त           =   करण तत्पुरुष
धर्मनिष्ठा     =  धर्म में निष्ठा              =    अधिकरण तत्पुरुष

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प्रश्न 3. निम्नलिखित विदेशज शब्दों के लिए हिन्दी शब्द लिखिए –
अमलदार, कायम, जिद्द, हासिल, कतई, खुद।
उत्तर-
अमलदार –   ग्राह्य
जिद्द         –    हठ
कतई       –   बिल्कुल
कायम      –   स्थिर
हासिल     –    प्राप्त
खुद          –   स्वयं

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UP Board Solutions for Class 9 English Poetry Chapter 3 The Seven Ages of Man (William Shakespeare)

UP Board Solutions for Class 9 English Poetry Chapter 3 The Seven Ages of Man (William Shakespeare)

Read the following stanzas given below and answer the questions that follow each :
नीचे दिये हुए निम्नलिखित पद्यांशों को पढ़िये और नीचे दिये हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
1. All the World’s a stage,
And all the men and women merely players,
They have their exits and their entrances
And one man in his time plays muny parts,
His acts being seven ages.
Questions.
(i) Why does the poet call this world a huge theatre?
इस संसार को कवि ने क्यों विशाल नाट्यशाला कही है?
(ii) Why do the poet call men and women merely players?
कवि ने पुरुषों एवं महिलाओं को मात्र केवल पात्रे क्यों कहा?
(iii) Identify the figure of speech, ‘All the world’s a stage’.
संसार (दुनिया) एक रंगमंच है में से figure of speech को पहचानिए।
(iv) Name all the stages mentioned here.
यहाँ उल्लेखित सभी चरणों का वर्णन कीजिए
Answers.
(i) Poet call this world huge theatre because men and women who are born in this world
play different roles assigned to them by destiny and God is the spectator of this drama performed by them.
कवि ने इस संसार (दुनिया) को एक विशाल रंगमंच कहा क्योंकि महिलाएं और पुरुष जिन्होंने इस संसार (दुनिया)
में जन्म लिया है वह अपने भाग्य द्वारा मिली भूमिकाओं का निर्वाह करते हैं। उनके द्वारा दर्शित नाट्य को ईश्वर देखता है।
(ii)The poet calls men and women merely players because they do not choose their roles
themselves. They are merely puppets in the hands of God. Their roles are allotted to
them and they can not oppose their roles.
कवि के अनुसार महिलाएं एवं पुरुष केवल पात्र है क्योंकि वह स्वयं अपनी भूमिकाओं का चयन नहीं करते वह
केवल ईश्वर के हाथ की कठपुतली है। जो भूमिकाएँ (कार्य की) निर्वाह करने को दी जाती है वह उसका विरोध
नहीं कर सकते हैं। उनकी भूमिका पूर्व निर्धारित है वे केवल अभिनेत्री व अभिनेता हैं।
(iii) Figure of speech ‘metaphor’.
figure of speech ‘रूपक अलंकार है।
(iv)The poet has mentioned seven (UPBoardSolutions.com) stages-infant, school-going boy, lover, soldier, judge, the
man of age and the dotage of old age.
कवि के अनुसार सात चरण हैं-शैशवावस्था, स्कूली छात्र, प्रेमावस्था, सैनिक एवं न्यायाधीश अन्ततः वृद्धावस्था।

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2. At first the infant,
Mewling and puking in the nurse’s arms
And then,the whinning school boy with his satchel
And shining morning face, creaking like snail
Unwillingly to school. And then the lover,
Sighing like a furnace; with woeful ballad
Made to his mistress eyebrow.
Questions.
(i) What are the activities of a sucking baby?
चूषक शिशु के क्रियाकलाप क्या होते हैं?
(ii) Why does a child not what to go to school?
बच्चा स्कूल (विद्यालय) क्यों नहीं जाना चाहता है?
(iii) How does a child go to school?
बच्चा स्कूल (विद्यालय) कैसे जाता है?
(iv) When does a lover feel dejected?
एक प्रेमी अपने को निरुत्साहित कब अनुभव करता है?
Answers:
(i) A sucking-baby weeps, cries, sobs and vomits. It plays in nurse’s arms.
चूषक शिशु रोता, चिल्लाता, सिसकियाँ भरता तथा उल्टी करता है। वह परिचारिका के बांहों में खेलता है।
(ii) A child wants to play more and more, so he/she shows his/her unwillingness to go to
school.
एक बच्चा ज्यादा-ज्यादा खेलना पसन्द करता है इसलिए वह स्कूल जाने में अपनी अनिच्छा दिखाता है।
(iii) While going to school, a child is dressed very well. His face shows brightness. He bears
the burden of bag on his shoulder and goes to school with slow steps.
स्कूल जाते समय, बच्चा अच्छी तरह सज्जित होता है। उसके चेहरे पर चमक दिखाई देती है, अपने कंधों पर अपने
बस्ते का बोझ उठाता है और धीरे-धीरे (UPBoardSolutions.com) कदमों से स्कूल जाता है।
(iv) A lover feels dejected when his beloved shows indifferent attitude for him.
जब एक प्रेमिका अपने प्रेमी के प्रति उदासीनता दर्शाती है, तब प्रेमी अपने को हतोत्साहित अनुभव करता है।

3. Then a soldier,
Full of strange oaths and bearded like the par
Jealous in honour, sudden and quick in quarrel
Seeking the bubble reputation
Even in the Cannon’s mouth,
Questions.
(i) Why does a soldier take strange oaths?
सिपाही (सैनिक) विचित्र शपथ क्यों लेता है?
(ii) What is the appearance of a soldier?
सैनिक की छवि पर प्रकाश डालिए या सैनिक की छवि कैसी होती है?
(iii) Which thing is very dear to the soldier?
किसी सैनिक को क्या चीज बहुत पसन्द है।
(iv) What is the chief aim of soldier’s life?
सैनिक के जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Answers:
(i) While accepting the commission in Army, a soldier takes many oaths indifferent languages.
He swears to show the feelings of patriotism, honour and dedication for his nation.He
swears that he would defend his country at the cost of his life.
जब किसी सैनिक की सेना में नियुक्ति होती है तो सैनिक भिन्न-भिन्न भाषाओं में कई शपथ लेता है। वह देश
के प्रति देशभक्ति, गौरव और समर्पण की भावनाओं की शपथ लेता है, और शपथ लेता है कि अपने जीवन का
बलिदान देकर भी देश की रक्षा करूंगा।
(ii) A Soldier, due to remaining far from his house for a long time, has a rough and shabby
appearance. He keeps dense and rough beard and moustache.
एक लम्बे समय तक अपने घर से दूर रहने के कारण एक सैनिक की छवि रूखी व जीर्ण-शीर्ण दिखाई देती है।
वह रूखी दाढ़ी व घनी मूंछ रखता है।
(iii) A Soldier is very fond of (UPBoardSolutions.com) his honour. He is always ready to defend it. Whenever it comes
to his notice that his honour is being attacked or even fingered at in the least, he becomes
ready to pick up a quarrel.
सैनिक हमेशा अपने गौरव व सम्मान को बचाए रखना चाहता है। किसी भी स्थिति में उसकी रक्षा के लिए समर्पित रहता है
वह अपने देश की रक्षा के लिए लेश-मात्र संकट को सहन नहीं करता। उसको संकट की सूचना प्राप्त
होते ही वह युद्ध के लिए तैयार हो जाता है।
(iv) The chief aim of soldier’s life is to gain name and fame which, very short-lived, is all in all
to him and for which he is ever ready to risk his life.
सैनिक का मुख्य उद्देश्य है कि वह कम समय में नाम एवं ख्याति प्राप्त करना चाहता है। उसके प्रति अपने जीवन
को संकट में डालने के लिए भी हमेशा तत्पर रहता है। वही उसके जीवन का मुख्य लक्ष्य है।

4. And then, the Justice,
In fair round belly with good copon lined,
With eyes severe, and beard of formal cut
Full of wise saws, and modern instances;
And so he plays his part.
Questions.
(i) What sort of life does a judge likes to lead?
जज किस प्रकार का जीवन-यापन पसन्द करते हैं?
(ii) Why does a judge wear the expression of harshness?
जज (न्यायाधीश) क्यों निष्ठुरता के भाव अभिव्यक्त करते हैं?
(iii) What sort of beard does the judge keep?
जज किस प्रकार की दाढ़ी रखते हैं?
(iv) How does a judge convince by his speech?
जज कैसे उसकी वाक्-क्षमता से प्रभावित हुए?
Answers:
(i) A judge is fond of leading a life luxurious and Comforts.
जज विलासी और आरामदायक जीवन-यापन पसन्द करते हैं।
(ii) A judge outwardly wears the expression of harshness and strictness because he tries to show himself an embodiment of discipline in order to impress everyone.
न्यायवेत्ता (जज) अनुशासन की मूर्त रूप से सभी को प्रभावित करना चाहते हैं इसलिए जज बाह्य रूप से कठोर एवं निष्ठुर दिखाई देते हैं।
(iii) A judge keeps beard which is neatly trimmed after conventional pattern.
न्यायवेत्ता पारम्परिक स्वरूप में चलन के अनुसार कटी हुई दाढ़ी रखते हैं।
(iv) By using many wise maxims and common place illustrations, in his speech, a judge convinces.
न्यायवेत्ता विद्वतापूर्ण नीतियों द्वारा जन साधारण स्थानों पर दृष्टांत देकर अपनी वाक्क्षमता से प्रभावित करते हैं।

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5. The sirth age shifts
Into the lean and slipper’d pantaloon,
With spectacles on nose and pouch on side;
His youthful hose, well saved, a world too wide
For his shrunk shank and his big manly voice,
Turning again towards childish treble pipes
And whistles in his sound. Last scene of all,
That ends this strange eventful history,
Is second childishness and mere oblivion
Sans teeth, sans eyes; sans taste, sans everything.
Questions.
(i) What happens with a man of age in the sixth stage?
छठे चरण में व्यक्ति के साथ क्या होता है?
(ii) How does a man look like in the sixth stage?
छठे चरण में व्यक्ति किस प्रकार दिखने लगता है?
(iii) How does the voice of the old man change?
वृद्ध व्यक्ति की आवाज में किस प्रकार परिवर्तन आता है?
(iv) Why is the last stage called the second childhood?
अंतिम चरण को दूसरा बचपन क्यों कहा गया है?
Answers:
(i) In the sixth stage, man loses all his charms of his youth. He becomes lean and thin. His eyesight grows weak and he cannot see properly. He loses all his strength of youth. His manly voice also changes. His hands and fingers tremble while doing some work. His legs cannot endure the burden of the body. In this way he becomes invalid in every way.
छठे चरण में व्यक्ति अपने युवावस्था के आकर्षण को खो देता है। वह पतला-दुबला बन जाता है।उसकी आँखों की रोशनी कम हो जाती है और वह ठीक तरह से नहीं देख पाता। वह अपनी युवावस्था की शक्ति को खो देता है। उसकी पुरुषोचित आवाज भी बदल जाती है। उसके हाथ और (UPBoardSolutions.com) उंगलियाँ कोई भी काम करने में काँपने लगती हैं। उसके पैर उसके शरीर का भार (बोझ) उठाने में असमर्थ हो जाते हैं। इसलिए वह हर प्रकार से अक्षम हो जाता है।
(ii) In the sixth stage, the man of age becomes a lean comic figure because he wears slippers, spectacles and a pouch (bag).
छठे चरण में व्यक्ति हास्य का पात्र बन के रह जाता है क्योंकि वह चप्पल, चश्में पहनता है और झोला लेकर चलता है।
(iii) His once such loud manly voice now shrink into the shrill voice of a child, having mumbling and squeaking sounds.
किसी समय की उसकी बुलंद पुरुषोचित आवाज़ सिकुड़कर,एक बच्चे की मिमियाहट में बदल जाती है। हर वक्त अस्पष्ट बोलने लग जाता है।
(iv) The last stage is also called second childhood because all the memory of the past is lost
and all the senses decay and the man then becomes almost nothing-without teeth, without eyes and without taste.
अंतिम चरण को दूसरा बचपन इसलिए कहते हैं क्योंकि वह गुजरे हुऐ वक्त (अतीत) की यादें खो जाती हैं। और उसकी इंद्रियाँ क्षीण हो जाती हैं। बिना दांत, आँख एवं स्वाद वाला व्यक्ति नश्वर हो जाता है।

(A)  SOLVED QUESTION OF TEXT BOOK
Answer the following questions :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिएः 
Question 1.
Explain the difference poet makes between the performance made by actors at normal stage and worldly stage?
किसी अभिनेता द्वारा साधारण रंगमंच और सांसारिक रंगमंच में किये गये प्रदर्शन में, कवि ने क्या भिन्नता दर्शायी है?
Answer:
Poet has describe this world to a stage. But there is a difference. In the ordinary stage (drama), an actor plays one role but here in life stage (drama) he has to play many roles. These are described in seven stages.
कवि ने संसार को एक रंगमंच के रूप में दर्शाया है। साधारण रंगमंच में अभिनेता द्वारा एक ही भूमिका का दर्शन है परन्तु सांसारिक रंगमंच में अभिनेता को बहुत सी भूमिकाओं का दर्शन होता है जिसको की सात चरणों में वर्णित किया है।

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Question 2.
What is the second stage played by man?
आदमी दूसरे चरण में क्या भूमिका अदा करता है?
Answer:
In the second stage, he (man) is in the role of the mischievous and unwilling school-boy who goes to school, with his bag, creeping (UPBoardSolutions.com) slowly and reluctantly.
दूसरे चरण में आदमी द्वारा अदा की गई भूमिकाओं का वर्णन है। इस भूमिका में वह शरारती और अनिच्छा से स्कूल जाने लायक हो जाता है वह रोता हुआ अपने बस्ते के साथ स्कूल जाने में आनाकानी करता है।

Question 3.
How does a lover tempts his mistress? ।
कैसे एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को लुभाता ( आकर्षित करता ) है?
Answer:
He (lover) plays a role of a youthful lover passionately sighing deep as the blast of furnace and composes tragic verses to the eye of his beloved.
एक प्रेमी-एक प्रेमिका की याद में अनुराग पूर्वक सुलगता हुआ उसके बारे में सोचता है। उसी की याद में भट्टी की तरह गर्म आहें भरता है और उसकी (प्रेमिका) की याद में दुःख भरे गीत लिखता है।

Question 4.
For what do the words ‘good copon lined’ stand? Good copon lines (fattened cocks received as presents).
शब्द का अर्थ बताइए।
Answer:
In words ‘good copon lines’ some crities have read an allusion to the prevalence of Corruption in Elizabethan times. The custom of offering chicken to the magistrates as a tip was common.
उसे एक न्यायवेत्ता के रूप में देखा जा सकता है। एक खाता-पीता, धनवान, मोटा और पैनी दृष्टि वाला पुरुष हमेशा दूसरों को नसीहत देता है और अपनी बुद्धिमता का प्रदर्शन करना चाहता है। उसकी आँखों में गम्भीरता भी है।

(B) APPRECIATING THE POEM

Question 1.
Write down the central idea of the poem.
कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
Answer:
This world may be compared to a stage and men and women to the actors who have to play their parts in drama. Jaques’ speech about the seven stages of a man’s life is too famous to require any mention here. The world to him is a stage nothing more. Men and women are merely players with their exits and their entrances mechanically regulated movement in anephemeral pageant. The life of a man, as he pictures it, reproduces the condition of the imaginary state of nature. The dramatic function of this maxim is that it serves as a cue for Jaques to launch into his great set piece ‘All the World’s a Stage’ exactly as a casual line can (UPBoardSolutions.com) be cue for a song in a musical comedy. Ingeniously Jaques lines one great common place-the world as a theatre, life as a play with another notion familiar to historians of ideas, the Seven Ages of Man. Man at each stage is anatomised. So we can divide the drama of a man’s life in seven Acts. The come on and go off the stage in his life-time everyman plays different parts.

Question 2.
Name the poet of the poem.
कविता के रचयिता का नाम लिखें।
Answer:
The name of the poet of the poem is William Shakespeare.
कविता के रचिता का नाम William Shakespeare है।

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Question 3.
Find out rhyming words in the poem.
इस कविता में तुकान्त शब्दों को बताइए।
Answer:
men-women,
whining-morning,
face-furnace,
side-wide, all rhymes with each other.

 

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle (वृत्त)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle (वृत्त).

प्रश्नावली 10.1

प्रश्न 1.
खाली स्थान भरिए।
(i) वृत्त का केन्द्र वृत्त के ……………….. में स्थित है (बहिर्भाग/अभ्यन्तर)।
(ii) एक बिन्दु, जिसकी वृत्त के केन्द्र से दूरी त्रिज्या से अधिक हो, वृत्त के ………… में स्थित होता है (बहिर्भाग/अभ्यन्तर)।
(iii) वृत्त की सबसे बड़ी जीवा वृत्त का ……………… होती है।
(iv) एक चाप ………………… होता है, जब इसके सिरे एक व्यास के सिरे हों।
(v) वृत्तखण्ड एक चाप तथा ……………….. के बीच का भाग होता है।
(vi) एक वृत्त, जिस तल पर स्थित है, उसे ………………….. भागों में विभाजित करता है।
हल :
(i) वृत्त का केन्द्र वृत्त के अभ्यन्तर में स्थित होता है।
(ii) एक बिन्दु, जिसकी वृत्त के केन्द्र से दूरी त्रिज्या से अधिक हो, वृत्त के बहिर्भाग में स्थित होता है।
(iii) वृत्त की सबसे बड़ी जीवा वृत्त का व्यास होती है।
(iv) एक चाप अर्धवृत्त होता है, जब इसके सिरे एक व्यास के सिरे हों।
(v) वृत्तखण्ड एक चाप तथा जीवा के बीच का भाग होता है।
(vi) एक वृत्त, जिस तल पर स्थित है, उसे तीन भागों में विभाजित करता है।

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प्रश्न 2.
लिखिए, सत्य या असत्य। अपने उत्तर के कारण दीजिए।
(i) केन्द्र को वृत्त पर किसी बिन्दु से मिलाने वाला रेखाखण्ड वृत्त की त्रिज्या होती है।
(ii) एक वृत्त में समान लम्बाई की परिमित जीवाएँ होती हैं।
(iii) यदि एक वृत्त को तीन बराबर चापों में बाँट दिया जाए, तो प्रत्येक भाग दीर्घ चाप होता है।
(iv) वृत्त की एक जीवा, जिसकी लम्बाई त्रिज्या से दो गुनी हो, वृत्त का व्यास है।
(v) त्रिज्यखण्ड, जीवा एवं संगत चाप के बीच का क्षेत्र होता है।
(vi) वृत्त एक समतल आकृति है।
हल :
(i) केन्द्र को वृत्त पर किसी बिन्दु से मिलाने वाला रेखाखण्ड वृत्त की त्रिज्या होती है’ कथन सत्य है।
(ii) एक वृत्त में समान लम्बाई की परिमित जीवाएँ होती हैं कथन असत्य है क्योंकि किसी वृत्त में समान लम्बाई की अपरिमित जीवाएँ होती हैं।
(iii) यदि एक वृत्त को तीन बराबर चापों में बाँट दिया जाए, तो प्रत्येक भागे दीर्घ चाप होता है’ कथन असत्य है। क्योंकि वृत्त के आधे से कम भाग को अन्तरित करने वाला चाप लघु चाप होता है।
(iv) ‘वृत्त की एक जीवा, जिसकी लम्बाई त्रिज्या से दो गुनी हो, वृत्त का व्यास है।’ कथन सत्य है।
(v) ‘त्रिज्यखण्ड, जीवा एवं संगत चाप के बीच का क्षेत्र होता है।’ कथन असत्य है।
(vi) ‘वृत्त एक समतल आकृति है’ कथन सत्य है।

प्रश्नावली 10.2

प्रश्न 1.
याद कीजिए कि दो वृत्त सर्वांगसम होते हैं, यदि उनकी त्रिज्याएँ बराबर हों। सिद्ध कीजिए कि सर्वांगसम वृत्तों की बराबर जीवाएँ उनके केन्द्रों पर बराबर कोण अन्तरित करती हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-1
हल :
दिया है : केन्द्र O वाला एक वृत्त है जिसकी एक जीवा AB है।
केन्द्र O वाला एक अन्य वृत्त है जिसकी एक जीवा CD है। दोनों वृत्त सर्वांगसम हैं और जीवा AB जीवा CD के बराबर है।
जीवा AB केन्द्र O पर ∠ AOB तथा जीवा CD केन्द्र O’ पर ∠ CO’D अन्तरित करती है।
सिद्ध करना है : ∠AOB = ∠COD
रचना : त्रिज्याएँ OA, OB, O’C व O’D खींचिए।
उपपत्ति: ∆AOB तथा ∆CO’D में,
AB = CD (दिया है।)
OA = O’C (सर्वांगसम वृत्तों की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
OB = O’D (सर्वांगसम वृत्तों की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं)
∆AOB = ∆COD (S.S.S. से)
∠AOB = ∠COD (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्न 2.
सिद्ध कीजिए कि यदि सर्वांगसम वृत्तों की जीवाएँ उनके केन्द्रों पर बराबर कोण अन्तरित करें, तो जीवाएँ बराबर होती हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-2
हल :
दिया है : O तथा O’ केन्द्रों वाले दो सर्वांगसम वृत्त हैं। जिनकी जीवाएँ AB व CD उनके केन्द्रों O तथा O’ पर क्रमशः ∠AOB व ∠CO’D
इस प्रकार अन्तरित करती हैं कि ∠AOB = ∠ CO’D है।
सिद्ध करना है : जीवा AB = जीवा CD
उपपत्ति: ∆AOB और ∆CO’D में,
OA = O’C (सर्वांगसम वृत्तों की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
∠AOB = ∠ COD (दिया है।)
OB = O’D (सर्वांगसम वृत्तों की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
∆AOB = ∆COD (S.A.S. से)
AB = CD (C.P.C.T.)
अतः जीवा AB = जीवा CD
Proved.

प्रश्नावली 10.3

प्रश्न 1.
वृत्तों के कई युग्म (जोड़े) खींचिए। प्रत्येक जोड़े में कितने बिन्दु उभयनिष्ठ हैं? उभयनिष्ठ बिन्दुओं की अधिकतम संख्या क्या है?
हल :
प्रश्न के निर्देश के अनुसार नीचे विभिन्न वृत्तों के युग्म खींचे गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-3
दोनों युग्मों में कोई बिन्दु उभयनिष्ठ नहीं है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-4
दोनों युग्मों में केवल एक बिन्दु उभयनिष्ठ है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-5
प्रत्येक युग्म में दो बिन्दु उभयनिष्ठ हैं। अतः दो वृत्तों के उभयनिष्ठ बिन्दु की अधिकतम संख्या = 2

प्रश्न 2.
मान लीजिए आपको एक वृत्त दिया है। एक रचना इसके केन्द्र को ज्ञात करने के लिए दीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-6
हल :
दिया है : अज्ञात केन्द्र वाला एक वृत्त।। ज्ञात करना है : वृत्त का केन्द्र।
रचना :
(1) वृत्त की परिधि पर तीन बिन्दु A, B व C लिए।
(2) जीवाएँ AB व BC खींचीं।
(3) जीवा AB व जीवा BC दोनों के लम्ब समद्विभाजक खींचे जो परस्पर बिन्दु O पर काटते हैं।
बिन्दु O वृत्त का अभीष्ट केन्द्र है।

प्रश्न 3.
यदि दो वृत्त परस्पर दो बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करें, तो सिद्ध कीजिए कि उनके केन्द्र उभयनिष्ठ जीवा के लम्ब-समद्विभाजक पर स्थित हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-7
हल :
दिया है : O तथा O’ केन्द्र वाले दो वृत्त हैं जो परस्पर दो बिन्दुओं A तथा B पर प्रतिच्छेद करते हैं। AB वृत्तों की उभयनिष्ठ जीवा है और OO’ उनके केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा है। AB और OO’ एक-दूसरे को बिन्दु P पर काटते हैं।
सिद्ध करना है : OO’, AB का लम्ब समद्विभाजक है।
रचना : वृत्तों की त्रिज्याएँ OA, OB, O’A व O’B खींचीं।
उपपत्ति: ∆OAO’ तथा ∆OBO’ में,
OA = OB (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
O’A= O’B (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
OO’ = OO’ (उभयनिष्ठ भुजा है)
Δ ΟΑΟ’ = Δ ΟΒΟ’ (S.S.S. से)
∆AOO’ = ∆BOO’ या
∠AOP = ∠ BOP (C.P.C.T.)
तब ∆AOP और ∆BOP में,
OA = OB (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
∠ AOP = ∠ BOP (ऊपर सिद्ध किया है।)
OP = OP (उभयनिष्ठ भुजा है)
∆AOP = ∆BOP
AP = BP और ∠OPA = ∠OPB
AP = BP;
अत: OO’ बिन्दु P पर AB को समद्विभाजित करता है। :
∠OPA = ∠OPB और APB एक रेखा (उभयनिष्ठ जीवा) है।
∠OPA + ∠OPB = 180°
हल करने पर, ∠OPA = 90° व ∠OPB = 90°
अतः OO” उभयनिष्ठ जीवा AB का लम्ब-समद्विभाजक है।

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प्रश्नावली 10.4

प्रश्न 1.
5 सेमी और 3 सेमी त्रिज्या वाले दो वृत्त दो बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करते हैं तथा उनके केन्द्रों के बीच की दूरी 4 सेमी है। उभयनिष्ठ जीवा की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-8
हुल :
दिया है: O तथा O’ केन्द्रों वाले वृत्तों की त्रिज्याएँ OA तथा O’A क्रमशः 5 सेमी व 3 सेमी हैं।
उनके केन्द्रों के बीच की दूरी OO’ = 4 सेमी है।
ज्ञात करनी है : उभयनिष्ठ जीवा AB की माप। गणना
∆OAO’ की भुजाएँ O’A = 3 सेमी,
OO’ = 4 सेमी व OA = 5 सेमी हैं।
तब, OA² = (25) और O’A² +(OO’)² = (3)² + (4)² = 25
OA² = O’A² + OO’² (पाइथागोरस प्रमेय से)
अतः ∆OAO’ समकोणीय है।
∠ AOO’ = 90°
परन्तु APB उभयनिष्ठ जीवा है जो OO” पर लम्ब होना चाहिए।
अतः P और O’ एक ही बिन्दु है अर्थात्
त्रिज्या AO’ = उभयनिष्ठ जीवा का भाग AP
उभयनिष्ठ जीवा का भाग AP = AO’ = 3 सेमी
केन्द्र रेखा OO’ उभयनिष्ठ जीवा AB की लम्ब-समद्विभाजक होगी।
AB = 2 x AP = 2 x 3 = 6 सेमी
अत: उभयनिष्ठ जीवा की लम्बाई = 6 सेमी।

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प्रश्न 2.
यदि एक वृत्त की दो समान जीवाएँ वृत्त के अन्दर प्रतिच्छेद करें, तो सिद्ध कीजिए कि एक जीवा के खण्ड दूसरी जीवा के संगत खण्डों के बराबर हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-9
हल :
दिया है : O केन्द्र वाले एक वृत्त की AB व CD दो बराबर जीवाएँ हैं जो एक-दूसरे को वृत्त के अन्दर बिन्दु P पर काटती हैं।
सिद्ध करना है : AP = CP तथा BP = DP
रचना : वृत्त के केन्द्र O से जीवा AB पर OM तथा जीवा CD पर ON लम्बे खींचे।। रेखाखण्ड OP खींचा।
उपपत्ति : OM ⊥ AB ⇒ ∠OMP = 90°
और ON ⊥ CD ⇒ ∠ONP = 90°
∆OMP और ∆ONP समकोणीय हैं।
तब, समकोण ∆OMP तथा ∆ONP में,
OM = ON (जीवा AB = जीवा CD)
OP = OP (उभयनिष्ठ जीवा है।)
∠OMP = ∠ONP (प्रत्येक 90°)
∆OMP = ∆ONP (R.H.S. से)
MP = NP (C.P.C.T.) …(1)
OM ⊥ AB
AM = BM
AP + PM = BM
AP = BM – PM
AP = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB – PM (∵ AM = BM = [latex]\frac { AB }{ 2 }[/latex]) …..(2)
और ON ⊥ CD
CN = DN
CP + PN = DN
CP = DN – PN
CP = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] CD – PN (CN = DN = [latex]\frac { CD }{ 2 }[/latex])
CP = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB – PM [CD = AB तथा समीकरण (1) से PN = PM] …(3)
अब समीकरण (2) व (3) से,
AP = CP
AB = CD (दिया है।)
AP + BP = CP + DP (चित्र से) परन्तु
AP = CP (ऊपर सिद्ध किया है।)
घटाने पर BP = DP
अत: AP = CP और BP = DP
अर्थात एक जीवा AB के खण्ड दूसरी जीवा CD के संगत खण्डों के बराबर हैं।
Proved.

प्रश्न 3.
यदि एक वृत्त की दो समान जीवाएँ वृत्त के अन्दर प्रतिच्छेद करें तो सिद्ध कीजिए कि प्रतिच्छेद बिन्दु को केन्द्र से मिलाने वाली रेखा जीवाओं से बराबर कोण बनाती है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-10
हल :
दिया है : केन्द्र O के वृत्त की दो बराबर जीवाएँ AB और CD जो बिन्दु P पर प्रतिच्छेदन करती हैं।
सिद्ध करना है: रेखाखण्ड OP, से जीवाओं AB व CD द्वारा बने ∠BPO = ∠DPO
रचना : केन्द्र O से AB और CD पर क्रमशः OM और ON लम्ब डाले।
उपपत्ति : जीवा AB = जीवा CD
OM = ON
अब ΔOPM और ΔOPN में,
OM = ON (दिया है।)
∠OMP = ∠ONP (प्रत्येक समकोण है।)
OP = OP (उभयनिष्ठ भुजा है।)
ΔOPM = ΔOPN (R.H.S. से)
अतः ∠MPO = NPO यो ∠BPO = ∠DPO (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्न 4.
यदि एक रेखा दो संकेन्द्रीय वृत्तों (एक ही केन्द्र वाले वृत्त) को, जिनका केन्द्र O है, A, B, C और D पर प्रतिच्छेद करे, तो सिद्ध कीजिए AB = CD है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-11

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-12

हल :
दिया है : दो संकेन्द्रीय वृत्तों का केन्द्र 0 है। एक ऋजु रेखा वृत्तों को बिन्दुओं A, B, C और D पर प्रतिच्छेदित करती है।
सिद्ध करना है : AB = CD
रचना : वृत्त के केन्द्र O से हैं पर OM लम्ब डाला।
उपपत्ति : रेखा l बड़े वृत्त को बिन्दुओं A तथा D पर काटती है।
AB वृत्त की जीवा है और OM उस पर केन्द्र से डाला गया लम्ब है।
AM = MD ……..(1)
रेखा l छोटे वृत्त को बिन्दुओं B तथा C पर काटती है।
BC वृत्त की जीवा है और OM उस पर केन्द्र से खींचा गया लम्ब है।
BM = MC ……..(2)
समीकरण (1) में से (2) को घटाने पर,
AM – BM = MD – MC
अतः AB = CD
Proved.

प्रश्न 5.
एक पार्क में बने 5 मीटर त्रिज्या वाले वृत्त पर खड़ी तीन लड़कियाँ रेशमा, सलमा एवं मनदीप खेल रही हैं। रेशमा एक गेंद को सलमा के पास, सलमा मनदीप के पास तथा मनदीप रेशमा के पास फेंकती है। यदि रेशमा तथा सलमा के बीच और सलमा तथा मनदीप के बीच की प्रत्येक दूरी 6 मीटर हो तो रेशमा और मनदीप के बीच की दूरी क्या है?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-13
हल :
दिया है। एक पार्क में 5 मीटर त्रिज्या का एक वृत्त बना है जिसका केन्द्र O है। तीन लड़कियाँ रेशमा, सलमी और मनदीप वृत्त पर क्रमशः A, B व C स्थानों पर खड़ी हैं। रेशमा और सलमा के बीच की दूरी AB = 6 मीटर तथा सलमा और मनदीप के बीच दूरी BC = 6 मीटर है।
ज्ञात करना है : रेशमा और मनदीप के बीच की दूरी = AC
गणना : त्रिज्याएँ OA और OB खींचीं और माना कि OB, AC को बिन्दु P पर काटती है।
ΔOAB में, OA = 5 मीटर (त्रिज्या), OB = 5मीटर (त्रिज्या) तथा AB = 6 मीटर।
माना OA = 5 मीटर = a, OB = 5 मीटर = b और AB = 6 मीटर = c अर्धपरिमाप
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-14

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प्रश्न 6.
20 मीटर त्रिज्या का एक गोल पार्क (वृत्ताकार) एक कॉलोनी में स्थित है। तीन लड़के अंकुर, सैय्यद तथा डेविड इसकी परिसीमा पर बराबर दूरी पर बैठे हैं और प्रत्येक के हाथ में एक खिलौना टेलीफोन आपस में बात करने के लिए है। प्रत्येक फोन की डोरी की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : O केन्द्र वाला एक वृत्त के आकार का पार्क है जिसकी त्रिज्या OA या OB = 20 मीटर है। वृत्त की परिधि पर तीन लड़के एक-दूसरे से बराबर दूरी पर A, B व C स्थानों पर ऐसे बैठे हैं कि
AB = BC = AC
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प्रश्नावली 10.5

प्रश्न 1.
केन्द्र O वाले एक वृत्त पर तीन बिन्दु A, B और C इस प्रकार हैं कि ∠BOC = 30° तथा ∠AOB = 60° है। यदि चाप ABC के अतिरिक्त वृत्त पर D एक बिन्दु है तो ∠ADC ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-17
हल :
दिया है : O केन्द्र वाला एक वृत्त है जिसकी परिधि पर A, B और C तीन बिन्दु इस प्रकार हैं कि ∠AOB = 60° और ∠ BOC = 30° हैं।
चाप ABC के अतिरिक्त वृत्त की परिधि पर एक बिन्दु D है जो चाप ABC के साथ ∠ ADC बनाता है।
ज्ञात करना है: ∠ADC गणना : ∠AOB = 60° और ∠BOC = 30°
जोड़ने पर, ∠AOB + ∠ BOC = 60° + 30°= 90°
∠ AOC = 90°
∠AOC, चाप ABC द्वारा केन्द्र पर बना कोण है।
वृत्त की शेष परिधि पर चाप ABC द्वारा बना कोण ∠ADC, ∠AOC का आधा होगा।
∠ADC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠AOC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x 90° = 45°
∠ADC = 45°

प्रश्न 2.
किसी वृत्त की एक जीवा वृत्त की त्रिज्या के बराबर है। जीवा द्वारा लघु चाप के किसी बिन्दु पर अन्तरित कोण ज्ञात कीजिए तथा दीर्घ चाप के किसी बिन्दु पर भी अन्तरित कोण ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-18
हल:
दिया है। एक वृत्त का केन्द्र 0 है। उसकी एक जीवा AB वृत्त की त्रिज्या OA के बराबर है। वृत्त के लघु चाप ACB पर एक बिन्दु C तथा दीर्घ चाप ADB पर एक बिन्दु D है। चाप ACB द्वारा बिन्दु D पर अन्तरित ∠ADB तथा चाप ADB द्वारा बिन्दु C पर अन्तरित ∠ACB है।
ज्ञात करना है : ∠ACB व ∠ADB
विश्लेषण व गणना :
जीवा AB = वृत्त की त्रिज्या OA या OB
AB = OA = OB
ΔABC समबाहु त्रिभुज है।
∠AOB = 60° जो चाप ACB द्वारा केन्द्र पर अन्तरित कोण है। :
चाप ACB द्वारा वृत्त की शेष परिधि के बिन्दु D पर अन्तरित ∠ADB = ∠AOB
∠ADB = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x ADB
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x 60° = 30°
इसी प्रकार, चाप ADB द्वारा वृत्त के केन्द्र O पर अन्तरित वृहत्कोण AOB = 360° – 60° = 300°
तब चाप ADB द्वारा वृत्त की शेष परिधि के बिन्दु C पर अन्तरित कोण ।
∠ACB = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] वृहत्कोण ∠AOB = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x 30° = 150°
अतः ∠ACB = 150° तथा ∠ADB = 30°

प्रश्न 3.
∠PQR = 100° है, जहाँ P, Q तथा R, केन्द्र O वाले एक वृत्त पर स्थित Q बिन्दु हैं। ∠OPR ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-19
हल :
दिया है : O केन्द्र का एक वृत्त है जिसकी परिधि पर P, Q व R तीन बिन्दु हैं।
ज्ञात करना है : ∠OPR
गणना : दीर्घ चाप PR द्वारा वृत्त के केन्द्र पर बना कोण वृहत्कोण ∠POR है और इस चाप द्वारा शेष परिधि PQR के बिन्दु Q पर बना ∠PQR है।
∠PQR = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x वृहत्कोण ∠POR
100° = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] वृहत्कोण ∠POR
वृहत्कोण ∠ POR = 200°
तब, शेष कोण POR = 360° – 200° = 160°
अब, ΔPOR में,
OR = OP (वृत्त की त्रिज्याएँ)
∠OPR = ∠ORP (समान भुजाओं के सम्मुख कोण)
पुन: ΔPOR में,
∠OPR + ∠ POR + ∠ORP = 180° (त्रिभुज के अन्त:कोणों को योग 180° होता है।)
∠OPR + 160° + ∠OPR = 180° (∠ORP = ∠OPR)
2 ∠OPR = 180° – 160° = 20°
∠OPR = 10°
अतः ∠OPR = 10°

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प्रश्न 4.
∠ABC = 69° और ∠ACB = 31° हो, तो ∠BDC ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-20
हल :
दिया है : दी गई आकृति में ∠ABC = 69° और ∠ACB = 31° है।
ज्ञात करना है : ∠BDC का मान।
गणना : ΔABC में,
∠ BAC + ∠ABC + ∠ ACB = 180° (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
∠ BAC + 69° + 31° = 180°
∠BAC = 180° – (69° + 31°) = 180° – 100°
∠BAC = 80°
∠BAC व ∠BDC एक ही वृत्तखण्ड के कोण हैं और ∠ BAC = 80° है।
∠BAC = ∠ BDC = 80°
अत: ∠BDC = 80°

प्रश्न 5.
एक वृत्त पर A, B, C और D चार बिन्दु हैं। AC और BD एक बिन्दु E पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करते हैं कि ∠ BEC = 130° तथा ∠ECD = 20° है।
∠BAC ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-21
हल :
दिया है : दी गई आकृति में एक वृत्त की परिधि पर A, B, C और D चार बिन्दु BF हैं।
AC और BD बिन्दु E पर प्रतिच्छेद करते हैं।
∠BEC = 130° तथा ∠ECD = 20°
ज्ञात करना है: ∠BAC
रचना : AD को मिलाया।
गणना : ∠ ECD = 20° या ∠ACD = 20°
∠ABD वे ∠ACD एक ही वृत्तखण्ड के कोण हैं।
∠ABD = 20° (∠ACD = 20°)
∠ABE = 20°
ΔABE में ∠BEC बहिष्कोण है।
∠ BAE + ∠ ABE = ∠BEC
∠ BAE + 20° = 130° (दिया है ∠BEC = 130°)
∠BAE = 130° – 20° = 110°
∠ BAC = 110° (∠BAE = ∠BAC)
अत: ∠BAC = 110°

प्रश्न 6.
ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है जिसके विकर्ण एक बिन्दु E पर प्रतिच्छेद करते हैं। यदि ∠DBC = 70° और ∠BAC = 30°हो तो ∠BCDज्ञात कीजिए।
पुनः यदि AB = BC हो तो 2 ECD ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-22
हल :
दिया है: ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है जिसमें विकर्ण AC व BD एक-दूसरे को बिन्दु E पर प्रतिच्छेद करते हैं।
∠DBC = 70° व ∠BAC = 30° और AB = BC है।
ज्ञात करना है : ∠ BCD और ∠ECD
गणना : ∠DAC व ∠DBC एक ही वृत्तखण्ड के कोण हैं।
∠ DAC = ∠DBC के ∠DAC = 70° (∠DBC = 70°)
तब, चतुर्भुज ABCD में,
∠DAB = ∠DAC + ∠BAC = 70° + 30°
∠DAB = 100°
ABCD चक्रीय चतुर्भुज है।
∠DAB + ∠BCD = 180° (सम्मुख कोणों का योग 180° होता है।)
100° + ∠ BCD = 180°
∠ BCD = 180° – 100° = 80°
∠BCD = 80°
अब ΔABC में, AB = BC
∠ACB = ∠BAC (समान भुजाओं के सम्मुख कोण)
∠ACB = 30° (∠ BAC = 30°)
ऊपर हम सिद्ध कर चुके हैं कि
∠BCD = 80°
∠ACD + ∠ACB = 80° (चित्र से)
∠ACD + 30° = 80° (∠ACB = 30°)
∠ACD = 80° – 30° = 50°
∠ECD = 50° (∠ ECD = ∠ACD)
अतः ∠BCD = 80° और ∠ECD = 50°

प्रश्न 7.
यदि एक चक्रीय चतुर्भुज के विकर्ण उसके शीर्षों से जाने वाले वृत्त के व्यास हों, तो सिद्ध कीजिए कि वह एक आयत है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-23
हल :
दिया है: ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है जिसके विकर्ण AC और BD वृत्त के व्यास हैं जो परस्पर बिन्दु O पर काटते हैं।
सिद्ध करना है : ABCD एक आयत है।
उपपत्ति : विकर्ण AC और BD व्यास हैं।
AC = BD
O वृत्त का केन्द्र है।
OA = OC तथा OB = OD
चतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC और BD एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
ABCD समान्तर चतुर्भुज है।
∠B = ∠D
परन्तु ABCD चक्रीय चतुर्भुज भी है जिससे
∠B + ∠D = 180° (सम्मुख कोणों का योग = 180°)
उक्त दोनों तथ्यों से ∠B = 90° तथा ∠D = 90°
इसी प्रकार, ∠A = 90° तथा ∠D = 90°
इस प्रकार चतुर्भुज ABCD एक ऐसा समान्तर चतुर्भुज है जिसके अन्त:कोण समकोण हैं।
अत: ABCD एक आयत है।
Proved.

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प्रश्न 8.
यदि एक समलम्ब की असमान्तर भुजाएँ बराबर हों तो सिद्ध कीजिए कि वह चक्रीय है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-24
हल :
दिया है : समलम्ब चतुर्भुज ABCD में भुजा AD = भुजा BC .
सिद्ध करना है : ABCD चक्रीय चतुर्भुज होगा।
रचना : AD के समान्तर रेखाखण्ड BE खींचा।
उपपत्ति : समान्तर चतुर्भुज ABED में,
∠BAD = ∠BED …..(1)
तथा AD = BE
परन्तु
AD = BC (दिया है।)
BC = BE
तब ΔBEC एक समद्विबाहु त्रिभुज हुआ।
∠BEC = ∠ BCE (समान भुजाओं के सम्मुख कोण) …(2)
∠ BEC + ∠ BED = 180° (ऋजु कोण)
∠ BCE + ∠ BAD = 180° [समीकरण (1) व (2) से ]
∠ BCD +∠ BAD = 180°
इससे स्पष्ट है कि चतुर्भुज ABCD के दो सम्मुख अन्त: कोणों का योग दो समकोण के बराबर है।
अत: चतुर्भुज ABCD चक्रीय चतुर्भुज है।
Proved.

प्रश्न 9.
दो वृत्त दो बिन्दुओं B और C पर प्रतिच्छेद करते हैं। B से जाने वाले दो रेखाखण्ड ABD और PBQवृत्तों को A, D और P, Q पर क्रमशः प्रतिच्छेद करते हुए खींचे गए हैं। सिद्ध कीजिए कि ∠ACP = ∠QCD है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-25
हल :
दिया है : दो वृत्त दी गई आकृति के अनुसार बिन्दुओं B और C पर प्रतिच्छेद करते हैं। दो रेखाखण्ड ABD और PBQ बिन्दु B से जाते हैं। पहला रेखाखण्ड ABD वृत्तों को A व D पर तथा दूसरी PBQ वृत्तों को Pव पर प्रतिच्छेद करता है। C से P और D को मिलाकर ∠ACP और ∠QCD बनाए गए हैं।
सिद्ध करना है :
∠ACP = ∠QCD
उपपत्ति : रेखाखण्ड ABD और PBQ परस्पर बिन्दु B पर काटते हैं।
∠ABP = ∠QBD (शीर्षाभिमुख कोण) …(1)
∠ABP और ∠ACP एक वृत्तखण्ड के कोण हैं।
∠ABP = ∠ACP …(2)
इसी प्रकार, ∠QCD और ∠QBD एक ही वृत्तखण्ड के कोण हैं।
∠QCD = ∠QBD ……(3)
तब समीकरण (1) व (2) से,
∠ACP = ∠QBD …(4)
अब समीकरण (3) व (4) से,
∠ACP = ∠QCD
अतः ∠ACP = ∠QCD
Proved.

प्रश्न 10.
यदि किसी त्रिभुज की दो भुजाओं को व्यास मानकर वृत्त खींचे जाएँ, तो सिद्ध कीजिए कि इन वृत्तों का प्रतिच्छेद बिन्दु तीसरी भुजा पर स्थित है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-26
हल :
दिया है : ABC एक त्रिभुज है जिसकी भुजाओं AB तथा AC को व्यास मानकर दो वृत्त खींचे गए हैं जो परस्पर बिन्दु X पर काटते हैं।
सिद्ध करना है : बिन्दु X, त्रिभुज की तीसरी भुजा BC पर स्थित है।
रचना : रेखाखण्ड AX खींचिए।
उपपत्ति : AB वृत्त का व्यास है तथा बिन्दु X वृत्त की परिधि पर स्थित है,
∠AXB = 90° (अर्द्धवृत्त में बना कोण समकोण होता है।)
पुनः AC वृत्त का व्यास है तथा बिन्दु X वृत्त की परिधि पर स्थित है,
∠AXC = 90° (अर्द्धवृत्त में बना कोण समकोण होता है।)
∠AXB + ∠AXC = 90° + 90° = 180°
अर्थात ∠ BXC = 180° = ऋजुकोण
अत: B, X और C एक ही रेखा में स्थित हैं।
वृत्तों का प्रतिच्छेद बिन्दु तीसरी भुजा पर स्थित है।
Proved.

प्रश्न 11.
उभयनिष्ठ कर्ण AC वाले दो समकोण त्रिभुज ABC और ADC हैं। सिद्ध कीजिए कि ∠ CAD = ∠CBD है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-27
हल :
दिया है : ΔABC और ΔADC दो समकोण त्रिभुज हैं जिनका कर्ण AC उभयनिष्ठ है। रेखाखण्ड BD खींचा गया है।
सिद्ध करना है : ∠CAD = ∠ CBD
रचना : AC को व्यास मानकर वृत्त खींचा। उपपत्ति
ΔABC समकोण त्रिभुज है जिसका कर्ण AC है।
∠B = 90°
पुनः ΔADC समकोण त्रिभुज है जिसका कर्ण AC है।
∠ D = 90°
तब चतुर्भुज ABCD में, ∠B + ∠D = 180°
ABCD चक्रीय चतुर्भुज है। (सम्मुख कोणों का योग 180° है।)
बिन्दु A, B, C और D एक वृत्त पर हैं।
∠CAD और ∠CBD एक ही वृत्तखण्ड के कोण हैं;
अतः बराबर होंगे।
अतः ∠ CAD = ∠CBD

प्रश्न 12.
सिद्ध कीजिए कि चक्रीय समान्तर चतुर्भुज एक आयत होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-28
हल :
दिया है । समान्तर चतुर्भुज ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है।
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक आयत है।
उपपत्ति : ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है, इसके सम्मुख कोणों का योग 180° के बराबर होगा।
∠ A + ∠C = 180°
परन्तु समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
∠A = ∠C
अत: समीकरण (1) से,
∠A = ∠C = 90° इसी प्रकार,
∠B = ∠D = 90°
ABCD का प्रत्येक अन्त:कोण 90° के बराबर है।
अत: ABCD एक आयत है।
Proved.

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प्रश्नावली 10.6 (ऐच्छिक)

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए कि दो प्रतिच्छेद करते हुए वृत्तों के केन्द्रों की रेखा दोनों प्रतिच्छेद बिन्दुओं पर समान कोण अन्तरित करती है।
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हल :
दिया है : O1 तथा O2 केन्द्रों वाले दो वृत्त एक-दूसरे को दो बिन्दुओं A तथा B पर प्रतिच्छेद करते हैं।
केन्द्र रेखा O1O2 प्रतिच्छेद बिन्दु A पर ∠O1AO2 तथा B पर ∠O1BO2 अन्तरित करती है।
सिद्ध करना है : ∠O1AO2 = ∠O1BO2
उपपत्ति: ΔO1AO2 तथा ΔO1BO2 में,
O1A = O1B (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
O2A = O2B (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
O1O2 = O1O2 (दोनों त्रिभुजों की उभयनिष्ठ भुजा है)
ΔO1AO2 = ΔO1BO2 (S.S.S. से)
∠O1AO2 = ∠O1BO2 (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्न 2.
एक वृत्त की 5 सेमी तथा 11 सेमी लम्बी दो जीवाएँ AB और CD समान्तर हैं और केन्द्रकी विपरीत दिशा में स्थित हैं। यदि AB और CD के बीच की दूरी 6 सेमी हो, तो वृत्त की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : O त्रिज्या का एक वृत्त है जिसमें AB तथा CD दो समान्तर जीवाएँ केन्द्र O के विपरीत ओर स्थित हैं जिनकी लम्बाइयाँ क्रमश: 5 सेमी व 11 सेमी हैं। जीवाओं के बीच की (लाम्बिक) दूरी 6 सेमी है अर्थात MON = 6 सेमी जबकि MON ⊥ AB व MON ⊥ CD
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प्रश्न 3.
किसी वृत्त की दो समान्तर जीवाओं की लम्बाइयाँ 6 सेमी और 8 सेमी हैं। यदि छोटी जीवा केन्द्र से 4 सेमी की दूरी पर हो, तो दूसरी जीवा केन्द्र से कितनी दूर है?
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प्रश्न 4.
मान लीजिए कि कोण ABC का शीर्ष एक वृत्त के बाहर स्थित है और कोण की भुजाएँ वृत्त से बराबर जीवाएँ AD और CE काटती हैं। सिद्ध कीजिए कि 2 ABC जीवाओं AC तथा DE द्वारा केन्द्र पर अन्तरित कोणों के अन्तर का आधा है।
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प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि समचतुर्भुज की किसी भी भुजा को व्यास मानकर खींचा गया वृत्त, उसके विकर्णो के प्रतिच्छेद बिन्दु से होकर जाता है।
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हल :
दिया है ABCD एक समचतुर्भुज है जिसमें AC और BD विकर्ण हैं जिनका । प्रतिच्छेद बिन्दु P है।
भुजी BC को व्यास मानकर एक वृत्त खींचा गया है।
सिद्ध करना है: BC को व्यास मानकर खींचा गया वृत्त विकर्मों के प्रतिच्छेद बिन्दु P से होकर जाएगा।
उपपत्ति : ABCD एक समचतुर्भुज है और उसके विकर्ण AC तथा BD परस्पर बिन्दु P पर प्रतिच्छेद करते हैं।
∠CPB = 90°
A CPB एक समकोण त्रिभुज है जिसका कर्ण BC है।
तब समकोण ∆CPB का ∆CPB अर्धवृत्त में स्थित होगा जिसका व्यास BC है।
अत: BC को व्यास मानकर खींचा गया वृत्त बिन्दु P (विकर्मों का प्रतिच्छेद बिन्दु) से होकर जाएगा।
Proved.

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प्रश्न 6.
ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। A, B और C से जाने वाला वृत्त CD(यदि आवश्यक हो तो बढ़ाकर) को E पर प्रतिच्छेद करता है। सिद्ध कीजिए कि AE = AD है।
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हल :
दिया है : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जिसके शीर्षों A, B और C से एक वृत्त खींचा गया है जो भुजा CD को E पर काटता है। सिद्ध करना है :
AE = AD
उपपत्ति : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है, ∠B = ∠D …(1) (समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।)
A, B, C से जाने वाला वृत्त CD को E पर काटता है,
ABCE एक चक्रीय चतुर्भुज है। AED = ∠B …(2)
समीकरण (1) व (2) से,
∠ AED = ∠D (= ∠ADE)
∆ADE में,
∠AED = ∠ADE
∆ADE समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें
AD = AE (समान कोणों की सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं।)
अतः AD = AE
Proved.

प्रश्न 7.
AC और BD एक वृत्त की जीवाएँ हैं जो परस्पर समद्विभाजित करती हैं। सिद्ध कीजिए :
(i) AC और BD व्यास हैं।
(ii) ABCD एक आयत है।
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हल :
दिया है: AC तथा BD एक वृत्त की जीवाएँ हैं जो एक-दूसरे को बिन्दु 0 पर समद्विभाजित करती हैं। सिद्ध करना है :
(i) AC तथा BD वृत्त के व्यास हैं।
(ii) ABCD एक आयत है।
रचना : चतुर्भुज ABCD को पूरा किया।
उपपत्ति : (i) जीवा AC और BD एक-दूसरे को बिन्दु O पर समद्विभाजित करती हैं।
OA = OB = OC = OD
तब, OA, OB, OC और OD एक ऐसे वृत्त की त्रिज्याएँ हैं जिसका केन्द्र O है।
तब, AC = OA + OC = त्रिज्या + त्रिज्या = 2 x त्रिज्या
AC वृत्त का व्यास है।
BD भी O से होकर जाती है, तब BD भी वृत्त का व्यास है।
Proved.
(ii) AC व्यास है, तब ∠B = 90° तथा ∠D = 90° और BD व्यास है,
तब ∠A = 90° तथा ∠C = 90° (अर्द्धवृत्त में बना कोण समकोण होता है।)
तब, ABCD एक ऐसा चतुर्भुज है जिसका प्रत्येक अन्त: कोण 90° है तथा विकर्ण एक-दूसरे को अर्धित करते हैं।
अत: ABCD एक आयत है।
Proved.

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प्रश्न 8.
त्रिभुज ABC के कोणों A, B और C के समद्विभाजक उसके परिवृत्त को क्रमशः बिन्दुओं D, E और F पर प्रतिच्छेदित करते हैं। | सिद्ध कीजिए कि ∆DEF के कोण 90° – [latex]\frac { A }{ 2 }[/latex], 90° – [latex]\frac { B }{ 2 }[/latex] और 90° – [latex]\frac { C }{ 2 }[/latex] हैं।
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UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-40

प्रश्न 9.
दो सर्वांगसम वृत्त परस्पर बिन्दुओं A और B पर प्रतिच्छेद करते हैं। A से होकर कोई रेखाखण्ड PAQइस प्रकार खींचा गया है कि P और २ दोनों वृत्तों पर स्थित हैं। सिद्ध कीजिए कि BP = BQ है।
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हल :
दिया है : दो वृत्तों के केन्द्र O1 व O2 हैं और वे बिन्दुओं A और B पर प्रतिच्छेद करते हैं। A से एक रेखा PAQ खींची गई है जो वृत्तों से बिन्दुओं P और Q पर मिलती है।
सिद्ध करना है : रेखाखण्ड BP = रेखाखण्ड BQ
रचना : जीवा AB तथा त्रिज्याएँ O1A, O1B, O1A तथा O2B खींचीं
उपपत्ति : जीवा AB दोनों वृत्तों में उभयनिष्ठ है और दोनों वृत्त सर्वांगसम हैं।
O1 केन्द्र वाले वृत्त का चाप AB = O2 केन्द्र वाले वृत्त का चाप AB
∠AO1B = ∠AOB (सर्वांगसम वृत्तों के समान चाप केन्द्र पर समान कोण अन्तरित करते हैं।)
∠APB = ∠AQB (परिधि पर अन्तरित कोण)
अब : ΔQBP में,
∠APB = ∠AQB (ऊपर सिद्ध हुआ है।)
∠BPQ = ∠BQP
अत: BQ = BP (सम्मुख कोण बराबर होने पर सम्मुख भुजाएँ भी बराबर होती हैं।)
Proved.

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प्रश्न 10.
किसी त्रिभुज ABC में, यदि ∠A का समद्विभाजक तथा BC का लम्बे समद्विभाजक प्रतिच्छेद करें, तो सिद्धकीजिए कि वे ΔABC के परिवृत्त पर प्रतिच्छेद करेंगे।

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-42
हल :
दिया है : ΔABC के आधार BC का लम्ब समद्विभाजक XY है।
ABDC, ΔABC का परिवृत्त है। लम्ब समद्विभाजक XY परिवृत्त को D पर काटता है। XY, BC को M पर काटता है।।
सिद्ध करना है : ∠A का समद्विभाजक भी बिन्दु D से होकर जाएगा।
रचना : DB तथा DC को मिलाया।
उपपत्ति : XY, BC का लम्ब समद्विभाजक है और यह परिवृत्त को बिन्दु D पर काटता है।
बिन्दु D, परिवृत्त पर भी है और XY पर भी।
ΔBDM और ΔCDM में,
BM = CM (XY, BC का लम्ब समद्विभाजक है।)
∠BMD = ∠CMD (XY ⊥ BC अर्थात प्रत्येक 90°)
MD = MD (उभयनिष्ठ भुजा है।)
ΔBDM = ΔCDM (S.A.S. से)
BD = CD (C.P.C.T.)
बिन्दु D, परिवृत्त पर भी स्थित है।
परिवृत्त में, जीवा BD = जीवा CD
चाप BD= चाप CD (समान चाप किसी वृत्त की समान जीवाएँ काटती हैं।)
चाप BD द्वारा बिन्दु A पर अन्तरित कोण = चाप CD द्वारा बिन्दु A पर अन्तरित कोण
∠BAD = ∠CAD
अत: A का समद्विभाजक AD भी बिन्दु D से होकर जाता है।
Proved.

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