UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi संस्कृत Chapter 2 संस्कृतभाषायाः महत्त्वम्

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Textbook SCERT, UP
Class Class 12
Subject Sahityik Hindi
Chapter Chapter 2
Chapter Name संस्कृतभाषायाः महत्त्वम्
Number of Questions Solved 8
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi संस्कृत Chapter 2 संस्कृतभाषायाः महत्त्वम्

गद्यांशों का सन्दर्भ-सहित हिन्दी अनुवाद

गद्यांश 1.
धन्योऽयं भारतदेशः यत्र समुल्लसति जनमानसपावनी, भव्यभावोद्भाविनी, शब्द-सन्दोह-प्रसविनी सुरभारती। विद्यमानेषु निखिलेष्वपि वाङ्मयेषु अस्याः वाङ्मयं सर्वश्रेष्ठं सुसम्पन्नं च वर्तते। इयमेव भाषा संस्कृतनाम्नापि लोके प्रथिता अस्ति। अस्माकं रामायण-महाभारताचैतिहासिकग्रन्थाः, चत्वारो वेदाः, सर्वाः, उपनिषदः, अष्टादशपुराणानि, अन्यानि च महाकाव्यनाट्यादीनि अस्यामेव भाषायां लिखितानि सन्ति। इयमेव भाषा सर्वासामार्यभाषाणां जननीति मन्यते भाषातत्वविद्भिः। संस्कृतस्य गौरवं बहुविधज्ञानाश्रयत्वं व्यापकत्वं च न कस्यापि दृष्टेरविषयः। संस्कृतस्य गौरवमेव दृष्टिपथमानीय सुम्यगुक्तमाचार्यप्रवरेण दण्डिना -संस्कृतं नाम दैवी वागन्वाख्याता महर्षिभिः। (2017, 13, 10)
सन्दर्भ प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत दिग्दर्शिका’ के ‘संस्कृतभाषायाः महत्त्वम्’ नामक पाठ से उद्धृत हैं।
अनुवाद धन्य हैं यह भारत देश, जहाँ जनमानस को पावन (पवित्र) करने वाली, अच्छे भावों को उत्पन्न करने वाली, शब्द-समूह को जनने वाली देववाणी (संस्कृत) शोभायमान है। विद्यमान समस्त साहित्यों में इसका साहित्य सर्वश्रेष्ठ और सुसम्पन्न है। यही भाषा संसार में संस्कृत नाम से भी प्रसिद्ध है। इसी भाषा में हमारे ‘रामायण’, ‘महाभारत’ आदि ऐतिहासिक ग्रन्थ, चारों वेद, समस्त उपनिषद्, अठारह पुराण तथा अन्य महाकाव्य, नाटक आदि लिखे गए हैं। भाषा वैज्ञानिक इसी भाषा को समस्त आर्य भाषाओं की जननी मानते हैं। संस्कृत का गौरव, इसके विविध प्रकार के ज्ञान को आश्रय प्रदान करना तथा इसकी व्यापकता किसी की दृष्टि से ओझल नहीं है। संस्कृत के गौरव को महत्त्व देते हुए आचार्य श्रेष्ठ दण्डी ने ठीक ही लिखा है-संस्कृत को महर्षियों ने देववाणी कहा है।

गद्यांश 2
संस्कृतस्य साहित्यं सुरसं, व्याकरणञ्च सुनिश्चितम्। तस्य गद्ये पद्ये च। लालित्यं, भावबोधसामर्थ्यम्, अद्वितीयं श्रुतिमाधुर्यञ्च वर्तते। किं बहुना चरित्रनिर्माणार्थ यादृशीं सत्प्रेरणां संस्कृतवाङ्मयं ददाति ने तादृशीं किञ्चिदन्यत्। मूलभूतानां मानवीयगुणानां यादृशी विवेचना संस्कृतसाहित्ये वर्तते नान्यत्र तादृशी। दया, दानं, शौचम्, औदार्यम्, अनसूया, क्षमा, अन्ये चानेके गुणाः अस्य साहित्यस्य अनुशीलमेन सजायन्ते।’ (2018, 16, 14, 12, 11, 10)
सन्दर्म पूर्ववत्।
अनुवाद संस्कृत साहित्य रसपूर्ण तथा सुनिश्चित व्याकरण वाला है। उसके गद्य एवं पद्य में लालित्य, भाव अभिव्यक्ति की शक्ति और अद्वितीय श्रुति-माधुर्य का गुण विद्यमान है।
अधिक क्या कहा जाए!

संस्कृत साहित्य चरित्र निर्माण के लिए जिस प्रकार की अच्छी प्रेरणा प्रदान करता है, वैसी कोई और नहीं करता। संस्कृत साहित्य में मूलभूत मानवीय गुणों की जैसी विवेचना है, वैसी अन्यत्र नहीं है। इस साहित्य के अध्ययन से दया, दान, पवित्रता, उदारता, ईष्र्या न करना, क्षमा तथा अन्य अनेक गुण उत्पन्न होते हैं।

गद्यांश 3
संस्कृतसाहित्यस्य आदिकवि: वाल्मीकिः, महर्षव्या॑सः, कविकुलगुरुः कालिदासः अन्ये च भास-भारवि-भवभूत्यादयो महाकवयः स्वकीयैः ग्रन्थरत्नैः अद्यापि पाठकानां हदि विराजते। इयं भाषा अस्माभिः मातृसमं सम्माननीया वन्दनीया च, यतो भारतमातुः स्वातन्त्र्यं, गौरवम्, अखण्डत्वं सांस्कृतिकमेकत्वञ्च संस्कृतेनैव सुरक्षितं शक्यन्ते। इयं संस्कृतभाषा सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा श्रेष्ठा चास्ति। ततः सुष्टूक्तम् ‘भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती’ इति।। (2018, 16, 14, 12, 10)
सन्दर्भ पूर्ववत्।
अनुवाद आज भी संस्कृत साहित्य के आदिकवि वाल्मीकि, महर्षि व्यास, कविकुलगुरु कालिदास तथा भास, भारवि, भवभूति आदि अन्य महावि अपने ग्रन्ध-रत्नों के कारण पाठकों के हृदय में विराज रहे हैं।

हमारे लिए यह भाषा माता के सदृश सम्माननीय तथा वन्दनीय है, क्योंकि संस्कृत के द्वारा ही भारतमाता की स्वतन्त्रता, प्रतिष्ठा, अखण्डता तथा सांस्कृतिक एकता सुरक्षित रह सकती है।

यह संस्कृत भाषा समस्त भाषाओं में सबसे प्राचीन एवं श्रेष्ठ है। अतः ठीक ही कहा गया है-“देव भाषा (संस्कृत) सभी भाषाओं में प्रधान, मधुर एवं दिव्य है।”

प्रश्न – उत्तर

प्रश्न-पत्र में संस्कृत दिग्दर्शिका के पाठों (गद्य व पद्य) मे से चार अतिलघु उत्तरीय प्रश्न दिए जाएँगे, जिनमें से किन्हीं दो के उत्तर संस्कृत में लिखने होंगे, प्रत्येक प्रश्न के लिए 4 अंक निर्धारित हैं।

प्रश्न 1.
सर्वासाम् आर्यभाषाणां जननी का भाषा अस्ति?
उत्त:
सर्वासाम् आर्यभाषाणां जननी संस्कृतभाषा अस्ति।

प्रश्न 2.
संस्कृत साहित्यस्य का विशेषता अस्ति? (2014, 13)
उत्तर:
‘संस्कृत साहित्यम् सरसं मधुरं च अस्ति’ इति संस्कृत साहित्यस्य विशेषता।

प्रश्न 3.
संस्कृत साहित्यस्य आदिकविः कः आसीत्? (2018, 14, 13, 12, 11, 10)
अथवा
संस्कृतस्य आदिकविः कः अस्ति? (2018, 16, 12, 11, 10)
उत्तर:
संस्कृत साहित्यस्य आदिकवि: वाल्मीकिः आसीत्।

प्रश्न 4.
संस्कृतभाषायाः मुख्याः कवयः के सन्ति? (2010)
उत्तर:
वाल्मीकिः, वेदव्यासः, कालिदासः, भास, भारवि च भवभूति संस्कृतस्य प्रमुखाः कवयः सन्ति।

प्रश्न 5.
व्यासः किं रचितवान? (2012, 10)
उत्तर:
व्यास: महाभारत रचितवान्।

प्रश्न 6.
का भाषा सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा श्रेष्ठा चास्ति? (2012)
उत्तर:
सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा श्रेष्ठा च भाषा संस्कृतभाषा चास्ति।

प्रश्न 7.
का भाषा देवभाषा इतिज्ञाता? (2017)
उत्तर:
संस्कृत-भाषा देवभाषा इति नाम्ना ज्ञाता।

प्रश्न 8.
का भाषा अस्माभिः मातृसमं माननीया? (2018)
उत्तर:
संस्कृत भाषा अस्माभिः मातृसमं माननीया।

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UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi रस

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 1
Chapter Name रस
Number of Questions 8
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi रस

प्रश्न 1
रस क्या है ? उसके अंगों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
श्रव्य काव्य पढ़ने या दृश्य काव्य देखने से पाठक, श्रोता या दर्शक को जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, उसे ‘रस’ कहते हैं। विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी (या संचारी) भावों के संयोग से रस की निष्पत्ति (अभिव्यक्ति) होती है। मनुष्य के हृदय में रति, शोक आदि कुछ भाव हर समय सुप्तावस्था में रहते हैं, जिन्हें स्थायी भाव कहते हैं। ये स्थायी भाव अनुकूल परिस्थिति या दृश्य उपस्थित होने पर जाग्रत हो जाते हैं। सफल कवि द्वारा वर्णित वृत्तान्त को पढ़ या सुनकर काव्य के पाठक या श्रोता को एक ऐसे अलौकिक आनन्द का अनुभव होता है कि वह स्वयं को भूलकर आनन्दमय हो जाता है। यही आनन्द ‘काव्यशास्त्र’ में रस कहलाता है।

रस के अंग

रस के प्रमुख चार अवयव (अंग) हैं–

  1. स्थायी भाव,
  2. विभाव,
  3. अनुभाव तथा
  4. संचारी भाव। इन अंगों का परिचय निम्नलिखित है-

(1) स्थायी भाव
रति (प्रेम), जुगुप्सा (घृणा), अमर्ष (क्रोध) आदि भाव मनुष्य के मन में स्वाभाविक रूप से सदा विद्यमान रहते हैं, इन्हें स्थायी भाव कहते हैं। ये नौ हैं और इसी कारण इनसे सम्बन्धित रस भी नौ ही हैं-
UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi रस img 1

रति नामक स्थायी भाव के प्राचीन ग्रन्थों में तीन भेद किये गये हैं–(i) कान्ताविषयक रति (नर-नारी का पारस्परिक प्रेम), (ii) सन्ततिविषयक रति और (iii) देवताविषयक रति। अपत्य (सन्तान) विषयक रति की रस-रूप में परिणति करके सूर ने दिखा दी; अतः अब वात्सल्य रस को एक स्वतन्त्र रस की मान्यता प्राप्त हो गयी है। इसी प्रकार गोस्वामी तुलसीदास जी के काव्य-कौशल के फलस्वरूप देवताविषयक रति की भक्ति रस में परिणति होने से भक्ति रस भी एक स्वतन्त्र रस माना जाने लगा है; अतः अब रसों की संख्या ग्यारह हो गयी है–उपर्युक्त नौ तथा
(10) वात्सल्य रस-वत्सलता (स्थायी भाव) तथा
(11) भक्ति रस-देवताविषयक रति (स्थायी भाव)।

(2) विभाव।
स्थायी भाव सामान्यतः सुषुप्तावस्था में रहते हैं, इन्हें जाग्रत एवं उद्दीप्त करने वाले कारणों को विभाव कहते हैं। विभाव निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं
(1) आलम्बन विभाव-जो स्थायी भाव को उद्बुद्ध (जाग्रत) करे वह आलम्बन विभाव कहलाता है। इसके निम्नलिखित दो अंग होते हैं

  • आश्रय-जिस व्यक्ति के हृदय में स्थायी भाव जाग्रत होता है, उसे आश्रय कहते हैं।
  • विषय-जिस वस्तु या व्यक्ति के कारण आश्रय के हृदय में रति आदि स्थायी भाव जाग्रत होते हैं, उसे विषय कहते हैं।

(2) उद्दीपन विभाव-जो जाग्रत हुए स्थायी भाव को उद्दीप्त करे अर्थात् अधिक प्रबल बनाये, वह उद्दीपन विभाव कहलाता है।
उदाहरणार्थ, श्रृंगार रस में प्राय: नायक-नायिका एक-दूसरे के लिए आलम्बन हैं और वन, उपवन, चाँदनी, पुष्प आदि प्राकृतिक दृश्य या आलम्बन के हाव-भाव उद्दीपन विभाव हैं। भिन्न-भिन्न रसों में आलम्बन और उद्दीपन भी बदलते रहते हैं; जैसे-युद्धयात्रा पर जाते हुए वीर के लिए उसका शत्रु ही आलम्बन है; क्योंकि उसके कारण ही वीर के मन में उत्साह नामक स्थायी भाव जगता है और उसके आस-पास बजते बाजे, वीरों की हुंकार आदि उद्दीपने हैं; क्योंकि इनसे उसका उत्साह और बढ़ता है।

(3) अनुभाव

आलम्बन तथा उद्दीपन के द्वारा आश्रय के हृदय में स्थायी भाव के जाग्रत तथा उद्दीप्त होने पर आश्रय में जो चेष्टाएँ होती हैं, उन्हें अनुभाव कहते हैं। अनुभाव दो प्रकार के होते हैं-(i) सात्त्विक और (ii) कायिक।

  • सात्त्विक अनुभाव-जो शारीरिक विकार बिना आश्रय के प्रयास के स्वत: ही उत्पन्न होते हैं, वे सात्त्विक अनुभाव कहलाते हैं। ये आठ होते हैं—(1) स्तम्भ, (2) स्वेद, (3) रोमांच, (4) स्वरभंग, (5) कम्प, (6) वैवर्य, (7) अश्रु एवं (8) प्रलय (सुध-बुध खोना)।
  • कायिक अनुभाव-इनका सम्बन्ध शरीर से होता है। जो चेष्टाएँ आश्रय अपनी इच्छानुसार जान-बूझकर प्रयत्नपूर्वक करता है, उन्हें कायिक अनुभाव कहते हैं; जैसे-क्रोध में कठोर शब्द कहना, उत्साह में पैर पटकना, कूदना आदि।

(4) संचारी (या व्यभिचारी) भाव
जो भाव स्थायी भावों से उद्बुद्ध (जाग्रत) होने पर इन्हें पुष्ट करने में सहायता पहुँचाने तथा इनके अनुकूल कार्य करने के लिए उत्पन्न होते हैं, उन्हें संचारी (या व्यभिचारी) भाव कहते हैं; क्योंकि ये अपना काम करके तुरन्त स्थायी भावों में ही विलीन हो जाते हैं (संचरण करते रहने के कारण इन्हें संचारी और स्थिर न रहने के कारण व्यभिचारी कहते हैं)।
प्रमुख संचारी भावों की संख्या तैंतीस मानी गयी है-
UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi रस img 2
(संचारी भावों की संख्या असंख्य भी हो सकती है। ये स्थायी भावों को गति प्रदान करते हैं तथा उसे । व्यापक रूप देते हैं। स्थायी भावों को पुष्ट करके ये स्वयं समाप्त हो जाते हैं।

प्रश्न 2
रस कितने होते हैं ? किसी एक रस का लक्षण उदाहरणसहित लिखिए।
उत्तर
शास्त्रीय रूप से रस निम्नलिखित नौ प्रकार के होते हैं
(1) श्रृंगार (संयोग व विप्रलम्भ) रस, (2) हास्य रस, (3) करुण रस, (4) वीर रस, (5) रौद्र रस, (6) भयानक रस, (7) वीभत्स रस, (8) अद्भुत रस तथा (9) शान्त रस। कुछ विद्वान् ‘वात्सल्य रस’ और ‘भक्ति रस’ को भी उपरि-निर्दिष्ट नव रसों की श्रृंखला में ही मानते हैं।
[विशेष—माध्यमिक शिक्षा परिषद्, उ० प्र० द्वारा निर्धारित नवीनतम पाठ्यक्रम में आगे दिये जा रहे पाँच रस ही निर्धारित हैं।

(1) श्रृंगार रस [2009, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]

(क) परिभाषा-जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों के संयोग से ‘रति’ नामक स्थायी भाव रस रूप में परिणत होता है तो उसे शृंगार रस कहते हैं।

(ख) अवयव

स्थायी भाव--रति।
आलम्बन (विभाव)-नायक या नायिका।
उद्दीपन ( विभाव)—सुन्दर प्राकृतिक दृश्य तथा नायक-नायिका की वेशभूषा, विविध आंगिक चेष्टाएँ (हाव-भाव) आदि।
संचारी ( भाव)--पूर्वोक्त तैतीस में से अधिकांश।
अनुभाव-आश्रय की प्रेमपूर्ण वार्ता, अवलोकन, स्पर्श, आलिंगन, चुम्बन, कटाक्ष, अश्रु, वैवयं आदि।

(ग) श्रृंगार रस के भेद-
श्रृंगार के दो भेद हैं–संयोग और विप्रलम्भ (वियोग)। संयोग श्रृंगार। [2013, 15, 16, 18]
संयोगकाल में नायक और नायिका की पारस्परिक रति को संयोग श्रृंगार कहते हैं। संयोग से आशय हे-सुख को प्राप्त करना।
उदाहरण 1-

राम कौ रूप निहारति जानकी, कंगन के नग की परछाहीं ।
यातें सबे सुधि भूलि गयी, कर टेकि रहीं पल टारति नाहीं ॥ ( तुलसीदास)

स्पष्टीकरण-यहाँ सीताजी अपने कंगन के नग में पड़ रहे राम के प्रतिबिम्ब को निहारते हुए अपनी सुध-बुध भूल गयीं और हाथ को टेके हुए जड़वत् हो गयीं। इसमें जानकी आश्रय और राम आलम्बन हैं। राम का नग में पड़ने वाला प्रतिबिम्ब उद्दीपन है। रूप को निहारना, हाथ टेकना अनुभाव और हर्ष तथा जड़ता संचारी भाव हैं।

इस प्रकार विभाव, संचारी भाव और अनुभावों से पुष्ट रति नामक स्थायी भाव संयोग श्रृंगार की अवस्था को प्राप्त हुआ है।
उदाहरण 2-

कौन हो तुम वसन्त के दूत
विरस पतझड़ में अति सुकुमार ;
घन तिमिर में चपला की रेख
तपन में शीतल मन्द बयार ।( काव्यांजलि : श्रद्धा-मनु)

स्पष्टीकरण-इस प्रकरण में रति स्थायी भाव है। आलम्बन विभाव है-श्रद्धा (विषय) और मनु (आश्रय)। उद्दीपन विभाव है-एकान्त प्रदेश, श्रद्धा की कमनीयता, शीतल-मन्द पवन। हृदय में शान्ति का मिलना अनुभाव है। आश्रय मनु के हर्ष, उत्सुकता आदि भाव संचारी भाव हैं। इस प्रकार अनुभावविभावादि से पुष्ट रति नामक स्थायी भाव संयोग श्रृंगार रस की दशा को प्राप्त हुआ है। वियोग श्रृंगार [2010, 14, 15, 16, 17]

प्रेम में अनुरक्त नायक और नायिका के परस्पर मिलन का अभाव वियोग श्रृंगार कहलाता है।
उदाहरण 1-

हे खग-मृग, हे मधुकर त्रेनी,
तुम देखी सीता मृग नैनी ? (तुलसीदास)

स्पष्टीकरण-यहाँ श्रीराम आश्रय हैं और सीताजी आलम्बन, सूनी कुटिया और वन का सूनापन उद्दीपन हैं। सीताजी की स्मृति, आवेग, विषाद, शंका, दैन्य, मोह आदि संचारी भाव हैं। इस प्रकार विभाव-अनुभाव-संचारीभाव के संयोग से रति नामक स्थायी भाव पुष्ट होकर विप्रलम्भ श्रृंगार की रसावस्था को प्राप्त हुआ है।
उदाहरण 2-

मेरे प्यारे नव जलद से कंज से नेत्र वाले
जाके आये न मधुबन से औ न भेजा सँदेशा।
मैं रो-रो के प्रिय-विरह से बावली हो रही हूँ ।
जा के मेरी सब दुःख-कथा श्याम को तू सुना दे ॥ (काव्यांजलि : पवन-दूतिका)

स्पष्टीकरण-इस छन्द में विरहिणी राधा की विरह-दशा का वर्णन किया गया है। ‘रति’ स्थायी भाव है। आलम्बन विभाव हैं-राधा (आश्रय) और श्रीकृष्ण (विषय)। उद्दीपन विभाव हैं-मेघ जैसी शोभा और कमल जैसे नेत्रों का स्मरण। श्रीकृष्ण के विरह में रुदन अनुभाव है। स्मृति, आवेग, उन्माद आदि संचारियों से पुष्ट श्रीकृष्ण से मिलन के अभाव में यहाँ वियोग श्रृंगार रस का परिपाक हुआ है।

(2) करुण रस [2009, 10,11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]

(क) परिभाषा-किसी प्रिय वस्तु या वस्तु के विनाश से या अनिष्ट की प्राप्ति से करुण रस की निष्पत्ति होती है।

(ख) अवयव-

स्थायी भाव-शोक।
आलम्बन (विभाव)–विनष्ट वस्तु या व्यक्ति।
उद्दीपन (विभाव)–इष्ट के गुण तथा उनसे सम्बन्धित वस्तुएँ।।
अनुभाव–रुदन, प्रलाप, मूच्र्छा, छाती पीटना, नि:श्वास, उन्माद आदि।
संचारी भाव-स्मृति, मोह, विषाद , जड़ता, ग्लानि, निर्वेद आदि।
उदाहरण 1-

जो भूरि भाग्य भरी विदित थी निरुपमेय सुहागिनी।
हे हृदयवल्लभ ! हूँ वही अब मैं महा हतभागिनी ॥
जो साथिनी होकर तुम्हारी थी अतीव सनाथिनी।
है अब उसी मुझ-सी जगत् में और कौन अनाथिनी ॥ ( जयद्रथ-वध)

स्पष्टीकरण-अभिमन्यु की मृत्यु पर उत्तरा के इस विलाप में उत्तरा-आश्रय और अभिमन्यु की मृत्यु-आलम्बन है, पति के वीरत्व आदि गुणों का स्मरण-उद्दीपन है। अपने विगत सौभाग्य की स्मृति एवं दैन्य-संचारी भाव तथा (उत्तरा का) क्रन्दन–अनुभाव है। इनसे पुष्ट हुआ शोक नामक स्थायी भाव करुण-रसावस्था को प्राप्त हुआ है।
उदाहरण 2-

क्यों छलक रहा दुःख मेरा
ऊषा की मृदु पलकों में
हाँ! उलझ रहा सुख मेरा
सन्ध्या की घन अलकों में । (काव्यांजलि : आँसू )

स्पष्टीकरण-प्रस्तुत पद में कवि के अपनी प्रेयसी के विरह में रुदन का वर्णन किया गया है। इसमें कवि के हृदय का ‘शोक’ स्थायी भाव है। आलम्बन विभाव हैं-प्रेमी, यहाँ पर कवि (आश्रय) तथा प्रियतमा (विषय)। उद्दीपन विभाव हैं-अन्धकाररूपी केश-पाश तथा सन्ध्या। कवि के हृदय से नि:सृत उद्गार अनुभाव हैं। अश्रुरूपी प्रात:कालीन ओस की बूंदें संचारी भाव हैं। इन सबसे पुष्ट शोक नामक स्थायी भाव करुण रस की दशा को प्राप्त हुआ है।
वियोग श्रृंगार तथा करुण रस में अन्तर–वियोग श्रृंगार तथा करुण रस में मुख्य अन्तर प्रियजन के वियोग का होता है। वियोग श्रृंगार में बिछुड़े हुए प्रियजन से पुनः मिलन की आशा बनी रहती है; परन्तु करुण रस में इस प्रकार के मिलन की कोई सम्भावना नहीं होती।

(3) हास्य रस [2009, 10, 11, 12, 14, 15, 16, 17, 18]

(क) परिभाषा–जब किसी वस्तु या व्यक्ति के विकृत आकार, वेशभूषा, वाणी, चेष्टा आदि से व्यक्ति को बरबस हँसी आ जाए तो वहाँ हास्य रस है।।

(ख) अवयव

स्थायी भाव–हास।
आलम्बन (विभाव)—विचित्र-विकृत चेष्टाएँ, आकार, वेशभूषा।
उद्दीपन (विभाव)-आलम्बन की अनोखी बातचीत, आकृति।
अनुभाव-आश्रय की मुस्कान, अट्टहास।।
संचारी भाव-हर्ष, चपलता, उत्सुकता आदि।
उदाहरण 1-

नाना वाहन नाना वेषा। बिहँसे सिव समाज निज देखा ॥
कोउ मुख-हीन बिपुल मुख काहू। बिनु पद-कर कोउ बहु पद-बाहू॥ (तुलसीदास)

स्पष्टीकरण-इस उदाहरण में स्थायी भाव हास के आलम्बन–शिव समाज, आश्रय-शिव, उद्दीपन-विचित्र वेशभूषा, अनुभाव—शिवजी का हँसना तथा संचारी भाव-रोमांच, हर्ष, चापल्य आदि। इनसे पुष्ट हुआ हास नामक स्थायी भाव हास्य-रसावस्था को प्राप्त हुआ है।
उदाहरण 2-

बिंध्य के वासी उदासी तपोब्रतधारी महा बिनु नारि दुखारे।
गौतमतीय तरी तुलसी, सो कथा सुनि भे मुनिबृन्द सुखारे॥
खैहैं सिला सब चंद्रमुखी परसे पदमंजुल-कंज तिहारे ।
कीन्हीं भली रघुनायकजू करुना करि कानन को पगु धारे॥ (हिन्दी : वन पथ पर)

[विशेष—पाठ्यक्रम में संकलित अंश में हास्य रस का उदाहरण दृष्टिगत नहीं होता। अत: 10वीं की पाठ्य-पुस्तक से उदाहरण दिया जा रहा है।]
स्पष्टीकरण—इस छन्द में विन्ध्याचल के तपस्वियों की मनोदशा का वर्णन किया गया है। यहाँ ‘हास’ स्थायी भाव है। आलम्बन विभाव हैं–विन्ध्य के उदास तपस्वी (आश्रय) और राम (विषय)। उद्दीपन विभाव हैं—गौतम की स्त्री का उद्धार। मुनियों का कथा आदि सुनना अनुभाव हैं। हर्ष, उत्सुकता आदि संचारी भावों से पुष्ट प्रस्तुत छन्द में हास्य रस का सुन्दर परिपाक हुआ है।

(4) वीर रस [2009, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]

(क) परिभाषा-शत्रु की उन्नति, दीनों पर अत्याचार या धर्म की दुर्गति को मिटाने जैसे किसी विकट या दुष्कर कार्य को करने का जो उत्साह मन में उमड़ता है, वही वीर रस का स्थायी भाव है, जिसकी पुष्टि होने पर वीर रस की सिद्धि होती है।

(ख) अवयव

स्थायी भाव-उत्साह।
आलम्बन (विभाव)—अत्याचारी शत्रु।।
उद्दीपन (विभाव)-शत्रु का अहंकार, रणवाद्य, यश की इच्छा आदि।
अनुभाव-गर्वपूर्ण उक्ति, प्रहार करना, रोमांच आदि।
संचारी भाव-आवेग, उग्रता, गर्व, औत्सुक्य, चपलता आदि।
उदाहरण 1-

मैं सत्य कहता हूँ सखे, सुकुमार मत जानो मुझे।
यमराज से भी युद्ध में, प्रस्तुत सदा मानो मुझे ॥
है और की तो बात क्या, गर्व मैं करता नहीं ।
मामा तथा निज तात से भी, युद्ध में डरता नहीं ॥( मैथिलीशरण गुप्त)

स्पष्टीकरण-अभिमन्यु का यह कथन अपने सारथी के प्रति है। इसमें कौरव-आलम्बन, अभिमन्यु-आश्रय, चक्रव्यूह की रचना–उद्दीपन तथा अभिमन्यु के वाक्य–अनुभाव हैं। गर्व, औत्सुक्य, हर्ष आदि संचारी भाव हैं। इन सभी के संयोग से वीर रस की निष्पत्ति हुई है।
उदाहरण 2-

साजि चतुरंग सैन अंग, में उमंग धारि,
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है। भूषन भनत नाद बिहद नगारन के,
नदी नद मर्द गैबरने के रलत है ॥ ( काव्यांजलि : शिवा-शौर्य)

स्पष्टीकरण-प्रस्तुत पद में शिवाजी की चतुरंगिणी सेना के प्रयाण का चित्रण है। इसमें ‘शिवाजी के हृदय का उत्साह’ स्थायी भाव है। ‘युद्ध को जीतने की इच्छा’ आलम्बन है। ‘नगाड़ों का बजना’ उद्दीपन है। ‘हाथियों के मद का बहना’ अनुभाव है तथा उग्रता’ संचारी भाव है। इन सबसे पुष्ट उत्साह’ नामक स्थायी भाव वीर रस की दशा को प्राप्त हुआ है।

(5) शान्त रस [2009, 10, 11, 13, 14, 15, 16, 17, 18]

(क) परिभाषा–संसार की क्षणभंगुरता एवं सांसारिक विषय- भोगों की असारता तथा परमात्मा के ज्ञान से उत्पन्न निर्वेद (वैराग्य) ही पुष्ट होकर शान्त रस में परिणत होता है।

(ख) अवयव

स्थायी भाव-निर्वेद (उदासीनता)।
आलम्बन (विभाव)-संसार की क्षणभंगुरता, परमात्मा का चिन्तन आदि।
उद्दीपन (विभाव)-सत्संग, शास्त्रों का अनुशीलन, तीर्थ यात्रा आदि।
अनुभाव-अश्रुपात, पुलक, संसारभीरुता, रोमांच आदि।
संचारी भाव-हर्ष, स्मृति, धृति, निर्वेद, विबोध, उद्वेग आदि।
उदाहरण 1-

मन पछितैहै अवसर बीते ।
दुर्लभ देह पाई हरिपद भजु, करम वचन अरु होते ॥
अब नाथहिं अनुराग, जागु जड़-त्यागु दुरासा जीते ॥
बुझे न काम अगिनी तुलसी कहुँ बिषय भोग बहु घी ते ॥

स्पष्टीकरण–यहाँ तुलसी (या पाठक)-आश्रय हैं; संसार की असारता–आलम्बन; अपना मनुष्य जन्म व्यर्थ होने की चिन्ता–उद्दीपन; मति-धृति आदि संचारी एवं वैराग्यपरक वचन–अनुभाव हैं। इनसे मिलकर शान्त रस की निष्पत्ति हुई है।
उदाहरण 2 –

अब लौं नसानी अब न नसैहौं ।
रामकृपा भवनिसा सिरानी, जागे फिर न डसैहौं ।
पायो नाम चारु चिंतामनि, उर कर तें न खसैहौं ।
स्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी, चित कंचनहिं कसैहौं ।
परबस जानि हँस्यों इन इंद्रिन, निज बस वै न हसैहौं ।
मन-मधुकर पन करि तुलसी, रघुपति पद-कमल बसैहौं । (काव्यांजलि: विनयपत्रिका)

स्पष्टीकरण-प्रस्तुत पद में तुलसीदास जी की जगत् के प्रति विरक्ति और श्रीराम के प्रति अनुराग मुखर हुआ है। इस पद में संसार से पूर्ण विरक्ति अर्थात् ‘निर्वेद’ नामक स्थायी भाव है। आलम्बन विभाव हैं-तुलसीदास (आश्रय) तथा श्रीराम की भक्ति (विषय)। उद्दीपन विभाव हैं—श्रीराम की कृपा, सांसारिक असारता तथा इन्द्रियों द्वारा उपहास। स्वतन्त्र होना, राम के चरणों में रत होना, सांसारिक विषयों में पुनः निर्लिप्त न होना आदि से सम्बद्ध कथन अनुभाव हैं। निर्वेद, हर्ष, स्मृति आदि संचारी भाव हैं। इन सबसे पुष्ट ‘निर्वेद’ नामक स्थायी भाव शान्त रस की अवस्था को प्राप्त हुआ है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1 निम्नलिखित पद्यांशों में कौन-से रस हैं ? प्रत्येक का स्थायी भाव भी बताइए
प्रश्न  (क)
साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग धारि,
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत हैं ।
उत्तर
इसमें वीर रस है, जिसका स्थायी भाव उत्साह है।

प्रश्न  (ख)
कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात ।।
भरे भौन मैं करत हैं, नैननु हीं सौं बात ।।
उत्तर
इसमें संयोग श्रृंगार रस है, जिसका स्थायी भाव रति है।

प्रश्न  (ग)
कौन हो तुम वसंत के दूत
विरस पतझड़ में अति सुकुमार;
घन तिमिर में चपला की रेख
तपन में शीतल मन्द बयार ?
उत्तर
इसमें संयोग श्रृंगार रस है, जिसका स्थायी भाव रति है।

प्रश्न  (घ)
आये होंगे यदि भरत कुमति-वश वन में,
तो मैंने यह संकल्प किया है मन में-
उनको इस शर का लक्ष चुनँगा क्षण में,
प्रतिषेध आपका भी न सुनँगा रण में ।
उत्तर
इसमें वीर रस है, जिसका स्थायी भाव उत्साह है।

प्रश्न  (ङ)
सुख भोग खोजने आते सब, आये तुम करने सत्य खोज,
जग की मिट्टी के पुतले जन, तुम आत्मा के, मन के मनोज
जड़ता, हिंसा, स्पर्धा में भर, चेतना, अहिंसा, नम्र ओज ।
पशुता का पंकज बना दिया, तुमने मानवता का सरोज ।।
उत्तर
इसमें शान्त रस है, जिसका स्थायी भाव निर्वेद है।

प्रश्न 2
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
(क) अपनी पाठ्य-पुस्तक से करुण रस की दो पंक्तियाँ लिखिए। यह भी स्पष्ट कीजिए कि आप इसे करुण रस की रचना क्यों मानते हैं ?
(ख) हास्य रस की निष्पत्ति कब होती है ? अपनी पाठ्य-पुस्तक से उदाहरण देकर समझाइए।
(ग) अपनी पाठ्य-पुस्तक से वीर रस को बतलाने के लिए किसी पद की दो पंक्तियाँ लिखिए और स्पष्ट कीजिए कि उसे वीर रस की रचना क्यों मानते हैं ?
(घ) अपनी पाठ्य-पुस्तक से करुण रस का लक्षण लिखिए और उसका उदाहरण दीजिए।
(ङ) अपनी पाठ्य-पुस्तक से शान्त रस की दो पंक्तियाँ लिखिए और यह भी स्पष्ट कीजिए कि आप इसे शान्त रस की रचना क्यों मानते हैं ?
(च) वीर रस को लक्षण लिखिए और अपनी पाठ्य-पुस्तक के आधार पर उसका उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
(छ) विप्रलम्भ श्रृंगार अथवा शान्त रस का लक्षण लिखिए और एक उदाहरण दीजिए।
(ज) अपनी पाठ्य-पुस्तक से वीर रस की दो पंक्तियाँ लिखिए। रस के आलम्बन और आश्रय की ओर भी संकेत कीजिए।
(झ) संयोग शृंगार अथवा वीर रस का लक्षण लिखिए और एक उदाहरण दीजिए।
(ञ) श्रृंगार और करुण में से किसी एक रस का लक्षण और उदाहरण लिखिए।
(ट) ‘करुण’ अथवा ‘वीर’ रस के लक्षण और उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर

(1) श्रृंगार (संयोग व विप्रलम्भ) रस, (2) हास्य रस, (3) करुण रस, (4) वीर रस, (5) रौद्र रस, (6) भयानक रस, (7) वीभत्स रस, (8) अद्भुत रस तथा (9) शान्त रस। कुछ विद्वान् ‘वात्सल्य रस’ और ‘भक्ति रस’ को भी उपरि-निर्दिष्ट नव रसों की श्रृंखला में ही मानते हैं।
[विशेष—माध्यमिक शिक्षा परिषद्, उ० प्र० द्वारा निर्धारित नवीनतम पाठ्यक्रम में आगे दिये जा रहे पाँच रस ही निर्धारित हैं।

(1) श्रृंगार रस [2009, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]

(क) परिभाषा-जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों के संयोग से ‘रति’ नामक स्थायी भाव रस रूप में परिणत होता है तो उसे शृंगार रस कहते हैं।

(ख) अवयव

स्थायी भाव--रति।
आलम्बन (विभाव)-नायक या नायिका।
उद्दीपन ( विभाव)—सुन्दर प्राकृतिक दृश्य तथा नायक-नायिका की वेशभूषा, विविध आंगिक चेष्टाएँ (हाव-भाव) आदि।
संचारी ( भाव)--पूर्वोक्त तैतीस में से अधिकांश।
अनुभाव-आश्रय की प्रेमपूर्ण वार्ता, अवलोकन, स्पर्श, आलिंगन, चुम्बन, कटाक्ष, अश्रु, वैवयं आदि।

(ग) श्रृंगार रस के भेद-
श्रृंगार के दो भेद हैं–संयोग और विप्रलम्भ (वियोग)। संयोग श्रृंगार। [2013, 15, 16, 18]
संयोगकाल में नायक और नायिका की पारस्परिक रति को संयोग श्रृंगार कहते हैं। संयोग से आशय हे-सुख को प्राप्त करना।
उदाहरण 1-

राम कौ रूप निहारति जानकी, कंगन के नग की परछाहीं ।
यातें सबे सुधि भूलि गयी, कर टेकि रहीं पल टारति नाहीं ॥ ( तुलसीदास)

स्पष्टीकरण-यहाँ सीताजी अपने कंगन के नग में पड़ रहे राम के प्रतिबिम्ब को निहारते हुए अपनी सुध-बुध भूल गयीं और हाथ को टेके हुए जड़वत् हो गयीं। इसमें जानकी आश्रय और राम आलम्बन हैं। राम का नग में पड़ने वाला प्रतिबिम्ब उद्दीपन है। रूप को निहारना, हाथ टेकना अनुभाव और हर्ष तथा जड़ता संचारी भाव हैं।

इस प्रकार विभाव, संचारी भाव और अनुभावों से पुष्ट रति नामक स्थायी भाव संयोग श्रृंगार की अवस्था को प्राप्त हुआ है।
उदाहरण 2-

कौन हो तुम वसन्त के दूत
विरस पतझड़ में अति सुकुमार ;
घन तिमिर में चपला की रेख
तपन में शीतल मन्द बयार ।( काव्यांजलि : श्रद्धा-मनु)

स्पष्टीकरण-इस प्रकरण में रति स्थायी भाव है। आलम्बन विभाव है-श्रद्धा (विषय) और मनु (आश्रय)। उद्दीपन विभाव है-एकान्त प्रदेश, श्रद्धा की कमनीयता, शीतल-मन्द पवन। हृदय में शान्ति का मिलना अनुभाव है। आश्रय मनु के हर्ष, उत्सुकता आदि भाव संचारी भाव हैं। इस प्रकार अनुभावविभावादि से पुष्ट रति नामक स्थायी भाव संयोग श्रृंगार रस की दशा को प्राप्त हुआ है। वियोग श्रृंगार [2010, 14, 15, 16, 17]

प्रेम में अनुरक्त नायक और नायिका के परस्पर मिलन का अभाव वियोग श्रृंगार कहलाता है।
उदाहरण 1-

हे खग-मृग, हे मधुकर त्रेनी,
तुम देखी सीता मृग नैनी ? (तुलसीदास)

स्पष्टीकरण-यहाँ श्रीराम आश्रय हैं और सीताजी आलम्बन, सूनी कुटिया और वन का सूनापन उद्दीपन हैं। सीताजी की स्मृति, आवेग, विषाद, शंका, दैन्य, मोह आदि संचारी भाव हैं। इस प्रकार विभाव-अनुभाव-संचारीभाव के संयोग से रति नामक स्थायी भाव पुष्ट होकर विप्रलम्भ श्रृंगार की रसावस्था को प्राप्त हुआ है।
उदाहरण 2-

मेरे प्यारे नव जलद से कंज से नेत्र वाले
जाके आये न मधुबन से औ न भेजा सँदेशा।
मैं रो-रो के प्रिय-विरह से बावली हो रही हूँ ।
जा के मेरी सब दुःख-कथा श्याम को तू सुना दे ॥ (काव्यांजलि : पवन-दूतिका)

स्पष्टीकरण-इस छन्द में विरहिणी राधा की विरह-दशा का वर्णन किया गया है। ‘रति’ स्थायी भाव है। आलम्बन विभाव हैं-राधा (आश्रय) और श्रीकृष्ण (विषय)। उद्दीपन विभाव हैं-मेघ जैसी शोभा और कमल जैसे नेत्रों का स्मरण। श्रीकृष्ण के विरह में रुदन अनुभाव है। स्मृति, आवेग, उन्माद आदि संचारियों से पुष्ट श्रीकृष्ण से मिलन के अभाव में यहाँ वियोग श्रृंगार रस का परिपाक हुआ है।

(2) करुण रस [2009, 10,11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]

(क) परिभाषा-किसी प्रिय वस्तु या वस्तु के विनाश से या अनिष्ट की प्राप्ति से करुण रस की निष्पत्ति होती है।

(ख) अवयव-

स्थायी भाव-शोक।
आलम्बन (विभाव)–विनष्ट वस्तु या व्यक्ति।
उद्दीपन (विभाव)–इष्ट के गुण तथा उनसे सम्बन्धित वस्तुएँ।।
अनुभाव–रुदन, प्रलाप, मूच्र्छा, छाती पीटना, नि:श्वास, उन्माद आदि।
संचारी भाव-स्मृति, मोह, विषाद , जड़ता, ग्लानि, निर्वेद आदि।
उदाहरण 1-

जो भूरि भाग्य भरी विदित थी निरुपमेय सुहागिनी।
हे हृदयवल्लभ ! हूँ वही अब मैं महा हतभागिनी ॥
जो साथिनी होकर तुम्हारी थी अतीव सनाथिनी।
है अब उसी मुझ-सी जगत् में और कौन अनाथिनी ॥ ( जयद्रथ-वध)

स्पष्टीकरण-अभिमन्यु की मृत्यु पर उत्तरा के इस विलाप में उत्तरा-आश्रय और अभिमन्यु की मृत्यु-आलम्बन है, पति के वीरत्व आदि गुणों का स्मरण-उद्दीपन है। अपने विगत सौभाग्य की स्मृति एवं दैन्य-संचारी भाव तथा (उत्तरा का) क्रन्दन–अनुभाव है। इनसे पुष्ट हुआ शोक नामक स्थायी भाव करुण-रसावस्था को प्राप्त हुआ है।
उदाहरण 2-

क्यों छलक रहा दुःख मेरा
ऊषा की मृदु पलकों में
हाँ! उलझ रहा सुख मेरा
सन्ध्या की घन अलकों में । (काव्यांजलि : आँसू )

स्पष्टीकरण-प्रस्तुत पद में कवि के अपनी प्रेयसी के विरह में रुदन का वर्णन किया गया है। इसमें कवि के हृदय का ‘शोक’ स्थायी भाव है। आलम्बन विभाव हैं-प्रेमी, यहाँ पर कवि (आश्रय) तथा प्रियतमा (विषय)। उद्दीपन विभाव हैं-अन्धकाररूपी केश-पाश तथा सन्ध्या। कवि के हृदय से नि:सृत उद्गार अनुभाव हैं। अश्रुरूपी प्रात:कालीन ओस की बूंदें संचारी भाव हैं। इन सबसे पुष्ट शोक नामक स्थायी भाव करुण रस की दशा को प्राप्त हुआ है।
वियोग श्रृंगार तथा करुण रस में अन्तर–वियोग श्रृंगार तथा करुण रस में मुख्य अन्तर प्रियजन के वियोग का होता है। वियोग श्रृंगार में बिछुड़े हुए प्रियजन से पुनः मिलन की आशा बनी रहती है; परन्तु करुण रस में इस प्रकार के मिलन की कोई सम्भावना नहीं होती।

(3) हास्य रस [2009, 10, 11, 12, 14, 15, 16, 17, 18]

(क) परिभाषा–जब किसी वस्तु या व्यक्ति के विकृत आकार, वेशभूषा, वाणी, चेष्टा आदि से व्यक्ति को बरबस हँसी आ जाए तो वहाँ हास्य रस है।।

(ख) अवयव

स्थायी भाव–हास।
आलम्बन (विभाव)—विचित्र-विकृत चेष्टाएँ, आकार, वेशभूषा।
उद्दीपन (विभाव)-आलम्बन की अनोखी बातचीत, आकृति।
अनुभाव-आश्रय की मुस्कान, अट्टहास।।
संचारी भाव-हर्ष, चपलता, उत्सुकता आदि।
उदाहरण 1-

नाना वाहन नाना वेषा। बिहँसे सिव समाज निज देखा ॥
कोउ मुख-हीन बिपुल मुख काहू। बिनु पद-कर कोउ बहु पद-बाहू॥ (तुलसीदास)

स्पष्टीकरण-इस उदाहरण में स्थायी भाव हास के आलम्बन–शिव समाज, आश्रय-शिव, उद्दीपन-विचित्र वेशभूषा, अनुभाव—शिवजी का हँसना तथा संचारी भाव-रोमांच, हर्ष, चापल्य आदि। इनसे पुष्ट हुआ हास नामक स्थायी भाव हास्य-रसावस्था को प्राप्त हुआ है।
उदाहरण 2-

बिंध्य के वासी उदासी तपोब्रतधारी महा बिनु नारि दुखारे।
गौतमतीय तरी तुलसी, सो कथा सुनि भे मुनिबृन्द सुखारे॥
खैहैं सिला सब चंद्रमुखी परसे पदमंजुल-कंज तिहारे ।
कीन्हीं भली रघुनायकजू करुना करि कानन को पगु धारे॥ (हिन्दी : वन पथ पर)

[विशेष—पाठ्यक्रम में संकलित अंश में हास्य रस का उदाहरण दृष्टिगत नहीं होता। अत: 10वीं की पाठ्य-पुस्तक से उदाहरण दिया जा रहा है।]
स्पष्टीकरण—इस छन्द में विन्ध्याचल के तपस्वियों की मनोदशा का वर्णन किया गया है। यहाँ ‘हास’ स्थायी भाव है। आलम्बन विभाव हैं–विन्ध्य के उदास तपस्वी (आश्रय) और राम (विषय)। उद्दीपन विभाव हैं—गौतम की स्त्री का उद्धार। मुनियों का कथा आदि सुनना अनुभाव हैं। हर्ष, उत्सुकता आदि संचारी भावों से पुष्ट प्रस्तुत छन्द में हास्य रस का सुन्दर परिपाक हुआ है।

(4) वीर रस [2009, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]

(क) परिभाषा-शत्रु की उन्नति, दीनों पर अत्याचार या धर्म की दुर्गति को मिटाने जैसे किसी विकट या दुष्कर कार्य को करने का जो उत्साह मन में उमड़ता है, वही वीर रस का स्थायी भाव है, जिसकी पुष्टि होने पर वीर रस की सिद्धि होती है।

(ख) अवयव

स्थायी भाव-उत्साह।
आलम्बन (विभाव)—अत्याचारी शत्रु।।
उद्दीपन (विभाव)-शत्रु का अहंकार, रणवाद्य, यश की इच्छा आदि।
अनुभाव-गर्वपूर्ण उक्ति, प्रहार करना, रोमांच आदि।
संचारी भाव-आवेग, उग्रता, गर्व, औत्सुक्य, चपलता आदि।
उदाहरण 1-

मैं सत्य कहता हूँ सखे, सुकुमार मत जानो मुझे।
यमराज से भी युद्ध में, प्रस्तुत सदा मानो मुझे ॥
है और की तो बात क्या, गर्व मैं करता नहीं ।
मामा तथा निज तात से भी, युद्ध में डरता नहीं ॥( मैथिलीशरण गुप्त)

स्पष्टीकरण-अभिमन्यु का यह कथन अपने सारथी के प्रति है। इसमें कौरव-आलम्बन, अभिमन्यु-आश्रय, चक्रव्यूह की रचना–उद्दीपन तथा अभिमन्यु के वाक्य–अनुभाव हैं। गर्व, औत्सुक्य, हर्ष आदि संचारी भाव हैं। इन सभी के संयोग से वीर रस की निष्पत्ति हुई है।
उदाहरण 2-

साजि चतुरंग सैन अंग, में उमंग धारि,
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है। भूषन भनत नाद बिहद नगारन के,
नदी नद मर्द गैबरने के रलत है ॥ ( काव्यांजलि : शिवा-शौर्य)

स्पष्टीकरण-प्रस्तुत पद में शिवाजी की चतुरंगिणी सेना के प्रयाण का चित्रण है। इसमें ‘शिवाजी के हृदय का उत्साह’ स्थायी भाव है। ‘युद्ध को जीतने की इच्छा’ आलम्बन है। ‘नगाड़ों का बजना’ उद्दीपन है। ‘हाथियों के मद का बहना’ अनुभाव है तथा उग्रता’ संचारी भाव है। इन सबसे पुष्ट उत्साह’ नामक स्थायी भाव वीर रस की दशा को प्राप्त हुआ है।

(5) शान्त रस [2009, 10, 11, 13, 14, 15, 16, 17, 18]

(क) परिभाषा–संसार की क्षणभंगुरता एवं सांसारिक विषय- भोगों की असारता तथा परमात्मा के ज्ञान से उत्पन्न निर्वेद (वैराग्य) ही पुष्ट होकर शान्त रस में परिणत होता है।

(ख) अवयव

स्थायी भाव-निर्वेद (उदासीनता)।
आलम्बन (विभाव)-संसार की क्षणभंगुरता, परमात्मा का चिन्तन आदि।
उद्दीपन (विभाव)-सत्संग, शास्त्रों का अनुशीलन, तीर्थ यात्रा आदि।
अनुभाव-अश्रुपात, पुलक, संसारभीरुता, रोमांच आदि।
संचारी भाव-हर्ष, स्मृति, धृति, निर्वेद, विबोध, उद्वेग आदि।
उदाहरण 1-

मन पछितैहै अवसर बीते ।
दुर्लभ देह पाई हरिपद भजु, करम वचन अरु होते ॥
अब नाथहिं अनुराग, जागु जड़-त्यागु दुरासा जीते ॥
बुझे न काम अगिनी तुलसी कहुँ बिषय भोग बहु घी ते ॥

स्पष्टीकरण–यहाँ तुलसी (या पाठक)-आश्रय हैं; संसार की असारता–आलम्बन; अपना मनुष्य जन्म व्यर्थ होने की चिन्ता–उद्दीपन; मति-धृति आदि संचारी एवं वैराग्यपरक वचन–अनुभाव हैं। इनसे मिलकर शान्त रस की निष्पत्ति हुई है।
उदाहरण 2 –

अब लौं नसानी अब न नसैहौं ।
रामकृपा भवनिसा सिरानी, जागे फिर न डसैहौं ।
पायो नाम चारु चिंतामनि, उर कर तें न खसैहौं ।
स्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी, चित कंचनहिं कसैहौं ।
परबस जानि हँस्यों इन इंद्रिन, निज बस वै न हसैहौं ।
मन-मधुकर पन करि तुलसी, रघुपति पद-कमल बसैहौं । (काव्यांजलि: विनयपत्रिका)

स्पष्टीकरण-प्रस्तुत पद में तुलसीदास जी की जगत् के प्रति विरक्ति और श्रीराम के प्रति अनुराग मुखर हुआ है। इस पद में संसार से पूर्ण विरक्ति अर्थात् ‘निर्वेद’ नामक स्थायी भाव है। आलम्बन विभाव हैं-तुलसीदास (आश्रय) तथा श्रीराम की भक्ति (विषय)। उद्दीपन विभाव हैं—श्रीराम की कृपा, सांसारिक असारता तथा इन्द्रियों द्वारा उपहास। स्वतन्त्र होना, राम के चरणों में रत होना, सांसारिक विषयों में पुनः निर्लिप्त न होना आदि से सम्बद्ध कथन अनुभाव हैं। निर्वेद, हर्ष, स्मृति आदि संचारी भाव हैं। इन सबसे पुष्ट ‘निर्वेद’ नामक स्थायी भाव शान्त रस की अवस्था को प्राप्त हुआ है।

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UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry (वैद्युत रसायन) are part of UP Board Solutions for Class 12 Chemistry. Here we have given UP Board for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry (वैद्युत रसायन).

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Chemistry
Chapter Chapter 3
Chapter Name Electro Chemistry
Number of Questions Solved 82
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry (वैद्युत रसायन)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निकाय Mg2+ | Mg का मानक इलेक्ट्रोड विभव आप किस प्रकार ज्ञात करेंगे?
उत्तर
निकाय Mg2+ | Mg का मानक इलेक्ट्रोड विभव ज्ञात करने के लिए एक सेल स्थापित करते हैं। जिसमें एक इलेक्ट्रोड Mg | MgSO4 (1M), एक मैग्नीशियम के तार को 1M MgSO4 विलयन में डुबोकर (UPBoardSolutions.com) व्यवस्थित करते हैं तथा मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड Pt, H2 (1 atm) | H+ (1M) को दूसरे इलेक्ट्रोड की भाँति व्यवस्थित करते हैं (चित्र-1)।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 1
सेल का विद्युत वाहक बल मापते हैं तथा वोल्टमीटर में विक्षेप की दिशा को भी नोट करते हैं। विक्षेप की दिशा प्रदर्शित करती है कि इलेक्ट्रॉनों को प्रवाह मैग्नीशियम इलेक्ट्रोड से (UPBoardSolutions.com) हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड की ओर है। अर्थात् मैग्नीशियम इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण तथा हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड पर अपचयन होता है। अत: सेल को निम्नवत् व्यक्त किया जा सकता है –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 2

प्रश्न 2.
क्या आप एक जिंक के पात्र में कॉपर सल्फेट का विलयन रख सकते हैं?
उत्तर
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 3
अब हम यह जाँच करेंगे कि निम्नलिखित अभिक्रिया होगी अथवा नहीं।
Zn(s)+ CuSO4(aq) → ZnSO4(aq) + Cu(s)
सेल को इस प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है –
Zn | Zn2+ || Cu2+ | Cu
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 4
= 0.34 V – (- 0.76V) = 1.1 V
चूंकि Ecell धनात्मक है, अत: अभिक्रिया होगी तथा इस कारण हम जिंक के पात्र में कॉपर सल्फेट नहीं रख सकते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
मानक इलेक्ट्रोड विभव की तालिका का निरीक्षण कर तीन ऐसे पदार्थ बताइए जो अनुकूल परिस्थितियों में फेरस आयनों को ऑक्सीकृत कर सकते हैं।
उत्तर
फेरस आयनों के ऑक्सीकरण का अर्थ है –
Fe2+ → Fe3+ + e ; E =- 0.77 V
केवल वे पदार्थ Fe2+ को Fe3+ में ऑक्सीकृत कर सकते हैं जो प्रबल ऑक्सीकारक हों तथा जिनका धनात्मक अपचायक विभव 0.77 V से अधिक हो जिससे सेल (UPBoardSolutions.com) अभिक्रिया का विद्युत वाहक बल धनात्मक प्राप्त हो सके। यह स्थिति उन तत्वों पर लागू हो सकती है जो विद्युत-रासायनिक श्रेणी में Fe3+ | Fe2+ से नीचे स्थित हैं; उदाहरणार्थ- Br, Cl तथा I.

प्रश्न 4.
pH = 10 के विलयन के सम्पर्क वाले हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के विभव का परिकलन कीजिए।
हल
हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के लिए,
H+ + e → 1/2 H2
नेर्नुस्ट समीकरण से,
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 5

प्रश्न 5.
एक सेल के emf का परिकलन कीजिए जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है। दिया गया है: Ecell = 1.05 V
Ni(s) + 2Ag+ (0.002M) → Ni2+ (0.160M) + 2Ag(s)
हल
दी गई सेल अभिक्रिया के लिए नेस्ट समीकरण से,
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 6

प्रश्न 6.
एक सेल जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है –
2Fe3+ (aq) + 2I (aq) → 2Fe2+ (aq) + I(s)
का 298K ताप पर Ecell = 0.236 V है। सेल अभिक्रिया की मानक गिब्ज ऊर्जा एवं साम्य स्थिरांक का परिकलन कीजिए।
हल
2Fe3+ + 2e → 2Fe2+
2I → I2 + 2e
अतः दी गई सेल अभिक्रिया के लिए, n = 2
ΔrG = – nFEcell
= – 2 x 96500 x 0.236 J
= -45.55 kJ mol-1
ΔrG = -2.303 RT log KC
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 7
= 7.983
KC = Antilog (7.983) = 9.616 x 107

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प्रश्न 7.
किसी विलयन की चालकता तनुता के साथ क्यों घटती है?
उत्तर
विलयन की चालकता, विलयन के एकांक आयतन में उपस्थित आयनों की चालकता होती है। तनुकरण पर प्रति एकांक आयतन आयनों की संख्या घटती है, अत: चालकता भी घट जाती है।

प्रश्न 8.
जल की Δºm ज्ञात करने का एक तरीका बताइए।
उत्तर
अनन्त तनुता पर जल की सीमान्त मोलर चालकता (Δºm), अनन्त तनुता पर सोडियम हाइड्रॉक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा सोडियम क्लोराइड (जिसमें सभी प्रबल विद्युत-अपघट्य हैं) की मोलर चालकताएँ ज्ञात होने पर निम्न प्रकार प्राप्त की जा सकती है –
Δºm (H2O ) = Δºm (NaOH)  + Δºm HCl  – Δºm (NaCl)

प्रश्न 9.
0.025 mol L-1 मेथेनोइक अम्ल की चालकता 46.1 S cm2 mol-1 है। इसकी वियोजन की मात्रा एवं वियोजन स्थिरांक का परिकलन कीजिए। दिया गया है कि
λ°(H+) = 349.6S cm mol-1 एवं
λ°(HCOO-) = 54.6 S cm mol-1.
हल
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 8

प्रश्न 10.
यदि एक धात्विक तार में 0.5 ऐम्पियर की धारा 2 घंटों के लिए प्रवाहित होती है तो तार में से कितने इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होंगे?
हल
Q (कूलॉम) = i (ऐम्पियर) × t (सेकण्ड)
= (0.5 ऐम्पियर) × (2 × 60 x 60 s) = 3600 C
96500 C का प्रवाह 1 मोल इलेक्ट्रॉन अर्थात् 6.02 x 1023 इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के तुल्य होता है।
3600 C के तुल्य इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह = [latex s=2]\frac { { 6.02\times 10 }^{ 23 } }{ 96500 } \times 3600[/latex]
= 2246 x 1022 इलेक्ट्रॉन

प्रश्न 11.
उन धातुओं की एक सूची बनाइए जिनका विद्युत-अपघटनी निष्कर्षण होता है।
उत्तर
Na, Ca, Mg तथा Al.

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प्रश्न 12.
निम्नलिखित अभिक्रिया में Cr2O72- आयनों के एक मोल के अपचयन के लिए कूलॉम में विद्युत की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी ?
Cr2O72- + 14H+ + 6e → 2Cr3++ + 7H2O
हल
दी गई अभिक्रिया के अनुसार,
Cr2O72- – आयनों के एक मोल को 6 मोल इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
अतः F = 6 x 96500 C = 579000 C
अत: Cr3+ में अपचयन के लिए 579000 C विद्युत की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 13.
चार्जिंग के दौरान प्रयुक्त पदार्थों का विशेष उल्लेख करते हुए लेड संचायक सेल की चार्जिंग क्रियाविधि का वर्णन रासायनिक अभिक्रियाओं की सहायता से कीजिए।
उत्तर
चार्जिग (आवेशन) के दौरान एक बाह्य स्रोत से (UPBoardSolutions.com) सेल को विद्युत ऊर्जा दी जाती है अर्थात् सेल एक विद्युतअपघटनी सेल की भाँति कार्य करता है। अभिक्रियाएँ डिस्चार्ज (निरावेशन) के दौरान होने वाली अभिक्रियाओं से विपरीत प्रकार होती हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 9

प्रश्न 14.
हाइड्रोजन को छोड़कर ईंधन सेलों में प्रयुक्त किए जा सकने वाले दो अन्य पदार्थ सुझाइए।
उत्तर
मेथेन (CH4), मेथेनॉल (CH3OH)।

प्रश्न 15.
समझाइए कि कैसे लोहे पर जंग लगने का कारण एक विद्युत-रासायनिक सेल बनना माना जाता है?
उत्तर
लोहे की सतह पर उपस्थित जल की परत वायु के अम्लीय ऑक्साइडों; जैसे- CO2, SO2 आदि को घोलकर अम्ल बना लेती है जो वियोजित होकर H+ आयन देते हैं
H2O+ CO2 → H2CO3 [latex s=2]\rightleftharpoons [/latex] 2H+ +CO32-
H+ आयनों की उपस्थिति में, लोहा कुछ स्थलों पर से इलेक्ट्रॉन खोना प्रारम्भ कर देता है तथा फेरस आयन बना लेता है। अतः ये स्थल ऐनोड का कार्य करते हैं –
Fe(s) → Fe2+ (aq) + 2e
इस प्रकार धातु से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन अन्य स्थलों पर पहुँच जाते हैं जहाँ H+ आयन तथा घुली हुई ऑक्सीजन इन इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण कर लेती है तथा अपचयन अभिक्रिया हो जाती है। अतः ये स्थल कैथोड की भाँति कार्य करते हैं –
O2(g) +4H+ (aq) +4e → 2H2O(l)
सम्पूर्ण अभिक्रिया इस प्रकारे दी जाती है
2Fe(s)+O2(g) + 4H+ (aq) → 2Fe2+ (aq) + 2H2O(l)

इस प्रकार लोहे की सतह पर विद्युत-रासायनिक सेल बन जाता है।
फेरस आयन पुनः वायुमण्डलीय ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकृत होकर फेरिक आयनों में परिवर्तित हो जाते हैं। जो जल अणुओं से संयुक्त होकर जलीय फेरिक ऑक्साइड Fe2O3. xH2O बनाते हैं। यह जंग कहलाता है।

अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित धातुओं को उस क्रम में व्यवस्थित कीजिए जिसमें वे एक-दूसरे को उनके | लवणों के विलयनों में से प्रतिस्थापित करती हैं।
Al, Cu, Fe, Mg एवं Zn.
उत्तर
Mg, Al, Zn, Fe तथा Cu

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प्रश्न 2.
नीचे दिए गए मानक इलेक्ट्रोड विभवों के आधार पर धातुओं को उनकी बढ़ती हुई अपचायक क्षमता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
K+ । K = -2.93 V, Ag+ | Ag= 0.80V,
Hg2+ | Hg= 0.79 V
Mg2+ | Mg = -2.37 V, Cr3+ | Cr = -0.74 V
उत्तर
किसी धातु की अपचायक शक्ति उसके ऑक्सीकरण विभव पर निर्भर करती है। ऑक्सीकरण विभव जितना अधिक होगा, ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति (UPBoardSolutions.com) उतनी अधिक होगी तथा इसलिए उसकी अपचायक शक्ति भी उतनी ही अधिक होगी। अत: दिये गये धातुओं की बढ़ती अपचायक शक्ति का क्रम निम्न होगा –
Ag < Hg < Cr < Mg < K

प्रश्न 3.
उस गैल्वेनी सेल को दर्शाइए जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है –
Zn(s) + 2Ag+ (aq) → Zn2+ (aq) + 2Ag(s)
अब बताइए –

  1. कौन-सा इलेक्ट्रोड ऋणात्मक आवेशित है?
  2. सेल में विद्युत-धारा के वाहक कौन-से हैं?
  3. प्रत्येक इलेक्ट्रोड पर होने वाली अभिक्रिया क्या है?

उत्तर
जिंक इलेक्ट्रोड ऐनोड का कार्य करता है, जबकि सिल्वर इलेक्ट्रोड कैथोड का कार्य करता है। सेल को निम्न प्रकार प्रदर्शित कर सकते हैं –
Zn (S)| Zn2+ (aq)|| Ag+ (aq)| Ag (s)
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 10

  1. Zn / Zn2+ इलेक्ट्रोड ऋणात्मक आवेशित होता है तथा ऐनोड की तरह कार्य करता है।
  2. बाह्य परिपथ में इलेक्ट्रॉन तथा आंतरिक परिपथ में आयन।
  3. ऐनोड पर : Zn (s) → Zn2+ (aq) + 2e
    कैथोड पर : Ag+ (aq) + e → Ag(s)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं वाले गैल्वेनी सेल का मानक सेल-विभव परिकलित कीजिए।
(i) 2Cr(s) + 3Cd2+ (aq) → 2Cr3+ (aq) + 3Cd
(ii) Fe2+ (aq) + Ag+ (aq) → Fe3+ (aq) + Ag(s)
उपर्युक्त अभिक्रियाओं के लिए ΔrG एवं साम्य स्थिरांकों की भी गणना कीजिए।
हल
(i) सेले को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 11
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 12

प्रश्न 5.
निम्नलिखित सेलों की 298K पर नेर्नुस्ट समीकरण एवं emf लिखिए।

  1. Mg(s) | Mg2+ (0001 M) || Cu2+ (0.0001 M) | Cu(s)
  2. Fe(s) | Fe2+ (0.001 M) || H+ (1 M) | H2(g) (1 bar) | Pt(s)
  3. Sn(8) | Sn2+ (0.050 M) | H+ (0.020 M) | H2(g) (1 bar) | Pt(s)
  4. Pt(s) | Br (0.010 M)|Br2 (l) || H+ (0.030 M) | H2(g) (1 bar) | Pt (s).

हल
1. सेल अभिक्रिया निम्न प्रकार है –
Mg(s) + Cu2+ (0.0001 M) → Mg2+ (0.001 M) + Cu (s)
इसलिए n = 2,
इसके अनुसार नेर्नस्ट समीकरण निम्नवत् होगी –
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2. सेल अभिक्रिया निम्न है –
Fe(s) + 2H+ (1M)→ Fe2+ (0.001M)+ H2 (1bar)
इसलिए n = 2,
इस सेल के epf के लिए नेर्नस्ट समीकरण निम्न होगी –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 14

3. सेल अभिक्रिया निम्न है –
Sn(s) + 2H+ (0.020M) → Sn2+ (0.050M)+ H2 (1 bar)
इसलिए n = 2,
इसके अनुसार, नेर्नस्ट समीकरण निम्न होगी –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 14a

4. सेल अभिक्रिया निम्न है –
2Br (0.010 M) + 2H+ (0.030 M) → Br2(l) + H2 (1 bar)
इसलिए n = 2,
सेल के लिए नेर्नस्ट समीकरण के अनुसार emf निम्न है –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 15
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 16

प्रश्न 6.
घड़ियों एवं अन्य युक्तियों में अत्यधिक उपयोग में आने वाली बटन सेलों में निम्नलिखित अभिक्रिया होती है –
Zn(s) + Ag2O(s) + H2O(l) → Zn2+ (aq) + 2Ag(s) + 2OH (aq)
अभिक्रिया के लिए ΔrG एवं E ज्ञात कीजिए।
हल
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 17
सेल अभिक्रिया के लिए, n = 2
∴ ΔrG = – nFEcell
∴ ΔrG = – 2 x 96500 x 1.104 = -2.13 x 105 CV mol-1
= – 2.13 x 10 J mol-1

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प्रश्न 7.
किसी विद्युत-अपघट्य के विलयन की चालकता एवं मोलर चालकता की परिभाषा दीजिए। सान्द्रता के साथ इनके परिवर्तन की विवेचना कीजिए।
उत्तर
विद्युत-अपघट्य के विलयन की चालकता (Conductivity of the solution of an electrolyte) – यह प्रतिरोध R का व्युत्क्रम होती है तथा इसे उस सरल रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिससे धारा किसी चालक में प्रवाहित होती है।
c = [latex s=2]\frac { 1 }{ R } =\frac { A }{ pl } [/latex]
k = [latex s=2]\frac { A }{ l }[/latex]
यहाँ k विशिष्ट चालकता है। चालकता का SI मात्रक सीमेन्ज (Siemens) है जिसे प्रतीक ‘S’ से निरूपित किया जाता है तथा यह ohm-1 या Ω-1 के तुल्य होता है।
मोलर चालकता (Molar conductivity) – वह चालकता जो 1 मोल विद्युत-अपघट्य को विलयन में घोलने पर समस्त आयनों द्वारा दर्शायी जाती है, मोलर चालकता कहलाती है, इसे Δm (लैम्ब्डा) से व्यक्त किया जाता है। यदि विद्युत-अपघट्य विलयन के V cm3 में विद्युत-अपघट्य के 1 mol उपस्थित हों, तब
Δm = K x V
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 18
इसकी इकाई ohm-1 cm2 mol-1 या S cm2 mol-1 है।

सान्द्रता के साथ चालकता तथा मोलर चालकता में परिवर्तन
(Variation of Conductivity and Molar Conductivity with Concentration)
विद्युत-अपघट्य की सान्द्रता में परिवर्तन के साथ-साथ चालकता एवं मोलर चालकता दोनों में परिवर्तन होता है। दुर्बल एवं प्रबल दोनों प्रकार के विद्युत-अपघट्यों की सान्द्रता (UPBoardSolutions.com) घटाने पर चालकता सदैव घटती है। इसकी इस तथ्य से व्याख्या की जा सकती है कि तनुकरण (dilution) करने पर प्रति इकाई आयतन में विद्युत धारा ले जाने वाले आयनों की संख्या घट जाती है। किसी भी सान्द्रता पर विलयन की चालकता उस विलयन के इकाई आयतन का चालकत्व होता है जिसे परस्पर इकाई दूरी पर स्थित एवं इकाई अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाले दो प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के मध्य रखा गया हो।

यह निम्नलिखित समीकरण से स्पष्ट है –
C = [latex s=2]\frac { kA }{ l } [/latex] =k
(A एवं । दोनों ही उपयुक्त इकाइयों m या cm में हैं)
किसी दी गई सान्द्रता पर एक विलयन की मोलर चालकता उस विलयन के V आयतन का चालकत्व है जिसमें विद्युत-अपघट्य का एक मोल घुला हो तथा जो एक-दूसरे से इकाई दूरी पर स्थित, A अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाले दो इलेक्ट्रोडों के मध्य रखा गया हो। अतः
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 19
Δm = [latex s=2]\frac { kA }{ l } [/latex] = k
चूंकि l = 1 एवं A = V (आयतन, जिसमें विद्युत अपघट्य का एक मोल घुला है।)
Δm = k V
सान्द्रता घटने के साथ मीलर चालकता बढ़ती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह कुल आयतन (V) भी बढ़ जाता है जिसमें एक मोल विद्युत अपघट्य उपस्थित होता है। यह पाया गया है कि विलयन के तनुकरण पर आयतन में वृद्धि K में होने वाली कमी की तुलना में कहीं अधिक होती है।

प्रबल विद्युत-अपघट्य (Strong Electrolytes)
प्रबल विद्युत अपघट्यों के लिए Δm का मान तनुता के साथ धीरे-धीरे बढ़ता है एवं इसे निम्नलिखित समीकरण द्वारा निरूपित किया जा सकता है –
Δm  = Δºm – Ac1/2
यह देखा जा सकता है कि यदि Δm को c1/2 के विपरीत आरेखित किया जाए (चित्र-3) तो हमें एक सीधी रेखा प्राप्त होती है जिसका अन्त:खण्ड A एवं ढाल ‘A’ के बराबर है। दिए गए विलायक एवं ताप पर स्थिरांक ‘A का मान विद्युत-अपघट्य के प्रकार अर्थात् विलयन में विद्युत-अपघट्य के (UPBoardSolutions.com) वियोजन से उत्पन्न धनायन एवं ऋणायन के आवेशों पर निर्भर करता है। अत: NaCl, CaCl2, MgSO4 क्रमशः 1-1, 2-1 एवं 2-2 विद्युत-अपघट्य के रूप में जाने जाते हैं। एक प्रकार के सभी विद्युत-अपघट्यों के लिए ‘A’ का मान समान होता है।

प्रश्न 8.
298 K पर 0.20 M KCl विलयन की चालकता 0.0248 S cm-1 है। इसकी मोलर चालकता का परिकलन कीजिए।
हल
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 20

प्रश्न 9.
298 K पर एक चालकता सेल जिसमें 0.001 M KCl विलयन है, का प्रतिरोध 1500 Ω है। यदि 0.001 M KCl विलयन की चालकता 298K पर 0.146 x 10-3 S cm-1 हो तो सेल स्थिरांक क्या है?
हल
k = [latex s=2]\frac { 1 }{ R } [/latex] x सेल नियतांक
∴ सेल नियतांक = K R= 0.146 x 10-3 x 1500 = 0.219 cm-1

प्रश्न 10.
298 K पर सोडियम क्लोराइड की विभिन्न सान्द्रताओं पर चालकता का मापन किया गया जिसके आँकड़े अग्रलिखित हैं –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 21
हल
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 22
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 23
सीधी रेखा को पीछे तक खींचने पर यह Δm अक्ष पर 124.0 S cm2 mol-1 पर मिलती है। यह Δºm का मान है।

प्रश्न 11.
0.00241 M ऐसीटिक अम्ल की चालकता 7.896 x 10-5 S cm-1 है। इसकी मोलर चालकता को परिकलित कीजिए। यदि ऐसीटिक अम्ल के लिए  Δºm का मान 390.5 S cm2 mol-1 हो तो इसका वियोजन स्थिरांक क्या है?
हल
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 24

प्रश्न 12.
निम्नलिखित के अपचयन के लिए कितने आवेश की आवश्यकता होगी?
(i) 1 मोल Al3+ को Al में
(ii) 1 मोल Cu2+ को Cu में।
(iii) 1 मोल MnO4 को Mn2+ में
हल
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 25

प्रश्न 13.
निम्नलिखित को प्राप्त करने में कितने फैराडे विद्युत की आवश्यकता होगी?
(i) गलित CaCl2 से 20.0 g Ca
(ii) गलित Al2O3 से 40.0 g Al
हल
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 26

प्रश्न 14.
निम्नलिखित को ऑक्सीकृत करने के लिए कितने कूलॉम विद्युत आवश्यक है?

  1. 1 मोल H2O को O2 में।
  2. 1 मोल FeO को Fe2O3 में।

हल
1. 1 mol H2O के लिए इलेक्ट्रोड अभिक्रिया इस प्रकार दी जाती है –
H2O → H2 + 1/2 O2
अर्थात् O2- → 1/2 O2 + 2e
∴ आवश्यक विद्युत की मात्रा = 2F = 2 x 96500 C = 193000 C

2. 1 mol FeO के लिए इलेक्ट्रोड अभिक्रिया इस प्रकार दी जाती है –
FeO → 1/2 Fe2O3
अर्थात् Fe2+ → Fe3+ + e
∴ आवश्यक विद्युत की मात्रा = 1F = 96500 C

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प्रश्न 15.
Ni(NO3)2 के एक विलयन का प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के बीच 5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करते हुए 20 मिनट तक विद्युत-अपघटन किया गया। Ni की कितनी मात्रा कैथोड पर निक्षेपित होगी?
हल
अभिक्रिया निम्न प्रकार सम्पन्न होती है –
Ni2+ + 2e  → Ni
Ni का परमाणु भार = 58.70
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 27

प्रश्न 16.
ZnSO4, AgNO3 एवं CuSO4 विलयन वाले तीन विद्युत-अपघटनी सेलों A, B, C को श्रेणीबद्ध किया गया एवं 1.5 ऐम्पियर की विद्युत धारा, सेल B के कैथोड पर 145 सिल्वर निक्षेपित होने तक लगातार प्रवाहित की गई। विद्युत धारो कितने समय तक प्रवाहित हुई? निक्षेपित कॉपर एवं जिंक को द्रव्यमान क्या होगा ?
हल
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 28

प्रश्न 17.
तालिका 3.1 (पाठ्यपुस्तक) में दिए गए मानक इलेक्ट्रोड विभवों की सहायता से अनुमान लगाइए कि क्या निम्नलिखित अभिकर्मकों के बीच अभिक्रिया सम्भव है?
(i) Fe3+ (aq) और I (aq)
(ii) Ag+ (aq) और Cu (s)
(iii) Fe3+ (aq) और Br (aq)
(iv) Ag (s) और Fe3+ (aq)
(v) Br2(aq) और Fe2+ (aq).
उत्तर
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प्रश्न 18.
निम्नलिखित में से प्रत्येक के लिए विद्युत-अपघटन से प्राप्त उत्पाद बताइए –

  1. सिल्वर इलेक्ट्रोडों के साथ AgNO3 का जलीय विलयन
  2. प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के साथ AgNO3 का जलीय विलयन
  3. प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के साथ H2SO4 का तनु विलयन
  4. प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के साथ CuCl2 का जलीय विलयन।

उत्तर
1. AgNO3 (aq) → Ag+ (aq) + NO3 (aq)
H2O [latex s=2]\leftrightarrows [/latex] H+ + OH
कैथोड पर : चूंकि सिल्वर का अपचयन विभव (+0.80 V) जल (-0.830 V) से अधिक है, इसलिए Ag+ वरीयता के आधार पर अपचयित होगा तथा सिल्वर धातु कैथोड पर जमा होगी।
Ag+ (aq) + e → Ag (s)
ऐनोड पर : निम्न अभिक्रिया होगी –
H2O (l) → 1/2 O2(g) + 2H+ (aq)
NO3 (aq) → NO3 + e
Ag(s) → Ag+ (aq) + e

इन अभिक्रियाओं में कॉपर का अपचयन विभव न्यूनतम है। इसलिए सिल्वर स्वयं ऐनोड पर ऑक्सीकरण के फलस्वरूप Ag’ में परिवर्तित हो जायेगी और Ag’ आयन विलयन में चले जायेंगे।
Ag(s) → Ag(aq) + e

2. कैथोड पर : सिल्वर आयने अपचयित होंगे तथा सिल्वर धातु जमा होगी।
ऐनोड पर : चूँकि जल का अपचयन विभव NO3 आयनों से कम होता है, इसलिए जल वरीयता के आधार पर ऑक्सीकृत होगा तथा ऑक्सीजन मुक्त होगी।
H2O (l) → 1/2 O(g) + 2H+ (aq) + 2e

3. प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के साथ H2SO4 के तनु विलयन का विद्युत-अपघटन
H2SO4(aq) → 2H+ (aq) + SO2-4 (aq)
H2O [latex s=2]\leftrightarrows [/latex] H+ + OH
कैथोड पर : H+ +e → H
H → H(g)
ऐनोड पर : OH → OH + e
4OH → 2H2O (l) + O(g)
अत: कैथोड पर H, तथा ऐनोड पर 0 मुक्त होगी।

4. CuCl2 (aq) → Cu2+ (aq) + 2Cl (aq)
H2O [latex s=2]\leftrightarrows [/latex] H+ + OH
कैथोड पर : चूंकि Cu2+ (+0.341 V) का अपचयन विभव जल (-0.83 V) से अधिक होता है, इसलिए Cu2+ वरीयता के आधार पर अपचयित होंगे तथा कैथोड पर कॉपर धातु जमा होगी।
Cu2+ (aq) + 2e → Cu (s)

ऐनोड पर : निम्न अभिक्रियाओं के होने की सम्भावना है –
H2O (l) → 1/2 O(g) + 2H+ (aq) + 2e– ;
E° = +1.23 V
2Cl–  (aq) → Cl2 (g) + 2e–  ; E° = + 1.36V
चूँकि जल का अपचयन विभव Cl (जलीय) आयनों से कम होता है, इसलिए जल वरीयता के आधार पर ऐनोड पर ऑक्सीकृत होगा तथा O2, गैस मुक्त होगी।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
चार क्षार धातुओं A, B, C व D के मानक अपचयन विभव क्रमशः-3.05 -1.66,- 0.40 तथा 0.80 वोल्ट हैं। इनमें से प्रबलतम अपचायक है – (2011)
(i) A
(ii) B
(iii) C
(iv) D
उत्तर
(i) A

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प्रश्न 2.
प्रबलतम अपचायक है – (2016)
(i) Li
(ii) Na
(iii) K
(iv) Cs
उत्तर
(i) Li

प्रश्न 3.
25°C पर Li+ /Li, Ba2+ / Ba, Na+ / Na तथा Mg2+/Mg के मानक अपचयन इलेक्ट्रोड विभव क्रमशः -305,- 273 – 271 तथा -237 वोल्ट हैं। सबसे प्रबल ऑक्सीकारक है – (2009, 13, 18)
(i) Ba2+
(ii) Mg2+
(iii) Na+
(iv) Li+
उत्तर
(ii) Mg2+

प्रश्न 4.
किसी भी इलेक्ट्रोड का इलेक्ट्रोड विभव निर्भर करता है – (2012)
(i) धातु की प्रकृति पर
(ii) विलयन के ताप पर
(iii) विलयन की मोलरता पर
(iv) इनमें से सभी पर
उत्तर
(iv) इनमें से सभी पर

प्रश्न 5.
तत्त्वों A, B,C तथा D के मानक अपचयन विभव क्रमशः -2.90, +1.50, -0.74 तथा +0.34 वोल्ट हैं। इनमें सर्वाधिक विभव ऑक्सीकारक है – (2016)
(i) A
(ii) B
(iii) C
(iv) D
उत्तर
(ii) B

प्रश्न 6.
धातु जो सरलता से ऑक्सीकृत हो जाती है – (2017)
(i) Cu
(ii) Ag
(iii) Al
(iv) At
उत्तर
(iii) Al

प्रश्न 7.
चार धातुओं A, B, C तथा D के मानक ऑक्सीकरण इलेक्ट्रोड विभव क्रमशः + 1.5 वोल्ट,- 20 वोल्ट, + 0.84 वोल्ट तथा- 0.36 वोल्ट हैं। इन धातुओं की बढ़ती सक्रियता का क्रम है – (2017)
(i) A < B < C < D
(ii) D < C < B < A
(iii) A < C < D < B
(iv) B < C < D < A
उत्तर
(iii) A < C < D < B

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प्रश्न 8.
निम्न में कौन-सा ऑक्साइड हाइड्रोजन द्वारा अपचयित होगा? (2017)
(i) Na2O
(ii) MgO
(iii) Al2O3
(iv) Ag2O
उत्तर
(iv) Ag2O

प्रश्न 9.
Mg, Cu, Na तथा Au की सक्रियता का सही क्रम है – (2016)
(i) Au > Cu > Mg > Na
(ii) Mg > Cu > Au > Na
(iii) Na > Mg > Cu> Au
(iv) Cu > Mg > Na > Au
उत्तर
(iii) Na > Mg > Cu> Au

प्रश्न 10.
चार धातुओं A, B, C, D के मानक इलेक्ट्रोड विभव (E0) क्रमशः + 1.5 V, -20 V, + 0.34 V तथा – 0.76 v हैं। इन धातुओं की घटती हुई सक्रियता का क्रम है –(2014)
(i) A> C> D> B
(ii) A> B> D> C
(iii) B> D> C> A
(iv) D> A> B> C
उत्तर
(iii) B> D> C> A

प्रश्न 11.
A, B और C तत्त्वों का मानक अपचयन विभव क्रमशः +0.68 V,-0.50 V और-2.5 V है। उनकी अपचयन शक्ति का क्रम है – (2017)
(i) A > B > C
(ii) A > C > B
(iii) C > B > A
(iv) B > C > A
उत्तर
(ii) A > C > B

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प्रश्न 12.
धातु जो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से H, विस्थापित नहीं कर सकती है, वह है – (2017)
(i) Zn
(ii) Cu
(iii) Mg
(iv) Al
उत्तर
(ii) Cu

प्रश्न 13.
निम्न में से कौन-सी अभिक्रिया सम्भव नहीं है? (2017)
(i) Cu + 2AgNO3 → Cu (NO3)2 + 2Ag
(ii) CaO + H2 → Ca + H2O
(iii) CuO+ H2 → Cu + H2O
(iv) Fe + H2SO4 → FeSO4 + H2 ↑
उत्तर
(i) Cu + 2AgNO3 → Cu (NO3)2 + 2Ag

प्रश्न 14.
आर्यन जिसकी विद्युत चालकता जलीय विलयन में सबसे अधिक है, है – (2014)
(i) Li+
(ii) Na+
(iii) K+
(iv) Cs+
उत्तर
(iv) Cs+

प्रश्न 15.
अच्छे चालकत्व विलयन वाले पदार्थ हैं – (2017)
(i) दुर्बल वैद्युत अपघट्य
(ii) प्रबल वैद्युत अपघट्य
(iii) विद्युत अपघट्य
(iv) उत्प्रेरक
उत्तर
(ii) प्रबल वैद्युत अपघट्य

प्रश्न 16.
[latex s=2]\frac { N }{ 50 } [/latex] KCl विलयन की 25°C पर विशिष्ट चालकता 0.002765 म्हो सेमी-1  है। यदि विलयन सहित सेल का प्रतिरोध 400 ओम हो तो सेल स्थिरांक होगा – (2017)
(i) 0.553 सेमी-1
(ii) 1.106 सेमी-1
(iii) 2.212 सेमी-1
(iv) इनमें से कोई नही
उत्तर
(ii) 1.106 सेमी-1

प्रश्न 17.
जल के विद्युत अपघटन में बनी ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का भारात्मक अनुपात है – (2016)
(i) 2 : 1
(ii) 8 : 1
(iii) 16 : 1
(iv) 1 : 4
उत्तर
(i) 2 : 1

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प्रश्न 18.
हाइड्रोजन-ऑक्सीजन ईंधने सेल में नेट अभिक्रिया संपन्न होती है – (2016)
(i) 2H(g) +4 OH (aq) → 4H2O (l) +4e
(ii) O2(g) + 2H2O (l) → 2e + 4OH (aq)
(iii) 2H2(g) + O(g) → 2H2O (l)
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(iii) 2H2(g) + O(g) → 2H2O (l)

प्रश्न19.
सीसा संचायक सेल को आवेशित करने पर – (2017)
(i) PbO2 घुलता है।
(ii) लेड इलेक्ट्रोड पर PbSO4 जमता है।
(iii) H2SO4 पुन: बनता है।
(iv) अम्ल की मात्रा घटती है।
उत्तर
(ii) लेड इलेक्ट्रोड पर PbSO4 जमता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रेडॉक्स विभव किसे कहते हैं? (2014)
उत्तर
जब सेल में ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रिया होती है तो धातु और विलयन के मध्य स्थापित विभवान्तर को रेडॉक्स विभव कहते हैं; जैसे
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 32
यदि इस प्रकार के सेल का विभव E हो तो ऑक्सीकारक की सान्द्रता [Ox] तथा अपचायक की सान्द्रता [Red] में 25°C पर निम्नलिखित सम्बन्ध होता है –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 33
जहाँ, E° रेडॉक्स विभव है और n ऑक्सीकारक (Ox) द्वारा ग्रहण किये गये इलेक्ट्रॉनों की संख्या है। जिन्हें ऑक्सीकारक ग्रहण करके अपने संगत अपचायक में बदल देता है।

प्रश्न 2.
किसी सेल के विद्युत वाहक बल से क्या तात्पर्य है? (2017)
उत्तर
किसी सेल के इलेक्ट्रोडों के इलेक्ट्रोड विभवों में वह अन्तर, जब सेल से परिपथ में कोई विद्युत धारा नहीं बहती है, सेल को विद्युत वाहक बल कहलाता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित सम्भव अभिक्रियाओं की सहायता से Mg, Zn, Cu और Ag को उनके घटते हुए इलेक्ट्रोड विभव के क्रम में लिखिए – (2014)

  1. Cu + 2Ag+ → Cu2+ + 2Ag
  2. Mg + Zn2+ → Mg2+ + Zn
  3. Zn + Cu2+ → Zn2+ + Cu

उत्तर

  1. Cu + 2Ag+ → Cu2+ + 2Ag
    Cu > E°Ag
  2.  Mg + Zn2+ → Mg2+ + Zn
    Mg  > E°Zn
  3. Zn + Cu2+ → Zn2+ + Cu
    Zn > E°Cu

अतः E° का घटता हुआ क्रम इस प्रकार होगा –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 34

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प्रश्न 4.
Mg, Zn, Cu, Ag में से किस तत्त्व की अम्ल से अभिक्रिया होने पर हाइड्रोजन गैस विमुक्त होती है? (2015)
उत्तर
Mg तथा Zn अम्ल से अभिक्रिया करके H, गैस विमुक्त करते हैं क्योंकि विद्युत रासायनिक श्रेणी में Mg तथा Zn का स्थान हाइड्रोजन से ऊपर है अर्थात् Mg तथा Zn की अपचायक क्षमता हाइड्रोजन से अधिक है।

प्रश्न 5.
कॉपर सल्फेट के विलयन में लोहे की कील डालने पर क्या होगा? (2016)
उत्तर
कॉपर सल्फेट के विलयन में लोहे की कील डालने पर लोहे की कील के ऊपर कॉपर की परत चढ़ जायेगी, क्योंकि कॉपर की सक्रियता लोहे से कम होती है।

प्रश्न 6.
जिंक तथा ताँबे में से एक अम्लों से हाइड्रोजन गैस विस्थापित नहीं करता है। क्यों? (2016)
उत्तर
वैद्युत रासायनिक श्रेणी में जिंक हाइड्रोजन से ऊपर तथा ताँबा हाइड्रोजन से नीचे स्थित है जिसके कारण जिंक हाइड्रोजन से अधिक अपचायक है और ताँबा कम अपचायक है। इसीलिए जिंक अम्लों से हाइड्रोजन को विस्थाप्रित करता है परन्तु, ताँबा नहीं करता है।

प्रश्न 7.
यद्यपि विद्युत रासायनिक श्रेणी में ऐलुमिनियम हाइड्रोजन से ऊपर है किन्तु यह वायु और जल में स्थायी है। क्यों? (2016, 18)
उत्तर
यद्यपि विद्युत रासायनिक श्रेणी में ऐलुमिनियम हाइड्रोजन से ऊपर है किन्तु यह वायु और जल में स्थायी है क्योंकि यह गर्म जल या जलवायु के साथ उच्च ताप पर क्रिया करता है और साधारण ताप पर जल के साथ इसकी क्रिया मन्द होती है।

प्रश्न 8.
Zn तथा Fe, कॉपर सल्फेट (CuSO4) में Cu को विस्थापित कर सकते हैं, परन्तु Pt और Ag नहीं करते। कारण स्पष्ट कीजिए। (2009, 12, 13)
या
Zn, CuSO4 विलयन से कॉपर को विस्थापित कर सकता है जबकि सोना (Ag) ऐसा नहीं कर सकता है। क्यों? (2017)
उत्तर
कम इलेक्ट्रोड विभव वाली धातु अधिक इलेक्ट्रोड विभव वाली धातु को उसके लवण के विलयन में से प्रतिस्थापित कर देती है। विद्युत रासायनिक श्रेणी में नीचे की ओर चलने पर इलेक्ट्रोड विभव कम होता जाता है। चूंकि विद्युत रासायनिक श्रेणी में Zn तथा Fe धातुएँ Cu से नीचे स्थित हैं अत: (UPBoardSolutions.com) इनका इलेक्ट्रोड विभव Cu से कम होता है और ये Cu को उसके लवण विलयन CuSO4 में से विस्थापित कर देती हैं, जबकि Pt और Ag का स्थान विद्युत रासायनिक श्रेणी में Cu से ऊपर होता है जिसके कारण इनका इलेक्ट्रोड विभव Cu से अधिक होता है। इसी कारण से ये Cu को इसके लवण विलयन में से विस्थापित नहीं कर पाती हैं।

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प्रश्न 9.
सिल्वर नाइट्रेट के घोल में कॉपर की छड़ डालने पर घोल नीला क्यों हो जाता है? (2010, 16)
उत्तर
वैद्युत रासायनिक श्रेणी का प्रत्येक तत्त्व अपने से नीचे स्थित तत्त्वों को उसके विलयन से विस्थापित कर सकता है। श्रेणी में Cu का स्थान Ag से ऊपर है. अत: यह AgNO3 से निम्नलिखित क्रिया देगा –
Cu + 2AgNO3 → Cu2+ + 2NO3 + 2Ag
इस प्रकार विलयन में क्यूप्रिंक आयन (Cu2+) विद्यमान होने से विलयन का रंग नीला हो जायेगा।

प्रश्न 10.
विशिष्ट चालकता से क्या तात्पर्य है? इसका मात्रक क्या है? (2014, 17)
उत्तर
किसी चालक के विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम को उस चालक की विशिष्ट चालकता (या केवल चालकता) कहते हैं। इसे ग्रीक अक्षर K (कप्पा, kappa) से निरूपित किया जाता है।
k = [latex s=2]\frac { 1 }{ p } [/latex]
विशिष्ट चालकता के मात्रक ओम-1 सेमी-1 या Ω-1 सेमी-1 या S सेमी-1 हैं।

प्रश्न11.
एक विद्युत अपघट्य विलयन की मोलर चालकता को परिभाषित कीजिए तथा उसके मात्रक लिखिए। (2014, 18)
उत्तर
किसी विलयन के एक निश्चित आयतन में उपस्थित एक विद्युत अपघट्य पदार्थ के एक मोल द्वारा उपलब्ध कराये गये आयनों की चालकता को मोलर चालकता कहते हैं। इसे A से प्रदर्शित करते हैं। मोलर चालकता के मात्रक ओम-1 सेमी2 मोल-1 या S सेमी2 मोल-1 हैं।

प्रश्न 12.
कोलराउश का नियम क्या है? (2014, 15, 16, 17)
उत्तर
इस नियम के अनुसार, “किसी विद्युत अपघट्य की अनन्त तनुता पर चालकता इसके धनायनों तथा ऋणायनों की मोलर चालकताओं के योग के बराबर होती है, यदि प्रत्येक चालकता पद को विद्युत अपघट्य सूत्र में उपस्थित संगत आयनों की संख्या से गुणा किया जाये।”
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 35

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प्रश्न13.
मोलर चालकता तथा तुल्यांक चालकता में क्या सम्बन्ध है? (2017)
उत्तर
मोलर चालकता तथा तुल्यांक चालकता में निम्नलिखित सम्बन्ध है – UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 36

प्रश्न14.
विद्युत अपघटन की क्रियाविधि उपयुक्त उदाहरण सहित समझाइए। (2016)
उत्तर
किसी विद्युत अपघट्य का विद्युत धारा द्वारा अपघटन विद्युत अपघटन कहलाता है। उदाहरणार्थ- गलित सोडियम क्लोराइड में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह सोडियम और क्लोरीन में अपघटित हो जाता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 37

प्रश्न15.
फैराडे का विद्युत अपघटन का प्रथम नियम लिखिए। (2017)
उत्तर
इस नियम के अनुसार, “विद्युत अपघटन की प्रक्रिया में किसी इलेक्ट्रोड विशेष पर मुक्त (अथवा एकत्रित) पदार्थ का द्रव्यमान विलयन में प्रवाहित की गई विद्युत की मात्रा (कुल आवेश) के समानुपाती होता है।”

प्रश्न16.
फैराडे का विद्युत अपघटन का द्वितीय नियम लिखिए। (2016, 17)
उत्तर
इस नियम के अनुसार, “जब श्रेणीक्रम में जुड़े विभिन्न विद्युत अपघट्यों के विलयनों में समान मात्रा में विद्युत प्रवाहित की जाती है, तो इलेक्ट्रोडों पर मुक्त (या एकत्रित) पदार्थों के द्रव्यमान उनके तुल्यांक भारों के समानुपाती होते हैं।’
अर्थात्  W1 ∝ E1 W2 ∝ E2, [latex s=2]\frac { { W }_{ 1 } }{ { E }_{ 1 } } [/latex] = [latex s=2]\frac { { W }_{ 2 } }{ { E }_{ 1=2 } } [/latex] = [latex s=2]\frac { { W }_{ 3 } }{ { E }_{ 3 } } [/latex]

प्रश्न17.
विद्युत लेपन को उदाहरण द्वारा संक्षेप में समझाइए। (2014)
उत्तर
विद्युत अपघटन द्वारा कम सक्रिय धातु की कलई अधिक सक्रिय धातु पर चढ़ाई जाती है। इस प्रक्रिया को विद्युत लेपन कहते हैं। धातुओं की होने वाली अवांछनीय संक्षारण क्रिया को विद्युत लेपन द्वारा रोका जाता है।
उदाहरणार्थ– लोहे की चादर पर जिंक या टिन का लेप किया जाता है। क्योंकि जिंक या टिन की सक्रियता लोहे से कम है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विद्युत अपघटनी सेल तथा गैल्वेनी सेल में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (2014, 15, 17)
उत्तर
विद्युत अपघटनी सेल तथा गैल्वेनी सेल में निम्न अन्तर हैं –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 38

प्रश्न 2.
इलेक्ट्रोड विभव किसे कहते हैं? इसका मान किन-किन कारकों पर निर्भर करता है? (2012, 15)
उत्तर
जब किसी धातु (इलेक्ट्रोड) को उसी धातु के किसी लवण विलयन में रखा जाता है तो धातु तथा विलयन के सम्पर्क स्थल पर वैद्युत द्विक-स्तर (electrical double layer) उत्पन्न हो जाता है जिसके फलस्वरूप धातु तथा विलयन के मध्य विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है जिसे (UPBoardSolutions.com) इलेक्ट्रोड विभव (electrode potential) कहते हैं। इसे E° से प्रकट करते हैं और इसे वोल्ट में मापा जाता है। उदाहरणार्थ-जब कॉपर की छड़, कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोई जाती है तो कॉपर की छड़, विलयन के सापेक्ष ऋणावेशित हो जाती है जिससे कॉपर धातु और कॉपर आयनों के मध्य विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है।
Cu (s) [latex s=2]\rightleftharpoons [/latex] Cu2+ + 2e
इस विभवान्तर को कॉपर इलेक्ट्रोड का विभव कहते हैं।
इलेक्ट्रोड विभव निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –

  1. चालक की प्रकृति – जिस इलेक्ट्रोड की चालकता अधिक होगी वह उतना ही अधिक इलेक्ट्रोड विभवे उत्पन्न करता है।
  2. धात्विक आयन की विलयन में सान्द्रता – सान्द्रता बढ़ाने पर इलेक्ट्रोड विभव को मान घटता है, क्योंकि सान्द्रता बढ़ाने पर आयनन घट जाता है, फलस्वरूप चालकता कम हो जाती है।
  3. तापक्रम – इलेक्ट्रोड विभव का मान ताप पर भी निर्भर करता है जो ताप बढ़ाने पर आयनन बढ़ जाने के कारण बढ़ता है।

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प्रश्न 3.
मानक इलेक्ट्रोड विभव क्या है? इलेक्ट्रोड विभव (E) और मानक इलेक्ट्रोड विभव (E°) में सम्बन्ध लिखिए। (2016)
या
टिप्पणी लिखिए-नेर्नस्ट समीकरण। (2015, 16, 17)
उत्तर
मानकं इलेक्ट्रोड विभव – किसी धातु की छड़ को 25°C पर एक मोलर धातु आयन सान्द्रता के विलयन में डुबोने पर धातु और विलयन के मध्य जो विभवान्तर उत्पन्न होता है उसे धातु का मानक इलेक्ट्रोड विभव (E°) कहते हैं।
इलेक्ट्रोड विभव (E) और मानक इलेक्ट्रोड विभव (E°) में सम्बन्ध
माना एक इलेक्ट्रोड अभिक्रिया इस प्रकार है –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 39
नेर्नस्ट के अनुसार, किसी ताप T पर धातु इलेक्ट्रोड M| Mn+ के विभव E और विलयन में धातु आयनों की सान्द्रता [Mn+] में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है,
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 40

इसे नेर्नस्ट समीकरण भी कहते हैं।
जहाँ E° धातु का मानक इलेक्ट्रोड विभव (वोल्ट में), R गैस नियतांक (R= 8.312 JK-1 mol-1), T परम ताप (केल्विन में), F फैराडे नियतांक (F = 96,485 C mol-1), n इलेक्ट्रोड अभिक्रिया में भाग लेने वाले इलेक्ट्रॉनों के मोलों की संख्या तथा [Mn+] विलयन में धातु आयनों की सक्रियता (activity) अथवा मोल प्रति लीटर में व्यक्त सान्द्रता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित सेल के विद्युत वाहक बल की गणना कीजिए – (2017)
Cu | Cu++ (1M) | Ag+ (1M) | Ag
दिया है : E° Cu2+ | Cu= + 0.34 volt
E° Ag+ | Ag = + 0.80 volt
हल
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 41

प्रश्न 5.
निम्नलिखित सेल का e.m.f. निकालिए। यह भी बताइए कि कौन-सा इलेक्ट्रोड धन ध्रुव और कौन-सा ऋण ध्रुव है? सेल में होने वाली अर्द्ध अभिक्रियाएँ और पूर्ण अभिक्रियाएँ लिखिए – (2015)
Ni | Ni++ (0.1M) || Ag+ (0.1M) | Ag
E° Ni++ | Ni=- 0.25 v और E° Ag+ | Ag= + 0.80 V
हल
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 42
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 43

प्रश्न 6.
वैद्युत रासायनिक श्रेणी किसे कहते हैं? इसके प्रमुख लक्षण तथा दो प्रमुख उपयोग लिखिए। (2009, 10, 12, 14, 16, 17)
उत्तर
वैद्युत रासायनिक श्रेणी–विभिन्न धातुओं तथा अधातुओं के मानक इलेक्ट्रोड विभवों (अपचयन विभव) को बढ़ते हुए क्रम में रखने पर जो श्रेणी प्राप्त होती है, उसे वैद्युत रासायनिक श्रेणी कहते हैं।
वैद्युत रासायनिक श्रेणी के लक्षण

  1. श्रेणी में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर तत्त्वों की अपचयन क्षमता घटती है, जबकि नीचे से ऊपर जाने पर अपचयन क्षमता बढ़ती है।
  2. हाइड्रोजन से ऊपर के सभी तत्त्व अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं, जबकि नीचे वाले तत्त्व अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त नहीं करते।
  3. हाइड्रोजन से ऊपर के सभी तत्त्व जल या भाप के साथ क्रिया करके H, गैस देते हैं।
  4. जिस तत्त्व का अपचयन विभव जितना अधिक होता है, वह उतना ही प्रबल ऑक्सीकारक होता है।
  5. जिस तत्त्व का अपचयन विभव जितना कम होता है, वह उतना ही प्रबल अपचायक होता है।
  6. श्रेणी का ऊपर वाला तत्त्व नीचे वाले तत्त्व को उसके विलयन से विस्थापित कर देता है।

उपयोग – वैद्युत रासायनिक श्रेणी के दो उपयोग निम्नवत् हैं –

  1. किसी सेल के मानक वैद्युत वाहक बल का निर्धारण करने में,
  2. धातुओं की क्रियाशीलता की तुलना करने में।

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प्रश्न 7.
गरम करने पर HgO अपघटित हो जाता है परन्तु MgO नहीं। क्यों? (2017)
उत्तर
जो धातु विद्युत रासायनिक श्रेणी में Cu से नीचे हैं उनके ऑक्साइड कम स्थायी होते हैं और वे गर्म करने पर आसानी से अपघटित हो जाते हैं।
2HgO [latex s=2]\underrightarrow { \triangle } [/latex] 2Hg + O2
MgO [latex s=2]\underrightarrow { \triangle } [/latex] कोई विघटन नहीं

प्रश्न 8.
निम्नलिखित को कारण सहित समझाइए –

  1. क्लोरीन KI विलयन से I2 को विस्थापित कर देती है परन्तु I2, KBr विलयन से ब्रोमीन को विस्थापित नहीं करती है। क्यों ? (2017)
  2. Hg+ H2SO4 → HgSO4 + H2

उपर्युक्त अभिक्रिया सम्भव नहीं है। (2017)
उत्तर
1. Cl2 की ऑक्सीकारक क्षमता आयोडीन से अधिक है इसलिए Cl2 KI विलयन से आयोडीन को विस्थापित कर देती है।
2KI + Cl2 → 2KCl + I2
I2 की ऑक्सीकारक क्षमता ब्रोमीन से कम है इसलिए I2, KBr विलयन से ब्रोमीन को विस्थापित नहीं कर पाती है।
2KBr + I2 → कोई अभिक्रिया नहीं

2. Hg विद्युत रासायनिक श्रेणी में हाइड्रोजन से नीचे है इसलिए Hg, H2SO4 से हाइड्रोजन को विस्थापित नहीं कर पाती है।
Hg+ H2SO4 → कोई अभिक्रिया नहीं

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प्रश्न 9.
कोलराउश के नियम की सहायता से आप ऐसीटिक अम्ल की अनन्त तनुता पर मोलर चालकता किस प्रकार ज्ञात करेंगे? (2014, 15)
उत्तर
कोलराउश के नियम की सहायता से किसी दुर्बल विद्युत अपघट्य की अनन्त तनुता पर मोलर चालकता का निर्धारण आसानी से किया जा सकता है। जैसे- CH3COOH के लिए Δm का मान निम्न प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है –
कोलराउश के नियम के अनुसार,
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 44
यदि H+ आयन तथा CH3COO आयन के लिए अनन्त तनुता पर मोलर चालकताओं के मान ज्ञात हैं। तो उपर्युक्त समीकरण की सहायता से CH3COOH के लिए Δm का मान आसानी से ज्ञात किया जा सकता है। यदि आयनिक चालकताएँ ज्ञात नहीं हैं तो निम्न परोक्ष विधि का प्रयोग किया जाता हैपरोक्ष विधि में तीन (या अधिक) ऐसे प्रबल विद्युत अपघट्यों का चुनाव किया जाता है जिनके Δm के मानों (UPBoardSolutions.com) के योग/अन्तर से विचाराधीन दुर्बल विद्युत अपघट्य के Δm का मान प्राप्त किया जा सके जैसे- CH3COOH के Δm के मान को निर्धारित करने के लिए HCl, CH3COONa तथा NaCl का चुनाव किया जाता है और इनके Δm के मानों को बहिर्वेशन विधि द्वारा ज्ञात कर लिया जाता है। कोलराउश के नियम के अनुसार,
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 45

प्रश्न 10.
क्या कारण है कि गलित कैल्शियम हाइड्राइड का विद्युत अपघटन करने पर हाइड्रोजन ऐनोड पर मुक्त होती है? समझाइए। (2017)
उत्तर
गलित CaH2 में हाइड्रोजन हाइड्राइड आयन H के रूप में रहता है और विद्युत अपघटन करने पर H को ऑक्सीकरण होता है।
CaH2 → Ca2+ + 2H
2H → H2 +2e (ऐनोड)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न सेलों की संरचना तथा कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए

  1. शुष्क सेल तथा
  2. मर्करी सेल। (2014)

उत्तर
1. शुष्क सेल – यह सबसे अधिक प्रयोग किए जाने वाला प्राथमिक व्यापारिक सेल है। एक सामान्य शुष्क सेल को संलग्न चित्र में दर्शाया गया है। इसमें जिंक धातु से बना एक पात्र होता है जो ऐनोड का कार्य करता है। MnO2 + C चूर्ण से घिरी एक ग्रेफाइट छड़ कैथोड का कार्य करती है। जिंक पात्र (UPBoardSolutions.com) तथा ग्रेफाइट छड़ के मध्य के रिक्त स्थान में NH4Cl तथा ZnCl2 का एक नम पेस्ट भरा रहता है। जिंक पात्र के चारों ओर गत्ते का आवरण चढ़ा रहता है। सेल के ऊपरी सिरे को मोम अथवा पिच (pitch) से सील कर दिया जाता है।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 46
इस सेल में जटिल रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं।
इन अभिक्रियाओं को सरल रूप में निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है-
ऐनोड पर–  Zn(s) → Zn2+ + 2e
कैथोड पर– MnO2 + NH+4 +e → MnO(OH) + NH3

ऐनोड पर जिंक ऑक्सीकृत होकर Zn2+ आयनों में परिवर्तित होता है। कैथोड पर मैंगनीज +4 अवस्था से +3 ऑक्सीकरण अवस्था में अपचयित होता है। कैथोड अभिक्रिया में उत्पन्न अमोनिया ऐनोडिक अभिक्रिया में उत्पन्न Zn2+ आयनों से संयोग कर Zn(NH3)+4 आयनों का निर्माण करती है। Zn2+ आयनों के NH3 अणुओं द्वारा जटिलीकरण के कारण मुक्त Zn2+ आयनों की सान्द्रता घट जाती है। जिससे सेल की वोल्टता (voltage) में वृद्धि होती है।

शुष्क सेल का विभव लगभग 1.25 – 1.5 V होता है। इन सेलों की आयु अधिक नहीं होती है क्योंकि सेल में प्रयुक्त NH4Cl अम्लीय प्रकृति का होता है और प्रयोग में न लेने की अवस्था में भी जिंक पात्र का संक्षारण (corrosion) करता रहता है। यह एक प्राथमिक सेल है तथा इसे पुनः आवेशित करना सम्भव नहीं है।

(ii) मर्करी सेल – मर्करी सेल एक विशेष प्रकार का शुष्क सेल है जिसका उपयोग प्राय: घड़ी, कैमरा आदि छोटे यन्त्रों में ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाता है।
मर्करी सेल में जिंक-मर्करी अमलगम ऐनोड के रूप में कार्य करता है। मरक्यूरिक ऑक्साइड (HgO) तथा कार्बन का एक पेस्ट कैथोड का कार्य करता है। पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) तथा जिंक ऑक्साइड (ZnO) के एक पेस्ट को विद्युत अपघट्य के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। सेल में निम्न अभिक्रियाएँ होती हैं –
ऐनोड पर – Zn (amalgam) + 2OH → ZnO(s) + H20+ 2e
कैथोड पर – HgO(s) + H2O+ 2e → Hg(l) + 2OH
नेट सेल अभिक्रिया –
Zn(amalgam) + HgO(s) → ZnO(s) + Hg(l)

इस सेल की सेल अभिक्रिया में विलयन में उपस्थित कोई ऐसा आयन निहित नहीं है जिसकी सान्द्रता में परिवर्तन हो सकता हो। इस कारण इस सेल का सेल विभव केवल प्रयोग की अवधि में ही नहीं अपितु इसके सम्पूर्ण कार्यकाल में स्थिर रहता है। इसका सेल विभव लगभग 1.35 V है।

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प्रश्न 2.
एक लेड संचायक बैटरी की संरचना तथा कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए। इस बैटरी के पुनः आवेशन में निहित अभिक्रियाओं को लिखिए।
या
किसी व्यापारिक सेल का वर्णन कीजिए। (2015)
या
सीसा संचायक सेल का संक्षिप्त वर्णन करते हुए इसके ऐनोड और कैथोड पर होने वाली अभिक्रियाएँ लिखिए। (2018)
उत्तर
लेड संचायक बैटरी – यह सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली संचायक बैटरी है। इसका उपयोग सभी स्वचालित वाहनों, जैसे-कार, बस आदि में तथा घरेलू ऊर्जा स्रोतों (power inverters) में किया जाता है। इसमें अनेक लेड संचायक सेल (lead storage cells) श्रेणीक्रम में व्यवस्थित होते हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 47
एक लेड संचायक सेल वास्तव में एक गैल्वेनिक सेल है जिसमें ऐनोड सूक्ष्म वितरित स्पंजी लेड (finely divided spongy lead) से पैक की गई लेड (या लेड-ऐन्टीमनी मिश्र धातु) की एक जाली का बना होता है, जबकि कैथोड लेड डाइऑक्साइड (PbO2) की एक परत युक्त (UPBoardSolutions.com) एक लेड की जाली का बना होता है। विद्युत अपघट्य के रूप में सल्फ्यूरिक अम्ल के एक तनु विलयन (लगभग 38% द्रव्यमानानुसार) का प्रयोग किया जाता है जिसका विशिष्ट घनत्व (specific gravity) 1.3 g cm होता है। एक संचायक सेल का सेल विभव 2 वोल्ट होता है।

लेड संचायक बैटरी बनाने के लिए अनेक लेड संचायक सेलों को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। सेल विभव (emf) 12 V प्राप्त करने के लिए 6 सेलों को तथा सेल विभव 24 V प्राप्त करने के लिए 12 सेलों को श्रेणीक्रम में जोड़ने की आवश्यकता होती है। एक लेड संचायक बैटरी में ऐनोड तथा कैथोड़ प्लेटें (जिन्हें ग्रिड (grids) कहा जाता है। एकान्तर रूप में व्यवस्थित होती हैं तथा सल्फ्यूरिक अम्ल के 38% विलयन में डूबी रहती हैं। ऐनोडों तथा कैथोडों को एक-दूसरे से पृथक् करने के लिए कुचालक पदार्थ से बने पृथक्कारकों (separators) को प्रयोग किया जाता है। ऐलोड तथा कैथोड प्लेटें पृथक् रूप से एक-दूसरे से जोड़ दी जाती हैं। इससे इलेक्ट्रोडों के पृष्ठ क्षेत्रफल में वृद्धि होती है तथा बैटरी की विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो जाती है।

बैटरी में स्थित प्रत्येक सेल में निम्न इलेक्ट्रोड अभिक्रियाएँ होती हैं –
ऐनोड पर : Pb(s) + SO2-4(aq) → PbSO4 (5) + 2e
कैथोड पर : PbO2 (s) + SO2-4 (aq) + 4H+ (aq) + 2e → PbSO4 (s) + 2H2O
शुद्ध सेल अभिक्रिया :
Pb (s) + PbO2 (s) + 4H+ (aq) + 2SO2-4 (aq) → 2PbSO4 (s) + 2H2O
उपर्युक्त अभिक्रियाओं से स्पष्ट है कि सेल (बैटरी) से विद्युत-धारा ग्रहण करने की प्रक्रिया (discharging of the cell) में सल्फ्यूरिक अम्ल का उपभोग होता है और इस कारण सेल में उपस्थित सल्फ्यूरिक अम्ल तनु हो जाता है एवं इसका विशिष्ट घनत्व कम हो जाता है। (UPBoardSolutions.com) दोनों प्रकार के इलेक्ट्रोडों पर PbSO4 का सफेद अवक्षेप जमा हो जाता है। जब सल्फ्यूरिक अम्ल का विशिष्ट घनत्व
1.2 g cm-3 से कम हो जाता है तथा दोनों प्रकार के इलेक्ट्रोड PbSO4 से आच्छादित हो जाते हैं तो सेल अभिक्रिया रुक जाती है। ऐसे सेल (बैटरी) को निरावेशित (discharged) कहा जाता है। इस स्थिति में सेल (बैटरी) को पुनः आवेशित करने की आवश्यकता होती है।

पुनः आवेशन—निरावेशित लेड संचायक सेल (बैटरी) को विपरीत दिशा में किसी बाह्य स्रोत से दिष्ट धारा (D.C.) प्रवाहित कर पुनः आवेशित किया जा सकता है। इसके लिए संचायक सेल (बैटरी) के ऋणात्मक इलेक्ट्रोड टर्मिनल को एक दिष्ट धारा स्रोत के ऋणात्मक से तथा सेल (बैटरी) के धनात्मक इलेक्ट्रोड को स्रोत के धनात्मक टर्मिनल से जोड़ा जाता है। विद्युत धारा प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रोड
अभिक्रियाएँ उत्क्रमित हो जाती हैं जिससे PbSO4 ऋणात्मक इलेक्ट्रोड पर Pb में तथा धनात्मक इलेक्ट्रोड पर PbO2 में परिवर्तित हो जाता है। पुनः आवेशन के समय निम्न अभिक्रियाएँ होती हैं –

ऐनोड पर – PbSO4 (5) + 2e → Pb(s) + SO2-4 (aq)
कैथोड पर – PbSO4 (s) + 2H2O → PbO2(s) + 4H+ (aq) + SO4 (aq) + 2e
शुद्ध आवेशन अभिक्रिया
2PbSO4 (s) + 2H2O [latex s=2]\underrightarrow { Charging } [/latex] Pb(s) + PbO2(s) + 4H+ (aq) + 2SO2-4 (aq)
उपर्युक्त अभिक्रियाओं से स्पष्ट है कि सेल (बैटरी) की पुन: आवेशन प्रक्रिया में इलेक्ट्रोड पदार्थ अपने मूल रूप में पुनः प्राप्त हो जाते हैं तथा H+ एवं SO2-4 आयनों के निर्माण (UPBoardSolutions.com) के कारण H2SO4 के विशिष्ट घनत्व में वृद्धि होती है और यह बढ़कर पुनः 1.3 g cm-3 हो जाता है। इस प्रकार सेल (बैटरी) पुनः विद्युत धारा को उत्पन्न करने में सक्षम हो जाती है और इसे पुन: उपयोग में लाया जा सकता है।

प्रश्न 3.
संक्षारण क्या है और यह किन कारकों पर निर्भर करता है? इसे एक विद्युत रासायनिक घटना क्यों माना जाता है? (2015)
या
लोहे पर जंग लगने से क्या तात्पर्य है? किन परिस्थितियों में लोहे पर जंग लगती है? जंग लगने की क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।
या
लोहे को जंग लगने से बचाने के लिए प्रयुक्त कुछ प्रमुख विधियों का वर्णन कीजिए।
या
संक्षारण से आप क्या समझते हैं? इसे प्रेरित करने वाले मुख्य कारकों का वर्णन कीजिए।
या
धातुओं के बलिदानी रक्षण का क्या अभिप्राय है और इसे कैसे सम्पन्न किया जाता है?
या
कैथोडिक रक्षण से आप क्या समझते हैं? यह किस प्रकार लोहे को जंग लगने से बचाता है?
उत्तर
संक्षारण – जब एक धातु को किसी विशिष्ट वातावरण में रखा जाता है तो वह वातावरण से क्रिया कर सकती है जिसके फलस्वरूप उसकी सतह कलुषित (deteriorate) हो सकती है। इस घटना को संक्षारण (corrosion) कहते हैं।

अधिकांश धातुएँ वायुमण्डल में रखे जाने पर किसी न किसी रूप में प्रभावित होती हैं। वायुमण्डल में उपस्थित गैसें धातु से मन्द गति से क्रिया कर उसकी सतह को कलुषित कर देती हैं। इससे धातुएँ अपनी विशिष्ट चमक खो देती हैं। कुछ धातुओं की शक्ति कम हो जाती है और वे दुर्बल तथा भंगुर (UPBoardSolutions.com) (brittle) । हो जाती हैं। चाँदी की चमक का कम होना (tarnishing of silver), लोहे पर जंग लगना (rusting on iron), ताँबे या कॉसे पर हरी परत का जमा होना आदि संक्षारण के कुछ सामान्य उदाहरण हैं। संक्षारण को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है –
किसी निश्चित वातावरण की मन्द किन्तु स्वतः प्रवर्तित क्रिया द्वारा धातुओं की सतह के कलुषित (deteriorate) होने की प्रक्रिया को संक्षारण कहा जाता है।

संक्षारण को प्रभावित करने वाले कारक
धातुओं का संक्षारण अनेक कारकों पर निर्भर करता है। इनमें से कुछ प्रमुख कारक निम्न हैं –
1. धातु की क्रियाशीलता – अधिक क्रियाशील धातु के संक्षारण की सम्भावना किसी अन्य कम क्रियाशील धातु की तुलना में अधिक होती है। उदाहरणार्थ- लोहा अपने से कम क्रियाशील धातु चाँदी की तुलना में अधिक तेजी से संक्षारित होता है। किसी धातु की क्रियाशीलता उसकी विद्युत धनात्मक प्रकृति पर निर्भर करती है। धातु की विद्युत धनात्मक प्रकृति जितनी अधिक होगी, वह उतनी ही अधिक क्रियाशील होगी। इस प्रकार धातुएँ जैसे-Na, Ca, Mg, Al, Zn आदि शीघ्रता से संक्षारित होती हैं।

2. धातु में अशुद्धियों की उपस्थिति – शुद्ध धातुएँ प्राय: अधिक संक्षारित नहीं होती हैं। एक धातु में अन्य अशुद्ध धातुओं की उपस्थिति उस धातु में संक्षारण को प्रेरित करती है। इसका कारण यह है कि कम विद्युत धनात्मक अशुद्ध धातुएँ ग्राही धातु के साथ गैल्वेनिक सेलों का निर्माण करती हैं जिससे ग्राही धातु संक्षारित हो जाती है।

3. जल में विद्युत अपघट्यों की उपस्थिति – जल में विद्युत अपघट्य पदार्थों की उपस्थिति संक्षारण की दर में वृद्धि करती है। उदाहरणार्थ-लोहे का संक्षारण आसुत जल की (UPBoardSolutions.com) तुलना में समुद्री जल में अधिक सीमा तक होता है, क्योंकि समुद्री जल में अनेक विद्युत अपघट्य जैसे NaCl, KCl आदि घुले रहते हैं।

4. वायु में क्रियाशील गैसों की उपस्थिति – वायु में उपस्थित क्रियाशील गैसें; जैसे- CO2 , SO2, NO2 आदि जल में घुलकर अम्लों का निर्माण करती हैं, जो विद्युत-अपघट्यों का कार्य करते हैं एवं संक्षारण प्रक्रिया को त्वरित करते हैं।

लोहे पर जंग लगना – जब लोहे के एक टुकड़े को नम वायु में खुला रखा जाता है, तो उसकी सतह पर एक लाल-भूरी (reddish brown) परत बन जाती है। इस परत को आसानी से खुरचा जा सकता है। नम वायु की क्रिया द्वारा लोहे की सतह पर एक लाल-भूरी परत के जमा होने की प्रक्रिया को जंग लगना कहते हैं तथा लाल-भूरी परत को जंग कहा जाता है।

लोहे पर जंग लगना वास्तव में वायु, जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड की लोहे से संयुक्त अभिक्रिया के कारण होता है। पूर्णरूप से शुष्क वायु या वायु मुक्त शुद्ध जल में (UPBoardSolutions.com) लोहे पर जंग नहीं लगती है। जंग की सही संरचना वायुमण्डलीय परिस्थितियों तथा जंग को प्रेरित करने वाले कारकों के सापेक्ष योगदान पर निर्भर करती है। यह मुख्य रूप से जलयोजित फैरिक ऑक्साइड Fe2O3.xH2O है। इसके निर्माण को सरल रूप में निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है –
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 48
जंग लगने की प्रक्रिया में नम वायु की उपस्थिति में सर्वप्रथम लोहे की बाहरी सतह जंग ग्रस्त होती है। और सतह पर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड (जंग) की एक परत जमा हो जाती है। यह परत मुलायम तथा सरन्ध्र होती है और मोटाई बढ़ने पर स्वयं नीचे गिर सकती है। परत के नीचे गिरने से लोहे की आन्तरिक परत वायुमण्डल के सम्पर्क में आ जाती है और उस पर भी जंग लग जाती है। इस प्रकार यह प्रक्रम चलता रहता है और धीरे-धीरे लोहा अपनी शक्ति खोता रहता है।
लोहे पर जंग लगने की प्रक्रिया निम्नलिखित कारकों से प्रेरित तथा अधिशासित होती है –

  1. वायु की उपस्थिति
  2. नमी की उपस्थिति
  3. कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति
  4. जल में विद्युत अपघट्यों की उपस्थिति
  5. लोहे में कम विद्युत धनात्मक धातुओं की अशुद्धि के रूप में उपस्थिति

संक्षारण की क्रियाविधि – संक्षारण की क्रियाविधि की व्याख्या करने के लिए समय-समय पर अनेक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। इन सिद्धान्तों में विद्युत रासायनिक सिद्धान्त (electrochemical theory) सर्वाधिक मान्य है।

विद्युत रासायनिक सिद्धान्त के अनुसार, संक्षारण मूल रूप से एक विद्युत रासायनिक घटना है। यह मुख्य रूप से धातु सतह के विभिन्न भागों के विद्युत रासायनिक व्यवहारों में भिन्नता के कारण सम्पन्न होती है। लोहे पर जंग लगना संक्षारण का एक विशिष्ट रूप है। विद्युत रासायनिक सिद्धान्त के आधार पर संक्षारण की क्रियाविधि को लोहे पर जंग लगने के उदाहरण से निम्न प्रकार से आसानी से समझा जा (UPBoardSolutions.com) सकता है। लोहे पर जंग लगने की क्रियाविधि-लोहे का संक्षारण उस समय होता है जब इसे जल, घुलित ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड युक्त वातावरण में रखा जाता है। विद्युत रासायनिक सिद्धान्त के अनुसार, लोहे की सतह के रासायनिक रूप से भिन्न भाग घुलित ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड युक्त जल की उपस्थिति में लघु गैल्वेनिक सेलों (miniature galvanic cells) की भाँति व्यवहार करते हैं। सतह का एक भाग ऐनोड की भाँति तथा कोई अन्य भाग कैथोड की भाँति कार्य करता है। इसके फलस्वरूप ऐनोडिक क्षेत्र (anodic area) में ऑक्सीकरण की क्रिया सम्पन्न होती है और आयरन परमाणु Fe2+ आयनों में ऑक्सीकृत हो जाते हैं।
ऐनोडिक क्षेत्र में
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 49
इस प्रकार मुक्त इलेक्ट्रॉन धातु माध्यम में गति कर कैथोडिक क्षेत्र में पहुँच जाते हैं। कैथोडिक क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन H+ आयनों की उपस्थिति में ऑक्सीजन को अपचयित करते हैं। H’ आयनों का निर्माण जल परत में H2CO3 के वियोजन के कारण होता है जो CO2 के जल में घुलने से प्राप्त होता है।
जल परत में– H2O(l) + CO2 (g) → H2CO3 (aq)
H2CO3 (aq) [latex s=2]\rightleftharpoons [/latex] H+ (aq) + HCO3 (aq)

कैथोडिक क्षेत्र में – O2 (g) + 4H+ (aq) + 4e → 2H2O (l); E° = 1.23 V
इस प्रकार लोहे की सतह पर स्थित एक लघु गैल्वेनिक सेल में सम्पन्न होने वाली नेट अभिक्रिया को निम्न प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है –

ऐनोड पर – [Fe(s) → Fe2+ (aq) + 2e ] x 2
कैथोड पर – O2 (g) + 4H+ (aq) +4e → 2H2O(l)
नेट अभिक्रिया
2Fe(s) + O2(g) + 4H+ (aq) → 2Fe2+ (aq) + 2H2O(l); E° cell = 1.67 V

उपर्युक्त अभिक्रिया में निर्मित Fe2+ आयन लोहे की सतह पर स्थित जल परत में गति करने लगते हैं। यदि जल परत में NaCl, MgCl2 आदि विद्युत अपघट्य उपस्थित हैं तो लघु सेल में अधिक विद्युत धारा का संचालन होता है तथा जंग लगने की प्रक्रिया तीव्र हो जाती है।
एक लघु गैल्वेनिक सेल में निर्मित Fe2+ आयन वायुमण्डलीय ऑक्सीजन द्वारा Fe3+ आयनों में ऑक्सीकृत हो जाते हैं तथा वायुमण्डलीय ऑक्सीजन एवं नमी से संयोग कर जलयोजित आयरन (III) ऑक्साइड (Fe2O3 . xH2O) का निर्माण करते हैं जो लोहे की सतह पर जंग के रूप में जमा हो जाता है।
4Fe2+ (aq) + O2 (g) + 4H2O(l)-→ 2Fe2O3 (s) + 8H+
UP Board Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 3 Electro Chemistry image 50
उपर्युक्त अभिक्रिया में उत्पन्न हुए H+ ओयन जंग लगने की प्रक्रिया में पुन: उपभोगित हो जाते हैं। यदि लोहे में कम विद्युत धनात्मक धातुएँ अशुद्धि के रूप में उपस्थित हैं तो जंग लगने की प्रक्रिया त्वरित हो जाती है क्योकि अशुद्धियाँ लोहे की सतह पर अनेक लघु गैल्वेनिक सेलों का निर्माण (UPBoardSolutions.com) करती हैं। अत्यन्त शुद्ध लोहे पर शीघ्रता से जंग नहीं लगती है। जल में विद्युत अपघट्यों की उपस्थिति जंग प्रक्रिया को त्वरित करती है क्योंकि अपघट्य लोहे की सतह पर उपस्थित जल परत की विद्युत चालकता में वृद्धि करते हैं। यही कारण है कि आसुत जल की तुलना में समुद्री जल में लोहे पर अधिक तेजी से जंग लगती है।

संक्षारण से बचाव – संक्षारण से बचाव की कुछ प्रमुख विधियाँ निम्न हैं –
1. अवरोध रक्षण – लोहे को जंग लगने से बचाने के लिए इस विधि का काफी उपयोग किया जाता है। इस विधि में धातु सतह तथा वायुमण्डलीय वायु के मध्य एक उपयुक्त अवरोध का निर्माण किया जाता है! इससे धातु सतह वायु, जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड की क्रिया से बची रहती है और संक्षारित नहीं होती है। अवरोध रक्षण निम्न में से किसी भी विधि द्वारा किया जा सकता है –

  1. धातु की सतह पर तेल या ग्रीस के लेपन द्वारा – लोहे की सतह पर तेल या ग्रीस (grease) की एक पतली फिल्म बनाकर उसे जंग लगने से बचाया जा सकता है। लोहे के औजारों तथा मशीनी भागों (machinery parts) को इसी प्रकार जंग लगने से बचाया जाता है।
  2. धातु सतह पर पेंट के लेपन द्वारा – धातु सतह पर किसी पेंट (paint), एनामिल (enamel) आदि का एक पतली परत के रूप में लेपन करने से धातु संक्षारित होने से बच जाती है।
  3. धातु पर कुछ विशिष्ट रसायनों के लेपन द्वारा – लोहे की सतह पर FePO4 या अन्य किसी उपयुक्त रसायन का लेप कर उसे जंग लगने से बचाया जा सकता है। रसायन की पतली अविलेय परत लोहे को वायु तथा नमी के सम्पर्क से बचाकर इस पर जंग नहीं लगने देती है।
  4. धातु पर असंक्षारणीय धातुओं की परत द्वारा – किसी असंक्षारणीय धातु; जैसे- निकिल, क्रोमियम आदि की एक पतली परत को किसी धातु पर चढ़ाकर भी उसकी संक्षारण से रक्षा की जा सकती है। जैसे, लोहे पर निकिल या क्रोमियम की एक पतली परत द्वारा लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है।

2. बलिदानी रक्षण – इस विधि में धातु का रक्षण उसकी सतह पर लेपित एक अन्य अधिक सक्रिय धातु के बलिदान द्वारा किया जाता है। जब एक धातु की सतह को एक अधिक सक्रिय धातु से आवृत कर दिया जाता है, तो अधिक सक्रिय धातु प्रथम धातु की तुलना में वरीयता से इलेक्ट्रॉन त्याग (UPBoardSolutions.com) कर आयनिक अवस्था में परिवर्तित होती रहती है। इससे अधिक सक्रिय धातु धीरे-धीरे उपभोगित होती रहती है और प्रथम धातु की संक्षारण से रक्षा करती है। जब तक अधिक सक्रिय धातु संक्षारणीय धातु की सतह पर स्थित होती है तब तक प्रथम धातु-संक्षारण से बची रहती है।

लोहे का गैल्वेनीकरण – जिंक लोहे से अधिक क्रियाशील (अधिक विद्युत धनात्मक) है, अत: जिंक का उपयोग प्राय: लोहे की सतह को आवृत करने के लिए किया जाता है। लोहे की सतह पर जिंक की एक पतली परत को जमा करने की प्रक्रिया को गैल्वेनीकरण कहा जाता है। गैल्वेनीकरण को निम्न दो प्रकार से सम्पन्न किया जा सकता है –

  1. लोहे को पिघले जिंक में डुबोकर – इस विधि में लोहे की चादरों को पिघले जिंक में डुबोया जाता है और इसके पश्चात् उन्हें गर्म रॉलरों (rollers) के मध्य से गुजारा जाता है, जिससे लोहे की चादर से चिपका अतिरिक्त जिंक हट जाता है और उस पर जिंक की एक समान पतली परत शेष रह जाती है।
  2. शेरार्डीकरण द्वारा – इस विधि में जिंक चूर्ण को उच्च ताप पर गर्म किया जाता है और प्राप्त जिंक वाष्प को लोहे की चादरों की सतह पर संघनित होने दिया जाता है, जिससे उन पर जिंक की एक
    पतली तथा एक समान परत जमा हो जाती है।

लोहे की सतह पर स्थित जिंक की परत के कारण लोहे की सतह वायु तथा नमी के सम्पर्क में नहीं आने पाती है। जिंक की परत में खरोंच अथवा दरारें उत्पन्न होने पर भी लोहे पर जंग नहीं लगती है। इसका कारण यह है कि जिंक का मानक अपचयन विभव लोहे के मानक अपचयन विभव से कम है। स्पष्ट है कि लोहे की तुलना में जिंक में ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। जिंक परत में दरार पड़ने (UPBoardSolutions.com) पर जिंक परत ऐनोड की भाँति तथा लोहे की खुली सतह कैथोड की भाँति कार्य करने लगती है। ऐनोड पर जिंक के ऑक्सीकरण में उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन आयरन कैथोड पर जाकर वायुमण्डलीय ऑक्सीजन को जल में अपचयित कर देते हैं। ऑक्सीकरण के कारण जिंक परत वायुमण्डलीय O2, CO2 तथा नमी की उपस्थिति में भास्मिक जिंक कार्बोनेट, ZnCO3, Zn(OH)2 में परिवर्तित हो जाती है। यह परत लोहे की खुली सतह को जंग लगने से बचाती है।

टिन द्वारा लोहे की रक्षण – लोहे की सतह पर टिन की एक पतली परत जमाकर भी उसकी जंग लगने से रक्षा की जा सकती है। लोहे की सतह को टिन की एक पतली परत से आवृत करने की प्रक्रिया को टिनिंग (tinning) कहा जाता है। टिनिंग द्वारा लोहा (आयरन) उस समय तक रक्षित रहता है जब तक कि टिन परत अक्षुण (intact) रहती है। यदि टिन परत में खरोंच या दरारें उत्पन्न हो जाती हैं तो लोहा आरक्षित हो जाता है और उस पर जंग लगना प्रारम्भ हो जाता है। इसका कारण यह है कि आयरन का मानक अपचयन विभव टिन से कम है।

इससे स्पष्ट है कि टिन की तुलना में आयरन में ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। अत: यदि टिन परत में दरार उत्पन्न हो जाती है तो सतह के खुले भाग में उपस्थित आयरन एक ऐनोड का तथा टिन परत एक कैथोड का कार्य करने लगती है। इसके फलस्वरूप आयरन वरीयता से ऑक्सीकृत होकर जंग ग्रस्त हो जाता है।

3. जंग-रोधी विलयनों द्वारा रक्षण – लोहे के संक्षारण को जंग-रोधी विलयनों द्वारा भी रोका जा सकता है। इस प्रकार के विलयन प्रायः क्षारीय फॉस्फेट या क्रोमेट विलयन होते हैं। विलयन का क्षारीय माध्यम H+ आयनों की उपलब्धता को कम करता है। चूंकि H+ आयन जंग लगने के लिए (UPBoardSolutions.com) अपरिहार्य हैं, अतः उनके कम होने से जंग लगने की प्रक्रिया मन्द हो जाती है। इसके अतिरिक्त फॉस्फेटों में धातु पर आयरन फॉस्फेट की एक परत का आवरण चढ़ाने की प्रवृत्ति होती है। यह परत धातु की जंग लगने से रक्षा करती है। इस प्रकार के विलयनों का प्रयोग स्वचालित वाहनों के इंजनों के भागों को तथा कार रेडियेटरों की जंग लगने से रक्षा करने के लिए किया जाता है।

4. कैथोडिक रक्षण या विद्युत रक्षण – इस विधि का उपयोग धरातल के नीचे दबे पाइपों तथा टैंकों के रक्षण के लिए किया जाता है। इस विधि में रक्षित की जाने वाली धातु को एक अधिक सक्रिय (अधिक विद्युत धनात्मक) धातु से जोड़ा जाता है।

धरातल के नीचे स्थित जिस लोहे के पाइप या टैंक की जंग लगने से रक्षा करनी होती है उसके निकट एक सक्रिय धातु जैसे Zn या Mg की एक प्लेट या ब्लॉक को रखा जाता है और दोनों को एक तार से जोड़ दिया जाता है। चूंकि अधिक सक्रिय धातु में ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति अधिक होती है। (UPBoardSolutions.com) अत: यह लोहे की तुलना में वरीयती से ऑक्सीकृत होती रहती है। इस प्रकार अधिक सक्रिय धातु एक ऐनोड का कार्य करती है। उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन कैथोड की भाँति कार्य कर रहे लोहे के पाइप पर जाकर O, को OH आयनों में अपचयित कर देते हैं।
O2 + 2H2O + 4e → 4OH
सक्रिय धातु के ऑक्सीकरण के कारण ऐनोड धीरे-धीरे लुप्त होता रहता है। इस प्रकार लोहे का पाइप या अन्य वस्तु जंग लगने से रक्षित रहती है और सक्रिय धातु ऐनोड व्यतित होता रहता है। जब तक सक्रिय धातु उपस्थित होती है, लोहे के पाइप पर जंग नहीं लगती है। इस विधि में समय-समय पर सक्रिय धातु के पुराने ऐनोड के स्थान पर नया ऐनोड स्थापित करना आवश्यक होता है।

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UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 10 Gravitation

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 10 Gravitation (गुरुत्वाकर्षण)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 10 Gravitation (गुरुत्वाकर्षण).

पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 149)

प्रश्न 1.
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम बताइये।
उत्तर-
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम-विश्व का प्रत्येक पिंड प्रत्येक अन्य पिंड को एक बल से आकर्षित करता है, जो दोनों पिंडों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा (UPBoardSolutions.com) उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह बल दोनों पिंडों को मिलाने वाली रेखा की दिशा में लगता है।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 10 Gravitation
चित्र- किन्हीं दो एकसमान पिंडों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल उनके केंद्रों को मिलाने वाली रेखा की दिशा में निदेशित होता है।

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प्रश्न 2.
पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का परिमाण ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 152)

प्रश्न 1.
मुक्त पतन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
जब किसी वस्तु को किसी, मीनार या मकान की छत से मुक्त रूप से छोड़ा जाता है तो वस्तु पृथ्वी के आकर्षण के कारण बढ़ते हुए वेग से पृथ्वी तल की ओर गिरती है। पृथ्वी के आकर्षण के कारण किसी वस्तु का मुक्त रूप से पृथ्वी तल की ओर गिरना मुक्त पतन कहलाता है।

प्रश्न 2.
गुरुत्वीय त्वरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
पृथ्वी के आकर्षण के कारण पृथ्वी तल की ओर गिरती हुई किसी वस्तु का त्वरण ‘गुरुत्वीय त्वरण कहलाता है।
इसे ‘g’ से प्रदर्शित करते हैं। पृथ्वी तल पर (UPBoardSolutions.com) गुरुत्वीय त्वरण का मान 9.8 m/s² है।

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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 153)

प्रश्न 1.
किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में क्या अन्तर है?
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प्रश्न 2.
किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार पृथ्वी पर इसके भार का [latex]\frac { 1 }{ 6 }[/latex] गुणा क्यों होता है?
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 10 Gravitation
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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 157)

प्रश्न 1.
एक पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है, क्यों?
उत्तर-
जब स्कूल बैग को उसके साथ लगे एक पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से उठाते हैं तो हाथ तथा डोरी के मध्य संपर्क क्षेत्रफल बहुत कम होता है तथा स्कूल बैग के भार के कारण हमारे हाथ पर दाब अधिक पड़ता है क्योंकि जब बल छोटे क्षेत्रफल पर लगता है तो दाब अधिक होता है (UPBoardSolutions.com) अर्थात् बल का प्रभाव अधिक होता है इसी कारण स्कूल बैग को पतली डोरी से बने पट्टे की सहायता से उठाना कठिन है।

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प्रश्न 2.
उत्प्लावकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
जब किसी वस्तु को किसी तरल पदार्थ में डुबाया जाता है तो उस वस्तु पर ऊपर की दिशा में एक बल लगता है। यह बल वस्तु द्वारा हटाए गए तरल पदार्थ के भार के बराबर होता है। इस प्रकार वस्तु पर ऊपर की ओर लगने वाले बल को उत्प्लावकता बल या उत्प्लावन बल कहते हैं। यदि तरल पदार्थ का घनत्व अधिक होगा तो वस्तु द्वारा हटाए गये तरल पदार्थ का भार भी अधिक होगा और उत्प्लावन बल भी अधिक होगा।

प्रश्न 3.
पानी की सतह पर रखने पर कोई वस्तु क्यों तैरती या बुबती है?
उत्तर-
जब किसी वस्तु को पानी की सतह पर रखा जाता है या पानी में डुबाया जाता है तो यदि वस्तु द्वारा हटाए गये पानी का भार वस्तु के भार से अधिक है अर्थात् वस्तु का घनत्व पानी के घनत्व से कम है तो वस्तु पानी पर तैरती रहेगी। यदि वस्तु द्वारा हटाए गये पानी का भार वस्तु के भार से कम हो अर्थात् वस्तु का घनत्व पानी से अधिक हो तो वस्तु पानी में डूब जायेगी।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 158)

प्रश्न 1.
एक तुला (weighing machine) पर आप अपना द्रव्यमान 42 kg नोट करते हैं। क्या आपको द्रव्यमान 42 kg से अधिक है या कम?
उत्तर-
वास्तव में हमारा द्रव्यमान 42 kg से अधिक है। जब हम अपना भार एक कमानीदार तुला से मापते हैं। तो वायु द्वारा हमारे शरीर पर ऊपर की ओर उत्प्लावन बल लगता है, (UPBoardSolutions.com) जिसके कारण हमारा भार कुछ कम हो जाता है|

प्रश्न 2.
आपके पास एक रुई को बोरा तथा एक लोहे की छड़ है। तुला पर मापने पर दोनों 100 kg द्रव्यमान दर्शाते हैं। वास्तविकता में एक-दूसरे से भारी है। क्या आप बता सकते हैं कि कौन-सा भारी है और क्यों?
उत्तर-
वास्तव में रुई का बोरा लोहे की छड़ की अपेक्षा भारी होगा क्योंकि रुई के बारे का आयतन अधिक होने के कारण रुई के बोरे द्वारा हटाये गये वायु को भार लोहे की छड़ द्वारा हटाये गये वायु के भार से अधिक होगा। अतः वायु में रूई के बोरे के भार में अधिक कमी होती है। परन्तु दोनों का वायु में भार समान है अतः हम कह सकते हैं कि वास्तव में रुई के बोरे का भार लोहे की। छड़ की अपेक्षा अधिक होगा।

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अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 160 – 161)

प्रश्न 1.
यदि दो वस्तुओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार बदलेगा?
उत्तर-
गुरुत्वाकर्षण के सार्वभौमिक नियमानुसार दो वस्तुओं के बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल उनके बीच दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
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अतः वस्तु के बीच दूरी आधी करने पर उनके बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल चार गुना हो जाता है।

प्रश्न 2.
सभी वस्तुओं पर लगने वाला गुरुत्वीय बल उनके द्रव्यमान के समानुपाती होता है। फिर एक भारी वस्तु हल्की वस्तु के मुकाबले तेजी से क्यों नहीं गिरती?
उत्तर-
स्वतंत्र रूप से गिरते समय प्रत्येक वस्तु त्वरण ‘g’ अनुभव करती है। इसे [latex]g\quad =\quad \frac { GM }{ { R }^{ 2 } }[/latex] द्वारा व्यक्त किया जाता है जहाँ, G = सार्वत्रिक गुरुत्वीय स्थिरांक तथा R = पृथ्वी की त्रिज्या है।
अतः स्वतंत्र रूप से गिरते समय, भारी वस्तु अपेक्षाकृत तेजी से नहीं गिरती है।

प्रश्न 3.
पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी 1 kg की वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल का परिमाण क्या होगा? (पृथ्वी का द्रव्यमान 6 x 1024 kg है तथा पृथ्वी की त्रिज्या 6.4 x 106 m है)।
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प्रश्न 4.
पृथ्वी तथा चंद्रमा एक-दूसरे को गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं। क्या पृथ्वी जिस बल से चंद्रमा को आकर्षित करती है वह बल, उस बल से जिससे चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है बड़ा है या छोटा है या बराबर है? बताइए क्यों?
उत्तर-
पृथ्वी चंद्रमा को उसी बल से अपनी ओर आकर्षित करती है जिस बल से चंद्रमा पृथ्वी को अपनी ओर आकर्षित करता है। क्योंकि, गुरुत्वाकर्षण के सार्वभौमिक नियम के (UPBoardSolutions.com) अनुसार, अंतरिक्ष में प्रत्येक वस्तु अन्य दूसरी वस्तु को उसी बल से आकर्षित करती है जो उन वस्तुओं की मात्रा के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

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प्रश्न 5.
यदि चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है, तो पृथ्वी चंद्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती?
उत्तर-
न्यूटन की गति के तीसरे नियम के अनुसार, चंद्रमी भी पृथ्वी को अपनी ओर आकर्षित करता है। किन्तु, न्यूटन की गति के दूसरे नियम के अनुसार त्वरण, वस्तु के द्रव्यमान के (UPBoardSolutions.com) व्युत्क्रमानुपाती होता है। चंद्रमा की द्रव्यमान पृथ्वी से बहुत कम है। अतः हम पृथ्वी को चंद्रमा की ओर गति करते नहीं देखते हैं।

प्रश्न 6.
दो वस्तुओं के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का क्या होगा, यदि-
(i) एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए?
(ii) वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी अथवा तीन गुनी कर दी जाए?
(iii) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने कर दिए जाएँ?
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प्रश्न 7.
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के क्या महत्त्व हैं?
उत्तर-
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्त्व-
(i) इस बल के कारण ही सभी जीव-जन्तु, पेड़-पौधे आदि पृथ्वी पर टिके हुए हैं।
(ii) सौरमण्डल में सूर्य के चारों ओर ग्रहे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही चक्कर लगाते हैं।
(ii) चन्द्रमा भी पृथ्वी के चारों ओर गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही चक्कर लगाता है।
(iv) समुद्र में ज्वार-भाटा भी चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण उत्पन्न होता है।
(v) पृथ्वी पर वायुमण्डल भी इसी गुरुत्वाकर्षण बल के कारण है।

प्रश्न 8.
मुक्त पतन का त्वरण क्या है?
उत्तर-
स्वतंत्र रूप से नीचे गिरती हुई वस्तुओं का त्वरण 9.8 m/s-2 होता है जो अग्रे प्रकार से ज्ञात किया जा सकता है।
मान लिया कोई m द्रव्यमान की वस्तु स्वतंत्र रूप से पृथ्वी की ओर नीचे त्वरण g से गिरती है तो वस्तु पर लगा बल
F = mg
परन्तु गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार
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प्रश्न 9.
पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल को हम क्या कहेंगे?
उत्तर-
किसी वस्तु तथा पृथ्वी के मध्य लगा आकर्षण बल उस वस्तु का भार कहलाता है।

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प्रश्न 10.
एक व्यक्ति A अपने मित्र के निर्देश पर ध्रुवों पर कुछ ग्राम सोना खरीदता है। वह इस सोने को विषुवत् वृत्त पर अपने मित्र को दे देता है। क्या उसका मित्र खरीदे हुए सोने के भार से संतुष्ट होगा? यदि नहीं तो क्यों? (संकेत : ध्रुवों पर g का मान विषुवत् वृत्त की अपेक्षा अधिक है।)
उत्तर-
व्यक्ति A का मित्र उसके द्वारा ध्रुवों पर खरीदे गए सोने के भार से सहमत नहीं होगा क्योंकि भूमध्य (या विषुवत्) रेखा पर उसी सोने का भार ध्रुवों की अपेक्षा कम होगा। इसका कारण यह है कि वस्तु का भार गुरुत्वीय त्वरण g पर निर्भर करता है। पृथ्वी ध्रुवों पर थोड़ी पिचकी हुई है जिसके (UPBoardSolutions.com) कारण ध्रुवों पर पृथ्वी की त्रिज्या भूमध्य रेखा की अपेक्षा कम है। गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी की त्रिज्या के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। ध्रुवों पर g का मान भूमध्य रेखा की अपेक्षा कम होगा। अतः ध्रुवों पर सोने का भार भूमध्य रेखा की अपेक्षा कम होगा।

प्रश्न 11.
एक कागज की शीट, उसी प्रकार की शीट को मरोड़कर बनाई गई गेंद से धीमी क्यों गिरती है?
उत्तर-
जब कागज के पन्ने को गेंद की आकृति में बदला जाता है तो उसका पृष्ठ क्षेत्रफल जो वायु के संपर्क में आता है कम हो जाता है इस प्रकार नीचे गिरते समय वायु द्वारा उस पर पेपर सीट की अपेक्षा कम प्रतिरोध लगता है। अतः गेंद की आकृति का कागज नीचे जल्दी गिरता है, पेपर सीट का क्षेत्रफल अधिक होने के कारण वायु का प्रतिरोध अधिक लगता है इसलिए वह धीरे गिरता है।

प्रश्न 12.
चन्द्रमा की सतह पर गुरुत्वीय बल, पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वीय बल की अपेक्षा ३ गुणा है। एक 10 kg की वस्तु का चन्द्रमा पर तथा पृथ्वी पर न्यूटन में भार क्या होगा?
हल-
वस्तु का द्रव्यमान m = 10 kg
पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 m/s2
पृथ्वी पर वस्तु का भार = m x g = 10 x 9.8 = 98 N
चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण का मान g = [latex]\frac { 9.8 }{ 6 }[/latex] = 1.63 m/s2
चन्द्रमा पर वस्तु का भार = mg = 10 x 1.63 = 16.3 N
वस्तु का द्रव्यमान प्रत्येक स्थान पर स्थिर रहता है।
अतः वस्तु का पृथ्वी पर द्रव्यमान = 10 kg
वस्तु का चन्द्रमा पर द्रव्यमान = 10 kg

प्रश्न 13.
एक गेंद को ऊध्र्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 49 m/s के वेग से फेंकी जाती है तो परिकलन कीजिए
(i) अधिकतम ऊँचाई जहाँ तक कि गेंद पहुँचती है।
(ii) पृथ्वी की सतह पर वापस लौटने में लिया गया कुल समय।
हल-
(i) वस्तु का आरंभिक वेग, u = 49 m/s
अधिकतम ऊँचाई पर वस्तु का वेग, v = 0
गुरुत्वीय त्वरण, g = – 9.8 m/s2
मान लिया गेंद द्वारा तय की गई अधिकतम ऊँचाई = h
हम जानते हैं कि,
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गेंद द्वारा जितना समय अधिकतम ऊँचाई तक पहुँचने में लिया जाता है उतना ही समय वापस पृथ्वी तल पर लौटने में लिया जाएगा।
अतः गेंद द्वारा लिया गया कुल समय = 5 + 5 = 10 सेकण्ड।

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प्रश्न 14.
19.6 m ऊँची एक मीनार की चोटी से एक पत्थर छोड़ा जाता है। पृथ्वी पर पहुँचने से पहले इसका अंतिम वेग ज्ञात कीजिए।
हल-
मीनार की ऊँचाई h = 19.6 m
g = 9.8 m/s2
पत्थर को आरंभिक वेग u = 0
मान लिया पत्थर का अन्तिम वेग v = ?
हम जानते हैं,
v2 – u2 = 2gh
⇒ v2 – 0 = 2 (9.8) x 19.6
⇒ v2 = 19.6 x 19.6
⇒ v = 19.6 m/s

प्रश्न 15.
कोई पत्थर ऊध्र्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 40 m/s के प्रारंभिक वेग से फेंका गया है। g = 10 m/s लेते हुए ग्राफ की सहायता से पत्थर द्वारा पहुँची अधिकतम ऊँचाई ज्ञात कीजिए। नेट विस्थापन तथा पत्थर द्वारा चली गई कुल दूरी कितनी होगी?
हल-
प्रारंभिक वेग u = 40 m/s
ऊपर की ओर गुरुत्वीय त्वरण, g = 10 m/s2 नीचे की ओर
माना कि पत्थर को उच्चतम बिंदु तक आने में 1 सेकण्ड लगते हैं, जहाँ उसका वेग v = 0 हो जाता है।
अब, v = u – gt
0 = 40 – 10t
या 10t = 40
या t = 4 सेकण्डे
अर्थात् अधिकतम ऊँचाई तक पहुँचने में पत्थर को 4 सेकण्ड लगते हैं।
पुनः v = u – gt
g = 10 m/s2 तथा क्रमशः t = 0, 1, 2, 3, 4 सेकण्ड रखने पर निम्नांकित सारणी प्राप्त होती है-
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पत्थर पर कुल विस्थापन = प्रारंभिक तथा अंतिम बिंदु के बीच सरल रेखीय गति
जबकि कुल तय दूरी = तय किए गए पथ की लंबाई = 2 x अधिकतम ऊँचाई = 2 x 80 = 160 m.

प्रश्न 16.
पृथ्वी तथा सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बल का परिकलन कीजिए। दिया है,
पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 x 1024 kg तथा सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 kg।
दोनों के बीच की औसत दूरी 1.5 x 1011 m है।
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प्रश्न 17.
कोई पत्थर 100 m ऊँची किसी मीनार की चोटी से गिराया गया और उसी समय कोई दूसरा पत्थर 25 m/s के वेग से ऊध्र्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंका गया। परिकलने कीजिए कि दोनों पत्थर कब और कहाँ मिलेंगे?
हल-
माना पत्थर t सेकण्ड पश्चात् मिलेंगे।
पहले पत्थर द्वारा t सेकण्ड में चली गई दूरी,
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प्रश्न 18.
ऊध्र्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंकी गई एक गेंद 6s पश्चात् फेंकने वाले के पास लौट आती है। ज्ञात कीजिए।
(a) यह किस वेग से ऊपर फेंकी गई;
(b) गेंद द्वारा पहुँची गई अधिकतम ऊँचाई; तथा
(c) 4s पश्चात् गेंद की स्थिति।
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प्रश्न 19.
किसी दूर्व में डुबोई गई वस्तु पर उत्प्लावन बल किस दिशा में कार्य करता है?
उत्तर-
जब किसी वस्तु को किसी द्रव में डुबोया जाता है तो वस्तु पर ऊध्र्वाधर ऊपर की ओर उत्प्लावन बल लगता है।

प्रश्न 20.
पानी के भीतर किसी प्लास्टिक के गुटके को छोड़ने पर यह पानी की सतह पर क्यों आ जाता है?
उत्तर-
जब प्लास्टिक के गुटके को पानी में डुबोकर छोड़ा जाता है तो वह पानी की सतह पर ऊपर आ जाता है। क्योंकि प्लास्टिक के गुटके पर पानी के कारण लगने वाला उत्प्लावन बल गुटके के भार से अधिक होता है। या हम यह भी कह सकते हैं कि प्लास्टिक के गुटके का घनत्व पानी के घनत्व से कम है (UPBoardSolutions.com) इसलिए यह पानी में छोड़ने पर पानी में नहीं डूबता बल्कि पानी पर तैरने लगता है।

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प्रश्न 21.
50 g के किसी पदार्थ का आयतन 20 cm है। यदि पानी का घनत्व 1 gcm हो, तो पदार्थ तैरेगा या डूबेगा?
हल-
पदार्थ का द्रव्यमान, m = 50 g
आयतन V = 20 g/cm3
पदार्थ का घनत्व = [latex]\frac { m }{ V }[/latex] = [latex]\frac { 50 }{ 20 }[/latex] = 2.5 g/cms
पदार्थ का घनत्व (2.5 g/cm3) पानी के घनत्व (1 g/cm3) से अधिक है इसलिए यह पानी में डूब जाएगा।

प्रश्न 22.
500 g के एक मोहरबंद पैकेट का आयतन 350 cm3 है। पैकेट 1 g cm-3 घनत्व वाले पानी में तैरेगा या डूबेगा? इस पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का द्रव्यमान कितना होगा?
हल-
(i) सील किए हुए पैकेट का द्रव्यमान,
m = 500 g
आयतन, V = 350 cm3
धनत्व = [latex]\frac { m }{ V }[/latex] = [latex]\frac { 500 }{ 350 }[/latex] = [latex]\frac { 10 }{ 7 }[/latex] = 1.43 g/cm
पैकेट पानी में डूब जाएगा क्योंकि इसका घनत्व पानी के घनत्व से अधिक है इसलिए पानी द्वारा लगाया गया उत्प्लावन बल पैकेट के भार से कम है।
(ii) पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का आयतन = 350 cm3
पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का द्रव्यमान = पानी का घनत्व x पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का आयतन = 1 x 350 = 350 ग्राम
अतः पैकेट द्वारा विस्थापित जल का भार 350 ग्राम होगा।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सार्वत्रिक नियतांक का मान कितना है?
उत्तर-
सार्वत्रिक नियतांक का मान है 6.67 x 10-11 Nm/kg2

प्रश्न 2.
पृथ्वी की सतह पर ‘G’ का मान 6.673 x 10-11 Nmkg-2 है। चन्द्रमा की सतह पर ‘G’ का मान क्या होगा?
उत्तर-
चन्द्रमा की सतह पर ‘G’ का मान 6.673 x 10-11 Nm kg-2 होगा।

प्रश्न 3.
1 किग्रा द्रव्यमान की वस्तु का भार कितना होगा? (g = 9.8 मी/से)
हल-
W = m x g = 1 x 9.8 = 9.8 न्यूटन।

प्रश्न 4.
पृथ्वी की सतह पर किसी वस्तु को द्रव्यमान 10 किग्रा है। इसका भार कितना होगा यदि इसे पृथ्वी के केन्द्र पर ले जायें?
उत्तर-
शून्य, क्योंकि पृथ्वी के केन्द्र पर गुरुत्वीय त्वरण (g) का मान शून्य होता है।

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प्रश्न 5.
समुद्र में ज्वार-भाटा बनने के लिए उत्तरदायी बल का प्रकार तथा नाम बताइए।
उत्तर-
गुरुत्वाकर्षण बल |

प्रश्न 6.
G का मान्य मान क्या है?
उत्तर-
6.67 x 10-11 Nm/kg2

प्रश्न 7.
उस बल का नाम बताइए जो मुक्त पतन में वस्तु को त्वरित करता है?
उत्तर-
पृथ्वी का गुरुत्व बले।

प्रश्न 8.
मुक्त पतन का त्वरण क्या होगा?
उत्तर-
मुक्त पतन का त्वरण 9.8 ms-2 है।

प्रश्न 9.
पृथ्वी के अन्य स्थानों की तुलना में पृथ्वी के केंद्र पर वस्तु का द्रव्यमान क्या होगा?
उत्तर-
वस्तु का द्रव्यमान, प्रत्येक स्थान पर स्थिर रहता है।

प्रश्न 10.
m1 वे m2 द्रव्यमान अगर R दूरी पर हों तो उनके मध्य लगने वाला बल कितना होगा?
उत्तर-
[latex]F\quad =\quad G\frac { { m }_{ 1 }{ m }_{ 2 } }{ { R }^{ 2 } }[/latex]

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प्रश्न 11.
क्या स्थिरांक G का मान प्रत्येक स्थान के लिए समान रहता है?
उत्तर-
हाँ, यह एक सार्वत्रिक गुरुत्वीय स्थिरांक है।

प्रश्न 12.
G को S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर-
G का S.I. मात्रक है Nm/kg2

प्रश्न 13.
पृथ्वी की सतह पर किसी वस्तु का द्रव्यमान 10 kg है। इसका भार कितना होगा यदि इसे पृथ्वी के केंद्र पर ले जाएँ?
उत्तर-
शून्य। क्योंकि पृथ्वी के केंद्र पर गुरुत्वीय त्वरण (g) का मान शून्य होता है।

प्रश्न 14.
g और G में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
[latex]g\quad =\quad \frac { GM }{ { R }^{ 2 } }[/latex]

प्रश्न 15.
किसी वस्तु का पृथ्वी पर द्रव्यमान 50 kg है। चन्द्रमा पर उसका द्रव्यमान क्या होगा और क्यों?
उत्तर-
वस्तु का चन्द्रमा पर द्रव्यमान 50 kg होगा। क्योंकि प्रत्येक स्थान पर द्रव्यमान का मान अचर रहता है।

प्रश्न 16.
दाब की परिभाषा कीजिए।
उत्तर-
एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाला प्रणोद दाब कहलाता है।

प्रश्न 17.
किसी द्रव में डुबोने पर कोई वस्तु हल्की क्यों प्रतीत होती है?
उत्तर-
द्रव द्वारा वस्तु पर लगाए गए उत्प्लावन बल के कारण।

प्रश्न 18.
किसी पदार्थ का घनत्व 825 kgm-3 है। बताइए यह पानी में डूबेगा या तैरेगा। पानी का घनत्व 1000 kgm-3
उत्तर-
पदार्थ का घनत्व पानी के घनत्व से कम है। अतः पदार्थ पानी पर तैरेगा।

प्रश्न 19.
एक वस्तु को पहाड़ की चोटी पर ले जाने पर उसका भार कम होगा अथवा अधिक?
उत्तर-
उसका भार कम होगा क्योंकि ‘g’ को मान ऊँचाई पर कम होता जाता है।

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प्रश्न 20.
किसी वस्तु के द्रव्यमान की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
किसी वस्तु में निहित द्रव्य का परिमाण उसका द्रव्यमान कहलाता है।

प्रश्न 21.
1 किग्रा-भार कितने न्यूटन के बराबर है।
उत्तर-
1 किग्रा भार = 9.8 न्यूटनन्।

प्रश्न 22.
1 किग्रा और 5 किग्रा के दो पत्थर कुतुबमीनार की चोटी से साथ-साथ गिराये गये। कौनसा पत्थर पृथ्वी पर पहले पहुँचेगा?
उत्तर-
दोनों पत्थर पृथ्वी पर साथ-साथ पहुँचेंगे।

प्रश्न 23.
भार ज्ञात करने के लिए किस प्रकार की तुला का प्रयोग करते हैं?
उत्तर-
कमानीदार तुला का।

प्रश्न 24.
एक वस्तु का द्रव्यमान पृथ्वी पर 600 ग्राम है, चन्द्रमा पर उसका द्रव्यमान क्या होगा?
उत्तर-
600 ग्राम ही होगा, क्योंकि द्रव्यमान सदा समान रहता है।

प्रश्न 25.
चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण का मान क्या है?
उत्तर-
पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण के मान का [latex]\frac { 1 }{ 6 }[/latex]

प्रश्न 26.
एक व्यक्ति का पृथ्वी पर भार 600 किग्रा-भार है, तो चन्द्रमा पर उसका भार कितना होगा?
उत्तर-
100 किंग्रा-भार।

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प्रश्न 27.
ग्रह अपने परिपथ में क्यों घूमते हैं?
उत्तर-
ग्रह अपने परिपथ में सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के कारण घूमते हैं।

प्रश्न 28.
यदि दो पिंडों के मध्य दूरी आधी कर दी जाये तो गुरुत्वाकर्षण कितना हो जायेगा?
उत्तर-
गुरुत्वाकर्षण बल पिंडों के मध्य दूरी आधी करने पर चार गुना हो जायेगा क्योंकि F ∝ [latex]\frac { 1 }{ { R }^{ 2 } }[/latex]

प्रश्न 29.
उस बल का नाम बताइए जो चंद्रमा को पृथ्वी के चारों ओर घूमने के लिए उत्तरदायी है।
उत्तर-
पृथ्वी का अभिकेन्द्रीय बल।

प्रश्न 30.
ग्रह कक्षाओं में क्यों घूमते हैं?
उत्तर-
सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आर्किमिडीज का सिद्धान्त बताइए।
उत्तर-
आर्किमिडीज का सिद्धान्त- जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्ण या आंशिक रूप से डुबोया जाता है। तो वह ऊपर की दिशा में एक बल का अनुभव करती है जो वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर होता है।

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प्रश्न 2.
उत्प्लावन बल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
किसी वस्तु को किसी तरल में डुबोने पर, उसके द्वारा अनुभव किया गया ऊपर की ओर लगने वाला बल, उत्प्लावन बल कहलाती है।

प्रश्न 3.
आपेक्षिक घनत्व क्या है?
यदि किसी वस्तु को किसी द्रव में पूर्णतया डुबोया जाए जिससे उत्प्लावन बल, वस्तु के भार के बराबर हो, तो द्रव तथा वस्तु के आपेक्षिक घनत्वों के बीच क्या संबंध होगा?
उत्तर-
आपेक्षिक घनत्व- किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व उसके और पानी के घनत्व का अनुपात है अर्थात्
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प्रश्न 4.
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण सम्बन्धी नियम लिखिए तथा सम्बन्धित सूत्र दीजिए।
उत्तर-
दो बिन्दु कणों को पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण बल दोनों कणों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है तथा बल (UPBoardSolutions.com) की दिशा दोनों वस्तुओं को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश होती है।
यदि एक कण का द्रव्यमान m1 दूसरे कण का द्रव्यमान m2 तथा उनके बीच की दूरी r हो तो
[latex]F\quad =\quad \frac { G{ m }_{ 1 }{ m }_{ 2 } }{ { r }^{ 2 } }[/latex]
यहाँ F दोनों वस्तुओं के बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल है तथा G सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक है।

प्रश्न 5.
गुरुत्वाकर्षण नियतांक क्या होता है? इसका S.I. मात्रक निगमित कीजिए।
उत्तर-
यदि दो पिण्डों के द्रव्यमान m1 एवं m2 तथा उनके बीच की दूरी हो तो पिण्डों के बीच गुरुत्वाकर्षण
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प्रश्न 6.
गुरुत्वाकर्षण, गुरुत्व तथा गुरुत्वीय त्वरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
पदार्थ के किन्हीं दो कणों के बीच उनके द्रव्यमान तथा बीच की दूरी पर निर्भर रहने वाले आकर्षण बल के उत्पन्न होने के गुण को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) कहते हैं, जबकि पृथ्वी द्वारा किसी पिण्ड पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल को गुरुत्व (Gravity) तथा इसके द्वारा पिण्ड में (UPBoardSolutions.com) उत्पन्न त्वरण को गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं।
इस प्रकार गुरुत्वाकर्षण द्रव्य का एक मौलिक गुण, गुरुत्व एक बल तथा गुरुत्वीय त्वरण एक त्वरण है।

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प्रश्न 7.
राशियाँ G तथा g क्या व्यक्त करती हैं? इनमें सम्बन्ध बताने वाला समीकरण स्थापित कीजिए।
उत्तर-
राशि G गुरुत्वाकर्षण नियतांक है। इसका मान परस्पर 1 मीटर की दूरी पर स्थित 1-1 किग्रा द्रव्यमान के दो पिण्डों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल को व्यक्त करता है।
राशि g गुरुत्वीय त्वरण है अर्थात् यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण किसी वस्तु में उत्पन्न त्वरण को व्यक्त करती है।
g तथा G में सम्बन्ध निम्नवत् है-
[latex]g\quad =\quad \frac { G{ M }_{ e } }{ { R }_{ e }^{ 2 } }[/latex]
जबकि Me पृथ्वी का द्रव्यमान तथा Re पृथ्वी की औसत त्रिज्या है।

प्रश्न 8.
किसी वस्तु के ‘भार’ से क्या तात्पर्य है? भार का S.I. मात्रक क्या है?
उत्तर-
किसी वस्तु पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल को वस्तु का भार कहते हैं। इसका मान वस्तु के द्रव्यमान। (m) तथा गुरुत्वीय त्वरण (g) के गुणनफल से व्यक्त होता है (W = m.g)
भार का S.I. मात्रक वही है जो बल का- अर्थात् न्यूटन (newton) ।

प्रश्न 9.
किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में अन्तर बताइए।
उत्तर-
द्रव्यमान तथा भार में अन्तर (Difference Between Mass and weight)- द्रव्यमान तथा भार में निम्नलिखित अन्तर हैं
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प्रश्न 10.
लोहे का बना जहाज जल पर तैरता है। जबकि ठोस लोहे का टुकड़ा जल में डूब जाता है। क्यों?
उत्तर-
लोहे के टुकड़े का भार उसके द्वारा हटाए गए जल के भार से अधिक होता है जिससे वह जल में डूब जाता है। जहाज का ढाँचा इस प्रकार बनाया जाता है कि इसके थोड़े-से हिस्से द्वारा हटाए गए जल का भार जहाज तथा उसमें लदे सामान के भार के बराबर होता है जिससे जहाज तैरने लगता है।

प्रश्न 11.
जब मनुष्य चलता है तो भूमि पर दाब | क्यों अधिक पड़ता है, अपेक्षाकृत कि जब वह खड़ा होता है?
उत्तर-
जब मनुष्य चलता है, तो एक समय पर उसका एक ही पैर भूमि पर होता है। इसके कारण, मनुष्य के भार का दाब उत्पन्न करता है। दूसरी ओर, जब मनुष्य खड़ा होता है, तो उसके दोनों पैर भूमि पर होते हैं। इसके कारण मनुष्य के भार का बल भूमि के बड़े क्षेत्र पर लगता है और भूमि पर कम दाब उत्पन्न करता है।

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प्रश्न 12.
गद्दे पर जब मनुष्य खड़ा होता है तो क्यों काफी अधिक दबता है अपेक्षाकृत कि जब वह उस पर लेटा होता है?
उत्तर-
जब मनुष्य गद्दे के ऊपर खड़ा होता है तो उसके केवल दो पैर (कम क्षेत्रफल वाले) गद्दे के संपर्क में होते हैं। इसके कारण मनुष्य का भार गद्दे के छोटे से क्षेत्र पर लगता है और अधिक दाब उत्पन्न करता है। यह अधिक दाब गद्दे में बड़े गर्त का कारण होता है। दूसरी ओर जब वही मनुष्य गद्दे के ऊपर लेटा होता है, तो इसका संपूर्ण शरीर (बड़े क्षेत्रफल वाला) गद्दे के संपर्क में होता है। इस स्थिति में मनुष्य का भार गद्दे के काफी बड़े क्षेत्र के ऊपर लगता है और काफी कम दाब उत्पन्न करता है और यह कम दाब गद्दे में बहुत छेटा गर्त बनाता है।

प्रश्न 13.
गुरुत्वीय त्वरण (g) व गुरुत्वीय स्थिरांक (G) में सम्बन्ध तथा अन्तर बताइये।
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प्रश्न 14.
नीचे की ओर गिरती हुई और ऊपर की ओर फेंकी गयी वस्तुओं के लिए u, v, g और h में सम्बन्ध लिखिए।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरुत्वाकर्षण’ से क्या तात्पर्य है? न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
गुरुत्वाकर्षण (Gravitation)- आकाशीय पिण्डों जैसे चन्द्रमा, ग्रह, पृथ्वी आदि की गतियों के आधार पर न्यूटन ने यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया कि ब्रह्माण्ड में सभी वस्तुएँ एक-दूसरे को अपनी ओर बल लगाकर आकर्षित करती हैं।
जिस बल के कारण दो वस्तुएँ एक-दूसरे को (UPBoardSolutions.com) अपनी ओर आकर्षित करती हैं, उस बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force) तथा वस्तुओं के परस्पर आकर्षित होने के गुण को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) कहते हैं।
न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम (Newton’s Law of Universal Gravitation)- न्यूटन ने दो पिण्डों के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल सम्बन्धी एक नियम प्रस्तुत किया जिसे न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण सम्बन्धी नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार “विश्व में पदार्थ का प्रत्येक कण, प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता है तथा किन्हीं दो कणों का पारस्परिक आकर्षण का बल कणों के द्रव्यमानों के अनुक्रमानुपाती एवं कणों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।”
इस बल की क्रिया- रेखा दोनों कणों को मिलाने वाली ऋजु रेखा के अनुदिश होती है।
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G एक समानुपातिक नियतांक है। इसका मान सभी कणों के लिए सभी स्थानों पर एवं सभी दशाओं में समान रहता है।
अतः इसे सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक (Universal gravitational constant) कहते हैं।
इसका मान 6.67 x 10-11 न्यूटन मीटर/किग्रा है।

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The Distance Traveled at Constant Acceleration calculator computes the distance traveled (dx) by an object after a period of time (t), based on its initial distance from the origin (x), the object’s initial velocity (V) and a constant acceleration (a).

प्रश्न 2.
‘गुरुत्वीय त्वरण’ का क्या अर्थ है? गुरुत्वाकर्षण के आधार पर पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण का सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
गुरुत्वीय त्वरण (Gravitational Acceleration)- पृथ्वी द्वारा किसी वस्तु पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल को ‘गुरुत्व’ (Gravity) कहते हैं। इस | गुरुत्व बल के कारण वस्तु में जो त्वरण उत्पन्न होता है
उसे गुरुत्वीय त्वरण (gravitational acceleration) कहते हैं।
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उपर्युक्त समीकरण गुरुत्वीय त्वरण (g) तथा गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) का सम्बन्ध व्यक्त करता है।

प्रश्न 3.
पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण में किस प्रकार परिवर्तन होता है? आवश्यक सूत्र देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण के मान में परिवर्तन- गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) का मान सदा अपरिवर्तित रहता है- परन्तु गुरुत्वीय त्वरण (g) का मान परिवर्तनीय है। इसका परिवर्तन दो प्रकार से होता है

  1. पृथ्वी के तल पर परिवर्तन – पृथ्वी की त्रिज्या, अर्थात् पृथ्वी के केन्द्र से पृथ्वी तल की दूरी सभी जगह समान नहीं है। पृथ्वी पर ही विषुवत रेखा पर पृथ्वी की त्रिज्या अधिकतम तथा उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुवों पर न्यूनतम होती है। अत: समीकरण [latex]g\quad =\quad \frac { G{ M }_{ e } }{ { R }_{ e }^{ 2 } }[/latex] के अनुसार g का मान विषुवत रेखा पर (Re के अधिकतम होने के कारण) न्यूनतम तथा उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव पर (Re के न्यूनतम होने के कारण) अधिकतम होता है।
    अत: विषुवत् रेखा से ध्रुवों की ओर (उत्तर या दक्षिण) जाने पर ४ का मान बढ़ता जाता है।
    इसी प्रकार तल से ऊपर मैदानों तथा पर्वतों में अधिक ऊँचाई पर ‘g’ का मान समुद्र तल पर इसके मान की अपेक्षा कम होता है।
    पृथ्वी पर समुद्र तल से नीचे जैसे गहरी खदानों में जाने पर भी g का मान शून्य होता है।
  2. पृथ्वी के बाहर अंतरिक्ष में – पृथ्वी से दूर जाने पर, पृथ्वी के केन्द्र से दूरी बढ़ने के कारण g का मान कम होता जाता है।
    यदि अंतरिक्ष में किसी स्थान की पृथ्वी के तल से ऊँचाई h हो तो उस स्थान की पृथ्वी के केन्द्र से दूरी r = (Re + h) होगी।
    अतः उस स्थान पर
    [latex]g\quad =\quad \frac { G{ M }_{ e } }{ \left( { R }_{ e }+h \right) ^{ 2 } }[/latex]
    इससे स्पष्ट है कि पृथ्वी तल से ऊँचाई (h) बढ़ने के साथ g का मान कम होता जाता है।

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प्रश्न 4.
पृथ्वी पर अथवा उसके निकट स्थित वस्तुओं की गति पर गुरुत्वीय त्वरण के प्रभावों को उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
पृथ्वी पर स्थित वस्तुओं पर गुरुत्व का प्रभाव
(a) एकविमीय गुरुत्वीय गति (One Dimensional Gravity Motion) – यदि कोई वस्तु कुछ ऊँचाई से स्वतन्त्रतापूर्वक छोड़ दी जाय तो वह ऊध्र्वाधर दिशा में गिरने लगेगी। वस्तु के गिरने का वेग लगातार एक-समान दर से बढ़ता जाता है अर्थात् वस्तु एक-समान त्वरण से गिरती है। इसका कारण यह है कि पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है। इसी आकर्षण बल के कारण गिरने वाली वस्तु में एक त्वरण उत्पन्न हो जाता है जिसका मान नियत होता है तथा सभी वस्तुओं के लिए समान (UPBoardSolutions.com) होता है। यह त्वरण गुरुत्वीय त्वरण कहलाता है। इसे g से प्रदर्शित करते हैं। इसका मान 9.8 मी से-2 है। पृथ्वी की ओर गिरती हुई अथवा पृथ्वी से ऊपर की ओर फेंकी गयी वस्तुओं की गति गुरुत्वीय गति कहलाती है।
अतः यदि कोई वस्तु प्रारम्भिक वेग u से पृथ्वी की ओर फेंकी जाय तो उसकी गुरुत्वीय गति के समीकरण निम्नलिखित होंगे- (ये गति के समीकरणों में a = + g रखने पर प्राप्त होती है।)
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(b) प्रक्षेप्य की गति (द्विविमीय गुरुत्वीय गति) [Motion of Projectile (Two Dimensional Motion)] – यदि किसी पत्थर के टुकड़े को किसी ऊँचाई पर स्थित स्थान से पृथ्वी तल के समान्तर दिशा में फेंकते हैं तो इसका पथ पृथ्वी तल के समान्तर क्षैतिज नहीं रह पाता। यह पत्थर वक्र रेखीय प्रक्षेप पथ पर गतिशील होकर पृथ्वी पर गिरता है। चित्र में प्रक्षेप पथ (trajectory) तथा क्षैतिज (horizontal) पथ प्रदर्शित हैं।
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यदि पत्थर पर गुरुत्व बल न लगता तो पत्थर क्षैतिज दिशा में रैखिक गति करता रहता, परन्तु पत्थर परे लगने वाले गुरुत्व बल के कारण इसकी दिशा परिवर्तित हो जाती है और यह त्वरित वेग से प्रक्षेप पथ पर चलकर फेंकने के स्थान से कुछ दूरी पर गिर पड़ता है।
यदि किसी पिण्ड को किसी प्रारम्भिक वेग से पृथ्वी तल के समान्तर फेंका जाता है तो इस पर गुरुत्व बल आरोपित हो जाता है और यह पिण्ड त्वरित वेग से प्रक्षेप पथ पर चलकर पृथ्वी पर गिर पड़ता है तो इस पिण्ड को प्रक्षेप्य कहते हैं। किसी भवन की छत से फेंका गया पत्थर, किसी राइफल से छोड़ी गयी बुलेट, किसी हवाई जहाज से छोड़ा गया बम, खिलाड़ी द्वारा फेंका गया जेवलिन आदि प्रक्षेप्य हैं और प्रक्षेपण पथ पर त्वरित होते हैं।

प्रश्न 5.
क्या न्यूटन को गति का तीसरा नियम और गुरुत्वाकर्षण का नियम, एक-दूसरे के विरोधी हैं? एक पत्थर और पृथ्वी की स्थिति के अनुसार इसका स्पष्टीकरण करें।
उत्तर-
न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार,
“यदि एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तो दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर बराबर और विपरीत बल लगाती है।”
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार, ब्रह्माण्ड का प्रत्येक द्रव्यमान (पिंड) दूसरे द्रव्यमान (पिण्ड) को अपनी ओर आकर्षित करता है।
एक पत्थर और पृथ्वी की स्थिति को देखें तो स्वतंत्र अवस्था में गिरता हुआ पत्थर पृथ्वी की ओर आता है अतः पृथ्वी उसे अपने केन्द्र की ओर खींचती है, लेकिन न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुसार पत्थर द्वारा भी पृथ्वी को अपनी ओर खींचना चाहिए और यह वास्तव में सही है। कि पत्थर भी उतने ही गुरुत्व बल के द्वारा पृथ्वी को अपनी ओर खींचता है, और F = m x a.
पत्थर का द्रव्यमान कम होने के कारण उसके वेग में त्वरण 9.8 मी/से होता है लेकिन पृथ्वी का द्रव्यमान 6 x 1024 किग्रा होने से यह त्वरण 0.00000000000000000000000165 मी/से या 1.65 x 10-24 मी/से होता है; जो इतना कम है कि अनुभव ही नहीं हो सकता।

प्रश्न 6.
उचित उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि सामान्य द्रव्यमान की वस्तुओं के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल बहुत कम और खगोलीय पिंडों के मध्य बहुत अधिक लेता है।
उत्तर-
किन्हीं दो सामान्य द्रव्यमान की वस्तुओं के मध्य लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल अत्यन्त कम होता है। और हमें अनुभव नहीं होता है लेकिन जब एक वस्तु कोई खगोलीय पिंड जैसे पृथ्वी या चन्द्रमा होता है, तो यह बल बहुत अधिक हो जाता है जो निम्न उदाहरणों से स्पष्ट है-
1. मान लीजिए आप और आपके मित्र का द्रव्यमान 50-50 किग्रा है और आप एक-दूसरे से 1 मीटर की दूरी पर स्थित हैं, तब आपके मध्य लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल (F) होगा-
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आंकिक प्रश्न

[आवश्यकतानुसार G = 6.67 x 10-11 न्यूटन.मी2 किग्रा-2 तथा g = 10 मी.से-2 का उपयोग कीजिए।]
प्रश्न 1.
दो पिण्डों में से प्रत्येक का द्रव्यमान 40 किग्रा है तथा ये परस्पर 2 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल ज्ञात कीजिए।
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प्रश्न 2.
दो पिण्डों के बीच की दूरी 90 सेमी होने से उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल 1.0 x 10-27 न्यूटन होता है। यदि पिण्डों के बीच की दूरी 90 मिमी कर दी जाय तो गुरुत्वाकर्षण बल कितना हो जायेगा?
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प्रश्न 3.
पृथ्वी का द्रव्यमान 6 x 1024 किग्रा तथा एक मनुष्य का द्रव्यमान 60 किग्रा है। पृथ्वी मनुष्य को 600 न्यूटन बल से अपनी ओर खींचती है। मनुष्य पृथ्वी पर कितना गुरुत्वाकर्षण बल आरोपित करेगा तथा पृथ्वी का मनुष्य की ओर त्वरण कितना होगा?
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प्रश्न 4.
अंतरिक्ष में किसी स्थान पर 1 किग्रा द्रव्यमान के पिण्ड का गुरुत्वीय त्वरण 5 मी.से होता है। उसी स्थान पर 3 किग्रा के पिण्ड का त्वरण कितना होगा?
हल-
5 मी.से-2 (क्योंकि गुरुत्वीय त्वरण द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता)।

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प्रश्न 5.
एक पत्थर को 20 मीटर की ऊँचाई से गिराया जाता है। ज्ञात कीजिए
(i) पत्थर कितने समय में भूमि पर पहुँचेगा?
(ii) पत्थर कितने वेग से भूमि से टकरायेगा?
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प्रश्न 6.
एक गेंद को 30 मी.से-1 के वेग से ऊध्वधरतः ऊपर को उछाला जाता है। ज्ञात कीजिए-
(i) पत्थर अधिकतम कितनी ऊँचाई तक जाएगा?
(ii) कितने समय में पत्थर महत्तम ऊँचाई तक पहुँचेगा?
(iii) कितने समय बाद पत्थर वापस भूमि पर लौटेगा?
(iv) लौटकर भूमि से टकराते समय पत्थर का वेग कितना होगा?
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प्रश्न 7.
एक पिण्ड का पृथ्वी पर भार 900 न्यूटन है। चन्द्रमा पर इसका भार कितना होगा? चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण, पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण का [latex]\frac { 1 }{ 6 }[/latex] है?
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प्रश्न 8.
125.मीटर ऊँची मीनार से एक पिण्ड 10 मी.से-1 की चाल से क्षैतिज दिशा में फेंका जाता है। यह पिण्ड कितने समय बाद तथा मीनार के आधार से कितनी दूर जाकर पृथ्वी पर गिरेगा?
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प्रश्न 9.
दो पिण्डों के द्रव्यमान 2 किग्रा तथा 5 किग्रा हैं तथा वे परस्पर 3 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। गणना कीजिए-
(i) पिण्डों पर गुरुत्वाकर्षण बल
(ii) यदि पिण्ड गति करने के लिए स्वतंत्र हों तो उनके त्वरण।
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प्रश्न 10.
पृथ्वी तल से 3200 किमी की ऊँचाई पर गुरुत्वीय त्वरण की गणना कीजिए।
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प्रश्न 11.
पृथ्वी को दूव्यमान 6 x 1024 किग्रा, चन्द्रमा का द्रव्यमान 7.4 x 1022 किग्रा तथा दोनों के द्रव्यमान केन्द्रों के बीच की दूरी 3.84 x 108 मीटर है। पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच लगने वाले आकर्षण बल की गणना कीजिए।
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प्रश्न 12.
एक गेंद 490 मीटर-सेकण्ड-1 के वेग से ऊध्र्वाधरतः ऊपर की ओर फेंकी जाती है। इसके द्वारा प्राप्त महत्तम ऊँचाई ज्ञात कीजिए। (g = 9.8 मी./से)
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प्रश्न 13.
पृथ्वी की ओर गिरने वाली वस्तु का त्वरण 10 मी/से2 होता है। यदि कोई गेंद 20 मीटर की ऊँचाई से छोड़ी जाय तो वह कितने समय में तथा किस वेग से पृथ्वी तल पर पहुँचेगी?
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प्रश्न 14.
एक पिण्ड 15 मीटर.से-1 के वेग से ऊपर की ओर फेंका जाता है। पिण्ड पर पृथ्वी के कारण उत्पन्न होने वाला त्वरण 10 मी.से-1 नीचे की दिशा में कार्य करता है। ज्ञात कीजिए
(i) पिण्ड अधिकतम कितनी ऊँचाई तक जायेगा?
(ii) कितने समय बाद पिण्ड पृथ्वी पर वापस लौटेगा?
(iii) अधिकतम ऊँचाई की आधी ऊँचाई पर पिण्ड का वेग कितना होगा?
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प्रश्न 15.
एक भवन की छत से गिराये जाने पर एक गेंद 3 सेकण्ड में पृथ्वी पर गिरती है। पृथ्वी की ओर गेंद का त्वरण 10 मी.से-2 मानकर भवन की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
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अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश – प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में सही उत्तर चुनिए-

1. दो वस्तुओं के बीच गुरुत्वाकर्षण बल निर्भर नहीं करता
(a) उनके बीच की दूरी पर
(b) उनके द्रव्यमानों के गुणनफल पर
(c) गुरुत्वाकर्षण नियतांक पर
(d) ब्रह्माण्ड में उनकी स्थिति पर

2. पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण का मान किसी पिण्ड के
(a) द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता
(b) द्रव्यमान पर निर्भर करता है।
(c) आकार पर निर्भर करता है।
(d) घनत्व पर निर्भर करता है।

3. ‘g’ का अर्थ है
(a) पृथ्वी का आकर्षण बल
(b) गुरुत्व
(c) गुरुत्वाकर्षण
(d) स्वतंत्र रूप से गिरती हुई वस्तु के वेग में त्वरण

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4. विरामावस्था से स्वतंत्र रूप से गिरते हुए पिण्ड द्वारा पहले सेकण्ड में गिरी गयी दूरी का मान होगा
(a) g मीटर
(b) 2g मीटर
(c) [latex]\frac { g }{ 2 }[/latex] मीटर
(d) [latex]\frac { 3g }{ 2 }[/latex] मीटर

5. यदि पृथ्वी का द्रव्यमान बिनो परिवर्तित हुए, उसका व्यास आधा हो जाये तो पृथ्वी पर किसी वस्तु का भार
(a) आधा रह जायेगा
(b) दो गुना हो जायेगा
(c) चार गुना हो जायेगा
(d) अपरिवर्तनीय रहेगा

6. भिन्न-भिन्न द्रव्यमानों के दो पिण्ड स्वतंत्रतापूर्वक समान ऊँचाई से छोड़े जाते हैं। इन पिण्डों के
(a) भूमि पर पहुँचने के समय भिन्न-भिन्न होंगे
(b) त्वरण भिन्न-भिन्न होंगे।
(c) भूमि पर पहुँचते समय वेग भिन्न-भिन्न होंगे
(d) पृथ्वी की ओर आकर्षण बल भिन्न-भिन्न होंगे

7. गुरुत्वाकर्षण नियतांक को मात्रक:
(a) न्यूटन.मी-2 किग्रा-2
(b) न्यूटन.मी2 किग्रा-2
(c) न्यूटन.मी2 किग्रा2
(d) मी. से-2

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8. चन्द्रमा का द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग [latex]\frac { 1 }{ 81 }[/latex] है। यदि चन्द्रमा पर पृथ्वी का आकर्षण बल F हो, तो पृथ्वी पर चन्द्रमा का आकर्षण बल होगा
(a) [latex]\frac { F }{ 81 }[/latex]
(b) F
(c) 9F
(d) 81F

9. किसी व्यक्ति का द्रव्यमान 60 किग्रा है, उसका द्रव्यमान चन्द्रमा पर होगा
(a) 60 किग्रा
(b) 10 किग्रा
(c) 360 किग्रा
(d) सभी गलत हैं।

10. किसी पिंड का भार पृथ्वी पर 36 किग्रा भार है, चन्द्रमा पर उसका भार होगा
(a) 36 किग्रा- भार
(b) 6 किग्रा-भार
(c) 216 किग्रा-भार
(d) सभी गलत हैं।

11. किसी पत्थर को एक भवन की छत से छोड़ा गया, यह 2 सेकण्ड में पृथ्वी पर पहुँच गया, भवन की ऊँचाई होगी
(a) 9.8 मी
(b) 19.6 ‘मी
(c) 4.9 मी
(d) 39.2 मी

12. स्वतन्त्रतापूर्वक गिराई गयी वस्तु द्वारा चली गयी दूरी समानुपाती होती है
(a) t के
(b) √t के
(c) t² के
(d) [latex]\frac { 1 }{ t }[/latex] के

13. किसी वस्तु का द्रव्यमान 10 किग्रा है उसका पृथ्वी पर भार होगा
(a) 9.8 N
(b) 8.9 N
(c) 89.0 N
(d) 98.0 N

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14. पृथ्वी के केन्द्र से 12,800 किमी की दूरी पर गुरुत्वीय त्वरण ‘g’ का मान होगा-
(a) पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण का [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]
(b) पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण का [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex]
(c) समान होगा।
(d) पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण का दुगुना

15. पृथ्वी पर किसी ऊँचाई से गिरने वाला पत्थर
(a) पृथ्वी द्वारा आकर्षित होता है।
(b) पृथ्वी को आकर्षित करता है।
(c) पृथ्वी तथा पत्थर दोनों एक-दूसरे को आकर्षित | करते हैं।
(d) उपर्युक्त सभी कथन गलत हैं।

16. दो वस्तुओं के मध्य की दूरी दो गुनी कर दी जाये तो उनके मध्य लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल हो जायेगा
(a) एक चौथाई
(b) आधा
(c) दुगुना
(d) प्रभावित नहीं होगा

17. गुरुत्वीय त्वरण का मान
(a) पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर समान होता है।
(b) सभी ग्रहों और उपग्रहों पर समान होता है।
(c) भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है।
(d) उपर्युक्त सभी कथन असत्य हैं।

18. गुरुत्वीय स्थिरांक (G) का मान
(a) पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर असमान होता है।
(b) सभी ग्रहों और उपग्रहों पर समान होता है।
(c) भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है।
(d) उपर्युक्त सभी कथन असत्य हैं।

19. गुरुत्वीय स्थिरांक (G) का मान S.I. मात्रक है-
(a) Nm2/kg
(b) Nm2/kg2
(c) N2m/kg
(d) Nm2/kg2

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20. यदि पृथ्वी का द्रव्यमान व अर्द्धव्यास दोनों आधे कर दिये जायें तो गुरुत्वीय त्वरण (g) का मान होगा
(a) 9.8 मी/से2
(b) 19.6 मी/से2
(c) 4.9 मी/से2
(d) 29.4 मी/से2

उत्तरमाला

  1. (d)
  2. (a)
  3. (d)
  4. (c)
  5. (c)
  6. (d)
  7. (b)
  8. (b)
  9. (a)
  10. (b)
  11. (b)
  12. (c)
  13. (d)
  14. (b)
  15. (c)
  16. (a)
  17. (c)
  18. (b)
  19. (d)
  20. (b)

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CBSE Sample Papers for Class 10 Maths Paper 1

These Sample papers are part of CBSE Sample Papers for Class 10 Maths. Here we have given CBSE Sample Papers for Class 10 Maths Paper 1.

CBSE Sample Papers for Class 10 Maths Paper 1

Board CBSE
Class X
Subject Maths
Sample Paper Set Paper 1
Category CBSE Sample Papers

Students who are going to appear for CBSE Class 10 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 1 of Solved CBSE Sample Paper for Class 10 Maths is given below with free pdf download solutions.

Time allowed: 3 Hours
Maximum Marks: 80

General Instructions

  • All questions are compulsory.
  • The question paper consists of 30 questions divided into four sections A, B, C andD.
  • Section A contains 6 questions of 1 mark each. Section B contains 6 questions of 2 marks each. Section C contains 10 questions of 3 marks each. Section D contains 8 questions of 4 marks each,
  •  There is no overall choice. However, an internal choice has been provided in four questions of 3 marks each and three questions of 4 marks each. You have to attempt only one of the alternatives in all such questions.
  • Use of calculators is not permitted.

Section – A

Question 1.
Explain why 13233343563715 is a composite number?

Question 2.
Solve the following quadratic equation for x :
4x2-4a2x + (a4-b4) = 0.

Question 3.
Ifratio of corresponding sides of two similar triangles is 5 : 6, then find ratio of their areas.

Question 4.
If the sum of n terms of an A.P. is given by Sn = (3n2 + 2n), find its nth term.

Question 5.
In fig., the area of triangle ABC (in sq. units) is :
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Question 6.

Show that: cosecθ – tan2(90° – θ) = sin2θ + sin(90° – θ)

Section – B

Question 7.
Prove that [latex]\sqrt { 5 } [/latex] is irrational.

Question 8.
If the seventh term of an AP is [latex s=2]\frac { 1 }{ 9 } [/latex]  and its ninth term is [latex s=2]\frac { 1 }{ 7 } [/latex], find its 63rd term.

Question 9.
A card is drawn at random from a well shuffled pack of 52 playing cards. Find the probability of getting neither a red card nor a queen.

Question 10.
Determine the values of m and n so that the following system of linear equations have infinite number of solutions :
(2m — l)x + 3y-5=0
3x + (n – l) y-2 = 0

Question 11.
If the point A (0,2) is equidistant from the points B (3, p) and C (p, 5), find p. Also find the length of AB.

Question 12.
Two different dice are tossed together. Find the probability that the product of the two numbers on the top of the dice is 6.

Section – C

Question 13.
Prove that [latex s=2]\frac { 1 }{ 3+\sqrt { 11 } } [/latex] is irrational.

Question 14.
If a and P are the zeroes of the polynomial x2 + 4x + 3, find the polynomial whose zeroes are 1+ [latex s=2]\frac { \beta }{ \alpha } [/latex] and 1+ [latex s=2]\frac { \alpha }{ \beta } [/latex].

Polynomial Roots Calculator is a set of methods aimed at finding values of x for which F(x)=0 Rational Roots

Question 15.
Find the coordinates of points which trisect the line segment joining (1, -2) and (- 3.4).
OR
Find the area of the triangle formed by the points A (5,2), B (4, 7) and C (7, -4).

Question 16.
In fig., a circle inscribed in triangle ABC touches its sides AB, BC and AC at points D, E and F respectively. If AB = 12 cm, BC = 8 cm and AC = 10 cm, then find the lengths of AD, BE and CF.
CBSE Sample Papers for Class 10 Maths Paper 1 img 2

Question 17.
Prove that tan2 θ + cot2 θ + 2 = sec2 θ + cosec2 θ = sec2θ cosec2θ
OR
If [latex s=2]\frac { \cos { \theta } -\sin { \theta } }{ \cos { \theta } -\sin { \theta } } [/latex] = [latex s=2]\frac { 1-\sqrt { 3 } }{ 1+\sqrt { 3 } } [/latex] then find the value of 0.

Question 18.
Solve the system of equations : ax + by = 1, bx + ay = [latex s=2]\frac { 2ab }{ { a }^{ 2 }+{ b }^{ 2 } } [/latex] .

Question 19.
BL and CM are medians of ∆ ABC right angled at A. Prove that 4 (BL2 + CM2) = 5 BC2.
OR
In an equilateral triangle ABC, the side BC is trisected at D. Prove that 9 AD2 = 7 AB2.

Question 20.
In figure find the area of the shaded region [Use u = 3.14]

Question 21.
The data regarding marks obtained by 48 students of a class in a class test is given below. Calculate the modal marks of students.
CBSE Sample Papers for Class 10 Maths Paper 1 img 3

Question 22.
How many silver coins, 1.75 cm in diameter and of thickness 2 mm, must be melted to form a cuboid of dimensions 5.5 cm × 10 cm × 3.5 cm?
OR
In figure, from a cuboidal solid metallic block of dimensions 15 cm × 10 cm × 5 cm, a cylindrical hole of diameter 7 cm is drilled out. Find the surface area of the remaining block. [Use π = [latex s=2]\frac { 22 }{ 7 } [/latex] ]
CBSE Sample Papers for Class 10 Maths Paper 1 img 4

Section – D

Question 23.
Solve for x : [latex s=2]\frac { 2x }{ x-3 } +\frac { 1 }{ 2x+3 } +\frac { 3x+9 }{ (x-3)(2x+3) } [/latex] = 0 , x ≠ 3, -[latex s=2]\frac { 3 }{ 2 } [/latex]
OR
Solve for x: [latex s=2]\frac { 1 }{ (x-1)(x-2) } +\frac { 1 }{ (x-2)(x-3) } =\frac { 2 }{ 3 } [/latex] ,x≠ 1,2,3

Question 24.
If sec θ + tan θ = p, show that sec θ – tan θ = [latex s=2]\frac { 1 }{ p } [/latex] . Hence, find the values of cos θ and sin θ.

Question 25.
A thief runs away from a police station with a uniform speed of 100 m/minute. After one minute, a policeman runs behind the thief to catch him. He goes at a speed of 100 m/minute in first minute and increases his speed by 10 m/min in each succeeding minute. How many minutes will the policeman take to catch the thief?

Question 26.
Construct a A ABC in which AB = 5 cm, BC = 6 cm and AC = 7 cm. Now, construct a triangle similar to AABC such that each of its sides is two-third of the corresponding sides of A ABC.

Question 27.
A solid wooden toy is in the form of a hemisphere surmounted by a cone of same radius. The radius of
hemisphere is 3.5 cm and the total wood used in the making of toy is [latex s=2]166\frac { 5 }{ 6 } [/latex] cm3. Find the height of the toy.
OR
Also, find the cost of painting the hemispherical part of the toy at the rate of ₹10 per cm2.[Use π = [latex s=2]\frac { 22 }{ 7 } [/latex] ]

Question 28.
Prove that if a line is drawn parallel to one side of a triangle to intersect the other two sides in distinct points, then other two sides are divided in the same ratio.
OR
If a line divides any two sides of a triangle in the same ratio, then prove that the line is parallel to the third side.

Question 29.
Two ships are there in the sea on either side of a light house in such a way that the ships and the light house are in the same straight line. The angles of depression of two ships as observed from the top of the light house are 60°and 45°. If the height of the light house is 200 m, find the distance between the two ships. [Use [latex s=2]\sqrt { 3 } [/latex] =1.73].
OR
The angle of elevation of an aeroplane from a point on the ground is 60°. After a flight of 30 seconds the angle
of elevation becomes 30°. If the aeroplane is flying at a constant height of 3000 [latex s=2]\sqrt { 3 } [/latex] m, find the speed of the aeroplane.

Question 30.
Ifthe mean of the following data is 14.7, find the value ofp and q.
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Solutions

Section – A

Solution 1.
Since the given number ends in 5. which means it is a multiple of 5. Hence it is a composite number. (1)

Solution 2.
(4x2 – 4a2 + a4) – b4 = 0 (1/2)
⇒ (2x – a2)2 – (b2)2 = 0
∴ (2x – a2 + b2) (2x – a2 – b2) = 0
(∵a2 – b2 = (a + b) (a – b))
⇒ x = [latex s=2]\frac { { a }^{ 2 }-{ b }^{ 2 } }{ 2 } [/latex] ,[latex s=2]\frac { { a }^{ 2 }+{ b }^{ 2 } }{ 2 } [/latex] (1/2)

Solution 3.
Suppose the triangles be ∆ABC and ∆DEF
[latex s=2]\frac { ar(\triangle ABC) }{ ar(\triangle DEF) } [/latex] = ([latex s=2]\frac {5 }{ 6 } [/latex])2 = [latex s=2]\frac {25 }{ 36 } [/latex] (1)
Hence, required ratio is 25 : 36

Solution 4.
It is given that Sn = 3n2 + 2n
∴Sn-1 = 3 (n-1)2 + 2(n- 1) = 3n2-4n + 1, nthterm, tn (1/2)
= (Sum ofnterms)-[Sumof(n-1)terms]
= Sn – Sn-1 = (3n2 + 2n) – (3n2 – 4n + 1) = (6n -1) (1/2)

Solution 5.
Since, the coordinates of given triangle are A(1, 3), B (-1,0) and C (4,0). So, the area of triangle ABC
= [latex s=2]\frac { 1 }{ 2 } [/latex][1(0-0)+(-1)(0-3)+(3-0)] (1/2)
= [latex s=2]\frac { 1 }{ 2 } [/latex] [3+12] = [latex s=2]\frac { 15 }{ 2 } [/latex] = 7.5.sp. unis. (1/2)

Solution 6.
LHS = cosec2θ – tan2(90° -θ)
= cosec2θ – cot2θ  (∵ cot θ = tan(90° -0))  (1/2)
= 1 = sin2θ + cos2θ
= sin2θ + sin2(90° – θ) = RHS (1/2)

Section – B

Solution 7.
Let if possible [latex ]\sqrt { 5 } [/latex] = [latex s=2]\frac { p }{ q } [/latex], where p and q are co-prime.
∴5 × q2 = p2 ….(i)
⇒ 5 divides p
⇒ p = 5 × P1; p1 is an integer. ….(ii)  (1/2)
From (i) and (ii),
5 × q2 = (5 ×p1)2 = 52 × p12
⇒ q2 = 5 × p12 ⇒ 5 divides q (1/2)
⇒ q = 5 × q1; q1 is an integer …..(iii) (1/2)
From (ii) and (iii), we find 5 a common factor of p and q. It contradicts that p and q are co-prime. Hence, [latex]\sqrt { 5 } [/latex] is an irrational number. (1/2)

Solution 8.
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Solution 9.
Total number of events = 52  (1/2)
In a pack of 52 playing cards, there are 2 red queens and 2 black queens, respectively.
Number of cards that are neither red nor queen = 52 – (26 + 2) = 24  (1/2)
Now, favourable number of events = 24
So, required probability = [latex s=2]\frac { 24 }{ 52 } [/latex] = [latex s=2]\frac { 6 }{ 13 } [/latex]  (1)

Solution 10.
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Solution 11.
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Solution 12.
P (Product = 6) = P [(1,6), (2,3), (3,2), (6,1)] (1)
Probability = [latex s=2]\frac { 4 }{ { 6 }^{ 2 } } [/latex] = [latex s=2]\frac { 4 }{ 36 } [/latex] = [latex s=2]\frac { 1 }{ 9 } [/latex]  (1)
Hence, the probability that the product of the two numbers on the top of the dice is 6, will be [latex s=2]\frac { 1 }{ 9 } [/latex].

Section – C

Solution 13.
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Solution 14.
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Solution 15.
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Solution 16.
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Solution 17.
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Solution 18.
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Solution 19.
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Solution 20.
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Area of sq. ABCD = (side)2= 196 cm2   (1)
Area of small sq. = (side)2 = 42=16cm2
Area of 4 semi-circles = 4 × [latex s=2]\frac { 1 }{ 2 } [/latex]πr2 = [4.[latex s=2]\frac { 1 }{ 2 } [/latex](3.14)(2)2] = 25.12 cm2
∴ Area of shaded region = (196- 16-25.12)cm2= 154.88 cm2   (1)

Solution 21.
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Solution 22.
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Section – D

Solution 23.
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Solution 24.
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Solution 25.
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Let the policeman catch the thief at a distance of x metres from the police station.
By the time policeman starts, the thief is at a distance of 100 m.
So, by the time thief travels x -100 more distance with a speed of 100 m/min, the policeman travels x m to catch him, increasing speed by 10 m every minute.  (1/2)
Time taken by the thief to come to the catch point from the time the policeman starts,
t = [latex s=2]\frac { x-100 }{ 100 } [/latex] ….(i)   (1)
Distance travelled by the policeman in first minute = 100 m, and in second minute = 110, in third minute = 120.
and in tth minute = 100 +(t – 1) 10
Total distance covered by the policeman in t minutes is x [latex s=2]\frac { t }{ 2 } [/latex]{200+(t-1)10} (1)
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Solution 26.
(i) Draw a line segment AB = 5 cm.
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(ii) With A as centre and radius = 7 cm, draw an arc above AB.  (1)
(iii) With B as centre and radius = 6 cm, draw another arc, intersecting the arc drawn in step (ii) at C.
(iv) Join AC and BC to obtain ∆ ABC.
(v) Below AB, draw a ray AX making a suitable acute angle with AB on opposite side ofC with respect to AB.
(vi) Draw three arcs intersecting the ray AX at A1, A2, A3 such that AA1 = A1A2 = A2A3.
(vii) Join A3B.
(viii) Draw A2B’ || A3B, meeting AB at B’.
(ix) From B’, draw B’C’ || BC, meeting AC at C’.
∆AB’C’ is the required triangle, each of the whose sides is two-third of the corresponding sides of
∆ ABC.

Solution 27.
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Solution 28.
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OR
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Solution 29.
Let AB is the height of light house = 200m  (1)
Two ships are at points C and D on either side of AB (light house)
In ∆ABC,
tan 60° =[latex s=2]\frac { AB }{ BC } [/latex] ⇒BC = [latex s=2]\frac { 200\sqrt { 3 } }{ 3 } \quad =\quad \frac { 200\times 1.73 }{ 3 } [/latex] = 115.33 m
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In ∆ABD,
tan 45° = [latex s=2]\frac { AB }{ BD } [/latex] ⇒BD = 200 (1)
Distance between both ships = BC +BD
= 1115.33+200 = 315.33 cm (1)
OR
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According to figure,
In ∆ABP, tan 60° =[latex s=2]\frac { AB }{ BP } [/latex] = [latex s=2]\frac { h }{ x } [/latex] = [latex s=2]\frac { 3000\sqrt { 3 } }{ x } [/latex]  (1)
⇒ h = [latex s=2]\sqrt { 3 } [/latex]x ⇒ x= 3000m ….(i)
In APDC, tan 30° = [latex s=2]\frac { h }{ x+BD } [/latex] (1)
x + BD= h[latex s=2]\sqrt { 3 } [/latex] ….(ii)
From (i) and (ii)
x + BD=3x ⇒ BD = 2x
⇒ BD = 2(3000)
⇒ BD= 6000m  (1)
Speed of aeroplane = [latex]\frac { BD }{ 30Sec } [/latex] = [latex]\frac { 6000 }{ 30 } [/latex] = 200 m/cm  (1)

Solution 30.
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