UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 3 साँख्यिकी

UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 3 साँख्यिकी

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अभ्यास 3(a)

प्रश्न 1.
किसी कक्षा की वार्षिक परीक्षा के 60 शिक्षार्थियों के (UPBoardSolutions.com) परिणाम निम्नांकित पाई ग्राफ द्वारा निरूपित हैं। चित्र देखकर बताइए :
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(i) सबसे अधिक शिक्षार्थी किस श्रेणी में उत्तीर्ण हुए?
(ii) सबसे कम शिक्षार्थी किस श्रेणी में उत्तीर्ण हुए?
(ii) अनुत्तीर्ण शिक्षार्थियों की (UPBoardSolutions.com) संख्या कितनी है?
(iv) प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण शिक्षार्थियों की संख्याओं में अनुपात क्या है?
हल :
(i) सबसे अधिक द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए।
(ii) सबसे कम प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए।
(iii) अनुत्तीर्ण शिक्षार्थियों की संख्या = [latex s=2]\frac { 30 }{ 360 } \times 60[/latex] = 5 है।
(iv) 1: 3 का अनुपात है।

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प्रश्न 2.
भारत के किसी शहर में तेज गति एवं यातायात नियमों (UPBoardSolutions.com) का पालन न करने के कारण विभिन्न साधनों से यात्रा कर रहे सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की प्रतिशत दरों का पाई ग्राफ निम्नवत है :
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पाई ग्राफ देखकर निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए :
(i) सबसे अधिक घायल होने वाले व्यक्ति किस प्रकार यात्रा कर रहे थे?
उत्तर :
पैदल
(ii) साइकिल से यात्रा करने वाले कितने प्रतिशत व्यक्ति घायल हुए?
हल :
कुल घायलों की संख्या = 360
साइकिल से यात्रा करने वाले घायलों की संख्या = 36
अतः साइकिल से यात्रा करने वाले घायलों का (UPBoardSolutions.com) प्रतिशत = [latex s=2]\frac { 36\times 100 }{ 360 }[/latex] =10%

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(iii) मोटर साइकिल से यात्रा करने वाले कुल कितने प्रतिशत व्यक्ति घायल हुए?
हल :
मोटर साइकिल से यात्रा करने वाले (UPBoardSolutions.com) घायलों का प्रतिशत = [latex s=2]\frac { 90\times 100 }{ 360 }[/latex] = 25%

(iv) पैदल व कार यात्रियों के घायल होने की प्रतिशतता कितनी है?
हल :
पैदल यात्रियों के घायल होने की प्रतिशतता = [latex s=2]\frac { 144\times 100 }{ 360 }[/latex] = 40%
कार द्वारा यात्रियों के घायल होने की प्रतिशतता = [latex s=2]\frac { 36\times 100 }{ 360 }[/latex] = 10 %
पैदल व कार यात्रियों के घायल होने की प्रतिशतता = (40 + 10) % = 50%

(v) विभिन्न यात्रा साधनों से घायल होने वाले व्यक्तियों की कुल प्रतिशतता कितनी है?
हल :
विभिन्न यात्रा साधनों से घायल होने वाले व्यक्तियों की (UPBoardSolutions.com) प्रतिशतता = कार + बस + साइकिल + मोटर साइकिल
= 10 – 15 + 10 + 25
= 60%

प्रश्न 3.
पंचायत भवन के प्रांगण में वृत्ताकार क्षेत्र में फूलों के पौधे लगे हैं। इसमें आधे क्षेत्र में गुलाब एक तिहाई क्षेत्र में गेंदा तथा शेष में डहेलिया के पौधे हैं। इसको पाई ग्राफ द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
हल :
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प्रश्न 4.
किसी समूह में कुल 36 शिक्षार्थी हैं। उनकी पसन्द के गुलाब (UPBoardSolutions.com) के रंग के आधार पर पाई ग्राफ बनाया गया है। पाई ग्राफ देखकर अलग-अलग रंग पसन्द करने वाले शिक्षार्थियों की संख्या दी गयी सारणी में लिखिए।
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प्रश्न 5.
किसी संकुल के विद्यार्थियों के कक्षा 7 के शिक्षार्थियों की टीमों के (UPBoardSolutions.com) लिए गणित क्विज का आयोजन किया गया। उनके द्वारा प्राप्त अंकों के आधार पर पाई ग्राफ बनाइए।
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प्रश्न 6. टेलीविज़न के विभिन्न ब्रांडों को क्रय करने वाले ग्राहकों की संख्या निम्नवतू है :
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आँकड़ों को पाई ग्राफ द्वारा प्रदर्शित कीजिए।

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अभ्यास 3(b)

प्रश्न 1.
किसी कक्षा में 5 शिक्षार्थियों ने गणित की परीक्षा में क्रमशः (UPBoardSolutions.com) 40, 50, 68, 70, 72 अंक प्राप्त किए। प्राप्तांकों का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
हल :
समान्तर माध्य = [latex s=2]\frac { 40+50+68+70+72 }{ 5 }[/latex] = [latex s=2]\frac { 300 }{ 5 }[/latex] = 60

प्रश्न 2.
किसी फैक्टरी के 15 मजदूरों की प्रतिदिन की मजदूरी क्रमशः 70, 110, 65, 80, 75, 85, 80, 76, 94, 100, 105, 110, 103, 81, 86 रुपये है। रुपये मजदूरों की मजदूरी का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए?
हल :
समान्तर माध्य = [latex s=2]\frac { 70+110+65+80+75+85+80+76+94+100+105+110+103+81+86 }{ 15 }[/latex]
= [latex s=2]\frac { 1320 }{ 15 }[/latex] = 88

प्रश्न 3.
नीचे दी गई सारणी के आँकड़ों को समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए। हल –
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प्रश्न 4.
उपर्युक्त आँकड़ों का (UPBoardSolutions.com) समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए।
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दक्षता अभ्यास – 3

प्रश्न 1.
किसी परीक्षा में एक कक्षा के 15 शिक्षार्थियों के पूर्णांक 100 में से प्राप्तांक निम्नवतू हैं (UPBoardSolutions.com) – 00, 30, 30, 20, 20, 40, 30, 50, 60, 50, 60, 80, 70, 30, 30 प्राप्तांकों का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए।
हल :
प्राप्तांकों का योग = 00 +30+30+20+20+40+30+50+60+50+60-80+70+30+30=600
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प्रश्न 2.
10 बालिकाओं के भार किग्रा में क्रमशः 40, 42, 41, 38, 36, 35, 42, 37, 35, 35 किग्रा है। इनके भारों का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए।
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UP Board Solutionsप्रश्न 3.
निम्नलिखित सारणी में 50 शिक्षार्थियों का भार किग्रा में दिया (UPBoardSolutions.com) हुआ है। उनके भार का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित बारम्बारता बंटन का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए।
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प्रश्न 5.
नीचे दी गई तालिका में किसी क्षेत्र के एक वर्ष में विभिन्न (UPBoardSolutions.com) खाद्यानों में उत्पादन के आँकड़े दिए गए हैं। आँकड़ों का पाई ग्राफ निरूपण कीजिए।
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प्रश्न 6.
रविवार के दिन किसी बेकरी की दुकान में हुई विभिन्न वस्तुओं (UPBoardSolutions.com) की बिक्री (रुपयों में) नीचे दी गई है। केन्द्रीय कोण ज्ञात करके सारणी बनाइए और इस सारणी का प्रयोग करके एक चार्ट खींचिए।
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UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 4 Cost of Production

UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 4 Cost of Production (उत्पादन लागत) are part of UP Board Solutions for Class 12 Economics. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 4 Cost of Production (उत्पादन लागत).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Economics
Chapter Chapter 4
Chapter Name Cost of Production (उत्पादन लागत)
Number of Questions Solved 40
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 4 Cost of Production (उत्पादन लागत)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (6 अंक)

प्रश्न 1
उत्पादन लागत से आप क्या समझते हैं ? उत्पादन लागत के प्रकार बताइए।
या
मौद्रिक लागत, वास्तविक लागत एवं अवसर लागत को संक्षेप में समझाइए।
या
लागत से आप क्या समझते हैं? स्थिर लागत तथा परिवर्तनशील लागत में अन्तर स्पष्ट कीजिए। [2014]
उत्तर:
उत्पादन लागत का अर्थ
प्राय: बोलचाल की भाषा में उत्पादन लागत से तात्पर्य उन समस्त भुगतानों से होता है, जिनको एक उत्पादक किसी वस्तु के उत्पादन में प्रयोग आने वाले विभिन्न साधनों को उसके उत्पादन में सहयोग देने के बदले में पुरस्कार के रूप में देता है। इस प्रकार सामान्य बोलचाल की भाषा में वस्तु की लागत में उत्पादक द्वारा अन्य व्यक्तियों को किये गये भुगतानों को ही सम्मिलित किया जाता है तथा उन साधनों या वस्तुओं को जिनको वह अपने पास से दे देता है, उनका पुरस्कार या पारिश्रमिक उस वस्तु की उत्पादन लागत में सम्मिलित नहीं किया जाता है। परन्तु अर्थशास्त्र में वस्तु की उत्पादन-लागत के अन्तर्गत केवल अन्य व्यक्तियों को किये गये भुगतान नहीं रहते हैं, बल्कि उत्पादक द्वारा स्वयं दिये गये उपादानों का पुरस्कार और वस्तुओं का मूल्य तथा उसका स्वयं अपना लाभ भी सम्मिलित रहता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि उत्पादन लागत = भूमि का लगान + कच्चे माल की कीमत + मजदूरों की पूँजी पर ब्याज + संगठनों का वेतन + उद्यमी का सामान्य लाभ।

उत्पादन लागत की परिभाषाएँ
प्रो० मार्शल के शब्दों में, “उत्पादन लागते वह समस्त मौद्रिक (द्राव्यिक) लागत है जो उद्यमी को अपने व्यवसाय में उत्पादकों को विभिन्न उपादानों को आकर्षित करने के लिए लगानी पड़ती है। इसमें कच्चे माल की कीमत, मजदूरी और वेतन, पूँजी पर ब्याज, लगान, प्रबन्धक सम्बन्धी सामान्य आयकरों का भुगतान तथा अन्य व्यापारिक काम आदि सम्मिलित होते हैं।”

उम्ब्रेट, हण्ट तथा किण्टर के अनुसार, “उत्पादन लागत में वे समस्त भुगतान सम्मिलित होते हैं। जो कि अन्य व्यक्तियों को उनकी वस्तुओं एवं सेवाओं के उपयोग के बदले में किये जाते हैं। इसमें मूल्य ह्रास तथा प्रचलन जैसे भेद भी सम्मिलित रहते हैं। इसमें उत्पादक द्वारा प्रदत्त सेवाओं के लिए अनुमानित मजदूरी तथा उसके द्वारा प्रदत्त पूँजी व भूमि का पुरस्कार भी सम्मिलित रहता है।”

उत्पादन लागत के प्रकार
उत्पादन लागत के प्रकार निम्नलिखित हैं

  1. मौद्रिक लागत
  2.  वास्तविक लागत
  3. अवसर लागत

1. मौद्रिक लागत – उत्पत्ति के साधनों के प्रयोग के लिए जो धन व्यय किया जाता है, वह उसकी मौद्रिक लागत होती है या किसी वस्तु के उत्पादन पर द्रव्य के रूप में उत्पादन के उपादानों पर जो व्यय किया जाता है उसे मौद्रिक या द्राव्यिक लागत कहा जाता है।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार उत्पादक की मौद्रिक लागत में निम्नलिखित तत्त्व सम्मिलित होते हैं

(क) स्पष्ट लागते (Explicit Costs) – इनके अन्तर्गत वे सब लागतें सम्मिलित की जाती हैं, जो उत्पादक के द्वारा स्पष्ट रूप से विभिन्न उपादानों को खरीदने (क्रय करने) के लिए व्यय की जाती हैं।

(ख) अस्पष्ट लागते (Implicit Costs) –
इनके अन्तर्गत उन साधनों एवं सेवाओं का मूल्य सम्मिलित होता है, जो उत्पादक के द्वारा प्रयोग की जाती हैं, किन्तु जिनके लिए वह प्रत्यक्ष रूप से भुगतान नहीं करता। उत्पादन में प्रयोग किये जाने वाले कुछ साधनों का स्वामी व्यवसायी स्वयं हो सकता है। इसलिए वह उनके लिए प्रत्यक्ष रूप से भुगतान नहीं करता। उद्यमी के स्वयं के साधनों के बाजार दर पर पुरस्कारों को अस्पष्ट लागतें कहा जाता है।
उपर्युक्त स्पष्ट लागतें एवं अस्पष्ट लागतों से स्पष्ट होता है कि मौद्रिक लागत के अन्तर्गत निम्नलिखित दो बातें सम्मिलित होती हैं

  1. वस्तु के उत्पादन हेतु आवश्यक उपादानों की क्रय-कीमत या उन्हें किया गया भुगतान।
  2. फर्म के मालिक द्वारा लगाये जाने वाले उपादानों की अनुमानित कीमत एवं सामान्य लाभ सम्मिलित रहते हैं।

2. वास्तविक लागत – वास्तविक लागत का विचार तो परम्परावादी अर्थशास्त्रियों द्वारा ही प्रस्तुत कर दिया गया था, परन्तु इसकी विस्तृत एवं स्पष्ट व्याख्या प्रो० मार्शल द्वारा की गयी। उन्होंने कहा कि  – “वस्तु के निर्माण में प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से लगाये गये विभिन्न प्रकार के श्रमिकों का श्रम इसके साथ वस्तुओं को उत्पन्न करने में प्रयोग आने वाली उस पूँजी को बचाने में जो संयम अथवा प्रतीक्षा आवश्यक होती है, वे समस्त प्रयत्न और त्याग मिलकर वस्तु की वास्तविक लागत कहलाते हैं।”
कहने का आशय यह है कि वास्तविक लागत उन प्रयत्नों तथा त्यागों की माप होती है जो समाज को उसे उत्पन्न करने हेतु सहन करने पड़ते हैं। इसी कारण इसको ‘सामाजिक लागत’ के नाम से भी पुकारते हैं। वास्तविक लागत में निम्नांकित दो बातें सम्मिलित रहती हैं

  1. विभिन्न प्रकार के श्रमिकों के शारीरिक एवं मानसिक प्रयत्न जो उत्पादन क्रिया में प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से भाग लेते हैं।
  2. पूँजी को संचय करने के कारण उत्पन्न होने वाले कष्ट एवं त्याग।

ये समस्त प्रयत्न एवं त्याग मिलकर वस्तु की वास्तविक लागत’ कहलाते हैं। जिस कार्य को करने में श्रमिकों को अधिक कष्ट होता है, उसकी वास्तविक लागत अधिक होती है। इसके विपरीत, जिस कार्य को करने में श्रमिकों को कम कष्ट होता है, उसकी वास्तविक लागत कम होती है।

3. अवसर लागत – आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने वास्तविक लागत के विचार के स्थान पर अवसर लागत का विचार दिया है। अवसर लागत को हस्तान्तरण आय’ या ‘विकल्प लागत’ भी कहते हैं।

अवसर लागत से अभिप्राय है कि किसी एक वस्तु के उत्पादन में किसी साधन के प्रयोग किये जाने का अभिप्राय यह है कि उस साधन को अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए प्रयोग नहीं किया जा रहा है। अतः किसी वस्तु को उत्पन्न करने की सामाजिक लागत उन विकल्पों के रूप में व्यक्त की जा सकती है जो उस वस्तु को उत्पादित करने के लिए हमें त्यागने होते हैं।

प्रो० मार्शल ने उद्यमकर्ता के दृष्टिकोण से उत्पादन लागत का विभाजन निम्न प्रकार से किया है

  1. प्रधान लागत अथवा परिवर्तनशील लागत।
  2.  पूरक लागत या स्थिर लागत।

(i) प्रधान लागत अथवा परिवर्तनशील लागत – प्रधान लागत वह लागत है जो उत्पादन की मात्रा के साथ-साथ बढ़ती रहती है। इस कथन को और अधिक अच्छी तरह इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं कि “यदि उत्पादन की मात्रा में कमी हो जाती है तो प्रधान लागत में भी वृद्धि हो जाती है। इसके विपरीत, यदि उत्पादन की मात्रा में कमी हो जाती है तो प्रधान लागत में भी कमी हो जाती है। इस प्रकार से उत्पादन की मात्रा और प्रधान लागत में प्रत्यक्ष तथा लगभग आनुपातिक सम्बन्ध होता है। उदाहरणार्थ-एक चीनी मिल को लीजिए। चीनी बनाने के लिए गन्ने के साथ-ही-साथ बिजली व श्रम-शक्ति की भी आवश्यकता पड़ती है। गन्ना-मजदूरी और बिजली पर होने वाला व्यय चीनी के उत्पादन की मात्रा के साथ-साथ घटता-बढ़ता रहता है। यदि मिल का मालिक चीनी का उत्पादन कम कर देता है तो उपर्युक्त तीनों मदों पर व्यय स्वत: ही कम हो जाता है। इसके विपरीत, यदि वह चीनी के उत्पादन की मात्रा में वृद्धि कर देता है तो उपर्युक्त तीनों मदों पर होने वाले व्यय में वृद्धि हो जाती है। इस प्रकार व्यय का उत्पादन की मात्रा के साथ प्रत्यक्ष सम्बन्ध होने के कारण ही इसे ‘प्रधान लागत अथवा ‘अस्थिर उत्पादन लागत’ भी कहते हैं। मिल के बन्द हो जाने पर अथवा उत्पादन शून्य हो जाने पर प्रधान लागत भी शून्य हो जाती है।

(ii) पूरक लागत या स्थिर लागत – पूरक लागत वह लागत होती है जो उत्पादन की मात्रा के साथ घटती-बढ़ती नहीं है। पूरक लागत को स्थिर लागत’ भी कहते हैं। अन्य शब्दों में इसको इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है कि यदि मिल में उत्पादन की मात्रा को पहले से दुगुना अथवा आधा कर दिया जाए तो पूरक लागत पूर्ववत् ही रहेगी। सरल शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि प्रत्येक उत्पादक को कुछ व्यय अनिवार्य रूप से ऐसे करने होते हैं जो उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन होने पर भी पूर्ववत् ही रहते हैं; जैसे – भवन व जमीन का किराया, पूँजी पर दिया जाने वाला ब्याज, बीमा शुल्क, मशीनों व यन्त्रों का मूल्य ह्रास, व्यवस्थापकों को वेतन आदि। यदि कारखाने में उत्पादन की मात्रा में एक सीमा तक वृद्धि की जाती है तो पूरक लागत में वृद्धि नहीं होती है, परन्तु जब उत्पत्ति उस सीमा को पार कर जाती है तो पूरक लागत में भी वृद्धि होने लगती है।

प्रश्न 2
सीमान्त उत्पादन लागत (सीमान्त लागत) और औसत उत्पादन लागत (औसत लागत) का अर्थ समझाइए तथा इनका सम्बन्ध रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए। इनके वक्र U-आकार के क्यों होते हैं ? [2006, 08, 10, 11]
या
कुल लागत, औसत लागत तथा सीमान्त लागत की अवधारणाओं को स्पष्ट कीजिए। [2007, 08, 10]
या
औसत लागत एवं सीमान्त लागत से आप क्या समझते हैं? एक सारणी की सहायता से इनके बीच के सम्बन्धों को दर्शाइए। [2007, 08, 10, 15]
उत्तर:
सीमान्त उत्पादन लागत का अर्थ
सीमान्त लागत से अभिप्राय किसी वस्तु की उत्पन्न की गयी अन्तिम इकाई की मौद्रिक लागत से होता है। अन्य शब्दों में, सीमान्त लागत से आशय एक अतिरिक्त इकाई के उत्पादन करने पर कुल लागत में हुई वृद्धि अथवा वस्तु की एक इकाई को कम उत्पन्न करने पर कुल लागत में हुई कमी से है। अर्थात् एक अधिक अथवा एक कम इकाई के उत्पादन करने पर कुल उत्पादन लागत में वृद्धि या कमी को सीमान्त उत्पादन लागत कहते हैं।

मान लीजिए वस्तु की केवल पाँच इकाइयों का उत्पादन किया गया और उन सबकी कुल लागत ₹ 30 है। अब यदि उत्पादन 5 इकाइयों से बढ़ाकर 6 इकाइयाँ कर दिया जाए अर्थात् एक अधिक इकाई का उत्पादन किया जाए और कुल लागत ₹ 39 आये, तब कुल लागत में ₹ 9 की वृद्धि हुई अर्थात् सीमान्त इकाई की लागत ₹ 9 हुई। इसी प्रकार यदि एक इकाई कम अर्थात् प्रथम चार इकाइयों की कुल लागत ₹ 22 हो तब एक इकाई कम उत्पादन करने पर कुल लागत में हैं 8 की कमी पड़ती है अर्थात् सीमान्त इकाई की लागत ₹ 8 होगी।
सीमान्त उत्पादन लागत कोई निश्चित लागत नहीं होती। वह उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करती है।

औसत उत्पादन लागत का अर्थ

कुल मौद्रिक लागत में उत्पन्न की गयी समस्त इकाइयों की संख्या का भाग देने से जो राशि आये, वह औसत लागत कहलाती है। कुल उत्पादन लागत में उत्पादित इकाइयों की संख्या का भाग देने से औसत लागत ज्ञात की जा सकती है। उदाहरण के लिए-माना 5 इकाइयों की कुल उत्पादन लागत ₹ 30 है। अत: औसत लागत = 30 ÷ 5 = ₹6 हुई।
कुल उत्पादन लागत औसत लागत = –
उत्पन्न की गयी समस्त इकाइयों की संख्या
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सीमान्त तथा औसत उत्पादन लागत में सम्बन्ध
सीमान्त उत्पादन लागत तथा औसत उत्पादन लागत में घनिष्ठ सम्बन्ध है। इसकी व्याख्या उत्पत्ति के नियमों के अन्तर्गत की जा सकती है। व्यवहार में, उत्पादन में पहले वृद्धिमान प्रतिफल नियम लागू होता है, फिर कुछ समय के लिए आनुपातिक प्रतिफल का नियम तथा फिर ह्रासमान प्रतिफल का नियम लागू होता है।

  1. जब उत्पादन में वृद्धिमान प्रतिफल नियम लागू होता है तब सीमान्त लागत तथा औसत लागत दोनों ही घटती जाती हैं अर्थात् प्रत्येक अगली इकाई की उत्पादन लागत क्रमश: घटती जाती है। इस स्थिति में सीमान्त लागत औसत लागत की अपेक्षा अधिक तेजी से घटती है, परिणामस्वरूप औसत लागत सीमान्त लागत से अधिक रहती है।
  2.  जब उत्पादन में आनुपातिक प्रतिफल नियम लागू होता है तब सीमान्त उत्पादन लागत व औसत उत्पादन लागत दोनों बराबर हो जाती हैं।
  3. हासमान प्रतिफल नियम के अन्तर्गत जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता जाता है वैसे-वैसे हर इकाई की उत्पादन लागत बढ़ती जाती है। ऐसी दशा में सीमान्त लागत और औसत लागत दोनों ही बढ़ती हैं; किन्तु सीमान्त लागत औसत लागत की अपेक्षा अधिक तेजी से बढ़ती है, परिणामस्वरूप सीमान्त लागत औसत लागत से अधिक हो जाती है तथा सीमान्त लागत की आकृति अंग्रेजी के U-आकार की होती है। सीमान्त उत्पादन लागत तथा औसत उत्पादन लागत के सम्बन्ध को निम्नांकित तालिका व रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

माना कोई फर्म खिलौनों का उत्पादन करती है। खिलौनों की इकाइयों की सीमान्त उत्पादन लागत व औसत उत्पादन लागत निम्नांकित तालिका के अनुसार है

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रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण
संलग्न चित्र में अ ब रेखा पर खिलौनों (उत्पादन) की इकाइयाँ तथा अ स रेखा पर प्रति इकाई उत्पादन लागत दर्शायी गयी है। रेखाचित्र में MC रेखा सीमान्त उत्पादन लागत की रेखा है तथा AC औसत उत्पादन लागत की रेखा है।
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जैसे-जैसे अतिरिक्त इकाइयों का उत्पादन किया जाता है तब औसत लागत व सीमान्त लागत ‘प्रारम्भ में दोनों घटती हैं, लेकिन सीमान्त लागत, औसत लागत की अपेक्षा अधिक तेजी से गिरती है। धीरे-धीरे औसत व सीमान्त लागतें बढ़ने लगती हैं तब वे दोनों बराबर हो जाती हैं। इसके पश्चात् ह्रासमान प्रतिफल नियम लागू होने पर सीमान्त लागत औसत लागत से अधिक हो जाती है।।

औसत लागत और सीमान्त लागत वक्र U-आकार के क्यों होते हैं ?
औसत लागत वे सीमान्त लागत वक्रों के U-आकार के होने का प्रमुख कारण फर्म को प्राप्त होने वाली आन्तरिक बचते हैं। इन बचतों को निम्नलिखित चार श्रेणियों में बाँटा जा सकता है

1. श्रम-सम्बन्धी बचते – श्रम-सम्बन्धी बचते श्रम-विभाजन का परिणाम होती हैं। कोई फर्म उत्पादन का स्तर जैसे-जैसे बढ़ाती जाती है, श्रम-विभाजन उतनी ही अधिक मात्रा में किया जा सकता है। श्रम-विभाजन के कारण लागत गिरती जाती है।

2. तकनीकी बचते – उत्पादन स्तर जितना अधिक होगा उतनी ही उत्पादन लागत प्रति इकाई कम होगी। इस प्रकार तकनीकी बचतें प्राप्त होती हैं।

3. विपणन की बचते – जैसे-जैसे उत्पादन की मात्रा में वृद्धि होती जाती है वैसे-वैसे विपणन की प्रति इकाई लागत गिरती जाती है।

4. प्रबन्धकीय बचते – उत्पादन में वृद्धि होने पर प्रबन्ध की प्रति व्यक्ति इकाई लागत भी निश्चित रूप से गिरती है।

उपर्युक्त कारणों से उत्पादन के बढ़ने पर औसत लागत के गिरने की आशा की जा सकती है। लागत इस कारण गिरती है, क्योंकि अधिकांश साधन ऐसे होते हैं जिन्हें बड़े पैमाने के उत्पादन पर ही अधिक कुशलता के साथ उपयोग में लाया जा सकता है, यद्यपि उत्पादन बढ़ने पर फर्म की औसत लागत गिरती है, किन्तु ऐसा केवल एक सीमा तक ही होता है। अनुकूलतम उत्पादन इस सीमा को निर्धारित करता है। जब फर्म का उत्पादन अनुकूलतम होता है तो उसकी औसत लागत न्यूनतम होती है। अनुकूलतम उत्पादन तक पहुँचने के पश्चात् औसत लागत बढ़ने लगती है। जब उत्पादन अनुकूलतम से अधिक किया जाएगा तो प्रबन्धकीय समस्याएँ बढ़ जाएँगी। इन सब बातों के आधार पर यह कह सकते हैं कि फर्म का अल्पकालीन औसत वक्र U-आकार का होता है।

प्रश्न 3
कुल लागत, सीमान्त लागत और औसत लागत में अन्तर स्पष्ट कीजिए। किन परिस्थितियों में औसत लागत व सीमान्त लागत में परिवर्तन होते हैं ? सचित्र दर्शाइए।
या
तालिका एवं रेखाचित्र की सहायता से कुल लागत, सीमान्त लागत और औसत लागत के सम्बन्ध को दर्शाइए।
या
कुल लागत, औसत लागत तथा सीमान्त लागत की सचित्र व्याख्या कीजिए। [2007]
उत्तर:
कुल लागत (Total Cost) – किसी वस्तु के कुल उत्पादन में जो धन व्यय होता है, उसे कुल लागत कहते हैं। अन्य शब्दों में, किसी वस्तु की निश्चित मात्रा को उत्पन्न करने में जो कुल मौद्रिक लागत आती है, उसे कुल लागत कहते हैं। कुल लागत में सामान्यत: दो प्रकार की लागते सम्मिलित होती हैं – निश्चित लागतें (Fixed Costs) परिवर्तनशील लागते (Variable Costs)।
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सीमान्त लागत (Marginal Cost) – किसी वस्तु की अन्तिम इकाई पर आने वाली लागत को ‘सीमान्त लागत’ कहते हैं अर्थात् सीमान्त लागत से आशय एक अतिरिक्त इकाई के उत्पादन से कुल लागत में हुई वृद्धि से होता है या वस्तु की एक इकाई को कम उत्पन्न करने पर कुल लागत में जो कमी होती है, उसको सीमान्त लागत कहते हैं। दूसरे शब्दों में, सीमान्त उत्पादन लागत एक अधिक अथवा एक कम इकाई के उत्पादन करने पर कुल उत्पादन लागत में हुई वृद्धि या कमी है।

औसत लागत (Average Cost) – कुल लागत में उत्पादन की गयी समस्त इकाइयों की संख्या को भाग देने से औसत लागत ज्ञात हो जाती है।
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कुल लागत, सीमान्त लागत और औसत लागत में अन्तर एवं सम्बन्ध
कुल लागत, सीमान्त लागत और औसत लागत में सम्बन्ध एवं अन्तर निम्नवत् है
ज्यों-ज्यों अतिरिक्त इकाइयों का उत्पादन किया जाता है तो कुल लागत में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जाती है, लेकिन प्रारम्भ में यह वृद्धि कम गति से और बाद में तीव्र गति से होती है। औसत लागत व सीमान्त लागत प्रारम्भ में दोनों घटती हैं, लेकिन सीमान्त लागत औसत लागत की तुलना में अधिक तेजी से गिरती है और धीरे-धीरे औसत व सीमान्त लागतें बढ़ने लगती हैं, लेकिन सीमान्त लागत के बढ़ने की गति औसत लागत की तुलना में अधिक तीव्र होती है। औसत और सीमान्त लागतों में कमी या वृद्धि उत्पत्ति के नियमों की क्रियाशीलता के कारण होती है।

उत्पादन लागतों को उत्पत्ति के नियमों के सन्दर्भ में निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

  1.  जब कुल उत्पादन में वृद्धिमान प्रतिफल नियम लागू होता है, तो कुल लागत तो बढ़ती जाती है, किन्तु सीमान्त लागत तथा औसत लागत दोनों ही घटती जाती हैं। सीमान्त लागत औसत लागत की अपेक्षा । अधिक तेजी से घटती है, परिणामस्वरूप औसत लागत, सीमान्त लागत से अधिक रहती है।
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  2. जब उत्पादन में आनुपातिक प्रतिफल नियम लागू होता है तब कुल लागत में वृद्धि होती है, परन्तु औसत लागत वक्र सीमान्त लागत व औसत लागत समान रहती हैं।
  3. जब उत्पादन में ह्रासमान प्रतिफल नियम लागू उत्पादन की इकाइयाँ होता है तब कुल लागत, सीमान्त लागत और औसत लागत तीनों बढ़ती जाती हैं, किन्तु सीमान्त लागत के बढ़ने की गति औसत लागत से अधिक तीव्र होती है।

कुल लागत, सीमान्त लागत और औसत लागत के अन्तर एवं सम्बन्ध को निम्नांकित तालिका व रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
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रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण
संलग्न रेखाचित्र में अ ब रेखा पर उत्पादन की इकाइयाँ तथा अ स रेखा पर उत्पादन लागत (₹ में) दर्शायी गयी है। ज्यों-ज्यों अतिरिक्त इकाइयों का उत्पादन किया जाता है, कुल लागत में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जाती है, लेकिन प्रारम्भ में वृद्धि कम गति से तथा बाद में तीव्र गति से होती है। औसत लागत व सीमान्त लागत प्रारम्भ में दोनों घटती हैं, परन्तु सीमान्त लागत औसत लागत की अपेक्षा तेजी से गिरती है और धीरे-धीरे सीमान्त व औसत लागतें बढ़ने लगती हैं। सीमान्त लागत, औसत लागत की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से बढ़ती है।
चित्र में TC वक्र कुल लागत, MC वक्र सीमान्त लागत तथा AC वक्र औसत लागत को प्रदर्शित करती है।

किन परिस्थितियों में औसत लागत व सीमान्त लागत में परिवर्तन होते हैं ?
सीमान्त लागत व औसत लागत में परिवर्तन उत्पत्ति के नियमों के अन्तर्गत होते हैं अर्थात् जब उत्पादन में उत्पादन के नियम क्रियाशील रहते हैं तब औसत लागत व सीमान्त लागत में परिवर्तन होने लगते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1
सीमान्त लागत और औसत लागत के सम्बन्धों को चित्र की सहायता से समझाइए। [2014, 16]
उत्तर:
औसत लागत और सीमान्त लागत का सम्बन्ध
सीमान्त लागत और औसत लागत दोनों में घनिष्ठ सम्बन्ध है। इन दोनों के आपसी सम्बन्ध को हम इस प्रकार से भी स्पष्ट कर सकते हैं
(i) जब किसी वस्तु की औसत लागत में कमी होती है तो उसकी सीमान्त लागत भी वस्तु की औसत लागत से कम होती है।
(ii) जब किसी वस्तु की औसत लागत में वृद्धि होती है तो उसकी सीमान्त लागत भी वस्तु की औसत लागत से अधिक ही होती है। संक्षेप में, औसत लागत और सीमान्त लागत के आपसी सम्बन्ध को संलग्न चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते है
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 4 Cost of Production 9

  1. जब तक किसी वस्तु के उत्पादन में वृद्धिमान प्रतिफल नियम लागू रहता है, तब तक औसत लागत कम होती जाती है तथा इसके साथ-ही-साथ वस्तु की सीमान्त लागत भी कम होती जाती है।
  2. जब तक औसत लागत कम होती जाती है, तब तक उसकी सीमान्त लागत उससे अधिक तीव्रता से कम होती जाती है।
  3. जब वस्तु की औसत लागत में वृद्धि होती जाती है तो उसकी सीमान्त लागत में वृद्धि हो जाती है।
  4.  जब वस्तु की औसत लागत में वृद्धि होती जाती है तो सीमान्त लागत में वृद्धि उससे अधिक तीव्रता से होती रहती है।।
  5. जिस बिन्दु पर वस्तु की औसत लागत न्यूनतम होती है, उस पर वस्तु की सीमान्त लागत और औसत लागत आपस में दोनों बराबर होती हैं।

प्रश्न 2
उत्पादन (उत्पत्ति) ह्रास नियम को उत्पादन लागतों के सम्बन्ध में रेखाचित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
उत्पादन (उत्पत्ति) ह्रास नियम
उत्पत्ति ह्रास नियम एक तकनीकी नियम है जो स उत्पत्ति के साधनों के बदलते हुए अनुपातों के कुल 100उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करता 80
AC औसत उत्पादन वक्र है। उत्पादन ह्रास नियम की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है“यदि हम उत्पत्ति के एक या अधिक साधनों की मात्रा को निश्चित रखते हैं और
V सीमान्त उत्पादन वक्र अन्य साधनों की मात्रा को धीरे-धीरे बढ़ाते हैं तो एक बिन्दु के पश्चात् .परिवर्तनीय तत्त्वों की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई से प्राप्त होने वाली उत्पादन घटने
श्रम वे पूँजी की इकाइयाँ लगता है।”
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 4 Cost of Production 10
उत्पादन हास नियम को लागत वृद्धि नियम भी कहा जा सकता है अर्थात् जब उत्पादन के क्षेत्र में सीमान्त और औसत उत्पादन की मात्रा में एक सीमा के पश्चात् कमी होनी प्रारम्भ हो जाती है तब : सीमान्त और औसत लागतें बढ़नी प्रारम्भ हो जाती हैं। इसीलिए इस नियम को लागत वृद्धि नियम (Law of Increasing Cost) भी कहते हैं।

रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण
उत्पादन ह्रास नियम की क्रियाशीलता के कारण उत्पादन – संलग्न चित्र में उत्पत्ति ह्रास नियम की क्रियाशीलता की दशा में सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन दर्शाया गया है। चित्र में अब रेखा पर श्रम व पूँजी की इकाइयाँ तथा अ स रेखा पर उत्पादन दिखाया गया है। क ख औसत उत्पादन वक्र तथा क ग सीमान्त उत्पादन वक्र है। उत्पत्ति ह्रास नियम की क्रियाशीलता के कारण औसत उत्पादन और सीमान्त उत्पादने दोनों ही गिरते हैं, लेकिन सीमान्त उत्पादन औसत उत्पादन की अपेक्षा अधिक तेजी से गिरता है।

प्रश्न 3
उत्पत्ति ह्रास नियम के अन्तर्गत औसत लागत एवं सीमान्त लागत का चित्र द्वारा प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
उत्पत्ति ह्रास नियम की क्रियाशीलता के कारण लागत – संलग्न चित्र में अ ब रेखा पर उत्पादन की इकाइयाँ तथा अ स रेखा पर उत्पादन लागत को दर्शाया गया है।
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 4 Cost of Production 11
MC सीमान्त लागत वक्र तथा AC औसत लागत वक्र है। रेखाचित्र से स्पष्ट है कि औसत लागत और सीमान्त लागत दोनों ही बढ़ रहे हैं, इसलिए इसे लागत वृद्धि नियम भी कहा जाता है। इस स्थिति में, सीमान्त लागत के बढ़ने की गति औसत लागत से अधिक तीव्र रहती है। उत्पादन की इकाइयाँ

प्रश्न 4
उत्पत्ति वृद्धि नियम को उत्पादन लागतों के सम्बन्ध में रेखाचित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
उत्पत्ति वृद्धि नियम
उत्पादन की मात्रा में वृद्धि करने के लिए जब उत्पत्ति के साधनों (श्रम व पूँजी) की अधिक इकाइयाँ प्रयोग की जाती हैं तो उसके परिणामस्वरूप संगठन में सुधार होता है। साधनों के अनुकूलतम संयोग से उत्पादन अनुपात से अधिक मात्रा में बढ़ता है। यह कहा जा सकता है कि यदि उत्पत्ति के साधनों की पूर्ति लोचदार हो तो एक बिन्दु तक उत्पादन के पैमाने का विस्तार करने से अनुपात से अधिक उत्पादन होता है। इसे उत्पत्ति वृद्धि नियम कहते हैं। उत्पत्ति वृद्धि नियम को घटती हुई लागत का नियम भी कहा जा सकता है, क्योंकि उत्पादन में वृद्धि साधन की मात्रा में वृद्धि की अपेक्षा तेजी के साथ होती है, इसलिए प्रति इकाई उत्पादन लागत गिरती जाती है। उत्पत्ति वृद्धि नियम के लागू होने के परिणामस्वरूप औसत लागत (Average Cost) तथा सीमान्त लागत (Marginal Cost) दोनों ही गिरती हैं।

रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण

1. उत्पत्ति वृद्धि नियम की क्रियाशीलता के कारण उत्पादन – चित्र (अ) में Ox-अक्ष पर श्रम व पूँजी की इकाइयाँ तथा OY-अक्ष पर उत्पादन की मात्रा को दर्शाया गया है। चित्र में MP 25सीमान्त उत्पादन की वक्र रेखा तथा AP औसत उत्पादन की वक्र रेखाg 20है। चित्र से स्पष्ट है कि जैसे-जैसे उत्पत्ति के साधन की मात्रा को बढ़ाया जाता है, संगठन में सुधार होने के कारण सीमान्त उत्पादन और औसत उत्पादन दोनों ही बढ़ते जाते हैं। परन्तु सीमान्त उत्पादन के बढ़ने की गति औसत उत्पादन के बढ़ने की गति से अधिक तीव्र
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 4 Cost of Production 12

2. उत्पत्ति वृद्धि नियम की क्रियाशीलता के कारण लागत – चित्र (ब) में OX-अक्ष पर उत्पादन की इकाइयाँ तथा OY-अक्ष पर लागत (₹ में) दिखायी गयी है। चित्र में AC औसत लागत तथा MC सीमान्त लागत वक्र है। उत्पादन में वृद्धिमान प्रतिफल नियम लागू होने के कारण म सीमान्त लागत और औसत लागत दोनों ही घटती जाती हैं; परन्तु सीमान्त लागत औसत लागत की अपेक्षा अधिक तेजी E से घटती है।
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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1
मौद्रिक लागत व वास्तविक लागत के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मौद्रिक लागत व वास्तविक लागत में अन्तर
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 4 Cost of Production 14

प्रश्न 2
स्थिर लागत किसे कहते हैं ? इसके अन्तर्गत कौन-कौन से व्यय सम्मिलित किये जाते हैं?
उत्तर:
उत्पादन की स्थिर लागत के अन्तर्गत वे सब उत्पादन व्यय सम्मिलित किये जाते हैं, जिन्हें सभी परिस्थितियों में करना आवश्यक होता है और जो उत्पादन की मात्रा के साथ नहीं बदलते। प्रत्येक उत्पादक को कुछ लागत स्थिर साधनों के प्रयोग करने के लिए लगानी होती है। इस प्रकार की लागत को स्थिर लागत कहते हैं। स्थिर साधन वे साधन होते हैं, जिनकी मात्रा में शीघ्रता से परिवर्तन नहीं किया जा सकता; जैसे – मशीनें, औजार, भूमि, बिल्डिग का किराया, स्थायी कर्मचारियों का वेतन, बीमे की किश्तें आदि। ये सब उत्पादन की स्थिर लागतें होती हैं।

प्रश्न 3
परिवर्तनशील लागत किसे कहते हैं ? इसके अन्तर्गत कौन-कौन से व्यय सम्मिलित किये जाते हैं ?
उत्तर:
परिवर्तनशील लागत वह लागत होती है जो उत्पादन की मात्रा के साथ बदलती है। किसी व्यवसाय में परिवर्तनशील साधनों को प्रयोग में लाने के लिए जो लागत लगाई जाती है, उसे परिवर्तनशील लागत कहते हैं। परिवर्तनशील वे ‘साधने होते हैं, जिनकी मात्रा में सरलता से परिवर्तन किया जा सकता है। परिवर्तनशील लागते उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन होने पर बदलती हैं। परिवर्तनशील लागतों के अन्तर्गत, कच्चे माल और ईंधन की लागत, अस्थायी श्रमिकों की मजदूरी इत्यादि को सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 4
सीमान्त उत्पादन लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
सीमान्त उत्पादन लागत, उत्पादन की सीमान्त इकाई को उत्पन्न करने की लागत होती है। दूसरे शब्दों में, उत्पादित वस्तुओं की एक और ईकाई को उत्पन्न करने में जो लागत आती है उसे सीमान्त लागत कहा जाता है। सीमान्त लागत कुल लागत में एक और इकाई उत्पन्न करने के कारण होने वाली वृद्धि को बताती है। श्रीमती जॉन रॉबिन्सन के अनुसार, “सीमान्त लागत का तात्पर्य उत्पादित वस्तु की एक अतिरिक्त लागत से होती है।”

उदाहरण के लिए – 5 इकाई उत्पन्न करने की कुल लागत ₹500 है और 6 इकाइयों को उत्पन्न करने की लागत ₹720 है, तो सीमान्त लागत ₹220 होगी। प्रश्न 5 औसत लागत वक्र व सीमान्त लागत वक्र में अन्तर बताइए। उत्तर औसत लागत वक्र और सीमान्त लागत वक्र में एक निश्चित सम्बन्ध पाया जाता है। जब तक औसत लागत (AC) वक्र गिर रहा होता है तब तक सीमान्त लागत (MC) औसत लागत से कम होती है। किन्तु जब औसत लागत बढ़ने लगती है, तो सीमान्त लागत औसत लागत से अधिक हो जाती है।

यदि औसत लागत वक्र ‘यू’ आकार का खींचा जाता है तो उसके साथ का सीमान्त लागत वक्र सदैव औसत लागत वक्र को उसके न्यूनतम बिन्दु पर काटेगा।

प्रश्न 6
वास्तविक लागत से आप क्या समझते हैं? [2008]
उत्तर:
किसी वस्तु के उत्पादन में जो कष्ट (abstinence), त्याग (sacrifice) तथा कठिनाइयाँ (exertions) उठानी पड़ती हैं, उन सभी के योग को उत्पादन की वास्तविक लागत’ कहते हैं। कुछ अर्थशास्त्री वास्तविक लागत को ‘सामाजिक लागत’ (Social Cost) भी कहते हैं। प्रो० मार्शल ने वास्तविक लागत की अवधारणा को इस प्रकार समझाया है-“किसी वस्तु के उत्पादन में विभिन्न प्रकार के श्रमिकों को जो प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रयत्न करने पड़ते हैं तथा साथ ही वस्तु के उत्पादन में प्रयोग की जाने वाली पूँजी को प्राप्त करने में जिस संयम या प्रतीक्षा की आवश्यकता होती है, वे समस्त प्रयास तथा त्याग मिलकर वस्तु की वास्तविक लागत कहलाती है।”

प्रश्न 7
सीमान्त लागत व औसत लागत में अन्तर कीजिए। [2009, 10, 11]
उत्त:
सीमान्त लागत – किसी वस्तु की अन्तिम इकाई पर आने वाली लागत को सीमान्त लागत कहते हैं।
औसत लागत – कुल लागत में उत्पादन की गई समस्त इकाइयों की संख्या को भाग देने पर औसत लागत ज्ञात हो जाती है। औसत लागत और सीमान्त लागत में अन्तर निम्नलिखित हैं

  1. जब किसी वस्तु की औसत लागत में कमी होती है तो उसकी सीमान्त लागत भी वस्तु की औसत लागत से कम होती है।
  2. जब किसी वस्तु की औसत लागत में वृद्धि होती है तो उसकी सीमान्त लागत भी वस्तु की औसत लागत से अधिक ही होती है।

निश्चित उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
कुल लागत से क्या अभिप्राय है ? [2012]
उत्तर:
उत्पादक द्वारा उत्पादन की किसी निश्चित मात्रा को उत्पन्न करने पर जो कुल व्यय आता है, उसे कुल लागत कहा जाता है। इसमें सामान्यतया दो प्रकार की लागत सम्मिलित होती हैं

  1.  निश्चित लागते (Fixed Costs) तथा
  2. परिवर्तनशील लागते (Variable Costs)।

प्रश्न 2
औसत उत्पादन लागत से क्या अभिप्राय है ?
या
औसत लागत का सूत्र लिखिए। [2011, 12, 15, 16]
उत्तर:
औसत उत्पादन लागत, उत्पादन की प्रति इकाई लागत होती है। इसे ज्ञात करने के लिए कुल लागत को उत्पन्न की गयी इकाइयों की मात्रा से भाग दिया जाता है। औसत लागत ज्ञात करने के लिए दिये गये सूत्र का प्रयोग करते हैं
UP Board Solutions for Class 12 Economics Chapter 4 Cost of Production 15

प्रश्न 3
औसत तथा सीमान्त लागत वक्रों की स्थिति किस प्रकार की होती है ?
उत्तर:
औसत लागत और सीमान्त लागत वक्र सर्वदा U-आकार के होते हैं, जो इस बात की ओर संकेत करते हैं कि आरम्भ में इन लागतों की प्रवृत्ति गिरने की होती है, किन्तु एक न्यूनतम सीमा पर पहुँचने के पश्चात् यह बढ़ने लगती है।

प्रश्न 4
अवसर लागत को अन्य किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर:
अवसर लागत को ‘हस्तान्तरण आय’ या विकल्प लागत भी कहा जाता है।

प्रश्न 5
अवसर लागत के दो महत्त्व बताइए।
उत्तर:
(1) लगान के निर्धारण में अवसर लागत का विचार महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। आधुनिक सिद्धान्त के अनुसार लगान अवसर लागत के ऊपर अतिरेक होता है।
(2) अवसर लागत के द्वारा उत्पादन लागत में होने वाले परिवर्तन को समझा जा सकता है।

प्रश्न 6
वास्तविक लागत में किन तत्त्वों को सम्मिलित किया जाता है ?
उत्तर:
वास्तविक लागत = श्रम के प्रयास और कठिनाइयाँ + पूँजीपति की प्रतीक्षा और त्याग।

प्रश्न 7
वास्तविक लागत को ज्ञात करना कठिन है, क्यों? समझाइए।
उत्तर:
वास्तविक लागत को ज्ञात करना एक कठिन कार्य है क्योकि वास्तविक लागत प्रयासों और त्यागों पर आधारित होती है। प्रयास, त्याग और प्रतीक्षा मनोवैज्ञानिक तथा आत्मनिष्ठ होते हैं, इसलिए उन्हें सही-सही मापा नहीं जा सकता है।

प्रश्न 8
उत्पादन लागत वक्र U-आकार के क्यों होते हैं ? [2016]
उत्तर:
लागत वक्रों के U-आकार का होने का सबसे बड़ा कारण उत्पादन को प्राप्त होने वाली आन्तरिक बचते (Internal Economics) हैं।

प्रश्न 9
कुल उत्पादन लागत की संरचना लिखिए। उत्तर कुल लागत निम्नलिखित दो प्रकार की लागतों से मिलकर बनती है
(1) स्थिर अथवा पूरक लागत (Fixed Costs),
(2) परिवर्तनशील लागत (Variable Costs)
या कुल लागत = स्थिर लागत + परिवर्तनशील लागत।

प्रश्न 10
परिवर्तनशील लागत को परिभाषित कीजिए। [2015, 16]
उत्तर:
परिवर्तनशील लागत वह लागत होती है जो उत्पादन की मात्रा के साथ-साथ बढ़ती रहती है। तथा उत्पादन की मात्रा में कमी होने पर घटती रहती है।

प्रश्न 11
स्थिर लागत किसे कहते हैं? [2010, 12]
या
स्थिर लागत को परिभाषित कीजिए। [2015]
उत्तर:
स्थिर लागत वह लागत होती है जो उत्पादन की मात्रा के साथ घटती-बढ़ती नहीं है। इसे पूरक लागत भी कहते हैं।

प्रश्न 12
अवसर लागत को हस्तान्तरण आय भी कहते हैं। हाँ या नहीं। [2014]
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 13
स्थिर लागत अल्पकाल में उत्पादन में परिवर्तन होने पर परिवर्तित होती है। सही अथवा गलत।
उत्तर:
गलत।।

प्रश्न 14
स्थिर लागत एवं परिवर्तनशील लागत में भेद कीजिए। [2012, 14]
उत्तर:
स्थिर लागत वह लागत होती है जो उत्पादन की मात्रा के साथ-साथ बढ़ती नहीं है, जबकि परिवतर्नशील लागत वह लागत होती है जो उत्पादन की मात्रा के साथ-साथ बढ़ती रहती है तथा उत्पादन की मात्रा में कमी होने पर घटती रहती है।

प्रश्न 15
अवसर लागत क्या है? [2006, 08, 10, 14]
उत्तर:
किसी वस्तु के उत्पादन की अवसर लागत वस्तु की वह मात्रा है जिसका त्याग किया जाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
उत्पत्ति वृद्धि नियम (वृद्धिमान प्रतिफल नियम) की क्रियाशीलता की दशा में औसत लागत की प्रवृत्ति होती है
(क) घटने की
(ख) बढ़ने की
(ग) स्थिर रहने की
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) घटने की।

प्रश्न 2
जब उत्पादन ‘ह्रास नियम’ के अन्तर्गत होता है, तब सीमान्त एवं औसत लागते
(क) घटने लगती हैं।
(ख) बढ़ने लगती हैं।
(ग) स्थिर रहती हैं।
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) बढ़ने लगती हैं।

प्रश्न 3
अवसर लागत को कहते हैं
(क) व्यक्तिगत आय
(ख) हस्तान्तरण आय
(ग) सामाजिक आय
(घ) राष्ट्रीय आय
उत्तर:
(ख) हस्तान्तरण आय।

प्रश्न 4
जब सीमान्त लागत घटती है, तो औसत लागत
(क) स्थिर रहती है।
(ख) तेजी से गिरती है।
(ग) तेजी से बढ़ती है।
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(घ) इनमें से कोई नहीं।।

प्रश्न 5
“किसी निश्चित वस्तु की अवसर लागत वह उत्तम विकल्प है जिसका परित्याग कर दिया जाता है।” यह कथन है
(क) डॉ० एल० ग्रीन का।
(ख) डेवनपोर्ट का ।
(ग) प्रो० कोल का
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) प्रो० कोल का।

प्रश्न 6
वास्तविक उत्पादन लागत में सम्मिलित होता है
(क) श्रम के प्रयास और कठिनाइयाँ + पूँजीपति की प्रतीक्षा और त्याग
(ख) भूमि का लगान
(ग) प्रबन्धक का वेतन
(घ) उद्यमी का लाभ
उत्तर:
(क) श्रम के प्रयास और कठिनाइयाँ + पूँजीपति की प्रतीक्षा और त्याग।

प्रश्न 7
‘वास्तविक उत्पादन लागत का सिद्धान्त हमें सन्देहात्मक विचार तथा अवास्तविकता की दलदल में डाल देता है।” यह कथन है
(क) प्रो० मार्शल का
(ख) प्रो० हेन्डरसन का
(ग) रिकार्डों का।
(घ) प्रो० जे० के० मेहता का
उत्तर:
(ख) प्रो० हेन्डरसन का।

प्रश्न 8
वास्तविक लागत का सिद्धान्त है
(क) वास्तविक
(ख) अवास्तविक
(ग) वास्तविक और अवास्तविक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) अवास्तविक।

9. निम्नलिखित में से किसे उत्पादन की स्थिर लागत में सम्मिलित किया जाता है?
(क) कच्चे माल की कीमत
(ख) अस्थायी श्रमिकों की मजदूरी
(ग) फैक्ट्री-भवन का किराया
(घ) इन सभी को
उत्तर:
(ग) फैक्ट्री-भवन का किराया।

प्रश्न 10
निम्नलिखित में से स्थिर लागत कौन-सी? [2012]
(क) कच्चे माल पर व्यय
(ख) यातायात व्यय
(ग) मशीनों पर व्यय
(घ) श्रमिकों की मजदूरी
उत्तर:
(घ) श्रमिकों की मजदूरी।

प्रश्न 11
जब औसत लागत न्यूनतम होती है, तब [2014]
(क) औसत लागत < सीमान्त लागत
(ख) औसत लागत = सीमान्त लागत
(ग) औसत लागत > सीमान्त लागत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) औसत लागत = सीमान्त लागत।

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UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन)

UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति ( मेंसुरेशन)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 7 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति ( मेंसुरेशन).

अभ्यास 12 (a)

प्रश्न 1.
निम्नांकित आकृतियों (UPBoardSolutions.com) के परिमाप ज्ञात कीजिए:
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 1

UP Board Solutions
हल :
(i)
आयत का परिमाप = 2 (ले० + चौ०)
= 2 (6 + 3) = 2 × 9 = 18 सेमी

(ii)
वर्ग का परिमाप = 4 × भुजा
= 4 × 10 = 40 मिमी

(iii) आयत का परिमाप = 2 (ल० + चौ०)
= 2 (10 + 1.5) = 2 × 11.5 = 23.0 मी

(iv) आकृति का परिमाप = 5 + 1.2 + 1.5 + 1.0 + 2.0 + 1.0 + 1.5 + 1.2
= 14.4 मी (UPBoardSolutions.com)

प्रश्न 2.
प्रश्न संख्या 1 में दी गई आकृतियों (UPBoardSolutions.com) के क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :

  1. आयत का क्षेत्रफल = ल० × चौ० = 6 × 3 = 18 सेमी2
  2. वर्ग का क्षेत्रफल = भुजा × भुजा = 10 × 10 = 100 मिमी2
  3. आयत का क्षेत्रफल = ल० × चौ० = 10 × 1.5 = 15 मी2
  4. दी हुई आकृति का क्षेत्रफल = 5 × 1.2 + 1.0 × 2 = 6 + 2 = 8 मी2

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित सारणी को (UPBoardSolutions.com) पूरा कीजिए: (पूरा करके)
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 2

प्रश्न 4.
निशा के विद्यालय में खेल के मैदान की लम्बाई (UPBoardSolutions.com) 60 मीटर, चौड़ाई 50 मीटर है। खेल के मैदान का क्षेत्रफल एअर में बताइए।
हल :
आयत का क्षेत्रफल = (60 × 50) मीटर
= 3000 मी2
100 मी2 = 1 एअर
3000 मी2 = 30 एअर
अतः खेल के मैदान का क्षेत्रफल = 30 एअर

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प्रश्न 5.
अविनाश के कृषि फार्म की लम्बाई 240 मीटर (UPBoardSolutions.com) और चौड़ाई 110 मीटर है। कृषि फार्म का क्षेत्रफल हेक्टेयर में ज्ञात कीजिए।
हल :
फार्म का क्षेत्रफल = ल० × चौ०
= 240 × 110 = 26400 मी2
10000 मी2 = 1 हेक्टेयर
26400 मी2 = 2.64 हेक्टेयर
अतः कृषि फार्म का क्षेत्रफल = 2.64 हेक्टेयर

प्रश्न 6.
एक आयताकार मैदान का क्षेत्रफल 0.5 हेक्टेयर है। (UPBoardSolutions.com) यदि इस आयताकार मैदान की एक भुजा 125 मीटर है, तो दूसरी भुजा ज्ञात कीजिए।
हल :
मैदान का क्षेत्रफल = 0.5 हेक्टेयर = 5000 मी2
मैदान की एक भुजा = 125 मीटर
मैदान की दूसरी भुजा = [latex]\frac { 5000 }{ 125 }[/latex] = 40 मी
अतः मैदान की दूसरी भुजा की लम्बाई = 40 मी

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प्रश्न 7.
एक वर्गाकार टाइल की एक भुजा 12 सेमी है। टाइल को (UPBoardSolutions.com) क्षेत्रफल और परिमाप ज्ञात कीजिए।
हल :
वर्गाकार टाइल की एक भुजा = 12 सेमी
टाइल का क्षेत्रफल = 12 × 12 = 144 सेमी2
टाइल का परिमाप = 4 × 12 = 48 सेमी

प्रश्न 8.
एक आयताकार खेत की लम्बाई और चौड़ाई में 3:2 का अनुपात है। (UPBoardSolutions.com) खेत के चारों ओर मेड़ बनवाने का खर्च र 1.50 प्रति मीटर की दर से बताइए जबकि खेत का क्षेत्रफल 1.5 हेक्टेयर है।
हल :
माना खेत की लम्बाई = 3 × मी
तथा खेत की चौड़ाई = 2 × मी
परन्तु खेत का क्षेत्रफल = 3x × 2x
. = 1.5 हेक्टेयर = 15000 मी2
2x2 × 3x = 15000
6x2 = 15000
x = [latex]\frac { 15000 }{ 6 }[/latex] = 2500
x = [latex]\sqrt { 2500 }[/latex] = 50 मी
खेत की लम्बाई = 3x = 3 × 50 = 150 मी
तथा खेत की चौड़ाई = 2x = 2 × 50 = 100 मी
खेत का परिमाप = 2 (150 + 100) मी = 2 × 250 = 500 मी
∵ 1 मी मेड़ बनवाने का खर्च = ₹ 1.50
∵ 500 मी मेड़ बनवाने का खर्च = ₹ 500 × 1.50 = 750

UP Board Solutions

प्रश्न 9.
एक कार्यालय के 15 दरवाजों पर खस की टट्टियाँ लगानी है। (UPBoardSolutions.com) प्रत्येक दरवाजों की लम्बाई 2.5 मीटर और चौड़ाई 1.2 मीटर है। यदि खस की टट्टी लगाने का खर्च खस के मूल्य सहित ₹ 105.0 प्रति वर्ग मीटर हो, तो कुल कितना खर्च पड़ेगी।
हल :
दरवाजे की लम्बाई = 2.5 मी
दरवाजे की चौड़ाई = 1.2 मी
दरवाजे का क्षेत्रफल = 2.5 × 1.2 = 3 मी2
15 दरवाजों का क्षेत्रफल = 15 × 3 = 45 मी2
∵ 1 मी2 खस लगवाने का खर्च = ₹ 105.0
∵ 45 मी2 खस लगवाने का खर्च = 45 × 105.0 = 4725

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अभ्यास 12 (b)

प्रश्न 1.
आकृति 12.10 में अन्दर वाले आयत की (UPBoardSolutions.com) लम्बाई और चौड़ाई ज्ञात कीजिए
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 3
हल :
अन्दर वाले आयत की लम्बाई = (30 – 2 – 2) मी
= (30 – 4) मी = 26 मी
अन्दर वाले आयत की चौड़ाई = (20 – 2 – 2) मी
= (20 – 4) मी = 16 मी

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प्रश्न 2.
आकृति 12.11 में बाहर वाले आयत की लम्बाई (UPBoardSolutions.com) और चौड़ाई ज्ञात कीजिए
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 4
हल :
बाहरी आयत की लम्बाई = (25 + 3 + 3) मी
= (25 + 6) मी = 31 मी।
बाहरी आयत की चौड़ाई = (15 + 3 + 3) मी
= (15 + 6) मी = 21 मी

प्रश्न 3.
आकृति 12.12 में बने छायांकित रास्ते की चौड़ाई 3 मीटर है। (UPBoardSolutions.com) बड़े आयत, और रास्ते का क्षेत्रफल ज्ञात करके रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 5
उत्तर :

  • बड़े आयत का क्षेत्रफल 200 मीटर
  • छोटे आयत का क्षेत्रफल 56 मीटर [(20 – 3 – 3) × (1043 – 3)] = 56
  • छायांकित रास्ते का क्षेत्रफल 144 मीटर (200 – 56) = 144

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प्रश्न 4.
एक हॉल की लम्बाई 20 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर है। (UPBoardSolutions.com) इसकी दीवारों के चारों ओर फर्श में 2 मीटर चौड़ाई का संगमरमर लगा हुआ है। अपनी अभ्यास पुस्तिका पर एक रफ चित्र बनाकर संगमरमर लगे फर्श का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 6
हल :
हॉल की लम्बाई = 20 मी
हॉल की चौड़ाई = 8 मी
संगमरमर रहित हॉल की लम्बाई = 20 – 2 – 2 = 16 मी
संगमरमर रहित हॉल की चौड़ाई = 8 – 2 – 2 = 4 मी
हॉल का क्षेत्रफल = 20 × 8 = 160 मी2
संगमरमर रहित हॉल का क्षेत्रफल = 16 × 4 = 64 मी
अतः संगमरमर लगे फर्श का क्षेत्रफल = (160 – 64) मी = 96 मी2

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प्रश्न 5.
एक वर्गाकार बगीचे के चारों ओर 50 सेमी चौड़ाई का मार्ग बना हुआ है। (UPBoardSolutions.com) बगीचे की लम्बाई मार्ग सहित 51 मीटर है। बगीचे का क्षेफफल ज्ञात कीजिए।
हल :
वर्गाकार बगीचे की मार्ग सहित लम्बाई = 51 मी
मार्ग की चौड़ाई = 50 सेमी = 50 मी
वर्गाकार बगीचे की लम्बाई = (51 – 50 – 50) मी
= 50 मी
वर्गाकार बगीचे का क्षेत्रफल = 50 × 50 = 2500 मी2

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अभ्यास 12 (c)

प्रश्न 1.
आकृति 12.14 में चित्रों में छायांकित (UPBoardSolutions.com) भाग का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 7
हल :
(i)
छायांकित भाग का क्षेत्रफल = लंबाई वाले रास्ते का क्षेत्रफल + चौड़ाई वाले रास्ते की क्षेत्रफल — बीच वाले उभयनिष्ठ वर्गाकार रास्ते का क्षेत्रफल
= (50 मीटर × 5 मीटर) + (40 मीटर × 5 मीटर) – (5 मीटर × 5 मीटर)
= 250 मीटर + 200 मीटर2 – 25 मीटर = 425 मीटर2

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हल :
(ii)
छायांकित भाग का क्षेत्रफल = (UPBoardSolutions.com) लम्बाई वाले रास्ते का क्षेत्रफल + चौड़ाई वाले रास्ते का । क्षेत्रफल – बीच वाले उभयनिष्ठ वर्गाकार रास्ते का क्षेत्रफल
= (70 मीटर × 2 मीटर) + (35 मीटर × 2 मीटर) – (2 मीटर × 2 मीटर)
= 140 मीटर2 + 70 मीटर – 4 मीटर = 206 मीटर

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प्रश्न 2.
एक आयताकार प्रांगण (Lawu) की लम्बाई 6 (UPBoardSolutions.com) मीटर और चौड़ाई 5 मीटर है। इसके मध्य में 2 मीटर चौड़े दो मार्ग इस प्रकार स्थित हैं कि प्रत्येक एक दूसरे को समकोण पर काटते हैं। एक मार्ग की लम्बाई के समान्तर और दूसरा मार्ग चौड़ाई के समान्तर है। मार्ग पर ₹ 25 प्रति वर्ग मीटर की दर से कंकड़ कुटवाने का व्यय ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 8
हल :
मार्ग ABCD का क्षेत्रफल = 5 × 2 = 10 वर्ग मी
मार्ग EFGH को क्षेत्रफल = 6 × 2 = 12 वर्ग मी
उभयनिष्ठ वर्ग IJKL (UPBoardSolutions.com) का क्षेत्रफल = 2 × 2 = 4 वर्ग मी।
मार्ग का क्षेत्रफल = (12 + 10 – 4): 18 वर्ग मी
अतः ₹ 25 प्रति वर्ग मीटर की दर से कंकड़
कुटवाने का व्यय = 18 × 25 = ₹ 450

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प्रश्न 3.
आकृति 12.15 चित्रों में छायांकित (UPBoardSolutions.com) भाग का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 9
हल :
पूरे आयत का क्षेत्रफल = 20 × 15 = 300 वर्ग मी
छाया रहित भाग का क्षेत्रफल = 15 × (15 – 3 – 3)
= 15 × 9 = 135 वर्ग मी
छायांकित भाग का क्षेत्रफल = (300 – 135) वर्ग मी
= 165 वर्ग मी।

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प्रश्न 4.
आकृति 12.16 में उस भाग का क्षेत्रफल (UPBoardSolutions.com) ज्ञात कीजिए जो छायांकित नहीं है।
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 10
हल :
छाया रहित भाग की लम्बाई = 75 मी – 10 मी= 65 मी
छाया रहित भाग की चौड़ाई = 24 मी – 10 मी = 14 मी
अतः छाया रहित भाग का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
= 65 × 14 = 910 मी

प्रश्न 5.
आकृति 12.17 में एक राजकीय भवन का मानचित्र दिया गया है। (UPBoardSolutions.com) इसमें सड़क को बिन्दुदार भाग से दिखाया गया है। इस सड़क की चौड़ाई 2 मीटर है।
(i) सड़क का क्षेत्रफल बताइए।
(ii) सड़क पर ईंट बिछवाने का खर्च ₹ 45 प्रति वर्ग मीटर की दर से क्या होगा?
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 11
हल :
(i)

पार्क की लम्बाई = (30 – 2 – 2) = 26 मी
पार्क की चौड़ाई = (20 – 15 – 2) = 3 मी
पार्क का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
= 26 × 3 = 78 मी2
संड़क सहित पार्क का क्षेत्रफल = 30 × (20 – 15) = 30 × 5
= 150 मी2
अतः सड़क का (UPBoardSolutions.com) क्षेत्रफल = 150 – 78
= 72 मी2
हल :
(ii)
₹ 45 प्रति वर्ग मीटर की दर से
सड़क पर ईंट बिछवाने का खर्च = 72 × 45 = ₹ 3240

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प्रश्न 6.
अमरूद के एक बाग की लम्बाई 180 मीटर और चौड़ाई 120 मीटर है। (UPBoardSolutions.com) बाग के बीचों-बीच एक दूसरे को समकोण पर काटते हुए 3 मीटर चौड़े दो रास्ते हैं। रास्तों पर मिट्टी डलवाने का खर्च ₹ 12 प्रति मीटर की दर से ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 12
हल :
बाग के रास्ते का कुल क्षेत्रफल = 180 × 3 + 120 × 3 – 3 × 3
= 540 + 360 – 9 = 891 मीटर2
अतः रास्तों पर ₹ 12 प्रति मीटर की
दर से मिट्टी डलवाने का खर्च = 891 x 12 = ₹ 10692.00

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प्रश्न 7.
किसी स्कूल के छात्रों ने फाई अभियान के लिए एक रैली निकाली। (UPBoardSolutions.com) रैली कुछ समय बाद स्कूल से कुछ दूरी पर बने एक आयताकार पार्क में पहुँचीं जिसकी लम्बाई 40 मीटर, तथा चौड़ाई 25 मीटर है। छात्र तीन समूहों में बँट गये और चित्र के अनुसार पार्क में 5 मीटर चौड़े दो परस्पर लम्बवत् रास्तों के क्रमशः ABEF तथा GCDH भागों को प्रतिम समूह ने PEHS तथा FQRG भागों को द्वितीय समूह ने और EFGH भाग को तृतीय समूह ने साफ किया। प्रत्येक समूह द्वारा साफ किये गये क्षेक्रल ज्ञात कीजिए।
हल :
प्रथम समूह द्वारा साफ किया गया क्षे० = आकृति ABEF तथा GCDH का क्षेत्रफल
= आकृति ABCD का क्षेत्रफल – आकृति EFGH को क्षेत्रफल
= 40 × 5 – 5 × 5
= 200 – 25
= 175 वर्ग मीटर
दूसरे समूह द्वारा साफ किया गया क्षेत्रफल = आकृति PEHS तथा FORG को क्षेत्रफल
= आकृति PQRS का क्षेत्रफल – आकृति EFGH को क्षेत्रफल
= 25 × 5 – 5 × 5
= 125 – 25
= 100 वर्ग मीटर
तीसरे समूह द्वारा साफ किया गया क्षेत्रफल = आकृति EFGH का क्षे
= 5 × 5
= 25 वर्ग मीटर
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 13

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अभ्यास 12 (d)

प्रश्न 1.
निम्नांकित सारणी में (UPBoardSolutions.com) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 14

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प्रश्न 2.
एक त्रिभुज का क्षेत्रफल 48 सेमी है। यदि उसकी ऊँचाई 8 सेमी हो, तो त्रिभुज का आधार बताइए।
हल :
त्रिभुज का क्षेत्रफल = 48 सेमी त्रिभुज की (UPBoardSolutions.com) ऊँचाई = 8 सेमी
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 15

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प्रश्न 3.
एक त्रिभुज का आधार 5 सेमी है। यदि त्रिभुज की ऊँचाई, आधार से दुगुनी है, तो त्रिभुज से घिरे क्षेत्र का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
त्रिभुज का आधार = 5 सेमी
त्रिभुज की ऊँचाई = 5 × 2 = 10 सेमी
त्रिभुज से घिरे क्षेत्र का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × आधार ४ ऊँचाई
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × 5 × 10 = 25 सेमी2

प्रश्न 4.
निम्नांकित त्रिभुजों के क्षेत्रफल वर्गमीटर में ज्ञात कीजिए, (UPBoardSolutions.com) जबकि उनके आधार और संगत ऊँचाई ज्ञात हैं
(i) आधार = 15 सेमी, ऊँचाई = 8 सेमी
(ii) आधार = 7.5 सेमी, ऊँचाई = 4 सेमी
(iii) आधार = 1.5 मी, ऊँचाई = 0.8 मी।
(iv) आधार = 32 सेमी, ऊँचाई = 105 सेमी
हल :
(i)
त्रिभुज का आधार = 15 सेमी = [latex]\frac { 15 }{ 100 }[/latex] = 15 मी
त्रिभुज की ऊँचाई = 8 सेमी = [latex]\frac { 8 }{ 100 }[/latex] = 08 मी
त्रिभुज का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × आधार × संगत ऊँचाई
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × 0.15 × 08 = .0006 मी (UPBoardSolutions.com)

(ii) त्रिभुज का आधार = 7.5 सेमी = 0.075 मी
त्रिभुज की ऊँचाई = 4 सेमी = 0.04 मी
त्रिभुज का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × 0.075 × 0.04 = 0.0015 मी

(iii) त्रिभुज का (UPBoardSolutions.com) आधार = 1.5 मी
त्रिभुज की ऊँचाई = 0.8 मी।
त्रिभुज का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × 1.5 × 0.8 = 0.6 मी

(iv) त्रिभुज का आधार = 32 सेमी = 0.32 मी
त्रिभुज का आधार = 105 सेमी = 1.05 मी
अतः त्रिभुज का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × 0.32 × 1.05 = 0.168 मी

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प्रश्न 5.
निम्नांकित त्रिभुजों के क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
(i)
त्रिभुज का आधार = 6 सेमी 5 सेमी
त्रिभुज की संगत ऊँचाई = 8 सेमी
त्रिभुज का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × आधार × संगत ऊँचाई
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × 6 × 8 = 24 सेमी2

(ii) त्रिभुज का आधार = 12.5 +12.5 = 25 सेमी
त्रिभुज की संगत (UPBoardSolutions.com) ऊँचाई = 8 सेमी
त्रिभुजों का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × 25 × 8= 100 सेमी2
त्रिभुज का आधार = 15 सेमी
त्रिभुज की संगत ऊँचाई = 10 सेमी
त्रिभुज का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × 15 × 10 = 75 सेमी2
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 16

प्रश्न 6.
एक सड़क के किनारे एक त्रिभुजाकार यातायात (UPBoardSolutions.com) संकेत बोर्ड लगा है जिस पर आगे स्कूल है। लिखा है। यदि संकेत बोर्ड की भुजाएँ क्रमशः 60 सेमी, 80 सेमी एवं 100 सेमी है, तो उसका क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हुल :
त्रिभुजाकार बोर्ड की भुजाएँ क्रमशः 60 सेमी, 80 सेमी तथा 100 सेमी है।
त्रिभुजाकार बोर्ड का क्षेत्रफल (UPBoardSolutions.com) = [latex]\sqrt { s(s-a)\quad (s-b)\quad (s-c) }[/latex]
जहाँ a, b, c त्रिभुजाकार बोर्ड की भुजाएँ है।।
s = [latex]\frac { a+b+c }{ 2 }[/latex]
= [latex]\frac { 60+80+100 }{ 2 }[/latex] = [latex]\frac { 240 }{ 2 }[/latex]
= 120 सेमी
अतः त्रिभुजाकार बोर्ड का क्षेत्रफल = [latex]\sqrt { 120(120-60)(120-80)(120-100)}[/latex]
= [latex]\sqrt { 120\times 60\times 40\times 20}[/latex]
= [latex]\sqrt { 2\times 60\times 60\times 40\times 20}[/latex]
= [latex]\sqrt { 60\times 60\times 40\times 40}[/latex]
= 60 × 40
= 2400 वर्ग सेमी

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अभ्यास 12 (e)

प्रश्न 1.
निम्नांकित सारणी में दिये गये मापों से प्रत्येक (UPBoardSolutions.com) समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 17
हल :
समान्तर चतुर्भुज को आधार = 8 सेमी
समान्तर चतुर्भुज की ऊँचाई = 3 सेमी

समान्तर चतुर्भुज (1) का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई = 8, × 3 = 24 सेमी2
समान्तर चतुर्भुज का आधार = 2.8 सेमी
समान्तर चतुर्भुज = 5 सेमी

समान्तर चतुर्भुज (2) (UPBoardSolutions.com) का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
= 2.8 x 5 = 14.0 सेमी2
समान्तर चतुर्भुज का आधार = 12 मिमी = 1.2 सेमी
समान्तर चतुर्भुज की ऊँचाई = 8.7 सेमी।

समान्तर चतुर्भुज (3) का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
= 1.2 × 8.7 = 10.44 सेमी2
समान्तर चतुर्भुज का आधार = 6.5 सेमी
समान्तर चतुर्भुज की ऊँचाई = 4.8 सेमी

समान्तर चतुर्भुज (4) का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई।
= 6.5 x 4.8 = 31.20 सेमी
समान्तर चतुर्भुज का आधार = 1 मी 5 सेमी = 1.05 मी।
समान्तर चतुर्भुज की ऊँचाई = 45 सेमी = 45 मी

समान्तर चतुर्भुज (5) (UPBoardSolutions.com) का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
= 1.05 × 45 = 0.4725 मी2
समान्तर चतुर्भुज का आधार = 4.2 डेसीमी = .42 मी
समान्तर चतुर्भुज की ऊँचाई = 25 सेमी = .25 मी

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समान्तर चतुर्भुज (6)
का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
= 42 × 25 = 0.105 मी2

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प्रश्न 2.
निम्नांकित समान्तर चतुर्भुजों के (UPBoardSolutions.com) क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए:
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 18
हल :
(i)
समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
= 20 × 27 = 540 सेमी2

(ii)
समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल (UPBoardSolutions.com) = आधार × ऊँचाई
= 8 × 16 = 128 सेमी2

(iii)
समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
= 8 × 18 = 144 सेमी2

(iv)
समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
= 13 × 24 = 312 सेमी2

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प्रश्न 3.
उस समान्तर चतुर्भुज की ऊँचाई ज्ञात कीजिए, (UPBoardSolutions.com) जिसका क्षेत्रफल 2.25 मी’ और आधार 25 डेसीमी है।
हल :
समान्तर चतुर्भुज का आधार = 25 डेसीमी, आधार = ॐ मी = 2.5 मी
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 19

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प्रश्न 4.
एक खेत समान्तर चतुर्भुज के आकार का है। इसको आधार 15, (UPBoardSolutions.com) डेकामी और ऊँचाई 8 डेकामी है। 5 प्रति वर्गमीटर की दर से सिंचाई कराने का खर्च ज्ञात कीजिए।
हल :
समान्तर चतुर्भुजाकार खेत को क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
= (15 × 10 मीटर) × (8 × 10 मीटर)
= 12,000 मीटर
1 वर्ग मीटर खेत की सिंचाई कराने का खर्च = ₹ 5
.:. 12,000 वर्ग मीटर खेत की सिंचाई कराने का खर्च = 12,000 × 5
= ₹ 60,000

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प्रश्न 5.
आकृति 12.28 में ABCD समान्तर चतुर्भुज है। (UPBoardSolutions.com) CFLAB I BGIADI
(i) यदि AB = 16 सेमी, AD = 12 सेमी और CF = 10 सेमी तो BG ज्ञात कीजिए।
(ii) यदि AD = 10 सेमी, CF = 8 सेमी और BG = 12 सेमी तो AB ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 20
हल :
(i) समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
AD × BG = AB × CF
12 सेमी ×
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 21

(ii) समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
AB × CF = AD × BG (UPBoardSolutions.com)
AB × 8 सेमी = 10 सेमी × 12 सेमी
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 22

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अभ्यास 12 (f)

प्रश्न 1.
नीचे सारिणी में समचतुर्भुज से सम्बन्धित (UPBoardSolutions.com) नापें दी हुई हैं। रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 23

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प्रश्न 2.
आकृति 12.31 समचतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल 24 वर्ग सेमी और OD=3 सेमी। ज्ञात कीजिए:
(i) विकर्ण BD की लम्बाई
(ii) विकर्ण AC लम्बाई
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 24
हलः
(i)
समचतुर्भुज के विकर्ण एक-दूसरे को (UPBoardSolutions.com) समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
विकर्ण BD = 2 × OD
= 2 × 3 = 6 सेमी

(ii) समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × पहला विकर्ण × दूसरा विकर्ण
24 सेमी = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × AC × BD
AC = 24 × [latex]\frac { 2 }{ 6 }[/latex] = 8
विकर्ण AC = 8 सेमी

प्रश्न 3.

नीलिमा के समचतुर्भुजाकार प्लॉट का क्षेत्रफल 80 वर्ग मीटर है। (UPBoardSolutions.com) यदि इसके एक विकर्ण की लम्बाई 16 मीटर है, तो इसके दूसरे विकर्ण की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल :
समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × पहला विकर्ण × दूसरा विकर्ण
दूसरा विकर्ण = [latex]\frac { 80\times 2 }{ 16 }[/latex] = 10
दूसरा विकर्ण = 10 मीटर

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प्रश्न 4.
आकृति 12.32 में दी गई नापों के आधार पर समचतुर्भुज का क्षेत्रफल (UPBoardSolutions.com) ज्ञात कीजिए।
हल :
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 25
समचतुर्भुज का विकर्ण AC = 2 × OA
= 2 × 3 सेमी = 6 सेमी
विकर्ण BD = 2 × OD
= 2 × 4 सेमी = 8 सेमी
समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × विकर्ण AC × विकर्ण BD
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × 6 सेमी × 8 सेमी
= 24 सेमी2

प्रश्न 5.
एक समचतुर्भुजाकार घास के खेत में 20 गायों के चरने के लिए घास है। (UPBoardSolutions.com) यदि इस समचतुर्भुज की प्रत्येक भुजा 25 मीटर और एक विकर्ण 30 मीटर है, तो प्रत्येक गाय को चरने के लिए इस घास के खेत का कितना क्षेत्रफल प्राप्त होगा?
हल :
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 26
समचतुर्भुज का प्रत्येक भुजा = 25 मीटर
विकर्ण BD की लम्बाई = 30 मीटर
OB = [latex]\frac { 30 }{ 2 }[/latex] = 15 मीटर
A OAB में, AB = OA + OB2
(25) = OA + (15)2
625 = OA2 + 225
OA = 625 – 225 = 400 (UPBoardSolutions.com)
OA = 400 = 20 मीटर
समचतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × विकर्णो का गुणनफल
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × 40 × 30
= 600 वर्ग मीटर
20 गायों के चरने के लिए घास (UPBoardSolutions.com) = समचतुर्भुज का क्षेत्रफल
= 600 वर्ग मीटर
1 गाय के चरने के लिए घास = [latex]\frac { 600 }{ 2 }[/latex] = 30 वर्ग मीटर

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अभ्यास 12 (g)

प्रश्न 1.
निम्नांकित सारणी में घनाभ की लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई दी गई है। (UPBoardSolutions.com) प्रत्येक घनाभ का सम्पूर्ण पृष्ठ ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 27
(i) घनाप का सम्पूर्ण पृष्ठ = 2 (b + bh + hl)
= 2 (5 × 4 + 4 × 3 + 3 × 5) सेमी2
= 2 (20 + 12 + 15) सेमी।2
= 2 × 47 सेमी = 94 सेमी2

(ii) घनाभ का सम्पूर्ण पृष्ठ = 2 (/b + bh + hi)
= 2 (6 × 3 + 3 × 2 + 2 × 6) सेमी2
= 2 (18 + 6 + 12) सेमी2
= 2 × 36 सेमी = 72 सेमी2

(iii) घनाभ का सम्पूर्ण पृष्ठ = 2 (lb + bh + hi)
= 2 (10 × 8 + 8 × 5 + 5 × 10) सेमी2
= 2 (80 + 40 + 50) सेमी2
= 2 × 170 सेमी = 340 सेमी2

(iv) घनाभ का सम्पूर्ण पृष्ठ = 2 (lb + bh + hl)
= 2 (4 × 1.7 + 1.7 × 2.3 + 2.3 × 4)
= 2 (6.8 + 3.91 + 9.2) सेमी2
= 2 × 19.91 सेमी = 39.82 सेमी2

(v) घनाभ का सम्पूर्ण पृष्ठ = 2 (Ib + bh + hi) (UPBoardSolutions.com)
= 2([latex]\frac { 11 }{ 2 }[/latex] × 4 × 4 × [latex]\frac { 21 }{ 2 }[/latex] + [latex]\frac { 21 }{ 2 }[/latex] × [latex]\frac { 11 }{ 2 }[/latex])
= 2 (22 + 42 + [latex]\frac { 231 }{ 4 }[/latex] ) सेमी2
= 2 (64 + [latex]\frac { 231 }{ 4 }[/latex]) सेमी2
= [latex]{(2\times 64+\frac { 2\times 231 }{ 4 } \because)}[/latex] सेमी2
= (128 + 115.5) सेमी2
= 243.5 सेमी2

(vi) घना’ का सम्पूर्ण पृष्ठ = 2 (lb + bh + hl)
= 2 (16 × 8 + 8 × 6 + 6 × 16)
= 2 (128 + 48 + 96) सेमी2
= 2 × 272 सेमी = 544 सेमी2

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प्रश्न 2.
नीचे दी गई भुजा की नाप (UPBoardSolutions.com) वाले घन का सम्पूर्ण पृष्ठ ज्ञात कीजिए।
(i) भुजा = 18 सेमी
(ii) भुजा = 8.8 सेमी
(iii) भुजा = 1.2 सेमी।
(iv) भुजा = 110 सेमी
हल :
(i) घन का सम्पूर्ण पृष्ठ = 6 × (भुजा)2
= 6 × (18) सेमी2
= 6 × 324 सेमी2 = 1944 सेमी2

(ii) घन का सम्पूर्ण पृष्ठ = 6 × (भुजा)2
= 6 × (8.8) सेमी2
= 6 × 77.44 सेमी2 = 464.64 सेमी2

(iii) घर का सम्पूर्ण पृष्ठ = 6 × (भुजा)2
= 6 × 1.2 सेमी2
= 6 × 1.44 सेमी2 = 8.64 सेमी2

(iv) घर का सम्पूर्ण पृष्ठ = 6 × (भुजा)2
= 6 × (110) सेमी2
= 6 × 12100 सेमी2 = 72600 सेमी2

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प्रश्न 3.
दिए गए घनाभ के कुल पृष्ठ का (UPBoardSolutions.com) क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 28
घनाभ के कुल पृष्ठों का क्षेत्रफल
= 2 (/b + bh + hl)
= 2 (4 × 3.3 + 3.3 × 2.5 + 2.5 × 4) मी2
= 2 (13.2 + 8.25 + 10.0) मी2
= 2 (31.45) मी2
= 62.90 मी2

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प्रश्न 4.
अभिषेक के कमरे की लम्बाई 4 मीटर, चौड़ाई 3.5 (UPBoardSolutions.com) मीटर और ऊँचाई 3 मीटर है। इस कमरे की चारों दीवारों का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
कमरे की चारो दीवारों का क्षेत्रफल = 2 (लम्बाई + चौड़ाई) × ऊँचाई
= 2 (4 + 3.5) × 3 मी2
= 2 × 7.5 × 3 मी2
= 45 मी2

प्रश्न 5.
एक घनाकार बक्से की एक भुजा की लम्बाई 1 मीटर 30 सेमी है। बक्से का सम्पूर्ण पृष्ठ ज्ञात कीजिए।
हल :
घनाकार बक्से की भुजा (a) = 1 मीटर 30 सेमी
= (100 + 30) सेमी2 = 130 सेमी
.:. घनाकार बक्से का सम्पूर्ण पृष्ठ = 6 × (भुजा)2
= 6 × (130) सेमी2
= 6 × 16,900 सेमी2
= 1,01,400 सेमी2

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प्रश्न 6.रहीम के कमरे की लम्बाई 3.5 मीटर, चौड़ाई 3 मीटर, ऊँचाई 3 मीटर है। इसकी चारों दीवारों पर 15 प्रति वर्ग मीटर की (UPBoardSolutions.com) दर से सफेदी कराने का व्यय ज्ञात कीजिए।
हल :
कमरे की चारों दीवारों का क्षेत्रफल = 2 (लम्बाई + चौड़ाई) x ऊँचाई
= 2 (3.5 + 3) × 3 मी2
= 2 × 6.5 × 3 मी2
= 39 मी
अतः चारों दीवारों पर 15 प्रति वर्ग
मीटर की दर से सफेदी कराने का व्यय = ₹ 15 × 39
= ₹ 585

प्रश्न 7.
एक घनाकार डिब्बे की एक भुजा 10 सेमी है तथा एक अन्य घनाभ के (UPBoardSolutions.com) आकार के डिब्बे की लम्बाई, चौड़ाई तथा ऊँचाई क्रमशः 12.5 सेमी, 10 सेमी तथा 8 सेमी है। किस डिब्बे का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफ अधिक है और कितना अधिक है?
हल :
घनाकार डिब्बे की भुजा = 10 सेमी
घनाकार डिब्बे का सम्पूर्ण पृष्ठ = 6 x (भुजा)2
= 6 × (10)2
= 6 × 100 = 600 वर्ग सेमी
घनाभ के आकार के डिब्बे की लम्बाई = 12.5 सेमी
चौड़ाई = 10 सेमी
ऊँचाई = 8 सेमी
घनाभ के आकार के डिब्बे का सम्पूर्ण पृष्ठ = 2(lb + bh + b)
=2 × (12.5 × 10 + 10 × 8+ 12.5 × 8)
= 2 × (125 + 80 + 100)
= 2 × 305 = 610 वर्ग सेमी
घनाभ के आकार के डिब्बे का सम्पूर्ण पृष्ठ अधिक है।
अन्तर = 610 – 600
= 10 वर्ग सेमी

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प्रश्न 8.
प्रदीप स्वीट स्टॉल को मिठाइयाँ पैक करने के लिए गत्ते के घनाभ के (UPBoardSolutions.com) आकार के 200 डिब्बे बनवाने हैं, जिनकी लम्बाई 25 सेमी, चौड़ाई 20 सेमी तथा ऊँचाई 5 सेमी है। यदि गत्ते का मूल्य ₹ 40 प्रति वर्ग मीटर है, तो डिब्बे बनवाने की कुल कीमत ज्ञात कीजिए।
हल :
घनाकार के डिब्बे की लम्बाई = 25 सेमी
चौड़ाई = 20 सेमी।
ऊँचाई = 5 सेमी
घनीभ के आकार के डिब्बे का सम्पूर्ण पृष्ठ = 2(lb + bh + b)
= 2 × (25 × 20 + 20 × 5 + 25 × 5)
= 2 × (500+ 100 + 125)
= 2 × 725 = 1450 वर्ग सेमी
200 डिब्बे का सम्पूर्ण पृष्ठ = 200 × 1450
= 290000 वर्ग सेमी
= 29 वर्ग मीटर
1 वर्ग मीटर गत्ते का मूल्य = ₹ 40
= 40 x 29
= ₹ 1160

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दक्षता अभ्यास – 12

प्रश्न 1.
निम्नांकित आकृति 12.38 में छायांकित भाग का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 29
हल :
(i) बाहरी आयत का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
= 15 मीटर × 10 मीटर = 150 मीटर2
भीतरी आयत का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
= (15 – 4) मीटर × (10 – 4) मीटर2
= 11 × 6 मीटर2 = 66 मीटर2
अतः छायांकित भाग का क्षेत्रफल = 150 मीटर – 66 मीटर2 = 84 मीटर2

(ii) बाहरी आयते को क्षेत्रफल = 20 मीटर × 15 मीटर = 300 मीटर
भीतरी आयते की क्षेत्रफल (UPBoardSolutions.com) = (20 – 4) मीटर × (15 – 4) मीटर2
= 16 × 11 मीटर = 176 मीटर2
अंतः छायांकित भाग का क्षेत्रफल = 300 मीटर – 176 मीटर = 124 मीटर2

(iii) बाहरी आयत का क्षेत्रफल = 40 मीटर × 25 मीटर = 1,000 मीटर2
भीतरी आयते का क्षेत्रफल = (40-5) मीटर × (25-5) मीटर2
= 35 × 20 मीटर = 700 मीटर2
छायांकित भाग का क्षेत्रफल = 1000 मीटर’ – 700 मीटर2
= 300 मीटर।2

(iv) छायांकित भाग का क्षेत्रफल = लम्बाई वाले रास्ते का क्षेत्रफल +
चौड़ाई वाले रास्ते को क्षेत्रफलं (UPBoardSolutions.com) – बीच वाले उभयनिष्ठ भाग को क्षेत्रफल
= (120 × 5) + (80 × 5) – (5 × 5)
= 600 + 400 – 25 = 975 मीटर2

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प्रश्न 2.
एक वर्गाकार पार्क की सीमा से लगा हुआ पार्क के अन्दर चारों ओर 1 मीटर चौड़ाई का मार्ग है। पार्क की लंबाई 30 मीटर है। पार्क के शेष भाग में र6 प्रति वर्ग मीटर की दर से घास लगवाने का व्यय ज्ञात कीजिए।
हल :
वर्गाकार पार्क की बाहरी भुजा = 30 मीटर
वर्गाकार पार्क के अन्दर चारों ओर 1 मीटर चौड़ाई का मार्ग है।
वर्गाकार पार्क की भीतरी भुजा = (30 -2) मीटर = 28 मीटर
वर्गाकार पार्क का भीतरी क्षेत्रफल = (28 मीटर)2 = 784 मीटर2
अतः ₹ 6 प्रति वर्ग मीटर की दर से घास लगवाने का व्यय = 784 × ₹ 6
= ₹ 4704

प्रश्न 3.
उस त्रिभुज को क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए जिस का आधार 9.6 सेमी और ऊँचाई 5 सेमी है।
हल :
त्रिभुज का क्षेत्रफल = 1/2 × आधार × ऊँचाई
= 1 × 9.6 × 5 = 24 सेमी2

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प्रश्न 4.
उस त्रिभुज की ऊँचाई ज्ञात कीजिए जिसका क्षेत्रफल 45 सेमी है तथा आधार 15 सेमी है।
हल :
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 30

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प्रश्न 5.
आकृति 12.39 चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए, ₹ 2० जिसमें AC=48 सेमी, BF = 10 सेमी और DE=20 सेमी।
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 31
हल :
चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × AC × (BF +DE)
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] × 48 × (10 + 20) = 24 × 30 सेमी2
= 720 सेमी2

प्रश्न 6.
उस समान्तर चतुर्भुज का (UPBoardSolutions.com) क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए, जिसको आधार 7 सेमी और ऊँचाई 4.3 सेमी हो।
हल :
समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
= 7 × 4.3 = 30.1 सेमी

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प्रश्न 7.
12 सेमी भुजा के दो घन सटाकर रखे गए हैं। (UPBoardSolutions.com) सटाकर रखने से बने घनाभ का सम्पूर्ण पृष्ठ ज्ञात कीजिए।
हल :
UP Board Solutions for Class 7 Maths Chapter 12 क्षेत्रमिति (मेंसुरेशन) 32
घनाभ की लम्बाई = 12 + 12 = 24 सेमी।
घनाभ की चौड़ाई = 12 सेमी (UPBoardSolutions.com)
घनाभ की ऊँचाई = 12 सेमी
घनाभ का सम्पूर्ण पृष्ठ क्षेत्रफल = 2 (ल० × चौ० + चौ० × ऊँ० + ऊँ० × ल०)
= 2 (24 × 12 + 12 × 12 + 12 × 24) सेमी2
= 2 (288 + 144 + 288)
= 2 × 720 = 1440 सेमी2

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UP Board Solutions for Class 7 Science Chapter 3 पदार्थ की संरचना एवं प्रकृति

UP Board Solutions for Class 7 Science Chapter 3 पदार्थ की संरचना एवं प्रकृति

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प को छांटकर अपनी अभ्यास पुस्तिका में लिखिए-
(क) इनमें से किसके अणुओं के बीच अन्तर-आणविक (UPBoardSolutions.com) आकर्षण बल सबसे अधिक होता है?
(अ) पानी।
(ब) बर्फ (✓)
(स) भाप
(द) ऑक्सीजन

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(ख) धावन सोडा है-
(अ) सोडियम कार्बोनेट (✓)
(ब) सोडियम बाइकार्बोनेट।
(स) सोडियम हाइड्रॉक्साइड।
(द) पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड।

(ग) कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड (UPBoardSolutions.com) का सही सूत्र है-
(अ) CaOH
(ब) Ca2OH
(स) Ca(OH)3
(द) Ca(OH)2 (✓)

(घ) इनमें से कौन प्रबल अम्ल हैं?
(अ) नाइट्रिक अम्ल (✓)
(ब) साइट्रिक अम्ल
(स) एसिटिक अम्ल
(द) टारटेरिक अम्ल

(ङ) इनमें से कौन सूचक (इंडिकेटर) नहीं है-
(अ) लाल लिटमस
(ब) मिथाइल ऑरेन्ज
(स) फिनॉलफ्थेलीन
(द) एन्टासिड (✓)

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) तत्व केवल एक ही प्रकार के  (UPBoardSolutions.com) परमाणु से बना होता है।
(ख) कम से कम दो तत्वों के संयोजन से यौगिक बनता है।
(ग) गैस के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल का मान नगण्य होता है।
(घ) जल की तीन अवस्थाएँ ठोस, द्रव, तरल है।
(ङ) अम्ल नीले लिटमस को लाले कर देते हैं।
(च) भस्म को स्वाद कड़वा तथा कसैला होता है।
(छ) भस्म पानी में घुल कर क्षार बनाते हैं।
(ज) अम्ल क्षार से क्रिया करके लवण तथा जल बनाते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में सही कथन के सम्मुख सही (✓) तथा गलत कथन के सम्मुख गलत (✗) का निशान लगाइए-
(क) पदार्थ ठोस, द्रव और गैस तीनों अवस्थाओं में पाये जाते हैं। (✓)
(ख) तत्व भिन्न-भिन्न प्रकार के परमाणुओं से मिल कर बनते हैं। (✗)
(ग) भिन्न-भिन्न पदार्थों के अणुओं के बीच लगने वाले आकर्षण बल को ससंजन बल कहते हैं। (✗)
(घ) अणुओं के मध्य रिक्त स्थान को (UPBoardSolutions.com) अन्तरावकाश कहते हैं। (✗)
(ङ) चाँदी (Ag) का लैटिन नाम अर्जेन्टम है। (✓)
(च) हाइड्रोजन की परमाणुकता 2 है। (✓)
(छ) रासायनिक अभिक्रियाओं में कुछ नए परमाणु भी जुड़ जाते हैं। (✗)

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों में से सही कथन को छाँट कर लिखिए-
(क) अम्लों का स्वाद खट्टा होता है। (✓)
(ख) सिरके में टारटेरिक अम्ल होता है।
(ग) फिनॉलफ्थेलीन का रंग क्षारीय (UPBoardSolutions.com) विलयन में गुलाबी हो जाता है। (✓)
(घ) साबुन में क्षारीय गुण होते हैं।
(ड़) सोडियम हाइड्रॉक्साइड एक क्षार है। (✓)
(च) साबुन को कास्टिक सोडा से बना सकते हैं। (✓)

प्रश्न 5.
निम्नलिखित तत्वों के संकेत लिखिए-
हीलियम, आर्गन, चाँदी, सोडियम, (UPBoardSolutions.com) पोटैशियम, बेरियम, क्रोमियम
उत्तर-
हीलियम – He
आर्गन – Ar
चाँदी – Ag
सोडियम – Na
पोटैशियम-K,
बेरियम – Ba
क्रोमियम – Cr

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित तत्वों के (UPBoardSolutions.com) नाम लिखिए-
Na, C, Br, Mn, Ag, Au, Ba, Ca, Mg
उत्तर-
Na – सोडियम
C – कार्बन
Br – ब्रोमीन
Mn – मैग्नीज
Ag – सिल्वर
Au – गोल्ड
Ba – बेरियम
Ca – कैल्सियम
Mg – मैगनीशियम

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित यौगिकों में कौन-कौन (UPBoardSolutions.com) तत्व सम्मिलित हैं?
CaCl2, Al2(SO4)3, MgO, P2O5, CaCO3, C6H12O6, CO2
उत्तर-
CaCl2 – कैल्सियम, क्लोरीन
Al2(SO4)3 – एल्युमीनियम, सल्फर, ऑक्सीजन
MgO – मैगनीशियम, ऑक्सीजन
P2O5 – फॉस्फोरस, ऑक्सीजन
CaCO3 – कैल्सियम, कार्बन, ऑक्सीजन
C6H12O6 – कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन
CO2 – कार्बन, ऑक्सीजन

प्रश्न 8.
संक्षेप में उत्तर दीजिए-
(क) एक यौगिक का सूत्र NaOH है। (UPBoardSolutions.com) इसमें कौन-कौन से तत्व संयोजित हैं?
उत्तर-
यौगिक NaOH में सोडियम, ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन तत्व संयोजित हैं।

(ख) ठोस पदार्थ किस प्रकार द्रव एवं गैसों से भिन्न हैं ?
उत्तर-
ठोस पदार्थ निम्न प्रकार द्रव एवं गैसों से भिन्न हैं- (UPBoardSolutions.com)

  • ठोस पदार्थों के अणु, द्रव एवं गैसों की अपेक्षा अत्यधिक निकट होते हैं।
  • ठोस पदार्थों के अणुओं के बीच आकर्षण बल, द्रव एवं गैसों की अपेक्षा बहुत अधिक होते हैं।
  • ठोस पदार्थों की आकृति एवं आयतन निश्चित होता है, जबकि द्रव पदार्थों की आकृति निश्चित नहीं होती, आयतन निश्चित होता है तथा गैसों की न तो आकृति निश्चित होती है और न ही आयतन निश्चित होता है।

(ग) रासायनिक तत्वों के प्रतीक उपयोग करने का क्या लाभ है ?
उत्तर-
रासायनिक तत्वों के प्रतीक का उपयोग करने से हमें रासायनिक अभिक्रिया दर्शाने में आसानी होती है। जिससे यह पता चलता है कि अभिक्रिया में तत्व के कितने अणु या परमाणु सम्मिलित हैं।

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(घ) H2 तथा 2H में क्या अन्तर है?
उत्तर-
H2 का प्रयोग हाइड्रोजन के एक (UPBoardSolutions.com) अणु को दर्शाने के लिए होता है, जबकि 2H का प्रयोग हाइड्रोजन के दो परमाणुओं को दर्शाने के लिए होता है।

(ङ) अम्ल क्या है ?
उत्तर-
वह पदार्थ जो स्वाद में खट्टे होते हैं, अम्ल कहलाते हैं।
अम्ल वे यौगिक हैं जो कि-

  • पानी में घुलकर H+ आयन देते हैं।
  • नीले लिट्मस को लाल कर देते हैं।
  • क्षारों से क्रिया करके लवण तथा पानी बनाते हैं।
    जैसे- सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4), हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) तथा नाइट्रिक अम्ल (HNO3) आदि।

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(च) सूचक किसे कहते हैं ? किन्हीं दो सूचक के नाम बताएँ तथा अम्ल और क्षार का इन पर क्या प्रभाव पड़ता है लिखिए।
उत्तर-
अम्ल एवं क्षारक की पहचान करने के लिए हम विशेष प्रकार के पदार्थों का उपयोग कर सकते हैं जो सूचक कहलाते हैं। इन सूचकों को अम्लीय या क्षारीय पदार्थों के विलयन में मिलाने पर इनका रंग बदल जाता है। नीले तथा लाल रंग वाला (UPBoardSolutions.com) लिटमस पत्र तथा गुड़हल की पंखुड़ियाँ प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सूचक हैं। नीला लिटमस पेपर अम्ल में डुबोने पर लाल हो जाता है और लाल लिटमस पत्र क्षारक-विलयन में डुबोने पर नीला हो जाता है। इसी प्रकार गुड़हल की पंखुड़ियाँ अम्लीय विलयनों का गहरा गुलाबी और क्षारीय विलयनों को हरा कर देती है।

(छ) अम्ल और क्षार की पारस्परिक क्रिया द्वारा लवण तथा पानी का बनना कौन सी क्रिया है?
उत्तर-
अम्ल और क्षार की पारस्परिक क्रिया द्वारा लवण तथा पानी का बनना उदासीनीकरण क्रिया है।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से अम्ल, क्षार एवं लवण को (UPBoardSolutions.com) अलग-अलग छाँट कर लिखिए-
(क) नींबू का रस
(ख) कास्टिक सोडा
(ग) बुझा चूना
(घ) कैल्सियम सल्फेट
(ड़) सिरका
(च) जिंक ऑक्साइड
(छ) नमक
(ज) इमली का रस
(झ) मैगनीशियम क्लोराइड
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 7 Science Chapter 3 पदार्थ की संरचना एवं प्रकृति 9

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प्रश्न 10.
निम्नलिखित की क्रिया (UPBoardSolutions.com) से क्या बनता है ?
(क) NaOH + HCl NaCl (सोडियम क्लोराईड) + H2O (जल)
(ख) Na + Cl NaCl (सोडियम क्लोराइड)

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UP Board Solutions for Class 10 Hindi रस

UP Board Solutions for Class 10 Hindi रस

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रस

परिभाषा-‘रस’ का अर्थ है–‘आनन्द’ अर्थात् काव्य से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, वही ‘रस’ है। इस प्रकार किसी काव्य को पढ़ने, सुनने अथवा अभिनय को देखने पर पाठक, श्रोता या दर्शक को जो आनन्द प्राप्त होता है, उसे ‘रस’ कहते हैं। रस को ‘काव्य की आत्मा’ भी कहा जाता है।

रस के स्वरूप और उसके व्यक्त होने की प्रक्रिया का वर्णन करते हुए भरतमुनि ने अपने नाट्यशास्त्र में लिखा है-‘विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः’ अर्थात् विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भाव के संयोग से रस की निष्पत्ति होती (UPBoardSolutions.com) है। इस सूत्र में स्थायी भाव का स्पष्ट उल्लेख नहीं है; अत: इस सूत्र का पूरा अर्थ होगा कि स्थायी भाव ही विभाव, संचारी भाव और अनुभाव के संयोग से रस-रूप में परिणत हो जाते हैं।

अंग या अवयव-रस के चार अंग होते हैं, जिनके सहयोग से ही रस की अनुभूति होती है। ये चारों अंग या अवयव निम्नलिखित हैं–

  1. स्थायी भाव,
  2. विभाव,
  3. अनुभाव तथा
  4. संचारी भाव। स्थायी भाव

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जो भाव मानव के हृदय में हर समय सुप्त अवस्था में विद्यमान रहते हैं और अनुकूल अवसर पाते ही जाग्रत या उद्दीप्त हो जाते हैं, उन्हें स्थायी भाव कहते हैं। प्राचीन आचार्यों ने नौ रसों के नौ स्थायी भाव माने हैं, किन्तु बाद में आचार्यों ने इनमें दो रस और जोड़ दिये। इस प्रकार रसों की कुल संख्या ग्यारह हो गयी। रस और उनके स्थायी भाव निम्नलिखित हैं-

UP Board Solutions for Class 10 Hindi रस img-1

विभाव

जिन कारणों से मन में स्थित सुप्त स्थायी भाव जाग्रत या उद्दीप्त होते हैं, उन्हें विभाव कहते हैं। विभाव के दो भेद होते हैं|

(1) आलम्बन-विभाव-जिस वस्तु या व्यक्ति के कारण किसी व्यक्ति में कोई स्थायी भाव जाग्रत हो जाये तो वह वस्तु या व्यक्ति उस भाव का आलम्बन-विभाव कहलाएगा; जैसे-जंगल से गुजरते समय अचानक शेर के दिखाई देने से भय नामक स्थायी भाव जागने पर ‘शेर आलम्बन-विभाव होगा।
आलम्बन-विभाव के भी दो भेद होते हैं—आश्रय और विषय। जिस व्यक्ति के मन में स्थायी भाव उत्पन्न होते हैं उसे आश्रय तथा जिस व्यक्ति या वस्तु के कारण आश्रय के चित्त में स्थायी भाव उत्पन्न होते हैं, उसे विषय कहते हैं। इस उदाहरण में व्यक्ति को ‘आश्रय’ तथा शेर को ‘विषय’ कहेंगे।

(2) उद्दीपन-विभाव-जो कारण स्थायी भावों को उत्तेजित या उद्दीप्त करते हैं, (UPBoardSolutions.com) वे उद्दीपन- विभाव कहलाते हैं; जैसे—शेर की दहाड़। यह स्थायी भाव ‘भय’ को उद्दीप्त करता है।

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अनुभाव

मन में आने वाले स्थायी भाव के कारण मनुष्य में कुछ शारीरिक चेष्टाएँ उत्पन्न होती हैं, वे अनुभाव कहलाती हैं; जैसे–शेर को देखकर भाग खड़ा होना या बचाव के लिए जोर-जोर से चिल्लाना। इस प्रकार उसकी बाह्य चेष्टाओं से दूसरों पर भी यह प्रकट हो जाता है कि उसके मन में अमुक भाव जाग्रत हो गया है।

अनुभाव मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं—

  1. कायिक,
  2. मानसिक,
  3. आहार्य तथा
  4. सात्त्विक

(1) कायिक अनुभाव–आश्रय द्वारा इच्छापूर्वक की जाने वाली आंगिक चेष्टाओं को कायिक, (शरीर से सम्बद्ध) अनुभाव कहते हैं; जैसे—भागना, कूदना, हाथ से संकेत करना आदि।

(2) मानसिक अनुभाव-हृदय की भावना के अनुकूल मन में हर्ष-विषाद आदि भावों के उत्पन्न होने से जो भाव प्रदर्शित किये जाते हैं, वे मानसिक अनुभाव कहलाते हैं।

(3) आहार्य अनुभाव-मन के भावों के अनुसार अलग-अलग प्रकार की कृत्रिम वेश-रचना करने को आहार्य अनुभाव कहते हैं।

(4) सात्त्विक अनुभाव-जिन शारीरिक विकारों पर आश्रय का कोई वश नहीं होता, अपितु वे स्थायी भाव के उद्दीप्त होने पर स्वत: ही उत्पन्न हो जाते हैं, वे सात्त्विक अनुभाव कहलाते हैं। ये आठ प्रकार के होते हैं—

  1. स्तम्भ (शरीर के अंगों का जड़ हो जाना),
  2. स्वेद (पसीने-पसीने हो जाना),
  3. रोमांच (रोंगटे खड़े हो जाना),
  4. स्वर-भंग (आवाज न निकलना),
  5. कम्प (काँपना),
  6. विवर्णता (चेहरे का रंग उड़ जाना),
  7. अश्रु (आँसू),
  8. प्रलय (सुध-बुध खो बैठना)।

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संचारी भाव

आश्रय के मन में उठने वाले अस्थिर मनोविकारों को संचारी भाव कहते हैं। ये मनोविकार पानी के बुलबुलों की भाँति बनते-मिटते रहते हैं। संचारी भाव को व्यभिचारी भाव के नाम से भी पुकारते हैं। ये स्थायी भावों को अधिक पुष्ट करने में सहायक का कार्य करते हैं। (UPBoardSolutions.com) ये अपना कार्य करके तुरन्त स्थायी भावों में ही विलीन हो जाते हैं। प्रमुख संचारी भावों की संख्या तैंतीस मानी गयी है, जो इस प्रकार हैं-

  1. निर्वेद,
  2. आवेग,
  3. दैन्य,
  4. श्रम,
  5. मद,
  6. जड़ता,
  7. उग्रता,
  8. मोह,
  9. विबोध,
  10. स्वप्न,
  11. अपस्मार,
  12. गर्व,
  13. मरण,
  14. आलस्य,
  15. अमर्ष,
  16. निद्रा,
  17. अवहित्था,
  18. उत्सुकता,
  19. उन्माद,
  20. शंका,
  21. स्मृति,
  22. मति,
  23. व्याधि,
  24.  सन्त्रास,
  25. लज्जा,
  26. हर्ष,
  27. असूया,
  28. विषाद,
  29. धृति,
  30. चपलता,
  31. ग्लानि,
  32. चिन्ता और
  33. वितर्क।

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[विशेष—कक्षा 10 के पाठ्यक्रम में केवल हास्य और करुण रस ही निर्धारित हैं, किन्तु अध्ययन में परिपक्वता की दृष्टि से श्रृंगार और वीर रस को भी संक्षेप में यहाँ दिया जा रहा है; क्योंकि पद्यांशों का । काव्य-सौन्दर्य लिखने के लिए इनका ज्ञान भी आवश्यक है।]

(1) श्रृंगार रस

परिभाषा–स्त्री-पुरुष के पारस्परिक प्रेम (मिलन या विरह) के वर्णन से हृदय में उत्पन्न होने वाले आनन्द को श्रृंगार रस कहते हैं। यह रसराज कहलाता है। इसका स्थायी भाव ‘रति’ है।

भेद-श्रृंगार रस के दो भेद होते हैं–

  1. संयोग श्रृंगार तथा
  2. वियोग (विप्रलम्भ) श्रृंगार।

(1) संयोग श्रृंगार-जब नायक-नायिका के विविध प्रेमपूर्ण कार्यों, मिलन, वार्तालाप, स्पर्श आदि का वर्णन होता है, तब संयोग श्रृंगार होता है; उदाहरण-

बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
सौंह करै भौंहनि हँसै, दैन कहै नटि जाय।

स्पष्टीकरण-

(1) स्थायी भाव–रति।
(2) विभाव—

  • आलम्बन-कृष्ण। आश्रय-राधा।
  • उद्दीपन-बतरस लालच।

(3) अनुभाव-बाँसुरी छिपाना, भौंहों से हँसना, मना करना।
(4) संचारी भाव-हर्ष, उत्सुकता, चपलता आदि।

(2) वियोग (विप्रलम्भ) श्रृंगार—प्रबल प्रेम होते हुए भी जहाँ नायक-नायिका के वियोग का । वर्णन हो, वहाँ वियोग श्रृंगार होता है; उदाहरण-

ऊधौ मन न भये दस बीस ।
एक हुतौ सो गयौ स्याम सँग, को अवराधै ईस ॥
इंद्री सिथिल भई केसव बिनु, ज्यौं देही बिनु सीस।
आसा लागिरहति तन स्वासा, जीवहिं कोटि बरीस ॥
तुम तौ सखा स्यामसुन्दर के, सकल जोग के ईस ।
सूर हमारें नंदनंदन बिनु, और नहीं जगदीस ॥

स्पष्टीकरण–

(1) स्थायी भाव–रति।
(2) विभाव—

  • आलम्बन–कृष्ण। आश्रय-गोपियाँ।
  • द्दीपन—उद्धव का योग सन्देश।

(3) अनुभाव-विषाद।।
(4) संचारी भाव-दैन्य, जड़ता, स्मृति आदि।

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(2) हास्य रस [2009, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]

परिभाषा-किसी व्यक्ति के विकृत रूप, आकार, वेशभूषा आदि को देखकर (UPBoardSolutions.com) हृदय में जो विनोद का भाव उत्पन्न होता है, वही ‘हास’ कहलाता है। यही ‘हास’ नामक स्थायी भाव विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव से पुष्ट होकर हास्य रस कहलाता है; उदाहरण-

बिन्ध्य के बासी उदासी तपोब्रतधारी महा बिनु नारि दुखारे।
गौतम तीय तरी तुलसी, सो कथा सुनि भै मुनिबूंद सुखारे ॥
छैहैं सिला सब चन्द्रमुखी, परसे पद-मंजुल-कंज तिहारे।
कीन्हीं भली रघुनायक जू करुना करि कानन को पगु धारे॥ [2009]

स्पष्टीकरण–

  1.  स्थायी भाव-हास (हँसी)।
  2. विभाव—
    • आलम्बन–विन्ध्य के वासी तपस्वी। आश्रय-पाठक।
    • उद्दीपन-अहिल्या की कथा सुनना, राम के आगमन पर प्रसन्न होना, स्तुति करना।।
  3. अनुभाव-हँसना।।
  4. संचारी भाव–स्मृति, चपलता, उत्सुकता आदि।
    अन्य उदाहरण—

    • पूछति ग्रामवधू सिय सों, ‘कहौ साँवरे से, सखि रावरे क़ो हैं ?
    • आगे चना गुरुमात दए ते, लए तुम चाबि हमें नहिं दीने ।
      स्याम कह्यो मुसकाय सुदामा सौं, चोरी की बान में हौ जू प्रवीने ।।
      पोटरी कॉख में चॉपि रहे तुम, खोलत नाहिं सुधारस भीने ।
      पाछिली बानि अजौ ने तजौ तुम, तैसेई भाभी के तन्दुल कीन्हे ।।

(3) करुण रस [2009, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]

परिभाषा–प्रिय वस्तु तथा व्यक्ति के नाश या अनिष्ट से हृदय में उत्पन्न क्षोभ से ‘शोक’ उत्पन्न होता है। यही शोक नामक स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव से पुष्ट हो जाता है तब ‘करुण रस’ दशा को प्राप्त होता है; उदाहरण-श्रवणकुमार की मृत्यु पर उसकी माता की यह दशा करुण रस की निष्पत्ति कराती है–

मणि खोये भुजंग-सी जननी,
फन-सा पटक रही थी शीश,
अन्धी आज बनाकर मुझको,
किया न्याय तुमने जगदीश ?

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स्पष्टीकरण–

  1. स्थायी भाव—शोक।
  2. विभाव—
    • आलम्बन-श्रवण। आश्रय–पाठक।
    • उद्दीपन-दशरथ की उपस्थिति।
  3. अनुभाव-सिर पटकना, प्रलाप करना आदि।
  4. संचारी भाव-स्मृति, विषाद आदि।

अन्य उदाहरण

(1) अभी तो मुकुट बँधा था माथ, हुए कल ही हल्दी के हाथ ।
खुले भी न थे लाज के बोल, खिले भी चुम्बन शून्य कपोल ।।
हाय रुक गया यहीं संसार, बना सिन्दूर अनल अंगारे ।
वातहत लतिका यह सुकुमार, पड़ी है। छिन्नाधार ।।

(2) सोक बिकल सब रोवहिं रानी। रूप सीले बल तेज बखानी ।।
करहिं बिलाप अनेक प्रकारा। परहिं भूमि तल बारहिं बारा ।। [2017]

(4) वीर रस

परिभाषा-शत्रु के उत्कर्ष को मिटाने, दोनों की दुर्दशा देख उनका उद्धार करने, (UPBoardSolutions.com) धर्म का उद्धार करने आदि में जो उत्साह कर्मक्षेत्र में प्रवृत्त करता है, वह वीर रस कहलाता है। वीर रस का स्थायी भाव ‘उत्साह’ है; उदाहरण-

मैं सत्य कहता हूँ सखे, सुकुमार मत जानो मुझे।
यमराज से भी युद्ध में प्रस्तुत सदा मानो मुझे ॥
है और की तो बात ही क्या, गर्व मैं करता नहीं।
मामा तथा निज तात से भी, समर में डरता नहीं ॥

स्पष्टीकरण-

  1. स्थायी भाव–उत्साह।
  2. विभाव-
    • आलम्बन-कौरव। आश्रय-अभिमन्यु।
    • उद्दीपन-चक्रव्यूह की रचना।
  3. अनुभाव-अभिमन्यु की उक्ति।
  4.  संचारी भाव-गर्व, हर्ष, उत्सुकता आदि।

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अभ्यास

प्रश्न 1
निम्नलिखित में कौन-सा रस है ? उसका स्थायी भाव एवं परिभाषा लिखिए
(1) बिपति बँटावन बंधु बाहु बिनु करौं भरोसो काको ?
(2) नाना वाहन नाना वेषा। बिहसे सिव समाज निज देखा ।।
कोउ मुखहीन बिपुल मुख काहू। बिनु पद–कर कोऊ बहु-बाहू ।।
(3) जो भूरि भाग्य भरी विदित थी निरुपमेय सुहासिनी ।
हे हृदयवल्लभ! हूँ वही अब मैं महा हतभागिनी ।।
जो साथिनी होकर तुम्हारी थी अतीव सनाथिनी ।।
है अब उसी मुझ-सी जगत में और कौन अनाथिनी ।।
(4) जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फन करिबर कर हीना ।।
अस मम जिवन बन्धु बिन तोही। जौ जड़ दैव जियावइ मोही ।। [2010, 11]
(5) सीस पर गंगा हँसै, भुजनि भुजंगा हँसै ।
हास ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में ।। [2010, 12, 14]
(6) हँसि हँसि भाजै देखि दूलह दिगम्बर को,
पाहुनी जे आवें हिमाचल के उछाह में। [2011, 12, 13, 15]
(7) हे जीवितेश ! उठो, उठो यह नींद कैसी घोर है।
है क्या तुम्हारे योग्य, यह तो भूमि सेज कठोर है।।
(8) हरि जननी मैं बालक तेरा। काहे न अवगुण बकसहु मेरा ।।
सुत अपराध करै दिन केते। जननी कैचित रहै न तेते ।।
कर गहि केस करे जो घाता। तऊ न हेत उतारै माता ।।
कहैं कबीर एक बुधि बिचारी। बालक दुःखी-दुःखी महतारी ।।
(9) जेहि दिसि बैठे नारद फूली। सो दिसि तेहिं न बिलोकी भूली ।।
पुनि पुनि मुनि उकसहिं अकुलानी। देखि दसा हर गन मुसुकाहीं ।। [2014]
(10) ब्रज के बिरही लोग दुखारे।
बिनु गोपाल ठगे से ठाढ़े, अति दुर्बल तन कारे ।।
नंद जसोदा मारग जोवति, निस दिन साँझ सकारे ।
चहुँ दिसि कान्ह कान्ह कहि टेरते, अँसुवन बहत पनारे ।।
(11) ऊधौ मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं ।।
वृंदावन गोकुल वन उपवन सघन कुंज की छाहीं ।।
(12) चहुँ दिसि कान्ह कान्हें कहि टेरत, अँसुवने बहत पनारे ।। [2013]
(13) तात तात हा तात पुकारी। परे भूमितल व्याकुल भारी ।।
चलत न देखन पायउँ तोही। तात न रामहिं सौंपेउ मोही ।। [2009, 10]
(14) हा! वृद्धा के अतुल धन, हा! मृदुता के सहारे ।
ही ! प्राणों के परमप्रिय, हा! एक मेरे दुलारे ।
(15) गोपी ग्वाल गाइ गो सुत सब, अति ही दीन विचारे ।
सूरदास प्रभु बिनु यौं देखियत, चंद बिना ज्यौं तारे ।।

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(16) प्रिय पति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है ।
दु:ख जलनिधि डूबी का सहारा कहाँ है ।।
लख मुख जिसका आज लौं जी सकी हूँ, |
वह हृदय हमारा नैन- तारा कहाँ है ।। [2011]
(17) करि विलाप सब रोवहिं रानी। महा बिपति किमि जाय बखानी ।।
सुन विलाप दुखहूँ दुख लागा। धीरजहूँ कर धीरज भागा ।।
(18) कौरवों का श्राद्ध करने के लिए।
या कि रोने को चिता के सामने।
शेष अब है रह गया कोई नहीं,
एक वृद्धा एक अन्धे के सिवा।। [2010, 12, 14]
(19) पति सिर देखत मन्दोदरी। मुरुछित बिकले धरनि खसि परी।।
जुबति बूंद रोवत उठि धाई। तेहि उठाइ रावन पहिं आई ।। [2012]
(20) राम-राम कहि राम (UPBoardSolutions.com) कहि, राम-राम कहि राम ।
तन परिहरि रघुपति विरहं, राउ गयउ सुरधाम् ।। [2012]
(21) मम अनुज पड़ा है, चेतनाहीन होके,
तरल हृदय वाली जानकी भी नहीं है ।
अब बहु दु:ख से अल्प बोला न जाता,
क्षण भर रह जाता है न उद्विग्नता से ।। [2013]
(22) बिलपहिं बिकलदास अरु दासी। घर घर रुदन करहिं पुरवासी ।
अँथयउ आजु भानुकुल भानू। धरम अवधि गुन रूप निधानू ।। [2018]
उत्तर
(1) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(2) रस — हास्य, स्थायी भाव – शोक।
(3) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(4) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(5) रस — करुण, स्थायी भाव शोक।
(6) रस — हास्य, स्थायी भाव – हास।
(7) रस – करुण, स्थायी भाव – शोक।
(8) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(9) रस — हास्य, स्थायी भावे – हास।
(10) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(11) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक!
(12) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(13) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(14) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(15) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(16) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(17) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(18) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(19) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(20) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(21) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।
(22) रस — करुण, स्थायी भाव – शोक।

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[ संकेत-परिभाषा के लिए सम्बन्धित रस की सामग्री का अध्ययन करें।]

प्रश्न 2
करुण रस का स्थायी भाव बताते हुए एक उदाहरण दीजिए। [2011]
या
करुण रस की परिभाषा लिखिए और उसका एक उदाहरण दीजिए। [2011, 12, 13, 14, 15, 16, 17]
या
करुण रस की परिभाषा सोदाहरण लिखिए।
उत्तर
[संकेत-करुण रस के अन्तर्गत दिये गये विवरण को पढ़िए।]

प्रश्न 3
हास्य रस की परिभाषा लिखिए और उसका स्थायी भाव भी बताइए। [2011]
या
हास्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित  लिखिए। [2009, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17]
या
हास्य रस का लक्षण और उदाहरण दीजिए।
या
हास्य रस का स्थायी भाव लिखिए तथा एक उदाहरण बताइट। [2009, 11]
उत्तर
[ संकेत-हास्य रस के अन्तर्गत दिये गये विवरण को पढ़िए।]

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प्रश्न 4
निम्नांकित पद्यांश में वर्णित रस का उल्लेख करते हुए उसका स्थायी भाव बताइए-
मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोय।
जा तन की झाँईं परै, स्याम हरित दुति होय ॥
उत्तर
प्रस्तुत दोहे के एक से अधिक अर्थ हैं। एक अर्थ के आधार पर इसे भक्ति रस का दोहा माना जाता है तथा दूसरे अर्थ के आधार पर श्रृंगार रस का। भक्ति रस का स्थायी भाव है—देव विषयक रति तथा शृंगार रस का स्थायी (UPBoardSolutions.com) भाव है-रति।
[ संकेत–उपर्युक्त दोनों ही रस पाठ्यक्रम में निर्धारित नहीं हैं।]

प्रश्न 5
‘भक्ति रस’ और ‘वात्सल्य रस’ में क्या अन्तर है ? कोई एक उदाहरण लिखिए।
या
वात्सल्य रस की उदाहरण सहित परिभाषा लिखिए।
उत्तर
देवताविषयक रति अर्थात् भगवान् के प्रति अनन्य प्रेम ही विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर भक्ति रस में परिणत हो जाता है;
उदाहरण-

पुलक गात हिय सिय रघुबीरू। जीह नामु जप लोचन नीरू॥ पुत्र, बालक, शिष्य, अनुज आदि के प्रति रति को भाव स्नेह कहलाता है। इसका वत्सल नामक स्थायी भाव; विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर वात्सल्य रस में परिणत हो जाता है; उदाहरण-

जसोदा हरि पालने झुलावै ।
हलराउँ, दुलरावें, मल्हावै, जोइ-सोइ कछु गावें ॥

[संकेत-उपर्युक्त दोनों ही रस पाठ्यक्रम में निर्धारित नहीं हैं।]

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प्रश्न 6
सिसु सब राम प्रेम बस जाने। प्रीति समेत निकेत बखाने ।।
निज-निज रुचि सब लेहिं बुलाई। सहित सनेह जायँ दोउ भाई ।।
उपर्युक्त चौपाई में निहित रस तथा उसका स्थायी भाव लिखिए।
उत्तर
प्रश्न में दी गई चौपाई में श्रृंगार रस है, जिसका स्थायी भाव ‘रति’ है।

[संकेत-यह रस पाठ्यक्रम में निर्धारित नहीं है।

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